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RajveeSheth's picture
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मैं देश को स्वच्छ भारत अभियान और अमृत मिशन के अगले चरण में प्रवेश की बहुत-बहुत बधाई देता हूं। 2014 में देशवासियों ने भारत को खुले में शौच से मुक्त करने का-ODF बनाने का संकल्प लिया था। 10 करोड़ से ज्यादा शौचालयों के निर्माण के साथ देशवासियों ने ये संकल्प पूरा किया। अब ‘स्वच्छ भारत मिशन-अर्बन 2.0’ का लक्ष्य है Garbage-Free शहर, कचरे के ढेर से पूरी तरह मुक्त ऐसा शहर बनाना। अमृत मिशन इसमें देशवासियों की और मदद करने वाला है। शहरों में शत प्रतिशत लोगों की साफ पानी तक पहुंच हो, शहरों में सीवेज का बेहतरीन प्रबंधन हो, इस दिशा में हम आगे बढ़ रहे हैं। मिशन अमृत के अगले चरण में देश का लक्ष्य है- ‘सीवेज और सेप्टिक मैनेजमेंट बढ़ाना, अपने शहरों को Water secure cities’ बनाना और ये सुनिश्चित करना कि हमारी नदियों में कहीं पर भी कोई गंदा नाला न गिरे।
हम सभी का ये भी सौभाग्य है कि आज ये कार्यक्रम बाबा साहेब को समर्पित इस इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित हो रहा है। बाबा साहेब, असमानता दूर करने का बहुत बड़ा माध्यम शहरी विकास को मानते थे। बेहतर जीवन की आकांक्षा में गांवों से बहुत से लोग शहरों की तरफ आते हैं। हम जानते हैं कि उन्हें रोजगार तो मिल जाता है लेकिन उनका जीवन स्तर गांवों से भी मुश्किल स्थिति में रहता है। ये उन पर एक तरह से दोहरी मार की तरह होता है। एक तो घर से दूर, और ऊपर से ऐसी कठिन स्थिति में रहना। इस हालात को बदलने पर, इस असमानता को दूर करने पर बाबा साहेब का बड़ा जोर था। स्वच्छ भारत मिशन और मिशन अमृत का अगला चरण, बाबा साहेब के सपनों को पूरा करने की दिशा में भी एक अहम कदम है।
जन-आंदोलन की ये भावना स्वच्छ भारत मिशन की सफलता का आधार है।पहले शहरों में कचरा सड़कों पर होता था, गलियों में होता था, लेकिन अब घरों से न केवल waste collection  पर बल दिया जा रहा है, बल्कि waste segregation पर भी जोर है। बहुत से घरों में अब हम देखते हैं कि लोग गीले और सूखे कूड़े के लिए अलग अलग डस्ट्बिन रख रहे हैं।घर ही नहीं, घर के बाहर भी अगर कहीं गंदगी दिखती है तो लोग स्वच्छता ऐप से उसे रिपोर्ट करते हैं, दूसरे लोगों को जागरूक भी करते हैं। मैं इस बात से बहुत खुश होता हूं कि स्वच्छता अभियान को मजबूती देने का बीड़ा हमारी आज की पीढ़ी ने उठाया हुआ है। टॉफी के रैपर अब जमीन पर नहीं फेंके जाते, बल्कि पॉकेट में रखे जाते हैं। छोटे-छोटे बच्चे, अब बड़ों को टोकते हैं कि गंदगी मत करिए। दादाजी, नानाजी, दादीजी को बताते हैं कि मत करो। शहरों में नौजवान, तरह-तरह से स्वच्छता अभियान में मदद कर रहे हैं। कोई Waste से Wealth बना रहा है तो कोई जागरूकता बढ़ाने में जुटा है।
जैसे सुबह उठते ही दांतों को साफ करने की आदत होती है ना वैसे ही साफ-सफाई को हमें अपने जीवन का हिस्सा बनाना ही होगा। और मैं ये सिर्फ पर्सनल हाईजीन की बात नहीं कर रहा हूं। मैं सोशल हाईजीन की बात कर रहा हूं। आप सोचिए, रेल के डिब्बों में सफाई, रेलवे प्लेटफॉर्म पर सफाई ये कोई मुश्किल नहीं था। कुछ प्रयास सरकार ने किया, कुछ सहयोग लोगों ने किया और अब रेलवे की तस्वीर ही बदल गई है।
शहर में रहने वाले मध्यम वर्ग की, शहरी गरीबों के जीवन में Ease of Living बढ़ाने के लिए हमारी सरकार रिकॉर्ड invest कर रही है। अगर 2014 के पहले के 7 वर्षों की बात करें, तो शहरी विकास मंत्रालय के लिए सवा लाख करोड़ के आसपास का बजट ही आवंटित किया गया था। जबकी हमारी सरकार के 7 वर्षों में शहरी विकास मंत्रालय के लिए करीब-करीब 4 लाख करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया गया है। ये investment, शहरों की सफाई, Waste Management, नए सीवेज ट्रींटमेंट प्लांट बनाने पर हुआ है। इस investment से शहरी गरीबों के लिए घर, नए मेट्रो रूट और स्मार्ट सिटी से जुड़े प्रोजेक्ट्स पूरे हो रहे हैं। हम भारतवासी अपने लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं, इसका मुझे पूरा भरोसा है। स्वच्छ भारत मिशन और मिशन अमृत की स्पीड और स्केल दोनों ही ये भरोसा और बढ़ाते हैं।
आज भारत हर दिन करीब एक लाख टन waste process कर रहा है। 2014 में जब देश ने अभियान शुरू किया था तब देश में हर दिन पैदा होने वाले वेस्ट का 20 प्रतिशत से भी कम process होता था। आज हम करीब-करीब 70 प्रतिशत डेली वेस्ट process कर रहे हैं। 20 से 70 तक पहुंचे हैं। लेकिन अब हमें इसे 100 प्रतिशत तक लेकर जाना ही जाना है। और ये काम केवल waste disposal के जरिए नहीं होगा, बल्कि waste to wealth creation के जरिए होगा। इसके लिए देश ने हर शहर में 100 प्रतिशत waste सेग्रीगेशन के साथ-साथ इससे जुड़ी आधुनिक मैटेरियल रिकवरी फेसिलिटीज बनाने का लक्ष्य तय किया है। इन आधुनिक फेसिलिटीज में कूड़े-कचरे को छांटा जाएगा, री-साइकिल हो पाने वाली चीजों को प्रोसेस किया जाएगा, अलग किया जाएगा। इसके साथ ही, शहरो में बने कूड़े के पहाड़ों को, प्रोसेस करके पूरी तरह समाप्त किया जाएगा। हरदीप जी, जब मैं ये कूड़े के बड़े-बड़े ढेर साफ करने की बात कर रहा हूं, यहां दिल्ली में भी ऐसा ही एक पहाड़, बरसों से डेरा डाले हुए है। ये पहाड़ भी हटने का इंतजार कर रहा है।
इस असंभव को संभव किया है – पीएम स्वनिधि योजना ने। आज देश के 46 लाख से ज्यादा रेहड़ी-पटरी वाले भाई-बहन, स्ट्रीट वेंडर्स इस योजना का लाभ उठाने के लिए आगे आए हैं। इनमें से 25 लाख लोगों को करीब-करीब ढाई हजार करोड़ रुपए दिए भी जा चुके हैं। स्ट्रीट वेंडर्स की जेब में ढाई हजार करोड़ पहुंचा ये छोटी बात नहीं है जी। ये अब डिजिटल ट्रांजेक्शन कर रहे हैं और बैंकों से जो कर्ज लिया है, वो भी चुका रहे हैं। जो स्ट्रीट वेंडर्स समय पर लोन चुकाते हैं, उन्हें ब्याज में छूट भी दी जाती है। बहुत ही कम समय में इन लोगों ने 7 करोड़ से अधिक ट्रांजेक्शन किए हैं। कभी-कभी हमारे देश में बुद्धिमान लोग कह देते हैं कि ये गरीब आदमी को ये कहां से आयेगा, ये यही लोग हैं जिन्‍होंने ये करे दिखाया है यानि पैसे देने या लेने के लिए 7 करोड़ बार कोई ना कोई डिजिटल तरीका अपनाया है।
बड़ी आसानी से किया जा सकता है साथियो, लेकिन इस काम में हम सबका योगदान…मैं सभी कमिशनर्स से कहना चाहता हूं ये मानवता का काम है, ये grass root level पर आर्थिक सफाई का भी काम है। एक स्‍वाभिमान जगाने का काम है। देश ने आपको इतने प्रतिष्ठित पद पर बिठाया है। आप दिल से इस पीएम स्‍वनिधि कार्यक्रम को अपना बना लें। जी-जान से उसके साथ जुटिए। देखते ही देखते देखिए आपके गांव का हर परिवार सब्‍जी भी खरीदता है डिजिटल पेमेंट के साथ, दूध खरीदता है डिजिटल पेमेंट से, जब वो थोक में लेने जाता है डिजिटल पेमेंट करता है। एक बड़ा रेव्‍यूलेशन आने वाला है। इन छोटी सी संख्‍या के लोगों ने 7 करोड़ ट्रांजेक्‍शन किए। अगर आप सब लोग उनकी मदद में पहुंच जाएं तो हम कहां से कहां पहुंच सकते हैं।