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नई दिल्ली [ जागरण स्पेशल ]। अडल्टरी (व्याभिचार) क़ानून पर विवाद नया नहीं है। आजादी के बाद 1954 में पहली बार इस कानून पर सवाल उठाया गया। इसके बाद से कई बार कानून पर सवाल उठते रहे। दरअसल, आजादी के बाद कानून के जानकारों का ये तर्क रहा है कि जब दो वयस्कों की मर्जी से कोई विवाहेतर संबंध स्थापित किए जाते हैं तो इसके परिणाम में महज़ एक पक्ष को ही सज़ा क्यों दी जाए ? हालांकि एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट के ताजे फैसले के बाद यह मामला सुर्खियों में है। आइए जानते हैं क्या है अडल्ट्री क़ानून। आखिर क़ानूनी भाषा में क्या है इसके मायने। क्या है सजा का प्रावधान।
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