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आसानी से खाद नहीं मिलती E | पानी-बिजली को सुविधाएं ठीके से नहीं मिलती EH इत्तत्ती सब कठिनाइयों के बावजूदफसल के उचित ताम भी नहीं मिलते EH तो क्षाईयो और बहनो, हमे बताइएकि अपने किसान आहै-बहनों के लिए संघर्ष काने को हुम तैयार E या नहीं? (जनता ने कहा, तैयार E) हमारे कामआर आहै-बद, विन-रात मजदूरी में लबों रहते E, सर्दी…टामीं-बरसात को परवाह किए बिनाठापना काम करते E, फिर भी ठन्हे दो समय को रोती ठीके से नहीं मिल रहीं E | बताइए हुम ठन्नकी जिंदगी में बदलाव (माने के लिएसंघर्ष करले के लिए तैयार E ar न्तहीँ? (जन्नता ने कहा, तैयार हैं) छोटे…बड़े कारोबारी बैकों से कर्ज लेकर, जो काम…घंधा शुरू किए वह म्पोदी-सरकार को टात्नत्त नीतियों के कारण तबाह हो गए E r काम…धंधा नहीं चत्नऩे को वज़ह सेवह समय पर बैकों का कर्ज नहीं दे पा रहे E | पूरे परिवार के साथ आत्मन्हत्यक्च करले को खबरें आ रहीँ E | तो सुने बताइए जीप कि ठन्नके लिए हुम सब संघर्ष काने के लिए तैयार E ar न्नहीँ? (जन्नता ने कहा, तैयार हैं) सुने इस बाल का एहसास हैकि ठनेरी प्यारी बहनों को अपने परिवार को पात्नऩे के लिए कितना सैक्रिफाइस करना पड़ता E, श्या-दिन ठनेहन्नत्त करती E, अपना पेट काट कर परिवार पात्नत्ती E | आज रोज…मर्रा को जीजी को कोमल सीमा से बाहर होने को वजह सेठन्नकी नीद तक हराम हो बायी EH यहीं न्नहीँ,3न्नके ऊपरजिस तरह को बर्बरता और जुल्म आज हो रहे E, ठरनै देखकर हमारा दिल टूट सा रहा E, हमारा सिर शमं से झुक जाता E । में आपसे पूछती डाके अपनी माता-बहनों और बच्चियों को इस हात्नत के खिलाफ, हुम संघर्ष काने के लिए तैयार E ar न्नहीँ? (जन्नता ने कहा, तैयार हैं) आज तो 'अंधेर न्नटारी-र्चोंपट राजा' सीसा मदाल E | पूरा देश पूछ रहा हैकि 'सबका साथ, सबका विकास' कहीं E? ठार्थन्दयवरप्या इस तरह वनों तबाह हो टाई? रंजिजार कहीं चले गए E? जीप हो बताइएकि इस बाल को aria होनी चाहिए या नहीं कि जिस काले धन को बाहर (माने के लिए जोट-बंदी को थी,वह काला धन बाहर वनों नहीं आया? वह कालाधन किसके पाम E? इस बात को aia होनी चाहिए या नहीं कि प्राची रात को धूमधाम से जो जीएसटी लागूं को थी, ठसके बाद लोदी सरकार का खजाना खाली वनों हो गया? इस बाल को aia होनी चाहिए या नहीं कि आरबीआई को जैब काटकर, जो लाखों करोड रुपए स्मोवी-सरकार ने लिए वे कहीं गए? जीप हो बताइएकि इस बाल को aia होनी चाहिए या न्नहीँकि हमारी न्नव-रत्न कम्पनियां कयों ब्रेची arr रहीं E और किल्हे बेची arr रहीँ E? वूसंरी तरफ जनता का पैसा बैकों तक में सुरक्षित नहीं E | आम आदमी खुद का पैसा न घर में रख संकेता E और न बैक से निकाल संकेता E | इसंको म्पोदी-शाह कहते E, यहीं E अच्छे दिन? आज का मदाल ऐसा हो नाया हैकि जब मजी आप, कोई धारा लजा दो। कोई धारा हटा दो। प्रदेशों का दर्जा बदल दो। जब मर्जी आप राष्ट्रपति शासंन हटा दो। बिना बहसं के कोई भी विधेयक पारित कर दो।
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