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जल जीवन मिशन को अधिक सशक्त, अधिक पारदर्शी बनाने के लिए आज कई और कदम भी उठाए गए हैं। जल जीवन मिशन ऐप पर इस अभियान से जुड़ी सभी जानकारियां एक ही जगह पर मिल पाएंगी। कितने घरों तक पानी पहुंचा, पानी की क्वालिटी कैसी है, वॉटर सप्लाई स्कीम का विवरण, सब कुछ इस ऐप पर मिलेगा। आपके गांव की जानकारी भी उस पर होगी। Water Quality Monitoring और Surveillance Framework से Water Quality को बनाए रखने में बहुत मदद मिलेगी। गाँव के लोग भी इसकी मदद से अपने यहाँ के पानी की शुद्धता पर बारीक नजर रख पाएंगे।
गांधी जी कहते थे कि ग्राम स्वराज का वास्तविक अर्थ आत्मबल से परिपूर्ण होना है। इसलिए मेरा निरंतर प्रयास रहा है कि ग्राम स्वराज की ये सोच, सिद्धियों की तरफ आगे बढ़े। गुजरात में अपने लंबे सेवाकाल के दौरान मुझे ग्राम स्वराज के विजन को ज़मीन पर उतारने का अवसर मिला है। निर्मल गांव के संकल्प के साथ खुले में शौच से मुक्ति, जल मंदिर अभियान के माध्यम से गांव की पुरानी बावड़ियों को पुनर्जीवित करना, ज्योतिर्ग्राम योजना के तहत गांव में 24 घंटे बिजली पहुंचाना, तीर्थग्राम योजना के तहत गांवों में दंगे-फसाद के बदले में सौहार्द को प्रोत्साहन देना, e-ग्राम और ब्रॉडबैंड से सभी ग्राम पंचायतों की कनेक्टिविटी, ऐसे अनेक प्रयासों से गांव और गांवों की व्यवस्थाओं को राज्य के विकास का मुख्य आधार बनाया गया। बीते दो दशकों में, गुजरात को ऐसी योजनाओं के लिए, विशेषकर पानी के क्षेत्र में बेहतरीन काम करने के लिए, राष्ट्रीय भी और अंतरराष्ट्रीय संस्थानों से भी अनेकों अवॉर्ड भी मिले हैं।
2014 में जब देश ने मुझे नया दायित्व दिया तो मुझे गुजरात में ग्राम स्वराज के अनुभवों का, राष्ट्रीय स्तर पर विस्तार करने का अवसर मिला। ग्राम स्वराज का मतलब सिर्फ पंचायतों में चुनाव कराना, पंच-सरपंच चुनना, इतना ही नहीं होता है। ग्राम स्वराज का असली लाभ तभी मिलेगा जब गांव में रहने वालों की, गांव के विकास कार्यों से जुड़ी प्लानिंग और मैनेजमेंट तक में सक्रिय सहभागिता हो। इसी लक्ष्य के साथ सरकार द्वारा विशेषकर जल और स्वच्छता के लिए, सवा दो लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि सीधे ग्राम पंचायतों को दी गई है। आज एक तरफ जहां ग्राम पंचायतों को ज्यादा से ज्यादा अधिकार दिए जा रहे हैं, दूसरी तरफ पारदर्शिता का भी पूरा ध्यान रखा जा रहा है। ग्राम स्वराज को लेकर केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता का एक बड़ा प्रमाण जल जीवन मिशन और पानी समितियां भी है।
आजादी से लेकर 2019 तक, हमारे देश में सिर्फ 3 करोड़ घरों तक ही नल से जल पहुंचता था। 2019 में जल जीवन मिशन शुरू होने के बाद से, 5 करोड़ घरों को पानी के कनेक्शन से जोड़ा गया है। आज देश के लगभग 80 जिलों के करीब सवा लाख गांवों के हर घर में नल से जल पहुंच रहा है। यानि पिछले 7 दशकों में जो काम हुआ था, आज के भारत ने सिर्फ 2 साल में उससे ज्यादा काम करके दिखाया है। वो दिन दूर नहीं जब देश की किसी भी बहन-बेटी को पानी लाने के लिए रोज़-रोज़ दूर-दूर तक पैदल चलकर नहीं जाना होगा। वो अपने समय का सदुपयोग अपनी बेहतरी, अपनी पढ़ाई-लिखाई, या अपना रोजगार पर उसको शुरू करने में कर पाएंगी।
आज देश में पीने के पानी की सप्लाई ही नहीं, पानी के प्रबंधन और सिंचाई का एक व्यापक इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा करने को लेकर भी बड़े स्तर पर काम चल रहा है। पानी के प्रभावी प्रबंधन के लिए पहली बार जल शक्ति मंत्रालय के अंतर्गत पानी से जुड़े अधिकतर विषय लाए गए हैं। मां गंगा जी के साथ-साथ दूसरी नदियों के पानी को प्रदूषण मुक्त करने के लिए स्पष्ट रणनीति के साथ काम चल रहा है। अटल भूजल योजना के तहत देश के 7 राज्यों में ग्राउंडवॉटर लेवल को ऊपर उठाने के लिए काम हो रहा है। बीते 7 सालों में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत pipe irrigation और micro irrigation पर भी बहुत बल दिया गया है। अब तक 13 लाख हेक्टेयरर से अधिक ज़मीन को माइक्रो इरिगेशन के दायरे में लाया जा चुका है। Per Drop More Crop इस संकल्‍प को पूरा करने के लिए अनेक ऐसे प्रयास चल रहे हैं। लंबे समय से लटकी सिंचाई की 99 बड़ी परियोजनाओं में से लगभग आधी पूरी की जा चुकी हैं और बाकियों पर तेज़ी से काम चल रहा है। देशभर में डैम्स की बेहतर मैनेजमेंट और उनके रख-रखाव के लिए हज़ारों करोड़ रुपए से एक विशेष अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत 200 से अधिक डैम्स को सुधारा जा चुका है।
कुपोषण के खिलाफ लड़ाई में भी पानी की बहुत बड़ी भूमिका है। हर घर जल पहुंचेगा तो बच्चों का स्वास्थ्य भी सुधरेगा। अभी हाल ही में सरकार ने, पीएम पोषण शक्ति निर्माण स्कीम को भी मंजूरी दी है। इस योजना के तहत देशभर के स्कूलों में, बच्चों की पढ़ाई भी होगी और उन्हें पोषण भी सुनिश्चित किया जाएगा। इस योजना पर केंद्र सरकार 54 हजार करोड़ रुपए से अधिक खर्च करने जा रही है। इसका लाभ देश के करीब-करीब 12 करोड़ बच्चों को होगा।
यानि, पानी का एक छोटा सा कुआं, लोगों की प्यास बुझा सकता है जबकि इतना बड़ा समंदर ऐसा नहीं कर पाता है। ये बात कितनी सही है! कई बार हम देखते हैं कि किसी का छोटा सा प्रयास, बहुत से बड़े फैसलों से भी बड़ा होता है। आज पानी समिति पर भी यही बात लागू होती है। जल व्यवस्था की देखरेख और जल संरक्षण से जुड़े काम भले ही पानी समिति, अपने गांव के दायरे में करती है, लेकिन इसका विस्तार बहुत बड़ा है। ये पानी समितियां,गरीबों-दलितों-वंचितों-आदिवासियों के जीवन में बहुत बड़ा बदलाव ला रही हैं।
मुद्रा योजना के तहत भी लगभग 70 प्रतिशत ऋण महिला उद्यमियों को मिले हैं। सेल्फ हेल्प ग्रुप्स के ज़रिए भी ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भरता के मिशन से जोड़ा जा रहा है। पिछले 7 सालों के दौरान स्वयं सहायता समूहों में 3 गुना से अधिक बढ़ोतरी हुई है, 3 गुना अधिक बहनों की भागीदारी सुनिश्चित हुई है। राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत 2014 से पहले के 5 वर्षों में जितनी मदद सरकार ने बहनों के लिए भेजी, बीते 7 साल में उसमें लगभग 13 गुणा बढ़ोतरी की गई है। इतना ही नहीं, लगभग पौने 4 लाख करोड़ रुपए का ऋण भी सेल्फ हेल्प ग्रुप्स को इन माताओं-बहनों को उपलब्ध कराया गया है। सरकार ने सेल्फ हेल्प ग्रुप्स को बिना गारंटी ऋण में भी काफी वृद्धि की है।
आज गांव में हर प्रकार के इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए रिकॉर्ड Investment किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना हो, एक लाख करोड़ रुपए का एग्री फंड हो, गांव के पास कोल्ड स्टोरेज का निर्माण हो, औद्योगिक क्लस्टर का निर्माण हो, या फिर कृषि मंडियों का आधुनिकीकरण, हर क्षेत्र में तेज गति से काम जारी है। जल जीवन मिशन के लिए भी जो 3 लाख 60 हजार करोड़ की व्यवस्था की गई है, वो गांवों में ही खर्च की जाएगी। यानि ये मिशन, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई मजबूती देने के साथ ही, गांवों में रोजगार के अनेकों नए अवसर भी बनाएगा।