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हम आजादी का जश्न मनाते हैं लेकिन बंटवारे का दर्द आज भी हिन्दुस्तान के सीने को छलनी करता है। ये पिछली शताब्दी की सबसे बड़ी त्रासदी में से एक थी। आजादी के बाद इन लोगों को बहुत ही जल्द भुला दिया गया। कल ही भारत ने एक भावुक निर्णय लिया है। अब से हर वर्ष 14 अगस्त को ‘विभाजन विभिषिका स्मृति दिवस’ के रूप में याद किया जाएगा। जो लोग विभाजन के समय अमानवीय हालात से गुजरे, जिन्होंने अत्याचार सहे, जिन्हें सम्मान के साथ अंतिम संस्कार तक नसीब नहीं हुआ, उन लोगों का हमारी स्मृतियों में जीवित रहना भी उतना ही जरूरी है। आजादी के 75वें स्वतंत्रता दिवस पर विभाजन विभिषिका स्मृति दिवस का तय होना, ऐसे लोगों को हर भारतवासी की तरफ से आदरपूर्वक श्रद्धांजलि है।
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अमृत काल 25 वर्ष का है। लेकिन हमें अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये इतना लम्बा इंतजार भी नहीं करना है। हमें अभी से जुट जाना है। हमारे पास गंवाने के लिये एक पल भी नहीं है। यही समय है, सही समय है। हमारे देश को भी बदलना होगा और हमें एक नागरिक के नाते अपने आपको भी बदलना ही होगा। बदलते हुए युग के अनुकूल हमें भी अपने आपको ढालना होगा। सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, इसी श्रृद्धा के साथ हम सब जुट चुके हैं। लेकिन आज लाल किले की प्राचीर से आह्वान कर रहा हूं। सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और अब सबका प्रयास हमारे हर लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये बहुत महत्वपूर्ण है। बीते सात वर्षों में शुरू हुई अनेक योजनाओं का लाभ करोंड़ों गरीबों को उनके घर तक पहुंचा है। उज्ज्वला से लेकर आयुष्मान भारत की ताकत आज देश का हर गरीब जानता है। आज सरकारी योजनाओं की गति बढ़ी है। वह निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त कर रही है। पहले की तुलना में हम बहुत तेजी से बहुत आगे बढ़े हैं। लेकिन सिर्फ बात यहां पूरी नहीं होती है। अब हमें सैचुरेशन तक जाना है, पूर्णता तक जाना है। शत-प्रतिशत गांवों में सड़के हों, शत-प्रतिशत परिवारों के बैंक अकाउंट हो, शत-प्रतिशत लाभार्थियों को आयुष्मान भारत का कार्ड हो, शत-प्रतिशत पात्र व्यक्तियों को उज्ज्वला योजना और गैस कनेक्शन हों। सरकार की बीमा योजना हो, पेंशन योजना हो, आवास योजना से हमें हर उस व्यक्ति को जोड़ना है जो उसके हकदार हैं। शत-प्रतिशत का मूड बनाकर के चलना है। आज तक हमारे यहां कभी उन साथियों के बारे में नहीं सोचा गया जो रेहड़ी लगाते हैं। पटरी पर बैठकर, फुटपाथ पर बैठकर सामान बेचते हैं, ठेला चलाते हैं। इम इस साथियों को स्वनिधि योजना के जरिए बैंकिंग व्यवस्था से जोड़ा जा रहा है।
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आज देश में हर गरीब तक बेहतर स्वास्थ्य सुविधा पहुचाने का अभियान भी तेज गति से चल रहा है। इसके लिए मेडिकल शिक्षा में जरूरी बड़े-बड़े सुधार भी किए गए हैं। Preventive healthcare पर भी उतना ही ध्यान दिया गया है। साथ-साथ देश में मेडिकल सीटों में भी काफी बढ़ोत्तरी की गई है। आयुष्मान भारत योजना के तहत देश के गांव-गांव तक quality स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाई जा रही हैं। जन औषधि योजना के माध्यम से गरीब को, मध्यम वर्ग को सस्ती दवाईयां उपलब्ध कराई जा रही हैं। अभी तक 75 हजार से ज्यादा Health and Wellness centers बनाएं जा चुके हैं। अब ब्लॉक स्तर पर अच्छे अस्पतालों और आधुनिक लैब के नेटवर्क पर विशेष रूप से काम किया जा रहा है। बहुत जल्द देश के हजारों अस्पतालों के पास अपने ऑक्सीजन प्लांट भी होंगे।
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आज North-east में connectivity का नया इतिहास लिखा जा रहा है। ये connectivity दिलों की भी है और infrastructure की भी है। बहुत जल्द North-east के सभी राज्यों की राजधानियों को रेल सेवा से जोड़ने का काम पूरा होने वाला है। Act-East Policy के तहत आज North-east, बांग्लादेश, म्यांमार और दक्षिण-पूर्वी एशिया से भी connect हो रहा है। बीते वर्षों में जो प्रयास हुए हैं, उसकी वजह से अब North-east में स्थायी शांति के लिए, श्रेष्ठ भारत के निर्माण के लिए उत्साह अनेक गुना बढ़ा हुआ है।
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21वीं सदी के इस दशक में, भारत Blue Economy के अपने प्रयासों को और तेजी देगा। हमें aquaculture के साथ-साथ seaweed की खेती में जो नई संभावना बन रही है, उन संभावनाओं का भी पूरा लाभ उठाना है। Deep Ocean Mission समंदर की असीम संभावनाओं को तलाशने की हमारी महत्वाकांक्षा का परिणाम है। जो खनिज संपदा समंदर में छिपी हुई है, जो thermal energy समंदर के पानी में है, वो देश के विकास को नई बुलंदी दे सकती है।
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अर्थजगत में पूंजीवाद और समाजवाद इसकी चर्चा तो बहुत होती है, लेकिन भारत सहकारवाद पर भी बल देता है। सहकारवाद, हमारी परम्परा, हमारे संस्कारों के भी अनुकूल है। सहकारवाद, जिसमें जनता-जनार्दन की सामूहिक शक्ति अर्थव्यवस्था की चालक शक्ति के रूप में driving force बने, ये देश के grassroots level की economy के लिए एक अहम क्षेत्र है। Co-operatives, ये सिर्फ कानून-नियमों के जंजाल वाली एक व्यवस्था नहीं है, बल्कि co-operative एक spirit है, co-operative एक संस्कार है, co-operative एक सामूहिक चलने की मन:प्रवृत्ति है। उनका सशक्तिकरण हो, इसके लिए हमने अलग मंत्रालय बनाकर इस दिशा में कदम उठाए हैं और राज्यों के अंदर जो सहकारी क्षेत्र है, उसको जितना ज्यादा बल दे सकें, वो बल देने के लिए हमने ये कदम उठाया है।
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इस दशक में हमें गांवों में नई अर्थव्यवस्था के निर्माण के लिए पूरी शक्ति लगानी होगी। आज हम अपने गांवों को तेजी से परिवर्तित होते देख रहे हैं। बीते कुछ वर्ष, गांवों तक सड़क और बिजली की सुविधाओं को पहुंचाने के रहे थे। वो पूरा कालखंड हमारा रहा। लेकिन अब इन गांवों को optical fiber network data की ताकत पहुंच रही है, इंटरनेट पहुंच रहा है। गांव में भी digital entrepreneur तैयार हो रहे हैं। गांव में जो हमारी Self-Help Group से जुड़ी 8 करोड़ से अधिक बहनें हैं, वो एक से बढ़कर एक products बनाती हैं। इनके products को देश में और विदेश में बड़ा बाजार मिले, इसके लिए अब सरकार e-commerce platform भी तैयार करेगी।
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फसल बीमा योजना में सुधार हो, एमएसपी को डेढ़ गुना करने का बड़ा महत्वपूर्ण निर्णय हो, छोटे किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड से सस्ते दर से बैंक से कर्ज मिलने की व्यवस्था हो, सोलर पावर से जुड़ी योजनाएं खेत तक पहुंचाने की बात हो, किसान उत्पादक संगठन हो… ये सारे प्रयास छोटे किसान की ताकत बढ़ाएंगे। आने वाले समय में ब्लॉक लेवल तक warehouse की facility create करने का भी अभियान चलाया जाएगा। हर छोटे किसानों के छोटे-छोटे खर्च को ध्यान में रखते हुए पीएम किसान सम्मान निधि योजना चलाई जा रही है। दस करोड़ से अधिक किसान परिवारों के बैंक खातों में अब-तक डेढ़ लाख करोड़ से ज्यादा रकम सीधे उनके खातों में जमा करा दी गई है। छोटा किसान अब हमारे लिए हमारा मंत्र है, हमारा संकल्प है। छोटा किसान बने देश की शान…. छोटा किसान बने देश की शान। ये हमारा सपना है। आने वाले वर्षों में हमें देश के छोटे किसानों की सामूहिक शक्ति को और बढ़ाना होगा। नई सुविधाएं देनी होंगी। आज देश के 70 से ज्यादा रेल रूटों पर, किसान रेल चल रही है।
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कैसे आज गांवों के सामर्थ्य को बनाया जा रहा है। उसका एक उदाहरण है स्वामित्व योजना। हम सब जानते हैं कि गांवों में जमीन की कीमत का क्या हाल होता है। जमीन पर उनको बैंकों से कोई कर्ज नहीं मिलता है, खुद जमीन के मालिक होने के बावजूद भी। क्योंकि गांवों में जमीनों के कागज पर कई-कई पीढ़ियों से कोई काम नहीं हुआ है। लोगों के पास इसकी व्यवस्था नहीं है। इस स्थिति को बदलने का काम आज स्वामित्व योजना कर रही है। आज गांव-गांव हर एक घर की, हर जमीन की, ड्रोन के जरिए मैपिंग हो रही है। गांव की जमीनों के डेटा और सम्पत्ति के कागज ऑनलाइन अपलोड हो रहे हैं। इससे ना सिर्फ गांवों में जमीन से जुड़े विवाद समाप्त हो रहे हैं बल्कि गांव के लोगों को बैंक से आसानी से लोन भी मिलने की व्यवस्था निर्माण हुई है। गांव गरीब की जमीनें विवाद का नहीं, विकास का आधार बने, देश आज इस दिशा में बढ़ रहा है।
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स्वामी विवेकानंद जी जब भारत के भविष्य की बात करते थे, अपनी आंखों के सामने मां भारती की भव्यता का जब वो दर्शन करते थे तब वो कहते थे- जहां तक हो सके, अतीत की ओर देखो। पीछे जो चिर नूतन झरना बह रहा है, आकंठ उसका जल पियो और उसके बाद, देखिए स्वामी विवेकानंद जी की विशेषता, उसके बाद सामने की ओर देखो। आगे बढ़ो और भारत को पहले से भी कही ज्यादा उज्ज्वल, महान, श्रेष्ठ बनाओ। आजादी के इस 75वें वर्ष में हमारा दायित्व है कि अब हम देश के असीम सामर्थ्य पर विश्वास करते हुए आगे बढ़े। हमें मिलकर काम करना होगा नए जेनरेशन इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए, हमें मिलकर काम करना होगा वर्ल्ड क्लास मैन्यूफैक्चरिंग के लिए, हमें मिलकर काम करना होगा कटिंग edge innovations के लिए, हमें मिलकर काम करना होगा न्यू ऐज technology के लिए।
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भारत को आधुनिक infrastructure के साथ ही infrastructure निर्माण में holistic approach, integrated approach अपनाने की बहुत जरूरत है। आने वाले कुछ ही समय में हम करोड़ों देशवासियों का सपना पूरा करने वाली एक बहुत बड़ी योजना, प्रधानमंत्री गतिशक्ति का national master plan देश के सामने लेकर आने वाले हैं। उसको लॉन्च करने वाले हैं। सौ लाख करोड़ से भी अधिक की यह योजना लाखों नौजवानों के लिए रोजगार के नए अवसर लेकर आने वाली है। गतिशक्ति हमारे देश के लिए एक ऐसा national infrastructure master plan होगा जो holistic infrastructure की नींव रखेगा। हमारी economy को एक integrated और holistic pathway देगा। अभी हम देखते हैं कि हमारे ट्रांसपोर्ट के साधनों में कोई तालमेल नहीं होता। गतिशक्ति silos को तोड़ेगी। भविष्य के रास्ते से इन सब रोड़ों को, साथ ही और भी जितनी कठिनाई हैं, उनको हटाएगी। इससे सामान्य मानवी के लिए ट्रैवल टाइम में कमी आएगी और हमारी industry की productivity और भी बढ़ेगी। गतिशक्ति हमारे local manufacturers को globaly competitive करने में भी बहुत बड़ी मदद करेगी और इससे future Economic Zones के निर्माण की नई संभावनाएं भी विकसित होगी। अमृतकाल के इस दशक में गति की शक्ति भारत के कायाकल्प का आधार बनेगी।
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विकास के पथ पर आगे बढ़ते हुए भारत को अपनी manufacturing और export दोनों को बढ़ाना होगा। आपने देखा है, अभी कुछ दिन पहले ही भारत ने अपने पहले स्वदेशी Aircraft Carrier INS विक्रांत को समुद्र में trial के लिए उतारा है। भारत आज अपना लड़ाकू विमान बना रहा है, अपनी Submarine बना रहा है। गगनयान भी अंतरिक्ष में भारत का परचम लहराने के लिए तैयार हो रहा है। ये स्वदेशी manufacturing में हमारे सामर्थ्य को उजागर करता है।
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कोरोना के बाद उभरी नई आर्थिक परिस्थितियों में Make in India को स्थापित करने के लिए देश ने Production Linked Incentive की भी घोषणा की है। इस scheme से जो बदलाव आ रहा है, उसका उदाहरण electronic manufacturing sector से है। सात साल पहले हम लगभग आठ बिलियन डॉलर के मोबाइल फोन import यानी आयात करते थे। अब import तो बहुत ज्यादा घटा है, आज हम तीन बिलियन डॉलर के मोबाइल फोन export भी कर रहे हैं।
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आज जब हमारे manufacturing sector को गति मिल रही है तो हमें ये ध्यान रखना है कि हम भारत में जो बनाएं, उससे हम best quality के साथ ग्लोबल competition में टिकें और हो सके तो एक कदम आगे बढ़ें, यह तैयारी करनी है और ग्लोबल मार्केट को हमें target करना है। देश के सभी manufacturers को मैं आग्रहपर्वूक कहना चाहता हूं, हमारे manufacturers को इस बात को कभी नहीं भूलना होगा कि आप जो product बाहर बेचते हैं, वो सिर्फ आपकी कंपनी के द्वारा बनाया हुआ सिर्फ एक पुर्जा नहीं है, एक product नहीं है, उसके साथ भारत की पहचान जुड़ी होती है, भारत की प्रतिष्ठा जुड़ी होती है, भारत के कोटि-कोटि लोगों का विश्वास जुड़ा होता है।
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मैं इसलिए manufacturers को कहता हूं, आपका हर एक product भारत का brand ambassador है। जब तक वो product इस्तेमाल में लाया जाता रहेगा, उसे खरीदने वाला कहेगा, बड़े गर्व से कहेगा, सीना तान करके कहेगा – हां यह Made In India है। ये मिजाज चाहिए। अब आपके मन में दुनिया के मार्केट में छा जाने का सपना होना चाहिए। इस सपने को पूरा करने के लिए सरकार हर तरह से आपके साथ खड़ी है।
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आज देश के अलग-अलग सेक्टर और देश के छोटे शहरों में भी, tier 2, tier 3 cities में भी नये-नये start-up बन रहे हैं। उनकी, भारतीय products को अंतर्राज्यीय बाजार में जाने में बड़ी भूमिका भी है। सरकार अपने इन start-ups के साथ, पूरी ताकत के साथ खड़ी है। उन्हें आर्थिक मदद देनी हो, Tax में छूट देनी हो, उनके लिए नियमों को सरल बनाना हो, सब कुछ किया जा रहा है। हमने देखा है कोरोना के इस कठिन काल में ही हजारों- हजारों नये start-ups उभर करके आए हैं। बड़ी सफलता से वे आगे बढ़ रहे हैं। कल के startup आज के unicorn बन रहे हैं। इनकी market value हजारों करोड़ रुपये तक पहुंच रही है।
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ये देश में नए प्रकार के wealth creators हैं। ये अपने unique ideas की शक्ति से अपने पैरों पर खड़े हो रहे हैं, आगे बढ़ रहे हैं और दुनिया में छा जाने का सपना ले करके चल रहे हैं। इस दशक में भारत के Startups, भारत के Startup Ecosystem, इसको हम पूरी दुनिया में सर्वश्रेष्ठ बनाएं, हमें इस दिशा में काम करना है, हमें रुकना नहीं है।
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बड़े परिवर्तन लाने के लिए, बड़े Reform के लिए, राजनीतिक इच्छाशक्ति, political will की जरूरत होती है। आज दुनिया देख रही है कि भारत में राजनीतिक इच्छाशक्ति की कोई कमी नहीं है। Reforms को लागू करने के लिए Good और Smart Governance चाहिए। आज दुनिया इस बात की भी साक्षी है कि कैसे भारत अपने यहां Governance का नया अध्याय लिख रहा है। अमृतकाल के इस दशक में हम next generation reforms को…और उसमें हमारी प्राथमिकता होगी नागरिकों को जो कुछ मिलना चाहिए, जो सर्विस डिलीवरी है, वो last mile तक, last व्यक्ति तक seamlessly, बिना झिझक, बिना कठिनाई से उसको पहुंचे। देश के समग्र विकास के लिए लोगों के जीवन में सरकार और सरकारी प्रक्रियाओं का बेवजह दखल समाप्त करना ही होगा।
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पहले के समय सरकार खुद ही ड्राइविंग सीट पर बैठ गई थी। ये उस समय की शायद मांग रही होगी। लेकिन अब समय बदल चुका है। बीते सात वर्षों में देश में इसके लिए प्रयास भी बढ़ा है कि देश के लोगों को अनावश्यक कानूनों के जाल, अनावश्यक प्रक्रियाओं के जाल से मुक्ति दिलाई जाए। अब तक देश के सैंकड़ों पुराने कानूनों को समाप्त किया जा चुका है। कोरोना के इस कालखंड में भी सरकार ने 15 हजार से ज्यादा compliances को समाप्त किया है। अब आप देखिए, आपको भी अनुभव होगा कोई एक छोटा सरकारी काम हो, ढेर सारे कागज, बार-बार कागज, एक ही जानकारी अनेक बार, यही चलता रहा है। 15 हजार compliances को हमने खत्म किया है।
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नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति उसकी एक और विशेष बात है, इसमें sports को extra-curricular की जगह mainstream पढ़ाई का हिस्सा बनाया गया है। जीवन को आगे बढ़ाने में जो भी प्रभावी माध्यम हैं उनमें एक sports भी है। जीवन में संपूर्णता के लिए, जीवन में खेलकूद होना, sports होना बहुत आवश्यक है। एक समय था जब खेल-कूद को मुख्यधारा नहीं समझा जाता था। मां-बाप भी बच्चों से कहते थे कि खेलते ही रहोगे तो जीवन बर्बाद कर लोगे। अब देश में फिटनेस को लेकर स्पोर्टस को लेकर एक जागरूकता आई है। इस बार ओलंपिक में भी हमने देखा है, हमने अनुभव किया है। ये बदलाव हमारे देश के लिए एक बहुत बड़ा turning point है। इसलिये आज देश में खेलों में talent, technology और professionalism लाने के लिए जो अभियान चल रहा है इस दशक में हमें उसे और तेज करना है और व्यापक करना है।
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विश्व में national security का जितना महत्व है वैसा ही महत्व environment security को दिया जाने लगा है। भारत आज environmental security की एक मुखर आवाज है। आज biodiversity हो या land neutrality, climate change हो या waste recycling, organic farming हो या biogas हो, energy conservation हो या clean energy transition. पर्यावरण की दिशा में भारत के प्रयास आज परिणाम दे रहे हैं। भारत ने वनक्षेत्र को या फिर नेशनल पार्क की संख्या, बाघों की संख्या और एशियाटिक लायन, सभी में वृद्धि हर देशवासी के लिए खुशी की बात है।
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भारत की इन सफलताओं के बीच एक और सच को भी हमें समझना होगा। भारत आज energy independent नहीं है। भारत आज Energy Import के लिए सालाना 12 लाख करोड़ रुपए से भी अधिक खर्च करता है। भारत की प्रगति के लिए, आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए भारत का energy Independent होना समय की मांग है, अनिवार्य है। इसलिए आज भारत को ये संकल्प लेना होगा कि हम आजादी के 100 साल पूरे होने से पहले भारत को Energy Independent बनाएंगे और इसके लिए हमारा रोडमैप बहुत स्पष्ट है। Gas Based Economy हो, देशभर में CNG, PNG का नेटवर्क हो, 20 प्रतिशत इथेनॉल ब्लैंडिंग का टारगेट हो, भारत एक तय लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रहा है। भारत ने Electric Mobility की तरफ भी कदम बढ़ाया है और रेलवे के शत प्रतिशत Electrification पर भी काम तेज गति से आगे बढ़ रहा है। भारतीय रेलवे ने 2030 तक Net Zero Carbon Emitter बनने का लक्ष्य रखा है। इन सारे प्रयासों के साथ ही देश Mission Circular Economy पर भी बल दे रहा है। हमारी Vehicle Scrap Policy इसका एक बड़ा उदाहरण है। आज जी-20 देशों का जो समूह है, उसमें भारत एकमात्र देश ऐसा है, जो अपने climate Goals को प्राप्त करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।
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भारत ने इस दशक के अंत तक Renewable Energy के 450 गीगावाट का लक्ष्य तय किया है। 2030 तक 450 गीगावाट। इसमें से 100 गीगावाट के लक्ष्य को भारत ने तय समय से पहले हासिल कर लिया है। हमारे ये प्रयास दुनिया को भी एक भरोसा दे रहे हैं। ग्लोबल स्टेट पर International Solar Alliance का गठन इसका बड़ा उदाहरण है। भारत आज जो भी कार्य कर रहा है। उसमें सबसे बड़ा लक्ष्य है जो भारत को क्लाइमेट के क्षेत्र में quantum jump देने वाला है, वो है Green Hydrogen का क्षेत्र। Green Hydrogen के क्षेत्र के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए मैं आज इस तिरंगे की साक्षी में National Hydrogen Mission की घोषणा कर रहा हूं। अमृत काल में हमे भारत को Green Hydrogen के production और export का global hub बनाना है। ये उर्जा के क्षेत्र में भारत की एक नई प्रगति को आत्मनिर्भर बनाएगा और पूरे विश्व में clean energy transition की नई प्रेरणा भी बनेगा। Green Growth से Green Job के नए-नए अवसर हमारे युवाओं के लिए हमारे स्टार्टअप्स के लिए आज दस्तक दे रहे हैं।
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आज देश के महान विचारक श्री अरविंदो की जन्म-जयंती भी है। साल 2022 में उनका 150वां जन्म जयंती का पर्व है। श्री अरविंदो भारत के उज्जवल भविष्य के स्वप्न-दृष्टा थे। वो कहते थे कि हमें उतना सामर्थ्यवान बनना होगा, जितना पहले हम कभी नहीं थे। हमें अपनी आदतें बदलनी होगीं। एक नये हृदय के साथ अपने को फिर से जागृत करना होगा। श्री अरविंदो की यह बातें हमें अपने कर्तव्यों का ध्यान दिलाती हैं। एक नागरिक के तौर पर, एक समाज के तौर पर हम देश को क्या दे रहे हैं, ये भी हमें सोचना होगा। हमने अधिकारों को हमेशा महत्व दिया है, उस कालखंड में उसकी जरूरत भी रही है, लेकिन अब हमें कर्तव्यों को सर्वोपरि बनाना है, सर्वोपरि रखना है जिन संकल्पों का बीड़ा, आज देश ने उठाया है, उन्हें पूरा करने के लिए हर जन को जुड़ना होगा। हर देशवासी को इसे own करना होगा।
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