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भारत को डिजिटल पथ पर तेज़ गति से आगे बढ़ाते हुए हर देशवासी का जीवन आसान बनाने का सपना पूरे देश का है। इसको पूरा करने में हम सभी दिन रात लगे हुए हैं। देश में आज एक तरफ Innovation का जूनून है तो दूसरी तरफ उन Innovations को तेजी से adopt करने का जज़्बा भी है। इसलिए, Digital India, भारत का संकल्प है। Digital India, आत्मनिर्भर भारत की साधना है, Digital India, 21वीं सदी में सशक्त होते  भारत का एक जयघोष है।
Digital India ने ये कैसे संभव किया है, इसका शानदार उदाहरण है- डिजी लॉकर। स्कूल के सर्टिफिकेट, कॉलेज की डिग्री, ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट, आधार या दूसरे दस्तावेज़ों को संभालकर रखना हमेशा से लोगों के लिए बहुत बड़ी चिंता रहा है। कई बार बाढ़ में, भूकंप में, सुनामी में, कहीं आग लगने की वजह से, लोगों के जरूरी पहचान पत्र नष्ट हो जाते हैं। लेकिन अब 10वीं, 12वीं, कॉलेज, यूनिवर्सिटी की मार्कशीट से लेकर दूसरे तमाम दस्तावेज़ सीधे डिजीलॉकर में सहज रूप से रखे जा सकते हैं। अभी कोरोना के इस काल में, कई शहरों के कॉलेज, एडमिशन के लिए स्कूल सर्टिफिकेट्स का वेरिफिकेशन, डिजि-लॉकर की मदद से ही कर रहे हैं।
ड्राइविंग लाइसेंस हो, बर्थ सर्टिफिकेट हो, बिजली का बिल भरना हो, पानी का बिल भरना हो, इनकम टैक्स रिटर्न भरना हो, इस तरह के अनेक कामों के लिए अब प्रक्रियाएं डिजिटल इंडिया की मदद से बहुत आसान, बहुत तेज हुई है। और गांवों में तो ये सब, अब अपने घर के पास CSC सेंटर में भी हो रहा है। Digital India ने गरीब को मिलने वाले राशन की डिलिवरी को भी आसान किया है।
हाल ही में माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने भी इससे जुड़ा एक बड़ा अहम फैसला दिया है। कुछ राज्‍य हैं जो इस बात को मानते नहीं थे। आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने हुक्‍म किया है कि जिन राज्‍यों ने अब तक वन नेशन, वन राशन कार्ड वाली बात नहीं स्‍वीकार की है, वो तुरंत लागू करें। हुक्‍म करना पड़ा सुप्रीम कोर्ट को। उन्हें भी इस योजना को लागू करने को कहा गया है। मैं इस फैसले के लिए सुप्रीम कोर्ट का भी अभिनंदन करता हूं, क्‍योंकि ये गरीबों के लिए है, मजदूरों के लिए है। अपने स्‍थान से बाहर जिनको जाना पड़ रहा है उनके लिए है। और अगर संवेदनशीलता है तो ऐसे काम को प्राथमिकता तुरंत मिलती है।
Digital India, आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को मज़बूती से आगे बढ़ा रहा है। Digital India, उन लोगों को भी सिस्टम से connect कर रहा है, जिन्होंने कभी इसकी कल्पना भी नहीं की थी। अभी कुछ और लाभार्थियों से मैंने बात की है। वो बड़े गौरव और संतोष के साथ बता रहे थे कि डिजिटल समाधान से कैसे उनके जीवन में बदलाव आया है।
रेहड़ी-ठेला-पटरी वालों ने कब सोचा था कि वो बैंकिंग सिस्टम से जुड़ेंगे और उनको भी बैंक से आसान और सस्ता ऋण मिलेगा। लेकिन आज स्वनिधि योजना से ये संभव हो रहा है। गांव में घर और जमीन से जुड़े विवाद और असुरक्षा की खबरें भी अक्सर सुनने में आती रही हैं। लेकिन अब स्वामित्व योजना के तहत गांव की जमीनों को ड्रोन मैपिंग की जा रही है। डिजिटल माध्यम से ग्रामीणों को अपने घर की कानूनी सुरक्षा का दस्तावेज़ मिल रहा है। ऑनलाइन पढ़ाई से लेकर दवाई तक के लिए, जो प्लेटफॉर्म विकसित किए गए हैं, उनसे देश के करोड़ों साथी आज लाभान्वित हो रहे हैं।
दूर सुदूर तक स्वास्थ्य सुविधाओं को पहुंचाने में भी Digital India अहम भूमिका निभा रहा है। थोड़ी देर पहले बिहार के साथी ने मुझे बताया कि e-संजीवनी ने कैसे इस मुश्किल समय में घर बैठे ही उनकी दादी मां के स्‍वास्‍थ्‍य लाभ की चिंता की। सबको स्वास्थ्य सुविधा मिले, समय पर अच्छी सुविधा मिले, ये हमारी प्राथमिकता है। इसके लिए National Digital Health Mission के तहत एक प्रभावी प्लेटफॉर्म पर भी काम चल रहा है। 
इस कोरोना काल में जो Digital Solutions भारत ने तैयार किए हैं, वो आज पूरी दुनिया में चर्चा का भी विषय हैं और आकर्षण का भी विषय हैं। दुनिया के सबसे बड़े डिजिटल Contact Tracing App में से एक, आरोग्य सेतु से कोरोना संक्रमण को रोकने में बहुत मदद मिली है। टीकाकरण के लिए भारत के COWIN app में भी आज अनेकों देश दिलचस्‍पी दिखा रहे हैं। वो चाहते हैं कि उनके देश में इस योजना का लाभ मिले। Vaccination की प्रक्रिया के लिए ऐसा Monitoring tool होना हमारी तकनीकी कुशलता का प्रमाण है। 
और हमारे ये आजकल ये Millennials, अगर आज ये सारी दुनिया न होती, टेक्‍नोलॉजी न होती तो उनका क्या हाल होता? बिना सस्ते स्मार्टफोन, सस्ते इंटरनेट और सस्ते डेटा के, उनके Daily routine में जमीन आसमान का अंतर होता। इसलिए, मैं कहता हूं, Digital India यानि सबको अवसर, सबको सुविधा, सबकी भागीदारी। डिजिटल इंडिया यानि सरकारी तंत्र तक हर किसी की पहुंच। Digital India यानि पारदर्शी, भेदभाव रहित व्यवस्था और भ्रष्टाचार पर चोट। Digital India यानि समय, श्रम और धन की बचत। Digital India यानि तेज़ी से लाभ, पूरा लाभ। Digital India यानि मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सिम गवर्नेंस।
Digital India अभियान की एक और खास बात रही कि इसमें Infrastructure के Scale और Speed, दोनों पर बहुत बल दिया गया। देश के गांवों में करीब ढाई लाख Common Service Centre ने इंटरनेट को वहां भी पहुंचाया, जहां कभी ये बहुत मुश्किल माना जाता था। भारत-नेट योजना के तहत गांव-गांव, ब्रॉडबैंड इंटरनेट पहुंचाने के लिए मिशन मोड पर काम चल रहा है।
आज भारत जितनी मजबूती के साथ दुनिया की अग्रणी Digital Economies में से एक बना है, वो हर भारतवासी के लिए गौरव का विषय है। पिछले 6-7 साल में अलग-अलग योजनाओं के तहत करीब-करीब 17 लाख करोड़ रुपए सीधे, लोगों के बैंक खातों में ट्रांसफर किए गए हैं। कोरोना काल में Digital India अभियान देश के कितना काम आया है, ये भी हम सभी ने देखा है। जिस समय बड़े-बड़े समृद्ध देश, लॉकडाउन के कारण अपने नागरिकों को सहायता राशि नहीं भेज पा रहे थे, भारत हजारों करोड़ रुपए, सीधे लोगों के बैंक खातों में भेज रहा था। कोरोना के इस डेढ़ साल में ही भारत ने विभिन्न योजनाओं के तहत करीब 7 लाख करोड़ रुपए DBT के माध्यम से लोगों के बैंक अकाउंट में भेजे हैं। भारत में आज सिर्फ BHIM UPI से ही हर महीने करीब 5 लाख करोड़ रुपए का लेन देन होता है।
किसानों के जीवन में भी डिजिटल लेनदेन से अभूतपूर्व परिवर्तन आया है। पीएम किसान सम्मान निधि के तहत 10 करोड़ से ज्यादा किसान परिवारों को 1 लाख 35 करोड़ रुपए सीधे बैंक अकाउंट में जमा किए गए हैं। Digital India ने वन नेशन, वन MSP की भावना को भी साकार किया है। इस वर्ष गेहूं की रिकॉर्ड खरीद का लगभग 85 हज़ार करोड़ रुपए सीधे किसान के बैंक खाते में पहुंचा है। e-NAM पोर्टल से ही अब तक देश के किसान एक लाख 35 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का लेन-देन कर चुके हैं।
One Nation, One Card, यानि देशभर में ट्रांसपोर्ट और दूसरी सुविधाओं के लिए पेमेंट का एक ही माध्यम, एक बहुत बड़ी सुविधा सिद्ध होने वाला है। Fastag के आने से पूरे देश में ट्रांसपोर्ट आसान भी हुआ है, सस्ता भी हुआ है और समय की भी बचत हो रही है। इसी तरह GST से, eWay Bills की व्यवस्था से, देश में व्यापार-कारोबार में सुविधा और पारदर्शिता, दोनों सुनिश्चित हुई है।  कल ही GST को चार वर्ष पूरे हुए हैं। कोरोना काल के बावजूद, पिछले आठ महीने से लगातार GST Revenue एक लाख करोड़ रुपए के मार्क को पार कर रहा है। आज एक करोड़ 28 लाख से अधिक रजिस्टर्ड उद्यमी, इसका लाभ ले रहे हैं। वहीं, Govt e-Marketplace यानि GeM से होने वाली सरकारी खरीद ने पारदर्शिता बढ़ाई है, छोटे से छोटे व्यापारी को अवसर दिया है।
ये दशक, डिजिटल टेक्नॉलॉजी में भारत की क्षमताओं को, ग्लोबल डिजिटल इकॉनॉमी में भारत की हिस्सेदारी को बहुत ज्यादा बढ़ाने वाला है। इसलिए बड़े-बड़े एक्सपर्ट्स इस दशक को India’s Techade के रूप में देख रहे हैं। एक अनुमान है कि अगले कुछ सालों में भारत की दर्जनों टेक्नॉलॉजी कंपनियां यूनिकॉर्न क्लब में शामिल होंगी। ये दिखाता है कि डेटा और डेमोग्राफिक डिविडेंड की सामूहिक ताकत, कितना बड़ा अवसर हमारे सामने ला रही है।
5G टेक्नॉलॉजी पूरी दुनिया में जीवन के हर पहलू में बड़े बदलाव करने वाली है। भारत भी इसके लिए तैयारी में जुटा है। आज जब दुनिया इंडस्ट्री 4.0 की बात कर रही है, तो भारत इसके एक बड़े भागीदार के रुप में उपस्थित है। डेटा पावर-हाउस के रूप में भी अपनी जिम्मेदारी का भारत को एहसास है। इसलिए Data protection के लिए भी हर ज़रूरी प्रावधान पर निरंतर काम चल रहा है। कुछ दिन पहले ही, साइबर सिक्योरिटी से जुड़ी इंटरनेशनल रैंकिंग आई है। 180 से ज्यादा देशों के ITU-Global Cyber Security Index में भारत दुनिया के टॉप-10 देशों में शामिल हो चुका है। साल भर पहले तक हम इसमें 47वीं रैंक पर थे।