diff --git a/pm-speech/100.txt b/pm-speech/100.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..ae05f57267b0903173d4600f9fb01ae6cac2980c --- /dev/null +++ b/pm-speech/100.txt @@ -0,0 +1,4 @@ +डेनिश कंपनियों के लिए भारत नया नहीं है। Energy, food processing, logistics, infrastructure, machinery, software आदि अनेक क्षेत्रों में डेनिश कंपनियां लंबे समय से भारत में काम कर रही हैं। उन्होंने न सिर्फ ‘Make in India’ बल्कि ‘Make in India for the World’ को सफल बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। भारत की प्रगति के लिए जो हमारा vision हैं, जिस scale और speed से हम आगे बढ़ना चाहते हैं, उसमे डेनिश expertise और डेनिश technology बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकते हैं। भारत की अर्थव्यवस्था में आए reforms, विशेष रूप से manufacturing sector में उठाए गए कदम,ऐसी कंपनियों के लिए अपार अवसर प्रस्तुत कर रहे हैं। आज की मुलाकात में हमने ऐसे कुछ अवसरों के बारे में भी चर्चा की। + +हमने आज एक निर्णय यह भी लिया, कि हम अपने सहयोग के दायरे का सतत रूप से विस्तार करते रहेंगे, उसमें नए आयाम जोड़ते रहेंगे। स्वास्थ्य के क्षेत्र में हमने एक नई पार्टनरशिप की शुरुआत की है। भारत में Agricultural productivity और किसानों की आय बढ़ाने के लिए, कृषि सम्बंधित technology में भी हमने सहयोग करने का निर्णय लिया है। इसके अंतर्गत, food safety, cold chain, food processing, fertilizers, fisheries, aquaculture, आदि अनेक क्षेत्रों की technologies पर काम किया जायेगा। हम Smart Water Resource Management, ‘Waste to Best’, और efficient supply chains जैसे क्षेत्रों में भी सहयोग करेंगे। + diff --git a/pm-speech/101.txt b/pm-speech/101.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..d7aa39382962dedf49e2894020a3fbf47bb10296 --- /dev/null +++ b/pm-speech/101.txt @@ -0,0 +1,188 @@ +ये देवभूमि ऋषियों की तपोस्थली रही है। योगनगरी के रूप में ये विश्व के लोगों को आकर्षित करती रही है। मां गंगा के समीप, हम सभी को उनका आशीर्वाद मिल रहा है। आज से नवरात्र का पावन पर्व भी शुरु हो रहा है। आज प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा होती है। मां शैलपुत्री, हिमालय पुत्री हैं। और आज के दिन मेरा यहां होना, यहां आकर इस मिट्टी को प्रणाम करना, हिमालय की इस धरती को प्रणाम करना, इससे बड़ा जीवन में कौन सा धन्य भाव हो सकता है। और मैं आज जो उत्तराखंड आया हूं तो एक विशेष रूप से भी बधाई देना चाहता हूं। क्योंकि इस बार टोक्यो ऑलंपिक में ये देवभूमि ने भी अपना झंडा गाड़ दिया है और इसलिए आप सब अभिनंदन के अधिकारी हैं। उत्तराखंड की दिव्यधरा ने मुझ जैसे अनेक लोगों के जीवन की धारा को बदलने में बड़ी भूमिका निभाई है। ये भूमि इसलिए मेरे लिए महत्वपूर्ण है। इस भूमि से मेरा नाता मर्म का भी है, कर्म का भी है, सत्व का भी है, तत्व का भी है। + +सौ साल के इस सबसे बड़े संकट का सामना हम भारतीय जिस बहादुरी से कर रहे हैं, ये दुनिया बहुत बारीकी से देख रही है।कोरोना से लड़ाई के लिए इतने कम समय में भारत ने जो सुविधाएं तैयार कीं, वो हमारे देश के सामर्थ्य को दिखाता है। सिर्फ एक टेस्टिंग लैब से करीब 3 हजार टेस्टिंग लैब्स का नेटवर्क बनना, मास्क और किट्स के आयात से प्रारंभ हमारी जिंदगी आज निर्यातक बनने का सफर तेजी से पार कर रही है। देश के दूर-दराज वाले इलाकों में भी नए वेंटिलेटर्स की सुविधाएं, मेड इन इंडिया कोरोना वैक्सीन का तेज़ी से और बड़ी मात्रा में निर्माण, दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे तेज़ टीकाकरण अभियान भारत ने जो कर दिखाया है, वो हमारी संकल्प-शक्ति, हमारे सेवाभाव, हमारी एकजुटता का प्रतीक है। + +यहां उपस्थित कई महानुभाव इस बात से परिचित हैं, कि ऑक्सीजन के प्रॉडक्शन के साथ ही उसका ट्रांसपोर्टेशन भी कितनी बड़ी चुनौती होता है। ऑक्सीजन ऐसे ही किसी टैंकर में नहीं ले जाया जा सकता। इसके लिए खास टैंकर चाहिए होता है। भारत में ऑक्सीजन प्रोडक्शन का काम सबसे ज्यादा पूर्वी भारत में होता है, लेकिन मुश्किल ये कि ज़रूरत सबसे अधिक उत्तर और पश्चिमी भारत में पड़ी। + +लॉजिस्टिक्स की इतनी चुनौतियों से जूझते हुए देश ने युद्धस्तर पर काम किया। देश और दुनिया में दिन-रात जहां से भी संभव हो, वहां से ऑक्सीजन प्लांट्स, ऑक्सीजन टैंकर अरैंज किए गए। स्पेशल ऑक्सीजन ट्रेन चलाई गई, खाली टैंकरों को तेज़ी से पहुंचाने के लिए वायुसेना के विमान लगाए गए। प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए DRDO के माध्यम से तेजस फाइटर प्लेन की टेक्नॉलॉजी को लगाया गया। पीएम केयर्स से देश में PSA ऑक्सीजन प्लांट्स लगाने पर काम तो तेज हुआ ही,  एक लाख से अधिक ऑक्सीजन कंसंट्रेटर के लिए पैसा भी दिया गया। + +भविष्य में कोरोना से लड़ाई के लिए हमारी तैयारी और पुख्ता हो, इसके लिए देशभर में PSA ऑक्सीजन प्लांट्स का नेटवर्क तैयार हो रहा है। बीते कुछ महीनों में पीएम केयर्स द्वारा स्वीकृत 1150 से अधिक ऑक्सीजन प्लांट्स काम करना शुरू कर चुके हैं। अब देश का हर जिला, पीएम केयर्स के तहत बने हुए ऑक्सीजन प्लांट्स से कवर हो गया है। पीएम केयर्स के सहयोग से बने इन ऑक्सीजन प्लांट्स को जोड़ लें, तो केंद्र सरकार, राज्य सरकार, इन सभी के प्रयासों से देश को करीब 4 हज़ार नए ऑक्सीजन प्लांट्स मिलने जा रहे हैं। ऑक्सीजन की चुनौती का मुकाबला करने में अब देश और देश के अस्पताल, पहले से कहीं ज्यादा सक्षम हो रहे हैं। + +ये हर भारतवासी के लिए गर्व की बात है कि कोरोना वैक्सीन की 93 करोड़ डोज लगाई जा चुकी है। बहुत जल्द हम 100 करोड़ के आंकड़े को पार कर पाएंगे और पार कर जाएंगे। भारत ने Cowin प्लेटफॉर्म का निर्माण करके पूरी दुनिया को राह दिखाई है कि इतने बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन किया कैसे जाता है। पहाड़ हो या रेगिस्तान, जंगल हो या समंदर, 10 लोग हों या 10 लाख, हर क्षेत्र तक आज हम पूरी सुरक्षा के साथ वैक्सीन पहुंचा रहे हैं। इसके लिए देशभर में 1 लाख 30 हजार से ज्यादा टीकाकरण केंद्र स्थापित किए गए हैं। यहां राज्य सरकार के प्रभावी मैनेजमेंट की वजह से उत्तराखंड भी बहुत जल्द शत-प्रतिशत पहली डोज़ का पड़ाव पूरा करने वाला है, और इसके लिए मुख्यमंत्री जी को, उनकी पूरी टीम को, यहां के हर छोटे- मोटे सरकार के साथियों को मैं हृदय से बहुत – बहुत बधाई देता हूं। + +जहां तराई जैसी समतल भूमि है। वहां शायद इन कामों में सरलता रहती है। मैं इस धरती से बहुत जुड़ा रहा। यहां वैक्सीन पहुंचाना भी कितना कठिन होता है। हिमालय के पहाड़ों के उस पार पहुंचकर के लोगों के पास जाना कितना कठिन होता है। ये हम भलि भांति जानते हैं। उसके बावजूद भी इतनी बड़ी सिद्दी प्राप्त करना वाकई आप सब अभिनंदन के अधिकारी हैं। + +स्वास्थ्य सुविधाएं सभी तक पहुंचाने के लिए लास्ट माइल डिलिवरी से जुड़ा एक सशक्त हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर भी बहुत ज़रूरी होता है। 6-7 साल पहले तक सिर्फ कुछ राज्यों तक ही एम्स की सुविधा थी, आज हर राज्य तक एम्स पहुंचाने के लिए काम हो रहा है। 6 एम्स से आगे बढ़कर 22 एम्स का सशक्त नेटवर्क बनाने की तरफ हम तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं। सरकार का ये भी लक्ष्य है कि देश के हर जिले में कम से कम एक मेडिकल कॉलेज जरूर हो। इसके लिए बीते 7 वर्षों में देश में 170 नए मेडिकल कॉलेज शुरू किए गए हैं। दर्जनों नए मेडिकल कॉलेज का काम जारी है। यहां मेरे उत्तराखंड में भी रुद्रपुर, हरिद्वार और पिथौरागढ़ में नए मेडिकल कॉलेजों को मंजूरी दी गई है। + +उत्तराखंड की देश की सुरक्षा में बहुत बड़ी भूमिका है। यहां का वीर नौजवान, वीर बेटियां, भारतीय सुरक्षा बलों की आन, बान और शान हैं। हमारी सरकार, हर फौजी, हर पूर्व फौजी के हितों को लेकर भी पूरी गंभीरता से काम कर रही है। ये हमारी ही सरकार है जिसने वन रैंक वन पेंशन को लागू करके अपने फौजी भाइयों की 40 साल पुरानी मांग पूरी की। और हमारे धामी जी तो खुद फौजी के बेटे हैं। वो बता भी रहे थे कि वन रैंक वन पैंशन इस फैसले ने, फौजियों को कितनी बड़ी मदद की है। + +यहां उत्तराखंड में युवा ऊर्जा से भरपूर उत्साही टीम है। अगले कुछ वर्ष में उत्तराखंड अपने गठन के 25 वर्ष में प्रवेश करेगा। उत्तराखंड को बहुत निकट भविष्य में 25 वर्ष होने वाले हैं।  तब उत्तराखंड जिस ऊंचाई पर होगा, ये तय करने, उसके लिए जुट जाने का यही समय है, सही समय है। केंद्र में जो सरकार है, वो उत्तराखंड की इस नई टीम को, पूरी मदद दे रही है। केंद्र और राज्य सरकार के साझा प्रयास, यहां के लोगों के सपनों को पूरा करने का बहुत बड़ा आधार हैं। विकास का यही डबल इंजन उत्तराखंड को नई बुलंदी देने वाला है। बाबा केदार की कृपा से, हम हर संकल्प को सिद्ध करें, इसी कामना के साथ आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं। + +सौ साल के इस सबसे बड़े संकट का सामना हम भारतीय जिस बहादुरी से कर रहे हैं, ये दुनिया बहुत बारीकी से देख रही है।कोरोना से लड़ाई के लिए इतने कम समय में भारत ने जो सुविधाएं तैयार कीं, वो हमारे देश के सामर्थ्य को दिखाता है। सिर्फ एक टेस्टिंग लैब से करीब 3 हजार टेस्टिंग लैब्स का नेटवर्क बनना, मास्क और किट्स के आयात से प्रारंभ हमारी जिंदगी आज निर्यातक बनने का सफर तेजी से पार कर रही है। देश के दूर-दराज वाले इलाकों में भी नए वेंटिलेटर्स की सुविधाएं, मेड इन इंडिया कोरोना वैक्सीन का तेज़ी से और बड़ी मात्रा में निर्माण, दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे तेज़ टीकाकरण अभियान भारत ने जो कर दिखाया है, वो हमारी संकल्प-शक्ति, हमारे सेवाभाव, हमारी एकजुटता का प्रतीक है। + +यहां उपस्थित कई महानुभाव इस बात से परिचित हैं, कि ऑक्सीजन के प्रॉडक्शन के साथ ही उसका ट्रांसपोर्टेशन भी कितनी बड़ी चुनौती होता है। ऑक्सीजन ऐसे ही किसी टैंकर में नहीं ले जाया जा सकता। इसके लिए खास टैंकर चाहिए होता है। भारत में ऑक्सीजन प्रोडक्शन का काम सबसे ज्यादा पूर्वी भारत में होता है, लेकिन मुश्किल ये कि ज़रूरत सबसे अधिक उत्तर और पश्चिमी भारत में पड़ी। + +लॉजिस्टिक्स की इतनी चुनौतियों से जूझते हुए देश ने युद्धस्तर पर काम किया। देश और दुनिया में दिन-रात जहां से भी संभव हो, वहां से ऑक्सीजन प्लांट्स, ऑक्सीजन टैंकर अरैंज किए गए। स्पेशल ऑक्सीजन ट्रेन चलाई गई, खाली टैंकरों को तेज़ी से पहुंचाने के लिए वायुसेना के विमान लगाए गए। प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए DRDO के माध्यम से तेजस फाइटर प्लेन की टेक्नॉलॉजी को लगाया गया। पीएम केयर्स से देश में PSA ऑक्सीजन प्लांट्स लगाने पर काम तो तेज हुआ ही,  एक लाख से अधिक ऑक्सीजन कंसंट्रेटर के लिए पैसा भी दिया गया। + +भविष्य में कोरोना से लड़ाई के लिए हमारी तैयारी और पुख्ता हो, इसके लिए देशभर में PSA ऑक्सीजन प्लांट्स का नेटवर्क तैयार हो रहा है। बीते कुछ महीनों में पीएम केयर्स द्वारा स्वीकृत 1150 से अधिक ऑक्सीजन प्लांट्स काम करना शुरू कर चुके हैं। अब देश का हर जिला, पीएम केयर्स के तहत बने हुए ऑक्सीजन प्लांट्स से कवर हो गया है। पीएम केयर्स के सहयोग से बने इन ऑक्सीजन प्लांट्स को जोड़ लें, तो केंद्र सरकार, राज्य सरकार, इन सभी के प्रयासों से देश को करीब 4 हज़ार नए ऑक्सीजन प्लांट्स मिलने जा रहे हैं। ऑक्सीजन की चुनौती का मुकाबला करने में अब देश और देश के अस्पताल, पहले से कहीं ज्यादा सक्षम हो रहे हैं। + +ये हर भारतवासी के लिए गर्व की बात है कि कोरोना वैक्सीन की 93 करोड़ डोज लगाई जा चुकी है। बहुत जल्द हम 100 करोड़ के आंकड़े को पार कर पाएंगे और पार कर जाएंगे। भारत ने Cowin प्लेटफॉर्म का निर्माण करके पूरी दुनिया को राह दिखाई है कि इतने बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन किया कैसे जाता है। पहाड़ हो या रेगिस्तान, जंगल हो या समंदर, 10 लोग हों या 10 लाख, हर क्षेत्र तक आज हम पूरी सुरक्षा के साथ वैक्सीन पहुंचा रहे हैं। इसके लिए देशभर में 1 लाख 30 हजार से ज्यादा टीकाकरण केंद्र स्थापित किए गए हैं। यहां राज्य सरकार के प्रभावी मैनेजमेंट की वजह से उत्तराखंड भी बहुत जल्द शत-प्रतिशत पहली डोज़ का पड़ाव पूरा करने वाला है, और इसके लिए मुख्यमंत्री जी को, उनकी पूरी टीम को, यहां के हर छोटे- मोटे सरकार के साथियों को मैं हृदय से बहुत – बहुत बधाई देता हूं। + +जहां तराई जैसी समतल भूमि है। वहां शायद इन कामों में सरलता रहती है। मैं इस धरती से बहुत जुड़ा रहा। यहां वैक्सीन पहुंचाना भी कितना कठिन होता है। हिमालय के पहाड़ों के उस पार पहुंचकर के लोगों के पास जाना कितना कठिन होता है। ये हम भलि भांति जानते हैं। उसके बावजूद भी इतनी बड़ी सिद्दी प्राप्त करना वाकई आप सब अभिनंदन के अधिकारी हैं। + +स्वास्थ्य सुविधाएं सभी तक पहुंचाने के लिए लास्ट माइल डिलिवरी से जुड़ा एक सशक्त हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर भी बहुत ज़रूरी होता है। 6-7 साल पहले तक सिर्फ कुछ राज्यों तक ही एम्स की सुविधा थी, आज हर राज्य तक एम्स पहुंचाने के लिए काम हो रहा है। 6 एम्स से आगे बढ़कर 22 एम्स का सशक्त नेटवर्क बनाने की तरफ हम तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं। सरकार का ये भी लक्ष्य है कि देश के हर जिले में कम से कम एक मेडिकल कॉलेज जरूर हो। इसके लिए बीते 7 वर्षों में देश में 170 नए मेडिकल कॉलेज शुरू किए गए हैं। दर्जनों नए मेडिकल कॉलेज का काम जारी है। यहां मेरे उत्तराखंड में भी रुद्रपुर, हरिद्वार और पिथौरागढ़ में नए मेडिकल कॉलेजों को मंजूरी दी गई है। + +उत्तराखंड की देश की सुरक्षा में बहुत बड़ी भूमिका है। यहां का वीर नौजवान, वीर बेटियां, भारतीय सुरक्षा बलों की आन, बान और शान हैं। हमारी सरकार, हर फौजी, हर पूर्व फौजी के हितों को लेकर भी पूरी गंभीरता से काम कर रही है। ये हमारी ही सरकार है जिसने वन रैंक वन पेंशन को लागू करके अपने फौजी भाइयों की 40 साल पुरानी मांग पूरी की। और हमारे धामी जी तो खुद फौजी के बेटे हैं। वो बता भी रहे थे कि वन रैंक वन पैंशन इस फैसले ने, फौजियों को कितनी बड़ी मदद की है। + +यहां उत्तराखंड में युवा ऊर्जा से भरपूर उत्साही टीम है। अगले कुछ वर्ष में उत्तराखंड अपने गठन के 25 वर्ष में प्रवेश करेगा। उत्तराखंड को बहुत निकट भविष्य में 25 वर्ष होने वाले हैं।  तब उत्तराखंड जिस ऊंचाई पर होगा, ये तय करने, उसके लिए जुट जाने का यही समय है, सही समय है। केंद्र में जो सरकार है, वो उत्तराखंड की इस नई टीम को, पूरी मदद दे रही है। केंद्र और राज्य सरकार के साझा प्रयास, यहां के लोगों के सपनों को पूरा करने का बहुत बड़ा आधार हैं। विकास का यही डबल इंजन उत्तराखंड को नई बुलंदी देने वाला है। बाबा केदार की कृपा से, हम हर संकल्प को सिद्ध करें, इसी कामना के साथ आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं। + +सौ साल के इस सबसे बड़े संकट का सामना हम भारतीय जिस बहादुरी से कर रहे हैं, ये दुनिया बहुत बारीकी से देख रही है।कोरोना से लड़ाई के लिए इतने कम समय में भारत ने जो सुविधाएं तैयार कीं, वो हमारे देश के सामर्थ्य को दिखाता है। सिर्फ एक टेस्टिंग लैब से करीब 3 हजार टेस्टिंग लैब्स का नेटवर्क बनना, मास्क और किट्स के आयात से प्रारंभ हमारी जिंदगी आज निर्यातक बनने का सफर तेजी से पार कर रही है। देश के दूर-दराज वाले इलाकों में भी नए वेंटिलेटर्स की सुविधाएं, मेड इन इंडिया कोरोना वैक्सीन का तेज़ी से और बड़ी मात्रा में निर्माण, दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे तेज़ टीकाकरण अभियान भारत ने जो कर दिखाया है, वो हमारी संकल्प-शक्ति, हमारे सेवाभाव, हमारी एकजुटता का प्रतीक है। + +यहां उपस्थित कई महानुभाव इस बात से परिचित हैं, कि ऑक्सीजन के प्रॉडक्शन के साथ ही उसका ट्रांसपोर्टेशन भी कितनी बड़ी चुनौती होता है। ऑक्सीजन ऐसे ही किसी टैंकर में नहीं ले जाया जा सकता। इसके लिए खास टैंकर चाहिए होता है। भारत में ऑक्सीजन प्रोडक्शन का काम सबसे ज्यादा पूर्वी भारत में होता है, लेकिन मुश्किल ये कि ज़रूरत सबसे अधिक उत्तर और पश्चिमी भारत में पड़ी। + +लॉजिस्टिक्स की इतनी चुनौतियों से जूझते हुए देश ने युद्धस्तर पर काम किया। देश और दुनिया में दिन-रात जहां से भी संभव हो, वहां से ऑक्सीजन प्लांट्स, ऑक्सीजन टैंकर अरैंज किए गए। स्पेशल ऑक्सीजन ट्रेन चलाई गई, खाली टैंकरों को तेज़ी से पहुंचाने के लिए वायुसेना के विमान लगाए गए। प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए DRDO के माध्यम से तेजस फाइटर प्लेन की टेक्नॉलॉजी को लगाया गया। पीएम केयर्स से देश में PSA ऑक्सीजन प्लांट्स लगाने पर काम तो तेज हुआ ही,  एक लाख से अधिक ऑक्सीजन कंसंट्रेटर के लिए पैसा भी दिया गया। + +भविष्य में कोरोना से लड़ाई के लिए हमारी तैयारी और पुख्ता हो, इसके लिए देशभर में PSA ऑक्सीजन प्लांट्स का नेटवर्क तैयार हो रहा है। बीते कुछ महीनों में पीएम केयर्स द्वारा स्वीकृत 1150 से अधिक ऑक्सीजन प्लांट्स काम करना शुरू कर चुके हैं। अब देश का हर जिला, पीएम केयर्स के तहत बने हुए ऑक्सीजन प्लांट्स से कवर हो गया है। पीएम केयर्स के सहयोग से बने इन ऑक्सीजन प्लांट्स को जोड़ लें, तो केंद्र सरकार, राज्य सरकार, इन सभी के प्रयासों से देश को करीब 4 हज़ार नए ऑक्सीजन प्लांट्स मिलने जा रहे हैं। ऑक्सीजन की चुनौती का मुकाबला करने में अब देश और देश के अस्पताल, पहले से कहीं ज्यादा सक्षम हो रहे हैं। + +ये हर भारतवासी के लिए गर्व की बात है कि कोरोना वैक्सीन की 93 करोड़ डोज लगाई जा चुकी है। बहुत जल्द हम 100 करोड़ के आंकड़े को पार कर पाएंगे और पार कर जाएंगे। भारत ने Cowin प्लेटफॉर्म का निर्माण करके पूरी दुनिया को राह दिखाई है कि इतने बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन किया कैसे जाता है। पहाड़ हो या रेगिस्तान, जंगल हो या समंदर, 10 लोग हों या 10 लाख, हर क्षेत्र तक आज हम पूरी सुरक्षा के साथ वैक्सीन पहुंचा रहे हैं। इसके लिए देशभर में 1 लाख 30 हजार से ज्यादा टीकाकरण केंद्र स्थापित किए गए हैं। यहां राज्य सरकार के प्रभावी मैनेजमेंट की वजह से उत्तराखंड भी बहुत जल्द शत-प्रतिशत पहली डोज़ का पड़ाव पूरा करने वाला है, और इसके लिए मुख्यमंत्री जी को, उनकी पूरी टीम को, यहां के हर छोटे- मोटे सरकार के साथियों को मैं हृदय से बहुत – बहुत बधाई देता हूं। + +जहां तराई जैसी समतल भूमि है। वहां शायद इन कामों में सरलता रहती है। मैं इस धरती से बहुत जुड़ा रहा। यहां वैक्सीन पहुंचाना भी कितना कठिन होता है। हिमालय के पहाड़ों के उस पार पहुंचकर के लोगों के पास जाना कितना कठिन होता है। ये हम भलि भांति जानते हैं। उसके बावजूद भी इतनी बड़ी सिद्दी प्राप्त करना वाकई आप सब अभिनंदन के अधिकारी हैं। + +स्वास्थ्य सुविधाएं सभी तक पहुंचाने के लिए लास्ट माइल डिलिवरी से जुड़ा एक सशक्त हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर भी बहुत ज़रूरी होता है। 6-7 साल पहले तक सिर्फ कुछ राज्यों तक ही एम्स की सुविधा थी, आज हर राज्य तक एम्स पहुंचाने के लिए काम हो रहा है। 6 एम्स से आगे बढ़कर 22 एम्स का सशक्त नेटवर्क बनाने की तरफ हम तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं। सरकार का ये भी लक्ष्य है कि देश के हर जिले में कम से कम एक मेडिकल कॉलेज जरूर हो। इसके लिए बीते 7 वर्षों में देश में 170 नए मेडिकल कॉलेज शुरू किए गए हैं। दर्जनों नए मेडिकल कॉलेज का काम जारी है। यहां मेरे उत्तराखंड में भी रुद्रपुर, हरिद्वार और पिथौरागढ़ में नए मेडिकल कॉलेजों को मंजूरी दी गई है। + +उत्तराखंड की देश की सुरक्षा में बहुत बड़ी भूमिका है। यहां का वीर नौजवान, वीर बेटियां, भारतीय सुरक्षा बलों की आन, बान और शान हैं। हमारी सरकार, हर फौजी, हर पूर्व फौजी के हितों को लेकर भी पूरी गंभीरता से काम कर रही है। ये हमारी ही सरकार है जिसने वन रैंक वन पेंशन को लागू करके अपने फौजी भाइयों की 40 साल पुरानी मांग पूरी की। और हमारे धामी जी तो खुद फौजी के बेटे हैं। वो बता भी रहे थे कि वन रैंक वन पैंशन इस फैसले ने, फौजियों को कितनी बड़ी मदद की है। + +यहां उत्तराखंड में युवा ऊर्जा से भरपूर उत्साही टीम है। अगले कुछ वर्ष में उत्तराखंड अपने गठन के 25 वर्ष में प्रवेश करेगा। उत्तराखंड को बहुत निकट भविष्य में 25 वर्ष होने वाले हैं।  तब उत्तराखंड जिस ऊंचाई पर होगा, ये तय करने, उसके लिए जुट जाने का यही समय है, सही समय है। केंद्र में जो सरकार है, वो उत्तराखंड की इस नई टीम को, पूरी मदद दे रही है। केंद्र और राज्य सरकार के साझा प्रयास, यहां के लोगों के सपनों को पूरा करने का बहुत बड़ा आधार हैं। विकास का यही डबल इंजन उत्तराखंड को नई बुलंदी देने वाला है। बाबा केदार की कृपा से, हम हर संकल्प को सिद्ध करें, इसी कामना के साथ आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं। + +सौ साल के इस सबसे बड़े संकट का सामना हम भारतीय जिस बहादुरी से कर रहे हैं, ये दुनिया बहुत बारीकी से देख रही है।कोरोना से लड़ाई के लिए इतने कम समय में भारत ने जो सुविधाएं तैयार कीं, वो हमारे देश के सामर्थ्य को दिखाता है। सिर्फ एक टेस्टिंग लैब से करीब 3 हजार टेस्टिंग लैब्स का नेटवर्क बनना, मास्क और किट्स के आयात से प्रारंभ हमारी जिंदगी आज निर्यातक बनने का सफर तेजी से पार कर रही है। देश के दूर-दराज वाले इलाकों में भी नए वेंटिलेटर्स की सुविधाएं, मेड इन इंडिया कोरोना वैक्सीन का तेज़ी से और बड़ी मात्रा में निर्माण, दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे तेज़ टीकाकरण अभियान भारत ने जो कर दिखाया है, वो हमारी संकल्प-शक्ति, हमारे सेवाभाव, हमारी एकजुटता का प्रतीक है। + +यहां उपस्थित कई महानुभाव इस बात से परिचित हैं, कि ऑक्सीजन के प्रॉडक्शन के साथ ही उसका ट्रांसपोर्टेशन भी कितनी बड़ी चुनौती होता है। ऑक्सीजन ऐसे ही किसी टैंकर में नहीं ले जाया जा सकता। इसके लिए खास टैंकर चाहिए होता है। भारत में ऑक्सीजन प्रोडक्शन का काम सबसे ज्यादा पूर्वी भारत में होता है, लेकिन मुश्किल ये कि ज़रूरत सबसे अधिक उत्तर और पश्चिमी भारत में पड़ी। + +लॉजिस्टिक्स की इतनी चुनौतियों से जूझते हुए देश ने युद्धस्तर पर काम किया। देश और दुनिया में दिन-रात जहां से भी संभव हो, वहां से ऑक्सीजन प्लांट्स, ऑक्सीजन टैंकर अरैंज किए गए। स्पेशल ऑक्सीजन ट्रेन चलाई गई, खाली टैंकरों को तेज़ी से पहुंचाने के लिए वायुसेना के विमान लगाए गए। प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए DRDO के माध्यम से तेजस फाइटर प्लेन की टेक्नॉलॉजी को लगाया गया। पीएम केयर्स से देश में PSA ऑक्सीजन प्लांट्स लगाने पर काम तो तेज हुआ ही,  एक लाख से अधिक ऑक्सीजन कंसंट्रेटर के लिए पैसा भी दिया गया। + +भविष्य में कोरोना से लड़ाई के लिए हमारी तैयारी और पुख्ता हो, इसके लिए देशभर में PSA ऑक्सीजन प्लांट्स का नेटवर्क तैयार हो रहा है। बीते कुछ महीनों में पीएम केयर्स द्वारा स्वीकृत 1150 से अधिक ऑक्सीजन प्लांट्स काम करना शुरू कर चुके हैं। अब देश का हर जिला, पीएम केयर्स के तहत बने हुए ऑक्सीजन प्लांट्स से कवर हो गया है। पीएम केयर्स के सहयोग से बने इन ऑक्सीजन प्लांट्स को जोड़ लें, तो केंद्र सरकार, राज्य सरकार, इन सभी के प्रयासों से देश को करीब 4 हज़ार नए ऑक्सीजन प्लांट्स मिलने जा रहे हैं। ऑक्सीजन की चुनौती का मुकाबला करने में अब देश और देश के अस्पताल, पहले से कहीं ज्यादा सक्षम हो रहे हैं। + +ये हर भारतवासी के लिए गर्व की बात है कि कोरोना वैक्सीन की 93 करोड़ डोज लगाई जा चुकी है। बहुत जल्द हम 100 करोड़ के आंकड़े को पार कर पाएंगे और पार कर जाएंगे। भारत ने Cowin प्लेटफॉर्म का निर्माण करके पूरी दुनिया को राह दिखाई है कि इतने बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन किया कैसे जाता है। पहाड़ हो या रेगिस्तान, जंगल हो या समंदर, 10 लोग हों या 10 लाख, हर क्षेत्र तक आज हम पूरी सुरक्षा के साथ वैक्सीन पहुंचा रहे हैं। इसके लिए देशभर में 1 लाख 30 हजार से ज्यादा टीकाकरण केंद्र स्थापित किए गए हैं। यहां राज्य सरकार के प्रभावी मैनेजमेंट की वजह से उत्तराखंड भी बहुत जल्द शत-प्रतिशत पहली डोज़ का पड़ाव पूरा करने वाला है, और इसके लिए मुख्यमंत्री जी को, उनकी पूरी टीम को, यहां के हर छोटे- मोटे सरकार के साथियों को मैं हृदय से बहुत – बहुत बधाई देता हूं। + +जहां तराई जैसी समतल भूमि है। वहां शायद इन कामों में सरलता रहती है। मैं इस धरती से बहुत जुड़ा रहा। यहां वैक्सीन पहुंचाना भी कितना कठिन होता है। हिमालय के पहाड़ों के उस पार पहुंचकर के लोगों के पास जाना कितना कठिन होता है। ये हम भलि भांति जानते हैं। उसके बावजूद भी इतनी बड़ी सिद्दी प्राप्त करना वाकई आप सब अभिनंदन के अधिकारी हैं। + +स्वास्थ्य सुविधाएं सभी तक पहुंचाने के लिए लास्ट माइल डिलिवरी से जुड़ा एक सशक्त हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर भी बहुत ज़रूरी होता है। 6-7 साल पहले तक सिर्फ कुछ राज्यों तक ही एम्स की सुविधा थी, आज हर राज्य तक एम्स पहुंचाने के लिए काम हो रहा है। 6 एम्स से आगे बढ़कर 22 एम्स का सशक्त नेटवर्क बनाने की तरफ हम तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं। सरकार का ये भी लक्ष्य है कि देश के हर जिले में कम से कम एक मेडिकल कॉलेज जरूर हो। इसके लिए बीते 7 वर्षों में देश में 170 नए मेडिकल कॉलेज शुरू किए गए हैं। दर्जनों नए मेडिकल कॉलेज का काम जारी है। यहां मेरे उत्तराखंड में भी रुद्रपुर, हरिद्वार और पिथौरागढ़ में नए मेडिकल कॉलेजों को मंजूरी दी गई है। + +उत्तराखंड की देश की सुरक्षा में बहुत बड़ी भूमिका है। यहां का वीर नौजवान, वीर बेटियां, भारतीय सुरक्षा बलों की आन, बान और शान हैं। हमारी सरकार, हर फौजी, हर पूर्व फौजी के हितों को लेकर भी पूरी गंभीरता से काम कर रही है। ये हमारी ही सरकार है जिसने वन रैंक वन पेंशन को लागू करके अपने फौजी भाइयों की 40 साल पुरानी मांग पूरी की। और हमारे धामी जी तो खुद फौजी के बेटे हैं। वो बता भी रहे थे कि वन रैंक वन पैंशन इस फैसले ने, फौजियों को कितनी बड़ी मदद की है। + +यहां उत्तराखंड में युवा ऊर्जा से भरपूर उत्साही टीम है। अगले कुछ वर्ष में उत्तराखंड अपने गठन के 25 वर्ष में प्रवेश करेगा। उत्तराखंड को बहुत निकट भविष्य में 25 वर्ष होने वाले हैं।  तब उत्तराखंड जिस ऊंचाई पर होगा, ये तय करने, उसके लिए जुट जाने का यही समय है, सही समय है। केंद्र में जो सरकार है, वो उत्तराखंड की इस नई टीम को, पूरी मदद दे रही है। केंद्र और राज्य सरकार के साझा प्रयास, यहां के लोगों के सपनों को पूरा करने का बहुत बड़ा आधार हैं। विकास का यही डबल इंजन उत्तराखंड को नई बुलंदी देने वाला है। बाबा केदार की कृपा से, हम हर संकल्प को सिद्ध करें, इसी कामना के साथ आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं। + +यहां उपस्थित कई महानुभाव इस बात से परिचित हैं, कि ऑक्सीजन के प्रॉडक्शन के साथ ही उसका ट्रांसपोर्टेशन भी कितनी बड़ी चुनौती होता है। ऑक्सीजन ऐसे ही किसी टैंकर में नहीं ले जाया जा सकता। इसके लिए खास टैंकर चाहिए होता है। भारत में ऑक्सीजन प्रोडक्शन का काम सबसे ज्यादा पूर्वी भारत में होता है, लेकिन मुश्किल ये कि ज़रूरत सबसे अधिक उत्तर और पश्चिमी भारत में पड़ी। + +लॉजिस्टिक्स की इतनी चुनौतियों से जूझते हुए देश ने युद्धस्तर पर काम किया। देश और दुनिया में दिन-रात जहां से भी संभव हो, वहां से ऑक्सीजन प्लांट्स, ऑक्सीजन टैंकर अरैंज किए गए। स्पेशल ऑक्सीजन ट्रेन चलाई गई, खाली टैंकरों को तेज़ी से पहुंचाने के लिए वायुसेना के विमान लगाए गए। प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए DRDO के माध्यम से तेजस फाइटर प्लेन की टेक्नॉलॉजी को लगाया गया। पीएम केयर्स से देश में PSA ऑक्सीजन प्लांट्स लगाने पर काम तो तेज हुआ ही,  एक लाख से अधिक ऑक्सीजन कंसंट्रेटर के लिए पैसा भी दिया गया। + +भविष्य में कोरोना से लड़ाई के लिए हमारी तैयारी और पुख्ता हो, इसके लिए देशभर में PSA ऑक्सीजन प्लांट्स का नेटवर्क तैयार हो रहा है। बीते कुछ महीनों में पीएम केयर्स द्वारा स्वीकृत 1150 से अधिक ऑक्सीजन प्लांट्स काम करना शुरू कर चुके हैं। अब देश का हर जिला, पीएम केयर्स के तहत बने हुए ऑक्सीजन प्लांट्स से कवर हो गया है। पीएम केयर्स के सहयोग से बने इन ऑक्सीजन प्लांट्स को जोड़ लें, तो केंद्र सरकार, राज्य सरकार, इन सभी के प्रयासों से देश को करीब 4 हज़ार नए ऑक्सीजन प्लांट्स मिलने जा रहे हैं। ऑक्सीजन की चुनौती का मुकाबला करने में अब देश और देश के अस्पताल, पहले से कहीं ज्यादा सक्षम हो रहे हैं। + +ये हर भारतवासी के लिए गर्व की बात है कि कोरोना वैक्सीन की 93 करोड़ डोज लगाई जा चुकी है। बहुत जल्द हम 100 करोड़ के आंकड़े को पार कर पाएंगे और पार कर जाएंगे। भारत ने Cowin प्लेटफॉर्म का निर्माण करके पूरी दुनिया को राह दिखाई है कि इतने बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन किया कैसे जाता है। पहाड़ हो या रेगिस्तान, जंगल हो या समंदर, 10 लोग हों या 10 लाख, हर क्षेत्र तक आज हम पूरी सुरक्षा के साथ वैक्सीन पहुंचा रहे हैं। इसके लिए देशभर में 1 लाख 30 हजार से ज्यादा टीकाकरण केंद्र स्थापित किए गए हैं। यहां राज्य सरकार के प्रभावी मैनेजमेंट की वजह से उत्तराखंड भी बहुत जल्द शत-प्रतिशत पहली डोज़ का पड़ाव पूरा करने वाला है, और इसके लिए मुख्यमंत्री जी को, उनकी पूरी टीम को, यहां के हर छोटे- मोटे सरकार के साथियों को मैं हृदय से बहुत – बहुत बधाई देता हूं। + +जहां तराई जैसी समतल भूमि है। वहां शायद इन कामों में सरलता रहती है। मैं इस धरती से बहुत जुड़ा रहा। यहां वैक्सीन पहुंचाना भी कितना कठिन होता है। हिमालय के पहाड़ों के उस पार पहुंचकर के लोगों के पास जाना कितना कठिन होता है। ये हम भलि भांति जानते हैं। उसके बावजूद भी इतनी बड़ी सिद्दी प्राप्त करना वाकई आप सब अभिनंदन के अधिकारी हैं। + +स्वास्थ्य सुविधाएं सभी तक पहुंचाने के लिए लास्ट माइल डिलिवरी से जुड़ा एक सशक्त हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर भी बहुत ज़रूरी होता है। 6-7 साल पहले तक सिर्फ कुछ राज्यों तक ही एम्स की सुविधा थी, आज हर राज्य तक एम्स पहुंचाने के लिए काम हो रहा है। 6 एम्स से आगे बढ़कर 22 एम्स का सशक्त नेटवर्क बनाने की तरफ हम तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं। सरकार का ये भी लक्ष्य है कि देश के हर जिले में कम से कम एक मेडिकल कॉलेज जरूर हो। इसके लिए बीते 7 वर्षों में देश में 170 नए मेडिकल कॉलेज शुरू किए गए हैं। दर्जनों नए मेडिकल कॉलेज का काम जारी है। यहां मेरे उत्तराखंड में भी रुद्रपुर, हरिद्वार और पिथौरागढ़ में नए मेडिकल कॉलेजों को मंजूरी दी गई है। + +उत्तराखंड की देश की सुरक्षा में बहुत बड़ी भूमिका है। यहां का वीर नौजवान, वीर बेटियां, भारतीय सुरक्षा बलों की आन, बान और शान हैं। हमारी सरकार, हर फौजी, हर पूर्व फौजी के हितों को लेकर भी पूरी गंभीरता से काम कर रही है। ये हमारी ही सरकार है जिसने वन रैंक वन पेंशन को लागू करके अपने फौजी भाइयों की 40 साल पुरानी मांग पूरी की। और हमारे धामी जी तो खुद फौजी के बेटे हैं। वो बता भी रहे थे कि वन रैंक वन पैंशन इस फैसले ने, फौजियों को कितनी बड़ी मदद की है। + +यहां उत्तराखंड में युवा ऊर्जा से भरपूर उत्साही टीम है। अगले कुछ वर्ष में उत्तराखंड अपने गठन के 25 वर्ष में प्रवेश करेगा। उत्तराखंड को बहुत निकट भविष्य में 25 वर्ष होने वाले हैं।  तब उत्तराखंड जिस ऊंचाई पर होगा, ये तय करने, उसके लिए जुट जाने का यही समय है, सही समय है। केंद्र में जो सरकार है, वो उत्तराखंड की इस नई टीम को, पूरी मदद दे रही है। केंद्र और राज्य सरकार के साझा प्रयास, यहां के लोगों के सपनों को पूरा करने का बहुत बड़ा आधार हैं। विकास का यही डबल इंजन उत्तराखंड को नई बुलंदी देने वाला है। बाबा केदार की कृपा से, हम हर संकल्प को सिद्ध करें, इसी कामना के साथ आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं। + +यहां उपस्थित कई महानुभाव इस बात से परिचित हैं, कि ऑक्सीजन के प्रॉडक्शन के साथ ही उसका ट्रांसपोर्टेशन भी कितनी बड़ी चुनौती होता है। ऑक्सीजन ऐसे ही किसी टैंकर में नहीं ले जाया जा सकता। इसके लिए खास टैंकर चाहिए होता है। भारत में ऑक्सीजन प्रोडक्शन का काम सबसे ज्यादा पूर्वी भारत में होता है, लेकिन मुश्किल ये कि ज़रूरत सबसे अधिक उत्तर और पश्चिमी भारत में पड़ी। + +लॉजिस्टिक्स की इतनी चुनौतियों से जूझते हुए देश ने युद्धस्तर पर काम किया। देश और दुनिया में दिन-रात जहां से भी संभव हो, वहां से ऑक्सीजन प्लांट्स, ऑक्सीजन टैंकर अरैंज किए गए। स्पेशल ऑक्सीजन ट्रेन चलाई गई, खाली टैंकरों को तेज़ी से पहुंचाने के लिए वायुसेना के विमान लगाए गए। प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए DRDO के माध्यम से तेजस फाइटर प्लेन की टेक्नॉलॉजी को लगाया गया। पीएम केयर्स से देश में PSA ऑक्सीजन प्लांट्स लगाने पर काम तो तेज हुआ ही,  एक लाख से अधिक ऑक्सीजन कंसंट्रेटर के लिए पैसा भी दिया गया। + +भविष्य में कोरोना से लड़ाई के लिए हमारी तैयारी और पुख्ता हो, इसके लिए देशभर में PSA ऑक्सीजन प्लांट्स का नेटवर्क तैयार हो रहा है। बीते कुछ महीनों में पीएम केयर्स द्वारा स्वीकृत 1150 से अधिक ऑक्सीजन प्लांट्स काम करना शुरू कर चुके हैं। अब देश का हर जिला, पीएम केयर्स के तहत बने हुए ऑक्सीजन प्लांट्स से कवर हो गया है। पीएम केयर्स के सहयोग से बने इन ऑक्सीजन प्लांट्स को जोड़ लें, तो केंद्र सरकार, राज्य सरकार, इन सभी के प्रयासों से देश को करीब 4 हज़ार नए ऑक्सीजन प्लांट्स मिलने जा रहे हैं। ऑक्सीजन की चुनौती का मुकाबला करने में अब देश और देश के अस्पताल, पहले से कहीं ज्यादा सक्षम हो रहे हैं। + +ये हर भारतवासी के लिए गर्व की बात है कि कोरोना वैक्सीन की 93 करोड़ डोज लगाई जा चुकी है। बहुत जल्द हम 100 करोड़ के आंकड़े को पार कर पाएंगे और पार कर जाएंगे। भारत ने Cowin प्लेटफॉर्म का निर्माण करके पूरी दुनिया को राह दिखाई है कि इतने बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन किया कैसे जाता है। पहाड़ हो या रेगिस्तान, जंगल हो या समंदर, 10 लोग हों या 10 लाख, हर क्षेत्र तक आज हम पूरी सुरक्षा के साथ वैक्सीन पहुंचा रहे हैं। इसके लिए देशभर में 1 लाख 30 हजार से ज्यादा टीकाकरण केंद्र स्थापित किए गए हैं। यहां राज्य सरकार के प्रभावी मैनेजमेंट की वजह से उत्तराखंड भी बहुत जल्द शत-प्रतिशत पहली डोज़ का पड़ाव पूरा करने वाला है, और इसके लिए मुख्यमंत्री जी को, उनकी पूरी टीम को, यहां के हर छोटे- मोटे सरकार के साथियों को मैं हृदय से बहुत – बहुत बधाई देता हूं। + +जहां तराई जैसी समतल भूमि है। वहां शायद इन कामों में सरलता रहती है। मैं इस धरती से बहुत जुड़ा रहा। यहां वैक्सीन पहुंचाना भी कितना कठिन होता है। हिमालय के पहाड़ों के उस पार पहुंचकर के लोगों के पास जाना कितना कठिन होता है। ये हम भलि भांति जानते हैं। उसके बावजूद भी इतनी बड़ी सिद्दी प्राप्त करना वाकई आप सब अभिनंदन के अधिकारी हैं। + +स्वास्थ्य सुविधाएं सभी तक पहुंचाने के लिए लास्ट माइल डिलिवरी से जुड़ा एक सशक्त हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर भी बहुत ज़रूरी होता है। 6-7 साल पहले तक सिर्फ कुछ राज्यों तक ही एम्स की सुविधा थी, आज हर राज्य तक एम्स पहुंचाने के लिए काम हो रहा है। 6 एम्स से आगे बढ़कर 22 एम्स का सशक्त नेटवर्क बनाने की तरफ हम तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं। सरकार का ये भी लक्ष्य है कि देश के हर जिले में कम से कम एक मेडिकल कॉलेज जरूर हो। इसके लिए बीते 7 वर्षों में देश में 170 नए मेडिकल कॉलेज शुरू किए गए हैं। दर्जनों नए मेडिकल कॉलेज का काम जारी है। यहां मेरे उत्तराखंड में भी रुद्रपुर, हरिद्वार और पिथौरागढ़ में नए मेडिकल कॉलेजों को मंजूरी दी गई है। + +उत्तराखंड की देश की सुरक्षा में बहुत बड़ी भूमिका है। यहां का वीर नौजवान, वीर बेटियां, भारतीय सुरक्षा बलों की आन, बान और शान हैं। हमारी सरकार, हर फौजी, हर पूर्व फौजी के हितों को लेकर भी पूरी गंभीरता से काम कर रही है। ये हमारी ही सरकार है जिसने वन रैंक वन पेंशन को लागू करके अपने फौजी भाइयों की 40 साल पुरानी मांग पूरी की। और हमारे धामी जी तो खुद फौजी के बेटे हैं। वो बता भी रहे थे कि वन रैंक वन पैंशन इस फैसले ने, फौजियों को कितनी बड़ी मदद की है। + +यहां उत्तराखंड में युवा ऊर्जा से भरपूर उत्साही टीम है। अगले कुछ वर्ष में उत्तराखंड अपने गठन के 25 वर्ष में प्रवेश करेगा। उत्तराखंड को बहुत निकट भविष्य में 25 वर्ष होने वाले हैं।  तब उत्तराखंड जिस ऊंचाई पर होगा, ये तय करने, उसके लिए जुट जाने का यही समय है, सही समय है। केंद्र में जो सरकार है, वो उत्तराखंड की इस नई टीम को, पूरी मदद दे रही है। केंद्र और राज्य सरकार के साझा प्रयास, यहां के लोगों के सपनों को पूरा करने का बहुत बड़ा आधार हैं। विकास का यही डबल इंजन उत्तराखंड को नई बुलंदी देने वाला है। बाबा केदार की कृपा से, हम हर संकल्प को सिद्ध करें, इसी कामना के साथ आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं। + +लॉजिस्टिक्स की इतनी चुनौतियों से जूझते हुए देश ने युद्धस्तर पर काम किया। देश और दुनिया में दिन-रात जहां से भी संभव हो, वहां से ऑक्सीजन प्लांट्स, ऑक्सीजन टैंकर अरैंज किए गए। स्पेशल ऑक्सीजन ट्रेन चलाई गई, खाली टैंकरों को तेज़ी से पहुंचाने के लिए वायुसेना के विमान लगाए गए। प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए DRDO के माध्यम से तेजस फाइटर प्लेन की टेक्नॉलॉजी को लगाया गया। पीएम केयर्स से देश में PSA ऑक्सीजन प्लांट्स लगाने पर काम तो तेज हुआ ही,  एक लाख से अधिक ऑक्सीजन कंसंट्रेटर के लिए पैसा भी दिया गया। + +भविष्य में कोरोना से लड़ाई के लिए हमारी तैयारी और पुख्ता हो, इसके लिए देशभर में PSA ऑक्सीजन प्लांट्स का नेटवर्क तैयार हो रहा है। बीते कुछ महीनों में पीएम केयर्स द्वारा स्वीकृत 1150 से अधिक ऑक्सीजन प्लांट्स काम करना शुरू कर चुके हैं। अब देश का हर जिला, पीएम केयर्स के तहत बने हुए ऑक्सीजन प्लांट्स से कवर हो गया है। पीएम केयर्स के सहयोग से बने इन ऑक्सीजन प्लांट्स को जोड़ लें, तो केंद्र सरकार, राज्य सरकार, इन सभी के प्रयासों से देश को करीब 4 हज़ार नए ऑक्सीजन प्लांट्स मिलने जा रहे हैं। ऑक्सीजन की चुनौती का मुकाबला करने में अब देश और देश के अस्पताल, पहले से कहीं ज्यादा सक्षम हो रहे हैं। + +ये हर भारतवासी के लिए गर्व की बात है कि कोरोना वैक्सीन की 93 करोड़ डोज लगाई जा चुकी है। बहुत जल्द हम 100 करोड़ के आंकड़े को पार कर पाएंगे और पार कर जाएंगे। भारत ने Cowin प्लेटफॉर्म का निर्माण करके पूरी दुनिया को राह दिखाई है कि इतने बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन किया कैसे जाता है। पहाड़ हो या रेगिस्तान, जंगल हो या समंदर, 10 लोग हों या 10 लाख, हर क्षेत्र तक आज हम पूरी सुरक्षा के साथ वैक्सीन पहुंचा रहे हैं। इसके लिए देशभर में 1 लाख 30 हजार से ज्यादा टीकाकरण केंद्र स्थापित किए गए हैं। यहां राज्य सरकार के प्रभावी मैनेजमेंट की वजह से उत्तराखंड भी बहुत जल्द शत-प्रतिशत पहली डोज़ का पड़ाव पूरा करने वाला है, और इसके लिए मुख्यमंत्री जी को, उनकी पूरी टीम को, यहां के हर छोटे- मोटे सरकार के साथियों को मैं हृदय से बहुत – बहुत बधाई देता हूं। + +जहां तराई जैसी समतल भूमि है। वहां शायद इन कामों में सरलता रहती है। मैं इस धरती से बहुत जुड़ा रहा। यहां वैक्सीन पहुंचाना भी कितना कठिन होता है। हिमालय के पहाड़ों के उस पार पहुंचकर के लोगों के पास जाना कितना कठिन होता है। ये हम भलि भांति जानते हैं। उसके बावजूद भी इतनी बड़ी सिद्दी प्राप्त करना वाकई आप सब अभिनंदन के अधिकारी हैं। + +स्वास्थ्य सुविधाएं सभी तक पहुंचाने के लिए लास्ट माइल डिलिवरी से जुड़ा एक सशक्त हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर भी बहुत ज़रूरी होता है। 6-7 साल पहले तक सिर्फ कुछ राज्यों तक ही एम्स की सुविधा थी, आज हर राज्य तक एम्स पहुंचाने के लिए काम हो रहा है। 6 एम्स से आगे बढ़कर 22 एम्स का सशक्त नेटवर्क बनाने की तरफ हम तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं। सरकार का ये भी लक्ष्य है कि देश के हर जिले में कम से कम एक मेडिकल कॉलेज जरूर हो। इसके लिए बीते 7 वर्षों में देश में 170 नए मेडिकल कॉलेज शुरू किए गए हैं। दर्जनों नए मेडिकल कॉलेज का काम जारी है। यहां मेरे उत्तराखंड में भी रुद्रपुर, हरिद्वार और पिथौरागढ़ में नए मेडिकल कॉलेजों को मंजूरी दी गई है। + +उत्तराखंड की देश की सुरक्षा में बहुत बड़ी भूमिका है। यहां का वीर नौजवान, वीर बेटियां, भारतीय सुरक्षा बलों की आन, बान और शान हैं। हमारी सरकार, हर फौजी, हर पूर्व फौजी के हितों को लेकर भी पूरी गंभीरता से काम कर रही है। ये हमारी ही सरकार है जिसने वन रैंक वन पेंशन को लागू करके अपने फौजी भाइयों की 40 साल पुरानी मांग पूरी की। और हमारे धामी जी तो खुद फौजी के बेटे हैं। वो बता भी रहे थे कि वन रैंक वन पैंशन इस फैसले ने, फौजियों को कितनी बड़ी मदद की है। + +यहां उत्तराखंड में युवा ऊर्जा से भरपूर उत्साही टीम है। अगले कुछ वर्ष में उत्तराखंड अपने गठन के 25 वर्ष में प्रवेश करेगा। उत्तराखंड को बहुत निकट भविष्य में 25 वर्ष होने वाले हैं।  तब उत्तराखंड जिस ऊंचाई पर होगा, ये तय करने, उसके लिए जुट जाने का यही समय है, सही समय है। केंद्र में जो सरकार है, वो उत्तराखंड की इस नई टीम को, पूरी मदद दे रही है। केंद्र और राज्य सरकार के साझा प्रयास, यहां के लोगों के सपनों को पूरा करने का बहुत बड़ा आधार हैं। विकास का यही डबल इंजन उत्तराखंड को नई बुलंदी देने वाला है। बाबा केदार की कृपा से, हम हर संकल्प को सिद्ध करें, इसी कामना के साथ आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं। + +भविष्य में कोरोना से लड़ाई के लिए हमारी तैयारी और पुख्ता हो, इसके लिए देशभर में PSA ऑक्सीजन प्लांट्स का नेटवर्क तैयार हो रहा है। बीते कुछ महीनों में पीएम केयर्स द्वारा स्वीकृत 1150 से अधिक ऑक्सीजन प्लांट्स काम करना शुरू कर चुके हैं। अब देश का हर जिला, पीएम केयर्स के तहत बने हुए ऑक्सीजन प्लांट्स से कवर हो गया है। पीएम केयर्स के सहयोग से बने इन ऑक्सीजन प्लांट्स को जोड़ लें, तो केंद्र सरकार, राज्य सरकार, इन सभी के प्रयासों से देश को करीब 4 हज़ार नए ऑक्सीजन प्लांट्स मिलने जा रहे हैं। ऑक्सीजन की चुनौती का मुकाबला करने में अब देश और देश के अस्पताल, पहले से कहीं ज्यादा सक्षम हो रहे हैं। + +ये हर भारतवासी के लिए गर्व की बात है कि कोरोना वैक्सीन की 93 करोड़ डोज लगाई जा चुकी है। बहुत जल्द हम 100 करोड़ के आंकड़े को पार कर पाएंगे और पार कर जाएंगे। भारत ने Cowin प्लेटफॉर्म का निर्माण करके पूरी दुनिया को राह दिखाई है कि इतने बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन किया कैसे जाता है। पहाड़ हो या रेगिस्तान, जंगल हो या समंदर, 10 लोग हों या 10 लाख, हर क्षेत्र तक आज हम पूरी सुरक्षा के साथ वैक्सीन पहुंचा रहे हैं। इसके लिए देशभर में 1 लाख 30 हजार से ज्यादा टीकाकरण केंद्र स्थापित किए गए हैं। यहां राज्य सरकार के प्रभावी मैनेजमेंट की वजह से उत्तराखंड भी बहुत जल्द शत-प्रतिशत पहली डोज़ का पड़ाव पूरा करने वाला है, और इसके लिए मुख्यमंत्री जी को, उनकी पूरी टीम को, यहां के हर छोटे- मोटे सरकार के साथियों को मैं हृदय से बहुत – बहुत बधाई देता हूं। + +जहां तराई जैसी समतल भूमि है। वहां शायद इन कामों में सरलता रहती है। मैं इस धरती से बहुत जुड़ा रहा। यहां वैक्सीन पहुंचाना भी कितना कठिन होता है। हिमालय के पहाड़ों के उस पार पहुंचकर के लोगों के पास जाना कितना कठिन होता है। ये हम भलि भांति जानते हैं। उसके बावजूद भी इतनी बड़ी सिद्दी प्राप्त करना वाकई आप सब अभिनंदन के अधिकारी हैं। + +स्वास्थ्य सुविधाएं सभी तक पहुंचाने के लिए लास्ट माइल डिलिवरी से जुड़ा एक सशक्त हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर भी बहुत ज़रूरी होता है। 6-7 साल पहले तक सिर्फ कुछ राज्यों तक ही एम्स की सुविधा थी, आज हर राज्य तक एम्स पहुंचाने के लिए काम हो रहा है। 6 एम्स से आगे बढ़कर 22 एम्स का सशक्त नेटवर्क बनाने की तरफ हम तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं। सरकार का ये भी लक्ष्य है कि देश के हर जिले में कम से कम एक मेडिकल कॉलेज जरूर हो। इसके लिए बीते 7 वर्षों में देश में 170 नए मेडिकल कॉलेज शुरू किए गए हैं। दर्जनों नए मेडिकल कॉलेज का काम जारी है। यहां मेरे उत्तराखंड में भी रुद्रपुर, हरिद्वार और पिथौरागढ़ में नए मेडिकल कॉलेजों को मंजूरी दी गई है। + +उत्तराखंड की देश की सुरक्षा में बहुत बड़ी भूमिका है। यहां का वीर नौजवान, वीर बेटियां, भारतीय सुरक्षा बलों की आन, बान और शान हैं। हमारी सरकार, हर फौजी, हर पूर्व फौजी के हितों को लेकर भी पूरी गंभीरता से काम कर रही है। ये हमारी ही सरकार है जिसने वन रैंक वन पेंशन को लागू करके अपने फौजी भाइयों की 40 साल पुरानी मांग पूरी की। और हमारे धामी जी तो खुद फौजी के बेटे हैं। वो बता भी रहे थे कि वन रैंक वन पैंशन इस फैसले ने, फौजियों को कितनी बड़ी मदद की है। + +यहां उत्तराखंड में युवा ऊर्जा से भरपूर उत्साही टीम है। अगले कुछ वर्ष में उत्तराखंड अपने गठन के 25 वर्ष में प्रवेश करेगा। उत्तराखंड को बहुत निकट भविष्य में 25 वर्ष होने वाले हैं।  तब उत्तराखंड जिस ऊंचाई पर होगा, ये तय करने, उसके लिए जुट जाने का यही समय है, सही समय है। केंद्र में जो सरकार है, वो उत्तराखंड की इस नई टीम को, पूरी मदद दे रही है। केंद्र और राज्य सरकार के साझा प्रयास, यहां के लोगों के सपनों को पूरा करने का बहुत बड़ा आधार हैं। विकास का यही डबल इंजन उत्तराखंड को नई बुलंदी देने वाला है। बाबा केदार की कृपा से, हम हर संकल्प को सिद्ध करें, इसी कामना के साथ आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं। + +ये हर भारतवासी के लिए गर्व की बात है कि कोरोना वैक्सीन की 93 करोड़ डोज लगाई जा चुकी है। बहुत जल्द हम 100 करोड़ के आंकड़े को पार कर पाएंगे और पार कर जाएंगे। भारत ने Cowin प्लेटफॉर्म का निर्माण करके पूरी दुनिया को राह दिखाई है कि इतने बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन किया कैसे जाता है। पहाड़ हो या रेगिस्तान, जंगल हो या समंदर, 10 लोग हों या 10 लाख, हर क्षेत्र तक आज हम पूरी सुरक्षा के साथ वैक्सीन पहुंचा रहे हैं। इसके लिए देशभर में 1 लाख 30 हजार से ज्यादा टीकाकरण केंद्र स्थापित किए गए हैं। यहां राज्य सरकार के प्रभावी मैनेजमेंट की वजह से उत्तराखंड भी बहुत जल्द शत-प्रतिशत पहली डोज़ का पड़ाव पूरा करने वाला है, और इसके लिए मुख्यमंत्री जी को, उनकी पूरी टीम को, यहां के हर छोटे- मोटे सरकार के साथियों को मैं हृदय से बहुत – बहुत बधाई देता हूं। + +जहां तराई जैसी समतल भूमि है। वहां शायद इन कामों में सरलता रहती है। मैं इस धरती से बहुत जुड़ा रहा। यहां वैक्सीन पहुंचाना भी कितना कठिन होता है। हिमालय के पहाड़ों के उस पार पहुंचकर के लोगों के पास जाना कितना कठिन होता है। ये हम भलि भांति जानते हैं। उसके बावजूद भी इतनी बड़ी सिद्दी प्राप्त करना वाकई आप सब अभिनंदन के अधिकारी हैं। + +स्वास्थ्य सुविधाएं सभी तक पहुंचाने के लिए लास्ट माइल डिलिवरी से जुड़ा एक सशक्त हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर भी बहुत ज़रूरी होता है। 6-7 साल पहले तक सिर्फ कुछ राज्यों तक ही एम्स की सुविधा थी, आज हर राज्य तक एम्स पहुंचाने के लिए काम हो रहा है। 6 एम्स से आगे बढ़कर 22 एम्स का सशक्त नेटवर्क बनाने की तरफ हम तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं। सरकार का ये भी लक्ष्य है कि देश के हर जिले में कम से कम एक मेडिकल कॉलेज जरूर हो। इसके लिए बीते 7 वर्षों में देश में 170 नए मेडिकल कॉलेज शुरू किए गए हैं। दर्जनों नए मेडिकल कॉलेज का काम जारी है। यहां मेरे उत्तराखंड में भी रुद्रपुर, हरिद्वार और पिथौरागढ़ में नए मेडिकल कॉलेजों को मंजूरी दी गई है। + +उत्तराखंड की देश की सुरक्षा में बहुत बड़ी भूमिका है। यहां का वीर नौजवान, वीर बेटियां, भारतीय सुरक्षा बलों की आन, बान और शान हैं। हमारी सरकार, हर फौजी, हर पूर्व फौजी के हितों को लेकर भी पूरी गंभीरता से काम कर रही है। ये हमारी ही सरकार है जिसने वन रैंक वन पेंशन को लागू करके अपने फौजी भाइयों की 40 साल पुरानी मांग पूरी की। और हमारे धामी जी तो खुद फौजी के बेटे हैं। वो बता भी रहे थे कि वन रैंक वन पैंशन इस फैसले ने, फौजियों को कितनी बड़ी मदद की है। + +यहां उत्तराखंड में युवा ऊर्जा से भरपूर उत्साही टीम है। अगले कुछ वर्ष में उत्तराखंड अपने गठन के 25 वर्ष में प्रवेश करेगा। उत्तराखंड को बहुत निकट भविष्य में 25 वर्ष होने वाले हैं।  तब उत्तराखंड जिस ऊंचाई पर होगा, ये तय करने, उसके लिए जुट जाने का यही समय है, सही समय है। केंद्र में जो सरकार है, वो उत्तराखंड की इस नई टीम को, पूरी मदद दे रही है। केंद्र और राज्य सरकार के साझा प्रयास, यहां के लोगों के सपनों को पूरा करने का बहुत बड़ा आधार हैं। विकास का यही डबल इंजन उत्तराखंड को नई बुलंदी देने वाला है। बाबा केदार की कृपा से, हम हर संकल्प को सिद्ध करें, इसी कामना के साथ आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं। + +जहां तराई जैसी समतल भूमि है। वहां शायद इन कामों में सरलता रहती है। मैं इस धरती से बहुत जुड़ा रहा। यहां वैक्सीन पहुंचाना भी कितना कठिन होता है। हिमालय के पहाड़ों के उस पार पहुंचकर के लोगों के पास जाना कितना कठिन होता है। ये हम भलि भांति जानते हैं। उसके बावजूद भी इतनी बड़ी सिद्दी प्राप्त करना वाकई आप सब अभिनंदन के अधिकारी हैं। + +स्वास्थ्य सुविधाएं सभी तक पहुंचाने के लिए लास्ट माइल डिलिवरी से जुड़ा एक सशक्त हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर भी बहुत ज़रूरी होता है। 6-7 साल पहले तक सिर्फ कुछ राज्यों तक ही एम्स की सुविधा थी, आज हर राज्य तक एम्स पहुंचाने के लिए काम हो रहा है। 6 एम्स से आगे बढ़कर 22 एम्स का सशक्त नेटवर्क बनाने की तरफ हम तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं। सरकार का ये भी लक्ष्य है कि देश के हर जिले में कम से कम एक मेडिकल कॉलेज जरूर हो। इसके लिए बीते 7 वर्षों में देश में 170 नए मेडिकल कॉलेज शुरू किए गए हैं। दर्जनों नए मेडिकल कॉलेज का काम जारी है। यहां मेरे उत्तराखंड में भी रुद्रपुर, हरिद्वार और पिथौरागढ़ में नए मेडिकल कॉलेजों को मंजूरी दी गई है। + +उत्तराखंड की देश की सुरक्षा में बहुत बड़ी भूमिका है। यहां का वीर नौजवान, वीर बेटियां, भारतीय सुरक्षा बलों की आन, बान और शान हैं। हमारी सरकार, हर फौजी, हर पूर्व फौजी के हितों को लेकर भी पूरी गंभीरता से काम कर रही है। ये हमारी ही सरकार है जिसने वन रैंक वन पेंशन को लागू करके अपने फौजी भाइयों की 40 साल पुरानी मांग पूरी की। और हमारे धामी जी तो खुद फौजी के बेटे हैं। वो बता भी रहे थे कि वन रैंक वन पैंशन इस फैसले ने, फौजियों को कितनी बड़ी मदद की है। + +यहां उत्तराखंड में युवा ऊर्जा से भरपूर उत्साही टीम है। अगले कुछ वर्ष में उत्तराखंड अपने गठन के 25 वर्ष में प्रवेश करेगा। उत्तराखंड को बहुत निकट भविष्य में 25 वर्ष होने वाले हैं।  तब उत्तराखंड जिस ऊंचाई पर होगा, ये तय करने, उसके लिए जुट जाने का यही समय है, सही समय है। केंद्र में जो सरकार है, वो उत्तराखंड की इस नई टीम को, पूरी मदद दे रही है। केंद्र और राज्य सरकार के साझा प्रयास, यहां के लोगों के सपनों को पूरा करने का बहुत बड़ा आधार हैं। विकास का यही डबल इंजन उत्तराखंड को नई बुलंदी देने वाला है। बाबा केदार की कृपा से, हम हर संकल्प को सिद्ध करें, इसी कामना के साथ आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं। + +स्वास्थ्य सुविधाएं सभी तक पहुंचाने के लिए लास्ट माइल डिलिवरी से जुड़ा एक सशक्त हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर भी बहुत ज़रूरी होता है। 6-7 साल पहले तक सिर्फ कुछ राज्यों तक ही एम्स की सुविधा थी, आज हर राज्य तक एम्स पहुंचाने के लिए काम हो रहा है। 6 एम्स से आगे बढ़कर 22 एम्स का सशक्त नेटवर्क बनाने की तरफ हम तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं। सरकार का ये भी लक्ष्य है कि देश के हर जिले में कम से कम एक मेडिकल कॉलेज जरूर हो। इसके लिए बीते 7 वर्षों में देश में 170 नए मेडिकल कॉलेज शुरू किए गए हैं। दर्जनों नए मेडिकल कॉलेज का काम जारी है। यहां मेरे उत्तराखंड में भी रुद्रपुर, हरिद्वार और पिथौरागढ़ में नए मेडिकल कॉलेजों को मंजूरी दी गई है। + +उत्तराखंड की देश की सुरक्षा में बहुत बड़ी भूमिका है। यहां का वीर नौजवान, वीर बेटियां, भारतीय सुरक्षा बलों की आन, बान और शान हैं। हमारी सरकार, हर फौजी, हर पूर्व फौजी के हितों को लेकर भी पूरी गंभीरता से काम कर रही है। ये हमारी ही सरकार है जिसने वन रैंक वन पेंशन को लागू करके अपने फौजी भाइयों की 40 साल पुरानी मांग पूरी की। और हमारे धामी जी तो खुद फौजी के बेटे हैं। वो बता भी रहे थे कि वन रैंक वन पैंशन इस फैसले ने, फौजियों को कितनी बड़ी मदद की है। + +यहां उत्तराखंड में युवा ऊर्जा से भरपूर उत्साही टीम है। अगले कुछ वर्ष में उत्तराखंड अपने गठन के 25 वर्ष में प्रवेश करेगा। उत्तराखंड को बहुत निकट भविष्य में 25 वर्ष होने वाले हैं।  तब उत्तराखंड जिस ऊंचाई पर होगा, ये तय करने, उसके लिए जुट जाने का यही समय है, सही समय है। केंद्र में जो सरकार है, वो उत्तराखंड की इस नई टीम को, पूरी मदद दे रही है। केंद्र और राज्य सरकार के साझा प्रयास, यहां के लोगों के सपनों को पूरा करने का बहुत बड़ा आधार हैं। विकास का यही डबल इंजन उत्तराखंड को नई बुलंदी देने वाला है। बाबा केदार की कृपा से, हम हर संकल्प को सिद्ध करें, इसी कामना के साथ आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं। + +स्वास्थ्य सुविधाएं सभी तक पहुंचाने के लिए लास्ट माइल डिलिवरी से जुड़ा एक सशक्त हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर भी बहुत ज़रूरी होता है। 6-7 साल पहले तक सिर्फ कुछ राज्यों तक ही एम्स की सुविधा थी, आज हर राज्य तक एम्स पहुंचाने के लिए काम हो रहा है। 6 एम्स से आगे बढ़कर 22 एम्स का सशक्त नेटवर्क बनाने की तरफ हम तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं। सरकार का ये भी लक्ष्य है कि देश के हर जिले में कम से कम एक मेडिकल कॉलेज जरूर हो। इसके लिए बीते 7 वर्षों में देश में 170 नए मेडिकल कॉलेज शुरू किए गए हैं। दर्जनों नए मेडिकल कॉलेज का काम जारी है। यहां मेरे उत्तराखंड में भी रुद्रपुर, हरिद्वार और पिथौरागढ़ में नए मेडिकल कॉलेजों को मंजूरी दी गई है। + +उत्तराखंड की देश की सुरक्षा में बहुत बड़ी भूमिका है। यहां का वीर नौजवान, वीर बेटियां, भारतीय सुरक्षा बलों की आन, बान और शान हैं। हमारी सरकार, हर फौजी, हर पूर्व फौजी के हितों को लेकर भी पूरी गंभीरता से काम कर रही है। ये हमारी ही सरकार है जिसने वन रैंक वन पेंशन को लागू करके अपने फौजी भाइयों की 40 साल पुरानी मांग पूरी की। और हमारे धामी जी तो खुद फौजी के बेटे हैं। वो बता भी रहे थे कि वन रैंक वन पैंशन इस फैसले ने, फौजियों को कितनी बड़ी मदद की है। + +यहां उत्तराखंड में युवा ऊर्जा से भरपूर उत्साही टीम है। अगले कुछ वर्ष में उत्तराखंड अपने गठन के 25 वर्ष में प्रवेश करेगा। उत्तराखंड को बहुत निकट भविष्य में 25 वर्ष होने वाले हैं।  तब उत्तराखंड जिस ऊंचाई पर होगा, ये तय करने, उसके लिए जुट जाने का यही समय है, सही समय है। केंद्र में जो सरकार है, वो उत्तराखंड की इस नई टीम को, पूरी मदद दे रही है। केंद्र और राज्य सरकार के साझा प्रयास, यहां के लोगों के सपनों को पूरा करने का बहुत बड़ा आधार हैं। विकास का यही डबल इंजन उत्तराखंड को नई बुलंदी देने वाला है। बाबा केदार की कृपा से, हम हर संकल्प को सिद्ध करें, इसी कामना के साथ आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं। + +स्वास्थ्य सुविधाएं सभी तक पहुंचाने के लिए लास्ट माइल डिलिवरी से जुड़ा एक सशक्त हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर भी बहुत ज़रूरी होता है। 6-7 साल पहले तक सिर्फ कुछ राज्यों तक ही एम्स की सुविधा थी, आज हर राज्य तक एम्स पहुंचाने के लिए काम हो रहा है। 6 एम्स से आगे बढ़कर 22 एम्स का सशक्त नेटवर्क बनाने की तरफ हम तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं। सरकार का ये भी लक्ष्य है कि देश के हर जिले में कम से कम एक मेडिकल कॉलेज जरूर हो। इसके लिए बीते 7 वर्षों में देश में 170 नए मेडिकल कॉलेज शुरू किए गए हैं। दर्जनों नए मेडिकल कॉलेज का काम जारी है। यहां मेरे उत्तराखंड में भी रुद्रपुर, हरिद्वार और पिथौरागढ़ में नए मेडिकल कॉलेजों को मंजूरी दी गई है। + +उत्तराखंड की देश की सुरक्षा में बहुत बड़ी भूमिका है। यहां का वीर नौजवान, वीर बेटियां, भारतीय सुरक्षा बलों की आन, बान और शान हैं। हमारी सरकार, हर फौजी, हर पूर्व फौजी के हितों को लेकर भी पूरी गंभीरता से काम कर रही है। ये हमारी ही सरकार है जिसने वन रैंक वन पेंशन को लागू करके अपने फौजी भाइयों की 40 साल पुरानी मांग पूरी की। और हमारे धामी जी तो खुद फौजी के बेटे हैं। वो बता भी रहे थे कि वन रैंक वन पैंशन इस फैसले ने, फौजियों को कितनी बड़ी मदद की है। + +यहां उत्तराखंड में युवा ऊर्जा से भरपूर उत्साही टीम है। अगले कुछ वर्ष में उत्तराखंड अपने गठन के 25 वर्ष में प्रवेश करेगा। उत्तराखंड को बहुत निकट भविष्य में 25 वर्ष होने वाले हैं।  तब उत्तराखंड जिस ऊंचाई पर होगा, ये तय करने, उसके लिए जुट जाने का यही समय है, सही समय है। केंद्र में जो सरकार है, वो उत्तराखंड की इस नई टीम को, पूरी मदद दे रही है। केंद्र और राज्य सरकार के साझा प्रयास, यहां के लोगों के सपनों को पूरा करने का बहुत बड़ा आधार हैं। विकास का यही डबल इंजन उत्तराखंड को नई बुलंदी देने वाला है। बाबा केदार की कृपा से, हम हर संकल्प को सिद्ध करें, इसी कामना के साथ आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं। + +उत्तराखंड की देश की सुरक्षा में बहुत बड़ी भूमिका है। यहां का वीर नौजवान, वीर बेटियां, भारतीय सुरक्षा बलों की आन, बान और शान हैं। हमारी सरकार, हर फौजी, हर पूर्व फौजी के हितों को लेकर भी पूरी गंभीरता से काम कर रही है। ये हमारी ही सरकार है जिसने वन रैंक वन पेंशन को लागू करके अपने फौजी भाइयों की 40 साल पुरानी मांग पूरी की। और हमारे धामी जी तो खुद फौजी के बेटे हैं। वो बता भी रहे थे कि वन रैंक वन पैंशन इस फैसले ने, फौजियों को कितनी बड़ी मदद की है। + +यहां उत्तराखंड में युवा ऊर्जा से भरपूर उत्साही टीम है। अगले कुछ वर्ष में उत्तराखंड अपने गठन के 25 वर्ष में प्रवेश करेगा। उत्तराखंड को बहुत निकट भविष्य में 25 वर्ष होने वाले हैं।  तब उत्तराखंड जिस ऊंचाई पर होगा, ये तय करने, उसके लिए जुट जाने का यही समय है, सही समय है। केंद्र में जो सरकार है, वो उत्तराखंड की इस नई टीम को, पूरी मदद दे रही है। केंद्र और राज्य सरकार के साझा प्रयास, यहां के लोगों के सपनों को पूरा करने का बहुत बड़ा आधार हैं। विकास का यही डबल इंजन उत्तराखंड को नई बुलंदी देने वाला है। बाबा केदार की कृपा से, हम हर संकल्प को सिद्ध करें, इसी कामना के साथ आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं। + +उत्तराखंड की देश की सुरक्षा में बहुत बड़ी भूमिका है। यहां का वीर नौजवान, वीर बेटियां, भारतीय सुरक्षा बलों की आन, बान और शान हैं। हमारी सरकार, हर फौजी, हर पूर्व फौजी के हितों को लेकर भी पूरी गंभीरता से काम कर रही है। ये हमारी ही सरकार है जिसने वन रैंक वन पेंशन को लागू करके अपने फौजी भाइयों की 40 साल पुरानी मांग पूरी की। और हमारे धामी जी तो खुद फौजी के बेटे हैं। वो बता भी रहे थे कि वन रैंक वन पैंशन इस फैसले ने, फौजियों को कितनी बड़ी मदद की है। + +यहां उत्तराखंड में युवा ऊर्जा से भरपूर उत्साही टीम है। अगले कुछ वर्ष में उत्तराखंड अपने गठन के 25 वर्ष में प्रवेश करेगा। उत्तराखंड को बहुत निकट भविष्य में 25 वर्ष होने वाले हैं।  तब उत्तराखंड जिस ऊंचाई पर होगा, ये तय करने, उसके लिए जुट जाने का यही समय है, सही समय है। केंद्र में जो सरकार है, वो उत्तराखंड की इस नई टीम को, पूरी मदद दे रही है। केंद्र और राज्य सरकार के साझा प्रयास, यहां के लोगों के सपनों को पूरा करने का बहुत बड़ा आधार हैं। विकास का यही डबल इंजन उत्तराखंड को नई बुलंदी देने वाला है। बाबा केदार की कृपा से, हम हर संकल्प को सिद्ध करें, इसी कामना के साथ आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं। + +उत्तराखंड की देश की सुरक्षा में बहुत बड़ी भूमिका है। यहां का वीर नौजवान, वीर बेटियां, भारतीय सुरक्षा बलों की आन, बान और शान हैं। हमारी सरकार, हर फौजी, हर पूर्व फौजी के हितों को लेकर भी पूरी गंभीरता से काम कर रही है। ये हमारी ही सरकार है जिसने वन रैंक वन पेंशन को लागू करके अपने फौजी भाइयों की 40 साल पुरानी मांग पूरी की। और हमारे धामी जी तो खुद फौजी के बेटे हैं। वो बता भी रहे थे कि वन रैंक वन पैंशन इस फैसले ने, फौजियों को कितनी बड़ी मदद की है। + +यहां उत्तराखंड में युवा ऊर्जा से भरपूर उत्साही टीम है। अगले कुछ वर्ष में उत्तराखंड अपने गठन के 25 वर्ष में प्रवेश करेगा। उत्तराखंड को बहुत निकट भविष्य में 25 वर्ष होने वाले हैं।  तब उत्तराखंड जिस ऊंचाई पर होगा, ये तय करने, उसके लिए जुट जाने का यही समय है, सही समय है। केंद्र में जो सरकार है, वो उत्तराखंड की इस नई टीम को, पूरी मदद दे रही है। केंद्र और राज्य सरकार के साझा प्रयास, यहां के लोगों के सपनों को पूरा करने का बहुत बड़ा आधार हैं। विकास का यही डबल इंजन उत्तराखंड को नई बुलंदी देने वाला है। बाबा केदार की कृपा से, हम हर संकल्प को सिद्ध करें, इसी कामना के साथ आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं। + +यहां उत्तराखंड में युवा ऊर्जा से भरपूर उत्साही टीम है। अगले कुछ वर्ष में उत्तराखंड अपने गठन के 25 वर्ष में प्रवेश करेगा। उत्तराखंड को बहुत निकट भविष्य में 25 वर्ष होने वाले हैं।  तब उत्तराखंड जिस ऊंचाई पर होगा, ये तय करने, उसके लिए जुट जाने का यही समय है, सही समय है। केंद्र में जो सरकार है, वो उत्तराखंड की इस नई टीम को, पूरी मदद दे रही है। केंद्र और राज्य सरकार के साझा प्रयास, यहां के लोगों के सपनों को पूरा करने का बहुत बड़ा आधार हैं। विकास का यही डबल इंजन उत्तराखंड को नई बुलंदी देने वाला है। बाबा केदार की कृपा से, हम हर संकल्प को सिद्ध करें, इसी कामना के साथ आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं। + +यहां उत्तराखंड में युवा ऊर्जा से भरपूर उत्साही टीम है। अगले कुछ वर्ष में उत्तराखंड अपने गठन के 25 वर्ष में प्रवेश करेगा। उत्तराखंड को बहुत निकट भविष्य में 25 वर्ष होने वाले हैं।  तब उत्तराखंड जिस ऊंचाई पर होगा, ये तय करने, उसके लिए जुट जाने का यही समय है, सही समय है। केंद्र में जो सरकार है, वो उत्तराखंड की इस नई टीम को, पूरी मदद दे रही है। केंद्र और राज्य सरकार के साझा प्रयास, यहां के लोगों के सपनों को पूरा करने का बहुत बड़ा आधार हैं। विकास का यही डबल इंजन उत्तराखंड को नई बुलंदी देने वाला है। बाबा केदार की कृपा से, हम हर संकल्प को सिद्ध करें, इसी कामना के साथ आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं। + +यहां उत्तराखंड में युवा ऊर्जा से भरपूर उत्साही टीम है। अगले कुछ वर्ष में उत्तराखंड अपने गठन के 25 वर्ष में प्रवेश करेगा। उत्तराखंड को बहुत निकट भविष्य में 25 वर्ष होने वाले हैं।  तब उत्तराखंड जिस ऊंचाई पर होगा, ये तय करने, उसके लिए जुट जाने का यही समय है, सही समय है। केंद्र में जो सरकार है, वो उत्तराखंड की इस नई टीम को, पूरी मदद दे रही है। केंद्र और राज्य सरकार के साझा प्रयास, यहां के लोगों के सपनों को पूरा करने का बहुत बड़ा आधार हैं। विकास का यही डबल इंजन उत्तराखंड को नई बुलंदी देने वाला है। बाबा केदार की कृपा से, हम हर संकल्प को सिद्ध करें, इसी कामना के साथ आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं। + +यहां उत्तराखंड में युवा ऊर्जा से भरपूर उत्साही टीम है। अगले कुछ वर्ष में उत्तराखंड अपने गठन के 25 वर्ष में प्रवेश करेगा। उत्तराखंड को बहुत निकट भविष्य में 25 वर्ष होने वाले हैं।  तब उत्तराखंड जिस ऊंचाई पर होगा, ये तय करने, उसके लिए जुट जाने का यही समय है, सही समय है। केंद्र में जो सरकार है, वो उत्तराखंड की इस नई टीम को, पूरी मदद दे रही है। केंद्र और राज्य सरकार के साझा प्रयास, यहां के लोगों के सपनों को पूरा करने का बहुत बड़ा आधार हैं। विकास का यही डबल इंजन उत्तराखंड को नई बुलंदी देने वाला है। बाबा केदार की कृपा से, हम हर संकल्प को सिद्ध करें, इसी कामना के साथ आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं। + diff --git a/pm-speech/102.txt b/pm-speech/102.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..ea4ce9efa0a7194b4432cf1a9f3b888738177d3a --- /dev/null +++ b/pm-speech/102.txt @@ -0,0 +1,20 @@ +ये देवभूमि ऋषियों की तपोस्थली रही है। योगनगरी के रूप में ये विश्व के लोगों को आकर्षित करती रही है। मां गंगा के समीप, हम सभी को उनका आशीर्वाद मिल रहा है। आज से नवरात्र का पावन पर्व भी शुरु हो रहा है। आज प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा होती है। मां शैलपुत्री, हिमालय पुत्री हैं। और आज के दिन मेरा यहां होना, यहां आकर इस मिट्टी को प्रणाम करना, हिमालय की इस धरती को प्रणाम करना, इससे बड़ा जीवन में कौन सा धन्य भाव हो सकता है। और मैं आज जो उत्तराखंड आया हूं तो एक विशेष रूप से भी बधाई देना चाहता हूं। क्योंकि इस बार टोक्यो ऑलंपिक में ये देवभूमि ने भी अपना झंडा गाड़ दिया है और इसलिए आप सब अभिनंदन के अधिकारी हैं। उत्तराखंड की दिव्यधरा ने मुझ जैसे अनेक लोगों के जीवन की धारा को बदलने में बड़ी भूमिका निभाई है। ये भूमि इसलिए मेरे लिए महत्वपूर्ण है। इस भूमि से मेरा नाता मर्म का भी है, कर्म का भी है, सत्व का भी है, तत्व का भी है। + +सौ साल के इस सबसे बड़े संकट का सामना हम भारतीय जिस बहादुरी से कर रहे हैं, ये दुनिया बहुत बारीकी से देख रही है।कोरोना से लड़ाई के लिए इतने कम समय में भारत ने जो सुविधाएं तैयार कीं, वो हमारे देश के सामर्थ्य को दिखाता है। सिर्फ एक टेस्टिंग लैब से करीब 3 हजार टेस्टिंग लैब्स का नेटवर्क बनना, मास्क और किट्स के आयात से प्रारंभ हमारी जिंदगी आज निर्यातक बनने का सफर तेजी से पार कर रही है। देश के दूर-दराज वाले इलाकों में भी नए वेंटिलेटर्स की सुविधाएं, मेड इन इंडिया कोरोना वैक्सीन का तेज़ी से और बड़ी मात्रा में निर्माण, दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे तेज़ टीकाकरण अभियान भारत ने जो कर दिखाया है, वो हमारी संकल्प-शक्ति, हमारे सेवाभाव, हमारी एकजुटता का प्रतीक है। + +यहां उपस्थित कई महानुभाव इस बात से परिचित हैं, कि ऑक्सीजन के प्रॉडक्शन के साथ ही उसका ट्रांसपोर्टेशन भी कितनी बड़ी चुनौती होता है। ऑक्सीजन ऐसे ही किसी टैंकर में नहीं ले जाया जा सकता। इसके लिए खास टैंकर चाहिए होता है। भारत में ऑक्सीजन प्रोडक्शन का काम सबसे ज्यादा पूर्वी भारत में होता है, लेकिन मुश्किल ये कि ज़रूरत सबसे अधिक उत्तर और पश्चिमी भारत में पड़ी। + +लॉजिस्टिक्स की इतनी चुनौतियों से जूझते हुए देश ने युद्धस्तर पर काम किया। देश और दुनिया में दिन-रात जहां से भी संभव हो, वहां से ऑक्सीजन प्लांट्स, ऑक्सीजन टैंकर अरैंज किए गए। स्पेशल ऑक्सीजन ट्रेन चलाई गई, खाली टैंकरों को तेज़ी से पहुंचाने के लिए वायुसेना के विमान लगाए गए। प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए DRDO के माध्यम से तेजस फाइटर प्लेन की टेक्नॉलॉजी को लगाया गया। पीएम केयर्स से देश में PSA ऑक्सीजन प्लांट्स लगाने पर काम तो तेज हुआ ही,  एक लाख से अधिक ऑक्सीजन कंसंट्रेटर के लिए पैसा भी दिया गया। + +भविष्य में कोरोना से लड़ाई के लिए हमारी तैयारी और पुख्ता हो, इसके लिए देशभर में PSA ऑक्सीजन प्लांट्स का नेटवर्क तैयार हो रहा है। बीते कुछ महीनों में पीएम केयर्स द्वारा स्वीकृत 1150 से अधिक ऑक्सीजन प्लांट्स काम करना शुरू कर चुके हैं। अब देश का हर जिला, पीएम केयर्स के तहत बने हुए ऑक्सीजन प्लांट्स से कवर हो गया है। पीएम केयर्स के सहयोग से बने इन ऑक्सीजन प्लांट्स को जोड़ लें, तो केंद्र सरकार, राज्य सरकार, इन सभी के प्रयासों से देश को करीब 4 हज़ार नए ऑक्सीजन प्लांट्स मिलने जा रहे हैं। ऑक्सीजन की चुनौती का मुकाबला करने में अब देश और देश के अस्पताल, पहले से कहीं ज्यादा सक्षम हो रहे हैं। + +ये हर भारतवासी के लिए गर्व की बात है कि कोरोना वैक्सीन की 93 करोड़ डोज लगाई जा चुकी है। बहुत जल्द हम 100 करोड़ के आंकड़े को पार कर पाएंगे और पार कर जाएंगे। भारत ने Cowin प्लेटफॉर्म का निर्माण करके पूरी दुनिया को राह दिखाई है कि इतने बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन किया कैसे जाता है। पहाड़ हो या रेगिस्तान, जंगल हो या समंदर, 10 लोग हों या 10 लाख, हर क्षेत्र तक आज हम पूरी सुरक्षा के साथ वैक्सीन पहुंचा रहे हैं। इसके लिए देशभर में 1 लाख 30 हजार से ज्यादा टीकाकरण केंद्र स्थापित किए गए हैं। यहां राज्य सरकार के प्रभावी मैनेजमेंट की वजह से उत्तराखंड भी बहुत जल्द शत-प्रतिशत पहली डोज़ का पड़ाव पूरा करने वाला है, और इसके लिए मुख्यमंत्री जी को, उनकी पूरी टीम को, यहां के हर छोटे- मोटे सरकार के साथियों को मैं हृदय से बहुत – बहुत बधाई देता हूं। + +जहां तराई जैसी समतल भूमि है। वहां शायद इन कामों में सरलता रहती है। मैं इस धरती से बहुत जुड़ा रहा। यहां वैक्सीन पहुंचाना भी कितना कठिन होता है। हिमालय के पहाड़ों के उस पार पहुंचकर के लोगों के पास जाना कितना कठिन होता है। ये हम भलि भांति जानते हैं। उसके बावजूद भी इतनी बड़ी सिद्दी प्राप्त करना वाकई आप सब अभिनंदन के अधिकारी हैं। + +स्वास्थ्य सुविधाएं सभी तक पहुंचाने के लिए लास्ट माइल डिलिवरी से जुड़ा एक सशक्त हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर भी बहुत ज़रूरी होता है। 6-7 साल पहले तक सिर्फ कुछ राज्यों तक ही एम्स की सुविधा थी, आज हर राज्य तक एम्स पहुंचाने के लिए काम हो रहा है। 6 एम्स से आगे बढ़कर 22 एम्स का सशक्त नेटवर्क बनाने की तरफ हम तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं। सरकार का ये भी लक्ष्य है कि देश के हर जिले में कम से कम एक मेडिकल कॉलेज जरूर हो। इसके लिए बीते 7 वर्षों में देश में 170 नए मेडिकल कॉलेज शुरू किए गए हैं। दर्जनों नए मेडिकल कॉलेज का काम जारी है। यहां मेरे उत्तराखंड में भी रुद्रपुर, हरिद्वार और पिथौरागढ़ में नए मेडिकल कॉलेजों को मंजूरी दी गई है। + +उत्तराखंड की देश की सुरक्षा में बहुत बड़ी भूमिका है। यहां का वीर नौजवान, वीर बेटियां, भारतीय सुरक्षा बलों की आन, बान और शान हैं। हमारी सरकार, हर फौजी, हर पूर्व फौजी के हितों को लेकर भी पूरी गंभीरता से काम कर रही है। ये हमारी ही सरकार है जिसने वन रैंक वन पेंशन को लागू करके अपने फौजी भाइयों की 40 साल पुरानी मांग पूरी की। और हमारे धामी जी तो खुद फौजी के बेटे हैं। वो बता भी रहे थे कि वन रैंक वन पैंशन इस फैसले ने, फौजियों को कितनी बड़ी मदद की है। + +यहां उत्तराखंड में युवा ऊर्जा से भरपूर उत्साही टीम है। अगले कुछ वर्ष में उत्तराखंड अपने गठन के 25 वर्ष में प्रवेश करेगा। उत्तराखंड को बहुत निकट भविष्य में 25 वर्ष होने वाले हैं।  तब उत्तराखंड जिस ऊंचाई पर होगा, ये तय करने, उसके लिए जुट जाने का यही समय है, सही समय है। केंद्र में जो सरकार है, वो उत्तराखंड की इस नई टीम को, पूरी मदद दे रही है। केंद्र और राज्य सरकार के साझा प्रयास, यहां के लोगों के सपनों को पूरा करने का बहुत बड़ा आधार हैं। विकास का यही डबल इंजन उत्तराखंड को नई बुलंदी देने वाला है। बाबा केदार की कृपा से, हम हर संकल्प को सिद्ध करें, इसी कामना के साथ आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं। + diff --git a/pm-speech/103.txt b/pm-speech/103.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..3f4d80567c58ced4d968e3611d1cce85a5703841 --- /dev/null +++ b/pm-speech/103.txt @@ -0,0 +1,4 @@ +भारत के गांवों की आर्थिक क्षमताओं को बढ़ाने में बहुत बड़ी भूमिका हमारी माताएं-बहनें, हमारी महिला शक्ति की भी है। आज देशभर में लगभग 70 लाख से ज्यादा सेल्फ हेल्प ग्रुप हैं, जिनसे लगभग 8 करोड़ बहनें जुड़ी हैं और ये ज्यादातर गांवों में ही काम कर रही हैं। इन बहनों को जनधन खातों के माध्यम से बैंकिंग सिस्टम के साथ तो जोड़ा ही गया है, बिना गारंटी ऋण में भी काफी बढ़ोतरी की है। हाल ही में सरकार ने एक और अहम निर्णय लिया है। हर सेल्फ हेल्प ग्रुप को पहले जहां 10 लाख रुपए तक का बिना गारंटी का ऋण मिलता था, अब ये सीमा बढ़ाकर दोगुनी यानि 10 लाख से 20 लाख कर दी गई है।  + +आज़ादी का अमृतकाल, यानि आने वाले 25 वर्ष गांवों के आर्थिक सामर्थ्य से भारत की विकास यात्रा को सशक्त करने के हैं। इसमें टेक्नॉलॉजी से जुड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर बहुत बड़ी भूमिका निभाने वाला है। मोबाइल फोन और इंटरनेट आज गांव के युवाओं को नए अवसरों से जोड़ रहा है। किसानों को खेती की नई तकनीक, नई फसलों, नए बाज़ार से जोड़ने में मोबाइल फोन आज बहुत बड़ी सुविधा बन चुका है। आज भारत के गांवों में शहरों से भी ज्यादा इंटरनेट यूज़र हैं। अब तो देश के सभी गांवों को ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ने का अभियान भी तेज़ी से चल रहा है। बेहतर इंटरनेट सुविधा से खेती के अलावा अच्छी पढ़ाई और अच्छी दवाई, इसकी सुविधा गांव के गरीब को घर बैठे ही सुलभ हो, संभव होने वाला है।  + diff --git a/pm-speech/104.txt b/pm-speech/104.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..6e54245bf6d8e6f6d633609fb65b86c76f6472e5 --- /dev/null +++ b/pm-speech/104.txt @@ -0,0 +1,20 @@ +2014 से पहले जो सरकार थी, उसने देश में शहरी आवास योजनाओं के तहत सिर्फ 13 लाख मकान ही मंजूर किए गए थे। आंकड़ा याद रहेगा? पुरानी सरकार ने 13 लाख आवास, इसमें भी सिर्फ 8 लाख मकान ही बनाए गए थे। 2014 के बाद से हमारी सरकार ने पीएम आवास योजना के तहत शहरों में 1 करोड़ 13 लाख से ज्यादा घरों के निर्माण की मंजूरी दी है। कहां 13 लाख और कहां 1 करोड़ 13 लाख? इसमें से 50 लाख से ज्यादा घर बनाकर, उन्हें गरीबों को सौंपा भी जा चुका है। + +हमने घरों के डिजायन से लेकर घरों के निर्माण तक की पूरी आज़ादी लाभार्थियों को सौंप दी। उनको मर्जी पड़े जैसा मकान बनाएं। दिल्‍ली में एयरकंडीशनर कमरों में बैठकर कोई ये तय नहीं कर सकता कि खिड़की इधर होगी या उधर होगी।  2014 के पहले सरकारी योजनाओं के घर किस साइज के बनेंगे, इसकी कोई स्पष्ट नीति ही नहीं थी। कहीं 15 स्कवेयर मीटर के मकान बनते थे, तो कहीं 17 स्कवेयर मीटर के। इतने छोटी जमीन पर जो निर्माण होता था, उसमें रहना भी मुश्किल था। + +मेरे जो साथी, जो मेरे परिवार जन हैं, झुग्गी-झोपड़ी में जिंदगी जीते थे, जिनके पास पक्की छत नहीं थी, ऐसे तीन करोड़ परिवारों को इस कार्यकाल में एक ही योजना से लखपति बनने का अवसर मिल गया है। इस देश में मोटा-मोटा अंदाज करें तो 25-30 करोड़ परिवार, उसमें से इतने छोटे से कार्यकाल में 3 करोड़ गरीब परिवार लखपति बनना, ये अपने-आप में बहुत बड़ी बात है। अब आप कहेंगे मोदी इतना बड़ा क्‍लेम कर रहे हैं कैसे करेंगे। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत देश में जो करीब-करीब 3 करोड़ घर बने हैं, आप उनकी कीमत का अंदाजा लगा लीजिए। ये लोग अब लखपति हैं। 3 करोड़ पक्के घर बनाकर हमने गरीब परिवारों का सबसे बड़ा सपना पूरा किया है। + +गरीबों के लिए घर बनाने का पैसा केंद्र सरकार दे रही थी, बावजूद इसके, 2017 से पहले, योगीजी के आने से पहले की बात कर रहा हूं, 2017 से पहले यूपी में जो सरकार थी,  वो गरीबों के लिए घर बनवाना ही नहीं चाहती थी। गरीबों के लिए घर बनवाओ, इसके लिए हमें पहले जो यहां सरकार में थे उनसे मिन्नतें करनी पड़ती थीं। 2017 से पहले पीएम आवास योजना के तहत यूपी के लिए 18 हजार घरों की स्वीकृति दी गई थी। लेकिन जो सरकार यहां थी, उसने गरीबों को पीएम आवास योजना के तहत 18 घर भी बनाकर नहीं दिए। + +शहरी मिडिल क्लास की परेशानियों और चुनौतियों को भी दूर करने का हमारी सरकार ने बहुत गंभीर प्रयास किया है। Real Estate Regulatory Authority यानि रेरा कानून ऐसा ही एक बड़ा कदम रहा है। इस कानून ने पूरे हाउसिंग सेक्टर को अविश्वास और धोखाधड़ी से बाहर निकालने में बहुत बड़ी मदद की है। इस कानून के बनने से घर खरीदारों को समय पर न्याय भी मिल रहा है। हमने शहरों में अधूरे पड़े घरों को पूरा करने के लिए हज़ारों करोड़ रुपए का विशेष फंड भी बनाया है। + +अगर आप याद करें तो, 2014 से पहले हमारे शहरों की साफ-सफाई को लेकर अक्सर हम नकारात्मक चर्चाएं ही सुनते थे। गंदगी को शहरी जीवन का स्वभाव मान लिया गया था। साफ-सफाई के प्रति बेरुखी से शहरों की सुंदरता, शहरों में आने वाले टूरिस्ट, पर तो असर पड़ता ही है, शहरों में रहने वालों के स्वास्थ्य पर भी ये बहुत बड़ा संकट है। इस स्थिति को बदलने के लिए देश स्वच्छ भारत मिशन और अमृत मिशन के तहत बहुत बड़ा अभियान चला रहा है। + +बीते वर्षों में शहरों में 60 लाख से ज्यादा निजी टॉयलेट और 6 लाख से अधिक सामुदायिक शौचालय बने हैं। 7 साल पहले तक जहां सिर्फ 18 प्रतिशत कचरे का ही निष्पादन हो पाता था,  वो आज बढ़कर 70 प्रतिशत हो चुका है। यहां यूपी में भी वेस्ट प्रोसेसिंग की बड़ी क्षमता बीते वर्षों में विकसित की गई है। और आज मैंने प्रदर्शनी में देखा, ऐसी अनेक चीजों को वहां रखा गया है और मन को बड़ा सुकून देने वाला दृश्‍य था। अब स्वच्छ भारत अभियान 2.0 के तहत शहरों में खड़े कूड़े के पहाड़ों को हटाने का भी अभियान शुरू कर दिया गया है। + +शहरों की भव्यता बढ़ाने में एक और अहम भूमिका निभाई है- LED लाइट्स ने। सरकार ने अभियान चलाकर देश में 90 लाख से ज्यादा पुरानी स्ट्रीट लाइट्स को LED से बदला है। LED स्ट्रीट लाइट लगने से शहरी निकायों के भी हर साल करीब करीब 1 हज़ार करोड़ रुपए बच रहे हैं। अब ये राशि विकास के दूसरे कार्यों में वो शहरी निकाय लगा सकते हैं और लगा रहे हैं। LED ने शहर में रहने वाले लोगों का बिजली बिल भी बहुत कम किया है। जो LED बल्ब पहले 300 रुपए से भी महंगा आता था, वो सरकार ने उजाला योजना के तहत 50-60 रुपए में दिया है। इस योजना के माध्यम से करीब 37 करोड़ LED बल्ब बांटे गए हैं। इस वजह से गरीब और मध्यम वर्ग की करीब 24 हजार करोड़ रुपए बिजली बिल में बचत हुई है। + +जब हम गुजरात में छोटे से इलाके में रहते थे और जब भी लखनऊ की बात आती थी तो लोगों के मुंह से निकलता था कि भई लखनऊ में तो कहीं पर जाइए- सुनने को मिलता है- पहले आप, पहले आप, यही बात होती है। आज मजाक में ही सही, हमें टेक्नोलॉजी को भी कहना पड़ेगा- पहले आप ! भारत में पिछले 6-7 वर्षों में शहरी क्षेत्र में बहुत बड़ा परिवर्तन टेक्नोलॉजी से आया है। देश के 70 से ज्यादा शहरों में आज जो इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर चल रहे हैं, उसका आधार टेक्नोलॉजी ही है। आज देश के शहरों में CCTV कैमरों का जो नेटवर्क बिछ रहा है, टेक्नोलॉजी ही उसे मजबूत कर रही है। देश के 75 शहरों में जो 30 हजार से ज्यादा आधुनिक CCTV कैमरे लगे हैं, उनकी वजह से गुनहगारों को सौ बार सोचना पड़ता है। ये CCTV, अपराधियों को सजा दिलाने में भी काफी मदद कर रहे हैं। + +बीते वर्षों में भारत में ट्रैफिक की समस्या और प्रदूषण की चुनौती,  दोनों पर होलिस्टिक अप्रोच के साथ काम हुआ है। मेट्रो भी इसका एक बेहतरीन उदाहरण है। आज भारत मेट्रो सेवा का देश भर के बड़े शहरों में तेजी से विस्तार कर रहा है। 2014 में जहां 250 किलोमीटर से कम रूट पर मेट्रो चलती थी, वहीं आज लगभग साढ़े 7 सौ किलोमीटर में मेट्रो दौड़ रही है। और मुझे आज अफसर बता रहे थे एक हजार पचास किलोमीटर पर काम चल रहा है। यूपी के भी 6 शहरों में आज मेट्रो नेटवर्क का विस्तार हो रहा है। 100 से ज्यादा शहरों में इलेक्ट्रिक बसों के संचालन का लक्ष्य हो या फिर उड़ान योजना, ये भी शहरी विकास को गति दे रही हैं। 21वीं सदी का भारत,  अब मल्टी मोडल कनेक्टिविटी की ताकत के साथ आगे बढ़ेगा और इसकी भी तैयारी बहुत तेजी से चल रही है। + diff --git a/pm-speech/105.txt b/pm-speech/105.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..cb73185684f29de6fe11ec19a8b693c3d51d69b5 --- /dev/null +++ b/pm-speech/105.txt @@ -0,0 +1,18 @@ +जल जीवन मिशन को अधिक सशक्त, अधिक पारदर्शी बनाने के लिए आज कई और कदम भी उठाए गए हैं। जल जीवन मिशन ऐप पर इस अभियान से जुड़ी सभी जानकारियां एक ही जगह पर मिल पाएंगी। कितने घरों तक पानी पहुंचा, पानी की क्वालिटी कैसी है, वॉटर सप्लाई स्कीम का विवरण, सब कुछ इस ऐप पर मिलेगा। आपके गांव की जानकारी भी उस पर होगी। Water Quality Monitoring और Surveillance Framework से Water Quality को बनाए रखने में बहुत मदद मिलेगी। गाँव के लोग भी इसकी मदद से अपने यहाँ के पानी की शुद्धता पर बारीक नजर रख पाएंगे। + +गांधी जी कहते थे कि ग्राम स्वराज का वास्तविक अर्थ आत्मबल से परिपूर्ण होना है। इसलिए मेरा निरंतर प्रयास रहा है कि ग्राम स्वराज की ये सोच, सिद्धियों की तरफ आगे बढ़े। गुजरात में अपने लंबे सेवाकाल के दौरान मुझे ग्राम स्वराज के विजन को ज़मीन पर उतारने का अवसर मिला है। निर्मल गांव के संकल्प के साथ खुले में शौच से मुक्ति, जल मंदिर अभियान के माध्यम से गांव की पुरानी बावड़ियों को पुनर्जीवित करना, ज्योतिर्ग्राम योजना के तहत गांव में 24 घंटे बिजली पहुंचाना, तीर्थग्राम योजना के तहत गांवों में दंगे-फसाद के बदले में सौहार्द को प्रोत्साहन देना, e-ग्राम और ब्रॉडबैंड से सभी ग्राम पंचायतों की कनेक्टिविटी, ऐसे अनेक प्रयासों से गांव और गांवों की व्यवस्थाओं को राज्य के विकास का मुख्य आधार बनाया गया। बीते दो दशकों में, गुजरात को ऐसी योजनाओं के लिए, विशेषकर पानी के क्षेत्र में बेहतरीन काम करने के लिए, राष्ट्रीय भी और अंतरराष्ट्रीय संस्थानों से भी अनेकों अवॉर्ड भी मिले हैं। + +2014 में जब देश ने मुझे नया दायित्व दिया तो मुझे गुजरात में ग्राम स्वराज के अनुभवों का, राष्ट्रीय स्तर पर विस्तार करने का अवसर मिला। ग्राम स्वराज का मतलब सिर्फ पंचायतों में चुनाव कराना, पंच-सरपंच चुनना, इतना ही नहीं होता है। ग्राम स्वराज का असली लाभ तभी मिलेगा जब गांव में रहने वालों की, गांव के विकास कार्यों से जुड़ी प्लानिंग और मैनेजमेंट तक में सक्रिय सहभागिता हो। इसी लक्ष्य के साथ सरकार द्वारा विशेषकर जल और स्वच्छता के लिए, सवा दो लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि सीधे ग्राम पंचायतों को दी गई है। आज एक तरफ जहां ग्राम पंचायतों को ज्यादा से ज्यादा अधिकार दिए जा रहे हैं, दूसरी तरफ पारदर्शिता का भी पूरा ध्यान रखा जा रहा है। ग्राम स्वराज को लेकर केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता का एक बड़ा प्रमाण जल जीवन मिशन और पानी समितियां भी है। + +आजादी से लेकर 2019 तक, हमारे देश में सिर्फ 3 करोड़ घरों तक ही नल से जल पहुंचता था। 2019 में जल जीवन मिशन शुरू होने के बाद से, 5 करोड़ घरों को पानी के कनेक्शन से जोड़ा गया है। आज देश के लगभग 80 जिलों के करीब सवा लाख गांवों के हर घर में नल से जल पहुंच रहा है। यानि पिछले 7 दशकों में जो काम हुआ था, आज के भारत ने सिर्फ 2 साल में उससे ज्यादा काम करके दिखाया है। वो दिन दूर नहीं जब देश की किसी भी बहन-बेटी को पानी लाने के लिए रोज़-रोज़ दूर-दूर तक पैदल चलकर नहीं जाना होगा। वो अपने समय का सदुपयोग अपनी बेहतरी, अपनी पढ़ाई-लिखाई, या अपना रोजगार पर उसको शुरू करने में कर पाएंगी। + +आज देश में पीने के पानी की सप्लाई ही नहीं, पानी के प्रबंधन और सिंचाई का एक व्यापक इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा करने को लेकर भी बड़े स्तर पर काम चल रहा है। पानी के प्रभावी प्रबंधन के लिए पहली बार जल शक्ति मंत्रालय के अंतर्गत पानी से जुड़े अधिकतर विषय लाए गए हैं। मां गंगा जी के साथ-साथ दूसरी नदियों के पानी को प्रदूषण मुक्त करने के लिए स्पष्ट रणनीति के साथ काम चल रहा है। अटल भूजल योजना के तहत देश के 7 राज्यों में ग्राउंडवॉटर लेवल को ऊपर उठाने के लिए काम हो रहा है। बीते 7 सालों में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत pipe irrigation और micro irrigation पर भी बहुत बल दिया गया है। अब तक 13 लाख हेक्टेयरर से अधिक ज़मीन को माइक्रो इरिगेशन के दायरे में लाया जा चुका है। Per Drop More Crop इस संकल्‍प को पूरा करने के लिए अनेक ऐसे प्रयास चल रहे हैं। लंबे समय से लटकी सिंचाई की 99 बड़ी परियोजनाओं में से लगभग आधी पूरी की जा चुकी हैं और बाकियों पर तेज़ी से काम चल रहा है। देशभर में डैम्स की बेहतर मैनेजमेंट और उनके रख-रखाव के लिए हज़ारों करोड़ रुपए से एक विशेष अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत 200 से अधिक डैम्स को सुधारा जा चुका है। + +कुपोषण के खिलाफ लड़ाई में भी पानी की बहुत बड़ी भूमिका है। हर घर जल पहुंचेगा तो बच्चों का स्वास्थ्य भी सुधरेगा। अभी हाल ही में सरकार ने, पीएम पोषण शक्ति निर्माण स्कीम को भी मंजूरी दी है। इस योजना के तहत देशभर के स्कूलों में, बच्चों की पढ़ाई भी होगी और उन्हें पोषण भी सुनिश्चित किया जाएगा। इस योजना पर केंद्र सरकार 54 हजार करोड़ रुपए से अधिक खर्च करने जा रही है। इसका लाभ देश के करीब-करीब 12 करोड़ बच्चों को होगा। + +यानि, पानी का एक छोटा सा कुआं, लोगों की प्यास बुझा सकता है जबकि इतना बड़ा समंदर ऐसा नहीं कर पाता है। ये बात कितनी सही है! कई बार हम देखते हैं कि किसी का छोटा सा प्रयास, बहुत से बड़े फैसलों से भी बड़ा होता है। आज पानी समिति पर भी यही बात लागू होती है। जल व्यवस्था की देखरेख और जल संरक्षण से जुड़े काम भले ही पानी समिति, अपने गांव के दायरे में करती है, लेकिन इसका विस्तार बहुत बड़ा है। ये पानी समितियां,गरीबों-दलितों-वंचितों-आदिवासियों के जीवन में बहुत बड़ा बदलाव ला रही हैं। + +मुद्रा योजना के तहत भी लगभग 70 प्रतिशत ऋण महिला उद्यमियों को मिले हैं। सेल्फ हेल्प ग्रुप्स के ज़रिए भी ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भरता के मिशन से जोड़ा जा रहा है। पिछले 7 सालों के दौरान स्वयं सहायता समूहों में 3 गुना से अधिक बढ़ोतरी हुई है, 3 गुना अधिक बहनों की भागीदारी सुनिश्चित हुई है। राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत 2014 से पहले के 5 वर्षों में जितनी मदद सरकार ने बहनों के लिए भेजी, बीते 7 साल में उसमें लगभग 13 गुणा बढ़ोतरी की गई है। इतना ही नहीं, लगभग पौने 4 लाख करोड़ रुपए का ऋण भी सेल्फ हेल्प ग्रुप्स को इन माताओं-बहनों को उपलब्ध कराया गया है। सरकार ने सेल्फ हेल्प ग्रुप्स को बिना गारंटी ऋण में भी काफी वृद्धि की है। + +आज गांव में हर प्रकार के इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए रिकॉर्ड Investment किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना हो, एक लाख करोड़ रुपए का एग्री फंड हो, गांव के पास कोल्ड स्टोरेज का निर्माण हो, औद्योगिक क्लस्टर का निर्माण हो, या फिर कृषि मंडियों का आधुनिकीकरण, हर क्षेत्र में तेज गति से काम जारी है। जल जीवन मिशन के लिए भी जो 3 लाख 60 हजार करोड़ की व्यवस्था की गई है, वो गांवों में ही खर्च की जाएगी। यानि ये मिशन, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई मजबूती देने के साथ ही, गांवों में रोजगार के अनेकों नए अवसर भी बनाएगा। + diff --git a/pm-speech/106.txt b/pm-speech/106.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..cb73185684f29de6fe11ec19a8b693c3d51d69b5 --- /dev/null +++ b/pm-speech/106.txt @@ -0,0 +1,18 @@ +जल जीवन मिशन को अधिक सशक्त, अधिक पारदर्शी बनाने के लिए आज कई और कदम भी उठाए गए हैं। जल जीवन मिशन ऐप पर इस अभियान से जुड़ी सभी जानकारियां एक ही जगह पर मिल पाएंगी। कितने घरों तक पानी पहुंचा, पानी की क्वालिटी कैसी है, वॉटर सप्लाई स्कीम का 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पानी के क्षेत्र में बेहतरीन काम करने के लिए, राष्ट्रीय भी और अंतरराष्ट्रीय संस्थानों से भी अनेकों अवॉर्ड भी मिले हैं। + +2014 में जब देश ने मुझे नया दायित्व दिया तो मुझे गुजरात में ग्राम स्वराज के अनुभवों का, राष्ट्रीय स्तर पर विस्तार करने का अवसर मिला। ग्राम स्वराज का मतलब सिर्फ पंचायतों में चुनाव कराना, पंच-सरपंच चुनना, इतना ही नहीं होता है। ग्राम स्वराज का असली लाभ तभी मिलेगा जब गांव में रहने वालों की, गांव के विकास कार्यों से जुड़ी प्लानिंग और मैनेजमेंट तक में सक्रिय सहभागिता हो। इसी लक्ष्य के साथ सरकार द्वारा विशेषकर जल और स्वच्छता के लिए, सवा दो लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि सीधे ग्राम पंचायतों को दी गई है। आज एक तरफ जहां ग्राम पंचायतों को ज्यादा से ज्यादा अधिकार दिए जा रहे हैं, दूसरी तरफ पारदर्शिता का भी पूरा ध्यान रखा जा रहा है। ग्राम स्वराज को लेकर केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता का एक बड़ा प्रमाण जल जीवन मिशन और पानी समितियां भी है। + +आजादी से लेकर 2019 तक, हमारे देश में सिर्फ 3 करोड़ घरों तक ही नल से जल पहुंचता था। 2019 में जल जीवन मिशन शुरू होने के बाद से, 5 करोड़ घरों को पानी के कनेक्शन से जोड़ा गया है। आज देश के लगभग 80 जिलों के करीब सवा लाख गांवों के हर घर में नल से जल पहुंच रहा है। यानि पिछले 7 दशकों में जो काम हुआ था, आज के भारत ने सिर्फ 2 साल में उससे ज्यादा काम करके दिखाया है। वो दिन दूर नहीं जब देश की किसी भी बहन-बेटी को पानी लाने के लिए रोज़-रोज़ दूर-दूर तक पैदल चलकर नहीं जाना होगा। वो अपने समय का सदुपयोग अपनी बेहतरी, अपनी पढ़ाई-लिखाई, या अपना रोजगार पर उसको शुरू करने में कर पाएंगी। + +आज देश में पीने के पानी की सप्लाई ही नहीं, पानी के प्रबंधन और सिंचाई का एक व्यापक इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा करने को लेकर भी बड़े स्तर पर काम चल रहा है। पानी के प्रभावी प्रबंधन के लिए पहली बार जल शक्ति मंत्रालय के अंतर्गत पानी से जुड़े अधिकतर विषय लाए गए हैं। मां गंगा जी के साथ-साथ दूसरी नदियों के पानी को प्रदूषण मुक्त करने के लिए स्पष्ट रणनीति के साथ काम चल रहा है। अटल भूजल योजना के तहत देश के 7 राज्यों में ग्राउंडवॉटर लेवल को ऊपर उठाने के लिए काम हो रहा है। बीते 7 सालों में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत pipe irrigation और micro irrigation पर भी बहुत बल दिया गया है। अब तक 13 लाख हेक्टेयरर से अधिक ज़मीन को माइक्रो इरिगेशन के दायरे में लाया जा चुका है। Per Drop More Crop इस संकल्‍प को पूरा करने के लिए अनेक ऐसे प्रयास चल रहे हैं। लंबे समय से लटकी सिंचाई की 99 बड़ी परियोजनाओं में से लगभग आधी पूरी की जा चुकी हैं और बाकियों पर तेज़ी से काम चल रहा है। देशभर में डैम्स की बेहतर मैनेजमेंट और उनके रख-रखाव के लिए हज़ारों करोड़ रुपए से एक विशेष अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत 200 से अधिक डैम्स को सुधारा जा चुका है। + +कुपोषण के खिलाफ लड़ाई में भी पानी की बहुत बड़ी भूमिका है। हर घर जल पहुंचेगा तो बच्चों का स्वास्थ्य भी सुधरेगा। अभी हाल ही में सरकार ने, पीएम पोषण शक्ति निर्माण स्कीम को भी मंजूरी दी है। इस योजना के तहत देशभर के स्कूलों में, बच्चों की पढ़ाई भी होगी और उन्हें पोषण भी सुनिश्चित किया जाएगा। इस योजना पर केंद्र सरकार 54 हजार करोड़ रुपए से अधिक खर्च करने जा रही है। इसका लाभ देश के करीब-करीब 12 करोड़ बच्चों को होगा। + +यानि, पानी का एक छोटा सा कुआं, लोगों की प्यास बुझा सकता है जबकि इतना बड़ा समंदर ऐसा नहीं कर पाता है। ये बात कितनी सही है! कई बार हम देखते हैं कि किसी का छोटा सा प्रयास, बहुत से बड़े फैसलों से भी बड़ा होता है। आज पानी समिति पर भी यही बात लागू होती है। जल व्यवस्था की देखरेख और जल संरक्षण से जुड़े काम भले ही पानी समिति, अपने गांव के दायरे में करती है, लेकिन इसका विस्तार बहुत बड़ा है। ये पानी समितियां,गरीबों-दलितों-वंचितों-आदिवासियों के जीवन में बहुत बड़ा बदलाव ला रही हैं। + +मुद्रा योजना के तहत भी लगभग 70 प्रतिशत ऋण महिला उद्यमियों को मिले हैं। सेल्फ हेल्प ग्रुप्स के ज़रिए भी ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भरता के मिशन से जोड़ा जा रहा है। पिछले 7 सालों के दौरान स्वयं सहायता समूहों में 3 गुना से अधिक बढ़ोतरी हुई है, 3 गुना अधिक बहनों की भागीदारी सुनिश्चित हुई है। राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत 2014 से पहले के 5 वर्षों में जितनी मदद सरकार ने बहनों के लिए भेजी, बीते 7 साल में उसमें लगभग 13 गुणा बढ़ोतरी की गई है। इतना ही नहीं, लगभग पौने 4 लाख करोड़ रुपए का ऋण भी सेल्फ हेल्प ग्रुप्स को इन माताओं-बहनों को उपलब्ध कराया गया है। सरकार ने सेल्फ हेल्प ग्रुप्स को बिना गारंटी ऋण में भी काफी वृद्धि की है। + +आज गांव में हर प्रकार के इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए रिकॉर्ड Investment किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना हो, एक लाख करोड़ रुपए का एग्री फंड हो, गांव के पास कोल्ड स्टोरेज का निर्माण हो, औद्योगिक क्लस्टर का निर्माण हो, या फिर कृषि मंडियों का आधुनिकीकरण, हर क्षेत्र में तेज गति से काम जारी है। जल जीवन मिशन के लिए भी जो 3 लाख 60 हजार करोड़ की व्यवस्था की गई है, वो गांवों में ही खर्च की जाएगी। यानि ये मिशन, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई मजबूती देने के साथ ही, गांवों में रोजगार के अनेकों नए अवसर भी बनाएगा। + diff --git a/pm-speech/107.txt b/pm-speech/107.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..485d225a1ab218f59903eae9658bb6c5629ac96c --- /dev/null +++ b/pm-speech/107.txt @@ -0,0 +1,16 @@ +मैं देश को स्वच्छ भारत अभियान और अमृत मिशन के अगले चरण में प्रवेश की बहुत-बहुत बधाई देता हूं। 2014 में देशवासियों ने भारत को खुले में शौच से मुक्त करने का-ODF बनाने का संकल्प लिया था। 10 करोड़ से ज्यादा शौचालयों के निर्माण के साथ देशवासियों ने ये संकल्प पूरा किया। अब ‘स्वच्छ भारत मिशन-अर्बन 2.0’ का लक्ष्य है Garbage-Free शहर, कचरे के ढेर से पूरी तरह मुक्त ऐसा शहर बनाना। अमृत मिशन इसमें देशवासियों की और मदद करने वाला है। शहरों में शत प्रतिशत लोगों की साफ पानी तक पहुंच हो, शहरों में सीवेज का बेहतरीन प्रबंधन हो, इस दिशा में हम आगे बढ़ रहे हैं। मिशन अमृत के अगले चरण में देश का लक्ष्य है- ‘सीवेज और सेप्टिक मैनेजमेंट बढ़ाना, अपने शहरों को Water secure cities’ बनाना और ये सुनिश्चित करना कि हमारी नदियों में कहीं पर भी कोई गंदा नाला न गिरे। + +हम सभी का ये भी सौभाग्य है कि आज ये कार्यक्रम बाबा साहेब को समर्पित इस इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित हो रहा है। बाबा साहेब, असमानता दूर करने का बहुत बड़ा माध्यम शहरी विकास को मानते थे। बेहतर जीवन की आकांक्षा में गांवों से बहुत से लोग शहरों की तरफ आते हैं। हम जानते हैं कि उन्हें रोजगार तो मिल जाता है लेकिन उनका जीवन स्तर गांवों से भी मुश्किल स्थिति में रहता है। ये उन पर एक तरह से दोहरी मार की तरह होता है। एक तो घर से दूर, और ऊपर से ऐसी कठिन स्थिति में रहना। इस हालात को बदलने पर, इस असमानता को दूर करने पर बाबा साहेब का बड़ा जोर था। स्वच्छ भारत मिशन और मिशन अमृत का अगला चरण, बाबा साहेब के सपनों को पूरा करने की दिशा में भी एक अहम कदम है। + +जन-आंदोलन की ये भावना स्वच्छ भारत मिशन की सफलता का आधार है।पहले शहरों में कचरा सड़कों पर होता था, गलियों में होता था, लेकिन अब घरों से न केवल waste collection  पर बल दिया जा रहा है, बल्कि waste segregation पर भी जोर है। बहुत से घरों में अब हम देखते हैं कि लोग गीले और सूखे कूड़े के लिए अलग अलग डस्ट्बिन रख रहे हैं।घर ही नहीं, घर के बाहर भी अगर कहीं गंदगी दिखती है तो लोग स्वच्छता ऐप से उसे रिपोर्ट करते हैं, दूसरे लोगों को जागरूक भी करते हैं। मैं इस बात से बहुत खुश होता हूं कि स्वच्छता अभियान को मजबूती देने का बीड़ा हमारी आज की पीढ़ी ने उठाया हुआ है। टॉफी के रैपर अब जमीन पर नहीं फेंके जाते, बल्कि पॉकेट में रखे जाते हैं। छोटे-छोटे बच्चे, अब बड़ों को टोकते हैं कि गंदगी मत करिए। दादाजी, नानाजी, दादीजी को बताते हैं कि मत करो। शहरों में नौजवान, तरह-तरह से स्वच्छता अभियान में मदद कर रहे हैं। कोई Waste से Wealth बना रहा है तो कोई जागरूकता बढ़ाने में जुटा है। + +जैसे सुबह उठते ही दांतों को साफ करने की आदत होती है ना वैसे ही साफ-सफाई को हमें अपने जीवन का हिस्सा बनाना ही होगा। और मैं ये सिर्फ पर्सनल हाईजीन की बात नहीं कर रहा हूं। मैं सोशल हाईजीन की बात कर रहा हूं। आप सोचिए, रेल के डिब्बों में सफाई, रेलवे प्लेटफॉर्म पर सफाई ये कोई मुश्किल नहीं था। कुछ प्रयास सरकार ने किया, कुछ सहयोग लोगों ने किया और अब रेलवे की तस्वीर ही बदल गई है। + +शहर में रहने वाले मध्यम वर्ग की, शहरी गरीबों के जीवन में Ease of Living बढ़ाने के लिए हमारी सरकार रिकॉर्ड invest कर रही है। अगर 2014 के पहले के 7 वर्षों की बात करें, तो शहरी विकास मंत्रालय के लिए सवा लाख करोड़ के आसपास का बजट ही आवंटित किया गया था। जबकी हमारी सरकार के 7 वर्षों में शहरी विकास मंत्रालय के लिए करीब-करीब 4 लाख करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया गया है। ये investment, शहरों की सफाई, Waste Management, नए सीवेज ट्रींटमेंट प्लांट बनाने पर हुआ है। इस investment से शहरी गरीबों के लिए घर, नए मेट्रो रूट और स्मार्ट सिटी से जुड़े प्रोजेक्ट्स पूरे हो रहे हैं। हम भारतवासी अपने लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं, इसका मुझे पूरा भरोसा है। स्वच्छ भारत मिशन और मिशन अमृत की स्पीड और स्केल दोनों ही ये भरोसा और बढ़ाते हैं। + +आज भारत हर दिन करीब एक लाख टन waste process कर रहा है। 2014 में जब देश ने अभियान शुरू किया था तब देश में हर दिन पैदा होने वाले वेस्ट का 20 प्रतिशत से भी कम process होता था। आज हम करीब-करीब 70 प्रतिशत डेली वेस्ट process कर रहे हैं। 20 से 70 तक पहुंचे हैं। लेकिन अब हमें इसे 100 प्रतिशत तक लेकर जाना ही जाना है। और ये काम केवल waste disposal के जरिए नहीं होगा, बल्कि waste to wealth creation के जरिए होगा। इसके लिए देश ने हर शहर में 100 प्रतिशत waste सेग्रीगेशन के साथ-साथ इससे जुड़ी आधुनिक मैटेरियल रिकवरी फेसिलिटीज बनाने का लक्ष्य तय किया है। इन आधुनिक फेसिलिटीज में कूड़े-कचरे को छांटा जाएगा, री-साइकिल हो पाने वाली चीजों को प्रोसेस किया जाएगा, अलग किया जाएगा। इसके साथ ही, शहरो में बने कूड़े के पहाड़ों को, प्रोसेस करके पूरी तरह समाप्त किया जाएगा। हरदीप जी, जब मैं ये कूड़े के बड़े-बड़े ढेर साफ करने की बात कर रहा हूं, यहां दिल्ली में भी ऐसा ही एक पहाड़, बरसों से डेरा डाले हुए है। ये पहाड़ भी हटने का इंतजार कर रहा है। + +इस असंभव को संभव किया है – पीएम स्वनिधि योजना ने। आज देश के 46 लाख से ज्यादा रेहड़ी-पटरी वाले भाई-बहन, स्ट्रीट वेंडर्स इस योजना का लाभ उठाने के लिए आगे आए हैं। इनमें से 25 लाख लोगों को करीब-करीब ढाई हजार करोड़ रुपए दिए भी जा चुके हैं। स्ट्रीट वेंडर्स की जेब में ढाई हजार करोड़ पहुंचा ये छोटी बात नहीं है जी। ये अब डिजिटल ट्रांजेक्शन कर रहे हैं और बैंकों से जो कर्ज लिया है, वो भी चुका रहे हैं। जो स्ट्रीट वेंडर्स समय पर लोन चुकाते हैं, उन्हें ब्याज में छूट भी दी जाती है। बहुत ही कम समय में इन लोगों ने 7 करोड़ से अधिक ट्रांजेक्शन किए हैं। कभी-कभी हमारे देश में बुद्धिमान लोग कह देते हैं कि ये गरीब आदमी को ये कहां से आयेगा, ये यही लोग हैं जिन्‍होंने ये करे दिखाया है यानि पैसे देने या लेने के लिए 7 करोड़ बार कोई ना कोई डिजिटल तरीका अपनाया है। + +बड़ी आसानी से किया जा सकता है साथियो, लेकिन इस काम में हम सबका योगदान…मैं सभी कमिशनर्स से कहना चाहता हूं ये मानवता का काम है, ये grass root level पर आर्थिक सफाई का भी काम है। एक स्‍वाभिमान जगाने का काम है। देश ने आपको इतने प्रतिष्ठित पद पर बिठाया है। आप दिल से इस पीएम स्‍वनिधि कार्यक्रम को अपना बना लें। जी-जान से उसके साथ जुटिए। देखते ही देखते देखिए आपके गांव का हर परिवार सब्‍जी भी खरीदता है डिजिटल पेमेंट के साथ, दूध खरीदता है डिजिटल पेमेंट से, जब वो थोक में लेने जाता है डिजिटल पेमेंट करता है। एक बड़ा रेव्‍यूलेशन आने वाला है। इन छोटी सी संख्‍या के लोगों ने 7 करोड़ ट्रांजेक्‍शन किए। अगर आप सब लोग उनकी मदद में पहुंच जाएं तो हम कहां से कहां पहुंच सकते हैं। + diff --git a/pm-speech/108.txt b/pm-speech/108.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..0d063b6740f22b86fd60b564907e908c97e2fd01 --- /dev/null +++ b/pm-speech/108.txt @@ -0,0 +1,10 @@ +साल 2014 के बाद से राजस्थान में 23 नए मेडिकल कॉलेजों के लिए केंद्र सरकार ने स्वीकृति दी थी। इनमें से 7 मेडिकल कॉलेज काम करना शुरू कर चुके हैं। और आज बांसवाड़ा, सिरोही, हनुमानगढ़ और दौसा में नए मेडिकल कॉलेज के निर्माण की शुरुआत हुई है। मैं इन क्षेत्रों के लोगों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं। मैंने देखा है यहां के जो जनप्रतिनिधि रहे हैं, हमारे माननीयसांसद हैं, उनसे जब भी मुलाकात होती थी तो वो बताते थे कि मेडिकल कॉलेज बनने से कितना फायदा होगा। चाहे सांसद, मेरे मित्र भाई ‘कनक-मल’ कटारा जी हों, हमारीसीनियर एमपी बहन, जसकौर मीणा जी हों, मेरेबहुत पुराने साथीभाई निहालचंद चौहान जी हों या हमारेआधे गुजराती आधे राजस्थानी ऐसे भाईदेवजी पटेल हों, आप सभी राजस्थान में मेडिकल इंफ्रा को लेकर काफी जागरूक रहे हैं। मुझे विश्वास है, इन नए मेडिकल कॉलेज का निर्माण राज्य सरकार के सहयोग से समय पर पूरा होगा। + +मुख्यमंत्री के रूप में देश के हेल्थ सेक्टर की जो कमियां मुझे अनुभव होती थी, बीते 6-7 सालों से उनको दूर करने की निरंतर कोशिश की जा रही है।और हम सबको मालूम है हमारा संविधान के तहत जो federal structure की व्यवस्था है। उसमें हेल्थ ये राज्य का विषय है, राज्य की जिम्मेवारी है।लेकिन मैं राज्य का मुखयमंत्री रहा लम्बे समय तक। तो क्या कठिनाईयां है वो मुझे मालूम थी। तो मैने भारत सरकार में आकर के भले दायित्व राज्य का हो तो भी उसमे बहुत सारे काम करने चाहिए भारत सरकार ने और उस दिशा में हमने प्रयास शुरू किया।हमारे यहां एक बड़ी समस्या ये थी कि देश का हेल्थ सिस्टम बहुत ही अधिक टुकड़ों में बंटा हुआ था। अलग-अलग राज्यों के मेडिकल सिस्टम में राष्ट्रीय स्तर पर कनेक्टिविटी और कलेक्टिव अप्रोच का अभाव था। भारत जैसे देश में जहां बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं राज्य की राजधानियां या कुछ मेट्रो सिटीज़ तक ही सीमित थीं, जहां गरीब परिवार रोज़गार के लिए एक राज्य से दूसरे राज्य जाते हैं, वहां राज्यों की सीमाओं तक सिमटी स्वास्थ्य योजनाओं से बहुत लाभ नहीं हो पा रहा था। इसी प्रकार प्राइमरी हेल्थकेयर और बड़े अस्पतालों में भी एक बहुत बड़ा गैप नज़र आता था। हमारी पारंपरिक चिकित्सा पद्धति और आधुनिक चिकित्सा पद्धति के बीच भी तालमेल की कमी थी। गवर्नेंस की इन कमियों को दूर किया जाना बहुत जरूरी था। देश के स्वास्थ्य सेक्टर को ट्रांसफॉर्म करने के लिए हमने एक राष्ट्रीय अप्रोच, एक नई राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति पर काम किया। स्वच्छ भारत अभियान से लेकर आयुष्मान भारत और अब आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन तक, ऐसे अनेक प्रयास इसी का हिस्सा हैं। आयुष्मान भारत योजना से ही अभी तक राजस्थान के लगभग साढ़े 3 लाख लोगों का मुफ्त इलाज हो चुका है। गांव देहात में स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूत करने वाले लगभग ढाई हज़ार हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर आज राजस्थान में काम करना शुरू कर चुके हैं। सरकार का जोर प्रिवेंटिव हेल्थकेयर पर भी है। हमने नया आयुष मंत्रालय तो बनाया ही है, आयुर्वेद और योग को भी निरंतर बढ़ावा दे रहे हैं। + +एक और बड़ी समस्या मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण की धीमी गति की भी रही है। चाहे एम्स हो, मेडिकल कॉलेज हो या फिर एम्स जैसे सुपर स्पेशियल्टी अस्पताल हों, इनका नेटवर्क देश के कोने-कोने तक तेज़ी से फैलाना बहुत ज़रूरी है। आज हम संतोष के साथ कह सकते हैं कि 6 एम्स से आगे बढ़कर आज भारत 22 से ज्यादा एम्स के सशक्त नेटवर्क की तरफ बढ़ रहा है। इन 6-7 सालों में 170 से अधिक नए मेडिकल कॉलेज तैयार हो चुके हैं और 100 से ज्यादा नए मेडिकल कॉलेज पर काम तेज़ी से चल रहा है। साल 2014 में देश में मेडिकल की अंडर ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट की कुल सीटें 82 हजार के करीब थीं। आज इनकी संख्या बढ़कर एक लाख 40 हजार सीट तक पहुंच रही है। यानि आज ज्यादा नौजवानों को डॉक्टर बनने का मौका मिल रहा है, आज पहले से कहीं अधिक नौजवान डॉक्टर बन रहे हैं। मेडिकल एजुकेशन की इस तेज प्रगति का बहुत बड़ा लाभ राजस्थान को भी मिला है। राजस्थान में इस दौरान मेडिकल सीटों में दोगुनी से भी अधिक बढ़ोतरी हुई है। यूजी सीटें 2 हज़ार से बढ़कर 4 हज़ार से ज्यादा हुई हैं। पीजी सीटें राजस्थान में हज़ार से भी कम थीं। आज PG सीटें भी 2100 तक पहुंच रही हैं। + +आज देश में प्रयास ये है कि हर जिले में एक मेडिकल कॉलेज या फिर पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन देने वाला कम से कम एक संस्थान जरूर हो। इसके लिए मेडिकल शिक्षा से जुड़ी गवर्नेंस से लेकर दूसरी नीतियों, कानूनों, संस्थानों में बीते वर्षों के दौरान बड़े रिफॉर्म्स किए गए हैं। हमने देखा है कि पहले जो मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया- MCI थी, किस तरह उसके फैसलों पर सवाल उठते थे, भांति-भांतिके आरोप लगते थे, पार्लियामेंट में भी घंटों उसकी बहस होती थी। पारदर्शिता के विषय में सवालया निशान आते थे।इसका बहुत बड़ा प्रभाव देश में मेडिकल शिक्षा की क्वालिटी और हेल्थ सर्विसेस की डिलिवरी पर पड़ा रहा। बरसों सेहर सरकार सोचती थी कुछ करना चाहिए, बदलाव करना चाहिए कुछ निर्णय करना चाहिए, लेकिन नहीं हो पा रहा था। मुझे भी ये काम करने में बहुत मुशकिलें आई। संसद में कई, पिछली सरकार के समय करना चाहता था। नहीं कर पाता था। इतने ग्रुप इतने बड़े अड़ंगे डालते थे। बड़ी मुसिबतों से आखिरकार हुआ।हमें भी इसे ठीक करने के लिए बहुत मशक्कत करनी पड़ी। अब इन व्यवस्थाओं का दायित्वनेशनल मेडिकल कमीशनके पास है। इसका बहुत बेहतर प्रभाव, देश के हेल्थकेयर ह्यूमन रीसोर्स और हेल्थ सर्विसेस पर दिखना शुरू हो गया है। + +बाड़मेर में राजस्थान रिफाइनरी प्रोजेक्ट पर भी तेजी से काम जारी है। इस प्रोजेक्ट पर 70 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का निवेश किया जा रहा है। इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोकेमिकल टेक्नॉलॉजी से पढ़कर निकलने वाले प्रोफेशनल्स के लिए ये प्रोजेक्ट बहुत से नए मौके बनाएगा। राजस्थान में जो सिटी गैस डिस्ट्रिब्यूशन का काम हो रहा है, उसमें भी युवाओं के लिए बहुत संभावनाए हैं। 2014 तक राजस्थान के सिर्फ एक शहर में ही सिटी गैस डिस्ट्रिब्यूशन की मंजूरी थी। आज राजस्थान के 17 जिले सिटी गैस डिस्ट्रिब्यूशन नेटवर्क के लिए अधिकृत किए जा चुके हैं। आने वाले वर्षों में राज्य के हर जिले में पाइप से गैस पहुंचने का नेटवर्क होगा। + diff --git a/pm-speech/109.txt b/pm-speech/109.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..0d063b6740f22b86fd60b564907e908c97e2fd01 --- /dev/null +++ b/pm-speech/109.txt @@ -0,0 +1,10 @@ +साल 2014 के बाद से राजस्थान में 23 नए मेडिकल कॉलेजों के लिए केंद्र सरकार ने स्वीकृति दी थी। इनमें से 7 मेडिकल कॉलेज काम करना शुरू कर चुके हैं। और आज बांसवाड़ा, सिरोही, हनुमानगढ़ और दौसा में नए मेडिकल कॉलेज के निर्माण की शुरुआत हुई है। मैं इन क्षेत्रों के लोगों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं। मैंने देखा है यहां के जो जनप्रतिनिधि रहे हैं, हमारे माननीयसांसद हैं, उनसे जब भी मुलाकात होती थी तो वो बताते थे कि मेडिकल कॉलेज बनने से कितना फायदा होगा। चाहे सांसद, मेरे मित्र भाई ‘कनक-मल’ कटारा जी हों, हमारीसीनियर एमपी बहन, जसकौर मीणा जी हों, मेरेबहुत पुराने साथीभाई निहालचंद चौहान जी हों या हमारेआधे गुजराती आधे राजस्थानी ऐसे भाईदेवजी पटेल हों, आप सभी राजस्थान में मेडिकल इंफ्रा को लेकर काफी जागरूक रहे हैं। मुझे विश्वास है, इन नए मेडिकल कॉलेज का निर्माण राज्य सरकार के सहयोग से समय पर पूरा होगा। + +मुख्यमंत्री के रूप में देश के हेल्थ सेक्टर की जो कमियां मुझे अनुभव होती थी, बीते 6-7 सालों से उनको दूर करने की निरंतर कोशिश की जा रही है।और हम सबको मालूम है हमारा संविधान के तहत जो federal structure की व्यवस्था है। उसमें हेल्थ ये राज्य का विषय है, राज्य की जिम्मेवारी है।लेकिन मैं राज्य का मुखयमंत्री रहा लम्बे समय तक। तो क्या कठिनाईयां है वो मुझे मालूम थी। तो मैने भारत सरकार में आकर के भले दायित्व राज्य का हो तो भी उसमे बहुत सारे काम करने चाहिए भारत सरकार ने और उस दिशा में हमने प्रयास शुरू किया।हमारे यहां एक बड़ी समस्या ये थी कि देश का हेल्थ सिस्टम बहुत ही अधिक टुकड़ों में बंटा हुआ था। अलग-अलग राज्यों के मेडिकल सिस्टम में राष्ट्रीय स्तर पर कनेक्टिविटी और कलेक्टिव अप्रोच का अभाव था। भारत जैसे देश में जहां बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं राज्य की राजधानियां या कुछ मेट्रो सिटीज़ तक ही सीमित थीं, जहां गरीब परिवार रोज़गार के लिए एक राज्य से दूसरे राज्य जाते हैं, वहां राज्यों की सीमाओं तक सिमटी स्वास्थ्य योजनाओं से बहुत लाभ नहीं हो पा रहा था। इसी प्रकार प्राइमरी हेल्थकेयर और बड़े अस्पतालों में भी एक बहुत बड़ा गैप नज़र आता था। हमारी पारंपरिक चिकित्सा पद्धति और आधुनिक चिकित्सा पद्धति के बीच भी तालमेल की कमी थी। गवर्नेंस की इन कमियों को दूर किया जाना बहुत जरूरी था। देश के स्वास्थ्य सेक्टर को ट्रांसफॉर्म करने के लिए हमने एक राष्ट्रीय अप्रोच, एक नई राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति पर काम किया। स्वच्छ भारत अभियान से लेकर आयुष्मान भारत और अब आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन तक, ऐसे अनेक प्रयास इसी का हिस्सा हैं। आयुष्मान भारत योजना से ही अभी तक राजस्थान के लगभग साढ़े 3 लाख लोगों का मुफ्त इलाज हो चुका है। गांव देहात में स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूत करने वाले लगभग ढाई हज़ार हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर आज राजस्थान में काम करना शुरू कर चुके हैं। सरकार का जोर प्रिवेंटिव हेल्थकेयर पर भी है। हमने नया आयुष मंत्रालय तो बनाया ही है, आयुर्वेद और योग को भी निरंतर बढ़ावा दे रहे हैं। + +एक और बड़ी समस्या मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण की धीमी गति की भी रही है। चाहे एम्स हो, मेडिकल कॉलेज हो या फिर एम्स जैसे सुपर स्पेशियल्टी अस्पताल हों, इनका नेटवर्क देश के कोने-कोने तक तेज़ी से फैलाना बहुत ज़रूरी है। आज हम संतोष के साथ कह सकते हैं कि 6 एम्स से आगे बढ़कर आज भारत 22 से ज्यादा एम्स के सशक्त नेटवर्क की तरफ बढ़ रहा है। इन 6-7 सालों में 170 से अधिक नए मेडिकल कॉलेज तैयार हो चुके हैं और 100 से ज्यादा नए मेडिकल कॉलेज पर काम तेज़ी से चल रहा है। साल 2014 में देश में मेडिकल की अंडर ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट की कुल सीटें 82 हजार के करीब थीं। आज इनकी संख्या बढ़कर एक लाख 40 हजार सीट तक पहुंच रही है। यानि आज ज्यादा नौजवानों को डॉक्टर बनने का मौका मिल रहा है, आज पहले से कहीं अधिक नौजवान डॉक्टर बन रहे हैं। मेडिकल एजुकेशन की इस तेज प्रगति का बहुत बड़ा लाभ राजस्थान को भी मिला है। राजस्थान में इस दौरान मेडिकल सीटों में दोगुनी से भी अधिक बढ़ोतरी हुई है। यूजी सीटें 2 हज़ार से बढ़कर 4 हज़ार से ज्यादा हुई हैं। पीजी सीटें राजस्थान में हज़ार से भी कम थीं। आज PG सीटें भी 2100 तक पहुंच रही हैं। + +आज देश में प्रयास ये है कि हर जिले में एक मेडिकल कॉलेज या फिर पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन देने वाला कम से कम एक संस्थान जरूर हो। इसके लिए मेडिकल शिक्षा से जुड़ी गवर्नेंस से लेकर दूसरी नीतियों, कानूनों, संस्थानों में बीते वर्षों के दौरान बड़े रिफॉर्म्स किए गए हैं। हमने देखा है कि पहले जो मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया- MCI थी, किस तरह उसके फैसलों पर सवाल उठते थे, भांति-भांतिके आरोप लगते थे, पार्लियामेंट में भी घंटों उसकी बहस होती थी। पारदर्शिता के विषय में सवालया निशान आते थे।इसका बहुत बड़ा प्रभाव देश में मेडिकल शिक्षा की क्वालिटी और हेल्थ सर्विसेस की डिलिवरी पर पड़ा रहा। बरसों सेहर सरकार सोचती थी कुछ करना चाहिए, बदलाव करना चाहिए कुछ निर्णय करना चाहिए, लेकिन नहीं हो पा रहा था। मुझे भी ये काम करने में बहुत मुशकिलें आई। संसद में कई, पिछली सरकार के समय करना चाहता था। नहीं कर पाता था। इतने ग्रुप इतने बड़े अड़ंगे डालते थे। बड़ी मुसिबतों से आखिरकार हुआ।हमें भी इसे ठीक करने के लिए बहुत मशक्कत करनी पड़ी। अब इन व्यवस्थाओं का दायित्वनेशनल मेडिकल कमीशनके पास है। इसका बहुत बेहतर प्रभाव, देश के हेल्थकेयर ह्यूमन रीसोर्स और हेल्थ सर्विसेस पर दिखना शुरू हो गया है। + +बाड़मेर में राजस्थान रिफाइनरी प्रोजेक्ट पर भी तेजी से काम जारी है। इस प्रोजेक्ट पर 70 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का निवेश किया जा रहा है। इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोकेमिकल टेक्नॉलॉजी से पढ़कर निकलने वाले प्रोफेशनल्स के लिए ये प्रोजेक्ट बहुत से नए मौके बनाएगा। राजस्थान में जो सिटी गैस डिस्ट्रिब्यूशन का काम हो रहा है, उसमें भी युवाओं के लिए बहुत संभावनाए हैं। 2014 तक राजस्थान के सिर्फ एक शहर में ही सिटी गैस डिस्ट्रिब्यूशन की मंजूरी थी। आज राजस्थान के 17 जिले सिटी गैस डिस्ट्रिब्यूशन नेटवर्क के लिए अधिकृत किए जा चुके हैं। आने वाले वर्षों में राज्य के हर जिले में पाइप से गैस पहुंचने का नेटवर्क होगा। + diff --git a/pm-speech/111.txt b/pm-speech/111.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..0b3a02019e96aea1ed635302566b0f13c2ba0a40 --- /dev/null +++ b/pm-speech/111.txt @@ -0,0 +1,252 @@ +मेडिकल फील्ड के लोग, जो लोग पिछले डेढ़-दो साल से दिन रात जुटे हुए हैं, अपनी जान की परवाह किए बिना कोरोना से लड़ने में देशवासियों की मदद कर रहे हैं, उन्होंने कल जिस तरह से वैक्सीनेशन का रिकॉर्ड बनाकर दिखाया है, वो बहुत बड़ी बात है। हर किसी ने इसमें बहुत सहयोग किया है। लोगों ने इसे सेवा से जोड़ा। ये उनका करुणा भाव, कर्तव्य भाव ही है जो ढाई करोड़ वैक्सीन डोज लगाई जा सकी। + +ये बहुत चर्चा में नहीं आया लेकिन भारत ने अपने वैक्सीनेशन अभियान में टूरिज्म सेक्टर से जुड़े राज्यों को बहुत प्राथमिकता दी है। प्रारंभ में हमने कहा नहीं क्योंकि इस पर भी राजनीति होने लग जाती है। लेकिन ये बहुत जरूरी था कि हमारे टूरिज्म डेस्टिनेशंस जल्‍द से जल्‍द खुलें। अब उत्तराखंड में भी चार-धाम यात्रा संभव हो पाएगी। और इन सब प्रयासों के बीच, गोवा का 100 percent होना, बहुत खास हो जाता है। + +आने वाले टूरिज्म सीज़न में यहां पहले की ही तरह टूरिस्ट एक्टिविटीज़ हों, देश के -दुनिया के टूरिस्ट यहां आनंद ले सकें, ये हम सभी की कामना है। ये तभी संभव है जब हम कोरोना से जुड़ी सावधानियों पर भी उतना ही ध्यान देंगे, जितना टीकाकरण पर दे रहे हैं। संक्रमण कम हुआ है लेकिन अभी भी इस वायरस को हमें हल्के में नहीं लेना है। safety और hygiene पर यहां जितना फोकस होगा, पर्यटक उतनी ही ज्यादा संख्या में यहां आएंगे। + +आज गोवा सिर्फ कोविड टीकाकरण में अग्रणी नहीं है, बल्कि विकास के अनेक पैमानों में देश के अग्रणी राज्यों में है। गोवा का जो rural और urban क्षेत्र है, पूरी तरह से खुले में शौच से मुक्त हो रहा है। बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं को लेकर भी गोवा में अच्छा काम हो रहा है। गोवा देश का ऐसा राज्य है जहां शत-प्रतिशत बिजलीकरण हो चुका है। हर घर नल से जल के मामले में तो गोवा ने कमाल ही कर दिया है। गोवा के ग्रामीण क्षेत्र में हर घर में नल से जल पहुंचाने का प्रयास प्रशंसनीय है। जल जीवन मिशन के तहत बीते 2 सालों में देश ने अब तक लगभग 5 करोड़ परिवारों को पाइप के पानी की सुविधा से जोड़ा है। जिस प्रकार गोवा ने इस अभियान को आगे बढ़ाया है, वो ‘गुड गवर्नेंस’ और ‘ईज ऑफ लिविंग’ को लेकर गोवा सरकार की प्राथमिकता को भी स्पष्ट करता है। + +सुशासन को लेकर यही प्रतिबद्धता कोरोना काल में गोवा सरकार ने दिखाई है। हर प्रकार की चुनौतियों के बावजूद, केंद्र सरकार ने जो भी मदद गोवा के लिए भेजी, उसको तेज़ी से, बिना किसी भेदभाव के हर लाभार्थी तक पहुंचाने का काम गोवा की टीम ने किया है। हर गरीब, हर किसान, हर मछुआरे साथी तक मदद पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई। महीनों-महीनों से गोवा के गरीब परिवारों को मुफ्त राशन पूरी ईमानदारी के साथ पहुंचाया जा रहा है। मुफ्त गैस सिलेंडर मिलने से गोवा की अनेक बहनों को मुश्किल समय में सहारा मिला है। + +गोवा असीम संभावनाओं का प्रदेश है। गोवा देश का सिर्फ एक राज्य भर नहीं है, बल्कि ब्रांड इंडिया की भी एक सशक्त पहचान है। ये हम सभी का दायित्व है कि गोवा की इस भूमिका को हम विस्तार दें। गोवा में आज जो अच्छा काम हो रहा है, उसमें निरतंरता बहुत आवश्यक है। लंबे समय बाद गोवा को राजनीतिक स्थिरता का, सुशासन का लाभ मिल रहा है। + +मेडिकल फील्ड के लोग, जो लोग पिछले डेढ़-दो साल से दिन रात जुटे हुए हैं, अपनी जान की परवाह किए बिना कोरोना से लड़ने में देशवासियों की मदद कर रहे हैं, उन्होंने कल जिस तरह से वैक्सीनेशन का रिकॉर्ड बनाकर दिखाया है, वो बहुत बड़ी बात है। हर किसी ने इसमें बहुत सहयोग किया है। लोगों ने इसे सेवा से जोड़ा। ये उनका करुणा भाव, कर्तव्य भाव ही है जो ढाई करोड़ वैक्सीन डोज लगाई जा सकी। + +ये बहुत चर्चा में नहीं आया लेकिन भारत ने अपने वैक्सीनेशन अभियान में टूरिज्म सेक्टर से जुड़े राज्यों को बहुत प्राथमिकता दी है। प्रारंभ में हमने कहा नहीं क्योंकि इस पर भी राजनीति होने लग जाती है। लेकिन ये बहुत जरूरी था कि हमारे टूरिज्म डेस्टिनेशंस जल्‍द से जल्‍द खुलें। अब उत्तराखंड में भी चार-धाम यात्रा संभव हो पाएगी। और इन सब प्रयासों के बीच, गोवा का 100 percent होना, बहुत खास हो जाता है। + +आने वाले टूरिज्म सीज़न में यहां पहले की ही तरह टूरिस्ट एक्टिविटीज़ हों, देश के -दुनिया के टूरिस्ट यहां आनंद ले सकें, ये हम सभी की कामना है। ये तभी संभव है जब हम कोरोना से जुड़ी सावधानियों पर भी उतना ही ध्यान देंगे, जितना टीकाकरण पर दे रहे हैं। संक्रमण कम हुआ है लेकिन अभी भी इस वायरस को हमें हल्के में नहीं लेना है। safety और hygiene पर यहां जितना फोकस होगा, पर्यटक उतनी ही ज्यादा संख्या में यहां आएंगे। + +आज गोवा सिर्फ कोविड टीकाकरण में अग्रणी नहीं है, बल्कि विकास के अनेक पैमानों में देश के अग्रणी राज्यों में है। गोवा का जो rural और urban क्षेत्र है, पूरी तरह से खुले में शौच से मुक्त हो रहा है। बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं को लेकर भी गोवा में अच्छा काम हो रहा है। गोवा देश का ऐसा राज्य है जहां शत-प्रतिशत बिजलीकरण हो चुका है। हर घर नल से जल के मामले में तो गोवा ने कमाल ही कर दिया है। गोवा के ग्रामीण क्षेत्र में हर घर में नल से जल पहुंचाने का प्रयास प्रशंसनीय है। जल जीवन मिशन के तहत बीते 2 सालों में देश ने अब तक लगभग 5 करोड़ परिवारों को पाइप के पानी की सुविधा से जोड़ा है। जिस प्रकार गोवा ने इस अभियान को आगे बढ़ाया है, वो ‘गुड गवर्नेंस’ और ‘ईज ऑफ लिविंग’ को लेकर गोवा सरकार की प्राथमिकता को भी स्पष्ट करता है। + +सुशासन को लेकर यही प्रतिबद्धता कोरोना काल में गोवा सरकार ने दिखाई है। हर प्रकार की चुनौतियों के बावजूद, केंद्र सरकार ने जो भी मदद गोवा के लिए भेजी, उसको तेज़ी से, बिना किसी भेदभाव के हर लाभार्थी तक पहुंचाने का काम गोवा की टीम ने किया है। हर गरीब, हर किसान, हर मछुआरे साथी तक मदद पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई। महीनों-महीनों से गोवा के गरीब परिवारों को मुफ्त राशन पूरी ईमानदारी के साथ पहुंचाया जा रहा है। मुफ्त गैस सिलेंडर मिलने से गोवा की अनेक बहनों को मुश्किल समय में सहारा मिला है। + +गोवा असीम संभावनाओं का प्रदेश है। गोवा देश का सिर्फ एक राज्य भर नहीं है, बल्कि ब्रांड इंडिया की भी एक सशक्त पहचान है। ये हम सभी का दायित्व है कि गोवा की इस भूमिका को हम विस्तार दें। गोवा में आज जो अच्छा काम हो रहा है, उसमें निरतंरता बहुत आवश्यक है। लंबे समय बाद गोवा को राजनीतिक स्थिरता का, सुशासन का लाभ मिल रहा है। + +मेडिकल फील्ड के लोग, जो लोग पिछले डेढ़-दो साल से दिन रात जुटे हुए हैं, अपनी जान की परवाह किए बिना कोरोना से लड़ने में देशवासियों की मदद कर रहे हैं, उन्होंने कल जिस तरह से वैक्सीनेशन का रिकॉर्ड बनाकर दिखाया है, वो बहुत बड़ी बात है। हर किसी ने इसमें बहुत सहयोग किया है। लोगों ने इसे सेवा से जोड़ा। ये उनका करुणा भाव, कर्तव्य भाव ही है जो ढाई करोड़ वैक्सीन डोज लगाई जा सकी। + +ये बहुत चर्चा में नहीं आया लेकिन भारत ने अपने वैक्सीनेशन अभियान में टूरिज्म सेक्टर से जुड़े राज्यों को बहुत प्राथमिकता दी है। प्रारंभ में हमने कहा नहीं क्योंकि इस पर भी राजनीति होने लग जाती है। लेकिन ये बहुत जरूरी था कि हमारे टूरिज्म डेस्टिनेशंस जल्‍द से जल्‍द खुलें। अब उत्तराखंड में भी चार-धाम यात्रा संभव हो पाएगी। और इन सब प्रयासों के बीच, गोवा का 100 percent होना, बहुत खास हो जाता है। + +आने वाले टूरिज्म सीज़न में यहां पहले की ही तरह टूरिस्ट एक्टिविटीज़ हों, देश के -दुनिया के टूरिस्ट यहां आनंद ले सकें, ये हम सभी की कामना है। ये तभी संभव है जब हम कोरोना से जुड़ी सावधानियों पर भी उतना ही ध्यान देंगे, जितना टीकाकरण पर दे रहे हैं। संक्रमण कम हुआ है लेकिन अभी भी इस वायरस को हमें हल्के में नहीं लेना है। safety और hygiene पर यहां जितना फोकस होगा, पर्यटक उतनी ही ज्यादा संख्या में यहां आएंगे। + +आज गोवा सिर्फ कोविड टीकाकरण में अग्रणी नहीं है, बल्कि विकास के अनेक पैमानों में देश के अग्रणी राज्यों में है। गोवा का जो rural और urban क्षेत्र है, पूरी तरह से खुले में शौच से मुक्त हो रहा है। बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं को लेकर भी गोवा में अच्छा काम हो रहा है। गोवा देश का ऐसा राज्य है जहां शत-प्रतिशत बिजलीकरण हो चुका है। हर घर नल से जल के मामले में तो गोवा ने कमाल ही कर दिया है। गोवा के ग्रामीण क्षेत्र में हर घर में नल से जल पहुंचाने का प्रयास प्रशंसनीय है। जल जीवन मिशन के तहत बीते 2 सालों में देश ने अब तक लगभग 5 करोड़ परिवारों को पाइप के पानी की सुविधा से जोड़ा है। जिस प्रकार गोवा ने इस अभियान को आगे बढ़ाया है, वो ‘गुड गवर्नेंस’ और ‘ईज ऑफ लिविंग’ को लेकर गोवा सरकार की प्राथमिकता को भी स्पष्ट करता है। + +सुशासन को लेकर यही प्रतिबद्धता कोरोना काल में गोवा सरकार ने दिखाई है। हर प्रकार की चुनौतियों के बावजूद, केंद्र सरकार ने जो भी मदद गोवा के लिए भेजी, उसको तेज़ी से, बिना किसी भेदभाव के हर लाभार्थी तक पहुंचाने का काम गोवा की टीम ने किया है। हर गरीब, हर किसान, हर मछुआरे साथी तक मदद पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई। महीनों-महीनों से गोवा के गरीब परिवारों को मुफ्त राशन पूरी ईमानदारी के साथ पहुंचाया जा रहा है। मुफ्त गैस सिलेंडर मिलने से गोवा की अनेक बहनों को मुश्किल समय में सहारा मिला है। + +गोवा असीम संभावनाओं का प्रदेश है। गोवा देश का सिर्फ एक राज्य भर नहीं है, बल्कि ब्रांड इंडिया की भी एक सशक्त पहचान है। ये हम सभी का दायित्व है कि गोवा की इस भूमिका को हम विस्तार दें। गोवा में आज जो अच्छा काम हो रहा है, उसमें निरतंरता बहुत आवश्यक है। लंबे समय बाद गोवा को राजनीतिक स्थिरता का, सुशासन का लाभ मिल रहा है। + +मेडिकल फील्ड के लोग, जो लोग पिछले डेढ़-दो साल से दिन रात जुटे हुए हैं, अपनी जान की परवाह किए बिना कोरोना से लड़ने में देशवासियों की मदद कर रहे हैं, उन्होंने कल जिस तरह से वैक्सीनेशन का रिकॉर्ड बनाकर दिखाया है, वो बहुत बड़ी बात है। हर किसी ने इसमें बहुत सहयोग किया है। लोगों ने इसे सेवा से जोड़ा। ये उनका करुणा भाव, कर्तव्य भाव ही है जो ढाई करोड़ वैक्सीन डोज लगाई जा सकी। + +ये बहुत चर्चा में नहीं आया लेकिन भारत ने अपने वैक्सीनेशन अभियान में टूरिज्म सेक्टर से जुड़े राज्यों को बहुत प्राथमिकता दी है। प्रारंभ में हमने कहा नहीं क्योंकि इस पर भी राजनीति होने लग जाती है। लेकिन ये बहुत जरूरी था कि हमारे टूरिज्म डेस्टिनेशंस जल्‍द से जल्‍द खुलें। अब उत्तराखंड में भी चार-धाम यात्रा संभव हो पाएगी। और इन सब प्रयासों के बीच, गोवा का 100 percent होना, बहुत खास हो जाता है। + +आने वाले टूरिज्म सीज़न में यहां पहले की ही तरह टूरिस्ट एक्टिविटीज़ हों, देश के -दुनिया के टूरिस्ट यहां आनंद ले सकें, ये हम सभी की कामना है। ये तभी संभव है जब हम कोरोना से जुड़ी सावधानियों पर भी उतना ही ध्यान देंगे, जितना टीकाकरण पर दे रहे हैं। संक्रमण कम हुआ है लेकिन अभी भी इस वायरस को हमें हल्के में नहीं लेना है। safety और hygiene पर यहां जितना फोकस होगा, पर्यटक उतनी ही ज्यादा संख्या में यहां आएंगे। + +आज गोवा सिर्फ कोविड टीकाकरण में अग्रणी नहीं है, बल्कि विकास के अनेक पैमानों में देश के अग्रणी राज्यों में है। गोवा का जो rural और urban क्षेत्र है, पूरी तरह से खुले में शौच से मुक्त हो रहा है। बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं को लेकर भी गोवा में अच्छा काम हो रहा है। गोवा देश का ऐसा राज्य है जहां शत-प्रतिशत बिजलीकरण हो चुका है। हर घर नल से जल के मामले में तो गोवा ने कमाल ही कर दिया है। गोवा के ग्रामीण क्षेत्र में हर घर में नल से जल पहुंचाने का प्रयास प्रशंसनीय है। जल जीवन मिशन के तहत बीते 2 सालों में देश ने अब तक लगभग 5 करोड़ परिवारों को पाइप के पानी की सुविधा से जोड़ा है। जिस प्रकार गोवा ने इस अभियान को आगे बढ़ाया है, वो ‘गुड गवर्नेंस’ और ‘ईज ऑफ लिविंग’ को लेकर गोवा सरकार की प्राथमिकता को भी स्पष्ट करता है। + +सुशासन को लेकर यही प्रतिबद्धता कोरोना काल में गोवा सरकार ने दिखाई है। हर प्रकार की चुनौतियों के बावजूद, केंद्र सरकार ने जो भी मदद गोवा के लिए भेजी, उसको तेज़ी से, बिना किसी भेदभाव के हर लाभार्थी तक पहुंचाने का काम गोवा की टीम ने किया है। हर गरीब, हर किसान, हर मछुआरे साथी तक मदद पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई। महीनों-महीनों से गोवा के गरीब परिवारों को मुफ्त राशन पूरी ईमानदारी के साथ पहुंचाया जा रहा है। मुफ्त गैस सिलेंडर मिलने से गोवा की अनेक बहनों को मुश्किल समय में सहारा मिला है। + +गोवा असीम संभावनाओं का प्रदेश है। गोवा देश का सिर्फ एक राज्य भर नहीं है, बल्कि ब्रांड इंडिया की भी एक सशक्त पहचान है। ये हम सभी का दायित्व है कि गोवा की इस भूमिका को हम विस्तार दें। गोवा में आज जो अच्छा काम हो रहा है, उसमें निरतंरता बहुत आवश्यक है। लंबे समय बाद गोवा को राजनीतिक स्थिरता का, सुशासन का लाभ मिल रहा है। + +मेडिकल फील्ड के लोग, जो लोग पिछले डेढ़-दो साल से दिन रात जुटे हुए हैं, अपनी जान की परवाह किए बिना कोरोना से लड़ने में देशवासियों की मदद कर रहे हैं, उन्होंने कल जिस तरह से वैक्सीनेशन का रिकॉर्ड बनाकर दिखाया है, वो बहुत बड़ी बात है। हर किसी ने इसमें बहुत सहयोग किया है। लोगों ने इसे सेवा से जोड़ा। ये उनका करुणा भाव, कर्तव्य भाव ही है जो ढाई करोड़ वैक्सीन डोज लगाई जा सकी। + +ये बहुत चर्चा में नहीं आया लेकिन भारत ने अपने वैक्सीनेशन अभियान में टूरिज्म सेक्टर से जुड़े राज्यों को बहुत प्राथमिकता दी है। प्रारंभ में हमने कहा नहीं क्योंकि इस पर भी राजनीति होने लग जाती है। लेकिन ये बहुत जरूरी था कि हमारे टूरिज्म डेस्टिनेशंस जल्‍द से जल्‍द खुलें। अब उत्तराखंड में भी चार-धाम यात्रा संभव हो पाएगी। और इन सब प्रयासों के बीच, गोवा का 100 percent होना, बहुत खास हो जाता है। + +आने वाले टूरिज्म सीज़न में यहां पहले की ही तरह टूरिस्ट एक्टिविटीज़ हों, देश के -दुनिया के टूरिस्ट यहां आनंद ले सकें, ये हम सभी की कामना है। ये तभी संभव है जब हम कोरोना से जुड़ी सावधानियों पर भी उतना ही ध्यान देंगे, जितना टीकाकरण पर दे रहे हैं। संक्रमण कम हुआ है लेकिन अभी भी इस वायरस को हमें हल्के में नहीं लेना है। safety और hygiene पर यहां जितना फोकस होगा, पर्यटक उतनी ही ज्यादा संख्या में यहां आएंगे। + +आज गोवा सिर्फ कोविड टीकाकरण में अग्रणी नहीं है, बल्कि विकास के अनेक पैमानों में देश के अग्रणी राज्यों में है। गोवा का जो rural और urban क्षेत्र है, पूरी तरह से खुले में शौच से मुक्त हो रहा है। बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं को लेकर भी गोवा में अच्छा काम हो रहा है। गोवा देश का ऐसा राज्य है जहां शत-प्रतिशत बिजलीकरण हो चुका है। हर घर नल से जल के मामले में तो गोवा ने कमाल ही कर दिया है। गोवा के ग्रामीण क्षेत्र में हर घर में नल से जल पहुंचाने का प्रयास प्रशंसनीय है। जल जीवन मिशन के तहत बीते 2 सालों में देश ने अब तक लगभग 5 करोड़ परिवारों को पाइप के पानी की सुविधा से जोड़ा है। जिस प्रकार गोवा ने इस अभियान को आगे बढ़ाया है, वो ‘गुड गवर्नेंस’ और ‘ईज ऑफ लिविंग’ को लेकर गोवा सरकार की प्राथमिकता को भी स्पष्ट करता है। + +सुशासन को लेकर यही प्रतिबद्धता कोरोना काल में गोवा सरकार ने दिखाई है। हर प्रकार की चुनौतियों के बावजूद, केंद्र सरकार ने जो भी मदद गोवा के लिए भेजी, उसको तेज़ी से, बिना किसी भेदभाव के हर लाभार्थी तक पहुंचाने का काम गोवा की टीम ने किया है। हर गरीब, हर किसान, हर मछुआरे साथी तक मदद पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई। महीनों-महीनों से गोवा के गरीब परिवारों को मुफ्त राशन पूरी ईमानदारी के साथ पहुंचाया जा रहा है। मुफ्त गैस सिलेंडर मिलने से गोवा की अनेक बहनों को मुश्किल समय में सहारा मिला है। + +गोवा असीम संभावनाओं का प्रदेश है। गोवा देश का सिर्फ एक राज्य भर नहीं है, बल्कि ब्रांड इंडिया की भी एक सशक्त पहचान है। ये हम सभी का दायित्व है कि गोवा की इस भूमिका को हम विस्तार दें। गोवा में आज जो अच्छा काम हो रहा है, उसमें निरतंरता बहुत आवश्यक है। लंबे समय बाद गोवा को राजनीतिक स्थिरता का, सुशासन का लाभ मिल रहा है। + +मेडिकल फील्ड के लोग, जो लोग पिछले डेढ़-दो साल से दिन रात जुटे हुए हैं, अपनी जान की परवाह किए बिना कोरोना से लड़ने में देशवासियों की मदद कर रहे हैं, उन्होंने कल जिस तरह से वैक्सीनेशन का रिकॉर्ड बनाकर दिखाया है, वो बहुत बड़ी बात है। हर किसी ने इसमें बहुत सहयोग किया है। लोगों ने इसे सेवा से जोड़ा। ये उनका करुणा भाव, कर्तव्य भाव ही है जो ढाई करोड़ वैक्सीन डोज लगाई जा सकी। + +ये बहुत चर्चा में नहीं आया लेकिन भारत ने अपने वैक्सीनेशन अभियान में टूरिज्म सेक्टर से जुड़े राज्यों को बहुत प्राथमिकता दी है। प्रारंभ में हमने कहा नहीं क्योंकि इस पर भी राजनीति होने लग जाती है। लेकिन ये बहुत जरूरी था कि हमारे टूरिज्म डेस्टिनेशंस जल्‍द से जल्‍द खुलें। अब उत्तराखंड में भी चार-धाम यात्रा संभव हो पाएगी। और इन सब प्रयासों के बीच, गोवा का 100 percent होना, बहुत खास हो जाता है। + +आने वाले टूरिज्म सीज़न में यहां पहले की ही तरह टूरिस्ट एक्टिविटीज़ हों, देश के -दुनिया के टूरिस्ट यहां आनंद ले सकें, ये हम सभी की कामना है। ये तभी संभव है जब हम कोरोना से जुड़ी सावधानियों पर भी उतना ही ध्यान देंगे, जितना टीकाकरण पर दे रहे हैं। संक्रमण कम हुआ है लेकिन अभी भी इस वायरस को हमें हल्के में नहीं लेना है। safety और hygiene पर यहां जितना फोकस होगा, पर्यटक उतनी ही ज्यादा संख्या में यहां आएंगे। + +आज गोवा सिर्फ कोविड टीकाकरण में अग्रणी नहीं है, बल्कि विकास के अनेक पैमानों में देश के अग्रणी राज्यों में है। गोवा का जो rural और urban क्षेत्र है, पूरी तरह से खुले में शौच से मुक्त हो रहा है। बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं को लेकर भी गोवा में अच्छा काम हो रहा है। गोवा देश का ऐसा राज्य है जहां शत-प्रतिशत बिजलीकरण हो चुका है। हर घर नल से जल के मामले में तो गोवा ने कमाल ही कर दिया है। गोवा के ग्रामीण क्षेत्र में हर घर में नल से जल पहुंचाने का प्रयास प्रशंसनीय है। जल जीवन मिशन के तहत बीते 2 सालों में देश ने अब तक लगभग 5 करोड़ परिवारों को पाइप के पानी की सुविधा से जोड़ा है। जिस प्रकार गोवा ने इस अभियान को आगे बढ़ाया है, वो ‘गुड गवर्नेंस’ और ‘ईज ऑफ लिविंग’ को लेकर गोवा सरकार की प्राथमिकता को भी स्पष्ट करता है। + +सुशासन को लेकर यही प्रतिबद्धता कोरोना काल में गोवा सरकार ने दिखाई है। हर प्रकार की चुनौतियों के बावजूद, केंद्र सरकार ने जो भी मदद गोवा के लिए भेजी, उसको तेज़ी से, बिना किसी भेदभाव के हर लाभार्थी तक पहुंचाने का काम गोवा की टीम ने किया है। हर गरीब, हर किसान, हर मछुआरे साथी तक मदद पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई। महीनों-महीनों से गोवा के गरीब परिवारों को मुफ्त राशन पूरी ईमानदारी के साथ पहुंचाया जा रहा है। मुफ्त गैस सिलेंडर मिलने से गोवा की अनेक बहनों को मुश्किल समय में सहारा मिला है। + +गोवा असीम संभावनाओं का प्रदेश है। गोवा देश का सिर्फ एक राज्य भर नहीं है, बल्कि ब्रांड इंडिया की भी एक सशक्त पहचान है। ये हम सभी का दायित्व है कि गोवा की इस भूमिका को हम विस्तार दें। गोवा में आज जो अच्छा काम हो रहा है, उसमें निरतंरता बहुत आवश्यक है। लंबे समय बाद गोवा को राजनीतिक स्थिरता का, सुशासन का लाभ मिल रहा है। + +मेडिकल फील्ड के लोग, जो लोग पिछले डेढ़-दो साल से दिन रात जुटे हुए हैं, अपनी जान की परवाह किए बिना कोरोना से लड़ने में देशवासियों की मदद कर रहे हैं, उन्होंने कल जिस तरह से वैक्सीनेशन का रिकॉर्ड बनाकर दिखाया है, वो बहुत बड़ी बात है। हर किसी ने इसमें बहुत सहयोग किया है। लोगों ने इसे सेवा से जोड़ा। ये उनका करुणा भाव, कर्तव्य भाव ही है जो ढाई करोड़ वैक्सीन डोज लगाई जा सकी। + +ये बहुत चर्चा में नहीं आया लेकिन भारत ने अपने वैक्सीनेशन अभियान में टूरिज्म सेक्टर से जुड़े राज्यों को बहुत प्राथमिकता दी है। प्रारंभ में हमने कहा नहीं क्योंकि इस पर भी राजनीति होने लग जाती है। लेकिन ये बहुत जरूरी था कि हमारे टूरिज्म डेस्टिनेशंस जल्‍द से जल्‍द खुलें। अब उत्तराखंड में भी चार-धाम यात्रा संभव हो पाएगी। और इन सब प्रयासों के बीच, गोवा का 100 percent होना, बहुत खास हो जाता है। + +आने वाले टूरिज्म सीज़न में यहां पहले की ही तरह टूरिस्ट एक्टिविटीज़ हों, देश के -दुनिया के टूरिस्ट यहां आनंद ले सकें, ये हम सभी की कामना है। ये तभी संभव है जब हम कोरोना से जुड़ी सावधानियों पर भी उतना ही ध्यान देंगे, जितना टीकाकरण पर दे रहे हैं। संक्रमण कम हुआ है लेकिन अभी भी इस वायरस को हमें हल्के में नहीं लेना है। safety और hygiene पर यहां जितना फोकस होगा, पर्यटक उतनी ही ज्यादा संख्या में यहां आएंगे। + +आज गोवा सिर्फ कोविड टीकाकरण में अग्रणी नहीं है, बल्कि विकास के अनेक पैमानों में देश के अग्रणी राज्यों में है। गोवा का जो rural और urban क्षेत्र है, पूरी तरह से खुले में शौच से मुक्त हो रहा है। बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं को लेकर भी गोवा में अच्छा काम हो रहा है। गोवा देश का ऐसा राज्य है जहां शत-प्रतिशत बिजलीकरण हो चुका है। हर घर नल से जल के मामले में तो गोवा ने कमाल ही कर दिया है। गोवा के ग्रामीण क्षेत्र में हर घर में नल से जल पहुंचाने का प्रयास प्रशंसनीय है। जल जीवन मिशन के तहत बीते 2 सालों में देश ने अब तक लगभग 5 करोड़ परिवारों को पाइप के पानी की सुविधा से जोड़ा है। जिस प्रकार गोवा ने इस अभियान को आगे बढ़ाया है, वो ‘गुड गवर्नेंस’ और ‘ईज ऑफ लिविंग’ को लेकर गोवा सरकार की प्राथमिकता को भी स्पष्ट करता है। + +सुशासन को लेकर यही प्रतिबद्धता कोरोना काल में गोवा सरकार ने दिखाई है। हर प्रकार की चुनौतियों के बावजूद, केंद्र सरकार ने जो भी मदद गोवा के लिए भेजी, उसको तेज़ी से, बिना किसी भेदभाव के हर लाभार्थी तक पहुंचाने का काम गोवा की टीम ने किया है। हर गरीब, हर किसान, हर मछुआरे साथी तक मदद पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई। महीनों-महीनों से गोवा के गरीब परिवारों को मुफ्त राशन पूरी ईमानदारी के साथ पहुंचाया जा रहा है। मुफ्त गैस सिलेंडर मिलने से गोवा की अनेक बहनों को मुश्किल समय में सहारा मिला है। + +गोवा असीम संभावनाओं का प्रदेश है। गोवा देश का सिर्फ एक राज्य भर नहीं है, बल्कि ब्रांड इंडिया की भी एक सशक्त पहचान है। ये हम सभी का दायित्व है कि गोवा की इस भूमिका को हम विस्तार दें। गोवा में आज जो अच्छा काम हो रहा है, उसमें निरतंरता बहुत आवश्यक है। लंबे समय बाद गोवा को राजनीतिक स्थिरता का, सुशासन का लाभ मिल रहा है। + +मेडिकल फील्ड के लोग, जो लोग पिछले डेढ़-दो साल से दिन रात जुटे हुए हैं, अपनी जान की परवाह किए बिना कोरोना से लड़ने में देशवासियों की मदद कर रहे हैं, उन्होंने कल जिस तरह से वैक्सीनेशन का रिकॉर्ड बनाकर दिखाया है, वो बहुत बड़ी बात है। हर किसी ने इसमें बहुत सहयोग किया है। लोगों ने इसे सेवा से जोड़ा। ये उनका करुणा भाव, कर्तव्य भाव ही है जो ढाई करोड़ वैक्सीन डोज लगाई जा सकी। + +ये बहुत चर्चा में नहीं आया लेकिन भारत ने अपने वैक्सीनेशन अभियान में टूरिज्म सेक्टर से जुड़े राज्यों को बहुत प्राथमिकता दी है। प्रारंभ में हमने कहा नहीं क्योंकि इस पर भी राजनीति होने लग जाती है। लेकिन ये बहुत जरूरी था कि हमारे टूरिज्म डेस्टिनेशंस जल्‍द से जल्‍द खुलें। अब उत्तराखंड में भी चार-धाम यात्रा संभव हो पाएगी। और इन सब प्रयासों के बीच, गोवा का 100 percent होना, बहुत खास हो जाता है। + +आने वाले टूरिज्म सीज़न में यहां पहले की ही तरह टूरिस्ट एक्टिविटीज़ हों, देश के -दुनिया के टूरिस्ट यहां आनंद ले सकें, ये हम सभी की कामना है। ये तभी संभव है जब हम कोरोना से जुड़ी सावधानियों पर भी उतना ही ध्यान देंगे, जितना टीकाकरण पर दे रहे हैं। संक्रमण कम हुआ है लेकिन अभी भी इस वायरस को हमें हल्के में नहीं लेना है। safety और hygiene पर यहां जितना फोकस होगा, पर्यटक उतनी ही ज्यादा संख्या में यहां आएंगे। + +आज गोवा सिर्फ कोविड टीकाकरण में अग्रणी नहीं है, बल्कि विकास के अनेक पैमानों में देश के अग्रणी राज्यों में है। गोवा का जो rural और urban क्षेत्र है, पूरी तरह से खुले में शौच से मुक्त हो रहा है। बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं को लेकर भी गोवा में अच्छा काम हो रहा है। गोवा देश का ऐसा राज्य है जहां शत-प्रतिशत बिजलीकरण हो चुका है। हर घर नल से जल के मामले में तो गोवा ने कमाल ही कर दिया है। गोवा के ग्रामीण क्षेत्र में हर घर में नल से जल पहुंचाने का प्रयास प्रशंसनीय है। जल जीवन मिशन के तहत बीते 2 सालों में देश ने अब तक लगभग 5 करोड़ परिवारों को पाइप के पानी की सुविधा से जोड़ा है। जिस प्रकार गोवा ने इस अभियान को आगे बढ़ाया है, वो ‘गुड गवर्नेंस’ और ‘ईज ऑफ लिविंग’ को लेकर गोवा सरकार की प्राथमिकता को भी स्पष्ट करता है। + +सुशासन को लेकर यही प्रतिबद्धता कोरोना काल में गोवा सरकार ने दिखाई है। हर प्रकार की चुनौतियों के बावजूद, केंद्र सरकार ने जो भी मदद गोवा के लिए भेजी, उसको तेज़ी से, बिना किसी भेदभाव के हर लाभार्थी तक पहुंचाने का काम गोवा की टीम ने किया है। हर गरीब, हर किसान, हर मछुआरे साथी तक मदद पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई। महीनों-महीनों से गोवा के गरीब परिवारों को मुफ्त राशन पूरी ईमानदारी के साथ पहुंचाया जा रहा है। मुफ्त गैस सिलेंडर मिलने से गोवा की अनेक बहनों को मुश्किल समय में सहारा मिला है। + +गोवा असीम संभावनाओं का प्रदेश है। गोवा देश का सिर्फ एक राज्य भर नहीं है, बल्कि ब्रांड इंडिया की भी एक सशक्त पहचान है। ये हम सभी का दायित्व है कि गोवा की इस भूमिका को हम विस्तार दें। गोवा में आज जो अच्छा काम हो रहा है, उसमें निरतंरता बहुत आवश्यक है। लंबे समय बाद गोवा को राजनीतिक स्थिरता का, सुशासन का लाभ मिल रहा है। + +मेडिकल फील्ड के लोग, जो लोग पिछले डेढ़-दो साल से दिन रात जुटे हुए हैं, अपनी जान की परवाह किए बिना कोरोना से लड़ने में देशवासियों की मदद कर रहे हैं, उन्होंने कल जिस तरह से वैक्सीनेशन का रिकॉर्ड बनाकर दिखाया है, वो बहुत बड़ी बात है। हर किसी ने इसमें बहुत सहयोग किया है। लोगों ने इसे सेवा से जोड़ा। ये उनका करुणा भाव, कर्तव्य भाव ही है जो ढाई करोड़ वैक्सीन डोज लगाई जा सकी। + +ये बहुत चर्चा में नहीं आया लेकिन भारत ने अपने वैक्सीनेशन अभियान में टूरिज्म सेक्टर से जुड़े राज्यों को बहुत प्राथमिकता दी है। प्रारंभ में हमने कहा नहीं क्योंकि इस पर भी राजनीति होने लग जाती है। लेकिन ये बहुत जरूरी था कि हमारे टूरिज्म डेस्टिनेशंस जल्‍द से जल्‍द खुलें। अब उत्तराखंड में भी चार-धाम यात्रा संभव हो पाएगी। और इन सब प्रयासों के बीच, गोवा का 100 percent होना, बहुत खास हो जाता है। + +आने वाले टूरिज्म सीज़न में यहां पहले की ही तरह टूरिस्ट एक्टिविटीज़ हों, देश के -दुनिया के टूरिस्ट यहां आनंद ले सकें, ये हम सभी की कामना है। ये तभी संभव है जब हम कोरोना से जुड़ी सावधानियों पर भी उतना ही ध्यान देंगे, जितना टीकाकरण पर दे रहे हैं। संक्रमण कम हुआ है लेकिन अभी भी इस वायरस को हमें हल्के में नहीं लेना है। safety और hygiene पर यहां जितना फोकस होगा, पर्यटक उतनी ही ज्यादा संख्या में यहां आएंगे। + +आज गोवा सिर्फ कोविड टीकाकरण में अग्रणी नहीं है, बल्कि विकास के अनेक पैमानों में देश के अग्रणी राज्यों में है। गोवा का जो rural और urban क्षेत्र है, पूरी तरह से खुले में शौच से मुक्त हो रहा है। बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं को लेकर भी गोवा में अच्छा काम हो रहा है। गोवा देश का ऐसा राज्य है जहां शत-प्रतिशत बिजलीकरण हो चुका है। हर घर नल से जल के मामले में तो गोवा ने कमाल ही कर दिया है। गोवा के ग्रामीण क्षेत्र में हर घर में नल से जल पहुंचाने का प्रयास प्रशंसनीय है। जल जीवन मिशन के तहत बीते 2 सालों में देश ने अब तक लगभग 5 करोड़ परिवारों को पाइप के पानी की सुविधा से जोड़ा है। जिस प्रकार गोवा ने इस अभियान को आगे बढ़ाया है, वो ‘गुड गवर्नेंस’ और ‘ईज ऑफ लिविंग’ को लेकर गोवा सरकार की प्राथमिकता को भी स्पष्ट करता है। + +सुशासन को लेकर यही प्रतिबद्धता कोरोना काल में गोवा सरकार ने दिखाई है। हर प्रकार की चुनौतियों के बावजूद, केंद्र सरकार ने जो भी मदद गोवा के लिए भेजी, उसको तेज़ी से, बिना किसी भेदभाव के हर लाभार्थी तक पहुंचाने का काम गोवा की टीम ने किया है। हर गरीब, हर किसान, हर मछुआरे साथी तक मदद पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई। महीनों-महीनों से गोवा के गरीब परिवारों को मुफ्त राशन पूरी ईमानदारी के साथ पहुंचाया जा रहा है। मुफ्त गैस सिलेंडर मिलने से गोवा की अनेक बहनों को मुश्किल समय में सहारा मिला है। + +गोवा असीम संभावनाओं का प्रदेश है। गोवा देश का सिर्फ एक राज्य भर नहीं है, बल्कि ब्रांड इंडिया की भी एक सशक्त पहचान है। ये हम सभी का दायित्व है कि गोवा की इस भूमिका को हम विस्तार दें। गोवा में आज जो अच्छा काम हो रहा है, उसमें निरतंरता बहुत आवश्यक है। लंबे समय बाद गोवा को राजनीतिक स्थिरता का, सुशासन का लाभ मिल रहा है। + +मेडिकल फील्ड के लोग, जो लोग पिछले डेढ़-दो साल से दिन रात जुटे हुए हैं, अपनी जान की परवाह किए बिना कोरोना से लड़ने में देशवासियों की मदद कर रहे हैं, उन्होंने कल जिस तरह से वैक्सीनेशन का रिकॉर्ड बनाकर दिखाया है, वो बहुत बड़ी बात है। हर किसी ने इसमें बहुत सहयोग किया है। लोगों ने इसे सेवा से जोड़ा। ये उनका करुणा भाव, कर्तव्य भाव ही है जो ढाई करोड़ वैक्सीन डोज लगाई जा सकी। + +ये बहुत चर्चा में नहीं आया लेकिन भारत ने अपने वैक्सीनेशन अभियान में टूरिज्म सेक्टर से जुड़े राज्यों को बहुत प्राथमिकता दी है। प्रारंभ में हमने कहा नहीं क्योंकि इस पर भी राजनीति होने लग जाती है। लेकिन ये बहुत जरूरी था कि हमारे टूरिज्म डेस्टिनेशंस जल्‍द से जल्‍द खुलें। अब उत्तराखंड में भी चार-धाम यात्रा संभव हो पाएगी। और इन सब प्रयासों के बीच, गोवा का 100 percent होना, बहुत खास हो जाता है। + +आने वाले टूरिज्म सीज़न में यहां पहले की ही तरह टूरिस्ट एक्टिविटीज़ हों, देश के -दुनिया के टूरिस्ट यहां आनंद ले सकें, ये हम सभी की कामना है। ये तभी संभव है जब हम कोरोना से जुड़ी सावधानियों पर भी उतना ही ध्यान देंगे, जितना टीकाकरण पर दे रहे हैं। संक्रमण कम हुआ है लेकिन अभी भी इस वायरस को हमें हल्के में नहीं लेना है। safety और hygiene पर यहां जितना फोकस होगा, पर्यटक उतनी ही ज्यादा संख्या में यहां आएंगे। + +आज गोवा सिर्फ कोविड टीकाकरण में अग्रणी नहीं है, बल्कि विकास के अनेक पैमानों में देश के अग्रणी राज्यों में है। गोवा का जो rural और urban क्षेत्र है, पूरी तरह से खुले में शौच से मुक्त हो रहा है। बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं को लेकर भी गोवा में अच्छा काम हो रहा है। गोवा देश का ऐसा राज्य है जहां शत-प्रतिशत बिजलीकरण हो चुका है। हर घर नल से जल के मामले में तो गोवा ने कमाल ही कर दिया है। गोवा के ग्रामीण क्षेत्र में हर घर में नल से जल पहुंचाने का प्रयास प्रशंसनीय है। जल जीवन मिशन के तहत बीते 2 सालों में देश ने अब तक लगभग 5 करोड़ परिवारों को पाइप के पानी की सुविधा से जोड़ा है। जिस प्रकार गोवा ने इस अभियान को आगे बढ़ाया है, वो ‘गुड गवर्नेंस’ और ‘ईज ऑफ लिविंग’ को लेकर गोवा सरकार की प्राथमिकता को भी स्पष्ट करता है। + +सुशासन को लेकर यही प्रतिबद्धता कोरोना काल में गोवा सरकार ने दिखाई है। हर प्रकार की चुनौतियों के बावजूद, केंद्र सरकार ने जो भी मदद गोवा के लिए भेजी, उसको तेज़ी से, बिना किसी भेदभाव के हर लाभार्थी तक पहुंचाने का काम गोवा की टीम ने किया है। हर गरीब, हर किसान, हर मछुआरे साथी तक मदद पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई। महीनों-महीनों से गोवा के गरीब परिवारों को मुफ्त राशन पूरी ईमानदारी के साथ पहुंचाया जा रहा है। मुफ्त गैस सिलेंडर मिलने से गोवा की अनेक बहनों को मुश्किल समय में सहारा मिला है। + +गोवा असीम संभावनाओं का प्रदेश है। गोवा देश का सिर्फ एक राज्य भर नहीं है, बल्कि ब्रांड इंडिया की भी एक सशक्त पहचान है। ये हम सभी का दायित्व है कि गोवा की इस भूमिका को हम विस्तार दें। गोवा में आज जो अच्छा काम हो रहा है, उसमें निरतंरता बहुत आवश्यक है। लंबे समय बाद गोवा को राजनीतिक स्थिरता का, सुशासन का लाभ मिल रहा है। + +मेडिकल फील्ड के लोग, जो लोग पिछले डेढ़-दो साल से दिन रात जुटे हुए हैं, अपनी जान की परवाह किए बिना कोरोना से लड़ने में देशवासियों की मदद कर रहे हैं, उन्होंने कल जिस तरह से वैक्सीनेशन का रिकॉर्ड बनाकर दिखाया है, वो बहुत बड़ी बात है। हर किसी ने इसमें बहुत सहयोग किया है। लोगों ने इसे सेवा से जोड़ा। ये उनका करुणा भाव, कर्तव्य भाव ही है जो ढाई करोड़ वैक्सीन डोज लगाई जा सकी। + +ये बहुत चर्चा में नहीं आया लेकिन भारत ने अपने वैक्सीनेशन अभियान में टूरिज्म सेक्टर से जुड़े राज्यों को बहुत प्राथमिकता दी है। प्रारंभ में हमने कहा नहीं क्योंकि इस पर भी राजनीति होने लग जाती है। लेकिन ये बहुत जरूरी था कि हमारे टूरिज्म डेस्टिनेशंस जल्‍द से जल्‍द खुलें। अब उत्तराखंड में भी चार-धाम यात्रा संभव हो पाएगी। और इन सब प्रयासों के बीच, गोवा का 100 percent होना, बहुत खास हो जाता है। + +आने वाले टूरिज्म सीज़न में यहां पहले की ही तरह टूरिस्ट एक्टिविटीज़ हों, देश के -दुनिया के टूरिस्ट यहां आनंद ले सकें, ये हम सभी की कामना है। ये तभी संभव है जब हम कोरोना से जुड़ी सावधानियों पर भी उतना ही ध्यान देंगे, जितना टीकाकरण पर दे रहे हैं। संक्रमण कम हुआ है लेकिन अभी भी इस वायरस को हमें हल्के में नहीं लेना है। safety और hygiene पर यहां जितना फोकस होगा, पर्यटक उतनी ही ज्यादा संख्या में यहां आएंगे। + +आज गोवा सिर्फ कोविड टीकाकरण में अग्रणी नहीं है, बल्कि विकास के अनेक पैमानों में देश के अग्रणी राज्यों में है। गोवा का जो rural और urban क्षेत्र है, पूरी तरह से खुले में शौच से मुक्त हो रहा है। बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं को लेकर भी गोवा में अच्छा काम हो रहा है। गोवा देश का ऐसा राज्य है जहां शत-प्रतिशत बिजलीकरण हो चुका है। हर घर नल से जल के मामले में तो गोवा ने कमाल ही कर दिया है। गोवा के ग्रामीण क्षेत्र में हर घर में नल से जल पहुंचाने का प्रयास प्रशंसनीय है। जल जीवन मिशन के तहत बीते 2 सालों में देश ने अब तक लगभग 5 करोड़ परिवारों को पाइप के पानी की सुविधा से जोड़ा है। जिस प्रकार गोवा ने इस अभियान को आगे बढ़ाया है, वो ‘गुड गवर्नेंस’ और ‘ईज ऑफ लिविंग’ को लेकर गोवा सरकार की प्राथमिकता को भी स्पष्ट करता है। + +सुशासन को लेकर यही प्रतिबद्धता कोरोना काल में गोवा सरकार ने दिखाई है। हर प्रकार की चुनौतियों के बावजूद, केंद्र सरकार ने जो भी मदद गोवा के लिए भेजी, उसको तेज़ी से, बिना किसी भेदभाव के हर लाभार्थी तक पहुंचाने का काम गोवा की टीम ने किया है। हर गरीब, हर किसान, हर मछुआरे साथी तक मदद पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई। महीनों-महीनों से गोवा के गरीब परिवारों को मुफ्त राशन पूरी ईमानदारी के साथ पहुंचाया जा रहा है। मुफ्त गैस सिलेंडर मिलने से गोवा की अनेक बहनों को मुश्किल समय में सहारा मिला है। + +गोवा असीम संभावनाओं का प्रदेश है। गोवा देश का सिर्फ एक राज्य भर नहीं है, बल्कि ब्रांड इंडिया की भी एक सशक्त पहचान है। ये हम सभी का दायित्व है कि गोवा की इस भूमिका को हम विस्तार दें। गोवा में आज जो अच्छा काम हो रहा है, उसमें निरतंरता बहुत आवश्यक है। लंबे समय बाद गोवा को राजनीतिक स्थिरता का, सुशासन का लाभ मिल रहा है। + +मेडिकल फील्ड के लोग, जो लोग पिछले डेढ़-दो साल से दिन रात जुटे हुए हैं, अपनी जान की परवाह किए बिना कोरोना से लड़ने में देशवासियों की मदद कर रहे हैं, उन्होंने कल जिस तरह से वैक्सीनेशन का रिकॉर्ड बनाकर दिखाया है, वो बहुत बड़ी बात है। हर किसी ने इसमें बहुत सहयोग किया है। लोगों ने इसे सेवा से जोड़ा। ये उनका करुणा भाव, कर्तव्य भाव ही है जो ढाई करोड़ वैक्सीन डोज लगाई जा सकी। + +ये बहुत चर्चा में नहीं आया लेकिन भारत ने अपने वैक्सीनेशन अभियान में टूरिज्म सेक्टर से जुड़े राज्यों को बहुत प्राथमिकता दी है। प्रारंभ में हमने कहा नहीं क्योंकि इस पर भी राजनीति होने लग जाती है। लेकिन ये बहुत जरूरी था कि हमारे टूरिज्म डेस्टिनेशंस जल्‍द से जल्‍द खुलें। अब उत्तराखंड में भी चार-धाम यात्रा संभव हो पाएगी। और इन सब प्रयासों के बीच, गोवा का 100 percent होना, बहुत खास हो जाता है। + +आने वाले टूरिज्म सीज़न में यहां पहले की ही तरह टूरिस्ट एक्टिविटीज़ हों, देश के -दुनिया के टूरिस्ट यहां आनंद ले सकें, ये हम सभी की कामना है। ये तभी संभव है जब हम कोरोना से जुड़ी सावधानियों पर भी उतना ही ध्यान देंगे, जितना टीकाकरण पर दे रहे हैं। संक्रमण कम हुआ है लेकिन अभी भी इस वायरस को हमें हल्के में नहीं लेना है। safety और hygiene पर यहां जितना फोकस होगा, पर्यटक उतनी ही ज्यादा संख्या में यहां आएंगे। + +आज गोवा सिर्फ कोविड टीकाकरण में अग्रणी नहीं है, बल्कि विकास के अनेक पैमानों में देश के अग्रणी राज्यों में है। गोवा का जो rural और urban क्षेत्र है, पूरी तरह से खुले में शौच से मुक्त हो रहा है। बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं को लेकर भी गोवा में अच्छा काम हो रहा है। गोवा देश का ऐसा राज्य है जहां शत-प्रतिशत बिजलीकरण हो चुका है। हर घर नल से जल के मामले में तो गोवा ने कमाल ही कर दिया है। गोवा के ग्रामीण क्षेत्र में हर घर में नल से जल पहुंचाने का प्रयास प्रशंसनीय है। जल जीवन मिशन के तहत बीते 2 सालों में देश ने अब तक लगभग 5 करोड़ परिवारों को पाइप के पानी की सुविधा से जोड़ा है। जिस प्रकार गोवा ने इस अभियान को आगे बढ़ाया है, वो ‘गुड गवर्नेंस’ और ‘ईज ऑफ लिविंग’ को लेकर गोवा सरकार की प्राथमिकता को भी स्पष्ट करता है। + +सुशासन को लेकर यही प्रतिबद्धता कोरोना काल में गोवा सरकार ने दिखाई है। हर प्रकार की चुनौतियों के बावजूद, केंद्र सरकार ने जो भी मदद गोवा के लिए भेजी, उसको तेज़ी से, बिना किसी भेदभाव के हर लाभार्थी तक पहुंचाने का काम गोवा की टीम ने किया है। हर गरीब, हर किसान, हर मछुआरे साथी तक मदद पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई। महीनों-महीनों से गोवा के गरीब परिवारों को मुफ्त राशन पूरी ईमानदारी के साथ पहुंचाया जा रहा है। मुफ्त गैस सिलेंडर मिलने से गोवा की अनेक बहनों को मुश्किल समय में सहारा मिला है। + +गोवा असीम संभावनाओं का प्रदेश है। गोवा देश का सिर्फ एक राज्य भर नहीं है, बल्कि ब्रांड इंडिया की भी एक सशक्त पहचान है। ये हम सभी का दायित्व है कि गोवा की इस भूमिका को हम विस्तार दें। गोवा में आज जो अच्छा काम हो रहा है, उसमें निरतंरता बहुत आवश्यक है। लंबे समय बाद गोवा को राजनीतिक स्थिरता का, सुशासन का लाभ मिल रहा है। + +मेडिकल फील्ड के लोग, जो लोग पिछले डेढ़-दो साल से दिन रात जुटे हुए हैं, अपनी जान की परवाह किए बिना कोरोना से लड़ने में देशवासियों की मदद कर रहे हैं, उन्होंने कल जिस तरह से वैक्सीनेशन का रिकॉर्ड बनाकर दिखाया है, वो बहुत बड़ी बात है। हर किसी ने इसमें बहुत सहयोग किया है। लोगों ने इसे सेवा से जोड़ा। ये उनका करुणा भाव, कर्तव्य भाव ही है जो ढाई करोड़ वैक्सीन डोज लगाई जा सकी। + +ये बहुत चर्चा में नहीं आया लेकिन भारत ने अपने वैक्सीनेशन अभियान में टूरिज्म सेक्टर से जुड़े राज्यों को बहुत प्राथमिकता दी है। प्रारंभ में हमने कहा नहीं क्योंकि इस पर भी राजनीति होने लग जाती है। लेकिन ये बहुत जरूरी था कि हमारे टूरिज्म डेस्टिनेशंस जल्‍द से जल्‍द खुलें। अब उत्तराखंड में भी चार-धाम यात्रा संभव हो पाएगी। और इन सब प्रयासों के बीच, गोवा का 100 percent होना, बहुत खास हो जाता है। + +आने वाले टूरिज्म सीज़न में यहां पहले की ही तरह टूरिस्ट एक्टिविटीज़ हों, देश के -दुनिया के टूरिस्ट यहां आनंद ले सकें, ये हम सभी की कामना है। ये तभी संभव है जब हम कोरोना से जुड़ी सावधानियों पर भी उतना ही ध्यान देंगे, जितना टीकाकरण पर दे रहे हैं। संक्रमण कम हुआ है लेकिन अभी भी इस वायरस को हमें हल्के में नहीं लेना है। safety और hygiene पर यहां जितना फोकस होगा, पर्यटक उतनी ही ज्यादा संख्या में यहां आएंगे। + +आज गोवा सिर्फ कोविड टीकाकरण में अग्रणी नहीं है, बल्कि विकास के अनेक पैमानों में देश के अग्रणी राज्यों में है। गोवा का जो rural और urban क्षेत्र है, पूरी तरह से खुले में शौच से मुक्त हो रहा है। बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं को लेकर भी गोवा में अच्छा काम हो रहा है। गोवा देश का ऐसा राज्य है जहां शत-प्रतिशत बिजलीकरण हो चुका है। हर घर नल से जल के मामले में तो गोवा ने कमाल ही कर दिया है। गोवा के ग्रामीण क्षेत्र में हर घर में नल से जल पहुंचाने का प्रयास प्रशंसनीय है। जल जीवन मिशन के तहत बीते 2 सालों में देश ने अब तक लगभग 5 करोड़ परिवारों को पाइप के पानी की सुविधा से जोड़ा है। जिस प्रकार गोवा ने इस अभियान को आगे बढ़ाया है, वो ‘गुड गवर्नेंस’ और ‘ईज ऑफ लिविंग’ को लेकर गोवा सरकार की प्राथमिकता को भी स्पष्ट करता है। + +सुशासन को लेकर यही प्रतिबद्धता कोरोना काल में गोवा सरकार ने दिखाई है। हर प्रकार की चुनौतियों के बावजूद, केंद्र सरकार ने जो भी मदद गोवा के लिए भेजी, उसको तेज़ी से, बिना किसी भेदभाव के हर लाभार्थी तक पहुंचाने का काम गोवा की टीम ने किया है। हर गरीब, हर किसान, हर मछुआरे साथी तक मदद पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई। महीनों-महीनों से गोवा के गरीब परिवारों को मुफ्त राशन पूरी ईमानदारी के साथ पहुंचाया जा रहा है। मुफ्त गैस सिलेंडर मिलने से गोवा की अनेक बहनों को मुश्किल समय में सहारा मिला है। + +गोवा असीम संभावनाओं का प्रदेश है। गोवा देश का सिर्फ एक राज्य भर नहीं है, बल्कि ब्रांड इंडिया की भी एक सशक्त पहचान है। ये हम सभी का दायित्व है कि गोवा की इस भूमिका को हम विस्तार दें। गोवा में आज जो अच्छा काम हो रहा है, उसमें निरतंरता बहुत आवश्यक है। लंबे समय बाद गोवा को राजनीतिक स्थिरता का, सुशासन का लाभ मिल रहा है। + +मेडिकल फील्ड के लोग, जो लोग पिछले डेढ़-दो साल से दिन रात जुटे हुए हैं, अपनी जान की परवाह किए बिना कोरोना से लड़ने में देशवासियों की मदद कर रहे हैं, उन्होंने कल जिस तरह से वैक्सीनेशन का रिकॉर्ड बनाकर दिखाया है, वो बहुत बड़ी बात है। हर किसी ने इसमें बहुत सहयोग किया है। लोगों ने इसे सेवा से जोड़ा। ये उनका करुणा भाव, कर्तव्य भाव ही है जो ढाई करोड़ वैक्सीन डोज लगाई जा सकी। + +ये बहुत चर्चा में नहीं आया लेकिन भारत ने अपने वैक्सीनेशन अभियान में टूरिज्म सेक्टर से जुड़े राज्यों को बहुत प्राथमिकता दी है। प्रारंभ में हमने कहा नहीं क्योंकि इस पर भी राजनीति होने लग जाती है। लेकिन ये बहुत जरूरी था कि हमारे टूरिज्म डेस्टिनेशंस जल्‍द से जल्‍द खुलें। अब उत्तराखंड में भी चार-धाम यात्रा संभव हो पाएगी। और इन सब प्रयासों के बीच, गोवा का 100 percent होना, बहुत खास हो जाता है। + +आने वाले टूरिज्म सीज़न में यहां पहले की ही तरह टूरिस्ट एक्टिविटीज़ हों, देश के -दुनिया के टूरिस्ट यहां आनंद ले सकें, ये हम सभी की कामना है। ये तभी संभव है जब हम कोरोना से जुड़ी सावधानियों पर भी उतना ही ध्यान देंगे, जितना टीकाकरण पर दे रहे हैं। संक्रमण कम हुआ है लेकिन अभी भी इस वायरस को हमें हल्के में नहीं लेना है। safety और hygiene पर यहां जितना फोकस होगा, पर्यटक उतनी ही ज्यादा संख्या में यहां आएंगे। + +आज गोवा सिर्फ कोविड टीकाकरण में अग्रणी नहीं है, बल्कि विकास के अनेक पैमानों में देश के अग्रणी राज्यों में है। गोवा का जो rural और urban क्षेत्र है, पूरी तरह से खुले में शौच से मुक्त हो रहा है। बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं को लेकर भी गोवा में अच्छा काम हो रहा है। गोवा देश का ऐसा राज्य है जहां शत-प्रतिशत बिजलीकरण हो चुका है। हर घर नल से जल के मामले में तो गोवा ने कमाल ही कर दिया है। गोवा के ग्रामीण क्षेत्र में हर घर में नल से जल पहुंचाने का प्रयास प्रशंसनीय है। जल जीवन मिशन के तहत बीते 2 सालों में देश ने अब तक लगभग 5 करोड़ परिवारों को पाइप के पानी की सुविधा से जोड़ा है। जिस प्रकार गोवा ने इस अभियान को आगे बढ़ाया है, वो ‘गुड गवर्नेंस’ और ‘ईज ऑफ लिविंग’ को लेकर गोवा सरकार की प्राथमिकता को भी स्पष्ट करता है। + +सुशासन को लेकर यही प्रतिबद्धता कोरोना काल में गोवा सरकार ने दिखाई है। हर प्रकार की चुनौतियों के बावजूद, केंद्र सरकार ने जो भी मदद गोवा के लिए भेजी, उसको तेज़ी से, बिना किसी भेदभाव के हर लाभार्थी तक पहुंचाने का काम गोवा की टीम ने किया है। हर गरीब, हर किसान, हर मछुआरे साथी तक मदद पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई। महीनों-महीनों से गोवा के गरीब परिवारों को मुफ्त राशन पूरी ईमानदारी के साथ पहुंचाया जा रहा है। मुफ्त गैस सिलेंडर मिलने से गोवा की अनेक बहनों को मुश्किल समय में सहारा मिला है। + +गोवा असीम संभावनाओं का प्रदेश है। गोवा देश का सिर्फ एक राज्य भर नहीं है, बल्कि ब्रांड इंडिया की भी एक सशक्त पहचान है। ये हम सभी का दायित्व है कि गोवा की इस भूमिका को हम विस्तार दें। गोवा में आज जो अच्छा काम हो रहा है, उसमें निरतंरता बहुत आवश्यक है। लंबे समय बाद गोवा को राजनीतिक स्थिरता का, सुशासन का लाभ मिल रहा है। + +ये बहुत चर्चा में नहीं आया लेकिन भारत ने अपने वैक्सीनेशन अभियान में टूरिज्म सेक्टर से जुड़े राज्यों को बहुत प्राथमिकता दी है। प्रारंभ में हमने कहा नहीं क्योंकि इस पर भी राजनीति होने लग जाती है। लेकिन ये बहुत जरूरी था कि हमारे टूरिज्म डेस्टिनेशंस जल्‍द से जल्‍द खुलें। अब उत्तराखंड में भी चार-धाम यात्रा संभव हो पाएगी। और इन सब प्रयासों के बीच, गोवा का 100 percent होना, बहुत खास हो जाता है। + +आने वाले टूरिज्म सीज़न में यहां पहले की ही तरह टूरिस्ट एक्टिविटीज़ हों, देश के -दुनिया के टूरिस्ट यहां आनंद ले सकें, ये हम सभी की कामना है। ये तभी संभव है जब हम कोरोना से जुड़ी सावधानियों पर भी उतना ही ध्यान देंगे, जितना टीकाकरण पर दे रहे हैं। संक्रमण कम हुआ है लेकिन अभी भी इस वायरस को हमें हल्के में नहीं लेना है। safety और hygiene पर यहां जितना फोकस होगा, पर्यटक उतनी ही ज्यादा संख्या में यहां आएंगे। + +आज गोवा सिर्फ कोविड टीकाकरण में अग्रणी नहीं है, बल्कि विकास के अनेक पैमानों में देश के अग्रणी राज्यों में है। गोवा का जो rural और urban क्षेत्र है, पूरी तरह से खुले में शौच से मुक्त हो रहा है। बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं को लेकर भी गोवा में अच्छा काम हो रहा है। गोवा देश का ऐसा राज्य है जहां शत-प्रतिशत बिजलीकरण हो चुका है। हर घर नल से जल के मामले में तो गोवा ने कमाल ही कर दिया है। गोवा के ग्रामीण क्षेत्र में हर घर में नल से जल पहुंचाने का प्रयास प्रशंसनीय है। जल जीवन मिशन के तहत बीते 2 सालों में देश ने अब तक लगभग 5 करोड़ परिवारों को पाइप के पानी की सुविधा से जोड़ा है। जिस प्रकार गोवा ने इस अभियान को आगे बढ़ाया है, वो ‘गुड गवर्नेंस’ और ‘ईज ऑफ लिविंग’ को लेकर गोवा सरकार की प्राथमिकता को भी स्पष्ट करता है। + +सुशासन को लेकर यही प्रतिबद्धता कोरोना काल में गोवा सरकार ने दिखाई है। हर प्रकार की चुनौतियों के बावजूद, केंद्र सरकार ने जो भी मदद गोवा के लिए भेजी, उसको तेज़ी से, बिना किसी भेदभाव के हर लाभार्थी तक पहुंचाने का काम गोवा की टीम ने किया है। हर गरीब, हर किसान, हर मछुआरे साथी तक मदद पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई। महीनों-महीनों से गोवा के गरीब परिवारों को मुफ्त राशन पूरी ईमानदारी के साथ पहुंचाया जा रहा है। मुफ्त गैस सिलेंडर मिलने से गोवा की अनेक बहनों को मुश्किल समय में सहारा मिला है। + +गोवा असीम संभावनाओं का प्रदेश है। गोवा देश का सिर्फ एक राज्य भर नहीं है, बल्कि ब्रांड इंडिया की भी एक सशक्त पहचान है। ये हम सभी का दायित्व है कि गोवा की इस भूमिका को हम विस्तार दें। गोवा में आज जो अच्छा काम हो रहा है, उसमें निरतंरता बहुत आवश्यक है। लंबे समय बाद गोवा को राजनीतिक स्थिरता का, सुशासन का लाभ मिल रहा है। + +ये बहुत चर्चा में नहीं आया लेकिन भारत ने अपने वैक्सीनेशन अभियान में टूरिज्म सेक्टर से जुड़े राज्यों को बहुत प्राथमिकता दी है। प्रारंभ में हमने कहा नहीं क्योंकि इस पर भी राजनीति होने लग जाती है। लेकिन ये बहुत जरूरी था कि हमारे टूरिज्म डेस्टिनेशंस जल्‍द से जल्‍द खुलें। अब उत्तराखंड में भी चार-धाम यात्रा संभव हो पाएगी। और इन सब प्रयासों के बीच, गोवा का 100 percent होना, बहुत खास हो जाता है। + +आने वाले टूरिज्म सीज़न में यहां पहले की ही तरह टूरिस्ट एक्टिविटीज़ हों, देश के -दुनिया के टूरिस्ट यहां आनंद ले सकें, ये हम सभी की कामना है। ये तभी संभव है जब हम कोरोना से जुड़ी सावधानियों पर भी उतना ही ध्यान देंगे, जितना टीकाकरण पर दे रहे हैं। संक्रमण कम हुआ है लेकिन अभी भी इस वायरस को हमें हल्के में नहीं लेना है। safety और hygiene पर यहां जितना फोकस होगा, पर्यटक उतनी ही ज्यादा संख्या में यहां आएंगे। + +आज गोवा सिर्फ कोविड टीकाकरण में अग्रणी नहीं है, बल्कि विकास के अनेक पैमानों में देश के अग्रणी राज्यों में है। गोवा का जो rural और urban क्षेत्र है, पूरी तरह से खुले में शौच से मुक्त हो रहा है। बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं को लेकर भी गोवा में अच्छा काम हो रहा है। गोवा देश का ऐसा राज्य है जहां शत-प्रतिशत बिजलीकरण हो चुका है। हर घर नल से जल के मामले में तो गोवा ने कमाल ही कर दिया है। गोवा के ग्रामीण क्षेत्र में हर घर में नल से जल पहुंचाने का प्रयास प्रशंसनीय है। जल जीवन मिशन के तहत बीते 2 सालों में देश ने अब तक लगभग 5 करोड़ परिवारों को पाइप के पानी की सुविधा से जोड़ा है। जिस प्रकार गोवा ने इस अभियान को आगे बढ़ाया है, वो ‘गुड गवर्नेंस’ और ‘ईज ऑफ लिविंग’ को लेकर गोवा सरकार की प्राथमिकता को भी स्पष्ट करता है। + +सुशासन को लेकर यही प्रतिबद्धता कोरोना काल में गोवा सरकार ने दिखाई है। हर प्रकार की चुनौतियों के बावजूद, केंद्र सरकार ने जो भी मदद गोवा के लिए भेजी, उसको तेज़ी से, बिना किसी भेदभाव के हर लाभार्थी तक पहुंचाने का काम गोवा की टीम ने किया है। हर गरीब, हर किसान, हर मछुआरे साथी तक मदद पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई। महीनों-महीनों से गोवा के गरीब परिवारों को मुफ्त राशन पूरी ईमानदारी के साथ पहुंचाया जा रहा है। मुफ्त गैस सिलेंडर मिलने से गोवा की अनेक बहनों को मुश्किल समय में सहारा मिला है। + +गोवा असीम संभावनाओं का प्रदेश है। गोवा देश का सिर्फ एक राज्य भर नहीं है, बल्कि ब्रांड इंडिया की भी एक सशक्त पहचान है। ये हम सभी का दायित्व है कि गोवा की इस भूमिका को हम विस्तार दें। गोवा में आज जो अच्छा काम हो रहा है, उसमें निरतंरता बहुत आवश्यक है। लंबे समय बाद गोवा को राजनीतिक स्थिरता का, सुशासन का लाभ मिल रहा है। + +ये बहुत चर्चा में नहीं आया लेकिन भारत ने अपने वैक्सीनेशन अभियान में टूरिज्म सेक्टर से जुड़े राज्यों को बहुत प्राथमिकता दी है। प्रारंभ में हमने कहा नहीं क्योंकि इस पर भी राजनीति होने लग जाती है। लेकिन ये बहुत जरूरी था कि हमारे टूरिज्म डेस्टिनेशंस जल्‍द से जल्‍द खुलें। अब उत्तराखंड में भी चार-धाम यात्रा संभव हो पाएगी। और इन सब प्रयासों के बीच, गोवा का 100 percent होना, बहुत खास हो जाता है। + +आने वाले टूरिज्म सीज़न में यहां पहले की ही तरह टूरिस्ट एक्टिविटीज़ हों, देश के -दुनिया के टूरिस्ट यहां आनंद ले सकें, ये हम सभी की कामना है। ये तभी संभव है जब हम कोरोना से जुड़ी सावधानियों पर भी उतना ही ध्यान देंगे, जितना टीकाकरण पर दे रहे हैं। संक्रमण कम हुआ है लेकिन अभी भी इस वायरस को हमें हल्के में नहीं लेना है। safety और hygiene पर यहां जितना फोकस होगा, पर्यटक उतनी ही ज्यादा संख्या में यहां आएंगे। + +आज गोवा सिर्फ कोविड टीकाकरण में अग्रणी नहीं है, बल्कि विकास के अनेक पैमानों में देश के अग्रणी राज्यों में है। गोवा का जो rural और urban क्षेत्र है, पूरी तरह से खुले में शौच से मुक्त हो रहा है। बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं को लेकर भी गोवा में अच्छा काम हो रहा है। गोवा देश का ऐसा राज्य है जहां शत-प्रतिशत बिजलीकरण हो चुका है। हर घर नल से जल के मामले में तो गोवा ने कमाल ही कर दिया है। गोवा के ग्रामीण क्षेत्र में हर घर में नल से जल पहुंचाने का प्रयास प्रशंसनीय है। जल जीवन मिशन के तहत बीते 2 सालों में देश ने अब तक लगभग 5 करोड़ परिवारों को पाइप के पानी की सुविधा से जोड़ा है। जिस प्रकार गोवा ने इस अभियान को आगे बढ़ाया है, वो ‘गुड गवर्नेंस’ और ‘ईज ऑफ लिविंग’ को लेकर गोवा सरकार की प्राथमिकता को भी स्पष्ट करता है। + +सुशासन को लेकर यही प्रतिबद्धता कोरोना काल में गोवा सरकार ने दिखाई है। हर प्रकार की चुनौतियों के बावजूद, केंद्र सरकार ने जो भी मदद गोवा के लिए भेजी, उसको तेज़ी से, बिना किसी भेदभाव के हर लाभार्थी तक पहुंचाने का काम गोवा की टीम ने किया है। हर गरीब, हर किसान, हर मछुआरे साथी तक मदद पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई। महीनों-महीनों से गोवा के गरीब परिवारों को मुफ्त राशन पूरी ईमानदारी के साथ पहुंचाया जा रहा है। मुफ्त गैस सिलेंडर मिलने से गोवा की अनेक बहनों को मुश्किल समय में सहारा मिला है। + +गोवा असीम संभावनाओं का प्रदेश है। गोवा देश का सिर्फ एक राज्य भर नहीं है, बल्कि ब्रांड इंडिया की भी एक सशक्त पहचान है। ये हम सभी का दायित्व है कि गोवा की इस भूमिका को हम विस्तार दें। गोवा में आज जो अच्छा काम हो रहा है, उसमें निरतंरता बहुत आवश्यक है। लंबे समय बाद गोवा को राजनीतिक स्थिरता का, सुशासन का लाभ मिल रहा है। + +आने वाले टूरिज्म सीज़न में यहां पहले की ही तरह टूरिस्ट एक्टिविटीज़ हों, देश के -दुनिया के टूरिस्ट यहां आनंद ले सकें, ये हम सभी की कामना है। ये तभी संभव है जब हम कोरोना से जुड़ी सावधानियों पर भी उतना ही ध्यान देंगे, जितना टीकाकरण पर दे रहे हैं। संक्रमण कम हुआ है लेकिन अभी भी इस वायरस को हमें हल्के में नहीं लेना है। safety और hygiene पर यहां जितना फोकस होगा, पर्यटक उतनी ही ज्यादा संख्या में यहां आएंगे। + +आज गोवा सिर्फ कोविड टीकाकरण में अग्रणी नहीं है, बल्कि विकास के अनेक पैमानों में देश के अग्रणी राज्यों में है। गोवा का जो rural और urban क्षेत्र है, पूरी तरह से खुले में शौच से मुक्त हो रहा है। बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं को लेकर भी गोवा में अच्छा काम हो रहा है। गोवा देश का ऐसा राज्य है जहां शत-प्रतिशत बिजलीकरण हो चुका है। हर घर नल से जल के मामले में तो गोवा ने कमाल ही कर दिया है। गोवा के ग्रामीण क्षेत्र में हर घर में नल से जल पहुंचाने का प्रयास प्रशंसनीय है। जल जीवन मिशन के तहत बीते 2 सालों में देश ने अब तक लगभग 5 करोड़ परिवारों को पाइप के पानी की सुविधा से जोड़ा है। जिस प्रकार गोवा ने इस अभियान को आगे बढ़ाया है, वो ‘गुड गवर्नेंस’ और ‘ईज ऑफ लिविंग’ को लेकर गोवा सरकार की प्राथमिकता को भी स्पष्ट करता है। + +सुशासन को लेकर यही प्रतिबद्धता कोरोना काल में गोवा सरकार ने दिखाई है। हर प्रकार की चुनौतियों के बावजूद, केंद्र सरकार ने जो भी मदद गोवा के लिए भेजी, उसको तेज़ी से, बिना किसी भेदभाव के हर लाभार्थी तक पहुंचाने का काम गोवा की टीम ने किया है। हर गरीब, हर किसान, हर मछुआरे साथी तक मदद पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई। महीनों-महीनों से गोवा के गरीब परिवारों को मुफ्त राशन पूरी ईमानदारी के साथ पहुंचाया जा रहा है। मुफ्त गैस सिलेंडर मिलने से गोवा की अनेक बहनों को मुश्किल समय में सहारा मिला है। + +गोवा असीम संभावनाओं का प्रदेश है। गोवा देश का सिर्फ एक राज्य भर नहीं है, बल्कि ब्रांड इंडिया की भी एक सशक्त पहचान है। ये हम सभी का दायित्व है कि गोवा की इस भूमिका को हम विस्तार दें। गोवा में आज जो अच्छा काम हो रहा है, उसमें निरतंरता बहुत आवश्यक है। लंबे समय बाद गोवा को राजनीतिक स्थिरता का, सुशासन का लाभ मिल रहा है। + +आने वाले टूरिज्म सीज़न में यहां पहले की ही तरह टूरिस्ट एक्टिविटीज़ हों, देश के -दुनिया के टूरिस्ट यहां आनंद ले सकें, ये हम सभी की कामना है। ये तभी संभव है जब हम कोरोना से जुड़ी सावधानियों पर भी उतना ही ध्यान देंगे, जितना टीकाकरण पर दे रहे हैं। संक्रमण कम हुआ है लेकिन अभी भी इस वायरस को हमें हल्के में नहीं लेना है। safety और hygiene पर यहां जितना फोकस होगा, पर्यटक उतनी ही ज्यादा संख्या में यहां आएंगे। + +आज गोवा सिर्फ कोविड टीकाकरण में अग्रणी नहीं है, बल्कि विकास के अनेक पैमानों में देश के अग्रणी राज्यों में है। गोवा का जो rural और urban क्षेत्र है, पूरी तरह से खुले में शौच से मुक्त हो रहा है। बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं को लेकर भी गोवा में अच्छा काम हो रहा है। गोवा देश का ऐसा राज्य है जहां शत-प्रतिशत बिजलीकरण हो चुका है। हर घर नल से जल के मामले में तो गोवा ने कमाल ही कर दिया है। गोवा के ग्रामीण क्षेत्र में हर घर में नल से जल पहुंचाने का प्रयास प्रशंसनीय है। जल जीवन मिशन के तहत बीते 2 सालों में देश ने अब तक लगभग 5 करोड़ परिवारों को पाइप के पानी की सुविधा से जोड़ा है। जिस प्रकार गोवा ने इस अभियान को आगे बढ़ाया है, वो ‘गुड गवर्नेंस’ और ‘ईज ऑफ लिविंग’ को लेकर गोवा सरकार की प्राथमिकता को भी स्पष्ट करता है। + +सुशासन को लेकर यही प्रतिबद्धता कोरोना काल में गोवा सरकार ने दिखाई है। हर प्रकार की चुनौतियों के बावजूद, केंद्र सरकार ने जो भी मदद गोवा के लिए भेजी, उसको तेज़ी से, बिना किसी भेदभाव के हर लाभार्थी तक पहुंचाने का काम गोवा की टीम ने किया है। हर गरीब, हर किसान, हर मछुआरे साथी तक मदद पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई। महीनों-महीनों से गोवा के गरीब परिवारों को मुफ्त राशन पूरी ईमानदारी के साथ पहुंचाया जा रहा है। मुफ्त गैस सिलेंडर मिलने से गोवा की अनेक बहनों को मुश्किल समय में सहारा मिला है। + +गोवा असीम संभावनाओं का प्रदेश है। गोवा देश का सिर्फ एक राज्य भर नहीं है, बल्कि ब्रांड इंडिया की भी एक सशक्त पहचान है। ये हम सभी का दायित्व है कि गोवा की इस भूमिका को हम विस्तार दें। गोवा में आज जो अच्छा काम हो रहा है, उसमें निरतंरता बहुत आवश्यक है। लंबे समय बाद गोवा को राजनीतिक स्थिरता का, सुशासन का लाभ मिल रहा है। + +आज गोवा सिर्फ कोविड टीकाकरण में अग्रणी नहीं है, बल्कि विकास के अनेक पैमानों में देश के अग्रणी राज्यों में है। गोवा का जो rural और urban क्षेत्र है, पूरी तरह से खुले में शौच से मुक्त हो रहा है। बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं को लेकर भी गोवा में अच्छा काम हो रहा है। गोवा देश का ऐसा राज्य है जहां शत-प्रतिशत बिजलीकरण हो चुका है। हर घर नल से जल के मामले में तो गोवा ने कमाल ही कर दिया है। गोवा के ग्रामीण क्षेत्र में हर घर में नल से जल पहुंचाने का प्रयास प्रशंसनीय है। जल जीवन मिशन के तहत बीते 2 सालों में देश ने अब तक लगभग 5 करोड़ परिवारों को पाइप के पानी की सुविधा से जोड़ा है। जिस प्रकार गोवा ने इस अभियान को आगे बढ़ाया है, वो ‘गुड गवर्नेंस’ और ‘ईज ऑफ लिविंग’ को लेकर गोवा सरकार की प्राथमिकता को भी स्पष्ट करता है। + +सुशासन को लेकर यही प्रतिबद्धता कोरोना काल में गोवा सरकार ने दिखाई है। हर प्रकार की चुनौतियों के बावजूद, केंद्र सरकार ने जो भी मदद गोवा के लिए भेजी, उसको तेज़ी से, बिना किसी भेदभाव के हर लाभार्थी तक पहुंचाने का काम गोवा की टीम ने किया है। हर गरीब, हर किसान, हर मछुआरे साथी तक मदद पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई। महीनों-महीनों से गोवा के गरीब परिवारों को मुफ्त राशन पूरी ईमानदारी के साथ पहुंचाया जा रहा है। मुफ्त गैस सिलेंडर मिलने से गोवा की अनेक बहनों को मुश्किल समय में सहारा मिला है। + +गोवा असीम संभावनाओं का प्रदेश है। गोवा देश का सिर्फ एक राज्य भर नहीं है, बल्कि ब्रांड इंडिया की भी एक सशक्त पहचान है। ये हम सभी का दायित्व है कि गोवा की इस भूमिका को हम विस्तार दें। गोवा में आज जो अच्छा काम हो रहा है, उसमें निरतंरता बहुत आवश्यक है। लंबे समय बाद गोवा को राजनीतिक स्थिरता का, सुशासन का लाभ मिल रहा है। + +आज गोवा सिर्फ कोविड टीकाकरण में अग्रणी नहीं है, बल्कि विकास के अनेक पैमानों में देश के अग्रणी राज्यों में है। गोवा का जो rural और urban क्षेत्र है, पूरी तरह से खुले में शौच से मुक्त हो रहा है। बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं को लेकर भी गोवा में अच्छा काम हो रहा है। गोवा देश का ऐसा राज्य है जहां शत-प्रतिशत बिजलीकरण हो चुका है। हर घर नल से जल के मामले में तो गोवा ने कमाल ही कर दिया है। गोवा के ग्रामीण क्षेत्र में हर घर में नल से जल पहुंचाने का प्रयास प्रशंसनीय है। जल जीवन मिशन के तहत बीते 2 सालों में देश ने अब तक लगभग 5 करोड़ परिवारों को पाइप के पानी की सुविधा से जोड़ा है। जिस प्रकार गोवा ने इस अभियान को आगे बढ़ाया है, वो ‘गुड गवर्नेंस’ और ‘ईज ऑफ लिविंग’ को लेकर गोवा सरकार की प्राथमिकता को भी स्पष्ट करता है। + +सुशासन को लेकर यही प्रतिबद्धता कोरोना काल में गोवा सरकार ने दिखाई है। हर प्रकार की चुनौतियों के बावजूद, केंद्र सरकार ने जो भी मदद गोवा के लिए भेजी, उसको तेज़ी से, बिना किसी भेदभाव के हर लाभार्थी तक पहुंचाने का काम गोवा की टीम ने किया है। हर गरीब, हर किसान, हर मछुआरे साथी तक मदद पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई। महीनों-महीनों से गोवा के गरीब परिवारों को मुफ्त राशन पूरी ईमानदारी के साथ पहुंचाया जा रहा है। मुफ्त गैस सिलेंडर मिलने से गोवा की अनेक बहनों को मुश्किल समय में सहारा मिला है। + +गोवा असीम संभावनाओं का प्रदेश है। गोवा देश का सिर्फ एक राज्य भर नहीं है, बल्कि ब्रांड इंडिया की भी एक सशक्त पहचान है। ये हम सभी का दायित्व है कि गोवा की इस भूमिका को हम विस्तार दें। गोवा में आज जो अच्छा काम हो रहा है, उसमें निरतंरता बहुत आवश्यक है। लंबे समय बाद गोवा को राजनीतिक स्थिरता का, सुशासन का लाभ मिल रहा है। + +आज गोवा सिर्फ कोविड टीकाकरण में अग्रणी नहीं है, बल्कि विकास के अनेक पैमानों में देश के अग्रणी राज्यों में है। गोवा का जो rural और urban क्षेत्र है, पूरी तरह से खुले में शौच से मुक्त हो रहा है। बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं को लेकर भी गोवा में अच्छा काम हो रहा है। गोवा देश का ऐसा राज्य है जहां शत-प्रतिशत बिजलीकरण हो चुका है। हर घर नल से जल के मामले में तो गोवा ने कमाल ही कर दिया है। गोवा के ग्रामीण क्षेत्र में हर घर में नल से जल पहुंचाने का प्रयास प्रशंसनीय है। जल जीवन मिशन के तहत बीते 2 सालों में देश ने अब तक लगभग 5 करोड़ परिवारों को पाइप के पानी की सुविधा से जोड़ा है। जिस प्रकार गोवा ने इस अभियान को आगे बढ़ाया है, वो ‘गुड गवर्नेंस’ और ‘ईज ऑफ लिविंग’ को लेकर गोवा सरकार की प्राथमिकता को भी स्पष्ट करता है। + +सुशासन को लेकर यही प्रतिबद्धता कोरोना काल में गोवा सरकार ने दिखाई है। हर प्रकार की चुनौतियों के बावजूद, केंद्र सरकार ने जो भी मदद गोवा के लिए भेजी, उसको तेज़ी से, बिना किसी भेदभाव के हर लाभार्थी तक पहुंचाने का काम गोवा की टीम ने किया है। हर गरीब, हर किसान, हर मछुआरे साथी तक मदद पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई। महीनों-महीनों से गोवा के गरीब परिवारों को मुफ्त राशन पूरी ईमानदारी के साथ पहुंचाया जा रहा है। मुफ्त गैस सिलेंडर मिलने से गोवा की अनेक बहनों को मुश्किल समय में सहारा मिला है। + +गोवा असीम संभावनाओं का प्रदेश है। गोवा देश का सिर्फ एक राज्य भर नहीं है, बल्कि ब्रांड इंडिया की भी एक सशक्त पहचान है। ये हम सभी का दायित्व है कि गोवा की इस भूमिका को हम विस्तार दें। गोवा में आज जो अच्छा काम हो रहा है, उसमें निरतंरता बहुत आवश्यक है। लंबे समय बाद गोवा को राजनीतिक स्थिरता का, सुशासन का लाभ मिल रहा है। + +आज गोवा सिर्फ कोविड टीकाकरण में अग्रणी नहीं है, बल्कि विकास के अनेक पैमानों में देश के अग्रणी राज्यों में है। गोवा का जो rural और urban क्षेत्र है, पूरी तरह से खुले में शौच से मुक्त हो रहा है। बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं को लेकर भी गोवा में अच्छा काम हो रहा है। गोवा देश का ऐसा राज्य है जहां शत-प्रतिशत बिजलीकरण हो चुका है। हर घर नल से जल के मामले में तो गोवा ने कमाल ही कर दिया है। गोवा के ग्रामीण क्षेत्र में हर घर में नल से जल पहुंचाने का प्रयास प्रशंसनीय है। जल जीवन मिशन के तहत बीते 2 सालों में देश ने अब तक लगभग 5 करोड़ परिवारों को पाइप के पानी की सुविधा से जोड़ा है। जिस प्रकार गोवा ने इस अभियान को आगे बढ़ाया है, वो ‘गुड गवर्नेंस’ और ‘ईज ऑफ लिविंग’ को लेकर गोवा सरकार की प्राथमिकता को भी स्पष्ट करता है। + +सुशासन को लेकर यही प्रतिबद्धता कोरोना काल में गोवा सरकार ने दिखाई है। हर प्रकार की चुनौतियों के बावजूद, केंद्र सरकार ने जो भी मदद गोवा के लिए भेजी, उसको तेज़ी से, बिना किसी भेदभाव के हर लाभार्थी तक पहुंचाने का काम गोवा की टीम ने किया है। हर गरीब, हर किसान, हर मछुआरे साथी तक मदद पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई। महीनों-महीनों से गोवा के गरीब परिवारों को मुफ्त राशन पूरी ईमानदारी के साथ पहुंचाया जा रहा है। मुफ्त गैस सिलेंडर मिलने से गोवा की अनेक बहनों को मुश्किल समय में सहारा मिला है। + +गोवा असीम संभावनाओं का प्रदेश है। गोवा देश का सिर्फ एक राज्य भर नहीं है, बल्कि ब्रांड इंडिया की भी एक सशक्त पहचान है। ये हम सभी का दायित्व है कि गोवा की इस भूमिका को हम विस्तार दें। गोवा में आज जो अच्छा काम हो रहा है, उसमें निरतंरता बहुत आवश्यक है। लंबे समय बाद गोवा को राजनीतिक स्थिरता का, सुशासन का लाभ मिल रहा है। + +आज गोवा सिर्फ कोविड टीकाकरण में अग्रणी नहीं है, बल्कि विकास के अनेक पैमानों में देश के अग्रणी राज्यों में है। गोवा का जो rural और urban क्षेत्र है, पूरी तरह से खुले में शौच से मुक्त हो रहा है। बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं को लेकर भी गोवा में अच्छा काम हो रहा है। गोवा देश का ऐसा राज्य है जहां शत-प्रतिशत बिजलीकरण हो चुका है। हर घर नल से जल के मामले में तो गोवा ने कमाल ही कर दिया है। गोवा के ग्रामीण क्षेत्र में हर घर में नल से जल पहुंचाने का प्रयास प्रशंसनीय है। जल जीवन मिशन के तहत बीते 2 सालों में देश ने अब तक लगभग 5 करोड़ परिवारों को पाइप के पानी की सुविधा से जोड़ा है। जिस प्रकार गोवा ने इस अभियान को आगे बढ़ाया है, वो ‘गुड गवर्नेंस’ और ‘ईज ऑफ लिविंग’ को लेकर गोवा सरकार की प्राथमिकता को भी स्पष्ट करता है। + +सुशासन को लेकर यही प्रतिबद्धता कोरोना काल में गोवा सरकार ने दिखाई है। हर प्रकार की चुनौतियों के बावजूद, केंद्र सरकार ने जो भी मदद गोवा के लिए भेजी, उसको तेज़ी से, बिना किसी भेदभाव के हर लाभार्थी तक पहुंचाने का काम गोवा की टीम ने किया है। हर गरीब, हर किसान, हर मछुआरे साथी तक मदद पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई। महीनों-महीनों से गोवा के गरीब परिवारों को मुफ्त राशन पूरी ईमानदारी के साथ पहुंचाया जा रहा है। मुफ्त गैस सिलेंडर मिलने से गोवा की अनेक बहनों को मुश्किल समय में सहारा मिला है। + +गोवा असीम संभावनाओं का प्रदेश है। गोवा देश का सिर्फ एक राज्य भर नहीं है, बल्कि ब्रांड इंडिया की भी एक सशक्त पहचान है। ये हम सभी का दायित्व है कि गोवा की इस भूमिका को हम विस्तार दें। गोवा में 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राज्य भर नहीं है, बल्कि ब्रांड इंडिया की भी एक सशक्त पहचान है। ये हम सभी का दायित्व है कि गोवा की इस भूमिका को हम विस्तार दें। गोवा में आज जो अच्छा काम हो रहा है, उसमें निरतंरता बहुत आवश्यक है। लंबे समय बाद गोवा को राजनीतिक स्थिरता का, सुशासन का लाभ मिल रहा है। + +गोवा असीम संभावनाओं का प्रदेश है। गोवा देश का सिर्फ एक राज्य भर नहीं है, बल्कि ब्रांड इंडिया की भी एक सशक्त पहचान है। ये हम सभी का दायित्व है कि गोवा की इस भूमिका को हम विस्तार दें। गोवा में आज जो अच्छा काम हो रहा है, उसमें निरतंरता बहुत आवश्यक है। लंबे समय बाद गोवा को राजनीतिक स्थिरता का, सुशासन का लाभ मिल रहा है। + diff --git a/pm-speech/112.txt b/pm-speech/112.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..de495e532841022516709c46048ec005e9811c5b --- /dev/null +++ b/pm-speech/112.txt @@ -0,0 +1,12 @@ +मेडिकल फील्ड के लोग, जो लोग पिछले डेढ़-दो साल से दिन रात जुटे हुए हैं, अपनी जान की परवाह किए बिना कोरोना से लड़ने में देशवासियों की मदद कर रहे हैं, उन्होंने कल जिस तरह से वैक्सीनेशन का रिकॉर्ड बनाकर दिखाया है, वो बहुत बड़ी बात है। हर किसी ने इसमें बहुत सहयोग किया है। लोगों ने इसे सेवा से जोड़ा। ये उनका करुणा भाव, कर्तव्य भाव ही है जो ढाई करोड़ वैक्सीन डोज लगाई जा सकी। + +ये बहुत चर्चा में नहीं आया लेकिन भारत ने अपने वैक्सीनेशन अभियान में टूरिज्म सेक्टर से जुड़े राज्यों को बहुत प्राथमिकता दी है। प्रारंभ में हमने कहा नहीं क्योंकि इस पर भी राजनीति होने लग जाती है। लेकिन ये बहुत जरूरी था कि हमारे टूरिज्म डेस्टिनेशंस जल्‍द से जल्‍द खुलें। अब उत्तराखंड में भी चार-धाम यात्रा संभव हो पाएगी। और इन सब प्रयासों के बीच, गोवा का 100 percent होना, बहुत खास हो जाता है। + +आने वाले टूरिज्म सीज़न में यहां पहले की ही तरह टूरिस्ट एक्टिविटीज़ हों, देश के -दुनिया के टूरिस्ट यहां आनंद ले सकें, ये हम सभी की कामना है। ये तभी संभव है जब हम कोरोना से जुड़ी सावधानियों पर भी उतना ही ध्यान देंगे, जितना टीकाकरण पर दे रहे हैं। संक्रमण कम हुआ है लेकिन अभी भी इस वायरस को हमें हल्के में नहीं लेना है। safety और hygiene पर यहां जितना फोकस होगा, पर्यटक उतनी ही ज्यादा संख्या में यहां आएंगे। + +आज गोवा सिर्फ कोविड टीकाकरण में अग्रणी नहीं है, बल्कि विकास के अनेक पैमानों में देश के अग्रणी राज्यों में है। गोवा का जो rural और urban क्षेत्र है, पूरी तरह से खुले में शौच से मुक्त हो रहा है। बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं को लेकर भी गोवा में अच्छा काम हो रहा है। गोवा देश का ऐसा राज्य है जहां शत-प्रतिशत बिजलीकरण हो चुका है। हर घर नल से जल के मामले में तो गोवा ने कमाल ही कर दिया है। गोवा के ग्रामीण क्षेत्र में हर घर में नल से जल पहुंचाने का प्रयास प्रशंसनीय है। जल जीवन मिशन के तहत बीते 2 सालों में देश ने अब तक लगभग 5 करोड़ परिवारों को पाइप के पानी की सुविधा से जोड़ा है। जिस प्रकार गोवा ने इस अभियान को आगे बढ़ाया है, वो 'गुड गवर्नेंस' और 'ईज ऑफ लिविंग' को लेकर गोवा सरकार की प्राथमिकता को भी स्पष्ट करता है। + +सुशासन को लेकर यही प्रतिबद्धता कोरोना काल में गोवा सरकार ने दिखाई है। हर प्रकार की चुनौतियों के बावजूद, केंद्र सरकार ने जो भी मदद गोवा के लिए भेजी, उसको तेज़ी से, बिना किसी भेदभाव के हर लाभार्थी तक पहुंचाने का काम गोवा की टीम ने किया है। हर गरीब, हर किसान, हर मछुआरे साथी तक मदद पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई। महीनों-महीनों से गोवा के गरीब परिवारों को मुफ्त राशन पूरी ईमानदारी के साथ पहुंचाया जा रहा है। मुफ्त गैस सिलेंडर मिलने से गोवा की अनेक बहनों को मुश्किल समय में सहारा मिला है। + +गोवा असीम संभावनाओं का प्रदेश है। गोवा देश का सिर्फ एक राज्य भर नहीं है, बल्कि ब्रांड इंडिया की भी एक सशक्त पहचान है। ये हम सभी का दायित्व है कि गोवा की इस भूमिका को हम विस्तार दें। गोवा में आज जो अच्छा काम हो रहा है, उसमें निरतंरता बहुत आवश्यक है। लंबे समय बाद गोवा को राजनीतिक स्थिरता का, सुशासन का लाभ मिल रहा है। + diff --git a/pm-speech/113.txt b/pm-speech/113.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..d05ccac99eec26337d1f1baa1c765d6f81ff0d9e --- /dev/null +++ b/pm-speech/113.txt @@ -0,0 +1,12 @@ +इस साल हम SCO की भी 20वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। यह खुशी की बात है कि इस शुभ अवसर पर हमारे साथ नए मित्र जुड़ रहे हैं। मैं ईरान का SCO के नए सदस्य देश के रूप में स्वागत करता हूं। मैं तीनों नए डायलॉग partners – साऊदी अरब, Egypt और Qatar – का भी स्वागत करता हूं। SCO का expansion हमारी संस्था का बढ़ता प्रभाव दिखाता है। नए member और डायलॉग partners से SCO भी और मजबूत और credible बनेगा। + +और इन समस्याओं का मूल कारण बढ़ता हुआ radicalization है ।अफगानिस्तान में हाल के घटनाक्रम ने इस चुनौती को और स्पष्ट कर दिया है। इस मुद्दे पर SCOको पहल ले कर कार्य करना चाहिए। यदि हम इतिहास पर नजर डालें, तो पाएंगे कि मध्य एशिया का क्षेत्र moderate और progressive culture और values का एक प्रकार का गढ़ रहा है, किला रहा है। सुफीवाद जैसी परंपरा यहां सदियों से पनपी और पूरे क्षेत्र और विश्व में फैली। + +पिछले वर्षों में भारत ने अपनी विकास यात्रा में technology का सफल सहारा लिया है।चाहे financial inclusion बढ़ाने के लिए UPI और Rupay card जैसी technologies हों या COVID से लड़ाई में हमारे आरोग्य सेतु और COWIN जैसे digital platforms, इन सभी को हमने स्वेच्छा से अन्य देशों के साथ भी साझा किया है। हमें SCO partners के साथ भी इन open source टेक्नोलॉजी को share करने में और इसके लिए capacity building आयोजित करने में खुशी होगी + +भारत central एशिया के साथ अपनी connectivity बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। हमारा मानना है कि land locked central एशियाई देशों को भारत के विशाल बाजार से जुड़कर अपार लाभ हो सकता है। दुर्भाग्यवश, आज connectivity के कई विकल्प उनके लिए खुले नहीं हैं।ईरान के चाबहार port में हमारा निवेश, और International North-South Corridor के प्रति हमारा प्रयास, इसी वास्तविकता से प्रेरित है। + +कनेक्टिविटी की कोई भी पहल one – way street नहीं हो सकती।आपसी trust सुनिश्चित करने के लिए connectivity projects को consultative, पारदर्शी और participatory होना चाहिए। इनमें सभी देशों की territorial integrity का सम्मान निहित होना चाहिए।इन सिद्धांतों के आधार पर SCO को क्षेत्र में connectivity projects के लिए उपयुक्त norms विकसित करने चाहिए।इसी से हम इस क्षेत्र की पारंपरिक connectivity को पुनः स्थापित कर पाएंगे।और तभी connectivity projects हमें जोड़ने का काम करेंगी, न कि हमारे बीच दूरी बढ़ाने का।इस प्रयत्न के लिए भारत अपनी तरफ से हर प्रकार का योगदान देने के लिए तैयार है। + +SCO कि सफलता का एक मुख्य कारण यह है कि इसका मूल focus क्षेत्र की प्राथमिकताओं पर रहा है।Radicalization, connectivity और people-to-people; संबंधों पर मेरे सुझाव SCO की इसी भूमिका को और सबल बनाएंगे।अपनी बात समाप्त करने से पहले, मैं हमारे मेजबान राष्ट्रपति रहमोन का एक बार फिर धन्यवाद करता हूं।उन्होंने इस hybrid format की चुनौती के बावजूद इस सम्मेलन का बेहतरीन आयोजन और संचालन किया है। में आगामी अध्यक्ष उज्बेकिस्तान को भी शुभकामनाएं देता हूं और भारत के सहयोग का आश्वासन देता हूं। + diff --git a/pm-speech/114.txt b/pm-speech/114.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..85ed1fa174bc4c78a1f30759b5f0f77688977319 --- /dev/null +++ b/pm-speech/114.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +दिल्ली को भारत की राजधानी बने 100 वर्ष से अधिक का समय हो गया है। 100 वर्ष से अधिक के इस कालखंड में यहां की आबादी और अन्य परिस्थितियों में बहुत बड़ा अंतर आ चुका है। जब हम राजधानी की बात करते हैं तो वो सिर्फ एक शहर नहीं होता है। किसी भी देश की राजधानी उस देश की सोच, उस देश के संकल्‍प, उस देश का सामर्थ्य और उस देश की संस्कृति का प्रतीक होती है। भारत तो लोकतंत्र की जननी है। इसलिए भारत की राजधानी ऐसी होनी चाहिए, जिसके केंद्र में लोक हो, जनता जनार्दन हो। आज जब हम Ease of living और Ease of doing business पर फोकस कर रहे हैं, तो इसमें आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर की भी उतनी ही बड़ी भूमिका है। सेंट्रल विस्टा से जुड़ा जो काम आज हो रहा है, उसके मूल में यही भावना है। इसका विस्तार हमें आज शुरू हुई सेंट्रल विस्टा से जुड़ी वेबसाइट में भी दिखता है। + +डिफेंस ऑफिस कॉम्प्लेक्स का भी जो काम 24 महीने में पूरा होना था, वो सिर्फ 12 महीने के रिकॉर्ड समय में कम्प्लीट किया गया है यानि 50 प्रतिशत समय बचा लिया गया। वो भी उस समय जब कोरोना से बनी परिस्थितियों में लेबर से लेकर तमाम प्रकार की चुनौतियां सामने थीं। कोरोना काल में सैकड़ों श्रमिकों को इस प्रोजेक्ट में रोजगार मिला है। इस निर्माण कार्य से जुड़े सभी श्रमिक साथी, सभी इंजीनियर, सभी कर्मचारी, अधिकारी,  ये सब के सब इस समय सीमा में निर्माण के लिए तो अभिनंदन के अधिकारी हैं  लेकिन साथ-साथ कोरोना का इतना भयानक जब खौफ था, जीवन और मृत्‍यु के बीच में सवालिया निशान थे, उस समय भी राष्‍ट्र निर्माण के इस पवित्र कार्य में जिन-जिन लोगों ने योगदान किया है, पूरा देश उनको बधाई देता है। पूरा देश उनका अभिनन्‍दन करता है। ये दिखाता है कि जब नीति और नीयत साफ हो, इच्छाशक्ति प्रबल हो, प्रयास ईमानदार हों, तो कुछ भी असंभव नहीं होता है, सब कुछ संभव होता है। मुझे विश्वास है, देश की नई पार्लियामेंट बिल्डिंग का निर्माण भी, जैसे हरदीप जी बड़े विश्‍वास के साथ बता रहे थे, तय समय सीमा के भीतर ही पूरा होगा। + +आज कंस्ट्रक्शन में जो तेज़ी दिख रही है, उसमें नई कंस्ट्रक्शन टेक्नॉलॉजी की भी बड़ी भूमिका है। डिफेंस ऑफिस कॉम्प्लेक्स में भी पारंपरिक आरसीसी निर्माण के बजाय लाइट गेज स्टील फ्रेम तकनीक का उपयोग किया गया है। नई तकनीक के चलते ये भवन आग और दूसरी प्राकृतिक आपदाओं से अधिक सुरक्षित हैं। इन नए परिसरों के बनने से दर्जनों एकड़ में फैले पुराने हटमेंट्स के रखरखाव में जो खर्च हर वर्ष करना पड़ता था, उसकी भी बचत होगी। मुझे खुशी है कि आज दिल्ली ही नहीं, बल्कि देश के अन्य शहरों में भी स्मार्ट सुविधाएं विकसित करने, गरीबों को पक्के घर देने के लिए आधुनिक कंस्ट्रक्शन टेक्नॉलॉजी पर फोकस किया जा रहा है। देश के 6 शहरों में चल रहा लाइट हाउस प्रोजेक्ट इस दिशा में एक बहुत बड़ा प्रयोग है। इस सेक्टर में नए स्टार्ट अप्स को प्रोत्साहित किया जा रहा है। जिस स्पीड और जिस स्केल पर हमें अपने अर्बन सेंटर्स को ट्रांसफॉर्म करना है, वो नई टेक्नॉलॉजी के व्यापक उपयोग से ही संभव है। + diff --git a/pm-speech/115.txt b/pm-speech/115.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..7dd5022b38406efaa409ef5b9969ebb3f9074921 --- /dev/null +++ b/pm-speech/115.txt @@ -0,0 +1,8 @@ +मैं आप सभी को, इस विचार को साकार करने वाली पूरी टीम को शुभकामनाएँ देता हूँ। जैसे भी हमारे स्‍पीकर साहब ने बताया, आज दूरदर्शन की स्थापना के भी 62 वर्ष पूरे हुए हैं। ये बहुत लंबी यात्रा है। इस यात्रा को सफल बनाने में अनेकों लोगों का योगदान रहा है। मैं दूरदर्शन के संचालन से जुड़े सभी लोगों को भी बधाई देता हूं। + +आज ये सुखद संयोग भी है कि 15 सितंबर को International Day of Democracy मनाया जाता है। और, बात जब लोकतन्त्र की होती है तो भारत की ज़िम्मेदारी कहीं ज्यादा बढ़ जाती है। भारत लोकतन्त्र की जननी है। India is the mother of democracy. भारत के लिए लोकतन्त्र केवल एक व्यवस्था नहीं है, एक विचार है। भारत में लोकतंत्र, सिर्फ संवैधानिक स्ट्रक्चर ही नहीं है, बल्कि वो एक spirit है। भारत में लोकतंत्र, सिर्फ संविधाओं की धाराओं का संग्रह ही नहीं है, ये तो हमारी जीवन धारा है। इसलिए International Day of Democracy के दिन संसद टीवी का लॉन्च होना, अपने आप में बहुत प्रासंगिक हो जाता है। + +आज जब देश अपनी आज़ादी के 75 साल मना रहा है, तो हमारे सामने अतीत का गौरव भी है और भविष्य के संकल्प भी हैं। इन दोनों ही क्षेत्रों में मीडिया की बहुत बड़ी भूमिका है। मीडिया जब किसी विषय को उठाता है, जैसे स्वच्छ भारत अभियान, तो वो और तेजी से जन-जन तक पहुंचाता है। आज़ादी के अमृत महोत्सव में देशवासियों के प्रयासों को प्रचारित-प्रसारित करने का कार्य मीडिया बखूबी कर सकता है। उदाहरण के तौर पर, टीवी चैनल्स स्वतन्त्रता संग्राम से जुड़े 75 एपिसोड्स प्लान कर सकते हैं, documentaries बना सकते हैं। अख़बार अमृत महोत्सव से जुड़े परिशिष्ट प्रकाशित कर सकते हैं। डिजिटल मीडिया quiz, competition जैसे ideas के जरिए युवाओं को सीधे जोड़ सकते हैं। + +आप सब कम्युनिकेशन फील्ड के क्रिएटिव लोग हैं। आप लोग अक्सर कहते हैं कि- “कन्टेंट इज़ किंग”। मैं आप लोगों से अपने अनुभव की एक और बात कहना चाहता हूँ। मेरा अनुभव है कि- “कन्टेंट इज़ कनेक्ट”। यानी, जब आपके पास बेहतर कन्टेंट होगा तो लोग खुद ही आपके साथ जुड़ते जाते हैं। ये बात जितनी मीडिया पर लागू होती है, उतनी ही हमारी संसदीय व्यवस्था पर भी लागू होती है। क्योंकि संसद में सिर्फ पॉलिटिक्स नहीं है, पॉलिसी भी है। + diff --git a/pm-speech/116.txt b/pm-speech/116.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..14929f239bdf423c0b20970d788af71443d8463a --- /dev/null +++ b/pm-speech/116.txt @@ -0,0 +1,8 @@ +ये मेरा सौभाग्य था कि जब मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था, तो मुझे श्यामजी कृष्ण वर्मा जी की अस्थियों को 73 साल बाद भारत लाने में सफलता मिली थी। और अगर आपको कभी कच्‍छ जाने का मौका मिले तो कच्‍छ के मांडवी में श्‍याम जी कृष्‍ण वर्मा जी का एक बहुत ही प्रेरक स्‍मारक है, जहां उनके अस्थि क श रखे गए हैं, वो हमें मां भारत के लिए जीने की प्रेरणा देते हैं। + +योगी जी की सरकार में गरीब की सुनवाई भी है, गरीब का सम्मान भी है। योगी जी के नेतृत्व में यूपी की बदलती कार्यशैली का एक बहुत बड़ा प्रमाण है-सबको वैक्सीन-मुफ्त वैक्सीन अभियान। उत्तर प्रदेश अभी तक 8 करोड़ से अधिक टीके लगा चुका है। देश में एक दिन में सबसे ज्यादा टीकाकरण का रिकॉर्ड भी यूपी के ही नाम है। कोरोना के इस संकट काल में गरीब की चिंता सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। कोई गरीब भूखा ना रहे, इसके लिए महीनों से मुफ्त अनाज दिया जा रहा है। गरीबों को भुखमरी से बचाने के लिए जो काम दुनिया के बड़े-बड़े देश नहीं कर पाए, वो आज भारत कर रहा है, ये हमारा उत्तर प्रदेश कर रहा है। + +आज़ादी के इस अमृतकाल में ग्रामीण अर्थव्यवस्था में भी तेज़ी से बदलाव हो रहे हैं। बदलाव के साथ कैसे तालमेल बिठाना पड़ता है, इसका रास्ता स्वयं चौधरी चरण सिंह जी ने दशकों पहले देश को दिखाया है। जो रास्ता चौधरी साहब ने दिखाया, उनसे देश के खेती मज़दूरों और छोटे किसानों को कितना लाभ हुआ, ये हम सभी जानते हैं। आज की अनेक पीढ़ियां उन सुधारों के कारण एक गरिमामय जीवन जी पा रही हैं। + +कोरोना के इस समय में, देश भर के छोटे किसानों के खाते में सरकार ने एक लाख करोड़ रुपए से अधिक सीधे ट्रांसफर किए हैं। इसमें 25 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा सिर्फ यूपी के किसानों को मिले हैं। मुझे इस बात की खुशी है कि यूपी में बीते 4 सालों में MSP पर खरीद के नए रिकॉर्ड बने हैं। गन्ने के भुगतान को लेकर भी जो परेशानियां आती थीं, उन्हें लगातार कम किया जा रहा है। बीते 4 साल में यूपी के गन्ना किसानों को 1 लाख 40 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान किया गया है। आने वाले साल तो यूपी के गन्ना किसानों के लिए नई संभावनाओं के दरवाजे खोलने वाला है। गन्ने से जो इथेनॉल बनता है, बायोफ्यूल बनता है उसका उपयोग ईंधन में बढ़ाया जा रहा है। इसका बड़ा लाभ पश्चिमी यूपी के गन्ना किसानों को भी होने वाला है। + diff --git a/pm-speech/117.txt b/pm-speech/117.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..5671d1c0dcca1c7aaad2f0069a2abf427bdfc5ee --- /dev/null +++ b/pm-speech/117.txt @@ -0,0 +1,8 @@ +‘स्टेट ऑफ आर्ट बिल्डिंग’, आधुनिक संसाधनों से युक्त कन्या छात्रालय, आधुनिक library, ये सभी व्यवस्थाएं अनेकों युवाओं को सशक्त करेंगी। एक ओर आप Entrepreneur development centre के जरिए गुजरात की समृद्ध व्यापारिक पहचान को मजबूत कर रहे हैं, तो वहीं Civil Service Centre के जरिए उन युवाओं को नई दिशा मिल रही है जो सिविल सर्विसेस में या डिफेंस और Judicial सर्विसेस में जाना चाहते हैं। + +आज इस अवसर पर मैं एक महत्वपूर्ण घोषणा भी कर रहा हूं। बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में सुब्रमण्य भारती जी के नाम से एक Chair स्थापित करने का निर्णय किया गया है।Tamil Studies…तमिल भाषा समृद्ध भाषा है, विश्‍व की सबसे पुरातन भाषा है…और ये हम सब हिन्‍दुस्‍तानियों के लिए गर्व की बात है I Tamil Studies पर ‘सुब्रमण्य भारती चेयर‘ BHU के फेकल्टी ऑफ आर्ट्स में स्थापित होगी। ये विद्यार्थियों को, Research Fellows को उस भव्य भारत के निर्माण में जुटे रहने की निरंतर प्रेरणा देगी, जिसका सपना भारती जी ने देखा था। + +हमारी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का भी इस बात पर विशेष फोकस है कि हमारी शिक्षा, कौशल बढ़ाने वाली होनी चाहिए। भविष्य में मार्केट में कैसी स्किल की डिमांड होगी, future world में लीड करने के लिए हमारे युवाओं को क्या कुछ चाहिए होगा, राष्ट्रीय शिक्षा नीति स्टूडेंट्स को शुरुआत से ही इन Global realities के लिए तैयार करेगी। आज ‘स्किल इंडिया मिशन’ भी देश की बड़ी प्राथमिकता है। इस मिशन के तहत लाखों युवाओं को अलगअलग स्किल सीखने का अवसर मिला है, वो आत्मनिर्भर बन रहे हैं। National Apprenticeship Promotion Scheme के तहत युवाओं को पढ़ाई के साथ साथ skill development का अवसर भी मिल रहा है, और उनकी आमदनी भी हो रही है। + +कठिन से कठिन समय हो, जब अपने कर्तव्य को समझते हुए पूरे विश्वास के साथ काम किए जाते हैं, तो परिणाम भी मिलते हैं। कोरोना की महामारी आई, पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर आंच आई। भारत पर भी इसका काफी असर आया। लेकिन हमारी अर्थव्यवस्था महामारी के कारण जितना ठहरी थी, उससे ज्यादा स्पीड से रिकवर कर रही है। जब बड़ी- ड़ी economies defense में थीं, तब हम reforms कर रहे थे। जब ग्लोबल सप्लाइ चेन्स disrupt हो रही थीं, तो हमने नए हालातों को भारत के पक्ष में मोड़ने के लिए PLI स्कीम शुरू की। अभी PLI scheme को टेक्सटाइल सेक्टर के लिए बढ़ाने का फैसला भी लिया गया है। इसका बहुत बड़ा लाभ देश के टेक्सटाइल सेक्टर को, सूरत जैसे शहरों को होगा। + diff --git a/pm-speech/118.txt b/pm-speech/118.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..8ca89cb5832752d478ac1dbc8cd5da26f75a07be --- /dev/null +++ b/pm-speech/118.txt @@ -0,0 +1,10 @@ +आज शिक्षक पर्व के अवसर पर अनेक नई योजनाओं का प्रारंभ हुआ है। और अभी हमने एक छोटी सी फिल्‍म के द्वारा इन सभी योजनाओं के विषय में जानकारी प्राप्‍त की। ये initiative इसलिए भी अहम है क्योंकि देश अभी आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। आज़ादी के 100 वर्ष होने पर भारत कैसा होगा, इसके लिए आज भारत नए संकल्प ले रहा है।आज जो योजनाएं शुरू हुई हैं, वो भविष्य के भारत को आकार देने में अहम भूमिका निभाएंगी। आज विद्यांजलि-2.0, निष्ठा-3.0, talking books और UDL based ISL-Dictionary जैसे नए प्रोग्राम्स और व्यवस्थाएं launch की गई हैं। School Quality Assessment and Assurance Framework, यानी S.Q.A.A.F जैसी आधुनिक शुरुआत भी हुई है, मुझे पूरा भरोसा है कि ये न केवल हमारे education system को globally competitive बनाएँगी, बल्कि हमारे युवाओं को भी future ready बनाने में बहुत मदद करेंगी। + +आज एक और महत्वपूर्ण शुरुआत School Quality Assessment and Assurance Framework यानी S.Q.A.A.F के माध्यम से भी हो रही है। अभी तक देश में हमारे स्कूलों के लिए, education के लिए कोई एक common scientific framework ही नहीं था। कॉमन फ्रेमवर्क के बिना शिक्षा के सभी पहलुओं जैसे कि- Curriculum, Pedagogy, Assessment, Infrastructure, Inclusive Practices और Governance Process, इन सभी के लिए स्टैंडर्ड बनना मुश्किल होता था। इससे देश के अलग अलग हिस्सों में, अलग अलग स्कूलों में स्टूडेंट्स को शिक्षा में असमानता का शिकार होना पड़ता है। लेकिन S.Q.A.A.F अब इस खाई को पाटने का काम करेगा। इसकी सबसे बड़ी खूबी है कि इस फ्रेमवर्क में अपनी जरूरत के हिसाब से बदलाव करने की flexibility भी राज्यों के पास होगी। स्कूल्स भी इसके आधार पर अपना मूल्यांकन खुद ही कर सकेंगे। इसके आधार पर स्कूलों को एक Transformational Change के लिए प्रोत्साहित भी किया जा सकेगा। + +शिक्षा में असमानता को खत्म करके उसे आधुनिक बनाने में National Digital Educational Architecture यानी, N-DEAR की भी बड़ी भूमिका होने वाली है। जैसे UPI इंटरफेस ने बैंकिंग सेक्टर को revolutionize कर दिया है, वैसे ही एन-डियर सभी academic activities के बीच एक सुपर कनेक्ट का काम करेगा। एक स्कूल से दूसरे स्कूल में जाना हो या हाइयर एजुकेशन में एड्मिशन, Multiple Entry-Exit की व्यवस्था हो, या अकैडमिक क्रेडिट बैंक और छात्रों की skills का रेकॉर्ड, सब कुछ एन-डियर के जरिए आसानी से उपलब्ध होगा। ये सभी transformations हमारे 'न्यू एज एजुकेशन' का चेहरा भी बनेंगे, और क्वालिटी एजुकेशन में भेदभाव को भी खत्म करेंगे। + +अर्थात्, पूरे ब्रह्मांड में गुरु की कोई उपमा नहीं होती, कोई बराबरी नहीं होती। जो काम गुरु कर सकता है वो कोई नहीं कर सकता। इसीलिए, आज देश अपने युवाओं के लिए शिक्षा से जुड़े जो भी प्रयास कर रहा है, उसकी बागडोर हमारे इन शिक्षक भाई-बहनों के ही हाथों में है। लेकिन तेजी से बदलते इस दौर में हमारे शिक्षकों को भी नई व्यवस्थाओं और तकनीकों के बारे में तेजी से सीखना होता है। 'निष्ठा' ट्रेनिंग प्रोग्राम्स से इस ट्रेनिंग प्रोग्राम का एक अच्‍छा सा निष्‍ठा आपके सामने अभी प्रस्‍तुत किया गया है। इस निष्‍ठा ट्रेनिंग प्रोग्राम के जरिए देश अपने टीचर्स को इन्हीं बदलावों के लिए तैयार कर रहा है। 'निष्ठा 3.0' अब इस दिशा में एक और अगला कदम है और में इसे बहुत महत्‍वपूर्ण कदम मानता हूं। हमारे टीचर्स जब Competency Based Teaching, Art-Integration, high-Order Thinking, और Creative and Critical Thinking जैसे नए तौर-तरीकों से परिचित होंगे तो वो भविष्य के लिए युवाओं को और सहजता से गढ़ पाएंगे। + +भारत के शिक्षकों में किसी भी ग्लोबल स्टैंडर्ड पर खरा उतरने की क्षमता तो है ही, साथ ही उनके पास अपनी विशेष पूंजी भी है। उनकी ये विशेष पूंजी, ये विशेष ताकत है उनके भीतर के भारतीय संस्कार। और मैं आपको मेरे दो अनुभव बताना चाहता हूं। मैं प्रधानमंत्री बनकर के जब पहली बार भूटान गया। तो वहां का राज परिवार हो, वहां के शासकीय व्‍यवस्‍था के लोग हों, बड़े गर्व से कहते थे कि पहले हमारे यहां करीब-करीब सभी टीचर्स भारत से आते थे और यहां के दूर-सुदूर इलाकों में पैदल जाकर के पढ़ाते थे। और जब ये शिक्षकों की बात करते थे। भूटान का राज परिवार हो या वहां के शासक, बड़ा गर्व अनुभव करते थे, उनकी आखों में चमक नजर आती थी। वैसे ही जब में साऊदी अरबीया गया और शायद साऊदी अरबीया के किंग से जब बात कर रहा था तो वो इतने गर्व से मुझे उल्‍लेख कर रहे थे। कि मुझे भारत के शिक्षक ने पढ़ाया है। मेरा शिक्षक भारत का था। अब देखिए शिक्षक के प्रति कोई भी व्‍यक्‍ति कहीं पर भी पहुंचे उनके मन में क्‍या भाव होता है। + diff --git a/pm-speech/119.txt b/pm-speech/119.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..9f4614bf9458967706cdd9b3b490fa115bc928f9 --- /dev/null +++ b/pm-speech/119.txt @@ -0,0 +1,10 @@ +आज शिक्षक पर्व के अवसर पर अनेक नई योजनाओं का प्रारंभ हुआ है। और अभी हमने एक छोटी सी फिल्‍म के द्वारा इन सभी योजनाओं के विषय में जानकारी प्राप्‍त की। ये initiative इसलिए भी अहम है क्योंकि देश अभी आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। आज़ादी के 100 वर्ष होने पर भारत कैसा होगा, इसके लिए आज भारत नए संकल्प ले रहा है।आज जो योजनाएं शुरू हुई हैं, वो भविष्य के भारत को आकार देने में अहम भूमिका निभाएंगी। आज विद्यांजलि-2.0, निष्ठा-3.0, talking books और UDL based ISL-Dictionary जैसे नए प्रोग्राम्स और व्यवस्थाएं launch की गई हैं। School Quality Assessment and Assurance Framework, यानी S.Q.A.A.F जैसी आधुनिक शुरुआत भी हुई है, मुझे पूरा भरोसा है कि ये न केवल हमारे education system को globally competitive बनाएँगी, बल्कि हमारे युवाओं को भी future ready बनाने में बहुत मदद करेंगी। + +आज एक और महत्वपूर्ण शुरुआत School Quality Assessment and Assurance Framework यानी S.Q.A.A.F के माध्यम से भी हो रही है। अभी तक देश में हमारे स्कूलों के लिए, education के लिए कोई एक common scientific framework ही नहीं था। कॉमन फ्रेमवर्क के बिना शिक्षा के सभी पहलुओं जैसे कि- Curriculum, Pedagogy, Assessment, Infrastructure, Inclusive Practices और Governance Process, इन सभी के लिए स्टैंडर्ड बनना मुश्किल होता था। इससे देश के अलग अलग हिस्सों में, अलग अलग स्कूलों में स्टूडेंट्स को शिक्षा में असमानता का शिकार होना पड़ता है। लेकिन S.Q.A.A.F अब इस खाई को पाटने का काम करेगा। इसकी सबसे बड़ी खूबी है कि इस फ्रेमवर्क में अपनी जरूरत के हिसाब से बदलाव करने की flexibility भी राज्यों के पास होगी। स्कूल्स भी इसके आधार पर अपना मूल्यांकन खुद ही कर सकेंगे। इसके आधार पर स्कूलों को एक Transformational Change के लिए प्रोत्साहित भी किया जा सकेगा। + +शिक्षा में असमानता को खत्म करके उसे आधुनिक बनाने में National Digital Educational Architecture यानी, N-DEAR की भी बड़ी भूमिका होने वाली है। जैसे UPI इंटरफेस ने बैंकिंग सेक्टर को revolutionize कर दिया है, वैसे ही एन-डियर सभी academic activities के बीच एक सुपर कनेक्ट का काम करेगा। एक स्कूल से दूसरे स्कूल में जाना हो या हाइयर एजुकेशन में एड्मिशन, Multiple Entry-Exit की व्यवस्था हो, या अकैडमिक क्रेडिट बैंक और छात्रों की skills का रेकॉर्ड, सब कुछ एन-डियर के जरिए आसानी से उपलब्ध होगा। ये सभी transformations हमारे ‘न्यू एज एजुकेशन’ का चेहरा भी बनेंगे, और क्वालिटी एजुकेशन में भेदभाव को भी खत्म करेंगे। + +अर्थात्, पूरे ब्रह्मांड में गुरु की कोई उपमा नहीं होती, कोई बराबरी नहीं होती। जो काम गुरु कर सकता है वो कोई नहीं कर सकता। इसीलिए, आज देश अपने युवाओं के लिए शिक्षा से जुड़े जो भी प्रयास कर रहा है, उसकी बागडोर हमारे इन शिक्षक भाई-बहनों के ही हाथों में है। लेकिन तेजी से बदलते इस दौर में हमारे शिक्षकों को भी नई व्यवस्थाओं और तकनीकों के बारे में तेजी से सीखना होता है। ‘निष्ठा’ ट्रेनिंग प्रोग्राम्स से इस ट्रेनिंग प्रोग्राम का एक अच्‍छा सा निष्‍ठा आपके सामने अभी प्रस्‍तुत किया गया है। इस निष्‍ठा ट्रेनिंग प्रोग्राम के जरिए देश अपने टीचर्स को इन्हीं बदलावों के लिए तैयार कर रहा है। ‘निष्ठा 3.0’ अब इस दिशा में एक और अगला कदम है और में इसे बहुत महत्‍वपूर्ण कदम मानता हूं। हमारे टीचर्स जब Competency Based Teaching, Art-Integration, high-Order Thinking, और Creative and Critical Thinking जैसे नए तौर-तरीकों से परिचित होंगे तो वो भविष्य के लिए युवाओं को और सहजता से गढ़ पाएंगे। + +भारत के शिक्षकों में किसी भी ग्लोबल स्टैंडर्ड पर खरा उतरने की क्षमता तो है ही, साथ ही उनके पास अपनी विशेष पूंजी भी है। उनकी ये विशेष पूंजी, ये विशेष ताकत है उनके भीतर के भारतीय संस्कार। और मैं आपको मेरे दो अनुभव बताना चाहता हूं। मैं प्रधानमंत्री बनकर के जब पहली बार भूटान गया। तो वहां का राज परिवार हो, वहां के शासकीय व्‍यवस्‍था के लोग हों, बड़े गर्व से कहते थे कि पहले हमारे यहां करीब-करीब सभी टीचर्स भारत से आते थे और यहां के दूर-सुदूर इलाकों में पैदल जाकर के पढ़ाते थे। और जब ये शिक्षकों की बात करते थे। भूटान का राज परिवार हो या वहां के शासक, बड़ा गर्व अनुभव करते थे, उनकी आखों में चमक नजर आती थी। वैसे ही जब में साऊदी अरबीया गया और शायद साऊदी अरबीया के किंग से जब बात कर रहा था तो वो इतने गर्व से मुझे उल्‍लेख कर रहे थे। कि मुझे भारत के शिक्षक ने पढ़ाया है। मेरा शिक्षक भारत का था। अब देखिए शिक्षक के प्रति कोई भी व्‍यक्‍ति कहीं पर भी पहुंचे उनके मन में क्‍या भाव होता है। + diff --git a/pm-speech/120.txt b/pm-speech/120.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..4ca9ee1aae2d7f434c283cc46d13c8c72f26aa18 --- /dev/null +++ b/pm-speech/120.txt @@ -0,0 +1,4 @@ +कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के साथ-साथ जन संवाद और जनभागीदारी भी, टीकाकरण की सफलता का बहुत बड़ा पहलू है। हिमाचल में तो पहाड़ के इर्द-गिर्द बोलियां तक पूरी तरह से बदल जाती हैं। ज्यादातर हिस्सा ग्रामीण है। जहां आस्था जीवन का एक अटूट हिस्सा है। जीवन में देवी-देवताओं की भावनात्मक उपस्थिति है। थोड़ी देर पहले कुल्लू जिला के मलाणा गांव की बात यहां हमारी बहन ने बताई। मलाणा ने लोकतंत्र को दिशा देने में, ऊर्जा देने में हमेशा से अहम भूमिका निभाई है। वहां की टीम ने विशेष कैंप लगाया, तार-स्पैन से टीके का बॉक्स पहुंचाया और वहां के देवसमाज से जुड़े महत्वपूर्ण व्यक्तियों को विश्वास में लिया। जन-भागीदारी और जनसंवाद की ऐसी रणनीति शिमला के डोडरा क्वार, कांगड़ा के छोटा-बड़ा भंगाल, किन्नौर, लाहौल-स्पीति और पांगी-भरमौर जैसे हर दुर्गम क्षेत्र में भी काम आई। + +गांव और कम्यूनिटी को जोड़ने के कितने सार्थक परिणाम मिल सकते हैं, इसका बड़ा उदाहरण जल जीवन मिशन है। आज हिमाचल के उन क्षेत्रों में भी नल से जल आ रहा है, जहां कभी ये असंभव माना जाता था। यही अप्रोच वन संपदा को लेकर भी अपनाई जा सकती है। इसमें गांव में जो हमारी बहनों के स्वयं सहायता समूह हैं, उनकी भागीदारी को बढ़ाया जा सकता है। विशेष रूप से जड़ी-बूटियों, सलाद, सब्जियों को लेकर हिमाचल के जंगलों में बहुत संभावनाएं हैं, जिनकी डिमांड निरंतर बढ़ती जा रही है। इस संपदा को हमारी परिश्रमी बहनें, वैज्ञानिक तरीकों से कई गुना बढ़ा सकती हैं। अब तो ई-कॉमर्स के नए माध्यम से हमारी बहनों को नए तरीके भी मिल रहे हैं। इस 15 अगस्त को मैंने लाल किले से कहा भी है, कि केंद्र सरकार अब बहनों के स्वयं सहायता समूहों के लिए विशेष ऑनलाइन प्लेटफॉर्म बनाने वाली है। इस माध्यम से हमारी बहनें, देश और दुनिया में अपने उत्पादों को बेच पाएंगी। सेब, संतरा, किन्नु, मशरूम, टमाटर, ऐसे अनेक उत्पादों की हिमाचल की बहनें देश के कोने-कोने में पहुंचा पाएंगी। केंद्र सरकार ने 1 लाख करोड़ रुपए का एक विशेष एग्री- इंफ्रास्ट्रक्चर फंड भी बनाया है। बहनों के स्वयं सहायता समूह हों, किसान उत्पादक संघ हों, वो इस फंड की मदद से अपने गांव के पास ही कोल्ड स्टोरेज या फिर फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगा सकते हैं। इससे अपने फल-सब्जी के भंडारण के लिए उनको दूसरों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। हिमाचल के परिश्रमी हमारे किसान-बागबान इसका अधिक से अधिक लाभ उठाएंगे, इसका मुझे पूरा विश्वास है। + diff --git a/pm-speech/121.txt b/pm-speech/121.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..2d5368dd2904fef9de0cb4c487e192a0dbfb7f0c --- /dev/null +++ b/pm-speech/121.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +भारत और रूस के बीच मित्रता समय की कसौटी पर खरी उतरी है। अभी हाल ही में इसे कोविड -19 महामारी के दौरान टीकों के क्षेत्र सहित कई क्षेत्रों में हमारे सुदृढ़ सहयोग के रूप में देखा गया। महामारी ने हमारे द्विपक्षीय सहयोग में स्वास्थ्य और दवा क्षेत्रों के विशेष महत्व को सामने लाया है। ऊर्जा हमारी रणनीतिक साझेदारी का एक अन्य प्रमुख स्तंभ है। भारत-रूस ऊर्जा साझेदारी वैश्विक ऊर्जा बाजार में स्थिरता लाने में काफी मदद कर सकती है। मेरे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री श्री हरदीप पुरी इस मंच में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए व्लादिवोस्तोक में हैं।  भारतीय कामगार अमूर क्षेत्र में यमल से व्लादिवोस्तोक तक और इसके साथ ही उसके आगे चेन्नई में प्रमुख गैस परियोजनाओं में भाग ले रहे हैं। हमने एक ऊर्जा और व्यापार सेतु की परिकल्पना की है। मुझे खुशी है कि चेन्नई-व्लादिवोस्तोक समुद्री गलियारे का कार्य प्रगति पर है। अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण कॉरिडोर के साथ-साथ यह कनेक्टिविटी परियोजना भारत और रूस को भौतिक रूप से एक-दूसरे के करीब लाएगी। महामारी संबंधी पाबंदियों के बावजूद कई क्षेत्रों में हमारे कारोबारी संबंधों को मजबूत करने में अच्छी प्रगति हुई है। इसमें भारतीय इस्पात उद्योग को कोकिंग कोल की दीर्घकालिक आपूर्ति शामिल है। हम कृषि उद्योग, मिट्टी के बर्तन, रणनीतिक एवं दुर्लभ खनिजों और हीरे में भी नए अवसर तलाश रहे हैं।  मुझे प्रसन्‍नता हो रही है कि साखा-याकुटिया और गुजरात के हीरा प्रतिनिधि इस मंच के तहत ही अलग से वार्तालाप कर रहे हैं। मुझे विश्वास है कि वर्ष 2019 में घोषित 1 अरब डॉलर की सॉफ्ट क्रेडिट लाइन दोनों देशों के बीच अनगिनत कारोबारी अवसर सृजित करेगी। + diff --git a/pm-speech/124.txt b/pm-speech/124.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..fe31eb1f07090e0b44ca5af8b81b318cb06bf5d1 --- /dev/null +++ b/pm-speech/124.txt @@ -0,0 +1,10 @@ +साथियो, जब खेल-कूद की बात होती है न, तो स्वाभाविक है हमारे सामने पूरी युवा पीढ़ी नजर आती है। और जब युवा पीढ़ी की तरफ गौर से देखते हैं कितना बड़ा बदलाव नजर आ रहा है। युवा का मन बदल चुका है। और आज का युवा मन घिसे-पिटे पुराने तौर तरीकों से कुछ नया करना चाहता है, हटकर के करना चाहता है। आज का युवा मन बने बनाए रास्तों पर चलना नहीं चाहता है। वो नए रास्ते बनाना चाहता है। unknown जगह पर कदम रखना चाहता है। मंजिल भी नयी, लक्ष्य भी नए, राह भी नयी और चाह भी नयी, अरे एक बार मन में ठान लेता हैं न युवा, जी-जान से जुट जाता है। दिन-रात मेहनत कर रहा है। हम देखते हैं, अभी कुछ समय पहले ही, भारत ने, अपने Space Sector को open किया और देखते ही देखते युवा पीढ़ी ने उस मौके को पकड़ लिया और इसका लाभ उठाने के लिए कॉलेजों के students, university, private sector में काम करने वाले नौजवान बढ़-चढ़ करके आगे आए हैं और मुझे पक्का भरोसा है आने वाले दिनों में बहुत बड़ी संख्या ऐसे satellites की होगी, जो हमारे युवाओं ने, हमारे छात्रों ने, हमारे college ने, हमारी universities ने, lab में काम करने वाले students ने काम किया होगा। + +मेरे प्यारे देशवासियो, कल जन्माष्टमी का महापर्व भी है। जन्माष्टमी का ये पर्व यानी, भगवान श्री कृष्ण के जन्म का पर्व। हम भगवान के सब स्वरूपों से परिचित हैं, नटखट कन्हैया से ले करके विराट रूप धारण करने वाले कृष्ण तक, शास्त्र सामर्थ्य से ले करके शस्त्र सामर्थ्य वाले कृष्ण तक। कला हो, सौन्दर्य हो, माधुर्य हो, कहाँ-कहाँ कृष्ण है। लेकिन ये बातें मैं इसलिए कर रहा हूँ कि जन्माष्टमी से कुछ दिन पूर्व, मैं एक ऐसे दिलचस्प अनुभव से गुजरा हूँ तो मेरा मन करता है ये बातें मैं आपसे करूँ। आपको याद होगा, इस महीने की 20 तारीख को भगवान सोमनाथ मंदिर से जुड़े निर्माण कार्यों का लोकार्पण किया गया है। सोमनाथ मंदिर से 3-4 किलोमीटर दूरी पर  ही भालका तीर्थ है, ये भालका तीर्थ वो है जहाँ भगवान श्री कृष्ण ने धरती पर अपने अंतिम पल बिताये थे। एक प्रकार से इस लोक की उनकी लीलाओं का वहाँ समापन हुआ था। सोमनाथ ट्रस्ट द्वारा उस सारे क्षेत्र में विकास के बहुत सारे काम चल रहे हैं। मैं भालका तीर्थ और वहाँ हो रहे कार्यों के बारे में सोच ही रहा था कि मेरी नज़र, एक सुन्दर सी Art-book पर पड़ी। यह किताब मेरे आवास के बाहर कोई मेरे लिए छोड़कर गया था। इसमें भगवान श्री कृष्ण के अनेकों रूप, अनेकों भव्य तस्वीरें थी। बड़ी मोहक तस्वीरें थी और बड़ी meaningful तस्वीरें थी। मैंने किताब के पन्ने पलटना शुरू किया, तो मेरी जिज्ञासा जरा और बढ़ गई। जब मैंने इस किताब और उन सारे चित्रों को देखा और उस पर मेरे लिए एक सन्देश लिखा और तो जो वो पढ़ा तो मेरा मन कर गया कि उनसे मैं मिलूँ। जो ये किताब मेरे घर के बाहर छोड़ के चले गए है मुझे उनको मिलना चाहिए। तो मेरी ऑफिस ने उनके साथ संपर्क किया। दूसरे ही दिन उनको मिलने के लिए बुलाया और मेरी जिज्ञासा इतनी थी art-book को देख कर के, श्री कृष्ण के अलग-अलग रूपों को देख करके। इसी जिज्ञासा में मेरी मुलाकात हुई जदुरानी दासी जी से। वे American है, जन्म America में हुआ, लालन-पालन America में हुआ,  जदुरानी दासी जी ISKCON से जुड़ी हैं, हरे कृष्णा movement से जुड़ी हुई हैं और उनकी एक बहुत बड़ी विशेषता है भक्ति arts में वो निपुण है। आप जानते हैं अभी दो दिन बाद ही एक सितम्बर को  ISKCON के संस्थापक श्रील प्रभुपाद स्वामी जी की 125वीं जयंती है। जदुरानी दासी जी इसी सिलसिले में भारत आई थीं। मेरे सामने बड़ा सवाल ये था कि जिनका जन्म अमेरिका में हुआ, जो भारतीय भावों से इतना दूर रहीं, वो आखिर कैसे भगवान श्रीकृष्ण के इतने मोहक चित्र बना लेती हैं। मेरी उनसे लंबी बात हुई थी लेकिन मैं आपको उसका कुछ हिस्सा सुनाना चाहता हूँ। + +साथियो, भाषा तो आप समझ गए होंगे। ये radio पर संस्कृत में बात की जा रही है और जो बात कर रही हैं, वो हैं RJ गंगा। RJ गंगा, गुजरात के Radio Jockeys के group की एक सदस्य हैं। उनके और भी साथी हैं, जैसे RJ नीलम, RJ गुरु और RJ हेतल। ये सभी लोग मिलकर गुजरात में, केवड़िया में इस समय संस्कृत भाषा का मान बढ़ाने में जुटे हुए हैं। और आपको मालूम है न ये केवड़िया वही है जहाँ दुनिया का सबसे ऊँचा statue, हमारे देश का गौरव, Statue of Unity जहाँ पर है, उस केवड़िया की मैं बात कर रहा हूँ। और ये सब ऐसे Radio Jockeys हैं, जो एक साथ कई भूमिकाएं निभाते हैं। ये guide के रूप में भी अपनी सेवा देते हैं, और साथ-साथ Community Radio Initiative, Radio Unity 90 FM, उसका संचालन भी करते हैं। ये RJs अपने श्रोताओं से संस्कृत भाषा में बात करते हैं, उन्हें संस्कृत में जानकारी उपलब्ध कराते हैं। + +साथियो, हाल के दिनों में जो प्रयास हुए हैं, उनसे संस्कृत को लेकर एक नई जागरूकता आई है। अब समय है कि इस दिशा में हम अपने प्रयास और बढाएं। हमारी विरासत को संजोना, उसको संभालना, नई पीढ़ी को देना ये हम सब का कर्तव्य है और भावी पीढ़ियों का उस पर हक भी है। अब समय है इन कामों के लिए भी सबका प्रयास ज्यादा बढ़े। साथियो, अगर आप इस तरह के प्रयास में जुटे ऐसे किसी भी व्यक्ति को जानते हैं, ऐसी किसी जानकारी आपके पास है तो कृपया #CelebratingSanskrit के साथ social media पर उनसे संबंधित जानकारी जरुर साझा करें। + +मेरे प्यारे देशवासियो, ये समय आजादी के 75वें साल का है। इस साल तो हमें हर दिन नए संकल्प लेने हैं, नया सोचना है, और कुछ नया करने का अपना जज्बा बढ़ाना है। हमारा भारत जब आजादी के सौ साल पूरे करेगा, तब हमारे ये संकल्प ही उसकी सफलता की बुनियाद में नज़र आएंगे। इसलिए, हमें ये मौका जाने नहीं देना है। हमें इसमें अपना ज्यादा से ज्यादा योगदान देना है। और इन प्रयासों के बीच, हमें एक बात और याद रखनी है। दवाई भी, कड़ाई भी। देश में 62 करोड़ से ज्यादा vaccine की dose दी जा चुकी है लेकिन फिर भी हमें सावधानी रखनी है, सतर्कता रखनी है। और हाँ, हमेशा की तरह, जब भी आप कुछ नया करें, नया सोचें, तो उसमें मुझे भी जरूर शामिल करिएगा। मुझे आपके पत्र और messages का इंतज़ार रहेगा। इसी कामना के साथ, आप सभी को आने वाले पर्वों की एक बार फिर ढेरों बधाइयाँ। बहुत-बहुत धन्यवाद। + diff --git a/pm-speech/127.txt b/pm-speech/127.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..f0c55f1321a59060b4d0e2feb53aba4bfefb2bf2 --- /dev/null +++ b/pm-speech/127.txt @@ -0,0 +1,4 @@ +हमारे पूर्वजों की दूरदृष्टि इतनी थी कि उन्होंने दूर-सुदूर क्षेत्रों को भी हमारी आस्था से जोड़ने का काम किया, उनके अपनेपन का बोध कराया। लेकिन दुर्भाग्य से जब हम सक्षम हुए, जब हमारे पास आधुनिक तकनीक और संसाधन आए तो हमने इन इलाकों को दुर्गम समझकर उसे छोड़ दिया। हमारे पर्वतीय इलाके इसका बहुत बड़ा उदाहरण हैं। लेकिन आज देश इन पवित्र तीर्थों की दूरियों को भी पाट रहा है। वैष्णो देवी मंदिर के आसपास विकास हो या पूर्वोत्तर तक पहुँच रहा हाइटेक इनफ्रास्ट्रक्चर हो, आज देश में अपनों से दूरियाँ सिमट रही हैं। इसी तरह, 2014 में देश ने इसी तरह तीर्थ स्थानों के विकास के लिए 'प्रसाद स्कीम' की भी घोषणा की थी। इस योजना के तहत देश में करीब-करीब 40 बड़े तीर्थस्थानों को विकसित किया जा रहा है, जिनमें 15 प्रोजेक्ट्स का काम पूरा भी कर लिया गया है। गुजरात में भी 100 करोड़ से ज्यादा के 3 प्रोजेक्ट्स पर प्रसाद योजना के तहत काम चल रहा है। गुजरात में सोमनाथ और दूसरे tourist spots और शहरों को भी आपस में जोड़ने के लिए connectivity पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। कोशिश ये कि जब पर्यटक एक जगह दर्शन करने आए तो दूसरे पर्यटक स्थलों तक भी जाए। इसी तरह, देश भर में 19 Iconic Tourist Destinations की पहचान कर आज उन्हें विकसित किया जा रहा है। ये सभी प्रोजेक्ट्स हमारी tourist industry को आने वाले समय में एक नई ऊर्जा देंगे। + +पर्यटन के जरिए आज देश सामान्य मानवी को न केवल जोड़ रहा है, बल्कि खुद भी आगे बढ़ रहा है। इसी का परिणाम है कि 2013 में देश Travel & Tourism Competitiveness Index में जहां 65th स्थान पर था, वहीं 2019 में 34th स्थान पर आ गया। अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए देश ने इन 7 सालों में कई नीतिगत फैसले भी लिए हैं, जिनका लाभ देश को आज हो रहा है। देश ने e-Visa regime, visa on arrival जैसी व्यवस्थाओं को आगे बढ़ाया है, और visa की फीस को भी कम किया है। इसी तरह, tourism सेक्टर में hospitality के लिए लगने वाले जीएसटी को भी घटाया गया है। इससे tourism sector को बहुत लाभ होगा और कोविड के प्रभावों से उबरने में भी मदद मिलेगी। कई फैसले पर्यटकों के interests को ध्यान में रखकर भी किए गए हैं। जैसे कि कई पर्यटक जब आते हैं तो उनका उत्साह adventure को लेकर भी होता है। इसे ध्यान में रखते हुये देश ने 120 माउंटेन पीक्स को भी ट्रेकिंग के लिए खोला है। पर्यटकों को नई जगह पर असुविधा न हो, नई जगहों की पूरी जानकारी मिले इसके लिए भी प्रोग्राम चलाकर guides को train किया जा रहा है। इससे बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर भी बन रहे हैं। + diff --git a/pm-speech/128.txt b/pm-speech/128.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..d9ade781cd00326036da3f93649636059920d2dc --- /dev/null +++ b/pm-speech/128.txt @@ -0,0 +1,4 @@ +एक खिलाड़ी के तौर पर आप ये बखूबी जानते हैं कि, मैदान में जितनी फ़िज़िकल स्ट्रेंथ की जरूरत होती है उतनी ही मेंटल स्ट्रेंथ भी मायने रखती है। आप लोग तो विशेष रूप से ऐसी परिस्थितियों से निकलकर आगे बढ़े हैं जहां मेंटल स्ट्रेंथ से ही इतना कुछ मुमकिन हुआ है। इसीलिए, आज देश अपने खिलाड़ियों के लिए इन सभी बातों का ध्यान रख रहा है। खिलाड़ियों के लिए ‘स्पोर्ट साइकॉलजी’ उसपर वर्कशॉप्स और सेमिनार्स इसकी व्यवस्था लगातार करते रहे हैं। हमारे ज़्यादातर खिलाड़ी छोटे शहरों, कस्बों और गाँवों से आते हैं। इसलिए, exposure की कमी भी उनके लिए एक बड़ी चुनौती होती है। नई जगह, नए लोग, अंतर्राष्ट्रीय परिस्थितियाँ, कई बार ये चुनौतियाँ ही हमारा मनोबल कम कर देती है। इसीलिए ये तय किया गया कि इस दिशा में भी हमारे खिलाड़ियों को ट्रेनिंग मिलनी चाहिए। मैं उम्मीद करता हूं कि टोक्यो पैरालम्पिक्स को ध्यान में रखते हुए जो तीन सेशन्स आपने जॉइन किए, इनसे आपको काफी मदद भी मिली होगी। + +पहले दिव्यांगजनों के लिए सुविधा देने को वेलफेयर समझा जाता था।  लेकिन आज देश इसे अपना दायित्व मानकर काम कर रहा है। इसीलिए, देश की संसद ने ‘The Rights for Persons with Disabilities Act, जैसा कानून बनाया, दिव्यांगजनों के अधिकारों को कानूनी सुरक्षा दी। सुगम्य भारत अभियान’ इसका एक और बड़ा उदाहरण है। आज सैकड़ों सरकारी buildings, सैकड़ों रेलवे स्टेशन,हजारों ट्रेन कोच, दर्जनों domestic airports के इनफ्रास्ट्रक्चर को दिव्यांग जनों के लिए सुगम बनाया जा चुका है। इंडियन साइन लैंग्वेज की स्टैंडर्ड डिक्शनरी बनाने का काम भी तेजी से चल रहा है। NCERT की किताबों को भी साइन लैंग्वेज में translate किया जा रहा है। इस तरह के प्रयासों से कितने ही लोगों का जीवन बदल रहा है, कितनी ही प्रतिभाओं को देश के लिए कुछ करने का भरोसा मिल रहा है।  + diff --git a/pm-speech/129.txt b/pm-speech/129.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..342099f466b52ad293a204c9ab1a696e83280152 --- /dev/null +++ b/pm-speech/129.txt @@ -0,0 +1,48 @@ +हम आजादी का जश्‍न मनाते हैं लेकिन बंटवारे का दर्द आज भी हिन्‍दुस्‍तान के सीने को छलनी करता है। ये पिछली शताब्‍दी की सबसे बड़ी त्रासदी में से एक थी। आजादी के बाद इन लोगों को बहुत ही जल्‍द भुला दिया गया। कल ही भारत ने एक भावुक निर्णय लिया है। अब से हर वर्ष 14 अगस्‍त को ‘विभाजन विभिषिका स्‍मृति दिवस’ के रूप में याद किया जाएगा। जो लोग विभाजन के समय अमानवीय हालात से गुजरे, जिन्‍होंने अत्‍याचार सहे, जिन्‍हें सम्‍मान के साथ अंतिम संस्‍कार तक नसीब नहीं हुआ, उन लोगों का हमारी स्‍मृतियों में जीवित रहना भी उतना ही जरूरी है। आजादी के 75वें स्‍वतंत्रता दिवस पर विभा‍जन विभिषिका स्‍मृति दिवस का तय होना, ऐसे लोगों को हर भारतवासी की तरफ से आदरपूर्वक श्रद्धांजलि है। + +अमृत काल 25 वर्ष का है। लेकिन हमें अपने लक्ष्‍यों की प्राप्‍ति के लिये इतना लम्‍बा इंतजार भी नहीं करना है। हमें अभी से जुट जाना है। हमारे पास गंवाने के लिये एक पल भी नहीं है। यही समय है, सही समय है। हमारे देश को भी बदलना होगा और हमें एक नागरिक के नाते अपने आपको भी बदलना ही होगा। बदलते हुए युग के अनुकूल हमें भी अपने आपको ढालना होगा। सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्‍वास, इसी श्रृद्धा के साथ हम सब जुट चुके हैं। लेकिन आज लाल किले की प्राचीर से आह्वान कर रहा हूं। सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्‍वास और अब सबका प्रयास हमारे हर लक्ष्‍यों की प्राप्‍ति के लिये बहुत महत्‍वपूर्ण है। बीते सात वर्षों में शुरू हुई अनेक योजनाओं का लाभ करोंड़ों गरीबों को उनके घर तक पहुंचा है। उज्ज्वला से लेकर आयुष्‍मान भारत की ताकत आज देश का हर गरीब जानता है। आज सरकारी योजनाओं की गति बढ़ी है। वह निर्धारित लक्ष्‍यों को प्राप्‍त कर रही है। पहले की तुलना में हम बहुत तेजी से बहुत आगे बढ़े हैं। लेकिन सिर्फ बात यहां पूरी नहीं होती है। अब हमें सैचुरेशन तक जाना है, पूर्णता तक जाना है। शत-प्रतिशत गांवों में सड़के हों, शत-प्रतिशत परिवारों के बैंक अकाउंट हो, शत-प्रतिशत लाभार्थियों को आयुष्‍मान भारत का कार्ड हो, शत-प्रतिशत पात्र व्‍यक्‍तियों को उज्ज्वला योजना और गैस कनेक्‍शन हों। सरकार की बीमा योजना हो, पेंशन योजना हो, आवास योजना से हमें हर उस व्‍यक्‍ति को जोड़ना है जो उसके हकदार हैं। शत-प्रतिशत का मूड बनाकर के चलना है। आज तक हमारे यहां कभी उन साथियों के बारे में नहीं सोचा गया जो रेहड़ी लगाते हैं। पटरी पर बैठकर, फुटपाथ पर बैठकर सामान बेचते हैं, ठेला चलाते हैं। इम इस साथियों को स्‍वनिधि योजना के जरिए बैंकिंग व्‍यवस्‍था से जोड़ा जा रहा है। + +आज देश में हर गरीब तक बेहतर स्वास्थ्य सुविधा पहुचाने का अभियान भी तेज गति से चल रहा है। इसके लिए मेडिकल शिक्षा में जरूरी बड़े-बड़े सुधार भी किए गए हैं। Preventive healthcare पर भी उतना ही ध्यान दिया गया है। साथ-साथ देश में मेडिकल सीटों में भी काफी बढ़ोत्तरी की गई है। आयुष्मान भारत योजना के तहत देश के गांव-गांव तक quality स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाई जा रही हैं। जन औषधि योजना के माध्यम से गरीब को, मध्यम वर्ग को सस्ती दवाईयां उपलब्ध कराई जा रही हैं। अभी तक 75 हजार से ज्यादा Health and Wellness centers बनाएं जा चुके हैं। अब ब्लॉक स्तर पर अच्छे अस्पतालों और आधुनिक लैब के नेटवर्क पर विशेष रूप से काम किया जा रहा है। बहुत जल्द देश के हजारों अस्पतालों के पास अपने ऑक्सीजन प्लांट भी होंगे। + +आज North-east में connectivity का नया इतिहास लिखा जा रहा है। ये connectivity दिलों की भी है और infrastructure की भी है। बहुत जल्‍द North-east के सभी राज्‍यों की राजधानियों को रेल सेवा से जोड़ने का काम पूरा होने वाला है। Act-East Policy के तहत आज North-east, बांग्‍लादेश, म्‍यांमार और दक्षिण-पूर्वी एशिया से भी connect हो रहा है। बीते वर्षों में जो प्रयास हुए हैं, उसकी वजह से अब North-east में स्‍थायी शांति के लिए, श्रेष्‍ठ भारत के निर्माण के लिए उत्‍साह अनेक गुना बढ़ा हुआ है। + +21वीं सदी के इस दशक में, भारत Blue Economy के अपने प्रयासों को और तेजी देगा। हमें aquaculture के साथ-साथ seaweed की खेती में जो नई संभावना बन रही है, उन संभावनाओं का भी पूरा लाभ उठाना है। Deep Ocean Mission समंदर की असीम संभावनाओं को तलाशने की हमारी महत्‍वाकांक्षा का परिणाम है। जो खनिज संपदा समंदर में छिपी हुई है, जो thermal energy समंदर के पानी में है, वो देश के विकास को नई बुलंदी दे सकती है। + +अर्थजगत में पूंजीवाद और समाजवाद इसकी चर्चा तो बहुत होती है, लेकिन भारत सहकारवाद पर भी बल देता है। सहकारवाद, हमारी परम्‍परा, हमारे संस्‍कारों के भी अनुकूल है। सहकारवाद, जिसमें जनता-जनार्दन की सामूहिक शक्ति अर्थव्‍यवस्‍था की चालक शक्ति के रूप में driving force बने, ये देश के grassroots level की economy के लिए एक अहम क्षेत्र है। Co-operatives, ये सिर्फ कानून-नियमों के जंजाल वाली एक व्‍यवस्‍था नहीं है, बल्कि co-operative एक spirit है, co-operative एक संस्‍कार है, co-operative एक सामूहिक चलने की मन:प्रवृत्ति है। उनका सशक्तिकरण हो, इसके लिए हमने अलग मंत्रालय बनाकर इस दिशा में कदम उठाए हैं और राज्‍यों के अंदर जो सहकारी क्षेत्र है, उसको जितना ज्‍यादा बल दे सकें, वो बल देने के लिए हमने ये कदम उठाया है। + +इस दशक में हमें गांवों में नई अर्थव्‍यवस्‍था के‍ निर्माण के लिए पूरी शक्ति लगानी होगी। आज हम अपने गांवों को तेजी से परिवर्तित होते देख रहे हैं। बीते कुछ वर्ष, गांवों तक सड़क और बिजली की सुविधाओं को पहुंचाने के रहे थे। वो पूरा कालखंड हमारा रहा। लेकिन अब इन गांवों को optical fiber network data की ताकत पहुंच रही है, इंटरनेट पहुंच रहा है। गांव में भी digital entrepreneur तैयार हो रहे हैं। गांव में जो हमारी Self-Help Group से जुड़ी 8 करोड़ से अधिक बहनें हैं, वो एक से बढ़कर एक products बनाती हैं। इनके products को देश में और विदेश में बड़ा बाजार मिले, इसके लिए अब सरकार e-commerce platform भी तैयार करेगी। + +फसल बीमा योजना में सुधार हो, एमएसपी को डेढ़ गुना करने का बड़ा महत्‍वपूर्ण निर्णय हो, छोटे किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड से सस्‍ते दर से बैंक से कर्ज मिलने की व्‍यवस्‍था हो, सोलर पावर से जुड़ी योजनाएं खेत तक पहुंचाने की बात हो, किसान उत्पादक संगठन हो… ये सारे प्रयास छोटे किसान की ताकत बढ़ाएंगे। आने वाले समय में ब्लॉक लेवल तक warehouse की facility create करने का भी अभियान चलाया जाएगा। हर छोटे किसानों के छोटे-छोटे खर्च को ध्‍यान में रखते हुए पीएम किसान सम्‍मान निधि योजना चलाई जा रही है। दस करोड़ से अधिक किसान परिवारों के बैंक खातों में अब-तक डेढ़ लाख करोड़ से ज्‍यादा रकम सीधे उनके खातों में जमा करा दी गई है। छोटा किसान अब हमारे लिए हमारा मंत्र है, हमारा संकल्‍प है। छोटा किसान बने देश की शान…. छोटा किसान बने देश की शान। ये हमारा सपना है। आने वाले वर्षों में हमें देश के छोटे किसानों की सामूहिक शक्ति को और बढ़ाना होगा। नई सुविधाएं देनी होंगी। आज देश के 70 से ज्‍यादा रेल रूटों पर, किसान रेल चल रही है। + +कैसे आज गांवों के सामर्थ्‍य को बनाया जा रहा है। उसका एक उदाहरण है स्‍वामित्‍व योजना। हम सब जानते हैं कि गांवों में जमीन की कीमत का क्‍या हाल होता है। जमीन पर उनको बैंकों से कोई कर्ज नहीं मिलता है, खुद जमीन के मालिक होने के बावजूद भी। क्‍योंकि गांवों में जमीनों के कागज पर कई-कई पीढ़ियों से कोई काम नहीं हुआ है। लोगों के पास इसकी व्‍यवस्‍था नहीं है। इस स्‍थिति को बदलने का काम आज स्‍वामित्‍व योजना कर रही है। आज गांव-गांव हर एक घर की, हर जमीन की, ड्रोन के जरिए मैपिंग हो रही है। गांव की जमीनों के डेटा और सम्‍पत्ति के कागज ऑनलाइन अपलोड हो रहे हैं। इससे ना सिर्फ गांवों में जमीन से जुड़े विवाद समाप्‍त हो रहे हैं बल्‍कि गांव के लोगों को बैंक से आसानी से लोन भी मिलने की व्‍यवस्‍था निर्माण हुई है। गांव गरीब की जमीनें विवाद का नहीं, विकास का आधार बने, देश आज इस दिशा में बढ़ रहा है। + +स्‍वामी विवेकानंद जी जब भारत के भविष्‍य की बात करते थे, अपनी आंखों के सामने मां भारती की भव्‍यता का जब वो दर्शन करते थे तब वो कहते थे- जहां तक हो सके, अतीत की ओर देखो। पीछे जो चिर नूतन झरना बह रहा है, आकंठ उसका जल पियो और उसके बाद, देखिए स्‍वामी विवेकानंद जी की विशेषता, उसके बाद सामने की ओर देखो। आगे बढ़ो और भारत को पहले से भी कही ज्‍यादा उज्‍ज्‍वल, महान, श्रेष्‍ठ बनाओ। आजादी के इस 75वें वर्ष में हमारा दायित्‍व है कि अब हम देश के असीम सामर्थ्‍य पर विश्‍वास करते हुए आगे बढ़े। हमें मिलकर काम करना होगा नए जेनरेशन इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर के लिए, हमें मिलकर काम करना होगा वर्ल्‍ड क्‍लास मैन्‍यूफैक्‍चरिंग के लिए, हमें मिलकर काम करना होगा कटिंग edge innovations के लिए, हमें मिलकर काम करना होगा न्‍यू ऐज technology के लिए। + +भारत को आधुनिक infrastructure के साथ ही infrastructure निर्माण में holistic approach, integrated approach अपनाने की बहुत जरूरत है। आने वाले कुछ ही समय में हम करोड़ों देशवासियों का सपना पूरा करने वाली एक बहुत बड़ी योजना, प्रधानमंत्री गतिशक्ति का national master plan देश के सामने लेकर आने वाले हैं। उसको लॉन्च करने वाले हैं। सौ लाख करोड़ से भी अधिक की यह योजना लाखों नौजवानों के लिए रोजगार के नए अवसर लेकर आने वाली है। गतिशक्ति हमारे देश के लिए एक ऐसा national infrastructure master plan होगा जो holistic infrastructure की नींव रखेगा। हमारी economy को एक integrated और holistic pathway देगा। अभी हम देखते हैं कि हमारे ट्रांसपोर्ट के साधनों में कोई तालमेल नहीं होता। गतिशक्ति silos को तोड़ेगी। भविष्य के रास्ते से इन सब रोड़ों को, साथ ही और भी जितनी कठिनाई हैं, उनको हटाएगी। इससे सामान्य मानवी के लिए ट्रैवल टाइम में कमी आएगी और हमारी industry की productivity और भी बढ़ेगी। गतिशक्ति हमारे local manufacturers को globaly competitive करने में भी बहुत बड़ी मदद करेगी और इससे future Economic Zones के निर्माण की नई संभावनाएं भी विकसित होगी। अमृतकाल के इस दशक में गति की शक्ति भारत के कायाकल्‍प का आधार बनेगी। + +विकास के पथ पर आगे बढ़ते हुए भारत को अपनी manufacturing और export दोनों को बढ़ाना होगा। आपने देखा है, अभी कुछ दिन पहले ही भारत ने अपने पहले स्‍वदेशी Aircraft Carrier INS विक्रांत को समुद्र में trial के लिए उतारा है। भारत आज अपना लड़ाकू विमान बना रहा है, अपनी Submarine बना रहा है। गगनयान भी अंतरिक्ष में भारत का परचम लहराने के लिए तैयार हो रहा है। ये स्‍वदेशी manufacturing में हमारे सामर्थ्‍य को उजागर करता है। + +कोरोना के बाद उभरी नई आर्थिक परिस्थितियों में Make in India को स्‍थापित करने के लिए देश ने Production Linked Incentive की भी घोषणा की है। इस scheme से जो बदलाव आ रहा है, उसका उदाहरण electronic manufacturing sector से है। सात साल पहले हम लगभग आठ बिलियन डॉलर के मोबाइल फोन import यानी आयात करते थे। अब import तो बहुत ज्‍यादा घटा है, आज हम तीन बिलियन डॉलर के मोबाइल फोन export भी कर रहे हैं। + +आज जब हमारे manufacturing sector को गति मिल रही है तो हमें ये ध्‍यान रखना है कि हम भारत में जो बनाएं, उससे हम best quality के साथ ग्‍लोबल competition में टिकें और हो सके तो एक कदम आगे बढ़ें, यह तैयारी करनी है और ग्‍लोबल मार्केट को हमें target करना है। देश के सभी manufacturers को मैं आग्रहपर्वूक कहना चाहता हूं, हमारे manufacturers को इस बात को कभी नहीं भूलना होगा कि आप जो product बाहर बेचते हैं, वो सिर्फ आपकी कंपनी के द्वारा बनाया हुआ सिर्फ एक पुर्जा नहीं है, एक product नहीं है, उसके साथ भारत की पहचान जुड़ी होती है, भारत की प्रतिष्‍ठा जुड़ी होती है, भारत के कोटि-कोटि लोगों का विश्‍वास जुड़ा होता है। + +मैं इसलिए manufacturers को कहता हूं, आपका हर एक product भारत का brand ambassador है। जब तक वो product इस्‍तेमाल में लाया जाता रहेगा, उसे खरीदने वाला कहेगा, बड़े गर्व से कहेगा, सीना तान करके कहेगा – हां यह Made In India है। ये मिजाज चाहिए। अब आपके मन में दुनिया के मार्केट में छा जाने का सपना होना चाहिए। इस सपने को पूरा करने के लिए सरकार हर तरह से आपके साथ खड़ी है। + +आज देश के अलग-अलग सेक्‍टर और देश के छोटे शहरों में भी, tier 2, tier 3 cities में भी नये-नये start-up बन रहे हैं। उनकी, भारतीय products को अंतर्राज्‍यीय बाजार में जाने में बड़ी भूमिका भी है। सरकार अपने इन start-ups के साथ, पूरी ताकत के साथ खड़ी है। उन्‍हें आर्थिक मदद देनी हो, Tax में छूट देनी हो, उनके लिए नियमों को सरल बनाना हो, सब कुछ किया जा रहा है। हमने देखा है कोरोना के इस कठिन काल में ही हजारों- हजारों नये start-ups उभर करके आए हैं। बड़ी सफलता से वे आगे बढ़ रहे हैं। कल के startup आज के unicorn बन रहे हैं। इनकी market value हजारों करोड़ रुपये तक पहुंच रही है। + +ये देश में नए प्रकार के wealth creators हैं। ये अपने unique ideas की शक्ति से अपने पैरों पर खड़े हो रहे हैं, आगे बढ़ रहे हैं और दुनिया में छा जाने का सपना ले करके चल रहे हैं। इस दशक में भारत के Startups, भारत के Startup Ecosystem, इसको हम पूरी दुनिया में सर्वश्रेष्‍ठ बनाएं, हमें इस दिशा में काम करना है, हमें रुकना नहीं है। + +बड़े परिवर्तन लाने के लिए, बड़े Reform के लिए, राजनीतिक इच्‍छाशक्ति, political will की जरूरत होती है। आज दुनिया देख रही है कि भारत में राजनीतिक इच्‍छाशक्ति की कोई कमी नहीं है। Reforms को लागू करने के लिए Good और Smart Governance चाहिए। आज दुनिया इस बात की भी साक्षी है कि कैसे भारत अपने यहां Governance का नया अध्‍याय लिख रहा है। अमृतकाल के इस दशक में हम next generation reforms को…और उसमें हमारी प्राथमिकता होगी नागरिकों को जो कुछ मिलना चाहिए, जो सर्विस डिलीवरी है, वो last mile तक, last व्‍यक्ति तक seamlessly, बिना झिझक, बिना कठिनाई से उसको पहुंचे। देश के समग्र विकास के लिए लोगों के जीवन में सरकार और सरकारी प्रक्रियाओं का बेवजह दखल समाप्‍त करना ही होगा। + +पहले के समय सरकार खुद ही ड्राइविंग सीट पर बैठ गई थी। ये उस समय की शायद मांग रही होगी। लेकिन अब समय बदल चुका है। बीते सात वर्षों में देश में इसके लिए प्रयास भी बढ़ा है कि देश के लोगों को अनावश्‍यक कानूनों के जाल, अनावश्‍यक प्रक्रियाओं के जाल से मुक्ति दिलाई जाए। अब तक देश के सैंकड़ों पुराने कानूनों को समाप्‍त किया जा चुका है। कोरोना के इस कालखंड में भी सरकार ने 15 हजार से ज्‍यादा compliances को समाप्‍त किया है। अब आप देखिए, आपको भी अनुभव होगा कोई एक छोटा सरकारी काम हो, ढेर सारे कागज, बार-बार कागज, एक ही जानकारी अनेक बार, यही चलता रहा है। 15 हजार compliances को हमने खत्‍म किया है। + +नई राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति उसकी एक और विशेष बात है, इसमें sports को extra-curricular की जगह mainstream पढ़ाई का हिस्‍सा बनाया गया है। जीवन को आगे बढ़ाने में जो भी प्रभावी माध्‍यम हैं उनमें एक sports भी है। जीवन में संपूर्णता के लिए, जीवन में खेलकूद होना, sports होना बहुत आवश्‍यक है। एक समय था जब खेल-कूद को मुख्‍यधारा नहीं समझा जाता था। मां-बाप भी बच्‍चों से कहते थे कि खेलते ही रहोगे तो जीवन बर्बाद कर लोगे। अब देश में फिटनेस को लेकर स्‍पोर्टस को लेकर एक जागरूकता आई है। इस बार ओलंपिक में भी हमने देखा है, हमने अनुभव किया है। ये बदलाव हमारे देश के लिए एक बहुत बड़ा turning point है। इसलिये आज देश में खेलों में talent, technology और professionalism लाने के लिए जो अभियान चल रहा है इस दशक में हमें उसे और तेज करना है और व्‍यापक करना है। + +विश्‍व में national security का जितना महत्‍व है वैसा ही महत्‍व environment security को दिया जाने लगा है। भारत आज environmental security की एक मुखर आवाज है। आज biodiversity हो या land neutrality, climate change हो या waste recycling, organic farming हो या biogas हो, energy conservation हो या clean energy transition. पर्यावरण की दिशा में भारत के प्रयास आज परिणाम दे रहे हैं। भारत ने वनक्षेत्र को या फिर नेशनल पार्क की संख्‍या, बाघों की संख्‍या और एशियाटिक लायन, सभी में वृद्धि हर देशवासी के लिए खुशी की बात है। + +भारत की इन सफलताओं के बीच एक और सच को भी हमें समझना होगा। भारत आज energy independent नहीं है। भारत आज Energy Import के लिए सालाना 12 लाख करोड़ रुपए से भी अधिक खर्च करता है। भारत की प्रगति के लिए, आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए भारत का energy Independent होना समय की मांग है, अनिवार्य है। इसलिए आज भारत को ये संकल्प लेना होगा कि हम आजादी के 100 साल पूरे होने से पहले भारत को Energy Independent बनाएंगे और इसके लिए हमारा रोडमैप बहुत स्पष्ट है। Gas Based Economy हो, देशभर में CNG, PNG का नेटवर्क हो, 20 प्रतिशत इथेनॉल ब्लैंडिंग का टारगेट हो, भारत एक तय लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रहा है। भारत ने Electric Mobility की तरफ भी कदम बढ़ाया है और रेलवे के शत प्रतिशत Electrification पर भी काम तेज गति से आगे बढ़ रहा है। भारतीय रेलवे ने 2030 तक Net Zero Carbon Emitter बनने का लक्ष्य रखा है। इन सारे प्रयासों के साथ ही देश Mission Circular Economy पर भी बल दे रहा है। हमारी Vehicle Scrap Policy इसका एक बड़ा उदाहरण है। आज जी-20 देशों का जो समूह है, उसमें भारत एकमात्र देश ऐसा है, जो अपने climate Goals को प्राप्त करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। + +भारत ने इस दशक के अंत तक Renewable Energy के 450 गीगावाट का लक्ष्य तय किया है। 2030 तक 450 गीगावाट। इसमें से 100 गीगावाट के लक्ष्य को भारत ने तय समय से पहले हासिल कर लिया है। हमारे ये प्रयास दुनिया को भी एक भरोसा दे रहे हैं। ग्लोबल स्टेट पर International Solar Alliance का गठन इसका बड़ा उदाहरण है। भारत आज जो भी कार्य कर रहा है। उसमें सबसे बड़ा लक्ष्य है जो भारत को क्लाइमेट के क्षेत्र में quantum jump देने वाला है, वो है Green Hydrogen का क्षेत्र। Green Hydrogen के क्षेत्र के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए मैं आज इस तिरंगे की साक्षी में National Hydrogen Mission की घोषणा कर रहा हूं। अमृत काल में हमे भारत को Green Hydrogen के production और export का global hub बनाना है। ये उर्जा के क्षेत्र में भारत की एक नई प्रगति को आत्मनिर्भर बनाएगा और पूरे विश्व में clean energy transition की नई प्रेरणा भी बनेगा। Green Growth से Green Job के नए-नए अवसर हमारे युवाओं के लिए हमारे स्टार्टअप्स के लिए आज दस्तक दे रहे हैं। + +आज देश के महान विचारक श्री अरविंदो की जन्म-जयंती भी है। साल 2022 में उनका 150वां जन्‍म जयंती का पर्व है। श्री अरविंदो भारत के उज्‍जवल भविष्‍य के स्‍वप्‍न-दृष्‍टा थे। वो कहते थे कि हमें उतना सामर्थ्यवान बनना होगा, जितना पहले हम कभी नहीं थे। हमें अपनी आदतें बदलनी होगीं। एक नये हृदय के साथ अपने को फिर से जागृत करना होगा। श्री अरविंदो की यह बातें हमें अपने कर्तव्‍यों का ध्‍यान दिलाती हैं। एक नागरिक के तौर पर, एक समाज के तौर पर हम देश को क्‍या दे रहे हैं, ये भी हमें सोचना होगा। हमने अधिकारों को हमेशा महत्‍व दिया है, उस कालखंड में उसकी जरूरत भी रही है, लेकिन अब हमें कर्तव्‍यों को सर्वोपरि बनाना है, सर्वोपरि रखना है जिन संकल्‍पों का बीड़ा, आज देश ने उठाया है, उन्‍हें पूरा करने के लिए हर जन को जुड़ना होगा। हर देशवासी को इसे own करना होगा। + diff --git a/pm-speech/131.txt b/pm-speech/131.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..12124ad7e2e882eb0703443a03d5edaa8823122b --- /dev/null +++ b/pm-speech/131.txt @@ -0,0 +1,16 @@ +आप सभी जानते हैं कि देश की अर्थव्यवस्था के लिए Mobility कितना बड़ा फैक्टर है। Mobility में आई आधुनिकता, travel और transportation का बोझ तो कम करती ही है, आर्थिक विकास के लिए भी मददगार साबित होती है। 21वीं सदी का भारत Clean, Congestion Free और Convenient Mobility का लक्ष्य लेकर चले, ये आज समय की मांग है। और इसलिए सरकार द्वारा आज का ये कदम उठाया गया है। और इसमें इंडस्ट्री के आप सभी दिग्गजों की, आप सभी stakeholders की बहुत बड़ी भूमिका है। + +नई Scrapping Policy, Waste to Wealth- कचरे से कंचन के अभियान की, Circular Economy की एक अहम कड़ी है। ये Policy, देश के शहरों से प्रदूषण कम करने और पर्यावरण की सुरक्षा के साथ तेज़ विकास की हमारे कमिटमेंट को भी दर्शाती है। Reuse, Recycle और Recovery के सिद्धांत पर चलते हुए ये Policy ऑटो सेक्टर में, मेटल सेक्टर में देश की आत्मनिर्भरता को भी नई ऊर्जा देगी। इतनी ही नहीं, ये Policy, देश में 10 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक का नया निवेश लाएगी और हज़ारों रोजगार का निर्माण करेगी। + +आज जो प्रोग्राम हमने लॉन्च किया है, उसकी टाइमिंग अपने आप में बहुत विशेष है। हम आज़ादी के 75वें वर्ष में प्रवेश करने वाले हैं। यहां से देश के लिए अगले 25 वर्ष बहुत महत्वपूर्ण हैं। इन आने वाले 25 साल में हमारे कामकाज के तरीके, हमारे रोज़मर्रा के जीवन हमारे व्यापार-कारोबार में अनेक – अनेक परिवर्तन होने वाले हैं, होंगे ही। जिस तरह Technology बदल रही है, हमारी lifestyle हो या फिर हमारी economy, दोनों में बहुत बदलाव होगा। इस परिवर्तन के बीच हमारे पर्यावरण, हमारी ज़मीन, हमारे संसाधन, हमारे raw material, इन सभी की रक्षा भी उतनी ही जरूरी है। Technology को ड्राइव करने वाले Rare earth metals जो आज ही Rare हैं, लेकिन जो Metal आज उपलब्ध हैं, वो भी कब Rare हो जाएंगे, ये कहना मुश्किल है। भविष्य में हम Technology और Innovation पर तो काम कर सकते हैं, लेकिन जो धरती माता से हमें संपदा मिलती है, वो हमारे हाथ में नहीं है। इसलिए, आज एक तरफ भारत Deep Ocean Mission के माध्यम से नई संभावनाओं को तलाश रहा है, तो वहीं Circular Economy को भी प्रोत्साहित कर रहा है। कोशिश ये है कि विकास को हम sustainable बनाएं, environment friendly बनाएं। Climate change की चुनौतियां, हम आए दिन अनुभव कर रहे हैं। इसलिए, भारत को अपने हित में, अपने नागरिकों के हित में बड़े कदम उठाने ज़रूरी हैं। इसी सोच के साथ बीते सालों में एनर्जी सेक्टर में अभूतपूर्व काम हुआ है। सोलर और विंड पावर हो या फिर बायोफ्यूल, आज भारत दुनिया में अग्रणी देशों में शामिल हो रहा है। Waste to Wealth का एक बहुत बड़ा अभियान चलाया जा रहा है। इसको स्वच्छता से भी जोड़ा गया है और आत्मनिर्भरता से भी जोड़ा गया है। बल्कि आजकल तो हम सड़कों के निर्माण में Waste का बड़ी मात्रा में उपयोग कर रहे हैं। सरकारी बिल्डिंग, गरीबों के लिए घर के निर्माण में भी recycling को प्रोत्साहित किया जा रहा है। + +ऐसे ही अनेक प्रयासों में आज Automobile sector का नाम भी जुड़ गया है। इस पॉलिसी से सामान्य परिवारों को हर प्रकार से बहुत लाभ होगा। सबसे पहला लाभ तो ये होगा कि पुरानी गाड़ी को scrap करने पर एक सर्टिफिकेट मिलेगा। ये सर्टिफिकेट जिसके पास होगा उसे नई गाड़ी की खरीद पर रजिस्ट्रेशन के लिए कोई पैसा नहीं देना होगा। इसके साथ ही उसे रोड टैक्स में भी कुछ छूट दी जाएगी। दूसरा लाभ ये होगा कि पुरानी गाड़ी की मैंटेनेंस कॉस्ट, रिपेयर कॉस्ट, fuel efficiency, इसमें भी बचत होगी। तीसरा लाभ सीधा जीवन से जुड़ा है। पुरानी गाड़ियों, पुरानी टेक्नॉलॉजी के कारण रोड एक्सीडेंट का खतरा बहुत अधिक रहता है, उससे मुक्ति मिलेगी। चौथा, इससे हमारे स्वास्थ्य पर प्रदूषण के कारण जो असर पड़ता है, उसमें भी कमी आएगी। और सबसे बड़ी बात ये है कि, इस Policy के तहत गाड़ी सिर्फ उसकी Age देखकर ही scrap नहीं की जाएगी। गाड़ियों का वैज्ञानिक तरीके से authorized automated testing centers पर फिटनेस टेस्ट होगा। अगर गाड़ी अनफिट होगी तो वैज्ञानिक तरीके से scrap किया जाएगा। इसके लिए देशभर में जो registered vehicle scrapping facilities बनाई जाएंगी वो technology driven हों, transparent हों, ये भी सुनिश्चित किया जाएगा। + +Formal scrapping पर क्या लाभ होता है, गुजरात ने तो उसे साक्षात अनुभव किया है, और अभी नितिन जी ने भी इसका वर्णन किया है। गुजरात के अलंग को ship recycling hub के रूप में जाना जाता है। अलंग, दुनिया की ship recycling industry में अपनी हिस्सेदारी तेज़ी से बढ़ा रहा है। ship recycling के इस infrastructure ने यहां रोज़गार के हज़ारों नए अवसर तैयार किए हैं। इस पूरे क्षेत्र में infrastructure भी है और कुशल manpower भी है। ऐसे में जहाज़ों के बाद गाड़ियों की scrapping का भी ये बहुत बड़ा hub बन सकता है। + +इस प्रोग्राम से ऑटो और मेटल इंडस्ट्री को बहुत बड़ा बूस्ट मिलेगा। बीते साल ही हमें लगभग 23 हज़ार करोड़ रुपए का scrap steel इंपोर्ट करना पड़ा है। क्योंकि भारत में जो अभी तक scrapping होती है, वो प्रोडक्टिव नहीं है। एनर्जी रिकवरी ना के बराबर है, high-strength steel alloys की पूरी वैल्यू नहीं निकल पाती और जो कीमती मेटल हैं उनकी रिकवरी भी नहीं हो पाती। अब जब एक साइंटिफिक, टेक्नॉलॉजी आधारित scrapping होगी तो हम rare earth metals को भी रिकवर कर पाएंगे। + +आत्मनिर्भर भारत को गति देने के लिए, भारत में इंडस्ट्री को Sustainable और Productive बनाने के लिए निरंतर कदम उठाए जा रहे हैं। हमारी ये पूरी कोशिश है कि ऑटो मैन्यूफैक्चरिंग से जुड़ी वैल्यू चेन के लिए जितना संभव हो, उतना कम हमें इंपोर्ट पर निर्भर रहना पड़े। लेकिन इसमें इंडस्ट्री को भी थोड़े extra efforts की ज़रूरत है। आने वाले 25 साल के लिए आपके पास भी आत्मनिर्भर भारत का एक स्पष्ट रोडमैप होना चाहिए। देश अब clean, congestion free और convenient mobility की तरफ बढ़ रहा है। इसलिए, पुरानी approach और पुरानी practices को बदलना ही होगा। आज भारत, safety और quality के हिसाब से global standards अपने नागरिकों को देने के लिए प्रतिबद्ध है। BS-4 से BS-6 की तरफ सीधे Transition के पीछे यही सोच है। + +देश में green और clean mobility के लिए सरकार Research से लेकर Infrastructure तक, हर स्तर पर व्यापक काम कर रही है। इथेनॉल हो, हाइड्रोजन फ्यूल हो या फिर इलेक्ट्रिक मोबिलिटी, सरकार की इन प्राथमिकताओं के साथ इंडस्ट्री की सक्रिय भागीदारी बहुत ज़रूरी है। R&D से लेकर Infrastructure तक, इंडस्ट्री को अपनी हिस्सेदारी बढ़ानी होगी। इसके लिए जो भी मदद आपको चाहिए, वो सरकार देने के लिए तैयार है। यहां से हमें अपनी partnership को नए लेवल पर ले जाना है। मुझे विश्वास है कि ये नया प्रोग्राम, देशवासियों में भी और ऑटो सेक्टर में भी एक नई ऊर्जा भरेगा, नई गति लाएगा, और नए विश्वास का संचार भी करेगा। आज के इस महत्वपूर्ण अवसर को, मैं नहीं मानता हूं कि उद्योग जगत के लोग जाने देंगे।  मैं नहीं मानता हूं कि पुरानी गाड़ियों को ढ़ोने वाले लोग इस अवसर को जाने देंगे। ये अपने आप में एक बहुत बड़ा परिवर्तन का विश्वास लेकर के आई हुई ये व्यवस्था है। आज गुजरात में इस कार्यक्रम को लॉन्च किया गया है, पॉलिसी को लॉन्च किया गया है, और गुजरात का तो वैसे भी, और हमारे देश में भी Circular Economy शब्द अब नया आया होगा। लेकिन हम लोग तो जानते हैं। कि अगर कपड़े पुराने होते हैं तो हमारे घरों में दादी मां उसमे से ओढ़ने के लिए रज़ाई बना देती है। फिर रजाई भी पुरानी हो जाती है। तो उसको भी फाड़-फोड़ करके कचरा-पोता के लिए उसका उपयोग करते हैं। Recycling क्या कहते हैं, circular economy क्या कहते हैं। वो भारत के जीवन में नई नहीं है। हमे बस वैज्ञानिक तरीके से इसको आगे बढ़ाना है, और वैज्ञानिक तरीके से आगे बढ़ाएंगे तो मुझे  विश्वास है कि कचरे में से कंचन बनाने के इस अभियान में हर कोई शरीक होगा और हम भी और नई – नई चीजें आविष्कार करने की दिशा में सफल होंगे। मैं फिर एक बार आप सबको बहुत – बहुत शुभकामनाएं देता हूं। बहुत – बहुत धन्यवाद। + diff --git a/pm-speech/132.txt b/pm-speech/132.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..e45918c1d8b37938a93b72862733fec1e370f36f --- /dev/null +++ b/pm-speech/132.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +भारत में बने खिलौनों को भी सरकार बहुत प्रोत्साहित कर रही है, इसके लिए हर संभव मदद भी दे रही है। विशेष रूप से हमारे आदिवासी क्षेत्रों की बहनें तो पारंपरिक रूप से इससे जुड़ी हैं। इसमें भी सेल्फ हेल्प ग्रुप्स के लिए बहुत संभावनाएं हैं। इसी प्रकार, आज देश को सिंगल यूज़ प्लास्टिक से मुक्त करने का अभी अभियान चल रहा है। और अभी हमने तमिलनाडु की हमारी बहनों से सुना। बहन जयंती जिस प्रकार से आकड़े बता रही थी, हर किसी को प्रेरणा देनेवाली थी।   इसमें सेल्फ हेल्प ग्रुप्स की दोहरी भूमिका है। आपको सिंगल यूज़ प्लास्टिक को लेकर जागरूकता भी बढ़ानी है और इसके विकल्प के लिए भी काम करना है। प्लास्टिक के थैले की जगह, जूट या दूसरे आकर्षक बैग आप ज्यादा से ज्यादा बना सकती हैं। आप अपना सामान, सीधे सरकार को बेच सकें, इसके लिए भी एक व्यवस्था दो-तीन वर्षों से चल रही है। जैसा हमने पहले कहा उसको GeM यानि गवर्मेंट ई-मार्केट प्लेस। इसका भी सेल्फ हेल्प ग्रुप्स को पूरा लाभ उठाना चाहिए। + diff --git a/pm-speech/133.txt b/pm-speech/133.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..b9c44f4a354002cb69e4a2d8fa1950e54496ab1b --- /dev/null +++ b/pm-speech/133.txt @@ -0,0 +1,16 @@ +Global Pandemic के इस दौर में आज की ये बैठक बहुत अहम है। इतने बड़े संकट के बीच हम सरकार और भारत के उद्योग जगत की साझेदारी को मजबूत होते भी देख रहे हैं। Masks, PPE , ventilators से लेकर टीकाकरण तक, देश को जो भी ज़रूरत पड़ी, जब भी जरूरत पड़ी, इंडस्ट्री ने आगे बढ़कर हर संभव योगदान दिया है। Industry के आप सभी साथी, सभी संगठन भारत की growth story का बहुत बड़ा हिस्सा रहे हैं। आप सभी के प्रयासों से भारत की economy अब फिर गति पकड़ रही है। आज शायद ही कोई दिन ऐसा हो जब new opportunities को लेकर किसी न किसी CEO का statement न आता हो, या कोई report न आती हो। IT sector में record hiring को लेकर भी हमने रिपोर्ट्स देखी हैं। ये देश में digitization और demand की growth का ही परिणाम है। ऐसे में अब हमारा प्रयास होना चाहिए कि हम इन नए अवसरों का उपयोग करते हुए, अपने लक्ष्यों की तरफ दोगुनी गति से बढ़ें। + +CII की ये बैठक इस बार 75वें स्वतंत्रता दिवस के माहौल में, आज़ादी के अमृत महोत्सव के बीच हो रही है। ये बहुत बड़ा अवसर है, भारतीय उद्योग जगत के नए संकल्पों के लिए, नए लक्ष्यों के लिए। आत्मनिर्भर भारत अभियान की सफलता का बहुत बड़ा दायित्व, भारतीय उद्योगों पर है। और मैं आप लोगों से कहना चाहता हूं कि सरकार आपके साथ है, आपके हर प्रयास के साथ है। आज देश में विकास के प्रति जो वातावरण बना है, अपने सामर्थ्य के प्रति जो विश्वास बना है, भारतीय उद्योग जगत को उसका पूरा लाभ उठाना चाहिए। बीते वर्षों में भारत में जो बदलाव आए हैं, चाहे सरकार की सोच और अप्रोच में हो, सरकारी व्यवस्थाओं के काम करने के तरीके में हो, वो आप सब स्वंय अनुभव कर रहे हैं, देख रहे हैं, महसूस कर रहे हैं। आज का नया भारत, नई दुनिया के साथ चलने के लिए तैयार है, तत्पर है। जो भारत कभी विदेशी निवेश से आशंकित था, आज वो हर प्रकार के निवेश का स्वागत कर रहा है। जिस भारत की tax से जुड़ी नीतियों से कभी निवेशकों में निराशा फैल जाती थी, आज उसी भारत में दुनिया का सबसे competitive corporate tax है और faceless tax system भी। + +जिस भारत में दस्तावेज़ों में, कागज़ों में, कानूनों में उलझाना ब्यूरोक्रेसी की पहचान माना जाता था, वहीं आज Ease of Doing business रैंक में बड़ी छलांग लगा रहा है। जहां सालों साल तक श्रमिकों को, उद्योगों को सैकड़ों कानूनों के जाल में उलझाए रखा गया, वहीं आज दर्जनों श्रम कानून 4 labour codes में समा चुके हैं। जहां कभी कृषि को सिर्फ गुज़ारे का माध्यम माना जाता था, वहीं अब कृषि में ऐतिहासिक reforms के ज़रिए भारतीय किसानों को देश-विदेश के market से सीधे जोड़ने का प्रयास हो रहा है। इन्हीं सब प्रयासों का नतीजा है कि आज भारत में Record FDI भी आ रहा है और FPI में भी नए record बन रहे हैं। आज देश का Forex reserve, ये भी all time high level पर पहुँचा हुआ है। + +दूसरा एक फैक्टर है, जिस पर भी आपको ध्यान देना चाहिए। ये है, भारत वासियों का बढ़ता हुआ आत्मविश्वास। इस आत्मविश्वास को हम हर सेक्टर में देख रहे हैं। अभी हाल ही आपने ओलंपिक्स के मैदान में इसे अनुभव किया है। आज भारत के युवा जब मैदान में उतरते हैं, तो उनमें मन में वो हिचक नहीं होती। वो मेहनत करना चाहते हैं, वो रिस्क लेना चाहते हैं, वो नतीजे लाना चाहते हैं। Yes, We belong to this place- ये भाव आज हम अपने युवाओं में देख रहे हैं। इसी प्रकार का आत्मविश्वास आज भारत के Startups में है। आज unicorns नए भारत की पहचान भी बन रहे हैं। 7-8 साल पहले भारत में 3-4 unicorns रहे होंगे। आज भारत में करीब-करीब 60 unicorns हैं। इनमें से 21 unicorns तो बीते कुछ महीनों में ही बने हैं। और ये बात आपने भी नोट की होगी कि ये unicorns, अलग-अलग सेक्टर में आ रहे हैं। Health-tech, Social commerce, में unicorns का बनना ये संकेत दे रहा है कि भारत में हर स्तर पर कितना बदलाव हो रहा है। Business में risk लेने की प्रवृत्ति, अपने सामर्थ्य पर भरोसा करने की प्रवृत्ति लगातार बढ़ रही है। इतनी बड़ी महामारी में भी हमारे start-ups के ambitions बुलंदियों पर हैं। Investors की ओर से भी Indian start-ups के लिए record response देखने को मिला है। + +हमारी industry पर देश के विश्वास का ही नतीजा है कि आज Ease of doing business बढ़ रहा है, और Ease of living में इजाफा हो रहा है। Companies act में किए गए बदलाव इसका बहुत बड़ा उदाहरण हैं। आज ऐसे कितने ही प्रावधानों को decriminalize किया जा रहा है जो कभी हमारे उद्यमियों के लिए सरदर्द से कम नहीं थे। इसी तरह, MSME sector को भी प्रोत्साहित करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं जो उन्हें सीमित करने वाली मजबूरीयों से मुक्त करेंगे। State लेवल रिफॉर्म्स पर भी आज विशेष ध्यान दिया जा रहा है, राज्यों को भी भागीदार बनाया गया है और उन्हें additional spending facility दी जा रही है। Make In India के साथ साथ Employment और Exports को गति देने के लिए देश ने प्रभावी PLI schemes भी शुरू की हैं। ये सभी reforms आज इसलिए हो रहे हैं क्योंकि आज देश में जो सरकार है, वो reforms compulsion में नहीं कर रही है बल्कि reforms हमारे लिए conviction का विषय है। आज भी हमारी reforms की speed बनी हुई है। अभी Parliament के इसी session में ऐसे कई bills पास हुये हैं जो देश के इन प्रयासों को और गति देंगे। The Factoring Regulation Amendment Bill छोटे व्यापारों को credit हासिल करने में मदद करेगा। Deposit Insurance and Credit Guarantee Corporation Amendment Bill small depositors के अधिकारों की रक्षा करेगा। अभी हाल ही में, हमने अतीत की गलतियों को सुधारते हुये Retrospective) taxation को भी समाप्त करने का निर्णय लिया है। इस फैसले की industry में जिस तरह से सराहना हो रही है, मुझे विश्वास है इससे industry और government के बीच विश्वास और मजबूत होगा। + +आज देश में वो सरकार है जो राष्ट्र हित में बड़े से बड़ा risk उठाने के लिए तैयार है। आपको याद होगा, GST तो इतने सालों तक अटका ही इसलिए क्योंकि जो पहले सरकार में वो political risk लेने की हिम्मत नहीं जुटा पाए। हमने ना सिर्फ GST लागू किया बल्कि आज हम रिकॉर्ड GST कलेक्शन होते देख रहे हैं ऐसे कितने ही उदाहरण मैं आपको गिना सकता हूं, बता सकता हूं। आज आपके सामने एक सरकार है, जो हर बंदिश को दूर कर रही है, हर boundary को push कर रही है। आज एक सरकार है, जो आपसे पूछ रही है कि भारतीय उद्योग जगत की ताकत बढ़ाने के लिए बताइए अब और क्या करना है? + +हमारे पूर्वज कह गए हैं कि – नैकं चक्रं परिभ्रमति। यानि सिर्फ सिर्फ एक पहिए से गाड़ी नहीं चल सकती। सारे पहिए ठीक से चलने चाहिए। इसलिए, industry को भी रिस्क लेने की अपनी natural tendency को थोड़ा सा और बढ़ाना होगा। आत्मनिर्भर भारत के संकल्प की सिद्धि के लिए नए और मुश्किल रास्तों का चुनाव भी हमें करना ही होगा। Investment और रोजगार की गति को बढ़ाने के लिए industry से भी देश की बहुत उम्मीदें हैं। Public sector के footprints को rationalize और minimize करने के लिए भी नई PSE पॉलिसी के जरिए निर्णायक फैसले लिए जा रहे हैं। इसमें industry की तरफ से भी ज्यादा से ज्यादा उत्साह और ऊर्जा दिखनी चाहिए। + +National education policy के माध्यम से एक बहुत बड़ा कदम देश ने उठाया है। इसमें स्कूल, skill से लेकर research तक का एक नया ecosystem तैयार करने का भरपूर roadmap है। इसमें भी industry की एक सक्रिय भूमिका बहुत ज़रूरी है। विशेष रूप से research and development पर investment को लेकर हमें बहुत गंभीरता से काम करना है। आत्मनिर्भर भारत के लिए, R&D पर हमारा investment हमें कई गुणा बढ़ाना होगा और ये सिर्फ सरकारी प्रयासों से ही संभव नहीं है। इसमें industry की बहुत बड़ी भागीदारी की ज़रूरत है। हमारा लक्ष्य, brand India को मजबूत करने का है। हमारा लक्ष्य, देश को समृद्धि और सम्मान देने का है। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए हमें अपनी पार्टनरशिप को मज़बूत करना है। मैं आपकी हर समस्या के समाधान के लिए, आपके हर सुझाव के लिए हर वक्त उपलब्ध रहा हूं और आगे भी रहूंगा। मैं फिर एक बार इस आजादी के अमृत महोत्सव के कार्यकाल में आपको भी अनेक अमृत संकल्प करने के लिए प्रेरित करें और आप सब संकल्प के साथ, नई उर्जा के साथ आगे आएं। आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं ! धन्यवाद। + diff --git a/pm-speech/134.txt b/pm-speech/134.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..b9c44f4a354002cb69e4a2d8fa1950e54496ab1b --- /dev/null +++ b/pm-speech/134.txt @@ -0,0 +1,16 @@ +Global Pandemic के इस दौर में आज की ये बैठक बहुत अहम है। इतने बड़े संकट के बीच हम सरकार और भारत के उद्योग जगत की साझेदारी को मजबूत होते भी देख रहे हैं। Masks, PPE , ventilators से लेकर टीकाकरण तक, देश को जो भी ज़रूरत पड़ी, जब भी जरूरत पड़ी, इंडस्ट्री ने आगे बढ़कर हर संभव योगदान दिया है। Industry के आप सभी साथी, सभी संगठन भारत की growth story का बहुत बड़ा हिस्सा रहे हैं। आप सभी के प्रयासों से भारत की economy अब फिर गति पकड़ रही है। आज शायद ही कोई दिन ऐसा हो जब new opportunities को लेकर किसी न किसी CEO का statement न आता हो, या कोई report न आती हो। IT sector में record hiring को लेकर भी हमने रिपोर्ट्स देखी हैं। ये देश में digitization और demand की growth का ही परिणाम है। ऐसे में अब हमारा प्रयास होना चाहिए कि हम इन नए अवसरों का उपयोग करते हुए, अपने लक्ष्यों की तरफ दोगुनी गति से बढ़ें। + +CII की ये बैठक इस बार 75वें स्वतंत्रता दिवस के माहौल में, आज़ादी के अमृत महोत्सव के बीच हो रही है। ये बहुत बड़ा अवसर है, भारतीय उद्योग जगत के नए संकल्पों के लिए, नए लक्ष्यों के लिए। आत्मनिर्भर भारत अभियान की सफलता का बहुत बड़ा दायित्व, भारतीय उद्योगों पर है। और मैं आप लोगों से कहना चाहता हूं कि सरकार आपके साथ है, आपके हर प्रयास के साथ है। आज देश में विकास के प्रति जो वातावरण बना है, अपने सामर्थ्य के प्रति जो विश्वास बना है, भारतीय उद्योग जगत को उसका पूरा लाभ उठाना चाहिए। बीते वर्षों में भारत में जो बदलाव आए हैं, चाहे सरकार की सोच और अप्रोच में हो, सरकारी व्यवस्थाओं के काम करने के तरीके में हो, वो आप सब स्वंय अनुभव कर रहे हैं, देख रहे हैं, महसूस कर रहे हैं। आज का नया भारत, नई दुनिया के साथ चलने के लिए तैयार है, तत्पर है। जो भारत कभी विदेशी निवेश से आशंकित था, आज वो हर प्रकार के निवेश का स्वागत कर रहा है। जिस भारत की tax से जुड़ी नीतियों से कभी निवेशकों में निराशा फैल जाती थी, आज उसी भारत में दुनिया का सबसे competitive corporate tax है और faceless tax system भी। + +जिस भारत में दस्तावेज़ों में, कागज़ों में, कानूनों में उलझाना ब्यूरोक्रेसी की पहचान माना जाता था, वहीं आज Ease of Doing business रैंक में बड़ी छलांग लगा रहा है। जहां सालों साल तक श्रमिकों को, उद्योगों को सैकड़ों कानूनों के जाल में उलझाए रखा गया, वहीं आज दर्जनों श्रम कानून 4 labour codes में समा चुके हैं। जहां कभी कृषि को सिर्फ गुज़ारे का माध्यम माना जाता था, वहीं अब कृषि में ऐतिहासिक reforms के ज़रिए भारतीय किसानों को देश-विदेश के market से सीधे जोड़ने का प्रयास हो रहा है। इन्हीं सब प्रयासों का नतीजा है कि आज भारत में Record FDI भी आ रहा है और FPI में भी नए record बन रहे हैं। आज देश का Forex reserve, ये भी all time high level पर पहुँचा हुआ है। + +दूसरा एक फैक्टर है, जिस पर भी आपको ध्यान देना चाहिए। ये है, भारत वासियों का बढ़ता हुआ आत्मविश्वास। इस आत्मविश्वास को हम हर सेक्टर में देख रहे हैं। अभी हाल ही आपने ओलंपिक्स के 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doing business बढ़ रहा है, और Ease of living में इजाफा हो रहा है। Companies act में किए गए बदलाव इसका बहुत बड़ा उदाहरण हैं। आज ऐसे कितने ही प्रावधानों को decriminalize किया जा रहा है जो कभी हमारे उद्यमियों के लिए सरदर्द से कम नहीं थे। इसी तरह, MSME sector को भी प्रोत्साहित करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं जो उन्हें सीमित करने वाली मजबूरीयों से मुक्त करेंगे। State लेवल रिफॉर्म्स पर भी आज विशेष ध्यान दिया जा रहा है, राज्यों को भी भागीदार बनाया गया है और उन्हें additional spending facility दी जा रही है। Make In India के साथ साथ Employment और Exports को गति देने के लिए देश ने प्रभावी PLI schemes भी शुरू की हैं। ये सभी reforms आज इसलिए हो रहे हैं क्योंकि आज देश में जो सरकार है, वो reforms compulsion में नहीं कर रही है बल्कि reforms हमारे लिए conviction का विषय है। आज भी हमारी reforms की speed बनी हुई है। अभी Parliament के इसी session में ऐसे कई bills पास हुये हैं जो देश के इन प्रयासों को और गति देंगे। The Factoring Regulation Amendment Bill छोटे व्यापारों को credit हासिल करने में मदद करेगा। Deposit Insurance and Credit Guarantee Corporation Amendment Bill small depositors के अधिकारों की रक्षा करेगा। अभी हाल ही में, हमने अतीत की गलतियों को सुधारते हुये Retrospective) taxation को भी समाप्त करने का निर्णय लिया है। इस फैसले की industry में जिस तरह से सराहना हो रही है, मुझे विश्वास है इससे industry और government के बीच विश्वास और मजबूत होगा। + +आज देश में वो सरकार है जो राष्ट्र हित में बड़े से बड़ा risk उठाने के लिए तैयार है। आपको याद होगा, GST तो इतने सालों तक अटका ही इसलिए क्योंकि जो पहले सरकार में वो political risk लेने की हिम्मत नहीं जुटा पाए। हमने ना सिर्फ GST लागू किया बल्कि आज हम रिकॉर्ड GST कलेक्शन होते देख रहे हैं ऐसे कितने ही उदाहरण मैं आपको गिना सकता हूं, बता सकता हूं। आज आपके सामने एक सरकार है, जो हर बंदिश को दूर कर रही है, हर boundary को push कर रही है। आज एक सरकार है, जो आपसे पूछ रही है कि भारतीय उद्योग जगत की ताकत बढ़ाने के लिए बताइए अब और क्या करना है? + +हमारे पूर्वज कह गए हैं कि – नैकं चक्रं परिभ्रमति। यानि सिर्फ सिर्फ एक पहिए से गाड़ी नहीं चल सकती। सारे पहिए 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मजबूत करने का है। हमारा लक्ष्य, देश को समृद्धि और सम्मान देने का है। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए हमें अपनी पार्टनरशिप को मज़बूत करना है। मैं आपकी हर समस्या के समाधान के लिए, आपके हर सुझाव के लिए हर वक्त उपलब्ध रहा हूं और आगे भी रहूंगा। मैं फिर एक बार इस आजादी के अमृत महोत्सव के कार्यकाल में आपको भी अनेक अमृत संकल्प करने के लिए प्रेरित करें और आप सब संकल्प के साथ, नई उर्जा के साथ आगे आएं। आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं ! धन्यवाद। + diff --git a/pm-speech/135.txt b/pm-speech/135.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..997a8b1d3e55f9a641665a18ce22bcb75e0ef032 --- /dev/null +++ b/pm-speech/135.txt @@ -0,0 +1,14 @@ +हम आज़ादी के 75वें वर्ष में प्रवेश करने वाले हैं। ऐसे में बीते साढ़े 7 दशकों की प्रगति को हम देखते हैं, तो हमें ज़रूर लगता है कि कुछ स्थितियां, कुछ हालात ऐसे हैं, जिनको कई दशक पहले बदलाजा सकता था। घर, बिजली, पानी, शौचालय, गैस, सड़क, अस्पताल, स्कूल, ऐसी अनेक मूल आवश्यकताएं हैं, जिनकी पूर्ति के लिए दशकों का इंतज़ार देशवासियों को करना पड़ा।  ये दुखद है। इसका सबसे ज्यादा नुकसान किसी ने उठाया है तो हमारी माताओं- बहनों ने उठाया हैं। खासकर के गरीब माताओं – बहनों को मुसीबत झेलनी पड़ी है। झोंपड़ी में टपकते पानी से सबसे ज्यादा परेशानी अगर किसी को है, तो मां को है। बिजली के अभाव में सबसे ज्यादा अगर परेशानी है। तो मां को है। पानी की गंदगी से परिवार बीमार, तो भी सबसे ज्यादा परेशानी मां को। शौचालय के अभाव में अंधेरा होने का इंतज़ार, परेशानी हमारी माताओं – बहनों को। स्कूल में अलग टॉयलेट नहीं तो समस्या हमारी बेटियों को। हमारे जैसी अनेक पीढ़ियां तो मां को धुएं में आंखें मलते, भीषण गर्मी में भी आग में तपते, ऐसे ही दृष्य को देखते हुए ही बड़ी हुई हैं।  + +2014 में जब देश ने हमें सेवा का अवसर दिया, तो ऐसे ही सवालों को हमने खुद से पूछा। तब एकदम स्पष्ट था कि इन सारी समस्याओं का समाधान हमें एक तय समय के भीतर ही खोजना होगा। हमारी बेटियां घर और रसोई से बाहर निकलकर राष्ट्रनिर्माण में व्यापक योगदान तभी दे पाएंगी, जब पहले घर और रसोई से जुड़ी समस्याएं हल होंगी। इसलिए, बीते 6-7 सालों में ऐसे हर समाधान के लिए मिशन मोड पर काम किया गया है।स्वच्छ भारत मिशन के तहत देशभर में करोड़ों शौचालय बनाए गए। प्रधानमंत्री आवास योजना में 2 करोड़ से अधिक गरीबों के पक्के घर बने। इन घरों में अधिकतर का मालिकाना हक बहनों के नाम पर है। हमने हजारों किलोमीटर ग्रामीण सड़कें बनवाईं तो सौभाग्य योजना के जरिए लगभग 3 करोड़ परिवारों को बिजली कनेक्शन दिया। आयुष्मान भारत योजना 50 करोड़ से अधिक लोगों को 5 लाख रुपए तक के मुफ्त इलाज की सुविधा दे रही है। मातृवंदना योजना के तहत, गर्भावस्था के दौरान टीकाकरण और पोषक आहार के लिए हज़ारों रुपए सीधे बैंक खाते में जमा किए जा रहे हैं। जनधन योजना के तहत हमने करोड़ों बहनों के बैंक खाते खुलवाए, जिनमें कोरोना काल में लगभग 30 हज़ार करोड़ रुपए सरकार ने जमा करवाए हैं। अब हम जल जीवन मिशन के माध्यम से ग्रामीण परिवारों की हमारी बहनों को पाइप से शुद्ध जल नल से जल पहुंचाने का काम जारी है। + +उज्ज्वला योजना का एक और असर ये भी हुआ कि, पूरे देश में एलपीजी गैस से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर का कई गुना विस्तार हुआ है। बीते 6-7 साल में देशभर में 11 हज़ार से अधिक नए एलपीजी वितरण केंद्र खोले गए हैं। अकेले उत्तर प्रदेश में 2014 में 2 हज़ार से भी कम वितरण केंद्र थे। आज यूपी में इनकी संख्या 4 हजार से ज्यादा हो चुकी है। इससे एक तो हज़ारों युवाओं को नए रोज़गार मिले और दूसरा, जो परिवार पहले बेहतर सुविधा के अभाव में गैस कनेक्शन से वंचित थे, वो भी जुड़ गए। ऐसे ही प्रयासों से आज भारत में गैस कवरेज शत-प्रतिशत होने के बहुत निकट है। 2014 तक देश में जितने गैस कनेक्शन थे, उससे अधिक बीते 7 साल में दिए गए हैं। सिलेंडर बुकिंग और डिलिवरी को लेकर पहले जो परेशानी आती थी, उसे भी दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। + +उज्ज्वला योजना से जो ये सुविधाएं बढ़ी हैं, उसमें आज एक और सहूलियत जोड़ी जा रही है। बुंदेलखंड सहित पूरे यूपी और दूसरे राज्यों के हमारे अनेक साथी, काम करने के लिए गांव से शहर जाते हैं, दूसरे राज्य जाते हैं। लेकिन वहां उनके सामने एड्रेस के प्रमाण की समस्या आती है। ऐसे ही लाखों परिवारों को उज्ज्वला दूसरे चरण योजना सबसे अधिक राहत देने वाली है। अब मेरे श्रमिक साथियों को एड्रेस के प्रमाण के लिए इधर-उधर भटकने की ज़रूरत नहीं है। सरकार को आपकी ईमानदारी पर पूरा भरोसा है। आपको अपने पते का सिर्फ एक सेल्फ डेक्लेरशन, यानि खुद लिखकर देना है और आपको गैस कनेक्शन मिल जाएगा। + +सरकार का प्रयास अब इस दिशा में भी है कि आपकी रसोई में पानी की तरह गैस भी पाइप से आए। ये PNG, सिलेंडर के मुकाबले बहुत सस्ती भी होती है। उत्तर प्रदेश सहित पूर्वी भारत के अनेक जिलों में पीएनजी कनेक्शन देने का काम तेज़ी से चल रहा है।  पहले चरण में यूपी के 50 से ज्यादा जिलों में लगभग 21 लाख घरों को इससे जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है। इसी प्रकार CNG आधारित यातायात के लिए बड़े स्तर पर प्रयास किया जा रहा है। + +इथेनॉल से आना-जाना भी सस्ता होगा, पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा। लेकिन सबसे बड़ा लाभ हमारे किसानों को होगा, हमारे नौजवानों को होगा। इसमें भी विशेष रूप से यूपी के किसानों-नौजवानों को बहुत लाभ होगा। गन्ने से जब इथेनॉल बनाने का विकल्प मिलेगा तो गन्ना किसानों को पैसा भी ज्यादा मिलेगा। और समय पर मिलेगा।  पिछले साल ही यूपी में इथेनॉल उत्पादकों से 7 हज़ार करोड़ रुपए का इथेनॉल खरीदा गया है। बीते सालों में इथेनॉल से जुड़ी, बायोफ्यूल से जुड़ी अनेक ईकाइयां यूपी में बनाई गई हैं। गन्ने के अवशेष से कंप्रेस्ड बायोगैस बनाने के लिए, यूपी के 70 जिलों CBG प्लांट्स बनाने की प्रक्रिया चल रही है। अब तो कृषि अवशेष से, पराली से, बायोफ्यूल बनाने के लिए 3 बड़े कॉम्पलेक्स बनाए जा रहे हैं। इनमें से 2 यूपी के बदायूं और गोरखपुर में और एक पंजाब के भटिंडा में बनाया जा रहा है। इन प्रोजेक्ट्स से किसानों को कचरे का भी दाम मिलेगा, हज़ारों युवाओं को रोजगार मिलेगा और पर्यावरण की भी रक्षा होगी। + +अब देश मूल सुविधाओं की पूर्ति में, बेहतर जीवन के सपने को पूरा करने की तरफ बढ़ रहा है। आने वाले 25 साल में इस सामर्थ्य को हमें कई गुणा बढ़ाना है। समर्थ और सक्षम भारत के इस संकल्प को हमें मिलकर सिद्ध करना है। इसमें बहनों की विशेष भूमिका होने वाली है। मैं उज्ज्वला की सभी लाभार्थी बहनों को, फिर से शुभकामनाएं देता हूं। और रक्षा बंधन के इस पावन त्यौहार के पूर्व माताओं-बहनों की ये सेवा करने का अवसर मिला। मैं अपने आप को धन्य अनुभव करता हूं। आपके आर्शीवाद हमेशा बने रहें ताकि हम एक नई उर्जा के साथ मा भारती की सेवा के लिए, 130 करोड़ देशवासियों की सेवा के लिए, गांव, गरीब, किसान, दलित, पीड़ित, पिछड़े सबकी सेवा के लिए जी जान से जुटे रहे इसी कामना के साथ आपको बहुत – बहुत शुभकामनाएं। आपका बहुत-बहुत धन्यवाद ! + diff --git a/pm-speech/136.txt b/pm-speech/136.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..ea6fb1f48f08fb4350ef98318d87ad94154facb3 --- /dev/null +++ b/pm-speech/136.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +इस महामारी के दौरान भी हमने भारत के किसानों का सामर्थ्य देखा है। रिकॉर्ड उत्पादन के बीच सरकार ने भी प्रयास किया है कि किसानों की परेशानी कम से कम हो। सरकार ने खेती और इससे जुड़े हर सेक्टर को बीज, खाद से लेकर अपनी उपज को बाज़ार तक पहुंचाने के लिए हर संभव प्रयास किए, उपाय किए। यूरिया की सप्लाई निर्बाध रखी। DAP,जिसके दाम अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में इस कोरोना के चलते कई गुणा बढ़ गए, उसका बोझ भी हमारी सरकार ने किसानों पर पड़ने नहीं दिया। सरकार ने तुरंत इसके लिए 12 हजार करोड़ रुपए का इंतजाम किया। + +आज भारत कृषि निर्यात के मामले में पहली बार दुनिया के टॉप-10 देशों में पहुंचा है। कोरोना काल में ही देश ने कृषि निर्यात के नए रिकॉर्ड बनाए हैं। आज जब भारत की पहचान एक बड़े कृषि निर्यातक देश की बन रही है, तब हम खाद्य तेल की अपनी ज़रूरतों के लिए आयात पर निर्भर रहें, ये बिल्कुल उचित नहीं है। इसमें भी आयातित ऑयल-पाम, का हिस्सा 55 प्रतिशत से अधिक है। इस स्थिति को हमें बदलना है। खाने का तेल खरीदने के लिए हमें जो हज़ारों करोड़ रुपए विदेश में दूसरों को देना पड़ता है, वो देश के किसानों को ही मिलना चाहिए। भारत में पाम – ऑयल की खेती के लिए हर ज़रूरी संभावनाएं हैं। नॉर्थ ईस्ट और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में, विशेष रूप से इसे बहुत बढ़ाया जा सकता है। ये वो क्षेत्र हैं जहां आसानी से पॉम की खेती हो सकती है। पाम-ऑयल का उत्पादन हो सकता है।  + +खाने के तेल में आत्मनिर्भरता के इस मिशन के अऩेक लाभ हैं। इससे किसानों को तो सीधा लाभ होगा ही, गरीब और मध्यम वर्ग के परिवारों को सस्ता और अच्छी क्वालिटी का तेल भी मिलेगा। यही नहीं, ये मिशन बड़े स्तर पर रोजगार का निर्माण करेगा, फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री को बल देगा। विशेष रूप से Fresh Fruit Bunch Processing से जुड़े उद्योगों का विस्तार होगा। जिन राज्यों में पाम-ऑयल की खेती होगी, वहां ट्रांसपोर्ट से लेकर फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स में युवाओं को अनेक रोज़गार मिलेंगे। + diff --git a/pm-speech/137.txt b/pm-speech/137.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..5d189da455298429e8fb47ddb9ee96ce7d5acc1d --- /dev/null +++ b/pm-speech/137.txt @@ -0,0 +1,4 @@ +आजीविका पर दुनिया भर में आए इस संकट काल में ये निरंतर सुनिश्चित किया जा रहा है कि भारत में कम से कम नुकसान हो। इसके लिए बीते साल में अनेक कदम उठाए गए हैं और निरंतर उठाए जा रहे हैं। छोटे, लघु, सूक्ष्म उद्योगों को अपना काम जारी रखने के लिए लाखों करोड़ रुपए की मदद उपलब्ध कराई गई है। सरकार ने इस बात का भी ध्यान रखा कि खेती और इससे जुड़े सारे कामकाज सुचारु रूप से चलते रहें। हमने किसानों को मदद पहुंचाने के लिए नए-नए समाधान निकाले। मध्य प्रदेश ने भी इसमें सराहनीय काम किया है। मध्य प्रदेश के किसानों ने रिकॉर्ड मात्रा में उत्पादन भी किया, तो सरकार ने रिकॉर्ड मात्रा में MSP पर खरीद भी सुनिश्चित की। मुझे बताया गया है किएमपी में इस बार गेहूं की खरीद के लिए देश में सबसे अधिक खरीद केंद्र बनाए थे। मध्य प्रदेश ने अपने 17 लाख से अधिक किसानों से गेहूं खरीदा और उन तक सीधा 25 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक पहुंचाया है। + +आज जब देश आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहा है तब ये हथकरघा दिवस और भी महत्व रखता है। हमारे चरखे का, हमारी खादी का हमारी आज़ादी की लड़ाई में कितना बड़ा योगदान है, ये हम सभी जानते हैं। बीते सालों में देश ने खादी को बहुत सम्मान दिया है। जिस खादी को कभी भुला दिया गया था, वो आज नया ब्रांड बन चुका है। अब जब हम आज़ादी के 100 वर्ष की तरफ नए सफर पर निकल रहे हैं, तो आजादी के लिए खादी की उस स्पिरिट को हमें और मजबूत करना है। आत्मनिर्भर भारत के लिए, हमें लोकल के लिए वोकल होना है। मध्य प्रदेश में तो खादी, रेशम से लेकर अनेक प्रकार के हस्तशिल्प की एक समृद्ध परंपरा है। मेरा आप सभी से, पूरे देश से आग्रह है कि आने वाले त्योहारों में हस्तशिल्प का कोई ना कोई लोकल उत्पाद ज़रूर खरीदें, हमारे हैंडीक्राफ्ट को मदद करें। + diff --git a/pm-speech/138.txt b/pm-speech/138.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..a22df88c26fccf7da05888dec42249ad43369b75 --- /dev/null +++ b/pm-speech/138.txt @@ -0,0 +1,10 @@ +एक तरफ हमारा देश, हमारे युवा, भारत के लिए नई सिद्धियां प्राप्त कर रहे हैं, जीत का Goal के बाद Goal कर रहे हैं, तो वहीं देश में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो राजनीति स्वार्थ में डूबकर ऐसी चीजें कर रहे हैं। लगता है Self Goal करने में जुटे हैं। देश क्या चाहता है, देश क्या हासिल कर रहा है, देश कैसे बदल रहा है इसमे इनको कोई सरोकार नहीं। ये लोग अपने स्वार्थ के लिए देश का समय और देश की भावना, दोनों को आहत करने में जुटे हैं। भारत की संसद का, जनभावनाओं की अभिव्यक्ति के पावन स्थान का, ये लोग अपने राजनीतिक स्वार्थ की वजह से निरंतर अपमान कर रहे हैं। आज पूरा देश, मानवता पर आए सबसे बड़े संकट से 100 साल में आया हुआ पहली बार आया हुआ इतने बड़े संकट से बाहर निकलने के लिए जी-जान से देश का हर  नागरिक जुटा है। प्रयास कर रहा है। और ये लोग, कैसे देशहित के काम को रोका जाए, इसकी स्पर्धा में लगे हैं। इस होड़ में जुटे हैं। लेकिन साथियों, ये महान देश, इस देश की महान जनता ऐसी स्वार्थ और देशहित विरोधी राजनीति का बंधक नहीं बन सकता। ये लोग देश को, देश के विकास को रोकने की कितनी भी कोशिश कर लें, ये देश इनसे रुकने वाला नहीं है। वो संसद को रोकने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन 130 करोड़ की जनता देश को रुकने न देने में लगे हुए हैं। हर कठिनाई को चुनौती देते हुए, देश हर मोर्चे पर तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। सिर्फ बीते कुछ हफ्तों के कीर्तिमान ही देखें, और जरा देखिए जब देश नए किर्तिमान स्थापित कर रहा था। और कुछ लोग दिल्ली में संसद को रोकने में लगे हुए थे। कुछ ही सप्तहों में जो हमने किर्तिमान देखे  तो भारतीयों का सामर्थ्य और सफलता चारों तरफ नजर आता है। ओलंपिक में अभूतपूर्व प्रदर्शन को पूरा देश उत्साहपूर्व देख रहा है। भारत टीकाकरण के मामले में भी 50 करोड़ के पड़ाव के बिल्कुल दरवाजे पर आकर के खड़ा हो गया है। देखते ही देखते उसको भी पार कर जाएगा। इस कोरोना कालखंड में भी भारतीयों का उद्यम नए प्रतिमान गढ़ रहा है। जुलाई में GST का कलेक्शन हो या हमारा एक्सपोर्ट हो, ये नई ऊंचाई छू रहे हैं। जुलाई में 1 लाख 16 हजार करोड़ रुपए का GST कलेक्शन होना ये बताता है कि अर्थव्यवस्था गति पकड़ रही है। वहीं आजादी के बाद पहली बार किसी एक महीने में भारत का एक्सपोर्ट ढाई लाख करोड़ रुपए से भी ज्यादा हो गया। ढाई लाख करोड़ से भी पार कर गया। ढाई लाख करोड़ रुपए से पार होना आजादी के बाद पहली बार इस महीने में हुआ है।  कृषि निर्यात में हम दशकों बाद दुनिया के टॉप-10 देशों में शामिल हुए हैं। भारत को कृषि प्रधान देश कहा जाता है। लेकिन दशकों बाद टॉप-10 में हमारा नाम आया है।  भारत का गौरव, देश का पहला मेड इन इंडिया, विमान वाहक पोत विक्रांत, समंदर में अपना ट्रायल शुरु कर चुका है। हर चुनौती को चुनौती देते हुए भारत ने लद्दाख में दुनिया की सबसे ऊंची मोटरेबल रोड का निर्माण पूरा किया है। हाल ही में भारत ने e-RUPI लॉन्च किया है, जो आने वाले समय में डिजिटल इंडिया को मजबूती देगा और welfare scheme को बिल्कुल targeted और purpose को परिपूर्ण करेगा। + +केंद्र और उत्तर प्रदेश की डबल इंजन सरकार सामान्य जन की सुविधा और सशक्तिकरण के लिए निरंतर प्रयास कर रही है। कोरोना कालखंड के बावजूद गरीबों को सुविधाएं देने का अभियान मंद नहीं पड़ा। यूपी में अभी तक 17 लाख से अधिक ग्रामीण और शहरी गरीब परिवारों को अपने पक्के घर स्वीकृत हो चुके हैं। लाखों गरीब परिवारों को घर में ही शौचालय की सुविधा मिली है। लगभग डेढ़ करोड़ गरीब परिवारों को उज्जवला के तहत मुफ्त गैस कनेक्शन और लाखों परिवारों को बिजली कनेक्शन दिए गए हैं। हर घर जल पहुंचाने का मिशन भी यूपी में तेज़ गति से आगे बढ़ रहा है। बीते 2 सालों के भीतर यूपी में 27 लाख ग्रामीण परिवारों तक पाइप से पानी पहुंचाया जा चुका है। + +जिस व्यवस्था को भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद की लत गई थी, उसमें सार्थक बदलाव की  शुरुआत हुई है। आज यूपी में ये सुनिश्चित किया जा रहा है कि जनता के हिस्से का एक-एक पैसा सीधे जनता के खातों में पहुंचे, जनता को लाभ हो। आज यूपी निवेश का केंद्र बन रहा है। बड़ी-बड़ी कंपनियां आज यूपी आने के लिए लालाइत हो रही हैं। यूपी में इंफ्रास्ट्रक्चर के मेगा प्रोजेक्ट्स बन रहे हैं, इंडस्ट्रियल कॉरिडोर बन रहे हैं, रोज़गार के नए अवसर तैयार हो रहे हैं। + +एक और अहम फैसला है मेडिकल शिक्षा से जुड़ा। मेडिकल शिक्षा में अखिल भारतीय कोटे से ओबीसी को, पिछड़ों को आरक्षण के दायरे से बाहर रखा गया था। इस स्थिति को बदलते हुए हाल में हमारी सरकार ने इसमें ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया है। यही नहीं, सामान्य वर्ग के गरीब परिवारों के बच्चों के लिए भी जो 10 प्रतिशत आरक्षण है, उसको भी इसी सेशन से लागू किया गया है। इस फैसले से मेडिकल प्रोफेशन में जो डॉक्टर बनना चाहते हैं। उस क्षेत्र में एक बड़े टैलेंट पूल को अवसर मिलेगा और समाज के हर वर्ग को आगे बढ़ने के लिए, बेहतर करने के लिए, प्रोत्साहन मिलेगा। गरीब की बच्चें को डॉक्टर बनने का रास्ता खोला है।  + +हेल्थ सेक्टर में भी बीते सालों में उत्तर प्रदेश में अभूतपूर्व काम हुआ है। कल्पना कीजिए 4-5 साल पहले अगर कोरोना जैसी वैश्विक महामारी आती तो यूपी की क्या स्थिति होती? तब तो सामान्य सर्दी-बुखार, हैज़ा जैसी बीमारियां तक जीवन के लिए संकट बन जाती थीं। आज उत्तर प्रदेश कोरोना टीकाकरण के मामले में करीब-करीब सवा पाँच करोड़ के पड़ाव पर पहुंचने वाला पहला राज्य बन रहा है। वो भी तब जब राजनीतिक विरोध मात्र के लिए मेड इन इंडिया वैक्सीन को लेकर कुछ लोगों द्वारा भ्रम फैलाया गया, झूठ प्रचारित किया गया। लेकिन यूपी की समझदार जनता ने हर भ्रम, हर झूठ को नकार दिया। मुझे विश्वास है कि उत्तर प्रदेश, सबको वैक्सीन-मुफ्त वैक्सीन अभियान को और तेज़ गति से आगे बढ़ाएगा। और मास्क, दो गज़ की दूरी के नियमों में ढील नहीं आने देगा। एक बार फिर से पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना के सभी लाभार्थियों को मैं बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। और आने वाला समय तो त्योहारों का समय है। दीवाली तक त्योहार ही त्योहार आ रहे हैं। और इसलिए हमने तय किया है। कि इन त्योहारों में हमारे किसी गरीब परिवार को तकलीफ न हो। इसलिए दीवाली तक ये मुफ्त राशन देने का चालू रहेगा। मैं फिर एक बार आप सबको आने वाले सभी त्योहारों के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। आप स्वस्थ रहें, आपका परिवार स्वस्थ रहे। बहुत बहुत धन्यवाद  !! + diff --git a/pm-speech/141.txt b/pm-speech/141.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..1aecec2510c363b619d4fc5a4c29204ea32c90de --- /dev/null +++ b/pm-speech/141.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +इस बार की ये चर्चा ऐसे समय में हो रही है जब भारत, अपनी आजादी के 75 वर्ष का अमृत महोत्सव मना रहा है। इस साल की 15 अगस्त की तारीख, अपने साथ आजादी की 75वीं वर्षगांठ लेकर आ रही है। बीते 75 सालों में भारत ने एक बेहतर पुलिस सेवा के निर्माण का प्रयास किया है। पुलिस ट्रेनिंग से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर में भी हाल के वर्षों में बहुत सुधार हुआ है। आज जब मैं आपसे बात कर रहा हूं, तो उन युवाओं को देख रहा हूं, जो अगले 25 वर्ष तक भारत में कानून-व्यवस्था सुनिश्चित करने में सहभागी होंगे। ये बहुत बड़ा दायित्व है। इसलिए अब एक नई शुरुआत, एक नए संकल्प के इरादे के साथ आगे बढ़ना है। + +देश के संविधान ने, देश के लोकतंत्र ने, जो भी अधिकार देशवासियों को दिए हैं, जिन कर्तव्यों को निभाने की अपेक्षा की है, उनको सुनिश्चित करने में आपकी भूमिका अहम है। औऱ इसलिए, आपसे अपेक्षाएं बहुत रहती हैं, आपके आचरण पर हमेशा नज़र रहती है। आप पर दबाव भी बहुत आते रहेंगे। आपको सिर्फ पुलिस थाने से लेकर पुलिस हेडक्वार्टर की सीमाओं के भीतर ही नहीं सोचना है। आपको समाज में हर रोल, हर भूमिका से परिचित भी रहना है, फ्रेंडली भी होना है और वर्दी की मर्यादाओं को हमेशा सर्वोच्च रखना है। एक और बात का आपको हमेशा ध्यान रखना होगा। आपकी सेवाएं, देश के अलग-अलग जिलों में होंगी, शहरों में होंगी। इसलिए आपको एक मंत्र सदा-सर्वदा याद रखना है। फील्ड में रहते हुए आप जो भी फैसले लें, उसमें देशहित होना चाहिए, राष्ट्रीय परिपेक्ष्य होना चाहिए। आपके काम काज का दायरा और समस्याएं अक्सर लोकल होंगी, ऐसे में उनसे निपटते हुए ये मंत्र बहुत काम आएगा। आपको हमेशा ये याद रखना है कि आप एक भारत, श्रेष्ठ भारत के भी ध्वजवाहक है। इसलिए, आपके हर एक्शन, आपकी हर गतिविधि में Nation First, Always First- राष्ट्र प्रथम, सदैव प्रथम इसी भावना को रिफ्लेक्ट करने वाली होनी चाहिए। + +देश की सुरक्षा के लिए, कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए, आतंक को मिटाने के लिए हमारे पुलिस के साथी, अपनी जान तक न्योछावर कर देते हैं। कई-कई दिन तक आप घर नहीं जा पाते, त्योहारों में भी अक्सर आपको अपने परिवार से दूर रहना पड़ता है। लेकिन जब पुलिस की इमेज की बात आती है, तो लोगों का मनोभाव बदल जाता है। पुलिस में आ रही नई पीढ़ी का ये दायित्व है कि ये इमेज बदले, पुलिस का ये Negative Perception खत्म हो। ये आप लोगों को ही करना है। आपकी ट्रेनिंग, आपकी सोच के बीच बरसों से चली आ रही पुलिस डिपार्टमेंट की जो स्थापित परंपरा है, उससे आपका हर रोज आमना-सामना होना ही होना है। सिस्टम आपको बदल देता है या आप सिस्टम को बदल देते हैं, ये आपकी ट्रेनिंग, आपकी इच्छाशक्ति औऱ आपके मनोबल पर निर्भर करता है। आपके इरादे कोन से हैं। किन आदर्शो से आप जुड़े हुए हैं। उन आदर्शों की परिपूर्ति के लिए कौन संकल्प लेकर के आप चल रहे हैं। वो ही मेटर करता है आपके व्यवहार के बाबत में। ये एक तरह से आपकी एक और परीक्षा होगी। और मुझे भरोसा है, आप इसमें भी सफल होंगे, जरूर सफल होंगे। + diff --git a/pm-speech/142.txt b/pm-speech/142.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..aea3fba93e0ab87c76ec414654770b67d98b26ed --- /dev/null +++ b/pm-speech/142.txt @@ -0,0 +1,4 @@ +बीते एक वर्ष में आपने भी ये महसूस किया होगा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति को किसी भी तरह के दबाव से मुक्त रखा गया है। जो openness पॉलिसी के लेवेल पर है, वही openness स्टूडेंट्स को मिल रहे विकल्पों में भी है। अब स्टूडेंट्स कितना पढ़ें, कितने समय तक पढ़ें, ये सिर्फ बोर्ड्स और universities नहीं तय करेंगी। इस फैसले में स्टूडेंट्स की भी सहभागिता होगी। Multiple entry and exit की जो व्यवस्था आज शुरू हुई है, इसने स्टूडेंट्स को एक ही क्लास और एक ही कोर्स में जकड़े रहने की मजबूरी से मुक्त कर दिया है। आधुनिक टेक्नालजी पर आधारित 'अकैडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट' इस सिस्टम से इस दिशा में स्टूडेंट्स के लिए revolutionary change आने वाला है। अब हर युवा अपनी रुचि से, अपनी सुविधा से कभी भी एक स्ट्रीम को choose कर सकता है, छोड़ सकता है। अब कोई कोर्स सलेक्ट करते समय ये डर भी नहीं रहेगा कि अगर हमारा डिसिज़न गलत हो गया तो क्या होगा? इसी तरह, 'Structured Assessment for Analyzing Learning levels' यानी 'सफल' के जरिए स्टूडेंट्स के आंकलन की भी वैज्ञानिक व्यवस्था शुरू हुई है। ये व्यवस्था आने वाले समय में स्टूडेंट्स को परीक्षा के डर से भी मुक्ति दिलाएगी। ये डर जब युवा मन से निकलेगा तो नए-नए स्किल लेने का साहस और नए नए innovations का नया दौर शुरू होगा, संभावनाएं असीम विस्तार होंगी। इसलिए, मैं फिर कहूंगा कि आज नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत जो ये नए कार्यक्रम शुरू हुए हैं, उनमें भारत का भाग्य बदलने का सामर्थ्य है। + +हमने-आपने दशकों से ये माहौल देखा है जब समझा जाता था कि अच्छी पढ़ाई करने के लिए विदेश ही जाना होगा। लेकिन अच्छी पढ़ाई के लिए विदेशों से स्टूडेंट्स भारत आयें, बेस्ट institutions भारत आयें, ये अब हम देखने जा रहे हैं। ये जानकारी बहुत उत्साह बढ़ाने वाली है कि देश की डेढ़ सौ से ज्यादा यूनिवर्सिटीज में Office of International Affairs स्थापित किए जा चुके हैं। भारत के Higher Education Institutes, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रिसर्च और एकैडेमिक में और आगे बढ़ें, इसके लिए आज नई गाइडलाइंस भी जारी की गई हैं। + diff --git a/pm-speech/148.txt b/pm-speech/148.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..5d49d761dcb8a8b21e2b2ccebc28b61881266b57 --- /dev/null +++ b/pm-speech/148.txt @@ -0,0 +1,10 @@ +बीते डेढ़ साल में देश ने इतनी बड़ी महामारी से मुक़ाबला आपसी सहयोग और एकजुट प्रयासों से ही किया है। सभी राज्य सरकारों ने जिस तरह एक दूसरे से सीखने का प्रयास किया है, Best Practices को समझने का प्रयास किया है। एक दूसरे को सहयोग करने की कोशिश की है और हम अनुभव से कह सकते हैं। कि ऐसे ही प्रयत्नों से हम आगे इस लड़ाई में विजयी हो सकते हैं। + +आप सभी इस बात से परिचित हैं कि हम इस समय एक ऐसे मोड़ पर खड़े हैं जहां तीसरी लहर की आशंका लगातार जताई जा रही है। देश के अधिकांश राज्यों में केसेस की संख्या जिस तरह कम हुई थी, उसने कुछ राहत, Psychologically फील होता था, कुछ राहत महसूस हो रही थी। विशेषज्ञ इस downward trend को देखकर उम्मीद भी कर रहे थे कि जल्द ही देश दूसरी लहर से पूरी तरह बाहर आ जाएगा। लेकिन कुछ राज्यों में केसेस की बढ़ती हुई संख्या अभी भी चिंताजनक बनी हुई है। + +एक्सपर्ट्स बताते हैं कि लंबे समय तक लगातार केसेस बढ़ने से कोरोना के वायरस में mutation की आशंका बढ़ जाती है, नए नए variants का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए, तीसरी लहर को रोकने के लिए कोरोना के खिलाफ प्रभावी कदम उठाया जाना नित्यांत आवश्यक है। इस दिशा में strategy वही है, जो आप अपने राज्यों में अपना चुके हैं, पूरे देश ने उसको लागु किया हुआ है। और उसका एक अनुभव भी हमे है। जो आपके लिए भी tested and proven method है। Test, Track और Treat और अब टीका इसी Vaccines की हमारी रणनीति फोकस करते हुए ही हमें आगे बढ़ना है।  Micro-containment zones पर हमें विशेष ध्यान देना होगा। जिन जिलों में positivity rate ज्यादा है, जहां से number of cases ज्यादा आ रहे हैं, वहाँ उतना ही ज्यादा फोकस भी होना चाहिए। अभी जब में नॉर्थ ईस्ट के साथियों से बात कर रहा था। तो एक बात उभरकर के आई कि कुछ राज्यों ने लॉकडाउन ही नहीं किया। लेकिन micro contentment zone पर बहुत बल दिया। और उसके कारण वो स्थिति को संभाल पाए। टेस्टिंग में भी ऐसे जिलों पर विशेष ध्यान देते हुये, पूरे प्रदेश में टेस्टिंग को ज्यादा से ज्यादा बढ़ाया जाना चाहिए। जिन जिलों में, जिन-जिन इलाकों में संक्रमण ज्यादा है, वहाँ वैक्सीन भी हमारे लिए एक Strategic Tool है। वैक्सीन के प्रभावी इस्तेमाल से कोरोना की वजह से उत्पन्न परेशानियों को कम किया जा सकता है। कई राज्य, इस समय हमें जो विंडो मिली है, उसका इस्तेमाल अपनी RT-PCR testing capacity बढ़ाने में भी कर रहे हैं। ये भी एक सराहनीय और जरूरी कदम है। ज्यादा से ज्यादा RT-PCR टेस्टिंग वायरस को रोकने में काफी प्रभावी हो सकते हैं। + +देश के सभी राज्यों को नए आईसीयू बेड्स बनाने, टेस्टिंग क्षमता बढ़ाने और दूसरी सभी जरूरतों के लिए फंड उपलब्ध करवाया जा रहा है। केंद्र सरकार ने हाल ही में, 23 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का एमर्जन्सी कोविड रेस्पोंस पैकेज भी जारी किया है। मैं चाहूँगा कि इस बजट का उपयोग हेल्थ इनफ्रास्ट्रक्चर को और मजबूत करने के लिए हो। जो भी ‘इनफ्रास्ट्रक्चरल गैप्स’ राज्यों में हैं उन्हें तेजी से भरा जाए। खासतौर पर ग्रामीण इलाकों-रूरल एरियाज़ पर हमें ज्यादा मेहनत की जरूरत है। इसके साथ ही सभी राज्यों में IT systems, Control rooms और Call centres का नेटवर्क मजबूत करना भी उतना ही जरूरी है। इससे resources के डेटा, उसकी जानकारी पारदर्शी तरीके से नागरिकों को मिल पाती है। इलाज के लिए मरीजों और परिजनों को इधर उधर भागना नहीं पड़ता। + +मुझे बताया गया है कि आपके राज्यों में जो 332 PSA प्लांट्स allocate किए गए हैं, उनमें से 53 कमीशन हो चुके हैं। मेरा सभी राज्यों से आग्रह है कि इन PSA ऑक्सीज़न प्लांट्स को जल्द से जल्द पूरा करें। किसी एक सिनियर ऑफिसर को स्पेशली यही काम में लगाइये, और 15-20 दिन का मिशन मोड में इस काम को आप पूरा करवाईये। + diff --git a/pm-speech/149.txt b/pm-speech/149.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..023016f29c0d1a20db709c0a45173c05a48bc88b --- /dev/null +++ b/pm-speech/149.txt @@ -0,0 +1,4 @@ +आज के इस आयोजन में एक और व्यक्ति हैं, जिनका नाम लेना मैं भूल नहीं सकता। जापान के ही मेरे एक और मित्र- शिंजो आबे जी। मुझे याद है, शिंजों आबे जी जब प्रधानमंत्री के तौर पर काशी आए थे, तो रुद्राक्ष के आइडिया पर उनसे मेरीलंबीचर्चा हुई थी। उन्होंने तुरंत ही अपने अधिकारियों से इस आइडिया पर काम करने को कहा। इसके बाद जापानका जो कल्चर है, चिरपरिचित। उनकी विशेषता है perfection और प्लानिंग।इसकेसाथ इस पर काम शुरू हुआ, और आज ये भव्य इमारत काशी की शोभा बढ़ा रही है। इस इमारत में आधुनिकता की चमक भी है, और सांस्कृतिक आभा भी है। इसमें भारत जापान रिश्तों का connect भी है, और भविष्य के लिए अनेकों संभावनाओं का स्कोप भी है। मेरी जापान यात्रा के समय हमने दोनों देशों के रिश्तों में, people to people relations में इसी अपनेपन की बात कही थी, हमने जापान से ऐसे ही सांस्कृतिक संबंध की रूपरेखा खींची थी। मुझे खुशी है कि आज दोनों देशों के प्रयासों से विकास के साथ साथ रिश्तों में मिठास का नया अध्याय लिखा जा रहा है। काशी के रुद्राक्ष की तरह ही अभी कुछ हफ्ते पहले ही गुजरात में भी जापानी ज़ेन गार्डेन और काइज़ेन अकैडमी का भी लोकार्पण हुआ था। जैसे ये रुद्राक्ष जापान की ओर से भारत को दी गई प्रेम की माला की तरह है, वैसे ही ज़ेन गार्डेन भी दोनों देशों के आपसी प्रेम की सुगंध फैला रहा है। इसी तरह, चाहे strategic area हो या economic area, जापान आज भारत के सबसे विश्वसनीय दोस्तों में से एक है। हमारी दोस्ती को इस पूरे क्षेत्र की सबसे natural partnerships में से एक माना जाता है। आधुनिक इनफ्रास्ट्रक्चर और विकास को लेकर भी कई अहम और सबसे बड़े प्रोजेक्ट्स में जापान हमारा साझीदार है। मुम्बई-अहमदाबाद हाइस्पीड रेल हो, दिल्ली-मुम्बई इंडस्ट्रियल कॉरिडॉर हो, या डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडॉरहो, जापान के सहयोग से बन रहे ये प्रोजेक्ट्स न्यू इंडिया की ताकत बनने वाले हैं। + +बौद्धिक विमर्शों के लिए, बड़ी सेमीनार्स और कल्चरल events के लिए बनारस अपने आप में एक आइडियल लोकेशन है। देश विदेश से लोग यहाँ आना चाहते हैं, यहाँ रुकना चाहते हैं। ऐसे में अगर यहाँ इसी तरह की events के लिए सुविधा मिलेगी, इनफ्रास्ट्रक्चर होगा तो स्वाभाविक है, बड़ी संख्या में कला जगत के लोग बनारस को प्राथमिकता देंगे। रुद्राक्ष इन्हीं संभावनाओं को आने वाले दिनों में साकार करेगा, देश विदेश से कल्चरल एक्सचेंज का एक सेंटर बनेगा। उदाहरण के तौर पर बनारस में जो कवि सम्मेलन होते हैं, उनके फैन पूरे देश में और दुनिया में हैं। आने वाले समय में इन कवि सम्मेलनों को वैश्विक प्रारूप में इस सेंटर में आयोजित किया जा सकता है। यहाँ बारह सौ लोगों के बैठने की व्यवस्था के साथ सभागार और सम्मेलन केंद्र भी है, पार्किंग सुविधा भी है, और दिव्यांगजन के लिए भी विशेष इंतजाम हैं। इसी तरह, पिछले 6-7 सालों में बनारस के handicraft और शिल्प को भी प्रमोट करने, मजबूत करने की दिशा में काफी काम हुआ है। इससे बनारसी सिल्क और बनारसी शिल्प को फिर से नई पहचान मिल रही है, यहाँ व्यापारिक गतिविधियां भी बढ़ रही हैं। रुद्राक्ष इन गतिविधियों को भी बढ़ाने में मदद करेगा। इस इनफ्रास्ट्रक्चर का कई तरह से business activities में इस्तेमाल किया जा सकता है। + diff --git a/pm-speech/150.txt b/pm-speech/150.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..bb6544d7655711f759eb8c69a98e87674fffea4d --- /dev/null +++ b/pm-speech/150.txt @@ -0,0 +1,8 @@ +काशी नगरी आज पूर्वांचल का बहुत बड़ा मेडिकल हब बन रही है। जिन बीमारियों के इलाज के लिए कभी दिल्ली और मुंबई जाना पड़ता था, उनका इलाज आज काशी में भी उपलब्ध है। यहां मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर में आज कुछ कड़ियां और जुड़ रही हैं। आज महिलाओं और बच्चों की चिकित्सा से जुड़े नए अस्पताल काशी को मिल रहे हैं। इनमें से 100  बेड की क्षमता BHU  में और 50  बेड जिला अस्पताल में जुड़ रहे हैं। इन दोनों प्रोजेक्ट्स के शिलान्यास का सौभाग्य मुझे मिला था, अब आज इनका लोकार्पण भी हो रहा है। BHU में जो ये नई सुविधा बनीहैं, थोड़ी देर बाद मैं उसे देखने के लिए भी जाने वाला हूं। साथियों, आज BHU में क्षेत्रीय नेत्र संस्थान का भी लोकार्पण किया गया है। इस संस्थान में लोगों को आंखों से जुड़ी बीमारियों का आधुनिक इलाज मिल पाएगा।  + +बीते सात सालों में काशी, अपनी मौलिक पहचान बनाए रखते हुए भी विकास के पथ पर तेजी से अग्रसर है। पूरे क्षेत्र में, चाहे वो नेशनल हाईवे का काम हों, फ्लाई ओवर हों या रेलवे ओवरब्रिज हो या चाहे तारों का जंजाल दूर करने के लिए पुरानी काशी में अंडर ग्राउंड वायरिंग का सिस्टम हो, पेयजल और सीवर की समस्याओं का निदान हो, पर्यटन को बढ़ाने के लिए विकास कार्य हो, सभी में अभूतपूर्व कार्य हुआ है। इस समय भी इस क्षेत्र में लगभग 8 हज़ार करोड़ रुपए की परियोजनाओं पर काम चल रहा है। नए प्रोजेक्ट, नए संस्थान काशी की विकास गाथा को और जीवंत बना रहे हैं। + +ऐसा नहीं है कि 2017 से पहले यूपी के लिए योजनाएँ नहीं आती थीं, पैसा नहीं भेजा जाता था! तब भी 2014 में हमें सेवा करने का मौका मिला तब भी दिल्ली से इतने ही तेज प्रयास होते थे। लेकिन तब लखनऊ में उनमें रोड़ा लग जाता था। आज योगी जी खुद कड़ी मेहनत कर रहे हैं। काशी के लोग तो देखते ही हैं कैसे योगी जी लगातार यहाँ आते हैं, एक-एक विकास योजना की समीक्षा करते हैं, खुद ऊर्जा लगाकर कामों को गति देते हैं। ऐसी ही मेहनत ये पूरे प्रदेश के लिए करते हैं। हर एक जिले में जाते हैं, हर एक काम के साथ खुद लगते हैं। यही वजह है कि यूपी में बदलाव के ये प्रयास आज एक आधुनिक यूपी बनाने में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। + +आज यूपी में कानून का राज है। माफियाराज और आतंकवाद, जो कभी बेकाबू हो रहे थे, उन पर अब कानून का शिकंजा है। बहनों-बेटियों की सुरक्षा को लेकर माँ-बाप हमेशा जिस तरह डर और आशंकाओं में जीते थे, वो स्थिति भी बदली है। आज बहन बेटियों पर आँख उठाने वाले अपराधियों को पता है कि वो कानून से बच नहीं पाएंगे। एक और बड़ी बात, यूपी में सरकार आज भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद से नहीं विकासवाद से चल रही है। इसीलिए, आज यूपी में जनता की योजनाओं का लाभ सीधा जनता को मिल रहा है। इसीलिए, आज यूपी में नए-नए उद्योगों का निवेश हो रहा है, रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं।  + diff --git a/pm-speech/151.txt b/pm-speech/151.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..ded8ac77c37d91ea3b17103270adac74897999da --- /dev/null +++ b/pm-speech/151.txt @@ -0,0 +1,8 @@ +जब कोई समाज Skill को महत्व देता है तो समाज की 'Up-Skilling' भी होती है, उन्नति भी होती है। दुनिया इस बात को बखूबी जानती भी है। लेकिन भारत की सोच इससे भी दो कदम आगे की रही है। हमारे पूर्वजों ने Skills को महत्व देने के साथ ही उन्होंने इसे celebrate किया, Skills को समाज के उल्लास का हिस्सा बना दिया। आप देखिए, हम विजयदशमी को शस्त्र पूजन करते हैं। अक्षय तृतीया को किसान फसल की, कृषि यंत्रों की पूजा करते हैं। भगवान विश्वकर्मा की पूजा तो हमारे देश में हर Skill, हर शिल्प से जुड़े लोगों के लिए बहुत बड़ा पर्व रहा है। हमारे यहां शास्त्रों में निर्देश दिया गया है- + +अर्थात्, जिनके कारण विश्व में सब कुछ संभव होता है, उन विश्वकर्मा को नमस्कार है। विश्वकर्मा को विश्वकर्मा कहा ही इसलिए जाता है क्योंकि उनके काम के बिना, Skills के बिना समाज का अस्तित्व ही असंभव है। लेकिन दुर्भाग्य से गुलामी के लंबे कालखंड में Skill Development की व्यवस्था हमारे सोशल सिस्टम में, हमारे एजुकेशन सिस्टम में धीरे-धीरे कमजोर पड़ती गई। + +मैं एक और वाकये के बारे में आपको बताना चाहता हूं। एक बार Skill Development को लेकर काम कर रहे कुछ अफसर मुझसे मिले। मैने उनसे कहा कि आप इस दिशा में इतना काम कर रहे हैं, क्यों न आप ऐसे Skills की एक लिस्ट बनाएंगे, जिनकी हम अपने जीवन में सेवाएँ लेते हैं। आपको हैरानी होगी, जब उन्होंने सरसरी नजर से लिस्टिंग की तो ऐसी 900 से ज्यादा Skill निकली, जिनकी हमें अपनी आवश्यकताओं के लिए जरूरत होती है। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि Skill Development का काम कितना बड़ा है। आज ये जरूरी है कि Learning आपकी earning के साथ ही रुके नहीं। आज दुनिया में Skills  की इतनी demand है कि जो skilled होगा वही Grow करेगा। ये बात व्यक्तियों पर भी लागू होती है, और देश पर भी लागू होती है! दुनिया के लिए एक Smart और Skilled Man-power Solutions भारत दे सके, ये हमारे नौजवानों की Skilling Strategy के मूल में होना चाहिए। इसको देखते हुए Global Skill Gap की mapping जो की जा रही है, वो प्रशंसनीय कदम है। इसलिए, हमारे युवाओं के लिए Skilling, Re-skilling और Up-skilling का mission अनवरत चलते रहना चाहिए। + +बाबा साहब अंबेडकर ने युवाओं की, कमजोर वर्ग की Skilling पर बहुत जोर दिया था। आज Skilled India के जरिए देश बाबा साहब के इस दूरदर्शी स्वप्न को पूरा करने के लिए भरसक प्रयास कर रहा है। उदाहरण के तौर पर, आदिवासी समाज के लिए देश ने 'Going Online As Leaders' यानी GOAL प्रोग्राम शुरू किया है। ये प्रोग्राम पारंपरिक स्किल्स के क्षेत्रों, जैसे कि आर्ट हो, कल्चर हो, हैंडीक्राफ्ट हो, टेक्सटाइल हो, इनमें आदिवासी भाई-बहनों की Digital Literacy और Skills में मदद करेगा, उनमें Entrepreneurship develop करेगा। इसी तरह वनधन योजना भी आज आदिवासी समाज को नए अवसरों से जोड़ने का एक प्रभावी माध्यम बन रही है। हमें आने वाले समय में इस तरह के अभियानों को और ज्यादा व्यापक बनाना है, Skill के जरिए खुद को और देश को आत्मनिर्भर बनाना है। + diff --git a/pm-speech/152.txt b/pm-speech/152.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..3eb9eda93bcf17d648a5c92a393ddb7b7beb106b --- /dev/null +++ b/pm-speech/152.txt @@ -0,0 +1,4 @@ +आप सबको नमस्‍कार! सबसे पहले तो कुछ नए दायित्‍वों वाले लोग हैं तो मैं परिचय करवा दूँ ताकि आपको भी सुविधा रहेगी। श्रीमान मनसुख भाई मांडविया, वह अभी हमारे नए Health Minister बने हैं, उनके साथ MoS के रूप में डॉ. भारती पवार जी भी बैठी हैं। वो हमारे Health विभाग में MoS के रूप में काम कर रही हैं। दो और लोग हैं जिनका आपका संबंध regular रहने वाला है वो हैं DONER मंत्रालय के नए मंत्री श्रीमान जी. किशन रेड्डी जी और उनके साथ MoS बैठे हैं श्रीमान बी.एल. वर्मा जी, तो ये परिचय भी आप लोगों के लिए जरूरी है। + +आज हम पूरे देश में 20 लाख से अधिक टेस्ट प्रतिदिन करने की क्षमता तक पहुंच चुके हैं। नॉर्थ ईस्ट के हर जिले में, विशेष रूप से अधिक प्रभावित जिलों में टेस्टिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को प्राथमिकता के आधार पर बढ़ाना होगा। यही नहीं, Random Testing के साथ-साथ हम क्लस्टर वाले ब्लॉक में Aggressive Testing करें, इसको लेकर भी हमें ज़रूर कदम उठाने चाहिए। मुझे पूरा विश्वास है कि हम सबके सामूहिक प्रयासों से, देश की जनता के सहयोग से हम कोरोना संक्रमण को सीमित रखने में ज़रूर सफल होंगे। मैं फिर एक बार आज विस्‍तार से नॉर्थ ईस्‍ट की चर्चा करके बहुत specific विषयों पर हम चर्चा कर पाए। मुझे विश्‍वास है इन चीजों से आने वाले दिनों में नॉर्थ ईस्‍ट में जो थोड़ी बढ़ोत्तरी दिख रही है उसको तुरंत रोकने में हमारे पूरी टीम काम करेगी और सफलता मिलेगी। एक बार फिर से आप सबका बहुत-बहुत धन्‍यवाद! और मेरी आपको बहुत शुभकामनाएं हैं, जल्‍दी से मेरे नॉर्थ ईस्‍ट के भाई-बहन कोरोना से मुक्‍ति का आनंद लें। + diff --git a/pm-speech/154.txt b/pm-speech/154.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..889f8dcad6ab98506ba19992c57f0eba717d1633 --- /dev/null +++ b/pm-speech/154.txt @@ -0,0 +1,4 @@ +यह हमारी सरकार ही है, जिसने Healthcare पर सबसे अधिक बल दिया है। पिछले वर्ष, First Wave के दौरान हमने लगभग 15 हजार करोड़ रुपये Healthcare के लिए आवंटित किए थे, जिससे हमारे Health Infrastructure  को बढ़ाने में मदद मिली। इस साल हेल्थ सेक्टर के लिए बजट का Allocation दोगुने से भी ज्यादा यानि दो लाख करोड रुपये से भी अधिक किया गया। अब हम ऐसे क्षेत्रों में Health Infrastructure को मजबूत करने के लिए 50 हजार करोड़ रुपये की एक Credit Guarantee Scheme लेकर आए हैं, जहां स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी है। हमने बच्चों के लिए जरूरी Health Infrastructure को सशक्त करने के लिए भी 22 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा आवंटित किए हैं। आज देश में तेजी से नए एम्स खोले जा रहे हैं, नए मेडिकल कॉलेज बनाए जा रहे हैं, आधुनिक हेल्थ इनफ्रास्ट्रक्चर खड़ा किया जा रहा है। 2014 तक जहां देश में केवल 6 एम्स थे, वहीं इन 7 सालों में 15 नए एम्स का काम शुरू हुआ है। मेडिकल कॉलेजेज़ की संख्या भी करीब डेढ़ गुना बढ़ी है। इसी का परिणाम है कि इतने कम समय में जहां अंडरग्रेजुएट सीट्स में डेढ़ गुने से ज्यादा की वृद्धि हुई है, वहीं पीजी सीट्स में 80 फीसदी इजाफा हुआ है। यानी, यहाँ तक पहुँचने के लिए जो संघर्ष आपको करना पड़ा, वो कठिनाई हमारे युवाओं को, आपके बच्चों को नहीं उठानी पड़ेगी। दूर-सुदूर क्षेत्रों में भी हमारे ज्यादा से ज्यादा युवाओं को डॉक्टर बनने का अवसर मिलेगा। उनकी प्रतिभा को, उनके सपनों को नई उड़ान मिलेगी। मेडिकल सेक्टर में हो रहे इन बदलावों के बीच, डॉक्टर्स की सुरक्षा के लिए भी सरकार प्रतिबद्ध है। हमारी सरकार ने डॉक्टर्स के खिलाफ हिंसा को रोकने के लिए पिछले वर्ष ही, कानून में कई कड़े प्रावधान किए हैं। इसके साथ ही, हम अपने COVID Warriors के लिए Free Insurance Cover Scheme भी लेकर आए हैं। + +इन दिनों एक और अच्छी चीज हमने देखी है कि मेडिकल फ्रेटर्निटी के लोग, योग के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए बहुत आगे आए हैं। योग को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए जो काम आजादी के बाद पिछली शताब्दी में किया जाना चाहिए था, वो अब हो रहा है। इस कोरोना काल में योग – प्राणायाम का लोगों के स्वास्थ्य पर किस तरह सकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है, पोस्ट कोविड कॉम्प्लिकेशन्स से निपटने में योग किस तरह मदद कर रहा है,  इसके लिए आधुनिक मेडिकल साइंस से जुड़े कई संस्थानों द्वारा Evidence Based Studies कराई जा रही है। इस पर आप में से  कई लोग काफी समय दे रहे हैं। + diff --git a/pm-speech/155.txt b/pm-speech/155.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..717d644e3df2ff0e4fa47a69f499853931880d1f --- /dev/null +++ b/pm-speech/155.txt @@ -0,0 +1,30 @@ +भारत को डिजिटल पथ पर तेज़ गति से आगे बढ़ाते हुए हर देशवासी का जीवन आसान बनाने का सपना पूरे देश का है। इसको पूरा करने में हम सभी दिन रात लगे हुए हैं। देश में आज एक तरफ Innovation का जूनून है तो दूसरी तरफ उन Innovations को तेजी से adopt करने का जज़्बा भी है। इसलिए, Digital India, भारत का संकल्प है। Digital India, आत्मनिर्भर भारत की साधना है, Digital India, 21वीं सदी में सशक्त होते  भारत का एक जयघोष है। + +Digital India ने ये कैसे संभव किया है, इसका शानदार उदाहरण है- डिजी लॉकर। स्कूल के सर्टिफिकेट, कॉलेज की डिग्री, ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट, आधार या दूसरे दस्तावेज़ों को संभालकर रखना हमेशा से लोगों के लिए बहुत बड़ी चिंता रहा है। कई बार बाढ़ में, भूकंप में, सुनामी में, कहीं आग लगने की वजह से, लोगों के जरूरी पहचान पत्र नष्ट हो जाते हैं। लेकिन अब 10वीं, 12वीं, कॉलेज, यूनिवर्सिटी की मार्कशीट से लेकर दूसरे तमाम दस्तावेज़ सीधे डिजीलॉकर में सहज रूप से रखे जा सकते हैं। अभी कोरोना के इस काल में, कई शहरों के कॉलेज, एडमिशन के लिए स्कूल सर्टिफिकेट्स का वेरिफिकेशन, डिजि-लॉकर की मदद से ही कर रहे हैं। + +ड्राइविंग लाइसेंस हो, बर्थ सर्टिफिकेट हो, बिजली का बिल भरना हो, पानी का बिल भरना हो, इनकम टैक्स रिटर्न भरना हो, इस तरह के अनेक कामों के लिए अब प्रक्रियाएं डिजिटल इंडिया की मदद से बहुत आसान, बहुत तेज हुई है। और गांवों में तो ये सब, अब अपने घर के पास CSC सेंटर में भी हो रहा है। Digital India ने गरीब को मिलने वाले राशन की डिलिवरी को भी आसान किया है। + +हाल ही में माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने भी इससे जुड़ा एक बड़ा अहम फैसला दिया है। कुछ राज्‍य हैं जो इस बात को मानते नहीं थे। आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने हुक्‍म किया है कि जिन राज्‍यों ने अब तक वन नेशन, वन राशन कार्ड वाली बात नहीं स्‍वीकार की है, वो तुरंत लागू करें। हुक्‍म करना पड़ा सुप्रीम कोर्ट को। उन्हें भी इस योजना को लागू करने को कहा गया है। मैं इस फैसले के लिए सुप्रीम कोर्ट का भी अभिनंदन करता हूं, क्‍योंकि ये गरीबों के लिए है, मजदूरों के लिए है। अपने स्‍थान से बाहर जिनको जाना पड़ रहा है उनके लिए है। और अगर संवेदनशीलता है तो ऐसे काम को प्राथमिकता तुरंत मिलती है। + +Digital India, आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को मज़बूती से आगे बढ़ा रहा है। Digital India, उन लोगों को भी सिस्टम से connect कर रहा है, जिन्होंने कभी इसकी कल्पना भी नहीं की थी। अभी कुछ और लाभार्थियों से मैंने बात की है। वो बड़े गौरव और संतोष के साथ बता रहे थे कि डिजिटल समाधान से कैसे उनके जीवन में बदलाव आया है। + +रेहड़ी-ठेला-पटरी वालों ने कब सोचा था कि वो बैंकिंग सिस्टम से जुड़ेंगे और उनको भी बैंक से आसान और सस्ता ऋण मिलेगा। लेकिन आज स्वनिधि योजना से ये संभव हो रहा है। गांव में घर और जमीन से जुड़े विवाद और असुरक्षा की खबरें भी अक्सर सुनने में आती रही हैं। लेकिन अब स्वामित्व योजना के तहत गांव की जमीनों को ड्रोन मैपिंग की जा रही है। डिजिटल माध्यम से ग्रामीणों को अपने घर की कानूनी सुरक्षा का दस्तावेज़ मिल रहा है। ऑनलाइन पढ़ाई से लेकर दवाई तक के लिए, जो प्लेटफॉर्म विकसित किए गए हैं, उनसे देश के करोड़ों साथी आज लाभान्वित हो रहे हैं। + +दूर सुदूर तक स्वास्थ्य सुविधाओं को पहुंचाने में भी Digital India अहम भूमिका निभा रहा है। थोड़ी देर पहले बिहार के साथी ने मुझे बताया कि e-संजीवनी ने कैसे इस मुश्किल समय में घर बैठे ही उनकी दादी मां के स्‍वास्‍थ्‍य लाभ की चिंता की। सबको स्वास्थ्य सुविधा मिले, समय पर अच्छी सुविधा मिले, ये हमारी प्राथमिकता है। इसके लिए National Digital Health Mission के तहत एक प्रभावी प्लेटफॉर्म पर भी काम चल रहा है।  + +इस कोरोना काल में जो Digital Solutions भारत ने तैयार किए हैं, वो आज पूरी दुनिया में चर्चा का भी विषय हैं और आकर्षण का भी विषय हैं। दुनिया के सबसे बड़े डिजिटल Contact Tracing App में से एक, आरोग्य सेतु से कोरोना संक्रमण को रोकने में बहुत मदद मिली है। टीकाकरण के लिए भारत के COWIN app में भी आज अनेकों देश दिलचस्‍पी दिखा रहे हैं। वो चाहते हैं कि उनके देश में इस योजना का लाभ मिले। Vaccination की प्रक्रिया के लिए ऐसा Monitoring tool होना हमारी तकनीकी कुशलता का प्रमाण है।  + +और हमारे ये आजकल ये Millennials, अगर आज ये सारी दुनिया न होती, टेक्‍नोलॉजी न होती तो उनका क्या हाल होता? बिना सस्ते स्मार्टफोन, सस्ते इंटरनेट और सस्ते डेटा के, उनके Daily routine में जमीन आसमान का अंतर होता। इसलिए, मैं कहता हूं, Digital India यानि सबको अवसर, सबको सुविधा, सबकी भागीदारी। डिजिटल इंडिया यानि सरकारी तंत्र तक हर किसी की पहुंच। Digital India यानि पारदर्शी, भेदभाव रहित व्यवस्था और भ्रष्टाचार पर चोट। Digital India यानि समय, श्रम और धन की बचत। Digital India यानि तेज़ी से लाभ, पूरा लाभ। Digital India यानि मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सिम गवर्नेंस। + +Digital India अभियान की एक और खास बात रही कि इसमें Infrastructure के Scale और Speed, दोनों पर बहुत बल दिया गया। देश के गांवों में करीब ढाई लाख Common Service Centre ने इंटरनेट को वहां भी पहुंचाया, जहां कभी ये बहुत मुश्किल माना जाता था। भारत-नेट योजना के तहत गांव-गांव, ब्रॉडबैंड इंटरनेट पहुंचाने के लिए मिशन मोड पर काम चल रहा है। + +आज भारत जितनी मजबूती के साथ दुनिया की अग्रणी Digital Economies में से एक बना है, वो हर भारतवासी के लिए गौरव का विषय है। पिछले 6-7 साल में अलग-अलग योजनाओं के तहत करीब-करीब 17 लाख करोड़ रुपए सीधे, लोगों के बैंक खातों में ट्रांसफर किए गए हैं। कोरोना काल में Digital India अभियान देश के कितना काम आया है, ये भी हम सभी ने देखा है। जिस समय बड़े-बड़े समृद्ध देश, लॉकडाउन के कारण अपने नागरिकों को सहायता राशि नहीं भेज पा रहे थे, भारत हजारों करोड़ रुपए, सीधे लोगों के बैंक खातों में भेज रहा था। कोरोना के इस डेढ़ साल में ही भारत ने विभिन्न योजनाओं के तहत करीब 7 लाख करोड़ रुपए DBT के माध्यम से लोगों के बैंक अकाउंट में भेजे हैं। भारत में आज सिर्फ BHIM UPI से ही हर महीने करीब 5 लाख करोड़ रुपए का लेन देन होता है। + +किसानों के जीवन में भी डिजिटल लेनदेन से अभूतपूर्व परिवर्तन आया है। पीएम किसान सम्मान निधि के तहत 10 करोड़ से ज्यादा किसान परिवारों को 1 लाख 35 करोड़ रुपए सीधे बैंक अकाउंट में जमा किए गए हैं। Digital India ने वन नेशन, वन MSP की भावना को भी साकार किया है। इस वर्ष गेहूं की रिकॉर्ड खरीद का लगभग 85 हज़ार करोड़ रुपए सीधे किसान के बैंक खाते में पहुंचा है। e-NAM पोर्टल से ही अब तक देश के किसान एक लाख 35 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का लेन-देन कर चुके हैं। + +One Nation, One Card, यानि देशभर में ट्रांसपोर्ट और दूसरी सुविधाओं के लिए पेमेंट का एक ही माध्यम, एक बहुत बड़ी सुविधा सिद्ध होने वाला है। Fastag के आने से पूरे देश में ट्रांसपोर्ट आसान भी हुआ है, सस्ता भी हुआ है और समय की भी बचत हो रही है। इसी तरह GST से, eWay Bills की व्यवस्था से, देश में व्यापार-कारोबार में सुविधा और पारदर्शिता, दोनों सुनिश्चित हुई है।  कल ही GST को चार वर्ष पूरे हुए हैं। कोरोना काल के बावजूद, पिछले आठ महीने से लगातार GST Revenue एक लाख करोड़ रुपए के मार्क को पार कर रहा है। आज एक करोड़ 28 लाख से अधिक रजिस्टर्ड उद्यमी, इसका लाभ ले रहे हैं। वहीं, Govt e-Marketplace यानि GeM से होने वाली सरकारी खरीद ने पारदर्शिता बढ़ाई है, छोटे से छोटे व्यापारी को अवसर दिया है। + +ये दशक, डिजिटल टेक्नॉलॉजी में भारत की क्षमताओं को, ग्लोबल डिजिटल इकॉनॉमी में भारत की हिस्सेदारी को बहुत ज्यादा बढ़ाने वाला है। इसलिए बड़े-बड़े एक्सपर्ट्स इस दशक को India’s Techade के रूप में देख रहे हैं। एक अनुमान है कि अगले कुछ सालों में भारत की दर्जनों टेक्नॉलॉजी कंपनियां यूनिकॉर्न क्लब में शामिल होंगी। ये दिखाता है कि डेटा और डेमोग्राफिक डिविडेंड की सामूहिक ताकत, कितना बड़ा अवसर हमारे सामने ला रही है। + +5G टेक्नॉलॉजी पूरी दुनिया में जीवन के हर पहलू में बड़े बदलाव करने वाली है। भारत भी इसके लिए तैयारी में जुटा है। आज जब दुनिया इंडस्ट्री 4.0 की बात कर रही है, तो भारत इसके एक बड़े भागीदार के रुप में उपस्थित है। डेटा पावर-हाउस के रूप में भी अपनी जिम्मेदारी का भारत को एहसास है। इसलिए Data protection के लिए भी हर ज़रूरी प्रावधान पर निरंतर काम चल रहा है। कुछ दिन पहले ही, साइबर सिक्योरिटी से जुड़ी इंटरनेशनल रैंकिंग आई है। 180 से ज्यादा देशों के ITU-Global Cyber Security Index में भारत दुनिया के टॉप-10 देशों में शामिल हो चुका है। साल भर पहले तक हम इसमें 47वीं रैंक पर थे। + diff --git a/pm-speech/156.txt b/pm-speech/156.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..44dc92491fa7b16aea7839cc6383b579b7c3e8fc --- /dev/null +++ b/pm-speech/156.txt @@ -0,0 +1,12 @@ +ज़ेन गार्डेन और काईज़ेन अकैडमी के लोकार्पण का ये अवसर भारत जापान के सम्बन्धों की सहजता और आधुनिकता का प्रतीक है। मुझे विश्वास है कि Japanese ज़ेन गार्डन और काईज़ेन Academy की ये स्थापना, भारत और जापान के रिश्तों को और मजबूत करेगी, हमारे नागरिकों को और करीब लाएगी। विशेष रूप से, मैं ह्योगो प्री-फेक्चर के लीडर्स का, मेरे अभिन्न मित्र गवर्नर श्रीमान ईदो तोशीजो को विशेष रूप से इस समय अभिनन्दन करता हूँ। गवर्नर ईदो 2017 में स्वयं अहमदाबाद आए थे। अहमदाबाद में ज़ेन गार्डन और काईज़ेन Academy की स्थापना में उनका और ह्योगो International Association का बहुमूल्य योगदान रहा है। मैं Indo-Japan Friendship Association of Gujarat के साथियों को भी बधाई देता हूं। उन्होंने भारत जापान संबंधों को ऊर्जा देने के लिए निरंतर उल्लेखनीय कार्य किया है। Japan Information and Study Centre भी इसकी एक मिसाल है। + +भारत और जापान जितना बाहरी प्रगति और उन्नति के लिए समर्पित रहे हैं, उतना ही आंतरिक शांति और प्रगति को भी हमने महत्व दिया है। जापानीज़ ज़ेन गार्डेन, शांति की इसी खोज की, इसी सादगी की एक सुंदर अभिव्यक्ति है। भारत के लोगों ने सदियों से जिस शांति, सहजता और सरलता को योग और आध्यात्म के जरिए सीखा समझा है, उसी की एक झलक उन्हें यहाँ दिखेगी। और वैसे भी, जापान में जो ‘ज़ेन’ है, वही तो भारत में ‘ध्यान’ है। बुद्ध ने यही ध्यान, यही बुद्धत्व संसार को दिया था। और जहाँ तक ‘काईज़ेन’ की संकल्पना है, ये वर्तमान में हमारे इरादों को मजबूती की , निरंतर आगे बढ़ने की हमारी इच्छाशक्ति का जीता जागता सबूत है। + +जापान और गुजरात के संबंधों को लेकर कहने के लिए इतना कुछ है, कि समय कम पड़ जाएगा। ये संबंध आत्मीयता, स्नेह और एक दूसरे की भावनाओं को, एक दूसरे की जरूरतों को समझने में और मजबूत हुए हैं। गुजरात ने हमेशा जापान को विशेष महत्व दिया है। अब जैसे JETRO ने ये जो Ahmedabad Business Support Centre खोला है, उसमें एक साथ पांच कंपनियों को plug and play work-space facility देने की सुविधा है। जापान की बहुत सारी कंपनियों ने इसका लाभ उठाया है। मैं कई बार जब पुराने दिनों के बारे में सोचता हूं तो लगता है कि गुजरात के लोगों ने भी कितनी छोटी-छोटी बारीकियों पर ध्यान दिया है। मुझे याद है मुख्यमंत्री के तौर पर एक बार मैं जापान के डेलीगेशन के साथ बातचीत कर रहा था तो Informally एक विषय उठा। ये विषय बड़ा ही दिलचस्प था। जापान के लोगों को गॉल्फ खेलना बहुत पसंद है लेकिन गुजरात में golf courses का उतना प्रचलन ही नहीं था। इस बैठक के बाद विशेष प्रयास किया गया की गुजरात में golf courses का भी विस्तार हो। मुझे खुशी है कि आज गुजरात में कई golf courses हैं। कई रेस्टोरेन्ट्स भी ऐसे हैं जिनकी विशेषता जापानीज फूड है। यानि एक प्रयास रहा है कि जापान के लोगों को गुजरात में, Feel at Home कराया जा सके। हम लोगों ने इस बात पर भी बहुत काम किया कि गुजरात में जापानी भाषा बोलने वालों की संख्या भी बढ़े। आज गुजरात के प्रोफेशनल वर्ल्ड में बहुत से लोग ऐसे हैं जो आसानी से जापानी बोलते हैं। मुझे बताया गया है कि राज्य की एक यूनिवर्सिटी, जापानी भाषा सिखाने के लिए एक कोर्स भी शुरू करने जा रही है। एक अच्छी शुरुआत होगी। + +जापान के स्कूल सिस्टम का, वहां जिस तरह आधुनिकता और नैतिक मूल्यों पर साथ जोर दिया जाता है, उसका मैं बहुत प्रशंसक रहा हूं। जापान के ताईमेई स्कूल में मुझे जाने का अवसर मिला था और वहां बिताए कुल पल मेरे लिए एक प्रकार से यादगार हैं। उस स्कूल के बच्चों से बात करना, मेरे लिए आज भी एक अनमोल अवसर मैं कह सकता हूं। + +हमारे पास सदियों पुराने सांस्कृतिक सम्बन्धों का मजबूत विश्वास भी है, और भविष्य के लिए एक कॉमन विज़न भी! इसी आधार पर, पिछले कई वर्षों से हम अपनी Special Strategic and Global Partnership को लगातार मजबूत कर रहे हैं। इसके लिए PMO में हमने जापान-प्लस की एक विशेष व्यवस्था भी की है। जापान के पूर्व प्रधानमंत्री और मेरे मित्र श्रीमान शिंजो अबे जब गुजरात आए थे, तो भारत-जापान रिश्तों को नई गति मिली थी। बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट का काम शुरू होने पर वो बहुत उत्साहित थे। आज भी उनसे बात होती है, तो वो अपने गुजरात दौरे को जरूर याद करते हैं। जापान के वर्तमान प्रधानमंत्री श्रीमान योशिहिदे सुगा भी बहुत सुलझे हुए व्यक्ति हैं। PM सुगा और मेरा ये विश्वास है कि Covid pandemic के इस दौर में, भारत और जापान की दोस्ती, हमारी पार्टनरशिप, global stability और prosperity के लिए और ज्यादा प्रासंगिक हो गई है। आज जब कई वैश्विक चुनौतियां हमारे सामने खड़ी हैं, तो हमारी ये मित्रता, हमारे ये रिश्ते, दिनोंदिन और मजबूत हों, ये समय की मांग है। और निश्चित तौर पर काईजेन academy जैसे प्रयास, इसका बहुत सुंदर प्रतिबिंब हैं। + +मैं चाहूँगा कि काईज़ेन Academy जापान के वर्क-कल्चर का भारत में प्रचार-प्रसार करे, जापान और भारत के बीच business interactions बढाए। इस दिशा में पहले से जो प्रयास चल रहे हैं, हमें उन्हें भी नई ऊर्जा देनी है।जैसे गुजरात यूनिवर्सिटी और ओसाका के ओतेमोन गाकुइन University के बीच Indo-Japan Student Exchange Program है। ये प्रोग्राम पांच दशकों से हमारे रिश्तों को मजबूती दे रहा है। इसका और विस्तार किया जा सकता है। दोनों देशों के और संस्थानों के बीच में भी इस तरह की partnerships की जा सकती है। + diff --git a/pm-speech/159.txt b/pm-speech/159.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..badbb8e2d0545eade1c88be5cc1b4f7d1e122011 --- /dev/null +++ b/pm-speech/159.txt @@ -0,0 +1,20 @@ +अर्थात्,  योग-व्यायाम से हमें अच्छा स्वास्थ्य मिलता है, सामर्थ्य मिलता है, और लंबा सुखी जीवन मिलता है। हमारे लिए स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा भाग्य है, और अच्छा स्वास्थ्य ही सभी सफलताओं का माध्यम है। भारत के ऋषियों ने, भारत ने जब भी  स्वास्थ्य की बात की है, तो इसका मतलब केवल, शारीरिक स्वास्थ्य नहीं रहा है। इसीलिए, योग में फ़िज़िकल हेल्थ के साथ साथ मेंटल हेल्थ पर इतना ज़ोर दिया गया है। जब हम प्राणायाम करते हैं, ध्यान करते हैं, दूसरी यौगिक क्रियाएँ करते हैं, तो हम अपनी अंतर-चेतना को अनुभव करते हैं। योग से हमें ये अनुभव होता है कि हमारी विचार शक्ति, हमारा आंतरिक सामर्थ्य इतना ज्यादा है कि दुनिया की कोई परेशानी, कोई भी negativity हमें तोड़ नहीं सकती। योग हमें स्ट्रेस से  स्ट्रेंथ की ओर, नेगेटिविटी से  क्रिएटिविटी का रास्ता दिखाता है। योग हमें अवसाद  से उमंग और प्रमाद से प्रसाद तक ले जाता है। + +अर्थात्,  योग-व्यायाम से हमें अच्छा स्वास्थ्य मिलता है, सामर्थ्य मिलता है, और लंबा सुखी जीवन मिलता है। हमारे लिए स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा भाग्य है, और अच्छा स्वास्थ्य ही सभी सफलताओं का माध्यम है। भारत के ऋषियों ने, भारत ने जब भी  स्वास्थ्य की बात की है, तो इसका मतलब केवल, शारीरिक स्वास्थ्य नहीं रहा है। इसीलिए, योग में फ़िज़िकल हेल्थ के साथ साथ मेंटल हेल्थ पर इतना ज़ोर दिया गया है। जब हम प्राणायाम करते हैं, ध्यान करते हैं, दूसरी यौगिक क्रियाएँ करते हैं, तो हम अपनी अंतर-चेतना को अनुभव करते हैं। योग से हमें ये अनुभव होता है कि हमारी विचार शक्ति, हमारा आंतरिक सामर्थ्य इतना ज्यादा है कि दुनिया की कोई परेशानी, कोई भी negativity हमें तोड़ नहीं सकती। योग हमें स्ट्रेस से  स्ट्रेंथ की ओर, नेगेटिविटी से  क्रिएटिविटी का रास्ता दिखाता है। योग हमें अवसाद  से उमंग और प्रमाद से प्रसाद तक ले जाता है। + +अर्थात्,  योग-व्यायाम से हमें अच्छा स्वास्थ्य मिलता है, सामर्थ्य मिलता है, और लंबा सुखी जीवन मिलता है। हमारे लिए स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा भाग्य है, और अच्छा स्वास्थ्य ही सभी सफलताओं का माध्यम है। भारत के ऋषियों ने, भारत ने जब भी  स्वास्थ्य की बात की है, तो इसका मतलब केवल, शारीरिक स्वास्थ्य नहीं रहा है। इसीलिए, योग में फ़िज़िकल हेल्थ के साथ साथ मेंटल हेल्थ पर इतना ज़ोर दिया गया है। जब हम प्राणायाम करते हैं, ध्यान करते हैं, दूसरी यौगिक क्रियाएँ करते हैं, तो हम अपनी अंतर-चेतना को अनुभव करते हैं। योग से हमें ये अनुभव होता है कि हमारी विचार शक्ति, हमारा आंतरिक सामर्थ्य इतना ज्यादा है कि दुनिया की कोई परेशानी, कोई भी negativity हमें तोड़ नहीं सकती। योग हमें स्ट्रेस से  स्ट्रेंथ की ओर, नेगेटिविटी से  क्रिएटिविटी का रास्ता दिखाता है। योग हमें अवसाद  से उमंग और प्रमाद से प्रसाद तक ले जाता है। + +अर्थात्,  योग-व्यायाम से हमें अच्छा स्वास्थ्य मिलता है, सामर्थ्य मिलता है, और लंबा सुखी जीवन मिलता है। हमारे लिए स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा भाग्य है, और अच्छा स्वास्थ्य ही सभी सफलताओं का माध्यम है। भारत के ऋषियों ने, भारत ने जब भी  स्वास्थ्य की बात की है, तो इसका मतलब केवल, शारीरिक स्वास्थ्य नहीं रहा है। इसीलिए, योग में फ़िज़िकल हेल्थ के साथ साथ मेंटल हेल्थ पर इतना ज़ोर दिया गया है। जब हम प्राणायाम करते हैं, ध्यान करते हैं, दूसरी यौगिक क्रियाएँ करते हैं, तो हम अपनी अंतर-चेतना को अनुभव करते हैं। योग से हमें ये अनुभव होता है कि हमारी विचार शक्ति, हमारा आंतरिक सामर्थ्य इतना ज्यादा है कि दुनिया की कोई परेशानी, कोई भी negativity हमें तोड़ नहीं सकती। योग हमें स्ट्रेस से  स्ट्रेंथ की ओर, नेगेटिविटी से  क्रिएटिविटी का रास्ता दिखाता है। योग हमें अवसाद  से उमंग और प्रमाद से प्रसाद तक ले जाता है। + +अर्थात्,  योग-व्यायाम से हमें अच्छा स्वास्थ्य मिलता है, सामर्थ्य मिलता है, और लंबा सुखी जीवन मिलता है। हमारे लिए स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा भाग्य है, और अच्छा स्वास्थ्य ही सभी सफलताओं का माध्यम है। भारत के ऋषियों ने, भारत ने जब भी  स्वास्थ्य की बात की है, तो इसका मतलब केवल, शारीरिक स्वास्थ्य नहीं रहा है। इसीलिए, योग में फ़िज़िकल हेल्थ के साथ साथ मेंटल हेल्थ पर इतना ज़ोर दिया गया है। जब हम प्राणायाम करते हैं, ध्यान करते हैं, दूसरी यौगिक क्रियाएँ करते हैं, तो हम अपनी अंतर-चेतना को अनुभव करते हैं। योग से हमें ये अनुभव होता है कि हमारी विचार शक्ति, हमारा आंतरिक सामर्थ्य इतना ज्यादा है कि दुनिया की कोई परेशानी, कोई भी negativity हमें तोड़ नहीं सकती। योग हमें स्ट्रेस से  स्ट्रेंथ की ओर, नेगेटिविटी से  क्रिएटिविटी का रास्ता दिखाता है। योग हमें अवसाद  से उमंग और प्रमाद से प्रसाद तक ले जाता है। + +अर्थात्,  योग-व्यायाम से हमें अच्छा स्वास्थ्य मिलता है, सामर्थ्य मिलता है, और लंबा सुखी जीवन मिलता है। हमारे लिए स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा भाग्य है, और अच्छा स्वास्थ्य ही सभी सफलताओं का माध्यम है। भारत के ऋषियों ने, भारत ने जब भी  स्वास्थ्य की बात की है, तो इसका मतलब केवल, शारीरिक स्वास्थ्य नहीं रहा है। इसीलिए, योग में फ़िज़िकल हेल्थ के साथ साथ मेंटल हेल्थ पर इतना ज़ोर दिया गया है। जब हम प्राणायाम करते हैं, ध्यान करते हैं, दूसरी यौगिक क्रियाएँ करते हैं, तो हम अपनी अंतर-चेतना को अनुभव करते हैं। योग से हमें ये अनुभव होता है कि हमारी विचार शक्ति, हमारा आंतरिक सामर्थ्य इतना ज्यादा है कि दुनिया की कोई परेशानी, कोई भी negativity हमें तोड़ नहीं सकती। योग हमें स्ट्रेस से  स्ट्रेंथ की ओर, नेगेटिविटी से  क्रिएटिविटी का रास्ता दिखाता है। योग हमें अवसाद  से उमंग और प्रमाद से प्रसाद तक ले जाता है। + +अर्थात्,  योग-व्यायाम से हमें अच्छा स्वास्थ्य मिलता है, सामर्थ्य मिलता है, और लंबा सुखी जीवन मिलता है। हमारे लिए स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा भाग्य है, और अच्छा स्वास्थ्य ही सभी सफलताओं का माध्यम है। भारत के ऋषियों ने, भारत ने जब भी  स्वास्थ्य की बात की है, तो इसका मतलब केवल, शारीरिक स्वास्थ्य नहीं रहा है। इसीलिए, योग में फ़िज़िकल हेल्थ के साथ साथ मेंटल हेल्थ पर इतना ज़ोर दिया गया है। जब हम प्राणायाम करते हैं, ध्यान करते हैं, दूसरी यौगिक क्रियाएँ करते हैं, तो हम अपनी अंतर-चेतना को अनुभव करते हैं। योग से हमें ये अनुभव होता है कि हमारी विचार शक्ति, हमारा आंतरिक सामर्थ्य इतना ज्यादा है कि दुनिया की कोई परेशानी, कोई भी negativity हमें तोड़ नहीं सकती। योग हमें स्ट्रेस से  स्ट्रेंथ की ओर, नेगेटिविटी से  क्रिएटिविटी का रास्ता दिखाता है। योग हमें अवसाद  से उमंग और प्रमाद से प्रसाद तक ले जाता है। + +अर्थात्,  योग-व्यायाम से हमें अच्छा स्वास्थ्य मिलता है, सामर्थ्य मिलता है, और लंबा सुखी जीवन मिलता है। हमारे लिए स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा भाग्य है, और अच्छा स्वास्थ्य ही सभी सफलताओं का माध्यम है। भारत के ऋषियों ने, भारत ने जब भी  स्वास्थ्य की बात की है, तो इसका मतलब केवल, शारीरिक स्वास्थ्य नहीं रहा है। इसीलिए, योग में फ़िज़िकल हेल्थ के साथ साथ मेंटल हेल्थ पर इतना ज़ोर दिया गया है। जब हम प्राणायाम करते हैं, ध्यान करते हैं, दूसरी यौगिक क्रियाएँ करते हैं, तो हम अपनी अंतर-चेतना को अनुभव करते हैं। योग से हमें ये अनुभव होता है कि हमारी विचार शक्ति, हमारा आंतरिक सामर्थ्य इतना ज्यादा है कि दुनिया की कोई परेशानी, कोई भी negativity हमें तोड़ नहीं सकती। योग हमें स्ट्रेस से  स्ट्रेंथ की ओर, नेगेटिविटी से  क्रिएटिविटी का रास्ता दिखाता है। योग हमें अवसाद  से उमंग और प्रमाद से प्रसाद तक ले जाता है। + +अर्थात्,  योग-व्यायाम से हमें अच्छा स्वास्थ्य मिलता है, सामर्थ्य मिलता है, और लंबा सुखी जीवन मिलता है। हमारे लिए स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा भाग्य है, और अच्छा स्वास्थ्य ही सभी सफलताओं का माध्यम है। भारत के ऋषियों ने, भारत ने जब भी  स्वास्थ्य की बात की है, तो इसका मतलब केवल, शारीरिक स्वास्थ्य नहीं रहा है। इसीलिए, योग में फ़िज़िकल हेल्थ के साथ साथ मेंटल हेल्थ पर इतना ज़ोर दिया गया है। जब हम प्राणायाम करते हैं, ध्यान करते हैं, दूसरी यौगिक क्रियाएँ करते हैं, तो हम अपनी अंतर-चेतना को अनुभव करते हैं। योग से हमें ये अनुभव होता है कि हमारी विचार शक्ति, हमारा आंतरिक सामर्थ्य इतना ज्यादा है कि दुनिया की कोई परेशानी, कोई भी negativity हमें तोड़ नहीं सकती। योग हमें स्ट्रेस से  स्ट्रेंथ की ओर, नेगेटिविटी से  क्रिएटिविटी का रास्ता दिखाता है। योग हमें अवसाद  से उमंग और प्रमाद से प्रसाद तक ले जाता है। + +अर्थात्,  योग-व्यायाम से हमें अच्छा स्वास्थ्य मिलता है, सामर्थ्य मिलता है, और लंबा सुखी जीवन मिलता है। हमारे लिए स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा भाग्य है, और अच्छा स्वास्थ्य ही सभी सफलताओं का माध्यम है। भारत के ऋषियों ने, भारत ने जब भी  स्वास्थ्य की बात की है, तो इसका मतलब केवल, शारीरिक स्वास्थ्य नहीं रहा है। इसीलिए, योग में फ़िज़िकल हेल्थ के साथ साथ मेंटल हेल्थ पर इतना ज़ोर दिया गया है। जब हम प्राणायाम करते हैं, ध्यान करते हैं, दूसरी यौगिक क्रियाएँ करते हैं, तो हम अपनी अंतर-चेतना को अनुभव करते हैं। योग से हमें ये अनुभव होता है कि हमारी विचार शक्ति, हमारा आंतरिक सामर्थ्य इतना ज्यादा है कि दुनिया की कोई परेशानी, कोई भी negativity हमें तोड़ नहीं सकती। योग हमें स्ट्रेस से  स्ट्रेंथ की ओर, नेगेटिविटी से  क्रिएटिविटी का रास्ता दिखाता है। योग हमें अवसाद  से उमंग और प्रमाद से प्रसाद तक ले जाता है। + diff --git a/pm-speech/161.txt b/pm-speech/161.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..985596dc2b872fd152c7455936f873eeb329f06b --- /dev/null +++ b/pm-speech/161.txt @@ -0,0 +1,12 @@ +आप सभी ने कोरोना की सेकेंड वेव से मुकाबले में बहुत परिश्रम से काम किया है और लगातार कर रहे हैं।आपमें से कई लोग ऐसे हैं जो खुद कोरोना पॉजिटिव होने के बावजूद अपने जिले में स्थिति संभालने के लिए लगातार काम करते रहे। इससे जिले में अन्य लोगों का हौसला भी बढ़ा और आपसे प्रेरणा भी मिली। बहुत से ऐसे हैं जो कई-कई दिनों तक घर नहीं जा पाए, अपने घरवालों से नहीं मिल पाए। कई लोगों ने अपने परिवार के अहम सदस्यों, अपने करीबियों को खोया भी है।इस मुश्किल के बीच, आपने अपने कर्तव्य को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। अभी आपमें से कई साथियों से अपने अनुभव सुनने का मुझे अवसर मिला हैं। वैसे मेरे सामने काफी लोग हैं। तो ये हरेक को तो संभव नहीं हुआ है। लेकिन हरेक के पास कुछ न कुछ नया था। कुछ न कुछ Innovative था। और अपने तरीके से रास्ते खोजे थे। और सफलता के लिए ये ही सबसे बड़ा काम होता है। कि आप मूलभूत विचार को कितना localize बना करके set करके उसका उपयोग करते हैं। कई अच्छे Innovative रहे हैं। जिन लोगों को आज बता करने का मौका नहीं मिला है। उनके पास भी बहुत कुछ होगा। मेरा आप सब से आग्रह है कि आप बिना संकोच आपको लगता है कि जो चीज आपने अच्छी की है, अच्छे ढ़ग से की है, वो मुझे जरूर भेजिये लिखकर के। मेरे तक पहुंचाइए। और में इसका अन्य जिलों में उपयोग केसे हो इसकी जरूर चिंता करुंगा। क्योंकि आपकी मेहनत आपके Innovations ये देश के भी काम आने चाहिए। और मुझे विश्वास है आज जितनी बातें मेरे सामने आई हैं। ऐसी बहुत सी बाते हैं। जो हमे काम आएगी। और इसलिए मैं आपसे इंतजार करूंगा। कि आप अपनी कुछ चीजें जरूर मुझे मैसेज शेयर करिये। आपके हर प्रयास की मैं भूरी भूरी प्रशंसा करता हूं सराहना करता हूं। + +हमारे देश में जितने जिले हैं, उतनी ही अलग-अलग चुनौतियाँ भी हैं। एक तरह से हर जिले के अपने अलग challenges हैं।आप अपने जिले के challenges को बहुत बेहतर तरीके से समझते हैं। और इसलिए, जब आपका जिला अगर जीतता है, तो मतलब देश जीतता है। जब आपका जिला कोरोना को हराता है, तो देश कोरोना को हराता है। इसलिए जिले का मिजाज गांव-गांव मैसेज के मेरा गांव मैं कोरोना मुक्त रखुंगा। मेरे गांव में मैं कोरोना को प्रवेश नहीं करने दू्ंगा। ये गांव के लोग संकल्प लें और गांव के लोग जिस प्रकार से व्यव्स्था करते हैं। मैं तो हैरान था पिछले बार जबकि ये कालखंड था। और पता नहीं था कि स्थिति में कैसे करना, फिर भी हमने गांव में agriculture sector के लिए कोई लॉकडाउन नहीं लगाया था। और मजा ये है कि खेतों में गांव के लोग काम करते थे तो खेत में भी social distancing के साथ खेती के काम शुरू किए थे। पिछली बार आपको याद होगा मतलब हमारे गांव कितनी तेजी से संदेश को पकड़ भी लेते हैं और अपनी जरूरत के हिसाब से उसको modify करके पक्का कर लेते हैं। गांव की ये ताकत है, मैने देखा है आज भी कई गावों ने अपने यहां आना जाना सब बहुत अच्छे ढ़ग से manage किया है। गांव की जरूरत के लिए एक ये दो लोग बाहर जाते हैं। चीजें लेकर के आते हैं। गांव में बाट देते हैं। और गांव में से कोई मेहमान भी आए तो उसको पहले बाहर रखते हैं। गांव की अपनी एक ताकत होती है। उस ताकत का अपना एक उपयोग होता है। और में साथियों कहना चाहुंगा कि कोरोना के खिलाफ इस युद्ध में आप सब लोग एक बहुत महत्वपूर्ण भूमिका में है। आप एक तरह से इस युद्ध के field commander हैं। जैसा की किसी भी युद्ध में होता है field commander बड़ी योजना को मूर्तरूप देता है, जमीन पर उस लड़ाई को लड़ता है, परिस्थिति के अनुसार निर्णय लेता है। आप सब भारत की इस लड़ाई के महत्वपूर्ण field commander के रूप में आज नेतृत्व संभाल रहे हैं और इस वायरस के खिलाफ हमारे हथियार क्या हैं? हमारे हथियार हैं- Local containment zones, aggressive testing और लोगों तक सही और पूरी जानकारी। हॉस्पिटल्स में कितने बेड्स उपलब्ध हैं, कहाँ उपलब्ध हैं, ये जानकारी आसानी से उपलब्ध होने पर लोगों की सहूलियत बढ़ती है। इसी तरह, कालाबाजारी पर लगाम हो, ऐसे लोगों पर सख्त कार्रवाई हो, या फ्रंटलाइन वर्कर्स का morale high रखकर उन्हें mobilise करना हो, एक फील्ड कमांडर के रूप में आपके प्रयास,कमांडर के रूप में आपके प्रयास पूरे जिले को मजबूती देते हैं। फ्रंटलाइन वर्कर्स को आपके कंडक्ट और एक्शन से हमेशा प्रेरणा मिलती है। मिलती है, उनका भरोसा और बढ़ता है। मैं आपसे एक और बात कहना चाहूंगा। इसलिए, अगर आपको कहीं लगता है कि सरकार द्वारा बनाई पॉलिसी में जिला स्तर पर किसी इनोवेशन की जरूरत है, उस इनोवेशन से पॉलिसी को ताकत मिलेगी, तो मेरा आपको खुली छूट है। उसे जरूर करिए। अगर ये इनोवेशन आपके जिले की स्थानीय जरूरतों के हिसाब से है, तो उसे उसी हिसाब से करिए। अगर आपको लगता है कि आपने जो इनोवेशन किया है, वो पूरे प्रदेश के लिए, या पूरे देश के लिए beneficial है, तो उसे सरकार तक भी पहुंचाइए। अगर आपको अपने अनुभवों से, तेजी से बदलती परिस्थितियों के हिसाब से policies में किसी सुधार की जरूरत लगती है, तो उसका भी feedback जरूर पहुंचाएँ। बिना संकोच पहुंचाये। क्योंकि ये लड़ाई ऐसी है कि हम सब मिलकर के सोचेंगे, सब मिलकर के नई-नई चीजें लाएंगे। तब जाकर के हम कर पाएंगे। + +इस समय कई राज्यों में कोरोना संक्रमण के आंकड़े कम हो रहे हैं। कई राज्यों में बढ़ भी रहे हैं। साथियों,कम होते आंकड़ों के बीच हमें ज्यादा सतर्क रहने की ज़रूरत है। बीते एक साल में करीब-करीब हर मीटिंग में मेरा यही आग्रह रहा है कि हमारी लड़ाई एक एक जीवन बचाने की है। एक- एक जीवन बचाने की है। हमारी जिम्मेदारी संक्रमण को फैलने से रोकने की भी है और ये तभी संभव है जब हमें संक्रमण की स्केल की सही जानकारी होगी। Testing, Tracking, Isolation, Treatment और Covid appropriate behavior, इस पर लगातार बल देते रहना जरूरी है। कोरोना की इस दूसरी वेव में, अभी ग्रामीण और दुर्गम क्षेत्रों में हमें बहुत ध्यान देना है। इसमें फील्ड में बिताया हुआ आप सभी का अनुभव और आपकी कुशलता ये बहुत काम आने वाली है। + +कोविड के अलावा आपको अपने जिले के हर एक नागरिक की ‘Ease of Living’ का भी ध्यान रखना है। हमें संक्रमण को भी रोकना है और दैनिक जीवन से जुड़ी ज़रूरी सप्लाई को भी बेरोकटोक चलाना है। इसलिए स्थानीय स्तर पर कंटेनमेंट के लिए लिए जो भी गाइडलाइंस जारी की गई हैं, लिए जो भी guidelines जारी की गई है। उनका पालन कराते समय इस पर भी गौर करना है कि गरीब को परेशानी कम से कम हो। किसी भी नागरिक को परेशानी न हो। + +पीएम केयर्स के माध्यम से देश के हर जिले के अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट्स लगाने पर तेज़ी से काम किया जा रहा है। कई अस्पतालों में ये प्लांट काम करना शुरु भी कर चुके हैं। जैसे अभी चंडीगढ़ को हमने सुना। कितना benefit हुआ उनको। और इसलिए आपसे मेरा आग्रह है कि जिस भी जिलों को ये प्लांट allot होने वाले हैं वहां हर जरूरी तैयारी पहले से पूरी होने पर ऑक्सीजन प्लांट और तेजी से सेटअप हो पाएंगे। अस्पतालों में आक्सीजन मॉनीटरिंग कमिटी जितना सही काम करेगी उतना ही ऑक्सीजन का सही इस्तेमाल हो पाएगा। + +टीकाकरण कोविड से लड़ाई का एक सशक्त माध्यम है। इसलिए इससे जुड़े हर भ्रम को हमें मिलकर के उसको निरस्त करना है। कोरोना के टीके की सप्लाई को बहुत बड़े स्तर पर बढ़ाने के निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। वैक्सीनेशन को लेकर व्यवस्थाओं और प्रक्रियाओं को हेल्थ मिनिस्ट्री लगातार स्ट्रीमलाइन कर रही है। कोशिश ये है कि अगले 15 दिन का शिड्यूल राज्यों को advance में मिल जाए। इससे आपको भी पता रहेगा कि जिले में कितने लोगों के लिए वैक्सीन उपलब्ध होने जा रही है और आपको किस हिसाब से तैयारी करनी है। वैक्सीन वेस्टेज रोकने में जिला स्तर पर सही प्रबंधन की भूमिका के बारे में भी आप अच्छी तरह जानते हैं। आपके सहयोग से वैक्सीन वेस्टेज पूरी तरह रुक सकती है। इतना ही नहीं optimum utilization की दिशा में हम सफलतापूर्वक आगे बढ़ सकते हैं। + diff --git a/pm-speech/162.txt b/pm-speech/162.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..7a1e509983cf42c248104fd2e3aa7f69b0922192 --- /dev/null +++ b/pm-speech/162.txt @@ -0,0 +1,8 @@ +पीएम किसान सम्मान निधि से विशेष रूप से छोटे और मझोले किसानों को अधिक लाभ हो रहा है। आज के कठिन समय में ये राशि इन किसान परिवारों के बहुत काम आ रही है। अभी तक इस योजना के तहत देश के लगभग 11 करोड़ किसानों के पास लगभग 1 लाख 35 हज़ार करोड़ रुपए पहुंच चुके हैं मतलब की सवा लाख करोड़ से भी ज्‍यादा सीधे किसानों के खाते में, कोई बिचौलिया नहीं। इनमें से सिर्फ कोरोना काल में ही 60 हज़ार करोड़ रुपए से ज्यादा पहुंचे हैं। ज़रूरत के समय देशवासियों तक सीधी मदद पहुंचे, तेज़ी से पहुंचे, जिसको ज़रूरत है, उस तक पूरी पारदर्शिता के साथ पहुंचे, यही सरकार का निरंतर प्रयास है। + +खेती में नए समाधान, नए विकल्प देने के लिए सरकार निरंतर प्रयास कर रही है। जैविक खेती को बढ़ावा देना ऐसा ही प्रयास है। इस प्रकार की फसलों में लागत भी कम है, ये मिट्टी और इंसान के स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है और इनकी कीमत भी ज्यादा मिलती हैं। थोड़ी देर पहले इस प्रकार की खेती में जुटे देशभर के कुछ किसानों से मेरी बातचीत भी हुई है। उनके हौसले, उनके अनुभवों को जानकर मैं बहुत उत्साहित हूं। आज गंगा जी के दोनों ओर करीब 5 किलोमीटर के दायरे में जैविक खेती को व्यापक स्तर पर प्रोत्साहित किया जा रहा है ताकि वो जो खेत में उपयोग किया गया केमिकल है, बारिश के समय जो पानी बहकर के गंगा जी में न चला जाए और गंगा जी प्रदूषित न हों, इसलिए गंगा जी के दोनों तट के 5-5 किलोमीटर के करीब-करीब ये जैविक उत्‍पादक को विशेष बल दिया जा रहा है। ये जैविक उत्पाद नमामि गंगे के ब्रांड के साथ बाज़ार में उपलब्ध किए जा रहे हैं। इसी तरह भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति को, उसको भी व्यापक स्तर पर प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके साथ-साथ सरकार की ये निरंतर कोशिश है कि छोटे और सीमांत किसानों को बैंकों से सस्ता और आसान ऋण मिले। इसके लिए बीते डेढ़ साल से किसान क्रेडिट कार्ड उपलब्ध कराने का एक विशेष अभियान चलाया जा रहा है। इस दौरान 2 करोड़ से ज्यादा किसान क्रेडिट कार्ड जारी किए गए हैं। इन कार्ड्स पर किसानों ने 2 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का ऋण बैंकों से लिया है। इसका बहुत बड़ा लाभ पशुपालन, डेयरी और मछली पालन से जुड़े किसानों को भी मिलना शुरू हुआ है। अभी हाल ही में सरकार ने एक और अहम फैसला लिया है और मैं चाहूंगा कि मेरे किसान भाईयों-बहनों को ये सरकार के निर्णय से खुशी होगी, उनके लिए ये बहुत लाभकर्ता होगा। सरकार ने निर्णय किया है कि कोरोना काल को देखते हुए, KCC ऋण के भुगतान या फिर नवीनीकरण की समय सीमा को बढ़ा दिया गया है। ऐसे सभी किसान जिनका ऋण बकाया है, वो अब 30 जून तक ऋण का नवीनीकरण कर सकते हैं। इस बढ़ी हुई अवधि में भी किसानों को 4 प्रतिशत ब्याज पर जो ऋण मिलता है, जो लाभ मिलता है, वो लाभ भी चालू रहेगा, मिलता रहेगा। + +100 साल बाद आई इतनी भीषण महामारी कदम-कदम पर दुनिया की परीक्षा ले रही है। हमारे सामने एक अदृश्य दुश्मन है और ये दुश्‍मन बहुरूपिया भी है और इस दुश्‍मन के कारण, इस कोरोना वायरस के कारण हम अपने बहुत से करीबियों को खो चुके हैं। बीते कुछ समय से जो कष्ट देशवासियों ने सहा है, अनेकों लोग जिस दर्द से गुजरे हैं, तकलीफ से गुजरे हैं, वो मैं भी उतना ही महसूस कर रहा हूं। देश का प्रधान सेवक होने के नाते, आपकी हर भावना का मैं सहभागी हूं। कोरोना की सेकेंड वेव से मुकाबले में, संसाधनों से जुड़े जो भी गतिरोध थे, वो तेजी से दूर किए जा रहे हैं। युद्ध स्‍तर पर काम करने के प्रयास हो रहा है। आपने देखा होगा, सरकार के सभी विभाग, सारे संसाधन, हमारे देश के सुरक्षा बल, हमारे साइंटिस्ट, हर कोई दिन रात कोविड की चुनौती का मुकाबला करने में एकजुट है। देश के अलग-अलग हिस्सों में तेजी के साथ कोविड अस्पताल बन रहे हैं, नई टेक्नोलॉजी से ऑक्सीजन प्लांट लगाये जा रहे हैं। हमारी तीनों सेनाएं- वायुसेना, नेवी, आर्मी सभी पूरी शक्‍ति से इस काम में जुटे हैं। ऑक्सीजन रेल, इसने कोरोना के खिलाफ इस लड़ाई को बहुत बड़ी ताकत दी है। देश के दूर-सुदूर हिस्सों में ये स्पेशल ट्रेन्स, ये ऑक्‍सीजन रेल ऑक्सीजन पहुंचाने में जुटीं हैं। ऑक्सीजन टैंकर्स ले जाने वाले ट्रक ड्राइवर्स, बिना रुके काम कर रहे हैं। देश के डॉक्टर्स हों, नर्सिंग स्टाफ हो, सफाई कर्मचारी हों, एंबुलेंस के ड्राइवर्स हों, लैब में काम करने वाले सज्‍जन हों, सैंपल कलेक्ट करने वाले हों, एक-एक जीवन को बचाने के लिए चौबीसों घंटे जुटे हुए हैं। आज देश में जरूरी दवाइयों की आपूर्ति बढ़ाने पर युद्ध स्तर पर काम किया जा रहा है। सरकार और देश के फार्मा सेक्टर ने पिछले कुछ दिनों में जरूरी दवाइयों का उत्पादन कई गुना बढ़ाया है। बाहर से भी दवाइयां मंगवाई जा रही हैं। इस संकट के समय में, दवाइयों और जरूरी वस्तुओं की जमाखोरी और कालाबाजारी में भी कुछ लोग अपने निहित स्‍वार्थ के कारण लगे हुए हैं। मैं राज्य सरकारों से आग्रह करूंगा कि ऐसे लोगों पर कठोर से कठोर कार्रवाई की जाए। ये मानवता के खिलाफ का कृत्‍य है। भारत हिम्मत हारने वाला देश नहीं है। न भारत हिम्मत हारेगा और न कोई भारतवासी हिम्मत हारेंगे। हम लड़ेंगे और जीतेंगे। + +बचाव का एक बहुत बड़ा माध्यम है, कोरोना का टीका। केंद्र सरकार और सारी राज्य सरकारें मिलकर ये निरंतर प्रयास कर रही हैं कि ज्यादा से ज्यादा देशवासियों को तेज़ी से टीका लग पाए। देशभर में अभी तक करीब 18 करोड़ वैक्सीन डोज दी जा चुकी है। देशभर के सरकारी अस्पतालों में मुफ्त टीकाकरण किया जा रहा है। इसलिए जब भी आपकी बारी आए तो टीका ज़रूर लगाएं। ये टीका हमें कोरोना के विरुद्ध सुरक्षा कवच देगा, गंभीर बीमारी की आशंका को कम करेगा। हां, टीका लगाने के बाद भी मास्क और दो गज़ की दूरी के मंत्र को अभी हमें छोड़ना नहीं है। एक बार फिर सभी किसान साथियों को मैं बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। + diff --git a/pm-speech/163.txt b/pm-speech/163.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..0758c92f8044de7a77dc2fcb88b664abd54f8393 --- /dev/null +++ b/pm-speech/163.txt @@ -0,0 +1,22 @@ +साथियो, मैं आप सबसे आग्रह करता हूँ, आपको अगर कोई भी जानकारी चाहिए हो, कोई और आशंका हो, तो सही source से ही जानकारी लें । आपके जो family doctor हों, आस-पास के जो डॉक्टर्स हों, आप उनसे फ़ोन से संपर्क करके सलाह लीजिये । मैं देख रहा हूँ कि हमारे बहुत से डॉक्टर खुद भी ये जिम्मेदारी उठा रहे हैं । कई Doctors social media के जरिए लोगों को जानकारी दे रहे हैं । फ़ोन पर, whatsapp पर भी counseling कर रहे हैं । कई हॉस्पिटल की वेबसाइटें हैं, जहां जानकारियाँ भी उपलब्ध हैं, और वहां आप डॉक्टर्स से, परामर्श भी ले सकते हैं । ये बहुत सराहनीय है । + +मेरे साथ श्रीनगर से डॉक्टर नावीद नजीर शाह जुड़ रहे हैं । डॉक्टर नावीद श्रीनगर के एक Government medical College में प्रोफेसर हैं । नावीद जी अपनी देखरेख में अनेकों कोरोना patients को ठीक कर चुके हैं और रमजान के इस पवित्र माह में डॉ नावीद अपना कार्य भी निभा रहे हैं, और, उन्होंने हमसे बातचीत के लिए समय भी निकाला है । आइये उन्हीं से बात करते हैं । + +डॉ० नावीद- देखिए जब कोरोना शुरू हुआ तो कश्मीर में जो सबसे पहला hospital designate हुआ As Covid hospital वो हमारा city hospital था । जो medical collage के under  में आता है तो उस टाइम एक खौफ़ का माहौल   था । लोगो में तो था ही वो समझते थे शायद  covid का  infection अगर किसी को हो जाता है तो death sentence  माना जायेगा ये, और ऐसे में हमारे हस्पताल में डॉक्टर साहिबान या para-medical staff  काम करते थे, उनमें भी एक खौफ़ का माहौल था कि हम इन patient को कैसे  face करेंगे हमें infection होने का ख़तरा तो नहीं है । लेकिन जो टाइम गुजरा हमने भी देखा कि अगर पूरी तरीके से हम जो protective gear पहने एतिहादी तदवीर जो है, उन पर अमल करें तो हम भी  safe रह सकते हैं और हमारा जो बाकी staff  है वो भी  safe रह सकता है और आगे-आगे हम देखते गये मरीज या कुछ लोग बीमार थे जो asymptomatic, जिनमें बीमारी के कोई लक्षण नहीं थे । हमने देखा करीब करीब 90-95% से ज्यादा जो मरीज हैं वो without in medication  भी ठीक हो जाते हैं तो वक्त जैसे गुजरता गया लोगों में जो कोरोना का एक डर था वो बहुत कम हो गया । आज की बात जो ये  second wave  जो इस टाइम हमारी आयी है इस कोरोना में इस टाइम भी हमें  panic होने की जरूरत नहीं है । इस मौके पर भी जो protective measures है, जो SOPs है अगर उन पर हम अमल करेंगें जैसे मास्क पहनना, hand sanitizer का use करना, उसके अलावा  physical distance maintain करना या  social gathering avoid करे तो हम अपना रोजमर्रा का काम भी बखूबी निभा सकते हैं और इस बीमारी से  protection भी पा सकते हैं । + +डॉ० नावीद – जब हम कोरोना का infection सामने आया तब से आज तक हमारे पास covid 19 के लिए कोई effective treatment available नहीं है, तो हम इस बीमारी को fight, दो ही चीजों से कर सकते हैं एक तो protective  major और हम पहले से ही कह रहे थे कि अगर कोई effective vaccine हमारे पास आए तो वो हमें इस बीमारी से निजाद दिला सकता है और हमारे मुल्क में दो  vaccine इस टाइम available है, Covaxin and Covishield है जो यहीं पर बना हुआ vaccine है । और companies भी जो अपनी  trials की है तो उसमे भी देखा गया है कि  इसकी efficacy जो है वो 60%  से ज्यादा है, और अगर हम, जम्मू कश्मीर की बात करें तो हमारी UT में अभी तक 15 से 16 लाख तक लोगों ने अभी ये  vaccine  लगाया है । हां  social media में काफी इसके जो misconception या myths हैं, इसमें आये थे कि ये-ये side effect हैं, अभी तक हमारे जो भी यहाँ पर vaccine लगे हैं कोई side effect उनमें नहीं पाया गया है । सिर्फ, जो, आम हर किसी vaccine के साथ,  associated  होता है, किसी को बुखार आना, पूरे बदन में दर्द या local site जहाँ पर injection  लगता है  वहा पर pain होना ऐसे ही side effects हमने हर मरीज में देखे हैं जो कोई gross हमने कोई adverse effect हमने नहीं देखा है ।   और हां दूसरी बात लोगो में ये भी आशंका थी कि कुछ लोग  after vaccination यानि vaccine टीकाकरण के बाद positive हो गये इसमें  companies से ही guidelines है कि उसमें अगर किसी को टीका लगा है । उसके बाद उसमें infection हो सकता है वो positive  हो सकता है । लेकिन जो बीमारी की severity है, यानि बीमारी की सिद्दत्त जो है, उन मरीज में, उतनी नहीं होगी यानि की वो positive हो सकते हैं लेकिन जो बीमारी है वो एक जानलेवा बीमारी उनमें साबित नहीं हो सकती, इसलिए जो भी ये misconception हैं vaccine के बारे में वो हमें दिमाग से निकालने चाहिए और जिस-जिस की बारी आयी क्योंकि 1 मई से हमारे पूरे मुल्क में जो भी 18 साल से ज्यादा की उम्र है उनको vaccine लगाने का कार्यक्रम शुरू होगा तो लोगों से अपील यही करेंगे आप आए vaccine लगवाए और अपने आप को भी protect करें और overall हमारी society और हमारी community इससे protect हो जायगी Covid 19 के  infection से । + +कि आपके परिवार में इतनी सारी जिम्मेवारियाँ इतने सारे यानी  multitask और उसके बाद भी आप कोरोना के मरीजों के साथ काम कर रही हैं । कोरोना के मरीजों के साथ आपका जो अनुभव रहा, वो जरुर देशवासी सुनना चाहेंगे क्योंकि sister जो होती है, nurses जो होती हैं patient के सबसे निकट होती हैं और सबसे लम्बे समय तक होती हैं तो वो हर चीज़ को बड़ी बारीकी से समझ सकती हैं जी बताइए । + +भावना:- जी सर, मेरा total experience COVID में सर, 2 month का है सर । हम 14 days duty करते हैं और 14 days के बाद हमें rest दिया जाता है । फिर 2 महीने बाद हमारी ये COVID duties repeat होता है सर । जब सबसे पहले मेरी COVID duty लगी तो सबसे पहले मैं अपने family members को ये COVID duty की बात share करी । ये मई की बात है और मैं, ये, जैसे ही मैंने share किया सब के सब डर गए, घबरा गए मुझसे, कहने लगे कि बेटा ठीक से काम करना, एक emotional situation था सर । बीच में जब, मेरी बेटी मुझसे पूछी, mumma आप COVID duty जा रहे हो तो उस समय बहुत ही ज्यादा मेरे लिए emotional moment था, लेकिन, जब मैं COVID patient के पास गयी तो मैं एक जिम्मेदारी घर में छोड़ कर गई और जब मैं COVID patient से मिली सर, तो वो उनसे और ज्यादा घबराये हुए थे, COVID के नाम से सारे patient इतना डरे हुए थे सर, कि, उनको समझ में ही नहीं आ रहा था कि उनके साथ क्या हो रहा है, हम आगे क्या करेंगे । हम उनके डर को दूर करने के लिए उनसे बहुत अच्छे से healthy environment दिए सर उन्हें । हमें जब ये COVID duty करने को कहा गया तो सर सबसे पहले हमको PPE Kit पहनने के लिए कहा गया सर, जो कि बहुत ही कठिन है, PPE Kit को पहन करके duty करना । सर ये बहुत tough था हमारे लिए, मैंने 2 month की duty में हर जगह 14-14 दिन duty की ward में, ICU में, Isolation में सर । + +भावना:- Yes sir, वहाँ जाने से पहले मुझे नहीं पता था कि मेरे colleagues कौन है । हम एक team member की तरह काम किये सर, उनका जो भी problem थे, उनको share किये, हम जाने patient के बारे में और उनका stigma दूर किये सर, कई लोग ऐसे थे सर कि जो COVID के नाम से ही डरते थे । वो सारे symptoms उनमें आते थे जब हम history लेते थे उनसे, लेकिन वो डर के कारण, वो अपना टेस्ट नहीं करवा पाते थे, तो हम उनको समझाते थे, और सर, जब severity बढ़ जाती थी तब उनका lungs already infected हो चुका रहता था तब उनको ICU की जरुरत रहती थी तब वो आते थे और साथ में उनकी पूरी family  आती थी । तो ऐसा 1-2 case हमनें देखा सर और ऐसा भी नहीं कि हर एक age group के साथ काम किया सर हमने । जिसमें छोटे बच्चे थे, महिला, पुरुष, बुजुर्ग, सारे तरह के patient थे सर । उन सबसे हमने बात करी तो सब ने कहा कि हम डर की वजह से नहीं आ पाए, सबका यही हमें answer मिला सर । तो हम उनको समझाए सर, कि, डर कुछ नहीं होता है आप हमारा साथ दीजिये हम आपका साथ देंगे बस आप जो भी protocols है उसे follow कीजिये बस हम इतना उनसे कर पाए सर । + +प्रेम जी – मैं CATS Ambulance में driver की post पर हूँ और जैसे ही Control हमें एक tab पर call देता है  । 102 से जो call आती है हम move करते हैं patient के पास । हम patient को जाते हैं, उनके पास, तो दो साल से हम continue कर रहे हैं ये काम । अपना kit पहन कर, अपने gloves, mask पहन कर patient को, जहाँ वो drop करने के लिए कहते हैं, जो भी hospital में, हम जल्दी से जल्दी उनको drop करते हैं । + +    साथियो, प्रेम वर्मा जी और इन जैसे हजारों लोग, आज अपना जीवन दाव पर लगाकर, लोगों की सेवा कर रहे हैं । कोरोना के खिलाफ़ इस लड़ाई में जितने भी जीवन बच रहे हैं उसमें Ambulance Drivers  का भी बहुत बड़ा योगदान है । प्रेम जी आपको और देशभर में आपके सभी साथियों को मैं बहुत-बहुत साधुवाद देता हूँ । आप समय पर पहुँचते रहिये, जीवन बचाते रहिये । + +प्रीति – जी सर, जरूर । सर initially stage में मेरे को बहुत ज्यादा  lethargy,  मतलब बहुत सुस्ती-सुस्ती आया और उसके बाद ना मेरे गले में थोड़ी सी खराश होने लगी । तो उसके बाद ना मेरा थोड़ा सा मुझे लगा कि ये symptoms है तो मैंने test कराने के लिए test कराया । दूसरे दिन report आते ही जैसे ही मुझे positive हुआ, मैंने अपने आप को quarantine कर लिया । एक Room में isolate करके doctors के साथ consult करा, मैंने, उनसे । उनकी medication start कर दी । + +प्रीति – जी सर । वो बाकी सबका भी बाद में कराया था । बाकी सब negative थे । मैं ही positive थी । उससे पहले मैंने अपने आप को isolate कर लिया था एक room के अन्दर । अपनी जरुरत का सारा सामान रख कर उसको मैं अपने आप अन्दर कमरे में बंद हो गई थी । और उसके साथ-साथ मैंने फिर doctor के साथ medication start कर दी । सर मैंने medication के साथ-साथ ना मैंने, योगा, आयुर्वेदिक, और, मैं ये सब start किया और साथ में ना, मैंने, काढ़ा भी लेना शुरू कर दिया था । Immunity boost करने के लिए और सर मैं दिन में मतलब जब भी अपना भोजन लेती थी उसमे मैंने healthy food जो कि protein rich diet थी, वो लिया मैंने । मैंने बहुत सारा fluid लिया मैंने steam लिया gargle किया और hot water लिया । मैंने दिन भर में इन सब चीज़ों को ही अपने जीवन में लेती आई daily । और सर इन दिनों में ना, सबसे बड़ी बात में बोलना चाहूंगी घबराना तो बिलकुल नहीं है । बहुत mentally strong करना है जिसके लिए मुझे योगा ने बहुत ज्यादा, breathing exercise करती थी अच्छा लगता था उसको करने से मुझे । + diff --git a/pm-speech/164.txt b/pm-speech/164.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..d1bac496c04dfdfefecc59dd9d79ea8fc9590e42 --- /dev/null +++ b/pm-speech/164.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +इसके लिए पंचायती राज मंत्रालय ने 'ई-ग्राम स्वराज' के जरिए पेमेंट्स की ऑनलाइन व्यवस्था की है। जो भी पेमेंट होगा, वो पब्लिक फाइनेंस मेनेजमेंट सिस्टम (PFMS) के माध्यम से होगा। इसी तरह खर्च में पारदर्शिता और ज़िम्मेदारी तय करने के लिए ऑनलाइन ऑडिट की व्यवस्था भी की गई है। मुझे खुशी है कि बड़ी संख्या में पंचायतें इस सिस्टम से जुड़ गई हैं। मैं देश के सभी पंचायत प्रधानों से अनुरोध करूंगा, कि अगर आपकी पंचायत इस सिस्टम से नहीं जुड़ी है, तो जल्द से जल्द आप इसमें जरूर जुड़ जाएँ। + diff --git a/pm-speech/166.txt b/pm-speech/166.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..0ea19bb69eb6a3a0afd99ada0ab257d7aff72777 --- /dev/null +++ b/pm-speech/166.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +पिछले वर्ष, जब देश में कोरोना के कुछ ही मरीज सामने आए थे, उसी समय भारत में कोरोना वायरस के खिलाफ प्रभावी वैक्‍सीन्‍स के लिए काम शुरू कर दिया गया था। हमारे वैज्ञानिकों ने दिन-रात एक करके बहुत कम समय में देशवासियों के लिए वैक्‍सीन्‍स विकसित की हैं। आज दुनिया की सबसे सस्ती वैक्सीन भारत में है। भारत की कोल्ड चेन व्यवस्था के अनुकूल वैक्सीन हमारे पास है। इस प्रयास में हमारे प्राईवेट सेक्‍टर ने innovation और enterprise की भावना का बेहतरीन प्रदर्शन किया है। वैक्सीन्स की approvals और regulatory प्रोसेसज को फास्ट ट्रैक पर रखने के साथ ही, सभी साइंटिफिक और regulatory मदद को भी बढ़ाया गया है। यह एक team effort है जिसके कारण हमारा भारत, दो मेड इन इंडिया वेक्‍सीन्‍स के साथ दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान शुरू कर पाया। टीकाकरण के पहले चरण से ही गति के साथ ही इस बात पर जोर दिया गया कि ज्यादा से ज्यादा क्षेत्रों तक, जरूरतमंद लोगों तक वैक्सीन पहुंचे। दुनिया में सबसे तेजी से भारत में पहले 10 करोड़, फिर 11 करोड़ और अब 12 करोड़ वैक्सीन के डोस दिए गए हैं। आज कोरोना से इस लड़ाई में हमें हौसला मिलता है कि हमारे हेल्थकेयर वर्कर्स, फ्रंटलाइन कोरोना वॉरियर्स और सीनियर सिटीजन के एक बड़े हिस्से को वेक्‍सीन का लाभ मिल चुका है। + +पिछली बार जो परिस्थितियां थीं, वो अभी से काफी भिन्न थीं। तब हमारे पास इस वैश्विक महामारी से लड़ने के लिए कोरोना स्पेसिफिक मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं था। आप याद करिए, देश की क्या स्थिति थी। कोरोना टेस्टिंग के लिए पर्याप्त लैब नहीं थी, PPEs का कोई प्रोडक्शन नहीं था। हमारे पास इस बीमारी के ट्रीटमेंट के लिए कोई खास जानकारी भी नहीं थी। लेकिन बहुत ही कम समय में हमने इन चीजों में सुधार किया। आज हमारे डॉक्टरों ने कोरोना के इलाज की बहुत ही अच्छी एक्सपर्टीज हासिल कर ली है, वो ज्यादा से ज्यादा जीवन बचा रहे हैं। आज हमारे पास बड़ी मात्रा में PPE किट्स हैं, लैब्‍स् का बड़ा नेटवर्क है और हम लोग टेस्टिंग की सुविधा को निरंतर बढ़ा रहे हैं। + +आज की स्थिति में हमें देश को लॉकडाउन से बचाना है। मैं राज्यों से भी अनुरोध करूंगा कि वो लॉकडाउन को अंतिम विकल्प के रूप में ही इस्तेमाल करें। लॉकडाउन से बचने की भरपूर कोशिश करनी है। और माइक्रो कन्टेनमेंट जोन पर ही ध्यान केंद्रित करना है। हम अपनी अर्थव्यवस्था की सेहत भी सुधारेंगे और देशवासियों की सेहत का भी ध्यान रखेंगे। + diff --git a/pm-speech/167.txt b/pm-speech/167.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..8ebee78b69d874aaa203c465915cb9db3f9803b4 --- /dev/null +++ b/pm-speech/167.txt @@ -0,0 +1,10 @@ +आज इस पवित्र दिन, Association of Indian Universities केवाइस चांसलर्स की 95thमीटिंग भी हो रही है।बाबा साहेब आंबेडकर openuniversity में ‘बाबा साहेब समरसता चेयर’ की स्थापना की घोषणा भी हुई है।अभी, बाबा साहेब के जीवन पर, उनके विचारों और आदर्शों पर भाई श्री किशोर मकवाना जी की 4 पुस्तकोंका लोकार्पण भी हुआ है।मैं इन प्रयासों से जुड़े सभी महानुभावों को बधाई देता हूँ। + +तात्पर्य ये कि शिक्षा वो हो, जो व्यक्ति को मुक्त करे, वो खुलकर सोचे, नई सोच के साथ नया निर्माण करे। उनका मानना था कि हमें अपना Education Management, पूरे World को एक unit मानकर विकसित करना चाहिए। लेकिन साथ ही वो Education के Indiancharacter पर, भारतीय चरित्र पर भी उतना ही बल देते थे।आज के Global Scenarioमें ये बात और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। + +अभी यहाँ पर नई ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ और उसके Implementation Plan पर Special Issues Release किए गए।ये Issues इस बात के detailed documents हैं कि कैसे National Education Policy एक FuturisticPolicy है,global parameters की policy है।आप सभी विद्वतजन, National Education Policy की बारीकियों से परिचित हैं।डॉ राधाकृष्णन जी ने Education के जिस Purpose की बात कही थी, वही इस पॉलिसी के core में दिखता है। + +देश के तीन बड़े शहरों में Indian Institutes of Skills की स्थापना की जा रही है। कुछ महीने पहले दिसम्बर में ही Indian Institutes of Skillsका मुंबई में पहला बैच भी शुरू हो गया है। नैस्कॉम के साथ भी 2018 में FutureSkillsinitiative शुरू किया है। ये Initiative 10 Emerging Technologies में डेढ़ सौ से ज्यादा skill sets की training देता है। + +बाबा साहेब अंबेडकर के कदमों पर चलते हुए देश तेजी से गरीब, दलित, पीड़ित, शोषित, वंचित, सभी के जीवन में बदलाव ला रहा है। बाबा साहेब ने समान अवसरों की बात की थी, समान अधिकारों की बात की थी। आज देश जनधन खातों के जरिए हर व्यक्ति का आर्थिक समावेश कर रहा है। DBT के जरिए गरीब का पैसा सीधा उसके खाते में पहुँच रहा है। Digital Economy के लिए जिस BHIM UPI को शुरू किया गया था, आज वो गरीब की बहुत बड़ी ताकत बना है। DBT के जरिए गरीब का पैसा सीधा उसके खाते में पहुँच रहा है। आज हर गरीब को, घर मिल रहा है, मुफ्त बिजली कनेक्शन मिल रहा है। उसी प्रकार से जल-जीवन मिशन के तहत गाँव में भी साफ पानी पहुंचाने के लिए एक भरपूर मिशन मोड में काम हो रहा है। + diff --git a/pm-speech/169.txt b/pm-speech/169.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..8c07c0b76f2e1521b9d9533e5852914a9d7f99dd --- /dev/null +++ b/pm-speech/169.txt @@ -0,0 +1,4 @@ + मानव इतिहास में एक परिवर्तनकारी क्षण पर रायसीना डायलॉग का यह संस्करण आयोजित हुआ है। एक वैश्विक महामारी बीते एक साल से पूरे विश्व को तबाह कर रही है। ऐसी आखिरी वैश्विक महामारी एक सदी पहले आई थी। भले ही, मानवता ने तब से अब तक कई संक्रामक बीमारियों का सामना किया है, लेकिन कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए आज विश्व पूरी तरह से तैयार नहीं है। + +अभी एक साल से ज्यादा समय से,  हमारे समाज के सबसे अच्छे दिमाग इस महामारी से लड़ने में व्यस्त हैं। विश्व की सभी सरकारें सभी स्तरों पर इस महामारी को रोकने और नियंत्रित करने के प्रयास कर रही हैं। यह क्यों आया? क्या शायद ऐसा इसलिए हुआ कि आर्थिक विकास की दौड़ में मानवता के कल्याण की चिंता कहीं पीछे छूट गई है। + diff --git a/pm-speech/170.txt b/pm-speech/170.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..6157fb7a6f65cf83d8d0dd880da5f9cb0c9661cd --- /dev/null +++ b/pm-speech/170.txt @@ -0,0 +1,4 @@ +Skill, Re-skill और Up-Skill, ये मंत्र कितना महत्वपूर्ण है, ये कोरोना काल ने फिर सिद्ध किया है। हेल्थ सेक्टर के लोग Skilled तो थे ही, उन्होंने कोरोना से निपटने के लिए बहुत कुछ नया सीखा भी। यानि एक तरह से उन्होंने खुद को Re-skill किया। इसके साथ ही, उनमें जो स्किल पहले से थी, उसका भी उन्होंने विस्तार किया। बदलती परिस्थितियों के अनुसार अपनी स्किल को अपग्रेड या वैल्यू एडिशन करना, ये Up-Skilling है, और समय की यही मांग है और जिस गति से टेक्नोलॉजी जीवन के हर क्षेत्र में प्रवेश कर रही है तब लगातार dynamic व्यवस्था Up-Skilling की अनिवार्य हो गई है। Skill, Re-skill और Up-Skill, के इसी महत्व को समझते हुए ही देश में Skill India Mission शुरु किया गया था। पहली बार अलग से कौशल विकास मंत्रालय बनाना हो, देशभर में प्रधानमंत्री कौशल विकास केंद्र खोलना हो, ITI’s की संख्या बढ़ाना हो, उनमें लाखों नई सीट्स जोड़ना हो, इस पर लगातार काम किया गया है। आज स्किल इंडिया मिशन हर साल लाखों युवाओं को आज की जरूरत के हिसाब से ट्रेनिंग देने में बहुत बड़ी मदद कर रहा है। इस बात की देश में बहुत चर्चा नहीं हो पाई, कि स्किल डवलपमेंट के इस अभियान ने, कोरोना के इस समय में देश को कितनी बड़ी ताकत दी। बीते साल जब से कोरोना की चुनौती हमारे सामने आई है, तब से ही कौशल विकास मंत्रालय ने देशभर के लाखों हेल्थ वर्कर्स को ट्रेन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। Demand Driven Skill Sets तैयार करने की जिस भावना के साथ इस मंत्रालय को बनाया गया था, उस पर आज और तेजी से काम हो रहा है। + +हमारी जनसंख्या को देखते हुए, हेल्थ सेक्टर में डॉक्टर, नर्स और पैरामेडिक्स से जुड़ी जो विशेष सेवाएं हैं, उनका विस्तार करते रहना उतना ही आवश्यक है। इसे लेकर भी पिछले कुछ वर्षों में एक फोकस्ड अप्रोच के साथ काम किया गया है। बीते 7 साल में नए AIIMS, नए मेडिकल कॉलेज और नए नर्सिंग कॉलेज के निर्माण पर बहुत ज्यादा बल दिया गया। इनमें से अधिकांश ने काम करना शुरू भी कर दिया है। इसी तरह, मेडिकल एजुकेशन और इससे जुड़े संस्थानों में रिफॉर्म्स को प्रोत्साहित किया जा रहा है। आज जिस गति से, जिस गंभीरता से हेल्थ प्रोफेशनल्स तैयार करने पर काम चल रहा है, वो अभूतपूर्व है। + diff --git a/pm-speech/171.txt b/pm-speech/171.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..6fd65891ccb15237ab9e1672200cf3db73d82a92 --- /dev/null +++ b/pm-speech/171.txt @@ -0,0 +1,10 @@ +यह मंच फ्रांस के प्रौद्योगिकीयदृष्टिकोण को दर्शाता है। भारत और फ्रांस व्यापक विषयों पर साथ मिलकर काम कर रहे हैं। इनमें प्रौद्योगिकी और डिजिटल क्षेत्र से जुड़े विषयसहयोग के उभरते क्षेत्र हैं। यह समय की मांग है कि इस तरह का सहयोग और आगे बढ़ता रहे। यह न केवल हमारे दोनों देशों बल्कि दुनिया को भी बड़े पैमाने पर मदद करेगा। + +दूसरे भाग में, महामारी के लिए नवाचार से हमारा आशय इस बात सेहै कि कैसे मानवता इस अवसर पर उठ खड़ी हुई और इस महामारी के खिलाफ लड़ाई को और अधिक प्रभावी बना दिया। इसमें हमारे स्टार्ट-अप सेक्टर की भूमिका सबसे ऊपर रही है। मैं आपको भारत का उदाहरण देता हूं। जब यह महामारी हमारे यहांपहुंची, तो हमारे पास जांच करने की क्षमतापर्याप्त नहीं थी और मास्क, पीपीई, वेंटिलेटर एवं ऐसे अन्य उपकरणों की कमी थी। हमारे निजी क्षेत्र ने इस कमी को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हमारे डॉक्टरों ने टेली-मेडिसिन को बड़े पैमाने पर अपनाया ताकि कोविडऔर अन्य गैर-कोविडवाली कुछ समस्याओं को आभासी माध्यम से हल किया जा सके। भारत में दो टीके बनाए जा रहे हैं तथाकई और टीके विकास या परीक्षण के चरण में हैं। सरकार के स्तर पर, हमारे स्वदेशी आईटी प्लेटफॉर्म, आरोग्य-सेतु, ने कारगर कांटेक्ट ट्रेसिंग को संभवबनाया। हमारे कोविन डिजिटल प्लेटफॉर्म ने पहले ही लाखों लोगों को टीका सुनिश्चित करने में मदद की है। अगर हम नवाचारको नहीं अपनाते, तो कोविड-19 के खिलाफ हमारी लड़ाई बहुत कमजोर होती। हमें इस अभिनव उत्साह को नहीं छोड़ना चाहिए ताकि अगली चुनौती आने पर हम और भी बेहतर तरीके से तैयार हो सकें। + +तकनीक के क्षेत्र से जुड़ी भारतीय प्रतिभाओं का पूल दुनिया भर में मशहूर है। भारतीय युवाओं ने दुनिया की कुछ सबसे गंभीर समस्याओं का तकनीकी समाधान दिया है। आज, भारत में एक दशमलवएक आठ बिलियन मोबाइल फोन और सात सौ पचहत्तर मिलियन इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं। यहसंख्या कई देशों की आबादी से भी ज्यादा है। भारत में डेटा की खपत दुनिया में सबसे ज्यादा और सबसे सस्ती है। भारत के लोग सोशल मीडिया के सबसे बड़े उपयोगकर्ता हैं। यहां एक विविध और व्यापक बाजार है, जो आपकी प्रतीक्षा कर रहा है। + +इस डिजिटल प्रसार को एक अत्याधुनिक सार्वजनिक डिजिटल अवसंरचना बनाकर संचालित किया जा रहा है। पांच सौ तेईस हजार किलोमीटर लंबा फाइबर ऑप्टिक नेटवर्क पहले से ही हमारे एक सौ छप्पन हजार ग्राम परिषदों को जोड़ चुका है। आने वाले समय में और भी बहुत से लोगों को जोड़ा जाएगा। देशभर में सार्वजनिक वाई-फाई नेटवर्क आ रहे हैं। इसी तरह, भारत नवाचार की संस्कृति को पोषित करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा है। अटल इनोवेशन मिशन के तहत सात हजार पांच सौ स्कूलों में अत्याधुनिक इनोवेशन लैब हैं। हमारे छात्र विदेश के छात्रों सहित कई हैकथॉन में भाग ले रहे हैं। इससे उन्हें वैश्विक प्रतिभा और सर्वोत्तम प्रथाओं के बारे में बहुत जरूरी अनुभवप्राप्त हो रहा है। + +हमारे ग्रह के सामने आने वाली चुनौतियों को सामूहिक भावना और एक मानव-केन्द्रित दृष्टिकोण के जरिए ही दूर किया जा सकता है। इसके लिए मैं स्टार्ट-अप समुदाय से आगे आकर नेतृत्व करने का आह्वान करता हूं। स्टार्ट-अप के क्षेत्र में युवाओं का दबदबा है। ये अतीत के बोझ से मुक्त लोग हैं। वे वैश्विक परिवर्तन को ताकत देने के लिए सबसे उपयुक्त हैं। हमारे स्टार्ट-अप कोस्वास्थ्य संबंधी देखभाल, अपशिष्ट पदार्थों के पुनर्चक्रणसहित पर्यावरण के अनुकूल प्रौद्योगिकी, कृषि, सीखने के आधुनिक उपकरणों जैसे क्षेत्रों में संभावनाओं का पता लगाना चाहिए। + diff --git a/pm-speech/172.txt b/pm-speech/172.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..28c5b76c96841458f884d9784d6216bd6278ad9f --- /dev/null +++ b/pm-speech/172.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +भारत में, हमने भूमि को हमेशा महत्व दिया है और पवित्र पृथ्वी को अपनी माता माना है। भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भूमि क्षरण के मुद्दों को उठाया है। दिल्ली घोषणापत्र 2019 में भूमि तक बेहतर पहुंच और प्रबंधन का आह्वान किया गया और लैंगिक रूप से संवेदनशील परिवर्तनकारी परियोजनाओं पर जोर दिया गया। भारत में पिछले 10 वर्षों में, करीब 3 मिलियन हेक्टेयर वन क्षेत्र जोड़ा गया है। इससे वन क्षेत्र बढ़कर देश के कुल क्षेत्रफल का लगभग एक चौथाई हो गया है। + diff --git a/pm-speech/173.txt b/pm-speech/173.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..cceb52a37ed511d63a2caa417b0a4f2e8b0f6460 --- /dev/null +++ b/pm-speech/173.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत मिशन कोविड सुरक्षा के माध्यम से भी उन्हें हज़ारों करोड़ रुपए उपलब्ध कराए गये। पिछले काफी समय से देश लगातार जो प्रयास और परिश्रम कर रहा है, उससे आने वाले दिनों में वैक्सीन की सप्लाई और भी ज्यादा बढ़ने वाली है। आज देश में 7 कंपनियाँ, विभिन्न प्रकार की वैक्सीन का प्रॉडक्शन कर रही हैं। तीन और वैक्सीन का ट्रायल भी एडवांस स्टेज पर चल रहा है। वैक्सीन की उपलब्धता बढ़ाने के लिए दूसरे देशों की कंपनियों से भी वैक्सीन खरीदने की प्रक्रिया को तेज किया गया है। इधर हाल के दिनों में, कुछ एक्सपर्ट्स द्वारा हमारे बच्चों को लेकर भी चिंता जताई गई है। इस दिशा में भी 2 वैक्सीन्स का ट्रायल तेजी से चल रहा है। इसके अलावा अभी देश में एक ‘नेज़ल’ वैक्सीन पर भी रिसर्च जारी है। इसे सिरिन्ज से न देकर नाक में स्प्रे किया जाएगा। देश को अगर निकट भविष्य में इस वैक्सीन पर सफलता मिलती है तो इससे भारत के वैक्सीन अभियान में और ज्यादा तेजी आएगी। + + अब 18 वर्ष की आयु के लोग भी इसमें जुड़ जाएंगे। सभी देशवासियों के लिए भारत सरकार ही मुफ्त वैक्सीन उपलब्ध करवाएगी। गरीब हों, निम्न मध्यम वर्ग हों, मध्यम वर्ग हो या फिर उच्च वर्ग, भारत सरकार के अभियान में मुफ्त वैक्सीन ही लगाई जाएगी। हां, जो व्यक्ति मुफ्त में वैक्सीन नहीं लगवाना चाहते, प्राइवेट अस्पताल में वैक्सीन लगवाना चाहते हैं, उनका भी ध्यान रखा गया है। देश में बन रही वैक्सीन में से 25 प्रतिशत,  प्राइवेट सेक्टर के अस्पताल सीधे ले पाएं, ये व्यवस्था जारी रहेगी। प्राइवेट अस्पताल, वैक्सीन की निर्धारित कीमत के उपरांत एक डोज पर अधिकतम 150 रुपए ही सर्विस चार्ज ले सकेंगे। इसकी निगरानी करने का काम राज्य सरकारों के ही पास रहेगा। + + अब 18 वर्ष की आयु के लोग भी इसमें जुड़ जाएंगे। सभी देशवासियों के लिए भारत सरकार ही मुफ्त वैक्सीन उपलब्ध करवाएगी। गरीब हों, निम्न मध्यम वर्ग हों, मध्यम वर्ग हो या फिर उच्च वर्ग, भारत सरकार के अभियान में मुफ्त वैक्सीन ही लगाई जाएगी। हां, जो व्यक्ति मुफ्त में वैक्सीन नहीं लगवाना चाहते, प्राइवेट अस्पताल में वैक्सीन लगवाना चाहते हैं, उनका भी ध्यान रखा गया है। देश में बन रही वैक्सीन में से 25 प्रतिशत,  प्राइवेट सेक्टर के अस्पताल सीधे ले पाएं, ये व्यवस्था जारी रहेगी। प्राइवेट अस्पताल, वैक्सीन की निर्धारित कीमत के उपरांत एक डोज पर अधिकतम 150 रुपए ही सर्विस चार्ज ले सकेंगे। इसकी निगरानी करने का काम राज्य सरकारों के ही पास रहेगा। + diff --git a/pm-speech/174.txt b/pm-speech/174.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..6a28cecd5854ab7b373a958016d51a1315ac8878 --- /dev/null +++ b/pm-speech/174.txt @@ -0,0 +1,54 @@ +हमारे किसान साथी जब मैं उनसे बात कर रहा था तो कैसे बायो-फ्यूल से जुड़ी व्यवस्थाओं को वे सहज रूप से अपना रहे हैं, और कितनी बढ़िया तरीके से अपनी बात बता रहे थे। उसमे confidence भी नजर आ रहा था। स्वच्छ ऊर्जा- Clean Energy का देश में जो इतना बड़ा अभियान चल रहा है, उसका बहुत बड़ा लाभ देश के एग्रीकल्चर सेक्टर को भी मिलना स्वभाविक है। आज विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर, भारत ने एक और बड़ा कदम उठाया है। इथेनॉल सेक्टर के विकास के लिए एक विस्तृत रोडमैप आज मुझे अभी जारी करने का सौभाग्य मिला है। देशभर में इथेनॉल के उत्पादन और वितरण से जुड़ा महत्वाकांक्षी E-100 पायलट प्रोजेक्ट भी पुणे में लॉन्च किया गया है। मैं पुणे वासियों को बधाई देता हूं। पुणे के मेयर को बधाई देता हूं। हम अपने तय लक्ष्यों को समय पर हासिल कर पाएं, इसके लिए मैं बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। + +इतने बड़े फैसले का हौसला, बीते 7 सालों में देश ने जो लक्ष्य प्राप्त किए हैं, देश ने जो प्रयास किए हैं, और उसमे से जो सफलता मिली है। उसी के कारण ये आज निर्णय करने की हिम्मत आई है। 2014 तक भारत में औसतन सिर्फ एक-डेढ़ प्रतिशत इथेनॉल की ही ब्लेंडिंग हो पाती थी। आज ये करीब-करीब साढ़े आठ प्रतिशत तक पहुंच गया है। वर्ष 2013-14 में जहां देश में 38 करोड़ लीटर इथेनॉल खरीदा जाता था, वहीं अब इस का अनुमान 320 करोड़ लीटर से ज्यादा का है। यानी करीब-करीब आठ गुना ज्यादा इथेनॉल खरीदा गया है। बीते साल ही ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने करीब 21 हज़ार करोड़ रुपए का इथेनॉल खरीदा है। इसका एक बड़ा हिस्सा जो 21,000 करोड़ रुपया खर्च किये गए थे अब बड़ा हिस्सा हमारे देश के किसानों की जेब में गया है। विशेष रूप से हमारे गन्ना किसानों को इससे बहुत लाभ हुआ है। वर्ष 2025 तक जब पेट्रोल में 20 प्रतिशत इथेनॉल ब्लेंडिंग होने लगेगी, तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि किसानों को कितनी बड़ी मात्रा में ऑयल कंपनियों से सीधे पैसे मिलेंगे। इससे, चीनी से अधिक उत्पादन से जुड़ी जो भी चुनौतियां हैं, क्योंकि कभी-कभी ज्यादा पैदावार हो जाती हैं। तो दुनिया में भी कोई ख्ररीदार नहीं होता है। देश में भी दाम गिर जाते हैं। और बहुत बड़ी चुनौती पैदा, रखना कहां है वो भी संकट हो जाता है। ऐसी सारी चुनौतियों को कम करने में और इसका सीधा लाभ गन्ना किसान की सुरक्षा से जुड़ जाता है। बहुत लाभ होने वाले है। + +21वीं सदी के भारत को, 21वीं सदी की आधुनिक सोच, आधुनिक नीतियों से ही ऊर्जा मिलेगी। इसी सोच के साथ हमारी सरकार हर क्षेत्र में निरंतर नीतिगत निर्णय ले रही है। देश में आज इथेनॉल के उत्पादन और खरीद के लिए ज़रूरी इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण पर बहुत जोर दिया जा रहा है। अभी तक इथेनॉल बनाने वाली ज्यादातर इकाइयां और ज्यादातर 4-5 उन राज्यों में ही थी, जहां चीनी का उत्पादन ज्यादा होता है। इसका विस्तार पूरे देश में करने के लिए जो सड़ा हुआ अनाज होता है, निकला हुआ अनाज होता है। उसका उपयोग करते हुए Food Grain Based Distilleries की स्थापना की जा रही है। Agriculture Waste से इथेनॉल बनाने के लिए भी देश में आधुनिक टेक्नॉलॉजी आधारित प्लांट भी लगाए जा रहे हैं। + +क्लाइमेट चेंज की वजह से जो चुनौतियां सामने आ रही हैं, भारत उसके प्रति जागरूक भी है और सक्रियता से काम भी कर रहा है। हम एक तरफ Global South में Energy Justice के प्रति संवेदनशीलता और Global North के उत्तदायित्वों के हिमायती हैं, तो दूसरी तरफ अपनी भूमिका का निर्वहन भी पूरी गंभीरता से कर रहे हैं। भारत ने energy transition का एक ऐसा मार्ग चुना है जिसमें हमारी नीतियों और निर्णयों में hard और soft components दोनों का बराबर महत्व है। अगर मैं Hard Component की बात करूं, तो भारत द्वारा तय किए गए बड़े-बड़े लक्ष्य हों, उन्हें लागू करने की Unprecedented स्पीड हो, ये दुनिया बहुत बारिकी से देख रही है। 6-7 साल में Renewable Energy की हमारी कैपेसिटी में 250 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी हुई है। Installed रिन्यूएबल एनर्जी Capacity के मामले में भारत आज दुनिया के टॉप-5 देशों में है। इसमें भी सौर ऊर्जा की कैपेसिटी को बीते 6 साल में लगभग 15 गुणा बढ़ाया है। आज भारत, कच्छ में गुजरात के कच्छ के रेगिस्तान में दुनिया का सबसे बड़ा सौलर और विन का हाईब्रीड एनर्जी पार्क बना रहा है तो भारत ने 14 गिगावाट के पुराने कोल प्लांटस को भी बंद भी कर दिया है। देश ने सॉफ्ट अप्रोच के साथ भी ऐतिहासिक कदम उठाए हैं। आज देश का सामान्य मानवी, Pro-Environment Campaign से जुड़ गया है वो इसका नेतृत्व कर रहा है। + +हम देखते हैं कि कैसे सिंगल यूज प्लास्टिक के संबंध में जागरुकता पैदा हुई है। लोग अपने तरीके से थोडा –थोडा प्रयास भी कर रहे हैं। अभी और करने की जरूरत है। लेकिन बात पहुंची है, प्रयास शुरू हुए हैं। हमारे समुद्री तटों की सफाई देखिए, नौजवान initiative लेकर के कर रहे हैं। या फिर स्वच्छ भारत जैसे अभियान हो, इन्हें देश के आम नागरिकों ने इन्हें अपने कंधे पर लिया, अपने जिम्मे लिया और मेरे देशवासियों ने आज इसको आगे बढ़ाया है। देश ने 37 करोड़ से अधिक LED बल्ब और 23 लाख से अधिक Energy Efficient पंखे देने की वजह से पर्यावरण रक्षा का जो काम हुआ है, अक्सर उसकी चर्चा लोगों को करने की शायद आदत ही छूट गई है। लेकिन ये बहुत बड़ा चर्चा का विषय होना चाहिए। इसी तरह उज्जवला योजना के तहत करोड़ों परिवारों को मुफ्त गैस कनेक्शन मिलने से, सौभाग्य योजना के तहत बिजली कनेक्शन मिलने से, जो पहले चुल्हे में लकड़ी जला करके धुएं में जिंदगी गुजारनी पड़ती थी। आज उनकी इस लकड़ी को जलाने के निर्भरता काफी मात्रा में कम हुई है। इससे प्रदूषण कम होने के साथ ही स्वास्थ्य और उसमे भी हमारी माताओं का बच्चों का स्वास्थ्य और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी बड़ी मदद मिली है। लेकिन इसकी भी बहुत चर्चा नहीं हो पाती। भारत ने अपने इन प्रयासों से करोड़ों टन कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन को रोका है और क्लाइमेट चेंज मिटिगेशन की दिशा में भारत को आज अग्रणी बनाया है। इसी तरह, 3 लाख से ज्यादा Energy Efficient Pumps उसके जरिए भी देश आज लाखों टन कार्बन डाय-ऑक्साइड हवा में घुलने से रोक रहा है। + +आम तौर पर धारणा ये है कि एयर pollution केवल इंडस्ट्री से ही फैलता है। लेकिन तथ्य है कि air pollution में transportation, unclean fuels, डीजल जनरेटर्स जैसे कितने ही फ़ैक्टर्स उसमें अपना कुछ न कुछ योगदान करते ही हैं। और इसीलिए, भारत अपने National Clean Air Plan के जरिए इन सभी दिशाओं में holistic approach के साथ काम कर रहा है। Waterways और मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी को लेकर जो काम आज हो रहा है, वो ग्रीन ट्रांस्पोर्ट के मिशन को तो सशक्त करेगा ही, देश की Logistics Efficiency को भी बेहतर बनाएगा। देश के सैकड़ों जिलों में CNG Based Infrastructure तैयार करना हो, फास्टैग जैसी आधुनिक व्यवस्था हो, इनसे प्रदूषण कम करने में बहुत मदद मिल रही है। आज देश में मेट्रो रेल की सेवा 5 शहरों से बढ़कर के 18 शहरों तक पहुंच चुकी है। Suburban railway की दिशा में भी जो काम हुआ है, उससे पर्सनल vehicles का इस्तेमाल कम हुआ है। + +आज देश के रेलवे नेटवर्क से एक बड़े हिस्से का बिजलीकरण किया जा चुका है। देश के एयरपोर्ट्स को भी तेज़ी से सोलर पावर आधारित बनाया जा रहा है। 2014 से पहले तक सिर्फ 7 एयरपोर्ट्स में सोलर पावर की सुविधा थी, जबकि आज ये संख्या 50 से ज्यादा हो चुकी है। Energy Efficiency के लिए 80 से ज्यादा एयरपोर्ट्स में LED लाइट्स लगाने का काम भी पूरा हो चुका है। भविष्य की तैयारियों से जुड़ा एक और उदाहरण में आपके सामने बताना चाहुंगा। + +क्लाइमेट चेंज से Water Cycle का भी सीधा संबंध होता जा रहा है। Water Cycle में संतुलन बिगड़ता है तो इसका सीधा प्रभाव Water Security पर पड़ता है। आज देश में Water Security को लेकर जितना काम हो रहा है, उतना पहले कभी नहीं हुआ है। देश में जलस्रोतों के निर्माण और संरक्षण से लेकर उपयोग तक एक होलिस्टिक अप्रोच के साथ काम किया जा रहा है। जल जीवन मिशन भी इसका एक बहुत बड़ा माध्यम है। और मैं आपको याद दिलाना चाहुंगा कि जल जीवन मिशन में इस बार एक कार्यक्रम चल रहा है। जिसमे देश के नागरिकों की मदद चाहिए मुझे। वो है वर्षा के पानी को बचाओ, catch the rain water, हम वर्षा के पानी को रोकें, बचाएं। + +लगभग 7 दशक में देश के करीब 3 करोड़ ग्रामीण परिवारों तक पाइप से पानी पहुंचा, तो 2 साल से भी कम वक्त में 4 करोड़ से भी अधिक परिवारों तक नल से जल पहुंचाया जा चुका है। एक तरफ, पाइप से हर घर को जोड़ा जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ अटल भूजल योजना और Catch the Rain जैसे अभियानों के माध्यम से भूजल का स्तर बढ़ाने पर फोकस किया जा रहा है। + +विकास और पर्यावरण में संतुलन, ये हमारी पुरातन परंपरा का एक अहम हिस्सा है, जिसको हम आत्मनिर्भर भारत की भी ताकत बना रहे हैं। जीव और प्रकृति के रिश्ते का संतुलन, वयष्टि और समष्टि का संतुलन, जीव और शिव का संतुलन हमेशा से हमारे शास्त्रों ने हमें सिखाया है। हमारे यहां कहा गया है कि यत् पिंडे तत् ब्रह्मांडे। यानि जो पिंड यानि जीव में है, वही ब्रह्मांड में है। हम जो भी अपने लिए करते हैं, उसका सीधा असर हमारे पर्यावरण पर भी पड़ता है। इसलिए अपने Resources की Efficiency को लेकर भी भारत के प्रयास बढ़ रहे हैं। आज जो Circular Economy की बात हो रही है, उसमें ऐसे products और ऐसे processes पर फोकस किया जा रहा है, जिनमें संसाधनों पर कम से कम दबाव पड़े। सरकार ने भी ऐसे 11 क्षेत्रों की पहचान की है, जिससे हम आधुनिक टेक्नॉलॉजी के माध्यम से संसाधनों को रिसाइकिल करके सदुपयोग कर सकते हैं। Waste to Wealth, यानि कचरे से कंचन अभियान पर बीते कुछ वर्षों में काफी काम हुआ है और अब इसको मिशन मोड में बहुत तेजी से आगे बढ़ाया जा रहा है। घरों और खेतों से निकला कचरा हो, Scrap Metal हो, Lithium Ion Batteries हों, ऐसे अनेक क्षेत्रों में रिसाइकलिंग को नई टेक्नॉलॉजी के माध्यम से प्रोत्साहित किया जा रहा है।इससे जुड़ा एक्शन प्लान, जिसमें रेगुलेटरी और डेवलपमेंट से जुड़े सभी पहलू होंगे, इसको आने वाले महीनों में अमल में लाया जाएगा। + +जलवायु की रक्षा के लिए, पर्यावरण की रक्षा के लिए हमारे प्रयासों का संगठित होना बहुत ज़रूरी है। देश का एक-एक नागरिक जब जल, वायु और ज़मीन के संतुलन को साधने के लिए एकजुट होकर प्रयास करेगा, तभी हम अपनी आने वाली पीढ़ियों को एक सुरक्षित पर्यावरण दे पाएंगे। हमारे पूर्वजों की कामना थी- और बहुत अच्छी बात हमारे पूवर्ज हमारे लिए कहकर के गये हैं। हमारे पूवर्ज की हमसे क्या कामना थी। बहुत बढ़िया बात कही उन्होंने कहा है– पृथ्वीः पूः च उर्वी भव। अर्थात संपूर्ण पृथ्वी, सम्पूर्ण परिवेश, हम सभी के लिए उत्तम हो, हमारे सपनों को सुअवसर दे, इसी शुभकामना के साथ आज विश्व पर्यावरण दिवस पर इससे जुड़े सभी महानुभावों को अनेक अनेक शुभकामनाएं देता हूं। आप अपना ख्याल रखें, अपने आपको स्वस्थ रखें। अपने परिवारजनों को स्वस्थ रखें। और कोविड प्रोटोकाल में कोई ढ़िलाई न बरते, इसी अपेक्षा के साथ बहुत-बहुत धन्यवाद, आभार। + +क्लाइमेट चेंज की वजह से जो चुनौतियां सामने आ रही हैं, भारत उसके प्रति जागरूक भी है और सक्रियता से काम भी कर रहा है। हम एक तरफ Global South में Energy Justice के प्रति संवेदनशीलता और Global North के उत्तदायित्वों के हिमायती हैं, तो दूसरी तरफ अपनी भूमिका का निर्वहन भी पूरी गंभीरता से कर रहे हैं। भारत ने energy transition का एक ऐसा मार्ग चुना है जिसमें हमारी नीतियों और निर्णयों में hard और soft components दोनों का बराबर महत्व है। अगर मैं Hard Component की बात करूं, तो भारत द्वारा तय किए गए बड़े-बड़े लक्ष्य हों, उन्हें लागू करने की Unprecedented स्पीड हो, ये दुनिया बहुत बारिकी से देख रही है। 6-7 साल में Renewable Energy की हमारी कैपेसिटी में 250 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी हुई है। Installed रिन्यूएबल एनर्जी Capacity के मामले में भारत आज दुनिया के टॉप-5 देशों में है। इसमें भी सौर ऊर्जा की कैपेसिटी को बीते 6 साल में लगभग 15 गुणा बढ़ाया है। आज भारत, कच्छ में गुजरात के कच्छ के रेगिस्तान में दुनिया का सबसे बड़ा सौलर और विन का हाईब्रीड एनर्जी पार्क बना रहा है तो भारत ने 14 गिगावाट के पुराने कोल प्लांटस को भी बंद भी कर दिया है। देश ने सॉफ्ट अप्रोच के साथ भी ऐतिहासिक कदम उठाए हैं। आज देश का सामान्य मानवी, Pro-Environment Campaign से जुड़ गया है वो इसका नेतृत्व कर रहा है। + +हम देखते हैं कि कैसे सिंगल यूज प्लास्टिक के संबंध में जागरुकता पैदा हुई है। लोग अपने तरीके से थोडा –थोडा प्रयास भी कर रहे हैं। अभी और करने की जरूरत है। लेकिन बात पहुंची है, प्रयास शुरू हुए हैं। हमारे समुद्री तटों की सफाई देखिए, नौजवान initiative लेकर के कर रहे हैं। या फिर स्वच्छ भारत जैसे अभियान हो, इन्हें देश के आम नागरिकों ने इन्हें अपने कंधे पर लिया, अपने जिम्मे लिया और मेरे देशवासियों ने आज इसको आगे बढ़ाया है। देश ने 37 करोड़ से अधिक LED बल्ब और 23 लाख से अधिक Energy Efficient पंखे देने की वजह से पर्यावरण रक्षा का जो काम हुआ है, अक्सर उसकी चर्चा लोगों को करने की शायद आदत ही छूट गई है। लेकिन ये बहुत बड़ा चर्चा का विषय होना चाहिए। इसी तरह उज्जवला योजना के तहत करोड़ों परिवारों को मुफ्त गैस कनेक्शन मिलने से, सौभाग्य योजना के तहत बिजली कनेक्शन मिलने से, जो पहले चुल्हे में लकड़ी जला करके धुएं में जिंदगी गुजारनी पड़ती थी। आज उनकी इस लकड़ी को जलाने के निर्भरता काफी मात्रा में कम हुई है। इससे प्रदूषण कम होने के साथ ही स्वास्थ्य और उसमे भी हमारी माताओं का बच्चों का स्वास्थ्य और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी बड़ी मदद मिली है। लेकिन इसकी भी बहुत चर्चा नहीं हो पाती। भारत ने अपने इन प्रयासों से करोड़ों टन कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन को रोका है और क्लाइमेट चेंज मिटिगेशन की दिशा में भारत को आज अग्रणी बनाया है। इसी तरह, 3 लाख से ज्यादा Energy Efficient Pumps उसके जरिए भी देश आज लाखों टन कार्बन डाय-ऑक्साइड हवा में घुलने से रोक रहा है। + +आम तौर पर धारणा ये है कि एयर pollution केवल इंडस्ट्री से ही फैलता है। लेकिन तथ्य है कि air pollution में transportation, unclean fuels, डीजल जनरेटर्स जैसे कितने ही फ़ैक्टर्स उसमें अपना कुछ न कुछ योगदान करते ही हैं। और इसीलिए, भारत अपने National Clean Air Plan के जरिए इन सभी दिशाओं में holistic approach के साथ काम कर रहा है। Waterways और मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी को लेकर जो काम आज हो रहा है, वो ग्रीन ट्रांस्पोर्ट के मिशन को तो सशक्त करेगा ही, देश की Logistics Efficiency को भी बेहतर बनाएगा। देश के सैकड़ों जिलों में CNG Based Infrastructure तैयार करना हो, फास्टैग जैसी आधुनिक व्यवस्था हो, इनसे प्रदूषण कम करने में बहुत मदद मिल रही है। आज देश में मेट्रो रेल की सेवा 5 शहरों से बढ़कर के 18 शहरों तक पहुंच चुकी है। Suburban railway की दिशा में भी जो काम हुआ है, उससे पर्सनल vehicles का इस्तेमाल कम हुआ है। + +आज देश के रेलवे नेटवर्क से एक बड़े हिस्से का बिजलीकरण किया जा चुका है। देश के एयरपोर्ट्स को भी तेज़ी से सोलर पावर आधारित बनाया जा रहा है। 2014 से पहले तक सिर्फ 7 एयरपोर्ट्स में सोलर पावर की सुविधा थी, जबकि आज ये संख्या 50 से ज्यादा हो चुकी है। Energy Efficiency के लिए 80 से ज्यादा एयरपोर्ट्स में LED लाइट्स लगाने का काम भी पूरा हो चुका है। भविष्य की तैयारियों से जुड़ा एक और उदाहरण में आपके सामने बताना चाहुंगा। + +क्लाइमेट चेंज से Water Cycle का भी सीधा संबंध होता जा रहा है। Water Cycle में संतुलन बिगड़ता है तो इसका सीधा प्रभाव Water Security पर पड़ता है। आज देश में Water Security को लेकर जितना काम हो रहा है, उतना पहले कभी नहीं हुआ है। देश में जलस्रोतों के निर्माण और संरक्षण से लेकर उपयोग तक एक होलिस्टिक अप्रोच के साथ काम किया जा रहा है। जल जीवन मिशन भी इसका एक बहुत बड़ा माध्यम है। और मैं आपको याद दिलाना चाहुंगा कि जल जीवन मिशन में इस बार एक कार्यक्रम चल रहा है। जिसमे देश के नागरिकों की मदद चाहिए मुझे। वो है वर्षा के पानी को बचाओ, catch the rain water, हम वर्षा के पानी को रोकें, बचाएं। + +लगभग 7 दशक में देश के करीब 3 करोड़ ग्रामीण परिवारों तक पाइप से पानी पहुंचा, तो 2 साल से भी कम वक्त में 4 करोड़ से भी अधिक परिवारों तक नल से जल पहुंचाया जा चुका है। एक तरफ, पाइप से हर घर को जोड़ा जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ अटल भूजल योजना और Catch the Rain जैसे अभियानों के माध्यम से भूजल का स्तर बढ़ाने पर फोकस किया जा रहा है। + +विकास और पर्यावरण में संतुलन, ये हमारी पुरातन परंपरा का एक अहम हिस्सा है, जिसको हम आत्मनिर्भर भारत की भी ताकत बना रहे हैं। जीव और प्रकृति के रिश्ते का संतुलन, वयष्टि और समष्टि का संतुलन, जीव और शिव का संतुलन हमेशा से हमारे शास्त्रों ने हमें सिखाया है। हमारे यहां कहा गया है कि यत् पिंडे तत् ब्रह्मांडे। यानि जो पिंड यानि जीव में है, वही ब्रह्मांड में है। हम जो भी अपने लिए करते हैं, उसका सीधा असर हमारे पर्यावरण पर भी पड़ता है। इसलिए अपने Resources की Efficiency को लेकर भी भारत के प्रयास बढ़ रहे हैं। आज जो Circular Economy की बात हो रही है, उसमें ऐसे products और ऐसे processes पर फोकस किया जा रहा है, जिनमें संसाधनों पर कम से कम दबाव पड़े। सरकार ने भी ऐसे 11 क्षेत्रों की पहचान की है, जिससे हम आधुनिक टेक्नॉलॉजी के माध्यम से संसाधनों को रिसाइकिल करके सदुपयोग कर सकते हैं। Waste to Wealth, यानि कचरे से कंचन अभियान पर बीते कुछ वर्षों में काफी काम हुआ है और अब इसको मिशन मोड में बहुत तेजी से आगे बढ़ाया जा रहा है। घरों और खेतों से निकला कचरा हो, Scrap Metal हो, Lithium Ion Batteries हों, ऐसे अनेक क्षेत्रों में रिसाइकलिंग को नई टेक्नॉलॉजी के माध्यम से प्रोत्साहित किया जा रहा है।इससे जुड़ा एक्शन प्लान, जिसमें रेगुलेटरी और डेवलपमेंट से जुड़े सभी पहलू होंगे, इसको आने वाले महीनों में अमल में लाया जाएगा। + +जलवायु की रक्षा के लिए, पर्यावरण की रक्षा के लिए हमारे प्रयासों का संगठित होना बहुत ज़रूरी है। देश का एक-एक नागरिक जब जल, वायु और ज़मीन के संतुलन को साधने के लिए एकजुट होकर प्रयास करेगा, तभी हम अपनी आने वाली पीढ़ियों को एक सुरक्षित पर्यावरण दे पाएंगे। हमारे पूर्वजों की कामना थी- और बहुत अच्छी बात हमारे पूवर्ज हमारे लिए कहकर के गये हैं। हमारे पूवर्ज की हमसे क्या कामना थी। बहुत बढ़िया बात कही उन्होंने कहा है– पृथ्वीः पूः च उर्वी भव। अर्थात संपूर्ण पृथ्वी, सम्पूर्ण परिवेश, हम सभी के लिए उत्तम हो, हमारे सपनों को सुअवसर दे, इसी शुभकामना के साथ आज विश्व पर्यावरण दिवस पर इससे जुड़े सभी महानुभावों को अनेक अनेक शुभकामनाएं देता हूं। आप अपना ख्याल रखें, अपने आपको स्वस्थ रखें। अपने परिवारजनों को स्वस्थ रखें। और कोविड प्रोटोकाल में कोई ढ़िलाई न बरते, इसी अपेक्षा के साथ बहुत-बहुत धन्यवाद, आभार। + +क्लाइमेट चेंज की वजह से जो चुनौतियां सामने आ रही हैं, भारत उसके प्रति जागरूक भी है और सक्रियता से काम भी कर रहा है। हम एक तरफ Global South में Energy Justice के प्रति संवेदनशीलता और Global North के उत्तदायित्वों के हिमायती हैं, तो दूसरी तरफ अपनी भूमिका का निर्वहन भी पूरी गंभीरता से कर रहे हैं। भारत ने energy transition का एक ऐसा मार्ग चुना है जिसमें हमारी नीतियों और निर्णयों में hard और soft components दोनों का बराबर महत्व है। अगर मैं Hard Component की बात करूं, तो भारत द्वारा तय किए गए बड़े-बड़े लक्ष्य हों, उन्हें लागू करने की Unprecedented स्पीड हो, ये दुनिया बहुत बारिकी से देख रही है। 6-7 साल में Renewable Energy की हमारी कैपेसिटी में 250 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी हुई है। Installed रिन्यूएबल एनर्जी Capacity के मामले में भारत आज दुनिया के टॉप-5 देशों में है। इसमें भी सौर ऊर्जा की कैपेसिटी को बीते 6 साल में लगभग 15 गुणा बढ़ाया है। आज भारत, कच्छ में गुजरात के कच्छ के रेगिस्तान में दुनिया का सबसे बड़ा सौलर और विन का हाईब्रीड एनर्जी पार्क बना रहा है तो भारत ने 14 गिगावाट के पुराने कोल प्लांटस को भी बंद भी कर दिया है। देश ने सॉफ्ट अप्रोच के साथ भी ऐतिहासिक कदम उठाए हैं। आज देश का सामान्य मानवी, Pro-Environment Campaign से जुड़ गया है वो इसका नेतृत्व कर रहा है। + +हम देखते हैं कि कैसे सिंगल यूज प्लास्टिक के संबंध में जागरुकता पैदा हुई है। लोग अपने तरीके से थोडा –थोडा प्रयास भी कर रहे हैं। अभी और करने की जरूरत है। लेकिन बात पहुंची है, प्रयास शुरू हुए हैं। हमारे समुद्री तटों की सफाई देखिए, नौजवान initiative लेकर के कर रहे हैं। या फिर स्वच्छ भारत जैसे अभियान हो, इन्हें देश के आम नागरिकों ने इन्हें अपने कंधे पर लिया, अपने जिम्मे लिया और मेरे देशवासियों ने आज इसको आगे बढ़ाया है। देश ने 37 करोड़ से अधिक LED बल्ब और 23 लाख से अधिक Energy Efficient पंखे देने की वजह से पर्यावरण रक्षा का जो काम हुआ है, अक्सर उसकी चर्चा लोगों को करने की शायद आदत ही छूट गई है। लेकिन ये बहुत बड़ा चर्चा का विषय होना चाहिए। इसी तरह उज्जवला योजना के तहत करोड़ों परिवारों को मुफ्त गैस कनेक्शन मिलने से, सौभाग्य योजना के तहत बिजली कनेक्शन मिलने से, जो पहले चुल्हे में लकड़ी जला करके धुएं में जिंदगी गुजारनी पड़ती थी। आज उनकी इस लकड़ी को जलाने के निर्भरता काफी मात्रा में कम हुई है। इससे प्रदूषण कम होने के साथ ही स्वास्थ्य और उसमे भी हमारी माताओं का बच्चों का स्वास्थ्य और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी बड़ी मदद मिली है। लेकिन इसकी भी बहुत चर्चा नहीं हो पाती। भारत ने अपने इन प्रयासों से करोड़ों टन कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन को रोका है और क्लाइमेट चेंज मिटिगेशन की दिशा में भारत को आज अग्रणी बनाया है। इसी तरह, 3 लाख से ज्यादा Energy Efficient Pumps उसके जरिए भी देश आज लाखों टन कार्बन डाय-ऑक्साइड हवा में घुलने से रोक रहा है। + +आम तौर पर धारणा ये है कि एयर pollution केवल इंडस्ट्री से ही फैलता है। लेकिन तथ्य है कि air pollution में transportation, unclean fuels, डीजल जनरेटर्स जैसे कितने ही फ़ैक्टर्स उसमें अपना कुछ न कुछ योगदान करते ही हैं। और इसीलिए, भारत अपने National Clean Air Plan के जरिए इन सभी दिशाओं में holistic approach के साथ काम कर रहा है। Waterways और मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी को लेकर जो काम आज हो रहा है, वो ग्रीन ट्रांस्पोर्ट के मिशन को तो सशक्त करेगा ही, देश की Logistics Efficiency को भी बेहतर बनाएगा। देश के सैकड़ों जिलों में CNG Based Infrastructure तैयार करना हो, फास्टैग जैसी आधुनिक व्यवस्था हो, इनसे प्रदूषण कम करने में बहुत मदद मिल रही है। आज देश में मेट्रो रेल की सेवा 5 शहरों से बढ़कर के 18 शहरों तक पहुंच चुकी है। Suburban railway की दिशा में भी जो काम हुआ है, उससे पर्सनल vehicles का इस्तेमाल कम हुआ है। + +आज देश के रेलवे नेटवर्क से एक बड़े हिस्से का बिजलीकरण किया जा चुका है। देश के एयरपोर्ट्स को भी तेज़ी से सोलर पावर आधारित बनाया जा रहा है। 2014 से पहले तक सिर्फ 7 एयरपोर्ट्स में सोलर पावर की सुविधा थी, जबकि आज ये संख्या 50 से ज्यादा हो चुकी है। Energy Efficiency के लिए 80 से ज्यादा एयरपोर्ट्स में LED लाइट्स लगाने का काम भी पूरा हो चुका है। भविष्य की तैयारियों से जुड़ा एक और उदाहरण में आपके सामने बताना चाहुंगा। + +क्लाइमेट चेंज से Water Cycle का भी सीधा संबंध होता जा रहा है। Water Cycle में संतुलन बिगड़ता है तो इसका सीधा प्रभाव Water Security पर पड़ता है। आज देश में Water Security को लेकर जितना काम हो रहा है, उतना पहले कभी नहीं हुआ है। देश में जलस्रोतों के निर्माण और संरक्षण से लेकर उपयोग तक एक होलिस्टिक अप्रोच के साथ काम किया जा रहा है। जल जीवन मिशन भी इसका एक बहुत बड़ा माध्यम है। और मैं आपको याद दिलाना चाहुंगा कि जल जीवन मिशन में इस बार एक कार्यक्रम चल रहा है। जिसमे देश के नागरिकों की मदद चाहिए मुझे। वो है वर्षा के पानी को बचाओ, catch the rain water, हम वर्षा के पानी को रोकें, बचाएं। + +लगभग 7 दशक में देश के करीब 3 करोड़ ग्रामीण परिवारों तक पाइप से पानी पहुंचा, तो 2 साल से भी कम वक्त में 4 करोड़ से भी अधिक परिवारों तक नल से जल पहुंचाया जा चुका है। एक तरफ, पाइप से हर घर को जोड़ा जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ अटल भूजल योजना और Catch the Rain जैसे अभियानों के माध्यम से भूजल का स्तर बढ़ाने पर फोकस किया जा रहा है। + +विकास और पर्यावरण में संतुलन, ये हमारी पुरातन परंपरा का एक अहम हिस्सा है, जिसको हम आत्मनिर्भर भारत की भी ताकत बना रहे हैं। जीव और प्रकृति के रिश्ते का संतुलन, वयष्टि और समष्टि का संतुलन, जीव और शिव का संतुलन हमेशा से हमारे शास्त्रों ने हमें सिखाया है। हमारे यहां कहा गया है कि यत् पिंडे तत् ब्रह्मांडे। यानि जो पिंड यानि जीव में है, वही ब्रह्मांड में है। हम जो भी अपने लिए करते हैं, उसका सीधा असर हमारे पर्यावरण पर भी पड़ता है। इसलिए अपने Resources की Efficiency को लेकर भी भारत के प्रयास बढ़ रहे हैं। आज जो Circular Economy की बात हो रही है, उसमें ऐसे products और ऐसे processes पर फोकस किया जा रहा है, जिनमें संसाधनों पर कम से कम दबाव पड़े। सरकार ने भी ऐसे 11 क्षेत्रों की पहचान की है, जिससे हम आधुनिक टेक्नॉलॉजी के माध्यम से संसाधनों को रिसाइकिल करके सदुपयोग कर सकते हैं। Waste to Wealth, यानि कचरे से कंचन अभियान पर बीते कुछ वर्षों में काफी काम हुआ है और अब इसको मिशन मोड में बहुत तेजी से आगे बढ़ाया जा रहा है। घरों और खेतों से निकला कचरा हो, Scrap Metal हो, Lithium Ion Batteries हों, ऐसे अनेक क्षेत्रों में रिसाइकलिंग को नई टेक्नॉलॉजी के माध्यम से प्रोत्साहित किया जा रहा है।इससे जुड़ा एक्शन प्लान, जिसमें रेगुलेटरी और डेवलपमेंट से जुड़े सभी पहलू होंगे, इसको आने वाले महीनों में अमल में लाया जाएगा। + +जलवायु की रक्षा के लिए, पर्यावरण की रक्षा के लिए हमारे प्रयासों का संगठित होना बहुत ज़रूरी है। देश का एक-एक नागरिक जब जल, वायु और ज़मीन के संतुलन को साधने के लिए एकजुट होकर प्रयास करेगा, तभी हम अपनी आने वाली पीढ़ियों को एक सुरक्षित पर्यावरण दे पाएंगे। हमारे पूर्वजों की कामना थी- और बहुत अच्छी बात हमारे पूवर्ज हमारे लिए कहकर के गये हैं। हमारे पूवर्ज की हमसे क्या कामना थी। बहुत बढ़िया बात कही उन्होंने कहा है– पृथ्वीः पूः च उर्वी भव। अर्थात संपूर्ण पृथ्वी, सम्पूर्ण परिवेश, हम सभी के लिए उत्तम हो, हमारे सपनों को सुअवसर दे, इसी शुभकामना के साथ आज विश्व पर्यावरण दिवस पर इससे जुड़े सभी महानुभावों को अनेक अनेक शुभकामनाएं देता हूं। आप अपना ख्याल रखें, अपने आपको स्वस्थ रखें। अपने परिवारजनों को स्वस्थ रखें। और कोविड प्रोटोकाल में कोई ढ़िलाई न बरते, इसी अपेक्षा के साथ बहुत-बहुत धन्यवाद, आभार। + diff --git a/pm-speech/176.txt b/pm-speech/176.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..6c8e9816d77ac10f48fa7c2ec8964b3282d992a9 --- /dev/null +++ b/pm-speech/176.txt @@ -0,0 +1,20 @@ +छात्र : सर इस नियम को तो मानना ही पड़ेगा सर… तो जैसे अभी आप ने बोला कि जब लोग मास्‍क नहीं डालते हैं या covid guidelines को follow नहीं करते, तो बहुत उस time पर disappointing लगता है क्‍योंकि जो हमारी सरकार है उसने इतनी awareness create की है इस pandemic को लेकर, international organisations वो बहुत awareness create कर रही हैं। जब लोग नहीं समझते इस बात को तब बहुत बुरा लगता है। और मैं आपके साथ share करना चाहूंगी कि हमने और हमारे मतलब locality में कुछ बच्‍चों ने, तो हमने एक awareness drive कुछ महीने पहले चलाई थी जब unlock हुआ था यहां पर। और हमने जैसे नुक्‍कड़ नाटक किये, हमने proper covid guidelines से लेकर लोगों में जगह-जगह जाकर उन्‍हें बताया था कि आपके लिए covid guidelines को follow करना, social distancing रखना, मास्‍क पहनना और उसके wash करना, it is very important और आप लोग इसको follow कीजिए। तो I think कि ऐसे अगर हम अपने level पर भी कुछ initiative लें और खुद responsible बनें तो बहुत बड़ा change आ सकता है।  + +छात्र : सर मैं बस यही कहना चाहूंगी आपने जिस तरीके से कहा अभी कि एकाएक सुबह तक सबके मन में इतनी सारी चीजे थी। सर आपने जैसे ही start किया था आपने अपना exam warriors के बारे में आपने बताया था, तो मैं बस एक चीज कहना चाहूंगी इधर सभी से कि मैं दसवी कक्षा में थी जब मतलब जब मेरी दसवी की परीक्षा होने वाली थी और मैं travel कर रही थी, कलकत्ते से यहां आ रही थी और airport में मेरे को आपकी book दिखी। सर मैंने तुरंत ही उसे खरीद लिया था और मेरी दसवी की परीक्षा होने वाली थी। मेरा ये खुद का experience था, सर मैंने एक महीने तक रोज उस book को पढ़ा था और सर इस बार मेरे को मतलब आपने book की शुरूआत ही इस चीज से की थी कि exam को त्‍यौहार की तरह मनाओ। तो सर त्‍यौहार के लिए डरने की क्‍या आवश्‍यकता? मतलब त्‍यौहार के लिए तो हम तैयारी करते हैं कि वो successful हो और आपने सबसे बड़ा मंत्र जो योगा का दिया था आखिर में मतलब आपने जो book में योगा के मंत्र से end की थी। तो सर ये दो चीजें जो हैं वो मन में लगातार थी कि माना परिस्‍थतियां अच्‍छी नहीं थी, सब कुछ था पर ये जो भावना से हमने exams की जो preparation की, मैंने बारहवीं में जिस तरीके से की, सर आप ही को धन्‍यवाद है उस book के लिए कि बिल्‍कुल भी ऐसा नहीं हुआ। + +मोदीजी : अच्‍छा अभी exams से free हो गये, तब मन में क्‍या आईपीएल देखने में time लगायेंगे या champions league final को देखेंगे या French open देखने के लिए दिमाग खपाओगे या जुलाई में Olympic शुरू होने वाला है, उस Olympic के लिए मन लगेगा, भारत से Olympic के लिए कौन लोग जा रहे हैं? उनका background क्‍या है? उसमें मन लगेगा कि फिर 21 तारीख को योगा दिवस है, तो उसमें मन लगेगा, क्‍या लगेगा? + +छात्र : नमस्‍कार सर! सर जैसे ही पता चला आपने हमारे exam सब cancel कर दिये तो पहले तो बहुत ज्‍यादा खुशी हुई कि finally अब एक stress कम हुआ कि अब हमें पता है कि अब हमें सिर्फ हमारे competitive exam के लिए पढ़ना है। पहले होता था कि boards की तैयारी करते फिर हम competitive exam की तैयारी करते। अब ऐसा हो गया कि हमारे पास इतना ज्‍यादा time हो गया कि बहुत अच्‍छे से हमारे competitive exam की तैयारी कर सकते हैं। तो सर मतलब मैं बहुत आभार प्रकट करती हूं। + +छात्र : नमस्‍ते सर! मेरा नाम कशिश नेगी है, मैं MRADAV Public School, Solan, Himachal Pradesh से हूं। सर आपसे सिर्फ ये कहना चाहूंगी कि it’s like dream come true, मैंने कभी सोचा नहीं था कि मतलब आपसे ऐसे मुलाकात होगी। और सर आपको thanks बोलना चाहूंगी कि आपने जो भी decision लिया है वो एकदम सही लिया है क्‍योंकि ढेड़ साल हो गया था हमें +2 के बच्‍चों को कि वो सिर्फ +2 में ही थे मतलब उनकी जिंदगी कुछ रूक सी गई थी। कुछ development भी नहीं हो रही थी और कुछ retardation भी नहीं हो रही थी तो सर आपने जो decision लिया उससे मैं बहुत खुश हूं और सर आपको thanks बोलना चाहूंगी सर thankyou. + +छात्र 2 : सर मेरा नाम शिवांजलि अग्रवाल है, सर मैं केंद्रीय विद्यालय, जेएनयू, नई दिल्‍ली की छात्रा हूं। सर मैं ये कहना चाहूंगी exams जब cancel हो गये हैं, हमें जितना extra समय मिला है, मैं उसका अपने entrance exams की तैयारी में, अपने competitive exams की तैयारी में जो करूंगी और सर exams cancel करने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्‍यवाद। + +अभिभावक : बिलकुल सर, बिलकुल! और अच्‍छी बाते करें तो शाहरूख खान को मिलने से इतना अच्‍छा नहीं लगा जितना आज आपको मिलने से लगा सर। It’s a dream come true और ये बहुत अच्‍छा था सर, you are the best और अभी जो हम अपने बच्‍चों के लिए आने वाला time देखेंगे तो उसमें यही चाहेंगे कि ये समय का सदुपयोग करें और अच्‍छे से आगे जाके अपना career बनाएं। + +अभिभावक : Sir, as a dancer I think mental health और physical health के लिए मैं dance करती हूं। तो मैं कथक करती हूं, जब cycling जाने का मन होता है तो मैं cycling करती हूं और सबसे पहली चीज जो मैंने result आने के बाद आपके decision आने के बाद की थी वो मैं बारह बजे तक सोई थी क्‍योंकि exams की वजह से सुबह आठ बजे उठना पड़ता था तो उस दिन में बारह बजे तक सोई थी सर। + +अभिभावक : सर मैं आपकी बड़ी fan हूं सर। सर आपने जो decision लिया है वो बहुत अच्‍छा decision है सर हमे लगा। आपने मतलब सब बच्‍चों के बारे में सोचा, ये मुझे बहुत अच्‍छा लगा सर, मैं आपकी बड़ी fan हूं सर और जो आपने कश्‍मीर में जो धारा 370 हटाई थी, सर वो भी मुझे बहुत अच्‍छा लगा सर, बहुत अच्‍छा सर decision था वो। + +आपके अनुभव जीवन में हर पड़ाव पर आपके बहुत काम आने वाले हैं। अगल कठिन से कठिन समय है उसको बार-बार याद करके रोने-चिल्‍लाने में समय बर्बाद मत कीजिए, कठिन समय से भी कुछ सीखा होगा, वो सीख को लेकर के आगे बढ़ेंगे आपको बहुत ताकत मिलेगी। आप जिस भी field में जाएंगे वहां काफी कुछ नया कर पाएंगे। आपने देखा होगा schools में, college में हमें team spirit के बारे में बार-बार कहा जाता है, सिखाया जाता है। United strength के relations हमें दिये जाते हैं। लेकिन कोरोना की मुश्किलों की बीच हमें ये relations करीब से देखने का, समझने का, जीने का एक प्रकार से नये तरीके से अवसर मिला है। कैसे हमारे समाज में हर किसी ने एक-दूसरे का हाथ थामा, कैसे देश ने team spirit से इतने बड़े challenge का सामना किया है। ये सब हमने experience किया है। Public participation और team work ये experience मुझे पक्‍का विश्‍वास है आपको भी एक नयी ताकत देंगे।  + diff --git a/pm-speech/177.txt b/pm-speech/177.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..32fde5cbae7b4b05abbcc38f58f27f63b6151aca --- /dev/null +++ b/pm-speech/177.txt @@ -0,0 +1,34 @@ +मेरे प्यारे देशवासियो, चुनौती कितनी ही बड़ी हो, भारत का विजय का संकल्प भी हमेशा उतना ही बड़ा रहा है। देश की सामूहिक शक्ति और हमारे सेवा-भाव ने, देश को हर तूफ़ान से बाहर निकाला है। हाल के दिनों में हमने देखा है कि कैसे हमारे doctors, nurses और front line warriors- उन्होंनेख़ुद की चिंता छोड़कर दिन रात काम किया और आज भी कर रहे हैं। इस सबके बीच कई लोग ऐसे भी हैं,जिनकी कोरोना की second wave से लड़ने में बहुत बड़ी भूमिका रही है। मुझसे ‘मन की बात’ के कई श्रोताओं ने NamoApp पर और पत्र के द्वारा इन warriors के बारे में चर्चा करने का आग्रह किया है| + +साथियो, जब second wave आई, अचानक से oxygen की माँग कई गुना बढ़ गई तो बहुत बड़ा challenge था।Medical oxygen का देश के दूर-सुदूर हिस्सों तक पहुँचाना अपने आप में बड़ी चुनौती थी। Oxygen tanker ज़्यादा तेज़ चले। छोटी-सी भी भूल हो, तो उसमें बहुत बड़े विस्फोट का ख़तरा होता है। Industrial oxygen का उत्पादन करने वाले काफी प्लांट देश के पूर्वी हिस्सों में हैं वहाँ से दूसरे राज्यों में oxygen पहुँचाने के लिए भी कई दिन का समय लगता है। देश के सामने आई इस चुनौती में देश की मदद की, cryogenic tanker चलाने वाले drivers ने, oxygen express ने, Air Force के pilotsने। ऐसे अनेकों लोगों ने युद्ध-स्तर पर काम करके हज़ारों-लाखों लोगों का जीवन बचाया। आज ‘मन की बात’ में हमारे साथ ऐसे ही एक साथी जुड़ रहे हैं -U.P. के जौनपुर के रहने वाले श्रीमान् दिनेश उपाध्याय जी … + +साथियो, चुनौती के इसी समय में, oxygen के transportation को आसान करने के लिए भारतीय रेल भी आगे आई है। Oxygen express, oxygen rail ने सड़क पर चलने वाले oxygen tanker से कहीं ज्यादा तेज़ी से, कहीं ज्यादा मात्रा में oxygen देश के कोने-कोने में पहुंचाई है।माताओं-बहनों को ये सुनकर गर्व होगा कि एक oxygen express तो पूरी तरह महिलाएँ ही चला रही हैं। देश की हर नारी को इस बात का गर्व होगा। इतना ही नहीं, हर हिन्दुस्तानी को गर्व होगा। मैंने oxygen express की एक Loco-Pilot शिरिषा गजनी जी को ‘मन की बात’ में आमंत्रित किया है।   + +मोदी जी –  मैं बहुत ठीक हूँ। शिरिषा जी, मैंने सुना है कि आप तो railway pilot के रूप में काम कर रही हो और मुझे बताया गया कि आपकी पूरी महिलाओं की टोली ये oxygen express को चला रही है। शिरिषा जी, आप बहुत ही शानदार काम कर रही हो। कोरोना काल में आप की तरह अनेक महिलाओं ने आगे आकर कोरोना से लड़ने में देश को ताक़त दी है। आप भी नारी-शक्ति का एक बहुत बड़ा उदाहरण हैं। लेकिन देश जानना चाहेगा, मैं जानना चाहता हूँ कि आपको ये motivation कहाँ से मिलता है ? + +मोदी जी – अच्छा शिरिषा जी, आपने सामान्य दिनों में भी रेलवे को अपनी सेवाएँ दी हैं। ट्रेन को स्वाभाविक चलाया है लेकिन जब ये एक तरफ़ oxygen की इतनी माँग और जब आप oxygen को ले के जा रही हैं तो थोड़ा ज़िम्मेदारी भरा काम होगा, थोड़ी और ज़िम्मेवारियाँ होंगी? सामान्य goods को ले जानाअलग बात है, oxygen तो बहुत ही delicate भी होती है ये चीज़ें, तो क्या अनुभव आता था ? + +शिरिषा – मैं happily feel किया ये काम करने के लिए। Oxygen special देने के time में सभी देख किया, safety का wise, formation wise, any leakage है। Next, Indian Railway भी supportive है, सर। ये oxygen चलाने के लिए मुझको green path दिया, ये गाड़ी चलाने के लिए 125 kilometres, one and a half hour में reach हो गया। इतना रेलवे भी responsibility ले लिया, मैं भी responsibility लिया, सर। + +साथियो, हमने अभी शिरीषा जी की बात सुनी। उनके अनुभव, प्रेरणा भी देते है, भावुक भी करते है। वास्तव में ये लड़ाई इतनी बड़ी है कि इसमें रेलवे की ही तरह हमारा देश, जल, थल, नभ, तीनों मार्गों से काम कर रहा है। एक ओर खाली tankers को Air Force के विमानों द्वारा oxygen plants तक पहुँचाने का काम हो रहा है, दूसरी ओर नए oxygen plants बनाने का काम भी पूरा किया जा रहा है। साथ ही, विदेशों से oxygen, oxygen concentrators और cryogenic tankers भी देश में लाये जा रहे हैं।इसलिए, इसमें Navy भी लगी,Air Force भी लगी, Army भी लगी और DRDOजैसी हमारी संस्थाएं भी जुटी हैं। हमारे कितने ही वैज्ञानिक,Industryके expertsऔर technicians भी युद्ध स्तर पर काम कर रहे हैं। इन सबके काम को जानने की, समझने की जिज्ञासा सभी देशवासियों के मन में है। इसलिए, हमारे साथ हमारी Air Force के ग्रुप कैप्टन पटनायक जी जुड़ रहे हैं। + +Grp. Cpt.– सर,इस संकट के समय में हमारे देशवासियों को मदद कर सकते हैं यह हमारे लिए बहुत ही सौभाग्य का काम है सर और यह जो भी हमें missions मिले हैं हम बख़ूबी से उसको निभा रहे हैं I हमारी training और support services जो हैं, हमारी पूरी मदद कर रहे हैं और सबसे बड़ी चीज़ है सर, इसमें जो हमें job satisfaction मिल रही है वो बहुत ही high level पे है और इसी कि वजह से हम continuous operationsकर पा रहे हैं I + +Grp. Cpt.– सर, पिछले एक महीने से हम continuously oxygen tankers और Liquid oxygen containers, domestic destination और International Destination, दोनों से उठा रहे हैं सर I क़रीब 1600 sorties से ज्यादा Air Force कर चुकी है और 3000 से ज्यादा घंटे हम उड़ चुके हैं I क़रीब 160 International Missions कर चुके हैं। जिस वजह से हम हर जगह से oxygen tankersजो पहले अगर domestic में 2 से 3 दिन लगते थे, हम उसको 2 से 3 घंटे में एक जगह से दूसरी जगह पहुंचा सकते हैं सर और International Missions में भी within 24 hours continuous round the clock operations करके, पूरी Air Force इसमें लगी हुई है कि जितनी जल्दी हो सके हम जितने ज्यादा tankers ला सकें और देश की मदद कर सकें सर I + +Grp. Cpt. – सर, short notice पे हमें सिंगापुर, दुबई, बेल्जियम, जर्मनी और UK I यह सब जगह पे different fleets of the Indian Air Force सर , IL-76, C-17 और बाकी सारे विमान गए थे C-130 जो बहुत ही short notice पे यह missions plan करके I हमारी ट्रेनिंग और जोश की वजह से हम timely इन missions को complete कर पाए सर I  + +अदिति – मेरी hobbies हैं कि मैं swimming और basketball करती हूँ पर अभी तो वो थोड़ा बंद हो गया है और इसlockdown और corona virus के दौरान मैंने baking और cooking का बहुत ज़्यादा मुझे शौक़ है और मैं अभी सारे baking और cooking करके जब पापा इतना सारा काम करके आते हैं तो मैं उनके लिए cookies और cake बनाती हूँ I + +साथियो, कोरोना की शुरुआत में देश में केवल एक ही testing lab थी, लेकिन आज ढाई हजार से ज्यादा Labs काम कर रही हैं। शुरू में कुछ सौ test एक दिन में हो पाते थे, अब 20 लाख से ज्यादा test एक दिन में होने लगे हैं। अब तक देश में 33 करोड़ से ज्यादा Sample की जाँच की जा चुकी है। ये इतना बड़ा काम इन साथियों की वजह से ही संभव हो रहा है। कितने ही Frontline workers, sample collection के काम में लगे हुए हैं। संक्रमित मरीजों के बीच जाना, उनका sample लेना, ये कितनी सेवा का काम है। अपने बचाव के लिए इन साथियों को इतनी गर्मी में भी लगातार PPE Kit पहन के ही रहना पड़ता है। इसके बाद ये sample lab में पहुँचता है। इसलिए, जब मैं आप सबके सुझाव और सवाल पढ़ रहा था तो मैंने तय किया कि हमारे इन साथियों की भी चर्चा जरूर होनी चाहिए। इनके अनुभवों से हमें भी बहुत कुछ जानने को मिलेगा। तो आइये दिल्ली में एक lab technician के तौर पर काम करने वाले हमारे साथी प्रकाश कांडपाल जी से बात करते हैं। + +प्रकाश जी – मैं दिल्ली सरकार के स्वायत्त संस्थान Institute of Liver and Biliary Sciences नाम के हॉस्पिटल में पिछले 10 वर्षों से lab technician के रूप में कार्यरत हूँ। मेरा स्वास्थ्य-क्षेत्र का अनुभव 22 वर्षों का है। ILBS से पहले भी मैं दिल्ली के अपोलोहॉस्पिटल, राजीव गाँधी कैंसर हॉस्पिटल, Rotary Blood Bank जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में काम कर चुका हूँ। सर, यद्यपि सभी जगह मैंने रक्त-कोष विभाग में अपनी सेवाएं दी परन्तु पिछले वर्ष 1 अप्रैल, 2020 से मैं ILBS के Virology Department के अधिरत Covid testing lab में कार्य कर रहा हूँ। नि:संदेह, कोविड महामारी में स्वास्थ एवं स्वास्थ्य संबंधित सभी साधन-संसाधनों पर अत्यधिक दबाव पड़ा, पर मैं इस संघर्ष के दौर को निजी तौर पर इसमें ऐसा अवसरमानता हूँ जब राष्ट्र,मानवता, समाज हमसे अधिक उत्तरदायित्व, सहयोग, हमसे अधिक सामर्थ्य और हमसे अधिक क्षमता के प्रदर्शन की अपेक्षा करता है और आशा करता है। और सर, जब हम राष्ट्र के, मानवता के, समाज के अपेक्षा के और आशा के अनुरूप अपने स्तर पर जो कि एक बूंद के बराबर है , हम उसपे काम करते हैं,खरा उतरते है तो एक गौरव की अनुभूति होती है। कभी जब हमारे घरवाले भी आशंकित होते है या थोड़ा उन्हें भय लगता है तो ऐसे अवसर पर उनको स्मरण कराता हूँ कि हमारे देश के जवान जो कि सदैव ही परिवार से दूर सीमाओं पर विषम और असामान्य परिस्थितियों में देश की रक्षा कर रहे हैं उनकी तुलना में तो हमारा जोखिम जो है कम है, बहुत कम है। तो वो भी इस चीज को समझते हैं और मेरे साथ में एक तरह से वो भी सहयोग करते हैं और वो भी इस आपदा में समान रूप से जो भी सहयोग है उसमें अपनी सहभागिता निभाते हैं। + +प्रकाश जी – बिल्कुल रखते है सर। हमारे ILBS की जो lab है , वो WHO से मान्यता-प्राप्त है। तो जो सारे protocol हैं वो international standards के हैं,हम त्रि-स्तरीय, जो हमारी पोशाक है उसमे हम जाते हैं lab में, और उसी में हम काम करते हैं। और उसका पूरा discarding का, labelling का और उनको testing का एक पूरा protocol है तो उस protocol के तहत काम करते हैं। तो सर ये भी ईश्वर की कृपा है कि मेरा परिवार और मेरे जानने वाले अधिकतर जो अभी तक इस संक्रमण से बचे हुए हैं। तो एक चीज है कि, अगर आप सावधानी रखते हैं और संयम बरतते हैं तो आप थोड़ा बहुत उससे बचे रह सकते हैं। + +मोदी जी – प्रकाश जी, आप जैसे हजारों लोग पिछले एक साल से lab में बैठे हैं और इतनी ज़हमत कर रहे हैं। इतने लोगों को बचाने का काम कर रहे हैं। जो देश आज जान रहा है। लेकिन प्रकाश जी मैं आपके माध्यम से आपकी बिरादरी के सभी साथियों को हृदयपूर्वक धन्यवाद करता हूँ। देशवासियों की तरफ से धन्यवाद करता हूँ। और आप स्वस्थ रहिये। आपका परिवार स्वस्थ रहे। मेरी बहुत शुभकामनाएं हैं।  + +मेरे प्यारे देशवासियों, अभी हम हमारे ‘Corona Warriors’ की चर्चा कर रहे थे। पिछले डेढ़ सालों में हमने उनका खूब समर्पण और परिश्रम देखा है। लेकिन इस लड़ाई में बहुत बड़ी भूमिका देश के कई क्षेत्रों के अनेक Warriors की भी है। आप सोचिए, हमारे देश पर इतना बड़ा संकट आया, इसका असर देश की हर एक व्यवस्था पर पड़ा। कृषि-व्यवस्था ने ख़ुद को इस हमले से काफी हद तक सुरक्षित रखा। सुरक्षित ही नहीं रखा, बल्कि प्रगति भी की, आगे भी बढ़ी ! क्या आपको पता है कि इस महामारी में भी हमारे किसानों ने record उत्पादन किया है ? किसानों ने record उत्पादन किया, तो इस बार देश ने record फसल खरीदी भी की है। इस बार कई जगहों पर तो सरसों के लिए किसानों को MSP से भी ज्यादा भाव मिला है।Record खाद्यान्न-उत्पादन की वजह से ही हमारा देश हर देशवासी को संबल प्रदान कर पा रहा है।आज इस संकट काल में 80 करोड़ ग़रीबों को मुफ़्त राशन उपलब्ध कराया जा रहा है ताकि ग़रीब के घर में भी कभी ऐसा दिन न आए जब चूल्हा न जले। + +साथियों,इन 7 सालों में भारत ने ‘Digital लेन देन’ में दुनिया को नई दिशा दिखाने का काम किया है। आज किसी भी जगह जितनी आसानी से आप चुटकियों में Digital Payment कर देते हैं, वो कोरोना के इस समय में भी बहुत उपयोगी साबित हो रहा है। आज स्वच्छता के प्रति देशवासियों की गंभीरता और सतर्कता बढ़ रही है। हम record satellite भी प्रक्षेपित कर रहे हैं और record सड़कें भी बना रहे हैं। इन 7 वर्षों में ही देश के अनेकों पुराने विवाद भी पूरी शांति और सौहार्द से सुलझाए गए हैं। पूर्वोतर से लेकर कश्मीर तक शांति और विकास का एक नया भरोसा जगा है।साथियों,क्या आपने सोचा है, ये सब काम जो दशकों में भी नहीं हो सके, इन 7 सालों में कैसे हुए ? ये सब इसीलिए संभव हुआ क्योंकि इन 7 सालों में हमने सरकार और जनता से ज्यादा एक देश के रूप में काम किया,एक team के रूप में काम किया,‘Team India’के रूप में काम किया। हर नागरिक ने देश को आगे बढ़ाने में एकाध-एकाध कदम आगे बढ़ाने का प्रयास किया है। हाँ ! जहाँ सफलताएँ होती हैं, वहाँ परीक्षाएँ भी होती हैं। इन 7 सालों में हमने साथ मिलकर ही कई कठिन परीक्षाएँ भी दी हैं और हर बार हम सभी मज़बूत होकर निकले हैं। कोरोना महामारी के रूप में, इतनी बड़ी परीक्षा तो लगातार चल रही है। ये तो एक ऐसा संकट है जिसने पूरी दुनिया को परेशान किया है, कितने ही लोगों ने अपनों को खोया है। बड़े-बड़े देश भी इसकी तबाही से बच नहीं सके हैं। इस वैश्विक-महामारी के बीच भारत, ‘सेवा और सहयोग’ के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है। हमने पहली Wave में भी पूरे हौसले के साथ लड़ाई लड़ी थी, इस बार भी वायरस के खिलाफ़ चल रही लड़ाई में भारत विजयी होगा। ‘दो गज की दूरी’, मास्क से जुड़े नियम हों या फिर Vaccine, हमें ढिलाई नहीं करनी है। यही हमारी जीत का रास्ता है। अगली बार जब हम ‘मन की बात’ में मिलेंगे, तो देशवासियों के कई और प्रेरणादायक उदाहरणों पर बात करेंगे और नए विषयों पर चर्चा करेंगे। आप अपने सुझाव मुझे ऐसे ही भेजते रहिए। आप सभी स्वस्थ रहिए, देश को इसी तरह आगे बढ़ाते रहिए।बहुत –बहुत धन्यवाद। + diff --git a/pm-speech/178.txt b/pm-speech/178.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..bc09f8805bb71ec2c8cb6b87560dd4d5c52e7dc1 --- /dev/null +++ b/pm-speech/178.txt @@ -0,0 +1,8 @@ +महामारी ने हर एक देश पर असर डाला है। इसका आर्थिक प्रभाव भी बहुत ज्यादा है। कोविड-19 के बाद हमारी धरती पहले जैसी नहीं होगी। आने वाले समय में, हम निश्चित तौर पर घटनाओं को प्री-कोविड या पोस्ट कोविड के रूप में याद रखेंगे। लेकिन, पिछले एक साल के दौरान, बहुत से उल्लेखनीय बदलाव भी हुए हैं। अब हमारे पास महामारी को लेकर बेहतर समझ है, जिसने इसके खिलाफ हमारी लड़ाई को मजबूत किया है। सबसे महत्वपूर्ण, हमारे पास वैक्सीन है, जो जीवन को बचाने और महामारी को हराने के लिए बेहद जरूरी है। महामारी के हमले के एक साल के भीतर वैक्सीन का बनना इंसानों के दृढ़ संकल्प और तप की ताकत को दर्शाता है। भारत को अपने वैज्ञानिकों पर गर्व है, जिन्होंने कोविड-19 टीके बनाने पर काम किया। + +मैंने भी पूरे विश्व से बौद्ध संगठनों, बुद्ध धर्म के अनुयायियों की ओर से उपकरणों और सामग्रियों के रूप में किए गए उदार योगदान को जाना है। जनसंख्या और भौगोलिक विस्तार, दोनों ही संदर्भ में कार्य का पैमाना बहुत व्यापक है। मनुष्यों की उदारता और सहयोग की प्रबलता ने मनुष्यता को विनम्र बनाया है। ये सारे काम भगवान बुद्ध की शिक्षाओं के अनुरूप हैं। यह सर्वोच्च मंत्र अप्प दीपो भव: को प्रकट करता है। + +कोविड-19 निश्चित तौर पर हमारे सामने एक बड़ी चुनौती है। जब हमने इससे लड़ने के लिए सारे संभव प्रयास किए हैं, तब हमें मानवता के सामने मौजूद दूसरी चुनौतियों को बिल्कुल भी नहीं भूलना चाहिए। सबसे प्रमुख चुनौतियों में से एक जलवायु परिवर्तन की चुनौती है। वर्तमान की लापरवाह जीवन शैली ने आने वाली पीढ़ियों के लिए खतरा पैदा कर दिया है। मौसम का रुझान बदल रहा है। ग्लेशियर पिघल रहे हैं। नदियां और जंगल खतरे में हैं। हम अपनी धरती को जख्मी नहीं रहने दे सकते हैं। भगवान बुद्ध का ऐसी जीवन शैली पर जोर था, जिसमें प्रकृति मां का सम्मान सबसे ऊपर है। + +गौतम बुद्ध का जीवन शांति, सद्भाव और सह-अस्तित्व पर आधारित था। आज भी, ऐसी शक्तियां मौजूद हैं, जिनका अस्तित्व घृणा, आतंक और मूर्खतापूर्ण हिंसा को फैलाने पर टिका हुआ है। ऐसी शक्तियां उदार लोकतांत्रिक सिद्धांतों में भरोसा नहीं करती हैं। आज वक्त की मांग है कि मनुष्यता में भरोसा रखने वाले सभी लोग एक साथ आएं और आतंकवाद व कट्टरपंथ को हराएं। + diff --git a/pm-speech/179.txt b/pm-speech/179.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..2979e03a63cafefc1ca62e55486da77aa818c4cb --- /dev/null +++ b/pm-speech/179.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +सेकंड वेव में हमने वैक्सीन की सुरक्षा को भी देखा है। वैक्सीन की सुरक्षा के चलते काफी हद तक हमारे फ्रंट लाइन वर्कर्स सुनिश्‍चत रहकर लोगों की सेवा कर पाए हैं। यही सुरक्षाकवच आने वाले समय में हर व्यक्ति तक पहुंचेगा। हमें अपनी बारी आने पर वैक्सीन जरूर लगवानी है। कोरोना के खिलाफ हमारी लड़ाई जैसे एक सामूहिक अभियान बन गई है, वैसे ही वैक्सीनेशन को भी हमें सामूहिक ज़िम्मेदारी बनाना है। + diff --git a/pm-speech/182.txt b/pm-speech/182.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..f2975fc227345083bbefd7b75fe271ff5d14e3ce --- /dev/null +++ b/pm-speech/182.txt @@ -0,0 +1,14 @@ +इस किताब की भूमिका में भर्तृहरि जी ने लिखा है कि- “डॉ हरेकृष्ण महताब जी वो व्यक्ति थे जिन्होंने इतिहास बनाया भी, बनते हुये देखा भी, और उसे लिखा भी”। वास्तव में ऐसे ऐतिहासिक व्यक्तित्व बहुत विरले होते हैं। ऐसे महापुरुष खुद भी इतिहास के महत्वपूर्ण अध्याय होते हैं। महताब जी ने आज़ादी की लड़ाई में अपना जीवन समर्पित किया, अपनी जवानी खपा दी। उन्होंने जेल की जिंदगी काटी। लेकिन महत्वपूर्ण ये रहा कि आज़ादी की लड़ाई के साथ-साथ वो समाज के लिए भी लड़े! जात-पात, छूआछूत के खिलाफ आंदोलन में उन्होंने अपने पैतृक मंदिर को भी सभी जातियों के लिए खोला, और उस जमाने में आज भी एक स्वयं के व्यवहार से इस प्रकार का उदाहरण प्रस्तुत करना आज शायद इसको हम इसकी ताकत क्या है अंदाज नहीं आएगा। उस यु्ग में देखेंगे तो अंदाज आएगा कि कितना बड़ा साहस होगा। परिवार में भी किस प्रकार के माहौल से इस निर्णय की ओर जाना पडा होगा। आज़ादी के बाद उन्होंने ओडिशा के मुख्यमंत्री के रूप में बड़े बड़े फैसले लिए, ओडिशा के भविष्य को गढ़ने के लिए अनेक प्रयास किए। शहरों का आधुनिकीकरण, पोर्ट का आधुनिकीकरण, स्टील प्लांट, ऐसे कितने ही कार्यों में उनकी बहुत बड़ी भूमिका रही है। + +ये हम भली-भांति जानते हैं कि मुख्यमंत्री के तौर पर ओडिशा के भविष्य की चिंता करते हुए भी ओडिशा के इतिहास के प्रति उनका आकर्षण बहुत अधिक था।उन्होंने इंडियन हिस्ट्री काँग्रेस में अहम भूमिका निभाई, ओडिशा के इतिहास को राष्ट्रीय पटल पर ले गए। ओडिशा में म्यूज़ियम हों, Archives हों, archaeology section हो, ये सब महताब जी की इतिहास दृष्टि और उनके योगदान से ही संभव हुआ। + +ओड़ीशा के अतीत को आप खंगालें, आप देखेंगे कि उसमें हमें ओडिशा के साथ साथ पूरे भारत की ऐतिहासिक सामर्थ्य के भी दर्शन होते हैं। इतिहास में लिखित ये सामर्थ्य वर्तमान और भविष्य की संभावनाओं से जुड़ा हुआ है, भविष्य के लिए हमारा पथ-प्रदर्शन करता है। आप देखिए, ओडिशा की विशाल समुद्री सीमा एक समय भारत के बड़े बड़े पोर्ट्स और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का केंद्र हुआ करती थी। इंडोनेशिया, मलेशिया, थाईलैंड, म्यांमार और श्रीलंका जैसे देशों के साथ यहाँ से जो व्यापार होता था, वो ओडिशा और भारत की समृद्धि का बहुत बड़ा कारण था। कुछ इतिहासकारों के शोध तो यहाँ तक बताते हैं कि ओडिशा के कोणार्क मंदिर में जिराफ की तस्वीरें हैं, इसका मतलब ये हुआ कि इस बात का सबुत है की उड़ीसा के व्यापारी अफ्रीका तक व्यापार करते थे। तभी तो जिराफ की बात आई होगी। उस समय तो व्हाट्सेप था नहीं। बड़ी संख्या में ओड़ीशा के लोग व्यापार के लिए दूसरे देशों में रहते भी थे, इन्हें दरिया पारी ओड़िया कहते थे। ओड़िया से मिलती जुलती स्क्रिप्ट्स कितने ही देशों में मिलती हैं। इतिहास के जानकार कहते हैं कि सम्राट अशोक ने इसी समुद्री व्यापार पर अधिकार हासिल करने के लिए कलिंग पर आक्रमण किया था। इस आक्रमण ने सम्राट अशोक को धम्म अशोक बना दिया। और एक तरह से, ओडिशा व्यापार के साथ-साथ भारत से बौद्ध संस्कृति के प्रसार का माध्यम भी बना। + +उस दौर में हमारे पास जो प्राकृतिक संसाधन थे, वो प्रकृति ने हमें आज भी दिये हुये हैं। हमारे पास आज भी इतनी व्यापक समुद्री सीमा है, मानवीय संसाधन हैं, व्यापार की संभावनाएं हैं! साथ ही आज हमारे पास आधुनिक विज्ञान की ताकत भी है। अगर हम अपने इन प्राचीन अनुभवों और आधुनिक संभावनाओं को एक साथ जोड़ दें तो ओड़ीशा विकास की नई ऊंचाई पर पहुंच सकता है। आज देश इस दिशा में गंभीर प्रयास कर रहा है। और अधिक प्रयास करने की दिशा में भी हम सजग हैं। मैं जब प्रधानमंत्री नहीं बना था चुनाव भी तय नहीं हुआ था। 2013 में शायद मेरा एक भाषण है। मेरी पार्टी का ही कार्यक्रम था। और उसमें मेने कहा था कि मैं भारत के भविष्य को कैसे देखता हूं। उसमें मैनें कहा था कि अगर भारत का संतुलित विकास नहीं होता है। तो शायद हम हमारे पोटेंशियल का पूर्ण रूप से उपयोग नहीं कर पाएंगे। और मैं ये मानकर के चलता हूं उस समय से कि जैसे भारत का पश्चिमी भाग अगर हम हिनदुस्तान का नक्शा लेकर के बीच में एक रेखा बना दें तो पश्चिम में आपको इन दिनो प्रगति समृद्धि सब नजर आएगा। आर्थिक गतिविधि नजर आएगी। नीचे से लेकर के ऊपर तक। लेकिन पूर्व में जहां इतने प्राकृतिक संसाधन हैं। जहां इतने creative minds हैं। अद्धभूत  ह्यूमन रिसोर्स है हमारे पास पूर्व में चाहे उड़िया हो, चाहे बिहार हो, चाहे बंगाल हो, असम हो, नॉर्थ ईस्ट हो। ये पूरा एक ऐसी अद्भूत सामर्थ्य की पूंजी पड़ी है। अकेला ही ये इलाका develop हो जाये ना, हिनदुस्तान कभी पीछे नहीं हट सकता। इतनी ताकत पड़ी है। और इसलिए आपने देखा होगी पिछले 6 साल का कोई Analysis करें।  तो पूर्वी भारत के विकास के लिए और विकास में सबसे बड़ा Initiatives होता है infrastructure का। सबसे ज्यादा बल दिया गया है पूर्वी भारत पर। ताकि देश एक संतुलित पूर्व और पश्चिम में करीब – करीब 19-20 का फर्क तो मैं प्राकृतिक कारणों से समझ सकता हूं। और हम देखें कि भारत का स्वर्णिम युग तब था। जब भारत का पूर्व भारत का नेतृत्व करता था। चाहे उड़ीसा हो, चाहे बिहार हो even कोलकाता। ये भारत का नेतृत्व करने वाले केंद्र बिंदू थे। और उस समय भारत का स्वर्णिम काल मतलब की यहां एक अद्धभूत सामर्थ्य पडा हुआ है। हमें सामर्थ्य को लेकर के अगर हम आगे बढ़ते हैं तो हम फिर से भारत को उस ऊँचाई पर ले जा सकते हैं। + +व्यापार और उद्योगों के लिए सबसे पहली जरूरत है- इनफ्रास्ट्रक्चर ! आज ओडिशा में हजारों किमी के नेशनल हाइवेज़ बन रहे हैं, कोस्टल हाइवेज बन रहे हैं जोकि पॉर्ट्स को कनैक्ट करेंगे। सैकड़ों किमी नई रेल लाइंस पिछले 6-7 सालों में बिछाई गई हैं। सागरमाला प्रोजेक्ट पर भी हजारों करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं। इनफ्रास्ट्रक्चर के बाद अगला महत्वपूर्ण घटक है उद्योग! इस दिशा में उद्योगों, कंपनियों को प्रोत्साहित करने के लिए काम हो रहा है। ऑयल और गैस से जुड़ी जितनी व्यापक संभावनाएं ओडिशा में मौजूद हैं, उनके लिए भी हजारों करोड़ का निवेश किया गया है। ऑयल रिफाइनरीज़ हों, एथानॉल बायो रिफाइनरीज़ हों, इनके नए नए प्लांट्स आज ओडिशा में लग रहे हैं। इसी तरह स्टील इंडस्ट्री की व्यापक संभावनाओं को भी आकार दिया जा रहा है। हजारो करोड़ का निवेश ओड़ीशा में किया गया है। ओडिशा के पास समुद्री संसाधनों से समृद्धि के अपार अवसर भी हैं। देश का प्रयास है कि blue revolution के जरिए ये संसाधन ओडिशा की प्रगति का आधार बनें, यहाँ के मछुआरों-किसानों का जीवन स्तर बेहतर हो। + +आने वाले समय में इन व्यापक संभावनाओं के लिए स्किल की भी बहुत बड़ी जरूरत है। ओडिशा के युवाओं को इस विकास का ज्यादा से ज्यादा लाभ मिले, इसके लिए IIT भुवनेश्वर, IISER बहरामपुर और Indian Institute of Skill जैसे संस्थानों की नींव रखी गई है। इसी साल जनवरी में मुझे ओडिशा में IIM सम्बलपुर के शिलान्यास का सौभाग्य भी मिला था। ये संस्थान आने वाले सालों में ओडिशा के भविष्य का निर्माण करेंगे, विकास को नई गति देंगे। + +जगत सरसे भारत कनल। ता मधे पुण्य नीलाचल॥ आज जब देश आज़ादी के 75 सालों के शुभ अवसर के लिए तैयार हो रहा है, तो हमें इस भाव को, इस संकल्प को फिर से साकार करना है। और मेने तो देखा है कि शायद मेरे पास exact आंकडे नहीं हैं। लेकिन कभी कभी लगता है कि कोलकाता के बाद किसी एक शहर में उड़िया लोग ज्यादा रहते होंगे तो शायद सूरत में रहते हैं। और इसके कारण मेरा उनके साथ बड़ा स्वाभाविक संपर्क भी रहता है। ऐसा सरल जीवन कम से कम साधन और व्यवस्थाओं से मस्ती भरी जिंदगी जीना मैने बहुत निकट से देखा है। ये अपने आप में और कहीं उनके नाम पर कोई उपद्रव उनके खाते में नहीं है। इतने शांतिप्रिय हैं। अब जब मैं पूर्वी भारत की बात करता हूं। आज देश में मुंबई, उसकी चर्चा होती है। आजादी के पहले कराची की चर्चा होती थी लाहौर की चर्चा होती थी। धीरे – धीरे करके बैंगलोर और हैदराबाद की चर्चा होने लगी। चैन्नई की होने लगी और कोलकाता जैसे पूरे हिन्दुस्तान की प्रगति और विकास और अर्थव्यवस्था में बहुत याद करके कोई लिखता है। जबकि vibrant कोलकाता एक future को लेकर के सोचने वाला कोलकाता पूरे पूर्वी भारत को सिर्फ बंगाल नहीं पूरे पूर्वी भारत को प्रगति के लिए बहुत बड़ा नेतृत्व दे सकता है। और हमारी कोशिश है कि कोलकाता फिर से एक बार vibrant बने। एक प्रकार से पूर्वी भारत के विकास के लिए कोलकाता एक शक्ति बनकर के उभरे। और इस पूरे मैप को लेकर के हम काम कर रहे हैं। और मुझे विश्वास है कि सिर्फ और सिर्फ देश का ही भला ये सारे निर्णयों को ताकत देता है।  मैं आज श्रीमान हरेकृष्ण महताब फ़ाउंडेशन के विद्वानों से अनुरोध करूंगा कि महताब जी के काम को आगे बढ़ाने का ये महान अवसर है। हमें ओडिशा के इतिहास को, यहाँ की संस्कृति को, यहाँ के वास्तु वैभव को देश-विदेश तक लेकर जाना है। आइए, अमृत महोत्सव में हम देश के आवाहन से जुड़े, इस अभियान को जन-जन का अभियान बनाएँ। मुझे विश्वास है ये अभियान वैसी ही वैचारिक ऊर्जा का प्रवाह बनेगा, जैसा संकल्प श्री हरेकृष्ण महताब जी ने स्वाधीनता संग्राम के दौरान लिया था। इसी शुभ-संकल्प के साथ, मैं फिर एक बार इस महत्वपूर्ण अवसर में मुझे भी इस परिवार के साथ जुड़ने का मौका मिला। मैं महताब फाउंडेशन का आभारी हूं। भाई भर्तृहरि जी का आभारी हूं। कि मुझे आप सबके बीच आकर के इन अपने भावों को व्यक्त करने का भी अवसर मिला। और एक जिसके प्रति मेरी श्रद्धा और आदर रहा है, ऐसे इतिहास के कुछ घटनाओं से जुड़ने का मुझे आज मौका मिला है। मैं बहुत बहुत आभार व्यक्त करता हूं। + diff --git a/pm-speech/184.txt b/pm-speech/184.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..3e425e6e28df289d0f32d0b1039a4dfb01cb82e6 --- /dev/null +++ b/pm-speech/184.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +सेशेल्स, भारत के ‘सागर’– ‘क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास’ के विजन के केन्द्र में है। भारत को सेशेल्स की सुरक्षा क्षमताओं और उसकी अवसंरचना व विकास जरूरतों को पूरा करने में उसका भागीदार बनने का सम्मान हासिल हुआ है। आज हमारे संबंधों में एक और मील का पत्थर जुड़ गया है। हम हमारी विकास भागीदारी के तहत पूरी हुईं कई परियोजनाओं के संयुक्त रूप से शुभारम्भ के लिए मिल रहे हैं। + diff --git a/pm-speech/186.txt b/pm-speech/186.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..fe550ccc4e4000ea2e0c3f8099adb78dd1c142d3 --- /dev/null +++ b/pm-speech/186.txt @@ -0,0 +1,8 @@ +यानी इसका एक मतलब यह है कि आप उसमें Fully Involved थे, आप उस क्षण को पूरी तरह जी रहे थे. साफ है कि चीजें याद रहें, properly recall कर सकें उसके लिए आप जिस क्षण में है, उस क्षण में ही रहना और उसमें पूरी तरह से Involved रहना बहुत जरूरी है. यानी हम पढ़ाई कर रहे हैं, किताब हाथ में है और मन है खेल के मैदान में, सहेलियों के साथ, दोस्तों के साथ, फिर तो मामला गड़बड़ हो जाता है. + +आगे जाकर आप में से कोई विद्यार्थी अगर psychology पढ़ेगा, तो उसमें Memory By Association का concept विस्तार से समझाया जाएगा. आप याद कीजिए कि स्कूलों में सुबह assembly में राष्ट्रगान होता है. अब जन-गण-मन हर कोई गाता है, लेकिन क्या कभी आपने जन-गण-मन गाते समय, आपने उस राष्ट्रगान के साथ देश में travel किया क्या? आप उसके साथ जो शब्द आते हैं उन शब्दों के साथ अपने आपको visualize कर पाएं कि नहीं कर पाए. पंजाब को, गुजरात को, महाराष्ट्र को, बंगाल को मन ही मन राष्ट्रगान गाते समय travel किया क्या? आपको एकदम से याद होना शुरु हो जाएगा. + +कोरोना काल में एक और बात ये भी हुई है कि हमने अपने परिवार में एक दूसरे को ज्यादा नज़दीकी से समझा है. कोरोना ने social distancing के लिए मजबूर किया, लेकिन परिवारों में emotional bonding को भी इसने मज़बूत किया है. कोरोना काल ने ये भी दिखाया है कि एक संयुक्त परिवार की ताकत क्या होती है, घर के बच्चों के जीवन निर्माण में उनका कितना रोल होता है. मैं चाहूंगा कि social science के लोग, हमारी universities इस पर research करें. कोरोना काल के family life पर study करें. कैसे इस संकट से मुकाबला करने में संयुक्त परिवार ने समाज को ताकत दी, इस पहलू को खंगालें! + +माननीय प्रधानमंत्री महोदय, मैं Krishty Saikia, Kendriya Vidyalaya IIT Guwahati, दसवीं कक्षा की छात्रा हूं. और असमवासियों की ओर से आपको प्रणाम. सर, नई पीढ़ी के एक बच्चे के तौर पर हम अपने parents और अपने बीच के generation gap को हमेशा कम करना चाहते हैं. Prime Minister Sir, हम ये किस प्रकार कर सकते हैं? कृपया अपने मार्गदर्शन दीजिए. + diff --git a/pm-speech/187.txt b/pm-speech/187.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..40644b148be3b97330a88ecb9534c332fef99a9a --- /dev/null +++ b/pm-speech/187.txt @@ -0,0 +1,22 @@ +मेरे प्यारे देशवासियो, देखिये कितना बड़ा सुखद संयोग है आज मुझे 75वीं ‘मन की बात’ करने का अवसर और यही महीना आज़ादी के 75 साल के ‘अमृत महोत्सव’के आरंभ का महीना। अमृत महोत्सव दांडी यात्रा के दिन से शुरू हुआ था और 15 अगस्त 2023 तक चलेगा।‘अमृत महोत्सव’ से जुड़े कार्यक्रम पूरे देश में लगातार हो रहे हैं, अलग-अलग जगहों से इन कार्यक्रमों की तस्वीरें, जानकारियाँ लोग share कर रहे हैं।NamoApp पर ऐसी ही कुछ तस्वीरों के साथ-साथ झारखंड के नवीन ने मुझे एक सन्देश भेजा है। उन्होंने लिखा है कि उन्होंने ‘अमृत महोत्सव’ के कार्यक्रम देखे और तय किया कि वो भी स्वाधीनता संग्राम से जुड़े कम-से-कम 10 स्थानों पर जाएंगे। उनकी list में पहला नाम, भगवान बिरसा मुंडा के जन्मस्थान का है। नवीन ने लिखा है कि झारखंड के आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों की कहानियाँ वो देश के दूसरे हिस्सों में पहुँचायेंगे। भाई नवीन, आपकी सोच के लिए मैं आपको बधाई देता हूँ। + +मेरे प्यारे देशवासियो, मुझे आज इंदौर की रहने वालीसौम्या जी का धन्यवाद करना है। उन्होंने, एक विषय के बारे में मेरा ध्यान आकर्षित किया है और इसका जिक्र ‘मन की बात’ में करने के लिए कहा है।ये विषय है – भारत की Cricketer मिताली राज जी का नया record। मिताली जी, हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में दस हजार रन बनाने वाली पहली भारतीय महिला क्रिकेटर बनी हैं। उनकी इस उपलब्धि पर बहुत-बहुत बधाई।One Day Internationals में सात हजार रन बनाने वाली भी वो अकेली अंतर्राष्ट्रीय महिला खिलाड़ी हैं। महिला क्रिकेट के क्षेत्र में उनका योगदान बहुत शानदार है। दो दशकों से ज्यादा के career में मिताली राज जी ने हजारों-लाखों को प्रेरित किया है। उनके कठोर परिश्रम और सफलता की कहानी, न सिर्फ महिला क्रिकेटरों, बल्कि, पुरुष क्रिकेटरों के लिए भी एक प्रेरणा है। + +साथियो, ये दिलचस्प है, इसी मार्च महीने में, जब हम महिला दिवस celebrate कर रहे थे, तब कई महिला खिलाड़ियों ने Medals और Records अपने नाम किये हैं। दिल्ली में आयोजित shooting में ISSF World Cup में भारत शीर्ष स्थान पर रहा।Gold Medal की संख्या के मामले में भी भारत ने बाजी मारी। ये भारत के महिला और पुरुष निशानेबाजों के शानदार प्रदर्शन की वजह से ही संभव हो पाया। इस बीच, पी.वी.सिन्धु जी ने BWF Swiss Open Super 300 Tournament में Silver Medal जीता है। आज,Education से लेकर Entrepreneurship तक, Armed Forces से लेकर Science & Technology तक, हर जगह देश की बेटियाँ, अपनी, अलग पहचान बना रही हैं। मुझे विशेष ख़ुशी इस बात से है, कि, बेटियाँ खेलों में, अपना एक नया मुकाम बना रही हैं।Professional Choice  के रूप में Sports एक पसंद बनकर उभर रहा है| + +मेरे प्यारे देशवासियो, कुछ समय पहले हुई Maritime India Summit आपको याद है ना ? इस Summit  में मैंने क्या कहा था, क्या ये आपको याद है ? स्वाभाविक है, इतने कार्यक्रम होते रहते हैं, इतनी बातें होती रहती हैं, हर बात कहाँ याद रहती हैं और उतना ध्यान भी कहाँ जाता है – स्वाभाविक है। लेकिन, मुझे अच्छा लगा कि मेरे एक आग्रह को गुरु प्रसाद जी ने बहुत दिलचस्पी लेकर आगे बढ़ाया है। मैंने इस Summit में देश के Light House Complexes के आस-पास Tourism Facilities विकसित करने के बारे में बात की थी। गुरु प्रसाद  जी ने तमिलनाडु के दो लाइट हाउसों-चेन्नई लाइट हाउस और महाबलीपुरम लाइट हाउस की 2019 की अपनी यात्रा के अनुभवों को साझा किया है। उन्होंने बहुत ही रोचक facts share किये हैं जो ‘मन की बात’ सुनने वालों को भी हैरान करेंगे। जैसे, चेन्नई light house, दुनिया के उनचुनिन्दा light house में से एक है, जिनमें Elevator मौजूद है। यही नहीं, भारत का ये इकलौता light house है, जो शहर की सीमा के अन्दर स्थित है। इसमें, बिजली के लिए Solar Panel भी लगे हैं।गुरु प्रसाद जी ने light house के Heritage Museum के बारे में भी बात की, जो  Marine Navigation के इतिहास को सामने लाता है।Museum में, तेल से जलने वाली बड़ी-बड़ी बत्तियाँ, kerosene lights,Petroleum Vapour और पुराने समय में प्रयोग होने वाले बिजली के Lamp प्रदर्शित किये गए हैं। भारत के सबसे पुराने light house – महाबलीपुरम light house के बारे में भी गुरु प्रसाद जी ने विस्तार से लिखा है। उनका कहना है कि इस light house के बगल में सैकड़ों वर्ष पहले, पल्लव राजा महेंद्र वर्मन प्रथम द्वारा बनाया गया ‘उल्कनेश्वरा’ Temple है। + +साथियो, ‘मन की बात’ के दौरान, मैंने, पर्यटन के विभिन्न पहलुओं पर अनेक बार बात की है, लेकिन, ये light house, Tourism के लिहाज से unique होते हैं। अपनी भव्य संरचनाओं के कारण Light Houses हमेशा से लोगों के लिए आकर्षण के केंद्र रहे हैं। पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए भारत में भी 71 (Seventy One)Light Houses Identify किये गए हैं। इन सभी light house में उनकी क्षमताओं के मुताबिक Museum, Amphi-Theatre, Open Air Theatre, Cafeteria, Children’s Park, Eco Friendly Cottages और Landscaping तैयार किये जाएंगे। वैसे,Light Houses की बात चल रही है तो मैं एक Unique Light House के बारे में भी आपको बताना चाहूँगा। ये Light house गुजरात के सुरेन्द्र नगर जिले में जिन्झुवाड़ा नाम के एक स्थान में है। जानते हैं, ये लाइट हाउस क्यों खास है ? खास इसलिए है क्योंकि जहाँ ये light house है, वहाँ से अब समुंद्र तट सौ किलोमीटर से भी अधिक दूर है। आपको इस गाँव में ऐसे पत्थर भी मिल जाएंगे, जो यह बताते हैं कि, यहाँ, कभी, एक व्यस्त बंदरगाह रहा होगा। यानि इसका मतलब ये है कि पहले Coastline जिन्झुवाड़ा तक थी। समंदर का घटना, बढ़ना, पीछे हो जाना, इतनी दूर चले जाना, ये भी उसका एक स्वरुप है। इसी महीने जापान में आई विकराल सुनामी को 10 वर्ष हो रहे हैं। इस सुनामी में हजारों लोगों की जान चली गई थी। ऐसी एक सुनामी भारत में 2004 में आई थी। सुनामी के दौरान हमने अपने light house में काम करने वाले, हमारे,14 कर्मचारियों को खो दिया था, अंडमान निकोबार में और तमिलनाडु में Light House पर वो अपनी ड्यूटी कर रहे थे। कड़ी मेहनत करने वाले,हमारे इन Light- Keepers को मैं आदरपूर्वक श्रद्धांजलि देता हूँ और light keepers के काम की भूरि-भूरि प्रशंसा करता हूँ। + +प्रिय देशवासियो,जीवन के हर क्षेत्र में, नयापन, आधुनिकता, अनिवार्य होती है, वरना, वही, कभी-कभी, हमारे लिए बोझ बन जाती है।भारत के कृषि जगत में –आधुनिकता, ये समय की मांग है। बहुत देर हो चुकी है। हम बहुत समय गवां चुके हैं।Agriculture sector में रोजगार के नए अवसर पैदा करने के लिए, किसानों की आय बढ़ाने के लिए, परंपरागत कृषि के साथ ही, नए विकल्पों को, नए-नए innovations को, अपनाना भी, उतना ही जरूरी है।White Revolution के दौरान, देश ने, इसे अनुभव किया है। अब Bee farming भी ऐसा ही एक विकल्प बन करके उभर रहा है। Bee farming, देश में शहद क्रांति या sweet revolution का आधार बना रही है। बड़ी संख्या में किसान इससे जुड़ रहे हैं, innovation कर रहे हैं। जैसे कि पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में एक गाँव है गुरदुम। पहाड़ों की इतनी ऊँचाई, भौगोलिक दिक्कतें, लेकिन, यहाँ के लोगों ने honey bee farming का काम शुरू किया, और आज, इस जगह पर बने शहद की, मधु की, अच्छी मांग हो रही है। इससे किसानों की आमदनी भी बढ़ रही है। पश्चिम बंगाल के ही सुंदरबन इलाकों का प्राकृतिक organic honey तो देश दुनिया में पसंद किया जाता है।ऐसा ही एक व्यक्तिगत अनुभव मुझे गुजरात का भी है। गुजरात के बनासकांठा में वर्ष 2016 में एक आयोजन हुआ था। उस कार्यक्रम में मैंने लोगों से कहा यहाँ इतनी संभावनाएं हैं, क्यों न बनासकांठा और हमारे यहाँ के किसान sweet revolution का नया अध्याय लिखें ? आपको जानकर खुशी होगी, इतने कम समय में, बनासकांठा, शहद उत्पादन का प्रमुख केंद्र बन गया है। आज बनासकांठा के किसान honey से लाखों रुपए सालाना कमा रहे हैं।ऐसा ही एक उदाहरण हरियाणा के यमुना नगर का भी है। यमुना नगर में, किसान,Bee farming करके, सालाना, कई सौ-टन शहद पैदा कर रहे हैं, अपनी आय बढ़ा रहे हैं। किसानों की इस मेहनत का परिणाम है कि देश में शहद का उत्पादन लगातार बढ़ रहा है, और सालाना, करीब, सवा-लाख टन पहुँचा है, इसमें से, बड़ी मात्रा में, शहद, विदेशों में निर्यात भी हो रहा है। + +साथियो,Honey Bee Farming में केवल शहद से ही आय नहीं होती, बल्कि beewax भी आय का एक बहुत बड़ा माध्यम है।Pharma industry, food industry, textile और cosmetic industry,हर जगह beewax की demand है। हमारा देश फिलहाल beewax का आयात करता है, लेकिन, हमारे किसान, अब ये स्थिति, तेजी से बदल रहे हैं। यानि एक तरह से आत्मनिर्भर भारत अभियान में मदद कर रहे हैं। आज तो पूरी दुनिया आयुर्वेद और Natural Health Products की ओर देख रही है। ऐसे में honey की माँग और भी तेजी से बढ़ रही है। मैं चाहता हूँ देश के ज्यादा-से-ज्यादा किसान अपनी खेती के साथ-साथ bee farming से भी जुड़ें। ये किसानों की आय भी बढ़ाएगा और उनके जीवन में मिठास भी घोलेगा। + +मेरे प्यारे देशवासियो,अभी कुछ दिन पहले World Sparrow Day मनाया गया।Sparrow यानि गोरैया। कहीं इसे चकली बोलते हैं, कहीं चिमनी बोलते हैं, कहींघान चिरिका कहा जाता है। पहले हमारे घरों की दीवारों पर, आस-पास के पेड़ों पर गोरैया चहकती रहती थी। लेकिन अब लोग गोरैया को ये कहकर याद करते हैं कि पिछली बार, बरसों पहले, गोरैया देखा था। आज इसे बचाने के लिए हमें प्रयास करने पड़ रहे हैं। मेरे बनारस के एक साथी इंद्रपाल सिंह बत्रा जी ने ऐसा काम किया है जिसे मैं, ‘मन की बात’ के श्रोताओं को जरूर बताना चाहता हूं। बत्रा जी ने अपने घर को ही गोरैया का आशियाना बना दिया है। इन्होंने अपने घर में लकड़ी के ऐसे घोंसले बनवाए जिनमें गोरैया आसानी से रह सके। आज बनारस के कई घर इस मुहिम से जुड़ रहे हैं। इससे घरों में एक अद्भुत प्राकृतिक वातावरण भी बन गया है। मैं चाहूँगा प्रकृति, पर्यावरण, प्राणी, पक्षी जिनके लिए भी बन सके, कम-ज्यादा प्रयास हमें भी करने चाहिए। जैसे  एक साथी हैं बिजय कुमार काबी जी। बिजय जी ओड़िशा के केंद्रपाड़ा के रहने वाले हैं। केंद्रपाड़ा समुंद्र के किनारे है। इसलिए इस जिले के कई गांव ऐसे हैं, जिन पर समुंद्र की ऊँची लहरों और Cyclone का खतरा रहता है। इससे कई बार बहुत नुकसान भी होता है। बिजय जी ने महसूस किया कि अगर इस प्राकृतिक तबाही को कोई रोक सकता है तो वो प्रकृति ही रोक सकती है। फिर क्या था – बिजय जी ने, बड़ाकोट गांव से अपना मिशन शुरू किया। उन्होंने 12 साल। साथियों 12 साल, मेहनत करके, गांव के बाहर, समुन्द्र की तरफ 25 एकड़ का mangrove जंगल खड़ा कर दिया।आज ये जंगल इस गाँव की सुरक्षा कर रहा है।ऐसा ही काम ओडिशा के ही पारादीप जिले में एक इंजीनियर अमरेश सामंत जी ने किया है।अमरेश जी ने छोटे छोटे जंगल लगाए हैं, जिनसे आज कई गांवों का बचाव हो रहा है।साथियो,इस तरह के कामों में, अगर हम, समाज को साथ जोड़ लें, तो बड़े परिणाम आते हैं।जैसे, तमिलनाडु के कोयम्बटूर में बस कन्डक्टर का काम करने वाले मरिमुथु योगनाथन जी हैं। योगनाथान जी, अपनी बस के यात्रियों को टिकट देते हैं, तो साथ में ही एक पौधा भी मुफ्त देते हैं।इस तरह योगनाथन जी न जाने कितने ही पेड़ लगवा चुके हैं।योगनाथन जी अपने वेतन का काफी हिस्सा इसी काम में खर्च करते आ रहे हैं।अब इसको सुनने के बाद ऐसा कौन नागरिक होगा जो मरिमुथु योगनाथन जी के काम की प्रशंसा न करे।मैं हृदय से उनके इस प्रयासों को बहुत बधाई देता हूँ, उनके इस प्रेरक कार्य के लिए। + +मेरे प्यारे देशवासियो, Waste से Wealth यानी कचरे से कंचन बनाने के बारे में हम सबने देखा भी है, सुना भी है, और हम भी औरों को बताते रहते हैं। कुछ उसी प्रकार से Waste को Value में बदलने का भी काम किया जा रहा है।ऐसा ही एक उदाहरण केरल के कोच्चि के सेंट टेरेसा कॉलेज का है।मुझे याद है कि 2017 में, मैं इस कॉलेज के कैंपस में, एक Book Reading पर आधारित कार्यक्रम में शामिल हुआ था।इस कॉलेज के स्टूडेंट्स Reusable Toys बना रहे हैं, वो भी बहुत ही creative तरीके से।ये students पुराने कपड़ों, फेंके गए लकड़ी के टुकड़ों, bag और Boxes का इस्तेमाल खिलौने बनाने में कर रहे हैं।कोई विद्यार्थी Puzzle  बना रहा है तो कोई car और train बना रहा है।यहां इस बात का विशेष ध्यान दिया जाता है कि खिलौने Safe होने के साथ-साथ Child Friendly भी हों। और इस पूरे प्रयास की एक अच्छी बात ये भी है कि ये खिलौने आंगनबाड़ी बच्चों को खेलने के लिए दिए जाते हैं।आज जब भारत खिलौनों की Manufacturing में काफी आगे बढ़ रहा है तो Waste से Value के ये अभियान, ये अभिनव प्रयोग बहुत मायना रखते हैं। + +आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में एक प्रोफेसर श्रीनिवास पदकांडला जी है। वे बहुत ही रोचक कार्य कर रहे हैं। उन्होंने Automobile Metal Scrap से Sculptures (स्कल्पचर्स) बनाएहैं।उनके द्वारा बनाए गए ये विशाल Sculptures सार्वजानिक पार्कों में लगाये गये हैं और लोग उन्हें बहुत उत्साह से देख रहे हैं। Electronic और Automobile Waste की Recycling का यह एक अभिनव प्रयोग है।मैं एक बार फिर कोच्चि और विजयवाड़ा के इन प्रयासों की सराहना करता हूँ और उम्मीद करता हूँ कि और लोग भी ऐसे प्रयासों में आगे आएंगे। + +मेरे प्यारे देशवासियों,कोई भी नई शुरुआत यानी New Beginning हमेशा बहुत ख़ास होती हैं।New Beginning का मतलब होता है New Possibilities – नए प्रयास।और, नए प्रयासों का अर्थ है – नई ऊर्जा और नया जोश।यही कारण है कि अलग- अलग राज्यों और क्षेत्रों में एवं विविधता से भरी हमारी संस्कृति में किसी भी शुरुआत को उत्सव के तौर पर मनाने की परंपरा रही है।और यह समय नई शुरुआत और नए उत्सवों के आगमन का है।होली भी तो बसंत को उत्सव के तौर पर ही मनाने की एक परंपरा है।जिस समय हम रंगों के साथ होली मना रहे होते हैं, उसी समय, बसन्त भी, हमारे चारों ओर नए रंग बिखेर रहा होता है। इसी समय फूलों का खिलना शुरू होता है और प्रकृति जीवंत हो उठती है।देश के अलग-अलग क्षेत्रों में जल्द ही नया साल भी मनाया जाएगा।चाहे उगादी हो या पुथंडू, गुड़ी पड़वा हो या बिहू, नवरेह हो या पोइला, या फिर बोईशाख हो या बैसाखी- पूरा देश, उमंग, उत्साह और नई उम्मीदों के रंग में सराबोर दिखेगा।इसी समय, केरल भी खूबसूरत त्योहार विशु मनाता है।इसके बाद, जल्द ही चैत्र नवरात्रि का पावन अवसर भी आ जाएगा।चैत्र महीने के नौवें दिन हमारे यहाँ रामनवमी का पर्व होता है। इसे भगवान राम के जन्मोत्सव के साथ ही न्याय और पराक्रम के एक नए युग की शुरुआत के रूप में भी मना जाता है।इस दौरान चारों ओर धूमधाम के साथ ही भक्तिभाव से भरा माहौल होता है, जो लोगों को और करीब लाता है, उन्हें परिवार और समाज से जोड़ता है, आपसी संबंधों को मजबूत करता है।इन त्योहारों के अवसर पर मैं सभी देशवासियों को शुभकामनाएं देता हूँ। + diff --git a/pm-speech/188.txt b/pm-speech/188.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..5fe4993a6c57dc3f343f98f2122816292bd66dca --- /dev/null +++ b/pm-speech/188.txt @@ -0,0 +1,4 @@ +मौतुवा शॉम्प्रोदाय के हमारे भाई-बहन श्री श्री हॉरिचान्द ठाकुर जी की जन्मजयंति के पुण्य अवसर पर हर साल ‘बारोनी श्नान उत्शब’ मनाते हैं। भारत से बड़ी संख्या में श्रद्धालु इस उत्सव में शामिल होने के लिए, ओराकान्दी आते हैं। भारत के मेरे भाई-बहनों के लिए ये तीर्थ यात्रा और आसान बने, इसके लिए भारत सरकार की तरफ से प्रयास और बढ़ाए जाएंगे। ठाकूरनगर में मौतुवा शॉम्प्रोदाय के गौरवशाली इतिहास को प्रतिबिंबित करते भव्य आयोजनों और विभिन्न कार्यों के लिए भी हम संकल्पबद्ध हैं। + +मौतुवा शॉम्प्रोदाय के हमारे भाई-बहन श्री श्री हॉरिचान्द ठाकुर जी की जन्मजयंति के पुण्य अवसर पर हर साल ‘बारोनी श्नान उत्शब’ मनाते हैं। भारत से बड़ी संख्या में श्रद्धालु इस उत्सव में शामिल होने के लिए, ओराकान्दी आते हैं। भारत के मेरे भाई-बहनों के लिए ये तीर्थ यात्रा और आसान बने, इसके लिए भारत सरकार की तरफ से प्रयास और बढ़ाए जाएंगे। ठाकूरनगर में मौतुवा शॉम्प्रोदाय के गौरवशाली इतिहास को प्रतिबिंबित करते भव्य आयोजनों और विभिन्न कार्यों के लिए भी हम संकल्पबद्ध हैं। + diff --git a/pm-speech/190.txt b/pm-speech/190.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..7fcd01d064b65dc1bfa28b3f95d26dac714111be --- /dev/null +++ b/pm-speech/190.txt @@ -0,0 +1,8 @@ +आप सभी का ये स्नेह मेरे जीवन के अनमोल पलों में से एक है। मुझे खुशी है कि बांग्लादेश की विकास यात्रा के इस अहम पड़ाव में, आपने मुझे भी शामिल किया। आज बांग्लादेश का राष्ट्रीय दिवस है तो शाधी-नौता की 50वीं वर्षगाँठ भी है। इसी साल ही भारत-बांग्लादेश मैत्री के 50 वर्ष पूरे हो रहे हैं। जातिर पीता बॉन्गोबौन्धु शेख मुजिबूर रॉहमान की जन्मशती का ये वर्ष दोनों देशों के संबंधों को और मजबूत कर रहा है। + +तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी जी के प्रयास और उनकी महत्वपूर्ण भूमिका सर्वविदित है। उसी दौर में, 6 दिसंबर, 1971 को अटल बिहारी वाजपेयी जी ने कहा था- "हम न केवल मुक्ति संग्राम में अपने जीवन की आहूति देने वालों के साथ लड़ रहे हैं, लेकिन हम इतिहास को एक नई दिशा देने का भी प्रयत्न कर रहे हैं। आज बांग्लादेश में अपनी आजादी के लिए लड़ने वालों और भारतीय जवानों का रक्त साथ-साथ बह रहा है। + +हमने SAARC Covid Fund की स्थापना में सहयोग किया, अपने ह्यूमन रिसोर्स की ट्रेनिंग में सहयोग किया। भारत को इस बात की बहुत खुशी है कि Made in India vaccines बांग्लादेश के हमारे बहनों और भाइयों के काम आ रही हैं। मुझे याद हैं वो तस्वीरें जब इस साल 26 जनवरी को, भारत के गणतंत्र दिवस पर Bangladesh Armed Forces के Tri-Service Contingent ने शोनो एक्टि मुजीबोरेर थेके की धुन पर परेड की थी। + +भारत और बांग्लादेश का भविष्य, सद्भाव भरे, आपसी विश्वास भरे ऐसे ही अनगिनत पलों का इंतजार कर रहा है। साथियों, भारत-बांग्लादेश के संबंधों को मजबूत करने के लिए दोनों ही देशों के youth में बेहतर connect की भी उतना ही आवश्यक है। भारत-बांग्लादेश संबंधों के 50 वर्ष के अवसर पर मैं बांग्लादेश के 50 entrepreneurs को भारत आमंत्रित करना चाहूँगा। + diff --git a/pm-speech/191.txt b/pm-speech/191.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..7fcd01d064b65dc1bfa28b3f95d26dac714111be --- /dev/null +++ b/pm-speech/191.txt @@ -0,0 +1,8 @@ +आप सभी का ये स्नेह मेरे जीवन के अनमोल पलों में से एक है। मुझे खुशी है कि बांग्लादेश की विकास यात्रा के इस अहम पड़ाव में, आपने मुझे भी शामिल किया। आज बांग्लादेश का राष्ट्रीय दिवस है तो शाधी-नौता की 50वीं वर्षगाँठ भी है। इसी साल ही भारत-बांग्लादेश मैत्री के 50 वर्ष पूरे हो रहे हैं। जातिर पीता बॉन्गोबौन्धु शेख मुजिबूर रॉहमान की जन्मशती का ये वर्ष दोनों देशों के संबंधों को और मजबूत कर रहा है। + +तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी जी के प्रयास और उनकी महत्वपूर्ण भूमिका सर्वविदित है। उसी दौर में, 6 दिसंबर, 1971 को अटल बिहारी वाजपेयी जी ने कहा था- "हम न केवल मुक्ति संग्राम में अपने जीवन की आहूति देने वालों के साथ लड़ रहे हैं, लेकिन हम इतिहास को एक नई दिशा देने का भी प्रयत्न कर रहे हैं। आज बांग्लादेश में अपनी आजादी के लिए लड़ने वालों और भारतीय जवानों का रक्त साथ-साथ बह रहा है। + +हमने SAARC Covid Fund की स्थापना में सहयोग किया, अपने ह्यूमन रिसोर्स की ट्रेनिंग में सहयोग किया। भारत को इस बात की बहुत खुशी है कि Made in India vaccines बांग्लादेश के हमारे बहनों और भाइयों के काम आ रही हैं। मुझे याद हैं वो तस्वीरें जब इस साल 26 जनवरी को, भारत के गणतंत्र दिवस पर Bangladesh Armed Forces के Tri-Service Contingent ने शोनो एक्टि मुजीबोरेर थेके की धुन पर परेड की थी। + +भारत और बांग्लादेश का भविष्य, सद्भाव भरे, आपसी विश्वास भरे ऐसे ही अनगिनत पलों का इंतजार कर रहा है। साथियों, भारत-बांग्लादेश के संबंधों को मजबूत करने के लिए दोनों ही देशों के youth में बेहतर connect की भी उतना ही आवश्यक है। भारत-बांग्लादेश संबंधों के 50 वर्ष के अवसर पर मैं बांग्लादेश के 50 entrepreneurs को भारत आमंत्रित करना चाहूँगा। + diff --git a/pm-speech/193.txt b/pm-speech/193.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..1838e32a996d69163d58b411798830860a28e8cd --- /dev/null +++ b/pm-speech/193.txt @@ -0,0 +1,8 @@ +इस बार कई ऐसे इलाकों, ऐसे जिलों में भी ये वृद्धि देखने को मिल रही है, जो अभी तक खुद को बचाए हुए थे। Safe Zone थे एक प्रकार से, अब वहां पर हमें कुछ चीजें नजर आ रही हैं। देश के सत्तर ज़िलों में तो पिछले कुछ हफ़्तों में यह वृद्धि 150 परसेंट से भी ज़्यादा है। अगर हम इस बढ़ती हुई महामारी को यहीं नहीं रोकेंगे तो देश व्यापी ऑउटब्रेक की स्थिति बन सकती है। हमें कोरोना की इस उभरती हुई “सेकंड पीक” को तुरंत रोकना ही होगा। और इसके लिए हमें Quick और Decisive कदम उठाने होंगे। कई जगह देखने को मिल रहा है कि मास्क को लेकर अब स्थानीय प्रशासन द्वारा भी उतनी गंभीरता नहीं दिखाई जा रही। मेरा आग्रह है कि स्थानीय स्तर पर गवर्नेंस को लेकर जो भी दिक्कत हैं, उनकी पड़ताल, उनकी समीक्षा की जानी, और उन दिक्कतों को सुलझाया जाना ये मैं समझता हूं वर्तमान में बहुत आवश्यक है। + +हमें छोटे शहरों में “रेफरल सिस्टम” और “एम्बुलेंस नेटवर्क” के ऊपर विशेष ध्यान देना होगा। प्रेजेंटेशन में ये बात भी सामने रखी गई है कि अभी वायरस का spread dispersed manner में हो रहा है। इसकी बहुत बड़ी वजह ये भी है कि अब पूरा देश ट्रैवल के लिए खुल चुका है, विदेशों से आने वाले लोगों की संख्या भी बढ़ी है। इसलिए, आज हर एक केस के ट्रैवल की, उसके contacts के ट्रैवल की सूचना सभी राज्यों को आपस में भी साझा करना जरूरी हो गया है। आपस में जानकारी साझा करने के लिए किसी नए mechanism की जरूरत लगती है, तो उस पर भी विचार होना चाहिए। इसी तरह, विदेश से आने वाले यात्रियों और उनके contacts के surveillance के लिए SOP के पालन की ज़िम्मेदारी भी बढ़ गई है। अभी हमारे सामने कोरोना वायरस के mutants को भी पहचानने और उनके प्रभावों के आकलन का भी प्रश्न है। आपके राज्यों में आपको वायरस के variant का पता चलता रहे, इसके लिए भी जीनोम सैंपल भी टेस्टिंग के लिए भेजा जाना उतना ही अहम है। + +स्थानीय स्तर पर प्लानिंग और गवर्नेंस की जो भी कमियां हैं, उन्हें तुरंत सुधारा जाना चाहिए। वैक्सीन वेस्टेज जितनी रुकेगी, और मैं तो चाहूंगा राज्‍यों को तो जीरो वेस्‍टेज के टारगेट से काम शुरू करना चाहिए…हमारे यहां वेस्‍टेज नहीं होने देंगे। एक बार कोशिश करेंगे तो improvement जरूर होगा। उतने ही ज्यादा Health workers, frontline workers, और दूसरे eligible लोगों को वैक्सीन की दोनों डोज़ पहुंचाने के हमारे प्रयास सफल होंगे। मुझे विश्वास है कि हमारे इन सामूहिक प्रयासों और रणनीतियों का असर जल्द ही हमें दिखाई देगा और उसका परिणाम भी नजर आएगा। + +दूसरा, जो विषय मैंने कहा- RT-PCR टेस्ट्स को स्केल अप करना बहुत आवश्यक है, ताकि नए cases की पहचान तुरंत हो सके। स्थानीय प्रशासन को माइक्रो कन्टेनमेंट zones बनाने की दिशा में हमें आग्रह करना चाहिए। वो वहीं पर काम तेजी से करें, हम बहुत तेजी से रोक पाएंगे ताकि संक्रमण का दायरा फ़ैलने से रोकने में वो मदद करेगा। वैक्सीन लगाने वाले केन्द्रों की संख्या बढ़ाने की आवश्यकता है, वो प्राइवेट हो, सरकारी हो, जैसा आपने मैप देखा होगा, वो आपके लिए भी राज्‍यवार भी बनाया। वो शुरू में जो ग्रीन डॉट वाला बताया था। और देखने से ही पता चलता है बहुत सारे इलाके हैं कि जहां light green लग रहा है, मतलब कि हमारे वैक्‍सीनेशन सेंटर उतने नहीं हैं या तो एक्टिव नहीं हैं। देखिए टेक्‍नोलॉजी हमारी बहुत मदद कर रही है। हम बहुत आसानी से day-to-day चीजों को organize कर सकते हैं। इसका हमें फायदा तो लेना है लेकिन उसके आधार पर हमें improvement करना है। हमारे जितने सेंटर्स pro-active होंगे, मिशन-मोड में काम करेंगे, वेस्‍टेज भी कम होगा, संख्‍या भी बढ़ेगी और एक विश्‍वास तुरंत बढ़ेगा। मैं चाहता हूं कि इसको बल दिया जाए।   + diff --git a/pm-speech/194.txt b/pm-speech/194.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..db14119fad384f03f3eca4f37c65c2bbd2c72366 --- /dev/null +++ b/pm-speech/194.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +सीडीआरआई के गठन के वर्षों में हम भारत के साथ-साथ यूनाइटेड किंगडम के नेतृत्व के आभारी हैं। वर्ष 2021 विशेष रूप से एक महत्वपूर्ण वर्ष रहा है।हम सतत् विकास के लक्ष्यों, पेरिस समझौते और सेनदाई फ्रेमवर्क के मध्य तक पहुंच रहे हैं। यूके और इटली की मेजबानी में इस साल होने जा रहे सीओपी-26 से काफी ज्यादा उम्मीदें हैं। + diff --git a/pm-speech/195.txt b/pm-speech/195.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..dc12aeb60feb52e3e6c96d795ede06fb3bebae24 --- /dev/null +++ b/pm-speech/195.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +फ़िनलैंड और भारत दोनों ही एक Rules-based, पारदर्शी, मानवतावादी और लोकतांत्रिक वैश्विक व्यवस्था में विश्वास रखते हैं। Technology, इनोवेशन, clean energy, environment, education ऐसे क्षेत्रों में हमारे बीच मजबूत सहयोग है। Post-COVID काल में वैश्विक आर्थिक recovery के लिए भी सभी sectors बहुत महत्वपूर्ण होंगे। Clean energy के क्षेत्र में फ़िनलैंड global leader है, और भारत का एक महत्त्वपूर्ण पार्टनर भी है। और आपने जब क्लाइमेट की चिंता की, तो में कभी कभी हमारे मित्रों को मज़ाक में बताता हूँ कि हमनें प्रकृति के साथ इतना अन्याय किया है और प्रकृति इतने गुस्से में है कि आज हम सभी मानवजात को, हमको मुँह दिखने लायक रखा नहीं है और इसलिए हम सबको अपने मुँह पे मास्क बाँध करके, अपना मुँह छुपा करके घूमना पड अड़ रहा है क्योकि हमने प्रकृति के साथ इतना अन्याय किया, ये में अपने साथियों के बीच में मज़ाक में कभी कभी बताता रहता हूँ भारत में हमने climate संबंधी उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किए हैं। Renewable energy में हमने 2030 तक 450 गीगावाट installed capacity का लक्ष्य रखा है। अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने के लिए हमने International Solar Alliance और Coalition for Disaster Resilient Infrastructure जैसे initiatives भी लिए हैं। मैं Finland को ISA और CDRI से जुड़ने का आग्रह करता हूँ। फ़िनलैंड की क्षमता और विशेषज्ञता में इन अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं को आपकी जो महारत है इसका लाभ मिलेगा। + +फ़िनलैंड new और emerging technologies, digital infrastructure, education और skill development के क्षेत्र में भी अग्रणी स्थान रखता है। इन सभी क्षेत्रों में हमारे बीच सहयोग की संभावनाएं हैं। मुझे प्रसन्नता है कि आज हम ICT, mobile technology और डिजिटल education के क्षेत्र में एक नयी partnership घोषित कर रहे हैं। हमारे शिक्षा मंत्रालय भी एक High Level Dialogue आरम्भ कर रहे हैं। मुझे आशा है कि आज की हमारी Summit से भारत-फ़िनलैंड संबंधों के विकास में और गति आएगी। + +आज यह हमारी पहली मुलाक़ात है। अच्छा होगा अगर हम रुबरु मिल पाते। लेकिन पिछले एक साल में हम सभी को technology की मदद से मिलने की आदत बनती जा रही है। लेकिन मुझे प्रसन्नता है कि हमें शीघ्र ही पुर्तगाल में India-EU Summit, और डेनमार्क में India-नॉर्डिक Summit के दौरान मिलने का मौका मिलेगा। मैं आपको भारत की यात्रा करने का भी निमंत्रण देता हूँ। जब भी सुविधा हो, आप अवश्य भारत आएं। मैं प्रारंभिक बात को यहीं पर समाप्त करता हूँ। अब फिर अगले सत्र में हम आगे की बात करेंगे। + diff --git a/pm-speech/197.txt b/pm-speech/197.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..a871e076d6bfd4afca6034dd622553304a3bf705 --- /dev/null +++ b/pm-speech/197.txt @@ -0,0 +1,8 @@ +आयुर्वेद प्रकृति एवं पर्यावरण के लिए भारतीय संस्कृति के सम्मान के साथ करीब से जुड़ा हुआ है। हमारे ग्रंथों में आयुर्वेद का शानदार वर्णन करते हुए कहा गया है: हिता-हितम् सुखम् दुखम्, आयुः तस्य हिता-हितम्। मानम् च तच्च यत्र उक्तम्, आयुर्वेद स उच्यते।। यानी आयुर्वेद कई पहलुओं का ध्यान रखता है। यह स्वास्थ्य एवं दीर्घायु को सुनिश्चित करता है। आयुर्वेद को एक समग्र मानव विज्ञान के रूप में वर्णित किया जा सकता है। पौधों से लेकर आपकी थाली तक, शारीरिक ताकत से लेकर मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य तक आयुर्वेद एवं पारंपरिक चिकित्सा पद्धति का प्रभाव अपार है। + +आयुर्वेद की लोकप्रियता के कारण हमारे सामने जबरदस्‍त अवसर मौजूद है। हमें इस अवसर को गंवाना नहीं चाहिए। पारंपरिक को आधुनिक के साथ मिलाने के फायदे हुए हैं। युवा पीढी तमाम आयुर्वेदिक उत्पादों का उपयोग कर रही है। आयुर्वेद को प्रमाण पर आधारित चिकित्सा विज्ञान के साथ एकीकृत करने की मांग बढ़ती जा रही है। इसी प्रकार आयुर्वेदिक पूरक की भी काफी चर्चा हो रही है। व्यक्तिगत देखभाल श्रेणी के उत्पाद आयुर्वेद पर केंद्रित हैं। इन उत्पादों की पैकेजिंग में काफी सुधार हुआ है। मैं अपने शिक्षाविदों से आह्वान करता हूं कि वे आयुर्वेद एवं पारंपरिक चिकित्सा पद्धति में गहन शोध करें। मैं हमारे जीवंत स्टार्ट-अप समुदाय से आग्रह करना चाहूंगा कि वे विशेष तौर पर आयुर्वेदिक उत्पादों पर ध्‍यान केंद्रित करें। मैं विशेष तौर पर हमारे युवाओं को इस बात के लिए सराहना करना चाहूंगा कि उन्‍होंने हमारे पारंपरिक रूपों को एक ऐसी भाषा में प्रस्तुत करने का बीड़ा उठाया है जो वैश्विक स्तर पर समझी जाती है। जब मुझे लगता है कि हमारी भूमि का लोकाचार और हमारे युवाओं की उद्यम भावना चमत्‍कार कर सकती है तो इसमें कोई आश्‍चर्य की बात नहीं है। + +सरकार की ओर से मैं आयुर्वेद की दुनिया को पूरा समर्थन देने का आश्वासन देता हूं। भारत ने राष्ट्रीय आयुष मिशन की स्थापना की है। राष्ट्रीय आयुष मिशन को कम लागत वाली आयुष सेवाओं के जरिये आयुष चिकित्सा पद्धतियों को बढ़ावा देने के लिए शुरू किया गया है। यह शैक्षिक व्‍यवस्‍थाओं को मजबूत करने के लिए भी काम कर रहा है। यह आयुर्वेद, सिद्ध, यूनानी और होम्योपैथी दवाओं के गुणवत्ता नियंत्रण के प्रवर्तन और कच्चे माल की सतत उपलब्धता सुनिश्चित करने की सुविधा भी प्रदान कर रहा है। सरकार भी गुणवत्ता नियंत्रण के कई उपायों को लागू करने की कोशिश कर रही है। आयुर्वेद एवं अन्‍य भारतीय चिकित्सा पद्धतियों के बारे में हमारी नीति पहले से ही विश्व स्वास्थ्य संगठन की पारंपरिक चिकित्सा रणनीति 2014-2023 के अनुरूप है। डब्‍ल्‍यूएचओ ने भारत में ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन की स्थापना की भी घोषणा की है। हम इस कदम का स्‍वागत करते हैं। आपको यह जानकर खुशी होगी कि आयुर्वेद एवं चिकित्‍सा पद्धति के बारे में अध्ययन करने के लिए विभिन्न देशों के छात्र पहले से ही भारत आ रहे हैं। यह विश्व व्यापी कल्याण के बारे में सोचने का यह बिल्‍कुल सही समय है। संभवत: इस विषय पर एक वैश्विक शिखर सम्मेलन का आयोजन किया जा सकता है। हमें आने वाले समय में आयुर्वेद और अहार के बारे में भी सोचना चाहिए। आयुर्वेद से संबंधित खाद्य पदार्थ और अच्छे स्वास्थ्य के लिए आवश्‍यक खाद्य पदार्थ के बारे में हमें सोचना चाहिए। आप में से बहुत से लोगों को यह पता होगा कि कुछ दिनों पहले संयुक्त राष्ट्र ने 2023 को अंतरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष घोषित किया था। आइए हम बाजरा के लाभ के बारे में जागरूकता फैलाएं। + +मैं महात्मा गांधी के एक उद्धरण के साथ अपनी बात को खत्‍म करना चाहूंगा। मैंने कहा है कि मुझे लगता है कि आयुर्वेद कहीं अधिक प्रासंगिक है। यह भारत के उन प्राचीन विज्ञानों में से एक है जो हजारों गांवों के लाखों लोगों के लिए बेहतर स्वास्थ्य को सुनिश्चित करता है। मैं हरेक नागरिक को आयुर्वेद के सिद्धांतों के अनुसार जीवन जीने की सलाह देता हूं। फार्मेसी, औषधालय और वैद्यराज, सभी को मेरा आशीर्वाद है कि वे आयुर्वेद को सर्वोत्तम सेवा प्रदान बनाने में समर्थ हो सकें। महात्‍मा गांधी ने निर्विवाद तौर पर करीब सौ साल से यह बात कही थी। लेकिन उनकी भावना अब भी अपेक्षाकृत कम है। आइए हम आयुर्वेद में अपनी उपलब्धियों के बारे में बताते रहें। आयुर्वेद को एक प्रेरणा शक्ति बनने दें जो दुनिया को हमारी भूमि तक लाने में समर्थ हो। यह हमारे युवाओं के लिए समृद्धि का अवसर भी पैदा कर सकता है। मैं इस सम्मेलन की पूरी सफलता की कामना करता हूं। सभी प्रतिभागियों को मेरी शुभकामनाएं। + diff --git a/pm-speech/198.txt b/pm-speech/198.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..5a1f51cb076781a03ea5e96f7206d7dc7d8a974f --- /dev/null +++ b/pm-speech/198.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +हमारे वेदों का वाक्य है- मृत्योः मुक्षीय मामृतात्। अर्थात, हम दुःख, कष्ट, क्लेश और विनाश से निकलकर अमृत की तरफ बढ़ें, अमरता की ओर बढ़ें। यही संकल्प आज़ादी के इस अमृत महोत्सव का भी है। आज़ादी का अमृत महोत्सव यानी- आज़ादी की ऊर्जा का अमृत, आज़ादी का अमृत महोत्सव यानी – स्वाधीनता सेनानियों से प्रेरणाओं का अमृत। आज़ादी का अमृत महोत्सव यानी – नए विचारों का अमृत। नए संकल्पों का अमृत। आज़ादी का अमृत महोत्सव यानी – आत्मनिर्भरता का अमृत। और इसीलिए, ये महोत्सव राष्ट्र के जागरण का महोत्सव है। ये महोत्सव, सुराज्य के सपने को पूरा करने का महोत्सव है। ये महोत्सव, वैश्विक शांति का, विकास का महोत्सव है। + +हमारे यहां नमक को कभी उसकी कीमत से नहीं आँका गया। हमारे यहाँ नमक का मतलब है- ईमानदारी। हमारे यहां नमक का मतलब है- विश्वास। हमारे यहां नमक का मतलब है- वफादारी। हम आज भी कहते हैं कि हमने देश का नमक खाया है। ऐसा इसलिए नहीं क्योंकि नमक कोई बहुत कीमती चीज है। ऐसा इसलिए क्योंकि नमक हमारे यहाँ श्रम और समानता का प्रतीक है। उस दौर में नमक भारत की आत्मनिर्भरता का एक प्रतीक था। अंग्रेजों ने भारत के मूल्यों के साथ-साथ इस आत्मनिर्भरता पर भी चोट की। भारत के लोगों को इंग्लैंड से आने वाले नमक पर निर्भर हो जाना पड़ा। गांधी जी ने देश के इस पुराने दर्द को समझा, जन-जन से जुड़ी उस नब्ज को पकड़ा। और देखते ही देखते ये आंदोलन हर एक भारतीय का आंदोलन बन गया, हर एक भारतीय का संकल्प बन गया। + +आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान, देशवासियों के सुझावों से, उनके मौलिक विचारों से अनगिनत असंख्य ideas निकलेंगे। कुछ बातें अभी जब मैं आ रहा था तो मेरे मन में भी चल रहीं थी। जन भागीदारी, जन सामान्य को जोड़ना, देश का कोई नागरिक ऐसा ना हो कि इस अमृत महोत्सव का हिस्सा ना हो। अब जैसे मान लीजिए हम छोटा सा एक उदाहरण दें- अब सभी स्कूल कॉलेज, आजादी से जुड़ी हुई 75 घटनाओं का संकलन करें, हर स्कूल तय करे कि हमारी स्कूल आजादी की 75 घटनाओं का संकलन करेगी, 75 ग्रुप्स बनाएं, उन घटनाओं पर वो 75 विद्या‍र्थी 75 ग्रुप जिसमें आठ सौ, हजार, दो हजार विद्यार्थी हो सकते हैं, एक स्कूल ये कर सकता है। छोटे-छोटे हमारे शि‍शु ‍मंदिर के बच्चे होते हैं, बाल मंदिर के बच्चे होते हैं, आजादी के आंदोलन से जुड़े 75 महापुरुषों की सूची बनाएं, उनकी वेशभूषा करें, उनके एक-एक वाक्यों को बोलें, उसका कंपटीशन हो, स्कूलों में भारत के नक्शे पर आजादी के आंदोलन से जुड़े 75 स्थान चिन्हित किए जाएं, बच्चों को कहा जाए कि बताओ भई बारडोली कहा आया? चंपारण कहा आया? लॉ कॉलेजों के छात्र-छात्राएं ऐसी 75 घटनाएं खोजें और मैं हर कॉलेज से आग्रह करूंगा, हर लॉ स्‍कूल से आग्रह करूंगा 75 घटनाएं खोजें  जिसमें आजादी की लड़ाई जब चल रही थी तब कानूनी जंग कैसे चली? कानूनी लड़ाई कैसे चली? कौन लोग थे कानूनी लड़ाई लड़ रहे थे? आजादी के वीरों बचाने के लिए कैसे-कैसे प्रयास हुए? अंग्रेज सल्तनत की judiciary का क्या रवैया था? सारी बातें हम लिख सकते हैं। जिनका interest नाटक में है, वो नाटक लिखें। फाइन आर्ट्स के विद्यार्थी उन घटनाओं पर पेंटिंग बनाएं, जिसका मन करे कि वो गीत लिखे, वो कविताएं लिखें। ये सब शुरू में हस्तलिखित हो। बाद में इसको डिजिटल स्वरूप भी दिया जाए और मैं चाहूंगा कुछ ऐसा कि हर स्कूल-कॉलेज का ये प्रयास, उस स्कूल-कॉलेज की धरोहर बन जाए। और कोशिश हो कि ये काम इसी 15 अगस्त से पहले पूरा कर लिया जाए। आप देखि‍ए पूरी तरह वैचारिक अधिष्‍ठान तैयार हो जाएगा। बाद में इसे जिलाव्यापी, राज्यव्यापी, देशव्यापी स्पर्धाएं भी आयोजित हो सकती हैं।  + diff --git a/pm-speech/199.txt b/pm-speech/199.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..8310206b2ee47c1ca0371c21f607047ced7cd98f --- /dev/null +++ b/pm-speech/199.txt @@ -0,0 +1,16 @@ +गीता का सौंदर्य उसकी गहराई, विविधता और लचीलेपन में है। आचार्य विनोबा भावे ने गीता का एक ऐसी माता के रूप में वर्णन किया था कि अगर उन्हें ठोकर लग जाए तो वह उन्हें अपनी गोद में ले लेगी। महात्मा गांधी, लोकमान्य तिलक, महाकवि सुब्रमण्यम भारती जैसे महान लोग भी गीता से प्रेरित थे। गीता हमें सोचने के लिए प्रेरित करती है। यह हमें सवाल करने, तर्क-वितर्क करने के लिए भी प्रेरित करती है और हमारी सोच तथा मन को अधिक विस्तृत बनाती है। गीता से प्रेरित कोई भी व्यक्ति स्वभाव से दयालु और सर्व कल्याण की भावना से प्रेरित होगा। + +यह हमारे मस्तिष्क को असफलता के भय से मुक्त कर हमारा ध्यान अपने कर्मों पर केंद्रित करेगी। ज्ञान योग का अध्याय सच्चे ज्ञान के महत्व से संबंधित है। गीता का एक अध्याय भक्ति योग, हमें भक्ति के महत्व से अवगत कराता है। गीता के प्रत्येक अध्याय में मस्तिष्क को सकारात्मक सोच प्रदान करने के लिए कुछ न कुछ है। इन सबसे ऊपर, गीता एक बार फिर इस भावना पर फिर बल देती है कि हम में से प्रत्येक व्यक्ति उस सर्वोच्च और परम-शक्तिशाली दिव्य प्रकाश का एक अंश हैं। + +गीता का सौंदर्य उसकी गहराई, विविधता और लचीलेपन में है। आचार्य विनोबा भावे ने गीता का एक ऐसी माता के रूप में वर्णन किया था कि अगर उन्हें ठोकर लग जाए तो वह उन्हें अपनी गोद में ले लेगी। महात्मा गांधी, लोकमान्य तिलक, महाकवि सुब्रमण्यम भारती जैसे महान लोग भी गीता से प्रेरित थे। गीता हमें सोचने के लिए प्रेरित करती है। यह हमें सवाल करने, तर्क-वितर्क करने के लिए भी प्रेरित करती है और हमारी सोच तथा मन को अधिक विस्तृत बनाती है। गीता से प्रेरित कोई भी व्यक्ति स्वभाव से दयालु और सर्व कल्याण की भावना से प्रेरित होगा। + +यह हमारे मस्तिष्क को असफलता के भय से मुक्त कर हमारा ध्यान अपने कर्मों पर केंद्रित करेगी। ज्ञान योग का अध्याय सच्चे ज्ञान के महत्व से संबंधित है। गीता का एक अध्याय भक्ति योग, हमें भक्ति के महत्व से अवगत कराता है। गीता के प्रत्येक अध्याय में मस्तिष्क को सकारात्मक सोच प्रदान करने के लिए कुछ न कुछ है। इन सबसे ऊपर, गीता एक बार फिर इस भावना पर फिर बल देती है कि हम में से प्रत्येक व्यक्ति उस सर्वोच्च और परम-शक्तिशाली दिव्य प्रकाश का एक अंश हैं। + +यह हमारे मस्तिष्क को असफलता के भय से मुक्त कर हमारा ध्यान अपने कर्मों पर केंद्रित करेगी। ज्ञान योग का अध्याय सच्चे ज्ञान के महत्व से संबंधित है। गीता का एक अध्याय भक्ति योग, हमें भक्ति के महत्व से अवगत कराता है। गीता के प्रत्येक अध्याय में मस्तिष्क को सकारात्मक सोच प्रदान करने के लिए कुछ न कुछ है। इन सबसे ऊपर, गीता एक बार फिर इस भावना पर फिर बल देती है कि हम में से प्रत्येक व्यक्ति उस सर्वोच्च और परम-शक्तिशाली दिव्य प्रकाश का एक अंश हैं। + +यह हमारे मस्तिष्क को असफलता के भय से मुक्त कर हमारा ध्यान अपने कर्मों पर केंद्रित करेगी। ज्ञान योग का अध्याय सच्चे ज्ञान के महत्व से संबंधित है। गीता का एक अध्याय भक्ति योग, हमें भक्ति के महत्व से अवगत कराता है। गीता के प्रत्येक अध्याय में मस्तिष्क को सकारात्मक सोच प्रदान करने के लिए कुछ न कुछ है। इन सबसे ऊपर, गीता एक बार फिर इस भावना पर फिर बल देती है कि हम में से प्रत्येक व्यक्ति उस सर्वोच्च और परम-शक्तिशाली दिव्य प्रकाश का एक अंश हैं। + +यह हमारे मस्तिष्क को असफलता के भय से मुक्त कर हमारा ध्यान अपने कर्मों पर केंद्रित करेगी। ज्ञान योग का अध्याय सच्चे ज्ञान के महत्व से संबंधित है। गीता का एक अध्याय भक्ति योग, हमें भक्ति के महत्व से अवगत कराता है। गीता के प्रत्येक अध्याय में मस्तिष्क को सकारात्मक सोच प्रदान करने के लिए कुछ न कुछ है। इन सबसे ऊपर, गीता एक बार फिर इस भावना पर फिर बल देती है कि हम में से प्रत्येक व्यक्ति उस सर्वोच्च और परम-शक्तिशाली दिव्य प्रकाश का एक अंश हैं। + +यह हमारे मस्तिष्क को असफलता के भय से मुक्त कर हमारा ध्यान अपने कर्मों पर केंद्रित करेगी। ज्ञान योग का अध्याय सच्चे ज्ञान के महत्व से संबंधित है। गीता का एक अध्याय भक्ति योग, हमें भक्ति के महत्व से अवगत कराता है। गीता के प्रत्येक अध्याय में मस्तिष्क को सकारात्मक सोच प्रदान करने के लिए कुछ न कुछ है। इन सबसे ऊपर, गीता एक बार फिर इस भावना पर फिर बल देती है कि हम में से प्रत्येक व्यक्ति उस सर्वोच्च और परम-शक्तिशाली दिव्य प्रकाश का एक अंश हैं। + diff --git a/pm-speech/200.txt b/pm-speech/200.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..ae9b5b762bf5aec0c9496814a9b9041bf1bd089d --- /dev/null +++ b/pm-speech/200.txt @@ -0,0 +1,4 @@ +गीता तो भारत की एकजुटता, समत्व की भावना का मूल पाठ है, क्योंकि गीता कहती है- ‘समम् सर्वेषु भूतेषु तिष्ठन्तम् परमेश्वरम्’। अर्थात्, प्राणी मात्र में ईश्वर का निवास है। नर ही नारायण है। गीता हमारी ज्ञान और शोध की प्रवत्ति की प्रतीक है, क्योंकि गीता कहती है- ‘न हि ज्ञानेन सदृशम् पवित्रम् इह विद्यते’। अर्थात्, ज्ञान से पवित्र और कुछ भी नहीं है। गीता भारत के वैज्ञानिक चिंतन की, scientific temperament की भी गीता ऊर्जा स्रोत है, क्योंकि गीता का वाक्य है- ‘ज्ञानम् विज्ञानम् सहितम् यत् ज्ञात्वा मोक्ष्यसे अशुभात्’। अर्थात, ज्ञान और विज्ञान जब साथ मिलते हैं, तभी समस्याओं का, दुःखों का समाधान होता है। गीता सदियों से भारत की कर्म निष्ठा का प्रतीक है, क्योंकि गीता कहती है- ‘योगः कर्मसु कौशलम्’। अर्थात्, अपने कर्तव्यों को कुशलतापूर्वक करना ही योग है। + +इसी तरह दूसरे देशों के भी जो लोग दुनिया में अलग अलग जगह फंसे थे, भारत ने उन्हें भी सुरक्षित निकाला, हमने उनके देश पहुंचाया। इसमें भारत ने नफा-नुकसान का कोई गणित नहीं लगाया। मानव मात्र की सेवा को ही कर्म मानकर भारत ने ये कर्तव्य निभाया। जब दुनिया के लोग, विश्व के नेता इसे भारत द्वारा की गई सहायता बताते हैं, भारत के प्रति मुझे धन्यवाद देते हैं, तो मैं कहता हूँ कि भारत के लिए ये सहायता नहीं, संस्कार हैं। भारत की दृष्टि में ये महानता नहीं, मानवता है। भारत सदियों से इसी निष्काम भाव से मानव मात्र की सेवा कैसे करते आ रहा है, ये मर्म दुनिया को तब समझ आता है जब वो गीता के पन्ने खोलती है। हमें तो गीता ने पग-पग पर यही सिखाया है- ‘कर्मणि एव अधिकारः ते मा फलेषु कदाचन’। यानी, बिना फल की चिंता किए निष्काम भावना से कर्म करते रहो। गीता ने हमें बताया है- ‘युक्तः कर्म फलं त्यक्त्वा शान्तिम् आप्नोति नैष्ठिकीम्‌’। अर्थात, फल या लाभ की चिंता किए बिना कर्म को कर्तव्य भाव से, सेवा भाव से करने में ही आंतरिक शांति मिलती है। यही सबसे बड़ा सुख है, सबसे बड़ा अवार्ड है। + diff --git a/pm-speech/201.txt b/pm-speech/201.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..686bc91d50ba3fc6057a37421f13d899a3552d6d --- /dev/null +++ b/pm-speech/201.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +त्रिपुरा के विकास के लिए केंद्र सरकार ने हर आवश्यकता का ध्यान रखा है। बीते 6 साल में त्रिपुरा को केंद्र सरकार से मिलने वाली राशि में बड़ी वृद्धि की गई है। वर्ष 2009 से 2014 के बीच केंद्र सरकार से त्रिपुरा को केंद्रीय विकास परियोजनाओं के लिए 3500 करोड़ रुपए की मदद मिली थी। पैंतीस सौ करोड़ की। जबकि साल 2014 से 2019 के बीच हमारे आने के बाद 12 हजार करोड़ रुपए से अधिक की मदद दी गई है। आज त्रिपुरा उन बड़े राज्यों के लिए भी एक उदाहरण बनता जा रहा है जहां डबल इंजन की सरकार आज जहां नहीं है और जो सरकारे दिल्ली से झगड़ा करने में भी अपना टाइम बर्बाद करती है। उनको भी पता चल रहा है।  त्रिपुरा जो कभी पावर डेफिसिट स्टेट हुआ करता था, वो आज डबल इंजन की सरकार की वजह से पावर सरप्लस हो गया है। 2017 से पहले त्रिपुरा के सिर्फ 19 हजार ग्रामीण घरों में नल से जल आता था। आज दिल्ली और त्रिपुरा की डबल इंजन की सरकार की वजह से करीब 2 लाख ग्रामीण घरों में नल से जल आने लगा है।  + +हमने आपसे वादा किया था कि त्रिपुरा में HIRA वाला विकास हो, ऐसा डबल इंजन लगाएंगे। और अभी में वीडियो देख रहा था, बढ़िया ढंग से बताया था। HIRA यानि Highways, I-ways, Railways और Airways. त्रिपुरा की कनेक्टिविटी के इंफ्रास्ट्रक्चर में बीते 3 साल में तेजी से सुधार हुआ है। एयरपोर्ट का काम हो या फिर समंदर के रास्ते त्रिपुरा को इंटरनेट से जोड़ने का काम हो, रेल लिंक हो, इनमें तेज़ी से काम हो रहा है। आज भी 3 हज़ार करोड़ रुपए से ज्यादा के जिन प्रोजेक्ट्स का लोकार्पण और शिलान्यास किया गया है, वो हमारे उसी HIRA Model का ही हिस्सा हैं। बल्कि अब तो Waterways, Port Infrastructure भी इसमें जुड़ गया है।  + +मैत्री सेतु के अलावा दूसरी सुविधाएं जब बन जाएंगी तो नॉर्थ-ईस्ट के लिए किसी भी प्रकार की सप्लाई के लिए हमें सिर्फ सड़क के रास्ते पर निर्भर रहना नहीं पड़ेगा। अब समंदर के रास्ते, नदी के रास्ते, बांग्लादेश के कारण रास्ते बंद होने से प्रभावित नहीं होगी। दक्षिण त्रिपुरा के इसी महत्व को देखते हुए अब सबरूम में ही Integrated Check Post का निर्माण भी आज से शुरु हो गया है। ये ICP, एक full-fledged logistic hub की तरह काम करेगा।यहां Parking Lots बनेंगे, warehouses बनेंगे, container trans-shipment facilities तैयार की जाएंगी।  + diff --git a/pm-speech/203.txt b/pm-speech/203.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..1acf2ff976572ac9307e7590b4178e6fd8160b45 --- /dev/null +++ b/pm-speech/203.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +ये हमारा सौभाग्य है कि समय ने, देश ने, इस अमृत महोत्सव को साकार करने की ज़िम्मेदारी हम सबको दी है। मुझे खुशी है कि ये कमेटी अपने इस कर्तव्य के लिए कड़ी मेहनत के साथ जो आशा-अपेक्षाएं हैं, जो सुझाव आए हैं और जो सुझाव आते रहेंगे, जन-जन तक पहुंचने का जो प्रयास है उसमें कोई कमी नहीं रहेगी। लगातार नए-नए ideas, नए-नए सुझाव जनसामान्‍य को फिर से एक बार देश के लिए जीने के लिए आंदोलित करना, इसकी प्रेरणा, ये अवसर बन करके कैसे उभरे, वैसा मार्गदर्शन आप सबसे निरंतर मिलता ही रहेगा। अभी भी यहाँ हमारे कुछ माननीय सदस्यों का हमें मार्गदर्शन मिला है। आज एक शुरूआत है। आगे चल करके हम विस्‍तार से बात भी करेंगे। 75 सप्‍ताह भी हमारे पास हैं और बाद में पूरा साल भर है। तो इन सबको को हमें ले करके आगे जब चलता है तब इन सुझावों की बहुत अहमियत है। + diff --git a/pm-speech/204.txt b/pm-speech/204.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..ec0001a839fcf2bd11834fc8703d4cde6e56ad55 --- /dev/null +++ b/pm-speech/204.txt @@ -0,0 +1,14 @@ +आज made in India दवाइयों और सर्जिकल्स की मांग बढ़ी है। मांग बढ़ने से production भी बढ़ रहा है। इससे भी बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर पैदा हो रहे हैं। मुझे खुशी है कि अब 75 आयुष दवाएं जिसमें होम्‍योपेथी होती हैं, आयुर्वेद होता है, उसको भी जनऔषधि केन्द्रों में उपलब्ध कराये जाने का फैसला लिया गया है। आयुष दवाएं सस्ते में मिलने से मरीजों का फायदा तो होगा ही, साथ ही इससे आयुर्वेद और आयुष मेडिसिन के क्षेत्र को भी बहुत बड़ा लाभ होगा। + +आयुष्मान योजना ने देश के 50 करोड़ से ज्यादा गरीब परिवारों को 5 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज सुनिश्चित किया है। इसका लाभ अब तक डेढ़ करोड़ से ज्यादा लोग ले चुके हैं। अनुमान है कि इससे भी लोगों को करीब 30 हजार करोड़ रुपए की बचत हुई है। यानि जनऔषधि, आयुष्मान, स्टेंट औऱ अन्य उपकरणों की कीमत घटने से हो रही बचत को अगर हम जोड़ें, सिर्फ स्‍वास्‍थ्‍य से जुड़ी हुई बातों की मैं बात कर रहा हूं…तो आज मध्‍यम वर्ग का सामान्‍य परिवार का करीब-करीब 50 हज़ार करोड़ रुपया हर साल बच रहा है। + +देश को आज अपने वैज्ञानिकों पर गर्व है कि हमारे पास मेड इन इंडिया वैक्सीन अपने लिए भी है और दुनिया की मदद करने के लिए भी है। हमारी सरकार ने यहां भी देश के गरीबों का, मध्यम वर्ग का विशेष ध्यान रखा है। आज सरकारी अस्पतालों में कोरोना का फ्री टीका लगाया जा रहा है। प्राइवेट अस्पतालों में दुनिया में सबसे सस्ता यानि सिर्फ 250 रुपए का टीका लगाया जा रहा है। हर दिन लाखों साथियों को भारत का अपना टीका लग रहा है। नंबर आने पर मैं भी अपनी पहली डोज लगवा चुका हूं। + +देश में सस्ता और प्रभावी इलाज होने के साथ-साथ पर्याप्त मेडिकल स्टाफ की उपलब्धता भी उतनी ही आवश्यक है। इसलिए हमने गांव के अस्पतालों से लेकर मेडिकल कॉलेज और AIIMS जैसे संस्थानों तक, एक integrated approach के साथ काम शुरु किया है। गांवों में डेढ़ लाख Health and Wellness Centre बनाए जा रहे हैं, जिनमें से 50 हज़ार से ज्यादा सेवा देना शुरु भी कर चुके हैं। ये सिर्फ खांसी-बुखार के सेंटर नहीं हैं, बल्कि यहां गंभीर बीमारियों के परीक्षण की सुविधाएं देने का भी प्रयास है। पहले जिन छोटे-छोटे टेस्ट को कराने के लिए शहरों तक पहुंचना पड़ता था, वो टेस्ट अब इन Health and Wellness Centre पर उपलब्ध हो रहे हैं। + +इस वर्ष के बजट में स्वास्थ्य के लिए अभूतपूर्व बढ़ोतरी की गई है और स्वास्थ्य के संपूर्ण समाधानों के लिए प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर स्वास्थ्य योजना की घोषणा की गई है। हर जिले में जांच केंद्र, 600 से ज्यादा जिलों में क्रिटिकल केयर अस्पताल जैसे अनेक प्रावधान किए गए हैं। आने वाले समय में कोरोना जैसी महामारी हमें इतना परेशान ना करे, इसके लिए देश के Health Infrastructure में सुधार के अभियान को गति दी जा रही है। + +हर तीन लोकसभा केंद्रों के बीच एक मेडिकल कॉलेज बनाने पर काम चल रहा है। बीते 6 सालों में करीब 180 नए मेडिकल कॉलेज स्थापित किए गए हैं। 2014 से पहले जहां देश में लगभग 55 हज़ार MBBS सीटें थीं, वहीं 6 साल के दौरान इसमें 30 हज़ार से ज्यादा की वृद्धि की जा चुकी है। इसी तरह PG सीटें भी जो 30 हज़ार हुआ करती थीं, उनमें 24 हज़ार से ज्यादा नई सीटें जोड़ी जा चुकी हैं। + +मेरी आपके स्वास्थ्य लिए हमेशा ये कामना रहेगी, मैं चाहूंगा कि मेरे देश का हर नागरिक, क्‍योंकि आप मेरे परिवार के सदस्‍य हैं, आप ही मेरा परिवार हैं। आपकी बीमारी यानी मेरे परिवार की बीमारी है। और इसलिए मैं चाहता हूं मेरे देश के सभी नागरिक स्‍वस्‍थ रहें। उसके लिए स्‍वच्‍छता की जरूरत है वहां स्‍वच्‍छता रखें, भोजन में नियमों का पालन करना है- भोजन में नियमों का पालन करें। जहां योग की आवश्‍यकता है योग करें। थोड़ा-बहुत एक्‍सरसाइज करें, कोई Fit India Movement से जुड़ें। कुछ न कुछ हम शरीर के लिए करते रहें, जरूर बीमारी से बचेंगे और बीमारी आ गई तो जनऔषिध हमें बीमारी से लड़ने की ताकत देगी। + diff --git a/pm-speech/205.txt b/pm-speech/205.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..dc441f41034c86e0efadd261811aeb33e9c1c972 --- /dev/null +++ b/pm-speech/205.txt @@ -0,0 +1,8 @@ +जलवायु परिवर्तन और आपदाएं आज बड़ी चुनौतियां हैं और यह दोनों आपस में जुड़ी हुई हैं। इनसे निपटने के दो तरीके हैं। एक नीतियों, कानूनों, नियमों और आदेशों के माध्यम से, जिनका अपना महत्व है इसमें कोई संदेह नहीं है। मैं आपके साथ कुछ उदाहरण साझा कर सकता हूं: भारत की वर्तमान स्थापित बिजली क्षमता में गैर-जीवाश्म स्रोतों का हिस्सा अब बढ़कर 38 प्रतिशत हो गया है। भारत ने अप्रैल 2020 से भारत-6 उत्सर्जन मानदंड को अपनाया है, जो यूरो-6 ईंधन के बराबर हैं। भारत वर्ष 2030 तक प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी को 6 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत करने की दिशा में काम कर रहा है। एलएनजी को भी ईंधन के रूप में बढ़ावा दिया जा रहा है। हमने ईंधन के रूप में हाइड्रोजन के उपयोग के लिए पिछले महीने ही एक राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन प्रारंभ किया था। हाल ही में प्रधानमंत्री कुसुम नामक एक योजना की भी घोषणा की गई है। यह सौर ऊर्जा उत्पादन के एक न्यायसंगत और विकेंद्रीकृत मॉडल को बढ़ावा देगा। परन्तु, नीतियों, कानूनों, नियमों और आदेशों की दुनिया से परे भी कुछ साधन हैं। जलवायु परिवर्तन से निपटने का सबसे शक्तिशाली तरीका व्यवहार परिवर्तन है। एक बहुत प्रसिद्ध कहानी है जिसके बारे में आपमें से कई लोगों ने सुना होगा। एक छोटे बच्चे को एक दुनिया का एक फटा हुआ नक्शा दिया गया। बच्चे को यह नक्शा इस विचार के साथ ठीक करने के लिए दिया गया कि इसे कभी ठीक नहीं किया जा सकता। लेकिन, बच्चे ने वास्तव में इसे सफलतापूर्वक ठीक कर दिया। जब बच्चे से पूछा गया कि उसने ऐसा कैसे किया, तो बच्चे ने कहा कि दुनिया के नक्शे के पीछे एक आदमी की आकृति थी। बच्चे ने आदमी की इस आकृति को जोड़कर ठीक करना शुरू किया और इसकी वजह से दुनिया का नक्शा भी सही हो गया। संदेश स्पष्ट है- अगर हम खुद को ठीक करें तो दुनिया रहने के लिए एक बेहतर जगह होगी। + +व्यवहार परिवर्तन की यह भावना हमारी पारंपरिक आदतों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो हमें करुणा के साथ इसका उपयोग करना सिखाती है। एक विचारहीन संस्कृति हमारे लोकाचार और जीवनशैली का हिस्सा नहीं है। हमारी कृषि के तरीकों या हमारे खाद्य पदार्थों को देखें। हमारी गतिशीलता की पद्धति या ऊर्जा खपत पद्धति को देखें। हमें अपने किसानों पर गर्व है, जो निरंतर सिंचाई की आधुनिक तकनीकों का उपयोग कर रहे हैं। मृदा स्वास्थ्य में सुधार और कीटनाशकों के उपयोग को कम करने के बारे में जागरूकता बढ़ रही है। आज दुनिया फिटनेस और वेलनेस पर केंद्रित है। स्वस्थ और जैविक भोजन की मांग बढ़ रही है। भारत इस वैश्विक परिवर्तन को अपने मसालों, आयुर्वेद उत्पादों और भी बहुत से माध्यमों से पूरा कर सकता है। इसी तरह, पारिस्थितिकी अनुकूल गतिशीलता की बात करें तो आपको यह जानकर प्रसन्नता होगी कि भारत में,  हम 27 कस्बों और शहरों में मेट्रो नेटवर्क पर काम कर रहे हैं। + +बड़े पैमाने पर व्यवहार परिवर्तन के लिए, हमें ऐसे समाधान प्रस्तुत करने की आवश्यकता है जो नवीन होने के साथ-साथ किफायती हों और जनभागीदारी से संचालित हों। मैं आपको एक उदाहरण देता हूं। भारत के लोगों ने एलईडी बल्बों को एक ऐसे व्यापक पैमाने पर अपनाने का फैसला किया जो पहले कभी नहीं देखा गया। पहली मार्च 2021 तक, लगभग 37 मिलियन एलईडी बल्ब का उपयोग किया जा रहा है। इससे लागत और ऊर्जा की बचत हुई है। प्रतिवर्ष 38 मिलियन टन से अधिक कार्बन डाइऑक्साइड कम हो गया है। भारत के गिव इट अप मूवमेंट का एक और उदाहरण है। लोगों से अधिक जरूरतमंद लोगों के लाभ के लिए अपनी एलपीजी सब्सिडी छोड़ने के लिए एक सरल अनुरोध किया गया था। संपूर्ण भारत में बहुत से लोगों ने स्वेच्छा से अपनी सब्सिडी छोड़ दी। इससे भारत अपने लाखों घरों में धुआं मुक्त रसोई प्रदान करने में प्रमुख भूमिका निभाने में सक्षम बना। भारत की एलपीजी कवरेज में 2014 के 55 प्रतिशत से आज 99.6 प्रतिशत तक की उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इसमें महिलाओं को मिलने वाले लाभ प्रमुख रहे हैं। इन दिनों मैं एक और सकारात्मक बदलाव देख रहा हूं। भारत में अपशिष्ट से धन सृजन की दिशा में कार्य हो रहा है। हमारे नागरिक विभिन्न क्षेत्रों में अद्वितीय रीसाइक्लिंग मॉडल के साथ आगे रहे हैं। यह अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगा। हमारा देश सस्ती परिवहन पहलों की दिशा में दीर्घकालिक विकल्प के तहत अपशिष्ट से धन सृजन की दिशा में कार्य कर रहा है। 15 एमएमटी के उत्पादन लक्ष्य के साथ 2024 तक 5000 कम्प्रैस्ड बायोगैस संयंत्र स्थापित किए जाएंगे। यह पर्यावरण और भविष्य में मानव सशक्तीकरण में मदद करेगा। + +यह जानकर आप सभी को प्रसन्नता होगी कि पिछले सात वर्षों में, भारत का वन क्षेत्र काफी बढ़ गया है। शेरों, बाघों, तेंदुओं और जल प्रवाल की आबादी बढ़ी है। ये सकारात्मक व्यवहार परिवर्तन के शानदार संकेतक हैं। यह ऐसे परिवर्तन हैं जो हमें विश्वास दिलाते हैं कि भारत 2030 की लक्ष्य तिथि से पहले ही अपने पेरिस समझौते के लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में बेहतर मार्ग पर है। + diff --git a/pm-speech/206.txt b/pm-speech/206.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..809fb20845d459376ba867218518029ce63d7c1c --- /dev/null +++ b/pm-speech/206.txt @@ -0,0 +1,12 @@ +सबसे पहले COVID-19 से स्वीडन में हुई जनहानि के लिए मेरी ओर से और पूरे भारत की ओर से हार्दिक संवेदनाएं व्यक्त करना चाहता हूँ। स्वीडन में परसों हुए हिंसक हमले के लिए, मैं सभी भारतीय नागरिकों की ओर से स्वीडन के लोगों के साथ solidarity व्यक्त करना चाहता हूँ। हमले में घायल लोग शीघ्र ही पूरी तरह recover होंगे, यही हमारी कामना है। + +2018 में स्वीडन ने पहली India-नॉर्डिक summit आयोजित की थी। उस समय मुझे स्टॉकहोम आने का अवसर मिला था। मैं आशा करता हूँ कि जल्द ही दूसरी India-नॉर्डिक summit के दौरान हमें फिर से मिलने का मौका मिलेगा। 2019 में His Majesty the King और Her Majesty की भारत यात्रा हमारे लिए बहुत सौभाग्य का अवसर था। मेरी उनके साथ कई विषयों पर बहुत अच्छी चर्चा हुई थी। मुझे बराबर याद है कि His Majesty और मैंने crop stubble को power plants में उपयोग हेतु ब्रिकेट बनाने के बारे में collaboration को review किया था। आपको जान कर ख़ुशी होगी कि इसका demonstration plant अच्छा काम कर रहा है। अब हम इसको biomass से coal बनाने के लिए बड़े स्तर पर scale-up कर सकते हैं। + +COVID-19 के दौरान हमने रीजनल और global, दोनों levels पर collaboration के महत्व को पहचाना है। विश्व को COVID-19 pandemic के खिलाफ लड़ाई में सहयोग देने के लिए भारत ने 150 से भी ज्यादा देशों को दवाएँ और अन्य जरूरी उपकरण उपलब्ध कराए। साथ ही, हमने online training programmes के द्वारा एशिया, South-East Asia और Africa के frontline health workers और पॉलिसी मेकर्स के साथ अपने अनुभव साझा किए। हमने अब तक लगभग 50 देशों को ‘Made in India’ vaccines भी उपलब्ध कराई हैं। और आने वाले दिनों में और भी अनेक देशों को vaccines की supply करने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। + +आज के माहौल में सभी like-minded देशों के बीच coordination, cooperation और collaboration और महत्वपूर्ण हो गया है। Democracy, human rights, rule of law, equality, freedom, justice जैसी shared values हमारे संबंधों और आपसी सहयोग को मजबूती देते हैं। Climate change का महत्वपूर्ण मुद्दा हम दोनों देशों के लिए एक प्राथमिकता है और हम इस पर आपके साथ काम करना चाहेंगे। भारत की संस्कृति में पर्यावरण के संरक्षण और nature के साथ harmony में जीने पर हमेशा महत्त्व दिया गया है। + +हम Paris Agreement में किये गए अपने commitments पर दृढ़ता से आगे बढ़ रहे हैं। हम इन targets को न सिर्फ achieve करेंगे, बल्कि उन्हें exceed करेंगे। G20 देशों में शायद भारत ही अपने commitments पर अच्छी progress कर पाया है। पिछले पांच सालों में हमारी renewable power क्षमता one hundred and sixty two percent बढ़ी है। और हमने 2030 तक 450 गीगावाट renewable energy लगाने का target रखा है। LED lights के इस्तेमाल को बढ़ावा देने से हम 30 million tons carbon dioxide emissions बचा रहें हैं। International Solar Alliance में स्वीडन के शामिल होने की घोषणा का हम स्वागत करते हैं। हम आपको Coalition for Disaster Resilient Infrastructure शीघ्र join करने के लिए भी आमंत्रित करते हैं। + +Post-COVID stabilisation और recovery में भारत-स्वीडन partnership एक अहम भूमिका अदा कर सकती है। हम Innovation, technology, investment, start-ups और research के क्षेत्र में आपसी सहयोग को और गहरा कर सकते हैं। Smart cities, water treatment, waste management, circular economy, smart grids, e-mobility, digital transformation इत्यादि अनेक क्षेत्रों में भी आपसी सहयोग बढ़ाने का अच्छा पोटेंशियल है। मुझे भरोसा है कि आज की हमारी Virtual Summit में हमारे सहयोग के नए आयाम जुड़ेंगे। + diff --git a/pm-speech/208.txt b/pm-speech/208.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..2010177478296562f6debbbc24fac9f959359850 --- /dev/null +++ b/pm-speech/208.txt @@ -0,0 +1,28 @@ +आज का ये मंथन ऐसे समय में हो रहा है जब देश, अपने Personal, Intellectual, Industrial Temperament और Talent को दिशा देने वाले पूरे Ecosystem को Transform करने की तरफ तेजी से बढ़ रहा है। इसे और गति देने के लिए आप सभी से बजट से पहले भी सुझाव लिए गए थे नई राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति के संबंध में भी देश के लाखों लोगों से विचार-विमर्श करने का सौभाग्‍य मिला था और अब इसके Implementation के लिए हम सभी को साथ मिलकर चलना है। + +इस वर्ष का बजट भी इस दिशा में बहुत मददगार सिद्ध होगा। इस वर्ष के बजट में health के बाद जो दूसरा सबसे बड़ा focus है, वो education, skill, research और innovation पर ही है। देश के यूनिवर्सिटी, कॉलेज और R&D Institutions में बेहतर Synergy, आज हमारे देश की सबसे बड़ी जरूरत बन गई है।  इसी को ध्यान में रखते हुए Glue Grant का प्रावधान किया गया है, जिसके तहत अभी 9 शहरों में इसके लिए ज़रूरी mechanism  तैयार किए जा सकें।  + +Apprenticeship पर, Skill development और upgradation पर इस बजट में जो बल दिया गया है वो भी अभूतपूर्व है। इस बजट में इनको लेकर जितने भी प्रावधान किए गए हैं, Higher Education को लेकर देश की approach में एक बड़ा Shift आने वाले हैं। बीते वर्षों में Education को Employability और Entrepreneurial Capabilities से जोड़ने का जो प्रयास किया गया है, ये बजट उनको और विस्तार देता है। + +पहली बार देश के स्कूलों में Atal Tinkering Labs से लेकर उच्च संस्थानों में Atal Incubation Centers तक पर फोकस किया जा रहा है। देश में स्टार्ट अप्स के लिए Hackathons की नई परंपरा देश में बन चुकी है, जो देश के युवाओं और इंडस्ट्री, दोनों के लिए बहुत बड़ी ताकत बन रही है। National Initiative for Developing and Harnessing Innovation के माध्यम से ही साढ़े 3 हज़ार से ज्यादा Startup, nurture किए जा चुके हैं। + +इसी तरह, The National Super कमप्यूटिंग Mission के तहत, परम शिवाय, परम शक्ति और परम ब्रह्मा, नाम से तीन सुपर कंप्यूटर IIT BHU, IIT-Kharagpur और IISER, Pune में स्थापित किए जा चुके हैं। इस वर्ष देश के एक दर्जन से ज्यादा संस्थानों में ऐसे सुपर कंप्यूटर स्थापित करने की योजना है। IIT Kharagpur, IIT Delhi और BHU में तीन Sophisticated Analytical और Technical Help Institutes (SATHI) भी सेवा दे रहे हैं। + +हाल में दो और बड़े कदम उठाए गए हैं, जिससे innovation, research और development के पूरे Ecosystem को बहुत लाभ होगा। देश को पहली बार Meteorology से जुड़े अतंर्राष्ट्रीय मानकों पर खरा उतरने वाले Indian Solutions मिल चुके हैं और ये सिस्टम लगातार मजबूत किया जा रहा है। इससे R&D और हमारे Products की Global Competency में बहुत सुधार आएगा। + +इसके अलावा हाल में Geo-spatial Data को लेकर भी बहुत बड़ा reform किया गया है। अब Space Data और इससे आधारित Space Technology को देश के युवाओं के लिए, देश के युवा Entrepreneurs के लिए, Startups के लिए खोल दिया गया है। मेरा आप सभी साथियों से आग्रह है कि इन रिफॉर्म्स का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करें, ज्यादा से ज्यादा लाभ उठाएं। + +इस वर्ष के बजट में Institution Making और Access पर और जोर दिया गया है। देश में पहली बार National Research Foundation का निर्माण किया जा रहा है। इसके लिए 50 हज़ार करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। इससे research से जुड़े संस्थानों के Governance Structure से लेकर R&D, Academia और Industry की Linkage को बल मिलेगा। Biotechnology से जुड़ी रिसर्च के लिए बजट में 100 प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि सरकार की प्राथमिकताओं को दर्शाती है। + +उनका जीवन बेहतर बनाने के लिए Biotechnology से जुड़ी रिसर्च में जो साथी लगे हैं, देश को उनसे बहुत उम्मीदें हैं। मेरा इंडस्ट्री के तमाम साथियों से आग्रह है कि इसमें अपनी भागीदारी को बढ़ाएं। देश में 10 Biotech University Research Joint Industry Translational Cluster (URJIT) भी बनाए जा रहे हैं।ताकि इसमें होने वाले Inventions और Innovations का इंडस्ट्री तेज़ी से उपयोग कर सके। इसी तरह देश के 100 से ज्यादा Aspirational Districts में Biotech-किसान प्रोग्राम हो, Himalayan Bio-resource Mission Programme हो या फिर Consortium Programme on Marine Biotechnology Network, इसमें रिसर्च और इंडस्ट्री की भागीदारी बेहतर कैसे हो सकती है, इसके लिए हमें मिलकर काम करना है। + +Future Fuel, Green Energy, हमारी Energy में आत्मनिर्भरता के लिए बहुत ज़रूरी है। इसलिए बजट में घोषित Hydrogen Mission एक बहुत बड़ा संकल्प है। भारत ने Hydrogen Vehicle का Test कर लिया है। अब Hydrogen को ट्रांसपोर्ट के Fuel के रूप में उपयोगिता और इसके लिए खुद को Industry Ready बनाने के लिए अब हमें मिलकर आगे बढ़ना होगा। इसके अलावा समुद्री संपदा से जुड़ी रिसर्च में भी अपने सामर्थ्य को हमें बढ़ाना है। सरकार Deep Sea Mission लॉन्च भी करने वाली है। ये मिशन, Goal-oriented होगा और multi-sectoral approach पर आधारित होगा, ताकि Blue Economy के Potential को हम पूरी तरह से Unlock कर सकें। + +हमें ये याद रखना है Access और Inclusion ये अनिवार्य हो गया है। और Affordability, Access की एक बहुत बड़ी पूर्व शर्त होती है। एक और बात जिस पर हमें फोकस करना है वो है Global को Local के साथ Integrate कैसे करें। आज भारत के talent की पूरी दुनिया में बहुत demand है। इसके लिए ज़रूरी है कि Global Demand को देखते हुए Skill Sets की Mapping हो और उसके आधार पर देश में युवाओं को तैयार किया जाए। + +International Campuses को भारत में लाने की बात हो या फिर दूसरे देशों की Best Practices को Collaboration के साथ adopt करना हो, इसके लिए हमें कंधे से कंधा मिलाकर चलना होगा। देश के युवाओं को Industry Ready बनाने के साथ-साथ नई चुनौतियों, बदलती टेक्नॉलॉजी के साथ Skill Up gradation करने के प्रभावी मैकेनिज्म के बारे में भी एक संगठित प्रयास की ज़रूरत है। इस बजट में Ease of Doing Apprenticeship Program से भी इंडस्ट्री और देश के युवाओं को बहुत लाभ होने वाला है। मुझे विश्वास है कि इसमें भी इंडस्ट्री की भागीदारी में विस्तार होगा। + +Skill Development हो या फिर Research और Innovation, वो Comprehension यानि समझ के बिना संभव नहीं है। इसलिए नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से देश के Education System में ये सबसे बड़ा सुधार लाया जा रहा है। इस वेबिनार में बैठे तमाम एक्सपर्ट, तमाम शिक्षाविदों से बेहतर ये कौन जानता है कि विषय की समझ में भाषा का एक बहुत बड़ा योगदान होता है। नई National Education Policy में स्थानीय भाषा के ज्यादा से ज्यादा उपयोग के लिए प्रोत्साहन दिया गया है। + +मैं आपसे जरूर आग्रह करूंगा कि हमारे देश में talent की कमी नहीं है। गांव हो, गरीब हो, जिसको अपनी भाषा के सिवाय और कुछ नहीं आता है उसकी talent कम नहीं होती है। भाषा के कारण हमारे गांव की, हमारे गरीब की talent को हमें मरने नहीं देना चाहिए। देश में देश की विकास यात्रा से उसको वंचित नहीं रखना चाहिए। भारत की talent गांव में भी हैं, भारत की talent गरीब के घर में भी है, भारत की talent किसी एक किसी एक कोई बड़ी भाषा से वंचित रह गए हमारे देश के बच्‍चों में भी है और इसलिए उस talent का उपयोग इतने बड़े देश के लिए जोड़ना बहुत जरूरी है। इसलिए भाषा के barrier से बाहर निकल करके हमें उसकी भाषा में उसकी talent को फलने-फूलने के लिए अवसर देना, ये Mission Mode में करने की जरूरत है। बजट में घोषित National Language Translation Mission से इसके लिए बहुत प्रोत्साहन मिलेगा। + diff --git a/pm-speech/209.txt b/pm-speech/209.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..794a939814d5d01465ce923588d9918c3918d801 --- /dev/null +++ b/pm-speech/209.txt @@ -0,0 +1,58 @@ +और इसके परिणाम दिखाई दे रहे हैं। 2014 में प्रमुख बंदरगाहों की क्षमता प्रतिवर्ष 870 मिलिटन टन थी जोकि बढ़कर अब प्रतिवर्ष लगभग 1550 मिलियन टन हो गई है। यह उत्पादकता लाभ न केवल हमारे बंदरगाहों के लिए सहायक है बल्कि हमारे उत्पादों को अधिक स्पर्द्धी बनाकर समग्र अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में भी सहायक है। अब भारतीय बंदरगाहों के पास डायरेक्ट पोर्ट डिलेवरी, डायरेक्ट पोर्ट इंट्री तथा सहज डेटा प्रवाह के लिए पोर्ट कम्युनिटी सिस्टम जैसी सुविधाएं हैं। हमारे बंदरगाहों ने अंतरगामी तथा निर्गामी कार्गों के लिए प्रतीक्षा समय को कम कर दिया है। हम बंदरगाहों पर भंडारण सुविधा और उद्योगों को आकर्षित करने के लिए प्लग एंड प्ले अवसंरचना तैयार करने में बड़े पैमाने पर निवेश कर रहे हैं। बंदरगाह सतत ड्रेजिंग तथा घरेलू शिप रिसाइक्लिंग के माध्यम से अपशिष्ट को धन में प्रोत्साहित करेंगे। हम बंदरगाह क्षेत्र में निजी निवेश को प्रोत्साहन देंगे। + +मैरीटाइम इंडिया विजन 2030 लांच किया गया है। इसमें सरकार की प्राथमिकताएं बताई गई हैं। सागर मंथनः मर्केंटाइल मैरीन डोमेन जागरूकता केंद्र भी आज लांच किया गया है। यह मैरीटाइम सुरक्षा, तलाशी तथा बचाव क्षमताओँ को बढ़ाने, सुरक्षा तथा मरीन पर्यावरण संरक्षण बढ़ाने के लिए सूचना प्रणाली है। सरकार ने 2016 में बंदरगाहमुखी विकास को प्रोत्साहित करने के लिए सागर माला परियोजना की घोषणा की थी। कार्यक्रम के हिस्से के रूप में 82 बिलियन डॉलर यानी 6 लाख करोड़ रुपए मूल्य की 574 परियोजनाओं को 2015 से 2035 के दौरान लागू करने के लिए चिन्हित किया गया है। + +और इसके परिणाम दिखाई दे रहे हैं। 2014 में प्रमुख बंदरगाहों की क्षमता प्रतिवर्ष 870 मिलिटन टन थी जोकि बढ़कर अब प्रतिवर्ष लगभग 1550 मिलियन टन हो गई है। यह उत्पादकता लाभ न केवल हमारे बंदरगाहों के लिए सहायक है बल्कि हमारे उत्पादों को अधिक स्पर्द्धी बनाकर समग्र अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में भी सहायक है। अब भारतीय बंदरगाहों के पास डायरेक्ट पोर्ट डिलेवरी, डायरेक्ट पोर्ट इंट्री तथा सहज डेटा प्रवाह के लिए पोर्ट कम्युनिटी सिस्टम जैसी सुविधाएं हैं। हमारे बंदरगाहों ने अंतरगामी तथा निर्गामी कार्गों के लिए प्रतीक्षा समय को कम कर दिया है। हम बंदरगाहों पर भंडारण सुविधा और उद्योगों को आकर्षित करने के लिए प्लग एंड प्ले अवसंरचना तैयार करने में बड़े पैमाने पर निवेश कर रहे हैं। बंदरगाह सतत ड्रेजिंग तथा घरेलू शिप रिसाइक्लिंग के माध्यम से अपशिष्ट को धन में प्रोत्साहित करेंगे। हम बंदरगाह क्षेत्र में निजी निवेश को प्रोत्साहन देंगे। + +मैरीटाइम इंडिया विजन 2030 लांच किया गया है। इसमें सरकार की प्राथमिकताएं बताई गई हैं। सागर मंथनः मर्केंटाइल मैरीन डोमेन जागरूकता केंद्र भी आज लांच किया गया है। यह मैरीटाइम सुरक्षा, तलाशी तथा बचाव क्षमताओँ को बढ़ाने, सुरक्षा तथा मरीन पर्यावरण संरक्षण बढ़ाने के लिए सूचना प्रणाली है। सरकार ने 2016 में बंदरगाहमुखी विकास को प्रोत्साहित करने के लिए सागर माला परियोजना की घोषणा की थी। कार्यक्रम के हिस्से के रूप में 82 बिलियन डॉलर यानी 6 लाख करोड़ रुपए मूल्य की 574 परियोजनाओं को 2015 से 2035 के दौरान लागू करने के लिए चिन्हित किया गया है। + +और इसके परिणाम दिखाई दे रहे हैं। 2014 में प्रमुख बंदरगाहों की क्षमता प्रतिवर्ष 870 मिलिटन टन थी जोकि बढ़कर अब प्रतिवर्ष लगभग 1550 मिलियन टन हो गई है। यह उत्पादकता लाभ न केवल हमारे बंदरगाहों के लिए सहायक है बल्कि हमारे उत्पादों को अधिक स्पर्द्धी बनाकर समग्र अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में भी सहायक है। अब भारतीय बंदरगाहों के पास डायरेक्ट पोर्ट डिलेवरी, डायरेक्ट पोर्ट इंट्री तथा सहज डेटा प्रवाह के लिए पोर्ट कम्युनिटी सिस्टम जैसी सुविधाएं हैं। हमारे बंदरगाहों ने अंतरगामी तथा निर्गामी कार्गों के लिए प्रतीक्षा समय को कम कर दिया है। हम बंदरगाहों पर भंडारण सुविधा और उद्योगों को आकर्षित करने के लिए प्लग एंड प्ले अवसंरचना तैयार करने में बड़े पैमाने पर निवेश कर रहे हैं। बंदरगाह सतत ड्रेजिंग तथा घरेलू शिप रिसाइक्लिंग के माध्यम से अपशिष्ट को धन में प्रोत्साहित करेंगे। हम बंदरगाह क्षेत्र में निजी निवेश को प्रोत्साहन देंगे। + +मैरीटाइम इंडिया विजन 2030 लांच किया गया है। इसमें सरकार की प्राथमिकताएं बताई गई हैं। सागर मंथनः मर्केंटाइल मैरीन डोमेन जागरूकता केंद्र भी आज लांच किया गया है। यह मैरीटाइम सुरक्षा, तलाशी तथा बचाव क्षमताओँ को बढ़ाने, सुरक्षा तथा मरीन पर्यावरण संरक्षण बढ़ाने के लिए सूचना प्रणाली है। सरकार ने 2016 में बंदरगाहमुखी विकास को प्रोत्साहित करने के लिए सागर माला परियोजना की घोषणा की थी। कार्यक्रम के हिस्से के रूप में 82 बिलियन डॉलर यानी 6 लाख करोड़ रुपए मूल्य की 574 परियोजनाओं को 2015 से 2035 के दौरान लागू करने के लिए चिन्हित किया गया है। + +और इसके परिणाम दिखाई दे रहे हैं। 2014 में प्रमुख बंदरगाहों की क्षमता प्रतिवर्ष 870 मिलिटन टन थी जोकि बढ़कर अब प्रतिवर्ष लगभग 1550 मिलियन टन हो गई है। यह उत्पादकता लाभ न केवल हमारे बंदरगाहों के लिए सहायक है बल्कि हमारे उत्पादों को अधिक स्पर्द्धी बनाकर समग्र अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में भी सहायक है। अब भारतीय बंदरगाहों के पास डायरेक्ट पोर्ट डिलेवरी, डायरेक्ट पोर्ट इंट्री तथा सहज डेटा प्रवाह के लिए पोर्ट कम्युनिटी सिस्टम जैसी सुविधाएं हैं। हमारे बंदरगाहों ने अंतरगामी तथा निर्गामी कार्गों के लिए प्रतीक्षा समय को कम कर दिया है। हम बंदरगाहों पर भंडारण सुविधा और उद्योगों को आकर्षित करने के लिए प्लग एंड प्ले अवसंरचना तैयार करने में बड़े पैमाने पर निवेश कर रहे हैं। बंदरगाह सतत ड्रेजिंग तथा घरेलू शिप रिसाइक्लिंग के माध्यम से अपशिष्ट को धन में प्रोत्साहित करेंगे। हम बंदरगाह क्षेत्र में निजी निवेश को प्रोत्साहन देंगे। + +मैरीटाइम इंडिया विजन 2030 लांच किया गया है। इसमें सरकार की प्राथमिकताएं बताई गई हैं। सागर मंथनः मर्केंटाइल मैरीन डोमेन जागरूकता केंद्र भी आज लांच किया गया है। यह मैरीटाइम सुरक्षा, तलाशी तथा बचाव क्षमताओँ को बढ़ाने, सुरक्षा तथा मरीन पर्यावरण संरक्षण बढ़ाने के लिए सूचना प्रणाली है। सरकार ने 2016 में बंदरगाहमुखी विकास को प्रोत्साहित करने के लिए सागर माला परियोजना की घोषणा की थी। कार्यक्रम के हिस्से के रूप में 82 बिलियन डॉलर यानी 6 लाख करोड़ रुपए मूल्य की 574 परियोजनाओं को 2015 से 2035 के दौरान लागू करने के लिए चिन्हित किया गया है। + +और इसके परिणाम दिखाई दे रहे हैं। 2014 में प्रमुख बंदरगाहों की क्षमता प्रतिवर्ष 870 मिलिटन टन थी जोकि बढ़कर अब प्रतिवर्ष लगभग 1550 मिलियन टन हो गई है। यह उत्पादकता लाभ न केवल हमारे बंदरगाहों के लिए सहायक है बल्कि हमारे उत्पादों को अधिक स्पर्द्धी बनाकर समग्र अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में भी सहायक है। अब भारतीय बंदरगाहों के पास डायरेक्ट पोर्ट डिलेवरी, डायरेक्ट पोर्ट इंट्री तथा सहज डेटा प्रवाह के लिए पोर्ट कम्युनिटी सिस्टम जैसी सुविधाएं हैं। हमारे बंदरगाहों ने अंतरगामी तथा निर्गामी कार्गों के लिए प्रतीक्षा समय को कम कर दिया है। हम बंदरगाहों पर भंडारण सुविधा और उद्योगों को आकर्षित करने के लिए प्लग एंड प्ले अवसंरचना तैयार करने में बड़े पैमाने पर निवेश कर रहे हैं। बंदरगाह सतत ड्रेजिंग तथा घरेलू शिप रिसाइक्लिंग के माध्यम से अपशिष्ट को धन में प्रोत्साहित करेंगे। हम बंदरगाह क्षेत्र में निजी निवेश को प्रोत्साहन देंगे। + +मैरीटाइम इंडिया विजन 2030 लांच किया गया है। इसमें सरकार की प्राथमिकताएं बताई गई हैं। सागर मंथनः मर्केंटाइल मैरीन डोमेन जागरूकता केंद्र भी आज लांच किया गया है। यह मैरीटाइम सुरक्षा, तलाशी तथा बचाव क्षमताओँ को बढ़ाने, सुरक्षा तथा मरीन पर्यावरण संरक्षण बढ़ाने के लिए सूचना प्रणाली है। सरकार ने 2016 में बंदरगाहमुखी विकास को प्रोत्साहित करने के लिए सागर माला परियोजना की घोषणा की थी। कार्यक्रम के हिस्से के रूप में 82 बिलियन डॉलर यानी 6 लाख करोड़ रुपए मूल्य की 574 परियोजनाओं को 2015 से 2035 के दौरान लागू करने के लिए चिन्हित किया गया है। + +और इसके परिणाम दिखाई दे रहे हैं। 2014 में प्रमुख बंदरगाहों की क्षमता प्रतिवर्ष 870 मिलिटन टन थी जोकि बढ़कर अब प्रतिवर्ष लगभग 1550 मिलियन टन हो गई है। यह उत्पादकता लाभ न केवल हमारे बंदरगाहों के लिए सहायक है बल्कि हमारे उत्पादों को अधिक स्पर्द्धी बनाकर समग्र अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में भी सहायक है। अब भारतीय बंदरगाहों के पास डायरेक्ट पोर्ट डिलेवरी, डायरेक्ट पोर्ट इंट्री तथा सहज डेटा प्रवाह के लिए पोर्ट कम्युनिटी सिस्टम जैसी सुविधाएं हैं। हमारे बंदरगाहों ने अंतरगामी तथा निर्गामी कार्गों के लिए प्रतीक्षा समय को कम कर दिया है। हम बंदरगाहों पर भंडारण सुविधा और उद्योगों को आकर्षित करने के लिए प्लग एंड प्ले अवसंरचना तैयार करने में बड़े पैमाने पर निवेश कर रहे हैं। बंदरगाह सतत ड्रेजिंग तथा घरेलू शिप रिसाइक्लिंग के माध्यम से अपशिष्ट को धन में प्रोत्साहित करेंगे। हम बंदरगाह क्षेत्र में निजी निवेश को प्रोत्साहन देंगे। + +मैरीटाइम इंडिया विजन 2030 लांच किया गया है। इसमें सरकार की प्राथमिकताएं बताई गई हैं। सागर मंथनः मर्केंटाइल मैरीन डोमेन जागरूकता केंद्र भी आज लांच किया गया है। यह मैरीटाइम सुरक्षा, तलाशी तथा बचाव क्षमताओँ को बढ़ाने, सुरक्षा तथा मरीन पर्यावरण संरक्षण बढ़ाने के लिए सूचना प्रणाली है। सरकार ने 2016 में बंदरगाहमुखी विकास को प्रोत्साहित करने के लिए सागर माला परियोजना की घोषणा की थी। कार्यक्रम के हिस्से के रूप में 82 बिलियन डॉलर यानी 6 लाख करोड़ रुपए मूल्य की 574 परियोजनाओं को 2015 से 2035 के दौरान लागू करने के लिए चिन्हित किया गया है। + +और इसके परिणाम दिखाई दे रहे हैं। 2014 में प्रमुख बंदरगाहों की क्षमता प्रतिवर्ष 870 मिलिटन टन थी जोकि बढ़कर अब प्रतिवर्ष लगभग 1550 मिलियन टन हो गई है। यह उत्पादकता लाभ न केवल हमारे बंदरगाहों के लिए सहायक है बल्कि हमारे उत्पादों को अधिक स्पर्द्धी बनाकर समग्र अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में भी सहायक है। अब भारतीय बंदरगाहों के पास डायरेक्ट पोर्ट डिलेवरी, डायरेक्ट पोर्ट इंट्री तथा सहज डेटा प्रवाह के लिए पोर्ट कम्युनिटी सिस्टम जैसी सुविधाएं हैं। हमारे बंदरगाहों ने अंतरगामी तथा निर्गामी कार्गों के लिए प्रतीक्षा समय को कम कर 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बचाव क्षमताओँ को बढ़ाने, सुरक्षा तथा मरीन पर्यावरण संरक्षण बढ़ाने के लिए सूचना प्रणाली है। सरकार ने 2016 में बंदरगाहमुखी विकास को प्रोत्साहित करने के लिए सागर माला परियोजना की घोषणा की थी। कार्यक्रम के हिस्से के रूप में 82 बिलियन डॉलर यानी 6 लाख करोड़ रुपए मूल्य की 574 परियोजनाओं को 2015 से 2035 के दौरान लागू करने के लिए चिन्हित किया गया है। + +मैरीटाइम इंडिया विजन 2030 लांच किया गया है। इसमें सरकार की प्राथमिकताएं बताई गई हैं। सागर मंथनः मर्केंटाइल मैरीन डोमेन जागरूकता केंद्र भी आज लांच किया गया है। यह मैरीटाइम सुरक्षा, तलाशी तथा बचाव क्षमताओँ को बढ़ाने, सुरक्षा तथा मरीन पर्यावरण संरक्षण बढ़ाने के लिए सूचना प्रणाली है। सरकार ने 2016 में बंदरगाहमुखी विकास को प्रोत्साहित करने के लिए सागर माला परियोजना की घोषणा की थी। कार्यक्रम के हिस्से के रूप में 82 बिलियन डॉलर यानी 6 लाख करोड़ रुपए मूल्य की 574 परियोजनाओं को 2015 से 2035 के दौरान लागू करने के लिए चिन्हित किया गया है। + +मैरीटाइम इंडिया विजन 2030 लांच किया गया है। इसमें सरकार की प्राथमिकताएं बताई गई हैं। सागर मंथनः मर्केंटाइल मैरीन 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माला परियोजना की घोषणा की थी। कार्यक्रम के हिस्से के रूप में 82 बिलियन डॉलर यानी 6 लाख करोड़ रुपए मूल्य की 574 परियोजनाओं को 2015 से 2035 के दौरान लागू करने के लिए चिन्हित किया गया है। + diff --git a/pm-speech/210.txt b/pm-speech/210.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..eeea17cbca344ac9d8f4b1570ce12ee1b06b1fdc --- /dev/null +++ b/pm-speech/210.txt @@ -0,0 +1,22 @@ +आपके सुझावों की इस वर्ष के बजट में बहुत अहम भूमिका रही है। और आपने भी जब बजट देखा होगा तो आप सबके ध्‍यान में आया होगा कि आपको सुझावों को, आपके विचारों को इसमें समाहित करने का भरसक प्रयास किया गया है। वो काम तो हो गया अब जो आज का ये संवाद है… ये संवाद कृषि सुधारों और बजट के प्रावधानों को हम आगे बढ़ाएं , तेजी से आगे बढ़ाएं, last mile delivery तक पहुंचे, निश्चित समयसीमा में करें। और बड़ी efficiency के साथ करें और फिर भी सबको जोड़ करके करें। Public-Private Partnership का perfect नमूना। centre or state coordination का perfect नमूना… ऐसा हम आज की चर्चा से निकालना चाहते हैं।   + +आप सभी आत्मनिर्भर भारत के लिए ज़रूरी आत्मनिर्भर ग्रामीण अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण Stake-holders हैं। मैंने कुछ समय पहले संसद में इस बात को विस्तार से रखा था कि कैसे देश के छोटे किसानों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने बीते वर्षों में अनेक महत्‍वपूर्ण निर्णय़ लिए हैं। इन छोटे किसानों की संख्या 12 करोड़ के करीब है और इनका सशक्तिकरण, इन छोटे किसानों का Empowerment ही भारतीय कृषि को अनेक परेशानियों से मुक्ति दिलाने में बहुत मदद करेगा। इतना ही नहीं ग्रामीण economy का driving force भी वही बनेगा। + +मैं अपनी बात आगे बढ़ाने से पहले, बजट में कृषि के लिए जो किया गया है, उसकी कुछ हाईलाइट्स आपके सामने दोहराना चाहता हूं। मैं जानता हूं आप इन सभी बातों से परिचित हैं।  सरकार ने इस बार Agriculture Credit Target को बढ़ाकर 16 लाख 50 हजार करोड़ रुपया कर दिया है। इसमें भी पशुपालन, डेयरी और फिशरीज सेक्टर को प्राथमिकता दी गई है। Rural Infrastructure Fund को भी बढ़ाकर 40 हजार करोड़ रुपए कर दिया गया है। माइक्रो इरिगेशन फंड की भी राशि बढ़ाकर दोगुनी कर दी गई है। Operation Green स्कीम का दायरा बढ़ाकर अब 22 Perishable Products तक उसको कर दिया गया है। देश की 1000 और मंडियों को e-NAM से जोड़ने का फैसला लिया गया है। इन सारे ही निर्णयों में सरकार की सोच झलकती है, सरकार का इरादा महसूस होता है और साथ-साथ सरकार के विजन का पता चलता है। और ये सारी बाते आप सबके के साथ चर्चा में से उभरी हुई हैं। जिसको हमने आगे बढ़ाया है।  लगातार बढ़ते हुए कृषि उत्पादन के बीच, 21वीं सदी में भारत को Post Harvest क्रांति या फिर Food Processing क्रांति और Value Addition की आवश्यकता है। देश के लिए बहुत अच्छा होता अगर ये काम दो-तीन दशक पहले ही कर लिया गया होता। अब हमें जो समय बीत गया है, उसकी भरपाई तो करनी ही करनी है, आने वाले दिनों के लिए भी अपनी तैयारी और अपनी तेजी को बढ़ाना है। + +आज ये समय की मांग है कि देश के किसान की उपज को बाज़ार में ज्यादा से ज्यादा विकल्प मिले। सिर्फ Raw Product, या फिर सिर्फ उपज तक किसान को सीमित रखने का नुकसान देश देख रहा है। हमें देश के एग्रीकल्चर सेक्टर का, Processed Food के वैश्विक मार्केट में विस्तार करना ही होगा। हमें गांव के पास ही Agro-Industries Clusters की संख्या बढ़ानी ही होगी ताकि गांव के लोगों को गांव में ही खेती से जुड़े रोज़गार मिल सकें। Organic Clusters, Export Clusters इसकी भी इसमें बड़ी भूमिका होगी। गांव से एग्रोबेस्ड प्रोडक्ट्स शहरों की तरफ जाएं और शहरों से दूसरे इंडस्ट्रियल प्रोडक्ट्स गांव पहुंचें, ऐसी स्थिति की तरफ हमें बढ़ना होगा। अभी भी लाखों Micro Food Processing Units देश में चल रही हैं।  लेकिन उनका विस्तार करना, उनके सामर्थ्य को बढ़ाना… ये आज समय की मांग है, बहुत ज़रूरी है। One District, One Product, इस योजना, कैसे हमारे उत्पादों को विश्व बाजार तक लेकर जाए, इसके लिए हमें पूरी ताकत से जुटना होगा। + +सिर्फ खेती ही नहीं, यहां तक कि फिशरीज सेक्टर में Processing का भी एक बहुत बड़ा स्कोप हमारे यहां है। भले ही हम दुनिया के बड़े Fish Producers और Exporters में से एक हैं, लेकिन Processed Fish के इंटरनेशनल मार्केट में हमारी उपस्थिति बहुत सीमित है। भारत की Fish, East Asia से होते हुए Processed Form में विदेशी मार्केट तक पहुंचती है। ये स्थिति हमें बदलनी ही होगी। + +ऑपरेशन ग्रीन्स योजना के तहत किसान रेल के लिए सभी फलों और सब्जियों के परिवहन पर 50 प्रतिशत सब्सिडी दी जा रही है। किसान रेल भी आज देश के कोल्ड स्टोरेज नेटवर्क का सशक्त माध्यम बनी है। ये किसान रेल, छोटे किसानों, मछुआरों को बड़े बाज़ार और ज्यादा डिमांड वाले बाज़ार से जोड़ने में सफल हो रही है। बीते 6 महीने में ही करीब पौने 3 सौ किसान रेलें चलाई जा चुकीं हैं और इनके ज़रिए करीब-करीब 1 लाख मीट्रिक टन फल और सब्जियां ट्रांसपोर्ट की जा चुकी हैं। ये छोटे किसानों के लिए बहुत बड़ा माध्यम तो है ही, कंज्यूमर और इंडस्ट्री को भी इसका लाभ हो रहा है। + +साथियों, देश भर के जिलों के बीच में वहां पैदा होने वाले फल-सब्जियों की प्रोसेसिंग के लिए क्लस्टर्स बनाने पर बल दिया जा रहा है। इसी तरह आत्म निर्भर अभियान के तहत, प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम उन्नयन स्कीम के तहत लाखों छोटी Food and Processing Units को मदद दी जा रही है।  इसके लिए ज़रूरी इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर यूनिट्स लगाने तक आपकी भागीदारी बहुत महत्वपूर्ण है।  + +किसान की उपज मंडी तक पहुंचाने के लिए ट्रक एग्रीगेटर्स का प्रयोग तो कोरोना काल में कुछ हद तक किया भी गया था। और लोगों को अच्‍छा लगा था। इसका विस्तार खेत से मंडी या फैक्ट्रियों तक, खेत से किसान रेल तक ये कैसे हो सके, इस पर हमें काम करना होगा। खेती से जुड़ा एक और अहम पहलू सॉयल टेस्टिंग का है। बीते वर्षों में केंद्र सरकार द्वारा करोड़ों किसानों को सॉयल हेल्थ कार्ड दिए गए हैं। अब हमें देश में सॉयल हेल्थ कार्ड की टेस्टिंग की सुविधा, गांव-गांव तक पहुंचानी है। जैसे ब्लड टेस्टिंग की लैब्स होती हैं, उनका एक नेटवर्क होता है, वैसे ही हमें सॉयल टेस्टिंग के लिए भी करना है। और उसमें private party बहुत बड़ी मात्रा में जुड़ सकती है। और एक बार सॉयल टेस्टिंग का नेटवर्क बन जाए और किसान को सॉयल टेस्टिंग की आदत हो जाए। उसके अपने खेत की जमीन की सेहत कैसी है, उस जमीन के प्रति उसके अंदर जागरूकता आएगी तो उसके सारे निर्णयों में बहुत बड़ा बदलाव आएगा। देश के किसान को जितना ज्यादा अपनी मिट्टी की सेहत के बारे में पता रहेगा, उतना ही अच्छा, अच्‍छे तरीके से वो फसल के उत्पादन पर प्रभाव पैदा करेगा। + +एग्रीकल्चर सेक्टर में R&D को लेकर ज्यादातर योगदान पब्लिक सेक्टर का ही है। अब समय आ गया है कि इसमें प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी बढ़े। R&D की जब बात आती है तो सिर्फ बीज तक ही सीमित नहीं बल्कि मैं एक फसल से जुड़े पूरे साइंटिफिक इकोसिस्टम की बात कर रहा हूं। होलिस्टिक एप्रोच चाहिए, पूरा साइकिल होना चाहिए। हमें अब किसानों को ऐसे विकल्प देने हैं जिसमें वो  गेहूं-चावल उगाने तक ही सीमित न रहे। ऑर्गेनिक फूड से लेकर सलाद से जुड़ी सब्जियों तक, ऐसी अनेक फसलें हैं, जो हम आज़मा सकते हैं। इसी तरह, मैं आपको Millets के नए मार्केट को भी Tap करने का सुझाव दूंगा। मोटे अनाज के लिए भारत की एक बड़ी ज़मीन बहुत उपयोगी है। ये कम पानी में भी बेहतरीन उपज देते हैं। Millets की डिमांड पहले ही दुनिया में बहुत अधिक थी, अब कोरोना के बाद तो ये इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में बहुत popular हो चुका है। इस तरफ किसानों को प्रोत्साहित करना भी फूड इंडस्ट्री के साथियों की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। + +Sea Weed और Bee Wax, आज हनी का हमारे यहां धीरे-धीरे फैलाव हो रहा है। और किसान भी honey bee की दिशा में काम कर रहे हैं। ऐसे में समुद्री तट पर see weed और बाकी क्षेत्रों में honey bee और फिर bee wax इसके मार्केट को Tap करना भी समय की ज़रूरत है। Sea Weed की Farming के लिए देश में बहुत संभावनाएं हैं, क्योंकि एक बहुत बड़ी Coastline हमारे पास है। Sea Weed से हमारे मछुआरों को आमदनी का एक बड़ा माध्यम मिलेगा। इसी तरह हम शहद के व्यापार में तो बेहतर कर रहे हैं, हमें Bee Wax को लेकर भी अपनी भागीदारी और बढ़ानी है। इसमें आपका  ज्यादा से ज्यादा कंट्रीब्यूशन कैसे हो सकता है, इस पर भी … आज जब दिन भर आप चर्चा करेंगे, विचार-विमर्श करेंगे तो जरूर अच्‍छी-अच्‍छी बाते उभर कर आएंगी।  + +Contract Farming, लंबे समय से किसी ना किसी रूप में की जा रही है। हमारी कोशिश ये होनी चाहिए कि Contract Farming सिर्फ एक व्यापार बनकर ना रहे, बल्कि उस ज़मीन के प्रति हमारी ज़िम्मेदारी को भी हम निभाएं। हमें किसानों को ऐसी टेक्नॉलॉजी, ऐसे बीज उपलब्ध कराने हैं, जो ज़मीन के लिए भी Healthy हों और Nutrition की मात्रा भी उनमें अधिक हो। + diff --git a/pm-speech/211.txt b/pm-speech/211.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..fe088a6f091aed4d407061197beaa08f2d7aafe3 --- /dev/null +++ b/pm-speech/211.txt @@ -0,0 +1,108 @@ +उदाहरण के तौर पर हैदराबाद के चिंतला वेंकट रेड्डी जी हैं। रेड्डी जी के एक डॉक्टर मित्र ने उन्हें एक बार ‘विटामिन-डी’ की कमी से होने वाली बीमारियाँ और इसके खतरों के बारे में बताया। रेड्डी जी किसान हैं, उन्होंने सोचा कि वो इस समस्या के समाधान के लिए क्या कर सकते हैं ? इसके बाद उन्होंने मेहनत की और गेहूं चावल की ऐसी प्रजातियों को विकसित की जो खासतौर पर ‘विटामिन-डी’ से युक्त हैं। इसी महीने उन्हें World Intellectual Property Organization, Geneva से patent भी मिली है। ये हमारी सरकार का सौभाग्य है कि वेंकट रेड्डी जी को पिछले साल पद्मश्री से भी सम्मानित किया था। + +    साथियो, आजकल Chia seeds (चिया सीड्स) का नाम आप लोग बहुत सुनते होंगे। Health awareness से जुड़े लोग इसे काफी महत्व देते हैं और दुनिया में इसकी बड़ी मांग भी है। भारत में इसे ज्यादातर बाहर से मगाते  हैं, लेकिन अब, Chia seeds (चिया सीड्स) में आत्मनिर्भरता का बीड़ा भी लोग उठा रहे हैं। ऐसे ही यूपी के बाराबंकी में हरिश्चंद्र जी ने Chia seeds (चिया सीड्स) की खेती शुरू की है। Chia seeds (चिया सीड्स) की खेती उनकी आय भी बढ़ाएगी और आत्मनिर्भर भारत अभियान में भी मदद करेगी। + +बेतिया के रहने वाले प्रमोद जी, दिल्ली में एक Technician के रूप में LED Bulb बनाने वाली Factory में काम करते थे, उन्होंने इस factory में कार्य करने के दौरान पूरी प्रक्रिया को बहुत बारीकी से समझा । लेकिन कोरोना के दौरान प्रमोद जी को अपने घर वापस लौटना पड़ा। आप जानते हैं लौटने के बाद प्रमोद जी ने क्या किया ? उन्होंने खुद LED Bulb बनाने की एक छोटी-सी unit ही शुरू कर दी। उन्होंने अपने क्षेत्र के कुछ युवाओं को साथ लिया और कुछ ही महीनों में Factory worker से लेकर Factory owner बनने तक का सफर पूरा कर दिया। वह भी अपने ही घर में रहते हुये। + +    मेरे प्यारे देशवासियो, मैंने NaMoApp पर गुड़गाँव निवासी मयूर की एक Interesting post देखी। वे Passionate Bird Watcher और Nature Lover हैं। मयूर जी ने लिखा है कि मैं तो हरियाणा में रहता हूँ, लेकिन, मैं चाहता हूँ कि आप, असम के लोगों, और विशेष रूप से, Kaziranga के लोगों की चर्चा करें। मुझे लगा कि मयूर जी, Rhinos के बारे में बात करेंगे, जिन्हें वहाँ का गौरव कहा जाता है। लेकिन मयूर जी ने काजीरंगा में Waterfowls (वॉटर-फाउल्स) की संख्या में हुई बढ़ोतरी को लेकर असम के लोगों की सराहना के लिए कहा है। मैं ढूंढ रहा था कि हम Waterfowls को साधारण शब्दों में क्या कह सकते हैं, तो एक शब्द मिला – जलपक्षी। ऐसे पक्षी जिनका बसेरा, पेड़ों पर नहीं, पानी पर होता है, जैसे बतख वगैरह। Kaziranga National Park & Tiger Reserve Authority कुछ समय से Annual Waterfowls Census करती आ रही है। इस Census से जल पक्षियों की संख्या का पता चलता है और उनके पसंदीदा Habitat की जानकारी मिलती है। अभी दो-तीन सप्ताह पहले ही survey फिर हुआ है। आपको भी ये जानकार खुशी होगी कि इस बार जल-पक्षियों की संख्या, पिछले वर्ष की तुलना में करीब एक-सौ पिचहत्तर (175) प्रतिशत ज्यादा आई है। इस Census के दौरान काजीरंगा नेशनल पार्क में Birds की कुल 112 Species को देखा गया है। इनमें से 58 Species यूरोप, Central Asia और East Asia सहित दुनिया के विभिन्न हिस्सों से आए Winter Migrants हैं। इसका सबसे महत्वपूर्ण कारण यह है कि यहाँ बेहतर Water Conservation होने के साथ Human Interference बहुत कम है। वैसे कुछ मामलों में Positive Human Interference भी बहुत महत्वपूर्ण होता है। + +असम के श्री जादव पायेन्ग को ही देख लीजिये। आप में से कुछ लोग उनके बारे में जरूर जानते होंगे। अपने कार्यों के लिए उन्हें पद्म सम्मान मिला है। श्री जादव पायेन्ग वो शख्स हैं जिन्होंने असम में मजूली आइलैंड में करीब 300 हेक्टेयर Plantation में अपना सक्रिय योगदान दिया है। वे वन संरक्षण के लिए काम करते रहे हैं और लोगों को Plantation एवं Biodiversity के Conservation को लेकर प्रेरित करने में भी जुटे हुए हैं। + +MyGov पर कमलकांत जी ने मीडिया की एक रिपोर्ट साझा की है, जो कुछ अलग बात कहती है। ओडिशा में अराखुड़ा में एक सज्जन हैं – नायक सर। वैसे तो इनका नाम सिलू नायक है, पर सब उन्हें नायक सर ही बुलाते हैं। दरअसल वे Man on a Mission हैं। वह उन युवाओं को मुफ्त में प्रशिक्षित करते हैं, जो सेना में शामिल होना चाहते हैं। नायक सर के Organization का नाम महागुरु Battalion है। इसमें Physical Fitness से लेकर Interviews तक और Writing से लेकर Training तक, इन सभी पहलुओं के बारे में बताया जाता है। आपको यह जानकार हैरानी होगी कि उन्होंने जिन लोगों को प्रशिक्षण दिया है, उन्होंने थल सेना, जल सेना, वायु सेना, CRPF, BSF ऐसे uniform forces में अपनी जगह बनाई है। वैसे आप ये जानकर भी आश्चर्य से भर जाएंगे कि सिलू नायक जी ने खुद ओडिशा पुलिस में भर्ती होने के लिए प्रयास किया था, लेकिन वो सफल नहीं हो पाए, इसके बावजूद, उन्होंने अपने प्रशिक्षण के दम पर अनेक युवाओं को राष्ट्र सेवा के योग्य बनाया है। आइए, हम सब मिलकर नायक सर को शुभकामना दें कि वह हमारे देश के लिए और अधिक नायकों को तैयार करें। + +आप भी इसे सुनकर हैरान हो गए होंगे ! दरअसल, यह संस्कृत में की जा रही cricket commentary है। वाराणसी में, संस्कृत महाविद्यालयों के बीच एक cricket tournament होता है। ये महाविद्यालय हैं – शास्त्रार्थ महाविद्यालय, स्वामी वेदांती वेद विद्यापीठ, श्री ब्रह्म वेद विद्यालय और इंटरनेशनल चंद्रमौली चैरिटेबल ट्रस्ट। इस tournament के मैचों के दौरान commentary संस्कृत में भी की जाती है। अभी मैंने उस commentary का एक बहुत ही छोटा-सा हिस्सा आपको सुनाया। यही नहीं, इस tournament में, खिलाड़ी और commentator पारंपरिक परिधान में नजर आते हैं। यदि आपको energy, excitement, suspense सब कुछ एक साथ चाहिए तो आपको खेलों की commentary सुननी चाहिए। टी.वी. आने से बहुत पहले, sports commentary ही वो माध्यम थी, जिसके जरिए cricket और hockey जैसे खेलों का रोमांच देशभर के लोग महसूस करते थे। Tennis और football मैचों की commentary भी बहुत अच्छी तरह से पेश की जाती है। हमने देखा है कि जिन खेलों में commentary समृद्ध है, उनका प्रचार-प्रसार बहुत तेजी से होता है। हमारे यहां भी बहुत से भारतीय खेल हैं लेकिन उनमें commentary culture नहीं आया है और इस वजह से वो लुप्त होने की स्थिति में हैं। मेरे मन में एक विचार है – क्यों न, अलग-अलग sports और विशेषकर भारतीय खेलों की अच्छी commentary अधिक से अधिक भाषाओं में हो, हमें इसे प्रोत्साहित करने के बारे में जरूर सोचना चाहिए। मैं खेल मंत्रालय और private संस्थान के सहयोगियों से इस बारे में सोचने का आग्रह करूंगा। + +मेरे प्यारे युवा साथियो, आने वाले कुछ महीने आप सब के जीवन में विशेष महत्व रखते हैं। अधिकतर युवा साथियों के exams, परिक्षाए होंगी। आप सब को याद है ना – Warrior बनना है worrier  नहीं, हँसते हुए exam देने जाना है और मुस्कुराते हुए लौटना है । किसी और से नहीं, अपने आप से ही स्पर्धा करनी है। पर्याप्त नींद भी लेनी है, और time management भी करना है। खेलना भी नहीं छोड़ना है, क्योंकि जो खेले वो खिले।  Revision और याद करने के smart तरीक़े अपनाने हैं, यानी, कुल मिलाकर इन exams में, अपने best को, बाहर लाना है । आप सोच रहे होंगे यह सब होगा कैसे। हम सब मिलकर यह करने वाले है। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी हम सब करेंगे ‘परीक्षा पे चर्चा’। लेकिन मार्च में होने वाली ‘परीक्षा पे चर्चा’ से पहले मेरी आप सभी exam warriors से, parents से, और teachers से, request है कि अपने अनुभव, अपने tips ज़रूर share करें। आप  MyGov पर share कर सकते हैं। NarendraModi App पर share कर सकते हैं।  इस बार की ‘परीक्षा पे चर्चा’ में युवाओं के साथ-साथ, parents और teachers भी आमंत्रित है। कैसे participate करना है, कैसे prize जीतने है, कैसे मेरे साथ discussion का अवसर पाना है यह सारी जानकारियाँ आपको MyGov पर मिलेंगी। अब तक एक लाख से अधिक विद्यार्थी, करीब 40 हजार parents, और तकरीबन, 10 हजार teacher भाग ले चुके हैं। आप भी आज ही participate कीजिये। इस कोरोना के समय में, मैंने, कुछ समय निकालकर exam warrior book में भी कई नए मंत्र जोड़ दिए हैं, अब इसमें parents के लिए भी कुछ मंत्र add किये गए हैं। इन मंत्रों से जुड़ी ढ़ेर सारी interesting activities NarendraModi App पर दी हुई है जो आपके अंदर के exam warrior को ignite करने में मदद करेंगी। आप इनको ज़रूर try करके देखिए। सभी युवा साथियों को आने वाली परीक्षाओं के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं। + +उदाहरण के तौर पर हैदराबाद के चिंतला वेंकट रेड्डी जी हैं। रेड्डी जी के एक डॉक्टर मित्र ने उन्हें एक बार ‘विटामिन-डी’ की कमी से होने वाली बीमारियाँ और इसके खतरों के बारे में बताया। रेड्डी जी किसान हैं, उन्होंने सोचा कि वो इस समस्या के समाधान के लिए क्या कर सकते हैं ? इसके बाद उन्होंने मेहनत की और गेहूं चावल की ऐसी प्रजातियों को विकसित की जो खासतौर पर ‘विटामिन-डी’ से युक्त हैं। इसी महीने उन्हें World Intellectual Property Organization, Geneva से patent भी मिली है। ये हमारी सरकार का सौभाग्य है कि वेंकट रेड्डी जी को पिछले साल पद्मश्री से भी सम्मानित किया था। + +    साथियो, आजकल Chia seeds (चिया सीड्स) का नाम आप लोग बहुत सुनते होंगे। Health awareness से जुड़े लोग इसे काफी महत्व देते हैं और दुनिया में इसकी बड़ी मांग भी है। भारत में इसे ज्यादातर बाहर से मगाते  हैं, लेकिन अब, Chia seeds (चिया सीड्स) में आत्मनिर्भरता का बीड़ा भी लोग उठा रहे हैं। ऐसे ही यूपी के बाराबंकी में हरिश्चंद्र जी ने Chia seeds (चिया सीड्स) की खेती शुरू की है। Chia seeds (चिया सीड्स) की खेती उनकी आय भी बढ़ाएगी और आत्मनिर्भर भारत अभियान में भी मदद करेगी। + +बेतिया के रहने वाले प्रमोद जी, दिल्ली में एक Technician के रूप में LED Bulb बनाने वाली Factory में काम करते थे, उन्होंने इस factory में कार्य करने के दौरान पूरी प्रक्रिया को बहुत बारीकी से समझा । लेकिन कोरोना के दौरान प्रमोद जी को अपने घर वापस लौटना पड़ा। आप जानते हैं लौटने के बाद प्रमोद जी ने क्या किया ? उन्होंने खुद LED Bulb बनाने की एक छोटी-सी unit ही शुरू कर दी। उन्होंने अपने क्षेत्र के कुछ युवाओं को साथ लिया और कुछ ही महीनों में Factory worker से लेकर Factory owner बनने तक का सफर पूरा कर दिया। वह भी अपने ही घर में रहते हुये। + +    मेरे प्यारे देशवासियो, मैंने NaMoApp पर गुड़गाँव निवासी मयूर की एक Interesting post देखी। वे Passionate Bird Watcher और Nature Lover हैं। मयूर जी ने लिखा है कि मैं तो हरियाणा में रहता हूँ, लेकिन, मैं चाहता हूँ कि आप, असम के लोगों, और विशेष रूप से, Kaziranga के लोगों की चर्चा करें। मुझे लगा कि मयूर जी, Rhinos के बारे में बात करेंगे, जिन्हें वहाँ का गौरव कहा जाता है। लेकिन मयूर जी ने काजीरंगा में Waterfowls (वॉटर-फाउल्स) की संख्या में हुई बढ़ोतरी को लेकर असम के लोगों की सराहना के लिए कहा है। मैं ढूंढ रहा था कि हम Waterfowls को साधारण शब्दों में क्या कह सकते हैं, तो एक शब्द मिला – जलपक्षी। ऐसे पक्षी जिनका बसेरा, पेड़ों पर नहीं, पानी पर होता है, जैसे बतख वगैरह। Kaziranga National Park & Tiger Reserve Authority कुछ समय से Annual Waterfowls Census करती आ रही है। इस Census से जल पक्षियों की संख्या का पता चलता है और उनके पसंदीदा Habitat की जानकारी मिलती है। अभी दो-तीन सप्ताह पहले ही survey फिर हुआ है। आपको भी ये जानकार खुशी होगी कि इस बार जल-पक्षियों की संख्या, पिछले वर्ष की तुलना में करीब एक-सौ पिचहत्तर (175) प्रतिशत ज्यादा आई है। इस Census के दौरान काजीरंगा नेशनल पार्क में Birds की कुल 112 Species को देखा गया है। इनमें से 58 Species यूरोप, Central Asia और East Asia सहित दुनिया के विभिन्न हिस्सों से आए Winter Migrants हैं। इसका सबसे महत्वपूर्ण कारण यह है कि यहाँ बेहतर Water Conservation होने के साथ Human Interference बहुत कम है। वैसे कुछ मामलों में Positive Human Interference भी बहुत महत्वपूर्ण होता है। + +असम के श्री जादव पायेन्ग को ही देख लीजिये। आप में से कुछ लोग उनके बारे में जरूर जानते होंगे। अपने कार्यों के लिए उन्हें पद्म सम्मान मिला है। श्री जादव पायेन्ग वो शख्स हैं जिन्होंने असम में मजूली आइलैंड में करीब 300 हेक्टेयर Plantation में अपना सक्रिय योगदान दिया है। वे वन संरक्षण के लिए काम करते रहे हैं और लोगों को Plantation एवं Biodiversity के Conservation को लेकर प्रेरित करने में भी जुटे हुए हैं। + +MyGov पर कमलकांत जी ने मीडिया की एक रिपोर्ट साझा की है, जो कुछ अलग बात कहती है। ओडिशा में अराखुड़ा में एक सज्जन हैं – नायक सर। वैसे तो इनका नाम सिलू नायक है, पर सब उन्हें नायक सर ही बुलाते हैं। दरअसल वे Man on a Mission हैं। वह उन युवाओं को मुफ्त में प्रशिक्षित करते हैं, जो सेना में शामिल होना चाहते हैं। नायक सर के Organization का नाम महागुरु Battalion है। इसमें Physical Fitness से लेकर Interviews तक और Writing से लेकर Training तक, इन सभी पहलुओं के बारे में बताया जाता है। आपको यह जानकार हैरानी होगी कि उन्होंने जिन लोगों को प्रशिक्षण दिया है, उन्होंने थल सेना, जल सेना, वायु सेना, CRPF, BSF ऐसे uniform forces में अपनी जगह बनाई है। वैसे आप ये जानकर भी आश्चर्य से भर जाएंगे कि सिलू नायक जी ने खुद ओडिशा पुलिस में भर्ती होने के लिए प्रयास किया था, लेकिन वो सफल नहीं हो पाए, इसके बावजूद, उन्होंने अपने प्रशिक्षण के दम पर अनेक युवाओं को राष्ट्र सेवा के योग्य बनाया है। आइए, हम सब मिलकर नायक सर को शुभकामना दें कि वह हमारे देश के लिए और अधिक नायकों को तैयार करें। + +आप भी इसे सुनकर हैरान हो गए होंगे ! दरअसल, यह संस्कृत में की जा रही cricket commentary है। वाराणसी में, संस्कृत महाविद्यालयों के बीच एक cricket tournament होता है। ये महाविद्यालय हैं – शास्त्रार्थ महाविद्यालय, स्वामी वेदांती वेद विद्यापीठ, श्री ब्रह्म वेद विद्यालय और इंटरनेशनल चंद्रमौली चैरिटेबल ट्रस्ट। इस tournament के मैचों के दौरान commentary संस्कृत में भी की जाती है। अभी मैंने उस commentary का एक बहुत ही छोटा-सा हिस्सा आपको सुनाया। यही नहीं, इस tournament में, खिलाड़ी और commentator पारंपरिक परिधान में नजर आते हैं। यदि आपको energy, excitement, suspense सब कुछ एक साथ चाहिए तो आपको खेलों की commentary सुननी चाहिए। टी.वी. आने से बहुत पहले, sports commentary ही वो माध्यम थी, जिसके जरिए cricket और hockey जैसे खेलों का रोमांच देशभर के लोग महसूस करते थे। Tennis और football मैचों की commentary भी बहुत अच्छी तरह से पेश की जाती है। हमने देखा है कि जिन खेलों में commentary समृद्ध है, उनका प्रचार-प्रसार बहुत तेजी से होता है। हमारे यहां भी बहुत से भारतीय खेल हैं लेकिन उनमें commentary culture नहीं आया है और इस वजह से वो लुप्त होने की स्थिति में हैं। मेरे मन में एक विचार है – क्यों न, अलग-अलग sports और विशेषकर भारतीय खेलों की अच्छी commentary अधिक से अधिक भाषाओं में हो, हमें इसे प्रोत्साहित करने के बारे में जरूर सोचना चाहिए। मैं खेल मंत्रालय और private संस्थान के सहयोगियों से इस बारे में सोचने का आग्रह करूंगा। + +मेरे प्यारे युवा साथियो, आने वाले कुछ महीने आप सब के जीवन में विशेष महत्व रखते हैं। अधिकतर युवा साथियों के exams, परिक्षाए होंगी। आप सब को याद है ना – Warrior बनना है worrier  नहीं, हँसते हुए exam देने जाना है और मुस्कुराते हुए लौटना है । किसी और से नहीं, अपने आप से ही स्पर्धा करनी है। पर्याप्त नींद भी लेनी है, और time management भी करना है। खेलना भी नहीं छोड़ना है, क्योंकि जो खेले वो खिले।  Revision और याद करने के smart तरीक़े अपनाने हैं, यानी, कुल मिलाकर इन exams में, अपने best को, बाहर लाना है । आप सोच रहे होंगे यह सब होगा कैसे। हम सब मिलकर यह करने वाले है। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी हम सब करेंगे ‘परीक्षा पे चर्चा’। लेकिन मार्च में होने वाली ‘परीक्षा पे चर्चा’ से पहले मेरी आप सभी exam warriors से, parents से, और teachers से, request है कि अपने अनुभव, अपने tips ज़रूर share करें। आप  MyGov पर share कर सकते हैं। NarendraModi App पर share कर सकते हैं।  इस बार की ‘परीक्षा पे चर्चा’ में युवाओं के साथ-साथ, parents और teachers भी आमंत्रित है। कैसे participate करना है, कैसे prize जीतने है, कैसे मेरे साथ discussion का अवसर पाना है यह सारी जानकारियाँ आपको MyGov पर मिलेंगी। अब तक एक लाख से अधिक विद्यार्थी, करीब 40 हजार parents, और तकरीबन, 10 हजार teacher भाग ले चुके हैं। आप भी आज ही participate कीजिये। इस कोरोना के समय में, मैंने, कुछ समय निकालकर exam warrior book में भी कई नए मंत्र जोड़ दिए हैं, अब इसमें parents के लिए भी कुछ मंत्र add किये गए हैं। इन मंत्रों से जुड़ी ढ़ेर सारी interesting activities NarendraModi App पर दी हुई है जो आपके अंदर के exam warrior को ignite करने में मदद करेंगी। आप इनको ज़रूर try करके देखिए। सभी युवा साथियों को आने वाली परीक्षाओं के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं। + +उदाहरण के तौर पर हैदराबाद के चिंतला वेंकट रेड्डी जी हैं। रेड्डी जी के एक डॉक्टर मित्र ने उन्हें एक बार ‘विटामिन-डी’ की कमी से होने वाली बीमारियाँ और इसके खतरों के बारे में बताया। रेड्डी जी किसान हैं, उन्होंने सोचा कि वो इस समस्या के समाधान के लिए क्या कर सकते हैं ? इसके बाद उन्होंने मेहनत की और गेहूं चावल की ऐसी प्रजातियों को विकसित की जो खासतौर पर ‘विटामिन-डी’ से युक्त हैं। इसी महीने उन्हें World Intellectual Property Organization, Geneva से patent भी मिली है। ये हमारी सरकार का सौभाग्य है कि वेंकट रेड्डी जी को पिछले साल पद्मश्री से भी सम्मानित किया था। + +    साथियो, आजकल Chia seeds (चिया सीड्स) का नाम आप लोग बहुत सुनते होंगे। Health awareness से जुड़े लोग इसे काफी महत्व देते हैं और दुनिया में इसकी बड़ी मांग भी है। भारत में इसे ज्यादातर बाहर से मगाते  हैं, लेकिन अब, Chia seeds (चिया सीड्स) में आत्मनिर्भरता का बीड़ा भी लोग उठा रहे हैं। ऐसे ही यूपी के बाराबंकी में हरिश्चंद्र जी ने Chia seeds (चिया सीड्स) की खेती शुरू की है। Chia seeds (चिया सीड्स) की खेती उनकी आय भी बढ़ाएगी और आत्मनिर्भर भारत अभियान में भी मदद करेगी। + +बेतिया के रहने वाले प्रमोद जी, दिल्ली में एक Technician के रूप में LED Bulb बनाने वाली Factory में काम करते थे, उन्होंने इस factory में कार्य करने के दौरान पूरी प्रक्रिया को बहुत बारीकी से समझा । लेकिन कोरोना के दौरान प्रमोद जी को अपने घर वापस लौटना पड़ा। आप जानते हैं लौटने के बाद प्रमोद जी ने क्या किया ? उन्होंने खुद LED Bulb बनाने की एक छोटी-सी unit ही शुरू कर दी। उन्होंने अपने क्षेत्र के कुछ युवाओं को साथ लिया और कुछ ही महीनों में Factory worker से लेकर Factory owner बनने तक का सफर पूरा कर दिया। वह भी अपने ही घर में रहते हुये। + +    मेरे प्यारे देशवासियो, मैंने NaMoApp पर गुड़गाँव निवासी मयूर की एक Interesting post देखी। वे Passionate Bird Watcher और Nature Lover हैं। मयूर जी ने लिखा है कि मैं तो हरियाणा में रहता हूँ, लेकिन, मैं चाहता हूँ कि आप, असम के लोगों, और विशेष रूप से, Kaziranga के लोगों की चर्चा करें। मुझे लगा कि मयूर जी, Rhinos के बारे में बात करेंगे, जिन्हें वहाँ का गौरव कहा जाता है। लेकिन मयूर जी ने काजीरंगा में Waterfowls (वॉटर-फाउल्स) की संख्या में हुई बढ़ोतरी को लेकर असम के लोगों की सराहना के लिए कहा है। मैं ढूंढ रहा था कि हम Waterfowls को साधारण शब्दों में क्या कह सकते हैं, तो एक शब्द मिला – जलपक्षी। ऐसे पक्षी जिनका बसेरा, पेड़ों पर नहीं, पानी पर होता है, जैसे बतख वगैरह। Kaziranga National Park & Tiger Reserve Authority कुछ समय से Annual Waterfowls Census करती आ रही है। इस Census से जल पक्षियों की संख्या का पता चलता है और उनके पसंदीदा Habitat की जानकारी मिलती है। अभी दो-तीन सप्ताह पहले ही survey फिर हुआ है। आपको भी ये जानकार खुशी होगी कि इस बार जल-पक्षियों की संख्या, पिछले वर्ष की तुलना में करीब एक-सौ पिचहत्तर (175) प्रतिशत ज्यादा आई है। इस Census के दौरान काजीरंगा नेशनल पार्क में Birds की कुल 112 Species को देखा गया है। इनमें से 58 Species यूरोप, Central Asia और East Asia सहित दुनिया के विभिन्न हिस्सों से आए Winter Migrants हैं। इसका सबसे महत्वपूर्ण कारण यह है कि यहाँ बेहतर Water Conservation होने के साथ Human Interference बहुत कम है। वैसे कुछ मामलों में Positive Human Interference भी बहुत महत्वपूर्ण होता है। + +असम के श्री जादव पायेन्ग को ही देख लीजिये। आप में से कुछ लोग उनके बारे में जरूर जानते होंगे। अपने कार्यों के लिए उन्हें पद्म सम्मान मिला है। श्री जादव पायेन्ग वो शख्स हैं जिन्होंने असम में मजूली आइलैंड में करीब 300 हेक्टेयर Plantation में अपना सक्रिय योगदान दिया है। वे वन संरक्षण के लिए काम करते रहे हैं और लोगों को Plantation एवं Biodiversity के Conservation को लेकर प्रेरित करने में भी जुटे हुए हैं। + +MyGov पर कमलकांत जी ने मीडिया की एक रिपोर्ट साझा की है, जो कुछ अलग बात कहती है। ओडिशा में अराखुड़ा में एक सज्जन हैं – नायक सर। वैसे तो इनका नाम सिलू नायक है, पर सब उन्हें नायक सर ही बुलाते हैं। दरअसल वे Man on a Mission हैं। वह उन युवाओं को मुफ्त में प्रशिक्षित करते हैं, जो सेना में शामिल होना चाहते हैं। नायक सर के Organization का नाम महागुरु Battalion है। इसमें Physical Fitness से लेकर Interviews तक और Writing से लेकर Training तक, इन सभी पहलुओं के बारे में बताया जाता है। आपको यह जानकार हैरानी होगी कि उन्होंने जिन लोगों को प्रशिक्षण दिया है, उन्होंने थल सेना, जल सेना, वायु सेना, CRPF, BSF ऐसे uniform forces में अपनी जगह बनाई है। वैसे आप ये जानकर भी आश्चर्य से भर जाएंगे कि सिलू नायक जी ने खुद ओडिशा पुलिस में भर्ती होने के लिए प्रयास किया था, लेकिन वो सफल नहीं हो पाए, इसके बावजूद, उन्होंने अपने प्रशिक्षण के दम पर अनेक युवाओं को राष्ट्र सेवा के योग्य बनाया है। आइए, हम सब मिलकर नायक सर को शुभकामना दें कि वह हमारे देश के लिए और अधिक नायकों को तैयार करें। + +आप भी इसे सुनकर हैरान हो गए होंगे ! दरअसल, यह संस्कृत में की जा रही cricket commentary है। वाराणसी में, संस्कृत महाविद्यालयों के बीच एक cricket tournament होता है। ये महाविद्यालय हैं – शास्त्रार्थ महाविद्यालय, स्वामी वेदांती वेद विद्यापीठ, श्री ब्रह्म वेद विद्यालय और इंटरनेशनल चंद्रमौली चैरिटेबल ट्रस्ट। इस tournament के मैचों के दौरान commentary संस्कृत में भी की जाती है। अभी मैंने उस commentary का एक बहुत ही छोटा-सा हिस्सा आपको सुनाया। यही नहीं, इस tournament में, खिलाड़ी और commentator पारंपरिक परिधान में नजर आते हैं। यदि आपको energy, excitement, suspense सब कुछ एक साथ चाहिए तो आपको खेलों की commentary सुननी चाहिए। टी.वी. आने से बहुत पहले, sports commentary ही वो माध्यम थी, जिसके जरिए cricket और hockey जैसे खेलों का रोमांच देशभर के लोग महसूस करते थे। Tennis और football मैचों की commentary भी बहुत अच्छी तरह से पेश की जाती है। हमने देखा है कि जिन खेलों में commentary समृद्ध है, उनका प्रचार-प्रसार बहुत तेजी से होता है। हमारे यहां भी बहुत से भारतीय खेल हैं लेकिन उनमें commentary culture नहीं आया है और इस वजह से वो लुप्त होने की स्थिति में हैं। मेरे मन में एक विचार है – क्यों न, अलग-अलग sports और विशेषकर भारतीय खेलों की अच्छी commentary अधिक से अधिक भाषाओं में हो, हमें इसे प्रोत्साहित करने के बारे में जरूर सोचना चाहिए। मैं खेल मंत्रालय और private संस्थान के सहयोगियों से इस बारे में सोचने का आग्रह करूंगा। + +मेरे प्यारे युवा साथियो, आने वाले कुछ महीने आप सब के जीवन में विशेष महत्व रखते हैं। अधिकतर युवा साथियों के exams, परिक्षाए होंगी। आप सब को याद है ना – Warrior बनना है worrier  नहीं, हँसते हुए exam देने जाना है और मुस्कुराते हुए लौटना है । किसी और से नहीं, अपने आप से ही स्पर्धा करनी है। पर्याप्त नींद भी लेनी है, और time management भी करना है। खेलना भी नहीं छोड़ना है, क्योंकि जो खेले वो खिले।  Revision और याद करने के smart तरीक़े अपनाने हैं, यानी, कुल मिलाकर इन exams में, अपने best को, बाहर लाना है । आप सोच रहे होंगे यह सब होगा कैसे। हम सब मिलकर यह करने वाले है। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी हम सब करेंगे ‘परीक्षा पे चर्चा’। लेकिन मार्च में होने वाली ‘परीक्षा पे चर्चा’ से पहले मेरी आप सभी exam warriors से, parents से, और teachers से, request है कि अपने अनुभव, अपने tips ज़रूर share करें। आप  MyGov पर share कर सकते हैं। NarendraModi App पर share कर सकते हैं।  इस बार की ‘परीक्षा पे चर्चा’ में युवाओं के साथ-साथ, parents और teachers भी आमंत्रित है। कैसे participate करना है, कैसे prize जीतने है, कैसे मेरे साथ discussion का अवसर पाना है यह सारी जानकारियाँ आपको MyGov पर मिलेंगी। अब तक एक लाख से अधिक विद्यार्थी, करीब 40 हजार parents, और तकरीबन, 10 हजार teacher भाग ले चुके हैं। आप भी आज ही participate कीजिये। इस कोरोना के समय में, मैंने, कुछ समय निकालकर exam warrior book में भी कई नए मंत्र जोड़ दिए हैं, अब इसमें parents के लिए भी कुछ मंत्र add किये गए हैं। इन मंत्रों से जुड़ी ढ़ेर सारी interesting activities NarendraModi App पर दी हुई है जो आपके अंदर के exam warrior को ignite करने में मदद करेंगी। आप इनको ज़रूर try करके देखिए। सभी युवा साथियों को आने वाली परीक्षाओं के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं। + +उदाहरण के तौर पर हैदराबाद के चिंतला वेंकट रेड्डी जी हैं। रेड्डी जी के एक डॉक्टर मित्र ने उन्हें एक बार ‘विटामिन-डी’ की कमी से होने वाली बीमारियाँ और इसके खतरों के बारे में बताया। रेड्डी जी किसान हैं, उन्होंने सोचा कि वो इस समस्या के समाधान के लिए क्या कर सकते हैं ? इसके बाद उन्होंने मेहनत की और गेहूं चावल की ऐसी प्रजातियों को विकसित की जो खासतौर पर ‘विटामिन-डी’ से युक्त हैं। इसी महीने उन्हें World Intellectual Property Organization, Geneva से patent भी मिली है। ये हमारी सरकार का सौभाग्य है कि वेंकट रेड्डी जी को पिछले साल पद्मश्री से भी सम्मानित किया था। + +    साथियो, आजकल Chia seeds (चिया सीड्स) का नाम आप लोग बहुत सुनते होंगे। Health awareness से जुड़े लोग इसे काफी महत्व देते हैं और दुनिया में इसकी बड़ी मांग भी है। भारत में इसे ज्यादातर बाहर से मगाते  हैं, लेकिन अब, Chia seeds (चिया सीड्स) में आत्मनिर्भरता का बीड़ा भी लोग उठा रहे हैं। ऐसे ही यूपी के बाराबंकी में हरिश्चंद्र जी ने Chia seeds (चिया सीड्स) की खेती शुरू की है। Chia seeds (चिया सीड्स) की खेती उनकी आय भी बढ़ाएगी और आत्मनिर्भर भारत अभियान में भी मदद करेगी। + +बेतिया के रहने वाले प्रमोद जी, दिल्ली में एक Technician के रूप में LED Bulb बनाने वाली Factory में काम करते थे, उन्होंने इस factory में कार्य करने के दौरान पूरी प्रक्रिया को बहुत बारीकी से समझा । लेकिन कोरोना के दौरान प्रमोद जी को अपने घर वापस लौटना पड़ा। आप जानते हैं लौटने के बाद प्रमोद जी ने क्या किया ? उन्होंने खुद LED Bulb बनाने की एक छोटी-सी unit ही शुरू कर दी। उन्होंने अपने क्षेत्र के कुछ युवाओं को साथ लिया और कुछ ही महीनों में Factory worker से लेकर Factory owner बनने तक का सफर पूरा कर दिया। वह भी अपने ही घर में रहते हुये। + +    मेरे प्यारे देशवासियो, मैंने NaMoApp पर गुड़गाँव निवासी मयूर की एक Interesting post देखी। वे Passionate Bird Watcher और Nature Lover हैं। मयूर जी ने लिखा है कि मैं तो हरियाणा में रहता हूँ, लेकिन, मैं चाहता हूँ कि आप, असम के लोगों, और विशेष रूप से, Kaziranga के लोगों की चर्चा करें। मुझे लगा कि मयूर जी, Rhinos के बारे में बात करेंगे, जिन्हें वहाँ का गौरव कहा जाता है। लेकिन मयूर जी ने काजीरंगा में Waterfowls (वॉटर-फाउल्स) की संख्या में हुई बढ़ोतरी को लेकर असम के लोगों की सराहना के लिए कहा है। मैं ढूंढ रहा था कि हम Waterfowls को साधारण शब्दों में क्या कह सकते हैं, तो एक शब्द मिला – जलपक्षी। ऐसे पक्षी जिनका बसेरा, पेड़ों पर नहीं, पानी पर होता है, जैसे बतख वगैरह। Kaziranga National Park & Tiger Reserve Authority कुछ समय से Annual Waterfowls Census करती आ रही है। इस Census से जल पक्षियों की संख्या का पता चलता है और उनके पसंदीदा Habitat की जानकारी मिलती है। अभी दो-तीन सप्ताह पहले ही survey फिर हुआ है। आपको भी ये जानकार खुशी होगी कि इस बार जल-पक्षियों की संख्या, पिछले वर्ष की तुलना में करीब एक-सौ पिचहत्तर (175) प्रतिशत ज्यादा आई है। इस Census के दौरान काजीरंगा नेशनल पार्क में Birds की कुल 112 Species को देखा गया है। इनमें से 58 Species यूरोप, Central Asia और East Asia सहित दुनिया के विभिन्न हिस्सों से आए Winter Migrants हैं। इसका सबसे महत्वपूर्ण कारण यह है कि यहाँ बेहतर Water Conservation होने के साथ Human Interference बहुत कम है। वैसे कुछ मामलों में Positive Human Interference भी बहुत महत्वपूर्ण होता है। + +असम के श्री जादव पायेन्ग को ही देख लीजिये। आप में से कुछ लोग उनके बारे में जरूर जानते होंगे। अपने कार्यों के लिए उन्हें पद्म सम्मान मिला है। श्री जादव पायेन्ग वो शख्स हैं जिन्होंने असम में मजूली आइलैंड में करीब 300 हेक्टेयर Plantation में अपना सक्रिय योगदान दिया है। वे वन संरक्षण के लिए काम करते रहे हैं और लोगों को Plantation एवं Biodiversity के Conservation को लेकर प्रेरित करने में भी जुटे हुए हैं। + +MyGov पर कमलकांत जी ने मीडिया की एक रिपोर्ट साझा की है, जो कुछ अलग बात कहती है। ओडिशा में अराखुड़ा में एक सज्जन हैं – नायक सर। वैसे तो इनका नाम सिलू नायक है, पर सब उन्हें नायक सर ही बुलाते हैं। दरअसल वे Man on a Mission हैं। वह उन युवाओं को मुफ्त में प्रशिक्षित करते हैं, जो सेना में शामिल होना चाहते हैं। नायक सर के Organization का नाम महागुरु Battalion है। इसमें Physical Fitness से लेकर Interviews तक और Writing से लेकर Training तक, इन सभी पहलुओं के बारे में बताया जाता है। आपको यह जानकार हैरानी होगी कि उन्होंने जिन लोगों को प्रशिक्षण दिया है, उन्होंने थल सेना, जल सेना, वायु सेना, CRPF, BSF ऐसे uniform forces में अपनी जगह बनाई है। वैसे आप ये जानकर भी आश्चर्य से भर जाएंगे कि सिलू नायक जी ने खुद ओडिशा पुलिस में भर्ती होने के लिए प्रयास किया था, लेकिन वो सफल नहीं हो पाए, इसके बावजूद, उन्होंने अपने प्रशिक्षण के दम पर अनेक युवाओं को राष्ट्र सेवा के योग्य बनाया है। आइए, हम सब मिलकर नायक सर को शुभकामना दें कि वह हमारे देश के लिए और अधिक नायकों को तैयार करें। + +आप भी इसे सुनकर हैरान हो गए होंगे ! दरअसल, यह संस्कृत में की जा रही cricket commentary है। वाराणसी में, संस्कृत महाविद्यालयों के बीच एक cricket tournament होता है। ये महाविद्यालय हैं – शास्त्रार्थ महाविद्यालय, स्वामी वेदांती वेद विद्यापीठ, श्री ब्रह्म वेद विद्यालय और इंटरनेशनल चंद्रमौली चैरिटेबल ट्रस्ट। इस tournament के मैचों के दौरान commentary संस्कृत में भी की जाती है। अभी मैंने उस commentary का एक बहुत ही छोटा-सा हिस्सा आपको सुनाया। यही नहीं, इस tournament में, खिलाड़ी और commentator पारंपरिक परिधान में नजर आते हैं। यदि आपको energy, excitement, suspense सब कुछ एक साथ चाहिए तो आपको खेलों की commentary सुननी चाहिए। टी.वी. आने से बहुत पहले, sports commentary ही वो माध्यम थी, जिसके जरिए cricket और hockey जैसे खेलों का रोमांच देशभर के लोग महसूस करते थे। Tennis और football मैचों की commentary भी बहुत अच्छी तरह से पेश की जाती है। हमने देखा है कि जिन खेलों में commentary समृद्ध है, उनका प्रचार-प्रसार बहुत तेजी से होता है। हमारे यहां भी बहुत से भारतीय खेल हैं लेकिन उनमें commentary culture नहीं आया है और इस वजह से वो लुप्त होने की स्थिति में हैं। मेरे मन में एक विचार है – क्यों न, अलग-अलग sports और विशेषकर भारतीय खेलों की अच्छी commentary अधिक से अधिक भाषाओं में हो, हमें इसे प्रोत्साहित करने के बारे में जरूर सोचना चाहिए। मैं खेल मंत्रालय और private संस्थान के सहयोगियों से इस बारे में सोचने का आग्रह करूंगा। + +मेरे प्यारे युवा साथियो, आने वाले कुछ महीने आप सब के जीवन में विशेष महत्व रखते हैं। अधिकतर युवा साथियों के exams, परिक्षाए होंगी। आप सब को याद है ना – Warrior बनना है worrier  नहीं, हँसते हुए exam देने जाना है और मुस्कुराते हुए लौटना है । किसी और से नहीं, अपने आप से ही स्पर्धा करनी है। पर्याप्त नींद भी लेनी है, और time management भी करना है। खेलना भी नहीं छोड़ना है, क्योंकि जो खेले वो खिले।  Revision और याद करने के smart तरीक़े अपनाने हैं, यानी, कुल मिलाकर इन exams में, अपने best को, बाहर लाना है । आप सोच रहे होंगे यह सब होगा कैसे। हम सब मिलकर यह करने वाले है। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी हम सब करेंगे ‘परीक्षा पे चर्चा’। लेकिन मार्च में होने वाली ‘परीक्षा पे चर्चा’ से पहले मेरी आप सभी exam warriors से, parents से, और teachers से, request है कि अपने अनुभव, अपने tips ज़रूर share करें। आप  MyGov पर share कर सकते हैं। NarendraModi App पर share कर सकते हैं।  इस बार की ‘परीक्षा पे चर्चा’ में युवाओं के साथ-साथ, parents और teachers भी आमंत्रित है। कैसे participate करना है, कैसे prize जीतने है, कैसे मेरे साथ discussion का अवसर पाना है यह सारी जानकारियाँ आपको MyGov पर मिलेंगी। अब तक एक लाख से अधिक विद्यार्थी, करीब 40 हजार parents, और तकरीबन, 10 हजार teacher भाग ले चुके हैं। आप भी आज ही participate कीजिये। इस कोरोना के समय में, मैंने, कुछ समय निकालकर exam warrior book में भी कई नए मंत्र जोड़ दिए हैं, अब इसमें parents के लिए भी कुछ मंत्र add किये गए हैं। इन मंत्रों से जुड़ी ढ़ेर सारी interesting activities NarendraModi App पर दी हुई है जो आपके अंदर के exam warrior को ignite करने में मदद करेंगी। आप इनको ज़रूर try करके देखिए। सभी युवा साथियों को आने वाली परीक्षाओं के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं। + +उदाहरण के तौर पर हैदराबाद के चिंतला वेंकट रेड्डी जी हैं। रेड्डी जी के एक डॉक्टर मित्र ने उन्हें एक बार ‘विटामिन-डी’ की कमी से होने वाली बीमारियाँ और इसके खतरों के बारे में बताया। रेड्डी जी किसान हैं, उन्होंने सोचा कि वो इस समस्या के समाधान के लिए क्या कर सकते हैं ? इसके बाद उन्होंने मेहनत की और गेहूं चावल की ऐसी प्रजातियों को विकसित की जो खासतौर पर ‘विटामिन-डी’ से युक्त हैं। इसी महीने उन्हें World Intellectual Property Organization, Geneva से patent भी मिली है। ये हमारी सरकार का सौभाग्य है कि वेंकट रेड्डी जी को पिछले साल पद्मश्री से भी सम्मानित किया था। + +    साथियो, आजकल Chia seeds (चिया सीड्स) का नाम आप लोग बहुत सुनते होंगे। Health awareness से जुड़े लोग इसे काफी महत्व देते हैं और दुनिया में इसकी बड़ी मांग भी है। भारत में इसे ज्यादातर बाहर से मगाते  हैं, लेकिन अब, Chia seeds (चिया सीड्स) में आत्मनिर्भरता का बीड़ा भी लोग उठा रहे हैं। ऐसे ही यूपी के बाराबंकी में हरिश्चंद्र जी ने Chia seeds (चिया सीड्स) की खेती शुरू की है। Chia seeds (चिया सीड्स) की खेती उनकी आय भी बढ़ाएगी और आत्मनिर्भर भारत अभियान में भी मदद करेगी। + +बेतिया के रहने वाले प्रमोद जी, दिल्ली में एक Technician के रूप में LED Bulb बनाने वाली Factory में काम करते थे, उन्होंने इस factory में कार्य करने के दौरान पूरी प्रक्रिया को बहुत बारीकी से समझा । लेकिन कोरोना के दौरान प्रमोद जी को अपने घर वापस लौटना पड़ा। आप जानते हैं लौटने के बाद प्रमोद जी ने क्या किया ? उन्होंने खुद LED Bulb बनाने की एक छोटी-सी unit ही शुरू कर दी। उन्होंने अपने क्षेत्र के कुछ युवाओं को साथ लिया और कुछ ही महीनों में Factory worker से लेकर Factory owner बनने तक का सफर पूरा कर दिया। वह भी अपने ही घर में रहते हुये। + +    मेरे प्यारे देशवासियो, मैंने NaMoApp पर गुड़गाँव निवासी मयूर की एक Interesting post देखी। वे Passionate Bird Watcher और Nature Lover हैं। मयूर जी ने लिखा है कि मैं तो हरियाणा में रहता हूँ, लेकिन, मैं चाहता हूँ कि आप, असम के लोगों, और विशेष रूप से, Kaziranga के लोगों की चर्चा करें। मुझे लगा कि मयूर जी, Rhinos के बारे में बात करेंगे, जिन्हें वहाँ का गौरव कहा जाता है। लेकिन मयूर जी ने काजीरंगा में Waterfowls (वॉटर-फाउल्स) की संख्या में हुई बढ़ोतरी को लेकर असम के लोगों की सराहना के लिए कहा है। मैं ढूंढ रहा था कि हम Waterfowls को साधारण शब्दों में क्या कह सकते हैं, तो एक शब्द मिला – जलपक्षी। ऐसे पक्षी जिनका बसेरा, पेड़ों पर नहीं, पानी पर होता है, जैसे बतख वगैरह। Kaziranga National Park & Tiger Reserve Authority कुछ समय से Annual Waterfowls Census करती आ रही है। इस Census से जल पक्षियों की संख्या का पता चलता है और उनके पसंदीदा Habitat की जानकारी मिलती है। अभी दो-तीन सप्ताह पहले ही survey फिर हुआ है। आपको भी ये जानकार खुशी होगी कि इस बार जल-पक्षियों की संख्या, पिछले वर्ष की तुलना में करीब एक-सौ पिचहत्तर (175) प्रतिशत ज्यादा आई है। इस Census के दौरान काजीरंगा नेशनल पार्क में Birds की कुल 112 Species को देखा गया है। इनमें से 58 Species यूरोप, Central Asia और East Asia सहित दुनिया के विभिन्न हिस्सों से आए Winter Migrants हैं। इसका सबसे महत्वपूर्ण कारण यह है कि यहाँ बेहतर Water Conservation होने के साथ Human Interference बहुत कम है। वैसे कुछ मामलों में Positive Human Interference भी बहुत महत्वपूर्ण होता है। + +असम के श्री जादव पायेन्ग को ही देख लीजिये। आप में से कुछ लोग उनके बारे में जरूर जानते होंगे। अपने कार्यों के लिए उन्हें पद्म सम्मान मिला है। श्री जादव पायेन्ग वो शख्स हैं जिन्होंने असम में मजूली आइलैंड में करीब 300 हेक्टेयर Plantation में अपना सक्रिय योगदान दिया है। वे वन संरक्षण के लिए काम करते रहे हैं और लोगों को Plantation एवं Biodiversity के Conservation को लेकर प्रेरित करने में भी जुटे हुए हैं। + +MyGov पर कमलकांत जी ने मीडिया की एक रिपोर्ट साझा की है, जो कुछ अलग बात कहती है। ओडिशा में अराखुड़ा में एक सज्जन हैं – नायक सर। वैसे तो इनका नाम सिलू नायक है, पर सब उन्हें नायक सर ही बुलाते हैं। दरअसल वे Man on a Mission हैं। वह उन युवाओं को मुफ्त में प्रशिक्षित करते हैं, जो सेना में शामिल होना चाहते हैं। नायक सर के Organization का नाम महागुरु Battalion है। इसमें Physical Fitness से लेकर Interviews तक और Writing से लेकर Training तक, इन सभी पहलुओं के बारे में बताया जाता है। आपको यह जानकार हैरानी होगी कि उन्होंने जिन लोगों को प्रशिक्षण दिया है, उन्होंने थल सेना, जल सेना, वायु सेना, CRPF, BSF ऐसे uniform forces में अपनी जगह बनाई है। वैसे आप ये जानकर भी आश्चर्य से भर जाएंगे कि सिलू नायक जी ने खुद ओडिशा पुलिस में भर्ती होने के लिए प्रयास किया था, लेकिन वो सफल नहीं हो पाए, इसके बावजूद, उन्होंने अपने प्रशिक्षण के दम पर अनेक युवाओं को राष्ट्र सेवा के योग्य बनाया है। आइए, हम सब मिलकर नायक सर को शुभकामना दें कि वह हमारे देश के लिए और अधिक नायकों को तैयार करें। + +आप भी इसे सुनकर हैरान हो गए होंगे ! दरअसल, यह संस्कृत में की जा रही cricket commentary है। वाराणसी में, संस्कृत महाविद्यालयों के बीच एक cricket tournament होता है। ये महाविद्यालय हैं – शास्त्रार्थ महाविद्यालय, स्वामी वेदांती वेद विद्यापीठ, श्री ब्रह्म वेद विद्यालय और इंटरनेशनल चंद्रमौली चैरिटेबल ट्रस्ट। इस tournament के मैचों के दौरान commentary संस्कृत में भी की जाती है। अभी मैंने उस commentary का एक बहुत ही छोटा-सा हिस्सा आपको सुनाया। यही नहीं, इस tournament में, खिलाड़ी और commentator पारंपरिक परिधान में नजर आते हैं। यदि आपको energy, excitement, suspense सब कुछ एक साथ चाहिए तो आपको खेलों की commentary सुननी चाहिए। टी.वी. आने से बहुत पहले, sports commentary ही वो माध्यम थी, जिसके जरिए cricket और hockey जैसे खेलों का रोमांच देशभर के लोग महसूस करते थे। Tennis और football मैचों की commentary भी बहुत अच्छी तरह से पेश की जाती है। हमने देखा है कि जिन खेलों में commentary समृद्ध है, उनका प्रचार-प्रसार बहुत तेजी से होता है। हमारे यहां भी बहुत से भारतीय खेल हैं लेकिन उनमें commentary culture नहीं आया है और इस वजह से वो लुप्त होने की स्थिति में हैं। मेरे मन में एक विचार है – क्यों न, अलग-अलग sports और विशेषकर भारतीय खेलों की अच्छी commentary अधिक से अधिक भाषाओं में हो, हमें इसे प्रोत्साहित करने के बारे में जरूर सोचना चाहिए। मैं खेल मंत्रालय और private संस्थान के सहयोगियों से इस बारे में सोचने का आग्रह करूंगा। + +मेरे प्यारे युवा साथियो, आने वाले कुछ महीने आप सब के जीवन में विशेष महत्व रखते हैं। अधिकतर युवा साथियों के exams, परिक्षाए होंगी। आप सब को याद है ना – Warrior बनना है worrier  नहीं, हँसते हुए exam देने जाना है और मुस्कुराते हुए लौटना है । किसी और से नहीं, अपने आप से ही स्पर्धा करनी है। पर्याप्त नींद भी लेनी है, और time management भी करना है। खेलना भी नहीं छोड़ना है, क्योंकि जो खेले वो खिले।  Revision और याद करने के smart तरीक़े अपनाने हैं, यानी, कुल मिलाकर इन exams में, अपने best को, बाहर लाना है । आप सोच रहे होंगे यह सब होगा कैसे। हम सब मिलकर यह करने वाले है। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी हम सब करेंगे ‘परीक्षा पे चर्चा’। लेकिन मार्च में होने वाली ‘परीक्षा पे चर्चा’ से पहले मेरी आप सभी exam warriors से, parents से, और teachers से, request है कि अपने अनुभव, अपने tips ज़रूर share करें। आप  MyGov पर share कर सकते हैं। NarendraModi App पर share कर सकते हैं।  इस बार की ‘परीक्षा पे चर्चा’ में युवाओं के साथ-साथ, parents और teachers भी आमंत्रित है। कैसे participate करना है, कैसे prize जीतने है, कैसे मेरे साथ discussion का अवसर पाना है यह सारी जानकारियाँ आपको MyGov पर मिलेंगी। अब तक एक लाख से अधिक विद्यार्थी, करीब 40 हजार parents, और तकरीबन, 10 हजार teacher भाग ले चुके हैं। आप भी आज ही participate कीजिये। इस कोरोना के समय में, मैंने, कुछ समय निकालकर exam warrior book में भी कई नए मंत्र जोड़ दिए हैं, अब इसमें parents के लिए भी कुछ मंत्र add किये गए हैं। इन मंत्रों से जुड़ी ढ़ेर सारी interesting activities NarendraModi App पर दी हुई है जो आपके अंदर के exam warrior को ignite करने में मदद करेंगी। आप इनको ज़रूर try करके देखिए। सभी युवा साथियों को आने वाली परीक्षाओं के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं। + +उदाहरण के तौर पर हैदराबाद के चिंतला वेंकट रेड्डी जी हैं। रेड्डी जी के एक डॉक्टर मित्र ने उन्हें एक बार ‘विटामिन-डी’ की कमी से होने वाली बीमारियाँ और इसके खतरों के बारे में बताया। रेड्डी जी किसान हैं, उन्होंने सोचा कि वो इस समस्या के समाधान के लिए क्या कर सकते हैं ? इसके बाद उन्होंने मेहनत की और गेहूं चावल की ऐसी प्रजातियों को विकसित की जो खासतौर पर ‘विटामिन-डी’ से युक्त हैं। इसी महीने उन्हें World Intellectual Property Organization, Geneva से patent भी मिली है। ये हमारी सरकार का सौभाग्य है कि वेंकट रेड्डी जी को पिछले साल पद्मश्री से भी सम्मानित किया था। + +    साथियो, आजकल Chia seeds (चिया सीड्स) का नाम आप लोग बहुत सुनते होंगे। Health awareness से जुड़े लोग इसे काफी महत्व देते हैं और दुनिया में इसकी बड़ी मांग भी है। भारत में इसे ज्यादातर बाहर से मगाते  हैं, लेकिन अब, Chia seeds (चिया सीड्स) में आत्मनिर्भरता का बीड़ा भी लोग उठा रहे हैं। ऐसे ही यूपी के बाराबंकी में हरिश्चंद्र जी ने Chia seeds (चिया सीड्स) की खेती शुरू की है। Chia seeds (चिया सीड्स) की खेती उनकी आय भी बढ़ाएगी और आत्मनिर्भर भारत अभियान में भी मदद करेगी। + +बेतिया के रहने वाले प्रमोद जी, दिल्ली में एक Technician के रूप में LED Bulb बनाने वाली Factory में काम करते थे, उन्होंने इस factory में कार्य करने के दौरान पूरी प्रक्रिया को बहुत बारीकी से समझा । लेकिन कोरोना के दौरान प्रमोद जी को अपने घर वापस लौटना पड़ा। आप जानते हैं लौटने के बाद प्रमोद जी ने क्या किया ? उन्होंने खुद LED Bulb बनाने की एक छोटी-सी unit ही शुरू कर दी। उन्होंने अपने क्षेत्र के कुछ युवाओं को साथ लिया और कुछ ही महीनों में Factory worker से लेकर Factory owner बनने तक का सफर पूरा कर दिया। वह भी अपने ही घर में रहते हुये। + +    मेरे प्यारे देशवासियो, मैंने NaMoApp पर गुड़गाँव निवासी मयूर की एक Interesting post देखी। वे Passionate Bird Watcher और Nature Lover हैं। मयूर जी ने लिखा है कि मैं तो हरियाणा में रहता हूँ, लेकिन, मैं चाहता हूँ कि आप, असम के लोगों, और विशेष रूप से, Kaziranga के लोगों की चर्चा करें। मुझे लगा कि मयूर जी, Rhinos के बारे में बात करेंगे, जिन्हें वहाँ का गौरव कहा जाता है। लेकिन मयूर जी ने काजीरंगा में Waterfowls (वॉटर-फाउल्स) की संख्या में हुई बढ़ोतरी को लेकर असम के लोगों की सराहना के लिए कहा है। मैं ढूंढ रहा था कि हम Waterfowls को साधारण शब्दों में क्या कह सकते हैं, तो एक शब्द मिला – जलपक्षी। ऐसे पक्षी जिनका बसेरा, पेड़ों पर नहीं, पानी पर होता है, जैसे बतख वगैरह। Kaziranga National Park & Tiger Reserve Authority कुछ समय से Annual Waterfowls Census करती आ रही है। इस Census से जल पक्षियों की संख्या का पता चलता है और उनके पसंदीदा Habitat की जानकारी मिलती है। अभी दो-तीन सप्ताह पहले ही survey फिर हुआ है। आपको भी ये जानकार खुशी होगी कि इस बार जल-पक्षियों की संख्या, पिछले वर्ष की तुलना में करीब एक-सौ पिचहत्तर (175) प्रतिशत ज्यादा आई है। इस Census के दौरान काजीरंगा नेशनल पार्क में Birds की कुल 112 Species को देखा गया है। इनमें से 58 Species यूरोप, Central Asia और East Asia सहित दुनिया के विभिन्न हिस्सों से आए Winter Migrants हैं। इसका सबसे महत्वपूर्ण कारण यह है कि यहाँ बेहतर Water Conservation होने के साथ Human Interference बहुत कम है। वैसे कुछ मामलों में Positive Human Interference भी बहुत महत्वपूर्ण होता है। + +असम के श्री जादव पायेन्ग को ही देख लीजिये। आप में से कुछ लोग उनके बारे में जरूर जानते होंगे। अपने कार्यों के लिए उन्हें पद्म सम्मान मिला है। श्री जादव पायेन्ग वो शख्स हैं जिन्होंने असम में मजूली आइलैंड में करीब 300 हेक्टेयर Plantation में अपना सक्रिय योगदान दिया है। वे वन संरक्षण के लिए काम करते रहे हैं और लोगों को Plantation एवं Biodiversity के Conservation को लेकर प्रेरित करने में भी जुटे हुए हैं। + +MyGov पर कमलकांत जी ने मीडिया की एक रिपोर्ट साझा की है, जो कुछ अलग बात कहती है। ओडिशा में अराखुड़ा में एक सज्जन हैं – नायक सर। वैसे तो इनका नाम सिलू नायक है, पर सब उन्हें नायक सर ही बुलाते हैं। दरअसल वे Man on a Mission हैं। वह उन युवाओं को मुफ्त में प्रशिक्षित करते हैं, जो सेना में शामिल होना चाहते हैं। नायक सर के Organization का नाम महागुरु Battalion है। इसमें Physical Fitness से लेकर Interviews तक और Writing से लेकर Training तक, इन सभी पहलुओं के बारे में बताया जाता है। आपको यह जानकार हैरानी होगी कि उन्होंने जिन लोगों को प्रशिक्षण दिया है, उन्होंने थल सेना, जल सेना, वायु सेना, CRPF, BSF ऐसे uniform forces में अपनी जगह बनाई है। वैसे आप ये जानकर भी आश्चर्य से भर जाएंगे कि सिलू नायक जी ने खुद ओडिशा पुलिस में भर्ती होने के लिए प्रयास किया था, लेकिन वो सफल नहीं हो पाए, इसके बावजूद, उन्होंने अपने प्रशिक्षण के दम पर अनेक युवाओं को राष्ट्र सेवा के योग्य बनाया है। आइए, हम सब मिलकर नायक सर को शुभकामना दें कि वह हमारे देश के लिए और अधिक नायकों को तैयार करें। + +आप भी इसे सुनकर हैरान हो गए होंगे ! दरअसल, यह संस्कृत में की जा रही cricket commentary है। वाराणसी में, संस्कृत महाविद्यालयों के बीच एक cricket tournament होता है। ये महाविद्यालय हैं – शास्त्रार्थ महाविद्यालय, स्वामी वेदांती वेद विद्यापीठ, श्री ब्रह्म वेद विद्यालय और इंटरनेशनल चंद्रमौली चैरिटेबल ट्रस्ट। इस tournament के मैचों के दौरान commentary संस्कृत में भी की जाती है। अभी मैंने उस commentary का एक बहुत ही छोटा-सा हिस्सा आपको सुनाया। यही नहीं, इस tournament में, खिलाड़ी और commentator पारंपरिक परिधान में नजर आते हैं। यदि आपको energy, excitement, suspense सब कुछ एक साथ चाहिए तो आपको खेलों की commentary सुननी चाहिए। टी.वी. आने से बहुत पहले, sports commentary ही वो माध्यम थी, जिसके जरिए cricket और hockey जैसे खेलों का रोमांच देशभर के लोग महसूस करते थे। Tennis और football मैचों की commentary भी बहुत अच्छी तरह से पेश की जाती है। हमने देखा है कि जिन खेलों में commentary समृद्ध है, उनका प्रचार-प्रसार बहुत तेजी से होता है। हमारे यहां भी बहुत से भारतीय खेल हैं लेकिन उनमें commentary culture नहीं आया है और इस वजह से वो लुप्त होने की स्थिति में हैं। मेरे मन में एक विचार है – क्यों न, अलग-अलग sports और विशेषकर भारतीय खेलों की अच्छी commentary अधिक से अधिक भाषाओं में हो, हमें इसे प्रोत्साहित करने के बारे में जरूर सोचना चाहिए। मैं खेल मंत्रालय और private संस्थान के सहयोगियों से इस बारे में सोचने का आग्रह करूंगा। + +मेरे प्यारे युवा साथियो, आने वाले कुछ महीने आप सब के जीवन में विशेष महत्व रखते हैं। अधिकतर युवा साथियों के exams, परिक्षाए होंगी। आप सब को याद है ना – Warrior बनना है worrier  नहीं, हँसते हुए exam देने जाना है और मुस्कुराते हुए लौटना है । किसी और से नहीं, अपने आप से ही स्पर्धा करनी है। पर्याप्त नींद भी लेनी है, और time management भी करना है। खेलना भी नहीं छोड़ना है, क्योंकि जो खेले वो खिले।  Revision और याद करने के smart तरीक़े अपनाने हैं, यानी, कुल मिलाकर इन exams में, अपने best को, बाहर लाना है । आप सोच रहे होंगे यह सब होगा कैसे। हम सब मिलकर यह करने वाले है। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी हम सब करेंगे ‘परीक्षा पे चर्चा’। लेकिन मार्च में होने वाली ‘परीक्षा पे चर्चा’ से पहले मेरी आप सभी exam warriors से, parents से, और teachers से, request है कि अपने अनुभव, अपने tips ज़रूर share करें। आप  MyGov पर share कर सकते हैं। NarendraModi App पर share कर सकते हैं।  इस बार की ‘परीक्षा पे चर्चा’ में युवाओं के साथ-साथ, parents और teachers भी आमंत्रित है। कैसे participate करना है, कैसे prize जीतने है, कैसे मेरे साथ discussion का अवसर पाना है यह सारी जानकारियाँ आपको MyGov पर मिलेंगी। अब तक एक लाख से अधिक विद्यार्थी, करीब 40 हजार parents, और तकरीबन, 10 हजार teacher भाग ले चुके हैं। आप भी आज ही participate कीजिये। इस कोरोना के समय में, मैंने, कुछ समय निकालकर exam warrior book में भी कई नए मंत्र जोड़ दिए हैं, अब इसमें parents के लिए भी कुछ मंत्र add किये गए हैं। इन मंत्रों से जुड़ी ढ़ेर सारी interesting activities NarendraModi App पर दी हुई है जो आपके अंदर के exam warrior को ignite करने में मदद करेंगी। आप इनको ज़रूर try करके देखिए। सभी युवा साथियों को आने वाली परीक्षाओं के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं। + +आप भी इसे सुनकर हैरान हो गए होंगे ! दरअसल, यह संस्कृत में की जा रही cricket commentary है। वाराणसी में, संस्कृत महाविद्यालयों के बीच एक cricket tournament होता है। ये महाविद्यालय हैं – शास्त्रार्थ महाविद्यालय, स्वामी वेदांती वेद विद्यापीठ, श्री ब्रह्म वेद विद्यालय और इंटरनेशनल चंद्रमौली चैरिटेबल ट्रस्ट। इस tournament के मैचों के दौरान commentary संस्कृत में भी की जाती है। अभी मैंने उस commentary का एक बहुत ही छोटा-सा हिस्सा आपको सुनाया। यही नहीं, इस tournament में, खिलाड़ी और commentator पारंपरिक परिधान में नजर आते हैं। यदि आपको energy, excitement, suspense सब कुछ एक साथ चाहिए तो आपको खेलों की commentary सुननी चाहिए। टी.वी. आने से बहुत पहले, sports commentary ही वो माध्यम थी, जिसके जरिए cricket और hockey जैसे खेलों का रोमांच देशभर के लोग महसूस करते थे। Tennis और football मैचों की commentary भी बहुत अच्छी तरह से पेश की जाती है। हमने देखा है कि जिन खेलों में commentary समृद्ध है, उनका प्रचार-प्रसार बहुत तेजी से होता है। हमारे यहां भी बहुत से भारतीय खेल हैं लेकिन उनमें commentary culture नहीं आया है और इस वजह से वो लुप्त होने की स्थिति में हैं। मेरे मन में एक विचार है – क्यों न, अलग-अलग sports और विशेषकर भारतीय खेलों की अच्छी commentary अधिक से अधिक भाषाओं में हो, हमें इसे प्रोत्साहित करने के बारे में जरूर सोचना चाहिए। मैं खेल मंत्रालय और private संस्थान के सहयोगियों से इस बारे में सोचने का आग्रह करूंगा। + +मेरे प्यारे युवा साथियो, आने वाले कुछ महीने आप सब के जीवन में विशेष महत्व रखते हैं। अधिकतर युवा साथियों के exams, परिक्षाए होंगी। आप सब को याद है ना – Warrior बनना है worrier  नहीं, हँसते हुए exam देने जाना है और मुस्कुराते हुए लौटना है । किसी और से नहीं, अपने आप से ही स्पर्धा करनी है। पर्याप्त नींद भी लेनी है, और time management भी करना है। खेलना भी नहीं छोड़ना है, क्योंकि जो खेले वो खिले।  Revision और याद करने के smart तरीक़े अपनाने हैं, यानी, कुल मिलाकर इन exams में, अपने best को, बाहर लाना है । आप सोच रहे होंगे यह सब होगा कैसे। हम सब मिलकर यह करने वाले है। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी हम सब करेंगे ‘परीक्षा पे चर्चा’। लेकिन मार्च में होने वाली ‘परीक्षा पे चर्चा’ से पहले मेरी आप सभी exam warriors से, parents से, और teachers से, request है कि अपने अनुभव, अपने tips ज़रूर share करें। आप  MyGov पर share कर सकते हैं। NarendraModi App पर share कर सकते हैं।  इस बार की ‘परीक्षा पे चर्चा’ में युवाओं के साथ-साथ, parents और teachers भी आमंत्रित है। कैसे participate करना है, कैसे prize जीतने है, कैसे मेरे साथ discussion का अवसर पाना है यह सारी जानकारियाँ आपको MyGov पर मिलेंगी। अब तक एक लाख से अधिक विद्यार्थी, करीब 40 हजार parents, और तकरीबन, 10 हजार teacher भाग ले चुके हैं। आप भी आज ही participate कीजिये। इस कोरोना के समय में, मैंने, कुछ समय निकालकर exam warrior book में भी कई नए मंत्र जोड़ दिए हैं, अब इसमें parents के लिए भी कुछ मंत्र add किये गए हैं। इन मंत्रों से जुड़ी ढ़ेर सारी interesting activities NarendraModi App पर दी हुई है जो आपके अंदर के exam warrior को ignite करने में मदद करेंगी। आप इनको ज़रूर try करके देखिए। सभी युवा साथियों को आने वाली परीक्षाओं के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं। + +आप भी इसे सुनकर हैरान हो गए होंगे ! दरअसल, यह संस्कृत में की जा रही cricket commentary है। वाराणसी में, संस्कृत महाविद्यालयों के बीच एक cricket tournament होता है। ये महाविद्यालय हैं – शास्त्रार्थ महाविद्यालय, स्वामी वेदांती वेद विद्यापीठ, श्री ब्रह्म वेद विद्यालय और इंटरनेशनल चंद्रमौली चैरिटेबल ट्रस्ट। इस tournament के मैचों के दौरान commentary संस्कृत में भी की जाती है। अभी मैंने उस commentary का एक बहुत ही छोटा-सा हिस्सा आपको सुनाया। यही नहीं, इस tournament में, खिलाड़ी और commentator पारंपरिक परिधान में नजर आते हैं। यदि आपको energy, excitement, suspense सब कुछ एक साथ चाहिए तो आपको खेलों की commentary सुननी चाहिए। टी.वी. आने से बहुत पहले, sports commentary ही वो माध्यम थी, जिसके जरिए cricket और hockey जैसे खेलों का रोमांच देशभर के लोग महसूस करते थे। Tennis और football मैचों की commentary भी बहुत अच्छी तरह से पेश की जाती है। हमने देखा है कि जिन खेलों में commentary समृद्ध है, उनका प्रचार-प्रसार बहुत तेजी से होता है। हमारे यहां भी बहुत से भारतीय खेल हैं लेकिन उनमें commentary culture नहीं आया है और इस वजह से वो लुप्त होने की स्थिति में हैं। मेरे मन में एक विचार है – क्यों न, अलग-अलग sports और विशेषकर भारतीय खेलों की अच्छी commentary अधिक से अधिक भाषाओं में हो, हमें इसे प्रोत्साहित करने के बारे में जरूर सोचना चाहिए। मैं खेल मंत्रालय और private संस्थान के सहयोगियों से इस बारे में सोचने का आग्रह करूंगा। + +मेरे प्यारे युवा साथियो, आने वाले कुछ महीने आप सब के जीवन में विशेष महत्व रखते हैं। अधिकतर युवा साथियों के exams, परिक्षाए होंगी। आप सब को याद है ना – Warrior बनना है worrier  नहीं, हँसते हुए exam देने जाना है और मुस्कुराते हुए लौटना है । किसी और से नहीं, अपने आप से ही स्पर्धा करनी है। पर्याप्त नींद भी लेनी है, और time management भी करना है। खेलना भी नहीं छोड़ना है, क्योंकि जो खेले वो खिले।  Revision और याद करने के smart तरीक़े अपनाने हैं, यानी, कुल मिलाकर इन exams में, अपने best को, बाहर लाना है । आप सोच रहे होंगे यह सब होगा कैसे। हम सब मिलकर यह करने वाले है। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी हम सब करेंगे ‘परीक्षा पे चर्चा’। लेकिन मार्च में होने वाली ‘परीक्षा पे चर्चा’ से पहले मेरी आप सभी exam warriors से, parents से, और teachers से, request है कि अपने अनुभव, अपने tips ज़रूर share करें। आप  MyGov पर share कर सकते हैं। NarendraModi App पर share कर सकते हैं।  इस बार की ‘परीक्षा पे चर्चा’ में युवाओं के साथ-साथ, parents और teachers भी आमंत्रित है। कैसे participate करना है, कैसे prize जीतने है, कैसे मेरे साथ discussion का अवसर पाना है यह सारी जानकारियाँ आपको MyGov पर मिलेंगी। अब तक एक लाख से अधिक विद्यार्थी, करीब 40 हजार parents, और तकरीबन, 10 हजार teacher भाग ले चुके हैं। आप भी आज ही participate कीजिये। इस कोरोना के समय में, मैंने, कुछ समय निकालकर exam warrior book में भी कई नए मंत्र जोड़ दिए हैं, अब इसमें parents के लिए भी कुछ मंत्र add किये गए हैं। इन मंत्रों से जुड़ी ढ़ेर सारी interesting activities NarendraModi App पर दी हुई है जो आपके अंदर के exam warrior को ignite करने में मदद करेंगी। आप इनको ज़रूर try करके देखिए। सभी युवा साथियों को आने वाली परीक्षाओं के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं। + +आप भी इसे सुनकर हैरान हो गए होंगे ! दरअसल, यह संस्कृत में की जा रही cricket commentary है। वाराणसी में, संस्कृत महाविद्यालयों के बीच एक cricket tournament होता है। ये महाविद्यालय हैं – शास्त्रार्थ महाविद्यालय, स्वामी वेदांती वेद विद्यापीठ, श्री ब्रह्म वेद विद्यालय और इंटरनेशनल चंद्रमौली चैरिटेबल ट्रस्ट। इस tournament के मैचों के दौरान commentary संस्कृत में भी की जाती है। अभी मैंने उस commentary का एक बहुत ही छोटा-सा हिस्सा आपको सुनाया। यही नहीं, इस tournament में, खिलाड़ी और commentator पारंपरिक परिधान में नजर आते हैं। यदि आपको energy, excitement, suspense सब कुछ एक साथ चाहिए तो आपको खेलों की commentary सुननी चाहिए। टी.वी. आने से बहुत पहले, sports commentary ही वो माध्यम थी, जिसके जरिए cricket और hockey जैसे खेलों का रोमांच देशभर के लोग महसूस करते थे। Tennis और football मैचों की commentary भी बहुत अच्छी तरह से पेश की जाती है। हमने देखा है कि जिन खेलों में commentary समृद्ध है, उनका प्रचार-प्रसार बहुत तेजी से होता है। हमारे यहां भी बहुत से भारतीय खेल हैं लेकिन उनमें commentary culture नहीं आया है और इस वजह से वो लुप्त होने की स्थिति में हैं। मेरे मन में एक विचार है – क्यों न, अलग-अलग sports और विशेषकर भारतीय खेलों की अच्छी commentary अधिक से अधिक भाषाओं में हो, हमें इसे प्रोत्साहित करने के बारे में जरूर सोचना चाहिए। मैं खेल मंत्रालय और private संस्थान के सहयोगियों से इस बारे में सोचने का आग्रह करूंगा। + +मेरे प्यारे युवा साथियो, आने वाले कुछ महीने आप सब के जीवन में विशेष महत्व रखते हैं। अधिकतर युवा साथियों के exams, परिक्षाए होंगी। आप सब को याद है ना – Warrior बनना है worrier  नहीं, हँसते हुए exam देने जाना है और मुस्कुराते हुए लौटना है । किसी और से नहीं, अपने आप से ही स्पर्धा करनी है। पर्याप्त नींद भी लेनी है, और time management भी करना है। खेलना भी नहीं छोड़ना है, क्योंकि जो खेले वो खिले।  Revision और याद करने के smart तरीक़े अपनाने हैं, यानी, कुल मिलाकर इन exams में, अपने best को, बाहर लाना है । आप सोच रहे होंगे यह सब होगा कैसे। हम सब मिलकर यह करने वाले है। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी हम सब करेंगे ‘परीक्षा पे चर्चा’। लेकिन मार्च में होने वाली ‘परीक्षा पे चर्चा’ से पहले मेरी आप सभी exam warriors से, parents से, और teachers से, request है कि अपने अनुभव, अपने tips ज़रूर share करें। आप  MyGov पर share कर सकते हैं। NarendraModi App पर share कर सकते हैं।  इस बार की ‘परीक्षा पे चर्चा’ में युवाओं के साथ-साथ, parents और teachers भी आमंत्रित है। कैसे participate करना है, कैसे prize जीतने है, कैसे मेरे साथ discussion का अवसर पाना है यह सारी जानकारियाँ आपको MyGov पर मिलेंगी। अब तक एक लाख से अधिक विद्यार्थी, करीब 40 हजार parents, और तकरीबन, 10 हजार teacher भाग ले चुके हैं। आप भी आज ही participate कीजिये। इस कोरोना के समय में, मैंने, कुछ समय निकालकर exam warrior book में भी कई नए मंत्र जोड़ दिए हैं, अब इसमें parents के लिए भी कुछ मंत्र add किये गए हैं। इन मंत्रों से जुड़ी ढ़ेर सारी interesting activities NarendraModi App पर दी हुई है जो आपके अंदर के exam warrior को ignite करने में मदद करेंगी। आप इनको ज़रूर try करके देखिए। सभी युवा साथियों को आने वाली परीक्षाओं के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं। + diff --git a/pm-speech/212.txt b/pm-speech/212.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..61a734c5028b232b37f9e293458a7638710ff8f1 --- /dev/null +++ b/pm-speech/212.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +Reuse और recycling जिस तरह भारतीय जीवनशैली का हिस्सा रहे हैं, वही हमारे खिलौनों में भी दिखता है। ज़्यादातर भारतीय खिलौने प्राकृतिक और eco-friendly चीजों से बनाते हैं, उनमें इस्तेमाल होने वाले रंग भी प्राकृतिक और सुरक्षित होते हैं। अभी हम वाराणसी के लोगों से बात कर रहे थे। वाराणसी के लकड़ी के खिलौने और गुड़िया को देखिए, राजस्थान के मिट्टी के खिलौने देखिए, ऐसे ही पूर्वी मेदिनीपुर की गलर गुड़िया है, कच्छ में कपड़ा डिंगला और डिंगली है, आंध्रप्रदेश के इटिकोप्पका बोम्मलू और बुधनी के लकड़ी के खिलौने हैं। कर्नाटक जाएंगे तो वहाँ के चन्नपटना खिलौने अभी हम देख रहे थे, तेलंगाना के निर्मल खिलौने, चित्रकूट के लकड़ी के खिलौने, धुबरी-असम के टेराकोटा के खिलौने, ये सब खिलौने अपने आप में कितने diverse हैं, कितनी अलग-अलग खूबियों से भरे हैं। लेकिन सबमें एक समानता है कि सभी खिलौने eco-friendly और creative हैं। ये खिलौने देश के युवा मन को हमारे इतिहास और संस्कृति से भी जोड़ते हैं, और सामाजिक मानसिक विकास में भी सहायक होते हैं। इसलिए आज मैं देश के toy manufacturers से भी अपील करना चाहूँगा कि आप ऐसे खिलौने बनाएँ जो ecology और psychology दोनों के लिए ही बेहतर हों! क्या हम ये प्रयास कर सकते हैं कि खिलौनों में कम से कम प्लास्टिक इस्तेमाल करें? ऐसी चीजों का इस्तेमाल करें जिन्हें recycle कर सकते हैं? साथियों, आज दुनिया में हर क्षेत्र में भारतीय दृष्टिकोण और भारतीय विचारों की बात हो रही है। भारत के पास दुनिया को देने के लिए एक unique perspective भी है। ये हमारी परम्पराओं में, हमारे परिधानों में, हमारे खानपान में, हर जगह ये विविधताएँ एक ताकत के रूप में नजर आती हैं। इसी तरह भारतीय toy industry भी इस unique Indian perspective को, भारतीय विचारबोध को प्रोत्साहित कर सकती है। हमारे यहाँ खिलौने तो पीढ़ियों की विरासत के तौर पर रखे और सहेजे जाते रहे हैं। दादी-नानी के खिलौने परिवार की तीसरी चौथी पीढ़ी तक को दिये जाते थे। त्योहारों पर परिवार के लोग अपने खिलौने निकालते थे, और अपने पारंपरिक संग्रह को एक दूसरे को दिखाते थे। जब हमारे खिलौने इसी Indian aesthetics से सजे होंगे, तो Indian thoughts, भारतीयता की भावना भी बच्चों के अंदर और मजबूती से विकसित होगी, उसमें इस मिट्टी की महक होगी। + +गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने अपनी एक कविता में कहा है कि- “When I bring to you colored toys, my child, I understand why there is such a play of colors on clouds, on water, and why flowers are painted in tints when I give colored toys to you, my child.” यानी, एक खिलौना बच्चों को खुशियों की अनंत दुनिया में ले जाता है। खिलौने का एक-एक रंग बच्चों के जीवन में कितने ही रंग बिखेरता है। आज यहाँ इतने खिलौनों को देखकर यहाँ उपस्थित बच्चे जैसा महसूस कर रहे हैं, वही अनुभव हम सबने भी अपने बचपन की यादों में सँजोकर रखा है। कागज़ के हवाई जहाज, लट्टू, कंचे, पतंग, सीटियाँ, झूले, कागज़ के घूमने वाले पंखे, गुड्डे और गुड़ियां, ऐसे कितने ही खिलौने हर बचपन के साथी रहे हैं। साइन्स के कितने ही सिद्धान्त, कितनी ही बातें, जैसे कि Rotation, oscillation, pressure, friction, ये सब हम खिलौनों से खेलते हुये, उन्हें बनाते हुए खुद बख़ुद सीख जाते थे। भारतीय खेल और खिलौनों की ये खूबी रही है कि उनमें ज्ञान होता है, विज्ञान भी होता है, मनोरंजन होता है और मनोविज्ञान भी होता है। उदाहरण के तौर पर लट्टू को ही ले लीजिये। जब बच्चे लट्टू से खेलना सीखते हैं तो लट्टू खेल खेल में ही उन्हें gravity और balance का पाठ पढ़ा जाता है। वैसे ही गुलेल से खेलता बच्चा जाने-अनजाने में Potential से Kinetic Energy के बारे में basics सीखने लगता है। Puzzle toys से रणनीतिक सोच और समस्या को सुलझाने की सोच विकसित होती है। इसी तरह, नवजात बच्चे भी झुनझुने और बाजे घुमा-घुमाकर circular movement को महसूस करने लगते हैं। आगे जा कर इन्ही चीज़ों को जब उन्हें उनकी कक्षा में, किताबों में पढ़ाया जाता है तो अपने खेल से उसे relate कर पाते हैं। Practical aspects को समझ पाते हैं। केवल किताबी ज्ञान से ये समझ नहीं विकसित हो सकती है। + +खिलौनों के क्षेत्र में भारत के पास tradition भी है और technology भी है, भारत के पास concepts भी हैं, और competence भी है। हम दुनिया को eco-friendly toys की ओर वापस लेकर जा सकते हैं, हमारे software engineers computer games के जरिए भारत की कहानियों को, भारत के जो मूलभूत मूल्‍य हैं उन कथाओं को दुनिया तक पहुंचा सकते हैं। लेकिन इस सबके बावजूद, 100 बिलियन डॉलर के वैश्विक खिलौना बाजार में आज हमारी हिस्सेदारी बहुत ही कम है। देश में 85 प्रतिशत खिलौने बाहर से आते हैं, विदेशों से मंगाए जाते हैं। पिछले 7 दशकों में भारतीय कारीगरों की, भारतीय विरासत की जो उपेक्षा हुई, उसका परिणाम ये है कि भारत के बाज़ार से लेकर परिवार तक में विदेशी खिलौने भर गए हैं और वो खिलौना सिर्फ नहीं आया है, एक विचार प्रवाह हमारे घर में घुस गया है। भारतीय बच्चे अपने देश के वीरों, हमारे नायकों से ज्यादा बाहर के stars के बारे में बात करने लगे। इस बाढ़ ने, ये बाहरी बाढ़ ने हमारे लोकल व्यापार की बड़ी मजबूत chain भी तोड़ के रख दी है, तहस-नहस कर दी है। कारीगर अपनी अगली पीढ़ी को अपना हुनर देने से बचने लगे हैं, वो सोचते हैं कि बेटे इस कारोबार में ना आएँ। आज हमें इस स्थिति को बदलने के लिए मिलकर काम करना है। हमें खेल और खिलौनों के क्षेत्र में भी देश को आत्मनिर्भर बनाना है, वोकल फॉर लोकल होना है। इसके लिए हमें आज की जरूरतों को समझना होगा। हमें दुनिया के बाज़ार को, दुनिया की प्राथमिकताओं को जानना होगा। हमारे खिलौनों में बच्चों के लिए हमारे मूल्य, संस्कार और शिक्षाएं भी होनी चाहिए, और उनकी गुणवत्ता भी अंतर्राष्ट्रीय मानकों के हिसाब से होनी चाहिए। इस दिशा में देश ने कई अहम फैसले लिए हैं। पिछले वर्ष से खिलौनों की क्वालिटी टेस्ट को अनिवार्य किया गया है। इम्पोर्ट होने वाले खिलौनों की हर खेप में भी sample testing की इजाजत दी गई है। पहले खिलौनों के बारे में सरकारें बात करने की भी जरूरत नहीं समझती थीं। इसे कोई गंभीर विषय नहीं समझा जाता था। लेकिन अब देश ने खिलौना उद्योग को 24 प्रमुख क्षेत्रों में दर्जा दिया है, उसका दर्जा दे दिया है। National Toy Action Plan भी तैयार किया गया है। इसमें 15 मंत्रालयों और विभागों को शामिल किया गया है ताकि ये उद्योग competitive बने, देश खिलौनों में आत्मनिर्भर बनें, और भारत के खिलौने दुनिया में भी जाएँ। इस पूरे अभियान में राज्यों को बराबर का भागीदार बनाकर toy clusters विकसित करने का प्रयास किया जा रहा है। इसके साथ ही, देश toy tourism की संभावनाओं को भी मजबूत कर रहा है। भारतीय खेलों पर आधारित खिलौनों को promote करने के लिए देश में टॉयकाथॉन-2021 का आयोजन भी किया गया था। मुझे बताया गया है कि इस टॉयकाथॉन में 12 लाख से अधिक युवाओं ने, शिक्षकों ने और विशेषज्ञों ने रजिस्ट्रेशन कराया और 7,000 से अधिक नए-नए ideas आए। ये दिखाता है कि दशकों की उपेक्षा और कठिनाइयों के बावजूद भारत की प्रतिभा, भारत का हुनर आज भी असाधारण संभावनाओं से भरा हुआ है। जिस तरह भारत ने अतीत में अपने उल्लास से, अपनी ऊर्जा से मानवता के जीवन में रंग घोले थे, वो ऊर्जा आज भी उतनी ही जीवंत है। आज Toy fair के इस अवसर पर हम सबकी ये ज़िम्मेदारी है कि हम इस ऊर्जा को आधुनिक अवतार दें, इन संभावनाओं को साकार करें। और हाँ! याद रखिये, अगर आज Made in India की demand है तो आज Handmade in India की demand भी उतनी ही बढ़ रही है। आज लोग खिलौनों को केवल एक product के रूप में ही नहीं बल्कि उस खिलौने से जुड़े अनुभव से भी जुड़ना चाहते हैं। इसलिए हमें Handmade In India को भी promote करना है। हमें ये भी याद रखना है कि, जब हम कोई खिलौना बनाते हैं तो हम एक बाल मन को गढ़ते हैं, बचपन के असीम उल्लास को गढ़ते हैं, उसमें सपने भरते हैं। यही उल्लास हमारे कल का निर्माण करेगा। मुझे खुशी है कि आज हमारा देश इस ज़िम्मेदारी को समझ रहा है। हमारे ये प्रयास आत्मनिर्भर भारत को वही स्फूर्ति देंगे, जो स्फूर्ति बचपन में एक नई दुनिया रचती है। इसी विश्वास के साथ, आप सभी को एक बार फिर से अनेक-अनेक शुभकामनाएं और अब दुनिया में हिन्‍दुस्‍तान के खिलौनों का डंका बजाना, ये हम सबका दायित्‍व है, हमें मिलकर प्रयास करना है, निरंतर प्रयास करना है, नए-नए रंग रूप के साथ प्रयास करना है। नयी-नयी सोच, नए-नए विज्ञान, नयी-नयी टेक्‍नोलोजी हमारे खिलौनों के साथ जोड़ते हुए करना है और मुझे विश्‍वास है कि ये हमारा toy fair हमें उस दिशा में ले जाने के लिए एक बहुत मजबूत कदम के रूप में सिद्ध होगा। मैं फिर एक बार आप सबको अनेक-अनेक शुभकामनाएँ देता हूँ। + diff --git a/pm-speech/213.txt b/pm-speech/213.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..d3328cca5f93939b7e80fdaba760dffbec983872 --- /dev/null +++ b/pm-speech/213.txt @@ -0,0 +1,24 @@ +देश के फाइनेंशियल सेक्टर को लेकर सरकार का विजन बिल्कुल साफ है। कोई इफ्स एण्ड बट्स की जगह नहीं है। देश में कोई भी Depositor हो या कोई भी Investor, दोनों ही Trust और Transparency अनुभव करें, ये हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। देश की वित्तीय व्यवस्था चलती ही, अगर किसी एक बात पर वो टिकी हुई है तो वो है विश्वास। विश्वास अपनी कमाई की सुरक्षा का, विश्वास निवेश के फलने-फूलने का और विश्वास देश के विकास का। बैंकिंग और नॉन बैंकिंग सेक्टर के पुराने तौर-तरीकों और पुरानी व्यवस्थाओं में स्वाभाविक रूप से बहुत बड़ा बदलाव आ रहा है। और बदलना हम लोगों के लिए भी अनिवार्य हो चुका है। 10-12 साल पहले Aggressive Lending के नाम पर कैसे देश के बैंकिंग सेक्टर को, फाइनेंशियल सेक्टर को नुकसान पहुंचाया गया, ये आप अच्छी तरह जानते भी हैं, समझते भी हैं। Non-Transparent क्रेडिट कल्चर से देश को बाहर निकालने के लिए एक के बाद एक कदम उठाए गए हैं। आज NPAs को कार्पेट के नीचे दबाने के बजाय, उसे यहां-वहां दिखाकर बचने के बजाय, 1 दिन का NPA भी रिपोर्ट करना ज़रूरी है। + +सरकार ये भलीभांति समझती है कि बिजनेस में उतार-चढ़ाव आते ही आते हैं। सरकार इस बात को भी मानती है कि हर बिजनेस सफल हो, और जैसा चाहें वैसा ही परिणाम दें  ये संभव नहीं है। हम भी कभी सोचते हैं कि मेरा बेटा या मेरे परिवार का सदस्य ये बनेगा, नहीं बन पाता है। कौन चाहता है कि मेरा बेटा न करे फिर भी कभी-कभी नहीं होता है। तो ये बातें सरकार समझती है। और ये संभव नहीं है और हर बिजनेस Decision के पीछे खराब नीयत है बद इरादा है, स्वार्थ है ऐसी धारणा कम से कम हमारी सरकार की नहीं है। ऐसे में सही नीयत के साथ लिए गए फैसलों के साथ खड़े होना सरकार का दायित्व है और ये हम कर रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे। और मैं फाइनेंशियल सेक्टर के सब लोगों को कहना चाहता हूं। सही नीयत से सही इरादे से किए गए काम, आपके साथ खड़ा रहने के लिए मैं हमेशा तैयार हूं। ये आप लिखकर के रखिए। Insolvency and bankruptcy code, जैसे मैकेनिज्म से आज Lenders और Borrowers को भरोसा मिला है। + +सामान्य परिवारों की कमाई की सुरक्षा, गरीब तक सरकारी लाभ की प्रभावी और लीकेज फ्री डिलिवरी, देश के विकास के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े निवेश को प्रोत्साहन, ये सारी बातें हमारी प्राथमिकता है। बीते सालों में जितने भी रिफॉर्म्स इस सेक्टर में किए गए हैं, ये सारे लक्ष्य उनमें Reflect होते हैं। दुनिया का सबसे बड़ा Financial Inclusion हो, सबसे बड़ा Digital Inclusion हो, Direct Benefit का इतना बड़ा मैकेनिज्म हो या फिर छोटे बैंकों का Merger, कोशिश सिर्फ यही है कि भारत का फाइनेंशियल सेक्टर सुदृढ़ हो, वाइब्रेंट   हो, प्रोएक्टिव हो। इस बजट में भी आप देखते हैं तो आपने इसी विजन को आगे बढ़ाने का काम हमने किया है। आपको नजर आता होगा।   + +इस वर्ष हमने नई पब्लिक सेक्टर पॉलिसी घोषित की है। इस पॉलिसी में फाइनेंशियल सेक्टर भी शामिल है। हमारी अर्थव्यवस्था में अभी भी बैंकिंग और इंश्योरेंस के लिए बहुत अधिक संभावनाएं हैं। इन्हीं संभावनाओं को देखते हुए इस बजट में भी हमने अनेक कदम उठाए हैं। 2 पब्लिक सेक्टर बैंकों का निजीकरण हो, बीमा में FDI को  74 प्रतिशत तक करना हो या LIC का IPO लाने का फैसला हो, ये ऐसे ही कुछ कदम हैं। + +हमारा ये लगातार प्रयास है कि जहां संभव हो वहां प्राइवेट उद्यम को ज्यादा से ज्यादा प्रोत्साहित किया जाए। लेकिन इसके साथ-साथ बैंकिंग और बीमा में पब्लिक सेक्टर की भी एक प्रभावी भागीदारी अभी देश की बहुत ज़रूरत है। गरीबों और वंचितों को संरक्षण देने के लिए ये बहुत आवश्यक है। पब्लिक सेक्टर को मज़बूत करने के लिए equity capital infusion पर बल दिया जा रहा है। इसके साथ-साथ एक नया ARC Structure भी बनाया जा रहा है जो बैंकों के NPAs का ध्यान रखेगा। ये ARC इन Loans को फिर फोकस्ड तरीके से Address करता रहेगा। इससे पब्लिक सेक्टर बैंक मज़बूत होंगे और उनकी Lending की क्षमता बढ़ जाएगी। + +इसी तरह इंफ्रास्ट्रक्चर और कुछ इंडस्ट्रियल प्रोजेक्ट्स के विकास के लिए एक नया Development Finance Institution बनाया जा रहा है। इंफ्रास्ट्रक्चर और इंडस्ट्रियल प्रोजेक्ट्स की Long Term Financing needs को देखते हुए ये कदम उठाया गया है। इसके साथ-साथ sovereign wealth funds, pension funds और insurance companies को भी इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। Long Term Bonds Issue किए जा सकें इसके लिए Corporate Bond Market के लिए नई Backstop Facilities भी दी जा रही है। + +इसी भावना को आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के लिए भी मज़बूती से आगे बढ़ाया जा रहा है। आत्मनिर्भर भारत सिर्फ बड़े उद्योगों या बड़े शहरों से नहीं बनेगा। आत्मनिर्भर भारत गांव में, छोटे शहरों में छोटे-छोटे उद्यमियों के, सामान्य भारतीयों के परिश्रम के योगदान का उसमे बहुत महत्व है। आत्मनिर्भर भारत किसानों से, कृषि उत्पादों को बेहतर बनाने वाली इकाइयों से बनेगा। आत्मनिर्भर भारत, हमारे MSMEs से बनेगा, हमारे Start Ups से बनेगा। और आत्मनिर्भर भारत की एक बड़ी पहचान हमारे Start Ups, हमारे MSMEs होंगे। इसलिए कोरोना काल में MSMEs के लिए विशेष योजनाएं बनाई गईं। इनका लाभ उठाते हुए करीब 90 लाख उद्यमों को 2.4 ट्रिलियन रुपए का क्रेडिट मिल चुका है।  MSMEs और Start Ups को सपोर्ट करना, इन तक क्रेडिट फ्लो का विस्तार करना आप भी आवश्यक समझते हैं। सरकार ने अनेक रिफॉर्म्स करके इनके लिए कृषि, कोयला और स्पेस जैसे अनेक सेक्टरों को खोल दिया है। अब ये देश के फाइनेंसियल सेक्टर की जिम्मेदारी है कि गांवों और छोटे शहरों में पल रही इन आकांक्षाओं की पहचान करके, उनको आत्मनिर्भर भारत की ताकत बनाएं। + +बीते वर्षों में टेक्नोलॉजी के बेहतर इस्तेमाल ने, नई व्यवस्थाओं के निर्माण ने financial inclusion में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। आज देश में 130 करोड़ लोगों के पास आधार कार्ड, 41 करोड़ से ज्यादा देशवासियों के पास जनधन खाते हैं। इनमें से करीब 55 प्रतिशत जनधन खाते महिलाओं के हैं और इनमें करीब डेढ़ लाख करोड़ रुपए जमा हैं। कोरोना काल में भी इन जनधन खातों के कारण लाखों बहनों को सीधी मदद तेज़ी से देना संभव हो पाया है। आज UPI से हर महीने औसतन 4 लाख करोड़ रुपए से अधिक का लेन-देन हो रहा है और Rupay कार्ड की संख्या भी 60 करोड़ पहुंच चुकी है। आधार की मदद से instant ओथेनटीकेशन, India Post Bank का विशाल नेटवर्क, लाखों कॉमन सर्विस सेंटर्स के निर्माण ने financial services को देश के दूर-दराज वाले इलाकों तक पहुंचा दिया है। आज देश में 2 लाख से ज्यादा बैंक मित्र Aadhaar enabled Payment System (AePS) devices की मदद से गांवों में लोगों के घर तक बैंकिंग सेवा को लेकर पहुंच रहे हैं। सवा लाख से ज्यादा पोस्ट ऑफिसेस भी इसमें मदद कर रहे हैं। आप ये जानकर हैरान रह जाएंगे कि पिछले साल अप्रैल से लेकर जून के बीच इन बैंक मित्रों ने अपने AePS devices से 53 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का लेन-देन करने में ग्रामीणों की मदद की है। और हमें ये याद रखना है कि ये कोरोना का वो समय था, जब भारत में लॉकडाउन था। + +आज भारत गर्व कर सकता है कि देश का करीब-करीब हर वर्ग किसी ना किसी रूप से देश के Financial Sector में Include हो चुका है। देश अब दशकों के Financial Exclusion से मजबूत हो रहा है। सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, इसका मंत्र फाइनेंशियल सेक्टर में स्पष्ट दिखता है।  आज गरीब हों, किसान हों, पशुपालक हों, मछुआरे हों, छोटे दुकानदार हों, सबके लिए Credit Access संभव हो पाया है। + +मुद्रा योजना से ही बीते सालों में करीब 15 लाख करोड़ रुपए का ऋण छोटे उद्यमियों तक पहुंचा है। इसमें भी लगभग 70 प्रतिशत महिलाएं हैं और 50 प्रतिशत से ज्यादा दलित, वंचित, आदिवासी और पिछड़े वर्ग के उद्यमी हैं। पीएम किसान स्वनिधि योजना से अब तक करीब 11 करोड़ किसान परिवारों के खाते में 1 लाख 15 हज़ार करोड़ रुपए से ज्यादा की मदद पहुंच चुकी है। कुछ महीने पहले ही हमारे street vendors के लिए, रेहड़ी-पटरी वालों के लिए प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना शुरू की गई है। इस वर्ग का पहली बार देश के Financial Sector में Inclusion किया गया है। इसके तहत करीब 15 लाख रेहड़ी-पटरी वालों को अब तक 10 हज़ार रुपए के ऋण दिए जा चुके हैं।  ये सिर्फ One Time Inclusion नहीं है, बल्कि उनकी Credit History भविष्य में उनको Expand करने में भी मदद करेगी। इसी तरह, ट्रेड्स और पीएसबी लोन जैसे Digital lending platforms से MSMEs को सस्ता ऋण तेज़ी से मिल पा रहा है। किसान क्रेडिट कार्ड जैसी सुविधा, तेज़ी से Informal Lending के कुचक्र से छोटे किसान को, पशुपालक को, मछुआरे को बाहर निकाल रही है। + +अब प्राइवेट सेक्टर को भी कहीं ना कहीं, विचार करना होगा कि हमारे समाज के इस सेक्शन के लिए Innovative Financial Products आप कैसे निकालते हैं? जो हमारे Self Help Groups हैं, उनमें मैन्युफेक्चरिंग से लेकर Services तक, हर सेक्टर में बहुत बड़ी कैपेबिलिटी है। ये ऐसे ग्रुप्स हैं, जिनका Credit Discipline, हमेशा आपने अनुभव किया है, बहुत बेहतरीन रहता है। प्राइवेट सेक्टर ऐसे ग्रुप्स के माध्यम से Rural Infrastructure में Investment की संभावनाएं तलाश कर सकता है।  ये सिर्फ वेलफेयर का मामला नहीं है, बल्कि एक बेहतरीन बिजनेस मॉडल भी सिद्ध हो सकता है। + +Financial Inclusion के बाद अब देश Financial Empowerment की तरफ तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं। भारत का Fintech market अगले 5 सालों में 6 trillion से ज्यादा होने का अनुमान है। Fintech Sector की इसी संभावना को देखते हुए IFSC GIFT City में एक World Class Financial Hub बनाया जा रहा है। भारत में आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण भी सिर्फ हमारी आकांक्षा नहीं है, बल्कि ये आत्मनिर्भर भारत की आवश्यकता है। इसलिए इस सेक्टर में इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर बहुत ही Bold Targets रखे गए हैं। इन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए इन्वेस्टमेंट की ज़रूरत है। इस इन्वेस्टमेंट को लाने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। ये लक्ष्य पूरे फाइनेंशियल सेक्टर के सक्रिय सहयोग से ही प्राप्त हो सकेगा। + diff --git a/pm-speech/214.txt b/pm-speech/214.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..5763a773aa373e05a8da58fae3ef721a9cce2492 --- /dev/null +++ b/pm-speech/214.txt @@ -0,0 +1,10 @@ +देश के अलग-अलग हिस्सों से आए आप सभी खिलाड़ी, एक भारत-श्रेष्ठ भारत की भावना को भी मजबूत कर रहे हैं। मुझे बताया गया है कि इस बार Winter Games में हिस्सा लेने वाले राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की संख्या दोगुनी से भी ज्यादा हो गई है। ये Winter Games की तरफ देशभर में बढ़ते रुझान, बढ़ते उत्साह को प्रदर्शित करता है। पिछली बार जम्मू कश्मीर की टीम ने इनमें बेहतरीन प्रदर्शन किया था। मुझे विश्वास है कि इस बार बाकी टीमों की तरफ से जम्मू कश्मीर की टैलेंटेड टीम को और बेहतर चुनौती भी मिलेगी और देशभर से आए खिलाड़ी, जम्‍मू कश्‍मीर के खिलाडि़यों की, उनके कौशल्य को, उनके सामर्थ्‍य को देखेंगे और उसमें सीखेंगे भी। मुझे ये भी भरोसा है कि खेलो इंडिया विंटर गेम्स का अनुभव, Winter Olympics के Podium पर भारत के गौरव को बढ़ाने में बहुत काम आएगा। + +गुलमर्ग में हो रहे ये खेल दिखाते हैं कि जम्मू-कश्मीर, शांति और विकास की नई बुलंदियां छूने के लिए कितना तत्पर है। ये Winter Games जम्मू कश्मीर में एक नया Sporting Ecosystem विकसित करने में मदद करेंगे। जम्मू और श्रीनगर में 2 खेलो इंडिया Centers of Excellence और 20 जिलों में खेलो इंडिया सेंटर्स,युवा खिलाड़ियों के लिए बहुत बड़ी सुविधाएं हैं। ऐसे सेंटर्स देशभर के हर जिले में खोले जा रहे हैं। यही नहीं, इस आयोजन से जम्मू कश्मीर के पर्यटन को भी नई ऊर्जा, नया उत्साह मिलने वाला है। और हम ये भी देख रहे हैं कि कोरोना की वजह से जो दिक्कतें आईं थीं, वो भी धीरे-धीरे पीछे छूट रहीं हैं। + +विश्व में कोई देश सिर्फ आर्थिक और सामरिक शक्ति से ही बड़ा बनता है, ऐसा नहीं है। इसके कई और भी पहलू हैं। एक वैज्ञानिक अपने छोटे से Innovation से पूरी दुनिया में अपने देश का नाम रोशन कर देता है। ऐसे कई क्षेत्र हैं। लेकिन बहुत ही Organised way में, Structured way में, आज स्पोर्ट्स एक ऐसा क्षेत्र बन गया है जो आज की दुनिया में देश की छवि का भी, देश की शक्ति का भी परिचय कराता है। दुनिया के कई छोटे-छोटे देश, स्पोर्ट्स के कारण विश्व में अपनी पहचान बनाते हैं उस स्पोर्ट्स में अपनी विजय से, पूरे देश में प्रेरणा और ऊर्जा भर देते हैं। और इसलिए, स्पोर्ट्स को सिर्फ हार-जीत का कंपटीशन नहीं कहा जा सकता। स्पोर्ट्स, सिर्फ पदक और परफॉर्मेंस तक सीमित है, ऐसा भी नहीं है। स्पोर्ट्स का एक वैश्विक रूप है। क्रिकेट के क्षेत्र में तो हम भारत में इस बात को महसूस करते हैं लेकिन ये सभी अंतरराष्ट्रीय खेलों पर लागू होता है। इसी विजन के साथ बीते वर्षों में देश के Sports eco-system से जुड़े रिफॉर्म्स किए जा रहे हैं। + +खेलो इंडिया अभियान से लेकर ओलंपिक पोडियम स्कीम तक, एक Holistic Approach के साथ हम आगे बढ़ रहे हैं। ज़मीनी स्तर से टैलेंट की पहचान करके उसको सबसे बड़े मंच तक पहुंचाने के लिए सरकार स्पोर्ट्स प्रोफेशनल्स की Hand Holding भी कर रही है। टैलेंट की पहचान से लेकर टीम सेलेक्शन तक, ट्रांसपेरेंसी सरकार की प्राथमिकता है। जिन खिलाड़ियों ने जीवन भर देश का मान-सम्मान बढ़ाया, उनका भी मान-सम्मान बढ़े, उनके अनुभव का लाभ नए खिलाड़ियों को मिले, ये भी सुनिश्चित किया जा रहा है। + +नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी स्पोर्ट्स को बहुत ज्यादा महत्व दिया गया है। पहले स्पोर्ट्स को सिर्फ Extra Curricular एक्टिविटी माना जाता था, अब स्पोर्ट्स Curriculum का हिस्सा होगा। Sports की grading भी बच्चों की शिक्षा में काउंट होगी। ये Sports के लिए, हमारे विद्यार्थियों के लिए बहुत बड़ा रिफॉर्म है। साथियों, देश में आज स्पोर्ट्स के उच्च शिक्षा संस्थान और स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी खोली जा रही हैं। बल्कि अब इस दिशा में सोचने का समय है कि sports sciences और sports management को हम स्कूल के स्तर तक कैसे ले जाएं। ये हमारे युवाओं के लिए बेहतर करियर के अवसर तो देगा ही, Sports Economy में भी भारत की हिस्सेदारी को बढ़ाएगा। + diff --git a/pm-speech/215.txt b/pm-speech/215.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..63f5ad72fe6118ae1fbedb0fda1a6b43f32013e4 --- /dev/null +++ b/pm-speech/215.txt @@ -0,0 +1,10 @@ +उनका शासन गरीबों के प्रति करुणा से परिपूर्ण था। महिलाओं के स्वास्थ्य, शिक्षा और सशक्तिकरण के विषय उन्हें प्रिय थे। कुछ वर्ष पहले, मैं श्रीलंका गया था, जहाँ एमजीआर का जन्म हुआ था। श्रीलंका में हमारे तमिल बहनों और भाइयों के लिए किये जाने वालेकार्य के लिए भारत कोसम्‍मान की दृष्टि से देखा जाता है। भारत द्वारा वित्तपोषित एक नि:शुल्‍क एम्बुलेंस सेवा का व्यापक रूप से तमिल समुदाय द्वारा उपयोग किया जा रहा है। मैं डिकोया में एक अस्पताल के उद्घाटन समारोह को कभी नहीं भूल सकता। यह एक आधुनिक अस्पताल है जो विभिन्‍न प्रकार की सहायता प्रदान करेगा। तमिल समुदाय के लिए स्वास्थ्य सेवा के इन प्रयासों से भी एमजीआर को बहुत प्रसन्‍नता हुई होगी। + +कोविड-19 महामारी दुनिया के लिए पूरी तरह से अप्रत्याशित घटना रही है। इसके लिए कोई  भी पूर्व निर्धारित फॉर्मूला नहीं था। ऐसे समय में, भारत ने न केवल एक नया मार्गनिर्मित किया,बल्कि दूसरों को भी इस मार्ग पर चलने में सहायता की है। भारत में मृत्यु दर सबसे कम है। रिकवरी दर अधिक है। भारत दुनिया के लिए औषधियों का उत्पादन कर रहा है और दुनिया के लिए टीके बना रहा है। आप ऐसे समय में स्नातक कर रहे हैं जब दुनियाभर  में भारतीय चिकित्सा पेशेवरों, वैज्ञानिकों और फार्मा पेशेवरों के लिए बहुत प्रशंसा और सम्मान है। कुल मिलाकर, भारतीय स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र को नये दृष्टिकोण, नये सम्मान और नई विश्वसनीयता के साथ देखा जा रहा है। हालाँकि, इसका अभिप्राय यह भी है कि दुनिया को आपसे बहुत अधिक आशा होगीऔर आपके युवा और मजबूत कंधों पर एक जिम्मेदारी है। इस महामारी से मिले अनुभव से हमें तपेदिक जैसी अन्य बीमारियों से भी लड़ने में मदद मिल सकती है। + +हम पूरी चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र को बदल रहे हैं। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग बड़ी पारदर्शिता लाएगा। यह नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना के मानदंडों को भी तर्कसंगत बनाएगा। इस क्षेत्र में मानव संसाधन की गुणवत्ता और उपलब्धता में भी सुधार होगा। पिछले छह वर्षों के दौरान, एमबीबीएस सीटों में 30 हजार से अधिक की वृद्धि हुई, जो 2014 से 50 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि है। पीजी सीटों की संख्या में 24 हजार की वृद्धि हुई जो 2014 से लगभग 80 प्रतिशत की वृद्धि है। + +देश में 6 एम्स हैं और पिछले 6 वर्षों मेंहमने देश भर में 15 और एम्स को मंजूरी दी है। तमिलनाडु अपनी चिकित्सा शिक्षा के लिए जाना जाता है। राज्‍य के हमारे युवाओं को और अधिक मदद प्रदान करने के लिए हमारी सरकार ने राज्य में 11 नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना को अनुमति दी है। ये नए मेडिकल कॉलेज उन जिलों में स्थापित किए जाएंगे जिनके पास वर्तमान में मेडिकल कॉलेज नहीं है। इन कॉलेजों में से प्रत्येक के लिएभारत सरकार 2 हजार करोड़ से अधिक रुपए देगी। + +हमने बजट में 64 हजार करोड़ रुपये से अधिक के परिव्यय के साथ, प्रधानमंत्री आत्‍मनिर्भर स्‍वस्‍थ भारत योजना की घोषणा की है। यह नई और उभरती बीमारियों का पता लगाने और उनका उपचार करने के लिए प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक स्वास्थ्य देखभाल क्षमताओं को बढ़ावा देगा। हमारा आयुष्मान भारत लगभग 1600 चिकित्सा और शल्य चिकित्सा प्रक्रियाओं के लिए 50 करोड़ लोगों को गुणवत्ता देखभाल प्रदान करने के लिए दुनिया का सबसे बड़ा स्वास्थ्य आश्वासन कार्यक्रम है। + diff --git a/pm-speech/216.txt b/pm-speech/216.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..78658c170843d0d2cb41b9f42220ef00e0f00de6 --- /dev/null +++ b/pm-speech/216.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +तमिलनाडु भारत के औद्योगिक विकास में एक बड़ा योगदान दे रहा है। उद्योग को विकसित करने की बुनियादी आवश्‍यकताओं में बिजली की निरंतर रूप से आपूर्ति शामिल है। दो प्रमुख बिजली परियोजनाओं को राष्ट्र को समर्पित करने और एक और बिजली परियोजना की आधारशिला रखने के अवसर पर आज मुझे प्रसन्‍नता का अनुभव हो रहा है। 709 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजना को तिरुनेलवेली, थूथुकुडी, रामनाथपुरम और विरुधुनगर जिलों के लिए नेवेली लिग्नाइट कॉर्पोरेशन इंडिया लिमिटेड (एनएलसी) द्वारा विकसित किया गया है। इस परियोजना की लागत तीन हजार करोड़ रुपये से अधिक है। लगभग सात हजार आठ सौ करोड़ रुपये की लागत से निर्मित एनएलसीकी एक और 1000 मेगावाट की थर्मल पावर परियोजना तमिलनाडु के लिए बहुत लाभकारी होगी। इस परियोजना सेप्राप्‍त पैंसठ प्रतिशत से अधिक बिजली तमिलनाडु को दी जाएगी। + +मुझे यह जानकर भी प्रसन्‍नता का अनुभव हो रहा है कि चेन्नई में श्रीपेरंबुदूर के निकट मप्‍पेडू में शीघ्र ही एक नवीन बहुआयामी लॉजिस्टिक्स पार्क प्रारंभ होने जा रहा है। 'सागरमाला कार्यक्रम' के अंतर्गत कोरमपल्‍लम सेतू और रेल ओवर ब्रिज को भी 8-लेनका बनाया जाएगा। इस परियोजना के माध्‍यम से बंदरगाह से निर्बाध और भीड़भाड़ मुक्त आवागमन की सुविधा होगी। यह मालवाहक ट्रकों की आवाजाही के समय को और कम कर देगा। + +विकास और देखभाल पर्यावरण से बारीकी से जुड़े हुए हैं। वी-ओ-सी बंदरगाह में पहले ही 500 किलोवाट के रूफटॉप सौर ऊर्जा संयंत्र को स्थापित किया जा चुका है। एक और 140 किलोवाट के रूफटॉप सौर ऊर्जा संयंत्र को स्‍थापित करने की परियोजना प्रगति पर है। मुझे यह जानकर प्रसन्‍नता हुई है कि वी-ओ-सी बंदरगाह ने लगभग बीस करोड़ रुपये की लागत से 5 मेगावॉट भूमि आधारित सौर ऊर्जा संयंत्र से जुड़े ग्रिड का कार्यभार का बीड़ा उठाया है। इस परियोजना से बंदरगाह की कुल ऊर्जा खपत का 60 प्रतिशत पूरा करने में मदद मिलेगी। यह वास्तव में ऊर्जा आत्मनिर्भरता का एक उदाहरण है। + diff --git a/pm-speech/217.txt b/pm-speech/217.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..58cacdd2ae11a2fed68556c335d641591c1dfff0 --- /dev/null +++ b/pm-speech/217.txt @@ -0,0 +1,10 @@ +पुदुचेरी का देवत्‍व मुझे एक बार फिर इस पवित्र भूमि पर लाया है। ठीक तीन वर्ष पहले मैं पुदुचेरी में था। यह भूमि संतों, विद्वानों तथा कवियों का घर रहा है। यह भारतमाता के क्रांतिकारियों का भी घर बना। महाकवि सुब्रह्मण्य भारती यहां ठहरे थे। श्री अरबिंदो ने इन तटों पर अपने पॉव उतारे। पुदुचेरी में भारत का पश्चिम और पूर्वी तट मौजूद है। यह भूमि विविधता की प्रतीक है। लोग पांच विभिन्‍न भाषाएं बोलते हैं। विभिन्‍न मतों की उपासना करते हैं लेकिन एक होकर रहते है। + +भारत को अपनी विकास आवश्‍यकताओं के लिए विश्‍वस्‍तरीय संरचना की आवश्‍यकता है। आपको प्रसन्‍नता होगी कि चार लेन का एनएच 45-ए मार्ग बनाया जा रहा है। यह 56 किलोमीटर सत्तनाथपुरम-नागपटि्टनम तक है और कराईकल जिला को कवर करता है। निश्चित रूप से कनेक्टिविटी में सुधार होगा। आर्थिक गति‍विधि में तेजी आएगी। साथ-साथ पवित्र शनिश्‍वरन मन्दिर में पहुंच में सुधार होगा। यह मार्ग बेसिलिका ऑफ आवर लेडी ऑफ गुड हेल्‍थ तथा नागोर दरगाह से सहज अंतरराज्‍य कनेक्टिविटी प्रदान करेगा। + +समृद्धि का घनिष्‍ठ संबंध अच्‍छे स्‍वास्‍थ्‍य से है। पिछले सात वर्षों में भारत ने फिटनेस तथा वेलनेस में सुधार के लिए अनेक प्रयास किए हैं। इस संदर्भ में मुझे खेल परिसर में 400 मीटर के सिंथेटिक एथलेटिक ट्रैक की आधारशिला रखते हुए प्रसन्‍नता हो रही है। यह खेलो इंडिया योजना का एक हिस्‍सा है। इससे भारत के युवाओं में खेल प्रतिभा फले-फूलेगी। खेल हमें टीमवर्क, आचार नीति और खेल भावना के सबक देते हैं। पुदुचेरी में अच्‍छी खेल सुविधाओं के आने से इस राज्‍य के युवा राष्‍ट्रीय तथा वैश्विक खेल स्‍पर्धाओं में अच्‍छे परिणाम हासिल कर सकते हैं। खेल प्रतिभा की मदद के लिए अधिक प्रोत्‍साहन देते हुए लॉजपेट में 100 बिस्‍तरों के गर्ल्‍स हॉस्‍टल का उद्घाटन किया गया। इस हॉस्‍टल में हॉकी, वॉलीबॉल, भारोतोलन, कबड्डी तथा हैंडबॉल की खिलाड़ी रहेंगी। हॉस्‍टल के विद्या‍र्थी एसएआई के कोच द्वारा प्रशिक्षित किए जाएंगे। + +आने वाले वर्षों में एक क्षेत्र जो महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाएगा वह है स्‍वास्‍थ्‍य सेवा। स्‍वास्‍थ्‍य सेवा में निवेश करने वाले देश चमकेंगे। सभी को गुणवत्ता संपन्‍न स्‍वास्‍थ्‍य सेवा प्रदान करने के अपने उद्देश्‍य के अनुरूप मैं जिपमर में ब्‍लड सेंटर का उद्घाटन कर रहा हूं। इस परियोजना में लगभग 28 करोड़ रुपये लगेंगे। इस नई सुविधा में रक्‍त, रक्‍त उत्‍पाद का लंबे समय तक स्‍टोरेज तथा स्‍टेम सेल बैंकिंग की आधुनिक सुविधाएं होंगी। यह सुविधा अनुसंधान प्रयोगशाला और ट्रांसफ्यूजन के सभी पक्षों में कार्मिक प्रशिक्षण केन्‍द्र के रूप में काम करेगी। आपको मालूम है कि इस वर्ष के बजट में स्‍वास्‍थ्‍य सेवा को बड़ा प्रोत्‍साहन मिला है। + +तट पुदुचेरी का भाव है। मछली पालन, पोर्ट, जहाजरानी तथा नील अर्थव्‍यवस्‍था में काफी संभावनाएं हैं। मैं सागरमाला योजना के अंतर्गत पुदुचेरी पोर्ट विकास की आधारशिला रखते हुए सम्‍मानित महसूस कर रहा हूं। पूरे होने के बाद यह बंदरगाह हमारे मछुआरों को मदद करेगा, जो मछली पकड़ने इस बंदरगाह का उपयोग करते हुए समुद्र में जाते हैं। यह चेन्‍नई से कनेक्टिविटी प्रदान करेगा। इससे पुदुचेरी के उद्योगों की कार्गों गति‍विधि में मदद मिलेगी और इससे तटीय शहरों में यात्रियों की आवाजाही संभव हो सकेगी। + diff --git a/pm-speech/218.txt b/pm-speech/218.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..04b5db111e7eeee675e3ea21a5e034b8b694eab6 --- /dev/null +++ b/pm-speech/218.txt @@ -0,0 +1,22 @@ +इस बार बजट से पहले आप में से अनेक साथियों से विस्तार से बात हुई थी। इस बजट ने भारत को फिर से High Growth Trajectory पर ले जाने के लिए स्पष्ट रोडमैप सामने रखा है। बजट में भारत के विकास में प्राइवेट सेक्टर की मज़बूत पार्टनरशिप पर भी फोकस है। बजट में पब्लिक-प्राइवेट भागीदारी के Scope और targets को Clarity के साथ सामने रखा गया है। Disinvestment और Asset Monetization, इसका एक अहम पहलू है।  + +सरकार का ये दायित्व है कि वो देश के enterprises को, Businesses को पूरा समर्थन दे, लेकिन सरकार खुद enterprises चलांएं, उसकी मालिक बनी रहें, आज के युग में न ये आवश्‍यक है न ये संभव रहा है। इसलिए मैं कहता हूं- Government has no business to be in business. सरकार का फोकस, लोगों के welfare और विकास से जुड़ी परियोजनाओं पर ही रहना चाहिए। ज्‍यादा से ज्‍यादा सरकार का शक्ति, संसाधन, सामर्थ्‍य कल्‍याण काम के लिए लगने चाहिए। वहीं सरकार जब बिजनेस करने लगती है तो बहुत तरीके से नुकसान भी होता है। + +आज देश में सरकार के नियंत्रण में बहुत सारे Underutilised और un-utilized assets है। इसी सोच के साथ हमने National Asset Monetisation Pipeline की घोषणा की है। ऑयल, गैस, पोर्ट, एयरपोर्ट, पावर, ऐसे करीब 100 assets को Monetize करने का लक्ष्य हमने रखा है। इनमें 2.5 trillion रुपए के इन्वेस्टमेंट के अवसर मिलने का अनुमान है। और मैं ये भी कहूंगा कि ये प्रक्रिया आगे भी जारी रहेगी। सरकार जिस मंत्र को लेकर आगे बढ़ रही है, वो है Monetise और Modernise. + +हमारी प्राथमिकता है देश का सामान्‍य नागरिक, उसकी आवश्‍यकताएं, उसकी जरूरतें, वो रहनी चाहिए। सरकार इस दिशा में तेजी से काम कर रही है। इसलिए, Asset monetisation और Privatization से जुड़ा हर निर्णय, देश में नागरिकों के लिए चाहे वो गरीब हो, मध्‍यम वर्ग का हो, युवा हो, महिला हो, किसान हो, मजदूर हो, उनको Empower करने में मदद करेगा। Privatization से सामर्थवान युवाओं के लिए बेहतर अवसर भी उपलब्ध होते हैं। नौजवानों को अपना टैलेंट दिखाने के लिए ज्यादा अवसर मिलते हैं। + +आज जब हमारी सरकार, पूरे कमिटमेंट के साथ इस दिशा में आगे बढ़ रही है, तो इससे जुड़ी नीतियों का implementation उतना ही अहम है। पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए, competition सुनिश्चित करने के लिए, हमारी प्रक्रियाएं सही रहें, policies stable रहें, ये बहुत आवश्यक है। इसके लिए एक detailed roadmap के साथ ही, proper price discovery और stakeholder mapping के लिए हमें दुनिया की best practices से सीखना होगा। हमें ये देखना होगा कि जो निर्णय लिए जा रहे हैं वो लोगों के लिए तो लाभकारी हों ही, उस सेक्टर के विकास में भी मदद करें। + +दिसंबर में Virtual Global Investors Summit में आप में से अनेक लोगों ने Sovereign और Infrastructure funds के लिए Tax Improvement जैसी कुछ बातें मेरे सामने रखी थीं। आपने देखा है कि इस बजट में इसका समाधान किया जा चुका है। देश के काम करने की स्पीड आज आप अनुभव करते होंगे। Processes को तेज़ करने के लिए हमने एक Empowered Group of Secretaries बनाया है, जो इन्वेस्टर्स के सिस्टम से जुड़े Issues को तेजी से दूर करता है। इसी तरह अनेक सुझावों के आधार पर हमने बड़े इन्वेस्टर्स को कदम-कदम पर मदद करने के लिए एक single point of contact का सिस्टम भी बनाया है। + +बीते वर्षों में हमारी सरकार ने भारत को बिजनेस के लिए एक अहम डेस्टिनेशन बनाने के लिए निरंतर reforms किए हैं। आज भारत वन मार्केट-वन टैक्स सिस्टम से युक्त है। आज भारत में कंपनियों के लिए entry और exit के लिए बेहतरीन माध्यम उपलब्ध हैं। भारत में Compliance से जुड़ी Complexities को लगातार सुधारा जा रहा है। लॉजिस्टिक्स को लेकर आने वाले समस्याओं को तेज़ गति से दूर किया जा रहा है। आज भारत में टैक्स सिस्टम को सिंपल किया जा रहा है, Transparency को बल दिया जा रहा है। भारत उन देशों में है जहां Taxpayers के Rights को Codify किया गया है। Labor Laws को भी अब सरल किया जा चुका है। + +विदेश से जो साथी हमारे साथ आज जुड़े हैं, उनके लिए तो एक प्रकार से भारत में नए अवसरों का खुला आसमान है। आप भी परिचित हैं कि FDI को लेकर भारत ने अपनी पॉलिसी में किस तरह के अभूतपूर्व reforms किए हैं। FDI Friendly माहौल और Production Linked Incentives- PLI जैसे प्रोत्साहन के कारण, आज निवेशकों में भारत के प्रति उत्साह और बढ़ा है। ये बीते कुछ महीनों में हुए रिकॉर्ड FDI Inflow में स्पष्ट रूप से दिखता भी है। आज Ease of Doing Business सिर्फ केंद्र सरकार तक सीमित नहीं है, बल्कि हमारे राज्यों में भी इसके लिए स्वस्थ स्पर्धा हो रही है। ये एक बहुत बड़ा बदलाव है। + +आत्मनिर्भर भारत के लिए, Modern इंफ्रास्ट्रक्चर पर, मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी पर तेजी से काम किया जा रहा है। अपने इंफ्रास्ट्रक्चर को अपग्रेड करने के लिए आने वाले 5 वर्षों में 111 ट्रिलियन रुपए की National Infrastructure Pipeline पर हम काम कर रहे हैं। इसमें भी प्राइवेट सेक्टर के लिए लगभग 25 trillion रुपए के इन्वेस्टमेंट की संभावनाएं हैं। ये इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स, हमारे यहां रोज़गार और डिमांड को भी बढ़ावा देने वाले हैं। मुझे इस बात का भी एहसास है कि अनेक Investors भारत में अपना पहला ऑफिस खोलने की सोच रहे हैं। + +ऐसे सभी साथियों का स्‍वागत है और मेरा सुझाव है GIFT City में International Financial Centre से बहुत मदद मिलेगी। इस सेंटर को internationally comparable regulatory framework के तहत Govern किया जाएगा। ये आपके लिए काम करने का एक बेहतरीन Base हो सकता है। ऐसी ही अनेक Plug and Play सुविधाएं भारत में देने के लिए हम तेज़ी से काम कर रहे हैं। + +आइए, हम सभी इन अवसरों का उपयोग करें। एक बेहतर दुनिया के लिए आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में योगदान दें। और इतनी बड़ी तादाद में आज आप इस संवाद में शामिल हुए हैं, इसलिए मैं आपका हृदय से आभार व्‍यक्‍त करता हूं। आपके पास गहरा अनुभव है, देश और दुनिया का अनुभव है। आपके उत्‍तम सुझाव हम लोगों को इन चीजों को तेज गति से आगे बढ़ाने में बहुत मदद करेंगे। मेरा आपसे आग्रह रहेगा बजट में जो बातें आ चुकी हैं, सरकार ने जो नीति निर्धारित की है, जिन बातों का मैंने आज उल्‍लेख करने का प्रयास किया है; मुझे आपकी मदद चाहिए तत्‍काल, तेजी गति से implement करने का roadmap बनाने में। मुझे विश्‍वास है कि आप सबका अनुभव, आपका ज्ञान, आपका सामर्थ्‍य भारत की इस आशा-अपेक्षा दोनों मिल करके, एक नई दुनिया निर्माण करन की ताकत पैदा करते हैं। मैं फिर एक बार आप सबका स्‍वागत करता हूं, आपके सुझावों का इंतजार करता हूं। + diff --git a/pm-speech/219.txt b/pm-speech/219.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..1ef979b70753668299b89290e1f3da2538daf6fe --- /dev/null +++ b/pm-speech/219.txt @@ -0,0 +1,12 @@ +इंजीनियर होने के नाते एक क्षमता आपमें सहज रूप विकसित होती है और वो है चीजों को Pattern से Patent तक ले जाने की क्षमता। यानि एक तरह से आपमें विषयों को ज्यादा विस्तार से देखने की, एक नए vision की, आपमें एक क्षमता होती है। इसलिए आज हमारे आसपास information का जो भंडार है उसमें से प्रोबलम्स और उनके पैटर्न को आप बहुत बारीकी से देख पाते हैं। हर problem के साथ patterns जुड़े होते हैं। समस्याओं के Patterns की समझ हमें उनके long term solutions की तरफ ले जाती है। ये समझ भविष्य में नई discoveries, नए breakthroughs उसका एक आधार बनती है। आप सोचिए, आप कितने जीवन में बदलाव ला सकते हैं,  कितने जीवन बचा सकते हैं, देश के संसाधनों को बचा सकते हैं, अगर आप पैटर्न को समझें और उसे समझकर समाधान निकालें। और इस बात की भी पूरी संभावना है कि भविष्य में यही समाधान आपको commercial Success भी दें। + +21वीं सदी के भारत की स्थिति भी बदल गई है, ज़रूरतें भी बदल गई हैं और Aspirations भी बदल गई हैं। अब IITs को इंडियन इंस्टीट्यूट्स ऑफ टेक्नॉलॉजी ही नहीं, Institutes of Indigenous Technologies के मामले में Next Level पर ले जाने की जरूरत है। हमारी IITs जितना ज्यादा भारत की चुनौतियों को दूर करने के लिए रिसर्च करेंगी, भारत के लिए समाधान तैयार करेंगी, उतना ही वो Global Application का भी माध्यम बनेंगी। हमारी इतनी बडी जनसंख्या के बीच आपको जो एक्सपेरिमेंट सफल होकर निकलेगा, वो दुनिया में कहीं पर भी असफल नहीं होगा। + +आप ये जानते हैं कि ऐसे समय में जब दुनिया क्लाइमेट चेंज की चुनौतियों से जूझ रही है, भारत ने International Solar Alliance- ISA का विचार दुनिया के सामने रखा और इसे मूर्त रूप दिया। आज दुनिया के अनेकों देश, भारत द्वारा शुरू किए गए अभियान से जुड़ रहे हैं। अब हम पर दायित्व है कि हम इस अभियान को और आगे ले जाएं। क्या हम दुनिया को सस्ती, अफोर्डेबल, इनवायर्नमेंट फ्रेंडली टेक्नोलॉजी दे सकते हैं जो भारत की इस पहल को और आगे ले जाए, भारत की पहचान को और मजबूत करे। आज भारत उन देशों में से है जहां सोलर पावर की कीमत प्रति यूनिट बहुत कम है। लेकिन घर-घर तक सोलर पावर पहुंचाने के लिए अब भी बहुत चुनौतियां हैं। मैंने तो एक बार कहा भी था मैं आईआईटी के स्टूडेंट्स के सामने जरूर कहुंगा कि अगर मान लीजिए हम क्लीन कूकिंग की movement चलाएं और सोलर के आधार पर ही घर में चुल्हा जलता हो और सोलर के आधार पर ही  घर के लिए आवश्यक एनर्जी स्टोरेज की बैटरी की व्यवस्था हम बना सकते हैं। आप देखिए हिन्दुस्तान में 25 करोड़ चुल्हे हैं। 25 करोड़ घरों में चुल्हे हैं। 25 करोड़ का मार्केट है। अगर इसमें सफलता मिल गई तो जो इलैक्ट्रानिक व्हीकल के लिए सस्ती बैटरी की जो खोज हो रही है वो उसको क्रॉस सब्सीडाईज कर देगा। अब ये काम आई आई टी के नौजवानों से बढ़कर के कोन कर सकता है। भारत को ऐसी टेक्नोलॉजी चाहिए जो एनवायर्नमेंट को कम से कम नुकसान पहुंचाए, ड्यूरेबल हो और लोग ज्यादा आसानी से उसका इस्तेमाल कर पाएं। + +डिजास्टर मैनेजमेंट भी एक ऐसा विषय है जिस पर भारत ने दुनिया का ध्यान आकर्षित किया है। बड़े डिजास्टर में जीवन के साथ ही सबसे ज्यादा इंफ्रास्ट्रक्चर को नुकसान पहुंचता है। इसे समझते हुए भारत ने दो वर्ष पूर्व, संयुक्त राष्ट्र में, Coalition for Disaster Resilient Infrastructure- CDRI का आह्वान किया था। दुनिया के अनेक देश भी इससे जुड़ रहे हैं, डिजास्टर मैनेजमेंट को लेकर भारत की चिंता, भारत की पहल को समझ रहे हैं, आज दुनिया उसका स्वागत कर रही हैं। ऐसे समय में भारत के टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट्स उनपर भी नजरें ही स्वाभाविक हैं कि डिजास्टर रिजिलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण में दुनिया को क्या सॉल्यूशन दे सकते हैं। देश में आज जो छोटे-बड़े घरों का निर्माण होता है, इमारतों का निर्माण होता है, उसे हम टेक्नोलॉजी की मदद से डिजास्टर प्रूफ कैसे कर सकते हैं, इस बारे में हमें सोचना होगा। बड़े – बड़े ब्रिज बनते हैं। एक तूफान आ जाए सब तबाह हो जाता है। हमने अभी देखा उत्तराखंड में क्या हुआ। हम ऐसी व्यवस्थाएं कैसे विकसित करें। + +गुरुदेव टैगोर ने कहा था- “Getting your nation means realising your own soul in an extended way. When we start recreating our nation through thought, work and service, then only can we see our own soul in our nation”. आज खड़गपुर सहित देश के पूरे IIT नेटवर्क से देश की ये अपेक्षा है कि वो अपनी भूमिका का विस्तार करे। आपके यहां तो पहले से ही इसके लिए एक समृद्ध इकोसिस्टम है। बल्कि इंडस्ट्री 4.0 के लिए भी यहां महत्वपूर्ण इनोवेशन पर बल दिया जा रहा है। AI से जुड़ी एकेडेमिक रिसर्च को इंडस्ट्रियल लेवल पर परिवर्तन करने के लिए आप काफी प्रयास कर रहे हैं।  इंटरनेट ऑफ थिंग्स हो या फिर मॉडर्न कंस्ट्रक्शन टेक्नॉलॉजी, IIT खड़गपुर प्रशंसनीय काम कर रहा है। कोरोना से लड़ाई में भी आपके सॉफ्टवेयर समाधान देश के काम आ रहे हैं। अब आपको हेल्थ टेक के फ्यूचरिस्टिक सोल्यूशंस को लेकर भी तेज़ी से काम करना ही है। जब मैं हेल्थ टेक की बात करता हूं तो सिर्फ Data, Software और Hardware यानि गैजेट्स की ही बात नहीं करता, बल्कि एक इकोसिस्टम की बात करता हूं। Prevention से लेकर Cure तक के आधुनिक समाधान हमें देश को देने हैं। कोरोना के इस समय में हमने देखा है कि कैसे पर्सनल हेल्थकेयर Equipments एक बहुत बड़ा मार्केट बनकर उभरे हैं।लोग पहले थर्मामीटर और जरूरी दवाइयां तो घरों में रखते थे, लेकिन अब ब्लड प्रेशर चेक करने के लिए, शुगर चेक करने के लिए, ब्लड ऑक्सीजन चेक करने के लिए Equipments घर में रखते हैं। हेल्थ और फिटनेस से जुड़ी Equipments भी घरों में बढ़ रहे हैं। भारत में पर्सनल हेल्थकेयर Equipments, अफोर्डेबल हों, सटीक जानकारी देने वाले हों, इसके लिए भी हमें टेक्नोलॉजी की मदद से नए समाधान विकसित करने होंगे। + +कोरोना के बाद बनी वैश्विक परिस्थितियों में साइंस, टेक्नॉलॉजी, रिसर्च और इनोवेशन में भारत एक बड़ा ग्लोबल प्लेयर बन सकता है। इसी सोच के साथ इस वर्ष के साइंस और रिसर्च के लिए बजट में भी बड़ी वृद्धि की गई है। पीएम रिसर्च फैलो स्कीम के माध्यम से भी आप जैसे टैलेंटेड साथियों के लिए रिसर्च का नया माध्यम उपलब्ध हुआ है। आपके आइडिया के Incubation के लिए Start up India मिशन से भी आपको मदद मिलेगी। कुछ दिन पहले ही एक और महत्वपूर्ण पॉलिसी रिफॉर्म किया गया है, जिसके बारे में मैं विशेष तौर पर आपको बताना चाहता हूं। सरकार ने मैप और Geospatial Data को कंट्रोल से मुक्त कर दिया है। इस कदम से Tech Startup Ecosystem को बहुत मजबूती मिलेगी। इस कदम से आत्मनिर्भर भारत का अभियान भी और तेज होगा। इस कदम से देश के युवा Start-ups और Innovators को नई आजादी मिलेगी। + diff --git a/pm-speech/220.txt b/pm-speech/220.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..63872474e3a1f68a3ce65a51f7ebbf3ed2721a7d --- /dev/null +++ b/pm-speech/220.txt @@ -0,0 +1,16 @@ +कोरोना के दौरान हमने वेंटिलेटर और अन्य सामान बनाने में भी महारत हासिल कर ली है। इसकी वैश्विक डिमांड पूरी करने के लिए भी भारत को तेजी से काम करना होगा। क्‍या भारत ये सपना देख सकता है कि दुनिया को जिस-जिस आधुनिक medical equipment  की आवश्‍यकता है वो cost effective कैसे बने? भारत ग्‍लोबल सप्‍लायर कैसे बने? और affordable व्‍यवस्‍था होगी, sustainable व्‍यवस्‍था होगी, user friendly technology होगी; मैं पक्‍का मानता हूं दुनिया की नजर भारत की तरफ जाएगी और health sector में जरूर जाएगी।   + +हमारी सरकार Health Issues को टुकड़ों के बजाय Holistic तरीके से, एक integrated approach की तरह से और एक focus तरीके से देखने का प्रयास कर रही है। इसलिए हमने देश में सिर्फ Treatment ही नहीं Wellness पर फोकस करना शुरु किया है। हमने Prevention से लेकर Cure तक एक Integrated अप्रोच अपनाई है। भारत को स्वस्थ रखने के लिए हम 4 मोर्चों पर एक साथ काम कर रहे हैं। + +देश से टीबी के खिलाफ जंग और टीबी को खत्म करने के लिए दुनिया ने 2030 का टारगेट रखा है, भारत ने 2025 तक का लक्ष्य रखा है। और मैं टीबी की तरफ इस समय विशेष ध्‍यान देने के लिए इसलिए कहूंगा कि टीबी भी infected person के droplets से ही फैलती है। टीबी की रोकथाम में भी मास्क पहनना, Early diagnosis और treatment, ये सारी बातें अहम हैं। + +इसी तरह आपको याद होगा, हमारे यहां खास करके उत्‍तर प्रदेश में गोरखपुर वगैरह जो क्षेत्र हैं जिसे पूर्वांचल भी कहते हैं, उस पूर्वांचल में दिमागी बुखार से हर वर्ष हजारों की तादाद में बच्चों की दुखद मृत्यु हो जाती थी। संसद में भी उसकी चर्चा होती थी। एक बार तो इस विषय पर चर्चा करते हुए हमारे वर्तमान उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगीजी बहुत रो पड़े थे, उन बच्‍चों की मरने की स्थिति देख करके। लेकिन जब से वो वहां के मुख्‍यमंत्री बने, उन्‍होंने एक प्रकार से focus activity की। पूरी तरह जोर लगाया। आज हमें बहुत आशास्‍पद परिणाम मिल रहे हैं। हमने दिमागी बुखार को फैलने से रोकने पर जोर दिया, इलाज की सुविधाएं बढ़ाईं तो इसका अब असर भी दिख रहा है। + +विश्‍व जिस प्रकार से योग को आसानी से स्‍वीकार कर रहा है, वैसे ही विश्‍व holistic health care की तरफ गया है। साइड इफेक्‍ट से मुक्‍त health care की तरफ विश्‍व का ध्‍यान गया है। उसमें भारत की traditional medicine बहुत काम आ सकती है। भारत की जो traditional medicine है, वो मुख्‍यत: herbal based हैं और उसके कारण विश्‍व में उसका आकर्षण बहुत तेजी से बढ़ सकता है। Harm के संबंध में लोग निश्चिन्त होते हैं कि इसमें कुछ harmfull नहीं है। क्‍या हम उसको भी जोर लगा सकते हैं? हमारे हेल्‍थ के बजट को और इस क्षेत्र में काम करने वाले लोग मिलकर कुछ कर सकते हैं? + +कोरोना के दौरान हमारी परंपरागत औषधियों की ताकत देखने के बाद हमारे लिए खुशी का विषय है और आयुर्वेद में traditional medicine में विश्‍वास करने वाले भी सभी और उससे अलग हमारे medical profession से जुड़े हुए लोगों के लिए गर्व की बात है कि विश्व स्वास्थ्य सेंटर– WHO, भारत में अपना Global Centre of Traditional Medicine भी शुरू करने जा रहा है। Already उन्होंने announcement कर दिया है। भारत सरकार उसकी प्रक्रिया भी कर रही है। ये जो मान-सम्‍मान मिला है इसको दुनिया तक पहुंचाना हमारा दायित्‍व बनता है। + +दवाओं और Medical Devices के Raw Material के लिए देश की विदेशों पर निर्भरता, विदेशों पर गुजारा करना हमारी इंडस्ट्री के लिए कितना बुरा अनुभव रहा है, ये हम देख चुके हैं।  ये सही नहीं है। इसलिए गरीबों को सस्ती दवाएं और उपकरण देने में भी ये बहुत बड़ी कठिनाई पैदा करते हैं। हमें इसका रास्‍ता खोजना ही होगा। भारत को हमें इन क्षेत्रों में आत्‍मनिर्भर बनाना ही होगा। इसके लिए चार विशेष योजनाएं इन दिनों शुरू की गई हैं। बजट में भी उसका उल्‍लेख है, आपने भी अध्‍ययन किया होगा। + +देश को सिर्फ last mile health access ही नहीं चाहिए बल्कि हमें हिन्‍दुस्‍तान के हर कोने में, दूर-दराज के क्षेत्रों में…जैसे हमारे यहां जब इलेक्‍शन होता है तो रिपोर्ट आती है, एक मतदाता था वहां भी पोलिंग बूथ लगा; मुझे लगता है कि हेल्‍थ सेक्‍टर में भी और एजुकेशन दो विषय हैं कि जहां एक नागरिक होगा, तो भी हम पहुंचेंगे। ये हमारा मिजाज होना चाहिए और हमें इस पर जोर देना है। उस पर हमें पूरी कोशिश करनी है। और इसलिए सभी क्षेत्रों में health excess पर भी हमें जोर देना है। देश को wellness centres चाहिए,  देश को district hospitals चाहिए, देश को critical care units चाहिए, देश को health surveillance infrastructure चाहिए, देश को आधुनिक labs चाहिए, देश को telemedicine चाहिए, हमें हर स्तर पर काम करना है, हर स्तर को बढ़ावा देना है। + diff --git a/pm-speech/221.txt b/pm-speech/221.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..fc1dba1d36ec6057fcdcae64560aa950303b14b2 --- /dev/null +++ b/pm-speech/221.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +आज जिन 4 प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन और लोकार्पण हुआ है, उससे यहां का रेल नेटवर्क और सशक्त होगा। इस तीसरी लाइन के शुरु होने से खड़गपुर-आदित्यपुर खंड में रेल की आवाजाही बहुत ही सुधरेगी और हावड़ा-मुंबई रूट पर ट्रेनों में होने वाली देरी कम होगी। आजिमगंज से खागड़ाघाट रोड के बीच दोहरी लाइन की सुविधा मिलने से मुर्शिदाबाद जिले के व्यस्त रेल नेटवर्क को राहत मिलेगी। इस रूट से कोलकाता-न्यू जलपाईगुड़ी-गुवाहाटी के लिए वैकल्पिक मार्ग भी मिलेगा और नॉर्थ ईस्ट तक कनेक्टिविटी बेहतर होगी। डानकुनी-बारूइपाड़ा के बीच चौथी लाइन का प्रोजेक्ट तो वैसे भी बहुत अहम है। इसके तैयार होने से हुगली के व्यस्त नेटवर्क पर बोझ कम होगा। इसी तरह, रसुलपुर और मगरा का सेक्शन, कोलकाता का एक प्रकार से गेटवे है, लेकिन बहुत ज्यादा भीड़भाड़ वाला है। नई लाइन शुरु होने से, इस समस्या में भी काफी हद तक राहत मिलेगी। + diff --git a/pm-speech/222.txt b/pm-speech/222.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..5a9056ea95c7e99a5ed5069d93097431c82a9075 --- /dev/null +++ b/pm-speech/222.txt @@ -0,0 +1,10 @@ +इसी कड़ी में आज असम को 3 हज़ार करोड़ से ज्यादा के Energy और Education इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स का एक नया उपहार मिल रहा है। धेमाजी और सुआलकुची में इंजीनियरिंग कॉलेज हों, बोंगईगांव की रिफाइनरी के विस्तार का काम हो, डिब्रुगढ़ में सेकेंड्री टैंक फार्म हो या फिर तिनसुखिया में गैस कंप्रेसर स्टेशन, ये प्रोजेक्ट्स ऊर्जा और शिक्षा के हब के रूप में इस क्षेत्र की पहचान को सशक्त करेंगे। ये प्रोजेक्ट्स असम के साथ ही तेज गति से मजबूत होते पूर्वी भारत के भी प्रतीक हैं। + +आत्मनिर्भर बनते भारत के लिए लगातार अपने सामर्थ्य, अपनी क्षमताओं में भी वृद्धि करना, ये अत्यंत आवश्यक है। बीते वर्षों में हमने भारत में ही, रिफाइनिंग और इमरजेंसी के लिए ऑयल स्टोरेज कैपेसिटी को काफी ज्यादा बढ़ाया है। बोंगइगांव रिफाइनरी में भी रिफाइनिंग कैपेसिटी बढ़ाई गई है। आज जिस गैस यूनिट का लोकार्पण किया गया है, वो यहां एलपीजी उत्पादन की क्षमता को बढ़ाने वाला है। इन सारे प्रोजेक्ट्स से असम और नॉर्थईस्ट में लोगों का जीवन आसान होगा और युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। + +जब किसी व्यक्ति को मूलभूत सुविधाएं मिलती हैं, तो उसका आत्मविश्वास बहुत बढ़ जाता है। बढ़ता हुआ ये आत्मविश्वास क्षेत्र का भी विकास करता है और देश का भी विकास करता है। आज हमारी सरकार उन लोगों, उन क्षेत्रों तक पहुचने का प्रयास कर रही है जहां पहले सुविधाएं नही पहुंची थी। अब व्यवस्था ने उनको सुविधा देने पर बल दिया है। पहले लोगों ने सबकुछ उनके नसीब पर छोड़ दिया था। आप सोचिए, 2014 से पहले तक, देश के हर 100 परिवारों में से सिर्फ 50-55 परिवारों के यानी करीब- करीब आधे घरों में ही एलपीजी गैस कनेक्शन था। असम में तो रिफाइनरी और दूसरी सुविधाओं के बावजूद भी 100 में से 40 लोगों के पास ही गैस कनेक्शन उपलब्ध था। 60 लोगों के पास नहीं था। गरीब बहनों-बेटियों का रसोई के धुएं और बीमारियों के जाल में रहना, उनके जीवन की बहुत बड़ी मजबूरी थी। हमने उज्जवला योजना के माध्यम से इस स्थिति को बदल दिया है। असम में आज गैस कनेक्शन का दायरा करीब- करीब शत-प्रतिशत हो रहा है। यहां बोंगईगांव रिफाइनरी के इर्दगिर्द के जिलों में ही 2014 के बाद 3 गुना से ज्यादा एलपीजी कनेक्शन बढ़ गए हैं।अब इस बार के केंद्रीय बजट में 1 करोड़ और गरीब बहनों को उज्जवला के मुफ्त एलपीजी कनेक्शन देने का प्रावधान किया गया है। + +आत्मनिर्भर भारत को गति देने में हमारे वैज्ञानिक, हमारे इंजीनियर, टेक्निशियंस के सशक्त टैलेंट पूल की बड़ी भूमिका है। बीते सालों में देश में एक ऐसा माहौल बनाने के लिए हम काम कर रहे हैं, जहां देश के नौजवान समस्याओं का समाधान नए – नए इनोवेटिव तरीके से करें स्टार्ट अप्स से दें। आज पूरी दुनिया भारत के इंजीनियर्स का, भारत के टेक्नोक्रैट्स का लोहा मान रही है। असम के युवाओं में तो अद्भुत क्षमता है। इस क्षमता को बढ़ाने के लिए राज्य सरकार जी जान से जुटी है। असम सरकार के प्रयासों के कारण ही आज यहां 20 से ज्यादा इंजीनियरिंग कॉलेज हो चुके हैं। आज धेमाजी इंजीनियरिंग कॉलेज के लोकार्पण और सुआलकुची इंजीनियरिंग कॉलेज के शिलान्यास से ये स्थिति और मजबूत हो रही है। धेमाजी इंजीनियरिंग कॉलेज तो नॉर्थ बैंक का पहला इंजीनियरिंग कॉलेज है। मुझे बताया गया है कि ऐसे ही 3 और इंजीनियरिंग कॉलेज बनाने की प्रक्रिया चल रही है। बेटियों के लिए विशेष कॉलेज हों, पॉलिटेक्निक कॉलेज हों, या दूसरे संस्थान, असम की सरकार इसके लिए बड़े स्तर पर काम कर रही है। + +असम सरकार यहां नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को भी जल्द से जल्द लागू करने की कोशिश कर रही है। इस नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का लाभ असम को, यहां के जनजातीय समाज को, चाय बगान में काम करने वाले मेरे श्रमिक भाई – बहनों के बच्चों को बहुत अधिक लाभ होने वाला है। वो इसलिए क्योंकि इसमें स्थानीय भाषा में पढ़ाई और स्थानीय व्यवसायों से जुड़े कौशल निर्माण पर बल दिया गया है। जब स्थानीय भाषा में मेडिकल की पढ़ाई होगी, जब स्थानीय भाषा में टेक्नीकल एजुकेशन दी जाएगी, तो गरीब से गरीब के बच्चे भी डॉक्टर बन सकेंगे, इंजीनियर बन सकेंगे और देश का कल्याण करेंगे। गरीब से गरीब मां बाप के सपने पूरे कर पाएंगे। असम जैसा राज्य जहां Tea, Tourism, Handloom और Handicraft, आत्मनिर्भरता की बहुत बड़ी ताकत है। ऐसे में यहां के युवा जब इन स्किल्स को स्कूल और कॉलेज में ही सीखेंगे तो इससे बहुत लाभ होने वाला है। आत्मनिर्भरता की नीव वहीं से जुड़ने वाली है। इस साल के बजट में भी जनजातीय क्षेत्रों में सैकड़ों नए एकलव्य मॉडल स्कूल खोलने का प्रावधान किया गया है, जिसका लाभ भी असम को मिलेगा। + diff --git a/pm-speech/223.txt b/pm-speech/223.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..67ad9885983c01793c64a2cfb16dd19018a2185c --- /dev/null +++ b/pm-speech/223.txt @@ -0,0 +1,20 @@ +वैसे तो आप सब जानते होंगे कि बजट के बाद भारत सरकार अलग-अलग क्षेत्र के लोगों के साथ webinar करके बजट को जल्द से जल्द कैसे इम्प्लीमेंट किया जाए। बजट को इम्प्लीमेंट करते समय किस प्रकार से प्राइवेट कंपनीज को भागीदार बनाए जाए और बजट को इम्प्लीमेंट कराने का साथ मिलकर रोडमैप कैसे बने, इस पर चर्चाएं चल रही हैं। मुझे खुशी है कि आज रक्षा मंत्रालय के webinar में भाग ले रहे सभी partners, stakeholders से मिलने का अवसर मिला है, मेरी तरफ से आप सबको अनेक-अनेक शुभकामनाएं।  + +हथियार और military equipment बनाने का भारत के पास सदियों पुराना अनुभव है। आजादी के पहले हमारे यहां सैकड़ों ऑर्डिनेंस फैक्ट्रियां होती थीं। दोनों विश्व युद्धों में भारत से बड़े पैमाने पर हथियार बनाकर भेजे गए थे। लेकिन आजादी के बाद अनेक वजहों से इस व्यवस्था को उतना मजबूत नहीं किया गया, जितना किया जाना चाहिए था। हालत ये है कि small arms के लिए भी हमें दूसरे देशों की तरफ देखना पड़ता है। आज भारत विश्व के सबसे बड़े defence importers में से है और ये कोई बड़े गौरव  की बात नहीं है। ऐसा नहीं है कि भारत के लोगों में टैलेंट नहीं है। ऐसा नहीं है कि भारत के लोगों में सामर्थ्य नहीं है। + +अब भारत अपनी capacities और capabilities को तेज़ गति से बढ़ाने में जुटा है। एक समय था जब हमारे अपने लड़ाकू विमान तेजस को फाइलों में बंद करने की नौबत आ गई थी। लेकिन हमारी सरकार ने अपने इंजीनियरों-वैज्ञानिकों और तेजस की क्षमताओं पर भरोसा किया और आज तेजस शान से आसमान में उड़ान भर रहा है। कुछ सप्ताह पहले ही तेजस के लिए 48 हजार करोड़ रुपए का ऑर्डर दिया गया है। कितने MSMEs सेक्टर देश के साथ जुड़ेंगे, कितना बड़ा कारोबार होगा। हमारे जवानों को बुलेट प्रूफ जैकेट्स तक के लिए भी लंबा इंतज़ार करना पड़ता है। आज हम ना सिर्फ भारत में ही अपने लिए बुलेट प्रूफ जैकेट्स नहीं बना रहे, बल्कि दूसरे देशों को भी सप्लाई करने के लिए अपनी कैपेसिटी को बढ़ा रहे हैं। + +Chief of Defence Staff के पद का गठन होने से procurement processes, trial & testing, उपकरणों के इंडक्शन, services की प्रक्रियाओं में uniformity लाना बहुत सरल हो गया है और हमारे सभी डिफेंस फोर्स के सभी विंग के सहयोग से ये काम बहुत तेजी से आगे भी बढ़ रहा है। इस साल के बजट में सेना के आधुनिकीकरण की ये प्रतिबद्धता और मजबूत हुई है। करीब डेढ़ दशक बाद डिफेंस सेक्टर में capital outlay में 19 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है। आजादी के बाद पहली बार डिफेंस सेक्टर में प्राइवेट सेक्टर का पार्टिसिपेशन बढ़ाने पर इतना जोर दिया जा रहा है। प्राइवेट सेक्टर को आगे लाने के लिए, उनके लिए काम करना और आसान बनाने के लिए, सरकार, उनके Ease of Doing Business पर बल दे रही है। + +मैं डिफेंस सेक्टर में आ रहे प्राइवेट सेक्टर की एक चिंता भी समझता हूं। अर्थव्यवस्था के अन्य sectors के मुक़ाबले डिफेंस सेक्टर में सरकार का दख़ल कई गुना ज़्यादा है। सरकार ही एकमात्र buyer है, सरकार स्वयं manufacturer भी है, और सरकार की अनुमति के बिना export करना भी मुश्किल है। और यह स्वाभाविक भी है, क्योंकि यह sector national security से जुड़ा है। लेकिन साथ ही, private sector की साझेदारी के बिना 21 वीं सदी का defence manufacturing ecosystem खड़ा नहीं हो सकता, यह भी मैं तो भलीभांति समझता हूं और अब सरकार के सभी अंग भी समझ रहे हैं। और इसलिए, आपने देखा होगा, कि 2014 से ही हमारा प्रयास रहा है कि transparency, predictability और ease of doing business के साथ हम इस sector में लगातार एक के बाद एक कदम उठाते हुए आगे बढ़ रहे हैं। De-Licensing, de-regulation, export promotion, foreign investment liberalization, ऐसे अनेक उपायों के साथ हमने इस sector में एक के बाद एक मजबूत कदम उठाए हैं। और मैं ये भी कहूंगा कि मुझे इन सारे प्रयासों के लिए सबसे ज्यादा सहयोग, सबसे ज्यादा मदद यूनिफॉर्म फोर्सेस की लीडरशिप से मिली है। वे भी एक प्रकार से इस बात को बल दे रहे हैं, बात को आगे बढ़ा रहे हैं। + +सरकारी भाषा में ये Negative list है लेकिन मैं इसको जरा अलग तरीके से देखता हूं जिसको दुनिया निगेटिव लिस्ट के नाम से जानती है। मेरी दृष्टि से आत्मनिर्भरता की भाषा में ये Positive List है। ये वो पॉजिटिव लिस्ट है जिसके बल पर हमारी अपनी मैन्युफेक्चरिंग कैपेसिटी बढ़ने वाली है। ये वो पॉजिटिव लिस्ट है जो भारत में ही रोज़गार निर्माण का काम करेगी। ये वो पॉजिटिव लिस्ट है जो अपनी रक्षा ज़रूरतों के लिए हमारी विदेशों पर निर्भरता को कम करने वाली है। ये वो पॉजिटिव लिस्ट है, जिसकी वजह से भारत में बने प्रॉडक्ट्स की, भारत में बिकने की गारंटी भी है। और ये वो चीजें हैं जो भारत की आवश्यकता के अनुसार, हमारे क्लाइमेट के अनुसार हमारे लोगों के स्वभाव के अनुसार निरंतर इनोवेशन होने की संभावना इसके अंदरी अपने-आप समाहित है। + +चाहे हमारी सेना हो या फिर हमारा आर्थिक भविष्य, ये हमारे लिए एक प्रकार से पॉजिटिव लिस्ट ही है। और आप के लिए तो सब से ज़्यादा पॉजिटिव लिस्ट है और मैं आज इस बैठक में आप सभी को ये भरोसा देता हूं कि डिफेंस सेक्टर से जुड़ा हर वो सामान जिसे डिजाइन करने, जिसे बनाने का सामर्थ्य देश में है, किसी सरकारी या प्राइवेट कंपनी में है, वो बाहर से लाने की अप्रोच नहीं रखी जाएगी। आपने देखा होगा, रक्षा के capital budget में भी domestic procurement के लिए एक हिस्सा reserve कर दिया गया है, ये भ्राी हमारा नया initiative है। मैं प्राइवेट सेक्टर से आग्रह करूँगा कि manufacturing के साथ-साथ डिजाईन और development में भी आप आगे आयें, भारत का विश्व भर में परचम लहराएँ, मौका है, जाने मत दीजिए। Indigenous design और development के क्षेत्र में DRDO का अनुभव भी देश के प्राइवेट सेक्टर को लेना चाहिए। इसमें नियम-कायदे आड़े न आएं, इसके लिए DRDO में बहुत तेजी से रिफॉर्म्स भी किए जा रहें हैं। अब प्रोजेक्ट्स की शुरुआत में ही प्राइवेट सेक्टर को शामिल कर लिया जायेगा। + +हमें ये भी ध्यान रखना है कि एक Healthy defence manufacturing ecosystem के लिए बड़े उद्योगों के साथ ही छोटी और मध्यम manufacturing units भी बहुत ज़रूरी हैं। हमारे स्टार्ट अप्स बदलते समय के साथ तेज़ी से बदलाव करने के लिए ज़रूरी इनोवेशन हमें दे रहे हैं, हमारी रक्षा तैयारियों में हमें आगे रख रहे हैं। MSMEs तो पूरे मैन्युफेक्चरिंग सेक्टर के लिए रीढ़ का काम करती हैं। आज जो रिफॉर्म्स हो रहे हैं, उससे MSMEs को ज्यादा आजादी मिल रही है, उनको Expand करने के लिए प्रोत्साहन मिल रहा है। + +ये MSMEs Medium और बड़ी Manufacturing Units को मदद करती हैं, जो पूरे इकोसिस्टम में Firepower add करते हैं। ये नई सोच और नई अप्रोच हमारे देश के नौजवानों के लिए भी बहुत अहम है। iDEX जैसे प्लेटफार्म हमारी startup कम्पनीज और युवा entrepreneurs को इस दिशा में प्रोत्साहन दे रहे हैं। देश में आज जो डिफेंस कॉरिडोर बनाए जा रहे हैं, वो भी स्थानीय उद्यमियों, लोकल मैन्यूफैक्चरिंग को मदद करेंगे। यानि आज हमारे डिफेंस सेक्टर में आत्मनिर्भरता को हमें ‘जवान भी और नौजवान भी’, इन दोनों मोर्चों के सशक्तिकरण के रूप में देखना होगा। + +इसलिए आज ये भी जरूरी है कि हमारे उच्च शिक्षा वाले संस्थानों में, रिसर्च इंस्टीट्यूट्स में, यूनिवर्सिटीज में, हमारे एकेडमिक वर्ल्ड में डिफेंस से जुड़े, डिफेंस स्किल से जुड़े कोर्सेस पर भी skill development, human resource development इस पर भी ध्यान देना पड़ेगा। Research और innovation पर  भी ध्यान देना पड़ेगा। इन कोर्सेस को भारत की आवश्ककता के मुताबिक डिजाइन करना समय की मांग है। इसलिए परंपरागत डिफेंस के लिए जैसे एक यूनिफॉर्म वाला फौजी होता है, वैसे ही हमें एकैडमिक वर्ल्ड वाले, रिसर्च करने वाले, सुरक्षा एक्सपर्ट को भी देखना होगा, हमें इस आवश्य़कता को समझते हुए भी कदम उठाने होंगे। मुझे उम्मीद है, अब आप लोग इस दिशा में भी आगे बढ़ेंगे। + diff --git a/pm-speech/224.txt b/pm-speech/224.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..d24407896f4c8e939d492dc4c741bc6a7fcef322 --- /dev/null +++ b/pm-speech/224.txt @@ -0,0 +1,12 @@ +Policy framework और केंद्र एवं राज्यों के बीच बेहतर तालमेल भी बहुत जरूरी है। अब जैसे हमारे यहां coastal states में मत्स्य उद्योग को, blue economy को और मछली को विदेशों में export  करने के लिए असीमित अवसर हैं। हमारे coastal states उसके लिए क्यों न special initiative लें। देखिए इकोनॉमी को बहुत बड़ा बल मिल सकता है, हमारे fisher man को बहुत बड़ा बल मिल सकता हैं। मैं चाहूंगा कि आप इस बात से परिचित हों कि केंद्र सरकार ने विभिन्न सेक्टर्स के लिए एक PLI schemes शुरू की हैं। ये देश में मैन्यूफैक्चरिंग बढ़ाने का बेहतरीन अवसर है। राज्यों को भी इस स्कीम का पूरा लाभ लेते हुए अपने यहां ज्यादा से ज्यादा निवेश आकर्षित करना चाहिए। कॉरपोरेट टैक्स की दरें कम करने का लाभ भी राज्यों को बढ़–चढ़कर उठाना चाहिए। आपको ऐसी कंपनियों से संपर्क करना चाहिए कि दुनिया में इतना कम टैक्स  रेट जब दिया गया है तो उसका फायदा आपके राज्य को मिलना चाहिए। + +कृषि अपार क्षमताओं से भरी हुई है। लेकिन फिर भी कुछ सच्चाइयां हमें स्वीकार करनी होंगी। हम कृषि प्रधान देश कहे जाते हैं उसके बावजूद भी आज करीब–करीब 65-70 हजार करोड़ रुपए का खाद्य तेल हम बाहर से लाते हैं। ये हम बंद कर सकते हैं। हमारे किसानों के खाते में पैसा जा सकता है। ये पैसों का हकदार तो हमारा किसान है। लेकिन इसके लिए हमारी योजनाएं उस प्रकार से हमें बनानी होंगी। हमने पिछले दिनों दालों में प्रयोग किया था, उसमें सफलता मिली। अब दालों को बाहर से लाने में खर्चा हमारा काफी कम हुआ है। ऐसी कई चीजें, कई खाद्य चीजें बिना कारण हमारे टेबल पर आज आ जाती हैं। हमारे देश के किसानों को ऐसी चीजों के उत्पादन में कोई मुश्किल नहीं है, थोड़ा गाइड करने की जरूरत है। और इसलिए ऐसे कई कृषि उत्पाद हैं, जो हमारे किसान न सिर्फ देश के लिए पैदा कर सकते हैं बल्कि दुनिया को भी सप्लाई कर सकते हैं। इसके लिए जरूरी है कि सभी राज्य अपनी agro-climatic regional planning उसकी strategy बनाएँ, उसके हिसाब से किसानों की मदद करें। + +बीते वर्षों में कृषि से लेकर, पशुपालन और मत्स्यपालन तक एक holistic approach अपनाई गई है। इसका परिणाम है कि कोरोना के दौर में भी देश में कृषि निर्यात में काफी बढोतरी हुई है। लेकिन हमारा potential इससे कई गुना ज्यादा है। हमारे products का wastage कम से कम हो, इसके लिए स्टोरेज और प्रोसेसिंग पर भी ध्यान देने की जरूरत है और उसमें investment के लिए हमें जितनी भी potential जहां भी हैं उसे जोड़ना पड़ेगा। हम ये जानते हैं कि भारत, साउथ ईस्ट एशिया में रॉ फिश एक्सपोर्ट करता है। जो मैंने प्रांरभ में कहा वहाँ वो फिश process करके भारी मुनाफे और processed products के तौर पर बेची जाती है। क्या हम सीधे processed fish products को बड़े पैमाने पर export नहीं कर सकते? हमारे सभी coastal states खुद अपना initiative ले करके इस पूरे ग्लोबल  मार्केट पर अपना प्रभाव पैदा नहीं कर सकते? ऐसी स्थिति कई और क्षेत्रों, कई और Products के साथ है। हमारे किसानों को जरूरी आर्थिक संसाधन मिलें, बेहतर इनफ्रास्ट्रक्चर मिले, आधुनिक technology मिले, इसके लिए Reforms बहुत जरूरी हैं। + +हाल ही में ऐसे कई Reforms किए गए हैं जो regulation को कम करते हैं, सरकार का दखल कम करते हैं। मैंने पिछले दिनों देखा, सरकार के अंदर सामान्य व्यक्ति को compliance हजारों ऐसे compliance हैं जिसको हम निकाल सकते हैं। जैसे पिछले दिनों हमने 1500 कानून ख़त्म  किए। मैं राज्यों से आग्रह करूंगा आप एक छोटी टीम बिठाइए, बिना कारण अब जब टेक्‍नोलॉजी है तो बार–बार चीजें मांगने की जरूरत नहीं है लोगों से। ये compliance का burden देश के नागरिक के सिर पर से हम कम करें। राज्य आगे आएं। मैंने भी भारत सरकार में कहा है और हमारे केबिनेट सेक्रेटरी उसके पीछे लगे हुए हैं। compliance की संख्या अब जितनी कम हो करनी है। ये भी Ease of living के लिए बहुत जरूरी है। + +मैं अभी पिछले दिनों आईटी सेक्टर के लोगों से बात कर रहा था। मुझे कईयों ने बताया कि उनके 95 प्रतिशत लोग अब घर से ही काम कर रहे हैं और उनका काम अच्छा चल रहा है। अब देखिए ये कितना बड़ा बदलाव आ रहा है। हमें इन चीजों पर बल देना होगा। हमें ऐसी जो बंदिशें हैं उन सारी बंदिशों को समाप्त करना चाहिए। काफी मात्रा में हमने पिछले दिनों reform करके किया भी है। आपने देखा होगा कुछ दिन पहले हमने एक बहुत महत्वपूर्ण निर्णय किया है। geospatial data से जुड़े नियमों को भी liberalise कर दिया है। जो अभी हमने किया है वो अगर आज से दस साल पहले हम कर पाते तो शायद ये गूगल वगैरह भारत के बाहर नहीं बनते, वो हमारे यहां बनते। हमारे लोगों का टेलेंट है लेकिन product हमारे नहीं हैं। इससे हमारे स्टार्ट अप्स और Tech सेक्टर को तो बहुत बड़ी मदद मिली ही है। मैं चाहता हूं कि ये फैसला देश के सामान्य मानवी की Ease of Living बढ़ाने में भी मदद करेगा।   + +और साथियों में दो चीजों का आग्रह करूंगा। आज विश्व में हमें एक अवसर प्राप्त  हुआ है। उस अवसर को जुटाने के लिए हमारी कोशिश रहनी चाहिए Ease of doing business और भारत के नागरिकों के लिए हमारी कोशिश रहनी चाहिए Ease of Living. Globally भारत की positioning के लिए, भारत को opportunities gain करने के लिए Ease of doing business का महत्व है और उसके लिए हमारे कानूनों में सुधार करना होगा, व्यवस्थाओं में सुधार करना होगा और देश के नागरिकों की आशा–अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए उसके जीवन को सरल करने के लिए, Ease of Living के लिए जो चीज आवश्यक है, उस पर बल देना पड़ेगा।   + diff --git a/pm-speech/225.txt b/pm-speech/225.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..3f48c0b0459f59a026b9a061b208bdc07e633e7e --- /dev/null +++ b/pm-speech/225.txt @@ -0,0 +1,10 @@ +नमस्कारम केरल! कुछ ही दिन पहले मैं पेट्रोलियम सेक्टर की प्रमुख परियोजनाओं के उद्घाटन के लिए केरल में था। आज, तकनीक के कारण हम एक बार फिर जुड़ गए हैं। हम केरल के विकास के सफर में अहम कदम उठा रहे हैं। आज शुरू होने जा रहे विकास कार्य पूरे राज्य में फैले हैं। इनमें कई क्षेत्र शामिल हैं। वे इस सुंदर राज्य को ऊर्जा देंगे और सशक्त बनाएंगे, जहां के लोग भारत की प्रगति में प्रमुख योगदान कर रहे हैं। आज दो हजार मेगावाट की अनूठी पुगलूर-थ्रिसूर हाई वोल्टेज डायरेक्ट करंट (एचवीडीसी) प्रणाली का शुभारम्भ किया जा रहा है। यह केरल को राष्ट्रीय ग्रिड से जोड़ने वाला पहला एचवीडीसी इंटर कनेक्शन है। थ्रिसूर केरल का एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक केंद्र है। अब यह केरल के लिए एक ऊर्जा केंद्र भी होगा। इस प्रणाली से राज्य की बिजली की बढ़ती जरूरतें पूरी करने के लिए बड़ी मात्रा में बिजली का हस्तांतरण संभव होगा। यह भी पहली बार है कि पारेषण के लिए देश में पहली बार वीएससी कन्वर्टर तकनीक पेश की गई है। यह वास्तव में हम सभी के लिए गर्व का पल है। + +केरल में आंतरिक स्तर पर बिजली उत्पादन के संसाधन मौसमी हैं। इससे राज्य काफी हद तक राष्ट्रीय ग्रिड से बिजली के आयात पर निर्भर है। इसी अंतर को पूरा किया जाना था। एचवीडीसी व्यवस्था से इसे हासिल करने में मदद मिलती है। अब राज्य के लिए विश्वसनीयता के साथ बिजली तक पहुंच संभव होगी। यह घरों और औद्योगिक इकाइयों को बिजली की आपूर्ति के लिए अंतर-राज्यीय पारेषण नेटवर्क को मजबूत बनाने के लिए समान रूप से महत्वपूर्ण है। एक अन्य पहलू है, जिससे मैं इस परियोजना को लेकर खुश हूं। इस परियोजना में इस्तेमाल किए गए एचवीडीसी उपकरण भारत निर्मित हैं। इससे हमारे आत्मनिर्भर भारत अभियान को मजबूती मिली है। + +हम सिर्फ एक पारेषण परियोजना को राष्ट्र के नाम समर्पित नहीं कर रहे हैं। हमारी बिजली उत्पादन की भी एक परियोजना है। एक 50 मेगावाट क्षमता वाली एक अन्य स्वच्छ ऊर्जा संपदा – कासरगोड सौर परियोजना समर्पित करना खुशी की बात है। यह हमारे देश के हरित और स्वच्छ ऊर्जा के सपने को हासिल करने की दिशा में एक कदम होगा। भारत सौर ऊर्जा को खासा महत्व दे रहा है। सौर ऊर्जा में हमारी बढ़त से जलवायु परिवर्तन के खिलाफ हमारी मजबूती से लड़ाई सुनिश्चित होगी। हमारे मेहनती किसानों को सौर क्षेत्र से जोड़ने का काम भी जारी है, जिससे हमारे अन्नदाता, ऊर्जादाता भी बन जाएंगे। पीएम-कुसुम योजना के अंतर्गत, 20 लाख सौर ऊर्जा पम्प किसानों को दिए जा रहे हैं। बीते छह साल के दौरान, भारत की सौर ऊर्जा क्षमता 13 गुनी बढ़ चुकी है। भारत अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के माध्यम से दुनिया को एक मंच पर भी लेकर आया है। + +हमारे शहर विकास के इंजन और नवाचार के पावर हाउस हैं। हमारे शहरों में तीन प्रमुख रुझान दिख रहे हैं : तकनीक विकास, अनुकूल जनसांख्यिकी के चलते घरेलू मांग में बढ़ोतरी। क्षेत्र में हमारे प्रगति को आगे बढ़ाने के लिए हमारे पास स्मार्ट सिटी मिशन है। मिशन के अंतर्गत एकीकृत कमान और नियंत्रण केंद्र बेहतर शहरी नियोजन व प्रबंधन में शहरों की मदद कर रहे हैं। मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि 54 कमान केंद्र परियोजनाएं परिचालन में आ चुकी हैं। ऐसी 30 परियोजनाएं कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं। ये केंद्र विशेष रूप से महामारी के दिनों में खासे उपयोगी रहे थे। केरल के दो स्मार्ट सिटी में से कोच्चि स्मार्ट सिटी पहले ही अपने कमान केंद्र की स्थापना कर चुका है। तिरुवनंतपुरम स्मार्ट सिटी अब अपने कमान केंद्र के लिए तैयार हो रहा है। स्मार्ट सिटी मिशन के अंतर्गत, केरल के दो स्मार्ट सिटी- कोच्चि और तिरुवनंतपुरम ने खासी प्रगति की है। दोनों स्मार्ट सिटी में अभी तक 773 करोड़ रुपये की लागत से 27 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं। दो हजार करोड़ रुपये की लागत से 68 परियोजनाओं पर काम जारी है। + +शहरी अवसंरचना में सुधार की एक अन्य पहल अमृत है। अमृत से शहरों के विस्तार और उनके अपशिष्ट जल शोधन अवसंरचना में सुधार में मदद मिल रही है। अमृत के अंतर्गत 1,100 करोड़ रुपये से ज्यादा लागत से केरल में कुल 175 जल आपूर्ति परियोजनाओं पर काम चल रहा है। 9 अमृत शहरों में एक समान कवरेज उपलब्ध कराई गई है। आज हम 70 करोड़ रुपये की लागत से अरुविक्करा में पूरे किए गए 7.5 करोड़ लीटर प्रति दिन क्षमता के जल शोधन संयंत्र का उद्घाटन कर रहे हैं। इससे लगभग 13 लाख नागरिकों के जीवन स्तर में सुधार होगा। जैसा कि मेरे साथी मंत्री ने कहा, इस परियोजना से तिरुवनंतपुर में प्रति व्यक्ति जल आपूर्ति बढ़कर 150 लीटर हो जाएगी, जो पहले तक 100 लीटर थी। + diff --git a/pm-speech/226.txt b/pm-speech/226.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..d2f013d06a5569b1c079707b7bdf474b27bf215c --- /dev/null +++ b/pm-speech/226.txt @@ -0,0 +1,10 @@ +यानि एक शताब्दी से भी पहले, किसी एक अनाम दिन, मैं उस दिन को आज नहीं जानता किसी पर्वत की ऊंची चोटी से, किसी घने वन में, ओह राजा शिवाजी, क्या ये विचार आपको एक बिजली की रोशनी की तरह आया था? क्या ये विचार आया था कि छिन्न–भिन्न इस देश की धरती को एक सूत्र में पिरोना है? क्या मुझे इसके लिए खुद को समर्पित करना है? इन पंक्तियों में छत्रपति वीर शिवाजी से प्रेरणा लेते हुए भारत की एकता, भारत को एक सूत्र में पिरोने का आह्वान था। देश की एकता को मजबूत करने वाली इन भावनाओं को हमें कभी भूलना नहीं है। पल-पल, जीवन के हर कदम पर देश की एकता-अखंडता के इस मंत्र को हमें हमें याद भी रखना है, हमें जीना भी है। यही तो टैगोर का हमें संदेश है। + +आप देखिए, जो दुनिया में आतंक फैला रहे हैं, जो दुनिया में हिंसा फैला रहे हैं, उनमें भी कई Highly Educated, Highly Learned, Highly Skilled लोग हैं। दूसरी तरफ ऐसे भी लोग हैं जो कोरोना जैसी वैश्विक महामारी से दुनिया को मुक्ति दिलाने के लिए दिन-रात अपनी जान की बाजी लगा देते हैं। अस्‍पतालों में डटे रहते हैं, प्रयोगशालाओं में जुटे हुए हैं। + +आज आपसे बात करते हुए मैं इस पवित्र धाम में आपसे बात कर रहा हूं तो मेरा मन करता है उसका जिक्र मैं जरूर करूं। और बंगाल की धरती, ऊर्जावान धरती के बीच जब बात कर रहा हूं तब तो मेरा स्‍वाभाविक मन करता है कि मैं जरूर धरमपाल जी के उस विषय को आपके सामने रखूं। इस पुस्तक में धरमपाल जी थॉमस मुनरो द्वारा किए गए एक राष्ट्रीय शिक्षा सर्वे का ब्योरा दिया है। + +भारत की आत्मनिर्भरता, देश की बेटियों के आत्मविश्वास के बिना संभव नहीं है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में पहली बार Gender Inclusion Fund की भी व्यवस्था की गई है। इस पॉलिसी में छठी क्लास से ही Carpentry से लेकर Coding तक ऐसे अनेक स्किल सेट्स पढ़ाने की योजना इसमें है, जिन स्किल्स से लड़कियों को दूर रखा जाता था। शिक्षा नीति बनाते समय, बेटियों में Drop-out Rate ज्यादा होने के कारणों को गंभीरता से स्टडी किया गया है। इसलिए, पढ़ाई में निरंतरता, डिग्री कोर्स में एंट्री और एग्जिट का ऑप्शन हो और हर साल का क्रेडिट मिले, इसकी एक नए प्रकार की व्यवस्था की गई। + +बंगाल ने अतीत में भारत के समृद्ध ज्ञान–विज्ञान को आगे बढ़ाने में देश को नेतृत्व दिया और ये गौरवपूर्ण बात है। बंगाल, एक भारत, श्रेष्ठ भारत की प्रेरणा स्थली भी रहा है और कर्मस्थली भी रहा है। शताब्दी समारोह में चर्चा के दौरान मैंने इस पर भी विस्तार से अपनी बात रखी थी। आज जब भारत 21वीं सदी की Knowledge economy बनाने की तरफ बढ़ रहा है तब भी नज़रें आप पर हैं, आप जैसे नौजवानों पर हैं, बंगाल की ज्ञान संपदा पर हैं, बंगाल के ऊर्जावान नागरिकों पर हैं। भारत के ज्ञान और भारत की पहचान को विश्व के कोने–कोने तक पहुंचाने में विश्व भारती की बहुत बड़ी भूमिका है। + diff --git a/pm-speech/228.txt b/pm-speech/228.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..0b155f7a7556744a78db6c73393ef06a74b65e6c --- /dev/null +++ b/pm-speech/228.txt @@ -0,0 +1,16 @@ +भारत की गति-प्रगति में देश के एनर्जी सेक्टर की बहुत बड़ी भूमिका है। ये एक ऐसा सेक्टर है जो Ease of Living और Ease of Doing Business, दोनों से ही जुड़ा हुआ है। आज जब देश, आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रहा है, तो उसमें energy sector हमारे power sector, Renewable Energy की बहुत बड़ी भूमिका है। इन sectors में तेजी लाने के लिए आप में से कई महानुभावों से बजट से पहले भी काफी consultation हुआ है, चर्चा हुई है। आपके सुझावों को भी इन सारी चीजों के साथ जोड़ने का प्रयास भी किया है। + +Energy Sector को लेकर हमारी सरकार की अप्रोच हमेशा से बहुत Holistic रही है। जब 2014 में हमारी सरकार बनी तो पावर सेक्टर में क्‍या हो रहा था आप भली-भांति जानते हैं।  इससे जुड़ी डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों की क्या स्थिति थी, मैं मानता हूं कि उसका मुझे वर्णन करने की जरूरत नहीं। हमने इस सेक्टर में उपभोक्ता और उद्यमी, दोनों के हितों को ध्यान में रखते हुए नीतियां बनाने का और नीतियों में improvement करने का लगातार प्रयास किया है। पावर सेक्टर में हम जिन चार मंत्रों को लेकर चले वो हैं- Reach, Reinforce, Reforms और Renewable energy. + +अगर अपनी कैपेसिटी को Reinforce करने की बात करें तो आज भारत power deficit country से power surplus country बन चुका है। बीते कुछ सालों में ही हमने 139 गीगा वॉट्स कैपेसिटी जोड़ी है। भारत, “One-Nation, One Grid – One Frequency” उसका लक्ष्य भी प्राप्त कर चुका है। ये सब कुछ रिफॉर्म्स के बगैर संभव नहीं था। UDAY योजना के तहत हमने 2 लाख 32 हजार करोड़ रुपए के बॉन्ड्स इश्यू किए। इससे पावर सेक्टर में financial और operational efficiencies को प्रोत्साहन मिला। Power grid के assets को monetise करने के लिए infrastructure investment trust – Invit स्थापित किया जा चुका है और वह शीघ्र ही investors के लिए खोल दिया जाएगा। + +बिजली की जरूरतों को पूरा करने के लिए Renewable energy पर बहुत अधिक फोकस किया जा रहा है। बीते 6 साल में हमने Renewable Energy कैपेसिटी को ढाई गुणा से ज्यादा बढ़ाया है। इसी दौरान भारत की सोलर एनर्जी कैपेसिटी में लगभग 15 गुणा वृद्धि की गई है। आज भारत इंटरनेशनल सोलर अलायंस के माध्यम से दुनिया को नेतृत्व भी दे रहा है। + +21वीं सदी की आवश्यकताओं को देखते हुए इस साल के बजट में भी भारत ने अपने इंफ्रास्ट्रक्चर पर अभूतपूर्व निवेश के लिए कमिटमेंट दिखाया है। चाहे वो मिशन हाईड्रोजन की शुरुआत हो, Solar Cells की domestic manufacturing हो या फिर Renewable Energy Sector में बड़े पैमाने पर capital infusion; भारत हर क्षेत्र पर बल दे रहा है। हमारे देश में अगले 10 वर्षों तक सोलर सेल्स की जो डिमांड है, वो हमारी आज की manufacturing capacity से 12 गुना ज्यादा है। कितना बड़ा मार्केट हमारा इंतजार कर रहा है। आप समझ सकते हैं कि देश की जरूरतें कितनी बड़ी हैं और आपके लिए अवसर कितना बड़ा है। + +हम इस क्षेत्र में अपनी कंपनियों को सिर्फ देश की जरूरतें ही पूरी करते नहीं देखना चाहते बल्कि उन्हें global manufacturing champions में बदलते देखना चाहते हैं। सरकार ने ‘High Efficiency Solar PV Modules’ को PLI schemes से जोड़ा है और इस पर 4500 करोड़ रुपए से अधिक निवेश करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। ये निवेश भारत में Giga watt स्तर की Solar PV manufacturing facilities को विकसित करने में मदद करेगा। PLI स्कीम की सफलता का देश में एक पॉजिटिव ट्रैक रिकॉर्ड बन रहा है। अब जैसे मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग को हमने इस स्कीम से जोड़ा तो इसका बहुत ज्यादा रिस्पॉन्स हमें तुरंत नजर आने लगा है। अब ‘High Efficiency Solar PV Modules’ के लिए भी ऐसे ही रिस्पॉन्स की उम्मीद है। + +PLI Scheme के तहत 10 हजार मेगावॉट क्षमता वाले integrated solar PV manufacturing plants बनाए जाएंगे औऱ इन पर करीब-करीब 14 हजार करोड़ रुपए का निवेश किए जाने की तैयारी है। सरकार का अनुमान है कि इससे आने वाले 5 वर्षों में 17 हजार 500 करोड़ रुपए से ज्यादा की डिमांड बनेगी। ये डिमांड, Solar PV manufacturing के पूरे इकोसिस्टम के विकास में, उसको गति देने में बड़ी भूमिका निभाएगी। + +भारत में सोलर एनर्जी की कीमत बहुत कम है। इससे सोलर एनर्जी को लोग ज्यादा आसानी से स्वीकार भी कर रहे हैं। PM KUSUM योजना, अन्नदाता को ऊर्जादाता बना रही है। इस योजना के माध्यम से किसानों के खेतों में ही छोटे पावर प्लांट्स लगाकर 30 गीगावाट सोलर कैपेसिटी तैयार करने का लक्ष्य है। अभी तक करीब 4 गीगावाट Rooftop Solar energy की कैपेसिटी हम इंस्टॉल कर चुके हैं और लगभग ढाई गीगावाट कैपेसिटी इसमें जल्द ही और जुड़ जाएगी। अगले 1 डेढ़ साल में 40 गीगावाट सोलर एनर्जी सिर्फ Rooftop Solar Projects द्वारा तैयार करने का लक्ष्य है। + diff --git a/pm-speech/229.txt b/pm-speech/229.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..e8701602e499f7410eee8c3d558de6199c75d3ee --- /dev/null +++ b/pm-speech/229.txt @@ -0,0 +1,4 @@ +सहयोग की इस भावना से इस महामारी में एक बहुमूल्य सबक सीखा। हमारे खुलेपन और दृढ़ संकल्प के कारण, हम दुनिया में सबसे कम मृत्यु दर में से एक को प्राप्त करने में कामयाब रहे। इसकी सराहना की जानी चाहिए। आज हमारे क्षेत्र और दुनिया की आशाएं तेजी से टीके लगाने पर केन्‍द्रित है। इसमें भी हमें सहयोगी और सहयोगपूर्ण भावना बनाए रखनी चाहिए। + +सहयोग की इस भावना से इस महामारी में एक बहुमूल्य सबक सीखा। हमारे खुलेपन और दृढ़ संकल्प के कारण, हम दुनिया में सबसे कम मृत्यु दर में से एक को प्राप्त करने में कामयाब रहे। इसकी सराहना की जानी चाहिए। आज हमारे क्षेत्र और दुनिया की आशाएं तेजी से टीके लगाने पर केन्‍द्रित है। इसमें भी हमें सहयोगी और सहयोगपूर्ण भावना बनाए रखनी चाहिए। + diff --git a/pm-speech/230.txt b/pm-speech/230.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..28ee21deb6ea190d2be658641f91cce0738bfea3 --- /dev/null +++ b/pm-speech/230.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +ब्रह्मपुत्र और बराक सहित असम को अनेक नदियों की जो सौगात मिली है, उसको समृद्ध करने के लिए आज महाबाहू ब्रह्मपुत्र प्रोग्राम शुरु किया गया है। ये प्रोग्राम, ब्रह्मपुत्र के जल से इस पूरे क्षेत्र में Water Connectivity को, Port Led Development को सशक्त करेगा। इस अभियान की शुरुआत में आज नीमाती-मजूली, नॉर्थ और साउथ गुवाहाटी, धुबरी-तसिंगीमारी के बीच 3 रो-पैक्स सेवाओं का उद्घाटन किया गया है। इसी के साथ असम इतने बड़े स्तर पर रो-पैक्स सर्विस से जुड़ने वाला देश का अग्रणी राज्य बन गया है। इसके अलावा जोगीघोपा में Inland Water Transport Terminal सहित ब्रह्मपुत्र पर 4 जगह टूरिस्ट जेटी बनाने का काम भी शुरु किया गया है। मजूली सहित असम को, नॉर्थ ईस्ट को बेहतर कनेक्टिविटी देने वाले ये प्रोजेक्ट्स, इस क्षेत्र में विकास की गति को और तेज करेंगे। 2016 में आपके दिए एक वोट ने, कितना कुछ करके दिखा दिया है। आपके वोट की ये ताकत अभी असम को और ऊंचाई पर लेकर जाने वाली है। + +बीते पांच वर्षों में असम की मल्टी मॉडल कनेक्टिविटी को फिर से स्थापित करने के लिए एक के बाद एक कदम उठाए गए हैं। कोशिश ये है कि असम को, नॉर्थ ईस्ट को, दूसरे पूर्वी एशियाई देशों के साथ हमारे सांस्कृतिक और व्यापारिक रिश्तों का भी केंद्र बनाया जाए। इसलिए Inland Waterways को यहां एक बड़ी ताकत बनाने पर काम चल रहा है। हाल में ही बांग्लादेश के साथ Water Connectivity बढ़ाने के लिए एक समझौता भी किया गया है। ब्रह्मपुत्र और बराक नदी को जोड़ने के लिए हुगली नदी में इंडो-बांग्लादेश प्रोटोकॉल रूट पर काम चल रहा है। इससे असम के अलावा मेघालय, मिजोरम, मणिपुर और त्रिपुरा को भी हल्दिया, कोलकाता, गुवाहाटी और जोगीघोपा के लिए एक वैकल्पिक कनेक्टिविटी मिलेगी। यानि अभी नॉर्थ ईस्ट को शेष भारत से जोड़ने के लिए जिस संकरे से क्षेत्र पर हमारी निर्भरता रहती है, उस निर्भरता को ये रास्ता कम करेगा। + +असम और नॉर्थ ईस्ट की वॉटरवे-रेलवे-हाईवे कनेक्टिविटी के साथ ही इंटरनेट कनेक्टिविटी भी उतनी ही जरूरी है। इस पर भी लगातार काम हो रहा है। अब सैकड़ों करोड़ रुपए के निवेश से गुवाहाटी में नॉर्थ ईस्ट का पहला और देश का छठा डेटा सेंटर भी बनने वाला है। ये सेंटर नॉर्थ ईस्ट के सभी 8 राज्यों के लिए डेटा सेंटर हब के रूप में काम करेगा। इस डेटा सेंटर के बनने से असम सहित पूरे नॉर्थ ईस्ट में e-governance को, आईटी सर्विस आधारित इंडस्ट्री को, स्टार्ट अप्स को और बल मिलेगा। बीते सालों से नॉर्थ ईस्ट के युवाओं के लिए BPO का जो इकोसिस्टम तैयार किया जा रहा है, उसको अब ताकत मिलेगी। यानि एक प्रकार से ये सेंटर डिजिटल इंडिया के विजन को नॉर्थ ईस्ट में भी मज़बूत करेगा। + diff --git a/pm-speech/232.txt b/pm-speech/232.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..dd18ae9441c493d132d0847cef57e4464493641f --- /dev/null +++ b/pm-speech/232.txt @@ -0,0 +1,14 @@ +रामचरित मानस में गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैं, ऋतु बसंत बह त्रिबिध बयारी। यानि, बसंत ऋतु में शीतल, मंद सुगंध, ऐसी तीन प्रकार की हवा बह रही है, इसी हवा, इसी मौसम में खेत-खलिहान, बाग-बगान से लेकर जीवन का हर हिस्सा आनंदित हो रहा है। वाकई, हम जिस तरफ देखें तो फूलों की बहार है, हर जीव वसंत ऋतु के स्वागत में खड़ा है। ये वसंत महामारी की निराशा को पीछे छोड़कर आगे बढ़ते भारत के लिए नई उम्मीद, नई उमंग लेकर आया है। इस उल्लास में, भारतीयता, हमारी संस्कृति, हमारे संस्कारों के लिए ढाल बनकर खड़े होने वाले महानायक, महाराजा सुहेल देव जी का जन्मोत्सव हमारी खुशियों को और बढ़ा रहा है। + +भारत का इतिहास सिर्फ वो नहीं है जो देश को गुलाम बनाने वालों, गुलामी की मानसिकता के साथ इतिहास लिखने वालों ने लिखा। भारत का इतिहास वो भी है, जो भारत के सामान्य जन ने, भारत की लोक गाथाओं में रचा-बसा है, जो पीढ़ियों ने आगे बढ़ाया है। आज जब भारत अपनी आजादी के 75वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है ऐसे महापुरुषों का योगदान, उनकी त्‍याग, उनकी तपस्‍या, उनका संघर्ष, उनकी वीरता, उनकी शहादत, इन सब बातों का स्‍मरण करना, उनको आदरपूर्वक नमन करना, उनसे प्रेरणा पाना, इससे बड़ा कोई अवसर नहीं हो सकता है। ये दुर्भाग्य है कि भारत और भारतीयता की रक्षा के लिए जिन्होंने जीवन समर्पित कर दिया, ऐसे अनेक नायक-नायिकाओं को वो स्थान नहीं दिया गया, जिसके वो हकदार थे। इतिहास रचने वालों के साथ, इतिहास लिखने के नाम पर हेर-फेर करने वालों ने जो अन्याय किया, उसे अब आज का भारत सुधार रहा है। सही कर रहा है। गलतियों से देश को मुक्त कर रहा है। आप देखिए, नेताजी सुभाषचंद्र बोस, जो आज़ाद हिंद सरकार के पहले प्रधानमंत्री थे, क्या उनकी इस पहचान को, आज़ाद हिंद फौज के योगदान को वो महत्व दिया गया, जो महत्‍व नेताजी को मिलना चाहिए था? + +इतिहास की किताबों में भले ही महाराजा सुहेलदेव के शौर्य, पराक्रम, उनकी वीरता को वो स्थान नहीं मिला, लेकिन अवध और तराई से लेकर पूर्वांचल की लोकगाथाओं में, लोगों के हृदय में वो हमेशा बने रहे। सिर्फ वीरता ही नहीं, एक संवेदनशील और विकासवादी शासक के रूप में उनकी छाप अमिट है। अपने शासनकाल में जिस प्रकार उन्होंने बेहतर रास्तों के लिए, पोखरों-तालाबों के लिए, बाग-बगीचों और शिक्षा के क्षेत्र में काम किया, वो अभूतपूर्व था। उनकी यही सोच, इस स्मारक स्थली में भी दिखने वाली है। + +पर्यटक महाराजा सुहेलदेव जी के जीवन से प्रेरित हो सकें, इसके लिए उनकी 40 फीट की कांस्य प्रतिमा स्थापित होगी। यहां पर बनने वाले संग्रहालय में महाराजा सुहेलदेव से जुड़ी ऐतिहासिक जानकारियां होंगी। इसके भीतर की और आसपास की सड़कों का चौड़ीकरण किया जाएगा। बच्चों के लिए पार्क बनेगा, सभागार होगा, पर्यटकों के लिए आवास गृह, पार्किंग, कैफेटीरिया जैसी अनेक सुविधाओं का निर्माण होगा। इसके साथ-साथ जो स्थानीय शिल्पकार हैं, कलाकार हैं, वो अपना सामान यहां आसानी से बेच पाएं, इसके लिए दुकानों का निर्माण किया जाएगा। इसी तरह चित्तौरा झील पर घाट और सीढ़ियों के निर्माण और सुंदरीकरण से इस ऐतिहासिक झील का महत्व और बढ़ जाएगा। ये सारे प्रयास, बहराइच की सुंदरता ही नहीं बढ़ाएंगे बल्कि यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या में भी वृद्धि करेंगे। ‘मरी मैय्या’ की कृपा से ये कार्य जल्द पूरे होंगे। + +इसके अलावा पूर्वांचल एक्सप्रेस वे, बुन्देलखण्ड एक्सप्रेस वे, गंगा एक्सप्रेस वे, गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस वे, बलिया लिंक एक्सप्रेस वे, ऐसी आधुनिक और चौड़ी सड़कें पूरे यूपी में बनाई जा रही हैं। और ये तो एक तरह से आधुनिक यूपी के आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर की शुरुआत है। एयर और रोड कनेक्टिविटी के अलावा यूपी की रेल कनेक्टिविटी भी अब आधुनिक हो रही है। यूपी दो बड़े डेडिकेटेड फ्रेड कॉरिडोर का जंक्शन है। हाल में ही Eastern Dedicated Freight Corridor के एक बड़े हिस्से का लोकार्पण यूपी में ही किया गया है। यूपी में जिस प्रकार आज आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर पर काम चल रहा है, उससे उत्तर प्रदेश में उद्योग लगाने के लिए देश और दुनिया के निवेशक उत्साहित हैं। इससे यहां नए उद्योगों के लिए तो बेहतर अवसर बन ही रहे हैं, यहां के युवाओं को रोजगार के नए अवसर भी उपलब्ध हो रहे हैं। + +कोरोना काल में जिस प्रकार से उत्तर प्रदेश में काम हुआ है, वो बहुत महत्वपूर्ण है। कल्पना करिए, अगर यूपी में हालात बिगड़ते तो राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किस तरह की बातें की जातीं। लेकिन योगी जी की सरकार ने, योगी जी की पूरी टीम ने बेहतरीन तरीके से स्थिति को संभालकर दिखाया है। यूपी ना सिर्फ ज्यादा से ज्यादा लोगों का जीवन बचाने में सफल रहा, बल्कि बाहर से लौटे श्रमिकों को रोज़गार देने में भी यूपी ने प्रशंसनीय काम किया है। + +कोरोना के खिलाफ यूपी की लड़ाई में पिछले 3-4 वर्षों में किए गए कार्यों का बहुत योगदान रहा है। पूर्वांचल को दशकों तक परेशान करने वाले दिमागी बुखार का प्रभाव, यूपी ने बहुत कम करके दिखाया है। यूपी में 2014 तक 14 मेडिकल कॉलेज थे, जो आज बढ़कर 24 हो चुके हैं। साथ ही गोरखपुर और बरेली में एम्स का भी काम चल रहा है। इनके अलावा 22 नए मेडिकल कॉलेज और बनाए जा रहे हैं। वाराणसी में आधुनिक कैंसर अस्पतालों की सुविधा भी अब पूर्वांचल को मिल रही है। यूपी जल जीवन मिशन यानि हर घर जल पहुंचाने के लिए भी प्रशंसनीय कार्य कर रहा है। जब शुद्ध पीने का पानी घर पर पहुंचेगा, तो इससे अनेक बीमारियां वैसे ही कम हो जाएंगी। + diff --git a/pm-speech/233.txt b/pm-speech/233.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..46900567607a4cf701c9d85b5d27514b99280420 --- /dev/null +++ b/pm-speech/233.txt @@ -0,0 +1,30 @@ +देश जब आजाद हुए और आखिरी ब्रिटिश कमांडर थे वो यहां से जब गए तो आखिर में वो ये ही कहते रहते थे कि भारत कई देशों का महाद्वीप है और कोई भी इसे एक राष्ट्र कभी नहीं बना पाएगा। ये घोषणाएं हुई थी लेकिन भारतवासियों ने इस आशंका को तोड़ा। जिनके मन में ये प्रकार के शक थे उसको समाप्त कर दिया और हम हमारी अपनी जिजीविक्षा, हमारी सांस्कृतिक एकता, हमारी परंपरा आज विश्व के सामने एक राष्ट्र के रूप में खड़े हैं और विश्व के लिए आशा का किरण बनके के खड़े हुए हैं। ये 75 साल की हमारी यात्रा में हुआ। कुछ लोग यह कहते थे कि India was a miracle Democracy, ये भ्रम भी हमने तोड़ा है। लोकतंत्र हमारे रगो में, हमारी सांस में इस प्रकार से बुना हुआ है। हमारी हर सोच, हर पहल, हर प्रयास लोकतंत्र की भावना से भरा हुआ रहता है। इस बात को हमने अनेक चुनाव आए, अनेक सत्ता परिवर्तन आए, बड़ी आसानी से सत्ता परिवर्तन आए। और परिवर्तित सत्ता व्यवस्था को भी सबने हृदय से स्वीकार करके आगे बढ़ाया।  + +75 साल का ये क्रम रहा है और इसलिए लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए और हम विविधताओं से भरे हुए देश हैं। सैंकड़ों भाषाएं, हजारों बोलियां, भांति-भांति का पहनाव, क्या कुछ नहीं है विविधताओं से भरा हुआ। उसके बावजूद भी हमने एक लक्ष्य, एक राह ये करके दिखाया है। आज जब हम भारत की बात करते हैं तो स्वाभाविक रूप से स्वामी विवेकानंद जी ने जो बात कही थी उसको मैं जरूर स्मरण करना चाहुंगा। विवेकानंद जी ने कहा था Every nation has a message to deliver a mission to fulfill a destiny to reach, यानि हर राष्ट्र के पास एक संदेश होता है। जो उसे पहुंचाना होता है। हर राष्ट्र का एक मिशन होता है जो उसे हासिल करना होता है। हर राष्ट्र की एक नियति होती है जिसको वह प्राप्त होता है। कोरोना के दरमियान भारत ने जिस प्रकार से अपने आप को संभाला और दुनिया को संभलने में मदद की, एक प्रकार से Turning Point है। जिस भावनाओं को लेकर के जिस संस्कार को लेकर के वेद से विवेकानंद तक हम पले-बढ़े हैं। वो हैं सर्वे भवन्तु सुखिन:। ये सर्वे भवन्तु सुखिन:। सर्वे संतु निरामया।  + +ये कोरोना कालखंड में भारत ने इसको करके दिखाया है। और भारत ने एक आत्मनिर्भर भारत के रूप में जिस प्रकार से एक के बाद एक ठोस कदम उठाये हैं, और जन सामान्य ने उठाए हैं। लेकिन हम उन दिनों को याद करें कि जब दूसरा विश्व युद्ध समाप्त हुआ था। दो विश्व युद्ध ने दुनिया को झकझोर दिया था। मानवजात, मानवमूल्य संकट के घेरे में थे। निराशा छाई हुई थी और Second World war के बाद  post  world war एक दुनिया में एक नया आर्डर new world Order उसने आकार लिया। शांति के मार्ग पर चलने के शपथ लिए, सैन्य नहीं सहयोग, इस मंत्र को लेकर के दुनिया के अंदर विचार प्रबल होते गए हैं। UN का निर्माण हुआ, इंस्टीट्यूशंस बनी, भांति- भांति के मैकेनिज्म तैयार हुए, ताकि विश्व को post world war के बाद एक सुचारू ढ़ग से शांति की दिशा में ले जाया जाए। लेकिन अनुभव कुछ और निकला। अनुभव ये निकला कि दुनिया में शांति की बात हर कोई करने लगा, post world war शांति की बातो के बीच भी हर कोई जिसकी ताकत थी। अपनी सैन्य शक्ति बढ़ाने लगा। world war के पहले दुनिया के पास जो सैन्य शक्ति थी। UN के बाद वो सैन्य शक्ति अनेकों गुणा बढ़ गई। छोटे – मोटे देश भी सैन्य शक्ति की स्पर्धा में आने लग गए। शांति की चर्चा बहुत हुई लेकिन हकीकत इस बात विश्व को स्वीकार करना होगा कि सैन्य शक्ति की तरफ बड़ी बड़ी ताकतें और पुरजोर चल पड़ीं। जितने innovation हुए research हुए वो इसी कालखंड में हुए, सैन्य शक्ति के लिए। पोस्ट कोरोना भी एक नया वर्ल्ड ऑडर नजर आ रहा है। पोस्ट कोरोना के बाद दुनिया में एक नया संबंधों का वातावरण शेप लेगा।  + +हमें तय करना है कि हम world war के बाद एक मूकदर्शक के रूप में बदलती हुई दुनिया को देखते रहे और अपने आपको कहीं एडजस्ट हो सकता है तो करने की कोशिश करें। हमारे लिए वो कालखंड भी वैसा ही था। लेकिन आज पोस्ट कोरोना जो नया वर्ल्ड आर्डर तैयार होगा, और होना ही है। किस रूप का होगा, कैसा होगा कोन उसको Initiate करेगा, वो तो वक्त बताएगा। लेकिन दुनिया ने जिस प्रकार से संकट को झेला है। दुनिया इस पर सोचने के लिए मजबूर हुई है और होना है। ऐसी स्थिति में भारत विश्व से कटकर के नहीं रह सकता। भारत एक कोने में गुजारा नहीं कर सकता है। हमें भी एक मजबूत प्लेयर के रूप में उभरना होगा। लेकिन सिर्फ जनसंख्या के आधार पर हम दुनिया में अपनी मजबूती का दावा नहीं कर पाएंगे। वो एक ताकत है लेकिन इतनी ताकत मात्र से नहीं चलता है। नए वर्ल्ड ऑर्डर में भारत को अपनी जगह बनाने के लिए भारत को सशक्त होना पड़ेगा, समर्थ होना पड़ेगा और उसका रास्ता है आत्मनिर्भर भारत। आज फार्मेसी में हम आत्मनिर्भर हैं। हम दुनिया के कल्याण के काम आते हैं। भारत जितना आत्मनिर्भर बनेगा और जिसकी रगो में सर्वे भवन्तु सुखिनः का मंत्र जड़ा हुआ है। वो जितना सामर्थ्यवान होगा मानवजात के कल्याण के लिए विश्व के कल्याण के लिए एक बहुत बड़ी भूमिका अदा कर सकेगा और इसलिए हमारे लिए आवश्यक है कि हम आत्मनिर्भर भारत इस विचार को बल दें और ये हम मान के चलें, ये किसी शासन व्यवस्था का विचार नहीं है, ये किसी राजनेता का विचार नहीं है। आज हिन्दुस्तान के हर कोने में वोकल फॉर लोकल, वोकल फॉर लोकल, सुनाई दे रहा है और लोग हाथ लगाते देखते हैं लोकल। ये आत्म गौरव का भाव आत्मनिर्भर भारत के लिए बहुत काम आ रहा है और मुझे विश्वास है कि हम सबकी सोच हमारी नीतियां, हमारे निर्णय भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए जो भी आवश्यक बदलाव हो उस बदलाव की ओर होनी चाहिए ये मेरा मत है।  + +इस चर्चा के अंदर करीब करीब सभी माननीय सदस्यों ने कोरोना की चर्चा की है। हमारे लिए संतोष का विषय है, गर्व का विषय है कि कोरोना के कारण कितनी बड़ी मुसीबत आएगी ये जो दुनिया में अनुमान लगाए गए थे, बहुत बड़े बड़े एक्सपर्ट ने अनुमान लगाए थे। भारत में भी एक भय का वातावरण पैदा करने के लिए भरसक प्रयास भी हुए थे। और एक unknown enemy था तो विश्वास से कोई कुछ नहीं कह सकता था। विश्वास से कोई कुछ कर भी नहीं सकता था। एक ऐसे unknown enemy के खिलाफ लड़ना था। और इतना बड़ा देश, इतना thickly populated  देश, इतनी कम व्यव्स्थाओं वाला देश, दुनिया को शक होना बड़ा स्वाभाविक भी था। क्योंकि विश्व के बड़े बड़े देश कोरोना के सामने घुटने टेक चुके थे तब भारत कैसे टिक पाएगा अब भारत एक बार हालत खराब हो गई तो विश्व को कोई नहीं बचा पाएगा। ये समीकरण भी लोग लगा रहे थे। ऐसे में ये 130 करोड़ देशवासियों की इस Discipline, उनका समर्पण, इसने आज हमें बचाके रखा है। Credit goes to 130 करोड़ हिन्दुस्तानी और इसका गौरवगान हमें करना चाहिए। भारत की पहचान बनाने के लिए ये भी एक अवसर है। हम अपने आपको कोसते रहकर के कहे दुनिया हमें स्वीकार करे ये कभी संभव नहीं होता है। हम घर में बैठकर के अपनी कमियों के साथ जुझेंगे, कमियों को  ठीक करने का प्रयाास करेंगे। लेकिन विश्वास के साथ विश्व के सामने जाने का तजुरबा भी रखेंगे। तब जाकर के दुनिया हमें स्वीकार करेगी। अगर आप अपने बच्चों को घर में नहीं स्वीकार करते हो और चाहोगे मोहल्ले में बच्चा स्वीकार करे, कोई स्वीकार नहीं करता। दुनिया का नियम है और इसलिए हमें इस बात को करना चाहिए।  + +ठेले वाले, रेहडी पटरी वाले लोग इस कोरोना कालखंड में उनको धन मिले, उनको पैसे मिले ये उनके लिए किया गया और हम कर पाए।  आदरणीय अध्यक्ष जी हमारी अर्थव्यवस्था इस कालखंड में भी हमने रिफॉर्म का सिलसिला जारी रखा। और हम इस इरादे से चले कि भारत जैसी अर्थव्यवस्था को उभारने के लिए बाहर लाने के लिए हमने कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाने पड़ेंगे और आपने देखा होगा day one से अनेक विधि से रिफार्म  के कदम हमने उठाए और इसका परिणाम है आज ट्रैक्टर हो, गाड़ियां हो, उसका रिकार्ड सैल हो रहा है। आज जीएसटी का क्लेकशन एवर हाईएस्ट हुआ है। ये सारे आंकड़े हमारी अर्थव्यवस्था में जोश भर रही है। ये दिखा रहा है कि नए जोश के साथ भारत की अर्थव्यवस्था उभर रही है। और दुनिया के जो लोग हैं। उन्होंने ये अनुमान भी लगाया है। कि करीब – करीब दो डिजिट वाला ग्रोथ अवश्य होगा। दो डिजिट ग्रोथ की संभावनाएं सभी पंडितों ने कही है और मुझे विश्वास है कि इसके कारण इस संकट के काल से भी मुसीबतों के बीच से भी देशवासियों को अपेक्षा के अनुसार देश प्रगति करेगा।  + +माननीय अध्यक्ष जी, लगातार बातचीत होती रही हैं। और जब पंजाब में आंदोलन चल रहा था उस समय भी हुई है। दिल्ली आने के बाद हुई एैसा नहीं है। बातचीत में किसानों की शंकाए क्या हैं वो ढूंढने का भी भरपूर प्रयास किया गया। उनसे लगातार कहा गया कि अपन एक-एक मुद्दे पर चर्चा करेंगे। नरेंद्र सिहं तोमर जी ने इस विषय में विस्तार से बताया भी है राज्यसभा में तो। क्लोज बाई क्लोज चर्चा करने के लिए भी कहा है और हम मानते हैं कि अगर इसमें कोई कमी हो और सचमुच में किसान का नुकसान हो तो बदल देने में क्या जाता है जी। ये देश देशवासियों के लिए है अगर कोई निर्णय करते हैं तो किसानों के लिए है लेकिन हम इंतजार करते हैं अभी भी इंतजार करते हैं कि वो अगर को चीज स्पेसीफिक बताते हैं और अगर वो कन्विंसिंग है तो हमें कोई संकोच नहीं है और इसलिए हम जब शुरू में वो जब पंजाब में थे। ये ordinance के द्वारा ही तीनों कानून लागू किए गए थे। बाद में पार्लियामेंट में पारित हुए। कानून लागू होने के बाद न देश में कोई मंडी बंद हुई है, कानून लागू होने के बाद न कहीं एमएसपी बंद हुआ है। ये सच्चाई है जिसको हम छुपा करके बातें करते हैं, जिसका कोई मतलब न हीं है। इतना ही नहीं, एमएसपी की खरीदी भी बढ़ी है और ये कानून नए बनने के बाद बढ़ी है।  + +ये हो-हल्ला, ये आवाज, ये रुकावटें डालने का प्रयास एक सोची-समझी रणनीति के तहत हो रहा है और सोची-समझी रणनीति ये है कि जो झूठ फैलाया है, जो अफवाहें फैलाई हैं उसका पर्दाफाश हो जाएगा, सत्य वहां पहुंच जाएगा तो उनका टिकना भारी हो जाएगा और इसलिए हो-हल्ला करते रहो, जैसा बाहर करते थे ऐसा अंदर भी करते रहो, यही खेल चलता रहा है। लेकिन इससे आप कभी भी आप लोगों का विश्वास नहीं जीत पाओगे ये मानकर चलो। माननीय अध्यक्ष जी, ऑर्डिनेंस के बाद और पार्लियामेंट में कानून बनने के बाद किसी भी किसान से मैं पूछना चाहता हूं कि पहले जो हक उनके पास थे, जो व्यवस्थाएं उनके पास थीं, उसमें से कुछ भी इस नए कानून ने छीन लिया है क्या? इसकी चर्चा, उसका जवाब कोई देता नहीं है। सब कुछ वैसा का वैसा वो है पुराना। क्या हुआ है एक अतिरिक्त विकल्प व्यवस्था मिली है, वो भी क्या compulsory है। किसी कानून का विरोध तो तब मायने रखता है कि जब वो compulsory हो। ये तो optional है, आपको मर्जी पड़े जहां जाना है जाइए, आपको मर्जी पड़े वहां ले जाना है वहां जाइए। जहां ज्यादा फायदा हो वहां किसान चला जाए, ये व्यवस्था की गई है। और इसलिए अधिरंजन जी अब ज्यादा हो रहा है, अधिरंजन जी please अब ज्यादा हो रहा है…अब ज्यादा हो रहा है। मैं आपकी respect करने वाला इंसान हूं। और मैंने पहले कह दिया, आपने जितना किया यहां registered हो गया। और बंगाल में भी TMC से ज्यादा publicity आपको मिल जाएगी..बाबा क्यों इतना। हां दादा, देखो मैंने बता दिया है, चिंता न करो बता दिया है। अधिरंजन जी, please, अधिरंजन जी। अच्छा नहीं लगता है, मैं इतना आदर करता हूं, आप आज ऐसा क्यों कर रहे हैं? आप ऐसा न करिए। अरे भाई..हद से ज्यादा क्यों कर रहे हैं। + +जब तक हम निवेश नहीं लाएंगे…जब तक हम हमारी खेती को आधुनिक नहीं करेंगे…हम जब तक छोटे से छोटे किसान की भलाई के लिए व्यवस्थाएं विकसित नहीं करेंगे…हम देश के agriculture sector को ताकतवर नहीं बना सकते हैं। और इसलिए हमारा किसान आत्मनिर्भर बने…उसको अपनी उपज बेचने की आजादी मिले…उस दिशा में हमने काम करने की आवश्यकता है। और हमारा किसान सिर्फ गेहूं और चावल…वहां सीमित रहे…उससे बात बनने वाली नहीं है। दुनिया में  मार्केट क्या है आज उसके रिसर्च हो रहे हैं। उस प्रकार की चीजों का उत्पादन करें और वो चीजें दुनिया के बाजार में बेचें। भारत की आवश्यकताएं हैं…हम बाहर से चीजें न लाएं। मुझे याद है मुझे…मैं बहुत पहले जब यहां संगठन का काम करता था…नार्थ पार्ट में मुझे फारूक साहब के साथ भी काम करने का मौका मिला। तो मुझे हरियाणा का एक किसान अपने खेत में ले गए। उसने मेरा बड़ा आग्रह किया तो मैं चला गया। छोटी सी जगह थी उसकी…एक-डेढ़-दो बीघा शायद जमीन होगी। लेकिन बड़ा प्रगति…वो मेरे पीछे पड़ा आइए-आइए। मैंने कहा भाई क्या बात है…वो बोला एक बार आइए तो देखिए। तो मैं गया उसके यहां।  + +हमारे यहां ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार लाने के लिए agro-biz industry की संभावना भी बढ़ेगी। और इसलिए हमें इस पूरे क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में हमें जरूर काम करना चाहिए। कई विपरीत परिस्थितियों में भी हमारे किसान ने रिकॉर्ड उत्पादन किया है। कोरोना काल में भी रिकॉर्ड उत्पादन किया है। ये हम सबकी जिम्मेदारी है कि हमारे किसान की जो परेशानियां हैं वो कम हों। उनके सामने जो चुनौतियां हैं वो चुनौतियां कम करने के लिए हम कुछ कदम उठाएं। और इन कृषि सुधारों से हम उस दिशा में कुछ न कुछ करने का प्रयास कर रहे हैं। किसानों को एक बराबरी का प्लेटफार्म दे पाएं हम, आधुनिक टेक्नोलॉजी दे पाएं…उनके अंदर एक नया आत्मविश्वास भर पाएं…उस दिशा में सकारात्मक सोच की बहुत आवश्यकता है। पुरानी सोच, पुराने मापदंड किसानी का भला कर पाते तो बहुत पहले कर पाते। Second green revolution की हमने बातें कर लीं। हम एक नए तौर-तरीके देंगे आगे बढ़ने के और सब कोई चिंतन करिए। राजनीति का विषय नहीं होना चाहिए। ये देश की भलाई के लिए बहुत आवश्यक है…मिल-बैठ करके हमने उसको सोचना चाहिए। सभी दल चाहे सत्ता में हो या विपक्ष में…ये हम सबका दायित्व है और हमें 21वीं सदी में 18वीं सदी की सोच से हमारे agriculture sector को हम उसकी सोच को पूरा नहीं कर सकते हैं। उसी को हमने बदलना होगा।  + +हमारी सरकार ने छोटे किसानों के लिए हर कदम पर देखेंगे। छोटे किसानों को हमने बीज से ले करके बाजार तक पिछले छह वर्षों में अनेक ऐसे intervention किए हैं जो छोटे किसान की मदद कर सकते हैं…छोटे किसान को ला सकते हैं। अब जैसे डेयरी सेक्टर और कोऑपरेटिव सेक्टर…सशक्त भी हैं और उसका एक मजबूत value chain भी बढ़ा बना है। अब सरकार की दखल कम से कम है फिर भी वो अपनी मजबूती पर आया है। हम धीरे-धीरे फल-फूल-सब्जी की तरफ बल दे सकते हैं और उसके बाद धान्य की तरफ ध्यान दे सकते हैं। हम बहुत ताकतवर बना सकते हैं। हमारे पास मॉडल है…सफल मॉडल है। उस सफल मॉडल का हमें प्रयोग करना चाहिए। हमें उनको वैकल्पिक बाजार देना चाहिए।  + +दूसरा महत्वपूर्ण काम जो हमने किया है-  ten thousand farmers producers organisation. ये किसानों के लिए…छोटे किसानों के लिए एक बहुत बड़ी ताकत के रूप में उभरने वाले हैं। और जहां-जहां महाराष्ट्र में विशेष प्रयोग हुआ है FPOs बनाने का। कई और राज्यों ने भी केरल में भी कम्युनिस्ट पार्टी ने काफी मात्रा में FPOs बनाने ेके काम में लगे हुए हैं। लेकिन इसके कारण किसान अपना बाजार ढूंढने के लिए सामुहिक शक्ति के रूप में उभरेगा। ये 10,000 FPOs बनने के बाद आप देखना कि गांव के अंदर किसान छोटे हैं, उसको बाजार की ताकत किसान dictate करेगा  और किसान ताकतवर बनेगा ये मेरा पूरा विश्वास है। इन FPOs के माध्यम से बैंक से पैसा भी मिल सकता है, वो छोटे-छोटे भंडारण की व्यवस्था कर सकता है, अगर वो थोड़ी ताकत ज्यादा इकट्ठी करे तो वो छोटे-छोटे cold storage भी बना सकता है।  और हमने एक लाख करोड़ रुपया agriculture के infrastructure के लिए भी तय किया है और उसको हम स्वयं सहायता समूह यानी self help group, इन self help group में भी करीब सात करोड़ बहनें जुटी हैं। गांव की बहनें ultimately वो किसान की ही बेटियां होती हैं। किसी न किसी खेती से जुड़े हुए परिवार की बेटियां होती हैं और वो भी आज नेटवर्क किसानों की भलाई में काम आ रहा है और economic activity का सेंटर बनता जा रहा है। और इनके द्वारा भी मुझे याद है गुजरात में भलसाड़ जिले में आदिवासियों के पास जमीन भी काफी ऊपर-नीचे है, uneven land  है और बहुत छोटी जमीन है। हमने एक प्रोजेक्ट किया था। और अब्दुल कलाम जी एक दिन अपना जन्मदिन वहां मनाने के लिए आए थे। उन्होंने कहा भाई कोई प्रोटोकॉल  नहीं चाहिए, मैं इन किसानों के साथ रहना चाहता हूं। बड़ा successful प्रयोग था। महिलाएं काफी काम करती थीं उस आदिवासी बेल्ट के अंदर। और मशरूम, काजू…वो गोवा की बराबरी का काजू पैदा करने लग गई थीं और उन्होंने मार्केट प्राप्त किया था। छोटे किसान थे, छोटी जगह थी लेकिन प्रयत्न किया तो परिणाम मिला और अब्दुल कलाम जी ने इसके विषय में लिखा भी है। उन्होंने आ करके देखा था। तो मैं कहता हूं कि हमने नए प्रयासों की दिशा में जाना चाहिए। दाल की हमारे यहां कठिनाई थी। हमने 2014 के किसानों के आगे रिक्वेस्ट की।  + +देश का सामर्थ्य बढ़ाने में सभी का सामूहिक योगदान कश्मीर से कन्याकुमारी तक कच्छ से लेकर कामाख्या तक जब हर भारतीय का पसीना लगता है तब जाकर के देश आगे बढ़ता है। मैं कांग्रेस के साथियों को याद दिलाना चाहता हूं कि देश के लिए पब्लिक सेक्टर जरूरी है तो प्राइवेट सेक्टर का भी भागीदारी उतनी ही आवश्यक है। सरकार ने mobile manufacturing को प्रोत्साहित किया। प्राइवेट पार्टियां आईं, manufacturers आए। आज गरीब से गरीब परिवार तक smartphone पहुंच रहा है। Telecom में स्पर्धा को प्रोत्साहित किया गया तो मोबाइल पर बात करना करीब-करीब जीरो हो गया और डेटा भी दुनिया में सबसे सस्ता आज हिन्दुस्तान में है। यहां तक कि हमारी pharma industry हमारे वैक्सीन निर्माता, क्या ये सारे सरकारी हैं क्या? आज मानवता के काम अगर भारत आ रहा है तो हमारे इस प्राइवेट सेक्टर का भी बहुत बड़ा रोल है, प्राइवेट enterprise का रोल है और हमें हमारे देश के नौजवानों पर भरोसा होना चाहिए। हमारे देश के नौजवानों पर भरोसा रखना चाहिए, इस प्रकार से कोसते रहेंगे, उनको नीचा दिखाते रहेंगे और हम किसी भी private activity को नकार देंगे। कोई जमाना होगा, जब कोई सरकार करेगी। उस जमाने में जरूरी होगा, किया होगा।  + +इस देश में टोल प्लाजा सभी सरकारों ने स्वीकार की हुई व्यवस्था है। टोल प्लाजा इस देश में सभी सरकारों ने की हुई व्यवस्था है और टोल प्लाजा को तोड़ना, उस टोल प्लाजा को कब्जा करना, उस टोल प्लाजा को ना चलने देना, ये जो तरीके चले हैं वो तरीके क्या पवित्र आंदोलन को कलंकित करने का प्रयास है कि नहीं? जब पंजाब की धरती पर सैकड़ों की तादात के अंदर जब telecom के टावर तोड़ दिये जाए, क्या वो किसान की मांग से सुसंगत है क्या? किसान के पवित्र आंदोलन को बर्बाद करने का काम आंदोलनकारी ने नहीं, आंदोलनजीवियों ने किया हुआ है और इसलिए देश को आंदोलनकारी और आंदोलनजीवियों के बीच फर्क करना बहुत जरूरी है और देश को इन आंदोलनजीवियों से बचाना वो भी उतना ही जरूरी है। अफवाएं फैलाना, झूठ फैलाना, गुमराह करना और देश को दबोच कर के रख देना, देश बहुत बड़ा है, देश के सामान्य मानवीय की आशा-आकांक्षाएं बहुत हैं और उनको लेकर के हमें आगे बढ़ना है और उस दिशा में हम प्रयास कर रहे हैं। देश में एक बहुत बड़ा वर्ग है, ये वर्ग उनकी एक पहचान है talking the right things यानि हमेशा सही बात बोलना। सही बात कहने में कोई बुराई भी नहीं है, लेकिन इस वर्ग के ऐसे लोगों से नफरत-चिढ़ है जो doing the right things पर चलते हैं।  + +21वीं सदी में इन्फ्रास्ट्रक्चर का बहुत बड़ा महत्व है और भारत को आगे जाना है तो इन्फ्रास्ट्रक्चर पर बल देने की बहुत जरूरत है और आत्मनिर्भर भारत के रोड मैप के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर बल देना इस समय की मांग है और हम सबको इसको स्वीकार करना होगा। इन्फ्रास्ट्रक्चर मजबूत होगा, तभी देश की गति भी तेज होने वाली है, उसकी दिशाएं भी व्यापक होने वाली हैं और इसलिए हमने प्रयास करना चाहिए और इन्फ्रास्ट्रक्चर का मतलब है गरीब के लिए, मध्यम वर्ग के लिए, अनेक नयी संभावनाओं को इन्फ्रास्ट्रक्चर जन्म देता है, नये अवसरों को जन्म देता है, रोजगार के नये अवसर लेकर के आता है, economy को multiply reflect करने की उसकी ताकत रहती है और इसलिए हमने इन्फ्रास्ट्रक्चर को बल देने की जरूरत है। इन्फ्रास्ट्रक्चर का मतलब वोट बैंक का अवसर नहीं होता है, कागज पर घोषित कर देना कि ये रोड बनेगा, एक चुनाव जीत लो। दूसरी बार जाकर वहां सफेद पट्टी कर लो, दूसरा चुनाव जीत लो। तीसरी बार जाके वहां थोड़ी मिट्टी डाल दो, चलो। ये इस काम के लिए नहीं है। ये सचमुच में जीवन बदलने के लिए अर्थव्यवस्थाओं को बदलने के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर को हमने बल देने की आवश्यकता है। 110 लाख करोड़ की योजना के साथ हमने बजट में अभूतपूर्व खर्च के साथ आगे बढ़ने की दिशा में हम चल रहे हैं। देश के 27 शहरों में मैट्रो ट्रेन, 6 लाख से ज्यादा गांव में तेज इंटरनेट, बिजली के क्षेत्र में हम वन नेशन वन ग्रिड, इस concept को साकार करने में सफल हुए हैं। सोलर पावर सहित renewable energy के मामले में आज दुनिया के पांच टॉप देशों के अंदर भारत ने अपनी जगह बना ली है। दुनिया के सबसे बड़े सोलर और विंड की hybrid power आज भारत में दुनिया का सबसे बड़ा बन रहा है। विकास में हम एक नई तेजी देख रहे हैं, नए पैमानों पर जा रहे हैं।  + diff --git a/pm-speech/236.txt b/pm-speech/236.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..b45bba18d10457593905987e023c7fdc56952a49 --- /dev/null +++ b/pm-speech/236.txt @@ -0,0 +1,4 @@ +मुझे याद है इस कोरोना काल में एक फ्लोर लीडर्स की मीटिंग कर रहा था तो उसी दिन गुलाम नबी जी का फोन आया- मोदीजी ये तो ठीक है आप करते हैं, लेकिन एक काम कीजिए, सभी पार्टी लीडर्स की मीटिंग जरूर बुलाइए। मुझे अच्‍छा लगा कि उन्‍होंने पार्टी लीडर्स के साथ, सभी पार्टी अध्‍यक्षों के साथ बैठने का मुझे सुझाव दिया और मैंने उस मीटिंग को किया भी। वो गुलाम नबी जी के सुझाव पर किया था…और मुझे ये कहने में…। यानी इस प्रकार का संपर्क और उसका मूल कारण है उनको दोनों तरफ का अनुभव रहा है, सत्‍ता दल का भी और विपक्ष का भी। 28 साल कार्यकाल, ये अपने-आप में बहुत बड़ी बात होती है जी। + +जब आप मुख्‍यमंत्री थे, मैं भी एक राज्‍य के मुख्‍यमंत्री के नाते काम करता था। हमारी बहुत गहरी निकटता रही है उस कालखंड में। शायद ही कोई ऐसी घटना मिल सकती है जबकि हम दोनों के बीच में कोई संपर्क-सेतु न रहा हो। एक बार गुजरात के यात्री क्‍योंकि जम्‍मू–कश्‍मीर में जाने वाले टूरिस्‍ट में गुजरात का बहुत बड़ा नंबर रहता है- और टेरेरिस्‍टों ने उन पर हमला कर दिया। करीब आठ लोग शायद मारे गए। सबसे पहले गुलाम नबी जी का मुझे फोन आया और वो फोन सिर्फ सूचना देने का नहीं था। उनके आंसू रुक नहीं रहे थे फोन पर। उस समय प्रणब मुखर्जी साहब डिफेंस‍ मिनिस्‍टर थे। मैंने उनको फोन किया, मैंने कहा- साहब अगर फोर्स का हवाई जहाज मिल जाए dead bodies को लाने के लिए, रात देर हो गई थी। मुखर्जी साहब ने कहा आप चिंता मत कीजिए, मैं करता हूं व्‍यवस्‍था। लेकिन रात में फिर गुलाम नबी जी का फोन आया- वे एयरपोर्ट पर थे। उस रात को एयरपोर्ट से उन्‍होंने मुझे फोन किया और जैसे अपने परिवार के सदस्‍य की चिंता करते हैं वैसी चिंता….। + diff --git a/pm-speech/237.txt b/pm-speech/237.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..afd172dc0bb97b92d098d9fcd094fd8fae97a99e --- /dev/null +++ b/pm-speech/237.txt @@ -0,0 +1,368 @@ +कोरोना के दौरान किस‍ प्रकार की वैश्विक परिस्थितियां बनीं, कोई किसी की मदद कर सके ये असंभव हो गया। एक देश दूसरे देश को मदद न कर सके। एक राज्‍य दूसरे राज्‍य को मदद न कर सके, यहां तक कि परिवार का एक सदस्‍य दूसरे परिवार के सदस्‍य की मदद न कर सके; वैसा माहौल कोरोना के कारण पैदा हुआ। भारत के लिए तो दुनिया ने बहुत आशंकाएं जताई थीं। विश्‍व बहुत चिंतित था कि अगर कोरोना की इस महामारी में अगर भारत अपने-आप को संभाल नहीं पाया तो न सिर्फ भारत, लेकिन पूरी मानव जाति के लिए इतना बड़ा संकट आ जाएगा ये आशंकाएं सबने जताईं। कोरोड़ों लोग फंस जाएंगे, लाखों लोग मर जाएंगे।हमारे यहां भी डराने के लिए भरपूर बातें भी हुईं। और ये क्‍यों हुआ ये हमारा सवाल नहीं है, क्‍योंकि एक unknown enemy क्‍या कर सकता है, किसी को अंदाज नहीं था। हरेक ने अपने-अपने तरीके से आकलन किया था। लेकिन भारत ने अपने देश के नागरिकों की रक्षा करने के लिए एक unknown enemy से और जिसकी कोई पूर्व परम्‍परा नहीं थी कि ऐसी चीज को ऐसे डील किया जा सकता है, इसके लिए ये प्रोटोकॉल हो सकता है, कुछ पता नहीं था। + +मैं एक कोटइस सदन के सामने रखना चाहता हूं और खास करके लोकतंत्र पर जो शक उठाते हैं, भारत की मूलभूत शक्ति पर जो शक उठाते हैं, उनको तो मैं विशेष आग्रह से कहूंगा कि इसको समझने का प्रयास करें। ‘’हमारा लोकतंत्र किसी भी मायने में western institution नहीं है। ये एक human institution है। भारत का इतिहास लोकतांत्रिक संस्‍थानों के उदाहरणों से भरा पड़ा है। प्राचीन भारत में 81 गणतंत्रों का वर्णन हमें मिलता है। आज देशवासियों को भारत के राष्‍ट्रवाद पर चौरतफा हो रहे हमले से आगाह करना जरूरी है। भारत का राष्‍ट्रवाद न तो संकीर्ण है, न स्‍वार्थी है और न ही आक्रमक है। ये ‘’सत्‍यम शिवम सुंदरम’’के मूल्‍यों से प्रेरित है’’। + +आपातकाल के उन दिनों को याद कीजिए, न्‍यायपालिका का हाल क्‍या था, मीडिया का क्‍या हाल था, शासन का क्‍या हाल था। सब कुछ जेलखानें में परिवर्तित हो चुका था लेकिन इस देश का संस्‍कारी, देश का जनमन, जो लोकतंत्र की रगो से रंगा हुआ था उसको कोई हिला नहीं पाया था। मौका मिलते ही उसने लोकतंत्र का प्रभावित कर दिया। ये लोगों की ताकत, ये हमारे संस्‍कारों की ताकत है, ये लोकतांत्रिक मूल्‍यों की ताकत है मुद्दा ये नहीं है कि कौन सरकार, कौन सरकार ने बनाई उसकी चर्चा नहीं कर रहा मैं, और न ही मैं ऐसी चीजों में समय लगाने के लिए यहां आपने मुझे बिठाया है। हमें लोकतांत्रिक मूल्‍यों की रक्षा करते हुए आगे बढ़ना है। आत्‍मनिर्भर भारत के संबंध में भी चर्चा हुई। मैं हमारे साथी धर्मेंद्र प्रधान जी के बहुत ही अभ्‍यासपूर्ण और आत्‍मनिर्भर भारत की हमारी दिशा क्‍या है उसका विख्‍यात, विस्‍तृत रूप से उन्‍होंने बयान किया है।  लेकिन एक बात सही है कि आर्थिक क्षेत्र में भी आज भारत की जो एक पहुंच बन रही है। कोरोना काल में दुनिया के लोग निवेश के लिए तरस रहे हैं। सारी बातें बाहर आ गई हैं। लेकिन भारत है जहां रिकार्ड निवेश हो रहा है। सारे तथ्‍य बता रहे है कि अनेक देशों की आर्थिक स्थिति डांवाडोल है। जबकि दुनिया भारत में डबल डिजिटल ग्रोथ का अनुमान लगा रही है। एक तरफ निराशा का माहौल है, तो हिन्‍दुस्‍तान में आशा की किरण नजर आ रही है, ये दुनिया की तरफ से आवाज उठ रही है। + +आज भारत का विदेशी मुद्रा भंडार रिकार्ड स्‍तर पर है। आज भारत में अन्‍न उत्‍पादन रिकार्ड स्‍तर पर है। भारत आज दुनिया में दूसरा बड़ा देश है जहां पर इंटरनेट यूजर है। भारत में आज हर महीने 4 लाख करोड़ रुपये का लेन‍देन डिजिटल हो रहा है, यूपीआई के माध्‍यम से हो रहा है। याद कीजिए, इसी सदन के भाषण में सुन रहा था… दो साल, तीन साल पहले… लोगों के पास मोबाइल कहां है, ठिकना कहां है, लोग डिजिटल कैसे करेंगे, ये देश की ताकत देखिए… हर महीने 4 लाख करोड़ रुपये भारत मोबाइल फोन के निर्माता के रूप में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश बना है। भारत में रिकार्ड संख्‍या में स्‍टार्टअपस, यूनीकॉर्न और जिसका विश्‍व में जय-जयकार होने लगा है। इसी धरती पर हमारी युवा पीढ़ी कर रही है।  Renewal Energy के क्षेत्र में विश्‍व के पहले पांच देशों में हमनें अपनी जगह बना ली है और आने वाले दिनों में हम ऊपर ही चढ़ के जाने वाले हैं। जल हो, थल हो, नभ हो, अंतरिक्ष हो….भारत हर क्षेत्र में अपनी रक्षा के लिए, अपने सामर्थ्‍य के साथ खड़ा है। सर्जिक्‍ल स्‍ट्राइक हो या air स्‍ट्राइक भारत की capability को दुनिया ने देखा है।         + +आज 2 हेक्‍टेयर से कम कितने किसान होंगे जो बैंक से लोन लेंगे… सिंचाई की सुविधा भी छोटे किसान के नसीब में नहीं है, बड़े किसान तो बड़ा-बड़ा पंप लगा देते थे, ट्यूबवेल कर देते थे, बिजली भी ले लेते थे, और बिजली मुफ्त मिल जाती थी, उनका काम चल जाता था। छोटे किसान के लिए तो सिंचाई के लिए भी दिक्‍कत थी। वो तो ट्यूबवेल लगा ही नहीं सकता था कभी-कभी तो उसको बड़े किसान से पानी खरीदना पड़ता था और जो दाम मांगे वो दाम देना पड़ता था। यूरिया…. बड़े किसान को यूरिया प्राप्‍त करने में कोई प्राबल्‍म नहीं था। छोटा किसान को रात-रात लाइन में खड़ा रहना पड़ता था। उसमें डंडे चलते थे और कभी-कभी तो बेचारा यूरिया के बिना घर वापस लौट जाता था। हम छोटे किसानों के हाल जानते हैं… 2014 के बाद हमनें कुछ परिवर्तन किए, हमनें फसल बीमा योजना का दायरा बढ़ा दिया ताकि किसान…छोटा किसान भी उसका फायदा ले सके और बहुत मामली रकम से ये काम शुरू किया और पिछले 4-5 साल में फसल बीमा योजना के तहत 90 हजार करोड़ रुपये उसके क्‍लेम किसानों को मिले हैं। कर्जमाफी से भी आंकड़ा बड़ा हो जाता है जी। + +हम कुछ बातों की और भी ध्‍यान दें अब देखिए… दूध उत्‍पादन… किन्हीं बंधनों में बंधा हुआ नहीं है। ना पशुपालक बंधनों में बंध हुआ है ना दूध बंधनों में बंधा हुआ है लेकिन मजा देखिए.. दूध के क्षेत्र में या तो प्राइवेट या को-ऑपरेटिव दोनों ने एक ऐसी मिलकर मजबूत चेन बनाई है दोनों मिलकर के इस काम को कर रहे हैं। और एक बेहतरीन सप्‍लाई चेन हमारे देश में बनी है। इसको हमने और जो अच्‍छा है उसकों हमने…..और ये मेरे काल में नहीं बना है। आप इस पर गर्व कर सकते हैं मेरे काम से पहले बना हुआ है। हमें गर्व करना चाहिए। फल सब्‍जी से जुड़े व्‍यवसाय में ज्‍यादातर बाजारों को सीधा संपर्क रहता है बाजारों में दखल हट गई है, इसका लाभ मिल रहा है। क्‍या डेयरी वाले सफल सब्‍जी खरीदने वाले उद्यमी, पशुपालको या  किसान की जमीन पर कब्‍जा हो जाता है उन के पशुओं पर कब्‍जा हो जाता है, नहीं होता है। दूध बिकता है, पशु नहीं बिकता है जी, हमारे देश में डेयरी उद्योग का योगदान है, कृषि अर्थव्‍यवस्‍था के कुल मूल्‍य में 28 प्रतिशत से भी ज्‍यादा है। यानी इतना बड़ा हम एग्रीकल्‍चर की चर्चाएं करते हैं, इस पहलू को हम भूल जाते हैं। 28 प्रतिशत contribution है। और करीब-करीब आठ लाख करोड़ों रुपयों का कारोबार है। जितने रुपये का दूध होता है उसका मूल्‍य अनाज और दाल दोनों मिला दें तो उसका ज्‍यादा है। हम कभी इस subject पर देखते ही नहीं हैं। पशुपालकों को पूरी आजादी, अनाज और दाल पैदा करने वाले छोटे और सीमांत किसानों को…. जैसे पशुपालक को आजादी मिली है, इनको आजादी क्यों नहीं मिलनी चाहिए? अब इन सवालों के जवाब हम ढूंढेगे तो हम सही रास्‍ते पर चलेगें। + +डेयरी और पशुपालन हमारे कृषि क्षेत्र के साथ बढ़ावा देने की जरूरत है ताकि हमारा किसान परिपक्‍व हो इसी प्रकार इसी हमने foot and mounth disease के लिए एक बहुत बड़ा अभियान चलाया जो पशुपालक, किसान को जो किसानी से जुड़ा हुआ रहता है उसको भी लाभ होगा। हमनें fisheries को भी एक अलग बल दिया, अलग Ministries बनाई और 20 हजार करोड़ रुपये मत्‍स्‍य संपदा योजना के लिए लगाया है। ताकि ये पूरे क्षेत्र को एक नया बल मिले। sweet revolution में बहुत संभावना है और इसलिएभारत ने उसके लिए बहुत जमीन की जरूरत नहीं है अपने ही खेत के कोने में वो कर दे तो भी साल में 40-50 हजार, लाख रुपया, दो लाख रुपया कमा लेगा वो। और इसलिए हम sweet शहद के लिए हनी के लिए, उसी प्रकार से bee wax दुनिया में bee wax की मांग है। भारत bee wax exportकर सकता है। हमने उसके लिए माहौल बनाया और किसान के खेत में ही छोटी किसान होगा तो वो एक नई कमाई कर सकता है, हमें उसको जोड़ना होगा। और मधुमक्‍खी पालन के लिए सैंकड़ों एकड़ जमीन की जरूरत नहीं है। वो आराम से अपने यहां कर सकता है। सोलर पंप… सोलर हम कहते हैं अन्‍नदाता ऊर्जादाता बने उसके खेत में ही सोलर सिस्‍टम से ऊर्जा पैदा करे, सोलर पंप चलाए अपनी पानी की आवश्‍यकता को पूरी करे। उसके खर्च को, बोझ को कम करे। और फसल एक लेता है तो दो ले, दो लेता है तो तीन ले। थोड़ा पैटर्न में बदल करना है तो बदल कर सके। इस दिशा में हम जा सकते हैं। और एक बात है, भारत की ताकत ऐसी समस्‍याओं के समाधान के समाधान करने की और नए रास्‍ते खोजने की रही है, आगे भी खुलेंगे। लेकिन कुछ लोग हैं जो भारत अस्थिर रहे, अशांत रहे, इसकी लगातार कोशिशें कर रहे हैं। हमें इन लोगों को जानना होगा। + +जम्‍मू-कश्‍मीर आत्‍मनिर्भर बनेगा, उस दिशा में हमारा- वहां पंचायत के चुनाव हुए, बीडीसी के चुनाव हुए, डीडीसी के चुनाव हुए, और उन सबकी सराहना गुलाम नबी जी ने की है। इस प्रशंसा के लिए मैं आपका बहुत आभारी हूं। लेकिन मुझे डर लगता है, आपने प्रशंसा की। मुझे विश्‍वास है कि आपकी पार्टी वाले इसको उचित spirit मेंलेंगे,गलती से जी-23 की राय मान करके कहीं उलटा न कर दें। + +कोरोना के चुनौतीपूर्ण दौर में सीमा पर भी चुनौती देने की कोशिश हुई। हमारे वीर जवानों के हौसले और कुशलता ने सटीक जवाब दिया है। हर हिन्‍दुस्‍तानी को इस बात पर गर्व है। मुश्किल परिस्थितियों में भी हमारे जवान डट करके खड़े रहे हैं। तमाम साथियों ने भी हमारे जवानों के शौर्य की सराहना की है, मैं उनका आभारी हूं। एलएसी पर जो स्थिति बनी है उस पर भारत का रुख बहुत स्‍पष्‍ट है और देश इसको भलीभांति देख भी रहा है और गर्व भी कर रहा है।Border Infrastructure और Border Security को लेकर हमारी प्रतिबद्धता में किसी प्रकार की ढील आने का सवाल ही नहीं होता है,गुंजाइश ही नहीं है, और जो लोग हमारा लालन-पालन और हमारे विचारों का को, हमारे उद्देश्य को देखते हैं वो कभी इस विषय में हमसे सवाल ही नहीं करेंगे, उनको मालूम है हम इसके लिए डटे हुए रहने वाले लोग हैं। और इसलिए हम इन विषयों में कहीं पर भी पीछे नहीं हैं। + +कोरोना के दौरान किस‍ प्रकार की वैश्विक परिस्थितियां बनीं, कोई किसी की मदद कर सके ये असंभव हो गया। एक देश दूसरे देश को मदद न कर सके। एक राज्‍य दूसरे राज्‍य को मदद न कर सके, यहां तक कि परिवार का एक सदस्‍य दूसरे परिवार के सदस्‍य की मदद न कर सके; वैसा माहौल कोरोना के कारण पैदा हुआ। भारत के लिए तो दुनिया ने बहुत आशंकाएं जताई थीं। विश्‍व बहुत चिंतित था कि अगर कोरोना की इस महामारी में अगर भारत अपने-आप को संभाल नहीं पाया तो न सिर्फ भारत, लेकिन पूरी मानव जाति के लिए इतना बड़ा संकट आ जाएगा ये आशंकाएं सबने जताईं। कोरोड़ों लोग फंस जाएंगे, लाखों लोग मर जाएंगे।हमारे यहां भी डराने के लिए भरपूर बातें भी हुईं। और ये क्‍यों हुआ ये हमारा सवाल नहीं है, क्‍योंकि एक unknown enemy क्‍या कर सकता है, किसी को अंदाज नहीं था। हरेक ने अपने-अपने तरीके से आकलन किया था। लेकिन भारत ने अपने देश के नागरिकों की रक्षा करने के लिए एक unknown enemy से और जिसकी कोई पूर्व परम्‍परा नहीं थी कि ऐसी चीज को ऐसे डील किया जा सकता है, इसके लिए ये प्रोटोकॉल हो सकता है, कुछ पता नहीं था। + +मैं एक कोटइस सदन के सामने रखना चाहता हूं और खास करके लोकतंत्र पर जो शक उठाते हैं, भारत की मूलभूत शक्ति पर जो शक उठाते हैं, उनको तो मैं विशेष आग्रह से कहूंगा कि इसको समझने का प्रयास करें। ‘’हमारा लोकतंत्र किसी भी मायने में western institution नहीं है। ये एक human institution है। भारत का इतिहास लोकतांत्रिक संस्‍थानों के उदाहरणों से भरा पड़ा है। प्राचीन भारत में 81 गणतंत्रों का वर्णन हमें मिलता है। आज देशवासियों को भारत के राष्‍ट्रवाद पर चौरतफा हो रहे हमले से आगाह करना जरूरी है। भारत का राष्‍ट्रवाद न तो संकीर्ण है, न स्‍वार्थी है और न ही आक्रमक है। ये ‘’सत्‍यम शिवम सुंदरम’’के मूल्‍यों से प्रेरित है’’। + +आपातकाल के उन दिनों को याद कीजिए, न्‍यायपालिका का हाल क्‍या था, मीडिया का क्‍या हाल था, शासन का क्‍या हाल था। सब कुछ जेलखानें में परिवर्तित हो चुका था लेकिन इस देश का संस्‍कारी, देश का जनमन, जो लोकतंत्र की रगो से रंगा हुआ था उसको कोई हिला नहीं पाया था। मौका मिलते ही उसने लोकतंत्र का प्रभावित कर दिया। ये लोगों की ताकत, ये हमारे संस्‍कारों की ताकत है, ये लोकतांत्रिक मूल्‍यों की ताकत है मुद्दा ये नहीं है कि कौन सरकार, कौन सरकार ने बनाई उसकी चर्चा नहीं कर रहा मैं, और न ही मैं ऐसी चीजों में समय लगाने के लिए यहां आपने मुझे बिठाया है। हमें लोकतांत्रिक मूल्‍यों की रक्षा करते हुए आगे बढ़ना है। आत्‍मनिर्भर भारत के संबंध में भी चर्चा हुई। मैं हमारे साथी धर्मेंद्र प्रधान जी के बहुत ही अभ्‍यासपूर्ण और आत्‍मनिर्भर भारत की हमारी दिशा क्‍या है उसका विख्‍यात, विस्‍तृत रूप से उन्‍होंने बयान किया है।  लेकिन एक बात सही है कि आर्थिक क्षेत्र में भी आज भारत की जो एक पहुंच बन रही है। कोरोना काल में दुनिया के लोग निवेश के लिए तरस रहे हैं। सारी बातें बाहर आ गई हैं। लेकिन भारत है जहां रिकार्ड निवेश हो रहा है। सारे तथ्‍य बता रहे है कि अनेक देशों की आर्थिक स्थिति डांवाडोल है। जबकि दुनिया भारत में डबल डिजिटल ग्रोथ का अनुमान लगा रही है। एक तरफ निराशा का माहौल है, तो हिन्‍दुस्‍तान में आशा की किरण नजर आ रही है, ये दुनिया की तरफ से आवाज उठ रही है। + +आज भारत का विदेशी मुद्रा भंडार रिकार्ड स्‍तर पर है। आज भारत में अन्‍न उत्‍पादन रिकार्ड स्‍तर पर है। भारत आज दुनिया में दूसरा बड़ा देश है जहां पर इंटरनेट यूजर है। भारत में आज हर महीने 4 लाख करोड़ रुपये का लेन‍देन डिजिटल हो रहा है, यूपीआई के माध्‍यम से हो रहा है। याद कीजिए, इसी सदन के भाषण में सुन रहा था… दो साल, तीन साल पहले… लोगों के पास मोबाइल कहां है, ठिकना कहां है, लोग डिजिटल कैसे करेंगे, ये देश की ताकत देखिए… हर महीने 4 लाख करोड़ रुपये भारत मोबाइल फोन के निर्माता के रूप में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश बना है। भारत में रिकार्ड संख्‍या में स्‍टार्टअपस, यूनीकॉर्न और जिसका विश्‍व में जय-जयकार होने लगा है। इसी धरती पर हमारी युवा पीढ़ी कर रही है।  Renewal Energy के क्षेत्र में विश्‍व के पहले पांच देशों में हमनें अपनी जगह बना ली है और आने वाले दिनों में हम ऊपर ही चढ़ के जाने वाले हैं। जल हो, थल हो, नभ हो, अंतरिक्ष हो….भारत हर क्षेत्र में अपनी रक्षा के लिए, अपने सामर्थ्‍य के साथ खड़ा है। सर्जिक्‍ल स्‍ट्राइक हो या air स्‍ट्राइक भारत की capability को दुनिया ने देखा है।         + +आज 2 हेक्‍टेयर से कम कितने किसान होंगे जो बैंक से लोन लेंगे… सिंचाई की सुविधा भी छोटे किसान के नसीब में नहीं है, बड़े किसान तो बड़ा-बड़ा पंप लगा देते थे, ट्यूबवेल कर देते थे, बिजली भी ले लेते थे, और बिजली मुफ्त मिल जाती थी, उनका काम चल जाता था। छोटे किसान के लिए तो सिंचाई के लिए भी दिक्‍कत थी। वो तो ट्यूबवेल लगा ही नहीं सकता था कभी-कभी तो उसको बड़े किसान से पानी खरीदना पड़ता था और जो दाम मांगे वो दाम देना पड़ता था। यूरिया…. बड़े किसान को यूरिया प्राप्‍त करने में कोई प्राबल्‍म नहीं था। छोटा किसान को रात-रात लाइन में खड़ा रहना पड़ता था। उसमें डंडे चलते थे और कभी-कभी तो बेचारा यूरिया के बिना घर वापस लौट जाता था। हम छोटे किसानों के हाल जानते हैं… 2014 के बाद हमनें कुछ परिवर्तन किए, हमनें फसल बीमा योजना का दायरा बढ़ा दिया ताकि किसान…छोटा किसान भी उसका फायदा ले सके और बहुत मामली रकम से ये काम शुरू किया और पिछले 4-5 साल में फसल बीमा योजना के तहत 90 हजार करोड़ रुपये उसके क्‍लेम किसानों को मिले हैं। कर्जमाफी से भी आंकड़ा बड़ा हो जाता है जी। + +हम कुछ बातों की और भी ध्‍यान दें अब देखिए… दूध उत्‍पादन… किन्हीं बंधनों में बंधा हुआ नहीं है। ना पशुपालक बंधनों में बंध हुआ है ना दूध बंधनों में बंधा हुआ है लेकिन मजा देखिए.. दूध के क्षेत्र में या तो प्राइवेट या को-ऑपरेटिव दोनों ने एक ऐसी मिलकर मजबूत चेन बनाई है दोनों मिलकर के इस काम को कर रहे हैं। और एक बेहतरीन सप्‍लाई चेन हमारे देश में बनी है। इसको हमने और जो अच्‍छा है उसकों हमने…..और ये मेरे काल में नहीं बना है। आप इस पर गर्व कर सकते हैं मेरे काम से पहले बना हुआ है। हमें गर्व करना चाहिए। फल सब्‍जी से जुड़े व्‍यवसाय में ज्‍यादातर बाजारों को सीधा संपर्क रहता है बाजारों में दखल हट गई है, इसका लाभ मिल रहा है। क्‍या डेयरी वाले सफल सब्‍जी खरीदने वाले उद्यमी, पशुपालको या  किसान की जमीन पर कब्‍जा हो जाता है उन के पशुओं पर कब्‍जा हो जाता है, नहीं होता है। दूध बिकता है, पशु नहीं बिकता है जी, हमारे देश में डेयरी उद्योग का योगदान है, कृषि अर्थव्‍यवस्‍था के कुल मूल्‍य में 28 प्रतिशत से भी ज्‍यादा है। यानी इतना बड़ा हम एग्रीकल्‍चर की चर्चाएं करते हैं, इस पहलू को हम भूल जाते हैं। 28 प्रतिशत contribution है। और करीब-करीब आठ लाख करोड़ों रुपयों का कारोबार है। जितने रुपये का दूध होता है उसका मूल्‍य अनाज और दाल दोनों मिला दें तो उसका ज्‍यादा है। हम कभी इस subject पर देखते ही नहीं हैं। पशुपालकों को पूरी आजादी, अनाज और दाल पैदा करने वाले छोटे और सीमांत किसानों को…. जैसे पशुपालक को आजादी मिली है, इनको आजादी क्यों नहीं मिलनी चाहिए? अब इन सवालों के जवाब हम ढूंढेगे तो हम सही रास्‍ते पर चलेगें। + +डेयरी और पशुपालन हमारे कृषि क्षेत्र के साथ बढ़ावा देने की जरूरत है ताकि हमारा किसान परिपक्‍व हो इसी प्रकार इसी हमने foot and mounth disease के लिए एक बहुत बड़ा अभियान चलाया जो पशुपालक, किसान को जो किसानी से जुड़ा हुआ रहता है उसको भी लाभ होगा। हमनें fisheries को भी एक अलग बल दिया, अलग Ministries बनाई और 20 हजार करोड़ रुपये मत्‍स्‍य संपदा योजना के लिए लगाया है। ताकि ये पूरे क्षेत्र को एक नया बल मिले। sweet revolution में बहुत संभावना है और इसलिएभारत ने उसके लिए बहुत जमीन की जरूरत नहीं है अपने ही खेत के कोने में वो कर दे तो भी साल में 40-50 हजार, लाख रुपया, दो लाख रुपया कमा लेगा वो। और इसलिए हम sweet शहद के लिए हनी के लिए, उसी प्रकार से bee wax दुनिया में bee wax की मांग है। भारत bee wax exportकर सकता है। हमने उसके लिए माहौल बनाया और किसान के खेत में ही छोटी किसान होगा तो वो एक नई कमाई कर सकता है, हमें उसको जोड़ना होगा। और मधुमक्‍खी पालन के लिए सैंकड़ों एकड़ जमीन की जरूरत नहीं है। वो आराम से अपने यहां कर सकता है। सोलर पंप… सोलर हम कहते हैं अन्‍नदाता ऊर्जादाता बने उसके खेत में ही सोलर सिस्‍टम से ऊर्जा पैदा करे, सोलर पंप चलाए अपनी पानी की आवश्‍यकता को पूरी करे। उसके खर्च को, बोझ को कम करे। और फसल एक लेता है तो दो ले, दो लेता है तो तीन ले। थोड़ा पैटर्न में बदल करना है तो बदल कर सके। इस दिशा में हम जा सकते हैं। और एक बात है, भारत की ताकत ऐसी समस्‍याओं के समाधान के समाधान करने की और नए रास्‍ते खोजने की रही है, आगे भी खुलेंगे। लेकिन कुछ लोग हैं जो भारत अस्थिर रहे, अशांत रहे, इसकी लगातार कोशिशें कर रहे हैं। हमें इन लोगों को जानना होगा। + +जम्‍मू-कश्‍मीर आत्‍मनिर्भर बनेगा, उस दिशा में हमारा- वहां पंचायत के चुनाव हुए, बीडीसी के चुनाव हुए, डीडीसी के चुनाव हुए, और उन सबकी सराहना गुलाम नबी जी ने की है। इस प्रशंसा के लिए मैं आपका बहुत आभारी हूं। लेकिन मुझे डर लगता है, आपने प्रशंसा की। मुझे विश्‍वास है कि आपकी पार्टी वाले इसको उचित spirit मेंलेंगे,गलती से जी-23 की राय मान करके कहीं उलटा न कर दें। + +कोरोना के चुनौतीपूर्ण दौर में सीमा पर भी चुनौती देने की कोशिश हुई। हमारे वीर जवानों के हौसले और कुशलता ने सटीक जवाब दिया है। हर हिन्‍दुस्‍तानी को इस बात पर गर्व है। मुश्किल परिस्थितियों में भी हमारे जवान डट करके खड़े रहे हैं। तमाम साथियों ने भी हमारे जवानों के शौर्य की सराहना की है, मैं उनका आभारी हूं। एलएसी पर जो स्थिति बनी है उस पर भारत का रुख बहुत स्‍पष्‍ट है और देश इसको भलीभांति देख भी रहा है और गर्व भी कर रहा है।Border Infrastructure और Border Security को लेकर हमारी प्रतिबद्धता में किसी प्रकार की ढील आने का सवाल ही नहीं होता है,गुंजाइश ही नहीं है, और जो लोग हमारा लालन-पालन और हमारे विचारों का को, हमारे उद्देश्य को देखते हैं वो कभी इस विषय में हमसे सवाल ही नहीं करेंगे, उनको मालूम है हम इसके लिए डटे हुए रहने वाले लोग हैं। और इसलिए हम इन विषयों में कहीं पर भी पीछे नहीं हैं। + +कोरोना के दौरान किस‍ प्रकार की वैश्विक परिस्थितियां बनीं, कोई किसी की मदद कर सके ये असंभव हो गया। एक देश दूसरे देश को मदद न कर सके। एक राज्‍य दूसरे राज्‍य को मदद न कर सके, यहां तक कि परिवार का एक सदस्‍य दूसरे परिवार के सदस्‍य की मदद न कर सके; वैसा माहौल कोरोना के कारण पैदा हुआ। भारत के लिए तो दुनिया ने बहुत आशंकाएं जताई थीं। विश्‍व बहुत चिंतित था कि अगर कोरोना की इस महामारी में अगर भारत अपने-आप को संभाल नहीं पाया तो न सिर्फ भारत, लेकिन पूरी मानव जाति के लिए इतना बड़ा संकट आ जाएगा ये आशंकाएं सबने जताईं। कोरोड़ों लोग फंस जाएंगे, लाखों लोग मर जाएंगे।हमारे यहां भी डराने के लिए भरपूर बातें भी हुईं। और ये क्‍यों हुआ ये हमारा सवाल नहीं है, क्‍योंकि एक unknown enemy क्‍या कर सकता है, किसी को अंदाज नहीं था। हरेक ने अपने-अपने तरीके से आकलन किया था। लेकिन भारत ने अपने देश के नागरिकों की रक्षा करने के लिए एक unknown enemy से और जिसकी कोई पूर्व परम्‍परा नहीं थी कि ऐसी चीज को ऐसे डील किया जा सकता है, इसके लिए ये प्रोटोकॉल हो सकता है, कुछ पता नहीं था। + +मैं एक कोटइस सदन के सामने रखना चाहता हूं और खास करके लोकतंत्र पर जो शक उठाते हैं, भारत की मूलभूत शक्ति पर जो शक उठाते हैं, उनको तो मैं विशेष आग्रह से कहूंगा कि इसको समझने का प्रयास करें। ‘’हमारा लोकतंत्र किसी भी मायने में western institution नहीं है। ये एक human institution है। भारत का इतिहास लोकतांत्रिक संस्‍थानों के उदाहरणों से भरा पड़ा है। प्राचीन भारत में 81 गणतंत्रों का वर्णन हमें मिलता है। आज देशवासियों को भारत के राष्‍ट्रवाद पर चौरतफा हो रहे हमले से आगाह करना जरूरी है। भारत का राष्‍ट्रवाद न तो संकीर्ण है, न स्‍वार्थी है और न ही आक्रमक है। ये ‘’सत्‍यम शिवम सुंदरम’’के मूल्‍यों से प्रेरित है’’। + +आपातकाल के उन दिनों को याद कीजिए, न्‍यायपालिका का हाल क्‍या था, मीडिया का क्‍या हाल था, शासन का क्‍या हाल था। सब कुछ जेलखानें में परिवर्तित हो चुका था लेकिन इस देश का संस्‍कारी, देश का जनमन, जो लोकतंत्र की रगो से रंगा हुआ था उसको कोई हिला नहीं पाया था। मौका मिलते ही उसने लोकतंत्र का प्रभावित कर दिया। ये लोगों की ताकत, ये हमारे संस्‍कारों की ताकत है, ये लोकतांत्रिक मूल्‍यों की ताकत है मुद्दा ये नहीं है कि कौन सरकार, कौन सरकार ने बनाई उसकी चर्चा नहीं कर रहा मैं, और न ही मैं ऐसी चीजों में समय लगाने के लिए यहां आपने मुझे बिठाया है। हमें लोकतांत्रिक मूल्‍यों की रक्षा करते हुए आगे बढ़ना है। आत्‍मनिर्भर भारत के संबंध में भी चर्चा हुई। मैं हमारे साथी धर्मेंद्र प्रधान जी के बहुत ही अभ्‍यासपूर्ण और आत्‍मनिर्भर भारत की हमारी दिशा क्‍या है उसका विख्‍यात, विस्‍तृत रूप से उन्‍होंने बयान किया है।  लेकिन एक बात सही है कि आर्थिक क्षेत्र में भी आज भारत की जो एक पहुंच बन रही है। कोरोना काल में दुनिया के लोग निवेश के लिए तरस रहे हैं। सारी बातें बाहर आ गई हैं। लेकिन भारत है जहां रिकार्ड निवेश हो रहा है। सारे तथ्‍य बता रहे है कि अनेक देशों की आर्थिक स्थिति डांवाडोल है। जबकि दुनिया भारत में डबल डिजिटल ग्रोथ का अनुमान लगा रही है। एक तरफ निराशा का माहौल है, तो हिन्‍दुस्‍तान में आशा की किरण नजर आ रही है, ये दुनिया की तरफ से आवाज उठ रही है। + +आज भारत का विदेशी मुद्रा भंडार रिकार्ड स्‍तर पर है। आज भारत में अन्‍न उत्‍पादन रिकार्ड स्‍तर पर है। भारत आज दुनिया में दूसरा बड़ा देश है जहां पर इंटरनेट यूजर है। भारत में आज हर महीने 4 लाख करोड़ रुपये का लेन‍देन डिजिटल हो रहा है, यूपीआई के माध्‍यम से हो रहा है। याद कीजिए, इसी सदन के भाषण में सुन रहा था… दो साल, तीन साल पहले… लोगों के पास मोबाइल कहां है, ठिकना कहां है, लोग डिजिटल कैसे करेंगे, ये देश की ताकत देखिए… हर महीने 4 लाख करोड़ रुपये भारत मोबाइल फोन के निर्माता के रूप में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश बना है। भारत में रिकार्ड संख्‍या में स्‍टार्टअपस, यूनीकॉर्न और जिसका विश्‍व में जय-जयकार होने लगा है। इसी धरती पर हमारी युवा पीढ़ी कर रही है।  Renewal Energy के क्षेत्र में विश्‍व के पहले पांच देशों में हमनें अपनी जगह बना ली है और आने वाले दिनों में हम ऊपर ही चढ़ के जाने वाले हैं। जल हो, थल हो, नभ हो, अंतरिक्ष हो….भारत हर क्षेत्र में अपनी रक्षा के लिए, अपने सामर्थ्‍य के साथ खड़ा है। सर्जिक्‍ल स्‍ट्राइक हो या air स्‍ट्राइक भारत की capability को दुनिया ने देखा है।         + +आज 2 हेक्‍टेयर से कम कितने किसान होंगे जो बैंक से लोन लेंगे… सिंचाई की सुविधा भी छोटे किसान के नसीब में नहीं है, बड़े किसान तो बड़ा-बड़ा पंप लगा देते थे, ट्यूबवेल कर देते थे, बिजली भी ले लेते थे, और बिजली मुफ्त मिल जाती थी, उनका काम चल जाता था। छोटे किसान के लिए तो सिंचाई के लिए भी दिक्‍कत थी। वो तो ट्यूबवेल लगा ही नहीं सकता था कभी-कभी तो उसको बड़े किसान से पानी खरीदना पड़ता था और जो दाम मांगे वो दाम देना पड़ता था। यूरिया…. बड़े किसान को यूरिया प्राप्‍त करने में कोई प्राबल्‍म नहीं था। छोटा किसान को रात-रात लाइन में खड़ा रहना पड़ता था। उसमें डंडे चलते थे और कभी-कभी तो बेचारा यूरिया के बिना घर वापस लौट जाता था। हम छोटे किसानों के हाल जानते हैं… 2014 के बाद हमनें कुछ परिवर्तन किए, हमनें फसल बीमा योजना का दायरा बढ़ा दिया ताकि किसान…छोटा किसान भी उसका फायदा ले सके और बहुत मामली रकम से ये काम शुरू किया और पिछले 4-5 साल में फसल बीमा योजना के तहत 90 हजार करोड़ रुपये उसके क्‍लेम किसानों को मिले हैं। कर्जमाफी से भी आंकड़ा बड़ा हो जाता है जी। + +हम कुछ बातों की और भी ध्‍यान दें अब देखिए… दूध उत्‍पादन… किन्हीं बंधनों में बंधा हुआ नहीं है। ना पशुपालक बंधनों में बंध हुआ है ना दूध बंधनों में बंधा हुआ है लेकिन मजा देखिए.. दूध के क्षेत्र में या तो प्राइवेट या को-ऑपरेटिव दोनों ने एक ऐसी मिलकर मजबूत चेन बनाई है दोनों मिलकर के इस काम को कर रहे हैं। और एक बेहतरीन सप्‍लाई चेन हमारे देश में बनी है। इसको हमने और जो अच्‍छा है उसकों हमने…..और ये मेरे काल में नहीं बना है। आप इस पर गर्व कर सकते हैं मेरे काम से पहले बना हुआ है। हमें गर्व करना चाहिए। फल सब्‍जी से जुड़े व्‍यवसाय में ज्‍यादातर बाजारों को सीधा संपर्क रहता है बाजारों में दखल हट गई है, इसका लाभ मिल रहा है। क्‍या डेयरी वाले सफल सब्‍जी खरीदने वाले उद्यमी, पशुपालको या  किसान की जमीन पर कब्‍जा हो जाता है उन के पशुओं पर कब्‍जा हो जाता है, नहीं होता है। दूध बिकता है, पशु नहीं बिकता है जी, हमारे देश में डेयरी उद्योग का योगदान है, कृषि अर्थव्‍यवस्‍था के कुल मूल्‍य में 28 प्रतिशत से भी ज्‍यादा है। यानी इतना बड़ा हम एग्रीकल्‍चर की चर्चाएं करते हैं, इस पहलू को हम भूल जाते हैं। 28 प्रतिशत contribution है। और करीब-करीब आठ लाख करोड़ों रुपयों का कारोबार है। जितने रुपये का दूध होता है उसका मूल्‍य अनाज और दाल दोनों मिला दें तो उसका ज्‍यादा है। हम कभी इस subject पर देखते ही नहीं हैं। पशुपालकों को पूरी आजादी, अनाज और दाल पैदा करने वाले छोटे और सीमांत किसानों को…. जैसे पशुपालक को आजादी मिली है, इनको आजादी क्यों नहीं मिलनी चाहिए? अब इन सवालों के जवाब हम ढूंढेगे तो हम सही रास्‍ते पर चलेगें। + +डेयरी और पशुपालन हमारे कृषि क्षेत्र के साथ बढ़ावा देने की जरूरत है ताकि हमारा किसान परिपक्‍व हो इसी प्रकार इसी हमने foot and mounth disease के लिए एक बहुत बड़ा अभियान चलाया जो पशुपालक, किसान को जो किसानी से जुड़ा हुआ रहता है उसको भी लाभ होगा। हमनें fisheries को भी एक अलग बल दिया, अलग Ministries बनाई और 20 हजार करोड़ रुपये मत्‍स्‍य संपदा योजना के लिए लगाया है। ताकि ये पूरे क्षेत्र को एक नया बल मिले। sweet revolution में बहुत संभावना है और इसलिएभारत ने उसके लिए बहुत जमीन की जरूरत नहीं है अपने ही खेत के कोने में वो कर दे तो भी साल में 40-50 हजार, लाख रुपया, दो लाख रुपया कमा लेगा वो। और इसलिए हम sweet शहद के लिए हनी के लिए, उसी प्रकार से bee wax दुनिया में bee wax की मांग है। भारत bee wax exportकर सकता है। हमने उसके लिए माहौल बनाया और किसान के खेत में ही छोटी किसान होगा तो वो एक नई कमाई कर सकता है, हमें उसको जोड़ना होगा। और मधुमक्‍खी पालन के लिए सैंकड़ों एकड़ जमीन की जरूरत नहीं है। वो आराम से अपने यहां कर सकता है। सोलर पंप… सोलर हम कहते हैं अन्‍नदाता ऊर्जादाता बने उसके खेत में ही सोलर सिस्‍टम से ऊर्जा पैदा करे, सोलर पंप चलाए अपनी पानी की आवश्‍यकता को पूरी करे। उसके खर्च को, बोझ को कम करे। और फसल एक लेता है तो दो ले, दो लेता है तो तीन ले। थोड़ा पैटर्न में बदल करना है तो बदल कर सके। इस दिशा में हम जा सकते हैं। और एक बात है, भारत की ताकत ऐसी समस्‍याओं के समाधान के समाधान करने की और नए रास्‍ते खोजने की रही है, आगे भी खुलेंगे। लेकिन कुछ लोग हैं जो भारत अस्थिर रहे, अशांत रहे, इसकी लगातार कोशिशें कर रहे हैं। हमें इन लोगों को जानना होगा। + +जम्‍मू-कश्‍मीर आत्‍मनिर्भर बनेगा, उस दिशा में हमारा- वहां पंचायत के चुनाव हुए, बीडीसी के चुनाव हुए, डीडीसी के चुनाव हुए, और उन सबकी सराहना गुलाम नबी जी ने की है। इस प्रशंसा के लिए मैं आपका बहुत आभारी हूं। लेकिन मुझे डर लगता है, आपने प्रशंसा की। मुझे विश्‍वास है कि आपकी पार्टी वाले इसको उचित spirit मेंलेंगे,गलती से जी-23 की राय मान करके कहीं उलटा न कर दें। + +कोरोना के चुनौतीपूर्ण दौर में सीमा पर भी चुनौती देने की कोशिश हुई। हमारे वीर जवानों के हौसले और कुशलता ने सटीक जवाब दिया है। हर हिन्‍दुस्‍तानी को इस बात पर गर्व है। मुश्किल परिस्थितियों में भी हमारे जवान डट करके खड़े रहे हैं। तमाम साथियों ने भी हमारे जवानों के शौर्य की सराहना की है, मैं उनका आभारी हूं। एलएसी पर जो स्थिति बनी है उस पर भारत का रुख बहुत स्‍पष्‍ट है और देश इसको भलीभांति देख भी रहा है और गर्व भी कर रहा है।Border Infrastructure और Border Security को लेकर हमारी प्रतिबद्धता में किसी प्रकार की ढील आने का सवाल ही नहीं होता है,गुंजाइश ही नहीं है, और जो लोग हमारा लालन-पालन और हमारे विचारों का को, हमारे उद्देश्य को देखते हैं वो कभी इस विषय में हमसे सवाल ही नहीं करेंगे, उनको मालूम है हम इसके लिए डटे हुए रहने वाले लोग हैं। और इसलिए हम इन विषयों में कहीं पर भी पीछे नहीं हैं। + +कोरोना के दौरान किस‍ प्रकार की वैश्विक परिस्थितियां बनीं, कोई किसी की मदद कर सके ये असंभव हो गया। एक देश दूसरे देश को मदद न कर सके। एक राज्‍य दूसरे राज्‍य को मदद न कर सके, यहां तक कि परिवार का एक सदस्‍य दूसरे परिवार के सदस्‍य की मदद न कर सके; वैसा माहौल कोरोना के कारण पैदा हुआ। भारत के लिए तो दुनिया ने बहुत आशंकाएं जताई थीं। विश्‍व बहुत चिंतित था कि अगर कोरोना की इस महामारी में अगर भारत अपने-आप को संभाल नहीं पाया तो न सिर्फ भारत, लेकिन पूरी मानव जाति के लिए इतना बड़ा संकट आ जाएगा ये आशंकाएं सबने जताईं। कोरोड़ों लोग फंस जाएंगे, लाखों लोग मर जाएंगे।हमारे यहां भी डराने के लिए भरपूर बातें भी हुईं। और ये क्‍यों हुआ ये हमारा सवाल नहीं है, क्‍योंकि एक unknown enemy क्‍या कर सकता है, किसी को अंदाज नहीं था। हरेक ने अपने-अपने तरीके से आकलन किया था। लेकिन भारत ने अपने देश के नागरिकों की रक्षा करने के लिए एक unknown enemy से और जिसकी कोई पूर्व परम्‍परा नहीं थी कि ऐसी चीज को ऐसे डील किया जा सकता है, इसके लिए ये प्रोटोकॉल हो सकता है, कुछ पता नहीं था। + +मैं एक कोटइस सदन के सामने रखना चाहता हूं और खास करके लोकतंत्र पर जो शक उठाते हैं, भारत की मूलभूत शक्ति पर जो शक उठाते हैं, उनको तो मैं विशेष आग्रह से कहूंगा कि इसको समझने का प्रयास करें। ‘’हमारा लोकतंत्र किसी भी मायने में western institution नहीं है। ये एक human institution है। भारत का इतिहास लोकतांत्रिक संस्‍थानों के उदाहरणों से भरा पड़ा है। प्राचीन भारत में 81 गणतंत्रों का वर्णन हमें मिलता है। आज देशवासियों को भारत के राष्‍ट्रवाद पर चौरतफा हो रहे हमले से आगाह करना जरूरी है। भारत का राष्‍ट्रवाद न तो संकीर्ण है, न स्‍वार्थी है और न ही आक्रमक है। ये ‘’सत्‍यम शिवम सुंदरम’’के मूल्‍यों से प्रेरित है’’। + +आपातकाल के उन दिनों को याद कीजिए, न्‍यायपालिका का हाल क्‍या था, मीडिया का क्‍या हाल था, शासन का क्‍या हाल था। सब कुछ जेलखानें में परिवर्तित हो चुका था लेकिन इस देश का संस्‍कारी, देश का जनमन, जो लोकतंत्र की रगो से रंगा हुआ था उसको कोई हिला नहीं पाया था। मौका मिलते ही उसने लोकतंत्र का प्रभावित कर दिया। ये लोगों की ताकत, ये हमारे संस्‍कारों की ताकत है, ये लोकतांत्रिक मूल्‍यों की ताकत है मुद्दा ये नहीं है कि कौन सरकार, कौन सरकार ने बनाई उसकी चर्चा नहीं कर रहा मैं, और न ही मैं ऐसी चीजों में समय लगाने के लिए यहां आपने मुझे बिठाया है। हमें लोकतांत्रिक मूल्‍यों की रक्षा करते हुए आगे बढ़ना है। आत्‍मनिर्भर भारत के संबंध में भी चर्चा हुई। मैं हमारे साथी धर्मेंद्र प्रधान जी के बहुत ही अभ्‍यासपूर्ण और आत्‍मनिर्भर भारत की हमारी दिशा क्‍या है उसका विख्‍यात, विस्‍तृत रूप से उन्‍होंने बयान किया है।  लेकिन एक बात सही है कि आर्थिक क्षेत्र में भी आज भारत की जो एक पहुंच बन रही है। कोरोना काल में दुनिया के लोग निवेश के लिए तरस रहे हैं। सारी बातें बाहर आ गई हैं। लेकिन भारत है जहां रिकार्ड निवेश हो रहा है। सारे तथ्‍य बता रहे है कि अनेक देशों की आर्थिक स्थिति डांवाडोल है। जबकि दुनिया भारत में डबल डिजिटल ग्रोथ का अनुमान लगा रही है। एक तरफ निराशा का माहौल है, तो हिन्‍दुस्‍तान में आशा की किरण नजर आ रही है, ये दुनिया की तरफ से आवाज उठ रही है। + +आज भारत का विदेशी मुद्रा भंडार रिकार्ड स्‍तर पर है। आज भारत में अन्‍न उत्‍पादन रिकार्ड स्‍तर पर है। भारत आज दुनिया में दूसरा बड़ा देश है जहां पर इंटरनेट यूजर है। भारत में आज हर महीने 4 लाख करोड़ रुपये का लेन‍देन डिजिटल हो रहा है, यूपीआई के माध्‍यम से हो रहा है। याद कीजिए, इसी सदन के भाषण में सुन रहा था… दो साल, तीन साल पहले… लोगों के पास मोबाइल कहां है, ठिकना कहां है, लोग डिजिटल कैसे करेंगे, ये देश की ताकत देखिए… हर महीने 4 लाख करोड़ रुपये भारत मोबाइल फोन के निर्माता के रूप में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश बना है। भारत में रिकार्ड संख्‍या में स्‍टार्टअपस, यूनीकॉर्न और जिसका विश्‍व में जय-जयकार होने लगा है। इसी धरती पर हमारी युवा पीढ़ी कर रही है।  Renewal Energy के क्षेत्र में विश्‍व के पहले पांच देशों में हमनें अपनी जगह बना ली है और आने वाले दिनों में हम ऊपर ही चढ़ के जाने वाले हैं। जल हो, थल हो, नभ हो, अंतरिक्ष हो….भारत हर क्षेत्र में अपनी रक्षा के लिए, अपने सामर्थ्‍य के साथ खड़ा है। सर्जिक्‍ल स्‍ट्राइक हो या air स्‍ट्राइक भारत की capability को दुनिया ने देखा है।         + +आज 2 हेक्‍टेयर से कम कितने किसान होंगे जो बैंक से लोन लेंगे… सिंचाई की सुविधा भी छोटे किसान के नसीब में नहीं है, बड़े किसान तो बड़ा-बड़ा पंप लगा देते थे, ट्यूबवेल कर देते थे, बिजली भी ले लेते थे, और बिजली मुफ्त मिल जाती थी, उनका काम चल जाता था। छोटे किसान के लिए तो सिंचाई के लिए भी दिक्‍कत थी। वो तो ट्यूबवेल लगा ही नहीं सकता था कभी-कभी तो उसको बड़े किसान से पानी खरीदना पड़ता था और जो दाम मांगे वो दाम देना पड़ता था। यूरिया…. बड़े किसान को यूरिया प्राप्‍त करने में कोई प्राबल्‍म नहीं था। छोटा किसान को रात-रात लाइन में खड़ा रहना पड़ता था। उसमें डंडे चलते थे और कभी-कभी तो बेचारा यूरिया के बिना घर वापस लौट जाता था। हम छोटे किसानों के हाल जानते हैं… 2014 के बाद हमनें कुछ परिवर्तन किए, हमनें फसल बीमा योजना का दायरा बढ़ा दिया ताकि किसान…छोटा किसान भी उसका फायदा ले सके और बहुत मामली रकम से ये काम शुरू किया और पिछले 4-5 साल में फसल बीमा योजना के तहत 90 हजार करोड़ रुपये उसके क्‍लेम किसानों को मिले हैं। कर्जमाफी से भी आंकड़ा बड़ा हो जाता है जी। + +हम कुछ बातों की और भी ध्‍यान दें अब देखिए… दूध उत्‍पादन… किन्हीं बंधनों में बंधा हुआ नहीं है। ना पशुपालक बंधनों में बंध हुआ है ना दूध बंधनों में बंधा हुआ है लेकिन मजा देखिए.. दूध के क्षेत्र में या तो प्राइवेट या को-ऑपरेटिव दोनों ने एक ऐसी मिलकर मजबूत चेन बनाई है दोनों मिलकर के इस काम को कर रहे हैं। और एक बेहतरीन सप्‍लाई चेन हमारे देश में बनी है। इसको हमने और जो अच्‍छा है उसकों हमने…..और ये मेरे काल में नहीं बना है। आप इस पर गर्व कर सकते हैं मेरे काम से पहले बना हुआ है। हमें गर्व करना चाहिए। फल सब्‍जी से जुड़े व्‍यवसाय में ज्‍यादातर बाजारों को सीधा संपर्क रहता है बाजारों में दखल हट गई है, इसका लाभ मिल रहा है। क्‍या डेयरी वाले सफल सब्‍जी खरीदने वाले उद्यमी, पशुपालको या  किसान की जमीन पर कब्‍जा हो जाता है उन के पशुओं पर कब्‍जा हो जाता है, नहीं होता है। दूध बिकता है, पशु नहीं बिकता है जी, हमारे देश में डेयरी उद्योग का योगदान है, कृषि अर्थव्‍यवस्‍था के कुल मूल्‍य में 28 प्रतिशत से भी ज्‍यादा है। यानी इतना बड़ा हम एग्रीकल्‍चर की चर्चाएं करते हैं, इस पहलू को हम भूल जाते हैं। 28 प्रतिशत contribution है। और करीब-करीब आठ लाख करोड़ों रुपयों का कारोबार है। जितने रुपये का दूध होता है उसका मूल्‍य अनाज और दाल दोनों मिला दें तो उसका ज्‍यादा है। हम कभी इस subject पर देखते ही नहीं हैं। पशुपालकों को पूरी आजादी, अनाज और दाल पैदा करने वाले छोटे और सीमांत किसानों को…. जैसे पशुपालक को आजादी मिली है, इनको आजादी क्यों नहीं मिलनी चाहिए? अब इन सवालों के जवाब हम ढूंढेगे तो हम सही रास्‍ते पर चलेगें। + +डेयरी और पशुपालन हमारे कृषि क्षेत्र के साथ बढ़ावा देने की जरूरत है ताकि हमारा किसान परिपक्‍व हो इसी प्रकार इसी हमने foot and mounth disease के लिए एक बहुत बड़ा अभियान चलाया जो पशुपालक, किसान को जो किसानी से जुड़ा हुआ रहता है उसको भी लाभ होगा। हमनें fisheries को भी एक अलग बल दिया, अलग Ministries बनाई और 20 हजार करोड़ रुपये मत्‍स्‍य संपदा योजना के लिए लगाया है। ताकि ये पूरे क्षेत्र को एक नया बल मिले। sweet revolution में बहुत संभावना है और इसलिएभारत ने उसके लिए बहुत जमीन की जरूरत नहीं है अपने ही खेत के कोने में वो कर दे तो भी साल में 40-50 हजार, लाख रुपया, दो लाख रुपया कमा लेगा वो। और इसलिए हम sweet शहद के लिए हनी के लिए, उसी प्रकार से bee wax दुनिया में bee wax की मांग है। भारत bee wax exportकर सकता है। हमने उसके लिए माहौल बनाया और किसान के खेत में ही छोटी किसान होगा तो वो एक नई कमाई कर सकता है, हमें उसको जोड़ना होगा। और मधुमक्‍खी पालन के लिए सैंकड़ों एकड़ जमीन की जरूरत नहीं है। वो आराम से अपने यहां कर सकता है। सोलर पंप… सोलर हम कहते हैं अन्‍नदाता ऊर्जादाता बने उसके खेत में ही सोलर सिस्‍टम से ऊर्जा पैदा करे, सोलर पंप चलाए अपनी पानी की आवश्‍यकता को पूरी करे। उसके खर्च को, बोझ को कम करे। और फसल एक लेता है तो दो ले, दो लेता है तो तीन ले। थोड़ा पैटर्न में बदल करना है तो बदल कर सके। इस दिशा में हम जा सकते हैं। और एक बात है, भारत की ताकत ऐसी समस्‍याओं के समाधान के समाधान करने की और नए रास्‍ते खोजने की रही है, आगे भी खुलेंगे। लेकिन कुछ लोग हैं जो भारत अस्थिर रहे, अशांत रहे, इसकी लगातार कोशिशें कर रहे हैं। हमें इन लोगों को जानना होगा। + +जम्‍मू-कश्‍मीर आत्‍मनिर्भर बनेगा, उस दिशा में हमारा- वहां पंचायत के चुनाव हुए, बीडीसी के चुनाव हुए, डीडीसी के चुनाव हुए, और उन सबकी सराहना गुलाम नबी जी ने की है। इस प्रशंसा के लिए मैं आपका बहुत आभारी हूं। लेकिन मुझे डर लगता है, आपने प्रशंसा की। मुझे विश्‍वास है कि आपकी पार्टी वाले इसको उचित spirit मेंलेंगे,गलती से जी-23 की राय मान करके कहीं उलटा न कर दें। + +कोरोना के चुनौतीपूर्ण दौर में सीमा पर भी चुनौती देने की कोशिश हुई। हमारे वीर जवानों के हौसले और कुशलता ने सटीक जवाब दिया है। हर हिन्‍दुस्‍तानी को इस बात पर गर्व है। मुश्किल परिस्थितियों में भी हमारे जवान डट करके खड़े रहे हैं। तमाम साथियों ने भी हमारे जवानों के शौर्य की सराहना की है, मैं उनका आभारी हूं। एलएसी पर जो स्थिति बनी है उस पर भारत का रुख बहुत स्‍पष्‍ट है और देश इसको भलीभांति देख भी रहा है और गर्व भी कर रहा है।Border Infrastructure और Border Security को लेकर हमारी प्रतिबद्धता में किसी प्रकार की ढील आने का सवाल ही नहीं होता है,गुंजाइश ही नहीं है, और जो लोग हमारा लालन-पालन और हमारे विचारों का को, हमारे उद्देश्य को देखते हैं वो कभी इस विषय में हमसे सवाल ही नहीं करेंगे, उनको मालूम है हम इसके लिए डटे हुए रहने वाले लोग हैं। और इसलिए हम इन विषयों में कहीं पर भी पीछे नहीं हैं। + +कोरोना के दौरान किस‍ प्रकार की वैश्विक परिस्थितियां बनीं, कोई किसी की मदद कर सके ये असंभव हो गया। एक देश दूसरे देश को मदद न कर सके। एक राज्‍य दूसरे राज्‍य को मदद न कर सके, यहां तक कि परिवार का एक सदस्‍य दूसरे परिवार के सदस्‍य की मदद न कर सके; वैसा माहौल कोरोना के कारण पैदा हुआ। भारत के लिए तो दुनिया ने बहुत आशंकाएं जताई थीं। विश्‍व बहुत चिंतित था कि अगर कोरोना की इस महामारी में अगर भारत अपने-आप को संभाल नहीं पाया तो न सिर्फ भारत, लेकिन पूरी मानव जाति के लिए इतना बड़ा संकट आ जाएगा ये आशंकाएं सबने जताईं। कोरोड़ों लोग फंस जाएंगे, लाखों लोग मर जाएंगे।हमारे यहां भी डराने के लिए भरपूर बातें भी हुईं। और ये क्‍यों हुआ ये हमारा सवाल नहीं है, क्‍योंकि एक unknown enemy क्‍या कर सकता है, किसी को अंदाज नहीं था। हरेक ने अपने-अपने तरीके से आकलन किया था। लेकिन भारत ने अपने देश के नागरिकों की रक्षा करने के लिए एक unknown enemy से और जिसकी कोई पूर्व परम्‍परा नहीं थी कि ऐसी चीज को ऐसे डील किया जा सकता है, इसके लिए ये प्रोटोकॉल हो सकता है, कुछ पता नहीं था। + +मैं एक कोटइस सदन के सामने रखना चाहता हूं और खास करके लोकतंत्र पर जो शक उठाते हैं, भारत की मूलभूत शक्ति पर जो शक उठाते हैं, उनको तो मैं विशेष आग्रह से कहूंगा कि इसको समझने का प्रयास करें। ‘’हमारा लोकतंत्र किसी भी मायने में western institution नहीं है। ये एक human institution है। भारत का इतिहास लोकतांत्रिक संस्‍थानों के उदाहरणों से भरा पड़ा है। प्राचीन भारत में 81 गणतंत्रों का वर्णन हमें मिलता है। आज देशवासियों को भारत के राष्‍ट्रवाद पर चौरतफा हो रहे हमले से आगाह करना जरूरी है। भारत का राष्‍ट्रवाद न तो संकीर्ण है, न स्‍वार्थी है और न ही आक्रमक है। ये ‘’सत्‍यम शिवम सुंदरम’’के मूल्‍यों से प्रेरित है’’। + +आपातकाल के उन दिनों को याद कीजिए, न्‍यायपालिका का हाल क्‍या था, मीडिया का क्‍या हाल था, शासन का क्‍या हाल था। सब कुछ जेलखानें में परिवर्तित हो चुका था लेकिन इस देश का संस्‍कारी, देश का जनमन, जो लोकतंत्र की रगो से रंगा हुआ था उसको कोई हिला नहीं पाया था। मौका मिलते ही उसने लोकतंत्र का प्रभावित कर दिया। ये लोगों की ताकत, ये हमारे संस्‍कारों की ताकत है, ये लोकतांत्रिक मूल्‍यों की ताकत है मुद्दा ये नहीं है कि कौन सरकार, कौन सरकार ने बनाई उसकी चर्चा नहीं कर रहा मैं, और न ही मैं ऐसी चीजों में समय लगाने के लिए यहां आपने मुझे बिठाया है। हमें लोकतांत्रिक मूल्‍यों की रक्षा करते हुए आगे बढ़ना है। आत्‍मनिर्भर भारत के संबंध में भी चर्चा हुई। मैं हमारे साथी धर्मेंद्र प्रधान जी के बहुत ही अभ्‍यासपूर्ण और आत्‍मनिर्भर भारत की हमारी दिशा क्‍या है उसका विख्‍यात, विस्‍तृत रूप से उन्‍होंने बयान किया है।  लेकिन एक बात सही है कि आर्थिक क्षेत्र में भी आज भारत की जो एक पहुंच बन रही है। कोरोना काल में दुनिया के लोग निवेश के लिए तरस रहे हैं। सारी बातें बाहर आ गई हैं। लेकिन भारत है जहां रिकार्ड निवेश हो रहा है। सारे तथ्‍य बता रहे है कि अनेक देशों की आर्थिक स्थिति डांवाडोल है। जबकि दुनिया भारत में डबल डिजिटल ग्रोथ का अनुमान लगा रही है। एक तरफ निराशा का माहौल है, तो हिन्‍दुस्‍तान में आशा की किरण नजर आ रही है, ये दुनिया की तरफ से आवाज उठ रही है। + +आज भारत का विदेशी मुद्रा भंडार रिकार्ड स्‍तर पर है। आज भारत में अन्‍न उत्‍पादन रिकार्ड स्‍तर पर है। भारत आज दुनिया में दूसरा बड़ा देश है जहां पर इंटरनेट यूजर है। भारत में आज हर महीने 4 लाख करोड़ रुपये का लेन‍देन डिजिटल हो रहा है, यूपीआई के माध्‍यम से हो रहा है। याद कीजिए, इसी सदन के भाषण में सुन रहा था… दो साल, तीन साल पहले… लोगों के पास मोबाइल कहां है, ठिकना कहां है, लोग डिजिटल कैसे करेंगे, ये देश की ताकत देखिए… हर महीने 4 लाख करोड़ रुपये भारत मोबाइल फोन के निर्माता के रूप में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश बना है। भारत में रिकार्ड संख्‍या में स्‍टार्टअपस, यूनीकॉर्न और जिसका विश्‍व में जय-जयकार होने लगा है। इसी धरती पर हमारी युवा पीढ़ी कर रही है।  Renewal Energy के क्षेत्र में विश्‍व के पहले पांच देशों में हमनें अपनी जगह बना ली है और आने वाले दिनों में हम ऊपर ही चढ़ के जाने वाले हैं। जल हो, थल हो, नभ हो, अंतरिक्ष हो….भारत हर क्षेत्र में अपनी रक्षा के लिए, अपने सामर्थ्‍य के साथ खड़ा है। सर्जिक्‍ल स्‍ट्राइक हो या air स्‍ट्राइक भारत की capability को दुनिया ने देखा है।         + +आज 2 हेक्‍टेयर से कम कितने किसान होंगे जो बैंक से लोन लेंगे… सिंचाई की सुविधा भी छोटे किसान के नसीब में नहीं है, बड़े किसान तो बड़ा-बड़ा पंप लगा देते थे, ट्यूबवेल कर देते थे, बिजली भी ले लेते थे, और बिजली मुफ्त मिल जाती थी, उनका काम चल जाता था। छोटे किसान के लिए तो सिंचाई के लिए भी दिक्‍कत थी। वो तो ट्यूबवेल लगा ही नहीं सकता था कभी-कभी तो उसको बड़े किसान से पानी खरीदना पड़ता था और जो दाम मांगे वो दाम देना पड़ता था। यूरिया…. बड़े किसान को यूरिया प्राप्‍त करने में कोई प्राबल्‍म नहीं था। छोटा किसान को रात-रात लाइन में खड़ा रहना पड़ता था। उसमें डंडे चलते थे और कभी-कभी तो बेचारा यूरिया के बिना घर वापस लौट जाता था। हम छोटे किसानों के हाल जानते हैं… 2014 के बाद हमनें कुछ परिवर्तन किए, हमनें फसल बीमा योजना का दायरा बढ़ा दिया ताकि किसान…छोटा किसान भी उसका फायदा ले सके और बहुत मामली रकम से ये काम शुरू किया और पिछले 4-5 साल में फसल बीमा योजना के तहत 90 हजार करोड़ रुपये उसके क्‍लेम किसानों को मिले हैं। कर्जमाफी से भी आंकड़ा बड़ा हो जाता है जी। + +हम कुछ बातों की और भी ध्‍यान दें अब देखिए… दूध उत्‍पादन… किन्हीं बंधनों में बंधा हुआ नहीं है। ना पशुपालक बंधनों में बंध हुआ है ना दूध बंधनों में बंधा हुआ है लेकिन मजा देखिए.. दूध के क्षेत्र में या तो प्राइवेट या को-ऑपरेटिव दोनों ने एक ऐसी मिलकर मजबूत चेन बनाई है दोनों मिलकर के इस काम को कर रहे हैं। और एक बेहतरीन सप्‍लाई चेन हमारे देश में बनी है। इसको हमने और जो अच्‍छा है उसकों हमने…..और ये मेरे काल में नहीं बना है। आप इस पर गर्व कर सकते हैं मेरे काम से पहले बना हुआ है। हमें गर्व करना चाहिए। फल सब्‍जी से जुड़े व्‍यवसाय में ज्‍यादातर बाजारों को सीधा संपर्क रहता है बाजारों में दखल हट गई है, इसका लाभ मिल रहा है। क्‍या डेयरी वाले सफल सब्‍जी खरीदने वाले उद्यमी, पशुपालको या  किसान की जमीन पर कब्‍जा हो जाता है उन के पशुओं पर कब्‍जा हो जाता है, नहीं होता है। दूध बिकता है, पशु नहीं बिकता है जी, हमारे देश में डेयरी उद्योग का योगदान है, कृषि अर्थव्‍यवस्‍था के कुल मूल्‍य में 28 प्रतिशत से भी ज्‍यादा है। यानी इतना बड़ा हम एग्रीकल्‍चर की चर्चाएं करते हैं, इस पहलू को हम भूल जाते हैं। 28 प्रतिशत contribution है। और करीब-करीब आठ लाख करोड़ों रुपयों का कारोबार है। जितने रुपये का दूध होता है उसका मूल्‍य अनाज और दाल दोनों मिला दें तो उसका ज्‍यादा है। हम कभी इस subject पर देखते ही नहीं हैं। पशुपालकों को पूरी आजादी, अनाज और दाल पैदा करने वाले छोटे और सीमांत किसानों को…. जैसे पशुपालक को आजादी मिली है, इनको आजादी क्यों नहीं मिलनी चाहिए? अब इन सवालों के जवाब हम ढूंढेगे तो हम सही रास्‍ते पर चलेगें। + +डेयरी और पशुपालन हमारे कृषि क्षेत्र के साथ बढ़ावा देने की जरूरत है ताकि हमारा किसान परिपक्‍व हो इसी प्रकार इसी हमने foot and mounth disease के लिए एक बहुत बड़ा अभियान चलाया जो पशुपालक, किसान को जो किसानी से जुड़ा हुआ रहता है उसको भी लाभ होगा। हमनें fisheries को भी एक अलग बल दिया, अलग Ministries बनाई और 20 हजार करोड़ रुपये मत्‍स्‍य संपदा योजना के लिए लगाया है। ताकि ये पूरे क्षेत्र को एक नया बल मिले। sweet revolution में बहुत संभावना है और इसलिएभारत ने उसके लिए बहुत जमीन की जरूरत नहीं है अपने ही खेत के कोने में वो कर दे तो भी साल में 40-50 हजार, लाख रुपया, दो लाख रुपया कमा लेगा वो। और इसलिए हम sweet शहद के लिए हनी के लिए, उसी प्रकार से bee wax दुनिया में bee wax की मांग है। भारत bee wax exportकर सकता है। हमने उसके लिए माहौल बनाया और किसान के खेत में ही छोटी किसान होगा तो वो एक नई कमाई कर सकता है, हमें उसको जोड़ना होगा। और मधुमक्‍खी पालन के लिए सैंकड़ों एकड़ जमीन की जरूरत नहीं है। वो आराम से अपने यहां कर सकता है। सोलर पंप… सोलर हम कहते हैं अन्‍नदाता ऊर्जादाता बने उसके खेत में ही सोलर सिस्‍टम से ऊर्जा पैदा करे, सोलर पंप चलाए अपनी पानी की आवश्‍यकता को पूरी करे। उसके खर्च को, बोझ को कम करे। और फसल एक लेता है तो दो ले, दो लेता है तो तीन ले। थोड़ा पैटर्न में बदल करना है तो बदल कर सके। इस दिशा में हम जा सकते हैं। और एक बात है, भारत की ताकत ऐसी समस्‍याओं के समाधान के समाधान करने की और नए रास्‍ते खोजने की रही है, आगे भी खुलेंगे। लेकिन कुछ लोग हैं जो भारत अस्थिर रहे, अशांत रहे, इसकी लगातार कोशिशें कर रहे हैं। हमें इन लोगों को जानना होगा। + +जम्‍मू-कश्‍मीर आत्‍मनिर्भर बनेगा, उस दिशा में हमारा- वहां पंचायत के चुनाव हुए, बीडीसी के चुनाव हुए, डीडीसी के चुनाव हुए, और उन सबकी सराहना गुलाम नबी जी ने की है। इस प्रशंसा के लिए मैं आपका बहुत आभारी हूं। लेकिन मुझे डर लगता है, आपने प्रशंसा की। मुझे विश्‍वास है कि आपकी पार्टी वाले इसको उचित spirit मेंलेंगे,गलती से जी-23 की राय मान करके कहीं उलटा न कर दें। + +कोरोना के चुनौतीपूर्ण दौर में सीमा पर भी चुनौती देने की कोशिश हुई। हमारे वीर जवानों के हौसले और कुशलता ने सटीक जवाब दिया है। हर हिन्‍दुस्‍तानी को इस बात पर गर्व है। मुश्किल परिस्थितियों में भी हमारे जवान डट करके खड़े रहे हैं। तमाम साथियों ने भी हमारे जवानों के शौर्य की सराहना की है, मैं उनका आभारी हूं। एलएसी पर जो स्थिति बनी है उस पर भारत का रुख बहुत स्‍पष्‍ट है और देश इसको भलीभांति देख भी रहा है और गर्व भी कर रहा है।Border Infrastructure और Border Security को लेकर हमारी प्रतिबद्धता में किसी प्रकार की ढील आने का सवाल ही नहीं होता है,गुंजाइश ही नहीं है, और जो लोग हमारा लालन-पालन और हमारे विचारों का को, हमारे उद्देश्य को देखते हैं वो कभी इस विषय में हमसे सवाल ही नहीं करेंगे, उनको मालूम है हम इसके लिए डटे हुए रहने वाले लोग हैं। और इसलिए हम इन विषयों में कहीं पर भी पीछे नहीं हैं। + +मैं एक कोटइस सदन के सामने रखना चाहता हूं और खास करके लोकतंत्र पर जो शक उठाते हैं, भारत की मूलभूत शक्ति पर जो शक उठाते हैं, उनको तो मैं विशेष आग्रह से कहूंगा कि इसको समझने का प्रयास करें। ‘’हमारा लोकतंत्र किसी भी मायने में western institution नहीं है। ये एक human institution है। भारत का इतिहास लोकतांत्रिक संस्‍थानों के उदाहरणों से भरा पड़ा है। प्राचीन भारत में 81 गणतंत्रों का वर्णन हमें मिलता है। आज देशवासियों को भारत के राष्‍ट्रवाद पर चौरतफा हो रहे हमले से आगाह करना जरूरी है। भारत का राष्‍ट्रवाद न तो संकीर्ण है, न स्‍वार्थी है और न ही आक्रमक है। ये ‘’सत्‍यम शिवम सुंदरम’’के मूल्‍यों से प्रेरित है’’। + +आपातकाल के उन दिनों को याद कीजिए, न्‍यायपालिका का हाल क्‍या था, मीडिया का क्‍या हाल था, शासन का क्‍या हाल था। सब कुछ जेलखानें में परिवर्तित हो चुका था लेकिन इस देश का संस्‍कारी, देश का जनमन, जो लोकतंत्र की रगो से रंगा हुआ था उसको कोई हिला नहीं पाया था। मौका मिलते ही उसने लोकतंत्र का प्रभावित कर दिया। ये लोगों की ताकत, ये हमारे संस्‍कारों की ताकत है, ये लोकतांत्रिक मूल्‍यों की ताकत है मुद्दा ये नहीं है कि कौन सरकार, कौन सरकार ने बनाई उसकी चर्चा नहीं कर रहा मैं, और न ही मैं ऐसी चीजों में समय लगाने के लिए यहां आपने मुझे बिठाया है। हमें लोकतांत्रिक मूल्‍यों की रक्षा करते हुए आगे बढ़ना है। आत्‍मनिर्भर भारत के संबंध में भी चर्चा हुई। मैं हमारे साथी धर्मेंद्र प्रधान जी के बहुत ही अभ्‍यासपूर्ण और आत्‍मनिर्भर भारत की हमारी दिशा क्‍या है उसका विख्‍यात, विस्‍तृत रूप से उन्‍होंने बयान किया है।  लेकिन एक बात सही है कि आर्थिक क्षेत्र में भी आज भारत की जो एक पहुंच बन रही है। कोरोना काल में दुनिया के लोग निवेश के लिए तरस रहे हैं। सारी बातें बाहर आ गई हैं। लेकिन भारत है जहां रिकार्ड निवेश हो रहा है। सारे तथ्‍य बता रहे है कि अनेक देशों की आर्थिक स्थिति डांवाडोल है। जबकि दुनिया भारत में डबल डिजिटल ग्रोथ का अनुमान लगा रही है। एक तरफ निराशा का माहौल है, तो हिन्‍दुस्‍तान में आशा की किरण नजर आ रही है, ये दुनिया की तरफ से आवाज उठ रही है। + +आज भारत का विदेशी मुद्रा भंडार रिकार्ड स्‍तर पर है। आज भारत में अन्‍न उत्‍पादन रिकार्ड स्‍तर पर है। भारत आज दुनिया में दूसरा बड़ा देश है जहां पर इंटरनेट यूजर है। भारत में आज हर महीने 4 लाख करोड़ रुपये का लेन‍देन डिजिटल हो रहा है, यूपीआई के माध्‍यम से हो रहा है। याद कीजिए, इसी सदन के भाषण में सुन रहा था… दो साल, तीन साल पहले… लोगों के पास मोबाइल कहां है, ठिकना कहां है, लोग डिजिटल कैसे करेंगे, ये देश की ताकत देखिए… हर महीने 4 लाख करोड़ रुपये भारत मोबाइल फोन के निर्माता के रूप में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश बना है। भारत में रिकार्ड संख्‍या में स्‍टार्टअपस, यूनीकॉर्न और जिसका विश्‍व में जय-जयकार होने लगा है। इसी धरती पर हमारी युवा पीढ़ी कर रही है।  Renewal Energy के क्षेत्र में विश्‍व के पहले पांच देशों में हमनें अपनी जगह बना ली है और आने वाले दिनों में हम ऊपर ही चढ़ के जाने वाले हैं। जल हो, थल हो, नभ हो, अंतरिक्ष हो….भारत हर क्षेत्र में अपनी रक्षा के लिए, अपने सामर्थ्‍य के साथ खड़ा है। सर्जिक्‍ल स्‍ट्राइक हो या air स्‍ट्राइक भारत की capability को दुनिया ने देखा है।         + +आज 2 हेक्‍टेयर से कम कितने किसान होंगे जो बैंक से लोन लेंगे… सिंचाई की सुविधा भी छोटे किसान के नसीब में नहीं है, बड़े किसान तो बड़ा-बड़ा पंप लगा देते थे, ट्यूबवेल कर देते थे, बिजली भी ले लेते थे, और बिजली मुफ्त मिल जाती थी, उनका काम चल जाता था। छोटे किसान के लिए तो सिंचाई के लिए भी दिक्‍कत थी। वो तो ट्यूबवेल लगा ही नहीं सकता था कभी-कभी तो उसको बड़े किसान से पानी खरीदना पड़ता था और जो दाम मांगे वो दाम देना पड़ता था। यूरिया…. बड़े किसान को यूरिया प्राप्‍त करने में कोई प्राबल्‍म नहीं था। छोटा किसान को रात-रात लाइन में खड़ा रहना पड़ता था। उसमें डंडे चलते थे और कभी-कभी तो बेचारा यूरिया के बिना घर वापस लौट जाता था। हम छोटे किसानों के हाल जानते हैं… 2014 के बाद हमनें कुछ परिवर्तन किए, हमनें फसल बीमा योजना का दायरा बढ़ा दिया ताकि किसान…छोटा किसान भी उसका फायदा ले सके और बहुत मामली रकम से ये काम शुरू किया और पिछले 4-5 साल में फसल बीमा योजना के तहत 90 हजार करोड़ रुपये उसके क्‍लेम किसानों को मिले हैं। कर्जमाफी से भी आंकड़ा बड़ा हो जाता है जी। + +हम कुछ बातों की और भी ध्‍यान दें अब देखिए… दूध उत्‍पादन… किन्हीं बंधनों में बंधा हुआ नहीं है। ना पशुपालक बंधनों में बंध हुआ है ना दूध बंधनों में बंधा हुआ है लेकिन मजा देखिए.. दूध के क्षेत्र में या तो प्राइवेट या को-ऑपरेटिव दोनों ने एक ऐसी मिलकर मजबूत चेन बनाई है दोनों मिलकर के इस काम को कर रहे हैं। और एक बेहतरीन सप्‍लाई चेन हमारे देश में बनी है। इसको हमने और जो अच्‍छा है उसकों हमने…..और ये मेरे काल में नहीं बना है। आप इस पर गर्व कर सकते हैं मेरे काम से पहले बना हुआ है। हमें गर्व करना चाहिए। फल सब्‍जी से जुड़े व्‍यवसाय में ज्‍यादातर बाजारों को सीधा संपर्क रहता है बाजारों में दखल हट गई है, इसका लाभ मिल रहा है। क्‍या डेयरी वाले सफल सब्‍जी खरीदने वाले उद्यमी, पशुपालको या  किसान की जमीन पर कब्‍जा हो जाता है उन के पशुओं पर कब्‍जा हो जाता है, नहीं होता है। दूध बिकता है, पशु नहीं बिकता है जी, हमारे देश में डेयरी उद्योग का योगदान है, कृषि अर्थव्‍यवस्‍था के कुल मूल्‍य में 28 प्रतिशत से भी ज्‍यादा है। यानी इतना बड़ा हम एग्रीकल्‍चर की चर्चाएं करते हैं, इस पहलू को हम भूल जाते हैं। 28 प्रतिशत contribution है। और करीब-करीब आठ लाख करोड़ों रुपयों का कारोबार है। जितने रुपये का दूध होता है उसका मूल्‍य अनाज और दाल दोनों मिला दें तो उसका ज्‍यादा है। हम कभी इस subject पर देखते ही नहीं हैं। पशुपालकों को पूरी आजादी, अनाज और दाल पैदा करने वाले छोटे और सीमांत किसानों को…. जैसे पशुपालक को आजादी मिली है, इनको आजादी क्यों नहीं मिलनी चाहिए? अब इन सवालों के जवाब हम ढूंढेगे तो हम सही रास्‍ते पर चलेगें। + +डेयरी और पशुपालन हमारे कृषि क्षेत्र के साथ बढ़ावा देने की जरूरत है ताकि हमारा किसान परिपक्‍व हो इसी प्रकार इसी हमने foot and mounth disease के लिए एक बहुत बड़ा अभियान चलाया जो पशुपालक, किसान को जो किसानी से जुड़ा हुआ रहता है उसको भी लाभ होगा। हमनें fisheries को भी एक अलग बल दिया, अलग Ministries बनाई और 20 हजार करोड़ रुपये मत्‍स्‍य संपदा योजना के लिए लगाया है। ताकि ये पूरे क्षेत्र को एक नया बल मिले। sweet revolution में बहुत संभावना है और इसलिएभारत ने उसके लिए बहुत जमीन की जरूरत नहीं है अपने ही खेत के कोने में वो कर दे तो भी साल में 40-50 हजार, लाख रुपया, दो लाख रुपया कमा लेगा वो। और इसलिए हम sweet शहद के लिए हनी के लिए, उसी प्रकार से bee wax दुनिया में bee wax की मांग है। भारत bee wax exportकर सकता है। हमने उसके लिए माहौल बनाया और किसान के खेत में ही छोटी किसान होगा तो वो एक नई कमाई कर सकता है, हमें उसको जोड़ना होगा। और मधुमक्‍खी पालन के लिए सैंकड़ों एकड़ जमीन की जरूरत नहीं है। वो आराम से अपने यहां कर सकता है। सोलर पंप… सोलर हम कहते हैं अन्‍नदाता ऊर्जादाता बने उसके खेत में ही सोलर सिस्‍टम से ऊर्जा पैदा करे, सोलर पंप चलाए अपनी पानी की आवश्‍यकता को पूरी करे। उसके खर्च को, बोझ को कम करे। और फसल एक लेता है तो दो ले, दो लेता है तो तीन ले। थोड़ा पैटर्न में बदल करना है तो बदल कर सके। इस दिशा में हम जा सकते हैं। और एक बात है, भारत की ताकत ऐसी समस्‍याओं के समाधान के समाधान करने की और नए रास्‍ते खोजने की रही है, आगे भी खुलेंगे। लेकिन कुछ लोग हैं जो भारत अस्थिर रहे, अशांत रहे, इसकी लगातार कोशिशें कर रहे हैं। हमें इन लोगों को जानना होगा। + +जम्‍मू-कश्‍मीर आत्‍मनिर्भर बनेगा, उस दिशा में हमारा- वहां पंचायत के चुनाव हुए, बीडीसी के चुनाव हुए, डीडीसी के चुनाव हुए, और उन सबकी सराहना गुलाम नबी जी ने की है। इस प्रशंसा के लिए मैं आपका बहुत आभारी हूं। लेकिन मुझे डर लगता है, आपने प्रशंसा की। मुझे विश्‍वास है कि आपकी पार्टी वाले इसको उचित spirit मेंलेंगे,गलती से जी-23 की राय मान करके कहीं उलटा न कर दें। + +कोरोना के चुनौतीपूर्ण दौर में सीमा पर भी चुनौती देने की कोशिश हुई। हमारे वीर जवानों के हौसले और कुशलता ने सटीक जवाब दिया है। हर हिन्‍दुस्‍तानी को इस बात पर गर्व है। मुश्किल परिस्थितियों में भी हमारे जवान डट करके खड़े रहे हैं। तमाम साथियों ने भी हमारे जवानों के शौर्य की सराहना की है, मैं उनका आभारी हूं। एलएसी पर जो स्थिति बनी है उस पर भारत का रुख बहुत स्‍पष्‍ट है और देश इसको भलीभांति देख भी रहा है और गर्व भी कर रहा है।Border Infrastructure और Border Security को लेकर हमारी प्रतिबद्धता में किसी प्रकार की ढील आने का सवाल ही नहीं होता है,गुंजाइश ही नहीं है, और जो लोग हमारा लालन-पालन और हमारे विचारों का को, हमारे उद्देश्य को देखते हैं वो कभी इस विषय में हमसे सवाल ही नहीं करेंगे, उनको मालूम है हम इसके लिए डटे हुए रहने वाले लोग हैं। और इसलिए हम इन विषयों में कहीं पर भी पीछे नहीं हैं। + +मैं एक कोटइस सदन के सामने रखना चाहता हूं और खास करके लोकतंत्र पर जो शक उठाते हैं, भारत की मूलभूत शक्ति पर जो शक उठाते हैं, उनको तो मैं विशेष आग्रह से कहूंगा कि इसको समझने का प्रयास करें। ‘’हमारा लोकतंत्र किसी भी मायने में western institution नहीं है। ये एक human institution है। भारत का इतिहास लोकतांत्रिक संस्‍थानों के उदाहरणों से भरा पड़ा है। प्राचीन भारत में 81 गणतंत्रों का वर्णन हमें मिलता है। आज देशवासियों को भारत के राष्‍ट्रवाद पर चौरतफा हो रहे हमले से आगाह करना जरूरी है। भारत का राष्‍ट्रवाद न तो संकीर्ण है, न स्‍वार्थी है और न ही आक्रमक है। ये ‘’सत्‍यम शिवम सुंदरम’’के मूल्‍यों से प्रेरित है’’। + +आपातकाल के उन दिनों को याद कीजिए, न्‍यायपालिका का हाल क्‍या था, मीडिया का क्‍या हाल था, शासन का क्‍या हाल था। सब कुछ जेलखानें में परिवर्तित हो चुका था लेकिन इस देश का संस्‍कारी, देश का जनमन, जो लोकतंत्र की रगो से रंगा हुआ था उसको कोई हिला नहीं पाया था। मौका मिलते ही उसने लोकतंत्र का प्रभावित कर दिया। ये लोगों की ताकत, ये हमारे संस्‍कारों की ताकत है, ये लोकतांत्रिक मूल्‍यों की ताकत है मुद्दा ये नहीं है कि कौन सरकार, कौन सरकार ने बनाई उसकी चर्चा नहीं कर रहा मैं, और न ही मैं ऐसी चीजों में समय लगाने के लिए यहां आपने मुझे बिठाया है। हमें लोकतांत्रिक मूल्‍यों की रक्षा करते हुए आगे बढ़ना है। आत्‍मनिर्भर भारत के संबंध में भी चर्चा हुई। मैं हमारे साथी धर्मेंद्र प्रधान जी के बहुत ही अभ्‍यासपूर्ण और आत्‍मनिर्भर भारत की हमारी दिशा क्‍या है उसका विख्‍यात, विस्‍तृत रूप से उन्‍होंने बयान किया है।  लेकिन एक बात सही है कि आर्थिक क्षेत्र में भी आज भारत की जो एक पहुंच बन रही है। कोरोना काल में दुनिया के लोग निवेश के लिए तरस रहे हैं। सारी बातें बाहर आ गई हैं। लेकिन भारत है जहां रिकार्ड निवेश हो रहा है। सारे तथ्‍य बता रहे है कि अनेक देशों की आर्थिक स्थिति डांवाडोल है। जबकि दुनिया भारत में डबल डिजिटल ग्रोथ का अनुमान लगा रही है। एक तरफ निराशा का माहौल है, तो हिन्‍दुस्‍तान में आशा की किरण नजर आ रही है, ये दुनिया की तरफ से आवाज उठ रही है। + +आज भारत का विदेशी मुद्रा भंडार रिकार्ड स्‍तर पर है। आज भारत में अन्‍न उत्‍पादन रिकार्ड स्‍तर पर है। भारत आज दुनिया में दूसरा बड़ा देश है जहां पर इंटरनेट यूजर है। भारत में आज हर महीने 4 लाख करोड़ रुपये का लेन‍देन डिजिटल हो रहा है, यूपीआई के माध्‍यम से हो रहा है। याद कीजिए, इसी सदन के भाषण में सुन रहा था… दो साल, तीन साल पहले… लोगों के पास मोबाइल कहां है, ठिकना कहां है, लोग डिजिटल कैसे करेंगे, ये देश की ताकत देखिए… हर महीने 4 लाख करोड़ रुपये भारत मोबाइल फोन के निर्माता के रूप में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश बना है। भारत में रिकार्ड संख्‍या में स्‍टार्टअपस, यूनीकॉर्न और जिसका विश्‍व में जय-जयकार होने लगा है। इसी धरती पर हमारी युवा पीढ़ी कर रही है।  Renewal Energy के क्षेत्र में विश्‍व के पहले पांच देशों में हमनें अपनी जगह बना ली है और आने वाले दिनों में हम ऊपर ही चढ़ के जाने वाले हैं। जल हो, थल हो, नभ हो, अंतरिक्ष हो….भारत हर क्षेत्र में अपनी रक्षा के लिए, अपने सामर्थ्‍य के साथ खड़ा है। सर्जिक्‍ल स्‍ट्राइक हो या air स्‍ट्राइक भारत की capability को दुनिया ने देखा है।         + +आज 2 हेक्‍टेयर से कम कितने किसान होंगे जो बैंक से लोन लेंगे… सिंचाई की सुविधा भी छोटे किसान के नसीब में नहीं है, बड़े किसान तो बड़ा-बड़ा पंप लगा देते थे, ट्यूबवेल कर देते थे, बिजली भी ले लेते थे, और बिजली मुफ्त मिल जाती थी, उनका काम चल जाता था। छोटे किसान के लिए तो सिंचाई के लिए भी दिक्‍कत थी। वो तो ट्यूबवेल लगा ही नहीं सकता था कभी-कभी तो उसको बड़े किसान से पानी खरीदना पड़ता था और जो दाम मांगे वो दाम देना पड़ता था। यूरिया…. बड़े किसान को यूरिया प्राप्‍त करने में कोई प्राबल्‍म नहीं था। छोटा किसान को रात-रात लाइन में खड़ा रहना पड़ता था। उसमें डंडे चलते थे और कभी-कभी तो बेचारा यूरिया के बिना घर वापस लौट जाता था। हम छोटे किसानों के हाल जानते हैं… 2014 के बाद हमनें कुछ परिवर्तन किए, हमनें फसल बीमा योजना का दायरा बढ़ा दिया ताकि किसान…छोटा किसान भी उसका फायदा ले सके और बहुत मामली रकम से ये काम शुरू किया और पिछले 4-5 साल में फसल बीमा योजना के तहत 90 हजार करोड़ रुपये उसके क्‍लेम किसानों को मिले हैं। कर्जमाफी से भी आंकड़ा बड़ा हो जाता है जी। + +हम कुछ बातों की और भी ध्‍यान दें अब देखिए… दूध उत्‍पादन… किन्हीं बंधनों में बंधा हुआ नहीं है। ना पशुपालक बंधनों में बंध हुआ है ना दूध बंधनों में बंधा हुआ है लेकिन मजा देखिए.. दूध के क्षेत्र में या तो प्राइवेट या को-ऑपरेटिव दोनों ने एक ऐसी मिलकर मजबूत चेन बनाई है दोनों मिलकर के इस काम को कर रहे हैं। और एक बेहतरीन सप्‍लाई चेन हमारे देश में बनी है। इसको हमने और जो अच्‍छा है उसकों हमने…..और ये मेरे काल में नहीं बना है। आप इस पर गर्व कर सकते हैं मेरे काम से पहले बना हुआ है। हमें गर्व करना चाहिए। फल सब्‍जी से जुड़े व्‍यवसाय में ज्‍यादातर बाजारों को सीधा संपर्क रहता है बाजारों में दखल हट गई है, इसका लाभ मिल रहा है। क्‍या डेयरी वाले सफल सब्‍जी खरीदने वाले उद्यमी, पशुपालको या  किसान की जमीन पर कब्‍जा हो जाता है उन के पशुओं पर कब्‍जा हो जाता है, नहीं होता है। दूध बिकता है, पशु नहीं बिकता है जी, हमारे देश में डेयरी उद्योग का योगदान है, कृषि अर्थव्‍यवस्‍था के कुल मूल्‍य में 28 प्रतिशत से भी ज्‍यादा है। यानी इतना बड़ा हम एग्रीकल्‍चर की चर्चाएं करते हैं, इस पहलू को हम भूल जाते हैं। 28 प्रतिशत contribution है। और करीब-करीब आठ लाख करोड़ों रुपयों का कारोबार है। जितने रुपये का दूध होता है उसका मूल्‍य अनाज और दाल दोनों मिला दें तो उसका ज्‍यादा है। हम कभी इस subject पर देखते ही नहीं हैं। पशुपालकों को पूरी आजादी, अनाज और दाल पैदा करने वाले छोटे और सीमांत किसानों को…. जैसे पशुपालक को आजादी मिली है, इनको आजादी क्यों नहीं मिलनी चाहिए? अब इन सवालों के जवाब हम ढूंढेगे तो हम सही रास्‍ते पर चलेगें। + +डेयरी और पशुपालन हमारे कृषि क्षेत्र के साथ बढ़ावा देने की जरूरत है ताकि हमारा किसान परिपक्‍व हो इसी प्रकार इसी हमने foot and mounth disease के लिए एक बहुत बड़ा अभियान चलाया जो पशुपालक, किसान को जो किसानी से जुड़ा हुआ रहता है उसको भी लाभ होगा। हमनें fisheries को भी एक अलग बल दिया, अलग Ministries बनाई और 20 हजार करोड़ रुपये मत्‍स्‍य संपदा योजना के लिए लगाया है। ताकि ये पूरे क्षेत्र को एक नया बल मिले। sweet revolution में बहुत संभावना है और इसलिएभारत ने उसके लिए बहुत जमीन की जरूरत नहीं है अपने ही खेत के कोने में वो कर दे तो भी साल में 40-50 हजार, लाख रुपया, दो लाख रुपया कमा लेगा वो। और इसलिए हम sweet शहद के लिए हनी के लिए, उसी प्रकार से bee wax दुनिया में bee wax की मांग है। भारत bee wax exportकर सकता है। हमने उसके लिए माहौल बनाया और किसान के खेत में ही छोटी किसान होगा तो वो एक नई कमाई कर सकता है, हमें उसको जोड़ना होगा। और मधुमक्‍खी पालन के लिए सैंकड़ों एकड़ जमीन की जरूरत नहीं है। वो आराम से अपने यहां कर सकता है। सोलर पंप… सोलर हम कहते हैं अन्‍नदाता ऊर्जादाता बने उसके खेत में ही सोलर सिस्‍टम से ऊर्जा पैदा करे, सोलर पंप चलाए अपनी पानी की आवश्‍यकता को पूरी करे। उसके खर्च को, बोझ को कम करे। और फसल एक लेता है तो दो ले, दो लेता है तो तीन ले। थोड़ा पैटर्न में बदल करना है तो बदल कर सके। इस दिशा में हम जा सकते हैं। और एक बात है, भारत की ताकत ऐसी समस्‍याओं के समाधान के समाधान करने की और नए रास्‍ते खोजने की रही है, आगे भी खुलेंगे। लेकिन कुछ लोग हैं जो भारत अस्थिर रहे, अशांत रहे, इसकी लगातार कोशिशें कर रहे हैं। हमें इन लोगों को जानना होगा। + +जम्‍मू-कश्‍मीर आत्‍मनिर्भर बनेगा, उस दिशा में हमारा- वहां पंचायत के चुनाव हुए, बीडीसी के चुनाव हुए, डीडीसी के चुनाव हुए, और उन सबकी सराहना गुलाम नबी जी ने की है। इस प्रशंसा के लिए मैं आपका बहुत आभारी हूं। लेकिन मुझे डर लगता है, आपने प्रशंसा की। मुझे विश्‍वास है कि आपकी पार्टी वाले इसको उचित spirit मेंलेंगे,गलती से जी-23 की राय मान करके कहीं उलटा न कर दें। + +कोरोना के चुनौतीपूर्ण दौर में सीमा पर भी चुनौती देने की कोशिश हुई। हमारे वीर जवानों के हौसले और कुशलता ने सटीक जवाब दिया है। हर हिन्‍दुस्‍तानी को इस बात पर गर्व है। मुश्किल परिस्थितियों में भी हमारे जवान डट करके खड़े रहे हैं। तमाम साथियों ने भी हमारे जवानों के शौर्य की सराहना की है, मैं उनका आभारी हूं। एलएसी पर जो स्थिति बनी है उस पर भारत का रुख बहुत स्‍पष्‍ट है और देश इसको भलीभांति देख भी रहा है और गर्व भी कर रहा है।Border Infrastructure और Border Security को लेकर हमारी प्रतिबद्धता में किसी प्रकार की ढील आने का सवाल ही नहीं होता है,गुंजाइश ही नहीं है, और जो लोग हमारा लालन-पालन और हमारे विचारों का को, हमारे उद्देश्य को देखते हैं वो कभी इस विषय में हमसे सवाल ही नहीं करेंगे, उनको मालूम है हम इसके लिए डटे हुए रहने वाले लोग हैं। और इसलिए हम इन विषयों में कहीं पर भी पीछे नहीं हैं। + +मैं एक कोटइस सदन के सामने रखना चाहता हूं और खास करके लोकतंत्र पर जो शक उठाते हैं, भारत की मूलभूत शक्ति पर जो शक उठाते हैं, उनको तो मैं विशेष आग्रह से कहूंगा कि इसको समझने का प्रयास करें। ‘’हमारा लोकतंत्र किसी भी मायने में western institution नहीं है। ये एक human institution है। भारत का इतिहास लोकतांत्रिक संस्‍थानों के उदाहरणों से भरा पड़ा है। प्राचीन भारत में 81 गणतंत्रों का वर्णन हमें मिलता है। आज देशवासियों को भारत के राष्‍ट्रवाद पर चौरतफा हो रहे हमले से आगाह करना जरूरी है। भारत का राष्‍ट्रवाद न तो संकीर्ण है, न स्‍वार्थी है और न ही आक्रमक है। ये ‘’सत्‍यम शिवम सुंदरम’’के मूल्‍यों से प्रेरित है’’। + +आपातकाल के उन दिनों को याद कीजिए, न्‍यायपालिका का हाल क्‍या था, मीडिया का क्‍या हाल था, शासन का क्‍या हाल था। सब कुछ जेलखानें में परिवर्तित हो चुका था लेकिन इस देश का संस्‍कारी, देश का जनमन, जो लोकतंत्र की रगो से रंगा हुआ था उसको कोई हिला नहीं पाया था। मौका मिलते ही उसने लोकतंत्र का प्रभावित कर दिया। ये लोगों की ताकत, ये हमारे संस्‍कारों की ताकत है, ये लोकतांत्रिक मूल्‍यों की ताकत है मुद्दा ये नहीं है कि कौन सरकार, कौन सरकार ने बनाई उसकी चर्चा नहीं कर रहा मैं, और न ही मैं ऐसी चीजों में समय लगाने के लिए यहां आपने मुझे बिठाया है। हमें लोकतांत्रिक मूल्‍यों की रक्षा करते हुए आगे बढ़ना है। आत्‍मनिर्भर भारत के संबंध में भी चर्चा हुई। मैं हमारे साथी धर्मेंद्र प्रधान जी के बहुत ही अभ्‍यासपूर्ण और आत्‍मनिर्भर भारत की हमारी दिशा क्‍या है उसका विख्‍यात, विस्‍तृत रूप से उन्‍होंने बयान किया है।  लेकिन एक बात सही है कि आर्थिक क्षेत्र में भी आज भारत की जो एक पहुंच बन रही है। कोरोना काल में दुनिया के लोग निवेश के लिए तरस रहे हैं। सारी बातें बाहर आ गई हैं। लेकिन भारत है जहां रिकार्ड निवेश हो रहा है। सारे तथ्‍य बता रहे है कि अनेक देशों की आर्थिक स्थिति डांवाडोल है। जबकि दुनिया भारत में डबल डिजिटल ग्रोथ का अनुमान लगा रही है। एक तरफ निराशा का माहौल है, तो हिन्‍दुस्‍तान में आशा की किरण नजर आ रही है, ये दुनिया की तरफ से आवाज उठ रही है। + +आज भारत का विदेशी मुद्रा भंडार रिकार्ड स्‍तर पर है। आज भारत में अन्‍न उत्‍पादन रिकार्ड स्‍तर पर है। भारत आज दुनिया में दूसरा बड़ा देश है जहां पर इंटरनेट यूजर है। भारत में आज हर महीने 4 लाख करोड़ रुपये का लेन‍देन डिजिटल हो रहा है, यूपीआई के माध्‍यम से हो रहा है। याद कीजिए, इसी सदन के भाषण में सुन रहा था… दो साल, तीन साल पहले… लोगों के पास मोबाइल कहां है, ठिकना कहां है, लोग डिजिटल कैसे करेंगे, ये देश की ताकत देखिए… हर महीने 4 लाख करोड़ रुपये भारत मोबाइल फोन के निर्माता के रूप में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश बना है। भारत में रिकार्ड संख्‍या में स्‍टार्टअपस, यूनीकॉर्न और जिसका विश्‍व में जय-जयकार होने लगा है। इसी धरती पर हमारी युवा पीढ़ी कर रही है।  Renewal Energy के क्षेत्र में विश्‍व के पहले पांच देशों में हमनें अपनी जगह बना ली है और आने वाले दिनों में हम ऊपर ही चढ़ के जाने वाले हैं। जल हो, थल हो, नभ हो, अंतरिक्ष हो….भारत हर क्षेत्र में अपनी रक्षा के लिए, अपने सामर्थ्‍य के साथ खड़ा है। सर्जिक्‍ल स्‍ट्राइक हो या air स्‍ट्राइक भारत की capability को दुनिया ने देखा है।         + +आज 2 हेक्‍टेयर से कम कितने किसान होंगे जो बैंक से लोन लेंगे… सिंचाई की सुविधा भी छोटे किसान के नसीब में नहीं है, बड़े किसान तो बड़ा-बड़ा पंप लगा देते थे, ट्यूबवेल कर देते थे, बिजली भी ले लेते थे, और बिजली मुफ्त मिल जाती थी, उनका काम चल जाता था। छोटे किसान के लिए तो सिंचाई के लिए भी दिक्‍कत थी। वो तो ट्यूबवेल लगा ही नहीं सकता था कभी-कभी तो उसको बड़े किसान से पानी खरीदना पड़ता था और जो दाम मांगे वो दाम देना पड़ता था। यूरिया…. बड़े किसान को यूरिया प्राप्‍त करने में कोई प्राबल्‍म नहीं था। छोटा किसान को रात-रात लाइन में खड़ा रहना पड़ता था। उसमें डंडे चलते थे और कभी-कभी तो बेचारा यूरिया के बिना घर वापस लौट जाता था। हम छोटे किसानों के हाल जानते हैं… 2014 के बाद हमनें कुछ परिवर्तन किए, हमनें फसल बीमा योजना का दायरा बढ़ा दिया ताकि किसान…छोटा किसान भी उसका फायदा ले सके और बहुत मामली रकम से ये काम शुरू किया और पिछले 4-5 साल में फसल बीमा योजना के तहत 90 हजार करोड़ रुपये उसके क्‍लेम किसानों को मिले हैं। कर्जमाफी से भी आंकड़ा बड़ा हो जाता है जी। + +हम कुछ बातों की और भी ध्‍यान दें अब देखिए… दूध उत्‍पादन… किन्हीं बंधनों में बंधा हुआ नहीं है। ना पशुपालक बंधनों में बंध हुआ है ना दूध बंधनों में बंधा हुआ है लेकिन मजा देखिए.. दूध के क्षेत्र में या तो प्राइवेट या को-ऑपरेटिव दोनों ने एक ऐसी मिलकर मजबूत चेन बनाई है दोनों मिलकर के इस काम को कर रहे हैं। और एक बेहतरीन सप्‍लाई चेन हमारे देश में बनी है। इसको हमने और जो अच्‍छा है उसकों हमने…..और ये मेरे काल में नहीं बना है। आप इस पर गर्व कर सकते हैं मेरे काम से पहले बना हुआ है। हमें गर्व करना चाहिए। फल सब्‍जी से जुड़े व्‍यवसाय में ज्‍यादातर बाजारों को सीधा संपर्क रहता है बाजारों में दखल हट गई है, इसका लाभ मिल रहा है। क्‍या डेयरी वाले सफल सब्‍जी खरीदने वाले उद्यमी, पशुपालको या  किसान की जमीन पर कब्‍जा हो जाता है उन के पशुओं पर कब्‍जा हो जाता है, नहीं होता है। दूध बिकता है, पशु नहीं बिकता है जी, हमारे देश में डेयरी उद्योग का योगदान है, कृषि अर्थव्‍यवस्‍था के कुल मूल्‍य में 28 प्रतिशत से भी ज्‍यादा है। यानी इतना बड़ा हम एग्रीकल्‍चर की चर्चाएं करते हैं, इस पहलू को हम भूल जाते हैं। 28 प्रतिशत contribution है। और करीब-करीब आठ लाख करोड़ों रुपयों का कारोबार है। जितने रुपये का दूध होता है उसका मूल्‍य अनाज और दाल दोनों मिला दें तो उसका ज्‍यादा है। हम कभी इस subject पर देखते ही नहीं हैं। पशुपालकों को पूरी आजादी, अनाज और दाल पैदा करने वाले छोटे और सीमांत किसानों को…. जैसे पशुपालक को आजादी मिली है, इनको आजादी क्यों नहीं मिलनी चाहिए? अब इन सवालों के जवाब हम ढूंढेगे तो हम सही रास्‍ते पर चलेगें। + +डेयरी और पशुपालन हमारे कृषि क्षेत्र के साथ बढ़ावा देने की जरूरत है ताकि हमारा किसान परिपक्‍व हो इसी प्रकार इसी हमने foot and mounth disease के लिए एक बहुत बड़ा अभियान चलाया जो पशुपालक, किसान को जो किसानी से जुड़ा हुआ रहता है उसको भी लाभ होगा। हमनें fisheries को भी एक अलग बल दिया, अलग Ministries बनाई और 20 हजार करोड़ रुपये मत्‍स्‍य संपदा योजना के लिए लगाया है। ताकि ये पूरे क्षेत्र को एक नया बल मिले। sweet revolution में बहुत संभावना है और इसलिएभारत ने उसके लिए बहुत जमीन की जरूरत नहीं है अपने ही खेत के कोने में वो कर दे तो भी साल में 40-50 हजार, लाख रुपया, दो लाख रुपया कमा लेगा वो। और इसलिए हम sweet शहद के लिए हनी के लिए, उसी प्रकार से bee wax दुनिया में bee wax की मांग है। भारत bee wax exportकर सकता है। हमने उसके लिए माहौल बनाया और किसान के खेत में ही छोटी किसान होगा तो वो एक नई कमाई कर सकता है, हमें उसको जोड़ना होगा। और मधुमक्‍खी पालन के लिए सैंकड़ों एकड़ जमीन की जरूरत नहीं है। वो आराम से अपने यहां कर सकता है। सोलर पंप… सोलर हम कहते हैं अन्‍नदाता ऊर्जादाता बने उसके खेत में ही सोलर सिस्‍टम से ऊर्जा पैदा करे, सोलर पंप चलाए अपनी पानी की आवश्‍यकता को पूरी करे। उसके खर्च को, बोझ को कम करे। और फसल एक लेता है तो दो ले, दो लेता है तो तीन ले। थोड़ा पैटर्न में बदल करना है तो बदल कर सके। इस दिशा में हम जा सकते हैं। और एक बात है, भारत की ताकत ऐसी समस्‍याओं के समाधान के समाधान करने की और नए रास्‍ते खोजने की रही है, आगे भी खुलेंगे। लेकिन कुछ लोग हैं जो भारत अस्थिर रहे, अशांत रहे, इसकी लगातार कोशिशें कर रहे हैं। हमें इन लोगों को जानना होगा। + +जम्‍मू-कश्‍मीर आत्‍मनिर्भर बनेगा, उस दिशा में हमारा- वहां पंचायत के चुनाव हुए, बीडीसी के चुनाव हुए, डीडीसी के चुनाव हुए, और उन सबकी सराहना गुलाम नबी जी ने की है। इस प्रशंसा के लिए मैं आपका बहुत आभारी हूं। लेकिन मुझे डर लगता है, आपने प्रशंसा की। मुझे विश्‍वास है कि आपकी पार्टी वाले इसको उचित spirit मेंलेंगे,गलती से जी-23 की राय मान करके कहीं उलटा न कर दें। + +कोरोना के चुनौतीपूर्ण दौर में सीमा पर भी चुनौती देने की कोशिश हुई। हमारे वीर जवानों के हौसले और कुशलता ने सटीक जवाब दिया है। हर हिन्‍दुस्‍तानी को इस बात पर गर्व है। मुश्किल परिस्थितियों में भी हमारे जवान डट करके खड़े रहे हैं। तमाम साथियों ने भी हमारे जवानों के शौर्य की सराहना की है, मैं उनका आभारी हूं। एलएसी पर जो स्थिति बनी है उस पर भारत का रुख बहुत स्‍पष्‍ट है और देश इसको भलीभांति देख भी रहा है और गर्व भी कर रहा है।Border Infrastructure और Border Security को लेकर हमारी प्रतिबद्धता में किसी प्रकार की ढील आने का सवाल ही नहीं होता है,गुंजाइश ही नहीं है, और जो लोग हमारा लालन-पालन और हमारे विचारों का को, हमारे उद्देश्य को देखते हैं वो कभी इस विषय में हमसे सवाल ही नहीं करेंगे, उनको मालूम है हम इसके लिए डटे हुए रहने वाले लोग हैं। और इसलिए हम इन विषयों में कहीं पर भी पीछे नहीं हैं। + +मैं एक कोटइस सदन के सामने रखना चाहता हूं और खास करके लोकतंत्र पर जो शक उठाते हैं, भारत की मूलभूत शक्ति पर जो शक उठाते हैं, उनको तो मैं विशेष आग्रह से कहूंगा कि इसको समझने का प्रयास करें। ‘’हमारा लोकतंत्र किसी भी मायने में western institution नहीं है। ये एक human institution है। भारत का इतिहास लोकतांत्रिक संस्‍थानों के उदाहरणों से भरा पड़ा है। प्राचीन भारत में 81 गणतंत्रों का वर्णन हमें मिलता है। आज देशवासियों को भारत के राष्‍ट्रवाद पर चौरतफा हो रहे हमले से आगाह करना जरूरी है। भारत का राष्‍ट्रवाद न तो संकीर्ण है, न स्‍वार्थी है और न ही आक्रमक है। ये ‘’सत्‍यम शिवम सुंदरम’’के मूल्‍यों से प्रेरित है’’। + +आपातकाल के उन दिनों को याद कीजिए, न्‍यायपालिका का हाल क्‍या था, मीडिया का क्‍या हाल था, शासन का क्‍या हाल था। सब कुछ जेलखानें में परिवर्तित हो चुका था लेकिन इस देश का संस्‍कारी, देश का जनमन, जो लोकतंत्र की रगो से रंगा हुआ था उसको कोई हिला नहीं पाया था। मौका मिलते ही उसने लोकतंत्र का प्रभावित कर दिया। ये लोगों की ताकत, ये हमारे संस्‍कारों की ताकत है, ये लोकतांत्रिक मूल्‍यों की ताकत है मुद्दा ये नहीं है कि कौन सरकार, कौन सरकार ने बनाई उसकी चर्चा नहीं कर रहा मैं, और न ही मैं ऐसी चीजों में समय लगाने के लिए यहां आपने मुझे बिठाया है। हमें लोकतांत्रिक मूल्‍यों की रक्षा करते हुए आगे बढ़ना है। आत्‍मनिर्भर भारत के संबंध में भी चर्चा हुई। मैं हमारे साथी धर्मेंद्र प्रधान जी के बहुत ही अभ्‍यासपूर्ण और आत्‍मनिर्भर भारत की हमारी दिशा क्‍या है उसका विख्‍यात, विस्‍तृत रूप से उन्‍होंने बयान किया है।  लेकिन एक बात सही है कि आर्थिक क्षेत्र में भी आज भारत की जो एक पहुंच बन रही है। कोरोना काल में दुनिया के लोग निवेश के लिए तरस रहे हैं। सारी बातें बाहर आ गई हैं। लेकिन भारत है जहां रिकार्ड निवेश हो रहा है। सारे तथ्‍य बता रहे है कि अनेक देशों की आर्थिक स्थिति डांवाडोल है। जबकि दुनिया भारत में डबल डिजिटल ग्रोथ का अनुमान लगा रही है। एक तरफ निराशा का माहौल है, तो हिन्‍दुस्‍तान में आशा की किरण नजर आ रही है, ये दुनिया की तरफ से आवाज उठ रही है। + +आज भारत का विदेशी मुद्रा भंडार रिकार्ड स्‍तर पर है। आज भारत में अन्‍न उत्‍पादन रिकार्ड स्‍तर पर है। भारत आज दुनिया में दूसरा बड़ा देश है जहां पर इंटरनेट यूजर है। भारत में आज हर महीने 4 लाख करोड़ रुपये का लेन‍देन डिजिटल हो रहा है, यूपीआई के माध्‍यम से हो रहा है। याद कीजिए, इसी सदन के भाषण में सुन रहा था… दो साल, तीन साल पहले… लोगों के पास मोबाइल कहां है, ठिकना कहां है, लोग डिजिटल कैसे करेंगे, ये देश की ताकत देखिए… हर महीने 4 लाख करोड़ रुपये भारत मोबाइल फोन के निर्माता के रूप में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश बना है। भारत में रिकार्ड संख्‍या में स्‍टार्टअपस, यूनीकॉर्न और जिसका विश्‍व में जय-जयकार होने लगा है। इसी धरती पर हमारी युवा पीढ़ी कर रही है।  Renewal Energy के क्षेत्र में विश्‍व के पहले पांच देशों में हमनें अपनी जगह बना ली है और आने वाले दिनों में हम ऊपर ही चढ़ के जाने वाले हैं। जल हो, थल हो, नभ हो, अंतरिक्ष हो….भारत हर क्षेत्र में अपनी रक्षा के लिए, अपने सामर्थ्‍य के साथ खड़ा है। सर्जिक्‍ल स्‍ट्राइक हो या air स्‍ट्राइक भारत की capability को दुनिया ने देखा है।         + +आज 2 हेक्‍टेयर से कम कितने किसान होंगे जो बैंक से लोन लेंगे… सिंचाई की सुविधा भी छोटे किसान के नसीब में नहीं है, बड़े किसान तो बड़ा-बड़ा पंप लगा देते थे, ट्यूबवेल कर देते थे, बिजली भी ले लेते थे, और बिजली मुफ्त मिल जाती थी, उनका काम चल जाता था। छोटे किसान के लिए तो सिंचाई के लिए भी दिक्‍कत थी। वो तो ट्यूबवेल लगा ही नहीं सकता था कभी-कभी तो उसको बड़े किसान से पानी खरीदना पड़ता था और जो दाम मांगे वो दाम देना पड़ता था। यूरिया…. बड़े किसान को यूरिया प्राप्‍त करने में कोई प्राबल्‍म नहीं था। छोटा किसान को रात-रात लाइन में खड़ा रहना पड़ता था। उसमें डंडे चलते थे और कभी-कभी तो बेचारा यूरिया के बिना घर वापस लौट जाता था। हम छोटे किसानों के हाल जानते हैं… 2014 के बाद हमनें कुछ परिवर्तन किए, हमनें फसल बीमा योजना का दायरा बढ़ा दिया ताकि किसान…छोटा किसान भी उसका फायदा ले सके और बहुत मामली रकम से ये काम शुरू किया और पिछले 4-5 साल में फसल बीमा योजना के तहत 90 हजार करोड़ रुपये उसके क्‍लेम किसानों को मिले हैं। कर्जमाफी से भी आंकड़ा बड़ा हो जाता है जी। + +हम कुछ बातों की और भी ध्‍यान दें अब देखिए… दूध उत्‍पादन… किन्हीं बंधनों में बंधा हुआ नहीं है। ना पशुपालक बंधनों में बंध हुआ है ना दूध बंधनों में बंधा हुआ है लेकिन मजा देखिए.. दूध के क्षेत्र में या तो प्राइवेट या को-ऑपरेटिव दोनों ने एक ऐसी मिलकर मजबूत चेन बनाई है दोनों मिलकर के इस काम को कर रहे हैं। और एक बेहतरीन सप्‍लाई चेन हमारे देश में बनी है। इसको हमने और जो अच्‍छा है उसकों हमने…..और ये मेरे काल में नहीं बना है। आप इस पर गर्व कर सकते हैं मेरे काम से पहले बना हुआ है। हमें गर्व करना चाहिए। फल सब्‍जी से जुड़े व्‍यवसाय में ज्‍यादातर बाजारों को सीधा संपर्क रहता है बाजारों में दखल हट गई है, इसका लाभ मिल रहा है। क्‍या डेयरी वाले सफल सब्‍जी खरीदने वाले उद्यमी, पशुपालको या  किसान की जमीन पर कब्‍जा हो जाता है उन के पशुओं पर कब्‍जा हो जाता है, नहीं होता है। दूध बिकता है, पशु नहीं बिकता है जी, हमारे देश में डेयरी उद्योग का योगदान है, कृषि अर्थव्‍यवस्‍था के कुल मूल्‍य में 28 प्रतिशत से भी ज्‍यादा है। यानी इतना बड़ा हम एग्रीकल्‍चर की चर्चाएं करते हैं, इस पहलू को हम भूल जाते हैं। 28 प्रतिशत contribution है। और करीब-करीब आठ लाख करोड़ों रुपयों का कारोबार है। जितने रुपये का दूध होता है उसका मूल्‍य अनाज और दाल दोनों मिला दें तो उसका ज्‍यादा है। हम कभी इस subject पर देखते ही नहीं हैं। पशुपालकों को पूरी आजादी, अनाज और दाल पैदा करने वाले छोटे और सीमांत किसानों को…. जैसे पशुपालक को आजादी मिली है, इनको आजादी क्यों नहीं मिलनी चाहिए? अब इन सवालों के जवाब हम ढूंढेगे तो हम सही रास्‍ते पर चलेगें। + +डेयरी और पशुपालन हमारे कृषि क्षेत्र के साथ बढ़ावा देने की जरूरत है ताकि हमारा किसान परिपक्‍व हो इसी प्रकार इसी हमने foot and mounth disease के लिए एक बहुत बड़ा अभियान चलाया जो पशुपालक, किसान को जो किसानी से जुड़ा हुआ रहता है उसको भी लाभ होगा। हमनें fisheries को भी एक अलग बल दिया, अलग Ministries बनाई और 20 हजार करोड़ रुपये मत्‍स्‍य संपदा योजना के लिए लगाया है। ताकि ये पूरे क्षेत्र को एक नया बल मिले। sweet revolution में बहुत संभावना है और इसलिएभारत ने उसके लिए बहुत जमीन की जरूरत नहीं है अपने ही खेत के कोने में वो कर दे तो भी साल में 40-50 हजार, लाख रुपया, दो लाख रुपया कमा लेगा वो। और इसलिए हम sweet शहद के लिए हनी के लिए, उसी प्रकार से bee wax दुनिया में bee wax की मांग है। भारत bee wax exportकर सकता है। हमने उसके लिए माहौल बनाया और किसान के खेत में ही छोटी किसान होगा तो वो एक नई कमाई कर सकता है, हमें उसको जोड़ना होगा। और मधुमक्‍खी पालन के लिए सैंकड़ों एकड़ जमीन की जरूरत नहीं है। वो आराम से अपने यहां कर सकता है। सोलर पंप… सोलर हम कहते हैं अन्‍नदाता ऊर्जादाता बने उसके खेत में ही सोलर सिस्‍टम से ऊर्जा पैदा करे, सोलर पंप चलाए अपनी पानी की आवश्‍यकता को पूरी करे। उसके खर्च को, बोझ को कम करे। और फसल एक लेता है तो दो ले, दो लेता है तो तीन ले। थोड़ा पैटर्न में बदल करना है तो बदल कर सके। इस दिशा में हम जा सकते हैं। और एक बात है, भारत की ताकत ऐसी समस्‍याओं के समाधान के समाधान करने की और नए रास्‍ते खोजने की रही है, आगे भी खुलेंगे। लेकिन कुछ लोग हैं जो भारत अस्थिर रहे, अशांत रहे, इसकी लगातार कोशिशें कर रहे हैं। हमें इन लोगों को जानना होगा। + +जम्‍मू-कश्‍मीर आत्‍मनिर्भर बनेगा, उस दिशा में हमारा- वहां पंचायत के चुनाव हुए, बीडीसी के चुनाव हुए, डीडीसी के चुनाव हुए, और उन सबकी सराहना गुलाम नबी जी ने की है। इस प्रशंसा के लिए मैं आपका बहुत आभारी हूं। लेकिन मुझे डर लगता है, आपने प्रशंसा की। मुझे विश्‍वास है कि आपकी पार्टी वाले इसको उचित spirit मेंलेंगे,गलती से जी-23 की राय मान करके कहीं उलटा न कर दें। + +कोरोना के चुनौतीपूर्ण दौर में सीमा पर भी चुनौती देने की कोशिश हुई। हमारे वीर जवानों के हौसले और कुशलता ने सटीक जवाब दिया है। हर हिन्‍दुस्‍तानी को इस बात पर गर्व है। मुश्किल परिस्थितियों में भी हमारे जवान डट करके खड़े रहे हैं। तमाम साथियों ने भी हमारे जवानों के शौर्य की सराहना की है, मैं उनका आभारी हूं। एलएसी पर जो स्थिति बनी है उस पर भारत का रुख बहुत स्‍पष्‍ट है और देश इसको भलीभांति देख भी रहा है और गर्व भी कर रहा है।Border Infrastructure और Border Security को लेकर हमारी प्रतिबद्धता में किसी प्रकार की ढील आने का सवाल ही नहीं होता है,गुंजाइश ही नहीं है, और जो लोग हमारा लालन-पालन और हमारे विचारों का को, हमारे उद्देश्य को देखते हैं वो कभी इस विषय में हमसे सवाल ही नहीं करेंगे, उनको मालूम है हम इसके लिए डटे हुए रहने वाले लोग हैं। और इसलिए हम इन विषयों में कहीं पर भी पीछे नहीं हैं। + +मैं एक कोटइस सदन के सामने रखना चाहता हूं और खास करके लोकतंत्र पर जो शक उठाते हैं, भारत की मूलभूत शक्ति पर जो शक उठाते हैं, उनको तो मैं विशेष आग्रह से कहूंगा कि इसको समझने का प्रयास करें। ‘’हमारा लोकतंत्र किसी भी मायने में western institution नहीं है। ये एक human institution है। भारत का इतिहास लोकतांत्रिक संस्‍थानों के उदाहरणों से भरा पड़ा है। प्राचीन भारत में 81 गणतंत्रों का वर्णन हमें मिलता है। आज देशवासियों को भारत के राष्‍ट्रवाद पर चौरतफा हो रहे हमले से आगाह करना जरूरी है। भारत का राष्‍ट्रवाद न तो संकीर्ण है, न स्‍वार्थी है और न ही आक्रमक है। ये ‘’सत्‍यम शिवम सुंदरम’’के मूल्‍यों से प्रेरित है’’। + +आपातकाल के उन दिनों को याद कीजिए, न्‍यायपालिका का हाल क्‍या था, मीडिया का क्‍या हाल था, शासन का क्‍या हाल था। सब कुछ जेलखानें में परिवर्तित हो चुका था लेकिन इस देश का संस्‍कारी, देश का जनमन, जो लोकतंत्र की रगो से रंगा हुआ था उसको कोई हिला नहीं पाया था। मौका मिलते ही उसने लोकतंत्र का प्रभावित कर दिया। ये लोगों की ताकत, ये हमारे संस्‍कारों की ताकत है, ये लोकतांत्रिक मूल्‍यों की ताकत है मुद्दा ये नहीं है कि कौन सरकार, कौन सरकार ने बनाई उसकी चर्चा नहीं कर रहा मैं, और न ही मैं ऐसी चीजों में समय लगाने के लिए यहां आपने मुझे बिठाया है। हमें लोकतांत्रिक मूल्‍यों की रक्षा करते हुए आगे बढ़ना है। आत्‍मनिर्भर भारत के संबंध में भी चर्चा हुई। मैं हमारे साथी धर्मेंद्र प्रधान जी के बहुत ही अभ्‍यासपूर्ण और आत्‍मनिर्भर भारत की हमारी दिशा क्‍या है उसका विख्‍यात, विस्‍तृत रूप से उन्‍होंने बयान किया है।  लेकिन एक बात सही है कि आर्थिक क्षेत्र में भी आज भारत की जो एक पहुंच बन रही है। कोरोना काल में दुनिया के लोग निवेश के लिए तरस रहे हैं। सारी बातें बाहर आ गई हैं। लेकिन भारत है जहां रिकार्ड निवेश हो रहा है। सारे तथ्‍य बता रहे है कि अनेक देशों की आर्थिक स्थिति डांवाडोल है। जबकि दुनिया भारत में डबल डिजिटल ग्रोथ का अनुमान लगा रही है। एक तरफ निराशा का माहौल है, तो हिन्‍दुस्‍तान में आशा की किरण नजर आ रही है, ये दुनिया की तरफ से आवाज उठ रही है। + +आज भारत का विदेशी मुद्रा भंडार रिकार्ड स्‍तर पर है। आज भारत में अन्‍न उत्‍पादन रिकार्ड स्‍तर पर है। भारत आज दुनिया में दूसरा बड़ा देश है जहां पर इंटरनेट यूजर है। भारत में आज हर महीने 4 लाख करोड़ रुपये का लेन‍देन डिजिटल हो रहा है, यूपीआई के माध्‍यम से हो रहा है। याद कीजिए, इसी सदन के भाषण में सुन रहा था… दो साल, तीन साल पहले… लोगों के पास मोबाइल कहां है, ठिकना कहां है, लोग डिजिटल कैसे करेंगे, ये देश की ताकत देखिए… हर महीने 4 लाख करोड़ रुपये भारत मोबाइल फोन के निर्माता के रूप में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश बना है। भारत में रिकार्ड संख्‍या में स्‍टार्टअपस, यूनीकॉर्न और जिसका विश्‍व में जय-जयकार होने लगा है। इसी धरती पर हमारी युवा पीढ़ी कर रही है।  Renewal Energy के क्षेत्र में विश्‍व के पहले पांच देशों में हमनें अपनी जगह बना ली है और आने वाले दिनों में हम ऊपर ही चढ़ के जाने वाले हैं। जल हो, थल हो, नभ हो, अंतरिक्ष हो….भारत हर क्षेत्र में अपनी रक्षा के लिए, अपने सामर्थ्‍य के साथ खड़ा है। सर्जिक्‍ल स्‍ट्राइक हो या air स्‍ट्राइक भारत की capability को दुनिया ने देखा है।         + +आज 2 हेक्‍टेयर से कम कितने किसान होंगे जो बैंक से लोन लेंगे… सिंचाई की सुविधा भी छोटे किसान के नसीब में नहीं है, बड़े किसान तो बड़ा-बड़ा पंप लगा देते थे, ट्यूबवेल कर देते थे, बिजली भी ले लेते थे, और बिजली मुफ्त मिल जाती थी, उनका काम चल जाता था। छोटे किसान के लिए तो सिंचाई के लिए भी दिक्‍कत थी। वो तो ट्यूबवेल लगा ही नहीं सकता था कभी-कभी तो उसको बड़े किसान से पानी खरीदना पड़ता था और जो दाम मांगे वो दाम देना पड़ता था। यूरिया…. बड़े किसान को यूरिया प्राप्‍त करने में कोई प्राबल्‍म नहीं था। छोटा किसान को रात-रात लाइन में खड़ा रहना पड़ता था। उसमें डंडे चलते थे और कभी-कभी तो बेचारा यूरिया के बिना घर वापस लौट जाता था। हम छोटे किसानों के हाल जानते हैं… 2014 के बाद हमनें कुछ परिवर्तन किए, हमनें फसल बीमा योजना का दायरा बढ़ा दिया ताकि किसान…छोटा किसान भी उसका फायदा ले सके और बहुत मामली रकम से ये काम शुरू किया और पिछले 4-5 साल में फसल बीमा योजना के तहत 90 हजार करोड़ रुपये उसके क्‍लेम किसानों को मिले हैं। कर्जमाफी से भी आंकड़ा बड़ा हो जाता है जी। + +हम कुछ बातों की और भी ध्‍यान दें अब देखिए… दूध उत्‍पादन… किन्हीं बंधनों में बंधा हुआ नहीं है। ना पशुपालक बंधनों में बंध हुआ है ना दूध बंधनों में बंधा हुआ है लेकिन मजा देखिए.. दूध के क्षेत्र में या तो प्राइवेट या को-ऑपरेटिव दोनों ने एक ऐसी मिलकर मजबूत चेन बनाई है दोनों मिलकर के इस काम को कर रहे हैं। और एक बेहतरीन सप्‍लाई चेन हमारे देश में बनी है। इसको हमने और जो अच्‍छा है उसकों हमने…..और ये मेरे काल में नहीं बना है। आप इस पर गर्व कर सकते हैं मेरे काम से पहले बना हुआ है। हमें गर्व करना चाहिए। फल सब्‍जी से जुड़े व्‍यवसाय में ज्‍यादातर बाजारों को सीधा संपर्क रहता है बाजारों में दखल हट गई है, इसका लाभ मिल रहा है। क्‍या डेयरी वाले सफल सब्‍जी खरीदने वाले उद्यमी, पशुपालको या  किसान की जमीन पर कब्‍जा हो जाता है उन के पशुओं पर कब्‍जा हो जाता है, नहीं होता है। दूध बिकता है, पशु नहीं बिकता है जी, हमारे देश में डेयरी उद्योग का योगदान है, कृषि अर्थव्‍यवस्‍था के कुल मूल्‍य में 28 प्रतिशत से भी ज्‍यादा है। यानी इतना बड़ा हम एग्रीकल्‍चर की चर्चाएं करते हैं, इस पहलू को हम भूल जाते हैं। 28 प्रतिशत contribution है। और करीब-करीब आठ लाख करोड़ों रुपयों का कारोबार है। जितने रुपये का दूध होता है उसका मूल्‍य अनाज और दाल दोनों मिला दें तो उसका ज्‍यादा है। हम कभी इस subject पर देखते ही नहीं हैं। पशुपालकों को पूरी आजादी, अनाज और दाल पैदा करने वाले छोटे और सीमांत किसानों को…. जैसे पशुपालक को आजादी मिली है, इनको आजादी क्यों नहीं मिलनी चाहिए? अब इन सवालों के जवाब हम ढूंढेगे तो हम सही रास्‍ते पर चलेगें। + +डेयरी और पशुपालन हमारे कृषि क्षेत्र के साथ बढ़ावा देने की जरूरत है ताकि हमारा किसान परिपक्‍व हो इसी प्रकार इसी हमने foot and mounth disease के लिए एक बहुत बड़ा अभियान चलाया जो पशुपालक, किसान को जो किसानी से जुड़ा हुआ रहता है उसको भी लाभ होगा। हमनें fisheries को भी एक अलग बल दिया, अलग Ministries बनाई और 20 हजार करोड़ रुपये मत्‍स्‍य संपदा योजना के लिए लगाया है। ताकि ये पूरे क्षेत्र को एक नया बल मिले। sweet revolution में बहुत संभावना है और इसलिएभारत ने उसके लिए बहुत जमीन की जरूरत नहीं है अपने ही खेत के कोने में वो कर दे तो भी साल में 40-50 हजार, लाख रुपया, दो लाख रुपया कमा लेगा वो। और इसलिए हम sweet शहद के लिए हनी के लिए, उसी प्रकार से bee wax दुनिया में bee wax की मांग है। भारत bee wax exportकर सकता है। हमने उसके लिए माहौल बनाया और किसान के खेत में ही छोटी किसान होगा तो वो एक नई कमाई कर सकता है, हमें उसको जोड़ना होगा। और मधुमक्‍खी पालन के लिए सैंकड़ों एकड़ जमीन की जरूरत नहीं है। वो आराम से अपने यहां कर सकता है। सोलर पंप… सोलर हम कहते हैं अन्‍नदाता ऊर्जादाता बने उसके खेत में ही सोलर सिस्‍टम से ऊर्जा पैदा करे, सोलर पंप चलाए अपनी पानी की आवश्‍यकता को पूरी करे। उसके खर्च को, बोझ को कम करे। और फसल एक लेता है तो दो ले, दो लेता है तो तीन ले। थोड़ा पैटर्न में बदल करना है तो बदल कर सके। इस दिशा में हम जा सकते हैं। और एक बात है, भारत की ताकत ऐसी समस्‍याओं के समाधान के समाधान करने की और नए रास्‍ते खोजने की रही है, आगे भी खुलेंगे। लेकिन कुछ लोग हैं जो भारत अस्थिर रहे, अशांत रहे, इसकी लगातार कोशिशें कर रहे हैं। हमें इन लोगों को जानना होगा। + +जम्‍मू-कश्‍मीर आत्‍मनिर्भर बनेगा, उस दिशा में हमारा- वहां पंचायत के चुनाव हुए, बीडीसी के चुनाव हुए, डीडीसी के चुनाव हुए, और उन सबकी सराहना गुलाम नबी जी ने की है। इस प्रशंसा के लिए मैं आपका बहुत आभारी हूं। लेकिन मुझे डर लगता है, आपने प्रशंसा की। मुझे विश्‍वास है कि आपकी पार्टी वाले इसको उचित spirit मेंलेंगे,गलती से जी-23 की राय मान करके कहीं उलटा न कर दें। + +कोरोना के चुनौतीपूर्ण दौर में सीमा पर भी चुनौती देने की कोशिश हुई। हमारे वीर जवानों के हौसले और कुशलता ने सटीक जवाब दिया है। हर हिन्‍दुस्‍तानी को इस बात पर गर्व है। मुश्किल परिस्थितियों में भी हमारे जवान डट करके खड़े रहे हैं। तमाम साथियों ने भी हमारे जवानों के शौर्य की सराहना की है, मैं उनका आभारी हूं। एलएसी पर जो स्थिति बनी है उस पर भारत का रुख बहुत स्‍पष्‍ट है और देश इसको भलीभांति देख भी रहा है और गर्व भी कर रहा है।Border Infrastructure और Border Security को लेकर हमारी प्रतिबद्धता में किसी प्रकार की ढील आने का सवाल ही नहीं होता है,गुंजाइश ही नहीं है, और जो लोग हमारा लालन-पालन और हमारे विचारों का को, हमारे उद्देश्य को देखते हैं वो कभी इस विषय में हमसे सवाल ही नहीं करेंगे, उनको मालूम है हम इसके लिए डटे हुए रहने वाले लोग हैं। और इसलिए हम इन विषयों में कहीं पर भी पीछे नहीं हैं। + +आपातकाल के उन दिनों को याद कीजिए, न्‍यायपालिका का हाल क्‍या था, मीडिया का क्‍या हाल था, शासन का क्‍या हाल था। सब कुछ जेलखानें में परिवर्तित हो चुका था लेकिन इस देश का संस्‍कारी, देश का जनमन, जो लोकतंत्र की रगो से रंगा हुआ था उसको कोई हिला नहीं पाया था। मौका मिलते ही उसने लोकतंत्र का प्रभावित कर दिया। ये लोगों की ताकत, ये हमारे संस्‍कारों की ताकत है, ये लोकतांत्रिक मूल्‍यों की ताकत है मुद्दा ये नहीं है कि कौन सरकार, कौन सरकार ने बनाई उसकी चर्चा नहीं कर रहा मैं, और न ही मैं ऐसी चीजों में समय लगाने के लिए यहां आपने मुझे बिठाया है। हमें लोकतांत्रिक मूल्‍यों की रक्षा करते हुए आगे बढ़ना है। आत्‍मनिर्भर भारत के संबंध में भी चर्चा हुई। मैं हमारे साथी धर्मेंद्र प्रधान जी के बहुत ही अभ्‍यासपूर्ण और आत्‍मनिर्भर भारत की हमारी दिशा क्‍या है उसका विख्‍यात, विस्‍तृत रूप से उन्‍होंने बयान किया है।  लेकिन एक बात सही है कि आर्थिक क्षेत्र में भी आज भारत की जो एक पहुंच बन रही है। कोरोना काल में दुनिया के लोग निवेश के लिए तरस रहे हैं। सारी बातें बाहर आ गई हैं। लेकिन भारत है जहां रिकार्ड निवेश हो रहा है। सारे तथ्‍य बता रहे है कि अनेक देशों की आर्थिक स्थिति डांवाडोल है। जबकि दुनिया भारत में डबल डिजिटल ग्रोथ का अनुमान लगा रही है। एक तरफ निराशा का माहौल है, तो हिन्‍दुस्‍तान में आशा की किरण नजर आ रही है, ये दुनिया की तरफ से आवाज उठ रही है। + +आज भारत का विदेशी मुद्रा भंडार रिकार्ड स्‍तर पर है। आज भारत में अन्‍न उत्‍पादन रिकार्ड स्‍तर पर है। भारत आज दुनिया में दूसरा बड़ा देश है जहां पर इंटरनेट यूजर है। भारत में आज हर महीने 4 लाख करोड़ रुपये का लेन‍देन डिजिटल हो रहा है, यूपीआई के माध्‍यम से हो रहा है। याद कीजिए, इसी सदन के भाषण में सुन रहा था… दो साल, तीन साल पहले… लोगों के पास मोबाइल कहां है, ठिकना कहां है, लोग डिजिटल कैसे करेंगे, ये देश की ताकत देखिए… हर महीने 4 लाख करोड़ रुपये भारत मोबाइल फोन के निर्माता के रूप में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश बना है। भारत में रिकार्ड संख्‍या में स्‍टार्टअपस, यूनीकॉर्न और जिसका विश्‍व में जय-जयकार होने लगा है। इसी धरती पर हमारी युवा पीढ़ी कर रही है।  Renewal Energy के क्षेत्र में विश्‍व के पहले पांच देशों में हमनें अपनी जगह बना ली है और आने वाले दिनों में हम ऊपर ही चढ़ के जाने वाले हैं। जल हो, थल हो, नभ हो, अंतरिक्ष हो….भारत हर क्षेत्र में अपनी रक्षा के लिए, अपने सामर्थ्‍य के साथ खड़ा है। सर्जिक्‍ल स्‍ट्राइक हो या air स्‍ट्राइक भारत की capability को दुनिया ने देखा है।         + +आज 2 हेक्‍टेयर से कम कितने किसान होंगे जो बैंक से लोन लेंगे… सिंचाई की सुविधा भी छोटे किसान के नसीब में नहीं है, बड़े किसान तो बड़ा-बड़ा पंप लगा देते थे, ट्यूबवेल कर देते थे, बिजली भी ले लेते थे, और बिजली मुफ्त मिल जाती थी, उनका काम चल जाता था। छोटे किसान के लिए तो सिंचाई के लिए भी दिक्‍कत थी। वो तो ट्यूबवेल लगा ही नहीं सकता था कभी-कभी तो उसको बड़े किसान से पानी खरीदना पड़ता था और जो दाम मांगे वो दाम देना पड़ता था। यूरिया…. बड़े किसान को यूरिया प्राप्‍त करने में कोई प्राबल्‍म नहीं था। छोटा किसान को रात-रात लाइन में खड़ा रहना पड़ता था। उसमें डंडे चलते थे और कभी-कभी तो बेचारा यूरिया के बिना घर वापस लौट जाता था। हम छोटे किसानों के हाल जानते हैं… 2014 के बाद हमनें कुछ परिवर्तन किए, हमनें फसल बीमा योजना का दायरा बढ़ा दिया ताकि किसान…छोटा किसान भी उसका फायदा ले सके और बहुत मामली रकम से ये काम शुरू किया और पिछले 4-5 साल में फसल बीमा योजना के तहत 90 हजार करोड़ रुपये उसके क्‍लेम किसानों को मिले हैं। कर्जमाफी से भी आंकड़ा बड़ा हो जाता है जी। + +हम कुछ बातों की और भी ध्‍यान दें अब देखिए… दूध उत्‍पादन… किन्हीं बंधनों में बंधा हुआ नहीं है। ना पशुपालक बंधनों में बंध हुआ है ना दूध बंधनों में बंधा हुआ है लेकिन मजा देखिए.. दूध के क्षेत्र में या तो प्राइवेट या को-ऑपरेटिव दोनों ने एक ऐसी मिलकर मजबूत चेन बनाई है दोनों मिलकर के इस काम को कर रहे हैं। और एक बेहतरीन सप्‍लाई चेन हमारे देश में बनी है। इसको हमने और जो अच्‍छा है उसकों हमने…..और ये मेरे काल में नहीं बना है। आप इस पर गर्व कर सकते हैं मेरे काम से पहले बना हुआ है। हमें गर्व करना चाहिए। फल सब्‍जी से जुड़े व्‍यवसाय में ज्‍यादातर बाजारों को सीधा संपर्क रहता है बाजारों में दखल हट गई है, इसका लाभ मिल रहा है। क्‍या डेयरी वाले सफल सब्‍जी खरीदने वाले उद्यमी, पशुपालको या  किसान की जमीन पर कब्‍जा हो जाता है उन के पशुओं पर कब्‍जा हो जाता है, नहीं होता है। दूध बिकता है, पशु नहीं बिकता है जी, हमारे देश में डेयरी उद्योग का योगदान है, कृषि अर्थव्‍यवस्‍था के कुल मूल्‍य में 28 प्रतिशत से भी ज्‍यादा है। यानी इतना बड़ा हम एग्रीकल्‍चर की चर्चाएं करते हैं, इस पहलू को हम भूल जाते हैं। 28 प्रतिशत contribution है। और करीब-करीब आठ लाख करोड़ों रुपयों का कारोबार है। जितने रुपये का दूध होता है उसका मूल्‍य अनाज और दाल दोनों मिला दें तो उसका ज्‍यादा है। हम कभी इस subject पर देखते ही नहीं हैं। पशुपालकों को पूरी आजादी, अनाज और दाल पैदा करने वाले छोटे और सीमांत किसानों को…. जैसे पशुपालक को आजादी मिली है, इनको आजादी क्यों नहीं मिलनी चाहिए? अब इन सवालों के जवाब हम ढूंढेगे तो हम सही रास्‍ते पर चलेगें। + +डेयरी और पशुपालन हमारे कृषि क्षेत्र के साथ बढ़ावा देने की जरूरत है ताकि हमारा किसान परिपक्‍व हो इसी प्रकार इसी हमने foot and mounth disease के लिए एक बहुत बड़ा अभियान चलाया जो पशुपालक, किसान को जो किसानी से जुड़ा हुआ रहता है उसको भी लाभ होगा। हमनें fisheries को भी एक अलग बल दिया, अलग Ministries बनाई और 20 हजार करोड़ रुपये मत्‍स्‍य संपदा योजना के लिए लगाया है। ताकि ये पूरे क्षेत्र को एक नया बल मिले। sweet revolution में बहुत संभावना है और इसलिएभारत ने उसके लिए बहुत जमीन की जरूरत नहीं है अपने ही खेत के कोने में वो कर दे तो भी साल में 40-50 हजार, लाख रुपया, दो लाख रुपया कमा लेगा वो। और इसलिए हम sweet शहद के लिए हनी के लिए, उसी प्रकार से bee wax दुनिया में bee wax की मांग है। भारत bee wax exportकर सकता है। हमने उसके लिए माहौल बनाया और किसान के खेत में ही छोटी किसान होगा तो वो एक नई कमाई कर सकता है, हमें उसको जोड़ना होगा। और मधुमक्‍खी पालन के लिए सैंकड़ों एकड़ जमीन की जरूरत नहीं है। वो आराम से अपने यहां कर सकता है। सोलर पंप… सोलर हम कहते हैं अन्‍नदाता ऊर्जादाता बने उसके खेत में ही सोलर सिस्‍टम से ऊर्जा पैदा करे, सोलर पंप चलाए अपनी पानी की आवश्‍यकता को पूरी करे। उसके खर्च को, बोझ को कम करे। और फसल एक लेता है तो दो ले, दो लेता है तो तीन ले। थोड़ा पैटर्न में बदल करना है तो बदल कर सके। इस दिशा में हम जा सकते हैं। और एक बात है, भारत की ताकत ऐसी समस्‍याओं के समाधान के समाधान करने की और नए रास्‍ते खोजने की रही है, आगे भी खुलेंगे। लेकिन कुछ लोग हैं जो भारत अस्थिर रहे, अशांत रहे, इसकी लगातार कोशिशें कर रहे हैं। हमें इन लोगों को जानना होगा। + +जम्‍मू-कश्‍मीर आत्‍मनिर्भर बनेगा, उस दिशा में हमारा- वहां पंचायत के चुनाव हुए, बीडीसी के चुनाव हुए, डीडीसी के चुनाव हुए, और उन सबकी सराहना गुलाम नबी जी ने की है। इस प्रशंसा के लिए मैं आपका बहुत आभारी हूं। लेकिन मुझे डर लगता है, आपने प्रशंसा की। मुझे विश्‍वास है कि आपकी पार्टी वाले इसको उचित spirit मेंलेंगे,गलती से जी-23 की राय मान करके कहीं उलटा न कर दें। + +कोरोना के चुनौतीपूर्ण दौर में सीमा पर भी चुनौती देने की कोशिश हुई। हमारे वीर जवानों के हौसले और कुशलता ने सटीक जवाब दिया है। हर हिन्‍दुस्‍तानी को इस बात पर गर्व है। मुश्किल परिस्थितियों में भी हमारे जवान डट करके खड़े रहे हैं। तमाम साथियों ने भी हमारे जवानों के शौर्य की सराहना की है, मैं उनका आभारी हूं। एलएसी पर जो स्थिति बनी है उस पर भारत का रुख बहुत स्‍पष्‍ट है और देश इसको भलीभांति देख भी रहा है और गर्व भी कर रहा है।Border Infrastructure और Border Security को लेकर हमारी प्रतिबद्धता में किसी प्रकार की ढील आने का सवाल ही नहीं होता है,गुंजाइश ही नहीं है, और जो लोग हमारा लालन-पालन और हमारे विचारों का को, हमारे उद्देश्य को देखते हैं वो कभी इस विषय में हमसे सवाल ही नहीं करेंगे, उनको मालूम है हम इसके लिए डटे हुए रहने वाले लोग हैं। और इसलिए हम इन विषयों में कहीं पर भी पीछे नहीं हैं। + +आपातकाल के उन दिनों को याद कीजिए, न्‍यायपालिका का हाल क्‍या था, मीडिया का क्‍या हाल था, शासन का क्‍या हाल था। सब कुछ जेलखानें में परिवर्तित हो चुका था लेकिन इस देश का संस्‍कारी, देश का जनमन, जो लोकतंत्र की रगो से रंगा हुआ था उसको कोई हिला नहीं पाया था। मौका मिलते ही उसने लोकतंत्र का प्रभावित कर दिया। ये लोगों की ताकत, ये हमारे संस्‍कारों की ताकत है, ये लोकतांत्रिक मूल्‍यों की ताकत है मुद्दा ये नहीं है कि कौन सरकार, कौन सरकार ने बनाई उसकी चर्चा नहीं कर रहा मैं, और न ही मैं ऐसी चीजों में समय लगाने के लिए यहां आपने मुझे बिठाया है। हमें लोकतांत्रिक मूल्‍यों की रक्षा करते हुए आगे बढ़ना है। आत्‍मनिर्भर भारत के संबंध में भी चर्चा हुई। मैं हमारे साथी धर्मेंद्र प्रधान जी के बहुत ही अभ्‍यासपूर्ण और आत्‍मनिर्भर भारत की हमारी दिशा क्‍या है उसका विख्‍यात, विस्‍तृत रूप से उन्‍होंने बयान किया है।  लेकिन एक बात सही है कि आर्थिक क्षेत्र में भी आज भारत की जो एक पहुंच बन रही है। कोरोना काल में दुनिया के लोग निवेश के लिए तरस रहे हैं। सारी बातें बाहर आ गई हैं। लेकिन भारत है जहां रिकार्ड निवेश हो रहा है। सारे तथ्‍य बता रहे है कि अनेक देशों की आर्थिक स्थिति डांवाडोल है। जबकि दुनिया भारत में डबल डिजिटल ग्रोथ का अनुमान लगा रही है। एक तरफ निराशा का माहौल है, तो हिन्‍दुस्‍तान में आशा की किरण नजर आ रही है, ये दुनिया की तरफ से आवाज उठ रही है। + +आज भारत का विदेशी मुद्रा भंडार रिकार्ड स्‍तर पर है। आज भारत में अन्‍न उत्‍पादन रिकार्ड स्‍तर पर है। भारत आज दुनिया में दूसरा बड़ा देश है जहां पर इंटरनेट यूजर है। भारत में आज हर महीने 4 लाख करोड़ रुपये का लेन‍देन डिजिटल हो रहा है, यूपीआई के माध्‍यम से हो रहा है। याद कीजिए, इसी सदन के भाषण में सुन रहा था… दो साल, तीन साल पहले… लोगों के पास मोबाइल कहां है, ठिकना कहां है, लोग डिजिटल कैसे करेंगे, ये देश की ताकत देखिए… हर महीने 4 लाख करोड़ रुपये भारत मोबाइल फोन के निर्माता के रूप में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश बना है। भारत में रिकार्ड संख्‍या में स्‍टार्टअपस, यूनीकॉर्न और जिसका विश्‍व में जय-जयकार होने लगा है। इसी धरती पर हमारी युवा पीढ़ी कर रही है।  Renewal Energy के क्षेत्र में विश्‍व के पहले पांच देशों में हमनें अपनी जगह बना ली है और आने वाले दिनों में हम ऊपर ही चढ़ के जाने वाले हैं। जल हो, थल हो, नभ हो, अंतरिक्ष हो….भारत हर क्षेत्र में अपनी रक्षा के लिए, अपने सामर्थ्‍य के साथ खड़ा है। सर्जिक्‍ल स्‍ट्राइक हो या air स्‍ट्राइक भारत की capability को दुनिया ने देखा है।         + +आज 2 हेक्‍टेयर से कम कितने किसान होंगे जो बैंक से लोन लेंगे… सिंचाई की सुविधा भी छोटे किसान के नसीब में नहीं है, बड़े किसान तो बड़ा-बड़ा पंप लगा देते थे, ट्यूबवेल कर देते थे, बिजली भी ले लेते थे, और बिजली मुफ्त मिल जाती थी, उनका काम चल जाता था। छोटे किसान के लिए तो सिंचाई के लिए भी दिक्‍कत थी। वो तो ट्यूबवेल लगा ही नहीं सकता था कभी-कभी तो उसको बड़े किसान से पानी खरीदना पड़ता था और जो दाम मांगे वो दाम देना पड़ता था। यूरिया…. बड़े किसान को यूरिया प्राप्‍त करने में कोई प्राबल्‍म नहीं था। छोटा किसान को रात-रात लाइन में खड़ा रहना पड़ता था। उसमें डंडे चलते थे और कभी-कभी तो बेचारा यूरिया के बिना घर वापस लौट जाता था। हम छोटे किसानों के हाल जानते हैं… 2014 के बाद हमनें कुछ परिवर्तन किए, हमनें फसल बीमा योजना का दायरा बढ़ा दिया ताकि किसान…छोटा किसान भी उसका फायदा ले सके और बहुत मामली रकम से ये काम शुरू किया और पिछले 4-5 साल में फसल बीमा योजना के तहत 90 हजार करोड़ रुपये उसके क्‍लेम किसानों को मिले हैं। कर्जमाफी से भी आंकड़ा बड़ा हो जाता है जी। + +हम कुछ बातों की और भी ध्‍यान दें अब देखिए… दूध उत्‍पादन… किन्हीं बंधनों में बंधा हुआ नहीं है। ना पशुपालक बंधनों में बंध हुआ है ना दूध बंधनों में बंधा हुआ है लेकिन मजा देखिए.. दूध के क्षेत्र में या तो प्राइवेट या को-ऑपरेटिव दोनों ने एक ऐसी मिलकर मजबूत चेन बनाई है दोनों मिलकर के इस काम को कर रहे हैं। और एक बेहतरीन सप्‍लाई चेन हमारे देश में बनी है। इसको हमने और जो अच्‍छा है उसकों हमने…..और ये मेरे काल में नहीं बना है। आप इस पर गर्व कर सकते हैं मेरे काम से पहले बना हुआ है। हमें गर्व करना चाहिए। फल सब्‍जी से जुड़े व्‍यवसाय में ज्‍यादातर बाजारों को सीधा संपर्क रहता है बाजारों में दखल हट गई है, इसका लाभ मिल रहा है। क्‍या डेयरी वाले सफल सब्‍जी खरीदने वाले उद्यमी, पशुपालको या  किसान की जमीन पर कब्‍जा हो जाता है उन के पशुओं पर कब्‍जा हो जाता है, नहीं होता है। दूध बिकता है, पशु नहीं बिकता है जी, हमारे देश में डेयरी उद्योग का योगदान है, कृषि अर्थव्‍यवस्‍था के कुल मूल्‍य में 28 प्रतिशत से भी ज्‍यादा है। यानी इतना बड़ा हम एग्रीकल्‍चर की चर्चाएं करते हैं, इस पहलू को हम भूल जाते हैं। 28 प्रतिशत contribution है। और करीब-करीब आठ लाख करोड़ों रुपयों का कारोबार है। जितने रुपये का दूध होता है उसका मूल्‍य अनाज और दाल दोनों मिला दें तो उसका ज्‍यादा है। हम कभी इस subject पर देखते ही नहीं हैं। पशुपालकों को पूरी आजादी, अनाज और दाल पैदा करने वाले छोटे और सीमांत किसानों को…. जैसे पशुपालक को आजादी मिली है, इनको आजादी क्यों नहीं मिलनी चाहिए? अब इन सवालों के जवाब हम ढूंढेगे तो हम सही रास्‍ते पर चलेगें। + +डेयरी और पशुपालन हमारे कृषि क्षेत्र के साथ बढ़ावा देने की जरूरत है ताकि हमारा किसान परिपक्‍व हो इसी प्रकार इसी हमने foot and mounth disease के लिए एक बहुत बड़ा अभियान चलाया जो पशुपालक, किसान को जो किसानी से जुड़ा हुआ रहता है उसको भी लाभ होगा। हमनें fisheries को भी एक अलग बल दिया, अलग Ministries बनाई और 20 हजार करोड़ रुपये मत्‍स्‍य संपदा योजना के लिए लगाया है। ताकि ये पूरे क्षेत्र को एक नया बल मिले। sweet revolution में बहुत संभावना है और इसलिएभारत ने उसके लिए बहुत जमीन की जरूरत नहीं है अपने ही खेत के कोने में वो कर दे तो भी साल में 40-50 हजार, लाख रुपया, दो लाख रुपया कमा लेगा वो। और इसलिए हम sweet शहद के लिए हनी के लिए, उसी प्रकार से bee wax दुनिया में bee wax की मांग है। भारत bee wax exportकर सकता है। हमने उसके लिए माहौल बनाया और किसान के खेत में ही छोटी किसान होगा तो वो एक नई कमाई कर सकता है, हमें उसको जोड़ना होगा। और मधुमक्‍खी पालन के लिए सैंकड़ों एकड़ जमीन की जरूरत नहीं है। वो आराम से अपने यहां कर सकता है। सोलर पंप… सोलर हम कहते हैं अन्‍नदाता ऊर्जादाता बने उसके खेत में ही सोलर सिस्‍टम से ऊर्जा पैदा करे, सोलर पंप चलाए अपनी पानी की आवश्‍यकता को पूरी करे। उसके खर्च को, बोझ को कम करे। और फसल एक लेता है तो दो ले, दो लेता है तो तीन ले। थोड़ा पैटर्न में बदल करना है तो बदल कर सके। इस दिशा में हम जा सकते हैं। और एक बात है, भारत की ताकत ऐसी समस्‍याओं के समाधान के समाधान करने की और नए रास्‍ते खोजने की रही है, आगे भी खुलेंगे। लेकिन कुछ लोग हैं जो भारत अस्थिर रहे, अशांत रहे, इसकी लगातार कोशिशें कर रहे हैं। हमें इन लोगों को जानना होगा। + +जम्‍मू-कश्‍मीर आत्‍मनिर्भर बनेगा, उस दिशा में हमारा- वहां पंचायत के चुनाव हुए, बीडीसी के चुनाव हुए, डीडीसी के चुनाव हुए, और उन सबकी सराहना गुलाम नबी जी ने की है। इस प्रशंसा के लिए मैं आपका बहुत आभारी हूं। लेकिन मुझे डर लगता है, आपने प्रशंसा की। मुझे विश्‍वास है कि आपकी पार्टी वाले इसको उचित spirit मेंलेंगे,गलती से जी-23 की राय मान करके कहीं उलटा न कर दें। + +कोरोना के चुनौतीपूर्ण दौर में सीमा पर भी चुनौती देने की कोशिश हुई। हमारे वीर जवानों के हौसले और कुशलता ने सटीक जवाब दिया है। हर हिन्‍दुस्‍तानी को इस बात पर गर्व है। मुश्किल परिस्थितियों में भी हमारे जवान डट करके खड़े रहे हैं। तमाम साथियों ने भी हमारे जवानों के शौर्य की सराहना की है, मैं उनका आभारी हूं। एलएसी पर जो स्थिति बनी है उस पर भारत का रुख बहुत स्‍पष्‍ट है और देश इसको भलीभांति देख भी रहा है और गर्व भी कर रहा है।Border Infrastructure और Border Security को लेकर हमारी प्रतिबद्धता में किसी प्रकार की ढील आने का सवाल ही नहीं होता है,गुंजाइश ही नहीं है, और जो लोग हमारा लालन-पालन और हमारे विचारों का को, हमारे उद्देश्य को देखते हैं वो कभी इस विषय में हमसे सवाल ही नहीं करेंगे, उनको मालूम है हम इसके लिए डटे हुए रहने वाले लोग हैं। और इसलिए हम इन विषयों में कहीं पर भी पीछे नहीं हैं। + +आज भारत का विदेशी मुद्रा भंडार रिकार्ड स्‍तर पर है। आज भारत में अन्‍न उत्‍पादन रिकार्ड स्‍तर पर है। भारत आज दुनिया में दूसरा बड़ा देश है जहां पर इंटरनेट यूजर है। भारत में आज हर महीने 4 लाख करोड़ रुपये का लेन‍देन डिजिटल हो रहा है, यूपीआई के माध्‍यम से हो रहा है। याद कीजिए, इसी सदन के भाषण में सुन रहा था… दो साल, तीन साल पहले… लोगों के पास मोबाइल कहां है, ठिकना कहां है, लोग डिजिटल कैसे करेंगे, ये देश की ताकत देखिए… हर महीने 4 लाख करोड़ रुपये भारत मोबाइल फोन के निर्माता के रूप में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश बना है। भारत में रिकार्ड संख्‍या में स्‍टार्टअपस, यूनीकॉर्न और जिसका विश्‍व में जय-जयकार होने लगा है। इसी धरती पर हमारी युवा पीढ़ी कर रही है।  Renewal Energy के क्षेत्र में विश्‍व के पहले पांच देशों में हमनें अपनी जगह बना ली है और आने वाले दिनों में हम ऊपर ही चढ़ के जाने वाले हैं। जल हो, थल हो, नभ हो, अंतरिक्ष हो….भारत हर क्षेत्र में अपनी रक्षा के लिए, अपने सामर्थ्‍य के साथ खड़ा है। सर्जिक्‍ल स्‍ट्राइक हो या air स्‍ट्राइक भारत की capability को दुनिया ने देखा है।         + +आज 2 हेक्‍टेयर से कम कितने किसान होंगे जो बैंक से लोन लेंगे… सिंचाई की सुविधा भी छोटे किसान के नसीब में नहीं है, बड़े किसान तो बड़ा-बड़ा पंप लगा देते थे, ट्यूबवेल कर देते थे, बिजली भी ले लेते थे, और बिजली मुफ्त मिल जाती थी, उनका काम चल जाता था। छोटे किसान के लिए तो सिंचाई के लिए भी दिक्‍कत थी। वो तो ट्यूबवेल लगा ही नहीं सकता था कभी-कभी तो उसको बड़े किसान से पानी खरीदना पड़ता था और जो दाम मांगे वो दाम देना पड़ता था। यूरिया…. बड़े किसान को यूरिया प्राप्‍त करने में कोई प्राबल्‍म नहीं था। छोटा किसान को रात-रात लाइन में खड़ा रहना पड़ता था। उसमें डंडे चलते थे और कभी-कभी तो बेचारा यूरिया के बिना घर वापस लौट जाता था। हम छोटे किसानों के हाल जानते हैं… 2014 के बाद हमनें कुछ परिवर्तन किए, हमनें फसल बीमा योजना का दायरा बढ़ा दिया ताकि किसान…छोटा किसान भी उसका फायदा ले सके और बहुत मामली रकम से ये काम शुरू किया और पिछले 4-5 साल में फसल बीमा योजना के तहत 90 हजार करोड़ रुपये उसके क्‍लेम किसानों को मिले हैं। कर्जमाफी से भी आंकड़ा बड़ा हो जाता है जी। + +हम कुछ बातों की और भी ध्‍यान दें अब देखिए… दूध उत्‍पादन… किन्हीं बंधनों में बंधा हुआ नहीं है। ना पशुपालक बंधनों में बंध हुआ है ना दूध बंधनों में बंधा हुआ है लेकिन मजा देखिए.. दूध के क्षेत्र में या तो प्राइवेट या को-ऑपरेटिव दोनों ने एक ऐसी मिलकर मजबूत चेन बनाई है दोनों मिलकर के इस काम को कर रहे हैं। और एक बेहतरीन सप्‍लाई चेन हमारे देश में बनी है। इसको हमने और जो अच्‍छा है उसकों हमने…..और ये मेरे काल में नहीं बना है। आप इस पर गर्व कर सकते हैं मेरे काम से पहले बना हुआ है। हमें गर्व करना चाहिए। फल सब्‍जी से जुड़े व्‍यवसाय में ज्‍यादातर बाजारों को सीधा संपर्क रहता है बाजारों में दखल हट गई है, इसका लाभ मिल रहा है। क्‍या डेयरी वाले सफल सब्‍जी खरीदने वाले उद्यमी, पशुपालको या  किसान की जमीन पर कब्‍जा हो जाता है उन के पशुओं पर कब्‍जा हो जाता है, नहीं होता है। दूध बिकता है, पशु नहीं बिकता है जी, हमारे देश में डेयरी उद्योग का योगदान है, कृषि अर्थव्‍यवस्‍था के कुल मूल्‍य में 28 प्रतिशत से भी ज्‍यादा है। यानी इतना बड़ा हम एग्रीकल्‍चर की चर्चाएं करते हैं, इस पहलू को हम भूल जाते हैं। 28 प्रतिशत contribution है। और करीब-करीब आठ लाख करोड़ों रुपयों का कारोबार है। जितने रुपये का दूध होता है उसका मूल्‍य अनाज और दाल दोनों मिला दें तो उसका ज्‍यादा है। हम कभी इस subject पर देखते ही नहीं हैं। पशुपालकों को पूरी आजादी, अनाज और दाल पैदा करने वाले छोटे और सीमांत किसानों को…. जैसे पशुपालक को आजादी मिली है, इनको आजादी क्यों नहीं मिलनी चाहिए? अब इन सवालों के जवाब हम ढूंढेगे तो हम सही रास्‍ते पर चलेगें। + +डेयरी और पशुपालन हमारे कृषि क्षेत्र के साथ बढ़ावा देने की जरूरत है ताकि हमारा किसान परिपक्‍व हो इसी प्रकार इसी हमने foot and mounth disease के लिए एक बहुत बड़ा अभियान चलाया जो पशुपालक, किसान को जो किसानी से जुड़ा हुआ रहता है उसको भी लाभ होगा। हमनें fisheries को भी एक अलग बल दिया, अलग Ministries बनाई और 20 हजार करोड़ रुपये मत्‍स्‍य संपदा योजना के लिए लगाया है। ताकि ये पूरे क्षेत्र को एक नया बल मिले। sweet revolution में बहुत संभावना है और इसलिएभारत ने उसके लिए बहुत जमीन की जरूरत नहीं है अपने ही खेत के कोने में वो कर दे तो भी साल में 40-50 हजार, लाख रुपया, दो लाख रुपया कमा लेगा वो। और इसलिए हम sweet शहद के लिए हनी के लिए, उसी प्रकार से bee wax दुनिया में bee wax की मांग है। भारत bee wax exportकर सकता है। हमने उसके लिए माहौल बनाया और किसान के खेत में ही छोटी किसान होगा तो वो एक नई कमाई कर सकता है, हमें उसको जोड़ना होगा। और मधुमक्‍खी पालन के लिए सैंकड़ों एकड़ जमीन की जरूरत नहीं है। वो आराम से अपने यहां कर सकता है। सोलर पंप… सोलर हम कहते हैं अन्‍नदाता ऊर्जादाता बने उसके खेत में ही सोलर सिस्‍टम से ऊर्जा पैदा करे, सोलर पंप चलाए अपनी पानी की आवश्‍यकता को पूरी करे। उसके खर्च को, बोझ को कम करे। और फसल एक लेता है तो दो ले, दो लेता है तो तीन ले। थोड़ा पैटर्न में बदल करना है तो बदल कर सके। इस दिशा में हम जा सकते हैं। और एक बात है, भारत की ताकत ऐसी समस्‍याओं के समाधान के समाधान करने की और नए रास्‍ते खोजने की रही है, आगे भी खुलेंगे। लेकिन कुछ लोग हैं जो भारत अस्थिर रहे, अशांत रहे, इसकी लगातार कोशिशें कर रहे हैं। हमें इन लोगों को जानना होगा। + +जम्‍मू-कश्‍मीर आत्‍मनिर्भर बनेगा, उस दिशा में हमारा- वहां पंचायत के चुनाव हुए, बीडीसी के चुनाव हुए, डीडीसी के चुनाव हुए, और उन सबकी सराहना गुलाम नबी जी ने की है। इस प्रशंसा के लिए मैं आपका बहुत आभारी हूं। लेकिन मुझे डर लगता है, आपने प्रशंसा की। मुझे विश्‍वास है कि आपकी पार्टी वाले इसको उचित spirit मेंलेंगे,गलती से जी-23 की राय मान करके कहीं उलटा न कर दें। + +कोरोना के चुनौतीपूर्ण दौर में सीमा पर भी चुनौती देने की कोशिश हुई। हमारे वीर जवानों के हौसले और कुशलता ने सटीक जवाब दिया है। हर हिन्‍दुस्‍तानी को इस बात पर गर्व है। मुश्किल परिस्थितियों में भी हमारे जवान डट करके खड़े रहे हैं। तमाम साथियों ने भी हमारे जवानों के शौर्य की सराहना की है, मैं उनका आभारी हूं। एलएसी पर जो स्थिति बनी है उस पर भारत का रुख बहुत स्‍पष्‍ट है और देश इसको भलीभांति देख भी रहा है और गर्व भी कर रहा है।Border Infrastructure और Border Security को लेकर हमारी प्रतिबद्धता में किसी प्रकार की ढील आने का सवाल ही नहीं होता है,गुंजाइश ही नहीं है, और जो लोग हमारा लालन-पालन और हमारे विचारों का को, हमारे उद्देश्य को देखते हैं वो कभी इस विषय में हमसे सवाल ही नहीं करेंगे, उनको मालूम है हम इसके लिए डटे हुए रहने वाले लोग हैं। और इसलिए हम इन विषयों में कहीं पर भी पीछे नहीं हैं। + +आज 2 हेक्‍टेयर से कम कितने किसान होंगे जो बैंक से लोन लेंगे… सिंचाई की सुविधा भी छोटे किसान के नसीब में नहीं है, बड़े किसान तो बड़ा-बड़ा पंप लगा देते थे, ट्यूबवेल कर देते थे, बिजली भी ले लेते थे, और बिजली मुफ्त मिल जाती थी, उनका काम चल जाता था। छोटे किसान के लिए तो सिंचाई के लिए भी दिक्‍कत थी। वो तो ट्यूबवेल लगा ही नहीं सकता था कभी-कभी तो उसको बड़े किसान से पानी खरीदना पड़ता था और जो दाम मांगे वो दाम देना पड़ता था। यूरिया…. बड़े किसान को यूरिया प्राप्‍त करने में कोई प्राबल्‍म नहीं था। छोटा किसान को रात-रात लाइन में खड़ा रहना पड़ता था। उसमें डंडे चलते थे और कभी-कभी तो बेचारा यूरिया के बिना घर वापस लौट जाता था। हम छोटे किसानों के हाल जानते हैं… 2014 के बाद हमनें कुछ परिवर्तन किए, हमनें फसल बीमा योजना का दायरा बढ़ा दिया ताकि किसान…छोटा किसान भी उसका फायदा ले सके और बहुत मामली रकम से ये काम शुरू किया और पिछले 4-5 साल में फसल बीमा योजना के तहत 90 हजार करोड़ रुपये उसके क्‍लेम किसानों को मिले हैं। कर्जमाफी से भी आंकड़ा बड़ा हो जाता है जी। + +हम कुछ बातों की और भी ध्‍यान दें अब देखिए… दूध उत्‍पादन… किन्हीं बंधनों में बंधा हुआ नहीं है। ना पशुपालक बंधनों में बंध हुआ है ना दूध बंधनों में बंधा हुआ है लेकिन मजा देखिए.. दूध के क्षेत्र में या तो प्राइवेट या को-ऑपरेटिव दोनों ने एक ऐसी मिलकर मजबूत चेन बनाई है दोनों मिलकर के इस काम को कर रहे हैं। और एक बेहतरीन सप्‍लाई चेन हमारे देश में बनी है। इसको हमने और जो अच्‍छा है उसकों हमने…..और ये मेरे काल में नहीं बना है। आप इस पर गर्व कर सकते हैं मेरे काम से पहले बना हुआ है। हमें गर्व करना चाहिए। फल सब्‍जी से जुड़े व्‍यवसाय में ज्‍यादातर बाजारों को सीधा संपर्क रहता है बाजारों में दखल हट गई है, इसका लाभ मिल रहा है। क्‍या डेयरी वाले सफल सब्‍जी खरीदने वाले उद्यमी, पशुपालको या  किसान की जमीन पर कब्‍जा हो जाता है उन के पशुओं पर कब्‍जा हो जाता है, नहीं होता है। दूध बिकता है, पशु नहीं बिकता है जी, हमारे देश में डेयरी उद्योग का योगदान है, कृषि अर्थव्‍यवस्‍था के कुल मूल्‍य में 28 प्रतिशत से भी ज्‍यादा है। यानी इतना बड़ा हम एग्रीकल्‍चर की चर्चाएं करते हैं, इस पहलू को हम भूल जाते हैं। 28 प्रतिशत contribution है। और करीब-करीब आठ लाख करोड़ों रुपयों का कारोबार है। जितने रुपये का दूध होता है उसका मूल्‍य अनाज और दाल दोनों मिला दें तो उसका ज्‍यादा है। हम कभी इस subject पर देखते ही नहीं हैं। पशुपालकों को पूरी आजादी, अनाज और दाल पैदा करने वाले छोटे और सीमांत किसानों को…. जैसे पशुपालक को आजादी मिली है, इनको आजादी क्यों नहीं मिलनी चाहिए? अब इन सवालों के जवाब हम ढूंढेगे तो हम सही रास्‍ते पर चलेगें। + +डेयरी और पशुपालन हमारे कृषि क्षेत्र के साथ बढ़ावा देने की जरूरत है ताकि हमारा किसान परिपक्‍व हो इसी प्रकार इसी हमने foot and mounth disease के लिए एक बहुत बड़ा अभियान चलाया जो पशुपालक, किसान को जो किसानी से जुड़ा हुआ रहता है उसको भी लाभ होगा। हमनें fisheries को भी एक अलग बल दिया, अलग Ministries बनाई और 20 हजार करोड़ रुपये मत्‍स्‍य संपदा योजना के लिए लगाया है। ताकि ये पूरे क्षेत्र को एक नया बल मिले। sweet revolution में बहुत संभावना है और इसलिएभारत ने उसके लिए बहुत जमीन की जरूरत नहीं है अपने ही खेत के कोने में वो कर दे तो भी साल में 40-50 हजार, लाख रुपया, दो लाख रुपया कमा लेगा वो। और इसलिए हम sweet शहद के लिए हनी के लिए, उसी प्रकार से bee wax दुनिया में bee wax की मांग है। भारत bee wax exportकर सकता है। हमने उसके लिए माहौल बनाया और किसान के खेत में ही छोटी किसान होगा तो वो एक नई कमाई कर सकता है, हमें उसको जोड़ना होगा। और मधुमक्‍खी पालन के लिए सैंकड़ों एकड़ जमीन की जरूरत नहीं है। वो आराम से अपने यहां कर सकता है। सोलर पंप… सोलर हम कहते हैं अन्‍नदाता ऊर्जादाता बने उसके खेत में ही सोलर सिस्‍टम से ऊर्जा पैदा करे, सोलर पंप चलाए अपनी पानी की आवश्‍यकता को पूरी करे। उसके खर्च को, बोझ को कम करे। और फसल एक लेता है तो दो ले, दो लेता है तो तीन ले। थोड़ा पैटर्न में बदल करना है तो बदल कर सके। इस दिशा में हम जा सकते हैं। और एक बात है, भारत की ताकत ऐसी समस्‍याओं के समाधान के समाधान करने की और नए रास्‍ते खोजने की रही है, आगे भी खुलेंगे। लेकिन कुछ लोग हैं जो भारत अस्थिर रहे, अशांत रहे, इसकी लगातार कोशिशें कर रहे हैं। हमें इन लोगों को जानना होगा। + +जम्‍मू-कश्‍मीर आत्‍मनिर्भर बनेगा, उस दिशा में हमारा- वहां पंचायत के चुनाव हुए, बीडीसी के चुनाव हुए, डीडीसी के चुनाव हुए, और उन सबकी सराहना गुलाम नबी जी ने की है। इस प्रशंसा के लिए मैं आपका बहुत आभारी हूं। लेकिन मुझे डर लगता है, आपने प्रशंसा की। मुझे विश्‍वास है कि आपकी पार्टी वाले इसको उचित spirit मेंलेंगे,गलती से जी-23 की राय मान करके कहीं उलटा न कर दें। + +कोरोना के चुनौतीपूर्ण दौर में सीमा पर भी चुनौती देने की कोशिश हुई। हमारे वीर जवानों के हौसले और कुशलता ने सटीक जवाब दिया है। हर हिन्‍दुस्‍तानी को इस बात पर गर्व है। मुश्किल परिस्थितियों में भी हमारे जवान डट करके खड़े रहे हैं। तमाम साथियों ने भी हमारे जवानों के शौर्य की सराहना की है, मैं उनका आभारी हूं। एलएसी पर जो स्थिति बनी है उस पर भारत का रुख बहुत स्‍पष्‍ट है और देश इसको भलीभांति देख भी रहा है और गर्व भी कर रहा है।Border Infrastructure और Border Security को लेकर हमारी प्रतिबद्धता में किसी प्रकार की ढील आने का सवाल ही नहीं होता है,गुंजाइश ही नहीं है, और जो लोग हमारा लालन-पालन और हमारे विचारों का को, हमारे उद्देश्य को देखते हैं वो कभी इस विषय में हमसे सवाल ही नहीं करेंगे, उनको मालूम है हम इसके लिए डटे हुए रहने वाले लोग हैं। और इसलिए हम इन विषयों में कहीं पर भी पीछे नहीं हैं। + +आज 2 हेक्‍टेयर से कम कितने किसान होंगे जो बैंक से लोन लेंगे… सिंचाई की सुविधा भी छोटे किसान के नसीब में नहीं है, बड़े किसान तो बड़ा-बड़ा पंप लगा देते थे, ट्यूबवेल कर देते थे, बिजली भी ले लेते थे, और बिजली मुफ्त मिल जाती थी, उनका काम चल जाता था। छोटे किसान के लिए तो सिंचाई के लिए भी दिक्‍कत थी। वो तो ट्यूबवेल लगा ही नहीं सकता था कभी-कभी तो उसको बड़े किसान से पानी खरीदना पड़ता था और जो दाम मांगे वो दाम देना पड़ता था। यूरिया…. बड़े किसान को यूरिया प्राप्‍त करने में कोई प्राबल्‍म नहीं था। छोटा किसान को रात-रात लाइन में खड़ा रहना पड़ता था। उसमें डंडे चलते थे और कभी-कभी तो बेचारा यूरिया के बिना घर वापस लौट जाता था। हम छोटे किसानों के हाल जानते हैं… 2014 के बाद हमनें कुछ परिवर्तन किए, हमनें फसल बीमा योजना का दायरा बढ़ा दिया ताकि किसान…छोटा किसान भी उसका फायदा ले सके और बहुत मामली रकम से ये काम शुरू किया और पिछले 4-5 साल में फसल बीमा योजना के तहत 90 हजार करोड़ रुपये उसके क्‍लेम किसानों को मिले हैं। कर्जमाफी से भी आंकड़ा बड़ा हो जाता है जी। + +हम कुछ बातों की और भी ध्‍यान दें अब देखिए… दूध उत्‍पादन… किन्हीं बंधनों में बंधा हुआ नहीं है। ना पशुपालक बंधनों में बंध हुआ है ना दूध बंधनों में बंधा हुआ है लेकिन मजा देखिए.. दूध के क्षेत्र में या तो प्राइवेट या को-ऑपरेटिव दोनों ने एक ऐसी मिलकर मजबूत चेन बनाई है दोनों मिलकर के इस काम को कर रहे हैं। और एक बेहतरीन सप्‍लाई चेन हमारे देश में बनी है। इसको हमने और जो अच्‍छा है उसकों हमने…..और ये मेरे काल में नहीं बना है। आप इस पर गर्व कर सकते हैं मेरे काम से पहले बना हुआ है। हमें गर्व करना चाहिए। फल सब्‍जी से जुड़े व्‍यवसाय में ज्‍यादातर बाजारों को सीधा संपर्क रहता है बाजारों में दखल हट गई है, इसका लाभ मिल रहा है। क्‍या डेयरी वाले सफल सब्‍जी खरीदने वाले उद्यमी, पशुपालको या  किसान की जमीन पर कब्‍जा हो जाता है उन के पशुओं पर कब्‍जा हो जाता है, नहीं होता है। दूध बिकता है, पशु नहीं बिकता है जी, हमारे देश में डेयरी उद्योग का योगदान है, कृषि अर्थव्‍यवस्‍था के कुल मूल्‍य में 28 प्रतिशत से भी ज्‍यादा है। यानी इतना बड़ा हम एग्रीकल्‍चर की चर्चाएं करते हैं, इस पहलू को हम भूल जाते हैं। 28 प्रतिशत contribution है। और करीब-करीब आठ लाख करोड़ों रुपयों का कारोबार है। जितने रुपये का दूध होता है उसका मूल्‍य अनाज और दाल दोनों मिला दें तो उसका ज्‍यादा है। हम कभी इस subject पर देखते ही नहीं हैं। पशुपालकों को पूरी आजादी, अनाज और दाल पैदा करने वाले छोटे और सीमांत किसानों को…. जैसे पशुपालक को आजादी मिली है, इनको आजादी क्यों नहीं मिलनी चाहिए? अब इन सवालों के जवाब हम ढूंढेगे तो हम सही रास्‍ते पर चलेगें। + +डेयरी और पशुपालन हमारे कृषि क्षेत्र के साथ बढ़ावा देने की जरूरत है ताकि हमारा किसान परिपक्‍व हो इसी प्रकार इसी हमने foot and mounth disease के लिए एक बहुत बड़ा अभियान चलाया जो पशुपालक, किसान को जो किसानी से जुड़ा हुआ रहता है उसको भी लाभ होगा। हमनें fisheries को भी एक अलग बल दिया, अलग Ministries बनाई और 20 हजार करोड़ रुपये मत्‍स्‍य संपदा योजना के लिए लगाया है। ताकि ये पूरे क्षेत्र को एक नया बल मिले। sweet revolution में बहुत संभावना है और इसलिएभारत ने उसके लिए बहुत जमीन की जरूरत नहीं है अपने ही खेत के कोने में वो कर दे तो भी साल में 40-50 हजार, लाख रुपया, दो लाख रुपया कमा लेगा वो। और इसलिए हम sweet शहद के लिए हनी के लिए, उसी प्रकार से bee wax दुनिया में bee wax की मांग है। भारत bee wax exportकर सकता है। हमने उसके लिए माहौल बनाया और किसान के खेत में ही छोटी किसान होगा तो वो एक नई कमाई कर सकता है, हमें उसको जोड़ना होगा। और मधुमक्‍खी पालन के लिए सैंकड़ों एकड़ जमीन की जरूरत नहीं है। वो आराम से अपने यहां कर सकता है। सोलर पंप… सोलर हम कहते हैं अन्‍नदाता ऊर्जादाता बने उसके खेत में ही सोलर सिस्‍टम से ऊर्जा पैदा करे, सोलर पंप चलाए अपनी पानी की आवश्‍यकता को पूरी करे। उसके खर्च को, बोझ को कम करे। और फसल एक लेता है तो दो ले, दो लेता है तो तीन ले। थोड़ा पैटर्न में बदल करना है तो बदल कर सके। इस दिशा में हम जा सकते हैं। और एक बात है, भारत की ताकत ऐसी समस्‍याओं के समाधान के समाधान करने की और नए रास्‍ते खोजने की रही है, आगे भी खुलेंगे। लेकिन कुछ लोग हैं जो भारत अस्थिर रहे, अशांत रहे, इसकी लगातार कोशिशें कर रहे हैं। हमें इन लोगों को जानना होगा। + +जम्‍मू-कश्‍मीर आत्‍मनिर्भर बनेगा, उस दिशा में हमारा- वहां पंचायत के चुनाव हुए, बीडीसी के चुनाव हुए, डीडीसी के चुनाव हुए, और उन सबकी सराहना गुलाम नबी जी ने की है। इस प्रशंसा के लिए मैं आपका बहुत आभारी हूं। लेकिन मुझे डर लगता है, आपने प्रशंसा की। मुझे विश्‍वास है कि आपकी पार्टी वाले इसको उचित spirit मेंलेंगे,गलती से जी-23 की राय मान करके कहीं उलटा न कर दें। + +कोरोना के चुनौतीपूर्ण दौर में सीमा पर भी चुनौती देने की कोशिश हुई। हमारे वीर जवानों के हौसले और कुशलता ने सटीक जवाब दिया है। हर हिन्‍दुस्‍तानी को इस बात पर गर्व है। मुश्किल परिस्थितियों में भी हमारे जवान डट करके खड़े रहे हैं। तमाम साथियों ने भी हमारे जवानों के शौर्य की सराहना की है, मैं उनका आभारी हूं। एलएसी पर जो स्थिति बनी है उस पर भारत का रुख बहुत स्‍पष्‍ट है और देश इसको भलीभांति देख भी रहा है और गर्व भी कर रहा है।Border Infrastructure और Border Security को लेकर हमारी प्रतिबद्धता में किसी प्रकार की ढील आने का सवाल ही नहीं होता है,गुंजाइश ही नहीं है, और जो लोग हमारा लालन-पालन और हमारे विचारों का को, हमारे उद्देश्य को देखते हैं वो कभी इस विषय में हमसे सवाल ही नहीं करेंगे, उनको मालूम है हम इसके लिए डटे हुए रहने वाले लोग हैं। और इसलिए हम इन विषयों में कहीं पर भी पीछे नहीं हैं। + +आज 2 हेक्‍टेयर से कम कितने किसान होंगे जो बैंक से लोन लेंगे… सिंचाई की सुविधा भी छोटे किसान के नसीब में नहीं है, बड़े किसान तो बड़ा-बड़ा पंप लगा देते थे, ट्यूबवेल कर देते थे, बिजली भी ले लेते थे, और बिजली मुफ्त मिल जाती थी, उनका काम चल जाता था। छोटे किसान के लिए तो सिंचाई के लिए भी दिक्‍कत थी। वो तो ट्यूबवेल लगा ही नहीं सकता था कभी-कभी तो उसको बड़े किसान से पानी खरीदना पड़ता था और जो दाम मांगे वो दाम देना पड़ता था। यूरिया…. बड़े किसान को यूरिया प्राप्‍त करने में कोई प्राबल्‍म नहीं था। छोटा किसान को रात-रात लाइन में खड़ा रहना पड़ता था। उसमें डंडे चलते थे और कभी-कभी तो बेचारा यूरिया के बिना घर वापस लौट जाता था। हम छोटे किसानों के हाल जानते हैं… 2014 के बाद हमनें कुछ परिवर्तन किए, हमनें फसल बीमा योजना का दायरा बढ़ा दिया ताकि किसान…छोटा किसान भी उसका फायदा ले सके और बहुत मामली रकम से ये काम शुरू किया और पिछले 4-5 साल में फसल बीमा योजना के तहत 90 हजार करोड़ रुपये उसके क्‍लेम किसानों को मिले हैं। कर्जमाफी से भी आंकड़ा बड़ा हो जाता है जी। + +हम कुछ बातों की और भी ध्‍यान दें अब देखिए… दूध उत्‍पादन… किन्हीं बंधनों में बंधा हुआ नहीं है। ना पशुपालक बंधनों में बंध हुआ है ना दूध बंधनों में बंधा हुआ है लेकिन मजा देखिए.. दूध के क्षेत्र में या तो प्राइवेट या को-ऑपरेटिव दोनों ने एक ऐसी मिलकर मजबूत चेन बनाई है दोनों मिलकर के इस काम को कर रहे हैं। और एक बेहतरीन सप्‍लाई चेन हमारे देश में बनी है। इसको हमने और जो अच्‍छा है उसकों हमने…..और ये मेरे काल में नहीं बना है। आप इस पर गर्व कर सकते हैं मेरे काम से पहले बना हुआ है। हमें गर्व करना चाहिए। फल सब्‍जी से जुड़े व्‍यवसाय में ज्‍यादातर बाजारों को सीधा संपर्क रहता है बाजारों में दखल हट गई है, इसका लाभ मिल रहा है। क्‍या डेयरी वाले सफल सब्‍जी खरीदने वाले उद्यमी, पशुपालको या  किसान की जमीन पर कब्‍जा हो जाता है उन के पशुओं पर कब्‍जा हो जाता है, नहीं होता है। दूध बिकता है, पशु नहीं बिकता है जी, हमारे देश में डेयरी उद्योग का योगदान है, कृषि अर्थव्‍यवस्‍था के कुल मूल्‍य में 28 प्रतिशत से भी ज्‍यादा है। यानी इतना बड़ा हम एग्रीकल्‍चर की चर्चाएं करते हैं, इस पहलू को हम भूल जाते हैं। 28 प्रतिशत contribution है। और करीब-करीब आठ लाख करोड़ों रुपयों का कारोबार है। जितने रुपये का दूध होता है उसका मूल्‍य अनाज और दाल दोनों मिला दें तो उसका ज्‍यादा है। हम कभी इस subject पर देखते ही नहीं हैं। पशुपालकों को पूरी आजादी, अनाज और दाल पैदा करने वाले छोटे और सीमांत किसानों को…. जैसे पशुपालक को आजादी मिली है, इनको आजादी क्यों नहीं मिलनी चाहिए? अब इन सवालों के जवाब हम ढूंढेगे तो हम सही रास्‍ते पर चलेगें। + +डेयरी और पशुपालन हमारे कृषि क्षेत्र के साथ बढ़ावा देने की जरूरत है ताकि हमारा किसान परिपक्‍व हो इसी प्रकार इसी हमने foot and mounth disease के लिए एक बहुत बड़ा अभियान चलाया जो पशुपालक, किसान को जो किसानी से जुड़ा हुआ रहता है उसको भी लाभ होगा। हमनें fisheries को भी एक अलग बल दिया, अलग Ministries बनाई और 20 हजार करोड़ रुपये मत्‍स्‍य संपदा योजना के लिए लगाया है। ताकि ये पूरे क्षेत्र को एक नया बल मिले। sweet revolution में बहुत संभावना है और इसलिएभारत ने उसके लिए बहुत जमीन की जरूरत नहीं है अपने ही खेत के कोने में वो कर दे तो भी साल में 40-50 हजार, लाख रुपया, दो लाख रुपया कमा लेगा वो। और इसलिए हम sweet शहद के लिए हनी के लिए, उसी प्रकार से bee wax दुनिया में bee wax की मांग है। भारत bee wax exportकर सकता है। हमने उसके लिए माहौल बनाया और किसान के खेत में ही छोटी किसान होगा तो वो एक नई कमाई कर सकता है, हमें उसको जोड़ना होगा। और मधुमक्‍खी पालन के लिए सैंकड़ों एकड़ जमीन की जरूरत नहीं है। वो आराम से अपने यहां कर सकता है। सोलर पंप… सोलर हम कहते हैं अन्‍नदाता ऊर्जादाता बने उसके खेत में ही सोलर सिस्‍टम से ऊर्जा पैदा करे, सोलर पंप चलाए अपनी पानी की आवश्‍यकता को पूरी करे। उसके खर्च को, बोझ को कम करे। और फसल एक लेता है तो दो ले, दो लेता है तो तीन ले। थोड़ा पैटर्न में बदल करना है तो बदल कर सके। इस दिशा में हम जा सकते हैं। और एक बात है, भारत की ताकत ऐसी समस्‍याओं के समाधान के समाधान करने की और नए रास्‍ते खोजने की रही है, आगे भी खुलेंगे। लेकिन कुछ लोग हैं जो भारत अस्थिर रहे, अशांत रहे, इसकी लगातार कोशिशें कर रहे हैं। हमें इन लोगों को जानना होगा। + +जम्‍मू-कश्‍मीर आत्‍मनिर्भर बनेगा, उस दिशा में हमारा- वहां पंचायत के चुनाव हुए, बीडीसी के चुनाव हुए, डीडीसी के चुनाव हुए, और उन सबकी सराहना गुलाम नबी जी ने की है। इस प्रशंसा के लिए मैं आपका बहुत आभारी हूं। लेकिन मुझे डर लगता है, आपने प्रशंसा की। मुझे विश्‍वास है कि आपकी पार्टी वाले इसको उचित spirit मेंलेंगे,गलती से जी-23 की राय मान करके कहीं उलटा न कर दें। + +कोरोना के चुनौतीपूर्ण दौर में सीमा पर भी चुनौती देने की कोशिश हुई। हमारे वीर जवानों के हौसले और कुशलता ने सटीक जवाब दिया है। हर हिन्‍दुस्‍तानी को इस बात पर गर्व है। मुश्किल परिस्थितियों में भी हमारे जवान डट करके खड़े रहे हैं। तमाम साथियों ने भी हमारे जवानों के शौर्य की सराहना की है, मैं उनका आभारी हूं। एलएसी पर जो स्थिति बनी है उस पर भारत का रुख बहुत स्‍पष्‍ट है और देश इसको भलीभांति देख भी रहा है और गर्व भी कर रहा है।Border Infrastructure और Border Security को लेकर हमारी प्रतिबद्धता में किसी प्रकार की ढील आने का सवाल ही नहीं होता है,गुंजाइश ही नहीं है, और जो लोग हमारा लालन-पालन और हमारे विचारों का को, हमारे उद्देश्य को देखते हैं वो कभी इस विषय में हमसे सवाल ही नहीं करेंगे, उनको मालूम है हम इसके लिए डटे हुए रहने वाले लोग हैं। और इसलिए हम इन विषयों में कहीं पर भी पीछे नहीं हैं। + +आज 2 हेक्‍टेयर से कम कितने किसान होंगे जो बैंक से लोन लेंगे… सिंचाई की सुविधा भी छोटे किसान के नसीब में नहीं है, बड़े किसान तो बड़ा-बड़ा पंप लगा देते थे, ट्यूबवेल कर देते थे, बिजली भी ले लेते थे, और बिजली मुफ्त मिल जाती थी, उनका काम चल जाता था। छोटे किसान के लिए तो सिंचाई के लिए भी दिक्‍कत थी। वो तो ट्यूबवेल लगा ही नहीं सकता था कभी-कभी तो उसको बड़े किसान से पानी खरीदना पड़ता था और जो दाम मांगे वो दाम देना पड़ता था। यूरिया…. बड़े किसान को यूरिया प्राप्‍त करने में कोई प्राबल्‍म नहीं था। छोटा किसान को रात-रात लाइन में खड़ा रहना पड़ता था। उसमें डंडे चलते थे और कभी-कभी तो बेचारा यूरिया के बिना घर वापस लौट जाता था। हम छोटे किसानों के हाल जानते हैं… 2014 के बाद हमनें कुछ परिवर्तन किए, हमनें फसल बीमा योजना का दायरा बढ़ा दिया ताकि किसान…छोटा किसान भी उसका फायदा ले सके और बहुत मामली रकम से ये काम शुरू किया और पिछले 4-5 साल में फसल बीमा योजना के तहत 90 हजार करोड़ रुपये उसके क्‍लेम किसानों को मिले हैं। कर्जमाफी से भी आंकड़ा बड़ा हो जाता है जी। + +हम कुछ बातों की और भी ध्‍यान दें अब देखिए… दूध उत्‍पादन… किन्हीं बंधनों में बंधा हुआ नहीं है। ना पशुपालक बंधनों में बंध हुआ है ना दूध बंधनों में बंधा हुआ है लेकिन मजा देखिए.. दूध के क्षेत्र में या तो प्राइवेट या को-ऑपरेटिव दोनों ने एक ऐसी मिलकर मजबूत चेन बनाई है दोनों मिलकर के इस काम को कर रहे हैं। और एक बेहतरीन सप्‍लाई चेन हमारे देश में बनी है। इसको हमने और जो अच्‍छा है उसकों हमने…..और ये मेरे काल में नहीं बना है। आप इस पर गर्व कर सकते हैं मेरे काम से पहले बना हुआ है। हमें गर्व करना चाहिए। फल सब्‍जी से जुड़े व्‍यवसाय में ज्‍यादातर बाजारों को सीधा संपर्क रहता है बाजारों में दखल हट गई है, इसका लाभ मिल रहा है। क्‍या डेयरी वाले सफल सब्‍जी खरीदने वाले उद्यमी, पशुपालको या  किसान की जमीन पर कब्‍जा हो जाता है उन के पशुओं पर कब्‍जा हो जाता है, नहीं होता है। दूध बिकता है, पशु नहीं बिकता है जी, हमारे देश में डेयरी उद्योग का योगदान है, कृषि अर्थव्‍यवस्‍था के कुल मूल्‍य में 28 प्रतिशत से भी ज्‍यादा है। यानी इतना बड़ा हम एग्रीकल्‍चर की चर्चाएं करते हैं, इस पहलू को हम भूल जाते हैं। 28 प्रतिशत contribution है। और करीब-करीब आठ लाख करोड़ों रुपयों का कारोबार है। जितने रुपये का दूध होता है उसका मूल्‍य अनाज और दाल दोनों मिला दें तो उसका ज्‍यादा है। हम कभी इस subject पर देखते ही नहीं हैं। पशुपालकों को पूरी आजादी, अनाज और दाल पैदा करने वाले छोटे और सीमांत किसानों को…. जैसे पशुपालक को आजादी मिली है, इनको आजादी क्यों नहीं मिलनी चाहिए? अब इन सवालों के जवाब हम ढूंढेगे तो हम सही रास्‍ते पर चलेगें। + +डेयरी और पशुपालन हमारे कृषि क्षेत्र के साथ बढ़ावा देने की जरूरत है ताकि हमारा किसान परिपक्‍व हो इसी प्रकार इसी हमने foot and mounth disease के लिए एक बहुत बड़ा अभियान चलाया जो पशुपालक, किसान को जो किसानी से जुड़ा हुआ रहता है उसको भी लाभ होगा। हमनें fisheries को भी एक अलग बल दिया, अलग Ministries बनाई और 20 हजार करोड़ रुपये मत्‍स्‍य संपदा योजना के लिए लगाया है। ताकि ये पूरे क्षेत्र को एक नया बल मिले। sweet revolution में बहुत संभावना है और इसलिएभारत ने उसके लिए बहुत जमीन की जरूरत नहीं है अपने ही खेत के कोने में वो कर दे तो भी साल में 40-50 हजार, लाख रुपया, दो लाख रुपया कमा लेगा वो। और इसलिए हम sweet शहद के लिए हनी के लिए, उसी प्रकार से bee wax दुनिया में bee wax की मांग है। भारत bee wax exportकर सकता है। हमने उसके लिए माहौल बनाया और किसान के खेत में ही छोटी किसान होगा तो वो एक नई कमाई कर सकता है, हमें उसको जोड़ना होगा। और मधुमक्‍खी पालन के लिए सैंकड़ों एकड़ जमीन की जरूरत नहीं है। वो आराम से अपने यहां कर सकता है। सोलर पंप… सोलर हम कहते हैं अन्‍नदाता ऊर्जादाता बने उसके खेत में ही सोलर सिस्‍टम से ऊर्जा पैदा करे, सोलर पंप चलाए अपनी पानी की आवश्‍यकता को पूरी करे। उसके खर्च को, बोझ को कम करे। और फसल एक लेता है तो दो ले, दो लेता है तो तीन ले। थोड़ा पैटर्न में बदल करना है तो बदल कर सके। इस दिशा में हम जा सकते हैं। और एक बात है, भारत की ताकत ऐसी समस्‍याओं के समाधान के समाधान करने की और नए रास्‍ते खोजने की रही है, आगे भी खुलेंगे। लेकिन कुछ लोग हैं जो भारत अस्थिर रहे, अशांत रहे, इसकी लगातार कोशिशें कर रहे हैं। हमें इन लोगों को जानना होगा। + +जम्‍मू-कश्‍मीर आत्‍मनिर्भर बनेगा, उस दिशा में हमारा- वहां पंचायत के चुनाव हुए, बीडीसी के चुनाव हुए, डीडीसी के चुनाव हुए, और उन सबकी सराहना गुलाम नबी जी ने की है। इस प्रशंसा के लिए मैं आपका बहुत आभारी हूं। लेकिन मुझे डर लगता है, आपने प्रशंसा की। मुझे विश्‍वास है कि आपकी पार्टी वाले इसको उचित spirit मेंलेंगे,गलती से जी-23 की राय मान करके कहीं उलटा न कर दें। + +कोरोना के चुनौतीपूर्ण दौर में सीमा पर भी चुनौती देने की कोशिश हुई। हमारे वीर जवानों के हौसले और कुशलता ने सटीक जवाब दिया है। हर हिन्‍दुस्‍तानी को इस बात पर गर्व है। मुश्किल परिस्थितियों में भी हमारे जवान डट करके खड़े रहे हैं। तमाम साथियों ने भी हमारे जवानों के शौर्य की सराहना की है, मैं उनका आभारी हूं। एलएसी पर जो स्थिति बनी है उस पर भारत का रुख बहुत स्‍पष्‍ट है और देश इसको भलीभांति देख भी रहा है और गर्व भी कर रहा है।Border Infrastructure और Border Security को लेकर हमारी प्रतिबद्धता में किसी प्रकार की ढील आने का सवाल ही नहीं होता है,गुंजाइश ही नहीं है, और जो लोग हमारा लालन-पालन और हमारे विचारों का को, हमारे उद्देश्य को देखते हैं वो कभी इस विषय में हमसे सवाल ही नहीं करेंगे, उनको मालूम है हम इसके लिए डटे हुए रहने वाले लोग हैं। और इसलिए हम इन विषयों में कहीं पर भी पीछे नहीं हैं। + +आज 2 हेक्‍टेयर से कम कितने किसान होंगे जो बैंक से लोन लेंगे… सिंचाई की सुविधा भी छोटे किसान के नसीब में नहीं है, बड़े किसान तो बड़ा-बड़ा पंप लगा देते थे, ट्यूबवेल कर देते थे, बिजली भी ले लेते थे, और बिजली मुफ्त मिल जाती थी, उनका काम चल जाता था। छोटे किसान के लिए तो सिंचाई के लिए भी दिक्‍कत थी। वो तो ट्यूबवेल लगा ही नहीं सकता था कभी-कभी तो उसको बड़े किसान से पानी खरीदना पड़ता था और जो दाम मांगे वो दाम देना पड़ता था। यूरिया…. बड़े किसान को यूरिया प्राप्‍त करने में कोई प्राबल्‍म नहीं था। छोटा किसान को रात-रात लाइन में खड़ा रहना पड़ता था। उसमें डंडे चलते थे और कभी-कभी तो बेचारा यूरिया के बिना घर वापस लौट जाता था। हम छोटे किसानों के हाल जानते हैं… 2014 के बाद हमनें कुछ परिवर्तन किए, हमनें फसल बीमा योजना का दायरा बढ़ा दिया ताकि किसान…छोटा किसान भी उसका फायदा ले सके और बहुत मामली रकम से ये काम शुरू किया और पिछले 4-5 साल में फसल बीमा योजना के तहत 90 हजार करोड़ रुपये उसके क्‍लेम किसानों को मिले हैं। कर्जमाफी से भी आंकड़ा बड़ा हो जाता है जी। + +हम कुछ बातों की और भी ध्‍यान दें अब देखिए… दूध उत्‍पादन… किन्हीं बंधनों में बंधा हुआ नहीं है। ना पशुपालक बंधनों में बंध हुआ है ना दूध बंधनों में बंधा हुआ है लेकिन मजा देखिए.. दूध के क्षेत्र में या तो प्राइवेट या को-ऑपरेटिव दोनों ने एक ऐसी मिलकर मजबूत चेन बनाई है दोनों मिलकर के इस काम को कर रहे हैं। और एक बेहतरीन सप्‍लाई चेन हमारे देश में बनी है। इसको हमने और जो अच्‍छा है उसकों हमने…..और ये मेरे काल में नहीं बना है। आप इस पर गर्व कर सकते हैं मेरे काम से पहले बना हुआ है। हमें गर्व करना चाहिए। फल सब्‍जी से जुड़े व्‍यवसाय में ज्‍यादातर बाजारों को सीधा संपर्क रहता है बाजारों में दखल हट गई है, इसका लाभ मिल रहा है। क्‍या डेयरी वाले सफल सब्‍जी खरीदने वाले उद्यमी, पशुपालको या  किसान की जमीन पर कब्‍जा हो जाता है उन के पशुओं पर कब्‍जा हो जाता है, नहीं होता है। दूध बिकता है, पशु नहीं बिकता है जी, हमारे देश में डेयरी उद्योग का योगदान है, कृषि अर्थव्‍यवस्‍था के कुल मूल्‍य में 28 प्रतिशत से भी ज्‍यादा है। यानी इतना बड़ा हम एग्रीकल्‍चर की चर्चाएं करते हैं, इस पहलू को हम भूल जाते हैं। 28 प्रतिशत contribution है। और करीब-करीब आठ लाख करोड़ों रुपयों का कारोबार है। जितने रुपये का दूध होता है उसका मूल्‍य अनाज और दाल दोनों मिला दें तो उसका ज्‍यादा है। हम कभी इस subject पर देखते ही नहीं हैं। पशुपालकों को पूरी आजादी, अनाज और दाल पैदा करने वाले छोटे और सीमांत किसानों को…. जैसे पशुपालक को आजादी मिली है, इनको आजादी क्यों नहीं मिलनी चाहिए? अब इन सवालों के जवाब हम ढूंढेगे तो हम सही रास्‍ते पर चलेगें। + +डेयरी और पशुपालन हमारे कृषि क्षेत्र के साथ बढ़ावा देने की जरूरत है ताकि हमारा किसान परिपक्‍व हो इसी प्रकार इसी हमने foot and mounth disease के लिए एक बहुत बड़ा अभियान चलाया जो पशुपालक, किसान को जो किसानी से जुड़ा हुआ रहता है उसको भी लाभ होगा। हमनें fisheries को भी एक अलग बल दिया, अलग Ministries बनाई और 20 हजार करोड़ रुपये मत्‍स्‍य संपदा योजना के लिए लगाया है। ताकि ये पूरे क्षेत्र को एक नया बल मिले। sweet revolution में बहुत संभावना है और इसलिएभारत ने उसके लिए बहुत जमीन की जरूरत नहीं है अपने ही खेत के कोने में वो कर दे तो भी साल में 40-50 हजार, लाख रुपया, दो लाख रुपया कमा लेगा वो। और इसलिए हम sweet शहद के लिए हनी के लिए, उसी प्रकार से bee wax दुनिया में bee wax की मांग है। भारत bee wax exportकर सकता है। हमने उसके लिए माहौल बनाया और किसान के खेत में ही छोटी किसान होगा तो वो एक नई कमाई कर सकता है, हमें उसको जोड़ना होगा। और मधुमक्‍खी पालन के लिए सैंकड़ों एकड़ जमीन की जरूरत नहीं है। वो आराम से अपने यहां कर सकता है। सोलर पंप… सोलर हम कहते हैं अन्‍नदाता ऊर्जादाता बने उसके खेत में ही सोलर सिस्‍टम से ऊर्जा पैदा करे, सोलर पंप चलाए अपनी पानी की आवश्‍यकता को पूरी करे। उसके खर्च को, बोझ को कम करे। और फसल एक लेता है तो दो ले, दो लेता है तो तीन ले। थोड़ा पैटर्न में बदल करना है तो बदल कर सके। इस दिशा में हम जा सकते हैं। और एक बात है, भारत की ताकत ऐसी समस्‍याओं के समाधान के समाधान करने की और नए रास्‍ते खोजने की रही है, आगे भी खुलेंगे। लेकिन कुछ लोग हैं जो भारत अस्थिर रहे, अशांत रहे, इसकी लगातार कोशिशें कर रहे हैं। हमें इन लोगों को जानना होगा। + +जम्‍मू-कश्‍मीर आत्‍मनिर्भर बनेगा, उस दिशा में हमारा- वहां पंचायत के चुनाव हुए, बीडीसी के चुनाव हुए, डीडीसी के चुनाव हुए, और उन सबकी सराहना गुलाम नबी जी ने की है। इस प्रशंसा के लिए मैं आपका बहुत आभारी हूं। लेकिन मुझे डर लगता है, आपने प्रशंसा की। मुझे विश्‍वास है कि आपकी पार्टी वाले इसको उचित spirit मेंलेंगे,गलती से जी-23 की राय मान करके कहीं उलटा न कर दें। + +कोरोना के चुनौतीपूर्ण दौर में सीमा पर भी चुनौती देने की कोशिश हुई। हमारे वीर जवानों के हौसले और कुशलता ने सटीक जवाब दिया है। हर हिन्‍दुस्‍तानी को इस बात पर गर्व है। मुश्किल परिस्थितियों में भी हमारे जवान डट करके खड़े रहे हैं। तमाम साथियों ने भी हमारे जवानों के शौर्य की सराहना की है, मैं उनका आभारी हूं। एलएसी पर जो स्थिति बनी है उस पर भारत का रुख बहुत स्‍पष्‍ट है और देश इसको भलीभांति देख भी रहा है और गर्व भी कर रहा है।Border Infrastructure और Border Security को लेकर हमारी प्रतिबद्धता में किसी प्रकार की ढील आने का सवाल ही नहीं होता है,गुंजाइश ही नहीं है, और जो लोग हमारा लालन-पालन और हमारे विचारों का को, हमारे उद्देश्य को देखते हैं वो कभी इस विषय में हमसे सवाल ही नहीं करेंगे, उनको मालूम है हम इसके लिए डटे हुए रहने वाले लोग हैं। और इसलिए हम इन विषयों में कहीं पर भी पीछे नहीं हैं। + +आज 2 हेक्‍टेयर से कम कितने किसान होंगे जो बैंक से लोन लेंगे… सिंचाई की सुविधा भी छोटे किसान के नसीब में नहीं है, बड़े किसान तो बड़ा-बड़ा पंप लगा देते थे, ट्यूबवेल कर देते थे, बिजली भी ले लेते थे, और बिजली मुफ्त मिल जाती थी, उनका काम चल जाता था। छोटे किसान के लिए तो सिंचाई के लिए भी दिक्‍कत थी। वो तो ट्यूबवेल लगा ही नहीं सकता था कभी-कभी तो उसको बड़े किसान से पानी खरीदना पड़ता था और जो दाम मांगे वो दाम देना पड़ता था। यूरिया…. बड़े किसान को यूरिया प्राप्‍त करने में कोई प्राबल्‍म नहीं था। छोटा किसान को रात-रात लाइन में खड़ा रहना पड़ता था। उसमें डंडे चलते थे और कभी-कभी तो बेचारा यूरिया के बिना घर वापस लौट जाता था। हम छोटे किसानों के हाल जानते हैं… 2014 के बाद हमनें कुछ परिवर्तन किए, हमनें फसल बीमा योजना का दायरा बढ़ा दिया ताकि किसान…छोटा किसान भी उसका फायदा ले सके और बहुत मामली रकम से ये काम शुरू किया और पिछले 4-5 साल में फसल बीमा योजना के तहत 90 हजार करोड़ रुपये उसके क्‍लेम किसानों को मिले हैं। कर्जमाफी से भी आंकड़ा बड़ा हो जाता है जी। + +हम कुछ बातों की और भी ध्‍यान दें अब देखिए… दूध उत्‍पादन… किन्हीं बंधनों में बंधा हुआ नहीं है। ना पशुपालक बंधनों में बंध हुआ है ना दूध बंधनों में बंधा हुआ है लेकिन मजा देखिए.. दूध के क्षेत्र में या तो प्राइवेट या को-ऑपरेटिव दोनों ने एक ऐसी मिलकर मजबूत चेन बनाई है दोनों मिलकर के इस काम को कर रहे हैं। और एक बेहतरीन सप्‍लाई चेन हमारे देश में बनी है। इसको हमने और जो अच्‍छा है उसकों हमने…..और ये मेरे काल में नहीं बना है। आप इस पर गर्व कर सकते हैं मेरे काम से पहले बना हुआ है। हमें गर्व करना चाहिए। फल सब्‍जी से जुड़े व्‍यवसाय में ज्‍यादातर बाजारों को सीधा संपर्क रहता है बाजारों में दखल हट गई है, इसका लाभ मिल रहा है। क्‍या डेयरी वाले सफल सब्‍जी खरीदने वाले उद्यमी, पशुपालको या  किसान की जमीन पर कब्‍जा हो जाता है उन के पशुओं पर कब्‍जा हो जाता है, नहीं होता है। दूध बिकता है, पशु नहीं बिकता है जी, हमारे देश में डेयरी उद्योग का योगदान है, कृषि अर्थव्‍यवस्‍था के कुल मूल्‍य में 28 प्रतिशत से भी ज्‍यादा है। यानी इतना बड़ा हम एग्रीकल्‍चर की चर्चाएं करते हैं, इस पहलू को हम भूल जाते हैं। 28 प्रतिशत contribution है। और करीब-करीब आठ लाख करोड़ों रुपयों का कारोबार है। जितने रुपये का दूध होता है उसका मूल्‍य अनाज और दाल दोनों मिला दें तो उसका ज्‍यादा है। हम कभी इस subject पर देखते ही नहीं हैं। पशुपालकों को पूरी आजादी, अनाज और दाल पैदा करने वाले छोटे और सीमांत किसानों को…. जैसे पशुपालक को आजादी मिली है, इनको आजादी क्यों नहीं मिलनी चाहिए? अब इन सवालों के जवाब हम ढूंढेगे तो हम सही रास्‍ते पर चलेगें। + +डेयरी और पशुपालन हमारे कृषि क्षेत्र के साथ बढ़ावा देने की जरूरत है ताकि हमारा किसान परिपक्‍व हो इसी प्रकार इसी हमने foot and mounth disease के लिए एक बहुत बड़ा अभियान चलाया जो पशुपालक, किसान को जो किसानी से जुड़ा हुआ रहता है उसको भी लाभ होगा। हमनें fisheries को भी एक अलग बल दिया, अलग Ministries बनाई और 20 हजार करोड़ रुपये मत्‍स्‍य संपदा योजना के लिए लगाया है। ताकि ये पूरे क्षेत्र को एक नया बल मिले। sweet revolution में बहुत संभावना है और इसलिएभारत ने उसके लिए बहुत जमीन की जरूरत नहीं है अपने ही खेत के कोने में वो कर दे तो भी साल में 40-50 हजार, लाख रुपया, दो लाख रुपया कमा लेगा वो। और इसलिए हम sweet शहद के लिए हनी के लिए, उसी प्रकार से bee wax दुनिया में bee wax की मांग है। भारत bee wax exportकर सकता है। हमने उसके लिए माहौल बनाया और किसान के खेत में ही छोटी किसान होगा तो वो एक नई कमाई कर सकता है, हमें उसको जोड़ना होगा। और मधुमक्‍खी पालन के लिए सैंकड़ों एकड़ जमीन की जरूरत नहीं है। वो आराम से अपने यहां कर सकता है। सोलर पंप… सोलर हम कहते हैं अन्‍नदाता ऊर्जादाता बने उसके खेत में ही सोलर सिस्‍टम से ऊर्जा पैदा करे, सोलर पंप चलाए अपनी पानी की आवश्‍यकता को पूरी करे। उसके खर्च को, बोझ को कम करे। और फसल एक लेता है तो दो ले, दो लेता है तो तीन ले। थोड़ा पैटर्न में बदल करना है तो बदल कर सके। इस दिशा में हम जा सकते हैं। और एक बात है, भारत की ताकत ऐसी समस्‍याओं के समाधान के समाधान करने की और नए रास्‍ते खोजने की रही है, आगे भी खुलेंगे। लेकिन कुछ लोग हैं जो भारत अस्थिर रहे, अशांत रहे, इसकी लगातार कोशिशें कर रहे हैं। हमें इन लोगों को जानना होगा। + +जम्‍मू-कश्‍मीर आत्‍मनिर्भर बनेगा, उस दिशा में हमारा- वहां पंचायत के चुनाव हुए, बीडीसी के चुनाव हुए, डीडीसी के चुनाव हुए, और उन सबकी सराहना गुलाम नबी जी ने की है। इस प्रशंसा के लिए मैं आपका बहुत आभारी हूं। लेकिन मुझे डर लगता है, आपने प्रशंसा की। मुझे विश्‍वास है कि आपकी पार्टी वाले इसको उचित spirit मेंलेंगे,गलती से जी-23 की राय मान करके कहीं उलटा न कर दें। + +कोरोना के चुनौतीपूर्ण दौर में सीमा पर भी चुनौती देने की कोशिश हुई। हमारे वीर जवानों के हौसले और कुशलता ने सटीक जवाब दिया है। हर हिन्‍दुस्‍तानी को इस बात पर गर्व है। मुश्किल परिस्थितियों में भी हमारे जवान डट करके खड़े रहे हैं। तमाम साथियों ने भी हमारे जवानों के शौर्य की सराहना की है, मैं उनका आभारी हूं। एलएसी पर जो स्थिति बनी है उस पर भारत का रुख बहुत स्‍पष्‍ट है और देश इसको भलीभांति देख भी रहा है और गर्व भी कर रहा है।Border Infrastructure और Border Security को लेकर हमारी प्रतिबद्धता में किसी प्रकार की ढील आने का सवाल ही नहीं होता है,गुंजाइश ही नहीं है, और जो लोग हमारा लालन-पालन और हमारे विचारों का को, हमारे उद्देश्य को देखते हैं वो कभी इस विषय में हमसे सवाल ही नहीं करेंगे, उनको मालूम है हम इसके लिए डटे हुए रहने वाले लोग हैं। और इसलिए हम इन विषयों में कहीं पर भी पीछे नहीं हैं। + +हम कुछ बातों की और भी ध्‍यान दें अब देखिए… दूध उत्‍पादन… किन्हीं बंधनों में बंधा हुआ नहीं है। ना पशुपालक बंधनों में बंध हुआ है ना दूध बंधनों में बंधा हुआ है लेकिन मजा देखिए.. दूध के क्षेत्र में या तो प्राइवेट या को-ऑपरेटिव दोनों ने एक ऐसी मिलकर मजबूत चेन बनाई है दोनों मिलकर के इस काम को कर रहे हैं। और एक बेहतरीन सप्‍लाई चेन हमारे देश में बनी है। इसको हमने और जो अच्‍छा है उसकों हमने…..और ये मेरे काल में नहीं बना है। आप इस पर गर्व कर सकते हैं मेरे काम से पहले बना हुआ है। हमें गर्व करना चाहिए। फल सब्‍जी से जुड़े व्‍यवसाय में ज्‍यादातर बाजारों को सीधा संपर्क रहता है बाजारों में दखल हट गई है, इसका लाभ मिल रहा है। क्‍या डेयरी वाले सफल सब्‍जी खरीदने वाले उद्यमी, पशुपालको या  किसान की जमीन पर कब्‍जा हो जाता है उन के पशुओं पर कब्‍जा हो जाता है, नहीं होता है। दूध बिकता है, पशु नहीं बिकता है जी, हमारे देश में डेयरी उद्योग का योगदान है, कृषि अर्थव्‍यवस्‍था के कुल मूल्‍य में 28 प्रतिशत से भी ज्‍यादा है। यानी इतना बड़ा हम एग्रीकल्‍चर की चर्चाएं करते हैं, इस पहलू को हम भूल जाते हैं। 28 प्रतिशत contribution है। और करीब-करीब आठ लाख करोड़ों रुपयों का कारोबार है। जितने रुपये का दूध होता है उसका मूल्‍य अनाज और दाल दोनों मिला दें तो उसका ज्‍यादा है। हम कभी इस subject पर देखते ही नहीं हैं। पशुपालकों को पूरी आजादी, अनाज और दाल पैदा करने वाले छोटे और सीमांत किसानों को…. जैसे पशुपालक को आजादी मिली है, इनको आजादी क्यों नहीं मिलनी चाहिए? अब इन सवालों के जवाब हम ढूंढेगे तो हम सही रास्‍ते पर चलेगें। + +डेयरी और पशुपालन हमारे कृषि क्षेत्र के साथ बढ़ावा देने की जरूरत है ताकि हमारा किसान परिपक्‍व हो इसी प्रकार इसी हमने foot and mounth disease के लिए एक बहुत बड़ा अभियान चलाया जो पशुपालक, किसान को जो किसानी से जुड़ा हुआ रहता है उसको भी लाभ होगा। हमनें fisheries को भी एक अलग बल दिया, अलग Ministries बनाई और 20 हजार करोड़ रुपये मत्‍स्‍य संपदा योजना के लिए लगाया है। ताकि ये पूरे क्षेत्र को एक नया बल मिले। sweet revolution में बहुत संभावना है और इसलिएभारत ने उसके लिए बहुत जमीन की जरूरत नहीं है अपने ही खेत के कोने में वो कर दे तो भी साल में 40-50 हजार, लाख रुपया, दो लाख रुपया कमा लेगा वो। और इसलिए हम sweet शहद के लिए हनी के लिए, उसी प्रकार से bee wax दुनिया में bee wax की मांग है। भारत bee wax exportकर सकता है। हमने उसके लिए माहौल बनाया और किसान के खेत में ही छोटी किसान होगा तो वो एक नई कमाई कर सकता है, हमें उसको जोड़ना होगा। और मधुमक्‍खी पालन के लिए सैंकड़ों एकड़ जमीन की जरूरत नहीं है। वो आराम से अपने यहां कर सकता है। सोलर पंप… सोलर हम कहते हैं अन्‍नदाता ऊर्जादाता बने उसके खेत में ही सोलर सिस्‍टम से ऊर्जा पैदा करे, सोलर पंप चलाए अपनी पानी की आवश्‍यकता को पूरी करे। उसके खर्च को, बोझ को कम करे। और फसल एक लेता है तो दो ले, दो लेता है तो तीन ले। थोड़ा पैटर्न में बदल करना है तो बदल कर सके। इस दिशा में हम जा सकते हैं। और एक बात है, भारत की ताकत ऐसी समस्‍याओं के समाधान के समाधान करने की और नए रास्‍ते खोजने की रही है, आगे भी खुलेंगे। लेकिन कुछ लोग हैं जो भारत अस्थिर रहे, अशांत रहे, इसकी लगातार कोशिशें कर रहे हैं। हमें इन लोगों को जानना होगा। + +जम्‍मू-कश्‍मीर आत्‍मनिर्भर बनेगा, उस दिशा में हमारा- वहां पंचायत के चुनाव हुए, बीडीसी के चुनाव हुए, डीडीसी के चुनाव हुए, और उन सबकी सराहना गुलाम नबी जी ने की है। इस प्रशंसा के लिए मैं आपका बहुत आभारी हूं। लेकिन मुझे डर लगता है, आपने प्रशंसा की। मुझे विश्‍वास है कि आपकी पार्टी वाले इसको उचित spirit मेंलेंगे,गलती से जी-23 की राय मान करके कहीं उलटा न कर दें। + +कोरोना के चुनौतीपूर्ण दौर में सीमा पर भी चुनौती देने की कोशिश हुई। हमारे वीर जवानों के हौसले और कुशलता ने सटीक जवाब दिया है। हर हिन्‍दुस्‍तानी को इस बात पर गर्व है। मुश्किल परिस्थितियों में भी हमारे जवान डट करके खड़े रहे हैं। तमाम साथियों ने भी हमारे जवानों के शौर्य की सराहना की है, मैं उनका आभारी हूं। एलएसी पर जो स्थिति बनी है उस पर भारत का रुख बहुत स्‍पष्‍ट है और देश इसको भलीभांति देख भी रहा है और गर्व भी कर रहा है।Border Infrastructure और Border Security को लेकर हमारी प्रतिबद्धता में किसी प्रकार की ढील आने का सवाल ही नहीं होता है,गुंजाइश ही नहीं है, और जो लोग हमारा लालन-पालन और हमारे विचारों का को, हमारे उद्देश्य को देखते हैं वो कभी इस विषय में हमसे सवाल ही नहीं करेंगे, उनको मालूम है हम इसके लिए डटे हुए रहने वाले लोग हैं। और इसलिए हम इन विषयों में कहीं पर भी पीछे नहीं हैं। + +हम कुछ बातों की और भी ध्‍यान दें अब देखिए… दूध उत्‍पादन… किन्हीं बंधनों में बंधा हुआ नहीं है। ना पशुपालक बंधनों में बंध हुआ है ना दूध बंधनों में बंधा हुआ है लेकिन मजा देखिए.. दूध के क्षेत्र में या तो प्राइवेट या को-ऑपरेटिव दोनों ने एक ऐसी मिलकर मजबूत चेन बनाई है दोनों मिलकर के इस काम को कर रहे हैं। और एक बेहतरीन सप्‍लाई चेन हमारे देश में बनी है। इसको हमने और जो अच्‍छा है उसकों हमने…..और ये मेरे काल में नहीं बना है। आप इस पर गर्व कर सकते हैं मेरे काम से पहले बना हुआ है। हमें गर्व करना चाहिए। फल सब्‍जी से जुड़े व्‍यवसाय में ज्‍यादातर बाजारों को सीधा संपर्क रहता है बाजारों में दखल हट गई है, इसका लाभ मिल रहा है। क्‍या डेयरी वाले सफल सब्‍जी खरीदने वाले उद्यमी, पशुपालको या  किसान की जमीन पर कब्‍जा हो जाता है उन के पशुओं पर कब्‍जा हो जाता है, नहीं होता है। दूध बिकता है, पशु नहीं बिकता है जी, हमारे देश में डेयरी उद्योग का योगदान है, कृषि अर्थव्‍यवस्‍था के कुल मूल्‍य में 28 प्रतिशत से भी ज्‍यादा है। यानी इतना बड़ा हम एग्रीकल्‍चर की चर्चाएं करते हैं, इस पहलू को हम भूल जाते हैं। 28 प्रतिशत contribution है। और करीब-करीब आठ लाख करोड़ों रुपयों का कारोबार है। जितने रुपये का दूध होता है उसका मूल्‍य अनाज और दाल दोनों मिला दें तो उसका ज्‍यादा है। हम कभी इस subject पर देखते ही नहीं हैं। पशुपालकों को पूरी आजादी, अनाज और दाल पैदा करने वाले छोटे और सीमांत किसानों को…. जैसे पशुपालक को आजादी मिली है, इनको आजादी क्यों नहीं मिलनी चाहिए? अब इन सवालों के जवाब हम ढूंढेगे तो हम सही रास्‍ते पर चलेगें। + +डेयरी और पशुपालन हमारे कृषि क्षेत्र के साथ बढ़ावा देने की जरूरत है ताकि हमारा किसान परिपक्‍व हो इसी प्रकार इसी हमने foot and mounth disease के लिए एक बहुत बड़ा अभियान चलाया जो पशुपालक, किसान को जो किसानी से जुड़ा हुआ रहता है उसको भी लाभ होगा। हमनें fisheries को भी एक अलग बल दिया, अलग Ministries बनाई और 20 हजार करोड़ रुपये मत्‍स्‍य संपदा योजना के लिए लगाया है। ताकि ये पूरे क्षेत्र को एक नया बल मिले। sweet revolution में बहुत संभावना है और इसलिएभारत ने उसके लिए बहुत जमीन की जरूरत नहीं है अपने ही खेत के कोने में वो कर दे तो भी साल में 40-50 हजार, लाख रुपया, दो लाख रुपया कमा लेगा वो। और इसलिए हम sweet शहद के लिए हनी के लिए, उसी प्रकार से bee wax दुनिया में bee wax की मांग है। भारत bee wax exportकर सकता है। हमने उसके लिए माहौल बनाया और किसान के खेत में ही छोटी किसान होगा तो वो एक नई कमाई कर सकता है, हमें उसको जोड़ना होगा। और मधुमक्‍खी पालन के लिए सैंकड़ों एकड़ जमीन की जरूरत नहीं है। वो आराम से अपने यहां कर सकता है। सोलर पंप… सोलर हम कहते हैं अन्‍नदाता ऊर्जादाता बने उसके खेत में ही सोलर सिस्‍टम से ऊर्जा पैदा करे, सोलर पंप चलाए अपनी पानी की आवश्‍यकता को पूरी करे। उसके खर्च को, बोझ को कम करे। और फसल एक लेता है तो दो ले, दो लेता है तो तीन ले। थोड़ा पैटर्न में बदल करना है तो बदल कर सके। इस दिशा में हम जा सकते हैं। और एक बात है, भारत की ताकत ऐसी समस्‍याओं के समाधान के समाधान करने की और नए रास्‍ते खोजने की रही है, आगे भी खुलेंगे। लेकिन कुछ लोग हैं जो भारत अस्थिर रहे, अशांत रहे, इसकी लगातार कोशिशें कर रहे हैं। हमें इन लोगों को जानना होगा। + +जम्‍मू-कश्‍मीर आत्‍मनिर्भर बनेगा, उस दिशा में हमारा- वहां पंचायत के चुनाव हुए, बीडीसी के चुनाव हुए, डीडीसी के चुनाव हुए, और उन सबकी सराहना गुलाम नबी जी ने की है। इस प्रशंसा के लिए मैं आपका बहुत आभारी हूं। लेकिन मुझे डर लगता है, आपने प्रशंसा की। मुझे विश्‍वास है कि आपकी पार्टी वाले इसको उचित spirit मेंलेंगे,गलती से जी-23 की राय मान करके कहीं उलटा न कर दें। + +कोरोना के चुनौतीपूर्ण दौर में सीमा पर भी चुनौती देने की कोशिश हुई। हमारे वीर जवानों के हौसले और कुशलता ने सटीक जवाब दिया है। हर हिन्‍दुस्‍तानी को इस बात पर गर्व है। मुश्किल परिस्थितियों में भी हमारे जवान डट करके खड़े रहे हैं। तमाम साथियों ने भी हमारे जवानों के शौर्य की सराहना की है, मैं उनका आभारी हूं। एलएसी पर जो स्थिति बनी है उस पर भारत का रुख बहुत स्‍पष्‍ट है और देश इसको भलीभांति देख भी रहा है और गर्व भी कर रहा है।Border Infrastructure और Border Security को लेकर हमारी प्रतिबद्धता में किसी प्रकार की ढील आने का सवाल ही नहीं होता है,गुंजाइश ही नहीं है, और जो लोग हमारा लालन-पालन और हमारे विचारों का को, हमारे उद्देश्य को देखते हैं वो कभी इस विषय में हमसे सवाल ही नहीं करेंगे, उनको मालूम है हम इसके लिए डटे हुए रहने वाले लोग हैं। और इसलिए हम इन विषयों में कहीं पर भी पीछे नहीं हैं। + +हम कुछ बातों की और भी ध्‍यान दें अब देखिए… दूध उत्‍पादन… किन्हीं बंधनों में बंधा हुआ नहीं है। ना पशुपालक बंधनों में बंध हुआ है ना दूध बंधनों में बंधा हुआ है लेकिन मजा देखिए.. दूध के क्षेत्र में या तो प्राइवेट या को-ऑपरेटिव दोनों ने एक ऐसी मिलकर मजबूत चेन बनाई है दोनों मिलकर के इस काम को कर रहे हैं। और एक बेहतरीन सप्‍लाई चेन हमारे देश में बनी है। इसको हमने और जो अच्‍छा है उसकों हमने…..और ये मेरे काल में नहीं बना है। आप इस पर गर्व कर सकते हैं मेरे काम से पहले बना हुआ है। हमें गर्व करना चाहिए। फल सब्‍जी से जुड़े व्‍यवसाय में ज्‍यादातर बाजारों को सीधा संपर्क रहता है बाजारों में दखल हट गई है, इसका लाभ मिल रहा है। क्‍या डेयरी वाले सफल सब्‍जी खरीदने वाले उद्यमी, पशुपालको या  किसान की जमीन पर कब्‍जा हो जाता है उन के पशुओं पर कब्‍जा हो जाता है, नहीं होता है। दूध बिकता है, पशु नहीं बिकता है जी, हमारे देश में डेयरी उद्योग का योगदान है, कृषि अर्थव्‍यवस्‍था के कुल मूल्‍य में 28 प्रतिशत से भी ज्‍यादा है। यानी इतना बड़ा हम एग्रीकल्‍चर की चर्चाएं करते हैं, इस पहलू को हम भूल जाते हैं। 28 प्रतिशत contribution है। और करीब-करीब आठ लाख करोड़ों रुपयों का कारोबार है। जितने रुपये का दूध होता है उसका मूल्‍य अनाज और दाल दोनों मिला दें तो उसका ज्‍यादा है। हम कभी इस subject पर देखते ही नहीं हैं। पशुपालकों को पूरी आजादी, अनाज और दाल पैदा करने वाले छोटे और सीमांत किसानों को…. जैसे पशुपालक को आजादी मिली है, इनको आजादी क्यों नहीं मिलनी चाहिए? अब इन सवालों के जवाब हम ढूंढेगे तो हम सही रास्‍ते पर चलेगें। + +डेयरी और पशुपालन हमारे कृषि क्षेत्र के साथ बढ़ावा देने की जरूरत है ताकि हमारा किसान परिपक्‍व हो इसी प्रकार इसी हमने foot and mounth disease के लिए एक बहुत बड़ा अभियान चलाया जो पशुपालक, किसान को जो किसानी से जुड़ा हुआ रहता है उसको भी लाभ होगा। हमनें fisheries को भी एक अलग बल दिया, अलग Ministries बनाई और 20 हजार करोड़ रुपये मत्‍स्‍य संपदा योजना के लिए लगाया है। ताकि ये पूरे क्षेत्र को एक नया बल मिले। sweet revolution में बहुत संभावना है और इसलिएभारत ने उसके लिए बहुत जमीन की जरूरत नहीं है अपने ही खेत के कोने में वो कर दे तो भी साल में 40-50 हजार, लाख रुपया, दो लाख रुपया कमा लेगा वो। और इसलिए हम sweet शहद के लिए हनी के लिए, उसी प्रकार से bee wax दुनिया में bee wax की मांग है। भारत bee wax exportकर सकता है। हमने उसके लिए माहौल बनाया और किसान के खेत में ही छोटी किसान होगा तो वो एक नई कमाई कर सकता है, हमें उसको जोड़ना होगा। और मधुमक्‍खी पालन के लिए सैंकड़ों एकड़ जमीन की जरूरत नहीं है। वो आराम से अपने यहां कर सकता है। सोलर पंप… सोलर हम कहते हैं अन्‍नदाता ऊर्जादाता बने उसके खेत में ही सोलर सिस्‍टम से ऊर्जा पैदा करे, सोलर पंप चलाए अपनी पानी की आवश्‍यकता को पूरी करे। उसके खर्च को, बोझ को कम करे। और फसल एक लेता है तो दो ले, दो लेता है तो तीन ले। थोड़ा पैटर्न में बदल करना है तो बदल कर सके। इस दिशा में हम जा सकते हैं। और एक बात है, भारत की ताकत ऐसी समस्‍याओं के समाधान के समाधान करने की और नए रास्‍ते खोजने की रही है, आगे भी खुलेंगे। लेकिन कुछ लोग हैं जो भारत अस्थिर रहे, अशांत रहे, इसकी लगातार कोशिशें कर रहे हैं। हमें इन लोगों को जानना होगा। + +जम्‍मू-कश्‍मीर आत्‍मनिर्भर बनेगा, उस दिशा में हमारा- वहां पंचायत के चुनाव हुए, बीडीसी के चुनाव हुए, डीडीसी के चुनाव हुए, और उन सबकी सराहना गुलाम नबी जी ने की है। इस प्रशंसा के लिए मैं आपका बहुत आभारी हूं। लेकिन मुझे डर लगता है, आपने प्रशंसा की। मुझे विश्‍वास है कि आपकी पार्टी वाले इसको उचित spirit मेंलेंगे,गलती से जी-23 की राय मान करके कहीं उलटा न कर दें। + +कोरोना के चुनौतीपूर्ण दौर में सीमा पर भी चुनौती देने की कोशिश हुई। हमारे वीर जवानों के हौसले और कुशलता ने सटीक जवाब दिया है। हर हिन्‍दुस्‍तानी को इस बात पर गर्व है। मुश्किल परिस्थितियों में भी हमारे जवान डट करके खड़े रहे हैं। तमाम साथियों ने भी हमारे जवानों के शौर्य की सराहना की है, मैं उनका आभारी हूं। एलएसी पर जो स्थिति बनी है उस पर भारत का रुख बहुत स्‍पष्‍ट है और देश इसको भलीभांति देख भी रहा है और गर्व भी कर रहा है।Border Infrastructure और Border Security को लेकर हमारी प्रतिबद्धता में किसी प्रकार की ढील आने का सवाल ही नहीं होता है,गुंजाइश ही नहीं है, और जो लोग हमारा लालन-पालन और हमारे विचारों का को, हमारे उद्देश्य को देखते हैं वो कभी इस विषय में हमसे सवाल ही नहीं करेंगे, उनको मालूम है हम इसके लिए डटे हुए रहने वाले लोग हैं। और इसलिए हम इन विषयों में कहीं पर भी पीछे नहीं हैं। + +हम कुछ बातों की और भी ध्‍यान दें अब देखिए… दूध उत्‍पादन… किन्हीं बंधनों में बंधा हुआ नहीं है। ना पशुपालक बंधनों में बंध हुआ है ना दूध बंधनों में बंधा हुआ है लेकिन मजा देखिए.. दूध के क्षेत्र में या तो प्राइवेट या को-ऑपरेटिव दोनों ने एक ऐसी मिलकर मजबूत चेन बनाई है दोनों मिलकर के इस काम को कर रहे हैं। और एक बेहतरीन सप्‍लाई चेन हमारे देश में बनी है। इसको हमने और जो अच्‍छा है उसकों हमने…..और ये मेरे काल में नहीं बना है। आप इस पर गर्व कर सकते हैं मेरे काम से पहले बना हुआ है। हमें गर्व करना चाहिए। फल सब्‍जी से जुड़े व्‍यवसाय में ज्‍यादातर बाजारों को सीधा संपर्क रहता है बाजारों में दखल हट गई है, इसका लाभ मिल रहा है। क्‍या डेयरी वाले सफल सब्‍जी खरीदने वाले उद्यमी, पशुपालको या  किसान की जमीन पर कब्‍जा हो जाता है उन के पशुओं पर कब्‍जा हो जाता है, नहीं होता है। दूध बिकता है, पशु नहीं बिकता है जी, हमारे देश में डेयरी उद्योग का योगदान है, कृषि अर्थव्‍यवस्‍था के कुल मूल्‍य में 28 प्रतिशत से भी ज्‍यादा है। यानी इतना बड़ा हम एग्रीकल्‍चर की चर्चाएं करते हैं, इस पहलू को हम भूल जाते हैं। 28 प्रतिशत contribution है। और करीब-करीब आठ लाख करोड़ों रुपयों का कारोबार है। जितने रुपये का दूध होता है उसका मूल्‍य अनाज और दाल दोनों मिला दें तो उसका ज्‍यादा है। हम कभी इस subject पर देखते ही नहीं हैं। पशुपालकों को पूरी आजादी, अनाज और दाल पैदा करने वाले छोटे और सीमांत किसानों को…. जैसे पशुपालक को आजादी मिली है, इनको आजादी क्यों नहीं मिलनी चाहिए? अब इन सवालों के जवाब हम ढूंढेगे तो हम सही रास्‍ते पर चलेगें। + +डेयरी और पशुपालन हमारे कृषि क्षेत्र के साथ बढ़ावा देने की जरूरत है ताकि हमारा किसान परिपक्‍व हो इसी प्रकार इसी हमने foot and mounth disease के लिए एक बहुत बड़ा अभियान चलाया जो पशुपालक, किसान को जो किसानी से जुड़ा हुआ रहता है उसको भी लाभ होगा। हमनें fisheries को भी एक अलग बल दिया, अलग Ministries बनाई और 20 हजार करोड़ रुपये मत्‍स्‍य संपदा योजना के लिए लगाया है। ताकि ये पूरे क्षेत्र को एक नया बल मिले। sweet revolution में बहुत संभावना है और इसलिएभारत ने उसके लिए बहुत जमीन की जरूरत नहीं है अपने ही खेत के कोने में वो कर दे तो भी साल में 40-50 हजार, लाख रुपया, दो लाख रुपया कमा लेगा वो। और इसलिए हम sweet शहद के लिए हनी के लिए, उसी प्रकार से bee wax दुनिया में bee wax की मांग है। भारत bee wax exportकर सकता है। हमने उसके लिए माहौल बनाया और किसान के खेत में ही छोटी किसान होगा तो वो एक नई कमाई कर सकता है, हमें उसको जोड़ना होगा। और मधुमक्‍खी पालन के लिए सैंकड़ों एकड़ जमीन की जरूरत नहीं है। वो आराम से अपने यहां कर सकता है। सोलर पंप… सोलर हम कहते हैं अन्‍नदाता ऊर्जादाता बने उसके खेत में ही सोलर सिस्‍टम से ऊर्जा पैदा करे, सोलर पंप चलाए अपनी पानी की आवश्‍यकता को पूरी करे। उसके खर्च को, बोझ को कम करे। और फसल एक लेता है तो दो ले, दो लेता है तो तीन ले। थोड़ा पैटर्न में बदल करना है तो बदल कर सके। इस दिशा में हम जा सकते हैं। और एक बात है, भारत की ताकत ऐसी समस्‍याओं के समाधान के समाधान करने की और नए रास्‍ते खोजने की रही है, आगे भी खुलेंगे। लेकिन कुछ लोग हैं जो भारत अस्थिर रहे, अशांत रहे, इसकी लगातार कोशिशें कर रहे हैं। हमें इन लोगों को जानना होगा। + +जम्‍मू-कश्‍मीर आत्‍मनिर्भर बनेगा, उस दिशा में हमारा- वहां पंचायत के चुनाव हुए, बीडीसी के चुनाव हुए, डीडीसी के चुनाव हुए, और उन सबकी सराहना गुलाम नबी जी ने की है। इस प्रशंसा के लिए मैं आपका बहुत आभारी हूं। लेकिन मुझे डर लगता है, आपने प्रशंसा की। मुझे विश्‍वास है कि आपकी पार्टी वाले इसको उचित spirit मेंलेंगे,गलती से जी-23 की राय मान करके कहीं उलटा न कर दें। + +कोरोना के चुनौतीपूर्ण दौर में सीमा पर भी चुनौती देने की कोशिश हुई। हमारे वीर जवानों के हौसले और कुशलता ने सटीक जवाब दिया है। हर हिन्‍दुस्‍तानी को इस बात पर गर्व है। मुश्किल परिस्थितियों में भी हमारे जवान डट करके खड़े रहे हैं। तमाम साथियों ने भी हमारे जवानों के शौर्य की सराहना की है, मैं उनका आभारी हूं। एलएसी पर जो स्थिति बनी है उस पर भारत का रुख बहुत स्‍पष्‍ट है और देश इसको भलीभांति देख भी रहा है और गर्व भी कर रहा है।Border Infrastructure और Border Security को लेकर हमारी प्रतिबद्धता में किसी प्रकार की ढील आने का सवाल ही नहीं होता है,गुंजाइश ही नहीं है, और जो लोग हमारा लालन-पालन और हमारे विचारों का को, हमारे उद्देश्य को देखते हैं वो कभी इस विषय में हमसे सवाल ही नहीं करेंगे, उनको मालूम है हम इसके लिए डटे हुए रहने वाले लोग हैं। और इसलिए हम इन विषयों में कहीं पर भी पीछे नहीं हैं। + +हम कुछ बातों की और भी ध्‍यान दें अब देखिए… दूध उत्‍पादन… किन्हीं बंधनों में बंधा हुआ नहीं है। ना पशुपालक बंधनों में बंध हुआ है ना दूध बंधनों में बंधा हुआ है लेकिन मजा देखिए.. दूध के क्षेत्र में या तो प्राइवेट या को-ऑपरेटिव दोनों ने एक ऐसी मिलकर मजबूत चेन बनाई है दोनों मिलकर के इस काम को कर रहे हैं। और एक बेहतरीन सप्‍लाई चेन हमारे देश में बनी है। इसको हमने और जो अच्‍छा है उसकों हमने…..और ये मेरे काल में नहीं बना है। आप इस पर गर्व कर सकते हैं मेरे काम से पहले बना हुआ है। हमें गर्व करना चाहिए। फल सब्‍जी से जुड़े व्‍यवसाय में ज्‍यादातर बाजारों को सीधा संपर्क रहता है बाजारों में दखल हट गई है, इसका लाभ मिल रहा है। क्‍या डेयरी वाले सफल सब्‍जी खरीदने वाले उद्यमी, पशुपालको या  किसान की जमीन पर कब्‍जा हो जाता है उन के पशुओं पर कब्‍जा हो जाता है, नहीं होता है। दूध बिकता है, पशु नहीं बिकता है जी, हमारे देश में डेयरी उद्योग का योगदान है, कृषि अर्थव्‍यवस्‍था के कुल मूल्‍य में 28 प्रतिशत से भी ज्‍यादा है। यानी इतना बड़ा हम एग्रीकल्‍चर की चर्चाएं करते हैं, इस पहलू को हम भूल जाते हैं। 28 प्रतिशत contribution है। और करीब-करीब आठ लाख करोड़ों रुपयों का कारोबार है। जितने रुपये का दूध होता है उसका मूल्‍य अनाज और दाल दोनों मिला दें तो उसका ज्‍यादा है। हम कभी इस subject पर देखते ही नहीं हैं। पशुपालकों को पूरी आजादी, अनाज और दाल पैदा करने वाले छोटे और सीमांत किसानों को…. जैसे पशुपालक को आजादी मिली है, इनको आजादी क्यों नहीं मिलनी चाहिए? अब इन सवालों के जवाब हम ढूंढेगे तो हम सही रास्‍ते पर चलेगें। + +डेयरी और पशुपालन हमारे कृषि क्षेत्र के साथ बढ़ावा देने की जरूरत है ताकि हमारा किसान परिपक्‍व हो इसी प्रकार इसी हमने foot and mounth disease के लिए एक बहुत बड़ा अभियान चलाया जो पशुपालक, किसान को जो किसानी से जुड़ा हुआ रहता है उसको भी लाभ होगा। हमनें fisheries को भी एक अलग बल दिया, अलग Ministries बनाई और 20 हजार करोड़ रुपये मत्‍स्‍य संपदा योजना के लिए लगाया है। ताकि ये पूरे क्षेत्र को एक नया बल मिले। sweet revolution में बहुत संभावना है और इसलिएभारत ने उसके लिए बहुत जमीन की जरूरत नहीं है अपने ही खेत के कोने में वो कर दे तो भी साल में 40-50 हजार, लाख रुपया, दो लाख रुपया कमा लेगा वो। और इसलिए हम sweet शहद के लिए हनी के लिए, उसी प्रकार से bee wax दुनिया में bee wax की मांग है। भारत bee wax exportकर सकता है। हमने उसके लिए माहौल बनाया और किसान के खेत में ही छोटी किसान होगा तो वो एक नई कमाई कर सकता है, हमें उसको जोड़ना होगा। और मधुमक्‍खी पालन के लिए सैंकड़ों एकड़ जमीन की जरूरत नहीं है। वो आराम से अपने यहां कर सकता है। सोलर पंप… सोलर हम कहते हैं अन्‍नदाता ऊर्जादाता बने उसके खेत में ही सोलर सिस्‍टम से ऊर्जा पैदा करे, सोलर पंप चलाए अपनी पानी की आवश्‍यकता को पूरी करे। उसके खर्च को, बोझ को कम करे। और फसल एक लेता है तो दो ले, दो लेता है तो तीन ले। थोड़ा पैटर्न में बदल करना है तो बदल कर सके। इस दिशा में हम जा सकते हैं। और एक बात है, भारत की ताकत ऐसी समस्‍याओं के समाधान के समाधान करने की और नए रास्‍ते खोजने की रही है, आगे भी खुलेंगे। लेकिन कुछ लोग हैं जो भारत अस्थिर रहे, अशांत रहे, इसकी लगातार कोशिशें कर रहे हैं। हमें इन लोगों को जानना होगा। + +जम्‍मू-कश्‍मीर आत्‍मनिर्भर बनेगा, उस दिशा में हमारा- वहां पंचायत के चुनाव हुए, बीडीसी के चुनाव हुए, डीडीसी के चुनाव हुए, और उन सबकी सराहना गुलाम नबी जी ने की है। इस प्रशंसा के लिए मैं आपका बहुत आभारी हूं। लेकिन मुझे डर लगता है, आपने प्रशंसा की। मुझे विश्‍वास है कि आपकी पार्टी वाले इसको उचित spirit मेंलेंगे,गलती से जी-23 की राय मान करके कहीं उलटा न कर दें। + +कोरोना के चुनौतीपूर्ण दौर में सीमा पर भी चुनौती देने की कोशिश हुई। हमारे वीर जवानों के हौसले और कुशलता ने सटीक जवाब दिया है। हर हिन्‍दुस्‍तानी को इस बात पर गर्व है। मुश्किल परिस्थितियों में भी हमारे जवान डट करके खड़े रहे हैं। तमाम साथियों ने भी हमारे जवानों के शौर्य की सराहना की है, मैं उनका आभारी हूं। एलएसी पर जो स्थिति बनी है उस पर भारत का रुख बहुत स्‍पष्‍ट है और देश इसको भलीभांति देख भी रहा है और गर्व भी कर रहा है।Border Infrastructure और Border Security को लेकर हमारी प्रतिबद्धता में किसी प्रकार की ढील आने का सवाल ही नहीं होता है,गुंजाइश ही नहीं है, और जो लोग हमारा लालन-पालन और हमारे विचारों का को, हमारे उद्देश्य को देखते हैं वो कभी इस विषय में हमसे सवाल ही नहीं करेंगे, उनको मालूम है हम इसके लिए डटे हुए रहने वाले लोग हैं। और इसलिए हम इन विषयों में कहीं पर भी पीछे नहीं हैं। + +डेयरी और पशुपालन हमारे कृषि क्षेत्र के साथ बढ़ावा देने की जरूरत है ताकि हमारा किसान परिपक्‍व हो इसी प्रकार इसी हमने foot and mounth disease के लिए एक बहुत बड़ा अभियान चलाया जो पशुपालक, किसान को जो किसानी से जुड़ा हुआ रहता है उसको भी लाभ होगा। हमनें fisheries को भी एक अलग बल दिया, अलग Ministries बनाई और 20 हजार करोड़ रुपये मत्‍स्‍य संपदा योजना के लिए लगाया है। ताकि ये पूरे क्षेत्र को एक नया बल मिले। sweet revolution में बहुत संभावना है और इसलिएभारत ने उसके लिए बहुत जमीन की जरूरत नहीं है अपने ही खेत के कोने में वो कर दे तो भी साल में 40-50 हजार, लाख रुपया, दो लाख रुपया कमा लेगा वो। और इसलिए हम sweet शहद के लिए हनी के लिए, उसी प्रकार से bee wax दुनिया में bee wax की मांग है। भारत bee wax exportकर सकता है। हमने उसके लिए माहौल बनाया और किसान के खेत में ही छोटी किसान होगा तो वो एक नई कमाई कर सकता है, हमें उसको जोड़ना होगा। और मधुमक्‍खी पालन के लिए सैंकड़ों एकड़ जमीन की जरूरत नहीं है। वो आराम से अपने यहां कर सकता है। सोलर पंप… सोलर हम कहते हैं अन्‍नदाता ऊर्जादाता बने उसके खेत में ही सोलर सिस्‍टम से ऊर्जा पैदा करे, सोलर पंप चलाए अपनी पानी की आवश्‍यकता को पूरी करे। उसके खर्च को, बोझ को कम करे। और फसल एक लेता है तो दो ले, दो लेता है तो तीन ले। थोड़ा पैटर्न में बदल करना है तो बदल कर सके। इस दिशा में हम जा सकते हैं। और एक बात है, भारत की ताकत ऐसी समस्‍याओं के समाधान के समाधान करने की और नए रास्‍ते खोजने की रही है, आगे भी खुलेंगे। लेकिन कुछ लोग हैं जो भारत अस्थिर रहे, अशांत रहे, इसकी लगातार कोशिशें कर रहे हैं। हमें इन लोगों को जानना होगा। + +जम्‍मू-कश्‍मीर आत्‍मनिर्भर बनेगा, उस दिशा में हमारा- वहां पंचायत के चुनाव हुए, बीडीसी के चुनाव हुए, डीडीसी के चुनाव हुए, और उन सबकी सराहना गुलाम नबी जी ने की है। इस प्रशंसा के लिए मैं आपका बहुत आभारी हूं। लेकिन मुझे डर लगता है, आपने प्रशंसा की। मुझे विश्‍वास है कि आपकी पार्टी वाले इसको उचित spirit मेंलेंगे,गलती से जी-23 की राय मान करके कहीं उलटा न कर दें। + +कोरोना के चुनौतीपूर्ण दौर में सीमा पर भी चुनौती देने की कोशिश हुई। हमारे वीर जवानों के हौसले और कुशलता ने सटीक जवाब दिया है। हर हिन्‍दुस्‍तानी को इस बात पर गर्व है। मुश्किल परिस्थितियों में भी हमारे जवान डट करके खड़े रहे हैं। तमाम साथियों ने भी हमारे जवानों के शौर्य की सराहना की है, मैं उनका आभारी हूं। एलएसी पर जो स्थिति बनी है उस पर भारत का रुख बहुत स्‍पष्‍ट है और देश इसको भलीभांति देख भी रहा है और गर्व भी कर रहा है।Border Infrastructure और Border Security को लेकर हमारी प्रतिबद्धता में किसी प्रकार की ढील आने का सवाल ही नहीं होता है,गुंजाइश ही नहीं है, और जो लोग हमारा लालन-पालन और हमारे विचारों का को, हमारे उद्देश्य को देखते हैं वो कभी इस विषय में हमसे सवाल ही नहीं करेंगे, उनको मालूम है हम इसके लिए डटे हुए रहने वाले लोग हैं। और इसलिए हम इन विषयों में कहीं पर भी पीछे नहीं हैं। + +डेयरी और पशुपालन हमारे कृषि क्षेत्र के साथ बढ़ावा देने की जरूरत है ताकि हमारा किसान परिपक्‍व हो इसी प्रकार इसी हमने foot and mounth disease के लिए एक बहुत बड़ा अभियान चलाया जो पशुपालक, किसान को जो किसानी से जुड़ा हुआ रहता है उसको भी लाभ होगा। हमनें fisheries को भी एक अलग बल दिया, अलग Ministries बनाई और 20 हजार करोड़ रुपये मत्‍स्‍य संपदा योजना के लिए लगाया है। ताकि ये पूरे क्षेत्र को एक नया बल मिले। sweet revolution में बहुत संभावना है और इसलिएभारत ने उसके लिए बहुत जमीन की जरूरत नहीं है अपने ही खेत के कोने में वो कर दे तो भी साल में 40-50 हजार, लाख रुपया, दो लाख रुपया कमा लेगा वो। और इसलिए हम sweet शहद के लिए हनी के लिए, उसी प्रकार से bee wax दुनिया में bee wax की मांग है। भारत bee wax exportकर सकता है। हमने उसके लिए माहौल बनाया और किसान के खेत में ही छोटी किसान होगा तो वो एक नई कमाई कर सकता है, हमें उसको जोड़ना होगा। और मधुमक्‍खी पालन के लिए सैंकड़ों एकड़ जमीन की जरूरत नहीं है। वो आराम से अपने यहां कर सकता है। सोलर पंप… सोलर हम कहते हैं अन्‍नदाता ऊर्जादाता बने उसके खेत में ही सोलर सिस्‍टम से ऊर्जा पैदा करे, सोलर पंप चलाए अपनी पानी की आवश्‍यकता को पूरी करे। उसके खर्च को, बोझ को कम करे। और फसल एक लेता है तो दो ले, दो लेता है तो तीन ले। थोड़ा पैटर्न में बदल करना है तो बदल कर सके। इस दिशा में हम जा सकते हैं। और एक बात है, भारत की ताकत ऐसी समस्‍याओं के समाधान के समाधान करने की और नए रास्‍ते खोजने की रही है, आगे भी खुलेंगे। लेकिन कुछ लोग हैं जो भारत अस्थिर रहे, अशांत रहे, इसकी लगातार कोशिशें कर रहे हैं। हमें इन लोगों को जानना होगा। + +जम्‍मू-कश्‍मीर आत्‍मनिर्भर बनेगा, उस दिशा में हमारा- वहां पंचायत के चुनाव हुए, बीडीसी के चुनाव हुए, डीडीसी के चुनाव हुए, और उन सबकी सराहना गुलाम नबी जी ने की है। इस प्रशंसा के लिए मैं आपका बहुत आभारी हूं। लेकिन मुझे डर लगता है, आपने प्रशंसा की। मुझे विश्‍वास है कि आपकी पार्टी वाले इसको उचित spirit मेंलेंगे,गलती से जी-23 की राय मान करके कहीं उलटा न कर दें। + +कोरोना के चुनौतीपूर्ण दौर में सीमा पर भी चुनौती देने की कोशिश हुई। हमारे वीर जवानों के हौसले और कुशलता ने सटीक जवाब दिया है। हर हिन्‍दुस्‍तानी को इस बात पर गर्व है। मुश्किल परिस्थितियों में भी हमारे जवान डट करके खड़े रहे हैं। तमाम साथियों ने भी हमारे जवानों के शौर्य की सराहना की है, मैं उनका आभारी हूं। एलएसी पर जो स्थिति बनी है उस पर भारत का रुख बहुत स्‍पष्‍ट है और देश इसको भलीभांति देख भी रहा है और गर्व भी कर रहा है।Border Infrastructure और Border Security को लेकर हमारी प्रतिबद्धता में किसी प्रकार की ढील आने का सवाल ही नहीं होता है,गुंजाइश ही नहीं है, और जो लोग हमारा लालन-पालन और हमारे विचारों का को, हमारे उद्देश्य को देखते हैं वो कभी इस विषय में हमसे सवाल ही नहीं करेंगे, उनको मालूम है हम इसके लिए डटे हुए रहने वाले लोग हैं। और इसलिए हम इन विषयों में कहीं पर भी पीछे नहीं हैं। + +डेयरी और पशुपालन हमारे कृषि क्षेत्र के साथ बढ़ावा देने की जरूरत है ताकि हमारा किसान परिपक्‍व हो इसी प्रकार इसी हमने foot and mounth disease के लिए एक बहुत बड़ा अभियान चलाया जो पशुपालक, किसान को जो किसानी से जुड़ा हुआ रहता है उसको भी लाभ होगा। हमनें fisheries को भी एक अलग बल दिया, अलग Ministries बनाई और 20 हजार करोड़ रुपये मत्‍स्‍य संपदा योजना के लिए लगाया है। ताकि ये पूरे क्षेत्र को एक नया बल मिले। sweet revolution में बहुत संभावना है और इसलिएभारत ने उसके लिए बहुत जमीन की जरूरत नहीं है अपने ही खेत के कोने में वो कर दे तो भी साल में 40-50 हजार, लाख रुपया, दो लाख रुपया कमा लेगा वो। और इसलिए हम sweet शहद के लिए हनी के लिए, उसी प्रकार से bee wax दुनिया में bee wax की मांग है। भारत bee wax exportकर सकता है। हमने उसके लिए माहौल बनाया और किसान के खेत में ही छोटी किसान होगा तो वो एक नई कमाई कर सकता है, हमें उसको जोड़ना होगा। और मधुमक्‍खी पालन के लिए सैंकड़ों एकड़ जमीन की जरूरत नहीं है। वो आराम से अपने यहां कर सकता है। सोलर पंप… सोलर हम कहते हैं अन्‍नदाता ऊर्जादाता बने उसके खेत में ही सोलर सिस्‍टम से ऊर्जा पैदा करे, सोलर पंप चलाए अपनी पानी की आवश्‍यकता को पूरी करे। उसके खर्च को, बोझ को कम करे। और फसल एक लेता है तो दो ले, दो लेता है तो तीन ले। थोड़ा पैटर्न में बदल करना है तो बदल कर सके। इस दिशा में हम जा सकते हैं। और एक बात है, भारत की ताकत ऐसी समस्‍याओं के समाधान के समाधान करने की और नए रास्‍ते खोजने की रही है, आगे भी खुलेंगे। लेकिन कुछ लोग हैं जो भारत अस्थिर रहे, अशांत रहे, इसकी लगातार कोशिशें कर रहे हैं। हमें इन लोगों को जानना होगा। + +जम्‍मू-कश्‍मीर आत्‍मनिर्भर बनेगा, उस दिशा में हमारा- वहां पंचायत के चुनाव हुए, बीडीसी के चुनाव हुए, डीडीसी के चुनाव हुए, और उन सबकी सराहना गुलाम नबी जी ने की है। इस प्रशंसा के लिए मैं आपका बहुत आभारी हूं। लेकिन मुझे डर लगता है, आपने प्रशंसा की। मुझे विश्‍वास है कि आपकी पार्टी वाले इसको उचित spirit मेंलेंगे,गलती से जी-23 की राय मान करके कहीं उलटा न कर दें। + +कोरोना के चुनौतीपूर्ण दौर में सीमा पर भी चुनौती देने की कोशिश हुई। हमारे वीर जवानों के हौसले और कुशलता ने सटीक जवाब दिया है। हर हिन्‍दुस्‍तानी को इस बात पर गर्व है। मुश्किल परिस्थितियों में भी हमारे जवान डट करके खड़े रहे हैं। तमाम साथियों ने भी हमारे जवानों के शौर्य की सराहना की है, मैं उनका आभारी हूं। एलएसी पर जो स्थिति बनी है उस पर भारत का रुख बहुत स्‍पष्‍ट है और देश इसको भलीभांति देख भी रहा है और गर्व भी कर रहा है।Border Infrastructure और Border Security को लेकर हमारी प्रतिबद्धता में किसी प्रकार की ढील आने का सवाल ही नहीं होता है,गुंजाइश ही नहीं है, और जो लोग हमारा लालन-पालन और हमारे विचारों का को, हमारे उद्देश्य को देखते हैं वो कभी इस विषय में हमसे सवाल ही नहीं करेंगे, उनको मालूम है हम इसके लिए डटे हुए रहने वाले लोग हैं। और इसलिए हम इन विषयों में कहीं पर भी पीछे नहीं हैं। + +डेयरी और पशुपालन हमारे कृषि क्षेत्र के साथ बढ़ावा देने की जरूरत है ताकि हमारा किसान परिपक्‍व हो इसी प्रकार इसी हमने foot and mounth disease के लिए एक बहुत बड़ा अभियान चलाया जो पशुपालक, किसान को जो किसानी से जुड़ा हुआ रहता है उसको भी लाभ होगा। हमनें fisheries को भी एक अलग बल दिया, अलग Ministries बनाई और 20 हजार करोड़ रुपये मत्‍स्‍य संपदा योजना के लिए लगाया है। ताकि ये पूरे क्षेत्र को एक नया बल मिले। sweet revolution में बहुत संभावना है और इसलिएभारत ने उसके लिए बहुत जमीन की जरूरत नहीं है अपने ही खेत के कोने में वो कर दे तो भी साल में 40-50 हजार, लाख रुपया, दो लाख रुपया कमा लेगा वो। और इसलिए हम sweet शहद के लिए हनी के लिए, उसी प्रकार से bee wax दुनिया में bee wax की मांग है। भारत bee wax exportकर सकता है। हमने उसके लिए माहौल बनाया और किसान के खेत में ही छोटी किसान होगा तो वो एक नई कमाई कर सकता है, हमें उसको जोड़ना होगा। और मधुमक्‍खी पालन के लिए सैंकड़ों एकड़ जमीन की जरूरत नहीं है। वो आराम से अपने यहां कर सकता है। सोलर पंप… सोलर हम कहते हैं अन्‍नदाता ऊर्जादाता बने उसके खेत में ही सोलर सिस्‍टम से ऊर्जा पैदा करे, सोलर पंप चलाए अपनी पानी की आवश्‍यकता को पूरी करे। उसके खर्च को, बोझ को कम करे। और फसल एक लेता है तो दो ले, दो लेता है तो तीन ले। थोड़ा पैटर्न में बदल करना है तो बदल कर सके। इस दिशा में हम जा सकते हैं। और एक बात है, भारत की ताकत ऐसी समस्‍याओं के समाधान के समाधान करने की और नए रास्‍ते खोजने की रही है, आगे भी खुलेंगे। लेकिन कुछ लोग हैं जो भारत अस्थिर रहे, अशांत रहे, इसकी लगातार कोशिशें कर रहे हैं। हमें इन लोगों को जानना होगा। + +जम्‍मू-कश्‍मीर आत्‍मनिर्भर बनेगा, उस दिशा में हमारा- वहां पंचायत के चुनाव हुए, बीडीसी के चुनाव हुए, डीडीसी के चुनाव हुए, और उन सबकी सराहना गुलाम नबी जी ने की है। इस प्रशंसा के लिए मैं आपका बहुत आभारी हूं। लेकिन मुझे डर लगता है, आपने प्रशंसा की। मुझे विश्‍वास है कि आपकी पार्टी वाले इसको उचित spirit मेंलेंगे,गलती से जी-23 की राय मान करके कहीं उलटा न कर दें। + +कोरोना के चुनौतीपूर्ण दौर में सीमा पर भी चुनौती देने की कोशिश हुई। हमारे वीर जवानों के हौसले और कुशलता ने सटीक जवाब दिया है। हर हिन्‍दुस्‍तानी को इस बात पर गर्व है। मुश्किल परिस्थितियों में भी हमारे जवान डट करके खड़े रहे हैं। तमाम साथियों ने भी हमारे जवानों के शौर्य की सराहना की है, मैं उनका आभारी हूं। एलएसी पर जो स्थिति बनी है उस पर भारत का रुख बहुत स्‍पष्‍ट है और देश इसको भलीभांति देख भी रहा है और गर्व भी कर रहा है।Border Infrastructure और Border Security को लेकर हमारी प्रतिबद्धता में किसी प्रकार की ढील आने का सवाल ही नहीं होता है,गुंजाइश ही नहीं है, और जो लोग हमारा लालन-पालन और हमारे विचारों का को, हमारे उद्देश्य को देखते हैं वो कभी इस विषय में हमसे सवाल ही नहीं करेंगे, उनको मालूम है हम इसके लिए डटे हुए रहने वाले लोग हैं। और इसलिए हम इन विषयों में कहीं पर भी पीछे नहीं हैं। + +जम्‍मू-कश्‍मीर आत्‍मनिर्भर बनेगा, उस दिशा में हमारा- वहां पंचायत के चुनाव हुए, बीडीसी के चुनाव हुए, डीडीसी के चुनाव हुए, और उन सबकी सराहना गुलाम नबी जी ने की है। इस प्रशंसा के लिए मैं आपका बहुत आभारी हूं। लेकिन मुझे डर लगता है, आपने प्रशंसा की। मुझे विश्‍वास है कि आपकी पार्टी वाले इसको उचित spirit मेंलेंगे,गलती से जी-23 की राय मान करके कहीं उलटा न कर दें। + +कोरोना के चुनौतीपूर्ण दौर में सीमा पर भी चुनौती देने की कोशिश हुई। हमारे वीर जवानों के हौसले और कुशलता ने सटीक जवाब दिया है। हर हिन्‍दुस्‍तानी को इस बात पर गर्व है। मुश्किल परिस्थितियों में भी हमारे जवान डट करके खड़े रहे हैं। तमाम साथियों ने भी हमारे जवानों के शौर्य की सराहना की है, मैं उनका आभारी हूं। एलएसी पर जो स्थिति बनी है उस पर भारत का रुख बहुत स्‍पष्‍ट है और देश इसको भलीभांति देख भी रहा है और गर्व भी कर रहा है।Border Infrastructure और Border Security को लेकर हमारी प्रतिबद्धता में किसी प्रकार की ढील आने का सवाल ही नहीं होता है,गुंजाइश ही नहीं है, और जो लोग हमारा लालन-पालन और हमारे विचारों का को, हमारे उद्देश्य को देखते हैं वो कभी इस विषय में हमसे सवाल ही नहीं करेंगे, उनको मालूम है हम इसके लिए डटे हुए रहने वाले लोग हैं। और इसलिए हम इन विषयों में कहीं पर भी पीछे नहीं हैं। + +जम्‍मू-कश्‍मीर आत्‍मनिर्भर बनेगा, उस दिशा में हमारा- वहां पंचायत के चुनाव हुए, बीडीसी के चुनाव हुए, डीडीसी के चुनाव हुए, और उन सबकी सराहना गुलाम नबी जी ने की है। इस प्रशंसा के लिए मैं आपका बहुत आभारी हूं। लेकिन मुझे डर लगता है, आपने प्रशंसा की। मुझे विश्‍वास है कि आपकी पार्टी वाले इसको उचित spirit मेंलेंगे,गलती से जी-23 की राय मान करके कहीं उलटा न कर दें। + +कोरोना के चुनौतीपूर्ण दौर में सीमा पर भी चुनौती देने की कोशिश हुई। हमारे वीर जवानों के हौसले और कुशलता ने सटीक जवाब दिया है। हर हिन्‍दुस्‍तानी को इस बात पर गर्व है। मुश्किल परिस्थितियों में भी हमारे जवान डट करके खड़े रहे हैं। तमाम साथियों ने भी हमारे जवानों के शौर्य की सराहना की है, मैं उनका आभारी हूं। एलएसी पर जो स्थिति बनी है उस पर भारत का रुख बहुत स्‍पष्‍ट है और देश इसको भलीभांति देख भी रहा है और गर्व भी कर रहा है।Border Infrastructure और Border Security को लेकर हमारी प्रतिबद्धता में किसी प्रकार की ढील आने का सवाल ही नहीं होता है,गुंजाइश ही नहीं है, और जो लोग हमारा लालन-पालन और हमारे विचारों का को, हमारे उद्देश्य को देखते हैं वो कभी इस विषय में हमसे सवाल ही नहीं करेंगे, उनको मालूम है हम इसके लिए डटे हुए रहने वाले लोग हैं। और इसलिए हम इन विषयों में कहीं पर भी पीछे नहीं हैं। + +जम्‍मू-कश्‍मीर आत्‍मनिर्भर बनेगा, उस दिशा में हमारा- वहां पंचायत के चुनाव हुए, बीडीसी के चुनाव हुए, डीडीसी के चुनाव हुए, और उन सबकी सराहना गुलाम नबी जी ने की है। इस प्रशंसा के लिए मैं आपका बहुत आभारी हूं। लेकिन मुझे डर लगता है, आपने प्रशंसा की। मुझे विश्‍वास है कि आपकी पार्टी वाले इसको उचित spirit मेंलेंगे,गलती से जी-23 की राय मान करके कहीं उलटा न कर दें। + +कोरोना के चुनौतीपूर्ण दौर में सीमा पर भी चुनौती देने की कोशिश हुई। हमारे वीर जवानों के हौसले और कुशलता ने सटीक जवाब दिया है। हर हिन्‍दुस्‍तानी को इस बात पर गर्व है। मुश्किल परिस्थितियों में भी हमारे जवान डट करके खड़े रहे हैं। तमाम साथियों ने भी हमारे जवानों के शौर्य की सराहना की है, मैं उनका आभारी हूं। एलएसी पर जो स्थिति बनी है उस पर भारत का रुख बहुत स्‍पष्‍ट है और देश इसको भलीभांति देख भी रहा है और गर्व भी कर रहा है।Border Infrastructure और Border Security को लेकर हमारी प्रतिबद्धता में किसी प्रकार की ढील आने का सवाल ही नहीं होता है,गुंजाइश ही नहीं है, और जो लोग हमारा लालन-पालन और हमारे विचारों का को, हमारे उद्देश्य को देखते हैं वो कभी इस विषय में हमसे सवाल ही नहीं करेंगे, उनको मालूम है हम इसके लिए डटे हुए रहने वाले लोग हैं। और इसलिए हम इन विषयों में कहीं पर भी पीछे नहीं हैं। + +जम्‍मू-कश्‍मीर आत्‍मनिर्भर बनेगा, उस दिशा में हमारा- वहां पंचायत के चुनाव हुए, बीडीसी के चुनाव हुए, डीडीसी के चुनाव हुए, और उन सबकी सराहना गुलाम नबी जी ने की है। इस प्रशंसा के लिए मैं आपका बहुत आभारी हूं। लेकिन मुझे डर लगता है, आपने प्रशंसा की। मुझे विश्‍वास है कि आपकी पार्टी वाले इसको उचित spirit मेंलेंगे,गलती से जी-23 की राय मान करके कहीं उलटा न कर दें। + +कोरोना के चुनौतीपूर्ण दौर में सीमा पर भी चुनौती देने की कोशिश हुई। हमारे वीर जवानों के हौसले और कुशलता ने सटीक जवाब दिया है। हर हिन्‍दुस्‍तानी को इस बात पर गर्व है। मुश्किल परिस्थितियों में भी हमारे जवान डट करके खड़े रहे हैं। तमाम साथियों ने भी हमारे जवानों के शौर्य की सराहना की है, मैं उनका आभारी हूं। एलएसी पर जो स्थिति बनी है उस पर भारत का रुख बहुत स्‍पष्‍ट है और देश इसको भलीभांति देख भी रहा है और गर्व भी कर रहा है।Border Infrastructure और Border Security को लेकर हमारी प्रतिबद्धता में किसी प्रकार की ढील आने का सवाल ही नहीं होता है,गुंजाइश ही नहीं है, और जो लोग हमारा लालन-पालन और हमारे विचारों का को, हमारे उद्देश्य को देखते हैं वो कभी इस विषय में हमसे सवाल ही नहीं करेंगे, उनको मालूम है हम इसके लिए डटे हुए रहने वाले लोग हैं। और इसलिए हम इन विषयों में कहीं पर भी पीछे नहीं हैं। + +जम्‍मू-कश्‍मीर आत्‍मनिर्भर बनेगा, उस दिशा में हमारा- वहां पंचायत के चुनाव हुए, बीडीसी के चुनाव हुए, डीडीसी के चुनाव हुए, और उन सबकी सराहना गुलाम नबी जी ने की है। इस प्रशंसा के लिए मैं आपका बहुत आभारी हूं। लेकिन मुझे डर लगता है, आपने प्रशंसा की। मुझे विश्‍वास है कि आपकी पार्टी वाले इसको उचित spirit मेंलेंगे,गलती से जी-23 की राय मान करके कहीं उलटा न कर दें। + +कोरोना के चुनौतीपूर्ण दौर में सीमा पर भी चुनौती देने की कोशिश हुई। हमारे वीर जवानों के हौसले और कुशलता ने सटीक जवाब दिया है। हर हिन्‍दुस्‍तानी को इस बात पर गर्व है। मुश्किल परिस्थितियों में भी हमारे जवान डट करके खड़े रहे हैं। तमाम साथियों ने भी हमारे जवानों के शौर्य की सराहना की है, मैं उनका आभारी हूं। एलएसी पर जो स्थिति बनी है उस पर भारत का रुख बहुत स्‍पष्‍ट है और देश इसको भलीभांति देख भी रहा है और गर्व भी कर रहा है।Border Infrastructure और Border Security को लेकर हमारी प्रतिबद्धता में किसी प्रकार की ढील आने का सवाल ही नहीं होता है,गुंजाइश ही नहीं है, और जो लोग हमारा लालन-पालन और हमारे विचारों का को, हमारे उद्देश्य को देखते हैं वो कभी इस विषय में हमसे सवाल ही नहीं करेंगे, उनको मालूम है हम इसके लिए डटे हुए रहने वाले लोग हैं। और इसलिए हम इन विषयों में कहीं पर भी पीछे नहीं हैं। + +जम्‍मू-कश्‍मीर आत्‍मनिर्भर बनेगा, उस दिशा में हमारा- वहां पंचायत के चुनाव हुए, बीडीसी के चुनाव हुए, डीडीसी के चुनाव हुए, और उन सबकी सराहना गुलाम नबी जी ने की है। इस प्रशंसा के लिए मैं आपका बहुत आभारी हूं। लेकिन मुझे डर लगता है, आपने प्रशंसा की। मुझे विश्‍वास है कि आपकी पार्टी वाले इसको उचित spirit मेंलेंगे,गलती से जी-23 की राय मान करके कहीं उलटा न कर दें। + +कोरोना के चुनौतीपूर्ण दौर में सीमा पर भी चुनौती देने की कोशिश हुई। हमारे वीर जवानों के हौसले और कुशलता ने सटीक जवाब दिया है। हर हिन्‍दुस्‍तानी को इस बात पर गर्व है। मुश्किल परिस्थितियों में भी हमारे जवान डट करके खड़े रहे हैं। तमाम साथियों ने भी हमारे जवानों के शौर्य की सराहना की है, मैं उनका आभारी हूं। एलएसी पर जो स्थिति बनी है उस पर भारत का रुख बहुत स्‍पष्‍ट है और देश इसको भलीभांति देख भी रहा है और गर्व भी कर रहा है।Border Infrastructure और Border Security को लेकर हमारी प्रतिबद्धता में किसी प्रकार की ढील आने का सवाल ही नहीं होता है,गुंजाइश ही नहीं है, और जो लोग हमारा लालन-पालन और हमारे विचारों का को, हमारे उद्देश्य को देखते हैं वो कभी इस विषय में हमसे सवाल ही नहीं करेंगे, उनको मालूम है हम इसके लिए डटे हुए रहने वाले लोग हैं। और इसलिए हम इन विषयों में कहीं पर भी पीछे नहीं हैं। + +जम्‍मू-कश्‍मीर आत्‍मनिर्भर बनेगा, उस दिशा में हमारा- वहां पंचायत के चुनाव हुए, बीडीसी के चुनाव हुए, डीडीसी के चुनाव हुए, और उन सबकी सराहना गुलाम नबी जी ने की है। इस प्रशंसा के लिए मैं आपका बहुत आभारी हूं। लेकिन मुझे डर लगता है, आपने प्रशंसा की। मुझे विश्‍वास है कि आपकी पार्टी वाले इसको उचित spirit मेंलेंगे,गलती से जी-23 की राय मान करके कहीं उलटा न कर दें। + +कोरोना के चुनौतीपूर्ण दौर में सीमा पर भी चुनौती देने की कोशिश हुई। हमारे वीर जवानों के हौसले और कुशलता ने सटीक जवाब दिया है। हर हिन्‍दुस्‍तानी को इस बात पर गर्व है। मुश्किल परिस्थितियों में भी हमारे जवान डट करके खड़े रहे हैं। तमाम साथियों ने भी हमारे जवानों के शौर्य की सराहना की है, मैं उनका आभारी हूं। एलएसी पर जो स्थिति बनी है उस पर भारत का रुख बहुत स्‍पष्‍ट है और देश इसको भलीभांति देख भी रहा है और गर्व भी कर रहा है।Border Infrastructure और Border Security को लेकर हमारी प्रतिबद्धता में किसी प्रकार की ढील आने का सवाल ही नहीं होता है,गुंजाइश ही नहीं है, और जो लोग हमारा लालन-पालन और हमारे विचारों का को, हमारे उद्देश्य को देखते हैं वो कभी इस विषय में हमसे सवाल ही नहीं करेंगे, उनको मालूम है हम इसके लिए डटे हुए रहने वाले लोग हैं। और इसलिए हम इन विषयों में कहीं पर भी पीछे नहीं हैं। + +जम्‍मू-कश्‍मीर आत्‍मनिर्भर बनेगा, उस दिशा में हमारा- वहां पंचायत के चुनाव हुए, बीडीसी के चुनाव हुए, डीडीसी के चुनाव हुए, और उन सबकी सराहना गुलाम नबी जी ने की है। इस प्रशंसा के लिए मैं आपका बहुत आभारी हूं। लेकिन मुझे डर लगता है, आपने प्रशंसा की। मुझे विश्‍वास है कि आपकी पार्टी वाले इसको उचित spirit मेंलेंगे,गलती से जी-23 की राय मान करके कहीं उलटा न कर दें। + +कोरोना के चुनौतीपूर्ण दौर में सीमा पर भी चुनौती देने की कोशिश हुई। हमारे वीर जवानों के हौसले और कुशलता ने सटीक जवाब दिया है। हर हिन्‍दुस्‍तानी को इस बात पर गर्व है। मुश्किल परिस्थितियों में भी हमारे जवान डट करके खड़े रहे हैं। तमाम साथियों ने भी हमारे जवानों के शौर्य की सराहना की है, मैं उनका आभारी हूं। एलएसी पर जो स्थिति बनी है उस पर भारत का रुख बहुत स्‍पष्‍ट है और देश इसको भलीभांति देख भी रहा है और गर्व भी कर रहा है।Border Infrastructure और Border Security को लेकर हमारी प्रतिबद्धता में किसी प्रकार की ढील आने का सवाल ही नहीं होता है,गुंजाइश ही नहीं है, और जो लोग हमारा लालन-पालन और हमारे विचारों का को, हमारे उद्देश्य को देखते हैं वो कभी इस विषय में हमसे सवाल ही नहीं करेंगे, उनको मालूम है हम इसके लिए डटे हुए रहने वाले लोग हैं। और इसलिए हम इन विषयों में कहीं पर भी पीछे नहीं हैं। + +कोरोना के चुनौतीपूर्ण दौर में सीमा पर भी चुनौती देने की कोशिश हुई। हमारे वीर जवानों के हौसले और कुशलता ने सटीक जवाब दिया है। हर हिन्‍दुस्‍तानी को इस बात पर गर्व है। मुश्किल परिस्थितियों में भी हमारे जवान डट करके खड़े रहे हैं। तमाम साथियों ने भी हमारे जवानों के शौर्य की सराहना की है, मैं उनका आभारी हूं। एलएसी पर जो स्थिति बनी है उस पर भारत का रुख बहुत स्‍पष्‍ट है और देश इसको भलीभांति देख भी रहा है और गर्व भी कर रहा है।Border Infrastructure और Border Security को लेकर हमारी प्रतिबद्धता में किसी प्रकार की ढील आने का सवाल ही नहीं होता है,गुंजाइश ही नहीं है, और जो लोग हमारा लालन-पालन और हमारे विचारों का को, हमारे उद्देश्य को देखते हैं वो कभी इस विषय में हमसे सवाल ही नहीं करेंगे, उनको मालूम है हम इसके लिए डटे हुए रहने वाले लोग हैं। और इसलिए हम इन विषयों में कहीं पर भी पीछे नहीं हैं। + diff --git a/pm-speech/238.txt b/pm-speech/238.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..3689330bf431338f294f22c1281ed7ecd682d7d0 --- /dev/null +++ b/pm-speech/238.txt @@ -0,0 +1,10 @@ +आज पश्‍चिम बंगाल सहित समूचे पूर्वी भारत के लिए एक बड़ा महत्‍वपूर्ण अवसर है। पूर्वी भारत की कनेक्टिविटी और स्वच्छ ईंधन के मामले में अत्‍मनिर्भरता के लिए आज बहुत बड़ा दिन है। विशेषतौर पर इस पूरे क्षेत्र की gas connectivity को सशक्त करने वाले बड़े प्रोजेक्ट्स आज राष्ट्र को समर्पित किए गए हैं। आज जिन 4 प्रोजेक्ट्स का लोकार्पण और शिलान्यास किया गया है, उनसे पश्चिम बंगाल सहित पूर्वी भारत के अनेक राज्यों में Ease of Living और Ease of Doing Business दोनों बेहतर होंगे। ये प्रोजेक्ट हल्दिया को देश के आधुनिक और बड़े Import-Export सेंटर के रूप में विकसित करने में भी मददगार सिद्ध होंगे। + +गैस आधारित अर्थव्‍यवस्‍था आज भारत की जरूरत है। वन नेशन, वन गैस ग्रिड इसी जरूरत को पूरा करने का एक महत्‍वपूर्ण अभियान है। इसके लिए पाइपलाइन नेटवर्क के विस्तार के साथ-साथ नेचुरल गैस की कीमतें कम करने पर भी फोकस किया जा रहा है। बीते सालों में ऑयल और गैस सेक्टर में कई बड़े सुधार भी किए हैं। हमारे इन प्रयासों का परिणाम है कि आज भारत पूरे एशिया में गैस की सबसे ज्यादा खपत करने वाले देशों में शामिल हो गया है। इस साल बजट में देश ने स्वच्छ और सस्ती ऊर्जा के लिए ‘हाइड्रोजन मिशन’ की भी घोषणा की है, जो क्लीन फ्यूल के अभियान को सशक्त करेगा। + +नेचुरल गैस के साथ-साथ इस क्षेत्र में एलपीजी गैस के इंफ्रास्ट्रक्चर को मज़बूत करने के लिए लगातार काम चल रहा है। ये इसलिए ज़रूरी है क्योंकि पूर्वी भारत में उज्जवला योजना के बाद एलपीजी गैस की कवरेज काफी अधिक बढ़ गई है, जिससे डिमांड भी बढ़ी है। उज्जवला योजना के तहत पश्चिम बंगाल में करीब-करीब 90 लाख बहनों-बेटियों को मुफ्त गैस कनेक्शन मिला है। इनमें से भी 36 लाख से ज्यादा ST/SC वर्ग की महिलाएं हैं। वर्ष 2014 में पश्चिम बंगाल में LPG गैस की कवरेज सिर्फ 41 percent थी। हमारी सरकार के लगातार प्रयास से अब बंगाल में LPG गैस की कवरेज 99 percent से ज्यादा हो गई है, कहां 41 और कहां 99 से भी ज्‍यादा। इस बजट में तो देश में उज्जवला योजना के तहत 1 करोड़ और मुफ्त गैस कनेक्शन गरीबों को देने का प्रावधान किया गया है। इस बढ़ती डिमांड को पूरा करने में हल्दिया में बनाये LPG इंपोर्ट टर्मिनल अहम भूमिका निभाएगा। पश्चिम बंगाल, ओडिशा, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, यूपी और नॉर्थ ईस्ट के करोड़ों परिवारों को इससे सुविधा मिलेगी। इस सेक्‍टर से दो करोड़ से ज्यादा लोगों को गैस सप्लाइ मिलेगी, इनमें से करीब 1 करोड़ उज्ज्वला योजना के ही लाभार्थी होंगे। साथ ही इससे सैकड़ों रोज़गार यहां के नौजवानों को मिलेंगे। + +Clean Fuel को लेकर अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए आज यहां BS-6 फ्यूल बनाने वाले प्लांट की कैपेसिटी को बढ़ाने का काम भी शुरु किया गया है। हल्दिया रिफाइनरी में ये दूसरी Catalytic Dewaxing Unit जब तैयार हो जाएगी तो lube base oils के लिए विदेशों पर हमारी निर्भरता कम हो जाएगी। इससे हर साल देश के करोड़ों रुपए बचेंगे। बल्कि आज हम उस स्थिति की तरफ बढ़ रहे हैं जब एक्सपोर्ट की कैपेसिटी तैयार कर सकें। + +पश्चिम बंगाल को फिर से देश के अहम Trading और Industrial Center के रूप में विकसित करने के लिए हम निरंतर काम कर रहे हैं। इसमें Port Lead Development का बेहतरीन मॉडल है। कोलकाता के श्यामा प्रसाद मुखर्जी पोर्ट ट्रस्ट को आधुनिक बनाने के लिए बीते सालों में अनेक कदम उठाए गए हैं। यहां हल्दिया का जो Dock Complex है, उसकी कैपेसिटी को और पड़ोसी देशों से उसकी कनेक्टिविटी को सशक्त करना भी ज़रूरी है। ये जो नया फ्लाईओवर बना है, उससे अब यहां की कनेक्टिविटी बेहतर होगी। अब हल्दिया से पोर्ट्स तक जाने वाले कार्गो कम समय में पहुंचेंगे, उन्हें जाम और देरी से मुक्ति मिलेगी। Inland Waterway Authority of India, यहां मल्टीमॉडल टर्मिनल के निर्माण की योजना पर काम कर रही है। ऐसी व्यवस्थाओं से हल्दिया, आत्मनिर्भर भारत को ऊर्जा देने वाले केंद्र के रूप में उभरेगा। इन सभी कामों के लिए हमारे साथी मित्र धर्मेंद्र प्रधान जी और उनकी पूरी टीम को मैं हृदय से बहुत-बहुत बधाई देता हूँ और मुझे विश्‍वास है कि तेज गति से कम समय में सामान्‍य से सामान्‍य मानवीय के दुख को दूर करने के इस काम को बहुत ही यशस्‍वी ढंग से ये टीम पूरा कर पाएगी, ऐसा मुझे पूरा विश्‍वास है। अंत में फिर एक बार, पश्चिम बंगाल और पूर्वी भारत के सभी राज्यों को इन सुविधाओं के लिए मेरी तरफ से बहुत-बहुत बधाई, अनेक-अनेक शुभकामनाएं। + diff --git a/pm-speech/239.txt b/pm-speech/239.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..32b945e1c25e3ab5a6b6483e4cdcf6e1de23fe81 --- /dev/null +++ b/pm-speech/239.txt @@ -0,0 +1,10 @@ +एकजुट प्रयासों से, एकजुट संकल्पों से कैसे परिणाम आते हैं, असम इसका एक बड़ा उदाहरण है। आपको पाँच साल पहले का वो समय याद होगा, जब असम के ज़्यादातर दूरदराज इलाकों में अच्छे हॉस्पिटल केवल सपना होते थे। अच्छे हॉस्पिटल,  अच्छे इलाज का मतलब होता था घंटों की यात्रा,  घंटों का इंतज़ार और लगातार अनगिनत कठिनाईयां! मुझे असम के लोगों ने बताया है कि, उन्हें हमेशा यही चिंता रहती थी कि कोई मेडिकल इमरजेंसी न आ जाए! लेकिन ये समस्याएँ अब तेजी से समाधान की ओर आगे बढ़ रही हैं। आप इस फर्क को आसानी से देख सकते हैं,  महसूस कर सकते हैं। आज़ादी के बाद से 7 दशकों में,  यानी 2016 तक असम में केवल 6 मेडिकल कॉलेज होते थे। लेकिन इन 5 सालों में ही असम में 6 और मेडिकल कॉलेज बनाने का काम शुरू किया जा चुका है। आज उत्तरी असम और अपर असम की जरूरतों को देखते हुए बिस्वनाथ और चरईदेव में दो और मेडिकल कॉलेजों का शिलान्यास हो गया है। ये मेडिकल कॉलेज अपने आप में आधुनिक स्वास्थ्य सेवाओं के केंद्र तो बनेंगे ही,  साथ ही अगले कुछ सालों में यहाँ से ही मेरे हजारों नौजवान डॉक्टर बनकर के निकलेंगे। आप देखिए,  2016 तक असम में कुल MBBS सीट्स करीब सवा सात सौ ही थीं। लेकिन ये नए मेडिकल कॉलेज जैसे ही शुरू होंगे,  असम को हर साल 16 सौ नए MBBS  डॉक्टर्स मिलने लगेंगे। और मेरा तो एक ओर सपना है। बड़ा साहसपूर्ण सपना लगता होगा लेकिन मेरे देश के गावं में,  मेरे देश के गरीब के घर में टैलेंट की कोई कमी नही होती है। उन्हें अवसर नहीं मिला होता है। आजाद भारत जब अब 75 में प्रवेश कर रहा है। तो मेरा एक सपना है। हर राज्य में कम से कम एक मैडिकल कॉलेज, कम से कम एक टैक्निकल कॉलेज, वो मातृ भाषा में पढ़ाना शुरू करें। क्या असमिया भाषा में पढ़कर के कोई अच्छा डॉक्टर नहीं बन सकता है क्या? आजादी के 75 साल होने आए और इसलिए चुनाव के बाद जब नई सरकार बनेगी असम में, मैं यहा असम के लागों की तरफ से आपको वादा करता हूं। कि असम में भी एक मैडिकल कॉलेज स्थानीय भाषा में हम शुरू करेंगे। एक टैक्निकल कॉलेज स्थानीय भाषा में शुरू करेंगे। और धीरे – धीरे ये बढ़ेगा। कोई रोक नहीं पाएगा उसको।  ये डॉक्टर्स असम के अलग अलग क्षेत्रों में,  दूर दराज इलाकों में अपनी सेवाएँ देंगे। इससे भी इलाज में सुविधा होगी,  लोगों को इलाज के लिए बहुत दूर नहीं जाना होगा।   + +आज गुवाहाटी में एम्स का काम भी तेजी से आगे बढ़ रहा है। इसका काम अगले डेढ़ दो सालों में पूरा भी हो जाएगा। एम्स के वर्तमान कैम्पस में इसी अकैडमिक सत्र से MBBS का पहला बैच शुरू भी हो गया है। जैसे ही अगले कुछ सालों में इसका नया कैम्पस तैयार होगा,  आप देखेंगे गुवाहाटी आधुनिक स्वास्थ्य सेवाओं के केंद्र के तौर पर उभरकर के सामने आयेगा। एम्स गुवाहाटी केवल असम ही नहीं,  बल्कि पूरे पूर्वोत्तर के जीवन में एक बड़ा परिवर्तन करने वाला है। आज जब मैं एम्स की बात कर रहा हूं, तो एक सवाल आपके बीच पूछना चाहता हूं। देश की पिछली सरकारें ये क्यों नहीं समझ पाईं कि गुवाहाटी में ही एम्स होगा तो आप लोगों को कितना लाभ होगा। वो लोग पूर्वोत्तर से इतना दूर थे कि आपकी तकलीफें कभी समझ ही नहीं पाए। + +स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर संवेदनशीलता और आधुनिक सुविधाओं के महत्व को कोरोनाकाल में देश ने बखूबी महसूस किया है। देश ने कोरोना से जिस तरह से लड़ाई लड़ी है,  जितने प्रभावी तरीके से भारत अपना वैक्सीन प्रोग्राम चला रहा है,  उसकी तारीफ आज पूरी दुनिया कर रही है। कोरोना से सबक लेते हुए देश ने हर देशवासी के जीवन को सुरक्षित और आसान बनाने के लिए और तेजी से काम करना शुरू कर दिया है। इसकी झलक आपने इस बार के बजट में भी देखी है। बजट में इस बार स्वास्थ्य पर होने वाले खर्च में अभूतपूर्व बढ़ोत्तरी की गई है। सरकार ने ये भी तय किया है कि अब देश के 6 सौ से ज्यादा जिलों में इंटीग्रटेड लैब्स बनाई जाएंगी। इसका बहुत बड़ा फायदा छोटे कस्बों और गांवों के लोगों को होगा जिन्हें मेडिकल टेस्ट के लिए दूर जाना पड़ता है। + + आज जब मैं असम के टी वर्कर्स की बात कर रहा हूँ, तो मैं इन दिनों देश के खिलाफ चल रहे षड्यंत्रों की भी बात करना चाहता हूँ। आज देश को बदनाम करने के लिए साजिश रचने वाले इस स्तर तक पहुँच गए हैं कि,  भारत की चाय को भी नहीं छोड़ रहे। आपने खबरों में सुना होगा,  ये साज़िश करने वाले कह रहे हैं कि भारत की चाय की छवि को बदनाम करना है। योजनाबद्ध तरीके से। भारत की चाय की छवि को दुनियाभर में  बदनाम करना है।  कुछ दस्तावेज सामने आए हैं जिनसे खुलासा होता है कि विदेश में बैठी कुछ ताकतें,  चाय के साथ भारत की जो पहचान जुड़ी है,  उस पर हमला करने की फिराक में हैं। क्या आपको ये हमला मंजूर है?  इस हमले के बाद चुप रहने वाले लोग मंजूर हैं आपको? हमले करने वाले की तारीफ करने वाले मंजूर हैं क्या आपको? हर किसी को जवाब देना पड़ेगा।  जिन्होनें हिन्दुस्तान की चाय को बदनाम करने का बीड़ा उठाया है। और उनके लिए यहां जो चुप बैठे हैं, ये सभी राजनीतिक दलों को हर चाय बागान जवाब मांगेगा। हिन्दुस्तान की चाय पीने वाला हर इंसान जवाब मांगेगा। मैं असम की धरती से इन षड्यंत्रकारियों से कहना चाहता हूँ, ये जितने मर्जी षड्यंत्र कर लें,  देश इनके नापाक मंसूबों को कामयाब नहीं होने देगा। मेरा टी वर्कर इस लड़ाई का जीतकर रहेगा। भारत की चाय पर किए जा रहे इन हमलों में इतनी ताकत नहीं है कि वो हमारे टी गार्डेन वर्कर्स के परिश्रम का मुक़ाबला कर सकें। देश इसी तरह विकास और प्रगति के रास्ते पर बढ़ता रहेगा। असम इसी तरह विकास की नई नई ऊंचाइयों को छूता रहेगा। असम के विकास का ये पहिया इसी तेज गति से घूमता रहेगा। + +आज इन्हीं पंक्तियों को साकार करके हमें नए भारत को जगाना है। ये नया भारत आत्मनिर्भर भारत होगा,  ये नया भारत,  असम को विकास की नई ऊंचाई पर पहुंचाएगा। इन्हीं शुभकामनाओं के साथ, आप सबको बहुत बहुत धन्यवाद! बहुत – बहुत  शुभकामनाएं। मेरे साथ दोनों मुटठी बंद करके पूरी ताकत से बोलिए,  भारत माता की – जय। भारत माता की – जय। भारत माता की – जय। भारत माता की – जय। बहुत  – बहुत धन्यवाद। + diff --git a/pm-speech/241.txt b/pm-speech/241.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..0ef9fe5cd61ae5b64e2c85df721b2ee19e0e055f --- /dev/null +++ b/pm-speech/241.txt @@ -0,0 +1,4 @@ +हमारे देश की प्रगति का सबसे बड़ा आधार हमारा किसान भी रहा है। चौरी–चौरा के संग्राम में तो किसानों की बहुत बड़ी भूमिका थी। किसान आगे बढ़ेंगे, आत्मनिर्भर बनें, इसके लिए पिछले 6 सालों में किसानों के लिए लगातार प्रयास किए गए हैं। इसका परिणाम देश ने कोरोना काल में देखा भी है। महामारी की चुनौतियों के बीच भी हमारा कृषि क्षेत्र मजबूती से आगे बढ़ा, और किसानों ने रिकॉर्ड उत्पादन करके दिखाया। हमारा किसान अगर और सशक्त होगा, तो कृषि क्षेत्र में ये प्रगति और तेज होगी। इसके लिए इस बजट में कई कदम उठाए गए हैं। मंडियाँ किसानों के फायदे का बाज़ार बनें, इसके लिए 1000 और मंडियों को e-NAM से जोड़ा जाएगा। यानी, मंडी में जब किसान अपनी फसल बेचने जाएगा तो उसे और आसानी होगी। वो अपनी फसल कहीं भी बेच सकेगा। + +पहले पूर्वांचल की एक और बड़ी समस्या थी। आपको याद होगा, पहले अगर किसी को 50 किमी भी जाना होता था तो भी तीन चार घंटे पहले निकलना पड़ता था। लेकिन आज यहाँ फोर लेन और सिक्स लेन सड़कें बन रही हैं। इतना ही नहीं, गोरखपुर से 8 शहरों के लिए फ्लाइट की भी सुविधा बनाई गई है। कुशीनगर में बन रहा इंटरनेशनल एयरपोर्ट यहां टूरिज्म सेक्टर को भी आगे बढ़ाएगा। + diff --git a/pm-speech/242.txt b/pm-speech/242.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..2d8d771dce46e2d93d729f446152d73117fc1a9a --- /dev/null +++ b/pm-speech/242.txt @@ -0,0 +1,8 @@ +वर्ष 2021 का बजट असाधारण परिस्थितियों के बीच पेश किया गया है। इसमें यथार्थ का ऐहसास भी और विकास का विश्वास भी है। कोरोना ने दुनिया में जो प्रभाव पैदा किया, उसने पूरी मानव जाति को हिलाकर रख दिया है। इन परिस्थितियों के बीच, आज का बजट भारत के आत्मविश्वास को उजागर करने वाला है। और साथ ही दुनिया में एक नया आत्मविश्वास भरने वाला है। + +नियमों और प्रक्रियाओं को सरल बनाकर आम लोगों के जीवन में ‘ease of living’ को बढ़ाने पर इस बजट में जोर दिया गया है। ये बजट individuals, investors, industry और साथ ही Infrastructure sector में बहुत सकारात्मक बदलाव लाएगा। मैं इसके लिए देश की वित्‍तमंत्री निर्मला जी को और उनके साथी मंत्री, अनुराग जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं। + +भारत, कोरोना की लड़ाई में रीएक्टिव होने के स्थान पर हमेशा ही प्रो–एक्टिव रहा है। चाहे वों कोरोना काल में किए गए रीफॉर्म्स हों या फिर आत्मनिर्भर भारत का संकल्प हों। इसी प्रोएक्टिवनेस को बढ़ाते हुए आज के बजट में भी रीएक्टिविटी का नामोनिशान नहीं है। साथ ही, हम एक्टिव पर भी अटके नहीं है और हमने इस बजट में भी प्रो–एक्टिव बजट देकर देश के सामने प्रो–एक्टिव होने का संदेश दिया है। ये बजट उन सेक्टर्स पर विशेष रूप से केन्द्रित है जिनसे वेल्थ और वेलनेस, दोनों ही तेज गति से बढ़ेंगे – जान भी, जहान भी। इसमें MSMEs और infrastructure पर विशेष रूप से ज़ोर दिया गया है। इसी तरह, ये बजट जिस तरह से healthcare पर केन्द्रित है, वो भी अभूतपूर्व है। ये बजट देश के हर क्षेत्र में विकास, यानी all round development की बात करता है। खास तौर पर, मुझे खुशी है कि इस बजट में दक्षिण के हमारे राज्यों, पूर्वोत्तर के हमारे राज्यों और उत्‍तर में लेह लद्दाख जैसे क्षेत्रों में विकास पर विशेष ध्यान दिया है। ये बजट भारत के कोस्टल स्टेट्स जैसे तमिलनाडु, केरल, पश्चिम बंगाल को एक बिजनेस पावर हाउस बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। नॉर्थ ईस्ट के राज्य, जैसे असम के Unexplored potential को टैप करने में ये बजट बहुत बड़ी मदद करेगा। इस बजट में जिस तरह से रिसर्च एंड इनोवेशन ecosystem पर बल दिया गया है, जो प्रावधान किए गए हैं, उनसे हमारे युवाओं को ताकत मिलेगी, भारत उज्‍ज्‍वल भविष्‍य के लिए बहुत ठोस कदम रखेगा। + +देश के सामान्य मानवी का, महिलाओं का जीवन आसान बनाने के लिए उनके स्वास्थ्य, स्वच्छता, पोषण, शुद्ध जल और अवसरों की समानता पर इस बजट में विशेष बल दिया गया है। बजट में इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च में अभूतपूर्व वृद्धि के साथ-साथ कई व्यवस्था-गत सुधार किए गए हैं जिसका बहुत बड़ा फायदा देश में ग्रोथ और जॉब क्रिएशन, रोजगार के लिए बहुत लाभ होगा। देश में एग्रीकल्चर सेक्टर को मजबूती देने के लिए, किसानों की आय बढ़ाने के लिए, इस पर बजट में बहुत जोर दिया गया है, कई प्रावधान किए गए हैं। एग्रीकल्चर सेक्टर में किसानों को और आसानी से, और ज्यादा ऋण मिल सकेगा। देश की मंडियों को यानि APMC को और मजबूत करने के लिए, सशक्त करने के लिए एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड से मदद का प्रावधान किया गया है। ये सब निर्णय, ये दिखाते हैं कि इस बजट के दिल में गांव है, हमारे किसान हैं। MSME सेक्टर को गति देने के लिए, रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए, इस बार MSME सेक्टर का बजट भी पिछले साल की तुलना में, दोगुने से ज्यादा कर दिया गया है। + diff --git a/pm-speech/243.txt b/pm-speech/243.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..c239f1be8c305abd978cbfebe74a645a06288bda --- /dev/null +++ b/pm-speech/243.txt @@ -0,0 +1,16 @@ +यह खुशीकी बात है कि हम प्रबुद्ध भारत की 125वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। ये कोई सामान्य पत्रिका नहीं है। इसकी शुरुआत वर्ष 1896 में किसी और ने नहीं, बल्कि स्वामी विवेकानन्द ने स्वयं की थी। और वह भी केवल 33 वर्ष की युवा आयु में। ये देशभर मेंसबसे अधिक समय से प्रकाशित होने वाली अंग्रेजी पत्रिकाओं में से एक है। + +प्रबुद्ध भारतनाम के पीछे काफी सशक्त विचार मौजूद है।स्वामी विवेकानंद ने हमारे राष्ट्र की भावना को प्रकट करने के लिए इस पत्रिका का नाम प्रबुद्ध भारत रखा था। वह एक ‘जागृत भारत’ का निर्माण करना चाहते थे। जो लोग भारत को जानते हैं, उन्हें पता है कि ये सोच राजनीतिक और भौगोलिक सीमाओं से कहीं आगे है। स्वामी विवेकानन्द ने अपनी इस सोच को साहस और गर्व के साथ व्यक्त किया।उन्होंने भारत को एक सांस्कृतिक चेतना के रूप में देखा, जो सदियों से जीवित है और सांस ले रही है।एक ऐसा भारत, जो विपरीत समय की भविष्यवाणी के बावजूद, हर एक चुनौती के बाद और भी ज़्यादा मज़बूत होकर उभरता है। स्वामी विवेकानन्द भारत को 'प्रबुद्ध' अथवा जागृत बनाना चाहते थे। वह आत्म-विश्वास जगाना चाहते थे, कि एक राष्ट्र के रूप में हम महानता की अभिलाषा रख सकते हैं। + +यह वह दृष्टिकोण है, जिसके साथ आज भारत आगे बढ़ रहा है। अगर गरीब बैंक तक नहीं पहुंच सकते, तो बैंक को गरीबों तक पहुंचना चाहिए। जन धन योजना ने यही किया। अगर गरीब बीमे तक नहीं पहुंच सकते, तो बीमे को गरीबों तक पहुंचना चाहिए। जन सुरक्षा योजना ने ऐसा ही किया। अगर गरीब स्वास्थ्य सेवाओं तक नहीं पहुंच सकते, तो हमें स्वास्थ्य सेवाओं को गरीबों तक ले जाना चाहिए। आयुष्मान भारत योजना ने यही किया। सड़क, शिक्षा, बिजली और इंटरनेट कनेक्टिविटी को देश के प्रत्येक कोने तक पहुंचाया जा रहा है, विशेष रूप से गरीबों तक।ये योजनाएं गरीबों के बीच महत्वाकांक्षाओं को बढ़ा रही हैं, और यही वो महत्वाकांक्षाएं हैं, जो देश के विकास को आगे बढ़ा रही हैं। + +मित्रों, स्वामी विवेकानन्द ने कहा, “कमज़ोरी का उपाय कमज़ोरी के बारे में सोचना नहीं, बल्कि मज़बूत कैसे बनें, इस बारे में सोचना है।” जब हम बाधाओं के बारे में सोच रहे होते हैं, तो हम बाधाओं के बोझ तले दब जाते हैं। लेकिन जब हम अवसरों के बारे में सोचते हैं, तब हमें आगे बढ़ने के रास्ते मिलते हैं। हम कोविड-19 वैश्विक महामारी का उदाहरण ले सकते हैं। इसमहामारी के दौर में भारत ने क्या किया? भारत ने परेशानी को देखा, लेकिन असहाय और असमर्थता नहीं दिखाई। भारत ने समाधान पर अपना ध्यान केन्द्रित किया। पीपीई किट के उत्पादन से लेकर दुनियाभर को दवाओं की आपूर्ति करने तक, हमारा देश सशक्त से और ज़्यादा सशक्त होता गया। कोविड-19 संकट के दौरान भारत दुनिया के लिए सहायता पहुंचाने वाला एक स्रोत भी बन गया। कोविड-19 वैक्सीन को विकसित करने में भी भारत सबसे आगे है। कुछ ही दिन पहले, भारत ने दुनिया के सबसे व्यापक टीकाकरण अभियान का शुभारंभ किया है। हम अपनी क्षमताओं का उपयोग दूसरे देशों की मदद करने के लिए भी कर रहे हैं। + +मित्रों, जलवायु परिवर्तन एक अन्य बाधा है, जिसका आज पूरी दुनिया सामना कर रही है। हालांकि हम इस समस्या के बारे में केवल शिकायत नहीं कर सकते। हम अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (इंटरनेशनल सोलर अलाइंस) के रूप में इसका एक समाधान लेकर आए हैं। हम नवीकरणीय ऊर्जा के अधिकतम इस्तेमाल को भी बढ़ावा दे रहे हैं।यही स्वामी विवेकानंद की दृष्टि में प्रबुद्ध भारत है। यह एक ऐसा भारत है जो दुनिया की समस्याओं का समाधान दे रहा है। + +मित्रों, स्वामी विवेकानन्द के विचार अनन्त और सदा हमारे बीच रहने वाले हैं।हमें हमेशा ये याद रखना चाहिए कि, दुनिया के लिए कुछ मूल्यवान काम करके ही सच्ची अमरता पाई जा सकती है। कुछ ऐसा जो हमें हमेशा जीवित रखेगा। हमारी पौराणिक कहानियां हमें कुछ मूल्यवान बातें सिखाती हैं। ये हमें सिखाती हैं कि जिन लोगों ने अमरता का पीछा किया, उन्हें यह कभी नहीं मिला। लेकिन जिनका उद्देश्य दूसरों की सेवा करना था, वे लगभग हमेशा ही अमर हो गए। जैसा कि स्वामी जी ने स्वयं कहा था, “जीते केवल वही हैं, जो दूसरों के लिए जीते हैं।” इस विचार को हम स्वामी विवेकानन्द के जीवन में भी देख सकते हैं। वह अपने लिए कुछ हासिल करने के लिए कहीं बाहर नहीं गए। उनका दिल हमेशा देश के गरीबों के लिए धड़का। उनका दिल हमेशा एक ऐसी मातृभूमि के लिए धड़का, जो उस दौर में गुलामी की बेड़ियों में बंधी थी। + +स्वामी जी आध्यात्मिक रूप से काफी सशक्त और उच्च कोटि के व्यक्तित्व थे। फिर भी, उन्होंने गरीबों के लिए आर्थिक प्रगति के विचार को नहीं छोड़ा। स्वामीजी खुद एक सन्यासी थे। उन्होंने अपने लिए कभी एक पैसा नहीं मांगा। लेकिन उन्होंने बड़े संस्थानों के निर्माण के लिए धन इकट्ठा करने में मदद की।इन संस्थानों ने गरीबी से लड़ाई लड़ी और नवाचार को बढ़ावा दिया। + +मित्रों, स्वामी विवेकानंद के जीवन के कई ऐसे विचार और खजाने हैं, जो हमारा मार्गदर्शन करते हैं। प्रबुद्ध भारत पत्रिका ने 125 वर्षों की अपनी लंबी यात्रा पूरी कर ली है, और आज भी स्वामी जी के विचारों को दुनियाभर के लोगों तक पहुंचा रही है।ये पत्रिका स्वामीजी के युवाओं को शिक्षित करने और राष्ट्र को जागृत के विचार पर आधारित है। इसने स्वामी विवेकानन्द के अमरता के विचार को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। मैं प्रबुद्ध भारत को भविष्य के लिए शुभकामनाएं देता हूं। + diff --git a/pm-speech/244.txt b/pm-speech/244.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..ac51b0ced18e449759c4ced34203e41950d4c095 --- /dev/null +++ b/pm-speech/244.txt @@ -0,0 +1,24 @@ +इस महीने, क्रिकेट पिच से भी बहुत अच्छी खबर मिली। हमारी क्रिकेट टीम ने शुरुआती दिक्कतों के बाद, शानदार वापसी करते हुए ऑस्ट्रेलिया में सीरीज जीती। हमारे खिलाड़ियों का hard work और teamwork प्रेरित करने वाला है। इन सबके बीच, दिल्ली में, 26 जनवरी को तिरंगे का अपमान देख, देश, बहुत दुखी भी हुआ। हमें आने वाले समय को नई आशा और नवीनता से भरना है। हमने पिछले साल असाधारण संयम और साहस का परिचय दिया। इस साल भी हमें कड़ी मेहनत करके अपने संकल्पों को सिद्ध करना है। अपने देश को, और तेज गति से, आगे ले जाना है। + +मेरे प्यारे देशवासियो, इस साल की शुरुआत के साथ ही कोरोना के खिलाफ हमारी लड़ाई को भी करीब-करीब एक साल पूरा हो गया है। जैसे कोरोना के खिलाफ भारत की लड़ाई एक उदाहरण बनी है, वैसे ही, अब, हमारा Vaccination programme भी, दुनिया में, एक मिसाल बन रहा है। आज भारत दुनिया का सबसे बड़ा Covid vaccine programme चला रहा है। आप जानते हैं, और भी ज्यादा गर्व की बात क्या है ? हम सबसे बड़े Vaccine programme के साथ ही दुनिया में सबसे तेज गति से अपने नागरिकों का Vaccination भी कर रहे हैं। सिर्फ 15 दिन में, भारत, अपने 30 लाख से ज्यादा, corona warrior का टीकाकरण कर चुका है, जबकि, अमेरिका जैसे समृद्ध देश को, इसी काम में, 18 दिन लगे थे और ब्रिटेन को 36 दिन। + +साथियो, इस Vaccination कार्यक्रम में, आपने, एक और बात पर अवश्य ध्यान दिया होगा। संकट के समय में भारत, दुनिया की सेवा इसलिए कर पा रहा है, क्योंकि, भारत, आज, दवाओं और Vaccine को लेकर सक्षम है, आत्मनिर्भर है। यही सोच आत्मनिर्भर भारत अभियान की भी है। भारत, जितना सक्षम होगा, उतनी ही अधिक मानवता की सेवा करेगा, उतना ही अधिक लाभ दुनिया को होगा। + +साथियो, हम आजादी के आंदोलन और बिहार की बात कर रहें हैं, तो, मैं, NaMo App पर ही की गई एक और टिपण्णी की भी चर्चा करना चाहूँगा। मुंगेर के रहने वाले जयराम विप्लव जी ने मुझे तारापुर शहीद दिवस के बारे में लिखा है। 15 फरवरी, Nineteen thirty two, 1932 को, देशभक्तों की एक टोली के कई वीर नौजवानों की अंग्रेजों ने बड़ी ही निर्ममता से हत्या कर दी थी। उनका एकमात्र अपराध यह था कि वे ‘वंदे मातरम’ और ‘भारत माँ की जय’ के नारे लगा रहे थे। मैं उन शहीदों को नमन करता हूँ और उनके साहस का श्रद्धापूर्वक स्मरण करता हूँ। मैं जयराम विप्लव जी को धन्यवाद देना चाहता हूँ। वे, एक ऐसी घटना को देश के सामने लेकर आए, जिस पर उतनी चर्चा नहीं हो पाई, जितनी होनी चाहिए थी। + +हैदराबाद के बोयिनपल्ली में, एक स्थानीय सब्जी मंडी, किस तरह, अपने दायित्व को निभा रही है, ये पढ़कर भी मुझे बहुत अच्छा लगा।  हम सबने देखा है कि सब्जी मंडियों में अनेक वजहों से काफी सब्जी खराब हो जाती है। ये सब्जी इधर-उधर फैलती है, गंदगी भी फैलाती हैं  लेकिन, बोयिनपल्ली की सब्जी मंडी ने तय किया कि, हर रोज बचने वाली इन सब्जियों को ऐसे ही फेंका नहीं जाएगा। सब्जी मंडी से जुड़े लोगों ने तय किया, इससे, बिजली बनाई जाएगी। बेकार हुई सब्जियों से बिजली बनाने के बारे में शायद ही आपने कभी सुना हो – यही तो innovation की ताकत है। आज बोयिनपल्ली की मंडी में पहले जो waste था, आज उसी से wealth create हो रही है – यही तो कचरे से कंचन बनाने की यात्रा है। वहाँ हर दिन करीब 10 टन waste निकलता है, इसे एक प्लांट में इकठ्ठा कर लिया जाता है। Plant के अंदर इस waste से हर दिन 500 यूनिट बिजली बनती है, और करीब 30 किलो bio fuel भी बनता है। इस बिजली से ही  सब्जी मंडी में रोशनी होती है, और, जो, bio fuel बनता है, उससे, मंडी की कैंटीन में खाना बनाया जाता है – है न कमाल का प्रयास! + +मेरे प्यारे देशवासियो, कुछ दिन पहले आपने देखा होगा, अमेरिका के San Francisco से बैंगलुरू के लिए एक non-stop flight  की कमान भारत की चार women pilots ने संभाली। दस हजार किलोमीटर से भी ज्यादा लंबा सफ़र तय करके ये flight सवा दो-सौ से अधिक यात्रियों को भारत लेकर आई। आपने इस बार 26 जनवरी की परेड में भी गौर किया होगा, जहां, भारतीय वायुसेना की दो women officers ने नया इतिहास रच दिया है। क्षेत्र कोई भी हो, देश की महिलाओं की भागीदारी लगातार बढ़ रही है, लेकिन, अक्सर हम देखते हैं, कि, देश के गाँवों में हो रहे इसी तरह के बदलाव की उतनी चर्चा नहीं हो पाती, इसलिए, जब मैंने एक खबर मध्य प्रदेश के जबलपुर की देखी, तो मुझे लगा कि इसका जिक्र तो मुझे ‘मन की बात’ में जरुर करना चाहिए। ये खबर बहुत प्रेरणा देने वाली है। जबलपुर के चिचगांव में कुछ आदिवासी महिलाएं एक rice mill में दिहाड़ी पर काम करती थीं। कोरोना वैश्विक महामारी ने जिस तरह दुनिया के हर व्यक्ति को प्रभावित किया, उसी तरह, ये महिलाएं भी प्रभावित हुईं। उनकी rice mill  में काम रुक गया। स्वाभाविक है कि इससे आमदनी की भी दिक्कत आने लगी, लेकिन ये निराश नहीं हुईं, इन्होंने, हार नहीं मानी। इन्होंने तय किया, कि, ये साथ मिलकर अपनी खुद की rice mill शुरू करेंगी। जिस मिल में ये काम करती थीं, वो अपनी मशीन भी बेचना चाहती थी। इनमें से मीना राहंगडाले जी ने सब महिलाओं को जोड़कर ‘स्वयं सहायता समूह’ बनाया, और सबने अपनी बचाई हुई पूंजी से पैसा जुटाया,। जो पैसा कम पड़ा, उसके लिए ‘आजीविका मिशन’ के तहत बैंक से कर्ज ले लिया, और अब देखिये, इन आदिवासी बहनों ने वही rice mill खरीद ली, जिसमें वो कभी काम किया करती थीं। आज वो अपनी खुद की rice mill चला रही हैं। इतने ही दिनों में इस mill ने करीब तीन लाख रूपये का मुनाफ़ा भी कमा लिया है। इस मुनाफे से मीना जी और उनकी साथी, सबसे पहले, बैंक का लोन चुकाने और फिर अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए तैयारी कर रही हैं। कोरोना ने जो परिस्थितियां बनाईं, उससे मुकाबले के लिए देश के कोने-कोने में ऐसे अद्भुत काम हुए हैं। + +मेरे प्यारे देशवासियो, कुछ ही दिन पहले मैंने एक वीडियो देखा। वह वीडियो पश्चिम बंगाल के वेस्ट मिदनापुर स्थित ‘नया पिंगला’ गाँव  के एक चित्रकार सरमुद्दीन का था। वो प्रसन्नता व्यक्त कर रहे थे कि  रामायण पर बनाई उनकी painting दो लाख रुपये में बिकी है। इससे उनके गांववालों को भी काफी खुशी मिली है। इस वीडियो को देखने के बाद मुझे इसके बारे में और अधिक जानने की उत्सुकता हुई। इसी क्रम में मुझे पश्चिम बंगाल से जुड़ी एक बहुत अच्छी पहल के बारे में जानकारी मिली, जिसे, मैं, आपसे साथ जरुर साझा करना चाहूंगा। पर्यटन मंत्रालय के regional office ने महीने के शुरू में ही बंगाल के गाँवों में एक ‘Incredible India Weekend Gateway’ की शुरुआत की। इसमें पश्चिम मिदनापुर, बांकुरा, बीरभूम, पुरुलिया, पूर्व बर्धमान, वहाँ के हस्तशिल्प कलाकारों ने visitors के लिये Handicraft Workshop आयोजित की। मुझे यह भी बताया गया कि Incredible India Weekend Getaways के दौरान handicrafts की जो कुल बिक्री हुई, वो हस्त शिल्पकारों को बेहद प्रोत्साहित करने वाली है। देशभर में लोग भी नए-नए तरीकों से हमारी कला को लोकप्रिय बना रहे हैं। ओडिशा के राउरकेला की भाग्यश्री साहू को देख लीजिए। वैसे तो वे Engineering की छात्रा हैं, लेकिन, पिछले कुछ महीनों में उन्होंने पट्टचित्र कला को सीखना शुरू किया और उसमें निपुणता हासिल कर ली है। लेकिन, क्या आप जानते हैं, कि, उन्होंने paint कहाँ किया – Soft Stones! Soft Stones पर| कॉलेज जाने के रास्ते में भाग्यश्री को ये Soft Stones मिले, उन्होंने, इन्हें एकत्र किया और साफ़ किया। बाद में, उन्होंने, रोजाना दो  घंटे इन पत्थरों पर पट्टचित्र style में painting की। वह, इन पत्थरों को paint कर, उन्हें अपने दोस्तों को gift करने लगीं। लॉकडाउन के दौरान उन्होंने बोतलों पर भी paint करना शुरू कर दिया। अब तो वो इस Art पर workshops भी आयोजित करती हैं। कुछ दिन पहले ही, सुभाष बाबू की जयन्ती पर, भाग्यश्री ने, पत्थर पर ही, उन्हें, अनोखी श्रद्धांजलि दी। मैं, भविष्य के उनके प्रयासों के लिए शुभकामनाएं देता हूँ। Art and Colors के जरिए बहुत कुछ नया सीखा जा सकता है, किया जा सकता है। झारखण्ड के दुमका में किए गए एक ऐसे ही अनुपम प्रयास के बारे में मुझे बताया गया। यहाँ, Middle School के एक Principal ने बच्चों को पढ़ाने और सिखाने के लिए गाँव की दीवारों को ही अंग्रेजी और हिंदी के अक्षरों से paint करवा दिया, साथ ही, उसमें, अलग-अलग चित्र भी बनाए गए हैं, इससे, गाँव के बच्चों को काफी मदद मिल रही है। मैं, ऐसे सभी लोगों का अभिनन्दन करता हूँ, जो, इस प्रकार के प्रयासों में लगे हैं। + +मेरे प्यारे देशवासियो, भारत से हजारों किलोमीटर दूर, कई महासागरों, महाद्वीपों के पार एक देश है, जिसका नाम है Chile। भारत से Chile पहुँचने में बहुत अधिक समय लगता है, लेकिन, भारतीय संस्कृति की खुशबू, वहाँ बहुत समय पहले से ही फैली हुई है। एक और खास बात ये है, कि, वहाँ पर योग बहुत अधिक लोकप्रिय है। आपको यह जानकार अच्छा लगेगा कि Chile की राजधानी Santiago में 30 से ज्यादा योग विद्यालय हैं। Chile में अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस भी बड़े ही उत्साह से मनाया जाता है। मुझे बताया गया है कि  House of Deputies में योग दिवस को लेकर बहुत ही गर्मजोशी भरा माहौल होता है।  कोरोना के इस समय में immunity पर ज़ोर, और immunity बढ़ाने में, योग की ताकत को देखते हुए, अब वे लोग योग को पहले से कहीं ज्यादा महत्व दे रहे हैं। Chile की कांग्रेस, यानी वहाँ की Parliament ने एक प्रस्ताव पारित किया है। वहाँ, 4 नवम्बर को National Yoga Day घोषित किया गया है। अब आप ये सोच सकते हैं कि आखिर 4 नवम्बर में ऐसा क्या है ? 4 नवम्बर 1962 को ही Chile का पहला योग संस्थान होज़े राफ़ाल एस्ट्राडा द्वारा स्थापित किया था। इस दिन को National Yoga Day घोषित करके Estrada जी को भी श्रद्धांजलि दी गई है। Chile की Parliament द्वारा यह एक विशेष सम्मान है, जिस पर हर भारतीय को गर्व है। वैसे, Chile की संसद से जुड़ी एक और बात आपको दिलचस्प लगेगी। Chile Senate के Vice President का नाम रबिंद्रनाथ क्विन्टेरॉस है। उनका यह नाम विश्व कवि गुरुदेव टैगोर से प्रेरित होकर रखा गया है। + +मेरे प्यारे देशवासियो, MyGov पर, महाराष्ट्र के जालना के डॉ. स्वप्निल मंत्री और केरल के पलक्कड़ के प्रहलाद राजगोपालन ने आग्रह किया है कि मैं ‘मन की बात’ में सड़क सुरक्षा पर भी आपसे बात करूँ। इसी महीने 18 जनवरी से 17 फरवरी तक, हमारा देश ‘सड़क सुरक्षा माह’ यानि ‘Road Safety Month’ भी मना रहा है। सड़क हादसे आज हमारे देश में ही नहीं पूरी दुनिया में चिंता का विषय हैं। आज भारत में Road Safety के लिए सरकार के साथ ही व्यक्तिगत और सामूहिक स्तर पर कई तरह के प्रयास भी किये जा रहे हैं। जीवन बचाने के इन प्रयासों में हम सबको सक्रिय रूप से भागीदार बनना चाहिए। + +साथियो, आपने ध्यान दिया होगा, Border Road Organisation जो सड़कें बनाती है, उससे गुजरते हुए आपको बड़े ही innovative slogans देखने को मिलते हैं। ‘This is highway not runway’ या फिर ‘Be Mr. Late than Late Mr.’ ये slogans सड़क पर सावधानी बरतने को लेकर लोगों को जागरूक करने में काफी प्रभावी होते हैं। अब आप भी ऐसे ही innovative slogans या catch phrases, MyGov पर भेज सकते हैं। आपके अच्छे slogans भी इस अभियान में उपयोग किए जायेंगे। + +साथियो, Road Safety के बारे में बात करते हुए, मैं NaMo App पर कोलकाता की अपर्णा दास जी की एक पोस्ट की चर्चा करना चाहूँगा। अपर्णा जी ने मुझे ‘FASTag’ Programme पर बात करने की सलाह दी है। उनका कहना है कि ‘FASTag’ से यात्रा का अनुभव ही बदल गया है। इससे समय की तो बचत होती ही है, Toll Plaza पर रुकने, cash payment की चिंता करने जैसी दिक्कतें भी खत्म हो गई हैं। अपर्णा जी की बात सही भी है। पहले हमारे यहाँ Toll Plaza पर एक गाड़ी को औसतन 7 से 8 मिनट लग जाते थे, लेकिन ‘FASTag’ आने के बाद, ये समय, औसतन सिर्फ डेढ़-दो मिनट रह गया है। Toll Plaza पर waiting time में कमी आने से गाड़ी के ईंधन की बचत भी हो रही है। इससे देशवासियों के करीब 21 हजार करोड़ रूपए बचने का अनुमान है, यानी पैसे की भी बचत, और समय की भी बचत। मेरा आप सभी से आग्रह है कि सभी दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए, अपना भी ध्यान रखें और दूसरों का जीवन भी बचाएं। + +मेरे प्यारे देशवासियो, हमारे यहाँ कहा जाता है – “जलबिंदु निपातेन क्रमशः पूर्यते घटः”। अर्थात् एक एक बूँद से ही घड़ा भरता है। हमारे एक-एक प्रयास से ही हमारे संकल्प सिद्ध होते हैं। इसलिए, 2021 की शुरुआत जिन लक्ष्यों के साथ हमने की है, उनको, हम सबको मिलकर ही पूरा करना है  तो आइए, हम सब मिलकर इस साल को सार्थक करने के लिए अपने अपने कदम बढ़ाएं। आप अपना सन्देश, अपने ideas जरुर भेजते रहिएगा। अगले महीने हम फिर मिलेंगे। + diff --git a/pm-speech/245.txt b/pm-speech/245.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..a7ba7ac0e5865f3b98b74dfec71d417d704a6597 --- /dev/null +++ b/pm-speech/245.txt @@ -0,0 +1,4 @@ +मुझे विश्‍वास है कि जिस आशा और अपेक्षा के साथ देश के कोटि-कोटि जनों ने ह‍म सबको संसद में भेजा है, हम संसद के इस पवित्र स्‍थान का भरपूर उपयोग करते हुए, लोकतंत्र की सभी मर्यादाओं का पालन करते हुए, जन-आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए अपने योगदान में पीछे नहीं रहेंगे, ये मुझे पूरा विश्‍वास है। सभी सांसद इस सत्र को और अधिक उत्तम बनाएंगे, ये मेरा पूरा विश्‍वास है। + +ये बजट का भी सत्र है। वैसे शायद भारत के इतिहास में पहली बार हुआ कि 2020 में एक नहीं हमें, वित्‍तमंत्री जी को अलग-अलग पैकेज के रूप में एक प्रकार से चार-पांच मिनी बजट देने पड़े। यानी 2020, एक प्रकार से लगातार मिनी बजट का सिलसिला चलता रहा। और इसलिए ये बजट भी उन चार-पांच बजट की श्रृंखला में ही देखा जाएगा, ये मुझे पूरा विश्‍वास है। + diff --git a/pm-speech/246.txt b/pm-speech/246.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..b11ba348a3196bdf8ab601b71718adfc9719f058 --- /dev/null +++ b/pm-speech/246.txt @@ -0,0 +1,16 @@ +पहले फेज में हम अपने 30 मिलियन health औरfrontline workers का vaccination कर रहे हैं।भारत की स्पीड का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि सिर्फ 12 दिन में भारत अपने 2.3 मिलियन से ज्यादा health workers कोvaccinate कर चुका है। अगले कुछ महीनों में हम अपने करीब 300 मिलियन बुजुर्ग और co-morbidity वाले मरीजों के vaccination का target पूरा कर लेंगे। + +सर्वे सन्तु निरामया- पूरा संसार स्वस्थ रहे, भारत की इस हजारों वर्ष पुरानी प्रार्थना पर चलते हुए संकट के इस समय में भारत ने अपनी वैश्विक जिम्मेदारी को भी शुरू से निभाया है। जब दुनिया के अनेक देशों में airspace बंद था तब एक लाख से ज्यादा नागरिकों को उनके देश पहुंचाने के साथ ही भारत ने 150 से ज्यादा देशों को जरूरी दवाइयां भी भेजीं। अनेक देशों के हेल्थ कर्मचारियों को भारत ने Online Trainingदी। भारत की Traditional Medicine- आयुर्वेद कैसे immunity बढ़ाने में सहायक है, हमने दुनिया को इस बारे में भी गाइड किया। + +आज भारत, कोविड की वैक्सीन दुनिया के अनेक देशों में भेजकर, वहां पर vaccinationसे जुड़े infrastructure को तैयार करके, दूसरे देशों के नागरिकों का भी जीवन बचा रहा हैऔर ये सुनकर WEF में सभी को तसल्ली होगी कि अभी तो सिर्फ दो Made In India Corona Vaccine दुनिया में आई हैं, आने वाले समय में कई और वैक्सीन भारत से बनकर आने वाली हैं।ये वैक्सीन्स दुनिया के देशों को और ज्यादा बड़े स्केल पर, ज्यादा स्पीड से मदद करने पूरी तरह सहायता करेंगी। + +Experts बताते हैं कि Industry 4.0 के चार मुख्य Factors होने वाले हैं-Connectivity, Automation, Artificial Intelligence या Machine Learning और Real-Time Data.आज भारत दुनिया के उन देशों में से है जहां सबसे सस्ता डेटा उपलब्ध है, जहां के दूर-दराज क्षेत्रों में भी mobile connectivity है, smart phone है। भारत का automation, design का expert pool भी बहुत बड़ा है और ज़्यादातर Global कंपनियों के इंजीनियरिंग सेंटर भी भारत में हैं। Artificial Intelligenceऔर Machine Learning में भारत के software engineers, बरसों से अपनी क्षमता से दुनिया को अवगत करा रहे हैं। + +बीते 6 वर्षों में भारत में जिस तरह digital infrastructure के लिए काम हुआ है, वो World economy forum के experts के लिए भी एक स्टडी का विषय है।इस infrastructure ने Digital Solutions को भारत के लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बना दिया है।आज भारत के 1.3 बिलियन से ज्यादा लोगों के पास Universal ID- आधार है।लोगों के बैंक अकाउंट और Universal ID, उनके फोन से connected हैं।अभी दिसंबर के महीने में ही भारत में 4 ट्रिलियन रुपीज का लेन-देन UPI से हुआ है।यहां जो banking sector के लोग हैं, वो जानते हैं कि किस तरह से दुनिया के बड़े-बड़े देश, भारत द्वारा विकसित UPI व्यवस्था को अपने यहां दोहराने का प्रयास कर रहे हैं। + +हमने ये भी देखा है कि कोरोना संकट के दौरान अनेक देश परेशान थे कि अपने नागरिकों तक सीधे आर्थिक मदद कैसे पहुंचाएं? आप ये जानकर चौंक जाएंगे कि इसी दौरान भारत ने 760 मिलियन से ज्यादा लोगों के बैंक खातों में 1.8 ट्रिलियन रुपीज से अधिक सीधे transfer किए। ये भारत के मजबूत Digital Infrastructure की ही ताकत का उदाहरण है।हमारे Digital Infrastructure ने Public Service Delivery को Efficient भी बनाया है और Transparent भीबनाया है।अब भारत अपने 1.3 बिलियन नागरिकों को Healthcare के Easy Access के लिए Unique Health ID देने का भी अभियान शुरू कर रहा है। + +मैं आज इस प्रतिष्ठित forum पर सभी को ये भी आश्वासन देता हूं कि भारत की हर सफलता, पूरे विश्व की सफलता में मदद करेगी।आज हम जो आत्मनिर्भर भारत अभियान- चला रहे हैं वो भी Global Good और Global Supply Chain के प्रति पूरी तरह Committed है।भारत के पास Global Supply Chain को मज़बूत करने के लिए Capacity भी है, Capability भी है और सबसे बड़ी बात Reliability भी है। भारत के पास आज बहुत बड़ा Consumer Base है और इसका जितना विस्तार होगा, उतना ही Global Economy को लाभ होगा। + +Industry 4.0 को लेकर हो रही इस चर्चा के बीच, हम सभी को एक और बात याद रखनी है।कोरोना क्राइसिस ने हमें मानवीयता का मूल्य फिर याद दिलाया है।हमें याद रखना है कि इंडस्ट्री 4.0 भी Robots के लिए नहीं बल्कि इंसानों के लिए है।हमें ये सुनिश्चित करना होगा कि Technology, Ease of Living का Tool बने ना कि कोई Trap.इसके लिए पूरी दुनिया को मिलकर कदम उठाने होंगे, हम सबको मिलकर कदम उठाने होंगे।मुझे विश्वास है कि हम इसमें सफल होंगे। + diff --git a/pm-speech/247.txt b/pm-speech/247.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..d61c8c9b506d9d2d7a378285a37938f9cfb55154 --- /dev/null +++ b/pm-speech/247.txt @@ -0,0 +1,16 @@ +पिछले वर्ष 15 अगस्त को ये ऐलान किया गया था कि Coastal और Border Areas के करीब पौने 2 सौ जिलों में NCC को नया दायित्व दिया जाएगा। इसके लिए लगभग 1 लाख NCC Cadets को Army, Navy और Airforce ट्रेन कर रही है। इसमें भी एक तिहाई, वन थर्ड, हमारी Girls Cadets को ट्रेनिंग दी जा रही है। इन कैडेट्स का सेलेक्शन सभी स्कूलों और कॉलेजों, चाहे वो सरकारी हों, प्राइवेट हों, केंद्र के हों या राज्य सरकार के हों, सभी को इसमें शामिल किया जा रहा है। NCC की ट्रेनिंग क्षमताओं को भी सरकार तेजी से बढ़ा रही है। अब तक आपके पास सिर्फ एक फाइरिंग सिम्यूलेटर होता था। इसे अब बढ़ाकर 98 किया जा रहा है, करीब-करीब 100, कहां एक और कहां 100. माइक्रोलाइट फ्लाइट सिम्यूलेटर को भी 5 से बढ़ाकर 44 और रोविंग सिम्यूलेटर को 11 से बढ़ाकर 60 किया जा रहा है। ये आधुनिक सिम्यूलेटर्स, NCC ट्रेनिंग की क्वालिटी को और सुधारने में मदद करेंगे। + +ये आयोजन अभी जिस ग्राउंड पर हो रहा है, उसका नाम फील्ड मार्शल के. एम. करियप्पा जी के नाम पर है। वो भी आपके लिए बड़ी प्रेरणा हैं। करियप्पा जी का जीवन शौर्य की अनेक गाथाओं से भरा हुआ है। 1947 में उनके रणनीतिक कौशल की वजह से भारत को युद्ध में निर्णायक बढ़त मिली थी। आज फील्ड मार्शल के. एम. करियप्पा जी की जन्मजयंती है। मैं सभी देशवासियों की तरफ से, आप NCC कैडेट्स की तरफ से उन्हें आदरपूर्वक श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। + +लोंगेवाला पोस्ट का भी अपना एक गौरवमयी इतिहास है। सन 71 के युद्ध में लोंगेवाला में हमारे वीर जांबाजों ने निर्णायक विजय प्राप्त की थी। तब पाकिस्तान से युद्ध के दौरान पूरब और पश्चिम के हजारों किलोमीटर लंबे बॉर्डर पर भारत की फौज ने अपने पराक्रम से, दुश्मन को धूल चटा दी थी। उस युद्ध में पाकिस्तान के हजारों सैनिकों ने भारत के जांबाजों के सामने सरेंडर कर दिया था। सन 71 की ये जंग, भारत के मित्र और हमारे पड़ोसी देश बांग्लादेश के निर्माण में भी सहायक बनी। इस वर्ष, इस युद्ध में विजय के भी 50 वर्ष हो रहे हैं। भारत के हम लोग, 1971 की जंग में देश को जिताने वाले भारत के वीर बेटे-बेटियों के साहस, उनके शौर्य, आज पूरे देश उन्‍हें सैल्यूट करता है। इस युद्ध में देश के लिए जो शहीद हुए, आज मैं उन्हें अपनी श्रद्धांजलि भी अर्पित करता हूं। + +वर्ष 2047 में जब देश अपनी स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूरे करेगा, तब आपके आज के प्रयास, भारत की इस यात्रा को मजबूती देंगे। यानि ये वर्ष एक कैटेड के रूप में और नागरिक के रूप में भी नए संकल्प लेने का वर्ष है। देश के लिए संकल्‍प लेने का वर्ष है। देश के लिए नए सपने लेकर के चल पड़ने का वर्ष है। बीते साल में बड़े-बड़े संकटों का जिस सामूहिक शक्ति से, एक राष्ट्र, एक मन से हमने सामना किया, उसी भावना को हमें और सशक्त करना है। हमें देश की अर्थव्यवस्था पर इस महामारी के जो दुष्‍प्रभाव पड़े हैं, उसको भी पूरी तरह नेस्‍तनाबूद करना है। और आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को भी हमें पूरा करके दिखाना है। + +बीते साल भारत ने दिखाया है कि Virus हो या Border की चुनौती, भारत अपनी रक्षा के लिए पूरी मज़बूती से हर कदम उठाने में सक्षम है। Vaccine का सुरक्षा कवच हो या फिर भारत को चुनौती देने वालों के इरादों को आधुनिक मिसाइलों से ध्वस्त करना, भारत हर मोर्चे पर समर्थ है। आज हम Vaccine के मामले में भी आत्मनिर्भर हैं और अपनी सेना के आधुनिकीकरण के लिए उतनी ही तेजी से प्रयास कर रहे हैं। भारत की सभी सेनाएं सर्वश्रेष्ठ हो, इसके लिए हर कदम उठाए जा रहे हैं। आज भारत के पास दुनिया की बेहतरीन War Machines हैं। आपने आज मीडिया में भी देखा होगा, कल ही भारत में, फ्रांस से तीन और रफाएल फाइटर प्लेन आए हैं। भारत के इन फाइटर प्लेन्स ही मिड-एयर ही री-फ्यूलिंग हुई है। और ये री-फ्यूलिंग, भारत के मित्र युनाइटेड अरब अमीरात ने की है और इसमें ग्रीस और सउदी अरब ने सहयोग किया है। ये भारत के खाड़ी देशों के साथ मजबूत होते संबंधों की एक तस्वीर भी है। + +अपनी सेनाओं की ज्यादातर ज़रुरतों को भारत में ही पूरा किया जा सके, इसके लिए भी सरकार द्वारा बड़े फैसले लिए गए हैं। 100 से ज्यादा सुरक्षा से जुड़े सामानों की विदेशों से खरीद को बंद कर उनको भारत में ही तैयार किया जा रहा है। अब भारत का अपना तेजस फाइटर प्लेन भी समंदर से लेकर आसमान तक अपना तेज फैला रहा है। हाल में वायुसेना के लिए 80 से ज्यादा तेजस का ऑर्डर भी दिया गया है। इतना ही नहीं, Artificial Intelligence आधारित Warfare में भी भारत किसी से पीछे ना रहे, इसके लिए हर ज़रूरी R and D पर फोकस किया जा रहा है। वो दिन दूर नहीं जब भारत Defense Equipments के बड़े मार्केट के बजाय एक बड़े Producer के रूप में जाना जाएगा। + +21वीं सदी में आत्मनिर्भर भारत के लिए आत्मविश्वासी युवा बहुत ज़रूरी है। ये आत्मविश्वास, फिटनेस से बढ़ता है, एजुकेशन से बढ़ता है, स्किल और उचित अवसरों से आता है। आज सरकार देश के युवाओं के लिए ज़रूरी इन्हीं पहलुओं पर काम कर रही है और इसके लिए सिस्टम में हर ज़रूरी रिफॉर्म्स भी किए जा रहे हैं। हजारों अटल टिंकरिंग लैब से लेकर बड़े-बड़े आधुनिक शिक्षा संस्थान तक, स्किल इंडिया मिशन से लेकर मुद्रा जैसी योजनाओं तक, सरकार हर दिशा में प्रयास कर रही है। आज Fitness और Sports को भारत में अभूतपूर्व प्राथमिकता दी जा रही है। फिट इंडिया अभियान और खेलो इंडिया अभियान, देश के गांव-गांव में बेहतर फिटनेस और बेहतर टैलेंट को प्रोत्साहित कर रहा है। फिट इंडिया अभियान और योग को प्रोत्साहन देने के लिए तो NCC में भी विशेष कार्यक्रम चलते हैं। + +नई नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के माध्यम से भारत के एजुकेशन सिस्टम को प्री नर्सरी से लेकर पीएचडी तक Student सेंट्रिक बनाया जा रहा है। अपने बच्चों को, युवा साथियों को अनावश्यक दबाव से मुक्त करके, उसकी अपनी इच्छा, अपनी रुचि के हिसाब से आगे बढ़ने के लिए माहौल बनाया जा रहा है। खेती से लेकर स्पेस सेक्टर तक, हर स्तर पर युवा टैलेंट के लिए, युवा उद्यमियों के लिए अवसर दिए जा रहे हैं। आप इन अवसरों का जितना लाभ उठाएंगे, उतना ही देश आगे बढ़ेगा। हमें वयं राष्ट्र जागृयामः, इस वैदिक आह्वान को 21वीं सदी की युवा ऊर्जा का उद्घोष बनाना है। हमें ‘इदम् राष्ट्राय इदम् न मम्’ यानि ये जीवन राष्ट्र को समर्पित है, इस भावना को आत्मसात करना है। हमें ‘राष्ट्र हिताय राष्ट्र सुखाय च’ का संकल्प लेकर प्रत्येक देशवासी के लिए काम करना है। आत्मवत सर्वभूतेषु और सर्वभूत हितेरता यानि सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास के मंत्र के साथ हमें आगे बढ़ना है। + diff --git a/pm-speech/248.txt b/pm-speech/248.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..4b2f8d1fd493e6720b16ab0171547dacc33d9c28 --- /dev/null +++ b/pm-speech/248.txt @@ -0,0 +1,18 @@ +उत्तर- सर, कोरोना ने पूरे देश को ही थोड़ी कठिनाइयां दी हैं। पर, as you said हम ऐसे बैठे नहीं रह सकते। हमें कोराना के बाद भी strong बाहर आना है। तो मैंने अपनी ट्रेनिंग और पूरी रूटीन कोरोना के दौरान भी जानी रखी है और अभी हम इस समय Gulmarg में हैं जो जम्‍मू-कश्‍मीर में है और मेरी अगली climb के लिए train कर रहे हैं। जो नॉर्थ अमेरिका में माउंट देनाली है। और हम जून इस साल में माउंट देनाली चढ़ने के लिए अभी train कर रहे हैं। + +उत्तर- जी सर, usually हम running और cycling के लिए जाते थे but पहले लॉकडाउन में ये allowed नहीं था तो हम जो 21 स्‍टोरी की बिल्डिंग में रहते हैं मुम्‍बई में, हम वहां पर सीढ़ियां ऊपर-नीचे चढ़ते थे फिटनेस के लिए। और थोड़ा लॉकडाउन ease होने के बाद thankfully हम मुम्‍बई शिफ्ट हुए हैं तो हम शहयाद्री में जाकर छोटे-मोटे tracks करते थे सर, weekends में। + +पीएम सर की टिप्पणी: आप ओलंपिक तक जाएं, गोल्ड लेकर आएं, ये आपके सपने वाकई हिन्‍दुस्‍तान के हर बच्‍चे को नए सपने सजाने की प्रेरणा देते हैं। मेरी शुभकामनाएं हमेशा आपके साथ हैं। स्पोर्ट्स की दुनिया में झारखंड का जो टैलेंट है, उस पर पूरे देश को गर्व है। मैंने तो देखा है कि झारखंड की बेटियां बड़ा कमाल कर देती हैं जी। कैसे-कैसे खेलकूद में अपना नाम बना रही हैं। छोटे-छोटे गांव, छोटे-छोटे शहरों में आप जैसा टैलेंट जब बाहर निकलता है, तो दुनिया भर में जाकर देश का नाम रोशन करता है। सविता, आपको मेरा बहुत-बहुत आशीर्वाद है। बहुत आगे बढ़िए। + +प्रश्न – बताइए बेटा, नवीश, हम आपसे सुनना चाहते हैं। आप बहुत ही अच्छी पेंटिंग्स करती हैं। रंगों में तो वैसे ही बहुत ऊर्जा होती है। और वैसे तो नॉर्थ-ईस्‍ट अपने-आप में बड़ा colorful है। उन रंगों को सजा दिया जाये, तो ये जीवन भर देने जैसा होता है। मुझे बताया गया है कि आप ज़्यादातर environment पर,  पर्यावरण पर, greenery पर पेंटिंग बनाती हैं। और यही विषय आपको इतना क्यों आकर्षित करता है? + +उत्तर- सर, first of all नमस्‍कार और सर मैं बोलना चाहता हूं कि science और innovation में interest रहा ही था लेकिन सर, मेरे पापा एक तो किसान हैं और मैं एक farming family से हूं। ये मेरे पिताजी हैं और ये मेरी माताजी हैं। तो सर मैं  देखता कि जो एक farming existing practice में बहुत सारे problems थे, तो कुछ तो करना था। और मेरा मन था कि मैं जो किसान हैं, हमारे राष्‍ट्रीय अन्‍नदाता हैं, उनको कुछ contribute करो। जो मेरा technology का इनोवशन है, इसे उनको contribute करने के लिए मैंने एक मिशन बनाया है सर। तो already जो existing practice है उनसे 50 पर्सेंट से भी ज्‍यादा profitable मेरे मशीन हैं सर।     + +उत्‍तर – हां सर, प्रयोग किया है। तो एक बोलना चाहता हूं कि सर, मेरे मशीन  10-15 पर्सेंट से भी ज्‍यादा टाइम consume, it decrease the time taken. और जो मैंने practically जो टेस्‍ट किया है, उससे पता चला है कि मेरे मशीन सबसे ज्‍यादा profitable और सबसे ज्‍यादा germination rate देता है। सर, वो क्‍या है आज जो skilled labor चाहिए farming के लिए, यानी किसान को जो लेबर चाहिए उसका चार्ज तो sky rocket हुआ है, बहुत ज्‍यादा हुआ है और हमें skilled laborers नहीं मिलते हैं। तो इसीलिए मैंने एक multipurpose मशीन तैयार किया है ताकि एक ही किसान सब काम एक ही साथ कर सकता है और बहुत ज्‍यादा पैसा और टाईम easily बचा सके। + +उत्‍तर – हां सर, मेरे जो टीचर्स हैं हमारे हाई स्‍कूल के और अभी जो Pre-University College के जो lecturers हैं, सब लोग मुझे guidance देते हैं सर, और motivate करते हैं सर। Every step of my journey has been motivated my hard  working parents and teachers, Sir. तो आज मैं जो भी हूं, सब उन्‍हीं की वजह से हूं और जो उन्‍होंने मुझे inspire किया है उसी तरीके से मैं इस लेवल पर आया हूं सर।     + +प्रश्‍न- अच्‍छा मंत्र ये बताइए, देश भर से लोग आज तुम्‍हें देख रहे हैं। तुमने इतना बड़ा साहस करके देश का नाम रोशन किया है। देखिए, मैं भी जब बचपन में था मेरे गांव में वडनगर में, तो हमारे यहां बड़ा तालाब था। तो हम सब बच्‍चे तैरते थे। लेकिन वो तैरना और तुम्‍हारा तैरना, उसमें बहुत बड़ा अन्‍तर है। काफी ट्रेनिंग होती है, काफी मेहनत करनी पड़ती है। और आप तो तैराकी में record बना रहे हैं और प्रेरणा बन गए हैं। आप तो athlete हैं। और athlete तो लक्ष्य के लिए बहुत focused होते हैं। बताइए, मैं आपसे जानना चाहता हूं, आपका क्या लक्ष्य है? क्‍या करना चाहते हैं? कैसे आगे बढ़ना चाहते हैं? हां बताओ, मेरे साथ बात करो। + +चलिए बहुत-बहुत बधाई आपको। बहुत ही अच्छी बातें बताईं आप सबने! प्यारे बच्चों, इस बातचीत से, आप सभी को मिले अवार्ड से ये समझ आता है कि कैसे जब एक छोटा सा आइडिया, एक राइट एक्शन के साथ जुड़ता है तो कितने बड़े और प्रभावशाली रिज़ल्ट आते हैं! आप सब खुद इसका कितना बड़ा उदाहरण हैं। आज आपकी ये जो उपलब्धियां है, इसकी शुरुआत भी तो किसी विचार से, एक आइडिया से ही हुई होगी। अब जैसे पश्चिम बंगाल के सौहादर्य डे हैं। वो पौराणिक कथाओं और देश के गौरवशाली इतिहास से जुड़ा लेखन करते हैं। जब उनके मन में पहली बार ये विचार आया होगा कि इस दिशा में बढ़ना है, लिखना है, तो वो सिर्फ ये सोचकर नहीं बैठ गए। उन्होंने सही एक्शन लिया, लिखना शुरू किया, और आज इसका नतीजा हम देख रहे हैं। ऐसे ही असम के तनुज समद्दार हैं, बिहार की ज्योति कुमारी हैं, दो बच्चों का जीवन बचाने वाले महाऱाष्ट्र के कामेश्वर जगन्नाथ वाघमारे हैं, सिक्किम के आयुष रंजन हैं, पंजाब की बेटी नाम्या जोशी हैं, हर बच्चे की प्रतिभा, उनका टैलेंट, देश का गौरव बढ़ाने वाला है। मेरा तो मन है कि आप सभी से बात करूं। आप एक भारत-श्रेष्ठ भारत की बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति हैं। लेकिन समय के अभाव की वजह से ऐसा संभव नहीं। + diff --git a/pm-speech/250.txt b/pm-speech/250.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..9a99b912538566ff22bcfcc6b80a41da65c8379e --- /dev/null +++ b/pm-speech/250.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +आज के दिन का पूरे देश को बेसब्री से इंतजार रहा है। कितने महीनों से देश के हर घर में, बच्चे-बूढ़े-जवान, सभी की जुबान पर यही सवाल था कि – कोरोना की वैक्सीन कब आएगी? तो अब कोरोना की वैक्सीन आ गई है, बहुत कम समय में आ गई है। अब से कुछ ही मिनट बाद भारत में दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान शुरू होने जा रहा है। मैं सभी देशवासियों को इसके लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं। आज वो वैज्ञानिक, वैक्सीन रिसर्च से जुड़े अनेकों लोग विशेष रूप से प्रशंसा के हकदार हैं, जो बीते कई महीनों से कोरोना के खिलाफ वैक्सीन बनाने में जुटे थे, दिन-रात जुटे थे। ना उन्‍होंने त्‍यौहार देखा है, ना उन्‍होंने दिन देखा है, ना उन्‍होंने रात देखी है। आमतौर पर एक वैक्सीन बनाने में बरसों लग जाते हैं। लेकिन इतने कम समय में एक नहीं, दो-दो मेड इन इंडिया वैक्सीन तैयार हुई हैं। इतना ही नहीं कई और वैक्सीन पर भी काम तेज गति से चल रहा है। ये भारत के सामर्थ्य, भारत की वैज्ञानिक दक्षता, भारत के टैलेंट का जीता जागता सबूत है। ऐसी ही उपलब्धियों के लिए राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर ने कहा था- मानव जब ज़ोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है !! + +हर हिन्‍दुस्‍तानी इस बात पर गर्व करेगा कि दुनियाभर के करीब 60 प्रतिशत बच्चों को जो जीवनरक्षक टीके लगते हैं, वो भारत में ही बनते हैं, भारत की सख्त वैज्ञानिक प्रक्रियाओं से ही होकर गुज़रते है। भारत के वैज्ञानिकों और वैक्सीन से जुड़ी हमारी विशेषज्ञता पर दुनिया का ये विश्वास मेड इन इंडिया कोरोना वेक्सीन में और मज़बूत होने वाला है। इसकी कुछ और खास बातें हैं जो आज मैं देशवासियों को जरूर बताना चाहता हूं। ये भारतीय वैक्सीन, विदेशी वैक्सीनों की तुलना में बहुत सस्ती हैं और इनका उपयोग भी उतना ही आसान है। विदेश में तो कुछ वैक्सीन ऐसी हैं जिसकी एक डोज पांच हजार रुपए तक में है और जिसे माइनस 70 डिग्री तापमान में फ्रिज में रखना होता है। वहीं, भारत की Vaccines ऐसी तकनीक पर बनाई गई हैं, जो भारत में बरसों से Tried और Tested हैं। ये वैक्सीन स्टोरेज से लेकर ट्रांसपोर्टेशन तक भारतीय स्थितियों और परिस्थितियों के अनुकूल हैं। यही वैक्सीन अब भारत को कोरोना के खिलाफ लड़ाई में निर्णायक जीत दिलाएगी। + +कोरोना के विरुद्ध इस लड़ाई में हमने कदम-कदम पर दुनिया के सामने उदाहरण प्रस्तुत किया है। ऐसे समय में जब कुछ देशों ने अपने नागरिकों को चीन में बढ़ते कोरोना के बीच छोड़ दिया था, तब भारत, चीन में फंसे हर भारतीय को वापस लेकर आया। और सिर्फ भारत के ही नहीं, हम कई दूसरे देशों के नागरिकों को भी वहां से वापस निकालकर लाए। कोरोना काल में वंदे भारत मिशन के तहत 45 लाख से ज्यादा भारतीयों को विदेशों से भारत लाया गया। मुझे याद है, एक देश में जब भारतीयों को टेस्ट करने के लिए मशीनें कम पड़ रहीं थीं तो भारत ने पूरी टेस्‍टिंग लैब यहां से वहां भेज करके उसको वहां सजाया लगाया ताकि वहां से भारत आ रहे लोगों को टेस्टिंग की दिक्कत ना हो। + diff --git a/pm-speech/251.txt b/pm-speech/251.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..a4079717fcd537405f37c735c33d303adeaa2813 --- /dev/null +++ b/pm-speech/251.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +स्वामी विवेकानंद ने एक और अनमोल उपहार दिया है। ये उपहार है, व्यक्तियों के निर्माण का, संस्थाओं के निर्माण का। इसकी चर्चा बहुत कम ही हो पाती है। लेकिन हम अध्ययन करेंगे तो पाएंगे कि स्वामी विवेकानंद ने ऐसी संस्थाओं को भी आगे बढ़ाया जो आज भी व्यक्तित्व के निर्माण का काम बखूबी कर रही हैं। उनके संस्‍कार, उनका सेवाभाव, उनका समर्पण भाव लगातार जगाती रहती है। व्यक्ति से संस्था का निर्माण और संस्था से अनेक व्यक्तियों का निर्माण, ये एक अनवरत-अविलम्‍ब-अबाधित चक्र है, जो चलता ही जा रहा है। लोग स्वामी जी के प्रभाव में आते हैं, संस्थानों का निर्माण करने की प्रेरणा लेते हैं, संस्‍था का निर्माण करते हैं, फिर उन संस्थानों से उसकी व्‍यवस्‍था से, प्रेरणा से, विचार से, आदर से ऐसे लोग निकलते हैं जो स्वामी जी के दिखाए मार्ग पर चलते हुए नए लोगों को खुद से जोड़ते चलते हैं। Individual से Institutions और Institutions से फ‍िर Individual ये चक्र आज भारत की बहुत बड़ी ताकत है। आप लोग entrepreneurship के बारे में बहुत सुनते हैं। वो भी तो कुछ यही है। एक brilliant individual, एक शानदार कंपनी बनाता है। बाद में उस कंपनी में जो इकोसिस्टम बनता है, उसकी वजह से वहां अनेकों brilliant individuals बनते हैं। ये Individuals आगे जाकर और नई कंपनियां बनाते हैं। Individuals और Institutions का ये चक्र देश और समाज के हर क्षेत्र, हर स्तर के लिए उतना ही महत्वपूर्ण है। + diff --git a/pm-speech/252.txt b/pm-speech/252.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..55b1e809677a227772b0d13198fdd5b498fefe7b --- /dev/null +++ b/pm-speech/252.txt @@ -0,0 +1,4 @@ +अब हमारा देश कोरोना के खिलाफ लड़ाई में एक निर्णायक चरण में प्रवेश कर रहा है। ये चरण है- वैक्सीनेशन का। जैसे यहां जिक्र हुआ, 16 जनवरी से हम दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान शुरु कर रहे हैं। ये हम सभी के लिए गौरव की बात है कि जिन दो वैक्सीन्स को Emergency Use Authorization दिया गया है, वो दोनों ही मेड इन इंडिया है। इतना ही नहीं, 4 और वैक्सीन्स, progress में हैं। और ये जो मैं करीब 60-70 पर्सेंट काम पहले राउण्‍ड का होने के बाद बैठने की चर्चा इसलिए करता हूं कि उसे बाद और वैक्‍सीन भी आ जाएगी और जब और वैक्‍सीन आ जाएगी तो हमें फ्यूचर के प्‍लान करने में वो भी बहुत बड़ी सुविधा रहेगी और इसलिए second part जो है, उसमें हम 50 से ऊपर वाले के लिए जानेवाले हैं, तब तक शायद हमारे पास और भी वैक्‍सीन आने की संभावनाएं हैं। + +वैक्सीनेशन के दूसरे चरण में वैसे एक प्रकार से वह तीसरा चरण हो जाएगा लेकिन अगर हम इन तीन करोड़ को एक मानें तो दूसरा चरण। 50 वर्ष से ऊपर के सभी लोगों को और 50 वर्ष से नीचे के उन बीमार लोगों को जिनको संक्रमण का सबसे ज्यादा खतरा है, उनको टीका लगाया जाएगा। आप सभी परिचित हैं कि बीते कुछ हफ्तों में ज़रूरी इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर Logistics तक की तैयारियां सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ विचार-विमर्श करके लगातार मीटिंग करके modules बना करे इसको पूरा किया गया है। देश के लगभग हर जिले में Dry Runs भी पूरे हो चुके हैं। इतने बड़े देश में सभी जिलों में dry runs हो जाना ये भी अपने-आप में हमारी काफी बड़ी capability को दिखाता है। हमारी जो नई तैयारियां हैं, जो COVID के SOPs हैं, उनको अब हमें अपने पुराने अनुभवों के साथ जोड़ना है। भारत में पहले से ही अनेक universal immunization programmes already चल रहे हैं, हमारे लोग बड़ी सफलतापूर्वक कर भी रहे हैं। मीसल्स – रूबेला जैसी बीमारियों के खिलाफ भी व्यापक कैंपेन हमलोग चला चुके हैं। दुनिया के सबसे बड़े चुनाव और देश के कोने-कोने तक पहुंचकर मतदान की सुविधा देने का भी हमारे पास बहुत ही अच्‍छा अनुभव है। इसके लिए जो बूथ स्तर की रणनीति हम बनाते हैं, उसी को हमें यहां भी प्रयोग में लाना है। + diff --git a/pm-speech/253.txt b/pm-speech/253.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..3c500452f5657cdbe30e4da1de57f274232ebe3c --- /dev/null +++ b/pm-speech/253.txt @@ -0,0 +1,16 @@ +मैं सभी विजेताओं को बधाई देता हूं, शुभकामनाएं देता हूं और साथ साथ इस Quiz Competition में हिस्सा लेने वाले सभी अभिनंदन के अधिकारी हैं। और मेरा इस Quiz Competition में हिस्सा लेने वाले सब से आग्रह हैं कि आप तय करिये की अगली बार जब Quiz Competition होगी तब आपके प्रयत्न से 10 और नए लोग इसमे जुड़ेंगे। ये एक Chain चलनी चाहिए, Chain बढ़नी चाहिए, लोगों को जोड़ना चाहिए। कई विदेश के लोग भारत मे पढ़ने के लिए आते हैं, पढकर के अपने देशों में जाते हैं उनको भी अग्रह करना चाहिए वे भी जो भारत में कभी पढाई करके गए हैं वे भी Quiz Competition में जुड़े और Quiz Competition के Ambassador बने। क्योंकि विश्व मे भारत की पहचान बनाने के लिए, नई पीढ़ी को भारत को जानने की जिज्ञासा जगाने के लिए एक Technology Driven बहुत सरल उपाय हैं। और इसलिए मेरा आग्रह रहेगा कि आप सब इस बात को आगे बढ़ाइये। + +इस वजह से Social और political leadership के लिए दुनियाभर में भारतीय मूल के साथियों पर भरोसा और मजबूत हो रहा है। हमारे आज के इस आयोजन के मुख्य अतिथि, सूरीनाम के नए राष्ट्रपति श्रीमान चन्द्रिका प्रसाद संतोखी जी, वे स्वयं भी इस सेवाभाव का एक शानदार उदाहरण हैं। और में ये भी कहूंगा कि इस कोरोना काल मे विदेशों में रहे वाले हमारे कई भारतीय भाई-बहानों ने भी अपना जीवन खोय हैं, मेरी उनके प्रति सवेंदना हैं और उनके परिवारजनों के प्रति भी। में, परमात्मा बहुत शक्ति दें, ये प्राथना करता हूँ। + +आप सब ने इस मंत्र को जीकर के दिखाया हैं। हमारे भारत की हमेशा से यही विशेषता रही है। शांति का समय हो या संकट का, हम भारतीयों ने हर परिस्थिति का हमेशा डटकर मुकाबला किया है। इस वजह से इस महान भूमि को लेकर एक अलग व्यवहार हमने देखा है। जब भारत ने colonialism के विरुद्ध मोर्चा खोला, तो दुनिया के अनेक देशों में आजादी के संघर्ष के लिए ये प्रेरणा बन गया। जब भारत terrorism के सामने खड़ा हुआ, तो दुनिया को भी इस चुनौती से लड़ने का नया साहस मिला। + +आधुनिक टेक्नॉलॉजी से गरीब से गरीब को Empower करने का जो अभियान आज भारत में चल रहा है, उसकी चर्चा विश्व के हर कोने में हैं, हर स्तर पर है। भाइयों और बहनों, हमने दिखाया है कि Renewable Energy के मामले में Developing World का कोई देश भी Lead ले सकता है। आज भारत का दिया One Sun, One World, One Grid ये मंत्र दुनिया को अपील कर रहा है। + +आज भारत, एक नहीं बल्कि दो मेड इन इंडिया कोरोना Vaccines के साथ मानवता की सुरक्षा के लिए तैयार है। दुनिया की फार्मेसी होने के नाते, दुनिया के हर ज़रूरतमंद तक ज़रूरी दवाएं पहुंचाने का काम भारत ने पहले भी किया है और आज भी कर रहा है। दुनिया आज सिर्फ भारत की वैक्सीन का इंतज़ार ही नहीं कर रही, बल्कि दुनिया का सबसे बड़ा Vaccination प्रोग्राम भारत कैसे चलाता है, इस पर भी नज़रें हैं। + +आज पूरी दुनिया को अगर भारत पर इतना ज्यादा Trust है, तो इसमें आप सब प्रवासी भारतीयो का भी बहुत बड़ा योगदान है। आप जहां भी गए, भारत को, भारतीयता को साथ लेकर गए। आप भारतीयता को जीते रहे, आप भारतीयता से लोगो को जागते भी रहे। और आप देखिए Food हो या Fashion, Family Values हों या फिर Business Values, आपने भारतीयता का प्रसार किया है। + +आज जब भारत, आत्मनिर्भर बनने के लिए आगे बढ़ रहा है तो यहां भी Brand India की पहचान को मजबूत बनाने में आपका रोल अहम है। जब आप Made In India Products का ज्यादा से ज्यादा Use करेंगे तो आपके इर्द-गिर्द रहने वालों में भी इनको लेकर विश्वास बढ़ेगा। आपके colleagues को, आपके दोस्तों को जब आप Made In India Products Use करते हुए देखेंगे तो क्या आपको इस पर गर्व नहीं होगा? + +भारत सरकार हर समय, हर पल आपके साथ, आपके लिए खड़ी है। दुनियाभर में कोरोना लॉकडाउन से विदेशों में फंसे 45 लाख से ज्यादा भारतीयों को वंदे भारत मिशन के तहत रेस्क्यू किया गया। विदेशों में भारतीय समुदाय को समय पर सही मदद मिले, इसके लिए हर संभव प्रयास किए गए। Pandemic के कारण विदेशों में भारतीयों के रोज़गार सुरक्षित रहें, इसके लिए Diplomatic स्तर पर हर संभव कोशिश की गई। + diff --git a/pm-speech/254.txt b/pm-speech/254.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..ed5f08a380792e4769a290928ebeaf9da67ea03d --- /dev/null +++ b/pm-speech/254.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +आप सबको भी मेरी तरफ से 2021 के इस नववर्ष की शुभकामनाएं। देश के इंफ्रास्ट्रक्चर को आधुनिक बनाने के लिए चल रहे महायज्ञ ने आज एक नई गति हासिल की है। सिर्फ बीते 10-12 दिन की ही बात करें तो आधुनिक डिटिजल इंफ्रास्ट्रक्चर की मदद से किसानों के खाते में सीधे 18 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा ट्रांसफर किए गए, दिल्ली मेट्रो की एयरपोर्ट एक्सप्रेस लाइन पर नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड की शुरूआत हुई, उसी प्रकार से ड्राइवरलेस मेट्रो का भी आरंभ हुआ। गुजरात के राजकोट में AIIMS तो ओडिशा के संबलपुर में IIM के परमानेंट कैंपस का काम शुरू हुआ, दुनिया की बेहतरीन टेक्नोलॉजी के साथ देश के 6 शहरों में 6 हजार घर बनाने का काम शुरू हुआ, National Atomic Timescale और ‘भारतीय निर्देशक द्रव्य प्रणाली’ राष्ट्र को समर्पित की गई, देश की पहली National Environmental Standards Laboratory का शिलान्यास हुआ,450 किलोमीटर लंबी कोच्चि-मैंगलुरू गैस पाइपलाइन का लोकार्पण हुआ, महाराष्ट्र के सांगोला से पश्चिम बंगाल के शालीमार के लिए सौवीं किसान रेल चली, और इसी दौरान, Western Dedicated freight Corridor के न्यू भाऊपुर- न्यू खुर्जा फ्रेट कॉरीडोर रूट पर पहली मालगाड़ी दौड़ी और अब, आज Western Dedicated freight Corridor का 306 किलोमीटर लंबा कॉरिडोर देश को समर्पित हुआ है। सोचिए, सिर्फ 10-12 दिन में इतना कुछ। जब नए साल में देश का आगाज अच्छा है, तो आने वाला समय और भी अच्छा होगा। इतने लोकार्पण, इतने शिलान्यास इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि भारत ने ये सब कोरोना के इस संकट भरे कालखंड में किया है। कुछ ही दिन पहले भारत ने कोरोना की दो Made In India वैक्सीन भी स्वीकृत की है। भारत की अपनी वैक्सीन ने देशवासियों में नया आत्मविश्वास पैदा किया है। 2021 की शुरुआत के माहौल में आरम्‍भ से ही भारत की ये तेजी, आत्मनिर्भरता के लिए ये गति, ये सारी बातें देख करके, सुन करके कौन हिन्‍दुस्‍तानी होगा, कौन मां भारती का लाल होगा, कौन भारत को प्रेम करने वाला व्‍यक्ति होगा, जिसका माथा गर्व से ऊंचा न हो। आज हर भारतीय का आह्वान है- हम न रुकेंगे, न थकेंगे, हम भारतीय मिलकर और तेजी से आगे बढ़ेंगे। + +आज का दिन NCR, हरियाणा और राजस्थान के किसानों, उद्यमियों, व्यापारियों, हर किसी के लिए नई उम्मीदें,नए अवसर लेकर आया है। Dedicated freight Corridor, चाहे Eastern हो या Western, ये सिर्फ आधुनिक मालगाड़ियों के लिए आधुनिक रूट भर ही नहीं हैं। ये Dedicated freight Corridor देश के तेज़ विकास के कॉरिडोर भी हैं। ये कॉरिडोर, देश के अलग-अलग शहरों में नए ग्रोथ सेंटर और ग्रोथ प्‍वाइंट के विकास का आधार भी बनेंगे। + +आज देशभर में फ्रेट corridors की तरह ही economic corridors, defense corridors, tech clusters, इंड्स्ट्री के लिए ऐसी विशेष व्यवस्थाएं तैयार की जा रही हैं। और साथियों, जबदुनिया देखती है कि Individual और Industry के लिए बेहतरीन Infrastructure भारत में बन रहा है, तो उसका एक और सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इस प्रभाव का ही नतीजा है – भारत में आ रही रिकॉर्ड FDI इस प्रभाव का नतीजा है- भारत का बढ़ता विदेशी मुद्रा का भंडार इस प्रभाव का नतीजा है- दुनिया का भारत पर लगातार बढ़ता भरोसा। इस कार्यक्रम में जापान के राजदूत श्री सुजुकी जी भी हैं। जापान और जापान के लोग, भारत की विकास यात्रा में एक भरोसेमंद मित्र की तरह हमेशा भारत के साथी रहे हैं। Western Dedicated freight Corridor के निर्माण में भी जापान ने आर्थिक सहयोग के साथ ही भरपूर टेक्नोलॉजी सपोर्ट भी दिया है। मैं जापान और जापान के लोगों का अभिनंदन करता हूं, विशेष धन्यवाद देता हूं। + diff --git a/pm-speech/255.txt b/pm-speech/255.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..273964b95705c17439922edcbffe9c6e5ab81621 --- /dev/null +++ b/pm-speech/255.txt @@ -0,0 +1,14 @@ +पहला– ये पाइपलाइन दोनों राज्यों में लाखों लोगों के लिए Ease of Living बढ़ाएगी। दूसरा– ये पाइपलाइन दोनों ही राज्यों के गरीब, मध्यमवर्ग और उद्यमियों का खर्च कम करेगी। तीसरा– ये पाइपलाइन अनेक शहरों में City Gas Distribution System उसका एक माध्‍यम बनेगी। चौथा– ये पाइपलाइन अनेक शहरों में CNG आधारित ट्रांसपोर्ट सिस्टम को डवलप करने का आधार बनेगी। पांचवा– ये पाइपलाइन मैंगलोर केमिकल और फर्टिलाइजर प्लांट को ऊर्जा देगी, कम खर्च में खाद बनाने में मदद करेगी, किसान को मदद करेगी। छठा– ये पाइपलाइन मैंगलोर रिफाइनरी और पेट्रोकेमिकल को ऊर्जा देगी, उन्हें स्वच्छ ईंधन देगी। सातवां– ये पाइपलाइन दोनों ही राज्यों में प्रदूषण कम करने में बड़ी भूमिका निभाएगी। आठवां– प्रदूषण कम होने का सीधा असर होगा पर्यावरण पर, जितनी कार्बन डाय ऑक्साइड का एमिशन इससे कम होगा, वो लाखों पेड़ लगाने के बाद ही हासिल हो सकता है। + +भारत की नई पीढ़ी का एक अच्छा गुण है कि वो तथ्यों के आधार पर चीजों को परखती है। और उसकी सफलता विफलता को तुलनात्मक रूप में भी एनालाइज करती है। और हर एक बात को तर्क और तथ्य के आधार पर स्वीकार करती है। भारत में गैस Based Economy को लेकर अभी जो काम हो रहा है, उसमें भी कई तर्क और तथ्य बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। + +हमारे देश में पहली इंटरस्टेट नैचुरल गैस पाइपलाइन साल 1987 में कमीशन हुई थी। इसके बाद साल 2014 तक, यानि 27 साल में भारत में 15 हजार किलोमीटर नैचुरल गैस पाइपलाइन बनी। आज देशभर में, पूर्व–पश्चिम–उत्तर–दक्षिण, 16 हजार किलोमीटर से ज्यादा नई गैस पाइपलाइन पर काम चल रहा है। ये काम अगले 4-6 वर्षों में पूरा होने वाला है। आप कल्पना कर सकते हैं, जितना काम 27 वर्षों में हुआ, हम उससे ज्यादा काम, उसके आधे समय में करने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं। + +इसी तरह एक और उदाहरण है CNG स्टेशन का। हमारे देश में पहला CNG स्टेशन 1992 के आसपास शुरू हुआ था। साल 2014 तक 22 साल में, हमारे देश में CNG स्टेशनों की संख्या 900 से ज्यादा नहीं थी। जबकि पिछले 6 वर्षों में 1500 के करीब नए CNG स्टेशन शुरू हुए हैं। अब सरकार इस लक्ष्य पर काम कर रही है कि देशभर में CNG स्टेशनों की संख्या को 10 हजार तक पहुंचाया जाए। अभी जो ये पाइपलाइन कमीशन हुई है, ये भी केरला और कर्नाटका के अनेक शहरों में 700 CNG स्टेशन खोलने में मदद करेगी। + +आज कोशिश ये है कि देश को भविष्य की जरूरतों, भविष्य की Energy Needs के लिए आज से ही तैयार किया जाए। इसलिए, एक तरफ देश में नेचुरल गैस पर फोकस किया जा रहा है तो दूसरी तरफ देश अपने Energy Resources को भी Diversify कर रहा है। अभी हाल ही में गुजरात में दुनिया के सबसे बड़े Renewable Energy प्लांट का काम शुरू हुआ है। इसी तरह आज देश में ही Bio-fuels पर बहुत बड़े स्तर पर काम चल रहा है। गन्ना हो या अन्‍य एग्रो प्रोडक्‍टस हो इनसे Ethanol के निर्माण पर गंभीरता से काम किया जा रहा है। अगले 10 साल में पेट्रोल में होने वाली इथेनॉल Blending को 20 प्रतिशत तक करने का लक्ष्य रखा गया है। यही नहीं electric mobility से जुड़े सेक्टर को, इससे जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर को भी बहुत अधिक प्रोत्साहन दिया जा रहा है। हर देशवासी को पर्याप्त, सस्ता, प्रदूषण रहित ईंधन मिले, बिजली मिले, इसके लिए हमारी सरकार पूरी प्रतिबद्धता से काम कर रही है। + +देश के संतुलित और तेज विकास की सोच हमारे Coastal Area के डेवलपमेंट को लेकर भी स्पष्ट रूप से दिखती है। केरल हो, कर्नाटका हो, साउथ इंडिया के हर राज्य में जो समंदर से सटे हैं, वहां ब्लू इकॉनॉमी के विकास के लिए एक Comprehensive Plan पर काम हो रहा है। Blue Economy आत्मनिर्भर भारत का एक बहुत बड़ा स्रोत बनने वाला है। हमारे ports हों, Coastal roads हों, इनको दूसरे माध्यमों से कनेक्ट किया जा रहा है। मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी पर हमारा विशेष फोकस है। हमारा Coastal Region, ease of Living का भी मॉडल हो रहा है। Ease of Doing Business भी बेहतरीन हो, इसी लक्ष्य के साथ काम किया जा रहा है। + +समुद्री किनारे पर बसी एक बड़ी आबादी हमारे किसानों की है, हमारे मछुआरे साथियों की है। ये सभी साथी समुद्री संपदा पर निर्भर ही नहीं हैं, बल्कि इसके बहुत बड़े संरक्षक भी हैं। इसलिए पूरे Coastal Eco-system की सुरक्षा और समृद्धि बहुत ज़रूरी है। बीते सालों में इसके लिए अनेक सार्थक कदम उठाए गए हैं। मछुआरों को Deep Sea Fishing के लिए ज़रूरी मदद हो, Fisheries का अलग डिपार्टमेंट बनाना हो, मत्स्य व्यापार से जुड़े साथियों को भी सस्ते ऋण के लिए किसान क्रेडिट कार्ड देना हो, इससे सामान्य से सामान्य मछुआरे साथी को भी लाभ हो रहा है। कुछ महीने पहले देश में 20 हज़ार करोड़ रुपए की मत्स्य संपदा योजना शुरु की गई है। इसका सीधा लाभ केरल और कर्नाटका के लाखों मछुआरे साथियों को होने वाला है। आज मछली से जुड़े एक्सपोर्ट में तो हम तेज़ी से आगे बढ़ ही रहे हैं, एक क्वालिटी Processed Sea Food का हब भारत हो, इसके लिए भी हर ज़रूरी कदम उठाए जा रहे हैं। दुनिया में Sea weed की डिमांड बढ़ रही है, जिसको पूरा करने में भारत अहम भूमिका निभा सकता है। Sea Weed Farming के लिए किसानों को जितना प्रोत्साहन मिलेगा, उतना ही तेजी से इस क्षेत्र में भी हम आगे बढ़ेंगे। + diff --git a/pm-speech/256.txt b/pm-speech/256.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..bedfd6f1ea76790e02eb58d9c96f6cca436be212 --- /dev/null +++ b/pm-speech/256.txt @@ -0,0 +1,22 @@ +नया साल अपने साथ एक और बड़ी उपलब्धि लेकर आया है। भारत के वैज्ञानिकों ने एक नहीं दो-दो Made in India कोविड वैक्सीन विकसित करने में सफलता पाई है। भारत में दुनिया का सबसे बड़ा Covid Vaccine प्रोग्राम भी शुरू होने जा रहा है। इसके लिए देश को अपने वैज्ञानिकों के योगदान पर बहुत गर्व है, हर देशवासी आप सभी वैज्ञानिकों का, टेक्नीशियनों का, सबका कृतज्ञ है। + +थोड़ी देर पहले साढ़े 7 दशक की आपकी उपलब्धियों का यहाँ ज़िक्र हुआ हैं। इन वर्षों में इस संस्थान की अनेक महान विभूतियों ने देश की उत्तम से उत्तम सेवा की है। यहाँ से निकले समाधानों ने देश का पथ प्रशस्त किया है। CSIR NPL ने देश के विकास के scientific evolution और evaluation, दोनों में अपना अहम रोल निभाया है। बीते सालों की उपलब्धियों और भविष्य की चुनौतियों पर चर्चा के लिए आज यहां Conclave भी हो रहा है। + +आप जब पीछे देखते हैं तो, आपकी शुरुआत गुलामी से बाहर निकले भारत के नवनिर्माण के लिए की गई थी। समय के साथ आपकी भूमिका में और विस्तार हुआ है, अब देश के सामने नए लक्ष्य हैं, नई मंजिलें भी हैं। देश वर्ष 2022 में अपनी स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे कर रहा है, वर्ष 2047 में हमारी आजादी के 100 वर्ष होंगे। इस Time Period में हमें आत्मनिर्भर भारत के नए संकल्पों को ध्यान में रखते हुए नए मानकों, नए पैमानों- New Standards, New Bench-marks, को गढ़ने की दिशा में आगे बढ़ना ही है। + +हमारा देश, दशकों से quality और मेज़रमेंट के लिए विदेशी standards पर निर्भर रहा है। लेकिन इस दशक में भारत को अपने standards को नई ऊंचाई देनी होगी। इस दशक में भारत की गति, भारत की प्रगति, भारत का उत्थान, भारत की छवि, भारत का सामर्थ्य, हमारी Capacity बिल्डिंग, हमारे standards से ही तय होंगे।हमारे देश में services की quality हो, सरकारी सेक्टर या फिर प्राइवेट सेक्टर में, हमारे देश में products की क्वालिटी हो, चाहे सरकार बनाए या प्राइवेट सेक्टर, हमारे quality standards ही ये तय करेंगे कि दुनिया में भारत और भारत के products की ताकत कितनी ज्यादा बढ़े। + +ये Metrology, साधारण भाषा में कहें तो मापने-नापने की साइंस, ये किसी भी वैज्ञानिक उपलब्धि के लिए भी बुनियाद की तरह काम करती है। कोई भी रिसर्च माप और नाप के बिना आगे नहीं बढ़ सकती। यहाँ तक कि हमें अपनी उपलब्धि भी किसी न किसी पैमाने पर मापनी ही पड़ती है। इसीलिए, मेट्रोलोजी, modernity की आधारशिला है। जितनी बेहतर आपकी मेथोडोलोजी होगी, उतनी ही बेहतर मेट्रोलोजी होगी और जितनी विश्वसनीय मेट्रोलोजी जिस देश की होगी, उस देश की विश्वसनीयता दुनिया में उतनी ही ज्यादा होगी।मेट्रोलोजी हमारे लिए मिरर की तरह होती है। दुनिया में हमारे products कहाँ stand कर रहे हैं, हमें क्या सुधार की जरूरत है, ये पहचान, ये self-introspection मेट्रोलोजी से ही तो संभव होता है। इसलिए, आज जब देश आत्मनिर्भर भारत अभियान, इसका संकल्प लेकर आगे बढ़ रहा है, तो हमें याद रखना है कि इसका लक्ष्य quantity भी है, लेकिन साथ-साथ quality भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। यानी, scale भी बढ़े, और साथ-साथ Standard भी बढ़े। हमें दुनिया को केवल भारतीय उत्पादों से भरना नहीं है, ढ़ेर नही खड़े करने हैं। हमें भारतीय उत्पादों को खरीदने वाले हर एक कस्टमर का दिल भी जीतना है और दुनिया के हर कोने में दिल जीतना है। Made In India की न केवल ग्लोबल डिमांड हो बल्कि ग्लोबल acceptance भी हो, हमें ये सुनिश्चित करना है। हमें Brand India को Quality, Credibility के मजबूत स्तंभों पर और मजबूत बनाना है। + +मुझे खुशी है कि भारत अब इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। आज भारत दुनिया के उन देशों में है जिनके पास अपना नैविगेशन सिस्टम है। नाविक से भारत ने ये उपलब्धि हासिल करके दिखाई है। आज इसी ओर एक और बड़ा कदम बढ़ा है। आज जिस भारतीय निर्देशक द्रव्य का लोकार्पण किया गया है, ये हमारे उद्योग जगत को Quality Products बनाने के लिए प्रोत्साहित करेगा। अब food, edible, oils, minerals, heavy metals, pesticides, pharma और textiles जैसे अनेक क्षेत्रों में अपने ‘सर्टिफाइड रेफेरेंस मटिरियल सिस्टम’ को मज़बूत करने की तरफ हम तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं। अब हम उस स्थिति की तरफ बढ़ रहे हैं जहां इंडस्ट्री Regulation Centric Approach के बजाय Consumer Oriented अप्रोच की तरफ बढ़े। इन नए मानकों से देशभर के जिलों में वहां के लोकल प्रोडक्ट को ग्लोबल पहचान दिलाने का अभियान है, उसको बहुत लाभ मिलेगा। इससे हमारे MSMEs सेक्टर को विशेष लाभ होगा। क्योंकि बाहर की जो बड़ी मैन्युफेक्चरिंग कंपनियां भारत आ रही हैं, उनको यहीं पर International Standard की लोकल सप्लाई चेन मिलेगी। सबसे बड़ी बात, नए मानकों से Export और Import, दोनों की क्वालिटी सुनिश्चित होगी।इससे भारत के सामान्य उपभोक्ता को भी अच्छा सामान मिलेगा, Exporter की परेशानी भी कम होगी। यानी, हमारा production, हमारे products, क्वालिटी में जितना बेहतर होंगे, उतनी ही ताकत देश की अर्थव्यवस्था को मिलेगी। + +अतीत से लेकर वर्तमान तक आप कभी भी देखें, जिस देश ने साइन्स को जितना आगे बढ़ाया है, वो देश उतना ही आगे बढ़ा है। ये Science, Technology और Industry का ‘Value creation cycle’ है। साइन्स से कोई आविष्कार होता है, तो उसी के प्रकाश में technology विकसित होती है और Technology से इंडस्ट्री खड़ी होती है, नए उत्पाद तैयार होते हैं, नए आईटम निकलते थे, नए प्रोडक्ट निकलते हैं। इंडस्ट्री फिर नए रिसर्च के लिए साइन्स में इन्वेस्ट करती है। और ये cycle नई संभावनाओं की दिशा में आगे बढ़ती जाती है। CSIR NPL ने भारत के इस वैल्यू साइकिल को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है। आज जब देश आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ रहा है, तब साइंस से मास मैन्यूफैक्चरिंग की इस वैल्यू क्रिएशन सायकिल का महत्व और बढ़ जाता है। इसलिए CSIR को इसमें बढ़ा रोल निभाना होगा। + +CSIR NPL ने आज जिस National Atomic Timescale को देश को सौंपा है, उससे भारत Nano Second यानि एक सेकेंड के 1 अरब हिस्से तक समय को मापने में भी आत्मनिर्भर बन गया है। 2.8 Nano-second का ये एकयूरेसी लेवल हासिल करना, अपने आप में बहुत बड़ा सामर्थ्य है। अब International Standard Time को हमारा Indian Standard Time 3 नेनोसेकंड से भी कम की एकयूरेसी लेवल से match कर रहा है। इससे ISRO सहित हमारे जितने भी संस्थान Cutting edge technology में काम कर रहे हैं, उनको बहुत मदद मिलने वाली है। इससे बैंकिंग, रेलवे, डिफेंस, हेल्थ, टेलिकॉम, Weather Fore-cast, Disaster management, अनगिनत सेक्टर से जुड़ी आधुनिक टेक्नॉलॉजी में बहुत मदद मिलेगी। इतना ही नहीं हम जो industry Four Point Zero की बात करते हैं। उस industry Four Point Zero के लिए भी भारत की भूमिका को सशक्त करेगा। + +आज का भारत पर्यावरण की दिशा में दुनिया का नेतृत्व करने की तरफ बढ़ रहा है। लेकिन Air quality और Emission को मापने की Technology से लेकर Tools तक में हम दूसरों पर निर्भर रहे हैं। आज इसमें भी आत्मनिर्भरता के लिए हमने एक बड़ा कदम उठाया है। इससे भारत में प्रदूषण से निपटने के लिए ज्यादा सस्ते और प्रभावी सिस्टम तो विकसित ही होंगे, साथ में air quality और एमीशन से जुड़ी Technology के Global Market में भी भारत की हिस्सेदारी बढ़ जाएगी। हमारे वैज्ञानिकों के ही सतत प्रयासों से भारत आज ये उपलब्धि हासिल कर रहा है। + +किसी भी प्रगतिशील समाज में रिसर्च जीवन का एक सहज स्वभाव भी होता है, और सहज प्रक्रिया भी होती है। रिसर्च के प्रभाव commercial भी होते हैं, सोशल भी होते हैं और रिसर्च हमारे ज्ञान को, हमारी समझ को विस्तार देने के लिए भी काम आती है। कई बार रिसर्च करते समय ये अंदाजा नहीं होता है। कि Final Goal के अलावा भी वो और किस दिशा में जाएगी, भविष्य में वो और किस काम आएगी। लेकिन इतना तय है कि रिसर्च, ज्ञान का नया अध्याय कभी भी व्यर्थ नहीं जाता है। हमारे यहां शास्त्रों में जैसे कहा है न आत्मा कभी मरती नहीं है। मैं मानता हूं रिसर्च भी कभी मरती नहीं है। इतिहास में ऐसे कितने ही उदाहरण हैं, Father of genetics मेंडल के काम को पहचान कब मिली ? उनके जाने के बाद मिली। निकोला टेस्ला के काम का potential भी काफी बाद में दुनिया पूरी तरह समझी। कई रिसर्च हम जिस दिशा में, जिस उद्देश्य के लिए कर रहे होते हैं, वो पूरा नहीं होता। लेकिन वही रिसर्च किसी दूसरे sector में path-breaking हो जाती है। उदाहरण के तौर पर देखिए, जगदीश चंद्र बोस जी ने कोलकाता के प्रेसीडेंसी कॉलेज में माइक्रोवेव के सिद्धान्त को प्रस्तुत किया, सर बोस उसके commercial इस्तेमाल की दिशा में नहीं बढ़े, लेकिन आज radio communication system उसी सिद्धान्त पर खड़ा है। विश्व युद्ध के समय जो research युद्ध के लिए था या सैनिकों को बचाने के लिए हुईं, बाद में उन्होंने ही अलग-अलग sectors को revolutionize कर दिया। ड्रोन्स भी पहले युद्ध के लिए ही बनाए गए थे। लेकिन आज ड्रोन्स से फोटोशूट भी हो रहा है, और सामान की delivery भी हो रही है। इसलिए, आज ये जरूरी है कि हमारे वैज्ञानिक, और खासकर युवा वैज्ञानिक, research के cross utilization की हर संभावना को Explore करें। उनके sector से बाहर उनकी रिसर्च का कैसे प्रयोग हो सकता है, ये सोच हमेशा रहनी चाहिए। + +आपकी छोटी सी रिसर्च कैसे दुनिया का भविष्य बदल सकती है, कई उदाहरण है दुनियां में अगर बिजली का ही उदाहरण लेलें। आज जीवन का कोई ऐसा हिस्सा नहीं है, कोई पहलु नहीं है। जहां बिजली के बिना गुजारा हो सके। transportation हो, communication हो, industry हो, या फिर रोजमर्रा का जीवन, सब कुछ बिजली से जुड़ा हुआ है। एक सेमी कंडक्टर के आविष्कार से दुनिया इतनी बदल गई है। एक डिजिटल क्रांति ने हमारे जीवन को कितना एनरिच कर दिया है। ऐसी कितनी ही संभावनाएं इस नए भविष्य में हमारे युवा researchers के सामने पड़ी हैं। आने वाला भविष्य आज से बिलकुल अलग होगा। और इस दिशा में वो एक research, वो एक आविष्कार आपको ही करना है। पिछले छह सालों में देश ने इसके लिए नए सिरे से future ready eco-system बनाने की दिशा में काम किया है। आज भारत ग्लोबल इनोवेशन रैंकिंग में दुनिया के टॉप 50 देशों में पहुँच गया है। देश में आज बेसिक रिसर्च पर भी ज़ोर दिया जा रहा है और पीयर-reviewed science and engineering publications की संख्या में भारत दुनिया के टॉप 3 देशों में है। आज भारत में industry और institutions के बीच collaboration भी मजबूत किया जा रहा है। दुनिया की बड़ी बड़ी कंपनीयां भी भारत में अपने रिसर्च सेंटर और facilities स्थापित कर रही हैं। बीते वर्षों में इन facilities की संख्या भी बहुत ज्यादा बढ़ी है। + diff --git a/pm-speech/257.txt b/pm-speech/257.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..12dbfeb7c41c3d34f5a8e122392684a3fd9c490e --- /dev/null +++ b/pm-speech/257.txt @@ -0,0 +1,20 @@ +बीते दशकों में एक ट्रेंड देश ने देखा, बाहर बने Multi-nationals बड़ी संख्या में आए और इसी धरती पर आगे भी बढ़े। ये दशक और ये सदी, भारत में नए-नए मल्टीनेशनल्स के निर्माण का है। भारत का सामर्थ्‍य दुनिया में छा जाए इसके लिए ये उत्तम कालखंड आया है। आज के Start-ups ही कल के Multi-nationals हैं। और ये स्टार्ट अप्स ज्यादातर किन शहरों में बन रहे हैं? जिन्हें हम आमतौर की भाषा में टीयर-2, टीयर-3 सिटिज कहते हैं, आज Start-ups का प्रभाव उन जगहों पर देखने को मिलता है। इन स्टार्ट अप्स को, भारतीय युवाओं की नई कंपनियों को और आगे बढ़ने के लिए, उसके लिए बेहतरीन मैनेजर्स चाहिए। देश के नए क्षेत्रों से, नए अनुभव लेकर निकल रहे मैनेजमेंट एक्सपर्ट्स, भारत की कंपनियों को नई ऊंचाई देने में बड़ी भूमिका निभाएंगे। + +मैं कहीं पढ़ रहा था कि इस साल कोविड संकट के बावजूद भारत ने पिछले सालों की तुलना में ज्यादा Unicorn दिए हैं। आज खेती से लेकर स्पेस सेक्टर तक जो अभूतपूर्व रिफॉर्म्स किए जा रहे हैं, उनमें स्टार्ट अप्स के लिए स्कोप लगातार बढ़ रहा है। आपको इन नई संभावनाओं के लिए खुद को तैयार करना है। आपको अपने करियर को भारत की आशाओं और अपेक्षाओं के साथ जोड़ना है। इस नए दशक में Brand India को नई Global पहचान दिलाने की जिम्मेदारी हम सब पर है। विशेष रूप से हमारे नौजवानों पर है। + +IIM सम्बलपुर का ध्येय मंत्र है- नवसर्जनम् शुचिता समावेशत्वम्। यानि Innovation, Integrity और Inclusiveness, आपको इस मंत्र की ताकत के साथ देश को अपनी मैनेजमेंट स्किल दिखानी है। आपको नए निर्माण को तो प्रोत्साहित करना ही है, सभी के समावेश पर भी जोर देना है, जो विकास की दौड़ में पीछे छूट गया है, उसे भी साथ लेना है। जिस जगह पर IIM का परमानेंट कैंपस बन रहा है, वहां पहले से मेडिकल यूनिवर्सिटी है, इंजीनियरिंग यूनिवर्सटी है, तीन और यूनिवर्सिटीज हैं, सैनिक स्कूल है, CRPF औऱ पुलिस के ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट हैं। जो लोग संबलपुर के बारे में ज्यादा नहीं जानते, वो भी अब अंदाजा लगा सकते हैं कि IIM जैसे प्रतिष्ठित संस्थान के बनने के बाद ये क्षेत्र कितना बड़ा एजुकेशन हब बनने जा रहा है। संबलपुर IIM और इस क्षेत्र में पढ़ने वाले Students-प्रोफेशनल्स के लिए सबसे खास बात ये होगी कि ये पूरा इलाका ही एक तरह से आपके लिए एक प्रैक्टिकल लैब की तरह है। ये जगह प्राकृतिक रूप से इतनी भव्य है, ओडिशा का गौरव हीराकुड बांध, आप से कोई ज्‍यादा दूर नहीं है। बांध के पास डेबरीगढ़ सेंचुरी अपने आप में खास तो है ही, इसके बीच में वो पुण्य स्थान भी है जिसे बीर सुरेंद्र साई जी ने अपना बेस बनाया था। इस एरिया के टूरिज्म पोटेंशियल को और बढ़ाने के लिए यहां के Students के Ideas और मैनेजिरियल स्किल्स बहुत काम आ सकते हैं। ऐसे ही संबलपुरी टेक्सटाइल भी देश-विदेश में मशहूर है। ‘बांधा इकत’ फैब्रिक, उसका unique pattern, design और texture बहुत ही खास है। इसी तरह इस क्षेत्र में हैंडीक्राफ्ट का इतना काम होता है, सिल्वर फिलिग्री, पत्थरों पर नक्काशी, लकड़ी का काम, ब्रास का काम, हमारे आदिवासी भाई-बहन भी इसमें बहुत पारंगत हैं। IIM के छात्र-छात्राओं के लिए संबलपुर के लोकल को वोकल बनाना, उनका एक अहम दायित्व है। + +लोकल को ग्लोबल बनाने के लिए आप सभी IIM के युवा साथियों को नए और Innovative समाधान तलाशने हैं। मुझे विश्वास है, हमारे IIMs आत्मनिर्भरता के देश के मिशन में स्थानीय उत्पादों और अंतरराष्ट्रीय कोलैबोरेशन के बीच, ब्रिज का काम कर सकते हैं। आप सभी का जो इतना विशाल और दुनिया के कोने-कोने में फैला Alumni नेटवर्क है, वो भी इसमें बहुत मदद कर सकते हैं। साल 2014 तक हमारे यहां 13 IIM थे। अब देश में 20 IIM हैं। इतना बड़ा Talent Pool, आत्मनिर्भर भारत अभियान को बहुत विस्तार दे सकता है। + +आज दुनिया में Opportunities भी नई हैं, तो मैनेजमेंट की दुनिया के सामने challenges भी नए हैं। इन challenges को भी आपको समझना होगा। अब जैसे, Additive printing या 3D printing पूरी production economy को ही change कर रही है। अभी आपने न्यूज़ में सुना होगा, पिछले महीने ही एक कंपनी ने चेन्नई के पास एक पूरी दो मंज़िला इमारत को ही 3D print किया है। जब-जब Production के तरीके बदलेंगे तो logistics और supply chain से जुड़ी व्यवस्थाओं में भी बदलाव होगा। इसी तरह, टेक्नॉलजी आज हर geographical limitations को दूर कर रही है। Air Connectivity ने 20वीं सदी के बिजनेस को Seamless बनाया, तो डिजिटल कनेक्टिविटी 21वीं सदी के बिजनेस को ट्रांसफॉर्म करने वाली है। Work from anywhere के concept से पूरी दुनिया Global Village से Global work-place में बदल गई है। भारत ने भी इसके लिए हर ज़रूरी रिफॉर्म्स बीते कुछ महीनों में तेज़ी से किए हैं। हमारी कोशिश है कि हम ना सिर्फ समय के साथ चलें, बल्कि समय से पहले चलने की भी कोशिश करें। + +जैसे काम के तरीके बदल रहे हैं, वैसे ही management skills की डिमांड भी बदल रही हैं। अब top down या top heavy management के बजाय collaborative, innovative और transformative management का समय है। ये Collaboration अपने साथियों के साथ ज़रूरी है ही, bots और algorithms भी अब team members के रूप में हमारे साथ हैं। इसलिए, आज जितना human management ज़रूरी है उतना ही technological management भी आवश्यक है। मैं तो आपसे भी और देशभर के IIMs से और बिजनेस मैनेजमेंट से जुड़े दूसरे स्कूलों से एक आग्रह करुंगा। कोरोना संक्रमण के इस पूरे दौर में टेक्नॉलॉजी और टीम वर्क की भावना से देश ने कैसे काम किया, किस प्रकार से 130 करोड़ देशवासियों की सुरक्षा के लिए कदम उठाए गए, जिम्‍मेवारियाँ उठाई गईं, collaboration किया गया, जन भागीदारी का अभियान चलाया गया। इन सारे विषयों पर रिसर्च होना चाहिए, document तैयार होने चाहिए। 130 करोड़ के देश ने कैसे समय-समय पर Innovate किया। Capacity और Capability को कैसे भारत ने बहुत कम समय में ही Expand किया। इसमें मैनेजमेंट का बहुत बड़ा सबक है। कोविड के दौरान देश ने PPE किट का, मास्क का, वेंटिलेटर का परमानेंट सॉल्यूशन निकाल लिया है। + +हमारे यहां एक परंपरा बन गई थी कि Problem solving के लिए Short Term अप्रोच अपनाई जाए। देश अब उस सोच से बाहर निकल गया है। अब हमारा जोर तात्कालिक जरूरतों से भी आगे बढ़कर Long term Solution पर है। और इसमें मैनेजमेंट का भी एक बहुत अच्छा सबक सीखने को मिलता है। हमारे बीच में अरुंधति जी मौजूद हैं। देश में गरीबों के लिए जनधन खातों के लिए किस तरह की प्लानिंग हुई, किस तरह Implementation हुआ, इसका मैनेजमेंट किया गया, इस पूरे प्रोसेस की तो वो भी गवाह रही हैं क्‍योंकि उस समय वो बैंक सम्‍भालती थीं। जो गरीब, कभी बैंक के दरवाजे तक नहीं जाता हो, ऐसे 40 करोड़ से ज्यादा गरीबों के बैंक अकाउंट खोलना, इतना भी आसान नहीं है। और ये बातें मैं आपको इसलिए बता रहा हूं क्योंकि मैनेजमेंट का मतलब बड़ी-बड़ी कंपनियां संभालना ही नहीं होता। सच्‍चे अर्थ में तो भारत जैसे देश के लिए मैनेजमेंट का मतलब जिंदगियां संभालना भी होता है। मैं आपको एक और उदाहरण देता हूं और ये इसलिए अहम है क्योंकि ओडिशा के ही संतान भाई धर्मेंद्र प्रधान जी की इसमें बड़ी भूमिका रही है। + +हमारे देश में रसोई गैस, आजादी के करीब-करीब 10 साल बाद आ ही गई थी। लेकिन बाद के दशकों में रसोई गैस एक लक्जरी बन गई। रहीसी लोगों की प्रतिष्‍ठा बन गई। लोगों को एक गैस कनेक्शन के लिए इतने चक्कर लगाने पड़ते थे, इतने पापड़ बेलने पड़ते थे और फिर भी उन्हें गैस नहीं मिलती थी। हालत ये थी कि साल 2014 तक, आज से 6 साल पहले, 2014 तक देश में रसोई गैस की कवरेज सिर्फ 55 परसेंट थी। जब अप्रोच में परमानेंट सॉल्यूशन का भाव न हो तो यही होता है। 60 साल में रसोई गैस की कवरेज सिर्फ 55 परसेंट। अगर देश इसी रफ्तार से चलता तो सबको गैस पहुंचने में ये शताब्दी भी आधी और बीत जाती। 2014 में हमारी सरकार बनने के बाद हमने तय किया कि इसका परमानेंट सॉल्यूशन करना ही होगा। आप जानते हैं आज देश में गैस करवेज कितनी है? 98 प्रतिशत से भी ज्यादा। और यहां मैनेजमेंट से जुड़े आप सभी लोग जानते हैं कि शुरुआत करके थोड़ा बहुत आगे बढ़ना आसान होता है। असली चैलेंज होता है कवरेज को 100 परसेंट बनाने में। + +हमने एक तरफ प्रॉबलम को रखा, एक तरफ परमानेंट सॉल्यूशन को रखा। चुनौती थी नए डिस्ट्रिब्यूटर्स की। हमने 10 हजार नए गैस डिस्ट्रिब्यूटर कमीशन किए। चुनौती थी बॉटलिंग प्लांट कपैसिटी की। हमने देशभर में नए बॉटलिंग प्लांट लगाए, देश की क्षमता को बढ़ाया। चुनौती थी Import Terminal Capacity की। हमने इसे भी सुधारा। चुनौती थी Pipe-line Capacity की। हमने इस पर भी हजारों करोड़ रुपए खर्च किए और आज भी कर रहे हैं। चुनौती थी गरीब लाभार्थियों के चयन की। हमने ये काम भी पूरी पारदर्शिता से किया, विशेष तौर पर उज्जवला योजना शुरू की। + +ये उदाहरण मैंने आपको इसलिए भी समझाया क्योंकि जितना आप देश की जरूरतों से जुड़ेंगे, देश की चुनौतियों को समझेंगे, उतने ही अच्छे मैनेजर्स भी बन पाएंगे और उतने ही अच्‍छे उत्तम सौल्‍यूशंस भी दे पाएंगे। मैं समझता हूं, हायर एजुकेशन से जुड़े संस्थानों के लिए जरूरी है कि वो सिर्फ अपनी-अपनी Expertise तक ही फोकस्ड ना रहें, बल्कि उनका दायरा व्यापक होना चाहिए। इसमें बड़ी भूमिका वहां पढ़ने आने वाले Students की होती है। नई National Education Policy में Broad Based, Multi-disciplinary, Holistic approach पर बल दिया गया है। Professional Education के समाज के साथ जो Silos आ जाते थे, उनको दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। हम राष्ट्र के विकास के लिए हर किसी को main-stream में, मुख्यधारा में लाना चाहते हैं। ये भी तो Inclusive nature ही है। मुझे भरोसा है, आप इस vision को पूरा करेंगे। आपके प्रयास, IIM सम्बलपुर के प्रयास, आत्मनिर्भर भारत के अभियान को सिद्ध करेंगे। इन्हीं शुभकामनाओं के साथ, आपण मानकु बहुत बहुत धन्यवाद। नमस्‍कार ! + diff --git a/pm-speech/258.txt b/pm-speech/258.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..6b4e14a63afa99eb1d4735041b7a9b5c4eaa951d --- /dev/null +++ b/pm-speech/258.txt @@ -0,0 +1,12 @@ +ये लाइट हाउस प्रोजेक्ट, अब देश के काम करने के तौर-तरीकों का भी एक उत्तम उदाहरण है। हमें इसके पीछे के बड़े विजन को भी समझना होगा। एक समय में आवास योजनाएं केंद्र सरकारों की प्राथमिकता में उतनी नहीं थी जितनी होनी चाहिए। सरकार घर निर्माण की बारीकियों और क्वालिटी पर नहीं जाती थी। लेकिन हमें पता है, बिना काम के विस्तार में ये जो बदलाव किए गए हैं अगर ये बदलाव न होते तो कितना कठिन होता। आज देश ने एक अलग अप्रोच चुनी है, एक अलग मार्ग अपनाया है। + +हमारे यहां ऐसी कई चीजें हैं जो प्रक्रिया में बदलाव किए बिना ऐसे ही निरंतर चलती जाती हैं। हाउसिंग से जुड़ा मामला भी बिल्कुल ऐसा ही रहा है। हमने इसको बदलने की ठानी। हमारे देश को बेहतर टेक्नॉलॉजी क्यों नहीं मिलनी चाहिए? हमारे गरीब को लंबे समय तक ठीक रहने वाले घर क्यों नहीं मिलने चाहिए? हम जो घर बनाते हैं वो तेज़ी से पूरे क्यों ना हों? सरकार के मंत्रालयों के लिए ये ज़रूरी है कि वो बड़े और सुस्त स्ट्रक्चर जैसे ना हों, बल्कि स्टार्ट अप्स की तरह चुस्त भी हो और दुरुस्त भी होने चाहिए। इसलिए हमने Global Housing Technology Challenge का आयोजन किया और दुनियाभर की अग्रणी कंपनियों को हिन्दुस्तान में निमंत्रित किया। मुझे खुशी है कि दुनिया भर की 50 से ज्यादा Innovative Construction Technologies ने इस समारोह में हिस्सा लिया, स्पर्धा में हिस्सा लिया। इस ग्लोबल चैलेंज से हमें नई टेक्नॉलॉजी को लेकर Innovate और incubate करने का स्कोप मिला है। इसी प्रक्रिया के अगले चरण में अब आज से अलग-अलग साइट्स पर 6 लाइट हाउस प्रोजेक्ट्स का काम शुरू हो रहा है। ये लाइट हाउस प्रोजेक्ट्स आधुनिक टेक्नॉलॉजी और Innovative Processes से बनेंगे। इससे कंस्ट्रक्शन का टाइम कम होगा और गरीबों को ज्यादा resilient, affordable और comfortable घर तैयार होंगे। जो एक्सपर्ट्स हैं उन्हें तो इसके बारे में पता है लेकिन देशवासियों को भी इनके बारे में जानना जरूरी है। क्योंकि आज ये टेक्नोलॉजी एक शहर में इस्तेमाल हो रही है, कल को इन्हीं का विस्तार पूरे देश में किया जा सकता है। + +इंदौर में जो घर बन रहे हैं वो उनमें ईंट और गारे की दीवारें नहीं होंगी, बल्कि Pre-fabricated Sandwich Panel system इसमें  इस्तेमाल होगा। राजकोट में टनल के ज़रिए Monolithic Concrete Construction इस टेक्नॉलॉजी का उपयोग करेंगे। फ्रांस की इस टेक्नॉलॉजी से हमें गति भी मिलेगी और घर आपदाओं को झेलने में ज्यादा सक्षम भी बनेगा। चेन्नई में अमेरिका और फिनलैंड की Precast Concrete system का उपयोग करेंगे जिससे घर तेज़ी से भी बनेगा और सस्ता भी होगा। रांची में जर्मनी के 3D construction system से घर बनाएंगे। इसमें हर कमरा अलग से बनेगा और फिर पूरे स्ट्रक्चर को वैसे ही जोड़ा जाएगा जैसे Lego Blocks के खिलौनों को जोड़ते हैं। अगरतला में न्यूजीलैंड की steel frames से जुड़ी टेक्नॉलॉजी से घर बनाए जा रहे हैं। जहां भूकंप का खतरा ज्यादा होता है, वहां ऐसे घर बेहतर होते हैं। लखनऊ में कैनेडा की टेक्नॉलॉजी Use कर रहे हैं, जिसमें प्लस्तर और पेंट की ज़रूरत नहीं पड़ेगी और इसमें पहले से तैयार पूरी दीवारों का उपयोग किया जाएगा। इससे घर और तेज़ी से बनेंगे। हर लोकेशन पर 12 महीनों में हज़ार घर बनाए जाएंगे। एक साल में हजार घर। इसका मतलब ये हुआ कि प्रतिदिन ढाई से तीन घर बनाने की एवरेज आएगी। एक महीने में करीब-करीब नब्बह सौ मकान बनेंगे और साल भर में एक हजार मकान बनाने का लक्ष्य है। अगली 26 जनवरी के पहले इस काम में ये सफलता पाने का इरादा है। + +ये प्रोजेक्ट्स एक प्रकार से incubation centres ही होंगे। जिससे हमारे planners, architects, engineers और students  सीख पाएंगे और नई टेक्नॉलॉजी का एक्सपेरिमेंट कर पाएंगे। मैं देशभर की इस प्रकार की सभी यूनिवर्सिटी से आग्रह करता हूं। सभी इंजीनियरिेंग कॉलेज से आग्रह करता हूं कि इस फिल्ड में जुड़े हुए आपके प्रोफेसर्स, आपकी फैक्ल्टी, आपके स्टूडेंटस दस-दस, पन्द्रह- पन्द्रह के ग्रुप बनाएं, एक-एक वीक के लिए इन 6 साईट पर रहने के लिए चले जाएं, पूरी तरह उसका अध्ययन करें, वहां की सरकारें भी उनकी मदद करें और एक प्रकार से देशभर की हमारे यूनिवर्सिटी के लोग ये जो Pilot Projects हो रहे हैं। एक प्रकार से incubators हो रहे हैं। वहां जाकर के टेक्नॉलॉजी और में ये चाहुंगा कि हमें आंख बंद करके किसी टेक्नॉलॉजी को Adopt करने की जरूरत नहीं है। हम देखें और फिर हमारे देश की जरूरत के हिसाब से, हमारे देश के संसाधनों के हिसाब से, हमारे देश की requirement के हिसाब से हम इस टेक्नॉलॉजी का shape बदल सकते हैं क्या? उसकी Activity बदल सकते हैं क्या? उसके Performance level को बदल सकते हैं क्या? मैं पक्का मानता हूं हमारे देश के नौजवान ये देखेंगे उसमें जरूर Value edition करेंगे, कुछ नयापन जोड़ेंगे और सचमुच में देश एक नई दिशा में तेज गति से आगे बढ़ेगा। इसी के साथ-साथ घर बनाने से जुड़े लोगों को नई टेक्नॉलॉजी से जुड़ी स्किल अपग्रेड करने के लिए सर्टिफिकेट कोर्स भी शुरु किया जा रहा है। ये बहुत बड़ा काम है। हमनें इसके साथ Human resource Development, Skill Development इसको simultaneous शुरू किया है। ऑनलाइन आप पढ़ सकते हैं। इस नई टेक्नॉलॉजी को समझ सकते हैं। अब exam देकर के certificate प्राप्त कर सकते हैं। ये इसलिए किया जा रहा है ताकि देशवासियों को घर निर्माण में दुनिया की बेस्ट टेक्नॉलॉजी और मटीरियल मिल सके। + +Housing for all, यानी सबके लिए घर, इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए जो चौतरफा काम किया जा रहा है, वो करोड़ों गरीबों और मध्यमवर्ग परिवारों के जीवन में बड़े परिवर्तन ला रहा है। ये घर गरीबों के आत्मविश्वास को बढ़ा रहे हैं। ये घर देश के युवाओं के सामर्थ्य को बढ़ा रहे हैं।इन घरों की चाबी से कई द्वार एक साथ खुल रहे हैं। जब किसी को घर की चाबी मिलती है न तब वो दरवाजा या चार दीवार इतना तक नहीं होता है। जब घर की चाबी हाथ आती है। तो एक सम्मानपूर्ण जीवन का द्वार खुल जाता है, एक सुरक्षित भविष्य का द्वार खुलता है, जब घर के मकान के मालिकी का हक आ जाता है, चाबी मिलती है तब बचत का भी द्वार खुलता है, अपने जीवन के विस्तार का द्वार खुलता है, पांच-पच्चीस लोगों के बीच में, समाज में, ज्ञाति में, बिरादरी में एक नई पहचान का द्वार खुल जाता है। एक सम्मान का भाव लौट आता है। आत्मविश्वास पनपता है। ये चाबी, लोगों के विकास का, उनकी प्रगति का द्वार भी खोल रही है। इतना ही नहीं, ये चाबी भले ही दरवाजे की चाबी होगी लेकिन वो दिमाग के भी वो ताले खोल देती है। जो नए सपने संजोने लग जाता है। नए संकल्प की ओर बढ़ चलता है और जीवन में कुछ करने के सपने नए तरीके से बुनने लग जाता है। इस चाबी की इतनी ताकत होती है। + +रियल एस्टेट सेक्टर को प्रोत्साहित करने के लिए भी निरंतर निर्णय लिए जा रहे हैं। खरीदारों में उत्साह बढ़ाने के लिए घरों पर लगने वाले टैक्स को भी बहुत कम किया जा रहा  है। सस्ते घरों पर जो टैक्स पहले 8 परसेंट लगा करता था, वो अब सिर्फ 1 परसेंट है। वहीं सामान्य घरों पर लगने वाले 12 परसेंट टैक्स की जगह अब सिर्फ 5 प्रतिशत GST लिया जा रहा है। सरकार ने इस सेक्टर को इंफ्रास्ट्रक्चर की भी मान्यता दी है ताकि उन्हें सस्ती दरों पर कर्ज मिल सके। + diff --git a/pm-speech/259.txt b/pm-speech/259.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..e3b800aefd8bdaa2760b5c091b930350f83faad9 --- /dev/null +++ b/pm-speech/259.txt @@ -0,0 +1,12 @@ +ये लाइट हाउस प्रोजेक्ट, अब देश के काम करने के तौर-तरीकों का भी एक उत्तम उदाहरण है। हमें इसके पीछे के बड़े विजन को भी समझना होगा। एक समय में आवास योजनाएं केंद्र सरकारों की प्राथमिकता में उतनी नहीं थी जितनी होनी चाहिए। सरकार घर निर्माण की बारीकियों और क्वालिटी पर नहीं जाती थी। लेकिन हमें पता है, बिना काम के विस्तार में ये जो बदलाव किए गए हैं अगर ये बदलाव न होते तो कितना कठिन होता। आज देश ने एक अलग अप्रोच चुनी है, एक अलग मार्ग अपनाया है। + +हमारे यहां ऐसी कई चीजें हैं जो प्रक्रिया में बदलाव किए बिना ऐसे ही निरंतर चलती जाती हैं। हाउसिंग से जुड़ा मामला भी बिल्कुल ऐसा ही रहा है। हमने इसको बदलने की ठानी। हमारे देश को बेहतर टेक्नॉलॉजी क्यों नहीं मिलनी चाहिए? हमारे गरीब को लंबे समय तक ठीक रहने वाले घर क्यों नहीं मिलने चाहिए? हम जो घर बनाते हैं वो तेज़ी से पूरे क्यों ना हों? सरकार के मंत्रालयों के लिए ये ज़रूरी है कि वो बड़े और सुस्त स्ट्रक्चर जैसे ना हों, बल्कि स्टार्ट अप्स की तरह चुस्त भी हो और दुरुस्त भी होने चाहिए। इसलिए हमने Global Housing Technology Challenge का आयोजन किया और दुनियाभर की अग्रणी कंपनियों को हिन्दुस्तान में निमंत्रित किया। मुझे खुशी है कि दुनिया भर की 50 से ज्यादा Innovative Construction Technologies ने इस समारोह में हिस्सा लिया, स्पर्धा में हिस्सा लिया। इस ग्लोबल चैलेंज से हमें नई टेक्नॉलॉजी को लेकर Innovate और incubate करने का स्कोप मिला है। इसी प्रक्रिया के अगले चरण में अब आज से अलग-अलग साइट्स पर 6 लाइट हाउस प्रोजेक्ट्स का काम शुरू हो रहा है। ये लाइट हाउस प्रोजेक्ट्स आधुनिक टेक्नॉलॉजी और Innovative Processes से बनेंगे। इससे कंस्ट्रक्शन का टाइम कम होगा और गरीबों को ज्यादा resilient, affordable और comfortable घर तैयार होंगे। जो एक्सपर्ट्स हैं उन्हें तो इसके बारे में पता है लेकिन देशवासियों को भी इनके बारे में जानना जरूरी है। क्योंकि आज ये टेक्नोलॉजी एक शहर में इस्तेमाल हो रही है, कल को इन्हीं का विस्तार पूरे देश में किया जा सकता है। + +इंदौर में जो घर बन रहे हैं वो उनमें ईंट और गारे की दीवारें नहीं होंगी, बल्कि Pre-fabricated Sandwich Panel system इसमें इस्तेमाल होगा। राजकोट में टनल के ज़रिए Monolithic Concrete Construction इस टेक्नॉलॉजी का उपयोग करेंगे। फ्रांस की इस टेक्नॉलॉजी से हमें गति भी मिलेगी और घर आपदाओं को झेलने में ज्यादा सक्षम भी बनेगा। चेन्नई में अमेरिका और फिनलैंड की Precast Concrete system का उपयोग करेंगे जिससे घर तेज़ी से भी बनेगा और सस्ता भी होगा। रांची में जर्मनी के 3D construction system से घर बनाएंगे। इसमें हर कमरा अलग से बनेगा और फिर पूरे स्ट्रक्चर को वैसे ही जोड़ा जाएगा जैसे Lego Blocks के खिलौनों को जोड़ते हैं। अगरतला में न्यूजीलैंड की steel frames से जुड़ी टेक्नॉलॉजी से घर बनाए जा रहे हैं। जहां भूकंप का खतरा ज्यादा होता है, वहां ऐसे घर बेहतर होते हैं। लखनऊ में कैनेडा की टेक्नॉलॉजी Use कर रहे हैं, जिसमें प्लस्तर और पेंट की ज़रूरत नहीं पड़ेगी और इसमें पहले से तैयार पूरी दीवारों का उपयोग किया जाएगा। इससे घर और तेज़ी से बनेंगे। हर लोकेशन पर 12 महीनों में हज़ार घर बनाए जाएंगे। एक साल में हजार घर। इसका मतलब ये हुआ कि प्रतिदिन ढाई से तीन घर बनाने की एवरेज आएगी। एक महीने में करीब-करीब नब्बह सौ मकान बनेंगे और साल भर में एक हजार मकान बनाने का लक्ष्य है। अगली 26 जनवरी के पहले इस काम में ये सफलता पाने का इरादा है। + +ये प्रोजेक्ट्स एक प्रकार से incubation centres ही होंगे। जिससे हमारे planners, architects, engineers और students सीख पाएंगे और नई टेक्नॉलॉजी का एक्सपेरिमेंट कर पाएंगे। मैं देशभर की इस प्रकार की सभी यूनिवर्सिटी से आग्रह करता हूं। सभी इंजीनियरिेंग कॉलेज से आग्रह करता हूं कि इस फिल्ड में जुड़े हुए आपके प्रोफेसर्स, आपकी फैक्ल्टी, आपके स्टूडेंटस दस-दस, पन्द्रह- पन्द्रह के ग्रुप बनाएं, एक-एक वीक के लिए इन 6 साईट पर रहने के लिए चले जाएं, पूरी तरह उसका अध्ययन करें, वहां की सरकारें भी उनकी मदद करें और एक प्रकार से देशभर की हमारे यूनिवर्सिटी के लोग ये जो Pilot Projects हो रहे हैं। एक प्रकार से incubators हो रहे हैं। वहां जाकर के टेक्नॉलॉजी और में ये चाहुंगा कि हमें आंख बंद करके किसी टेक्नॉलॉजी को Adopt करने की जरूरत नहीं है। हम देखें और फिर हमारे देश की जरूरत के हिसाब से, हमारे देश के संसाधनों के हिसाब से, हमारे देश की requirement के हिसाब से हम इस टेक्नॉलॉजी का shape बदल सकते हैं क्या? उसकी Activity बदल सकते हैं क्या? उसके Performance level को बदल सकते हैं क्या? मैं पक्का मानता हूं हमारे देश के नौजवान ये देखेंगे उसमें जरूर Value edition करेंगे, कुछ नयापन जोड़ेंगे और सचमुच में देश एक नई दिशा में तेज गति से आगे बढ़ेगा। इसी के साथ-साथ घर बनाने से जुड़े लोगों को नई टेक्नॉलॉजी से जुड़ी स्किल अपग्रेड करने के लिए सर्टिफिकेट कोर्स भी शुरु किया जा रहा है। ये बहुत बड़ा काम है। हमनें इसके साथ Human resource Development, Skill Development इसको simultaneous शुरू किया है। ऑनलाइन आप पढ़ सकते हैं। इस नई टेक्नॉलॉजी को समझ सकते हैं। अब exam देकर के certificate प्राप्त कर सकते हैं। ये इसलिए किया जा रहा है ताकि देशवासियों को घर निर्माण में दुनिया की बेस्ट टेक्नॉलॉजी और मटीरियल मिल सके। + +Housing for all, यानी सबके लिए घर, इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए जो चौतरफा काम किया जा रहा है, वो करोड़ों गरीबों और मध्यमवर्ग परिवारों के जीवन में बड़े परिवर्तन ला रहा है। ये घर गरीबों के आत्मविश्वास को बढ़ा रहे हैं। ये घर देश के युवाओं के सामर्थ्य को बढ़ा रहे हैं।इन घरों की चाबी से कई द्वार एक साथ खुल रहे हैं। जब किसी को घर की चाबी मिलती है न तब वो दरवाजा या चार दीवार इतना तक नहीं होता है। जब घर की चाबी हाथ आती है। तो एक सम्मानपूर्ण जीवन का द्वार खुल जाता है, एक सुरक्षित भविष्य का द्वार खुलता है, जब घर के मकान के मालिकी का हक आ जाता है, चाबी मिलती है तब बचत का भी द्वार खुलता है, अपने जीवन के विस्तार का द्वार खुलता है, पांच-पच्चीस लोगों के बीच में, समाज में, ज्ञाति में, बिरादरी में एक नई पहचान का द्वार खुल जाता है। एक सम्मान का भाव लौट आता है। आत्मविश्वास पनपता है। ये चाबी, लोगों के विकास का, उनकी प्रगति का द्वार भी खोल रही है। इतना ही नहीं, ये चाबी भले ही दरवाजे की चाबी होगी लेकिन वो दिमाग के भी वो ताले खोल देती है। जो नए सपने संजोने लग जाता है। नए संकल्प की ओर बढ़ चलता है और जीवन में कुछ करने के सपने नए तरीके से बुनने लग जाता है। इस चाबी की इतनी ताकत होती है। + +रियल एस्टेट सेक्टर को प्रोत्साहित करने के लिए भी निरंतर निर्णय लिए जा रहे हैं। खरीदारों में उत्साह बढ़ाने के लिए घरों पर लगने वाले टैक्स को भी बहुत कम किया जा रहा है। सस्ते घरों पर जो टैक्स पहले 8 परसेंट लगा करता था, वो अब सिर्फ 1 परसेंट है। वहीं सामान्य घरों पर लगने वाले 12 परसेंट टैक्स की जगह अब सिर्फ 5 प्रतिशत GST लिया जा रहा है। सरकार ने इस सेक्टर को इंफ्रास्ट्रक्चर की भी मान्यता दी है ताकि उन्हें सस्ती दरों पर कर्ज मिल सके। + diff --git a/pm-speech/260.txt b/pm-speech/260.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..ea3d4b82c148de0864d5ed6bbb0da48a3374397c --- /dev/null +++ b/pm-speech/260.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +बीते दिनों कोरोना काल में स्कूल कॉलेज आदि बंद होने पर भी देश के युवाओं ने डिजिटल माध्यम से अन्य राज्यों के साथ वेबिनार किए हैं। इन Webinars में म्यूज़िक, डांस, खान-पान की अलग-अलग राज्यों की अलग- अलग शैलियों पर बड़ी विशेष चर्चाएं की है। आज सरकार की भी कोशिश है कि हर प्रांत, हर क्षेत्र की भाषाओं, खान-पान और कला का पूरे देश में प्रचार-प्रसार हो। देश में भारत के हर राज्य के रहन-सहन, तीज-त्यौहार के बारे में जागरूकता और बढ़े। विशेषतौर पर हमारी समृद्ध आदिवासी परंपराओं, आर्ट एंड क्राफ्ट से देश बहुत कुछ सीख सकता है। इन सबको आगे बढ़ाने में एक भारत श्रेष्ठ भारत अभियान बहुत मदद कर रहा है। + +Skill के, कौशल के इसी महत्व को दखते हुए ही, 2014 में सरकार बनते ही, Skill Development के लिए विशेष मंत्रालय बनाया गया। इस अभियान के तहत अब तक साढ़े 5 करोड़ से अधिक युवा साथियों को अलग-अलग कला और कौशल की ट्रेनिंग दी जा चुकी है। कौशल विकास के इस कार्यक्रम के तहत सिर्फ ट्रेनिंग ही नहीं दी जा रही, बल्कि लाखों युवाओं को रोजगार और स्वरोज़गार में मदद भी की जा रही है। लक्ष्य ये है कि भारत के पास स्किल्ड युवा भी हों और Skill Sets के आधार पर उन्हें रोजगार के नए अवसर भी मिलें। + +नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में पहली बार Vocational Education को Education की मुख्य धारा में लाने का गंभीर प्रयास किया गया है। कक्षा 6 से ही विद्यार्थियों को स्थानीय ज़रूरतों और स्थानीय व्यवसायों से जुड़ा अपनी रुचि का कोई भी कोर्स चुनने का विकल्प दिया गया है। ये सिर्फ पढ़ाने के कोर्स नहीं होंगे बल्कि सीखने और सिखाने के कोर्स होंगे। इसमें स्थानीय कुशल कारीगरों के साथ प्रैक्टिकल अनुभव भी दिया जाएगा। इसके बाद चरणबद्ध तरीके से सभी मिडिल स्कूलों के शैक्षणिक विषयों में व्यावसायिक शिक्षा को एकीकृत करने का भी लक्ष्य है। मैं आज आपको ये विस्तार से, इसलिए भी बता रहा हूं क्योंकि आप जितना जागरूक रहेंगे, उतना ही आपका भविष्य भी उज्ज्वल होगा। + diff --git a/pm-speech/262.txt b/pm-speech/262.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..37a85af58547eed6eebc8654c03c85deffaac291 --- /dev/null +++ b/pm-speech/262.txt @@ -0,0 +1,12 @@ +आज के दिन स्वाभिमान, स्वाधीनता और सुरक्षा के तीनों प्रतीकों का भी एक प्रकार से समागम हो रहा है। पहला, आज असम की मिट्टी से प्यार करने वाले, मूलनिवासियों के अपनी जमीन से जुड़ाव को कानूनी संरक्षण दिया गया। दूसरा, ये काम ऐतिहासिक शिवसागर में, जेरेंगा पठार की धरती पर हो रहा है। ये भूमि असम के भविष्य के लिए सर्वोच्च त्याग करने वाली महासती जॉयमति की बलिदान भूमि है। मैं उनके अदम्य साहस को और इस भूमि को आदरपूवर्क नमन करता हूं। शिवसागर के इसी महत्व को देखते हुए इसे देश की 5 सबसे Iconic Archaeological Sites में शामिल करने के लिए सरकार ज़रूरी कदम उठा रही है। + +हम सभी एक ऐसी संस्कृति के ध्वजवाहक हैं, जहां हमारी धरती, हमारी जमीन सिर्फ घास, मिट्टी, पत्थर के रूप में नहीं देखी जाती। धरती हमारे लिए माता का रूप है। असम की महान संतान, भारतरत्न भूपेन हज़ारिका ने कहा था- ओमुर धरित्रीआई, चोरोनोटे डिबाथाई, खेतियोकोर निस्तारनाई, माटीबिने ओहोहाई। यानि हे धरती माता, मुझे अपने चरणों में जगह दीजिए। आपके बिना खेती करने वाला क्या करेगा? मिट्टी के बिना वो असहाय होगा। + +आत्मनिर्भर भारत के लिए नॉर्थईस्ट का तेज विकास, असम का तेज विकास बहुत ही आवश्यक है। आत्मनिर्भर असम का रास्ता असम के लोगों के आत्मविश्वास से होकर गुज़रता है और आत्मविश्वासत भी बढ़ता है। जब घर-परिवार में भी सुविधाएं मिलती हैं और राज्‍य के अंदर इंफ्रास्ट्रक्चर भी सुधरता है। बीते सालों में इन दोनों मोर्चों पर असम में अभूतपूर्व काम किया गयाहै। असम में लगभग पौने 2 करोड़ गरीबों के जनधन बैंक खाते खोले गएहैं। इन्हीं खातों के कारण कोरोना के समय में भी असम की हज़ारों बहनों और लाखों किसानों के बैंक खाते में सीधी मदद भेजना संभव हो पाया है। आज असम की लगभग 40 प्रतिशत आबादी आयुष्मान भारत की लाभार्थी है, जिसमें से लगभग डेढ़ लाख साथियों को मुफ्त इलाज मिल भी चुका है। बीते 6 साल में असम में टॉयलेट्स की कवरेज 38 प्रतिशत से बढ़कर शत-प्रतिशत हो चुकी है। 5 साल पहले तक असम के 50 प्रतिशत से भी कम घरों तक बिजली पहुंची थी, जो अब लगभग 100 प्रतिशत तक पहुंच चुकी है। जल जीवन मिशन के तहत बीते डेढ़ साल में असम में ढाई लाख से ज्यादा घरों में पानी का कनेक्शन दिया है। केंद्र और राज्य सरकार का डबल इंजन, 3-4 वर्षों में असम के हर घर तक पाइप से जल पहुंचाने के लिए काम कर रहा है। + +ये जितनी भी सुविधाएं हैं, इनका लाभ सबसे ज्यादा हमारी बहनों- बेटियों को ही होता है। असम की बहनों-बेटियों को बहुत बड़ा लाभ उज्जवला योजना से भी हुआ है। आज असम की करीब 35 लाख गरीब बहनों की रसोई में उज्जवला का गैस कनेक्शन है। इसमें भी लगभग 4 लाख परिवार SC/ST वर्ग के हैं। 2014 में जब हमारी सरकार केंद्र में बनी तब असम में LPG कवरेज सिर्फ 40 प्रतिशत ही थी। अब उज्जवला की वजह से असम में LPG कवरेज बढ़कर करीब-करीब 99 प्रतिशत हो गई है। असम के दूर-दराज वाले इलाकों में गैस पहुंचने में दिक्कत न हो, इसके लिए सरकार ने डिस्ट्रीब्यूटर्स की संख्या को भी काफी बढ़ाया है। 2014 में असम में तीन सौ तीस LPG गैस डिस्ट्रीब्यूटर थे, अब आज इनकी संख्या पाँच सौ पिछत्तर से भी ज्यादा हो गई है। हमने देखा है कि कैसे उज्जवला ने कोरोना के समय में भी लोगों की मदद की है। इस दौरान असम में 50 लाख से ज्यादा मुफ्त गैस सिलेंडर उज्जवला के लाभार्थियों को दिए गए हैं। यानि उज्जवला योजना से असम की बहनों का जीवन भी आसान हुआ है और इसके लिए जो सैकड़ों नए डिस्ट्रिब्यूशन सेंटर बने हैं, उससे अनेक युवाओं को रोज़गार भी मिल रहा है। + +सबका साथ – सबका विकास, सबका विश्वास, इस मंत्र पर चल रही हमारी सरकार असम के हर हिस्से में, हर वर्ग को तेजी से विकास का लाभ पहुंचाने में जुटी है। पहले की नीतियों के कारण चाय जनजाति की क्या स्थिति हो गई थी, ये मुझसे ज्‍यादा आप लोग जानते हैं। अब चाय जनजाति को घर और शौचालय जैसी मूल सुविधाओं से जोड़ा जा रहा है। चाय जनजाति के अनेक परिवारों को भी ज़मीन का कानूनी अधिकार मिला है। चाय जनजाति के बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य और रोज़गार की सुविधाओं पर ध्यान दिया जा रहा है। पहली बार उनको बैंक की सुविधाओं से जोड़ा गया है। अब इन परिवारों को भी सरकार की अलग-अलग योजनाओं का लाभ सीधे बैंक खाते में मिल पा रहा है। श्रमिक नेता संतोषटोपणो  सहित चाय जनजाति के दूसरे बड़े नेताओं की प्रतिमाएं स्थापित करके, राज्य सरकार ने चाय जनजाति के योगदान को सम्मान दिया है। + +असम के हर क्षेत्र की हर जनजाति को साथ लेकर चलने की इसी नीति से आज असम शांति और प्रगति के मार्ग पर चल पड़ा है। ऐतिहासिक बोडो समझौते से अब असम का एक बहुत बड़ा हिस्सा शांति और विकास के मार्ग पर लौट आया है। समझौते के बाद हाल में बोडो लैंड टेरिटोरियल काउंसिल के पहले चुनाव हुए, प्रतिनिधि चुने गए। मुझे विश्वास है कि अब बोडो टेरिटोरियल काउंसिल विकास और विश्वास के नए प्रतिमान स्थापित करेगी। + diff --git a/pm-speech/263.txt b/pm-speech/263.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..1aa18af57a7efddad66a04649a990c40c125532f --- /dev/null +++ b/pm-speech/263.txt @@ -0,0 +1,14 @@ +बनारस के सभी लोगों को बनारस के सेवक का प्रणाम। इस कार्यक्रम में जुड़े हुए सभी डॉक्‍टर्स महानुभाव, मेडिकल स्‍टाफ, पैरा-मेडिकल स्‍टाफ, अस्‍पताल में जो सबसे ज्‍यादा महत्‍वपूर्ण काम करते हैं, सफाई रखते हैं वो हमारे सारे साथी, सारे भाई-बहन, कोरोना वैक्‍सीन से जुड़े सभी लोग, कोरोना वैक्‍सीन पाने वाले सभी लोग, मैं आप सबका अभिनंदन करता हूं। वैसे तो ऐसे समय मुझे आपके बीच होना चाहिए। लेकिन कुछ ऐसे ही हालात बन गए कि हमें virtually मिलना पड़ रहा है। लेकिन ये बात सही है कि काशी में, मैं जितना भी कर सकूं, करने के लिए हमेशा प्रयास करता हूं। + +बीते छह वर्षों में बनारस और आसपास के medical infrastructure में जो बड़ा बदलाव आया है उससे पूरे पूर्वांचल को कोरोना काल में बड़ी मदद मिली है। अब बनारस वैक्‍सीन के लिए उसी गति से आगे बढ़ रहा है। मुझे बताया गया है कि पहले चरण में बनारस में करीब-करीब 20 हजार से ज्‍यादा Health professionals को वैक्‍सीन लगाई जाएगी। इसके लिए 15 टीकाकरण  केंद्र बनाए गए हैं। मैं इस पूरे अभियान के लिए सभी Doctors, Nurses और Medical staff का अभिनंदन करता हूं, योगीजी की सरकार का अभिनंदन करता हूं, सभी डिपार्टमेंट के साथियों का अभिनंदन करता हूं। + +मोदीजी – पुष्‍पाजी आप जैसे लाखों-करोड़ों वॉरियर्स और 130 करोड़ देशवासियों की सफलता है, Made In India Vaccine हम सबके लिए गर्व की बात तो है ही। अच्‍छा ये बताइए, जैसा आपने कहा, आपको कोई दिक्‍कत नहीं हुई, कोई mind effect भी नहीं हुआ है यानी आप बिल्‍कुल विश्‍वास से किसी को भी कह सकती हैं कि भई ये जो कुछ  भी किया आपने अनुभव, वो एकदम उत्‍तम अनुभव है? + +डॉ. वी.शुक्‍ला – सर, बहुत सुखी हैं। सब लोगों में काफी उत्‍साह है। इतने कम समय में हम लोग एक विकासशील देश होते हुए भी विकसित देशों की तुलना में उनसे भी वैक्‍सीन के मामले में आगे निकल गए हैं। हमारा चिकित्‍सक समुदाय और स्‍वास्‍थ्‍यकर्मी तो और ज्‍यादा गौरवान्वित हुए हैं कि आपने सबसे पहले उनको इस वैक्‍सीनेशन के लिए चुना। इसके लिए हम लोग गौरवान्वित हैं और आपका आभार प्रकट करते हैं। + +डॉ. वी.शुक्‍ला – जी अच्‍छा है। सब लोग पूर्ण रूप से संतुष्‍ट हैं। किसी को किसी प्रकार का भय नहीं है। टीकाकरण शुरूआत होने से पहले भी हम लोगों ने इस पर सामूहिक discussion किया और सबके मन में ये भाव बताया कि सब लोग बाहर निकलें, समाज को ये बताएं कि एक मामूली टीकाकरण जो बहुत सालों से होता आ रहा है, उसके बाद भी कहीं न कहीं छोटा सा, थोड़ा-मोड़ा छोटा सा effect जैसे कि हल्‍का सा दर्द या बुखार, सर्दी-जुकाम, ये एक सामान्‍य बात है, ये होना कोई बहुत बड़ी बात नहीं है। और इस वैक्‍सीन के बाद ये भी चीजें आ सकती हैं हम लोगों को आ सकती हैं, इसलिए इससे घबराना की कोई जरूरत नहीं है। फिर भी अगर किसी के मन में कोई संशय हो, उसको दूर करने के लिए हमने उस दिन सर्वप्रथम पहला टीका हमने अपने केंद्र पर लगवया और उस दिन हमारे या 82 पर्सेंट वैक्‍सीनेशन हुआ। और लोगों में इससे काफी आत्‍मविश्‍वास बढ़ा और सब लोग आगे बढ़ करके इसका प्रचार कर रहे हैं। + +डॉ. वी.शुक्‍ला – सर, बहुत सुखी हैं। सब लोगों में काफी उत्‍साह है। इतने कम समय में हम लोग एक विकासशील देश होते हुए भी विकसित देशों की तुलना में उनसे भी वैक्‍सीन के मामले में आगे निकल गए हैं। हमारा चिकित्‍सक समुदाय और स्‍वास्‍थ्‍यकर्मी तो और ज्‍यादा गौरवान्वित हुए हैं कि आपने सबसे पहले उनको इस वैक्‍सीनेशन के लिए चुना। इसके लिए हम लोग गौरवान्वित हैं और आपका आभार प्रकट करते हैं। + +डॉ. वी.शुक्‍ला – जी अच्‍छा है। सब लोग पूर्ण रूप से संतुष्‍ट हैं। किसी को किसी प्रकार का भय नहीं है। टीकाकरण शुरूआत होने से पहले भी हम लोगों ने इस पर सामूहिक discussion किया और सबके मन में ये भाव बताया कि सब लोग बाहर निकलें, समाज को ये बताएं कि एक मामूली टीकाकरण जो बहुत सालों से होता आ रहा है, उसके बाद भी कहीं न कहीं छोटा सा, थोड़ा-मोड़ा छोटा सा effect जैसे कि हल्‍का सा दर्द या बुखार, सर्दी-जुकाम, ये एक सामान्‍य बात है, ये होना कोई बहुत बड़ी बात नहीं है। और इस वैक्‍सीन के बाद ये भी चीजें आ सकती हैं हम लोगों को आ सकती हैं, इसलिए इससे घबराना की कोई जरूरत नहीं है। फिर भी अगर किसी के मन में कोई संशय हो, उसको दूर करने के लिए हमने उस दिन सर्वप्रथम पहला टीका हमने अपने केंद्र पर लगवया और उस दिन हमारे या 82 पर्सेंट वैक्‍सीनेशन हुआ। और लोगों में इससे काफी आत्‍मविश्‍वास बढ़ा और सब लोग आगे बढ़ करके इसका प्रचार कर रहे हैं। + diff --git a/pm-speech/264.txt b/pm-speech/264.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..5fe324549f75ddb03cce3a878e52cd2c13bfb517 --- /dev/null +++ b/pm-speech/264.txt @@ -0,0 +1,12 @@ +तेज़पुर यूनिवर्सिटी की एक पहचान अपने Innovation Center के लिए भी है। आपके Grassroots Innovations, Vocal for Local को भी नई गति देते हैं, नई ताकत देते हैं। ये Innovations स्थानीय समस्याओं को सुलझाने में काम आ रहे हैं, जिससे विकास के नए द्वार खुल रहे हैं। अब जैसे मुझे बताया गया है कि आपके डिमार्टमेंट ऑफ केमिकल साइंस ने पीने के पानी को साफ करने के लिए एक कम कीमत वाली आसान टेक्नॉलॉजी पर काम किया है। इसका लाभ असम के अऩेक गांवों को हो रहा है। बल्कि मुझे तो यह बताया गया है कि अब ये नई टेक्नोलॉजी छत्तीसगढ़ में, ओडिशा में, बिहार में, कर्नाटका और राजस्थान जैसे राज्यों तक भी पहुंच रही है, मतलब आपकी ये कीर्ति पताका अब फैल रही है। भारत में इस प्रकार की टेक्नोलॉजी के विकास से हर घर जल पहुंचाने का- जल जीवन मिशन का जो सपना है, उसका एक सशक्तिकरण होगा। + +मैंने जब इतना कुछ जाना तो मन में ये सवाल भी आया कि स्थानीय विषयों पर, स्थानीय आवश्यकताओं पर इतना काम, इतनी रिसर्च करने की प्रेरणा आपको कहां से मिलती है? इसका जवाब भी तेज़पुर यूनिवर्सिटी कैंपस में ही है। अब जैसे आपके हॉस्टल्स। चराईदेव, नीलाचल, कंचनजंगा, पटकाई, धानसिरी, सुबनसिरी, कोपिली, ये सभी पर्वतों, चोटियों और नदियों के नाम पर हैं। और ये सिर्फ नाम नहीं हैं। ये जीवन की जीती-जागती प्रेरणा भी हैं। जीवन यात्रा में हमें अनेक मुश्किलों, अनेक पर्वतों का सामना करना पड़ता है, कई नदियों को पार करना पड़ता है। ये एक बार का काम नहीं होता। आप एक पर्वत चढ़ते हैं और फिर दूसरे की तरफ बढ़ते हैं। हर पर्वतारोहण के साथ आपकी जानकारी भी बढ़ती है, आपकी Expertise भी बढ़ती है और नई चुनौतियों को लेकर आपका Perspective तैयार होता है। इसी तरह नदियां भी हमें बहुत कुछ सिखाती हैं। नदियां, कई सहायक धाराओं से मिलकर बनती हैं और फिर समंदर में मिल जाती हैं। हमें भी जीवन में अलग-अलग लोगों से ज्ञान लेना चाहिए, सीखना चाहिए और उस सीख के साथ आगे बढ़ते हुए अपने लक्ष्य को प्राप्त करना चाहिए। + +क्रिकेट के मैदान पर हमारे खिलाड़ियों की ये Performance सिर्फ Sports के लिहाज़ से ही Important नहीं है। ये एक बहुत बड़ा Life Lesson भी है। पहला Lesson ये कि हमें अपनी Ability पर विश्वास होना चाहिए, Confidence होना चाहिए। दूसरा Lesson हमारे माइंडसेट को लेकर है। हम अगर पॉजिटिव माइंडसेट को लेकर आगे बढ़ेंगे तो, रिजल्ट भी पॉजिटिव ही आएंगे। तीसरा और सबसे अहम Lesson, अगर आपके पास एक तरफ Safe निकल जाने का Option हो और दूसरी तरफ मुश्किल जीत का विकल्प हो, तो आपको विजय का Option ज़रूर explore करना चाहिए। अगर जीतने की कोशिश में कभी-कभार असफलता भी हाथ लगे, तो उसमें कोई नुकसान नहीं है। रिस्क लेने से, प्रयोग करने से डरना नहीं है। हमें proactive और fearless होना ही पड़ेगा। हमारे भीतर जो Failure का डर होता है, हम जो Unnecessary Pressure अपने ऊपर लेते हैं, उससे जब आप बाहर निकलेंगे तो fearless बनकर उभरेंगे भी। + +हौसले से भरा हुआ, अपने लक्ष्यों के प्रति समर्पित भारत सिर्फ क्रिकेट की फील्ड पर दिखता है, ऐसा नहीं है। आप भी तो इसी ही एक तस्वीर हैं। आप आत्मविश्वास से, Self-confidence से भरे हैं। आप लीक से हटकर सोचने और चलने से डरते नहीं हैं। आपके जैसी इसी युवा ऊर्जा ने कोरोना के खिलाफ अपनी लड़ाई में भी भारत को बहुत मजबूती दी है। आपको याद होगा, इस लड़ाई की शुरुआत में ऐसी आशंकाएं जताई गई थीं कि इतनी बड़ी आबादी वाला भारत, Resources के अभाव में कोरोना से तबाह हो जाएगा। लेकिन भारत ने दिखाया कि, Resolve और Resilience आपके पास है तो Resources तैयार होते देर नहीं लगती। भारत ने यही किया। भारत ने हालात से समझौता करने के बजाय, मुसीबत बढ़े इसका इंतजार करने के बजाय, तेजी से फैसले लिए, Proactive होकर फैसले लिए। इसी का परिणाम है कि भारत वायरस से ज्यादा प्रभावी रूप से बढ़ पाया, प्रभावी रूप से लड़ पाया। Made in India Solutions से हमने वायरस के फैलाव को कम किया, अपने हेल्थ इंफ्रा को बेहतर किया। अब हमारे Vaccine से जुड़ी Research और Production की क्षमता भारत के साथ-साथ दुनिया के अनेक देशों को सुरक्षा कवच का विश्वास दे रही है। + +अगर हम अपने वैज्ञानिकों, अपने Researchers, स्‍कॉलर्स से, अपने साइंटिस्‍ट से, अपनी इंडस्ट्री की ताकत पर भरोसा ना करते तो क्या ये सफलता संभव हो पाती? और साथियों, सिर्फ हेल्थ सेक्टर ही क्यों, हमारा डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर ही लीजिए। अगर हम भी ये मानकर बैठ जाते कि भारत में Literacy के अभाव में, DBT और डिजिटल लेनदेन संभव नहीं है, तो क्या कोरोना जैसे संकट में सरकार गरीब से गरीब तक इतने प्रभावी ढंग से पहुंच पाती? आज जिस Fintech में, Digital Inclusion में, हम दुनिया के अग्रणी देशों में शामिल हैं, वो क्या कभी संभव हो पाता? आज का भारत समस्या के समाधान के लिए Experiment से भी नहीं डरता और बड़े स्केल पर काम करने से भी पीछे नहीं हटता। सबसे बड़ा Banking Inclusion अभियान भारत में हो रहा है, टॉयलेट बनाने का सबसे बड़ा अभियान भारत में, हर परिवार को घर देने का अभियान भारत में, घर-घर जल पहुंचाने का सबसे बड़ा अभियान भारत में। सबसे बड़ी हेल्थ एश्योरेंस स्कीम भारत में और अब सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान भी भारत में। इन सबका बहुत बड़ा लाभ नॉर्थ ईस्ट को हुआ है, असम के लोगों को हुआ है। ऐसे कार्यक्रम तभी चल सकते हैं, जब देश और समाज आत्मविश्वास से भरा हो, देश यथास्थिति को बदलने के लिए, Innovate करने के लिए पूरी शक्ति लगा रहा हो। + +आज जिस प्रकार दुनिया में, भारत में नई टेक्नॉलॉजी का प्रसार हो रहा है, उससे हर क्षेत्र में नई संभावनाएं पैदा हो रही हैं। आज हम बिना ब्रांच के बैंक, बिना शोरूम के रिटेल बिजनेस, बिना डाइनिंग हॉल के क्लाउड किचन, ऐसे अनेक प्रयोगों को रोजमर्रा की जिंदगी में देख रहे हैं। ऐसे में ये भी संभव है कि भविष्य की यूनिवर्सिटी पूरी तरह से Virtual हो और दुनियाभर से Students और Faculties किसी भी यूनिवर्सिटी का हिस्सा बन सकें। इस प्रकार की ट्रांसफॉर्मेशन के लिए हमारे पास एक ज़रूरी रेगुलेटरी फ्रेमवर्क होना बहुत ज़रूरी है। नई नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के माध्यम से लगातार इसकी कोशिश की जा रही है। इस पॉलिसी में Technology के ज्यादा से ज्यादा उपयोग, मल्टीडिसिप्लिनरी एजुकेशन और Flexibility को प्रोत्साहित किया जा रहा है। नई National Educational Policy, Data और Data Analytics के लिए हमारे एजुकेशन सिस्टम को तैयार करने पर बल देती है। Data Analysis की मदद से Admission से लेकर Teaching और Evaluation तक पूरी प्रक्रिया बहुत बेहतर हो जाएगी। + diff --git a/pm-speech/265.txt b/pm-speech/265.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..a5118f4f72f0528fae543580f176ab3afb86a449 --- /dev/null +++ b/pm-speech/265.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +आप सभी खासकर माताएं – बहनें, आप सबको बहुत-बहुत बधाई। आपका अपना घर, सपनों का घर, बहुत ही जल्द आपको मिलने वाला है। कुछ दिन पहले ही सूर्य उत्तरायण में आए हैं। कहते हैं ये समय शुभकामनाओं के लिए बहुत उत्तम होता है। इस शुभसमय में आपका घर बनाने के लिए धनराशि मिल जाए, तो आनंद और बढ़ जाता है।अभी कुछ दिन पहले ही देश ने कोरोना की वैक्सीन का, दुनिया का सबसे बड़ा अभियान चलाया है। अब ये एक और उत्साह बढ़ाने वाला काम हो रहा है। आप सभी से मुझे बातचीत करने का अवसर मिला। आपने अपने भाव भी व्यक्त किए, आर्शीवाद भी दिए और मैं देख रहा था आपके चेहरे पर एक खुशी थी, संतोष था। एक महन्त जीवन का बड़ा सपना पुरा हो रहा था। ये आपकी नजरों में मुझे दिखता था। आपकी ये खुशी, आपके जीवन में सुविधा भरे, यही मेरे लिए सबसे बड़ा आर्शीवाद होगा और प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के सभी लाभार्थियों को मैं एक बार बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। + diff --git a/pm-speech/266.txt b/pm-speech/266.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..8014ff55e0832074a101cf57c0955a4bd2c31f9b --- /dev/null +++ b/pm-speech/266.txt @@ -0,0 +1,18 @@ +उत्‍तरायण की शुरूआत में आज अहमदाबाद और सूरत को बहुत ही अहम उपहार मिल रहा है। देश के दो बड़े व्‍यापारिक केन्‍द्रों अहमदाबाद और सूरत में मेट्रो इन शहरों में connectivity को और मजबूत करने का काम करेगी। कल ही केवड़िया के लिए नए रेलमार्ग और नई ट्रेनों की शुरूआत हुई है। अहमदाबाद से भी आधुनिक जन-शताब्‍दी एक्‍सप्रेस अब केवड़िया तक जाएगी। इस शुभारंभ के लिए मैं गुजरात के लोगों को बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं, बधाई देता हूं।  + +आज 17 हजार करोड़ रुपये से ज्‍यादा के infrastructure का काम शुरू हो रहा है। 17 हजार करोड़ रुपये, ये दिखाता है कि कोरोना के इस काल में भी नए infrastructure के निर्माण को लेकर देश के प्रयास लगातार बढ़ रहे हैं। बीते कुछ दिनों में ही देश भर में हजारों करोड़ रुपये के infrastructure project का या तो लोकर्पण किया गया है या फिर नए projects पर काम शुरू हुआ है।  + +अहमदाबाद के बाद सूरत गुजरात का दूसरा बड़ा शहर है, जो मेट्रो जैसे आधुनिक पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम से जुड़ेगा। सूरत में मेट्रो नेटवर्क तो एक प्रकार से पूरे शहर के महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्रों को आपस में कनेक्ट करेगा। एक कॉरिडोर सरथना को ड्रीम सिटी से तो दूसरा कॉरिडोर भेसन को सरोली लाइन से जोड़ेगा। मेट्रो के इन प्रोजेक्ट्स की सबसे बड़ी खासियत ये है कि ये आने वाले वर्षों की जरूरतों का आकलन करते हुए भी बनाए जा रहे हैं। यानि जो आज इन्वेस्टमेंट हो रहा है, उससे हमारे शहरों को आने वाले कई सालों तक बेहतर सुविधाएं मिलेंगी।  + +पहले की सरकारों की जो अप्रोच थी, हमारी सरकार कैसे काम कर रही है, इसका बेहतरीन उदाहरण, क्‍या फर्क था ये भली भांति देश में मेट्रो नेटवर्क के विस्‍तार से पता चलता है।  2014 से पहले के 10-12 साल में सिर्फ सवा 2 सौ किलोमीटर मेट्रो लाइन ऑपरेशनल हुई थी। वहीं बीते 6 साल में साढ़े 4 सौ किलोमीटर से ज्यादा मेट्रो नेटवर्क चालू हो चुका है। इस समय देश के 27 शहरों में 1000 किलोमीटर से ज्यादा के नए मेट्रो नेटवर्क पर काम चल रहा है।  + +एक समय था जब हमारे देश में मेट्रो के निर्माण को लेकर कोई आधुनिक सोच नहीं थी। देश की कोई मेट्रो पॉलिसी भी नहीं थी। नतीजा ये हुआ कि अलग-अलग शहरों में अलग-अलग तरह की मेट्रो, अलग-अलग तकनीक और व्यवस्था वाली मेट्रो बनने लगी। दूसरी दिक्कत ये थी कि शहर के बाकी ट्रांसपोर्ट सिस्टम का मेट्रो के साथ कोई तालमेल ही नहीं था। आज हम शहरों के transportation को एक integrated system के तौर पर विकसित कर रहे हैं। यानी, बस, मेट्रो, रेल सब अपने अपने हिसाब से नहीं दौड़े, बल्कि एक सामूहिक व्यवस्था के तौर पर काम करें, एक-दूसरे के पूरक बनें। यहां अहमदाबाद मेट्रो में ही जो नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड, जब मैं वहां आया था, लॉन्च हुआ था, वो भविष्य में इस इंटीग्रेशन में और मदद करने जा रहा है।  + +ये सब कुछ एक बेहतर प्लानिंग और संपूर्णता की सोच के साथ संभव हो पाया है। पहले सूरत में करीब 20 प्रतिशत आबादी झुग्गियों में रहती थी, अब गरीबों को पक्के घर मिलने से ये घट करके 6 प्रतिशत रह गई है। शहर को भीड़भाड़ से मुक्त करने के लिए बेहतर ट्रैफिक मैनेजमेंट से लेकर अनेक दूसरे कदम उठाए। आज सूरत में 100 से ज्यादा पुल हैं, जिनमें से 80 से ज्यादा बीते 20 सालों में बनाए गए हैं और 8 पुलों का निर्माण जारी भी है। इसी तरह सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स, इसकी कैपेसिटी बढ़ाई गई। आज सूरत में करीब एक दर्जन सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स हैं। सीवेज ट्रीटमेंट से ही सूरत को आज करीब 100 करोड़ रुपए की आय प्राप्त हो रही है। बीते सालों में सूरत में बेहतरीन आधुनिक अस्पतालों का निर्माण किया गया। इन सभी प्रयासों से सूरत में Ease of Living बेहतर हुई। आज हम देखते हैं कि सूरत एक भारत श्रेष्ठ भारत का कितना बेहतर उदाहरण है। यहां हमें पूर्वांचल, ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल, नॉर्थ ईस्ट, देश के कोने-कोने से अपना भाग्‍य चमकाने के लिए आए हुए लोग, हमारे उद्यमी लोग, शिष्‍ट और समर्पण के साथ लगे हुए लोग, एक प्रकार से जीता-जागता सपनों से भरा हुआ लघु भारत सूरत की धरती पर पनपा है। ये सभी साथी मिलकर सूरत के विकास को नई बुलंदी देने के लिए काम कर रहे हैं।  + +गांधीनगर के साथ ही अहमदाबाद में ही ऐसी अनेकों परियोजनाएं हैं जो आज शहर की पहचान बन चुकी हैं। साबरमती रिवर फ्रंट हो, कांकरिया लेक-फ्रंट हो, वाटर एरोड्रम हो, बस रैपिड ट्रांजिट सिस्टम हो, मोटेरा में विश्व का सबसे बड़ा स्टेडियम हो, सरखेज का छह लेन – गांधीनगर हाईवे हो, अनेकानेक प्रोजेक्टस बीते वर्षों में बने हैं। एक प्रकार से अहमदाबाद की पौराणिकता को बनाए रखते हुए, शहर को आधुनिकता का आवरण पहनाया जा रहा है। अहमदाबाद को भारत का पहला “World Heritage City” घोषित किया गया है। अब अहमदाबाद के पास धोलेरा में नया एयरपोर्ट भी बनने वाला है। इस एयरपोर्ट को अहमदाबाद से कनेक्ट करने के लिए अहमदाबाद-धोलेरा मोनोरेल को भी हाल में स्वीकृति दी जा चुकी है। इसी तरह अहमदाबाद और सूरत को देश की आर्थिक राजधानी मुंबई से जोड़ने वाली बुलेट ट्रेन पर भी काम प्रगति पर है।  + +गुजरात के शहरों के साथ-साथ ग्रामीण विकास में भी बीते सालों में अभूतपूर्व विकास हुआ है। विशेष रूप से गांवों में सड़क, बिजली, पानी की स्थिति में कैसे बीते 2 दशकों में सुधार आया है, वो गुजरात की विकास यात्रा का बहुत अहम अध्याय है। आज गुजरात के हर गांव में All Weather Road कनेक्टिविटी है, जनजातीय क्षेत्रों के गांवों में भी बेहतर सड़कें हैं।  + +आज भारत आत्मविश्वास के साथ फैसले ले रहा है, उन पर तेजी से अमल भी कर रहा है। आज भारत सिर्फ बड़ा ही नहीं कर रहा है, आज भारत बेहतर भी कर रहा है। आज दुनिया की सबसे बड़ी प्रतिमा भारत में है। आज दुनिया का सबसे बड़ा Affordable Housing Program भारत में चल रहा है। आज दुनिया का सबसे बड़ा Healthcare Assurance Program भी भारत में चल रहा है। 6 लाख गांवों को तेज़ इंटरनेट से जोड़ने का विराट काम भी भारत में ही हो रहा है। और परसो ही कोरोना संक्रमण के विरुद्ध दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान भी भारत में ही शुरू हुआ है। + diff --git a/pm-speech/267.txt b/pm-speech/267.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..9c9ec1276c7ddcb8bcbacd67b58d93c0863e77b4 --- /dev/null +++ b/pm-speech/267.txt @@ -0,0 +1,12 @@ +रेलवे के इतिहास में संभवत: पहली बार ऐसा हो रहा है कि जब एक साथ देश के अलग-अलग कोने से एक ही जगह के लिए इतनी ट्रेनों को हरी झंडी दिखाई गई हो। आखिर केवड़िया जगह भी तो ऐसी ही है। इसकी पहचान देश को एक भारत-श्रेष्ठ भारत का मंत्र देने वाले, देश का एकीकरण करने वाले, सरदार पटेल की दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा से स्टैच्यू ऑफ यूनिटी से है, सरदार सरोवर बांध से है। आज का ये आयोजन सही मायने में भारत को एक करती, भारतीय रेल के विजन और सरदार वल्लभ भाई पटेल के मिशन, दोनों को परिभाषित कर रहा है। और मुझे इस बात की खुशी है कि इस कार्यक्रम में अलग-अलग राज्यों से इतने जनप्रतिनिधि मौजूद हैं। मैं आप सभी का आभार व्यक्त करता हूं। + +आज केवड़िया के लिए निकल रही ट्रेनों में एक ट्रेन Puratchi Thalaivar डॉक्टर एमजी रामचंद्रन सेंट्रल रेलवे स्टेशन से भी आ रही है। ये भी सुखद संयोग है कि आज भारत रत्न MGR की जयंती भी है। MGR ने फिल्म स्क्रीन से लेकर पॉलिटिकल स्क्रीन तक, लोगों के दिलों पर राज किया था। उनका जीवन, उनकी पूरी राजनीतिक यात्रा गरीबों के लिए समर्पित थी। गरीबों को सम्मानजनक जीवन मिले इसके लिए उन्होंने निरंतर काम किया था। भारत रत्न MGR के इन आदर्शों को पूरा करने के लिए आज हम सब प्रयास कर रहे हैं। कुछ साल पहले ही देश ने उनके सम्मान में चेन्नई सेंट्रल रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर MGR के नाम पर किया था। मैं भारत रत्न MGR को नमन करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूं। + +मुझे याद है, जब शुरु में केवड़िया को दुनिया का बेहतरीन Family Tourist Destination बनाने की बात की जाती थी, तो लोगों को ये सपना ही लगता था। लोग कहते थे- ये संभव ही नहीं है, हो ही नहीं सकता। इस काम में तो अनेकों दशक लग जाएंगे। खैर पुराने अनुभव के आधार पर उनकी बातों में तर्क भी था। न केवड़िया जाने के लिए चौड़ी सड़कें, न उतनी स्ट्रीट लाइटें, न रेल, न टूरिस्टों के रहने के लिए बेहतर इंतजाम, अपनी ग्रामीण पृष्ठभूमि में केवड़िया देश के अन्य छोटे से गांवों की तरह ही एक था। लेकिन आज कुछ ही वर्षों में केवड़िया का कायाकल्प हो चुका है। केवड़िया पहुंचने के लिए चौड़ी सड़के हैं, रहने के लिए पूरा टेंट सिटी है, अन्य अच्छे इंतजाम हैं, बेहतरीन मोबाइल कनेक्टिविटी है, अच्छे अस्पताल हैं, कुछ दिन पहले सी प्लेन की सुविधा शुरू हुई है और आज देश के इतने सारे रेल रूट से केवड़िया एक साथ जुड़ गया है। ये शहर एक तरह से कंप्लीट फैमिली पैकेज के रूप में सेवाएं दे रहा है। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी और सरदार सरोवर बांध की भव्यता, उनकी विशालता का ऐहसास आप केवड़िया पहुंचकर ही कर सकते हैं। अब यहां सैकड़ों एकड़ में फैला सरदार पटेल जूलॉजिकल पार्क है, जंगल सफारी है। एक तरफ आयुर्वेद और योग पर आधारित आरोग्य वन है तो दूसरी तरफ पोषण पार्क है। रात में जगमगाता ग्लो गार्डन है, तो दिन में देखने के लिए कैक्टस गार्डन और बटरफ्लाई गार्डन है। टूरिस्ट को घुमाने के लिए एकता क्रूज है, तो दूसरी तरफ नौजवानों को साहस दिखाने के लिए राफ्टिंग का भी इंतजाम है। यानि बच्चे हों, युवां हों या बुजुर्ग, सभी के लिए बहुत कुछ है। बढ़ते हुए पर्यटन के कारण यहां के आदिवासी युवाओं को रोजगार मिल रहा है, यहां के लोगों के जीवन में तेजी से आधुनिक सुविधाएं पहुंच रही हैं। कोई मैनेजर बन गया है, कोई कैफे ओनर बन गया है, कोई गाइड का काम करने लगा है। मुझे याद है, जब मैं जूलॉजिकल पार्क में पक्षियों के लिए विशेष Aviary Dome गया था, तो वहां एक स्थानीय महिला गाइड ने बहुत विस्तार से मुझे जानकारी दी थी। इसके अलावा केवड़िया की स्थानीय महिलाएं, उनको हैंडीक्राफ्ट के लिए बनाए गए विशेष एकता मॉल में अपने सामान की बिक्री का मौका मिल रहा है। मुझे बताया गया है कि केवड़िया के आदिवासी गांवों में 200 से ज्यादा Rooms की पहचान करके उन्हें टूरिस्ट के Home Stay के तौर पर विकसित किया जा रहा है। + +बीते वर्षों में देश के रेल इंफ्रास्ट्रक्चर को आधुनिक बनाने के लिए जितना काम हुआ है, वो अभूतपूर्व है। आज़ादी के बाद हमारी ज्यादातर ऊर्जा पहले से जो रेल व्यवस्था थी उसको ठीक-ठाक करने या सुधारने में ही लगी रही। उस दौरान नई सोच और नई टेक्नॉलॉजी पर फोकस कम ही रहा। ये अप्रोच बदली जानी बहुत जरूरी थी और इसलिए बीते सालों में देश में रेलवे के पूरे तंत्र में व्यापक बदलाव करने के लिए काम किया। ये काम सिर्फ बजट बढ़ाना-घटाना, नई ट्रेनों की घोषणाएं करना, यहां तक सीमित नहीं रहा। ये परिवर्तन अनेक मोर्चों पर एक साथ हुआ है। अब जैसे, केवड़िया को रेल से कनेक्ट करने वाले इस प्रोजेक्ट का ही उदाहरण देखें तो इसके निर्माण में जैसा अभी विडियो में बताया गया था मौसम ने, कोरोना की महामारी ने, अनेक प्रकार की बाधाएं आईं। लेकिन रिकॉर्ड समय में इसका काम पूरा किया गया और जिस नई निर्माण टेक्नॉलॉजी का इस्तेमाल अब रेलवे कर रही है, उसने इसमें बहुत मदद की। इस दौरान ट्रैक से लेकर पुलों के निर्माण तक, नई तकनीक पर फोकस किया गया, स्थानीय स्तर पर उपलब्ध संसाधनों का उपयोग किया गया। सिग्नलिंग के काम को तेज़ करने के लिए वर्चुअल मोड के ज़रिए टेस्ट किए गए। जबकि पहले की स्थितियों में ऐसी रुकावटें आने पर अक्सर ऐसे प्रोजेक्ट्स लटक जाते थे। + +Dedicated Freight Corridor का प्रोजेक्ट भी हमारे देश में पहले जो तौर-तरीके चल रहे थे, उसका एक उदाहरण ही मान लिजिए। पूर्वी और पश्चिमी डेडिकेटेट फ्रेट कॉरिडोर के एक बड़े सेक्शन का लोकार्पण कुछ ही दिन पहले मुझे करने का मौका मिला। राष्ट्र के लिए बहुत ज़रूरी इस प्रोजेक्ट पर 2006 से लेकर 2014 तक यानि लगभग 8 सालों में सिर्फ कागजों पर ही काम हुआ। 2014 तक एक किलोमीटर ट्रैक भी नहीं बिछाया था। अब अगले कुछ महीनों में कुल मिलाकर के 1100 किलोमीटर का काम पूरा होने जा रहा है। + +आज जब भारतीय रेल के Transformation की तरफ हम आगे बढ़ रहे हैं, तो Highly Skilled Specialist Manpower और Professionals भी बहुत ज़रूरी हैं। वडोदरा में भारत की पहली Deemed Railway university की स्थापना के पीछे यही मकसद है। रेलवे के लिए इस प्रकार का उच्च संस्थान बनाने वाला भारत दुनिया के गिने-चुने देशों में से एक है। रेल ट्रांसपोर्ट हो, मल्टी डिसीप्लिनरी रिसर्च हो, ट्रेनिंग हो, हर प्रकार की आधुनिक सुविधाएं हो, ये सारी चीजें यहां उपलब्ध कराई जा रही हैं। 20 राज्यों के सैकड़ों मेधावी युवा भारतीय रेल के वर्तमान और भविष्य को बेहतर बनाने के लिए खुद को प्रशिक्षित कर रहे हैं। यहां होने वाले Innovations और Research से भारतीय रेल को आधुनिक बनाने में और मदद मिलेगी। भारतीय रेल भारत की प्रगति के ट्रैक को गति देती रहे, इसी कामना के साथ फिर से गुजरात सहित पूरे देश को इन नई रेल सुविधाओं के लिए बहुत-बहुत बधाई। और सरदार साहब को एक भारत-श्रेष्‍ठ भारत का उनका जो सपना था, जब हिन्‍दुस्‍तान के कोने-कोने से स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की इस पवित्र धरा पर देश की भिन्‍न-भिन्‍न भाषाएं, भिन्‍न-भिन्‍न वेश वाले लोगों का आना-जाना बढ़ेगा, तो देश की एकता का वो दृश्‍य एक प्रकार से नित्‍य वहां लघु भारत हमें दिखाई देगा। आज केवड़िया के लिए बड़ा विशेष दिवस है। देश की एकता और अखंडता के जो निरंतर प्रयास चल रहे हैं, उसमें एक नया अध्‍याय है। मैं फिर एक बार सबको बहुत-बहुत बधाई देता हूँ ! + diff --git a/pm-speech/268.txt b/pm-speech/268.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..de39e4b2c112ed400d00e6a4673eac4cea7a2165 --- /dev/null +++ b/pm-speech/268.txt @@ -0,0 +1,28 @@ +युवा ऊर्जा, युवा सपने, कितने अथाह हैं, कितने विशाल हैं, आप सभी उसके बेहतरीन उदाहरण हैं। अभी मैं आप सभी को बहुत ध्यान से सुन रहा था, देख रहा था। ये कॉन्फिडेंस ऐसे ही बने रहना चाहिए। आप सोचिए, कितनी रेंज है स्टार्ट अप्स की। एक start-up कार्बन फाइबर 3D प्रिंटर पर तो दूसरा satellite launch vehicle पर बात कर रहा था। e-toilets से biodegradable PPE किट्स तक और Diabetes की दवाई बनाने से लेकर Brick laying machine और दिव्यांगों के लिए AR technology तक, आपने जो भी अपने start-ups के बारे में बताया, वो इस बात का अनुभव कराते हैं कि आपमें भविष्य को बदलने की कितनी बड़ी शक्ति है। + +एक और बदलाव जो अब दिख रहा है कि, पहले अगर कोई युवा start-up शुरू करता था, तो लोग कहते थे ‘Why don’t you do a job? Why a start-up? लेकिन अब लोग कहते हैं- Job is alright, but why not create your own start-up ! और जो युवा पहले से स्टार्ट अप में हैं, उन्हें देखते ही पहला रिएक्शन होता है- ‘वाह, आपका start-up है’! ये बदलाव BIMSTEC देशों, यानि बंगाल की खाड़ी से विकास की प्रेरणा लेने वाले बांग्लादेश, भूटान, भारत, नेपाल, श्रीलंका, म्यांमार और थाईलैंड की बहुत बड़ी ताकत है। भारत के startups हों, या BIMSTEC देशों के start-ups, एक जैसी ही ऊर्जा दिख रही है। कार्यक्रम में मेरे साथ जुड़ रहे BIMSTEC देशों के माननीय मंत्रीगण, बांग्लादेश से श्री जुनैद अहमद पलक जी, भूटान से लिनपो श्री लोकनाथ शर्मा जी, म्यांमार से ऊ थाऊँग तुन जी, नेपाल से श्री लेखराज भट्ट जी, श्रीलंका से श्री नमल राजपक्षा जी, और बिमस्टेक के सेक्रेटरी जनरल श्री तेनज़िन लेकफेल जी, कैबिनेट में मेरे सहयोगी श्री पीयूष गोयल जी, श्री प्रकाश जावडेकर जी, श्री हरदीप पुरी जी, श्री सोमप्रकाश जी, उद्योग जगत से यहाँ उपस्थित, FICCI के प्रेसिडेंट श्री उदय शंकर जी, श्री उदय कोटक जी, श्री संजीव मेहता जी, डॉ संगीता रेड्डी जी, श्री सुब्रकांत पांडा जी, श्री संदीप सोमानी जी, श्री हर्ष मरीवाला जी, श्री सिंघानिया जी, अन्य सभी महानुभाव और start-up world के मेरे युवा साथियों! + +आज का दिन हम सबके लिए एक साथ कई ‘प्रारम्भ’ का दिन है। आज BIMSTEC नेशन्स की पहली start-up conclave आयोजित हो रही है, आज ‘Start-up India’ movement अपने सफल पाँच साल पूरे कर रहा है, और आज ही भारत ने कोरोना के खिलाफ सबसे ऐतिहासिक, Largest Vaccine Drive प्रारम्भ की है। ये दिन हमारे वैज्ञानिकों, हमारे युवाओं और हमारे उद्यमियों की क्षमताओं और हमारे डॉक्टर्स, नर्सेस, हेल्थ सेक्टर के लोगों के परिश्रम और सेवाभाव का साक्षी है। कोरोना के खिलाफ लड़ाई से लेकर Vaccine बनाने तक, हम सबके जो अनुभव रहे हैं, अपने उन अनुभवों के साथ आज BIMSTEC देशों के हमारे युवा और उद्यमी इस प्रारम्भ summit में शामिल हो रहे हैं। इसलिए, ये summit और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। मुझे बताया गया है कि, इन दो दिनों में आपने कई महत्वपूर्ण चर्चायें कीं, अपनी start-up success stories को साझा किया और आपसी सहयोग के नए अवसर खड़े किए हैं। जिन 12 sectors में start-up awards देश ने शुरू किए थे, उनके विजेताओं की घोषणा भी गई है। आप सभी को इन अवार्ड्स की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। + +इसीलिए, मैंने 2018 में BIMSTEC summit में कहा था कि हम सभी देश technology और innovation के क्षेत्र में एक साथ आएंगे। मैंने BIMSTEC Start Up Conclave की भी बात की थी। इसी संकल्प को पूरा करने के लिए आज हम सभी देश Startup India International conclave के इस platform पर इकट्ठा हुये हैं। सभी BIMSTEC देश आपसी connectivity बढ़ाने और व्यापारिक रिश्तों को गति देने के लिए पहले से ही लगातार काम कर रहे हैं। 2018 में BIMSTEC ministers ने डिजिटल connectivity बढ़ाने के लिए India mobile congress में हिस्सा लिया था। इसी तरह, हम रक्षा के क्षेत्र में, आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में, स्पेस के क्षेत्र में, पर्यावरण के क्षेत्र में और कृषि, व्यापार के क्षेत्र में भी मिलकर काम कर रहे हैं। हमारे ये सभी क्षेत्र जितने मजबूत होंगे, जितने आधुनिक बनेंगे, उतना ही फायदा हमारे startups को होगा। ये एक value creation cycle है। यानी, हम इंफ्रास्ट्रक्चर, एग्रीकल्चर और बिज़नेस जैसे क्षेत्रों में अपने सम्बन्धों को मजबूत कर रहे हैं, इससे हमारे startups के लिए नए अवसर पैदा हो रहे हैं। और जितना हमारे startups मजबूत होंगे, हमारे सभी sectors में विकास उतनी ही रफ्तार पकड़ेगा। + +व्यक्तिगत रूप से यहाँ सभी startups अपने अनुभवों को एक दूसरे से share कर ही रहे हैं। लेकिन बदलाव की इतनी बड़ी यात्रा में हर देश के भी अपने अनुभव होते हैं। भारत ने अपने 5 साल के अनुभवों को साझा करने के लिए ‘Evolution of Startup India’ नाम से एक booklet भी आज जारी की है। मैं चाहता हूँ, ऐसे ही हर BIMSTEC देश भी समय-समय पर अपने अनुभवों को एक दूसरे से साझा करे। आपके ये अनुभव हम सबको सीखने में मदद करेंगे। उदाहरण के तौर पर, भारत की 5 साल की स्टार्ट अप यात्रा को देखिए। जब Startup India mission की शुरुआत की गयी थी, तो हमारे सामने भी कई चुनौतियाँ थीं। लेकिन आज भारत दुनिया के सबसे बड़े startup ecosystem में से एक है। आज 41 हजार से ज्यादा startups हमारे देश में किसी न किसी अभियान में लगे हुए हैं। इनमें से 5700 से ज्यादा startups IT sector में हैं, 3600 से ज्यादा Startups health sector में बने हैं, तो करीब 1700 startups एग्रीकल्चर सेक्टर में आए हैं। + +ये startups आज business की demographic characteristic भी बदल रहे हैं। आज भारत में 44 प्रतिशत recognized startups, उसमें महिलाएं डाइरेक्टर हैं, और बड़ी संख्या में महिलाएं इनमें काम भी कर रही हैं। आज सामान्य आर्थिक background से आने वाले युवा भी अपनी प्रतिभा, अपनी सोच को जमीन पर उतार पा रहे हैं। इसके परिणाम भी आज हमारे सामने हैं। 2014 में भारत के केवल 4 startup unicorn club में थे, लेकिन आज 30 से ज्यादा startups, 1 billion मार्क को पार कर चुके हैं। आपको हैरानी होगी, इसमें भी हमारे 11 startups साल 2020 में यूनिकॉर्न क्लब में शामिल हुये हैं। यानी, कोरोनाकाल के इस कठिन वर्ष में! + +भारत ने महामारी के मुश्किल समय में ही ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान भी शुरू किया। इसमें भी हमारे startups आज बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। महामारी के दौरान जब दुनिया की बड़ी-बड़ी कंपनियाँ अपने survival के लिए संघर्ष कर रही थीं, भारत में startups की एक नई फौज तैयार हो रही थी। देश में sanitizers से लेकर PPE किट्स की जरूरत थी, supply chains की जरूरत थी, उसमें हमारे startups ने बड़ी भूमिका निभाई। लोकल जरूरतों के लिए लोकल startups खड़े हुये। एक स्टार्ट अप ने ग्राहकों को रसोई का जरूरी सामान पहुंचाने का काम किया, तो किसी ने दवाओं की doorstep delivery शुरू करवाई। किसी startup ने frontline workers के लिए transportation के संसाधन उपलब्ध करवाए, तो दूसरे ने online study material तैयार किए। यानि, इन स्टार्टअप्स ने ‘आपदा में अवसर’ भी खोजा, और विपदा में विश्वास भी बांधा। + +आज startups की सफलता की ये कहानियाँ केवल बड़े शहरों तक ही सीमित नहीं हैं। आप देखिए, आज 8 अवार्ड्स तो ऐसे startups को मिले हैं जो metro cities में नहीं, बल्कि छोटे-छोटे शहरों में खड़े हुये हैं। कोई लखनऊ से है, कोई भोपाल से है, कोई सोनीपत से है, तो कोई कोच्चि और तिरुवनन्तपुरम से है। क्योंकि आज भारत का हर राज्य Startup India mission में भागीदार है। हर राज्य अपनी लोकल संभावनाओं के हिसाब से startups को support और incubate कर रहा है। और इसी का परिणाम है कि, आज भारत के 80 प्रतिशत जिले startup movement से जुड़ चुके हैं। हमारे 45 प्रतिशत startups आज tier-2 और tier-3 शहरों में आते हैं, जोकि लोकल products के ब्रांड एंबेसडर की तरह काम कर रहे हैं। + +आज लोगों में स्वास्थ्य और खानपान को लेकर जो जागरूकता बढ़ी है, जो healthy बदलाव हो रहे हैं, उसमें भी startups के लिए नए अवसर बन रहे हैं। एक तरह से आज अगर कोई evergreen sector है तो वो food and agriculture sector ही है। भारत में इन सेक्टर्स की ग्रोथ पर विशेष जोर दिया जा रहा है। Agriculture से जुड़े infrastructure को आधुनिक बनाने के लिए देश ने एक लाख करोड़ का Agri Infra fund भी बनाया है। इससे हमारे start-ups के लिए नए रास्ते खुले हैं। आज startups किसानों के साथ collaboration कर रहे हैं। Farm से Table तक खाद्य उत्पाद और आसानी से, बेहतर क्वालिटी के साथ पहुंचे, इसमें भी startups अपनी भूमिका निभा रहे हैं। + +हमारे Start-up world की सबसे बड़ी USP है- उनकी Disruption and Diversification capacity. Disruption इसलिए, क्योंकि ये Start-ups आज नई approach, नई technology, और नए तौर तरीकों को जन्म दे रहे हैं। एक ही पटरी पर चलते जाने की जो सोच थी, हमारे start-ups उसको बदल रहे हैं। और दूसरा है diversification. आप देखिए, आज कितने सारे start-ups आ रहे हैं, और सब अलग-अलग ideas के साथ। ये startups हर sector में हैं, हर sector में एक नई क्रांति कर रहे हैं। आज हमारे startups का जो scale है, जो substance है वो अभूतपूर्व है। और सबसे बड़ी बात, इन startups को pragmatism से भी ज्यादा passion गाइड कर रहा है। जब भी किसी क्षेत्र में नई चुनौती आती है, तो कोई न कोई startups सामने आता है और कहता है कि ये काम हम करेंगे। भारत भी आज इसी startup spirit से काम कर रहा है। पहले जब भी कोई नई परिस्थिति आती थी, जब भी कुछ नया करना होता था तो पूछा जाता था कि ‘Who will do it’? लेकिन आज देश खुद ये कहता है कि ‘We will do it’. डिजिटल पेमेंट्स हो, सोलर सैक्टर का निर्माण हो, या AI revolution हो, देश ने पूछा नहीं कि ‘Who will do it’? देश ने तय किया- ‘We will do it’. और रिजल्ट्स आज हम सबके सामने हैं। आज BHIM UPI ने पेमेंट सिस्टम को revolutionize कर दिया है। दिसंबर में ही भारत में 4 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का ट्रांजेक्शन, UPI के माध्यम से हुआ है। सोलर sectors में भारत दुनिया का नेतृत्व करने की ओर बढ़ रहा है। अभी हाल के ही एक अध्ययन के मुताबिक दुनिया के बड़े देशों के मुक़ाबले भारत में AI का इस्तेमाल भी काफी तेजी से बढ़ा है। + +जैसे startups किसी भी क्षेत्र में barriers को तोड़कर समाधान देते हैं, वैसे ही भारत आज हर क्षेत्र में पुराने barriers तोड़ रहा है। आज देश में गरीबों को, किसानों को, छात्रों को आर्थिक सहायता DBT के जरिए, direct benefit transfer के जरिए सीधे उनके खातों में मिल रही है। इससे सामान्य मानवी को परेशानियों से भी छुटकारा मिला है, और देश के करीब पौने दो लाख करोड़ रुपए का लीकेज भी रुका है। इसी तरह आज सरकार से जुड़ी हुई, बैंकिंग सैक्टर से जुड़ी ज्यादा सेवाएँ डिजिटल इंडिया ने सीधे मोबाइल में ही दे दी हैं। देश में ये बदलाव हमारे startups खुद भी महसूस कर रहे हैं। + +आज GeM पोर्टल के जरिए सरकारी टेंडर्स में एक startup को भी उतना ही मौका मिल रहा है जितना किसी बड़ी कंपनी को। अब तक करीब 8 हजार startups GeM पोर्टल पर रजिस्टर हो चुके हैं, और इन्होंने लगभग 2300 करोड़ रुपए का व्यापार भी किया है। GeM पोर्टल पर कुल व्यापार आज लगभग 80 हजार करोड़ रुपए तक पहुँच रहा है। आने वाले समय में इसमें startups की हिस्सेदारी और भी बढ़ेगी। ये पैसा हमारे startups के पास पहुंचेगा तो लोकल manufacturing भी बढ़ेगी, बड़ी संख्या में युवाओं को रोजगार भी मिलेगा, और startups research और innovation में भी और ज्यादा invest करेंगे। + +हमारे Startups को पूंजी की कमी न हो, इसके लिए देश ने अनेक कदम उठाए हैं। इसी कड़ी में एक और अहम घोषणा मैं आज इस कार्यक्रम में कर रहा हूं। Startups को शुरुआती पूंजी उपलब्ध कराने के लिए देश एक हजार करोड़ रुपए का Startup India seed fund launch कर रहा है। इससे नए startups शुरू करने, और grow करने में मदद मिलेगी। Fund of funds scheme के जरिए startups को equity capital raise करने में पहले से ही मदद की जा रही है। आगे, सरकार startups को गारंटीज़ के जरिए debt capital raise करने में भी मदद करेगी। + +भारत एक ऐसा startup ecosystem बनाने का प्रयास कर रहा है जिसका आधार स्तंभ Of the Youth, by the Youth, for the Youth का मंत्र हो। Startup India अभियान के जरिए हमारे युवाओं ने इन 5 सालों में इसकी मजबूत नींव तैयार की है। अब हमें अगले 5 सालों का लक्ष्य तय करना है। और ये लक्ष्य होना चाहिए कि हमारे startups, हमारे unicorns अब global giants के तौर पर उभरें। Futuristic technologies में हमारे startups lead करें। ये संकल्प हम सभी BIMSTEC देशों का सामूहिक संकल्प हों तो बहुत बड़ी आबादी को इसका लाभ मिलेगा, सभी देशों के लोगों का जीवन और बेहतर होगा। मैं जब BIMSTEC से जुड़े साथी देशों के स्टार्ट अप्स की Success stories देखता हूं, सुनता हूं, तो मेरी खुशी और बढ़ जाती है। मेरी BIMSTEC देशों के सभी स्टार्ट-अप्स को बहुत-बहुत शुभकामनाएं हैं। मुझे विश्वास है, इस नए दशक में हम सब साथ मिलकर इस पूरे क्षेत्र में स्टार्ट-अप्स को नई पहचान दिलाएंगे, BIMSTEC देशों के स्टार्ट अप्स की ताकत का ऐहसास पूरे विश्व को कराएंगे। इन्हीं शुभकामनाओं के साथ, आप सभी का बहुत–बहुत धन्यवाद और आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं। + diff --git a/pm-speech/270.txt b/pm-speech/270.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..bf7a7fd1b704c5b433405cd4196971356de0d896 --- /dev/null +++ b/pm-speech/270.txt @@ -0,0 +1,22 @@ +साल 2020 में संक्रमण की निराशा थी, चिंताए थी, चारो तरफ सवालिया निशान थे 2020 की वो पहचान बन गई लेकिन 2021 इलाज की आशा लेकर आ रहा है। वैक्सीन को लेकर भारत में हर ज़रूरी तैयारियां चल रही हैं। भारत में बनी वैक्सीन तेज़ी से हर ज़रूरी वर्ग तक पहुंचे, इसके लिए कोशिशें अंतिम चरणों में हैं। दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान चलाने के लिए भारत की तैयारी जोरों पर है।मुझे विश्वास है कि जिस तरह बीते साल संक्रमण से रोकने के लिए हमने एकजुट होकर प्रयास किए, उसी तरह टीकाकरण को सफल बनाने के लिए भी पूरा भारत एकुजटता से आगे बढ़ेगा। + +साल 2014 से पहले हमारा हेल्थ सेक्टर अलग-अलग दिशा में, अलग-अलग अप्रोच के साथ काम कर रहा था। प्राइमरी हेल्थकेयर का अपना सिस्टम था। गांवों में सुविधाएं न के बराबर थीं। हमने हेल्थ सेक्टर में हॉलिस्टिक तरीके से काम करना शुरू किया। हमने जहां एक तरफ प्रिवेंटिव केयर पर बल दिया वहीं इलाज की आधुनिक सुविधाओं को भी प्राथमिकता दी। हमने जहां गरीब का इलाज पर होने वाला खर्च कम किया, वहीं इस बात पर भी जोर दिया कि डॉक्टरों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो। + +आयुष्मान भारत योजना के तहत देशभर के दूर-दराज के इलाकों में लगभग डेढ़ लाख हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर बनाने के लिए काम तेजी से चल रहा है। अभी तक इनमें से 50 हज़ार सेंटर सेवा देना शुरु भी कर चुके हैं, जिसमें लगभग 5 हज़ार गुजरात में ही हैं। इस योजना से अब तक देश के करीब डेढ़ करोड़ गरीबों को 5 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज मिला है। इस योजना ने गरीब भाई-बहनों की कितनी बड़ी मदद की है उसके लिए एक आंकड़ा में देश को बताना चाहता हूं। + +आयुष्मान भारत योजना से गरीबों के लगभग 30 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा  बचे हैं। 30 हजार करोड़ रुपए ये बहुत बड़ी रकम है।  आप सोचिए, इस योजना ने गरीबों को कितनी बड़ी आर्थिक चिंता से मुक्त किया है। कैंसर हो, हार्ट की प्रॉबलम हो, किडनी की परेशानी हो, अनेकों गंभीर बीमारियों का इलाज, मेरे देश के गरीबों ने मुफ्त कराया है और वी भी अच्छे अस्पतालों में। + +बीमारी के दौरान, गरीबों का एक और साथी  हैं- जन औषधि केंद्र। देश में लगभग 7 हजार जन औषधि केंद्र, गरीबों को बहुत ही कम कीमत पर दवाइयां उपलब्ध करा रहे हैं। इन जन औषधि केंद्रों पर दवाइयां करीब-करीब 90 प्रतिशत तक सस्ती होती हैं। यानि सौ रुपए की दवाई दस रुपए में मिलती है। साढ़े 3 लाख से ज्यादा गरीब मरीज, हर रोज इन जन औषधि केंद्रों का लाभ ले रहे हैं और इन केंद्रों की सस्ती दवाइयों की वजह से गरीबों के हर साल औसतन 3600 करोड़ रुपए खर्च होने से बच रहे हैं। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि कितनी बड़ी मदद हो रही है। वैसे कुछ लोगों के मन में सवाल उठ सकता है कि आखिर सरकार इलाज का खर्च कम करने, दवाइयों पर होने वाले खर्च को कम करने पर इतना जोर क्यों दे रही है? + +अपने स्वास्थ्य की सुरक्षा का ऐहसास, इलाज के लिए पैसे की उतनी चिंता का न होना, इसने समाज की सोच को बदल दिया है और हम इसके नतीजे भी देख रहे हैं। आज Health और Wellness को लेकर एक सतर्कता आई है, गंभीरता आई है। और ये सिर्फ शहरों में हो रहा हो, ऐसा नहीं है। दूर-सुदूर हमारे देश के गांवों में भी ये जागरूकता हम देख रहे हैं।व्यवहार में परिवर्तन के ऐसे उदाहरण अन्य क्षेत्रों में भी नजर आ रहे हैं। जैसे शौचालयों की उपलब्धता ने, लोगों को स्वच्छता के लिए और जागरूक किया है। हर घर जल अभियान लोगों को स्वच्छ पानी सुनिश्चित कर रहा है, पानी से होने वाली बीमारियों को कम कर रहा है। रसोई में गैस पहुंचने के बाद न सिर्फ हमारी बहनों-बेटियों का स्वास्थ्य सुधर रहा है बल्कि पूरे परिवार में एक सकारात्मक सोच आई है। ऐसे ही प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान ने गर्भवती महिलाओं को रेगुलर चेक-अप के लिए प्रोत्साहित किया है। और चैक-अप के कारण उनको पहले से गंभीरता की तरफ इंगित कर दिया जाता इसका लाभ ये हो रहा है कि गर्भावस्था के दौरान जो कॉम्प्लीकेटेड केसेस होते हैं, वो जल्दी पकड़ में आते हैं और उनका समय पर इलाज भी होता है। वहीं प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के द्वारा ये सुनिश्चित किया जा रहा है कि गर्भवती महिलाओं को पर्याप्त पोषण मिले, देखभाल मिले। पोषण अभियान ने भी उनमें जागरूकता बढ़ाई है।इन सारे प्रयासों का एक बहुत बड़ा लाभ ये मिला है कि देश में माता मृत्यु दर पहले के मुकाबले काफी कम हो रहा है। + +सिर्फ Outcome- परिणाम पर ही फोकस करना काफी नहीं होता है। Impact- महत्वपूर्ण है, लेकिन implementation भी उतना ही महत्वपूर्ण है और इसलिए, मैं समझता हूं कि व्यवहार में व्यापक परिवर्तन लाने के लिए हमें सबसे पहले प्रक्रिया में सुधार करना आवश्यक होता है। बीते वर्षों में देश ने इस पर बहुत जोर दिया गया है। इसका नतीजा ये है हम देख रहे हैं कि देश हेल्थ सेक्टर में जहां जमीनी स्तर पर बदलाव आ रहा है, और लोगों को जो सबसे बड़ी चीज मिली है वो है ACCESS, स्वास्थ्य सुविधाओं तक उनकी पहुंच। और मैं स्वास्थ्य और शिक्षा के एक्सपर्ट्स से आज ये भी आग्रह करूंगा कि वो सरकार की इन योजनाओं का, बेटियों की एजुकेशन पर जो प्रभाव पड़ा है, उसका जरूरत अध्ययन करें। ये योजनाएं, ये जागरूकता, एक बड़ी वजह है जो स्कूलों में बेटियों के ड्रॉपआउट रेट में कमी ला रही है। + +देश में मेडिकल एजुकेशन को बढ़ावा देने के लिए भी मिशन मोड पर काम चल रहा है। मेडिकल एजुकेशन की मैनेजमेंट से जुड़ी संस्थाओं में रिफॉर्म्स किए। पारंपरिक भारतीय चिकित्सा से जुड़ी शिक्षा में भी ज़रूरी रिफॉर्म्स किए। नेशनल मेडिकल कमीशन बनने के बाद हेल्थ एजुकेशन में क्वालिटी भी बेहतर होगी और क्वांटिटी को लेकर भी प्रगति होगी। ग्रेजुएट्स के लिए National Exit Test उसके साथ-साथ 2 साल का Post MBBS Diploma हो, या फिर पोस्ट ग्रेजुएट डॉक्टर्स के लिए District Residency स्कीम हो,ऐसे नए कदमों से ज़रूरत और गुणवत्ता दोनों स्तर पर काम किया जा रहा है। + +लक्ष्य ये है कि हर राज्य तक AIIMS पहुंचे और हर 3 लोकसभा क्षेत्र के बीच में एक मेडिकल कॉलेज ज़रूर हो।  इन्हीं प्रयासों का परिणाम है कि बीते 6 साल में MBBS में 31 हज़ार नई सीटें और पोस्ट ग्रेजुएट में 24 हज़ार नई सीटें बढ़ाई गई हैं। साथियों, हेल्थ सेक्टर में भारत जमीनी स्तर पर बड़े परिवर्तन की ओर बढ़ रहा है। अगर 2020 health challenges का साल था, तो 2021 health solutions का साल होने वाला है। 2021 में विश्व, स्वास्थ्य को लेकर और ज्यादा जागरूक होकर समाधानों की तरफ बढ़ेगा। भारत ने भी जिस तरह 2020 में health challenges से निपटने में अपना योगदान दिया है, वो दुनिया ने देखा है। मैंने शुरू में इसका जिक्र भी किया है। + +भारत के ये योगदान 2021 में health solutions के लिए, solutions की scaling के लिए महत्वपूर्ण होने वाला है। भारत, Future of health और health of future, दोनों में ही सबसे महत्वपूर्ण रोल निभाने जा रहा है। यहाँ दुनिया को competent medical professionals भी मिलेंगे, उनका सेवा भाव भी मिलेगा। यहाँ, दुनिया को mass immunization का experience भी मिलेगा और expertise भी मिलेगी। यहाँ दुनिया को health solutions और technology को integrate करने वाले startups और startup ecosystem भी मिलेगा। ये Startups healthcare को accessible भी बना रहे हैं और health outcomes को improve भी कर रहे हैं। + +आज हम सब ये देख रहे हैं कि बीमारियाँ अब कैसे globalised हो रही हैं। इसलिए, ये समय है कि health solutions भी globalised हों, दुनिया एक साथ आकर प्रयास करे, respond करे। आज अलग-थलग प्रयास, silos में काम करना, ये रास्ता काम आने वाला नहीं है। रास्ता है सबको साथ लेकर चलना, सबके लिए सोचना और भारत आज एक ऐसा ग्लोबल प्लेयर है जिसने ये करके दिखाया है। भारत ने demand के मुताबिक ‘Adapt, Evolve and Expand’करने की अपनी क्षमता को साबित किया है। हम दुनिया के साथ आगे बढ़े, collective efforts में value addition किया, और हर चीज से ऊपर उठकर हमने सिर्फ मानवता को केंद्र में रखा, मानवता की सेवा की। आज भारत के पास क्षमता भी है, और सेवा की भावना भी है। इसीलिए, भारत ग्लोबल हैल्थ का nerve centre बनकर उभर रहा है। 2021 में हमें भारत की इस भूमिका को और मजबूत करना है। + diff --git a/pm-speech/271.txt b/pm-speech/271.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..975f27ee68e1b3eec9a1401522894dcc61fc0dbf --- /dev/null +++ b/pm-speech/271.txt @@ -0,0 +1,16 @@ +आज जब खुर्जा-भाउ पर Freight Corridor रूट पर जब पहली मालगाड़ी दौड़ी, तो उसमें नए भारत की, आत्मनिर्भर भारत की गूंज और गर्जना स्पष्ट सुनाई दी। प्रयागराज में Operation Control Centre भी नए भारत के नए सामर्थ्य का प्रतीक है। ये दुनिया के बेहतरीन और आधुनिक कंट्रोल सेंटर में से एक है। और ये सुनकर किसी को भी गर्व होगा कि इसमें मैनेजमेंट और डेटा से जुड़ी जो technology है, वो भारत में ही तैयार की गई है, भारतीयों ने ही उसको तैयार किया है। + +इंफ्रास्ट्रक्चर किसी भी राष्ट्र के सामर्थ्य का सबसे बड़ा स्रोत होता है। Infrastructure में भी connectivity राष्ट्र की नसें होती हैं, नाड़ियां होती हैं। जितनी बेहतर ये नसें होती हैं, उतना ही स्वस्थ और सामर्थ्यवान कोई राष्ट्र होता है। आज जब भारत दुनिया की बड़ी आर्थिक ताकत बनने के रास्ते की तरफ तेज़ी से आगे बढ़ रहा है, तब बेहतरीन connectivity देश की प्रथामिकता है। इसी सोच के साथ बीते 6 सालों से भारत में आधुनिक connectivity के हर पहलू पर focus के साथ काम किया जा रहा है। हाइवे हो, रेलवे हो, एयरवे हो, वॉटरवे हो या फिर आईवे- आर्थिक रफ्तार के लिए ज़रूरी इन पांचों पहियों को ताकत दी जा रही है, गति दी जा रही है। Eastern Dedicated Freight Corridor के एक बड़े सेक्शन का लोकार्पण भी इसी दिशा में बहुत बड़ा कदम है। + +इसी स्थिति को बदलने के लिए फ्रेट कॉरीडोर की योजना बनाई गई। शुरू में 2 Dedicated Freight Corridor तैयार करने की योजना है। पूर्वी Dedicated Freight Corridor पंजाब के औद्योगिक शहर लुधियाना को पश्चिम बंगाल के दानकुनी से जोड़ रहा है। सैकड़ों किलोमीटर लंबे इस रूट में कोयला खानें हैं, थर्मल पावर प्लांट हैं, औद्योगिक शहर हैं। इनके लिए फीडर मार्ग भी बनाए जा रहे हैं। वहीं पश्चिमी Dedicated Freight Corridor महाराष्ट्र में JNPT को उत्‍तर प्रदेश के दादरी से जोड़ता है। लगभग 1500 किलोमीटर के इस कॉरिडोर में गुजरात के मुंद्रा, कांडला, पिपावाव, दहेज और हजीरा के बड़े बंदरगाहों के लिए फीडर मार्ग होंगे। इन दोनों Freight Corridor के इर्द गिर्द दिल्ली-मुंबई Industrial Corridor और अमृतसर-कोलकाता Industrial Corridor भी विकसित किए जा रहे हैं। इसी तरह उत्तर को दक्षिण से और पूर्व को पश्चिम से जोड़ने वाले ऐसे विशेष रेल कॉरिडोर से जुड़ी ज़रूरी प्रक्रियाएं पूरी की जा रही हैं। + +मालगाड़ियों के लिए बनी इस प्रकार की विशेष सुविधाओं से एक तो भारत में यात्री ट्रेन की लेट-लतीफी की समस्या कम होगी। दूसरा ये कि इससे मालगाड़ी की स्पीड भी 3 गुणा से ज्यादा हो जाएगी और मालगाड़ियां पहले से दोगुना तक सामान की ढुलाई कर पाएंगी। क्योंकि इन ट्रैक पर डबल डैकर यानि डिब्बे के ऊपर डिब्बा, ऐसी मालगाड़ियां चलाई जा सकेंगी। मालगाड़ियां जब समय पर पहुंचेंगी तो हमारा Logistics Network सस्ता होगा। हमारा सामान पहुंचाने का जो  खर्च है वो कम होने के कारण हमारा सामान सस्ता होगा, जिसका हमारे निर्यात को लाभ होगा। यही नहीं देश में उद्योग के लिए बेहतर माहौल बनेगा, Ease of Doing business बढ़ेगी, निवेश के लिए भारत और आकर्षक बनेगा। देश में रोज़गार के, स्वरोज़गार के अनेक नए अवसर भी तैयार होंगे। + +इस Dedicated Freight Corridor का लाभ किसान रेल को भी होने वाला है। कल ही देश में सौवीं किसान रेल की शुरुआत की गई है। किसान रेल से वैसे भी खेती से जुड़ी उपज को देशभर के बड़े बाज़ारों में सुरक्षित और कम कीमत पर पहुंचाना संभव हुआ है। अब नए फ्रेट कॉरिडोर में किसान रेल और भी तेज़ी से अपने गंतव्य पर पहुंचेगी। उत्तर प्रदेश में भी किसान रेल से अनेक स्टेशन जुड़ चुके हैं और इनमें लगातार बढ़ोतरी की जा रही है। उत्तर प्रदेश के रेलवे स्टेशनों के पास भंडारण और cold storage की capacity भी बढ़ाई जा रही है। यूपी के 45 माल गोदामों को आधुनिक सुविधाओं से युक्त किया गया है। इसके अलावा राज्य में 8 नए Goods Shed भी बनाए गए हैं। वहीं उत्तर प्रदेश में वाराणसी और गाज़ीपुर में दो बड़े Perishable Cargo Center पहले ही किसानों को सेवा दे रहे हैं। इनमें बहुत ही कम दरों पर किसान फल-सब्जियों जैसी जल्दी खराब होने वाली अपनी उपज स्टोर कर सकते हैं। + +इंफ्रास्ट्रक्चर पर राजनीतिक उदासीनता का नुकसान सिर्फ फ्रेट कॉरिडोर को ही नहीं उठाना पड़ा। पूरा रेलवे से जुड़ा सिस्टम ही इसका बहुत बड़ा भुक्तभोगी रहा है। पहले फोकस ट्रेनों की संख्या बढ़ाने पर रहता था, ताकि चुनाव में उसका लाभ मिल सके। लेकिन जिस पटरियों पर ट्रेन को चलना था, उन पर निवेश नहीं किया जाता था। रेल नेटवर्क के आधुनिकीकरण को लेकर वो गंभीरता ही नहीं थी। हमारी ट्रेनों की स्पीड बहुत कम थी और पूरा नेटवर्क जानलेवा मानवरहित फाटकों से भरा हुआ था। + +हमने 2014 के बाद इस कार्यशैली को बदला, इस सोच को बदला। अलग से रेल बजट की व्यवस्था को खत्म करते हुए, हमने ऐलान करके भूल जाने वाली राजनीति को बदला। हमने rail track पर निवेश किया। रेलवे नेटवर्क को हजारों मानवरहित फाटकों से मुक्त किया। railway track को तेज़ गति से चलने वाली ट्रेनों के लिए तैयार किया। रेल नेटवर्क के चौड़ीकरण और बिजलीकरण दोनों पर focus किया। आज वंदे भारत एक्सप्रेस जैसी, सेमी हाई-स्पीड ट्रेनें भी चल रही हैं और भारतीय रेल पहले से कहीं अधिक सुरक्षित भी हुई है। + +बीते सालों में रेलवे में हर स्तर पर रिफॉर्म्स किए गए हैं। रेलवे में स्वच्छता हो, बेहतर खाना-पीना हो या फिर दूसरी सुविधाएं, फर्क आज साफ नज़र आता है। इसी तरह, रेलवे से जुड़ी manufacturing में भारत ने आत्मनिर्भरता की बहुत बड़ी छलांग लगाई है। भारत आधुनिक ट्रेनों का निर्माण अब अपने लिए भी कर रहा है और निर्यात भी कर रहा है। यूपी की ही बात करें तो वाराणसी स्थित लोकोमोटिव वर्क्‍स, भारत में इलेक्ट्रिक इंजन बनाने वाला बड़ा सेंटर बन रहा है। रायबरेली की मॉडर्न कोच फैक्ट्री को भी बीते 6 सालों में डेंटिंग-पैंटिंग की भूमिका से हम बाहर निकालकर लाए हैं। यहां अब तक 5 हज़ार से ज्यादा नए रेल कोच बन चुके हैं। यहां बनने वाले रेल कोच अब विदेशों को भी निर्यात किए जा रहे हैं। + diff --git a/pm-speech/272.txt b/pm-speech/272.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..3a392b68dc1a5680388b4d8ac5f4403231633687 --- /dev/null +++ b/pm-speech/272.txt @@ -0,0 +1,20 @@ +मुझे आज से लगभग तीन साल पहले मैजेंटा लाइन के उद्घाटन का सौभाग्य मिला था। आज फिर, इसी रूट पर देश की पहली पूरी तरह से Automated Metro, जिसको हम बोलचाल की भाषा में 'ड्राइवरलेस मेट्रो' भी कहते हैं, इसका उद्घाटन करने का अवसर मिला। ये दिखाता है कि भारत कितनी तेज़ी से स्मार्ट सिस्टम की तरफ आगे बढ़ रहा है। आज National Common Mobility Card, इससे भी दिल्ली मेट्रो जुड़ रही है। पिछले साल अहमदाबाद से इसकी शुरुआत हुई थी। आज इसका विस्तार दिल्ली मेट्रो की एयरपोर्ट एक्सप्रेस लाइन में हो रहा है। आज का ये आयोजन Urban development को urban ready और future ready करने का प्रयास है।  + +इस सोच से अलग, आधुनिक सोच ये कहती है शहरीकरण को चुनौती ना मानकर एक अवसर की तरह इस्तेमाल किया जाए। एक ऐसा अवसर जिसमें हम देश में बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर बना सकते हैं। एक ऐसा अवसर जिससे हम Ease of Living बढ़ा सकते हैं। सोच का ये अंतर शहरीकरण के हर आयाम में दिखता है। देश में मेट्रो रेल का निर्माण भी इसका एक उदाहरण है। दिल्ली में ही मेट्रो की चर्चा बरसों तक चली। लेकिन पहली मेट्रो चली अटल जी के प्रयासों से। यहां जो मेट्रो सर्विस के इतने experts इस कार्यक्रम में जुड़े हैं। वो भी इसे भली-भांति जानते हैं कि मेट्रो निर्माण की क्या स्थिति थी। + +साल 2014 में जब हमारी सरकार बनी, उस समय सिर्फ 5 शहरों में मेट्रो रेल थी। आज 18 शहरों में मेट्रो रेल की सेवा है। वर्ष 2025 तक हम इसे 25 से ज्यादा शहरों तक विस्तार देने वाले हैं। साल 2014 में देश में सिर्फ 248 किलोमीटर मेट्रो लाइन्स आपरेशनल थीं। आज ये करीब तीन गुनी यानी सात सौ किलोमीटर से ज्यादा है। वर्ष 2025 तक हम इसका विस्तार 1700 किलोमीटर तक करने का प्रयास कर रहे हैं। साल 2014 में मेट्रो पर सवारी करने वालों की संख्या 17 लाख प्रतिदिन थी। अब ये संख्या पांच गुना बढ़ गयी है। अब 85 लाख लोग हर दिन मेट्रो से सवारी करते हैं। याद रखिए ये सिर्फ आंकड़े नहीं हैं ये करोड़ों भारतीयों के जीवन में आ रही Ease of Living के प्रमाण हैं। ये सिर्फ ईंट पत्थर, कंक्रीट और लोहे से बने Infrastructure नहीं हैं बल्कि देश के नागरिकों, देश के मिडिल क्लास की आकांक्षा पूरा होने के साक्ष्य हैं। + +मेट्रो लाइट- उन शहरों में जहां यात्री संख्या कम है वहां मेट्रो लाइट वर्जन पर काम हो रहा है। ये सामान्य मेट्रो की 40 प्रतिशत लागत से ही तैयार हो जाती है। मेट्रो नियो – जिन शहरों में सवारियां और भी कम है वहां पर मेट्रो नियो पर काम हो रहा है। ये सामान्य मेट्रो की 25 प्रतिशत लागत से ही तैयार हो जाती है। इसी तरह है वॉटर मेट्रो- ये भी आउट ऑफ द बॉक्स सोच का उदाहरण है। जिन शहरों में बड़ी वाटर बॉडीज हैं वहां के लिए अब वॉटर मेट्रो पर काम किया जा रहा है। इससे शहरों को बेहतर कनेक्टिविटी के साथ ही, उनके पास मौजूद द्वीपों के लोगों को Last Mile connectivity का लाभ मिल सकेगा। कोच्चि में यह काम तेजी से चल रहा है। और + +मेट्रो सर्विसेस के विस्तार के लिए, मेक इन इंडिया भी उतना ही महत्वपूर्ण है। Make In India से लागत कम होती है, विदेशी मुद्रा बचती है, और देश में ही लोगों को ज्यादा से ज्यादा रोजगार मिलता है। रोलिंग स्टॉक के मानकीकरण से जहां भारतीय Manufacturers को फायदा हुआ है वहीं हर कोच की लागत अब 12 करोड़ से घटकर 8 करोड़ पहुंच गयी है।  + +आधुनिक से आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल ये समय की मांग है। अभी मुझे बिना ड्राइवर के चलनी वाले मेट्रो रेल का उद्घाटन करने का अवसर मिला है। आज इस उपलब्धि के साथ ही हमारा देश दुनिया के उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है जहां इस तरह की सुविधा है। हम ऐसे ब्रेकिंग सिस्टम का भी प्रयोग कर रहे हैं जिनमें ब्रेक लगाने पर 50 प्रतिशत उर्जा वापस ग्रिड में चली जाती है। आज मेट्रो रेल में 130 मेगावाट सोलर पावर का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसे बढ़ाकर 600 मेगावाट तक ले जाया जाएगा। Artificial Intelligence से लैस प्लैटफॉर्म्स और स्क्रीनिंग दरवाजे, इन आधुनिक तकनीकों पर भी काम तेजी से चल रहा है। + +आधुनिकीकरण के लिए एक ही तरह के मानक और सुविधाएं उपलब्ध कराना बहुत जरूरी है। राष्ट्रीय स्तर पर Common Mobility Card इसी दिशा में एक बड़ा कदम है। कॉमन मोबिलिटी कार्ड का लक्ष्य बिल्कुल स्पष्ट है। आप जहां कहीं से भी यात्रा करें, आप जिस भी public transport से यात्रा करें, ये एक कार्ड आपको integrated access देगा। यानी, एक कार्ड ही हर जगह के लिए पर्याप्त है। ये हर जगह चलेगा। + +मेट्रो में सफर करने वाले जानते हैं, किस तरह अक्सर सिर्फ एक टोकन लेने के लिए कितनी कितनी देर लाइन में लगे रहना होता था। दफ्तर या कॉलेज पहुँचने में देर हो रही है, और ऊपर से टिकट की परेशानी। मेट्रो से उतर भी गए तो बस का टिकट! आज जब हर किसी के पास समय की कमी है तो रास्तों में समय नहीं गंवाया जा सकता। एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए ऐसी दिक्कतें अब देश के लोगों के सामने रुकावट न बनें, हम इस दिशा में काम कर रहे हैं। + +देश के सामर्थ्य और संसाधनों का देश के विकास में सही इस्तेमाल हो, ये हम सभी की जिम्मेदारी है। आज तमाम व्यवस्थाओं को एकीकृत करके देश की ताकत को बढ़ाया जा रहा है, एक भारत-श्रेष्ठ भारत को मजबूत किया जा रहा है। वन नेशन, वन मोबिलिटी कार्ड की तरह ही बीते वर्षों में हमारी सरकार ने देश की व्यवस्थाओं का एकीकरण करने के लिए अनेक काम किए हैं। One Nation, One Fast tag से देशभर के highway पर travel seamless हुआ है। अनावश्यक रोकटोक रुकी है। जाम से मुक्ति मिली है, देश का समय और देरी से होने वाला नुकसान कम हुआ है। वन नेशन, वन टैक्स यानि GST से देशभर में टैक्स का जाम समाप्त हुआ है, डायरेक्‍ट टैक्स से जुड़ी व्यवस्था एक जैसी हुई है। One Nation, One Power Grid से देश के हर हिस्से में पर्याप्त और निरंतर बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित हो रही है।  + +बिजली का नुकसान कम हुआ है। वन नेशन, वन गैस ग्रिड, इससे समंदर से दूर देश के उन हिस्सों की Seamless Gas Connectivity सुनिश्चित हो रही है, जहां गैस आधारित जीवन और अर्थव्यवस्था पहले सपना हुआ करता था। वन नेशन, वन हेल्थ एश्योरेंस स्कीम यानि आयुष्मान भारत से देश के करोड़ों लोग एक राज्य में ही नहीं बल्कि पूरे देश में कहीं भी इसका लाभ ले रहे हैं। One Nation, One Ration Card, इससे भी एक स्थान से दूसरे स्थान जाने वाले नागरिकों को नया राशनकार्ड बनाने के चक्करों से मुक्ति मिली है। एक राशनकार्ड से पूरे देश में कहीं भी सस्ते राशन की सुविधा संभव हो पाई है। इसी तरह नए कृषि सुधारों और e-NAM जैसी व्यवस्थाओं से One Nation, One Agriculture Market की दिशा में देश आगे बढ़ रहा है। + diff --git a/pm-speech/273.txt b/pm-speech/273.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..af2f5deb110e751237850bd032e14f554d188755 --- /dev/null +++ b/pm-speech/273.txt @@ -0,0 +1,18 @@ +आज 27 दिसम्बर है। चार दिन बाद ही 2021 की शुरुआत होने जा रही है। आज की ‘मन की बात’ एक प्रकार से 2020 की आख़िरी ‘मन की बात’ है। अगली ‘मन की बात’ 2021 में प्रारम्भ होगी। साथियो, मेरे सामने आपकी लिखी ढ़ेर सारी चिट्ठियाँ हैं। Mygov पर जो आप सुझाव भेजते हैं, वो भी मेरे सामने हैं। कितने ही लोगों ने फ़ोन करके अपनी बात बताई है। ज्यादातर संदेशों में, बीते हुए वर्ष के अनुभव, और, 2021 से जुड़े संकल्प हैं। कोल्हापुर से अंजलि जी ने लिखा है, किनए साल पर, हम, दूसरों को बधाई देते हैं, शुभकामनाएं देते हैं, तो इस बार हम एक नया काम करें। क्यों न हम, अपने देश को बधाई दें, देश को भी शुभकामनाएं दें। अंजलि जी, वाकई, बहुत ही अच्छा विचार है। हमारा देश, 2021 में, सफलताओं के नए शिखर छुएँ, दुनिया में भारत की पहचान और सशक्त हो, इसकी कामना से बड़ा और क्या हो सकता है। + +NamoApp पर मुम्बई के अभिषेक जी ने एक message पोस्ट किया है। उन्होंने लिखा है कि 2020 ने जो-जो दिखा दिया, जो-जो सिखा दिया, वो कभी सोचा ही नहीं था। कोरोना से जुड़ी तमाम बातें उन्होंने लिखी हैं। इन चिट्ठियों में, इन संदेशों में, मुझे, एक बात जो common नजर आ रही है, ख़ास नजर आ रही है, वो मैं आज  आपसे share करना चाहूँगा। अधिकतर पत्रों में लोगों ने देश के सामर्थ्य, देशवासियों की सामूहिक शक्ति की भरपूर प्रशंसा की है। जब जनता कर्फ्यू जैसा अभिनव प्रयोग, पूरे विश्व के लिए प्रेरणा बना, जब, ताली-थाली बजाकर देश ने हमारे कोरोना वारियर्स का सम्मान किया था, एकजुटता दिखाई थी, उसे भी, कई लोगों ने याद किया है। + +देश के सामान्य से सामान्य मानवी ने इस बदलाव को महसूस किया है। मैंने, देश में आशा का एक अद्भुत प्रवाह भी देखा है। चुनौतियाँ खूब आईं। संकट भी अनेक आए। कोरोना के कारण दुनिया में supply chain को लेकर अनेक बाधाएं भी आईं, लेकिन, हमने हर संकट से नए सबक लिए। देश में नया सामर्थ्य भी पैदा हुआ। अगर शब्दों में कहना है, तो इस सामर्थ्य का नाम है ‘आत्मनिर्भरता’। + +लेकिन, इसके साथ ही उन्होंने कुछ और भी ऐसा कहा है, जो मुझे काफी रोचक लगा है। उन्होंने लिखा है कि हम आत्मनिर्भर भारत का समर्थन कर रहे हैं, लेकिन हमारे manufacturers,उनके लिए भी, साफ़ सन्देश होना चाहिए, कि, वे products की quality से कोई समझौता न करें।बात तो सही है।Zero effect, zero defect की सोच के साथ काम करने का ये उचित समय है। मैं देश के manufacturers और industry leaders से आग्रह करता हूँ: देश के लोगों ने मजबूत कदम उठाया है, मजबूत कदम आगे बढ़ाया है। Vocal for local ये आज घर-घर में गूँज रहा है।ऐसे में, अब, यह सुनिश्चित करने का समय है, कि, हमारे products विश्वस्तरीय हों। जो भी Global best है, वो हम भारत में बनाकर दिखायें। इसके लिए हमारे उद्यमी साथियों को आगे आना है।Start-ups कोभी आगे आना है। एक बार फिर मैं वेंकट जी को उनके बेहतरीन प्रयास के लिए बधाई देता हूँ। + +अब मैं एक ऐसी बात बताने जा रहा हूँ, जिससे आपको आनंद भी आएगा और गर्व भी होगा। भारत में Leopards यानी तेंदुओं की संख्या में, 2014 से 2018 के बीच, 60 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी हुई है। 2014 में, देश में,leopards की संख्या लगभग 7,900 थी, वहीँ 2019 में, इनकी संख्या बढ़कर 12,852 हो गयी। ये वही leopards हैं जिनके बारे में Jim Corbett ने कहा था: “जिन लोगों ने leopards को प्रकृति में स्वछन्द रूप से घूमते नहीं देखा, वो उसकी खूबसूरती की कल्पना ही नहीं कर सकते। उसके रंगों की सुन्दरता और उसकी चाल की मोहकता का अंदाज नहीं लगा सकते।” देश के अधिकतर राज्यों में, विशेषकर मध्य भारत में, तेंदुओं की संख्या बढ़ी है। तेंदुए की सबसे अधिक आबादी वाले राज्यों में, मध्यप्रदेश, कर्नाटका और महाराष्ट्र सबसे ऊपर हैं। यह एक बड़ी उपलब्धि है। तेंदुए, पूरी दुनिया में वर्षों से खतरों का सामना करते आ रहे हैं, दुनियाभर में उनके habitat को नुकसान हुआ है। ऐसे समय में, भारत ने तेंदुए की आबादी में लगातार बढ़ोतरी कर पूरे विश्व को एक रास्ता दिखाया है।आपको इन बातों की भी जानकारी होगी कि पिछले कुछ सालों में, भारत में शेरों की आबादी बढ़ी है, बाघों की संख्या में भी वृद्धि हुई है, साथ ही, भारतीय वनक्षेत्र में भी इजाफा हुआ है। इसकी वजह ये है कि सरकार ही नहीं बल्कि बहुत से लोग, civil society, कई संस्थाएँ भी, हमारे पेड़-पौधों और वन्यजीवों के संरक्षण में जुटी हुई हैं।वे सब बधाई के पात्र हैं। + +अब जो पत्र मेरे सामने है, उसमें, दो बड़े फोटो हैं। ये फोटो एक मंदिर के हैं, और,before और after के हैं। इन फोटों के साथ जो पत्र है, उसमें युवाओं की एक ऐसी टीम के बारे में बताया गया है, जो खुद को युवा brigade कहती है। दरअसल, इस युवा brigade ने कर्नाटका में, श्रीरंगपट्न (Srirangapatna)के पास स्थित वीरभद्र स्वामी नाम के एक प्राचीन शिवमंदिर का कायाकल्प कर दिया। मंदिर में हर तरफ घास-फूस और झाड़ियाँ भरी हुई थीं, इतनी, कि, राहगीर भी नहीं बता सकते, कि, यहाँ एक मंदिर है। एक दिन, कुछ पर्यटकों ने इस भूले-बिसरे मंदिर का एक video social media पर post कर दिया। युवा brigade ने जब इस वीडियो को social media पर देखा तो उनसे रहा नहीं गया और फिर, इस टीम ने मिलजुल कर इसका जीर्णोद्धार करने का फैसला किया। उन्होंने मंदिर परिसर में उग आयी कंटीली झाड़ियाँ, घास और पौधों को हटाया। जहां मरम्मत और निर्माण की आवश्यकता थी, वो किया। उनके अच्छे काम को देखते हुए स्थानीय लोगों ने भी मदद के हाथ बढाए। किसी ने सीमेंट दिया तो किसी ने पेंट, ऐसी कई और चीजों के साथ लोगों ने अपना-अपना योगदान किया। ये सभी युवा कई अलग तरह के profession से जुड़े हुए हैं। ऐसे में इन्होंने weekends के दौरान समय निकाला और मंदिर के लिए कार्य किया।युवाओं ने मंदिर में दरवाजा लगवाने के साथ-साथ बिजली का connection भी लगवाया। इस प्रकार उन्होंने मंदिर के पुराने वैभव को फिर से स्थापित करने का काम किया।जुनून और दृढ़निश्चय ऐसी दो चीजें हैं जिनसे लोग हर लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं। जब मैं भारत के युवाओं को देखता हूँ तो खुद को आनंदित और आश्वस्त महसूस करता हूँ। आनंदित और आश्वस्त इसलिए, क्योंकि मेरे देश के युवाओं में ‘Can Do’ की Approach है और ‘Will Do’ की Spirit है। उनके लिए कोई भी चुनौती बड़ी नहीं है। कुछ भी उनकी पहुँच से दूर नहीं है। मैंने तमिलनाडु की एक टीचर के बारे में पढ़ा। उनका नाम Hemlata N.K है, जो विडुपुरम के एक स्कूल में दुनिया की सबसे पुरानी भाषा तमिल पढ़ाती हैं। कोविड 19 महामारी भी उनके अध्यापन के काम में आड़े नहीं आ पायी। हाँ ! उनके सामने चुनौतियाँ जरुर थीं, लेकिन, उन्होंने एक innovative रास्ता निकाला। उन्होंने,course के सभी53 (तरेपन) chapters को record किया, animated video तैयार किये और इन्हें एक pen drive में लेकर अपने students  को बाँट दिए।इससे, उनके students को बहुत मदद मिली, वो chapters को visually भी समझ पाए। इसके साथ ही, वे, अपने students से टेलीफोन पर भी बात करती रहीं। इससे students के लिये पढ़ाई काफी रोचक हो गयी।देशभर में कोरोना के इस समय में, टीचर्स ने जो innovative तरीके अपनाये, जो course material creatively तैयार किया है, वो online पढ़ाई के इस दौर में अमूल्य है। मेरा सभी टीचर्स से आग्रह है कि वो इन course material को शिक्षा मंत्रालय के दीक्षा पोर्टल पर जरुर upload करें। इससे देश के दूर-दराज वाले इलाकों में रह रहे छात्र-छात्राओं को काफी लाभ होगा। + +ऐसा कहते हैं कि अकबर के दरबार में एक प्रमुख सदस्य – अबुल फजल थे। उन्होंने एक बार कश्मीर की यात्रा के बाद कहा था कि कश्मीर में एक ऐसा नजारा है, जिसे देखकर चिड़चिड़े और गुस्सैल लोग भी खुशी से झूम उठेंगे। दरअसल, वे, कश्मीर में केसर के खेतों का उल्लेख कर थे। केसर, सदियों से कश्मीर से जुड़ा हुआ है। कश्मीरी केसर मुख्य रूप से पुलवामा, बडगाम और किश्तवाड़ जैसी जगहों पर उगाया जाता है। इसी साल मई में, कश्मीरी केसर को Geographical Indication Tag यानि GI Tag दिया गया। इसके जरिए, हम, कश्मीरी केसर को एक Globally Popular Brand बनाना चाहते हैं। कश्मीरी केसर वैश्विक स्तर पर एक ऐसे मसाले के रूप में प्रसिद्ध है, जिसके कई प्रकार के औषधीय गुण हैं। यह अत्यंत सुगन्धित होता है, इसका रंग गाढ़ा होता है और इसके धागे लंबे व मोटे होते हैं। जो इसकी Medicinal Value को बढ़ाते हैं। यह जम्मू और कश्मीर की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतिनिधित्व करता है। Quality की बात करें, तो, कश्मीर का केसर बहुत unique है और दूसरे देशों के केसर से बिलकुल अलग है। कश्मीर के केसर को GI Tag Recognition से एक अलग पहचान मिली है। आपको यह जानकर खुशी होगी कि कश्मीरी केसर को GI Tag  का सर्टिफिकेट मिलने के बाद दुबई के एक सुपर मार्किट में इसे launch किया गया। अब इसका निर्यात बढ़ने लगेगा। यह आत्मनिर्भर भारत बनाने के हमारे प्रयासों को और मजबूती देगा। केसर के किसानों को इससे विशेष रूप से लाभ होगा। पुलवामा में त्राल के शार इलाके के रहने वाले अब्दुल मजीद वानी को ही देख लीजिए। वह अपने GI Tagged केसर को National Saffron Mission  की मदद से पम्पोर के Trading Centre में E-Trading के जरिए बेच रहे हैं।इसके जैसे कई लोग कश्मीर में यह काम कर रहे है। अगली बार जब आप केसर को खरीदने का मन बनायें, तो कश्मीर का ही केसर खरीदने की सोचें। कश्मीरी लोगों की गर्मजोशी ऐसी है कि वहाँ के केसर का स्वाद ही अलग होता है| + +अभी दो दिन पहले ही गीता जयंती थी। गीता, हमें, हमारे जीवन के हर सन्दर्भ में प्रेरणा देती है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है, गीता इतनी अद्भुत ग्रन्थ क्यों है ? वो इसलिए क्योंकि ये स्वयं भगवन श्रीकृष्ण की ही वाणी है। लेकिन गीता की विशिष्टता ये भी है कि ये जानने की जिज्ञासा से शुरू होती है। प्रश्न से शुरू होती है।अर्जुन ने भगवान से प्रश्न किया, जिज्ञासा की, तभी तो गीता का ज्ञान संसार को मिला। गीता की ही तरह, हमारी संस्कृति में जितना भी ज्ञान है, सब, जिज्ञासा से ही शुरू होता है। वेदांत का तो पहला मंत्र ही है – ‘अथातो ब्रह्म जिज्ञासा’ अर्थात, आओ हम ब्रह्म की जिज्ञासा करें। इसीलिए तो हमारे यहाँ ब्रह्म के भी अन्वेषण की बात कही जाती है। जिज्ञासा की ताकत ही ऐसी है। जिज्ञासा आपको लगातार नए के लिए प्रेरित करती है। बचपन में हम इसीलिए तो सीखते हैं क्योंकि हमारे अन्दर जिज्ञासा होती है। यानी जब तक जिज्ञासा है, तब तक जीवन है। जब तक जिज्ञासा है, तब तक नया सीखने का क्रम जारी है। इसमें कोई उम्र, कोई परिस्थिति, मायने ही नहीं रखती। जिज्ञासा की ऐसी ही उर्जा का एक उदाहरण मुझे पता चला, तमिलनाडु के बुजुर्ग श्री टी श्रीनिवासाचार्य स्वामी जी के बारे में ! श्री टी श्रीनिवासाचार्य स्वामी जी 92 (बयानबे) साल के हैं Ninety Two Years| वो इस उम्र में भी computer पर अपनी किताब लिख रहे हैं, वो भी, खुद ही टाइप करके। आप सोच रहे होंगे कि किताब लिखना तो ठीक है लेकिन श्रीनिवासाचार्य जी के समय पर तो computer रहा ही नहीं होगा। फिर उन्होंने computer कब सीखा ? ये बात सही है कि उनके कॉलेज के समय में computer नहीं था। लेकिन, उनके मन में जिज्ञासा और आत्मविश्वास अभी भी उतना ही है जितना अपनी युवावस्था में था। दरअसल, श्रीनिवासाचार्य स्वामी जी संस्कृत और तमिल के विद्वान हैं। वो अब तक करीब 16 आध्यात्मिक ग्रन्थ भी लिख चुके हैं। लेकिन,Computer आने के बाद उन्हें जब लगा कि अब तो किताब लिखने और प्रिंट होने का तरीका बदल गया है, तो उन्होंने, 86 साल की उम्र में, eighty six की उम्र में, computer सीखा, अपने लिए जरुरी software सीखे। अब वो अपनी किताब पूरी कर रहे हैं। + +अभी हम, जिज्ञासा से, कुछ नया सीखने और करने की बात कर रहे थे। नए साल पर नए संकल्पों की भी बात कर रहे थे। लेकिन, कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो लगातार कुछ-न-कुछ नया करते रहते हैं, नए-नए संकल्पों को सिद्ध करते रहते हैं। आपने भी अपने जीवन में महसूस किया होगा, जब हम समाज के लिए कुछ करते हैं तो बहुत कुछ करने की उर्जा समाज हमें खुद ही देता है। सामान्य सी लगने वाली प्रेरणाओं से बहुत बड़े काम भी हो जाते हैं। ऐसे ही एक युवा हैं श्रीमान प्रदीप सांगवान ! गुरुग्राम के प्रदीप सांगवान 2016 से Healing Himalayas नाम से अभियान चला रहे हैं। वो अपनी टीम और volunteers के साथ हिमालय के अलग-अलग इलाकों में जाते हैं, और जो प्लास्टिक कचरा टूरिस्ट वहाँ छोड़कर जाते हैं, वो साफ करते हैं। प्रदीप जी अब तक हिमालय की अलग-अलग टूरिस्ट locations से टनों प्लास्टिक साफ कर चुके हैं। इसी तरह, कर्नाटका के एक युवा दंपति हैं, अनुदीप और मिनूषा। अनुदीप और मिनूषा ने अभी पिछले महीने नवम्बर में ही शादी की है। शादी के बाद बहुत से युवा घूमने फिरने जाते हैं, लेकिन इन दोनों ने कुछ अलग किया। ये दोनों हमेशा देखते थे कि लोग अपने घर से बाहर घूमने तो जाते हैं, लेकिन, जहाँ जाते हैं वहीँ ढ़ेर सारा कूड़ा-कचरा छोड़ कर आ जाते हैं। कर्नाटका के सोमेश्वर beach पर भी यही स्थिति थी। अनुदीप और मिनूषा ने तय किया कि वो सोमेश्वर beach पर, लोग, जो कचरा छोड़कर गए हैं, उसे साफ करेंगे। दोनों पति पत्नी ने शादी के बाद अपना पहला संकल्प यही लिया। दोनों ने मिलकर समंदर तट का काफी कचरा साफ कर डाला। अनुदीप ने अपने इस संकल्प के बारे में सोशल मीडिया पर भी share किया। फिर क्या था, उनकी इतनी शानदार सोच से प्रभावित होकर ढ़ेर सारे युवा उनके साथ आकर जुड़ गए। आप जानकर हैरान रह जाएंगे। इन लोगों ने मिलकर सोमेश्वर beach से 800 किलो से ज्यादा कचरा साफ किया है। + diff --git a/pm-speech/275.txt b/pm-speech/275.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..7cf6e1914143ee3729b1cbeb3275eebbc74a33bb --- /dev/null +++ b/pm-speech/275.txt @@ -0,0 +1,4 @@ +किसानों के जीवन में खुशी, ये हम सभी की खुशी बढ़ा देती है और आज का दिवस तो बहुत ही पावन दिवस भी है। किसानों को आज जो सम्मान निधि मिली है, उसके साथ ही आज का दिन कई अवसरों का संगम बनकर भी आया है। सभी देशवासियों को आज क्रिसमस की भी बहुत-बहुत शुभकामनाएं। मेरी कामना है क्रिसमस का ये त्योहार, विश्व में प्रेम, शांति और सद्भाव का प्रसार करे। + +बदलते समय के साथ अपनी अप्रोच का विस्तार करना भी उतना ही जरूरी है। हमें 21वीं सदी में भारत की कृषि को आधुनिक बनाना ही होगा और इसी का बीड़ा देश के करोड़ों किसानों ने भी उठाया है और सरकार भी उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर के आगे बढ़ने के लिए कृतसंकल्‍प है। आज हर किसान को ये पता है कि उसकी उपज का सबसे अच्छा दाम कहां मिल सकता है। पहले क्या होता था कि अगर मंडी में बेहतर दाम नहीं मिलते थे या फिर उसकी उपज को दोयम दर्जे का बताकर खऱीदने से इनकार कर दिया जाता था तो किसान मजबूरी में औने पौने दामों पर अपनी उपज बेचने को मजबूर रहता था। इन कृषि सुधार के जरिए हमने किसानों को बेहतर विकल्प दिए हैं। इन कानूनों के बाद आप जहां चाहें जिसे चाहें अपनी उपज बेच सकते हैं। + diff --git a/pm-speech/276.txt b/pm-speech/276.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..3768897d41d5939b786d9f2eb4467a6b7ee5cf54 --- /dev/null +++ b/pm-speech/276.txt @@ -0,0 +1,10 @@ +हे विधाता, दाओ–दाओ मोदेर गौरब दाओ… गुरुदेव ने कभी ये कामना, छात्र–छात्राओं के उज्जवल भविष्य के लिए की थी। आज विश्व भारती के गौरवमयी 100 वर्ष पर, मेरी तरह पूरा देश इस महान संस्थान के लिए यही कामना करता है। हे विधाता, दाओ–दाओ मोदेर गौरब दाओ…पश्चिम बंगाल के गवर्नर श्री जगदीप धनखड़ जी, केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉक्टर रमेश पोखरियाल निशंक जी, वाइस चांसलर प्रोफेसर बिद्युत चक्रबर्ती जी, प्रोफेसर्स, रजिस्ट्रार, विश्व भारती के सभी शिक्षकगण, छात्र–छात्राएं, Alumni, देवियों और सज्जनों। विश्व भारती इस विश्वविद्यालय के 100 वर्ष होना, प्रत्येक भारतवासी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। मेरे लिए भी ये बहुत सुखद है कि आज के दिन इस तपोभूमि का पुण्य स्मरण करने का अवसर मिल रहा है। + +भारत की आत्मा, भारत की आत्मनिर्भरता और भारत का आत्म–सम्मान एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। भारत के आत्मसम्मान की रक्षा के लिए तो बंगाल की पीढ़ियों ने खुद को खपा दिया था। याद किजिए खुदीराम बोस को सिर्फ 18 साल की उम्र में फांसी चढ़ गए। प्रफुल्ल चाकी 19 वर्ष की आयु में शहीद हो गए। बीना दास, जिन्हें बंगाल की अग्निकन्या के रूप में जाना जाता है, सिर्फ 21 साल की उम्र में जेल भेज दी गई थीं। प्रीतिलता वड्डेडार ने सिर्फ 21 वर्ष की आयु में अपना जीवन न्योछावर कर दिया था।  ऐसे अनगिनत लोग हैं शायद जिनके नाम इतिहास में भी दर्ज नहीं हो पाए। इन सभी ने देश के आत्मसम्मान के लिए हंसते–हंसते मृत्यु को गले लगा लिया। आज इन्हीं से प्रेरणा लेकर हमें आत्मनिर्भर भारत के लिए जीना है, इस संकल्प को पूरा करना है। + +गुरुदेव कहते थे– ‘बिना संगीत और कला के राष्ट्र अपनी अभिव्यक्ति की वास्तविक शक्ति खो देता है और उसके नागरिकों का उत्कृष्ठ बाहर नहीं आ पाता है‘। गुरुदेव ने हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण, पोषण और विस्तार को बहुत महत्वपूर्ण माना था। यदि हम उस समय के बंगाल को देखें तो एक और अद्भुत बात नजर आती है। जब हर तरफ आजादी का आंदोलन उफान पर था, तब बंगाल उस आंदोलन को दिशा देने के साथ ही संस्कृति का पोषक भी बनकर खड़ा था। बंगाल में हर तरफ संस्कृति, साहित्य, संगीत की अनुभूति भी एक तरह से आजादी के आंदोलन को शक्ति प्रदान कर रही थी। + +गुरुदेव ने दशकों पहले ही भविष्यवाणी की थी– और भविष्यवाणी क्या थी उन्होंने कहा था, ओरे नोतून जुगेर भोरे, दीश ने शोमोय कारिये ब्रिथा, शोमोय बिचार कोरे, ओरे नोतून जुगेर भोरे, ऐशो ज्ञानी एशो कोर्मि नाशो भारोतो–लाज हे, बीरो धोरमे पुन्नोकोर्मे बिश्वे हृदय राजो हे। गुरुदेव के इस उपदेश को इस उद्घोष को साकार करने की जिम्मेदारी हम सभी की है। + +गुरुदेव ने विश्व भारती की स्थापना सिर्फ पढ़ाई के एक केंद्र के रूप में नहीं की थी। वो इसे ‘seat of learning’, सीखने के एक पवित्र स्थान के तौर पर देखते थे। पढ़ाई और सीखना, दोनों के बीच का जो भेद है, उसे गुरूदेव के सिर्फ एक वाक्य से समझा जा सकता है। उन्होंने कहा था– ‘मुझे याद नहीं है कि मुझे क्या पढ़ाया गया था। मुझे सिर्फ वही याद है जो मैंने सीखा है‘। इसे और विस्तार देते हुए गुरुदेव टैगोर ने कहा था– ‘सबसे बड़ी शिक्षा वही है जो हमें न सिर्फ जानकारी दे, बल्कि हमें सबके साथ जीना सिखाए‘। उनका पूरी दुनिया के लिए संदेश था कि हमें knowledge को areas में, limits में बांधने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। उन्होंने यजुर्वेद के मंत्र को विश्व भारती का मंत्र बनाया।‘यत्र विश्वम भवत्येक नीड़म‘ जहां पूरा विश्व एक नीड़ बन जाए, घोंसला बन जाए। वो स्थान जहां नित नए अनुसंधान हों, वो स्थान जहां सब साथ मिलकर आगे बढ़ें और जैसे अभी हमारे शिक्षामंत्री विस्तार से कह रहे थे गुरुदेव कहते थे– ‘चित्तो जेथा भय शुन्नो, उच्चो जेथा शिर, ज्ञान जेथा मुक्तो‘ यानी, हम एक ऐसी व्यवस्था खड़ी करें जहां हमारे मन में कोई डर न हो, हमारा सर ऊंचा हो, और ज्ञान बंधनों से मुक्त हो। आज देश + diff --git a/pm-speech/277.txt b/pm-speech/277.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..567d91a3459ced80a06d255287de2f17340c5933 --- /dev/null +++ b/pm-speech/277.txt @@ -0,0 +1,18 @@ +इसके लिए भारत Basics पर जोर दे रहा है। आप सभी से बेहतर ये कौन जानता है कि Scientific Temper develop करने के लिए बचपन से बेहतर समय क्या हो सकता है। आज भारत के Education System में Structural Reforms किए जा रहे हैं, ताकि किताबी ज्ञान से आगे निकलकर Spirit of enquiry को बढ़ावा मिले। 3 दशक के लंबे समय के बाद देश को National Education Policy मिल चुकी है। इस policy से Education Sector का focus ही बदल गया है।   + +पहले Outlays पर focus था अब Outcomes पर है। पहले Textbook की पढ़ाई पर focus था, अब Research और Application पर है। नई National Education Policy एक ऐसा माहौल देश में बनाने पर भी focus कर रही है जिससे Top Quality Teachers का एक Pool देश में तैयार हो सके। ये approach हमारे नए और उभरते Scientists को भी मदद करेगी, Encourage करेगी। + + देवियों और सज्जनों, Education Sector में जो ये बदलाव किए जा रहे हैं,  इनको Complement करने के लिए Atal Innovation Mission भी शुरु किया गया है। ये मिशन Enquiry को, Enterprise को, Innovation को एक प्रकार से Celebrate करता है। इसके तहत देशभर के अनेक स्कूलों में Atal Tinkering Labs तैयार किए जा रहे हैं, जो Innovation के नए Playgrounds सिद्ध हो रहे हैं। इन Labs से हमारे स्कूलों में साइंस से जुड़ा Infrastructure बेहतर हो रहा है। Higher Education में Atal Incubation Centres तैयार किए जा रहे हैं, ताकि देश में R&D से जुड़ा Ecosystem बेहतर हो। इसी तरह ज्यादा और बेहतर इंजीनियरिंग कॉलेज, ज्यादा IITs बनाने पर भी बल दिया जा रहा है।  + +Quality Research के लिए सरकार Prime Minister’s Research Fellowship Scheme को भी चला रही है। इसका लक्ष्य है कि जो देश का Best Talent है, उसे अपनी पसंद की Research करने में और सुविधा मिले। देश की सभी IITs, सभी IISERs, बेंगलुरू के Indian Institute of Science और कुछ Central Universities और NITs में ये स्कीम Students को काफी आर्थिक मदद दे रही है। देश के अन्य recognised institute और University में पढ़ रहे छात्र-छात्राओं को इसका लाभ मिल सके, इसके लिए 6-7 महीने पहले Scheme में कुछ बदलाव भी किए गए है।  + +बीते कुछ महीनों से मेरी अनेक Scientists से चर्चा हुई है। हाल में ही भारत ने वैभव Summit भी Host की है। महीनेभर चली इस Summit में पूरी दुनिया से भारतीय मूल के वैज्ञानिकों और researchers को एक मंच पर इकट्ठा किया गया।  इसमें करीब 23 हज़ार साथियों ने हिस्सा लिया। 700 घंटों से भी ज्यादा की  Discussions हुई। मेरी भी अनेकों Scientists से बातचीत हुई। इस बातचीत में ज्यादातर ने दो चीजों पर बल दिया। ये दो बातें हैं- Trust और Collaboration. देश आज इसी दिशा में काम कर रहा है। + +Science और Technology तब तक अधूरी है, जब तक इसका Benefit और Access हर किसी के लिए संभव ना हो। बीते 6 साल में युवाओं को अवसरों से कनेक्ट करने के लिए देश में Science and Technology के उपयोग का विस्तार किया है। Science and Technology अब भारत में अभाव और प्रभाव की खाई को भरने का एक बड़ा Bridge बन रही है। इसकी मदद से पहली बार गरीब से गरीब को भी सरकार के साथ, सिस्टम के साथ सीधा जोड़ा है। Digital Technology से सामान्य भारतीय को ताकत भी दी है और सरकारी सहायता की सीधी, तेज़ Delivery का भरोसा भी दिया है। आज गांव में Internet Users की संख्या शहरों से ज्यादा हो चुकी है। गाँव का गरीब किसान भी digital payment कर रहा है! आज भारत  की एक बड़ी आबादी Smartphone आधारित apps से जुड़ चुकी है। आज भारत Global High-tech Power के Evolution और Revolution, दोनों का centre बन रहा है। + +भारत अब विश्व स्तरीय शिक्षा, स्वास्थ्य, connectivity, गरीब से गरीब तक, गांव-गांव तक पहुंचाने के लिए High-tech Solutions बनाने और अपनाने के लिए तत्पर है। भारत के पास High-tech Highway के लिए Data, Demography, Demand और इन सबको संभालने के लिए, संतुलन और संरक्षण देने के लिए Democracy भी है। इसलिए दुनिया आज भारत पर इतना भरोसा कर रही है। + +हमारे देश में Water Scarcity, Pollution, Soil Quality, Food Security जैसी अनेक चुनौतियां हैं जिनका आधुनिक हल Science के पास है। हमारे समंदर में जो Water, Energy और Food का खजाना है, उसे तेजी से Explore करने में भी Science की बड़ी भूमिका है। जिस तरह हमने Space के sector में सफलता पाई, वैसे ही हमें Deep Sea के क्षेत्र में भी सफलता पानी है। भारत इसके लिए  Deep Ocean Mission भी चला रहा है।  + +Science में जो कुछ हम नया हासिल कर रहे हैं इसका लाभ हमें Commerce में, व्यापार-कारोबार में भी होगा। अब जैसे Space Sector में reforms किए गए हैं। इससे हम अपने युवाओं को, देश के Private Sector को भी आसमान ही नहीं असीम अंतरिक्ष की बुलंदियां छूने के लिए Encourage कर रहे हैं। जो नई Production Linked Incentive Scheme है, इसमें भी Science और Technology से जुड़े sectors पर focus रखा गया है। ऐसे कदमों से Scientific Community को बल मिलेगा, Science और Technology से जुड़ा Ecosystem बेहतर होगा। इससे innovation के लिए ज्यादा Resources Generate होंगे। इससे साइंस और इंडस्ट्री के बीच पार्टनर्शिप का एक नया कल्चर तैयार होगा। चाहे Hydrogen Economy हो, Blue Economy हो, या फिर Artificial Intelligence का उपयोग हो, नए Collaborations से नए रास्ते निकलेंगे। मुझे विश्वास है कि ये Festival, Science और Industry के बीच Spirit of Coordination और Collaboration को नए आयाम देगा। + diff --git a/pm-speech/278.txt b/pm-speech/278.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..b9123a5bce07a90d2898a573bb7ad8202b0d84ac --- /dev/null +++ b/pm-speech/278.txt @@ -0,0 +1,20 @@ +सबसे पहले मैं आप सभी का आभार व्‍यक्‍त करना चाहता हूं। आपने AMU के शताब्‍दी समारोह के इस ऐतिहासिक अवसर पर मुझे अपनी खुशियों के साथ जुड़ने का मौका दिया है। मैं तस्‍वीरों में देख रहा था सेंचुरी गेट्स, सोशल साइंस डिपार्टमेंट्स, मास कम्‍युनिकेशन, तमाम विभागों की buildings को खूबसूरती से सजाया गया है। ये सिर्फ बिल्डिंग नहीं है, इनके साथ शिक्षा का जो इतिहास जुड़ा है वो भारत की अमूल्‍य धरोहर है। + +Proud Aligs, यही कहते हैं ना आप, पार्टनर्स आपके इस गर्व की वजह भी है। अपने सौ वर्ष के इतिहास में AMU ने लाखों जीवन को तराशा है, संवारा है, एक आधुनिक और वैज्ञानिक सोच दी है। समाज के लिए, देश के लिए कुछ करने की प्रेरणा जगाई है। मैं सभी के नाम लूंगा तो समय शायद बहुत कम पड़ जाएगा। AMU की ये पहचान, इस सम्‍मान का आधार, उसके वो मूल्‍य रहे हैं जिन पर सर सैयद अहमद खान द्वारा इस संस्‍थान की स्‍थापना की गई है। ऐसे प्रत्‍येक छात्र-छात्रा और इन सौ वर्षों में AMU के माध्‍यम से देश की सेवा करने वाले प्रत्‍येक टीचर, प्रोफेसर का भी मैं अभिनंदन करता हूं। + +मुझे बहुत सारे लोग बोलते हैं कि AMU Campus अपने-आप में एक शहर की तरह है। अनेको डिपार्टमेंट्स, दर्जनों होस्‍टल्‍स, हजारों टीचर, प्रोफेसर्स, लाखों स्‍टूडेंट्स के बीच एक Mini India भी नजर आता है। AMU में भी एक तरफ उर्दू पढ़ाई जाती है तो हिन्‍दी भी, अरबी पढ़ाई जाती है तो यहां संस्‍कृत की शिक्षा का भी एक सदी पुराना संस्‍थान है। यहां की लायब्रेरी में कुरान की manuscript है तो गीता-रामायण के अनुवाद भी उतने ही सहेज कर रखे गए हैं। ये विविधता AMU जैसे प्रतिष्ठित संस्‍थान की ही नहीं, देश की भी ताकत है। हमें इस शक्ति को न भूलना है न ही न ही इसे कमजोर पड़ने देना है। AMU के कैंपस में एक भारत-श्रेष्ठ भारत की भावना दिनों-दिन मजबूत होती रहे, हमें मिलकर इसके लिए काम करना है।  + +कुछ दिनों पहले मेरी मुलाकात अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के ही एक Alumni से हुई थी। वो एक इस्लामिक scholar भी हैं। उन्होंने एक बहुत Interesting बात मुझे बताई, जो मैं आपसे भी शेयर करना चाहता हूं। स्वच्छ भारत मिशन के तहत जब देश में 10 करोड़ से ज्यादा शौचालय बने, तो इसका लाभ सभी को हुआ। ये शौचालय भी बिना भेदभाव ही बने थे। लेकिन इसका एक Aspect ऐसा है, जिसकी न उतनी चर्चा हुई है और न ही Academic world का इस पर उतना ध्यान गया है। मैं चाहता हूं कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का भी हर Student  इस पर गौर करे। + + एक समय था जब हमारे देश में मुस्लिम बेटियों का ड्रॉप आउट रेट 70 प्रतिशत से ज्यादा था। मुस्लिम समाज की प्रगति में, बेटियों का इस तरह पढ़ाई बीच में छोड़ना हमेशा से बहुत बड़ी बाधा रहा है। लेकिन 70 साल से हमारे यहां स्थिति यही थी कि 70 परसेंट से ज्यादा मुस्लिम बेटियां, अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाती थीं। इन्हीं स्थितियों में स्वच्छ भारत मिशन शुरू हुआ, गांव-गांव शौचालय बने। सरकार ने स्कूल जाने वाली Girl Students के लिए मिशन मोड में अलग से शौचालय बनवाए।  आज देश के सामने क्या स्थिति है? पहले मुस्लिम बेटियों का जो स्कूल ड्रॉप आउट रेट 70 प्रतिशत से ज्यादा था, वो अब घटकर करीब-करीब 30 प्रतिशत रह गया है। + +पहले लाखों मुस्लिम बेटियां, शौचालय की कमी की वजह से पढ़ाई छोड़ देती थीं। अब हालात बदल रहे हैं। मुस्लिम बेटियों का ड्रॉप रेट कम से कम हो, इसके लिए केंद्र सरकार निरंतर प्रयास कर रही है। आपकी अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में ही स्कूल-ड्राप आउट छात्र-छात्राओं के लिए “ब्रिज कोर्स” चलाया जा रहा हैं। और अभी मुझे एक और बात बताई गई है जो बहुत अच्छी लगी है। AMU में अब female students की संख्या बढ़कर 35 प्रतिशत हो गई है। मैं आप सबको बधाई देना चाहूंगा। मुस्लिम बेटियों की शिक्षा पर, उनके सशक्तिकरण पर सरकार का बहुत ध्यान है। पिछले 6 साल में सरकार द्वारा करीब-करीब एक करोड़ मुस्लिम बेटियों को स्कॉलरशिप्स दी गई है। + +AMU ने higher education में अपने contemporary curriculum से बहुतों को आकर्षित किया है। आपकी यूनिवर्सिटी में inter-disciplinary विषय पहले से पढ़ाए जाते हैं। अगर कोई छात्र साइंस में अच्छा है और उसे हिस्ट्री भी अच्छी लगती है तो ऐसी मजबूरी क्यों हो कि वो किसी एक को ही चुन सके। यही भावना  नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में है। इसमें 21वीं सदी में भारत के स्टूडेंट्स की जरूरतों, उसके Interest को सबसे ज्यादा ध्यान में रखा गया है। हमारे देश का युवा, Nation First के आह्वान के साथ देश को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। वो नए-नए स्टार्ट-अप्स के जरिए देश की चुनौतियों का समाधान निकाल रहा है। Rational Thinking और Scientific outlook उसकी पहली priority है। + +नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भारत के युवाओं की इसी aspirations को प्राथमिकता दी गई है। हमारी कोशिश ये भी है कि भारत का education eco-system, दुनिया के आधुनिक शिक्षा व्यवस्थाओं में से एक बने। नई National Education Policy में जो multiple entry है, exit points की व्यवस्था है, उससे Students को अपनी शिक्षा के बारे में फैसले लेने में आसानी होगी। हर exit option के बाद उन्हें appropriate certificate भी दिया जाएगा। ये students को पूरे कोर्स की फीस की चिंता किए बिना, अपना फैसला लेने की आजादी होगी।  + + सरकार higher education में number of enrollments बढ़ाने और सीटें बढ़ाने के लिए भी लगातार काम कर रही है। वर्ष 2014 में हमारे देश में 16 IITs थीं। आज 23 IITs हैं। वर्ष 2014 में हमारे देश में 9 IIITs थीं। आज 25 IIITs हैं। वर्ष 2014 में हमारे यहां 13 IIMs थे। आज 20 IIMs हैं। Medical education को लेकर भी बहुत काम किया गया है। 6 साल पहले तक देश में सिर्फ 7 एम्स थे, आज देश में 22 एम्स हैं। शिक्षा चाहे Online हो या  फिर Offline, सभी तक पहुंचे, बराबरी से पहुंचे, सभी का जीवन बदले, हम इसी लक्ष्य के साथ काम कर रहे हैं।  + +पॉलिटिक्स इंतज़ार कर सकती है, सोसायटी इंतज़ार नहीं कर सकती है। देश का डवलपमेंट इंतज़ार नहीं कर सकता। गरीब, समाज के किसी भी वर्ग का हो, वो इंतज़ार नहीं कर सकता। महिलाएं, वंचित, पीड़ित, शोषित, विकास का इंतज़ार नहीं कर सकते। सबसे बड़ी बात हमारे युवा, आप सभी, और इंतज़ार नहीं करना चाहेंगे। पिछली शताब्दी में मतभेदों के नाम पर बहुत वक्त पहले ही जाया हो चुका है। अब वक्त नहीं गंवाना है, सभी को एक लक्ष्‍य के साथ मिलकर, नया भारत, आत्मनिर्भर भारत बनाना है।  + diff --git a/pm-speech/279.txt b/pm-speech/279.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..ad06b2bc8559af3f6144b179ad7a7c4e759cb677 --- /dev/null +++ b/pm-speech/279.txt @@ -0,0 +1,4 @@ +लेखन पूरी मानवता का खजाना होता है। मैं आज ऐसे सभी पारंपरिक बौद्ध साहित्य और धर्म ग्रंथों के लिए पुस्तकालयों के सृजन का प्रस्ताव करना चाहता हूं। हम भारत में इस तरह की सुविधा का निर्माण करने में प्रसन्नता का अनुभव करेंगे और इसके लिए उचित संसाधन भी उपलब्ध कराएंगे। यह पुस्तकालय विभिन्न देशों से इस प्रकार के बौद्ध साहित्य की डिजिटल प्रतियों का संग्रह करेगा। इसका उद्देश्य ऐसे साहित्‍य का अनुवाद करना और इसे बौद्ध धर्म के सभी भिक्षुओं और विद्वानों को स्वतंत्र रूप से उपलब्ध कराना है। यह पुस्तकालय ऐसे साहित्य का भंडार मात्र ही नहीं होगा। + +यह नए दशक का पहला संवाद है। यह मानव इतिहास के एक महत्वपूर्ण दौर में आयोजित किया जा रहा है। आज किये जाने वाले हमारे कार्य हमारे आने वाले समय का आकार और रास्‍ता तय करेंगे। यह दशक और उससे आगे का समय उन समाजों का होगा, जो सीखने और साथ-साथ नव परिवर्तन करने पर उचित ध्‍यान देंगे। यह उज्‍ज्‍वल युवा मस्तिष्‍कों को पोषित करने के बारे में भी है, जिससे आने वाले समय में मानवता के मूल्यों को बढ़ावा मिलेगा। शिक्षण ऐसा होनी चाहिए जिससे नवाचार को आगे बढ़ाया जा सके। कुल मिलाकर नवाचार मानव सशक्तिकरण का मुख्‍य आधार है। + diff --git a/pm-speech/280.txt b/pm-speech/280.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..1117c7d1889b820456e90f5a02660093ee94a0b4 --- /dev/null +++ b/pm-speech/280.txt @@ -0,0 +1,24 @@ +हमारे यहां कहा जाता है कि कुर्वन्नेह कर्माणि जिजी–विषेत् शतं समा:! यानि कर्म करते हुए सौ वर्ष तक जीने की इच्छा रखो। ये बात ASSOCHAM के लिए बिल्कुल फिट बैठती है। बीते 100 सालों में आप सभी देश की Economy को, करोड़ों भारतीयों के जीवन को बेहतर बनाने में जुटे हैं। यही बात श्रीमान रतन टाटा जी के लिए, पूरे टाटा समूह के लिए भी उतनी ही सही है। भारत के विकास में टाटा परिवार का, टाटा समूह का उनके योगदान के लिए उन्हें आज यहां सम्मानित भी किया गया है। टाटा ग्रुप की देश के विकास में बड़ी भूमिका रही है। + +बीते 100 सालों में आप आज़ादी की लड़ाई से लेकर देश के विकास की यात्रा के हर उतार–चढ़ाव में भागीदार रहे हैं। ASSOCHAM की स्थापना के पहले 27 साल गुलामी के कालखंड में बीते। उस समय देश की आजादी, सबसे बड़ा लक्ष्य था। उस समय आपके सपनों की उड़ान बेड़ियों में जकड़ी हुई थी। अब ASSOCHAM के जीवन में जो अगले 27 साल आ रहे हैं, वो बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। 27 वर्ष के बाद 2047 में देश अपनी आज़ादी के 100 साल पूरा करेगा। आपके पास बेड़ियां नहीं, आसमान छूने की पूरी आजादी है और आपको इसका पूरा लाभ उठाना है। अब आने वाले वर्षों में आत्मनिर्भर भारत के लिए आपको पूरी ताकत लगा देनी चाहिए। इस समय दुनिया चौथी औद्योगिक क्रांति की तरफ तेज़ी से आगे बढ़ रही है। नई टेक्नॉलॉजी के रूप में Challenges भी आएंगे और अनेक नए सरल Solutions भी आएंगे और इसलिए आज वो समय है, जब हमें प्लान भी करना है और एक्ट भी करना है। हमें हर साल के, हर लक्ष्य को Nation Building के एक Larger Goal के साथ जोड़ना है। + +आने वाले 27 साल भारत के Global Role को ही तय करने वाले इतने नहीं हैं, बल्कि ये हम भारतीयों के Dreams और Dedication, दोनों को टेस्ट करने वाले हैं। ये समय भारतीय इंडस्ट्री के रूप में आपकी Capability, Commitment और Courage को दुनिया भर को हमे एक बार विश्वास के साथ दिखा देना है। और हमारा चैलेंज सिर्फ आत्मनिर्भरता ही नहीं है। बल्कि हम इस लक्ष्य को कितनी जल्दी हासिल करते हैं, ये भी उतना ही महत्वपूर्ण है। + +हर सेक्टर के लिए सरकार की नीति क्या है, रणनीति क्या है, पहले और अभी में क्या बदलाव आया है, इसको लेकर बीते सेशंस में सरकार के मंत्रियों और दूसरे साथियों ने आप सब के साथ विस्तार से चर्चा की है। एक जमाने में हमारे यहां जो परिस्थितियां थीं, उसके बाद कहा जाने लगा था– Why India. अब जो Reforms देश में हुए हैं, उनका जो प्रभाव दिखा है, उसके बाद कहा जा रहा है– ‘Why not India’ अब जैसे पहले कहा जाता था कि जब टैक्स रेट इतने ऊंचे हैं, तो Why India? आज वही लोग कहते हैं कि जहां सबसे अधिक competitive tax rates हैं, तो Why not India? पहले रेगुलेशंस और रूल्स का जाल था तो स्वाभाविक रूप से चिंता के साथ निवेशक पूछते थे, Why India? आज वही कह रहे हैं कि लेबर लॉ में ease of compliance है, तो Why not India? पहले सवाल होता था कि इतना Red Tape है तो, Why India? अब वही लोग जब Red Carpet बिछा हुआ देखते हैं तो कहते हैं, Why not India? पहले शिकायत होती थी कि Innovation का कल्चर उतना नहीं है तो Why India? आज भारत के start-up ecosystems की ताकत देखकर दुनिया विश्वास से कह रही है, Why not India? पहले पूछा जाता था कि हर काम में इतना सरकारी दखल है, तो Why India? आज जब प्राइवेट पार्टिसिपेशन पर भरोसा किया जा रहा है, विदेशी निवेशकों को encourage किया जा रहा है, तो वही लोग पूछ रहे हैं, Why not India? पहले शिकायत थी कि डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर के अभाव में काम संभव नहीं, तो Why India? आज जब इतना आधुनिक digital ecosystem हमारे यहां है तो सेंटिमेंट है, Why not India? + +नया भारत, अपने सामर्थ्य पर भरोसा करते हुए, अपने संसाधनों पर भरोसा करते हुए आत्मनिर्भर भारत को आगे बढ़ा रहा है। और इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए मैन्युफेक्चरिंग पर हमारा विशेष फोकस है। मैन्युफेक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए हम निरंतर Reforms कर रहे हैं। Reforms के साथ–साथ Rewards को आज देश की नीति का अहम माध्यम बनाया गया है। पहली बार 10 से ज्यादा सेक्टर्स को efficiency और productivity आधारित incentives के दायरे में लाया गया है। मुझे खुशी है कि बहुत कम समय में ही इसके पॉजिटिव रिजल्ट भी देखने को मिल रहे हैं। इसी तरह बेहतर कनेक्टिविटी, बेहतर सुविधाएं और Logistics को Competitive बनाने के लिए चल रहे सब प्रयास भी इंडस्ट्री के लिए Reward ही हैं। हमारे लाखों MSMEs के लिए, चाहे उसकी परिभाषा को बदलना हो, Criteria में बदलना हो, सरकारी Contracts में Priority हो या फिर Liquidity से जुड़ी समस्याओं का हल करना हो, ये भी बहुत बड़ा प्रोत्साहन ही है। + +देश आज करोड़ों युवाओं को अवसर देने वाले Enterprise और Wealth Creators के साथ है। आज भारत के युवा Innovation के, Startups दुनिया में अपना नाम बना रहे हैं। सरकार की एक Efficient और Friendly Ecosystem बनाने के लिए निरंतर कोशिश जारी है। अब ASSOCHAM जैसी सोसिएशन को, आपके हर मेंबर को भी ये सुनिश्चित करना है कि इसका लाभ Last Mile तक पहुंचे। इसके लिए Industry के भीतर भी आपको Reforms को Encourage करना होगा। जो बदलाव हम अपने लिए देखना चाहते हैं, वही बदलाव हमें अपने संस्थानों में भी करने होंगे। जितनी Liberty, जितना Inclusion, जितनी Hand-holding, जितनी Transparency, आप सरकार से, सोसायटी से चाहते हैं, उतना ही इंड्स्ट्री के भीतर Women के लिए, युवा टैलेंट के लिए, छोटे उद्योगों के लिए हम सबको सुनिश्चित करना ही है। हमें Corporate Governance से लेकर Profit sharing तक, दुनिया की Best Practices को जल्द से जल्द अपनाना होगा। Profit Centric Approach के साथ ही हम उसे Purpose Oriented भी बनाएंगे तो, सोसायटी के साथ ज्यादा Integration संभव हो पाएगा। + +आपसे बेहतर ये कौन समझ सकता है कि Honest opinion का बेहतर decision making में कितना बड़ा रोल होता है। कई बार हमें लोग मिलते हैं, कहते हैं कि ये शेयर बढ़िया हैं, ये सेक्टर बढ़िया है, इसमें इन्वेस्ट कर दो। लेकिन हम पहले ये देखते हैं कि वो सलाह देने वाला, तारीफ करने वाला खुद भी उसमें invest कर रहा है या नहीं कर रहा? यही बात economies पर भी लागू होती है। आज Indian economy पर दुनिया को भरोसा है, इसके प्रमाण हैं। Pandemic के दौरान जब पूरी दुनिया investment के लिए परेशान है, तब भारत में रिकॉर्ड FDI और PFI आया है। दुनिया का ये confidence नए स्तर पर पहुंचे, इसके लिए domestically भी हमें अपने investment को कई गुना बढ़ाना है।आज आपके पास हर सेक्टर में इन्वेस्टमेंट के लिए संभावनाएं भी हैं और नए अवसर भी हैं। + +आज जब Local को Global बनाने के लिए हम मिशन मोड पर आगे बढ़ रहे हैं, तो हमें हर Geopolitical Development पर तेज़ी से रिएक्ट करना होगा। ग्लोबल सप्लाई चेन में आने वाले किसी भी अचानक आई डिमांड को भारत कैसे पूरा करेगा, इसके लिए एक प्रभावी मैकेनिज्म होना जरूरी है। इसमें आप विदेश मंत्रालय की भी मदद ले सकते हैं। कोविड के इस संकट काल में हमने देखा है कि विदेश मंत्रालय के पूरे नेटवर्क का बेहतर उपयोग होने से किस तरह हम तेज़ी से अपने लक्ष्य हासिल कर सकते हैं। विदेश मंत्रालय, Commerce & Trade और ASSOCHAM जैसे इंडस्ट्री के संगठनों के बीच बेहतर तालमेल आज समय की मांग है। मैं आपसे आग्रह करुंगा कि Global Transformations पर तेज़ी से रिएक्ट करने के लिए, तेजी से response करने के लिए मैकेनिज्म बेहतर कैसे हो, इसके लिए आप हमे अवश्य अपने सुझाव दें। आपके सूझाव मेरे लिए बहुत मूल्यवान हैं। + +भारत अपनी ज़रूरतों को पूरा करते हुए दुनिया की मदद करने में भी सक्षम है। Farmer से लेकर Pharma तक, भारत ने ये कर दिखाया है। कोरोना काल में भी तमाम मुश्किलों के बावजूद भारत ने Pharmacy of the world की जिम्मेदारी निभाते हुए दुनिया भर में जरूरी दवाईयां पहुंचाई हैं। अब वेक्सीन के मामले में भी भारत अपनी ज़रूरतें तो पूरी करेगा ही, दुनिया के अनेक देशों की उम्मीदों पर भी खरा उतरेगा। + +Rural और Urban divide को कम करने के लिए जो प्रयास सरकार बीते 6 सालों से कर रही है, Industry उन प्रयासों को Multiply कर सकती है। ASSOCHAM के मेंबर्स, हमारे गांव के Products को ग्लोबल प्लेटफॉर्म देने में बहुत मदद कर सकते हैं। आजकल आप देखते सुनते होंगे कि कोई स्टडी आ गई की इस चीज में बहुत प्रोटीन है, ये बहुत प्रोटीन रिच है, तो लोग उसे खाना शुरू कर देते हैं। हम उसे इम्पोर्ट करना शुरु कर देते हैं। हमे पता तक नही होता है कि हमारे घर में हमारे टेबल पे हमारी थाली में किस प्रकार से विदेशी चीजे घुस जाती है। हमारे यहां देश में ऐसी ही चीजों का कितना बढ़ा भंडार है। और ये भंडार, देश के किसानों के पास है, देश के गांवों में है। हमारी ऑर्गैनिक फार्मिंग, हर्बल प्रॉडक्ट्स, ऐसी बहुत सी चीजें हैं जिन्हें ASSOCHAM द्वारा प्रमोट किया जाना चाहिए, दुनिया के बाजार में भारत की पैदावारों का डंका बजना चाहिए। इनसे जुड़े कंपटीशंस और उसके लिए लगातार स्‍पर्धा होती रहें competition कराकर, इनका प्रचार–प्रसार करके, इनके स्टार्ट अप्स को बढ़ावा देकर, आप ये कर सकते हैं। भारत सरकार हो, राज्य सरकारें हों, फार्म ऑर्गनाइजेशंस हों, सभी को मिलकर इस दिशा में काम करने की आवश्यकता हैं। अगर हमारे Farm Sector को बेहतर प्रमोशन मिले,बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर मिले, बेहतर मार्केट मिले, तो हमारी पूरी ग्रामीण अर्थव्यवस्था बुलंदी पर पहुंच सकती है। + +21वीं सदी की शुरुआत में अटल जी ने भारत को highways से connect करने का लक्ष्य रखा था। आज देश में Physical और Digital Infrastructure पर विशेष फोकस किया जा रहा है। गांव के किसान की Reach भी Digitally Global Markets तक हो, इसके लिए देश के हर गांव तक ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी पहुंचाने में हम जुटे हैं। इसी तरह हमारे IT सेक्टर को और ताकत देने के लिए IT और BPO सेक्टर की बाधाएं भी हटाई गई हैं। Digital Space की सिक्योरिटी के लिए एक के बाद एक कदम उठाए जा रहे हैं। + +ज़रूरी सुविधाएं देना, सही माहौल बनाना ये सरकार कर सकती है। सरकार प्रोत्साहन दे सकती है, सरकार नीतियों में बदलाव कर सकती है। लेकिन ये आप जैसे इंडस्ट्री से जुड़े साथी हैं, जो इस सपोर्ट को सक्सेस में बदलेंगे। आत्मनिर्भर भारत का सपना साकार करेंगे इसके लिए नियम–कायदों में ज़रूरी बदलाव के लिए देश मन बना चुका है, देश प्रतिबद्ध है। बीते 6 वर्षों में हम 1500 से ज्यादा पुराने कानून खत्म कर चुके हैं। देश की जरूरत को देखते हुए नए कानून बनाने का काम भी निरंतर जारी है। 6 महीना पहले जो कृषि सुधार किए गए, उनके लाभ भी अब किसानों को मिलना शुरू हो गए हैं। हम सभी को आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में एकनिष्ठ होकर, संकल्पित होकर आगे बढ़ना है। ASSOCHAM के आप सभी साथियों को आने वाले वर्षों के लिए मेरी तरफ से बहुत–बहुत शुभकामनाएं हैं, श्रीमान रतन टाटा जी को भी मेरी तरफ से बहुत बहुत शुभकामनाएं हैं और ASSOCHAM नई ऊंचाइयों को पार करे और 2047 आजादी के सो साल आपके लिए next 27 years उस लक्ष्‍य को लेकर के आज का ये आपका शताब्‍दी समारोह संपन्‍न होगा ऐसा मुझे पूरा विश्‍वास है। फिर एक बार आपको बहुत–बहुत धन्‍यवाद। + diff --git a/pm-speech/281.txt b/pm-speech/281.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..5e9eee0d23e20508da1769bf49bf96dd3991925c --- /dev/null +++ b/pm-speech/281.txt @@ -0,0 +1,22 @@ +मध्य प्रदेश के मेहनती किसान भाइयों -बहनों को मेरा कोटि-कोटि प्रणाम! आज के इस विशेष कार्यक्रम में मध्य प्रदेश के कोने-कोने से किसान साथी एकत्रित हुए हैं। रायसेन में एक साथ इतने किसान आए हैं। डिजिटल तरीके से भी हजारों किसान भाई-बहन हमारे साथ जुड़े हैं। मैं सभी का स्वागत करता हूं। बीते समय में ओले गिरने, प्राकृतिक आपदा की वजह से MP के किसानों का नुकसान हुआ है। आज इस कार्यक्रम में मध्यप्रदेश के ऐसे 35 लाख किसानों के बैंक खातों में 1600 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए जा रहे हैं। कोई बिचौलिया नहीं, कोई कमीशन नहीं। कोई कट नहीं, कोई कटकी नहीं। सीधे किसानों के बैंक खातों में मदद पहुंच रही है। टेक्नोलॉजी के कारण ही ये संभव हुआ है। और भारत ने बीते 5-6 वर्षों में जो ये आधुनिक व्यवस्था बनाई है, उसकी आज पूरी दुनिया में चर्चा भी हो रही है और उसमें हमारे देश के युवा टेलैंट का बहुत बड़ा योगदान है। + +आज यहां इस कार्यक्रम में भी कई किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड सौंपे गए हैं। पहले किसान क्रेडिट कार्ड, हर कोई किसान को नहीं मिलता था। हमारी सरकार ने किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा देश के हर किसान के लिए उपलब्ध कराने के लिए हमने नियमों में भी बदलाव किया है। अब किसानों को खेती से जुड़े कामों के लिए आसानी से आवश्यक पूंजी मिल रही है। इसमें उन्हें दूसरों से ज्यादा ब्याज पर कर्ज लेने की मजबूरी से भी मुक्ति मिली है। + +किसानों की राजनीति का दम भरने वालों ने कभी इसके लिए आंदोलन नहीं किया, प्रदर्शन नहीं किया। कुछ बड़े किसानों का कर्ज 10 साल में एक बार माफ हो गया, इनकी राजनीतिक रोटी सिक गई, काम पूरा हो गया। फिर गरीब किसान को कौन पूछता है? वोटबैंक की राजनीति करने वाले इन लोगों को देश अब भलीभांति जान गया है, देख रहा है। देश हमारी नीयत में गंगाजल और मां नर्मदा के जल जैसी पवित्रता भी देख रहा है। इन लोगों ने 10 साल में एक बार कर्जमाफी करके लगभग 50 हजार करोड़ रुपए देने की बात कही है। हमारी सरकार ने जो पीएम-किसान सम्मान योजना शुरू की है, उसमें हर साल किसानों को लगभग 75 हजार करोड़ रुपए मिलेंगे। यानि 10 साल में लगभग साढ़े 7 लाख करोड़ रुपया। किसानों के बैंक खातों में सीधे ट्रांसफर। कोई लीकेज नहीं, किसी को कोई कमीशन नहीं। कट-कल्चर का नामो-निशान नही। + +क्या यूरिया की दिक्कत का पहले कोई समाधान नहीं था? अगर किसानों के दुख दर्द, उनकी तकलीफों के प्रति जरा भी संवेदना होती तो यूरिया की दिक्कत होती ही नहीं। हमने ऐसा क्या किया कि सारी परेशानी खत्म हो गई है? आज यूरिया की किल्लत की खबरें नहीं आतीं, यूरिया के लिए किसानों को लाठी नहीं खानी पड़तीं। हमने किसानों की इस तकलीफ को दूर करने के लिए पूरी ईमानदारी से काम किया। हमने कालाबाजारी रोकी, सख्त कदम उठाए, भ्रष्टाचार पर नकेल कसी। हमने सुनिश्चित किया कि यूरिया किसान के खेत में ही जाए। इन लोगों के समय में सब्सीडी तो किसान के नाम पर चढ़ाई जाती थी लेकिन उसका लाभ कोई ओर लेता था। हमने भ्रष्टाचार की इस जुगलबंदी को भी बंद कर दिया। हमने यूरिया की सौ प्रतिशत नीम कोटिंग की। देश के बड़े-बड़े खाद कारखाने जो तकनीक पुरानी होने के नाम पर बंद कर दिए गए थे, उन्हें हम फिर से शुरू करवा रहे हैं। अगले कुछ साल में यूपी के गोरखपुर में, बिहार के बरौनी में, झारखंड के सिंदरी में, ओडिशा के तालचेर में, तेलंगाना के रामागुंदम में आधुनिक फर्टिलाइजर प्लांट्स शुरू हो जाएंगे। 50-60 हजार करोड़ रुपए सिर्फ इस काम में खर्च किए जा रहे हैं। ये आधुनिक फर्टिलाइजर प्लांट्स, रोजगार के लाखों नए अवसर पैदा करेंगे, भारत को यूरिया उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने में मदद करेंगे। दूसरे देशों से यूरिया मंगवाने पर भारत के जो हजारों करोड़ रुपए खर्च होते हैं, उन्हें कम करेंगे। + +अगर पुरानी सरकारों को चिंता होती तो देश में 100 के करीब बड़े सिंचाई प्रोजेक्ट दशकों तक नहीं लटकते। बांध बनना शुरू हुआ तो पच्चीसों साल तक बन ही रहा है। बांध बन गया तो नहरें नहीं बनीं। नहरें बन गईं तो नहरों को आपस में जोड़ा नहीं गया। और इसमें भी समय और पैसे, दोनों की जमकर के बर्बादी की गई। अब हमारी सरकार हजारों करोड़ रुपए खर्च करके इन सिंचाई परियोजनाओं को मिशन मोड में पूरा करने में जुटी है। ताकि किसान के हर खेत तक पानी पहुंचाने की हमारी इच्छा पूरी हो जाये। + +एक्सपर्ट कहते हैं कि एग्रीकल्चर में मछलीपालन वो सेक्टर है जिसमें कम लागत में सबसे ज्यादा मुनाफा होता है। मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए हमारी सरकार ब्लू रिवॉल्यूशन स्कीम चला रही है। कुछ समय पहले ही 20 हजार करोड़ रुपए की प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना भी शुरू की गई है। इन्हीं प्रयासों का ही नतीजा है कि देश में मछली उत्पादन के पिछले सारे रिकॉर्ड टूट चूके हैं। अब देश, अगले तीन-चार साल में मछली निर्यात को एक लाख करोड़ रुपए से ज्यादा करने के लक्ष्य पर काम कर रहा है। + +अब मैं आपको जो आंकड़े दे रहा हूं, वो दूध का दूध और पानी का पानी कर देंगे। पिछली सरकार के समय गेहूं पर MSP थी 1400 रुपए प्रति क्विंटल। हमारी सरकार प्रति क्विंटल गेहूं पर 1975 रुपए MSP दे रही है। पिछली सरकार के समय धान पर MSP थी 1310 रुपए प्रति क्विंटल। हमारी सरकार प्रति क्विंटल धान पर करीब 1870 रुपए MSP दे रही है। पिछली सरकार में ज्वार पर MSP थी 1520 रुपए प्रति क्विंटल। हमारी सरकार ज्वार पर प्रति क्विंटल 2640 रुपए MSP दे रही है। पिछली सरकार के समय मसूर की दाल पर MSP थी 2950 रुपए। हमारी सरकार प्रति क्विंटल मसूर दाल पर 5100 रुपए MSP दे रही है। पिछली सरकार के समय चने पर MSP थी 3100 रुपए। हमारी सरकार अब चने पर प्रति क्विंटल 5100 रुपए MSP दे रही है। पिछली सरकार के समय तूर दाल पर MSP थी 4300 रुपए प्रति क्विंटल। हमारी सरकार तूर दाल पर प्रति क्विंटल 6000 रुपए MSP दे रही है। पिछली सरकार के समय मूंग दाल पर MSP थी 4500 रुपए प्रति क्विंटल।हमारी सरकार मूंग दाल पर करीब 7200 रुपए MSP दे रही है। + +ये इस बात का सबूत है कि हमारी सरकार MSP समय-समय पर बढ़ाने को कितनी तवज्जो देती है, कितनी गंभीरता दे देती है। MSP बढ़ाने के साथ ही सरकार का जोर इस बात पर भी रहा है कि ज्यादा से ज्यादा अनाज की खरीदारी MSP पर की जाए। पिछली सरकार ने अपने पांच साल में किसानों से लगभग 1700 लाख मिट्रिक टन धान खरीदा था। हमारी सरकार ने अपने पांच साल में 3000 लाख मिट्रिक टन धान किसानों से MSP पर खरीदा, करीब-करीब डबल। पिछली सरकार ने अपने पांच साल में करीब पौने चार लाख मिट्रिक टन तिलहन खरीदा था। हमारी सरकार ने अपने पांच साल में 56 लाख मिट्रिक टन से ज्यादा MSP पर खरीदा है। अब सोचिए, कहां पौने चार लाख और कहां 56 लाख !!! यानि हमारी सरकार ने न सिर्फ MSP में वृद्धि की, बल्कि ज्यादा मात्रा में किसानों से उनकी अपज को MSP पर खरीदा है। इसका सबसे बड़ा लाभ ये हुआ है कि किसानों के खाते में पहले के मुकाबले कहीं ज्यादा पैसा पहुंचा है। पिछली सरकार के पांच साल में किसानों को धान और गेहूं की MSP पर खरीदने के बदले 3 लाख 74 हजार करोड़ रुपए ही मिले थे। हमारी सरकार ने इतने ही साल में गेहूं और धान की खरीद करके किसानों को 8 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा दिए हैं। + +हमारी सरकार ने किसानों से पहले की तुलना में 112 लाख मीट्रिक टन दाल MSP पर खरीदी। सोचिए, डेढ़ लाख उनके जमाने में वहां से हम सीधे ले गए 112 लाख मीट्रिक टन !उन लोगों ने अपने 5 सालों में दाल किसानों को, दाल पैदा करने वाले किसानों को कितना रूपया दिया? साढ़े 6 सौ करोड़ रुपए दिए, हमारी सरकार ने क्या किया, हमने करीब-करीब 50 हज़ार करोड़ रुपए दाल पैदा करने वाले किसानों को दिया। आज दाल के किसान को भी ज्यादा पैसा मिल रहा है, दाल की कीमतें भी कम हुई हैं, जिससे गरीब को सीधा फायदा हुआ है। जो लोग किसानों को न MSP दे सके, न MSP पर ढंग से खरीद सके, वो MSP पर किसानों को गुमराह कर रहे हैं। + +नए कृषि सुधारों को लेकर तीसरा बहुत बड़ा झूठ चल रहा है फार्मिंग एग्रीमेंट को लेकर। देश में फार्मिंग एग्रीमेंट कोई नई चीज नहीं है? क्या कोई नया कानून बनाकर हम अचानक फार्मिंग एग्रीमेंट को लागू कर रहे हैं? जी नहीं। हमारे देश में बरसों से फार्मिंग एग्रीमेंट की व्यवस्था चल रही है। एक दो नहीं बल्कि अनेक राज्यों में पहले से फार्मिंग एग्रीमेंट होते रहे हैं। अभी किसी ने मुझे एक अखबार की रिपोर्ट भेजी 8 मार्च 2019 की। इसमें पंजाब की कांग्रेस सरकार, किसानों और एक मल्टीनेशनल कंपनी के बीच 800 करोड़ रुपए के फार्मिंग एग्रीमेंट का जश्न मना रही है, इसका स्वागत कर रही है। पंजाब के मेरे किसान भाई-बहनों की खेती में ज्यादा से ज्यादा निवेश हो, ये हमारी सरकार के लिए भी खुशी की ही बात है। + +आज मैंने कई बातों पर विस्तार से बात की है। कई विषयों पर सच्चाई देश के सामने रखी है। अभी 25 दिसंबर को, श्रद्धेय अटल जी की जन्मजयंती पर एक बार फिर मैं इस विषय पर देशभर के किसानों के साथ विस्तार से बात करने वाला हूं। उस दिन पीएम किसान सम्मान निधि की एक और किस्त करोड़ों किसानों के बैंक खातों में एक साथ ट्रांसफर की जाएगी। भारत का किसान बदलते समय के साथ चलने के लिए, आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए मेरे देश का किसान चल पड़ा है। + diff --git a/pm-speech/283.txt b/pm-speech/283.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..920f7edab5383f3b948595815dcddb390141002f --- /dev/null +++ b/pm-speech/283.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +आज कच्छ में भी नई ऊर्जा का संचार हो रहा है। सोचिए, हमारे कच्छ में, दुनिया का सबसे बड़ा Hybrid Renewable Energy पार्क। और ये कितना बड़ा है? जितना बड़ा सिंगापुर देश है, बहरीन देश है, लगभग उतने बड़े क्षेत्र में कच्छ का ये Renewable Energy पार्क होने वाला है। अब आपको अंदाज आता होगा कि कितना विशाल होने वाला है। 70 हजार हेक्टेयर, यानि भारत के बड़े-बड़े शहरों से भी बड़ा ये कच्छ का Renewable Energy पार्क। ये जब सुनते हैं न, ये शब्द कान में पड़ते हैं ये  सुनकर ही कितना अच्छा लगता है ! लगता है कि नहीं लगता है कच्छ वालों को ! मन कितना गर्व से भर जाता है ! + +आज कच्छ ने New Age Technology और New Age Economy, दोनों ही दिशा में बहुत बड़ा कदम उठाया है। खावड़ा में Renewable Energy पार्क हो, मांडवी में डी-सेलीनेशन plant हो, और अंजार में सरहद डेहरी के नए ऑटोमैटिक प्लांट का शिलान्यास, तीनों ही कच्छ की विकास यात्रा में नए आयाम लिखने वाले हैं। और इसका बहुत बड़ा लाभ यहां के मेरे किसान भाईयों बहनों को, पशुपालक भाईयों बहनों को, यहां के सामान्य नागरिकों को और विशेषकर हमारी माताओं बहनों को होने वाला है। + +गुजरात देश का पहला राज्य है जिसने सौर ऊर्जा को ध्यान में रखते हुए नीतियां बनाईं, निर्णय लिए। हमने नहरों तक पर सोलर पैनल लगा दिए जिसकी चर्चा विदेशों तक में हुई है। मुझे याद है जब गुजरात ने सोलर पावर को बढ़ावा देना शुरू किया था, तो ये भी बात आई थी कि इतनी महंगी बिजली का क्या करेंगे? क्योंकि जब गुजरात ने इतना बड़ा कदम उठाया था तब सोलर पावर उससे जो बिजली थी वो 16 रुपए या 17 रुपए प्रति यूनिट बिजली मिलने की बात थी। लेकिन भविष्य की संभावनाओं को देखते हुए गुजरात ने इस पर काम जारी रखा। आज वही बिजली गुजरात ही नहीं पूरे देश में 2 रुपए, 3 रुपए प्रति यूनिट बिक रही है। गुजरात ने तब जो काम किया था, उसके तब के अनुभव आज देश को दिशा दिखा रहे हैं। आज भारत Renewable energy के उत्पादन के मामले में दुनिया की चौथी बड़ी ताकत है। हर हिन्दुस्तानी को गर्व होगा दोस्तों, बीते 6 साल में हमारी सौर ऊर्जा, उसकी हमारी क्षमता 16 गुणा बढ़ गई है। हाल में एक क्लीन एनर्जी इन्वेस्टमेंट रैंकिंग आई है। इस क्लीन एनर्जी इन्वेस्टमेंट रैंकिंग जो है 104 देशों का मूल्यांकन हुआ है और नतीजा ये निकला है कि दुनिया के 104 देशों में पहले तीन में भारत ने अपनी जगह बना ली है। क्लाइमेट चेंज के खिलाफ लड़ाई में अब भारत, पूरी दुनिया को दिशा दिखा रहा है, नेतृत्व कर रहा है। + diff --git a/pm-speech/285.txt b/pm-speech/285.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..6fb5c1fe8270b9132ecb39332c9af2e1a1e0ee61 --- /dev/null +++ b/pm-speech/285.txt @@ -0,0 +1,18 @@ +हमेशा से Global Pandemic के साथ एक इतिहास, एक सबक जुड़ा रहा है। जो देश ऐसी महामारी के समय अपने ज्यादा से ज्यादा नागरिकों को बचा ले जाता है, उस देश की बाकी सारी व्‍यवस्‍थाएँ, उतनी ही तेजी के साथ Rebound करने की ताकत रखती हैं। इस महामारी के समय, भारत ने अपने नागरिकों के जीवन को सर्वोच्च प्राथमिकता दी, ज्यादा से ज्यादा लोगों का जीवन बचाया और आज इसका नतीजा देश भी देख रहा है, दुनिया भी देख रही है। भारत ने जिस तरह बीते कुछ महीनों में एकजुट होकर काम किया है, नीतियां बनाई हैं, निर्णय लिए हैं, स्थितियों को संभाला है, उसने पूरी दुनिया को चकित कर रख दिया है। बीते 6 वर्षों में दुनिया का जो विश्वास भारत पर बना था, वो बीते महीनों में और मजबूत हुआ है। FDI हो या FPI, विदेशी निवेशकों ने रिकॉर्ड इन्वेस्टमेंट भारत में किया है और निरंतर कर रहे हैं। + +आज देश का प्रत्येक नागरिक, आत्मनिर्भर भारत अभियान को सफल बनाने के लिए प्रतिबद्ध है, लोकल के लिए वोकल होकर काम कर रहा है। ये एक जीवंत उदाहरण है कि देश को अपने प्राइवेट सेक्टर के सामर्थ्य पर कितना विश्वास है। भारत का प्राइवेट सेक्टर न सिर्फ हमारी domestic needs को पूरा कर सकता है, लेकिन globally भी अपनी पहचान उसको और मजबूती से स्थापित कर सकता है। + +अनुभव रहा है कि पहले के समय की नीतियों ने कई क्षेत्रों में inefficiency को संरक्षण दिया है, नए प्रयोग करने से रोका है। जबकि आत्मनिर्भर भारत अभियान हर क्षेत्र में efficiency को बढ़ावा देता है। ऐसे सेक्टर्स जिसमें भारत के पास long term comparative advantage है, उनमें Sunrise और Technology based industries को नई ऊर्जा देने पर ज्यादा बल दिया जा रहा है। हम चाहते हैं कि हमारी ये infant industries भी भविष्य में और अधिक strong और independent बनें। इसलिए आपने देखा होगा, एक और अहम कदम उठाया गया है। देश में Production Linked Incentive scheme शुरू की गई है। ये स्कीम उन उद्योगों के लिए है जिनमें भारत Global Champion बनने की क्षमता रखता है। जो Perform करेगा, जो efficiency से काम करेगा, जो अपने सेक्टर में देश को आत्मनिर्भर बनाएगा, वो Incentive का भी हकदार होगा। साथियों जीवन हो या गवर्नेंस, हम एक पैराडॉक्स अक्सर देखते हैं। जो confident होता है वो दूसरों को जगह देने में हिचकिचाता नहीं है। लेकिन जो दुर्बल मन का होता है, insecure होता है, वो अपने आसपास के लोगों को भी अवसर देने से डरता है। अक्सर सरकारों को लेकर भी ऐसा ही होता है। जनता जनार्दन के भारी समर्थन और विश्वास से बनी सरकार का अपना ही Confidence होता है और उतना ही Dedication भी होता है और तभी तो सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्‍वास इस मंत्र को चरितार्थ करने के लिए जी जान से सरकार जुटी रहती है। सरकार जितनी निर्णायक होती है वो दूसरों के लिए अड़चनों को उतना ही कम करती है। एक निर्णायक सरकार की हमेशा कोशिश होती है कि वो समाज के लिए, राष्ट्र के लिए ज्यादा से ज्यादा कंट्रीब्यूट करे। एक निर्णायक और आत्मविश्वास से भरी सरकार, ये भी नहीं चाहती कि सारा कंट्रोल अपने पास रखे, दूसरों को कुछ करने ही न दे। पहले के दौर में सरकारों की इस सोच के आप सभी साक्षी भी हैं और देश उसका शिकार भी रहा है। सोच क्‍या थी, सब कुछ सरकार करेगी। घड़ी बनानी हो- तो सरकार बनाती थी। स्कूटर बनाना हो- सरकार बनाती थी, टीवी बनाना हो- तो सरकार बनाती थी। यहां तक की ब्रेड और केक भी सरकार ही बनाती थी। हमने देखा है इस अप्रोच ने कितनी दुर्दशा की है। इससे अलग, एक दूरदर्शी और निर्णायक सरकार हर स्टेकहोल्डर को प्रोत्साहित करती है ताकि वो अपनी क्षमताओं का पूरा उपयोग कर सकें। + +पिछले 6 वर्षों में भारत ने भी ऐसी ही सरकार देखी है जो सिर्फ और सिर्फ 130 करोड़ देशवासियों के सपनों को समर्पित है जो हर स्तर पर देशवासियों को आगे लाने के लिए काम कर रही है। भारत में आज हर क्षेत्र में, हर स्टेकहोल्डर की भागीदारी बढ़ाने के लिए काम हो रहा है। इसी सोच के साथ Manufacturing से MSMEs तक, Agriculture से लेकर Infrastructure तक, tech industry से taxation तक, real estate से regulatory easing तक चौतरफा रिफॉर्म्स किए गए हैं। आज भारत में Corporate Tax दुनिया में सबसे Competitive है। आज भारत दुनिया के उन कुछ देशों में शामिल है जहां Faceless Assessment और फेसलेस अपील की सुविधा है। इंस्पेक्टर राज और टैक्स टेरेरिज्म के दौर को पीछे छोड़कर भारत, अपने देश के उद्यमियों के सामर्थ्य पर भरोसा करते हुए आगे बढ़ रहा है। माइनिंग हो, डिफेंस हो, स्पेस हो, ज्यादातर सेक्टर को इन्वेस्टमेंट के लिए, भारतीय टैलेंट के लिए, कंपटीशन के लिए आज अवसरों की, एक प्रकार से अनगिनत अवसरों की एक परंपरा खड़ी कर दी है। देश में Logistics को Competitive बनाने के लिए Multimodal Connectivity पर फोकस किया जा रहा है। + +बीते वर्षों में इन दीवारों को तोड़ने के लिए, कैसे एक Planned और Integrated अप्रोच के साथ रिफॉर्म किए गए हैं इसका एक बेहतरीन उदाहरण है- देश के करोड़ों लोगों का Financial inclusion, अब हम Banking Exclusion से Most inclusive देशों में शामिल हो गए हैं। आपभी इस बात के गवाह रहे हैं कि तमाम अवरोधों को दूर करते हुए भारत में किस तरह आधार को संवैधानिक संरक्षण दिया गया। हमने Unbanked को बैंकों से जोड़ा। सस्ता मोबाइल डेटा, सस्ते फोन उपलब्ध कराकार गरीब से गरीब को कनेक्ट किया। तब जाकर जनधन खाते, आधार और मोबाइल- JAM की Trinity देश को मिली। + +आज दुनिया का सबसे बड़ा डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर सिस्टम देश में काम कर रहा है, DBT देश में काम कर रहा है। अभी आपने भी एक इंटरनेशनल जर्नल की वो रिपोर्ट पढ़ी होगी जिसमें भारत में बनाई गई इस व्यवस्था की भूरी-भूरी प्रशंसा की गई है। कोरोना के समय में जब अनेक देशों के अपने नागरिकों तक सीधे पैसे भेजने में दिक्कत आ रही थी, वो Cheque और डाक विभाग पर निर्भर थे, भारत सिर्फ एक क्लिक से हजारों करोड़ रुपए कोटि-कोटि नागरिकों के बैंक खातों में ट्रांसफर कर रहा था, पल भर में वो भी तब जब बैंक बंद थे, देश में लॉकडाउन था। अंतरराष्ट्रीय जगत के बड़े-बड़े जानकार, अब ये कह रहे हैं कि भारत के इस मॉडल से दूसरे देशों को भी सीखना चाहिए। ये पढ़कर, ये सुनकर, किसे गर्व नहीं होगा। + +हम जैसा गांव और छोटे शहरों का माहौल टीवी या फिल्मों में देखते हुए बड़े हुए हैं, उससे इनके बारे में एक अलग धारणा बनना स्वभाविक है। शहरों और गांवों के बीच Physical दूरी कभी उतनी नहीं रही जितनी दूरी Perspective को लेकर रही है। कुछ लोगों के लिए गांव का मतलब ऐसी जगह रहा है, जहां आना-जाना मुश्किल हो, जहां बहुत कम सुविधाएं हों, बहुत कम विकास हुआ हो, पिछड़ापन ही पिछड़ापन पड़ा हुआ है। लेकिन अगर आप आज rural या semi-rural इलाकों में जाएंगे तो आपको एकदम अलग दृश्य मिलेगा, एक नई आशा, नया विश्‍वास आपको नजर आएगा। आज का ग्रामीण भारत बहुत बड़े बदलाव के दौर से गुजर रहा है। क्या आप जानते हैं कि rural India में active internet users की संख्या शहरों से ज्यादा हो चुकी है? क्या आप जानते हैं कि भारत के आधे से ज्यादा start-ups हमारे Tier-2, Tier-3 शहरों में हैं। प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना से देश की लगभग 98 प्रतिशत बस्तियां सड़कों से जुड़ चुकी हैं। कहने का मतलब ये कि गांव के लोग अब बाज़ार, स्कूल, अस्पताल और दूसरी सुविधाओं से तेजी से जुड़ रहे हैं। गांव में रहने वालों की आकांक्षा बढ़ रही है, वो socio-economic mobility चाहते हैं। सरकार अपनी तरफ से इन्हीं आकांक्षाओं की पूर्ति करने में जुटी है। अब जैसे हाल में लॉन्च की गई PM-WANI योजना, उस PM-WANI योजना को ही ले लीजिए। इस योजना के तहत देशभर में सार्वजनिक Wi-Fi hotspots का नेटवर्क तैयार किया जाएगा। इससे गांव-गांव में कनेक्टिविटी का व्यापक विस्तार होगा। मेरा तमाम उद्यमियों से आग्रह रहेगा कि इस अवसर का उपयोग करते हुए rural और semi-rural क्षेत्रों में बेहतर कनेक्टिविटी के प्रयासों में भागीदार बनें। ये निश्चित है कि 21वीं सदी के भारत की ग्रोथ को गांव और छोटे शहर ही सपोर्ट करने वाले हैं। इसलिए, आप जैसे entrepreneurs को गांवों और छोटे शहरों में investment का मौका बिल्कुल नहीं गंवाना चाहिए। आपके द्वारा किया गया Investment, हमारे गांवो में रहने वाले भाई-बहनों के लिए, हमारे एग्रीकल्चर सेक्टर के लिए संभावनाओं के नए द्वार खोलेगा। + +हमारे देश में पहले इथेनॉल तक को प्राथमिकता देकर Import किया जाता था। जबकि खेतों में गन्ना किसान परेशान रहता था कि उसका गन्ना बिक नहीं रहा या उसके गन्ना किसानों का हजारों करोड़ रुपए का बकाया भी समय पर मिलता नहीं था। हमने इस स्थिति को बदला। हमने देश में ही इथेनॉल के उत्पादन को बढ़ावा दिया। पहले चीनी बनती थी, गुड़ बनता था, कभी चीनी के दाम गिर जाते थे, तो किसान को पैसे नहीं मिलते थे, कभी चीनी के दाम बढ़ जाते थे तो consumer को तकलीफ होती थी यानि कोई व्‍यवस्‍था ऐसे चल ही नहीं सकती थी और दूसरी तरफ हम हमारे कार-स्‍कूटर चलाने के लिए विदेशों से पेट्रोल लाते थे, अब ये काम इथेनॉल भी कर सकता था। अब देश में, पेट्रोल में 10 प्रतिशत तक इथेनॉल की ब्लेंडिंग करने की तरफ बढ़ रहा है। सोचिए, इससे कितना बड़ा बदलाव आने वाला है। इससे गन्ना किसानों की आमंदनी तो बढ़ेगी ही, रोजगार के भी नए अवसर मिलेंगे। + +आज जब मैं उद्योग जगत के वरिष्ठ लोगों के बीच हूं तो इस बात को भी खुलकर कहूंगा कि जितना हमारे देश में एग्रीकल्चर पर प्राइवेट सेक्टर द्वारा निवेश किया जाना चाहिए था, दुर्भाग्य से उतना नहीं हुआ। इस सेक्टर को प्राइवेट सेक्टर द्वारा उतना Explore ही नहीं किया गया। हमारे यहां कोल्ड स्टोरेज की समस्याएं रहीं हैं, बिना प्राइवेट सेक्टर के सपोर्ट के सप्लाई चेन बहुत सीमित दायरे में काम करती रही है। फर्टिलाइजर की किल्लत होती है, आपने भी देखी है, इसका कितना Import भारत करता है, आप भी जानते हैं। एग्रीकल्चर सेक्टर की ऐसी कितनी ही चुनौतियों के समाधान के लिए केंद्र सरकार निरंतर काम कर रही है। लेकिन इसमें आपके Interest और आपके Investment, दोनों की आवश्यकता है। मैं मानता हूं कि एग्रीकल्चर से जुड़ी कई कंपनियां अच्छा काम कर रही हैं लेकिन सिर्फ उतना ही काफी नहीं है। फसलें उगाने वाले किसानों को, फल-सब्जियां उगाने वाले किसानों को जितना आधुनिक technology का, आधुनिक व्‍यापार और उद्योग के तौर-तरीके का जितना सपोर्ट मिलेगा, उनकी जरूरतों को देखते हुए जितना हम Invest करेंगे, उतना ही हमारे देश के किसानों का, फसलों का नुकसान कम होगा, उतनी ही उनकी आय बढ़ेगी। आज ग्रामीण क्षेत्र में agro based industry के लिए बहुत बड़ा स्कोप है पहले की नीतियां जो भी रहीं हों, लेकिन आज की Policies ग्रामीण कृषि आधारित अर्थव्‍यवस्‍था विकसित करने के लिए बहुत अनुकूल हैं। नीति से और नीयत से, सरकार पूरी तरह किसानों का हित करने के लिए प्रतिबद्ध है। + diff --git a/pm-speech/288.txt b/pm-speech/288.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..ff9b9f96f4f8342935b18ca1d32076aaa50849e8 --- /dev/null +++ b/pm-speech/288.txt @@ -0,0 +1,16 @@ +लोकसभा के अध्यक्ष श्रीमान ओम बिरला जी, राज्यसभा के उपसभापति श्रीमान हरिवंश जी, केंद्रीय मंत्रिपरिषद के मेरे साथी श्री प्रह्लाद जोशी जी, श्री हरदीप सिंह पुरी जी, अन्‍य राजनीतिक दलों के प्रतिनिधिगण, वर्चुअल माध्यम से जुड़े अनेक देशों की पार्लियामेंट के स्पीकर्स, यहां उपस्थित अनेक देशों के एंबेसेडर्स, Inter-Parliamentary Union के मेंबर्स, अन्य महानुभाव और मेरे प्यारे देशवासियों, आज का दिन, बहुत ही ऐतिहासिक है। आज का दिन भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में मील के पत्थर की तरह है। भारतीयों द्वारा, भारतीयता के विचार से ओत-प्रोत, भारत के संसद भवन के निर्माण का शुभारंभ हमारी लोकतांत्रिक परंपराओं के सबसे अहम पड़ाव में से एक है। हम भारत के लोग मिलकर अपनी संसद के इस नए भवन को बनाएंगे। + +नए संसद भवन का निर्माण, नूतन और पुरातन के सह-अस्तित्व का उदाहरण है। ये समय और जरुरतों के अनुरूप खुद में परिवर्तन लाने का प्रयास है। मैं अपने जीवन में वो क्षण कभी नहीं भूल सकता जब 2014 में पहली बार एक सांसद के तौर पर मुझे संसद भवन में आने का अवसर मिला था। तब लोकतंत्र के इस मंदिर में कदम रखने से पहले, मैंने सिर झुकाकर, माथा टेककर लोकतंत्र के इस मंदिर को नमन किया था। हमारे वर्तमान संसद भवन ने आजादी के आंदोलन और फिर स्वतंत्र भारत को गढ़ने में अपनी अहम भूमिका निभाई है। आज़ाद भारत की पहली सरकार का गठन भी यहीं हुआ और पहली संसद भी यहीं बैठी। इसी संसद भवन में हमारे संविधान की रचना हुई, हमारे लोकतंत्र की पुनर्स्थापना हुई। बाबा साहेब आंबेडकर और अन्य वरिष्ठों ने सेंट्रल हॉल में गहन मंथन के बाद हमें अपना संविधान दिया। संसद की मौजूदा इमारत, स्वतंत्र भारत के हर उतार-चढ़ाव, हमारी हर चुनौतियों, हमारे समाधान, हमारी आशाओं, आकांक्षाओं, हमारी सफलता का प्रतीक रही है। इस भवन में बना प्रत्येक कानून, इन कानूनों के निर्माण के दौरान संसद भवन में कही गई अनेक गहरी बातें, ये सब हमारे लोकतंत्र की धरोहर है। + +संसद के शक्तिशाली इतिहास के साथ ही यथार्थ को भी स्वीकारना उतना ही आवश्यक है। ये इमारत अब करीब-करीब सौ साल की हो रही है। बीते दशको में इसे तत्कालीन जरूरतों को देखते हुए निरंतर अपग्रेड किया गया। इस प्रक्रिया में कितनी ही बार दीवारों को तोड़ा गया है। कभी नया साउंड सिस्टम, कभी फायर सेफ्टी सिस्टम, कभी IT सिस्टम। लोकसभा में बैठने की जगह बढ़ाने के लिए तो दीवारों को भी हटाया गया है। इतना कुछ होने के बाद संसद का ये भवन अब विश्राम मांग रहा है। अभी लोकसभा अध्यक्ष जी भी बता रहे थे कि किस तरह बरसों से मुश्किलों भरी स्थिति रही है, बरसों से नए संसद भवन की जरूरत महसूस की गई है। ऐसे में ये हम सभी का दायित्व बनता है कि 21वीं सदी के भारत को अब एक नया संसद भवन मिले। इसी दिशा में आज ये शुभारंभ हो रहा है। और इसलिए, आज जब हम एक नए संसद भवन का निर्माण कार्य शुरू कर रहे हैं, तो वर्तमान संसद परिसर के जीवन में नए वर्ष भी जोड़ रहे हैं। + +संसद भवन की शक्ति का स्रोत, उसकी ऊर्जा का स्रोत, हमारा लोकतंत्र है। आज़ादी के समय किस तरह से एक लोकतांत्रिक राष्ट्र के रूप में भारत के अस्तित्व पर संदेह और शंकाएं जताई गई थीं, ये इतिहास का हिस्सा है। अशिक्षा, गरीबी, सामाजिक विविधता और अनुभवहीनता जैसे अनेक तर्कों के साथ ये भविष्यवाणी भी कर दी गई थी कि भारत में लोकतंत्र असफल हो जाएगा। आज हम गर्व से कह सकते हैं कि हमारे देश ने उन आशंकाओं को ना सिर्फ गलत सिद्ध किया है बल्कि 21वीं सदी की दुनिया भारत को एक अहम लोकतांत्रिक ताकत के रूप में आगे बढ़ते हुए देख भी रही है। + +आमतौर पर अन्य जगहों पर जब डेमोक्रेसी की चर्चा होती है तो ज्‍यादातर चुनाव, चुनाव की प्रक्रिया, इलेक्टेड मेंबर्स, उनके गठन की रचना, शासन-प्रशासन, लोकतंत्र की परिभाषा इन्‍हीं चीजों के आसपास रहती है। इस प्रकार की व्यवस्था पर अधिक बल देने को ही ज्‍यादातर स्थानों पर उसी को डेमोक्रेसी कहते हैं। लेकिन भारत में लोकतंत्र एक संस्कार है। भारत के लिए लोकतंत्र जीवन मूल्य है, जीवन पद्धति है, राष्ट्र जीवन की आत्मा है। भारत का लोकतंत्र, सदियों के अनुभव से विकसित हुई व्यवस्था है। भारत के लिए लोकतंत्र में, जीवन मंत्र भी है, जीवन तत्व भी है और साथ ही व्यवस्था का तंत्र भी है। समय-समय पर इसमें व्यवस्थाएं बदलती रहीं, प्रक्रियाएं बदलती रहीं लेकिन आत्मा लोकतंत्र ही रही। और विडंबना देखिए, आज भारत का लोकतंत्र हमें पश्चिमी देशों से समझाया जाता है। जब हम विश्वास के साथ अपने लोकतांत्रिक इतिहास का गौरवगान करेंगे, तो वो दिन दूर नहीं जब दुनिया भी कहेगी- India is Mother of Democracy. + +हमारे यहां जब मंदिर के भवन का निर्माण होता है तो शुरू में उसका आधार सिर्फ ईंट-पत्थर ही होता है। कारीगर, शिल्पकार, सभी के परिश्रम से उस भवन का निर्माण पूरा होता है। लेकिन वो भवन, एक मंदिर तब बनता है, उसमें पूर्णता तब आती है जब उसमें प्राण-प्रतिष्ठा होती है। प्राण-प्रतिष्ठा होने तक वो सिर्फ एक इमारत ही रहता है। + +21वीं सदी भारत की सदी हो, ये हमारे देश के महापुरुषों और महान नारियों का सपना रहा है। लंबे समय से इसकी चर्चा हम सुनते आ रहे हैं। 21वीं सदी भारत की सदी तब बनेगी, जब भारत का एक-एक नागरिक अपने भारत को सर्वश्रेष्ठ बनाने के लिए अपना योगदान देगा। बदलते हुए विश्व में भारत के लिए अवसर बढ़ रहे हैं। कभी-कभी तो लगता है जैसे अवसर की बाढ़ आ रही है। इस अवसर को हमें किसी भी हालत में, किसी भी सूरत में हाथ से नहीं निकलने देना है। पिछली शताब्दी के अनुभवों ने हमें बहुत कुछ सिखाया है। उन अनुभवों की सीख, हमें बार-बार याद दिला रही है कि अब समय नहीं गंवाना है, समय को साधना है। + +एक बहुत पुरानी और महत्‍वपूर्ण बात का मैं आज जिक्र करना चाहता हूं। वर्ष 1897 में स्वामी विवेकानंद जी ने देश की जनता के सामने, अगले 50 सालों के लिए एक आह्वान किया था। और स्‍वामीजी ने कहा था कि आने वाले 50 सालों तक भारत माता की आराधना ही सर्वोपरि हो। देशवासियों के लिए उनका यही एक काम था भारत माता की अराधना करना। और हमने देखा उस महापुरुष की वाणी की ताकत, इसके ठीक 50 वर्ष बाद, 1947 में भारत को आजादी मिल गई थी। आज जब संसद के नए भवन का शिलान्यास हो रहा है, तो देश को एक नए संकल्प का भी शिलान्यास करना है। हर नागरिक को नए संकल्‍प का शिलान्‍यास करना है। स्वामी विवेकानंद जी के उस आह्वान को याद करते हुए हमें ये संकल्प लेना है। ये संकल्प हो India First का, भारत सर्वोपरि। हम सिर्फ और सिर्फ भारत की उन्नति, भारत के विकास को ही अपनी आराधना बना लें। हमारा हर फैसला देश की ताकत बढ़ाए। हमारा हर निर्णय, हर फैसला, एक ही तराजू में तौला जाए। और वो तराजू है- देश का हित सर्वोपरि, देश का हित सबसे पहले। हमारा हर निर्णय, वर्तमान और भावी पीढ़ी के हित में हो। + diff --git a/pm-speech/289.txt b/pm-speech/289.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..c9858f118bdacc2443d7b53c7160f3b6fb24556a --- /dev/null +++ b/pm-speech/289.txt @@ -0,0 +1,10 @@ +यह आपका नवाचार और प्रयास ही हैं कि महामारी के बावजूद दुनिया क्रियाशील बनी हुई है। ये आपके प्रयास ही हैं कि एक बेटा दूसरे शहर में मौजूद अपनी मां से जुड़ा हुआ है, एक विद्यार्थी कक्षा में बिना बैठे ही अपने शिक्षक से पढ़ रहा है, एक मरीज घर से ही अपने चिकित्सक से परामर्श ले रहा है, एक व्यापारी दूसरे क्षेत्र में स्थित अपने ग्राहक से जुड़ा हुआ है। + +आज हम एक अरब से ज्यादा फोन उपयोग करने वालों का देश हैं। आज, हमारे यहां एक अरब से ज्यादा लोगों के पास विशेष डिजिटल पहचान है। आज हमारे यहां 75 करोड़ इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं। इंटरनेट की पैठ की स्थिति और गति का आकलन निम्नलिखित तथ्यों से किया जा सकता है : भारत में कुल इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की आधी संख्या पिछले चार साल में ही बढ़ी है। इंटरनेट उपयोग करने वालों की आधी संख्या ग्रामीण इलाकों से संबंधित है।हमारा डिजिटल आकार और डिजिटल इच्छाएं अप्रत्याशित हैं। हम एक ऐसा देश हैं, जहां टैरिफ दुनिया में सबसे कम हैं। हम दुनिया में सबसे तेजी से उभरते ऐप बाजारों में से एक हैं। हमारे देश की डिजिटल क्षमताएं शायद मानव जाति के इतिहास में बेजोड़ हैं। + +हमने भारत में मोबाइल विनिर्माण में अच्छी सफलता हासिल की है। भारत मोबाइल विनिर्माण के लिए सबसे पसंदीदा केन्द्रों में से एक देश के रूप में उभर रहा है। हमने भारत में दूरसंचार उपकरण विनिर्माण को प्रोत्साहन देने के लिए उत्पादन संबद्ध प्रोत्साहन योजना भी पेश की है। चलिए, भारत को दूरसंचार उपकरण, डिजाइन, विकास और विनिर्माण का एक वैश्विक हब बनाने के लिए मिलकर काम करते हैं। + +हम यह सुनिश्चित करने की योजना पर काम कर रहे हैं कि अगले तीन साल में हर गांव को तेज गति का फाइबर ऑप्टिक संपर्क हासिल हो जाए। हमने अंडमान निकोबार द्वीप समूह को फाइबर ऑप्टिक केबल से पहले ही जोड़ दिया है। हमने ऐसे कार्यक्रम पेश किए हैं जो विशेष रूप से आकांक्षी जिलों, वामपंथी आतंकवाद से प्रभावित जिलों, पूर्वोत्तर राज्यों, लक्षद्वीप द्वीप समूहों आदि पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जहां संपर्क में सुधार किया जा सकता है। हम फिक्स्ड लाइन ब्रॉडबैंक संपर्क और सार्वजनिक वाई-फाई हॉटस्पॉट का व्यापक प्रसार सुनिश्चित करने को उत्सुक हैं। + +जैसा कि मैं पहले ही कह चुका हूं की यह सिर्फ एक शुरुआत भर है। भविष्य में त्वरित तकनीक प्रगति के साथ व्यापक संभावनाएं छिपी हुई हैं। हमें भविष्य में तेजी से समयबद्ध तरीके से 5जी कार्यान्वयन सुनिश्चित करने और करोड़ों भारतीयों को सशक्त बनाने के लिए मिलकर काम करने की जरूरत है। मुझे उम्मीद है कि इस सभा में ऐसे सभी मसलों पर विचार किया जाएगा और ऐसे लाभकारी परिणाम मिलेंगे जो हमें इस महत्वपूर्ण अवसंरचना के विकास में आगे ले जाएंगे। + diff --git a/pm-speech/290.txt b/pm-speech/290.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..b6f37008d63d558e48f064289f4427bf7bfcb8f5 --- /dev/null +++ b/pm-speech/290.txt @@ -0,0 +1,10 @@ +आगरा में स्मार्ट सुविधाएं विकसित करने के लिए पहले ही लगभग 1 हज़ार करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा है। पिछले साल जिस Command and Control Centre का शिलान्यास करने का मुझो सौभाग्य मिला था। वो भी बनकर तैयार है। मुझे बताया गया है कि कोरोना के समय में ये सेंटर बहुत उपयोगी सिद्ध हुआ है। अब 8 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक का ये मेट्रो प्रोजेक्ट आगरा में स्मार्ट सुविधाओं के निर्माण से जुड़े मिशन को और मजबूत करेगा। + +बीते छह सालो में यूपी के साथ ही पूरे देश में जिस स्पीड और स्केल पर मेट्रो नेटवर्क पर काम हुआ, वही सरकार की पहचान और प्रतिबद्धता दोनो को दर्शाता है। 2014 तक देश में लगभग 215 किलोमीटर मेट्रो लाईन ऑपरेशनल हुई थी। साल 2014 के बाद के 6 वर्षो में देश में 450 किलोमीटर से ज्यादा मेट्रो लाईन देशभर में ऑपरेशनल है और लगभग 1000 मेट्रो लाईन पर तेज गति से काम भी चल रहा है। आज देश के 27 शहरों में मेट्रो का काम या तो पूरा हो चुका है या फिर काम अलग-अलग चरणो में है। यूपी की ही बात करें तो आगरा मेट्रो सुविधा से जुड़ने वाला ये यूपी का सातवां शहर है और इनके बीच एक और बात बहुत विशेष है। देश में सिर्फ मेट्रो रेल नेटवर्क ही नही बन रहे हैं। ब्लकि आज मेट्रो कोच भी Make in India के तहत भारत में ही बन रहे हैं। यही नही, जो सिग्लन सिस्टम है उसका भी पूरी तरह से भारत में ही निर्माण हो, इस पर भी काम चल रहा है। यानि अब मेट्रो नेटवर्क के मामले में भी भारत आत्मनिर्भर हो रहे हैं। + +आज के नए भारत के सपने उतने ही बड़े हैं, उतने ही विराट हैं।लेकिन सिर्फ सपने देखने से काम नहीं चलता, सपनों को साहस के साथ पूरा भी करना पड़ता है। जब आप साहस के साथ, समर्पण के साथ आगे बढ़ते हैं तो कोई भी बाधा आपको रोक नहीं सकती। भारत का सामान्य युवा, भारत के छोटे शहर आज यही साहस दिखा रहे हैं, यही समर्पण दिखा रहे हैं। 20वीं सदी में जो भूमिका देश के मेट्रो शहरों ने निभाई, उसी भूमिका को विस्तार देने का काम अब हमारे आगरा जैसे छोटे शहर कर रहे हैं। छोटे शहरों को आत्मनिर्भर भारत की धुरी बनाने के लिए ही अनेक विकास पर बहुत ज्यादा जोर दिया जा रहा है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के इन शहरों में तो हर वो चीज है, जो आत्मनिर्भरता के लिए हमें चाहिए। यहां की भूमि, यहां के किसानों में अपार सामर्थ्य है। पशुधन के मामले में भी ये क्षेत्र देश में अग्रणी है। ऐसे में यहां डेयरी और फूड प्रोसेसिंग से जुड़े उद्योग के लिए, बहुत संभावनाएं हैं। इसके अलावा ये क्षेत्र सर्विस सेक्टर और मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में भी आगे बढ़ रहा है। + +आधुनिक सुविधाएं मिलने से, आधुनिक कनेक्टिविटी मिलने से पश्चिमी यूपी का ये सामर्थ्य और बढ़ रहा है। देश का पहला Rapid rail Transport system मेरठ से दिल्ली के बीच बन रहा है। दिल्ली-मेरठ के बीच 14 लेन का एक्सप्रेस-वे भी जल्द ही इस क्षेत्र के लोगों को सेवा देने लगेगा। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अनेक जिलों को जोड़ने वाले गंगा एक्सप्रेसवे को योगी जी की सरकार पहले ही स्वीकृति दे चुकी है। यही नहीं, यूपी में दर्जनों एयरपोर्ट्स को रीजनल कनेक्टिविटी के लिए तैयार किया जा रहा है। इसमें भी अधिकतर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हैं। + +ताजमहल जैसी धरोहरों के आसपास आधुनिक सुविधाएं विकसित करने के साथ ही टूरिस्टों के लिए Ease of Travelling भी बढ़ाई जा रही है। सरकार ने न सिर्फ e-Visa Scheme में शामिल देशों की संख्या में काफी वृद्धि की है, इसके साथ ही hotel room tariff पर टैक्स को भी काफी कम किया है। स्वदेश दर्शन और प्रसाद जैसी योजनाओं के माध्यम से भी टूरिस्टों को आकर्षित करने के प्रयास किए जा रहे हैं। सरकार के प्रयासों से भारत अब Travel और Tourism Competitiveness Index में 34वें नंबर पर आ गया है। जबकि 2013 में भारत इसी इंडेक्स में 65वें नंबर पर रुका पड़ा था। आज वहां से इतनी प्रगति हुई है। + diff --git a/pm-speech/292.txt b/pm-speech/292.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..af9484d7a4b1c23ae721979240fa367fb6ad8748 --- /dev/null +++ b/pm-speech/292.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +लगभग एक महीने तक चले इस सम्मेलन ने विज्ञान और नवाचार के क्षेत्र में शीर्ष गुणवत्ता की प्रतिभा को जोड़ने का काम किया। इसमें भाग लेने वालों की संख्या तेईस हजार के आसपास रही। 230 पैनल चर्चा हुईं। लगभग 730 घंटे चर्चा हुईं। यह शिखर सम्मेलन उत्पादक था और इसने विज्ञान और नवाचार क्षेत्र में भविष्य की साझेदारियों की लय को तय कर दिया है। + +पैन आईआईटी आंदोलन की सामूहिक शक्ति आत्मनिर्भर भारत या सेल्फ रिलायंट इंडिया बनने के हमारे सपने को रफ्तार दे सकता है। स्वतंत्र भारत के इतिहास में कुछ अहम मोड़ों पर, दुनिया भर में फैले भारतीय प्रवासियों ने एक उभरते हुए भारत में अपना भरोसा जताया। वे नए भारत के एंबेस्डर बन गए। और, उनकी आवाज यह सुनिश्चित करने में बेहद महत्वपूर्ण थी कि दुनिया सही अर्थों में भारत के दृष्टिकोण को समझे। + +दो साल बाद, 2022 में भारत आजादी के 75 साल पूरे कर लेगा। मैं पैन आईआईटी आंदोलन से “गिविंग बैक टू इंडिया” (भारत को वापस लौटाने) पर एक उच्च मानदंड स्थापित करने का आग्रह करता हूं। अपने शिक्षण संस्थान के लिए आपके प्रयास जगजाहिर हैं और प्रेरणा देने वाला हैं। मुझे मालूम है कि आप में से कई लोग अपने जूनियर्स को- शिक्षा दो या उद्योग, करियर का सही रास्ता चुनने में सलाह देते हैं। आज, उनमें से कई लोग खुद के उपक्रम शुरू करना चाहते हैं। वे तेज दिमाग और आत्मविश्वास से भरे युवा हैं, जो अपनी कड़ी मेहनत और नवाचार से एक छाप छोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। + diff --git a/pm-speech/293.txt b/pm-speech/293.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..4bd92628c24f0e363021db7d7e994896cdb304ca --- /dev/null +++ b/pm-speech/293.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +इस बारे में बीते दिनों मेरी सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से भी लंबी बात हुई थी।टीकाकरण को लेकर राज्य सरकारों के अनेक सुझाव भी मिले थे।कुछ दिन पहले मेरी Made In India वैक्सीन बनाने का प्रयास कर रही वैज्ञानिकटीमें हैं से काफी देर तक उनसे बहुत ही सार्थक मेरीबातचीत हुई है।वैज्ञानिकों से मिलने का भी मौका मिला है। और भारत के वैज्ञानिक अपनी सफलता को लेकर बहुत ही आश्वस्त हैं। उनका confidence level बहुत ही मजबूत है। अभी अन्य देशों की कई वैक्सीनों के नाम बाजार में हम सब सुन रहें हैं। लेकिन फिर भी दुनिया की नजर कम कीमत वाली सबसे सुरक्षित वैक्सीन पर है और इस वजह से स्वाभाविक है पूरी दुनिया की नजर भारत पर भी है।अहमदाबाद, पुणे और हैदराबाद जाकर मैंने ये भी देखा है कि वैक्सीन मैन्यूफैक्चरिंग को लेकर देश की तैयारियां कैसी हैं। + diff --git a/pm-speech/294.txt b/pm-speech/294.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..f6f09f88d8f9d69a1c2cec804519ad9bfa2b73df --- /dev/null +++ b/pm-speech/294.txt @@ -0,0 +1,4 @@ +नारायण क विशेष महीना मानै जाने वाले पुण्य कार्तिक मास के आपन काशी के लोग कतिकि पुनवासी कहैलन। अऊर इ पुनवासी पर अनादि काल से गंगा में डुबकी लगावै, दान- पुण्य क महत्व रहल हौ। बरसों बरस से श्रद्धालु लोगन में कोई पंचगंगा घाट तो कोई दशाश्वमेध, शीतला घाट या अस्सी पर डुबकी लगावत आयल हौ। पूरा गंगा तट अऊर गोदौलिया क हरसुंदरी, ज्ञानवापी धर्मशाला तो भरल पडत रहल। पंडित रामकिंकर महाराज पूरे कार्तिक महीना बाबा विश्वनाथ के राम कथा सुनावत रहलन। देश के हर कोने से लोग उनकर कथा सुनैं आवैं। + +अभी यहाँ से मैं भगवान बुद्ध की स्थली सारनाथ जाऊंगा। सारनाथ में शाम के समय पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए और लोक शिक्षा के लिए भी आप सबकी जो लंबे समय से मांग थी वो अब पूरी हो गई है। लेजर शो में अब भगवान बुद्ध के करुणा, दया और अहिंसा के संदेश साकार होंगे। ये संदेश आज और भी प्रासंगिक हो जाते हैं जब दुनिया हिंसा, अशांति और आतंक के खतरे देखकर चिंतित है। भगवान बुद्ध कहते थे– न हि वेरेन वेरानि सम्मन्ती ध कुदाचन अवेरेन हि सम्मन्ति एस धम्मो सनन्तनो अर्थात वैर से वैर कभी शांत नहीं होता। अवैर से वैर शांत हो जाता है। देव दीपावली से देवत्व का परिचय कराती काशी से भी यही संदेश है कि हमारा मन इन्हीं दीपों की तरह जगमगा उठे। सब में सकारात्मकता का भाव हो। विकास का पथ प्रशस्त हो। समूची दुनिया करुणा, दया के भाव को स्वयं में समाहित करे। मुझे विश्वास है कि काशी से निकलते ये संदेश, प्रकाश की ये ऊर्जा पूरे देश के संकल्पों को सिद्ध करेगी। देश ने आत्मनिर्भर भारत की जो यात्रा शुरू की है, 130 करोड़ देशवासियों की ताकत से हम उसे पूरा करेंगे। + diff --git a/pm-speech/295.txt b/pm-speech/295.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..f6f09f88d8f9d69a1c2cec804519ad9bfa2b73df --- /dev/null +++ b/pm-speech/295.txt @@ -0,0 +1,4 @@ +नारायण क विशेष महीना मानै जाने वाले पुण्य कार्तिक मास के आपन काशी के लोग कतिकि पुनवासी कहैलन। अऊर इ पुनवासी पर अनादि काल से गंगा में डुबकी लगावै, दान- पुण्य क महत्व रहल हौ। बरसों बरस से श्रद्धालु लोगन में कोई पंचगंगा घाट तो कोई दशाश्वमेध, शीतला घाट या अस्सी पर डुबकी लगावत आयल हौ। पूरा गंगा तट अऊर गोदौलिया क हरसुंदरी, ज्ञानवापी धर्मशाला तो भरल पडत रहल। पंडित रामकिंकर महाराज पूरे कार्तिक महीना बाबा विश्वनाथ के राम कथा सुनावत रहलन। देश के हर कोने से लोग उनकर कथा सुनैं आवैं। + +अभी यहाँ से मैं भगवान बुद्ध की स्थली सारनाथ जाऊंगा। सारनाथ में शाम के समय पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए और लोक शिक्षा के लिए भी आप सबकी जो लंबे समय से मांग थी वो अब पूरी हो गई है। लेजर शो में अब भगवान बुद्ध के करुणा, दया और अहिंसा के संदेश साकार होंगे। ये संदेश आज और भी प्रासंगिक हो जाते हैं जब दुनिया हिंसा, अशांति और आतंक के खतरे देखकर चिंतित है। भगवान बुद्ध कहते थे– न हि वेरेन वेरानि सम्मन्ती ध कुदाचन अवेरेन हि सम्मन्ति एस धम्मो सनन्तनो अर्थात वैर से वैर कभी शांत नहीं होता। अवैर से वैर शांत हो जाता है। देव दीपावली से देवत्व का परिचय कराती काशी से भी यही संदेश है कि हमारा मन इन्हीं दीपों की तरह जगमगा उठे। सब में सकारात्मकता का भाव हो। विकास का पथ प्रशस्त हो। समूची दुनिया करुणा, दया के भाव को स्वयं में समाहित करे। मुझे विश्वास है कि काशी से निकलते ये संदेश, प्रकाश की ये ऊर्जा पूरे देश के संकल्पों को सिद्ध करेगी। देश ने आत्मनिर्भर भारत की जो यात्रा शुरू की है, 130 करोड़ देशवासियों की ताकत से हम उसे पूरा करेंगे। + diff --git a/pm-speech/296.txt b/pm-speech/296.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..56b44b7ddb6630907e66bd06bf7af067b2775bfc --- /dev/null +++ b/pm-speech/296.txt @@ -0,0 +1,12 @@ +अच्छी सड़कें, अच्छे रेलमार्ग, अच्छी और सस्ती हवाई सुविधाएं, ये समाज के हर वर्ग को सुविधा देती हैं। विशेषतौर पर गरीब को, छोटे उद्यमियों को, मध्यम वर्ग को, इसका सबसे ज्यादा लाभ मिलता है। जब निर्माण कार्य चलता है तो अनेक लोगों को रोज़गार मिलता है। जब ये प्रोजेक्ट बनकर तैयार होते हैं, तो समय बचता है, खर्च कम होता और परेशानी भी कम होती है। कोरोना के इस समय में भी श्रमिक साथियों के लिए रोज़गार का बहुत बड़ा माध्यम इंफ्रास्ट्रक्चर के ये प्रोजेक्ट्स ही बने हैं। + +रोड ही नहीं, बल्कि एयर कनेक्टिविटी को भी सुधारा जा रहा है। 3-4 साल पहले तक यूपी में सिर्फ 2 बड़े एयरपोर्ट ही प्रभावी रूप से काम कर रहे थे। आज करीब एक दर्जन एयरपोर्ट यूपी में सेवा के लिए तैयार हो रहे हैं। यहां वाराणसी के एयरपोर्ट के विस्तारीकरण का काम चल रहा है। प्रयागराज में एयरपोर्ट टर्मिनल जितनी तेजी से बना, उसने एक नया रिकॉर्ड ही बना दिया था। इसके अलावा कुशीनगर के एयरपोर्ट को भी इंटरनेशनल एयरपोर्ट के रूप में विकसित किया जा रहा है। नोएडा के जेवर में इंटरनेशनल ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट पर भी तेज़ी से काम चल रहा है। + +किसान को आधुनिक सुविधाएं देना, छोटे किसानों को संगठित करके उनको बड़ी ताकत बनाना, किसानों की आय बढ़ाने के प्रयास निरंतर जारी हैं। बीते सालों में फसल बीमा हो या सिंचाई, बीज हो या बाज़ार, हर स्तर पर काम किया गया है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से देश के लगभग 4 करोड़ किसान परिवारों की मदद हुई है। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना से लगभग 47 लाख हेक्टर ज़मीन माइक्रो इरिगेशन के दायरे में आ चुकी है। लगभग 77 हज़ार करोड़ रुपए के इरिगेशन प्रोजेक्ट्स पर तेज़ी से काम चल रहा है। + +यानि योजनाओं के नाम पर छल। किसानों के नाम पर, खाद पर बहुत बड़ी सब्सिडी दी गई। लेकिन ये फर्टिलाइज़र खेत से ज्यादा काला बाज़ारियों के पास पहुंच जाता था। यानि यूरिया खाद के नाम पर भी छल। किसानों को Productivity बढ़ाने के लिए कहा गया लेकिन Profitability किसान के बजाय किसी और की सुनिश्चित की गई। पहले वोट के लिए वादा और फिर छल, यही खेल लंबे समय तक देश में चलता रहा है। + +जब इतिहास छल का रहा हो, तब 2 बातें बड़ी स्वभाविक हैं। पहली ये कि किसान अगर सरकारों की बातों से कई बार आशंकित रहता है तो उसके पीछे दशकों का या लंबा छल का इतिहास है और दूसरी ये कि जिन्होंने वादे तोड़े, छल किया, उनके लिए ये झूठ फैलाना एक प्रकार से आदात बन गई है, मजबूरी बन चुका है कि जो पहले होता था वैसा ही अब भी होने वाला है क्‍योंकि उन्‍होंने ऐसा ही किया था इसलिए वो ही formula लगाकर के आज भी देख रहे हैं। लेकिन जब इस सरकार का ट्रैक रिकॉर्ड देखोगे तो सच आप के सामने खुलकर के आ जाएगा। हमने कहा था कि हम यूरिया की कालाबाज़ारी रोकेंगे और किसानों को पर्याप्त यूरिया देंगे। बीते 6 साल में यूरिया की कमी नहीं होने दी। पहले तो यूरिया ब्‍लैक में लेना पड़ता है, यूरिया के लिए रात-रात लाईन ला करके रात को बाहर ठंड में सोना पड़ता था और कई बार यूरिया लेने वाले किसानों पर लाठी चार्ज की घटनाएं होती थी। आज ये सब बंद हो गया। यहां तक कि कोरोना लॉकडाउन तक उस में भी जब लगभग हर गतिविधि बंद थी, तब भी हमने यूरिया पहुंचाने में दिक्कत नहीं आने दी गई। हमने वादा किया था कि स्नामीनाथन आयोग की सिफारिश के अनुकूल लागत का डेढ़ गुणा MSP देंगे। ये वादा सिर्फ कागज़ों पर ही नहीं, ये वादा हमने पूरा किया और इतना ही नहीं किसानों के बैंक खाते तक पैसे पहुंचे, इसका प्रबंध किया। + +सिर्फ दाल की ही बात करें, pulses की बात करें, 2014 से पहले के 5 सालों में, हमारे जो पहले वाली सरकार थी उसके 5 सालों में लगभग 650 करोड़ रुपए की ही दाल किसान से खरीदी गई थी, कितनी 650 करोड़, कितना भैया जरा आप बताइये पूरे देश में कितना, 650 करोड़। लेकिन हमने 5 साल में क्‍या किया आ करके, हमारे 5 सालों में हमने लगभग 49 हज़ार करोड़ यानि करीब-करीब 50 हजार करोड़ रुपए की दालें MSP पर खरीदी हैं यानि लगभग 75 गुणा बढ़ोतरी। कहां 650 करोड़ और कहां करबी-करीब 50 हजार करोड़। 2014 से पहले के 5 सालों में, उनकी आखिरी सरकार की मैं बात कर रहा हूँ, 5 सालों में पहले की सरकार ने 2 लाख करोड़ रुपए का धान खरीदा था पूरे देश में, 2 लाख करोड़ का, MSP पर। लेकिन हमने हमारे 5 साल में धान के लिए 5 लाख करोड़ रुपए MSP के रूप में किसानों तक हमने पहुंचा दिये हैं साथियों। यानि लगभग ढाई गुणा ज्यादा पैसा किसान के पास पहुंचा है। 2014 से पहले के 5 सालों में गेहूं की खरीद पर डेढ़ लाख करोड़ रुपए के आसपास ही किसानों को मिला। डेढ़ लाख करोड़, उनकी सरकार के 5 साल। हमने 5 साल में गेहूं पर 3 लाख करोड़ रुपए किसानों को MSP का मिल चुका है यानि लगभग 2 गुणा। अब आप ही बताइए कि अगर मंडियाँ और MSP को ही हटाना था, तो इतनी बड़ी हम ताकत क्‍यों देते भाई? हम इन पर इतना निवेश ही क्यों करते? हमारी सरकार तो मंडियों को और आधुनिक बनाने के लिए, मजबूत बनाने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर रही है। + diff --git a/pm-speech/297.txt b/pm-speech/297.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..beca1194691fa1fe977ac2cd77bd25859f9b06da --- /dev/null +++ b/pm-speech/297.txt @@ -0,0 +1,14 @@ +मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार। ‘मन की बात’ की शुरुआत में, आज, मैं, आप सबके साथ एक खुशखबरी साझा करना चाहता हूँ। हर भारतीय को यह जानकर गर्व होगा, कि, देवी अन्नपूर्णा की एक बहुत पुरानी प्रतिमा, Canada से वापस भारत आ रही है। यह प्रतिमा, लगभग, 100 साल पहले, 1913 के करीब, वाराणसी के एक मंदिर से चुराकर, देश से बाहर भेज दी गयी थी। मैं, Canada की सरकार और इस पुण्य कार्य को सम्भव बनाने वाले सभी लोगों का इस सहृदयता के लिये आभार प्रकट करता हूँ। माता अन्नपूर्णा का, काशी से, बहुत ही विशेष संबंध है। अब, उनकी प्रतिमा का, वापस आना, हम सभी के लिए सुखद है। माता अन्नपूर्णा की प्रतिमा की तरह ही, हमारी विरासत की अनेक अनमोल धरोहरें, अंतर्राष्ट्रीय गिरोंहों का शिकार होती रही हैं। ये गिरोह, अंतर्राष्ट्रीय बाजार में, इन्हें, बहुत ऊँची कीमत पर बेचते हैं। अब, इन पर, सख्ती तो लगायी ही जा रही है, इनकी वापसी के लिए, भारत ने अपने प्रयास भी बढ़ायें हैं। ऐसी कोशिशों की वजह से बीते कुछ वर्षों में, भारत, कई प्रतिमाओं, और, कलाकृतियों को वापस लाने में सफल रहा है। माता अन्नपूर्णा की प्रतिमा की वापसी के साथ, एक संयोग ये भी जुड़ा है, कि, कुछ दिन पूर्व ही World Heritage Week मनाया गया है। World Heritage Week, संस्कृति प्रेमियों के लिये, पुराने समय में वापस जाने, उनके इतिहास के अहम् पड़ावों को पता लगाने का एक शानदार अवसर प्रदान करता है। कोरोना कालखंड के बावजूद भी, इस बार हमने, innovative तरीके से लोगों को ये Heritage Week मनाते देखा। Crisis में culture बड़े काम आता है, इससे निपटने में अहम् भूमिका निभाता है । Technology के माध्यम से भी culture, एक, emotional recharge की तरह काम करता है। आज देश में कई museums और libraries अपने collection को पूरी तरह से digital बनाने पर काम कर रहे हैं । दिल्ली में, हमारे राष्ट्रीय संग्रहालय ने इस सम्बन्ध में कुछ सराहनीय प्रयास किये हैं। राष्ट्रीय संग्राहलय द्वारा करीब दस virtual galleries, introduce करने की दिशा में काम चल रहा है – है ना मज़ेदार! अब, आप, घर बैठे दिल्ली के National Museum galleries का tour कर पायेंगे । जहां एक ओर सांस्कृतिक धरोहरों को technology के माध्यम से अधिक–से–अधिक लोगों तक पहुंचाना अहम् है, वहीँ, इन धरोहरों के संरक्षण के लिए technology का उपयोग भी महत्वपूर्ण है। हाल ही में, एक interesting project के बारे में पढ़ रहा था। नॉर्वे के उत्तर में Svalbard नाम का एक द्वीप है। इस द्वीप में एक project, Arctic world archive बनाया गया है। इस archive में बहुमूल्य heritage data को इस प्रकार से रखा गया है कि किसी भी प्रकार के प्राकृतिक या मानव निर्मित आपदाओं से प्रभावित ना हो सकें। अभी हाल ही में, यह भी जानकारी आयी है, कि, अजन्ता गुफाओं की धरोहर को भी digitize करके इस project में संजोया जा रहा है। इसमें, अजन्ता गुफाओं की पूरी झलक देखने को मिलेगी। इसमें, digitalized और restored painting के साथ–साथ इससे सम्बंधित दस्तावेज़ और quotes भी शामिल होंगे। साथियो, महामारी ने एक ओर जहाँ, हमारे काम करने के तौर–तरीकों को बदला है, तो दूसरी ओर प्रकृति को नये ढंग से अनुभव करने का भी अवसर दिया है। प्रकृति को देखने के हमारे नज़रिये में भी बदलाव आया है। अब हम सर्दियों के मौसम में कदम रख रहे हैं। हमें प्रकृति के अलग–अलग रंग देखने को मिलेंगे। पिछले कुछ दिनों से internet Cherry Blossoms की viral तस्वीरों से भरा हुआ है। आप सोच रहे होंगे जब मैं Cherry Blossoms की बात कर रहा हूँ तो जापान की इस प्रसिद्ध पहचान की बात कर रहा हूँ – लेकिन ऐसा नहीं है! ये, जापान की तस्वीरें नहीं हैं । ये, अपने मेघालय के शिलाँग की तस्वीरें हैं। मेघालय की खूबसूरती को इन Cherry Blossoms ने और बढ़ा दिया है। + +साथियो, इस महीने 12 नवंबर से डॉक्टर सलीम अली जी का 125वाँ जयंती समारोह शुरू हुआ है। डॉक्टर सलीम ने पक्षियों की दुनिया में Bird watching को लेकर उल्लेखनीय कार्य किया है। दुनिया के bird watchers को भारत के प्रति आकर्षित भी किया है। मैं, हमेशा से Bird watching के शौकीन लोगों का प्रशंसक रहा हूं। बहुत धैर्य के साथ, वो, घंटों तक, सुबह से शाम तक, Bird watching कर सकते हैं, प्रकृति के अनूठे नजारों का लुत्फ़ उठा सकते हैं, और, अपने ज्ञान को हम लोगों तक भी पहुंचाते रहते हैं। भारत में भी, बहुत–सी Bird watching society सक्रिय हैं। आप भी, जरूर, इस विषय के साथ जुड़िये। मेरी भागदौड़ की ज़िन्दगी में, मुझे भी, पिछले दिनों केवड़िया में, पक्षियों के साथ, समय बिताने का बहुत ही यादगार अवसर मिला। पक्षियों के साथ बिताया हुआ समय, आपको, प्रकृति से भी जोड़ेगा, और, पर्यावरण के लिए भी प्रेरणा देगा । + +मेरे प्यारे देशवासियो, भारत की संस्कृति और शास्त्र, हमेशा से ही पूरी दुनिया के लिए आकर्षण के केंद्र रहे हैं। कई लोग तो, इनकी खोज में भारत आए, और, हमेशा के लिए यहीं के होकर रह गए, तो, कई लोग, वापस अपने देश जाकर, इस संस्कृति के संवाहक बन गए। मुझे “Jonas Masetti” के काम के बारे में जानने का मौका मिला, जिन्हें, ‘विश्वनाथ’ के नाम से भी जाना जाता है। जॉनस ब्राजील में लोगों को वेदांत और गीता सिखाते हैं। वे विश्वविद्या नाम की एक संस्था चलाते हैं, जो रियो डि जेनेरो (Rio de Janeiro) से घंटें भर की दूरी पर Petrópolis (पेट्रोपोलिस) के पहाड़ों में स्थित है। जॉनस ने Mechanical Engineering की पढ़ाई करने के बाद, stock market में अपनी कंपनी में काम किया, बाद में, उनका रुझान भारतीय संस्कृति और खासकर वेदान्त की तरफ हो गया। Stock से लेकर के Spirituality तक, वास्तव में, उनकी, एक लंबी यात्रा है। जॉनस ने भारत में वेदांत दर्शन का अध्ययन किया और 4 साल तक वे कोयंबटूर के आर्ष विद्या गुरूकुलम में रहे हैं । जॉनस में एक और खासियत है, वो, अपने मैसेज को आगे पहुंचाने के लिए technology का प्रयोग कर रहे हैं। वह नियमित रूप से online programmes करते हैं । वे, प्रतिदिन पोडकास्ट (Podcast) करते हैं। पिछले 7 वर्षों में जॉनस ने वेदांत पर अपने Free Open Courses के माध्यम से डेढ़ लाख से अधिक students को पढ़ाया है। जॉनस ना केवल एक बड़ा काम कर रहे हैं, बल्कि, उसे एक ऐसी भाषा में कर रहे हैं, जिसे, समझने वालों की संख्या भी बहुत अधिक है। लोगों में इसको लेकर काफी रुचि है कि Corona और Quarantine के इस समय में वेदांत कैसे मदद कर सकता है? ‘मन की बात’ के माध्यम से मैं जॉनस को उनके प्रयासों के लिए बधाई देता हूं और उनके भविष्य के प्रयासों के लिए शुभकामनाएं देता हूं। + +साथियो, इसी तरह, अभी, एक खबर पर आपका ध्यान जरूर गया होगा। न्यूजीलैंड में वहाँ के नवनिर्वाचित एम.पी. डॉ० गौरव शर्मा ने विश्व की प्राचीन भाषाओं में से एक संस्कृत भाषा में शपथ ली है। एक भारतीय के तौर पर भारतीय संस्कृति का यह प्रसार हम सब को गर्व से भर देता है। ‘मन की बात’ के माध्यम से मैं गौरव शर्मा जी को शुभकामनाएं देता हूं। हम सभी की कामना है, वो, न्यूजीलैंड के लोगों की सेवा में नई उपलब्धियां प्राप्त करें। + +मेरे प्यारे देशवासियो, पिछले दिनों, मुझे, देश–भर की कई Universities के students के साथ संवाद का, उनकी education journey के महत्वपूर्ण events में शामिल होने का, अवसर प्राप्त हुआ है। Technology के ज़रिये, मैं, IIT-Guwahati, IIT-Delhi, गाँधीनगर की Deendayal Petroleum University, दिल्ली की JNU, Mysore University और Lucknow University के विद्यार्थियों से connect हो पाया। देश के युवाओं के बीच होना बेहद तरो–ताजा करने वाला और ऊर्जा से भरने वाला होता है । विश्वविद्यालय के परिसर तो एक तरह से Mini India की तरह होते हैं। एक तरफ़ जहाँ इन campus में भारत की विविधता के दर्शन होते हैं, वहीँ, दूसरी तरफ़, वहाँ New India के लिए बड़े–बड़े बदलाव का passion भी दिखाई देता है। कोरोना से पहले के दिनों में जब मैं रु–ब–रु किसी institution की event में जाता था, तो, यह आग्रह भी करता था, कि, आस–पास के स्कूलों से गरीब बच्चों को भी उस समारोह में आमंत्रित किया जाए। वो बच्चे, उस समारोह में, मेरे special guest बनकर आते रहे हैं। एक छोटा सा बच्चा उस भव्य समारोह में किसी युवा को Doctor, Engineer, Scientist बनते देखता है, किसी को Medal लेते हुए देखता है, तो उसमें, नए सपने जगते है – मैं भी कर सकता हूँ, यह आत्मविश्वास जगता है। संकल्प के लिए प्रेरणा मिलती है। + +मेरे युवा दोस्तो, आप तब तक ही किसी संस्थान के विद्यार्थी होते हैं जब तक आप वहाँ पढाई करते हैं, लेकिन, वहाँ के alumni, आप, जीवन–भर बने रहते हैं। School, college से निकलने के बाद दो चीजें कभी खत्म नहीं होती हैं – एक, आपकी शिक्षा का प्रभाव, और दूसरा, आपका, अपने school, college से लगाव। जब कभी alumni आपस में बात करते हैं, तो, school, college की उनकी यादों में, किताबों और पढाई से ज्यादा campus में बिताया गया समय और दोस्तों के साथ गुजारे गए लम्हें होते हैं, और, इन्हीं यादों में से जन्म लेता है एक भाव institution के लिए कुछ करने का। जहाँ आपके व्यक्तित्व का विकास हुआ है, वहाँ के विकास के लिए आप कुछ करें इससे बड़ी खुशी और क्या हो सकती है? मैंने, कुछ ऐसे प्रयासों के बारे में पढ़ा है, जहाँ, पूर्व विद्यार्थियों ने, अपने पुराने संस्थानों को बढ़–चढ़ करके दिया है। आजकल, alumni इसको लेकर बहुत सक्रिय हैं । IITians ने अपने संस्थानों को Conference Centres, Management Centres, Incubation Centres जैसे कई अलग–अलग व्यवस्थाएं खुद बना कर दी हैं । ये सारे प्रयास वर्तमान विद्यार्थियों के learning experience को improve करते हैं। IIT दिल्ली ने एक endowment fund की शुरुआत की है, जो कि एक शानदार idea है। विश्व की जानी–मानी university में इस प्रकार के endowments बनाने का culture रहा है , जो students की मदद करता है। मुझे लगता है कि भारत के विश्वविद्यालय भी इस culture को institutionalize करने में सक्षम है । + +जब कुछ लौटाने की बात आती है तो कुछ भी बड़ा या छोटा नहीं होता है। छोटे से छोटी मदद भी मायने रखती है। हर प्रयास महत्वपूर्ण होता है। अक्सर पूर्व विद्यार्थी अपने संस्थानों के technology upgradation में, building के निर्माण में, awards और scholarships शुरू करने में, skill development के program शुरू करने में, बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कुछ स्कूलों की old student association ने mentorship programmes शुरू किए हैं। इसमें वे अलग–अलग बैच के विद्यार्थियों को guide करते हैं। साथ ही education prospect पर चर्चा करते हैं। कई स्कूलों में खासतौर से boarding स्कूलों की alumni association बहुत strong है, जो, sports tournament और community service जैसी गतिविधियों का आयोजन करते रहते हैं। मैं पूर्व विद्यार्थियों से आग्रह करना चाहूँगा, कि उन्होंने जिन संस्था में पढाई की है, वहाँ से, अपनी bonding को और अधिक मजबूत करते रहें। चाहे वो school हो, college हो, या university। मेरा संस्थानों से भी आग्रह है कि alumni engagement के नए और innovative तरीकों पर काम करें। Creative platforms develop करें ताकि alumni की सक्रिय भागीदारी हो सके। बड़े College और Universities ही नहीं, हमारे गांवो के schools का भी, strong vibrant active alumni network हो। + diff --git a/pm-speech/298.txt b/pm-speech/298.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..ec3db5c4abba0b47ad31c915b4558ed426435478 --- /dev/null +++ b/pm-speech/298.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +बीते 6 वर्षों में भारत की यात्रा अतुल्य रही है। हमने भारत की ऊर्जा उत्पादन क्षमता और इसका संचार तंत्र बढ़ाया जा रहा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भारत के प्रत्येक नागरिक तक ऊर्जा सुलभ हो और वह अपनी पूरी क्षमता का इस्तेमाल कर सके। दूसरी तरफ हम नवीकरणीय स्रोतों के माध्यम से ऊर्जा का तेजी से विस्तार कर रहे हैं। मैं आपके सामने कुछ तथ्य रखना चाहूंगा। + +अगले तीन वर्षों के दौरान घरेलू स्तर पर निर्मित सौर बैटरी और मॉड्यूल की मांग 36 गीगावाट होने की संभावना है। हमारी नीतियां प्रौद्योगिकी क्रांतियों के अनुरूप हैं। हम एक व्यापक राष्ट्रीय हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन शुरू करने का प्रस्ताव रख रहे हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्षेत्र में प्रदर्शन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) की सफलता के बाद हमने यह तय किया है कि उच्चतर क्षमता वाले सौर मॉड्यूल में भी इसी तरह का प्रोत्साहन शुरू किया जाए। 'व्यापार में सुगमता' सुनिश्चित करना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। हमने निवेशकों की सहूलियत के लिए सभी मंत्रालयों में समर्पित प्रोजेक्ट डेवलपमेंट सेल्स और एफडीआई सेल स्थापित किए हैं। + +आज, भारत के हर गाँव और लगभग हर घर में बिजली पहुंच गई है। आने वाले समय में उनकी ऊर्जा की मांग बढ़ेगी। इस प्रकार, भारत में ऊर्जा की मांग बढ़ती रहेगी। अगले दशक के लिए कई नवीकरणीय ऊर्जा की परियोजतनाएं प्रस्तावित हैं। इनसे प्रति वर्ष लगभग 1.5 लाख करोड़ रुपये यानि लगभग 20 बिलियन डॉलर प्रतिवर्ष का व्यवसाय सृजित होने की संभावना है।  यह भारत में निवेश करने का एक बड़ा अवसर है। मैं भारत की नवीकरणीय ऊर्जा यात्रा में सम्मिलित होने के लिए दुनिया के निवेशकों और व्यवसायियों को आमंत्रित करता हूं। + diff --git a/pm-speech/299.txt b/pm-speech/299.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..7f5c6f00240af32996bd818142416cffd0045fff --- /dev/null +++ b/pm-speech/299.txt @@ -0,0 +1,14 @@ +आज मां नर्मदा के किनारे, सरदार पटेल जी के सानिध्य में दो बहुत ही महत्वपूर्ण अवसरों का संगम हो रहा है। Greetings to all my fellow Indians on Constitution Day. We pay tributes to all those great women and men who were involved in the making of our Constitution. आज संविधान दिवस भी है और संविधान की रक्षा करने में अहम भूमिका निभाने वाले आप पीठासीन अधिकारियों का सम्मेलन भी है। ये वर्ष पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन का शताब्दी वर्ष भी है। इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के लिए आप सभी को बहुत-बहुत बधाई। + +आज की तारीख, देश पर सबसे बड़े आतंकी हमले के साथ भी जुड़ी हुई है। 2008 में पाकिस्तान से आए, पाकिस्‍तान से भेजे गए आतंकियों ने मुंबई पर धावा बोल दिया था। इस हमले में अनेक लोगों की मृत्यु हुई थी। अनेक देशों के लोग मारे गए थे। मैं मुंबई हमले में मारे गए सभी लोगों को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। इस हमले में हमारे पुलिस बल के कई जाबांज भी शहीद हुए थे। मैं उन्हें भी नमन करता हूं। मुंबई हमले के जख्म भारत भूल नहीं सकता। अब आज का भारत नई नीति-नई रीति के साथ आतंकवाद का मुकाबला कर रहा है। मुंबई हमले जैसी साजिशों को नाकाम कर रहे, आतंक को मुंह-तोड़ जवाब देने वाले, भारत की रक्षा में प्रतिपल जुटे हमारे सुरक्षाबलों का भी मैं आज वंदन करता हूं। + +As Presiding officers,  you have a key role in our democracy. आप सभी पीठासीन अधिकारी, कानून निर्माता के रूप में संविधान और देश के सामान्य मानवी को जोड़ने वाली एक बहुत अहम कड़ी हैं। विधायक होने के साथ-साथ आप सदन के स्पीकर भी हैं। ऐसे में हमारे संविधान के तीनों महत्वपूर्ण अंगों- विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच बेहतर सामंजस्य स्थापित करने में आप बहुत बड़ी भूमिका अदा कर सकते हैं। आपने अपने सम्मेलन में इस पर काफी चर्चा भी की है। संविधान की रक्षा में न्यायपालिका की अपनी भूमिका होती है। लेकिन स्पीकर Law Making body का फेस होता है। इसलिए स्पीकर, एक तरह से संविधान के सुरक्षा कवच का पहला प्रहरी भी है। + +आने वाले समय में संविधान 75 वर्ष की ओर तेज गति से आगे बढ़ रहा है। उसी प्रकार से आजाद भारत भी 75 वर्ष का होने वाला है। ऐसे में व्यवस्थाओं को समय के अनुकूल बनाने के लिए बड़े कदम उठाने के लिए हमें संकल्पित भाव से काम करना होगा। राष्ट्र के रूप में लिए गए हर संकल्प को सिद्ध करने के लिए विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका, उसको बेहतर तालमेल के साथ काम करते रहना है। हमारे हर निर्णय का आधार एक ही तराजू से तौलना चाहिए, एक ही मानदंड होना चाहिए और वो मानदंड है राष्ट्रहित। राष्ट्रहित, यही हमारा तराजू होना चाहिए। + +ये सब बरसों पहले भी हो सकता था। लोककल्याण की सोच के साथ, विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता की अप्रोच के साथ, ये लाभ पहले भी मिल सकते थे। लेकिन बरसों तक जनता इनसे वंचित रही। और आप देखिए, जिन लोगों ने ऐसा किया, उन्हें कोई पश्चाताप भी नहीं है। इतना बड़ा राष्ट्रीय नुकसान हुआ, बांध की लागत कहां से कहां पहुंच गई, लेकिन जो इसके जिम्मेदार थे, उनके चेहरे पर कोई शिकन नहीं है। हमें देश को इस प्रवृत्ति से बाहर निकालना है। + +अब हमारे प्रयास ये होने चाहिए कि संविधान के प्रति सामान्य नागरिक की समझ और ज्यादा व्यापक हो। इसके लिए संविधान को जानना, समझना भी बहुत ज़रूरी है। आजकल हम सब लोग सुनते हैं KYC…ये बहुत कॉमन शब्‍द है हर कोई जानता है। KYC का मतलब है Know Your Customer. ये डिजिटल सुरक्षा का एक बहुत बड़ा अहम पहलू बना हुआ है। उसी तरह KYC एक नए रूप में, KYC यानि Know Your Constitution हमारे संवैधानिक सुरक्षा कवच को भी मज़बूत कर सकता है। इसलिए में संविधान के प्रति जागरूकता के लिए निरंतर अभियान चलाते रहना, ये देश की आने वाली पीढ़ियों के लिए आवश्‍यक मानता हूं। विशेषकर स्कूलों में, कॉलेजों में, हमारी नई पीढ़ी को इससे बहुत करीब से परिचय कराना होगा। + +आज देश के सभी विधायी सदनों को डेटा share करने की दिशा में आगे बढ़ना ज़रूरी है, ताकि देश में एक सेंट्रल डेटाबेस हो। सभी सदनों के कामकाज का एक रियल टाइम ब्यौरा आम नागरिक को भी उपलब्ध हो और देश के सभी सदनों को भी ये उपलब्ध हो। इसके लिए “National e-Vidhan Application” के रूप में एक आधुनिक डिजिटल प्लेटफॉर्म पहले से ही विकसित किया जा चुका है। मेरा आप सभी से आग्रह रहेगा कि इस प्रोजेक्ट को जल्द से जल्द अडॉप्ट करें। अब हमें अपनी कार्यप्रणाली में ज्यादा से ज्यादा टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल, पेपरलेस तौर- रीकों पर बल देना चाहिए। + diff --git a/pm-speech/300.txt b/pm-speech/300.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..64c6a5de4f596689d6891a0cc8f331d20dd0e48b --- /dev/null +++ b/pm-speech/300.txt @@ -0,0 +1,10 @@ +ये संयोग ही है कि आज देव प्रबोधिनी एकादशी है। मान्यता है कि चातुर्मास में आवागमन में समस्याओं के कारण जीवन थम सा जाता है। यहां तक कि देवगण भी सोने चले जाते हैं। एक प्रकार से आज देवजागरण का दिन है। हमारे यहां कहा जाता है- “या निशा सर्वभूतानां तस्यां जागर्ति संयमी" जब सभी प्राणियों के साथ-साथ देवता तक सो रहे होते हैं, तब भी संयमी मानव लोक कल्याण के लिए साधनारत रहता है। आज हम देख रहे हैं कि देश के नागरिक कितने संयम के साथ, कोरोना की इस मुश्किल चुनौती का सामना कर रहे हैं, देश को आगे बढ़ा रहे हैं। + +यूनिवर्सिटी सिर्फ उच्च शिक्षा का केंद्र भर नहीं होती। ये ऊंचे लक्ष्यों, ऊंचे संकल्पों को साधने की शक्ति को हासिल करने का भी एक बहुत बड़ा power house होता है, एक बहुत बड़ी ऊर्जा भूमि होती है, प्रेरणा भूमि होती है। ये हमारे Character के निर्माण का, हमारे भीतर की ताकत को जगाने की प्रेरणास्थली भी है। यूनिवर्सिटी के शिक्षक, साल दर साल, अपने Students के Intellectual, Academic और Physical Development को निखारते हैं, छात्रों का सामर्थ्य बढ़ाते हैं। छात्र अपने सामर्थ्य को पहचानें, इसमें भी आप शिक्षकों की बड़ी भूमिका होती है। + +नई टेक्नॉलॉजी लाकर, पुराने और बंद हो चुके खाद कारखानों को अब दोबारा शुरू भी करवाया जा रहा है। गोरखपुर हो, सिंदरी हो, बरौनी हो, ये सब खाद कारखाने कुछ ही वर्षों में फिर से शुरू हो जाएंगे। इसके लिए बहुत बड़ी गैस पाइपलाइन पूर्वी भारत में बिछाई जा रही है। कहने का मतलब ये है कि सोच में Positivity और अप्रोच में Possibilities को हमें हमेशा ज़िंदा रखना चाहिए। आप देखिएगा, जीवन में आप कठिन से कठिन चुनौती का सामना इस तरह कर पाएंगे। + +छात्र जीवन वो अनमोल समय होता है, जो गुजर जाने के बाद फिर लौटना मुश्किल होता है। इसलिए अपने छात्र जीवन को Enjoy भी कीजिए, encourage भी कीजिए। इस समय बने हुए आपके दोस्त, जीवन भर आपके साथ रहेंगे। पद-प्रतिष्ठा, नौकरी-बिजनेस, कॉलेज, ये दोस्त इतनी सारी भरमार में आपके शिक्षा जीवन के दोस्‍त चाहे स्‍कूली शिक्षा हो या कॉलेज की, वो हमेशा एक अलग ही आपके जीवन में उनका स्‍थान होता है। खूब दोस्ती करिए और खूब दोस्ती निभाइए। + +जो नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू की गई है, उसका लक्ष्य भी यही है कि देश का हर युवा खुद को जान सके, अपने मन को टटोल सके। नर्सरी से लेकर पीएचडी तक आमूल-चूल परिवर्तन इसी संकल्प के साथ किए गए हैं। कोशिश ये है कि पहले Self-confidence, हमारे Students में एक बहुत बड़ी आवश्‍यकता होनी चाहिए। Self-Confidence तभी आता है जब अपने लिए निर्णय लेने की उसको थोड़ी आज़ादी मिले, उसको Flexibility मिले। बंधनों में जकड़ा हुआ शरीर और खांचे में ढला हुआ दिमाग कभी Productive नहीं हो सकता। याद रखिए, समाज में ऐसे लोग बहुत मिलेंगे जो परिवर्तन का विरोध करते हैं। वो विरोध इसलिए करते हैं क्योंकि वो पुराने ढांचों के टूटने से डरते हैं। उनको लगता है कि परिवर्तन सिर्फ Disruption लाता है, Discontinuity लाता है। वो नए निर्माण की संभावनाओं पर विचार ही नहीं करते। आप युवा साथियों को ऐसे हर डर से खुद को बाहर निकालना है। इसलिए, मेरा लखनऊ यूनिवर्सिटी के आप सभी टीचर्स, आप सभी युवा साथियों से यही आग्रह रहेगा कि इन नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर खूब चर्चा करें, मंथन करें, वाद करें, विवाद करें, संवाद करें। इसके तेज़ी से अमलीकरण पर पूरी शक्ति के साथ काम करें। देश जब आज़ादी के 75 वर्ष पूरे करेगा, तब तक नई शिक्षा नीति व्यापक रूप से Letter and Spirit में हमारे Education System का हिस्सा बने। आइए "वय राष्ट्रे जागृयाम पुरोहिता:" इस उद्घोष को साकार करने के लिए जुट जाएं। आइए, हम मां भारती के वैभव के लिए, अपने हर प्रण को अपने कर्मों से पूरा करें। + diff --git a/pm-speech/301.txt b/pm-speech/301.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..61d9d07b7f65a6caab613bd2dd360878be821a60 --- /dev/null +++ b/pm-speech/301.txt @@ -0,0 +1,10 @@ +पीएम केयर्स के माध्यम से ऑक्सीजन और वेंटिलेटर्स उपलब्ध कराने पर भी विशेष जोर है। कोशिश ये है कि देश के मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पतालों को ऑक्सीजन जेनरेशन के मामले में Self-sufficient बनाया जाए। इसलिए अभी 160 से ज्यादा नए ऑक्सीजन प्लांट्स के निर्माण की प्रक्रिया already शुरू की गई है। पीएम केयर्स फंड से देश के अलग-अलग अस्पतालों को हजारों नए वेंटिलेटर्स मिलने भी सुनिश्चित हुए हैं। वेंटिलेटर्स के लिए पीएम केयर्स फंड से 2 हजार करोड़ रुपए already स्वीकृत किए गए हैं। + +जैसे हम मोटा-मोटा देखें तो पहला चरण था बड़ा डर था, खौफ था, किसी को ये समझ नहीं आ रहा था कि उसके साथ क्या हो जाएगा और पूरी दुनिया का ये हाल था। हर कोई panic में था और उसी हिसाब से हर कोई react कर रहा था। हमने देखा प्रांरभ में आत्‍महत्‍या तक की घटनाएं घटी थीं। पता चला कोरोना हुआ तो आत्‍महत्‍या कर ली। + +मुझे लगता है कि राज्‍यों को अभी इस पर बल दे करके व्‍यवस्‍थाएं खड़ी करना शुरू कर देना चाहिए। कहां-कहां ये संभव होगा, उसके पैरामीटर्स क्‍या होंगे। उस पर यहां से सूचनाएं तो डिपार्टमेंट्स को चली गई हैं लेकिन इसको अब implement करने के के लिए हमें रेड्डी रहना होगा। और ज़रूरत पड़ी तो अतिरिक्त सप्लाई भी सुनिश्चित की जाएगी। और इसका विस्तृत प्लान बहुत जल्द ही राज्य सरकारों के साथ मिलकर तय कर लिया जाएगा। हमारी राज्‍यों की और केंद्र की टीम साथ लगातार वो बातचीत कर रहे हैं, काम चल रहा है। + +केंद्र सरकार ने राज्यों से कुछ समय पहले आग्रह किया था कि State लेवल पर एक Steering Committee एवं State और District लेवल पर टास्क फोर्स का और मैं तो चाहूंगा कि Block level तक हम जितना जल्‍दी व्‍यवस्‍थाएं खड़ी करेंगे और किसी न किसी एक व्‍यक्ति को काम देना पड़ेगा। इन कमेटियों की regular बैठकें हों, उनकी ट्रेनिंग हो, उनकी मॉनिटरिंग हो, और जो ऑनलाइन ट्रेनिंग होती है, वो भी शुरू हो। हमें हमारे रोजमर्रा के काम के साथ कोरोना से लड़ते-लड़ते भी इस एक व्‍यवस्‍था को विकसित तुरंत करना पड़ेगा। ये मेरा आग्रह रहेगा। + +जो कुछ सवाल आपने कहे हैं – कौन सी वैक्‍सीन कितनी कीमत में आएगी, ये भी तय नहीं है। मूल भारतीय वैक्‍सीन अभी दो मैदान में आगे है। लेकिन बाहर के साथ मिल करके हमारे लोग काम कर रहे हैं। दुनिया में जो वैक्‍सीन बन रही हैं वे भी manufacturing के लिए भारत के लोगों के साथ ही बात कर रहे हैं, कंपनियों के साथ। लेकिन इन सारे विषयों में हम जानते हैं कि 20 साल से मान लीजिए कोई दवाई popular हुई है, 20 साल से लाखों लोग उसका उपयोग कर रहे हैं। लेकिन कुछ लोगों को उसका रिएक्‍शन आता है, आज भी आता है, 20 साल के बाद भी आता है, तो ऐसा इसमें भी संभव है। निर्णय वैज्ञानिक तराजू पर ही तोला जाना चाहिए। निर्णय उसकी जो authorities हैं उन authorities की certified व्‍यवस्‍था से ही होना चाहिए। + diff --git a/pm-speech/304.txt b/pm-speech/304.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..600cfcd4809c5f541c4a046b40e15fe5b01c1623 --- /dev/null +++ b/pm-speech/304.txt @@ -0,0 +1,4 @@ +यही नहीं, अब आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत वनोपज आधारित उद्योग भी आदिवासी क्षेत्रों में लगें, इसके लिए भी ज़रूरी सुविधाएं तैयार की जा रही हैं। आदिवासी क्षेत्रों के विकास के लिए पैसे की कमी ना हो, इसके लिए डिस्ट्रिक्ट मिनरल फंड बनाया गया है। सोच ये है कि आदिवासी क्षेत्रों से निकलने वाली संपदा का एक हिस्सा उसी क्षेत्र में लगे। उत्तर प्रदेश में भी इस फंड में अब तक लगभग 800 करोड़ रुपए इकट्ठा किए जा चुके हैं। इसके तहत साढ़े 6 हज़ार से ज्यादा प्रोजेक्ट स्वीकृत भी किए जा चुके हैं और सैकड़ों प्रोजेक्ट पूरे भी हो चुके हैं। + +यही नहीं, अब आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत वनोपज आधारित उद्योग भी आदिवासी क्षेत्रों में लगें, इसके लिए भी ज़रूरी सुविधाएं तैयार की जा रही हैं। आदिवासी क्षेत्रों के विकास के लिए पैसे की कमी ना हो, इसके लिए डिस्ट्रिक्ट मिनरल फंड बनाया गया है। सोच ये है कि आदिवासी क्षेत्रों से निकलने वाली संपदा का एक हिस्सा उसी क्षेत्र में लगे। उत्तर प्रदेश में भी इस फंड में अब तक लगभग 800 करोड़ रुपए इकट्ठा किए जा चुके हैं। इसके तहत साढ़े 6 हज़ार से ज्यादा प्रोजेक्ट स्वीकृत भी किए जा चुके हैं और सैकड़ों प्रोजेक्ट पूरे भी हो चुके हैं। + diff --git a/pm-speech/305.txt b/pm-speech/305.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..557ccd3eaf3197cc812a3e65f1f7a6cadc8e51a1 --- /dev/null +++ b/pm-speech/305.txt @@ -0,0 +1,32 @@ +बीते डेढ़ दशक में PDPU ने ‘Petroleum’ sector के साथ-साथ पूरे energy spectrum और अन्य क्षेत्रों में भी अपना विस्तार किया है। और PDPU की प्रगति देखते हुए आज मैं गुजरात सरकार को भी अनुरोध करता हूं कि जब मैं इस काम के शुरू में सोच रहा था तब मेरे मन में था कि पेट्रोलियम यूनिवर्सिटी क्‍योंकि गुजरात पेट्रोलियम क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहता था , लेकिन अब जिस प्रकार से देश और दुनिया की requirement है, जिस प्रकार से इस यूनिवर्सिटी ने अपना रूप लिया है, मैं गुजरात सरकार से आग्रह करूंगा कि कानून में अगर आवश्‍यक हो तो परिवर्तन करके इसको सिर्फ पेट्रोलियम यूनिवर्सिटी के बजाय, अच्‍छा होगा अब इसको हम एक Energy University के रूप में convert करें उसका नाम। क्‍योंकि उसका रूप-दायरा बहुत विस्‍तार होने वाला है। और आप लोगों ने इतने कम समय में जो कमाया है, जो देश को दिया है, शायद Energy University ये इसका विस्‍तार बहुत बड़ा लाभकर्ता देश को होगा। पेट्रोलियम यूनिवर्सिटी की कल्‍पना मेरी ही थी और मेरी ही कल्‍पना का विस्‍तार करते हुए मैं पेट्रोलियम की जगह पर पूरे एनर्जी सेक्टर को इसके साथ जोड़ने के लिए आप से आग्रह कर रहा हूं। आप लोग विचार की कीजिए और अगर ठीक लगता है ये मेरा सुझाव तो उस पर देखिए। + +आज आप ऐसे समय में इंडस्ट्री में कदम रख रहे हैं, यूनिवर्सिटी से निकल करके इंडस्‍ट्री की तरफ बढ़ रहे हैं, जब pandemic के चलते पूरी दुनिया के Energy sector में भी बड़े बदलाव हो रहे हैं। ऐसे में आज भारत में Energy Sector में Growth की, Enterprise spirit की, Employment की, असीम संभावनाएं हैं। यानी आप सभी सही समय पर, सही सेक्टर में पहुंचे हैं। इस दशक में सिर्फ Oil and gas sector में ही लाखों करोड़ रुपए का निवेश होने वाला है। इसलिए आपके लिए Research से लेकर Manufacturing तक अवसर ही अवसर हैं। + +आज देश अपने carbon footprint को 30 से 35 प्रतिशत तक कम करने का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ रहा है। दुनिया के सामने जब ये बात मैं ले करके गया दुनिया को अचरज था क्‍या भारत ये कर सकता है? प्रयास ये है कि इस दशक में अपनी ऊर्जा ज़रूरतों में Natural Gas की हिस्सेदारी को हम 4 गुना तक बढ़ाएंगे। देश की oil refining capacity को भी आने वाले 5 सालों में करीब-करीब दोगुना करने के लिए काम किया जा रहा है। इसमें भी आप सभी के लिए अनेक-अनेक संभावनाएं हैं। देश की Energy Security से जुड़े Startup Ecosystem को मजबूत करने के लिए भी लगातार काम हो रहा है। इस सेक्टर के आप जैसे Students और Professionals के लिए एक विशेष फंड भी बनाया गया है। अगर आपके पास भी कोई आइडिया हो, कोई Product है या कोई Concept है, जिसे आप Incubate करना चाहते हैं तो ये फंड आपके लिए एक बेहतरीन अवसर भी है, एक सरकार की तरफ से तोहफा भी है। + +आप देखिए जीवन में वही लोग सफल होते है, वही लोग कुछ कर दिखाते है जिनके जीवन में Sense of Responsibility का भाव होता है। सफलता की सबसे बड़ी शुरूआत, उसकी पूंजी Sense of Responsibility होती है। और कभी बारीकी से आप देखोगे जो विफल वो होते है उनके जीवन की तरफ देखोगे, आपके दोस्‍तों की तरफ देखोगे, तो उसका कारण होगा, उनके मन में हमेशा Sense of Responsibility के बजाय Sense of Burden इसके बोझ के नीचे दबे हुए हैं।  + +देखिए दोस्‍तों, Sense of Responsibility का भाव व्यक्ति के जीवन में Sense of Opportunity को भी जन्म देता है। उसको रास्ते में रुकावटें कभी नहीं बल्कि अवसर ही अवसर दिखते है। Sense of Responsibility व्यक्ति के Purpose of life के साथ tuned हो, उनके बीच में contradiction नहीं होना चाहिए। उनके बीच में संघर्ष नही होना चाहिए। Sense of Responsibility और Purpose of life दो ऐसी पटरियाँ है जिन पर आपके संकल्पों की गाड़ी बहुत तेज़ी से दौड़ सकती है। + +मेरी इस बात से Officers सहमत नहीं हुए। क्‍योंकि Pre-conceived notions थे, ये नहीं हो सकता। किसी ने कहा ये संभव ही नहीं है। किसी ने कहा आर्थिक स्थिति नहीं है, किसी ने कहा बिजली नहीं है। आप हैरान हो जाएंगे इसके लिए जो फाइलें चलीं, वो फाइलों का मुझे लगता है वजन भी 5-7-10 किलो तक शायद पहुंच गया होगा। और हर बार, हर ऑप्‍शन नेगेटिव होता था। + +अब मैं लगा रहा था कि कुछ करना है मुझे। इसके बाद मैंने एक Second Option पर काम करना शुरू किया। मैंने उत्‍तर गुजरात में एक सोसायटी से,जिनके साथ 45 गांव जुड़े थे, उनको बुलाया। मैंने कहा, मेरा एक सपना है क्‍या आप कर सकते हैं क्‍या? उन्‍होंने कहा हमें सोचने दीजिए । मैंने कहा इंजीनियरिंग वगैरह की मदद लीजिए। मेरी इतनी इच्‍छा है कि गांव में जो बिजली जाती है, वहां मैं Domestic और Agriculture में Feeder अलग करना चाहता हूं। वो दोबारा आए, उन्‍होंने कहा साहब हमें कोई मदद की जरूरत नहीं। हमें 10 करोड़ रुपए इस पर खर्च करने की गुजरात सरकार हमें मंजूरी दे दे। मैंने कहा ये मेरी जिम्‍मेदारी। हमने permission दी। + +उन्‍होंने ये काम शुरू किया। मैंने इंजीनियरों को जरा आग्रह सा किया कि जरा करिए इस काम को। और उन 45 गांवों में Domestic Feeder और Agriculture Feeder को अलग कर दिया। इसका नतीजा ये हुआ कि खेती में जितना समय बिजली देनी थी देते थे, वो अलग टाइम था, घरों में 24 घंटे बिजली पहुंचने लगी। और फिर मैंने एजुकेशन यूनिवर्सिटियों की मदद से नौजवानों को भेजकर उसका जरा third party assessment करवाया। आप हैरान हो जाएंगे जिस गुजरात में रात को खाने के समय बिजली मिलना भी मुश्किल था, 24 घंटे बिजली मिलने के साथ एक इकोनॉमी शुरू हुई। टेलर भी अपनी सिलाई मशीन को पैर से नहीं इलेक्ट्रिक मशीन से चलाने लगा। धोबी भी इलेक्ट्रिक प्रेस से काम करने लगा। किचन में भी बहुत सारी इलेक्ट्रिक चीजें आने लग गईं। लोग AC खरीदने लगे, पंखा खरीदने लगे, टीवी खरीदने लगे। एक तरह से पूरा जीवन बदलना शुरू हो गया। सरकार की इनकम में भी बढ़ोतरी हुई। + +इस प्रयोग ने हमोर सभी उस समय के अफसरों के दिमाग को बदला। आखिरकार निर्णय हुआ कि रास्‍ता सही है। और पूरे गुजरात में एक हजार दिन का कार्यक्रम बनाया। एक हजार दिन में Agriculture Feeder और Domestic Feeder को अलग किए जाएंगे। और एक हजार दिन के भीतर-भीतर सारे गुजरात में 24 घंटे घरों में बिजली पहुंचना संभव हुआ। अगर मैंने वो Pre-conceived notions को पकड़ा होता तो ये नहीं होता,clean-slate था मैं। नए सिरे से मैं सोचता था और उसी का परिणाम हुआ। + +साथियो,एक बात मानकर चलिए Restrictions don’t matter, your response matters.मैं आपको एक और उदाहरण देता हूं। गुजरात पहला राज्य था जिसने अपने स्तर पर सोलर पॉलिसी बनाई थी। तब ये बात आई थी कि सोलर बिजली की कीमत प्रति यूनिट 12-13 रुपए तक आएगी। ये कीमत उस समय के हिसाब से बहुत ज्यादा थी क्‍योंकि थर्मल की जो बिजली थी वो दो, ढाई, तीन रूपये तक मिल जाती थी। वो ही बिजली अब 13 रुपये, अब आप जानते हैं आजकल जिस प्रकार से हो-हल्‍ला करने का फैशन है, हर चीज में नुक्‍स निकालने का फैशन है, उस समय तो और मेरे लिए तो बड़ी परेशानियां रहती थीं। अब मेरे सामने विषय आया। कि साहब ये तो बहुत बड़ा तूफान खड़ा हो जाएगा। हां 2-3 रुपये वाली बिजली और कहां 12-13 रुपये वाली बिजली। + +लेकिन साथियो, मेरे सामने एक ऐसा पल था कि मुझे मेरी प्रतिष्‍ठा की चिंता करनी है कि मेरी भावी पीढ़ी की चिंता करनी है। मुझे मालूम था कि इस प्रकार के निर्णय की मीडिया में बहुत बुराई होगी। भांति-भांति के करप्‍शन के आरोप लगेंगे, बहुत कुछ होगा। लेकिन मैं clean-heart था। मैं Genuinely मानता था हमें कुछ न कुछ तो लाइफ स्‍टाइल बदलने के लिए करना पड़ेगा। + +गुजरात में सोलार पलांट की शुरूआत हुई, बहुत बड़ी मात्रा में हुई। लेकिन उसी समय जब गुजरात ने पॉलिसी बनाई, तो भारत सरकार ने भी फुलस्‍टॉप कौमा के साथ वो ही पॉलिसी उस समय बनाई। लेकिन उन्‍होंने क्‍या किया, उन्‍होंने 18-19 रुपए दाम तय किया। अब हमारे अफसर आए, बोले साहब हम 12-13 देंगे, ये 18-19 देंगे तो हमारे यहां कौन आएगा। मैंने कहा बिल्‍कुल नहीं, मैं 12-13 पर ही टिका रहूंगा, 18-19 मैं देने को तैयार नहीं हूं, लेकिन हम डेवलपमेंट के लिए एक ऐसा eco-system देंगे, transparency देंगे, speed करेंगे। दुनिया हमारे यहां आएगी, एक अच्‍छे गवर्नेंस के मॉडल के साथ आगे बढ़ेंगे और आज देख रहे हैं आप कि गुजरात ने जो सोलार का initiative लिया आज गुजरात solar power generation में कहां पहुंचा है, वो आपके सामने साक्षी है। और आज स्‍वयं यूनिवर्सिटी इस काम को आगे बढ़ाने के लिए आगे आई है।   + +देश की भी एक प्रमुख प्राथमिकता सोलर पावर बन गया है। और हमने 2022 तक 175 गिगा वाट renewable energy के लिए संकल्‍प किया हुआ है और मुझे विश्‍वास है कि हम 2022 से पहले इसको पूरा कर लेंगे। और 2030 तक renewable energy का हमारा लक्ष्‍य है 450 गिगा वाट, बहुत बड़ा लक्ष्‍य है। ये भी समय से पहले पूरा होगा, ये मेरा विश्‍वास है। + +बदलाव चाहे खुद में करना हो या दुनिया में करना हो, बदलाव कभी एक दिन,एक हफ्ते या एक साल में नहीं होता। बदलाव के लिए थोड़ा ही प्रयास लेकिन थोड़ा-थोड़ा निरंतर प्रयास sustain हमें हर दिन लगातार करना पड़ता है। नियमित होकर किए गए छोटे-छोटे काम, बहुत बड़े बदलाव लाते हैं। अब जैसे कि आप अगर हर दिन कम कम से 20 मिनट कुछ नया पढ़ने या लिखने की आदत डाल सकते हैं। इसी तरह आप ये भी सोच सकते हैं कि क्यों न हर दिन 20 मिनट कुछ नया सीखने के लिए dedicate किए जाएँ! + +यही मंत्र financial planning में भी बहुत लोग लेकर चलते हैं। हर महीने पाँच हजार रुपए जमा करते हैं, और दो साल में एक लाख से ज्यादा रुपए इकट्ठा हो जाते हैं। इस तरह के सतत प्रयास, sustained efforts आपके अंदर वो capabilities build कर देते हैं जिसका असर short term में तो नहीं दिखता, लेकिन long run में ये बहुत बड़ी आपकी अमानत बन जाता है, बहुत बड़ी आपकी शक्ति बन जाता है। + +राष्ट्रीय स्तर पर जब देश भी ऐसे ही sustained efforts के साथ चलता है तो उसके भी ऐसे ही परिणाम आते हैं। उदाहरण के तौर पर स्वच्छ भारत अभियान को ही लीजिये। हम सफाई के बारे में केवल गांधी जयंती पर, केवल October में ही नहीं सोचते हैं, बल्कि हम हर दिन इसके लिए प्रयास करते हैं। मैंने भी 2014 से 2019 के बीच लगभग मन की बात के हर कार्यक्रम में सफाई को लेकर लगातार देशवासियों से बात की है, चर्चा की है, उनसे आग्रह भी किया है। हर बार अलग अलग मुद्दों पर बात थोड़ी थोड़ी बात होती रही। लेकिन लाखों-करोड़ों लोगों के छोटे-छोटे प्रयासों से स्वच्छ भारत एक जनआंदोलन बन गया। Sustained efforts का यही प्रभाव होता है। ऐसे ही परिणाम आते हैं। + diff --git a/pm-speech/306.txt b/pm-speech/306.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..9a5832fac49074d159a6ca72da2b76b7744cd462 --- /dev/null +++ b/pm-speech/306.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +उनके इस vision को साकार करने के लिए भारत अपना अनुभव और अपनी सुविधाएँ साझा करने के लिए पूरी तरह तैयार रहेगा। इसी तरह भूटान में एक ICT-enabled knowledge-based society इसका निर्माण करने के उद्देश्य का भी हम समर्थन करते हैं। मैं भूटान के लिए थर्ड इंटरनेशनल इंटरनेट गेटवे उपलब्ध कराने हेतु बीएसएनएल के साथ agreement का ह्रदय से स्वागत करता हूं। + diff --git a/pm-speech/307.txt b/pm-speech/307.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..675c698ccb064c4d79930beed5cb66b1df952bdc --- /dev/null +++ b/pm-speech/307.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +आज जब विश्व COVID-19 pandemic की आर्थिक और स्वास्थ्य चुनौतियों से जूझ रहा है, भारत-लक्समबर्ग partnership दोनों देशों के साथ-साथ दोनों क्षेत्रों की recovery के लिए उपयोगी हो सकती है। Democracy, rule of law और freedom जैसे साझा आदर्श हमारे संबंधों और आपसी सहयोग को मजबूती देते हैं। भारत और लक्समबर्ग के बीच आर्थिक आदान-प्रदान बढ़ाने का बहुत potential है। + diff --git a/pm-speech/308.txt b/pm-speech/308.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..bdb7454214718a0218c83b75e8be70d6b1b254bb --- /dev/null +++ b/pm-speech/308.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +हमारी सरकार ने डिजिटल और टेक समाधानों के लिए सफलातपूर्वक एक बड़ा बाजार तैयार कर लिया है और प्रौद्योगिकी को अपनी हर योजना का मुख्‍य हिस्‍सा बनाया है। हमारा शासन मॉडल ‘प्रौद्योगिकी पहले’(टेक्‍नोलॉजी फर्स्‍ट) है। प्रौद्योगिकी के जरिए हमने मानव गरिमा में वृद्धि की है। लाखों किसान अब एक क्लिक पर वित्‍तीय सहायता पा रहे हैं। कोविड-19 लॉकडाउन के चरम समय में, यह प्रौद्योगिकी ही थी, जिसने भारत के गरीब को समुचित और तत्‍काल सहायता सुनिश्चित की। ऐसी राहतपहले बहुत कम मिलसकी है। अगर भारत विश्‍व की सबसे बड़ी स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल योजना ‘आयुष्‍मान भारत’का सफलतापूर्वक परिचालन कर पा रहा है, तो इसमें भी प्रौद्योगिकी की बहुत बड़ी भूमिका है। इस योजना ने खासतौर से देश के गरीब तबके को मदद पहुंचाई है। अब उन्‍हें भारत के किसी भी हिस्‍से में उच्‍चस्‍तरीय और वहन योग्‍य चिकित्‍सा सुविधा पाने को लेकर कोई चिंता नहीं रही है। + diff --git a/pm-speech/309.txt b/pm-speech/309.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..dd46007fa742725a269bda0fd7e7aa382b78c364 --- /dev/null +++ b/pm-speech/309.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +वहनीय आवासों की उपलब्धता के बिना हमारे शहर समृद्ध नहीं हो सकते। इसे साकार करते हुए, हमने 2015 में सभी के लिए आवास कार्यक्रम का शुभारंभ किया। मुझे यह जानकर प्रसन्नता है कि हम बेहतर तरीके से अपने लक्ष्य पर बढ़ रहे हैं। हम 2022 की लक्षित समय-सीमा से पहले शहरी क्षेत्रों में के लिए एक करोड़ या 10 मिलियन से अधिक इच्छुक परिवारों को आवास की उपलब्धता सुनिश्चित करेंगे। महामारी से उत्पन्न स्थितियों को देखते हुए, हमने एक किफायती किराये के आवास की पहल भी प्रारंभ की है। हमने रियल एस्टेट रेगुलेशन एक्ट बनाया। इसने रियल एस्टेट सेक्टर की गतिशीलता को बदल दिया है। इसके अलावा इस अधिनियम ने इस क्षेत्र को और अधिक ग्राहक-उन्मुख और पारदर्शी बना दिया है। + +दीर्घकालिक गतिशीलता लचीले शहर बनाने की कुंजी है। 27 शहरों में मेट्रो रेल पर काम चल रहा है। 2022 तक हम देश में मेट्रो रेल प्रणाली को 1000 किलोमीटर के करीब पहुंचाने के मुकाम पर हैं। हमारे मेक इन इंडिया ने परिवहन प्रणालियों के उत्पादन की दिशा में जबरदस्त स्वदेशी क्षमता को विकसित करने का कार्य किया है। यह हमारे दीर्घकालिक परिवहन लक्ष्यों को व्यापक पैमाने पर आगे बढ़ाने में हमारी मदद करने वाला है। + +अंत में, मैं आप सभी को एक बात याद दिलाना चाहूंगा। यदि आप शहरीकरण में निवेश करना चाहते हैं, तो भारत में आपके लिए रोमांचक अवसर हैं। यदि आप गतिशीलता में निवेश करना चाह रहे हैं, तो भारत में आपके लिए रोमांचक अवसर हैं। यदि आप नवाचार में निवेश करना चाहते हैं, तो भारत में आपके लिए रोमांचक अवसर हैं। यदि आप स्थायी साधनों में निवेश करना चाहते हैं, तो भारत में आपके लिए रोमांचक अवसर हैं। ये अवसर एक जीवंत लोकतंत्र के साथ जुड़े हैं। एक व्यापार अनुकूल वातावरण। एक बहुत बड़ा बाजार और एक सरकार जो भारत को एक पसंदीदा वैश्विक निवेश गंतव्य बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी। + diff --git a/pm-speech/311.txt b/pm-speech/311.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..db46250b4173d4e994e24d1390e39a44754e5e09 --- /dev/null +++ b/pm-speech/311.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +UN के एक संस्थापक सदस्य के रूप में भारत multilateralism का दृढ़ समर्थक रहा है। भारतीय संस्कृति में भी पूरे विश्व को एक परिवार की तरह माना गया है, अत: हमारे लिए UN जैसी संस्था का समर्थन स्वाभाविक था। UN के मूल्यों प्रति हमारा commitment अडिग रहा है – peacekeeping operations में सबसे अधिक वीर सैनिक भारत ने ही खोए हैं।किन्तु आज multilateral system एक संकट के दौर से गुजर रहा है। + +भारत में, हमने ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान के तहत एक व्यापक reform process शुरू किया है। यह campaign इस विषय पर आधारित है कि एक self-reliant और resilient भारत post-COVID अर्थव्यवस्था के लिए Force Multiplier हो सकता है। और global value chains में एक मजबूत योगदान दे सकता है।इसका उदहारण हमने COVID के दौरान भी देखा, जब भारतीय फार्मा उद्योग की क्षमता के कारण हम 150 से अधिक देशों को आवश्यक दवाइयां भेज पाए। + +2021 में BRICS के 15 वर्ष पूरे हो जाएंगे। पिछले सालों में हमारे बीच लिए गए विभिन्न निर्णयों का मूल्यांकन करने के लिए हमारे शेरपा एक रिपोर्ट बना सकते हैं।2021 में अपनी अध्यक्षता के दौरान हम BRICS के तीनों स्तंभों में intra-BRICS सहयोग को मजबूत करने का प्रयत्न करेंगे। हम intra-BRICS एकजुटता को बढ़ाने और इस उद्देश्य के लिए ठोस संस्थागत फ्रेमवर्क develop करने का प्रयास करेंगे।मैं फिर एक बार राष्ट्रपति पुतिन के सभी प्रयासों का अभिनन्दन करते हुए मेरी बात को समाप्त करता हू। + diff --git a/pm-speech/313.txt b/pm-speech/313.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..842645d8ac1c478d852973fc41ae24802d80c3c0 --- /dev/null +++ b/pm-speech/313.txt @@ -0,0 +1,8 @@ +जैसलमेर एयरबेस पर मुझे कई बार आने का अवसर तो आया है लेकिन कार्यक्रमों की श्रृंखला ऐसी रहती है कि न कभी रुकने का, कभी किसी से बात करने का अवसर रहता है लेकिन आज मेरा सौभाग्‍य है कि मुझे एक्‍सक्‍लूसिवली आप सबके बीच समय और दीपावली का पर्व बनाने का अवसर मिला है। आपको, आपके परिवार के हर सदस्‍य को दीपावली की बहुत-बहुत शुभकामनाएं। + +आप सभी ने मिलकर के ये भी निश्चित किया कि कोरोना संक्रमण हमारी ऑपरेशनल यूनिट्स को किसी भी हालत में प्रभावित न कर सके। आर्मी हो, नेवी हो, एयरफोर्स हो किसी ने भी अपनी तैयारियों को कोरोना के कारण न रुकने दिया, न थमने दिया। कोरोना काल में ही यहां जैसलमेर में भी और हमारे समुद्र में भी सैन्‍य अभ्‍यास निरंतर जारी रहे हैं। ऐसे समय में जब दुनिया के अनेक देश लगभग रुक गए हों उस समय इस तेजी से आगे बढ़ना इतना आसान नहीं है लेकिन आपने यह भी करके दिखाया है। कोरोना काल में ही आधुनिक अस्‍त्र-शस्‍त्र और साजो-सामान की डिलीवरी और इंडक्‍शन दोनों तेजी से हुए हैं। यही वो समय रहा जब 8 आधुनिक राफेल विमान देश के सुरक्षा कवच का हिस्‍सा बने। इसी कोरोना काल में तेजस की स्‍क्‍वाड्रन ऑपरेशनलाइज हुई। अपाचे और चिनूक हेलीकॉप्‍टर की पूरी ताकत भी इसी दौरान हमें मिली। भारत में ही तैयार 2 आधुनिक पनडुब्बियां भी कोरोना काल में ही नौसेना को प्राप्‍त हुई हैं। + +कोरोना काल में वैक्‍सीन बनाने का प्रयास कर रहे वैज्ञानिकों के साथ ही मिसाइलें बनाने वाले हमारे वैज्ञानिकों ने देश का ध्‍यान खींचा है। इस दौरान निरंतर खबरें आती रहीं कि आज इस मिसाइल का परीक्षण किया गया। आज उस मिसाइल की आधुनिक टेक्‍नोलॉजी डेवलप की गई। आप कल्पना कर सकते हैं कि बीते कुछ महीनों में ही देश की सामरिक ताकत कितनी ज्‍यादा बढ़ गई है। बीते दो महीने में ही देश में अनेकों मिसाइलों के सफलतापूर्वक टेस्‍ट हुए है। एक सेकेंड में दो किलोमीटर की दूरी तय करने वाले हाइपरसोनिक डेमोंस्‍ट्रेटर व्‍हीकल के सफल परीक्षण ने भारत को दुनिया के तीन-चार प्रमुख देशों की लिस्‍ट में भारत को आगे लाकर के खड़ा कर दिया है, भारत को शामिल कर दिया है। जल हो, थल हो, नव हो हर जगह से मार करने वाली लंबी और छोटी दूरी की अनेक मिसाइलों ने बीते दिनों भारत के आसमान में सुरक्षा की अभेद दीवार खड़ी कर दी है। इसी कोरोना काल में हमारे वैज्ञानिकों ने भारत को फायर पॉवर के मामले में दुनिया की श्रेष्‍ठ ताकतों में शामिल कर दिया है। + +सेना के आधुनिकीकरण में और सैन्‍य के साजो-सामान की आत्‍मनिर्भरता में सबसे बड़ा रोड़ा पुराने समय की प्रक्रियाएं रही हैं। इन प्रक्रियाओं के सरलीकरण के लिए भी लगातार काम किया जा रहा है। हाल ही में कुछ और बड़े सुधार किए गए हैं। अब जैसे पहले ट्रायल और टेस्टिंग की प्रक्रिया बहुत जटिल थी। ये समय भी बहुत लगाती थीं। इससे रक्षा क्षेत्र में उपकरणों की इंनडक्‍शन में बहुत देरी लगती थी। अब इसको एकदम सरल किया गया है। हमारी तीनों सेनाओं के बीच समन्‍वय और बढ़े, तेजी से फैसले हों इसके लिए चीफ ऑफ डिफेंस स्‍टॉफ की व्‍यवस्‍था हम सबके सामने है। इतने कम समय में ही देश ने इस नई व्‍यवस्‍था का महत्‍व अनुभव कर लिया है। इतने कम समय में इस नई व्‍यवस्‍था का मजबूत होना हमारी सेना, वायु सेना, नौसेना की प्रतिबद्धता के कारण ही संभव हो रहा है और इसलिए हमारी तीनों सेनाएं अभिनंदन की अधिकारी हैं। हमारी सेनाओं के सामूहिक संकल्‍प ने सीडीएस की सफलता तय कर दी है। + diff --git a/pm-speech/314.txt b/pm-speech/314.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..28ce3b1a3b269a6ff0e020d1b5797ecb0eff7472 --- /dev/null +++ b/pm-speech/314.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +माँ भारती की सेवा और सुरक्षा के लिए चौबीसों घंटे डटे रहने वाले आप सभी वीरों को फिर एक बार मेरी तरफ से 130 करोड़ देशवासियों की तरफ से दीपावली की बहुत-बहुत बधाई। देश की सरहद पर हों, आसमान में या समुद्र के विस्‍तार में, बर्फीली चोटियों पर हों या घने जंगलों में, राष्‍ट्र रक्षा से जुड़े हर वीर बेटे-बेटी, हमारी सेनाएं, बीएसएफ, आईटीबीपी, सीआईएसएफ, हर सुरक्षा बल, हमारे पुलिस के जवान, हर किसी को मैं आज दीपावली के इस पावन पर्व पर आदरपूर्वक नमन करता हूं। + +साथियों मुझे याद है प्रधानमंत्री बनने के बाद पहली बार 2014 में दीपावली के पर्व पर मैं सियाचिन चला गया था। जवानों के साथ दिवाली मनाने के लिए, तो बहुत लोगों को थोड़ा आश्‍चर्य हुआ। त्‍योहार के दिन ये क्‍या प्रधानमंत्री कर रहा है। लेकिन, अब तो आप भी मेरे भाव जानते हैं। अगर दिवाली के पर्व पर अपनों के बीच ही तो जाऊंगा, अपने से दूर कहां रहूंगा। और इसलिए आज भी दीपावली के वर्ष आप लोगों के बीच आया हूं। अपनों के बीच में आया हूं। आप भले बर्फीली पहाडि़यों पर रहें, या फिर रेगिस्‍तान में, मेरी दिवाली तो आपके बीच आकर ही पूरी होती है। आपके चेहरों की रौनक देखता हूं। आपके चेहरों की खुशियां देखता हूं। तो मुझे भी अनेक गुणा खुशी हो जाती है। मेरी खुशी बढ़ जाती है। इसी खुशी के लिए, देशवासियों के उल्‍लास को आप तक पहुंचाने के लिए आज मैं फिर एक बार, इस रेगिस्‍तान में आपके बीच में आया हूं। और एक बात, आपके लिए त्‍योहार का दिन है तो मैं इसीलिए थोड़ी सी मिठाई भी लेके आया हूं। लेकिन ये सिर्फ देश का प्रधानमंत्री मिठाई लेकर नही आया है। ये मेरी ही नहीं ये सभी देशवासियों के प्रेम और अपनेपन का स्वाद भी उसके साथ लेके आया हूं। इन मिठाइयों में आप देश की हर मां के हाथ की मिठास अनुभव कर सकते हैं। इस मिठाई में आप हर भाई, बहन और पिता के आशीर्वाद को महसूस कर सकते हैं। और इसलिए, मैं आपके बीच अकेला नहीं आता। मैं अपने साथ देश का आप के प्रति प्रेम, आपके प्रति स्नेह और आपके लिए आशीर्वाद भी साथ लेकर आता हूं और साथियों, + +जब भी सैन्य कुशलता के इतिहास के बारे में लिखा-पढ़ा जाएगा, जब सैन्य पराक्रम की चर्चा होगी, तो बैटल ऑफ लोंगेवाला को ज़रूर याद किया जाएगा। ये वो समय था जब पाकिस्तान की सेना बांग्लादेश के निर्दोष नागरिकों पर अत्याचार कर रही थी, जुल्‍म कर रही थी, नरसंहार कर रही थी। बहन-बेटियों पर अमानवीय जुल्म कर रही थे, पाकिस्‍तान की सेना के लोग कर रहे थे। इन हरकतों से पाकिस्तान का घृणित चेहरा उजागर हो रहा था। भयंकर रूप दुनिया के सामने पाकिस्‍तान का प्रकट हो रहा था। इन सबसे दुनिया का ध्यान हटाने के लिए पाकिस्तान ने हमारे देश की पश्चिमी सीमाओं पर मोर्चा खोल दिया। पाकिस्‍तान को लगता था कि भारत की पश्‍चिम सीमा पर मोर्चा खोल दूंगा, दुनिया में भारत ने ये कर दिया, भारत ने वो कर दिया करके रोता रहूंगा और बांग्‍लादेश के सारे पाप उनके छिप जाएंगे। लेकिन हमारे सैनिकों ने जो मुंहतोड़ जवाब दिया, पाकिस्तान को लेने के देने पड़ गए। + diff --git a/pm-speech/315.txt b/pm-speech/315.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..a9f509020fcec3ee09c4413fc469d20768427a81 --- /dev/null +++ b/pm-speech/315.txt @@ -0,0 +1,8 @@ +आयुर्वेद, भारत की एक विरासत है जिसके विस्तार में पूरी मानवता की भलाई है। ये देखकर किस भारतीय को खुशी नहीं होगी कि हमारा पारंपरिक ज्ञान, अब अन्य देशों को भी समृद्ध कर रहा है। आज ब्राजील की राष्ट्रीय नीति में आयुर्वेद शामिल है। भारत-अमेरिका संबंध हों, भारत-जर्मनी रिश्ते हों, आयुष और भारतीय पारंपरिक चिकित्सा पद्धति से जुड़ा सहयोग निरंतर बढ़ रहा है। ये भी प्रत्येक भारतीय के लिए बहुत गर्व की बात है कि WHO ने और अभी WHO के मुखिया और मेरे मित्र उन्‍होंने एक बहुत महत्‍वपूर्ण घोषणा की है, WHO ने Global Centre for Traditional medicine इसकी स्थापना के लिए दुनिया में से भारत को चुना है और अब भारत में से दुनिया के लिए इस दिशा में काम होगा। भारत को ये बड़ी जिम्मेदारी सौंपने के लिए मैं World Health Organization का, विशेष रूप से WHO के महानिदेशक मेरे मित्र डॉक्टर टेड्रोस का भी हृदय से आभार व्‍यक्‍त करता हूँ। मुझे विश्वास है कि जिस प्रकार भारत Pharmacy of the world इस रूप में उभरा है, उसी प्रकार पारंपरिक चिकित्सा का ये Center भी Global Wellness का सेंटर बनेगा। ये सेंटर दुनिया भर की Traditional medicines के विकास और उनसे जुड़ी रिसर्च को नई बुलंदियां देने वाला साबित होगा। + +आप भली-भांति ये भी जानते हैं कि इसी साल संसद के मॉनसून सत्र में दो ऐतिहासिक आयोग भी बनाए गए हैं। पहला- National Commission for Indian System of Medicine और दूसरा National Commission for Homoeopathy. यही नहीं, नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी भारत की मेडिकल एजुकेशन में Integration की अप्रोच को प्रोत्साहित किया गया है। इस पॉलिसी की भावना है कि एलोपेथिक Education में आयुर्वेद की बेसिक जानकारी ज़रूरी हो और आयुर्वेदिक एजुकेशन में एलोपेथिक Practices की मूल जानकारी ज़रूरी हो। ये कदम आयुष और भारतीय पारंपरिक चिकित्सा पद्धति से जुड़ी शिक्षा और रिसर्च को और मजबूत बनाएंगे। + +21वीं सदी का भारत अब टुकड़ों में नहीं, होलिस्टिक तरीके से सोचता है। हेल्थ से जुड़ी चुनौतियों को भी अब होलिस्टिक approach के साथ उसी तरीके से ही सुलझाया जा रहा है। आज देश में सस्ते और प्रभावी इलाज के साथ-साथ Preventive Healthcare पर, Wellness ज्यादा फोकस किया जा रहा है। आचार्य चरक ने भी कहा है- स्वस्थस्य स्वास्थ्य रक्षणं, आतुरस्य विकार प्रशमनं च! यानि स्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य की रक्षा करना और रोगी को रोगमुक्‍त करना, ये आयुर्वेद के उद्देश्य हैं। स्वस्थ व्यक्ति, स्वस्थ ही रहे, इसी सोच के साथ ऐसे हर कदम उठाए जा रहे हैं, जिससे बीमार करने वाली स्थितियां दूर हों। एक तरफ साफ-सफाई, स्‍वव्‍छता, शौचालय, साफ पानी, धुआंमुक्‍त रसोई, पोषण इन सभी पर ध्यान दिया जा रहा है तो वहीं डेढ़ लाख Health और Wellness Centers हिन्‍दुस्तान के कोने-कोने में तैयार किए जा रहे हैं। इनमें विशेष तौर पर साढ़े 12 हज़ार से ज्यादा आयुष Wellness Centers पूरी तरह आयुर्वेद को समर्पित हैं, आयुर्वेद से जुड़े बन रहे हैं। + +कोरोना के इस काल में हमारा फोकस सिर्फ आयुर्वेद के उपयोग तक ही सीमित नहीं रहा। बल्कि इस मुश्किल घड़ी का इस्तेमाल आयुष से जुड़ी रिसर्च को देश और दुनिया में आगे बढ़ाने के लिए किया जा रहा है। आज एक तरफ भारत जहां वैक्सीन की टेस्टिंग कर रहा है, वहीं दूसरी तरफ कोविड से लड़ने के लिए आयुर्वेदिक रिसर्च पर भी International Collaboration को तेज़ी से बढ़ा रहा है। अभी-अभी, हमारे साथी श्रीपद जी ने बताया कि इस समय सौ से ज्यादा स्थानों पर रिसर्च चल रही हैं। यहां दिल्ली में ही अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान ने, जैसा अभी आपको विस्‍तार से बताया गया, दिल्ली पुलिस के 80 हज़ार जवानों पर Immunity से जुड़ी रिसर्च की है। ये दुनिया की सबसे बड़ी Group Study हो सकती है। इसके भी उत्साहजनक परिणाम देखने को मिले हैं। आने वाले दिनों में कुछ और अंतर्राष्ट्रीय परीक्षण भी शुरू किए जाने है। + diff --git a/pm-speech/316.txt b/pm-speech/316.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..5b2d35fe9bcd1c9d8bd4f343ca88984e0a823eba --- /dev/null +++ b/pm-speech/316.txt @@ -0,0 +1,22 @@ +देश के शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक जी, जेएनयू के वाइस चांसलर प्रोफेसर जगदीश कुमार जी, प्रो वाइस चांसलर प्रोफेसर आर.पी.सिंह जी, आज के इस अवसर को साकार करने वाले JNU के पूर्व छात्र डॉ. मनोज कुमार जी, मूर्तिकार श्री नरेश कुमावत जी, अलग-अलग स्‍थानों से जुड़े Faculty members और विशाल संख्‍या में इस कार्यक्रम के साथ जुड़े हुए मेरे सभी युवा साथियों। मैं JNU प्रशासन, सभी शिक्षकों और students को इस महत्‍वपूर्ण अवसर पर बहुत बधाई देता हूं। + +स्‍वामी विवेकानंद जी कहते थे- ‘’मूर्ति में आस्‍था का रहस्‍य ये है कि आप उस एक चीज से ‘vision of divinity’ develop करते हैं।‘’ मेरी कामना है कि JNU में लगी स्‍वामीजी की ये प्रतिमा सभी को प्रेरित करे, ऊर्जा से भरे। ये प्रतिमा वो साहस दे, courage दे, जिसे स्वामी विवेकानंद प्रत्येक व्यक्ति में देखना चाहते थे। ये प्रतिमा वो करुणाभाव सिखाए, compassion सिखाए, जो स्वामी जी के दर्शन का मुख्य आधार है। + +देश का युवा ही दुनियाभर में Brand India का Brand Ambassador हैं। हमारे युवा भारत के Culture और Traditions का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसलिए आपसे अपेक्षा सिर्फ हज़ारों वर्षों से चली आ रही भारत की पुरातन पहचान पर गर्व करने भर की ही नहीं है, बल्कि 21वीं सदी में भारत की नई पहचान गढ़ने की भी है। अतीत में हमने दुनिया को क्‍या दिया ये याद रखना और ये बताना हमारे आत्‍मविश्‍वास को बढ़ाता है। इसी आत्‍मविश्‍वास के बल पर हमें भविष्‍य पर काम करना है। भारत 21वीं सदी की दुनिया में क्‍या contribute करेगा, इसके लिए innovate करना हम सभी का दायित्‍व है। + +इसको लेकर आप JNU के साथी ज़रूर रिसर्च करें। लेकिन अनुभव के आधार पर मैं एक पहलू आपके सामने ज़रूर रखूंगा। आज सिस्टम में जितने Reforms किए जा रहे हैं, उऩके पीछे भारत को हर प्रकार से बेहतर बनाने का संकल्प है। आज हो रहे Reforms के साथ नीयत और निष्ठा पवित्र है। आज जो Reforms किए जा रहे हैं, उससे पहले एक सुरक्षा कवच तैयार किया जा रहा है। इस कवच का सबसे बड़ा आधार है- विश्वास, भरोसा। अब जैसे pro-farmer reforms, उसी की बात कर लें। किसान दशकों तक सिर्फ राजनीतिक चर्चा का ही विषय रहा, ज़मीन पर उसके हित में कदम सीमित ही थे। + +बीते 5-6 सालों में हमने किसानों के लिए एक सुरक्षा तंत्र विकसित किया। सिंचाई का बेहतर infrastructure हो, मंडियों के आधुनिकीकरण पर निवेश हो, यूरिया की उपलब्धता हो, Soil Health Cards हों, बेहतर बीज हों, फसल बीमा हो, लागत का डेढ़ गुणा MSP हो, ऑनलाइन मार्केट की व्यवस्था ई-नाम हो, और पीएम सम्मान निधि से सीधी मदद हो। बीते सालों में MSP को भी अनेक बार बढ़ाया गया और किसानों से रिकॉर्ड खरीद भी की गई है। किसानों के इर्द-गिर्द जब ये सुरक्षा कवच बन गया, जब उनमें विश्वास जागा तब जाकर Agro-reforms को हमने आगे बढ़ाया। + +किसानों के साथ-साथ गरीबों के हित में किए गए Reforms के मामले में भी यही रास्ता अपनाया जा रहा है। हमारे यहां लंबे समय तक गरीब को सिर्फ नारों में ही रखा गया। लेकिन सच्चाई ये थी कि देश के गरीब को कभी सिस्टम से जोड़ने की चेष्टा ही नहीं हुई। जो सबसे ज्यादा Neglected था, वो गरीब था। जो सबसे ज्यादा Unconnected था, वो गरीब था। जो सबसे ज्यादा Financially excluded था, वो गरीब था। अब गरीबों को अपना पक्का घर, टॉयलेट, बिजली, गैस, साफ पीने का पानी, डिजिटल बैंकिंग, सस्ती मोबाइल कनेक्टिविटी और तेज़ इंटरनेट कनेक्शन की सुविधा जैसे अन्‍य नागरिकों मिल रही है, गरीबों तक भी पहुंच रही है। ये गरीब के इर्द-गिर्द बुना गया वो सुरक्षा कवच है, जो उसकी आकांक्षाओं की उड़ान के लिए ज़रूरी है। + +एक और reforms जो सीधे आपको, JNU जैसे देश के Campuses को प्रभावित करता है, वो है नई National Education Policy. इस नई National Education Policy की Core Values ही, Confidence, Conviction और Character से भरे युवा भारत का निर्माण करना है। यही स्वामी जी का भी Vision था। वो चाहते थे कि भारत में शिक्षा ऐसी हो जो आत्मविश्वास दे, उसको हर प्रकार से आत्मनिर्भर बनाए। + +जीवन के दो ढाई दशक के बाद युवा साथियों को जो हौसला मिलता है, वो स्कूली जीवन की शुरुआत में ही क्यों ना मिले? किताबी ज्ञान तक, Streams की बंदिशों तक, Mark sheet, Degree, Diploma तक ही युवा ऊर्जा को क्यों बांध कर रखा जाए? नई National Education Policy का फोकस इसी बात पर सबसे अधिक है। Inclusion, नई NEP के मूल में है। भाषा सिर्फ एक माध्यम है, ज्ञान का पैमाना नहीं, ये इस NEP की भावना है। गरीब से गरीब को, देश की बेटियों को, उनकी ज़रूरत, उनकी सुविधा के अनुसार बेहतर शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार मिले, ये इसमें सुनिश्चित किया गया है। + +Reforms का निर्णय करना ही अपने आप में काफी नहीं होता। उनको जिस प्रकार से हम अपने जीवन में उतारते हैं, ये सबसे अहम होता है। नई National Education Policy से हमारी शिक्षा व्यवस्था में सार्थक बदलाव भी तभी तेज़ी से आएगा, जब हम, आप सभी साथी ईमानदारी से प्रयास करेंगे। विशेषतौर पर हमारे शिक्षक वर्ग, बुद्धिजीवी वर्ग पर इसका सबसे ज्यादा दायित्व है। वैसे साथियों, JNU के इस कैंपस में एक बेहद लोकप्रिय जगह है। कौन सी जगह है वो? साबरमती ढाबा? है न? और वहां पर कितनों का खाता चल रहा है? मैंने सुना है कि आप लोग क्लास के बाद इस ढाबे पर जाते हैं और चाय परांठे के साथ Debate करते हैं, Ideas exchange करते हैं। वैसे पेट भरा हो तो Debate में भी मजा आता है। आज तक आपके Ideas की, Debate की, Discussion की जो भूख साबरमती ढाबा में मिटती थी, अब आपके लिए स्वामी जी की इस प्रतिमा की छत्रछाया में एक और जगह मिल गई है। + +Emergency के खिलाफ उस आंदोलन में काँग्रेस के पूर्व नेता और कार्यकर्ता भी थे। आरएसएस के स्वयंसेवक और जनसंघ के लोग भी थे। समाजवादी लोग भी थे। कम्यूनिस्ट भी थे। JNU से जुड़े कितने ही लोग थे जिन्होंने एक साथ आकर Emergency के खिलाफ संघर्ष किया था। इस एकजुटता में, इस लड़ाई में भी किसी को अपनी विचारधारा से समझौता नहीं करना पड़ा था। बस उद्देश्य एक ही था- राष्ट्रहित। और ये उद्देश्य ही सबसे बड़ा था। इसलिए साथियों, जब राष्ट्र की एकता अखंडता और राष्ट्रहित का प्रश्न हो तो अपनी विचारधारा के बोझ तले दबकर फैसला लेने से, देश का नुकसान ही होता है। + +स्वामी विवेकानंद जी ने भी कभी status quo को स्वीकार नहीं किया था। और हाँ, एक चीज जिस पर मैं खास तौर पर बात करना चाहता हूँ और वो है- Humor, आपस में हंसी मजाक। ये बहुत बड़ा Lubricating force है। अपने भीतर Spirit of Humor को जरूर जिंदा रखिए। कभी-कभी तो मैं कई नौजवानों को देखता हूं जैसे इतने बोझ नीचे दबे हुए होते हैं जैसे सारा पूरी दुनिया का बोझ उनके सिर पर है। कई बार हम अपनी कैम्पस लाइफ में, पढ़ाई में, कैम्पस पॉलिटिक्स में Humor को भूल ही जाते हैं। इसलिए, हमें इसे बचाकर रखना है, अपने sense of humor को खोने नहीं देना है। + diff --git a/pm-speech/319.txt b/pm-speech/319.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..082dbcc049932518e030cf63aa0b84e369b12761 --- /dev/null +++ b/pm-speech/319.txt @@ -0,0 +1,10 @@ +SCO में भारत के लिए यह एक महत्वपूर्ण वर्ष है। हम पहली बार एक Summit स्तर की बैठक SCO Council of Heads of Government का आयोजन करने जा रहे हैं। इस बैठक के लिए एक व्यापक एजेंडा तैयार किया गया है, जिसमें आर्थिक सहयोग के मुद्दों पर विशेष ध्यान दिया गया है। हमने स्टार्टअप इकोसिस्टम में अपने समृद्ध अनुभव को साझा करने के लिए Innovation and Startups पर Special Working Group की स्थापना का प्रस्ताव रखा है। हमने Traditional Medicine पर Working Group का भी प्रस्ताव रखा है, ताकि SCO देशों में पारंपरिक और प्राचीन चिकित्सा के ज्ञान और समकालीन चिकित्सा में हो रही प्रगति एक दूसरे के पूरक बन सकें। + +भारत का दृढ़ विश्वास है कि economic multilateralism और national capacity building के combination से SCO देश महामारी से हुए आर्थिक नुकसान के संकट से उभर सकते हैं। हम महामारी के बाद के विश्व में “आत्मनिर्भर भारत” की दृष्टि के साथ आगे बढ़ रहे हैं। मुझे विश्वास है कि “आत्मनिर्भर भारत” वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए एक Force Multiplier साबित होगा और SCO क्षेत्र की आर्थिक प्रगति को गति प्रदान करेगा । + +SCO क्षेत्र से भारत का घनिष्ठ सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंध रहा है। हमारे पूर्वजों ने इस साझा ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को अपने अथक और निरंतर संपर्कों से जीवंत रखा। International North South Transport Corridor, चाबहार पोर्ट, अश्गाबात समझौते, जैसे कदम Connectivity के प्रति भारत के मजबूत संकल्प को दर्शाते हैं। भारत का मानना है कि Connectivity को और अधिक गहरा करने के लिए यह आवश्यक है कि एक दूसरे की संप्रभुता, और टेरीटोरियल इंटेग्रिटी के सम्मान के मूल सिद्धांतों के साथ आगे बढ़ा जाए। + +सभी सुखी और सभी रोगमुक्त रहें। यह शांति मंत्र भारत के समस्त मानव कल्याण के प्रति आस्था का प्रतीक है। अभूतपूर्व महामारी के इस अत्यंत कठिन समय में भारत के फार्मा उद्योग ने 150 से अधिक देशों को आवश्यक दवाएं भेजी हैं। दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीन उत्पादक देश के रूप में भारत अपनी वैक्सीन उत्पादन और वितरण क्षमता का उपयोग इस संकट से लड़ने में पूरी मानवता की मदद करने के लिए करेगा। + +मैं वर्ष 2021 में SCO की 20वीं वर्षगांठ पर “SCO संस्कृति वर्ष” मनाने के लिए पूर्ण समर्थन देता हूं। भारत का राष्ट्रीय संग्रहालय इस वर्ष हमारी साझा बौद्ध विरासत पर पहली SCO प्रदर्शनी आयोजित करने की प्रक्रिया में है। भारत की साहित्य अकादमी ने रूसी और चीनी भाषा में दस भारतीय साहित्यिक कृतियों के अनुवाद का काम पूरा किया है। + diff --git a/pm-speech/320.txt b/pm-speech/320.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..f9dcb8e852014b654185a1b39cb7cb3562906904 --- /dev/null +++ b/pm-speech/320.txt @@ -0,0 +1,8 @@ +ऊर्जा क्षेत्र के लिए यह वर्ष चुनौतीपूर्ण रहा है। ऊर्जा की मांग लगभग एक तिहाई गिर गई। मूल्य अस्थिरता रही है। निवेश के फैसले प्रभावित हुए हैं। प्रमुख वैश्विक निकायों का कहना है कि अगले कुछ वर्षों में भी वैश्विक ऊर्जा मांग में कमी आएगी। लेकिन, ये एजेंसियों का मानना है कि भारत को एक अग्रणी ऊर्जा उपभोक्ता के रूप में उभरेगा। भारत लंबे समय में अपनी ऊर्जा खपत को लगभग दोगुना करने के लिए तैयार है। + +पिछले छह वर्षों में, 36 करोड़ या 360 मिलियन से अधिक एलईडी बल्ब वितरित किए गए। एलईडी बल्ब की लागत में भी 10 गुना कमी आई है। पिछले छह वर्षों में, 1.1 करोड़ या 11 मिलियन से अधिक स्मार्ट एलईडी स्ट्रीट-लाइटें लगाई गईं। इनसे प्रति वर्ष 60 बिलियन यूनिट की अनुमानित ऊर्जा बचत हुई है। इस कार्यक्रम के साथ अनुमानित ग्रीन-हाउस गैस उत्सर्जन में कमी सालाना 4.5 करोड़ या 45 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड है। इन सबके साथ, हमने सालाना लगभग 24,000 करोड़ रुपये या 240 अरब रुपये की भी बचत की। यह इस तरह के हस्तक्षेप के कारण है कि रिपोर्टों ने कहा है कि स्वच्छ ऊर्जा निवेश के लिए भारत सबसे आकर्षक उभरता हुआ बाजार है। + +प्राकृतिक गैस का घरेलू उत्पादन बढ़ाने के लिए और गैस के बाजार मूल्य की खोज में एकरूपता लाने के लिए, हमने इस महीने की शुरुआत में प्राकृतिक गैस विपणन सुधारों की घोषणा की है। इनसे ई-बोली के माध्यम से प्राकृतिक गैस की बिक्री में अधिक से अधिक विपणन स्वतंत्रता मिलेगी। भारत का पहला स्वचालित राष्ट्रीय स्तर का गैस ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म इस साल जून में शुरू किया गया था। यह गैस के बाजार मूल्य की खोज करने के लिए मानक प्रक्रियाओं को निर्धारित करता है। + +हम 'आत्मनिर्भर भारत' के सपने के साथ आगे बढ़ रहे हैं। एक आत्मनिर्भर भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए फोर्स मल्टीप्लायर भी होगा। ऊर्जा सुरक्षा हमारे प्रयासों के मूल में है। आपको यह जानकर खुशी होगी कि हमारे काम के सकारात्मक नतीजे मिल रहे हैं। इस चुनौतीपूर्ण समय के दौरान, हमने तेल और गैस मूल्य श्रृंखला के माध्यम से निवेश देखा है। हम अन्य क्षेत्रों में भी इसी तरह के संकेत देख रहे हैं। + diff --git a/pm-speech/321.txt b/pm-speech/321.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..26590adc7ec94c1f61e02163a546e660076e8b5e --- /dev/null +++ b/pm-speech/321.txt @@ -0,0 +1,22 @@ +आज विजयादशमी यानि दशहरे का पर्व है। इस पावन अवसर पर आप सभी को ढ़ेरों शुभकामनाएं। दशहरे का ये पर्व, असत्य पर सत्य की जीत का पर्व है। लेकिन, साथ ही, ये एक तरह से संकटों पर धैर्य की जीत का पर्व भी है। आज, आप सभी बहुत संयम के साथ जी रहे हैं, मर्यादा में रहकर पर्व, त्योहार मना रहे हैं, इसलिए, जो लड़ाई हम लड़ रहे हैं, उसमें जीत भी सुनिश्चित है। पहले, दुर्गा पंडाल में, माँ के दर्शनों के लिए इतनी भीड़ जुट जाती थी – एकदम, मेले जैसा माहौल रहता था, लेकिन, इस बार ऐसा नही हो पाया। पहले, दशहरे पर भी बड़े-बड़े मेले लगते थे, लेकिन इस बार उनका स्वरुप भी अलग ही है। रामलीला का त्योहार भी, उसका बहुत बड़ा आकर्षण था, लेकिन उसमें भी कुछ-न-कुछ पाबंदियाँ लगी हैं। पहले, नवरात्र पर, गुजरात के गरबा की गूंज हर तरफ़ छाई रहती थी, इस बार, बड़े-बड़े आयोजन सब बंद हैं। अभी, आगे और भी कई पर्व आने वाले हैं। अभी, ईद है, शरद पूर्णिमा है, वाल्मीकि जयंती है, फिर, धनतेरस, दिवाली, भाई-दूज, छठी मैया की पूजा है, गुरु नानक देव जी की जयंती है – कोरोना के इस संकट काल में, हमें संयम से ही काम लेना है, मर्यादा में ही रहना है। + +जब हम त्योहार की बात करते हैं, तैयारी करते हैं, तो, सबसे पहले मन में यही आता है, कि बाजार कब जाना है? क्या-क्या खरीदारी करनी है? ख़ासकर, बच्चों में तो इसका विशेष उत्साह रहता है – इस बार, त्योहार पर, नया, क्या मिलने वाला है? त्योहारों की ये उमंग और बाजार की चमक, एक-दूसरे से जुड़ी हुई है। लेकिन इस बार जब आप खरीदारी करने जायें तो ‘Vocal for Local’ का अपना संकल्प अवश्य याद रखें। बाजार से सामान खरीदते समय, हमें स्थानीय उत्पादों को प्राथमिकता देनी है। + +दिल्ली के Connaught Place के खादी स्टोर में इस बार गाँधी जयंती पर एक ही दिन में एक करोड़ रुपये से ज्यादा की खरीदारी हुई। इसी तरह कोरोना के समय में खादी के मास्क भी बहुत popular हो रहे हैं। देशभर में कई जगह self help groups और दूसरी संस्थाएँ खादी के मास्क बना रहे हैं। यू.पी. में, बाराबंकी में एक महिला हैं – सुमन देवी जी। सुमन जी ने self help group की अपनी साथी महिलाओं के साथ मिलकर खादी मास्क बनाना शुरू किया। धीरे-धीरे उनके साथ अन्य महिलाएँ भी जुड़ती चली गई, अब वे सभी मिलकर हजारों खादी मास्क बना रही हैं। हमारे local products की खूबी है कि उनके साथ अक्सर एक पूरा दर्शन जुड़ा होता है। + +जब हमें अपनी चीजों पर गर्व होता है, तो दुनिया में भी उनके प्रति जिज्ञासा बढती है। जैसे हमारे आध्यात्म ने, योग ने, आयुर्वेद ने, पूरी दुनिया को आकर्षित किया है। हमारे कई खेल भी दुनिया को आकर्षित कर रहे हैं। आजकल, हमारा मलखम्ब भी, अनेकों देशों में प्रचलित हो रहा है। अमेरिका में चिन्मय पाटणकर और प्रज्ञा पाटणकर ने जब अपने घर से ही मलखम्ब सिखाना शुरू किया था, तो, उन्हें भी अंदाजा नहीं था, कि इसे इतनी सफलता मिलेगी। अमेरिका में आज, कई स्थानों पर, मलखम्ब Training Centers चल रहे हैं। बड़ी संख्या में अमेरिका के युवा इससे जुड़ रहे हैं, मलखम्ब सीख रहे हैं। आज, जर्मनी हो, पोलैंड हो, मलेशिया हो, ऐसे करीब 20 अन्य देशो में भी मलखम्ब खूब popular हो रहा है। अब तो, इसकी, World Championship शुरू की गई है, जिसमें, कई देशों के प्रतिभागी हिस्सा लेते हैं। भारत में तो प्रचीन काल से कई ऐसे खेल रहे हैं, जो हमारे भीतर, एक असाधारण विकास करते हैं। हमारे Mind, Body Balance को एक नए आयाम पर ले जाते हैं। लेकिन संभवतः, नई पीढ़ी के हमारे युवा साथी, मलखम्ब से उतना परिचित ना हों। आप इसे इन्टरनेट पर जरूर search करिए और देखिये। + +हमनें अभी पोन मरियप्पन जी से बात की। देखिये, कैसे वो लोगों के बालों को तो संवारते ही हैं, उन्हें, अपना जीवन संवारने का भी अवसर देते हैं। थिरुकुरल की लोकप्रियता के बारे में सुनकर बहुत अच्छा लगा| थिरुकुरल की लोकप्रियता के बारे आप सबने भी सुना। आज हिन्दुस्तान की सभी भाषाओं में थिरुकुरल उपलब्ध है। अगर मौक़ा मिले तो ज़रूर पढ़ना चाहिए। जीवन के लिए वह एक प्रकार से मार्ग दर्शक है। + +लेकिन आपको ये जानकार खुशी होगी कि पूरे भारत में अनेक लोग हैं जिन्हें ज्ञान के प्रसार से अपार खुशी मिलती है। ये वो लोग हैं जो हमेशा इस बात के लिए तत्पर रहते हैं कि हर कोई पढ़ने के लिए प्रेरित हो। मध्य प्रदेश के सिंगरौली की शिक्षिका, उषा दुबे जी ने तो scooty को ही mobile library में बदल दिया। वे प्रतिदिन अपने चलते-फिरते पुस्तकालय के साथ किसी न किसी गाँव में पहुँच जाती हैं और वहाँ बच्चों को पढ़ाती हैं। बच्चे उन्हें प्यार से किताबों वाली दीदी कह कर बुलाते हैं। इस साल अगस्त में अरुणाचल प्रदेश के निरजुली के Rayo Village में एक Self Help Library बनाई गई है। दरअसल, यहाँ की मीना गुरुंग और दिवांग होसाई को जब पता चला कि कस्बे में कोई library नहीं है तो उन्होंने इसकी funding के लिए हाथ बढ़ाया। आपको ये जानकार हैरानी होगी कि इस library के लिए कोई membership ही नहीं है। कोई भी व्यक्ति दो हफ्ते के लिए किताब ले जा सकता है। पढ़ने के बाद उसे वापस करना होता है। ये library सातों दिन, चौबीसों घंटे खुली रहती है। आस-पड़ोस के अभिभावक यह देखकर काफी खुश हैं, कि उनके बच्चे किताब पढ़ने में जुटे हैं। खासकर उस समय जब स्कूलों ने भी online classes शुरू कर दी हैं। वहीं चंडीगढ़ में एक NGO चलाने वाले संदीप कुमार जी ने एक mini van में mobile library बनाई है, इसके माध्यम से गरीब बच्चों को पढ़ने के लिए मुफ्त में books दी जाती हैं। इसके साथ ही गुजरात के भावनगर की भी दो संस्थाओं के बारे में जानता हूँ जो बेहतरीन कार्य कर रही हैं। उनमें से एक है ‘विकास वर्तुल ट्रस्ट’। यह संस्था प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले विद्यार्थियों के लिए बहुत मददगार है। यह ट्रस्ट 1975 से काम कर रहा है और ये 5,000 पुस्तकों के साथ 140 से अधिक magazine उपलब्ध कराता है। ऐसी एक संस्था ‘पुस्तक परब’ है। ये innovative project है जो साहित्यिक पुस्तकों के साथ ही दूसरी किताबें निशुल्क उपलब्ध कराते हैं। इस library में आध्यात्मिक, आयुर्वेदिक उपचार, और कई अन्य विषयों से सम्बंधित पुस्तकें भी शामिल हैं। यदि आपको इस तरह के और प्रयासों के बारे में कुछ पता है तो मेरा आग्रह है कि आप उसे social media पर जरुर साझा करें। ये उदाहरण पुस्तक पढ़ने या पुस्तकालय खोलने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि, यह उस नए भारत की भावना का भी प्रतीक है जिसमें समाज के विकास के लिए हर क्षेत्र और हर तबके के लोग नए-नए और innovative तरीके अपना रहे हैं।  गीता में कहा गया है – + +कुछ ही दिनों बाद सरदार वल्लभ भाई पटेल जी की जन्म जयंती, 31 अक्टूबर को हम सब, ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ के तौर पर मनाएंगे। ‘मन की बात’ में, पहले भी हमने, सरदार पटेल पर विस्तार से बात की है। हमने, उनके विराट व्यक्तित्व के कई आयामों पर चर्चा की है। बहुत कम लोग मिलेंगे जिनके व्यक्तित्व में एक साथ कई सारे तत्व मौजूद हों – वैचारिक गहराई, नैतिक साहस, राजनैतिक विलक्षणता, कृषि क्षेत्र का गहरा ज्ञान और राष्ट्रीय एकता के प्रति समर्पण भाव। क्या आप सरदार पटेल के बारे में एक बात जानते हैं जो उनके sense of humour को दर्शाती है। जरा उस लौह-पुरुष की छवि की कल्पना कीजिये जो राजे-रजवाड़ों से बात कर रहे थे, पूज्य बापू के जन-आंदोलन का प्रबंधन कर रहे थे, साथ ही, अंग्रेजों से लड़ाई  भी लड़ रहे थे, और इन सब के बीच भी, उनका sense of humour पूरे रंग में होता था। बापू ने सरदार पटेल के बारे में कहा था – उनकी विनोदपूर्ण बातें मुझे इतना हँसाती थी कि हँसते-हँसते पेट में बल पड़ जाते थे ,ऐसा, दिन में एक बार नहीं, कई-कई बार होता था। इसमें, हमारे लिए भी एक सीख है, परिस्थितियाँ कितनी भी विषम क्योँ न हो, अपने sense of humour को जिंदा रखिये, यह हमें सहज तो रखेगा ही, हम अपनी समस्या का समाधान भी निकाल पायेंगे I सरदार साहब ने यही तो किया था! + +वैसे, ऐसी ताकतें भी मौजूद रही हैं जो निरंतर हमारे मन में संदेह का बीज बोने की कोशिश करते रहते हैं, देश को बाँटने का प्रयास करते हैं। देश ने भी हर बार, इन बद-इरादों का मुंहतोड़ जवाब दिया है। हमें निरंतर अपनी creativity से, प्रेम से, हर पल प्रयासपूर्वक अपने छोटे से छोटे कामों में, ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ के खूबसूरत रंगों को सामने लाना है,एकता के नए रंग भरने हैं, और, हर नागरिक को भरने हैं। इस सन्दर्भ में, मैं, आप सबसे, एक website देखने का आग्रह करता हूँ – ekbharat.gov.in (एक भारत डॉट गव डॉट इन)। इसमें, national integration की हमारी मुहिम को आगे बढ़ाने के कई प्रयास दिखाई देंगे। इसका एक दिलचस्प corner है – आज का वाक्य। इस section में हम, हर रोज एक वाक्य को, अलग-अलग भाषाओँ में कैसे बोलते हैं, यह सीख सकते हैं। आप, इस website के लिए contribute भी करें, जैसे, हर राज्य और संस्कृति में अलग-अलग खान-पान होता है। यह व्यंजन स्थानीय स्तर के ख़ास ingredients, यानी, अनाज और मसालों से बनाए जाते हैं। क्या हम इन local food की recipe को local ingredients के नामों के साथ, ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ website पर share कर सकते हैं? Unity और Immunity को बढ़ाने के लिए इससे बेहतर तरीका और क्या हो सकता है! + +पुलवामा की अपनी यह पहचान तब स्थापित हुई है, जब, यहाँ के लोगों ने कुछ नया करने की ठानी, काम को लेकर Risk उठाया, और ख़ुद को उसके प्रति समर्पित कर दिया। ऐसे ही कर्मठ लोगों में से एक है – मंजूर अहमद अलाई। पहले मंजूर भाई लकड़ी काटने वाले एक सामान्य मजदूर थे। मंजूर भाई कुछ नया करना चाहते थे ताकि उनकी आने वाली पीढ़ियाँ ग़रीबी में ना जिए। उन्होंने, अपनी पुस्तैनी जमीन बेच दी और Apple Wooden Box, यानी सेब रखने वाले लकड़ी के बक्से बनाने की यूनिट शुरू की। वे, अपने छोटे से Business में जुटे हुए थे, तभी मंजूर भाई को कहीं से पता चला कि पेंसिल निर्माण में Poplar Wood यानी चिनार की लकड़ी का उपयोग शुरू किया गया है। ये जानकारी मिलने के बाद, मंजूर भाई ने अपनी उद्यमिता का परिचय देते हुए कुछ Famous Pencil Manufacturing Units को Poplar Wooden Box की आपूर्ति शुरू की। मंजूर जी को ये बहुत फायदेमंद लगा और उनकी आमदनी भी अच्छी ख़ासी बढ़ने लगी। समय के साथ उन्होंने Pencil Slate Manufacturing Machinery ले ली और उसके बाद उन्होंने देश की बड़ी-बड़ी कंपनियों को Pencil Slate की Supply शुरू कर दी। आज, मंजूर भाई के इस Business का Turnover करोड़ों में है और वे लगभग दो-सौ लोगों को आजीविका भी दे रहे हैं। आज ‘मन की बात’ के जरिये समस्त देशवासियों की ओर से, मैं मंजूर भाई समेत, पुलवामा के मेहनतकश भाई-बहनों को और उनके परिवार वालों को, उनकी प्रशंसा करता हूँ – आप सब, देश के Young Minds को, शिक्षित करने के लिए, अपना बहुमूल्य योगदान दे रहे हैं। + +Lock down के दौरान Technology-Based service delivery के कई प्रयोग हमारे देश में हुए हैं, और अब ऐसा नहीं रहा कि बहुत बड़ी technology और logistics companies ही यह कर सकती हैं। झारखण्ड में ये काम महिलाओं के self help group ने करके दिखाया है। इन महिलाओं ने किसानों के खेतों से सब्जियाँ और फल लिए और सीधे, घरों तक पहुँचाए। इन महिलाओं ने ‘आजीविका farm fresh’ नाम से एक app बनवाया जिसके जरिए लोग आसानी से सब्जियाँ मंगा सकते थे। इस पूरे प्रयास से किसानों को अपनी सब्जियाँ और फलों के अच्छे दाम मिले, और लोगों को भी fresh सब्जियाँ मिलती रही। वहाँ ‘आजीविका farm fresh’ app का idea बहुत popular हो रहा है। Lock down में इन्होंने 50 लाख रुपये से भी ज्यादा के फल-सब्जियाँ लोगों तक पहुँचाई हैं। साथियो, agriculture sector में नई सम्भावनाएँ  बनता देख, हमारे युवा भी काफी संख्या में इससे जुड़ने लगे हैं। मध्यप्रदेश के बड़वानी में अतुल पाटीदार अपने क्षेत्र के 4 हजार किसानों को digital रूप से जोड़ चुके हैं। ये किसान अतुल पाटीदार के  E-platform farm card के जरिए, खेती के सामान, जैसे, खाद, बीज, pesticide, fungicide आदि की home delivery पा रहे हैं, यानी किसानों को घर तक, उनकी जरुरत की चीज़ें मिल रही हैं। इस digital platform पर आधुनिक कृषि उपकरण भी किराये पर मिल जाते हैं। Lock down के समय भी इस digital platform के जरिये किसानों को हज़ारों packet delivery किये गए, जिसमें, कपास और सब्जियों के बीज भी थे। अतुल जी और उनकी team, किसानों को तकनीकी रूप से जागरूक कर रही है, on line payment और खरीदारी सिखा रही हैं। + +इन दिनों महाराष्ट्र की एक घटना पर मेरा ध्यान गया। वहां एक farmer producer कंपनी ने मक्के की खेती करने वाले किसानों से मक्का ख़रीदा। कंपनी ने किसानों को इस बार, मूल्य के अतिरिक्त, bonus भी दिया। किसानों को भी एक सुखद आश्चर्य हुआ। जब उस कंपनी से पूछा, तो उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने जो नये कृषि क़ानून बनाये हैं, अब उसके तहत, किसान, भारत में कहीं पर भी फ़सल बेच पा रहे हैं और उन्हें अच्छे दाम मिल रहे हैं, इसलिये उन्होंने सोचा कि इस extra profit को किसानों के साथ भी बाँटना चाहिये। उस पर उनका भी हक़ है और उन्होंने किसानों को bonus दिया है।  साथियो, bonus अभी भले ही छोटा हो, लेकिन ये शुरुआत बहुत बड़ी है। इससे हमें पता चलता है कि नये कृषि-क़ानून से जमीनी स्तर पर, किस तरह के बदलाव किसानों के पक्ष में आने की संभावनायें भरी पड़ी हैं। + diff --git a/pm-speech/322.txt b/pm-speech/322.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..43e37504d686a5a7ecd5ccdea1405b0bc5bea24f --- /dev/null +++ b/pm-speech/322.txt @@ -0,0 +1,30 @@ +गुजरात देश का पहला राज्य था, जिसने सौर ऊर्जा के लिए एक दशक पहले ही व्यापक नीति बनाई थी। जब साल 2010 में पाटन में सोलर पावर प्लांट का उद्घाटन हुआ था, तब किसी ने कल्पना भी नहीं की थी कि एक दिन भारत दुनिया को One Sun, One world, One Grid का रास्ता दिखाएगा। आज तो भारत सोलर पावर के उत्पादन और उपयोग, दोनों के मामले में दुनिया के अग्रणी देशों में है। बीते 6 सालों में देश सौर ऊर्जा के उत्पादन के मामले में दुनिया में 5वें नंबर पर पहुंच चुका है और तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। + +मैं गुजरात सरकार को इस बात के लिए भी बधाई दूंगा कि बाकी व्यवस्थाओं को प्रभावित किए बिना, ट्रांसमिशन की बिल्कुल नई कैपेसिटी तैयार करके ये काम किया जा रहा है। इस योजना के तहत अगले 2-3 वर्षों में लगभग साढ़े 3 हज़ार सर्किट किलोमीटर नई ट्रांसमिशन लाइनों को बिछाने का काम किया जाएगा। मुझे बताया गया है कि आने वाले कुछ दिनों तक हज़ार से ज्यादा गांवों में ये योजना लागू भी हो जाएगी। इनमें भी ज्यादा गांव आदिवासी बाहुल्य इलाकों में हैं। जब इस योजना का पूरे गुजरात में विस्तार हो जाएगा, तो ये लाखों किसानों के जीवन को, उनकी रोजमर्रा की जिंदगी को पूरी तरह बदल देगी। + +देश में आज अन्नदाता को ऊर्जादाता भी बनाने के लिए काम किया जा रहा है। कुसुम योजना के तहत किसानों, किसान उत्पादक संघ- FPOs, Co-operatives, पंचायतों, ऐसे हर संस्थानों को बंजर ज़मीन पर छोटे-छोटे सोलर प्लांट लगाने में सहायता दी जा रही है। देशभर के लाखो किसानों के सोलर पंपों को भी ग्रिड से जोड़ा जा रहा है। इससे जो बिजली पैदा होगी उसको किसान ज़रूरत के हिसाब से अपनी सिंचाई के लिए उपयोग कर पाएंगे और अतिरिक्त बिजली को बेच भी पाएंगे। देशभर में करीब साढ़े 17 लाख किसान परिवारों को सोलर पंप लगाने में मदद की जा रही है। इससे किसानों को सिंचाई की सहूलियत भी मिलेगी और उन्हें अतिरिक्त आय भी हो जाएगी। + +दुनिया के बड़े-बड़े टूरिस्ट डेस्टिनेशन, आस्था से जुड़े केंद्र इस बात को स्वीकार कर चलते हैं कि हमारे यहां ज्यादा लोग तभी आएंगे जब हम टूरिस्टों को आधुनिक सुविधाएं देंगे। आज जब टूरिस्ट जब कहीं जाता है, अपने परिवार के साथ जाता है, तो उसे Ease of Living भी चाहिए होती है और Ease of Travelling भी। गुजरात में अनेकों जगहें हैं जिनमें भारत ही नहीं दुनिया का बड़ा टूरिस्ट डेस्टिनेशन बनने की क्षमता है। अगर माता के ही मंदिरों की बात करें तो भक्तों के लिए गुजरात में पूरा सर्किट है। मैं सब माताओं के स्थानों का उल्लेख नहीं कर रहा हूँ… और गुजरात के सभी कोने में यह शक्ति रूपेण माताएं गुजरात को निरंतर आशीर्वाद देती हैं। अंबा जी हैं, पावागढ़ तो है हीं चोटिला चामुंडा माता जी हैं, उमिया माताजी हैं, कच्छ में माता नो मढ, कितने ही, यानि हम अनुभव कर सकते हैं कि गुजरात में एक प्रकार के शक्ति का वास है। कई प्रसिद्ध मंदिर हैं। + +मैं गुजरात सरकार को इस बात के लिए भी बधाई दूंगा कि बाकी व्यवस्थाओं को प्रभावित किए बिना, ट्रांसमिशन की बिल्कुल नई कैपेसिटी तैयार करके ये काम किया जा रहा है। इस योजना के तहत अगले 2-3 वर्षों में लगभग साढ़े 3 हज़ार सर्किट किलोमीटर नई ट्रांसमिशन लाइनों को बिछाने का काम किया जाएगा। मुझे बताया गया है कि आने वाले कुछ दिनों तक हज़ार से ज्यादा गांवों में ये योजना लागू भी हो जाएगी। इनमें भी ज्यादा गांव आदिवासी बाहुल्य इलाकों में हैं। जब इस योजना का पूरे गुजरात में विस्तार हो जाएगा, तो ये लाखों किसानों के जीवन को, उनकी रोजमर्रा की जिंदगी को पूरी तरह बदल देगी। + +देश में आज अन्नदाता को ऊर्जादाता भी बनाने के लिए काम किया जा रहा है। कुसुम योजना के तहत किसानों, किसान उत्पादक संघ- FPOs, Co-operatives, पंचायतों, ऐसे हर संस्थानों को बंजर ज़मीन पर छोटे-छोटे सोलर प्लांट लगाने में सहायता दी जा रही है। देशभर के लाखो किसानों के सोलर पंपों को भी ग्रिड से जोड़ा जा रहा है। इससे जो बिजली पैदा होगी उसको किसान ज़रूरत के हिसाब से अपनी सिंचाई के लिए उपयोग कर पाएंगे और अतिरिक्त बिजली को बेच भी पाएंगे। देशभर में करीब साढ़े 17 लाख किसान परिवारों को सोलर पंप लगाने में मदद की जा रही है। इससे किसानों को सिंचाई की सहूलियत भी मिलेगी और उन्हें अतिरिक्त आय भी हो जाएगी। + +दुनिया के बड़े-बड़े टूरिस्ट डेस्टिनेशन, आस्था से जुड़े केंद्र इस बात को स्वीकार कर चलते हैं कि हमारे यहां ज्यादा लोग तभी आएंगे जब हम टूरिस्टों को आधुनिक सुविधाएं देंगे। आज जब टूरिस्ट जब कहीं जाता है, अपने परिवार के साथ जाता है, तो उसे Ease of Living भी चाहिए होती है और Ease of Travelling भी। गुजरात में अनेकों जगहें हैं जिनमें भारत ही नहीं दुनिया का बड़ा टूरिस्ट डेस्टिनेशन बनने की क्षमता है। अगर माता के ही मंदिरों की बात करें तो भक्तों के लिए गुजरात में पूरा सर्किट है। मैं सब माताओं के स्थानों का उल्लेख नहीं कर रहा हूँ… और गुजरात के सभी कोने में यह शक्ति रूपेण माताएं गुजरात को निरंतर आशीर्वाद देती हैं। अंबा जी हैं, पावागढ़ तो है हीं चोटिला चामुंडा माता जी हैं, उमिया माताजी हैं, कच्छ में माता नो मढ, कितने ही, यानि हम अनुभव कर सकते हैं कि गुजरात में एक प्रकार के शक्ति का वास है। कई प्रसिद्ध मंदिर हैं। + +देश में आज अन्नदाता को ऊर्जादाता भी बनाने के लिए काम किया जा रहा है। कुसुम योजना के तहत किसानों, किसान उत्पादक संघ- FPOs, Co-operatives, पंचायतों, ऐसे हर संस्थानों को बंजर ज़मीन पर छोटे-छोटे सोलर प्लांट लगाने में सहायता दी जा रही है। देशभर के लाखो किसानों के सोलर पंपों को भी ग्रिड से जोड़ा जा रहा है। इससे जो बिजली पैदा होगी उसको किसान ज़रूरत के हिसाब से अपनी सिंचाई के लिए उपयोग कर पाएंगे और अतिरिक्त बिजली को बेच भी पाएंगे। देशभर में करीब साढ़े 17 लाख किसान परिवारों को सोलर पंप लगाने में मदद की जा रही है। इससे किसानों को सिंचाई की सहूलियत भी मिलेगी और उन्हें अतिरिक्त आय भी हो जाएगी। + +दुनिया के बड़े-बड़े टूरिस्ट डेस्टिनेशन, आस्था से जुड़े केंद्र इस बात को स्वीकार कर चलते हैं कि हमारे यहां ज्यादा लोग तभी आएंगे जब हम टूरिस्टों को आधुनिक सुविधाएं देंगे। आज जब टूरिस्ट जब कहीं जाता है, अपने परिवार के साथ जाता है, तो उसे Ease of Living भी चाहिए होती है और Ease of Travelling भी। गुजरात में अनेकों जगहें हैं जिनमें भारत ही नहीं दुनिया का बड़ा टूरिस्ट डेस्टिनेशन बनने की क्षमता है। अगर माता के ही मंदिरों की बात करें तो भक्तों के लिए गुजरात में पूरा सर्किट है। मैं सब माताओं के स्थानों का उल्लेख नहीं कर रहा हूँ… और गुजरात के सभी कोने में यह शक्ति रूपेण माताएं गुजरात को निरंतर आशीर्वाद देती हैं। अंबा जी हैं, पावागढ़ तो है हीं चोटिला चामुंडा माता जी हैं, उमिया माताजी हैं, कच्छ में माता नो मढ, कितने ही, यानि हम अनुभव कर सकते हैं कि गुजरात में एक प्रकार के शक्ति का वास है। कई प्रसिद्ध मंदिर हैं। + +दुनिया के बड़े-बड़े टूरिस्ट डेस्टिनेशन, आस्था से जुड़े केंद्र इस बात को स्वीकार कर चलते हैं कि हमारे यहां ज्यादा लोग तभी आएंगे जब हम टूरिस्टों को आधुनिक सुविधाएं देंगे। आज जब टूरिस्ट जब कहीं जाता है, अपने परिवार के साथ जाता है, तो उसे Ease of Living भी चाहिए होती है और Ease of Travelling भी। गुजरात में अनेकों जगहें हैं जिनमें भारत ही नहीं दुनिया का बड़ा टूरिस्ट डेस्टिनेशन बनने की क्षमता है। अगर माता के ही मंदिरों की बात करें तो भक्तों के लिए गुजरात में पूरा सर्किट है। मैं सब माताओं के स्थानों का उल्लेख नहीं कर रहा हूँ… और गुजरात के सभी कोने में यह शक्ति रूपेण माताएं गुजरात को निरंतर आशीर्वाद देती हैं। अंबा जी हैं, पावागढ़ तो है हीं चोटिला चामुंडा माता जी हैं, उमिया माताजी हैं, कच्छ में माता नो मढ, कितने ही, यानि हम अनुभव कर सकते हैं कि गुजरात में एक प्रकार के शक्ति का वास है। कई प्रसिद्ध मंदिर हैं। + +दुनिया के बड़े-बड़े टूरिस्ट डेस्टिनेशन, आस्था से जुड़े केंद्र इस बात को स्वीकार कर चलते हैं कि हमारे यहां ज्यादा लोग तभी आएंगे जब हम टूरिस्टों को आधुनिक सुविधाएं देंगे। आज जब टूरिस्ट जब कहीं जाता है, अपने परिवार के साथ जाता है, तो उसे Ease of Living भी चाहिए होती है और Ease of Travelling भी। गुजरात में अनेकों जगहें हैं जिनमें भारत ही नहीं दुनिया का बड़ा टूरिस्ट डेस्टिनेशन बनने की क्षमता है। अगर माता के ही मंदिरों की बात करें तो भक्तों के लिए गुजरात में पूरा सर्किट है। मैं सब माताओं के स्थानों का उल्लेख नहीं कर रहा हूँ… और गुजरात के सभी कोने में यह शक्ति रूपेण माताएं गुजरात को निरंतर आशीर्वाद देती हैं। अंबा जी हैं, पावागढ़ तो है हीं चोटिला चामुंडा माता जी हैं, उमिया माताजी हैं, कच्छ में माता नो मढ, कितने ही, यानि हम अनुभव कर सकते हैं कि गुजरात में एक प्रकार के शक्ति का वास है। कई प्रसिद्ध मंदिर हैं। + +दुनिया के बड़े-बड़े टूरिस्ट डेस्टिनेशन, आस्था से जुड़े केंद्र इस बात को स्वीकार कर चलते हैं कि हमारे यहां ज्यादा लोग तभी आएंगे जब हम टूरिस्टों को आधुनिक सुविधाएं देंगे। आज जब टूरिस्ट जब कहीं जाता है, अपने परिवार के साथ जाता है, तो उसे Ease of Living भी चाहिए होती है और Ease of Travelling भी। गुजरात में अनेकों जगहें हैं जिनमें भारत ही नहीं दुनिया का बड़ा टूरिस्ट डेस्टिनेशन बनने की क्षमता है। अगर माता के ही मंदिरों की बात करें तो भक्तों के लिए गुजरात में पूरा सर्किट है। मैं सब माताओं के स्थानों का उल्लेख नहीं कर रहा हूँ… और गुजरात के सभी कोने में यह शक्ति रूपेण माताएं गुजरात को निरंतर आशीर्वाद देती हैं। अंबा जी हैं, पावागढ़ तो है हीं चोटिला चामुंडा माता जी हैं, उमिया माताजी हैं, कच्छ में माता नो मढ, कितने ही, यानि हम अनुभव कर सकते हैं कि गुजरात में एक प्रकार के शक्ति का वास है। कई प्रसिद्ध मंदिर हैं। + +दुनिया के बड़े-बड़े टूरिस्ट डेस्टिनेशन, आस्था से जुड़े केंद्र इस बात को स्वीकार कर चलते हैं कि हमारे यहां ज्यादा लोग तभी आएंगे जब हम टूरिस्टों को आधुनिक सुविधाएं देंगे। आज जब टूरिस्ट जब कहीं जाता है, अपने परिवार के साथ जाता है, तो उसे Ease of Living भी चाहिए होती है और Ease of Travelling भी। गुजरात में अनेकों जगहें हैं जिनमें भारत ही नहीं दुनिया का बड़ा टूरिस्ट डेस्टिनेशन बनने की क्षमता है। अगर माता के ही मंदिरों की बात करें तो भक्तों के लिए गुजरात में पूरा सर्किट है। मैं सब माताओं के स्थानों का उल्लेख नहीं कर रहा हूँ… और गुजरात के सभी कोने में यह शक्ति रूपेण माताएं गुजरात को निरंतर आशीर्वाद देती हैं। अंबा जी हैं, पावागढ़ तो है हीं चोटिला चामुंडा माता जी हैं, उमिया माताजी हैं, कच्छ में माता नो मढ, कितने ही, यानि हम अनुभव कर सकते हैं कि गुजरात में एक प्रकार के शक्ति का वास है। कई प्रसिद्ध मंदिर हैं। + +दुनिया के बड़े-बड़े टूरिस्ट डेस्टिनेशन, आस्था से जुड़े केंद्र इस बात को स्वीकार कर चलते हैं कि हमारे यहां ज्यादा लोग तभी आएंगे जब हम टूरिस्टों को आधुनिक सुविधाएं देंगे। आज जब टूरिस्ट जब कहीं जाता है, अपने परिवार के साथ जाता है, तो उसे Ease of Living भी चाहिए होती है और Ease of Travelling भी। गुजरात में अनेकों जगहें हैं जिनमें भारत ही नहीं दुनिया का बड़ा टूरिस्ट डेस्टिनेशन बनने की क्षमता है। अगर माता के ही मंदिरों की बात करें तो भक्तों के लिए गुजरात में पूरा सर्किट है। मैं सब माताओं के स्थानों का उल्लेख नहीं कर रहा हूँ… और गुजरात के सभी कोने में यह शक्ति रूपेण माताएं गुजरात को निरंतर आशीर्वाद देती हैं। अंबा जी हैं, पावागढ़ तो है हीं चोटिला चामुंडा माता जी हैं, उमिया माताजी हैं, कच्छ में माता नो मढ, कितने ही, यानि हम अनुभव कर सकते हैं कि गुजरात में एक प्रकार के शक्ति का वास है। कई प्रसिद्ध मंदिर हैं। + +दुनिया के बड़े-बड़े टूरिस्ट डेस्टिनेशन, आस्था से जुड़े केंद्र इस बात को स्वीकार कर चलते हैं कि हमारे यहां ज्यादा लोग तभी आएंगे जब हम टूरिस्टों को आधुनिक सुविधाएं देंगे। आज जब टूरिस्ट जब कहीं जाता है, अपने परिवार के साथ जाता है, तो उसे Ease of Living भी चाहिए होती है और Ease of Travelling भी। गुजरात में अनेकों जगहें हैं जिनमें भारत ही नहीं दुनिया का बड़ा टूरिस्ट डेस्टिनेशन बनने की क्षमता है। अगर माता के ही मंदिरों की बात करें तो भक्तों के लिए गुजरात में पूरा सर्किट है। मैं सब माताओं के स्थानों का उल्लेख नहीं कर रहा हूँ… और गुजरात के सभी कोने में यह शक्ति रूपेण माताएं गुजरात को निरंतर आशीर्वाद देती हैं। अंबा जी हैं, पावागढ़ तो है हीं चोटिला चामुंडा माता जी हैं, उमिया माताजी हैं, कच्छ में माता नो मढ, कितने ही, यानि हम अनुभव कर सकते हैं कि गुजरात में एक प्रकार के शक्ति का वास है। कई प्रसिद्ध मंदिर हैं। + diff --git a/pm-speech/323.txt b/pm-speech/323.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..dcbfbec69061caa042d2328f9dc64c11b65da5d2 --- /dev/null +++ b/pm-speech/323.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +आज देश में रिकवरी रेट अच्छी है, Fatality Rate कम है। भारत में जहां प्रति दस लाख जनसंख्या पर करीब 5500 लोगों को कोरोना हुआ है, वहीं अमेरिका और ब्राज़ील जैसे देशों में ये आंकड़ा 25 हजार के करीब है। भारत में प्रति दस लाख लोगों में मृत्युदर 83 है, जबकि अमेरिका, ब्राज़ील, स्पेन, ब्रिटेन जैसे अनेक देशों में ये आंकड़ा 600 के पार है।  दुनिया के साधन-संपन्न देशों की तुलना में भारत अपने ज्यादा से ज्यादा नागरिकों का जीवन बचाने में सफल हो रहा है। आज हमारे देश में कोरोना मरीजों के लिए 90 लाख से ज्यादा बेड्स की सुविधा उपलब्‍ध है। 12,000 Quarantine Centres हैं। कोरोना टेस्टिंग की करीब 2000 लैब्स काम रही हैं। देश में टेस्ट की संख्या जल्द ही 10 करोड़ के आंकड़े को पार कर जाएगी। कोविड महामारी के खिलाफ लड़ाई में टेस्ट की बढ़ती संख्या हमारी एक बड़ी ताकत रही है।  + +साथियों, संत कबीरदास जी ने कहा है-पकी खेती देखिके, गरब किया किसान। अजहूं झोला बहुत है, घर आवै तब जान। अर्थात, कई बार हम पकी हुई फसल देखकर ही अति आत्मविश्वास से भर जाते हैं कि अब तो काम हो गया। लेकिन जब तक फसल घर न आ जाए तब तक काम पूरा नहीं मानना चाहिए। यही कबीरदास जी कहकर गए हैं।  यानि जब तक सफलता पूरी न मिल जाए, लापरवाही नहीं करनी चाहिए।  + +साथियों, जब तक इस महामारी की वैक्सीन नहीं आ जाती, हमें कोरोना से अपनी लड़ाई को रत्‍तीभर भी कमजोर नहीं पड़ने देना है। बरसों बाद हम ऐसा होता देख रहे हैं कि मानवता को बचाने के लिए युद्धस्तर पर पूरी दुनिया में काम हो रहा है। अनेक देश इसके लिए काम कर रहे हैं। हमारे देश के वैज्ञानिक भी vaccine के लिए जी-जान से जुटे हैं। भारत में अभी कोरोना की कई वैक्सीन्स पर काम चल रहा है। इनमें से कुछ एडवान्स स्टेज पर हैं। आशास्‍वत स्‍थिति दिखती है। + diff --git a/pm-speech/324.txt b/pm-speech/324.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..9d5c4521c5c17f4979b3271849d7098121bfb6aa --- /dev/null +++ b/pm-speech/324.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +भारत के आकार, सीमा और विविधता को लेकर वैश्विक समुदाय हमेशा से अभिलाषी रहा है। हमारा देश संयुक्त राज्य अमेरिका की जनसंख्या के आकार का लगभग चार गुना है। हमारे कई राज्यों की जनसंख्या यूरोपीय देशों के बराबर हैं। इसके बावजूद भी, लोगों से संचालित और समर्थित दृष्टिकोण के लिए धन्यवाद, जिसने भारत में कोविड-19 मृत्यु दर को बहुत कम रखा। आज, हम प्रति दिन मामलों की संख्या और मामलों की वृद्धि दर में गिरावट दर्ज कर रहे हैं। भारत में स्वस्थ होने की दर उच्चतम 88 प्रतिशत है। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि: भारत में जब कुल मामलों की संख्या सिर्फ कुछ सैंकड़ा ही थी, तब वह एक फ्लैक्सिबिल लॉकडाउन को अपनाने वाले देशों में से एक था। भारत प्रारंभ में ही मास्क के उपयोग को प्रोत्साहित करने वालों में से एक था। भारत ने सक्रिय रूप से कांट्रेक्ट-ट्रैसिंग पर कार्य करना प्रारंभ किया। जल्द से जल्द रैपिड एंटीजन जाँच प्रारंभ करने के मामले में भी भारत अग्रणी था। भारत ने सीआरआएसपीआर जीन एडिटिंग तकनीक का भी खोज की है। + +भारत कोविड के लिए वैक्सीन के विकास में अब सबसे आगे है। हमारे देश में 30 से अधिक स्वदेशी टीके विकसित किए जा रहे हैं, जिनमें से तीन उन्नत चरण में हैं। हम यहां नहीं रुक रहे हैं। भारत पहले से ही एक सुस्थापित वैक्सीन वितरण प्रणाली पर काम कर रहा है। डिजिटल हेल्थ आईडी के साथ इस डिजिटल नेटवर्क का उपयोग हमारे नागरिकों के टीकाकरण को सुनिश्चित करने के लिए किया जाएगा। + +पिछले 6 वर्षों में, हमने कई पहलें की हैं जो एक बेहतर स्वास्थ्य प्रणाली में योगदान दे रही हैं। स्वच्छता, स्वच्छता में सुधार, अधिक शौचालय कवरेज जैसे मुद्दों पर तन्मयता से काम किया है। यह सबसे ज्यादा किसकी मदद करता है? यह गरीबों और वंचितों की मदद करता है। इससे रोगों में कमी आती है। यह महिलाओं की भी सबसे अधिक सहायता करता है। + diff --git a/pm-speech/325.txt b/pm-speech/325.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..565518b0f4f2da1632596182311dbd959d782968 --- /dev/null +++ b/pm-speech/325.txt @@ -0,0 +1,20 @@ +कुछ समय पहले मैं तस्वीरें देख रहा था, इस बार कोरोना के खतरे के कारण भले ही अनेक बंदिशें हों लेकिन उत्सव की उमंग पहले जितनी ही है। हालांकि इस उमंग में, कुछ दिनों पहले हुई भारी बारिश ने रुकावट डालने की कोशिश की है। सभी प्रभावित परिवारों के प्रति मेरी संवेदनाएं हैं। केंद्र सरकार और कर्नाटका सरकार मिलकर राहत की हर संभव कोशिश कर रही हैं। + +आज आपके लिए बहुत ही बड़ा दिन है। वैसे तो मेरा प्रयास रहता है कि ऐसे अवसरों पर अपने Young Friends से आमने-सामने, Face to face मुलाकात कर सकूं। और मैसुरू आने, मैसूर यूनिवर्सिटी की गौरवशाली विरासत, सौवें दीक्षांत समारोह का हिस्सा बनने की तो बात ही कुछ और होती। लेकिन इस बार कोरोना के कारण हम Really नहीं Virtually जुड़ रहे हैं। घटि-कोत्सवदा ई स्मरणीया समारं-भदा सन्दर्भ-दल्ली निमगेल्लरिगू अभिनंदने-गड़ु. इंदु पदवी प्रमाणपत्रा पडेयुत्तिरुव एल्लरिगू शुभाशय-गड़ु. बोधका सिब्बंदिगू शुभाशय-गड़न्नु कोरुत्तेने. + +महान कन्नड़ लेखक और विचारक गोरूरु रामस्वामी अय्यंगार् जी ने कहा है-शिक्षणवे जीवनद बेलकु। यानि Education जीवन के मुश्किल रास्तों में रोशनी दिखाने वाला माध्यम है। आज हमारा देश जब परिवर्तन के एक बड़े दौर से गुजर रहा है, तब उनकी ये बात बहुत ज्यादा प्रासंगिक है। बीते 5-6 साल ये निरंतर प्रयास हुआ है कि हमारी शिक्षा, भारत का Education System, छात्रों को 21वीं सदी की आवश्यकताओं के बीच आगे बढ़ने में भ्भ् भी और मदद करे। विशेषतौर पर Higher Education में इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण से लेकर Structural Reforms पर बहुत ज्यादा फोकस किया गया है। भारत को Higher Education का Global Hub बनाने के लिए, हमारे युवाओं को Competitive बनाने के लिए, Qualitative और Quantitative, हर स्तर पर कोशिश की जा रही है। + +आज़ादी के इतने वर्षों के बाद भी साल 2014 से पहले तक देश में 16 IITs थीं। बीते 6 साल में औसतन हर साल एक नई IIT खोली गई है। इसमें से एक कर्नाटका के धारवाड़ में भी खुली है। 2014 तक भारत में 9 ट्रिपल ITs थीं। इसके बाद के 5 सालों में 16 ट्रिपल आईटी बनाई गई हैं। बीते 5-6 साल में 7 नए IIM स्थापित किए गए हैं। जबकि उससे पहले देश में 13 IIM ही थे। इसी तरह करीब 6 दशक तक देश में सिर्फ 7 एम्स देश में सेवाएं दे रहे थे। साल 2014 के बाद इससे दोगुने यानि 15 एम्स देश में या तो स्थापित हो चुके हैं या फिर शुरु होने की प्रक्रिया में हैं। + +बीते 5-6 सालों से Higher Education में हो रहे प्रयास सिर्फ नए Institution खोलने तक ही सीमित नहीं है। इन संस्थाओं में Governance में Reforms से लेकर Gender और Social Participation सुनिश्चित करने के लिए भी काम किया गया है। ऐसे संस्थानों को ज्यादा Autonomy दी जा रही है ताकि वो अपनी जरूरत के मुताबिक फैसले ले सकें। पहले IIM एक्ट के तहत देशभर के IIMs को ज्यादा अधिकार दिए गए। मेडिकल एजुकेशन में भी ट्रांसपेरेंसी की बहुत कमी थी। इसे दूर करने पर भी जोर दिया गया। आज देश में Medical Education में पारदर्शिता लाने के लिए National Medical Commission बनाया जा चुका है। Homeopathy और दूसरी भारतीय चिकित्सा पद्धतियों की पढ़ाई में Reforms के लिए भी दो नए कानून बनाए जा रहे हैं। मेडिकल एजुकेशन में हो रहे Reforms से, देश के युवाओं को मेडिकल की पढ़ाई के लिए ज्यादा सीटें मिलनी सुनिश्चित हो रही हैं। + +Education Sector में ये जितने भी Reforms हुए हैं, उनको नई National Education Policy नई दिशा, नई मजबूती देने वाली है। नेशनल एजुकेशन पॉलिसी, प्री नर्सरी से लेकर पीएचडी तक देश के पूरे Education Setup में Fundamental Changes लाने वाला एक बहुत बड़ा अभियान है। हमारे देश के सामर्थ्यवान युवाओं को और ज्यादा Competitive बनाने के लिए Multi-dimensional Approach पर फोकस किया जा रहा है। कोशिश ये है कि हमारे युवा तेज़ी से बदलते Nature of Job के लिए Flexible हों, Adoptable हों। Skilling, Re-skilling और Up-Skilling आज की सबसे बड़ी ज़रूरत है। नेशनल एजुकेशन पॉलिसी में इसका भी बहुत ध्यान दिया गया है। + +मुझे खुशी है कि मैसूर यूनिवर्सिटी ने इस पॉलिसी को लागू करने के लिए प्रतिबद्धता दिखाई है, तेजी दिखाई है। मुझे लगता है कि NEP के आधार पर आप Multi-discipline Programs शुरु कर रहे हैं। अब जहां तक आपके सपनों और सामर्थ्य का विस्तार हो, उसके मुताबिक आप विषयों का चयन कर सकते हैं। इसमें आप Global Technology और Local Culture, साथ-साथ पढ़ सकते हैं। उस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल आप लोकल चीजों को बढ़ाने में कर सकते हैं। + +हमारे देश में ये जो चौतरफा रिफॉर्म्स हो रहे हैं, उतने पहले कभी नहीं हुए। पहले कुछ फैसले होते भी थे तो वो किसी एक सेक्टर में होते थे और दूसरे सेक्टर छूट जाते थे। बीते 6 सालों में multiple reforms हुए हैं, multiple sectors में Reforms हुए हैं। अगर NEP देश के Education sector का Future सुनिश्चित कर रही है, तो ये आप जैसे युवा साथियों को भी Empower कर रही है। अगर खेती से जुड़े रिफॉर्म्स किसानों को सशक्त कर रहे हैं, तो लेबर रिफॉर्म्स Labour और Industry, दोनों को Growth,  Security और Thrust दे रहे हैं। Direct Benefit Transfer से जहां हमारे Public Distribution System में सुधार आया है तो वहीं रेरा से हमारे Home-buyers को सुरक्षा मिली है। देश को टैक्स के जाल से मुक्ति दिलाने के लिए अगर GST लाया गया तो टैक्सपेयर को परेशानी से बचाने के लिए Faceless Assessment की सुविधा हाल ही में शुरू की गई है। Insolvency Bankruptcy Code इससे जहां पहली बार insolvency के लिए एक Legal Frame-work बना तो, FDI reforms से हमारे यहां investment बढ़ रहा है। + +आपने बीते 6-7 महीने में ये देखा होगा कि Reforms की गति और दायरा दोनों बढ़ रहा है. खेती हो, स्पेस हो, डिफेंस हो, एविएशन हो, लेबर हो, ऐसे हर सेक्टर में Growth के लिए ज़रूरी बदलाव किए जा रहे हैं। अब सवाल ये है कि आखिर ये किया क्यों जा रहा है? ये आप जैसे करोड़ों युवाओं के लिए ही किया जा रहा है। इस दशक को भारत का दशक बनाने के लिए किया जा रहा है। ये दशक भारत का तभी होगा जब हम आज अपनी Foundation को मज़बूत रखेंगे। युवा भारत के जीवन में ये दशक बहुत बड़ा मौका लेकर आया है। + +देश के बेहतरीन Education Institute में से एक होने के नाते, मैसूर यूनिवर्सिटी को भी हर नई स्थिति के हिसाब से innovate करना होगा। पूर्व कुलपति, महान कवि-साहित्यकार ‘कुवेम्पु’ जी ने यूनिवर्सिटी के Main Campus को “मान-सागंगोत्री यानि मन का शाश्वत प्रवाह‘ का जो नाम दिया था, उससे आपको निरंतर प्रेरणा प्राप्त करनी है। आपको Incubation Centers, Technology Development Centers, ‘Industry-academic linkage’ और ‘Inter-disciplinary research’ जैसे विषयों पर और ज्यादा फोकस करना होगा। यूनिवर्सिटी से ये भी अपेक्षा है कि वो contemporary और global issues के साथ-साथ Local Culture, Local Art और दूसरे Social Issues से जुड़ी Research को बढ़ावा देने की अपनी परंपरा का और विस्तार करे। + diff --git a/pm-speech/326.txt b/pm-speech/326.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..07f52855f09777887d9ed7f4f69d029fa11ace70 --- /dev/null +++ b/pm-speech/326.txt @@ -0,0 +1,8 @@ +आज Food and Agriculture Organization के लिए भी बहुत महत्व का दिन है। आज इस महत्‍वपूर्ण संगठन के 75 वर्ष पूरे हुए हैं। इन वर्षों में भारत सहित पूरी दुनिया में FAO ने कृषि उत्पादन बढ़ाने, भुखमरी मिटाने और पोषण बढ़ाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। आज जो 75 रुपए का विशेष सिक्का जारी किया गया है, वो भारत की 130 करोड़ से अधिक जनता जनार्दन की तरफ से आपकी सेवाभावना का सम्मान है। FAO के World Food Program को इस वर्ष का नोबल शांति पुरस्कार मिलना भी एक बड़ी उपलब्धि है। और भारत को खुशी है कि इसमें भी भारत की साझेदारी और भारत का जुड़ाव बहुत ही ऐतिहासिक रहा है। हम सब जानते हैं डॉक्टर बिनय रंजन सेन जब FAO के डायरेक्टर जनरल थे, तब उनके नेतृत्व में ही World Food Program शुरु किया गया था। डॉक्टर सेन ने अकाल और भुखमरी का दर्द बहुत करीब से महसूस किया था। पॉलिसी मेकर बनने के बाद, उन्होंने जिस व्यापकता के साथ काम किया, वो आज भी पूरी दुनिया के काम आ रहा है। वो जो बीज बोया गया था आज उसकी यात्रा नोबेल प्राइज तक पहुंची है। + +हम Integrated approach लेकर आगे बढ़े, होलिस्टिक अप्रोच लेकर आगे बढ़े। तमाम Silos को समाप्त करके हमने एक Multi-Dimensional बहु-आयामी रणनीति पर काम शुरू किया। एक तरफ नेशनल न्यूट्रिशन मिशन शुरू हुआ तो दूसरी तरफ हर उस फैक्टर पर काम किया गया जो कुपोषण बढ़ने का कारण था। बहुत बड़े स्तर पर परिवार और समाज के व्यवहार में परिवर्तन के लिए भी काम किया। स्वच्छ भारत मिशन के तहत भारत में 11 करोड़ से ज्यादा शौचालय बने। दूर-दराज वाले इलाकों में शौचालय बनने से जहां स्वच्छता आई, वहीं डायरिया जैसी अनेक बीमारियों में भी कमी देखने को मिली। इसी तरह मिशन इंद्रधनुष के तहत गर्भवती माताओं और बच्चों के टीकाकरण का दायरा भी तेज़ी से बढ़ाया गया। इसमें भारत में ही तैयार रोटावायरस जैसे नए टीके भी जोड़े गए। गर्भावस्था और नवजात शिशु के पहले 1000 दिनों को ध्यान में रखते हुए, मां और बच्चे, दोनों के Nutrition और Care के लिए भी एक बड़ा अभियान शुरू किया गया। जल जीवन मिशन के तहत गांव के हर घर तक पाइप से पीने का पानी पहुंचाने के लिए तेज़ी से काम चल रहा है। + +आज भारत में निरंतर ऐसे रिफॉर्म्स किए जा रहे हैं जो Global Food Security के प्रति भारत के Commitment को दिखाते हैं। खेती और किसान को सशक्त करने से लेकर भारत के Public Distribution System तक में एक के बाद एक सुधार किए जा रहे हैं। हाल में जो 3 बड़े कृषि सुधार हुए हैं, वो देश के एग्रीकल्चर सेक्टर का विस्तार करने में, किसानों की आय बढ़ाने में बहुत महत्‍वपूर्ण कदम है। साथियों, हमारे यहां APMC की एक व्यवस्था सालों से चल रही है, जिसकी अपनी एक पहचान है, उनकी अपनी एक ताकत है। बीते 6 साल में देश की इन कृषि मंडियों में बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने के लिए ढाई हज़ार करोड़ रुपए से अधिक का निवेश किया जा चुका है। इन मंडियों में आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने के लिए भी सैकड़ों करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। इन मंडियों को e-NAM यानि नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट से भी जोड़ा जा रहा है। APMC कानून में जो संशोधन किया गया है, उसका लक्ष्य इन APMC को अधिक Competitive बनाने का है। किसानों को लागत का डेढ़ गुणा दाम MSP के रूप में मिले, इसके लिए भी अनेक कदम उठाए गए हैं। + +भारत में अनाज की बर्बादी हमेशा से बहुत बड़ी समस्या रही है। अब जब Essential Commodities Act में संशोधन किया गया है, इससे स्थितियां बदलेंगी। अब गांवों में बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए सरकार के साथ-साथ दूसरों को भी ज्यादा मौका मिलेगा। इसमें भी हमारे FPOs की भूमिका अहम रहने वाली है। सरकार ने हाल में 1 लाख करोड़ रुपए का इंफ्रास्ट्रक्चर फंड लॉन्च किया है। इस फंड से FPOs भी गांवों में सप्लाई चेन और वैल्यू एडिशन कैपेसिटी तैयार कर रहे हैं। + diff --git a/pm-speech/327.txt b/pm-speech/327.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..a90479c42673ff71f5ec2055e17032f6e70fa968 --- /dev/null +++ b/pm-speech/327.txt @@ -0,0 +1,10 @@ +साथियों, डॉक्टर बालासाहेब विखे पाटिल ने गांव, गरीब और किसानों के दुख को, दर्द को नजदीक से देखा, समझा, अनुभव किया। इसलिए वो किसानों को एक साथ लाए, उन्हें सहकार से जोड़ा। ये उन्हीं का प्रयास है कि जो इलाका कभी अभाव में जीने को मजबूर था, आज उसकी तस्वीर बदल गई है। सहकारिता के महत्व पर उन्होंने लिखा है कि- सहकारी चलवल ही खरी निधर्मी चलवल आहे। ती कुठल्या जातीची किंवा धर्माची बटीक नाही। आतापर्यंत सगल्या समाजाला, जातीं नाही प्रतिनिधित्व दिले आहे। यानि सहकारिता अभियान सच्चे अर्थों में निष्पक्ष होता है। इसका किसी भी जाति और पंथ से कोई सरोकार नहीं होता। इसमें समाज के सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व होता है। एक प्रकार से उनके लिए सहकारिता सबके साथ से सबके कल्याण का मार्ग थी। सिर्फ महाराष्ट्र ही नहीं, अटल जी की सरकार में मंत्री रहते हुए उन्होंने देश के अनेक क्षेत्रों में सहकारिता को बढ़ावा दिया, उसके लिए प्रयास किया। ऐसे में उनके ‘आत्मचरित्र’ के लिए ‘देह वेचावा कारणी’ नाम प्रासंगिक है, बिल्कुल सटीक है। संत तुकाराम जी महाराज की इन पंक्तियों में बालासाहेब विखे पाटिल के जीवन का सार है। + +साथियों, जब देश में ग्रामीण शिक्षा की उतनी चर्चा भी नहीं होती थी, तब प्रवरा रूरल एजुकेशन सोसायटी के माध्यम से उन्होंने गांवों के युवाओं को प्रोत्साहित करने का काम किया। इस सोसायटी के माध्यम से गांव के युवाओं के शिक्षा और कौशल विकास को लेकर, गांव में चेतना जगाने के लिए उन्होंने जो काम किया वो हम भली-भांति जानते हैं। ऐसे में आज से प्रवरा रूरल एजुकेशन सोसायटी के साथ भी बालासाहेब का नाम जुड़ना उतना ही उचित है। वो गांव में, खेती में शिक्षा का महत्व समझते थे। उन्होंने अपनी आत्मकथा में लिखा है- शेतीच कौशल्य असल्याशिवाय सुशिक्षित माणूसही सहज शेती करू शकत नाही। खरं तर शेतीला इंटरप्राइज का म्हणत नाहीत। यानि व्यक्ति कितना ही पढ़ा-लिखा क्यों न हो, अगर उसमें खेती का कौशल नहीं हो तो वो कभी खेती नहीं कर पाएगा। जब ऐसी बात है तो हम खेती को इंटरप्राइज क्यों नहीं कहते? + +साथियों, बालासाहेब विखे पाटिल जी के मन में ये प्रश्न ऐसे ही नहीं आया। ज़मीन पर दशकों तक उन्होंने जो अनुभव किया, उसके आधार पर उन्होंने ये बात कही। बालासाहेब विखे पाटिल के इस सवाल का उत्तर आज के ऐतिहासिक कृषि सुधारों में है। आज खेती को, किसान को अन्नदाता की भूमिका से आगे बढ़ाते हुए, उसको उद्यमी बनाने, Entrepreneurship की तरफ ले जाने के लिए अवसर तैयार किए जा रहे हैं। चीनी ने जो महाराष्ट्र में क्रांति की है, जो क्रांति दूध ने गुजरात में की है, जो बदलाव गेंहू ने पंजाब में किया है, लोकल इकॉनमी, लोकल इंटरप्राइज के यही मॉडल देश को आगे लेकर जाएंगे। + +साथियों, बालासाहेब विखे पाटिल कहते थे- शेती निसर्गाधारित केली जात होती। हे ज्ञान आज सांभालून ठेवलं पाहिजे। तसेच नव्या आणि जुन्याचा मेल तरी घातला पाहिजे। यानि, पहले के समय खेती-बाड़ी प्राकृतिक स्थितियों को ध्यान में रखते हुए की जाती थी। पहले के उस ज्ञान को हमें संरक्षित करके रखना चाहिए। कृषि में नए और पुराने तौर-तरीकों का मेल करना बहुत जरूरी है। नए और पुराने तौर तरीकों के मेल का बहुत सटीक उदाहरण है- गन्ने की फसल। अहमदनगर, पुणे औऱ आसपास के क्षेत्र में तो ये और महत्वपूर्ण है। अब गन्ने से चीनी के साथ-साथ ethanol निकालने के लिए भी उद्योग लगाए जा रहे हैं। महाराष्ट्र में अभी 100 के करीब ऐसे उद्योग चल रहे हैं और दर्जनों नए उद्योगों को ज़रूरी मदद की स्वीकृति भी मिल चुकी है। जैसे-जैसे पेट्रोल में इथेनॉल की ब्लेंडिंग की क्षमता बढ़ेगी, वैसे-वैसे तेल का जो पैसा बाहर जा रहा है, वो किसानों की जेब में आया करेगा। + +साथियों, डॉक्टर बाला साहेब विखे पाटिल महाराष्ट्र के गांवों की एक और समस्या के समाधान को लेकर हमेशा प्रयासरत रहे। ये समस्या है पीने और सिंचाई के पानी कि दिक्कत। महाराष्ट्र में पानी परिषदों के माध्यम से उन्होंने इस दिशा में एक जन-आंदोलन खड़ा करने की कोशिश की थी। आज हम संतोष के साथ कह सकते हैं कि साल 2014 के बाद ऐसे प्रयासों को अभूतपूर्व बल दिया गया है और देवेन्‍द्र जी की सरकार की पहचान ही इस पानी के काम के कारण गांव-गांव, घर-घर तक पहुंची हुई है। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत महाराष्ट्र में बरसों से लटकी 26 परियोजनाओं को पूरा करने के लिए तेजी से काम किया गया। इनमें से 9 योजनाएं अब तक पूरी हो चुकी हैं। इनके पूरा होने से करीब-करीब 5 लाख हेक्टेयर जमीन को सिंचाई की सुविधा मिली है। इसी तरह जुलाई 2018 में महाराष्ट्र की छोटी-बड़ी 90 और सिंचाई परियोजनाओं पर काम शुरू किया गया था। अगले 2-3 साल में जब इन पर काम पूरा होगा, तो करीब 4 लाख हेक्टेयर जमीन सिंचाई की सुविधा से जुड़ेगी। राज्य के 13 जिलें ऐसे भी हैं जहां भूजल स्तर काफी कम है। इन जिलों में अटल भूजल योजना चलाई जा रही है। + diff --git a/pm-speech/328.txt b/pm-speech/328.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..bab103e60efa2f24a7f6ecb2a1d98c16dfdcff64 --- /dev/null +++ b/pm-speech/328.txt @@ -0,0 +1,8 @@ +राजमाता जी उस कार्यक्रम के लिए कन्‍याकुमारी आई थीं। और बाद में जब हम श्रीनगर जा रहे थे जम्‍मू में विदाई देने भी आई थीं। और उन्‍होंने लगातार हमारा हौसला बुलंद किया था। तब हमारा सपना था लाल चौक में झंडा फहराना, हमारा मकसद था धारा- 370 से मुक्ति मिल जाए। राजमाता जी ने उस यात्रा को विदाई दी थी। जो सपना था वो पूरा हो गया। आज जब मैं पुस्‍तक में और भी चीजें देख रहा था + +हम सभी जो उनसे जुड़े रहे हैं, जो उनके करीबी रहे हैं, वो उन्हें भली-भांति जानते हैं, उनसे जुड़ी बातों को अच्छी तरह जानते हैं। लेकिन ये भी बहुत जरूरी है कि राजमाता की जीवन यात्रा को, उनके जीवन संदेश को देश की आज की पीढ़ी भी जाने, उनसे प्रेरणा ले, उनसे सीखे। इसलिए उनके बारे में, उनके अनुभवों के बारे में बार-बार बात करना आवश्यक है। कुछ दिन पहले ‘मन की बात’ कार्यक्रम में मैंने बहुत विस्तार से उनके स्नेह पर चर्चा की थी। + +मुझे एक बार उनसे जुड़ी एक बात साथियों ने बताई थी, और मैं जब उस बात को याद करता हूं, मुझे लगता है मैं भी आपको बताऊं। एक बार वो पार्टी के कार्यक्रम में मथुरा गईं थीं। स्वभाविक था कि वहाँ राजमाता बाँकेबिहारी जी के दर्शन करने भी गईं। मंदिर में उन्होंने, बांकेबिहारी जी से जो कामना की, उसका मर्म समझना बहुत आवश्यक है। + +राजमाता जी का उपवास भी बड़ा कठिन रहता था। मैं उस समय नया-नया राजनीति में आया था। एक कार्यकर्ता के रूप में व्‍यवस्‍थाएं देखता था। मैंने राजमाता साहब की सोमनाथ की व्‍यवस्‍था संभाली। और वो समय था जब मुझे राजमाता साहब के अति‍ निकट आने का अवसर मिला। और मैंने देखा कि उस समय उनकी ये पूरी पूजा, पूरा नवरात्रि का अनुष्‍ठान एक प्रकार से ये अयोध्‍या रथयात्रा को, राममंदिर को समर्पित कर दिया था। सारी चीजें मैंने अपनी आंखों से देखी हैं। + diff --git a/pm-speech/329.txt b/pm-speech/329.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..6e71bcc10c7cb58ac19446794459174700c2b2d3 --- /dev/null +++ b/pm-speech/329.txt @@ -0,0 +1,16 @@ +आत्मनिर्भर भारत अभियान में आज देश ने एक और बड़ा कदम उठा दिया है। स्वामित्व योजना, गांव में रहने वाले हमारे भाई-बहनों को आत्मनिर्भर बनाने में बहुत मदद करने वाली है। आज हरियाणा, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के हज़ारों परिवारों को उनके घरों के कानूनी कागज़ सौंपे गए हैं। अगले तीन-चार साल में देश के हर गांव में, हर घर को इस तरह के प्रॉपर्टी कार्ड देने का प्रयास किया जाएगा। + +और साथियों, मुझे बहुत खुशी है कि आज इतना विराट काम एक ऐसे दिन हो रहा है…ये दिवस बहुत महत्‍वपूर्ण है। आज के दिवस का हिन्‍दुस्‍तान के इतिहास में भी बहुत बड़ा महत्‍व है। और वो है आज देश के दो-दो महान सपूतों की जन्‍म जयंति है। एक भारत रत्‍न लोकनायक जयप्रकाश नारायण और दूसरे भारत रतन नानाजी देशमुख। इन दोनों महापुरुषों का सिर्फ जन्‍मदिन ही एक तारीख को नहीं पड़ता, बल्कि यह दोनों महापुरुष देश में भ्रष्‍टाचार के खिलाफ, देश में ईमानदारी के लिए, देश में गरीबों का, गांव का कल्‍याण हो, इसके लिए दोनों की सोच एक थी…दोनों के आदर्श एक थे…दोनों के प्रयास एक थे। + +पंचायतों के कामकाज को भी अब ऑनलाइन किया जा रहा है। यही नहीं, पंचायत विकास के जो भी काम करती है उसकी Geo tagging को अनिवार्य कर दिया है। अगर कुंआ बना है तो ऑनलाइन यहां मेरे ऑफिस तक पता चल सकता है कि किस कोने में कैसा कुंआ बना है। यह टेक्‍नोलॉजी की कृपा है। और यह compulsory है। शौचालय बना है तो Geo tagging होगा। स्कूल बना है तो Geo tagging होगा। पानी के लिए छोटा सा बांध बना है तो Geo tagging होगा। इसके कारण रुपये-पैसे गायब होने वाला काम बंद, दिखाना पड़ेगा और देखा जा सकता है। + +साथियो, हमारे यहां हमेशा कहा जाता है कि भारत की आत्मा गांवों में बसती है, लेकिन सच्‍चाई यही है कि भारत के गांवों को अपने हाल पर छोड़ दिया गया था। शौचायलों की दिक्‍कत सबसे ज्‍यादा कहां थी? गांव में थी। बिजली की परेशानी सबसे ज्‍यादा कहां थी? गांव में थी। अंधेरे में गुजारा किसको करना पड़ता था- गांव वालों को। लकड़ी के चूल्‍हे..धुंऐ में खाना पकाने की मजबूरी कहां थी? गांव में थी…। बैंकिंग व्‍यवस्‍था से सबसे ज्‍यादा दूरी किसको थी? गांव वालों को थी।     + +अगर स्‍वामित्‍व जैसी योजना भी पहले बन पाती…ठीक है उस समय ड्रोन नहीं होगा…लेकिन गांव के साथ मिल-बैठकर रास्‍ते तो निकाले जा सकते थे…लेकिन नहीं हुआ। अगर ये हो जाता ना बिचौलिए होते, ना रिश्‍वतखोरी होती, ना ये दलाल होते, ना ये मजबूरी होती। अब जो योजना बनी है उसकी ताकत टेक्‍नोलॉजी है- ड्रोन हैं। पहले जमीन की मैपिंग में दलालों की नजर हावी होती थी, अब ड्रोन की नजर से मैपिंग हो रही है। जो ड्रोन ने देखा वही कागज पर दर्ज हो रहा है। + +साथियों, भारत के गांवों के लिए, गांव में रहने वालों के लिए जितना काम पिछले 6 वर्षों में किया गया है, उतना आजादी के 6 दशकों में भी नहीं हुआ। 6 दशकों तक गांव के करोड़ों लोग बैंक खातों से वंचित थे। ये खाते अब जाकर खुले हैं। 6 दशकों तक गांव के करोड़ों लोगों के घर बिजली का कनेक्‍शन नहीं था। आज  हर घर तक बिजली पहुंच चुकी है। 6 दशकों तक, गांव के करोड़ों परिवार शौचालय से वंचित थे। आज घर-घर में शौचालय भी बन गए हैं। + +इस संकल्‍प की सिद्धि के लिए स्वामित्व योजना की भूमिका भी बहुत बड़ी है। और इसलिए आज जिन एक लाख परिवारों को इतने कम समय में स्वामित्व योजना का लाभ मिल चुका है। और मैं आज विशेष रूप से नरेंद्र सिंह जी और उनकी पूरी टीम को को भी बधाई दूंगा । उनको भी बधाई दूंगा जिन्‍होंने इतने कम समय में इतना बड़ा काम किया है। काम छोटा नहीं है, गांव-गांव जाना और वो भी इस लॉकडाउन के समय जाना और इतना बड़ा काम करना। इन लोगों का जितना अभिनंदन करें उतना कम है। + +और इसलिए भाइयों-बहनों जितने खुश आप हैं उससे ज्‍यादा खुश मैं हूं क्‍योंकि आज मेरे एक लाख परिवार आत्‍मविश्‍वास के साथ, आत्‍मसम्‍मान के साथ अपनी संपत्ति के कागज के साथ दुनिया के सामने विश्‍वास के साथ खड़े हुए हैं। यह बहुत उत्‍तम अवसर है। और वो भी जेपी के जन्‍मदिन पर है, नाना जी के जन्‍मदिन पर है। इससे बड़ा आनंद और क्या हो सकता है । + diff --git a/pm-speech/330.txt b/pm-speech/330.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..425e11cdac5c6d9f34a76ba1e9b9021eb1e53ec2 --- /dev/null +++ b/pm-speech/330.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +बनारस में शहर व देहात के इ विकास योजना में पर्यटन भी हौ,  संस्कृति भी अऊर सडक, बिजली, पानी भी। हरदम प्रयास यही होला कि आपन काशी के हर शख्स के भावनाओं के अनुरुप ही विकास क पहिया आगे बढै।  इसलिए, ये विकास आज अपने आपमें इस बात का उदाहरण है कि बनारस कैसे एक साथ हर क्षेत्र में, हर दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। माँ गंगा की स्वच्छता से लेकर स्वास्थ्य सेवाओं तक रोड और इनफ्रास्ट्रक्चर से लेकर पर्यटन तक, बिजली से लेकर युवाओं के लिए खेलकूद तक, और किसान से लेकर गाँव-गरीब तक, हर क्षेत्र में बनारस विकास की नई गति प्राप्त किए हुए है। आज गंगा एक्शन प्लान प्रोजेक्ट के तहत सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के renovation का काम पूरा हो चुका है। साथ ही, शाही नाला से अतिरिक्त सीवेज गंगा में गिरने से रोकने के लिए diversion line का शिलान्यास भी कर दिया गया है। 35 करोड़ से अधिक की लागत से खिड़किया घाट को भी सजाया संवारा जा रहा है। यहां सीएनजी से नांव भी चलेंगी जिससे गंगा में प्रदूषण भी कम होगा। इसी तरह दशाश्वमेध घाट पर टूरिस्ट प्लाज़ा भी आने वाले दिनों में पर्यटकों की सुविधा और आकर्षण का केंद्र बनेगा। इससे घाट की सुंदरता भी बढ़ेगी, व्यवस्था भी बढ़ेगी। जो स्थानीय छोटे छोटे व्यापार हैं, ये प्लाज़ा बनने से उनकी भी सुविधा और ग्राहक बढ़ेंगे। + +बनारस की कनेक्टिविटी हमेशा से हमारी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता रही है। काशीवासियों का और काशी आने वाले हर पर्यटक, हर श्रद्धालु का समय सड़क जाम में न व्यर्थ हो, इसके लिए नए इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण किया जा रहा है। बनारस में आज एयरपोर्ट पर सुविधाएं बढ़ रही हैं। बाबतपुर से शहर को कनेक्ट करने वाली सड़क भी अब बनारस की नई पहचान बनी है। आज एयरपोर्ट पर दो Passenger Boarding Bridge का लोकार्पण होने के बाद इन सुविधाओं का और विस्तार होगा। ये विस्तार इसलिए भी जरूरी है क्योंकि 6 वर्ष पहले यानि आपने मुझे आपकी सेवा करने का अवसर दिया उसके पहले बनारस में हर दिन 12 फ्लाइट्स चलती थीं, आज इससे 4 गुणा यानि 48 फ्लाइट्स चलती हैं। यानि बनारस में सुविधाएं बढ़ती देख, बनारस आने वाले लोगों की संख्या भी बढ़ रही है। + +बीते 6 सालों से बनारस में Health Infrastructure पर भी अभूतपूर्व काम हुआ है। आज काशी यूपी ही नहीं, बल्कि एक तरह से पूरे पूर्वांचल के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं का हब बनता जा रहा है। आज रामनगर में लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल के modernization से जुड़े कामों के लोकार्पण से काशी की इस भूमिका का विस्तार हुआ है। रामनगर के अस्पताल में अब Mechanised Laundry, व्यवस्थित रजिस्ट्रेशन काउंटर और कर्मचारियों के लिए आवासीय परिसर जैसी सुविधाएं उपलब्ध होंगी। होमी भाभा कैंसर हास्पिटल और पंडित महामना मालवीय कैंसर हास्पिटल जैसे बड़े कैंसर इंस्टीट्यूट यहां पहले से ही सेवाएं दे रहे हैं। इसी तरह ESIC अस्पताल और BHU Super Specialty Hospital भी यहां गरीब से गरीब साथियों को, गर्भवती महिलाओं को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं दे रहे हैं। + diff --git a/pm-speech/331.txt b/pm-speech/331.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..57c6e38aa207301c89c29e1e937f8719b6510c25 --- /dev/null +++ b/pm-speech/331.txt @@ -0,0 +1,20 @@ +इस सेवा से घोघा और हजीरा के बीच अभी जो सड़क की दूरी पौने चार सौ किलोमीटर की है, वो समंदर के रास्ते सिर्फ 90 किलोमीटर ही रह जाएगी। यानि जिस दूरी को कवर करने में 10 से 12 घंटे का समय लगता था, अब उस सफर में सिर्फ 3-4 घंटे ही लगा करेंगे। ये समय तो बचाएगा ही, आपका खर्च भी कम होगा। इसके अलावा सड़क से जो ट्रैफिक कम होगा, वो प्रदूषण कम करने में भी मदद करेगा। जैसा यहां अभी बताया गया, साल भर में, ये आंकड़ा अपने आप में बहुत ही बड़ा आंकड़ा है, साल भर में करीब 80 हजार यात्री यानि 80 हजार यात्री-गाड़ियां, कार करीब-करीब 30 हजार ट्रक इस नई सेवा का लाभ ले सकेंगे। सोचिए, कितना ज्यादा पेट्रोल-डीजल की भी बचत होगी। + +गुजरात के पास समुद्री व्यापार-कारोबार की एक समृद्ध विरासत रही है। अभी मानसुख भाई सैकड़ों-हजारों साल की तवारीफ बता रहे थे कि कैसे-कैसे हम समुद्री व्‍यापार से जुड़ हुए थे।   गुजरात ने जिस तरह बीते दो दशकों में अपने समुद्री सामर्थ्य को समझते हुए port led development को प्राथमिकता दी है, वो हर गुजराती के लिए गौरव का विषय है। इस दौरान गुजरात के coastal इलाकों में infrastructure और development के दूसरे प्रोजेक्टों पर विशेष ध्यान दिया है। राज्य में शिपबिल्डिंग पॉलिसी बनाना हो, शिपबिल्डिंग पार्क बनाना हो, या Specialised Terminals का निर्माण, हर infrastructure को प्राथमिकता दी गई है। जैसे दहेज में सॉलिड कार्गो, केमिकल और LNG टर्मिनल और मुंद्रा में कोल टर्मिनल। इसके साथ ही, Vessel Traffic मैनेजमेंट सिस्टम और Ground Breaking कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट को भी हमने पूरी तरह बढ़ावा दिया है। ऐसे ही प्रयासों से गुजरात के Port Sector को नई दिशा मिली है। + +सिर्फ पोर्ट में फिजिकल इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण ही नहीं, बल्कि उन पोर्ट्स के आसपास रहने वाले साथियों का जीवन भी आसान हो, इसके लिए भी काम किया गया है। कोस्टल एरिया का पूरा इकोसिस्टम ही आधुनिक हो उस पर हमने अपना ध्‍यान केंद्रित किया है। चाहे वो सागरखेडू जैसी हमारी मिशन-मोड योजना हो या फिर शिपिंग इंडस्ट्री में स्थानीय युवाओं का Skill Development करके उन्हें रोज़गार देना हो, गुजरात में Port Led Development का दायरा बहुत बड़ा रहा है। सरकार ने कोस्टल एरिया में हर प्रकार की बुनियादी सुविधाओं का विकास सुनिश्चित किया है। + +ऐसे ही प्रयासों का परिणाम है कि गुजरात आज एक प्रकार से भारत के समुद्री द्वार के रूप में स्थापित हुआ है। Gateway बन रहा है, gateway of prosperity, बीते 2 दशकों में पारंपरिक बंदरगाह संचालन से निकलकर एकीकृत comprehensive का एक अनूठा मॉडल गुजरात में लागू किया गया है। ये मॉडल आज एक बेंचमार्क के रूप में विकसित हुआ है। आज मुंद्रा भारत का सबसे बड़ा बहुउद्देशीय बंदरगाह और सिक्का सबसे बड़ा बंदी बंदरगाह है। इन्हीं प्रयासों का नतीजा है कि गुजरात के बंदरगाह, देश के प्रमुख समुद्री केंद्रों के रूप में उभरे हैं। पिछले वर्ष देश के कुल समुद्री व्यापार में से 40 प्रतिशत से ज्यादा की हिस्सेदारी, गुजरात के बंदरगाहों की रही है, ये शायद गुजरात के लोगों को भी मैं आज पहली बार बता रहा हूँ। + +सरकार का प्रयास, घोघा-दहेज के बीच फेरी सर्विस को भी जल्द फिर शुरू करने का है। इस प्रोजेक्ट के सामने प्रकृति से जुड़ी अनेक चुनौतियां सामने आ के खड़ी हुई हैं। उन्हें आधुनिक टेक्नोलॉजी के माध्यम से दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। मुझे उम्मीद है, घोघा और दहेज के लोग जल्द ही इस सुविधा का लाभ फिर ले पाएंगे। + +जब समुद्र की बात आती है, पानी की बात आती है, तो इसका विस्तार, मछली से जुड़े व्यापार कारोबार से लेकर सी-वीड की खेती से लेकर वॉटर ट्रांसपोर्ट और टूरिज्म तक है। बीते वर्षो में देश में ब्लू इकॉनॉमी को सशक्त करने के लिए भी गंभीर प्रयास किए गए हैं। पहले ocean economy की बात होती थी और आज हम blue economy की भी बात कर रहे हैं। + +आज देशभर की समुद्री सीमा में पोर्ट्स की कैपेसिटी को भी बढ़ाया जा रहा है और नए पोर्ट्स का भी निर्माण तेज़ी से चल रहा है। देश के पास करीब 21 हज़ार किलोमीटर का जो जलमार्ग है, वो देश के विकास में अधिक से अधिक कैसे काम आए, इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं। सागरमाला प्रोजेक्ट के तहत आज देशभर में 500 से ज्यादा प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा है। लाखों करोड़ रुपए के इन प्रोजेक्ट्स में से अनेक पूरे भी हो चुके हैं। + +समुद्री जलमार्ग हो या फिर नदी जलमार्ग, भारत के पास संसाधन भी रहे हैं और Expertise की भी कोई कमी नहीं रही। ये भी तय है कि जलमार्ग से होने वाला ट्रांसपोर्टेशन सड़क और रेलमार्ग से कई गुना सस्ता पड़ता है और पर्यावरण को भी कम से कम नुकसान होता है। फिर भी इस दिशा में एक होलिस्टिक अप्रोच के साथ 2014 के बाद ही काम हो पाया है। ये नदियाँ, ये समुद्र ये मोदी प्रधानमंत्री बनने का बाद नहीं आया है, ये था लेकिन वो दृष्‍टि नहीं थी जो 2014 के बाद आज देश अनुभव कर रहा है। आज देशभर की नदियों में जो इनलैंड वॉटरवेज़ पर काम चल रहा है, उससे कई Land-locked राज्यों को समंदर से जोड़ा जा रहा है। आज बंगाल की खाड़ी में, हिंद महासागर में अपनी क्षमताओं को हम अभूतपूर्व रूप से विकसित कर रहे हैं। देश का समुद्री हिस्सा आत्मनिर्भर भारत का एक अहम हिस्सा बनकर उभरे, इसके लिए निरंतर काम चल रहा है। सरकार के इन प्रयासों को गति देने के लिए एक और बड़ा कदम उठाया जा रहा है। अब Ministry of Shipping का भी नाम बदला जा रहा है। अब ये मंत्रालय Ministry of Ports, Shipping and Waterways के नाम से जाना जाएगा, उसका विस्‍तार किया जा रहा है। विकसित अर्थव्यवस्थाओं में ज्यादातर जगहों पर Shipping मंत्रालय ही Ports और Waterways का भी दायित्व संभालता है। भारत में Shipping मंत्रालय Ports और Waterways से जुड़े काफी कार्यों को करता आ रहा है। अब नाम में अधिक स्पष्टता आने से काम में भी अधिक स्पष्टता आ जाएगी। + +Logistics पर होने वाले खर्च को कम करने के लिए अब देश Multi-modal Connectivity की दिशा में एक बहुत ही holistic view के साथ और दीर्घकालीन सोच के साथ आगे बढ़ रहा है। कोशिश ये है कि रोड, रेल, एयर और शिपिंग जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर की आपस में कनेक्टिविटी भी बेहतर हो और इसमें जो Silos आते हैं, उनको भी दूर किया जा सके। देश में Multi-modal Logistics Parks का निर्माण भी किया जा रहा है और देश के भीतर ही नहीं, बल्कि अपने पड़ोसी देशों के साथ भी मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी के विकास के लिए मिलकर काम हो रहा है। मुझे विश्वास है कि इन तमाम प्रयासों से हम अपनी Logistic Cost को बहुत कम कर पाने में सफल हो पाएंगे। Logistics की कीमत को काबू में रखने के लिए हो, जो प्रयत्‍न हो रहे हैं, इन्हीं प्रयासों से अर्थव्यवस्था को भी नई गति मिलेगी। + +त्योहारों के इस समय में खरीदारी भी खूब हो रही है। इस खरीदारी के समय, मैं जरा सूरत के लोगों से जरा आग्रह करूँगा क्‍योंकि उनको तो दुनिया में आने-जाने का बड़ा routine होता है मैं इस खरीदारी के समय वोकल फॉर लोकल, ये वोकल फॉर लोकल का मंत्र भूलना नहीं है। वोकल फॉर लोकल और मैंने देखा है कि लोगों को लगता है कि दीये खरीद लिए तो मतलब हम आत्‍मनिर्भर हो गए, जी नहीं, हर चीज़ में ध्‍यान देना है वरना इन दिनों सिर्फ दीये को ही अरे भई हम भारत का दीया लेंगे अच्‍छी बात है। लेकिन अगर आप खुद देखोगे, अपने शरीर पे, अपने घर में, इतनी चीजें बाहर की होंगी जो हमारे देश के लोग बनाते हैं, हमारे छोटे-छोटे लोग बनाते हैं, हम उनको क्‍यों अवसर न दें। देश को आगे बढ़ाना है न दोस्‍तों, तो उसके लिए हमारे इन छोटे-छोटे लोगों को, छोटे-छोटे व्‍यापारियों को, छोटे-छोटे कारीगरों को, छोटे-छोटे कलाकारों को, गांव की हमारी बहनों को, ये जो चीजें बनाती हैं अनेक प्रकार की चीजें बनाती हैं, एक बार लेकर के देखिये तो सही और गर्व से दुनिया को बताइये ये हमारे गांव के लोगों ने बनाया, हमारे जिले के लोगों ने बनाया, हमारे देश के लोगों ने बनाया। देखिए आपका भी सीना चौड़ा हो जाएगा। दीवाली मनाने का मजा और आ जाएगा इसलिए वोकल फॉर लोकल, कोई compromise नहीं करेंगे। + diff --git a/pm-speech/332.txt b/pm-speech/332.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..449871416159de3eefd151c7d3956fe72c986086 --- /dev/null +++ b/pm-speech/332.txt @@ -0,0 +1,16 @@ +आज टेक्नॉलॉजी की दुनिया के लिए बहुत अहम दिन है। आज IIT Delhi के माध्यम से देश को 2 हजार से ज्यादा टेक्नोलॉजी के बेहतरीन एक्सपर्ट्स आज देश को मिल रहे हैं। जिन Students को आज डिग्री मिल रही है, उन सभी विद्यार्थी साथियों को, उनके Parents को विशेषरूप से,  उनके Guides, Faculty members, सभी को आज के इस महत्‍वपूर्ण दिवस पर मेरी तरफ से अनेक-अनेक शुभकामनाएं। + +आज, IIT Delhi का 51वां Convocation है और इस वर्ष ये महान संस्थान अपनी Diamond Jubilee भी मना रहा है। IIT Delhi ने इस दशक के लिए अपना vision document भी तैयार किया है। मैं Diamond Jubilee Year और इस दशक के आपके लक्ष्यों के लिए भी आपको अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूँ और भारत सरकार की तरफ से पूर्ण सहयोग का विश्‍वास भी देता हूँ।   + +आत्मनिर्भर भारत अभियान आज देश के नौजवानों को, Technocrats को, Tech-enterprise leaders को अनेक नई Opportunities देने का भी एक अहम अभियान है। उनके जो ideas है, innovations हैं वो उनको freely implement कर सके, scale कर सके, market कर सके इसके लिये आज सर्वाधिक अनुकूल वातावरण बनाया गया है। आज भारत अपने युवाओं को ease of doing business देने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है ताकि ये युवा अपने innovation से करोड़ों देशवासियों के जीवन में परिवर्तन ला सकें। देश आपको Ease of doing business देगा बस आप एक काम कीजिए, अपनी महारत से, आपके अनुभव से, आपके talent से, आपके innovation से देश अगर आपको ease of doing business देता है, सरकार व्‍यवस्‍थाएँ देता है तो आप इस देश के गरीब से गरीब नागरिकों ease of living देने के लिए नए-नए innovations लेकर के आइए, नई-नई चीज़ें लेकर के आइए। + +हाल में, करीब-करीब हर सेक्टर में, जो बड़े रिफॉर्म्स किए गए हैं, उनके पीछे भी यही एक सोच है। पहली बार एग्रीकल्चर सेक्टर में Innovation और नए Start-ups के लिए अनगिनत संभावनाएं बनी हैं। पहली बार स्पेस सेक्टर में प्राइवेट इनवेस्टमेंट के रास्ते खुले हैं। दो दिन पहले ही, BPO सेक्टर के Ease of doing business के लिए भी एक बड़ा रिफॉर्म किया गया है। सरकार ने Other Service Provider- OSP गाइडलाइंस को एकदम Simplify कर दिया है, करीब-करीब सारे Restriction हटा दिये हैं। एक प्रकार से अब सरकार की मौजूदगी महसूस नहीं होगी। हर एक पर भरोसा किया गया है। इससे BPO Industries के लिए कम्प्लायंस का जो Burden रहता है, भांति-भांति के बंधन रहते हैं, सब कुछ कम हो जाएगा। इसके अलावा बैंक गारंटी सहित दूसरी अनेक ज़रूरतों से भी BPO Industry को मुक्त किया गया है। इतना ही नहीं, ऐसे प्रावधान जो Tech Industry को Work From Home या फिर Work From anywhere जैसी सुविधाओं से जो कानून रोकते थे, उन कानूनों को भी हटा दिया गया है। ये देश के IT Sector को Globally और Competitive बनाएगा और आप जैसे Young Talent को और ज्यादा मौके देगा। + +आज देश में आपकी एक-एक जरूरतों को समझते हुए, भविष्‍य की आवश्‍यकताओं को समझते हुए, एक के बाद एक निर्णय लिए जा रहे हैं, पुराने नियम बदले जा रहे हैं और मेरी यह सोच है कि पिछली शताब्‍दी के नियम-कानूनों से अगली शताब्‍दी का भविष्‍य तय नहीं हो सकता है। नई शताब्‍दी, नये संकल्‍प। नई शताब्‍दी, नये रीति‍-रिवाज। नई शताब्‍दी, नये कानून। आज भारत उन देशों में है जहां कॉर्पोरेट टैक्स सबसे कम है। Start-up India इस अभियान के बाद से भारत में 50 हज़ार से भी ज्यादा स्टार्ट अप शुरू हुए हैं। सरकार के प्रयासों का असर है कि पिछले पाँच वर्षों में देश में पेटेंट की संख्या 4 गुना हो गई है। ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन में 5 गुना वृद्धि दर्ज की गई है। इसमें भी फिनटेक के साथ-साथ एग्रो, डिफेंस और मेडिकल सेक्टर से जुड़े स्टार्ट अप्स अब तेज़ी से बढ़ रहे हैं। बीते वर्षों में, 20 से ज्यादा यूनिकॉर्न्स भारतीयों ने भारत में बनाए हैं। जिस तरह देश प्रगति पथ पर बढ़ रहा है, मुझे विश्वास है कि आने वाले एक-दो सालों में इनकी संख्या और बढ़ेगी और हो सकता है आज यहाँ से निकलने वाले जो आप जैसे नौजवान हैं वो उसमें एक नई ऊर्जा भर दें। + +Incubation से लेकर funding तक आज स्टार्ट अप्स को अनेक प्रकार की मदद की जा रही है। फंडिंग के लिए 10 हज़ार करोड़ रुपए का Fund of Funds बनाया गया है। 3 साल के लिए Tax Exemption, Self-Certification, Easy exit, जैसी अनेक सुविधाएं स्टार्ट अप्स के लिए दी जा रही हैं। आज हम National Infrastructure Pipeline के तहत 1 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा निवेश करने की तैयारी है। इससे पूरे देश में State-of-the-art Infrastructure का निर्माण होगा जो वर्तमान और भविष्य दोनों की जरूरतों को पूरा करेगा। + +Technology किस तरह हमारी Governance का, गरीब से गरीब तक पहुंचने का सबसे सशक्त माध्यम हो सकती है, ये बीते वर्षों में देश ने कर दिखाया है। आज चाहे घर हो, बिजली हो, Toilet हो, गैस कनेक्शन हो या अब पानी हो, ऐसी हर सुविधाएं Data और Space Technology के सहयोग से पहुंचाई जा रही हैं। आज Birth Certificate से लेकर जीवन प्रमाण Certificate तक की सुविधा, डिजिटली उपलब्ध कराई जा रही है। जनधन-आधार-मोबाइल की ट्रिनिटी JAM, Digi-Lockers जैसी सुविधाएं और अब डिजिटल हेल्थ आईडी के लिए प्रयास, सामान्य नागरिक का जीवन आसान बनाने के लिए देश एक के बाद एक बहुत तेज़ी से अनेक कदम बढ़ा रहा है। टेक्नोलॉजी ने Last Mile Delivery को efficient बनाया है और Corruption का Scope कम किया है। Digital Transactions के मामले में भी भारत दुनिया के कई देशों से बहुत आगे है। भारत के बनाए UPI जैसे प्लेटफॉर्म को अब दुनिया के बड़े-बड़े विकसित भी अपनाना चाहते हैं। + +वैसे भी आप सभी के लिए Alumni meets organize करना बहुत आसान होता है। दूसरे कॉलेजों के Students को अपनी Alumni meet के लिए अक्सर लंबी यात्रा करनी पड़ती है, कॉलेज तक जाना पड़ता है। लेकिन आपके पास एक और बड़ा सरल Option होता है। आप अपनी Alumni meet, कभी भी week-end पर short नोटिस पर Bay Area में भी कर सकते हैं, Silicon Valley में कर सकते हैं, Wall Street में कर सकते हैं, या फिर किसी Government Secretariat में भी आपकी Alumni meet हो सकती है क्‍योंकि आप हर जगह पर मौजूद हैं। बहुत बड़ी मात्रा में आपकी मौजूदगी है। भारत के start-up capitals चाहे वो मुंबई हो, पुणे हो या बेंगलुरू, आपको इन जगहों पर, IIT से पढ़ के निकले लोगों का strong network मिल जाएगा। ये है आपकी success, ये है आपका influence. + diff --git a/pm-speech/333.txt b/pm-speech/333.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..157546a5c2626dc32e1ff9239a31ca05433115ec --- /dev/null +++ b/pm-speech/333.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +आप की तरह मैं भी भारत और इटली के संबंधों को और व्यापक और गहरा बनाने के लिए प्रतिबद्ध हूँ।2018 में Tech Summit के लिए आपकी भारत यात्रा और हमारी मुलाकात अनेक पहलुओ को स्पर्श करने वाली रही भारत के लोगो के मन मे भी इटली के प्रति एक नई जिज्ञासा पैदा करने वाली रही । यह ख़ुशी की बात है कि 2018 में हमारी बातचीत के बाद आपसी आदान-प्रदान में काफी गति आई है। + diff --git a/pm-speech/334.txt b/pm-speech/334.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..2448e575e0fbbfed51aa5f4a32f38f1535789dc5 --- /dev/null +++ b/pm-speech/334.txt @@ -0,0 +1,4 @@ +जैसे विनिर्माण क्षेत्र के आधार को मजबूत करने और विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचा बनाने की हमारी रणनीति है, ठीक वैसे ही वित्तीय क्षेत्र के लिए भी हमारी रणनीति भी बहुत व्यापक है। हमने बैंकिंग क्षेत्र में व्यापक सुधार के साथ कुछ बड़े कदम उठाए हैं। वित्तीय बाजारों को मजबूत बनाना। अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्रों के लिए एकीकृत प्राधिकरण बनाना। सबसे उदार एफडीआई व्यवस्था लाना। विदेशी पूंजी के लिए एक सरल कर व्यवस्था बनाना। निवेश के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट और रियल एस्टेट इनवेस्टमेंट ट्रस्ट जैसी उपयुक्त नीतिगत उपाय करना। इंसाल्वेंसी और बैंक्रप्सी कोड लागू करना। प्रत्यक्ष लाभ देने और फिन-टेक आधारित भुगतान प्रणालियों जैसे आरयू-पे कार्ड और भीम-यूपीआई के माध्यम से वित्तीय सशक्तिकरण। + +भारत की वृद्धि में वैश्विक आर्थिक उत्थान को प्रेरित करने की क्षमता है। भारत की किसी भी उपलब्धि का दुनिया के विकास और कल्याण पर कई गुना असर दिखाई पड़ेगा। एक मजबूत और जीवंत भारत वैश्विक आर्थिक व्यवस्था को स्थिर बनाने में योगदान कर सकता है। हम वह सब कुछ करेंगे, जो भारत को वैश्विक विकास पुनरुत्थान का इंजन बनाता है। प्रगति का रोमांचक समय आगे है। मैं आपको इसका हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित करता हूं। + diff --git a/pm-speech/335.txt b/pm-speech/335.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..b6a0d91b4e37e8805a9d8bcf1983a8e12fe3dcfb --- /dev/null +++ b/pm-speech/335.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +साथियों, एक प्रकार से सरदार वल्‍लभ भाई पटेल ही,  देश की सिविल सेवा के जनक थे।21 अप्रैल, 1947 Administrative Services Officers के पहले बैच को संबोधित करते हुए सरदार पटेल ने सिविल सर्वेंट्स को देश का स्टील फ्रेम कहा था।उन अफसरों को सरदार साहब की सलाह थी कि देश के नागरिकों की सेवा अब आपका सर्वोच्च कर्तव्य है।मेरा भी यही आग्रह है कि सिविल सर्वेंट जो भी निर्णय ले, वो राष्ट्रीय संदर्भ में हों, देश की एकता अखंडता को मजबूत करने वाले हों।संविधान की spirit को बनाए रखने वाले हों। आपका क्षेत्र भले ही छोटा हो,  आप जिस विभाग को संभाले उसका दायरा भले ही कम हो, लेकिन फैसलों में हमेशा देश का हित, लोगों का हित होना चाहिए, एक National Perspective होनाचाहिए। + +साथियों, गीता में भगवान कृष्ण ने कहा है- ‘यज्ञ अर्थात् कर्मणः अन्यत्र लोकः अयम् कर्म बंधनः’।अर्थात, यज्ञ यानि सेवा के अलावा, स्वार्थ के लिए किए गए काम, कर्तव्य नहीं होते। वो उल्टा हमें ही बांधने वाला काम होता है।कर्म वही है, जो एक बड़े विजन  के साथ किया जाए, एक बड़े लक्ष्य के लिए किया जाए।इसी कर्म का कर्मयोगी हम सबको बनना है, मुझे भी बनना है, आपको भी बनना है, हम सबको बनना है।साथियों, आप सभी जिस बड़े और लंबे सफर पर निकल रहे हैं, उसमें rules का बहुत योगदान है।लेकिन इसके साथ ही, आपको Role पर भी बहुत ज्यादा फोकस करना है।rule and role,लगातार संघर्ष चलेगा, लगातार तनाव आएगा। rules का अपना महत्‍व है,role की अपनी महत्‍वपूर्ण जिम्‍मेवारी है। इन दोनों का balance,यही तो आपके लिए tight rope पर चलने वाला खेल है।बीते कुछ समय से सरकार ने भी role based approach पर काफी जोर दिया है।इसके नतीजे भी दिखाई दे रहे हैं।पहला- सिविल सर्विसेस में capacity और competency उसके creation के लिए नया architecture खड़ा हुआ है।दूसरा- सीखने के तौर-तरीके democratiseहुए हैं।और तीसरा- हर ऑफिसर के लिए उसकी क्षमता और अपेक्षा के हिसाब से उसका दायित्व भी तय हो रहा है। इस अप्रोच के साथ काम करने के पीछे सोच ये है कि जब आप  हर रोल में अपनी भूमिका अच्छे से निभाएंगे, तो आप अपनी overall life में भी सकारात्मक रहेंगे।यही सकारात्मकता आपकी सफलता के रास्ते खोलेगी, आपको एक कर्मयोगी के रूप में जीवन के संतोष का बहुत बड़ा कारण बनेगी। + +साथियों, कहा जाता है कि life एक dynamic situation है। governance भी तो एक dynamic phenomenonहै।इसीलिए, हम responsive government की बात करते हैं।एक civil servant के लिए सबसे पहले जरूरी है कि आप देश के सामान्य मानवी से निरंतर जुड़े रहें। जब आप लोक से जुड़ेंगे तो लोकतंत्र में काम करना और आसान हो जाएगा।आप लोग फ़ाउंडेशन ट्रेनिंग और प्रोफेशनल ट्रेनिंग पूरी होने के बाद फील्ड ट्रेनिंग के लिए जाएंगे।मेरी फिर आपको सलाह होगी, आप फील्ड में लोगों से जुड़िये, cut-off मत रहिए। दिमाग में कभी बाबू मत आने दीजिए। आप जिस धरती से निकले हों, जिस परिवार, समाज से निकले हों, उसको कभी भुलिए मत। समाज से जुड़ते चलिए, जुड़ते चलिए, जुड़ते चलिए। एक प्रकार से समाज जीवन में विलीन हो जाइए, समाज आपकी शक्‍ति का सहारा बन जाएगा। आपके दो हाथ सहस्‍त्र बाहू बन जाएंगे। ये सहस्‍त्र बाहू जन-शक्‍ति होती है,उन्हें समझने की, उनसे सीखने की कोशिश अवश्‍य करिएगा।मैं अक्सर कहता हूँ, सरकार शीर्ष से नहीं चलती है। नीतियाँ जिस जनता के लिए हैं, उनका समावेश बहुत जरूरी है।जनता केवल सरकार की नीतियों की, प्रोग्राम्स की receiver नहीं हैं, जनता जनार्दन ही असली ड्राइविंग फोर्स है।इसलिए हमें government से governance की तरफ बढ़ने की जरूरत है। + diff --git a/pm-speech/336.txt b/pm-speech/336.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..abd652637a6eda3e11bc815a1b54ae86853e71e7 --- /dev/null +++ b/pm-speech/336.txt @@ -0,0 +1,4 @@ +मान्यताएं, ये किसी और देश में मिलना मुश्किल है। हमारे वेद-वाक्यों में भी कहा गया है- जनं बिभ्रति बहुधा विवाचसं नानाधर्माणं पृथ्वीवी यथौकसम्। सहस्त्रं धारा द्रविणस्य में दुहां ध्रुवेव धेनुरन-पस्फुरन्ति। अर्थात, हमारी ये मातृभूमि अलग अलग भाषाओं को बोलने वाले, अलग अलग आचार, विचार, व्यवहार वाले लोगों को एक घर के समान धारण करती है। इसलिए, हमारी ये विविधता ही हमारा अस्तित्व है। इस विविधता में एकता को जीवंत रखना ही राष्ट्र के प्रति हमारा कर्तव्य है। हमें याद रखना है कि हम एक हैं, तो हम अपराजेय हैं। हम एक हैं तो असाधारण हैं। हम एक हैं तो हम अद्वितीय हैं। लेकिन साथियों, हमें ये भी याद रखना है कि भारत की ये एकता, ये ताकत दूसरों को खटकती भी रहती है। हमारी इस विविधता को ही वो हमारी कमजोरी बनाना चाहते हैं। हमारी इस विविधता को आधार बनाकर वो एक दूसरे के बीच खाई बनाना चाहते हैं। ऐसी ताकतों को पहचानना जरूरी है, ऐसी ताकतों से हर भारतीय को बहुत ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। + +साथियों, आज यहां जब मैं अर्ध-सैनिक बलों की परेड देख रहा था, आप सभी के अद्भुत कौशल को देख रहा था, तो मन में एक और तस्वीर थी। ये तस्वीर थी पुलवामा हमले की। उस हमले में हमारे पुलिस बेड़े के हमारे जो वीर साथी शहीद हुए, वो अर्धसैनिक बेड़े के ही थे। देश कभी भूल नहीं सकता कि जब अपने वीर बेटों के जाने से पूरा देश दुखी था, तब कुछ लोग उस दुख में शामिल नहीं थे, वो पुलवामा हमले में भी अपना राजनीतिक स्वार्थ खोज रहे थे। अपना राजनीतिक स्‍वार्थ देख रहे थे। देश भूल नहीं सकता कि तब कैसी-कैसी बातें कहीं गईं, कैसे-कैसे बयान दिए गए। देश भूल नहीं सकता कि जब देश पर इतना बड़ा घाव लगा था, तब स्वार्थ और अहंकार से भरी भद्दी राजनीति कितने चरम पर थी। और उस समय उन वीरों की तरफ देखते हुए मैंने विवादों से दूर रहे कर के सारे आरोपों को झेलता रहा भद्दी-भद्दी बातों को सुनता रहा। मेरे दिल पर वीर शहीदों का गहरा घाव था। लेकिन पिछले दिनों पड़ोसी देश से जो खबरें आईं हैं, जिस प्रकार वहां की संसद में सत्य स्वीकारा गया है, उसने इन लोगों के असली चेहरों को देश के सामने ला दिया है। अपने निहित स्वार्थ के लिए, राजनीतिक स्वार्थ के लिए, ये लोग किस हद तक जा सकते हैं, पुलवामा हमले के बाद की गई राजनीति, इसका बहुत बड़ा उदाहरण है। मैं ऐसे राजनीतिक दलों से, ऐसे लोगों से आग्रह करूंगा और आज के समय में मैं जरा विशेष आग्रह करूंगा और सरदार साहब के प्रति अगर आपकी श्रद्धा है तो इस महापुरुष की इस विराट प्रतिमा के सामने से आपको आग्रह करूंगा कि देशहित में, देश की सुरक्षा के हित में, हमारे सुरक्षाबलों के मनोबल के लिए, कृपा करके ऐसी राजनीति न करें, ऐसी चीजों से बचें। अपने स्वार्थ के लिए, जाने-अनजाने आप देशविरोधी ताकतों की, उनके हाथों में खेलकर, उनका मोहरा बनकर, न आप देश का हित कर पाएंगे और न ही अपने दल का। + diff --git a/pm-speech/337.txt b/pm-speech/337.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..0150c9233d9ed483229b0eecc8abff33e93c9b53 --- /dev/null +++ b/pm-speech/337.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +केशुभाई एक विराट व्यक्तित्व के धनी थे। एक तरफ व्यवहार में सौम्यता और दूसरी तरफ फैसले लेने के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति उनकी बहुत बड़ी खासियत थी। उन्होंने अपने जीवन का प्रतिपल समाज के लिए, समाज के हर वर्ग की सेवा के लिए समर्पित कर दिया था। उनका हर कार्य गुजरात के विकास के लिए रहा, उनका हर फैसला प्रत्येक गुजराती को सशक्त करने के लिए रहा। + diff --git a/pm-speech/338.txt b/pm-speech/338.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..2baa5fed44dc43fc530f9487f6f355793e931337 --- /dev/null +++ b/pm-speech/338.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +साथियों, इस कॉन्फ्रेंस में सीबीआई के साथ साथ अन्य एजेंसियां भी हिस्सा ले रही हैं। एक तरह से इन तीन दिनों तक लगभग वो सभी एजेंसियां एक प्लेटफ़ार्म पर रहेंगी जिनकी 'सतर्क भारत समृद्ध भारत' में बहुत बड़ी भूमिका है। ये तीन दिन हमारे लिए एक अवसर की तरह हैं। क्योंकि corruption अपने आप में एक stand-alone challenge नहीं है। जब देश का प्रश्न आता है तो vigilance का दायरा बहुत व्यापक होता है। corruption हो, economic offences हों, drugs का नेटवर्क हो, money laundering हों, या फिर terrorism, terror funding हो, कई बार देखा गया है कि ये सब एक दूसरे से जुड़े होते हैं। इसलिए, हमें corruption के खिलाफ systemic checks, effective audits और capacity building  and training का काम मिलकर, एक होलिस्टिक अप्रोच के साथ करना होगा। सभी एजेंसियों के बीच एक synergy, एक cooperative spirit आज समय की मांग है। मुझे पूरा विश्वास है ये कॉन्फ्रेंस इसके लिए एक effective platform बनकर उभरेगी और 'सतर्क भारत, समृद्ध भारत' के नए मार्ग भी सुझाएगी। + diff --git a/pm-speech/339.txt b/pm-speech/339.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..bd965c41d2132f9099e606aad249e929d7613e3a --- /dev/null +++ b/pm-speech/339.txt @@ -0,0 +1,4 @@ +उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था में तो स्ट्रीट वेंडर्स की भूमिका बहुत बड़ी है। इतनी बड़ी आबादी, इतना बड़ा राज्य, लेकिन रेहड़ी ठेले के काम के कारण अनेकों लोग अपने शहर में,  अपने गांव में लोगों की आवश्‍यकता भी पूरी कर रहे हैं और कुछ न कुछ कमाई कर रहे हैं। यूपी से जो पलायन होता था, उसे कम करने में भी रेहड़ी पटरी के व्यवसाय की बहुत बड़ी भूमिका है। इसीलिए, पीएम स्वनिधि योजना का लाभ पहुंचाने में भी यूपी आज नंबर वन है पूरे देश में। शहरी स्ट्रीट वेंडर्स के सबसे ज्यादा आवेदन यूपी से ही आए हैं। देश में अब तक करीब 25 लाख स्वनिधि ऋण के आवेदन मिल चुके हैं और 12 लाख से ज्यादा आवेदनों को स्वीकृति भी दी जा चुकी है। इनमें से साढ़े 6 लाख से ज्यादा आवेदन तो अकेले यूपी से ही मिले हैं, जिसमें से करीब पौने चार लाख आवेदनों को मंजूरी भी दे दी गई है। मैं यूपी सरकार को, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी और उनकी टीम को विशेष रूप से बधाई देना चाहता हूँ जो इतनी तत्परता से रेहड़ी ठेले वालों की चिंता कर रहे हैं। मुझे बताया गया है कि अब यूपी में स्वनिधि योजना के लोन एग्रीमेंट को स्टैंप ड्यूटी से भी मुक्त कर दिया गया है। यूपी में कोरोना के इस मुश्किल समय में 6 लाख रेहड़ी ठेले वालों को हजारों रुपयों की आर्थिक मदद भी पहुंचाई गई है। इसके लिए भी मैं यूपी सरकार को धन्यवाद देता हूँ। + +देश में जब गरीबों के जनधन खाते खोले थे, तो कई लोगों ने इस पर भी सवाल खड़े किए थे, मजाक उड़ाया था। लेकिन आज वही जनधन खाते इतनी बड़ी आपदा में गरीब के काम आ रहे हैं, गरीब को आगे बढ़ाने में काम आ रहे हैं। आज गरीब बैंक से जुड़ा है, अर्थव्यवस्था की मुख्यधारा से जुड़ा है। इतनी बड़ी वैश्विक आपदा, जिसके आगे दुनिया के बड़े बड़े देशों को घुटने टेकने पड़े हैं, उस संकट से लड़ने में, जीतने में आज हमारे देश का सामान्य मानवी बहुत आगे है। आज हमारी माताएँ बहनें गैस पर खाना बना रही हैं। Lockdown के समय भी उन्हें धुएँ में खाना नहीं बनाना पड़ा। गरीब को रहने के लिए प्रधानमंत्री आवास मिल रहा है, सौभाग्य योजना के कारण घर में बिजली कनेक्शन मिला है, आयुष्मान योजना से पाँच लाख तक का मुफ्त इलाज मिल रहा है। आज बीमा योजनाओं का कवच भी गरीब के पास है। गरीबों का समग्र विकास, उनके जीवन को लेकर एक समग्र प्रयास, आज ये देश का संकल्प है। आज इस अवसर पर जितने रेहड़ी–पटरी दुकानदार, जितने भी श्रमिक, मजदूर, किसान साथ जुड़े हैं, मैं आपको आश्‍वस्‍त करता हूं कि देश आपके व्‍यवसाय को आपके कारोबार को, आपके काम को आगे बढ़ाने के लिए, आपके जीवन को बेहतर और आसान बनाने के लिए कोई भी कसर नहीं छोड़ेगा। + diff --git a/pm-speech/340.txt b/pm-speech/340.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..d5f731f6040ca0d23f785b41d9dabed9aa0511b2 --- /dev/null +++ b/pm-speech/340.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +भारत पिछले 5 वर्षों में ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स रैंकिंग में 81 से 48वें स्थान पर पहुंच गया है। विश्व बैंक की कारोबार सुगमता की रैंकिंग में भारत पिछले 5 वर्षों में 142 से 63वें स्थान पर आ गया है। इन सुधारों के परिणाम सभी को देखने को मिल रहे हैं। जनवरी 2019 से जुलाई 2020 के बीच डेढ़ वर्षों में संस्थागत निवेशकों से भारत को करीब 70 अरब अमेरिकी डॉलर प्राप्त हुए। यह 2013 और 2017 के बीच के चार वर्षों में प्राप्त राशि के बराबर है। भारत के प्रति वैश्विक निवेशक समुदाय का भरोसा लगातार बना हुआ है। यह बात इस तथ्य से पता चलती है कि 2019 में भारत में एफडीआई 20 प्रतिशत बढ़ा और यह स्थिति तब है जब वैश्विक एफडीआई प्रवाह एक प्रतिशत घटा है। + diff --git a/pm-speech/341.txt b/pm-speech/341.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..babdda5f6e78b586002032eb3b28be47e0fe2b75 --- /dev/null +++ b/pm-speech/341.txt @@ -0,0 +1,12 @@ +सामाजिक अधिकारिता शिखर सम्मेलन के लिए जिम्मेदार आर्टिफिशल इंटेलीजेंस, रेज में आपका स्वागत है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर चर्चा को प्रोत्साहित करने के लिए यह एक शानदार प्रयास है। आप सभी ने प्रौद्योगिकी और मानव सशक्तिकरण से संबंधित पहलुओं पर उचित तरीके से प्रकाश डाला है। प्रौद्योगिकी ने हमारे कार्य स्थलों को बदल दिया है। इससे सम्‍पर्क बढ़ाने में मदद मिली है। अनेक बार, प्रौद्योगिकी ने महत्वपूर्ण चुनौतियों का हल निकालने में हमारी मदद की है। मुझे यकीन है कि सामाजिक जिम्मेदारी और आर्टिफिशल इंटेलीजेंस के मिलने से यह मानव स्पर्श के साथ आर्टिफिशल इंटेलीजेंस को समृद्ध करेगा। + +भारत में, हमने अनुभव किया है कि प्रौद्योगिकी पारदर्शिता और सेवा वितरण में सुधार करती है। हम दुनिया की सबसे बड़ी विशिष्ट पहचान प्रणाली- आधार का घर है। हमारे पास दुनिया की सबसे नवीन डिजिटल भुगतान प्रणाली-यूपीआई भी है। इसने वित्तीय सेवाओं सहित डिजिटल सेवाओं तक पहुंच प्रदान करने में सक्षम बनाया है, जैसे गरीबों और उपेक्षित लोगों को सीधे नकद हस्तांतरण। महामारी की स्थिति में, हमने देखा कि कैसे भारत की डिजिटल तत्परता से बहुत मदद मिली। हम जल्द से जल्द और सबसे कुशल तरीके से मदद के साथ लोगों तक पहुंचे। भारत अपने ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क का तेजी से विस्तार कर रहा है। इसका उद्देश्य प्रत्येक गांव को हाई स्‍पीड इंटरनेट कनेक्टिविटी प्रदान करना है। + +मैं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर राष्ट्रीय कार्यक्रम के बारे में भी बताना चाहूंगा। यह समाज की समस्याओं के समाधान के लिए आर्टिफिशल इंटेलीजेंस के सही उपयोग के लिए समर्पित होगा। इसे सभी हितधारकों के सहयोग से लागू किया जाएगा। रेज़ इस संबंध में एक सूझ का मंच हो सकता है। मैं आप सभी को इन प्रयासों में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए आमंत्रित करता हूं। + +कुछ चुनौतियाँ हैं जिन्हें मैं इन सम्‍मानित श्रोताओं के सामने रखना चाहूँगा। क्या हम अपनी संपत्ति और संसाधनों के इष्टतम प्रबंधन के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग कर सकते हैं? कुछ स्थानों पर, संसाधन निष्क्रिय पड़े हैं। जबकि अन्य जगहों पर संसाधनों की कमी है। क्या हम अधिकतम उपयोग का पता लगाने के लिए उन्हें जोशीले तरीके से दोबारा बांट सकते हैं? क्या हम अपने नागरिकों को उनके दरवाजे पर सेवाओं के सक्रिय और शीघ्र वितरण से प्रसन्न कर सकते हैं? + +यह सुनिश्चित करना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है कि आर्टिफिशल इंटेलीजेंस का उपयोग कैसे किया जाए। इस विश्‍वास को स्थापित करने के लिए एल्गोरिथम (गणित के सवालों को हल करने के नियमों की प्रणाली) पारदर्शिता महत्वपूर्ण है। साथ ही जवाबदेही भी महत्वपूर्ण है। हमें नॉन स्‍टेट एक्‍टर द्वारा आर्टिफिशल इंटेलीजेंस का अस्‍त्र के रूप में प्रयोग करने के खिलाफ दुनिया की रक्षा करनी चाहिए। + +रेज़ 2020 में, हमने दुनिया के प्रमुख हितधारकों के लिए एक वैश्विक मंच बनाया है। आइए हम विचारों का आदान-प्रदान करें और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को अपनाने के लिए एक सामान्य कार्य प्रणाली की रूपरेखा तैयार करें। यह महत्वपूर्ण है कि हम सभी इसके लिए भागीदार के रूप में मिलकर काम करें। मैं वास्तव में इस वैश्विक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए आप सभी के साथ आने के लिए धन्यवाद देता हूं। मैं इस वैश्विक शिखर सम्‍मेलन की सफलता की कामना करता हूं। मुझे यकीन है कि अगले चार दिनों में होने वाली चर्चा जिम्मेदार आर्टिफिशल इंटेलीजेंस के लिए एक्शन रोडमैप बनाने में मदद करेगी। एक रोडमैप जो वास्तव में दुनिया भर में जीवन और आजीविका को बदलने में मदद कर सकता है। आप सभी को मेरी शुभकामनाएं। + diff --git a/pm-speech/342.txt b/pm-speech/342.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..70f0c14f320927c1917c52af1ee7a07b017a501b --- /dev/null +++ b/pm-speech/342.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +वस्‍त्र पर आयोजित इस बातचीत में शामिल होकर मुझे खुशी हो रही है। मुझे यह देखकर भी प्रसन्‍नता हुई कि इसमें भाग लेने के लिए विभिन्‍न देशों के लोग यहां आए हैं। भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद और उत्तर प्रदेश इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन ने सभी को एक साथ लाने के लिए काफी प्रयास किए हैं। आपने एक बेहतरीन विषय चुना है– 'वीविंग रिलेशंस: टेक्सटाइल ट्रेडिशंस'। + +हमारे वस्त्रों की विविधता हमारी संस्कृति की समृद्धि को दर्शाती है। हरेक राज्‍य को देखिए। हरेक गांव को दे‍खिए। विभिन्‍न समुदायों के बीच जाकर देखिए। उनकी वस्त्र परंपराओं के बारे में कुछ अनूठा अवश्‍य दिखेगा। यदि आंध्र प्रदेश में कलमकारी है तो मुगा सिल्क असम का गौरव है। कश्मीर पश्मीना का घर है तो फूलकारी पंजाब की संस्कृति के लिए गौरव की बात है। यदि गुजरात पटोला के लिए प्रसिद्ध है तो बनारस ने अपनी सरियों के लिए एक पहचान बनाई है। मध्य प्रदेश में चंदेरी कपड़े और ओडिशा में जीवंत संबलपुरी फैब्रिक है। मैंने महज कुछ का नाम लिया है। इसकी संख्‍या बहुत अधिक है। मैं आपका ध्यान हमारे आदिवासी समुदायों की समृद्ध वस्‍त्र परंपराओं की ओर भी आकर्षित करना चाहता हूं। कुल मिलाकर भारत की वस्‍त्र परंपराओं में: रंग है। जीवंतता है। व्‍यापकता है। + +कपड़ा क्षेत्र हमेशा से अवसर लेकर लाया है। घरेलू स्‍तर पर कपड़ा क्षेत्र भारत में सबसे अधिक रोजगार देने वाले क्षेत्रों में शामिल है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस क्षेत्र ने हमें विश्व के साथ व्यापारिक एवं सांस्कृतिक संबंध बनाने में मदद की। कुल मिलाकर, भारतीय वस्त्र वैश्विक स्तर पर काफी मूल्यवान हैं। ये अन्य संस्कृतियों के रीति–रिवाजों, शिल्पों, उत्पादों और तकनीकों से भी समृद्ध हुए हैं। + diff --git a/pm-speech/343.txt b/pm-speech/343.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..0a2ed28345690d1209b663dfa5d2228cedba0981 --- /dev/null +++ b/pm-speech/343.txt @@ -0,0 +1,4 @@ +ऐसे अनेक सुधारों से समय की भी बचत हो रही है, पैसा भी बच रहा है और करप्शन के लिए स्कोप समाप्त हुआ है। कोरोना काल में ही हिमाचल प्रदेश के 5 लाख से ज्यादा पेंशनर और लगभग 6 लाख बहनों के जनधन खाते में सैकड़ों करोड़ रुपए एक क्लिक में जमा किए गए हैं। सवा लाख से ज्यादा गरीब बहनों को उज्ज्वला का मुफ्त सिलेंडर मिल पाया है। + +केंद्र सरकार किसानों की आय बढ़ाने, खेती से जुड़ी उनकी छोटी-छोटी जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है। पीएम किसान सम्मान निधि के तहत देश के लगभग सवा 10 करोड़ किसान, उन परिवारों के खाते में अब तक करीब 1 लाख करोड़ रुपए जमा किया जा चुका है। इसमें हिमाचल के सवा 9 लाख किसान परिवारों के बैंक खाते में भी लगभग 1000 करोड़ रुपए जमा किए गए हैं। + diff --git a/pm-speech/344.txt b/pm-speech/344.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..776b0e07e4abca725ceb19db63e0d23c549c3539 --- /dev/null +++ b/pm-speech/344.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +इस क्षेत्र की सारी दिक्‍कतों से अटल जी भी भली-भांति परिचित थे। ये पहाड़ तो हमेशा से अटल जी को बहुत प्रिय थे। आप लोगों की तकलीफें कम हों, इसलिए ही साल 2000 में जब अटल जी केलॉन्‍ग आए तो उन्‍होंने इस टनल की घोषणा की थी। उस समय उत्‍सव का जो माहौल इस पूरे क्षेत्र में था, वो मुझे आज भी याद है। यहीं के सपूत थे महान जनसेवक टशी दावा जी जिनके संकल्‍प को भी आज सिद्धि मिली है। उनके और अनेकों दूसरे साथियों के आशीर्वाद से ये संभव हुआ है। + +एक बार फिर अटल टनल के रूप में विकास के नए द्वार के लिए लाहौल-स्पीति और पांगी घाटी के आप सभी भाइयों-बहनों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं। और मैं आग्रह करूंगा, ये बात मैं देश के हर नागरिक के लिए कह रहा हूं कोरोना के इस मुश्किल समय में अपना और अपने परिवार का ध्यान रखिए। मास्क का उपयोग कीजिए, हाथ की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दीजिए। + +एक बार फिर अटल टनल के रूप में विकास के नए द्वार के लिए लाहौल-स्पीति और पांगी घाटी के आप सभी भाइयों-बहनों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं। और मैं आग्रह करूंगा, ये बात मैं देश के हर नागरिक के लिए कह रहा हूं कोरोना के इस मुश्किल समय में अपना और अपने परिवार का ध्यान रखिए। मास्क का उपयोग कीजिए, हाथ की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दीजिए। + diff --git a/pm-speech/345.txt b/pm-speech/345.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..50cb24bb3f9f209f4abd4f8c44dbbd00400f5c95 --- /dev/null +++ b/pm-speech/345.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +साथियो, connectivity का देश के विकास से सीधा संबंध होता है। ज्‍यादा से ज्‍यादा connectivity यानी उतना ही तेज विकास। खासकर बॉर्डर एरिया में तो connectivity सीधे-सीधे देश की रक्षा जरूरतों से जुड़ी होती है। लेकिन इसे लेकर जिस तरह की गंभीरता थी और उसकी गंभीरता की आवश्‍यकता थी, जिस तरह की राजनीतिक इच्‍छाशक्ति की जरूरत थी, दुर्भाग्‍य से वैसी दिखाई नहीं गई। + +हिमाचल प्रदेश के हमारे भाई-बहनों को आज भी याद है कि वन रैंक वन पेंशन को लेकर पहले की सरकारों का क्या बर्ताव था। चार दशकों तक हमारे पूर्व फौजी भाइयों को सिर्फ वायदे ही किए गए। कागजों में सिर्फ 500 करोड़ रुपए दिखाकर ये लोग कहते थे कि वन रैंक वन पेंशन लागू करेंगे। लेकिन किया फिर भी नहीं। आज वन रैंक-वन पेंशन का लाभ देश के लाखों पूर्व फौजियों को मिल रहा है। सिर्फ एरियर के तौर पर ही केंद्र सरकार ने लगभग 11 हजार करोड़ रुपए पूर्व फौजियों को दिए हैं। + +इतना ही नहीं, Globally भी मैं चाहूंगा MEA के लोग कुछ Universities को invite करें। वहां की Universities यहां केस स्‍टडी के लिए आएं। Project पर स्‍टडी करें। दुनिया के अंदर हमारी इस ताकत की पहचान होनी चाहिए। विश्‍व को हमारी ताकत का परिचय होना चाहिए। सीमित संसाधनों के बाद भी कैसे अद्भुत काम वर्तमान पीढ़ी के हमारे जवान कर सकते हैं इसका ज्ञान दुनिया को होना चाहिए। + diff --git a/pm-speech/346.txt b/pm-speech/346.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..455ac653c96230fecf0f71bc3458b3da07157430 --- /dev/null +++ b/pm-speech/346.txt @@ -0,0 +1,18 @@ +इस बातचीत में शामिल होने के लिए आप सभी को बधाई और आभार। इस मंच ने विशिष्ट प्रतिभाओं, प्रवासी और भारतीय दोनों को साथ लाया है। वैश्विक भारतीय वैज्ञानिक (वैभव) शिखर सम्मेलन 2020 भारत और दुनिया में विज्ञान एवं नवाचार का प्रचार करता है। मैं इसे सच्चा संगम अथवा महान मस्तिष्कों का संगम कहना चाहूंगा। हम इस सभा के जरिये भारत और हमारे ग्रह को सशक्त बनाने के लिए एक टिकाऊ संस्था बनाना चाहते हैं। + +विज्ञान मानव प्रजाति की प्रगति का मूल आधार बरकरार है। जब हम पीछे मुड़कर मानव अस्तित्व की सदियों पर गौर करते हैं तो देखते हैं कि हमने काल खंड को कैसे विभाजित किया है? पाषाण युग, कांस्य युग, लौह युग, औद्योगिक युग, अंतरिक्ष युग और डिजिटल युग। इन्हीं कुछ शब्दों का इस्तेमाल किया गया है। जाहिर तौर पर प्रत्येक युग को कुछ महत्वपूर्ण तकनीकी प्रगति द्वारा पहचान दी गई है। तकनीक में बदलाव होने पर हमारी जीवन-शैली में भी बदलाव आया। साथ ही इसने वैज्ञानिक जिज्ञासा को भी बढ़ाया। + +भारत सरकार ने विज्ञान, अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए कई उपाय किए हैं। विज्ञान सामाजिक-आर्थिक बदलाव की दिशा में हमारे प्रयासों के केंद्र में है। टीका विकसित करने में लंबे समय का इंतजार अब खत्म हो गया है। वर्ष 2014 में हमारे टीकाकरण कार्यक्रम में चार नए टीकों को शामिल किया गया। इसमें स्वदेशी तौर पर विकसित रोटा-वायरस का टीका भी शामिल है। हम टीके के स्वदेशी उत्पादन को प्रोत्साहित करते हैं। हाल ही में हमने स्वदेशी रूप से विकसित न्यूमोकोकल वैक्सीन के लिए बाजार संबंधी मंजूरी दी है। ये टीकाकरण कार्यक्रम और हमारा पोषण मिशन हमारे बच्चों के स्वास्थ्य और पोषण को उस महत्वपूर्ण स्तर तक ले जाता है जिसका वे हकदार हैं। हमारे वैक्सीन डेवलपर इस महामारी के दौरान काफी सक्रिय और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी हैं। हम समय की जरूरतों को समझते हैं। + +इसके अलावा कई अन्य प्रयास भी जारी हैं। हमने सुपरकंप्यूटिंग और साइबर-फिजिकल सिस्टम पर बड़े मिशन शुरू किए हैं। इनका विस्तार कृत्रिम बौद्धिकता, रोबोटिक्स, सेंसर और बिग डेटा एनालिटिक्स जैसे क्षेत्रों में मौलिक अनुसंधान एवं अनुप्रयोग के लिए किया गया है। इससे भारतीय विनिर्माण को काफी बढ़ावा मिलेगा। यह कुशल युवा मानव संसाधन तैयार करने में मदद करेगा। स्टार्ट-अप क्षेत्र भी समृद्ध होगा। इस मिशन के तहत 25 टेक्नोलॉजी इनोवेशन हब पहले ही लॉन्च किए जा चुके हैं। + +भारत आज वैश्विक स्तर पर हो रहे विभिन्न वैज्ञानिक अनुसंधान एवं विकास में एक प्रमुख योगदानकर्ता और भागीदार है। इनमें से कुछ इस प्रकार हैं: फरवरी 2016 में अनुमोदित लेजर इंटरफेरोमीटर ग्रेविटेशनल-वेव ऑब्जर्वेटरी (एलआईजीओ), यूरोपियन ऑर्गेनाइजेशन फॉर न्यूक्लियर रिसर्च (सीईआरएन) जहां भारत जनवरी 2017 से एक सहयोगी सदस्य रहा है और इंटरनेशनल थर्मोन्यूक्लियर एक्‍सपेरिमेंट रिएक्टर (आई-टीईआर)। इसके लिए मेरे गृह राज्य गुजरात के इंस्टीट्यूट ऑफ प्लाज्‍मा रिसर्च में सहायक शोध किया जा रहा है। + +जब कोई शून्य की बात करता है तो वह भारत की बात कैसे कर सकता है? शून्य ने गणित, और वाणिज्य को सभी के लिए सुलभ बना दिया। हमारे युवाओं को इनके बारे में अवश्‍य पता होना चाहिए: बौधायन, भास्कर, वराहमिहिर, नागार्जुन, सुश्रुत और आधुनिक युग में सत्येंद्र नाथ बोस एवं सर सीवी रमन कई अन्य महान विभूतियां। यह सूची काफी लंबी है! + +प्रवासी भारतीय विश्व मंच पर भारत के उत्कृष्ट दूत हैं। वे जहां भी गए हैं, भारत के लोकाचार को अपने साथ ले गए हैं। उन्होंने अपने नए घरों की संस्कृतियों को भी अपनाया है। प्रवासी भारतीय कई क्षेत्रों में सफल रहे हैं। शिक्षण इसका एक उत्कृष्ट उदाहरण है। अधिकतर शीर्ष वैश्विक विश्वविद्यालयों और दुनिया की कई शीर्ष प्रौद्योगिकी कंपनियों ने भारतीय प्रतिभाओं की मौजूदगी  का लाभ उठाया है। + +वैभव के जरिये हम आपके लिए एक उत्कृष्ट अवसर प्रस्तुत करते हैं। यह जुड़ने और योगदान करने का अवसर है। आपके प्रयासों से भारत और दुनिया को मदद मिलेगी। कुल मिलाकर जब भारत समृद्ध होता तो दुनिया भी आगे छलांग लगाएगी। ये आदान-प्रदान निश्चित रूप से उपयोगी होंगे। आपके प्रयासों से एक आदर्श अनुसंधान परिवेश तैयार करने में मदद मिलेगी। यह परंपरा को आधुनिकता के साथ मिला देगा। यह हमारे सामने आने वाली चुनौतियों का घरेलू समाधान प्रदान करने के लिए भारत को समर्थ करेगा। यह दूसरों के लिए समृद्धि पैदा करेगा। यह भारत को उथल-पुथल मचाने वाली प्रौद्योगिकी विकसित में मदद करेगा। + +हम महात्मा गांधी की जयंती के अवसर पर एकत्रित हुए हैं। मुझे कुछ याद आ रहा जिसे गांधी जी ने लगभग 100 साल पहले 1925 में तिरुवनंतपुरम के महाराजा कॉलेज में अपने संबोधन में कही थी। वह वैज्ञानिक प्रगति का फल ग्रामीण भारत तक पहुंचाना चाहते थे जहां हमारे अधिकांश लोग रहते हैं। बापू विज्ञान के आधार को व्यापक करने के भी पक्षधर थे। वर्ष 1929 में उन्होंने कुछ अनोखा करने करने का प्रयास किया। उन्होंने क्राउड-सोर्सिंग की कोशिश की। उन्होंने हल्के वजन वाले चरखा को डिजाइन करने की मांग की। गांवों, युवाओं, गरीबों के प्रति उनका लगाव और विज्ञान के साथ बड़े लोगों को एकीकृत करने के लिए उनकी दृष्टि हमें प्रेरित करती है। आज हम उनकी जयंती पर भारत के एक और गौरवशाली पुत्र को याद करते हैं। वह हैं हमारे पूर्व प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री जी। हमें उनकी विनम्रता, सादगी और महान नेतृत्व को स्‍मरण करते हैं। + diff --git a/pm-speech/347.txt b/pm-speech/347.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..0d1366c3168c73b87fd898f8e98c1cf9d1d97e1a --- /dev/null +++ b/pm-speech/347.txt @@ -0,0 +1,10 @@ + साथियों, उत्तराखंड में तो स्थिति ये थी कि गंगोत्री, बद्रीनाथ, केदारनाथ से हरिद्वार तक 130 से ज्यादा नाले गंगा जी में गिरते थे। आज इन नालों में से अधिकतर को रोक दिया गया है। इसमें ऋषिकेश से सटे  ‘मुनि की रेती‘ का चंद्रेश्वर नगर नाला भी शामिल है। इसके कारण यहां गंगाजी के दर्शन के लिए आने वाले, राफ्टिंग करने वाले, साथियों को बहुत परेशानी होती थी।  आज से यहां देश का पहला चार मंजिला सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट शुरु हो चुका है।  हरिद्वार में भी ऐसे 20 से ज्यादा नालों को बंद किया जा चुका है। साथियों, प्रयागराज कुंभ में गंगा जी की निर्मलता को दुनियाभर के श्रद्धालुओं ने अनुभव किया था। अब हरिद्वार कुंभ के दौरान भी पूरी दुनिया को निर्मल गंगा स्नान का अनुभव होने वाला है। और उसके लिए लगातार प्रयास चल रहे हैं। + +साथियों, अब नमामि गंगे अभियान को एक नए स्तर पर ले जाया जा रहा है। गंगा जी की स्वच्छता के अलावा अब गंगा से सटे पूरे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था और पर्यावरण के विकास पर भी फोकस है। सरकार द्वारा उत्तराखंड सहित सभी राज्यों के किसानों को जैविक खेती, आयुर्वेदिक पौधों की खेती का लाभ दिलाने के लिए व्यापक योजना बनाई गई है। गंगा जी के दोनों ओर पेड़–पौधे लगाने के साथ ही ऑर्गेनिक फार्मिंग से जुड़ा कॉरिडोर भी विकसित किया जा रहा है। गंगा जल को बेहतर बनाने के इन कार्यों को अब मैदानी इलाकों में मिशन डॉल्फिन से भी मदद मिलने वाली है। इसी 15 अगस्त को मिशन डॉल्फिन का ऐलान किया गया है। ये मिशन गंगा जी में डॉल्फिन संवर्धन के काम को और मजबूत करेगा। + +ये गांव के लोगों को एक मार्ग दिखाएगी, उन्हें फैसला लेने में मदद करेगी। मैं समझता हूं, जल जीवन मिशन ने गांव के लोगों को एक अवसर दिया है। अवसर, अपने गांव को पानी की समस्याओं से मुक्त करने का, अवसर, अपने गांव को पानी से भरपूर करने का। मुझे बताया गया है कि जल जीवन मिशन इस 2 अक्टूबर, गांधी जयंती से एक और अभियान शुरू करने जा रहा है। 100 दिन का एक विशेष अभियान, जिसके तहत देश के हर स्कूल और हर आंगनबाड़ी में नल से जल को सुनिश्चित किया जाएगा। मैं इस अभियान की सफलता की शुभकामनाएं देता हूं। + +साथियों, कोरोना के इस कालखंड में देश ने देखा है कि कैसे डिजिटल भारत अभियान ने, जनधन बैंक खातों ने, रूपे कार्ड ने लोगों की कितनी मदद की है। लेकिन आपको याद होगा, जब यही काम हमारी सरकार ने शुरू किए थे, तो ये लोग इनका कितना विरोध कर रहे थे। इनकी नजरों में देश का गरीब, देश के गांव के लोग अनपढ़ थे, अज्ञानी थे। देश के गरीब का बैंक खाता खुल जाए, वो भी डिजिटल लेन–देन करे, इसका इन लोगों ने हमेशा विरोध किया। + + साथियों, बरसों तक इन लोगों ने देश की सेनाओं को, देश की वायुसेना को सशक्त करने के लिए कुछ नहीं किया। वायुसेना कहती रही कि हमें आधुनिक लड़ाकू विमान चाहिए। लेकिन ये लोग वायुसेना की बात को नजर–अंदाज करते रहे। जब हमारी सरकार ने सीधे फ्रांस सरकार से रफाएल लड़ाकू विमान का समझौता कर लिया, तो इनको फिर दिक्कत होने लगी। भारतीय वायुसेना के पास रफाएल आए, भारतीय वायुसेना की ताकत बढ़े, ये इसका भी विरोध करते रहे हैं। मुझे खुशी है कि आज रफाएल भारतीय वायुसेना की ताकत बढ़ा रहा है। अंबाला से लेकर लेह तक उसकी गर्जना, भारतीय जांबाजों का हौसला बढ़ा रही है। + diff --git a/pm-speech/348.txt b/pm-speech/348.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..43934759f7f7b89997799d64d4093841eda6f9b2 --- /dev/null +++ b/pm-speech/348.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +यह प्रसन्नता का विषय है कि आज हम इस Virtual Summit के माध्यम से इन इरादों को नई दिशा और गति दे रहे हैं। डेनमार्क 2009 से, जब मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था, Vibrant Gujrat Summit में लगातार सम्म्लित हो रहा हैं इसलिए डेनमार्क के प्रति मेरा विशेष लगाव भी रहा हैंl मैं दूसरे इंडिया-नार्डिक Summit को host करने के आपके प्रस्ताव के लिए आभारी हूँ। स्थिति सुधरने के बाद डेनमार्क आना और आपसे मिलना मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी। + diff --git a/pm-speech/349.txt b/pm-speech/349.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..b4815235316098490107792a12ca65f08229f5fe --- /dev/null +++ b/pm-speech/349.txt @@ -0,0 +1,16 @@ +मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार। कोरोना के इस कालखंड में पूरी दुनिया अनेक परिवर्तनों के दौर से गुजर रही है। आज, जब दो गज की दूरी एक अनिवार्य जरुरत बन गई है, तो इसी संकट काल ने, परिवार के सदस्यों को आपस में जोड़ने और करीब लाने का काम भी किया है। लेकिन, इतने लम्बे समय तक, एक साथ रहना, कैसे रहना, समय कैसे बिताना, हर पल खुशी भरी कैसे हो ? तो, कई परिवारों को दिक्कतें आईं और उसका कारण था, कि, जो हमारी परम्पराएं थी, जो परिवार में एक प्रकार से संस्कार सरिता के रूप में चलती थी, उसकी कमी महसूस हो रही है, ऐसा लग रहा है, कि, बहुत से परिवार है जहाँ से ये सब कुछ खत्म हो चुका है, और, इसके कारण, उस कमी के रहते हुए, इस संकट के काल को बिताना भी परिवारों के लिए थोड़ा मुश्किल हो गया, और, उसमें एक महत्वपूर्ण बात क्या थी? हर परिवार में कोई-न-कोई बुजुर्ग, बड़े व्यक्ति परिवार के, कहानियाँ सुनाया करते थे और घर में नई प्रेरणा, नई ऊर्जा भर देते हैं। हमें, जरुर एहसास हुआ होगा, कि, हमारे पूर्वजों ने जो विधायें बनाई थी, वो, आज भी कितनी महत्वपूर्ण हैं और जब नहीं होती हैं तो कितनी कमी महसूस होती है। ऐसी ही एक विधा जैसा मैंने कहा, कहानी सुनाने की कला story telling। साथियो, कहानियों का इतिहास उतना ही पुराना है जितनी कि मानव सभ्यता। + +कहानियाँ, लोगों के रचनात्मक और संवेदनशील पक्ष को सामने लाती हैं, उसे प्रकट करती हैं। कहानी की ताकत को महसूस करना हो तो जब कोई माँ अपने छोटे बच्चे को सुलाने के लिए या फिर उसे खाना खिलाने के लिए कहानी सुना रही होती है तब देखें। मैं अपने जीवन में बहुत लम्बे अरसे तक एक परिव्राजक (A wandering ascetic) के रूप में रहा। घुमंत ही मेरी जिंदगी थी। हर दिन नया गाँव, नए लोग, नए परिवार, लेकिन, जब मैं परिवारों में जाता था, तो, मैं, बच्चों से जरुर बात करता था और कभी-कभी बच्चों को कहता था, कि, चलो भई, मुझे, कोई कहानी सुनाओ, तो मैं हैरान था, बच्चे मुझे कहते थे, नहीं uncle, कहानी नहीं, हम, चुटकुला सुनायेंगे, और मुझे भी, वो, यही कहते थे, कि, uncle आप हमें चुटकुला सुनाओ यानि उनको कहानी से कोई परिचय ही नहीं था। ज्यादातर, उनकी जिंदगी चुटकुलों में समाहित हो गई थी। + +Aparna:       मेरा नाम Aparna जयशंकर है। वैसे तो मेरा सौभाग्य है कि मैं अपनी नाना-नानी और दादी के साथ इस देश के विभिन्न भागों में पली हूँ इसलिए रामायण, पुराणों और गीता की कहानियाँ मुझे विरासत में हर रात को मिलती थी और Bangalore Storytelling Society जैसी संस्था है तो मुझे तो storyteller बनना ही था। मेरे साथ मेरी साथी लावण्या प्रसाद है। + +“चलिए चलिए सुनते हैं कहानी एक राजा की । राजा का नाम था कृष्ण देव राय और राज्य का नाम था विजयनगर । अब राजा हमारे थे तो बड़े गुणवान । अगर उनमें कोई खोट बताना ही था, तो वह था अधिक प्रेम अपने मंत्री तेनाली रामा की ओर और दूसरा भोजन की ओर।  राजा जी हर दिन दोपहर के भोजन के लिए बड़े आस से बैठते थे – कि आज कुछ अच्छा बना होगा और हर दिन उनके बावर्ची उन्हें वही बेजान सब्जियाँ खिलाते थे – तुरई, लौकी, कददू, टिंडा उफ़। ऐसे ही एक दिन राजा ने खाते खाते गुस्से में थाली फ़ेंक दिया और अपने बावर्ची को आदेश दिया या तो कल कोई दूसरी स्वादिष्ट सब्ज़ी बनाना या फिर कल मैं तुम्हें सूली पे चढ़ा दूंगा । बावर्ची, बिचारा, डर गया। अब नयी सब्ज़ी के लिए वह कहाँ जाये । बावर्ची भागा भागा चला सीधे तेनाली रामा के पास और उसे पूरी कहानी सुनाई । सुनकर तेनाली रामा ने बावर्ची को उपाय दिया । अगले दिन राजा दोपहर के भोजन के लिए आये और बावर्ची को आवाज़ दिया । आज कुछ नया स्वादिष्ट बना है या मैं सूली तैयार कर दूँ । डरे हुए बावर्ची ने झट पट से थाली सजाया और राजा के लिए गरमा-गर्म खाना परोसा । थाली में नयी सब्जी थी । राजा उत्साहित हुए और थोड़ी सी सब्ज़ी चखी । ऊंह वाह ! क्या सब्जी थी ! न तुरई की तरह फीकी थी न कददू की तरह मीठी थी । बावर्ची ने जो भी मसाला भून के, कूट के, डाला था, सब अच्छी तरह से चढ़ी थी । उंगलिया चाटते हुए संतुष्ट राजा ने बावर्ची को बुलाया और पुछा कि यह कौन सी सब्ज़ी हैं ? इसका नाम क्या हैं ? जैसे सिखाया गया था वैसे ही बावर्ची ने उत्तर दिया । महाराज, ये मुकुटधारी बैंगन है । प्रभु, ठीक आप ही की तरह यह भी सब्जियों का राजा है और इसीलिए बाकी सब्ज़ियों ने बैंगन को मुकुट पहनाया । राजा खुश हुए और घोषित किये आज से हम यही मुकुटधारी बैंगन खाएंगे ! और सिर्फ हम ही नहीं, हमारे राज्य में भी, सिर्फ बैंगन ही बनेगा और कोई सब्ज़ी नहीं बनेगी। राजा और प्रजा दोनों खुश थे । यानि पहले-पहले तो सब खुश थे कि उन्हें नई सब्जी मिली है, लेकिन जैसे ही दिन बढ़ते गये सुर थोड़ा कम होता गया । एक घर में बैंगन भरता तो दूसरे के घर में बैगन भाजा । एक के यहाँ कत्ते का सांभर तो दूसरे के यहाँ वांगी भात । एक ही बैंगन बिचारा कितना रूप धारण करे । धीरे-धीरे राजा भी तंग आ गए । हर दिन वही बैगन ! और एक दिन ऐसा आया कि राजा ने बावर्ची को बुलाया और खूब डांटा । तुमसे किसने कहा कि बैंगन के सर में मुकुट है । इस राज्य में अब से कोई बैगन नहीं खायेगा । कल से बाकी कोई भी सब्ज़ी बनाना, लेकिन बैंगन मत बनाना । जैसी आपकी आज्ञा, महाराज कहके बावर्ची सीधा गया तेनाली रामा के पास । तेनाली रामा के पाँव  पड़ते हुए कहा कि मंत्री जी, धन्यवाद, आपने हमारी प्राण बचा ली । आपके सुझाव की वजह से अब हम कोई भी सब्जी राजा जी को खिला सकते हैं। तेनाली रामा हॅसते हुए कहाँ, वो मंत्री ही क्या, जो, राजा को खुश न रख सके। और इसी तरह राजा कृष्णदेवराय और मंत्री तेनाली रामा की कहानियाँ बनती रही और लोग सुनते रहे ! धन्यवाद। + +“नमस्ते, भाइयो और बहनों, मेरा नाम सेदू देमबेले है। मैं West Africa के एक देश माली से हूँ। मुझे फरवरी में भारत में visit पे सबसे बड़े धार्मिक त्यौहार कुम्भ मेला में शामिल होने का अवसर मिला। मेरे लिए ये बहुत ज्यादा गर्व की बात है। मुझे कुम्भ मेला में शामिल होकर बहुत अच्छा लगा और भारत के culture को देखकर बहुत कुछ सीखने को मिला। मैं विनती करना चाहता हूँ, कि, हम लोगों को एक बार फिर भारत visit करने का अवसर दिया जाए, ताकि हम और, भारत के बारे में, सीख सकें। नमस्ते।”    + +Aparna:       मेरा नाम Aparna जयशंकर है। वैसे तो मेरा सौभाग्य है कि मैं अपनी नाना-नानी और दादी के साथ इस देश के विभिन्न भागों में पली हूँ इसलिए रामायण, पुराणों और गीता की कहानियाँ मुझे विरासत में हर रात को मिलती थी और Bangalore Storytelling Society जैसी संस्था है तो मुझे तो storyteller बनना ही था। मेरे साथ मेरी साथी लावण्या प्रसाद है। + +“चलिए चलिए सुनते हैं कहानी एक राजा की । राजा का नाम था कृष्ण देव राय और राज्य का नाम था विजयनगर । अब राजा हमारे थे तो बड़े गुणवान । अगर उनमें कोई खोट बताना ही था, तो वह था अधिक प्रेम अपने मंत्री तेनाली रामा की ओर और दूसरा भोजन की ओर।  राजा जी हर दिन दोपहर के भोजन के लिए बड़े आस से बैठते थे – कि आज कुछ अच्छा बना होगा और हर दिन उनके बावर्ची उन्हें वही बेजान सब्जियाँ खिलाते थे – तुरई, लौकी, कददू, टिंडा उफ़। ऐसे ही एक दिन राजा ने खाते खाते गुस्से में थाली फ़ेंक दिया और अपने बावर्ची को आदेश दिया या तो कल कोई दूसरी स्वादिष्ट सब्ज़ी बनाना या फिर कल मैं तुम्हें सूली पे चढ़ा दूंगा । बावर्ची, बिचारा, डर गया। अब नयी सब्ज़ी के लिए वह कहाँ जाये । बावर्ची भागा भागा चला सीधे तेनाली रामा के पास और उसे पूरी कहानी सुनाई । सुनकर तेनाली रामा ने बावर्ची को उपाय दिया । अगले दिन राजा दोपहर के भोजन के लिए आये और बावर्ची को आवाज़ दिया । आज कुछ नया स्वादिष्ट बना है या मैं सूली तैयार कर दूँ । डरे हुए बावर्ची ने झट पट से थाली सजाया और राजा के लिए गरमा-गर्म खाना परोसा । थाली में नयी सब्जी थी । राजा उत्साहित हुए और थोड़ी सी सब्ज़ी चखी । ऊंह वाह ! क्या सब्जी थी ! न तुरई की तरह फीकी थी न कददू की तरह मीठी थी । बावर्ची ने जो भी मसाला भून के, कूट के, डाला था, सब अच्छी तरह से चढ़ी थी । उंगलिया चाटते हुए संतुष्ट राजा ने बावर्ची को बुलाया और पुछा कि यह कौन सी सब्ज़ी हैं ? इसका नाम क्या हैं ? जैसे सिखाया गया था वैसे ही बावर्ची ने उत्तर दिया । महाराज, ये मुकुटधारी बैंगन है । प्रभु, ठीक आप ही की तरह यह भी सब्जियों का राजा है और इसीलिए बाकी सब्ज़ियों ने बैंगन को मुकुट पहनाया । राजा खुश हुए और घोषित किये आज से हम यही मुकुटधारी बैंगन खाएंगे ! और सिर्फ हम ही नहीं, हमारे राज्य में भी, सिर्फ बैंगन ही बनेगा और कोई सब्ज़ी नहीं बनेगी। राजा और प्रजा दोनों खुश थे । यानि पहले-पहले तो सब खुश थे कि उन्हें नई सब्जी मिली है, लेकिन जैसे ही दिन बढ़ते गये सुर थोड़ा कम होता गया । एक घर में बैंगन भरता तो दूसरे के घर में बैगन भाजा । एक के यहाँ कत्ते का सांभर तो दूसरे के यहाँ वांगी भात । एक ही बैंगन बिचारा कितना रूप धारण करे । धीरे-धीरे राजा भी तंग आ गए । हर दिन वही बैगन ! और एक दिन ऐसा आया कि राजा ने बावर्ची को बुलाया और खूब डांटा । तुमसे किसने कहा कि बैंगन के सर में मुकुट है । इस राज्य में अब से कोई बैगन नहीं खायेगा । कल से बाकी कोई भी सब्ज़ी बनाना, लेकिन बैंगन मत बनाना । जैसी आपकी आज्ञा, महाराज कहके बावर्ची सीधा गया तेनाली रामा के पास । तेनाली रामा के पाँव  पड़ते हुए कहा कि मंत्री जी, धन्यवाद, आपने हमारी प्राण बचा ली । आपके सुझाव की वजह से अब हम कोई भी सब्जी राजा जी को खिला सकते हैं। तेनाली रामा हॅसते हुए कहाँ, वो मंत्री ही क्या, जो, राजा को खुश न रख सके। और इसी तरह राजा कृष्णदेवराय और मंत्री तेनाली रामा की कहानियाँ बनती रही और लोग सुनते रहे ! धन्यवाद। + +“नमस्ते, भाइयो और बहनों, मेरा नाम सेदू देमबेले है। मैं West Africa के एक देश माली से हूँ। मुझे फरवरी में भारत में visit पे सबसे बड़े धार्मिक त्यौहार कुम्भ मेला में शामिल होने का अवसर मिला। मेरे लिए ये बहुत ज्यादा गर्व की बात है। मुझे कुम्भ मेला में शामिल होकर बहुत अच्छा लगा और भारत के culture को देखकर बहुत कुछ सीखने को मिला। मैं विनती करना चाहता हूँ, कि, हम लोगों को एक बार फिर भारत visit करने का अवसर दिया जाए, ताकि हम और, भारत के बारे में, सीख सकें। नमस्ते।”    + diff --git a/pm-speech/351.txt b/pm-speech/351.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..7ca12c13aa215bd512bd86e41642df60d2b570cc --- /dev/null +++ b/pm-speech/351.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +मैं इस वर्चुअल समिट में आपका हार्दिक स्वागत करता हूँ।हमेशा की तरह, आपकी पहली Official Visit पर भारत में आपका स्वागत करके हमें बहुत खुशी होती। वह निमंत्रण हमेशा आपके लिए रहेगा। वर्तमान स्थिति को देखते हुए मुझे खुशी है कि हम यह वर्चुअल समिट कर रहे हैं। इस समिट के लिए आपने मेरा निमंत्रण स्वीकार किया, इसके लिए मैं आपको बहुत धन्यवाद देता हूं। + diff --git a/pm-speech/352.txt b/pm-speech/352.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..b4190d32c0385e4bc753706bea9bf0d36c3b6d9d --- /dev/null +++ b/pm-speech/352.txt @@ -0,0 +1,8 @@ +आज देश को प्रेरणा देनेवाले ऐसे सात महानुभावों का भी मैं विशेष रूप से आभार व्‍यक्‍त करता हूं क्‍योंकि आपने समय निकाला और आपके खुद के अनुभवों को बताया  आपने फ़िट्नेस के भिन्न-भिन्न आयामों पर खुद के जो अपने अनुभव  शेयर किए वो निश्चित रूप से देश की हर पीढ़ी को बहुत ही लाभकारी होंगे, ऐसा मुझे लगता है। आज का यह discussionहर आयु वर्ग के लिए और भिन्न- भिन्न रूचि रखने वालों के लिए भी बहुत ही  उपयोगी होगा । फिट इंडिया मूवमेंट की first anniversary पर मैं सभी देशवासियों के अच्छे स्वास्थ्य की कामना करता हूँ। + +एक साल के भीतर-भीतर ये फिटनेस मूवमेंट, movement of people भी बन चुका है, और movement of positivity भी बन चुका है। देश में health और fitness को लेकर निरंतर awareness भी बढ रही है, और activeness भी बढ़ी है। मुझे खुशी है कि योग, आसन, व्यायाम, वॉकिंग, रनिंग, स्‍वीमिंग healthy food habits, healthy life style, अब ये हमारी natural consciousness का हिस्सा बन रहा है। + +आज दुनियाभर में fitness को लेकर जागरूकता है। World Health Organisation-WHO ने Global strategy on Diet, physical activity and health बनाई है। Physical activity पर global recommendation भी जारी किए हैं। आज दुनिया के अनेक देशों ने फिटनेस को लेकर नए लक्ष्य बनाए हैं और उन पर अनेक मोर्चों पर वो काम कर रहे हैं, अनेक प्रकार के काम कर रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, ब्रिटेन, अमेरिका, ऐसे अनेक देशों में इस समय बड़े पैमाने पर फिटनेस का अभियान चल रहा है कि उनके ज्यादा से ज्यादा नागरिक daily physical exercise करें, physical exercise के रूटीन से जुड़ें। + +अर्थात, संसार में श्रम, सफलता, भाग्य, सब कुछ आरोग्य पर, health पर ही निर्भर करता है। स्वास्थ्य है, तभी भाग्य है, तभी सफलता है। जब हम नियमित रूप से व्यायाम करते हैं, खुद को फिट और मजबूत रखते हैं। एक भावना जागती है कि हाँ हम स्वयं के निर्माता हैं। एक आत्मविश्वास आता है। व्यक्ति का यही आत्मविश्वास उसको जीवन के अलग अलग क्षेत्रों में भी सफलता दिलाता है। यही बात परिवार, समाज और देश पर भी लागू है, एक परिवार जो एक साथ खेलता है, एक साथ फिट भी रहता है। + diff --git a/pm-speech/354.txt b/pm-speech/354.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..686d7a45fbe9e6fa6b5728d0531fba14fad2f5d3 --- /dev/null +++ b/pm-speech/354.txt @@ -0,0 +1,24 @@ +मुझे खुशी है कि आज मैं IIT गुवाहाटी के इस twenty second Convocation में आप सबके साथ शामिल हो रहा हूँ। वैसे तो Convocation किसी भी student की life का एक special day होता है, लेकिन इस बार जो students convocation का हिस्सा बन रहे हैं, उनके लिए ये एक अलग ही तरह का experience है। Pandemic के इस time में convocation के तौर-तरीके भी काफी बदल गए हैं, सामान्य situation होती तो मैं भी आज आपके बीच होता। लेकिन फिर भी, ये दिन, ये moment उतना ही important है, उतना ही valuable है। मैं आप सभी को, अपने सभी युवा साथियों को बहुत बहुत बधाई देता हूँ। आपके future efforts के लिए अनेक-अनेक शुभकामनायें देता हूँ। + +साथियों, हमारे यहाँ कहा गया है- ज्ञानम् विज्ञान सहितम् यत् ज्ञात्वा मोक्ष्यसे अशुभात्। अर्थात, विज्ञान के सहित ज्ञान ही सभी समस्याओं से, दुखों से मुक्ति का साधन है। यही भावना, सेवा लिए कुछ नया करने की यही ऊर्जा, इसी ने हमारे देश को हजारों सालों की इस यात्रा में भी जीवित रखा है, जीवंत रखा है। हमें गर्व है कि अपनी इस सोच को, IITs जैसे हमारे संस्थान आज आगे बढ़ा रहे हैं। आप सब भी आज feel कर रहे होंगे, जब आप यहाँ आए थे, तब से आपके भीतर कितना transformation आ चुका है, आपका thinking process कितना expand कर चुका है। IIT गुवाहाटी में जब आपने अपनी ये journey शुरू की थी, तब से लेकर अब तक आप अपने अंदर एक नई personality देख रहे होंगे। ये इस institution का, आपके professors का आपके लिए सबसे valuable gift है। + +साथियों, मेरा स्पष्ट मानना है, I firmly believe that- The future of a nation is what its youth think today. Your dreams are going to shape the reality of India. इसलिए, ये time future ready होने का है, ये time अभी से future fit होने का है। जैसे जैसे आज economy और society में बदलाव आ रहा है, आधुनिकता आ रही है, Indian science and technology landscape को भी कई जरूरी changes करने की जरूरत है। मुझे खुशी है कि IIT गुवाहाटी ने ये प्रयास पहले से ही शुरू कर दिए हैं। मुझे बताया गया है कि IIT गुवाहाटी पहली ऐसी IIT है जिसने e-mobility पर दो साल का Research program introduce किया है। मुझे ये भी जानकारी दी गई है कि IIT गुवाहाटी B.Tech level के सभी programs में Science और Engineering के integration को भी lead कर रही है। मुझे पूरा भरोसा है कि ये inter-disciplinary programs हमारी education को all round और futuristic बनाएँगे। और जब इस तरह की futuristic approach के साथ कोई संस्थान आगे बढ़ता है तो उसका result वर्तमान में भी दिखता है। + +IIT गुवाहाटी ने इस pandemic के दौरान COVID-19 related kits, जैसे कि Viral Transport Media, viral RNA extraction kit और RT-PCR kits develop करके ये prove किया है। वैसे मुझे ये भी भलीभाँति अहसास है कि इस pandemic के दौरान academic sessions को conduct करना, अपने research work को जारी रखना, आपके लिए ये सब कितना कठिन रहा है। लेकिन फिर भी आपने ये सफलता पाई है। आपके इस effort के लिए, देश को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में आपके इस contribution के लिए मैं आप सबको बधाई देता हूँ। + +साथियों, आत्मनिर्भर भारत के लिए, हमारे Education System का कितना बड़ा महत्व है, ये आप सभी भली-भांति जानते हैं। बीते दिनों में आपने National Education Policy के बारे में काफी कुछ पढ़ा होगा, काफी कुछ Discuss किया होगा। National education Policy हमारे 21वीं सदी के आप जैसे युवाओं के लिए ही है। वो युवा जो world को lead करेगा, साइन्स और टेक्नोलॉजी में भारत को ग्लोबल लीडर बनाएगा। इतना नहीं, इस Education Policy में तमाम ऐसी बातें हैं जो आप जैसे छात्रों की विश-लिस्ट में सबसे ऊपर थी। + +साथियों, मुझे विश्वास है कि अपनी Education की Journey में आपने ये महसूस किया है कि शिक्षा और परीक्षा हमारे students के लिए burden नहीं बने, Students को अपने मनपसंद Subjects पढ़ने की ज्यादा आजादी मिले। इसलिए, राष्ट्रीय शिक्षा नीति को multi-disciplinary बनाया गया है, subjects की flexibility दी गई है, multiple entry and exit के अवसर दिये गए हैं। और सबसे अहम, देश की नई education policy, education को technology से जोड़ेगी, technology को हमारे students की thinking का integral part बनाएगी। यानि, students technology के बारे में भी पढ़ेंगे, और technology के जरिए भी पढ़ेंगे। Education में artificial intelligence का इस्तेमाल हो, Online learning बढ़े, राष्ट्रीय शिक्षा नीति में इसके रास्ते खोल दिये गए हैं। + +Teaching और learning से लेकर administration और assessment तक technology की भूमिका बने, इसके लिए National Education Technology Forum भी बनाया जा रहा है। हम एक ऐसे eco-system की तरफ बढ़ रहे हैं जहां हमारे युवा Technology से सीखेंगे भी, और सिखाने के लिए नई technology Innovate भी करेंगे। IIT के साथियों के लिए तो इसमें infinite possibilities हैं। नए software, नई devices और gadgets, जो way of education को revolutionize करें, उनके बारे में आपको ही सोचना है। ये आप सबके लिए एक opportunity है, आप अपने best को बाहर लाएँ, utilize करें। + +साथियों, देश में research culture को enrich करने के लिए NEP में एक National Research Foundation यानि NRF का भी प्रस्ताव किया गया है। NRF research funding को लेकर सभी funding agencies के साथ coordinate करेगा और सभी disciplines, चाहे वो science हो या humanities, सभी के लिए fund provide करेगा। जो potential research होंगी, जिनमें practical implementation का scope होगा उन्हें recognize किया जाएगा और implement भी किया जाएगा। इसके लिए, government agencies और industry के बीच coordination और close linkage establish किया जाएगा। मुझे खुशी है कि आज इस convocation में हमारे करीब 300 युवा साथियों को PhD award की जा रही है, और ये एक बहुत positive trend है। मुझे विश्वास है कि आप सब यहीं नहीं रुकेंगे, बल्कि research आपके लिए एक habit हो जाएगी, आपके Thought Process का part बनी रहेगी। + +साथियों, हम सब जानते हैं कि knowledge के लिए कोई boundaries नहीं होतीं। National Education Policy देश के education sector को open up करने की बात करती है। मकसद ये है कि foreign universities के campus भी देश में खुलें और दुनिया भर का global exposure हमारे students को यहीं पर मिले। इसी तरह, Indian और global institutions के बीच research collaboration और student exchange programs को भी promote किया जाएगा। Foreign universities में हमारे students जो क्रेडिट acquire करेंगे, वो भी अब देश के institutions में count हो सकेंगे। इतना ही नहीं, National Education Policy भारत को global education destination के तौर पर भी establish करेगी। हमारे high performing Institutions को विदेशों में भी campus set करने के लिए encourage किया जाएगा। IIT गुवाहाटी को beyond boundaries expansion के इस vision में key role play करना है। पूर्वोत्तर का ये क्षेत्र, भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी का केंद्र भी है। + +यही क्षेत्र, साउथ ईस्ट एशिया से भारत के संपर्क और संबंध का gateway भी है, इन देशों से भारत के संबंधों का मुख्य आधार, Culture, Commerce, Connectivity और Capacity रहा है। अब education हमारे engagement का एक और नया माध्यम बनने जा रही है। IIT गुवाहटी इसका बहुत बड़ा केंद्र बन सकती है। इससे नॉर्थ ईस्ट को एक नई पहचान भी मिलेगी, और यहाँ नए अवसर भी पैदा होंगे। आज पूर्वोत्तर के विकास को गति देने के लिए यहाँ रेलवेज़, highways, एयरवेज़, और waterways का infrastructure खड़ा किया जा रहा है। इससे समूचे पूर्वोत्तर के लिए नए-नए अवसर पैदा हो रहे हैं। IIT गुवाहाटी की विकास के इन कामों में भी बहुत बड़ी भूमिका है। + +साथियों, यहाँ bio-diversity भी है, और अपार पारंपरिक ज्ञान और हुनर भी! इस पारंपरिक हुनर का, knowledge का, और यहाँ तक कि science and technology का transmission भी परंपरा से होता आ रहा है। एक generation ने ये ज्ञान दूसरी generation को दिया, उससे अगली generation को मिला, और ये सिलसिला चलता चला आ रहा है। क्या हम इसे आधुनिक technology से जोड़ सकते हैं? क्या हम इस fusion से नई technology खड़ी कर सकते हैं? मेरा मानना है कि हम एक modern और scientific process के जरिए, cultural knowledge, skills और beliefs को rich and cutting edge professional development programs में तैयार कर सकते हैं। मेरा सुझाव है कि IIT गुवाहाटी इसमें एक मुख्य भूमिका निभाए, और एक Center for Indian Knowledge Systems की स्थापना करे। इसके जरिए हम पूर्वोत्तर को, देश और दुनिया को ऐसा बहुत कुछ दे सकते हैं, जो invaluable होगा। + +साथियों, असम और पूर्वोत्तर देश का ऐसा region है जो possibilities से भरा हुआ है। लेकिन इस region को flood, earthquake, landslide और कई industrial disaster जैसी आपदाएँ भी घेरती रहती हैं। इन disasters से निपटने में इन राज्यों की energy और efforts खर्च होते हैं। इस समस्याओं से effectively निपटा जाए इसके लिए high degree of technological support and intervention की जरूरत पड़ती है। मैं IIT गुवाहाटी से ये भी अनुरोध करूंगा कि आप एक Center for disaster management and risk reduction की स्थापना भी करें। ये center इस इलाके की आपदाओं से निपटने की expertise भी provide कराएगा, और आपदाओं को अवसर में भी बदलेगा। मुझे पूरा भरोसा है कि IIT गुवाहाटी और आप सभी IIT छात्र आगे बढ़ेंगे, तो ये संकल्प भी जरूर सिद्ध होगा। साथियों, Local issues पर focus करने के साथ ही हमें अपनी नज़र global technologies के bigger canvas पर भी set करनी होंगी। उदाहरण के लिए, क्या हम अपनी research and technology में नीश areas को find out कर सकते हैं? ऐसे areas, ऐसे subjects जिन पर देश को और ज्यादा focus करने की जरूरत है, हम उन्हें identify और prioritize कर सकते हैं क्या? + diff --git a/pm-speech/355.txt b/pm-speech/355.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..b10301008883f4f2661d491e9dd9a9fef1acad2e --- /dev/null +++ b/pm-speech/355.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +पचहत्तर वर्ष पहले युद्ध की विभीषिका से एक नई उम्मीद पैदा हुई। मानव इतिहास में पहली बार पूरी दुनिया के लिए एक संस्था बनाई गई थी। संयुक्त राष्ट्र चार्टर के एक संस्थापक हस्ताक्षरकर्ता के रूप में भारत उस महान दृष्टिकोण का हिस्सा था। इसने भारत के अपने दर्शन ‘वसुधैव कुटुम्बकम‘ को प्रतिबिंबित किया जो पूरी सृष्टि को एक परिवार के रूप में देखता है। + diff --git a/pm-speech/356.txt b/pm-speech/356.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..9a215f6786747f1111bed1829989f08c393db323 --- /dev/null +++ b/pm-speech/356.txt @@ -0,0 +1,12 @@ +साथियों, इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े प्रोजेक्ट्स पर अब जिस स्केल पर काम हो रहा है, जिस स्पीड पर काम हो रहा है, वो अभूतपूर्व है। 2014 से पहले की तुलना में आज हर रोज़ दोगुनी से भी तेज़ गति से हाइवे बनाए जा रहे हैं। हाइवे निर्माण पर होने वाले खर्च में भी 2014 से पहले की तुलना में लगभग 5 गुणा बढ़ोतरी की गई है। आने वाले 4-5 सालों में इंफ्रास्ट्रक्चर पर 110 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च करने का लक्ष्य रखा गया है। इसमें से भी 19 लाख करोड़ रुपए से अधिक के प्रोजेक्ट्स सिर्फ हाइवे से जुड़े हैं। + +साथियों, रोड और कनेक्टिविटी से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर को विस्तार देने के इन प्रयासों का बिहार को भी भरपूर लाभ हो रहा है, पूर्वी भारत पर मेरा विशेष ध्‍यान है। 2015 में घोषित पीएम पैकेज के तहत 3 हज़ार किलोमीटर से अधिक के नेशनल हाइवे प्रोजेक्ट्स की घोषणा की गई थी। इसके अलावा, भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत भी लगभग साढ़े 6 सौ किलोमीटर नेशनल हाइवे का निर्माण किया जा रहा है। आज बिहार में नेशनल हाइवे ग्रिड को गति दी जा रही है। पूर्वी और पश्चिमी बिहार को जोड़ने के लिए Four लेनिंग के 5 प्रोजेक्ट्स, उत्तरी भारत को दक्षिण भारत से जोड़ने के लिए 6 प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा है। आज भी जिन हाइवे चौड़ीकरण के प्रोजेक्ट्स का शिलान्यास किया गया है, उनसे, बिहार के तमाम बड़े शहरों का सड़क-संपर्क और मज़बूत होगा। + +साथियों, कनेक्टिविटी एक ऐसा विषय है, जिसे टुकड़ों में सोचने के बजाय, संपूर्णता में सोचना होता है। एक पुल यहां बन गया, एक सड़क वहां बन गई, एक रेल रूट उधर बना दिया, एक रेलवे स्टेशन इधर बना दिया, इस तरह की अप्रोच ने देश का बहुत नुकसान किया है। पहले सड़कों का, हाईवे का रेल नेटवर्क से कोई वास्ता नहीं रहता था, रेल का पोर्ट से और पोर्ट का एयरपोर्ट से भी कम ही नाता रहता था। 21वीं सदी का भारत, 21वीं सदी का बिहार, अब इन सारी पुरानी कमियों को पीछे छोड़कर आगे बढ़ रहा है। आज देश में Multi-modal Connectivity पर बल दिया जा रहा है। अब हाईवे इस तरह बन रहे हैं कि वो रेल रूट को, एयर रूट को सपोर्ट करें। रेल रूट इस तरह बन रहे हैं कि वो पोर्ट से इंटर-कनेक्टेड हों। यानि सोच ये है कि यातायात का एक साधन, दूसरे साधन को सपोर्ट करे। इससे Logistics को लेकर भारत में जो समस्याएं रही हैं, वो भी बहुत हद तक दूर हो जाएंगी। + +साथियों, इन सुधारों से कृषि में निवेश बढ़ेगा, किसानों को आधुनिक टेक्नोलॉजी मिलेगी, किसानों के उत्पाद और आसानी से अंतरराष्ट्रीय बाजार में पहुंचेंगे। मुझे बताया गया है कि यहां बिहार में हाल ही में 5 कृषि उत्पादक संघों ने मिलकर, चावल बेचने वाली एक बहुत मशहूर कंपनी के साथ एक समझौता किया है। इस समझौते के तहत 4 हजार टन धान, वो कंपनी, बिहार के इन FPO’s से खरीदेगी। अब इन FPO’s से जुड़े किसानों को मंडी नहीं जाना पड़ेगा। उनकी उपज अब सीधे नेशनल और इंटरनेशनल मार्केट में पहुंचेगी। साफ है कि इन सुधारों के बाद, खेती से जुड़े बहुत सारे छोटे-बड़े उद्योगों के लिए बहुत बड़ा मार्ग खुलेगा, ग्रामीण उद्योगों की ओर देश आगे बढ़ेगा। मैं आपको एक और उदाहरण देता हूं। मान लीजिए, कोई नौजवान एग्रीकल्चर सेक्टर में कोई स्टार्ट-अप शुरू करना चाहता है। वो चिप्स की फैक्ट्री ही खोलना चाहता है। अभी तक ज्यादातर जगह होता ये था कि पहले उसे मंडी में जाकर आलू खरीदने होते थे, फिर वो अपना काम शुरू कर पाता था। लेकिन अब वो नौजवान, जो नए-नए सपने लेकर आया है वो सीधे गांव के किसान के पास जाकर उससे आलू के लिए समझौता कर सकेगा। वो किसान को बताएगा कि मुझे इस क्लालिटी का आलू चाहिए, इतना आलू चाहिए। वो किसान को अच्छी क्वालिटी के आलू पैदा करने में हर तरह की तकनीकी सहायता भी करेगा। + +साथियों, ये भी जगजाहिर रहा है कि कृषि व्यापार करने वाले हमारे साथियों के सामने एसेन्शियल कमोडिटी एक्ट के कुछ प्रावधान, हमेशा आड़े आते रहे हैं। बदलते हुए समय में इसमें भी बदलाव किया है। दालें, आलू, खाद्य तेल, प्याज जैसी चीजें अब इस एक्ट के दायरे से बाहर कर दी गई हैं। अब देश के किसान, बड़े-बड़े स्टोरहाउस में, कोल्ड स्टोरेज में इनका आसानी से भंडारण कर पाएंगे। जब भंडारण से जुड़ी कानूनी दिक्कतें दूर होंगी तो हमारे देश में कोल्ड स्टोरेज का भी नेटवर्क और विकसित होगा, उसका और विस्तार होगा। + +साथियों, 21वीं सदी के भारत का ये दायित्व है कि वो देश के किसानों के लिए आधुनिक सोच के साथ, नई व्यवस्थाओं का निर्माण करे। देश के किसान को, देश की खेती को, आत्मनिर्भर बनाने के लिए हमारे प्रयास निरंतर जारी रहेंगे। और इसमें निश्चित तौर पर कनेक्टिविटी की बड़ी भूमिका तो है ही। अंत में, एक बार फिर कनेक्टिविटी के तमाम प्रोजेक्ट्स के लिए बिहार को, देश को बहुत-बहुत बधाई देता हूं। और मैं फिर एक बार वही आग्रह करूंगा कि हमें कोरोना से लड़ाई लड़ते रहना है। हमें कोरोना को पराजित करके रहना है। हमें हमारे परिवार के सदस्‍य को कोरोना से बचाना है और इसके लिए जो भी नियम तय किए गए हैं, उनका हम सबने पालन करना है। कोई एक उसमें छूट जाता है तो फिर मामला गड़बड़ हो जाता है, हम सबने पालन करना है। मैं फिर एक बार मेरे बिहार के प्‍यारे भाइयो-बहनो को बहुत-बहुत धन्‍यवाद देता हूं। + diff --git a/pm-speech/357.txt b/pm-speech/357.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..ba35d87e9166456f3851fa28c74cab75a30dd422 --- /dev/null +++ b/pm-speech/357.txt @@ -0,0 +1,4 @@ +साथियों, आज बिहार में रेल कनेक्टिविटी के क्षेत्र में नया इतिहास रचा गया है। कोसी महासेतु और किउल ब्रिज के साथ ही बिहार में रेल यातायात, रेलवे के बिजलीकरण और रेलवे में मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने, नए रोज़गार पैदा करने वाले एक दर्जन प्रोजेक्ट्स का आज लोकार्पण और शुभारंभ हुआ है। लगभग 3 हज़ार करोड़ रुपए के इन प्रोजेक्ट्स से बिहार का रेल नेटवर्क तो सशक्त होगा ही, पश्चिम बंगाल और पूर्वी भारत की रेल कनेक्टिविटी भी मज़बूत होगी। बिहार सहित पूर्वी भारत के करोड़ों रेल यात्रियों को मिलने जा रही इन नई और आधुनिक सुविधाओं के लिए मैं आज सबको बहुत-बहुत बधाई देता हूं। + +साथियों, बिहार में जिस तरह की परिस्थितियां रहीं हैं, उसमें रेलवे, लोगों के आने-जाने का बहुत बड़ा साधन रही है। ऐसे में बिहार में रेलवे की स्थिति को सुधारना, केंद्र सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक रहा है। आज बिहार में किस तेज गति से रेलवे नेटवर्क पर काम चल रहा है, इसके लिए मैं एक तथ्य देना चाहता हूं। 2014 से पहले के 5 सालों में लगभग सवा 3 सौ किलोमीटर रेल लाइन कमीशन हुई थी। आसान शब्दों में कहें तो 2014 के पहले के 5 सालों में बिहार में सिर्फ सवा तीन सौ किलोमीटर नई रेल लाइन शुरु थी। जबकि 2014 के बाद के 5 सालों में बिहार में लगभग 700 किलोमीटर रेल लाइन कमीशन हो चुकी हैं। यानि करीब-करीब दोगुने से भी नई रेल लाइन शुरू हुई। अभी करीब 1000 किलोमीटर नई रेल लाइनों का निर्माण तेज़ी से चल रहा है। आज हाजीपुर-घोसवर-वैशाली नई रेल लाइन के शुरु होने से वैशाली नगर, दिल्ली और पटना से भी सीधी रेल सेवा से जुड़ जाएगा। इस सेवा से वैशाली में पर्यटन को बहुत बल मिलेगा और युवा साथियों को नए रोजगार उपलब्ध होंगे। इस तरह इस्लामपुर-नटेसर नई रेल लाइन से भी लोगों को बहुत फायदा होगा। विशेषकर बौद्ध मत को मानने वालों को ये नई सुविधा मिलने में काफी आसानी होगी। + diff --git a/pm-speech/358.txt b/pm-speech/358.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..e61d6da60b16b83d8f4e9e7c018bb047e93b92ae --- /dev/null +++ b/pm-speech/358.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +साथियों, आत्मनिर्भर बिहार, आत्मनिर्भर भारत के मिशन को गति देने के लिए विशेषकर देश के छोटे शहरों को वर्तमान ही नहीं भविष्य की ज़रूरतों के मुताबिक तैयार करना बहुत ज़रूरी है। इसी सोच के साथ AMRUT मिशन के तहत बिहार के अनेक शहरों में ज़रूरी सुविधाओं के विकास के साथ-साथ Ease of Living और Ease of doing Business के लिए बेहतर माहौल तैयार करने पर बल दिया जा रहा है। AMRUT मिशन के तहत इन शहरों में पानी और सीवरेज के साथ-साथ ग्रीन जोन,पार्क,LED स्ट्रीट लाइट, जैसी व्यवस्थाओं का निर्माण किया जा रहा है। इस मिशन के तहत बिहार के शहरी क्षेत्र में, लाखोंलोगों को बेहतर सीवरेज सिस्टम से भी जोड़ा गया है। इसमें भी अधिकतर सुविधाएं ऐसी बस्तियों में विकसित की गई हैं, जहां गरीब से गरीब परिवार रहते हैं। बिहार के भी 100 से ज्यादा नगर निकायों में साढ़े 4 लाख LED Street Lights लगाई जा चुकी हैं। इससे हमारे छोटे शहरों की सड़कों और गलियों में रोशनी तो बेहतर हो ही रही है, सैकड़ों करोड़ की बिजली की बचत भी हो रही है और लोगों का जीवन आसान हो रहा है। + diff --git a/pm-speech/359.txt b/pm-speech/359.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..91093751950c374477998335077cd3f26d2165f1 --- /dev/null +++ b/pm-speech/359.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +जेपी का प्रभाव उनके ऊपर बहुत ही था। उसी दौर में उनका किताबों से भी लगाव बढ़ता गया। उससे भी जुड़ा एक किस्‍सा मुझे पता चला। हरिवंश जी को जब पहली सरकारी scholarship मिली तो घर के कुछ लोग उम्‍मीद लगाए बैठे थे कि बेटा scholarship का पूरा पैसा लेकर घर आएगा। लेकिन हरिवंश जी ने scholarship के पैसे घर न ले जाने के बजाय किताबें खरीदीं। तमात तरह‍ की संक्षिप्‍त जीवनियां, साहित्य, यही घर लेकर गए। हरिवंश जी के जीवन में उस समय किताबों को जो प्रवेश हुआ वो अब भी उसी तरह बरकरार है। + diff --git a/pm-speech/360.txt b/pm-speech/360.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..23e42c522970ea2a447f1c39ad01fd736f967862 --- /dev/null +++ b/pm-speech/360.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +इस बार भी उस महान परम्‍परा में हम सभी सांसद मिल करके value addition करेंगे, ऐसा मेरा विश्‍वास है। कोरोना से बनी जो परिस्थिति है उसमें जिन सतर्कताओं के विषय में सूचित किया गया है, उन सतर्कताओं का पालन हम सबको करना ही करना है। और ये भी साफ है जब तक दवाई नहीं तब तक कोई ढिलाई नहीं। हम चाहते हैं कि बहुत ही जल्‍द से जल्‍द दुनिया के किसी भी कोने से वैक्‍सीन उपलब्‍ध हो, हमारे वैज्ञानिक जल्‍द से जल्‍द सफल हों और दुनिया में हर किसी को इस संकट में से बाहर निकालने में हम कामयाब हों। + diff --git a/pm-speech/361.txt b/pm-speech/361.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..3e938120c85cf4f97dc34ac68dbd38ad1df00cc2 --- /dev/null +++ b/pm-speech/361.txt @@ -0,0 +1,36 @@ +मैं जब भारतीय जनता पार्टी के संगठन के कार्यकर्ता के रूप में कार्य करता था, उस काल में मेरा उनका निकट परिचय रहा। अनेक टीवी डिबेट में काफी वाद-विवाद, संघर्ष करते रहते थे हम लोग। बाद में वो केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल में थे यूपी में, मैं गुजरात के मुख्‍यमंत्री के नाते भी उनके साथ लगातार संपर्क में रहता था विकास के कामों को ले करके। अब पिछले तीन-चार दिन से वे चर्चा में भी थे। उनके स्वास्थ्य के लिए मैं भी चिन्‍ता करता था। लगातार जानकारियां लेता रहता था। और मुझे लगता था कि बहुत ही जल्‍द ठीक हो करके वो वापिस बिहार की सेवा में लग जाएंगे, लेकिन उनके भीतर एक मंथन भी चल रहा था। + +अपने सबके प्रणाम करै छीयै, आज के इ आयोजन शहीद अरू शूरवीर के धरती बांका में होय रहल छै। जे – जे योजना के लोकार्पण आज होलो छै , ओकरो लाभ बिहार के संगे- संगे पूर्वी भारत के बड़ हिस्सा के भी मिलतै । आज 900 करोड़ रुपया से बेसी के जे लोकार्पण अरू शिलान्यास कइलो गेल छै, ओकरा में LPG पाईपलाइन छै, दू टा बड़ा बॉटलिंग प्लांट भी छै। इ सब सुविधा लेली, विकास के ई सब प्रोजेक्टस ख़ातिर बिहार वासी लोगन के बहूत बहूत बधाई छै! + +एक समय था जब पूरे देश में और बिहार में एलपीजी गैस कनेक्शन होना बड़े संपन्न लोगों की निशानी होता था। एक एक गैस कनेक्शन के लिए लोगों को सिफारिशें लगवानी पड़ती थीं।… MP साहब के घर के बहार कतार लग जाती थी। जिसके घर गैस होती थी, वो माना जाता था कि बहुत बड़े घर-परिवार से है। जो समाज में हाशिए पर थे, पीड़ित थे, वंचित थे, पिछड़े थे, अतिपिछड़े थे, उन्हें कोई पूछता नहीं था। उनके दुख, उनकी तकलीफों को देखकर भी नजरअंदाज कर दिया जाता था। + +खेत में काम करना, खेती किसानी बहुत परिश्रम और गौरव का काम है, लेकिन युवाओं को दूसरे मौके न देना, न ऐसी व्यवस्थाएं बनाना, ये भी तो सही नहीं था। आज बिहार में शिक्षा के बड़े-बड़े केंद्र खुल रहे हैं। अब एग्रीकल्चर कॉलेज, मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेजों की संख्या बढ़ रही है। अब राज्य में IIT, IIM, IIIT, बिहार के नौजवानों के सपनों को ऊंची उड़ान देने में मदद कर रहे हैं। + +रिफाइनरी प्रोजेक्ट्स हों, Exploration या Production से जुड़े प्रोजेक्ट हों, pipelines हों, City Gas Distribution projects हों, ऐसे अनेकों प्रोजेक्ट्स या तो फिर से चालू हो चुके हैं या फिर नए शुरु किए गए हैं। इनकी संख्या कम नहीं है। ये 8 हजार से ज्यादा प्रोजेक्ट्स हैं, जिन पर आने वाले दिनों में 6 लाख करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि देश में, बिहार में गैस आधारित अर्थव्यवस्था के लिए कितने बड़े पैमाने पर काम चल रहा है। + +अपने सबके प्रणाम करै छीयै, आज के इ आयोजन शहीद अरू शूरवीर के धरती बांका में होय रहल छै। जे – जे योजना के लोकार्पण आज होलो छै , ओकरो लाभ बिहार के संगे- संगे पूर्वी भारत के बड़ हिस्सा के भी मिलतै । आज 900 करोड़ रुपया से बेसी के जे लोकार्पण अरू शिलान्यास कइलो गेल छै, ओकरा में LPG पाईपलाइन छै, दू टा बड़ा बॉटलिंग प्लांट भी छै। इ सब सुविधा लेली, विकास के ई सब प्रोजेक्टस ख़ातिर बिहार वासी लोगन के बहूत बहूत बधाई छै! + +एक समय था जब पूरे देश में और बिहार में एलपीजी गैस कनेक्शन होना बड़े संपन्न लोगों की निशानी होता था। एक एक गैस कनेक्शन के लिए लोगों को सिफारिशें लगवानी पड़ती थीं।… MP साहब के घर के बहार कतार लग जाती थी। जिसके घर गैस होती थी, वो माना जाता था कि बहुत बड़े घर-परिवार से है। जो समाज में हाशिए पर थे, पीड़ित थे, वंचित थे, पिछड़े थे, अतिपिछड़े थे, उन्हें कोई पूछता नहीं था। उनके दुख, उनकी तकलीफों को देखकर भी नजरअंदाज कर दिया जाता था। + +खेत में काम करना, खेती किसानी बहुत परिश्रम और गौरव का काम है, लेकिन युवाओं को दूसरे मौके न देना, न ऐसी व्यवस्थाएं बनाना, ये भी तो सही नहीं था। आज बिहार में शिक्षा के बड़े-बड़े केंद्र खुल रहे हैं। अब एग्रीकल्चर कॉलेज, मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेजों की संख्या बढ़ रही है। अब राज्य में IIT, IIM, IIIT, बिहार के नौजवानों के सपनों को ऊंची उड़ान देने में मदद कर रहे हैं। + +रिफाइनरी प्रोजेक्ट्स हों, Exploration या Production से जुड़े प्रोजेक्ट हों, pipelines हों, City Gas Distribution projects हों, ऐसे अनेकों प्रोजेक्ट्स या तो फिर से चालू हो चुके हैं या फिर नए शुरु किए गए हैं। इनकी संख्या कम नहीं है। ये 8 हजार से ज्यादा प्रोजेक्ट्स हैं, जिन पर आने वाले दिनों में 6 लाख करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि देश में, बिहार में गैस आधारित अर्थव्यवस्था के लिए कितने बड़े पैमाने पर काम चल रहा है। + +एक समय था जब पूरे देश में और बिहार में एलपीजी गैस कनेक्शन होना बड़े संपन्न लोगों की निशानी होता था। एक एक गैस कनेक्शन के लिए लोगों को सिफारिशें लगवानी पड़ती थीं।… MP साहब के घर के बहार कतार लग जाती थी। जिसके घर गैस होती थी, वो माना जाता था कि बहुत बड़े घर-परिवार से है। जो समाज में हाशिए पर थे, पीड़ित थे, वंचित थे, पिछड़े थे, अतिपिछड़े थे, उन्हें कोई पूछता नहीं था। उनके दुख, उनकी तकलीफों को देखकर भी नजरअंदाज कर दिया जाता था। + +खेत में काम करना, खेती किसानी बहुत परिश्रम और गौरव का काम है, लेकिन युवाओं को दूसरे मौके न देना, न ऐसी व्यवस्थाएं बनाना, ये भी तो सही नहीं था। आज बिहार में शिक्षा के बड़े-बड़े केंद्र खुल रहे हैं। अब एग्रीकल्चर कॉलेज, मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेजों की संख्या बढ़ रही है। अब राज्य में IIT, IIM, IIIT, बिहार के नौजवानों के सपनों को ऊंची उड़ान देने में मदद कर रहे हैं। + +रिफाइनरी प्रोजेक्ट्स हों, Exploration या Production से जुड़े प्रोजेक्ट हों, pipelines हों, City Gas Distribution projects हों, ऐसे अनेकों प्रोजेक्ट्स या तो फिर से चालू हो चुके हैं या फिर नए शुरु किए गए हैं। इनकी संख्या कम नहीं है। ये 8 हजार से ज्यादा प्रोजेक्ट्स हैं, जिन पर आने वाले दिनों में 6 लाख करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि देश में, बिहार में गैस आधारित अर्थव्यवस्था के लिए कितने बड़े पैमाने पर काम चल रहा है। + +एक समय था जब पूरे देश में और बिहार में एलपीजी गैस कनेक्शन होना बड़े संपन्न लोगों की निशानी होता था। एक एक गैस कनेक्शन के लिए लोगों को सिफारिशें लगवानी पड़ती थीं।… MP साहब के घर के बहार कतार लग जाती थी। जिसके घर गैस होती थी, वो माना जाता था कि बहुत बड़े घर-परिवार से है। जो समाज में हाशिए पर थे, पीड़ित थे, वंचित थे, पिछड़े थे, अतिपिछड़े थे, उन्हें कोई पूछता नहीं था। उनके दुख, उनकी तकलीफों को देखकर भी नजरअंदाज कर दिया जाता था। + +खेत में काम करना, खेती किसानी बहुत परिश्रम और गौरव का काम है, लेकिन युवाओं को दूसरे मौके न देना, न ऐसी व्यवस्थाएं बनाना, ये भी तो सही नहीं था। आज बिहार में शिक्षा के बड़े-बड़े केंद्र खुल रहे हैं। अब एग्रीकल्चर कॉलेज, मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेजों की संख्या बढ़ रही है। अब राज्य में IIT, IIM, IIIT, बिहार के नौजवानों के सपनों को ऊंची उड़ान देने में मदद कर रहे हैं। + +रिफाइनरी प्रोजेक्ट्स हों, Exploration या Production से जुड़े प्रोजेक्ट हों, pipelines हों, City Gas Distribution projects हों, ऐसे अनेकों प्रोजेक्ट्स या तो फिर से चालू हो चुके हैं या फिर नए शुरु किए गए हैं। इनकी संख्या कम नहीं है। ये 8 हजार से ज्यादा प्रोजेक्ट्स हैं, जिन पर आने वाले दिनों में 6 लाख करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि देश में, बिहार में गैस आधारित अर्थव्यवस्था के लिए कितने बड़े पैमाने पर काम चल रहा है। + +एक समय था जब पूरे देश में और बिहार में एलपीजी गैस कनेक्शन होना बड़े संपन्न लोगों की निशानी होता था। एक एक गैस कनेक्शन के लिए लोगों को सिफारिशें लगवानी पड़ती थीं।… MP साहब के घर के बहार कतार लग जाती थी। जिसके घर गैस होती थी, वो माना जाता था कि बहुत बड़े घर-परिवार से है। जो समाज में हाशिए पर थे, पीड़ित थे, वंचित थे, पिछड़े थे, अतिपिछड़े थे, उन्हें कोई पूछता नहीं था। उनके दुख, उनकी तकलीफों को देखकर भी नजरअंदाज कर दिया जाता था। + +खेत में काम करना, खेती किसानी बहुत परिश्रम और गौरव का काम है, लेकिन युवाओं को दूसरे मौके न देना, न ऐसी व्यवस्थाएं बनाना, ये भी तो सही नहीं था। आज बिहार में शिक्षा के बड़े-बड़े केंद्र खुल रहे हैं। अब एग्रीकल्चर कॉलेज, मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेजों की संख्या बढ़ रही है। अब राज्य में IIT, IIM, IIIT, बिहार के नौजवानों के सपनों को ऊंची उड़ान देने में मदद कर रहे हैं। + +रिफाइनरी प्रोजेक्ट्स हों, Exploration या Production से जुड़े प्रोजेक्ट हों, pipelines हों, City Gas Distribution projects हों, ऐसे अनेकों प्रोजेक्ट्स या तो फिर से चालू हो चुके हैं या फिर नए शुरु किए गए हैं। इनकी संख्या कम नहीं है। ये 8 हजार से ज्यादा प्रोजेक्ट्स हैं, जिन पर आने वाले दिनों में 6 लाख करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि देश में, बिहार में गैस आधारित अर्थव्यवस्था के लिए कितने बड़े पैमाने पर काम चल रहा है। + diff --git a/pm-speech/362.txt b/pm-speech/362.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..10b9c612525af8de46fffc10969aa72666c7a146 --- /dev/null +++ b/pm-speech/362.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +साथियों, कोरोना काल में तमाम रुकावटों के बीच भी देशभर में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 18 लाख घरों का काम पूरा किया गया है। उसमें 1 लाख 75 हजार घर अकेले मध्य प्रदेश में ही पूरे किए गए हैं। इस दौरान जिस गति से काम हुआ है, वो भी अपने आप में एक रिकॉर्ड है। सामान्य तौर पर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत एक घर बनाने में औसतन सवा सौ दिन का समय लगता है। लेकिन अब जो मैं बताने जा रहा हूं, वो देश के लिए, हमारे मीडिया के साथियों के लिए भी ये बहुत सकारात्मक खबर है। कोरोना के इस काल में पीएम आवास योजना के तहत घरों को बनाने में 125 दिन नहीं सिर्फ सिर्फ 45 से 60 दिन में ही बनाकर तैयार कर दिया गया है। आपदा को अवसर में बदलने का ये बहुत ही उत्तम उदाहरण है। आप सोचेंगे कि ये कैसे संभव हुआ? पहले 125 दिन अब 40 से 60 दिन के बीच में कैसे हुआ? + diff --git a/pm-speech/363.txt b/pm-speech/363.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..2628e9be1d144296cda34fad6b18755a09d96f6f --- /dev/null +++ b/pm-speech/363.txt @@ -0,0 +1,40 @@ +साथियों, पिछले तीन दशकों में दुनिया का हर क्षेत्र बदल गया। हर व्यवस्था बदल गई। इन तीन दशकों में हमारे जीवन का शायद ही कोई पक्ष हो जो पहले जैसा हो। लेकिन वो मार्ग, जिस पर चलते हुए समाज भविष्य की तरफ बढ़ता है, हमारी शिक्षा व्यवस्था, वो अब भी पुराने ढर्रे पर ही चल रही थी। पुरानी शिक्षा व्यवस्था को बदलना उतना ही आवश्यक था जितना किसी खराब हुए ब्लैकबोर्ड को बदलना आवश्यक होता है। जैसे हर स्कूल में पिन-अप बोर्ड होता है। उसमें तमाम जरूरी कागज, स्कूल के जरूरी आदेश, बच्चों की बनाई पेन्टिंग आदि आप लोग लगाते हैं। ये बोर्ड हर कुछ समय में भर भी जाता है। उस पिन-अप बोर्ड पर नई क्लास के नए बच्चों की नई पेन्टिंग्स लगाने के लिए आपको बदलाव करना ही पड़ता है। + +साथियों, राष्ट्रीय शिक्षा नीति में पुरानी 10 Plus 2 की जगह, 5 Plus 3 Plus 3 Plus 4 की व्यवस्था बहुत सोच- समझकर की गई है। इसमें Early Childhood Care and Education को एक बुनियाद के रुप में, नींव के रूप में शामिल किया गया है। आज हम देखें तो प्री स्कूल की Playful Education शहरों में, प्राइवेट स्कूलों तक ही सीमित है। वो अब गाँवों में भी पहुंचेगी, गरीब के  घर तक  पहुंचेगी, अमीर, गांव-शहर, हर किसी के, हर जगह के बच्चों को मिलेगी। मूलभूत शिक्षा पर ध्यान इस नीति का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत Foundational Literacy and Numeracy के विकास को एक राष्ट्रीय मिशन के रुप में लिया जायेगा। प्रारम्भिक भाषा का ज्ञान, संख्या का ज्ञान, बच्चों में सामान्य लेख को पढ़ने और समझने की क्षमता का विकास, ये बहुत आवश्यक होता है। बच्चा आगे जा कर Read To Learn करें, इसके लिए जरूरी है कि शुरुआत में वो Learn To Read करना सीखे। Learn To Read से Read To Learn की ये विकास यात्रा Foundational Literacy and Numeracy के माध्यम से पूरी की जायगी। + +साथियों, हमें ये सुनिश्चित करना है कि जो भी बच्चा तीसरी कक्षा पार करता है, वो एक मिनट में 30 से 35 शब्द तक आसानी से पढ़ पाए। इसे आप लोग Oral Reading Fluency कहते हैं। जिस बच्चे को हम इस लेवल तक ला पाएंगे, shape कर पाएंगे, सिखा पाएंगे, तो भविष्य में उस विद्यार्थी को बाकी subjects का content समझने में और आसानी रहेगी। मैं इसके लिए आपको सुझाव देता हूं। ये जो छोटे-छोटे बच्‍चे हैं ..उनके साथ उनके 25-30 दोस्‍त भी होंगे क्‍लास में। आप उनको कहिए चलो भाई तुम कितनों के नाम जानते हो … तुम बोलो। फिर कहो अच्‍छा तुम कितनी तेजी से नाम बता सकते हो, फिर कहिए तुम तेजी से भी बोलो और उसको वहां खड़ा भी करो। आप देखिए कितने प्रकार के talent develop होना शुरू हो जाएंगे और उसका confidence लेवल बढ़ जाएगा… बाद में लिखित रूप में साथियों के नाम रखके ….. चलो तुम इसमें से किस-किस के नाम बोलोगे, पहले फोटो दिखाके लिखा सकते हैं। अपने ही दोस्‍तों को पहचान कर सीखना ….. इसे लर्निंग की प्रक्रिया कहते हैं। इससे आगे की कक्षाओं में Students पर बोझ भी कम होगा, आप शिक्षकों पर भी burden कम होगा। + +साथियों, जब शिक्षा को आस-पास के परिवेश से जोड़ दिया जाता है तो उसका प्रभाव विद्यार्थी के पूरे जीवन पर पड़ता है, पूरे समाज पर भी पड़ता है। जैसे कि जापान को देखिए, वहाँ Shinrin-Yoku (शिनरिन योकू) का प्रचलन है। Shinrin का अर्थ है वन या जंगल, और Yoku का मतलब है- नहाना। यानि Forest-Bathing. वहाँ स्टूडेंट्स को जंगलों में, या जहां पेड़-पौधे बहुत हो, ऐसी जगहों पर ले जाया जाता है जहाँ बच्चे प्रकृति को स्वाभाविक रूप से महसूस करें। पेड़-पौधों फूलों को सुनें, देखें, Touch, Taste, Smell करें। इससे बच्चों का प्रकृति और पर्यावरण से जुड़ाव भी होता है, और उनके Hollistic तरीके से development को बढ़ावा भी मिलता है। बच्चे इसे enjoy भी करते हैं, और एक साथ कितनी सारी चीजें सीख भी रहे होते हैं। मुझे याद है, जब मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था.. तो एक कार्यक्रम चला था। हमने सूचना दी सभी स्‍कूलों को …. हमने कहा सभी स्कूलों के बच्‍चे अपने गांव के अंदर सबसे बड़ी उम्र का पेड़ कौन सा है ….जिस पेड़ की सबसे ज्‍यादा उम्र हो चुकी है उसे ढूढ़ो। तो उन्‍हें सब जबह जाना पडा, गांव के आसपास के सारे पेड़ देखने पड़े, टीचर को पूछा पड़ा। और सबने सहमति की कि ये पेड़ बहुत पुराना है और बाद में बच्‍चों ने स्‍कूल में आकर के उस पर गीत लिखें, निबंध लिखें…. वक्‍तत्‍व कथाएं की …. यानि उस पेड़ का महात्‍मय क्‍या है। + +लेकिन उसी प्रक्रिया में उन्‍हें कई पेड़ देखने पड़े, सबसे बड़ा उम्र वाला पेड़ ढूढ़ना पड़ा। बहुत चीजें वो सीखने लग गए और मैं कह सकता हूं, ये प्रयोग बहुत सफल रहा। एक तरफ बच्चों को पर्यावरण की जानकारी मिली, साथ ही साथ उन्हें अपने गांव के विषय में ढेर सारी जानकारियां प्राप्त करने का मौका भी मिला। हमें इसी तरह के आसान और नए-नए तौर-तरीकों को बढ़ाना होगा। हमारे ये प्रयोग, New age learning का मूलमंत्र होना चाहिए- Engage, Explore, Experience, Express और Excel. यानि कि, students अपने रूचि के हिसाब से गतिविधियों में, घटनाओं में, projects में engage हों। इसे अपने हिसाब से explore करें। इन गतिविधियों, घटनाओं, projects को विभिन्न दृष्टिकोण को अपने experience से सीखें। ये उनका personal experience हो सकता है या collaborative experience हो सकता है। फिर बच्चे रचनात्मक तरीके से Express करना सीखें। इन सब को मिला कर ही फिर excel करने का रास्ता बनता है। अब जैसे कि, हम बच्चों को पहाड़ों पर, ऐतिहासिक जगहों पर, खेतों में, सुरक्षित मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट्स में लेकर जा सकते हैं। + +साथियों, हमारे देश भर में हर क्षेत्र की अपनी कुछ न कुछ खूबी है, कोई न कोई पारंपरिक कला, कारीगरी, products हर जगह के मशहूर हैं। जैसे कि बिहार में भागलपुर की साड़ियाँ, वहाँ का सिल्क देश भर में फेमस है। स्टूडेंट्स उन करघों, हथकरघों में visit करें, देखें आखिर ये कपड़े बनते कैसे हैं? उनको सीखाया जाए जरा तुम …. उसमें जो काम कर रहे हैं, उनसे सवाल पूछो। क्‍लासरूम में सवाल सीखाकर के ले जाएं। फिर उनको कहा जाए बताओ तुमने क्‍या पूछा था … क्‍या जवाब मिला। यही तो लर्निंग है। जब वह स्‍पेसिफिक पूछेगा – आप धागा कहां से लाते हो, धागे का रंग कैसे होता है, साड़ी पर चमक कैसी आती है। वो बच्‍चा अपनी मर्जी से पूछने लगेगा, आप देखिए उसको बहुत कुछ सीखने को मिल जाएगा। + +साथियों, राष्ट्रीय शिक्षा नीति को इसी तरह तैयार किया गया है ताकि Syllabus को कम किया जा सके और fundamental चीज़ों पर ध्यान केन्द्रित किया जा सके। लर्निंग को Integrated एवं Inter-Disciplinary, Fun based और complete experience बनाने के लिए एक National Curriculum Framework develop किया जायेगा।ये भी तय किया गया है कि 2022 में जब हम आजादी के 75 वर्ष मनाएंगे, तो हमारे Students इस नए  करिकुलम के साथ ही नए भविष्य की तरफ कदम बढ़ाएंगे। ये भी forward looking, future ready और scientific curriculum होगा। इसके लिए सभी के सुझाव लिए जाएंगे, और सभी के recommendations और modern education systems को इसमें समाहित किया जायेगा। + +साथियों, भविष्य की दुनिया, हमारी आज की दुनिया से काफी अलग होने वाली है। हम इसकी जरूरतों को अभी से देख सकते हैं, सेंस कर सकते हैं। ऐसे में हमें अपने Students को 21St century की skills के साथ आगे बढ़ाना है। ये 21St Century की Skills क्या होंगी? ये होंगी- -Critical Thinking -Creativity -Collaboration -Curiosity और Communication. हमारे students, sustainable future, sustainable science को समझें, उस दिशा में सोचें, ये सब आज समय की मांग है, बहुत जरूरी है। इसलिए, छात्र शुरुआत से ही कोडिंग सीखें, Artificial Intelligence को समझें, Internet of Things, Cloud Computing, Data Science और Robotics से जुड़ें, ये सब हमें देखना होगा। + +परीक्षा इस तरह होनी चाहिए कि छात्रों पर इसका बेवजह का दबाव न पड़े। और कोशिश ये है कि केवल एक परीक्षा से छात्र-छात्राओं का मूल्यांकन न किया जाए, बल्कि Self-assessment, Peer-To-Peer assessment से छात्रों के विकास के विभिन्न पहलुओं का मूल्यांकन हो। इसलिए, राष्ट्रीय शिक्षा नीति में मार्क्सशीट की जगह Holistic report card पे बल दिया गया है। Holistic report card विद्यार्थियों के unique potential, aptitude, attitude, talent, skills, efficiency, competency और possibilities की detailed sheet होगी। मूल्यांकन प्रणाली के संपूर्ण सुधार के लिए एक नये राष्ट्रीय मूल्यांकन केंद्र “परख” की स्थापना भी की जाएगी। + +आप में से बहुत से लोग ये जानते होंगे कि 2018 में Programme for International Student Assessment- PISA की top ranking वाले जितने देश थे, जैसे कि Estonia, Ireland, Finland, Japan, South Korea, Poland, इन सब देशों में प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में दी जाती है। ये बात स्वाभाविक है कि जिस भाषा को सुनते हुये बच्चे पलते हैं, जो भाषा घर की भाषा होती है, उसी में बच्चों की सीखने की गति बेहतर होती है। वर्ना होता ये है कि बच्चे जब किसी दूसरी भाषा में कुछ सुनते हैं, तो पहले वो उसे अपनी भाषा में translate करते हैं, फिर उसको समझते हैं। बाल मन में ये बड़ी उलझन पैदा करती है, बहुत स्ट्रेस देने वाली बात होती है। इसका एक और पहलू है। हमारे देश में, खासकर ग्रामीण क्षेत्र में, पढ़ाई मातृभाषा से अलग होने पर ज़्यादातर parents बच्चों की पढ़ाई से जुड़ भी नहीं पाते। ऐसे में बच्चों के लिए पढ़ाई एक सहज प्रक्रिया नहीं रह जाती, बल्कि पढ़ाई स्कूल की एक duty बन जाती है। पेरेंट्स और स्कूल के बीच में एक लाइन खिच जाती है। + +साथियों, पिछले तीन दशकों में दुनिया का हर क्षेत्र बदल गया। हर व्यवस्था बदल गई। इन तीन दशकों में हमारे जीवन का शायद ही कोई पक्ष हो जो पहले जैसा हो। लेकिन वो मार्ग, जिस पर चलते हुए समाज भविष्य की तरफ बढ़ता है, हमारी शिक्षा व्यवस्था, वो अब भी पुराने ढर्रे पर ही चल रही थी। पुरानी शिक्षा व्यवस्था को बदलना उतना ही आवश्यक था जितना किसी खराब हुए ब्लैकबोर्ड को बदलना आवश्यक होता है। जैसे हर स्कूल में पिन-अप बोर्ड होता है। उसमें तमाम जरूरी कागज, स्कूल के जरूरी आदेश, बच्चों की बनाई पेन्टिंग आदि आप लोग लगाते हैं। ये बोर्ड हर कुछ समय में भर भी जाता है। उस पिन-अप बोर्ड पर नई क्लास के नए बच्चों की नई पेन्टिंग्स लगाने के लिए आपको बदलाव करना ही पड़ता है। + +साथियों, राष्ट्रीय शिक्षा नीति में पुरानी 10 Plus 2 की जगह, 5 Plus 3 Plus 3 Plus 4 की व्यवस्था बहुत सोच- समझकर की गई है। इसमें Early Childhood Care and Education को एक बुनियाद के रुप में, नींव के रूप में शामिल किया गया है। आज हम देखें तो प्री स्कूल की Playful Education शहरों में, प्राइवेट स्कूलों तक ही सीमित है। वो अब गाँवों में भी पहुंचेगी, गरीब के  घर तक  पहुंचेगी, अमीर, गांव-शहर, हर किसी के, हर जगह के बच्चों को मिलेगी। मूलभूत शिक्षा पर ध्यान इस नीति का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत Foundational Literacy and Numeracy के विकास को एक राष्ट्रीय मिशन के रुप में लिया जायेगा। प्रारम्भिक भाषा का ज्ञान, संख्या का ज्ञान, बच्चों में सामान्य लेख को पढ़ने और समझने की क्षमता का विकास, ये बहुत आवश्यक होता है। बच्चा आगे जा कर Read To Learn करें, इसके लिए जरूरी है कि शुरुआत में वो Learn To Read करना सीखे। Learn To Read से Read To Learn की ये विकास यात्रा Foundational Literacy and Numeracy के माध्यम से पूरी की जायगी। + +साथियों, हमें ये सुनिश्चित करना है कि जो भी बच्चा तीसरी कक्षा पार करता है, वो एक मिनट में 30 से 35 शब्द तक आसानी से पढ़ पाए। इसे आप लोग Oral Reading Fluency कहते हैं। जिस बच्चे को हम इस लेवल तक ला पाएंगे, shape कर पाएंगे, सिखा पाएंगे, तो भविष्य में उस विद्यार्थी को बाकी subjects का content समझने में और आसानी रहेगी। मैं इसके लिए आपको सुझाव देता हूं। ये जो छोटे-छोटे बच्‍चे हैं ..उनके साथ उनके 25-30 दोस्‍त भी होंगे क्‍लास में। आप उनको कहिए चलो भाई तुम कितनों के नाम जानते हो … तुम बोलो। फिर कहो अच्‍छा तुम कितनी तेजी से नाम बता सकते हो, फिर कहिए तुम तेजी से भी बोलो और उसको वहां खड़ा भी करो। आप देखिए कितने 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साथ कितनी सारी चीजें सीख भी रहे होते हैं। मुझे याद है, जब मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था.. तो एक कार्यक्रम चला था। हमने सूचना दी सभी स्‍कूलों को …. हमने कहा सभी स्कूलों के बच्‍चे अपने गांव के अंदर सबसे बड़ी उम्र का पेड़ कौन सा है ….जिस पेड़ की सबसे ज्‍यादा उम्र हो चुकी है उसे ढूढ़ो। तो उन्‍हें सब जबह जाना पडा, गांव के आसपास के सारे पेड़ देखने पड़े, टीचर को पूछा पड़ा। और सबने सहमति की कि ये पेड़ बहुत पुराना है और बाद में बच्‍चों ने स्‍कूल में आकर के उस पर गीत लिखें, निबंध लिखें…. वक्‍तत्‍व कथाएं की …. यानि उस पेड़ का महात्‍मय क्‍या है। + +लेकिन उसी प्रक्रिया में उन्‍हें कई पेड़ देखने पड़े, सबसे बड़ा उम्र वाला पेड़ ढूढ़ना पड़ा। बहुत चीजें वो सीखने लग गए और मैं कह सकता हूं, ये प्रयोग बहुत सफल रहा। एक तरफ बच्चों को पर्यावरण की जानकारी मिली, साथ ही साथ उन्हें अपने गांव के विषय में ढेर सारी जानकारियां प्राप्त करने का मौका भी मिला। हमें इसी तरह के आसान और नए-नए तौर-तरीकों को बढ़ाना होगा। हमारे ये प्रयोग, New age learning का मूलमंत्र होना चाहिए- Engage, Explore, Experience, Express और Excel. यानि कि, students अपने रूचि के हिसाब से गतिविधियों में, घटनाओं में, projects में engage हों। इसे अपने हिसाब से explore करें। इन गतिविधियों, घटनाओं, projects को विभिन्न दृष्टिकोण को अपने experience से सीखें। ये उनका personal experience हो सकता है या collaborative experience हो सकता है। फिर बच्चे रचनात्मक तरीके से Express करना सीखें। इन सब को मिला कर ही फिर excel करने का रास्ता बनता है। अब जैसे कि, हम बच्चों को पहाड़ों पर, ऐतिहासिक जगहों पर, खेतों में, सुरक्षित मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट्स में लेकर जा सकते हैं। + +साथियों, हमारे देश भर में हर क्षेत्र की अपनी कुछ न कुछ खूबी है, कोई न कोई पारंपरिक कला, कारीगरी, products हर जगह के मशहूर हैं। जैसे कि बिहार में भागलपुर की साड़ियाँ, वहाँ का सिल्क देश भर में फेमस है। स्टूडेंट्स उन करघों, हथकरघों में visit करें, देखें आखिर ये कपड़े बनते कैसे हैं? उनको सीखाया जाए जरा तुम …. उसमें जो काम कर रहे हैं, उनसे सवाल पूछो। क्‍लासरूम में सवाल सीखाकर के ले जाएं। फिर उनको कहा जाए बताओ तुमने क्‍या पूछा था … क्‍या जवाब मिला। यही तो लर्निंग है। जब वह स्‍पेसिफिक पूछेगा – आप धागा कहां से लाते हो, धागे का रंग कैसे होता है, साड़ी पर चमक कैसी आती है। वो बच्‍चा अपनी मर्जी से पूछने लगेगा, आप देखिए उसको बहुत कुछ सीखने को मिल जाएगा। + +साथियों, राष्ट्रीय शिक्षा नीति को इसी तरह तैयार किया गया है ताकि Syllabus को कम किया जा सके और fundamental चीज़ों पर ध्यान केन्द्रित किया जा सके। लर्निंग को Integrated एवं Inter-Disciplinary, Fun based और complete experience बनाने के लिए एक National Curriculum Framework develop किया जायेगा।ये भी तय किया गया है कि 2022 में जब हम आजादी के 75 वर्ष मनाएंगे, तो हमारे Students इस नए  करिकुलम के साथ ही नए भविष्य की तरफ कदम बढ़ाएंगे। ये भी forward looking, future ready और scientific curriculum होगा। इसके लिए सभी के सुझाव लिए जाएंगे, और सभी के recommendations और modern education systems को इसमें समाहित किया जायेगा। + +साथियों, भविष्य की दुनिया, हमारी आज की दुनिया से काफी अलग होने वाली है। हम इसकी जरूरतों को अभी से देख सकते हैं, सेंस कर सकते हैं। ऐसे में हमें अपने Students को 21St century की skills के साथ आगे बढ़ाना है। ये 21St Century की Skills क्या होंगी? ये होंगी- -Critical Thinking -Creativity -Collaboration -Curiosity और Communication. हमारे students, sustainable future, sustainable science को समझें, उस दिशा में सोचें, ये सब आज समय की मांग है, बहुत जरूरी है। इसलिए, छात्र शुरुआत से ही कोडिंग सीखें, Artificial Intelligence को समझें, Internet of Things, Cloud Computing, Data Science और Robotics से जुड़ें, ये सब हमें देखना होगा। + +परीक्षा इस तरह होनी चाहिए कि छात्रों पर इसका बेवजह का दबाव न पड़े। और कोशिश ये है कि केवल एक परीक्षा से छात्र-छात्राओं का मूल्यांकन न किया जाए, बल्कि Self-assessment, Peer-To-Peer assessment से छात्रों के विकास के विभिन्न पहलुओं का मूल्यांकन हो। इसलिए, राष्ट्रीय शिक्षा नीति में मार्क्सशीट की जगह Holistic report card पे बल दिया गया है। Holistic report card विद्यार्थियों के unique potential, aptitude, attitude, talent, skills, efficiency, competency और possibilities की detailed sheet होगी। मूल्यांकन प्रणाली के संपूर्ण सुधार के लिए एक नये राष्ट्रीय मूल्यांकन केंद्र “परख” की स्थापना भी की जाएगी। + +आप में से बहुत से लोग ये जानते होंगे कि 2018 में Programme for International Student Assessment- PISA की top ranking वाले जितने देश थे, जैसे कि Estonia, Ireland, Finland, Japan, South Korea, Poland, इन सब देशों में प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में दी जाती है। ये बात स्वाभाविक है कि जिस भाषा को सुनते हुये बच्चे पलते हैं, जो भाषा घर की भाषा होती है, उसी में बच्चों की सीखने की गति बेहतर होती है। वर्ना होता ये है कि बच्चे जब किसी दूसरी भाषा में कुछ सुनते हैं, तो पहले वो उसे अपनी भाषा में translate करते हैं, फिर उसको समझते हैं। बाल मन में ये बड़ी उलझन पैदा करती है, बहुत स्ट्रेस देने वाली बात होती है। इसका एक और पहलू है। हमारे देश में, खासकर ग्रामीण क्षेत्र में, पढ़ाई मातृभाषा से अलग होने पर ज़्यादातर parents बच्चों की पढ़ाई से जुड़ भी नहीं पाते। ऐसे में बच्चों के लिए पढ़ाई एक सहज प्रक्रिया नहीं रह जाती, बल्कि पढ़ाई स्कूल की एक duty बन जाती है। पेरेंट्स और स्कूल के बीच में एक लाइन खिच जाती है। + diff --git a/pm-speech/364.txt b/pm-speech/364.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..54276162f72d81871c36c1520b1c9cf368c36cff --- /dev/null +++ b/pm-speech/364.txt @@ -0,0 +1,8 @@ +साथियों, नीतीश जी के नेतृत्व में बिहार में गांव-गांव पानी पहुंचाने के लिए बहुत प्रशंसनीय काम हो रहा है। 4-5 साल पहले बिहार में सिर्फ 2 प्रतिशत घर पीने के साफ पानी की सप्लाई से जुड़े थे। आज ये आंकड़ा बढ़कर 70 प्रतिशत से अधिक हो गया है। इस दौरान करीब-करीब डेढ़ करोड़ घरों को पानी की सप्लाई से जोड़ा गया है। नीतीश जी के इस अभियान को अब जल जीवन मिशन से नई ताकत मिली है। मुझे जानकारी दी गई है कि कोरोना के इस समय में भी बिहार में करीब 60 लाख घरों को नल से जल मिलना सुनिश्चित किया गया है। ये वाकई बहुत बड़ी उपलब्धि है। ये इस बात का भी उदाहरण है कि इस संकट काल में जब देश में लगभग सब कुछ थम गया था, तब भी हमारे गांवों में किस तरह एक आत्‍मविश्‍वास के साथ काम चलता रहा। ये हमारे गांवों की ही ताकत है कि कोरोना के बावजूद अनाज, फल, सब्जियां, दूध, जो भी आवश्‍यक चीजें थीं, मंडियों तक, डेयरियों तक बिना किसी कमी आता रहा, लोगों तक पहुंचता ही रहा। + +साथियों, बिहार अब उत्तम देसी नस्लों के विकास को लेकर देश का एक प्रमुख सेंटर बन रहा है। राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत आज पूर्णिया, पटना, बरौनी में जो आधुनिक सुविधाएं बनी हैं उससे डेयरी सेक्टर में बिहार की स्थिति और मज़बूत होने वाली है। पूर्णिया में जो सेंटर बना है, वो तो भारत के सबसे बड़े सेंटरों में से एक है। इससे सिर्फ बिहार ही नहीं पूर्वी भारत के बड़े हिस्से को बहुत लाभ होगा। इस केंद्र से ‘बछौर’ और ‘रेड पूर्णिया’ जैसी बिहार की देसी नस्लों के विकास और संरक्षण को भी और ज्यादा बढ़ावा मिलेगा। + +साथियों, गुलामी के कालखंड में ही, समस्तीपुर के पूसा में राष्ट्रीय स्तर का एग्रीकल्चर रिसर्च सेंटर खुला था। आज़ादी के बाद डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद और जननायक कर्पूरी ठाकुर जैसे विजनरी नेताओं ने इस परंपरा को आगे बढ़ाया। इन्हीं के प्रयासों से प्रेरणा लेते हुए साल 2016 में डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद कृषि विश्विद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय के रूप में मान्यता दी गई थी। इसके बाद इस यूनिवर्सिटी में और इसके तहत चलने वाले कॉलेज में Courses का भी और सुविधाओं का भी व्यापक विस्तार किया गया है। चाहे मोतिहारी में Agriculture और Forestry का नया कॉलेज हो, पूसा में School of Agribusiness and ruralmanagementहो, बिहार में कृषि विज्ञान और कृषि प्रबंधन की पढ़ाई के लिए शिक्षा व्यवस्थाओं को और मजबूत किया जा रहा है। इसी काम को और आगे बढ़ाते हुए School of agribusiness and rural managementकी नई बिल्डिंग का उद्घाटन हुआ है। साथ ही, नए हॉस्टल, स्टेडियम और गेस्ट हाउस का भी शिलान्यास किया गया है। + +साथियों, अब भारत उस स्थिति की तरफ बढ़ रहा है जब गांव के पास ही ऐसे क्लस्टर बनेंगे जहां, फूड प्रोसेसिंग से जुड़े उद्योग भी लगेंगे और पास ही उससे जुड़े रिसर्च सेंटर भी होंगे। यानि एक तरह से हम कह सकते हैं- जय किसान, जय विज्ञान और जय अनुसंधान। इन तीनों की ताकत जब एकजुट होकर काम करेगी, तब देश के ग्रामीण जीवन में बहुत बड़े बदलाव होने तय हैं। बिहार में तो इसके लिए बहुत संभावनाएं हैं। यहां के फल, चाहे वो लीची हो, जर्दालू आम हो, आंवला हो, मखाना हो, या फिर मधुबनी पेंटिंग्स हो, ऐसे अनेक प्रोडक्ट बिहार के जिले-जिले में हैं। हमें इन लोकल प्रोडक्ट्स के लिए और ज्यादा वोकल होना है। हम लोकल के लिए जितना वोकल होंगे, उतना ही बिहार आत्मनिर्भर बनेगा, उतना ही देश आत्मनिर्भर बनेगा। + diff --git a/pm-speech/365.txt b/pm-speech/365.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..933b7cb8e85fcb2c8c7b46ae3f0b1d4ce6fe488a --- /dev/null +++ b/pm-speech/365.txt @@ -0,0 +1,4 @@ +साथियों, स्वनिधि योजना के बारे में आप सबको बताया ही गया है। जिन साथियों से अभी मैंने बात की, उन्हें इसकी काफी जानकारी है। लेकिन ये बहुत आवश्यक है कि हर जरूरतमंद को, हर रेहड़ी–पटरी वाले को इस योजना के बारे में सब कुछ अच्छी बातें अच्‍छी तरह पता होनी चाहिए। तभी तो हमारे गरीब भाई-बहन उसका फायदा उठा पाएंगे। + +साथियो, हमारा गरीब इन वर्षों में जिस तरह जनधन खातों से, बैंकिंग व्यवस्था से जुड़ा है, उसने एक नई शुरूआत की है। अब बहुत जल्द शहरों की तरह हमारे गाँव भी ऑनलाइन मार्केट से जुड़ेंगे, दुनिया का बाज़ार हमारे गाँवों तक पहुंच जाएगा। इस बार 15 अगस्त को देश ने इसके लिए एक संकल्प लिया है। देश के सभी गाँवों को अगले एक हजार दिनों में ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ा जाएगा। यानि, गाँव–गाँव में, घर–घर में तेज इंटरनेट पहुंचेगा। इससे डिजिटल क्रांति के फायदे भी उतनी ही तेजी से गांव तक, गरीबों तक पहुंचेगे। इसी तरह, देश ने डिजिटल हेल्थ मिशन की भी शुरुआत की है। यानि अब हर देशवासी को एक हेल्थ ID मिलेगी। आपकी सारी जानकारी सुरक्षित तरीके से उसमें रहेगी। इस ID की मदद से आप डॉक्टर से appointment भी ऑनलाइन ले सकेंगे, और हेल्थ चेकअप और reports भी ऑनलाइन ही दिखा पाएंगे। यानि एक तरह से देखें, तो पहले प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना और प्रधानमंत्री जीवन ज्योति योजना से बीमा सुरक्षा मिली, फिर आयुष्मान भारत के तहत पाँच लाख तक मुफ्त इलाज मिला, और अब डिजिटल हेल्थ मिशन से आसान इलाज की सुविधा भी मिलने जा रही। + diff --git a/pm-speech/366.txt b/pm-speech/366.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..8de1bfe29c0e97d6b37c016ea2a2c1a64c36dfc7 --- /dev/null +++ b/pm-speech/366.txt @@ -0,0 +1,4 @@ +अक्षर हमारी भाषा की, हमारी अभिव्यक्ति की पहली इकाई होते हैं। संस्कृत में अक्षर का अर्थ है, जिसका क्षरण न हो। यानि जो हमेशा रहे। विचार की यही शक्ति है। यही सामर्थ्य है। हजारों साल पहले जो विचार, जो ज्ञान किसी ऋषि, महर्षि, वैज्ञानिक, दार्शनिक ने हमें दिया, वो आज भी संसार को आगे बढ़ा रहा है। इसीलिए, हमारे उपनिषदों में, हमारे शास्त्रों में अक्षर ब्रह्म की बात कही गई है,‘अक्षरम् ब्रह्म परमम्’ का सिद्धान्त दिया गया है। हमारे शास्त्रों में कहा गया है-“शब्द ब्रह्मणि निष्णातः परम् ब्रह्माधि गच्छति”॥ यानि, शब्द ही ब्रह्म है। जो इस शब्द ब्रह्म को पूरी तरह जान लेता है, वह ब्रह्मत्व को, ईश्वरत्व को पा लेता है। + +भारत के लोकल products तो ग्लोबल हो ही रहे हैं, लेकिन भारत की आवाज़ भी अब ज्यादा ग्लोबल हो रही है। दुनिया भारत को अब और ज्यादा ध्यान से सुनती है। आज लगभग हर अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की बहुत मजबूत उपस्थिति है। ऐसे में भारतीय मीडिया को भी ग्लोबल होने की जरूरत है। हमारे अखबारों की, magazines की ग्लोबल reputation बने,डिजिटल युग में digitally हम पूरी दुनिया में पहुंचे, दुनिया में जो अलग अलग literary awards दिये जाते हैं,भारत की संस्थाएं भी वैसे ही awards दें, ये भी आज समय की मांग है। ये भी देश के लिए जरूरी है। + diff --git a/pm-speech/367.txt b/pm-speech/367.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..c832e227fb632ab4a837e402dc77daea3f5471a7 --- /dev/null +++ b/pm-speech/367.txt @@ -0,0 +1,18 @@ +शिक्षा नीति क्या हो, कैसी हो, उसका स्वरूप क्या हो, ये तय करने के बाद अब देश एक Step और आगे बढ़ा है। अब पूरे देश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर, उसके implementation को लेकर व्यापक विचार-विमर्श हो रहा है, संवाद हो रहा है। ये व्यापक विमर्श इसलिए ज़रूरी है क्योंकि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-National Education Policy, सिर्फ पढ़ाई-लिखाई के तौर-तरीकों में ही बदलाव लाने के लिए नहीं है। ये पॉलिसी 21वीं सदी के भारत के सामाजिक और आर्थिक जीवन को नई दिशा देने वाली है। + +आज दुनिया भविष्य में तेजी से बदलते jobs, nature of work को लेकर व्‍यापक रूप से चर्चा कर रही है। ये पॉलिसी देश के युवाओं को भविष्य की आवश्यकताओं के मुताबिक knowledge और skills, दोनों मोर्चों पर तैयार करेगी। नई शिक्षा नीति, study के बजाय learning पर फोकस करती है और curriculum से और आगे बढ़कर critical thinking पर ज़ोर देती है। इस पॉलिसी में process से ज्यादा passion, practicality और performance पर बल दिया गया है। इसमें foundational learning और languages पर भी फोकस है। इसमें learning outcomes और teacher training पर भी फोकस है। इसमें access और assessment को लेकर भी व्यापक रिफॉर्म्स किए गए हैं। इसमें हर student को empower करने का रास्ता दिखाया गया है। + +एक तरह से देखें तो ये one size fits all की approach से हमारी शिक्षा व्यवस्था को बाहर निकालने का एक मजबूत प्रयास है। और आप सभी, जो दिग्गज भी ये महसूस करते हैं कि ये प्रयास, असामान्‍य है, सामान्य नहीं है। बीते दशकों से हमारे education system में जो भी कमियां हमें दिखती थीं, जो भी समस्याएं हमको लगती थीं, उनको दूर करने के लिए विस्तार से इस पॉलिसी में चर्चा की गई है। अब जैसे, लंबे समय से ये बातें उठती रही हैं कि हमारे बच्चे बैग और बोर्ड एग्ज़ाम के बोझ तले, परिवार और समाज के दबाव तले दिनोंदिन दबे जा रहे हैं। इस पॉलिसी में इस समस्या को प्रभावी तरीके से address किया गया है। हमारे यहां तो कहा भी जाता है कि, सा विद्या या विमुक्तये। यानि knowledge वही है जो हमारे mind को liberate करे। + +आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए युवाओं का skillful होना बहुत ही ज़रूरी है। छोटी उम्र से ही vocational exposure मिलने से हमारा youth भविष्य के लिए बेहतर तरीके से तैयार होगा। practical learning से हमारे युवा साथियों की employability देश में तो बढ़ेगी ही, global Job market में भी हमारी हिस्सेदारी ज्यादा होगी। हमारे यहां कहा गया है कि- आ नो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतः। यानि अच्छे विचार जिस दिशा से भी आएं उनको ग्रहण करना चाहिए। भारत तो प्राचीन काल से knowledge का एक global center रहा है। 21वीं सदी में भी भारत को हम एक knowledge economy बनाने के लिए प्रयासरत हैं। नई शिक्षा नीति इस संकल्प को सिद्ध करने की दिशा में बड़ा कदम है। + +नई राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति ने brain drain को tackle करने के लिए और सामान्य से सामान्य परिवारों के युवाओं के लिए भी best international institutions के campus भारत में स्थापित करने का रास्ता खोला है। जब देश में ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर के top campus आएंगे तो पढ़ाई के लिए बाहर जाने की प्रवृत्ति भी कम होगी और हमारे अपने यूनिवर्सिटी, कॉलेज भी ज्यादा competitive हो पाएंगे। इसका एक और पहलू online education भी है, जिससे पढ़ाई-लिखाई के लिए local हो या international, हर प्रकार की सीमाएं समाप्त हो जाती हैं। + +आप सभी के पास भी अनेक सवाल होंगे, जिन पर आप चर्चा भी कर रहे हैं। ये सवाल implementation से जुड़े ज्यादा हैं। जैसे इसमें curriculum design कैसे हो पाएगा? स्थानीय भाषाओं में syllabus और content कैसे तैयार हो पाएगा? libraries को लेकर, डिजिटल और ऑनलाइन कंटेंट और पढ़ाई को लेकर जो बातें इसमें रखी गई हैं, उन पर कैसे काम होगा? कहीं साधन-संसाधन के अभाव में हम अपने लक्ष्यों से चूक तो नहीं जांएगे? administration को लेकर भी अनेक प्रकार के सवाल आप सभी के मन में स्वभाविक रूप से होंगे। ये सभी सवाल महत्वपूर्ण भी हैं। + +हर सवाल के समाधान के लिए हम सब मिलकर काम कर रहे हैं। शिक्षा मंत्रालय की तरफ से भी लगातार संवाद जारी है। राज्यों में भी हर स्टेकहोल्डर की पूरी बात, हर राय को, फीडबैक को, खुले मन से सुना जा रहा है। आखिर हम सभी को मिलकर ही तो तमाम शंकाओं और आशंकाओं का समाधान करना है। जिस प्रकार की flexibility का विजन लेकर ये policy आई है, उसी प्रकार maximum flexibility हम सभी को भी Implementation को लेकर भी दिखानी होगी। + +कोई भी system, उतना ही effective और inclusive हो सकता है, जितना बेहतर उसका गवर्नेंस मॉडल होता है। यही सोच education से जुड़ी गवर्नेंस को लेकर भी ये पॉलिसी रिफ्लेक्ट करती है। कोशिश ये की जा रही है कि higher education के हर पहलू, चाहे वो academic हो, technical हो, vocational हो, हर प्रकार की शिक्षा को silos से बाहर निकाला जाए। administrative layers को कम से कम रखा जाए, उनमें अधिक समन्वय हो, ये प्रयास भी इस पॉलिसी के माध्यम से किया गया है। higher education के regulation को भी इस पॉलिसी के जरिए, और simplify, और streamline किया जाएगा। + +graded autonomy के concept के पीछे भी कोशिश यही है कि हर कॉलेज, हर यूनिवर्सिटी के बीच healthy competition को encourage किया जाए और जो संस्थान बेहतर perform करते हैं उनको Reward किया जाए। अब हम सभी का ये सामूहिक दायित्व है कि National Education Policy (NEP-2020) की इस भावना को हम letter and spirit में लागू कर सकें। मेरा आप सभी से विशेष आग्रह है कि 25 सितंबर से पहले अपने राज्यों, केन्द्र शासित प्रदेशों की universities में ज्यादा से ज्यादा इस प्रकार के virtual conference आयोजित किए जाएं। प्रयास यही है कि National Education Policy को लेकर समझ निरंतर हम समझते चलें, हमारी समझ बेहतर हो सके, इसके लिए प्रयास हो। एक बार फिर आप सभी को अपना समय निकालने के लिए बहुत-बहुत आभार व्‍यक्‍त करता हूं। + diff --git a/pm-speech/368.txt b/pm-speech/368.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..0dd25eea97c6b6b2abf27efb8f4eb19735deb932 --- /dev/null +++ b/pm-speech/368.txt @@ -0,0 +1,18 @@ +मैं चाहूंगा कि आप इसमें शुरू के कालखंड में जितने over conscious रहें, जरूर रहें क्‍योंकि First impression is the last impression. अगर आपकी एक छवि शुरू में ऐस बन गई कि भई ये इस प्रकार के अफसर हैं, फिर आप कहीं पर भी ट्रांसफर करोगे, वो आपकी छवि आपके साथ travel करती जाएगी। तो आपको उसमें से बाहर आने में बहुत समय जाएगा। आप बहुत carefully ये कोशिश कीजिए। + +हमें भूलना नहीं चाहिए कि हम एक democratic व्‍यवस्‍था हैं। लोकतंत्र में दल कोई भी हो, जन प्रतिनिधि का एक बड़ा महत्‍व होता है। जन-प्रतिनिधि का सम्‍मान करने का मतलब है लोकतांत्रिक प्रक्रिया का सम्‍मान करना। उसके साथ हमारे differencesहो तो भी एक तरीका होता है। उस तरीके को हमें अपनाना चाहिए। मैं मेरा अपना अनुभव बता रहा हूं। मैं जब नया-नया मुख्‍यमंत्री बना तो ये जो आपको ट्रेनिंग दे रहे हैं ना अतुल, वो उस समय मुझे ट्रेनिंग दे रहे थे।और मैं उनके अंडर में ट्रेंड हुआ हूं। क्‍योंकि वो मेरे security in charge थे।CM Security के। + +तो एक दिन क्‍या हुआ मुझे ये पुलिस, तामझाम, मुझे mentally मैं फिट नही होता। मुझे बड़ा अटपटा लगता है, लेकिन मजबूरन मुझे उसमें रहना पड़ता था। और कभी-कभी मैं कानून-नियम तोड़कर कार से उतर जाता था, भीड़ में उतरकर लोगों से हाथ मिला लेता था। तो एक दिन अतुल करवल ने मेरे से टाइम लिया। मेरे चैंबर में मिलने आए। शायद उनको याद है कि नहीं मुझे मालूम नहीं, और उन्‍होंने अपनी नाराजगी मुझे प्रकट की। काफी जूनियर थे वो, मैं आज से 20 साल पहले की बात कर रहा हूं। + +उन्‍होंने अपने मुख्‍यमंत्री के सामने आंख में आंख मिला करके अपनी नाराजगी व्‍यक्‍त की। उन्‍होंने कहा, साहब आप ऐसे नहीं जा सकते, कार में से आप अपनी मर्जी से नहीं उतर सकते, आप ऐसे भीड़ में नहीं जा सकते।मैंन कहा, भाई मेरी जिंदगी के तुम मालिक हो क्‍या? ये तुम तय करोगे क्‍यामुझे क्‍या करना है क्‍या नहीं? वो जरा भी हिले नहीं, मैं उसके सामने बोल रहा हूं आज। वो जरा भी हिले नहीं, डिगे नहीं उन्‍होंने मुझे साफ कहा कि साहब आप व्‍यक्तिगत नहीं हैं। आप राज्‍य की संपत्ति हैं। और मेरी इस संपत्ति को संभालना जिम्‍मेदारी है। आपको नियमों का पालन करना होगा, ये मेरा आग्रह रहेगा और मैं नियमों का पालन करवाऊंगा। + +एक और विषय है –देखिए इन दिनों टेक्‍नोलॉजी ने बहुत बड़ी मदद की है। ज्‍यादातर हमें जो काम पहले हमारीConstabulary level की जो information होती थी, intelligence होती थी, उसी से पुलिसिंग का काम अच्‍छे ढंग से होता था। दुभाग्‍य से उसमें थोड़ी कमी आई है। इसमें कभी भी compromise मत होने देना। Constabulary level की intelligence पुलिसिंगके लिए बहुत आवश्‍यक होती है जी, इसमें कमी मत आने देना। आपको अपनी assets, अपने रिसोर्सस, इसको जितना पनपा सकते हैं पनपाएं, पर थाने के लोगों को बल देना चाहिए, उनको प्रोत्‍साहित करना चाहिए। लेकिन इन दिनों टेक्‍नोलॉजी इतनी बड़ी मात्रा में सरलता से उपलब्‍ध है, इतने दिनों जितने भी क्राइम detect होते हैं, उसमें टेक्‍नोलॉजी बहुत मदद कर रही है। चाहेसीसीटीवी कैमरा फुटेज हों, या मोबाइल ट्रेकिंग हो, आपको बहुत बड़ी मदद करते हैं।अच्छी चीज है लेकिन इन दिनों जितने पुलिस के लोग suspend होते हैं, उसका कारण भी टेक्‍नोलॉजी है। क्‍योंकि वो कहीं बदतमीजी कर देते हैं, कहीं गुस्‍सा कर देते हैं, कहीं बैलेंस खो देते हैं, कभी आवश्‍यकता से अधिक कुछ कर देते हैं और दूर कोई वीडियो उतारता है, पता ही नहीं होता है। फिर वो वीडियो वायरल हो जाता है। फिर इतना बड़ा मीडिया का प्रेशर बन जाता है और वैसे भी पुलिस के खिलाफ बोलने के लिए ज्‍यादा लोग मिल ही जाते हैं। आखिरकार सिस्‍टम को कुछ दिन के लिए तो उनको suspend करना ही पड़ता है। पूरे career में धब्‍बा लग जाता है। + +जैसे टेक्‍नोलॉजी मदद कर रही है, टेक्‍नोलॉजी मुसीबत भी कर रही है। पुलिस को सबसे ज्‍यादा कर रही है। आपको trained करना होगा लोगों को। टेक्‍नोलॉजी को सकारात्‍मक अच्‍छे से अच्‍छा, ज्‍यादा से ज्‍यादा उपयोग कैसे हो, इस पर बल देना चाहिए। और मैंने देखा कि आपकी पूरी बैच में टेक्‍नोलॉजी के background वाले लोग बहुत हैं। आज information की कमी नहीं है जी। आज information का analysis और उसमें से सही चीज निकालना, big data और artificial intelligence, social media, ये चीजें अपने-आप में आपके एक नए हथियार बन गए हैं। आपको अपनी एक टोली बनानी चाहिए। अपने साथ काम करने वाले लोग, उनको जोड़ना चाहिए। और जरूरी नहीं है कि हर कोई बढ़ी टेक्‍नोलॉजी का एक्‍सपर्ट हो। + +मैं एक उदाहरण बताता हूं। जब मैं सीएम था तो मेरी सिक्‍युरिटी में एक कांस्‍टेबल था। कांस्‍टेबल या थोड़ा उससे ऊपर का होगा, मुझे याद नहीं है। भारत सरकार, यूपीए गर्वनमेंट थी और एक email, वो email correct नहीं हो रहा था। और भारत सरकार के लिए ये चिंता का विषय था इस मामले में। तो ये चीजें अखबार में भी आईं। मेरी टोली में एक सामान्‍य 12वं कक्षा पढ़ा हुआ एक नौजवान था, उसनेउसमें रुचि ली। और आप हैरान हो जाएंगे, उसने उसको correct किया और उस समय शायद गृहमंत्री चिदम्‍बरम जी थे, उन्‍होंने उसको बुलाया, उसको सर्टिफिकेट दिया। यानी कि कुछ ही ऐसे लोग होते हैं जिनके पास विधा होती है। + +अगर आप natural calamitiesमें जनता की मदद करने में पुलिस बल की क्‍योंकि ड्यटी तो आपकी आ ही जाती है, लेकिन ये अगर महारत है तो बड़ी आसानी से इस ड्यूटी को आप संभाल सकते हैं और इन दिनों इसकी requirement बढ़ती चली जा रही है। और through NDRF, through SDRF आप पूरे पुलिस बेड़े की एक नई छवि, एक नई पहचान आज देश में बन रही है। + +मैं चाहूंगा कि अनेक ऐसे क्षेत्र हैं जिसमें आप लीडरशिप दे सकते हैं। आपने देखा होगा trainingका बहुत बड़ा महत्‍व होता है। हम training को कभी कम मत आंकें। ज्‍यादातर हमारे देश में सरकारी मुलाजिम के लिए trainingको punishment माना जाता है। ट्रेनिंग यानी कोई निकम्‍मा अफसर होगा तो उसको ट्रेनिंग के काम में लगाया होगा, ऐसा impression बन जाता है। हमने ट्रेनिंग को इतना नीचे कर दिया है, वो हमारी सारी good governance की समस्‍याओं की जड़ में है और उसमें से हमको बाहर आना होगा। + diff --git a/pm-speech/369.txt b/pm-speech/369.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..8e8665d0048b84e62a6e1d8cb434d3d6113b7828 --- /dev/null +++ b/pm-speech/369.txt @@ -0,0 +1,8 @@ +महामारी ने कई क्षेत्रों को प्रभावित किया हैं। लेकिन इससे 1.3 अरब भारतीयों की आकांक्षाएं और महत्वाकांक्षाएं बेअसर रही हैं। हाल के महीनों में, कई दूरगामी सुधार हुए हैं। इनमें कारोबार को आसान बनाना और लालफीताशाही में कमी लाना शामिल है। दुनिया के सबसे बड़े आवासीय कार्यक्रम पर सक्रियता से काम हो रहा है। अक्षय ऊर्जा के विस्तार पर काम हो रहा है। रेल, सड़क और वायु संपर्क-मार्ग बढ़ाया जा रहा है। हमारा देश एक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की स्थापना के लिए एक विशेष डिजिटल मॉडल तैयार कर रहा है। हम करोड़ों लोगों को बैंकिंग, कर्ज, डिजिटल भुगतान और बीमा उपलब्ध कराने के लिए सर्वश्रेष्ठ फिन-टेक (वित्तीय तकनीक) का उपयोग कर रहे हैं। ये सभी पहल विश्व स्तरीय तकनीक और सर्वश्रेष्ठ वैश्विक प्रक्रियाओं का उपयोग करके की जा रही हैं। + +परिणामस्वरूप, भारत विदेशी निवेश के लिए अग्रणी स्थलों में से एक के रूप में उभर रहा है। चाहे यह अमेरिका हो या खाड़ी देश, चाहे यूरोप हो या आस्ट्रेलिया- दुनिया हम पर विश्वास करती है। इस साल हमें 20 अरब डॉलर का विदेशी निवेश प्रवाह हासिल हुआ है। गूगल, अमेजन और मुबाडाला इन्वेस्टमेंट्स ने भारत के लिए दीर्घकालिक योजनाओं का ऐलान किया हैं। + +भारत एक पारदर्शी और पूर्व अनुमानित कर व्यवस्था की पेशकश करता है। हमारी व्यवस्था ईमानदार करदाताओं को प्रोत्साहित करती है और समर्थन देती है। हमारा जीएसटी एक एकीकृत, पूर्ण रूप से आईटी समर्थ अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था है। दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता से पूरी वित्तीय व्यवस्था के लिए जोखिम कम हुआ है। हमारे व्यापक श्रम सुधारों से नियोक्ताओं के लिए अनुपालन का बोझ कम होगा। इससे कामगारों को सामाजिक सुरक्षा भी मिलेगी। + +विकास को गति देने में निवेश के महत्व को कम नहीं आंका जा सकता। हम मांग और आपूर्ति दोनों पक्ष पर नजर बनाए हुए हैं। भारत को दुनिया में सबसे कम कर वाला देश बनाने और नई विनिर्माण इकाइयों को प्रोत्साहन देने पर काम हो रहा है। नागरिकों की सहायता में अनिवार्य ई-प्लेटफॉर्म आधारित ‘फेसलेस एसेसमेंट’ एक दूरगामी कदम साबित होगा। करदाता चार्टर भी इसी दिशा में उठाया गया एक कदम है। बॉन्ड बाजार में जारी नियामकीय सुधारों से निवेशकों के लिए पहुंच में सुधार सुनिश्चित होंगे। बुनियादी ढांचा क्षेत्र में निवेश के लिए ‘सॉवरेन वेल्थ फंड्स’ और ‘पेंशन फंड्स’ को कर में छूट दी गई हैं। 2019 में भारत में एफडीआई में 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। यह बढ़ोतरी इसलिए भी अहम है, क्योंकि वैश्विक एफडीआई प्रवाह में 1 प्रतिशत की गिरावट रही है। इससे हमारी एफडीआई व्यवस्था की सफलता का पता चलता है। उक्त सभी कदमों से एक उज्ज्वल और ज्यादा समृद्ध भविष्य सुनिश्चित होगा। ये मजबूत वैश्विक अर्थव्यवस्था में भी योगदान करेंगे। + diff --git a/pm-speech/370.txt b/pm-speech/370.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..f909e153c0573b646fe1cc96a45ac8f8e7598fef --- /dev/null +++ b/pm-speech/370.txt @@ -0,0 +1,12 @@ +खिलौने जहां activity को बढ़ाने वाले होते हैं, तो खिलौने हमारी आकांक्षाओं को भी उड़ान देते हैं | खिलौने केवल मन ही नहीं बहलाते, खिलौने मन बनाते भी हैं और मकसद गढ़ते भी हैं | मैंने कहीं पढ़ा, कि, खिलौनों के सम्बन्ध में गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने कहा था कि best Toy वो होता है जो Incomplete हो | ऐसा खिलौना, जो अधूरा हो, और, बच्चे मिलकर खेल-खेल में उसे पूरा करें |  गुरुदेव टैगोर ने कहा था कि जब वो छोटे थे तो खुद की कल्पना से, घर में मिलने वाले सामानों से ही, अपने दोस्तों के साथ, अपने खिलौने और खेल बनाया करते थे | लेकिन, एक दिन बचपन के उन मौज-मस्ती भरे पलों में बड़ों का दखल हो गया | हुआ ये था कि उनका एक साथी, एक बड़ा और सुंदर सा, विदेशी खिलौना लेकर आ गया | खिलौने को लेकर इतराते हुए अब सब साथी का ध्यान खेल से ज्यादा खिलौने पर रह गया | हर किसी के आकर्षण का केंद्र खेल नहीं रहा, खिलौना बन गया |  जो बच्चा कल तक सबके साथ खेलता था, सबके साथ रहता था, घुलमिल जाता था, खेल में डूब जाता था, वो अब दूर रहने लगा | एक तरह से बाकी बच्चों से भेद का भाव उसके मन में बैठ गया | महंगे खिलौने में बनाने के लिये भी कुछ नहीं था, सीखने के लिये भी कुछ नहीं था | यानी कि, एक आकर्षक खिलौने ने एक उत्कृष्ठ बच्चे को कहीं दबा दिया, छिपा दिया, मुरझा दिया | इस खिलौने ने धन का, सम्पत्ति का, जरा बड़प्पन का प्रदर्शन कर लिया लेकिन उस बच्चे की Creative Spirit को बढ़ने और संवरने से रोक दिया | खिलौना तो आ गया, पर खेल ख़त्म हो गया और बच्चे का खिलना भी खो गया | इसलिए, गुरुदेव कहते थे, कि, खिलौने ऐसे होने चाहिए जो बच्चे के बचपन को बाहर लाये, उसकी  creativity को सामने लाए | बच्चों के जीवन के अलग-अलग पहलू पर खिलौनों का जो प्रभाव है, इस पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी बहुत ध्यान दिया गया है | खेल-खेल में सीखना, खिलौने बनाना सीखना, खिलौने जहां बनते हैं वहाँ की visit करना, इन सबको curriculum का हिस्सा बनाया गया है | + +हमारे देश में Local खिलौनों की बहुत समृद्ध परंपरा रही है | कई प्रतिभाशाली और कुशल कारीगर हैं, जो अच्छे खिलौने बनाने में महारत रखते हैं | भारत के कुछ क्षेत्र Toy Clusters यानी खिलौनों के केन्द्र के रूप में भी विकसित हो रहे हैं | जैसे, कर्नाटक के रामनगरम में चन्नापटना, आन्ध्र प्रदेश के कृष्णा में कोंडापल्ली, तमिलनाडु में तंजौर, असम में धुबरी, उत्तर प्रदेश का वाराणसी –  कई ऐसे स्थान हैं, कई नाम गिना सकते हैं | आपको ये जानकार आश्चर्य होगा कि Global Toy Industry, 7 लाख करोड़ रुपये से भी अधिक की है | 7 लाख करोड़ रुपयों का इतना बड़ा कारोबार, लेकिन, भारत का हिस्सा उसमें बहुत कम है |   अब आप सोचिए कि जिस राष्ट्र के पास इतनी विरासत हो, परम्परा हो, विविधता हो, युवा आबादी हो, क्या खिलौनों के बाजार में उसकी हिस्सेदारी इतनी कम होनी, हमें, अच्छा लगेगा क्या? जी नहीं, ये सुनने के बाद आपको भी अच्छा नहीं लगेगा | देखिये साथियो, Toy Industry बहुत व्यापक है | गृह उद्योग हो, छोटे और लघु उद्योग हो, MSMEs हों, इसके साथ-साथ बड़े उद्योग और निजी उद्यमी भी इसके दायरे में आते हैं | इसे आगे बढ़ाने के लिए देश को मिलकर मेहनत करनी होगी | अब जैसे आन्ध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में श्रीमान सी.वी. राजू हैं  | उनके गांव के एति-कोप्पका Toys एक समय में बहुत प्रचलित थे | इनकी खासियत ये थी कि ये खिलौने लकड़ी से बनते थे, और दूसरी बात ये कि इन खिलौनों में आपको कहीं कोई angle या कोण नहीं मिलता था | ये खिलौने हर तरफ से round होते थे, इसलिए, बच्चों को चोट की भी गुंजाइश नहीं होती थी | सी.वी. राजू ने एति-कोप्पका toys  के लिये, अब, अपने गाँव के कारीगरों के साथ मिलकर एक तरह से नया movement शुरू कर दिया है | बेहतरीन quality के एति-कोप्पका Toys बनाकर सी.वी. राजू ने स्थानीय खिलौनों की खोई हुई गरिमा को वापस ला दिया है | खिलौनों के साथ हम दो चीजें कर सकते हैं – अपने गौरवशाली अतीत को अपने जीवन में फिर से उतार सकते हैं और अपने स्वर्णिम भविष्य को भी सँवार सकते हैं | मैं अपने start-up मित्रों को, हमारे नए उद्यमियों से कहता हूँ – Team up for toys… आइए मिलकर खिलौने बनाएं | अब सभी के लिये Local खिलौनों के लिये Vocal होने का समय है | आइए, हम अपने युवाओं के लिये कुछ नए प्रकार के, अच्छी quality वाले, खिलौने बनाते हैं |  खिलौना वो हो जिसकी मौजूदगी में बचपन खिले भी, खिलखिलाए भी | हम ऐसे खिलौने बनाएं, जो पर्यावरण के भी अनुकूल हों | + +भारतीयों के innovation और solution देने की क्षमता का लोहा हर कोई मानता है और जब समर्पण भाव हो, संवेदना हो तो ये शक्ति असीम बन जाती है | इस महीने की शुरुआत में, देश के युवाओं के सामने, एक app innovation challenge रखा गया | इस आत्मनिर्भर भारत app innovation challenge में हमारे युवाओं ने बढ़-चढ़कर के  हिस्सा लिया | करीब, 7 हजार entries आईं, उसमें भी, करीब-करीब दो तिहाई apps tier two और tier three शहरों के युवाओं ने बनाए हैं | ये आत्मनिर्भर भारत के लिए, देश के भविष्य के लिए, बहुत ही शुभ संकेत है | आत्मनिर्भर app innovation challenge के results देखकर आप ज़रूर प्रभावित होंगे | काफी जाँच-परख के बाद, अलग-अलग  category में, लगभग दो दर्जन Apps को award भी दिए गये हैं | आप जरुर इन  Apps के बारे में जाने और उनसे जुडें | हो सकता है आप भी ऐसा कुछ बनाने के लिए प्रेरित हो जायें | इनमें एक App है, कुटुकी kids learning app.  ये छोटे बच्चों के लिए ऐसा interactive app है जिसमें गानों और कहानियों के जरिए बात-बात में ही बच्चे math science में बहुत कुछ सीख सकते हैं | इसमें activities भी हैं, खेल भी हैं | इसी तरह एक micro blogging platform का भी app है | इसका  नाम है कू –  K OO  कू  | इसमें, हम, अपनी मातृभाषा में text, video और audio के जरिए अपनी बात रख सकते हैं, interact कर सकते हैं | इसी तरह चिंगारी App भी युवाओं के बीच काफी popular हो रहा है | एक app है Ask सरकार | इसमें   chat boat के जरिए आप interact कर सकते हैं और किसी भी सरकारी योजना के बारे में सही जानकारी हासिल कर सकते हैं, वो भी text, audio और video तीनों तरीकों से | ये आपकी बड़ी मदद कर सकता है | एक और app है, step set go. ये  fitness App है | आप कितना चले, कितनी calories burn की, ये सारा हिसाब ये app रखता है, और आपको fit रहने के लिये motivate भी करता है | मैंने ये कुछ ही उदाहरण दिये हैं | कई और apps ने भी इस challenge को जीता है | कई  Business Apps हैं, games के App है, जैसे  ‘Is EqualTo’, Books & Expense, Zoho (जोहो) Workplace, FTC Talent. आप इनके बारे में net पर search करिए, आपको बहुत जानकारी मिलेगी | आप भी आगे आएं, कुछ innovate करें, कुछ implement करें | आपके प्रयास, आज के छोटे-छोटे start-ups, कल बड़ी-बड़ी कंपनियों में बदलेंगे और दुनिया में भारत की पहचान बनेंगे | और आप ये मत भूलिये कि आज जो दुनिया में बहुत बड़ी-बड़ी कम्पनियाँ नज़र आती हैं ना, ये भी, कभी, startup हुआ करती थी | + +बीते दिनों, जब हम अपना स्वतंत्रता दिवस मना रहे थे, तब एक दिलचस्प खबर पर मेरा ध्यान गया | ये खबर है हमारे सुरक्षाबलों के दो जांबाज किरदारों की | एक है सोफी और दूसरी विदा | सोफी और विदा, Indian Army के श्वान हैं, Dogs हैं और उन्हें Chief of Army Staff ‘Commendation Cards’ से सम्मानित किया गया है | सोफी और विदा को ये सम्मान इसलिए मिला, क्योंकि इन्होंने, अपने देश की रक्षा करते हुए, अपना कर्तव्य बखूबी निभाया है | हमारी सेनाओं में, हमारे सुरक्षाबलों के पास, ऐसे, कितने ही बहादुर श्वान है Dogs हैं जो देश के लिये जीते हैं और देश के लिये अपना बलिदान भी देते हैं | कितने ही बम धमाकों को, कितनी ही आंतकी साजिशों को रोकने में ऐसे Dogs ने बहुत अहम् भूमिका निभाई है | कुछ समय पहले मुझे देश की सुरक्षा में  dogs की भूमिका के बारे में बहुत विस्तार से जानने को मिला | कई किस्से भी सुने | एक dog बलराम ने 2006 में अमरनाथ यात्रा के रास्ते में, बड़ी मात्रा में, गोला-बारूद खोज निकाला था | 2002 में dog भावना ने IED खोजा था | IED निकालने के दौरान आंतकियों ने विस्फोट कर दिया, और श्वान शहीद हो गये | दो-तीन वर्ष पहले, छत्तीसगढ़ के बीजापुर में CRPF का sniffer dog ‘Cracker’ भी IED blast में शहीद हो गया था | कुछ दिन पहले ही आपने शायद TV पर एक बड़ा भावुक करने वाला दृश्य देखा होगा, जिसमें, बीड पुलिस अपने साथी Dog रॉकी को पूरे सम्मान के साथ आख़िरी विदाई दे रही थी | रॉकी ने 300 से ज्यादा केसों को सुलझाने में पुलिस की मदद की थी | Dogs की Disaster Management और Rescue Missions में भी बहुत बड़ी भूमिका होती हैं | भारत में तो National Disaster Response Force – NDRF ने ऐसे दर्जनों Dogs को Specially Train किया है | कहीं भूकंप आने पर, ईमारत गिरने पर, मलबे में दबे जीवित लोगों को खोज निकालने में ये dogs बहुत expert होते हैं | + +मुझे यह भी बताया गया कि Indian Breed के Dogs भी बहुत अच्छे होते हैं, बहुत सक्षम होते हैं | Indian Breeds में मुधोल हाउंड हैं, हिमाचली हाउंड है, ये बहुत ही अच्छी नस्लें हैं | राजापलायम, कन्नी, चिप्पीपराई, और कोम्बाई भी बहुत शानदार Indian breeds हैं | इनको पालने में खर्च भी काफी कम आता है, और ये भारतीय माहौल में ढ़ले भी होते हैं | अब हमारी सुरक्षा एजेंसियों ने भी इन  Indian breed के dogs को अपने सुरक्षा दस्ते में शामिल कर रही हैं | पिछले कुछ समय में आर्मी, CISF, NSG ने मुधोल हाउंड dogs को trained करके dog squad में शामिल किया है, CRPF ने कोम्बाई dogs को शामिल किया है |  Indian Council of Agriculture Research भी भारतीय नस्ल के Dogs पर research कर रही है | मकसद यही है कि Indian breeds को और बेहतर बनाया जा सके, और, उपयोगी बनाया जा सके | आप internet पर इनके नाम search करिए, इनके बारे में जानिए, आप इनकी खूबसूरती, इनकी qualities देखकर हैरान हो जाएंगे | अगली बार, जब भी आप, dog पालने की सोचें, आप जरुर इनमें से ही किसी Indian breed के dog को घर लाएँ | आत्मनिर्भर भारत, जब जन-मन का मन्त्र बन ही रहा है, तो कोई भी क्षेत्र इससे पीछे कैसे छूट सकता है | + +और विशेषकर मेरे शिक्षक साथियो, वर्ष 2022 में हमारा देश स्वतंत्रता के 75 वर्ष का पर्व मनायेगा|  स्वतंत्रता के पहले अनेक वर्षों तक हमारे देश में आज़ादी की जंग उसका एक लम्बा इतिहास रहा है | इस दौरान देश का कोई कोना ऐसा नहीं था जहाँ आजादी के मतवालों ने अपने प्राण न्योछावर न किये हों, अपना सर्वस्व त्याग न दिया हो | यह बहुत आवश्यक है कि हमारी आज की पीढ़ी, हमारे विद्यार्थी, आज़ादी की जंग हमारे देश के नायकों से परिचित रहे, उसे उतना ही महसूस करे | अपने जिले से, अपने क्षेत्र में, आज़ादी के आन्दोलन के समय क्या हुआ, कैसे हुआ, कौन शहीद हुआ, कौन कितने समय तक देश के लिए ज़ेल में रहा | यह बातें हमारे विद्यार्थी जानेंगे तो उनके व्यक्तित्व में भी इसका प्रभाव दिखेगा इसके लिये बहुत से काम किये जा सकते हैं, जिसमें हमारे शिक्षकों का बड़ा दायित्व है | जैसे, आप जिस जिले में हैं वहाँ शताब्दियों तक जो आजादी का जंग चला  उन आजादियों के जंग में वहाँ कोई घटनाएं घटी हैं क्या ? इसे लेकर विद्यार्थियों से research करवाई जा सकती है | उसे स्कूल के हस्तलिखित अंक के रूप में तैयार किया जा सकता है आप के शहर में स्वतंत्रता आन्दोलन से जुड़ा कोई स्थान हो तो छात्र छात्राओं को वहाँ ले जा सकते हैं |  किसी स्कूल के विद्यार्थी ठान सकते हैं कि वो आजादी के 75 वर्ष में अपने क्षेत्र के आज़ादी के 75 नायकों पर कवितायें लिखेंगे, नाट्य कथाएँ लिखेंगे | आप के प्रयास देश के हजारों लाखों unsung heroes को सामने लायेंगे जो देश के लिए जिये, जो देश के लिए खप गए जिनके नाम समय के साथ विस्मृत हो गए, ऐसे महान व्यक्तित्वों को अगर हम सामने लायेंगे आजादी के 75 वर्ष में उन्हें याद करेंगे तो उनको सच्ची श्रद्धांजलि होगी और जब 5 सितम्बर को शिक्षक दिवस मना रहे हैं तब मैं मेरे शिक्षक साथियों से जरूर आग्रह करूँगा कि वे इसके लिए एक माहोल बनाएं सब को जोड़ें और सब मिल करके जुट जाएँ | + diff --git a/pm-speech/372.txt b/pm-speech/372.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..edff23ec8dfda119ca90cfa8370f0a78d1269848 --- /dev/null +++ b/pm-speech/372.txt @@ -0,0 +1,22 @@ +साथियो, ये किसी से छिपा नहीं है कि भारत कई सालों से दुनिया के सबसे बड़े Defence Importers में एक प्रमुख देश रहा है। जब भारत आजाद हुआ था तो उस समय रक्षा उत्‍पादन के लिए भारत में बहुत सामर्थ्‍य था। उस समय भारत में 100 साल से अधिक समय से स्‍थापित रक्षा उत्‍पादन का Ecosystem था। और भारत जैसा सामर्थ्‍य और potential बहुत कम देशों के पास था। लेकिन भारत का दुर्भाग्‍य रहा कि दशकों तक इस विषय पर उतना ध्‍यान नहीं दिया गया जितना देना चाहिए था। एक प्रकार से ये routine exercise बन गया, कोई गंभीर प्रयास नहीं किए गए थे। और हमारे बाद में शुरूआत करने वाले अनेक देश भी पिछले 50 साल में हमसे बहुत आगे निकल गए। लेकिन अब स्थिति बदल रही है। + +पिछले कुछ वर्षों में आपने अनुभव किया होगा कि हमारा प्रयास इस सेक्‍टर से जुड़ी सभी बेड़ियां तोड़ने का एक निरंतर प्रयास है। हमारा उद्देश्‍य है कि भारत में manufacturing बढ़े, नई technologies का भारत में ही विकास हो और प्राइवेट सेक्‍टर का इस विशेष क्षेत्र में अधिकतम विस्‍तार हो। और इसके लिए लाइसेंसिंग प्रक्रिया में सुधार, level playing field की तैयारी, export की प्रक्रिया का सरलीकरण, offset के प्रावधानों में सुधार; ऐसे अनेक कदम उठाए गए हैं। + +साथियो, मेरा मानना है कि इन कदमों से भी अधिक महत्‍वपूर्ण है रक्षा क्षेत्र में देश में एक नई मानसिकता हम सब अनुभव कर रहे हैं, एक नई मानसिकता का जन्‍म हुआ है। आधुनिक और आत्‍मनिर्भर भारत के निर्माण के लिए रक्षा क्षेत्र में आत्‍मविश्‍वास की भावना अनिवार्य है। बहुत लंबे समय से देश में Chief of Defence Staff की नियुक्ति पर विचार किया जा रहा था, लेकिन निर्णय नहीं हो पा रहा था। ये निर्णय नए भारत के आत्‍मविश्‍वास का प्रतीक है। + +साथियो, रक्षा उत्‍पादन में आत्‍मनिर्भरता को लेकर हमारा commitment सिर्फ बातचीत में या‍ फिर कागजों तक ही सीमित नहीं है। इसके कार्यान्‍वयन के लिए एक के बाद एक ठोस कदम उठाए गए हैं। CDS के गठन के बाद सेना के तीनों अंगों में procurement पर समन्‍वय बहुत बेहतर हुआ है, इससे defense equipments की खरीद को scale up करने में मदद मिल रही है। आने वाले दिनों में domestic industry के लिए orders का साइज भी बढ़ने वाला है। ये सुनिश्चित करने के लिए रक्षा मंत्रालय के कैपिटल बजट का एक हिस्‍सा अब भारत में बने उपकरणों के लिए अलग से रख दिया गया है। + +हाल में आपने देखा होगा कि 101 defense items को पूरी तरह से घरेलू खरीद के लिए सुरक्षित कर दिया गया है। आने वाले दिनों में इस लिस्‍ट को और व्‍यापक बनाया जाएगा इसमें और items जुड़ते रहेंगे। इस लिस्‍ट का उद्देश्‍य आयात को रोकना मात्र नहीं है, बल्कि भारत में उद्योगों को प्रोत्‍साहित करने के लिए ये कदम उठाया गया है। इससे आप सभी सा‍थियों को, चाहे वो प्राइवेट सेक्‍टर हो, पब्लिक सेक्‍टर हो, MSME हों, स्‍टार्टअप हो, सभी के लिए ये सरकार की भावना और भविष्‍य की संभावना अब आपके सामने black and white में क्लियर है। + +इसके साथ हम procurement प्रकिया को speed up करने के लिए, testing की व्‍यवस्‍था को streamline करने के लिए और क्‍वालिटी की requirements को rationalize करने के लिए भी लगातार काम कर रहे हैं। और मुझे खुशी है कि इन सभी प्रयासों को सेना के तीनों अंगों का बहुत ही coordinated रूप में, बहुत ही सहयोग है, एक प्रकार से pro-active भूमिका है। + +साथियो, आधुनिक उपकरणों में आत्‍मनिर्भरता के लिए technology up-gradation जरूरी है। जो उपकरण आज बन रहे हैं उनका next generation तैयार करने पर काम करना भी आवश्‍यक है। और इसके लिए DRDO के अलावा प्राइवेट सेक्‍टर में और academic institutions में भी research और innovation को प्रोत्‍साहित किया जा रहा है। Technology transfer की सुविधा से हटकर Foreign partners के साथ Joint ventures के माध्‍यम से Co-production के मॉडल पर बल दिया जा रहा है। भारत के मार्केट साइज को देखते हुए हमारे Foreign partners के लिए अब भारत में ही production करना सबसे उत्‍तम विकल्‍प है। + +साथियो, हमारी सरकार ने शुरू से ही Reform, Perform & Transform, इस मंत्र को ले करके हमने काम किया है। Red tapism कम करना और Red Carpet बिछाना, यही हमारा प्रयास रहा है। Ease of doing business को लेकर 2014 से अब तक जो सुधार किए गए हैं, उनका परिणाम पूरे विश्‍व ने देखा है। Intellectual property, taxation, insolvency and Bankruptcy, यहां तक कि Space और Atomic energy जैसे बहुत कठिन और जटिल, ऐसे जो विषय माने जाते हैं, उन विषयों पर भी हमने reforms करके दिखाए हैं। और आप तो अअब भलीभांति जानते हैं पिछले दिनों labour laws में reforms का सिलसिला भी लगातार जो शुरू हुआ है, चल रहा है। + +साथियो, जहां तक infrastructure की बात है, जो defence corridor पर तेजी से काम चल रहा है, उत्‍तर प्रदेश और तमिलनाडु की सरकारों के साथ मिलकर state of the art infrastructure तैयार किया जा रहा है। इसके लिए आने वाले पांच सालों में 20 हजार करोड़ रुपये के निवेश का लक्ष्‍य रखा गया है। MSME और Start-ups से जुड़े Entrepreneurs को प्रोत्‍साहित करने के लिए IDEX की जो पहल की गई थी, उसके भी अच्‍छे परिणाम मिल रहे हैं। इस प्‍लेटफॉर्म के माध्‍यम से 50 से अधिक startup ने सैन्‍य उपयोग के लिए technology और products को विकसित किया है। + +साथियो, मैं एक और बात आपके सामने खुले मन से रखना चाहता हूं। आत्‍मनिर्भर भारत का हमारा संकल्‍प inward looking नहीं है। Global economy को ज्‍यादा resilient, ज्‍यादा stable बनाने के लिए, विश्‍व में शांति के लिए एक सक्षम भारत का निर्माण ही इसका लक्ष्‍य है। यही भावना Defence manufacturing में आत्‍मनिर्भरता के लिए भी है। भारत में अपने कई मित्र देशों के लिए रक्षा उपकरण का एक भरोसेमंद सप्‍लायर बनने की क्षमता है। इससे भारत की strategic partnership को और बल मिलेगा और हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की net security provider की भूमिका और सुदृढ़ होगी। + +यहां आपकी तरफ से जो भी सुझाव आए हैं वे बहुत ही उपयोगी सिद्ध होने वाले हैं। और मुझे बताया गया है कि Defence production and export promotion policy का draft सभी stakeholders के साथ साझा कि‍या गया है। आपके feedback से इस पॉलिसी को जल्‍द से जल्‍द लागू करने में मदद मिलेगी। यह भी जरूरी है कि आज का ये सेमिनार एक one time event न रहे बल्कि आगे भी ऐसे आयोजन होते रहें। इंडस्‍ट्री और सरकार के बीच लगातार विचार-विमर्श और feedback की स्‍वाभाविक culture बननी चाहिए। + diff --git a/pm-speech/373.txt b/pm-speech/373.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..933fd1ed37ba17b959a8124e5cd24e09a0dd0590 --- /dev/null +++ b/pm-speech/373.txt @@ -0,0 +1,64 @@ +एक नाम और श्री अरविंद घोष, क्रांति दूत से लेकर अध्‍यात्‍म की यात्रा, आज उनके संकल्‍प, उनकी जन्‍मजयंती है। हमें उनके संकल्‍पों को- हमारे संकल्‍पों को पूर्ण करने को उनकी तरफ से आशीर्वाद बना रहे। हम एक विशेष परिस्थिति से गुजर रहे हैं। आज छोटे-छोटे बालक मेरे सामने नजर नहीं आ रहे हैं- भारत का उज्‍ज्वल भविष्‍य। क्‍यों? कोरोना ने सबको रोका हुआ है। + +इस कोरोना के कालखंड में लक्षावधि कोरोना warriors चाहे doctors हों, nurses हों, सफाईकर्मी हों, ambulance चलाने वाले लोग हों… किस-किस के नाम गिनाऊंगा। उन लोगों ने इतने लंबे समय तक जिस प्रकार से ‘सेवा परमो धर्म:’ इस मंत्र को जी करके दिखाया है, पूर्ण समर्पण भाव से मां भारती के लालों की सेवा की है, ऐसे सभी कोरोना warriors को भी मैं आज नमन करता हूं। + +इस कोरोना के कालखंड में, अनेक हमारे भाई-बहन इस कोरोना के संकट में प्रभावित हुए हैं। कई परिवार प्रभावित हुए हैं। कईयों ने अपनी जान भी गंवाई है। मैं ऐसे सभी परिवारों के प्रति अपनी संवेदनशीलता प्रकट करता हूं… और इस कोरोना के खिलाफ मुझे विश्‍वास है 130 करोड़ देश‍वासियों की अदम्‍य इच्‍छा शक्ति, संकल्‍प शक्ति हमें उसमें भी विजय दिलाएगी और हम विजयी होकर रहेंगे। + +इस आजादी की जंग में भारत की आत्‍मा को कुचलने के भी निरंतर प्रयास किये… अनगिनत प्रयास हुए। भारत को अपनी संस्‍कृति, परंपरा, रीति-रिवाज इन सबसे उखाड़ फेंकने के लिए क्‍या कुछ नहीं हुआ। वो कालखंड था- सैंकड़ों सालों का कालखंड था। साम, दाम, दंड, भेद सब कुछ अपने चरम पर था… और कुछ लोग तो ये मानकर चलते थे कि हम तो ‘यावत् चंद्र दिवाकरौ’ यहां पर राज करने के लिए आए हैं। लेकिन आजादी की ललक ने उनके सारे मंसूबों को जमींदोज कर दिया। उनकी सोच थी कि इतना बड़ा विशाल देश, अनेक राजे-रजवाड़े, भांति-भांति की बोलियां, पहनावे, खान-पान, अनेक भाषाएं, इतनी विविधताओं के कारण बिखरा हुआ देश कभी एक होकर के आजादी की जंग लड़ नहीं सकता। लेकिन इस देश की प्राण-शक्ति वो पहचान नहीं पाए… अंतर्भूत जो प्राण शक्ति है… एक तांता- एक सूत्र जो हम सबको बांधकर के रखे हुए है, उसने आजादी के उस पर्व में पूरी ताकत के साथ जब वो मैदान में आया तो देश आजादी की जंग में विजयी हुआ। + +हमारे देश में अथाह प्राकृतिक संपदा है, क्‍या कुछ नहीं है। आज समय की मांग है कि हमारे इन प्राकृतिक संसाधनों में हम value addition करें, हम अपनी मानव संपदा में मूल्‍यवृद्धि करें, नई ऊंचाइयों पर ले जाएं। हम देश से कब तक कच्‍चा माल विदेश भेजते रहेंगे… raw material कब तक दुनिया में भेजते रहेंगे, और देखिए तो… raw material दुनिया में भेजना और finished goods दुनिया से वापस लाना, ये खेल कब तक चलेगा। … और इसलिए हमें आत्‍मनिर्भर बनाना होगा। हमारी हर शक्ति पर वैश्विक आवश्‍यकताओं के अनुसार मूल्‍यवृद्धि करनी है। ये हमारा दायित्‍य है। ये value addition करने की दिशा में हम आगे बढ़ना चाहते है, हम विश्‍व में योगदान करने के लिए आगे बढ़ना चाहते है। + +हम जब आत्‍मनिर्भर की बात करते है तब सिर्फ Import कम करना इतनी ही हमारी सोच नही है। जब आत्‍मनिर्भर की बात करते है तब हमारा ये जो कौशल, है हमारा जो Human Resource का सामर्थ्‍य है… जब चीजें बाहर से आने लगती हैं, तो उसका वो सामर्थ्‍य खत्‍म होने लगता है। पीढ़ी दर पीढ़ी वो नष्‍ट हो जाता है। हमें अपने उस सामर्थ्‍य को बचाना है.. बढ़ाना भी है। कौशल को बढ़ाना है, Creativity को बढ़ाना है… और उसको ले करके हमें आगे बढ़ना है। हमें skill development की दिशा में बल देना है- आत्‍मनिर्भर भारत के लिए, हमारे सामर्थ्‍य को बढ़ाने के लिए। + +हमारा देश कैसे-कैसे कमाल करता है, कैसे-कैसे आगे बढ़ता है, इस बात को हम भली-भांति समझ सकते हैं। कौन सोच सकता था कि कभी गरीबों के जनधन खाते में लाखों-करोड़ों रुपये सीधे Transfer हो जाएंगे। कौन सोच सकता था कि किसानों की भलाई के लिए APMC जैसा एक्ट… इसमें इतने बदलाव हो जाएंगे। कौन सोचता था हमारे व्‍यापारियों पर जो लटकती तलवार थी- essential commodity Act… इतने सालों के बाद वो भी बदल जाएगा। कौन सोचता था हमारा Space Sector हमारे देश के युवाओं के लिए खुला कर दिया जाएगा। आज हम देख रहे हैं राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति हो, One Nation-One Ration Card की बात हो, One Nation-One Grid की बात हो, One Nation-One Tax की बात हो, Insolvency और bankruptcy code उसकी बात हो, चाहे बैंकों को Merger करने का प्रयास हो… देश की सच्‍चाई बन चुकी है, देश की हकीकत है। + +भारत में परिवर्तन के इस कालखंड के Reforms के परिणामों को दुनिया देख रही है। एक के बाद एक… एक-दूसरे से जुड़े हुए हम जो Reforms कर रहे हैं, उसको दुनिया बहुत बारीकी से देख रही है, और उसी का कारण है बीते वर्ष भारत में FDI ने अब तक के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए- Foreign Direct Investment… अब तक के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। + +बीते वर्ष भारत में FDI में 18% की वृद्धि हुई है… बढ़ोतरी हुई है। और इसलिए कोरोना काल में भी दुनिया की बड़ी-बड़ी कंपनियां भारत की ओर रूख कर रही हैं। यह विश्‍वास ऐसे ही पैदा नहीं हुआ है, ऐसे ही दुनिया मोहित नहीं हुई है। इसके लिए भारत ने अपनी नीतियों पर, भारत ने अपने लोकतंत्र पर, भारत ने अपनी अर्थव्‍यवस्‍था की बुनियाद की मजबूती पर जो काम किए हैं, उसने यह विश्‍वास जगाया है। + +130 करोड़ देशवासियों का सामर्थ्‍य… जरा याद कीजिए पिछले कुछ दिन… और 130 करोड़ देशवासियों के सामर्थ्‍य के लिए गर्व कीजिए। जब एक ही समय में, कोरोना के इस महाकालखंड में एक तरफ चक्रवात, पूर्व में भी चक्रवात, पश्चिम में भी चक्रवात, बिजली गिरने से अनेक लोगों की मौत की खबरें, कहीं पर बार-बार भूस्‍खलन की घटनाएं, छोटे-मोटे भूकंप के झटके… इतना कम था तो हमारे किसानों के लिए टिड्डी दल की आपदाएं आईं। न जाने एक साथ एक के बाद एक मुसीबतों का अंबार लग गया। लेकिन उसके बावजूद भी देश ने जरा भी अपना विश्‍वास नहीं खोया। देश आत्‍मविश्‍वास के साथ आगे बढ़ता चला गया। + +देशवासियों के जीवन को, देश की अर्थव्‍यवस्‍था को कोरोना के प्रभाव से जल्‍दी से जल्‍दी बाहर निकालना आज हमारी प्राथमिकता है। इसमें अहम भूमिका रहेगी National Infrastructure Pipeline Project की। इस पर 110 लाख करोड़ रूपये से भी ज्‍यादा खर्च किये जाएंगे। इसके लिए अलग-अलग सेक्‍टर में लगभग सात हजार projects की पहचान कर ली गई है। इससे देश के Overall Infrastructure Development को एक नई दिशा भी मिलेगी, एक नई गति भी मिलेगी… और इसलिए हमेशा यह कहा जाता है ऐसी संकट की घड़ी में जितना ज्‍यादा Infrastructure को बल दिया जाए, ताकि इससे आर्थिक गतिविधियां बढ़ती हैं, लोगों को रोजगार मिलता है, काम मिलता है… उससे जुड़े हुए कई काम एक साथ चल जाते हैं। छोटे-बड़े उद्योग, किसान हर मध्‍यम वर्ग को इसका बहुत लाभ होता है। + +और आज मैं एक बात स्‍मरण करना चाहता हूं… जब श्री अटल बिहार वाजपेयी हमारे देश के प्रधानमंत्री थे तब उन्‍होंने स्‍वर्णिम चतुर्भुज की एक बहुत बड़ी, दूरगामी असर पैदा करने वाली योजना को प्रारंभ किया था और देश के road network के Infrastructure को next generation पर ले गए थे। आज भी उस स्‍वर्णिम चतुर्भुज की तरफ देश बड़े गर्व से देख रहा है कि हां हमारा हिन्‍दुस्‍तान बदल रहा है, देख रहा है। + +कोरोना के संकट में भी इन व्‍यवस्‍थाओं से बहुत मदद मिली है। इस दौरान करोड़ों गरीब परिवारों को मुफ्त गैस सिलेंडर पहुंचाना… राशनकार्ड हो या न हो, 80 करोड़ से ज्‍यादा मेरे देशवासियों के घर का चूल्‍हा जलता रहे… 80 करोड़ देशवासियों को मुफ्त में अनाज पहुंचाने का काम हो, 90 हजार करोड़ रुपये से ज्‍यादा सीधे बैंक खाते में पैसे ट्रांसफर हों- कुछ वर्ष पहले तो सोच भी नहीं सकते थे, कल्‍पना ही नहीं कर सकते थे कि दिल्ली से एक रुपया निकले और सौ के सौ पैसे गरीब के खाते में जमा हो जाएं, यह पहले कभी सोचा भी नहीं जा सकता था। + +अपने ही गांव में रोजगार के लिए गरीब कल्‍याण रोजगार अभियान शुरू किया गया है। श्रमिक साथी खुद को re-skill करें, up-skill करें इस पर विश्‍वास करते हुए, श्रम-शक्ति पर भरोसा करते हुए, गांव के संसाधनों पर भरोसा करते हुए, हम vocal for local पर बल देते हुए re-skill, up-skill के द्वारा अपने देश की श्रम-शक्ति को, हमारे गरीबों को empower करने की दिशा में हम काम कर रहे हैं। + +आज हमें ग्रामीण उद्योगों को मजबूत करने की जरूरत है। ग्रामीण क्षेत्रों में विशिष्‍ट प्रकार से आर्थिक कलस्‍टर बनाए जाएंगे। कृषि और गैर-कृषि उद्योगों का गांव के अंदर एक जाल बनाया जाएगा और उसके कारण उसके साथ-साथ किसानों के लिए जो नये FPO- किसान उत्‍पादक संघ बनाने की हमने कोशिश की है, वो अपने-आप में एक बहुत बड़ा economic empowerment का काम करेगा। + +आप देखिए online digital transaction… वो भी कैसे बढ़ रहे हैं। BHIM UPI अगर एक महीने में… यानि किसी को भी गर्व होगा कि भारत जैसे देश में यूपीआई भीम के द्वारा एक महीने में 3 लाख करोड़ रूपये का transaction हुआ है। आज अपने आप में हम किस प्रकार से बदली हुई स्थितियों को स्‍वीकार करने लगे हैं, ये इसका नमूना है। + +आप देखते हैं 2014 से पहले हमारे देश में 5 दर्जन पंचायतों में optical fibre था। गत 5 वर्ष में डेढ़ लाख ग्राम पंचायतों तक optical fibre network पहुंच गया… जो आज इतना मदद कर रहा है। सभी पंचायतों में पहुंचने के लक्ष्‍य के साथ हमने काम शुरू किया था। जो एक लाख पंचायतें बाकी हैं, वहां भी तेजी से काम चल रहा है। लेकिन बदली हुई परिस्थिति में गांव की भी digital India में भागीदारी अनिवार्य बन गई… गांव के लोगों को भी इस प्रकार की online सुविधाओं की जरूरत बढ़ गई है। इसको ध्‍यान में रखते हुए पहले जो हमने कार्यक्रम बनाया था, हर पंचायत तक पहुंचेंगे… लेकिन आज मैं आपको बताना चाहूंगा कि हमने तय किया है कि सभी छह लाख से ज्‍यादा जो हमारे गांव हैं, उन सभी गांवों में optical fibre network पहुंचाया जाए। जरूरत बदली है तो हमने priority भी बदली है। छह लाख से अधिक गांवों में हजारों-लाखों किलोमीटर optical fibre का काम चलाया जाएगा और हमने तय किया है कि 1000 दिन में… 1000 दिन के अंदर-अंदर देश के छह लाख से अधिक गांवों में optical fibre network काम पूरा कर दिया जाएगा। + +बदलती हुई technology में cyber space पर हमारी निर्भरता बढ़ती ही जाने वाली है लेकिन cyber space से खतरे भी जुड़े हुए हैं। भली-भांति दुनिया इससे परिचित है और इनसे देश के सामाजिक ताने-बाने, हमारी अर्थव्‍यवस्‍था और हमारे देश के विकास पर भी खतरे पैदा करने का यह आसान मार्ग बन सकता है… और इसलिए भारत इससे बहुत सचेत है। भारत बहुत सतर्क है और इन खतरों का सामना करने के लिए फैसला ले रहा है। इतना ही नहीं, नई व्‍यवस्‍थाएं भी लगातार विकसित की जा रही हैं। बहुत ही अल्‍प समय में नई साइबर सुरक्षा नीति- इसका एक पूरा खाका देश के सामने आएगा। आने वाले समय में सब इकाइयों को जोड़ कर… इस cyber security के अंदर हम सबको एक साथ चलना पड़ेगा। उसके लिए आगे बढ़ने के लिए रणनीति बनाएंगे। + +आप देखिए, कोरोना के समय, उसके पूर्व हमारे देश में सिर्फ एक Lab थी टेस्टिंग के लिए, आज 1400 Labs का नेटवर्क है… हिन्‍दुस्‍तान के हर कोने में फैला हुआ है। जब कोरोना का संकट आया तो एक दिन में सिर्फ 300 टेस्‍ट हो पाते थे। इतने कम समय में हमारे लोगों ने वो शक्ति दिखा दी है कि आज हर दिन 7 लाख से ज्‍यादा टेस्‍ट हम कर पा रहे हैं… कहां 300 से शुरू किया था और कहां हम 7 लाख तक पहुंच गए। + +देश में नए AIIMS, नए Medical College का निर्माण, आधुनिकीकरण की दिशा में निरंतर प्रयास… ये हम कर रहे हैं। पांच साल में MBBS, MD में 45 हजार से ज्‍यादा students के लिए सीटों की बढ़ोत्‍तरी की गई है। गांव में डेढ़ लाख से ज्‍यादा Wellness Centre… और उसमें से करीब एक-तिहाई तो already कार्यरत हो गए हैं। कोरोना के काल में Wellness Centers की भूमिका ने गांवों की बहुत बड़ी मदद की है। + +Health Sector में आज से एक बहुत बड़ा अभियान शुरू होने जा रहा है और उसमें technology का भी बहुत बड़ा रोल रहेगा। आज से National Digital Health Mission का भी आरंभ किया जा रहा है। भारत के Health Sector में ये एक नई क्रांति ले आएगा… इलाज में आने वाली परेशानियां कम करने के लिए technology का बहुत सुविचारित रूप से उपयोग होगा। + +प्रत्‍येक भारतीय को Health ID दी जाएगी। ये Health ID प्रत्‍येक भारतीय के स्‍वास्‍थ्‍य खाते की तरह काम करेगी। आपके हर test, हर बीमारी… आपने किस डॉक्‍टर के पास, कौन-सी दवा ली थी, उनका क्‍या Diagnosis था, कब ली थी, उनकी रिपोर्ट क्‍या थी, ये सारी जानकारी आपकी इस Health ID में समाहित की जाएगी। Doctor से appointment हो, पैसा जमा करना हो, अस्‍पताल में पर्ची बनवाने की भागदौड़ हो, ये तमाम दिक्‍कतें… National Digital Health Mission के माध्‍यम से अनेक मुसीबतों से मुक्ति मिलेगी और उत्‍तम स्‍वास्‍थ्‍य के लिए हमारा कोई भी नागरिक सही फैसले कर पाएगा। ये व्‍यवस्‍था होने वाली है। + +मैं आज देशवासियों को कहना चाहूंगा कि हमारे देश के वैज्ञानिक… हमारे वैज्ञानिकों की प्रतिभा एक ऋषि-मुनि की तरह है… वे Laboratory में जी-जान से जुटे हुए हैं। अखंड, एकनिष्‍ठ तपस्‍या कर रहे हैं, बड़ी कड़ी मेहनत कर रहे हैं। और भारत में एक नहीं, दो नहीं, तीन-तीन vaccine टेस्टिंग के अलग-अलग चरण में हैं। वैज्ञानिकों से जब हरी झंडी मिल जाएगी, बड़े पैमाने पर Production होगा और उनकी तैयारियां भी पूरी तरह Ready हैं… और तेजी से Production के साथ vaccine हर भारतीय तक कम से कम समय में कैसे पहुंचे, उसका खाका भी तैयार है… उसकी रूपरेखा भी तैयार है। + +जम्‍मू-कश्‍मीर में Delimitation की प्रक्रिया चल रही है। सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्‍यायमूर्ति के नेतृत्‍व में Delimitation का काम चल रहा है और जल्‍दी से Delimitation का काम पूरा होते ही भविष्‍य में वहां चुनाव हों, जम्‍मू-कश्‍मीर का M.L.A हो, जम्‍मू-कश्‍मीर के मंत्रीगण हों, जम्‍मू-कश्‍मीर के मुख्‍यमंत्री हों… नई ऊर्जा के साथ विकास के मार्ग पर आगे बढ़ें, इसके लिए देश प्रतिबद्ध भी है और प्रयासरत भी है। + +Renewable energy के उत्‍पादन के मामले में आज भारत दुनिया के top पांच देशों में अपनी जगह बना चुका है। प्रदूषण के समाधान को लेकर भारत सजग भी है और भारत सक्रिय भी है। स्‍वच्‍छ भारत अभियान हो, धुंआ मुक्‍त रसोई गैस की व्‍यवस्‍था हो, LED Bulb का अभियान हो, CNG आधारित transportation की व्‍यवस्‍था हो, Electric mobility के लिए प्रयास हो, हम कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। पेट्रोल से प्रदूषण को कम करने के लिए ethanol उत्‍पादन बढ़ाने में और उसके इस्‍तेमाल पर बल दिया जा रहा है। पांच साल पहले हमारे देश के अंदर ethanol की क्‍या स्थिति थी… पांच साल पहले हमारे देश में 40 करोड़ लीटर उत्‍पादन होता था। आज पांच साल में पांच गुना हो गया… और आज 200 करोड़ लीटर ethanol हमारे देश में बन रहा है जो पर्यावरण के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध हो रहा है। + +मेरे प्‍यारे देशवासियो, भारत इस बात को गर्व से कह सकता है… भारत उन बहुत कम देशों में से एक है जहां जंगलों का विस्‍तार हो रहा है। अपनी Biodiversity के संरक्षण और संवर्धन के लिए भारत पूरी तरह संवेदनशील है। हम लोगों ने सफलतापूर्वक Project Tiger, Project Elephant… हमने सफलतापूर्वक आगे बढ़ाया है। हमारे यहां टाइगर की आबादी बढ़ी है। अब आने वाले दिनों में Asiatic Lion के लिए Project Lion की शुरुआत हो रही है। और उसमें Project Lion भारतीय शहरों की रक्षा, सुरक्षा, आवश्‍यक Infrastructure… और विशेष करके, उनके लिए जो आवश्‍यक होता है Special प्रकार का Health Infrastructure, उस पर भी काम किया जाएगा। और Project Lion पर बल दिया जाएगा। + +साथ ही एक और काम को भी हम बढ़ावा देना चाहते हैं और वो है- Project Dolphin चलाया जाएगा। नदियों में व समुद्र में रहने वाली दोनों तरह की Dolphins पर हम फोकस करेंगे। इससे Biodiversity को भी बल मिलेगा और रोजगार के अवसर भी मिलेंगे। ये Tourism के आकर्षण का भी केंद्र होता है… तो इस दिशा में भी हम आगे बढ़ने वाले हैं। + +आतंकवाद हो, या विस्‍तारवाद भारत आज डटकर मुकाबला कर रहा है। आज दुनिया का भारत पर विश्‍वास और मजबूत हुआ है। पिछले दिनों संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद के अस्‍थायी सदस्‍य के रूप में 192 में से 184… एक सौ बयानवे में से एक सौ चौरासी देशों का भारत को समर्थन मिलना, ये हमारे हर हिन्‍दुस्‍तानी के लिए गर्व की बात है। विश्‍व में हमने कैसी अपनी पहुंच बनाई है, उसका ये उदाहरण है। और ये तभी संभव होता है जब भारत खुद मजबूत हो, भारत सशक्‍त हो, भारत सुरक्षित हो, इसी सोच के साथ आज अनेक मोर्चों पर काम किया जा रहा है। + +इसी प्रकार हमारे पूर्व के आसियान देश जो हमारे maritime पड़ोसी भी हैं, वो भी हमारे लिए बहुत विशेष महत्‍व रखते हैं। इनके साथ भारत का हजारों वर्ष पुराना धार्मिक और सांस्‍कृतिक संबंध है। बौद्ध धर्म की परम्‍पराएं हमें उनसे जोड़ती है। आज भारत इन देशों के साथ, सिर्फ सुरक्षा क्षेत्रों में नहीं बल्कि समुद्री संपदा के क्षेत्र में भी सहयोग बढ़ा रहा है। + +मेरे प्‍यारे देशवसियो, हमारा इतना बड़ा समुद्र तट है लेकिन साथ-साथ हमारे पास 1300 से ज्‍यादा islands हैं। कुछ चुनिंदा island के महत्‍व को देखते हुए तेजी से विकसित करने पर हम आगे बढ़ रहे हैं। आपने देखा होगा पिछले सप्‍ताह पांच दिन पहले अंडमान-निकोबार में submarine optical fiber cable project का लोकार्पण हुआ है। अंडमान-निकोबार को भी चेन्‍नई और दिल्‍ली जैसी internet सुविधा अब उपलब्‍ध होगी। अब हम आगे लक्षद्वीप को भी इसी तरह जोड़ने के लिए… काम को आगे बढ़ाने वाले हैं। + +हमारे जो बॉर्डर इलाके हैं, हमारे जो coastal इलाके हैं, वहां के करीब 173 district हैं जो किसी न किसी देश की सीमा या समुद्री तट से जुड़े हैं। आने वाले दिनों में NCC का विस्‍तार उन बॉर्डर district के नौजवानों के लिए किया जाएगा। बॉर्डर एरिया के cadets… हम करीब-करीब एक लाख नये NCC के cadets तैयार करेंगे और उसमें एक तिहाई हमारी बेटियां हों, यह भी प्रयास रहेगा। बॉर्डर एरिया के cadets को सेना प्रशिक्षित करेगी। coastal एरिया के जो cadets हैं उनको Navy के लोग प्रशिक्षित करेंगे और जहां air base हैं वहां के कैडिट्स को एयरफोर्स की तरफ से training दी जाएगी। बॉर्डर और coastal एरिया को आपदाओं से निपटने के लिए एक trained man power मिलेगा, युवाओं को Armed forces में career बनाने के लिए जरूरी skill भी मिलेगी। + +इस दशक में भारत नई नीति और नई रीति के साथ ही आगे बढ़ेगा, जब साधारण से काम नहीं चलेगा… अब ‘होता है’, ‘चलता है’ का वक्‍त चला गया, हम दुनिया में अब किसी से कम नहीं। हम सबसे ऊपर रहने का प्रयास करेंगे। और इसलिए हम सर्वश्रेष्‍ठ उत्‍पादन, सर्वश्रेष्‍ठ Human Resources, सर्वश्रेष्‍ठ governance… हर चीज में सर्वश्रेष्‍ठ के लक्ष्‍य को ले करके आजादी के 75वें साल के लिए हमें आगे बढ़ना है। + diff --git a/pm-speech/374.txt b/pm-speech/374.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..1a8c56e31a6a245fdf001ab0dec7b56f8104cae4 --- /dev/null +++ b/pm-speech/374.txt @@ -0,0 +1,14 @@ +इस प्लेटफॉर्म में Faceless Assessment, Faceless Appeal और Taxpayers Charter जैसे बड़े रिफॉर्म्स हैं। Faceless Assessment और Taxpayers Charter आज से लागू हो गए हैं। जबकि Faceless appeal की सुविधा 25 सितंबर यानि दीन दयाल उपाध्याय जी के जन्मदिन से पूरे देशभर में नागरिकों के लिए उपलब्ध हो जाएगी। अब टैक्स सिस्टम भले ही Faceless हो रहा है, लेकिन टैक्सपेयर को ये Fairness और Fearlessness का विश्वास देने वाला है। + +बीते 6 वर्षों में हमारा फोकस रहा है, Banking the Unbanked Securing the Unsecured और, Funding the Unfunded. आज एक तरह से एक नई यात्रा शुरू हो रही है। Honoring the Honest- ईमानदार का सम्मान। देश का ईमानदार टैक्सपेयर राष्ट्रनिर्माण में बहुत बड़ी भूमिका निभाता है। जब देश के ईमानदार टैक्सपेयर का जीवन आसान बनता है, वो आगे बढ़ता है, तो देश का भी विकास होता है, देश भी आगे बढ़ता है। + +हमारे लिए Reform का मतलब है, Reform नीति आधारित हो, टुकड़ों में नहीं हो, Holistic हो और एक Reform, दूसरे Reform का आधार बने, नए Reform का मार्ग बनाए। और ऐसा भी नहीं है कि एक बार Reform करके रुक गए। ये निरंतर, सतत चलने वाली प्रक्रिया है। बीते कुछ वर्षो में देश में डेढ़ हजार ज्यादा कानूनों को समाप्त किया गया है। + +Ease of Doing Business की रैंकिंग में भारत आज से कुछ साल पहले 134वें नंबर पर था। आज भारत की रैंकिंग 63 है। रैंकिंग में इतने बड़े बदलाव के पीछे अनेकों Reforms हैं, अनेकों नियमों-कानूनों में बड़े परिवर्तन हैं। Reforms के प्रति भारत की इसी प्रतिबद्धता को देखकर, विदेशी निवेशकों का विश्वास भी भारत पर लगातार बढ़ रहा है। कोरोना के इस संकट के समय भी भारत में रिकॉर्ड FDI का आना, इसी का उदाहरण है। + +परिणाम ये हुआ कि जो टैक्सपेयर राष्ट्र निर्माण का एक मज़बूत पिलर है, जो देश को गरीबी से बाहर निकालने के लिए योगदान दे रहा है, उसको कठघरे में खड़ा किया जाने लगा। इन्‍कम टैक्स का नोटिस फरमान की तरह बन गया। देश के साथ छल करने वाले कुछ मुट्ठीभर लोगों की पहचान के लिए बहुत से लोगों को अनावश्यक परेशानी से गुज़रना पड़ा। कहां तो टैक्स देने वालों की संख्या में गर्व के साथ विस्तार होना चाहिए था और कहां गठजोड़ की, सांठगांठ की व्यवस्था बन गई। + +कोशिश ये है कि हमारी टैक्स प्रणाली Seamless हो, Painless हो, Faceless हो। Seamless यानि टैक्स एडमिनिस्ट्रेशन, हर टैक्सपेयर को उलझाने के बजाय समस्या को सुलझाने के लिए काम करे। Painless यानि टेक्नॉलॉजी से लेकर Rules तक सबकुछ Simple हो। Faceless यानि Taxpayer कौन है और Tax Officer कौन है, इससे मतलब होना ही नहीं चाहिए। आज से लागू होने वाले ये रिफॉर्म्स इसी सोच को आगे बढ़ाने वाले हैं। + +देशवासियों पर भरोसा, इस सोच का प्रभाव कैसे जमीन पर नजर आता है, ये समझना भी बहुत जरूरी है। वर्ष 2012-13 में जितने टैक्स रिटर्न्स होते थे, उसमें से 0.94 परसेंट की स्क्रूटनी होती थी। वर्ष 2018-19 में ये आंकड़ा घटकर 0.26 परसेंट पर आ गया है। यानि केस की स्क्रूटनी, करीब-करीब 4 गुना कम हुई है। स्क्रूटनी का 4 गुना कम होना, अपने आप में बता रहा है कि बदलाव कितना व्यापक है। + diff --git a/pm-speech/375.txt b/pm-speech/375.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..c5d364d67b1262718cdcf62e4a0f8b09322ab005 --- /dev/null +++ b/pm-speech/375.txt @@ -0,0 +1,4 @@ +सभी माननीय मुख्‍यमंत्री जी, आज 80 प्रतिशत Active cases, हम जो आज मिले हैं इन 10 राज्‍यों में हैं। और इसलिए कोरोना के खिलाफ लड़ाई में इन सभी राज्यों की भूमिका बहुत बड़ी हो जाती है। आज देश में active cases 6 लाख से ज्यादा हो चुके हैं, जिनमें से ज़्यादातर मामले हमारे इन दस राज्यों में ही हैं! इसीलिए ये आवश्यकता लगी कि इन दस राज्‍यों एक साथ बैठकर हम समीक्षा करें, चर्चा करें! और उनकी जो best practices है उन्‍होंने किस-किस प्रकार नए initiatives लिए हैं। वह सबके ध्‍यान में आये क्‍योंकि हर कोई अपने-अपने तरीके से प्रयास कर ही रहा है और आज की इस चर्चा से हमें एक दूसरे के अनुभवों से काफी कुछ सीखने को समझने को मिला भी है! कहीं न कहीं ये एक भाव आज निकलकर आया है कि अगर हम मिलकर अपने इन दस राज्यों में कोरोना को हरा देते हैं, तो देश भी जीत जाएगा! + +मैं समझता हूं कि कितना ही बड़ा कठिन चित्र दिखता हो, लेकिन सिस्‍टेमेटिक तरीके से अगर आगे बढ़ते हैं तो चीजों को हम हफ्ते-10 दिन में अपनी तरफ मोड़ सकते हैं और ये हमने अनुभव करके देखा है और इसी रणनीति के भी जो बिन्दु यही थे, Containment zones को पूरी तरह से अलग कर देना, जहां जरूरत हो वहां micro containment का भी आग्रह करना, शत प्रतिशत स्क्रीनिंग करना, रिक्शा-ऑटो चालक और घरों में काम करने वाले लोगों को भी और अन्य हाइ-रिस्क लोगों की स्क्रीनिंग पूरी कर लेनी चाहिए। आज इन प्रयासों का परिणाम हमारे सामने है! Hospitals में बेहतर management, आईसीयू बेड्स की संख्या बढ़ाने जैसे प्रयासों ने भी बहुत मदद की है! + diff --git a/pm-speech/376.txt b/pm-speech/376.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..43dbcc67af20df04a8f1f91fd4275b324c50eefc --- /dev/null +++ b/pm-speech/376.txt @@ -0,0 +1,18 @@ +अंडमान और निकोबार के 12 आइलैंड्स में High Impact Projects का विस्तार किया जा रहा है। मोबाइल और इंटरनेट कनेक्टिविटी की एक बहुत बड़ी समस्या का समाधान तो आज हो चुका है। इसके अलावा रोड, एयर और वॉटर के ज़रिए फिजिकल कनेक्टिविटी को भी सशक्त किया जा रहा है। नॉर्थ और मिडिल अंडमान की रोड कनेक्टिविटी को मजबूत करने के लिए 2 बड़े ब्रिज और NH-4 के चौड़ीकरण पर तेज़ी से काम हो रहा है। पोर्ट ब्लेयर एयरपोर्ट में एक साथ 1200 यात्रियों को हैंडल करने की कैपेसिटी आने वाले कुछ महीनों में बनकर तैयार हो जाएगी। + +इसके अलावा दिग्लीपुर, Car Nicobar और Campbell-Bay में भी एयरपोर्ट, ऑपरेशन के लिए तैयार हो चुके हैं। स्वराज द्वीप, शहीद द्वीप और Long Island में Passenger Terminal, Floating Jetty जैसे Water Aerodrome Infrastructure भी आने वाले कुछ महीनों में बनकर तैयार हो जाएंगे। इसके बाद यहां उड़ान योजना के तहत Sea Plane की सेवा शुरु हो जाएगी। इससे एक आइलैंड से दूसरे आइलैंड की कनेक्टिविटी मज़बूत होगी और आने-जाने में आपका समय भी कम लगा करेगा। + +आने वाले समय में अंडमान निकोबार, Port Led Development के हब के रूप में विकसित होने वाला है। अंडमान निकोबार दुनिया के कई Ports से बहुत Competitive Distance पर स्थित है। आज पूरी दुनिया ये मान रही है जिस देश में Ports का नेटवर्क और उनकी कनेक्टिविटी बेहतर होगी, वही 21वीं सदी के ट्रेड को गति देगा। ऐसे में अंडमान-निकोबार में हो रहे इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े कार्य, उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाएंगे। + +आज जब भारत आत्मनिर्भरता के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है, Global Manufacturing Hub के रूप में, Global Supply और Value Chain के एक अहम प्लेयर के रूप में खुद को स्थापित करने में जुटा है, तब हमारे Waterways और हमारे Ports के नेटवर्क को सशक्त करना बहुत ज़रूरी है। बीते 6-7 सालों से Port Development और Port Led Development को लेकर जो काम हो रहा है, उससे देश को नई ताकत मिल रही है। + +आज हम नदी जलमार्गों का एक बड़ा नेटवर्क तैयार कर रहे हैं, जो समुद्र के बड़े पोर्ट्स को देश के Land Locked राज्यों से कनेक्ट कर रहा है। Port Infra के विकास में जो कानूनी अड़चनें थीं, उन्हें भी निरंतर दूर किया जा रहा है। सरकार का ध्यान, समंदर में Ease of Business को Promote करने और Maritime Logistics को सरल बनाने पर भी है। ऐसे दुनिया के सबसे बड़े सिंगल विंडो प्लेटफॉर्म को तैयार करने पर भी काम चल रहा है। + +ऐसे ही अनेक प्रयासों के कारण अब देश के पोर्ट नेटवर्क की कैपेसिटी और कैपेबिलिटी, दोनों का विस्तार हो रहा है। 3 दशक के इंतज़ार के बाद West Coast में भारत के पहले डीप ड्राफ्ट ग्रीनफील्ड सी-पोर्ट को सैद्धांतिक मंज़ूरी दी जा चुकी है। इसी तरह, East Coast में deep draft inner harbour के निर्माण का काम भी तेज़ी से चल रहा है। + +अब ग्रेट निकोबार में करीब 10 हज़ार करोड़ रुपए की संभावित लागत से Trans Shipment Port के निर्माण का प्रस्ताव है। कोशिश ये है कि आने वाले 4-5 साल में इसके पहले फेज़ को पूरा कर लिया जाए। एक बार जब ये पोर्ट बनकर तैयार हो जाएगा तो यहां बड़े-बड़े जहाज़ भी रुक पाएंगे। इससे समुद्री व्यापार में भारत की हिस्सेदारी बढ़ेगी, हमारे युवाओं को नए मौके मिलेंगे। + +आज जितना भी आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर अंडमान निकोबार में तैयार हो रहा है, वो ब्लू इकॉनॉमी भी गति देगा। ब्लू इकॉनॉमी का एक अहम हिस्सा है Fisheries, Aquaculture और Sea Weed farming. Seaweed के फायदे को लेकर आज दुनिया में चर्चा हो रही है, कई देश इसकी संभावनाओं को Explore कर रहे हैं। मुझे खुशी है कि, अंडमान निकोबार में इसकी संभावनाओं को तलाशने के लिए पोर्ट ब्लेयर में जो पायलट प्रोजेक्ट चलाया गया था, उसके नतीजे उत्साहित करने वाले हैं। अब इसकी खेती को आईलैंड्स में प्रमोट करने के लिए स्टडी शुरु हो चुकी है। अगर ये प्रयोग बड़े स्केल पर सफल होते हैं तो, इसको देश में अन्य जगहों पर भी विस्तार दिया जा सकता है। इससे विशेषतौर पर हमारे मछुआरे साथियों को बहुत बड़ा लाभ होगा। मुझे उम्मीद है, हमारे आज के प्रयास, इस दशक में अंडमान-निकोबार को, वहां के लोगों को, न सिर्फ नई सहूलियत देंगे बल्कि वर्ल्ड टूरिस्ट मैप में भी प्रमुख स्थान के तौर पर स्थापित करेंगे। + +एक बार फिर, आप सभी अंडमान-निकोबारवासियों को मोबाइल फोन और इंटरनेट कनेक्टिविटी की इस आधुनिक सुविधा के लिए मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूं और अब जब कोरोना का समय है तो मैं विशेष रूप से आपके लिए प्रार्थना करूंगा कि आप स्‍वस्‍थ रहें, सुरक्षित रहें, आपका परिवार स्‍वस्‍थ रहें। कोरोना के इस समय में दो गज की दूरी का पालन हमेशा करते रहें, आगे भी बढ़ते रहें। + diff --git a/pm-speech/377.txt b/pm-speech/377.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..766361b593ee8387f838af3b1dfefc3798035b3a --- /dev/null +++ b/pm-speech/377.txt @@ -0,0 +1,4 @@ +आज जो Agriculture Infrastructure Fund Launch किया गया है, इससे किसान अपने स्तर भी गांवों में भंडारण की आधुनिक सुविधाएं बना पाएंगे।इस योजना से गांव में किसानों के समूहों को, किसान समितियों को, FPOs को वेयरहाउस बनाने के लिए, कोल्ड स्टोरेज बनाने के लिए, फूड प्रोसेसिंग से जुड़े उद्योग लगाने के लिए 1 लाख करोड़ रुपए की मदद मिलेगी।ये जो धन किसानों को उद्यमी बनाने के लिए उपलब्ध कराया जाएगा, इसपर 3 प्रतिशत ब्याज की छूट भी मिलेगी।थोड़ी देर पहले ऐसे ही कुछ किसान संघों से मेरी चर्चा भी हुई। जो सालों से इस किसानों की मदद कर रहे हैं।इस नए फंड से देशभर में ऐसे संगठनों को बहुत मदद मिलेगी। + +एक तरफ FPO के नेटवर्क पर काम चल रहा है तो दूसरी तरफ खेती से जुड़े Start ups को प्रोत्साहित किया जा रहा है।अभी तक लगभग साढ़े 3 सौ कृषि Startups को मदद दी जा रही है। ये Start up, Food Processing से जुड़े हैं, Artificial Intelligence, Internet of things, खेती से जुड़े स्मार्ट उपकरण के निर्माण और रिन्यूएबल एनर्जी से जुड़े हैं। + diff --git a/pm-speech/378.txt b/pm-speech/378.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..9030f689032497df0ae104db38eaf5087311a893 --- /dev/null +++ b/pm-speech/378.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +देश के बच्चे-बच्चे में Personal और Social hygiene को लेकर जो चेतना पैदा हुई है, उसका बहुत बड़ा लाभ कोरोना के विरुद्ध लड़ाई में भी हमें मिल रहा है। आप ज़रा कल्पना कीजिए, अगर कोरोना जैसी महामारी 2014 से पहले आती तो क्या स्थिति होती? शौचालय के अभाव में क्या हम संक्रमण की गति को कम करने से रोक पाते? क्या तब लॉकडाउन जैसी व्यवस्थाएं संभव हो पातीं, जब भारत की 60 प्रतिशत आबादी खुले में शौच के लिए मजबूर थी स्वच्छाग्रह ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई में हमें बहुत बड़ा सहारा दिया है, माध्यम दिया है। + +स्वच्छता का अभियान एक सफर है, जो निरंतर चलता रहेगा। खुले में शौच से मुक्ति के बाद अब दायित्व और बढ़ गया है। देश को ODF के बाद अब ODF plus बनाने के लक्ष्य पर काम चल रहा है। अब हमें शहर हो या गांव, कचरे के मैनेजमेंट को, बेहतर बनाना है। हमें कचरे से कंचन बनाने के काम को तेज़ करना है। इस संकल्प के लिए आज भारत छोड़ो आंदोलन के दिन से बेहतर दिन और कौन सा हो सकता है? + +जैसे गंगा जी की निर्मलता को लेकर हमें उत्साहजनक परिणाम मिल रहे हैं, वैसे ही देश की दूसरी नदियों को भी हमें गंदगी से मुक्त करना है। यहां पास में ही यमुना जी हैं। यमुना जी को भी गंदे नालों से मुक्त करने के अभियान को हमें तेज़ करना है। इसके लिए यमुना जी के आसपास बसे हर गांव, हर शहर में रहने वाले साथियों का साथ और सहयोग बहुत ज़रूरी है। + diff --git a/pm-speech/379.txt b/pm-speech/379.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..949b1306d016e3376ee1aa19f46801ff4597abb7 --- /dev/null +++ b/pm-speech/379.txt @@ -0,0 +1,30 @@ +वैसे, कुछ लोगों के मन में ये सवाल आना स्वभाविक है कि इतना बड़ा Reform कागजों पर तो कर दिया गया, लेकिन इसे जमीन पर कैसे उतारा जाएगा। यानि अब सब की निगाहें इसके Implementation की तरफ हैं। इस चैलेंज को देखते हुए, व्यवस्थाओं को बनाने में जहां कहीं कुछ सुधार की आवश्यकता है, वो हमें सबको मिलकर ही करना है और करना ही है। आप सभी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के implementation से सीधे तौर पर जुड़े हैं और इसलिए आपकी भूमिका बहुत ज्यादा अहम है। जहां तक Political Will की बात है, मैं पूरी तरह कमिटेड हूं, मैं पूरी तरह से आपके साथ हूं। + +हर देश, अपनी शिक्षा व्यवस्था को अपनी National Values के साथ जोड़ते हुए, अपने National Goals के अनुसार Reform करते हुए चलता है। मकसद ये होता है कि देश का Education System, अपनी वर्तमान औऱ आने वाली पीढ़ियों को Future Ready रखे, Future Ready करे। भारत की National Educational Policy- राष्ट्रीय शिक्षा नीति का आधार भी यही सोच है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 21वीं सदी के भारत की, नए भारत की Foundation तैयार करने वाली है। 21वीं सदी के भारत को, हमारे युवाओं को जिस तरह की Education चाहिए, जैसी Skills चाहिए, राष्ट्रीय शिक्षा नीति उस पर फोकस करती है। + +भारत को ताकतवर बनाने के लिए, विकास की नई ऊंचाई पर पहुंचाने के लिए, भारत के नागरिकों को और सशक्त करने के लिए, उन्हें ज्यादा से ज्यादा अवसरों के उपयुक्त बनाने के लिए, इस एजुकेशन पॉलिसी में खास जोर दिया गया है। जब भारत का Student, चाहे वो नर्सरी में हो या फिर कॉलेज में, Scientific तरीके से पढ़ेगा, तेजी से बदलते हुए समय और तेजी से बदलती जरूरतों के हिसाब से पढ़ेगा, तो वो Nation Building में भी Constructive भूमिका निभा पाएगा। + +बीते अनेक वर्षों से हमारे Education System में बड़े बदलाव नहीं हुए थे। परिणाम ये हुआ कि हमारे समाज में Curiosity और Imagination की Values को प्रमोट करने के बजाय भेड़ चाल को प्रोत्साहन मिलने लगा था। कभी डॉक्टर बनने के लिए होड़ लगी, कभी इंजीनियर बनाने की होड़ लगी, कभी वकील बनाने की होड़ लगी। Interest, ability और Demand की Mapping किए बिना होड़ लगाने की प्रवृत्ति से education को बाहर निकालना ज़रूरी था। हमारे Students में, हमारे युवाओं में Critical thinking और Innovative thinking विकसित कैसे हो सकती है, जब तक हमारी शिक्षा में Passion ना हो, Philosophy of Education ना हो, Purpose of Education ना हो। + +हमारे सामने दूसरा सवाल था कि क्या हमारी शिक्षा व्यवस्था, हमारे युवाओं को Empower करती है, देश में एक Empowered Society के निर्माण में मदद करती है? आप सब इन सवालों से भी परिचित हैं और जवाबों से भी परिचित हैं। साथियों, आज मुझे संतोष है कि भारत की नेशनल एजुकेशन पॉलिसी- राष्ट्रीय शिक्षा नीति को बनाते समय, इन सवालों पर गंभीरता से काम किया गया। + +बदलते समय के साथ एक नई विश्व व्यवस्था, एक नए रंग-रूप और व्‍यवस्‍थाओं में बदलाव, एक नई विश्‍व व्‍यवस्‍था खड़ी हो रही है। एक नया Global Standard भी तय हो रहा है। इसके हिसाब से भारत का एजुकेशन सिस्टम खुद में बदलाव करे, ये भी किया जाना बहुत जरूरी था। School Curriculum के 10+2 structure से आगे बढ़कर अब 5+3+3+4 curriculum का structure देना, इसी दिशा में एक कदम है। हमें अपने students को Global Citizen भी बनाना है और इसका भी ध्यान रखना है कि वे Global Citizen तो बने लेकिन साथ-साथ अपनी जड़ों से भी जुड़े रहें। जड़ से जग तक, मनुज से मानवता तक, अतीत से आधुनिकता तक, सभी बिंदुओं का समावेश करते हुए, इस राष्ट्रीय शिक्षा नीति का स्वरूप तय किया गया है। + +अभी तक जो हमारी शिक्षा व्यवस्था है, उसमें What to Think पर फोकस रहा है। जबकि इस शिक्षा नीति में How to think पर बल दिया जा रहा है। ये मैं इसलिए कह रहा हूं कि आज जिस दौर में हम हैं, वहां Information और Content की कोई कमी नहीं है। एक प्रकार से बाढ़ आयी हुई है, हर प्रकार की जानकारी आपके मोबाइल फोन पर available है। जरूरी ये है कि कौन सी जानकारी हासिल करनी है, क्या पढ़ना है। इस बात को ध्यान में रखकर ही, राष्ट्रीय शिक्षा नीति में प्रयास किया गया है कि जो पढ़ाई के लिए लंबा-चौड़ा Syllabus होता है, ढेर सारी किताबें होती हैं, उसकी अनिवार्यता को कम किया जाए। अब कोशिश ये है कि बच्चों को सीखने के लिए Inquiry-based, Discovery-based, Discussion based, और analysis based तरीकों पर जोर दिया जाए। इससे बच्चों में सीखने की ललक बढ़ेगी और उनके क्लास में उनका Participation भी बढ़ेगा। + +हर विद्यार्थी को, Student को ये अवसर मिलना ही चाहिए कि वो अपने Passion को Follow करे। वो अपनी सुविधा और ज़रूरत के हिसाब से किसी डिग्री या कोर्स को Follow कर सके और अगर उसका मन करे तो वो छोड़ भी सके। अक्सर ऐसा होता है कि कोई course करने के बाद student जब job के लिए जाता है तो उसे पता चलता है कि जो उसने पढ़ा है वो Job की requirement को पूरा नहीं करता। कई students को अलग-अलग वजहों से बीच में ही course छोड़कर Job करनी पड़ती है। ऐसे सभी students की जरूरतों का खयाल रखते हुए Multiple entry-exit का Option दिया गया है। अब student वापस अपने course से जुड़कर अपनी Job requirement के हिसाब से ज्यादा effective तरीके से पढ़ाई कर सकता है, learn कर सकता है। इसका एक और aspect है। + +अब students को ये भी स्वतंत्रता होगी कि अगर वो कोई कोर्स बीच में छोड़कर दूसरे कोर्स में प्रवेश लेना चाहें तो कर सकते हैं। इसके लिए वो पहले कोर्स से एक निश्चित समय तक ब्रेक ले सकते हैं और दूसरा कोर्स join कर सकते हैं। Higher education को, streams से मुक्त करने, multiple entry और Exit, Credit Bank के पीछे यही सोच है। हम उस era की तरफ बढ़ रहे हैं जहां कोई व्यक्ति जीवन भर किसी एक प्रोफेशन में ही नहीं टिका रहेगा, बदलाव निश्चित है, यह मानकर रहिए। इसके लिए उसे निरंतर खुद को re-skill और up-skill करते रहना होगा। नेशनल एजुकेशन पॉलिसी- राष्ट्रीय शिक्षा नीति में इसका भी ध्यान रखा गया है। + +किसी भी देश के विकास में एक बड़ी भूमिका रहती है- समाज के हर तबके की गरिमा, उसकी dignity. समाज का कोई व्‍यक्ति कोई भी काम करता हो, कोई निम्‍न नहीं होता। हमें ये सोचना चाहिए कि भारत जैसे सांस्कृतिक रूप से समृद्ध रहे देश में यह बुराई कहां से आई। ऊंच-नीच का भाव, मेहनत-मजदूरी करने वालों के प्रति हीन भाव इस प्रकार की विकृति हमारे अंदर कैसे घर कर गई। से देखने का विपरीत भाव कैसे आया। इसकी एक बड़ी वजह रही कि हमारी एजुकेशन का समाज के इस तबके के साथ एक Dis-connect रहा। जब गांवों में जाएंगे, किसान को, श्रमिकों को, मजदूरों को काम करते देखेंगे, तभी तो उनके बारे में जान पाएंगे, उन्हें समझ पाएंगे, वे कितना बड़ा योगदान कर रहे हैं, समाज की आवश्‍यकताओं की पूर्ति के लिए वे कैसे अपना जीवन खपा रहे हैं। उनके श्रम का सम्मान करना हमारी पीढ़ी को सीखना ही होगा। इसलिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति में student education और Dignity of Labour पर बहुत ध्‍यान दिया गया है। + +इस Education Policy के माध्यम से Technology आधारित बेहतर Content और Course के डेवलमेंट में बहुत मदद मिलेगी। Basic Computing पर बल हो, Coding पर फोकस हो या फिर रिसर्च पर ज्यादा जोर, ये सिर्फ एजुकेशन सिस्टम ही नहीं बल्कि पूरे समाज की अप्रोच को बदलने का माध्यम बन सकता है। वर्चुअल लैब जैसे कॉन्सेप्ट ऐसे लाखों साथियों तक बेहतर शिक्षा के सपने को ले जाने वाला है, जो पहले ऐसे Subjects पढ़ ही नहीं पाते थे जिसमें Lab Experiment जरूरी हो। नेशनल एजुकेशन पॉलिसी- राष्ट्रीय शिक्षा नीति, हमारे देश में Research और Education के गैप को खत्म करने में भी अहम भूमिका निभाने वाली है। + +जब Institutions और Infrastructure में भी ये Reforms, Reflect होंगे, तभी राष्ट्रीय शिक्षा नीति को अधिक प्रभावी और त्वरित गति से Implement किया जा सकेगा। आज समय की मांग है कि Innovation और Adaptation की जो Values हम समाज में निर्मित करना चाहते हैं, वो खुद हमारे देश के Institutions से शुरु होनी चाहिए जिसका नेतृत्‍व आप सबके पास है। जब हम Education और विशेषकर Higher education को Empowered Society के निर्माता के रूप में खड़ा करना चाहते हैं तो इसके लिए Higher education institutions को भी Empower करना ज़रूरी है। और मैं जानता हूं, जैसे ही Institutions को Empower करने की बात आती है, उसके साथ एक और शब्द चला आता है- Autonomy. आप भी जानते हैं कि Autonomy को लेकर हमारे यहां दो तरह के मत रहे हैं। एक कहता है कि सब कुछ सरकारी नियंत्रण से, पूरी सख्ती से चलना चाहिए, तो दूसरा कहता है कि सभी संस्थानों को By Default Autonomy मिलनी चाहिए। + +पहली अप्रोच में Non-govt संस्थानों के प्रति Mistrust दिखता है तो दूसरी अप्रोच में Autonomy को Entitlement के रूप में ट्रीट किया जाता है। Good Quality Education का रास्ता इन दोनों मतों के बीच में है। जो संस्थान Quality education के लिए ज्यादा काम करे, उसको ज्यादा Freedom से Reward किया जाना चाहिए। इससे Quality को Encouragement मिलेगा और सबको Grow करने के लिए Incentive भी मिलेगा। नेशनल एजुकेशन पॉलिसी- राष्ट्रीय शिक्षा नीति आने से पहले, हाल के वर्षों में आपने भी देखा है कि कैसे हमारी सरकार ने अनेकों Institutions को ऑटोनॉमी देने की पहल की है। मुझे उम्मीद है, राष्ट्रीय शिक्षा नीति का जैसे-जैसे विस्तार होगा, शिक्षा संस्थानों को ऑटोनॉमी की प्रक्रिया भी और तेज होगी। + +देश के पूर्व राष्ट्रपति, महान वैज्ञानिक, डॉक्टर ए पी जे अब्दुल कलाम कहा करते थे- The purpose of education is to make good human beings with skill and expertise… Enlightened human beings can be created by teachers. वाकई, शिक्षा व्यवस्था में बदलाव, देश को अच्छे students, अच्छे प्रोफेशनल्स और उत्तम नागरिक देने का बहुत बड़ा माध्यम आप सभी Teachers ही हैं, प्रोफेसर्स ही हैं। शिक्षा जगत से जुड़े आप ही लोग इस काम को करते हैं और कर सकते हैं। इसलिए नेशनल एजुकेशन पॉलिसी- राष्ट्रीय शिक्षा नीति में dignity of teachers का भी विशेष ध्यान रखा गया है। एक प्रयास ये भी है कि भारत का जो टेलेंट है, वो भारत में ही रहकर आने वाली पीढ़ियों का विकास करे। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में teacher training पर बहुत जोर है, वो अपनी skills लगातार अपडेट करते रहें, इस पर बहुत जोर है। I Believe, When a teacher learns, a nation leads. + +नेशनल एजुकेशन पॉलिसी- राष्ट्रीय शिक्षा नीति को अमल में लाने के लिए हम सभी को एक साथ संकल्पबद्ध होकर काम करना है। यहां से Universities, Colleges, School education boards, अलग-अलग States, अलग-अलग Stakeholders के साथ संवाद और समन्वय का नया दौर शुरु होने वाला है। आप सभी साथी क्योंकि Higher Education के सबसे शीर्ष संस्थानों के शीर्ष में है, तो आपकी जिम्मेदारी ज्यादा है। मेरा आग्रह है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर लगातार वेबीनार करते रहिए, Discussions करते रहिए। नीति के लिए रणनीति बनाइए, रणनीति के बात को लागू करने के लिए रोडमैप, रोडमैप के साथ timeline जोडि़ए, उसको implement करने के लिए resources, human resources, ये सबको जोड़ने की योजना बनाइए और ये सारा चीज़ नई नीति के प्रकाश में आपको करना है। + diff --git a/pm-speech/380.txt b/pm-speech/380.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..d35cb118d05f411cc4f07c0272bd6b4609848e37 --- /dev/null +++ b/pm-speech/380.txt @@ -0,0 +1,12 @@ +भारत, आज,भगवान भास्कर के सानिध्य में सरयू के किनारे एक स्वर्णिम अध्याय रच रहा है। कन्याकुमारी से क्षीरभवानी तक, कोटेश्वर से कामाख्या तक, जगन्नाथ से केदारनाथ तक, सोमनाथ से काशी विश्वनाथ तक, सम्मेद शिखर से श्रवणबेलगोला तक, बोधगया से सारनाथ तक, अमृतसर से पटना साहिब तक, अंडमान से अजमेर तक, लक्ष्यद्वीप से लेह तक, आज पूरा भारत,राममय है। पूरा देश रोमांचित है, हर मन दीपमय है। आज पूरा भारत भावुक भी है। सदियों का इंतजार आज समाप्त हो रहा है। करोड़ों लोगों को आज ये विश्वास ही नहीं हो रहा कि वो अपने जीते-जी इस पावन दिन को देख पा रहे हैं। + +राम हमारे मन में गढ़े हुए हैं, हमारे भीतर घुल-मिल गए हैं। कोई काम करना हो, तो प्रेरणा के लिए हम भगवान राम की ओर ही देखते हैं। आप भगवान राम की अद्भुत शक्ति देखिए। इमारतें नष्ट कर दी गईं, अस्तित्व मिटाने का प्रयास भी बहुत हुआ, लेकिन राम आज भी हमारे मन में बसे हैं, हमारी संस्कृति का आधार हैं। श्रीराम भारत की मर्यादा हैं, श्रीराम मर्यादा पुरुषोत्तम हैं। + +राममंदिर के निर्माण की ये प्रक्रिया, राष्ट्र को जोडऩे का उपक्रम है। ये महोत्सव है- विश्वास को विद्यमान से जोड़ने का। नर को नारायण से, जोड़ने का। लोक को आस्था से जोड़ने का। वर्तमान को अतीत से जोड़ने का। और स्वं को संस्कार से जोडऩे का। आज के ये ऐतिहासिक पल युगों-युगों तक, दिग-दिगन्त तक भारत की कीर्ति पताका फहराते रहेंगे। आज का ये दिन करोड़ों रामभक्तों के संकल्प की सत्यता का प्रमाण है। + +भगवान बुद्ध भी राम से जुड़े हैं तोसदियों से ये अयोध्या नगरी जैन धर्म की आस्था का केंद्र भी रही है। राम की यही सर्वव्यापकता भारत की विविधता में एकता का जीवन चरित्र है! तमिल में कंब रामायण तो तेलगू में रघुनाथ और रंगनाथ रामायण हैं। उड़िया में रूइपाद-कातेड़पदी रामायण तो कन्नड़ा में कुमुदेन्दु रामायण है। आप कश्मीर जाएंगे तो आपको रामावतार चरित मिलेगा, मलयालम में रामचरितम् मिलेगी। बांग्ला में कृत्तिवास रामायण है तो गुरु गोबिन्द सिंह ने तो खुद गोबिन्द रामायण लिखी है। अलग अलग रामायणों में, अलग अलग जगहों पर राम भिन्न-भिन्न रूपों में मिलेंगे, लेकिन राम सब जगह हैं, राम सबके हैं। इसीलिए, राम भारत की ‘अनेकता में एकता’ के सूत्र हैं। + +दुनिया में कितने ही देश राम के नाम का वंदन करते हैं, वहां के नागरिक, खुद को श्रीराम से जुड़ा हुआ मानते हैं। विश्व की सर्वाधिक मुस्लिम जनसंख्या जिस देश में है, वो है इंडोनेशिया। वहां हमारे देश की ही तरह ‘काकाविन’रामायण, स्वर्णद्वीप रामायण, योगेश्वर रामायण जैसी कई अनूठी रामायणें हैं। राम आज भी वहांपूजनीय हैं। कंबोडिया में ‘रमकेर’रामायण है, लाओ में ‘फ्रा लाक फ्रा लाम’ रामायण है, मलेशिया में ‘हिकायत सेरी राम’तो थाईलैंड में ‘रामाकेन’है! आपको ईरान और चीन में भी राम के प्रसंग तथा राम कथाओं का विवरण मिलेगा। + +हमारे यहां शास्त्रों में कहा गया है-“न्राम सदृशो राजा, प्रथिव्याम् नीतिवान् अभूत”॥ यानि कि, पूरी पृथ्वी पर श्रीराम के जैसा नीतिवान शासक कभी हुआ ही नहीं! श्रीराम की शिक्षा है-“नहिं दरिद्र कोउ दुखी न दीना”॥ कोई भी दुखी न हो, गरीब न हो। श्रीराम का सामाजिक संदेश है- “प्रहृष्ट नर नारीकः,समाज उत्सव शोभितः”॥ नर-नारी सभी समान रूप से सुखी हों। श्रीराम का निर्देश है- “कच्चित् ते दयितः सर्वे, कृषि गोरक्ष जीविनः”। किसान, पशुपालक सभी हमेशा खुश रहें। श्रीराम का आदेश है-“कश्चिद्वृद्धान्चबालान्च, वैद्यान् मुख्यान् राघव। त्रिभि: एतै: वुभूषसे”॥ बुजुर्गों की,बच्चों की, चिकित्सकों की सदैव रक्षा होनी चाहिए। श्रीराम का आह्वान है- “जौंसभीतआवासरनाई।रखिहंउताहिप्रानकीनाई”॥ जो शरण में आए,उसकी रक्षा करना सभी का कर्तव्य है। श्रीराम का सूत्र है- “जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी”॥ अपनी मातृभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर होती है। और भाइयों और बहनों, ये भी श्रीराम की ही नीति है- “भयबिनुहोइन प्रीति”॥ इसलिए हमारा देश जितना ताकतवर होगा, उतनी ही प्रीति और शांति भी बनी रहेगी। + diff --git a/pm-speech/382.txt b/pm-speech/382.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..a6438e6445b7fd7b303977037021de3ca8cc8453 --- /dev/null +++ b/pm-speech/382.txt @@ -0,0 +1,10 @@ +मित्रों, आज हम भारत और मॉरीशस के बीच विशेष मित्रता में एक और ऐतिहासिक घटना का उत्सव मना रहे हैं। राजधानी पोर्ट लुइस में सुप्रीम कोर्ट के नए भवन का निर्माण हमारे सहयोग और हमारे साझा मूल्यों का प्रतीक है। भारत और मॉरीशस दोनों हमारी लोकतांत्रिक प्रणालियों के महत्वपूर्ण स्तंभों के रूप में अपनी स्वतंत्र न्यायपालिकाओं का सम्मान करते हैं। यह प्रभावशाली नई इमारत अपने आधुनिक डिजाइन और निर्माण के साथ इस सम्मान का प्रतीक है। मुझे खुशी है कि यह परियोजना निर्धारित समय पर और प्रारंभिक अनुमानित लागत के अंदर पूरी हुई है। + +मित्रों, मॉरीशस में ही मैंने पहली बार भारत के सागर (एसएजीएआर) दृष्टिकोण– इस क्षेत्र में सबकी सुरक्षा और विकास- के बारे में बात की थी। ऐसा इसलिए है क्योंकि मॉरीशस हिंद महासागर क्षेत्र में भारत के दृष्टिकोण के केंद्र में है और आज, मैं इसमें यह जोड़ना चाहता हूं कि मॉरीशस भारत की विकास साझेदारी के दृष्टिकोण के केंद्र में भी है। + +मित्रों, महात्मा गांधी ने ठीक ही कहा था और, मैं उसे यहां उद्धृत करता हूं- मैं पूरी दुनिया के संदर्भ में सोचना चाहता हूं। मेरी देशभक्ति में आम तौर पर मानव जाति का भला शामिल है। इसलिए, भारत की मेरी सेवा में मानवता की सेवा शामिल है। यह भारत का मार्गदर्शक दर्शन है। भारत विकास करना चाहता है और भारत दूसरों के विकास की जरूरतों में मदद करना चाहता है। + +मित्रों, भारत का विकास का दृष्टिकोण मुख्य रूप से मानव-केंद्रित है। हम मानवता के कल्याण के लिए काम करना चाहते हैं। इतिहास ने हमें सिखाया है कि विकास साझेदारी के नाम पर राष्ट्रों को निर्भरता भागीदारी में धकेला गया। इसने औपनिवेशिक और शाही शासन को जन्म दिया। इसने वैश्विक शक्ति केंद्रों को उभरने में मदद की और, इसका नुकसान मानवता को उठाना पड़ा। + +मित्रों, जिन मूल्यों के बारे में मैंने अभी बात की वो सब मॉरीशस के साथ हमारी विशेष साझेदारी में निहित है। मॉरीशस के साथ हम न केवल हिंद महासागर से जुड़े हुए हैं बल्कि हमारे बीच रिश्तेदारी, संस्कृति और भाषा की एक साझी विरासत भी है। हमारी दोस्ती अतीत से ताकत लेती है और भविष्य की ओर देखती है। भारत मॉरीशस के लोगों की उपलब्धियों पर गर्व करता है। पवित्र आप्रवासी घाट लेकर इस आधुनिक भवन के निर्माण तक मॉरिशस ने अपनी कड़ी मेहनत और नवाचार के माध्यम से अपनी सफलता का इतिहास रचा है। मॉरीशस की भावना प्रेरणादायक है। हमारी साझेदारी आने वाले वर्षों में और भी ऊंची उड़ान भरेगी। + diff --git a/pm-speech/383.txt b/pm-speech/383.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..47828c11a805165737b86556e5c9729b64dd7799 --- /dev/null +++ b/pm-speech/383.txt @@ -0,0 +1,4 @@ +देश में जिस तरह सही समय पर सही फैसले लिए गए, आज उसी का परिणाम है कि भारत अन्य देशों के मुकाबले, काफी संभली हुई स्थिति में है। आज हमारे देश में कोरोना से होने वाली मृत्यु, बड़े-बड़े देशों के मुकाबले, काफी कम है। वहीं हमारे यहां रिकवरी रेट अन्य देशों के मुकाबले बहुत ज्यादा है और दिनों-दिन और सुधर रहा है। आज भारत में कोरोना संक्रमित होने के बाद, ठीक होने वालों की संख्या करीब-करीब 10 लाख पहुंचने वाली है। + +कोरोना महामारी के दौरान हर कोई सिर्फ एक ही संकल्प के साथ जुटा है कि एक-एक भारतीय को बचाना है। इस संकल्प ने भारत को हैरतअंगेज परिणाम दिए हैं। विशेषकर PPE, मास्क और टेस्ट किट्स को लेकर भारत ने जो किया, वो एक बड़ी सक्सेस स्टोरी है। एक समय भारत में एक भी PPE किट नहीं बनती थी। आज भारत, दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा PPE Kit Manufacturer है। + diff --git a/pm-speech/384.txt b/pm-speech/384.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..0a88a1bc55f5da9f6a88864f4ba729bb7326e8ea --- /dev/null +++ b/pm-speech/384.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +यानी, दुष्ट का स्वभाव ही होता है, हर किसी से बिना वजह दुश्मनी करना | ऐसे स्वभाव के लोग, जो हित करता है, उसका भी नुकसान ही सोचते हैं इसीलिए भारत की मित्रता के जवाब में पाकिस्तान द्वारा पीठ में छुरा घोंपने की कोशिश हुई थी, लेकिन, उसके बाद भारत की वीर सेना ने जो पराक्रम दिखाया, भारत ने अपनी जो ताकत दिखाई, उसे पूरी दुनिया ने देखा | आप कल्पना कर सकते हैं – ऊचें पहाडों पर बैठा हुआ दुश्मन और नीचे से लड़ रही हमारी सेनाएँ, हमारे वीर जवान, लेकिन, जीत पहाड़ की ऊँचाई की नहीं – भारत की सेनाओं के ऊँचे हौंसले और सच्ची वीरता की हुई | साथियो, उस समय, मुझे भी कारगिल जाने और हमारे जवानों की वीरता के दर्शन का सौभाग्य मिला, वो दिन, मेरे जीवन के सबसे अनमोल क्षणों में से एक है | मैं, देख रहा हूँ कि, आज देश भर में लोग कारगिल विजय को याद कर रहे है | Social Media पर एक hashtag #courageinkargil के साथ लोग अपने वीरों को नमन कर रहें हैं, जो शहीद हुए हैं उन्हें श्रद्धांजलि दे रहें हैं | मैं, आज, सभी देशवासियों की तरफ से, हमारे इन वीर जवानों के साथ-साथ, उन वीर माताओं को भी नमन करता हूँ, जिन्होंने, माँ-भारती के सच्चे सपूतों को जन्म दिया | मेरा, देश के नौजवानों से आग्रह है, कि, आज दिन-भर कारगिल विजय से जुड़े हमारे जाबाजों की कहानियाँ, वीर-माताओं के त्याग के बारे में, एक-दूसरे को बताएँ, share करें | मैं, साथियो, आपसे एक आग्रह करता हूँ – आज | एक Website है www.gallantryawards.gov.in आप उसको ज़रूर Visit करें | वहां आपको, हमारे वीर पराक्रमी योद्धाओं के बारे में, उनके पराक्रम के बारे में, बहुत सारी जानकारियां प्राप्त होगी, और वो जानकारियां, जब, आप, अपने साथियों के साथ चर्चा करेंगे – उनके लिए भी प्रेरणा का कारण बनेगी | आप ज़रूर इस Website को Visit कीजिये, और मैं तो कहूँगा, बार-बार कीजिये | + +मेरे प्यारे देशवासियो, पिछले कुछ महीनों से पूरे देश ने एकजुट होकर जिस तरह कोरोना से मुकाबला किया है, उसने, अनेक आशंकाओं को गलत साबित कर दिया है | आज, हमारे देश में recovery rate अन्य देशों के मुकाबले बेहतर है, साथ ही, हमारे देश में कोरोना से मृत्यु-दर भी दुनिया के ज्यादातर देशों से काफ़ी कम है | निश्चित रूप से एक भी व्यक्ति को खोना दुखद है, लेकिन भारत, अपने लाखों देशवासियों का जीवन बचाने में सफल भी रहा है | लेकिन साथियो, कोरोना का खतरा टला नहीं है | कई स्थानों पर यह तेजी से फैल रहा है | हमें बहुत ही ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है | हमें यह ध्यान रखना है कि कोरोना अब भी उतना ही घातक है, जितना, शुरू में था, इसीलिए, हमें पूरी सावधानी बरतनी है | चेहरे पर mask लगाना या गमछे का उपयोग करना, दो गज की दूरी, लगातार हाथ धोना, कहीं पर भी थूकना नहीं, साफ़ सफाई का पूरा ध्यान रखना – यही हमारे हथियार हैं जो हमें कोरोना से बचा सकते हैं | कभी-कभी हमें mask से तकलीफ होती है और मन करता है कि चेहरे पर से mask हटा दें | बातचीत करना शुरू करते हैं | जब mask की जरूरत होती है ज्यादा, उसी समय, mask हटा देते हैं | ऐसे समय, मैं, आप से आग्रह करूँगा जब भी आपको mask के कारण परेशानी feel होती हो, मन करता हो उतार देना है, तो, पल-भर के लिए उन Doctors का स्मरण कीजिये, उन नर्सों का स्मरण कीजिये, हमारे उन कोरोना वारियर्स का स्मरण कीजिये, आप देखिये, वो, mask पहनकर के घंटो तक लगातार, हम सबके जीवन को, बचाने के लिए जुटे रहते हैं | आठ-आठ, दस-दस घंटे तक mask पहने रखते हैं | क्या उनको तकलीफ नहीं होती होगी! थोड़ा सा उनका स्मरण कीजिये, आपको भी लगेगा कि हमें एक नागरिक के नाते इसमें जरा भी कोताही ना बरतनी है और न किसी को बरतने देनी है | एक तरफ हमें कोरोना के खिलाफ लड़ाई को पूरी सजगता और सतर्कता के साथ लड़ना है, तो दूसरी ओर, कठोर मेहनत से, व्यवसाय, नौकरी, पढाई, जो भी, कर्तव्य हम निभाते हैं, उसमें गति लानी है, उसको भी नई ऊँचाई पर ले जाना है | साथियो, कोरोना काल में तो हमारे ग्रामीण क्षेत्रों ने पूरे देश को दिशा दिखाई है | गांवो से स्थानीय नागरिकों के, ग्राम पंचायतों के, अनेक अच्छे प्रयास लगातार सामने आ रहे हैं | जम्मू में एक ग्राम त्रेवा ग्राम पंचायत है | वहाँ की सरपंच हैं बलबीर कौर जी | मुझे बताया गया कि बलबीर कौर जी ने अपनी पंचायत में 30 bed का एक Quarantine Centre बनवाया | पंचायत आने वाले रास्तों पर, पानी की व्यवस्था की | लोगों को हाथ धोने में कोई दिक्कत न हो – इसका इंतजाम करवाया | इतना ही नहीं, ये बलबीर कौर जी, खुद, अपने कन्धे पर spray pump टांगकर, Volunteers के साथ मिलकर, पूरी पंचायत में, आस-पास क्षेत्र में, sanitization का काम भी करती हैं | ऐसी ही एक और कश्मीरी महिला सरपंच हैं | गान्दरबल के चौंटलीवार की जैतूना बेगम | जैतूना बेगम जी ने तय किया कि उनकी पंचायत कोरोना के खिलाफ जंग लड़ेगी और कमाई के लिए अवसर भी पैदा करेगी | उन्होंने, पूरे इलाके में free mask बांटे, free राशन(ration) बांटा, साथ ही उन्होंने लोगों को फसलों के बीज और सेब के पौधे भी दिए, ताकि, लोगों को खेती में, बागवानी में, दिक्कत न आये | साथियो, कश्मीर से एक और प्रेरक घटना है, यहाँ, अनंतनाग में municipal president हैं – श्रीमान मोहम्मद इकबाल, उन्हें, अपने इलाके में sanitization के लिए sprayer की जरूरत थी | उन्होंने, जानकारी जुटाई, तो पता चला कि मशीन, दूसरे शहर से लानी पड़ेगी और कीमत भी होगी छ: लाख रूपये, तो, श्रीमान इकबाल जी ने खुद ही प्रयास करके अपने आप sprayer मशीन बना ली और वो भी केवल पचास हज़ार रूपये में – ऐसे, कितने ही और उदाहरण हैं | पूरे देश में, कोने-कोने में, ऐसी कई प्रेरक घटनाएँ रोज सामने आती हैं, ये सभी, अभिनंदन के अधिकारी हैं | चुनौती आई, लेकिन लोगों ने, उतनी ही ताकत से, उसका सामना भी किया | + +मेरे प्यारे देश्वासियो, सही approach से सकारात्मक approach से हमेशा आपदा को अवसर में, विपत्ति को विकास में बदलने में, बहुत मदद मिलती है | अभी, हम कोरोना के समय भी देख रहे हैं, कि, कैसे हमारे देश के युवाओं-महिलाओं ने, अपने talent और skill के दम पर कुछ नये प्रयोग शुरू किये हैं | बिहार में कई women self help groups ने मधुबनी painting वाले mask बनाना शुरू किया है, और देखते-ही-देखते, ये खूब popular हो गये हैं | ये मधुबनी mask एक तरह से अपनी परम्परा का प्रचार तो करते ही हैं, लोगों को, स्वास्थ्य के साथ, रोजगारी भी दे रहे हैं | आप जानते ही हैं North East में bamboo यानी, बाँस, कितनी बड़ी मात्रा में होता है, अब, इसी बाँस से त्रिपुरा, मणिपुर, असम के कारीगरों ने high quality की पानी की बोतल और Tiffin Box बनाना शुरू किया है | bamboo से, आप, अगर, इनकी quality देखेंगे तो भरोसा नहीं होगा कि बाँस की बोतलें भी इतनी शानदार हो सकती हैं, और, फिर ये बोतलें eco-friendly भी हैं | इन्हें, जब बनाते हैं, तो, बाँस को पहले नीम और दूसरे औषधीय पौधों के साथ उबाला जाता है, इससे, इनमें औषधीय गुण भी आते हैं | छोटे-छोटे स्थानीय products से कैसे बड़ी सफलता मिलती है, इसका, एक उदहारण झारखंड से भी मिलता है | झारखंड के बिशुनपुर में इन दिनों 30 से ज्यादा समूह मिलकर के lemon grass की खेती कर रहे हैं | lemon grass चार महीनों में तैयार हो जाती है, और, उसका तेल बाज़ार में अच्छे दामों में बिकता है | इसकी आजकल काफी माँग भी है | मैं, देश के दो इलाकों के बारे में भी बात करना चाहता हूँ, दोनों ही, एक-दूसरे से सैकड़ों किलोमीटर दूर हैं, और, अपने-अपने तरीक़े से भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कुछ हटकर के काम कर रहे हैं – एक है लद्दाख, और दूसरा है कच्छ | लेह और लद्दाख का नाम सामने आते ही खुबसूरत वादियाँ और ऊँचे-ऊँचे पहाड़ों के दृश्य हमारे सामने आ जाते हैं, ताज़ी हवा के झोंके महसूस होने लगते हैं | वहीँ कच्छ का ज़िक्र होते ही रेगिस्तान, दूर-दूर तक रेगिस्तान, कहीं पेड़-पौधा भी नज़र ना आये, ये सब, हमारे सामने आ जाता है | लद्दाख में एक विशिष्ट फल होता है जिसका नाम चूली या apricot यानी खुबानी है | ये फसल, इस क्षेत्र की economy को बदलने की क्षमता रखती है, परन्तु, अफ़सोस की बात ये है, supply chain, मौसम की मार, जैसे, अनेक चुनौतियों से ये जूझता रहता है | इसकी कम-से-कम बर्बादी हो, इसके लिए, आजकल, एक नए innovation का इस्तेमाल शुरू हुआ है – एक Dual system है, जिसका नाम है, solar apricot dryer and space heater | ये, खुबानी और दूसरे अन्य फलों एवं सब्जियों को जरुरत के अनुसार सुखा सकता है, और वो भी hygienic तरीक़े से | पहले, जब खुबानी को खेतों के पास सुखाते थे, तो, इससे बर्बादी तो होती ही थी, साथ ही, धूल और बारिश के पानी की वजह से फलों की quality भी प्रभावित होती थी | दूसरी ओर, आजकल, कच्छ में किसान Dragon Fruits की खेती के लिए सराहनीय प्रयास कर रहे हैं | बहुत से लोग जब सुनते हैं, तो, उन्हें आश्चर्य होता है – कच्छ और Dragon Fruits | लेकिन, वहाँ, आज कई किसान इस कार्य में जुटे हैं | फल की गुणवत्ता और कम ज़मीन में ज्यादा उत्पाद को लेकर काफी innovation किये जा रहे हैं | मुझे बताया गया है कि Dragon Fruits की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है, विशेषकर, नाश्ते में इस्तेमाल काफी बढ़ा है | कच्छ के किसानों का संकल्प है, कि, देश को Dragon Fruits का आयात ना करना पड़े – यही तो आत्मनिर्भरता की बात है | + diff --git a/pm-speech/385.txt b/pm-speech/385.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..5233eb70cbbd6f773be57fc90654fed7bb6fb1ce --- /dev/null +++ b/pm-speech/385.txt @@ -0,0 +1,24 @@ +आज का ये कार्यक्रम, इस बात का उदाहरण है कि कोरोना के इस संकट काल में भी देश रुका नहीं है, देश थमा नहीं है और देश थका नहीं है। जब तक वैक्सीन नहीं आती, जहां कोरोना के खिलाफ हमें मजबूती से लड़ते रहना है विजय होना है। वहीं विकास के कार्यों को भी पूरी ताकत से आगे बढ़ाना है। इस बार तो पूर्वी और उत्तर पूर्वी भारत को एक तरह से दोहरी चुनौतियों से निपटना पड़ रहा है। नार्थ ईस्ट में फिर इस साल भारी बारिश से काफी नुकसान हो रहा है। अनेक लोगों की मृत्यु हुई है, अनेक लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा है। मैं सभी प्रभावित परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं। इस मुश्किल घड़ी में मैं आप सब को विश्‍वास दिलाता हूं, पूरा देश उनके साथ खड़ा है। भारत सरकार कंधे से कंधा मिलाकर के सभी राज्‍य सरकारों के साथ, जो भी आवश्‍यकता है, हर प्रकार के काम करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। + +सरकार की व्‍यवस्‍था में इतना बड़ा decentralization, इतनी बड़ी मात्रा में ‘grassroot level’ पर empowerment आप कल्‍पना कर सकते हैं कि पानी कितनी बड़ी ताकत बन के आ रहा है। साथियों, Ease of Living, जीवन जीने में आसानी, यह बेहतर जीवन की एक ज़रूरी पूर्व शर्त है। पैसा कम हो सकता है, ज्यादा हो सकता है लेकिन Ease of Living इस पर सबका हक है, और विशेषकर के हमारे हर गरीब भाई-बहन, माता, बहनें, दलित, पिछड़े, आदिवासी, उनका हक है। + +इसलिए बीते 6 वर्षों में भारत में Ease of Living का भी एक बहुत बड़ा आंदोलन चल रहा है। भारत अपने नागरिकों को जीवन की हर ज़रूरी सुविधा देने का प्रयास कर रहा है। बीते 6 साल में हर स्तर पर, हर क्षेत्र में वो कदम उठाए गए हैं, जो गरीब को, सामान्य जन को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित कर सकें। आज मणिपुर सहित पूरा भारत खुले में शौच से मुक्त होने की घोषणा कर चुका है। आज भारत के हर गांव तक बिजली का कनेक्शन पहुंच चुका है, करीब-करीब हर परिवार बिजली से कनेक्टेड है। आज LPG गैस गरीब से गरीब के किचन तक पहुंच चुकी है। हर गांव को अच्छी सड़क से जोड़ा जा रहा है। हर गरीब बेघर को रहने के लिए अच्छे घर उपलब्ध कराए जा रहे हैं। एक बड़ी कमी रहती थी साफ पानी की, तो उसको पूरा करने के लिए भी मिशन मोड पर जल पहुंचाने का काम चल रहा है। + +बेहतर जीवन का, Progress और Prosperity का सीधा संबंध कनेक्टिविटी से है। नॉर्थ ईस्ट की कनेक्टिविटी यहां के लोगों की ease of Living के लिए तो ज़रूरी है ही, एक सुरक्षित और आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को पूरा करने के लिए भी बहुत ज़रूरी है। ये एक तरफ से म्यांमार, भूटान, नेपाल और बांग्लादेश के साथ हमारे सामाजिक और व्यापारिक रिश्तों को मज़बूती देती है, वहीं भारत की Act East Policy को भी सशक्त करती है। + +हमारा ये नॉर्थ ईस्ट, एक प्रकार से पूर्वी एशिया के साथ हमारे प्राचीन सांस्कृतिक रिश्तों को और भविष्य के Trade, Travel और Tourism उन रिश्तों का गेटवे है। इसी सोच के साथ मणिपुर सहित पूरे नॉर्थ ईस्ट में कनेक्टिविटी से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर पर निरंतर बल दिया जा रहा है। Roadways, Highways, Airways, Waterways और I-ways इस के साथ-साथ गैस पाइपलाइन का भी आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर, optical fibre का इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर, power grid की व्‍यवस्‍था, ऐसे अनेक काम, नॉर्थ ईस्ट में एक प्रकार से इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर का जाल बिछाया जा रहा है। + +रेल कनेक्टिविटी के क्षेत्र में तो नॉर्थ ईस्ट में बहुत बड़ा परिवर्तन देखने को मिल रहा है। एक तरफ नए-नए स्टेशनों पर रेल पहुंच रही है, वहीं दूसरी तरफ नॉर्थ ईस्ट के रेल नेटवर्क को ब्रॉडगेज में बदला जा रहा है। आप सभी तो ये बदलाव अनुभव भी कर रहे हैं। लगभग 14 हज़ार करोड़ रुपए की लागत से बन रही, जीरीबाम-इंफाल रेल लाइन के तैयार होने पर मणिपुर में बहुत बड़ा बदलाव आने वाला है। इसी तरह नॉर्थ ईस्ट के हर राज्य की राजधानियों को आने वाले 2 वर्षों में एक बेहतरीन रेल नेटवर्क से जोड़ने का काम तेज़ी से चल रहा है। + +नॉर्थ ईस्ट के लिए एक और बड़ा काम हो रहा है, Inland Water-ways के क्षेत्र में। एक बहुत बड़ा Revolution मैं देख रहा हूं। यहां अब 20 से ज्यादा नेशनल वॉटरवेज़ उस पर काम चल रहा है। भविष्य में यहां की कनेक्टिविटी सिर्फ सिलीगुड़ी कॉरिडोर तक सीमित नहीं रहेगी। अब समंदर और नदियों के नेटवर्क के ज़रिए एक सीमलेस Connectivity पर काम शुरु हो चुका है। कनेक्टिविटी बढ़ने का बहुत बढ़ा लाभ हमारे उद्यमियों, हमारे किसानों को मिल रहा है। इससे नॉर्थ ईस्ट के लिए होने वाले ट्रांसपोर्टेशन में समय की बचत हो रही है। दूसरा लाभ ये भी हुआ है कि नॉर्थ ईस्ट के गांवों को, किसानों को, दूध-सब्जी और मिनरल्स जैसे दूसरे प्रोडक्ट्स को देश और विदेश के बड़े बाज़ारों तक सीधी पहुंच मिली है। + +नॉर्थ-ईस्‍ट के मेरे भाई-बहन तो हमेशा से ही लोकल के लिए वोकल रहे हैं। और सिर्फ वोकल है ऐसा नहीं। नॉर्थ-ईस्‍ट की एक विशेषता है, इनको लोकल के लिए गर्व होता है। मुझे याद है, जब मैं इस प्रकार का स्‍कार्फ लगाता हूं, तो उस प्रदेश के लोग, गौरव से इसको Recognise करते हैं। अपनी चीजों का इतना गर्व होना, ये बहुत बड़ी बात है। और इसलिए नॉर्थ-ईस्‍ट को ये समझाना की लोकल के लिए वोकल बनो, शायद मुझे लगता है, मुझे नहीं करना चाहिए। क्‍योंकि आप तो उससे चार कदम आगे हैं। आप तो लोकल के प्रति बहुत ही गौरव करने वाले हो। आप अभिमान फील करने हो, हां ये हमारा है। और यही तो ताकत होती है। + +और जो products नॉर्थ-ईस्‍ट में होते थे उनमें से अधिकांश वैल्‍यू एडिशन, प्रमोशन और मार्केट एक्‍सेस से कभी-कभी वंचित रह जाते थे। लोगों को पता भी नहीं था अब आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत लोकल प्रोडक्ट्स में वैल्यू एडिशन और उसकी मार्केटिंग के लिए कल्स्टर्स विकसित किए जा रहे हैं। इन क्लस्टर्स में एग्रो स्टार्टअप्स और दूसरी इंडस्ट्री को हर सुविधाएं दी जाएंगी। ऐसे में नॉर्थ ईस्ट के ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स को देश और विदेश के मार्केट्स तक पहुंचाने के लिए हर ज़रूरी सुविधा नज़दीक ही मिलने वाली है। + +नॉर्थ ईस्ट का सामर्थ्य, भारत के Bamboo Import को local production से रिप्लेस करने का सामर्थ्य रखता है। देश में अगरबत्ती की इतनी बड़ी डिमांड है।लेकिन इसके लिए भी हम करोड़ों रुपयों काबैंबू import करते हैं। इस स्थिति को बदलने के लिए देश में काफी काम हो रहा है और इसका भी बहुत बड़ा लाभ उत्तर पूर्व के राज्यों को ही मिलेगा। + +नॉर्थ ईस्ट में हो रहे इस तेज़ परिवर्तन का लाभ जो राज्‍य ज्‍यादा सक्रिय होगा, वो उठायेगा। मणिपुर के सामने असीमित अवसर है और मुझे पक्‍का विश्‍वास है, मणिपुर मौका जाने नहीं देगा। यहां के किसानों, यहां के युवा उद्यमियों को इसका बहुत बड़ा लाभ होने वाला है। हमारा प्रयास यही है कि मणिपुर के युवाओं को रोज़गार के अवसर स्थानीय स्तर पर ही उपलब्ध हों। Health, Education, Skill Development, स्टार्ट अप्स और दूसरी अन्य ट्रेनिंग के लिए अब यहीं पर अनेक संस्थान बन रहे हैं। + +विशेषकर हमारी माताओं और बहनों के आशीर्वाद, हमें वो शक्ति दें ताकि घर-घर जल पहुंचाने के हमारे सपने में कहीं कोई रूकावट न आए। समय-सीमा के पहले हम काम कर पाएं। ऐसे माताएं और बहनें हमें आशीर्वाद दें। हमें काम करना है। हमें काम करने के लिए आशीर्वाद दीजिए। आपके आशीर्वाद बहुत बड़ी ताकत होती है और रक्षाबंधन का पर्व सामने है, तो मैं आग्रह से आपके आशीर्वाद की अभिकामना करता रहता हूं। आप सभी अपना ध्यान रखिए। + diff --git a/pm-speech/386.txt b/pm-speech/386.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..5233eb70cbbd6f773be57fc90654fed7bb6fb1ce --- /dev/null +++ b/pm-speech/386.txt @@ -0,0 +1,24 @@ +आज का ये कार्यक्रम, इस बात का उदाहरण है कि कोरोना के इस संकट काल में भी देश रुका नहीं है, देश थमा नहीं है और देश थका नहीं है। जब तक वैक्सीन नहीं आती, जहां कोरोना के खिलाफ हमें मजबूती से लड़ते रहना है विजय होना है। वहीं विकास के कार्यों को भी पूरी ताकत से आगे बढ़ाना है। इस बार तो पूर्वी और उत्तर पूर्वी भारत को एक तरह से दोहरी चुनौतियों से निपटना पड़ रहा है। नार्थ ईस्ट में फिर इस साल भारी बारिश से काफी नुकसान हो रहा है। अनेक लोगों की मृत्यु हुई है, अनेक लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा है। मैं सभी प्रभावित परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं। इस मुश्किल घड़ी में मैं आप सब को विश्‍वास दिलाता हूं, पूरा देश उनके साथ खड़ा है। भारत सरकार कंधे से कंधा मिलाकर के सभी राज्‍य सरकारों के साथ, जो भी आवश्‍यकता है, हर प्रकार के काम करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। + +सरकार की व्‍यवस्‍था में इतना बड़ा decentralization, इतनी बड़ी मात्रा में ‘grassroot level’ पर empowerment आप कल्‍पना कर सकते हैं कि पानी कितनी बड़ी ताकत बन के आ रहा है। साथियों, Ease of Living, जीवन जीने में आसानी, यह बेहतर जीवन की एक ज़रूरी पूर्व शर्त है। पैसा कम हो सकता है, ज्यादा हो सकता है लेकिन Ease of Living इस पर सबका हक है, और विशेषकर के हमारे हर गरीब भाई-बहन, माता, बहनें, दलित, पिछड़े, आदिवासी, उनका हक है। + +इसलिए बीते 6 वर्षों में भारत में Ease of Living का भी एक बहुत बड़ा आंदोलन चल रहा है। भारत अपने नागरिकों को जीवन की हर ज़रूरी सुविधा देने का प्रयास कर रहा है। बीते 6 साल में हर स्तर पर, हर क्षेत्र में वो कदम उठाए गए हैं, जो गरीब को, सामान्य जन को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित कर सकें। आज मणिपुर सहित पूरा भारत खुले में शौच से मुक्त होने की घोषणा कर चुका है। आज भारत के हर गांव तक बिजली का कनेक्शन पहुंच चुका है, करीब-करीब हर परिवार बिजली से कनेक्टेड है। आज LPG गैस गरीब से गरीब के किचन तक पहुंच चुकी है। हर गांव को अच्छी सड़क से जोड़ा जा रहा है। हर गरीब बेघर को रहने के लिए अच्छे घर उपलब्ध कराए जा रहे हैं। एक बड़ी कमी रहती थी साफ पानी की, तो उसको पूरा करने के लिए भी मिशन मोड पर जल पहुंचाने का काम चल रहा है। + +बेहतर जीवन का, Progress और Prosperity का सीधा संबंध कनेक्टिविटी से है। नॉर्थ ईस्ट की कनेक्टिविटी यहां के लोगों की ease of Living के लिए तो ज़रूरी है ही, एक सुरक्षित और आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को पूरा करने के लिए भी बहुत ज़रूरी है। ये एक तरफ से म्यांमार, भूटान, नेपाल और बांग्लादेश के साथ हमारे सामाजिक और व्यापारिक रिश्तों को मज़बूती देती है, वहीं भारत की Act East Policy को भी सशक्त करती है। + +हमारा ये नॉर्थ ईस्ट, एक प्रकार से पूर्वी एशिया के साथ हमारे प्राचीन सांस्कृतिक रिश्तों को और भविष्य के Trade, Travel और Tourism उन रिश्तों का गेटवे है। इसी सोच के साथ मणिपुर सहित पूरे नॉर्थ ईस्ट में कनेक्टिविटी से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर पर निरंतर बल दिया जा रहा है। Roadways, Highways, Airways, Waterways और I-ways इस के साथ-साथ गैस पाइपलाइन का भी आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर, optical fibre का इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर, power grid की व्‍यवस्‍था, ऐसे अनेक काम, नॉर्थ ईस्ट में एक प्रकार से इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर का जाल बिछाया जा रहा है। + +रेल कनेक्टिविटी के क्षेत्र में तो नॉर्थ ईस्ट में बहुत बड़ा परिवर्तन देखने को मिल रहा है। एक तरफ नए-नए स्टेशनों पर रेल पहुंच रही है, वहीं दूसरी तरफ नॉर्थ ईस्ट के रेल नेटवर्क को ब्रॉडगेज में बदला जा रहा है। आप सभी तो ये बदलाव अनुभव भी कर रहे हैं। लगभग 14 हज़ार करोड़ रुपए की लागत से बन रही, जीरीबाम-इंफाल रेल लाइन के तैयार होने पर मणिपुर में बहुत बड़ा बदलाव आने वाला है। इसी तरह नॉर्थ ईस्ट के हर राज्य की राजधानियों को आने वाले 2 वर्षों में एक बेहतरीन रेल नेटवर्क से जोड़ने का काम तेज़ी से चल रहा है। + +नॉर्थ ईस्ट के लिए एक और बड़ा काम हो रहा है, Inland Water-ways के क्षेत्र में। एक बहुत बड़ा Revolution मैं देख रहा हूं। यहां अब 20 से ज्यादा नेशनल वॉटरवेज़ उस पर काम चल रहा है। भविष्य में यहां की कनेक्टिविटी सिर्फ सिलीगुड़ी कॉरिडोर तक सीमित नहीं रहेगी। अब समंदर और नदियों के नेटवर्क के ज़रिए एक सीमलेस Connectivity पर काम शुरु हो चुका है। कनेक्टिविटी बढ़ने का बहुत बढ़ा लाभ हमारे उद्यमियों, हमारे किसानों को मिल रहा है। इससे नॉर्थ ईस्ट के लिए होने वाले ट्रांसपोर्टेशन में समय की बचत हो रही है। दूसरा लाभ ये भी हुआ है कि नॉर्थ ईस्ट के गांवों को, किसानों को, दूध-सब्जी और मिनरल्स जैसे दूसरे प्रोडक्ट्स को देश और विदेश के बड़े बाज़ारों तक सीधी पहुंच मिली है। + +नॉर्थ-ईस्‍ट के मेरे भाई-बहन तो हमेशा से ही लोकल के लिए वोकल रहे हैं। और सिर्फ वोकल है ऐसा नहीं। नॉर्थ-ईस्‍ट की एक विशेषता है, इनको लोकल के लिए गर्व होता है। मुझे याद है, जब मैं इस प्रकार का स्‍कार्फ लगाता हूं, तो उस प्रदेश के लोग, गौरव से इसको Recognise करते हैं। अपनी चीजों का इतना गर्व होना, ये बहुत बड़ी बात है। और इसलिए नॉर्थ-ईस्‍ट को ये समझाना की लोकल के लिए वोकल बनो, शायद मुझे लगता है, मुझे नहीं करना चाहिए। क्‍योंकि आप तो उससे चार कदम आगे हैं। आप तो लोकल के प्रति बहुत ही गौरव करने वाले हो। आप अभिमान फील करने हो, हां ये हमारा है। और यही तो ताकत होती है। + +और जो products नॉर्थ-ईस्‍ट में होते थे उनमें से अधिकांश वैल्‍यू एडिशन, प्रमोशन और मार्केट एक्‍सेस से कभी-कभी वंचित रह जाते थे। लोगों को पता भी नहीं था अब आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत लोकल प्रोडक्ट्स में वैल्यू एडिशन और उसकी मार्केटिंग के लिए कल्स्टर्स विकसित किए जा रहे हैं। इन क्लस्टर्स में एग्रो स्टार्टअप्स और दूसरी इंडस्ट्री को हर सुविधाएं दी जाएंगी। ऐसे में नॉर्थ ईस्ट के ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स को देश और विदेश के मार्केट्स तक पहुंचाने के लिए हर ज़रूरी सुविधा नज़दीक ही मिलने वाली है। + +नॉर्थ ईस्ट का सामर्थ्य, भारत के Bamboo Import को local production से रिप्लेस करने का सामर्थ्य रखता है। देश में अगरबत्ती की इतनी बड़ी डिमांड है।लेकिन इसके लिए भी हम करोड़ों रुपयों काबैंबू import करते हैं। इस स्थिति को बदलने के लिए देश में काफी काम हो रहा है और इसका भी बहुत बड़ा लाभ उत्तर पूर्व के राज्यों को ही मिलेगा। + +नॉर्थ ईस्ट में हो रहे इस तेज़ परिवर्तन का लाभ जो राज्‍य ज्‍यादा सक्रिय होगा, वो उठायेगा। मणिपुर के सामने असीमित अवसर है और मुझे पक्‍का विश्‍वास है, मणिपुर मौका जाने नहीं देगा। यहां के किसानों, यहां के युवा उद्यमियों को इसका बहुत बड़ा लाभ होने वाला है। हमारा प्रयास यही है कि मणिपुर के युवाओं को रोज़गार के अवसर स्थानीय स्तर पर ही उपलब्ध हों। Health, Education, Skill Development, स्टार्ट अप्स और दूसरी अन्य ट्रेनिंग के लिए अब यहीं पर अनेक संस्थान बन रहे हैं। + +विशेषकर हमारी माताओं और बहनों के आशीर्वाद, हमें वो शक्ति दें ताकि घर-घर जल पहुंचाने के हमारे सपने में कहीं कोई रूकावट न आए। समय-सीमा के पहले हम काम कर पाएं। ऐसे माताएं और बहनें हमें आशीर्वाद दें। हमें काम करना है। हमें काम करने के लिए आशीर्वाद दीजिए। आपके आशीर्वाद बहुत बड़ी ताकत होती है और रक्षाबंधन का पर्व सामने है, तो मैं आग्रह से आपके आशीर्वाद की अभिकामना करता रहता हूं। आप सभी अपना ध्यान रखिए। + diff --git a/pm-speech/387.txt b/pm-speech/387.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..7b3874c6e6e936d054af9dd196b8a5af25c29823 --- /dev/null +++ b/pm-speech/387.txt @@ -0,0 +1,18 @@ +हम सभी इस बात से सहमत हैं कि दुनिया को एक बेहतर भविष्य की आवश्यकता है। और, हम सभी को सामूहिक रूप से भविष्य को आकार देना है। मेरा दृढ़ विश्वास है कि भविष्य के लिए हमारा दृष्टिकोण मुख्य रूप से मानव-केंद्रित ज्यादा होना चाहिए। गरीब और कमजोर हमारे विकास के एजेंडे के मूल में होने चाहिए। ‘ईज ऑफ लिविंग’ उतना ही महत्वपूर्ण है जितना ‘ईज ऑफ बिजनस’। + +भारत के प्रति आज दुनियाभर में आशावाद है। ऐसा इसलिए है क्योंकि भारत खुलेपन, अवसरों और विकल्पों का आदर्श तालमेल प्रदान करता है। मैं विस्तार से बताता हूं। भारत में लोगों में और शासन में भी खुलापन है। खुले दिमाग के लोग खुला बाजार बनाते हैं। खुले बाजारों से ज्यादा समृद्धि आती है। ये ऐसे सिद्धांत हैं, जिस पर भारत और अमेरिका दोनों सहमत हैं। + +भारत अवसरों की भूमि के तौर पर उभर रहा है। मैं आपको टेक क्षेत्र का एक उदाहरण देता हूं। हाल में भारत में एक दिलचस्प रिपोर्ट सामने आई। इसमें पहली बार कहा गया कि शहरी इंटरनेट यूजर्स की तुलना में ग्रामीण इंटरनेट यूजर्स ज्यादा हैं। स्केल के बारे में कल्पना कीजिए। भारत में अभी लगभग आधे अरब ऐक्टिव इंटरनेट यूजर्स हैं। आधे अरब कनेक्टेड लोग। क्या आपको यह विशाल लगा? अपनी सांसें थाम लीजिए क्योंकि अभी आधे अरब से अधिक लोग हैं जो जुड़ रहे हैं। प्रौद्योगिकी के अवसरों में 5जी, बिग डेटा एनालिटिक्स, क्वांटम कम्प्यूटिंग, ब्लॉक-चेन और इंटरनेट ऑफ थिंग्स जैसी प्रमुख तकनीक शामिल हैं। + +भारत में निवेश करने के विकल्प व्यापक हैं। भारत आपको हमारे किसानों के कठिन परिश्रम में निवेश करने के लिए आमंत्रित करता है। हाल में भारत ने कृषि क्षेत्र में ऐतिहासिक सुधार किए हैं। इनमें निवेश के काफी अवसर हैं- कृषि इनपुट्स और मशीनरी, कृषि आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन, रेडी-टू-ईट आइटम्स, मत्स्य और जैविक उत्पाद। भारत का खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र 2025 तक आधा ट्रिलियन डॉलर से अधिक होने की उम्मीद है। रेवेन्यू के रास्ते विकसित करने के लिए भारतीय कृषि क्षेत्र में निवेश के अवसरों का दोहन करने का यह सबसे अच्छा समय है। + +भारत आपको स्वास्थ्य सेवा में निवेश करने के लिए आमंत्रित करता है। भारत में हेल्थकेयर सेक्टर हर साल 22 प्रतिशत से ज्यादा तेजी से बढ़ रहा है। हमारी कंपनियां चिकित्सा तकनीक, टेली-मेडिसिन और डायग्नोस्टिक्स के उत्पादन में भी प्रगति कर रही हैं। भारत और अमेरिका पहले ही फार्मा क्षेत्र में एक मजबूत साझेदारी का निर्माण कर चुके हैं। स्केल और स्पीड हासिल करने के लिए भारतीय हेल्थकेयर क्षेत्र में अपने निवेश को विस्तार देने का यह सबसे अच्छा समय है। + +भारत आपको रक्षा और अंतरिक्ष में निवेश करने के लिए आमंत्रित करता है। हम रक्षा क्षेत्र में निवेश के लिए एफडीआई को बढ़ाकर 74 प्रतिशत कर रहे हैं। भारत ने रक्षा उपकरणों और प्लेटफॉर्मों के उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए दो रक्षा गलियारों की स्थापना की है। हम निजी और विदेशी निवेशकों के लिए विशेष प्रोत्साहन प्रदान करते हैं। कुछ हफ्ते पहले, हमने अंतरिक्ष क्षेत्र में ऐतिहासिक सुधारों को मंजूरी दी। आइए, इन उभरते क्षेत्रों का हिस्सा बनिए। + +भारत आपको वित्त और बीमा में निवेश के लिए न्योता देता है। भारत ने बीमा में निवेश के लिए एफडीआई कैप को बढ़ाकर 49 प्रतिशत कर दिया है। अब बीमा मध्यस्थों में निवेश के लिए 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति दी गई है। भारत में बीमा बाजार 12 प्रतिशत से ज्यादा की रफ्तार से बढ़ रहा है और इसके 2025 तक 250 अरब डॉलर तक बढ़ने की उम्मीद है। आयुष्मान भारत हमारी स्वास्थ्य आश्वासन योजना, पीएम फसल बीमा योजना हमारी फसल बीमा योजना और जन सुरक्षा या सामाजिक सुरक्षा योजनाओं की सफलता के साथ ही सरकार ने बीमा उत्पादों को त्वरित रूप से अपनाने और स्वीकृति के लिए जमीन तैयार की है। स्वास्थ्य, कृषि, व्यवसाय और जीवन बीमा में बीमा कवर को बढ़ाने के विशाल अवसर हैं, जो अभी अछूते हैं। दीर्घकालिक और सुनिश्चित रेवेन्यू पैदा करने के लिए भारतीय बीमा क्षेत्र अभी सबसे अच्छे विकल्पों में से एक है। + +निवेश आत्मविश्वास का सबसे अच्छा परिचायक है। हर साल, हम एफडीआई में रिकॉर्ड ऊंचाई छू रहे हैं। हर साल पिछले वाले की तुलना में काफी अधिक है। भारत में साल 2019-20 में एफडीआई प्रवाह 74 अरब डॉलर था। यह उससे पहले के वर्ष से 20 प्रतिशत अधिक है। यूएसआईबीसी के दोस्तों ने बताया है कि अमेरिका से ‘प्रतिभूत निवेश’ इस साल 40 अरब डॉलर से ज्यादा हो चुका है। यह भी देखिए कि मौजूदा महामारी के दौरान क्या हुआ है। कोविड के मध्य में भारत ने अप्रैल और जुलाई 2020 के बीच 20 अरब डॉलर से ज्यादा का विदेशी निवेश आकर्षित किया है। + +इस विजन के लिए, अमेरिका की तरह कुछ ही अच्छे साझेदार हैं। भारत और अमेरिका साझा मूल्यों वाले दो जीवंत लोकतंत्र हैं। हम स्वाभाविक साझेदार हैं। अमेरिका-भारत की मित्रता ने अतीत में कई आयामों को छुआ है। अब समय आ गया है कि हमारी साझेदारी महामारी के बाद विश्व को तेजी से पुरानी स्थिति में लौटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाए। अमेरिकी निवेशक अक्सर किसी सेक्टर या देश में प्रवेश करने के लिए सही समय की तलाश में रहते हैं। उनके लिए, मैं कहना चाहूंगा कि भारत में निवेश करने का इससे बेहतर समय कभी नहीं रहा। + diff --git a/pm-speech/388.txt b/pm-speech/388.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..cbc717260f84d060103cf27284a38efd69120d5d --- /dev/null +++ b/pm-speech/388.txt @@ -0,0 +1,4 @@ +शुरुआत से ही, भारत ने संयुक्त राष्ट्र के विकास कार्यों और ईसीओएसओसी का सक्रिय रूप से समर्थन किया है। ईसीओएसओसी के पहले अध्यक्ष एक भारतीय थे। भारत ने सतत विकास लक्ष्यों समेत ईसीओएसओसी एजेंडे को आकार देने में भी योगदान दिया। आज, अपने घरेलू प्रयासों के माध्यम से हम फिर से एजेंडा 2030 और सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने में एक प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं। हम अन्य विकासशील देशों को उनके सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में भी सहयोग कर रहे हैं। + +पांच वर्षों में हमने 110 मिलियन से ज्यादा घरेलू शौचालयों का निर्माण किया, जिसने हमारे ग्रामीण स्वच्छता कवर को 38 प्रतिशत से 100 प्रतिशत तक सुधार दिया। हमारे व्यापक जागरूकता कार्यक्रम हमारी महिलाओं को सशक्त बना रहे हैं। हमने प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा में लैंगिक समानता हासिल की है। ग्रामीण भारत में करीब 70 मिलियन महिलाएं हमारे आजीविका मिशन के तहत स्वयं सहायता समूहों का हिस्सा हैं। वे जीवन और आजीविका में बड़े पैमाने पर बदलाव ला रही हैं। एक मिलियन से ज्यादा महिलाएं हमारी स्थानीय सरकारों की प्रतिनिधि चुनी जाती हैं, जिससे भागीदारी विकास की प्रक्रिया आगे बढ़ती है। बीते छह वर्षों में हमने 400 मिलियन से ज्यादा बैंक खाते खोले, जिसमें से 220 मिलियन महिलाओं के स्वामित्व वाले हैं। हमने वित्तीय समावेशन के लिए प्रौद्योगिकी की ताकत का लाभ उठाया है। यह तीन बिंदुओं- एक विशिष्ट पहचान संख्या, एक बैंक खाता और सभी के लिए मोबाइल कनेक्शन पर आधारित है। इससे हम 700 मिलियन से ज्यादा लोगों को 150 बिलियन डॉलर का प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण कर पा रहे हैं। हमारा खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम 813 मिलियन नागरिकों तक पहुंचता है। + diff --git a/pm-speech/389.txt b/pm-speech/389.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..317164735c8f86f24d4004c0a751f9993e06f3e2 --- /dev/null +++ b/pm-speech/389.txt @@ -0,0 +1,4 @@ +COVID-19 के कारण हमें मार्च में India-EU Summit स्थगित करनी पड़ी थी। अच्छी बात है कि आज हम virtual माध्यम से मिल पा रहे हैं। सबसे पहले मैं Europe में Coronavirus के कारण हुई क्षति के लिए संवेदना प्रकट करता हूँ। आपके शुरुआती remarks के लिए धन्यवाद। आप की तरह मैं भी भारत और EU के सम्बन्धों को और विस्तृत और गहरा बनाने के लिए प्रतिबद्ध हूँ। इस के लिए हमें एक दीर्घ-कालीन strategic perspective अपनाना चाहिए। + +आज हमारे नागरिकों की सेहत और समृद्धि, दोनों ही चुनौतियों का सामना कर रहें हैं। Rules-based international order पर विभिन्न प्रकार के दबाव हैं।ऐसे में भारत-EU partnership, आर्थिक पुनर्निर्माण में, और एक मानव-केंद्रित और मानवता-केंद्रित globalisation के निर्माण में, महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। तत्कालीन चुनौतियों के अलावा Climate Change जैसे long-term challenges भी हम दोनों के लिए ही प्राथमिकता हैं। + diff --git a/pm-speech/390.txt b/pm-speech/390.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..5d2047988f3cd28dafeb4653c0c0fb1dfca30031 --- /dev/null +++ b/pm-speech/390.txt @@ -0,0 +1,12 @@ +नमस्‍कार, आप सभी से बात करने का मौका मिला। हम सभी ने अपने व्यक्तिगत जीवन में अनेक उतार-चढ़ाव देखे हैं। हमारे सामाजिक जीवन में भी, गांव में, शहर में, अलग-अलग तरह की कठिनाइयां आती ही रहती हैं। आप देखिए कल बिजली गिर गयी। बिहार में, उत्‍तर प्रदेश में कितने लोगों की जान चली गई। लेकिन ये किसी ने नहीं सोचा था कि पूरी दुनिया पर, पूरी मानव जाति पर एक साथ एक ही तरह का इतना बड़ा संकट आएगा। एक ऐसा संकट जिसमें चाहकर भी लोग दूसरों की पूरी तरह मदद नहीं कर पा रहे थे। इस दौरान शायद ही कोई होगा जिसे परेशानी नहीं हुई हो। + +क्वारंटीन सेंटर हो, आइसोलेशन की सुविधा हो, इसके निर्माण के लिए पूरी ताकत झोंक दी गई। उनके पिताजी का स्‍वर्गवास हुआ हो। पिताजी के अंत्‍येष्ठि में जाने के बजाए ये उत्तर प्रदेश के लोगों के लिए ज़िन्दगी खपाने वाले योगी जी इस कोरॉना से बचाने के लिए आपके साथ जुटे रहे। जो श्रमिक बाहर से आ रहे थे, उनके लिए बहुत ही कम समय में लगभग 60 हजार ग्रामीण निगरानी समितियों का गठन किया गया। इन समितियों ने गांवों में क्वारंटीन की व्यवस्था विकसित करने में बहुत मदद की। सिर्फ दो -ढाई महीने के भीतर ही यूपी में कोरोना के मरीजों के इलाज के लिए अस्पतालों में एक लाख बिस्तर भी तैयार किए गए। + +इस दौरान यूपी में गरीबों को 42 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न बांटा गया है। जिनके पास राशन कार्ड नहीं था, उनके लिए भी यूपी सरकार ने सरकारी राशन की दुकान के दरवाजे खोल दिए। इतना ही नहीं, उत्तर प्रदेश के सवा तीन करोड़ गरीब महिलाओं के जनधन खाते में लगभग 5 हजार करोड़ रुपए भी सीधे ट्रांफफर किए गए। आजादी के बाद के इतिहास में संभवत: किसी सरकार ने इतने बड़े पैमाने पर गरीबों की मदद नहीं की है। + +उत्तर प्रदेश, हमेशा से भारत के प्रगति पथ का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। गांव-गरीब और देश को सशक्त करने के जिस मिशन को लेकर हम चले हैं, उसमें उत्तर प्रदेश का योगदान यहां बीजेपी की सरकार आने के बाद अब लगातार बढ़ रहा है। बीते 3 साढ़े 3 वर्षों में हर बड़ी योजना पर उत्तर प्रदेश ने तेज़ गति से काम किया है। सिर्फ तीन साल में यूपी में गरीबों के लिए 30 लाख से ज्यादा पक्के घर बनाए गए हैं। सिर्फ तीन साल की मेहनत से यूपी ने खुद को खुले में शौच से मुक्त घोषित किया है। सिर्फ तीन साल में पारदर्शी तरीके से यूपी ने 3 लाख नौजवानों को सरकारी नौकरी दी है। सिर्फ तीन साल के प्रयासों से यूपी में माता मृत्यु दर में 30 प्रतिशत की गिरावट आई है। + +बरसों से पूर्वांचल में इंसेफिलाइटिस महामारी की तरह कहर बरपाती थी।अनेक नवजात शिशुओं की दुखद मृत्यु इस बीमारी से हो जाती थी। अब यूपी सरकार के प्रयासों से, इस बीमारी के मरीजों की संख्या तो कम हुई ही है, मृत्यु दर में भी 90 प्रतिशत तक की कमी आई है।इसके अलावा मेडिकल कॉलेज हों या फिर आयुष्मान भारत अभियान के तहत दूसरी सुविधाएं, इसमें भी यूपी ने प्रशंसनीय काम किया है। + +बिजली, पानी, सड़क जैसी बुनियादी सुविधाओं में अभूतपूर्व सुधार हुआ है।नई सड़कों और एक्सप्रेसवे के निर्माण में यूपी आगे चल रहा है।और सबसे बड़ी बात ये है कि आज उत्तर प्रदेश में शांति है, कानून का राज कायम हो रहा है।यही कारण है कि उत्तर प्रदेश पर पूरी दुनिया के निवेशकों की नज़र है। सरकार देशी और विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए जो भी कदम उठा रही है, उसका बहुत बड़ा लाभ यूपी उठा रहा है। और देखिए आज भी, जब अन्य राज्य कोरोना से लड़ाई में जूझ रहे हैं, यूपी ने अपने विकास के लिए इतनी बड़ी योजना शुरू कर दी है।एक प्रकार से आपदा से बने हर अवसर को यूपी साकार कर रहा है।एक बार फिर आप सभी को, रोज़गार के इन तमाम अवसरों के लिए बहुत-बहुत बधाई !! + diff --git a/pm-speech/391.txt b/pm-speech/391.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..9dc8d38ecc5d5261cdfc157c7f3eb2ad5f342216 --- /dev/null +++ b/pm-speech/391.txt @@ -0,0 +1,4 @@ +लेकिन Covid19 वायरस खासतौर पर हमारे श्वसन तंत्र, यानि कि respiratory system पर attack करता है। हमारे Respiratory system को strong करने में जिससे सबसे ज्यादा मदद मिलती है वो है प्राणायाम, यानि कि breathing exercise. सामान्य तौर पर अनुलोम विलोम प्राणायाम ही ज्यादा popular है। ये काफी प्रभावी भी है। लेकिन प्राणायाम  के अनेक प्रकार है। इसमें , शीतली, कपालभाति, भ्रामरी, भस्त्रिका, ये सब भी होते हैं,  बहुत हैं अनगिनत हैं । + +योग की ये सभी विधाएं, ये तकनीक, हमारे respiratory system और immune system दोनों को मजबूत करने में बहुत मदद करती हैं। इसलिए आपसे मेरा विशेष आग्रह है  आप प्राणायाम को अपने daily अभ्यास में जरूर शामिल करिए, और अनुलोम-विलोम के साथ ही अनेक जो प्राणायाम  techniques को भी सीखिए, उसको सिद्ध कीजिये ।   योग की इन पद्धतियों का लाभ बड़ी संख्या में आज पूरी दुनिया में Covid19 patients ले भी रहे हैं। योग की ताकत से उन्हें इस बीमारी को हराने में मदद मिल रही है। + diff --git a/pm-speech/392.txt b/pm-speech/392.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..2a65c8215f5509be570d4885b0cc923e7d4082ec --- /dev/null +++ b/pm-speech/392.txt @@ -0,0 +1,8 @@ +देश के गरीबों, मजदूरों, श्रमिकों की इस शक्ति को नमन! मेरे देश के गांवों को नमन। शत-शत नमन। वैसे मुझे बताया गया है कि परसो से पटना में कोरोना टेस्टिंग के एक बड़ी आधुनिक टेस्टिंग मशीन भी काम शुरू करने वाली है। इस मशीन से करीब-करीब 1500 टेस्ट एक ही दिन में करने संभव होंगे। इस टेस्टिंग मशीन के लिए भी बिहार के लोगों को बधाई। + +ये तो वो काम हैं जो गांव में होने ही चाहिए। लेकिन, इसके साथ-साथ इस अभियान के तहत आधुनिक सुविधाओं से भी गांवों को जोड़ा जाएगा। अब जैसे, शहरों की तरह ही गांव में भी हर घर में सस्ता और तेज़ इंटरनेट होना ज़रूरी है। जरूरी इसलिए ताकि गांव के हमारे बच्चे भी अच्छे से पढ़-लिख सकें। गांव की इस जरूरत को भीगरीब कल्याण रोज़गार अभियान से जोड़ा गया है। देश के इतिहास में पहली बार ऐसा हो रहा है जब गांव में, शहरों से ज्यादा इंटरनेट इस्तेमाल हो रहा है। गांवों में इटंरनेट की स्पीड बढ़े, फाइबर केबल पहुंचे, इससे जुड़े कार्य भी होंगे। + +सरकार पूरा प्रयास कर रही है कि कोरोना महामारी के इस समय में, आपको गांवों में रहते हुए किसी से कर्ज न लेना पड़े, किसी के आगे हाथ न फैलाना पड़े। गरीब के स्वाभिमान को हम समझते हैं। आप श्रमेव जयते, श्रम की पूजा करने वाले लोग हैं, आपको काम चाहिए, रोजगार चाहिए। इस भावना को सर्वोपरि रखते हुए ही सरकार ने इस योजना को बनाया है, इस योजना को इतने कम समय में लागू किया है। + +इन तीन महीनों में 80 करोड़ गरीबों की थाली तक राशन-दाल पहुंचाने का काम हुआ है। राशन के साथ साथ उन्हें गैस सिलिंडर भी मुफ्त दिए गए। इसी तरह, 20 करोड़ गरीब माताओं-बहनों के जन धन खातों में 10 हजार करोड़ रुपए से अधिक सीधे ट्रांसफर किए गए। गरीब बुजुर्ग, माताओं-बहनों और दिव्यांग साथियों के लिए 1000 रुपए की सहायता भी सीधे उनके खातों में भेजी गई। + diff --git a/pm-speech/394.txt b/pm-speech/394.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..226417082f705edd9a663deb86469bb6e131ef00 --- /dev/null +++ b/pm-speech/394.txt @@ -0,0 +1,28 @@ +भारत कोरोना से लड़ेगा भी और आगे जीतेगा भी, आगे बढ़ेगा भी। भारत इस बड़ी आपदा को, आपदा समझ करके रोते-बैठने के पक्ष का नहीं है। भारत आपदा कितनी ही बड़ी क्‍यों न हो, उसको अवसर में बदलने के लिए कृतसंकल्‍प है और हम सब मिल करके आपदा को अवसर में बदलेंगे। कोरोना के इस संकट ने भारत को आत्मनिर्भर भारत- Self Reliant होने का सबक भी दिया है। + +आत्मनिर्भर भारत यानि भारत Import पर अपनी निर्भरता कम करेगा। आत्मनिर्भर भारत यानि भारत Import पर खर्च होने वाली लाखों करोड़ रुपए की विदेशी मुद्रा बचाएगा और देश के गरीबों के कल्‍याण के लिए काम में लाएगा। आत्मनिर्भर भारत यानि भारत को Import न करना पड़े, इसके लिए वो अपने ही देश में साधन और संसाधन विकसित करने की दिशा में लगातार प्रयास करेगा, आगे बढ़ेगा। आप पर मेरा जो भरोसा है उसके लिए कह रहा हूं, कि आज हम जो Import करते हैं, कल को उसी के सबसे बड़े Exporter बनेंगे। + +आज Energy Sector में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए, Self Reliant बनाने के लिए एक बहुत बड़ा कदम उठाया जा रहा है। ये कार्यक्रम सिर्फ Coal Mining से जुड़े, एक सेक्‍टर से जुड़े reforms को जमीन पर उतारने का ही है, ऐसा नहीं है बल्कि ये 130 करोड़ Aspirations को Realize करने का कमिटमेंट है। ये हमारे युवा साथियों के लिए रोजगार के लाखों अवसर तैयार करने की शुरुआत है। + +Self Relianceके संकल्प को सिद्ध करने के लिए जब पिछले महीने आत्मनिर्भर भारत अभियान की घोषणा हुई थी, तो कई लोगों को लगता था कि ये सामान्य सरकारी प्रक्रिया है। लेकिन महीने भर के भीतर ही, हर घोषणा,हर रिफॉर्म्स, चाहे वो Agriculture Sector में हो, चाहे MSMEs के सेक्टर में हो या फिर अब Coal और Mining के Sector में हो, हर क्षेत्र में एक साथ अनेक प्रकार के कदम उठाए जा रहे हैं, निर्णय किए जा रहे हैं, और निर्णयों को तेजी से जमीन पर उतारने के लिए हर कोई कोशिश कर रहा है। + +हमारे यहां दशकों से यही स्थिति चल रही थी। देश के Coal Sector को Captive और Non-captive के जाल में उलझाकर रखा गया था। इसको Competition से बाहर रखा गया था, Transparency की एक बहुत बड़ी समस्‍या बार-बार सामने आई है। ईमानदारी से Auction को छोड़िए, कोयला खदानों के allotment में बड़े-बड़े घोटालों की चर्चा हर किसी ने सुनी है, हर समय हुई है, हर कोने में हुई है। इस वजह से देश के कोल सेक्टर में Investment भी कम होता था और उसकी Efficiency भी हमेशा सवालों के घेरे में रहती थी। कोयला निकलता किसी राज्य से था, जाता सैकड़ों किलोमीटर दूर किसी अन्य राज्य के power plant के लिए होता था। जबकि वह राज्य के power plants कोयले का इंतजार करते रह जाता थे। यानि काफी कुछ Mismanage था, अस्त-व्यस्त था। + +साल 2014 के बाद इस स्थिति को बदलने के लिए एक के बाद एक कई कदम उठाए गए। जिस कोल लिंकेज की बात कोई सोच नहीं सकता था, वो हमने करके दिखाया। ऐसे कदमों के कारण Coal Sector को मजबूती भी मिली। आज बड़े-बड़े reforms को absorb करने की ताकत उसके अंदर आ रही है। अभी हाल में हमने वो रिफॉर्म्स किए, जिसकी चर्चा दशकों से चल रही थी। आप लोग भी कर रहे थे। जो अपने आपको Export competitor मानते हैं, वे भी कर रहे थे। अब भारत ने Coal और Mining के सेक्टर को competition के लिए, capital के लिए, Participation और Technology के लिए, पूरी तरह से खोलने का बहुत बड़ा फैसला लिया है। इसका भी ध्यान रखा गया है कि जो नए Players, Private Players माइनिंग के क्षेत्र में आएं, उन्हें Finance के कारण कोई दिक्कत न हो, उसका भी ध्‍यान रखा गया है ताकि नए लोगों को प्रोत्‍साहन मिले।। + +जो Reforms हमने किए हैं, उसका लाभ सिर्फ कोल सेक्टर को ही नहीं, दूसरे अन्य सेक्टरों पर भी पड़ेगा। जब हम Coal Production बढ़ाते हैं तो Power Generation बढ़ने के साथ ही Steel, Aluminium, फर्टिलाइजर, सीमेंट जैसे तमाम दूसरे सेक्टर्स में Production और Processing पर भी Positive Impact होता है। सौभाग्य से हमारे यहां Coal, Iron, Bauxite, ऐसे कई मिनरल्स के Reserves एक दूसरे के बहुत नजदीक होते हैं, बहुत आसपास ही होते हैं एक प्रकार से परमात्‍मा ने जैसे एक कलस्‍टर बनाकर रखा हुआ है हमारे लिए। ऐसे में, हाल में ही Minerals को लेकर जो Reforms किए गए थे, वो Coal Mining Reforms के साथ जुड़ जाने से ये बाकी सेक्‍टर भी बहुत मजबूत हो गए हैं। + +Coal Reforms करते समय इस बात का भी ध्यान रखा गया है कि Environment की रक्षा का भारत का commitment कहीं से भी कमजोर न पड़े। Coal से Gas बनाने के लिए अब बेहतर और आधुनिक टेक्नॉलॉजी का हम प्रयोग करना चाहते हैं और बेहतर टेकनॉलॉजी आ पाएगी, कोल गैसीफिकेशन जैसे कदमों से Environment की भी रक्षा होगी। कोयले से बनने वाली गैस का उपयोग Transport और Cooking के लिए हो पाएगा, यूरिया और स्टील Manufacturing से जुड़े उद्योगों को प्रमोट करेगा। हमने लक्ष्य रखा है कि साल 2030 तक, यानी कि इस दशक में करीब 100 मिलियन टन Coal को Gasify किया जाए। मुझे बताया गया है कि इसके लिए 4 प्रोजेक्ट्स की पहचान हो चुकी है और इन पर करीब-करीब 20 हज़ार करोड़ रुपए Invest किए जाएंगे। + +Coal Sector से जुड़े ये रिफॉर्म्स Eastern और Central India को, विशेषकर हमारी Tribal Belt को, Development का Pillar बनाने का भी एक बहुत बड़ा ज़रिया है। हमारे यहां, जहां कोयला है, जहां Minerals हैं, देश का वो हिस्सा Progress और Prosperity के मामले में उस स्तर पर नहीं पहुंच पाया है। देश का ये वो हिस्सा रहा है, जहां बड़ी संख्या में Aspirational Districts भी हैं। वो जिले जहां के लोग, विकास के लिए Aspire कर रहे हैं, लालायित हैं, कुछ कर गुजरने का इरादा रखते हैं, सामर्थ्‍य है, शक्ति है, सब कुछ है, लेकिन यही जिले विकास की दौड़ में बहुत पीछे रह गए थे। आप कल्पना कर सकते हैं, देश में 16 Aspirational Districts ऐसे हैं, जहां कोयले के बड़े-बड़े भंडार हैं। + +आज जिन Coal Blocks का Auction हो रहा है, इनसे ही इस क्षेत्र में लाखों Jobs पैदा होने का अनुमान है। इतना ही नहीं, कोयला निकालने से लेकर Transportation तक को बेहतर बनाने के लिए जो आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जाएगा, उससे भी रोज़गार के अवसर बनेंगे, वहां रहने वालों को अधिक सुविधाएं मिलेंगी। अभी हाल ही में सरकार ने इस तरह के इंफ्रास्ट्रक्चर पर 50 हजार करोड़ रुपए खर्च करने का निर्णय लिया है। + +ये Auction ऐसे समय में हो रहे हैं, जब भारत में Business Activity तेज़ी से नॉर्मल हो रही है। Consumption और Demand बड़ी तेज़ी से Pre-covid Level की तरफ आगे बढ़ रहे हैं। ऐसे में इस नई शुरुआत के लिए इससे बेहतर समय हो ही नहीं सकता। Power Generation हो, Consumption हो, Petroleum Products की Demand हो, इनमें मई के आखिर और जून के पहले हफ्ते में तेज़ी से बढ़ोतरी हुई है। इसी तरह, अप्रैल की तुलना में E-way Bills, उसमें करीब 200 परसेंट का बड़ा उछाल देखने को मिला है। जून में Toll Collection भी,फरवरी के Collection का 70 परसेंट तक पहुंच चुका है। मई के महीने में Railway Freight Traffic में भी अप्रैल की तुलना में 26 परसेंट की Improvement दर्ज की गई है। अगर Total digital Retail Transactions, उसकी बात करें, तो उसके Volume और Value, दोनों में वृद्धि होनी शुरू हुई है। + +भारत बड़े से बड़े संकटों से बाहर निकला है, इससे भी निकलेगा। हम भारतवासी अगर करोड़ों Consumer हैं तो ये न भूलें कि करोड़ों Producer भी हैं। भारत की Success, भारत की Growth निश्चित है। हम आत्मनिर्भर बन सकते हैं। आप याद करिए, सिर्फ कुछ सप्ताह पहले तक हम N-95 मास्क, कोरोना की टेस्टिंग किट, Personal Protective Equipment- PPE, वेंटिलेटर, अपनी जरूरत का ज्यादातर हिस्सा हम बाहर से मंगाते थे। अब भारत अपनी डिमांड को Make In India से ही पूरा कर रहा है। बल्कि, बहुत जल्द हम महत्वपूर्ण Medical Products के Exporter भी बनेंगे। आप अपना विश्वास, अपना हौसला बुलंद रखिए, हम सब मिल करे ये सपने साकार कर सकते हैं। हम आत्मनिर्भर बन सकते हैं और ये हम सबका संकल्‍प है, 130 करोड़ देशवासियों का संकल्‍प है। हमें आत्‍मनिर्भर भारत बनाना है और हम आत्मनिर्भर भारत बना सकते हैं। + +Self Reliant India की जो Journey 130 करोड़ भारतीयों ने शुरु की है, आप भी उसके भागीदार हैं। आप नेतृत्‍व करने के लिए आगे आइए। जीवन में ऐसे मौके बहुत कम आते हैं जब कुछ कर-करके इतिहास को मोड़ देने का मौका आता है। आज भारत के उद्योग जगत को, आज भारत के व्‍यापारी जगत को, आज भारत के सर्विस सेक्‍टर के लोगों को heal करने के लिए इतिहास को बदलने का मौका आया है। इतिहास की दिशा बदलने का मौका आया है। भारत के भाग्‍य को बदलने का मौका आया है। हमें इस मौके को जाने नहीं देना है। हमें इस अवसर को छोड़ना नहीं है। आइए, भारत को आगे बढ़ाएं, भारत को आत्मनिर्भर भारत बनाएं। + +आज मुझे आपके बीच आने का मौका मिला। मामला तो कोयले का है, हीरे के सपने देख करके चलना है। एक बार फिर आप सभी को इस अहम शुरुआत के लिए, कोल सेक्टर के इस अहम पड़ाव के लिए मेरी तरफ से बहुत-बहुत शुभकामनाएं हैं! मैं विशेष रूप से मंत्री परिषद के मेरे साथी प्रहलाद जोशी जी को और उनकी टीम को बहुत बधाई देना चाहता हूं कि उन्‍होंने इस लॉकडाउन पीरियड का इतना उपयोग किया। पूरे डिपार्टमेंट की हर बारीकियों का अध्‍ययन किया। देश के लिए नया क्‍या कर सकते हैं, नए तरीके से क्‍या कर सकते हैं; उन्‍होंने एक बहुत बड़ी लीडरशिप दी है। मैं प्रहलाद जी को, उनके सचिव और उनकी टीम को आज बहुत बधाई देना चाहता हूं। + diff --git a/pm-speech/395.txt b/pm-speech/395.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..5445b4fa444870654f74281e38eee05821bb3651 --- /dev/null +++ b/pm-speech/395.txt @@ -0,0 +1,10 @@ +Unlock-One के बाद ये हमारी पहली मुलाकात है। देश के 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में Unlock-One के अनुभवों पर कल मेरी विस्तार से चर्चा हुई है।  ये वास्तविकता है कि कोरोना का फैलाव कुछ बड़े राज्यों, बड़े शहरों में अधिक है। कुछ शहरों में अधिक भीड़, छोटे-छोटे घर, गलियों-मोहल्लों में फिजिकल डिस्टेंसिंग की कमी, हर रोज हजारों लोगों की आवाजाही, इन बातों ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई को और चुनौतीपूर्ण बना दिया है। + +आप भी इससे परिचित हैं कि सिर्फ तीन महीने पहले PPEs के लिए, Diagnostic Kits के लिए सिर्फ भारत में ही नहीं दुनिया के अनेक देशों में हाहाकार मचा हुआ था। भारत में भी बहुत लिमिटेड स्टॉक था, क्योंकि हम पूरी तरह से इंपोर्ट पर डिपेंडेंट थे। आज स्थिति ये है कि पूरे देश में 1 करोड़ से अधिक PPEs और इतने ही N95 मास्क राज्यों तक पहुंचाए जा चुके हैं।  हमारे पास Diagnostic Kits का पर्याप्त स्टॉक है और इनकी Production Capacity भी बहुत बढ़ाई गई है। अब तो पीएम-केयर्स फंड के तहत भारत में ही बने Ventilators की सप्लाई भी शुरु हो चुकी है। + +कोरोना के बढ़ते हुए मरीजों की संख्या को देखते हुए, Health Infrastructure का विस्तार करना, हर जीवन को बचाना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।  ये तभी होगा जब कोरोना के प्रत्येक मरीज को उचित इलाज मिलेगा। इसके लिए हमें Testing पर और अधिक बल देना है, ताकि संक्रमित व्यक्ति को हम जल्द से जल्द ट्रेस और ट्रैक और आइसोलेट कर सकें। हमें इस बात का भी ध्यान रखना है कि हमारी अभी की जो Existing testing Capacity है उसका पूरा इस्तेमाल हो और निरंतर उसको Expand भी किया जाए। + +बीते दो-तीन महीने में काफी संख्या में क्वारंटीन और आइसोलेशन सेंटर्स का निर्माण हुआ है। इसकी गति हमें और बढ़ानी होगी ताकि कहीं पर भी मरीजों को बेड की दिक्कत न आए। कोरोना के इस टाइम में Telemedicine का महत्व भी बहुत बढ़ गया है। चाहे वो Home Quarantine या आइसोलेशन में रह रहे साथी हों, या फिर दूसरी बीमारियों से पीड़ित हों, सभी को Telemedicine का भी लाभ मिले, इसके लिए हमें अपने प्रयास बढ़ाने होंगे। + +ये आप भी भली-भांति जानते हैं कि किसी भी महामारी से निपटने में सही समय पर सही Information का बहुत महत्व होता है। इसलिए हमें ये भी ध्यान रखना है कि हमारी help lines Helpful हों, Helpless नहीं।  जैसे हमारे मेडिकल और पैरामेडिकल स्टाफ हॉस्पिटल में कोरोना से जंग लड़ रहे हैं, वैसे ही हमें Senior Doctors की बड़ी टीमें तैयार करनी होंगी जो Telemedicine के माध्यम से बीमारों को Guide कर सके, उन्हें सही Information दे सके। इसके अलावा हमें Young Volunteers की फौज भी जुटानी होगी जो पब्लिक के लिए प्रभावी रूप से हेल्पलाइन चला सकें। + diff --git a/pm-speech/397.txt b/pm-speech/397.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..a54e7f5a87102d82db046838aa6a291d7769c119 --- /dev/null +++ b/pm-speech/397.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +आज भारत में रिकवरी रेट 50 प्रतिशत से ऊपर है। आज भारत दुनिया के उन देशों में अग्रणी है जहां कोरोना संक्रमित मरीज़ों का जीवन बच रहा है।कोरोना से किसी की भी मृत्यु दुखद है। हमारे लिए किसी एक भारतीय की भी मृत्यु असहज कर देने वाली है। लेकिन ये भी सच है कि आज भारत दुनिया के उन देशों में है जहां कोरोना की वजह से सबसे कम मृत्यु हो रही है। + +आने वाले दिनों में अलग-अलग राज्यों में Economic Activity का जिस तरह विस्तार होगा, उससे मिले अनुभव दूसरे राज्यों को भी बहुत लाभ पहुंचाएंगे। बीते कुछ हफ्तों के प्रयासों से हमारी अर्थव्यवस्था में Green shoots दिखने लगे हैं। पावर कंज़प्शन जो पहले घटता जा रहा था, वो अब बढ़ना शुरू हुआ है। इस साल मई में फर्टीलाइज़र की सेल बीते साल मई की अपेक्षा दोगुनी हुई है। + +इतना ही नहीं, मई में Toll Collection में बढ़ोतरी होना, Economic Activity में वृद्धि को दिखाता है। लगातार 3 महीने तक Export में कमी के बाद जून में Export, फिर से Bounce Back करके, पिछले साल के Pre-Covid Period में पहुंच गया है। ये तमाम संकेत हैं, जो हमें प्रोत्साहित कर रहे हैं, आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। + diff --git a/pm-speech/398.txt b/pm-speech/398.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..6d877afddb7b3f0c294b51ab63831196259ea38b --- /dev/null +++ b/pm-speech/398.txt @@ -0,0 +1,22 @@ +मुसीबत की दवाई मजबूती है। मुश्किल समय ने हर बार भारत के Determination को Strengthen किया है, एक Nation के रूप में देशवासियों के Resolve को ऊर्जा दी है, संकल्प को शक्ति दी है। यही भावनामैं आज आपके चेहरे पर देख सकता हूं, करोड़ों देशवासियों के प्रयासों में देख सकता हूं। कोरोना का संकट पूरी दुनिया में बना हुआ है। पूरी दुनिया इससे लड़ रही है। कॉरोना वॉरियर्स के साथ हमारा देश इससे लड़ रहा है। + +साथियों, स्वामी विवेकानंद ने एक बार एक पत्र में लिखा था- The simplest method to be worked upon at present is to induce Indians to use their own produce and get markets for Indian art ware in other countries. स्वामी विवेकानंद जी का बताया ये मार्ग Post Covid world में भारत की प्रेरणा है। अब देश प्रण कर चुका है और देश कदम भी उठा रहा है। + +MSMEs की Definition का दायरा बढ़ाना हो या MSMEs के Support के लिए हजारों करोड़ के स्पेशल फंड्स की व्यवस्था हो, ये सब आज सच्चाई बन रहे हैं। IBC से जुड़ा फैसला हो, छोटी-छोटी गलतियों को डी-क्रिमनलाइज़ करने का फैसला हो,Investment की Fast Tracking के लिए Project Development Cells का गठन हो, ऐसे अनेक कार्य पहले ही हो चुके हैं। + +साथियों, 5 साल बाद, यानि वर्ष 2025 में आपकी संस्था अपने 100 वर्ष पूरे करने जा रही है। वहीं वर्ष 2022 में देश की आजादी के 75 वर्ष पूरे होने जा रहे हैं। ये आपकी संस्था के लिए, आपके प्रत्येक सदस्य के लिए बेहतरीन समय है एक बड़ा संकल्प लेने का।मेरा आपसे आग्रह है कि आत्मनिर्भर भारत अभियान को चरितार्थ करने के लिए ICC भी अपने स्तर पर 50-100 नए लक्ष्य तय करे। + +साथियों, Manufacturing में बंगाल की ऐतिहासिक श्रेष्ठता को हमें पुनर्जीवित करना होगा। हम हमेशा सुनते आए हैं”What Bengal thinks today, India Thinks Tomorrow” हमें इससे प्रेरणा लेते हुए हमें आगे बढ़ना होगा।ये समय, Indian Economy को Command and Control से निकालकर Plug and Play की तरफ ले जाने का है। ये समय Conservative Approach का नहीं है, बल्कि आगे बढ़कर Bold Decisions का है, Bold Investments का है। + +साथियों, आत्म निर्भर भारत अभियान में आगे बढ़ते हुए, कोरोना काल से संघर्ष करते हुए, आज आपने इस AGM में जो People, Planet and Profit का विषय उठाया गया है, वो भी बहुत महत्वपूर्ण है। कुछ लोगों को लगता है कि ये तीनों एक दूसरे केOpposite हैं, विरोधाभाषी हैं।लेकिन ऐसा नहीं है। People, Planet and Profit एक दूसरे से Interlinked हैं। ये तीनों एक साथ Flourish कर सकते हैं, Co-exist कर सकते हैं। + +मैं आपको कुछ उदाहरण देकर समझाता हूं। जैसे LED बल्ब। 5-6 वर्ष पहले एक LED बल्ब साढ़े तीन सौ रुपए से भी ज्यादा में मिलता था। आज वहीं बल्ब 50 रुपए तक में मिल जाता है। आप सोचिए, कीमत कम होने से, देशभर में करोड़ों की संख्या में LED बल्ब घर-घर पहुंचे हैं,स्ट्रीट लाइट्स में लग रहे हैं। ये Quantity इतनी बड़ी है कि इससे उत्पादन की लागत कम हुई है और Profit भी बढ़ा है। इससे लाभ किसको मिला है? + +UPI के माध्यम से हमारी बैंकिंग Touchless, Contactless, Cashless और 24 into 7 हो पाई है। BHIM APP से Transactions के अब नए-नए रिकॉर्ड बन रहे हैं। Rupay Card अब गरीब, किसान, मध्यम वर्ग, देश के हर वर्ग का पसंदीदा कार्ड बनता जा रहा है। जब हम आत्मनिर्भर भारत की बात करते हैं, तो क्यों न गर्व के साथ Rupay Card का इस्तेमाल करें? + +इसी तरह, Government e-marketplace, यानि GeM ने People को सरकार के साथ जुड़करProfit कमाने का एक अवसर दिया है। आप ये जानते ही हैं कि GeM प्लेटफॉर्म पर छोटे-छोटे सेल्फ हेल्प ग्रुप, MSMEs, सीधे भारत सरकार को अपने Goods और अपनी Services उपलब्ध करा सकते हैं। वरना पहले तो कुछ लाख के टर्नओवर वाला उद्यमी सोच ही नहीं सकता था कि वो सीधे केंद्र सरकार को अपना बनाया कोई सामान बेच सकता है। + +साथियों, जब हम Planet की बात करते हैं, तो आप भी देख रहे हैं कि आज आइसा, यानि International Solar Alliance एक बड़ा Global Movement बन रहा है। Solar Energy के क्षेत्र में जो लाभ भारत अपने लिए देखता है, उसको पूरी दुनिया के साथ साझा करने के लिए कोशिश की जा रही है। मेरा Indian Chamber of Commerce के तमाम सदस्यों से अनुरोध है कि, Renewable Energy, Solar Power Generation के लिए जो Targets देश ने रखे हैं, उसमें अपने Contribution और Investment को विस्तार दें। + +देश में ही Solar Panel की मैन्युफेक्चरिंग, Power Storage Capacity बढाने के लिए बेहतर Batteries के R&D और Manufacturing में निवेश करें। जो इस काम में जुटे हैं, ऐसे संस्थानों की, MSMEs की Handholding करें। बदलते हुए विश्व में, सोलर Re-chargable Batteries, का बहुत बड़ा मार्केट बनने वाला है। क्या भारत का उद्योग जगत इसका नेतृत्व कर सकता है? इस क्षेत्र में भारत एक बहुत बड़ा HUB बन सकता है। + diff --git a/pm-speech/400.txt b/pm-speech/400.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..29e8dbcb384500afcda8dae65cd380d848eb0d1f --- /dev/null +++ b/pm-speech/400.txt @@ -0,0 +1,10 @@ +मैं इसका एक ही जवाब देता हूं। Relevant रहने का मंत्र है- Skill, Re- Skill और Upskill. Skill का अर्थ है, आप कोई नया हुनर सीखें। जैसे कि आपने लकड़ी के एक टुकड़े से कुर्सी बनाना सीखा, तो ये आपका हुनर हुआ। आपने लकड़ी के उस टुकड़े की कीमत भी बढ़ा दी। Value Addition किया। लेकिन ये कीमत बनी रहे, इसके लिए नए डिज़ाइन, नयी स्टाइल, यानी रोज़ कुछ नया जोड़ना पड़ता है। उसके लिए नया सीखते रहना पड़ता है। और कुछ नया सीखते रहने का मतलब, ये है Re- Skill. और हमारी जो skill है, उसका और विस्तार करना, जैसे छोटे-मोटे फर्नीचर बनाते- बनाते आप और भी चीजें सीखते गए, पूरा का पूरा ऑफिस डिज़ाइन करने लगे, तो वो हो गया Up skill. Skill, Re- skill और Upskill का ये मंत्र जानना, समझना,और इसका पालन करना, हम सभी के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण है। + +यहां एक और चीज समझनी बहुत जरूरी है। कुछ लोग knowledge और skill को लेकर के हमेशा confusion में रहते हैं, या confusion पैदा करते हैं। ऐसे लोगों को मैं हमेशा छोटा सा उदाहरण देता हूं। आप books में पढ़ सकते हैं, You Tube पर वीडियो देख सकते हैं कि साइकिल कैसे चलाई जाती है। साइकिल पर कैसे बैठना है, साइकिल कैसी होती है, कौन सा पुर्जा क्या काम करता है, कहां हैंडल पकड़ना है, कहां ब्रेक लगाना है, सब उसमें, आपको वीडियो में भी दिखेगा। यह सब knowledge है। आपको knowledge है इसलिए आप साइकिल चला जाएंगे, ऐसी गारंटी नहीं है।लेकिन वास्तव में, actually में जब साइकिल चलाना होता है, तो skill की जरूरत पड़ती है। आपको ही खुद को धीरे-धीरे आ जाता है। और फिर आप अपनी मस्ती में भी साइकिल चलाते हैं। चलते रहते हैं, कोई तकलीफ़ नहीं होती है। जैसे-जैसे आपने इस कला को सीख लिया, टैलेंट आ गई, आपको कभी दिमाग खपाना भी नहीं पड़ता। + +और इस फर्क को समझना शासन से लेकर समाज के हर स्तर पर बहुत जरूरी होता है। आज भारत में knowledge और skill, दोनों में जो अंतर है, उसे समझते हुए ही काम हो रहा है। आज से 5 साल पहले, आज के ही दिन Skill India Mission इसी सोच के साथ शुरू किया गया था। इसका मकसद यही था कि youth को knowledge के साथ skill भी मिले, कौशल भी मिले। इसके लिए देशभर में सैकड़ों प्रधानमंत्री कौशल विकास केंद्र खोले गए। ITIs की संख्या बढ़ाई गई, उसमें लाखों नई seats जोड़ी गई। इस दौरान 5 करोड़ से ज्यादा लोगों का skill development किया जा चुका है। और यह अभियान निरंतर जारी है। + +तेजी से बदलती हुई आज की दुनिया में अनेक सेक्टरों में लाखों skilled लोगों की जरूरत है। विशेषकर स्वास्थ्य सेवाओं में तो बहुत बड़ी संभावनाएं बन रही हैं। यही समझते हुए अब कौशल विकास मंत्रालय ने दुनिया भर में बन रहे इन अवसरों की मैपिंग शुरू की है। कोशिश यही है कि भारत के युवा को अन्य देशों की जरूरतों के बारे में, उसके संबंध में भी सही और सटीक जानकारी मिल सके। किस देश में, हेल्थ सर्विस में नए द्वार खुल रहे हैं। किस देश में, कौन से सर्विस सेक्टर में, क्या डिमांड बन रही है, इससे जुड़ी जानकारी अब तेजी से भारत के युवाओं को मिल सकेगी। + +मैपिंग की वजह से अब इस तरह की जानकारियां देने का काम और आसान हो जाएगा। इसके अलावा चार-पांच दिन पहले देश में श्रमिकों की स्किल मैपिंग का एक पोर्टल भी शुरू किया गया है। यह पोर्टल स्किल्ड लोगों को, स्किल्ड श्रमिकों की मैपिंग करने में अहम भूमिका निभाएगा। इससे Employers एक click में ही स्किल्ड मैप वाले वर्कर्स तक पहुंच पाएंगे। ख़ासकर जो श्रमिक, हाल फिलहाल में शहरों से अपने गांवों में गए हैं, उन्हें बहुत मदद मिल पाएगी। आपने इधर बीच भी देखा होगा कि कैसे एक खास Skill set के साथ गांव पहुंचे लोगों ने, गांव का कायाकल्प करना शुरू कर दिया है। कोई स्कूल को पेंट कर रहा है, तो कोई नई डिजाइन के घर बनवा रहा है। छोटी-बड़ी हर तरह की ऐसी ही Skill, आत्मनिर्भर भारत की भी बहुत बड़ी शक्ति बनेगी। + diff --git a/pm-speech/402.txt b/pm-speech/402.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..ac6a2689b48abbff232207ccd21684e18734a671 --- /dev/null +++ b/pm-speech/402.txt @@ -0,0 +1,12 @@ +सभी क्षेत्रों से आए प्रतिष्ठित मेहमानों को नमस्कार। भारत की ओर से मैं आप सबको बधाई देता हूं। मैं इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए इंडिया इंक ग्रुप की तारीफ करता हूं। वर्तमान कार्यक्रम पिछले कुछ वर्षों के दौरान इंडिया इंक द्वारा किए गए उत्कृष्ट कार्यों का एक हिस्सा है। आपके कार्यक्रमों ने भारत में वैश्विक दर्शकों को बुलाने के अवसर दिलाने में काफी मदद की है। आपने भारत और यूके के बीच संबंधों को और मजबूत बनाने में मदद की है। मुझे इस बात की खुशी है कि इस साल के आयोजन में दूसरे भागीदारों को भी शामिल किया गया है। इसके लिए आपको एक बार फिर से बधाई। उम्मीद है कि अगले साल आपको सेंटर कोर्ट में होने का अवसर मिलेगा और विंबलडन का आनंद भी मिलेगा। + +अभी के माहौल में पुनरुत्थान के बारे में बात करना स्वाभाविक है। इसमें वैश्विक पुनरुत्थान और भारत को जोड़ना भी उतना ही स्वाभाविक है। मुझे विश्वास है कि वैश्विक पुनरुत्थान की कहानी में भारत की अग्रणी भूमिका होगी। मैं इसे दो कारकों के साथ बड़ी निकटता से देखता हूं। पहला है- भारतीय प्रतिभा। दुनिया भर मेंआपने भारत की प्रतिभाशक्ति का योगदान देखा है। इसमें भारतीय पेशेवर,डॉक्टर,नर्स,बैंकर,वकील,वैज्ञानिक,प्रोफेसर, हमारे मेहनतकश मजदूर शामिल हैं। भारतीय प्रौद्योगिकी उद्योग और प्रौद्योगिकी पेशेवरों को भला कौन भूल सकता है। वे दशकों से रास्ता दिखा रहे हैं। भारत प्रतिभा का एक खजाना है,जो योगदान करने के लिए सदा उत्सुक है, हमेशा कुछ सीखने के लिए तैयार है। इसमें दोतरफा तालमेल है जो बहुत फायदेमंद है। + +भारत दुनिया की सबसे खुली अर्थव्यवस्थाओं में से अब भी एक बना हुआ है। हम भारत में आने और अपनी कंपनियां स्थापित करने के लिए सभी वैश्विक कंपनियों का स्वागत करते हैं। आज भारत जिस तरह के अवसर दे रहा है, दुनिया के बहुत कम देश ऐसा करेंगे। भारत में विभिन्न उदीयमान क्षेत्रों में कई संभावनाएं और अवसर हैं। कृषि क्षेत्र में हमारे सुधार से भंडारण और रसद में निवेश करने के लिए अभी बहुत ही आकर्षक अवसर हैं। हम अपने किसानों की कड़ी मेहनत वाले क्षेत्र में निवेशकों के सीधे आने और निवेश करने के लिए मौका दे रहे हैं। + +हमने एमएसएमई क्षेत्र में भी सुधार किए हैं। एक उभरता एमएसएमई क्षेत्र भी बड़े उद्योग का पूरक होगा। रक्षा क्षेत्र में निवेश के अवसर हैं। एफडीआई मानदंडों में राहत के साथ दुनिया की सबसे बड़ी सेना में से एकआपको भारतीय सेना के लिए उत्पाद बनाने को आमंत्रित करती है। अबअंतरिक्ष क्षेत्र में निजी निवेश के अधिक अवसर हैं। इसका मतलब लोगों के हितमें अंतरिक्ष तकनीक के व्यावसायिक उपयोग के अधिक अवसर मिलेंगे। भारत का टेक और स्टार्ट-अप सेक्टर जीवंत है। डिजिटल रूप से सशक्त होने और आकांक्षी लोगों का लाखों का बाजार है। आप कल्पना कीजिए कि आप उनके लिए किस तरह के उत्पाद बना सकते हैं। + +130 करोड़ भारतीयों ने एक आत्‍म-निर्भर भारत का आह्वान किया है। एक आत्म-निर्भर भारत। आत्म-निर्भर भारत वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं के साथ घरेलू उत्पादन और खपत को एक साथ जोड़ता है। आत्म-निर्भर भारत अपने आप में ही निहित होने या दुनिया के लिए खुद को बंद कर देना नहीं है। यह खुद को टिकाए रखने और बेहतर उत्पादन करने के बारे में है। इसके लिए हम दक्षता,इक्विटी और लचीलापन को बढ़ावा देने वाली नीतियों को आगे बढ़ाएंगे। + +मुझे यह जानकर खुशी हुई कि यह मंच पंडित रविशंकरकी 100वीं जयंतीभी मना रहा है। उन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत की खूबसूरती को दुनिया तक पहुंचाया। आपने यह भी देखा होगा कि नमस्ते कैसे अभिवादन के रूप में वैश्विक हो गया है। महामारी के इस दौर में दुनिया भर में योग,आयुर्वेद और पारंपरिक दवाओं की बढ़ती अपील को भी देखा गया है। भारत की प्राचीन संस्कृति और भारत की सार्वभौमिकशांतिपूर्ण लोकाचारहमारी ताकत हैं। + diff --git a/pm-speech/403.txt b/pm-speech/403.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..60da04fe8254bffb57cafde88eabe0f5cba77849 --- /dev/null +++ b/pm-speech/403.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +काशी के पुण्‍य धरती के आप सब पुण्‍यात्‍मा लोगन के प्रणाम हौ। सावन महीना चल रहा है। ऐसे में बाबा के चरणों में आने का मन हर किसी को करता है। लेकिन जब बाबा की नगरी के लोगों से रूबरू होने का मौका मिला है तो ऐसा लगता है कि आज मेरे लिए एक दर्शन करने का सौभाग्‍य प्राप्‍त हुआ है। सबसे पहले तो आप सभी को भगवान भोले नाथ के इस प्रिय महीने की बहुत-बहुत शुभकामनाएं। + diff --git a/pm-speech/404.txt b/pm-speech/404.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..d18a1faca98a28ef3724453c756f283bd0301cca --- /dev/null +++ b/pm-speech/404.txt @@ -0,0 +1,8 @@ +दोस्तों, भगवान बुद्ध का अष्ट मार्ग कई समाजों और राष्ट्रों को उनकी बेहतरी की दिशा दिखाता है। इसमें करुणा और दया के महत्व की अहमियत बताई गई है। भगवान बुद्ध के उपदेश हमारे विचार और क्रिया दोनों में सादगी के महत्व का गुणगान करते हैं। बौद्ध धर्म हमें सम्मान करना सिखाता है। लोगों के लिए सम्मान। गरीबों का सम्मान करें। महिलाओं का सम्मान। शांति और अहिंसा का सम्मान। इसलिए, बौद्ध धर्म के उपदेश एक चिरस्थायी ग्रह का साधन हैं। + +दोस्तों, भगवान बुद्ध ने सारनाथ में अपने पहले उपदेश में और उसके बाद के उपदेशों में दो चीजों – आशा और उद्देश्य पर बातें की। उन्होंने इन दोनों के बीच गहरा संबंध पाया। आशा से उद्देश्य की भावना आती है। भगवान बुद्ध के लिए यह मानवीय पीड़ा को दूर करने वाला था। हमें आज इस अवसर पर जागना होगा और लोगों के बीच आशा को बढ़ाने के लिए हम जो कुछ भी कर सकते हैं, वो करें। + +दोस्तों, मैं 21वीं सदी को लेकर बहुत आशान्वित हूं। यह उम्मीद मेरे युवा मित्रों- हमारी युवा पीढ़ी से मिलती है। यदि आप इस बारे में एक बेहतरीन उदाहरण देखना चाहते हैं कि आशा, नवाचार और करुणा कैसे दुख को दूर कर सकती हैं तो आपको हमारे स्टार्ट-अप सेक्टर पर नजर डालनी चाहिए। उज्ज्वल युवा दिमाग वैश्विक समस्याओं का समाधान ढूंढ रहे हैं। भारत का स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र दुनिया के बड़े स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्रों में से एक है। + +मित्रों, यह समय की मांग है कि अधिक से अधिक लोगों को बौद्ध धरोहर स्थलों से जोड़ा जाए। हमारे भारत में बौद्ध धर्म से जुड़ी ऐसी कई जगहें हैं। आप जानते हैं कि लोग मेरे संसदीय क्षेत्र वाराणसी को और किस रूप में जानते हैं? सारनाथ के घर के रूप में। हम बौद्ध स्थलों की कनेक्टिविटी पर ध्यान देना चाहते हैं। कुछ दिनों पहले भारतीय मंत्रिमंडल ने घोषणा की थी कि कुशीनगर हवाई अड्डे को अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बनाया जाएगा। इससे बहुत सारे लोग, तीर्थयात्री और पर्यटक आएंगे। यह कई लोगों के लिए आर्थिक अवसर भी पैदा करेगा। + diff --git a/pm-speech/408.txt b/pm-speech/408.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..afdb6a1bbc8af809a65ace3d119e6bf90574227d --- /dev/null +++ b/pm-speech/408.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +unlock के दौर में बहुत सी ऐसी चीजें भी unlock हो रही हैं, जिनमें भारत दशकों से बंधा हुआ था | वर्षों से हमारा mining sector lockdown में था | Commercial Auction को मंजूरी देने के एक निर्णय ने स्थिति को पूरी तरह से बदल दिया है | कुछ ही दिन पहले space sector में ऐतिहासिक सुधार किए गए | उन सुधारों के जरिए वर्षों से lockdown में जकड़े इस sector को आजादी मिली | इससे आत्मनिर्भर भारत के अभियान को न केवल गति मिलेगी, बल्कि देश technology में भी advance बनेगा | अपने कृषि क्षेत्र को देखें, तो, इस sector में भी बहुत सारी चीजें दशकों से lockdown में फसी थीं | इस sector को भी अब unlock कर दिया गया है | इससे जहां एक तरफ किसानों को अपनी फसल कहीं पर भी, किसी को भी, बेचने की आजादी मिली है, वहीँ, दूसरी तरफ, उन्हें अधिक ऋण मिलना भी सुनिश्चित हुआ है, ऐसे, अनेक क्षेत्र हैं जहाँ हमारा देश इन सब संकटों के बीच, ऐतिहासिक निर्णय लेकर, विकास के नये रास्ते खोल रहा है | + +मुझे मालूम है, आज, जब मैं ये बात कर रहा हूँ, तो, कितने ही लोग अपने बचपन में लौट गए होंगे, कितनों को ही अपने बचपन के दिन याद आ गए होंगे | मैं यही कहूँगा कि उन दिनों को आप भूले क्यों हैं? उन खेलों को आप भूले क्यों हैं? मेरा, घर के नाना-नानी, दादा-दादी, घर के बुजुर्गों से आग्रह है, कि, नयी पीढ़ी में ये खेल आप अगर transfer नहीं करेंगे तो कौन करेगा! जब online पढ़ाई की बात आ रही है, तो balance बनाने के लिए, online खेल से मुक्ति पाने के लिए भी, हमें, ऐसा करना ही होगा | हमारी युवा पीढ़ी के लिए भी, हमारे start-ups के लिए भी, यहाँ, एक नया अवसर है, और, मजबूत अवसर है | हम भारत के पारम्परिक Indoor Games को नये और आकर्षक रूप में प्रस्तुत करें | उनसे जुड़ी चीजों को जुटाने वाले, supply करने वाले, start-ups बहुत popular हो जाएँगे, और, हमें ये भी याद रखना है, हमारे भारतीय खेल भी तो local हैं, और हम local के लिए vocal होने का प्रण पहले ही ले चुके हैं, और, मेरे बाल-सखा मित्रों, हर घर के बच्चों से, मेरे नन्हें साथियों से भी, आज, मैं एक विशेष आग्रह करता हूँ | बच्चों, आप मेरा आग्रह मानेगें न? देखिये, मेरा आग्रह है, कि, मैं जो कहता हूँ, आप, जरूर करिए, एक काम करिए – जब थोड़ा समय मिले, तो, माता-पिता से पूछकर मोबाइल उठाइए और अपने दादा-दादी, नाना-नानी या घर में जो भी बुर्जुर्ग है, उनका interview record कीजिए, अपने मोबाइल फ़ोन में record करिए | जैसे आपने टीवी पर देखा होगा ना, कैसे पत्रकार interview करते हैं, बस वैसा ही interview आप कीजिए, और, आप, उनसे सवाल क्या करेंगे? मैं आपको सुझाव देता हूँ | आप, उनसे जरुर पूछिए, कि, वो, बचपन में उनका रहन-सहन कैसा था, वो कौन से खेल खेलते थे, कभी नाटक देखने जाते थे, सिनेमा देखने जाते थे, कभी छुट्टियों में मामा के घर जाते थे, कभी खेत-खलियान में जाते थे, त्यौहार कैसे मानते थे, बहुत सी बातें आप उनको पूछ सकते हैं, उनको भी, 40-50 साल, 60 साल पुरानी अपनी जिंदगी में जाना, बहुत, आनंद देगा और आपके लिए 40-50 साल पहले का हिंदुस्तान कैसा था, आप, जहाँ रहते हैं, वो इलाका कैसा था, वहाँ परिसर कैसा था, लोगों के तौर-तरीके क्या थे – सब चीजें, बहुत आसानी से, आपको, सीखने को मिलेगी, जानने को मिलेगी, और, आप देखिए, आपको, बहुत मजा आएगा, और, परिवार के लिए एक बहुत ही अमूल्य ख़जाना, एक अच्छा video album भी बन जाएगा | + +आज 28 जून को भारत अपने एक भूतपूर्व प्रधानमंत्री को श्रृद्धांजलि दे रहा है, जिन्होंने एक नाजुक दौर में देश का नेतृत्व किया | हमारे, ये, पूर्व प्रधानमंत्री श्री पी. वी नरसिम्हा राव जी की आज जन्म-शताब्दी वर्ष की शुरुआत का दिन है | जब, हम, पी.वी नरसिम्हा राव जी के बारे में बात करते हैं, तो, स्वाभाविक रूप से राजनेता के रूप में उनकी छवि हमारे सामने उभरती है, लेकिन, यह भी सच्चाई है, कि, वे, अनेक भाषाओँ को जानते थे | भारतीय एवं विदेशी भाषाएँ बोल लेते थे | वे, एक ओर भारतीय मूल्यों में रचे-बसे थे, तो दूसरी ओर, उन्हें पाश्चात्य साहित्य और विज्ञान का भी ज्ञान था | वे, भारत के सबसे अनुभवी नेताओं में से एक थे | लेकिन, उनके जीवन का एक और पहलू भी है, और वो उल्लेखनीय है, हमें जानना भी चाहिए| साथियो, नरसिम्हा राव जी अपनी किशोरावस्था में ही स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो गए थे | जब, हैदराबाद के निजाम ने वन्दे मातरम् गाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था, तब, उनके ख़िलाफ़ आंदोलन में उन्होंने भी सक्रिय रूप से हिस्सा लिया था, उस समय, उनकी उम्र सिर्फ 17 साल थी | छोटी उम्र से ही श्रीमान नरसिम्हा राव अन्याय के ख़िलाफ़ आवाज उठाने में आगे थे | अपनी आवाज बुलंद करने में कोई कोर-कसर बाकी नहीं छोड़ते थे | नरसिम्हा राव जी इतिहास को भी बहुत अच्छी तरह समझते थे | बहुत ही साधारण पृष्ठभूमि से उठकर उनका आगे बढ़ना, शिक्षा पर उनका जोर, सीखने की उनकी प्रवृत्ति, और, इन सबके साथ, उनकी, नेतृत्व क्षमता – सब कुछ स्मरणीय है | मेरा आग्रह है, कि, नरसिम्हा राव जी के जन्म-शताब्दी वर्ष में, आप सभी लोग, उनके जीवन और विचारों के बारे में, ज्यादा-से-ज्यादा जानने का प्रयास करें | मैं, एक बार फिर उन्हें अपनी श्रृद्धांजलि अर्पित करता हूँ | + diff --git a/pm-speech/409.txt b/pm-speech/409.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..f1f7afc751371031687f781e8fa12dcd1a2e5634 --- /dev/null +++ b/pm-speech/409.txt @@ -0,0 +1,8 @@ +मार थोमा चर्च प्रभु ईसा मसीह के देवदूत सेंट थॉमस के महान आदर्शों से करीब से जुड़ा हुआ है। भारत हमेशा से अनेक उद्भवों से आध्यात्मिक शक्तियों के लिए खुला रहा है। सेंट थॉमस के योगदान और, उनका अनुसरण करने वाले, भारतीय ईसाई समुदाय का बहुत महत्व है। सेंट थॉमस के साथ हम विनम्रता को जोड़ते हैं। उन्होंने सही कहा “विनम्रता जो एक सद्गुण है, हमेशा अच्छे कार्यों में फलदायी होती है“। विनम्रता की भावना के साथ मार थोमा चर्च ने हमारे साथी भारतीयों के जीवन में सकारात्मक अंतर लाने का काम किया है। उन्होंने स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में ऐसा किया है। सेंट थॉमस को अपरिमित ज्ञान था। मार थोमा चर्च ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका निभाई। चर्च राष्ट्रीय एकता की दिशा में काम करने में सबसे आगे था। + +दुनिया एक वैश्विक महामारी के खिलाफ मजबूती से लड़ रही है। कोविड-19 केवल एक शारीरिक बीमारी नहीं है जो लोगों के जीवन के लिए खतरा है। यह हमारा ध्यान अस्वस्थ जीवन-शैलियों की ओर भी ले जाता है। एक वैश्विक महामारी से तात्पर्य है कि मानवता पूर्णरूपेण उपचार की आवश्यकता है। आइए हम पृथ्‍वी में सद्भाव और खुशी को आगे बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास करें। + +कोविड या किसी अन्य कारण से जीवन का नुकसान दुर्भाग्यपूर्ण है। हालांकि, कोविड की वजह से भारत में प्रति मिलियन मृत्यु दर 12 से कम है। इस संदर्भ में, इटली में मृत्यु दर 574 प्रति मिलियन है। अमेरिका, ब्रिटेन, स्पेन और फ्रांस के आंकड़े भी भारत की तुलना में बहुत अधिक हैं। लाखों गाँव, 85 करोड़ लोगों के घरकोरोनावायरस से लगभग अछूते हैं। + +भारत में, दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य सेवा योजना,आयुष्मान भारत है। एक करोड़ से अधिक लोगों को गुणवत्तापूर्ण उपचार मिला है। गरीबों की मदद करने के लिए, हम उनके लिए एक राष्ट्र-एक राशन कार्ड योजना ला रहे हैं। मध्यम वर्ग का जीवन आसान बनाने के लिए, हमने अनेक पहल की हैं। किसानों के लिए, हमने एमएसपी में वृद्धि की है और सुनिश्चित किया है कि उन्हें सही कीमत मिले और इस क्षेत्र को बिचौलियों से मुक्त किया जाए। + diff --git a/pm-speech/410.txt b/pm-speech/410.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..4454c764ec47177b844075537af64fcf29186ddd --- /dev/null +++ b/pm-speech/410.txt @@ -0,0 +1,30 @@ +कोरोना के इस Time Period में, इस तरह के Online Events ही new normal बनते जा रहे हैं।  लेकिन ये भी इंसान की सबसे बड़ी ताकत होती है कि वो हर मुश्किल से बाहर निकलने का रास्ता बना ही लेता है।  आज भी हमें जहां एक तरफ इस Virus से लड़ने के लिए सख्त कदम उठाने हैं वहीं दूसरी तरफ economy का भी ध्यान रखना है।  हमें एक तरफ देशवासियों का जीवन भी बचाना है तो दूसरी तरफ देश की अर्थव्यवस्था को भी stabilize करना है, speed up करना है।  इस situation में आपने Getting Growth Back की बात शुरू की है और निश्चित तौर पर इसके लिए आप सभी, भारतीय उद्योग जगत के लोग बधाई के पात्र हैं।  बल्कि मैं तो Getting Growth Back से आगे बढ़कर ये भी कहूंगा कि   Yes,we will definitely get our growth back.  आप लोगों में से कुछ लोग सोच सकते हैं कि संकट की इस घड़ी में, मैं इतने confidence से ये कैसे बोल सकता हूं? + +मेरे इस confidence के कई कारण है।  मुझे भारत की Capabilities और Crisis Management पर भरोसा है।  मुझे भारत के Talent और Technology पर भरोसा है।  मुझे भारत के Innovation और Intellect पर भरोसा है।  मुझे भारत के Farmers,   MSME’s, Entrepreneurs पर भरोसा है।  और, मुझे भरोसा है Industry के Leaders पर, आप सभी पर।  इसलिए मैं कह रहा हूं-   Yes !   We will get our growth back.   India will get it’s growth back. + +कोरोना ने हमारी Speed जितनी भी धीमी की हो, लेकिन आज देश की सबसे बड़ी सच्चाई यही है कि भारत, लॉकडाउन को पीछे छोड़कर Unlock Phase one में enter कर चुका है।   Unlock Phase one में economy का बहुत बड़ा हिस्सा खुल चुका है।   काफी हिस्सा अभी 8 जून के बाद और खुलने जा रहा है।  यानि Getting Growth Back की शुरुआत तो हो चुकी है। + +आज ये सब हम इसलिए कर पा रहे हैं, क्योंकि जब दुनिया में कोरोना वायरस पैर फैला रहा था, तो भारत ने सही समय पर, सही तरीके से सही कदम उठाए।   दुनिया के तमाम देशों से तुलना करें तो आज हमें पता चलता है कि भारत में lockdown का कितना व्यापक प्रभाव रहा है।  इस लॉकडाउन में भारत ने कोरोना से लड़ाई के लिए physical resources को तो तैयार किया ही, अपने human resource को भी बचाया है।   ऐसे में अब सवाल ये कि इसके आगे क्या?  Industry leaders के नाते, आपके मन में ये सवाल जरूर होगा कि अब सरकार क्या करने जा रही है?  आत्मनिर्भर भारत अभियान के बारे में भी आपके कुछ सवाल होंगे।  ये बहुत स्वाभाविक है, obvious है। + +प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना ने गरीबों को तुरंत लाभ देने में बहुत मदद की है।   इस योजना के तहत करीब 74 करोड़ Beneficiaries तक राशन पहुंचाया जा चुका है।   प्रवासी श्रमिकों के लिए भी फ्री राशन पहुंचाया जा रहा है।  इसके अलावा, अभी तक गरीब परिवारों को Fifty Three Thousand Crore Rupees से ज्यादा की financial assistance दी जा चुकी है।  महिलाएं हों, दिव्यांग हों, बुजुर्ग हों, श्रमिक हों, हर किसी को इससे लाभ मिला है।   लॉकडाउन के दौरान सरकार ने गरीबों को 8 करोड़ से ज्यादा गैस सिलेंडर डिलिवर किए हैं- वो भी मुफ्त।  इतना ही नहीं, प्राइवेट सेक्टर्स के करीब 50 लाख Employees के खाते में 24 परसेंट EPF कंट्रीब्यूशन भी सरकार ने किया है।   इनके खाते में करीब 800 करोड़ रुपए जमा कराए गए हैं। + +भारत को फिर से तेज़ विकास के पथ पर लाने के लिए, आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए 5 चीजें बहुत ज़रूरी हैं।  Intent, Inclusion, Investment, Infrastructure और Innovation.   हाल में जो bold फैसले लिए गए हैं, उसमें भी आपको इन सभी की झलक मिल जाएगी।  इन फैसलों के साथ हमने तमाम सेक्टर्स को Future ready किया है।   इसी वजह से आज भारत एक नए growth-oriented future की दिशा में बड़ी उड़ान के लिए तैयार है।   साथियों, हमारे लिए reforms कोई random या scattered decisions नहीं हैं।  हमारे लिए reforms   systemic, planned, integrated, inter-connected और   futuristic process है। + +हमारे लिए reforms का मतलब है फैसले लेने का साहस करना, और उन्हें logical conclusion तक ले जाना।   IBC हो, बैंक मर्जर हो, GST हो,   Faceless Income tax Assessment की व्यवस्था हो,   हमने हमेशा व्यवस्थाओं में सरकार के दखल को कम करने,  private entreprise के लिए encouraging eco-system खड़ा करने पर बल दिया है।   इसी वजह से सरकार आज ऐसे पॉलिसी reforms भी कर रही है जिनकी देश ने उम्मीद भी छोड़ दी थी।   अगर मैं एग्रीकल्चर सेक्टर की बात करूं तो हमारे यहां आजादी के बाद जो नियम-कायदे बने, उसमें किसानों को बिचौलियों के हाथों में छोड़ दिया गया था।  किसान कहां फसल बेच सकता है, कहां नहीं, नियम बहुत सख्त थे।  किसानों के साथ दशकों से हो रहे अन्याय को दूर करने की इच्छाशक्ति हमारी सरकार ने दिखाई। + +अब Coal सेक्टर में commercial mining को permit कर दिया गया है।  Partially  explored blocks का भी allotment करने की permission दी गई है।  इसी तरह, mineral mining में भी अब कंपनियां exploration के साथ-साथ mining का काम एक साथ कर सकती है।  इन फैसलों के कितने दूरगामी परिणाम होने वाले हैं, ये इस सेक्टर से परिचित लोग अच्छी तरह जानते हैं। + +सरकार जिस दिशा में बढ़ रही है, उससे हमारा mining sector हो, energy sector हो, या research और technology हो, हर क्षेत्र में इंडस्ट्री को भी अवसर मिलेंगे, और youth के लिए भी नई opportunities खुलेंगी।   इस सबसे भी आगे बढ़कर, अब देश के strategic sectors में भी private players की भागीदारी एक reality बन रही है।   आप चाहे space sector में निवेश करना चाहें, atomic energy में नयी opportunities को तलाशना चाहें, possibilities आपके लिए पूरी तरह से खुली हुई है। + +आप ये भली-भांति जानते हैं कि MSME sector की लाखों units  हमारे देश के लिए economic engines की तरह हैं।  इनका देश की GDP में बहुत बड़ा contribution है, ये contribution करीब-करीब 30 परसेंट का है।  MSMEs की definition स्पष्ट करने की मांग लंबे समय से उद्योग जगत कर रहा था, वो पूरी हो चुकी है।   इससे MSMEs बिना किसी चिंता के grow कर पाएंगे और उनको MSMEs का स्टेट्स बनाए रखने के लिए दूसरे रास्तों पर चलने की ज़रूरत नहीं रहेगी।   देश के MSMEs में काम करने वाले करोड़ों साथियों को लाभ हो, इसके लिए 200 करोड़ रुपए तक की सरकारी खरीद में ग्लोबल टेंडर्स को खत्म कर दिया गया है। इससे हमारे छोटे उद्योगों को ज्यादा अवसर मिल पाएंगे।  एक तरह से आत्मनिर्भर भारत पैकेज MSME sector के engine के लिए fuel का काम करने वाला है। + +आज पूरे विश्व में भारत के प्रति जो  trust develop हुआ है, उसका आप सभी को, भारत की Industry को पूरा फायदा उठाना चाहिए।  ये आप सभी की जिम्मेदारी है, CII जैसे संगठनों की जिम्मेदारी है कि Manufactured In India के साथ, trust,   quality,   competitiveness तीनों जुड़ा हो।   आप दो कदम आगे बढ़ेंगे, सरकार चार कदम आगे बढ़कर आपका साथ देगी।  प्रधानमंत्री के तौर पर मैं आपको भरोसा दे रहा हूं कि मैं आपके साथ खड़ा हूं।  भारतीय उद्योग जगत के लिए ये Rise to the Occasion की तरह है।   Trust me, Getting growth Back, इतना मुश्किल भी नहीं है।  और सबसे बड़ी बात कि अब आपके पास, Indian Industries के पास एक clear path है।   आत्मनिर्भर भारत का रास्ता।  Self Reliant India का path.  आत्मनिर्भर भारत का मतलब है कि हम और ज्यादा strong होकर दुनिया को embrace करेंगे। + +आत्मनिर्भर भारत world economy के साथ पूरी तरह integrated भी होगा और supportive भी।   लेकिन ध्यान रखिएगा, आत्मनिर्भर भारत का मतलब ये भी है कि है कि हम strategic क्षेत्रों में किसी पर निर्भर नहीं रहेंगे।   It is about creating strong enterprises In India. Enterprises that can become global forces. It is about generating employment. It is about empowering our people to come out and create solutions that can define the future of our country.  हमें अब एक ऐसी robust local  supply chain के निर्माण में invest करना है, जो global supply chain में भारत की हिस्सेदारी को strengthen करे।   इस अभियान में, मैं CII  जैसी दिग्गज संस्था को भी नई भूमिका में आगे आना होगा।  अब आपको Champions of Indigenous Inspirations बनकर आगे आना है।   आपको domestic industries की रिकवरी को facilitate करना है,   next level growth को assist करना है,   सपोर्ट करना है,   आपको  industry को,   अपने मार्केट को globally expand करने में मदद करना है। + +अब जरूरत है कि देश में ऐसे products बनें जो Made in India हों,   Made for the World हों।   कैसे हम देश का आयात कम से कम करें, इसे लेकर क्या नए लक्ष्य तय किए जा सकते हैं?  हमें तमाम सेक्टर्स में productivity बढ़ाने के लिए अपने टार्गेट तय करने ही होंगे।   यही संदेश मैं आज इंडस्ट्री को देना चाहता हूँ, और देश यही अपेक्षा भी आपसे रखता है। + +देश में manufacturing को,   Make in India को,   रोज़गार का बड़ा माध्यम बनाने के लिए आप जैसे तमाम इंडस्ट्री के संगठनों से चर्चा करके ही कई priority sectors की पहचान की गई है।   इनमें से furniture,   air conditioner, leather and Footwear ,   इन तीन सेक्टर्स पर काम शुरु भी हो चुका है।  सिर्फ एयर कंडिशनर को लेकर ही हम अपनी डिमांड का 30 प्रतिशत से अधिक इंपोर्ट करते हैं।  इसको हमें तेज़ी से कम करना है। इसी तरह दुनिया का दूसरे सबसे बड़ा leather producer होने के बावजूद, global export में हमारा शेयर बहुत कम है। + +कितने ही सेक्टर्स हैं, जिसमें हम बहुत अच्छा कर सकते हैं।  बीते सालों में आप सभी साथियों के सहयोग से ही देश में वंदेभारत जैसी आधुनिक ट्रेनें बनीं हैं। देश आज मेट्रो के कोच निर्यात कर रहा है।  इसी तरह मोबाइल फोन मैन्युफेक्चरिंग हो,   डिफेंस मैन्युफेक्चरिंग हो, अनेक क्षेत्रों में इंपोर्ट पर हमारी डिपेंडेंस को कम करने का प्रयास किया जा रहा है।  और मैं बहुत गर्व से कहूंगा कि सिर्फ 3 महीने के भीतर ही Personal Protective Equipment – PPE की सैकड़ों करोड़ की इंडस्ट्री आपने ही खड़ी की है।  तीन महीने पहले तक भारत में एक भी PPE नहीं बनती थी।   आज भारत एक दिन में 3 लाख PPE किट बना रहा है, तो ये हमारे उद्योग जगत का ही सामर्थ्य है।  आपको इसी सामर्थ्य का इस्तेमाल हर सेक्टर में बढ़ाना है।  मेरा तो CII के तमाम साथियों से ये भी आग्रह है, कि rural economy में investment और किसानों के साथ partnership का रास्ता खुलने का भी पूरा लाभ उठाएं।   अब तो गांव के पास ही लोकल एग्रो प्रोडक्ट्स के क्लस्टर्स के लिए ज़रूरी इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जा रहा है।   इसमें CII के तमाम मेंबर्स के लिए बहुत opportunities हैं। + diff --git a/pm-speech/411.txt b/pm-speech/411.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..65144f8788ea367a3abbca0179ef1a66e947fe75 --- /dev/null +++ b/pm-speech/411.txt @@ -0,0 +1,4 @@ +कोविड-19 के खिलाफ भारत की इस दिलेर लड़ाई के मूल में चिकित्सा समुदाय और हमारे कोरोना योद्धाओं की कड़ी मेहनत है। वास्तव में, डॉक्टर और चिकित्सा कर्मी सैनिकों की ही तरह हैं, लेकिन सैनिकों की वर्दी के बिना निरंतर कार्यरत हैं। वायरस एक अदृश्य दुश्मन हो सकता है, लेकिन हमारे कोरोना योद्धा यानी चिकित्सा कर्मी अजेय हैं। अदृश्य बनाम अजेय की लड़ाई में हमारे चिकित्सा कर्मियों की जीत सुनिश्चित है। मित्रों, इससे पहले वैश्वीकरण पर बहस के दौरान आर्थिक मुद्दों पर फोकस किया जाता रहा है। अब, दुनिया को निश्चित तौर पर एकजुट होकर विकास के मानवता केंद्रित पहलुओं पर फोकस करना चाहिए। + +यहां मैं भारत के ‘राष्ट्रीय पोषण मिशन’ की सफलता पर प्रकाश डालना चाहता हूं जो बच्‍चों और उनकी माताओं के लिए काफी मददगार साबित हो रहा है। भारत वर्ष 2025 तक टीबी का उन्‍मूलन करने के लिए चौबीसों घंटे काम कर रहा है। यह वर्ष 2030 के वैश्विक लक्ष्य से पांच साल पहले ही होने जा रहा है। ‘मिशन इन्द्रधनुष’ ने टीकाकरण कवरेज में वार्षिक वृद्धि की हमारी दर को चार गुना बढ़ा दिया है। मित्रों, केंद्र सरकार ने हाल ही में 50 से भी अधिक विभिन्न संबद्ध और स्वास्थ्य सेवा प्रोफेशनलों की शिक्षा के विस्तार के लिए एक नया कानून लाने की मंजूरी दी है। यह कानून  जब पारित हो जाएगा तो देश में पैरा-मेडिकल कर्मियों की कमी को दूर करेगा। यह अन्य देशों को कुशल संसाधनों की आपूर्ति करने में भी भारत की मदद करेगा। + diff --git a/pm-speech/412.txt b/pm-speech/412.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..eea8d7ece567fa4a50f4f3aa6d05715bc0e25509 --- /dev/null +++ b/pm-speech/412.txt @@ -0,0 +1,4 @@ +मेरे प्यारे देशवासियो, कोरोना संकट के इस दौर में, मेरी, विश्व के अनेक नेताओं से बातचीत हुई है, लेकिन, मैं एक secret जरुर आज बताना चाहूँगा – विश्व के अनेक नेताओं की जब बातचीत होती है, तो मैंने देखा, इन दिनों, उनकी, बहुत ज्यादा दिलचस्पी ‘योग’ और ‘आयुर्वेद’ के सम्बन्ध में होती है। कुछ नेताओं ने मुझसे पूछा कि कोरोना के इस काल में, ये, ‘योग’ और ‘आयुर्वेद’ कैसे मदद कर सकते हैं ! + +साथियो, आप ये जानकर हैरान रह जायेंगे कि एक करोड़ लाभार्थियों में से 80 प्रतिशत लाभार्थी देश के ग्रामीण इलाकों के हैं। इनमें भी करीब-करीब 50 प्रतिशत लाभार्थी, हमारी, माताएँ-बहने और बेटियाँ हैं। इन लाभार्थियों में ज्यादातर लोग ऐसी बीमारियों से पीड़ित थे जिनका इलाज सामान्य दवाओं से संभव नहीं था। इनमें से 70 प्रतिशत लोगों की Surgery की गई है। आप अनुमान लगा सकते हैं कि कितनी बड़ी तकलीफों से इन लोगों को मुक्ति मिली है। मणिपुर के चुरा-चांदपुर में छह साल के बच्चे केलेनसांग, उसको भी, इसी तरह आयुष्मान योजना से नया जीवन मिला है। केलेनसांग को इतनी छोटी उम्र में brain की गंभीर बीमारी हो गई। इस बच्चे के पिता दिहाड़ी-मज़दूर हैं, और माँ बुनाई का काम करती हैं। ऐसे में बच्चे का इलाज़ कराना बहुत कठिन हो रहा था। लेकिन, ‘आयुष्मान भारत’ योजना से अब उनके बेटे का मुफ्त इलाज हो गया है। कुछ इसी तरह का अनुभव पुडुचेरी की अमूर्था वल्ली जी का भी है। उनके लिए भी ‘आयुष्मान भारत’ योजना संकटमोचक बनकर आई है। अमूर्था वल्ली जी के पति की Heart attack से दुखद मृत्यु हो चुकी है। उनके 27 साल के बेटे जीवा को भी heart की बीमारी थी। Doctors ने जीवा के लिए surgery की सलाह दी थी, लेकिन, दिहाड़ी-मजदूरी करने वाले जीवा के लिए, अपने खर्च से, इतना बड़ा operation करवाना संभव ही नहीं था, लेकिन, अमूर्था वल्ली ने अपने बेटे का ‘आयुष्मान भारत’ योजना में registration करवाया और नौ दिनों बाद, बेटे जीवा के heart की surgery भी हो गई। + diff --git a/pm-speech/414.txt b/pm-speech/414.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..5bddf2280abe3536e44cf783f1ceab5cafa2c331 --- /dev/null +++ b/pm-speech/414.txt @@ -0,0 +1,4 @@ +अभी तत्‍काल जो इस संकट की घड़ी में राज्‍य सरकार को कठिनाई न हो इसके लिए एक advance assistance के रूप में एक हजार करोड़ रुपया भारत सरकार की तरफ से व्‍यवस्‍था की जाएगी। साथ-साथ जिन परिवारों ने अपने स्‍वजन खोए हैं, उन परिवारों को प्रधानमंत्री राहत कोष से दो लाख रुपया और जिन लोगों को injury हुई है उनको 50 हजार रुपये तक की सहायता देने का भी हम प्रधानमंत्री राहत कोष से करेंगे। + +आज समग्र देश को जिनके लिए गौरव है, ऐसे राजा राममोहन राय जी की जन्‍म–जयंती है। और इस समय मेरा पश्चिम बंगाल की पवित्र धरती पर होना, मेरे मन को छूने वाली बात होती है। लेकिन संकट की घड़ी से हम जूझ रहे हैं, तब मैं इतना ही कहूंगा कि राजा राममोहन राय जी हम सबको आशीर्वाद दें ताकि समयानुकूल समाज परिवर्तन के जो उनके सपने थे, उनको पूरा करने के लिए हम मिल-बैठ करके, मिल-जुल करके एक उज्‍ज्‍वल भविष्‍य के लिए, भावी पीढ़ी के निर्माण के लिए समाज सुधार के अपने कामों को निरंतर जारी रखेंगे और वही राजा राममोहन राय जी को उत्‍तम श्रद्धांजलि होगी। + diff --git a/pm-speech/415.txt b/pm-speech/415.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..f412031d0b881bb434240fabde34f8dee1c62155 --- /dev/null +++ b/pm-speech/415.txt @@ -0,0 +1,24 @@ +एक राष्ट्र के रूप में आज हम एक बहुत ही अहम मोड़ पर खड़े हैं। इतनी बड़ी आपदा, भारत के लिए एक संकेत लेकर आई है, एक संदेश लेकर आई है, एक अवसर लेकर आई है। मैं एक उदाहरण के साथ अपनी बात रखूंगा। जब कोरोना संकट शुरु हुआ, तब भारत में एक भी पीपीई किट नहीं बनती थी। एन-95 मास्क का भारत में नाममात्र उत्पादन होता था। आज स्थिति ये है कि भारत में ही हर रोज 2 लाख PPE और 2 लाख एन-95 मास्क बनाए जा रहे हैं। ये हम इसलिए कर पाए, क्योंकि भारत ने आपदा को अवसर में बदल दिया। आपदा को अवसर में बदलने की भारत की ये दृष्टि, आत्मनिर्भर भारत के हमारे संकल्प के लिए उतनी ही प्रभावी सिद्ध होने वाली है। + +आज विश्व में आत्मनिर्भर शब्द के मायने बदल गए हैं, Global World में आत्मनिर्भरता की Definition बदल गई है। अर्थकेंद्रित वैश्वीकरण बनाम मानव केंद्रित वैश्वीकरण की चर्चा जोरों पर है। विश्व के सामने भारत का मूलभूत चिंतन, आशा की किरण नजर आता है। भारत की संस्कृति, भारत के संस्कार, उस आत्मनिर्भरता की बात करते हैं जिसकी आत्मा वसुधैव कुटुंबकम है। भारत जब आत्मनिर्भरता की बात करता है, तो आत्मकेंद्रित व्यवस्था की वकालत नहीं करता। + +भारत की प्रगति में तो हमेशा विश्व की प्रगति समाहित रही है। भारत के लक्ष्यों का प्रभाव, भारत के कार्यों का प्रभाव, विश्व कल्याण पर पड़ता है। जब भारत खुले में शौच से मुक्त होता है तो दुनिया की तस्वीर बदल जाती है। टीबी हो, कुपोषण हो, पोलियो हो, भारत के अभियानों का असर दुनिया पर पड़ता ही पड़ता है। इंटरनेशनल सोलर अलायंस, ग्लोबर वॉर्मिंग के खिलाफ भारत की सौगात है। इंटरनेशनल योगा दिवस की पहल, मानव जीवन को तनाव से मुक्ति दिलाने के लिए भारत का उपहार है। जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रही दुनिया में आज भारत की दवाइयां एक नई आशा लेकर पहुंचती हैं। इन कदमों से दुनिया भर में भारत की भूरि-भूरि प्रशंसा होती है, तो हर भारतीय गर्व करता है। दुनिया को विश्वास होने लगा है कि भारत बहुत अच्छा कर सकता है, मानव जाति के कल्याण के लिए बहुत कुछ अच्छा दे सकता है। सवाल यह है – कि आखिर कैसे? इस सवाल का भी उत्तर है- 130 करोड़ देशवासियों का आत्मनिर्भर भारत का संकल्प। + +मैंने अपनी आंखों से कच्छ भूकंप के वो दिन देखे हैं। हर तरफ सिर्फ मलबा ही मलबा। सब कुछ ध्वस्त हो गया था। ऐसा लगता था मानो कच्छ, मौत की चादर ओढ़कर सो गया हो। उस परिस्थिति में कोई सोच भी नहीं सकता था कि कभी हालात बदल पाएंगे। लेकिन देखते ही देखते कच्छ उठ खड़ा हुआ, कच्छ चल पड़ा, कच्छ बढ़ चला। यही हम भारतीयों की संकल्पशक्ति है। हम ठान लें तो कोई लक्ष्य असंभव नहीं, कोई राह मुश्किल नहीं। और आज तो चाह भी है, राह भी है। ये है भारत को आत्मनिर्भर बनाना। भारत की संकल्पशक्ति ऐसी है कि भारत आत्मनिर्भर बन सकता है। + +आत्मनिर्भर भारत की ये भव्य इमारत, पाँच Pillars पर खड़ी होगी। पहला पिलर Economy एक ऐसी इकॉनॉमी जो Incremental change नहीं बल्कि Quantum Jump लाए । दूसरा पिलर Infrastructure एक ऐसा Infrastructure जो आधुनिक भारत की पहचान बने। तीसरा पिलर- हमारा System- एक ऐसा सिस्टम जो बीती शताब्दी की रीति-नीति नहीं, बल्कि 21वीं सदी के सपनों को साकार करने वाली Technology Driven व्यवस्थाओं पर आधारित हो। चौथा पिलर- हमारी Demography- दुनिया की सबसे बड़ी Democracy में हमारी Vibrant Demography हमारी ताकत है, आत्मनिर्भर भारत के लिए हमारी ऊर्जा का स्रोत है। पाँचवाँ पिलर- Demand- हमारी अर्थव्यवस्था में डिमांड और सप्लाई चेन का जो चक्र है, जो ताकत है, उसे पूरी क्षमता से इस्तेमाल किए जाने की जरूरत है। + +आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए Bold Reforms की प्रतिबद्धता के साथ अब देश का आगे बढ़ना अनिवार्य है। आपने भी अनुभव किया है कि बीते 6 वर्षों में जो Reforms हुए, उनके कारण आज संकट के इस समय भी भारत की व्यवस्थाएं अधिक सक्षम, अधिक समर्थ नज़र आईं हैं। वरना कौन सोच सकता था कि भारत सरकार जो पैसा भेजेगी, वो पूरा का पूरा गरीब की जेब में, किसान की जेब में पहुंच पाएगा। लेकिन ये हुआ। वो भी तब हुआ जब तमाम सरकारी दफ्तर बंद थे, ट्रांसपोर्ट के साधन बंद थे। जनधन-आधार-मोबाइल- JAM की त्रिशक्ति से जुड़ा ये सिर्फ एक रीफॉर्म था, जिसका असर हमने अभी देखा। अब Reforms के उस दायरे को व्यापक करना है, नई ऊंचाई देनी है। + +ये रिफॉर्मस खेती से जुड़ी पूरी सप्लाई चेन में होंगे, ताकि किसान भी सशक्त हो और भविष्य में कोरोना जैसे किसी दूसरे संकट में कृषि पर कम से कम असर हो। ये रिफॉर्म्स, Rational टैक्स सिस्टम, सरल और स्पष्ट नियम-कानून, उत्तम इंफ्रास्ट्रक्चर, समर्थ और सक्षम Human Resource, और मजबूत फाइनेंशियल सिस्टम के निर्माण के लिए होंगे। ये रिफॉर्म्स, बिजनेस को प्रोत्साहित करेंगे, निवेश को आकर्षित करेंगे और मेक इन इंडिया के हमारे संकल्प को सशक्त करेंगे। + +आत्मनिर्भरता, आत्मबल और आत्मविश्वास से ही संभव है। आत्मनिर्भरता, ग्लोबल सप्लाई चेन में कड़ी स्पर्धा के लिए भी देश को तैयार करती है। और आज ये समय की मांग है कि भारत हर  स्पर्धा में जीते, ग्लोबल सप्लाई चेन में बड़ी भूमिका निभाए। इसे समझते हुए, भी आर्थिक पैकेज में अनेक प्रावधान किए गए हैं। इससे हमारे सभी सेक्टर्स की Efficiency बढ़ेगी और Quality भी सुनिश्चित होगी। + +ये संकट इतना बड़ा है, कि बड़ी से बड़ी व्यवस्थाएं हिल गई हैं। लेकिन इन्हीं परिस्थितियों में हमने, देश ने हमारे गरीब भाई-बहनों की संघर्ष-शक्ति, उनकी संयम-शक्ति का भी दर्शन किया है। खासकर हमारे जो रेहड़ी वाले भाई-बहन हैं, ठेला लगाने वाले हैं, पटरी पर सामान बेचने वाले हैं, जो हमारे श्रमिक साथी हैं, जो घरों में काम करने वाले भाई-बहन हैं, उन्होंने इस दौरान बहुत तपस्या की है, त्याग किया है। ऐसा कौन होगा जिसने उनकी अनुपस्थिति को महसूस नहीं किया। + +आपको आज जो Global Brands लगते हैं वो भी कभी ऐसे ही बिल्कुल Local थे। लेकिन जब वहां के लोगों ने उनका इस्तेमाल शुरू किया, उनका प्रचार शुरू किया, उनकी ब्रांडिंग की, उन पर गर्व किया, तो वो Products, Local से Global बन गए। इसलिए, आज से हर भारतवासी को अपने लोकल के लिए वोकल बनना है, न सिर्फ लोकल Products खरीदने हैं, बल्कि उनका गर्व से प्रचार भी करना है। + +मुझे पूरा विश्वास है कि हमारा देश ऐसा कर सकता है। आपके प्रयासों ने, तो हर बार, आपके प्रति मेरी श्रद्धा को और बढ़ाया है। मैं गर्व के साथ एक बात महसूस करता हूं, याद करता हूं। जब मैंने आपसे, देश से खादी खरीदने का आग्रह किया था। ये भी कहा था कि देश के हैंडलूम वर्कर्स को सपोर्ट करें। आप देखिए, बहुत ही कम समय में खादी और हैंडलूम, दोनों की ही डिमांड और बिक्री रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। इतना ही नहीं, उसे आपने बड़ा ब्रांड भी बना दिया। बहुत छोटा सा प्रयास था, लेकिन परिणाम मिला, बहुत अच्छा परिणाम मिला। + +हमारे यहाँ कहा गया है- ‘सर्वम् आत्म वशं सुखम्’ अर्थात, जो हमारे वश में है, जो हमारे नियंत्रण में है वही सुख है। आत्मनिर्भरता हमें सुख और संतोष देने के साथ-साथ सशक्त भी करती है। 21वीं सदी, भारत की सदी बनाने का हमारा दायित्व, आत्मनिर्भर भारत के प्रण से ही पूरा होगा। इस दायित्व को 130 करोड़ देशवासियों की प्राणशक्ति से ही ऊर्जा मिलेगी। आत्मनिर्भर भारत का ये युग, हर भारतवासी के लिए नूतन प्रण भी होगा, नूतन पर्व भी होगा। + diff --git a/pm-speech/417.txt b/pm-speech/417.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..8b0295a41e70119a9a5ea7c350e52c43d69c6df9 --- /dev/null +++ b/pm-speech/417.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +बसवन्ना ने एक ऐसे सामाजिक लोकतन्त्र की नींव रखी थी जहां समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति की चिंता पहली प्राथमिकता हो। बसवन्ना ने मानव जीवन के हर पहलू को छुआ है, उसको बेहतर बनाने के लिए समाधान सुझाए हैं। बसवन्ना ने हमेशा श्रम का सम्मान किया। उन्होंने मेहनत को महत्व दिया। वो कहते थे समाज में बड़ा और छोटा हर व्यक्ति राष्ट्र की सेवा में एक श्रमिक ही है। + diff --git a/pm-speech/418.txt b/pm-speech/418.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..434fc982eb8719a3594e7bace0ab74e27a95ff90 --- /dev/null +++ b/pm-speech/418.txt @@ -0,0 +1,4 @@ +मैं पूरी नम्रतापूर्वक, बहुत ही आदर के साथ, आज, 130 करोड़ देशवासियों की इस भावना को, सर झुका करके, नमन करता हूँ। आप, अपनी भावना के अनुरूप, देश के लिए अपनी रूचि के हिसाब से, अपने समय के अनुसार, कुछ कर सके, इसके लिए सरकार ने एक Digital Platform भी तैयार किया है। ये platform है – covidwarriors.gov.in। मैं दोबारा बोलता हूँ – covidwarriors.gov.in। सरकार ने इस platform के माध्यम से तमाम सामाजिक संस्थाओं के Volunteers, Civil Society के प्रतिनिधि और स्थानीय प्रशासन को एक-दूसरे से जोड़ दिया है। बहुत ही कम समय में, इस portal से सवा-करोड़ लोग जुड़ चुके हैं। इनमें Doctor, Nurses से लेकर हमारी ASHA, ANM बहनें, हमारे NCC, NSS के साथी, अलग-अलग field के तमाम professionals, उन्होंने, इस platform को, अपना platform बना लिया है। ये लोग स्थानीय स्तर पर crisis management plan बनाने वालों में और उसकी पूर्ति में भी बहुत मदद कर रहें हैं। आप भी covidwarriors.gov.in से जुड़कर, देश की सेवा कर सकते हैं, Covid Warrior बन सकते हैं। + +रमज़ान का भी पवित्र महीना शुरू हो चुका है। जब पिछली बार रमज़ान मनाया गया था तो किसी ने सोचा भी नहीं था कि इस बार रमज़ान में इतनी बड़ी मुसीबतों का भी सामना करना पड़ेगा। लेकिन, अब जब पूरे विश्व में यह मुसीबत आ ही गई है तो हमारे सामने अवसर है इस रमज़ान को संयम, सद्भावना, संवेदनशीलता और सेवा-भाव का प्रतीक बनाएं। इस बार हम, पहले से ज्यादा इबादत करें ताकि ईद आने से पहले दुनिया कोरोना से मुक्त हो जाये और हम पहले की तरह उमंग और उत्साह के साथ ईद मनायें। मुझे विश्वास है कि रमज़ान के इन दिनों में स्थानीय प्रशासन के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए कोरोना के खिलाफ़ चल रही इस लड़ाई को हम और मज़बूत करेंगे। सड़कों पर, बाज़ारों में, मोहल्लों में, physical distancing के नियमों का पालन अभी बहुत आवश्यक है। मैं, आज उन सभी Community leaders के प्रति भी आभार प्रकट करता हूँ जो                  दो गज दूरी और घर से बाहर नहीं निकलने को लेकर लोगों को जागरूक कर रहे हैं। वाक़ई कोरोना ने इस बार भारत समेत, दुनिया-भर में त्योहारों को मनाने का स्वरुप ही बदल दिया है, रंग-रूप बदल दिए हैं। अभी पिछले दिनों ही, हमारे यहाँ भी, बिहू, बैसाखी, पुथंडू, विशू, ओड़िया New Year ऐसे अनेक त्योहार आये। हमने देखा कि लोगों ने कैसे इन त्योहारों को घर में रहकर, और बड़ी सादगी के साथ और समाज के प्रति शुभचिंतन के साथ त्योहारों को मनाया। आमतौर पर, वे इन त्योहारों को अपने दोस्तों और परिवारों के साथ पूरे उत्साह और उमंग के साथ मनाते थे। घर के बाहर निकलकर अपनी ख़ुशी साझा करते थे। लेकिन इस बार, हर किसी नें संयम बरता। लॉकडाउन के नियमों का पालन किया। हमने देखा है कि इस बार हमारे ईसाई दोस्तों ने ‘ईस्टर(Easter)’ भी घर पर ही मनाया है। अपने समाज, अपने देश के प्रति ये ज़िम्मेदारी निभाना आज की बहुत बड़ी ज़रूरत है। तभी हम कोरोना के फैलाव को रोक पाने में सफल होंगे। कोरोना जैसी वैश्विक-महामारी को परास्त कर पाएँगे| + diff --git a/pm-speech/419.txt b/pm-speech/419.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..0084ed32a3bd6b686600c44e029fa7b78ab07dc5 --- /dev/null +++ b/pm-speech/419.txt @@ -0,0 +1,26 @@ +आप सभी ने दुनिया को मंत्र दिया है- ‘दो गज दूरी’ का, या कहें दो गज देह की दूरी’ का। इस मंत्र के पालन पर गांवों में बहुत ध्यान दिया जा रहा है। दो गज दूरी’ यानि सोशल distancing बनाकर रखने से आप कोरोना वायरस को भी खुद से दूर रख रहे हैं, किसी संभावित संक्रमण से खुद को बचा रहे हैं। ये आपके ही प्रयास है कि आज दुनिया में चर्चा हो रही है कि कोरोना को भारत ने किस तरह जवाब दिया है। + +इकबाल – नमस्‍कार सर, मैं जम्‍मू-कश्‍मीर से बारामूला ब्‍लॉक नारवाओ से आपको बहुत हार्दिक दिल से अभिनंदन करता हूं। और आज इस अवसर पर, जो हमारा पंचायत दिवस है, इसकी मुबारकबाद देता हूं, सर। सर, हमारा इस वक्‍त हमारा जो नारवाओं में जो हम कोरोना वायरस से लड़ रहे हैं, जो आपने ऊपर से आदेश दिया है, directions दी हैं लॉकडाउन की, उसकी implementation ground पर 100 पर्सेंट हो रही है। उसके लिए हमने तैयारियां पहले से कर रखी थीं जब आपने पहला एक दिन का लॉकडाउन किया था। तो उस दिन हमने ब्‍लॉक लेवल पर जो हमारे मेडिकल अफसर हैं, हमारा आर्इसीडीएस है, और पंचायत से एक हमने एक ऑर्डर निकाल दिया BDC’s ऑफिस से, तो हमने एक मीटिंग की और उस मीटिंग में हमने तीनों departments को, Asha workers, ICDS Workers और पंचायत PRI’s members हैं, उनको ट्रेनिग दिला दी। उनको हमने, जो हमारा कोरोना को लेकरहमारे जो preventive measures के लिए inform किया।उसके बाद हमने उनको घर-घर अपने ब्‍लॉक में भेजा। + +और मैं आपको एक हकीकत बता रहा हूं कि हमारे ब्‍लाक में कोई ऐसा घर नहीं होगा जिसमें हमारी टीम, जिसमें हमारे पीआरआई, जिसमें हमारे मेडिकल और ICDS के workers नहीं गए, और हरेक घर को हर एक individual को aware किया कि कोरोना वायरस से कैसे बचा जा सकता है। हमारे ब्‍लॉक में आज तक सिर्फ एक पॉजिटिव केस आया लेकिन उसमें भी सबसे बड़ा reason ये है कि हमारी वहां पर पंचायत establish नहीं हुई है। Reason ये था कि हमारे वहां पर पंचाचत मेम्‍बर्स नहीं थे और वो केस हम trace out नहीं कर पाए। + +लेकिन जितने भी बाकी गांव हैं, जितने बाकी blocks हैं, district administration की मदद से, health department की मदद से हमने हरेक घर को, हरेक इंसान को travel history जिसकी थी, उसको identify किया, उनको क्‍वारंटाइन किया, उनको होम क्‍वारंटाइन किया और PRI’s को वहां पर ड्यूटी लगा दी। 24×7 hours वहां पर ड्यूटी लगाई ताकि उनका जो होम क्‍वारंटाइन है वो successful हो जाये। हमारे ऊपर से जो हमारे district administration की directions category के लिए थी कि आपको चाहे किसी हद तक सख्‍ती करनी पड़े लेकिन कवारंटाइन जो लॉकडाउन है, इसको ग्राउंड पर successful करना है। हमारे पंचायत राज यूथ एसोसिएशन के जितने भी members हैं, हमारी district administration की direction उन्‍होंने दी थी कि आपको ये actually जो really जो लॉकडाउन successful करना है वो PRI’s को करना है। तो उन्‍होंने roster बनाकर, वॉलिंयटर्स के साथ रोड पर रहकर लॉकडाउन को successful किया। दो संदेश दिए लोगों को, दो नारे दिए- Respect all, suspect all पहला नारा था. दूसरा हमारा नारा ये था कि सर, Stay Home Stay Safe. और वो जब इन दो नारों पर चले, आजहमारे ब्‍लॉक में 99 पर्सेंट सिचुएशन अंडर कंट्रोल है, सर। + +नवीन कुमार – थैंक्‍यू सर। हमारी ग्राम पंचायत में कोई कोरोना पीड़ित व्‍यक्ति नहीं है और 14 लोगों को हमने होम क्‍वारंटाइन में रखा हुआ है। इनको पंचायत के द्वारा ही पानी, दूध, सब्‍जी, राशन आदि की व्‍यवस्‍था घर पर ही कर रहे हैं। आशा workers, स्‍वास्‍थ्‍य विभाग के अधिकारियों और ग्राम पंचायत के सारे सदस्‍यों और स्टाफ का एक टास्‍क फोर्स रचा गया है। हर हफ्ते दो-चार बैठक बुलाकर कोरोना कैसे रोकें और इसके लिए क्‍या-क्‍या कोशिश कर सकते हैं, इसके बारे में चर्चा चलती है। IEC, सोशल डिस्‍टेंसिंग और सेनिटेशन के काम अच्‍छे से चल रहे हैं। + +यहां के युवकों को प्रेरित करके ग्राम पुलिस रची हुई है। पंचायत की सीमा में चेकपोस्‍ट लगाकर इस ये सब ग्राम पुलिस काम कर रहे हैं। इससे लोगों का अनावश्‍यक संचार करना रोक डाला हुआ है। इससे कोरोना को एक राज्‍य से दूसरे राज्‍य तक पहुंचने नहीं दे रहे हैं। व्‍यक्तिक और सामुदायिक स्‍वच्‍छता के बारे में हर जगह में अच्‍छे से IEC हुई है और cleanliness भी हुई है। + +प्रधानमंत्री जी – मानते हैं। चलिए, मेरी तरफ से आपको और आपके गांव को इतना उत्‍तम काम करने के लिए और सारी योजनाओं को लोगों तक पहुंचाने के लिए, आर्थिक प्रगति भी इतने बढ़िया ढंग से चलाने के लिए मैं सचमुच में आपके नेतृत्‍व को, आपके इस प्रकार के vision को, और गांव की ताकत कैसी होती है, इसका दर्शन कराने के लिए मैं आप सबको बधाई देता हूं। + +अजय जी – गांव में सर ब्‍लीचिंग पाउडर छिड़कना है। घर-घर जाकर आशा कार्यकर्ता, वार्ड पंच, सरपंच साहब प्रत्‍येक घर में साबुन दिया सर, शरीर और हाथ धोने के लिए सिखलाया सर, एक घंटा-आधा घंटा पहले से हाथ धोइए और जागरूक रहिए। होम क्‍वारंटाइन में 18 लोगों को रखा सर। उसको भी पंचायत अपनी तरफ से सुविधाएं दे रही है सर। सर 30 बेड का एक होम क्‍वारंटाइन सेंटर बनाया। उसमें भी खाने पीने का,ANM की ड्यूटी लगाए हैं, चौकीदार का ड्यूटी लगाए हैं सर। एक ग्राम रक्षा दल हमने तैयार किया है सर 45 लोगों का। उसको भी सभी गांवों में सर, गांव की शुरूआत में बांस लगाकर बेरियर लगाए हैं सर ताकि गांव के व्‍यक्ति बाहर नहीं जाएं। जिसको जरूरी काम है वो ही बाहर जाए, जैसे एमरजेंसी काम के लिए या दवा लाने के लिए। और सर स्‍वास्‍थ्‍य विभाग और मेडिकल की ओर से गांव में आते हैं हफ्ते में दो बार सर। पंचायत सरकार के पास सर, उसमें भी हम लोग सहयोग के जनप्रतिनिधि सर, हमेशा सर तीन दिन पर मीटिंग करते हैं। पांच से दस मुखिया, सरपंच, ग्राम पंचायत और पंचायतकर्मी। + +प्रधानमंत्री जी- चलिए, आप सब सुरक्षित रहें और जो लोग शहरों में हैं वो भी सुरक्षित रहें, उनके मन शांत रहें। आप जरूर उनसे फोन पर बातें करते रहिए। ताकि शहर में थोड़ा उनको तकलीफ जरा मन को ज्‍यादा होती है। घर याद आता है, मां-बाप याद आते हैं, जो स्‍वाभाविक भी है। लेकिन ऐसे समय गांव से अगर लोग उनसे बात कर लेते हैं तो उनका मन थोड़ा हल्‍का हो जाता है। और आज जो काम कर रहे हैं, इसके लिए मैं बधाई देता हूं। + +वर्षा जी – सर, बहुत ही संतुष्‍ट हैं लोग। आपके लॉकडाउन का, निर्देशों का बहुत अच्‍छीतरह से पालन कर रहे हैं और लोग अपने-आपको बहुत सुरक्षित महसूस कर रहे हैं। उन लोगों की सोच है कि हम घर में ही सुरक्षित हैं क्‍योंकि ये कोरोना वायरस एक ऐसी बीमारी है जिसका कोई सटीक इलाज नहीं है। बस इसमें यही इलाज है कि हम घर में रहें, सुरक्षित रहें, सामाजिक दूरी- दो गज की दूरी पर रहें। घर में ही सोशल डिस्‍टेंसिंग का पालन करे। + +तो सर, जैसे कि अभी हमारे पंजाब में भी फसलों की कटान का सीजन चल रहा है तो सबसे ज्‍यादा हमें आवश्‍यकता इस चीज की देखनी है, जैसे कि अभी कटान चल रही है तो पंजाब सरकार की तरफ से जो कुछ विशेष नियम पालन उनको मतलब बताया गया है लोगों को कि आपको ये नियम जो हैं इनकी पालना करनी है। जैसे कि कटान के समय आपको दो-दो मीटर की दूरी पर बैठना है। अगर आप जब कटान करते हैं और बार-बार हाथ धोने हैं, उसमें। उसमें भी सर, उसके कुछ और भी विशेष और भी प्रबंध किए गए हैं। जैसे कि फसलें आती हैं, उनको मंडी में कैसे ले जाना है। सर, ये सारे प्रबंध जो हैं जैसे चार और पांच गांव के मिलाकर एक मंडी बनाई गई है जहां पर क्‍या होगा, जो कि किसान हैं वो पहले होलोग्राम पर्ची लेंगे उसके बाद ही वो मंडी में जा सकते हैं। अगर होलोग्राम पर्ची उनके पास होगी तभी वो मंडी में जाएंगे और उनको ये भी हमने बताया है कि आपको जो है ट्रैक्टर पर जो है सिर्फ 50 क्विंटल कनक जो एक बार मंडी में आप ले जा सकते हैं। और ट्रैक्‍टर पर सिर्फ एक ड्राइवर और उनके साथ एक सहयोगी होगा। वो भी आपस में जो है सामाजिक दूरी का विशेष ध्‍यान रखें। + +प्रधानमंत्री जी –बताइए प्रियंका जी, हमने कोरोना का जबसे आपने लॉकडाउन किया, उसके बाद से 26 तारीख से sodium hypochlorite से पूरा गांव सेनेटाइज किया। उसके बाद हमने सेनेटाइजर टनल, दो जगह पर जहां पर ज्‍यादा आवाजाही लोगों की रहती है, वहां पर सेनेटाइजर्स सैनिक बैठाया। उसके बाद हमने जो सेनेटाइजर हर कोई महिला और हर कोई घर में नहीं जा सकता तो इसीलिए हमने हर घर में साबुन का डिस्‍ट्रीब्‍यूशन किया। उसके बाद जब हमारे गांव के अंदर जो स्किल इंडिया महिलाओं ने प्रशिक्षण लिया था सिलाई का, उन महिलाओं को हमने मास्‍क बनाने का काम दिया। जो SHG है उनको हमने इस प्रकार के मास्‍क बनाने का काम दिया जो उन्‍होंने 5 हजार मास्‍क इस टाइप के बनाए हैं। इसका डिस्‍ट्रीब्‍यूशन हम पूरे गांव में कर रहे हैं। इसके साथ ही हमारा एरिया आता है जो semi urban एरिया है या फिर ज्‍यादा ही industries के पास है, तो हमने walk को लोग आते हैं, इसके लिए हमने एक टाइम निर्धारित किया है, उसके बीच में हम स्‍ट्रीट लाइट बंद रखीं तो उसका हमें बहुत फायदा हुआ और सोशल डिस्‍टेंसिंग रखने के लिए एक असरकारक उपाय साबित हुआ। + +रंजीत सरकार – लॉकडाउन, आप जो काम किया है सर, वो अच्‍छा काम किया है। देश की रक्षा करने के लिए काम किया है सर।पीएम सर, हमारी पंचायत की ये कोशिश है कि अपने गांव को कोरोना से बिल्कुल सुरक्षित रखा जाए। बाहर से आने वालों पर नजर रखी जा रही है। यहां आशा कार्यकर्ता और दूसरे मेडिकल से जुड़े लोग सर्वे पर आते हैं। मेडिकल के इन साथियों को घर-घर तक पहुंचाने में और ज़रूरी जानकारी जुटाने में हमारी पंचायत की टीम से पूरी मदद की जा रही है। आपने डॉक्टरों और दूसरे हेल्थ वर्कर्स की सुरक्षा के लिए जो नया कानून बनाया है, उसके लिए पूरी पंचायत की तरफ से मैं आपको आभार व्यक्त करना चाहता हूं। इसकी बहुत ज्यादा ज़रूरत थी। हमारी पंचायत उन लोगों की भी मदद कर रही है जिनके पास इस समय काम नहीं है। केंद्र और राज्य सरकार की तरफ से जो भी मदद दी जा रही है, उसको तेज़ी से लोगों तक पहुंचाया जा रहा है। + diff --git a/pm-speech/421.txt b/pm-speech/421.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..0f67ca9cfe7152ecb9dd56fd9fe1af72d4be14a8 --- /dev/null +++ b/pm-speech/421.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +आज कई देश इसको दोहरा रहे हैं। जनता कर्फ्यू हो, घंटी बजाने, ताली-थाली बजाने का कार्यक्रम हो, इन्होंने इस चुनौतिपूर्ण समय में देश को इसकी सामूहिक शक्ति का ऐहसास कराया। यह भाव प्रकट हुआ कि देश एक होकर कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़ सकता है। अब लॉकडाउन के समय में, देश की, आप सभी की ये सामूहिकता चरितार्थ होती नजर आ रही है। + diff --git a/pm-speech/422.txt b/pm-speech/422.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..d0f401bbc5bd58c1d55f7062b038ff879515dfa5 --- /dev/null +++ b/pm-speech/422.txt @@ -0,0 +1,18 @@ +आमतौर पर ‘मन की बात’, उसमें मैं कई विषयों को ले करके आता हूँ | लेकिन आज, देश और दुनिया के मन में सिर्फ और सिर्फ एक ही बात है- ‘कोरोना वैश्विक महामारी’ से आया हुआ ये भयंकर संकट | ऐसे में , मैं और कुछ बातें करूं वो उचित नहीं होगा | लेकिन सबसे पहले मैं सभी देशवासियों से क्षमा माँगता हूँ | और मेरी आत्मा कहती है कि आप मुझे जरुर क्षमा करेंगें क्योंकि कुछ ऐसे निर्णय लेने पड़े हैं जिसकी वजह से आपको कई तरह की कठिनाइयाँ उठानी पड़ रही हैं, खास करके मेरे गरीब भाई-बहनों को देखता हूँ तो जरुर लगता है कि उनको लगता होगा की ऐसा कैसा प्रधानमंत्री है, हमें इस मुसीबत में डाल दिया | उनसे भी मैं विशेष रूप से क्षमा मांगता हूँ | हो सकता है, बहुत से लोग मुझसे नाराज भी होंगे कि ऐसे कैसे सबको घर में बंद कर रखा है | मैं आपकी दिक्कतें समझता हूँ, आपकी परेशानी भी समझता हूँ लेकिन भारत जैसे 130 करोड़ की आबादी वाले देश को, कोरोना के खिलाफ़ लड़ाई के लिए, ये कदम उठाये बिना कोई रास्ता नहीं था | कोरोना के खिलाफ़ लड़ाई, जीवन और मृत्य के बीच की लड़ाई है और इस लड़ाई में हमें जीतना है और इसीलिए ये कठोर कदम उठाने बहुत आवश्यक थे | किसी का मन नहीं करता है ऐसे कदमों के लिए लेकिन दुनिया के हालात देखने के बाद लगता है कि यही एक रास्ता बचा  है | आपको, आपके परिवार को सुरक्षित रखना है |  मैं फिर एक बार, आपको जो भी असुविधा हुई है, कठिनाई हुई है, इसके लिए क्षमा मांगता हूँ | साथियों, हमारे यहाँ कहा गया है – ‘एवं एवं विकारः, अपी तरुन्हा साध्यते सुखं’  यानि बीमारी और उसके प्रकोप से शुरुआत में ही निबटना चाहिए | बाद में रोग असाध्य हो जाते हैं तब इलाज भी मुश्किल हो जाता है | और आज पूरा हिंदुस्तान, हर हिन्दुस्तानी यही कर रहा है. भाइयों,बहनों, माताओं, बुजर्गो कोरोना वायरस ने दुनिया को क़ैद कर दिया है | ये ज्ञान, विज्ञान, गरीब, संपन्न, कमज़ोर, ताक़तवर हर किसी को चुनौती दे रहा है | ये ना तो राष्ट्र की सीमाओं में बंधा है, न ही ये कोई क्षेत्र देखता है और न ही कोई मौसम | ये वायरस इंसान को मारने पर, उसे समाप्त करने की जिद उठाकर बैठा है और इसीलिए सभी लोगों को, पूरी मानवजाति को इस वायरस के ख़त्म करने के लिए, एकजुट होकर संकल्प लेना ही होगा | कुछ लोगों को लगता है कि वो लॉकडाउन का पालन कर रहे हैं तो ऐसा करके वो मानो जैसे दूसरों की मदद कर रहे हैं | अरे भाई, ये भ्रम पालना सही नहीं है | ये लॉकडाउन आपके खुद के बचने के लिए है | आपको अपने को बचाना है, अपने परिवार को बचाना है | अभी आपको आने वाले कई दिनों तक इसी तरह धैर्य दिखाना ही है, लक्ष्मण-रेखा का पालन करना ही है | साथियों, मैं यह भी जानता हूँ कि कोई कानून नहीं तोड़ना चाहता, नियम नहीं तोड़ना चाहता लेकिन कुछ लोग ऐसा कर रहे हैं क्योंकि अब भी वो स्थिति की गंभीरता को नहीं समझ रहे हैं | ऐसे लोगों को यही कहूँगा कि लॉकडाउन का नियम तोड़ेंगे तो कोरोना वायरस से बचना मुश्किल हो जायेगा | दुनिया भर में बहुत से लोगों को कुछ इसी तरह की खुशफ़हमी थी | आज ये सब पछता रहे हैं | साथियों, हमारे यहाँ कहा गया है – ‘आर्योग्यम परं भागय्म स्वास्थ्यं सर्वार्थ साधनं’ यानि आरोग्य ही सबसे बड़ा भाग्य है | दुनिया में सभी सुख का साधन, स्वास्थ्य ही है| ऐसे में नियम तोड़ने वाले अपने जीवन के साथ बहुत बड़ा खिलवाड़ कर रहे हैं | साथियों, इस लड़ाई के अनेकों योद्धा ऐसे हैं जो घरों में नहीं, घरों के बाहर रहकर कोरोना वायरस का मुकाबला कर रहे हैं | जो हमारे FRONT LINE SOLDIERS हैं | ख़ासकर के हमारी नर्सेज बहनें हैं, नर्सेज का काम करने वाले भाई हैं, डॉक्टर हैं, PARA-MEDICAL STAFF हैं | ऐसे साथी, जो कोरोना को पराजित कर चुके हैं | आज हमें उनसे प्रेरणा लेनी है | बीते दिनों में मैंने ऐसे कुछ लोगों से फ़ोन पर बात की है, उनका उत्साह भी बढ़ाया है और उनसे बातें करके मेरा भी उत्साह बढ़ा है | मैंने उनसे बहुत कुछ सीखा है. मेरा बहुत मन था इसलिए इस बार ‘मन की बात’ में ऐसे साथियों के अनुभव, उनसे हुई बातचीत, उसमें से कुछ बातें आपसे साझा करूँ | सबसे पहले हमारे साथ जुड़ेंगे श्री रामगम्पा तेजा जी | वैसे तो वे IT PROFESSIONAL हैं, आइये उनके अनुभव सुनते हैं | यस राम + +राम गम्पा तेजा:  मैं IT sector का employee हूँ | काम की वजह से Dubai गया था मैं, meetings के लिए | वहां पर जाने-अनजाने ऐसे हो गया था | वापस आते ही, fever वो सब चालू हो गया था जी | तो पांच-छः दिन के बाद डॉक्टर्स ने CORONA Virus का test की और तब positive आ गया था | तब Gandhi Hospital, Government Hospital, Hyderabad में वहां पे admit किया था मुझे और उसके बाद 14 दिन के बाद ठीक हो गया था मैं, और discharge हो गया था | तो, थोड़ा डरावना था ये सब | + +राम गम्पा तेजा:      पहले तो बहुत डर गया था, पहले तो believe भी नहीं      कर रहा था मैं कि हो गया ,ऐसा कैसा हुआ था | क्योंकि India में किसी को दो-तीन लोगों को आया था , तो कुछ नहीं पता था, उसके बारे में | Hospital में जब admit किया था तब मुझे quarantine में रखे थे | तब तो, पहले दो-तीन दिन, पूरा ऐसे ही चला गया था, लेकिन वहाँ के डॉक्टर्स और nurses, जो है न ! + +राम गम्पा तेजा: जब मैं hospital में admit हुआ था ! पहले तो,सब बहुत stress में थे | ज्यादा attention वो सब था | लेकिन हाँ, सबसे पहले तो उनका भी test किए थे | सबका negative आ गया था, वो, सबसे बड़ा blessing है हमारे लिये, हमारे family के लिये और सबके लिये, जो मेरे आस-पास थे | उसके बाद तो हर दिन improvement दिख रहे थे | डॉक्टर हमसे बात कर रहे थे | वो बता रहे थे परिवार को भी | + +राम गम्पा तेजा: परिवार के लिये तो, पहले, उसके बारे में जब पता चला, तब तो मैं quarantine में था, लेकिन quarantine के बाद भी डॉक्टर्स ने बताया था, कि और 14 दिन, घर पे ही रहना है और अपने room में रहना और self को House quarantine रखने के लिए बोले थे | तो, आने के बाद भी मैं अपने घर में ही हूँ , मेरे ही room में रहता हूँ ज्यादातर, mask पहनकर ही रहता हूँ दिन-भर, जब भी बाहर खाने के लिये कुछ होगा …hand washing वो सब important है | + +डॉक्टर: सर जी ,यहाँ मैं यहाँ से बी.जे.मेडिकल कॉलेज पुणे है | वहाँ पे प्रोफ़ेसर हूँ | और हमारे पुणे municipal corporation hospital है, नायडू हॉस्पिटल करके | वहाँ पे जनवरी 2020 से एक screening center चालू हो गया है | वहाँ पे आज तक 16 (Sixteen) COVID-19 Positive cases  निकले हैं | और वो जो 16 (Sixteen) COVID-19 Positive patients जो  निकले हैं उसमे से हमने treatment देके, उनको Quarantine करके, isolation करके,  treatment देके 7 लोगों को discharge कर दिया है Sir  | और जो अभी बाकि नौ cases हैं they are also very stable and they are also doing well | Though वो virus body में होते हुए भी  they are getting well, they are recovering out of the Corona Virus | और अभी यहाँ पे जो sample size तो वैसे छोटा है सर 16 cases ही है | लेकिन ऐसा मालूम हो रहा है कि young population भी affect हो रही है | और young population affect होते हुए भी जो disease है और वो ज्यादा serious disease नहीं है सर | वो mild disease है और वो patient लोग काफ़ी अच्छे हो रहे हैं सर | और अभी ये जो 9 लोग बाकी है वहाँ पे they are also going to be well, they are not going to deteriorate ,  we are keeping watch on them on daily basis  लेकिन they are also going to be well in current 4-5 days | जो लोग हमारे यहाँ suspect करके आते हैं, international travellers हैं और जो contact में आये हैं , ऐसे लोगों का सर हम swab ले रहें हैं | ये जो  oropharyngeal swab ले रहे हैं , nasal swab ले रहे हैं और nasal swab   का रिपोर्ट आने के बाद अगर positive निकला है तो हम positive ward में admit कर रहें हैं | और negative अगर निकला तो उनको home Quarantine का संदेश देके , कैसे लेना है  home Quarantine , क्या करना है home को जा के , ये advice करके हम उनको घर पे भेज रहें हैं | + +डॉक्टर: सर एक तो अगर home में ही रहे तो home में भी Quarantine आपको करना है | 6 फीट distance कम से कम तो आपको रखना है, ये पहली बात | दूसरी बात, उनको मास्क use करना है और बार-बार हाथ साफ़ करना है | अगर आपके पास sanitisation  नहीं है फिर भी अपना सादा simple साबुन से और पानी से हाथ साफ़ करना है और वो भी बार-बार साफ़ करना है | और जब आपको खाँसी आयेंगी sneezing  होगा तो रुमाल लगा के सादा रुमाल लगा के उसके ऊपर खाँसी करना है | so that वो जो droplets हैं, वो droplets ज्यादा दूर तक नहीं जाएँ और ज़मीन पे ना गिरे और ज़मीन पे न गिरने की वजह से ज्यादा हाथ लग जाता है तो किसी को फैलना possible नही होगा | ये समझा रहे हैं सर | दूसरी बात समझा रहे हैं कि they are supposed to be there as a home quarantine, they are not supposed to go out of the home | अभी तो lockdown हो गया है , in fact , during this particular situation they are supposed to be lockdown but they are supposed to be home quarantine also properly for minimum 14 days के लिए quarantine हम उनको सूचित कर रहे हैं , सन्देश दे रहे हैं सर|……………………. + +CORONAVirus के खिलाफ़ इस जंग में हमारे आसपास ऐसे अनेक लोग हैं जो समाज के Real Hero हैं और इस परिस्थिति में भी सबसे आगे खड़े हैं | मुझे NarendraModi App पर, NAMO App पर बेंगलुरु के निरंजन सुधाकर हेब्बाले  जी ने लिखा है कि ऐसे लोग Daily-Life Heroes हैं| यह बात सही भी है | ये वो लोग हैं जिनकी वज़ह से हमारी रोजमर्रा की ज़िंदगी आसानी से चलती रहती है | आप कल्पना करिए कि एक दिन आपके घरों में नल में आने वाला पानी बंद हो जाए या फिर आपके घर की बिजली अचानक कट जाए , तब ये Daily–Life Heroes ही होते हैं जो हमारी दिक्क़तों को दूर करते हैं | ज़रा आप अपने पडोस में मौजूद छोटी परचून की दूकान के बारे में सोचिये | आज के इस कठिन समय में, वो दुकानदार भी जोख़िम उठा रहा है | आख़िर किसलिए ? इसलिए न , कि आपको ज़रुरत का सामान मिलने में कोई परेशानी ना हो | ठीक इसी प्रकार, उन drivers, उन workers के बारे में सोचिये, जो बिना रुके अपने काम में डटे हैं ताकि देश भर में आवश्यक वस्तुओं की supply-chain में कोई रुकावट ना आये | आपने देखा होगा, बैंकिंग सेवाओं को सरकार ने चालू रखा है और बैंकिंग-क्षेत्र के हमारे लोग पूरे लगन से, पूरे मन से इस लड़ाई का नेतृत्व करते हुए बैंकों को सँभालते हैं, आपकी सेवा में मौजूद हैं | आज के समय, ये सेवा छोटी नहीं है | उन बैंक के लोगों का भी हम जितना धन्यवाद करें उतना कम है | बड़ी संख्या में हमारे साथी e-commerce से जुड़ी कम्पनियों में delivery person के रूप में कार्य कर रहे हैं | ये लोग इस कठिन दौर में भी Groceries की delivery देने में लगे हुए हैं | ज़रा सोचिये कि आप lockdown के समय भी जो TV देख पा रहे हैं, घर में रहते हुए जिस PHONE और INTERNET का इस्तेमाल कर रहे हैं – उन सब को सुचारू रखने के लिए कोई न कोई अपनी ज़िंदगी खपा रहा है | इस दौरान,आप में से अधिकांश लोग जो Digital Payment आसानी से कर पा रहे हैं, उसके पीछे भी बहुत से लोग काम कर रहे हैं | Lockdown के दौरान यही वो लोग हैं जो देश के काम-काज को संभाले हुए हैं | आज सभी देशवासियों की तरफ से, मैं उन सभी लोगों के प्रति आभार प्रकट करता हूँ और उनसे अनुरोध करता हूँ कि वे अपने लिए भी, हर तरह के safety precautions लें, अपना भी ख्याल रखें, अपने परिवारजनों का भी ख्याल रखें | + +कोरोना वायरस से लड़ने का सबसे कारगर तरीका social distancing है, लेकिन, हमें ये समझना होगा कि social distancing का मतलब social interaction को खत्म करना नहीं है, वास्तव में, ये समय, अपने सभी पुराने सामाजिक रिश्तों में नई जान फूँकने का है, उन रिश्तों को तरो-ताज़ा करने का है – एक प्रकार से, ये समय, हमें ये भी बताता है कि social distancing बढ़ाओ और emotional distance घटाओ | मैं फिर कहता हूँ, social distancing बढ़ाओ और emotional distance घटाओ | कोटा से यश वर्धन ने NarendraModi App पर लिखा है कि, वे, lockdown में family bounding को मजबूत कर रहे है | बच्चों के साथ board games और क्रिकेट खेल रहे हैं | Kitchen में नयी-नयी dishes बना रहे हैं | जबलपुर की निरुपमा हर्षेय जी NarendraModi App पर लिखती है कि उन्हें पहली बार रजाई बनाने के अपने शौक को पूरा करने का मौका मिला है, यही नहीं, वो, इसके साथ ही बागवानी का शौक भी पूरा कर रही हैं | वहीँ रायपुर के परीक्षित , गुरुग्राम के आर्यमन और झारखण्ड के सूरज जी का पोस्ट पढ़ने को मिला जिसमें उन्होंने अपने स्कूल के दोस्तों के E-Reunion करने की चर्चा की है | उनका ये idea काफी रोचक है | हो सकता है कि, आपको भी दशकों से अपने स्कूल, कॉलेज के दोस्तों से बात करने का मौका ना मिला हो | आप भी इस idea को आज़मा के देखिए | भुवनेश्वर के प्रत्यूष और कोलकाता की वसुधा ने बताया कि, वे, आजकल उन किताबों को पढ़ रहे है जिन्हें अब तक पढ़ नहीं पाए थे | Social media में ही मैंने देखा, कि कुछ लोगो ने, वर्षों से घर में पड़े तबला, वीणा, जैसे musical Instrument को निकालकर रियाज़ करना शुरू कर दिया है | आप भी ऐसा कर सकते हैं | इससे, आपको संगीत का आनंद तो मिलेगा ही पुरानी यादें भी ताज़ा हो उठेंगी | यानि मुश्किल की इस घड़ी में आपको मुश्किल से एक ऐसा पल मिला है जिसमें, आपको ना केवल, अपने आप से जुड़ने का मौका मिलेगा, बल्कि, आप, अपने passion से भी जुड़ पाएंगे | आपको, अपने पुराने दोस्तों और परिवार के साथ भी जुड़ने का पूरा अवसर मिलेगा | + diff --git a/pm-speech/423.txt b/pm-speech/423.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..ef8e673b716fa032efe15c49292be9280dc189c5 --- /dev/null +++ b/pm-speech/423.txt @@ -0,0 +1,8 @@ +प्रश्न- मैं प्रोफेसर कृष्णकांत बाजपेयी हूं। मैं वाराणसी में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइनिंग टेक्नॉलोजी का निदेशक हूं साथ में, ब्लॉगर हूँ, राइटर हूँ और वर्तमान में जो आपने corona के खिलाफ युद्ध छेड़ा है उसने एक सैनिक हूं और सैनिक होने के नाते हम लोग कुछ दिनों से काम कर रहे हैं। जागरूकता भी कर रहे हैं। और उसमें पता चलता है, जब कई लोगों से बात करते हैं, तो बहुत से लोग ऐसा कहते हैं कि यह बीमारी हमें नहीं हो सकती है, क्योंकि हमारा खान-पान जिस तरह का है, जैसा हमारा परिवेश है, जैसे हमारे रीति-रिवाज और परंपराएं हैं और वातावरण भी कि गर्मी आने वाली है, ज्यादा गर्मी हो जाएगी है, तो यह virus खत्म हो जाएगा, हम लोगों को नहीं होगा तो इसलिए कई चीजों को लेकर उदासीनता हो जाती है उसमें मार्गदर्शन करें। + +आपने जो बात कही वह सही है कि कई लोगों को इस बारे में कुछ गलतफहमी है देखिए मनुष्य का स्वभाव होता है कि जो कुछ भी सरल हो, खुद को जरा भाता हो, अनुकूल हो, उसे बस तुरंत स्वीकार कर लेता है कोई बात आपको अपने पसंद की लगती है आपको सूट करती है तो आप उसे तुरंत सच मान लेते हैं, ऐसे में कई बार होता यह है कि कई अहम बात जो प्रामाणिक होती है अधिकृत होती है उस पर लोगों का ध्यान जाता ही नहीं है हमारे यहां भी कुछ लोगों के साथ यही हो रहा है मेरा ऐसे लोगों से आग्रह है कि जितनी जल्दी हो सके अपनी गलतफहमी से बाहर निकलें, सच्चाई को समझें देखिए इस बीमारी में जो बातें सामने आई है उसमें सबसे बड़ी सच्चाई यह है कि यह बीमारी किसी से भी भेदभाव नहीं करती है। यह समृद्ध देश पर भी कहर बरपाती है और गरीब के घर पर भी कहर बरपाती आती है। यहां तक कि लोग व्यायाम करते हैं, अपने स्वास्थ्य का बहुत ध्यान रखते हैं यह virus उनको भी अपनी चपेट में ले लेता है। इसलिए कौन क्या है, कहां है, क्या काम करता है क्या नहीं करता, इसका कोई महत्व नहीं है। इन सब में दिमाग लगाने के बजाय बीमारी कितनी भयानक है कितनी खतरनाक है इस बात पर ही ध्यान केंद्रित किया जाए, यह समझना चाहिए। आपकी बात भी सही है कि कुछ लोग ऐसे हैं जो अपने कानों से सुनते हैं अपने आंखों से देखते हैं और अपनी बुद्धि से समझते भी हैं लेकिन अमल नहीं करते हैं उनको इन खतरों का पता ही नहीं होता यह बेफिक्र होते हैं क्या सावधानी बरतनी है उन्हें यह भी पता नहीं लेकिन वे उसी कभी अमल में लेना ही नहीं चाहते टीवी पर आपने कितनी बार देखा होगा सिगरेट पीने से कैंसर होता है गुटखा खाने से कैंसर होता है कई बार ऐसा होता है कि लोग सिगरेट पीते पीते ही इस तरह के advertisement देखते रहते हैं लेकिन इसका उनके मन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है यही जो बातें मैं कह रहा हूं लोग कई बार जानते बुझते हुए भी सावधानी नहीं बरतते हैं लेकिन हां नागरिक के रूप में हमें अपने कर्तव्य करते रहना चाहिए। हमें social distancing पर ध्यान देना चाहिए। हमें घर में रहना चाहिए और आपस में दूरी बनाए रखना चाहिए। corona जैसी महामारी से दूर रहने का अभी यही एकमात्र उपाय है। अगर व्यक्ति संयम से रहे और निर्देशों का पालन करें, तो वह तो उसके इस virus के आने के चपेट में आने की संभावना कम हो जाती है। आप ये भी ध्यान रखिए कि corona से संक्रमित, यह बहुत महत्वपूर्ण बात है corona से संक्रमित दुनिया में एक लाख से अधिक लोग ठीक भी हो चुके हैं और भारत में भी दर्जनों लोग corona के शिकंजे से बाहर निकले हैं। + +मैं आपको यह भी जानकारी देना चाहता हूं कि corona से जुड़ी सही और सटीक जानकारी के लिए सरकार ने Whatsapp के साथ मिलकर एक हेल्प डेस्क भी बनाई है अगर आपके पास Whatsapp की सुविधा है, तो मैं एक नंबर लिखवाता हूं लिख लीजिए यह नंबर हर एक को काम आएगा अगर आप Whatsapp पर हैं तो इसका उपयोग कीजिए नंबर मैं लिखवाता हूं 9013 51 51 51 पर Whatsapp करके आप इस सेवा से जुड़ सकते हैं अगर आप Whatsapp पर नमस्ते लिखेंगे तो तुरंत आपको उचित जवाब आना शुरू हो जाएगा। + +काशी में बात और कपड़े वाले से बात ना हो तो बात अधूरी रह जाती है और अखिलेश जी मुझे खुशी है कि आप व्यापारी हैं लेकिन अपने सवाल गरीबों का पूछा। मैं बहुत आभारी हूं आपका। corona को पराजित करने के लिए एक रणनीति के तहत, विशेषज्ञों से मिले दिशानिर्देशों के मुताबिक ही यह कहा जा रहा है कि हर व्यक्ति दूसरे से कम से कम एक डेढ़ मीटर की दूरी पर रहे। यह corona के खिलाफ लड़ाई की सैन्य नीति है। मैं इसको सैन्य नीति कहूंगा। + diff --git a/pm-speech/430.txt b/pm-speech/430.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..ac9127d19101eaf623e370f2f24d29989deceed7 --- /dev/null +++ b/pm-speech/430.txt @@ -0,0 +1,30 @@ +ग्लोबल बिजनेस समिट के इस मंच पर, दुनिया भर से आए एक्सपर्ट्स के बीच, The Economic Times ने मुझे अपनी बात रखने का अवसर दिया है।आज सुबह से,आप जब से यहाँ बैठें हैं , यहां अनेक विषयों पर चर्चा हुई है, बिजनेस वर्ल्ड की प्रोमिनेंट लोगो ने अपने Ideas दिए हैं। और विचारों के इस प्रवाह में जो कॉमन Thread है, वो है – Collaborate To Create.Sustainable Growth के लिए Collaborate To Create का ये विजन, आज की आवश्यकता भी है और भविष्य का आधार भी।और हम सब जानते हैं ये विजन अचानक बीते कुछ वर्षों के विचारों से निकलकर आया हो, ऐसा भी नहीं है।विघटन से क्या-क्या नुकसान होता है, इसका दुनिया को अनुभव है।जब साथ चले तो संभल गए। जब आमने-सामने हुए तो बिखर गए। + +जिस वर्ग की बात मैं आपसे कर रहा था उसकी एक बहुत बड़ी पहचान है- ‘Talking The Right Things’. यानि हमेशा सही बात बोलना। सही बात कहने में कोई बुराई भी नहीं हैं।लेकिन इस वर्ग को ऐसे लोगों से नफरत है, चिढ़ है, जो ‘Doing The Right Things’ पर चलते हैं। इसलिए जब Status Quo में बदलाव आता है, तो ऐसे लोगों को कुछ खास तरह के Disruptions दिखाई देने लगते हैं।आप गौर करिए,जो लोग खुद को Gender Justice का मसीहा बताते हैं, वो तीन तलाक के खिलाफ कानून बनाने के हमारे फैसले का विरोध करते हैं।जो लोग दुनिया भर को शरणार्थी अधिकारों के लिए ज्ञान देते हैं, वो शरणार्थियों के लिए जब CAA का कानून बन रहा है विरोध करते हैं।जो लोग दिन रात संविधान की दुहाई देते हैं, वो आर्टिकल 370 जैसी अस्थाई व्यवस्था हटाकर, जम्मू-कश्मीर में पूरी तरह संविधान को लागू करने का विरोध करते हैं।जो लोग न्याय की बात करते हैं, वो सुप्रीम कोर्ट का एक फैसला उनके खिलाफ जाने पर देश की सर्वोच्च अदालत की नीयत पर ही सवाल खड़े कर देते हैं। + +2014 के बाद से देश Co-Operation In Sprit, Collaboration In Action और Combination Of Ideas को लेकर आगे चला है। आज भारत Sustainable Growth का एक ऐसा मॉडल Create कर रहा है, जो पूरे विश्व के लिए लाभकारी होगा।दुनिया का सबसे बड़ा Financial Inclusion Programme, दुनिया का सबसे बड़ा Sanitation Programme, दुनिया की सबसे बड़ी Health एश्योरेंस स्कीम, ऐसी अनेकों योजनाएं हैं जिसके अनुभव दुनिया के विकास में मदद कर रहे हैं।21वीं सदी का भारत बहुत कुछ सीख रहा है और देश के लोगों तक विकास का लाभ पहुंचाने के लिए उतना ही तत्पर भी है। + +अलग-अलग सेक्टरों पर, अलग-अलग क्षेत्रों में इसके परिणाम स्पष्ट दिखाई दे रहे हैं। 6 साल पहले देश में Highways Construction की Speed, करीब 12 किलोमीटर Per Day थी। आज ये 30 किलोमीटर के आसपास है।6 साल पहले स्थिति ये थी कि एक साल में 600 किलोमीटर रेलवे लाइन का Electrification हो रहा था। पिछले साल हमने 5300 किलोमीटर रेलवे रूट का बिजलीकरण किया है।6 साल पहले, हमारे एयरपोर्ट्स करीब 17 करोड़ पैसेन्जर्स को हैंडल कर रहे थे। अब 34 करोड़ से ज्यादा को हैंडल कर रहे हैं। + +6 साल पहले, हमारे Major Ports पर कार्गो हैंडलिंग करीब 550 मिलियन टन के आसपास थी। अब ये बढ़कर 700 मिलियन टन के पास पहुंच गई है। और एक महत्वपूर्ण चीज हुई है, जिसकी तरफ भी आपका ध्यान देना जरूरी है।ये है Major Ports पर Turn Around Time.6 साल पहले Ports पर Turn Around Time करीब-करीब 100 घंटे के आसपास होता था। अब ये घटकर 60 घंटे पर आ चुका है। इसे और कम करनेb के लिए निरंतर काम हो रहा है। + +ये 5-6 उदाहरण Connectivity से जुड़े हुए हैं। यहां इस हॉल में बैठे प्रत्येक व्यक्ति को मालूम है कि connecticivty, infrastructure, governance.. इसका Economic Activities परकितना प्रभाव  पड़ता है। क्या इतना बड़ा परिवर्तन ऐसे ही हो गया?नहीं।हमने सरकार के विभागों में Silos को ख़तम करने के लिए प्रयास किया, systematic efforts किए और Collaboration पर बल दिया। बिल्कुल ग्राउंड लेवल पर जाकर चीजों को ठीक किया। आज जो एयरपोर्ट्स पर काम हो रहा है, रेलवे स्टेशनों पर काम हो रहा है, वो आप भी देख रहे हैं।हमारे देश के लोग क्या डिजर्व करते हैं और उन्हें क्या मिला था, इसका फर्क समझना भी बहुत जरूरी है। + +कुछ साल पहले आए दिन रेलवे क्रॉसिंग्स पर हादसों की खबर आती थी।क्यों?क्योंकि 2014 से पहले देश में ब्रॉडगेज लाइन पर करीब-करीब 9 हजार Unmanned Level Crossings थीं। 2014 के बाद हमने अभियान चलाकर ब्रॉडगेज रेलवे लाइन को Unmanned Level Crossings से मुक्त कर दिया है।कुछ ऐसा ही हाल बायो-टॉयलेट्स का भी था।पहले की सरकार के समय, तीन साल में 9 हजार 500 बायो-टॉयलेट्स बने थे।हमारी सरकार ने पिछले 6 वर्षों में रेलवे कोचेज में सवा दो लाख से भी ज्यादा बायो-टॉयलेट्स लगवाए हैं।कहाँ 9 हजार और कहाँ सवा दो लाख.. + +बीते कुछ वर्षों में भारत Global Economy System का और भी मजबूत अंग बना है।लेकिन अलग-अलग कारणों से अंतर्राष्ट्रीय स्थितियां ऐसी हैं कि Global Economy कमजोर और कठिन हालत में है। फिर भी, इसका असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर कम से कम कैसे हो.. इसपे जितने हम initiatives लेसकतेहैं…जितने प्रोएक्टिव एक्शन्स ले सकते हैं.. हम लेते रहे हैं.. और उसका लाभ भी मिला है।हमारी नीतियां स्पष्ट हैं, हमारे फंडामेंटल्स मजबूत हैं।अभी हाल ही में भारत विश्व की 5th largest economy बना है।जब 2014 में हम आये थे तब हम 11 पेथे.. अब पांच पे पहुंचे हैं + +ईमानदारी के साथ जो आगे बढ़ रहा है, कंपटीशन दे रहा है, Wealth Create कर रहा है, सरकार उसके साथ मज़बूती से खड़ी है। उसके लिए कानून को निरंतर सरल किया जा रहा है, पुराने कानूनों को समाप्त किया जा रहा है।Fair Competition को बढ़ाने के लिए, हम Corruption और क्रोनिज्म, दोनों से सख्ती से निपट रहे हैं। बैंकिंग हो, FDI पॉलिसीज हों, या फिर Natural Resources का Allotment, क्रोनिज्म को हर जगह से हटाया जा रहा है। हमने ध्यान दिया है – Simplification पर, Rationalization पर, Transparency पर।टैक्स विवादों को सुलझाने के लिए अब हम इसबजटमें“विवाद से विश्वास” नाम की नई योजना लेकर आए हैं।लेबर रीफॉर्म की दिशा में भी हम तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। अभी परसों ही, सरकार ने कंपनी एक्ट में बड़ा बदलाव करते हुए, कई प्रावधानों को डी-क्रिमिनलाइज कर दिया है। + +साथियों, आज भारत दुनिया के उन प्रमुख देशों में है, जहां Corporate Tax सबसे कम है।Ease of Doing Business की रैंकिंग में सिर्फ 5 साल में रिकॉर्ड 77  रैंक का सुधार करने वाला देश भी भारत ही है।सरकार के इन प्रयासों के बीच, विदेशी निवेशकों का भी भारतीय अर्थव्यवस्था में भरोसा लगातार बढ़ रहा है।कुछ देर पहले ही यहाँ पर आपने ब्लैकस्टोन के ceo को सुना।वह कह रहे थे भारत दुनिया में सबसे ज़्यादा return देता है और वह अपना इन्वेस्टमेंट डबल करने की प्लानिंग कर रहे हैं। + +साथियों, 2019 में देश में करीब 48 Billion Dollar का Foreign Direct Investment आया। ये ग्रोथ रही 16 परसेंट से ज्यादा।इसी तरह भारत में पिछले साल 19 Billion Dollars का Private Equity And Venture Capital Investment आया। इसमें भी ग्रोथ रही 53 परसेंट से ज्यादा।देश Foreign Portfolio Investors भी अब निवेश बढ़ा रहे हैं। पिछले साल ये निवेश करीब 19 Billion Dollars का था। साफ है कि, नए विकल्प तलाश रहे निवेशक भी अब भारत की तरफ बढ़ रहे हैं। + +हमारी सरकार सारे स्टेकहोल्डर्स के साथ निरंतर संपर्क में है, लगातार फीडबैक लेते हुए, हर स्तर पर बड़े फैसले ले रही है। Status Quo से देश को मुक्ति दिलाते हुए, हम राष्ट्रीय स्तर पर ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी Collaboration से Creation की तरफ बढ़ रहे हैं।आपको याद होगा, जब संयुक्त राष्ट्र में इंटनेशनल योगा डे का प्रस्ताव आया था तो भारत को करीब करीब पूरी दुनिया का समर्थन मिला था।और शायद UN के इतिहास में किसी एक resolution को दुनिया के इतने देशों का समर्थन मिला हो यह पहली बार हुआ।और योग का प्रभाव यह है की शायद पहली बार आप की समिट में किसी ने मैडिटेशन करवाया होगा। + +आज भारत Peace Keeping Forces में सर्वाधिक भागीदारी करने वालों देश में से एक बन गया…  दूसरे देशों के नागरिकों की रक्षा के लिए भी सबसे पहले आगे आ रहा है।इतना ही नहीं, आज भारत, अंतरराष्ट्रीय स्तर की संस्थाओं के निर्माण में भी बड़ी भूमिका निभा रहा है।International Solar Alliance हो या फिर Coalition for Disaster Resilient Infrastructure, भविष्य को दिशा देने वाले ऐसे संस्थान भारत की पहल पर ही शुरु हुए हैं और आज पूरी दुनिया इसके साथ जुड़ने लगी है।लेकिन Friends, Status Quo का समर्थन करने वाली, बदलावों का विरोध करने वाली जैसी ताकतें हमारे देश में हैं, वैसी ही शक्तियां अब Global Level पर भी मजबूती से एकजुट हो रही हैं। + +साथियों,इतिहास में एक Time-Period ऐसा था, जिसमें हर कोई संघर्ष के रास्ते पर ही चल पड़ा था। तब कहा जाता था- Might is Right.फिर एक ऐसा Era आया, जिसमें ये सोच हावी रही कि हम इस गुट के साथ रहेंगे, तभी टिक पाएंगे।वह समय भी गया।फिर एक ऐसा समय भी आया – लोगों ने गुट-निरपेक्षता का भी प्रयास किया।फिर ऐसा भी एक युग आया जिसमें उपयोगिता के आधार पर संबंधों को विकसित करने की सोच हावी हो गई। + +21वीं सदी अपने आप में बहुत सी संभावनाओं से भरी हुई है।इन संभावनाओं के बीच, आज एक Common Global Voice की कमी महसूस हो रही है।एक ऐसी Voice, जिसमें स्वर भले अलग-अलग हों, लेकिन ये मिलकर एक सुर का निर्माण करें, एक सुर में अपनी आवाज उठाएं।आज पूरे विश्व के सामने ये सवाल है कि बदलती हुई परिस्थितियों में किसी तरह एडजस्ट होकर गुजारा करे या फिर नए तरीके से नए मार्ग का विकास करे। + diff --git a/pm-speech/432.txt b/pm-speech/432.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..170769e648df1899d89b4aaa033da71c98c14ccb --- /dev/null +++ b/pm-speech/432.txt @@ -0,0 +1,8 @@ +मुझे बताया गया है कि यहां इस सामाजिक आधिकारिता शिविर में अनेक रिकॉर्ड भी बन रहे हैं।  ये उपकरण, आपके जीवन से मुश्किलें कम करने में कुछ मदद करेंगे।और मैं मानता हूं कि ये उपकरण आपके बुलंद हौसलों के सहयोगी भर हैं। आपकी असली शक्ति तो आपका धैर्य है, आपका सामर्थ्य है, आपका मानस है। आपने हर चुनौति को चुनौति दी है। आपने मुश्किलों को मात कर दिया है। आपका जीवन अगर कोई बारीकी से देखे तो हर पल हर डगर हर किसी के लिए प्रेरणा का कारण हैा मैं आज आप सभी दिव्‍यांगजनों को बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। + +पिछली सरकार के पाँच साल में जहां दिव्यांगजनों को 380 करोड़ रुपए से भी कम के उपकरण बांटे गए, वहीं हमारी सरकार ने 900 करोड़ रुपए से ज्यादा के उपकरण बांटे हैं। यानि करीब-करीब ढाई गुना।जब गरीब के लिए, दिव्यांग के लिए मन में पीड़ा होती है, सेवा का भाव होता है, तब इस तरह की गति आती है, तब इतनी तेजी से काम होता है। + +आप में से अनेक लोग ये जानते हैं कि मासिक पेंशन का विकल्प चुनने पर वरिष्ठ नागरिकों को इस स्कीम में 10 साल तक एक तय दर से गारंटीशुदा पेंशन मिलती है। मैं आज यहां पर एक और बात भी आप लोगों को बताना चाहूंगा। सामान्‍य रूप से हमारे सीनियर सिटिजन या जिनको पेंशन मिलती है ऐसे नागरिक, सैलेरी क्‍लास रिटायरमेंट के बाद अपने पैसे बैंक में जमा कर देते हैं और जमा करने के बाद उसके ब्‍याज से अपना गुजारा चलाते हैं। लेकिन कभीकभी बैंकों में संकट आ जाता है। बैंक डूब जाते हैं। कोई कारोबारी धोखा कर देते हैं। और कभीकभी हमारे इन सीनियर सिटिजन्‍स के मेहनत की कमाई के पैसे डूब जाते हैं। + +ऐसे अनेक कदम हैं। उसी प्रकार से पेंशन के विषय में, इंश्‍योरेंस के विषय में पहले पॉलिसी बहुत कम अवधि के लिए खुलती थी, लेकिन 2018 में इसको 31 मार्च 2020 तक बढ़ा दिया गया। सिर्फ अवधि ही नहीं बढ़ाई बल्कि मासिक पेंशन को भी 10 हज़ार रुपए प्रतिमाह कर दिया गया है ।मुझे संतोष है कि आज इस योजना का लाभ सवा तीन लाख से ज्यादा सीनियर सिटिजन उठा रहे हैं। + diff --git a/pm-speech/433.txt b/pm-speech/433.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..9236f2a842d891416c1451d2c8c472cdba014a46 --- /dev/null +++ b/pm-speech/433.txt @@ -0,0 +1,14 @@ +कल मोटेरा में राष्ट्रपति Trump का unprecedented और historical welcome हमेशा याद रखा जाएगा। कल ये फिर से स्पष्ट हुआ कि अमेरिका और भारत के संबद्ध सिर्फ दो सरकारों के बीच नहीं हैं, बल्कि people-driven हैं, people-centric हैं। यह संबंध, 21वीं सदी की सबसे महत्वपूर्ण पार्टनरशिप्स में है। और इसलिए आज राष्ट्रपति Trump और मैंने हमारे संबंधों को Comprehensive Global Strategic Partnership के स्तर पर ले जाने का निर्णय लिया है। संबंधों को इस मुकाम तक लाने में राष्ट्रपति Trump का अमूल्य योगदान रहा है। + +आज हमारी चर्चा में हमने इस partnership के हर अहम पहलू पर सकारात्मक विचार किया – चाहे वो defence and security हो, एनर्जी में strategic partnership हो, टेक्नॉलजी cooperation हो, global connectivity हो, ट्रेड relations हों या फिर people to people ties । भारत और अमेरिका के बीच बढ़ता रक्षा और सुरक्षा सहयोग हमारी strategic partnership का एक बहुत अहम हिस्सा है। अत्याधुनिक रक्षा उपकरण व platforms पर सहयोग से भारत की डिफेन्स क्षमता में बढ़ोतरी हुई है। हमारे defence manufacturers एक दूसरे की supply chains का हिस्सा बन रहे हैं। भारतीय forces आज सबसे अधिक ट्रेनिंग exercises US की forces के साथ कर रही हैं। पिछले कुछ सालों में, हमारी सेनाओं के बीच interoperability में unprecedented वृद्धि हुई है। + +इसी तरह हम अपने homelands की सुरक्षा और अंतर्राष्ट्रीय अपराध से लड़ने के लिए भी सहयोग बढ़ा रहे हैं। आज homeland security पर हुए निर्णय से इस सहयोग को और बल मिलेगा। आतंक के समर्थकों को जिम्मेदार ठहराने के लिए आज हमने अपने प्रयासों को और बढ़ाने का निश्चय किया है। President Trump ने ड्रग्स और opioid crisis से लड़ाई को प्राथमिकता दी है। आज हमारे बीच Drug trafficking, narco–terrorism और organized crime जैसी गम्भीर समस्याओं के बारे में एक नए mechanism पर भी सहमति हुई है। + +कुछ ही समय पहले स्थापित हमारी Strategic Energy Partnership सुदृढ़ होती जा रही है। और इस क्षेत्र में आपसी निवेश बढ़ा है। तेल और गैस के लिए अमेरिका भारत का एक बहुत महत्वपूर्ण स्त्रोत बन गया है। पिछले चार वर्षों में हमारा कुल energy व्यापार करीब 20 बिलियन डॉलर रहा है। Renewables हो या न्यूक्लियर energy, हमारे cooperation को नई ऊर्जा मिल रही है। + +भारत और अमरीका आर्थिक क्षेत्र में openness औऱ Fair and Balanced trade के लिए प्रतिबद्ध हैं। पिछले तीन वर्षों में हमारे द्विपक्षीय व्यापार में double-digit growth हुई है, और वह ज्यादा संतुलित भी हुआ है। अगर energy, civil aircrafts, defence, और higher Education लें तो पिछले चार-पांच सालों में सिर्फ इन चार sectors ने ही भारत-अमेरिका के आर्थिक संबंधों में लगभग 70 बिलियन डॉलर्स का योगदान किया है। इसमें से काफी कुछ राष्ट्रपति Trump की नीतियों और फैसलों के कारण संभव हुआ है। मुझे पूरा विश्वास है कि आने वाले समय में ये आंकड़ा काफी बढ़ जाएगा। जहां तक bilateral trade का सवाल है, हमारे Commerce Ministers के बीच सकारात्मक वार्ताएँ हुई हैं । राष्ट्रपति ट्रंप और मैं सहमत हैं कि हमारे Commerce Ministers के बीच जो understanding बनी है उसे हमारी teams legal रूप दें। हम एक बड़ी trade deal के लिए negotiation शुरू करने पर भी सहमत हुए है। हमें आशा है कि आपसी हित में इसके अच्छे परिणाम निकलेंगे। + +वैश्विक स्तर पर भारत और अमरीका का सहयोग हमारे समान लोकतांत्रिक मूल्यों और उद्देश्यों पर आधारित है। खासकर Indo-Pacific और global commons में rule based international order के लिए यह सहयोग विशेष महत्व रखता है। हम दोनों देश विश्व में connectivity infrastructure के विकास में sustainable and transparent financing के महत्व पर सहमत हैं। हमारा यह आपसी तालमेल एक दूसरे के ही नहीं, बल्कि विश्व के हित में है। + +भारत और अमरीका की इस स्पेशल मित्रता की सबसे महत्वपूर्ण नींव हमारे people to people relations हैं। चाहे वो professionals हों या students, US में Indian Diaspora का इस में सबसे बड़ा योगदान रहा है। भारत के ये ambassadors ना सिर्फ़ अपने टैलेंट और परिश्रम से US की अर्थव्यवस्था में contribute कर रहे हैं। बल्कि अपने democratic वैल्यूज़ और समृद्ध culture से अमेरिकन society को भी enrich कर रहे हैं। मैने राष्ट्रपति ट्रंप से अनुरोध किया है कि हमारे professionals के social-security contribution पर totalisation agreement को दोनों पक्ष चर्चा आगे बढ़ाएं। ये आपसी हित में होगा। + diff --git a/pm-speech/435.txt b/pm-speech/435.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..de1aaa3dfd65c68a74ea143bb235fbc06989ee5b --- /dev/null +++ b/pm-speech/435.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +आज मोटेरा स्टेडियम में एक नया इतिहास बन रहा है। आज हम इतिहास को दोहराते हुए भी देख रहे हैं। पांच महीने पहले मैनें अपनी अमेरिका यात्रा की शुरूआत Houston में हुए Howdy Modi कार्यक्रम से की थी और आज मेरे दोस्त President Donald Trump अपनी ऐतिहासिक भारत यात्रा का आरंभ अहमदाबाद में नसस्ते ट्रंप से कर रहे हैं। आप कल्पना कर सकते हैं वो अमेरिका से सीधे यहां पहुंचे हैं। इतनी लंबी journey के बाद भारत में उतरते ही President Trump और उनका परिवार सीधे साबरमती आश्रम गया और फिर इस कार्यक्रम में आया है। दुनिया की इस सबसे बड़ी Democracy में आपका ह्रदय से बहुत-बहुत स्वागत है। ये धरती गुजरात की है लेकिन आपके स्वागत के लिए जोश पूरे हिंदुस्तान का है। ये उत्साह, ये आसमान तक गूंजती आवाज़, ये पूरा वातावरण एयरपोर्ट से लेकर यहां स्टेडियम तक हर तरफ भारत की विविधताओं के रंग ही रंगा हुआ नजर आ रहा है। और इन सबके बीच President Trump, First Lady Melania Trump, Ivanka और Jared की उपस्थिति, President Trump का अपने परिवार के साथ यहां आना भारत-अमेरिका रिश्तों को एक परिवार जैसी मिठास और घनिष्ठता की पहचान दे रहा है। India-USA Relations are no longer just another partnership, it is a far, greater and closer relationship. इस कार्यक्रम का जो नाम है – ‘नमस्ते’ उसका मतलब भी बहुत गहरा है। ये दुनिया की प्राचीनतम भाषाओं में से एक संस्कृत का शब्द है। इसका भाव है कि सिर्फ व्यक्ति को ही नही उसके भीतर व्याप्त divinity को भी हम नमन करते हैं। इतने भव्य समारोह के लिए मैं गुजरात के लोगों का, गुजरात में रहने वाले अन्य राज्य के लोगों का अभिनंदन करता हूं। Mr. President , friends आज आप उस भूमि पर है जहां 5 हजार साल पुराना planned city धोलावीरा रहा है और इतना ही पुराना लोथल sea port भी रहा है। आज आप उस साबरमती नदी के तट पर है जिसका भारत की आजादी में अहम स्थान रहा है। आज आप विविधता से भरे उस भारत में हैं जहां सैंकड़ो भाषाएं बोली जाती है। सैंकड़ो तरह के परिधान हैं, सैंकड़ो तरह के खानपान है, अनेको पंथ और समुदाय हैं। हमारी ये Rich Diversity, Diversity में Unity और Unity की Vibrancy भारत और अमेरिका के बीच मजबूत रिश्ते का बहुत बड़ा आधार है। एक Land of the Free है, तो दूसरा पूरे विश्व को एक परिवार मानता है। एक को statue of liberty पर गर्व है, तो दूसरे को दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा सरदार पटेल की Statue of Unity का गौरव है। there is so much that we share, Shared Values and Ideals, Shared Spirit of Enterprise and Innovation, Shared Opportunities and Challenges, Shared Hopes and Aspirations. मुझे खुशी है कि President Trump की लीडरशीप में भारत और अमेरिका की friendship और अधिक गहरी हुई है और इसलिए President Trump की ये यात्रा भारत और अमेरिका के संबंधों का नया अध्याय है। एक ऐसा अध्याय जो अमेरिका और भारत के लोगों को progress and prosperity का नया दस्तावेज़ बनेगा। + diff --git a/pm-speech/436.txt b/pm-speech/436.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..3e2cf653d9f8df54bc600b6bf157d698e0b7052e --- /dev/null +++ b/pm-speech/436.txt @@ -0,0 +1,10 @@ +COP Convention पर हो रही इस चर्चा के बीच मेरा ध्यान मेघालय से जुडी एक अहम् जानकारी पर भी गया।  हाल ही में Biologists ने मछली की एक ऐसी नई प्रजाति की खोज की है, जो केवल मेघालय में गुफाओं के अन्दर पाई जाती है। माना जा रहा है कि यह मछली गुफाओं में जमीन के अन्दर रहने वाले जल-जीवों की प्रजातियों में से सबसे बड़ी है। यह मछली ऐसी गहरी और अंधेरी underground caves में रहती है, जहां रोशनी भी शायद ही पहुँच पाती है। वैज्ञानिक भी इस बात से आश्चर्यचकित हैं कि इतनी बड़ी मछली इतनी गहरी गुफाओं में कैसे जीवित रहती है ? यह एक सुखद बात है कि हमारा भारत और विशेष तौर पर मेघालय एक दुर्लभ प्रजाति का घर है। यह भारत की जैव-विविधता को एक नया आयाम देने वाला है। हमारे आस-पास ऐसे बहुत सारे अजूबे हैं, जो अब भी undiscovered हैं। इन अजूबों का पता लगाने के लिए खोजी जुनून जरुरी होता है। + +इन दिनों हमारे देश के बच्चों में, युवाओं में Science और Technology के प्रति रूचि लगातार बढ़ रही है। अंतरिक्ष में Record Satellite का प्रक्षेपण, नए-नए record, नए-नए mission हर भारतीय को गर्व से भर देते हैं। जब मैं चंद्रयान-2 के समय बेंगलुरु में था, तो, मैंने देखा था कि वहाँ उपस्थित बच्चों का उत्साह देखते ही बनता था। नींद का नाम-ओ-निशान नहीं था। एक प्रकार से पूरी रात वो जागते रहे। उनमें Science, Technology और innovation को लेकर जो उत्सुकता थी वो कभी हम भूल नहीं सकते हैं। बच्चों के, युवाओं के, इसी उत्साह को बढ़ाने के लिए, उनमें scientific temper को बढ़ाने के लिए, एक और व्यवस्था, शुरू हुई है। अब आप श्रीहरिकोटा से होने वाले rocket launching को सामने बैठकर देख सकते हैं। हाल ही में, इसे सबके लिए खोल दिया गया है। Visitor Gallery बनाई गई है जिसमें 10 हज़ार लोगों के बैठने की व्यवस्था है। ISRO की website पर दिए गए link के ज़रिये online booking भी कर सकते हैं। मुझे बताया गया है कि कई स्कूल अपने विद्यार्थियों को rocket launching दिखाने और उन्हें motivate करने के लिए tour पर भी ले जा रहे हैं। मैं सभी स्कूलों के Principal और शिक्षकों से आग्रह करूँगा कि आने वाले समय में वे इसका लाभ जरुर उठायें। + +मैं आपको एक और रोमांचक जानकारी देना चाहता हूँ। मैंने Namo App पर  झारखण्ड के धनबाद के रहने वाले पारस का comment पढ़ा। पारस चाहते हैं कि मैं ISRO के ‘युविका’ programme के बारे में युवा-साथियों को बताऊँ। युवाओं को Science से जोड़ने के लिए ‘युविका’, ISRO का एक बहुत ही सराहनीय प्रयास है। 2019 में यह कार्यक्रम स्कूली Students के लिए launch किया गया था। ‘युविका’ का मतलब है- “युवा विज्ञानी कार्यक्रम” (YUva Vigyani Karyakram)। यह कार्यक्रम हमारे vision, “जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान, जय अनुसंधान” के अनुरूप है। इस प्रोग्राम में, अपने exam के बाद, छुट्टियों में students, ISRO के अलग-अलग centres में जाकर Space Technology, Space Science और Space Applications के बारे में सीखते हैं। आपको यदि यह जानना है training कैसी है ? किस प्रकार की है ? कितनी रोमांचक है ? पिछली बार जिन्होंने इसको attend किया है, उनके experience अवश्य पढ़ें। आपको खुद attend करना हैं तो ISRO से जुड़ी ‘युविका’  की website पर जाकर अपना registration भी करा सकते हैं। मेरे युवा साथियों, मैं आपके लिए बताता हूँ, website का नाम लिख लीजिये और जरुर आज ही visit कीजिये – www.yuvika.isro.gov.in। लिख लिया ना ? + +31 जनवरी 2020 को लद्दाख़ की खूबसूरत वादियाँ, एक ऐतिहासिक घटना की गवाह बनी। लेह के कुशोक बाकुला रिम्पोची एयरपोर्ट से भारतीय वायुसेना के AN-32 विमान ने जब उड़ान भरी तो एक नया इतिहास बन गया। इस उड़ान में 10% इंडियन Bio-jet fuel का मिश्रण किया गया था I ऐसा पहली बार हुआ जब दोनों इंजनो में इस मिश्रण का इस्तेमाल किया गया। यही नहीं, लेह के जिस हवाई अड्डे पर इस विमान ने उड़ान भरी, वह न केवल भारत में, बल्कि दुनिया में सबसे ऊँचाई पर स्थित एयरपोर्ट में से एक है। ख़ास बात ये है कि Bio-jet fuel को non-edible tree borne oil से तैयार किया गया है। इसे भारत के विभिन्न आदिवासी इलाकों से खरीदा जाता है। इन प्रयासों से न केवल carbon के उत्सर्जन में भी कमी आएगी, बल्कि कच्चे-तेल के आयात पर भी भारत की निर्भरता कम हो सकती है। मैं इस बड़े कार्य में जुड़े सभी लोगो को बधाई देता हूँ। विशेष रूप से CSIR, Indian Institute of Petroleum, Dehradun के वैज्ञानिकों को, जिन्होनें bio-fuel से विमान उड़ाने की तकनीक को संभव कर दिया। उनका ये प्रयास, Make in India को भी सशक्त करता है I + +हमारे देश की महिलाओं, हमारी बेटियों की उद्यमशीलता, उनका साहस, हर किसी के लिए गर्व की बात है। अपने आस पास हमें अनेकों ऐसे उदाहरण मिलते हैं। जिनसे पता चलता है कि बेटियाँ किस तरह पुरानी बंदिशों को तोड़ रही हैं, नई ऊँचाई प्राप्त कर रही हैं। मैं, आपके साथ, बारह साल की बेटी काम्या कार्तिकेयन   की उपलब्धि की चर्चा जरुर करना चाहूँगा। काम्या ने, सिर्फ, बारह साल की उम्र में ही Mount Aconcagua, उसको फ़तेह करने का कारनामा कर दिखाया है। ये, दक्षिण अमेरिका में ANDES पर्वत की सबसे ऊँची चोटी है, जो लगभग 7000 meter ऊँची है। हर भारतीय को ये बात छू जायेगी कि जब इस महीने की शुरुआत में काम्या ने चोटी को फ़तेह किया और सबसे पहले, वहाँ, हमारा तिरंगा फहराया। मुझे यह भी बताया गया है कि देश को गौरवान्वित करने वाली काम्या, एक नये Mission पर है, जिसका नाम है ‘Mission साहस’। इसके तहत वो सभी महाद्वीपों की सबसे ऊँची चोटियों को फ़तेह करने में जुटी है। इस अभियान में उसे North और South poles पर Ski भी करना है। मैं काम्या को ‘Mission साहस’ के लिए अपनी शुभकामनाएं देता हूँ। वैसे, काम्या की उपलब्धि सभी को fit रहने के लिए भी प्रेरित करती है। इतनी कम उम्र में, काम्या, जिस ऊँचाई पर पहुंची है, उसमें fitness का भी बहुत बड़ा योगदान है। A Nation that is fit, will be a nation that is hit. यानी जो देश fit है, वो हमेशा hit भी रहेगा। वैसे आने वाले महीने तो adventure Sports के लिए भी बहुत उपयुक्त हैं। भारत की geography ऐसी है जो हमारे देश में  adventure Sports के लिए ढेरों अवसर प्रदान करती है। एक तरफ जहाँ ऊँचे – ऊँचे पहाड़ हैं तो वहीँ दूसरी तरफ, दूर-दूर तक फैला रेगिस्तान है। एक ओर जहाँ घने जंगलों का बसेरा है, तो वहीँ दूसरी ओर समुद्र का असीम विस्तार है। इसलिए मेरा आप सब से विशेष आग्रह है कि आप भी, अपनी पसंद की जगह, अपनी रूचि की activity चुनें और अपने जीवन को adventure के साथ जरूर जोड़ें। ज़िन्दगी में adventure तो होना ही चाहिए ना ! वैसे साथियो, बारह साल की बेटी काम्या की सफलता के बाद, आप जब, 105 वर्ष की भागीरथी अम्मा की सफलता की कहानी सुनेंगे तो और हैरान हो जाएंगे। साथियो, अगर हम जीवन में प्रगति करना चाहते हैं, विकास करना चाहते हैं, कुछ कर गुजरना चाहते हैं, तो पहली शर्त यही होती है, कि हमारे भीतर का विद्यार्थी, कभी मरना नहीं चाहिए। हमारी 105 वर्ष की भागीरथी अम्मा, हमें यही प्रेरणा देती है। अब आप सोच रहे होंगे कि भागीरथी अम्मा कौन है ? भागीरथी अम्मा kerala के kollam में रहती है। बहुत बचपन में ही उन्होंने अपनी माँ को खो दिया। छोटी उम्र में शादी के बाद पति को भी खो दिया। लेकिन, भागीरथी अम्मा ने अपना हौसला नहीं खोया, अपना ज़ज्बा नहीं खोया। दस साल से कम उम्र में उन्हें अपना school छोड़ना पड़ा था। 105 साल की उम्र में उन्होंने फिर school शुरू किया। पढाई शुरू की। इतनी उम्र होने के बावजूद भागीरथी अम्मा ने level-4 की परीक्षा दी और बड़ी बेसब्री से result का इंतजार करने लगी। उन्होंने परीक्षा में 75 प्रतिशत अंक प्राप्त किए। इतना ही नहीं, गणित में तो शत-प्रतिशत अंक हासिल किए। अम्मा अब और आगे पढ़ना चाहती हैं । आगे की परीक्षाएं देना चाहती हैं। ज़ाहिर है, भागीरथी अम्मा जैसे लोग, इस देश की ताकत हैं। प्रेरणा की एक बहुत बड़ी स्रोत हैं। मैं आज विशेष-रूप से भागीरथी अम्मा को प्रणाम करता हूँ। + diff --git a/pm-speech/440.txt b/pm-speech/440.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..d2c8a50492b0ab8cbb6d1f3e75e62a865ee22c2c --- /dev/null +++ b/pm-speech/440.txt @@ -0,0 +1,14 @@ +ज़रूरत बस अपनी इस पुरातन परंपरा को 21वीं सदी की आवश्यकताओं के हिसाब से ढालने की जरूरत है। अपने उत्पादों को और परिष्कृत करने- refine करने, उसमें समय के हिसाब से जरूरी बदलाव लाने, quality product बनाने की है। और ये तभी संभव है जब परंपरा से चल रहे इन उद्योगों को हम संस्थागत सपोर्ट दें। जब बदलती दुनिया, बदलते समय, बदलती मांग के अनुसार इन उत्पादों में भी ज़रूरी बदलाव करें। इसके लिए इन पारंपरिक उद्योगों से जुड़े साथियों को ट्रेनिंग, आर्थिक मदद, नई तकनीक और मार्केटिंग की सुविधा मिले ये बहुत ज़रूरी है। + +आप कल्पना कर सकते हैं, आज भारत हर वर्ष करोड़ो रूपयो से अधिक का टेक्निकल टेक्स्टाइल आयात करता है। लेकिन जितना कार्पेट हम एक्सपोर्ट करते हैं, उससे ज्यादा टेक्निकल टेक्स्टाइल हम इंपोर्ट करते हैं। इस स्थिति को बदलने के लिए इसके रॉ-मटीरियल यानि polymer fiber पर एंटी डंपिंग ड्यूटी इस बजट के अंदर खत्म कर दी गई है। टेक्स्टाइल की इस दुनिया से जुड़े लोग दशकों से इसकी मांग कर रहे थे, लेकिन उस काम को इस सरकार ने इस बार पूरा कर दिया है। इसके अलावा National Technical Textiles Mission भी शुरु किया गया है, जिस पर आने वाले 4 सालों में 1500 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। देश में टेक्निकल टेक्स्टाइल के निर्माण से जुड़ी ज़रूरी सुविधाओं का, इंफ्रास्ट्रक्चर का और skills का निर्माण किया जाएगा। + +इस साल के बजट में, यूपी में बन रहे डिफेंस कॉरिडोर के लिए भी करीब 3700 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। हाल में लखनऊ में दुनियाभर की डिफेंस कंपनियों ने यहां उद्योग लगाने की रुचि दिखाई है। कई कंपनियां समझौते भी कर चुकी हैं। इस डिफेंस कॉरिडोर से मौजूदा छोटे, लघु और मझोले उद्योगों को भी लाभ होगा और अनेक नए लघु उद्योगों के लिए भी रास्ता खुलेगा। इस कॉरिडोर के निर्माण के दौरान रोज़गार के हजारों नए अवसर भी बनेंगे। + +New India की एक पहचान, wealth creators पर विश्वास, उनका सम्मान भी है। आज कोशिश ये की जा रही है कि सामान्य जन को और सामान्य कारोबारी को कागजों के, दस्तावेज़ों के बोझ से मुक्त किया जाए। सरकारी प्रक्रियाएं उलझाने के बजाय सुलझाने वाली हों, रास्ता दिखाने वाली हों, इसके लिए काम किया जा रहा है। यहां जो MSMEs से जुड़े उद्यमी साथी हैं, आपकी ऑडिट वाली एक बहुत बड़ी शिकायत रहती थी। सिर्फ 1 करोड़ रुपए तक के टर्नओवर वाले उद्योगो में भी आपको कागज़ों में उलझे रहना पड़ता था। और Chartered Accountant रखवाना पड़ता था, ऑडिट का certificate लेना पड़ता था कितना अनावश्यक खर्च और समय की भी बर्बादी इन सब चीज़ों पर करना पड़ता था। इस बजट में आपको इससे मुक्ति मिली है। अब ऑडिट सिर्फ 5 करोड़ से अधिक टर्नओवर वाले उद्योगो के लिए ही रखा गया है। + +यही नहीं, सरकारी खरीद से लेकर लॉजिस्टिक्स तक भी अनेक ऐसे निर्णय लिए गए हैं, जिनका सीधा लाभ छोटे और मझोले उद्योगों को होने वाला है। गवर्नमेंट E-market place यानि GeM के बनने से सरकार को सामान बेचने में छोटे उद्यमियों को बहुत आसानी हुई है। इससे सरकारी खरीद में पारदर्शिता भी आई है। अब इस सिस्टम को और आसान बनाने के लिए Unified Procurement System बनाने की घोषणा की गई है। इससे सरकार छोटे उद्यमियों के द्वारा दी जाने वाले Goods, Services और works, सभी को एक ही प्लेटफॉर्म से procure कर पाएगी। + +टैक्स सिस्टम में सुधार, चाहे वो इनकम टैक्स हो, कॉरपोरेट टैक्स हो या फिर GST हो, इसका भी व्यापक लाभ आप सभी को, देश के हर साथी को होने वाला है। देश के Wealth Creators को अनावश्यक परेशानी ना हो, इसके लिए पहली बार टैक्सपेयर्स चार्टर बनाया जा रहा है। दुनिया के बहुत देश होंगे जहां इस प्रकार की सोच नही है इससे टैक्स पेयर के अधिकार तय होंगे। टैक्स पेयर को इसके कारण सामने से कोई भी आएगा तो उसको पूछने की ताकत मिलेगी। एक वह प्रकार से बहुत बड़ा assurance टैक्स पेयर को मिल रहा है। टैक्स कलेक्शन को faceless किया जा रहा है।  देश में मैन्युफेक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए टैक्स को 15 प्रतिशत तक किया गया है। आज भारत दुनिया के उन बहुत कम देशों में हैं जहां कॉर्पोरेट टैक्स की दरें इतनी कम हैं। Investors को आसानी हो, इसके लिए एक Investment Clearance Cell बनाने की भी योजना है। ये एक ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से काम करेगा। इससे निवेशकों को सेंटर और स्टेट लेवल पर ज़रूरी क्लीयरेंस और जरूरी जानकारी लेना आसान हो जाएगा। + +ये तमाम कदम हर भारतीय के लिए, हर स्टेक होल्डर के लिए, हर निवेशक के लिए, हर उद्यमी के हित में हैं। देश को 5 ट्रिलियन डॉलर के लक्ष्य तक पहुंचाने के लिए जो भी कदम उठाने होंगे, वो आगे भी उठाए जाएंगे। हमारे बुनकरों, हस्तशिल्पियों, छोटे उद्योग से जुड़े श्रमिकों के हित में लिए जा रहे फैसले आगे भी होते ही रहेंगे। चाहे वो केंद्र की सरकार हो या फिर उत्तर प्रदेश की सरकार हो, हमारी तरफ से कोई कसर नहीं रहेगी। भारत को Manufacturing Powerhouse बनाने, और Products को दुनियाभर में पहुंचाने के लिए हम सब मिलकर के काम करेंगे। + diff --git a/pm-speech/441.txt b/pm-speech/441.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..7f831f6d45c1cd68fd4e864329dce5aad4f10c2a --- /dev/null +++ b/pm-speech/441.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +काशी आस्था और आध्यात्म के साथ-साथ ज्ञान का भी मुख्य केंद्र रहा है। बीते 5 वर्षों में BHU जैसे ज्ञान और विज्ञान के बड़े सेंटर को विस्तार दिया गया है। आज भी यहां वैदिक ज्ञान-विज्ञान से लेकर आधुनिक चिकित्सा से जुड़ी अनेक सुविधाओं का लोकार्पण किया गया है। आज वाराणसी, पूर्वांचल का बहुत बड़ा मेडिकल HUB बनकर उभर रहा है। यहां कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के आधुनिक इलाज के लिए कई अस्पताल तैयार हो चुके हैं। पहले जिन बीमारियों के इलाज के लिए दिल्ली और मुंबई जैसे बड़े शहरों में जाना पड़ता था, उनका इलाज अब यहीं पर मिल रहा है। इसका व्यापक लाभ उत्तर प्रदेश के साथ-साथ पूर्वी भारत के बहुत बड़े हिस्से को हो रहा है। BHU में आज जिस सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल का लोकार्पण हुआ है, उसका शिलान्यास तो 2016 के आखिरी में, मैंने ही किया था। सिर्फ 21 महीने में 430 बेड का ये अस्पताल बनकर काशी और पूर्वांचल के लोगों की सेवा के लिए तैयार हुआ है। कबीरचौरा में जिला महिला चिकित्सालय में 100 बेड के मैटरनिटी विंग से शहर की महिलाओं को बहुत मदद मिलेगी। मैं योगी जी और उनकी टीम को बधाई दूंगा कि पूरे उत्तर प्रदेश में मेडिकल कॉलेज और आयुष्मान योजना के तहत हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स बनाने पर फोकस किया जा रहा है। इसके साथ-साथ शुद्ध पीने के पानी और स्वच्छता को लेकर भी जो प्रयास बीते 2-3 वर्षों में यहां हुए हैं, उससे एनसेफेलाइटिस जैसी बीमारियों से निपटने में बहुत सहायता मिली है। + +दीन दयाल जी कहते थे कि आत्म निर्भरता और स्वयं सहायता सभी योजनाओं के केंद्र में होनी चाहिए। उनके इन विचारों को सरकार की योजनाओं और सरकार की कार्य संस्कृति में निरंतर लाने का प्रयास किया जा रहा है। आप देखिए, मेक इन इंडिया के केंद्र में आत्मनिर्भरता है। आज रेल के डिब्बों से लेकर, मोबाइल फोन और सेना के लिए आधुनिक अस्त्र-शस्त्र तक भारत में बनने लगे हैं। पूर्वांचल सहित पूरे यूपी में भी अनेक नई फैक्ट्रियां बीते 5 वर्ष में लगी हैं। + +इसी तरह, स्टार्ट अप इंडिया के केंद्र में भी आत्मनिर्भरता है। बीते 5 वर्षों में लगभग 26 हज़ार नए स्टार्ट अप रजिस्टर हुए हैं, जिससे भारत के युवाओं ने ही भारत के लाखों युवाओं को रोज़गार देने का काम किया है। मुद्रा योजना के केंद्र में भी आत्मनिर्भरता और स्वयं सहायता है। इस योजना ने पूरे देश में लगभग साढ़े 5 करोड़ नए उद्यमी तैयार किए हैं। करीब 3 हज़ार करोड़ रुपए का मुद्रा ऋण वाराणसी के ही लगभग साढ़े 6 लाख साथियों को मिला है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के मूल में भी स्वयं सहायता ही है। इसके तहत यूपी के लगभग 2 करोड़ किसानों को करीब 12 हजार करोड़ रुपए उनके खाते में ट्रांसफर किए जा चुके हैं। + diff --git a/pm-speech/442.txt b/pm-speech/442.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..387cb0cb2a17748dba2978cc7e5a7db989426944 --- /dev/null +++ b/pm-speech/442.txt @@ -0,0 +1,4 @@ +देश सिर्फ सरकार से नहीं बनता बल्कि एक-एक नागरिक के संस्कार से बनता है। नागरिक के संस्कार को उसकी कर्तव्य भावना श्रेष्ठ बनाती है। एक नागरिक के रूप में हमारा आचरण ही भारत के भविष्य को तय करेगा, नए भारत की दिशा तय करेगा। हमारी सनातन परंपरा में तो “धर्म” शब्द ही कर्तव्य का पर्याय रहा है। और वीरशैव संतों ने तो सदियों से धर्म की शिक्षा कर्तव्यों के साथ ही दी है। जंगमबाड़ी मठ हमेशा से इन्हीं मूल्यों के सृजन में लगा हुआ है। कितने ही शिक्षण संस्थानों के लिए मठ ने जमीन दान की हैं, संसाधन उपलब्ध कराए हैं। मठों द्वारा दिखाए रास्ते पर चलते हुए, संतों द्वारा दिखाए रास्ते पर चलते हुए, हमें अपने जीवन के संकल्प पूरे करने हैं और राष्ट्र निर्माण में भी अपना पूरा सहयोग करते चलना है। भगवान बसवेश्वर जिस करुणा भाव के साथ दूसरों की सेवा के लिए कहते थे, हमें उस करुणा भाव के साथ आगे बढ़ना है। हमें देश के संकल्पों के साथ खुद को जोड़ना है। + +देश में इतने बड़े अभियानों को सिर्फ सरकारों के माध्यम से नहीं चलाया जा सकता। सफलता के लिए बहुत आवश्यक है जनभागीदारी। बीते 5-6 वर्षों में अगर गंगाजल में अभूतपूर्व सुधार देखने को मिल रहा है तो इसके पीछे भी जनभागीदारी का बहुत महत्व है। मां गंगा के प्रति आस्था और दायित्व का भाव आज अभूतपूर्व स्तर पर है। आज गंगा जी के इर्द-गिर्द बसे गांवों, कस्बों और शहरों में मां गंगा के प्रति दायित्व का बोध अभूतपूर्व स्तर पर है। इस दायित्व बोध ने, कर्तव्यबोध ने, मां गंगा की स्वच्छता में, नमामि गंगे मिशन में बहुत योगदान दिया है। नमामि गंगे अभियान के तहत 7 हजार करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट्स पर काम पूरा हो चुका है। 21 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक के प्रोजेक्ट्स पर कार्य प्रगति पर है। जिन प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा है उनको भी हम तेज़ी से पूरा करने का प्रयास कर रहे हैं। + diff --git a/pm-speech/443.txt b/pm-speech/443.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..387cb0cb2a17748dba2978cc7e5a7db989426944 --- /dev/null +++ b/pm-speech/443.txt @@ -0,0 +1,4 @@ +देश सिर्फ सरकार से नहीं बनता बल्कि एक-एक नागरिक के संस्कार से बनता है। नागरिक के संस्कार को उसकी कर्तव्य भावना श्रेष्ठ बनाती है। एक नागरिक के रूप में हमारा आचरण ही भारत के भविष्य को तय करेगा, नए भारत की दिशा तय करेगा। हमारी सनातन परंपरा में तो “धर्म” शब्द ही कर्तव्य का पर्याय रहा है। और वीरशैव संतों ने तो सदियों से धर्म की शिक्षा कर्तव्यों के साथ ही दी है। जंगमबाड़ी मठ हमेशा से इन्हीं मूल्यों के सृजन में लगा हुआ है। कितने ही शिक्षण संस्थानों के लिए मठ ने जमीन दान की हैं, संसाधन उपलब्ध कराए हैं। मठों द्वारा दिखाए रास्ते पर चलते हुए, संतों द्वारा दिखाए रास्ते पर चलते हुए, हमें अपने जीवन के संकल्प पूरे करने हैं और राष्ट्र निर्माण में भी अपना पूरा सहयोग करते चलना है। भगवान बसवेश्वर जिस करुणा भाव के साथ दूसरों की सेवा के लिए कहते थे, हमें उस करुणा भाव के साथ आगे बढ़ना है। हमें देश के संकल्पों के साथ खुद को जोड़ना है। + +देश में इतने बड़े अभियानों को सिर्फ सरकारों के माध्यम से नहीं चलाया जा सकता। सफलता के लिए बहुत आवश्यक है जनभागीदारी। बीते 5-6 वर्षों में अगर गंगाजल में अभूतपूर्व सुधार देखने को मिल रहा है तो इसके पीछे भी जनभागीदारी का बहुत महत्व है। मां गंगा के प्रति आस्था और दायित्व का भाव आज अभूतपूर्व स्तर पर है। आज गंगा जी के इर्द-गिर्द बसे गांवों, कस्बों और शहरों में मां गंगा के प्रति दायित्व का बोध अभूतपूर्व स्तर पर है। इस दायित्व बोध ने, कर्तव्यबोध ने, मां गंगा की स्वच्छता में, नमामि गंगे मिशन में बहुत योगदान दिया है। नमामि गंगे अभियान के तहत 7 हजार करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट्स पर काम पूरा हो चुका है। 21 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक के प्रोजेक्ट्स पर कार्य प्रगति पर है। जिन प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा है उनको भी हम तेज़ी से पूरा करने का प्रयास कर रहे हैं। + diff --git a/pm-speech/444.txt b/pm-speech/444.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..46f99b26debd7d386782184b7dec47e797b42dca --- /dev/null +++ b/pm-speech/444.txt @@ -0,0 +1,20 @@ +इस बार की थीम आपने India Action Plan 20-20 रखी है।लेकिन आज का India तो पूरे दशक के Action Plan पर काम कर रहा है। हां, तरीका 20-20 वाला है और इरादा, पूरी सीरीज में अच्छे परफॉर्मेंस का, नए रिकॉर्ड्स बनाने का और इस सीरीज को भारत की सीरीज बनाने का है। दुनिया का सबसे युवा देश, अब तेजी से खेलने के मूड में है। सिर्फ 8 महीने की सरकार ने फैसलों की जो सेंचुरी बनाई है, वो अभूतपूर्व है। आपको अच्छा लगेगा, आपको गर्व होगा कि भारत ने इतने तेज फैसले लिए, इतनी तेजी से काम हुआ। + +मैं कभी कभार Times Now पर देखता हूं, News 30, इतने मिनट में इतनी खबरें। ये कुछ वैसा ही हो गया। और ये भी सैंपल ही है। इस सैंपल से ही आपको लग गया होगा कि The Actual Action begins here!!! मैं Non-Stop ऐसे अनेकों फैसले और भी गिना सकता हूं। सिर्फ सेंचुरी नहीं, डबल सेंचुरी लग सकती है। लेकिन ये फैसले गिनाकर, मैं जिस Point पर आपको ले जाना चाहता हूं, उसे समझना भी जरूरी है। + +आज भारत की Economy करीब 3 ट्रिलियन डॉलर की है। यहां इतने Informed लोग हैं। मैं आपसे एक और सवाल पूछता हूं। क्या आपने कभी सुना था कि देश में कभी 3 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी तक पहुंचने का लक्ष्य रखा गया था। नहीं न। हम 70 साल में 3 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचे। पहले न किसी ने सवाल पूछा कि इतना समय क्यों लगा और न ही किसी ने जवाब दिया। अब हमने लक्ष्य रखा है, सवालों का भी सामना कर रहे हैं और इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए जी-जान से जुटे भी हैं। ये भी पहले की सरकारों औऱ हमारी सरकार के काम करने के तरीके का फर्क है। दिशाहीन होकर आगे बढ़ने से अच्छा है कि मुश्किल लक्ष्य तय करके उसे प्राप्त करने की कोशिश की जाए। अभी हाल में जो बजट आया है, वो देश को इस लक्ष्य की प्राप्ति में, 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनाने में और मदद करेगा। + +इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए ये बहुत आवश्यक है कि भारत में मैन्यूफैक्चरिंग बढ़े, Export बढ़े। इसके लिए सरकार ने अनेक फैसले लिए हैं। देशभर में इलेक्ट्रॉनिक, मेडिकल डिवाइस और टेक्नोलॉजी क्लस्टर बनाने का फैसला किया है। नेशनल टेक्नीकल टेक्सटाइल मिशन से भी इसे सहयोग मिलेगा। हम जो एक्सपोर्ट करेंगे, उसकी क्वालिटी बनी रहे, इसके लिए भी नीतिगत निर्णय लिए गए हैं। + +Make In India, भारत की अर्थव्यवस्था को, देश के छोटे से छोटे उद्यमियों के लिए बहुत बड़ी मदद कर रहा है। विशेषकर इलेक्ट्रॉनिक्स Items की मैन्यूफैक्चरिंग में तो भारत ने अभूतपूर्व तेजी दिखाई है। वर्ष 2014 में देश में 1 लाख 90 हजार करोड़ रुपए के इलेक्ट्रॉनिक Items का निर्माण हुआ था। पिछले साल ये बढ़कर 4 लाख 60 हजार करोड़ रुपए तक पहुंच गया है। सोचिए, 2014 में भारत में मोबाइल बनाने वाली सिर्फ 2 कंपनियां थीं। आज भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल निर्माता देश है। + +अर्थव्यवस्था को मजबूती देने की कोशिशों के साथ ही, इसी से जुड़ा एक और महत्वूपूर्ण विषय है, देश में Economic Activity के उभरते हुए नए सेंटर्स। ये नए सेंटर्स क्या हैं? ये सेंटर्स हैं हमारे छोटे शहर, Tier-2. Tier-3 Cities. सबसे ज्यादा गरीब इन्हीं शहरों में है, सबसे बड़ा मध्यम वर्ग इन्हीं शहरों में है। आज देश के आधे से अधिक डिजिटल ट्रांजेक्शन छोटे शहरों में हो रहे हैं। आज देश में जितने स्टार्टअप्स रजिस्टर हो रहे हैं, उनमें से आधे टीयर-2., टीयर-3 शहरों में ही हैं। और इसलिए पहली बार किसी सरकार ने छोटे शहरों की भी Economic Growth पर ध्यान दिया है। पहली बार किसी सरकार ने, इन छोटे शहरों के बड़े सपनों को सम्मान दिया है। आज, छोटे शहरों के बड़े सपनों को, नए नेशनल हाईवे और एक्सप्रेसवे बुलंदी दे रहे हैं। उड़ान के तहत बन रहे नए एयरपोर्ट, नए एयर रूट्स उन्हें एयर कनेक्टिविटी से जोड़ रहे हैं। सैकड़ों की संख्या में इन शहरों में पासपोर्ट सेवा केंद्र खुलवाए गए हैं। + +हमारे देश में एक और क्षेत्र रहा है जिस पर हाथ लगाने में सरकारें बहुत हिचकती रही हैं। ये है टैक्स सिस्टम। बरसों से इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ था। अब तक हमारे यहां Process Centric टैक्स सिस्टम ही हावी रहा है। अब उसे People Centric बनाया जा रहा है। हमारा प्रयास टैक्स/जीडीपी रेशियो में बढ़ोतरी के साथ ही लोगों पर टैक्स का बोझ कम करना भी है। जीएसटी, इनकम टैक्स और कॉर्पोरेट टैक्स, हर दिशा में हमारी सरकार ने टैक्स में कटौती की है। पहले गुड्स एंड सर्विसेस पर ऐवरेज टैक्स रेट 14.4 परसेंट था, जोकि आज कम होकर 11.8 परसेंट हो गया है। इस बजट में ही इनकम टैक्स स्लैब्स को लेकर एक बड़ा ऐलान किया गया है। पहले टैक्स में छूट के लिए कुछ तय Investments ज़रूरी थे। अब आपको एक विकल्प दिया गया है। + +अकसर सरकार के ये प्रयास हेडलाइंस नहीं बन पाते लेकिन आज हम दुनिया के उन गिने चुने देशों में शामिल हो गए हैं, जहां टैक्स पेयर्स के अधिकारों को स्पष्टता से डिफाइन करने वाला टैक्सपेयर्स चार्टर भी लागू होगा। अब भारत में टैक्स Harassment बीते दिनों की बातें होने जा रही हैं। आधुनिक टेक्नोलॉजी की मदद से अब देश टैक्स Encouragement की दिशा में बढ़ रहा है। + +पिछले पाँच साल में देश में डेढ़ करोड़ से ज्यादा कारों की बिक्री हुई है। 3 करोड़ से ज्यादा भारतीय, बिजनेस के काम से या घूमने के लिए विदेश गए हैं। लेकिन स्थिति ये है कि 130 करोड़ से ज्यादा के हमारे देश में सिर्फ डेढ़ करोड़ लोग ही इनकम टैक्स देते हैं। इसमें से भी प्रतिवर्ष 50 लाख रुपए से ज्यादा आय घोषित करने वालों की संख्या लगभग 3 लाख है। आपको एक और आंकड़ा देता हूं। हमारे देश में बड़े-बड़े डॉक्टर हैं, लॉयर्स हैं, चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं, अनेक प्रोफेशनल्स हैं जो अपने-अपने क्षेत्र में छाए हुए हैं, देश की सेवा कर रहे हैं। लेकिन ये भी एक सच्चाई है कि देश में करीब सिर्फ 2200 प्रोफेशनल्स ही हैं जो अपनी सालाना इनकम को एक करोड़ रुपए से ज्यादा बताते हैं। पूरे देश में सिर्फ 2200 प्रोफेशनल्स !!! + +वर्ष 2022 में आजादी के 75 वर्ष होने जा रहे हैं। अपने संकल्पों को इस महान पर्व से जोड़िए, अपने कर्तव्यों को इस महान अवसर से जोड़िए। मेरा मीडिया जगत से भी एक आग्रह है। स्वतंत्र भारत के निर्माण में मीडिया की बहुत बड़ी भूमिका रही है। अब समृद्ध भारत के निर्माण में भी मीडिया को अपनी भूमिका का विस्तार करना चाहिए। जिस तरह मीडिया ने स्वच्छ भारत, सिंगल यूज प्लास्टिक पर जागरूकता अभियान चलाया, वैसे ही उसे देश की चुनौतियों, जरूरतों के बारे में भी निरंतर अभियान चलाते रहना चाहिए। आपको सरकार की आलोचना करनी हो, हमारी योजनाओं की गलतियां निकालनी हो, तो खुलकर करिए, वो मेरे लिए व्यक्तिगत तौर पर भी बहुत महत्वपूर्ण फीडबैक होता है, लेकिन देश के लोगों को निरंतर जागरूक भी करते रहिए। जागरूक, सिर्फ खबरों से ही नहीं बल्कि देश को दिशा देने वाले विषयों से भी। + diff --git a/pm-speech/445.txt b/pm-speech/445.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..c2dcbd5a8687365fd66450b257437033e1d1d071 --- /dev/null +++ b/pm-speech/445.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +आज प्रधानमंत्री राजपक्ष और मैंने हमारे द्विपक्षीय संबंधों के सभी पहलूओं और आपसी हित के अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की। आतंकवाद हमारे क्षेत्र में एक बहुत बड़ा ख़तरा है। हम दोनों देशों ने इस समस्या का डट कर मुकाबला किया है। पिछले साल अप्रैल में श्रीलंका में “ईस्टर डे” पर दर्दनाक और बर्बर आतंकी हमले हुए थे। ये हमले सिर्फ़ श्रीलंका पर ही नहीं, पूरी मानवता पर भी आघात थे। और इसलिए, आज की हमारी बातचीत में हमने आतंकवाद के ख़िलाफ़ अपना सहयोग और बढ़ाने पर चर्चा की। मुझे इस बात पर प्रसन्नता है कि भारत के प्रमुख ट्रेनिंग संस्थानों में आतंकवाद विरोधी कोर्सेज में श्रीलंका के पुलिस अधिकारियों ने हिस्सा लेना शुरू किया है। दोनों देशों की एजेंसीज के बीच संपर्क और सहयोग को और अधिक मजबूत करने के लिए भी हम प्रतिबद्ध हैं। + diff --git a/pm-speech/446.txt b/pm-speech/446.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..091944f68402edcf2fd651b91446917a3127c10c --- /dev/null +++ b/pm-speech/446.txt @@ -0,0 +1,14 @@ +आज का दिन उन हज़ारों शहीदों को याद करने का है, जिन्होंने देश के लिए अपने कर्तव्य पथ पर जीवन बलिदान किया। आज का दिन बोडोफा उपेंद्रनाथ ब्रह्मा जी, रूपनाथ ब्रह्मा जी, जैसे यहां के सक्षम नेतृत्‍व के योगदान को याद करने का है, उनको नमन करने का है। आज का दिन, इस समझौते के लिए बहुत सकारात्मक भूमिका निभाने वाले All Bodo Students Union (ABSU), National Democratic Front of Bodoland (NDFB) से जुड़े तमाम युवा साथियों, BTC के चीफ श्री हगरामा माहीलारे और असम सरकार की प्रतिबद्धता आप सब न सिर्फ मेरी त‍रफ से अभिनंदन के अधिकारी हैं लेकिन पूरे हिंदुस्‍तान की तरफ से अभिनंदन के अधिकारी हैं। आज 130 करोड़ हिंदुस्‍तानी आपको बधाई दे रहे हैं। आपका अभिनंदन कर रहे हैं, आपका धन्‍यवाद कर रहे हैं। + +अब सरकार का प्रयास है कि असम अकॉर्ड की धारा-6 को भी जल्द से जल्द लागू किया जाए। मैं असम के लोगों को आश्वस्त करता हूं कि इस मामले से जुड़ी कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद केंद्र सरकार और त्वरित गति से कार्रवाई करेगी। हम लटकाने-भटकाने वाले लोग नहीं हैं। हम जिम्‍मेवारी लेने वाले स्‍वभाव के लोग हैं। इसलिए अनेक सालों से आसाम की जो बात लटकी पड़ी थी, अटकी पड़ी थी, भटका दी गई थी उसको भी हम पूरा करके रहेंगे। + +जिस नॉर्थ ईस्ट में लगभग हर क्षेत्र में Armed Forces Special Power Act लगा हुआ था, अब हमारे आने के बाद यहां त्रिपुरा, मिजोरम, मेघालय और अरुणाचल प्रदेश का ज्यादातर हिस्सा AFSPA से मुक्त हो चुका है। जिस नॉर्थ ईस्ट में उद्यमी निवेश के लिए तैयार नहीं होता था, Investment के लिए नहीं होता था। अब यहां निवेश होना शुरू हुआ है, नये उद्यम शुरू हुए हैं। + +जिस नॉर्थ ईस्ट में उद्यमी निवेश के लिए तैयार नहीं होते थे, अब यहां निवेश होना शुरू हुआ है, नए उद्यम शुरू हुए हैं। जिस नॉर्थ ईस्ट में अपने-अपने होमलैंड को लेकर लड़ाइयां होती थीं, अब यहां एक भारत-श्रेष्ट भारत की भावना मजबूत हुई है। जिस नॉर्थ ईस्ट में हिंसा की वजह से हजारों लोग अपने ही देश में शरणार्थी बने हुए थे, अब यहां उन लोगों को पूरे सम्मान और मर्यादा के साथ बसने की नई सुविधाएं दी जा रही हैं। जिस नॉर्थ ईस्ट में देश के बाकी हिस्से के लोग जाने से डरते थे, अब उसी को अपना Next Tourist Destination बनाने लगे हैं। + +नॉर्थ ईस्ट में इतनी नदियां है, इतना व्‍यापक जल संसाधन है, नॉर्थ ईस्ट में इतनी नदियां हैं, इतना व्यापक जल संसाधन है, लेकिन 2014 तक यहां केवल एक वॉटर-वे था… एक। पानी से भरी हुई 365 दिन बहने वाली नदिया कोई देखने वाला नहीं था। अब यहां एक दर्जन से ज्यादा वॉटर-वे पर काम हो रहा है। पूर्वोत्‍तर के यूथ ऑफ एजूकेशन, स्किल और स्पोर्ट्स के नए संस्थानों से मजबूत करने पर भी ध्यान दिया गया है। इसके अलावा, नॉर्थ ईस्ट के students के लिए दिल्ली और बेंगलुरू में नए हॉस्टल्स बनाने का भी काम हुआ है। + +रेलवे स्‍टेशन हों, नए रेलवे रूट हों, नए एयरपोर्ट हों, नए वाटर-वे हों, या फिर Internet connectivity आज जितना काम नॉर्थ ईस्ट में हो रहा है। उतना पहले कभी नहीं हुआ। हम दशकों पुराने लटके हुए प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के साथ ही, नए प्रोजेक्ट्स को भी तेज गति से पूरा करने का प्रयास कर रहे हैं। तेजी से पूरे होते ये प्रोजेक्ट्स नॉर्थ ईस्ट में कनेक्टिविटी सुधारेंगे, टूरिज्म सेक्टर मजबूत करेंगे और रोजगार के लाखों नए अवसर भी बनाएंगे। अभी पिछले ही महीने, नॉर्थ ईस्ट के आठ राज्यों में चलने वाली गैस ग्रिड परियोजना के लिए करीब-करीब 9 हजार करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए हैं। + +पिछले साल ही नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा और सरकार के बीच एक समझौता हुआ और मैं समझता हूं कि समझौता भी बहुत महत्वपूर्ण कदम था। NLFT पर 1997 से ही प्रतिबंध लगा हुआ था। बरसों तक ये संगठन हिंसा का मार्ग अपनाता रहा था। हमारी सरकार ने वर्ष 2015 में NLFT से बातचीत करना शुरू की थी। उनको विश्‍वास में लेने का प्रयास किया। बीच में कुछ लोगों को रखकर के मदद ली। इसके कुछ समय बाद ये लोग भी जो बम-बंदूक, पिस्‍तौल में ही विश्‍वास रखते थे… सब कुछ छोड़ दिया और हिंसा फैलानी बंद कर दी थी। निरंतर प्रयास के बाद पिछले साल 10 अगस्त को हुए समझौते के बाद ये संगठन हथियार छोड़ने और भारत के संविधान का पालन करने के लिए तैयार हो गया, मुख्‍यधारा में आ गए। इस समझौते के बाद NLFT के दर्जनों कैडर्स ने आत्मसमर्पण कर दिया था। + diff --git a/pm-speech/447.txt b/pm-speech/447.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..b7e7da33eb35579420ca2dfeac85b5d5143d3cfc --- /dev/null +++ b/pm-speech/447.txt @@ -0,0 +1,48 @@ +और इसके बाद माननीय अध्‍यक्ष जी, अगर कांग्रेस के रास्‍ते हम चलते तो पचास साल के बाद भी शत्रु संपत्ति काननू का इंतजार देश को करते रहना पड़ता। 35 साल बाद भी next generation लड़ाकू विमान का इंतजार देश को करते रहना पड़ता। 28 साल के बाद भी बेनामी संपत्ति कानून लागू नहीं होता। 20 साल बाद भी चीफ ऑफ डिफेंस की नियुक्ति नहीं हो पाती। + +माननीय अध्‍यक्ष जी, हमारी सरकार तेज गति की वजह से और हमारा मकसद है हम एक नई लकीर बनाकर के लीक से हटकर के चलना चाहते हैं। और इसलिए हम इस बात को भली-भांति समझते है कि आजादी के 70 साल बाद देश लंबा इंतजार करने के लिए तैयार नहीं है और नहीं होना चाहिए। और इसलिए हमारी कोशिश है कि स्‍पीड भी बड़े, स्‍केल भी बढ़े। determination भी हो और decision भी हो। sensitivity भी हो or solution भी हो। हमने जिस तेज गति से काम किया है। और उस तेज गति से काम का परिणाम है कि देश की जनता ने पांच साल में देखा और देखने के बाद उसी तेज गति से आगे बढ़ने के लिए अधिक ताकत के साथ हमें फिर से खड़ा करने का मौका दिया। + +अगर ये तेज गति न होती तो 37 करोड़ लोगों के बैंक अकाऊंट इतने कम समय में नहीं खुलते। अगर गति तेज न होती तो 11 करोड़ लोगों के घरों में शौचालय का काम पूरा नहीं होता। अगर गति तेज नहीं होती तो 13 करोड़ परिवारों में गैस का चूल्‍हा नहीं जलता। अगर गति तेज न होती तो 2 करोड़ नए घर नहीं बनते गरीबों के लिए। अगर गति तेज न होती तो लंबे अरसे से अटके हुए दिल्‍ली की 1700 से ज्‍यादा अवैध कॉलोनियां, 40 लाख से अधिक लोगों की जिंदगी जो अधर में लटकी हुई थी। वो काम पूरा नहीं होता। आज उन्‍हें अपने घर का हक भी मिल गया है। + +माननीय अध्‍यक्ष जी, यहा पर नॉर्थ ईस्‍ट की भी चर्चा हुई है। नॉर्थ ईस्‍ट को कितने दशकों तक इंतजार करना पड़ा वहां पर राजनीतिक समीकरण बदलने का सामर्थ्‍य हो इतनी स्थिति नहीं है और इसीलिए राजनीतिक तराजू से जब निर्णय होते रहे तो हमेशा ही वो क्षेत्र अपेक्षित रहा है। हमारे लिए नॉर्थ ईस्‍ट वोट के तराजू से तोलने वाला क्षेत्र नहीं है। भारत की एकता और अखंडता के साथ दूर-दराज क्षेत्र में बैठे हुए भारत के नागरिकों के लिए और उनके सामर्थ्‍य का भारत के विकास के लिए उपयुक्‍त उपयोग हो, शक्तियों के काम आए देश को आगे बढ़ाने में काम आए इस श्रद्धा के साथ वहां के एक एक नागरिक के प्रति अपार विश्‍वास के साथ आगे बढ़ने का हमारा प्रयास रहा है। + +और इसी के कारण नॉर्थ ईस्ट में गत पांच वर्ष में जो कभी उनको दिल्ली उन्हें दूर लगती थी, आज दिल्ली उनके दरवाजे पर जाकर खड़ी हो गई है। लगातार मंत्री ऑफिस का दौरा करते रहे। रात-रात भर वहां रुकते रहे। छोटे-छोटे इलाके में जाते रहे टीयर-2, टीयर-3 छोटे इलाकों में गए लोगों से संवाद किया उनमें लगातार विश्‍वास पैदा किया। और विकास की जो आवश्‍यकताए होती थी 21वीं सदी से जुड़ी हुई चाहे बिजली की बात हो, चाहे रेल की बात हो, चाहे हवाई अड्डे की बात हो, चाहे मोबाइल कनेक्टिविटी की बात हो, ये सब करने का हमने प्रयास किया है। + +लेकिन इस बार के समझौते की एक विशेषता है। सभी हथियारी ग्रुपस एक साथ आए हैं, सारे हथियार और सारे अंडरग्राउंड लोग सरेंडर किए है।  और दूसरा उस समझौते के एग्रीमेंट में लिखा है कि इसके बाद बोडो समस्‍या से जुड़ी हुई कोई भी मांग बाकी नहीं है। नार्थ-ईस्‍ट में हम सबसे पहले सूरज तो पहले उगता है। लेकिन सुबह नहीं आती थी। सूरज तो आ जाता था। अंधेरा नहीं छंटता था। आज मैं कह सकता हूं कि आज नई सुबह भी आई है, नया सवेरा भी आया है, नया उजाला भी आया है। और वो प्रकाश, जब आप अपने चश्मे बदलोगे तब दिखाई देगा। + +कल यहां स्‍वामी विवेकानंद जी के कंधों से बंदूके फोड़ी गई। लेकिन मुझे एक पुरानी छोटी सी कथा याद आती है। एक बार कुछ लोग रेल में सफर कर रहे थे। और जब रेल में सफर कर रहे थे तो रेल जैसे गति पकड़ती थी जैसे पटरी में आवाज आती है… सबका अनुभव है। तो वहां बैठे हुए एक संत महात्‍मा थे तो उन्‍होंने कहा कि देखो पटरी में से कैसी आवाज आ रही है। ये निर्जीव पटरी भी हमे कह रही है कि प्रभु कर दे बेड़ा पार…. तो दूसरे संत ने कहा नहीं यार मैंने सुना मुझे तो सुनाई दे रहा है कि प्रभु तेरी लीला अपरम्पार….. प्रभु तेरी लीला अपरम्पार….. वहां एक मौलवी जी बैठे थे उन्‍होंने कहा कि मुझे तो सुनाई दे रहा है दूसरा… संतों ने कहा कि आपको क्‍या सुनाई दे रहा है उन्‍होंने कहा मुझे सुनाई दे रहा है या अल्‍लाह तेरी रहमत… या अल्‍लाह तेरी रहमत तो वहां एक पहलवान बैठे थे उन्‍होंने कहा मुझे भी सुनाई दे रहा है तो पहलवान ने कहा मुझे सुनाई दे रहा है। खा रबड़ी कर कसरत…  खा रबड़ी कर कसरत… + +हम जानते हैं कि डेढ़ गुना अलग से करने वाला विषय है। कितने लंबे समय से अटका हुआ था। हमारे समय का नहीं था पहले का था लेकिन ये किसानों के प्रति हमारी जिम्‍मेवारी थी कि उस काम को भी हमने पूरा कर दिया। मैं हैरान हूं। सिंचाई योजनाएं 20-20 साल से पड़ी हुई थीं। कोई पूछने वाला नहीं था। फोटो निकलवा दी बस काम हो गया। हम को ऐसी 99 योजनाएं को हाथ लगाना पड़ा। 1 लाख करोड़ रुपये से ज्‍यादा खर्च करके उनको logical end तक ले गए और अब किसानों को उसका फायदा होने शुरू होने लगा है। + +प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत इस व्‍यवस्‍था से किसानों में लगातार विश्‍वास पैदा हुआ है। किसानों की तरफ से करीब 13 हजार करोड़ रुपया प्रीमियम आया है। लेकिन प्राकृतिक आपदा के कारण जो नुकसान हुआ उसके तहत करीब 56 हजार करोड़ रुपये किसानों को बीमा योजना से प्राप्‍त हुआ है। किसान की आय बढ़े है ये हमारी प्राथमिकताएं हैं। Input cost कम हो ये प्राथमिकता है। और पहले एमएसपी के नाम पर क्‍या होता था हमारे देश में पहले 7 लाख टन दाल और तिलहन की खरीद हुई है। हमारे कार्यकाल में 100 लाख टन। e-nam योजना आज डिजिटल वर्ल्‍ड है हमारा किसान मोबाइल फोन से दुनिया के दाम देख रहा है, समझ रहा है। e-nam योजना के नाम किसान अपना बाजार में माल बेच सकते हैं। और मुझे खुशी है कि गांव का किसान इस व्‍यवस्‍था से करीब पौने 2 करोड़ किसान अब तक उससे जुड़ चुके हैं। और करीब-करीब 1 लाख करोड़ का कारोबार किसानों ने अपनी पैदावार का इस e-nam योजना से किया है। हमने किसान क्रेडिट कार्ड का विस्‍तार हो, इसके साथ-साथ अनेक allied activity चाहे पशु-पालन हो, मछली पालन हो, मुर्गी पालन हो। सौर ऊर्जा की तरफ जाने का प्रयास हो। सोलर पंप की बात हो। ऐसी नई अनेक चीजें जोड़ी हैं। जिसके कारण आज उसकी आर्थिक स्थिति में बहुत बड़ा बदलाव आया है। + +मैं मार्गदर्शन मानता हूं, प्रेरणा मानता हूं। और इसलिए मैं इन सारी बातों का स्‍वागत करता हूं। और स्‍वीकार करने का प्रयास भी करता हूं। और इसलिए इस प्रकार की जितनी बाते बताई गई है। इसके लिए तो मैं विशेष रूप से धन्‍यवाद करता हूं। क्‍योंकि क्‍यों नहीं हुआ, कब होगा, कैसे होगा, ये अच्‍छी बाते हैं। देश के लिए हम सोचते हैं। लेकिन पुरानी बातों के‍ बिना आज की बात को समझना थोड़ा कठिन होता है। अब हम जानते हैं कि हमारा पहले क्‍या कालखंड था। corruption आए दिन चर्चा होती थी हर अखबार की headline सदन में भी corruption पर ही लड़ाई चलती थी। तब भी यही बोला जाता था। Unprofessional banking कौन भूल सकता है। कमजोर Infrastructure policy कौन भूल सकता है। ये सारी स्थितियों में से बाहर निकलने के लिए हमने समस्‍याओं के समाधान खोजने की long term goal के साथ निश्चित दिशा पकड़ करके, निश्चित लक्ष्‍य पकड़ करके उसको पूरा करने का हमने लगातार प्रयास किया है। और मुझे विश्‍वास है कि इसी का परिणाम है कि आज इकोनॉमी में fiscal deficit  बनी है, महंगाई नियंत्रित रही है। और Macro Economy Stability भी बनी रही है। + +जीएसटी का बहुत बड़ा महत्‍वपूर्ण निर्णय हुआ, कॉरोपोरेट टेक्‍स कम करने की बात हो, IBC लाने की बात हो, FDI regime को liberalize करने की बात हो, बैंकों में recapitalization करने की बात हो, जो भी समय-समय पर आवश्‍यकता रही है। और जो भी दीर्धकालीन मजबूती के लिए जरूरत है। सारे कदम हमारी सरकार उठा रही है। उठाएगी और उसके लाभ भी आना शुरू हुए हैं। और वो रिफार्मस जिसकी चर्चा हमेशा हुई है। आपके यहां भी जो पंडित लोग थे वो यही कहते रहते थे। लेकिन कर नहीं पाते थे। अर्थशास्‍त्री भी जिन बातों की बातें करते थे आज एक के बाद एक उसको लागू करने का काम हमारी सरकार कर रही है। Investors का भरोसा बढ़े, आपकी अर्थव्‍यवस्‍था को मजबूती मिले उसको लेकर के भी हमने कई महत्‍वपूर्ण निर्णय किए हैं। + +2019 जनवरी से 2020 के बीच 6 बार जीएसटी Revenue एक लाख करोड़ से ज्‍यादा रहा है। अगर मैं FDI की बात करूं तो 2018 अप्रैल से सितंबर FDI 22 बिलियन डॉलर था। आज उसी अवधि में ये FDI 26 बिलियन डॉलर पार कर गया है। इस बात का सबक है कि विदेशी निवेशकों का भारत के प्रति विश्‍वास बड़ा है। भारत की अर्थव्‍यवस्‍था पर विश्‍वास बड़ा है। और भारत में आर्थिक क्षेत्र में अपार अवसर है। ये conviction बना है। तब जाकर के लोग आते हैं। और गलत अफवाहें फैलाने के बावजूद भी लोग बाहर निकल करके आ रहे हैं। ये भी बहुत बड़ी बात है। + +माननीय अध्‍यक्ष जी, मुद्रा योजना, स्‍टार्ट-अप इंडिया, स्‍टेंड-अप इंडिया, इन योजनाओं ने देश में स्‍वरोजगार को बहुत बड़ी ताकत दी है। इतना ही नहीं। इस देश में करोड़ो-करोड़ो लोग जो पहली बार मुद्रा योजना से लेकर के खुद तो रोजी-रोटी कमाने लगे। लेकिन किसी और एक को, दो को, तीन को रोजगार देने में सफल हुए। इतना ही नहीं पहली बार बैंको से जिनको धन मिला है मुद्रा योजना के अंतर्गत उसमें से 70 प्रतिशत हमारी माताएं-बहने हैं। जो इकोनॉमी एक्टिव के क्षेत्र में नहीं थीं। ये आज कहीं न कहीं इकोनॉमी बढ़ाने में योगदान दे रही हैं। 28 हजार से ज्‍यादा start-up recognize हुए हैं। और ये आज खुशी की बात है कि टीयर-2, 3 सीटी में हैं। यानी हमारे देश का युवा नए संकल्‍पों के साथ आगे बढ़ रहा है। मुद्रा योजना के तहत 22 करोड़ से ज्‍यादा ऋण स्‍वीकृत हुए हैं और करोड़ो युवाओं ने रोजगार पाया है। + +World Bank के data on entrepreneurs उसमें भारत का दुनिया कें अंदर तीसरा स्‍थान है। सितंबर 2017 से नवंबर 2019 की बीच ईपीएफओ पेरोल डाटा में एक करोड़ 49 लाख नए subscriber लाए। ये बिना रोजगार के पैसे जमा नहीं करता है ये…. मैंने एक कांग्रेस के नेता का कल घोषणा पत्र सुना। उन्‍होंने घोषणा की है कि 6 महीने में मोदी को डंडे मारेंगे। और ये…. ये बात सही कि काम बड़ा कठिन है। तो तैयारी के लिए 6 महीने तो लगते ही हैं। तो 6 महीने का तो अच्‍छा है। लेकिन मैं 6 महीने तय किया हूं कि रोज सुबह सुरज नमस्‍कार की संख्‍या बढ़ा दूंगा। ताकि अब तक करीब 20 साल से जिस प्रकार की गंदी गालिया सुन रहा हूं। और अपने आपको गाली-प्रूफ बना दिया है। 6 महीने ऐसे सुरज नमस्‍कार करूंगा ऐसे सुरज नमस्‍कार करूंगा कि मेरी पीठ को भी हर डंडे झेलने ताकत वाला बना दे। तो मैं आभारी हूं कि पहले से अनाउंस कर दिया गया है। कि मुझे ये 6 महीने exercise बढ़ाने का टाइम मिलेगा। + +आज हमने transparency के साथ 21वीं सदी आधुनिक भारत बनाने के लिए जो इन्फ्रास्ट्रक्चर खड़ा करते हैं उस पर बल दिया है। और हमारे लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं सिर्फ एक सीमेंट कंक्रीट का खेल नही है ये। मैं मानता हूं इन्फ्रास्ट्रक्चर एक भविष्‍य लेकर के आता है। करगील से कन्‍या कुमारी और कच्‍छ से कोहिमा इसको अगर जोड़ने का काम करने की ताकत होती तो इन्फ्रास्ट्रक्चर में होती है। aspiration or achievement को जोड़ने का काम इन्फ्रास्ट्रक्चर करता है। + +माननीय अध्‍यक्ष जी, मैं एक उदाहरण देना चाहता हूं… कि हमारे यहां इन्फ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में कैसे काम होता है। हमारे यहां इन्फ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में कैसे काम होता था, ये सिर्फ हमारा दिल्‍ली का ही विचार ले लीजिए ये दिल्‍ली में traffic, environment, or हजारों ट्रक दिल्‍ली के बीच से गुजर रहे हैं। 2009 में यूपीए सरकार का संकल्‍प था कि 2009 तक ये दिल्‍ली के surrounding जो expressway है इसको 2009 तक पूरा करने का यूपीए सरकार का संकल्‍प था। 2014 में हम आए।  तब तक कागज पर ही वो लकीरें बनकर वो पड़ा हुआ था। और 2014 के बाद मिशन मोड में हमने काम लिया और आज पैरिफेरल एक्‍सप्रेसवे का काम हो गया। 40 हजार से ज्‍यादा ट्रक जो आज यहां दिल्‍ली में नहीं आती सीधी बाहर से जाती हैं और दिल्‍ली को प्रदूषण से बचाने में एक अहम कदम ये भी है। लेकिन इन्फ्रास्ट्रक्चर का महत्‍व क्‍या होता है।  2009 तक पूरा करने का सपना 2014 तक कागज की लकीर बनकरके पड़ा रहा। ये अंतर है। उसको समझने के लिए थोड़ा टाइम लगेगा। + +माननीय अध्‍यक्ष जी, कुछ और विषयों को मैं जरा स्‍पष्‍ट करना चाहता हूं। शशि थरूर जी, गुस्‍ताखी होगी लेकिन फिर भी क्‍योंकि कुछ लोगों ने जरा बार-बार यहां पर संविधान बचाने की बाते की हैं। और मैं भी मानता हूं। कि संविधान बचाने की बात कांग्रेस को दिन में 100 बार बोलनी चाहिए। कांग्रेस के लिए मंत्र होना चाहिए। 100 बार संविधान बचाओ, संविधान बचाओ ये जरूरी है… क्‍योंकि संविधान के साथ कब क्‍या हुआ अगर संविधान का महात्‍मय समझते तो संविधान के साथ ये न हुआ होता। और इसलिए जितनी बार आप संविधान बोलेगे हो सकता है कुछ चीजे आपको आपकी गलतियों का अहसास करवा दें। आपके उन इरादों को अहसास करवा देगी और आपको सच में संविधान इस देश में महामूल्‍य है इसकी ताकत का अनुभव कराएगी। + +माननीय अध्‍यक्ष जी, कश्‍मीर की identity बम-बंदूक व अलगाववाद बना दी गई थी। 19 जनवरी, 1990, जो लोग identity की बात करते हैं; 19 जनवरी, 1990, वो काली रात, उसी दिन कुछ लोगों ने कश्‍मीर की identity को दफना दिया था। कश्‍मीर की identity सूफी परंपरा है, कश्‍मीर की identity सर्वपंत समभाव की है। कश्‍मीर के प्रतिनिधि मां लालदेड़, नंदऋषि, सैय्यद बुलबुल शाह, मीर सैय्यद अली हमदानी, ये कश्‍मीर की identity है। + +माननीय अध्‍यक्ष जी, हमारे देश में सिक्किम एक ऐसा प्रदेश है जिसने अपने-आपको एक आर्गेनिक स्‍टेट के रूप में उसने अपनी पहचान बनाई है। और एक प्रकार से देश के कई राज्‍यों को सिक्किम जैसे छोटे राज्‍य ने प्रेरणा दी है। सिक्किम के किसान, सिक्किम के नागरिक इसके लिए अभिनंदन के अधिकारी हैं। लद्दाख- मैं मानता हूं लद्दाख के विषय में मेरे मन में बहुत चित्र साफ है। और इसलिए हम चाहते हैं कि लद्दाख जिस प्रकार से हमारे पड़ोस में भूटान की भूरि-भूरि प्रशंसा होती है environment को लेकर, carbon neutral country के रूप में दुनिया में उसकी पहचान बनी है। हम देशवासी संकल्‍प करते हैं और हम सबको संकल्‍प करना चाहिए कि हम लद्दाख को भी एक carbon neutral इकाई के रूप में develop करेंगे। देश के लिए एक पहचान बनाएंगे। और उसका लाभ आने वाली पीढ़ियों को एक मॉडल के रूप में मिलेगा, ऐसा मुझे पूरा विश्‍वास है। और मैं जब लद्दाख जाऊंगा, इनको उनके साथ रह करके मैं इसका एक डिजाइन बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहा हूं। + +भारत के मुसलमानों को भड़काने के लिए पाकिस्‍तान ने कोई कसर छोड़ी नहीं। भारत के मुसलमानों को गुमराह करने के लिए पाकिस्‍तान ने हर खेल खेले हैं, हर रंग दिखाए हैं। और अब उनकी बात चलती नहीं है, पाकिस्‍तान की बात बढ़ नहीं पा रही है। तब, जब मैं हैरान हूं कि जिनको हिन्‍दुस्‍तान की जनता ने सत्‍ता के सिंहासन से घर भेज दिया, वो आज उस काम को कर रहे हैं जो कभी ये देश सोच भी नहीं सकता था। हमें याद दिलाया जा रहा है कि ;;;इंडिया का नारा देने वाले, जयहिंद का नारा देने वाले हमारे मुस्लिम ही थे। दिक्‍कत यही है कि कांग्रेस और उसकी नजर में ये लोग हमेशा ही सिर्फ और सिर्फ मुस्लिम थे। हमारे लिए, हमारी नजर में वो भारतीय हैं, हिन्‍दुस्‍तानी हैं। खान अब्‍दुल गफ्फार खान हो.. + +भूपेन्‍द्र कुमार दत्त एक समय में ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी में थे, उसके सदस्‍य थे। स्‍वतन्‍त्रता संग्राम के दौरान 23 साल उन्‍होंने जेल में बिताए थे। वो एक ऐसे महापुरुष थे जिन्‍होंने न्‍याय के लिए 78 दिन जेल के अंदर भुख-हड़ताल की थी और ये भी उनके नाम एक रिकॉर्ड है। विभाजन के बाद भूपेन्‍द्र कुमार दत्त पाकिस्‍तान में ही रुक गए थे। वहां की संविधान सभा के वो सदस्‍य भी थे। जब संविधान का काम चल ही रहा था, अभी तो संविधान का काम चल ही रहा था, शुरूआत ही हुई थी और उस समय भूपेन्‍द्र कुमार दत्त ने उसी संविधान सभा में जो कहा था, उसे आज मैं दोहराना चाहता हूं। क्‍योंकि जो लोग हम पर आरोप मढ़ रहे हैं उनके लिए ये समझना बहुत जरूरी है। + +भूपेन्‍द्र कुमार दत्त ने कहा था- So for as this side of Pakistan is concerned, the minorities are practically liquidated. Those of us who are here to live represent near a crore of people still left in East Bengal, live under a total sense of frustration. ये भूपेन्‍द्र कुमार दत्त ने बंटवारे के तुरंत बाद वहां की संविधान सभा में ये शब्‍द व्‍यक्‍त किया था। ये हालत थी, स्‍वतंत्रता के शुरूआत के दिनों से ही अल्‍पसंख्‍यकों की, वहां के अल्‍पसंख्‍यकों की। इसके बाद पाकिस्‍तान में स्थिति इतनी खराब हो गई कि भूपेन्‍द्र दत्त को भारत आ करके शरण लेनी पड़ी और बाद में उनका निधन भी ये मां भारती की गोद में हुआ। + +माननीय अध्‍यक्ष जी, नेहरूजी ने minority शब्‍द क्‍यों प्रयोग किया, ये आप बोलेंगे  नहीं क्‍योंकि आपको तकलीफ है। लेकिन नेहरूजी खुद इसका जवाब देकर गए हैं। नेहरूजी ने नेहरू-लियाकत समझौता साइन होने के एक साल पहले असम के तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री श्रीमान गोपीनाथ जी को एक पत्र लिखा था। और गोपीनाथजी को पत्र में जो लिखा था, उसे मैं कोट करना चाहता हूं। + +1963 में लोकसभा में, इसी सदन में और इसी जगह से, 1963 में Call attention motion हुआ। उस समय प्रधानमंत्री नेहरू तत्‍कालीन विदेश मंत्री के रूप में भी जिम्‍मेदारी संभाल रहे थे। Motion का जवाब देने के लिए विदेश राज्‍यमंत्री श्रीमान दिनेशजी जब बोल रहे थे तो आखिर में प्रधानमंत्री नेहरूजी ने बीच में उन्‍हें टोकते हुए कहा था- और उन्‍होंने जो कहा था, मैं कोट करता हूं- पूर्वी पाकिस्‍तान में वहां की अथॉरिटी हिंदुओं पर जबरदस्‍त दबाव बना रही है, ये प‍ंडित जी का वक्‍तव्‍य है। पाकिस्‍तान के हालात को देखते हुए, गांधीजी नहीं, नेहरूजी की भावना भी रही थी। इतने सारे दस्‍तावेज हैं, चिट्ठियां हैं, स्‍टैंडिग कमेटी की‍ रिपोर्ट है, सभी इसी तरह के कानून की वकालत करते रहे हैं। + diff --git a/pm-speech/448.txt b/pm-speech/448.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..41b9cfbb88ff1c9d78bf1f75837888062f9ea9e9 --- /dev/null +++ b/pm-speech/448.txt @@ -0,0 +1,40 @@ +माननीय सभापति जी, चर्चा का प्रारंभ करते हुए जब गुलाम नबी जी बात बता रहे थे, कुछ आक्रोश भी था, सरकार को कई बातों से कोसने का प्रयास भी था, लेकिन वो बहुत स्‍वाभाविक विषय है। लेकिन जब उन्‍होंने कुछ बातें ऐसी कहीं जो बेमेल थीं। अब जैसे उन्‍होंने कहा कि जम्‍मू-कश्‍मीर का फैसला सदन में बिना चर्चा के हुआ। देश ने टीवी पर पूरे दिनभर चर्चा देखी है, सुनी है। ये ठीक है कि 2 बजे तक कुछ लोग वैन में थे लेकिन बाहर से जब खबरें आने लगीं तो सब समझ गए कि भई अब जरा वापस जाना ही अच्‍छा है। देश ने देखा है, व्‍यापक चर्चा हुई है, विस्‍तार से चर्चा हुई है और विस्‍तार से चर्चा होने के बाद निर्णय किए गए हैं और सदन ने निर्णय किया है। सम्‍मानीय सदस्‍यों ने अपने वोट दे करके निर्णय किया है। + +लेकिन जब ये बात हम सुनाते हैं तो ये भी याद रखें, और आजाद साहब मैं आपकी यादाश्‍त को जरा ताजा कराना चाहता हूं। पुराने कारनामें इतना जल्‍दी लोग भूलते नहीं हैं। जब तेलंगना बना तब इस सदन का हाल क्‍या था। दरवाजे बंद कर दिए गए थे, टीवी का टेलिकास्‍ट बंद कर दिया गया था। चर्चा को तो कोई स्‍थान ही नहीं बचा था और जिस हालत में वो पारित किया गया था वो कोई भूल नहीं सकता है। और इसलिए हमें आप नसीहत दें आप वरिष्‍ठ हैं, लेकिन फिर भी सत्‍य को भी स्‍वीकार करना होगा। + +आदरणीय वाइको जी, उनकी एक स्‍टाइल है, बहुत इमोशनल रहते हैं हमेशा। उन्‍होंने कहा कि 5 अगस्त 2019 जम्‍मू-कश्‍मीर के लिए ब्‍लैक डे है। वाइको जी, ये ब्‍लैक डे नहीं है, ये आतंक और अलगाव को बढ़ावा देने वालों के लिए ब्लैक डे सिद्ध हो चुका है। वहां के लाखों परिवारों के लिए एक नया विश्‍वास, एक नई आशा की किरण आज नजर आ रही है। + +आदरणीय सभापति जी, यहां पर नॉर्थ-ईस्‍ट की भी चर्चा हुई है। आजाद साहब कह रहे हैं कि नॉर्थ-ईस्‍ट जल रहा है। अगर जलता होता तो सबसे पहले आपने अपने एमपीओ का डेलीगेशन वहां भेजा ही होता और प्रेस कॉन्‍फ्रेंस तो जरूर की होती, फोटो भी निकलवाई होती। और इसलिए मुझे लगता है कि आजाद साहब की जानकारी 2014 के पहले की है। और इसलिए मैं अपडेट करना चाहूंगा कि नॉर्थ-ईस्‍ट अभूतपूर्व शांति के साथ आज भारत की विकास यात्रा का एक अग्रिम भागीदार बना है। 40-40, 50-50 साल से नॉर्थ-ईस्‍ट में जो हिंसक आंदोलन चलते थे, blockade चलते थे और हर कोई जानता है कि कितनी बड़ी चिंता का विषय था। लेकिन आज ये आंदोलन समाप्‍त हुए हैं, blockade बंद हुए हैं और शांति की राहत पर पूरा नॉर्थ-ईस्‍ट आगे बढ़ रहा है। + +मैं एक बात का जरूर जिक्र करना चाहूंगा- करीब-करीब 30-25 साल से ब्रू जनजा‍ति की समस्‍या, आप भी वाकिफ हैं, हम भी वाकिफ हैं। करीब 30 हजार लोग अनिश्चितता की जिंदगी जी रहे थे। इतने छोटे से कमरे में, वो भी एक छोटा सा Hut बनाया हुआ temporary. जिसमें 100-100 लोगों को रहने के लिए मजबूर होना पड़ा। तीन-तीन दशक से ऐसा चल रहा था, यातनाएं कम नहीं हैं। और गुनाह कुछ नहीं था उनका। अब मजा देखिए, नॉर्थ-ईस्‍ट में बहुत-एक आपके ही दल की सरकारें थीं। अब त्रिपुरा में आपके साथी दल की सरकार थी, आपके मित्र थे, प्रिय मित्र। आपने चाहा होता तो मिजोरम सरकार आपके पास थी, त्रिपुरा में आपके मित्र बैठे थे, केन्‍द्र में आप बैठे थे। अगर आप चाहते तो ब्रू जनजाति की समस्‍या का सुखद समाधान ला सकते थे। लेकिन आज, इतने सालों के बाद उस समस्‍या का समाधान और स्‍थाई समाधान करने में हम सफल हुए हैं। + +टैक्‍स स्‍ट्रक्‍चर को ले करके सारे प्रोसेस को सरल करने के‍ लिए हमने लगातार प्रयास किया है। और दुनिया में भी ease of doing business ranking की बात हो या भारत में ease of living का विषय हो, हमने एक साथ दोनों को…बैंकिंग सेक्‍टर में मुझे बराबर याद है जब मैं गुजरात में था तो कई बड़े विद्वान जो एक आर्टिकल लिखते थे, वो कहते थे हमारे देश में बैंकों का merger करना चाहिए। और अगर ये हो जाए तो बहुत बड़ा रिफार्म माना जाएगा ये। ऐसा हमने कई बार पढ़ा है। ये सरकार है जिसने कई बैंकों का merger कर दिया, आसानी से कर दिया। और आज ताकतवर बैंकों का सेक्‍टर तैयार हो गया जो आने वाले देश की financial रीढ़ को मजबूती देगा, गति देगा। + +एक विषय ऐसी चर्चा आई कि जीएसटी में बार-बार बदलाव आया। इसको अच्‍छा मानें या बुरा मानें। मैं हैरान हूं, भारत के फैडरल स्‍ट्रक्‍चर की एक बहुत बड़ी अचीवमेंट है जीएसटी की रचना। अब राज्‍यों की भावनाओं का उसमें प्रकटीकरण होता है। कांग्रेसशासित राज्‍यों की तरफ से भी वहां विषय आते हैं। क्‍या हम ये कह करके बंद कर दें कि नहीं हमने जो किया वो फाइनल, सारी बुद्धि भगवान ने हमको ही दी है? हम कोई सुधार नहीं होगा, चलो, ऐसा करेंगे क्‍या? ऐसा हमारा विचार नहीं है, हमारा मत है समयानुकूल परिवर्तन जहां आवश्‍यक है करना चाहिए। इतना बड़ा देश है, इतने बड़े विषय हैं। जब राज्‍यों के बजट आते हैं सेल टैक्‍स में आपने देखा होगा कि बजट पूरा होते-होते सेल टैक्‍स हो या अन्‍य कोई taxes हों, कई चर्चाएं आती हैं और बाद में आखिर में बदलाव भी करने पड़ते हैं राज्‍यों को। अब वो विषय राज्‍यों से हट करके एक हो गया है तो जरा ज्‍यादा लगता है। + +मैं बताता हूं, मैं सुनाता हूं, आज आपको सुनना चाहिए। प्रणब दा जब वित्‍तमंत्री थे तब गुजरात आए थे, हमारी विस्‍तार से चर्चा हुई। मैंने उनसे पूछा कि दादा ये technology driven व्‍यवस्‍था है इसके विषय में क्‍या हुआ है। उसके बिना तो चल ही नहीं सकता है। तो दादा ने कहा, ठहरो भाई, तुम्‍हारा सवाल- उन्‍होंने अपने सचिव को बुलाया। और उन्‍होंने कहा, देखो भाई, ये मोदीजी क्‍या कह रहे हैं। तो मैंने कहा कि देखिए भाई ये तो technology driven व्‍यवस्‍था है तो टैक्‍नोलॉजी के बिना तो आगे बढ़ना नहीं है। तो उन्‍होंने कहा, नहीं, अभी-अभी हमने निर्णय किया है और हम किसी कंपनी को हायर करेंगे और हम करने वाले हैं। मैं उस समय की बात कर रहा हूं जब मुझे जीएसटी का कहने आए थे, तब भी ये व्‍यवस्‍था नहीं थी। दूसरी बात, तब मैंने कहा था कि आपको जीएसटी सफल करने के लिए जब मैन्‍युफैक्‍चरिंग स्‍टेट हैं उनकी कठिनाइयों को आपको address करना होगा। तमिलनाडु है, कर्नाटक है, गुजरात है, महाराष्‍ट्र है। By in large they are manufacturing states. जो उपभोग का राज्‍य है, जो कंज्‍यूमर स्‍टेट हैं उनके लिए इतनी मुश्किल नहीं है। और मैं आज बड़े गर्व से कहता हूं कि जब अरुण जेटली वित्‍त मंत्री थे उन्‍होंने इन बातों को address किया, इसका समाधान किया। उसके बाद जीएसटी में पूरा देश साथ चला है। + +आदरणीय सभापति जी, भारत की अर्थव्‍यवस्‍था में एक चीज है जो अभी भी बहुत उजागर बहुत कम हुई है, जिसकी तरफ ध्‍यान जाने की आवश्‍यकता है। देश में ये जो बड़ा बदलाव आ रहा है उसमें हमारे टीयर-2, टीयर-3 सिटी बहुत तेजी से proactively contribute कर रहे हैं। आप स्‍पोर्टस में देखिए टीयर-2, टीयर-3 सिटी के बच्‍चे आगे आ रहे हैं। आप शिक्षा में देखिए टीयर-2, टीयर-3 सिटी के बच्‍चे आ रहे हैं, आगे आ रहे हें । स्‍टार्टअप देखिए, टीयर-2, टीयर-3 सिटी में सबसे ज्‍यादा स्‍टार्टअप आगे बढ़ रहे हैं। + +उसी प्रकार से हमने बीते पांच वर्ष में सिर्फ सरकार ही नहीं बदली, हमने सोच भी बदली है हमने काम करने का तरीका भी बदला है। हमने अप्रोच भी बदली है। अब डिजिटल इंडिया की बात करें। broadband connectivity, अब broadband connectivity की बात आए तो पहले काम शुरू तो हुआ, योजना बन, लेकिन उस योजना का तरीका और सोच की इतनी मर्यादा रही कि सिर्फ 59 ग्राम पंचायत तक broadband connectivity पहुंची। आज पांच वर्ष में सवा लाख से अधिक गांवों में broadband connectivity पहुंच गई है। और सिर्फ broadband पहुंचना ही नहीं, पब्लिक स्‍कूल, गांव और दूसरे दफ्तरों तक और सबसे बड़ी बात कॉमन सर्विस सेंटर, उसको भी चालू किया गया है। + +रुपे कार्ड- रूपे कार्ड की शुरूआत आप लोगों को पता है। बहुत कम संख्‍या में, हजारों की संख्‍या में कुछ रुपे कार्ड थे और कहते हैं कि शायद ये डेबिट कार्ड वगैरह की दुनिया में point 6 पर्सेंट हमारा contribution रहा है, आज करीब 50 पर्सेंट पहुंचा है। और आज रुपे डेबिट कार्ड Internationally भी दुनिया के अनेक देशों में उसकी स्‍वीकृति बढ़ती चली जा रही है, तो भारत का रुपे कार्ड, वो अपनी एक जगह बना रहा है, और जो हम सबके लिए गर्व का विषय है। + +हमारे कॉपरेटिव federalism का एक उत्तम उदाहरण- 100 से अधिक aspiratioal districts. हमारे देश में वोट बैंक की राजनीति के लिए अगड़ी-पिछड़ी बहुत कुछ किया, लेकिन इस देश के इलाके भी पिछड़े रह गए। उनकी तरफ अगर हमने ध्‍यान देने की जरूरत थी जिसमें हम काफी लेट हो गए। मैंने पढ़ा कि कई ऐसे पैरामीटर्स हैं जिसमें कई राज्‍यों के कुछ जिले पूरी तरह पिछड़े हुए हैं। अगर हम उसको भी ठीक कर लें तो देश की एवरेज बहुत बड़ी मात्रा में सुधर जाएगी। और कभी-कभी तो ऐसा डिस्ट्रिक्‍ट कि जहां अफसर भी रिटायर्ड होने वाला हो, ऐसे ही रखेगा। यानी ऊर्जावान, तेजस्‍वी अफसरों को कोई वहां छोड़ता भी नहीं था। उनको लगता था ये तो गया। हमने उसको बदला है। aspirational 100 से अधिक district को identify किया है, अलग-अलग राज्‍यों के district हैं और राज्‍यों से भी कहा है कि आप भी अपने यहां 50 ऐसे aspirational block identify कीजिए और स्‍पेशल फोकस दे करके उनकी प्रशासनकि व्‍यवस्‍था, गवर्नेंस में बदलाव लाइए और उसमें परिवर्तन लाने का प्रयास कीजिए। + +आदरणीय सभापति जी, सदन में CAA पर कोई चर्चा हुई है। यहां बार-बार ये बताने की कोशिशें की गई हैं कि अनेक हिस्सों में प्रदर्शन के नाम पर अराजकता फैलाई गई, जो हिंसा हुई, उसी को आंदोलन का अधिकार मान लिया गया। बार-बार संविधान की दुहाई, उसी के नाम पर un-democratic activity को कवर करने का प्रयास हो रहा है। मुझे कांग्रेस की मजबूरी समझ आती है, लेकिन केरल के left front के हमारे जो मित्र हैं, उनको जरा समझना चाहिए। उनको पता होना चाहिए यहां आने से पहले कि केरल के मुख्‍यमंत्री- उन्‍होंने कहा है कि केरल में जो प्रदर्शन हो रहे हैं वो Extremist ग्रुपों का हाथ होने की बात उन्‍होंने विधानसभा में कही है। + +आदरणीय सभापति जी, 1997 में यहां अनेक साथी उपस्थित होंगे। हो सकता है कि सदन में भी कोई हो। ये वो साल था जब से तत्कालीन सरकार के निर्देशों में हिंदू और सिक्खों का इस्तेमाल शुरू हुआ। पहले नहीं होता था, जोड़ा गया है इसको। 2011 में इसमें पाकिस्तान से आने वाले क्रिस्चियन और बुद्धिस्ट शब्‍दों की कैटेगरी को भी बनाया गया। ये सब 2011 में हुआ है। + +साल 2003 में लोकसभा में Citizenship amendment Bill प्रस्तुत किया गया।Citizenship amendment Bill 2003 पर जिस Standing Committee of Parliament ने चर्चा की और फिर उसे आगे बढ़ाया, उस कमेटी में कांग्रेस के अनेक सदस्य आज भी यहां हैं, जो उस कमेटी में थे और Standing Committee of Parliament की इसी रिपोर्ट में कहा गया “पड़ोसी देशों द्वारा आ रहे अल्पसंख्यकों को दो हिस्सों में देखा जाए, एक जो religious persecution की वजह से आते हैं और दूसरा- वो अवैध migrants जो civil disturbance की वजह से आते हैं।” इस कमेटी की रिपोर्ट है। आज जब ये सरकार यही बात कर रही है तो इस पर 17 साल बाद हंगामा क्यों हो क्‍यों हो रहा है। + +28 फरवरी, सभापति जी, 28 फरवरी 2004 को केंद्र सरकार ने राजस्थान के मुख्यमंत्री की प्रार्थना पर राजस्थान के दो जिलों और गुजरात के 4 जिलों के कलेक्टरों को ये अधिकार दिया गया कि वो पाकिस्तान से आए minority Hindu Community के लोगों को भारतीय नागरिकता दे सकें। ये नियम 2005 और 2006 में भी लागू रहा। 2005 और 06 में आप ही थे। तब वो संविधान की मूल भावना को कोई खतरा नहीं हुआ था, उसके विरुद्ध नहीं था। + +इतना ही नहीं, आदरणीय सभापति जी, यूपीए के तत्कालीन गृहमंत्री ने NPR के शुभारंभ के समय हर सामान्य निवासी, Usual resident के NPR में एनरोलमेंट की आवश्यकता पर विशेष बल देते हुये कहा था कि हर किसी को इस प्रयास का हिस्सा बनना चाहिए। उन्होने बाकायदा मीडिया से भी अपील की थी कि मीडिया एनपीआर का प्रचार करे। लोगों को शिक्षित करे, लोग एनपीआर से जुड़ें। तो उस समय के गृहमंत्री ने सार्वजनिक अपील की थी। + +यूपीए ने 2010 में NPR लागू करवाया, 2011 में NPR के लिए biometric डेटा भी कलेक्ट करना शुरू कर दिया। आप जब 2014 में सरकार से गए, उस समय तक NPR के तहत करोड़ों नागरिकों की फोटो स्कैन कर रेकॉर्ड मेंटेन करने का काम पूरा कर लिया गया था, और biometric डेटा कलेक्शन का काम प्रगति पर था। ये आपके कार्यकाल की मैं बात बता रहा हूं। + +आज जब हमने अपने आपके द्वारा तैयार उन NPR रेकॉर्ड्स को 2015 में अपडेट किया। और इन NPR रेकॉर्ड्स के माध्यम से प्रधानमंत्री जनधन योजना, डाइरैक्ट बेनिफ़िट ट्रान्सफर जैसी सरकार की तमाम योजनाओं में जो छूट गये लाभार्थी थे, उनको शामिल करने के लिए आपके द्वारा तैयार किया गया एनपीआर के रिकॉर्ड का साकारात्म क उपयोग हमने किया है और गरीबों को लाभ पहुंचाया है। + +मुझे भारत के महान सपूत, पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर एपीजे कलाम की ये पंक्तियां अच्छी लगीं, मुझे ये अच्‍छा लगा और आपको आपकी पसंद की पंक्तियां अच्छी लगीं। वो कहावत भी आपने खूब सुनी होगी जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन तैसी। अब तय आपको करना है, कि अपनी पसंद बदलें या फिर 21वीं सदी में 20वीं सदी का nostalgia लेकर जीते रहें। + diff --git a/pm-speech/452.txt b/pm-speech/452.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..93b24afbcb6e5bb6032a427e612249b4d2cf2163 --- /dev/null +++ b/pm-speech/452.txt @@ -0,0 +1,4 @@ +मुझे बताया गया है कि Global Potato Conclave में दुनिया के अनेक देशों से साइंटिस्ट आज इस Conclave में आए हैं, हज़ारों किसान साथी और दूसरे Stakeholders भी इस समारोह में जुटे हैं। अगले तीन दिनों में आप सभी पूरे विश्व के Food और Nutrition की डिमांड से जुड़े हुए महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा करने वाले हैं, कुछ नए समाधान निकालने वाले हैं। + +आलू की क्वांटिटी और क्वालिटी में हुई इस वृद्धि का कारण है, बीते 2 दशकों में लिए गए पॉलिसी डिसिजन और सिंचाई की आधुनिक और पर्याप्त सुविधाएं। बेहतर पॉलिसी डिसिजंस के कारण आज देश के बड़े Potato Processing Units आज गुजरात में हैं और ज्यादातर Potato Exporters भी गुजरात बेस्ड हैं। गुजरात में कोल्ड स्टोरेज का एक बड़ा और आधुनिक नेटवर्क है। इनमें से अनेक वर्ल्ड क्लास फैसिलिटीज़ से लैस हैं। + diff --git a/pm-speech/454.txt b/pm-speech/454.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..7ca54b643465df94ddfa0a8990608337cadd45b3 --- /dev/null +++ b/pm-speech/454.txt @@ -0,0 +1,16 @@ +मुझे एक बहुत ही प्यारा पत्र मिला है | बिहार के श्रीमान शैलेश का | वैसे तो, अभी वो बिहार में नहीं रहते हैं | उन्होंने बताया है कि वो दिल्ली में रहकर किसी NGO में काम करते हैं | श्रीमान शैलेश जी लिखते हैं–“मोदी जी, आप हर ‘मन की बात’ में कुछ अपील करते हैं | मैंने उनमें से कई चीजों को किया है | इन सर्दियों में मैंने लोगो के घरों में से कपड़े इकट्ठे कर जरुरतमंदो को बाँटे है | मैंने ‘मन की बात’ से लेकर, कई चीजों को करना शुरू किया | लेकिन, फिर धीरे-धीरे कुछ मैं भूल गया और कुछ चीजें छूट गयी! मैंने इस नए साल पर, एक ‘मन की बात’ पर चार्टर बनाया है, जिसमें, इन सभी चीजों की  एक लिस्ट बना डाली है | जैसे लोग, नए साल पर new year resolutions बनाते हैं | मोदी जी, यह मेरे नए साल का social resolution है | मुझे लगता है कि यह सब छोटी छोटी चीजें है, लेकिन, बड़ा बदलाव ला सकती हैं | क्या आप इस चार्टर पर अपने autograph देकर मुझे वापस भेज सकते हैं?”शैलेश जी – आपको बहुत-बहुत अभिनन्दन और शुभकामनाएं | आपके नए साल के resolution के लिए ‘मन की बात चार्टर’, ये बहुत ही Innovative है | मैं अपनी ओर से शुभकामनायें लिखकर, इसे जरुर आपको वापस भेजूंगा | साथियो, इस ‘मन की बात चार्टर’ को जब मैं पढ़ रहा था, तब, मुझे भी आश्चर्य हुआ कि इतनी सारी बाते हैं!इतने सारे हैश-टैग्स हैं!और, हम सबने मिलकर ढ़ेर सारे प्रयास भी किए हैं | कभी हमने ‘सन्देश-टू-सोल्जर्स’ के साथ अपने जवानों से भावात्मक रूप से और मजबूती से जुड़ने का अभियान चलाया,‘Khadi for Nation -Khadi for Fashion’के साथ खादी की बिक्री को नए मुकाम पर पहुंचाया | ‘buy local’का मन्त्र अपनाया |‘हम फिट तो इंडिया फिट’ से फिटनेस के प्रति जागरूकताबढ़ाई | ‘My Clean India’या ‘Statue Cleaning’के प्रयासों से स्वच्छता को mass movement बनाया | हैश-टैग नोटूड्रग्स (#NoToDrugs,),हैश-टैगभारत की लक्ष्मी(#BharatKiLakshami), हैश-टैग सेल्फफॉरसोसाइटी (#Self4Society),हैश-टैगStressFreeExam(#StressFreeExams),हैश-टैगसुरक्षा बन्धन(#SurakshaBandhan), हैश-टैग Digital Economy(#DigitalEconomy),हैश-टैग Road Safety(#RoadSafety),ओ हो हो! अनगिनत हैं | + +शैलेश जी, आपके इस मन की बातके चार्टर को देखकर एहसास हुआ यह list वाकई बहुत लम्बी है | आइये, इस यात्रा को continue करें | इस ‘मन की बात चार्टर’ में से, अपनी रूचि के, किसी भी cause से जुड़ें | हैश-टैग use करके, सबके साथ गर्व से अपने contribution को share करें | दोस्तों को, परिवार को, और सभी को motivate करें | जब हर भारतवासी एक कदम चलता है तो हमारा भारत वर्ष 130 करोड़ कदम आगे बढ़ाता है | इसीलिएचरैवेति-चरैवेति-चरैवेति, चलते रहो-चलते रहो-चलते रहो का मन्त्र लिए, अपने प्रयास, करते रहें l| + +आज ‘मन की बात’ के माध्यम से, मैं असम की सरकार और असम के लोगों को ‘खेलो इण्डिया’ की शानदार मेज़बानी के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूँ I साथियो,22 जनवरी को ही गुवाहाटी में तीसरे ‘खेलो इंडिया Games’का समापन हुआ है I इसमें विभिन्न राज्यों के लगभग 6 हज़ार खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया I आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि खेलों के इस महोत्सव के अंदर 80 Record टूटे और मुझे गर्व है कि जिनमें से 56 Record तोड़ने का काम हमारी बेटियों ने किया है I ये सिद्धि, बेटियों के नाम हुई है I मैं सभी विजेताओं के साथ, इसमें हिस्सा लेने वाले सभी प्रतिभागियों को बधाई देता हूँ I साथ ही ‘खेलो इंडिया Games’के सफल आयोजन के लिए इससे जुड़े सभी लोगों, प्रशिक्षकों और तकनीकी अधिकारियों का आभार व्यक्त करता हूँ I यह हम सबके लिये बहुत ही सुखद है, कि साल-दर-साल ‘खेलो इंडिया Games’ में खिलाड़ियों की भागीदारी बढ़ रही है I यह बताता है कि स्कूली स्तर पर बच्चों मे  Sports के प्रति झुकाव कितना बढ़ रहा है I मैं आपको बताना चाहता हूँ, कि 2018 में, जब ‘खेलो इंडिया Games’की शुरुआत हुई थी, तब इसमें पैंतीस-सौ खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया था,लेकिन महज़ तीन वर्षों में खिलाड़ियों की संख्या 6 हज़ार से अधिक हो गई है, यानि क़रीब-क़रीब दोगुनी I इतना ही नहीं, सिर्फ तीन वर्षों में ‘खेलो इंडिया Games’के माध्मय से, बत्तीस-सौ प्रतिभाशाली बच्चे उभर कर सामने आये हैं I इनमें से कई बच्चे ऐसे हैं जो अभाव और ग़रीबी के बीच पले-बढ़े हैं I‘खेलो इंडिया Games’में शामिल होने वाले बच्चों और उनके माता-पिता के धैर्य और दृढ़ संकल्प की कहानियाँ ऐसी हैं जो हर हिन्दुस्तानी को प्रेरणा देगी I अब गुवाहाटी की पूर्णिमा मंडल को ही ले लीजिये, वो खुद गुवाहाटी नगर निगम में एक सफाई कर्मचारी हैं, लेकिन उनकी बेटी मालविका ने जहाँ फुटबॉल में दम दिखाया, वहीं उनके एक बेटे सुजीत ने खो-खो में, तो दूसरे बेटे प्रदीप ने, हॉकी में असम का प्रतिनिधित्व किया I + +कुछ ऐसी ही गर्व से भर देने वाली कहानी तमिलनाडु के योगानंथन की है | वह खुद तो तमिलनाडु में बीड़ी बनाने का कार्य करते है, लेकिन उनकी बेटी पुर्णाश्री ने Weight Lifting का गोल्ड मेडल हासिल कर हर किसी का दिल जीत लिया | जब मैं David Beckham का नाम लूँगा तो आप कहेंगे मशहूर International Footballer  | लेकिन अब अपने पास भी एक David Beckham है, और उसने, गुवाहाटी के Youth Games में स्वर्ण पदक जीता है| वो भी साइक्लिंग स्पर्धा के 200 मीटर के Sprint Event में|मैं जब अंडमान-निकोबार गया था,कार -निकोबार द्वीप के रहने वाले डेविड के सिर से बचपन में ही माता-पिता का साया उठ गया था | चाचा उन्हें फुटबॉलर बनाना चाहते थे, तो मशहूर फुटबॉलर के नाम पर उनका नाम रख दिया | लेकिन इनका मन तो cycling में रमा हुआ था | ‘खेलो इंडिया’ स्कीम के तहत इनका चयन भी हो गया और आज देखिए इन्होंने cycling में एक नया कीर्तिमान रच डाला | + +भिवानी के प्रशांत सिंह कन्हैया ने Pole vault   इवेंट में खुद अपना ही नेशनल रिकॉर्ड break किया है | 19 साल के प्रशांत एक किसान परिवार से हैं | आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि प्रशांत मिट्टी में Pole vault की Practice करते थे | यह जानने के बाद खेल विभाग ने उनके कोच को दिल्ली के जवाहर लाल नेहरु स्टेडियम में academy चलाने में मदद की और आज प्रशांत वहाँ पर प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं | + +एक ओर परीक्षाएँ और दूसरी ओर सर्दी का मौसम | इस दोनों के बीच मेरा आग्रह है कि खुद को fit जरूर रखें | थोड़ी बहुत exercise  जरूर करें, थोड़ा खेलें, कूदें | खेल-कूद Fit रहने का मूल मंत्र है | वैसे, मैं इन दिनों देखता हूँ कि ‘Fit India’ को लेकर कई सारे events होते हैं | 18 जनवरी को युवाओं नेदेशभर में cyclothonका आयोजन किया | जिसमें शामिल लाखों देशवासियों ने fitness का संदेश दिया | हमारा New India पूरी तरह से  Fit रहे इसके लिए हर स्तर पर जो प्रयास देखने को मिल रहे हैं वे जोश और उत्साह से भर देने वाले हैं | पिछले साल नवम्बर में शुरू हुई ‘फिट इंडिया स्कूल’ की मुहीम भी अब रंग ला रही है | मुझे बताया गया है कि अब तक 65000 से ज्यादा स्कूलों ने online registration करके ‘फिट इंडिया स्कूल’ certificate प्राप्त किया है | देश के बाकी सभी स्कूलों से भी मेरा आग्रह है कि वे physical activity और खेलों को पढ़ाई के साथ जोड़कर ‘फिट स्कूल’ ज़रूर बनें | इसके साथ ही मैं सभी देशवासियों से यह appeal करता हूँ वह अपनी दिनचर्या  में physical activity को अधिक से अधिक बढ़ावा दें | रोज़ अपने आप को याद दिलाएँ हम फिट तो इंडिया फिट | + +दो सप्ताह पहले, भारत के अलग अलग हिस्सों में अलग-अलग त्योहारों की धूम थी| जब पंजाब में लोहड़ी, जोश और उत्साह की गर्माहट फ़ैला रही थीं | तमिलनाडु की बहनें और भाई, पोंगल का त्योहार मना रहे थे, तिरुवल्लुवर की जयंती celebrateकर रहे थे | असम में बिहू की मनोहारी छटा देखने को मिल रही थी, गुजरात में हर तरफ उत्तरायण की धूम और पतंगों से भरा आसमान था | ऐसे समय में दिल्ली, एक ऐतिहासिक घटना की गवाह बन रही थी | दिल्ली में, एक महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर किये गए | इसके साथ ही, लगभग 25 वर्ष पुरानी ब्रू-रियांग (Bru-Reang)refugee crisis,एक दर्दनाक chapter, का अंत हुआ हमेशा– हमेशा के लिए समाप्त हो गयी | अपने busy routineऔर festive  season  के चलते, आप शायद इस ऐतिहासिक समझौते के बारे में विस्तार से नहीं जान पाए हों, इसलिए मुझे लगा कि इसके  बारे में ‘मन की बात’ में आप से अवश्य चर्चा करूँ | ये समस्या 90 के दशक की है | 1997 में जातीय तनाव के कारण BruReangजनजाति के लोगों को मिज़ोरम से निकल करके त्रिपुरा में शरण लेनी पड़ी थी | इन शरणार्थियों कोNorth Tripura के कंचनपुर स्थित अस्थाई कैम्पों में रखा गया | यह बहुत पीड़ा दायक है किBruReangसमुदाय के लोगों ने शरणार्थी के रूप में अपने जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा खो दिया | उनके लिए कैम्पों में जीवन काटने का मतलब था- हर बुनियादी सुविधा से वंचित होना | 23 साल तक – न घर, न ज़मीन, न परिवार के लिए , बीमारियों के लिए इलाज़ का प्रबंध और ना बच्चों के शिक्षा की चिंता या उनके लिए सुविधा | ज़रा सोचिए, 23 साल तक कैम्पों में कठिन परिस्थितियों में जीवन-यापन करना, उनके लिए कितना दुष्कर रहा होगा | जीवन के हर पल, हर दिन का एक अनिश्चित भविष्य के साथ बढ़ना, कितना कष्टप्रद रहा होगा | सरकारें आईं और चली गईं, लेकिन इनकी पीड़ा का हल नहीं निकल पाया | लेकिन इतने कष्ट के बावज़ूद भारतीय संविधान और संस्कृति के प्रति उनका विश्वास अडिग बना रहा | और इसी विश्वास का नतीज़ा है कि उनके जीवन  में आज एक नया सवेरा आया है | समझौते के तहत, अब उनके लिए गरिमापूर्ण जीवन जीने का रास्ता खुल गया है | आखिरकार 2020 का नया दशक, Bru-Reang समुदाय के जीवन में एक नई आशा और उम्मीद की किरण लेकर आया | करीब 34000 ब्रू-शरणार्थियों को त्रिपुरा में बसाया जाएगा |इतना ही नहीं, उनके पुनर्वास और सर्वांगीण-विकास के लिए केंद्र सरकार लगभग 600 करोड़ रूपए की मदद भी करेगी | प्रत्येक विस्थापित परिवार कोplot दिया जाएगा | घर बनाने में उनकी मदद की जाएगी | इसके साथ ही, उनके राशन का प्रबंध भी किया जाएगा | वे अब केंद्र और राज्य सरकार की जन-कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठा सकेंगे | ये समझौता कई वजहों से बहुत ख़ास है | ये Cooperative Federalism की भावना को दर्शाता है | समझौते के लिए मिज़ोरम और त्रिपुरा, दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री मौज़ूद थे | ये समझौता, दोनों राज्यों की जनता की सहमति और शुभकामनाओं से ही सम्भव हुआ है | इसके लिए मैं दोनों राज्यों की  जनता का, वहाँ के मुख्यमंत्रियों का, विशेष-रूप से आभार जताना चाहता हूँ | ये समझौता, भारतीय संस्कृति में समाहित करुणाभाव और सहृदयता को भी प्रकट करता है | सभी को अपना मानकर चलना और एक-जुटता के साथ रहना, इस पवित्र-भूमि के संस्कारों में रचा बसा है | एक बार फिर इन राज्यों के निवासियों और Bru-Reang समुदाय के लोगों को मैं विशेष रूप से बधाई देता हूँ | + +इतने बड़े ‘खेलो-इंडिया’ गेम्स का सफल आयोजन करने वाले असम में, एक और बड़ा काम हुआ है | आपने भी न्यूज़ में देखा होगा कि अभी कुछ दिनों पहले असम में, आठ अलग-अलग मिलिटेंट ग्रुप के 644 लोगों ने अपने हथियारों के साथ आत्म-समर्पण किया | जो पहले हिंसा के रास्ते पर चले गए थे उन्होंने अपना विश्वास, शान्ति में जताया और देश के विकास में भागीदार बनने का निर्णय लिया है, मुख्य-धारा में वापस आए हैं | पिछले वर्ष, त्रिपुरा में भी 80 से अधिक लोग, हिंसा का रास्ता छोड़ मुख्य-धारा में लौट आए हैं | जिन्होंने यह सोचकर हथियार उठा लिए थे कि हिंसा से समस्याओं का समाधान निकाला जा सकता है, उनका यह विश्वास दृढ़ हुआ है कि शांति और एकजुटता ही, किसी भी विवाद को सुलझाने का एक-मात्र रास्ता है | देशवासियों को यह जानकर बहुत प्रसन्ता होगी कि North-East  में insurgency बहुत-एक मात्रा में कम हुई है और इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि इस क्षेत्र से जुड़े हर एक मुद्दे को शांति के साथ, ईमानदारी से, चर्चा करके सुलझाया जा रहा है | देश के किसी भी कोने में अब भी हिंसा और हथियार के बल पर समस्याओं का समाधान खोज रहे लोगों से आज, इस गणतंत्र-दिवस के पवित्र अवसर पर अपील करता हूँ कि वे वापस लौट आएं | मुद्दों को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने में, अपनी और इस देश की क्षमताओं पर भरोसा रखें | हम इक्कीसवीं सदी में हैं, जो ज्ञान-विज्ञान और लोक-तंत्र का युग है | क्या आपने किसी ऐसी जगह के बारे में सुना है जहाँ हिंसा से जीवन बेहतर हुआ हो ? क्या आपने ऐसी किसी जगह के बारे में सुना है, जहाँ शांति और सद्भाव जीवन के लिए मुसीबत बने हों ? हिंसा, किसी समस्या का समाधान नहीं करती| दुनिया की किसी भी समस्या का हल, कोई दूसरी समस्या पैदा करने से नहीं, बल्कि अधिक-से-अधिक समाधान ढूँढकर ही हो सकता है | आइये, हम सब मिल कर,एक ऐसे नए भारत के निर्माण में जुट जाएँ, जहाँ शांति हर सवाल के जवाब का आधार हो| एकजुटता हर समस्या के समाधान के प्रयास में हो | और, भाईचारा, हर विभाजन और बंटवारे की कोशिश को नाकाम करे | + diff --git a/pm-speech/455.txt b/pm-speech/455.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..6a7183eb344549597731759a1eec7a893eed711c --- /dev/null +++ b/pm-speech/455.txt @@ -0,0 +1,8 @@ +यह हमारे लिए बहुत गर्व की बात है कि हमारे 71वें गणतंत्र दिवस पर आप हमारे मुख्य अतिथि हैं। कल राजपथ पर गणतंत्र दिवस की परेड में आप भारत की विविधता का रंग-बिरंगा और उल्लासपूर्ण स्वरूप देखेंगे। ब्राजील खुद भी उल्लास से भरे पर्वों का देश है। एक मित्र के साथ इस विशेष पर्व पर हम अपनी खुशी साझा करेंगे।भारत का निमंत्रण स्वीकार करने के लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूं। यह तीसरा अवसर है जब ब्राजील के राष्ट्रपति ने यह सम्मान हमें दिया है। और भारत और ब्राजील के बीच मजबूत मित्रता का प्रतीक है। + +भारत और ब्राज़ील की स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप हमारी समान विचारधारा और मूल्यों पर आधारित है।इसलिए, भौगोलिक दूरी के बावज़ूद हम विश्व के अनेक मंचों पर साथ हैं। और विकास में एक-दूसरे के महत्वपूर्ण पार्टनर भी हैं।इसलिए, आज राष्ट्रपति बोल्सानारो और मैं हमारे द्विपक्षीय सहयोग को सभी क्षेत्रों में और बढ़ाने पर सहमत हुए हैं।हमारी Strategic Partnership को और मज़बूत करने के लिए एक वृहद् Action Plan तैयार किया गया है। सन् 2023 में दोनों देशों के बीच diplomatic संबंधों की platinum jubilee होगी। मुझे पूरा विश्वास है कि तब तक यह Action Plan हमारी strategic partnership, people-to-people ties और business cooperation को और गहरा बनाएगा। + +परंपरागत क्षेत्रों के अलावा कई नए क्षेत्र भी हमारे संबंधों में जुड़ रहे हैं। हम defence industrial cooperation को बढ़ाने के लिए नए तरीकों पर focus कर रहे हैं। रक्षा सहयोग में हम broad-based partnership चाहते हैं।इन संभावनाओं को देखते हुए हमें खुशी है कि अगले महीने लखनऊ में DefExpo 2020 में ब्राजील का एक बड़ा delegation भाग लेगा।मुझे प्रसन्नता है कि bio-energy, Ayurveda और advanced computing पर research में सहयोग बढ़ाने पर हमारे academic और research institution के बीच सहमति बनी है। + +भारत के economic transformation में ब्राज़ील एक valuable partner है। Food और energy के क्षेत्रों में हमारी आवश्यकताओं के लिए हम ब्राज़ील को एक विश्वसनीय स्त्रोत के रूप में देखते हैं।हमारा द्विपक्षीय व्यापार हांलाकि बढ़ रहा है। दोनों बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच complementarities (पूरकताओं) को देखते हुए हम इसे बहुत अधिक बढ़ा सकते हैं।आपके साथ ब्राज़ील के प्रभावशाली business delegation का भारत में स्वागत करके हमें खुशी है। मुझे विश्वास है कि भारतीय उद्यमियों और व्यापारियों के साथ उनकी मुलाकातों के अच्छे परिणाम आयेंगे। + diff --git a/pm-speech/456.txt b/pm-speech/456.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..4ef543a840b9e3bfdb94eea8f4feba266516a9e4 --- /dev/null +++ b/pm-speech/456.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +और मैं समझता हूं कि ये सारे जो awards वगैरह होते हैं ना, वो आखिरी मुकाम नहीं होता है। एक प्रकार से ये beginning होता है। जब कोई recognize करता है तो मन को अच्‍छा लगता है। एक प्रकार से ये जिंदगी की शुरूआत है। और आपने मुश्किल परिस्थितियों से लड़ने का साहस दिखाया। आप में से कुछ वीर बालक हैं, कुछ ऐसे भी हैं जिन्‍होंने गंभीर बीमारियों से लोगों को बाहर निकालने के लिए, ease of living के लिए कई नए-नए innovation किए हैं। किसी ने आर्ट एंड कल्‍चर में, किसी ने स्‍पोर्ट्स में, तो किसी ने शिक्षा साहित्‍य में, तो किसी ने समाज सेवा में; विविधताओं से भरा हुआ आपका योगदान रहा है। + +आप अपने समाज के प्रति, राष्ट्र के प्रति अपनी ड्यूटी… आपने देखा होगा मैंने लालकिले से एक बात कही थी, याद है किसी को…लाल किले से कुछ कहा था?  याद है ? बहुत कुछ कहा था, कुछ भी कहोगे तो सच निकलेगा। एक बात मैंने कही थी- ‘कर्त्तव्‍य पर बल’। ज्‍यादातर हम अधिकार पर बल देते हैं। अब देश की आजादी को 75 साल होने वाले हैं, तो कब तक अधिकार पर बल देते रहेंगे? अब कर्त्तव्‍य पर बल देना चाहिए कि नहीं देना चाहिए? Duty को प्राथमिकता कि rights को प्राथमिकता? पक्‍का, सब सहमत हैं, चलिए हमने आज एक कानून पास कर दिया। + +देखिए साहस- ये हमारे स्‍वभाव में होना चाहिए। यहां पैर रखूंगा तो गिर जाऊंगा, तो ये करूंगा तो- ऐसे जिंदगी नहीं जीते। साहस के बिना जीवन संभव नहीं है। आप छोटी-छोटी चीजों का साहस करने की आदत बनाओगे तो आगे चलकर वो भी बहुत काम आएगा। और आप जैसे लोग जब करेंगा ना,  तो बाकी 50 लोग देखेंगे- अरे देखो,  ये भी करता है। इतना अवॉर्ड लेकर आया, फिर भी इतनी मेहनत करता है। इतना मान-सम्‍मान ले करके आया, लेकिन देखिए ये काम कर रहा है। तो क्‍या होगा- बहुतों को प्रेरणा मिलेगी। करोगे? पक्‍का करोगे? तो परसों 26 जनवरी की तैयारी? तो सिखाया गया होगा, ऐसे-ऐसे करो? दाहिने हाथ से करना है कि बाएं हाथ से? ये नहीं बताया। जिस तरफ लोग होंगे, उस तरफ करना है। अरे हम होंगे तो पांच मीटर, दस मीटर तक ही होंगे, बाकी तो बहुत भीड़ होती है। + diff --git a/pm-speech/459.txt b/pm-speech/459.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..16b4fd633573f7f11d0427b380e3477b05267b7b --- /dev/null +++ b/pm-speech/459.txt @@ -0,0 +1,24 @@ +अगर हम आदत बना दे आपने देखा होगा कि हम 5-6 दोस्तों ने कोई खेलने का कार्यक्रम बना दिया है, खेलने के लिए जा रहे हैं लेकिन एक साथी अभी आया नहीं। हम लोगों को जाना है जल्दी जाना है आपने देखा होगा कि 5 जो पहुंच गए हैं उसमें 2 ऐसे होंगे जो झटपटाएंगे, यार आया नही-यार आया नही, लेट हो गया। उनका दिमाग उसमें है, 3 ऐसे होते है अरे यार छोड़, आएगा। अपने मन का कैसा हम मैनेजमेंट करते है। ये मूड का साथ जहां तक motivation और de-motivation का सवाल है- जीवन में शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति हो जिसको इन चीजों से गुजरना ना पड़ता हो। हर किसी को इस दौर से गुजरना ही पड़ता है। बार-बार गुजरना पड़ता है। कभी कुछ करने के लिए बहुत motivated होते हैं, कभी एकदम से असफलता मिली तो de-motivate हो जाते हैं। + +ऐसी अनेक घटनाएं आपके सामने होंगी,‍ जिसको देख करके आप तय कर सकते हैं कि मैं, emotions को manage करने का मेरा तरीका, उस पर देखने का मेरा कैसा तरीका है, उस पर निर्भर करता है। अगर इसको हमने कर लिया तो मूड ऑफ होगा लेकिन फिर भी आप पल दो पल में उसको manage भी कर लेंगे। और फिर आप उसी स्‍वस्‍थ मन से अपनी बात को आगे बढ़ा सकेंगे। धन्‍यवाद आपको। + +प्रश्‍नकर्ता – माननीय प्रधानमंत्री महोदय, सुप्रभात। मैं Blooming Vale Public School, कोटद्वार, उत्‍तराखंड से कक्षा 10 का छात्र हूं। सफल लोग जैसे, बिल गेट्स और थॉमस एडीसन और मार्क जुकरबर्ग अपने प्रारंभिक जीवन में असफल साबित हुए हैं। अत: परीक्षा में प्राप्‍त अंकों द्वारा ही किसी की पहचान नहीं की जा सकती है। माननीय महोदय, मेरा प्रश्‍न यह है कि परीक्षा में अच्‍छे अंक प्राप्‍त करने हेतु हम अपना कितना ध्‍यान केन्द्रित करें? धन्‍यवाद। + +पीएम– आपकी ये चिंता सही है और शायद हर विद्यार्थी को घर में और स्‍कूल में लगातार इसी का मुकाबला करना पड़ता होगा। क्‍योंकि जाने-अनजाने में हम लोग उस दिशा में चल पड़े हें हमारी शिक्षा को ले करके, जिसमें सफलता-विफलता का एक Turning Point कुछ विशेष परीक्षाओं के Marks बन गया है। और उसके कारण मन भी उस बात में रहता है कि बाकी सब बाद में करूंगा, एक बार Marks ले आऊं। मां-बाप भी यही एकenvironment create करते हैं कि अरे भाई, पहले तुम 10वीं बढ़िया कर लो, फिर कोई problem नहीं, तुम्‍हारा रास्‍ता साफ हो जाएगा। फिर 11वीं में आएंगा तो फिर कहेंगे, भई बात बराबर है, लेकिन 12वीं बहुत महत्‍व की हे यार, इस पर जोर लगा दो। फिर कहेंगे Entrance Exam पर जोर लगा दो। उनका इरादा होता है कि बच्‍चों को जरा motivate करें, उत्‍साहित करें। लेकिन किसी जमाने में शायद येसत्यहोगा, लेकिन आज दुनिया बहुत बदल चुकी है, संभावनाएं बहुत बढ़ गई हैं। सिर्फ परीक्षा के अंक ही जिंदगी नहीं हैं। उसी प्रकार से कोई एक Examination, ये पूरी जिंदगी नहीं है, ये एक पड़ाव है। सबसे पहले हमने हमारे पूरे जीवन का येएक महत्‍वपूर्ण पड़ाव मानना चाहिए, लेकिन यही सब कुछ है, ये कभी नहीं मानना चाहिए। जिस दिन, मां-बाप को मैं खास प्रार्थना करूंगा कि आप बच्‍चों को- ये नहीं तो भई कुछ नहीं, ये जो मूड बना देते हो, मेहरबानी करके ऐसा मत करो। ये हुआ, अच्‍छी बात है। ज्‍यादा अच्‍छा हो, और अच्‍छी बात है, लेकिन कुछ न हुआ तो जैसे दुनिया लुट गई, ये सोच बिल्‍कुल ही आज के युग में उपयुक्‍त नहीं है। बहुत सारे स्‍कोप हैं, जीवन के किसी भी क्षेत्र में जा सकते हैं आप। + +प्रश्‍नकर्ता– माननीय प्रधानमंत्री जी, मैं रिया रेगी कक्षा नौवीं की छात्रा हूं। मैं Government  Girls Senior Secondary School No. 2 में पढ़ती हूं। मैं दिल्‍ली से हूं और मेरा प्रश्‍न आपसे यह है कि जो छात्र पढ़ाई में बहुत अच्‍छे नहीं होते हैं मगर अन्‍य क्षेत्रों जैसे खेलकूद, संगीत इत्‍यादि में अच्‍छे होते हैं, उनका भविष्‍य क्‍या होगा, इस पर अपनी राय दीजिए। + +मैं Technology को मेरी इच्‍छा के अनुसार उपयोग करूंगा और इसलिए Technology के प्रति, और मुझे खुशी होती है, आप देखिए, आप रेलवे स्‍टेशन पर जाइए। रेलवे स्‍टेशन पर एक पूछताछ की विंडो होती है। वहां पर कोई अफसर बैठे होते हैं, ट्रेन कब आएगी, कब जाएगी, रजिस्‍ट्रेशन आदि, पूछने के लिए जाते हैं। लेकिन उसी पर एक बहुत बड़ा बोर्ड लगा रहता है और आजकल तो इलैक्ट्रॉनिक सिस्‍टम वाला बोर्ड होता है। उस पर सब लिखा होता है, ये ट्रेन का नाम है, कहां से कहां जाती है, कितने नंबर के प्‍लेटफॉर्म पर आएगी, लेट चल रही है कि समय पर; सब लिखा हुआ होता है।लेकिन हम जो पुरानी पीढ़ी के लोग हैं, वे क्‍या करते हैं, खिड़की के पास कतार लगाकर खड़े हो जाएंगे। 20 नंबर, 30 नंबर, खड़ा रहूंगा, ऊपर देखूंगा, पढ़ूंगा नहीं। मेरे सवाल का जवाब वहां है, वो बता रहा है कि दिल्‍ली एक्‍सप्रेस, जम्‍मू तवी एक्‍सप्रेस इतने बजे जाने वाली है, इतने नंबर पर जाएगी, पांच मिनट लेट है, सात मिनट; लेकिन मैं जब तक उसको नहीं पूछता हूं…। + +मैं आपसे आग्रह करूंगा, जैसेvocabulary बहुत अच्‍छी होनी चाहिए, क्‍या कभी हम अपनी मातृभाषा की डिक्‍शनरी या किसी अन्‍य भाषा की डिक्‍शनरी जो भी आपको पसंद आए अंग्रेजी करना या हिन्‍दी, क्‍या daily अपने मोबाइल फोन में जो डिक्‍शनरी है, तय करेंगे कि आज मैं कम से कम दस नए Spelling और उसका meaning दिन भर में जब भी जाऊं मोबाइल फोन निकाल करके देख लूंगा और याद कर लूंगा। Per day 10, बोलिए Technology उपयोगी हुई कि नहीं हुई? तो Technology का कैसे उपयोग करना है, कहीं ऐसा न हो कि मां-बाप का और आपका झगड़ा इस बात पर हो कि दिन भर दोस्‍तों के साथ बैठे रहते हो, टे‍लीफोन पर लगे रहते हो, तो वो तो ठीक स्थिति नहीं है। + +इसका मतलब यह हुआ कि मानो 2022 आजादी के 75 साल है, इस देश के लिए कई लोगों ने जान की बाजी लगा दी थी। फांसी के तख्ते पर चढ़ गए थे।अडंमान निकोबार के जेलों में जिंदगी गुजार दी थी, किसलिए, देश आजाद बने।आजाद मतलब झंडा बदले, इतना थोड़ा है। हम आत्मनिर्भर बने, आत्मगौरव बढ़े, हम आत्म सम्मान से जिएं। मैं इसके लिए कौन सा कर्तव्य निभा सकूं जो इस भाव को मजबूत करता है? उन कर्तव्यों का मुझे पालन करना चाहिए। जैसे क्या मैं तय कर सकता हूं कि 2022आजादी के 75साल होते है, मैं और मेरे परिवार में हमें जो भी कुछ खरीदना होगा हम लोकल खरीदेंगे, मेक इन इंडिया चीज ही लेंगे अगर हमारे देश में उपलब्ध ही नहीं है तो ठीक है, बाहर से लाएंगे। मुझे बताइए कर्तव्य हुआ कि नहीं हुआ, देश का भला होगा या नहीं होगा, देश की इकॉनोमी को ताकत मिलेगी कि नहीं मिलेगी? लेकिन अगर हम रेडीमेड चीजे लाएंगे, crackerभी बाहर से लाकर धमाका करेंगे तो क्या होगा? + +प्रश्‍नकर्ता – आदरणीय प्रधानमंत्री जी, मैं करिश्‍मा नैना, कक्षा 11वीं की छात्रा, जम्‍मू-कश्‍मीर के गर्ल्‍स नवां बाग स्‍कूल से हूं। मेरा अगले वर्ष बोर्ड एग्‍जाम है। मेरा प्रश्‍न ये है कि मेरे parents की कुछ ऐसी उम्‍मीदें हैं मुझसे कि अच्‍छे मार्क्‍स लाऊं और अपनी सफलता पाऊं। तो मेरा सवाल ये है कि मैं ये कैसे कर सकती हूं और में अपने parents की expectationsको पूरा कैसे कर सकती हूं? और इससे जो stress होता है, उससे कैसे बाहर आ सकती हूं? धन्‍यवाद। + +पीएम – ये सवाल आप लोगों के लिए है या आपके मां-बाप के लिए है? आपको लगता है कि जो बात आप अपने मम्‍मी-पापा को नहीं कह पा रहे हैं, वो आज मोदीजी सुना दें। मैं जरूर चाहूंगा कि मैं जो बात बताता हूं किसी भी parentsको,guardians को, मैं कोई प्रेशर करना नहीं चाहता हूं, मैं कोई दबाव डालना नहीं चाहता हूं और न ही मैं उनके बच्‍चों को बिगाड़ना चाहता हूं कि वो अपने parents के खिलाफ बगावत करने की आदत बना लें, ऐसा भी नहीं चाहता हूं। + +प्रश्‍नकर्ता– सुप्रभात मान्‍यवर। मैं शोभित रस्‍तोगी, केन्‍द्रीय विद्यालय सेक्‍टर-4, आर के पुरम, नई दिल्‍ली के कक्षा 12वीं का छात्र हूं। मैं उत्‍तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले से हूं। मेरा प्रश्‍न ये है कि जब हम परीक्षा के लिए परीक्षा हॉल में जाते हैं तो मुझे ऐसा लगता है कि हम अपने प्रश्‍नों के उत्‍तर भूलने लगते हैं। इसके कारण मैं काफी तनाव में होता हूं। इस चीज के लिए आप मेरी मदद करें। + +प्रश्‍नकर्ता – सत् श्री अकाल सर। मैं हरदीप कौर गर्वनमेंट सीनियर सेकेंडरी स्‍कूल, मलूका, 12वीं कक्षा की छात्रा, पंजाब से हूं। सर, मैं बोर्ड के एग्‍जाम में तो अच्‍छे अंक ला सकती हूं, लेकिन सर, जब बात कम्‍पीटीशन एग्‍जाम की आती है तो मैं चिंतित हो जाती हूं, घबरा जाती हूं। इस विषय में मैं आपसे सलाह लेना चाहती हूं। धन्‍यवाद। + diff --git a/pm-speech/460.txt b/pm-speech/460.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..0987709d4773619e97934c3c6c067d1aa74924d2 --- /dev/null +++ b/pm-speech/460.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +आज innovation, incubation और start-up की नई धारा का नेतृत्‍व भारत में कौन कर रहा है? आप ही लोग तो कर रहे हैं, हमारे देश के युवा कर रहे हैं। आज अगर भारत दुनिया के start-up eco system में टॉप three देशों में आ गया है। तो इसके पीछे किसका परिश्रम है? आप लोगों का, आप जैसे देश के युवाओं का। आज भारत दुनिया में unicorns पैदा करने वाला एक बिलियन dollars से ज्‍यादा की नई कंपनी बनाने वाला तीसरा सबसे बड़ा देश बना है। तो इसके पीछे किसकी ताकत है? आप लोगों की, आप जैसे मेरे देश के नौजवानों की। + +आज 21वीं सदी का यह कालखंड, 21वीं सदी का यह दशक भारत के लिए बहुत सौभाग्‍य लेकर आया है। हम भाग्‍यशाली है कि भारत की अधिकतर आबादी 35 वर्ष से कम आयु की है। हम इस अवसर का पूरा लाभ उठा सकें। इसके लिए बीते वर्षो में भारत में अनेक महत्‍वपूर्ण फैसले लिए गए, अनेक नीतियां बनाई गई है। युवा शक्ति को सही मायने में राष्‍ट्र शक्ति बनाने का एक व्‍यापक प्रयास आज देश में देखने को मिल रहा है। skill development से लेकर मुद्रा लोन तक हर तरह से युवाओं की मदद की जा रही है। start-up India हो, stand-up India हो, fit India अभियान हो या खेलो इंडिया ये युवाओं पर ही केन्द्रित है। + +decision making में नेतृत्‍व में युवाअें की सक्रिय भागेदारी पर भी हमारा जोर है। आप ने सुना होगा अभी हाल ही में DRDO में डिफेंस रिसर्च से जुड़ी five young scientist labs उसका लोकार्पण करने का मुझे अवसर मिला है। इन लैब में रिसर्च से लेकर मैनेजमेंट तक का पूरा नेतृत्‍व 35 वर्ष से कम आयु के वैज्ञानिकों को दिया गया है। आपने ऐसा कभी नहीं सुना होगा कि इतनी महत्‍वपूर्ण labs की जिम्‍मेदारी 35 साल से कम‍ आयु के युवाओं के साथ में सुपुर्द कर देना। लेकिन यही हमारी सोच है, यही हमारा अप्रोच है। हम हस स्‍तर पर, हर सेक्‍टर में इस तरह के प्रयोग को दोहराने के लिए लगातार काम कर रहे हैं। + diff --git a/pm-speech/461.txt b/pm-speech/461.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..c42853289289b33f1321e2ecb9023e0144ea26e3 --- /dev/null +++ b/pm-speech/461.txt @@ -0,0 +1,18 @@ +मां गंगा के सानिध्य में, गंगासागर के निकट, देश की जलशक्ति के इस ऐतिहासिक प्रतीक पर, इस समारोह का हिस्सा बनना हम सबके लिए एक अनन्‍य सौभाग्य की बात है। आज का ये दिन कोलकाता पोर्ट ट्रस्‍ट के लिए, इससे जुड़े लोगों के लिए, यहां काम कर चुके साथियों के लिए तो बहुत ही महत्‍वपूर्ण अवसर है। भारत में port laid development को नई ऊर्जा देने का भी मैं समझता हूं इससे बड़ा कोई अवसर नहीं हो सकता। स्‍थापना के 150वें वर्ष में प्रवेश करने के लिए कोलकाता पोर्ट ट्रस्‍ट से जुड़े आप सभी साथियों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं। + +बंगाल के सपूत, डॉक्टर मुखर्जी ने देश में औद्योगीकरण की नींव रखी थी। चितरंजन लोकोमोटिव फैक्ट्री, हिन्दुस्तान एयरक्राफ्ट फैक्ट्री, सिंदरी फर्टिलाइज़र कारखाना और दामोदर वैली कॉर्पोरेशन; ऐसी अनेक बड़ी परियोजनाओं के विकास में डॉक्टर श्‍यामा प्रसादमुखर्जी का बहुत बड़ा योगदान रहा है। और आज के इस अवसर पर, मैं बाबा साहेब अंबेडकर को भी याद करता हूं, उन्हें नमन करता हूं। डॉक्टर मुखर्जी और बाबा साहेब अंबेडकर, दोनों ने स्वतंत्रता के बाद के भारत के लिए नई-नई नीतियां दी थीं, नया vision दिया था। + +यहीं कोलकाता में 1944 में नई water policy को लेकर हुई conference में बाबा साहेब ने कहा था कि भारत की water ways policy व्‍यापक होनी चाहिए। इसमें सिंचाई, बिजली और यातायात जैसे हर पहलू का समावेश होना चाहिए। लेकिन ये देश का दुर्भाग्य रहा कि डॉक्टर मुखर्जी और बाबा साहेब के सरकार से हटने के बाद, उनके सुझावों पर वैसा अमल नहीं किया गया, जैसा किया जाना चाहिए था। + +हमारी सरकार ये मानती है कि भारत के बंदरगाह भारत की समृद्धि के प्रवेशद्वार हैं। और इसलिए सरकार ने Coasts पर कनेक्टिविटी और वहां के इंफ्रास्ट्रक्चर को आधुनिक बनाने के लिए सागरमाला कार्यक्रम शुरू किया। सागरमाला परियोजना के तहत देश में मौजूद पोर्ट का modernization और एक नए पोर्ट के development का काम लगातार किया जा रहा है। सड़क, रेलमार्ग, Interstate waterways और coastal transport को integrated किया जा रहा है। ये परियोजना coastal transport के जरिए माल ढुलाई को बढ़ाने में बहुत अहम भूमिका निभा रही है। + +सरकार का प्रयास है कि transportation का पूरा framework आधुनिक और integrated हो। हमारे देश में टांसपोर्ट नीतियों में जो असंतुलन था, उसे भी दूर किया जा रहा है। इसमें भी पूर्वी भारत और नॉर्थ-ईस्‍ट को Inland waterway यानी नदी जलमार्ग आधारित योजनाओं से विशेष लाभ हो रहा है और आने वाले समय में जलशक्ति के माध्‍यम से पूरे नॉर्थ-ईस्‍ट को जोड़ने का नेटवर्क भारत के विकास में एक स्‍वर्णिम पृष्‍ठ के रूप में उभर करके आने वाला है। + +इस वर्ष हल्दिया में multimodal terminal और फरक्का में navigational lock को तैयार करने का प्रयास है। साल 2021 तक गंगा में बड़े जहाज़ भी चल सकें, इसके लिए भी ज़रूरी गहराई बनाने का काम प्रगति पर है। इसके साथ-साथ गंगाजी को असम के पांडु में ब्रह्मापुत्र से जोड़ने वाले inland waterway-2 पर भी cargo transportation शुरू हो चुका है।  नदी जलमार्ग की सुविधाओं के बनने से कोलकाता पोर्ट पूर्वी भारत के औद्योगिक सेंटर्स से तो जुड़ा ही है, नेपाल, बांग्लादेश, भूटान और म्यांमार जैसे देशों के लिए व्यापार और आसान हुआ है। + +हमारे मछुवारे भाई जल संपदा का पूरा इस्तेमाल कर पाएं, इसके लिए सरकार Blue Revolution Scheme चला रही है। इसके तहत उन्हें इस क्षेत्र में value addition करने के साथ ही ट्रॉलर्स के आधुनिकीकरण में भी मदद की जा रही है। किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से मछुआरों को अब बैंकों से सस्ता और आसान ऋण भी उपलब्ध हो रहा है। एक तरफ हमने अलग जलशक्ति मंत्रालय बनाया है, उसी को ताकत देने वाला और उसी से अधिकतम फायदा लेने वाली अलग fisheries ministry भी बनाई है। यानी विकास को हम कहां ले जाना चाहते हैं, किस दिशा में जाना चाहते हैं, उसका संकेत इन रचनाओं में भी समाहित है। + +Port laid development एक व्यापक ecosystem का विकास करता है। इस जल संपदा का उपयोग पर्यटन के लिए, समुद्री पर्यटन, नदी जल पर्यटन के लिए भी किया जा रहा है। आजकल लोग cruise  के लिए विदेशों में चले जाते हैं। ये सारी चीजें हमारे यहां बहुत आसानी से विकास किया जा सकता है। ये सुखद संयोग है कि कल ही पश्चिम बंगाल की कला और संस्कृति से जुड़े बड़े सेंटर्स के आधुनिकीकरणकी शुरुआत हुई और आज यहां water tourism से जुड़ी बड़ी स्कीम launch हुई है। + +इसी तरह पीएम किसान सम्मान निधि के तहत देश के 8 करोड़ से अधिक किसान परिवारों के बैंक खाते में लगभग 43 हज़ार करोड़ रुपए सीधे direct benefit transfer के तहत उनके खाते में जमा हो चुके हैं। कोई बिचौलिया नहीं, कोई cut नहीं, कोई syndicate नहीं; और जब सीधा पहुंचता है, cut मिलता नहीं, syndicate का चलता नहीं, ऐसी योजना कोई क्‍यों लागू करेगा। + diff --git a/pm-speech/462.txt b/pm-speech/462.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..923316a4635e58324f73982a50bc30dd187cff78 --- /dev/null +++ b/pm-speech/462.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +बीते कुछ समय से देश में और युवाओं में बहुत चर्चा है सिटिजनशिप अमेंडमेंट एक्ट की। ये एक्ट क्या है, इसे लाना क्यों जरूरी था? युवाओं के मन में बहुत से सवाल भांति-भांति लोगों के द्वारा भर दिए गए हैं। बहुत से नौजवान जागरूक हैं, लेकिन कुछ ऐसे भी हैं जो अब भी इस भ्रम के शिकार हुए हैं, अफवाहों के शिकार हुए हैं। ऐसे हर युवा को समझाना भी हम सबका दायित्व है और उसे संतुष्ट करना भी हम सबकी ही जिम्मेदारी है। + +और हां, जहां तक नॉर्थ ईस्ट के राज्यों की सवाल है। हमारा गर्व है नॉर्थ ईस्ट हमारा गर्व है। नॉर्थ ईस्ट के राज्यों की संस्कृति, वहां की परंपरा, वहां की डेमोग्राफी, वहां के रीति-रिवाज, वहां के रहन-सहन, वहां का खान-पान, वहां की डेमोग्राफी इस पर इस कानून में जो सुधार किया गया है इसका कोई विपरित प्रभाव उन न पड़े, इसका भी प्रावधान केंद्र सरकार ने किया है। + +और तो और, पाकिस्तान में जिस तरह दूसरे धर्मों के लोगों पर अत्याचार होता है, उसे लेकर भी दुनिया भर में आवाज हमारा युवा ही उठा रहा है। और ये बात भी साफ है कि नागरिकता कानून में हम ये संशोधन न लाते तो न ये विवाद छिड़ता और न ये विवाद छिड़ता तो दुनिया को भी पता न चलता कि पाकिस्‍तान में minority पर कैसे-कैसे जुर्म हुए हैं। कैसे मानवधिकार का हनन हुआ है। कैसे बहन-बेटियों की जिंदगी को बरबाद किया गया है। ये हमारे initiative का परिणाम है कि अब पाकिस्‍तान को जवाब देना पड़ेगा कि 70 साल में आपने वहां पर minority के साथ ये जुर्म क्‍यों किया। + diff --git a/pm-speech/463.txt b/pm-speech/463.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..d6753071c21861d6d6447ef83b0d4af2240418c6 --- /dev/null +++ b/pm-speech/463.txt @@ -0,0 +1,8 @@ +आज जब आपके बीच में था, इन सब चीजों को देखता था तो मन उन्‍हीं भावों से भर जाता था। और ये प्रदर्शनी, ऐसा लग रहा था जैसे मैं उन पलों को स्वयं जी रहा हूं जो उन महान चित्रकारों, कलाकारों, रंगकारों ने रचे हैं, जीए हैं। बांग्लाभूमि की, बंगाल की मिट्टी की इस अद्भुत शक्ति, मोहित करने वाली महक को नमन करने का ये मेरा अवसर है। इससे जुड़े अतीत और वर्तमान के सभी जनों को भी मैं आदरांजलि अर्पित करता हूं। + +परंपरा और पर्यटन, ये दो ऐसे विषय हैं जिनका हमारी हैरिटेज से और हमारे इमोशंस से, हमारी पहचान से सीधा कनेक्ट है। केंद्र सरकार का ये प्रयास है कि भारत के सांस्कृतिक सामर्थ्य को दुनिया के सामने नए रंग-रूप में रखे, ताकि भारत दुनिया में हैरिटेज टूरिज्म का बड़ा सेंटर बनकर उभरे। हैरिटेज टूरिज्म का पश्चिम बंगाल सहित पूरे देश के पर्यटन उद्योग को मजबूत करने में बहुत बड़ा रोल होगा। इससे पश्चिम बंगाल समेत पूरे देश में रोज़गार के अनेक अवसर भी बनेंगे। इस कार्यक्रम के बाद रविंद्र सेंतु-हावड़ा ब्रिज को पर्यटकों के लिए और आकर्षक बनाने के लिए, इंटरेक्टिव लाइट एंड साउंड सुविधा भी शुरू होने जा रही है। + +कोलकाता, भारत के सर्वोच्च सांस्कृतिक केंद्रों में से एक रहा है। आपकी भावनाओं के अनुसार अब कोलकाता की इस समृद्ध पहचान को नए रंग-रूप में दुनिया के सामने लाने के प्रयास किए जा रहे हैं। कोलकाता की 4 Iconic Galleries, Old Currency Building हो, बेल्वेडेयर हाउस हो, विक्टोरिया मेमोरियल हो या फिर मेटकाफ हाउस हो, इनके नवीनीकरण का काम पूरा हो चुका है। बेल्वेडेर को म्यूज़ियम ऑफ द वर्ल्ड बनाने का विचार कई बार सामने आ चुका है। अब हमारे प्रयास उसी तरफ हैं। एक विचार यहां जो भारत सरकार की टकसाल है, उसको Museum of Coinage & Commerce के रूप में विकसित करने का भी है। + +गुरुदेव टैगोर ने 1903 के अपने एक लेख में जो लिखा था, मैं उसका जिक्र आज बंगाल की इस पवित्र धरती पर जरूर करना चाहता हूं। उन्होंने लिखा था- “भारत का इतिहास वो नहीं है जो हम परीक्षाओं के लिए पढ़ते और याद करते हैं। कुछ लोग बाहर से आए, पिता बेटे की हत्या करता रहा, भाई-भाई को मारता रहा, सिंहासन के लिए संघर्ष होता रहा यह भारत का इतिहास नहीं है। इस इतिहास में इस बात तो वर्णन ही नहीं है कि तब भारत के नागरिक, भारत के लोग क्या कर रहे थे? क्या उनका कोई अस्तित्व ही नहीं था”। + diff --git a/pm-speech/465.txt b/pm-speech/465.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..e9561a28a79099aec0f20a718c9d7444ee2d458b --- /dev/null +++ b/pm-speech/465.txt @@ -0,0 +1,16 @@ +सा‍थियो, इस दशक में five trillion dollar की अर्थव्‍यवस्‍था का लक्ष्‍य तो एक पड़ाव है। हमारे सपने और बड़े हैं, हमारी उम्‍मीदें और बड़ी हैं, हमारे लक्ष्‍य और बड़े हैं। और इसलिए 2014 के बाद से देश में निरंतर ये प्रयास हुआ है कि भारतीय उद्योग जगत के सपनों को, उनके विस्‍तार को किसी रुकावट का सामना न करना पड़े। इस दौरान हर फैसले, हर कार्रवाई के पीछे एक ही सोच रही है कि भारत में काम करने वाले हर उद्यमी के सामने की हर प्रकार की रुकावट दूर हो, उसके लिए एक बेहतर business environment बने। + +साथियो, भारत के टैक्‍स सिस्‍टम में पहले किस तरह की कमियां थीं, इससे आप भलीभांति परिचित हैं। इंस्‍पेक्‍टर राज, टैक्‍स से जुड़ी नीतियों में भ्रम, और अलग-अलग राज्‍यों में टैक्‍स के जाल ने भारतीय उद्योग जगत की स्‍पीड पर जैसे ब्रेक लगाया हुआ था। देश अब इस ब्रेक को भी हटा चुका है। हमारे टैक्स सिस्टम में transparency आए, efficiency आए, accountability बढ़े, taxpayer और tax departments के बीच human interface समाप्त हो, इसके लिए एक नई व्यवस्था का निर्माण किया जा रहा है। आज देश में corporate tax और corporate tax rates जितने कम हैं, उतने पहले कभी नहीं रहे। + +साथियो, कुछ लोग ये छवि बनाने में अपनी ऊर्जा लगाते हैं कि भारत सरकार उद्यमियों के पीछे डंडा ले करके चल रही है। कुछ बईमान और भ्रष्‍टाचारियों के खिलाफ कार्रवाई को India industry पर सख्‍ती का रूप दिया जाना मैं समझता हूं एक बहुत बड़ा दुष्‍प्रचार है। भारतीय उद्योग, एक पारदर्शी माहौल में भय के बिना, बाधा के बिना, आगे बढ़े, देश के लिए wealth create करे, खुद के लिए Wealth create करे, यही हम सभी का प्रयास रहा है। ये निरंतर कोशिश की गई है कि भारतीय उद्योग जगत को कानूनों के जाल से मुक्ति मिले। देश में डेढ़ हजार से ज्‍यादा पुराने कानून इसी कोशिश की वजह से खत्‍म कर दिए गए हैं। कम्‍पनी लॉ से जुड़ी छोटी-छोटे technical mistake के लिए भी उद्यमियों पर किस तरह criminal prosecution होता था, मैं इसके विस्‍तार में जाना नहीं चाहता। अब ऐसी अनेक गलतियों को decriminalize किया जा चुका है। जिन labor courts पर अभी काम चल रहा है, वो भी labor compliance को simplify करने की प्रक्रिया है, जिसका लाभ industry और workforce, laborers, दोनों को होगा। + +साथियो, मैं जिस transforming with intensity की बात आपसे कर रहा हूं, वो आंकड़ों में भी नजर आती है। तेज गति ये जमीनी स्‍तर पर काम करने का ही नतीजा है कि सिर्फ पांच साल में ease of doing business  की ranking  में 79 ranks का सुधार आया है। इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए देश में जिस तेज गति से नीतियां बनाई गई, निर्णय लिए गए, उसी का असर है कि सिर्फ पांच साल में Global innovation index में 20 rank का सुधार आया है। लगातार कई सालों से एफडीआई आकर्षित करने वाले दुनिया के top 10 countries में बने रहना भी भारत की एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। + +साथियो, लक्ष्‍मणराव जी देश के उन प्रेरक व्‍यक्तियों में से एक थे, जिन्‍होंने भारत की आवश्‍यकताओं के अनुसार टेक्‍नोलॉजी के इस्‍तेमाल और मशीनों के निर्माण का बीड़ा उठाया। देश की आवश्‍यकताओं और उससे जुड़े निर्माण की यही सोच भारत के विकास की गति और इंडियन इंडस्‍ट्री के विकास की गति को तेज करेगी। हमें zero defect, zero effect के मंत्र पर चलते हुए विश्‍व स्‍तर के प्रोडक्ट बनाने होंगे, तभी हम एक्‍सपोर्ट बढ़ा पाएंगे, विश्‍व बाजार में अपना विस्‍तार कर पाएंगे। हमें Indian solutions, Global applications के बारे में सोचना होगा, उसी के मुताबिक अपनी योजनाओं को अमल में लाना होगा। मैं यहां पर दो योजनाओं की चर्चा करना चाहता हूं। एक है Financial transaction से जुड़ी UPI योजना और दूसरी है देशभर में LED bulb पहुंचाने वाली उजाला योजना। + +साथियो, आज का भारत तेज banking transaction चाहता है, टेक्‍नोलॉजी का बेहतरीन इस्‍तेमाल होते हुए देखना चाहता है। सिर्फ तीन साल में UPI के बढ़ते हुए नेटवर्क ने उसकी इस इच्‍छा को पूरा किया है। आज स्थिति ये है कि 24 घंटे-सातों दिन देश आसान और online transaction कर रहा है। आज Bhim App बहुत बड़ा ब्रांड बन चुका है। + +साथियो, देश को ऐसे समाधान की जरूरत थी जो बिजली कम बिजली के पीछे कम खर्च करे, रोशनी ज्‍यादा दे और उसकी कीमत भी कम हो। इसी आवश्‍यकता ने उजाला योजना को जन्‍म दिया। LED manufacturing को बढ़ावा देने के लिए जरूरी कदम उठाए गए। नीतियों में परिवर्तन किया गया। इससे बल्‍ब की कीमत कम हुई और एक बार लोगों ने इसके लाभ को अनुभव किया तो डिमांड भी बढ़ी। कल ही उजाला स्कीम को 5 वर्ष पूरे हुए हैं। ये हम सभी के लिए संतोष की बात है कि इस दौरान देशभर में 36 करोड़ से ज्यादा LED बल्ब बांटे जा चुके हैं। इतना ही नहीं देश के Traditional Street Light System को LED आधारित बनाने के लिए भी 5 साल से प्रोग्राम चल रहा है। इसके तहत एक करोड़ से अधिक LED Street Light Install की जा चुकी हैं। इन दोनों प्रयासों से ही करीब 5,500 करोड़ kilowatt/hour बिजली की बचत हर वर्ष हो रही है। इससे हर वर्ष हजारों करोड़ रुपए का बिजली खर्च कम हो रहा है और कार्बन डायआक्‍साईड के emission  में भी बड़ी कमी आ रही है। और ये हम सबके लिए खुशी की बात है कि भारत से निकले ऐसे innovations चाहे UPI हो या उजाला, दुनिया के कई देशों के लिए भी प्रेरणा का माध्‍यम बन रहे हैं। + +साथियो, ऐसी ही Success Stories हमारे मेक इन इंडिया अभियान, हमारे उद्योग जगत की शक्ति है, ताकत है। मुझे ऐसी ही Success Stories भारतीय उद्योग जगत से, हर क्षेत्र में चाहिए। जल-जीवन मिशन हो, renewable energy हो, electric mobility हो, disaster management हो, डिफेंस हो; हर सेक्‍टर में आपके लिए अनेकों Success Stories आपका इंतजार कर रही हैं। सरकार हर तरह से आपके साथ है, आपकी हर जरूरत के साथ है। + diff --git a/pm-speech/467.txt b/pm-speech/467.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..f8863194e972d597921f82da7614069c1c7b7c9b --- /dev/null +++ b/pm-speech/467.txt @@ -0,0 +1,14 @@ +ये दशक न्यू इंडिया के रूप में तो महत्‍वपूर्ण है ही है। क्‍योंकि जब 2020 है तो वो एक नया साल नहीं पूरा दशक हमारे सामने आया है। और आने वाले वर्षों में भारत की ताकत क्‍या होगी, विश्‍व में हमारा स्‍थान कहां होगा। ये decade ये भी तय करने वाला है। ये वो दशक है जो पूरी तरह से युवा सपनों का है, हमारे युवा Innovators का है। विशेष तौर पर वो Innovators जो 21वीं सदी में या तो पैदा हुए हैं या फिर 21वीं सदी में युवा हुए हैं। जब मैंने आपसे आग्रह किया था कि DRDO को rethink और खुद को reshape करना चाहिए। 21वीं सदी की चुनौतियों से निपटने के लिए नई ऊर्जा के साथ काम करना चाहिए। तो इसके पीछे यही मेरी एक सोच थी कि इसका मतलब ये नहीं कि जो 36 का हो गया वो बेकार हो गया… इसके पीछे मेरी भूमिका यही है कि जो 60 साल, 50 साल, 55 साल इतनी तपस्‍या करके वहां पहुंचे हैं अगर उनके कंधे पर वो 35 से कम आयु वाले को बिठा देते हैं तो दुनिया को एक नए भारत के दर्शन होते हैं। ये जो पुराने लोग हैं उनकी मजबूती के बिना नए का ऊपर जाना संभव नहीं है। और इसलिए ये एक Combination बहुत आवश्‍यक है। और इस विचार के पीछे मेरा अपना भी एक अनुभव है। मैं राजनीतिक जीवन में बहुत देर से आया हूं और शुरू में मैं मेरा पार्टी का organization का काम देखता था। election or moment उन चीजों को करता था। तो मैं जब गुजरात में मैंने शुरुआत की और मेरे सामने पहला एक बड़ा चुनाव की जिम्‍मेवारी आई। मैं बिल्‍कुल नया था, और उस समय अखबारों ने इस चीज को बड़े विस्‍तार से लिखा था। क्योंकि उस समय करीब 90 लोग मेरे ऑफिस में, मेरी मैनेजमैंट में काम करते थे। पूरा चुनाव पूरे राज्‍य भर में लड़ा जाता था लेकिन ऑफिस मैनेजमैंट करीब 90 लोग थे। और Volunteer के रूप में आए थे वो 2-3 महीने के लिए काम करने वाले थे। लेकिन अखबार वालों ने ढूंढ कर निकाला था। ये जो 90 लोग हैं इस पूरी टीम की average age 23 है यानी 23 की average age ग्रुप से मैं चुनाव लड़ा था, और लड़वाया था और हम पहली बार विजयी हुए थे। + +आज का ये कार्यक्रम तो एक शुरुआत भर है। आपके सामने सिर्फ अगला एक साल नहीं, अगला एक दशक है। इस एक दशक में DRDO का मीडियम और लॉन्ग टर्म रोडमैप क्या हो, इस पर बहुत गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए। और मैं एक और सुझाव देता हूं। ये पांच लैबस 35 और उसके नीचे की टीम है और जब इस टीम में 36 हो जाएंगे तो क्‍या होगा तो मैं उन लोगो को insurance देता हूं कि अब इस 5 लैब को 45 होने की भी छूट है और 55 होने की भी छूट है। आपको नई पांच 35 वाली बनानी होगी इसको 35 maintain नहीं करना है ये 35 वाला 40 होने दीजिए, ये 35 वाले को 45 होने दीजिए। अब नए पांच 35 वाले करिए। वे जब 35 cross करेगे तो फिर नए 35 वाले पांच कीजिए ये चेन चलती रहनी चाहिए। अगर ये चेन नहीं चलेगी तो यहां 32 वाला बैठा है वो सेाचेगा कि मेरे लिए यहां 3 साल है मैं क्‍या करूं फिर तो मेरा सारा सपना टूट जाएगा। इसलिए जिनको ये दिया है लैब तो जब तक वो न थक जाए तब तक उसके जिम्‍मे छोड़ दिजिए। वे पचास का हो जाए,पचपन का हो जाए साठ का हो जाए करने दीजिए। 5 नई लैब 35 वाली बना दीजिए। और ये पांच का क्रम चलता रहे। तब देखिए आप नयापन का एक क्षेत्र लगातार बनता चला जाएगा। और यही हमें ultimately फायदा करेगा। और सिर्फ हम विचार करने पर न रूके। तय समय के भीतर actionable point पर भी कार्यक्रम भी शुरू होना चाहिए। + +मैं DRDO को उस ऊँचाई पर देखना चाहता हूं जहां वो न सिर्फ भारत के वैज्ञानिक संस्थानों की दिशा और दशा तय करे, बल्कि दुनिया के…. और मैं बहुत जिम्‍मेवारी के साथ कह रहा हूं। दुनिया के…. और अन्य बड़े संस्थानों के लिए भी DRDO और हमारी young lab प्रेरणास्रोत बन सकती है। मैं ऐसा क्‍यों कह रहा हूं इसकी ठोस वजह है….. वजह है DRDO का इतिहास, DRDO का प्रर्दशन, DRDO देश का भरोसा। + +आज देश का बेहतरीन Scientific Mind DRDO में है। DRDO की उपलब्धिया अनंत है। अभी मैंने जो exhibition देखी है। जिसमे मौजूदा उपलब्धियों के साथ-साथ भविष्‍य के आपके प्‍लान और प्रोजेक्‍ट की भी जानकारी है। और मुझे इतनी सरल भाषा में आपके नौजवानों ने समझाया कि मुझे भी समझ आ गया कि हां ये तो मैं भी कर सकता हूं। वर्ना स्‍कूल तो नहीं समझ में आता था कुछ। आज आपने समझा दिया। आपने भारत के मिसाइल कार्यक्रम को दुनिया के सबसे उत्कृष्ट कार्यक्रमों में शामिल किया है। और बीता वर्ष तो स्पेस और एयर डिफेंस के क्षेत्र में भारत के सामर्थ्य को नई दिशा देने वाला रहा है। A set… A set के रूप में अत्‍याधुनिक स्‍पेज टेकनोलॉजी का सफल परीक्षण ये निश्चित रूप से 21वी सदी के भारत के capability को define करेगा। + +आप सभी के प्रयासों से आज भारत उन बहुत कम देशों में से एक है जिनके पास aircrafts से लेकर के aircraft carrier तक सब कुछ बनाने की क्षमता है। लेकिन क्‍या सिर्फ इतना किया जाना काफी है। जी नहीं… साथियो और…… घर में भी देखा होगा जो बच्‍चा अच्‍छा काम करता है मां-बाप उसको ज्‍यादा परेशान करते हैं वो पांच करता है तो बोलते है सात करो। सात करता है तो बोलते हैं दस करो…… और जो नहीं करता है अरे छोड़ो….. वो करेगा नहीं वो….. उसे छोड़ देते हैं। तो आपकी मुसीबत है कि आपको लोग काम बताते ही रहेंगे। + +Defence Manufacturing के क्षेत्र में, भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए DRDO को नए Innovations के साथ सामने आना होगा। देश में एक Vibrant Defense Sector को बढ़ावा देने में, मेक इन इंडिया को मजबूत करने में DRDO के Innovations की बहुत बड़ी भूमिका है। और इसलिए हमारा ये निरंतर प्रयास होना चाहिए कि design से लेकर development तक हम पूरी तरह से आत्‍मनिर्भर बनें। हमें ऐसा Ecosystem विकसित करना होगा जहां integration और innovation पर संपूर्ण ध्‍यान हो। + +आज भारत डिफेंस के क्षेत्र में नए-नए रिफॉर्म्‍स की तरफ तेजी से आगे बढ़ रहा है। दुनिया में जितनी तेजी से स्थितियां बदल रही हैं। टेक्‍नोलॉजी निरंतर हावी हो रही है। भारत सिर्फ पुरानी व्‍यवस्‍थाओं के भरोसे नहीं रह सकता। मैं 19वीं सदी की व्‍यवस्‍थाओं से 21वीं सदी पार नहीं कर सकता अभी इसी हफ्ते अभी इसी हफ्ते, सरकार द्वारा चीफ ऑफ डिफेंस स्‍टाफ की भी नियुक्ति की गई है। ये सीडीएस अपने आप में बहुत बड़ा बदलाव लाने वाला है। उसका सीधा संबंध DRDO से जाने वाला है। बरसों पहले इस बात की जरूरत महसूस की गई थी कि भारत में तीनों सेनाओं के बीच बेहतर तालमेल के लिए, ज्‍वाइंटनेस और सिनर्जी के लिए इस तरह का पद होना चाहिए, व्‍यवस्‍था होनी चाहिए। ये पद, हमारी सरकार का देश के प्रति कमिटमेंट था, जिसे हमने पूरा किया है। + diff --git a/pm-speech/468.txt b/pm-speech/468.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..706c26b1ed4c2294937ae59fd2ed540710dd22f8 --- /dev/null +++ b/pm-speech/468.txt @@ -0,0 +1,8 @@ +कॉफी के बाग तो कर्नाटका समेत दक्षिण भारत की शान हैं। सरकार का प्रयास है कि कॉफी की वैल्यू चैन को मजबूत किया जाए, इसके लिए Integrated Coffee Development Programme चलाया गया है। इस प्रोग्राम के तहत बीते 2-3 सालों में कॉफी के उत्पादन से लेकर पैकेजिंग तक से जुड़ी पूरी व्यवस्था को विशेष सहयोग और प्रोत्साहन दिया गया है। छोटे उत्पादकों, स्वयं सहायता समूहों, सहकारी संघों को मार्केटिंग में सहायता उपलब्ध कराई जा रही है। + +Horticulture के अलावा दाल, तेल और मोटे अनाज के उत्पादन में भी दक्षिण भारत का हिस्सा अधिक है। भारत में दाल के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए बीज हब बनाए गए हैं, जिनमें से 30 से अधिक सेंटर कर्नाटका, आंध्रा, केरल, तमिलनाडु और तेलंगाना में ही हैं। इसी तरह मोटे अनाज के लिए भी देश में नए हब बनाए गए हैं, जिसमें से 10 साउथ इंडिया में ही हैं। + +सरकार द्वारा नावों के आधुनिकीकरण के लिए, ब्लू रिवोल्यूशन स्कीम के लिए राज्यों को 2500 करोड़ रुपए से अधिक दिए गए हैं। डीप सी फिशिंग के लिए मछुआरों की नावों का आधुनिकीकरण किया जा रहा है और इसरो की मदद से मछुआरों की सुरक्षा के लिए नेविगेशन डिवाइस नावों में लगाए जा रहे हैं। आज यहां तमिलनाडु और कर्नाटका के अनेक किसानों को इसका लाभ लेते हुए आपने भी देखा है। + +कर्नाटका सहित पूरे भारत में जल संकट की स्थिति निपटने के लिए सरकार ने जल जीवन मिशन के तहत हर घर जल पहुंचाने का संकल्प लिया है। कुछ दिन पहले इसी दिशा में एक और अभियान शुरु किया है। इस अभियान का नाम है अटल भूजल योजना। इसके तहत कर्नाटका समेत देश के 7 राज्यों में भूजल यानि ग्राउंडवॉटर के स्तर को ऊपर उठाने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। + diff --git a/pm-speech/469.txt b/pm-speech/469.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..8b372b5de8f72e456af06023043775c577d3a0df --- /dev/null +++ b/pm-speech/469.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +पूजनीय श्री सिद्धलिंगेश्वरा स्वामी जी, कर्नाटका के मुख्यमंत्री श्री बी एस येदियुरप्पा जी, केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे साथी श्री डी वी सदानंद गौड़ा जी, श्री प्रह्लाद जोशी जी, कर्नाटका सरकार के मंत्रिगण, यहां उपस्थित आदरणीय संत समाज, श्रद्धालुगण, देवियों और सज्जनों, आप सभी को नमस्कार। तुमकुरू में डॉक्टर शिवकुमार स्वामी जी की धरती, सिद्धागंगा मठ में आकर मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है। सबसे पहले आप सभी को नव वर्ष की शुभकामनाएं। + +साथियों, पाकिस्तान का जन्म धर्म के आधार पर हुआ था। देश धर्म के आधार पर बंटा था। और बंटवारे के समय से ही पाकिस्तान में दूसरे धर्म के लोगों के साथ अत्याचार शुरू हो गया था। समय के साथ पाकिस्तान में चाहे हिंदू हों, सिख हों, ईसाई हों, जैन हों, उन पर धर्म के आधार पर अत्याचार बढ़ा ही है। हजारों ऐसे लोगों को वहां से अपना घर छोड़कर शरणार्थी के रूप में भारत आना पड़ा है। + +पाकिस्तान ने हिंदुओं पर जुल्म किया, सिखों पर जुल्म किया, जैन और इसाइयों पर जुल्म किया, लेकिन कांग्रेस और उसके साथी, पाकिस्तान के खिलाफ नहीं बोलते। आज हर देशवासी के मन में सवाल है कि जो लोग पाकिस्तान से अपनी जान बचाने के लिए, अपनी बेटियों की जिंदगी बचाने के लिए यहां आए हैं, उनके खिलाफ तो जुलूस निकाले जा रहे हैं लेकिन जिस पाकिस्तान ने उनपर ये जुल्म किया, उसके खिलाफ इन लोगों के मुंह पर ताले क्यों लगे हुए हैं? + diff --git a/pm-speech/470.txt b/pm-speech/470.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..dac652c2d7585f12fdfad219573d70790ca36db5 --- /dev/null +++ b/pm-speech/470.txt @@ -0,0 +1,12 @@ +मेरे प्यारे देशवासियो, आपको जानकर के बहुत अच्छा लगेगा, कि इस कार्यक्रम के अंतर्गत, पिछले दो सालों में, अठारह हज़ार युवाओं को,77 (seventy seven), अलग-अलग ट्रेड में प्रशिक्षण दिया गया है। इनमें से, क़रीब पाँच हज़ार लोग तो, कहीं-न-कहीं job कर रहे हैं, और बहुत सारे, स्व-रोजगार की ओर आगे बढे हैं।हिमायत प्रोग्राम से अपना जीवन बदलने वाले इन लोगों की जो कहानियां सुनने को मिली हैं, वे सचमुच ह्रदय को छू लेती हैं ! + +परवीन फ़ातिमा, तमिलनाडु के त्रिपुर की एक Garment Unit में promotion के बाद Supervisor-cum-Coordinator बनी हैं।एक साल पहले तक, वो, करगिल के एक छोटे से गाँव में रह रही थी।आज उसके जीवन में एक बड़ा बदलाव आया, आत्मविश्वास आया – वह आत्मनिर्भर हुई है और अपने पूरे परिवार के लिए भी आर्थिक तरक्की का अवसर लेकर आई है।परवीन फ़ातिमा की तरह ही, हिमायत प्रोग्राम ने, लेह-लद्दाख क्षेत्र के निवासी, अन्य बेटियों का भी भाग्य बदला है और ये सभी आज तमिलनाडु की उसी फार्म में काम कर रहे हैं। इसी तरह हिमायत डोडा के फियाज़ अहमद के लिए वरदान बन के आया।फियाज़ ने 2012 में, 12वीं की परीक्षा पास की, लेकिन बीमारी के कारण,वो अपनी पढाई जारी नहीं रख सके।फियाज़,दो साल तक हृदय की बीमारी से जूझते रहे।इस बीच, उनके एक भाई और एक बहन की मृत्यु भी हो गई।एक तरह से उनके परिवार पर परेशानियों का पहाड़ टूट गया। आखिरकार, उन्हें हिमायत से मदद मिली।हिमायत के ज़रिये ITES यानी Information Technologyenabled services’में training  मिली और वे आज पंजाब में नौकरी कर रहे हैं। + +मेरे प्यारे देशवासियों, 26 तारीख को हमने इस दशक का आख़िरी सूर्य-ग्रहण देखा।शायद सूर्य-ग्रहण की इस घटना के कारण ही MY GOV पर रिपुन ने बहुत ही Interesting comment लिखा है।वे  लिखते हैं …’नमस्कार सर, मेरा नाम रिपुन है ..मैं north-east का रहने वाला हूँ लेकिन इन दिनों south में काम करता हूँ। एक बात मैं आप से share करना चाहता हूँ।मुझे याद है हमारे क्षेत्र में आसमान साफ़ होने की वजह से हम घंटों, आसमान में तारों पर टकटकी लगाये रखते थे। star gazing, मुझे बहुत अच्छा लगता था। अब मैं एक professional हूँ और अपनी दिनचर्या के कारण, मैं इन चीज़ों के लिए समय नहीं दे पा रहा हूँ… क्या आप इस विषय पर कुछ बात कर सकते हैं क्या ? विशेष रूप से Astronomy को युवाओं के बीच में कैसे popular किया जा सकता है ?’ + +मेरे प्यारे देशवासियों , मुझे सुझाव बहुत आते हैं लेकिन मैं कह सकता हूँ कि इस प्रकार का सुझाव शायद पहली बार मेरे पास आया है।वैसे विज्ञान पर, कई पहलुओं पर बातचीत करने का मौका मिला है।खासकर के युवा पीढ़ी के आग्रह पर मुझे बातचीत करने का अवसर मिला है। लेकिन ये विषय तो अछूता ही रहा था और अभी 26 तारीख को ही सूर्य-ग्रहण हुआ है तो लगता है कि शायद इस विषय में आपको भी कुछ न कुछ रूचि रहेगी।तमाम देशवासियों , विशेष तौर पर मेरे युवा-साथियों की तरह मैं भी,जिस दिन, 26 तारीख को, सूर्य-ग्रहण था, तो देशवासियों की तरह मुझे भी और जैसे मेरी युवा-पीढ़ी के मन में जो उत्साह था वैसे मेरे मन में भी था, और मैं भी, सूर्य-ग्रहण देखना चाहता था, लेकिन, अफसोस की बात ये रही कि उस दिन, दिल्ली में आसमान में बादल छाए हुए थे और मैं वो आनन्द तो नहीं ले पाया, हालाँकि, टी.वी पर कोझीकोड और भारत के दूसरे हिस्सों में दिख रहे सूर्य-ग्रहण की सुन्दर तस्वीरें देखने को मिली। सूर्य चमकती हुई ring के आकार का नज़र आ रहा था।और उस दिन मुझे कुछ इस विषय के जो experts हैं उनसे संवाद करने का अवसर भी मिला और वो बता रहे थे कि ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि चंद्रमा, पृथ्वी से काफी दूर होता है और इसलिए, इसका आकार, पूरी तरह से सूर्य को ढक नहीं पाता है।इस तरह से, एक ring का आकार बन जाता है।यह सूर्य ग्रहण, एक annular solar eclipse जिसे वलय-ग्रहण या कुंडल-ग्रहण भी कहते हैं।ग्रहण हमें इस बात की याद दिलाते हैं कि हम पृथ्वी पर रहकर अंतरिक्ष में घूम रहे हैं । अंतरिक्ष में सूर्य, चंद्रमा एवं अन्य ग्रहों जैसे और खगोलीय पिंड घूमते रहते हैं । चंद्रमा की छाया से ही हमें, ग्रहण के अलग-अलग रूप देखने को मिलते हैं । साथियो, भारत में Astronomy  यानि खगोल-विज्ञान का बहुत ही प्राचीन और गौरवशाली इतिहास रहा है । आकाश में टिमटिमाते तारों के साथ हमारा संबंध, उतना ही पुराना है जितनी पुरानी हमारी सभ्यता है । आप में से बहुत लोगों को पता होगा कि भारत के अलग-अलग स्थानों में बहुत ही भव्य जंतर-मंतर हैं , देखने योग्य हैं । और, इस जंतर-मंतर का Astronomy से गहरा संबंध है । महान आर्यभट की विलक्षण प्रतिभा के बारे में कौननहीं जानता ! अपनी काल -क्रिया में उन्होंने सूर्य-ग्रहण के साथ-साथ, चन्द्र-ग्रहण की भी विस्तार से व्याख्या की है । वो भी philosophical और mathematical, दोनों ही angle से की है । उन्होंने mathematically बताया कि पृथ्वी की छाया या shadow की size  का calculation कैसे कर सकते हैं।उन्होंने ग्रहण के duration और extent को calculate करने की भी सटीक जानकारियाँ दी। भास्कर जैसे उनके शिष्यों ने इस spirit को और इस knowledge को आगे बढ़ाने के लिएभरसक प्रयास किये।बाद में, चौदहवीं–पंद्रहवीं सदी में, केरल में, संगम ग्राम के माधव, इन्होंने ब्रहमाण्ड में मौजूद ग्रहों की स्थिति की गणना करने के लिए calculus का उपयोग किया।रात में दिखने वाला आसमान, सिर्फ, जिज्ञासा का ही विषय नहीं था बल्कि गणित की दृष्टि से सोचने वालों और वैज्ञानिकों के लिए एक महवपूर्ण sourceथा।कुछ वर्ष पहले मैंने ‘Pre-Modern Kutchi (कच्छी) Navigation Techniques and Voyages’, इस पुस्तक का अनावरण किया था । ये पुस्तक एक प्रकार से तो ‘मालम (maalam) की डायरी’ है । मालम, एक नाविक के रूप में जो अनुभव करते थे, उन्होंने, अपने तरीक़े से उसको डायरी में लिखा था । आधुनिक युग में उसी मालम  की पोथी को और वो भी गुजराती पांडुलिपियों का संग्रह, जिसमें, प्राचीन navigation technology का वर्णन करती है और उसमें बार-बार ‘मालम नी पोथी’ में आसमान का, तारों का, तारों की गति का, वर्णन किया है, और ये, साफ बताया है कि समन्दर में यात्रा करते समय, तारों के सहारे, दिशा तय की जाती है। Destination पर पहुँचने का रास्ता, तारे दिखाते हैं । + +मेरे प्यारे देशवासियो, Astronomy  के क्षेत्र में भारत काफी आगे है और हमारे initiatives , path breaking भी हैं। हमारे पास, पुणे के निकट विशालकाय Meter Wave Telescope है। इतना ही नहीं, Kodaikanal , Udaghmandalam ,Guru shikhar और Hanle Ladakh में भी powerful telescope हैं । 2016 में, बेल्जियम के तत्कालीन प्रधानमंत्री, और मैंने, नैनीताल में3.6 मीटर देवस्थल optical telescope का उद्घाटन किया था।इसे एशिया का सबसे बड़ा telescope कहा जाता है।ISRO के पास ASTROSAT नाम का एक Astronomical satellite है। सूर्य के बारे में research करने के लिये ISRO, ‘आदित्य’ के नाम से एक दूसरा satellite भी launch करने वाला है। खगोल-विज्ञान को लेकर, चाहे, हमारा प्राचीन ज्ञान हो, या आधुनिक उपलब्धियां, हमें इन्हें अवश्य समझना चाहिए, और उनपर गर्व करना चाहिए। आज हमारे युवा वैज्ञानिकों में’ न केवल अपने वैज्ञानिक इतिहास को जानने की ललक दिखाई पड़ती है बल्कि वे,Astronomy के भविष्य को लेकर भी एक दृढ़ इच्छाशक्ति रखते हैं। + +हमारे देश के Planetarium, Night Sky को समझने के साथ Star Gazing को शौक के रूप में विकसित करने के लिए भी motivate करते हैं।कई लोग Amateur telescopes को छतों या Balconies में लगाते हैं। Star Gazing से Rural Camps और Rural Picnic को भी बढ़ावा मिल सकता है। और कई ऐसे school-colleges हैंजो Astronomy के club भी गठन करते हैं और इस प्रयोग को आगे भी बढ़ाना चाहिए। + diff --git a/pm-speech/471.txt b/pm-speech/471.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..31fd466a39c0dd9919e2daf4eb088862f05c1681 --- /dev/null +++ b/pm-speech/471.txt @@ -0,0 +1,10 @@ +हर कोई साइड इफेक्‍ट से बचना चाहता है और उसमें आयुष, आयुर्वेद, ये बहुत बड़ी भूमिका अदा कर सकते हैं। तो ऐसी हर पहल बीमारियों की रोकथाम में अपना अहम योगदान दे रही है। Preventive Healthcare के लिए हम जितना बल दें, उतनी Heath Sector के लिए हमारी चिताएं कम होती जाती हैं। एक तरफ जहां इससे Communicable Diseases की रोकथाम में मदद मिल रही है, वहीं दूसरी तरफ जीवनशैली के कारण जो बीमारियां आती है उन बीमारियों को दूर करने में भी ये कारगर साबित हो रही है। + +Preventive Healthcare की ही एक कड़ी है- देश के ग्रामीण इलाकों में सवा लाख से ज्यादा वेलनेस सेंटरों का निर्माण। ये सेंटर बीमारी के शुरुआती लक्षणों को पकड़कर, शुरुआत में ही उनके इलाज में मददगार साबित होंगे। इसी तरह सरकार का विशेष जोर इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम के विस्तार पर भी रहा है। हमने नई वैक्सीन जोड़ने के साथ ही, दूर-दराज वाले इलाकों में भी टीकाकरण अभियान पहुंचाने में सफलता पाई है। + +इन दिनों हम लोग, और मैंने कानपुर में इसे launch किया था, पशुओं के आरोग्‍य को ले करके, Food and Mouth Diseases वाला। ये भी, पशुओं का आरोग्‍य भी human element के लिए भी Preventive Healthcare के लिए काम आता है। अगर पशु बीमार नहीं है तो बीमारी फैलाने का वो कारण भी नहीं बनता है। यानी एक प्रकार से holistic approach  को हमें आवश्‍यकता के अनुसार बल देते हुए आगे बढ़ाना होगा1 + +इसी तरह जन औषधि योजना- इससे सस्ती दवाइयां मिल रही हैं। यानी जो दवाई बाजार में जा करके आप लेने जाते हैं, 100 रुपया लगता है, जन औषिध केंद्र में वो 30-40 रुपये में मिल जाती है। जिनको permanent दवाइयां लेनी पड़ती हें, उन लोगों को महीने का 800, 1000, 1200, 1500 रुपये तक बिल की बचत हो रही है। यानी ये पूरे देश में जन औषधि केंद्र बहुत popular हो रहे हैं और लोग जन औषधि केंद्र की दवाइयों को पसंद कर रहे हैं। वहीं Stents और Knee Caps की कीमतों में भी काफी कमी लाई गई है। + +इस आत्‍मविश्‍वास से भरा हुआ हिंदुस्‍तान 2020 में प्रवेश कर रहा है, एक नए दशक में कदम रख रहा है। और अभी भी जो बाकी हैं, उनके समाधान के लिए भी पूरे सामर्थ्य़ के साथ, हर भारतवासी प्रयास कर रहा है। चाहे हर गरीब को घर देना हो, चाहे हर घर जल पहुंचाना हो। कितनी बड़ी चुनौतियां होंगी, हम चुनौतियों को चुनौती देने के स्‍वभाव को ले करके निकले हैं। + diff --git a/pm-speech/473.txt b/pm-speech/473.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..4dabfda2de742ab7fe67911825d34f013cf1a4d0 --- /dev/null +++ b/pm-speech/473.txt @@ -0,0 +1,26 @@ +भारत की अर्थव्यवस्था तय नियमों से चले, तय लक्ष्यों की तरफ बढ़े, इसके लिए हमने व्यवस्था में आधारभूत परिवर्तन किए हैं, चौतरफा फैसले लिए हैं, उद्योग जगत की दशकों पुरानी मांगों को पूरा करने पर ध्यान दिया है। और इसलिए आज 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी के लिए एक मजबूत आधार बना है। हम भारत की अर्थव्यवस्था को Formalization और Modernization के दो महत्वपूर्ण Pillars पर खड़ा कर रहे हैं। डिजिटल ट्रांजेक्शन बढ़ाने के लिए तमाम उपायों से लेकर GST तक, आधार Linked Payment से लेकर DBT तक, + +बरसों से भारत का उद्योग जगत Business को आसान बनाने की मांग कर रहा था, प्रक्रियाओं को Transparent और Simple करने की मांग कर रहा था। आपकी इस मांग पर भी हमारी ही सरकार ने काम किया। आज भारत दुनिया के उन टॉप टेन देशों में शामिल है जिसने Ease of Doing Business की रैकिंग में,पिछले तीन वर्षों में लगातार सबसे अच्छा सुधार किया है। 190 देशों की रैंकिंग में हम 142 से अब 63वीं रैंक पर आ गए हैं। क्या ये आसान बात है? + +Corporate Tax कम करने, उसका Process Simplify करने को लेकर भी बरसों से देश में तमाम चर्चाएं होती थीं। इसे लेकर भी ठोस कदम किसने उठाया? हमारी ही सरकार ने। देश में जितना CorporateTax आज है, उतना कम कभी नहीं रहा है। मतलब उद्योग जगत से सबसे कम CorporateTax लेने वाली सरकार अगर कोई है, तो वो हमारी सरकार है। + +इसलिए लेबर यूनियनों के सुझावों को ध्यान में रखते हुए, इंडस्ट्री के सुझावों को ध्यान में रखते हुए, हमने लेबर कानून में बहुत से ऐसे बदलाव भी किए हैं जो समय की मांग हैं। लेकिन Friends, अर्थव्यवस्था को पारदर्शी बनाने के लिए, उसे मजबूत बनाने के लिए, उद्योग जगत के हित में उठाए जा रहे ऐसे हर फैसले पर सवाल उठाना ही कुछ लोगों ने अपना दायित्व समझ लिया है। + +हमें विरासत में किस तरह की अर्थव्यवस्था मिली थी, तब अखबारों में किस तरह की बातें होती थीं, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की साख कहां थी, मैं इसके विस्तार में नहीं जाना चाहता। लेकिन उस दौरान जो स्थितियां थीं, उनके प्रभावों को कम करने के लिए जो स्थाई उपाय हमने किए,वो 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लिए बहुत बड़ा आधार बने हैं। + +आप ये भी भली-भांति जानते हैं कि 2014 से पहले देश का बैंकिंग सिस्टम किस तरह के संकट में था। तब हालत ये थी कि बैंकों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए करीब-करीब 6 लाख करोड़ रुपए की पूंजी की प्रोविजिनिंग करनी पड़ी थी। इसमें सरकार द्वारा पहले इंद्रधनुष प्लान के तहत 70 हजार करोड़ रुपए और फिर recap के माध्यम से 2 लाख 36 हजार करोड़ रुपए उपलब्ध कराए गए। + +सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की वजह से अब 13 बैंक मुनाफे में वापस आ चुके हैं।6 बैंक PCA से भी बाहर निकल चुके हैं। हमने बैंकों का एकीकरण भी तेज किया है। बैंक अब अपना देशव्यापी नेटवर्क बढ़ा रहे हैं और अपनी ग्लोबल पहुंच कायम करने की ओर अग्रसर हैं। हमारी सरकार ने बैंकों के कारोबारी फैसलों में, किसी तरह की दखलअंदाजी को समाप्त कर दिया है। + +मेरा मानना है कि एफडीआई के दो अर्थ हैं। अवसर के हिसाब से मैं उन दोनों का उपयोग करता हूं। एक अर्थ विदेशी प्रत्यक्ष निवेश है जिसे आप में से अधिकांश लोग जानते हैं, और अन्य मेरे लिए “पहले विकसित भारत” है। पिछले 20 वर्ष में जितनी FDI देश में आई उसकी लगभग 50 प्रतिशत पिछले 5 वर्षों में आई है। हमने पिछले सालों में अपनी global competitiveness में भी व्यापक सुधार किया है। आज दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा Start-Up Ecosystem हमारे देश में है। देश में Innovation और Enterprise का एक नया वातावरण बना है। आज दुनिया के ज्यादातर निवेशक भारत की तरफ पूरे विश्वास और आशा के साथ देख रहे हैं। भारत की क्षमता को लेकर दुनिया में अभूतपूर्व भरोसा उत्पन्न हुआ है। + +इसी Positivity के आधार पर हम 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी की तरफ बढ़ने वाले हैं। आने वाले वर्षों में इंफ्रास्ट्रक्चर पर 100 लाख करोड़ रुपए का निवेश, इसे ताकत देगा। देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर 25 लाख करोड़ रुपए का निवेश इस लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करेगा। हर घर तक जल पहुंचाने के लिए होने वाला साढ़े 3 लाख करोड़ रुपए का निवेश इसे नई शक्ति देगा। + +भारत की अर्थव्यवस्था को करीब-करीब दोगुना करने के लिए हमारे प्रयास सिर्फ दिल्ली तक सीमित नहीं हैं, इसके लिए हम राज्यों को प्रोत्साहित कर रहे हैं। Manufacturing और Export को बढ़ाने के लिए, Make In India को विस्तार देने के लिए अनेक कदम उठाए जा रहे हैं। टेक्नॉलॉजी और डिफेंस के क्षेत्र में मैन्युफैक्चरिंग हमारी प्राथमिकता में है। इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग को लेकर हम तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं। + +याद करिए, उस दौर में CPI headline inflation कहां तक पहुंची? 9.4 percent तक। CPI core inflation कहां थी? 7.3 percent..!!! WPI inflation कितने तक पहुंची थी? 5.2 percent तक। Fiscal Deficit कहां तक गया था?GDP के 5.6 percent तक। उस समय GDP के अनेक क्वार्टर्स ऐसे गए जो अर्थव्यवस्था के लिए बहुत ज्यादा निराशाजनक थे। मैं इस विवाद में नहीं पड़ना चाहता कि उस समय कुछ लोग क्यों चुप रहे। + +हर परिवार को इतने कम समय में बैंकिंग से जोड़ना पहले असंभव लगता था, लेकिन संभव हुआ है। देश की एक बड़ी आबादी तक डिजिटल बैंकिंग को पहुंचाना भी पहले असंभव दिखता था। आज देश में हर रोज करोड़ों डिजिटल ट्रांजेक्शन हो रहे हैं। BHIM app और Rupay card भी इस देश में इतने प्रचलित हो जाएंगे, ये किसने सोचा था? लेकिन आज ये संभव हुआ है। हर बेघर को अपना पक्का घर देना असंभव लगता था, लेकिन ये संभव हो रहा है। अब इसमें मैं बीते 6 महीने के उदाहरण और देने लगूंगा, तो आपका लंच ब्रेक तो गया समझिए। + +आपका हौसला पहले से बेहतर हो, कृषि से लेकर कंपनियों तक में Production पहले से बेहतर हो, और आपके द्वारा Wealth Creation और Job Creation भी पहले से बेहतर हो, इसके लिए सरकार हर तरह से भारत के उद्योग जगत के साथ खड़ी है। मैं इस मंच के माध्यम से, देश के उद्यमी को यही कहूंगा कि आप आगे बढ़िए, आप समर्थ हैं, सक्षम हैं। पूरी दुनिया का बाजार हमारे सामने है। पूरी दुनिया को टक्कर देने का साहस हमारे भीतर है। आपका संकल्प, आपका सामर्थ्य 5 ट्रिलियन डॉलर के भारत के सपने को पूरा करने में बहुत बड़ी भूमिका निभाने वाला है। + diff --git a/pm-speech/474.txt b/pm-speech/474.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..922a5dc167856bd1088bd20ed125a3d9c8467fbe --- /dev/null +++ b/pm-speech/474.txt @@ -0,0 +1,10 @@ +सैकड़ों अफसरों को विशेष तौर पर इन Aspirational Districts के विकास के लिए लगाया गया है। आमतौर पर सरकारी मुलाज़िमों के प्रति नफरत का भाव उनके प्रति देखने का negative temperament एक लंबे काल से बना हुआ है। लेकिन आपको जानकर खुशी हुई कि दिल्ली में air condition कमरों में बैठने वाले सैंकड़ों अफसर इन दिनों लगातार महीने में दो बार-तीन बार उन दूर-दराज के districts में जाकर के बैठते है, दो-दो, तीन-तीन दिन वहां रहते हैं उस टीम के साथ बैठकर के, रणनीति बनाकर के implement कर-कर के चीजों को बदलने के लिए खुद कोशिश कर रहे हैं। भारत सरकार के केंद्रीय दफ्तर के सैंकड़ों मुलाज़िमों का हिंदुस्तान के दूर-दराज के इलाकों में दो-दो दिन travelling करना पड़ता है। जा रहे हैं एक better tomorrow की तो गारंटी है। और आज मैं हिंदुस्तान टाइम्स के मंच से कह रहा हूं।भारत के ओवरऑल डवलपमेंट पैरामीटर्स को सुधारने के लिए सबसे बड़ा Push इन्हीं 112 Aspiration Districts से मिलेगा। जब यहां के लोगों का भविष्य सुधरेगा तो भारत का भविष्य अपने आप सुधरेगा। + +Ease of Doing Business में हम इस वर्ष भी टॉप-10 Best Performers में से एक हैं। बीते 5 वर्षों में हमने 79 रैंक का सुधार किया है। मुझे बराबर याद है पिछली बार जब Ease of Doing Business के रैंक आए तो world bank के चेयरमैन ने मुझे specially फोन किया कि रैंकिंग तो आते है मेरे लिए खुशी की बात है कि इतना बड़ा देश वो भी developing country और वें इतना बड़ा सुधार करें और लगातार करता रहे world bank के पास ऐसी कोई history available नही है जो पहली बार इंडिया ने किया है उन्होने फोन करके बताया। + +किसी भी तरह की कार्रवाई से पहले किसी Serving Finance और Banking Expert से Scrutiny कराने से जुड़े दिशा-निर्देश भी जल्द ही जारी किए जा रहे हैं। आज जो बैंकिंग सेक्टर पर दबाव है, तनाव है, उससे मुक्ति दिलाना ये भी तो सरकार का काम है और हम करेंगे, अगर बैंक में बैठा हुआ व्यक्ति decisions लेने में डरता है तो उसको चिंता रहती है तो वो निर्णय नही कर पाएगा और सरकार उसको असहाय नहीं छोड़ सकती उसकी सुरक्षा करने के लिए सरकार पूरी जिम्मेदारी लेती है। और तभी तो देश आगे बढ़ता है। और मैं ऐसा हूं मैं जिम्मेदारियों से भागने वाला इंसान नहीं हूं। मैं जिम्मेदारियां खुद लेता हूं। + +और मैं आपको ये भी याद दिला दूं, टूरिज्म बढ़ने का सबसे ज्यादा गरीब को फायदा होता है, गरीब से गरीब को रोजगार मिलता है कम से कम पूंजी निवेश से ज्यादा से ज्यादा रोजगार मिलता है। जब टूरिज्म बढ़ता है, विदेशी पर्यटक आते हैं, तो यहां खर्च भी करते हैं। साल 2014 में भारत के लोगों को टूरिज्म सेक्टर से विदेशी मुद्रा में 1 लाख 20 हजार करोड़ रुपए की कमाई हुई थी। वहीं पिछले साल ये विदेशी मुद्रा बढ़कर करीब-करीब 2 लाख करोड़ रुपए पहुंच गई है। + +यानि Result Oriented Approach लेकर वे वहां से निकलें। time bound काम की जिम्मेदारी लेकर चलें उस दिशा में काम हो रहा है। आज ये भी सही है कि law & order स्टेट का subject होने के बाद भी ये subject बहुत interconnected है। एक राज्य की इस प्रकार की टोली के विषय में दूसरा राज्य नहीं जानता है तो कभी ना कभी संकट आ सकता है। तो इस प्रकार से एक law & order state subject होने के बाद भी जानकारियों की दृष्टि से, संपर्क की दृष्टि से states की interconnected व्यवस्थाएं बहुत आवश्यक हो गई हैं। हम इसमें बदलाव ला रहे हैं। + diff --git a/pm-speech/476.txt b/pm-speech/476.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..511aacaa46ab38234363331cd0dbe27a3be793e0 --- /dev/null +++ b/pm-speech/476.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +आज राष्ट्रपतिजी और मेरे बीच द्विपक्षीय संबंधों तथा परस्पर हित के अंतर्राष्ट्रीय मामलों पर बहुत अच्छी और लाभप्रद चर्चा हुई। हमने निर्णय लिया है कि दोनों देशों के बीच बहुमुखी साझेदारी और सहयोग को हम मिलकर और मज़बूत करेंगे। मैंने राष्ट्रपतिजी को श्रीलंका के साथ विकास साझेदारी के लिए भारत की प्रतिबद्धता का आश्वासन दिया है। हमेशा की तरह, यह सहयोग श्रीलंका के लोगों की प्राथमिकताओं के अनुसार होगा। 400 मिलियन डॉलर की एक नई Line of Credit से श्रीलंका में infrastructure और विकास को बल मिलेगा। मुझे विश्वास है कि श्रीलंका की अर्थव्यवस्था को लाभ पहुंचेगा साथ ही यह Line of Credit दोनों देशों के बीच पारस्परिक लाभ के Project Cooperation को भी गति देगी। हमें खुशी है कि Indian Housing Project के अंतर्गत श्रीलंका के उत्तरी और पूर्वी प्रांतों में आंतरिक विस्थापितों के लिए 46,000 घर बन चुके हैं। Up-Country region में भारतीय मूल के तमिलों के लिए 14,000 घरों के निर्माण में अच्छी प्रगति हो रही है। मुझे इस बात की भी प्रसन्नता है कि हम श्रीलंका में सोलर प्रोजेक्टस के लिए पहले घोषित 100 मिलियन डॉलर क्रेडिट लाइन को जल्दी उपयोग में लाने पर सहमत हुए हैं। भारत द्वारा श्रीलंका में एजुकेशन और infrastructure में अनुदान के आधार पर जारी 20 community development projects और अन्य people-centric projects पर भी राष्ट्रपतिजी और मेरे बीच अच्छी चर्चा हुई। + +भारत ने सदैव ही हर रूप में आतंकवाद का विरोध किया है। और सीमा-पार आतंकवाद सहित अन्य प्रकार के आतंकवाद के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से कार्रवाई की अपेक्षा भी की है। इस साल ईस्टर के अवसर पर श्रीलंका में आतंकियों ने पूरी मानवजाति की विविधता और सहजीवन की मूल्यवान विरासत पर नृशंस हमले किए। आतंकी एवं चरमपंथी ताकतों के विरुद्ध श्रीलंका की लड़ाई में भारत का अटल समर्थन व्यक्त करने मैं भारत में चुनावों के तुरंत बाद श्रीलंका गया। आपसी सुरक्षा के लिए और आतंकवाद के विरुद्ध आपसी सहयोग को और मजबूत करने पर मैंने राष्ट्रपति राजपक्ष के साथ विस्तार से चर्चा की है। प्रमुख भारतीय संस्थानों में श्रीलंका के पुलिस अधिकारी counter terrorist training का लाभ पहले से ही प्राप्त कर रहे हैं। आतंकवाद से निपटने के लिए श्रीलंका को 50 मिलियन डॉलर की एक विशेष Line of Credit की घोषणा करते हुए मुझे खुशी हो रही है। + +हमने श्रीलंका में reconciliation पर भी विचारों का खुलकर आदान-प्रदान किया। राष्ट्रपति राजपक्ष ने ethnic harmony पर उनके समावेशी राजनैतिक दृष्टिकोण के बारे में मुझे बताया। मुझे विश्वास है कि श्रीलंका सरकार तमिलों की समानता, न्याय, शांति और सम्मान की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए, reconciliation की प्रक्रिया को आगे बढ़ाएगी। इसमें 13th amendment को लागू करना भी शामिल है। उत्तर और पूर्व समेत पूरे श्रीलंका में विकास के लिए भारत एक विश्वनीय भागीदार बनेगा । + diff --git a/pm-speech/477.txt b/pm-speech/477.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..c1b702299a7809675a3f7cd4924a4fed19079935 --- /dev/null +++ b/pm-speech/477.txt @@ -0,0 +1,14 @@ +साथियो, आप सबसे बेहतर भला कौन समझ सकता है कि Nation wants to know- वहां से जो यात्रा शुरू हुई, वहां से Nation first का ये सफर कैसे तय हुआ है। बीते पांच वर्षों में पूरे देश ने इस transformation को देखा है। पांच-छह साल तक पहले जनता में और मीडिया में भी सिर्फ सवाल ही सवाल, सवाल ही सवाल, यही चलता रहता था। और ऐसा लगता था कि जैसे एक Recorded bulletin चला जा रहा है और बीच-बीच में वो ही बातें repeat होती रहती थीं। आमतौर पर चर्चा रहती थी- हजारों करोड़ के घोटाले तो दूसरे सप्‍ताह आता था लाखों करोड़ के घोटाले हैं, कभी भ्रष्‍टाचार के आरोप, कभी मुंबई, कभी दिल्‍ली, कभी जयपुर-बम धमाके, कभी नॉर्थ-ईस्‍ट में blockade, कभी आसमान छूती महंगाई- यानि एक बुलेटिन खत्‍म होता था तो अगली तारीख को वही बुलेटिन फिर आ जाता था और उन्‍हीं सब खबरों के साथ। अब उन हालातों को और परिस्थितियों से देश बहुत आगे बढ़ चुका है। अब समस्‍याओं और चुनौतियों से आगे समाधान पर बात हो रही है। दशकों पुरानी समस्‍याओं का समाधान होते हुए आज देश अपनी आंखों के सामने देख रहा है। और कभी-कभी लोग कह भी रहे हैं कि हमने सोचा नहीं था कि हम जीते जी ये देख पाएंगे, ऐसा कई लोग कहते हैं। और इसके दो प्रमुख कारण हैं- पहला, भारत के 130 करोड़ लोगों का आत्‍मविश्‍वास, जो कहता है-Yes, It is India’s moment, और दूसरा-भारत के 130 करोड़ लोगों की सोच, जो कहती है- Nation first, यानि सबसे पहले देश, सबसे ऊपर देश, सबसे आगे देश। + +साथियो, आपको याद होगा   कुछ वर्ष पहले मैंने एक छोटी सी अपील की थी। और मैंने कहा था जिससे संभव हो पाए वो अपनी गैस सब्सिडी छोड़ दे। छोटी सी अपील थी, लेकिन इस अपील के बाद एक करोड़ से ज्‍यादा लोगों ने अपनी गैस सब्सिडी छोड़ दी, यही तो है Nation first. जुलाई 2017 के बाद से 63 लाख, उससे भी ज्‍यादा senior citizens, जिनको रेलवे में सफर करने पर, यात्रा करने पर सब्सिडी मिलती है, 63 लाख ऐसे passengers जो senior citizens, उन्‍होंने voluntary ली, उस सब्सिडी को छोड़ दिया- यही तो है Nation first. आपको याद होगा अपने गांव में शौचालय बनवाने के लिए 105 वर्ष की एक आदिवासी बुजुर्ग महिला ने अपनी कमाई की एकमात्र साधन-अपनी बकरियां बेच दी थीं। टॉयलेट बनाया और टॉयलेट बनाने की movement चलाई थी- यही तो है Nation first. पुणे के रिटायर्ड टीचर्स जिन्‍होंने स्‍वच्‍छता अभियान के लिए अपनी पेंशन का बहुत बड़ा हिस्‍सा दान कर दिया था- क्‍या ये Nation first नहीं है? कोई खुद से समुद्र तटों की सफाई का नेतृत्‍व कर रहा है, कोई गरीब बच्‍चों का भविष्‍य बनाने के लिए उन्‍हें पढ़ा रहा है, कोई गरीबों को डिजिटल लेन-देन सिखा रहा है। अनगिनत ऐसी बातें हिन्‍दुस्‍तान के हर कोने में हैं, और वही, वही है Nation first. साथियो, ये Nation first राष्‍ट्र निर्माण के प्रति प्रत्‍येक देशवासी का समर्पण है। अपने देश के प्रति अपनी जिम्‍मेदारी का भाव है जो आज भारत को नई ऊर्जा दे रहा है। और इसलिए इस बार की summit की जो theme आपने रखी है- India’s moment, Nation first- वो देश के emotion और aspiration, यानि कुल मिलाकर आज के देश के मिजाज को प्रतिबिम्बित करती है, reflect करती है1 + +सा‍थियो, नई सफलताओं के द्वार तभी खुलते हैं जब जीवन में चुनौतियों को स्‍वीकार किया जाता है। अब आप अर्णब को ही देख लीजिए, उसका टीवी शो देख लीजिए जो इतनी लम्‍बी-चौड़़ी विंडो बनाकर, इतने सारे गेस्‍ट बुलाकर अर्णब की अदालत शुरू होती है। और ये क्‍या कम रिस्‍की होता है क्‍या? अर्णब के मेहमान भी तो उनके शो में आने का रिस्‍क उठाते ही हैं। खैर मजाक अपनी जगह है। अर्णव ने चुनौती स्‍वीकार की  और इसलिए आज Republic TV जैसा नेटवर्क वो स्‍थापित कर पाए हैं। + +साथियो, हमारे यहां आधार के कारण क्‍या परिणाम आए हैं, मैं एक छोटा सा उदाहरण देता हूं- हमारे यहां कागजों में आठ करोड़ से ज्‍यादा, आप हैरान हो जाएंगे, आठ करोड़ से ज्‍यादा ऐसे लोग थे, जो कभी जन्‍मे ही नहीं थे। जन्‍म नहीं हुआ, फिर भी शादी हो गई, widow भी हो गए, widow pension भी चालू हो गया। यह वो लोग जिनका अस्तित्‍व सिर्फ कागजों पर था। यह कागजी लोग गैस सब्सिडी लेते थे, पेंशन लेते थे, तनख्‍वाह लेते थे, स्‍कॉलरशिप लेते थे, सरकार के खजाने से फायदे जाते थे। अब कहां जाते होंगे, वो मुझे बताने की जरूरत नहीं है। आधार ने इनकी सच्चाई सामने लाने में बहुत बड़ी मदद की, और इससे करीब-करीब डेढ़ लाख करोड़ रुपए- मैं दोबारा बोलता हूं- डेढ़ लाख करोड़ रुपए गलत हाथों में जाने से बच गए, leakages बच गया, भ्रष्‍टाचार खत्‍म हुआ। डेढ़ लाख करोड़ रुपए कोई कम रकम नहीं है जी। साल दर साल लगभग इतनी ही राशि गलत हाथों में पहुंच रही थी और कोई रोकने वाला नहीं था। सिस्टम की इस बड़ी लीकेज को रोकने का काम हमने किया,  आधार के माध्‍यम से किया। क्‍यों- आप जानते हैं उसके कारण कितने लोगों का नुकसान हुआ होगा। कितने लोगों के जेब भरने बंद हुए होंगे? कितने लोगों के मन में हम कांटे की तरह चुभते होंगे, लेकिन यह सब इसलिए किया, क्योकि Nation first. + +साथियो, इन लोगों की चली होती तो देश में GST भी कभी लागू नहीं हो पाता। जीएसटी को भी तो जानकार बहुत बड़ा राजनीतिक रिस्‍क मानते थे। जिस भी देश में इसे लागू किया गया वहां पर सरकारें गिर गई थीं। इस चुनौती ने हमारे कदम रोके नहीं, बल्कि हमने राजनीतिक लाभ-हानि की चिंता के बिना देश के हित में इसे लागू किया। आज GST की वजह से ही देश में एक ईमानदार Business Culture मजबूत हो रहा है और महंगाई पर भी नकेल कसी जा रही है। आज सामान्य नागरिक से जुड़ी, यह शायद मीडिया में दिखाई नहीं दिया जाता है, पता नहीं उनको क्‍या तकलीफ है? आज सामान्य नागरिक से जुड़ी 99 पर्सेंट, मैं बहुत जिम्‍मेदारी के साथ कह रहा हूं, 99 पर्सेंट चीजों पर, पहले के मुकाबले औसतन आधा टैक्स लग रहा है। जीएसटी के पहले जो लगता था उससे आज आधा लग रहा है। एक समय था जब रेफ्रिजरेटर, मिक्सर, जूसर, वैक्यूम क्लीनर, गीजर, मोबाइल फोन, वॉशिंग मशीन, घड़ियां- इन सब पर 31 percent से ज्यादा टैक्स लगा करता था। आज इन्हीं सब चीजों पर 10 से 12 percent तक ही टैक्‍स लगता है। यहां तक कि पहले गेहूं, चावल, दही, लस्‍सी, छाछ- इस पर भी टैक्‍स लगता था। आज ये सब जीएसटी के बाद टैक्‍स फ्री हो गए हैं। + +साथियो, आज भारत में जिस स्‍पीड और स्‍केल पर काम हो रहा है वो अभूतपूर्व है। 60 महीने में करीब 60 करोड़ भारतीयों तक टॉयलेट की सुविधा पहुंचाना, तीन साल से कम समय में आठ करोड़ घरों को मुफ्त गैस कनेक्‍शन से जोड़ना, एक हजार दिन से भी कम समय में 18 हजार गांवों तक बिजली पहुंचाना, पांच साल में डेढ़ करोड़ से अधिक लोगों को अपना घर देना, 37 करोड़ से ज्‍यादा गरीब लोगों को बैंकिंग सिस्‍टम से जोड़ना, दुनिया की सबसे बड़ी health  insurance scheme आयुष्‍मान भारत की शुरूआत करना, 50 करोड़ लोगों को पांच लाख रुपए तक के मुफ्त इलाज की सुविधा देना, करीब 15 करोड़ किसान परिवारों के खाते में सीधी मदद पहुंचाना- इस प्रकार की योजनाएं और प्रोग्राम आप तभी प्‍लान और execute कर सकते हैं जब आप में और आपकी पूरी टीम में Nation First का मंत्र जीवनमंत्र बन जाता है, जब आप स्‍वार्थों से निकलकर सबका साथ सबका विकास और सबका विश्‍वास को नीति और राजनीति का आधार बनाते हैं। + +साथियो, Nation First  की यही भावना थी जिसने गरीबों को बैंकिंग सिस्टम से जोड़ने के लिए 37 करोड़ से ज्यादा बैंक खाते खुलवाए। देश का सामान्‍य मानवी भी आसानी से digital लेनदेन कर सके, इसी सोच के साथ रूपे कार्ड दिए गए, BHIM एप लॉन्‍च किया गया। आपको जान करके खुशी होगी, अब तक देश में 55 करोड़ से ज्‍यादा RUPAY डेबिट कार्ड जारी किए जा चुके हैं और इस कार्ड का मार्केट शेयर अब 30 पर्सेंट तक पहुंच रहा है। रूपे कार्ड- ये धीरे-धीरे Global Brand बनने की ओर बढ़ रहा है। + diff --git a/pm-speech/479.txt b/pm-speech/479.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..0aba379b7301d22a0c465decb079f378ea224acd --- /dev/null +++ b/pm-speech/479.txt @@ -0,0 +1,22 @@ +मेरे प्यारे देशवासियो, ‘मन की बात’ में आप सबका स्वागत है। आज मन की बात की शुरुआत, युवा देश के, युवा, वो गर्म जोशी, वो देशभक्ति, वो सेवा के रंग में रंगे नौजवान, आप जानते हैं ना।नवम्बर महीने का चौथा रविवार हर साल NCC Day के रूप में मनाया जाता है। आमतौर पर हमारी युवापीढ़ी को Friendship Day बराबर याद रहता है। लेकिन बहुत लोग हैं जिनको NCC Day भी उतना ही याद रहता है। तो चलिए आज NCC के बारे में बातें हो जाए। मुझे भी कुछ यादें ताजा करने का अवसर मिल जाएगा। सबसे पहले तो NCC के सभी पूर्व और मौजूदा Cadet को NCCDay की बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूँ। क्योंकि मैं भी आप ही की तरह Cadet रहा हूँ और मन से भी, आज भी अपने आपको Cadet मानता हूँ। यह तो हम सबको पता ही है NCC यानी National Cadet Corps। दुनिया के सबसे बड़े uniformed youth organizations में भारत की NCC एक है। यह एक Tri-Services Organization है जिसमें सेना, नौ-सेना, वायुसेना तीनों ही शामिल हैं। Leadership, देशभक्ति, selfless service, discipline, hard-work इन सबको अपने character का हिस्सा बना लें, अपनी habits बनाने की एक रोमांचक यात्रा मतलब – NCC। इस journey के बारे में कुछ और अधिक बातें करने के लिए आज फ़ोन कॉल्स से कुछ नौजवानों से, जिन्होंने अपने NCC में भी अपनी जगह बनायी है।आइये उनसे बातें करते हैं। + +तरन्नुम खान : सर, मैं आपको बताना चाहूंगी कि मेरा सबसे अच्छा अनुभव जो रहा वो ‘एक भारत-श्रेष्ठभारत’ कैम्प में रहा था। ये हमारा कैम्प अगस्त में हुआ था जिसमें NER‘North Eastern Region’ के बच्चे भी आये थे। उन Cadets के साथ हम 10 दिन के लिये रहे। हमने उनका रहन-सहन सीखा। हमने देखा कि उनकी language क्या है। उनका tradition, उनका culture हमने उनसे ऐसी कई सारी चीजें सीखी। जैसेvaizomeका मतलब होता है… हेलो …. वैसे ही, हमारी cultural night हुई थी,उसके अन्दर उन्होंने हमें अपना dance सिखाया, तेहरा कहते हैं उनके dance को।और उन्होंने मुझे ‘मेखाला’(mekhela) पहनना भी सिखाया। मैं सच बताती हूँ , उसके अन्दर बहुत खूबसूरत हम सभी लग रहे थे दिल्ली वाले as well as हमारे नागालैंड के दोस्त भी। हम उनको दिल्ली दर्शन पर भी लेकर गये थे ,जहां हमने उनको National War Memorial और India Gate दिखाया । वहां पर हमने उनको दिल्ली की चाट भी खिलायी, भेल-पूरी भी खिलाईलेकिन उनको थोड़ा तीखा लगा क्योंकि जैसा उन्होंने बताया हमको कि वो ज्यादातर soup पीना पसंद करते हैं, थोड़ी उबली हुई सब्जियां खाते हैं, तो उनको खाना तो इतना भाया नहीं, लेकिन, उसके अलावा हमने उनके साथ काफी picturesखींची, काफी हमने अनुभव share करे अपने। + +United Kingdom, United States of America, Singapore, Brunei, HongKong और Nepal।यहाँ पर हमें combat lessons और International Military exercises का एक exchange सीखा था। यहाँ पर हमारा performance कुछ ही अलग था, sir। इनमें से हमें water sports और adventure activitiesसिखाया था और water polo tournament में India team जीत हासिल किया था sir। और cultural में हम overallperformers थे sir।हमारा drill और word of commandबहुत अच्छा लगा था sir उनको। + +विनोले किसो : सर, मैंने NCC join किया और बहुत सीखा था और मुझे opportunities भी बहुत मिली थी और मेरा एक experience था वो मैं आपको बताना चाहता है। मैंने इस साल 2019 जून महीने से एक कैंप attend किया वो है Combined Annual Training Camp और वो SazolieCollege, Kohima में held किया। इस कैंप में 400 cadets ने attend किया। + +और वो भी NCC Day पर। मेरे लिये बहुत ख़ुशी की बात है क्योंकि मेरा भी सौभाग्य रहा कि मैं भी बचपन में मेरे गाँव के स्कूल में NCC Cadet रहा था तो मुझे मालूम है कि ये discipline, ये uniform, उसके कारण जो confidence level बढ़ता है, ये सारी चीज़ें बचपन में मुझे एक NCC Cadet के रूप में अनुभव करने का मौका मिला था। + +बहुत ही, एक प्रकार से discipline मैं मानने वाला था लेकिन एक बार जरुर misunderstanding हुआ था।जब हम camp में थे तो मैं एक पेड़ पर चढ़ गया था। तो पहले तो ऐसा ही लगा कि मैं कोई कानून तोड़दिया है लेकिन बाद में सबको ध्यान में आया कि वहाँ, ये पतंग की डोर में एक पंखी फंस गया था। तो उसको बचाने के लिए मैं वहाँ चढ़ गया था। तो खैर, पहले तो लगता था कि मुझ पर कोई discipline action होंगे लेकिन बाद में मेरी बड़ी वाह-वाही हो गयी।तो इस प्रकार से एक अलग ही अनुभव आया मुझे। + +मेरे प्यारे देशवासियो, भारत में Fit India Movement से तो आप परिचित हो ही गए होंगे।CBSE ने एक सराहनीय पहल की है।Fit India सप्ताह की।Schools, Fit India सप्ताह दिसम्बर महीने में कभी भी मना सकते हैं। इसमें fitness को लेकर कई प्रकार के आयोजन किए जाने हैं। इसमें quiz, निबंध, लेख, चित्रकारी, पारंपरिक और स्थानीय खेल, योगासन, dance एवं खेलकूद प्रतियोगिताएं शामिल हैं।Fit India सप्ताह में विद्यार्थियों के साथ-साथ उनके शिक्षक और माता-पिता भी भाग ले सकते हैं। लेकिन ये मत भूलना कि Fit India मतलब सिर्फ दिमागी कसरत, कागजी कसरत या laptop या computer पर या mobilephone पर fitness की app देखते रहना। जी नहीं ! पसीना बहाना है। खाने की आदतें बदलनी है। अधिकतम focus activity करने की आदत बनानी है। मैं देश के सभी राज्यों के school board एवं school प्रबंधनसे अपील करता हूँ कि हर school में, दिसम्बर महीने में,Fit India सप्ताह मनाया जाए। इससे fitness की आदत हम सभी की दिनचर्या में शामिल होगी।Fit India Movement में fitness को लेकर स्कूलों की ranking की व्यवस्था भी की गई हैं। इस ranking को हासिल करने वाले सभी school,Fit Indialogo और flag का इस्तेमाल भी कर पाएंगे।Fit Indiaportal पर जाकर school स्वयं को Fit घोषित कर सकते हैं।Fit Indiathree star और Fit India five star ratings भी दी जाएगी। मैं अनुरोध करते हूँ कि सभी school,Fit Indiaranking में शामिल हों और Fit Indiaयह सहज स्वभाव बने। एक जनांदोलन बने। जागरूकता आए। इसके लिए प्रयास करना चाहिए। + +मेरे प्यारे देशवासियो, हमारे देश इतना विशाल है। इतना विविधिताओं से भरा हुआ है। इतना पुरातन है कि बहुत सी बातें हमारे ध्यान में ही नहीं आती हैं और स्वाभाविक भी है। वैसी एक बात मैं आपको share करना चाहता हूँ। कुछ दिन पहले MyGov पर एक comment पर मेरी नजर पड़ी। ये comment असम के नौगाँव के श्रीमान रमेश शर्मा जी ने लिखा था। उन्होंने लिखा ब्रहमपुत्र नदी पर एक उत्सव चल रहा है। जिसका नाम है ब्रहमपुत्र पुष्कर। 04 नवम्बर से 16 नवम्बर तक ये उत्सव था और इस ब्रहमपुत्र पुष्कर में शामिल होने के लिए देश के भिन्न-भिन्न भागों से कई लोग वहाँ पर शामिल हुए हैं। ये सुनकर आपको भी आश्चर्य हुआ ना। हाँ यही तो बात है ये ऐसा महत्वपूर्ण उत्सव है और हमारे पूर्वजों ने इसकी ऐसी रचना की है कि जब पूरी बात सुनोगे तो आपको भी आश्चर्य होगा।लेकिन दुर्भाग्य से इसका जितना व्यापक प्रचार होना चाहिए। जितनी देश के कोने-कोने में जानकारी होनी चाहिए, उतनी मात्रा में नहीं होती है। और ये भी बात सही है इस पूरा आयोजन एक प्रकार से एक देश-एक सन्देश और हम सब एक है। उस भाव को भरने वाला है, ताकत देने वाला है। + +हमारे पूर्वजो ने प्रकृति को, पर्यावरण को , जल को , जमीन को , जंगल कोबहुत अहमियत दी।उन्होंने नदियों के महत्व को समझा और समाज को नदियों के प्रति सकारात्मत भाव कैसा पैदा हो, एक संस्कार कैसे बनें , नदी के साथ संस्कृति की धारा, नदी के साथ संस्कार की धारा , नदी के साथ समाज को जोड़ने का प्रयास ये निरंतर चलता रहा और मजेदार बात ये है कि समाज नदियों से भी जुड़ा और आपस में भी जुड़ा।पिछले साल तमिलनाडु के तामीर बरनी नदी पर पुष्करम हुआ था।इस वर्ष यह ब्रह्मपुत्र नदी पर आयोजित हुआ और आने वाले सालतुंगभद्रा नदी आँध्रप्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक में आयोजित होगा।एक तरह से आप इन बारह स्थानों की यात्रा एक Tourist circuit के रूप में भी कर सकते हैं। यहाँ मैं असम के लोगों की गर्मजोशी उनके आतिथ्य कीसराहना करना चाहता हूँ जिन्होंने पूरे देश से आये तीर्थयात्रियों का बहुत सुन्दर सत्कार किया।आयोजकों ने स्वच्छता का भी पूरा ख्याल रखा।plastic free zone सुनिश्चित किये। जगह-जगह Bio Toilets की भी व्यवस्था की।मुझे उम्मीद है कि नदियों के प्रति इस प्रकार का भाव जगाने का ये हज़ारों साल पुराना हमारा उत्सव भावी पीढ़ी को भी जोड़े। प्रकृति, पर्यावरण, पानी ये सारी चीजें हमारे पर्यटन का भी हिस्सा बनें, जीवन का भी हिस्सा बनें। + +पिछले कार्यक्रम के बाद कई लोगों ने इसे और अधिक प्रभावी बनाने के लिए अपने सुझाव भी भेजे हैं, और, शिकायत भी की थी कि पिछली बार देर से हुआ था, परीक्षा एकदम से निकट आ गई थी। और श्वेता का सुझाव सही है कि मुझे, इसको, जनवरी में करना चाहिए HRD Ministry और MyGov की टीम, मिलकर, इस पर काम कर रही हैं। लेकिन,मैं, कोशिश करुगां, इस बार परीक्षा पर चर्चा जनवरी की शुरू में या बीच में हो जाए।देश भर के विद्यार्थियों-साथियों के पास दो अवसर हैं। पहला, अपने स्कूल से ही इस कार्यक्रम का हिस्सा बनना।दूसरा, यहाँ दिल्ली में होने वाले कार्यक्रम में भाग लेना। दिल्ली के लिए देश-भर से विद्यार्थियों का चयन MyGov के माध्यम से किया जाएगा। साथियो, हम सबको मिलकर परीक्षा के भय को भगाना है। मेरे युवा-साथी परीक्षाओं के समय हँसते-खिलखिलाते दिखें, Parents तनाव मुक्त हों,Teachers आश्वस्त हों, इसी उद्देश्य को लेकर, पिछले कई सालों से, हम,‘मन की बात’ के माध्यम से ‘परीक्षा पर चर्चा’Town Hall के माध्यम से या फिर Exam Warrior’s Book के माध्यम से लगातार प्रयास कर रहें हैं। इस मिशन को देश-भर के विद्यार्थियों ने,Parents ने, और Teachers ने गति दी इसके लिए मैं इन सबका आभारी हूँ,और, आने वाली परीक्षा चर्चा का कार्यक्रम हम सब मिलकर के मनाएँ – आप सब को निमंत्रण हैं। + +मेरे प्यारे देशवासियो, कभी-कभी जीवन में, छोटी-छोटी चीज़ें भी हमें बहुत बड़ा सन्देश दे जाती हैं। अब देखिये न, media में ही scuba divers की एक story पढ़ रहा था। एक ऐसी कहानी है जो हर भारतवासी को प्रेरित करने वाली है। विशाखापत्तनम में गोताखोरी का प्रशिक्षण देने वाले scuba divers एक दिनmangamaripeta beach पर समुद्र से लौट रहे थे तो समुद्र में तैरती हुई कुछ प्लास्टिक की बोतलों और pouch से टकरा रहे थे। इसे साफ़ करते हुए उन्हें मामला बड़ा गंभीर लगा। हमारा समुद्र किस प्रकार से कचरे से भर दिया जा रहा है। पिछले कई दिनों से ये गोताखोर समुद्र में, तट के, करीब 100 मीटर दूर जाते है, गहरे पानी में गोता लगाते हैं और फिर वहाँ मौजूद कचरे को बाहर निकालते हैं। और मुझे बताया गया है कि 13 दिनों में ही, यानी 2 सप्ताह के भीतर-भीतर, करीब-करीब 4000 किलो से अधिक plastic waste उन्होंने समुद्र से निकाला है। इन scuba divers की छोटी-सी शुरुआत एक बड़े अभियान का रूप लेती जा रही है। इन्हें अब स्थानीय लोगों की भी मदद मिलने लगी है। आस-पास के मछुआरें भी उन्हें हर प्रकार की सहायता करने लगे है। जरा सोचिये, इस scuba diversसे प्रेरणा लेकर, अगर, हम भी, सिर्फ अपने आस-पास के इलाके को प्लास्टिक के कचरे से मुक्त करने का संकल्प कर लें तो फिर ‘प्लास्टिक मुक्त भारत’ पूरी दुनिया के लिए एक नई मिसाल पेश कर सकता है। + diff --git a/pm-speech/480.txt b/pm-speech/480.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..870ee20053c1c64673443800c60639ef0cd3859c --- /dev/null +++ b/pm-speech/480.txt @@ -0,0 +1,18 @@ +Accountant General में मुझे फिर एक बार आने का मौका मिला है। ज्‍यादा तो मौका नहीं मिलता है बातचीत करने का लेकिन कुछ समय में भी कुछ अनुभव हो ही जाता है। गांधीजी की 150वीं जन्‍म-जयंती के वर्ष में ये कार्यक्रम होना, ये भी अपने-आप में सुखद है। और गांधीजी कहते थे कि जिस तरह व्‍यक्ति अपना पीठ नहीं देख सकता, अपना back नहीं देख सकता, उसी तरह व्‍यक्ति के लिए अपनी त्रुटियों को देखना भी बड़ा मुश्किल होता है। + +साथियो, दशकों से खड़ी की हुई इस व्‍यवस्‍था में बहुत तेजी से परिवर्तन लाना अपने-आप में बहुत बड़ी चुनौती होती है। क्‍योंकि शायद सरकारी व्‍यवस्‍थाओं में जिसकी सबसे ज्‍यादा उम्र है, ऐसा कोई इंस्‍टीट्यूट है तो वो CAG है, 1860 में हुआ? और वो भी 1857 के बाद हुआ था तो उसकी एक हिस्‍ट्री है। कभी आप लोग गहरे जाआगे तो काफी कुछ मिलेगा उसमें से। आजकल तो reform को एक बड़ा ही fancy word माना जाता है। हर कोई कहता है मैं भी reform करता हूं। कहीं कुछ भी करो, reform में आ जाता है। लेकिन असली reform तब आता है, जब किसी संगठन में पूरी rank और file पूरी ईमानदारी से उसके लिए तैयार होती है, motivate होती है। और ये बात देश की हर सरकार, हर संस्‍था, हर संस्‍थान पर लागू होती है और जिसमें CAG भी है। CAG की जिम्मेदारी इसलिए भी अधिक है क्योंकि आप देश और समाज के आर्थिक आचरण को पवित्र रखने में एक अहम भूमिका निभाते हैं। और इसलिए आपसे उम्मीद भी जरा ज्‍यादा रहती है। + +साथियो, आज भारत दुनिया की सबसे अग्रणी digitized economy में से एक है और यहां तेजी से digital infrastructure का निर्माण हो रहा है। Digital व्‍यवस्‍था ने नागरिक और सरकार के बीच के interface को, सद्भाव को, विश्‍वास को तो मजबूत किया ही है, सरकारी प्रक्रियाओं पर भी इसका सकारात्‍मक असर पड़ा है। हमारे record maintain करने के तौर-तरीके भी बदलते जाते हैं। और मैं एक उदाहरण आपको देता हूं- पहले जो सरकार को payment होती थी, उसके चालान नागरिकों को, सरकारी दफ्तरों को, ट्रेजरी को, सभी को अलग-अलग रखने पड़ते थे। लेकिन अब physical copy की जरूरत नहीं है बल्कि वो एक App में ही paperless तरीके से स्‍टोर हो जाता है। इससे जनता को तो सुविधा हुई ही है CAG के audit process में भी बहुत बड़ा बदलाव आया है। + +साथियो, आज जब आज जब भारत 5 ट्रिलियन डॉलर की आर्थिक ताकत बनने की ओर अग्रसर हो रहा है, उसमें भी आप सभी की बहुत बड़ी भूमिका है। क्योंकि आप जो करेंगे उसका सीधा असर सरकार की Efficiency पर पड़ेगा, सरकार की Decision Making और Policy Making पर पड़ेगा। आप जो कुछ करेंगे, उसका सीधा असर बिजनेस संस्‍थानों की Efficiency पर भी पड़ेगा, आप जो कुछ करेंगे उसका सीधा असर भारत में निवेश पर पड़ेगा, ease of doing business पर पड़ेगा। आज जितने भी स्टेक होल्डर्स हैं, उनको सटीक Audit भी चाहिए, ताकि वो अपने Plans का सही Execution कर सकें। वहीं वो ये भी नहीं चाहते कि Audit के Process में बहुत ज्यादा समय लगे।  यहीं से आपकी चुनौती शुरू होती है। इस चुनौती से निपटने के लिए दो काम बहुत जरूरी हैं। एक skill और training से जुड़ा है और दूसरा tools से जुड़ा है। जो नए साथी इस profession से जुड़ रहे हैं, उनको तो updated technology से हमें लैस करना ही है, जो भी काम कर रहे हैं, इनकी skill को upgrade  करना भी उतना ही जरूरी है। अब जैसे पूरी दुनिया में जो auditing से जुड़ी संस्‍थाएं हैं, वे crowd based solution की तरफ बढ़ रही हैं। इसी तरह टेक्‍नोलॉजी को लेकर जो best  global practices हैं, उनको हमें हमारे सिस्‍टम का हिस्‍सा तो बनाना ही है, India Pacific tools पर भी हमें काम करना है। + +सा‍थियो, हमारा लक्ष्य है कि साल 2022 तक Evidence Based Policy-Making को गवर्नेंस का अभिन्न हिस्सा बनाया जाए। ये New India की नई पहचान बनाने में भी मदद करेगा। ऐसे में Audit और Assurance Sector के Transformation के लिए भी ये सही दौर है। अब CAG को भी CAG 2.0 की तरफ बढ़ना होगा। मुझे बताया गया है कि आप इस तरफ तेजी से आगे बढ़ भी रहे हैं। ये काम हम तेजी से तभी कर पाएंगे जब कुछ gap को, कुछ कड़ियों को तेजी से जोड़ पाएं। अभी हमारे यहां जो data generate हो रहा है, वो बहुत विशाल है और अनेक एजेंसियों, अनेक विभागों के पास स्‍टोर है। ये डेटा भी इन एजेंसियों और विभागों ने अपने यूज के लिए collect किया है। लेकिन ये भी सही है कि अक्‍सर ये डेटा एक-दूसरे के साथ शेयर नहीं किया जाता। ये विशाल डेटा लिंक नहीं होता। इसलिए accountability gap भी natural course में आ जाता है। हमें इसे bridge करना है। और इसके लिए सरकार के स्‍तर पर भी कुछ कोशिश हो रही है, कदम उठाए जा रहे हैं। और मुझे विश्‍वास है कि आप सब भी इस विषय पर आपस में विचार करेंगे और दूसरी एजेंसियों और विभागों के साथ भी साझा करेंगे। और मुझे याद है पिछली बार मैंने आपके बीच एक ही जिले में road construction का उदाहरण दिया था। ये बताया था कि कैसे एक ही जिले में समान लंबाई की सड़क जब दो अलग-अलग डिपार्टमेंट बनाते हैं तो कई बार कीमतों में कितना फर्क रहता है। अब अलग-अलग ऑडिट के समय में तो दोनों ठीक लगते हैं, लेकिन overall picture को देखें तो सही नहीं पाए जाते हैं। ऐसे कितने ही उदाहरण सरकारी विभागों में हैं जहां पर big data analysis सुधार किए जा सकते हैं। और मैं समझता हूं कि जब आप बड़े डेटा बेस को अपने ऑडिट के लिए analyze करते हैं तो आपकी जानकारी Evidence Based Policy-Making में बहुत काम आ सकती है। अगर इसमें CAG इस डेटा से जुड़ी जानकारियों के आधार पर advice दे सकें, कुछ institutional solution दे सकें, तो मैं समझता हूं इससे देश की बहुत बड़ी सेवा होगी। और मेरा तो आग्रह ये भी होगा कि आप सिर्फ ऑडिट के लिहाज से ही नहीं एक think tank के नजरिए से भी सोचें। + +साथियो, मैंने पिछली बार institutional memory की भी बात की थी। Digital audit और Digital governance, अलग-अलग संस्‍थाओं में इस institutional memory को भी मजबूत करने का काम कर सकती है। एक और काम आप आसानी से कर सकते हैं, CAG अनेक अंतर्राष्‍ट्रीय संस्‍थाओं का ऑडिट करती है, दूसरे देशों को ऑडिट में technical support देती है। आप एक ऐसा institutional mechanism तैयार कर सकते हैं जिसमें International audit करने वाली टीमें अपने अनुभव साझा कर सकें, वहां की bast practices को शेयर कर सकें, CAG की ऑडिट रिपोर्ट ज्‍यादा सार्थक हो। इसके लिए क्‍या हम audit के topic को विचार-विमर्श करने के लिए चुन सकते हैं क्‍या? इस पर हमें जरूर विचार करना चाहिए। आप अनेक प्रकार के audit करके आ रहे हैं। मेरा एक सुझाव है कि आप process audit पर भी गौर करें। अभी तक तो आप सिर्फ यही देखते हैं कि process follow हुआ या नहीं हुआ। लेकिन क्‍या उस process पर कोई सुधार संभव है, ताकि निर्धारित लक्ष्‍य तक पहुंचा जा सके? ये सुझाव आएगा और मैं समझता हूं कि बहुत मददकारक होगा। एक और शिकायत विभागों की तरफ से रहती है कि       CAG audit बहुत जल्‍दी-जल्‍दी होता है, जिसके कारण जो findings निकलती हैं, वो उतनी काम नहीं आ पाती हैं। क्‍या ऐसा संभव है कि विभागों के internal audit, उसमें कैसे मजबूती आए, और वो in tune with CAG कैसे हो, ताकि हम समय भी बचा सकें और efficiency बढ़ा सकें। और इससे होगा ये कि routine audit विभाग खुद जब करते हैं तो इन सारी बारी‍कियों को ध्‍यान दें ताकि जब CAG वहां जाएं तो उसको जो readymade material मिलेगा, उसमें बहुत कम चीजों की जरूरत पड़ेगी और हम efficiency बढ़ा सकते हैं, हम speed भी बढ़ा सकते हैं। + +साथियो, ये चुनौती उस टेक्‍नोलॉजी से हमें निपटने की है जो गलत काम करने वालों के पास है। अब CAG सहित तमाम ऑडिटर्स को चाहे वो internal हो, या फिर external हो, नई चुनौतियों से निपटने के लिए innovative तरीके ढूंढने ही पड़ेंगे। और इसके लिए सबसे पहले हमें ऑडिटर्स की core values को प्रोत्‍साहित करना होगा, तभी हम occupational fraud पर नकेल कस पाएंगे। बीते कुछ सालों में सरकारी विभागों में fraud से निपटने के लिए अनेक प्रयास हुए हैं। अब CAG को ऐसे technical tools develop करने होंगे ताकि संस्‍थानों में fraud के लिए कोई गुंजाइश न बचे। और मैं आपको सुझाव देना चाहता हूं- मैं पिछले दिनों इसका प्रयोग किया है, क्‍या CAG इस पर सोच सकता है क्‍या? मैंने भारत सरकार के अलग-अलग डिपार्टमेंटों से प्रार्थना की कि आपके पास ऐसी कौन सी problem है, कि जिसके solution में या उन समस्‍याओं के समाधान में या delivery में आपको दिक्‍कतें होती हैं? शुरू में तो डिपार्टमेंट के लिए ऐसा स्‍वीकार करना मुश्किल होता है, तो सबका पहला रिपोर्ट यही आता है, नहीं हमारे यहां कोई तकलीफ नहीं है, सब बहुत अच्‍छा है, कोई तकलीफ नहीं है, बहुत बढ़िया चल रहा है। मैं जरा पीछे लगा रहा, बार-बार पूछता रहा, तो अलग-अलग डिपार्टमेंट्स से करीब-करीब 400 issues आए। उनको लगता था कि इसका technological solution हो तो अच्‍छा हो। + +इन 400 issues को मैंने अलग-अलग universities के IT based काम करने वाले students को दिया और पूरे देश में हेकेथॉन चलाया। लाखों नौजवानों ने उसमें हिस्‍सा लिया। Minimum 36 hours nonstop इन टोलियों ने काम किया। उसमें से निकलते-निकलते-निकलते ऊपर जब करीब 10-12 हजार बच्‍चे बचे तो मैंने खुद ने उनसे चर्चा की। और आप हैरान हो जाएंगे इन 400 जो issues निकाले थे, अधिकतर का सॉल्‍यूशन इन 18-20-22 साल के बच्‍चों ने निकाल करके दिया, technology based solution. और सरकार का भी मैं अभिनंदन करूंगा कि उसमें से करीब-करीब 80 पर्सेंट उन्‍होंने already अपनी व्‍यवस्‍था में incorporate कर दिया, लागू कर दिया। क्‍या CAG आज जो चुनौतियां हैं, जैसे अब आपने प्रेजेंटेशन में बताया कि ये हॉस्पिटल का ऑडिट करना इन्‍हें कितना बड़ा टेक्‍नीकल काम है, कैसे करना है। अब आप तो उस फील्‍ड के हैं नहीं। कोई एक डॉक्‍टर मिल जाए, वो आपको कहे तो आप उस दिशा में जा करके देख लेंगे। क्‍या हम इस प्रकार की चीजों के लिए identify करके इतने-इतने issues हैं, technical solutions निकाले जा सकते हैं। + +लेकिन कभी-कभी process बढ़िया, प्रॉडक्‍ट बढ़िया, outcome क्‍या? Outcome कहां कम होता है, जहां पर चोरी होती है वहां outcome कम होता है बात अलग है, ज्‍यादातर bad governance उसके लिए जिम्‍मेदार होता है। अगर गर्वनेंस सही है तो natural course में outcome और efficiency नजर आती है। और इसलिए हम अपनी बातों को good governance का भी एक हिस्‍सा बना सकते हैं। और इसलिए मैं कहूंगा क्या Target था, क्या Achieve किया गया, और इसको लेकर आपका दृष्टिकोण बारीक होते हुए भी मैं जरूर चाहूंगा कि हम एडवांस में अपने-अपने संस्‍थानों को मजबूत बनाने के लिए कैसे आगे बढ़ सकते हैं- हम प्रयास करें। + diff --git a/pm-speech/481.txt b/pm-speech/481.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..3d09a3897b649c2cc7713cbab274a1e6b8faf621 --- /dev/null +++ b/pm-speech/481.txt @@ -0,0 +1,4 @@ +अगर हम पिछले पांच साल की ओर देखें, यही सदन है जिसने तीन तलाक का कानून होगा कि नहीं होगा, हरेक को लगता था यहीं पर अटक जाएगा, लेकिन इसी सदन की maturity है कि उसने एक बहुत बड़ा महत्‍वपूर्ण women empowerment का काम इसी सदन में किया गया। हमारे देश में आरक्षण का विरोध करके हर पल संघर्ष के बीज बोए गए हैं। उसमें से तनाव पैदा करने के भरसक प्रयास भी किए गए हैं। लेकिन ये गर्व की बात है कि इसी सदन ने सामान्‍य वर्ग के गरीब परिवार का दस प्रतिशत आरक्षण का निर्णय किया, लेकिन देश में कहीं तनाव नहीं हुआ, विरोध भाव पैदा नहीं हुआ, सहमति का भाव बना, ये भी इसी सदन के कारण संभव हुआ है। + +आदरणीय सभापति जी, 2003 में जब इस सदन के 200 साल हुए थे, तब भी एक समारंभ हुआ था और तब भी सरकार एनडीए की थी और अटल बिहारी वाजपेयी जी प्रधानमंत्री थे। तो उस 200वें सत्र के समय आदरणीय अटलजी का जो भाषण था, बड़ा interesting था। उनका बात करने का अपना एक लहजा था। उन्‍होंने कहा था कि हमारे संसदीय लोकतंत्र की शक्ति बढ़ाने के लिए second chamber मौजूद है और उन्‍होंने ये भी चेतावनी दी थी कि second house को कोई secondary house बनाने की गलती न करें। ये चेतावनी अटलजी ने दी थी कि second house को कभी भी secondary house बनाने की गलती न करें। + diff --git a/pm-speech/483.txt b/pm-speech/483.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..4eb167876ad3fe1e441851e29df594bacec29d90 --- /dev/null +++ b/pm-speech/483.txt @@ -0,0 +1,10 @@ +विश्व की आर्थिक वृद्धि में ब्रिक्स देशों का हिस्सा 50% है। विश्व में मंदी के बावजूद, ब्रिक्स देशों ने आर्थिक विकास को गति दी, करोड़ों लोगों को गरीबी से निकाला और Technology तथा innovation में नई सफलताएँ हासिल कीं। अब BRICS की स्थापना के दस साल बाद, भविष्य में हमारे प्रयासों की दिशा पर विचार करने के लिए यह फॉरम एक अच्छा मंच है। + +इंट्रा-BRICS Business को आसान बनाने से परस्पर व्यापार और निवेश बढ़ेगा। हम पांच देशों के बीच Tax और Customs प्रक्रियाएँ सरल होती जा रही हैं। इन्टेलेक्चुअल Property Rights पर, और Banks के बीच सहयोग से Business एनवाइरमेंट आसान हो रहा है। BRICS Business Forum से मेरा अनुरोध है कि वह इस प्रकार उत्पन्न अवसरों का पूरा लाभ उठाने के लिए ज़रूरी बिजनेस पहलों का अध्ययन करे। + +हमारा market size, विविधता और हमारी पूरकताएँ एक दूसरे के लिए बहुत फायदेमंद हैं। उदाहरण के लिए, अगर एक ब्रिक्स देश में technology है, तो दूसरे में उससे संबंधित रॉ मैटेरियल या मार्केट।Electric vehicles, digital technology, Fertilizer, कृषि उत्पाद, Food processing, आदि में ऐसी संभावनाएं विशेष तौर पर हैं। मैं आग्रह करूंगा कि Forum पांचों देशों में इस प्रकार की पूरकताओं की mapping करें। मैं यह सुझाव भी देना चाहूंगा कि अगले ब्रिक्स समिट तक ऐसे कम-से-कम पाँच क्षेत्रों की पहचान की जाये, जिनमें पूरकताओं के आधार पर हमारे बीच Joint Ventures बन सकते हैं। + +ब्रिक्स देश अपने लोगों के परिश्रम, प्रतिभा और creativity के लिए सुप्रसिद्ध हैं। कल समिट के दौरान innovation BRICS Network, और BRICS Institution for Future Network जैसे महत्वपूर्ण initiatives पर विचार किया जाएगा। Private sector से मेरा अनुरोध है कि वे human resources पर केन्द्रित इन प्रयासों से जुड़ें। युवा उद्यमियों को इन initiatives से जोड़ना भी बिजनेस और innovation को और ताकत देगा। + +Ease of Doing Business, Logistic Performance और Global innovation जैसे index में भारत की निरंतर प्रगति से आप परिचित होंगे। समय की सीमा के कारण मैं सिर्फ इतना कहना चाहूँगा कि भारत में Political Stability, Predictable Policy और Business Friendly Reforms के कारण दुनिया की सबसे open और investment friendly economy है। 2024 तक हम भारत को पांच ट्रिलियन डॉलर की economy बनाना चाहते हैं। सिर्फ infrastructure में ही 1.5 ट्रिलियन डॉलर निवेश की आवश्यकता है। + diff --git a/pm-speech/485.txt b/pm-speech/485.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..2c8fe907785b7daa6b3492e06f4ab66d0a6f060d --- /dev/null +++ b/pm-speech/485.txt @@ -0,0 +1,8 @@ +भाइयो और बहनों, करतारपुर सिर्फ गुरू नानक देवजी की कर्मभूमि नहीं है। करतारपुर के कण-कण में गुरू नानक देवजी का पसीना मिला हुआ है। उसकी वायु में उनकी वाणी घुली हुई है। करतारपुर की धरती पर ही हल चलाकर उन्‍होंने अपने पहले नियम- ‘किरत करो’ का उदाहरण प्रस्‍तुत किया, इसी धरती पर उन्‍होंने ‘नाम जपो’ की विधि बताई और यहीं पर अपनी मेहनत से पैदा की गई फसल को मिल-बांट कर खाने की ‘रीत’ भी शुरू की- ‘वंड छको’ का मंत्र भी दिया। + +सा‍थियो, इस पवित्र स्‍थली के लिए हम जितना भी कुछ कर पाएंगे, उतना कम ही रहेगा। ये कॉरिडोर, integrated check post हर दिन हजारों श्रद्धालुओं की सेवा करेगा, उन्‍हें गुरूद्वारा दरबार साहिब के करीब ले जाएगा। कहते हैं शब्‍द हमेशा ऊर्जा बनकर वातावरण में विद्यमान रहते हैं। करतापुर से मिली गुरूवाणी की ऊर्जा सिर्फ हमारे सिख भाई-बहनों को ही नहीं, बल्कि हर भारतवासी को अपना आशीर्वाद देगी। + +साथियो, केंद्र सरकार ने एक और महत्‍वपूर्ण फैसला लिया है, जिसका लाभ दुनियाभर में बसे अनेक सिख परिवारों को हुआ है। कई सालों से कुछ लोगों को भारत में आने पर जो दिक्‍कत थी, अब उन दिक्‍कतों को दूर कर दिया गया है। इस कदम से अब अनेक परिवार वीजा के लिए, OCI कार्ड के लिए अप्‍लाई कर सकेंगे। वो यहां भारत में अपने रिश्‍तेदारों से आसानी से मिल सकेंगे और यहां गुरुओं के स्‍थानों में जाकर अरदारस भी कर पाएंगे। + +यानि संसार में सेवा का मार्ग अपनाने से ही मोक्ष मिलता है, जीवन सफल होता है। आइए, इस अहम और पवित्र पड़ाव पर हम संकल्प लें कि गुरु नानक जी के वचनों को अपने जीवन का हिस्सा बनाएंगे। हम समाज के भीतर सद्भाव पैदा करने के लिए हर कोशिश करेंगे। हम भारत का अहित सोचने वाली ताकतों से सावधान रहेंगे, सतर्क रहेंगे। नशे जैसी समाज को खोखला करने वाली आदतों से हम दूर रहेंगे। अपनी आने वाली पीढ़ियों को दूर रखेंगे।  पर्यावरण के साथ तालमेल बिठाते हुए, विकास के पथ को सशक्त करेंगे। गुरु नानक जी की यही प्रेरणा मानवता के हित के लिए, विश्व की शांति के लिए आज भी प्रासंगिक है। + diff --git a/pm-speech/486.txt b/pm-speech/486.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..4cad14ac86b9aecd70fd2597e1e7ffaf5f9721db --- /dev/null +++ b/pm-speech/486.txt @@ -0,0 +1,20 @@ +आज जितना महत्व Service Delivery पर है, उतना ही फोकस Business का माहौल सुधारने पर भी है।इसका भी नतीजा आपके सामने है।2014 से 2019 के बीच भारत ने Ease Of Doing Business Ranking में 79 Rank का सुधार किया है।इस बार भी हम दुनिया के टॉप 10 Performers में से एक हैं।हर साल हम एक नए पैरामीटर में तेज़ी से सुधार कर रहे हैं।पिछले साल हमने 10 में से 6 Indicators उसमें सुधार करने में सफलता पाई है।इस बार Insolvency के क्षेत्र में भारत ने बहुत बड़ी जंप लगाई है।इस कैटेगरी में हमने 50 से ज्यादा रैंक का सुधार किया है। + +साथियों,ये सिर्फ रैंकिंग में सुधार नहीं, बल्कि भारत में बिजनेस करने के तरीके में एक Revolution है और इस Revolution में साल दर साल हम नए आयाम जोड़ रहे हैं, नए सुधार कर रहे हैं।आज के ग्लोबल सीनेरियो में, भारत अगर आज मजबूती से खड़ा है,तो इसलिए, क्योंकि हमने अपनी अर्थव्यवस्था के फंडामेंटल्स को कमजोर नहीं पड़ने दिया है। + +हमारी कोशिश Tax Regime को Competitiveऔर Transparent बनाने की है।इस कड़ी में ही Corporate Tax से जुड़ा ऐतिहासिक फैसला लिया गया है।आज भारत दुनिया की सबसे कम Corporate Tax व्यवस्थाओं में से एक है।इस साल एक अक्तूबर के बाद जो भी नई घरेलू कंपनियां खुली हैं, उनके लिए कॉरपोरेट टैक्स घटाकर सिर्फ 15 प्रतिशत कर दिया गया है। + +साथियों, 5 ट्रिलियन डॉलर का लक्ष्य सिर्फ सरकार का नहीं है। ये लक्ष्य देश के हर राज्य के सहयोग से ही प्राप्त होगा।हमारे यहां हर राज्य में अनेक संभावनाएं हैं, राज्य के हर जिले में अनेक संभावनाएं हैं, बहुत Potential है।इस Potential का जितना ज्यादा लाभ सरकारें, हमारा उद्योग जगत, हमारे लघु उद्योग, हमारा सर्विस सेक्टर उठाएगा, उतनी ही तेजी से हम आगे बढ़ेंगे। + +भाइयों और बहनों, Potential को जब Policy का साथ मिलता है, तो Performance बढ़ जाती है।ये Performance ही Progress लाती है।यानि जिले की,राज्य की, देश की Progress inter-connected है।मैं आपको एक और उदाहरण देता हूं।इस उदाहरण में इंटरनेशनल रैंकिंग भी है, Potential भी है।और हिमाचल के लिए तो ये बहुत ही महत्वपूर्ण है। हिमाचल प्रदेश के लिए आज हमने जो tourism sector में ranking किया है उसका सीधा लाभ आज हिमाचल को मिलने की संभावना है। + +साथियों,आज भारत में टूरिज्म को एक Package की तरह Promote किया जा रहा है। Nature हो, Adventure हो, Spiritual हो, Medical हो, Eco हो, हर प्रकार के Tourism पर बल दिया जा रहा है।और हिमाचल इस मामले में संभावनाओं से भरपूर है।इतना अच्छा आयोजन आज यहां हो रहा है। इसलिए Conference Tourism की संभावनाएं तो हमें साक्षात दिख रही हैं।हम इस Potential को समझ लेंगे तो Progress बहुत दूर नहीं रह जाएगी। + +अब सोचिए, हिमाचल में IIT है, ट्रिपल IT है, NIT है, CIPET है, IIFT पर काम हो रहा है।ऐसे में यहां टेक्नोलॉजी के विस्तार का Potential है।यहां के सेब, नाशपाति, प्लम जैसे फलों से लेकर टमाटर, गुच्छी, मशरूम, शिमला मिर्च जैसी सब्जियों तक की डिमांड है।इसलिए यहां के फूड, फूड प्रोसेसिंग, फार्मिंग और फार्मा सेक्टर में जबरदस्त Potential है। + +हां, मैं मानता हूं कि इन अपार संभावनाओं के बीच, पहले हिमाचल में एक Gap महसूस होता था।ये Gap था Quality Infrastructure और सरकारी प्रक्रियाओं के सरलीकरण का।केंद्र सरकार ने राज्य सरकार के साथ मिलकर इस Gap को भरने की पूरी कोशिश की है।जब से यहां जयराम जी की टीम को अवसर मिला है, तबसे ये प्रकिया और तेज़ हुई है। + +साथियों, आज सही मायने में हिमाचल, भारत की ग्रोथ स्टोरी को नई रोशनी देने के लिए तैयार है और मेरे इस विश्वास के पीछे हिमाचल की मेरी अपनी समझ है।हिमाचल Business के लिए हर ज़रूरी शर्त को पूरा करता है।बिजनेस के लिए Peace चाहिए, वो हमेशा हिमाचल की ताकत रही है।Diversity को स्वीकार करने वाली सोसायटी चाहिए,वो हिमाचल में हमेशा से मौजूद रही है।यहां GeographicalऔरLinguistic Diversity भी बहुत अधिक है। एक दूसरे की बोली कई बार समझ तक नहीं आती, लेकिन एक दूसरे से जुड़ाव अद्भुत है। + +इसके साथ-साथ हिमाचल देश के उन राज्यों में है, जहां Literacy Rate High है।हिमाचल के कोने-कोने में आपको व्यापार, व्यवसाय में लगे लोग दिख जाएंगे।वो सरकार का इंतजार नहीं करते। जो भी संसाधन उनके पास होते हैं वो उन्हीं से शुरुआत कर देते हैं।यहां के लोगों के भीतर एक स्वाभाविक उद्यम भावना है, जिसका लाभ निवेशकों को होता है। + diff --git a/pm-speech/487.txt b/pm-speech/487.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..44e7cdf9d97209b5b8ab9302866404a5208e4876 --- /dev/null +++ b/pm-speech/487.txt @@ -0,0 +1,10 @@ +साइंस के इन Great Masters की Legacy को Celebrate करने और 21वीं सदी में उनसे प्रेरणा लेने के लिए इससे बेहतर संयोग नहीं हो सकता। और इसलिए, इस Festival की थीम, RISEN: Research, Innovation and Science Empowering the Nation” तय करने के लिए आयोजकों को मेरी तरफ से बहुत-बहुत शुभकामनाएं। ये थीम 21वीं सदी के भारत के मुताबिक है और इसी में हमारे भविष्य का सार है। + +हमारा प्रयास है कि छठी क्लास से ही विद्यार्थी अटल टिंकरिंग लैब में जाए और फिर कॉलेज से निकलते ही उसको Incubation का, Start Up का एक इकोसिस्टम तैयार मिले। इसी सोच के साथ बहुत ही कम समय में देश में 5 हज़ार से अधिक अटल टिंकरिंग लैब बनाए गए हैं। इनके अलावा 200 से अधिक अटल इंक्यूबेशन सेंटर्स भी तैयार किए गए हैं। हमारे विद्यार्थी, देश की चुनौतियों को अपने तरीके से Solve करें, इसके लिए लाखों-लाख छात्र-छात्राओं को अलग-अलग Hackathons में शामिल होने का अवसर दिया गया है। इसके अलावा नीतियों के जरिए, आर्थिक मदद के जरिए हज़ारों Start ups को Support किया गया है। + +हमारे ऐसे ही प्रयासों का परिणाम है कि बीते 3 साल में Global Innovation Index में हम 81st Rank से 52nd Rank पर पहुंच गए हैं। आज भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा Successful Startup Ecosystem बन चुका है। इतना ही नहीं Higher Education और Research के लिए भी अभूतपूर्व काम किया जा रहा है। हमने हायर एजुकेशन से जुड़े नए संस्थान बनाने के साथ-साथ उनकी Functional Autonomy को भी बढ़ाया है। + +मिशन से भी बढ़कर ये भारत के वैज्ञानिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकता है। कैसे? मैं आपको बताता हूं। मैंने सोशल मीडिया पर अनेक Students के माता-पिता के बहुत सारे ट्वीट देखे। वो बता रहे थे कि उन्होंने अपने बहुत कम उम्र के बच्चों को भी चंद्रयान से जुड़ी घटनाओं पर चर्चा करते हुए पाया। कोई लूनर टोपोग्राफी के बारे में बात कर रहा था, तो कुछ सेटेलाइट ट्रैजेक्टरी की चर्चा कर रहे हैं । कोई चांद के साउथ पोल में पानी की संभावनाओं पर सवाल पूछ रहा था, तो कोई लूनर ऑर्बिट की बात कर रहा था। माता-पिता भी हैरान थे कि इतनी कम उम्र में इन बच्चों में ये Motivation आया कहां से। देश के इन तमाम माता-पिता को लगता है कि, उनके बच्चों में आ रही ये Curiosity भी चंद्रयान-2 की सफलता ही है। + +एक जमाना था, जब कहा जाता था की आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है। ये कुछ अर्थों में सही भी है। लेकिन समय के साथ मानव ने, आवश्यकता के लिए आविष्कार से आगे बढ़कर, ज्ञान-विज्ञान को शक्ति के रूप में, संसाधन के रूप में कैसे उपयोग में लाएं, इस दिशा में बहुत साहस पूर्ण कार्य किए हैं। आविष्कार ने अब मानो आवश्यकताओं का ही विस्तार कर दिया है। जैसे इंटरनेट के आने के बाद, एक नई तरह की आवश्यकताओं का जन्म हुआ। और आज देखिए। रिसर्च एंड डवलपमेंट का एक बहुत बड़ा हिस्सा इंटरनेट के आने के बाद पैदा हुई आवश्यकताओं पर लग रहा है। अनेक क्षेत्र जैसे हेल्थकेयर हो, हॉस्पिटैलिटी सेक्टर हो या इंसान की Ease of Living से जुड़ी तमाम जरूरतें, अब इंटरनेट उनका आधार बन रहा है। आप बिना इंटरनेट के अपने मोबाइल की कल्पना करके देखेंगे, तो आप अंदाजा लगा पाएंगे कि कैसे एक आविष्कार ने अब आवश्यकताओं का दायरा बढ़ा दिया है। इसी तरह आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस ने भी आवश्यकताओं के नए द्वार खोल दी हैं, नई Dimensions को विस्तार दिया है। + diff --git a/pm-speech/489.txt b/pm-speech/489.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..4109e541a8e37be0597bf853f43f2bc567e198a6 --- /dev/null +++ b/pm-speech/489.txt @@ -0,0 +1,12 @@ +हम  सुवर्णभूमि, थाइलैंड में आदित्‍य बिड़ला ग्रुप की स्‍वर्ण जयंती अथवा सुवर्ण जयंती मनाने के लिए यहां एकत्रित हुए हैं। यह सही मायनों में एक विशेष अवसर है। मैं आदित्‍य बिड़ला ग्रुप की टीम को बधाई देता हूं। थाईलैंड में आदित्‍य बिड़ला ग्रुप द्वारा किए जा रहे प्रशंसनीय कार्य के बारे में श्री कुमार मंगलम बिड़ला ने जो कहा है उसके बारे में मुझे अभी तुरंत जानकारी प्राप्‍त हुई है। इससे थाईलैंड में अनगिनत लोगों के लिए अवसर एवं समृद्धि सृजित हो रही है। + +मैं आज भारत में हो रहे कुछ सकारात्‍मक बदलावों की तस्‍वीर पेश करने को उत्‍सुक हूं। मैं पूर्ण विश्‍वास के साथ यह कहता हूं कि यह भारत में अपनी मौजूदगी दर्ज करने का सबसे सही समय है! आज के भारत में कई चीजें बढ़ रही हैं, जबकि कई चीजें घट रही हैं। ‘कारोबार में सुगमता’ ऊपर की ओर अग्रसर है। इसी तरह ‘आसान जिंदगी’ का पथ भी ऊपर की ओर अग्रसर है। एफडीआई बढ़ रहा है। हमारा कुल वन क्षेत्र बढ़ रहा है। पेटेंटों और ट्रेडमार्कों की संख्‍या बढ़ रही है। उत्‍पादकता और दक्षता बढ़ रही है। बुनियादी ढांचागत सुविधाओं के सृजन की गति तेज हो रही है। बेहतरीन स्‍वास्‍थ्‍य सेवा पाने वाले लोगों की संख्‍या बढ़ रही है। वहीं, दूसरी ओर इसके साथ ही करों की संख्‍या घट रही है। टैक्‍स दरें घट रही हैं। लालफीताशाही कम हो रही है। भाई-भतीजावाद में कमी आ रही है। भ्रष्‍टाचार घट रहा है। भ्रष्‍ट व्‍यक्ति अपने को बचाने में लगा है। सत्‍ता के गलियारों में बिचौलिए अब इतिहास हो गए हैं। + +भारत में सेवा मुहैया कराने में हमें एक बड़ी समस्‍या ‘लीकेज’ का सामना करना पड़ता था। इसका सर्वाधिक खामियाजा गरीबों को भुगतना पड़ता था। आप यह जानकार स्‍तब्‍ध रह जाएंगे कि कई वर्षों तक जो धनराशि गरीबों पर खर्च की गई थी, वह वास्‍तव में उन तक नहीं पहुंच पाई। हमारी सरकार ने इस संस्‍कृति को खत्‍म कर दिया, जो ‘डीबीटी’ की बदौलत संभव हुआ है। डीबीटी का मतलब है प्रत्‍यक्ष लाभ हस्‍तांतरण। डीबीटी ने बिचौलियों की संस्‍कृति और अक्षमता को खत्‍म कर दिया है। इसमें त्रु‍टि होने की न के बराबर गुंजाइश है। डीबीटी ने अब तक 20 अरब डॉलर की व्‍यापक बचत की है। आपने घरों में एलईडी लाइटें देखी होंगी। आप जानते हैं कि ये ऊर्जा संरक्षण के मामले में अपेक्षाकृत ज्‍यादा प्रभावकारी हैं। लेकिन क्‍या आप भारत में इसके असर के बारे में जानते हैं? हमने पिछले कुछ वर्षों में 360 मिलियन से भी अधिक एलईडी बल्‍बों का वितरण किया है। हमने 10 मिलियन स्‍ट्रीट लाइटों को एलईडी लाइटों में तब्‍दील कर दिया है। इसके जरिए हमने लगभग 3.5 अरब डॉलर की बड़ी धनराशि की बचत की है। इसके साथ ही कार्बन का उत्‍सर्जन भी घट गया है। मेरा यह स्‍पष्‍ट मानना है कि बचत की गई धनराशि दरअसल अर्जित धनराशि होती है। इस धनराशि का उपयोग अब समान रूप से प्रभावकारी अन्‍य कार्यक्रमों के जरिए मिलियन लोगों को सशक्‍त करने में किया जा रहा है। + +भारत में पिछले पांच वर्षों में 286 अरब अमेरिकी डॉलर का प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) हुआ है। यह पिछले 20 वर्षों में भारत में हुए कुल एफडीआई का लगभग आधा है। इसका 90 प्रतिशत स्‍वत: मंजूरी के जरिए आया है। इसका 40 प्रतिशत निवेश नव निर्माण के लिए है। इससे यह पता चलता है कि निवेशक भारत में दीर्घकालिक सोच के साथ पैसा लगा रहे हैं। भारत का विकास पथ अनेक रेटिंग में प्रतिबिंबित होता है। भारत की गिनती शीर्ष 10 एफडीआई गंतव्‍यों में होती है। अंकटाड के अनुसार भारत पिछले पांच वर्षों में विपो के वैश्विक नवाचार सूचकांक में 24 पायदान ऊपर चढ़ गया है। हालांकि, इनमें से दो का उल्‍लेख मैं विशेष रूप से करना चाहता हूं। भारत पिछले पांच वर्षों में विश्‍व बैंक के ‘कारोबार में सुगमता’ सूचकांक में 79 पायदान ऊपर चढ़ गया है। भारत इस सूचकांक में वर्ष 2014 में 142वें पायदान पर था, जबकि अब वह वर्ष 2019 में काफी ऊपर चढ़कर 63वें पायदान पर पहुंच गया है। यह एक बड़ी उपलब्धि है। लगातार तीसरे वर्ष सुधार के मोर्चे पर सर्वश्रेष्‍ठ प्रदर्शन करने वाले 10 देशों में भारत को भी शुमार किया गया है। भारत में कारोबार करने के‍ लिए अनेक परिवर्तनीय पैमाने हैं। भारत एक विशाल एवं विविध राष्‍ट्र है। भारत में केन्‍द्र, राज्‍य एवं स्‍थानीय सरकारें हैं। इस संदर्भ में एक दिशात्मक बदलाव सुधारों के लिए हमारी प्रतिबद्धता दर्शाता है। भारत में कारोबारी माहौल को बेहतर करने के लिए सरकार एवं लोग एकजुट हो गए। + +भारत अब पांच ट्रिलियन (लाख करोड़) डॉलर की अर्थव्‍यवस्‍था बनने के एक और सपने को साकार करने में जुट गया है। जब मेरी सरकार वर्ष 2014 में सत्‍तारूढ़ हुई थी, तो भारत की जीडीपी लगभग 2 ट्रिलियन डॉलर थी। मतलब यह कि 65 वर्षों में 2 ट्रिलियन डॉलर। लेकिन सिर्फ पांच वर्षों में ही हमने इसे बढ़ाकर लगभग 3 ट्रिलियन डॉलर के स्‍तर पर पहुंचा दिया है। इससे मुझे यह विश्‍वास हो गया है कि पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्‍यवस्‍था बनने का सपना जल्‍द ही साकार हो जाएगा। हम अगली पीढ़ी की बुनियादी ढांचागत सुविधाओं में 1.5 ट्रिलियन डॉलर का निवेश करने जा रहे हैं। + +मुझे जिस एक चीज पर विशेष गर्व है, वह भारत का प्रतिभाशाली एवं कुशल मानव संसाधन है। इसमें कोई आश्‍चर्य नहीं है कि भारत को भी दुनिया के सबसे बड़े स्‍टार्ट-अप पारिस्थितिक तंत्रों में शुमार किया जाता है। भारत डिजिटल उपभोक्‍ताओं के लिए सबसे बड़े एवं सबसे तेजी से विकसित हो रहे बाजारों में से एक है। भारत में एक अरब स्‍मार्ट फोन यूजर और आधे अरब से अधिक इंटरनेट उपभोक्‍ता हैं। हम उद्योग 4.0 के साथ अपनी तेज गति बनाए हुए हैं और हम विकास एवं गवर्नेंस से जुड़ी आवश्‍यकताओं की पूर्ति के लिए आवश्‍यक तकनीकों को बड़ी सक्रियता के साथ अपनाने के लिए प्रयासरत हैं। इन सभी बढ़त के साथ हम एक वैश्विक विनिर्माण हब के रूप में उभरने की आकांक्षा रखते हैं। + diff --git a/pm-speech/492.txt b/pm-speech/492.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..fa30f4166f19fed30a3f71ab8f75ee635cf14dc7 --- /dev/null +++ b/pm-speech/492.txt @@ -0,0 +1,4 @@ +सन् 2022 में स्वतंत्र भारत 75 वर्ष का होगा। तब तक हमने New India के निर्माण का लक्ष्य रखा है। इस बहुआयामी प्रयास में भारत की प्राथमिकताओं और आवश्यकताओं के लिए जर्मनी जैसे technological और Economic Power House की क्षमताएं उपयोगी होंगी। इसलिए, हमने New and Advanced Technology, Artificial Intelligence स्किल्स, शिक्षा, Cyber Security जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर विशेष बल दिया है। E-mobility, fuel cell technology, smart cities, Inland water ways, Coastal management, नदियों की सफाई और पर्यावरण संरक्षण में सहयोग की नयी संभावनाओं को विकसित करने का हमने फैसला किया है। इन क्षेत्रों में हमारा सहयोग climate change के खिलाफ साझा प्रयासों में भी मदद करेगा। व्यापार और निवेश में अपनी बढ़ती हुई भागीदारी को और गति देने के लिए हम private sector को प्रोत्साहित कर रहे हैं। चांसलर मर्केल और मैं दोनों देशों के कुछ प्रमुख Business और Industry Leaders से मुलाकात करेंगे। हम जर्मनी को आमंत्रित करते हैं कि रक्षा-उत्पादन के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में Defence Corridors में अवसरों का लाभ उठाएं। + +भारत और जर्मनी के विश्वास और मित्रतापूर्ण संबंध, Democracy, Rule of law जैसे साझा मूल्यों पर आधारित है। इसलिए, विश्व की गंभीर चुनौतियों के बारे में हमारे दृष्टिकोण में समानता है। इन विषयों पर हमारे बीच विस्तार से चर्चा शाम को जारी रहेगी। आतंकवाद और उग्रवाद जैसे खतरों से निपटने के लिए हम bilateral और multilateral सहयोग को और घनिष्ठ बनाएंगे। Export control regimes और विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय मंचों में भारत की सदस्यता को जर्मनी के सशक्त समर्थन के लिए हम आभारी हैं। दोनों देश सुरक्षा परिषद, संयुक्त राष्ट्र और अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था में अन्य आवश्यक सुधार शीघ्र कराने के लिए सहयोग और प्रयास जारी रखेंगे। + diff --git a/pm-speech/494.txt b/pm-speech/494.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..cd4155fbe96f5d9cd91a2796fd391fd3188f1281 --- /dev/null +++ b/pm-speech/494.txt @@ -0,0 +1,18 @@ +साथियो, देश की विभिन्‍न सिविल सर्विसेज के इस combined foundation course से एक तरह से एक नए अध्‍याय की शुरूआत हुई है। अभी तक  तो ये चलता रहा है कि कुछ लोग मसूरी में ट्रेनिग लेते हैं तो कुछ लोग हैदराबाद में या फिर अन्‍य शहरों में। जैसा मैंने पहले भी आपसे कहा- जिन साइलोज की बात मैं अक्‍सर करता हूं, उनका एक स्‍वरूप ट्रेनिग से ही शुरू हो जाता था। सिविल सेवा के integration का सही मायने में आरंभ अब आप सभी साथियों के साथ हो रहा है। ये आरंभ अपने-आप में एक reform है। मैं इससे जुड़े तमाम अधिकारियों को, तमाम साथियों को भी बधाई देता हूं। + +साथियो, निष्‍पक्ष और निस्‍वार्थ भाव से किया गया हर प्रयास नए भारत की मजबूत नींव है। न्‍यू इंडिया के सपने को पूरा करने के लिए हमारी व्‍यवस्‍था में, हमारी bureaucracy में 21वीं सदी की सोच और सपने अनिवार्य हैं। ऐसी bureaucracy जो creative और constructive हो, जो imaginative और innovative हो, जो proactive और polite हो, जो professional और progressive हो, जो energetic और enabling हो, जो efficient और effective हो, जो transparent और tech-enabled हो। + +साथियो, यहां inspirational district की चर्चा हुई है। आखिर देश के 100 से अधिक जिले विकास की दौड़ में छूट क्‍यों गए? इसके पीछे सोच और एप्रोच भी एक बहुत बड़ा कारण रहा है। ये जिले geographically और socially बहुत challenging थे। लिहाजा हर स्‍तर पर इनकी उपेक्षा हुई, इनको अपने हाल पर छोड़ दिया गया। इस उपेक्षा के कारण सोसायटी में असंतोष की भावना आ गई, जिसका लाभ गलत ताकतों ने उठाना शुरू कर दिया। पर अब ये हुआ कि इन जिलों का विकास और भी मुश्किल हो गया। इस स्थिति‍ को बदलना आवश्‍यक था, इसलिए हमने इन जिलों के पिछड़ेपन के बजाय इनकी aspiration को आगे बढ़ाने का फैसला किया। हमने human development index के हर पैमाने पर समय-सीमा के भीतर काम करना शुरू किया। हमने टेक्‍नोलॉजी का उपयोग बढ़ाकर योजनाओं को ज्‍यादा प्रभावी तरीके से जमीन पर उतारा। आज हमें इसके अभूतपूर्व परिणाम भी मिलने लगे हैं। और अब आप सभी, आप पर इस काम को और गति देने का जिम्‍मा आने वाला है। + +साथियो, आने वाले समय में आप में से अनेक साथियों की तैनाती ब्‍लॉक या फिर जिला स्‍तर पर होगी। जाहिर है वहां अनेक समस्‍याओं के समाधान आपको ढूंढने होंगे। मेरा आपको सुझाव रहेगा कि आप अपने क्षेत्र की एक बड़ी समस्‍या को एक वक्‍त में हाथ‍ में लें और उसका संपूर्ण समाधान करने का प्रयास करें यानी One district one problem and total solution.  अक्‍सर हम जोश-जोश में हर तरफ हाथ मारना शुरू कर देते हैं जिससे हमारे प्रयास और हमारे resources, दोनों बंट जाते हैं। एक समस्‍या को हल करिए, जिससे आपको भी confidence मिलेगा, लोगों का भरोसा भी आप पर बढ़ेगा। अब जनता का भरोसा आप जीतते हैं तो आपके साथ जनता की भागीदारी भी बढ़ जाती है। + +साथियो, आपके सामने bureaucracy और system को लेकर बनी एक negative धारा को बदलने की बहुत बड़ी चुनौती है। Bureaucracy और system, ये दो ऐसे शब्‍द बन गए हैं जिनको bad bureaucracy या bad system लिखने की जरूरत नहीं पड़ती। वो अपने-आप में ही negative connotation के लिए उपयोग होने लगा है। आखिर ये हुआ क्‍यों? हमारे अधिकतर अफसर मेहनती भी हैं और receptive  भी हैं, लेकिन पूरे system और पूरी bureaucracy का negative perception बन गया है। + +साथियो, सिविल सेवाओं को लेकर हर पॉवर की, अफसरशाही की, रौब की, रसूख की एक छवि रही है। ये छवि निश्चित रूप से Colonial Legacy  है, जिसको छोड़ने में कुछ लोग पूरी तरह सफल नहीं हो पाए। आपको इस छवि से सिविल सेवा को बाहर निकालने की कोशिश करनी होगी। आपकी पहचान hard power से नहीं, soft power से होनी चाहिए। hard power आक्रोश का कारण बनती है और soft power सद्भाव विकसित करने का एक बहुत बड़ा माध्‍यम बन जाती है। Appointment से लेकर सुनवाई तक का एक सरल mechanism होना चाहिए। आप सात दरवाजों के पीछे रहते हैं, ये भाव जनता में कभी भी नहीं जाना चाहिए। आपके पास हर problem का instant solution हो, ऐसा संभव नहीं है। और सामान्‍य जनता इस बात को भी भलीभांति समझती है। वो सिर्फ सुनवाई चाहती है, सम्‍मान चाहती है। उसकी बात सही जगह पर पहुंचे, इतने से ही कभी-कभी हमारे देश का नागरिक संतुष्‍ट हो जाता है। आपका प्रयास होना चाहिए वो सम्‍मान और संतुष्टि के भाव के साथ आपके दफ्तर से निकलना चाहिए। + +साथियो, हमें ये भी समझना होगा कि ministries हों या municipal corporations हों या दूसरे सरकारी विभाग, हम एक service provider हैं। Service provider के लिए consumer ही सबसे ऊपर होना चाहिए। जब  ये बात हमारी समझ में आ जाती है तो supply chain management में man power की inventory में, technology में हर स्‍तर पर जरूरी बदलाव होने लगेगा। जब service delivery में जरूरी बदलाव होंगे तो लाइफ अपने-आप easy हो जाएगी। + +सा‍थियो, ease of living सुनिश्चित करने में एक और चीज अहम भूमिका निभाती है। हमारी अर्थव्‍यवस्‍था, हमारी per capita income, five trillion dollar अर्थव्‍यवस्‍था बनाने का लक्ष्‍य है- उसके पीछे सोच भी यही है। इस लक्ष्‍य तक पहुंचने में आप सभी साथियों पर भी बड़ी जिम्‍मेदारी है। आप जहां भी तैनात होंगे, वहां की व्‍यवस्‍थाओं को business friendly बनाने में, वहां एक बेहतर eco system तैयार करने में सिविल सेवा के सभी अंगों को मिल करके प्रयास करना है। + +साथियो, आप पूरी आजादी के साथ, पूरी जिम्‍मेदारी के साथ काम कर सकें, इसके लिए हर जरूरी administrative reform किए जा रहे हैं। हमारा प्रयास है कि ट्रांसफर राज खत्‍म हो, एक stable tenure bureaucracy को मिले, posting की Lobbying नहीं ability count हो, ट्रेनिंग के मौजूदा सिस्‍टम को overhaul करने के प्रयास के तो आप खुद साक्षी बन चुके हैं। हम एक integrated mechanism की तरफ बढ़ रहे हैं जो continuous customized delivery पर आधारित होगा। + diff --git a/pm-speech/495.txt b/pm-speech/495.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..14aaa21b069c2abd87cd1bd9eb21b375feb0a758 --- /dev/null +++ b/pm-speech/495.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +और भाइयो और बहनों, हमें ये हमेशा याद रखना होगा कि शताब्दियों पहले तमाम रियासतों को साथ लेकर, राजे-रजवाड़ों को साथ ले करके, अलग-अलग परम्‍पराएं, विविधताओं को साथ लेकर, एक भारत का सपना लेकर राष्‍ट्र के पुनरुद्धार का सफल प्रयास करने वाला हमारे इतिहास में एक और नाम था- और वो एक नाम था चाणक्‍य का। चाणक्‍य ने सदियों पहले, अपने कालखंड में देश की शक्ति को एकजुट करने का प्रयास किया था। चाणक्‍य के बाद, सदियों के बाद अगर ये काम कोई कर पाया तो वो हमारे सरदार वल्‍लभ भाई पटेल कर पाए। वरना अंग्रेज तो चाहते थे कि आजादी के साथ ही हमारा भारत छिन्‍न-भिन्‍न हो जाए। लेकिन सरदार पटेल ने अपनी इच्‍छा-शक्ति से देश को एकसूत्र में पिरोकर देश विरोधी सारी ताकतों को परास्‍त कर दिया। + +भाइयों और बहनों, याद करिए एक समय था जब नॉर्थ-ईस्‍ट और शेष भारत के बीच की अविश्‍वास की खाई इतनी गहरी होती जा रही थी। वहां की physical connectivity और emotional connectivity, दोनों को लेकर गंभीर सवाल बार-बार खड़े होते थे। लेकिन अब स्थितियां बदल रही हैं। आज नॉर्थ-ईस्‍ट का अलगाव- लगाव में बदल रहा है। दशकों पुरानी समस्‍याएं अब समाधान की तरफ बढ़ रही हैं। हिंसा और blocked के एक लंबे दौर से पूरे नॉर्थ-ईस्‍ट को मुक्ति मिल रही है और ये भी डंडे के जोर पर नहीं, उनके साथ भावनात्‍मक नाता जोड़कर। देश में integration के अन्‍य प्रयास भी- ये हमारी अविरत प्रक्रिया है, निरंतर जिम्‍मेदारी है और सभी देशवासियों की जिम्‍मेदारी है। + +और इसलिए भाइयों-बहनों, लगातार हमारी कोशिश है और आप देख रहे हैं आधार की चर्चा है, आगे आधार है क्‍या। आधार यानी One nation one identity हो। जीएसटी यानी One nation one tax हो। E-NAM यानी One nation one agriculture market हो। बिजली और गैस के लिए One nation one grid हो, One nation one mobility card हो, One nation one optical fiber network हो, या फिर One nation one ration card हो। ये सभी एक भारत-श्रेष्‍ठ भारत के vision को मजबूत करने का ही काम कर रहे हैं। + diff --git a/pm-speech/496.txt b/pm-speech/496.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..ad0b82919631198e85e14d9549852ee698c73dc0 --- /dev/null +++ b/pm-speech/496.txt @@ -0,0 +1,24 @@ +मैं His Majesty the King and the Custodian of the two holy mosques और मेरे भाई His Royal Highness the Crown Prince का धन्यवाद करना चाहूँगा कि उन्होंने मुझे इस Forum में भाग लेने का निमंत्रण दिया। Saudi Arabia और यहाँ स्थित पवित्र mosque, दुनिया के करोड़ों लोगों की आस्था का केंद्र रहे हैं। यह भूमि world economy का भी ऊर्जा–स्रोत रही है। आज Riyadh के इस उर्जावान शहर में आपके बीच मुझे भी positive energy महसूस हो रही है। + +Future Investment Initiative Forum के विषय ये स्पष्ट करते हैं कि इस Forum का उद्देश्य सिर्फ यहाँ के अर्थतंत्र की ही चर्चा करना नहीं है। बल्कि विश्व में उभरते trends को समझना और इसमें विश्व-कल्याण के रास्ते ढूँढना भी है। इसी कारण, यह dynamic platform बिजनेस world के calendar का महत्वपूर्ण भाग बन गया है। सिर्फ तीन साल के कम समय में ही इस Forum ने लंबा सफ़र तय किया है। मेरे मित्र और भाई Crown Prince इस सफलता के लिए बहुत बधाई के पात्र हैं।उनके इस forum को Davos of the Desert कहा जाता है. पिछली शतब्दी में Saudi Arabia के लोगो की मेहनत और कुदरत की नेमत ने desert के रेत को सोना बना दिआ. अगर चाहता तो सऊदी अरब का नेतृत्व आराम से बैठ सकता था, मगर आपने आने वाली कई पीढ़ीओ के बारे में सोचा, भविष्य की चिंता की, पूरी मानवता का ख्याल किआ. मै His Highness Crown Prince को इस बात के लिए भी बधाई देता हूँ कि उन्होंने इस फोरम का सिर्फ नाम ही Future नहीं रखा, बल्कि इसकी पूरी संकल्पना forward looking है, भविष्य के प्रति उन्मुख है।ऐसे में, उनका भाई और पड़ोसी होने के नाते, इस उम्दा initiative में दुनिया की सबसे तेज़ विकासमान अर्थव्यवस्था का प्रतिनिधित्व करना मेरे लिए स्वाभाविक ही है। + +Future Investment Initiative में आज मुझे,”What’s next for Global Business” और उसमें भारत में उभरते अवसरों और संभावनाओं, हमारी अपेक्षाओं और लक्ष्यों पर अपनी बात रखने का अवसर मिला है। भारत ने अगले पांच साल में अपनी economy को दुगुनी करके 5 trillion dollars तक पहुँचाने का लक्ष्य रखा है। ऐसे समय में तो ये विषय और भी प्रासंगिक और महत्वपूर्ण हो जाता है। + +आज जब भारत में हम विकास को गति देना चाहते है तो हमें उभरते हुए trends को अच्छी तरह समझना होगा।इसलिए, आज मैं आपसे Global business को प्रभावित करने वाले पांच बड़े trends के बारे में बात करना चाहूँगा। पहला Trend है – Technology और Innovation का प्रभाव दूसरा – Global Growth के लिए Infrastructure की Importance तीसरा – human resource और future of work में आ रहा बदलाव चौथा– compassion for environmentऔर पांचवा Trend – business friendly governance. + +Technology और innovation के बढ़ते हुए प्रभाव के हम सब चश्मदीद गवाह हैं। Transformative technologies जैसे Artificial Intelligence, Genetics और nano-technology, research से आगे बढ़कर आज रोजमर्रा के जीवन का भाग बनती जा रही हैं। Technology के इस बदलाव का उन समाजों को सबसे ज्यादा फायदा हुआ है जिनमें नई technologies को अपनाने और उन पर further innovation का culture विकसित हुआ है। भारत में हमने इस culture को मजबूत करने के लिए अनेक स्तरों पर प्रयास किया है। चाहे वह युवाओं के लिए Start up challenges हो या Hackathons हों। या फिर school children के लिए अटल tinkering labs, जहां वो इनोवेशन को खुद अनुभव करते हैं। आज भारत में Research and Development से लेकर tech-entrepreneurship का एक व्यापक eco-system तैयार हो रहा है।हमारे इन प्रयासों के नतीजे भी आना शुरू हुए हैं। आज भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा startup ecosystem बन गया है। भारत के टीयर 2 और टीयर 3 शहरों में भी start-ups उभरकर आये हैं। भारत में 1 billion यूएस डॉलर से ज्यादा valuation वाले unicorns की संख्या बढती जा रही है। हमारे कई start-ups वैश्विक स्तर पर निवेश करने लगे हैं। Indian start-ups are acing everything, from food delivery to transport, to hospitality, to medical treatment, to tourism. और इसलिए,विश्व के सभी investors, खासकर venture funds से मेरा अनुरोध है कि आप हमारे start-up ecosystem का लाभ उठाएं। मुझे पूरा भरोसा है कि भारत में innovation में किया गया निवेश सबसे ज्यादा returns देगा। और ये returns सिर्फ भौतिक नहीं होंगे, बल्कि युवाओं को empower करेंगे। + +आज दुनिया में physical Infrastructure के अवसर सबसे ज्यादा विकासशील देशों में है। एशिया में देखे तो, infrastructure में प्रति वर्ष $ 700 billion के निवेश की जरुरत है।भारत में हमने अगले कुछ सालों में infrastructure में $1.5 trillion के निवेश का लक्ष्य रखा है। और फिर, आज हम infrastructure के बारे में silos में नहीं सोचते बल्कि हमारा प्रयास integrated approach का है।One Nation One Power Grid,One Nation One gas grid,और One Water grid,One Nation One Mobility Card,One Nation One Optical Fiber Network,ऐसे अनेक प्रयासों से हम भारत के infrastructure को integrate कर रहे हैं।हमने हर भारतीय को घर देने का, और हर घर तक बिजली और नल-जल पहुँचाने का लक्ष्य रखा है।Infrastructure के निर्माण की अपनी speed और scale को भी हमने अभूतपूर्व रूप से बढ़ाया है।और इसलिए,भारत में infrastructure की growth double-digit में रहेगी, और इसमें capacity saturation की कोई संभावना नहीं है।इसके कारण निवेशकों को return भी सुनिश्चित रहेगा। + +तीसरा trend यानि human resource और future of work में आ रहे बदलाव भी बहुत महत्वपूर्ण है।आज International investment के निर्णय quality manpower की उपलब्धता पर निर्भर करते हैं।साथ ही, Skilled manpower किसी भी company के valuation का मानदंड बन गया है।ऐसे में, तेजी से लोगों को skilled करना हमारे सामने एक चुनौती है। जिस तरह nature of work में बदलाव आ रहा है, उससे आने वाले सालों में हमें लोगों को कई बार re-skill करना पड़ेगा।Learn-unlearn and re-learn के cycles जरुरी बन जाएंगे। + +भारत के skilled human resources को दुनिया भर में आदर और प्रतिष्ठा मिले हैं।भारतीय talent ने यहाँ सऊदी अरबिया में अनुशासित, कानून का पालन करने वाले, परिश्रमी और कुशल कार्यबल के रूप में अपनी अनूठी पहचान बनाई है। भारत में skill का विकास करने के लिए हमने एक comprehensive vision तैयार किया है और उस पर लगातार काम कर रहे हैं। Skill India initiative के माध्यम से हम अगले तीन-चार वर्षों में 400 million लोगों को विभिन्न skills में train करेंगे। भारत में निवेश करने वाली कम्पनीज को इससे assured skilled manpower मिलेगा। + +चौथा trend यानि compassion for environment, ट्रेंड ही नहीं है, बल्कि हमारे समय की प्रमुख आवश्यकता भी बन गयी है। Climate change का प्रभाव और clean उर्जा का महत्व इतने व्यापक हैं कि उन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। आने वाले सालों में हमारा energy consumption का pattern और बदलेगा।Coal से oil और oil से gas और फिर renewables की तरफ झुकाव बढ़ता जाएगा।उर्जा की खपत और उर्जा की बचत दोनों ही महत्तवपूर्ण होंगे, और Storage भी।Environment degradation की चुनौतियां भी बढ़ती जएंगी।इसी को समझते हुए भारत में हम gas और oil के infrastructure में बड़ी मात्रा में निवेश बढ़ा रहे हैं।वर्ष 2024 तक हमारा refining, pipelines और gas terminals में $ 100 billion तक के निवेश का लक्ष्य है।मुझे ख़ुशी है कि Saudi Aramco ने भारत में West Coast refinery project – जो Asia की सबसे बड़ी refinery होगी – उसमें निवेश करने का निर्णय लिया है। हमने हाल ही में डाउनस्ट्रीम सेक्टर में, खास करके रीटेलिंग में, निवेश के norms को liberalize किया है, जिससे इस क्षेत्र में ease of doing business और बढ़ेगा। इसके अलावा हमने Renewables में 175 गीगा वाट उर्जा पैदा करने का जो लक्ष्य रखा था, उसे भी आने वाले वर्षों में बढ़ाकर 450 गीगा वाट तक ले जाने का तय किया है। भारत की तेज गति से बढ़ती economy के लिए ऊर्जा में निवेश बहुत जरुरी है। और हम यहाँ मौजूद energy companies से इन अवसरों का लाभ उठाने का अनुरोध करते हैं। + +Last but not the least, पांचवा trend यानि सरकार की बदलती भूमिका और उसका future of business पर प्रभाव भी बहुत व्यापक है। मेरी emphasis हमेशा Minimum Government Maximum Governance पर रही है। मैं समझता हूं कि competitive, innovative और dynamic business sector के लिए एक proactive तथा transparent government अच्छे facilitator का रोल अदा कर सकती हैं। स्पष्ट नियम और fair system private sector की growth के लिए आवश्यक हैं।इसी सोच और इसी approach के साथ भारत में पिछले पांच सालों में हमने कई major structural reforms किये हैं। FDI policy को सुगम और liberalize करने के कारण आज भारत Foreign Investment का सबसे बड़ा destination बन गया है। बीते 5 सालों में भारत में $ 286 बिलियन Foreign Direct Investment हुआ है। ये बीते 20 साल में भारत के Total FDI Inflow का लगभग आधा है। Insolvency और bankruptcy code हो या देश व्यापी एक taxation system, हमने मुश्किल से मुश्किल decisions लिए हैं।आज भारत का tax structure और IPR regime विश्व के सबसे अच्छे business regimes के साथ comparable हैं। ऐसे ही सुधारों के कारण हर Global Ranking में भारत निरंतर बेहतर प्रदर्शन करता जा रहा है। Logistics Performance Index में 10 Rank का jump Global Innovation Index में 24 नंबर का सुधारWorld Bank की Ease of Doing Business Index में 2014 में हम 142 थे। उस से ऊपर उठकर आज 2019 में हम 63वें नंबर पर हैं।लगातार तीसरे साल हम दुनिया के Top 10 reforms में है।हमने 1500 से ज्यादा ऐसे पुराने कानूनों को भी समाप्त कर दिया है, जो विकास में अड़चन पैदा कर रहे थे। + +पिछले चार-पांच साल में additional 350 million से ज्यादा लोगों को banking system से जोड़ा गया हैं। भारत में आज लगभग हर नागरिक के पास unique ID, Mobile Phone और Bank Account हैं। इस व्यवस्था के कारण Direct Benifit Transfer में transparency से 20 बिलियन डॉलर से अधिक का leakage बंद किया जा सका। यानि 20 बिलियन डॉलर की बचत हुई।स्वास्थ्य किसी भी सरकार की महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी हैं। इस क्षेत्र में quality of service बढ़ाने के लिए भारत ने कई कदम उठाए हैं। दुनिया का सबसे बड़ा Government Health Care Programme आयुष्मान भारत 500 मिलियन यानी America, Canada और Mexico की कुल आबादी से ज़्यादा लोगों को health cover देता है। यही नहीं, इस योजना के कारण भारत में health care में निवेश की अपार संभावनाएं बढ़ गयी हैं। आज भारत सबसे बड़ा health care consumer और quality healthcare provider भी है।स्वास्थ्य सेवा में technology के उपयोग ने क्रांति ला दी है। इससे न सिर्फ economic अवसर पैदा हुए हैं, बल्कि करोड़ों लोगों की productivity बढी है। + +आज इस मंच से मैं आपको विश्वास दिलाना चाहता हूं कि भारत में प्रगति की ये रफ़्तार और तेज होगी। हम देश के विकास से जुड़ा हर फैसला ले रहे हैं। न हमारी नीतियों में भ्रम है और न ही हमारे लक्ष्य में संदेह।हमारे $ 5 trillion economy के लक्ष्य का roadmap तैयार है।यह लक्ष्य सिर्फ quantitative growth का ही नहीं है पर हर भारतीय की quality of life बेहतर करने का भी है। हम ease of doing business में ही नहीं ease of living में भी सुधार ला रहे हैं। Political stability, Predictable Policy और बड़े diverse market के कारण, भारत में आपका Investment सबसे अधिक लाभदायक रहेगा। + diff --git a/pm-speech/498.txt b/pm-speech/498.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..baa30bcd0f3c8ae380159b841731c0b82e1291a7 --- /dev/null +++ b/pm-speech/498.txt @@ -0,0 +1,10 @@ +मेरे प्यारे देशवासियो, 12 नवंबर, 2019 – यह वो दिन है, जिस दिन दुनिया भर में, श्री गुरुनानक देव जी का 550वाँ प्रकाश उत्सव मनाया जाएगा | गुरुनानक देव जी का प्रभाव भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व मे है | दुनिया के कई देशों में हमारे सिख भाई-बहन बसे हुए हैं जो गुरुनानकदेव जी के आदर्शों के प्रति पूर्ण रूप से समर्पित हैं | मैं वैंकूवर (Vancouver) और तेहरान (Tehran) में गुरुद्वारों की अपनी यात्राओं को कभी नहीं भूल सकता | श्री गुरुनानकदेव जी बारे में ऐसा बहुत कुछ है जिसे मैं आपके साथ साझा कर सकता हूँ, लेकिन इसके लिए मन की बात के कई एपिसोड लग जाएंगे | उन्होंने, सेवा को हमेशा सर्वोपरि रखा | गुरुनानकदेव जी मानते थे कि निस्वार्थ भाव से किए गए सेवा कार्य की कोई क़ीमत नहीं हो सकती | वे छुआ-छूत जैसे सामाजिक बुराई के खिलाफ मजबूती के साथ खड़े रहे | श्री गुरुनानक देव जी ने अपना सन्देश, दुनिया में, दूर-दूर तक पहुँचाया | वे अपने समय में सबसे अधिक यात्रा करने वालों में से थे | कई स्थानों पर गये और जहां भी गये, वहां, अपनी सरलता, विनम्रता, सादगी – उन्होंने सबका दिल जीत लिया | गुरुनानक देव जी ने कई महत्वपूर्ण धार्मिक यात्राएँ की, जिन्हें ‘उदासी’ कहा जाता है | सद्भावना और समानता का सन्देश लेकर, वे, उत्तर हो या दक्षिण, पूर्व हो या पश्चिम – हर दिशा में गये, हर जगह लोगों से, संतों और ऋषियों से मिले | माना जाता है कि असम के सुविख्यात सन्त शंकरदेव भी उनसे प्रेरित हुए थे | उन्होंने हरिद्वार की पवित्र भूमि की यात्रा की | काशी में एक पवित्र स्थल, ‘गुरुबाग गुरुद्वारा’ है – ऐसा कहा जाता है कि श्री गुरुनानक देव जी वहां रुके थे | वे बौद्ध धर्म से जुड़ी ‘राजगीर’ और ‘गया’ जैसे धार्मिक स्थानों पर भी गए थे | दक्षिण में गुरुनानक देव जी, श्रीलंका तक की यात्रा की | कर्नाटका में बिदर की यात्रा के दौरान, गुरुनानक देव जी ने ही, वहां पानी की समस्या का समाधान किया था | बिदर में ‘गुरुनानक जीरा साहब’ नाम का एक प्रसिद्ध स्थल है जो गुरुनानक देव जी की – हमें याद भी दिलाता है, उन्हीं को ये समर्पित है | एक उदासी के दौरान, गुरुनानक जी ने उत्तर में, कश्मीर और उसके आस-पास के इलाके की भी यात्रा की | इसे सिख अनुयायियों और कश्मीर के बीच काफी मजबूत सम्बन्ध स्थापित हुआ | गुरुनानक देव जी तिब्बत भी गये, जहां के लोगों ने, उन्हें, ‘गुरु’ माना | वे उज्बेकिस्तान में भी पूजनीय हैं, जहां, उन्होनें, यात्रा की थी | अपनी एक उदासी के दौरान, उन्होंने, बड़े पैमाने पर इस्लामिक देशों की भी यात्रा की थी, जिसमें, Saudi Arab, Iraq और Afghanistan भी शामिल हैं | वे लाखों लोगों के दिलों में बसे, जिन्होंने पूरी श्रद्धा के साथ उनके उपदेशों का अनुसरण किया और आज भी कर रहे हैं | अभी कुछ दिन पहले ही, करीब 85 देशों के Eighty Five Countries के राजदूत, दिल्ली से अमृतसर गये थे | वहां उन्होंने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर के दर्शन किये और ये सब गुरुनानक देव जी के 550वें प्रकाशपर्व के निमित्त हुआ था | वहां इन सारे राजदूतों ने Golden Temple के दर्शन तो किये ही, उन्हें, सिख परम्परा और संस्कृति के बारे में भी जानने का अवसर मिला | इसके बाद कई राजदूतों ने Social Media पर वहां की तस्वीरें साझा की | बड़े गौरवपूर्वक अच्छे अनुभवों को भी लिखा | मेरी कामना है कि गुरु नानक देव जी के 550वाँ प्रकाश पर्व हमें उनके विचारों और आदर्शों को अपने जीवन में उतारने की और अधिक प्रेरणा दें | एक बार फिर मैं शीश झुकाकर गुरु नानक देव जी को नमन करता हूँ | + +मेरे प्यारे भाइयों और बहनों, मुझे विश्वास है कि 31 अक्तूबर की तारीख़ आप सबको अवश्य याद होगी | यह दिन भारत के लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की जन्म जयंती का है जो देश को एकता के सूत्र में पिरोने वाले महानायक थे | सरदार पटेल में जहाँ लोगों को एकजुट करने की अद्भुत क्षमता थी, वहीँ, वे उन लोगों के साथ भी तालमेल बिठा लेते थे जिनके साथ वैचारिक मतभेद होते थे | सरदार पटेल बारीक़-से-बारीक़ चीजों को भी बहुत गहराई से देखते थे, परखते थे | सही मायने में, वे ‘Man of detail’ थे | इसके साथ ही वे संगठन कौशल में भी निपुण थे | योजनाओं को तैयार करने और रणनीति बनाने में उन्हें महारत हासिल थी | सरदार साहब की कार्यशैली के विषय में जब पढ़ते हैं, सुनते हैं, तो पता चलता है कि उनकी planning कितनी जबरदस्त होती थी | 1921 में Nineteen Twenty One में अहमदाबाद में कांग्रेस के अधिवेशन में शामिल होने के लिए देशभर से हजारों की संख्या में delegates पहुँचने वाले थे | अधिवेशन की सारी व्यवस्था की जिम्मेदारी सरदार पटेल पर थी | इस अवसर का उपयोग उन्होंने शहर में पानी supply के Network को भी सुधारने के लिए किया | यह सुनिश्चित किया कि किसी को भी पानी की दिक्कत न हो | यहीं नही, उन्हें, इस बात की भी फ़िक्र थी कि अधिवेशन स्थल से किसी delegate का सामान या उसके जूते चोरी न हो जाएँ और इसे ध्यान में रखते हुए सरदार पटेल ने जो किया वो जानकर आपको बहुत आश्चर्य होगा | उन्होंने किसानों से संपर्क किया और उनसे खादी के बैग बनाने का आग्रह किया | किसानों ने बैग बनाये और प्रतिनिधियों को बेचे | इन bags में जूते डाल, अपने साथ रखने से delegates के मन से जूते चोरी होने की tension ख़त्म हो गई | वहीँ दूसरी तरफ खादी की बिक्री में भी काफ़ी वृद्धि हुई | संविधान सभा में उल्लेखनीय भूमिका निभाने के लिए हमारा देश, सरदार पटेल का सदैव कृतज्ञ रहेगा | उन्होंने मौलिक अधिकारों को सुनिश्चित करने का महत्वपूर्ण कार्य किया, जिससे, जाति और संप्रदाय के आधार पर होने वाले किसी भी भेदभाव की गुंजाइश न बचे | + +साथियो, हम सब जानते है कि भारत के प्रथम गृहमंत्री के रूप में सरदार वल्लभभाई पटेल ने, रियासतों को, एक करने का, एक बहुत बड़ा भगीरथ और ऐतिहासिक काम किया | सरदार वल्लभभाई की ये ही विशेषता थी जिनकी नज़र हर घटना पर टिकी थी | एक तरफ उनकी नज़र हैदराबाद, जूनागढ़ और अन्य राज्यों पर केन्द्रित थी वहीँ दूसरी तरफ उनका ध्यान दूर-सुदूर दक्षिण में लक्षद्वीप पर भी था | दरअसल, जब हम सरदार पटेल के प्रयासों की बात करते हैं तो देश के एकीकरण में कुछ खास प्रान्तों में ही उनकी भूमिका की चर्चा होती है | लक्षद्वीप जैसी छोटी जगह के लिए भी उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी | इस बात को लोग शायद ही याद करते हैं | आप भलीभांति जानते है कि लक्षद्वीप कुछ द्वीपों का समूह है | यह भारत के सबसे खुबसूरत क्षेत्रों में से एक है | 1947 में भारत विभाजन के तुरंत बाद हमारे पड़ोसी की नज़र लक्षद्वीप पर थी और उसने अपने झंडे के साथ जहाज भेजा था | सरदार पटेल को जैसे ही इस बात की जानकारी मिली उन्होंने बगैर समय गंवाये, जरा भी देर किये बिना, तुरंत, कठोर कार्यवाही शुरू कर दी | उन्होंने Mudaliar brothers, Arcot Ramasamy Mudaliar और Arcot Lakshmanaswami Mudaliar से कहा कि वो त्रावणकोर के लोगों के साथ लेकर तुरंत कूच करें और वहाँ तिरंगा फहरायें | लक्षद्वीप में तिरंगा पहला फहरना चाहिए | उनके आदेश के फ़ौरन बाद वहाँ तिरंगा फहराया गया और लक्षद्वीप पर कब्ज़ा करने के पड़ोसी के हर मंसूबे देखते ही देखते ध्वस्त कर दिए | इस घटना के बाद सरदार पटेल ने Mudaliar brothers से कहा कि वे व्यक्तिगत रूप से ये सुनिश्चित करें कि लक्षद्वीप को विकास के लिए हर जरुरी मदद मिले | आज, लक्षद्वीप भारत की प्रगति में, अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है | यह एक आकर्षक tourist destination भी है | मुझे उम्मीद है कि आप सब भी इसके खुबसूरत द्वीपों और समुद्र तटों की यात्रा करेंगे | + +साथियों, देश के लिए, सभी राज्यों के लिए, tourism industry के लिए, ये ‘Statue of Unity’ एक अध्ययन का विषय हो सकता है | हम सब इसके साक्षी हैं कि कैसे एक साल के भीतर-भीतर एक स्थान, विश्व प्रसिद्ध tourism destination के तौर पर विकसित होता है | वहाँ देश विदेश से लोग आते हैं | Transport की, ठरहने की, guides की, eco-friendly व्यवस्थायें, एक-के-बाद एक अपने आप बहुत सारी व्यवस्थायें विकसित होती चली जा रही हैं | बहुत बड़ी economy develop हो रही है और यात्रियों की आवश्यकता के अनुसार लोग वहाँ सुविधाएँ पैदा कर रहे हैं | सरकार भी अपनी भूमिका निभा रही है | साथियों कौन हिन्दुस्तानी होगा जिसको इस बात का गर्व नहीं होगा कि पिछले दिनों time magazine ने दुनिया के 100 महत्वपूर्ण tourist destination में Statue of Unity को भी अहम् स्थान दिया है | मुझे आशा है कि आप सभी लोग अपने कीमती समय से कुछ वक़्त निकाल कर Statue of Unity देखने तो जाएंगे ही, लेकिन, मेरा आग्रह जो है कि हर हिन्दुस्तानी जो यात्रा करने के लिए समय निकालता है वह भारत के कम से कम 15 Tourist Destinations परिवार के साथ करें, जहाँ जाए वहाँ रात को रुकें, यह मेरा आग्रह तो बरक़रार है ही है | + +मेरे प्यारे देशवासियो, आज, घर-घर की अगर कोई एक कहानी सब दूर सुनाई देती है, हर गाँव की कोई एक कहानी सुनाई देती है – उत्तर से दक्षिण, पूर्व से पश्चिम, हिंदुस्तान के हर कोने से, एक कहानी सुनाई देती है तो वो है स्वच्छता की | हर व्यक्ति को, हर परिवार को, हर गाँव को, स्वच्छता के सम्बन्ध में अपने सुखद अनुभवों कहने का मन करता है, क्योंकि, स्वच्छता का यह प्रयास सवा-सौ करोड़ हिन्दुस्तानियों का प्रयास है | परिणाम के मालिक भी सवा-सौ करोड़ हिन्दुस्तानी ही हैं | लेकिन एक सुखद अनुभव और रोचक अनुभव भी है | मैंने सुना, मैं सोचता हूँ, मैं, आपको भी सुनाऊं | आप कल्पना करिये, विश्व का सबसे ऊँचा battlefield, जहाँ का तापमान शून्य से 50-60 डिग्री minus में चला जाता है | हवा में oxygen भी नाम मात्र की होती है | इतनी विपरीत परिस्थितियों में, इतनी चुनौतियों के बीच रहना भी, किसी पराक्रम से, कम नहीं है | ऐसे विकट हालात में, हमारे बहादुर जवान न सिर्फ सीना तान कर देश की सीमाओं की सुरक्षा कर रहे हैं, बल्कि, वहां स्वच्छ सियाचिन अभियान भी चला रहे हैं | भारतीय सेना की इस अद्भुत प्रतिबद्धता के लिए मैं देशवासियों की ओर से उनकी सराहना करता हूँ | कृतज्ञता प्रकट करता हूँ | वहां इतनी ठण्ड है कि कुछ भी decompose होना मुश्किल है | ऐसे में, कूड़े-कचरे को अलग करना और उसका प्रबंधन करना, अपने आप में काफी महत्वपूर्ण काम है | ऐसे में, glacier और उनके आस-पास के इलाके से 130 टन और उससे भी ज्यादा कचरा हटाना और वो भी यहाँ के fragile eco-system के बीच ! कितनी बड़ी सेवा है ये ! यह एक ऐसा eco-system है जो हिम तेंदुए जैसी दुर्लभ प्रजातियों का घर है | यहाँ ibex और brown bears जैसे दुर्लभ जानवर भी रहते हैं | हम सब जानते हैं कि यह सियाचिन एक ऐसा glacier है जो नदियों और स्वच्छ पानी का स्त्रोत है इसलिए यहाँ स्वच्छता अभियान चलाने का मतलब है उन लोगों के लिए स्वच्छ जल सुनिश्चित करना जो निचले इलाकों में रहते हैं | साथ ही Nubra और Shyok जैसी नदियों के पानी का उपयोग करते हैं | + diff --git a/pm-speech/499.txt b/pm-speech/499.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..9cf36483f06fea665f4db96a430cadb38e8703ae --- /dev/null +++ b/pm-speech/499.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +ये तो बात हुई टेक्नॉलॉजी से Access बढ़ाने की। अब मैं आपको Access से Behavioral Change लाने में टेक्नॉलॉजी का क्या रोल रहता है, इसका भी उदाहरण देता हूं। देश में हेल्थकेयर की स्थिति पर आपकी किताब में रोशनी डाली गई है। खासतौर पर, इलाज ना कराने का मेंटल ब्लॉक जो हमारे देश में गरीबी के कारण रहा है, पैसे के अभाव के कारण रहा है। + diff --git a/pm-speech/500.txt b/pm-speech/500.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..ac0cf8ae4e2fa418a8fb5d855552c18e4b46d6a1 --- /dev/null +++ b/pm-speech/500.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +उत्‍सव हमें जोड़ते भी हैं, उत्‍सव हमें मोड़ते भी हैं। उत्‍सव हम में उमंग भी भरते हैं, उत्‍साह भी भरते हैं और नए-नए सपनों को सजने का सामर्थ्‍य भी देते हैं। हमारी रगों में उत्‍सव धधकता रहता है, इसलिए भारत के सामाजिक जीवन का प्राण तत्‍व उत्‍सव है। और ये उत्‍सव प्राण तत्‍व होने के कारण हजारों साल पुरानी इस महान परम्‍परा को कभी क्‍लब कल्‍चर में जाना नहीं पड़ा। उत्‍सव ही उसके भावों की अभिव्‍यक्ति का उत्‍तम माध्‍यम बनते रहे हैं और यही उत्‍सवों का सामर्थ्‍य होता है। + +और इसलिए हम बदलाव को निरन्‍तर स्‍वीकार करने वाले लोग हैं। और जब बदलाव को स्‍वीकार करने वाले लोग हैं तब, मैंने इस बार मन की बात में कहा था कि दिवाली के पर्व पर हम महालक्ष्‍मी का पूजन करते हैं। लक्ष्‍मी का आगमन बड़ी आतुरता से हम करते हैं। हमारे मन में सपना होता है कि आने वाला वर्ष अगली दिवाली, तक ये लक्ष्‍मी हमारे घर में ही रहे, लक्ष्‍मी हमारी बढ़ती रहे- ये हमारे मन का भाव रहता है। + +प्रभु रामजी के जीवन में देखें- समंदर पार करना था, पुल बनाना था, ब्रिज बनाना था- सामूहिक शक्ति, वो भी अपने साथी के रूप में जंगलों से जो साथी मिले थे, उनको साथ ले करके सामूहिक शक्ति के माध्‍यम से प्रभु रामजी ने ब्रिज भी बना दिया और लंका भी पहुंच गए। ये सामर्थ्‍य सामूहिकता में होता है। ये उत्‍सव सामूहिकता की शक्ति देते हैं। उस शक्ति के भरोसे हम भी अपने संकल्‍पों को पार करें। + diff --git a/pm-speech/501.txt b/pm-speech/501.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..c6e268fe87965ec3963d4534d1bbd0f27f9faebf --- /dev/null +++ b/pm-speech/501.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +मुझे खुशी है कि Prime Minister शेख हसीना जी के साथ तीन और bilateral projects का उद्घाटन करने का मौका मुझे मिला है। पिछले एक साल में, हमने वीडियो लिंक से 9 projects को लान्च किया। आज के तीन projects को जोड़कर एक साल में हमने एक दर्जन joint projects लांच किए हैं। इस उपलब्धि पर मैं दोनों देशों के अधिकारियों और सभी नागरिकों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं। + diff --git a/pm-speech/503.txt b/pm-speech/503.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..a06e8a69e313809d9fcee6977eb4d74dfea2da34 --- /dev/null +++ b/pm-speech/503.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +भाइयो और बहनों, यहां आने से पहले मैं साबरमती आश्रम गया था। अपने जीवनकाल में मुझे वहां अनेक बार जाने का अवसर मिला है। हर बार मुझे वहां पूज्‍य बापू के सानिध्‍य का एहसास हुआ, लेकिन आज मुझे वहां एक नई ऊर्जा भी मिली। साबरमती आश्रम में ही उन्‍होंने स्‍वच्‍छाग्रह और सत्‍याग्रह को व्‍यापक स्‍वरूप दिया था। इसी साबरमती के किनारे महात्‍मा गांधीजी ने सत्‍य के प्रयोग किए थे। + +इतना ही नहीं, इससे बच्‍चों की शिक्षा के स्‍तर पर, हमारी productivity पर, उद्यमशीलता पर सकारात्‍मक असर पड़ा है। इससे देश में बेटियों और बहनों की सुरक्षा और सशक्तिकरण की स्थिति में अद्भुत बदलाव आया है। गांव, गरीब और महिलाओं के स्‍वाबलंबन और सशक्तिकरण को प्रोत्‍साहित करने वाला ऐसा ही मॉडल तो पूज्‍य महात्‍मा गांधी चाहते थे। यही महात्‍मागांधीजी के स्‍वराज के मूल में था। इसी के लिए उन्‍होंने अपना जीवन समर्पित कर दिया। + +भाइयो और बहनों, सरकार ने अभी जो जल-जीवन मिशन शुरू किया है, उससे भी इसमें मदद मिलने वाली है। अपने घर में, अपने गांव में, अपनी कॉलोनी में Water recharge के लिए, Water recycling के लिए हम जो भी प्रयास कर सकते हैं, वो करने चाहिए। अगर हम ये कर पाएं तो टॉयलेट के‍ नियमित और स्‍थाई उपयोग के लिए इससे बहुत मदद मिलेगी। सरकार ने जल-जीवन मिशन पर साढ़े तीन लाख करोड़ खर्च करने का फैसला किया है। लेकिन देशवासियों की सक्रिय भागीदारी के बिना इस विराट कार्य को पूरा करना मुश्किल है। + diff --git a/pm-speech/505.txt b/pm-speech/505.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..5b086c5323ae8f5b21b8bd50eee18c14691e4f24 --- /dev/null +++ b/pm-speech/505.txt @@ -0,0 +1,8 @@ +हमने पाँच हज़ार से अधिक special pharmacy शुरू की हैं जहाँ 800 से अथिक अहम् दवाईयाँ affordable कीमत पर उपलब्ध कराई जा रही हैं। Heart के stent की कीमत 80 प्रतिशत तक और knee-implant की कीमत 50 से 70 परसेंट तक कम की गई है। किडनी की समस्या से पीड़ित लाखों लोग भारत में निशुल्क dialysis सुविधा का लाभ उठा रहे हैं। + +तीसरा pillar है Supply Side में सुधार का और इसके लिए हमने भारत में क्वालिटी मेडिकल एजुकेशन के लिए, मेडिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए कई ऐतिहासिक कदम उठाए हैं। दूसरे सेक्टर के लिए हमने आमूलचूल सुधार किये हैं। और चौथा pillar है Mission Mode Intervention का। यदि माएं और बच्चे स्वस्थ हों तो पूरे समाज को स्वस्थ करने की नींव बन सकती है और इसलिए हमने मिशन mode पर राष्ट्रीय पोषण अभियान जैसी पहल की हैं। + +Sustainable Development Goals में TB को 2030 तक समाप्त करने का लक्ष्य है। भारत में हमने इसे mission mode में लक्ष्य में 2025 तक इसको पाने का इरादा रखा है और मुझे पूरा विश्वास है कि हम ये लक्ष्य भी प्राप्त करेंगें। वायु प्रदुषण, जानवरों में होने वाली और फिर उनसे मनुष्यों में फ़ैलने वाली बीमारियों के खिलाफ भी हमने अभियान शुरू किया है। + +स्वास्थ्य का तात्पर्य मात्र रोग मुक्ति से नहीं है, स्वस्थ जीवन भी हर किसी का अधिकार है। इसके लिए हर संभव प्रयास करना हमारी सरकार का दायित्व है। और भारत के प्रयास भारत की सीमाओं के अन्दर तक ही सिमटे नहीं हैं। हमने कई देशों, विशेष रूप से अफ्रीका के देशों में tele-medicine के द्वारा affordable healthcare की access बढ़ाने में सहयोग किया है और आगे भी करते रहेंगें। हमारा अनुभव और हमारी क्षमताएँ सभी विकासशील देशों के लिए उपलब्ध हैं। + diff --git a/pm-speech/506.txt b/pm-speech/506.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..5e48de0da5666e42ccc8ce4b0073f2f24e83dee1 --- /dev/null +++ b/pm-speech/506.txt @@ -0,0 +1,30 @@ +Thank You, Thank You President Trump. Thanks a lot. Howdy my friends. ये जो दृश्‍य है, ये जो माहौल है, ये अकल्‍पनीय है, और जब टेक्‍सस की बात आती है तो हर बात भव्‍य होनी, विशाल होनी ये टेक्‍सस के स्‍वभाव में है। आज टेक्‍सस की Spirit यहां भी reflect हो रही है। इस अपार जनसमूह की उपस्थिति केवल Arithmetic तक ही सीमित नहीं है। आज हम यहां एक नई history बनते हुए देख रहे हैं और एक नई chemistry भी। + +NRG की energy, भारत और अमेरिका के बीच बढ़़ती synergy की गवाह है। President ट्रंप का यहां आना अमेरिका की महान डेमोक्रेसी के अलग-अलग प्रतिनिधियों का चाहे वो रिपब्लिकन हो डेमोक्रेट हो, उनका यहां आना और भारत के लिए, मेरे लिए इतनी प्रशंसा में काफी कुछ कहना, मुझे बहुत शुभकामनाएं देना, Steny H Hoye,r Senator John Cornyn और अन्‍य साथियों ने जो भारत की प्रगति के बारे में कहा है, जो प्रशंसा की है, वो अमेरिका में रहने वाले भारतीयों का, उनके सामर्थ्‍य उनके Achievement का सम्‍मान है। 130  करोड़ यानि 1.3 मिलियन भारतीयों का ये सम्‍मान है। + +साथियों, इस कार्यक्रम का नाम Howdy Modi है …. Howdy Modi लेकिन मोदी अकेले कुछ नहीं। मैं 130 करोड़ भारतीयों के आदेश पर काम करने वाला एक साधारण व्‍यक्ति हूं। और इसलिए जब आपने पूछा है Howdy Modi तो मेरा तो मन कहता है उसका जवाब यही है। भारत में सब अच्‍छा है, सोब खूब भालो (बंगाली),अंता  बागुंदी(तेलुगु), येल्‍लाम् सौक्कियम् (तमिल्), येल्‍लाम् सौख्‍यम् (मलयालम), सब  चंगा सी (पंजाबी), बधा ज मजामा छे (गुजराती) + +साथियों, हमारे अमेरिकी मित्रों  मित्रों को ये आश्‍चर्य हो रहा होगा कि मैंने क्‍या बोला है। प्रेसिडेंट ट्रंप और मेरे अमेरिकी मित्रों मैंने इतना ही कहा है कि Everything is fine. लेकिन भारत की कुछ अलग-अलग भाषाओं में हमारी liberal और democratic society की बहुत बड़ी पहचान हैं ये हमारी भाषाएं, सदियों से हमारे देश में सैकड़ों भाषाएं, सैकड़ों बोलियां, सह-अस्तित्व की भावना के साथ आगे बढ़ रही हैं, और आज भी करोड़ों लोगों की मातृभाषा बनी हुई हैं और साथियों सिर्फ भाषा ही नहीं, हमारे देश में अलग-अलग पंथ, दर्जनों संप्रदाय, अलग-अलग पूजा पद्धतियां, सैकड़ों तरह का अलग-अलग क्षेत्रीय खान-पान, अलग-अलग वेशभूषा, अलग-अलग मौसम-ऋतु चक्र इस धरती को अद्भुत बनाते हैं। विविधता में एकता, यही हमारी धरोहर है, यही हमारी विशेषता है। + +भारत की यही Diversity हमारी Vibrant Democracy का आधार है। यही हमारी शक्ति है, यही हमारी प्रेरणा है। हम जहां भी जाते हैं Diversity, Democracy के संस्‍कार साथ-साथ लेकर के साथ चले जाते हैं। आज यहां इस स्‍टेडियम में बैठे 50 हजार से ज्‍यादा भारतीय हमारी महान परंपरा के प्रतिनिधि बनकर आज यहां उपस्थित हैं। आपमें से कई तो ऐसे भी हैं जिन्‍होंने भारत में Democracy के सबसे बड़े उत्‍सव 2019 के चुनाव में भी अपना सक्रिय योगदान दिया है। + +वाकई ये एक ऐसा चुनाव था जिसने Indian Democracy की शक्ति का परचम पूरी दुनिया में लहरा दिया। इस चुनाव में 61 करोड़ यानि की 6 hundred & 10 million से अधिक वोटरस ने हिस्‍सा लिया। एक तरह से अमेरिका की टोटल पोपुलेशन का लगभग डबल, इसमें भी 8 करोड़ यानि 80 मिलियन युवा तो ऐसे हैं जो first time voters थे। भारत की Democracy के इतिहास में सबसे ज्‍यादा वूमेन voters ने इस बार वोट डाला था। और इस बार सबसे ज्‍यादा संख्‍या में महिलाएं चुनकर भी आई हैं। + +भाईयों और बहनों सात दशकों में देश का Rural Sanitation 38% पहुंचा था। पांच साल में हमने 11 करोड़ यानी 110 मिलियन से ज्‍यादा शौचालय बनवाए हैं। आज Rural Sanitation 99% पर है। देश में कुकिंग गैस कनेक्‍शन भी पहले 55% के करीब था। पांच साल के भीतर-भीतर हमने इसे 95%  पहुंचा दिया। सिर्फ पांच साल में हमनें 15 करोड़ यानी 115 मिलियन से ज्‍यादा लोगों को गैस कनेक्‍शन से जोड़ा है। भारत में Rural Road connectivity यह भी पहले 55% थी। पांच साल में हम इसे 97% तक ले गए। सिर्फ पांच साल में हमनें देश के ग्रामीण इलाकों में 2 लाख किलोमीटर यानी 2 hundred thousand किलोमीटर से ज्‍यादा  सड़कों का निर्माण किया है। भारत में 50% से भी कम लोगों के बैंक अकांऊट थे, आज पांच साल में लगभग 100%  परिवार बैंकिग व्‍यवस्‍था से जुड़ चुके हैं। पांच साल में हमनें 37 करोड़ यानी 317 मिलियन से ज्‍यादा लोगों के नए बैंक अकांऊट खुलवाए हैं। + +मैं आपको आज एक उदाहरण देता हूं। साथियों आजकल कहा जाता है Data is the new oil आप ह्यूस्‍टन के लोग oil की जब बात आती है तो इसका मतलब भली-भांति जानते हैं, मैं इसमें ये भी जोड़ूगां Data is the new gold. अगर पूरी दुनिया में  जरा गौर से सुनिए, अगर पूरी दुनिया में  सबसे कम कीमत पर डेटा कहीं उपलब्‍ध है तो वो देश है भारत। आज भारत में 1 GB डेटा की कीमत है सिर्फ 25-30 cents के आसपास यानी 1 डॉलर का भी चौथाई हिस्‍सा। और मैं ये भी बताना चाहूंगा कि 1 GB डेटा की world average  की कीमत इससे 25-39 गुना ज्‍यादा है। + +एक समय था जब टैक्‍स रिटर्न भरना बहुत बड़ा सिरर्दद होता था। टैक्‍स रिफंड आने में महीनों लग जाते थे, अब जो बदलाव आया है, वो सुनेंगे तो आप चौंक जाएंगे। इस बार 31 अगस्‍त को एक दिन में, मैं सिर्फ एक दिन की बात कर रहा हूं। एक दिन में करीब 50 लाख यानी 5 मिलियन लोगों ने अपना इनकम टैक्‍स रिटर्न ऑनलाइन भरा है। यानी सिर्फ एक दिन में ही 50 लाख रिटर्न। यानी ह्यूस्‍टन की कुल पॉपुलेशन के भी डबल से ज्‍यादा और दूसरी सबसे बड़ी बात जो टैक्‍स रिफंड महीनों में आता था वो अब हफ्ते-10 दिन में सीधे बैंक में ट्रांसफर हो जाता है। + +इस 2 अक्‍टूबर को जब देश महात्‍मा गांधी की 150वीं जन्‍म जयंती मनाएगा, तो भारत Open Defecation को Farewell दे देगा। भारत बीते पांच सालों में 1500 से ज्‍यादा बहुत पुरानों कानूनों को भी Farewell दे चुका है। भारत में दर्जनों टैक्‍स का जो जाल था वो भी business friendly माहौल बनाने में रूकावट खड़ी करता था। हमारी सरकार ने टैक्‍स की इस जाल को Farewell दे दिया, और जीएसटी लागू किया। + +बरसों बाद देश में one nation-one tax का सपना हमनें साकार कर दिखाया है। साथियों, हम करप्‍शन को भी चैलेंज कर रहे हैं। उसे हर स्‍तर पर Farewell देने के लिए एक के बाद एक कदम उठा रहे हैं। बीते दो-तीन साल में भारत ने साढे तीन लाख यानी 350 thousand से ज्‍यादा संदिग्‍ध कंपनियों को भी Farewell दे दिया है। हमनें 8 करोड़ यानी 80 मिलियन से ज्‍यादा ऐसे fake names को भी Farewell दे‍ दिया है। जो सिर्फ कागजों पर थे, और सरकारी सेवाओं का फायदा उठा रहे थे। + +साथियों, हमारी पार्लियामेंट के Upper House, lower house दोनों में घंटों तक इस पर चर्चा हुई जिसका देश और दुनिया में लाइव टेलीकास्‍ट हुआ. भारत में हमारी पार्टी के पास Upper House यानी राज्‍य सभा में बहुमत नहीं है। बावजूद इसके हमारी पार्लियामेंट के Upper House और  lower house दोनों ने इससे जुड़े फैसलों को दो तिहाई बहुमत से पास किया है। मैं आप सबसे आग्रह करता हूं, हिन्‍दुस्‍तान के सभी सांसदों के लिए standing ovation हो जाए। हां, बहुत-बहुत धन्‍यवाद आपका. + +Coal mining और contract manufacturing विदेशी इनवेस्‍टमेंट अब 100% तक हो सकता है। मैं कल Energy centre के CEO से यहां Houston में मिला। भारत में कारपोरेट टैक्‍स में भारी कमी का जो निर्णय लिया है, उससे वो सारे के सारे लोग बहुत ही उत्‍साहित नजर आए उनका फीडबैक है कि कारपोरेट टैक्‍स कम करने के फैसले से सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि ग्‍लोबल बिजनेस लीडर में बहुत पोजिटिव मैसेज गया है। ये फैसला भारत को और ग्‍लोबल competitive बनाएगा। + +प्रेसिडेंट ट्रंप ने अपने संबोधन में जिन इकोनॉमी miracles की बात कही वो सोने में सुहागा हो होंगे, आने वाले दो-तीन दिनों में प्रेसिडेट ट्रंप के साथ मेरी बातचीत होने वाली है। मैं उम्‍मीद करता हूं कि उससे भी कुछ पाजिटिव रिजल्‍टस निकलेगा। वैसे तो प्रेसिडेट ट्रंप मुझे Tough negotiator कहते हैं लेकिन वो खुद भी the art of the deal  में माहिर हैं और मैं उनसे बहुत कुछ सीख रहा हूं। + +बीते पांच वर्षों में हमने इंडियन diaspora के संवाद से मायने को और संवाद के तरीके दोनों बदल दिए हैं। अब विदेशों में भारत के दूतावास और Counsels सिर्फ सरकारी कार्यालय नहीं बल्कि आपके पहले साथी की भूमिका में हैं। विदेश में काम करने वाले साथियों के लिए, उनके हितों की सुरक्षा के लिए भी सरकार लगातार काम कर रही है। मदद, ई-माइग्रेट विदेश जाने से पहले प्री-डिपारचर ट्रेनिंग, प्रवासी भारतीयों की बीमा योजना में सुधार सभी पीआइओ कार्ड को ओसीआई कार्ड की सुविधा, ऐसे तमाम कार्य किए गए हैं। जिन्‍होंने प्रवासी भारतीयों को विदेश जाने से पहले और बाद में काफी मदद की है। हमारी सरकार ने Indian community welfare fund मजबूत किया है। विदेश में कई नए शहरों में  प्रवासी भारतीय सहायता केंद्र भी खोले गए हैं। + diff --git a/pm-speech/508.txt b/pm-speech/508.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..57a0d13932e6a5849b82298df72383e2d148111d --- /dev/null +++ b/pm-speech/508.txt @@ -0,0 +1,8 @@ +साथियो, ये काम सिर्फ कनेक्शन देनेभर तक सीमित नहीं था। इसके लिए और भी व्यापक प्रबंध किए गए, holistic तरीके से काम किया गया।एक बहुत बड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर इसके लिए जरूरी था, जिसको बहुत ही कम समय में तैयार किया गया। इसके लिए जो 10 हज़ार नए LPG Distributers तैयार किए उनमें से अधिकतर को गांवों में नियुक्त किया गया।इतना ही नहीं, देशभर में नए LPG Bottling plant लगाए गए ताकि गैस सिलिंडरों का अभाव न हो। सरकार ने बंदरगाहों के आसपास terminal capacity बढ़ाने के साथ ही गैस पाइप लाइन के नेटवर्क का विस्‍तार भी किया। + +साथियो, मुद्रा योजना बहनों को उद्यमी बनाने में अहम भूमिका निभा रही है। योजना के तहत अभी तक देशभर में करीब 20 करोड़ ऋण बांटे गए हैं। इनमें से लगभग 14 करोड़ ऋण हमारी बहनों और बेटियों के हाथ में गए हैं। महाराष्ट्र में भी मुद्रा योजना के डेढ़ करोड़ लाभार्थियों में से सवा करोड़ लाभार्थी हमारी माताएं-बहने हैं। महिला उद्यमशीलता के क्षेत्र में आ रहे इस बदलाव को हमें और तेज करना है, और मजबूत करना है। इसके लिए सरकार के स्‍तर पर जो भी कदम उठाने होंगे वो जरूर उठाए जाएंगे। + +भाइयो और बहनों, 2022 तक हर गरीब को पक्की छत देने के लक्ष्य की तरफ हम तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं। अब तक देश के गांवों और शहरों में लगभग 1 करोड़ 80 लाख घर बन चुके हैं। लाभार्थी उसमें रहने के लिए चले गए हैं। कई लोग हमसे पूछते हैं कि गरीबों के घर की योजना तो पहले भी चलती थी, फंड पहले भी थे, लेकिन आपने इसमें अलग क्‍या किया? + +साथियो, हमारा जोर पारदर्शिता पर भी रहा। घ्ररों के निर्माण के अलग-अलग चरण की तस्‍वीरों को ऑनलाइन अपलोड किया गया। पारदर्शी तरीके से प्रशासन को सही जानकारी उपलब्‍ध कराई गई। यही नहीं, रियल एस्टेट के क्षेत्र में पारदर्शिता की बहुत कमी थी। इससे घर खरीदने वाले लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। सरकार ने रेरा कानून लाकर घर खरीदने वालों के मन में विश्वास भरने का काम किया है। आज अधिकतर राज्‍यों में रेरा कानून notify किया जा चुका है। Tribunal भी काम कर रहा है। इस प्रोजेक्‍ट के तहत लाखों नए flats का निर्माण किया जा रहा है। + diff --git a/pm-speech/511.txt b/pm-speech/511.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..ec5d7481ccbfb57d4d172d256f1b7fb700e19ca9 --- /dev/null +++ b/pm-speech/511.txt @@ -0,0 +1,14 @@ +इस उत्‍तम कार्य रचना के लिए, इस उत्‍तम प्रकार की प्रस्‍तुति के लिए, जिन्‍होंने इसको conceptualize किया होगा, जिन्‍होंने इसमें नए-नए रंग-रूप भरे होंगे, और जिन्‍होंने परिश्रम करके इसको प्रस्‍तुत किया है; आप सभी बहुत-बहुत अभिनंदन के अधिकारी हैं। मैं भविष्‍य में चाहूंगा कि इसी में से एक अच्‍छा professional video बना करके सभी school, collages में दिखाया जाए ताकि सहज रूप से, क्‍योंकि एक जनआंदोलन बनना चाहिए। + +समय कैसे बदला है, उसका एक उदाहरण मैं आपको देता हूं। कुछ दशक पहले तक एक सामान्य व्यक्ति एक दिन में 8-10 किलोमीटर पैदल चल लेता था, कुछ एकाध घंटे भर साइकिल चला लेता था, कभी बस पकड़ने के लिए भागता था। यानी जीवन में शारीरिक गतिविधि सहज हुआ करती थी। फिर धीरे-धीरे टेक्नोलॉजी बदली, आधुनिक साधन आए और व्यक्ति का पैदल चलना कम हो गया। Physical activity कम हो गई। और अब स्थिति क्या है? टेक्नोलॉजी ने हमारी ये हालत कर दी है कि हम चलते कम हैं और वही टेक्नोलॉजी हमें गिन-गिन के बताती है कि आज आप इतने steps चले, अभी 5 हजार steps नहीं हुए, 2 हजार steps नहीं हुए, और हम मोबाइल फोन देखते रहते हैं। यहां मौजूद आप में से कितने लोग 5 हजार, 10 हजार steps वाला काम करते हैं? कई लोग होंगे जिन्‍होंने इस प्रकार की watch पहनी होगी या मोबाइल फोन पर एप डालकर रखी होगी। मोबाइल पर चैक करते रहते हैं कि आज कितने steps हुए। + +आज भारत में diabetes, hypertension जैसी अनेक lifestyle diseases बढ़ती जा रही हैं। कभी-कभी तो सुनते हैं परिवार में 12-15 साल का बच्‍चा diabetic patient हो गया है। अपने आसपास देखिए, तो आपको अनेक लोग इनसे पीड़ित मिल जाएंगे। पहले हम सुनते थे कि 50-60 की उम्र के बाद हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है, लेकिन आज कभी-कभी खबर आती है 30 साल, 35 साल, 40 साल का नौजवान बेटा-बेटी चले गए, हार्ट अटैक आ रहा है। ये स्थिति वाकई बहुत चिंताजनक है, लेकिन इन सारी स्थितियों में भी उम्‍मीद की एक किरण भी है। अब आप सोचेंगे कि इन बीमारियों के बीच भी उम्‍मीद की किरण की बात कैसे कह रहा हूं। मैं स्‍वभाव से बहुत ही positive thinking करने वाला इंसान हूं। इसलिए मैं उसमें से भी कुछ अच्‍छी चीजें ढूंढकर निकालता हूं। + +Lifestyle disease हो रही है lifestyle disorder की वजह से। अब Lifestyle disorder को हम lifestyle बदल के, उसमें बदलाव करके, उसको ठीक भी कर सकते हैं। तमाम ऐसी बीमारियां हैं जिन्हें हम अपने daily routine में छोटे-छोटे बदलाव करके, अपनी lifestyle में बदलाव करके उससे हम बच सकते हैं, उसको दूर रख सकते हैं। इन बदलावों के लिए देश को प्रेरित करने का नाम ही Fit India Movement है। और ये कोई सरकारी Movement नहीं है। सरकार तो एक catalytic agent के रूप में इस विषय को आगे बढ़ाएगी, लेकिन एक प्रकार से हर परिवार का एजेंडा बनना चाहिए, ये हर परिवार की चर्चा का विषय बनना चाहिए। अगर व्‍यापारी हर महीने हिसाब लगता है कितनी कमाई की, शिक्षा में रुचि रखने वाले परिवार में चर्चा करते हैं बेटों को कितने marks आया; उसी प्रकार से परिवार के अंदर सहज रूप से शारीरिक श्रम, शारीरिक व्‍यायाम, physical fitness, ये रोजमर्रा की जिंदगी की चर्चा के विषय बनने चाहिए। + +और साथियो, भारत में ही अचानक इस तरह की जरूरत महसूस हुई हो, ऐसा नहीं है। समय के साथ ये बदलाव सिर्फ भारत में ही आ रहा है, ऐसा भी नहीं है। पूरे विश्‍व में आज इस तरह के अभियानों की जरूरत महसूस की जा रही है। अनेक देश अपने यहां fitness के प्रति awareness बढ़ाने के लिए बड़े-बड़े अभियान चला रहे हैं। हमारे पड़ोस में चीन- Healthy China 2030, इसको mission mode में काम कर रहा है। यानी 2030 तक China का हर नागरिक तदुरुस्‍त हो, इसके लिए उन्‍होंने पूरा टाइम टेबल बनाया है। इसी तरह ऑस्‍ट्रेलिया अपने नागरिकों की physical activity बढ़ाने और inactive यानी आलसीपन जो है, कुछ करना-धरना नहीं, उस स्‍वभाव को बदलने के लिए उन्‍होंने ल्‍क्ष्‍य तय किया है कि 2030 तक देश के 15 प्रतिशत नागरिकों को आलस से बाहर निकाल करके fitness के लिए, activeness के लिए हम काम करेंगे। ब्रिटेन में जोर-शोर से अभियान चल रहा है कि 2020 तक पांच लाख नए लोग daily exercise के routine से जुड़ें, ये उन्‍होंने target तय किया है। अमेरिका 2021 तक अपने एक हजार शहरों को free fitness अभियान से जोड़ने का काम कर रहा है। जर्मनी में भी fit instead of fat, इसका बड़ा अभियान चल रहा है। + +स्‍वामी विवेकानंद जी भी कहते थे कि अगर जीवन में purpose हो, पूरे passion के साथ उसके लिए काम किया जाए तो अच्‍छा स्‍वास्‍थ्‍य, सुख-समृद्धि उसके by-product के रूप में आपके जीवन में आ जाते हैं। अपने जीवन के उददेश्‍य को हासिल करने के लिए हमारे भीतर एक जुनून, एक इच्‍छाशक्ति, एक लगन का होना भी उतना ही जरूरी है। जब एक purpose के साथ, passion के साथ हम काम करते हैं, आगे बढ़ते हैं तो सफलता हमारे कदम चूमने के लिए तैयार हो जाती है। और सफलता पर आपने वो कहावत भी सुनी होगी- There is no elevator to success, you have to take the stairs. यानी इस कहावत में भी आपको सीढ़ी के कदम चढ़ने के लिए ही कहा गया है। Step तो आप तभी चढ़ पाएंगे जब फिट होंगे, वरना लिफ्ट बंद हो गई तो सोचेंगे यार आज नहीं जाएंगे, कौन चौथी मंजिल पर जाएगा। + +सफलता और फिटनेस का रिश्ता भी एक-दूसरे से जुड़ा हुआ है। आज आप कोई भी क्षेत्र लीजिए, अपने icons को देखिए, उनकी success stories को देखिए, चाहे वो Sports में हों, फिल्मों में हों, बिजनेस में हों, इनमें से अधिकतर फिट हैं। ये सिर्फ संयोग मात्र नहीं है। अगर आप उनकी lifestyle के बारे में पढ़ेंगे तो पाएंगे कि एक चीज, ऐसे हर व्यक्ति में Common है। सफल लोगों का Common character है – Fitness पर उनका फोकस, Fitness पर उनका भरोसा। आपने बहुत से डॉक्‍टरों को भी देखा होगा, बहुत popular होते हैं और दिन में 10-10, 12-12 घंटे अनेक patients के ऑपरेशन करते हैं। बहुत से उद्यमी सुबह एक मीटिंग एक शहर में करते हैं, दूसरी मीटिंग दूसरे शहर में करते हैं, उनके चेहरे पर शिकन तक नहीं आती। उतनी ही alertness के साथ काम करते हैं। आप किसी भी प्रोफेशन में हों, आपको अपने प्रोफेशन में efficiency लानी है तो मेंटल और फिजिकल फिटनेस बहुत जरूरी है। चाहे Boardroom हो या फिर Bollywood, जो फिट है वो आसमान छूता है। Body fit है तो Mind hit है। + diff --git a/pm-speech/512.txt b/pm-speech/512.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..19122c68817088901dc2aa41e6bc11020404a42c --- /dev/null +++ b/pm-speech/512.txt @@ -0,0 +1,16 @@ +मेरे प्यारे देशवासियो, कुछ महीने पहले, मैं, गुजरात में दांडी गया था। आजादी के आंदोलन में ‘नमक सत्याग्रह’, दांडी, एक बहुत ही बड़ा महत्वपूर्ण turning point है। दांडी में, मैंने, महात्मा गाँधी को समर्पित अति-आधुनिक एक museum का उद्घाटन किया था। मेरा, आपसे जरूर आग्रह है, कि, आप भी, आने वाले समय में महात्मा गाँधी से जुड़ी कोई–न–कोई एक जगह की यात्रा जरूर करें। यह, कोई भी स्थान हो सकता है – जैसे पोरबंदर हो, साबरमती आश्रम हो, चंपारण हो, वर्धा का आश्रम हो और दिल्ली में महात्मा गाँधी से जुड़े हुए स्थान हो, आप जब, ऐसी जगहों पर जाएँ, तो, अपनी तस्वीरों को social media पर साझा जरुर करें, ताकि, अन्य लोग भी उससे प्रेरित हों और उसके साथ अपनी भावनाओं को व्यक्त करने वाले दो-चार वाक्य भी लिखिए। आपके मन के भीतर से उठे हुए भाव, किसी भी बड़ी साहित्य रचना से, ज्यादा ताक़तवर होंगे और हो सकता है, आज के समय में, आपकी नज़र में, आपकी कलम से लिखे हुए गाँधी का रूप, शायद ये अधिक relevant भी लगे। आने वाले समय में बहुत सारे कार्यक्रमों, प्रतियोगिताओं, प्रदर्शनियों की योजना भी बनाई गई है। लेकिन इस संदर्भ में एक बात बहुत रोचक है जो मैं आपसे साझा करना चाहता हूँ। Venice Biennale नाम का एक बहुत प्रसिद्ध art show है। जहाँ दुनिया भर के कलाकार जुटते है। इस बार Venice Biennale के India Pavilion में गाँधी जी की यादों से जुड़ी बहुत ही interesting प्रदर्शनी लगाई गई। इसमें हरिपुरा Panels विशेष रूप से दिलचस्प थे। आपको याद होगा कि गुजरात के हरीपुरा में कांग्रेस का अधिवेशन हुआ था जहाँ पर सुभाष चन्द्र बोस के president elect होने की घटना इतिहास में दर्ज है। इन art panels का एक बहुत ही खूबसूरत अतीत है। कांग्रेस के हरिपुरा session से पहले 1937-38 में महात्मा गाँधी ने शांति निकेतन कला भवन के तत्कालीन Principal नन्द लाल बोस को आमन्त्रित किया था। गाँधी जी चाहते थे कि वे भारत में रहने वाले लोगों की जीवनशैली को कला के माध्यम से दिखाए और उनकी इस art work का प्रदर्शन अधिवेशन के दौरान हो। ये वही नन्द लाल बोस है जिनका art work हमारे संविधान की शोभा बढ़ाता है। संविधान को एक नई पहचान देता है। और उनकी इस कला साधना ने संविधान के साथ-साथ नन्द लाल बोस को भी अमर बना दिया है। नन्द लाल बोस ने हरिपुरा के आस-पास के गाँव का दौरा किया और अंत में ग्रामीण भारत के जीवन को दर्शाते हुए कुछ art canvas बनाये। इस अनमोल कलाकारी की Venice में जबरदस्त चर्चा हुई। एक बार फिर गाँधी जी की 150वीं जन्म जयंती पर शुभकामनाओं के साथ, हर हिन्दुस्तानी से कोई न कोई संकल्प की, मैं अपेक्षा करता हूँ। देश के लिए, समाज के लिए, किसी और के लिए कुछ न कुछ करना चाहिए। यही बापू को अच्छी, सच्ची, प्रमाणिक कार्यांजलि होगी। + +यानि कि पृथ्वी में जल, अन्न और सुभाषित – यह तीन रत्न है। मूर्ख लोग पत्थर को रत्न कहते हैं। हमारी संस्कृति में अन्न की बहुत अधिक महिमा रही है। यहाँ तक कि हमने अन्न के ज्ञान को भी विज्ञान में बदल दिया है। संतुलित और पोषक भोजन हम सभी के लिए जरुरी है। विशेष रूप से महिलाओं और नवजात शिशुओं के लिए, क्योंकि, ये ही हमारे समाज के भविष्य की नींव है। ‘पोषण अभियान’ के अंतर्गत पूरे देशभर में आधुनिक वैज्ञानिक तरीकों से पोषण को जन-आन्दोलन बनाया जा रहा है। लोग नए और दिलचस्प तरीकों से कुपोषण से लड़ाई लड़ रहे हैं। कभी मेरे ध्यान में एक बात लाई गई थी। नाशिक के अन्दर ‘मुट्ठी भर धान्य’ एक बड़ा आन्दोलन हो गया है। इसमें फसल कटाई के दिनों में आंगनवाड़ी सेविकाएँ लोगों से एक मुट्ठी अनाज इकठ्ठा करती हैं। इस अनाज का उपयोग, बच्चों और महिलाओं के लिए गर्म भोजन बनाने में किया जाता है। इसमें दान करने वाला व्यक्ति एक प्रकार से जागरुक नागरिक समाज सेवक बन जाता है। इसके बाद वो इस ध्येय के लिए खुद भी समर्पित हो जाता है। उस आन्दोलन का वो एक सिपाही बन जाता है। हम सभी ने परिवारों में हिंदुस्तान के हर कोने में अन्न प्राशन संस्कार के बारे में सुना है। ये संस्कार तब किया जाता है जब बच्चे को पहली बार ठोस आहार खिलाना शुरू करते हैं। Liquid food नही Solid food । गुजरात ने 2010 में सोचा कि क्यूँ न ‘अन्न प्राशन संस्कार’ के अवसर पर बच्चों को complimentary food दिया जाये ताकि लोगों को, इसके बारे में जागरुक किया जा सके। यह एक बहुत ही शानदार पहल है जिसे, हर कहीं, अपनाया जा सकता है। कई राज्यों में लोग तिथि भोजन अभियान चलाते हैं। अगर परिवार में जन्मदिन हो, कोई शुभदिन हो, कोई स्मृति दिवस हो, तो परिवार के लोग, पौष्टिक खाना, स्वादिष्ट खाना बनाकर के आंगनवाड़ी में जाते हैं, स्कूलों में जाते हैं और परिवार के लोग खुद बच्चों को परोसते हैं, खिलाते हैं। अपने आनंद को भी बाँटते हैं और आनंद में इज़ाफा करते हैं। सेवाभाव और आनंदभाव का अद्भुत मिलन नज़र आता है। साथियों, ऐसी कई सारी छोटी-छोटी चीजें हैं जिससे हमारा देश कुपोषण के खिलाफ़ एक प्रभावी लड़ाई लड़ सकते हैं। आज, जागरूकता के आभाव में, कुपोषण से ग़रीब भी, और संपन्न भी, दोनों ही तरह के परिवार प्रभावित हैं। पूरे देश में सितम्बर महीना ‘पोषण अभियान’ के रूप में मनाया जाएगा। आप जरुर इससे जुड़िये, जानकारी लीजिये, कुछ नया जोड़ियें। आप भी योगदान दीजिये। अगर आप एकाध व्यक्ति को भी कुपोषण से बाहर लाते हैं मतलब हम देश को कुपोषण से बाहर लाते हैं। + +“हेलो सर, मेरा नाम सृष्टि विद्या है और मैं 2nd year की student हूँ। सर मैंने twelve august को आपका episode देखा था Bear Grylls के साथ, जिसमें आप आये थे। तो सर मुझे वो आपका episode देखकर बहुत अच्छा लगा। First of all तो ये सुनकर अच्छा लगा कि आपको हमारे nature, wild life and environment की कितनी ज्यादा फ़िक्र है, कितनी ज्यादा care है और सर मुझे बहुत अच्छा लगा आपको इस नये रूप में, एक adventurous रूप में देख के। तो सर, मैं जानना चाहूंगी कि आपको इस episode के दौरान experience कैसा रहा और sir last में एक बात और add करना चाहूंगी कि आपका fitness level देख कर हम जैसे youngster बहुत ज्यादा impress और बहुत ज्यादा motivate हुए हैं आपको इतना fit and fine देखकर ।” + +सृष्टि जी आपके फ़ोन कॉल के लिए धन्यवाद्। आपकी ही तरह हरियाणा में, सोहना से, के.के.पाण्डेय जी और सूरत की ऐश्वर्या शर्मा जी के साथ, कई लोगों ने Discovery Channel पर दिखाये गये ‘Man vs. Wild’ episode के बारे में जानना चाहा है। इस बार जब ‘मन की बात’ के लिए मैं सोच रहा था तो मुझे पक्का भरोसा था कि इस विषय में बहुत सारे सवाल आयेंगे और हुआ भी ऐसा ही और पिछले कुछ हफ़्तों में मैं जहाँ भी गया लोगों से मिला हूँ वहाँ ‘Man vs. Wild’ का भी ज़िक्र आ ही जाता है। इस एक episode से मैं न सिर्फ हिंदुस्तान दुनिया भर के युवाओं से जुड़ गया हूँ। मैंने भी कभी सोचा नही था कि युवा दिलों में इस प्रकार से मेरी जगह बन जायेगी। मैंने भी कभी सोचा नही था कि हमारे देश के और दुनिया के युवा कितनी विविधता भरी चीजों की तरफ ध्यान देते हैं। मैंने भी कभी सोचा नही था कि कभी दुनिया भर के युवा के दिल को छूने का मेरी ज़िन्दगी में अवसर आयेगा। और होता क्या है ? अभी पिछले सप्ताह मैं भूटान गया था। मैंने देखा है कि प्रधानमंत्री के रूप में मुझे जब से जहाँ भी जाने का अवसर मिला और अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के कारण से स्थिति ये बन गई है कि दुनिया में जिस किसी के पास जाता हूँ बैठता हूँ तो कोई – न – कोई पाँच-सात मिनट तो योग के संबंध में मेरे से सवाल-जवाब करते ही करते हैं। शायद ही दुनिया का कोई बड़ा ऐसा नेता होगा जिसने मेरे से योग के संबंध में चर्चा न की हो और ये सारी दुनिया में मेरा अनुभव आया है। लेकिन इन दिनों एक नया अनुभव आ रहा है। जो भी मिलता है, जहाँ भी बात करने का मौका मिलता है। वे Wildlife के विषय में चर्चा करता है, Environment के सम्बन्ध में चर्चा करता है। Tiger, Lion, जीव-सृष्टि और मैं हैरान हूँ कि लोगों की कितनी रूचि होती है। Discovery ने इस कार्यक्रम को 165 देशों में उनकी भाषा में प्रसारित करने की योजना बनाई है। आज जब पर्यावरण, Global Warming, Climate Change एक वैश्विक मंथन का दौर चल रहा है। मुझे आशा है कि ऐसे में यह कार्यक्रम भारत का सन्देश, भारत की परंपरा, भारत के संस्कार यात्रा में प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता, इन सारी बातों से विश्व को परिचित कराने में ये Discovery Channel का ये episode बहुत मदद करेगा ऐसा मेरा पक्का विश्वास बन गया है और हमारे भारत में climate justice और clean environment की दिशा में उठाये गए कदमों को अब लोग जानना चाहते हैं। लेकिन एक और interesting बात है कुछ लोग संकोच के साथ भी मुझे एक बात जरुर पूछते हैं कि मोदी जी बताइये आप हिन्दी बोल रहे थे और Bear Grylls हिंदी जानते नहीं हैं तो इतना तेजी से आपके बीच सवांद कैसे होता था ? ये क्या बाद में edit किया हुआ है ? ये इतना बार-बार shooting हुआ है ? क्या हुआ है ? बड़ी जिज्ञासा के साथ पूछते हैं। देखिये, इसमें कोई रहस्य नहीं है। कई लोगों के मन में ये सवाल है, तो मैं इस रहस्य को खोल ही देता हूँ। वैसे वो रहस्य है ही नहीं। Reality तो यह है कि Bear Grylls के साथ बातचीत में technology का भरपूर इस्तेमाल किया गया। जब मैं कुछ भी बोलता था तो तुरंत ही अंग्रेजी में simultaneous अनुवाद होता था। simultaneous interpretation होता था और Bear Grylls के कान में एक cordless छोटा सा instrument लगा हुआ था। तो मैं बोलता था हिंदी लेकिन उसको सुनाई देता था अंग्रेजी और उसके कारण संवाद बहुत आसान हो जाता था और technology का यही तो कमाल है। इस show के बाद बड़ी संख्या में लोग मुझे जिम कॉर्बेट, नेशनल पार्क के विषय में चर्चा करते नजर आए हैं। आप लोग भी nature और wild life प्रकृति और जन्य-जीवों से जुड़े स्थलों पर जरुर जाएं। मैंने पहले भी कहा है, मैं जरुर कहता हूँ आपको। अपने जीवन में north-east जरुर जाइये। क्या प्रकृति है वहाँ। आप देखते ही रह जायेंगें। आपके भीतर का विस्तार हो जाएगा। 15 अगस्त को लाल किले से मैंने आप सभी से आग्रह किया था कि अगले 3 वर्ष में, कम-से-कम 15 स्थान और भारत के अन्दर 15 स्थान और पूरी तरह 100% tourism के लिए ही ऐसे 15 स्थान पर जाएं, देखें, अध्य्यन करें, परिवार को लेकर जाएं, कुछ समय वहाँ बिताएं। विविधिताओं से भरा हुआ देश आपको भी ये विविधिताएं एक शिक्षक के रूप में, आपको भी, भीतर से विविधिताओं से भर देंगे। आपका अपने जीवन का विस्तार होगा। आपके चिंतन का विस्तार होगा। और मुझपे भरोसा कीजिए हिंदुस्तान के भीतर ही ऐसे स्थान हैं जहाँ से आप नई स्फूर्ति, नया उत्साह, नया उमंग, नई प्रेरणा ले करके आएंगें और हो सकता है कुछ स्थानों पर तो बार-बार जाने का मन आपको भी होगा, आपके परिवार को भी होगा। + +मेरे प्यारे देशवासियो, भारत में पर्यावरण की care और concern यानि देखभाल की चिंता स्वाभाविक नजर आ रही है। पिछले महीने मुझे देश में tiger census जारी करने का सौभाग्य मिला था। क्या आप जानते हैं कि भारत में कितने बाघ हैं ? भारत में बाघों की आबादी 2967 है। Two thousand nine hundred sixty seven। कुछ साल पहले इससे आधे भी बड़ी मुश्किल से थे हम। बाघों को लेकर 2010 में रूस के saint Petersburg में Tiger summit हुआ था। इसमें दुनिया में बाघों की घटती संख्या को लेकर चिंता जाहिर करते हुए एक संकल्प लिया गया था। यह संकल्प था Twenty Twenty Two 2022 तक पूरी दुनिया में बाघों की संख्या को दोगुना करना। लेकिन यह New India है हम लक्ष्यों को जल्दी से जल्द पूरा करते हैं। हमनें 2019 में ही अपने यहाँ tiger की संख्या दोगुनी कर दी। भारत में सिर्फ बाघों की संख्या ही नहीं बल्कि protected areas और community reserves की संख्या भी बढ़ी हैं। जब मैं बाघों का data release कर रहा था तो मुझे गुजरात के गीर के शेर की भी याद आई। जब मैंने वहाँ मुख्यमंत्री का दायित्व संभाला था। तब गीर की जंगलों में शेरों का habitat सिकुड़ रहा था। उनकी संख्या कम होती जा रही थी। हमनें गीर में एक के बाद एक कई कदम उठाए। 2007 में वहाँ महिला guards को तैनात करने का फैसला लिया। पर्यटन को बढ़ाने के लिए infrastructure में सुधार किए। जब भी हम प्रकृति और वन्य-जीवों की बात करते हैं तो केवल conservation की ही बात करते हैं। लेकिन, अब हमें conservation से आगे बढ़ कर compassion को लेकर सोचना ही होगा। हमारे शास्त्रों में इस विषय में भी बहुत अच्छा मार्गदर्शन मिला है। सदियों पहले हमारे शास्त्रों में हमनें कहा है :- + +मेरे प्यारे देशवासियो, 11 सितम्बर, 1893 eighteen ninety three स्वामी विवेकानंद जी का ऐतिहासिक भाषण कौन भूल सकता है। पूरे विश्व की मानव जाति को झकझोर करने वाला भारत का ये युवा सन्यासी दुनिया के अन्दर भारत की एक तेजस्वी पहचान छोड़ करके आ गया। जिस गुलाम भारत की तरफ दुनिया बड़ी विकृत भाव से देख रही थी। उस दुनिया को 11 सितम्बर, 1893 स्वामी विवेकानंद जैसे महापुरुष के शब्दों ने दुनिया को भारत की तरफ देखने का नज़रिया बदलने के लिए मजबूर कर दिया। आइये, स्वामी विवेकानंद जी ने जिस भारत के रूप को देखा था। स्वामी विवेकानंद जी ने भारत के जिस सामर्थ्य को जाना था। हम उसे जीने की कोशिश करें। हमारे भीतर है, सबकुछ है। आत्मविश्वास के साथ चल पड़ें। + +मेरे प्यारे देशवासियो, आप सभी को याद होगा कि 29 अगस्त को ‘राष्ट्र खेल दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर हम देश भर में ‘FIT INDIA MOVEMENT’ launch करने वाले हैं। खुद को fit रखना है। देश को fit बनाना है। हर एक के लिए बच्चे, बुजुर्ग, युवा, महिला सब के लिए ये बड़ा interesting अभियान होगा और ये आपका अपना होगा। लेकिन उसकी बारीकियां आज मैं बताने नहीं जा रहा हूँ। 29 अगस्त का इंतजार कीजिये। मैं खुद उस दिन विस्तार से विषय में बताने वाला हूँ और आपको जोड़े बिना रहने वाला नहीं हूँ। क्योंकि आपको मैं fit देखना चाहता हूँ। आपको fitness के लिए जागरूक बनाना चाहता हूँ और fit India के लिए देश के लिए हम मिल करके कुछ लक्ष्य भी निर्धारित करें। + +मेरे प्यारे देशवासियो, मुझे आपका इंतजार रहेगा 29 अगस्त को fit India में। सितम्बर महीने में ‘पोषण अभियान’ में। और विशेषकर 11 सितम्बर से 02 अक्टूबर ‘स्वच्छता अभियान’ में। और 02 अक्टूबर totally dedicated plastic के लिए। Plastic से मुक्ति पाने के लिए हम सब, घर, घर के बाहर सब जगह से पूरी ताकत से लगेंगे और मुझे पता है ये सारे अभियान social media में तो धूम मचा देंगे। आइये, एक नए उमंग, नए संकल्प, नई शक्ति के साथ चल पड़ें। + diff --git a/pm-speech/513.txt b/pm-speech/513.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..e5cf5cfc54cdd9a6a88d8610a24c0c99166af2ac --- /dev/null +++ b/pm-speech/513.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +मेरी फ्रांस यात्रा हमारी मजबूत सामरिक साझेदारी को प्रदर्शित करती है। इसे दोनों देश काफी अहमियत देते हैं और साझा करते हैं। 22-23 अगस्त, 2019 को मेरी फ्रांस में द्विपक्षीय बैठकें होंगी। इसमें राष्ट्रपति मैक्रों के साथ शिखर वार्ता और प्रधानमंत्री फिलिप के साथ बैठक शामिल है। मैं भारतीय समुदाय से भी मुलाकात करूंगा और फ्रांस में 1950 एवं 1960 के दशक में एयर इंडिया के हवाई जहाजों के दो हादसों का शिकार हुए भारतीय की याद में एक स्मारक को समर्पित करूंगा। + diff --git a/pm-speech/515.txt b/pm-speech/515.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..71902186551daae73bac85e281ba6fe203558e5f --- /dev/null +++ b/pm-speech/515.txt @@ -0,0 +1,10 @@ +यहां उपस्थित आप में से कई लोग ये भी भली-भांति जानते हैं कि Wild Life eco-system को समृद्ध करने का ये अभियान सिर्फ टाइगर तक ही सीमित नहीं है। गुजरात के गिर के जंगलों में पाए जाने वाले Asiatic Lion और Snow Leopard के संरक्षण की योजना पर भी तेजी से काम हो रहा है। बल्कि गिर में तो जो काम पहले से चल रहा है, उसके सुखद परिणाम आज साफ-साफ नजर आ रहे हैं। वहां के शेरों की संख्‍या 27 प्रतिशत तक बढ़ी है। मुझे खुशी है कि भारत की Best Practices का लाभ टाइगर रेंज के दूसरे मित्र देशों को भी मिल रहा है। + +आज National Tiger Conservation Authority चीन, रूस समेत 5 देश समझौता कर चुके हैं और जल्‍द ही दूसरे देशों के साथ समझौता भी तय है। ग्‍वाटेमाला भी अपने यहां Jaguar Conservation के लिए भी हमसे तकनीकी मदद ले रहा है। वैसे ये भी दिलचस्‍प है कि टाइगर, सिर्फ भारत ही नहीं, कई और देशों में आस्‍था का प्रतीक है। भारत के अलावा मलेशिया और बांग्लादेश का राष्‍ट्रीय पशु बाघ ही है। चीनी संस्‍कृति में तो Tiger Year मनाया जाता है। यानी एक तरह से देखें तो टाइगर से जुड़ी कोई भी पहल, कई देशों को, वहां के लोगों को कई तरह से प्रभावित करती है। + +साथियो, बीते पांच वर्षों में जहां देश में Next generation Infrastructure के लिए तेजी से कार्य हुआ है, वहीं भारत में Forest Cover भी बढ़ रहा है। इसके अलावा देश में Protected Areas की संख्‍या में भी वृद्धि हुई है। 2014 में भारत में Protected Areas की संख्‍या 692 थी, जो 2019 में बढ़कर अब 860 से ज्‍यादा हो गई है। साथ ही Community Reserve की संख्‍या भी 2014 के 43 से बढ़कर अब करीब-करीब 100 को पार कर गई है। + +टाइगर की संख्‍या बढ़ना, Protected Areas की संख्‍या बढ़ना भी सिर्फ एक आंकड़ा भर नहीं है। इसका बहुत बड़ा प्रभाव टूरिज्‍म और रोजगार के साधनों पर भी पड़ता है। मैंने कहीं पढ़ा था कि रणथंबौर में जो मशहूर Tigress ‘मछली’ थी, सिर्फ उसे देखने के लिए ही लाखों देशी-विदेशी tourist डेरा डालते रहते थे। इसलिए बाघों के संरक्षण के साथ ही हम environmentally sustainable eco-tourism infrastructure के निर्माण पर भी बल दे रहे हैं। + +साथियो, पर्यावरण की रक्षा के लिए उठाए गए भारत के तमाम प्रयासों ने हमें Climate Action का Global Front Runner बना दिया है। वर्ष 2020 से पहले Emission Intensity of GDP के लिए भी जो लक्ष्‍य रखे गए थे, वो भारत पहले ही प्राप्‍त कर चुका है। भारत आज दुनिया के उन शीर्ष देशों में है जो अपनी Economy को Clean Fuel Based और Renewable Energy Based बनाने में जुटा है। Waste और Bio-mass को अपनी Energy Security को एक व्‍यापक हिस्‍सा हम बना रहे हैं। + diff --git a/pm-speech/516.txt b/pm-speech/516.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..47898ccae2e52fe6fb48f3f99dc426cb3b7413a1 --- /dev/null +++ b/pm-speech/516.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +साथियो, युद्ध सरकारें नहीं लड़तीं, युद्ध पूरा देश लड़ता है। सरकारें आती-जाती रहती हैं, लेकिन देश के लिए जो जीने और मरने की परवाह नहीं करते, वो अजर-अमर होते हैं। सैनिक आज के साथ ही आने वाली पीढ़ी के लिए अपना जीवन बलिदान करते हैं। हमारा आने वाला कल सुरक्षित रहे, इसलिए वो अपना आज स्‍वाहा कर देता है। सैनिक जिंदगी औरमौत में भेद नहीं करते, उनके लिए तो कर्तव्‍य ही सब कुछ होता है। देश के पराक्रम से जुड़े इन जवानों का जीवन सरकारों के कार्यकाल से बंधा नहीं होता। शासक और प्रशासक कोई भी हो सकता है, परंतु पराक्रमी और उनके पराक्रम पर हर हिन्‍दुस्‍तानी का हक होता है। + diff --git a/pm-speech/517.txt b/pm-speech/517.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..715688b276c957db49ec9d482495808fd14599f0 --- /dev/null +++ b/pm-speech/517.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +हमारे देश की एक और बात रही। आज की पीढ़ी को पूछा जाए कि इस देश में कितने प्रधानमंत्री हुए- शायद किसी को पता नहीं। कौन हुए- बहुत कम लोगों को पता होगा, बहुत प्रयत्‍नपूर्वक भुला दिए गए। ऐसी स्थिति में हरिवंश जी, आपने बहुत बड़ी हिम्‍मत की है, आप बधाई के पात्र हैं। हर किसी का योगदान है, लेकिन एक जमात है, माफ करना मुझे- देश आजाद होने के बाद बाबा साहेब अम्‍बेडकर की छवि क्‍या बना दी गई, सरदार वल्‍लभ भाई पटेल की छवि क्‍या बना दी गई- ये तो कुछ समझते नहीं हैं, ये तो ढिकने हैं, फलाने हैं, वगैरह-वगैरह। + +उस दिन मैं नागपुर में था, अटल जी, आडवाणी जी का एक कार्यक्रम था वहाँ। लेकिन उनका जहाज बाद में आना था, मैं पहले पहुँचा था। तो जहाँ मेरा स्‍थान था, वहाँ पर चंद्रशेखर जी का फोन आया। मैंने फोन उठाया, सीधे ही वो फोन पर थे। उन्‍होंने कहा- भई, गुरूजी कहाँ हैं? मैंने कहा साहब, अभी तो उनका जहाज पहुँचा नहीं है, शायद आने में एक घंटा लगेगा। बोले- मैं wait कर रहा हूं, तुरंत मुझसे बात कराइए और उनको बता दीजिए मैं इस्‍तीफा देने का मन बना चुका हूँ, लेकिन मैं उनसे बात करना चाहता हूँ। + +ऐसी अनेक विशेषताओं के साथ जिन्‍होंने देश के लिए इतना पूरा जीवन और ये परिसर, एक प्रकार से देश के पीड़ित, शोषित, वंचित, गरीब- जिनके दुख-दर्द को अपने में समेटे हुए एक इंसान 40 साल तक अपनी जवानी इसी परिसर में खपा कर गया, एमपी के रूप में। उसी परिसर में आज हम शब्‍द-देह से उनको फिर से एक बार पुन: स्‍मरण कर रहे हैं, पुनर्जीवित कर रहे हैं। उनसे प्रेरणा ले करके हम भी देश के सामान्‍य मानवी के लिए कुछ करें। यही उनके प्रति सच्‍ची आदरांजलि होगी। + diff --git a/pm-speech/521.txt b/pm-speech/521.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..af089f65451833ba04ee6188b1935e1f2c8b4d57 --- /dev/null +++ b/pm-speech/521.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +सा‍थियो, आज का दिन बहुत ही महत्‍वपूर्ण है। हरे कृष्‍णा, हरे कृष्‍णा। आज का दिवस इसलिए महत्‍वपूर्ण है कि आज सुबह ही मैंने गांधी शांति पुरस्‍कारों के कार्यक्रम में हिस्‍सा लिया और अभी मुझे दिव्‍यत्तम ग्रंथ गीता के भव्‍यत्तम रूप को राष्‍ट्र को स‍मर्पित करने का अवसर मिल रहा है। ये अवसर मेरे लिए और भी खास है क्‍योंकि मैं उस जगह खड़ा हूं, जहां करीब दो दशक पहले अटल बिहारी वाजपेयी जी ने इस मन्दिर परिसर का शिलान्‍यास किया था। + diff --git a/pm-speech/523.txt b/pm-speech/523.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..39a61bc853ffbff2d2d57bb889f574500547e4fd --- /dev/null +++ b/pm-speech/523.txt @@ -0,0 +1,18 @@ +साथियों, यही स्थिति इनकम टैक्स को लेकर थी। मिडिल क्लास छूट के लिए निरंतर आवाज़ देता रहता था लेकिन राहत के नाम पर कुछ नहीं मिलता था। हमारी सरकार ने इनकम टैक्स पर छूट की सीमा पहले ढाई लाख रुपए तक की, फिर 5 लाख तक की आय के लिए टैक्स को 10 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत किया और इस बार तो 5 लाख तक की टैक्सेबल इनकम को ही टैक्स के दायरे से बाहर कर दिया है। + +साथियों, यही हाल भारत की Global Standing का रहा। हम सब पढ़ते आए थे कि इक्कीसवीं सदी भारत की सदी है। लेकिन यूपीए सरकार में क्या हुआ? भारत को 2013 तक आते-आते दुनिया के ‘Fragile Five’ देशों में पहुंचा दिया गया। आज एक बार फिर सरकार के दृढ़ निश्चय और सवा सौ करोड़ देशवासियों के परिश्रम के बल पर भारत ‘Fastest Growing Major Economy’ बन गया है। + +साथियों, Ease of Doing Business की रैंकिंग में भी पिछली सरकार ने जाते जाते देश का नाम डुबोने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। ये कांग्रेसी संस्कृति का ही परिणाम था कि साल 2011 के 132वें नंबर से फिसलकर भारत की रैंकिंग 2014 में 142 तक चली गई। आप सोचिए कि उस समय देश में बिजनेस का कैसा वातावरण बना दिया गया था। इस रैंकिंग में सुधार करके देश को 77वें स्थान पर पहुंचाने का काम हमारी सरकार ने किया है। + +आज जिस आयुष्मान भारत योजना के तहत देश के लगभग 50 करोड़ गरीबों को जो 5 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज दिया जा रहा है, उसमें भी लीकेज की गुंजाइश नहीं है। इलाज का पूरा पैसा सीधे अस्पताल के अकाउंट में जाता है। जिसके लाभार्थी आधार नंबर से लैस हैं और उनका चुनाव 2015 में पब्लिश किए गए Socio-economic Survey के आधार पर किया गया है। + +आपकी जानकारी में है कि कल ही हमारी सरकार ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की शुरुआत की है। देश के लगभग 12 करोड़ किसान परिवारों को उसकी छोटी-छोटी जरूरत पूरा करने के लिए, जैसे चारा खरीदने के लिए, बीज खरीदने के लिए, कीटनाशक खरीदने के लिए, खाद खरीदने के लिए सरकार साल भर में लगभग 75 हजार करोड़ रुपए, सीधे किसानों के खाते में ट्रांसफर करने जा रही है। इस योजना में भी लीकेज संभव नहीं है। + +साथियों, यूपी में एक सिंचाई परियोजना है, बाणसागर के नाम से। ये योजना करीब-करीब 4 दशक पहले शुरु हुई थी। उस समय अनुमान लगाया गया था कि 300 करोड़ रुपए में इसका काम पूरा हो जाएगा। लेकिन ये लटकी रही, अटकी रही। 2014 में हमारी सरकार बनने के बाद इस पर फिर से काम शुरू करवाया गया। तब तक इसकी लागत राशि बढ़कर 3 हजार करोड़ रुपए हो गई। + +भाइयों और बहनों, आप लोग घोटाले की खबरें सुनते थे, तो अलर्ट हो जाते थे। अच्छी बात है। लेकिन देश में इस तरह की सैकड़ों परियोजनाओं में देरी की वजह से, देश का जो लाखों करोड़ रुपए, आप जैसे ईमानदार करदाता का जो पैसा लगातार बर्बाद हो रहा था, उसकी किसे परवाह थी? इस पैसे को सम्मान देना हमारी सरकार की प्राथमिकता थी और इसलिए ही सरकारी व्यवस्था में लेट-लतीफी की संस्कृति को बदलने का मैंने पहले दिन से प्रयास किया है। + +आपने अपने आसपास के माहौल में डॉक्टर, इंजीनियर या चार्ट्ड एकाउंटेंट को आगे बढ़ते देखा होगा। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के आंकड़ों के अनुसार, पिछले चार वित्तीय वर्षों के दौरान सिस्टम में 6 लाख Professionals जुड़े। इनमें से प्रत्येक प्रोफेशनल्स को सपोर्ट स्टाफ की भी जरूरत पड़ी होगी। ऐसे में हम अनुमान लगा सकते हैं कि इन्हीं प्रोफेशनल्स ने पिछले 4 वर्षों में लाखों लोगों को रोजगार दिया है। + +साथियों, बीते 4 वर्षों में विदेशी पर्यटकों की संख्या में क़रीब 45 प्रतिशत की ऐतिहासिक वृद्धि हुई है। पर्यटन से होने वाली विदेशी मुद्रा की कमाई भी बीते 4 वर्षों में 50 प्रतिशत बढ़ गई है। इतना ही नहीं भारत के एविएशन सेक्टर में भी ऐतिहासिक बढ़ोतरी हुई है। पिछले वर्ष 10 करोड़ से अधिक लोगों ने हवाई सफर किया। क्या इन सबसे रोजगार के अवसर सृजित नहीं हुए हैं? + diff --git a/pm-speech/525.txt b/pm-speech/525.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..923c9c20763fe98bee9da0e9a244057740d30f52 --- /dev/null +++ b/pm-speech/525.txt @@ -0,0 +1,16 @@ +साथियों, बाबा गोरखनाथ की धरती पर आप सभी के बीच मुझे अनेक बार आने का सौभाग्‍य मिला है लेकिन आज का दिन देश के इतिहास में दर्ज होने जा रहा है। आज का दिवस सामान्‍य दिवस नहीं है। लाल बहादुर शास्‍त्री जी ने जय जवान जय किसान कहा था। उसी मंत्र को आज इतने सालों के बाद किसान के खेत तक, किसान के घर तक, किसान की जेब तक अगर उतारने का काम हो रहा है तो आज के इस पवित्र दिवस पर हो रहा है। + +मुझे बताया गया है कि देश के 21 राज्‍यों केंद्र शासित प्रदेशों के किसान इसमें शामिल हैं। इन किसानों को 2021 करोड़ रुपए अभी सीधे ट्रांसफर हो चुके हैं। बाकि किसानों को भी इसी तरह पहली किस्‍त के 2000 रुपए अगले कुछ हफ्तों में भी मिल जाएंगे और देश में करीब-करीब 12 करोड़ किसानों के खाते में दो-दो हजार की पहली किस्‍त जमा होगी। + +केंद्र सरकार हर साल जो छ: हजार रुपये सीधे आपके बैंक खाते में ट्रांसफर करेगी उससे जरूरत के सारे काम कर सकते हैं। इसी काम के लिए दो हजार रुपये की पहली किस्‍त आज अनेक किसानों के खाते में जमा की गई है। इनमें से कुछ किसानों को थोड़ी देर पहले Certificate भी दिए गए हैं। मैं फिर कहूंगा जिन किसानों को आज पहली किस्‍त नहीं मिली है उन्‍हें आने वाले कुछ ही समय में, कुछ ही हफ्तों में पहली किस्‍त की राशि उनके बैंक खाते में जमा हो जाएगी। + +भाईयो और बहनों दस साल में 52 हजार…. हम जो योजना लाए हैं। वो हर साल…. हर साल ये एक समय के लिए नहीं है… हर साल… साल में तीन बार और सरकारी खजाने से हर वर्ष 75 हजार करोड़ रुपया किसान के खाते में जमा होगा। उन्‍होंने दस साल में 52 हजार करोड़ दिया था। हम दस साल में साढ़े सात लाख करोड़ रुपया देगे… कितना…. साढ़े सात लाख करोड़ रुपया…. कितना… साढ़े सात लाख करोड़… कोई बिचौलिया नहीं, कोई दलाल नहीं, कोई मेरा-तेरा नहीं, न कोई जाति के आधार पर, न कोई धर्म के आधार पर हर किसी को 5 एकड़ और उससे कम जमीन है उन सबके खाते में सीधा पैसा जाएगा। + +भाईयो बहनों, इनकी योजना… ये दस साल में एक बार वोट बटोरने की, किसान की आंख में धूल झोंकने की योजना थी उसमें गांव में अगर सौ किसान है… तो कहीं पर 20 को लाभ मिला, किसी को 22 को मिला, कहीं पर 25 को मिला। हमारी योजना ऐसी है हर वर्ष मिलेगी, देश के 12 करोड़ किसानों को मिलेगी और गांव में अगर सौ का हिसाब लगा लें तो सौ में से नब्‍बे किसानों को मिलेगी भाईयो बहनों नब्‍बे किसानों को। सोचिए, किसानों को सीधे पैसा देकर देश की ग्रामीण अर्थव्‍यवस्‍था को कितना बड़ा निवेश मोदी सरकार कर रही है। इसका आप अंदाज लगा सकते हैं। + +साथियों, किसान अपनी आय दोगनी कर सके, इसके लिए सरकार खेती के पारंपारिक तौर तरीकों के अलावा अन्‍य विकलपों को भी बढ़ावा दे रही है। जैसे मधुमक्‍खी पालन, organic farming, रेशम का उत्‍पादन sola farming ऐसे अनेक नए क्षेत्रों में हम किसान को आगे ले जा रहे हैं। इसके अलावा पशुपालन और मछली पालन के लिए तो हमारे प्रयास निरंतर जारी हैं। + +भाईयो और बहनों, पूर्वांचल में जहां आज ये सभा हो रही है। ये पूरा क्षेत्र परिवर्तन के अभूतपूर्व दौर से गुजर रहा है। उद्योग धंधे हो, connectivity हो, या फिर स्‍वास्‍थ्‍य सुविधाएं बदलाव स्‍पष्‍ट अनुभव हो रहा है। स्‍वास्‍थ्‍य के क्षेत्र में बहुत अधिक प्रगति हुई है। हाल में एक रिपोर्ट आई है जिसके मुताबिक एनसेफलाइटिस्‍ट के कारण इस बार पिछले साल की अपेक्षा अनेक बच्‍चों का जीवन बचाने में सफलता मिली है। + +साथियों, पूर्वांचल की स्‍वास्‍थ्‍य सुविधाओं को और मजबूती देने के लिए आज अनेक प्रोजेक्‍टस का लोकार्पण और शिलान्‍यास किया गया है। बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज में 200 बिस्‍तर वाले super specialty अस्‍पताल का लोकार्पण आज किया गया है। गोरखपुर एम्‍स का ओपीडी भवन भी अब सेवा के लिए समर्पित है। आज से यहां मरीजों की जांच और इलाज शुरू हो जाएगा। + diff --git a/pm-speech/526.txt b/pm-speech/526.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..33a7ef98d95fd1dc2610b2de84d7d6e760ba2d19 --- /dev/null +++ b/pm-speech/526.txt @@ -0,0 +1,8 @@ +सांस्‍कृतिक रूप से भारत में एकता को बहुत बड़ा बल दिया गया है। ये समागम अब एक प्रकार से स्पिरिचुअल इन्स्पॅरेशॅन के लिए तो है ही है लेकिन ये सोशल रिफॉर्मेशन का मूवमेंट का एक हिस्‍सा है। एक प्रकार से ये उस जमाने की पंचायत है, उस जमाने की जो भी डेमोक्रेटिक फ्रेमवर्क होगा क्‍योंकि समाज जीवन में काम करने वाले स्पिरिचुअल लीडर हो सोशल लीडर हो academicians हो वे तीन साल तक अपने-अपने क्षेत्र में भ्रमण करते थे, लोगों से मिलते थे, संवाद करते थे और तीन साल में एक बार छोटा कुंभ होता था वहां सब अपने बैठ करके 40-45 दिन तक विचार विमर्श करते थे, हिन्‍दुस्‍तान के किस कोने में क्‍या चल रहा है। और उसमें से कोई न कोई बात तय करते थे। और 12 साल में एक बार 12 साल के period का पूरा review करके 12 साल के बाद समाज को किस प्रकार से guidance की जरूरत है, समाज में कौन से बदलाव की जरूरत है एक प्रकार से perfect democratic system था, नीचे से ऊपर information जाती थी और socio, political, religious leader including Kings राजा महाराजा भी उसमें रहते थे और इस विचार विमर्श में से आगे का 12 साल का रोडमैप तैयार होता था और हर तीन साल पर उसका review होता था। + +ये अपने आप में बहुत बड़ी बात है जो दुनिया के सामने कभी आई ही नहीं। आपने इस बार भी देखा होगा, इस कुंभ के मेले में भी कोई न कोई सटीक social message था। सर्वसामान्‍य की भलाई के लिए message था। और वहां पर आपने कोई भेदभाव नहीं देखा होगा। हर कोई गंगा का अधिकारी है, गंगा में डूबकी लगाता है। अपनी आस्‍था के अनुसार अपना क्रियाकलाप करता है। + +और मुझे विश्‍वास है कि आप जब अपने देश लौटोगे तो वहां भांति-भां‍ति के लोग आपसे पूछेगें कि आखिर था क्‍या… क्‍या एक नदी के अंदर डुबकी लगाने के लिए आप इतना खर्चा करके चले गए वहां, कई लोगों को आश्‍चर्य होता है कि इसमें क्‍या है? लेकिन जब आप वहां का दृश्‍य देखोगे और makeshift arrangement तो भारत की organizing capacity का level क्‍या है। ये अपने आप में आपने अनुभव किया होगा। + +और मुझे विश्‍वास है कि विश्‍व भारत की आधुनिक भारत की भी पहचान करेगा और अनमोल विरासत से भी भारत से दुनिया परिचित होने के लिए प्रयास करेगी। आने वाले दिनों में हमारे यहां parliament के इलेक्‍शन होने वाले हैं। जैसा कुंभ का मेला है उसकी management, makeshift arrangements वहां का पूरा technology के द्वारा व्‍यवस्‍थाएं, ये अपने-आप में एक आकर्षण का केंद्र है। वैसे ही more than 800 million लोग वोट करें, निष्‍पक्षता से वोट करें। उसका पूरा जो mechanism है दुनिया का सबसे बड़ा ये चुनाव होता है। दुनिया का सबसे बड़ा.. और मेरा तो ये प्रयास रहेगा… मैंने तो election commission से भी कहा है कि विश्‍व का हर देश भारत का election tourism के लिए निकले.. हिन्‍दुस्‍तान के टूरिज्‍म को देखे और सिर्फ वोटिंग के दिन नहीं कोई मार्च महीने में आए, कोई मार्च के 2nd week में आए, कोई मार्च के 3rd week में आए, कोई अप्रैल में आए, कोई मई में आए लगातार दुनिया के हर देश के दो-दो प्रतिनिधि हर हफ्ते यहां हो, हजारों की तादाद में विश्‍व के लोग आएं, कि भारत में democracy कितनी लोगों के रगो में है। + diff --git a/pm-speech/528.txt b/pm-speech/528.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..55dc5d926f6f3265aaa7f8429499767ff7975366 --- /dev/null +++ b/pm-speech/528.txt @@ -0,0 +1,24 @@ +कोरियाई समाज की रगों में जो खून दौड़ रहा है उसमें भारत का भी अंश है। आज भी अयोध्‍या में राजकुमारी की मूर्ति स्‍थापित है और पिछली दिवाली पर यहां की प्रथम महिला किम जोंग सुक वहां पर साक्षी रहीं। बहुत बडा शानदार कार्यक्रम हुआ अयोध्‍या में, शायद यहां भी टीवी पर टेलीकास्‍ट हुआ होगा। शायद जिस समय भगवान राम जी वापिस आए थे और अयोध्‍या में रोशनी थी, हजारों साल के बाद वैसी रोशनी फिर से अयोध्‍या में हुई थी। + +Friends, ये जानकर अच्‍छा लगता है कि कोरिया के विकास में भी जिस प्रकार से पुरातन चीजें हमें प्रेरणा देती हैं, आप सबका पुरुषार्थ भी बहुत बड़ा योगदान दे रहा है। यहां पर भारतीय मेधा और कौशल का बहुत सम्‍मान है। आप कोरिया में research तथा innovation में योगदान दे रहे हैं। भारत में रहकर कोरियाई कम्‍पनियों को R & D facilities प्रदान कर रहे हैं। इसके अतिरिक्‍त Indian academics, researchers तथा post doctoral students अग्रणी कोरियाई यूनिवर्सिटियों में काम कर रहे हैं या पढ़ाई कर रहे हैं। और यहां रहने वाले भारतीय कोरिया की आर्थिक समृद्धि के साथ ही यहां की संस्‍कृति और सामाजिक जीवन में भी बढ़-चढ़ करके हिस्‍सा ले रहे हैं। + +वे विश्‍व मानव थे और आज जब दुनिया बहुत सी चुनौतियों से जूझ रही है तो महात्‍मा गांधी का दर्शन और भी प्रासंगिक हो जाता है। बापू के जीवन में प्रकृति के प्रति बड़ी, बहुत ही श्रद्धा थी, उनकी भूमिका थी। अपने जीवन में पर्यावरण से तालमेल बिठाने पर उन्‍होंने बहुत जोर  दिया था। कोरिया में बापू को अनोखे ढंग से श्रद्धांजलि दी जा रही है। बापू की याद में हम सभी कोरिया में 150 पौधे लगाने जा रहे हैं। + +Friends, कोरिया के साथ हर दिन हमारे सम्‍बन्‍ध मजबूत रहे हैं, बढ़ते चले जा रहे हैं और मजबूती के साथ बढ़ते जा रहे हैं। कोरिया और भारत इस पूरे क्षेत्र में शांति, स्थिरता और स्‍मृद्धि को बढ़ावा देने में कदम से कदम से कदम मिला करके आगे बढ़ रहे हैं। हमारे बीच एक स्‍पष्‍ट और सहज भागीदारी है। हम मिलकर एक-दूसरे को लाभ पहुंचा सकते हैं। + +Friends, आज पूरी दुनिया भारत की तरफ उम्‍मीद-भरी निगाहों से देख रही है। हम आज दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था हैं। हमारी economy मजबूत हुई है। 2014 के पहले हम यही सुनते थे कि भारत यानी Fragile Five में एक, हम तो डूबेंगे सनम तुम्‍हे भी ले डूबेंगे। आज बड़ी economy में दुनिया में सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाली economy है और अगले कुछ ही साल में भारत five trillion की अर्थव्‍यवस्‍था बनने की तरफ तेजी से कदम बढ़ा रहा है, five trillion की क्‍लब में हम होंगे, वो दिन दूर नहीं होगा। और जब 2014 में, मैंने जब कार्यभार संभाला था, तब दुनिया में आर्थिक दृष्टि से हम 11वें नम्‍बर पर थे; आज हम छह पर पहुंच गए हैं, और पांच होने में देर नहीं लगेगी, आप विश्‍वास कीजिए। और हमारी कोशिश ये है कि अगले डेढ़ दशक में भारत top three में जगह बना ले। + +Friends, भारत में पिछले साढ़े चार साल में हम ease of living और ease of doing business सुनिश्वित करने में जुटे हैं। निरन्‍तर हो रहे आर्थिक और सामा‍जिक सुधारों के कारण हम सफलता भी प्राप्‍त कर रहे हैं। सबसे बड़ा indirect tax reform, goods and service tax, GST आज सिस्‍टम का हिस्‍सा है। सरदार वल्‍लभ भाई पटेल ने देश को एक किया था उसके बाद आर्थिक रूप से देश के एकीकरण का काम जीएसटी के द्वारा हुआ है। हमने cashless economy की तरफ दृढ़ता से कदम बढ़ाए हैं, हमने fiscal discipline को कायम रखा है। इसका नतीजा ये हुआ है कि पिछले चार वर्षों मेंease of doing business के मामले में हमने global ranking में 65 स्‍थानों की छलांग लगाई है और दुनिया को अचरज हो रहा है कि इतना बड़ा देश, इतनी विविधताओं से भरा हुआ देश, developing country, ये इतना बड़ा jump लगा सकता है क्‍या? + +World Bank के चेयरमैन ने मुझे especially फोन किया था- बोले हमारे लिए बड़ा surprise है कि कोई देश determination के साथ इतना बड़ा परिणाम ला सकता है, और ये हिन्‍दुस्‍तान की ताकत है कि लाए। हम बहुत ही जल्‍द- आ गए, मतलब अब मौज करो, ये मोदी नहीं कर सकता। और मैंने जिस दिन ये परिणाम आया, इतना बड़ा jump लगाया, लोग खूशी मना रहे थे; मैंने कहा, मुझे वादा करो 50 में कैसे जाएंगे? Top Fifty में भारत कैसे अपनी जगह बनाएगा? + +आज भारत में करीब-करीब हर व्‍यक्ति के पास बैंक एकाउंट है। और इसके लिए सिर्फ एक हजार दिनों में 33 करोड़ से ज्‍यादा खाते खोले गए। और एक Report ये कहता है कि दुनिया में पिछले चार साल में जितने बैंक एकाउंट खोले गए, उसके fifty percent अकेले हिन्‍दुस्‍तान में खोले गए। और खाते खोले गए इतना ही नहीं, जब गरीब लोग हैं, ये बैंक में खाता खुला है तो उनको भी saving करने का मन कर गया, इन खातों में आज 12 billion dollar जमा हैं। दुनिया इस समय भारत में financial inclusion की क्रांति बड़ी बारीकी से देख रही है। + +मुद्रा योजना के तहत hundred and twenty eight million लोगों को ninety billion dollar से अधिक का micro credit दिया गया है, और आपको जान करके खुशी होगी, इनमें से 74 percent ऋण लेने वाली महिलाएं हैं और अधिकतम first time हैं, बैंक का दरवाजा पहली बार देखा, बैंक से पैसा पहली बार लिया; यानी ये कितना बड़ा revolution है, आप अंदाज लगा सकते हैं। + +सामाजिक सुरक्षा के लिए आज affordable pensions  और insurance की ऐसी स्‍कीम हैं जिसमें 90 पैसे लेकर, यानी 90 पैसे से ले करके एक रुपये तक प्रीमियम है। 90 पैसे कुछ नहीं होता है जी। इतने से प्रीमियम से गरीब व्‍यक्ति का दो-दो लाख रुपये का इंश्‍योरेंस पक्‍का हो रहा है। आज दुनिया की सबसे बड़ी health insurance scheme, आयुष्‍मान भारत, लोग इसे मोदीकेयर के नाम से जानते हैं। 50 करोड़ लोगों को मुफ्त इलाज मिल रहा है। यानी 50 करोड़ लोगों का मतलब-अमेरिका, कनाडा, मैक्सिको इनकी total population से ज्‍यादा। और ये हिन्‍दुस्‍तान कर रहा है। + +Friends, आज भारत में एक नई ऊर्जा दिखाई पड़ रही है। इसी ऊर्जा के प्रतिनिधि के रूप में कल मुझे Seoul Peace Prize का सम्‍मान दिया जाएगा। ये पुरस्‍कार मेरा नहीं है, मैं तो बस 130 करोड़ भारतीयों की तरफ से और तीन करोड़ प्रवासी भारतीयों की तरफ से, सिर्फ उसको स्‍वीकार करने के लिए आया हूं। ये पुरस्‍कार हर भारतीय के पुरुषार्थ का सम्‍मान है, हर हिन्‍दुस्‍तानी  नागरिक के पुरुषार्थ का सम्‍मान है। ये पुरस्‍कार उस मेहनत को मान्‍यता देता है जो पिछले चार साल में भारतीयों ने लगातार, दिन-रात की है। + +दोस्‍ता, देश बहुत तेजी से बदला है, देश बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है। टूरिज्‍म विकास के लिए बहुत बड़ी ताकत है। और मैं जहां भी जाता हूं, भारतीय समुदाय से मुफ्त में मिलता नहीं हूं, बदले में कुछ मांगता हूं- देंगे? सब कह देते हैं- मोदी कहां दोबारा आने वाला है, पूछने के लिए हैं और आज वो चला गया, अब चार साल के बाद, तीन साल के बाद आएगा, कौन याद रखेगा। मैं ऐसा नहीं हूं, मैं तो पूछूंगा, मांगू- आवाज ढीली हो जाती है। सचमुच में मांगूं? क्‍या आज हमारा हर हिन्‍दुस्‍तानी, जो दुनिया में रहता है- कहीं आप पढ़ते होंगे, कहीं फैक्‍टरी में काम करते होंगे, कहीं management में काम करते होंगे- तो लोकल लोगों से आपका संपर्क आता ही होगा- स्‍वाभाविक होता होगा। क्‍या आपने मन में ठानी है कि हर वर्ष कम से कम पांच non-Indian families को हिन्‍दुस्‍तान देखने के लिए धक्‍का मारूंगा? इतना कर सकते हो क्‍या? अगर सिर्फ विश्‍व में फैले हुए हिन्‍दुस्‍तानी ये तय कर लें कि मैं देश में जा करके investment करूं, हरेक के पास कहां पैसे हैं भाई, वो अपनी जिंदगी गुजारा कर लेता है, थोड़ा-बहुत बचा लेता है। + diff --git a/pm-speech/531.txt b/pm-speech/531.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..32f38aa7dfe4f309b3e28be760be00df10ea8623 --- /dev/null +++ b/pm-speech/531.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +सभी भक्‍तजन पहले चरण में लगभग 50 करोड़ रुपये की लागत से विस्‍तारीकरण और सुंदरीकरण की योजना बनाई गई है। इसके तहत यहां के लिए जो बीएचयू से सड़क आती है उसको सजाया-संवारा जाएगा। 12 किलोमीटर का एक और रास्‍ता बनेगा। गुरू रविदास जी की कांस्‍य की प्रतिमा बनेगी। एक मार्ग का निर्माण होगा। कम्‍युनिटी हॉल बनेगा और दूसरी जन-सुविधाओं का निर्माण भी होगा। यानि इस प्रोजेक्‍ट के पूरा होने के बाद आपको और यहां आने वाले लाखों श्रद्धालुओं को एक प्रकार से सारी सुविधाएं एक ही जगह पर मिल जाएगी। + +साथियों, संत रविदास जी की जन्‍म स्‍थली करोड़ों लोगों के लिए आस्‍था और श्रद्धा का स्‍थल तो है ही और यहां के सांसद के नाते, आपके प्रतिनिधि के नाते मेरा यह सौभाग्‍य है कि इस पवित्र धरती की सेवा करने का कुछ मुझे भी सौभाग्‍य मिला है। भारत के सामाजिक जीवन को दिशा देने और प्रेरित करने वाली यह भूमि है। संत रविदास जी के विचारों का विस्‍तार असीम है। उन्‍होंने जो दर्शन दिया है वही सही जीवन जीने का रास्‍ता और वह भी बहुत सरल तरीके से दिखाता है। रविदास कहते हैं – + +मतलब जाति केले के पत्‍तों की तरह है, जहां पत्‍तों के भीतर पत्‍ते होते हैं। जातियों में भी ढेर सारी जातियां हैं। ऐसे में जब तक जाति के नाम पर किसी से भेदभाव होगा, तब तक सभी मनुष्‍य एक दूसरे से पूरी तरह नहीं जुड़ पाएंगे। सामाजिक समरसता संभव नहीं होगी, सामाजिक एकता संभव नहीं होगी, समाज में समता नहीं आएगी, साथियों गुरू के दिखाए इस रास्‍ते पर अगर पूरी ईमानदारी के साथ हम चलते तो आज का भारत जातियों के नाम पर होने वाले अत्‍याचारों से मुक्‍त हो चुका होता, लेकिन दुर्भाग्‍य से ऐसा हो नहीं पाया। + diff --git a/pm-speech/532.txt b/pm-speech/532.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..5ca818daf816e18b0fd98d1204e7ba26b14992ad --- /dev/null +++ b/pm-speech/532.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +मैं राष्ट्रपति जी का और उनके परिवार तथा शिष्टमंडल का हार्दिक स्वागत करता हूँ। यह खुशी का विषय है कि ब्यूनौस एरीस में हमारी मुलाकात के दो महीने बाद मुझे आज भारत में आपके स्वागत का अवसर प्राप्त हुआ है। इस अवसर पर मैं एक बार फिर राष्ट्रपति माक्री और उनकी टीम को 2018 में G-20 Summit के कुशल और सफल आयोजन के लिए बधाई देता हूँ। राष्ट्रपति माक्री का नेतृत्व Summit के सफल संचालन के लिए महत्वपूर्ण था। भारत की स्वतंत्रता के 75वें वर्ष, यानि सन् 2022 में, G-20 Summit के भारत में आयोजन की सुखद घोषणा ब्यूनौस एरीस में G-20 Summit के दौरान राष्ट्रपति माक्री ने की थी। इसके लिए मैं उन्हें धन्यवाद देता हूँ। + +भारत और अर्जेंटीना कई मायनों में एक दूसरे के पूरक हैं। हमारा यह प्रयास है कि आपसी हित के लिए इनका पूरा लाभ उठाया जाए। अर्जेंटीना कृषि का पावर-हाऊस है। भारत अपनी food security के लिए इसे एक महत्वपूर्ण भागीदार के रूप में देखता है। आज हमारे बीच हुए Agro-Industrial Cooperation की कार्य-योजना, इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। ICT क्षेत्र,विशेषकर JAM यानि Jandhan-Aadhaar-Mobile trinity तथा digital payment infrastructure में भारत की सफलता, हम अर्जेंटीनाके साथ साझा करने के लिए तैयार हैं। भारत में हमने लक्ष्य निर्धारित किया है कि हमारे कम-से-कम 30% वाहन 2030 तक इलेक्ट्रिकल बैटरी से चलेंगे। अर्जेंटीना Lithium Triangle का हिस्सा है जहां विश्व का लगभग 54% lithium भण्डार है। हमारे संयुक्त उपक्रम ‘KABIL’ ने अर्जेंटीना के साथ खनन क्षेत्र में सहयोग के लिए विचार-विमर्श शुरू कर दिया है। + +भारत और अर्जेंटीना अंतरराष्ट्रिय फोरमों में अच्छा सहयोग कर रहे हैं। वैश्विक शांति एवम सुरक्षा और सभी लोगों की आर्थिक और सामाजिक उन्नति के लिए reformed मल्टी-लेटरलिज्म की आवश्यकता को हम स्वीकारते हैं। अर्जेंटीना ने Missile Technology Control Regime, Wassenaar Arrangement और Australia Group व Nuclear Suppliers Group में भारत की सदस्यता का पुरजोर समर्थन किया है। South-South Cooperation हमारे लिए बहुत महत्व रखता है। मुझे यह कहते हुए ख़ुशी हो रही है कि 2019 में Buenos Aires में होने वाले दूसरे उच्च स्तर के United Nations Conference on South-South Cooperation में भारत सक्रिय रूप से भाग लेगा। जलवायु परिवर्तन के विरूद्ध संघर्ष में हमारे विचार समान हैं। International Solar Alliance (ISA) में नए सदस्य के रूप में अर्जंटीना का स्वागत करते हुए मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है। + diff --git a/pm-speech/533.txt b/pm-speech/533.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..12a2de6e2a2bfb6893ae3ac7e3ac33368a847342 --- /dev/null +++ b/pm-speech/533.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +साथियों, गुरुदेव हर सीमा से परे थे। वो प्रकृति और मानवता के प्रति समर्पित थे। गुरुदेव पूरे विश्व को अपना घर मानते थे, तो दुनिया ने भी उन्हें उतना ही अपनापन दिया। आज भी अफगानी लोगों की जुबान पर काबुली वाला की कहानी है। आज भी दुनिया के अनेक शहरों में उनके नाम से जुड़ी स्मृतियां हैं, अनेक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में उनके नाम पर चेयर हैं। साढ़े तीन वर्ष पूर्व जब मैं ताजिकिस्तान गया था, तो मुझे वहां पर गुरूदेव की प्रतिमा का लोकार्पण करने का भी सौभाग्य मिला था। + diff --git a/pm-speech/536.txt b/pm-speech/536.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..caeb6a15777bea74455f90924b7f0fab3e2fcfd6 --- /dev/null +++ b/pm-speech/536.txt @@ -0,0 +1,12 @@ +भाईयों और बहनों, किसी भी क्षेत्र के विकास में connectivity का बहुत बड़ा रोल होता है। यवतमाल की प्रगति भी यहां की सड़कों और रेलवे से सुनिश्चित होनी है। इसी भावना के साथ थोड़ी देर पहले सड़क से जुड़े करीब 500 करोड़ रुपये के प्रोजेक्‍ट का शिलान्‍यास किया गया है। इसके अलावा पुणे अजनी पुणे हमसफर एक्‍सप्रेस को भी हरी झंडी दिखाई गई है। यह ट्रेन द्रोणी, मनमाड, भुसावल और बड़नेरा होते हुए जाएगी। इससे इन सभी जगह के लोगों को बहुत सुविधा होने वाली है। + +साथियों, केंद्र सरकार ने 2022 तक हर बेघर को पक्‍का घर देने का लक्ष्‍य है और यह सरकार तेजी से अपने लक्ष्‍य की तरफ बढ़ रही है। जिन परिवारों को अब तक घर नहीं मिला है वे भी इस बात पर भरोसा करे यह मेरा वचन है 2022 के पहले हर परिवार को पक्‍का घर होगा, होगा, होगा। अब तक देश के गांव और शहरों में डेढ़ करोड़ गरीबों के घर बनाए जा चुके हैं। पिछले चार वर्षों में महाराष्‍ट्र में भी लगभग ढाई लाख घर बने हैं। फडणवीस जी की सरकार ने भी 50 हजार से ज्‍यादा घर बनावाए हैं। यहां यवतमाल में भी लगभग 12 हजार घरों पर काम चल रहा है। + +साथियों, पीएम किसान सम्‍मान निधि के नाम से केंद्र सरकार ने किसानों की सीधी-आर्थिक मदद करने की योजना बनाई है। इस योजना के तहत ऐसे किसान जिनके पास पांच एकड़ से कम जमीन है, उन सभी किसानों के बैंक खातों में हर वर्ष छह हजार रुपये दिल्‍ली में से भारत सरकार की तरफ से जमा किए जाएंगे। महाराष्‍ट्र के लगभग एक करोड़ 25 लाख किसान परिवारों को इससे सीधा लाभ मिलेगा। यह पैसा दो-दो हजार रुपयों की तीन किस्‍त में सीधा आपके खाते में जमा हो जाएगा और एक बार नहीं यह हर वर्ष दिया जाएगा। + +साथियों, जमीन हो, जंगल की पैदावर हो, पढ़ाई-लिखाई हो, खेल से जुड़ी प्रतिभा हो, हर स्‍तर पर आदिवासी के कल्‍याण के लिए व्‍यापक प्रयास हो रहे हैं। जन-जन से लकर वन-धन योजना तक जन समुदाय, जनजातीय समुदाय के बहन-भाईयों के लिए काम किया जा रहा है। जनधन योजना के तहत बैंकों में लगभग हर परिवार के खाते खुलवाये गए हैं, जिससे सरकार की हर मदद आपके खाते में सीधी मिलनी सुनिश्चित हुई है। अब कोई भी बिचौलिया आपके पैसे पर डाका नहीं डाल सकता है। इसी तरह वन-धन योजना के माध्‍यम से यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि जंगल से जो आप उपज लेते हैं, उसकी बेहतर कीमत आपको मिल पाएं। इसके लिए वन-धन केंद्र बनाए जा रहे हैं। सरकार का जोर वन उपज के value addition पर है, मूल्‍य वृद्धि पर है। जब value addition होता है, मूल्‍य वृद्धि होता है तो ऊपज की ज्‍यादा कीमत मिलती है, जैसे कच्‍ची ईमली की कीमत कम होती है। लेकिन अगर उसको पैकेज में बेचा जाए या फिर चटनी बनाकर बेचा जाए तो ज्‍यादा कीमत मिलती है। + +साथियों, आप यह भी जानते हैं कि वन ऊपज पर जो समर्थन मूल्‍य सरकार देती है उसमें बीते साढ़े चार वर्ष में तीन बार बढ़ोतरी की गई है। दिसंबर में ही 23 ऊपजों का समर्थन मूल्‍य बढ़ाया गया है। इतना ही नहीं, इस दौरान सरकार द्वारा एमएसपी के दायरे में आने वाली फसलों को बढ़ाया गया है। जहां साढ़े चार वर्ष पहले जंगल से मिलने वाली 10 ऊपजों पर एमएसपी मिलता था, अब वो संख्‍या बढ़ाकर करीब-करीब 50 हो चुकी है। + +साथियों, आदिवासी समाज के स्‍वास्‍थ्‍य को लेकर भी व्‍यापक प्रयास देश में चल रहे हैं। आज यवतमाल के लिए तीन संस्‍थानों का लोकार्पण और शिलान्‍यास किया गया है। हमारे जनजातीय इलाकों में sickle cell की एक बीमारी बहुत सामान्‍य है। विशेषतौर पर विदर्भ में इस बीमारी की बहुत अधिक समस्‍या है। हम बीमारी के इलाज के लिए बेहतर चिकित्‍सा सुविधा हो, रिसर्च की सुविधा हो, इसके लिए चंद्रपुर में रिसर्च से जुड़ा सेंटर स्‍थापित किया जा रहा है। + diff --git a/pm-speech/537.txt b/pm-speech/537.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..d59ad58965dca81e60590b7b65f43e09d16f5381 --- /dev/null +++ b/pm-speech/537.txt @@ -0,0 +1,4 @@ +भाइयों और बहनों, पहाड़ी बांध परियोजना के आधुनिकीकरण से भी किसानों को बहुत लाभ मिलने वाला है। पहले इस बांध से किसानों के खेत तक उपयुक्‍त मात्रा में पानी पहुंचता नहीं था और गेट गिरने से तो leakage होती रहती थी। अब पानी की leakage बंद कर दी है, साथ ही इस बजट में भाजपा सरकार ‘प्रधानमंत्री किसान सम्‍मान निधि’ नाम से एक ऐतिहासिक योजना भी लाई है। इसके तहत ऐसे किसान जिनके पास पांच एकड़ से कम जमीन है, उनके बैंक खाते में हर वर्ष 6000 रुपये केन्‍द्र सरकार द्वारा सीधे जमा कराए जाएंगे। ये राशि दो-दो हजार रुपये की तीन किश्‍तों में आप तक पहुंचेगी। सरकार का अनुमान है कि उत्‍तर प्रदेश में भी दो करोड़ 25 लाख किसान, उत्‍तर प्रदेश में 2 करोड़ 25 लाख किसानों में से 2 करोड़ 14 लाख किसान इस योजना के लाभार्थी होंगे, जिनको इसका लाभ मिलने वाला है। यानी एक प्रकार से करीब-करीब सबको, यानी यूपी के हर जिले में 95 प्रतिशत से ज्‍यादा किसानों को इस योजना से फायदा होगा। + +साथियों, पीएम किसान सम्‍मान योजना के तहत अगले दस वर्ष में कुल मिलाकर साढ़े सात लाख करोड़; ये आंकड़ा छोटा नहीं है, साढ़े सात लाख करोड़ रुपये किसानों के बैंक में सीधे जमा होने वाले हैं। और ये हमेशा याद रखिए, ये पैसे सीधे किसानों के बैंक खाते में पहुंचेंगे, कोई बिचौलिया नहीं होगा, कोई दलाल नहीं नहीं होगा, कोई आपका हक नहीं मार पाएगा। + diff --git a/pm-speech/539.txt b/pm-speech/539.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..b6bcba20d1276fb32fa200e1cb1e699cc3c5580b --- /dev/null +++ b/pm-speech/539.txt @@ -0,0 +1,30 @@ +साथियों, CREDAI बीते दो दशकों से हर देशवासी के अपने घर के जो सपने हैं उसको पूरा करने में जुटा है। मुझे बताया गया है कि 23 राज्‍यों के 205 शहरों में आपके संगठन का विस्‍तार हुआ है। देश भर में आपके 12 हजार से अधिक मेंबर है। जिस रफ्तार से देश में रियल स्‍टेट सेक्‍टर का विस्‍तार हुआ है। उसी प्रकार आपका संगठन भी बढ़ा है। मुझे खुशी है कि आपने श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी के आशीर्वाद से अपनी यात्रा शुरू की थी। और उनके शुभ आशीष से आज आप इस स्थिति में पहुंचे है। + +साथियों, केंद्र की वर्तमान एनडीए सरकार अटल जी के प्रयासों को विस्‍तार देने में जुटी है। देश का गरीब हो, देश का मध्‍यम वर्ग हो, उसके घर का सपना पूरा हो, 2022 तक जब आजादी के 75 साल होंगे, 2022 तक हर बेघर को अपना पक्‍का घर मिले इस दिशा में तेजी से काम किया जा रहा है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आज देश के गांव और शहरों में लगभग डेढ़ करोड़ गरीबों के घर बनाए जा चुके हैं। जिसमें से लगभग 15 लाख घर शहरी गरीबों के लिए बनाए जा चुके हैं। + +साथियों, तीसरा काम गुणवत्‍ता का है, पहले जो घर बनते थे उनका लक्ष्‍य उसमें रहने वालों की सुविधा की बजाय… मैं बड़ी जिम्‍मेवारी के साथ कहता हूं, नामदारों के प्रचार-प्रसार का ही रहता था। इसलिए सिर्फ चारदीवारें खड़ी की जाती थी। हाल में मैंने एक टीवी रिपोर्ट में देख रहा था, मुझे नहीं पता आप लोगों ने ये देखा होगा कि नहीं, यूपी में अमेठी करके एक स्‍थान है क्‍यों आपको इससे एतराज है क्‍या। मुझे लगता है आप लोग मुझसे ज्‍यादा जानते हैं। + +देश के नामदार परिवार के किसी न किसी सदस्‍य को वहां के लोगों ने भरपूर प्‍यार दिया है, आंखे बंद करके प्‍यार दिया है। कभी कोई सवाल नहीं पूछा है। उस अमेठी की रिपोर्ट में एक दलित बस्‍ती के बारे में बताया गया है वहां के लोगों को दस वर्ष पहले सांसद आवास दिलवाए और अपना नाम भी हर जगह पर चिपका दिया। लेकिन आज स्थिति ऐसी है कि जिस दीवारों पर नाम लटकाए गए थे, दस साल के भीतर वो दीवार ही नहीं बची। + +साथियों, अब उन्‍हीं बस्तियों में प्रधानमंत्री आवास योजना के घर बन रहे हैं, ये घर पहले से भी बड़े हैं, इनमें टायलेट भी है, किचन में एलपीजी गैस कनेक्‍शन भी है, बिजली का कनेक्‍शन भी है यानि‍ सरकार की अनेक योजनाओं का समावेश इस घर में अपने आप ही उस व्‍यवस्‍था की तहत हो रहा है। गरीब को वहां-कहां भागने की जरूरत नहीं है। + +साथियों, चौथा परिवर्तन जो पहले की तुलना में किया गया है वो स्‍पीड का है, स्‍केल का है। पिछली सरकार के दस वर्षों में शहरी गरीबों के लिए 13 लाख घर स्‍वीकृत हुए हैं। बीते साढ़े चार वर्षों में 73 लाख यानि लगभग छह गुना, पिछली सरकार के दस वर्षों में शहरी गरीबों के घरों के लिए लगभग 38 हजार करोड़ रुपये स्‍वीकृत हुए हैं और बीते साढ़े चार वर्षों में लगभग 4 लाख करोड़ यानि कि दस गुना अधिक पिछली सरकार के दस वर्षों में शहरों में गरीबों के लिए 8 लाख घर बनकर तैयार हुए और बीते साढ़े चार वर्षों में लगभग 15 लाख घर बनकर तैयार हो चुके हैं यानि लगभग दो गुना ज्‍यादा। यही गति है जिसके बल पर हम 2022 तक हर बेघर को छत देने की बात कर रहे हैं। हवा हवाई दावों वाला काम हमारा नहीं है। + +साथियों, केंद्र सरकार रियल एस्‍टेट सेक्‍टर में एक सार्थक बदलाव के लिए बीते साढ़े चार वर्षों के निरंतर कोशिश कर रही है। ease of doing business सुनिश्चित करने के साथ-साथ कुछ गलत परंपराओं को रोकने के लिए अनेक प्रयास किए गए हैं। मैं समझता हूं कि रियल एस्‍टेट को बीते कुछ दशकों में सबसे अधिक समस्‍या भरोसे की कमी से आई है। साढ़े चार वर्ष पहले तक स्‍थिति ये थी कि मध्‍यम वर्ग का परिवार घर पर पैसा लगाने से पहले सौ बार सोचता था हमने देखा है कि कैसे लाखों लोगों को अपने घर के लिए कोर्ट कचहरी के चक्‍कर लगाने पड़ते थे। खून-पसीने की कमाई कुछ लोगों की बेइमानी के कारण फंस गई थी। + +आज real estate regulatory authority यानि रेरा वाला कानून अभी जैसे बता रहे थे ये सब रेरा का पालन करने वाले लोग हैं। आप जक्‍सय की बात पर हंस रहे हैं। आपकी हंसी में भी मुझे कुछ समझ में आता है। लेकिन मैं इतना विश्‍वास करता हूं कि आपके दिल में इरादा है उस मिशन में जाने का और इसके लिए मैं आपको अभिनंदन करता हूं। मैं मानता हूं अभी भी आपमें से कुछ लोगों के पैर कच्‍चे होंगे, हो सकता है लेकिन अब आपका मन पक्‍का हुआ होगा, पक्‍के जमीन पर पैर रखने का और मुझे उसी में विश्‍वास है। मैं बीते हुए कल पर गुजारा करने वाला इंसान नहीं हूं। आने वाले कल के विश्‍वास पर नई इमारत खड़ी करने पर विश्‍वास करता हूं।  यानी रेरा 28 राज्‍यों में notify किया जा चुका है। 21 राज्‍यों में तो ट्रिबनल भी काम कर रहा है। आज देश भर में करीब 35 हजार रियल एस्‍टेट प्रोजेक्‍टस और 27 हजार रियल एस्‍टेट एजेंटस इससे रजिस्‍टर्ड हो चुके हैं। इन प्रोजेक्‍ट के तहत लाखों नए फ्लैटस निर्माण किए जा रहे हैं। इस बात से बहुत बड़ा लाभ क्‍या होगा। मैं आपको एडवाइज नहीं दे रहा हूं। लेकिन अगर आप मुझे अपना मित्र बताते हैं, मानते हैं तो मैं कड़वी बात बोलना चाहता हूं। बोलूं ….. अब प्रधानमंत्री के सामने कौन मना करेगा….. देखिए ये एक ऐसा फील्‍ड है आपका जो मुनष्‍य की जीवन की एक महत्‍वपूर्ण आंकाक्षा से जुड़ा हुआ है। यानी घर बनाना जीवन के अंत काल तक उसके मन में रहता है। पहले ये घर बने फिर ये है तो अच्‍छा बने, फिर ये है तो अच्‍छा है तो बड़ा बने। फिर है ये तो बड़ा बने ये इसके साथ ये एक ऐसी व्‍यवस्‍था है जिसका कहीं अंत ही नहीं है। और उसके साथ आप जुड़े हुए हैं। ये आपको अंदाज है क्‍या…. + +दुनिया के लिए अचरज है इतना बड़ा देश, developing country ये इतना बड़ा jump लगा सकता है मुझे world bank के president ने एक दिन फोन किया। world bank का president फोन करे तो हो सकता है सरकारी कोई काम होगा, उन्‍होंने फोन मुझे इस बात के लिए किया कि मैं कल्‍पना नहीं कर सकता हूं developing country जो इतना विशाल देश निर्धारित लक्ष्‍य में इतना तेजी से आगे बढ़ सकता है। उनके लिए surprise था। उन्‍होंने टीम को यहां मुझे अभिनंदन करने के लिए भेजा था, world bank की पूरी टीम आई थी। इन चीजों का लाभ अगर आप नहीं लेते हैं, तो देश का बहुत नुकसान होगा। और इसलिए मैं चाहता हूं कि मौका छोडि़ए मत जी। + +साथियो, जीएसटी के लागू होने के बाद मध्‍यम वर्ग के घरों के लिए तो टैक्‍स 8 प्रतिशत और दूसरे घरों के लिए 12 प्रतिशत; commercial property पर भी टैक्‍स बहुत कम हुआ है। इसी तरह construction material पर भी जीएसटी को बहुत कम किया गया है। पेंट, वायर, इलेक्ट्रिकल फिटिंग से जुड़ा सामान, सेनेटरी वेयर, प्‍लाईवुड, टाईल जैसे अनेक सामान पर जीएसटी 28 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत लाया गया है; वहीं ईंटों पर जीएसटी 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत किया गया है। नहीं बजेगी ताली, मुझे मालूम है। मैं सुनाने नहीं आया हूं, मैं आपको समझने आया हूं। और मुझे इतना काफी है कि क्‍या चल रहा है। + +साथियो, आज सभी मध्‍यम वर्ग के लिए सही कीमत पर अच्‍छे घर बना पाएं, इसके लिए इनकम टैक्‍स में भी छूट दी गई है। साल 2016 में सेक्‍शन 80आईबीए जोड़ा गया था, जिसके तहत affordable housing project के profit में शत-प्रतिशत deduction का प्रावधान किया गया। अब ऐसे projects को पूरा करने की समय अवधि को भी तीन वर्ष से पांच वर्ष किया गया है। इसी वर्ष affordable housing project के approval  के लिए टाइम पीरियड को 31 मार्च, 2019 की बजाय एक साल यानी 31 मार्च, 2020 तक कर दिया गया है। Unsold inventory  की समस्‍या को ध्‍यान में रखते हुए national rental income  पर अब दो वर्ष तक टैक्‍स नहीं लिया जाएगा। ऐसे अनेक प्रावधान मध्‍यम वर्ग के घरों को बल देने के लिए बीते साढ़े चार वर्ष से किए जा रहे हैं। + +सा‍थियो, रियल एस्‍टेट और housing sector के लिए धन की कमी न हो, इसके लिए भी निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। दो वर्ष पहले ही real estate यानी infrastructure investment trust को debt market से फंड जुटाने की permission दी गई थी, ऐसे ट्रस्‍टों को 2017 से ही dividend distribution tax से छूट दे दी गई है। Housing finance कम्‍‍पनियों को विदेशों से फंड जुटाने में आसानी हो, इसके लिए sectoral remittance  को भी पिछले वर्ष हटा दिया गया है। + +साथियो, ये तमाम प्रयास मध्‍यम वर्ग के घरों को, infrastructure को गति देने के लिए तो किए ही जा रहे हैं, साथ में रोजगार निर्माण को भी इनसे बल मिला है। इस सेक्‍टर में करोड़ों साथी काम कर रहे हैं जो अधिकतर unorganized sector का हिस्‍सा हैं। घर के निर्माण में जुटे इन परिवारों के लिए सरकार एक बहुत बड़ी योजना इस बजट में लाई है। अब 15 हजार रुपये महीना से कम कमाने वाले इन साथियों को 60 साल के बाद 3000 रुपये तक की पेंशन तय है। इस योजना से जुड़ने के लिए इन श्रमिक साथियों को एवरेज hundred rupees हर महीने जमा करने होंगे और उतने ही पैसे केन्‍द्र सरकार उनके पेंशन खाते में जमा करेगी। + +प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत लगभग 12 लाख घरों का निर्माण नई technology के माध्‍यम से किया जा रहा है। हाउसिंग सेक्‍टर में इस technology को विस्‍तार देने से construction cost तो कम होगी ही, घरों का निर्माण भी तेजी से होगा। दुनिया की best housing technology की पहचान करने के लिए global housing technology challenge से जुड़ी conference भी अगले महीने यहां दिल्‍ली में आयोजित की जा रही है। आप सभी इस challenge का हिस्‍सा बन सकते हैं। + +साथियो, आपसे देश को अपने घर का सपना संजोए हर सामान्‍य मानवी को बहुत आशाएं हैं। आप इन आशाओं पर खरे उतरेंगे, इसी विश्‍वास के साथ मैं आज आपको बहुत कुछ बताता रहता था, लेकिन मैं कुछ और बातें भी जोड़ना चाहता था। मैं अभी पूछ रहा था जक्‍सय को कि आपके यहां इतने सारे नौजवान हैं, कोई competition वगैरह होता है क्‍या? तो उन्‍होंने कहा, नहीं अभी तो हमने सोचा नहीं है। मैं आपको एक विचार देता हूं- क्‍या CREDAI संस्‍था construction की दुनिया में जो technology में innovation करे, ऐसे innovation करने वाले कुछ startups हों, यहां आपके यहां जो काम करने वाले लोग हैं, उन्‍होंने अपने तरीके से कुछ नया किया हो, कोई climate के संदर्भ में अपने construction की दुनिया को आगे बढ़ाता हो, कुछ जो pro- environment हो। आपके यहां ऐसे लोग हों जो waste में से best बनाने की तकनीक को प्रयोग करते हों और ऐसे-ऐसे waste का उपयोग करके construction के काम में लाते हों। Waste में से wealth create करते हों। ऐसे तरीके जो आप ही के क्षेत्र से जुड़े हुए हों, इनको जोड़ने की, innovations की, new practices की competition करके, ऐसे जब आपके event हों, उसमें एक ज्‍यूरी बना करके ऐसे लोगों को प्राइज देने की कल्‍पना सोचनी चाहिए। + diff --git a/pm-speech/540.txt b/pm-speech/540.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..a84da399387d1a83cb8ca865fddc81c14d1d4560 --- /dev/null +++ b/pm-speech/540.txt @@ -0,0 +1,16 @@ +कि देश भर के अनेक सेंटर से तकनीक के माध्‍यम से भी बहनें इस कार्यक्रम में जुड़ी हैं। उसके साथ-साथ हरियाणा में भी पांच स्‍थानों पर बहुत बड़े कार्यक्रम parallel चल रहे हैं और ऐसी ही जनवेदिनी उन स्‍थानों पर भी है। चाहे वो फरीदाबाद हो, पानीपत हो, करनाल हो, पंचकूला हो,  देश ही नहीं विदेश से भी आज इस समारोह में यहां आए हैं, नाइजीरिया का एक delegation यहां मैं सामने देखता हूं. I am told that you are here on a study tour since the past week to learn how the Swachh Bharat Mission achieved such dramatic success so quickly, and how it can be replicated in Nigeria. I sincerely wish you all success. + +साथियों, हरियाणा ने जो स्‍नेह मुझे दिया उसको मैं ब्‍याज समेत लौटाने का प्रयास करता रहा। बीते साढ़े चार वर्षों में मनोहर लाल की अगुवाई में चल रही सरकार के साथ मिलकर हर हरियाणवी के जीवन को आसान बनाने का प्रयास किया जा रहा है। थोड़ी देर पहले इस सिलसिले को विस्‍तार देते हुए स्‍वास्‍थ्‍य और संस्‍कृति से जुड़ी हजारों करोड़ की परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्‍यास किया गया है। झज्जर का National Cancer Institute हो, कुरुक्षेत्र में Ayush University हो, करनाल में Health Science University हो, पंचकूला में  National Institute of  Ayurved  हो,ESIC Medical College और अस्‍पताल हो ये तमाम प्रोजेक्‍ट हरियाणा वासियों के जीवन को स्‍वस्‍थ + +अब मैं मनोहर लाल जी को इस बात के लिए अभिनंदन करता हूं  कि पानीपत की लड़ाई का जो रूप उन्‍होंने जो कल्‍पना की है वो एक प्रकार से उसे सदियों पहले एक भारत श्रेष्‍ठ भारत पूरे देश ने कंधे से कंधा मिला करके ऐसी लड़ाई लड़ी थी इसका वो जीता जागता सबूत है। कोई भी मानव जात इतिहास की जड़ों से कटकर के इतिहास कभी बना नहीं सकती है। इतिहास वही बना सकती है जो इतिहास की जड़ों से रस लेकर के फलते-फूलते हैं। कुछ लोगों ने यही सोचा कि हिन्‍दुस्‍तान की इतिहास 1947 से शुरू होता है और एक ही परिवार से शुरू होता है और उसी ने देश को इतिहास की जड़ों से काटने का पाप किया है। + +साथियों, पहली बार बेटियो को किचन के दायरे से बाहर योगदान देने के लिए प्रोत्‍साहित किया जा रहा है। देश में पहली बार बेटिया fighter pilot बनी हैं। अब तो मिलिट्री पुलिस में भी बेटियों की भर्ती की जा रही है। कामकाजी महिलाओं को अपने नवजात शिशुओं के अच्‍छी तरह लालन पालन के लिए पर्याप्‍त समय मिल सके इसके लिए मेटरनिटी लीव को 12 सप्‍ताह से बढ़ाकर 26 सप्‍ताह किया गया है। इसी तरह प्रधानमंत्री मुद्रा योजना में 15 करोड़ ऋणा से लगभग 11 करोड़ यानी करीब करीब 75 प्रतिशत ऋण महिला उद्यमीयों को मिले। दीनदयाल अंत्‍योदय योजना के तहत लगभग छ: करोड़ महिलाएं स्‍वयं सहायता समूहों से जुड़ी हुईं हैं। ऐसे self help group को 75 हजार करोड़ रुपये से अधिक ऋण उपलब्‍ध कराया गया है। ये राशि वर्ष 2014 के पहले के चार वर्षों में दिए गए ऋण से ढाई गुना ज्‍यादा है। + +साथियों, थोड़ी देर पहले मैंने आपको बताया कि सिर्फ हरियाणा में ही National Cancer Institute सहित इलाज और स्‍वास्‍थ्‍य शिक्षा से जुड़े पांच बड़े संस्थानों का लोकार्पण,उद्घाटन और शिलान्‍यास किया गया है। 2 हजार करोड़ रुपये से बना National Cancer Institute लागत के हिसाब देश का सबसे बड़ा सरकारी अस्‍पताल प्रोजेक्‍ट है। यहां पर केंसर जैसी गंभीर बीमारी के इलाज के लिए अत्‍याधुनिक सुविधाएं बनाई जा रही हैं। इसी तरह यहां कुरुक्षेत्र में श्रीकृष्‍णा आयुष युनिवर्सिटी और पंचकूला के National Institute of  Ayurved के बनने से आर्युवेद से जुड़े हमारे पुरातन उपचार की प्रद्धति को और बल मिलेगा। वहीं करनाल की पंडित दीनदयाल Health Science University में स्‍वास्‍थ्‍य से जुड़े शोध हो पाएंगे। फरीदाबाद के ESICमेडिकल कॉलेज और अस्‍पताल से जुड़े हमारे काम करने वाले भाईयों को, हमारे श्रमिक भाई और बहनों को इलाज की बहुत बड़ी सुविधा मिलने वाली है। + +साथियों, केंद्र सरकार देश में बड़े अस्‍पतालों का नेटवर्क किस तेजी से बिछा रही है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है। कि आज देश में 21 एम्‍स देश में या तो काम कर रही हैं या फिर निर्माण का कार्य चल रहा है। इनमें से 14 एम्‍स पर काम 2014 में हमारे आने के बाद शुरू हुआ है। मुझे खुशी है कि इसमें एक और एम्‍स जुड़ने वाला है। जो हरियाणा में ही रिवाड़ी में बनेगा। + +साथियों, अच्‍छे और बड़े अस्‍पतालों के साथ-साथ प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्रो पर सस्‍ती दवाईयों उपलब्‍ध कराई जा रही हैं। घुटनों और हार्ट के ऑपरेशन भी कई गुना सस्‍ते किए गए हैं। किडनी के मरीजों के लिए जिला अस्‍पतालों में मुफ्त डायलिसिस की सुविधा जुटाई गई है। आयुषमान भारत योजना के तहत तो देश के लगभग 50 करोड़ परिवारों को 5 लाख तक का इलाज मुफ्त मिलने लगा है। अभी इस योजना को लागू हुए 150 दिन भी नहीं हुए हैं, अभी तक 11 लाख से अधिक गरीबों को इसके तहत इलाज की सुविधा मिल चुकी है। + +साथियों, आज जब मैं नारी शक्ति की बात कर रहा हूं। तो देश के एग्रीकल्‍चर सेक्‍टर की बात न करूं ये हो नहीं सकता और हरियाणा में न करूं ये तो जय जवान का भी देश है जय किसान का भी प्रदेश है। बिना महिलाओं के योगदान के इस सेक्‍टर की कल्‍पना भी नहीं की जा सकती। देश के कृषि क्षेत्र को मजबूत करने के लिए इस बजट में सरकार द्वारा बहुत बड़ी योजना का ऐलान किया गया है। पीएम किसान योजना के तहत हम ऐसे किसानों को जिनके पास 5 एकड़ से कम जमीन है उनके बैंक खाते में हर वर्ष छह हजार रूपये सीधा जमा कराए जाएंगे। ये पैसे 2-2 हजार की तीन किश्‍तों में जमा होंगे। जिसकी पहली किश्‍त बहुत ही जल्‍द देने का प्रयास किया जा रहा है। + diff --git a/pm-speech/542.txt b/pm-speech/542.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..d41e773ed4be51ad523fcff82fa5e415cb91044b --- /dev/null +++ b/pm-speech/542.txt @@ -0,0 +1,44 @@ +आज यहां 1947 से कुछ बातें बताई गई। अच्‍छी बात है। लेकिन कभी लगता है कि हम जब इतिहास की बात करते हैं तो two period की चर्चा करते हैं। BC and AD आज जो मैंने भाषण सुना की 47 से 14 तक तो मुझे लगता है कि शायद बीसी और एडी की उनकी एक अपनी व्‍याख्‍या है। बीसी की उनकी व्‍याख्‍या है Before Congress मतलब कि कांग्रेस के पहले कुछ नहीं था देश में। सब तबाह था, गर्त में था। और एडी का मतलब है After dynasty. यानि जो कुछ भी हुआ वो उन्‍हीं के बाद हुआ, लेकिन आखिर के किसी काम को comparative देखना ही पड़ा है और वो बुरा है, ऐसा मानने का कोई कारण नहीं है, हमें इतना विचलित नहीं होना चाहिए। + +साढ़े चार साल पहले क्‍या होता था और आज क्‍या है, साढ़े चार साल में किस प्रकार से हम आगे बढ़े हैं। भारत साढ़े चार साल में 10वें, 11वें नंबर की अर्थव्‍यवस्‍था से आज छठें नम्‍बर पर पहुंच गया है और यह भूलिये मत कि जब 11 नंबर पर पहुंचे थे, तो इसी सदन में यहां पर बैठे हुए लोगों ने जो कि आज वहां भी नहीं दिखते हैं उन्‍होंने 11 पर पहुंचने का बड़ा गौरवगान किया था। मैं समझ नहीं पाता हूं, जिनको 11 पर पहुंचने पर गौरव दिखता था उनको छह पर पहुंचने पर पीड़ा क्‍यों है, दर्द क्‍यों है? पहले की तुलना में सबसे ज्‍यादा foreign direct investment आज भारत में है। Make In India की ताकत manufacturing के नये प्रतिमान प्रस्‍थापित कर दिये। दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा steel producer आज भारत है, दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल फोन बनाने वाला भारत है, दुनिया का सबसे चौथा Auto Mobile Manufacturer आज हिन्‍दुस्‍तान है। फसलों और दूध का रिकॉर्ड उत्‍पादन आज भारत कर रहा है। Internet Data सबसे सस्‍ता और  Internet Data सबसे ज्‍यादा consumption अगर दुनिया में हीं है तो हिन्‍दुस्‍तान है। start of eco system ने जिस प्रकार से अपनी जगह बनाई, अपनी जगह जमाई है आज बड़ी-बडी़ multinational को भी वो चुनौती दे रहा है।  aviation sector सबसे तेज गति से आगे बढ़ रहा है। लेकिन विपक्ष में है, विरोध करना जरूरी है। विरोध करना चाहिए, मोदी की आलोचना करनी चाहिए, हमारी नीतियों की आलोचना करनी चाहिए। अच्‍छी बात है, लोकतंत्र में बहुत जरूरी भी है। लेकिन मैं देख रहा हूं कि हम मोदी की आलोचना करते-करते, बीजेपी की आलोचना करते-करते देश की बुराई करने में लग जाते हैं, इसलिए देश पीछे है। हम में से किसी को भी गलती से भी देश की बुराई हो ऐसी बातें नहीं करनी चाहिए। बहुत सी बातें हैं लंदन में जा करके press conference कर करके देश की क्‍या इज्‍जत बढ़ा रहे हो? झूठी press conference करके और आप मुझे पूछ रहे हो कि क्‍या कुछ नहीं कहा। अच्‍छा है मैं अपनी मर्यादा में रहूं, वो ही ज्‍यादा अच्‍छा है। + +यह कांग्रेस पार्टी है, जिसने योजना आयोग को planning commission को जोकरों का समूह कहा था। मालूम है न किसने कहा था?  आज आप planning commission के इतने गीत गा रहे थे, उसी planning commission को आपके एक भूतपूर्व प्रधानमंत्री ने जोकरों का समूह कहा था। institution का सम्‍मान… एक शब्‍द पकड़ लिया, लेकिन बाकी अपना तो कारोबार देखो जरा। 356 का दुरूपयोग, 100 बार, करीब-करीब सौ बार आपने किया। चुनी हुई सरकारों को आपने बर्खास्‍त कर दिया। और श्रीमती इंदिरा गांधी ने अकेली ने पचास बार किया उसका उपयोग, पचास बार सरकारों को गिराया और यह 2019 किस चीज की anniversary है, याद करे, जरा मैं केरल के मित्रों को कहना चाहता हूं केरल तो 1959 में जब नेहरू जी प्रधानमंत्री थे और इंदिरा जी कांग्रेस की अध्‍यक्षा थी, वो केरल गईं थी, पता नहीं क्‍या देखा, क्‍या-क्‍या पाया क्‍या सुना, आते ही केरल की कम्‍युनिस्‍टों की चुनी हुई सरकार को बर्खास्‍त कर दिया ये 2019 anniversary है। आप संस्‍था‍ओं की मान-सम्‍मान की बातें करते हो। किस प्रकार से आपने देश के साथ आपने एनटीआर के साथ क्‍या किया, आपने एमजीआर के साथ क्‍या किया। + +आदरणीय अध्‍यक्ष महोदया अब जरा हिसाब की बातें चल रही थी कि हमारी सरकार, तुम्‍हारी सरकार तो मैं भी बता दूं। 55 साल मेरे 55 महीनें, 55 साल मेरे 55 महीनें, देखिए स्‍वच्‍छता का दायरा 55 साल में 2014 तक 40 प्रतिशत था। आज साढ़े चार साल के 55 महीने के अंदर 98 प्रतिशत पहुंच गया है। साढ़े चार साल में दस करोड़ से ज्‍यादा शौचालय बने हैं। और जो लोग कहते हैं कि ये सरकार अमीरों के लिए है। मुझे खुशी है कि मेरे देश के 10 करोड़ अमीरों के लिए मैंने शौचालय बनाये हैं। वही मेरे अमीर हैं, वही मेरा ईमान है। वही मेरी जिंदगी है। उन्‍हीं के लिए जीता हूं, उन्‍हीं के लिए यहां आया हूं। गैस कनेक्‍शन 55 साल में 12 करोड़ गैस कनेक्‍शन और 55 महीने में 13 करोड़ गैस कनेक्‍शन और उसमें छ: करोड़ उज्‍ज्‍वला, काम किस गति से होता है और किसके लिए होता है। इसका आप अंदाज लगा सकते हैं। + +बैंको का राष्‍ट्रीयकरण किया, गरीबों के नाम से बाते की, राजनीति की, चुनाव जीतते गए, वोट बटोरते गए लेकिन हमारे देश में 55 साल में 50 प्रतिशत लोगों के बैंक के खाते थे, 55 महीने में अब हम शत-प्रतिशत करने में हम यशस्‍वी हो गए हैं। आपको तकलीफ होती है 18 हजार गांव में बिजली पहुंचाई है। आंकड़ा और आंकड़ा देखते हैं यानी 1947 के पहले इस देश के किसी गांव में बिजली नहीं थी, 1947 के पहले इस देश के किसी गांव में बिजली नहीं थी वहीं शुरू कर रहे आप…., लेकिन अगर सचमुच में जिस गति से पिछले 55 महीने में सरकार चली है। आजादी के बाद इतनी रूकावटें नहीं थी, इतना विरोध नहीं था, इतने कानूनों की परेशानी नहीं थी, इतना मीडिया भी नहीं था अगर उस समय आप चाहते काम करना तो पहले दो दशक में हिन्‍दुस्‍तान के हर गांव में बिजली पहुंच जाती। ये काम जो 20 साल में होना चाहिए था वो मुझे आकर के पूरा करना पड़ा है और इसलिए इतना ही नहीं, आपका 2004 का manifesto देख लीजिए, आपका 2009 का manifesto देख लीजिए, आपका 2014 का manifesto देख लीजिए। आपने तीनों manifesto में ये कहा है कि हम तीन साल के भीतर, 2004 में कहा तीन साल के भीतर, आपने 2009 में कहा तीन साल के भीतर, 2014 में कहा तीन साल के भीतर, तीन साल के भीतर हर घर में बिजली पहुंचाई जाएगी। आपके manifesto में है, बिजली पहुंचाएगें। मैं हैरान हूं वो गरीबी हटाओ, गरीबी हटाओ का इलेक्‍शन करते गए हैं लेकिन 2004 में भी तीन साल, 2009 में भी तीन साल, 2014 में भी तीन साल और आज घरों में बिजली पहुंचाने में मुझे रात-दिन मेहनत करनी पड़ रही है। ढाई करोड़ परिवारों में बिजली पहुंचाने का काम पूरा कर दिया है। + +और आने वाले दिनों में शत प्रतिशत electrification का काम करने का गर्व हम प्राप्‍त करेंगे, ये मैं आपको विश्‍वास दिलाता हूं। कुछ लोग हैं जो भ्रमित करने का प्रयास करेंगे लेकिन आंकड़े, आंकड़े जुठला नहीं सकते हैं। 2014 में तीस साल के बाद देश की जनता ने पूर्ण बहुमत वाली सरकार चुनी है और देश अनुभव करता है। जब मिलावटी सरकार होती है तब क्‍या हाल होता है। और अब तो महामिलावट आने वाला है। पूर्ण बहुमत वाली सरकार होती है तो कितने निर्णय कर सकती है, कितनी गति से आगे बढ़ सकती है और निर्धारित, महामिलावट, महामिलावट यहां पहुंचने वाले नहीं है। ये महामिलावट आप कोलकाता में इकट्ठा करो। ये महामिलावट का हाल देख लो, केरल में मुंह नहीं देख पाएंगे एक दूसरे का, ये महामिलावट का नेतृत्‍व करने वालों को उत्‍तर प्रदेश में बाहर कर दिया, ये महामिलावट करने वालों को…..और इसलिए ये महामिलावट का खेल…. अस्थिर सरकार और कल्‍पनीय सरकार इसके कारण ये महामिलावट देश ने तीस साल ये स्थिति देखी है। जो health conscious society है वो भी मिलावट से दूर है। healthy democracy वाले भी ये महामिलावट से दूर रहने वाले हैं। जब बहुमत वाली सरकार होती है प्रजा, देशवासियों के लिए समर्पित सरकार होती है तो काम कैसे होता है। + +2014 के पहले आपकी सरकार थी। गरीबों को घर मिलना चाहिए, ये 1947 से हर सरकार ने विचार किया है, लेकिन 2014 के पहले पांच साल आपकी सरकार ने 25 लाख घर बनाएं, हमनें 55 महीने के अंदर 1 करोड़ 30 लाख घर बना करके चाबी दे दी है और घर भी जिसमें शौचालय है, जिसमें बिजली है, जिसमें गैस का कनेक्‍शन है, ऐसे चारदीवारियां बना करके काम पूरा नहीं कर रहें हैं, और आज वो बात, आप यहां पर आपके लोग वो भी आकर के कहते हैं कि मेरे इलाकें में आवास अलोटमेंट करवा दीजिए और पैसे…. पैसे गरीब के खातें में सीधे जमा हो रहे हैं। बिचौलिए नहीं हैं। + +हम optical fiber network से जोड़ेगें digital  इंडिया की तरफ आगे बढ़ेंगे। 2004 में कहा था, वही बात 2009 में कही, वही बात 2014 में कही…; जब हम आए तब 59 villages में optical fiber network पहुंचा दिया। 2004 से शुरू किया काम आपने…. 2014 तक पहुंचते-पहुंचते 59 villages में broadband connectivity 55 महीने की हमारी सरकार ने 1 लाख 16 हजार गांवों में broadband connectivity पहुंच गई। आप वादे करते रहे आज हमारे खड़गे साहब ने शेर शायरी का मिजाज था उनका और हो सकता है कि कविता जो हुस्‍न से शुरू होती थी। वो उनकी नज़र गई। मुझे समझ नहीं आया कि उनको हुस्‍न वाली पंक्ति क्‍यों पसंद आई। लेकिन उसी कविता में अगर आपने जिस परिवेश से आप पैदा होकर के आए, आपके परिवार ने जिस संगत से आप निकला हुआ है। मैं जानता हूं और मैं गर्व करता हूं आपके परिवार की हिम्‍मत पर, अगर वो चीजें आपको याद रहती हैं तो हुस्‍न वाली पंक्ति की तरफ नज़र नहीं जाती। अगर वो होता तो आपकी नज़र जाती और मुझे तो बहुत बराबर ये चीज दिन-रात याद रहती है आप लोगों के कारण। उस कविता में लिखा है……. + +आपके झूठ के कारोबार से क्‍या होता है, ये कविता में आपको दिखाई देना चाहिए लेकिन वो नहीं देख पाए…. उसी कविता में आगे लिखा है…… अगर संवेदना नाम की चीज बची होती लेकिन सत्‍ता के गलियारों में रहने के कारण शायद वो छूट गया होगा अगर वो ….. बचा होता तो उसके आगे की तड़पन भी तो जरूर दिल को छू जाती। आगे की प‍ंक्ति है….. + +आप किस प्रकार से काम करते हैं? मैं 21वीं सदी के मतदाताओं को जरूर याद कराना चाहूंगा कि किस नीयत से 55 साल का सत्‍ता भोग चल है। आप देखिए जब common wealth games शुरू हुए, देश की आन-बान-शान पूरे विश्‍व में पहुंचाने का एक स्‍वर्ण अवसर था लेकिन उस समय एक तरफ हमारे खिलाड़ी पदक जीतने के लिए मेहनत कर रहे थे और ये common wealth में अपनी wealthअपनी wealth उसको जुटाने में लगे थे। + +बैंकिग व्‍यवस्‍था क्‍या करके रखा था। फोन बैंकिंग चलता था, नामदार को पता चले किसको मदद की जरूरत है, बैंक को फोन चला जाता था। रुपये निकल जाते थे पहुंच जाते थे, किस काम के लिए, कौन ले जाए, कहां रह जाएगा। अब सब निकल रहा है तो परेशानियों बढ़ रही हैं। इस बात को तो नहीं भूल सकते कि स्‍वतंत्रता के बाद 2008 तक बैंको ने तो कुल 18 लाख करोड़ रुपयों का कर्ज लिया था, लोन दिया। लेकिन सत्‍ता भोग की जो राजनीति चलती थी देश चलाने का तरीका था उस सत्‍ता भोग के 55 साल का परिणाम देखिए….. 2008 से 2014, छ: साल में ये 18 लाख करोड़ बढ़कर के 52 लाख करोड़ हो गया। ये फोन बैकिंग का परिणाम था.. लोगों के पैसे थे, लूटे जा रहे थे। कोई पूछने वाला नहीं था। ये आपका तरीका था, ये 21वीं सदी के मतदाताओं को पता होना चाहिए। कि कैसे देश को…… और उनको… उनकी उम्र इतनी छोटी रही होगी जब खेल चले, अब उन लोगों को शिक्षित करना हम लोगों का काम है। + +मुद्रा योजना से, मुद्रा योजना से हमने सात लाख करोड़ ये वही हैं जो 2014 में आप छोड़ कर गए, ये तो ब्‍याज बढ़़ रहा है, एक नया एनपीए नहीं बढ़ रहा है। ये आप छोड़ कर गए उसका ब्‍याज बढ़ रहा है। और हमने कानून ऐसे लाए हैं कि तीन लाख करोड़ रुपया वापिस आना शुरू हुआ है। मुद्रा योजना सात लाख करोड़ रुपये हमने मुद्रा योजना से दिया माननीय अध्‍यक्षा जी, उन लोगों को दिया जिनके पास collateral गांरटी का भी कोई ताकत नहीं था और उन्‍होंने स्‍वरोजगार खड़ा किया। उन्‍होंने रोजगार के अवसर पैदा किए। ये काम हमने किया है। जो भाग गए हैं वो ट्विटर पर रो रहे हैं कि मैं तो नौ हजार करोड़ लेकर निकला था लेकिन मोदी ने 13 हजार करोड़ रुपया मेरा जब्‍त कर लिया। वो रो रहे हैं। ट्विटर कर रहे हैं। और बोलेगें कि सुबह उठता हूं तो पता चलता है कि मेरी आज ये संपत्ति का पता चल गया वो भी जब्‍त हो गई। दुनिया में किसी देश में संपत्ति है वो भी जब्‍त हो गई। ये कानून हमने बनाया। लूटने वालों को आपने लूटने दिया हमने कानून बनाकर के उनको वापिस लाने की कोशिश की। + +अध्‍यक्ष महोदया, मुझे लगता है हमारे कांग्रेस के मित्रों ने कुछ काम आऊटसोर्स कर दिए हैं, वैसे अभी दो दिन पहले मदद कीजिए थोड़ा तो करना ही पड़ेगा। माननीय अध्‍यक्ष महोदया जी कांग्रेस ने ये कहा जब सर्जिकल स्‍ट्राइक की बात आई। मैं यहां उरी फिल्‍म की चर्चा नहीं कर रहा हूं।  मैं सर्जिकल स्‍ट्राइक की बात कर रहा हूं तब कांग्रेस ने कहा हमारे समय में भी सर्जिकल स्‍ट्राइक हुआ था। हां…. हां आपके पास सब कुछ है। आप सब कुछ है ठहरिये आपके पास सब कुछ है आपको घंटों तक बोलने दिया है अगर उस समय सेना की वो हालत ही नहीं रहने दी थी आपने सेना को एक प्रकार से आपने निहत्‍था बना दिया था। वो स्थिति ही नहीं कि सर्जिकल स्‍ट्राइक करने का कोई निर्णय कर सके। ये हाल बनाकर रखा था। वो दिन थे जब बुलेट प्रूफ जैकेट तक उपलब्‍ध नहीं थे। आप सर्जिकल स्‍ट्राइक का सोच भी कैसे सकते थे और आप हिन्‍दुस्‍तान की आंखों में धूल झोंक रहे हैं। न communication device थे, न हेलमेट थे, न अच्‍छे प्रकार के जूते थे, मैं युद्ध सामग्री की तो बात ही नहीं कर रहा हूं ये सामान्‍य व्‍यवस्‍थाओं की बात है। + +2009 में भारतीय सेना ने  1 लाख 86 हजार बुलेट प्रूफ जैकेट की मांग की, पांच साल बाद भी 2014 तक बुलेट प्रूफ जैकेट नहीं खरीदी गई..; अब वो सर्जिकल स्‍ट्राइक की बाते करते हैं। यह स्थिति जानने के बाद 2016 में हमने 50 हजार बुलेट प्रूफ जैकेट की खरीदी की और 2018 में पूरी 1 लाख 86 हजार बुलेट प्रूफ जैकेट हमने हमारे जवानों को पहुंचा दी है। + +अगर 2014 में उसके बाद भी देश की जनता ज्‍यादा समझदार है कि गलती नहीं करती है लेकिन 2014 के बाद भी UPA की सरकार बनी होती तो देश का गौरव तेजस्‍व लड़ाकू विमान आज जमीन पर ही खड़ा होता वहां पार्किंग एरिया पर पड़ा होता वो हवा में नहीं जाता। 2016 में जुलाई में, हमने 45 squadron में शामिल किया और 83 तेजस्‍व विमान खरीदने को हमने स्‍वीकृति दे दी। आपको इसकी चिंता नहीं थी, सेना ताकतवर हो ये आपने कभी सोचा नहीं। + +Education loan हमारे मीडिल क्‍लास का परिवार education loan लेता है। education loan लेता है, तो 15 प्रतिशत से घटाकर के 11 प्रतिशत हमने उसका किया है ब्‍याज और उसके कारण अगर एक नौजवान विद्यार्थी 10 लाख रुपये का लोन लेता है तो आज उसको लोन भरते भरते सवा लाख रुपये की बचत होती है। उसी प्रकार से आवास में अगर वो बैंक से लोन लेता है मध्‍यम वर्गीय परिवार तो बैंक में पैसा जमा करते करते उसको पांच से छह लाख रुपये की बचत होती है। ये काम हमने करके दिया है। उसी प्रकार से एलईडी बल्‍ब मैं हैरान हूं क्‍या कारण था कि यूपीए के समय कि एलईडी बल्‍ब 300, 400, 450 में मिलता था और ऐसा क्‍या कारण है कि हमारे आने के बाद वो 60, 70 रुपये में आ गया और देश में करोड़ों-करोड़ों एलईडी बल्‍ब बिक गए हैं। कितने करोड़ो रुपयों का पैसा गरीब और मध्‍यम वर्ग के परिवार का बचा है जिसका अंदाजा आप लगा सकते हैं और इस एलईडी बल्‍ब के कारण देश में 50 हजार करोड़ रुपयों का बिजली का बिल कम हुआ है। जो 50 हजार करोड़ रुपया प्रतिवर्ष मध्‍यम वर्ग के परिवार की जेब में बचा हुआ है। अगर 50 हजार करोड़ रुपये का मैं पैकेज घोषित करता तो मीडिया में चौबीसों घंटे चर्चा चलती, हर अखबार में हेड लाइन होती ये काम आराम से 50 हजार करोड़ रुपया बचा कर के देश के मध्‍यम वर्गीय परिवार की मदद करने का काम हमारी सरकार ने किया है। + +अब देखिए, देश में असंगठित क्षेत्र करीब-करीब 85 to 90 percent नौकरियां देता है। जबकि संगठित क्षेत्र सिर्फ 10 से 15 percent ही job देता है। इस सत्‍य को स्‍वीकार करना होगा। unorganized sector में 82 to 90 percent है, जबकि organized sector में 10 to 15 percent only है। जो sector सिर्फ नौकरियों के 10 प्रतिशत प्रतिनिधित्‍व करता है मैं उसके कुछ आंकड़े जानना चाहता हूं, मैं जरा वो 10 percent वाला हिसाब जानना चाहता हूं। 90 percent वाला हिसाब बाद में देखता हैं। सितंबर 2017 से लेकर नवंबर 2018 तक यानि करीब-करीब 15 महीने में लगभग एक करोड़ 80 लाख लोगों ने पहली बार provident fund का पैसा कटाना शुरू किया। यह बिना रोजगार होता है क्‍या?  हां, इनमें से 64 percent लोग हैं जिनकी उम्र 28 साल से कम है। इसलिए खड़गे जी जो आज सुबहargument दे रहे थे, इसका कोई logic नहीं है। 28 साल से कम उम्र का व्‍यक्ति मतलब एक नया job प्राप्‍त करने वाला होता है। इसके अलावा एक ओर तथ्‍य मैं आपको देना चाहता हूं। हमारे देश में मार्च 2014 में करीब-करीब 65 लाख लोगों को नेशनल पेंशन स्‍कीम एनपीएस में रजिस्‍टर किया गया था। पिछले साल अक्‍तूबर में यह संख्‍या बढ़ करके एक करोड़ 20 लाख हो गई। क्‍या यह भी बिना नौकरी के सब हुआ होगा। कोई ऐसे ही कर देता होगा क्‍या?  और इसलिए एक और आंकड़ा मैं देना चाहता हूं। हर साल Income Tax Return भरते समय non corporate taxpayers जो अपनी आय घोषित करते हैं। उन्‍हें खुद salary नहीं मिलती है, लेकिन ये लोग अपने यहां जिन लोगों को नियुक्‍त करते हैं, उनको  salary देते हैं। पिछले चार वर्षों में देश में ऐसे लगभग छह लाख 35 हजार नये professional जुड़े हैं। क्‍या आपको लगता है कि एक डॉक्‍टर अपना clinic या nursing home खोलता है तो क्‍या किसी और को काम नहीं देता होगा क्‍या? कोई charted accountant  अपना दफ्तर खोलता है, क्‍या किसी को रोजगार नहीं देता होगा क्‍या? क्‍या यह 1,2,3 लोगों का स्‍टाफ नहीं रखता होगा क्‍या? छह लाख 35 हजार professional  अब उन्‍होंने जिन लोगों को काम पर रखा होगा, और मैं फिर कहूंगा कि formal sector का आंकड़ा है जो सिर्फ 10 प्रतिशत प्रतिनिधित्‍व करता हूं, उसके आधार पर मैंने बताया है। + +अब मैं आपको जरा informal sector का आंकड़ा देता हूं। informal sector में transport sector असंगठित कामदार जो होते हैं transport sector में सबसे ज्‍यादा रोजगार का अवसर होता है। बीते चार वर्षों में करीब 36 लाख बड़े ट्रक या commercial vehicles बिके, करीब डेढ़ करोड़ passenger vehicles बिके हैं और 27 लाख से ज्‍यादा नये ऑटो की बिक्री हुई है। यह सारी गाडि़यां जिन्‍होंने भी खरीदी हैं, क्‍या उन्‍होंने पार्किंग करके रखी है क्‍या? शोभा के लिए रखी है क्‍या? क्‍या उनको कोई चलानेवाला होगा क्‍या? उनकी कोई सर्विसिस नहीं होती होगी क्‍या? क्‍या उनके maintenance के लिए कोई मैकेनिज्‍म  काम नहीं करता होगा क्‍या? एक अनुमान है कि transport sector में ही देश में बीते साढ़े चार वर्षों में करीब-करीब सवा करोड़ लोगों को नये अवसर मिले होंगे। इसी तरह Hotel Industry  अगर Hotel Industry  की मैं बात करूं तो approved होटलों की संख्‍या में 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। क्‍या यह होटल खाली पड़े हैं? किसी को job नहीं दे रहे हैं क्‍या वो?  यह अनुमान यह भी हो सकता है कि tourism sector में करीब-करीब डेढ़ करोड़ नई नौकरियों का निर्माण हुआ है। + +देश में टेक्‍सी एग्रीगेटर सर्विस का इतना विस्‍तार हो रहा है, लेकिन विपक्ष के मेरे साथियों को लगता है कि तमाम app based कंपनियां यह कर रही हैं। यह app based कर रही है, क्‍या driver lessकार चल रही है क्‍या? app based हो रहा है, तो driver less कार है क्‍या? उसमें भी कोई न कोई गाड़ी चलाता है। उसका भी कोई न कोई रोजगार है। मुद्रा योजना के तहत पहली बार लोन पाने वाले लोगों की संख्‍या सवा चार करोड़ से ज्‍यादा है। first timer यानी इन सवा चार करोड़ लोगों ने अपना काम शुरू किया है, लेकिन ये लोग job data के अंदर नहीं होते हैं। इसी तरह हमारी सरकार के दौरान दो लाख से ज्‍यादा नये common service center देश के ग्रामीण इलाकों में खोले गए हैं। क्‍या इसकी वजह से भी किसी को नौकरी नहीं मिली होगी क्‍या? एक जमाना था  STD का बूथ लगता था और parliament में उसको रोजगार के आंकड़ों के रूप में बताया जाता था। आज दो लाख common service center और करीब-करीब 18-20 घंटे काम करते हैं, एक-एक common service center में 3-3, 5-5 नौजवान काम करने लगे हैं और common service सेवाएं दे रही है। + +उसी प्रकार से देश में दोगुनी गति से हाईवे बन रहे हैं, नये airport बन हरे हैं, रेलवे स्‍टेशनों का आधुनिकरण हो रहा है। करोड़ों-करोड़ों नये घर बन रहे हैं। क्‍या यह भी किसी को रोजगार के नये अवसर नहीं देते  है क्‍या?  हमारे देश का नौजवान आज अपने दम पर खड़ा हुआ है। skill  इंडिया, स्‍टार्ट अप इंडिया, स्‍टेंडेंट अप इंडिया, मुद्रा योजना यह स्‍वरोजगार ऐसे मजबूत हमारे initiative हैं जो देश में.. + +माननीय अध्‍यक्षा जी, हमने इस योजना में किसानों के लिए इस बार बजट में छह हजार रुपये वार्षिक रूप से देने का तय किया है। यह निर्णय आने वाले दूरगामी परिणाम करने वाला है। 12 करोड़ किसान इसके लाभार्थी बनेंगे। आपकी अब तक योजनाएं एक करोड़, डेढ़ करोड़, दो करोड़  किसानों तक सीमित थे। ऊपर सतही के लोगों के लिए थे। एक एकड़ भूमि वाला दो एकड़ भूमि वाले किसान तक कभी पहुंचे नहीं थे। यह योजना ऐसी है कि जो एक एकड़, दो एकड़ छोटे किसान पर… और इस देश के 85 percent  किसान ये हैं। इनको यह लाभ मिलने वाला है। और करीब 12 करोड़ किसान को सीधा लाभ उनके बैंक के खाते में जाएगा, कोई दलाल नहीं होगा। मैं हैरान हूं कुछ राज्‍य बड़ा सीना तान करके कह रहे हैं। हम मोदी की यह किसान योजना को नहीं लेंगे। अरे वहां के जरा किसान को तो पूछो भई छह हजार रुपया लेना है क्‍या नहीं लेना है?  आपको तो एक रुपया देना नहीं है। सीधा निर्णय वाला है। लेकिन राजनीति में कुछ लोगों को पागलपन ऐसा हो जाता है, घोषणा कर देते हैं यह योजना का लाभ नहीं लेना है। अरे अपने किसानों की चिंता करो,  आयुष्‍मान हम नहीं लेंगे। अरे अपने यहां गरीब की चिंता करो। यह राजनीति‍ चलती रहेगी। यह खेल करना बंद करो। और अपने गरीब किसानों की चिंता करो। + +बीच में पढ़ाई छोड़ने वाले लोगों को skill development का काम, स्‍वरोजगार का काम उसके लिए कौशल विकास का एक बड़ा अभियान हमने चलाया है। हमने skill India अभियान के तहत लाखों युवाओं को प्रशिक्षित किया है। प्रधानमंत्री श्रमयोगी मानधन योजना। कम्‍युनिस्‍ट पार्टी के लोगों के लिए कई वर्षों से मांग रहती थी, unorganized labour  के लिए, 40-42 करोड़ unorganized labour  है, पहली बार हमने उसको हाथ लगाया और हमने 3 हजार रुपये की पेंशन की व्‍यवस्‍था unorganized labour  के लिए लेकर आए हैं। मैं मानता हूं हिन्‍दुस्‍तान की कम्‍युनिस्‍ट पार्टी जो सोचती थी वो नहीं कर पाई, वो काम करने का काम हमने किया है। और इसलिए एक काम हमारे देश में मछुआरों की एक मांग रहती थी कि हमारे लिए अलग मिनिस्‍ट्री होनी चाहिए, हमारी सरकार ने इस बार बजट में कहा है माछीमारों के लिए…. मछुआरों के लिए अलग मंत्रालय की व्‍यवस्‍था करने के लिए भी कहा है। उसी प्रकार से ट्रेडस देश के गतिविधि में आर्थिक विकास की गतिविधि में ट्रेडस रोल है। लेकिन उनके लिए कोई मालिक नहीं, कोई चिंता करने वाला नहीं था, सरकार ने हमारा जो डिपार्टमेंट है उसमें बदलकर के DIPP को department for promotion of industry and internal trade के साथ जोड़ दिया है ताकि ट्रेडस की देखभाल करने वाला भारत सरकार में भी एक विभाग होना चाहिए। + diff --git a/pm-speech/543.txt b/pm-speech/543.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..bead909ca912c93e32cfa4742a367b31d916b116 --- /dev/null +++ b/pm-speech/543.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +क्या आपको पता है उनके प्रति मेरा अपराध क्या है ? एक गरीब परिवार में जन्मा व्यक्ति उनकी सल्तनत को चुनौती दे रहा है। उनके 55 वर्ष के शासनकाल में देश में स्वच्छता का दायरा महज 38 फीसदी था, जबकि हमारे 55 महीने के शासनकाल में यह 98 प्रतिशत के करीब पहुंच चुका है। उनके 55 साल के शासन में केवल 12 करोड़ गैस कनेक्शन दिए गए, जबकि हमने 55 महीने के शासन में 13 करोड़ गैस कनेक्शन दिए। अपने पांच साल के कार्यकाल में हमने काफी तेजी से काम किया। + diff --git a/pm-speech/544.txt b/pm-speech/544.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..1a48c49ac8058634b42092976818aed287c42e28 --- /dev/null +++ b/pm-speech/544.txt @@ -0,0 +1,4 @@ +श्री मोदी ने कहा कि सरकार द्वारा अनुदानों का ब्‍यौरा मांगे जाने पर 20 हजार गैर सरकारी संगठनों ने अपना काम काज बंद कर दिया। भविष्‍य में यह संख्‍या और बढ़ सकती है। राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की कार्यशैली की व्‍याख्‍या करते हुए उन्‍होंने कहा कि यह सरकार लोगों का जीवन आसान बनाने के लिए कठिन प्रयास कर रही है। पिछली सरकारों  की तुलना में कीमतों पर अंकुश लगाया गया है। स्वस्थ भारत के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि दवाईयों और चिकित्सा उपकरणों की कीमतें घटाई गई हैं। + +रोजगार का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि नौकरियों की सबसे ज्यादा अवसर परिवहन क्षेत्र में बने हैं। पिछले चार सालों में छह लाख से ज्यादा नये पेशेवर श्रम बल में शामिल हुए हैं, जिससे लोगों के लिए नौकरियों के अवसर बढ़े हैं। उन्होंने इस अवसर पर बताया कि सितंबर 2017 से नवंबर 2018 के बीच महज 15 महीनों में किस तरह एक करोड़ 80 लाख लोगों का कर्मचारी भविष्य निधि में पंजीकरण हुआ, जिनमें से 64 प्रतिशत 28 वर्ष से कम आयु के हैं। प्रधानमंत्री ने लोकसभा को यह भी बताया कि एक करोड़ बीस लाख से ज्यादा लोगों का राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली में पंजीकरण कराया गया है। + diff --git a/pm-speech/545.txt b/pm-speech/545.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..3212c426e86cf6f2e59a50e6e43035806c5647b1 --- /dev/null +++ b/pm-speech/545.txt @@ -0,0 +1,14 @@ +यहां आने से पहले किसी ने मुझसे कहा कि लेह में तो बहुत ठंड है। शून्‍य से कहीं नीचे तापमान है। इतनी सर्दी में आप सभी यहां आए, सचमुच मैं भाव-विभोर हूं और सबको नमन करता हूं। एयरपोर्ट से उतरने का बाद बहुत बड़ी-बड़ी आयु की माताएं एयरपोर्ट के बाहर आशीर्वाद देने के लिए आईं थी। इतने minus degree temperature में वो खुले में खड़ी थीं। मैं भी कार से उतरकर के उनको नमन करने के लिए नीचे चला गया। मन को इतना आनोदलित कर दिया। कि ये प्‍यार, आशीर्वाद ये माताओं का स्‍नेह और वो भी इतनी विपरीत परिस्थिति में प्रकृति साथ न देती हो तब एक नई ऊर्जा मिलती है, नई ताकत मिलती है। आप लोगों के इस अपनत्‍व, इस स्‍नेह को देखकर मुझे जो थोड़ी बहुत भी ठंड लग रही थी। अब उसका भी इतना अहसास नहीं हो रहा है। + +लद्दाख वीरों की धरती है। चाहे 1947 हो या 1962 की जंग या फिर कारगिल की लड़ाई यहां के वीर फौजियों ने लेह और कारगिल के जांबाज लोगों ने देश की सुरक्षा निश्चित की है। इतनी खुबसूरत पहाडि़यों से सुशोभित लद्दाख अनेक नदियों का स्‍त्रोत भी है। और सही मायने में हम सभी के लिए स्‍वर्ग का उपहार है। 9-10 महीनें में मुझे फिर एक बार आपके बीच आने का अवसर मिला है। आप जिन मुश्किल परिस्थितियों में रहते हैं। हर कठिनाई को चुनौती देते हैं। वो मेरे लिए बहुत बड़ी प्रेरणा होती है। कि आप सभी के लिए और डटकर काम करना है। जो स्‍नेह आप मुझे देते हैं… मुझे ब्‍याज समेत विकास करके उसको लौटाना है। मुझे ये अहसास है कि मौसम आप सभी के लिए मुश्किलें लेकर के आता है। बिजली की समस्‍या होती है, पानी की दिक्‍कत आती है। बीमारी की स्थिति में परेशानी होती है। पशुओं के लिए चारे का इंतजाम करना पड़ता है। दूर-दूर तक भटकना पड़ता है। मैंने यहां पर मुझे बहुत सौभाग्‍य मिला है आपके बीच रहने का पहले जब मैं मेरी पार्टी के संगठन का काम करता था। तो बहुत लंबे समय तक आप लोगों के बीच में रहा। मैंने यहां पर रहते हुए खुद देखा है, लोगों को मुश्किलों का सामना करते हुए देखा है। + +draj hybro electrical project से leh और कारगिल के अनेक गांवों को पर्याप्‍त और सस्‍ती बिजली उपलब्‍ध हो पाएगी। वहीं श्रीनगर उल्‍लेस्तिन दराज कारगिल ट्रांसमिशन रैक है तो मुझे ही शिलान्‍यास करने का अवसर मिला था। और आज लोकार्पण भी मुझे ही करने का सौभाग्‍य मिला। 2 हजार करोड़ से अधिक की इस परियोजना से अब लेह-लद्दाख की बिजली की समस्‍या कम होने वाली है। + +भाईयो और बहनों, केंद्र सरकार देश भर में विकास की पंचधारा यानी बच्‍चों को पढ़ाई, युवाओं को कमाई, बुजुर्गों का दवाई, किसान को सिंचार्इ और जन-जन की सुनवाई इसको सुनिश्चित करने में जुटी हुई है। ये लेह-लद्दाख और कारगिल में भी इन सभी सुविधाओं को मजबूत करने का प्रयास चल रहा है। लद्दाख में कुल आबादी का 40 प्रतिशत हिस्‍सा युवा विद्यार्थी है। आप सभी की लंबे समय से यहां university की मांग रही है। आज आपकी ये मांग भी पूरी हुई है और इसके लिए भी आप सभी को और विशेषकर मेरे नौजवान साथियों को मैं बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं देता हूं। आज उस cluster university को launch किया गया है। इसमें नुब्रा, लेह और जस्‍का कारगिल में चल रहे डिग्री कॉलेजों के संसांधनों का उपयोग किया जाएगा। छात्रों की सुविधा के लिए लेह और कारगिल में भी इसके प्रशा‍सनिक दफ्तर रहेंगे। + +साथियों, लेह-लद्दाख देश के उन हिस्‍से में है, जहां schedule tribes मेरे जनजातिये भाई बहनों की आबादी काफी मात्रा में है। दो दिन पहले केंद्र सरकार ने जो बजट पेश किया है। इसमें SC ST के विकास पर बहुत बल दिया गया है। schedule tribes की welfare के लिए बजट में लगभग 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है। जबकि दलितों के विकास के लिए लगभग 35 प्रतिशत से अधिक का आवंटन बजट में इस बार किया गया है। बजट में SC ST welfare के लिए जो 11 हजार करोड़ रुपये से अधिक का प्रावधान किया गया है। इससे अब शिक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य और दूसरी सुविधाओं में बढ़ोतरी होने वाली है। + +और इसलिए यहां के आलू, मटर, गोभी उसके उत्‍पादक किसानों को प्रोत्‍साहन मिलने वाला है। और यहां की गोभी के लिए तो मुझे बराबर याद है। र्मैं संगठन में काम करता था तो दिल्‍ली से आता था दिल्‍ली वापिस जाता था। तो जो कार्यकर्ता मेरे परिचित थे वो मुझसे एक ही आग्रह करते थे कि साहब luggage का जो खर्चा होगा हम दे देंगे। एक गोभी उठाकर ले आना। और मैं भी यहां से काफी सब्‍जी ले जाता था। उन परिवारों को बड़ा अच्‍छा लगता था ये सब्‍जी खाने का। और इस नई योजना के लिए मैं सब बताता हूं किसानों के लिए अदभूत योजना है। उनको एक बहुत बड़ी ताकत देने वाली है। और जो दिल्‍ली में एयर कंडीशनर कमरों में बैठते हैं न उनको पता नहीं होता है। दुर्गम पहाड़ों में, रेगिस्‍तान में, पिछड़े इलाकों में गरीब किसान जो है न उसके लिए छ: हजार रुपया कितनी बड़ी बात होती है। ये एयर कंडीशनर कमरे में बैठे हुए लोगों को पता तक नहीं होता है। उनको समझ ही नहीं होता है। + +साथियों, लेह, लद्दाख, कारगिल भारत का शीर्ष है, हमारा मस्‍तक है, मां भारती का ये ताज हमारा गौरव है, बीते साढ़े चार वर्षों से ये क्षेत्र हमारी विकास की प्राथमिकताओं का केंद्र रहा है। मझे खुशी है कि ladakh autonomous hill development council act में बदलाव किया गया है। और council को खत जुड़े मामलों में अब ज्‍यादा अधिकार दिए गए हैं। + diff --git a/pm-speech/546.txt b/pm-speech/546.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..df5959597f0073fad8ae368274c79c0af77dfb1e --- /dev/null +++ b/pm-speech/546.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +साथियों हमारी सरकार की योजनाओं ने देश के हर व्‍यक्ति के जीवन पर सकारात्‍मक प्रभाव डाला है। आयुष्‍मान भारत योजना का लाभ 50 करोड़ गरीबों को मिलना सुनिश्चित हुआ है। प्रधानमंत्री जीवन ज्‍योति योजना और सुरक्षा बीमा योजना का लाभ 21 करोड़ गरीबों को मिल रहा है। स्‍वच्‍छ भारत मिशन का लाभ 9 करोड़ से ज्‍यादा परिवारों को हुआ है। उज्‍ज्‍वला योजना के तहत छह करोड़ से ज्‍यादा परिवारों को मुफ्त गैस कनेक्‍शन मिला है। प्रधानमंत्री आवास योजना की वजह से 1.5 करोड़ परिवारो को उनके अपने पक्‍के घर मिले हैं। अब इस बजट में 12 करोड़ से ज्‍यादा किसानों को 3 करोड़ से ज्‍यादा मध्‍यम वर्ग के टैक्‍स पेयर परिवारों को और 30, 40 करोड़ श्रमिकों को सीधा लाभ मिलना तय हुआ है। साथियों सरकार के प्रयासों से आज देश में गरीबी रिकार्ड गति से कम हो रही है लाखों करोड़ों लोग गरीबी को परास्‍त करके न्‍यू मीडिल क्‍लास, मीडिल क्‍लास में प्रवेश कर रहे हैं। देश का यह बहुत बड़ा वर्ग आज अपने सपने साकार करने में और साथ साथ देश के विकास को गति देने में जुटा हुआ है। ऐसे समय में इस बढ़ते मीडिल क्‍लास की आशा, आकांक्षाओं को कुछ कर दिखाने के जज्‍बे को हौसला मिले उसको सपोर्ट मिले इसके लिए सरकार ने अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है। मैं देश के मीडिल क्‍लास, सैलरिड मीडिल क्‍लास को Income Tax की दरो में मिली छूट के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हॅू। + diff --git a/pm-speech/548.txt b/pm-speech/548.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..40b1148a857116b56a85ed568aea5b2ce4d77e99 --- /dev/null +++ b/pm-speech/548.txt @@ -0,0 +1,28 @@ +मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार। इस महीने की 21 तारीख को देश को एक गहरे शोक का समाचार मिला। कर्नाटक में टुमकुर जिले के श्री सिद्धगंगा मठ के डॉक्टर श्री श्री श्री शिवकुमार स्वामी जी हमारे बीच नहीं रहे।शिवकुमार स्वामी जी ने अपना सम्पूर्ण जीवन समाज-सेवा में समर्पित कर दिया।भगवान बसवेश्वर ने हमें सिखाया है – ‘कायकवे कैलास’ – अर्थात् कठिन परिश्रम करते हुए अपना दायित्व निभाते जाना, भगवान शिव के निवास-स्थान, कैलाश धाम में होने के समान है। शिवकुमार स्वामी जी इसी दर्शन के अनुयायी थे और उन्होंने अपने 111 वर्षों के जीवन काल में हज़ारों लोगों के सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक उत्थान के लिए कार्य किया।उनकी ख्याति एक ऐसे विद्वान के रूप में थी, जिनकी अंग्रेज़ी, संस्कृत और कन्नड़ भाषाओं पर अद्भुत पकड़ थी। वह एक समाज सुधारक थे। उन्होंने अपना पूरा जीवन इस बात में लगा दिया कि लोगों को भोजन, आश्रय, शिक्षा और आध्यात्मिक ज्ञान मिले।किसानों का हर तरह से कल्याण हो, ये स्वामी जी के जीवन में प्राथमिकता रहती थी। सिद्धगंगा मठ नियमित रूप से पशु और कृषि मेलों का आयोजन करता था।मुझे कई बार परम पूज्य स्वामी जी का आशीर्वाद प्राप्त करने का सौभाग्य मिला है।वर्ष 2007 में, श्री श्री श्री शिवकुमार स्वामी जी के शताब्दी वर्ष उत्सव समारोह के अवसर पर हमारे पूर्व राष्ट्रपति डॉ० ए.पी.जे. अब्दुल कलाम टुमकुर गए थे। कलाम साहब ने इस मौके पर पूज्य स्वामी जी के लिए एक कविता सुनाई थी। उन्होंने कहा : + +जब हम सुनते हैं कि हिमाचल प्रदेश में समुद्र तल से 15,000 फीट की ऊँचाई वाले क्षेत्र में भी मतदान केंद्र स्थापित किया जाता है, तो अंडमान और निकोबार के द्वीप समूह में दूर-दराज के द्वीपों में भी वोटिंग की व्यवस्था की जाती है। और आपने गुजरात के विषय में तो जरुर सुना होगा कि गिर के जंगल में, एक सुदूर क्षेत्र में, एक पोलिंग बूथ, जो सिर्फ केवल 1 मतदाता के लिए है। कल्पना कीजिए… केवल एक मतदाता के लिए।जब इन बातों को सुनते हैं तो चुनाव आयोग पर गर्व होनाबहुत स्वाभाविक है।उस एक मतदाता का ध्यान रखते हुए, उस मतदाता को उसके मताधिकार का उपयोग करने का अवसर मिले, इसके लिए, चुनाव आयोग के कर्मचारियों की पूरी टीम दूर-दराज़ क्षेत्र में जाती है और वोटिंग की व्यवस्था करते हैं- और यही तो हमारे लोकतंत्र की ख़ूबसूरती है। + +इस साल हमारे देश में लोकसभा के चुनाव होंगे, यह पहला अवसर होगा जहाँ 21वीं सदी में जन्मे युवा लोकसभा चुनावों में अपने मत का उपयोग करेंगे। उनके लिए देश की ज़िम्मेदारी अपने कन्धों पर लेने का अवसर आ गया है। अब वो देश में निर्णय प्रक्रिया के हिस्सेदार बनने जा रहे हैं। ख़ुद के सपनों को, देश के सपनों के साथ जोड़ने का समय आ चुका है। मैं युवा-पीढ़ी से आग्रह करता हूँ कि अगर वे मतदान करने के लिए पात्र हैं तो ख़ुद को ज़रूर मतदाता के  रूप में register करवाएँ। हम में से प्रत्येक को अहसास होना चाहिए कि देश में मतदाता बनना, मत के अधिकार को प्राप्त करना, वो जीवन की महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। साथ-साथ मतदान करना ये मेरा कर्त्तव्य है – ये भाव हमारे भीतर  पनपना चाहिये। जीवन में कभी किसी भी कारण से, अगर मतदान नहीं कर पाए तो बड़ी पीड़ा होनी चाहिए। कभी कहीं देश में कुछ ग़लत होता हुए देखें तो दुःख होना चाहिए। हाँ ! मैंने वोट नहीं दिया था, उस दिन मैं वोट देने नहीं गया था – इसका ही ख़ामियाजा आज मेरा देश भुगत रहा है। हमें इस ज़िम्मेदारी का अहसास होना चाहिए। ये हमारी वृत्ति, ये हमारी प्रवृत्ति बननी चाहिये। ये हमारे संस्कार होने चाहिए।मैं देश की जानी-मानी हस्तियों से आग्रह करता हूँ कि हम सब मिलकर voter registration हो, या फिर मतदान के दिन वोट देना हो, इस बारे में अभियान चलाकरके लोगों को जागरूक करें। मुझे उम्मीद है कि भारी संख्या में युवा मतदाता के रूप में पंजीकृत होंगे और अपनी भागीदारी से हमारे लोकतंत्र को और मजबूती प्रदान करेंगे। + +जब मैं लाल किले में, क्रान्ति मंदिर में, वहाँ नेताजी से जुड़ी यादों के दर्शन कर रहा था तब मुझे नेताजी के परिवार के सदस्यों ने एक बहुत ही ख़ास कैप, टोपी भेंट की। कभी नेताजी उसी टोपी को पहना करते थे।मैंने संग्रहालय में ही, उस टोपी को रखवा दिया, जिससे वहाँ आने वाले लोग भी उस टोपी को देखें और उससे देशभक्ति की प्रेरणा लें।दरअसल अपने नायकों के शौर्य और देशभक्ति को नई पीढ़ी तक बार बार अलग अलग रूप से निरंतर पहुँचाने की आवश्यकता होती है।अभी महीने भर पहले ही 30 दिसंबर को मैं अंडमान और निकोबार द्वीप गया था। एक कार्यक्रम में ठीक उसी स्थान पर तिरंगा फहराया गया, जहां नेताजी सुभाष बोस ने 75 साल पहले तिरंगा फहराया था।इसी तरह से अक्टूबर 2018 में लाल किले पर जब तिरंगा फहराया गया तो सबको आश्चर्य हुआ, क्योंकि वहाँ तो 15 अगस्त को ही यह परम्परा है। यह अवसर था आजाद हिन्द सरकार के गठन के 75 वर्ष पूरे होने का। + +1942 में सुभाष बाबू ने आजाद हिन्द रेडियो की शुरुआत की थी और रेडियो के माध्यम से वो ‘आजाद हिन्द फौज’ के सैनिकों से और देश के लोगों से सवांद किया करते थे। सुभाषबाबू का रेडियो पर बातचीत शुरू करने का एक अलग ही अंदाज़ था। वो बातचीत शुरू करते हुए सबसे पहले कहतेथे – This is Subhash Chandra Bose speaking to you over the Azad Hind Radio और इतना सुनते ही श्रोताओं में मानो एक नए जोश, एक नई ऊर्जा का संचार हो उठता। + +इसी क्रांति मंदिर में एक दृश्यकला संग्रहालय भी बनाया गया है। भारतीय कला और संस्कृति बहुत ही आकर्षक तरीक़े से बताने का प्रयास यह हुआ है।संग्रहालय में 4 ऐतिहासिक exhibitions हैं और वहाँ तीन सदियों पुरानी 450 से अधिक पेंटिंग्स और art works मौजूद हैं।संग्रहालय में अमृता शेरगिल, राजा रवि वर्मा, अवनींद्र नाथ टैगोर, गगनेंद्र नाथ टैगोर, नंदलाल बोस, जामिनी राय, सैलोज़ मुखर्जी जैसे महान कलाकारों के उत्कृष्ट कार्यों का बखूबी प्रदर्शन किया गया है।और मैं आप सबसे विशेष रूप से आग्रह करूँगा कि आप वहां जाएँ और गुरुदेव रबीन्द्रनाथ टैगोर जी के कार्यों को अवश्य देखें। + +अब आप सोच रहे होंगे कि यहाँ बात कला की हो रही है और मैं आपसे गुरुदेव टैगोर के उत्कृष्ट कार्यों को देखने की बात कर रहा हूँ। आपने अभी तक गुरुदेव रबीन्द्रनाथ टैगोर को एक लेखक और एक संगीतकार के रूप में जाना होगा। लेकिन मैं बताना चाहूँगा कि गुरुदेव एक चित्रकार भी थे।उन्होंने कई विषयों पर पेंटिंग्स बनाई हैं। उन्होंने पशु पक्षियों के भी चित्र बनाए हैं, उन्होंने कई सारे सुंदर परिदृश्यों के भी चित्र बनाए हैं और इतना ही नहीं उन्होंने human characters को भी कला के माध्यम से canvas पर उकेरने का काम किया है।और खास बात ये है कि गुरुदेव टैगोर ने अपने अधिकांश कार्यों को कोई नाम ही नहीं दिया। उनका मानना था कि उनकी पेंटिंग देखने वाला खुद ही उस पेंटिंग को समझे, पेंटिंग में उनके द्वारा दिए गए संदेश को अपने नजरिए से जाने।उनकी पेंटिंग्स को यूरोपीय देशों में, रूस में और अमेरिका में भी प्रदर्शित किया गया है। + +मेरे प्यारे देशवासियों,भारत संतों की भूमि है। हमारे संतों ने अपने विचारों और कार्यों के माध्यम से सद्भाव, समानता और सामाजिक सशक्तिकरण का सन्देश दिया है।ऐसे ही एक संत थे – संत रविदास।19 फरवरी को रविदास जयंती है।संत रविदास जी के दोहे बहुत प्रसिद्ध हैं।संत रविदास जी कुछ ही पंक्तियों के माध्यम से बड़ा से बड़ा सन्देश देते थे।उन्होंने कहा था – + +मेरे प्यारे देशवासियो,किरण सिदर ने MyGov पर लिखा है कि मैं भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम और उसके भविष्य से जुड़े पहलुओं पर प्रकाश डालूं। वो मुझसे ये भी चाहते हैं कि मैं विद्यार्थियों से अंतरिक्ष कार्यक्रमों में रूचि लेने और कुछ अलग हटकर, आसमान से भी आगे जाकर सोचने का आग्रह करूँ – किरण जी, मैं आपके इस विचार और विशेष रूप से हमारे बच्चों के लिए दिए गए संदेश की सराहना करता हूँ। + +कुछ दिन पहले, मैं अहमदाबाद में था, जहाँ मुझे डॉक्टर विक्रम साराभाई की प्रतिमा के अनावरण का सौभाग्य मिला। डॉक्टर विक्रम साराभाई का भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में एक महत्वपूर्ण योगदान रहा है।हमारे space programme में देश के असंख्य युवा वैज्ञानिकों का योगदान है। हम इस बात का गर्व करते हैं कि आज हमारे students द्वारा develop किए गए सैटेलाइट्स और Sounding Rockets अंतरिक्ष तक पहुँच रहे हैं। इसी 24 जनवरी को हमारे विद्यार्थियों द्वारा बनाया गया ‘कलाम – सेट’launch किया गया है। ओडिशा में यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों द्वारा बनाए गए Sounding Rockets ने भी कई कीर्तिमान बनाए हैं।देश आज़ाद होने से लेकर 2014 तक जितने Space Mission हुए हैं, लगभग उतने ही Space Mission की शुरुआत बीते चार वर्षों में हुई हैं। हमने एक ही अंतरिक्ष यान से एक साथ 104 Satellites लॉन्च करने का वर्ल्ड रिकॉर्ड भी बनाया है। हम जल्द ही Chandrayaan-2 अभियान के माध्यम से चाँद पर भारत की मौजूदगी दर्ज कराने वाले हैं। + +हमारा देश, स्पेस टेक्नोलॉजी का उपयोग जानमाल की रक्षा में भी बख़ूबी कर रहा है। चाहे साइक्लोन हो, या फिर रेल और सड़क सुरक्षा, इन सब में स्पेस टेक्नोलॉजी से काफी सहायता मिल रही है। हमारे मछुआरे भाइयों के बीच NAVICdevices बांटे गए हैं,जो उनकी सुरक्षा के साथ-साथ आर्थिक तरक्कीमें भी सहायक है।हम स्पेस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल सरकारी सेवाओं की delivery और accountability को और बेहतर करने के लिए कर रहे हैं। “Housing for all” यानि “सबके लिए घर” – इस योजना में 23 राज्यों के करीब 40 लाख घरों को जिओ-टैग किया गया है। इसके साथ ही मनरेगा के तहत करीब साढ़े तीन करोड़ संपत्तियों को भी जिओ-टैग किया गया।हमारे सैटेलाइट्स आज देश की बढ़ती शक्ति का प्रतीक हैं। दुनिया के कई देशों के साथ हमारे बेहतर संबंध में इसका बड़ा योगदान है। साउथ एशिया सैटेलाइटस तो एक अनूठी पहल रही है, जिसने हमारे पड़ोसी मित्र राष्ट्रों को भी विकास का उपहार दिया है। अपनी बेहद competitive launch services के माध्यम से भारत आज न केवल विकासशील देशों के, बल्कि विकसित देशों के सैटेलाइटस को भी launch करता है।बच्चों के लिए आसमान और सितारे हमेशा बड़े आकर्षक होते हैं। हमारा Space Programme बच्चों को बड़ा सोचने और उन सीमाओं से आगे बढ़ने का अवसर देता है, जो अब तक असंभव माने जाते थे।यह हमारे बच्चों के लिए सितारों को निहारते रहने के साथ-साथ, नए-नए सितारों की खोज करने की ओर प्रेरित करने का vision है। + +मेरे प्यारे देशवासियों,मै हमेशा कहता हूँ, जो खेले वो खिले और  इस बार के खेलो इंडिया मेंढ़ेर सारे तरुण और युवाखिलाड़ी खिल के सामने आए हैं।जनवरी महीने में पुणे में खेलो इंडिया यूथ गेम्स में 18 गेम्स में करीब 6,000 खिलाड़ियों ने भाग लिया।जब हमारा sports का local ecosystem मजबूत होगा यानी जब हमारा base मजबूत होगा तब ही हमारे युवा देश और दुनिया भर में अपनी क्षमता का सर्वोत्तम प्रदर्शन कर पाएंगे। जब local level पर खिलाड़ी best प्रदर्शन करेगा तब ही वो global level पर भी best प्रदर्शन करेगा।इस बार ‘खेलो इंडिया’ में हर राज्य के खिलाड़ियों ने अपने-अपने स्तर पर अच्छा प्रदर्शन किया है। मेडल जीतने वाले कई खिलाड़ियों का जीवन ज़बर्दस्त प्रेरणा देने वाला है। + +मुक्केबाज़ी में युवा खिलाड़ी आकाश गोरखा ने सिल्वर मेडल जीता। मैं पढ़ रहा था आकाश के पिता रमेश जी,  पुणे में एक कॉम्प्लेक्स में बतौर watchman का काम करते हैं। वे अपने परिवार के साथ एक parking shed में रहतेहैं। वहीं महाराष्ट्र की अंडर-21 महिला कबड्डी टीम की कप्तान सोनाली हेलवी सतारा की रहने वाली है। उन्होंने बहुत कम उम्र में ही अपने पिता को खो दिया और उनके भाई और उनकी माँ ने सोनाली के हुनर को बढ़ावा दिया। अक्सर ऐसा देखा जाता है कि कबड्डी जैसे खेलों में बेटियों को इतना बढ़ावा नहीं मिलता है। इसके बावजूद सोनाली ने कबड्डी को चुना और उत्कृष्ट प्रदर्शन किया।आसनसोल के 10 साल के अभिनवशॉ,खेलो इंडिया यूथ गेम्स में सबसे कम उम्र के स्वर्ण पदक विजेता हैं।कर्नाटक से एक किसान की बेटी अक्षता बासवानी कमती ने weightlifting में स्वर्ण पदक जीता। उन्होंने अपनी जीत का श्रेय अपने पिता को दिया। उनके पिता बेलगाम में एक किसान हैं।जब हम इंडिया के निर्माण की बात कर रहे हैं तो वो युवा शक्ति के संकल्प का ही तो न्यू इंडिया है। खेलो इंडिया की ये कहानियाँ बता रही है कि न्यू इंडिया के निर्माण में सिर्फ बड़े शहरों के लोगों का योगदान नहीं है  बल्कि छोटे शहरों, गाँव, कस्बों से आने वाले युवाओं-बच्चों, young sporting talents,उनका भी बहुत बड़ा योगदान है। + +मेरे नन्हे-मुन्ने साथियो, परीक्षाओं के दिन आने वाले हैं।हिमाचल प्रदेश के निवासी अंशुल शर्मा ने MyGov पर लिखा है कि  मुझे परीक्षाओं और Exam Warriors के बारे में बात करनी चाहिए।अंशुल जी, यह मुद्दा उठाने के लिए आपको धन्यवाद।हां, कई परिवारों के लिए साल का पहला हिस्सा Exam Season होता है।विद्यार्थी, उनके माता-पिता से लेकर शिक्षिक तक, सारे लोग परीक्षाओं से सम्बंधित कार्यों में व्यस्त रहते हैं। + diff --git a/pm-speech/549.txt b/pm-speech/549.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..ee7e215dfa4bc0442988dad316c0ba594764ca49 --- /dev/null +++ b/pm-speech/549.txt @@ -0,0 +1,4 @@ +भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच व्‍यापार लगातार बढ़ रहा है और 2017-18 के दौरान 10 बिलियन डॉलर को पार कर चुका है। 2018 में दो बड़ी व्‍यवसाय पहलों ने इसमें सहायता की है। इनमें से एक अप्रैल 2018 में जोहान्‍सबर्ग में आयोजित भारत दक्षिण अफ्रीका व्‍यवसाय सम्‍मेलन था। दूसरा इन्‍वेस्‍ट इन इंडिया बिजनेस फोरम था, जिसका आयोजन भी नवम्‍बर 2018 में जोहान्‍सबर्ग में हुआ था। + +इससे पहले, गुजरात के मुख्‍यमंत्री के रूप में मेरी पहले की भूमिका में मैं दक्षिण अफ्रीका के प्रमुख प्रतिभागियों का स्‍वागत कर प्रसन्‍न था। यह संतोष की बात है कि पिछले सप्‍ताह आयोजित वाइब्रेंट गुजरात ने एक बार फिर बड़ी संख्‍या में दक्षिण अफ्रीका से हमारे मित्रों एवं साझेदारों का स्‍वागत किया है। एक दिन तो विशेष रूप से ‘’अफ्रीका दिवस’’ के रूप में चिन्हित किया गया। + diff --git a/pm-speech/550.txt b/pm-speech/550.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..00c8ed7807e44946a90af6880be6813922a4199b --- /dev/null +++ b/pm-speech/550.txt @@ -0,0 +1,8 @@ +साथियों, आज भारत अनेक मामलों में दुनिया की अगुवाई करने की स्थिति में है। International solar alliance यानि ISA ऐसा ही एक मंच है। इसके माध्‍यम से हम दुनिया को one world, one sun , one grid उस तरफ ले जाना चा‍हते हैं। ये हमारे उस लक्ष्‍य का भी हिस्‍सा है जिसके तहत हम भारत की समस्‍याओं के ऐसे समाधान तैयार कर रहे हैं जिससे दूसरे देशों की मुश्किले भी हल हो सके।local solution global application के approach के साथ हम काम कर रहे हैं। Reform, perform, transform और सबका साथ-सबका विकास के सूत्र पर चलते हुए देश ने बीते साढ़े चार वर्षों में क्‍या पाया इसकी एक तस्‍वीर मैं आपके सामने रखना चाहता हूं। + +साथियों, सरकार का पूरा प्रयास है कि आप सभी जहां भी रहें सुखी रहें और सुरक्षित रहें। बीते साढ़े चार वर्षों के दौरान संकट में फसे 2 लाख से ज्‍यादा भारतीयों को  सरकार के प्रयासों से दुनिया के भिन्‍न-भिन्‍न देशों में मदद पहुंचाई गई है। आपकी सोशल सिक्‍योरिटी के साथ-साथ पासपोर्ट, वीजा, पीआईओ और ओसीआई कार्ड को लेकर भी तमाम प्रक्रियाओं को आसान करने की कोशिश सरकार कर रही है। प्रवासी भारतीयों के लिए कुछ महीने पहले ही एक नया कदम भी उठाया गया है। दुनिया भर में हमारी एम्‍बेसिस और कांउसलेटस को पासपोर्ट सेवा प्रोजेक्‍ट से जोड़ा जा रहा है। इससे आप सभी के लिए पासपोर्ट सेवा से जुड़ा एक centralize system तैयार हो जाएगा। बल्कि अब तो एक कदम आगे बढ़ते हुएchip based E-passport जारी करने की दिशा में भी काम चल  रहा है। + +मैं विशेष रूप से आज उत्‍तर प्रदेश सरकार को भी बधाई देना चाहता हूं आमतौर पर किसी राज्‍य में प्रवासी भारतीय दिवस का इतना बड़ा कार्यक्रम लेना हो, दुनिया के इतने मेहमान आने वाले हो, तो उस राज्‍य को बहुत मेहनत करनी पड़ती है, बहुत योजना करनी पड़ती है। करीब-करीब एक साल उसमें लग जाता है। और एक कार्यक्रम करने के बाद एक साल थकान उतरने में चला जाता है। मैं उत्‍तर प्रदेश को इसलिए बधाई देता हूं कि कुंभ जितना बड़ा कार्यक्रम चल रहा हो, इतनी बड़ी व्‍यवस्‍था लगी हुई हो, कुंभ मेले की तैयारी में 2-3 साल लगातार काम करना पड़ता है। और मुझे संकोच हो रहा था कि कुंभ के मेले की जिम्‍मेदारी उत्‍तर प्रदेश के पास है, सारी सरकारी मशीनें उसमें व्‍यस्‍त हैं। 10 करोड़ लोग वहां आने की संभावना है। ऐसे में काशी में यह कार्यक्रम करें या न करें। मेरे मन में झिझक थी लेकिन मैं योगी जी को, उनकी पूरी टीम को, उत्‍तर प्रदेश के प्रशासन और शासन को हृदय से बधाई देता हूं कि उन्‍होंने एक साथ दो इतने बड़े कार्यक्रम इस बात ने दुनिया को इस बात का परिचय करा दिया है कि उत्‍तर प्रदेश की Government, उत्‍तर प्रदेश की bureaucracy, उत्‍तर प्रदेश के मुलाजिम यह भी दुनिया में किसी से कम नहीं है। और इसलिए मैं उनका विशेष अभिनन्‍दन करता हूं। + +मैं काशीवासियों को सिर झुका करके प्रणाम करना चाहता हूं, क्‍योंकि मैंने प्रवासी भारतीय दिवस को गुजरात में भी किया हुआ है। और शायद गुजरात के मुख्‍यमंत्री कहो या आज प्रधानमंत्री के पद पर देखो, शायद हिन्‍दुस्‍तान में एक ऐसा इंसान हूं जो करीब-करीब सभी प्रवासी भारतीय दिवस के कार्यक्रम में उपस्थित रहा हूं। जब मुख्‍यमंत्री थातब भी आता था, प्रधानमंत्री के बाद तो दायित्‍व बना है। एक बार सिर्फ मैंने वीडियो कॉन्‍फ्रेंस से शरीक हुआ था, otherwise मैं physically ही जाता हूं। मैंने इतने कार्यक्रम देखे हैं। गुजरात में भी मैं मेज़बान था, लेकिन काशी ने जिस प्रकार से इस कार्यक्रम को सरकारी कार्यक्रम नहीं बनने दिया, जनता जनार्दन का कार्यक्रम बन गया, हर काशीवासी ने इसे अपना कार्यक्रम बना लिया। करीब-करीब चार सौ लोग परिवारों में ठहरे हैं और यहां की tent city का नजारा ऐसा है कि मुझे बताया गया कि कई लोग जो होटल में ठहरे थे, वो होटल छोड़ करके tent city का मजा लेने चले आए हैं। एक नया अनुभव करने के लिए चले आए। मैं समझता हूं और पिछले दो महीने से मैं लगातार देख रहा था। काशीवासियों ने काशी को एक प्रकार से ग्‍लोबल Headquarter बना दिया हो ऐसा माहौल बना दिया था। यहां आया हुआ हर मेहमान काशीवासी को लग रहा है उसके खुद के परिवार का मेहमान है। ऐसा वातावरण प्रवासी भारतीय सम्‍मेलनों में इसके पहले मैं कभी देख नहीं पाया हूं, जो काशीवासियों ने दिखाया है। और इसलिए मैं काशीवासियों को विशेष रूप से प्रणाम करता हूं। मैं स्‍थानीय administration को भी, यहां के अधिकारियों को भी हृदय से बहुत-बहुत बधाई देता हूं कि उन्‍होंने अपने बलबूते पर इतनी बड़ी व्‍यवस्‍था को चलाया, बढ़ाया और आगे बढ़ाया। और इन सबके पीछे सुषमा जी का नेतृत्‍व और उनकी पूरी टीम यह तो अभिनंदन के हकदार है ही है। काशी का गौरव बढ़ा तो यहां के सांसद के नाते मेरी खुशी जरा चार गुना ज्‍यादा बढ़ जाती है। + diff --git a/pm-speech/551.txt b/pm-speech/551.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..c6312bbcf49765a54c0ae1f11ba5e9a129b53abf --- /dev/null +++ b/pm-speech/551.txt @@ -0,0 +1,14 @@ +मैं समझता हूं कि नेशनल फिल्‍म म्‍यूजियम से हमारी युवा पीढ़ी को काफी कुछ देखने, सीखने और समझने का अवसर मिलेगा।कुछ देर पहले मैंने भी इस म्‍यूजियम की व्‍यवस्‍थाओं को देखा है। पहले दो मंजिल जाना था, फिर मन कर गया तो तीसरी पर चले गए। मन में हो रहा था कि आप बैठे होंगे, इंतजार करते होंगे; लेकिन बना ऐसा है कि मन कर गया तो आखिर तक चले गए और इसके कारण आपके बीच आने में देर भी हो गई, आपको इंतजार भी करना पड़ा। आपको इंतजार करना पडा, इसके लिए मैं क्षमा चाहता हूं। + +साथियो, भारत के soft power की शक्ति, मैं समझता कि उसमें हमारी फिल्‍मों की बहुत बड़ी भूमिका है। ये फिल्‍में ही हैं जो पूरे विश्‍व में भारतीयता का प्रतिनिधित्‍व करती हैं। भारतीय फिल्‍में भारतीयता का आईना रही हैं। दुनिया को भी वो अपनी ओर आकर्षित करती रही हैं। हमारी फिल्‍में बॉक्‍स ऑफिस पर तो धूम मचाती रहती हैं साथ ही पूरे विश्‍व में भारत की साख बढ़ाने, भारत का brand बनाने में भी बहुत बड़ा रोल प्‍ले करती हैं। + +मैं अभी इजरायल गया था तो रात को इजरायल के प्रधानमंत्रीजी के घर में खाना खाने गया, हम दो ही लोग थे। ऐसे ही हमारा जरा दोस्‍ताना ज्‍यादा रहता है, थोड़ा तामझाम वाला कम रहता है। तो ऐसे ही बातें चल पड़ीं। अब‍ हम इतना travelling करके गए थे, लेकिन रात दो-ढाई बजे तक हम बैठे, गप्‍पे चलती रहीं हमारी, काफी बातें हुईं। तो उन्‍होंने मुझे इचक दाना-इचक दाना- पूरा गीत सुनाया जी। अब इजरायल के प्रधानमंत्री- हमारी भाषा नहीं जानते, उसका अर्थ क्‍या होता है, मालूम नहीं है; मुझे भी इचकदाना का अर्थ मालूम नहीं है, और यही तो फिल्‍म इंडस्‍ट्री की ताकत है जी। + +साथियो, सिनेमा की एक मूक ताकत, silent power ये भी है कि वो लोगों को बिना बताए, बिना ये जताए कि हम आपको ये सिखा रहे हैं, बता रहे हैं; एक नया विचार, एक नया thought  जगाने में वो अपने-आपcatalyst agent का रोल कर देता है, चीज चल पड़ती है जी। अनेक ऐसी फिल्‍में होती हैं जिन्‍हें देखकर जब लोग निकलते हैं तो अपने thought process के लिए कुछ नए seeds कुछ नए ideas ले करके निकलते हैं। + +अब आप देखिए, इन दिनों toilet जैसा विषय हो, women empowerment जैसा विषय हो, sports हों, बच्‍चों की समस्‍याओं से जुड़े पहलू हों, गंभीर बीमारियों के प्रति जागरूकता का विषय हो, या‍ फिर हमारे सैनिकों के शौर्य- आज एक से एक बेहतरीन फिल्‍में आप सबके माध्‍यम से देश तक पहुंच रही हैं। एक विचार पहुंच रहा है, एक आंदोलन पहुंच रहा है। + +साथियो, एक विषय मेरे सामने आया है और वो है piracy का। मैं समझता हूं कि piracy को ले करके आप सभी की चिंता बहुत स्‍वाभाविक है।piracy आपके श्रम और आपके सामर्थ्‍य का अपमान है और इसे रोकने के लिए सरकार cinematographअधिनियम 1952 में बदलाव करने की दिशा में तेजी से कदम उठा रही है। हम जिस संशोधन की दिशा में जा रहे हैं, उस संशोधन के बाद cam carding को सिर्फ punishable offence ही नहीं बनाया जाएगा, बल्कि इसके लिए कठोर दंड की व्‍यवस्‍था का भी प्रावधान किया जाएगा। + +अब आज जब 21वीं सदी में फिल्‍में बनाने का तरीका, टेक्‍नोलॉजी, सब कुछ बदल दिया है तो उन पुरानी बातों के बारे में जानकारी को संजोकर रखना भी बहुत आवश्‍यक है। ऐसे ही इस बारे में भी विचार की आवश्‍यकता है कि हम ऐसा क्‍या करें जिससे आने वाली पीढ़ी में विज्ञान, इनोवेशन; इसके प्रति उसका रुझान बढ़े। आपने देखा होगा, दुनिया में साइंस को बेस बना करके फिल्‍मों का एक सिलसिला चला है। भारत में उस पर बहुत कुछ करने की आवश्‍यकता है। हमारी युवा पीढ़ी को, छोटे बच्‍चों को, ये बहुत बड़ी प्रेरणा का कारण बन सकता हैं। Scientific temper बनाने के लिए इन चीजों का बहुत बड़ा रोल होता है। आप लोग biopic तो बनाते ही हैं, अलग-अलग सेक्‍टर में लोगों कोmotivate करते हैं लेकिन मुझे लगता है कि science, innovation, environment, ये ऐसे विषय हैं जिसमें हम बहुत कुछ कर सकते हैं। + diff --git a/pm-speech/552.txt b/pm-speech/552.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..a44b8c73f4fd73e9064a1ba6d0a8c4f6ff786751 --- /dev/null +++ b/pm-speech/552.txt @@ -0,0 +1,14 @@ +भाईयों और बहनों, थोड़ी देर पहले यहां आयुष्‍मान भारत, प्रधानमंत्री जन आरोग्‍य योजना उनके कुछ लाभार्थियों को कार्ड दिए गए हैं। दुनिया की इस सबसे बड़ी Health Care योजना की चर्चा आज पूरे विश्‍व में हो रही है। लोग इसे Modicare कह रहे हैं। कारण यह है कि इस योजना के तहत हर दिन देश में लगभग 10 हजार से भी ज्‍यादा गरीबों का मुफ्त ईलाज सुनिश्चित हो रहा है। अब इसको 100 दिन से थोड़ा ऊपर ही समय हुआ है। इतने कम समय में ही लगभग सात लाख गरीब मरीजों का अस्पताल में ईलाज हो चुका है। + +साथियों, बीते साढ़े चार वर्षों में दादरा नगर हवेली जैसी छोटे से क्षेत्र में एक हजार से अधिक शहरी गरीबी आवास के लिए काम किया गया है, बनाए जा चुके हैं। बीते साढ़े चार वर्षों में जिस कमेटमेंट के साथ जिस फीड और स्‍केल पर गरीबों के घर बनाने का काम चल रहा है वो अभूतपूर्व है। पहले की सरकार जहां अपने 5 साल में सिर्फ 25 लाख घर बनवा सकी थी, वहीं हमारी सरकार अब 5 साल में एक करोड़ 25 लाख से अधिक घरों का निर्माण पूरा कर चुकी है। कहां 5 साल में 25 लाख और कहां 5 साल में एक करोड़ 25 लाख से भी ज्‍यादा। + +भाईयों और बहनों, यह भी सिर्फ चार दीवारियों ही नहीं, इसमें सौभाग्‍य योजना के तहत बिजली का मुफ्त कनेक्‍शन भी मिलता है। टॉयलेट भी होता है। किचन में उज्‍जवला योजना के अंतर्गत मुफ्त LPG गैस कनेक्‍शन भी दिया जाता है। दादरा नगर हवेली की बात करूं तो यहां 13 हजार बहनों को मुफ्त गैस कनेक्‍शन दिये जा चुके हैं। इस प्रकार की तमाम सुविधाएं गरीब के आत्‍मविश्‍वास को बढ़ाने में सहायक सिद्ध हो रही है। साथियों, सामान्‍य मानव का जीवन सरल और सुगम हो इसके लिए देश के Smart व्‍यवस्‍थाओं का निर्माण हो रहा है। सिलवासा और दीव शहर को smart city बनाने के लिए अनेक योजनाओं पर काम चल रहा है। यहां सड़के हो, गलियां हो, सीवर और पानी की व्‍यवस्‍था हो, साफ-सफाई की सुविधा हो हर स्‍तर पर काम हो रहा है। थोड़ी देर पहले smart city से जुड़े अनेक प्रोजेक्‍ट का लोकार्पण और शिलान्‍यास किया गया है। + +साथियों, सिलवासा के साथ-साथ दमन और दीव भी विकास को रफ्तार दे गए हैं। दमन गंगा पर बने नये पूल, नई सीवेज लाइन और treatment plant जैसी सुविधाओं से दमन वासियों का जीवन सुगम होने वाला है। वहीं मोटी दमन में बनी सी वॉल अब सागर की लहरों से आपकी सुरक्षा करने वाली है। इससे मिट्टी के कटान की समस्‍या बहुत कम होने वाली है। साथियों पिछली बार जब मैं यहां आया था तो अनेक आदिवासी परिवारों को जमीन के पट्टे बांटे गए। आज भी कुछ साथियों को जमीन के अधिकार पत्र सौंपने का अवसर मुझे मिला है। + +भाईयों और बहनों, जमीन हों, जंगल की पैदावर हो, पढ़ाई-लिखाई हो, खेल से जुड़ी प्रतिभा हो, हर स्‍तर पर आदिवासियों के कल्‍याण के लिए व्‍यापक प्रयास किये जा रहे हैं। वंधन योजना के तहत जो जंगल की उपज है उसमें value addition और उसके उचित प्रचार-प्रयास के लिए देशभर में सेंटर बनाये जा रहे हैं। जंगल से जो उपज आदिवासी बहन-भाई इक्‍ट्ठा करते हैं उनका सही मूल्‍य मिल सके। इसके लिए समर्थन मूल्‍य का दायरा बढ़ाया गया है। + +साथियों, संस्‍कृति और गौरव, इतिहास के यह स्‍मारक हमारी भावनाओं के प्रहरी तो है ही युवाओं के लिए रोजगार के अनेक अवसर भी बनाते हैं। यह टूरिज्‍म को ताकत देते हैं। दादरा और नगर हवेली में पर्यटन के लिए बहुत संभावनाएं है। इस क्षेत्र को टूरिस्‍ट मैप पर लाने के लिए सरकार हर संभव प्रयास कर रही है। सिलवासा में बने दमन गंगा river front के पीछे की भावना भी यही है। अब यहां आने वाले पर्यटकों के लिए एक और आकर्षण का केंद्र यहां बनकर तैयार है। इसके अलावा यहां पर 200 square km का रिजर्व forest area भी है। यह forest area Tourism Industrial के लिए वरदान है। मधुबन डैम के catchment area में water sports की activity को बढ़ाया जा सकता है। दादरा और नगर हवेली की internet connectivity भी बेहतर हो इसके लिए यहां के प्रमुख टूरिस्‍ट सेंटरों और अहम जगहों पर फ्री वाई-फाई की सुविधाओं देनेका प्रयास चल रहा है। + +साथियों, टूरिज्‍म के साथ पारंपरिक रोजगार के साधनों और संसाधनों को भी मजबूती दी जा रही है। Blue revolution scheme के तहत मछुआरों की आय बढ़ाने के लिए सरकार काम कर रही है। मछुआरें बहन-भाईयों के लिए मछली पकड़ना आसान हो, मार्केट तक पहुंच आसान हो इसके लिए कौशिक की जा रही है। मछुआरों की पारिवारिक नांवों को आधुनिक मोटर बोट्स में बदलने का काम चल रहा है। मछली के उत्‍पादन से लेकर व्‍यापार तक की व्‍यवस्‍थाओं को बेहतर बनाने के लिए मछुआरों को आसान और सस्‍ते ऋण के लिए एक विशेष फंड बनाया गया है। इस फंड के माध्‍यम से करीब साढ़े सात हजार करोड़ रुपये की व्‍यवस्‍था की गई है। + diff --git a/pm-speech/553.txt b/pm-speech/553.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..3c4380baf70ad891343fabdf5a9e8510b3402af0 --- /dev/null +++ b/pm-speech/553.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की दृष्टि से हमारी गिनती अब सर्वाधिक खुले देशों में होती है। हमारी अर्थव्‍यवस्‍था के सर्वाधिक सेक्‍टर अब सिर्फ एफडीआई के लिए खुले हुए हैं। 90 प्रतिशत से भी अधिक मंजूरियां स्‍वत: या ऑटोमैटिक रूप से प्राप्‍त होती हैं। इन उपायों से हमारी अर्थव्‍यवस्‍था अब विकास के तेज पथ पर अग्रसर हो गई है। हमने 263 अरब डॉलर का प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश हासिल किया है। यह पिछले 18 वर्षों में हासिल एफडीआई का 45 प्रतिशत है। + +ऐसा इसलिए भी है क्‍योंकि हमारी गिनती अंकटाड द्वारा सूचीबद्ध शीर्ष 10 एफडीआई गंतव्‍यों में होती है। हमारे यहां वैश्विक स्‍तर का किफायती विनिर्माण परिवेश है। हमारे यहां बड़ी संख्‍या में बेहतरीन ज्ञान एवं ऊर्जा से युक्‍त कुशल प्रोफेशनल हैं। हमारे यहां विश्‍वस्‍तरीय इंजीनियरिंग आधार और बेहतरीन अनुसंधान एवं विकास सुविधाएं हैं। बढ़ते सकल घरेलू उत्‍पाद (जीडीपी), बढ़ते मध्‍यम वर्ग और उनकी क्रय क्षमता से हमारे विशाल घरेलू बाजार का और तेजी से विस्‍तारीकरण हो रहा है। पिछले दो वर्षों के दौरान हम कॉरपोरेट दृष्टि से कम टैक्‍स दर वाली व्‍यवस्‍था की ओर उन्‍मुख हुये हैं। हमने नये निवेश के साथ-साथ छोटे एवं मझोले उद्यमों के लिए टैक्‍स दर को 30 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत कर दिया है। बौद्धिक संपदा अधिकारों (आईपीआर) से जुड़े मुद्दों के लिए हमने मानक (बेंचमार्किंग) नीतियां विकसित की हैं। अब हमें भी सबसे तेज ट्रेडमार्क व्‍यवस्‍थाओं में शुमार किया जाता है। दिवाला एवं दिवालियापन संहिता की बदौलत कारोबारियों को अब लंबी जटिल एवं वित्‍तीय लड़ाइयां लड़े बगैर ही अपने व्‍यवसाय से बाहर निकलने का मार्ग मिल गया है। + +हम सड़कों, बंदरगाहों, रेलवे, हवाई अड्डों, दूरसंचार, डिजिटल नेटवर्कों और ऊर्जा सहित अगली पीढ़ी की बुनियादी ढांचागत सुविधाओं में निवेश बढ़ाने के लिए तत्‍पर हैं। हम अपने देश के लोगों की आय बढ़ाने और बेहतर जीवन स्‍तर सुनिश्चित करने के लिए अपने सामाजिक, औद्योगिक और कृषि से जुड़े बुनियादी ढांचे में भी भारी-भरकम निवेश कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, पिछले चार वर्षों के दौरान बिजली की सर्वाधिक क्षमता वृद्धि और उत्‍पादन हुआ है। पहली बार भारत बिजली का शुद्ध निर्यातक बना है। हमने बड़े पैमाने पर एलईडी बल्‍ब वितरित किये हैं। इसके परिणामस्‍वरूप ऊर्जा की व्‍यापक बचत हुई है। हमने अभूतपूर्व गति से पारेषण लाइनें बिछायी हैं। सड़क निर्माण में हमारी गति लगभग दोगुनी हो गई है। हमने प्रमुख बंदरगाहों में अभूतपूर्व क्षमता वृद्धि की है। ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क कनेक्टिविटी अब 90 प्रतिशत हो गई है। नई रेल लाइनें बिछाने, आमान परिवर्तन और रेल पटरियों का दोहरीकरण एवं विद्युतीकरण दोगुना हो गया है। हम ऑनलाइन प्रक्रिया के जरिये नियमित रूप से प्रमुख परियोजनाओं के कार्यान्‍वयन को अवरोध मुक्‍त कर रहे हैं। बुनियादी ढांचागत क्षेत्र से जुड़ी हमारी सार्वजनिक-निजी भागीदारी अब और अधिक निवेशक अनुकूल हो गई है। हमारी सरकार के पूरे कार्यकाल में जीडीपी वृद्धि दर औसतन 7.3 प्रतिशत आंकी गई है, जो वर्ष 1991 के बाद किसी भी भारतीय सरकार की सर्वाधिक आर्थिक विकास दर है। इसके साथ ही मंहगाई दर 4.6 प्रतिशत आंकी गई है जो वर्ष 1991, जब भारत ने उदारीकरण प्रक्रिया शुरू की थी, के बाद किसी भी भारतीय सरकार के कार्यकाल के दौरान न्‍यूनतम है। + diff --git a/pm-speech/554.txt b/pm-speech/554.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..2c70fbe3cf0ba881115e6c2413370d293c486632 --- /dev/null +++ b/pm-speech/554.txt @@ -0,0 +1,16 @@ +आज इस विशेष आयोजन में मैं आपके सामने लघु उद्योग सेक्टर के लिए सरकार द्वारा लिए गए 12 बड़े फैसलों पर विस्तार से बात करना चाहता हूं। पिछले कुछ हफ्तों से भारत सरकार के कई मंत्रालय मिलकर इन फैसलों तक पहुंचने में जुटे हुए थे। कई फैसलों को बीते दिनों, छोटे स्तर पर लागू करके एक ट्रायल रन भी देखा। सारी समीक्षा, सारी पड़ताल के बाद अब आज वो अवसर आया है जब मैं देश को इन 12 ऐतिहासिक फैसलों के बारे में बताना चाहता हूं। + +साथियों, ये हम सभी के लिए गौरव का विषय है कि इस बार भारत ने Ease of Doing Business Ranking में 23 रैंक की एक लंबी छलांग लगाई है। सिर्फ चार वर्ष पहले, ये सरकार बनने से पहले, हम 142वें स्थान पर थे। आज मुझे खुशी है कि हम 65 पायदान चढ़कर 77वें स्थान पर पहुंच चुके हैं और मेरा विश्‍वास है कि जिस प्रकार राज्‍य सरकार केन्‍द्र सरकार हमारे सभी विभाग एक के बाद एक कदम उठाते चले जा रहे हैं। अब टॉप-50 भी हमारी पहुंच से ज्यादा दूर है ऐसा मुझे नहीं लगता है। + +मेरी आज की आठवीं घोषणा इन्हीं फार्मा कंपनियों से जुड़ी हुई है। MSME सेक्टर की फार्मा कंपनियों को बिजनेस करने में आसानी हो, वो सीधे ग्राहकों तक पहुंच पाएं, इसके लिए अब क्लस्टर बनाने का फैसला लिया गया है। इन क्लस्टर्स पर 70% खर्च केंद्र सरकार द्वारा किए जाने का भी ऐलान करता हूं। सरकार का आज का ये फैसला फार्मा क्षेत्र में उत्पादन बढ़ाने के लिए भी बहुत अहम साबित होगा। + +अनावश्यक जांच से मुक्ति दिलाने के लिए सरकार ने ये फैसला किया है कि अब Inspectorको कहां जाना है,किस फैक्‍ट्री में जाना है। इसका निर्णय सिर्फ एक Computerized Random Allotment से ही होगा और इतना ही नहीं उसने किसी फैक्‍ट्री का visit कियाफि‍र आए फि‍र हफ्ते भर इंतजार किया के वो आता है कि नहीं आता है ये सब बंद। और उसे 48 घंटे में अपनी रिपोर्ट पोर्टल पर डालनी होगी। अब वो सिर्फ अपनी मर्जी से किसी भी जगह नहीं जा सकता। + +अब आज मैं छोटे उद्योगों के लिए पर्यावरण कानून से जुड़े एक बड़े सुधार का भी ऐलान करने जा रहा हूं। यानि ये आपका 11वां दीपावली गिफ्ट हुआ और मेरा 11वां ऐलान।ये ऐलान भी सीधे जुड़ा हुआ है आपके और सरकार के बीच आपसी विश्वास से। ये 11वां ऐलान है, Environmental Clearance की प्रक्रियाओं का सरलीकरण और Self Certificationको बढ़ावा। + +सरकार द्वारा ये भी फैसला लिया गया है कि Greenऔर White Category में आने वाले उद्यमों की संख्या और बढ़ाई जाएगी। चाहे मैं टूल रूम की बात करूं चाहे Self-Certification की बात करूं, और आपने लालकिले से प्रारंभ में मेरे मुंह से एक शब्‍द निकला था सुना होगा zero defect zero effect हम ऐसा मैन्‍युफैक्‍चरिंग करेंगे जो दुनिया के बाजार में कोई defect निकाल ही नहीं सकता। हम उस प्रकार से मैन्‍युफैक्‍चरिंग करेंगे कि हम environment पर zero effect करेंगे। हम इस मंत्र को लेकर चल रहे हैं। + +इसका एक और फायदा ये होगा कि 60 प्रतिशत से अधिक केस,जो अलग अलग विशेष अदालतों में चलरहे हैं, वो सभी अब उधर से बाहर आजाएंगे। मुझे बताया गया है कि ऐसे केसों की संख्या हजारों में नहीं लाखों में है। इस वजह से NCLT-National Company Law Tribunal के कई के सभी रीजनलडायरेक्टर्स के अधिकार मेंचलेजायें गे। ऐसा होने पर केसों की सुनवाई में और तेजी आएगी। + +सिर्फ 59 मिनट में लोन की सुविधा, GST पोर्टल के माध्यम से भी लोन, जो उद्यमी GST से जुड़े हैं उन्हें ब्याज में छूट, सस्ता Export credit, TReDS पर सारी सरकारी कंपनियों और 500 करोड़ से ज्यादा की बड़ी कंपनियों को लाने का फैसला, सरकारी खरीद में MSME’sके लिए 25 प्रतिशत की अनिवार्यता, महिला उद्यमियों से कम से कम 3 प्रतिशत खरीद की अनिवार्यता,GeM पर सभीसरकारी कंपनियों का रजिस्ट्रेशन, Technology Upgradationके लिए देशभर में 20 HUB और 100 Spokes, देश में फार्मा क्ल्स्टर्स का निर्माण, लेबर कानूनों में बदलाव, रिटर्न में आसानी, 48 घंटे में Inspection की रिपोर्ट, Environmental Clearanceसे जुड़ी प्रक्रियाओं का सरलीकरण और कंपनीज एक्ट में बड़ा फेरबदल, + diff --git a/pm-speech/555.txt b/pm-speech/555.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..1f2a2dfe3aecaf00b44fb352c2b91d6727740ede --- /dev/null +++ b/pm-speech/555.txt @@ -0,0 +1,8 @@ +आज पूरा देश सरदार वल्‍लभ भाई पटेल की स्‍मृति में राष्‍ट्रीय एकता दिवस मना रहा है। इस अवसर पर देश के कोने-कोने में भारत की एकता और अखंडता के लिए हमारे नौजवान दौड़ लगा रहे हैं। Run for Unity इसमें हिस्‍सा लेने वाले सभी प्रतिभागियों का भी मैं अभिवादन करता हूं। आपकी भारत भक्ति ही और यही भारत भक्ति की यही भावना है, जिसके बल पर हजारों वर्षों से चली आ रही हमारी सभ्‍यता फल रही है, फूल रही है। साथियों किसी भी देश के इतिहास में ऐसे अवसर आते हैं जब वो पूर्णत: का एहसास कराते हैं। आज यह वो पल होता है जो किसी राष्‍ट्र के इतिहास में हमेशा के लिए दर्ज हो जाता है और उसको मिटा पाना बहुत मुश्किल होता है। आज का यह दिवस भी भारत के इतिहास के ऐसे ही कुछ क्षणों में से एक महत्‍वपूर्ण पल है। भारत की पहचान भारत के सम्‍मान के लिए समर्पित एक विराट व्‍यक्तित्‍व का उचित स्‍थान देने का एक अधूरापन ले करके आजादी के इतने वर्षों तक हम चल रहे थे। + +भाईयों और बहनों सरदार पटेल चाहते थे कि भारत सशक्‍त, सद्र, संवेदनशील, सतर्क और समावेशी बने। हमारे सारे प्रयास उनके इसी सपने को साकार करने की दिशा में हो रहे हैं। हम देश के हर बेघर को पक्‍का घर देने की भगीरथ योजना पर काम कर रहे हैं। हम उन 18000 गांवों तक बिजली पहुंचाई है, जहां आजादी के इतने वर्षों के बाद भी बिजली नहीं पहुंची। हमारी सरकार सौभाग्‍य योजना के तहत देश के हर घर तक बिजली कनेक्‍शन पहुंचाने के लिए दिनरात काम में जुटी हुई है। देश के हर गांव को सड़क से जोड़ना, optical fiber network से जोड़ना, digital connectivity से जोड़ने का काम आज तेज गति से किया जा रहा है। देश में आज हर घर में गैस का चूल्‍हा हो, गैस का connection पहुंचे इसके प्रयास के साथ ही देश के हर घर में शौचालय की सुविधा पहुंचाने पर काम हो रहा है। + +सरकार ने दुनिया की सबसे बड़ी, जब मैं दुनिया के लोगों को बताता हूं तो उनको आश्‍चर्य होता है अमेरिका की जनसंख्‍या, मैक्सिको की जनसंख्‍या, कनाडा की जनसंख्‍या इनका सबको मिला ले और जितनी जनसंख्‍या होती है, उससे ज्‍यादा लोगों के लिए प्रधानमंत्री जन आरोग्‍य योजना, आयुष्‍मान भारत योजना लोग तो कभी-कभी उसको मोदी केयर भी कहते हैं। यह स्‍वस्‍थ्‍य भारत का निर्माण करने में मदद करने वाली योजना है। वो भारत को आयुष्‍मान करने वाली योजना है। समावेशी और सशक्‍त भारत के लक्ष्‍य को पूरा करने की कोशिश का हमारा आधार हमारा ध्‍येय मंत्र ‘सबका साथ सबका विकास’ यही हमारा ध्‍येय मंत्र है। + +भाईयों और बहनों सरदार साहब ने रियासतों को जोड़कर देश का राजनीतिक एकीकरण किया। वहीं हमारी सरकार ने जीएसटी के माध्‍यम से देश का आर्थिक एकीकरण किया है। one nation one tax का सपना साकार किया है। हम भारत जोड़ो के सरदार साहब के प्रण को निरंतर विस्‍तार दे रहे हैं। चाहे देश की बड़ी कृषि मंडियों को जोड़ने वाली ईनाम योजना हो,one nation one greed का काम हो या फिर भारत माला, सेतू भारतम्, भारत नेक जैसे अनेक कार्यक्रम हमारी सरकार देश को जोड़कर ‘एक भारत श्रेष्‍ठ भारत’ के सरदार साहब के सपने को साकार करने में जुटी है। + diff --git a/pm-speech/556.txt b/pm-speech/556.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..5ee49c54ebd58872aad2faeacb3337e87baa92b6 --- /dev/null +++ b/pm-speech/556.txt @@ -0,0 +1,12 @@ +आज दुनिया की सबसे बड़ी डायरेक्ट बेनिफिट स्कीम में से एक भारत में चल रही है। सरकारी मदद सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में पहुंचाई जा रही है। बर्थ सर्टिफिकेट से लेकर बुढ़ापे की पेंशन तक की अनेक सुविधाएं आज ऑनलाइन हैं। 300 से अधिक केंद्र और राज्य सरकार की सेवाओं को उमंग App के माध्यम से एक प्लेटफॉर्म पर लाया गया है। + +वहीं विज्ञान और प्रोद्योगिकी में इटली के पास भी समृद्ध विरासत है। Manufacturing की दुनिया में इटली का नाम उत्तम क्वालिटी के लिए जाना जाता है। इसलिए, भारत और इटली साथ मिल कर High Quality Research में अपना सहयोग और अधिक मजबूत कर सकते हैं। इस सहयोग के माध्यम से हम वैश्विक चुनौतियों के समाधान के लिए साझा Technological Solutions तैयार कर सकते हैं। + +यही कारण है कि दोनों देशों के लोगों के जीवन को बेहतर बनाने, पर्यावरण को स्वच्छ बनाने, मानव कल्याण के लिए Science और Technology में सहयोग मजबूत करना पहले की तुलना में सर्वाधि‍क आवश्यक है। मुझे इस बात की खुशी है कि दोनों देशों का वैज्ञानिक समुदाय और Business Leaders मिल कर Research और Innovation के Cutting Edge क्षेत्रों में सहयोग कर रहे हैं। Renewable Energy, Environmental Science, Neuro Science, और IT से ले कर सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण जैसे क्षेत्रों में हमारा व्यापक सहयोग है। + +दोनों देशों में आर्थिक संबंध और मजबूत करने के लिए हम इस बात पर भी सहमत हुए हैं कि Joint Commission on Economic Cooperation, JCEC के मार्गदर्शन में एक CEO फोरम का भी गठन हो। इसके साथ ही, दोनों देशों के बीच two-way investments को बढ़ाने के लिए, व्यापार करने में आ रही अड़चनों को भी दूर करने के लिए एक Fast Track Mechanism बनाने पर भी सहमति बनी है। + +साथ ही, मुझे ये बताते हुए भी प्रसन्नता हो रही है कि दोनों देश सांस्कृतिक विरासतों के संरक्षण, Renewable Energy, Life Sciences and Geo-hazards जैसे चुनिन्दा क्षेत्रों में कौशल पर आधारित Indo-Italian Centres of Excellence की स्थापना करेंगे। इनसे न सिर्फ उच्च श्रेणी के विश्वविद्यालय, अनुसंधान संस्थान और उद्योग आपस में जुड़ेंगे, बल्कि हमारे सामने आ रही चुनौतियों का तकनीकी समाधान भी निकाला जा सकेगा। + +Tech Summit की सफ़लता के लिए मैं सभी आयोजकों को हृदयपूर्वक बधाई देता हूँ। मैं इटली सरकार को भी ह्रदय से धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने एक पार्टनर देश के रूप में जुड़ने का हमारा निमंत्रण स्वीकार किया। Tech Summit के सभी Participants का भी बहुत-बहुत आभार व्‍यक्‍त करता हूं। आप सभी का योगदान और उपस्थिति इस Summit की सफलता के लिए महत्वपूर्ण रही है। + diff --git a/pm-speech/557.txt b/pm-speech/557.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..c7b325f001e9ff1924327582bbe52061e953b6d8 --- /dev/null +++ b/pm-speech/557.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +जापान और भारत के सम्बन्धों को हिन्द और प्रशांत महासागरों सी गहराई और विस्तार प्राप्त हैं। ये सम्बन्ध लोकतांत्रिक मूल्यों और स्वतंत्रताओं के प्रति और Rule of Law के प्रति साझा प्रतिबद्धता पर आधारित हैं। अपने संबंधों के आगामी विकास के लिए एक विशाल विज़न पर कल और आज आबे सान के साथ मेरी बहुत उपयोगी बातचीत हुई है। आज इस साझा विज़न पर हमने हस्ताक्षर किये हैं। कल यह हमारे भविष्य को नई रौशनी देगा। हमारे बीच पूरी सहमति है कि हम अपने सहयोग को digital partnership से cyber space तक, स्वास्थ्य से रक्षा-सुरक्षा तक और सागर से अंतरिक्ष तक, हर क्षेत्र में अबाध गति देंगे। मुझे बताया गया है कि आज जापान के निवेशकों ने भारत में 2.5 बिलियन डॉलर के नए निवेश की घोषणा की है। इससे भारत में लगभग 30 हज़ार लोगों को रोज़गार मिलेगा। इसी यात्रा के दौरान द्विपक्षीय करेन्सी स्वाप व्यवस्था पर हुई सहमति में हमारा आपसी विश्वास और हमारी आर्थिक साझेदारी की निरन्तर बढ़ती हुई नज़दीकी साफ़ तौर पर झलकते हैं। + +21वीं सदी एशिया की सदी है। लेकिन इसके रुप-स्वरुप पर प्रश्न हैं। किसका फायदा होगा, क्या करना होगा, ऐसे बहुत से सवाल हैं। लेकिन एक बात साफ है। भारत और जापान के सहयोग के बिना 21वीं सदी एशिया की सदी नहीं हो सकती। आबे सान और मैं हमारे विदेश और रक्षा मंत्रियों के बीच 2+2 Dialogue के लिए सहमत हुए हैं। इसका उद्देश्य विश्व में शांति और स्थिरता को बढ़ावा देना है। International Solar Alliance में जापान का प्रवेश, विश्व के हित में ऐसे सहयोग का एक और उज्जवल उदाहरण बनेगा। + +अगले वर्ष जापान ओसाका में G-20 Summit की मेज़बानी करेगा। अगले वर्ष रगबी World Cup भी जापान में आयोजित किया जायेगा। पहली बार यह tournament एशिया में आयोजित होगा। और फिर 2020 में Olympics ( ओलमपिक्स ) का आयोजन टोक्यो में होगा। इन सभी महत्वपूर्ण वैश्विक events के लिए, मेरी ओर से, और समस्त भारत की ओर से, हमारी हार्दिक शुभकामनाएं आपके साथ हैं। + diff --git a/pm-speech/558.txt b/pm-speech/558.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..5e89c41471c1ee901eae617cf5c07a0500f6336d --- /dev/null +++ b/pm-speech/558.txt @@ -0,0 +1,4 @@ +जापान सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में हमारे बहुत से महत्वाकांक्षी इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में सहायता दी है। हमारा वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर अब पूरा होने वाला है। ये एक साल बाद पूरी तरह Operational होने की स्थिति में पहुंच जाएगा। इसी के साथ जुड़ा हुआ हमारा दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर का जो प्रोजेक्ट है, वो भी जापान सरकार और जापान की कंपनियों के Collaboration के साथ बखूबी आगे बढ़ रहा है। + +भारत में मेरी सरकार बने हुए लगभग साढ़े चार साल हो चुके हैं। इस दौरान, बिजनेस से जुड़े जिस कार्य को मैंने अपनी Priority list में सबसे ऊपर रखा, वो है – Ease of Doing Business.। इसका नतीजा अब दुनिया के सामने है। साल 2014 में जब मैंने सरकार की बागडोर संभाली थी उस समय World Bank की Ease of Doing Business रैकिंग में भारत का स्थान 142वां होता था। अब हम सौंवी रैंक पर हैं और अब भी रैंकिंग में सुधार के लिए बहुत व्यापक स्तर पर काम कर रहे हैं। फ़ेडरल गवर्नमेंट के स्तर पर, स्टेट गवर्नमेंट के स्तर पर, लोकल गवर्नमेंट के स्तर पर हम एक के बाद एक कदम उठा रहे है. आने वाले वर्षों में हमें इसके और भी अच्छे परिणाम मिलेंगे। + diff --git a/pm-speech/560.txt b/pm-speech/560.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..38f9be5a9d1550618f43088e27286e3d5f42bbb3 --- /dev/null +++ b/pm-speech/560.txt @@ -0,0 +1,14 @@ +सर्वे संतु निरामया, के हमारे पुरातन मूल्यों के प्रति हम समर्पित हैं। हमारी सरकार ने तो सिर्फ इतना बदलाव किया है कि दुनिया को, भारत के चश्मे देखा जाए। और चश्मों से भारत को मत देखिये।हमारी सरकार Indian Solution, Global Application की भावना के साथ निरंतर काम कर रही है। हम पहले भारत की समस्याओं का समाधान कर रहे हैं और फिर उस मॉडल को दुनिया के दूसरे देशों के लिए प्रस्तुत कर रहे हैं। + +साथियों, आपको ये जानकर गर्व होगा कि जनधन, आधार और मोबाइल, यानि JAM की Trinity से जो ट्रांसपेरेंसी भारत में आई है, उससे अब दुनिया के दूसरे विकासशील देश भी प्रेरित हो रहे हैं। भारत में बनाए गए इस सिस्टम की स्टडी की जा रही है। इसके अलावा Digital Transaction की हमारी आधुनिक व्यवस्था, जैसे BHIM App और Rupay Card, इनको लेकर भी दुनिया के अनेक देशों में उत्सुकता है। मुझे बताया गया है कि जापान भी अब Less Cash Economy की तरफ प्रयास बढ़ा रहा है। आपको ये जानकर खुशी होगी कि भारत आज इस दिशा में बहुत आगे निकल चुका है। बीते चार वर्षों के दौरान ही UPI, BHIM और दूसरे Digital Platforms के माध्यमों से डिजिटल लेनदेन में करीब- करीब 7 गुना की बढोतरी हुई है। वहीं Financial Inclusion को भारत Next Level पर ले जा रहा है और गांव-गांव तक Post Offices के माध्यम से Financial Services की होम डिलिवरी की जा रही है। आपने बचपन में डाकिया देखा है, आज वह डाकिया बैंकर बन गया है। + +साथियों, आज भारत Digital Infrastructure के मामले में अभूतपूर्व तरक्की कर रहा है। गांव-गांव तक Broadband Connectivity पहुंच रही है औरसौ करोड़ से भी अधिक मोबाइल फोन आज भारत में एक्टिव हैं। कभी कभी तो कहां जाता है कि भारत की जनसंख्या से ज़्यादा मोबाईल फ़ोन्स हैं। भारत में 1GB डेटा कोल्ड ड्रिंक की छोटी से छोटी Bottle से भी सस्ता है। यही सस्ता डेटा आज सर्विस डिलिवरी का प्रभावी माध्यम बन रहा है। वहीं मेक इन इंडिया आज Global Brand बनकर उभरा है। आज हम ना सिर्फ भारत के लिए बल्कि दुनिया के लिए बेहतरीन Product बना रहे हैं। विशेषतौर पर Electronics और Automobile Manufacturing में भारत Global हब बनता जा रहा है। Mobile Phone Manufacturing में तो हम नंबर वन बनने की तरफ तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं। + +साथियों, Make in India की सफलता के पीछे वो माहौल है जो बीते चार वर्षों में बिजनेस के लिए बना है। Ease of Doing Business Ranking में हमने 40 अंकों से अधिक की छलांग लगाई है। Global Competitive  में हमने इस वर्ष भी 5 पायदान का सुधार किया है। वहीं Innovation के मामले में तो आज हम दुनिया के अग्रणी देशों की सूची में शामिल हो चुके हैं। यही कारण है कि भारतStart Up के मामले में दूसरा बड़ा Ecosystem बना है। + +साथियों, भारत में जो भी Innovation हो रहे हैं, जो भी समाधान तैयार हो रहे हैं, वो सस्ते तो हैं ही गुणवत्ता के मामले में भी उत्तम हैं। भारत का स्पेस प्रोग्राम इसका बेहतरीन उदाहरण है। भारत दुनिया के अनेक देशों, प्राइवेट कंपनियों के सैटेलाइट बहुत ही कम खर्च पर आज स्पेस में भेज रहा है। पिछले वर्ष ही हमारे वैज्ञानिकों ने एक साथ सौ से अधिक सैटेलाइट लॉन्च करने का अभूतपूर्व रिकॉर्ड बनाया था। हमने बहुत ही कम खर्च में चंद्रयान और मंगलयान अंतरिक्ष में भेजा, अब 2022 तक भारत गगनयान भेजने की तैयारी में जुटा है। ये गगनयान पूरी तरह से भारतीय होगा और इसमें अंतरिक्ष जाने वाला भी भारतीय होगा। + +साथियों, जम़ीन से लेकर अंतरिक्ष तक ऐसे अनेक परिवर्तन आज भारत में हो रहे हैं। इन्हीं परिवर्तनों के चलते आज भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था बना है। इन्हीं बदलावों को देखते हुए दुनिया की तमाम एजेंसियां कह रही हैं कि आने वाले दशक में दुनिया की ग्रोथ को भारत ड्राइव करेगा।भारत की इस ग्रोथ स्टोरी में जापान का, आप सभी का भी बहुत बड़ा योगदान रहने वाला है। बुलेट ट्रेन से लेकर Smart Cities तक आज जो New India का नया इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार हो रहा है उसमें जापान की भागीदारी है। भारत की Man-power, भारत की Youth Power को भी जापान की Skill का लाभ मिल रहा है। + +मैं आज आपको इस मंच से, अगले साल जनवरी में होने वाले प्रवासी भारतीय दिवस और अर्धकुंभ के लिए भी आमंत्रित करता हूं। प्रवासी भारतीय दिवस तो इस बार वाराणसी में होगा, जहां की गंगा आरती देख कर प्रधानमंत्री अबे भी मंत्रमुग्ध हो गए थे। और वाराणसी आने का निमंत्रण मैं इसलिए दे रहा हूं क्यूंकि मैं वहां का सांसद हूं। तो एक प्रकार से आप सब मेरे मेहमान हैं। दो दिन बाद विश्व के मानचित्र पर भारत अपनी नई पहचान स्थाई करने वाला है। 31 October सरदार वल्लभभाई पटेल की जन्म जयंती है। सरदार साहब  की जन्म जयंती तो हम हर बार मानते आयें हैं लेकिन इस बार पूरे विश्व का ध्यान आकर्षित होने वाला है क्यूंकि सरदार साहब की जन्म भूमि गुजरात की धरती पर सरदार साहब का दुनिया का सबसे ऊँचा statue बन रहा है। यह इतना ऊँचा है कि इसको समझने के लिए मैं कहूंगा की statue of Liberty से statue of Unity डबल ऊँचा है। सरदार साहब की प्रतिभा जितनी ऊँची थी यह प्रतिमा भी उतनी ही ऊँची बनेगी। हर हिंदुस्तानी गर्व से कह सकता है कि दुनिया का सबसे ऊँचा statue हिन्दुस्तान की धरती पर है, सरदार पटेल का है। 31 October को इसका लोकार्पण होगा। मुझे विश्वास है आप लोग जब भी भारत आएंगे आपके जापान के मित्र भारत आएंगे तो आप अवश्य उन्हें सरदार पटेल के विश्व के सबसे ऊँचे statue देखने के लिए जाने के लिए ज़रूर प्रेरित करेंगे। यही मेरा आग्रह है। + diff --git a/pm-speech/562.txt b/pm-speech/562.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..04a208831023f0af28ea16a3a09d3ceecab9abb9 --- /dev/null +++ b/pm-speech/562.txt @@ -0,0 +1,14 @@ +प्रयागराज में लगने वाले अर्धकुंभ के लिए तो अभी कुछ महीने बाकी है। लेकिन यूपी की धरती पर एक और कुंभ आज से शुरु हो गया है। यूपी के अलग-अलग गांवों से करीब 50 हज़ार किसान, देश-विदेश से आए वैज्ञानिक, उद्यमी, लखनऊ में इस कृषि कुंभ का हिस्सा बन रहे हैं। मैं आप सभी का अभिवादन करता हूं, स्वागत करता हूं। और यूपी के सांसद के नाते भी ये मेरा कर्तव्‍य बनता है कि आपके सुख-दु:ख के साथी बनकर के आपके विकास यात्रा के लिए कुछ न कुछ प्रयास करता रहूं। + +साथियों, देश भर में खरीफ का सीज़न करीब-करीब पूरा होने जा रहा है। सभी किसान भाई-बहन आजकल बहुत व्यस्त हैं। इस बार भी रिकॉर्ड उत्पादन होने की उम्मीद है। यूपी तो वो जगह है जहां के मेहनती किसानों द्वारा देश के खाद्यान्न का लगभग 20 प्रतिशत उत्पादन किया जाता है।इसके लिए मैं आप सभी का अभिनंदन करता हूं।देशभर की मंडियों में धान और दालों समेत तमाम फसलों की खरीददारी आज चल रही है। मुझे बताया गया है कि प्रदेश के अनेक हिस्सों में इसके लिए व्यापक प्रबंध भी किए गए हैं। इस बार तो किसानों को जो मूल्य मिल रहा है वो नए समर्थन मूल्य के आधार पर मिल रहा है।आप सभी की जानकारी में है कि सरकार ने रबी और खरीफ की 21 फसलों के समर्थन मूल्य में ऐतिहासिक बढ़ोतरी की है।इन फसलों पर अब लागत का कम से कम 50 प्रतिशत सीधा लाभ किसान को मिले यहतय किया गया है। + +साथियों, ये बदलाव सिर्फ धान और गेहूं की खरीद में ही नहीं बल्कि गन्ने की खरीद प्रक्रिया को लेकर भी परिवर्तन स्पष्ट दिख रहा है। इस सीज़न का करीब 27 हजार करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान किसानों को किया जा चुका है। इतना ही नहीं पिछले बकाए में से भी करीब 11 हजार करोड़ रुपए किसानों को दे दिए जा चुके हैं। मुझे बताया गया है कि चीनी मिलों पर जो बकाया है उसको भी जल्द दिलवाने का प्रयास योगी सरकार कर रही है।मुझे ये जानकर भी खुशी हुई कि यूपी सरकार ने पहली बार आलू खरीदने का भी फैसला लिया है। इससे निश्चित तौर पर उन किसानों को लाभ मिलने वाला है जिनको आलू का उचित मूल्य मिलने में समस्या आती थी। + +साथियों, मिट्टी की गुणवत्ता के साथ-साथ इसकी उपजाऊ शक्ति को बनाए रखने के लिए आर्गेनिक फॉरमिंग को प्रोत्साहन दिया जा रहा है, wasteसे जो खाद बनती है उसके अधिक उपयोग के लिए किसानों को प्रेरित किया जा रहा है। लेकिन देश की आवश्यकताओं के हिसाब से उत्पादन भी हो इसके लिए यूरिया जैसे फर्टिलाइजर की पर्याप्त उपलब्धता भी सुनिश्चित की गई है। वहीं सिंचाई की व्यवस्था को भी मजबूत किया जा रहा है। बड़े सिंचाई प्रोजेक्ट्स के अलावासिंचाई कीनई तकनीक को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। Per Drop, More Crop एक-एक बूंद से फसल को कैसे फायदा मिला। Per Drop, More Crop के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। Drip Irrigation, Sprinkler irrigation,यानि टपक सिंचाई, सूक्ष्‍म सिंचन पद्धतिजैसे वैज्ञानिक तरीके हमारी सिंचाई व्यवस्था का हिस्सा बन रहे हैं। + +साथियों, इसके साथ-साथ हम बिजली और डीजल पर चलने वाले पंपों को सोलर पंप में बदलने की तरफ तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं। इन व्यवस्थाओं के अतिरिक्त सिंचाई का बहुत बड़ा साधन हमारे पंप हैं, लिहाज़ा इसकी तरफ भी बहुत बड़ा प्रयास हो रहा है। बिजली या डीजल पर चल रहे इन पंपों को सूर्य ऊर्जा से चलने वाले सौर पंपों से बदलने का एक व्यापक अभियान चल रहा है। इसके तहत आने वाले चार वर्षों में, देशभर में करीब 28 लाख किसानों के खेतों में सोलर पंप लगाए जाने हैं।इससे किसानों को एक तो मुफ्त बिजली मिलेगी, दूसरा, जरूरत के अतिरिक्त जो बिजली पैदा होती है उसको वो बिजली वितरण कंपनियोंको बेच भी पाएंगे। + +साथियों, विज्ञान का सीधा लाभ किसान को मिले इसके लिए सरकार ने गंभीर प्रयास किए हैं। किसानों और वैज्ञानिकों से, अनुसंधान केन्‍द्रों से सीधे जोड़ने का काम किया जा रहा है। ताकि जो भी नई खोज खेती से जुड़ी हुई हो, बीज से जुड़ी हो, उसकी सही जानकारी कम से कम समय में किसान तक पहुंच सके।इसके लिए देशभर के लगभग 700 कृषि विज्ञान केन्‍द्रों को भी बहुत बड़ी भूमिका दी गई है। खेती पर रिसर्च से जुड़े आधुनिक संस्थान तैयार किए जा रहे हैं। वाराणसी में बन रहा Rice Research Centre इसी दिशा में एक बड़ा प्रयास भी है।किसान की पैदावार का अधिक दाम दिलाने के लिए Value Addition के लिए भी बड़े कदम सरकार ने उठाए हैं। Food Processing Sector में सौ प्रतिशत FDI का फैसला सरकार ने लिया है। + +हम भी जानते हैं कि टमाटर बेचें तो सस्‍ते में जाता है लेकिन टमाटर का सूप बेचें और बोतल में भरकर बेचें तो ज्‍यादा पैसे मिलता है। कच्‍चे आम का कम पैसा मिलता है लेकिन कच्‍चे आम का अचार बनाकर बेचें तो अधिक पैसा मिलता है। हरी मिर्च का कम पैसा मिलता है लकिन मिर्ची का पाउडर बनाकर बेचें तो ज्‍यादा पैसा मिलता है। यह है Value Addition. इसके अलावा, इस साल बजट में टमाटर, प्याज और आलू की पैदावार से जुड़े Value addition के लिए 500 करोड़ रुपए की राशि से TOPयोजना का भी ऐलान किया गया। इससे भी यूपी के आलू किसानों को काफी लाभ मिलेगा।इससे कृषि क्षेत्र में निवेश के रास्ते खुले हैं, जिसका बहुत बड़ा लाभ उत्तर प्रदेश को हो रहा है। मुझे बताया गया है कि यूपी Investors Summit में Food Processing sectorयानि कृषि उत्‍पादन सेक्‍टर में मूल्‍य वृद्धिमें करीब 16 हजार करोड़ रुपए के निवेश के प्रस्ताव आए थे। इसमें से साढ़े 3 हज़ार करोड़ की 14 परियोजनाओं का लोकार्पण भी हो चुका है। + diff --git a/pm-speech/564.txt b/pm-speech/564.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..b13101c8262ed54f30540465066070fbac9466aa --- /dev/null +++ b/pm-speech/564.txt @@ -0,0 +1,10 @@ +साथियों, सरकार का निरंतर यही प्रयास है कि हस्‍तशिल्‍प छोटे और मझले उद्योगों को प्रोत्‍साहित करने के लिए टेक्‍नोलॉजी से ले करके प्रचार और प्रसार को बल दिया जाए, सुविधाओं को वहां पहुंचाया जाए जहां पर product बनता है। इस बार वाराणसी में हो रहा ये India Carpet Expo इसी कड़ी में एक और बड़ा कदम तो है ही, साथ में Textile Sector के लिए हमारे Five App के vision का भी अहम स्‍तंभ है। और जब मैं Five App कहता हूं तो Five App का मतलब है Farm to Fiber, Fiber to Factory, Factory to Fashion, Fashion to Foreign ये किसान और बुनकर को सीधे दुनियाभर के मार्केट से जोड़ने की तरफ एक बहुत बड़ा प्रयास है। + +साथियो, हस्‍तशिल्‍प को लेकर भारत में एक बहुत लम्‍बी परम्‍परा है। भारत के ग्रामीण इलाकों में आज भी सूत कातने में हथकरघे की बड़ी व्‍यापकता है। बनारस की धरती का तो इसमें और भी अहम रोल रहा है। बनारस की जितनी पहचान संत कबीर से जुड़ी है, उतनी ही हस्‍तशिल्‍प से भी जुड़ी है। संत कबीर सूत भी कातते थे और उसके जरिए जीवन का संदेश भी देते थे। कबीरदास जी ने कहा है- + +पिछले वर्ष हमने 9 हजार करोड़ रुपये के कालीन निर्यात किए। इस वर्ष करीब 100 देशों को हमने कारपेट निर्यात किए हैं। ये प्रशंसनीय कार्य है लेकिन हमें इसको और आगे बढ़ाना है। हमें कोशिश करनी है कि 2022 तक, जब हमारी आजादी के 75 साल पूरे होंगे, तो हम निर्यात के इस आंकड़े को ढाई गुना से भी अधिक, 25 हजार करोड़ रुपये तक ले जाएं। + +साथियो, इस Brand को और मजबूत करने के लिए सरकार हर तरह के प्रयास के लिए प्रतिबद्ध है।Carpet Exporters को असुविधा न हो, इसके लिए logistic support को और मजबूत किया जा रहा है। देशभर में गोदाम और शोरूम की सुविधा देने की योजना पर तेजी से काम चल रहा है। इससे आप एक बड़े मार्केट तक अपने सामान को आसानी से पहुंचा पाएंगे। + +साथियो, गुणवत्‍ता के अलावा बुनकरों को, छोटे व्‍यापारियों को पैसे की दिक्‍कत न हो, इसके लिए भी अनेक प्रयास किए जा रहे हैं। मुद्रा योजना के तहत 50 हजार रुपये से ले करके 10 लाख रुपये की गारंटी फ्री ऋण से बहुत बड़ी मदद हो रही है। बुनकरों के लिए तो मुद्रा योजना में 10 हजार रुपये की margin money का भी प्रावधान किया गया है। + diff --git a/pm-speech/565.txt b/pm-speech/565.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..9c2f11b4c8972f9e8f63610637aa421fd8cd4607 --- /dev/null +++ b/pm-speech/565.txt @@ -0,0 +1,8 @@ +साथियों, ये भी दुखद है कि एक परिवार को बड़ा बनाने के लिए देश के अनेक सपूतों- वो चाहे सरदार पटेल हो, बाबा साहेब अम्‍बेडकर हों, उन्‍हीं की तरह ही नेताजी के योगदान को भी भुलाने का भरसक प्रयास किया गया है। अब हमारी सरकार स्थिति को बदल रही है। आप सभी को अब तक पता चला होगा, यहां आने से पहले मैं राष्‍ट्रीय पुलिस स्‍मारक का समर्पण करने के कार्यक्रम में था। मैंने नेताजी सुभाषचंद्र बोस के नाम पर एक राष्‍ट्रीय सम्‍मान शुरू करने की वहां पर घोषणा की है। + +हमारे देश में जब nationality calamity होती है, आपदा प्रबंधन और राहत और बचाव के काम में जो जुटते हैं, दूसरों की जान बचाने के लिए अपनी जान की बाजी लगाने वाले ऐसे शूरवीरों को, पुलिस के जवानों को अब हर साल नेताजी के नाम से एक सम्‍मान दिया जाएगा। देश की शान को बढ़ाने वाले हमारे पुलिस के जवान, पैरामिलिट्री फोर्स के जवान इसके हकदार होंगे। + +साथियो, देश का संतुलित विकास समाज के प्रत्‍येक स्‍तर पर, प्रत्‍येक व्‍यक्ति को राष्‍ट्र निर्माण का अवसर, राष्‍ट्र की प्रगति में उसकी भूमिका नेताजी के बृहद विजन का एक अहम हिस्‍सा है। नेताजी की अगुवाई में बनी आजाद हिंद सरकार ने भी पूर्वी भारत को भारत की आजादी का gateway बनाया था।अप्रैल 1944 में कर्नल शौकम मलिक की अगुवाई में मणिपुर के मोयरांग में आजाद हिंद फौज ने तिरंगा फहराया था। + +इतना ही नहीं, करीब 11,000 करोड़ रुपये का arrear भी पूर्व सैनिकों तक पहुंचाया जा चुका है, जिससे लाखों पूर्व सैनिकों को लाभ मिला है। इसके साथ-साथ सातवें वेतन आयोग की सिफारिश पर जो पेंशन तय की गई है, वो भी OROP (One Rank One Pension) लागू होने के बाद तय पेंशन के आधार पर बढ़ी है। यानि मेरे फौजी भाइयों को पेंशन पर double bonanza मिला है। + diff --git a/pm-speech/566.txt b/pm-speech/566.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..1d7a2dfc262669b5c3daa07a1e1286ebc60ad34f --- /dev/null +++ b/pm-speech/566.txt @@ -0,0 +1,18 @@ +हमारे देश के पूर्व उप-प्रधानमंत्री आदरणीय लाल कृष्‍ण आडवाणी जी, देश के गृहमंत्री माननीय श्री राजनाथ सिंह जी, मंत्रिमंडल के मेरे अन्‍य सहयोगीगण, संसद के मेरे साथी पुलिस बल के सम्‍मानित अधिकारीगण Hot Spring Incident के गवाह रहे वीर सपूत, यहां उपस्थित शहीदों के परिवारजन अन्‍य महानुभव और मेरे प्‍यारे भाईयो और बहनों… हम सभी के जीवन में कुछ क्षण ऐसे आते हैं जब आपको शौर्य को नमन करना होता है। हम गर्व से भरे होते हैं। लेकिन साथ ही अपने भीतर संवेदना का एक ज्‍वार भी महसूस करते हैं। मेरे लिए ये क्षण ऐसा ही है। + +पुलिस स्‍मृति दिवस उन साहसी पुलिस वीरों की गाथा का भी स्‍मरण है जिन्‍होंने लद्दाख की बर्फीली चोटियों में प्रथम रक्षा मंत्री का कार्य किया, अपना जीवन देश के लिए समर्पित किया। आज पुलिस बेड़े से जुड़े उन हजारों शहीदों को याद करने का भी अवसर है जिन्‍होंने आजादी से लेकर अब तक कर्तव्‍य पथ पर चलते हुए अपना सर्वस्‍व, अपनी जवानी, अपना जीवन न्योछावर कर दिया। ऐसे हर वीर वीरांगना को मैं शत-शत नमन करता हूं। हर शहीद के परिवार जिसमें से अनेक लोग यहां भी मौजूद है। मैं आप सभी के सामने भी नत-मस्‍तक हूं। जिन्‍होंने अपने देश के लिए इतना बड़ा त्‍याग किया है। + +शिला के नीचे का जल प्रवाह हमारे समाज में निरंतर बहती सदभावना का प्रतीक है। The Wall of Valour पर उन 34 हजार 844 पुलिस कर्मियों के नाम है। जिन्‍होंने देश के अलग-अलग राज्‍यों में, अलग-अलग चुनौतियों से निपटते हुए अपना सर्वोच्‍चय बलिदान दिया। मुझे विश्‍वास है कि इस मेमोरियल के नवनिर्मित्र म्‍यूजिम में रखी एक-एक वस्‍तु, एक-एक स्‍मृति यहां आने वाले हर देशवासी को, हमारे युवा साथियों को, हमारे देश के भविष्‍य, हमारे बच्‍चों को, अपनी पुलिस और Paramilitary व्‍यवस्‍था गौरवशाली इतिहास के बारे में प्रेरणा देगी। जिस प्रकार आप सभी अपने कर्तव्‍य के पथ पर दिन-रात, बिना रुके, बिना थूके अटल रहते हैं। हर मौसम में, गर्मी में, सर्दी में, बारिश में, बर्फ में हर समय, हर त्‍यौहार पर सेवा के लिए तैनात रहते हैं। कुछ यही भावना इस मेमोरियल को देखने भर से ही अपने भीतर झलकती है। + +अगर आज नक्‍सल प्रभावित जिलों की संख्‍या कम हो रही है। उन इलाकों के ज्‍यादा नौजवान मुख्‍यधारा से जुड़ रहे हैं। तो इसमें आपके प्रयासों की भी बहुत बड़ी भूमिका है। North East में डटे हमारे साथियों का शौर्य और बलिदान भी अब शांति के रूप में हम अनुभव कर रहे हैं। शांति और समृद्धि का प्रतीक बन रहे हमारे उत्‍तर पूर्व के विकास में आपका भी योगदान है। + +साथियों, ये स्‍मारक सेवा और शौर्य तो है ही साथ में ये सरकार की प्रतिबद्धता भी दर्शाता है। जिसका आधार राष्‍ट्र का प्रतीक सुरक्षा और राष्‍ट्र निर्माण से जुड़े हर भारतीय का सम्‍मान है। आज मुझे राष्‍ट्रीय पुलिस मेमोरियल पर गर्व है लेकिन कुछ सवाल भी है आखिरी इस मेमोरियल का अस्तित्‍व मानने में आजादी के 70 वर्ष क्‍यों लग गए। जिस Hot Spring Incident के बाद पुलिस स्‍मृति दिवस मनाया जाता है वो भी तो 60 वर्ष पहले की घटना है। फिर इतने वर्ष इंतजार क्‍यों। + +आपको याद होगा यहीं दिल्‍ली में पिछले साल अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर का लोकार्पण किया गया है। इस सेंटर पर चर्चा भी 1992 के आस-पास शुरू हुई थी। लेकिन दो दशक तक इसकी भी फाइल दबी रही। इस सरकार के आने के बाद फाइल खोजी गई। सेंटर का शिलान्‍यास हुआ और लोकार्पण भी हो गया। ऐसे ही बाबा साहेब आंबेडकर के घर 26, अलीपुर रोड पर नेशनल मेमोरियल बनाने का काम अटल जी के समय शुरू हुआ था। उनकी सरकार के जाने के बाद इस प्रोजेक्‍ट पर भी काम रूक गया है। हमारी सरकार आने के बाद शिलान्‍यास हुआ और इसी साल अप्रैल में उसका भी लोकार्पण करने का सौभाग्‍य मिला। मुझे खुशी है कि आज ये भव्‍य स्‍मारक दुनिया को प्रेरित कर रहा है। + +साथियों, कभी-कभी तो बड़ा गंभीर सवाल मेरे मन में उठता है। कि देश के लिए अपना सर्वस्‍व समर्पित करने वालों, वीरता और बलिदान देने वालों के प्रति पहले की सरकार की इतनी बेरूखी का कारण क्‍या है। ये तो हमारी परंपरा, हमारी संस्‍कृति का हिस्‍सा कभी नहीं रहा। हम तो वो लोग है जिन्‍होंने भूखे रहते हुए भी राष्‍ट्र की आन-बान-शान के लिए सब कुछ न्योछावर कर दिया। + +आज तकनीक ने जीवन को पूरी तरह से बदल दिया है। जाहिर है इसका असर क्राइम के तौर-तरीकों पर भी पड़ रहा है। अपराधी टेक्‍नोलॉजी को हथियार बना रहे हैं। अफवाह और साइबर क्राइम एक बड़ी चुनौती के रूप में उभर रहा है। ऐसे में दूसरी एंजेंसियों के साथ बेहतर तालमेल के अलावा पुलिस तंत्र को टेक्‍नोलॉजी और इनोवेशन का समावेश अपने काम-काज में अधिक करना पड़ रहा है। + +साथियों, इस दिशा में देश भर में अनेक सार्थक प्रयास भी हो रहे हैं। देश के अनेक राज्‍यों में सोशल मीडिया पर या फिर ऑनलाइन एफआईआर जैसी सुविधा पुलिस दे रही है। Traffic संबंधी शिकायतें भी सोशल मीडिया के माध्‍यम से हैंडिल हो रही है। ये सराहनीय कदम है। इनको हमें उस स्‍तर पर ले जाना है। कि सामान्‍य शिकायतों के लिए छोटी-छोटी वेरिफिकेशन के लिए किसी को थाने तक आने की नौबत न पड़ें। + diff --git a/pm-speech/567.txt b/pm-speech/567.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..3b67cf17a2781f88447dffd8c87261f872a5874b --- /dev/null +++ b/pm-speech/567.txt @@ -0,0 +1,16 @@ +हम सभी का ये प्रयास रहता है। कि हर वर्ष पर्व को अपनों के साथ मनाएं। मेरी भी ये कोशिश रहती है कि हर त्‍यौहार देशवासियों के बीच जाकर के मनाऊं। इसी भावना के साथ आज आप सभी के बीच उपस्थित होने का मुझे सौभाग्‍य मिला है। जिस प्रकार आप सभी दशहरे के पावन अवसर पर भारी संख्‍या में यहां मुझे आशीर्वाद देने आए हैं। और मैं देख रहा हूं कहीं जगह ही नहीं बची, आधे लोग तो धूप में खड़े हैं। मैं आप सबका और आपका यही अपनत्‍व, यही मेरी सामर्थ्‍य है कि आपके इस प्‍यार के लिए, आपका ये प्‍यार निरंतर नई ऊर्जा का संचार करता है। मुझे शक्ति देता है। + +भाईयो और बहनों शिरडी के कण-कण में साईं के मंत्र उनकी सीख है। जनसेवा, त्‍याग और तपस्‍या की जब बात आती है तो शिरडी का उदाहरण हर कोई प्रस्‍तुत करता है। ये हमारा शिरडी तात्‍या पाटिल जी की नगरी है, ये दादा कोते पाटिल जी की नगरी है। ये माधवराव देशपांडे, माल्‍सापति जैसे महापुरुष इसी धरती ने दिए हैं। काशीराम शिपि और अप्‍पा जागले साईंबाबा के अंतिम समय तक सेवा करते रहे। कोंडा जी, गवा जी और तुका राम को कौन भूल सकता है। इस पावन धरा के महान सपूतों को मैं नमन करता हूं। + +भाईयो और बहनों साईं का मंत्र है सबका मालिक एक है। सार्इं के चार शब्‍द जैसे समाज को एक करने का सूत्र वाक्‍य बन गए हैं। साईं समाज के थे और समाज साईं का था। साईं ने समाज की सेवा के कुछ रास्‍ते बताए थे और मुझे प्रसन्‍नता है कि साईंबाबा के दिखाए रास्‍ते पर श्री साईंबाबा संस्‍थान, ट्रस्‍ट निरंतर समाज की सेवा कर रहा है। + +मुझे खुशी है कि करीब-करीब आधा रास्‍ता हम इतने कम समय में पार कर चुके हैं। भाईयो और बहनों गरीब हो या मध्‍यम वर्ग का परिवार बीते चार वर्षों में उसे झुग्‍गी से, किराए के मकान से निकाल कर अपना घर देने की तरफ सरकार ने गंभीर प्रयास किए हैं। कोशिशें पहले भी हूईं है लेकिन दुर्भाग्‍य से उनका लक्ष्‍य गरीबों को घर देकर गरीबों को सशक्‍त करने की बजाय एक विशेष परिवार के नाम का प्रचार करना यही उनका मकसद था। वोट बैंक तैयार करना यही उनका मकसद था। घर अच्‍छा हो, उसमें शौचालय हो, बिजली हो, पानी हो, गैस का कनेक्‍शन हो। इस पर पहले कभी सोचा ही नहीं गया। जब किसी योजना के मूल में राजनीतिक स्‍वार्थ वो केंद्र में नहीं होता है। राजनीतिक स्‍वार्थ के बजाय सिर्फ और सिर्फ गरीब का कल्‍याण होता है तो उसके जीवन को आसान बनाने की प्रेरणा मिलती है। तब काम की गति कैसे बढ़ती है। ये आज देश के सामने जीता-जागता उदाहरण है। + +भाईयो और बहनों पहले की सरकार ने एक मकान बनाने में करीब-करीब 18 महीने लगते थे, डेढ़ साल लगता था इस सरकार में एक साल के अंदर-अंदर 12 महीने से भी कम समय में घर तैयार हो जाता है। समय तो कम हुआ ही है हमनें घर का आकार भी बढ़ाया है। इसके साथ-साथ घर बनाने के लिए सरकारी मदद को भी 70 हजार रुपये से बढ़ाकर के 1 लाख 20 हजार रुपये कर दिया गया है। सबसे अहम बात ये कि पैसे सीधे बैंक खाते में जमा हो रहे हैं। और लाभार्थियों का चयन वैज्ञानिक और पारदर्शी तरीके से हो रहा है। इतना ही नहीं ये घर टिकाऊ हो, उनमें शौचालय समेत सारी मूलभूत सुविधाएं हों। इसका भी विशेष ध्‍यान रखा जा रहा है। + +साथियों, इस योजना के तहत अब तक जो क्‍लेम दिया गया है वो औसतन प्रति व्‍यक्ति लगभग 20 हजार रुपये दिया गया है। अब आप सोचिए। हजारों की ये राशि उस गरीब को अपनी जेब से खर्च करनी पड़ रही थी। वो कर भी नहीं पाता था। इसी वजह से वो अस्‍पताल जाने से बचता था। अब सरकार उस गरीब के साथ खड़ी है। कि पैसे कि चिंता मत करिए। पहले अपना इलाज करवाइए। + +भाईयो और बहनों समाज का हर वर्ग, हर जन सुखी हों, सबका जीवन सरल और सुलभ हो इसी लक्ष्‍य के साथ सरकार काम कर रही हैं। मेरी जानकारी है कि राज्‍य के हिस्‍से हमारे महाराष्‍ट्र में वरुण देव की कृपा कुछ कम हुई है, बारिश कम हुई है। मैं आपको आशवस्‍त करता हूं कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत उसके माध्‍यम से आपको जल्‍द से जल्‍द राहत मिलेगी ही। इसके अतिरिक्‍त महाराष्‍ट्र सरकार जो कदम उठाएगी उसमें केंद्र भी कंधे से कंधा मिलाकर के पूरा सहयोग करेगी। + +साथियों, खेती के साथ-साथ सरकार टूरिज्‍म को भी बढ़ावा दे रही है। महाराष्‍ट्र में तो शिरडी जैसे आस्‍था से जुड़े बड़े स्‍थान भी, तो दूसरी तरफ अजंता एलोरा जैसे आर्कषक स्‍थान भी हैं। जहां दुनिया भर के टूरिस्‍ट खींचे चले आते हैं। आस्‍था, अध्‍यात्‍म और इतिहास को युवाओं के रोजगार से जोड़ने को एक बहुत बड़ा अभियान हमनें शुरु किया है। + diff --git a/pm-speech/569.txt b/pm-speech/569.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..decf0a5353b7b1f202a3c7fd868a92ac8a7aaf31 --- /dev/null +++ b/pm-speech/569.txt @@ -0,0 +1,12 @@ +साथियों, Police, Forensic Science और Judiciary ये तीनों ही criminal justice delivery system के अभिन्‍न अंग होते हैं। किसी भी देश में यह तीनों अंग जितने ज्‍यादा मजबूत होंगे, उतना ही वहां के नागरिक सुरक्षित होंगे और अपराधिक गतिविधियां नियंत्रण में रहेंगी। इसी सोच के साथ बीते वर्षों में गुजरात में एक holistic approach के साथ इन तीनों स्‍तंभों को विस्‍तृत करने का कार्य शुरू हुआ। रक्षा शक्ति यूनिवर्सिटी, National Law University और Forensic Science University यानि एक तरह से कानून व्‍यवस्‍था से जुड़ा complete holistic package इसी का नतीजा है कि आज रक्षा शक्ति यूनिवर्सिटी से qualified, trained students निकल रहे हैं, जो विभिन्‍न सुरक्षा बलों में जाकर internal security को मजबूत करने का काम कर रहे हैं। National Law University और Forensic Science University निकले युवा, उनकी कुशलता, जांच और न्‍यायिक प्रक्रिया को और सशक्‍त कर रही है। + +साथियों आज के बदलते समय में अपराधी अपने अपराध को छिपाने के लिए, बचने के लिए जिस तरह के तरीके को अपना रहा है, उस स्थिति में यह उतना ही महत्‍वपूर्ण है कि हर व्‍यक्ति को यह एहसास हो कि अगर वो कुछ गलत करेगा तो कभी न कभी तो पकड़ा जाएगा, सजा भुगतनी पड़ेगी। पकड़े जाने की भय की यह भावना और अदालत में उसका अपराध साबित होने का डर अपराध को नियंत्रण में रखने में बहुत मददगार साबित होता है और यही पर Forensic Science की भूमिका सबसे ज्‍यादा महत्‍वपूर्ण हो जाती है। Surety of punishment हमारे judicial system की credibility को भी और नई ताकत देती है। मैं GFSU की इस बात के लिए विशेष सराहना करता हूं कि वो वैज्ञानिक तरीके से criminal investigation और justice delivery system को मजबूत करने के लिए अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर human resource का बड़ा पूल तैयार कर रही है। सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि across the globe Law Enforcement एजेंसियां आपकी यूनिवर्सिटी से मदद मांगने के लिए आगे आ रही है। अनेक देशों को मदद करके उनके लोगों को ट्रेनिंग और consultancy देकर आपकी यूनिवर्सिटी अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर ख्‍याति प्राप्‍त कर रही है। + +मुझे बताया गया है कि पिछले पांच साल में गुजरात Forensic Science University ने छह हजार से ज्‍यादा अफसरों को ट्रेनिंग दी है। इसमें 20 से अधिक देशों के 700 से ज्यादा पुलिस अफसर भी यहां ट्रेनिंग प्राप्‍त कर चुके हैं। और अपने-अपने देश में वापस लौटकर यह अफसर अपने knowledge, और Skill का इस्‍तेमाल अपने देश और समाज को सुरक्षित रखने में आज कर रहे हैं। आप सभी के लिए प्रत्‍येक गुजरातवासी के लिए यह बहुत ही गर्व की बात है कि उसकी जमीन पर चल रही एक यूनिवर्सिटी अपनी ट्रेनिंग और education के बल पर Global Security में इतनी निर्णायक भूमिका निभा रही है। + +साथियों आज के इस दौर में यह भी बहुत आवश्‍यक है कि हर नई व्‍यवस्‍था खुद को आधुनिक तकनीक के अनुरूप ढालती रहे। निश्चित तौर पर इसमें डिजिटल टेक्‍नोलॉजी इसका महत्‍वपूर्ण योगदान है। डिजिटल टेक्‍नोलॉजी ने तो Forensic Science को नई ताकत दी है। पहले तो सारी testing, investigations physically ही करने पड़ते थे। आज डिजिटल टेक्‍नोलॉजी ने इन कार्यों को और आसान किया है और precise भी किया है। और मैं समझता हूं कि इस क्षेत्र में नये-नये सॉफ्टवेयर develop किये जाने डिजिटल tools का इस्‍तेमाल बढ़ाने का बहुत scope अभी भी है और इस दिशा मं भी ज्‍यादा विस्‍तार से सोचा जाना चाहिए। साथियों एक तरफ internet ने हम सभी के जीवन को आसान बनाने का काम किया है तो दूसरी तरफ एक नये तरह के अपराध cyber crime को भी जन्‍म मिला है। यह cyber crime देश के नागरिकों की privacy के लिए तो चुनौती है ही। हमारे financial institution हो, power stations हो, hospitals हो ऐसे सारे ऐसे महत्‍वपूर्ण अंगों को भी यह प्रभावित करते हैं। यह National Security के लिए भी, न सिर्फ हिन्‍दुस्‍तान, दुनिया के हर देश के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती है। आज इस अवसर पर मैं सभी cyber और digital expert से आग्रह करता हूं कि वो डिजिटल इंडिया मिशन का सहभागी बनकर देश और समाज को सुरक्षित करने, उसे सशक्‍त करने में मदद करे। सरकार द्वारा cyber crime को रोकने के लिए ऐसे अपराधियों में भय उत्‍पन्‍न करने के लिए जरूरी कदम उठाये गए। Cyber Forensic Labs को भी मजबूत किया गया है, लेकिन इसके साथ ही आप जैसे अनुभव expert की भी देश को बहुत-बहुत आवश्‍यकता है, जो कम समय में ऐसे अपराधियों तक पहुंचने में जांच एजेंसियों की मदद कर सकते हैं। साथियों बदलते समय के साथ सिर्फ crime ही नहीं बल्कि अलग-अलग क्षेत्रों में भी Forensic Science का महत्‍व बढ़ रहा है। जैसे insurance sector हो, insurance कंपनियों के पास अपने claim settlement के लिए अलग-अलग तरह के लोग आते हैं। उनके लिए बड़ी चुनौती होती है कि जो claim कर रहा है वो genuine है या नहीं है। Forensic Science की जानकारी इसमें उनकी मदद कर सकती है। इसी तरह अगर Health Sector में काम करने वालों को Forensic Science की knowledge होगी तो वो भी Forensic needs को ध्‍यान में रखते हुए काम करेंगे। जैसे किसी हादसे के बाद या अपराध के बाद जब जख्‍मी व्‍यक्ति अस्‍पताल पहुंचता है तो उसके साथ बहुत सारे Forensic evidence ले करके आता है। Health Sector में काम करने वालों को, nurses को, Forensic Science की अगर बेहतर समझ होने पर यह सबूत बचाने में वो काफी मदद कर सकते हैं। Forensic Science के हर छात्र के लिए human intelligence की बारीकियों को विकसित करना भी बहुत महत्‍वपूर्ण है। हो सकता है आपमें से कुछ ने यहां गुजरात और राजस्‍थान में खास करके पगी समुदाय के बारे में सुना होगा। कच्‍छ और बॉडर वाले इलाकों में एक पगी समुदाय के लोग सदियों से अपने human intelligence के लिए बहुत मशहूर रहे हैं। जैसे ऊंट के footprint देख करके बता देते हैं कि ऊंट अकेला था या उस पर कोई बैठा हुआ सवार के साथ था या सामान लगेज के साथ था और मैनें तो कहीं पढ़ा था कि जो पगी समुदाय होता है बचपन से पांचों senses को develop करने के लिए परंपरागत ट्रेनिंग उनके कुनबे में रहा करती थी और इसलिए गंभीर अपराधों को solve करने के लिए कुछ इलाकों में तो आज भी पुलिस इस प्रकार के पगी समुदाय के लोगों को बुला कर उनसे मदद भी लेती है। और मैं यूनिवर्सिटी और प्रशासन से कहना चाहूंगा कि कभी न कभी तो दुनिया में इन सारी चीजों का उपयोग हुआ है, human intelligence के द्वारा उपयोग हुआ है। क्‍या Forensic Science University कई विषयों पर काम कर रही है। Traditionally हमारे देश में Forensic Science university और पुराने जमाने की जो tradition थी , पहले जब डिजिटल टेक्‍नोलॉजी नहीं थी तो लोग finger print को मिला करके सबूत इक्‍ट्ठा करके अपना opinion देते थे। Hand writing expert हुआ करते थे वो opinion देते थे, Psychoanalysts होते थे वो psycho profile बना करके देते थे। Traditionally यह सारी चीजें थी। यह जो traditional चीजें हिन्‍दुस्‍तान में थी और हर राज्‍य में थी उसको Forensic Science University के द्वारा अगर उसको इकट्ठा किया जाए और उन traditional knowledge को आधुनिक टेक्‍नोलॉजी के साथ जोड़ करके उसे नये आयाम पर कैसे ले जाया जा सकता है, मैं समझता हूं यह न सिर्फ हिंदुस्‍तान में दुनिया में हर देश के पास ऐसी कोई न कोई विद्या है। उस विधा का अगर उपयोग किया जाएगा तो हम इन चीजों को बहुत आगे बढ़ा सकते हैं। उदाहरण के तौर पर जो psycho-profile तैयार करते हैं, Psychoanalysis करते हैं। किसी जमाने में वो मिल करके बात कर करके उनके परिवार जनों से पूछ-पूछ करके तय करते थे। आज टेक्‍नोलॉजी के माध्‍यम से हो जाता है। जैसे traditional knowledge ने, plus technology ने efficiency लाई है, perfection लाया है, मैं समझता हूं हमारे Forensic Science university research का एक क्षेत्र भी होना चाहिए कि traditional knowledge, human intelligence और modern technology इन दोनों को मिला करके हम इस क्षेत्र में किस प्रकार से काम कर सकते हैं, उस दिशा में भी हमारी यूनिवर्सिटी को काम करना चाहिए। + +अब जैसे आपने पिछले दिनों अखबारों में पढ़ा होगा मध्‍य प्रदेश के मंदसौर में एक अदालत ने सिर्फ दो महीने की सुनवाई के अंदर-अंदर नाबालिग पर बलात्‍कार करने वाले दो बलात्‍कारियों को, राक्षसों को फांसी की सजा सुना दी सिर्फ दो महीने में, इससे पहले मध्‍य प्रदेश के कटनी में एक अदालत ने सिर्फ पांच दिन में सुनवाई के बाद इन राक्षसों को फांसी की सजा दे दी। राजस्‍थान में भी अदालतों ने ऐसी ही त्‍वरित कार्रवाई की है। रेप जैसे जघन्‍य अपराधों में हमारी अदालतें तेज गति से फैसले लें इसके लिए Forensic Science और आप जैसे expert बहुत बड़ी सेवा कर सकते हैं। बहुत बड़ा प्रभाव पैदा कर सकते हैं। सरकार ने कानून को कड़ा किया, पुलिस ने जांच की लेकिन Forensic Science ने अदालत को जल्‍द फैसला लेने का एक मजबूत scientific support system दिया। न्‍यायिक प्रक्रियाओं में इस तरह की तेजी और अपराधियों के बचने का कोई भी मौका न दे और मैं मानता हूं कि आपकी योग्‍यता बड़े से बड़े गंभीर अपराधों को भी नियंत्रित करने में समाज की बहुत बड़ी सेवा करते हैं। + +साथियों Forensic Science को देश के हर राज्‍य में ज्‍यादा से ज्‍यादा मजबूत किया जाने उसके विस्‍तार किये जाने पर सरकार लगातार कार्य कर रही है। इसी कड़ी में देश के पुलिस बल की आधुनिकिकरण की योजना के तहत सरकार ने गुजरात Forensic Science University को upgrade करने के प्रस्‍ताव को भी मंजूरी दे दी है। अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर और क्षेत्रीय स्‍तर पर centre of excellence और नये institute की स्‍थापना के लिए काम शुरू किया गया है। इस प्रोजेक्ट पर 300 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे जिसमें से 60 प्रतिशत राशि केंद्र सरकार द्वारा दी जाएगी। और मुझे खुशी है कि गुजरात सरकार भी इस प्रोजेक्ट के लिए अपनी तरफ से लगभग 50 करोड़ रुपए जारी कर चुकी है। इस राशि का इस्तेमाल Forensic Science तकनीकों के आधुनिकिकरण और उन्हें विस्तार देने में किया जाएगा। + diff --git a/pm-speech/570.txt b/pm-speech/570.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..afcd980d9ede1dbfa9c0e7b1eb704f8129305f5f --- /dev/null +++ b/pm-speech/570.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +दिल्‍ली से एक रुपया निकलता है तो गरीब के घर में पूरे-पूरे 100 पैसे पहुंच जाते हैं, इसलिए ये संभव हो रहा है। और इस सरकार में हिम्‍मत है कि इतने टी वी वालों की हाजिरी में, इतने अखबार वालों की हाजिरी में, इतनी बड़ी जनमेगनी के सामने, और जब पूरा देश टीवी पर देख रहा है, तब हिम्‍मत के साथ किसी मां को पूछ सकता हूं कि आपको किसी को रिश्‍वत तो नहीं देनी पड़ी? किसी ने दलाली तो नहीं ली है? + diff --git a/pm-speech/571.txt b/pm-speech/571.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..44acc0ce400070723d26d6f9d3f4deed3ee59dcb --- /dev/null +++ b/pm-speech/571.txt @@ -0,0 +1,36 @@ + भाइयों-बहनों, देश की अपेक्षाएं बहुत हैं, देश की आवश्‍यकताएं बहुत हैं और उसको पूरा करना, सरकार हो, समाज हो, केंद्र सरकार हो, राज्‍य सरकार हों, सबको मिलजुल कर प्रयास करना ये निरंतर आवश्‍यक होता है और उसी का परिणाम है, आज देश में कैसा बदलाव आया है। देश वही है, धरती वही है, हवाएं वही हैं, आसमान वही है, समन्दर वही है, सरकारी दफ्तर वही हैं, फाइलें वही हैं, निर्णय प्रक्रियाएं करने वाले लोग भी वही हैं।लेकिन चार साल में देश बदलाव महसूस कर रहा है। देश एक नई चेतना, नया उमंग, नए संकप, नई सध, नया पुषाथ, उसको आगे बढ़ा रहा है और तभीतो आज देश दोगुना Highway बना रहा है। देश चार गुना गांव में नए घर बना रहा है। देश आज Record अनाज का उपादन कर रहा है, तो देश आज Record Mobile phone का Manufacturing भी कर रहा है। देश आज Record ट्रैक्टर की खरीद हो रही है। गांव का किसान ट्रैक्टर, Record ट्रैक्टर की खरीदी हो रही है, तो दूसरी तरफ देश में आज आज़ादी के बाद सबसे ज्यादा हवाई जहाज खरीदने का भी काम हो रहा है। देश आज स्कूलों में शौचालय बनाने पर भी काम कर रहा है, तो देश आज नए IIM, नए IIT, नए AIIMS इसकी स्थापना कर रहा है। देश आज छोटे-छोटे स्थानों पर नए Skill Development के Mission को आगे बढ़ाकर के नए-नए Centre खोल रहा है तो हमारे tier 2, tier 3 cities में Start-up की एक बाढ़ आई हुई है, बहार आई हुई है। + +मैं गुजरात से आया हूं। गुजरात में एक कहावत है। ‘निशान चूक माफ लेकिन नहीं माफ नीचू निशान’। यानि Aim बड़े होने चाहिए, सपने बड़े होने चाहिए।उसके लिये मेहनत करनी पड़ती है, जवाब देना पड़ता है, लेकन अगर लक्ष्य बड़े नहीं होगें, लक्ष्यदूर के नहीं होगें, तो फिर फैसले भी नहीं होते हैं। विकास की यात्रा भी अटक जाती है। और इसलिये मेरे प्यारे भाइयों-बहनों, हमारे लिये आवश्यक है कि हम बड़े लक्ष्यलेकर के संकल्प के साथ आगे बढ़ने की दिशा में प्रयास करे। जब लक्ष्य ढुलमुल होते हैं, हौसले बुलंद नहीं होते हैं, तो समाज जीवन के जरूरी फैसले भी सालों तक अटके पड़े रहते हैं। MSP देख लीजिये,इस देश के अर्थशास्‍त्री मांग कर रहे थे, किसान संगठन मांग कर रहे थे, किसान मांग कर रहा था, राजनीतिकदल मांग कर रहे थे, कि किसानों को लागत का डेढ़ गुना एमएसपी मिलना चाहिए। सालों से चर्चा चल रही थी , फाइले चलती थीं, अटकती थीं, लटकती थीं, फटकती थीं, लेकिन हमने फैसला लिया। हिम्मतकेसाथ फैसला लिया कि मेरे देश के किसानों को लागत का डेढ़ गुना MSP दिया जाएगा। + +मेरे प्‍यारे भाइयों और बहनों, हम यह कैसे भूल सकते हैं कि आज वैश्विक अर्थव्‍यवस्‍था के इस कालखण्ड में पूरी दुनिया भारत की हर बात को देख रही है, आशा अपेक्षा से देख रही है। इसलिए भारत की छोटी-छोटी चीज़ों को, बड़ी चीज़ों को भी विश्व बड़ी गहराई के साथ देखता है। आप याद करिए 2014 के पहले दुनिया की गणमान्‍य संस्‍थाएं, दुनिया के गणमान्‍य अर्थशास्‍त्री, दुनिया में जिनकी बात को अधिकृत माना जाता है, ऐसे लोग कभी हमारे देश के लिए क्‍या कहा करते थे। वो भी एक ज़माना था जब दुनिया से आवाज उठती थी, विद्वानों से आवाज़ उठती थी कि हिन्‍दुस्‍तान की economy risk भरी है। उनको risk दिखाई देता था। लेकिन आज वही लोग, वही संस्‍थाएं, वही लोग बड़े विश्‍वास के साथ कह रहे हैं कि reform momentum, fundamentalsको मजबूती दे रहा है। कैसा बदलाव आया है? एक समय था घर में हों, या घर के बाहर दुनिया एक ही कहती थी red tape की बात करती थी, लेकिन आज red carpet की बात हो रही है। Ease of doing business में अब हम सौ तक पहुंच गये। आज पूरा विश्‍व इसको गर्व से ले रहा है। वो भी दिन था जब विश्‍व मान करके बैठा था, भारत यानि policy paralysis, भारत यानि delayed reform वो बात हम सुनते थे। आज भी अखबार निकाल करके देखेगो तो दिखाई देगा। लेकिन आज दुनिया में एक ही बात आ रही है कि reform, perform, transform एक के बाद एक नीति विषयक समयबद्ध निर्णयों का सिलसिला चला रहा है। वो भी एक वक्‍त था, जब विश्‍व भारत को fragile five में गिनता था। दुनिया चितिंत थी कि दुनिया को डुबोने में भारत भी अपनी भूमिका अदा कर रहा है। Fragile five में हमारी गिनती हो रही थी। लेकिन आज दुनिया कह रही है कि भारत multi trillion dollar के investment का destination बन गया है। वहीं से आवाज बदल गई है। + +मेरे प्‍यारे भाइयों-बहनों, आज North-East की खबर आ रही है कि आखिरी गांव में बिजली पहुंच गई और रात भर गांव नाचता रहा। आज North-East से ये खबरें आ रही हैं। आज North-East में highways, railways, airways, waterways और information ways (i-way)उसकी खबरें आ रही है। आज बिजली के transmission line लगाने का बहुत तेजी से North-East में चल रहा है। आज हमारे North-East के नौजवान वहां BPO खोल रहे हैं। आज हमारे शिक्षा संस्‍थान नए बन रहे हैं, आज हमारा North-East organic farming का hub बन रहा है। आज हमारा North-East sports universityकी मेजबानी कर रहा है। + +भाइयों-बहनों, आज हमारे देश में 65 प्रतिशत जनसंख्‍या 35 साल की उम्र की है। हम देश के जवानों के लिए गर्व कर रहे हैं। देश के नव युवक नई पीढ़ी का गर्व कर रहे हैं। हमारे देश के युवाओं ने आज अर्थ के सारे मानदंडों को बदल दिया है। प्रगति के सारे मानदंडों में एक नया रंग भर दिया। कभी बड़े शहरों की चर्चा हुई करती थी। आज हमारा देश Tier 2, Tier 3 city की बातें कर रहा है। कभी गांव के अंदर जा करके आधुनिक खेती में लगे हुए नौजवान की चर्चा कर रहा है। हमारे देश के नौजवान ने nature of job को पूरी तरह बदल दिया है। startup हो, BPO हो, e-commerce हो, mobility का क्षेत्र हो ऐसे नये क्षेत्रों को आज मेरे देश का नौजवान अपने सीने में बांध करके नई ऊंचाईयों पर देश को ले जाने के लिए लगा हुआ है। + +मेरे प्‍यारे देशवासियों आज इस लाल किले की प्राचीर से, मैं देशवासियों को एक खुशखबरी सुनाना चाहता हूं। हमारा देश अंतरिक्ष की दुनिया में प्रगति करता रहा है। लेकिन हमने सपना देखा है, हमारे वैज्ञानिकों ने सपना देखा है।हमारे देश ने संकल्‍प किया है कि 2022, जब आज़ादी के 75 साल होंगे तब या हो सके तो उससे पहले, आज़ादी के 75 साल मनाएंगे तब, मां भारत की कोई संतान चाहे बेटा हो या बेटी, कोई भी हो सकता है। वे अं‍तरिक्ष में जाएंगे। हाथ में तिरंगा झंडा लेकर के जाएंगे। आजादी के 75 साल के पहले इस सपने को पूरा करना है। मंगलयान से लेकर के भारत के वैज्ञानिकों ने जो अपनी ताकत का परिचय करवाया है। अब हम मानव सहित गगनयान लेकर के चलेगें और ये गगनयान जब अंतरिक्ष में जाएगा, तो कोई हिन्‍दुस्‍तानी लेकर जाएगा। यह काम हिन्‍दुस्‍तान के वैज्ञानिकों के द्वारा होगा। हिन्‍दुस्‍तान के पुरुषार्थ के द्वारा पूरा होगा। तब हम विश्‍व में चौथा देश बन जाएंगे जो मानव को अंतरिक्ष में पहुंचाने वाला होगा। + +भाइयों-बहनों, मैं देश के वैज्ञानिकों को, देश के technicians को मैं हृदय से बहुत-बहुत बधाई देता हूं। इस महान काम के लिए। भाईयों-बहनों हमारा देश आज अन्‍न के भंडार से भरा हुआ है। विशाल अन्न उत्पादन के लिए, मैं देश के किसानों को, खेतिहर मजदूरों को, कृषि के क्षेत्र में काम करने वाले वैज्ञानिकों को, देश में कृषि क्रांति को सफलतापूर्वक आगे बढ़ाने के लिए हृदय से बहुत-बहुत बधाई देता हूं। + +कल ही हमने महामहिम राष्‍ट्रपति जी का उद्धबोधन सुना। उन्‍होंने बड़े विस्‍तार से ग्राम स्‍वराज अभियान का वर्णन किया। जब भी सरकार की बातें आती हैं, तो कहते हैं नीतियां तो बनती है लेकिन last miledelivery नहीं हुई। कल राष्ट्रपति जी ने बढ़े अच्‍छे तरीके से वर्णन किया कि किस प्रकार से आकांक्षी जिलों के 65 हजार गांवों में दिल्‍ली से चली हुई योजना को गरीब के घर तक, पिछड़े गांव तक कैसे पहुंचाया गया है, इसका काम किया है। + +देश के गरीब से गरीब व्‍यक्ति को, सामान्‍य जन को, आरोग्‍य की सुविधा मिले, इसलिए गंभीर बीमारियों के लिए और बड़े अस्‍पतालों में सामान्‍य मानवी को भी आरोग्‍य की सुविधा मिले, मुफ्त में मिले और इसलिए भारत सरकार ने प्रधानमंत्री जनआरोग्‍य अभियान प्रारंभ करने का तय किया है। ये प्रधानमंत्री जनअरोग्‍य अभियान के तहत आयुष्मान भारत योजना के तहत, इस देश के 10 करोड़ परिवार, ये प्रारंभिक है, आने वाले दिनों में निम्‍न मध्‍यम वर्ग, मध्‍यम वर्ग, उच्‍च मध्‍यम वर्ग को भी इसका लाभ मिलने वाला है। इसलिए 10 करोड़ परिवारों को, यानी करीब-करीब 50 करोड़ नागरिक, हर परिवार को 5 लाख रुपया सालाना,health assurance देने की योजना है। ये हम इस देश को देने वाले हैं। ये technology drivenव्‍यवस्‍था है, transparency पर बल हो, किसीसामान्‍य व्‍यक्ति को ये अवसर पाने में दिक्‍कत न हो, रुकावट न हो इसमें technology intervention बहुत महत्‍वपूर्ण है। इसके लिए technology के टूल बने हैं। + +15 अगस्‍त से आने वाले 4-5-6 सप्‍ताह में देश के अलग-अलग कोने में इस technology का testing शुरू हो रहा है और fullproof बनाने की दिशा में यह प्रयास चल रहा है और फिर इस योजना को आगे बढ़ाने के लिए 25 सितंबर पंडित दीन दयाल उपाध्‍याय की जन्म जयंती पर पूरे देश में ये प्रधानमंत्री जनआरोग्य अभियान लॉन्च कर दिया जाएगा और उसका परिणाम ये होने वाला है कि देश के गरीब व्यक्ति को अब बीमारी के संकट से जूझना नहीं पड़ेगा। उसको साहूकार से पैसा ब्याज पर नहीं लेना पड़ेगा। उसका परिवार तबाह नहीं हो जाएगा। और देश में भी मध्यमवर्गीय परिवारों के लिये, नौजवानों के लिये आरोग्य के क्षेत्र में नए अवसर खुलेंगे। tier 2 tier 3 cities में नए अस्पताल बनेंगे। बहुत बड़ी संख्‍या में medical staff लगेगा। बहुत बड़े रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। + +भाइयों-बहनों, कोई ग़रीब, ग़रीबी में जीना नहीं चाहता है। कोई ग़रीब, ग़रीबी में मरना नहीं चाहता है। कोई ग़रीब अपने बच्चों को विरासत में ग़रीबी देकर के जाना नहीं चाहता है। वो छटपटा रहा होता है कि ज़िन्दगी भर ग़रीबी से बाहर निकलने के लिये और इस संकट से बाहर आने के लिये ग़रीब को सशक्त बनाना यही उपचार है, यही उपाय है। + +भाइयों-बहनों, जब ग़रीब के सशक्तिकरण का काम करते हैं, और जब मैं आयुषमान भारत की बात करता था, दस करोड़ परिवार यानी 50 करोड़ जनसंख्या। बहुत कम लोगों को अंदाज होगा कितनी बड़ी योजना है। अगर मैं अमेरिका, कैनेडा और मैक्सिको की जनसंख्या मिला लूं, तो करीब करीब इतने लाभार्थी आयुषमान भारत योजना में हैं। अगर, मैं पूरे यूरोप की जनसंख्या गिन लूं, करीब-करीब उतनी ही जनसंख्या भारत में इस आयुषमान भारत के लाभार्थी बनने वाले हैं। + +भाइयों-बहनों, गरीब को सशक्त बनाने के लिये हमनें अनेक योजनाएं बनाई है। योजनाएं तो बनती हैं। लेकिन बिचौलिये, कटकी कम्पनी उसमें से मलाई खा लेते हैं। ग़रीब को हक मिलता नहीं है। खज़ाने से पैसा जाता है, योजनाएं कागज पर दिखती हैं, देश लुटता चला जाता है। सरकारें आंखें मूंद कर के बैठ नहीं सकती और मैं तो कतई नहीं बैठ सकता। + +दोस्‍तों, देश में कर न भरने की हवा बनाई जा रही है, लेकिन जब करदाता को पता चलता है कि उसके कर से, उसके Tax से भले वो अपने घर में बैठा हो, air condition कमरे में बैठा है। लेकिन उसके Tax से उसी समय तीन गरीब परिवार अपना पेट भर रहे हैं। इससे बड़ा जीवन का संतोष क्‍या हो सकता है। उससे ज्‍यादा मन को पुण्‍य क्‍या हो सकता है। + +भाइयों-बहनों, भाई-भतीजावाद को हमने खत्‍म कर दिया है। मेरे-पराये परंपराओं को हमने खत्‍म कर दिया है। रिश्‍वत लेने वालों पर कार्रवाई बड़ी कठोर हो रही है। लगभग तीन लाख संदिग्‍ध कंपनियों पर ताले लग चुके हैं, उनके डायरेक्‍टरों पर पाबंदियां लगा दी गई है भाइयों-बहनों। और आज हमने प्रक्रियाओं को transparent बनाने के लिए online प्रक्रिया चालू की है। हमने IT Technology काउपयोग किया है। और उसका परिणाम है कि आज पर्यावरण – एक समय था कि पर्यावरण की मंजूरी यानि corruption के पहाड़ चढ़ते जाना तब जा करके मिलती थी। भाइयों-बहनों, हमने उसको transparent कर दिया है। ऑनलाइन कर दिया है। कोई भी व्‍यक्ति उसको देख सकता है। और भारत के संसाधनों का सदुपयोग हो, इस पर हम काम कर सकते हैं। भाइयों बहनों आज हमारे लिए गर्व का विषय है कि हमारे देश में आज सुप्रीम कोर्ट में तीन महिला जज बैठी हुई हैं। कोई भी भारत की नारी गर्व कर सकती है कि भारत के सुप्रीम कोर्ट में आज तीन महिला मान्‍य न्‍यायधीश हमारे देश को न्‍याय दे रही हैं। भाइयों-बहनों, मुझे गर्व है कि आजादी के बाद यह पहली कैबिनेट है जिसमें सर्वाधिक महिलाओं को स्‍थान मिला है। भाईयों-बहनों मैं आज इस मंच से मेरी कुछ बेटियां है, मेरी बहादुर बेटियों को एक खुशखबरी देना चाहता हूं। भारतीय सशस्‍त्र सेना में short service commission के माध्‍यम से नियुक्‍त महिला अधिकारियों को पुरूष समकक्ष अधिकारियों की तरह पारदर्शी चयन प्रक्रिया द्वारा स्‍थाई commission की मैं आज घोषणा करता हूं। जो हमारी लाखों बेटियां आज uniform की जिंदगी जी रही है, देश के लिए कुछ करना चाहती हैं। उनके लिए आज मैं यह तोहफा दे रहा हूं, लाल किले की प्राचीर से दे रहा हूं। देश की महिलाएं और शक्तिशाली भारत के निर्माण में कंधे से कंधा मिला करके चल रही हैं। हमारी मां-बहनों का गर्व, उनका योगदान, उनका सामर्थ्‍य आज देश अनुभव कर रहा है। + +भाइयों-बहनों, आए दिन North-East में हिंसक घटनाओं की खबरें आती थीं, अलगाववाद की खबरें आती थीं।बम, बंदूक, पिस्‍तौल की घटनाएं सुनाई देती थीं। लेकिन आज एक armedforces special power act, जो तीन-तीन, चार-चार दशक से लगा हुआ था, आज मुझे खुशी है कि हमारे सुरक्षाबलों के प्रयासों के कारण, राज्‍य सरकारों की सक्रियता के कारण, केन्‍द्र और राज्‍य की विकास की योजनाओं के कारण, जन-साधारण को जोड़ने के प्रयासों का परिणाम है कि आज कई वर्षों के बाद त्रिपुरा और मेघालय पूरी तरह armedforces special power act से मुक्‍त हो गए हैं। + +हर भारतीय के पास अपना घर हो – housing for all. हर घर के पास बिजली कनेक्‍शन हो – Power for all. हर भारतीय को धुंए से मुक्ति मिलेरसोई में, और इसलिए cooking gas for all. हर भारतीय को जरूरत के मुताबिक जल मिलेऔर इसलिए water for all. हर भारतीय को शौचालय मिले और इसलिए sanitation for all, हर भारतीय को कुशलता मिले और इसलिये skill for all, हर भारतीय को अच्छी और सस्ती स्वास्थ्य सेवाएं मिले, इसलिये health for all, हर भारतीय को सुरक्षा मिले,सुरक्षा का बीमा सुरक्षा कवच मिले और इसलिए insurance for all, हर भारतीय को इंटरनेट की सेवा मिलें और इसलिए connectivity for all, इस मंत्र को ले करके हम देश को आगे बढ़ाना चाहते है। + +भाइयों-बहनों, वेद से वर्तमान तक विश्‍व की चिरपुरातन विरासत के हम धनी हैं। हम पर इस विरासत का आर्शीवाद है। उस विरासत की जो हमारे आत्‍मविश्‍वास की बदौलत है। उसको ले करके हम भविष्‍य में और आगे बढ़ना चाहते है। और मेरे प्‍यारे देशवासियों, हम सिर्फ भविष्‍य देखने तक रहना नहीं चाहते है। लेकिन भविष्‍य के उस शिखर पर भी पहुंचना चाहते हैं।भविष्‍य के शिखर का सपना लेकर हम चलना चाहते हैं और इसलिए मेरे प्‍यारे देशवासियों मैं आपको एक नई आशा एक नया उमंग, एक नया विश्‍वास देश उसी से चलता है देश उसी से बदलता है और इसलिए मेरे प्‍यारे देश‍वासियों…… + diff --git a/pm-speech/572.txt b/pm-speech/572.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..ffd4e06f2b9e9aaae17500e1e08afef728d4d39a --- /dev/null +++ b/pm-speech/572.txt @@ -0,0 +1,14 @@ +IIT Bombay देश के उन संस्थानों में से है जो New India की New Technology के लिए काम कर रहा है। आने वाले दो दशकों में दुनिया का विकास कितना और कैसा होगा, ये Innovation और नई टेक्नॉलॉजी तय करेगी। ऐसे में आपके इस संस्थान का, IIT का रोल बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है। चाहे 5G ब्रॉडबैंड टेक्नॉलॉजी हो, Artificial Intelligence हो, Block Chain Technology हो, Big Data Analysis हो या फिर Machine Learning, ये वो तकनीक है जो आने वाले समय में Smart Manufacturing और Smart Cities के विजन के लिए महत्वपूर्ण सिद्ध होने वाली है। + +मुझे बताया गया है कि इस बिल्डिंग में एक Solar Lab भी स्थापित की जा रही है, जिससे छात्रों को Solar Energy से जुड़ी रिसर्च में सुविधा होगी। Solar Energy के अलावा Biofuel भी आने वाले समय में Clean Energy का एक बहुत बड़ा source सिद्ध होने वाला है। मैंने कल दिल्ली में World Biofuel Day के अवसर पर भी कहा था कि इससे जुड़ी टेक्नॉलॉजी को लेकर इंजीनियरिंग के छोटे से लेकर बड़े संस्थान में पढ़ाई हो, Research हो। + +IIT को देश और दुनिया Indian Institute of Technology के रूप में जानती है। लेकिन आज हमारे लिए इनकी परिभाषा थोड़ी बदल गई है। ये सिर्फ Technology की पढ़ाई से जुड़े स्थान भर नहीं रह गए हैं, बल्कि IIT आज India’s Instrument of Transformation बन गए हैं। हम जब Transformation की बात करते हैं तो Start Up की जिस क्रांति की तरफ देश आगे बढ़ रहा है, उसका एक बहुत बड़ा Source हमारे IIT हैं। आज दुनिया IIT को Unicorn Start Ups की नर्सरी के रूप में मान रही है। यानि वो स्टार्ट अप अभी भारत में शुरू हो रहे हैं जिनकी भविष्य में Value एक अरब डॉलर से अधिक की होने की संभावना जताई जाती है। ये एक प्रकार से तकनीक के दर्पण हैं, जिसमें दुनिया को भविष्य नज़र आता है। + +यही कारण है कि हमने Start Up India और Atal Innovation Mission जैसे अभियान शुरु किए हैं जिनके परिणाम अब मिलने लगे हैं। आज भारत Start Up के क्षेत्र में दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा Ecosystem है। 10 हज़ार से अधिक Start Ups को देश में nurture किया जा रहा है और फंडिंग की भी एक व्यापक व्यवस्था की जा रही है। + +बीते चार वर्षों में 7 नए IIT, 7 नए IIM, 2 IISER और 11 IIIT, स्वीकृत किए गए हैं। इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने के लिए RISE यानि Revitalisation of Infrastructure and Systems in Education कार्यक्रम शुरु किया गया है। इसके तहत आने वाले चार वर्षों में एक लाख करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य रखा गया है। नए संस्थान, नया इंफ्रास्ट्र्क्चर आवश्यक हैं लेकिन उससे भी ज़रूरी वहां से तैयार होने वाली skilled power है। सरकार इस पर भी ध्यान दे रही है। + +पुराने तौर-तरीकों को छोड़ना अकसर आसान नहीं होता। समाज और सरकारी व्यवस्थाओं के साथ भी यह समस्या होती है। कल्पना कीजिए की हज़ारों वर्षों से जो आदतें विकसित हुईं, सैकड़ों वर्षों से जो सिस्टम चल रहा था, उनको बदलाव के लिए convince करना कितना मुश्किल काम है। लेकिन जब आपकी सोच और कर्म के केंद्र में Dedication, Motivation और Aspiration होती है तो आप सारी बाधाओं को पार पाने में सफल होते हैं। + +सवा सौ करोड़ देशवासियों के जीवन को आसान बनाने के लिए, Ease Of Living सुनिश्चित करने के लिए आपके हर प्रयास, हर विचार के साथ ये सरकार खड़ी है, आपके साथ चलने को तैयार है । इसलिए मेरी जब भी आप जैसे छात्रों, वैज्ञानिक बंधुओं, उद्मियों से बात होती है तो मैं IIT जैसे तमाम संस्थानों के इर्दगिर्द City Based Clusters of Science की चर्चा ज़रूर करता हूं। मकसद ये है कि Students, Teachers, Industry, Start Up से जुड़े तमाम लोगों को एक ही जगह पर, एक दूसरे की आवश्यकताओं के हिसाब से काम करने, R&D करने का अवसर मिले। अब जैसे मुंबई के जिस इलाके में आपका संस्थान है, उसे ही लीजिए। मुझे जानकारी दी गई है कि यहां ग्रेटर मुंबई में लगभग 800 कॉलेज और Institutes हैं, जिनमें लगभग साढ़े 9 लाख युवा पढ़ाई कर रहे हैं। आज जब हम यहां Convocation के लिए जुटे हैं, ये इस संस्थान का डायमंड जुबली वर्ष भी है, इस अवसर पर आपको मैं एक संकल्प से जोड़ना चाहता हूं। क्या IIT Bombay, City Based Centre of Excellence का केंद्र बन सकता है? + diff --git a/pm-speech/573.txt b/pm-speech/573.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..3d1ac8163688ea7324634de61e286c6c4f1d9675 --- /dev/null +++ b/pm-speech/573.txt @@ -0,0 +1,16 @@ +सा‍थियो, बायोफ्यूल सिर्फ विज्ञान नहीं है बल्कि वो मंत्र है जो 21वीं सदी के भारत को, और न सिर्फ भारत को; पूरे विश्‍व की मानव जाति को नई ऊर्जा देने वाला है। बायोफ्यूल, यानी फसलों से निकला ईंधन, फसल के अवशेष से निकला ईंधन, कूड़े कचरे से निकला ईंधन। ये भारत के गांव से लेकर शहर तक के जीवन को बदलने वाला है, बेहतर बनाने वाला है। और अभी जो फिल्‍म दिखाई गई, उसमें एक पुरानी कहावत को भी याद किया गया- आम के आम और गुठली के दाम। बहुत पुरानी कहावत है, उसका एक प्रकार से ये आधुनिक रूप है। + +सा‍थियो, गन्‍ने से Ethanol बनाने की योजना पर जब अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी, उस समय काम का प्रारंभ हुआ था। लेकिन बीते एक दशक में, अब जैसा उस सरकार का हाल था, हर योजनाओं का भी वैसा ही हाल होता था; इस प्रयास को भी अति-गंभीरता से नहीं लिया गया। जब 2014 में फिर से केन्‍द्र में भारतीय जनता पार्टी और एनडीए के सरकार बनी तो बकायदा एक रोडमैप तैयार किया गया। Ethanol blending program शुरू किया गया। आज देश के 25 राज्‍य और केन्‍द्रशासित प्रदेशों में ये प्रोग्राम सुचारू रूप से चल रहा है। बीते चार वर्षों में Ethanol का रिकॉर्ड उत्‍पादन किया गया है और आने वाले चार वर्षों में लगभग 450 करोड़ Ethanol का उत्‍पादन करने की दिशा में आज देश आगे बढ़ रहा है। + +साथियो, नेशनल पॉलिसी में सिर्फ फसल से नहीं, बल्कि अब घर से निकलने वाले कूड़े, खेत से निकलने वाले कचरे और पशुओं के गोबर को ईंधन में बदलने के लिए भी एक राष्‍ट्रव्‍यापी योजना बनाई जा रही है। आने वाले समय में केले के छिलके, जो न सिर्फ किसान बल्कि हर घर में कचरे के रूप में आसानी से मिल जाते हैं, वो भी ईंधन के रूप में काम आने वाला है। + +साथियो, biomass को बायोफ्यूल में बदलने के लिए सरकार बहुत बड़े स्‍तर पर निवेश कर रही है, investment कर रही है। देशभर में दस हजार करोड़ रुपये की लागत से 12 आधुनिक रिफाइनरी बनाने की योजना है। एक रिफाइनरी से लगभग 1000-1500 लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है। यानि रिफाइनरी के संचालन से लेकर सप्‍लाई चेन तक, लगभग डेढ़ लाख नौजवानों को रोजगार के नए अवसर उपलब्‍ध होंगे। इसके अलावा गोबर से ईंधन बनाने की योजना भी प्रगति पर है। + +इसके अलावा जो जंगल में उगे पौधे और फल होते हैं, उनसे होने वाली आमदनी अलग। जब पतझड़ के मौसम में आप, अगर जंगलों में जाने की आदत होगी तो आपने देखा होगा- एक-एक, दो-दो फीट पत्‍ते गिर करके पड़े होते हैं1 ये भी अपने-आपमें बहुत बड़ी कमाई का साधन बन सकता है। ये waste to wealth का अभियान है ही, साथ में इससे स्‍वच्‍छ भारत अभियान को भी गति मिल रही है। क्‍योंकि यही waste  गंदगी का भी बड़ा कारण है। + +आज बी-3 की एक योजना, एक व्‍यापक योजना पर काम किया जा रहा है। बी-3 यानि बायोमास, बायोफ्यूल से और बायोएनर्जी की तरफ देश बढ़ रहा है। इथेनॉल के अतिरिक्‍त आज कचरे से सीएनजी यानि बायो-सीएनजी बनाने का भी तेज गति से काम चल रहा है। देश की ट्रांसपोर्ट व्‍यवस्‍था में सीएनजी के इस्‍तेमाल को बढ़ावा दिया जा रहा है ताकि पेट्रोल-डीजल से होने वाले प्रदूषण से बचा जा सके। फिलहाल हम सीएनजी विदेश से आयात करते हैं। अब बायो-सीएनजी से विदेशों पर निर्भरता को कम करने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए अभी तक देश भर में पौने दो से अधिक प्‍लांट लगाए जा चुके हैं। वो दिन दूर नहीं जब शहरों के साथ-साथ गांवों में भी सीएनजी से गाड़ियां चलने लगेंगी। + +मैंने अभी एक African countries की, गरीब लोगों का एक छोटा सा काम सोशल मीडिया में देखा। वो गांव में से सारे प्‍लास्टिक इकट्ठा कर-करके नदी के तट पर ले जाते हैं और लकड़ी-वकड़ी ला करके उस प्‍लास्टिक को जला करके पिघला लेते हैं। और वहीं नदी से बालू ले करके मिक्‍स करते हैं और उसमें से ब्‍लॉक बना देते हैं और वो ब्‍लॉक बड़ीमात्रा में बेचते हैं वो। Women self help group की महिलाएं कर रही हैं ये काम। कचरे की सफाई भी कर रही हैं और उसका नया प्रॉडक्‍ट करके बाजार में बेच रही हैं। + +हिन्‍दुस्‍तान में इतना बड़ा काम इतने समय में हो सकता है ये अपने-आप में अजूबा है। हमारे देश में सवा सौ करोड़ जनसंख्‍या है और करीब-करीब 25-26 करोड़ परिवार हैं। इन 25-26 करोड़ परिवार में 5 करोड़ परिवारों को गैस का चूल्‍हा इतने कम समय में पहुंचाना, ये अपने-आप में, आप हिसाब लगा सकते हैं कि तेज गति से काम होता है तो कितना परिणाम आता है। + diff --git a/pm-speech/574.txt b/pm-speech/574.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..9c41778e37213f0d135e18165486c8d630f56282 --- /dev/null +++ b/pm-speech/574.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +मैं सबसे पहले सदन की तरफ से और मेरी तरफ से नवनिर्वाचित उपसभापति श्रीमान हरिवंश जी को ह्दयपूर्वक बहुत-बहुत बधाई देता हूं। हमारे लिए खुशी की बात है कि स्‍वास्‍थ्‍य लाभ के बाद हमारे अरुण जी भी आज हम सबके बीच हैं। आज 9 अगस्त है। अगस्‍त क्रांति आजादी के आंदोलन से जुड़ा हुआ एक महत्‍वपूर्ण पड़ाव थाऔर उस पड़ाव में बलिया की बहुत बड़ी भूमिका थी। 1857 से स्‍वतंत्रता संग्राम से लेकर के बलिया आजादी के गढ़ क्रांति के बिगुल बजाने में, जीवन न्यौछावर करने में अग्रिम पंक्ति में हैं। मंगल पांडे जी हों, चित्तु पांडे जी हों और चंद्रशेखर जी तक की परंपरा और उसी कड़ी में एक थे हरिवंश जी। जन्‍म तो उनका हुआ जयप्रकाश जी के गांव में और आज भी उस गांव से जुड़े हुए हैं। जयप्रकाश जी के सपनों को साकार करने के लिए जो ट्रस्‍ट चल रहा है उसके ट्रस्‍टी के रूप में भी काम कर रहे है। हरिवंश जी उस कलम के धनी हैं जिसने अपनी एक विशेष पहचान बनाई हैऔर मेरे लिए ये भी खुशी है कि वह बनारस के विद्यार्थी रहे थे। उनकी शिक्षादीक्षा बनारस में हुई। और वहीं से अर्थशास्‍त्र से एम.ए कर के वो आए। और रिजर्व बैंक ने उनको पसंद किया था। लेकिन उन्‍होंने रिजर्व बैंक को पसंद नहीं किया। लेकिन बाद में घर की परिस्थितियों के कारण वो Nationalised Bank में काम करने गए…सभापति जी आपको जानकर के खुशी होगी किउन्‍होंने जीवन के दो महत्‍वपूर्ण साल हैदराबाद में काम किया। कभी मुम्बई, कभी हैदराबाद, कभी दिल्‍ली, कभी कलकत्‍ता लेकिन एक चकाचौंध बड़े-बड़े शहर हरिवंश जी को नहीं भाए। वो कलकत्‍ता चले गए थे। “रविवार” अखबार में काम करने के लिए और हम लोग जानते हैं एस पी सिंह नाम बड़ा है… टीवी की दुनिया में एक पहचान बनी थी। उनके साथ उन्‍होंने काम किया। और एक Trainee के रूप में, पत्रकार के रूप में धर्मवीर भारती जी के साथ काम किया। जीवन की शुरुआत वहां से की। धर्मयुद्ध के साथ जुड़ करके काम किया। दिल्‍ली में चंद्रशेखर जी के साथ काम किया। चंद्रशेखर जी के चहेते थेऔर पद की गरिमा और valuesके संबंध में विशेषताएं होती है इंसान की। चंद्रशेखर जी के साथ वो उस पद पर थे जहां उनको सब जानकारियां थीं। चंद्रशेखर जी इस्‍तीफा देने वाले थे ये बात उनको पहले से पता थी|वो स्‍वंय एक अखबार से जुड़े थे। पत्रकारिता की दुनिया से जुड़े थे। लेकिन खुद के अखबार को कभी भनक नहीं आने दी कि चंद्रशेखरजी इस्‍तीफा देने वाले हैं। उन्‍होंने अपने पद की गरिमा को बनाते हुए वो सीक्रेट को Maintain किया था। अपने अखबार में खबर छप जाए, और अखबार की वाह-वाही हो जाए उन्‍होंने होने नहीं दी थी। + +हरिवंश जी रविवार में गए बिहार में, तब तो संयुक्‍त बिहार था। बाद में झारखंड बना। वो रांची चले गए। प्रभात खबर के लिए और जब उन्‍होंने join किया तब उसका सर्कुलेशनसिर्फ चार सौ का था। जिसके जीवन में इतने अवसर हों बैंक में जाए तो वहां अवसर था। प्रतिभावान व्‍यक्तित्‍व था, उन्‍होंने अपने आपको चार सौ सर्कुलेशनवाले अखबार के साथ खपा दिया। चार दशक की पत्रकारिता यात्रा समर्थ पत्रकारिता है और वो पत्रकारिता जो समाज कारण से जुड़ी हुई है राज कारण से नहीं। मैं मानता हूं कि हरिवंश जी की नियुक्ति, ये सबसे बड़ा योगदान होगा कि वो समाज कारण पत्रकारिता के रहेऔर उन्‍होंने राज कारण वाली पत्रकारिता से अपने आपको दूर रखा। वे जनआंदोलन के रूप में अखबार को चलाते थे। और जब परमवीर एलबर्ट एक्का देश के लिए शहीद हुए थे। एक बार अखबार में खबर आई कि उनकी पत्‍नी बहुत बेहाल जिंदगी गुजार रही है। 20 साल पहले की बात है। हरिवंश जी ने जिम्‍मा लिया, हरिवंश जी ने लोगों से धन इकट्ठा किया और चार लाख् रुपए इकट्ठा करके वो शहीद की पत्‍नी को पहुंचाएथे। + +हरिवंश जी की श्रीमती जी आशा जी वो स्‍वंय चंपारण से हैं यानी एक प्रकार से पूरा परिवार कहीं जेपी से तो कभी गांधी से और वो भी एम.ए. पालिटिकल सांइस से हैं तो उनका academic नॉलेज अबज्‍यादा आपको मदद करेगा। मुझे विश्‍वास है कि अब सदन का मंत्र बन जाएगा सभी हम सांसदों का-हरिकृपा। अब सब कुछ हरि भरोसे। और मुझे विश्‍वास है कि हम सभी, उधर हो या इधर हों सभी सांसदों पर हरि कृपा बने रहेगी। ये चुनाव ऐसा था जिसमें दोनों तरफ हरि थे। लेकिन एक के आगे बी के था। बीके हरि,इधरइनकेपास कोई बीके वीके नहीं था। लेकिन मैं बी के हरिप्रसाद जी को भी लोकतंत्र की गरिमा के लिए अपने दायित्‍व को निभाते हुए… और सब कह रहे थे कि परिणाम पता है लेकिन प्रक्रिया करेंगे। तो काफी नए लोगों की ट्रेनिंग भी हो गई होगी- वोट डालने की। + diff --git a/pm-speech/576.txt b/pm-speech/576.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..8da995a68a5d36d182ace422513ff5bfa15097c7 --- /dev/null +++ b/pm-speech/576.txt @@ -0,0 +1,28 @@ +सा‍थियो, त्‍योहार के साथ-साथ देश के बड़े हिस्‍से में अच्‍छी बरसात भी हो रही है। मौसम की मेहरबानी खेती के लिए, अर्थव्‍यवस्‍था के लिए उम्‍मीदों से भरी हुई है, लेकिन भारी बारिश के चलते देश के कुछ हिस्‍सों में लोगों को तकलीफ भी हो रही है। सरकार हर स्थिति पर नजर रखे हुए है। राज्‍य सरकारों के साथ मिलकर पूरा प्रयास कर रही है कि संकट में घिरे हर देशवासी तक मदद पहुंचे। + +मुझे दूसरी खुशी की बात है कि आपने इन सारी चीजों को किसी individual के whim पर नहीं छोड़ा है। आपने अलग-अलग सेक्‍टर्स के लिए पॉलिसी बनाई है, ब्‍लैक एंड व्‍हाईट में चीजें रखी हैं, ऑनलाइन कोई भी उसको देख सकता है और जिसको वो लगेगा हां भई ये मैं इसमें अपने-आपको फिट कर सकता हूं, वो आएगा। ये policy driven state,ये उत्‍तर प्रदेश की सबसे बड़ी सिद्धि है।और इसलिए कृपा करके इन 60 हजार को, साठ हजार करोड़ को कम मत मानिए। आपने अद्भुत achieve किया है जी। क्‍योंकि मैं इस काम को लम्‍बे अर्से तक करके आया हूं तो मुझे पता है कितनी मेहनत लगती है इसमें, कितना initiative लेना पड़ता है, कितना pursue करना पड़ता है और कितनी गालियां खानी पड़ती हैं जी। लेकिन राज्‍य के लिए प्रतिबद्धता होती है तो रास्‍ते भी निकलते हैं। + +दूसरी खुशी की बात है, देखिए साइकिल की ट्यूब में इतने प्‍वाइंट हवा भरने से sufficient हवा भर जाती है तो साइकिल चलती है, लेकिन कभी-कभी उस ट्यूब में एक कोने में फुग्‍गा हो जाता है, गुब्‍बारा हो जाता है। अब मीटर देखोगे तो मीटर तो ठीक लगेगा, हां इतना प्‍वाइंट हवा गई, लेकिन वो साइकिल चल नहीं पाती, वो हवा ही रुकावट बन जाती है। मुझे खुशी है कि उत्‍तर प्रदेश में मुख्‍यमंत्री जी ने सर्वांगीण विकास पर ध्‍यान दिया है। उत्‍तर प्रदेश के सभी भू-भागों को अवसर मिले, संतुलित विकास हो। संतुलित विकास ही उत्‍तर प्रदेश की बहुत बड़ी आवश्‍यकता है। अकेले नोएडा, गाजियाबाद की दुनिया से नंबर तो ऊपर जाएगा, लेकिन उत्‍तर प्रदेश की आवश्‍यकताओं की पूर्ति नहीं होगी। और उस काम को जिस तरह से किया है और आज मुझे खुशी है कि सारी चीजों को बारीकियों ये यहां बताया गया है जनता के सामने। ये सारे initiative मैं समझता हूं बधाई के पात्र हैं। + +कुछ लोग इसे groundbreaking ceremony कह रहे हैं। वैसे तो परम्‍परा वो ही है, लेकिन ये सब देखने के बाद मैं कहता हूं, ये record breaking ceremony है। इतने कम समय में जिस प्रकार से प्रकियाओं को तेजी से आगे बढ़ाया गया है, पुराने तौर-तरीकों को बदला गया है; ऐसा उत्‍तर प्रदेश में मैं नहीं मानता हूं पहले का कोई भी व्‍यक्ति उठ करके कह सकता है; जो आज विश्‍वास पैदा हुआ है। यहां के लिए तो ये शासन-प्रशासन की बिल्‍कुल नई चीजें हैं जी। और मुझे खुशी है कि योगी जी के नेतृत्‍व में सरकार ने निवेशकों से निरंतर संवाद बनाए रखा और intent कोinvestment में बदलने के लिए माहौल तैयार किया।Online MoU, tracker हो या फिर clearances के लिए निवेश मित्र जैसा single window digital platform हो, ये बदली हुई कार्य संस्‍कृति और यूपी में बिजनेस के लिए बने अनुकूल वातावरण को दर्शाता है। एक वो समय था जब यूपी में निवेश को लोग चुनौती मानते थे। आज वो चुनौती अवसरों के रूप में सामने उभर करके आ रही है। अवसर रोजगार के हों, व्‍यापार के हों, अच्‍छी सड़कों के हों, पर्याप्‍त बिजली के हों, बेहतर वर्तमान के और उज्‍ज्‍वल भविष्‍य के हों; आज का ये आयोजन यूपी पर बढ़ते भरोसे का प्रतीक है, उत्‍थान का प्रतीक है, यूपी के विकास का प्रतीक है। मुझे उम्‍मीद है जिस स्‍पीड से आप आगे बढ़ रहे हैं उससे उत्‍तर प्रदेश को एक ट्रिलियन डॉलर की इकोनोमिक चुनौती पार करने में बहुत समय नहीं लगेगा, ये मेरी आत्‍मा कहती है। उत्‍तर प्रदेश सरकार को उद्योग जगत के आप सभी साथियों को इस प्रतिबद्धता के लिए बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं देता हूं। + +साथियो, सर्विसेज की तेज और transparent delivery सुनिश्चित करने के लिए ‘डिजिटल इंडिया अभियान’ आज व्‍यापक भूमिका निभा रहा है। गांव-गांव में फैले तीन लाख से अधिक कॉमन सर्विस सेंटर आज हमारे ग्रामीण जीवन को बदल रहे हैं। टिकट बुकिंग, बिजली, टेलीफोन के बिल, टेलि‍मेडिसिन, जन-औषधि, आधार सेवा जैसी सैंकड़ों सेवाओं के लिए अब गांव के लोग सरकारी दफ्तरों के चक्‍कर लगाने के लिए मजबूर नहीं हैं। गांव में कॉमन सर्विस सेंटर तो शहरों में फ्री वाई-फाई हॉट स्‍पॉट्स, सस्‍ता मोबाइल इंटरनेट- गरीब-मध्‍यम वर्ग के जीवन को सुगम बनाने में बहुत बड़ी सहायता कर रहा है। + +साथियों, टुकड़ों में सोचने की सरकारी परम्‍परा अब समाप्‍त हो चुकी है। अब silosको खत्‍म करे solutions को और synchronization को प्रोत्‍साहित किया जा रहा है। सरकार की एक योजना, एक एक्‍शन का दूसरे से सीधा कनेक्‍शन है। डिजिटल इंडिया अभियान और मेक इन इंडिया अभियान इसका बेहतरीन उदाहरण हैं। आज डिजिटल इंडिया, डिजिटल लेनदेन का जो भी प्रसार हो रहा है, उसके पीछे सस्‍ते होते मोबाइल फोन भी एक कारण हैं। मोबाइल फोन इसलिए सस्‍ते हुए क्‍योंकि अब बड़ी मात्रा में भारत में फोन का निर्माण होने लगा है, बनने लगे हैं। आज देश दुनिया के लिए mobile manufacturing का hub बनता जा रहा है। आज हम दुनिया में मोबाइल फोन बनाने के मामले में दूसरे नंबर पर पहुंच चुके हैं और मुझे प्रसन्‍नता है कि इन manufacturing revolution की अगुवाई उत्‍तर प्रदेश कर रहा है। + +बीते वर्ष देश में manufacturing को बढ़ावा देने के लिए एक बहुत महत्‍वपूर्ण कदम और उठाया गया है। Public procurement preference to Make in India आदेश के द्वारा सरकार के तमाम विभागों और संस्‍थानों में खरीदी जा रही वस्‍तुओं और सेवाओं के domestic source से खरीदने पर बल दिया जा रहा है।Made In India को बल दिया जा रहा है। इस आदेश का लाभ देश के लघु उद्योगों को भी मिल रहा है। + +साथियों, स्‍थाई विकास और सतत प्रयास ही सवा सौ करोड़ हिन्‍दुस्‍तानियों के सपनों को साकार करने वाला है। स्‍थाई विकास की जब हम बात करते हैं, तब बिजली की व्‍यवस्‍था इसका एक बहुत अहम हिस्‍सा है। सस्‍ती और निरंतर बिजली सामान्‍य जीवन की भी मूलभूत आवश्‍यकता है, तो कृषि और उद्योग के लिए भी बिजली उतनी ही अनिवार्य है। और इसलिए बिजली पर इस सरकार का बहुत बड़ा फोकस है। आज पारम्‍परिक एनर्जी से देश ग्रीन एनर्जी की तरफ तेजी से बढ़ रहा है। विशेषतौर पर सोलर एनर्जी पर सरकार विशेष ध्‍यान दे रही है। International solar alliance के हमारे initiative को आज दुनियाभर में समर्थन मिल रहा है। सौर ऊर्जा के क्षेत्र में भी यूपी बहुत बड़ा हब बनने वाला है। मिर्जापुर में ही कुछ महीने पहले एक बहुत बड़े प्‍लांट का उद्घाटन किया गया था। आज एक और प्‍लांट का शिलान्‍यास यहां किया गया है। + +भाइयो और बहनों, आज भारत ही नहीं, अफ्रीका समेत दुनिया के अनेक विकासशील देशों को solar technology, solar pump जैसी मशीनों की आवश्‍यकता है। मेरा आप सभी से भी आग्रह है कि ग्रीन और क्‍लीन एनर्जी के क्षेत्र में भारत में बन रहे अभूतपूर्व माहौल और वैश्विक परिस्थितियों का लाभ उठाने के लिए हमारे उद्योग जगत के सब साथी आगे आएं। + +साथियो, बिजली उत्‍पादन से लेकर घर-घर तक बिजली पहुंचाने का काम आज अभूतपूर्व गति से आगे बढ़ रहा है। 2013-14 में जहां हमाराenergy deficit 4.2 percent था, चार साल के भीतर-भीतर आज हमारी deficit, one percent से भी कम हो गई है। जो कोयला, कोयले का नाम सुनते ही देश में, जो कोयला कभी कालिख का कारण बना था, वो आज रिकॉर्ड स्‍तर पर पैदा हो रहा है। आज कोयले की कमी चलते power grid फैल नहीं होते। + +‘उदय योजना’ ने distribution कम्‍पनियों को नई लाईफ-लाइन दी है। ‘उजाला’ के तहत घर-घर में जो LED Bulb लगाए गए, उससे तीन वर्षों के दौरान बिजली के बिल में करीब, और ये मेरे खास करके मध्‍यम वर्गीय परिवार, जो बिजली के उपभोक्‍ता हैं; नगर पालिका, महानगर पालिका, जो street light की बिजली का बिल भरते हैं; बिजली के बिल में पिछले तीन साल में 50 हजार करोड़ रुपये की बचत हुई है। 50 हजार करोड़ रुपये, और यही 50 हजार करोड़ की कोई रियायत मोदी ने घोषित की होती तो शायद सप्‍ताह भर हेड लाइन बनी रहती- वाह-वाह मोदी, वाह-वाह। हमने योजना ऐसी बनाई कि लोगों की जेब में 50 हजार करोड़ रुपया बचे। देश कैसे बदल रहा है। जब साफ नीयत से काम होता है तो इसी तरह सही विकास भी होता है। + +साथियो, आज देश में बिजली की उपलब्‍धता बहुत आसान हुई है। वर्ल्‍ड बैंक की ease of getting electricity रैकिंग में भारत ने बीते चार वर्षों में लगभग 82 अंक की छलांग लगाई है। इतना improvement हुआ है। आज देश के हर गांव तक बिजली पहुंचाई जा चुकी है। अगले वर्ष मार्च तक हर घर तक बिजली पहुंचाने का लक्ष्‍य ले करके हम तेज गति से आगे बढ़ रहे हैं। + +साथियो, यूपी के लखनऊ के लम्‍बे समय तक सांसद रहे हैं और हमारे श्रद्धेय, देश के भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी कहते रहते हैं कि वो ऐसा भारत देखना चाहते हैं जो समृद्ध हो, सक्षम हो और संवेदनशील हो। जहां गांव और शहरों के बीच खाई न हो। जहां केन्‍द्रऔर राज्‍य में श्रम और पूंजी में, प्रशासन और नागरिक में गैप न हो। + +अटलजी ने न सिर्फ सपना देखा बल्कि इसको साकार करने के लिए उनका road map भी स्‍पष्‍ट है। अटलजी ने कभी कहा था, सड़कें हाथों की लकीरों की तरह हैं। इसी सोच का परिणाम है कि उन्‍होंने infrastructure पर फोकस किया है। अटलजी की सोच को 21वीं सदी की आवश्‍यकताओं के मुताबिक next level पर ले जाने का प्रयास हम पूरी ताकत से कर रहे हैं। + diff --git a/pm-speech/577.txt b/pm-speech/577.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..4760c1b799646dff37935938741ffe10037830f2 --- /dev/null +++ b/pm-speech/577.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +वैसे तो जुलाई और अगस्त के महीने किसानों के लिए और सभी नौजवानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। क्योंकि यही वक़्त होता है जब colleges का peak season होता है। ‘सत्यम’ जैसे लाखों युवा स्कूल से निकल करके colleges में जाते हैं। अगर फरवरी और मार्च exams, papers, answers में जाता है तो अप्रैल और मई छुट्टियों में मौज़मस्ती करने के साथ-साथ results, जीवन में आगे की दिशाएँ तय करने, carrier choice इसी में खप जाता है। जुलाई वह महीना है जब युवा अपने जीवन के उस नये चरण में क़दम रखते हैं जब focus questions से हटकर के cut-off पर चला जाता है। छात्रों का ध्यान home से hostel पर चला जाता है। छात्र parents की छाया से professors की छाया में आ जाते हैं। मुझे पूरा यकीन है कि मेरा युवा-मित्र college जीवन की शुरुआत को लेकर काफी उत्साही और खुश होंगे। पहली बार घर से बाहर जाना, गाँव से बाहर जाना, एक protective environment से बाहर निकल करके खुद को ही अपना सारथी बनना होता है। इतने सारे युवा पहली बार अपने घरों को छोड़कर, अपने जीवन को एक नयी दिशा देने निकल आते हैं। कई छात्रों ने अभी तक अपने-अपने college join कर लिए होंगे, कुछ join करने वाले होंगे। आप लोगों से मैं यही कहूँगा be calm, enjoy life, जीवन में अन्तर्मन का भरपूर आनंद लें। किताबों के बिना कोई चारा तो नहीं है, study तो करना पड़ता है, लेकिन नयी-नयी चीजें खोज़ने की प्रवृति बनी रहनी चाहिए। पुराने दोस्तों का अपना महामूल्य है। बचपन के दोस्त मूल्यवान होते हैं, लेकिन नये दोस्त चुनना, बनाना और बनाए रखना, यह अपने आप में एक बहुत बड़ी समझदारी का काम होता है। कुछ नया सीखें, जैसे नयी-नयी skills, नयी-नयी भाषाएँ सीखें। जो युवा अपने घर छोड़कर बाहर किसी और जगह पर पढ़ने गए हैं उन जगहों को discover करें, वहाँ के बारे में जानें, वहाँ के लोगों को, भाषा को, संस्कृति को जानें, वहाँ के पर्यटन स्थल होंगे – वहाँ जाएँ, उनके बारे में जानें। नयी पारी प्रारम्भ कर रहे हैं सभी नौजवानों को मेरी शुभकामनाएं हैं। अभी जब college season की बात हो रही है तो मैं News में देख रहा था कि कैसे मध्यप्रदेश के एक अत्यंत ग़रीब परिवार से जुड़े एक छात्र आशाराम चौधरी ने जीवन की मुश्किल चुनौतियों को पार करते हुए सफ़लता हासिल की है। उन्होंने जोधपुर AIIMS की MBBS की परीक्षा में अपने पहले ही प्रयास में सफ़लता पायी है। उनके पिता कूड़ा बीनकर अपने परिवार का पालन-पोषण करते हैं। मैं उनकी इस सफ़लता के लिए उन्हें बधाई देता हूँ। ऐसे कितने ही छात्र हैं जो ग़रीब परिवार से हैं और विपरीत परिस्थियों के बावज़ूद अपनी मेहनत और लगन से उन्होंने कुछ ऐसा कर दिखाया है, जो हम सबको प्रेरणा देता है। चाहे वो दिल्ली के प्रिंस कुमार हों, जिनके पिता DTC में बस चालक हैं या फिर कोलकाता के अभय गुप्ता जिन्होंने फुटपाथ पर street lights के नीचे अपनी पढ़ाई की। अहमदाबाद की बिटिया आफरीन शेख़ हो, जिनके पिता auto rickshaw चलाते हैं। नागपुर की बेटी खुशी हो, जिनके पिता भी स्कूल बस में driver हैं या हरियाणा के कार्तिक, जिनके पिता चौकीदार हैं या झारखण्ड के रमेश साहू जिनके पिता ईंट-भट्टा में मजदूरी करते हैं। ख़ुद रमेश भी मेले में खिलौना बेचा करते थे या फिर गुडगाँव की दिव्यांग बेटी अनुष्का पांडा, जो जन्म से ही spinal muscular atrophy नामक एक आनुवांशिक बीमारी से पीड़ित है, इन सबने अपने दृढसंकल्प और हौसले से हर बाधा को पार कर – दुनिया देखे ऐसी कामयाबी हासिल की। हम अपने आस-पास देखें तो हमको ऐसे कई उदाहरण मिल जाएँगे। + +मेरे प्यारे देशवासियो, कुछ दिन पहले मेरी नज़र एक न्यूज़ पर गई, लिखा था – ‘दो युवाओं ने किया मोदी का सपना साकार’। जब अन्दर पढ़ा तो जाना कि कैसे आज हमारे युवा Technology का smart और creative use करके सामान्य व्यक्ति के जीवन में बदलाव का प्रयास करते हैं। घटना यह थी कि एक बार अमेरिका के San Jose शहर, जिसे Technology Hub के रूप में जाना जाता है। वहाँ मैं भारतीय युवाओं के साथ चर्चा कर रहा था। मैंने उनसे अपील की थी। वो भारत के लिए अपने talent को कैसे use कर सकते हैं, ये सोचें और समय निकाल कर के कुछ करें। मैंने Brain-Drain को Brain-Gain में बदलने की अपील की थी। रायबरेली के दो IT Professionals, योगेश साहू जी और रजनीश बाजपेयी जी ने मेरी इस चुनौती को स्वीकार करते हुए एक अभिनव प्रयास किया। अपने professional skills का उपयोग करते हुए योगेश जी और रजनीश जी ने मिलकर एक SmartGaon App तैयार किया है। ये App न केवल गाँव के लोगों को पूरी दुनिया से जोड़ रहा है बल्कि अब वे कोई भी जानकारी और सूचना स्वयं खुद के मोबाइल पर ही प्राप्त कर सकते हैं। रायबरेली के इस गाँव तौधकपुर के निवासियों, ग्राम-प्रधान, District Magistrate, CDO, सभी लोगों ने इस App के उपयोग के लिए लोगों को जागरूक किया। यह App गाँव में एक तरह से Digital क्रांति लाने का काम कर रहा है। गाँव में जो विकास के काम होते हैं, उसे इस App के ज़रिये record करना, track करना, monitor करना आसान हो गया है। इस App में गाँव की phone directory, News section, events list, health centre और Information centre मौजूद है। यह App किसानों के लिए भी काफी फायदेमंद है App का Grammar feature, किसानों के बीच FACT rate, एक तरह से उनके उत्पाद के लिए एक Market Place की तरह काम करता है। इस घटना को यदि आप बारीकी से देखेंगे तो एक बात ध्यान में आएगी वह युवा अमेरिका में, वहाँ के रहन-सहन, सोच-विचार उसके बीच जीवन जी रहा है। कई सालों पहले भारत छोड़ा होगा लेकिन फिर भी अपने गाँव की बारीकियों को जानता है, चुनौतियों को समझता है और गाँव से emotionally जुड़ा हुआ है। इस कारण, वह शायद गाँव को जो चाहिए ठीक उसके अनुरूप कुछ बना पाया। अपने गाँव, अपनी जड़ों से यह जुड़ाव और वतन के लिए कुछ कर दिखाने का भाव हर हिन्दुस्तानी के अन्दर स्वाभाविक रूप से होता है। लेकिन कभी-कभी समय के कारण, कभी दूरियों के कारण, कभी पारिस्थितियों के कारण, उस पर एक हल्की सी राख जम जाती है, लेकिन अगर कोई एक छोटी सी चिंगारी भी, उसका स्पर्श हो जाए तो सारी बातें फिर एक बार उभर करके आ जाती हैं और वो अपने बीते हुए दिनों की तरफ खींच के ले आती हैं। हम भी ज़रा जाँच कर लें कहीं हमारे case में भी तो ऐसा नहीं हुआ है, स्थितियाँ, परिस्थिति, दूरियों ने कहीं हमें अलग तो नहीं कर दिया है, कहीं राख तो नहीं जम गई है। जरुर सोचिये। + +अभी कुछ ही दिन पहले Finland में चल रही जूनियर अंडर-20 विश्व एथेलेटिक्स चैम्पियनशिप में 400 मीटर की दौड़, उस स्पर्धा में भारत की बहादुर बेटी और किसान पुत्री हिमा दास ने गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया है। देश की एक और बेटी एकता भयान ने मेरे पत्र के जवाब में इंडोनेशिया से मुझे email किया अभी वो वहाँ Asian Games की तैयारी कर रही हैं। E-mail में एकता लिखती हैं – ‘किसी भी एथलीट के जीवन में सबसे महत्वपूर्ण क्षण वो होता है जब वो तिरंगा पकड़ता है और मुझे गर्व है कि मैंने वो कर दिखाया।’ एकता हम सब को भी आप पर गर्व है। आपने देश का नाम रोशन किया है। Tunisia में विश्व पैरा एथलेटिक्स Grand Prix 2018 में एकता ने Gold और Bronze मेडल जीते हैं। उनकी यह उपलब्धि विशेष इसलिए है कि उन्होंने अपनी चुनौती को ही अपनी कामयाबी का माध्यम बना दिया। बेटी एकता भयान 2003 में, road accident के कारण उसके शरीर का आधा हिस्सा नीचे का हिस्सा नाकाम हो गया, लेकिन इस बेटी ने हिम्मत नही हारी और खुद को मजबूत बनाते हुए ये मुकाम हासिल किया। एक और दिव्यांग योगेश कठुनिया जी ने, उन्होंने Berlin में पैरा एथलेटिक्स Grand Prix में discus throw में गोल्ड मेडल जीतकर world record बनाया है उनके साथ सुंदर सिंह गुर्जर ने भी javelin में गोल्ड मेडल जीता है। मैं एकता भयान जी, योगेश कठुनिया जी और सुंदर सिंह जी आप सभी के हौसले और ज़ज्बे को सलाम करता हूँ, बधाई देता हूँ। आप और आगे बढ़ें, खेलते रहें, खिलते रहें। + diff --git a/pm-speech/578.txt b/pm-speech/578.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..5f57f669d9e70686b829d77ea6fe7435eba1947c --- /dev/null +++ b/pm-speech/578.txt @@ -0,0 +1,4 @@ +सबसे पहले तो मैं President रामाफ़ोसा को BRICS में Outreach प्रक्रिया को सशक्त बनाने के लिए बधाई देता हूँ। BRICS और अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं के बीच यह संवाद विकास के महत्वपूर्ण विषयों पर विचारों के आदान-प्रदान का एक अच्छा अवसर है। बड़ी संख्या में अफ़्रीकी देशों की यहाँ उपस्थिति स्वाभाविक भी है, और प्रसन्नता का विषय भी। अफ्रीका के साथ भारत के संबध ऐतिहासिक और गहरे हैं। अफ्रीका में स्वतंत्रता, विकास और शांति के लिए भारत के ऐतिहासिक प्रयासों के विस्तार को मेरी सरकार ने सबसे अधिक प्राथमिकता दी है। पिछले चार सालों में Heads of State and Government स्तर के 100 से भी अधिक आपसी यात्राओं और मुलाकातों के ज़रिये हमारे आर्थिक संबंध और विकास सहयोग नई ऊँचाइयों पर पहुंचे हैं। आज 40 से अधिक अफ़्रीकी देशों में 11 billion dollars से अधिक की 180 lines of credit जारी हैं। हर वर्ष 8000 अफ़्रीकी छात्रों को भारत में scholarships, 48 अफ्रीकी देशों में tele-medicine के लिए e-network, और private sector द्वारा 54 billion dollars के निवेश से, अफ्रीका में अफ्रीका की ज़रूरतों के आधार पर capacity building हो रही है। परसों Uganda की संसद को संबोधित करते हुए मैंने भारत और अफ्रीका की साझेदारी के 10सिद्धांतों का विस्तार से वर्णन किया है। ये 10 सिद्धांत अफ्रीका की आवश्यकतानुसार विकास के लिए सहयोग, शांति और सुरक्षा के लिए सहकार, और हमारे लोगों के बीच सैंकड़ों साल पुराने रिश्तों को और मजबूत करने के लिए दिशा निर्देश हैं। African Continental Free Trade Area की महत्वपूर्ण पहल के लिए, मैं सभी अफ़्रीकी देशों को हार्दिक बधाई देता हूँ। अफ्रीका में क्षेत्रीय economic integration के लिए हो रहे विविध प्रयासों का भी मैं स्वागत करता हूँ। + +Free Trade and Commerce ने पिछले तीन दशकों में hundreds of millions लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है। वैश्वीकरण और विकास के लाभ को लोगों तक पहुँचाना इस प्रक्रिया का प्रमुख हिस्सा था। और Global South इस प्रयास में बराबर का भागीदार था। 2008 के आर्थिक संकट के बाद से वैश्वीकरण के इस मूलभूत पहलू पर संरक्षणवाद के बादल मंडरा रहे हैं। इस प्रवृति का और विकास दर में मंदी का सबसे गहरा प्रभाव हम जैसे उन देशों पर पड़ा है जो औपनिवेशिक काल में औद्योगिक प्रगति के अवसरों का लाभ नहीं उठा पाए। आज हम एक बार फिर ऐतिहासिक मोड़ पर हैं। Digital Revolution के कारण हमारे लिए नई संभावनाएं उत्पन्न हो रही हैं। और इसलिए,यह जरूरी है कि हम automation, artificial intelligence और big data analytics के कारण होने वाले बदलाव के लिए पूरी तरह तैयार रहें। इसके लिए digital infrastructure और skilled workforce में निवेश की जरूरत होगी। और साथ ही, inclusive global value chains, workers mobility, portable social security frameworks और efficient remittance corridors भी हमारी प्राथमिकताएं हैं। + diff --git a/pm-speech/580.txt b/pm-speech/580.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..cb646ca6cff86aceabef07d0346b9bc8319c9f46 --- /dev/null +++ b/pm-speech/580.txt @@ -0,0 +1,14 @@ +इस महान सदन को संबोधित करने के आमंत्रण से मैं अत्यधिक गौरवान्वित हुआ हूं। मुझे अन्य संसदों में भी उपस्थित होने का सौभाग्य मिला है। बहरहाल, यह एक विशेष अवसर है। यह सम्मान पहली बार भारत के किसी प्रधानमंत्री को मिल रहा है। यह भारत के 1.25 अरब लोगों का सम्मान है। मैं इस सदन में और युगांडा के लोगों के लिए भारतीय नागरिकों की शुभकामनाएं और मित्रता लेकर आया हूं। सभापति महोदया, आपकी उपस्थिति से मुझे अपनी लोकसभा की याद आ गयी। हमारे यहां भी एक महिला ही लोकसभा की सभापति हैं। मुझे बडी तादाद में युवा संसद सदस्य नजर आ रहे हैं। यह लोकतंत्र के लिए शुभ समाचार है। जब भी मैं युगांडा आता हूं, मैं इस ‘अफ्रीका के मोती’ से मंत्रमुग्ध हो जाता हूं। यह सौंदर्य, संसाधनों की अपार संपदा और समृद्ध धरोहर की भूमि है। इसकी नदियों और सरोवरों ने इस विशाल भू-भाग की सभ्यताओं को पोषित किया है। मैं इस समय इतिहास के प्रति सचेत हूं कि सबसे बड़े लोकतंत्र का एक प्रधानमंत्री एक दूसरे संप्रभु राष्ट्र के चुने हुए संसद सदस्यों को संबोधित कर रहा है। हमारा प्राचीन सामुद्रिक संपर्क, औपनिवेशिक शासन का अंधकार युग, स्वतंत्रा के लिए हमारा साझा संघर्ष, विघटित विश्व में स्वतंत्र देशों के रूप में हमारी तत्कालीन अनिश्चित दिशा, नए अवसरों का उदय और हमारी युवा पीढी की आकांक्षाएं, सब साझा हैं। ये सब हमें जोड़ती हैं। + +हमारे लोग उस कड़ी का हिस्सा हैं, जो युगांडा और भारत को जोड़ती है। एक शताब्दी पूर्व अपार श्रम ने रेलवे के जरिए युगांडा को हिंद महासागर के किनारों से जोड़ा था। आपकी गरिमामयी उपस्थिति हमारी जनता के बीच मित्रता और एकजुटता के मूल्यवान संबंधों को उजागर करती है। आपने अपने देश और इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता स्थापित की है। आपने तमाम चुनौतियों के बीच विकास और प्रगति के रास्ते का अनुसरण किया है। आपने महिलाओं को शक्तिसंपन्न और राष्ट्र को अधिक समावेशी बनाया है। आपके दूरंदेश नेतृत्व ने भारतीय मूल के युगांडा नागरिकों को अपने घर लौटने में सक्षम बनाया। आपने उनको नया जीवन शुरू करने की प्रेरणा दी और उनके इस प्रिय देश को दोबारा निर्मित करने में सहायता दी। स्टेट-हाउस में दीपावली समारोह के आयोजन से आपने भारत और युगांडा को जोड़ने वाली तमाम कड़ियों को रौशन किया। जिनजा नामक स्थान बहुत पवित्र है, जो नील नदी के स्रोत पर है। यहां महात्मा गांधी की अस्थियों का एक हिस्सा प्रवाहित किया गया था। वे जीवन पर्यन्त और उसके बाद भी अफ्रीका और अफ्रीकी लोगों के साथ हैं। जिन्जा के इसी पवित्र स्थल पर, जहां आज गांधी जी की प्रतिमा लगी है, वहां हम गांधी धरोहर केन्द्र बनाऐंगे। महात्मा गांधी 150वीं जयंती आ रही है। केन्द्र बनाने का इससे बेहतर अवसर नहीं होगा। हमें इससे पता लगेगा कि महात्मा गांधी के मिशन को आकार देने में अफ्रीका की क्या भूमिका रही है तथा कैसे अफ्रीका स्वतंत्रता और न्याय के लिए प्रेरित हो सका। हमें महात्मा गांधी के जीवन और संदेश के मूल्यों के बारे में भी जानकारी मिलेगी। + +भारत का अपना स्वतंत्रता संग्राम अफ्रीका के साथ बहुत गहराई से जुड़ा है। यह केवल अफ्रीका में गांधी जी द्वारा बिताये गये 21 वर्ष या उनका पहला असहयोग आंदोलन ही नहीं है। भारत के लिए स्वतंत्रता संग्राम के नैतिक सिद्धांत या शांतिपूर्ण माध्यम से उसे प्राप्त करने की प्रेरणा भारत की सीमाओं तक ही सीमित नहीं थी या भारतीयों का भविष्य यहीं तक सीमित नहीं रहा। यह मानव मात्र की मुक्ति, सम्मान, समानता और अवसर के यह सार्वभौमिक खोज थी। अफ्रीका से अधिक यह बात कहीं और लागू नहीं हो सकती। हमारी स्वतंत्रता के 20 वर्ष पूर्व हमारे स्वतंत्रता संग्राम के नेताओं ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम को पूरे विश्व और खासतौर से अफ्रीका के संदर्भ में औपनिवेशिक शासन के विरूध संघर्ष से जोड़ा था। जब भारत स्वतंत्रता के द्वार पर खड़ा था, तब हमारे मन में अफ्रीका के भविष्य का भी ध्यान था। महात्मा गांधी मजबूती से मानते थे कि भारत की आजादी तब तक अधूरी रहेगी, जब तक अफ्रीका गुलामी की बेड़ियों में जकड़ा रहेगा। स्वतंत्र भारत कभी उनके शब्दों को नहीं भूला। भारत ने बानडुंग में अफ्रीका-एशियाई एकजुटता का प्रयास किया था। हमने दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद का हमेशा सख्त विरोध किया है। हमने पूर्व रोडेशिया-जो अब जिम्बाबवे है, वहां, गिनी बसाऊ, अंगोला और नामीबिया के मामलों में स्पष्ट रुख अपनाया है। गांधी जी के शांतिपूर्ण प्रतिरोध ने नेल्सन मंडेला, डेसमंड टूटू, अल्बर्ट लुतहुली, जूलियस न्येरेरे और क्वामे एनक्रूमाह जैसी हस्तियों को प्रेरित किया। इतिहास भारत और अफ्रीका के प्राचीन ज्ञान और शांतिपूर्ण प्रतिरोध करने की अपार शक्ति का गवाह है। अफ्रीका में कई महत्वपूर्ण बदलाव गांधी वादी तरीकों से आये हैं। अफ्रीका के मुक्ति आंदोलनों के प्रति सैद्धांतिक समर्थन के लिए भारत को प्राय: अपने व्यापार का खामियाजा उठाना पड़ा है। लेकिन अफ्रीका की स्वतंत्रता की तुलना में इस बात का कोई महत्व नहीं है। + +भारत को अफ्रीका का साझेदार होने पर गर्व है। और, महाद्वीप में युगांडा हमारी प्रतिबद्धता के केन्द्र में है। कल मैंने युगांडा के लिए दो स्तरीय ऋण की घोषणा की थी। पहले स्तर पर बिजली के लिए 141 मिलियन अमरीकी डॉलर है। दूसरे स्तर पर कृषि और डेयरी उत्पादन के लिए 64 मिलियन अमरीकी डॉलर है। अतीत की तरह हम कृषि और स्वास्थ्य सुविधा, शिक्षा और प्रशिक्षण, संरचना और ऊर्जा, सरकार में क्षमता निर्माण और रक्षा क्षेत्र में प्रशिक्षण जैसे क्षेत्रों में युगांडा की जनता की आकांक्षाओं को समर्थन देते रहेंगे। मैं अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन में शामिल होने के फैसले के लिए राष्ट्रपति मुसेवेनी और इस सदन को धन्यवाद देता हूं। + +हमारी विकास साझेदारी में 40 से अधिक अफ्रीकी देशों में लगभग 11 बिलियन के 180 अमरीकी डॉलर के ऋण व्‍यवस्‍थाओं को लागू करना शामिल है। पिछली भारत अफ्रीका फोरम शिखर बैठक में हमने 10 बिलि‍यन डॉलर के रियायती ऋण का वचन दिया और 600 मिलियन डॉलर की अनुदान सहायता दी। विभिन्‍न कार्यक्रमों में प्रत्‍येक वर्ष 8000 से अधिक अफ्रीकी युवा प्रशिक्षित किये जा रहे हैं। हमेशा की तरह हमारे प्रयास आपकी प्राथमिकताओं से प्रेरित रहेंगे। भारतीय कंपनियों ने अफ्रीका में 54 बिलियन डॉलर से अधिक का निवेश किया है। अफ्रीका के साथ हमारा व्‍यापार अब 62 बिलियन डॉलर से अधिक है। यह पिछले वर्ष की तुलना में 21 प्रतिशत से अधिक है। संपूर्ण अफ्रीका ई-नेटवर्क 48 अफ्रीकी देशों को भारत से और एक दूसरे से जोड़ता है। यह अफ्रीका में डिजिटल नवाचार के लिए नई रीढ़ हो सकता है। अनेक तटीय देशों के साथ हमारी साझेदारी सतत रूप से नील अर्थव्‍यवस्‍था का दोहन करना चाहती है और भारत की औषधियों ने उन बीमारियों की दिशा मोड दी है जो कभी अफ्रीका के भविष्‍य के लिए खतरा थीं। भारतीय औषधियों ने लोगों के लिए स्‍वास्‍थ्‍य सेवा को किफायती और पहुंच योग्‍य बना दिया है। + +जिस तरह हम समृद्धि के लिए एक साथ काम करते हैं उसी तरह शांति के लिए हम एकजुट हैं। भारतीय सैनिकों ने सेवा की है ताकि अफ्रीकी बच्‍चे शांति का भविष्‍य देख सकें। 1960 में कांगो में हमारे प्रथम मिशन के बाद से अफ्रीका में संयुक्‍त राष्‍ट्र शांति मिशनों में भारतीय शांति सैनिकों द्वारा किये गये कार्यों पर गर्व है। विश्‍व में संयुक्‍त राष्‍ट्र के सभी शांति मिशनों में 163 भारतीयों ने सर्वोच्‍च बलिदान दिये। यह किसी देश की सर्वाधिक संख्‍या है। इनमें से 70 प्रतिशत सैनिकों ने अफ्रीका में अपनी शहादत दी। आज अफ्रीका में 6000 से अधिक सैनिक 5 शांति कार्रवाईयों में शामिल हैं। भारतीय महिलाओं ने लाइबेरिया में संयुक्‍त राष्‍ट्र की समस्‍त महिला पुलिस इकाई में योगदान देकर ऐतिहासिक कार्य किया है। अफ्रीकी देशों के साथ हमारा रक्षा और सुरक्षा सहयोग बढ़ रहा है। हम आतंकवाद और पायरेसी का मुकाबला करने और अपने समुद्रों को सुरक्षित रखने के लिए एक साथ काम कर रहे हैं। + +यदि वर्तमान सदी देशों की शताब्दी होनी है स्‍वतंत्रता और समानता में एक साथ जग्रति होनी है, यदि मानव जाति पर अवसरों की किरण का युग होना है यदि हमारे ग्रह का भविष्‍य आशावान होना है तो अफ्रीकी द्वीप को शेष विश्‍व के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना होगा। भारत आपके साथ आपके लिए कार्य करेगा। हमारी साझेदारी अफ्रीका में सशक्तिकरण के उपायों का सृजन करेगी। आपके प्रयासों में पारदर्शिता के साथ और समानता के सिद्धांतों पर हम एकजुटता के साथ खडे होंगे। भारत की दो तिहाई आबादी और अफ्रीका की दो तिहाई आबादी 35 वर्ष से कम आयु की है और यदि भविष्‍य युवाओं का है तो यह शताब्‍दी हमारी है और हमें युगांडा की कहावत ‘जो अधिक प्रयास करता है उसे लाभ मिलेगा’ से हमको निर्देशित होना है। भारत ने अफ्रीका के लिए अतिरिक्‍त प्रयास किया है और अफ्रीका के भविष्‍य के लिए हम सदा ऐसा करते रहेंगे। + diff --git a/pm-speech/582.txt b/pm-speech/582.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..d265b6ed7704b5e7f2de3eb8d5a60705d1a38ae8 --- /dev/null +++ b/pm-speech/582.txt @@ -0,0 +1,4 @@ +यह मेरा सौभाग्य है कि दो दशकों के बाद भारत के प्रधानमंत्री की पहली द्विपक्षीय यात्रा के लिए मेरा युगांडा आना हुआ है। President मुसेवेनी भारत के बहुत पुराने मित्र हैं। मेरा भी उनसे बहुत पुराना परिचय है। 2007 में जब मैं गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में यहाँ आया था, उस यात्रा की मधुर यादें आज भी ताज़ा हैं। और आज राष्ट्रपति जी के उदार शब्दों, और हमारे गर्मजोशी भरे स्वागत-सत्कार और सम्मान के लिए मैं उनका ह्रदय से आभार प्रकट करता हूँ। + +युगांडा की जनता के प्रति हमारी मित्रता की अभिव्यक्ति के रूप में भारत सरकार ने Uganda Cancer Institute, कमपाला को एक अत्याधुनिक कैंसर थेरेपी मशीन गिफ्ट करने का निर्णय लिया है। मुझे यह जानकर खुशी है कि इस मशीन से न केवल हमारे युगांडा के मित्रों की बल्कि पूर्वी अफ्रीकी देशों के मित्रों की भी जरूरत पूरी होगी। युगांडा में energy infrastructure और कृषि तथा डेरी sector के विकास के लिए हमने लगभग Two Hundred million dollars की दो lines of credit के प्रस्तावों को मंजूरी दी है। यह संतोष का विषय है कि रक्षा क्षेत्र में भी हमारा सहयोग आगे बढ़ रहा है। Military training में हमारे सहयोग का लम्बा इतिहास है। हम इस सहयोग को और अधिक मजबूत करने के लिए तैयार हैं। हमने युगांडा सेना के लिए और civil कामों के लिए vehicles और ambulances देने का निर्णय भी लिया है। Trade and Investment में हमारे संबंध मजबूत हो रहे हैं। कल राष्ट्रपति जी के साथ मिल कर मुझे दोनों देशों के प्रमुख business leaders के साथ मिल कर इन संबंधों को और अधिक बल देने पर चर्चा करने का अवसर मिलेगा। + diff --git a/pm-speech/583.txt b/pm-speech/583.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..916a196e4dad3201d920d665c6e82b02e6ae8217 --- /dev/null +++ b/pm-speech/583.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +मैं पहला भारत का प्रधानमंत्री हूं जिसे यहां आने का अवसर मिला है। लेकिन मुझे खुशी है कि भारत से बहुत बड़ा Business Delegation मेरे साथ आया है। वो इस बात का सबूत है कि भारत तो तेजी से grow कर रहा है। लेकिन हमारा मंत्र तो सबका साथ सबका विकास है और इसलिए हम तो grow करें लेकिन हमारे साथ जुड़कर के चलने वाले जो भी हो लोग सबको grow करने में मदद करें और हम साथ मिलकर के चलेगें। ये मूलभूत हमारी कल्‍पना है। + +जिस देश के मुखिया का development के प्रति इतना commitment हो नई-नई चीजें को समझना, स्‍वीकारना और साबित करना जिनकी प्रवृति हो। मैं समझता हूं ऐसे देश में काम करने के लिए कभी कोई रूकावट नहीं होती है। अनगिनत अवसर होते हैं। और आप एक खिड़की खोलोगे तो दूसरी खिड़की नजर आएगी। दूसरी खोलोगे तो दूसरा महल नजर आएगा। और आप आगे जाएगें, बढ़ते जाएगें, पाते जाएगें। ये संभावनाएं मैं यहां साफ-साफ देख रहा हूं। और इसलिए भारत में भी उतनी ही संभावना है। रिवांडा में ऐसे Business के लोग, वे भी अगर भारत में grow करना चाहते हैं। भारत उनको हर प्रकार की सुविधा देने के लिए तैयार है। मैं उनको निमंत्रण देता हूं। लेकिन मैं भारत के लोगों से आग्रह करूंगा कि रिवांडा जिस आधुनिकता की दिशा में जा रहा है। चाहे Infrastructure हो या rural development हो चाहे economical activity हो। Small scale Industries का Network खड़ा करना चाहते हैं। cottage Industries का Network खड़ा करना चाहते हैं। यहां जो चीजें product हो उनका ग्‍लोबल मार्किट चाहते हैं। ये सारे विषय ऐसे हैं कि जिसमें भारत के व्‍यापार उद्योग जगत के लोग मिलकर के बहुत कुछ कर सकते हैं। + +भारत में Make in India Movement चलाई है। इस Make in India Movement को भी हम रिवांडा के साथ शेयर कर सकते हैं, उनके साथ जुड़ सकते हैं। International solar alliance के माध्‍यम से हम climate change issues को tackle करने के लिए अग्रसर हैं लेकिन जिंदगी affordable बने उस पर सोलर एनर्जी कैसे काम आए। उस पर एक बहुत बड़ा अभियान चलाया जा रहा है। मैं चाहता हूं कि रिवांडा के लोग आगे आए। आज राष्‍ट्रपति जी के साथ travel कर रहा था। हमने एलईडी बल्‍ब का प्रयोग बताया + diff --git a/pm-speech/584.txt b/pm-speech/584.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..c3ea54c771e624abce8d39c4cb5edf58b7426ae5 --- /dev/null +++ b/pm-speech/584.txt @@ -0,0 +1,4 @@ +राष्ट्रपति जी के दोस्ताना शब्दों, और मेरे तथा मेरे delegation के गर्मजोशी भरे स्वागत और सम्मान के लिए मैं ह्रदय से आभार प्रकट करता हूँ। राष्ट्रपति जी स्वयं मेरा स्वागत करने airport आए। उनका यह special gesture पूरे भारत का सम्मान है। कल सुबह, Kigali जेनोसाइड मेमोरियल पर मैं श्रद्धाजंलि अर्पित करूंगा। 1994 के जेनोसाइड के बाद Rwanda ने जो शांति-प्रक्रिया अपनाई है, वह सच्चे अर्थों में सराहनीय और अनूठी है। President Kagame का कुशल नेतृत्व ही है जिनके प्रभावी और सक्षम शासन से Rwanda आज तेज गति से आर्थिक प्रगति कर रहा है। + +भारत और Rwanda के संबंध समय की कसौटी पर खरे उतरे हैं। हमारे लिए यह गर्व का विषय है कि Rwanda की आर्थिक विकास और राष्ट्रीय विकास यात्रा में भारत आपका विश्वस्त साझेदार रहा है। Rwanda की विकास यात्रा में हमारा योगदान आगे भी बना रहेगा। हम training, technology, infrastructure development और project assistance के क्षेत्रों में सहयोग करते रहे हैं। Finance, management, rural development और ICT जैसे क्षेत्रों में हम Rwanda के लिए अग्रणी भारतीय संस्थानों में training प्रदान करते हैं। Capacity building में इस योगदान को हम और बढ़ाना चाहेंगे। आज हमने Two hundred million dollars के lines of credit और training के विषय पर समझौते किये हैं। आज हमने नए क्षेत्रों जैसे लेदर और डेरी research सहित दोनों देशों के बीच सहयोग के विभिन्न क्षेत्रों पर भी चर्चा की है। इस संदर्भ में, मैं कल राष्ट्रपति जी के साथ रवेरू आदर्श गाँव की यात्रा के बारे में बहुत उत्सुक हूँ। भारत स्वयं एक कृषि प्रधान देश है, और हमारी अधिकांश जन-संख्या गावों में बसती है। और इसलिए, मैं ग्रामीण जीवन को सुधारने के लिए Rwanda के अनुभव से और राष्ट्रपति जी की पहलों से लाभान्वित होना चाहता हूँ। मेनीफेकचरिंग Sector, Hospitality और Tourism सहित हमने ऐसे बहुत से क्षेत्र प्रस्तावित किए हैं जहां भारत और Rwanda व्यापक विकासात्मक भागीदारी मजबूत कर सकते हैं। हम अपने व्यापारिक और निवेश संबंधों को और अधिक मजबूत करना चाहते हैं। और इसलिए, President कगामे और मैं कल दोनों देशों के प्रमुख business leaders से मिलेंगे और उनके सुझावों पर विचार करेंगे। + diff --git a/pm-speech/586.txt b/pm-speech/586.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..77e9f7bf894a19b00c2f8b2307e5eb58548ecbfd --- /dev/null +++ b/pm-speech/586.txt @@ -0,0 +1,14 @@ +मेरे प्यारे देशवासियो! इस 21 जून को चौथे ‘योग दिवस’ पर एक अलग ही नज़ारा था। पूरी दुनिया एकजुट नज़र आयी। विश्व-भर में लोगों ने पूरे उत्साह और उमंग के साथ योगाभ्यास किया। Brussels में European Parliament हो,New York स्थित संयुक्तराष्ट्र का मुख्यालय हो, जापानी नौ-सेना के लड़ाकू जहाज़ हों, सभी जगह लोग योग करते नज़र आए। सऊदी अरब में पहली बार योग का ऐतिहासिक कार्यक्रम हुआ और मुझे बताया गया है कि बहुत सारे आसनों का demonstration तो महिलाओं ने किया। लद्दाख की ऊँची बर्फीली चोटियों पर भारत और चीन के सैनिकों ने एक-साथ मिलकर के योगाभ्यास किया। योग सभी सीमाओं को तोड़कर,जोड़ने का काम करता है। सैकड़ों देशों के हजारों उत्साही लोगों ने जाति, धर्म, क्षेत्र, रंग या लिंग हर प्रकार के भेद से परे जाकर इस अवसर को एक बहुत बड़ा उत्सव बना दिया। यदि दुनिया भर के लोग इतने उत्साहित होकर ‘योग दिवस’ के कार्यक्रमों में भाग ले रहे थे तो भारत में इसका उत्साह अनेक गुना क्यों नहीं होगा। + +मेरे प्यारे देशवासियो!MyGov और NarendraModiApp पर कई लोगों ने मुझे लिखा है कि मैं इस बार की ‘मन की बात’ में 1 जुलाई को आने वाले Doctor’s Day के बारे में बात करूँ – सही बात है। हम मुसीबत के समय ही डॉक्टर को याद करते हैं लेकिन यह एक ऐसा दिन है, जब देश हमारे डॉक्टर्स की उपलब्धियों को celebrate करता है और समाज के प्रति उनकी सेवा और समर्पण के लिए उन्हें बहुत-बहुत धन्यवाद देता है। हम वो लोग हैं,जो स्वाभवतः माँ को भगवान के रूप में पूजते हैं, भगवान के बराबर मानते हैं क्योंकि माँ हमें जीवन देती है, माँ हमें जन्म देती है, तो कई बार डॉक्टर हमें पुनर्जन्म देता है। डॉक्टर की भूमिका केवल बीमारियों का इलाज़ करने तक सीमित नहीं है। अक्सर डॉक्टर परिवार के मित्र की तरह होते हैं। हमारे life style guides हैं – “They not only cure but also heal”। आज डॉक्टर के पास medical expertise तो होती ही है,साथ ही उनके पास general life style trends के बारे में, उसका हमारे स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है, इन सबके बारे में गहरा अनुभव होता है। भारतीय डॉक्टरों ने अपनी क्षमता और कौशल से पूरे विश्व में अपनी पहचान बनायी है। medical profession में महारत,hardworking के साथ-साथ हमारे डॉक्टर complex medical problems को solve करने के लिए जाने जाते हैं। ‘मन की बात’ के माध्यम से मैं सभी देशवासियों की तरफ़ से हमारे सभी डॉक्टर साथियों को आगामी 1 जुलाई को आने वाले ‘Doctor’s Day’ की ढेरों शुभकामनाएँ देता हूँ। + +“प्रधानमंत्री जी नमस्कार! मैं डॉ. सुरेन्द्र मिश्र बोल रहा हूँ। हमें ज्ञात हुआ है कि 28 जून को आप मगहर आ रहे हैं। मैं मगहर के ही बगल में एक छोटे से गाँव टडवा, जो गोरखपुर में है, वहाँ का रहने वाला हूँ। मगहरकबीर की समाधि स्थली है और कबीर को लोग यहाँ पर सामाजिक समरसता के लिए याद रखते हैं और कबीर के विचारों पर हर स्तर पर चर्चा होती है। आपकी कार्ययोजना से इस दिशा में समाज के सभी स्तरों पर काफ़ी प्रभाव होगा। आपसे प्रार्थना है कि कृपया भारत सरकार की जो कार्ययोजना है, उसके बारे में अवगत करवाने की कृपा करें ।” + +आपके फ़ोन कॉल के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। ये सही है कि मैं 28 तारीख़ को मगहर आ रहा हूँ और वैसे भी जब मैं गुजरात में था, गुजरात का कबीरवड तो आप भलीभांति जानते हैं। जब मैं वहाँ काम करता था तो मैंने एक संत कबीर की परंपरा से जुड़े लोगों का एक बड़ा, एक राष्ट्रीय अधिवेशन भी किया था। आप लोग जानते हैं, कबीरदास जी मगहर क्यों गए थे ? उस समय एक धारणा थी कि मगहर में जिसकी मृत्यु होती है, वह स्वर्ग नहीं जाता। इसके उलट काशी में जो शरीर त्याग करता है, वो स्वर्ग जाता है। मगहर को अपवित्र माना जाता था लेकिन संत कबीरदास इस पर विश्वास नहीं करते थे। अपने समय की ऐसी ही कुरीतियाँ और अंधविश्वासों को उन्होंने तोड़ने का काम किया और इसलिए वे मगहर गए और वहीँ उन्होंने समाधि ली। संत कबीरदास जी ने अपनी साखियों और दोहों के माध्यम से सामाजिक समानता, शांति और भाईचारे पर बल दिया। यही उनके आदर्श थे। उनकी रचनाओं में हमें यही आदर्श देखने को मिलते हैं और आज के युग में भी वे उतने ही प्रेरक है। उनका एक दोहा है:- + +मेरे प्यारे देशवासियो! दिल्ली के रोहिणी के श्रीमान रमण कुमार ने ‘Narendra Modi Mobile App’ पर लिखा है कि आने वाली 6 जुलाई को डॉ० श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्मदिन है और वे चाहते हैं इस कार्यक्रम में डॉ० श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बारे में देशवासियों से बात करूँ। रमण जी सबसे पहले तो आपको बहुत-बहुत धन्यवाद। भारत के इतिहास में आपकी रूचि देखकर काफ़ी अच्छा लगा। आप जानते हैं, कल ही डॉ० श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि थी 23, जून को। डॉ० श्यामा प्रसाद मुखर्जी कई क्षेत्रों से जुड़े रहे लेकिन जो क्षेत्र उनके सबसे करीब रहे वे थे education, administration और parliamentary affairs,बहुत कम लोगों को पता होगा कि वे कोलकाता विश्वविद्यालय के सबसे कम उम्र के Vice Chancellor थे। जब वे Vice Chancellor बने थे तब उनकी उम्र मात्र 33 वर्ष थी। बहुत कम लोग ये जानते होंगे कि 1937 में डॉ० श्यामा प्रसाद मुखर्जी के निमंत्रण पर श्री गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने कोलकाता विश्वविद्यालय में convocation को बांग्ला भाषा में संबोधित किया था। यह पहला अवसर था, जब अंग्रेजों की सल्तनत थी और कोलकाता विश्वविद्यालय में किसी ने बांग्ला भाषा में convocation को संबोधित किया था। 1947 से 1950 तक डॉ० श्यामा प्रसाद मुखर्जी भारत के पहले उद्योग मंत्री रहे और एक अर्थ में कहें तो उन्होंने भारत का औद्योगिक विकास का मज़बूत शिलान्यास किया था, मज़बूत base तैयार किया था, एक मज़बूत platform तैयार किया था। 1948 में आई स्वतंत्र भारत की पहली औद्योगिक नीति उनके ideas और visions की छाप लेकर के आई थी। डॉ० मुखर्जी का सपना था भारत हर क्षेत्र में औद्योगिक रूप से आत्मनिर्भर हो, कुशल और समृद्ध हो। वे चाहते थे कि भारत बड़े उद्योगों को develop करे और साथ ही MSMEs,हथकरघा, वस्त्र और कुटीर उद्योग पर भी पूरा ध्यान दे। कुटीर और लघु उद्योगों के समुचित विकास के लिए उन्हें finance और organization setup मिले, इसके लिए 1948 से 1950 के बीच All India Handicrafts Board, All India Handloom Board और Khadi & Village Industries Board की स्थापना की गई थी। डॉ० मुखर्जी का भारत के रक्षा उत्पादन के स्वदेशीकरण पर भी विशेष ज़ोर था। Chittaranjan Locomotive Works Factory, Hindustan Aircraft Factory, सिंदरी का खाद कारखाना और दामोदर घाटी निगम, ये चार सबसे सफ़ल और बड़े projectsऔर दूसरे river valley projects की स्थापना में डॉ० श्यामा प्रसाद मुखर्जी का बहुत बड़ा योगदान था। पश्चिम बंगाल के विकास को लेकर वे काफ़ी passionate थे। उनकी समझ, विवेक और सक्रियता का ही परिणाम है कि बंगाल का एक हिस्सा बचाया जा सका और वह आज भी भारत का हिस्सा है। डॉ० श्यामा प्रसाद मुखर्जी के लिए, जो सबसे महत्वपूर्ण बात थी, वो थी भारत की अखंडता और एकता – और इसी के लिए 52 साल की कम उम्र में हीउन्होंने अपनी जान भी गवानी पड़ी। आइये! हम हमेशा डॉ० श्यामा प्रसाद मुखर्जी के एकता के सन्देश को याद रखें, सद्भाव और भाईचारे की भावना के साथ, भारत की प्रगति के लिए जी-जान से जुटे रहें। + +मेरे प्यारे देशवासियो! मैं हमेशा अनुभव करता हूँ, अगर हम हमारे आस-पास देखें तो कहीं-न-कहीं कुछ-न-कुछ अच्छा होता है। अच्छा करने वाले लोग होते हैं। अच्छाई की सुगंध हम भी अनुभव कर सकते हैं। पिछले दिनों एक बात मेरे ध्यान में आई और यह बड़ा अनोखा combination है। इसमें एक तरफ़ जहाँ professionals और engineers हैं वहीं दूसरी तरफ खेत में काम करने वाले, खेती से जुड़े हमारे किसान भाई-बहन हैं। अब आप सोच रहें होंगे कि यह तो दो बिल्कुल अलग-अलग व्यवसाय हैं – इनका क्या संबंध? लेकिन ऐसा है, बेंगलुरु में corporate professionals, IT engineers साथ आये। उन्होंने मिलकर के एक सहज ‘समृद्धि ट्रस्ट’ बनाया है और उन्होंने किसानों की आय दोगुनी हो, इसके लिए इस ट्रस्ट को activate किया। किसानों से जुड़ते गए, योजनाएँ बनाते गए और किसानों की आय बढ़ाने के लिए सफल प्रयास करते रहे। खेती के नए गुण सिखाने के साथ-साथ जैविक खेती कैसे की जाए? खेतों में एक फसल के साथ-साथ और भी फसल कैसे उगाई जाए? ये ट्रस्ट के द्वारा इन professional, engineer, technocratकेद्वाराकिसानों को training दी जाने लगी। पहले जो किसान अपने खेतों में एक ही फसल पर निर्भर हुआ करते थे। उपज भी अच्छी नहीं होती थी और मुनाफ़ा भी ज़्यादा नहीं होता था। आज वह न केवल सब्जियाँ उगा रहें हैं और बल्कि अपनी सब्जियों की marketing भी ट्रस्ट के माध्यम से कर के, अच्छे दाम पा रहे हैं। अनाज़ उत्पादन करने वाले किसान भी इससे जुड़ें हुए हैं। एक तरफ फसल के उत्पाद से लेकर के marketing तक पूरी chain में किसानों की एक प्रमुख भूमिका है तो दूसरी तरफ मुनाफ़े में किसानों की भागीदारी सुनिश्चित उनका हक़ सुनिश्चित करने का प्रयास है। फसल अच्छी हो, उसके लिए अच्छी नस्ल की बीजें हों। इसके लिए अलग सीड-बैंक बनाया गया है। महिलाएँ इस सीड-बैंक का कामकाज देखती हैं। महिलाओं को भी जोड़ा गया है। मैं इन युवाओं को इस अभिनव प्रयोग के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूँ और मुझे खुशी है कि professionals,technocrat, engineering की दुनिया से जुड़ेइन नौजवानों ने अपने दायरे से बाहर निकल कर के किसान के साथ जुड़ना, गाँव के साथ जुड़ना, खेत और खलिहान के साथ जुड़ने का जो रास्ता अपनाया है। मैं फिर एक बार मेरे देश की युवा-पीढ़ी को उनके इस अभिनव प्रयोगों, को कुछ जो शायद मैंने जाना होगा, कुछ नहीं जाना होगा, कुछ लोगों को पता होगा, कुछ पता नहीं होगा लेकिन निरंतर कोटि-कोटि लोग कुछ-न-कुछ अच्छा कर रहे हैं, उन सबको मेरी तरफ से बहुत-बहुत शुभकामना हैं। + +मेरे प्यारे देशवासियो!GST को एक साल पूरा होने वाला है ‘One Nation, One Tax’ देश के लोगों का सपना था, वो आज हक़ीक़त में बदल चुका है। One Nation One Tax reform,इसके लिए अगर मुझे सबसे ज्यादा किसी को credit देनी है तो मैं राज्यों को credit देता हूँ। GST Cooperative federalism का एक बेहतरीन उदाहरण है, जहाँ सभी राज्यों ने मिलकर देशहित में फ़ैसला लिया और तब जाकर देश में इतना बड़ा tax reform लागू हो सका। अब तक GST Councilकी 27 meeting हुई हैं और हम सब गर्व कर सकते हैं कि भिन्न-भिन्न राजनीतिक विचारधारा के लोग वहाँ बैठते हैं, भिन्न-भिन्न राज्यों के लोग बैठते हैं, अलग-अलग priority वालेराज्य होते हैं लेकिन उसके बावजूद भी GST Council में अब तक जितने भी निर्णय किये गए हैं, वे सारे के सारे सर्वसहमति से किये गए हैं। GST से पहले देश में 17 अलग-अलग प्रकार के tax हुआ करते थे लेकिन इस व्यवस्था में अब सिर्फ़ एक ही tax पूरे देश में लागू है। GST ईमानदारी की जीत है और ईमानदारी का एक उत्सव भी है। पहले देश में काफ़ी बार tax के मामले में इंस्पेक्टरराज की शिकायतें आती रहती थी। GST मेंइंस्पेक्टर की जगह IT ने information technology ने ले ली है। return से लेकर refund तक सब कुछ online information technology के द्वारा होता है। GST के आने से check post ख़त्म हो गई और माल सामानों की आवाजाही तेज़ हो गई, जिससे न सिर्फ़ समय बच रहा है बल्कि logistics क्षेत्र में भी इसका काफ़ी लाभ मिल रहा है। GST शायद दुनिया का सबसे बड़ा tax reform होगा। भारत में इतना बड़ा tax reform सफ़ल इसलिए हो पाया क्योंकि देश के लोगों ने इसे अपनाया और जन-शक्ति के द्वारा ही GST की सफ़लता सुनिश्चित हो सकी। आमतौर पर ऐसा माना जाता है कि इतना बड़ा reform, इतना बड़ा देश, इतनी बड़ी जनसंख्या इसको पूर्ण रूप से स्थिर होने में 5 से 7 साल का समय लगता है लेकिन देश के ईमानदार लोगों का उत्साह, देश की ईमानदारी का उत्सव जन-शक्ति की भागीदारी का नतीज़ा है कि एक साल के भीतर-भीतर बहुतेक मात्रा में ये नई कर प्रणाली अपनी जगह बना चुकी है, स्थिरता प्राप्त कर चुकी है और आवश्यकता के अनुसार अपनी inbuilt व्यवस्था के द्वारा वो सुधार भी करती रहती है। ये अपने आप में एक बहुत बड़ी सफ़लता सवा-सौ करोड़ देशवासियों ने अर्जित की है | + diff --git a/pm-speech/587.txt b/pm-speech/587.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..bb3da185c847539273747b96ebcd99e8ab5cf534 --- /dev/null +++ b/pm-speech/587.txt @@ -0,0 +1,14 @@ +जून महीने की इस भयानक गर्मी में आप सभी का इतनी बड़ी संख्या में आना मेरे लिए, हम सभी सा‍थियों के लिए, एक बहुत बड़ा आशीर्वाद है। आपके इस स्नेह के आगे मैं सिर झुका करके नमन करता हूं। आपकी यही ऊर्जा, यही आशीर्वाद, भारतीय जनता पार्टी के हर कार्यकर्ता को आपकी सेवा करने के लिए नित्‍य नूतन प्रेरणा देता रहता है। + +इन जिलों के गांवों में अब राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान के तहत जरूरी सुविधाओं को पहुंचाने का काम भी किया जा रहा है। सरकार अब ये सुनिश्चित कर रही है कि आने वाले समय में इन जिलों के हर गांव में, सभी के पास उज्ज्वला योजना के तहत गैस कनेक्शन हो; सौभाग्य योजना के तहत हर घर में बिजली कनेक्शन हो; जनधन योजना के तहत सभी के पास बैंक खाते हों; सभी को सुरक्षा बीमा का कवच मिला हो; इंद्र धनुष योजना के तहत हर गर्भवती महिला और बच्चे का टीकाकरण हो। + +यानि एक जमाना था जब मालवा की धरती में ना तो धन धान्य की कमी थी और ना ही पानी की कोई कमी थी। कदम-कदम पर यहां पानी मिला करता था। लेकिन पहले की सरकारों ने जिस तरह का काम किया, उसमें पानी के साथ ये कहावत भी संकट में पड़ गई। लेकिन बीते वर्षों में शिवराज जी के नेतृत्व में भाजपा सरकार ने मालवा और मध्य प्रदेश की पुरानी पहचान को लौटाने का गंभीर प्रयास किया है। + +साथियों, 2007 में सिंचाई परियोजनाओं से मध्य प्रदेश में सिर्फ साढ़े सात लाख हेक्टेयर क्षेत्र में ही सिंचाई होती थी। शिवराज जी के शासन में अब ये बढ़कर 40 लाख हेक्टेयर हो गई है। जो लोग टीवी पर देश में सुन रहे हैं, उनको भी मैं कहता हूं भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने से पहले साढ़े सात लाख हेक्‍टेयर और भारतीय जनता पार्टी की सरकार के कार्यकाल में 40 लाख हेक्‍टेयर। अब तो राज्य सरकार इसे 2024 तक दोगुना करने के लक्ष्य पर काम कर रही है। Micro irrigation system के विस्तार के लिए 70 हजार करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं। + +मध्य प्रदेश को प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना से भी पूरी मदद मिल रही है। राज्य में इस योजना के तहत 14 परियोजनाओं पर काम चल रहा है। मध्य प्रदेश को भी इस योजना के तहत करीब 1400 करोड़ रुपए दिए गए हैं। इस योजना के माध्यम से ‘per drop more crop’ के मिशन को भी आगे बढ़ाया जा रहा है। चार वर्षों के परिश्रम का परिणाम है कि देशभर में माइक्रो इरीगेशन का दायरा 25 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है। इसमें डेढ़ लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि मध्य प्रदेश की है। + +साथियों, आजकल आप भी देख रहे होंगे कि सरकारी योजनाओं के बारे में वीडियो तकनीक और नमो एप्प के माध्यम से मैं अलग-अलग लोगों से बात कर रहा हूं। तीन दिन पहले ही मैंने देशभर के किसानों से बात की थी। इसी कार्यक्रम में मुझे झाबुआ के किसान भाई-बहनों से बात करने का अवसर मिला। झाबुआ की एक किसान बहन ने मुझे विस्तार से बताया कि कैसे ड्रिप इरिगेशन से उसकी टमाटर की खेती में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। + +साथियों, पिछले चार वर्षों में देशभर में लगभग 14 करोड़ soil health card बांटे गए हैं, जिसमें से लगभग सवा करोड़ यहां मध्य प्रदेश के मेरे किसान भाई-बहनों को भी मिले हैं। इसमें अब किसान भाईयों को आसानी से पता लग रहा है कि उनकी जमीन के लिए कौन सा उर्वरक कितनी मात्रा में उपयुक्त है। इसी तरह प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ मध्य प्रदेश के भी 35 लाख से ज्यादा किसान उठा रहे हैं। + diff --git a/pm-speech/588.txt b/pm-speech/588.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..a2f1abdc503f1ed2f8195ee750ca772491d0f0e4 --- /dev/null +++ b/pm-speech/588.txt @@ -0,0 +1,14 @@ +ये वाणिज्य भवन ही देखिए। जिस जमीन पर ये इमारत बनेगी, वो पहले Directorate General of Supplies and Disposal के अधिकार में थी। सौ वर्ष से भी ज्यादा पुराना ये विभाग अब बंद हो चुका है और इसकी जगह ली है डिजिटल तकनीक पर आधारित Government-e-Marketplace- GeMने। सरकार किस तरह से अपनी जरूरत के सामान की खरीद करती है, उस व्यवस्था को GeM ने पूरी तरह से बदल दिया है। + +साथियों, हमारे यहां कहा गया है- को हि भार: समर्थानाम् किम् दूर व्यवसायिनाम्। यानि जो व्यक्ति शक्तिशाली होता है, उसके लिए कोई चीज भारी नहीं होती। इसी तरह व्यवसायियों के लिए कोई जगह दूर नहीं होती। आज टेक्नोलॉजी ने व्यापार को इतना सुगम बना दिया है कि दूरी दिनोंदिन कम होती जा रही है। ये टेक्नोलॉजी देश के बिजनेस कल्चर में जितनी बढ़ेगी, उतना ही फायदा पहुंचाएगी। + +स्वतंत्रता के बाद से हमारे देश में Indirect Tax सिस्टम से जहां सिर्फ 60 लाख जुड़े हुए थे, वहीं GST के बाद के 11 महीनों में ही अब तक 54 लाख से ज्यादा लोगों ने रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन दिया है और इनमें से 47 लाख से ज्यादा रजिस्टर हो चुके हैं। इस तरह रजिस्टर्ड लोगों की संख्या अब एक करोड़ से ज्यादा हो चुकी है। + +आज भारत FDI Confidence Index में top two emerging market performers में से एक है। Ease of doing Business की रैंकिंग में 142 से 100 नंबर पर पहुंचना, Logistics Performance Index में 19 अंकों का सुधार, Global Competitiveness Index में रैंकिंग 71 से सुधकर 39 पर पहुंचना, Global Innovation Index में 21 अंक का उछाल आना, ये इसी विजन का नतीजा है। + +मुझे बताया गया है कि Department of Commerce इस दिशा में एक Online Portal पर भी काम कर रहा है। Global Trade में भारत की उपस्थिति को और मजबूत करने के लिए, नई ऊँचाई पर पहुंचाने के लिए सभी मंत्रालयों और सभी राज्यों का एकसाथ मिलकर काम करना भी आवश्यक है। जिसको हम कहते हैं, ‘Whole of Government’ Approach,उसे अपनाए जाने की जरूरत है। + +एक और महत्वपूर्ण विषय है-Product की Quality. यही वजह है कि साल 2014 में मैंने 15 अगस्त को लाल किले से Zero Defect, Zero Effect का आह्वान किया था। उद्योग छोटा हो या बड़ा, हर मैन्यूफैक्चरर को इस बात के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए कि वो ऐसे Products बनाए, जिसमें Zero Defect हो, कोई हमारे exported goods को वापस न भेजे। इसके साथ ही मैंने Zero Effect की बात की थी, यानि हमारे Products पर्यावरण पर कोई negative effect न डालें। + +क्या Department of Commerce ये संकल्प ले सकता है की विश्व के कुल निर्यात में भारत के योगदान को बढ़ाकर दोगुना करे, अभी के 1.6 प्रतिशत से बढ़ाकर कम से कम 3.4 प्रतिशत तक ले जाए। ये world economy मेंGDP के भारत के योगदान के बराबर होगा। इस से देश में रोज़गार के और नए अवसर बनेंगे और हमारी per capita इनकम में भी बढ़ोतरी होगी। + diff --git a/pm-speech/590.txt b/pm-speech/590.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..81acacd14524a70bc15f1c4fa360b8b941fd7d1a --- /dev/null +++ b/pm-speech/590.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +कृषि के लिए सरकार बजट में एक निश्चित फंड आवंटित करती है। पिछली सरकार के पांच वर्षों में कृषि के लिए बजट आवंटन एक लाख 21 हजार करोड़ रुपये का था जिसे 2014 से 19 के लिए बढ़ाकर करीब-करीब हमने इस पांच साल के लिए इसको 2 लाख 12 हजार करोड़ कर दिया। यानी करीब-करीब कृषि के लिए बजट डबल कर दिया। यह किसानों के कल्‍याण के प्रति हमारी सरकार की प्रतिबद्धता को साफ-साफ दिखाता है। + +आज देश में न सिर्फ अनाज का बल्कि फल, सब्जियां और दूध का रिकॉर्ड उत्‍पादन हो रहा है। हमारे किसान भाइयों ने पिछले 70 साल के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए, एक नया रिकॉर्ड बना दिया है। पिछले 48 महीनों में कृषि के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति हुई है। वर्ष 2017-18 में खाद्यान्‍न उत्‍पादन करीब-करीब 280 मिलियन टन से अधिक हुआ है, जबकि 2010 से 2014 तक पिछली सरकार के दरम्‍यान एवरेज औसत वो ढाई सौ मिलियन टन के आसपास रहा था।इसी तरह दलहन के क्षेत्र में भी औसत उत्‍पादन में 10.5 प्रतिशत ten point five percent एवं बागवानी के क्षेत्र में 15 प्रतिशतन यानी कि fifteen percent की वृद्धि दर्ज की गई। + +Blue revolution या नीली क्रांति के अंतर्गत मछली पालन के क्षेत्र में 26 प्रतिशत,twenty six percent,वृद्धि हुई है तो दूसरी ओर पशुपालन व दुग्‍ध उत्‍पादन के क्षेत्र में करीब 24 प्रतिशत,twenty four percent की वृद्धि हुई है। हमारा प्रयास है कि किसानों को खेती की पूरी प्रक्रिया में हर कदम पर मदद मिले यानी बुवाई से पहले और बुवाई के बाद भी और फसल कटाई के बाद भी। सीधे तौर पर कहें तो फसलों के तैयार होने से लेकर बाजार में उसकी बिक्री तक यानी बीज से लेकर बाजार तक सरकार कैसे मदद रूप हो सकती है, कैसे सुविधा बढ़ा सकती है, कैसे किसान को न्‍याय दिला सकती है; इसके लिए निर्णय किए जा रहे हैं, योजनाएं बनाई जा रही हैं। + diff --git a/pm-speech/591.txt b/pm-speech/591.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..cce66f5c9d89b1390ff65a527b5eeee808e06575 --- /dev/null +++ b/pm-speech/591.txt @@ -0,0 +1,10 @@ +पिछले कुछ दिनों से मुझे सरकार की विभिन्‍न योजनाओं के देश भर के जो लाभार्थी हैं। उन सबसे रूबरू होने का, बातचीत करने का उनको सुनने का अवसर मिला और मैं कह सकता हूं कि मेरे लिए एक अद्भुत अनुभव है। और मैं हमेशा इस हिम्‍मत का आग्रही हूं। कि फाइलों से परे लाइफ भी होती है। और लाइफ में जो बदलाव आया है। जब उसको सीधा लोगों से सुना। उनके अनुभवों को जाना तो मन को एक बहुत ही संतोष मिलता है। और काम करने की एक नई ऊर्जा भी मुझे आप लोगों से मिली है। आज डिजिटल इंडिया की कुछ योजना के लाभार्थियों से बातचीत करने का अवसर मिला है। + +मुझे बताया गया है कि आज के इस कार्यक्रम में देश भर के गरीब 3 लाख Common Service Centres इनके साथ जुड़ने का मुझे अवसर मिला है। इन CSC Common Service Centre को संचालित करने वाले VLEs और जो नागरिक इनसे अलग-अलग तरह की सेवाएं ले रहे हैं, सर्विस ले रहे हैं। वे सब आज यहां मौजूद हैं। इसके अलावा देश भर के NIC centre के माध्‍यम से Digital India के लाभार्थी वहां भी इकट्ठा हुए हैं। 1600 से अधिक संस्‍थाएं जो NKN National Knowledge Network उनसे जुड़े हैं। उनके विद्यार्थी, Researchers, Scientist, Professors ये सब हमारे साथ हैं। देश भर में सरकार की योजना से जो BPO स्‍थापित हुए हैं। उनके युवा अपने-अपने BPO centre से भी इस कार्यक्रम में हमारे साथ है। इतना ही नहीं Mobile, Manufacturing Units में काम करने वाले युवा भी हमें अपनी-अपनी Units भी दिखाएगें। और वो कुछ बात हमसे करेंगे। + +देश भर में लाखों की संख्‍या में Mygov volunteers भी जुड़़े हैं। मैं मानता हूं ये अनोखा संवाद है जहां कम से कम 50 लाख से ज्‍यादा लोग एक ही विषय पर आज हम सब मिलकर के बाते करने वाले हैं। हर किसी का अनुभव सुनने का, उनसे बातचीत करने का एक ही अद्भुत अवसर है और जब Digital India launch हुआ था तो एक संकल्‍प था कि देश के सामान्‍य व्‍यक्ति को, गरीब को, किसानों को, युवाओं को, गांवों को डिजिटल की दुनिया से जोड़ रहा है। उन्‍हें Empower कर रहा है। इसी एक संकल्‍प को लेकर पिछले चार साल में Digital Empowerment के हर एक पहलू पर काम किया है चाहे गांवों को, Fibre Optics से जोड़ना हो। करोड़ो लोगों को डिजिटली साक्षर करना हो, सरकारी सेवाओं को मोबाइल के माध्‍यम से हर एक के हाथ में पहुंचाना हो, Electronic Manufacturing को देश में विकसित करना हो Strat up or Innovation को बढ़ावा देना हो, दूर-दराज के क्षेत्रों में BPO’s खोलने को अभियान चलाना हो। ऐसे अनेक प्रकल्‍प आज पेंशन प्राप्‍त करने वाले हमारे बुजुर्गों को कोसो दूर खुद जाकर अपने जीवन का प्रमाण नहीं देना पड़ता बल्कि वो अपने गांव में ही Common Service Centres CSC centre से पहुंच करके बड़ी आसानी से काम कर सकते हैं। देश का किसान मौसम का हाल जानना हो, फसल के संबंध में जानकारी लेनी हो, Soil आदि के बारे में जानकारी लेनी हो। वो बड़े आराम से आजकल प्राप्‍त कर लेता है। लेकिन साथ ही साथ एक Digital Market ENAM के माध्‍यम से अपने उत्‍पाद भी देश भर के बाजारों में वो बेच सकता है। अपने मोबाइल फोन के माध्‍यम से या CSC के सेंटर पर जाकर। + +आज गांव में पढ़ने वाला विद्यार्थी सिर्फ अपने स्‍कूल-कॉलेज में उपलब्‍ध किताबों तक सीमित नहीं है। वो इंटरनेट का इस्‍तेमाल करके digital library के जरिये लाखों किताबों का access कर रहा है। वो अब scholarship की धनराशि के लिए स्‍कूल-कॉलेज के प्‍लानिंग सिस्‍टम पर निर्भर नहीं है। उसकी scholarship अब सीधा उसके बैंक खाते में आ जाती है। ये सब संभव हुआ है टेक्‍नोलॉजी के माध्‍यम से संचार क्रांति के द्वारा। आज से कुछ वर्ष पहले तक महानगरों से दूर छोटे शहरों, कस्‍बों और गांवों में रहने वालों के लिए इस बात की कल्‍पना भी मुश्किल थी कि रेलवे टिकट बिना स्‍टेशन पर गए हुए, बिना लाइन में लगे हुए रेलवे टिकट बुक हो सकती है। या रसोई गैस बिना लाइन में घंटों बिताए सीधा घर तक पहुंच सकती है। टैक्‍स, बिजली, पानी का बिल बिना किसी सरकारी दफ्तर का चक्‍कर लगाए ही जमा हो सकता है। लेकिन आज ये सब संभव है आपके जीवन से जुड़े हुए तमाम जरूरी काम अब बस अंगुली भर की दूरी पर है। और ऐसा नहीं है कि कुछ चंद लोगों को ही ये उपलब्‍ध है, हर एक को उपलब्‍ध है। देश के हर नागरिक को अधिक से अधिक सुविधाएं अपने घर के पास ही मिल सके। इसके लिए देश भर के Common Service Centres CSC network को मजबूत किया जा रहा है। + +अब तक देश में करीब 3 लाख Common Service Centres खोले जा चुके हैं। आज Digital Service Deliver Centres का ये विशाल नेटवर्क भारत के 1 लाख 83 हजार ग्राम पंचायतों में फैला हुआ है। आज लाखों की संख्‍या में युवा Village Level Entrepreneurs (VLE) के रूप में काम कर रहा है। और खुशी की बात है कि इनमें 52 हजार महिलाएं उद्यमी काम कर रही हैं। + diff --git a/pm-speech/592.txt b/pm-speech/592.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..dd7c1adaf80b709796931f7f45a600c065dee8a6 --- /dev/null +++ b/pm-speech/592.txt @@ -0,0 +1,14 @@ +अटल जी के विजन को मेरे मित्र मुख्‍यमंत्री रमन सिंह जी ने पूरे परिश्रम के साथ आगे बढ़ाया है। अब जब भी मैं उनसे बात करता हूं, टेलीफोन पर तो अक्‍सर मिलते रहते हैं। रूबरू मिलता हूं। हर बार वो कोई नई कल्‍पना नई योजना नई चीज लेकर के आते हैं और इतने उमंग और उत्‍साह के साथ आते हैं। और वो उसको लागू करके सफलता के शिखर पर पहुंचाने का आत्‍मविश्‍वास उनकी हर बात में नजर आता है। + +साथियों, हम सब जानते हैं विकास करना है प्रगति करनी है तो शांति, कानून और सामान्‍य जीवन की व्‍यवस्‍थाएं- ये प्राथमिकता रहती है। रमन सिंह जी ने एक तरफ शांति, स्थिरता, कानून, व्‍यवस्‍था उस पर बल दिया। तो दूसरी तरफ विकास की नई ऊंचाइयों को पार करने के लिए छत्तीसगढ़ को आगे बढ़ाते चले। नर्इ कल्‍पनाएं, नई योजनाएं को लेकर आते रहे और विकास की इस तीर्थयात्रा के लिए मैं रमन सिंह जी और उनके यहां के ढाई करोड़ से ज्‍यादा मेरे छत्तीसगढ़ के भाईयो बहनों को अभिनंदन करता हूं। शुभकामनाएं देता हूं। + +भिलाई का ये आधुनिक परिवर्तित स्‍टील प्‍लांट अब न्‍यू इंडिया की बुनियाद को भी स्‍टील जैसा मजबूत करने का काम करेगा। साथियों भिलाई और दुर्ग में तो आपने खुद अनुभव किया है। कि कैसे स्‍टील प्‍लांट लगाने के बाद यहां की तस्‍वीर ही बदल गई है। इस वातावरण को देखकर मुझे विश्‍वास है कि बस्‍तर के नगर में जो स्‍टील प्‍लांट जो स्‍थापित हुआ है। वो भी बस्‍तर अनचल के लोगों की जिंदगी में बहुत बड़ा बदलाव लाएगा। + +और मैंने कहा कि मेरा सपना है हवाई चप्‍पल पहनने वाला भी हवाई जहाज में जा सके इस सोच के साथ उड़ान योजना चलाई जा रही है। और देश भर में नए हवाई अड्डों का निर्माण किया जा रहा है। ऐसा ही एक शानदार हवाई अड्डा आपके जगदलपुर में बना रहे हैं। आज जगदलपुर से रायपुर के लिए उड़ान भी शुरू हो गई है। अब जगदलपुर से रायपुर की दुसरी यानी रायपुर और जगदलपुर के बीच की दूरी छ: से सात घंटे की जगह सिर्फ 40 मिनट रह गई है। + +साथियों, ये सरकार की नीतियों का ही असर है। कि अब ट्रेन में एसी डिब्‍बों में सफर करने वालों से ज्‍यादा यात्री हवाई जहाज में सफर कर रहे हैं। एक जमाने में रायपुर में तो दिनभर में सिर्फ छ: flight आती थी। अब वहां रायपुर एयरपोर्ट पर एक दिन में पचास flight आने जाने लग गई हैं। आने-जाने के इन नए साधनों से न सिर्फ राजधानी से दूरी घटेगी लेकिन पर्यटन बढ़ेगा, उद्योग धंधे लगेगे और साथ ही साथ रोजगार के नए अवसर भी तैयार होंगे। + +भाईयो और बहनों जब पिछली मैं छत्‍तीसगढ़ आया था तभी देश भर में ग्राम स्‍वराज अभियान की भी शुरुआत की गई थी। पिछले दो महीनों में इस अभियान का बहुत सकारात्‍मक असर पड़ा है। ये अभियान विशेषकर देश के 115 आंकाक्षी जिले यानी कि aspirational district में चलाया जा रहा है। जो विकास की दौड़ में पिछले 70 साल में पीछे रह गया था। इसमें छत्‍तीसगढ़ के भी 12 जिले शामिल हैं। इन जिलों में विकास के अलग-अलग पैमानों को ध्‍यान में रखते हुए नई ऊर्जा के साथ काम किया जा रहा है। गांव में सभी के पास बैंक खाते हों, गैस कनेक्‍शन हो, हर घर में बिजली कनेक्‍शन हो, सभी का टीकाकरण हुआ हो, सभी को बीमा का सुरक्षा कवच मिला हो, हर घर में एलईडी बल्‍ब हो, ये सुनिश्चित किया जा रहा है। + +साथियों, हमारी सरकार देश के हर बेघर को घर देने के मिशन पर भी काम कर रही है। पिछले चार साल में देश के शहरी और ग्रामीण इलाकों में एक करोड़ 15 लाख से ज्‍यादा घरों का निर्माण किया गया है। प्रधानमंत्री आवास योजना के साथ ही पुरानी सरकारों के दौरान अधूरे बने मकानों को भी पूरा करने का काम हमनें आगे किया है। यहां छत्‍तीसगढ़ में भी करीब छ: लाख घर बनवाए जा चुके हैं। अभी दो-तीन दिन पहले ही सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना और ये मैं छत्‍तीसगढ़ के मध्‍यप्रदेश के या हमारे देश के अन्‍य भू-भाग के मध्‍यमवर्गीय परिवारों को खास कहना चाहता हूं। एक बड़ा अहम फैसला लिया है जिसका मध्‍यमवर्गीय परिवार को बहुत बड़ा फायदा होने वाला है। सरकार ने तय किया है कि मध्‍यम वर्गीय के लिए बन रहे घरों पर जो ब्‍याज में छूट दी जाती थी। वो घर लोगों को छोटे पड़ते थे। मांग थी कि जरा एरिया बढ़ाने की परमिशन मिल जाए। दायरा बढ़ा दिया जाए। भाईयो-बहनों मुझे गर्व होता है कि जनता जर्नादन की इस इच्‍छा को भी हमनें पूरा कर दिया है। यानी अब ज्‍यादा बड़े घरों पर भी वही छूट दे दी जाएगी। सरकार का ये फैसला विशेषकर मध्‍यम वर्ग को बहुत बड़ी राहत देने वाला है। + diff --git a/pm-speech/595.txt b/pm-speech/595.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..53fc8b8821247c75593fc14ee07e74445add1623 --- /dev/null +++ b/pm-speech/595.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +भारत के लिए सिंगापुर Foreign Direct Investment का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। और भारत से विदेशों में होने वाले निवेश के लिए हमारा शीर्ष destination है। मुझे प्रसन्नता है कि भारतीय कंपनियां सिंगापुर का उपयोग ASEAN क्षेत्र एवं अन्य देशों के लिए spring-board के रूप में करती हैं। सिंगापुर की कंपनियों द्वारा भारत में निवेश बढ़ रहा है। भारत की उन्नति सिंगापुर को उसके महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अतुलनीय अवसर प्रदान करती है। कल शाम सिंगापुर की महत्वपूर्ण कंपनियों के CEOs के साथ round table पर मुझे भारत के प्रति उनके विश्वास को देखकर बहुत प्रसन्नता हुई। + +हम दोनों ही अपनी digital partnership के शुरू होने से बहुत प्रसन्न हैं। यह असीमित संभावनाओं के साथ प्राकृतिक भागीदारी का क्षेत्र है। RuPay, BHIM और UPI-आधारित remittance app का सिंगापुर में कल शाम अंतर्राष्ट्रीय launch Digital India तथा हमारी भागीदारी की नवीनता की भावना को दर्शाता है। डिजिटल इंडिया के तहत भारत में हम एक डेटा सेंटर पोलिसी बनायेगे. + +हमने अपनी सामरिक साझेदारी में defence और security के महत्व पर जोर दिया है। इन संबंधों में लगातार वृद्धि का हम स्वागत करते हैं। SIMBEX के 25वें वर्ष पर मैं भारत और सिंगापुर की नौसेनाओं को बधाई देता हूँ। शीघ्र ही हम त्रिपक्षीय नौसैनिक अभ्यास भी शीघ्र शुरू करेंगे। बार-बार होने वाले अभ्यासों तथा नौसैनिक सहयोग को ध्यान में रखते हुए नौसेनाओं के बीच logistics agreement संपन्न होने का भी मैं स्वागत करता हूं। + diff --git a/pm-speech/596.txt b/pm-speech/596.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..4581dcc8b4d51c4af976a2d528b04520cc3824d1 --- /dev/null +++ b/pm-speech/596.txt @@ -0,0 +1,8 @@ +आज, यहां इस अद्भुत व्यवस्था में, हम भारत और सिंगापुर के बीच के संबंधों की शक्ति को देख रहे हैं। यह हमारी विरासत है; हमारे लोग; औरहमारे समय की एक महान साझेदारी है।यह दो शेरों कागौरव और महिमाएवंउनकी गर्जना है। सिंगापुर आकर हमेशा खुशी होती है।यह एक ऐसा शहर है जो हमेशा प्रेरित करता है। सिंगापुर एक छोटा द्वीप हो सकता है, लेकिन इसके क्षितिज का विस्तार वैश्विक हैं।इस महान राष्ट्र ने हमें दिखाया है कि उपलब्धियों के पैमाने या दुनिया में किसी देश की आवाज़ की ताकत के लिए उसका आकार कोई बाधा नहीं है। + +भारत में, इस समय तेजी से परिवर्तन हो रहा है। एक ‘नयाभारत’ आकार ले रहा हैऔरइसके कई कारण हैं।एक, आर्थिक सुधार एक गति से जारी हैं और अब तक कोई पैमाना ज्ञात नहीं है।पिछले दो वर्षों में केंद्रीय और राज्य सरकारों द्वारा किए गए 10,000 से अधिक उपायों ने हमें व्यापार की रैंकिंग की आसानी में 42 स्थानों ऊपर स्थानांतरित करने में मदद की है। + +यह कई डिजिटल सेवाओं की पेशकश करेगा और हजारों ग्रामीण रोजगार पैदा करेगा।अटल नवाचार मिशन के अंतर्गत, हम लगभग 100 ऊष्मायन केंद्र खोल रहे हैं और हमने अपने बच्चों के लिए नवप्रवर्तक और नौकरी निर्माता बनने के लिए भारत भर में 24 सौ टिंकरिंग प्रयोगशालाएं खोली हैं।आज के प्रदर्शकों में से एक इन प्रयोगशालाओं में से आया है। + +इसमें स्वच्छ भारत, स्वच्छ नदियां, स्वच्छ हवा और स्वच्छ शहरों के हमारे मिशन शामिल हैंऔरये सभी परिवर्तन एक और केवल एक कारण से हो रहे हैं: वह है हमारे लोग।35 साल से कम उम्र की65% आबादी के साथ 1.25 अरब लोगों का देश, बदलाव के लिए उत्सुक हैऔर एक नया भारत प्राप्त करने के बारे में आश्वस्त है।यह शासन और राजनीति में भी बदलाव ला रहा है। + diff --git a/pm-speech/597.txt b/pm-speech/597.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..6245186a8deaf6707d40efff280921f55b3b0c13 --- /dev/null +++ b/pm-speech/597.txt @@ -0,0 +1,12 @@ +कुछ महीने पहले ही हमने सभी 10 आसियान नेताओं के साथ भारत का गणतंत्र दिवस मनाया। आसियान में इन्डोनेशिया सबसे बड़ी जनसंख्या का एक अहम सदस्य है। मैं राष्ट्रपति विडोडो का आभारी हूं कि उन्होंने हमें तब उनके आतिथ्य सत्कार का अवसर दिया। यह एक संयोग मात्र ही नहीं है कि सन् 1950 में भारत के पहले गणतंत्र दिवस में भी इंडोनेशिया के राष्ट्रपति मुख्य अतिथि थे। + +हमारा संस्कृत और संस्कृति का रिश्ता है। और आप सभी जो यहां इंडोनेशिया में आज रच बस गए हैं, हमारे इस रिश्ते की मजबूत कड़ी हैं। आप में से यहां कई चार-पांच पीढ़ियों से हैं तो, ऐसे भी तमाम लोग हैं जो बीते दो-तीन दशकों से यहां पहुंचे हैं। आज आप में से कोई कपड़े के कारोबार से जुड़ा है तो कोई स्पोर्ट्स के सामान का व्यापार कर रहा है। कोई इंजीनियर है, कोई कंसल्टेंट। कोई सीए है तो कोई बैंकर तो कोई अध्यात्मिक गुरू। भारत से ही संबंध रखने वाले श्री गुरुनाम सिंह जी ने 1962 के जकार्ता एशियन गेम्स में इंडोनेशिया के लिए मेडल भी जीता था। मुझे बहुत प्रसन्नता भी है और गर्व भी, कि अपने तप से, कठिन परिश्रम से ना सिर्फ आप सभी ने यहां के परिवेश को अनुकूल बनाया, बल्कि आज आप इंडोनेशिया के विकास में भी बहुत बड़ा योगदान दे रहे हैं। + +भारत जहां दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है वहीं इंडोनेशिया में भी लोकतंत्र की जड़ें बहुत मजबूत हैं। यही कारण है कि जिस प्रकार सवा सौ करोड़ भारतीयों ने मुझ जैसे साधारण नागरिक को प्रधान सेवक बनने का अवसर दिया, वैसे ही इंडोनेशिया की जनता ने भी विडोडो जी को अपना राष्ट्रपति चुना। साथियों, भारत और इंडोनेशिया सामाजिक और सांस्कृतिक विविधता और सद्भाव के प्रतीक हैं। यहां अनेक भाषाएं बोलियां हैं, सैकड़ों समुदाय रहते हैं, तो भारत में भी कोस-कोस पर बदले पानी, चार कोस पर वाणी की कहावत मशहूर है। मैंने कहीं पढ़ा है कि इंडोनेशिया के बोर्नियो द्वीप में सत्रह सौ साल पहले के अवशेष हैं जो भारत के साथ संबंधों के सबूत हैं। अभी तीन-चार दिन पहले ही मैं ओडिशा के कटक में था। वहां पर जिस मैदान में विशाल जनसभा का आयोजन किया गया, उसका नाम था ‘बालीजात्रा’। बालीजात्रा का क्या मतलब है? इंडोनेशिया के बाली की यात्रा। सैकड़ों वर्ष पूर्व ओडिशा के महान नाविक, कटक से निकलकर ही जावा-सुमात्रा और बोर्नियो तक आते थे। आज भी हर साल अक्तूबर-नवंबर में ओडिशा में ‘बालीजात्रा’ का उत्सव बहुत ही शान, बहुत ही धूम-धाम से मनाया जाता है।इंडोनेशिया का गुजरात से भी पुराना नाता रहा है। जब मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था, तो एक बार मुझे किसी ने कहा था कि 12वीं सदी के आसपास कच्छ में रहने वाले जो मुसलमान निकले, उनमें से काफी यहां इंडोनेशिया में भी आकर बसे थे। उन लोगों के साथ गुजराती भाषा, गुजराती खान-पान भी इंडोनेशिया पहुंची थी। मुझे बताया गया है कि बुबुर गुजरात, गुजराती खिचड़ी इंडोनेशिया में कई मुस्लिम परिवारों में भी बनाई जाती है। आज भी कई ऐसे शब्द इस्तेमाल में हैं जो भारत इंडोनेशिया के संबंधों की प्राचीनता और घनिष्ठता पर प्रकाश डालते हैं । जैसे भाई के लिए ‘सहोदर’, निधन के लिए ‘माटी’, रंगों या colourके लिए ‘वर्ण’, Group के लिए ‘समूह’ या ‘समूअ’, ‘उपवास’ और ‘पुवास’, ‘बहासा’ और ‘भाषा’; ‘रूपियाह’ और ‘रुपया’। ऐसे शब्दों को इकट्ठा करें तो पूरी डिक्शनरी बन जाएगी।ये समानताएं स्वाभाविक हैं। भारत और इंडोनेशिया के बीच सिर्फ 90 नॉटिकल मील का फासला है। यानि, हम 90 नॉटिकल मील दूर नहीं, 90 नॉटिकल मील पास हैं। पड़ोसी हैं। + +मुझे बताया गया है कि भारत और इंडोनेशिया के गहरे सांस्कृतिक संबंधों को यहाँ कई प्रकार से मनाया जाता है।यहां ‘इंडोनेशिया तमिल संगम’ के सांस्कृतिक आयोजनों को भी एक अलग पहचान मिली है। पिछले वर्ष जकार्ता व अन्य स्थानों पर अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर आयोजित सफल कार्यक्रमों के बारे में भी मुझे बताया गया है। मुझे यह भी जानकारी मिली है कि बाली में मशहूर भारतीय Traditional medicines के सेंटर, पंचकर्म-आयुर्वेद सेंटरों की लोकप्रियता निरंतर बढ़ रही है। हाल के वर्षों में Holistic Healthcare के प्रति दुनिया भर में आकर्षण बढ़ा है। आपके लिए भी पारंपरिक भारतीय चिकित्सा पद्धतियों का Ambassador बनने का ये बेहतरीन अवसर है। + +भारत और इंडोनेशिया के बीच मजबूत संबंधों का एक और आधार है हमारे लोग । यानि आप सब। हमारे यहां एक बहुत बड़ी आबादी ऐसी है जो 35 वर्ष से कम उम्र की है। इनकी ऊर्जा को सही दिशा और प्रोत्साहन देने का प्रयास बीते चार वर्षों से भारत में हमारी सरकार ने किया है। इसीलिए, मेरी सरकार के काम करने की स्पीड तेज़ है और scale बहुत व्यापक है। देश के लोगों की आशाओं-अपेक्षाओं के अनुरूप हमने Good Governance पर बल दिया है, Minimum Government, Maximum Governance पर बल दिया है। हम Citizen-First के मंत्र को लेकर आगे बढ़ रहे हैं। सरकार बहुत ग्राउंड लेवल पर जाकर बड़े प्रशासनिक, वित्तीय और कानूनी कदम उठा रही है।हमारी सरकार के लिए Corruption Free, Citizen-Centric और Development Friendly Ecosystem सबसे बड़ी प्राथमिकता है। पासपोर्ट के लिए अब भारत में महीनों या हफ्तों का इंतजार नहीं करना पड़ता, दो से तीन दिन में पासपोर्ट लोगों के घर पहुंच जाता है। इंडोनेशिया समेत 163 देशों के लोगों को e-Visa की सुविधा दी गई है। e-Visa पर भारत आने वाले टूरिस्टों की संख्या में करीब-करीब 150 प्रतिशत की बढोतरी हुई है।बीते वर्षों में भारत में 1400 से ज्यादा पुराने कानून खत्म किए जा चुके हैं। Goods and Service Tax – GST ने भारत को एक बेहतर Tax Compliance सिस्टम, बेहतर Revenue सिस्टम दिया है। + +भारत में आज बड़ी संख्या में नए इंजीनियरिंग कॉलेज खुल रहे हैं, मैनेजमेंट कॉलेज, मेडिकल कॉलेज खुल रहे हैं। सिर्फ पिछले ढाई साल में भारत में 9 हजार से ज्यादा स्टार्ट अप रजिस्टर किए गए हैं। दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा Start-up ecosystem भारत में बना है।आज दुनिया भर में भारत के पासपोर्ट की ताकत बढ़ी है। दुनिया की शक्तिशाली व्यवस्थाओं का भारत हिस्सा बना है। भारत Solar Energy को मानव कल्याण के हित में ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करने के लिए International Solar Alliance की अगुवाई करने वाले देशों में से एक है। हमारी सरकार भारत को 21वीं सदी की आवश्यकताओं- आशाओं-अपेक्षाओं के अनुरूप तैयार करने का काम कर रही है। आज भारत न्यू इंडिया के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है। हमें न्यू इंडिया बनाना है 2022 तक, जब स्वतंत्र भारत 75 वर्ष का होगा। + diff --git a/pm-speech/598.txt b/pm-speech/598.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..8842613564c1cb2c80779c7d6f9172c3781bddcd --- /dev/null +++ b/pm-speech/598.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +हाल में हुए आतंकी हमलों में इंडोनेशिया के निर्दोष लोगों के मारे जाने का मुझे गहरा दुःख है। भारत इस प्रकार के हमलों की कड़ी निंदा करता है। इस मुश्किल समय में भारत इंडोनेशिया के साथ मज़बूती से खड़ा है। इस प्रकार की त्रासद घटनाएं यह संदेश देती है कि आतंकवाद से लड़ने के लिए विश्व स्तर पर मिल-जुल कर किए जा रहे प्रयासों में और अधिक गति लाने की आवश्यकता है। + +इंडोनेशिया की पंचशील philosophy, इंडोनेशिया के लोगों के विवेक और दूरदर्शिता का जीवंत प्रमाण है। इसमें धार्मिक विश्वासों के साथ सांस्कृतिक परंपराओं का भी निर्बाध एकीकरण किया गया है। सामुद्रिक पड़ोसियों एवं सामरिक साझेदारों के रूप में हमारी चिन्ताएं एक जैसी हैं। सामुद्रिक मार्गों की सुरक्षा एवं संरक्षा सुनिश्चित करना हमारा कर्तव्य है। यह हमारे आर्थिक हितों की रक्षा के लिए भी आवश्यक है। आज के बदलते हुए Indo-Pacific क्षेत्र में हमारी विशेष geo-strategic location है। हम एक जैसी विकास एवं पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। Indo-Pacific क्षेत्र में सहयोगियों के रूप में, एक दूसरे की प्रगति एवं संपन्नता में हमारे साझा हित हैं। और इसलिए, हमने Indo-Pacific क्षेत्र के लिए साझे Vision और सिद्धांतों पर सहमति की है। Friends, भारत की Act East Policy के साथ ”सागर” – Security and Growth for All in the Region – का हमारा Vision, राष्ट्रपति विदोडो की Maritime Fulcrum Policy के साथ मेल करता है। December 2016 में राष्ट्रपति विदोडो की भारत यात्रा के समय हमने एक roadmap तैयार किया था। आज हमारी चर्चा में हमने उसके कार्यान्वयन पर हुई प्रगति का आकलन किया। आज हमारे बीच हुए समझौतों से हमारे द्विपक्षीय संबंधों को और बेहतर बनाने में सहायता मिलेगी। मुझे प्रसन्नता है कि हमने अपनी साझेदारी को Comprehnsive Strategic Partnership के रूप में upgrade करने का निर्णय लिया है। हम वर्ष 2025 तक द्विपक्षीय व्यापार को 50 बिलियन डॉलर के स्तर तक ले जाने के लिए अपने प्रयास दोगुने करेंगे। और इन प्रयासों में सहायता के लिए मैं हमारे CEO Forum के सकारात्मक योगदान का भी अभिनंदन करता हूँ। + +हम दोनों देशों के बीच सहस्त्राब्दियों से मजबूत सांस्कृतिक संबंध है। इनकी एक झलक इस वर्ष हमारे गणतंत्र दिवस पर आयोजित parade में भी देखने को मिली थी। इस वर्ष की parade में आसियान-भारत संबंधों की झाँकी में भारत के ओड़िशा राज्य के त्यौहार “बाली जात्रा” को दर्शाया गया था। प्रतिवर्ष मनाया जाने वाला यह त्यौहार हमारे हज़ारों वर्ष पुराने सांस्कृतिक संबंधों के आज भी जीवंत होने का उदाहरण है। अगले वर्ष 2019 में हम अपने राजनयिक संबंधों की स्थापना की 70वीं वर्षगांठ मनाएंगे। इस दौरान दोनों देशों में बहुत से समारोह आयोजित किए जाएंगे। बहुत बड़ी संख्या में भारतीय पर्यटक इंडोनेशिया आते हैं, विशेष रूप से बाली में। उत्तराखंड एवं बाली को Twin करने से इस आदान-प्रदान में और बढ़ोतरी होगी। दोनों देशों में अधिकांश आबादी युवा है। इन युवाओं के सपनों को साकार करने के लिए और उनके लिए रोज़गार के अवसर उत्पन्न करने हेतु, हम शिक्षा तथा कौशल विकास के क्षेत्र में एक-दूसरे से सीख सकते हैं। हमनें शिक्षा तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई है। हम भारत के IT सेवा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने एवं इसे विस्तार देने के लिए इंडोनेशिया के नेतृत्व के विचारों का स्वागत करेंगे। यह दोनों देशों के लिए लाभकारी भागीदारी रहेगी। + diff --git a/pm-speech/599.txt b/pm-speech/599.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..f33efd7e6ebbd83a4a6ac9b9a200ce78992a4930 --- /dev/null +++ b/pm-speech/599.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +इस देश में एक ऐसा समय था जब खुद वित्त मंत्री फोन कर के बड़े उद्योगपतियों को लोन दिलवाते थे और दूसरी तरफ एक छोटा उद्यमी साहूकारों को 30-40 प्रतिशत ब्याज देने के चक्कर में कुछ ऐसे फंस जाता था कि वह पूरी जिंदगीबाहर नहीं निकल पाता था। इस vicious cycle को कभी तो टूटना था, किसी को तो इसे तोड़ना ही था, हमने इस दिशा में प्रयास किया और हम इसमें सफल रहे हैं। इस vicious cycle को हम तोड़ रहे हैं… + diff --git a/pm-speech/600.txt b/pm-speech/600.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..9385fac1890822381131f313835d3fa144e7e666 --- /dev/null +++ b/pm-speech/600.txt @@ -0,0 +1,18 @@ +ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे पर 11 हजार करोड़ रुपये खर्च किये गए। जबकि दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे के अभी के हिस्से पर लगभग साढ़े 800 करोड़ रुपये खर्च किये गए हैं। ये पूरा प्रोजेक्ट लगभग 5000 करोड़ रुपये का है। आज जब इस नई सड़क पर चलने का मुझे अवसर मिला तो अनुभव किया कि 14 लेन का सफर दिल्ली एनसीआर के लोगों के जीवन को कितना सुगम बनाने वाला है। कहीं कोई रुकावट नहीं। एक से एक आधुनिक टैक्नीक का इस्तेमाल कॉन्क्रीट के साथ हरियाली का भी मेल। + +साथियों दिल्ली एनसीआर में सिर्फ जाम की ही समस्या नहीं है प्रदूषण की भी एक बहुत बड़ी समस्या है। जो साल दर साल और विकराल रूप लेती जा रही है। प्रदूषण की समस्या का एक कारण दिल्ली में आने जाने वाली गाड़ियां और लम्बे ट्राफिक जाम हैं। हमारी सरकार ने इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए दिल्ली के चारों और एक्सप्रेस-वे से एक घेरा बनाने का बेड़ा उठाया। ये दो चरणों में बनाया जा रहा है। इसमें से एक चरण यानी ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे का अभी थोड़ी देर पहले मुझे लोकार्पण करने का अवसर मिला। भाइयों बहनों दिल्ली के अंदर आज जितनी गाड़ियां पहुंचती है। उसमें से अब लगभग 30 प्रतिशत की कमी आ जाएगी। वो बाहर से बाहर निकल जाएगी। ना सिर्फ बड़ी गाड़ियां और ट्रक बल्कि 50 हजार से अधिक कारों को भी अब दिल्ली शहर के अंदर प्रवेश करने की जरुरत नहीं पड़ेगी। ऐसी व्यवस्था इससे निर्माण हुई है। इतना ही नहीं ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे अपने आप में देश का पहला एक्सप्रेस –वे है जो एक्सिस कंट्रोल रॉ ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस –वे है। ये सड़क सिर्फ 500 दिन में बनकर तैयार हुई है। साथियों ये दोनों जो बड़े प्रोजेक्ट आज आप सभी की सेवा के लिये तैयार हैं। ये पूरी तरह से आधुनिक टेक्नोलोजी से लेस है। बिजली की जरूरत भी यहां सोलर एनर्जी सौर ऊर्जा से पूरी की जाएगी। यानी समय की भी बचत, प्रदूषण भी कम, ईंधन भी कम पश्चिम यूपी से दिल्ली दूध, सब्जी, अनाज पहुंचाना भी अब आसान हो जाएगा। + +भाइयों बहनों सवा सौ करोड़ देशवासियों का जीवन स्तर ऊपर उठाने में देश के आधुनिक इन्फ्रास्ट्रक्चर की बहुत बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका है और यही सबका साथ सबका विकास का रास्ता है। क्योंकि इन्फ्रास्ट्रक्चर जात-पात, पंथ, सम्प्रदाय, ऊँच-नीच, अमीर-गरीब, ये किसी में भेदभाव नहीं करता है। इससे सबके लिये बराबरी के अवसर पैदा होते हैं। इसलिये हमारी सरकार ने हाईवे, रेलवे, एयरवे बोटरवे हाईवे और बिजली से जुड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर पर सबसे अधिक ध्यान दिया है। साथियों बीते चार वर्षों में तीन लाख करोड़ से अधिक खर्च हमने 28 हजार किलोमीटर से अधिक के नए हाईवे बनाने के लिये किया है। चार वर्ष पहले तक जहां एक दिन में और मैं चाहूंगा कि आप भी इस बात को ध्यान से सुनें और मेरे देश के नागरिक भी सुनें। चार वर्ष पहले तक जहां एक दिन में सिर्फ 12 किलोमीटर हाईवे बनते थे। आज लगभग 27 किलोमीटर हाईवे एक दिन में बनते हैं। इस वर्ष के बजट में भारत माला प्रोजेक्ट के तहत पांच लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इसके तहत लगभग 35 हजार किलोमीटर हाईवे का निर्माण हो रहा है। हाईवे ही नहीं रेलवे में भी अभूतपूर्व काम हो रहा है। जहां रेलवे की कनेक्टिविटी नहीं थी, वहां तेजी से रेल नेटवर्क बिछाया जा रहा है। सिंगल लाइनों को डबल में बदलना, मीटर गेज को ब्रॉड गेज में बदलना, इस काम को तेज गति से हम कर रहे हैं। ट्रेनों की स्पीड भी बढ़ाई जा रही है। लगभग साढ़े पांच हजार मानव रहित क्रॉसिंग को बीते चार वर्षों में हमनें हटा दिया है। भाइयों बहनों हवाई सेवा को सस्ता करने और देश में नए हवाई रूट शुरू करने के लिये उड़ान योजना चलाई जा रही है। पिछले वर्ष लगभग दस करोड़ लोगों ने हवाई सफर किया यानी एसी ट्रेन में रेलवे के एयरकंडीशन डिब्बे में जितनों ने यात्रा की उससे ज्यादा लोगों ने हवाई जहाज में यात्रा की ये मैं हिन्दुस्तान की चार साल की कथा बता रहा हूं। हवाई चप्पल पहनने वाला भी हवाई जहाज में जाय ये सपना लेकर के काम कर रहे हैं। देश के जलशक्ति का भी पूरा इस्तेमाल करने पर जोर दिया जा रहा है। देश में सौ से ज्यादा नए वॉटर वेज बनाए जा रहे हैं। यहां यूपी में भी गंगा जी में भी जहाज चलने लगे हैं। गंगा जी के माध्यम से यूपी सीधा – सीधा समुद्र से जुड़ने वाला है। जल्द ही मालवाहक जहाज यूपी में बना सामान बड़े – बड़े पोर्ट तक पहुंचाने के लिये सामर्थ्यवान हो जाएगा। गंगा जी की तरह यमुना जी को लेकर भी एक बाद एक नई योजनाएँ बनाई जा रही हैं। + +साथियों जहां-जहां ट्रांस्पोर्ट की ये सुविधा खड़ी की जा रही है। वहां – वहां नए उद्योगों के अवसर भी तैयार किये जा रहे हैं। इसी सोच के साथ इस साल बजट में उत्तर प्रदेश में डिफेंस इंडस्ट्रियल कोरिडोर के निर्माण का भी ऐलान किया गया है। इस कोरिडोर का विस्तार आगरा, अलीगढ़, लखनऊ, कानपूर, झांसी और चित्रकूट तक ये विस्तार होगा। अकेले ये कोरिडोर करीब – करीब ढाई लाख लोगों के लिये रोजगार के नए अवसर सृजित करेगा। + +साथियों न्यू इंडिया के तमाम नई व्यवस्थाएँ देश के युवाओं, मध्यम वर्गीय आशाओं अपेक्षाओं के आधार पर खड़ी की जा रही है। देश के हर गांव को इन्टरनेट से जोड़ने के लिये भारत नेट योजना के तहत काम तेज गति से आगे बढ़ रहा है। हमारी सरकार की रफ्तार का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि कांग्रेस सरकार जहां अपने चार साल में ये भी जैसे मैंने आपको हाईवे निर्माण का आंकड़ा दिया था। ये भी आंकड़ा जरा नोट करने जैसा है। कांग्रेस की यूपीए सरकार अपने चार साल में 59 पंचायतें यानी करीब – करीब 60 पंचायतों में ही ऑप्टिकल फाइबर से उसे जोड़ पाई थी। 59 वहां हमनें एक लाख से अधिक पंचायतों को ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ दिया है। कहां चार साल में 60 से भी कम गांव और कहां चार साल में एक लाख गांव। काम कैसे होता है। मेरा देश भली भाँति से अनुभव कर रहा है। मेक इन इंडिया के माध्यम से देश में मैन्युफैक्चरिंग उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसका परिणाम यह हूआ कि चार वर्ष पहले देश में सिर्फ दो मोबाईल फोन बनाने वाली फैक्टरियां थीं। आप अनुमान लगा सकते हैं आज कहां पहुंचे हैं । आपको जानकर के खुशी होगी। उनके जमाने में दो फैक्टरियां मोबाइल फोन बनाती थी। आज 120 फैक्टरी मोबाइल फोन बना रही है। और उसमें तो कई तो यहां एनसीआर में ही हैं। जिनसे अनेक युवाओं को भी रोजगार मिला है। कुछ तो शायद यहां मौजूद भी होंगे। + +भाईयों बहनों हम महिलाओं के सम्मान और सशक्तिकरण- इस बात को हम प्राथमिकता दे रहे हैं। स्वच्छ भारत अभियान के तहत मैंने देश में साढ़े 7 करोड़ शौचालय हो। या फिर उज्ज्वला योजना के तहत दिये गए चार करोड़ गैस कनेक्शन हों। इन्होंने महिलाओं के जीवन को आसान बनाने की बहुत बड़ी सेवा की है। वहीं मुद्रा योजना के तहत जो लगभग 13 करोड़ लोन दिये गए हैं। उनमें 75 प्रतिशत से अधिक महिला उद्यमों को ये लोन मिले हैं। कोई कल्पना कर सकता है। हिन्दुस्तान में मुद्रा योजना की 13 करोड़ लोन में से लोन लेने वाली 75 प्रतिशत मेरे देश की बेटियां हैं, बहनें हैं, माताएं हैं। बीते चार वर्ष में हमनें बेटियों को सम्मान दिया। और उन्हें और सशक्त बनाया। साथियों महिलाओं के साथ-साथ दलितों और पिछड़ों के सशक्तिकरण के और उनके सम्मान के लिये बीते चार वर्ष में हमनें एक के बाद एक कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। चाहे वो स्वरोजगार हो या फिर सामाजिक सुरक्षा आज अनेक योजनाएँ इस दिशा में काम कर रही है। मुद्रा योजना के माध्यम से जो लोन दिया गया है उसमें आधे से ज्यादा लोन दलित और पिछड़े वर्ग के लोगों को मिला है। स्टैंडअप इंडिया के जरिये भी दलितों को महिलाओं को उद्यमी की एक नई योजना से लाभ मिला है। ये हमारे सरकार के लिये सौभाग्य की बात है कि हमने बाबासाहेब आम्बेडकर जी से जुड़े पांच स्थान पंच तीर्थ के रूप में विकसित किया है। साथियों मैं आपको अनुभव के आधार पर कह सकता हूं कि जिनके मन में स्वार्थ है वे सिर्फ घडियाली आंसू बहाने वाली राजनीति करते आए हैं। वो लोकलुभाव राजनीति करते आए हैं। लेकिन जो सही मायनों में दलित, पीड़ित, सोशित, वंचित, उपेक्षित अगर उनके हितों में सोचता है तो वो लोक हित की राजनीति करता है, लोकरंजक राजनीति नहीं करता है। दलित और पिछड़े भाई-बहनों के लिये अवसरों के साथ-साथ उनकी सुरक्षा और न्याय के लिए भी बीते चार वर्षों में कई महत्वपूर्ण निर्णय किये गए हैं। + +भाइयों और बहनों सरकार ने पिछड़ी जातियों के सब कैटागराइजेशन के लिये एक कमीशन का गठन करने का निर्णय लिया है। सरकार चाहती है कि ओबीसी समुदाय में जो अति पिछड़े हैं उन्हें सरकार और शिक्षण संस्थाओं में तय सीमा में रहते हुए आरक्षण का और अधिक फायदा प्राप्त हो। और इसलिये ओबीसी समुदाय में सब कैटगरी बनाने के लिये हमने कमीशन का भी निर्माण किया। साथियों सरकार को ओबीसी कमीशन को संवैधानिक दर्जा तक देना चाहती थी। और ओबीसी समाज की ये मांग पिछले बीस पच्चीस साल से चल रही थी। लेकिन वो यूपीए में बैठी हुई सरकार को इसकी परवाह नहीं थी। हमनें उसके लिये कानून लाया। पार्लियामेंट में ओबीसी कमीशन को संविधान अधिकार मिले इसके लिए अहम कानून लाये। लेकिन कांग्रेस पार्टी के लोगों को ये गवारा नहीं था। उनके सहयोगी दलों को गवारा नहीं था। और इसलिये वो रोड़ा बनकर के खड़े हो गए। और उस कानून को अभी तक लटकाए बैठे हैं। लेकिन मैं ओबीसी समाज को विश्वास दिलाता हूं। जो कदम उठाया है उसे मोदी पूरा करके रहने वाला है। भाइयों और बहनों सच्चाई ये है कि गरीबों के लिए, दलितों-पिछड़ों-आदिवासियों के लिए जो भी कार्य किया जाता है, कांग्रेस और उसके साथ चलने वाले दल या तो उसमें रोड़े अटकाने लगते हैं, इन्हें देश का विकास भी मजाक लगता है। उन्हें स्वच्छ भारत के लिए किया गया काम मजाक लगता है, उन्हें गरीब महिला के लिए बनाया गया शौचालय मजाक लगता है। जब हमारी सरकार गरीब महिलाओं को मुफ्त गैस कनेक्शन देती है, तो भी ये उसका मजाक उड़ाते हैं। जब गरीब के लिए बैंक खाते खुलते हैं तो भी ये गरीब विरोधी मानसिकता वाले इसकी भी मजाक उड़ाते हैं। पीढ़ी दर पीढ़ी परिवार में सत्ता देखने के आदी ये लोग गरीब के लिए किए जा रहे हर काम को मजाक समझते हैं। कैबिनेट के दस्तावेज को फाड़कर फेंकने वाले लोग, संसद में पास सर्वसम्मिति से पास कानून की इज्जत भी करना उचित नहीं मानते हैं। + +साथियों, हमारी सरकार ग्रामोदय से भारत उदय की अवधारणा पर काम कर रही है। जब हम ग्रामोदय की बात करते हैं तो उसका केंद्र बिंदु मेरे देश का अन्नदाता, मेरा किसान है। मेरे गांव का छोटा कारीगर है मेरे गांव का खेत हर मजदूर है। इस वर्ष बजट में गांव और खेती से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए 14 लाख करोड़ का प्रावधान किया गया है। + +भाइयों और बहनों, गांव के विकास के साथ-साथ हम हमारे शहरों को भी 21वीं सदी के हिसाब से तैयार कर रहे हैं। स्मार्टसिटी मिशन, अमृत योजना के माध्यम से शहर के इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत किया जा रहा है। शहरों में रहने वाले गरीब-मध्यम वर्ग के लोगों को अपना घर मिले इसके लिए हम बड़े स्तर पर प्रयास कर रहे हैं, कांग्रेस की सरकारों की तुलना में कहीं ज्यादा तेजी से ये काम भी हम कर रहे हैं। साल 2004 से लेकर 2014 के 10 वर्षों में कुल साढ़े 13 लाख घर शहरों में निर्माण के लिए मंजूर किए गए, पिछले चार वर्षों में हमने 46 लाख घर स्वीकृत कर दिये हैं। पचास लाख के करीब पहुंच गए हैं। कांग्रेस ने 10 वर्षों में यानि 3 गुना से अधिक काम हमने किया है। कांग्रेस ने 10 वर्षों में साढ़े 5 लाख घरों की चाबियां शहर के लोगों को सौंपी हैं। जबकि हमारी सरकार ने सिर्फ 4 वर्षों के भीतर-भीतर 8 लाख से अधिक शहरी लाभार्थी को रहने के लिये घर की चाबी दे दी। + diff --git a/pm-speech/601.txt b/pm-speech/601.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..a8933df92cf9a1ff6fc7a2dfb11df21c5baedc19 --- /dev/null +++ b/pm-speech/601.txt @@ -0,0 +1,10 @@ +‘मन की बात’ के माध्यम से फिर एक बार आप सबसे रूबरू होने का अवसर मिला है। आप लोगों को भलीभांति याद होगा नौ-सेना की 6 महिला कमांडरों, ये एक दल पिछले कई महीनों से समुद्र की यात्रा पर था। ‘नाविका सागर परिक्रमा’ – जी मैं उनके विषय में कुछ बात करना चाहता हूँ। भारत की इन 6 बेटियों ने, उनकी इस team ने Two Hundred And Fifty Four Days- 250 से भी ज़्यादा दिनसमुद्र के माध्यम से INSV तारिणी में पूरी दुनिया की सैर कर 21 मई को भारत वापस लौटी हैं और पूरे देश ने उनका काफी गर्मजोशी से स्वागत किया। उन्होंने विभिन्न महासागरों और कई समुद्रों में यात्रा करते हुए लगभग बाईस हज़ार nautical miles की दूरी तय की। यह विश्व में अपने आप में एक पहली घटना थी। गत बुधवार को मुझे इन सभी बेटियों से मिलने का, उनके अनुभव सुनने का अवसर मिला। मैं एक बार फिर इन बेटियों कोउनके adventure को, Navy की प्रतिष्ठा को बढ़ाने के लिए, भारत का मान-सम्मान बढ़ाने के लिये और विशेषकर दुनिया को भी लगे कि भारत की बेटियाँ कम नहीं हैं – ये सन्देश पहुँचाने के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। Sense of adventure कौन नहीं जानता है। अगर हम मानव जाति की विकास यात्रा देखें तो किसी-न-किसी adventure की कोख में ही प्रगति पैदा हुई है। विकास adventure की गोद में ही तो जन्म लेता है। कुछ कर गुजरने का इरादा, कुछ लीक  से हटकर के करने का मायना, कुछ extra ordinary करने की बात, मैं भी कुछ कर सकता हूँ – ये भाव,करने वाले भले कम हों, लेकिन युगों तक, कोटि-कोटि लोगों को प्रेरणा मिलती रहती है। पिछले दिनों आपने देखा होगा Mount Everest पर चढ़ने वालों के विषय में कई नयी-नयी बातें ध्यान में आयी हैं और सदियों से Everest मानव जाति को ललकारता रहा और बहादुर लोग उस चुनौती को स्वीकारते भी रहे हैं । + +16 मई को महाराष्ट्र के चंद्रपुर के एक आश्रम-स्कूल के  5 आदिवासी बच्चों ने tribal students – मनीषा धुर्वे, प्रमेश आले, उमाकान्त मडवी, कविदास कातमोड़े, विकास सोयाम – इन हमारे आदिवासी बच्चों के एक दल ने दुनिया की सबसे ऊँची चोटी पर चढ़ाई की। आश्रम-स्कूल के इन छात्रों ने अगस्त 2017 में training शुरू की थी। वर्धा, हैदराबाद, दार्जिलिंग, लेह, लद्दाख – इनकी training हुई। इन युवाओं को ‘मिशन शौर्य’ के तहत चुना गया थाऔर नाम के ही अनुरूप Everest फतह कर उन्होंने पूरे देश को गौरवान्वित किया है। मैं चंद्रपुर के स्कूल के लोगों को, इन मेरे नन्हे-मुन्हे साथियों को, ह्रदय से बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। हाल ही में 16 वर्षीय शिवांगी पाठक, नेपाल की ओर से Everest फ़तह करने वाली सबसे कम उम्र की भारतीय महिला बनी। बेटी शिवांगी को बहुत-बहुत बधाई। + +मेरे प्यारे देशवासियो और ख़ासकर के मेरे नौजवान दोस्तो ! अभी दो महीने पहले जब मैंने fit India की बात की थी तो मैंने नहीं सोचा था कि इस पर इतना अच्छा response आएगा। इतनी भारी संख्या में हर क्षेत्र से लोग इसके support में आगे आएँगे। जब में fit India की बात करता हूँ तो मैं मानता हूँ कि जितना हम खेलेंगे, उतना ही देश खेलेगा। social media पर लोग Fitness Challenge की videos share कर रहे हैं, उसमें एक-दूसरे को tag कर उन्हें challenge कर रहे हैं। Fit India के इस अभियान से आज हर कोई जुड़ रहा है। चाहे फिल्म से जुड़े लोग हों, sports से जुड़े लोग हों या देश के आम-जन, सेना के जवान हों, स्कूल की टीचर हों, चारों तरफ़ से एक ही गूँज सुनाई दे रही है – ‘हम fit तो India fit’। मेरे लिए खुशी की बात है कि मुझे भी भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली जी ने challenge किया है और मैंने भी उनके challenge को स्वीकार किया है। मैं मानता हूँ कि ये बहुत अच्छी चीज है और इस तरह का challenge हमें fit रखने और दूसरों को भी fit रहने के लिए प्रोत्साहित करेगा । + +छवि यादव जी, आपके phone call के लिए आपका बहुत धन्यवाद। ये बात सही है कि जो खेल कभी गली-गली, हर बच्चे के जीवन का हिस्सा होते थे, वे आज कम होते जा रहे हैं। ये खेल ख़ासकर गर्मी की छुट्टियों का विशेष हिस्सा होते थे। कभी भरी दोपहरी में, तो कभी रात में खाने के बाद बिना किसी चिंता के, बिल्कुल बेफिक्र होकर के बच्चे घंटो-घंटो तक खेला करते थे और कुछ खेल तो ऐसे भी हैं,जो पूरा परिवार साथ में खेला करता था – पिट्ठू हो या कंचे हो, खो-खो हो,लट्टू हो या गिल्ली-डंडा हो, न जाने…..अनगिनत खेल कश्मीर से कन्याकुमारी, कच्छ से कामरूप तक हर किसी के बचपन का हिस्सा हुआ करते थे। हाँ, यह हो सकता है कि अलग-अलग जगह वो अलग-अलग नामों से जाने जाते थे, जैसे अब पिट्ठू ही यह खेल कई नामों से जाना जाता है। कोई उसे लागोरी, सातोलिया, सात पत्थर, डिकोरी, सतोदिया न जाने कितने नाम हैं एक ही खेल के। परंपरागत खेलों में दोनों तरह के खेल हैं। out door भी हैं, indoor भी हैं। हमारे देश कीविविधताके पीछे छिपी एकता इन खेलों में भी देखी जा सकती है। एक ही खेल अलग-अलग जगह, अलग-अलग नामों से जाना जाता है। मैं गुजरात से हूँ मुझे पता है गुजरात में एक खेल है, जिसे चोमल-इस्तो कहते हैं। ये कोड़ियों या इमली के बीज या dice के साथ और 8×8 के square board के साथ खेला जाता है। यह खेल लगभग हर राज्य में खेला जाता था। कर्नाटक में इसे चौकाबारा कहते थे, मध्यप्रदेश में अत्तू। केरल में पकीड़ाकाली तो महाराष्ट्र में चम्पल, तो तमिलनाडु में दायाम और थायाम, तो कहीं राजस्थान में चंगापो न जाने कितने नाम थे लेकिन खेलने के बाद पता चलता है, हर राज्य वाले को भाषा भले न जानता हो – अरे वाह! ये खेल तो हम भी करते थे। हम में से कौन होगा, जिसने बचपन में गिल्ली-डंडा न खेला हो। गिल्ली-डंडा तो गाँव से लेकर शहरों तक में खेले जाने वाला खेल है। देश के अलग-अलग भागों में इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है। आंध्रप्रदेश में इसे गोटिबिल्ला या कर्राबिल्ला के नाम से जानते हैं। उड़ीसा में उसे गुलिबाड़ी कहते हैं तो महाराष्ट्र में इसे वित्तिडालू कहते हैं। कुछ खेलों काअपना एक season होता है। जैसे पतंग उड़ाने का भी एक season होता है। जब हर कोई पतंग उड़ाता है जब हम खेलते हैं, हम में जो unique qualities होती हैं, हम उन्हें freely express कर पाते हैं। आपने देखा होगा कई बच्चे, जो शर्मीले स्वभाव के होते हैं लेकिन खेलते समय बहुत ही चंचल हो जाते हैं। ख़ुद को express करते हैं, बड़े जो गंभीर से दिखते हैं, खेलते समय उनमें जो एक बच्चा छिपा होता है, वो बाहर आता है। पारंपरिक खेल कुछ इस तरह से बने हैं कि शारीरिक क्षमता के साथ-साथ वो हमारी logical thinking, एकाग्रता, सजगता, स्फूर्ति को भी बढ़ावा देते हैं। और खेल सिर्फ खेल नहीं होते हैं, वह जीवन के मूल्यों को सिखाते हैं। लक्ष्य तय करना, दृढ़ता कैसे हासिल करना!, team spirit कैसे पैदा होना, परस्पर सहयोग कैसे करना। पिछले दिनों मैं देख रहा था कि Business Management से जुड़े हुए training programmes में भी overall personality development और interpersonal skills के improvement के लिए भी हमारे जो परंपरागत खेल थे, उसका आजकल उपयोग हो रहा है और बड़ी आसानी से overall development में हमारे खेल काम आ रहे हैं और फिर इन खेलों को खेलने की कोई उम्र तो है ही नहीं। बच्चों से ले करके दादा-दादी, नाना-नानी जब सब खेलते हैं तो यह जो कहते हैं न generation gap,अरे वो भी छू-मंतर हो जाता है। साथ-ही-साथ हम अपनी संस्कृति और परम्पराओं को भी जानते हैं। कई खेल हमें समाज, पर्यावरण आदि के बारे में भी जागरूक करते हैं। कभी-कभी चिंता होती है कि कहीं हमारे यह खेल खो न जाएँ और वह सिर्फ खेल ही नहीं खो जाएगा, कहीं बचपन ही खो जाएगा और फिर उस कविताओं को हम सुनते रहेंगे – + +मेरे प्यारे देशवासियो ! आने वाले 5 जून को हमारा देश भारत आधिकारिक तौर पर World Environment Day Celebration विश्व पर्यावरण दिवस को भारत host करेगा। यह भारत के लिए एक बहुत महत्वपूर्ण उपलब्धि है और यह जलवायु परिवर्तन को कम करने की दिशा में विश्व में भारत के बढ़ते नेतृत्व को भी स्वीकृति मिल रही है – इसका परिचायक है। इस बार की theme है ‘Beat Plastic Pollution’। मेरी आप सभी से अपील है, इस theme के भाव को, इसके महत्व को समझते हुए हम सब यह सुनिश्चित करें कि हमpolythene, low grade plastic का उपयोग न करें और Plastic Pollution का जो एक negative impact हमारी प्रकृति पर, wild life पर और हमारे स्वास्थ्य पर पड़ रहा है, उसे कम करने का प्रयास करें। World Environment Day की website wed-india2018 पर जाएँ और वहाँ ढ़ेर सारे सुझाव बड़े ही रोचक ढ़ंग से दिए गए हैं – देखें, जानें और उन्हें अपने रोजमर्रा के जीवन में उतारने का प्रयास करें। जब भयंकर गर्मी होती है, बाढ़ होती है। बारिश थमती नहीं है। असहनीय ठंड पड़ जाती है तो हर कोई expert बन करके global warming, climate change इसकी बातें करता है लेकिन क्या बातें करने से बात बनती है क्या? प्रकृति के प्रति संवेदनशील होना, प्रकृति की रक्षा करना, यह हमारा सहज स्वभाव होना चाहिए, हमारे संस्कारों में होना चाहिए। पिछले कुछ हफ़्तों में हम सभी ने देखा कि देश के अलग-अलग क्षेत्रों में धूल-आँधी चली, तेज़ हवाओं के साथ-साथ भारी वर्षा भी हुई, जो कि unseasonal है। जान-हानि भी हुई, माल-हानि भी हुई। यह सारी चीज़ें मूलतः weather pattern में जो बदलाव है, उसी का परिणाम है हमारी संस्कृति, हमारी परंपरा ने हमें प्रकृति के साथ संघर्ष करना नहीं सिखाया है। हमें प्रकृति के साथ सदभाव से रहना है, प्रकृति के साथ जुड़ करके रहना है। महात्मा गाँधी ने तो जीवन भर हर कदम इस बात की वकालत की थी। जब आज भारत climate justice की बात करता है। जब भारत ने Cop21 और Paris समझौते में प्रमुख भूमिका निभाई। जब हमनें International Solar Alliance के माध्यम से पूरी दुनिया को एकजुट किया तो इन सबके मूल में महात्मा गाँधी के उस सपने को पूरा करने का एक भाव था। इस पर्यावरण दिवस पर हम सब इस बारे में सोचें कि हम अपने planet को स्वच्छ और हरित बनाने के लिए क्या कर सकते हैं? किस तरह इस दिशा में आगे बढ़ सकते हैं? क्या innovative कर सकते हैं? बारिश का मौसम आने वाला है,हम इस बार record वृक्षारोपण का लक्ष्य ले सकते हैं और केवल वृक्ष लगाना ही नहीं बल्कि उसके बड़े होने तक उसके रख-रखाव की व्यवस्था करना। + diff --git a/pm-speech/602.txt b/pm-speech/602.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..de354de9b63db4513f9fbb764f98ec432dc7986d --- /dev/null +++ b/pm-speech/602.txt @@ -0,0 +1,24 @@ +मुझे बताया गया कि आप लोग दो-दो तीन-तीन घंटे से आकर के यहां बैठे हैं। इतनी बड़ी मात्रा में आकर के गर्मजोशी से आकर के हमारा स्‍वागत किया। आपने आर्शीवाद दिए। आपके इस प्‍यार के लिए, मैं आपके इस आर्शीवाद के लिए आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। जब चुनाव के समय मैं झारखंड में आया था। तो मैं झारखंड के लिए कहा करता था। कि झारखंड के विकास के लिए डबल इंजन की जरूरत है। एक रांची वाला और दूसरा दिल्‍ली वाला और आपने चार साल में देख लिया। जब दोनों सरकारें मिलकर के एक ही दिशा में सबका साथ सबका विकास ये मंत्र लेकर के चलती है। लक्ष्‍य निर्धारित करती है। और लक्ष्‍य को प्राप्‍त करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ती है। तो विकास के कैसे परिणाम प्राप्‍त होते हैं। वो झारखंड की जनता ने भलीभांति अनुभव किया है। + +भाईयो बहनों, मैं जब यहां 2014 में चुनाव में आया था। तब मैंने कहा था कि झारखंड मुझे जो प्‍यार दे रहा है। मैं ब्‍याज समेत लौटाऊंगा। और विकास करके लौटाऊंगा। और आज जब एक के बाद एक हमने जो कदम उठाए हैं। उससे ये साफ नजर आ रहा है। कि दिल्‍ली में बैठी हुई सरकार झारखंड के विकास के लिए कितनी प्रतिबद्ध है। दलित हो, पीडि़त हो, शोषित हो, वंचित हो। मेरे आदिवासी भाई-बहनों, महिलाएं हो, युवा होंहर किसी के कल्‍याण के लिए एक के बाद एक विस्‍तृत योजनाओं के साथ हम आगे बढ़ते चले जा रहे हैं। + +आज करीब-करीब 27 हजार करोड़ रुपए ये राज्‍य सरकारों के बजट से भी बहुत बड़ा amount है। 27 हजार करोड़ रुपए के 5 बड़े project इसका झारखंड की धरती पर शिलान्‍यास हो रहा है। सिंदरी में हाथ का कारखाना, पत्रातु का power project, बाबा भोलेनाथ की नगरी, देवघर में airport और एम्‍स और रांची में पाइप लाइन से गैस पहुंचाने का project एक साथ 27 हजार करोड़ रुपए का काम आज झारखंड की धरती पर शिलान्‍यास हो रहा है। करीब-करीब 80 हजार करोड़ रुपए के और काम जो निर्धारित है। 50 से अधिक काम चल रहे हैं। आप कल्‍पना कर सकते हैं कि झारखंड देश के अन्‍य राज्‍यों की तुलना में कितना आगे पहुंच जाएगा। + +मैं हमेशा कहता रहा हूं। कि झारखंड की जनता हीरे पर बैठी हुई है। Diamond पर बैठी हुई है। काला हीरा black diamond ये हमारा कोयलावो भले काले रंग में रंगा हो लेकिन उजाला फैलाने की उसकी ताकत है। रोशनी पैदा करने की ताकत है। ऊर्जा से भर देने की ताकत है। और उसी को ध्‍यान में रखते हुए 18 हजार करोड़ रुपयों से अधिक की लागत से यहां पर पत्रातु में आज power project का शिलान्‍यास किया गया है। यहीं का कोयला, यहीं का पावर ये झारखंड कह आर्थिक ताकत तो बनेगा ही, ये झारखंड के नौजवानों को रोजगार भी देगा। और विकास के नए द्वार खोलने का काम आज ये पत्रातु का power plant से शुरू हो रहा है। कोयला खाद्दानों से जो विस्‍थपित हुए, उनके परिवारजनों को रोजगार मिले। उन परिवारजनों की चिंता की जाए। + +हमारा सपना था कि हिंदुस्‍तान के हर गांव में बिजली पहुंचाने का। 2014 में जब मैंने कार्यभार संभाला, इस देश के 18 हजार गांव ऐसे थे जहां पर सदियों बीत गए, जिंदगी अंधेरे के बाहर नहीं निकल पाई थी। बिजली देखी नहीं थी। बिजली का खंभा नहीं देखा था। बिजली का तार नहीं आया था। बिजली का लट्टू नहीं देखा था। इन हजारों गांव को रोशनी देने का काम हमने बीड़ा उठाया। ये दुर्गम जगहें थी, उपेक्षित जगहें थी। वोटबैंक की राजनीति में डूबे हुए लोगों को उपेक्षित लोगों की परवाह नहीं होती है वो अपने सिर्फ वोट बैंक की ही चिंता करने के आदी होते हैं। हम सबका साथ, सबका विकास का मंत्र लेकर चलने वाले लोग हैं। और इसलिए 18 हजार गांव में बिजली पहुंचनी चाहिए। कितना ही दुर्गम क्‍यों न हो पहाड़ की चोटियों पर क्‍यों न हो, घने जंगलों में क्‍यों न हो। कार पहुंचाने के लिए हजारोंलाखों रूपया खर्च क्‍यों न लग जाए। लेकिन एक बार देश में हर गांव को बिजली पहुंचाना है। + +जो लोग सुबह-शाम अमीरों को याद किए बिना सो नहीं पाते हैं, जिन लोगों को अमीरों को गाली देकर के अपनी गरीबों की भक्ति दिखाने का शौंक लगता है। फैशन हो गई है। वो दिन-रात कहते हैं कि मोदी अमीरों के लिए काम करता है। जिन 18 हजार गांवों में बिजलीपहुंची वहां कौन अमीर रहता है, मैं जरा ऐसे लोगों को पूछना चाहता हूं। जिन चार करोड़ घरों में आज भी अंधेरा है। जहां मोदी बिजली पहुंचाने के लिए दिन-रात लगा है। उन चार करोड़ घरों में कौन अमीर मां-बाप या बेटा रहता है। मैं जरा इन नामदारों से पूछना चाहता हूं।जो कामदारों की पीड़ा नहीं जानते और इसलिए भाईयो और बहनों मैं कहना चाहता हूं। + +भाईयो बहनों, आज मुझे सिंदरी में यूरिया का कारखाना फिर से आरंभ करने का अवसर मिल रहा है। करीब 16 साल, ये कारखाना बंद रहा। लेकिन ये वो कारखाना है भारतीय जनसंघीय संस्‍था पर डॉक्‍टर श्‍यामा प्रसाद मुखर्जी जब केंद्र सरकार में मंत्री हुआ करते थे। उन्‍होंने इस सिंदरी के यूरिया के कारखाने का शिलान्‍यास किया था। बाद में वो बंद हो गया। और मैंने 2014 के चुनाव में आपको कहा था कि झारखंड का, ये सिंदरी का हो कारखाना हम उसको चालू करेगे। + +हमनें नीमकोटी यूरिया का काम शुरू किया। पहले किसानों के नाम पर सब्सिडी जाती थी। यूरिया खेत में नहीं पहुंचता था। अमीरों के कारखानों में पहुंच जाता था। और जो नामदार अमीरों की सेवा में 70 साल सरकारें चलाई हैं उन्‍होंने कभी सोचा नहीं कि यूरिया चोरी होकर के केमिकल के कारखानों में चला जाता है। सरकारी खजानें से हजारों करोड़ रुपये की सब्सिडी चली जाती है ये यूरिया रोकने का रास्‍ता खोजना चाहिए। हमनें आकर के शत-प्रतिशत यूरिया का नीम कोटिंग कर दिया। नीम की जो फली होती है उसके तेल लगाने से यूरिया चोरी नहीं हो सकता, यूरिया किसी कारखानें में काम नहीं आ सकता। यूरिया सिर्फ और सिर्फ खेती के ही काम आ सकता है। और उसके कारण चोरी बंद हो गई। + +अमीरों के लिए जीने-मरने वाले लोग, अब ये चोरी बंद हो गई उसके कारण परेशान हैं, लेकिन मेरा किसान उसके हक के यूरिया के लिए अब उसको कतार में खड़ा रहना नहीं पड़ता है। ब्‍लैक में यूरिया लाना नहीं पड़ता है। युरिया पाने के लिए कभी पोलिस की लाठियां खानी पड़ती थी। उससे वो बच गया है। आज दो साल हो गए। हिन्‍दुस्‍तान में यूरिया नहीं है। ऐसी एक आवाज नहीं उठी है। क्‍योंकि चोरी बंद हमने कर दी है। + +भाईयो बहनों, मैं भ्रष्‍टाचार के खिलाफ लड़ने वाला इंसान हूं। बेईमानी के खिलाफ लड़ने वाला इंसान हूं। और एक के बाद एक कदम उसी से जुड़े हुए हैं। आज मुझे रांची में घर-घर में पाइप लाइन से गैस पहुंचाने का प्रोजेक्‍ट का भी शिलान्‍यास करने का अवसर मिलेगा। 21वीं सदी का infrastructure कैसा हो जिसमें गैस ग्रीड हो, optical fibre network हो, पानी की ग्रीड हो, बिजली की ग्रीड हो, हर प्रकार की आधुनिक व्‍यवस्‍थाएं हों। क्‍या कारण है कि मेरा झारखंड पीछे रह जाए। और इसलिए हिन्‍दुस्‍तान में तेज गति से आगे बढ़ने वाले शहरों की बराबरी अब रांची भी करने लग जाएगा। से सपना देखकर के गैस ग्रीड का काम हमने उठाया है। घर-घर में गैस पहुंचेगा और आगे जाकर के ये गैस यूपी, बिहार, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और आसाम करीब 70 जिलों में पाइप लाइन से गैस पहुंचने वाला है। + +आप कल्‍पना कर सकते हैं धुएं से मुक्‍त रसोई घर ये जो हमारा सपना था। उसको पूरा करने में हमने उज्‍ज्‍वला योजना चलाई। अब दूसरा कदम है पाइप लाइन से गैस पहुंचाना और एक तीसरे पर काम चल रहा है। क्‍लीन कुकिंग का सोलर एलर्जी वाले चूल्‍हे ताकि गरीब को सूर्य शक्ति से ही खाना पक जाए उसको ईंधन का खर्चा भी न आ जाए। उस दिशा में भी शोध कार्य चल रहे है। + +पर्याटन मंत्रालय भी इस काम को कर रहा है। और हमारा सपना है कि हवाई चप्‍पल पहनने वाला भी हवाई जहाज में जाए, हवाई चप्‍पल पहनने वाला भी हवाई जहाज में जाए। ये हमारा सपना है। और आपको जानकर के खुशी होगी पिछले वर्ष रेलवे के एसी डिब्‍बे में सफर करने वालों से ज्‍यादा हवाई जहाज में सफर करने वालों की संख्‍या निकली है। ये बताता है कि देश किस प्रकार से सामान्‍य व्‍यक्ति की जिंदगी के साथ बदलाव ला रहा है। + diff --git a/pm-speech/603.txt b/pm-speech/603.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..7c4ca2f479c6d2901242ed2d2aa729ca21d1f410 --- /dev/null +++ b/pm-speech/603.txt @@ -0,0 +1,10 @@ +साथियों, इस विश्वविद्यालय व इस पवित्र भूमि का इतिहास बांग्लादेश की आज़ादी, भारत की आज़ादी, और उपनिवेशकाल में बंगाल के विभाजन से भी पुराना है। यह हमारी उस साझा विरासत का प्रतीक है जिसे न तो अंग्रेज बांट पाए और ना ही विभाजन की राजनीति। इस साझा विरासत के गंगासागर की अनगिनत लहरें दोनों देशों के तटों को समान रुप से स्पर्श करती हैं। हमारी समानताएं हमारे सम्बन्धों के मजबूत सूत्र हैं। + +गुरुदेव रविन्द्रनाथ टैगोर की दूरदृष्टी का परिणाम यह संस्था हमारी राजनीतिक सीमाओं और बंधनों से परे है। गुरुदेव स्वयं एक स्वतन्त्र विचार के व्यक्ति थे, जिन्हें किन्ही सीमाओं के बंधनों ने नहीं बांधा । वे जितने भारत के हैं, उतने ही बांग्लादेश के भी हैं। गगन हरकारा और लालन फ़क़ीर के बंगाली लोक संगीत से उनका परिचय बांग्लादेश की धरती पर ही हुआ था। अमार शोनार बांग्ला की धुन के लिए उन्हें गगन हरकारा से प्रेरणा मिली थी। बौल संगीत का प्रभाव रविन्द्र संगीत में साफ़ सुनाई देता है। + +भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में internet का एक connection बांग्लादेश से भी आ रहा है। बांग्लादेश के विकास के लिए जो प्राथमिकताएं प्रधानमंत्री शेख हसीना जी ने चुनी हैं, उनमें सहयोग के लिए भारत ने 8 billion dollars की lines of credit का प्रावधान किया है। इनके क्रियान्वयन में अच्छी प्रगति है, projects की पहचान हो चुकी है और कुछ के लिए तो credit भी दे दिया गया है। + +बांग्लादेश Space Technology में भी आगे बढ़ रहा है। हाल में ही बांग्लादेश ने अपना पहला Satellite, बंगबंधु, launch किया है। इसके लिए भी प्रधानमंत्री जी और बांग्लादेश की जनता को बहुत-बहुत बधाई। आज भारत में हम Space Technology का इस्तेमाल गरीब का जीवन स्तर ऊपर उठाने और सिस्टम में Transparency लाने के लिए कर रहे हैं। मुझे विश्वास है कि भविष्य में Space Technology के क्षेत्र में भी हम दोनों देशों के बीच सहयोग के नए द्वार खुलेंगे। + +साथियों, भारत ने International Solar Alliance का Initiative लिया है। दुनिया के कई देश इस Alliance का हिस्सा बन चुके हैं। यह Alliance दुनिया भर में solar power की capacity को explore करेगा और अलग-अलग देशों को funding का एक mechanism भी तैयार करेगा। मुझे प्रसन्नता है कि बांग्लादेश भी Solar Alliance का हिस्सा है। इस वर्ष मार्च में दिल्ली में International Solar Alliance का summit हुआ। हमें बहुत प्रसन्नता हुई कि बांग्लादेश के राष्ट्रपति उस summit में शामिल हुए। ये दिखाता है कि सीमा के दोनों तरफ चुनौतियों को अवसरों में बदलने के लिए सहयोग की इच्छा कितनी प्रबल है। + diff --git a/pm-speech/604.txt b/pm-speech/604.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..432aa93e05b2dba1a23046f9fae5ac232b730c2c --- /dev/null +++ b/pm-speech/604.txt @@ -0,0 +1,18 @@ +जैसे किसी मंदिर के प्रागंन में आपको मंत्रोच्‍चार की ऊर्जा महसूस होती है। वैसी ही ऊर्जा मैं विश्‍व भारती, विश्‍वविद्यालय के प्रागंन में अनुभव कर रहा हूं। मैं जब अभी कार से उतरकर मंच की तरफ आ रहा था तो हर कदम, मैं सोच रहा था कि कभी इसी भूमि पर यहां के कण-कण पर गुरुदेव के कदम पड़े होंगें। यहां कहीं आस-पास बैठकर उन्‍होंने शब्‍दों को कागज पर उतारा होगा। कभी कोई धुन, कोई संगीत गुनगुनाया होगा। कभी महात्‍मा गांधी से लंबी चर्चा की होगी। कभी किसी छात्र को जीवन का, भारत का, राष्‍ट्र के स्‍वाभिमान का मतलब समझाया होगा। + +वैदिक और पौराणिक काल में जिसे हमारे ऋषियों-मुनियों ने सींचा। आधुनिक भारत में उसे गुरुदेव रवीन्‍द्रनाथ टैगोर जैसे मुनिषयों ने आगे बढ़ाया। आज आपको जो ये सप्‍तपरिणय का गुच्‍छ दिया गया है। ये भी सिर्फ पते नहीं है। बल्कि एक महान संदेश है। प्र‍कृति किस प्रकार से हमें एक मनुष्‍य के नाते, एक राष्‍ट्र के नाते उत्‍तम सीख दे सकती है। ये उसी का एक परिचायक, उसकी मिसाल है। यही तो इस अप्रतिम संस्‍था के पीछे की भावना, यही तो गुरुदेव के विचार हैं, जो विश्‍व भारती की आधारशिला बनी। + +भाईयों और बहनों यत्र विश्‍वम भवेतेक निरम यानि सारा विश्‍व एक घोसला है, एक घर है। ये वेदों की वो सीख है। जिसको गुरुदेव ने अपने बेशकीमती खजाने के विश्‍व भारती का धैय वाक्‍य बनाया है। इस वेद मंत्र में भारत की समृद्ध परंपरा का सार छुपा है। गुरुदेव चाहते थे कि ये जगह उद्घोषणा बने जिसको पूरा विश्‍व अपना घर बनाए। घोसले और घरोंदों को जहां एक ही रूप में देखा जाता है। जहां संपूर्ण विश्‍व को समाहित करने की भावना हो। यही तो भारतीयता है। यही वसुधैव कुटुम्‍बकम् का मंत्र है। जो हजारों वर्षों से इस भारत भूमि से गुंजता रहा और और इसी मंत्र के लिए गुरुदेव ने पूरा जीवन समर्पित कर दिया है। + +भारत और बंग्‍लादेश दो राष्‍ट्र हैं लेकिन हमारे हित एक-दूसरे के साथ समन्‍वय और सहयोग से जुड़े हुए हैं। culture हो या public policy हम एक-दूसरे से बहुत कुछ सीख सकते हैं। इसी का एक उदाहरण बंग्‍लादेश भवन है। जिसका थोड़ी में हम दोनों वहां जाकर के उद्घाटन करने वाले हैं। ये भवन भी गुरुदेव के vision का ही प्रतिबिंब है। + +दुनिया के अनेक विश्‍वविद्यालयों में टैगोर आज भी अध्‍ययन का विषय है। उनके नाम पर chairs हैं अगर मैं कहूं कि गुरुदेव पहले भी ग्‍लोबल सि‍टिजन थे और आज भी है। तो गलत नहीं होगा। वैसे आज इस अवसर पर उनका गुजरात से जो नाता रहा उसका वर्णन करने के मोह से मैं खुद को रोक नहीं पा रहा। गुरुदेव का गुजरात से भी एक विशेष नाता रहा है। उनके बड़े भाई सत्‍येंद्रनाथ टैगोर जो सिविल सेवा join करने वाले पहले भारतीय थे। काफी समय वे अहमदाबाद में भी रहे। संभवत: वो तब अहमदाबाद के कमीशनर हुआ करते थे। और मैंने कहीं पढ़ा था। कि पढ़ाई के लिए इंगलैंड जाने से पहले सत्‍येंद्रनाथ जी अपने छोटे भाई को छ: महीने तक अंग्रेजी साहित्‍य के अध्‍ययन वहीं अहमदाबाद में कराया था। गुरुदेव की आयु तब सिर्फ 17 साल की थी। इसी दौरान गुरुदेव ने अपने लोकप्रिय नोवल खुदितोपाशान के महत्‍वपूर्ण हिस्‍से और कुछ कविताएं भी अहमदाबाद में रहते हुए लिखी थी। यानि एक तरह से देखें तो गुरुदेव के वैश्विक पटल पर जीत स्‍थापित होने में एक छोटी सी भूमिका हिन्‍दुस्‍तान के हर कोने की रही है, उसमें गुजरात भी एक है। + +भारतीय राष्‍ट्रीय आंदोलन में टैगोर जी का यही शैक्षणिक और भारतीयता में ओतप्रोत दर्शन एक दूरी बन गया था। उनका जीवन राष्‍ट्रीय और वैश्विक विचारों का समावेश था जो हमारी पुरातन परंपराओं का हिस्‍सा रहा है। ये भी एक कारण रहा कि उन्‍होंने यहां विश्‍व भारती में शिक्षा की अलग ही दुनिया का सर्जन किया। सादगी यहां की शिक्षा का मूल सिद्धांत है। कक्षाएं आज भी खुली हवा में पेड़ों के नीचे चलाई जाती हैं। जहां मनुष्‍य और प्रकृति के बीच सीधा संवाद होता है। संगीत, चित्रकला, नाट्य अभिनय समेत मानव जीवन के जितने भी आयाम होते हैं, उन्‍हें प्रकृति की गोद में बैठकर निखारा जा रहा है। + +साथियों, आज हम एक अलग ही विषय में अलग ही चुनौतियों के बीच जी रहे हैं। सवा सौ करोड़ देशवासियों ने 2022 तक जबकि आजादी के 75 साल होंगे। न्‍यू इंडिया बनाने का संकल्‍प लिया है। इस संकल्‍प की सिद्धि में शिक्षा और शिक्षा से जुड़ें आप जैसे महान संस्‍थानों की अहम भूमिका है। ऐसे संस्‍थानों से निकले नौजवान देश को नई ऊर्जा देते हैं। एक नई दिशा देते हैं। हमारे विश्‍वविद्यालय सिर्फ शिक्षा के संस्‍थान न बने। लेकिन सामाजिक जीवन में उनकी सक्रिय भागीदारी हो, इसके लिए प्रयास निरंतर जारी है। + +इस बजट में revitalizing infrastructure & system in education यानि RISE नाम से एक नई योजना शुरू करने की घोषणा की गई है। इसके तहत अगले चार साल में देश के education system को सुधारने के लिए एक लाख करोड़ रुपया खर्च किया जाएगा। Global Initiative of Academic Network यानि ज्ञान भी शुरू किया गया। इसके माध्‍यम से भारतीय संस्‍थाओं ने पढ़ाने के लिए दुनिया के सर्वश्रेष्‍ठ शिक्षकों को आमंत्रित किया जा रहा है। + +शैक्षिक संस्‍थाओं को पर्याप्‍त सुविधाएं मिलें इसके लिए एक हज़ार करोड़ रुपये के निवेश के साथ Higher Education Financing Agency शुरू की गई है। इससे प्रमुख शैक्षिक संस्‍थाओं में High Quality Infrastructure के लिए निवेश में मदद मिलेगी। कम उम्र में ही Innovation का mindset करने के लिए अब उस दिशा में हमें देश भर में 2400 स्‍कूलों को चुना। इन स्‍कूलों में Atal Tinkering Labs के माध्‍यम से हम छठी से 12वीं कक्षा के छात्रों पर फोकस कर रहे हैं। इन Labs में बच्‍चों को आधुनिक तकनीक से परिचित करवाया जा रहा है। + diff --git a/pm-speech/606.txt b/pm-speech/606.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..7110d221f7922f57c6ddf3279e27e5a472278833 --- /dev/null +++ b/pm-speech/606.txt @@ -0,0 +1,14 @@ +एक हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट राष्ट्र को समर्पित करना तो दूसरे का शिलान्यास करना; आज का ये दिन अद्भुत और यादगार दिन बन गया। थोड़ी देर पहले मुझे जम्मू के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी 4 बड़ी परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण करने का अवसर मिला है। इसमें से दो माता वैष्णो देवी को समर्पित हैं। यहां अभी पकल डुल प्रोजेक्ट का भी शिलान्यास किया गया। ये कितना लाभकारी होने वाला है, इसका अंदाज़ा आप इसी बात से लगा सकते है कि, जितनी बिजली आज जम्मू-कश्मीर में पैदा होती है उसकी एक तिहाई इसी एक पावर प्रोजेक्ट से पैदा होने वाली है। + +कनेक्टिविटी से डेवलपमेंट के सूत्र पर हम काम कर रहे हैं। कनेक्टिविटी चाहे रास्तों के जरिए हो या फिर दिलों की, किसी भी स्तर पर कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है। जम्मू-कश्मीर के विकास के लिए भी हर वो कदम उठाए जा रहे हैं जो इस राज्य को New India का Rising Star बनाने की ताकत रखते हैं। ज़रा भारत के उस MAP की कल्पना करिए, जब देश का सरताज हीरे के मुकुट की भांति चमकेगा और यही चमक बाकी देश को विकास की राह दिखाएगी। + +जम्मू कश्मीर हो, पश्चिम भारत हो या फिर नॉर्थ ईस्ट हो, देश को Highways की लड़ी में पिरोने का ये प्रोजेक्ट है। इस साल के बजट में इस योजना के तहत बनने वाले लगभग 35 हज़ार किलोमीटर रोड के लिए 5 ह़जार करोड़ से अधिक का प्रावधान इस बजट में किया गया है। जम्मू-कश्मीर में भी इस योजना के तहत लगभग two thousand seven hundred करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। + +साथियों, माता के दर्शन के लिए अब श्रद्धालु ताराकोटा मार्ग से भी जा सकेंगे। कटरा और अर्द्धकुंवारी के बीच पैदल चलने वाले श्रद्धालुओं के लिए ये वैकल्पिक पैदल मार्ग है। इससे भीड़भाड़ से भी छुटकारा मिलेगा। और मुझे बताया गया है कि इस मार्ग को डेढ़ किलोमीटर के लिंक रोड के द्वारा मौजूदा पैदल मार्ग से भी जोड़ा जाएगा। ताकि पैदल यात्री मंदिर तक यात्रा करने के लिए दोनों उपलब्ध मार्गों में से किसी एक को चुन सकें। माता रानी के भक्तों के लिए यह पूरी तरह से सुखद और सुरक्षित मार्ग है। जिसमें उनकी हर सुविधा का ध्यान रखा गया है। + +भाइयों और बहनों, जम्मू-कश्मीर में इंफ्रास्ट्रक्चर से टूरिज्म बढ़ेगा और टूरिज्म से रोज़गार बढ़ेगा। लेकिन रोजगार के लिए शिक्षा और कौशल विकास का रोल अहम है। केंद्र सरकार ने राज्य में शिक्षा से जुड़े बड़े संस्थानों को मंजूरी दी है। जम्मू में बनने वाला IIM हो या फिर IIT हो, ये संस्थान राज्य के लिए मील का पत्थर साबित होने वाले हैं। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर के 16 हज़ार से अधिक छात्र-छात्राओं को देश की प्रतिष्ठित Universities और Colleges में पढ़ाई के लिए Scholarship दी गई है। + +भाइयों और बहनों, महिला सशक्तिकरण सरकार की प्राथमिकता रही है। बीते चार वर्षों में ऐसी कई योजनाएं चलाई गई हैं, जिससे महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक ताकत मिली है। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत देशभर में लगभग साढ़े 9 करोड़ महिला उद्यमियों ने छोटे-छोटे कारोबार के लिए बिना गारंटी का ऋण प्राप्‍त किया है। इसमें जम्मू कश्मीर की 50 लाख से अधिक महिलाएं भी शामिल हैं। + +प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत राज्य में लगभग 20 लाख लोगों ने बैंक में खाते खुलवाए हैं। इन खातों में आज की तारीख में लगभग eight hundred करोड़ रुपया जमा है, मैं सिर्फ जम्‍मू-कश्‍मीर की बात कर रहा हूं। Un-organised Sector में काम करने वाले जो मेरे श्रमिक भाई-बहने हैं उनके लिए बनाई गई अटल पेंशन योजना में यहां के 40 हज़ार से अधिक लोग जुड़े हैं। कम प्रीमियम वाली दो जीवन बीमा योजनाएं जो सरकार चला रही है, उनसे राज्य के लगभग 9 लाख लोग जुड़े हैं। इन योजनाओं के माध्यम से लगभग तीन करोड़ की क्लेम राशी भी दी चुकी है। + diff --git a/pm-speech/608.txt b/pm-speech/608.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..4b667e17b32fd906ee4f601d4708f77a6442def0 --- /dev/null +++ b/pm-speech/608.txt @@ -0,0 +1,20 @@ +भाइयो और बहनों, ये प्रोजेक्‍ट इंजीनियरिंग की बेजोड़ मिसाल है। इसे पूरा करने के लिए अनेक लोगों ने तपस्‍या की है। पहाड़ के सीने को चीर करके किशनगंगा के पानी को tunnel के जरिए बांदीपोरा के बोनार नाले में पहुंचाया गया। इस परियोजना से जुड़े हर कामगार, हर कर्मचारी, हर इंजीनियर सब को ही विशेष बधाई के पात्र हैं। आपके ही हौसले का परिणाम है कि इस मुश्किल प्रोजेक्‍ट को हम पूरा कर पाए हैं। + +साथ में जम्‍मू-कश्‍मीर के लोगों के जीवन में बदलाव लाने के लिए राज्‍य के तीनों हिस्‍सों कश्‍मीर, जम्‍मू और लद्दाख का संतुलित विकास बहुत ही आवश्‍यक है। इसी को ध्‍यान में रखते हुए ढाई साल पहले 80 हजार करोड़ रुपये के पैकेज का ऐलान किया गया था। मुझे खुशी है इतने कम समय में लगभग sixty three thousand करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट को स्‍वीकृति दी जा चुकी है और 20 हजार करोड़ रुपये से ज्‍यादा खर्च भी हो चुके हैं। इस राशि से जम्‍मू-कश्‍मीर में IIT बनाने का काम, IIM बनाने का काम, दो AIIMS बनाने का काम, प्राथमिक चिकित्‍सालयों से लेकर जिला अस्‍पतालों के आधुनिकीकरण का काम भी चल रहा है। + +नए नेशनल हाइवे, ऑलवेदर रोड, नई सुरंगें, पॉवर ट्रांसमीशन और distribution line, नदियों और झीलों का संरक्षण, किसानों के लिए योजनाएं, cold storage, वेयरहाउसिंग, नौजवानों के लिए रोजगार के नए अवसर ये अनेक नए initiative लिए जा रहे हैं। 21वीं सदी का जम्‍मू-कश्‍मीर यहां के लोगों की आशाओं, आकांक्षाओं के अनुरूप हो, इस पर प्राथमिकता से काम किया जा रहा है। + +जम्मू-कश्मीर के हर घर तक बेरोकटोक बिजली पहुंचाने के लिए भी निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। Smart  Grid और Smart meter जैसी Advanced Technology का इस्तेमाल किया जा रहा है। Street Lights का आधुनिकीकरण किया जा रहा है। जम्मू-कश्मीर के गांव से लेकर कस्बों तक को रोशन करने के लिए, राज्य के बिजली Distribution System को सुधारने के लिए लगभग 4 हज़ार करोड़ रुपए का निवेश किया जा रहा है। + +साथियों, सिर्फ गांव और घरों तक बिजली पहुंचाना भर ही मकसद नहीं है। बल्कि जिन घरों में बिजली पहुंच चुकी है उनमें बिजली का बिल बोझ ना बने इसके लिए भी प्रयास हो रहे हैं। उजाला योजना के तहत जम्मू-कश्मीर में भी 78 लाख से अधिक LED बल्ब बांटे जा चुके हैं। इससे यहां की जनता को जो बिजली में बिल में हर वर्ष करीब-करीब 400 करोड़ रुपए से ज्यादा की बचत हो रही है। सरकार राज्य के हर घर तक बिजली पहुंचाने की मुहिम में जुटी हुई है। सौभाग्य योजना के तहत अब जम्मू-कश्मीर के हर उस घर में मुफ्त बिजली कनेक्शन देने का काम चल रहा है, जहां अब तक बिजली नहीं पहुंची है। + +यहां आने से पहले,  मैंने देश की सबसे लंबी जोजिला सुरंग के कार्य का शुभारंभ कियाहै। ये टनल जम्मू-कश्मीर में विकास की नई गाथा लिखने वाली है। आप सोचिए, कनेक्टिविटी बढ़ेगी तो अक्सर, पढ़ाई के लिए जाते हुए, रिश्तेदारों से मिलने जाने के लिए, इलाज के लिए जाते हुए, व्यापार के लिए आते-जाते समय, सामान की खरीद-बिक्री के समय, आपको परेशान कम होना पड़ेगा। रास्ते में देरी के चलते जो हमारे सेब खराब हो जाते हैं, हमारी वेजिटेबल्‍स खराब हो जाती हैं, यहां के किसानों का जो नुकसान होताहै, वो भी हम बहुत बड़ी मात्रा में कम कर सकेंगे। + +हाल में यहां की एक बिटिया का वीडियो मैंने सोशल मीडिया में देखा था। पांच साल की ‘जन्नत’ डल लेक को साफ करने के लिए मिशन में जुटी है। जब देश का भविष्य इतना पवित्र और स्वच्छ सोचता है, तब मुझे इस अभियान का एक सदस्य होने के नाते और भी खुशी होती है। साथियों, ऐसे अनेक लोग हैं जो अपने स्तर पर इस प्रकार के काम कर रहे हैं। + +भाइयों और बहनों देश के सवा सौ करोड़ लोग आज New India के संकल्प पर काम कर रहे हैं। जम्मू-कश्मीर इस New India का सबसे चमकता सितारा बन सकता है। कोई वजह नहीं कि जम्मू-कश्मीर में देश के सबसे अच्छे शिक्षा संस्थान,  सबसे अच्छे अस्पताल, सबसे अच्छी सड़कें, सबसे आधुनिक एयरपोर्ट, न हों। कोई वजह नहीं कि यहां के हमारे बच्चे अच्छे डॉक्टर न बनें,  अच्छे इंजीनियर न बनें, अच्छे प्रोफेसर और अच्छे अधिकारी न बनें, कोई कारण नहीं है। + +साथियों, शांति और स्थायित्व का कोई विकल्प नहीं होता है । मेरा आग्रह है कि जो नौजवान रास्ता भटक गए हैं, वो मुख्य धारा में वापिस लौटें। ये मुख्य धाराहै, उनका परिवार, उनके माता-पिता। ये मुख्य धारा है जम्मू-कश्मीर के विकास में उनका सक्रिय योगदान। इस युवा पीढ़ी पर ही जिम्मेदारी है जम्मू- कश्मीर का गौरव, बढ़ाने की। जम्मू-कश्मीर में इतने साधन हैं, इतने संसाधन हैं, इतना सामर्थ्य है, कि कोई वजह नहीं कि जम्मू- कश्मीर, भारत के अपने दूसरे क्षेत्रों से रत्ती भर भी पीछे रहे। भटके हुए नौजवानों द्वारा उठाया गया हर पत्थर, हर हथियार, उनके अपने जम्मू-कश्मीर को अस्थिर करता है। + +राज्य को अब अस्थिरता के इस माहौल से बाहर निकलना ही होगा। भविष्यकेलिए, अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए, उन्हें सिर्फ कश्मीर ही नहीं, भारत के विकास की मुख्यधारा से भी जुड़ना होगा। हजारों वर्षों से, हम एक भारत मां की संतानें हैं। दुनिया की कोई शक्ति ऐसी नहीं, जो भाई को भाई से दूर कर सकती है। मां के दूध में कभी दरार नहीं हो सकती। जो लोग दशकों से इस प्रयास में लगे हुए थे, वो अब खुद बिखरने की कगार पर हैं। + diff --git a/pm-speech/609.txt b/pm-speech/609.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..4ee025897c77f0763d702b76731ca1d127f2bbdc --- /dev/null +++ b/pm-speech/609.txt @@ -0,0 +1,8 @@ +जब भी मैं काठमांडू के बारे में सोचता हूँ, तो जो छवि उभरती है वह सिर्फ़ एक शहर की नहीं है। वह छवि सिर्फ़ एक भौगोलिक घाटी की नहीं है। काठमांडू हमारे पड़ौसी और अभिन्न मित्र नेपाल की राजधानी ही नहीं है। भगवान बुद्ध की जन्मस्थली के देश की राजधानी ही नहीं है। एवरेस्ट पर्वत के देश की, लीली गुराज के देश की राजधानी ही नहीं है। काठमांडू अपने आप में एक पूरी दुनिया है। और इस दुनिया का इतिहास उतना ही पुराना, उतना ही भव्य और उतना ही विशाल है जितना हिमालय। मुझे काठमांडू ने हमेशा ही आकर्षित किया है। क्योंकि यह शहर जितना गहन है उतना ही गतिमान भी। हिमालय की गोद में जड़ा यह एक अनमोल रत्न है। काठमांडू, सिर्फ़ काष्ठ यानि लकड़ी का मंडप नहीं है। यह हमारी साझा संस्कृति और विरासत का महल है। इस शहर की विविधता में नेपाल की महान विरासत और उसके बड़े दिल की झलक मिलती है। नागार्जुन के जंगल हों या शिवपुरी की पहाड़ियाँ। सैकड़ों झरनों और जलधाराओं की शीतलता हो या फ़िर बागमती का उद्गम। हज़ारो मंदिरों, मंजुश्री की गुफाओं और बौद्ध विहारों का यह शहर दुनिया में अनूठा है। इमारतों की छत से एक तरफ धौलागिरी और अन्नपूर्णा और दूसरी तरफ सागरमाथा यानि ऐवरेस्ट और कंचनजंगा। ऐसे दर्शन कहाँ संभव हैं ? सिर्फ़ काठमांडू में। बसंतपुर की बानगी, पाटन की प्रतिष्ठा, भक्तपुर की भव्यता, कीर्तिपुर की कला और ललितपुर का लालित्य। काठमांडू ने अपने आप में जैसे इंद्रधनुष के सभी रंगों को समेट रखा है। यहां की हवा में बहुत सी परंपराएं ऐसे घुल-मिल गयी हैं जैसे चंदन में रोली। पशुपतिनाथ में प्रार्थना रत भक्तों की भीड़। स्वयंभू की सीढ़ीयों पर आध्यात्म की चहल-क़दमी। बौधा में परिक्रमा कर रहे श्रद्धालुओं के पग-पग पर ‘ओम मणि पद्मे हुम्’ की गूंज। ऐसा लगता है जैसे तारो पर सरगम के सारे सुर गले मिल रहे हैं। मुझे बताया गया है कि कुछ त्यौहार, जैसे नेवारी समुदाय के त्यौहार, तो ऐसे भी हैं जिनमें बौद्ध और हिंदु मान्यताओं और प्रथाओं का अभूतपूर्व संगम है। परंपरा और संस्कृति ने काठमांडू की हस्तकला और कलाकारों को बेजोड़ बनाया है। चाहे वह हाथ से बना कागज़ हो या तारा और बुद्ध जैसी मूर्तियाँ। भक्तपुर की मिट्टी से बने बर्तन हों या पाटन में पत्थर, लकड़ी और धातु का काम। नेपाल की बेजोड़ कला और कलाकारी का महाकुंभ है काठमांडू। और मुझे ख़ुशी है कि यहां की युवा पीढ़ी इस परंपरा को निभा रही है। और इसमें नयापन भी ला रही है। + +शांति, प्रकृति के साथ संतुलन, और आध्यात्मिक जीवन के मूल्यों से परिपूर्ण हमारे दोनों देशों के value systems पूरे विश्व की धरोहर हैं। और इसलिए, यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि पूरी दुनिया से लोग शांति की ख़ोज में भारत और नेपाल की ओर खींचे चले आते हैं। कोई बनारस जाता है तो कोई बोधगया। कोई हिमालय की गोद में जा कर रहता है, तो कोई बुद्ध विहारो में। साधना एक ही है खोज एक ही है। आधुनिक जीवन की बेचैनियों का समाधान भारत और नेपाल के साझे मूल्यों में मिलेगा। + +हज़ारो सालों से ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ – यानि सारा विश्व एक परिवार है – यह भारत का दर्शन रहा है। ‘सबका साथ-सबका विकास’ हम अपने विदेश-सहयोग पर भी लागू करते आये हैं। भारतीय शास्त्रों में प्रार्थना है, ”सर्वे भवन्तु सुखिनः। सर्वे सन्तु निरामयाः। सर्वे भद्राणि पश्यंतु। मा कश्चित् दुःख भाग्भवेत्।” यानी सब प्रसन्न हों, सब स्वस्थ हों, सबका कल्याण हो और किसी को दुःख ना मिले। भारत के मनिषियों ने हमेशा से यही सपना देखा है। इस आदर्श को प्राप्त करने के लिए हमारी विदेश नीति सबको साथ लेकर चलने पर आधारित है। ख़ासतौर पर पड़ौस में भारत के अनुभव और भारत के अवसरों को साझा करते हैं। Neighborhood first हमारी संस्कृति में सिर्फ़ विदेश नीति ही नहीं, जीवन शैली है। बहुत से उदाहरण हैं। स्वयं विकासशील होते हुए भी, भारत 50 साल से भी अधिक समय से Indian Technical and Economic Cooperation कार्यक्रम के अंतर्गत 160 से अधिक देशों में कैपेसिटी बिल्डिंग के लिए सहयोग उन देशों की जरुरतों के अनुसार करता है। पिछले साल भारत ने South Asia उपग्रह छोड़ा। इससे हमारी अंतरिक्ष क्षमताओं के सुपरिणाम हमारे पड़ौसी देशों को उपहार-स्वरुप उपलब्ध हो रहे हैं। इसके साथ ही हम इस बात पर भी ध्यान दे रहे हैं कि दुनिया के सामने जो बड़ी चुनौतियाँ हैं, जिनसे कोई भी देश अकेले नहीं निपट सकता, उनका सामना करने के लिए हम किस प्रकार अंतर्राष्ट्रीय साझेदारियों का विकास करें। उदाहरण के तौर पर, 2016 में भारत और फ्रांस ने मिलकर climate change के सन्दर्भ में एक नये अंतर्राष्ट्रीय treaty based organization की कल्पना की। यह क्रांतिकारी क़दम अब एक सफल प्रयोग में बदल गया है। इस वर्ष मार्च में फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रॉं और क़रीब 50 अन्य देशों के नेताओं ने दिल्ली में इस International Solar Alliance के पहले summit में भाग लिया। ऐसे प्रयासों से climate change जैसी चुनौतियों का सामना करने के लिए technological और आर्थिक साझेदारियां विकसित करने में, छोटे विकासशील देशों की जरुरतों को पूरा करने में ख़ासतौर पर मदद मिलेगी। + +नेपाल ने युद्ध से बुद्ध का बहुत लम्बा सफ़र तय किया है। लेकिन मंज़िल अभी और दूर है। बहुत आगे तक जाना है। एक प्रकार से कहूँ तो Mount Everest का Base Camp (बेस कैंप) आ गया है, लेकिन शिखर की चढ़ाई अभी बाकी है। और जिस प्रकार पर्वतारोहियों को नेपाल के शेरपाओं का मजबूत साथ और समर्थन मिलता है, उसी प्रकार नेपाल की इस विकास यात्रा में भारत आपके लिए शेरपा का काम करने के लिए तैयार है। पिछले महीने प्रधानमंत्री ओली जी की भारत यात्रा में, और कल और आज की मेरी नेपाल यात्रा में, मेरा यही संदेश था। नेपाल अपनी आवश्यकताओं और प्राथमिकताओं के अनुसार आगे बढ़े, और आपकी सफ़लता के लिए भारत हमेशा नेपाल के साथ कंधे से कंधा मिला कर चलेगा। आपकी सफ़लता में ही भारत की सफ़लता है। नेपाल की ख़ुशी में ही भारत की ख़ुशी है। काम चाहे railway lines का हो, या सड़क निर्माण का; hydropower का हो, या transmission lines का; integrated check post का हो, या oil pipeline का। या फ़िर भारत और नेपाल के सांस्कृतिक और लोगों के बीच मज़बूत सम्बन्धों को और भी ताक़त देने का काम हो। आपकी हर आवश्यकता में हम साथ चल रहे हैं, और आगे भी चलते रहेंगे। हमने काठमांडू को भारत से रेल द्वारा जोड़ने के project के DPR पर काम करना शुरु कर दिया है। 🙂 🙂 और अब तो हम Cricket में IPL में भी जुड़े हुए हैं। इस यात्रा में, और हाल ही की बहुत सी पहलों से आप परिचित हैं। मुझे बताया गया है कि पहली बार नेपाल का एक खिलाड़ी संदीप लमिछाने IPL में भाग ले रहा है। मैं आशा करता हूँ कि आने वाले समय में Cricket ही नहीं, अन्य खेलों के माध्यम से भी हमारे people-to-people संबंध मजबूत होते रहेंगे। + diff --git a/pm-speech/610.txt b/pm-speech/610.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..b55012a99ba318f2e72bbdd12cd596028c979c5e --- /dev/null +++ b/pm-speech/610.txt @@ -0,0 +1,10 @@ +मेरी यह नेपाल – यात्रा एक ऐसे ऐतिहासिक समय में हो रही है, जब नेपाल में federal, (प्रोविन्सिअल), और local, तीनों स्तरों पर चुनावों का सफ़ल आयोजन हो चुका है। नेपाल के इतिहास में यह कालखंड स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा। नेपाल की जनता ने आर्थिक और सामाजिक प्रगति और परिवर्तन के लिए, राष्ट्र-निर्माण के लिए, प्रधानमंत्री ओली जी के नेतृत्व और vision में अपना भरोसा जताया है। नेपाल के लोगों द्वारा संघीय, लोकतांत्रिक framework में राष्ट्र-निर्माण और विकास यात्रा के फ़ैसले का मैं अभिनंदन करता हूँ। एक अखंड, समृध और सशक्त नेपाल के लिए सभी नेपाली लोगो की आकांक्षा का भारत समर्थन करता है समावेशी विकास और आर्थिक समृद्धि के आपके प्रयासों की सफ़लता के लिए भारत के सवा सौ करोड़ लोगों की शुभकामनाएं आपके साथ हैं। + +पिछले महीने हमें भारत में प्रधानमंत्री ओली जी का स्वागत करने का अवसर मिला था। हमने दोनों देशों के विकास के लिए हमारे visions पर काफी बातचीत की थी। आज, यह मेरा सौभाग्य है कि मैं उनके साथ नेपाल की राजधानी में खड़ा हूँ। पड़ौस में, संपर्क और मित्रता के लिए भारत के विज़न की झलक मेरी इस यात्रा में मिलती है। + +भारत के लिए हमारा “सबका साथ, सबका विकास” का vision, और नेपाल के लिए ओली जी का “समृद्ध नेपाल, सुखी नेपाली” का नारा एक दूसरे के पूरक हैं। आज हमने एक बार फ़िर भारत और नेपाल की साझेदारी के सभी आयामों की समीक्षा की। लगभग पाँच सप्ताह पहले प्रधानमंत्री ओली जी भारत आए थे, तो उन्होंने मुझसे कई विषयों का उल्लेख किया था। मुझे प्रसन्नता है कि इतने कम समय में ही, दोनों देशों की teams ने मिल कर सभी मुद्दों पर काम किया है और कइ मुद्दों को तो सुलझा भी लिया है। आज की हमारी बातचीत में मैंने इस प्रगति के बारे में प्रधानमंत्री ओली जी को विस्तार से जानकारी दी। हमने कृषि, inland waterways और railways में कई परिवर्तनकारी पहलों की शुरुआत की है। इससे दोनों देशों के लोगों और व्यवसायों की आपसी connectivity बढ़ेगी। मैं inland waterways में हमारे सहयोग को विशेष रूप से महत्वपूर्ण मानता हूँ। नेपाल land-locked न रहे, बल्कि land-linked और water-linked हो, हम प्रधानमंत्री ओली जी के इस vision को साकार करने में हर संभव सहायता और प्रयास करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमारे कृषि मंत्री शीघ्र ही मिलेंगे। और कृषि अनुसन्धान, कृषि शिक्षा और कृषि विकास में सहयोग के लिए roadmap तैयार करने पर काम करेंगे। रक्सौल और काठमांडू के बीच नए railway link के लिए survey का काम शीघ्र ही शुरू होगा। और trade and investment में हमारे संबंधों को और अधिक मजबूत करने के लिए, हम शीघ्र ही Treaty of Trade का comprehnsive review भी करेंगे। स्वास्थ्य सहयोग में हम एक नया क़दम उठा रहे हैं। काठमांडू में स्थित भक्तपुर कैंसर अस्पताल में कैंसर रोगियों के इलाज के लिए हम शीघ्र ही भारत में विकसित भाभाट्रोन रेडियो-थेरपी मशीन install करेंगे। + +हमारे जल-संसाधन और उर्जा सहयोग में आज एक नया अध्याय जुड़ा है। प्रधानमंत्री ओली जी के साथ मिल कर आज मुझे 900 मेगावाट की अरुण-थ्री विद्युत् परियोजना की नींव रखने का सौभाग्य मिला। लगभग 6000 करोड़ भारतीय रुपयों के निवेश की यह परियोजना, नेपाल में होने वाले सबसे बड़े projects में एक है। नेपाल में रोजगार के अवसरों के साथ, इस project से नेपाल में आर्थिक और व्यावसायिक अवसर भी बनेंगे। पंचेश्वर project, एवं hydropower, जल-संसाधन और उर्जा के क्षेत्रों में अपने सहयोग के अन्य projects पर भी हम अपनी बातचीत आगे बढ़ा रहे हैं। हम दोनों इस बात पर भी सहमत हैं कि connectivity हमारे लोगों के विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण factor है। हम अनादी काल से हिमालय पर्वतमाला और नदियों आदि के माध्यम से जुड़े हुए हैं। और अब हम roads, railways, power transmission lines, oil pipeline आदि के माध्यम से अपनी इस connectivity को और अधिक बल देना चाहते हैं। + +भारत और नेपाल के मजबूत संबंधों में हमारा open border एक विशेष भूमिका निभाता है। हम किसी भी अवांछनीय तत्व द्वारा इस open border का दुरुपयोग नहीं होने देंगे। प्रधानमंत्री ओली जी और मैं हमारे द्विपक्षीय रक्षा और सुरक्षा सहयोग को और अधिक मजबूत करने के लिए भी प्रतिबद्द हैं। Open border के साथ हमारे संबंधों की एक और विशेषता है – हमारे गहन आध्यात्मिक संबंध। 2014 में जब मैं नेपाल आया था, तो भगवान पशुपतिनाथ का आशीर्वाद लेने का अवसर मिला था। आज सुबह मुझे जानकी मंदिर में माता सीता के दर्शन का सौभाग्य मिला। और मैं आशा करता हूँ कि कल सुबह मुक्तिनाथ और पशुपतिनाथ जी के प्रांगणों में उनकी प्रार्थना करने का सौभाग्य भी मिलेगा। हर साल मेरे जैसे लाखों भारतीय श्रद्धालु नेपाल आते हैं। और इसलिए, प्रधानमंत्री ओली जी और मैंने भारत और नेपाल के बीच पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए साथ मिल कर रामायण और बौद्ध circuits के विकास पर भी आज चर्चा की। साथ ही हमने ठोस क़दम भी उठाए हैं। + diff --git a/pm-speech/611.txt b/pm-speech/611.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..eb6ef2d777783f93d85c9dd369a3664e206aca5f --- /dev/null +++ b/pm-speech/611.txt @@ -0,0 +1,22 @@ +अगस्‍त 2014 में जब मैं प्रधानमंत्री के तौर पर पहली बार नेपाल आया था तो संविधान सभा में ही मैंने कहा था कि जल्‍द ही मैं जनकपुर आऊंगा। मैं सबसे पहले आप सबकी क्षमता चाहता हूं क्‍योंकि मैं तुरंत आ नहीं सका, आने में मुझे काफी विलंब हो गया और इसलिए पहले तो मैं आपसे क्षमा मांगता हूं। लेकिन मन कहता है कि शायद संभवत: सीता मैयाजी ने ही आज भद्रकाली एकादशी का दिन ही मुझे दर्शन देने के लिए तय किया था। मेरा बहुत समय से मन था कि राजा जनक की राजधानी और जगत जननी सीता की पवित्र भूमि पर आकर उन्‍हें नमन करूं। आज जानकी मंदिर में दर्शन कर मेरी बहुत सालों की जो कामना थी, उस मनोकामना को पूरी कर एक जीवन में धन्‍यता अनुभव करता हूं। + +जनकपुर धाम आकर, आप लोगों का अपनापन देखकर ऐसा नहीं लगा कि मैं किसी दूसरी जगह पर पहुंच गया हूं, सब कुछ अपने जैसा, हर कोई अपनों जैसा, सब कुछ अपनापन, ये सब अपने तो हैं। साथियों, नेपाल अध्‍यात्‍म और दर्शन का केंद्र रहा है। ये वो पवित्र भूमि है- जहां लुम्बिनी है, वो लुम्बिनी, जहां भगवान बुद्ध का जन्‍म हुआ था। साथियो, भूमि कन्‍या माता सीता उन मानवीय मूल्‍यों, उन ऊसूलों और उन परम्‍पराओं की प्रतीक है जो हम दो राष्‍ट्रों को एक-दूसरे से जोड़ती है। जनक की नगरी सीता माता के कारण स्‍त्री-चेतना की गंगोत्री बनी है। सीता माता, यानी त्‍याग, तपस्‍या, समर्पण और संघर्ष की मूर्ति। काठमांडू से कन्‍याकुमारी तक हम सभी सीता माता की परम्‍परा के वाहक हैं। जहां तक उनकी महिमा की बात है तो उनके आराधक तो सारी दुनिया में फैले हुए हैं। + +राजा जनक के दरबार में लोक कल्‍याणकारी नीतियों पर विद्वानों के बीच बहस होती थी। राजा जनक स्‍वयं उस बहस में सहभागी होते थे। और उस मंथन से जो नतीजा निकलता था उसको प्रजा के हित में, जनता के हित में और देश के हित में वे लागू करते थे। राजा जनक के लिए उनकी प्रजा ही सब कुछ थी। उन्‍हें अपने परिवार के, रिश्‍ते, नाते, किसी से कोई मतलब नहीं था। बस दिन-रात अपनी प्रजा की चिन्‍ता करने को ही उन्‍होंने अपना राज धर्म बना दिया था। इसलिए ही राजा जनक को विदेह भी कहा गया था। विदेह का अर्थ होता है जिसका अपनी देह या अपने शरीर से भी कोई मतलब न हो और सिर्फ जनहित में ही खुद को खपा दे, लोक-कल्‍याण के लिए अपने-आपको समर्पित कर दे। + +विकास की पहली शर्त होती है लोकतंत्र। मुझे खुशी है कि लोकतांत्रिक प्रणाली को आप मजबूती दे रहे हैं। हाल में ही आपके यहां चुनाव हुए। आपने एक नई सरकार चुनी है। अपनी आशाओं-आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए आपने जनादेश दिया है। एक वर्ष के भीतर तीन स्‍तर पर चुनाव सफलतापूर्वक कराने के लिए मैं आपको बहुत-बहुत बधाई देता हूं। नेपाल के इतिहास में पहली बार नेपाल के सभी सात प्रान्‍तों में प्रान्‍तीय सरकारें बनी हैं। ये न केवल नेपाल के लिए गर्व का विषय है बल्कि भारत और इस संपूर्ण क्षेत्र के लिए भी एक गर्व का विषय है। नेपाल सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन के लिए एक नए चरण में प्रवेश कर रहा है जो सुशासन और समावेशी विकास पर आधारित है। + +जब मैं सबका साथ-सबका विकास की बात करता हूं तो तो सिर्फ भारत के लिए ही नहीं, सभी पड़ोसी देशों के लिए भी मेरी यही कामना होती है। और अब, जब नेपाल में ‘समृद्ध नेपाल-सुखी नेपाली’ की बात होती है तो मेरा मन भी और अधिक हर्षित हो जाता है। सवा सौ करोड़ भारतवासियों को भी बहुत खुशी होती है। जनकपुर के मेरे भाइयों और बहनों, हमने भारत में एक बहुत बड़ा संकल्‍प लिया है, ये संकल्‍प है New India का। + +आज ही प्रधानमंत्री ओलीजी के साथ मिलकर मैंने जनकपुर से अयोध्‍या की बस सेवा का उद्घाटन किया है। पिछले महीने प्रधानमंत्री ओलीजी और मैंने बीरगंज में पहली integrated check post का उद्घाटन किया था। जब ये पोस्‍ट पूरी तरह से काम करना शुरू करेगी, तब सीमा पर व्‍यापार और आवाजाही और आसान हो जाएगी। जयनगर-जनकपुर रेलवे लाइन पर भी तेजी से काम चल रहा है। + +इस वर्ष के अंत तक इस लाइन को पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है। जब ये रेल लाइन पूरी हो जाएगी तब नेपाल-भारत के विशाल नेटवर्क में रेल नेटवर्क से भी जुड़ जाएगा। अब हम बिहार के रक्‍सौल से होते हुए काठमांडू को भारत से जोड़ने के लिए तेज गति से आगे बढ़ रहे हैं। इतना ही नहीं, हम जलमार्ग से भी भारत और नेपाल को जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं। नेपाल जल, भारत के जलमार्गों के जरिए समुद्र से भी जुड़ जाएगा। इन जलमार्गों से नेपाल में बना सामान दुनिया के देशों तक आसानी से पहुंच पाएगा। इससे नेपाल में उद्योग लगेंगे, रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। ये परियोजनाएं न केवल नेपाल के सामाजिक, आर्थिक बदलाव के लिए जरूरी हैं, बल्कि कारोबार के लिहाज से भी बहुत आवश्‍यक हैं। + +आज के युग में टेक्‍नोलॉजी के बिना विकास संभव नहीं है। भारत space technology में दुनिया के पांच टॉप देशों में है। आपको याद होगा, जब मैं पहली बार नेपाल आया था, तब मैंने कहा था कि भारत-नेपाल जैसे अपने पड़ोसियों के लिए एक उपग्रह भारत भेजेगा। अपने वायदे को मैं पिछले वर्ष पूरा कर चुका हूं। पिछले वर्ष भेजा गया South Asia Satellite आज पूरी क्षमता से अपना काम कर रहा है और नेपाल को इसका पूरा-पूरा लाभ मिल रहा है। + +हर साल विवाह पंचमी पर भारत से हजारों श्रद्धालू अवध से जनकपुर आते हैं। पूरे साल भर परिक्रमा के लिए भगतों का तांता लगा रहता है। श्रद्धालुओं को कोई दिक्‍कत न हो, इसलिए मुझे ये घोषणा करते हुए खुशी है कि जनकपुर और पास के क्षेत्रों के विकास की नेपाल सरकार की योजना में हम सहयोग देंगे। भारत की ओर से इस काम के लिए एक सौ करोड़ रुपयों की सहायता दी जाएगी। इस काम में नेपाल सरकार और provincial सरकार के साथ मिलकर projects की पहचान की जाएगी। ये राजा जनक के समय से परम्‍परा चली आ रही है कि जनकपुर धाम ने अयोध्‍या को ही नहीं, पूरे समाज के लिए कुछ न कुछ दिया है। जनकपुर धाम ने दिया है, मैं तो सिर्फ यहां मां जानकी के दर्शन करने आया था। जनकपुर के लिए यह घोषणाएं भारत की सवा सौ करोड़ जनता की ओर से मां जानकी के चरणों में मैं समर्पित करता हूं। + +ऐसे ही दो और कार्यक्रम हैं। बुद्धिस्‍ट सर्किट और जैन सर्किट, इसके तहत बुद्ध और महावीर जैन से जुड़े जितने भी संस्‍थान भारत में हैं, उन्‍हें आपस में जोड़ा जा रहा है। नेपाल में बौद्ध और जैन आस्‍था के कई स्‍थान हैं। ये भी दोनों देशों के श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए एक अच्‍छा हमारा बंधन बनाने का काम हो सकता है। इससे नेपाल में युवाओं के लिए रोजगार के भी अवसर जुटेंगे। + +मैं विशेष रूप से यहां के मेयर को बधाई देना चाहता हूं, उनके साथियों को बधाई देना चाहता हूं, यहां के नौजवानों को बधाई देना चाहता हूं, यहां के विधायकों को, सांसदों को बधाई देना चाहता हूं, जिन्‍होंने स्‍वच्‍छ जनकपुर अभियान को आगे बढ़ाया है। भाइयों और बहनों आज मैंने मां जानकी का दर्शन किया। कल मुक्तिनाथ धाम और फिर पशुपतिनाथजी का भी आशीर्वाद लेने का भी मुझे अवसर मिलेगा। मुझे विश्‍वास है कि देव आशीर्वाद और आप जनता-जनार्दन के आशीष, जो भी, जो भी समझौते होंगे, वो समृद्ध नेपाल और खुशहाल भारत के संकल्‍प को साकार करने में सहायक होंगे। + diff --git a/pm-speech/612.txt b/pm-speech/612.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..a553324c49ae261adc5d7ed7bb69bc83e87ff7a3 --- /dev/null +++ b/pm-speech/612.txt @@ -0,0 +1,8 @@ +हम सब तो बहुत व्‍यस्‍त रहते हैं, अपनी-अपनी जिम्‍मेदारिया हैं। लेकिन इस व्‍यस्‍तता के बीच भी जीवन में कुछ ही क्षण हम शायद भगवान बुद्ध का नाम लेकर धन्‍य हो जाते हैं। लेकिन यहां मैं जो धर्मगुरू देख रहा हूं, भिक्षुकगण देख रहा हूं, इन्‍होंने तो अपना पूरा जीवन बुद्ध के करूणा के संदेश को पहुंचाने के लिए आहुत कर दिया है। वे स्‍वयं बुद्ध के मार्ग पर चल पड़े हैं। और मैं आज इस अवसर पर विश्‍वभर में भगवान बुद्ध का संदेश पहुंचाने वाले उन सभी महा-मानवों का आदरपूर्वक प्रणाम करता हूं, नमन करता हूं। + +भगवान बुद्ध ने अपने उपदेश में ‘अष्‍टांग’ की चर्चा की है। भगवान बुद्ध के संदेश में ‘अष्‍टांग’ की बात आती है। और मैं मानता हूं कि ‘अष्‍टांग’ के मार्ग को जाने बिना, पाए बिना बुद्ध को पाना बहुत मुश्किल होता है। ‘अष्‍टांग’ मार्ग में भगवान बुद्ध ने कहा है- एक सम्‍यक दृष्टि, दूसरा सम्‍यक समकल्‍प, तीसरा सम्‍यक वाणी, चौथा सम्‍यक आचरण, पांचवां सम्‍यक आजीविका, सम्‍यक प्रयत्‍न, सम्‍यक चेतना और सम्‍यक ध्‍यान यानी right view, right thought,  right speech,  right conduct,  right livelihood, right efforts, right consciousness, right consultation, भगवान बुद्ध ने ये ‘अष्‍टमार्ग’ हमारे लिए सूचित किया है। + +जनधन योजना के तहत 31 करोड़ से ज्‍यादा गरीबों के बैंक अकाउंट खोलना, सिर्फ 90 पैसे प्रतिदिन और एक रुपए महीने के प्रीमियम पर लगभग 19 करोड़ गरीबों को बीमा कवच देना, 3 करोड़ 70 लाख से ज्‍यादा गरीब महिलाओं को मुफ्त में गैस का चूल्‍हा देना, कनेक्‍शन देना; मिशन इंद्रधनुष के तहत 3 करोड़ से ज्‍यादा शिशुओं और 80 लाख से ज्‍यादा गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण करना; मुद्रा योजना के तहत बिना बैंक गारंटी 12 करोड़ से ज्‍यादा ऋण देना, ऐसे अनेक कार्य इस सरकार में गरीब को सशक्‍त बनाने के लिए किए गए हैं। और अब अब तो आयुष्‍मान भारत योजना के तहत सरकार लगभग 50 करोड़ गरीबों को साल में 5 लाख रुपए तक के इलाज की सुविधा भी सु‍निश्चित करने के लिए आगे बढ़ रही है। + +इसके अलावा सड़क परिवहन मंत्रालय गया-वाराणसी, कुशीनगर, इस पूरे route पर सड़कों के किनारों पर आवश्‍यक सुविधाओं को विकसित कर रहा है। पर्यटन मंत्रालय द्वारा हर दो साल में International Conclave on Buddhism, उसका भी आयोजन किया जाता है। इस वर्ष जब ये कार्यक्रम होगा तो उसमें भी दुनियाभर से अलग-अलग क्षेत्रों से विद्वान जुटेंगे। इस तरह के कार्यक्रमों का भी मकसद यही है कि ज्‍यादा से ज्‍यादा लोगों तक हमारी सांस्‍कृतिक धरोहर के बारे में जानकारी पहुंचे, स्‍थानीय स्‍तर पर और दूसरे देशों से भी पर्यटक बौद्धस्‍थलों को देखने जाएं, उनके बारे में जानकारी हासिल करें। + diff --git a/pm-speech/613.txt b/pm-speech/613.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..0901b0993c072956b25ec451d4b26f407edadaaf --- /dev/null +++ b/pm-speech/613.txt @@ -0,0 +1,16 @@ +मेरे प्यारे देशवासियो ! नमस्कार हाल ही में 4 अप्रैल से 15 अप्रैल तक ऑस्ट्रेलिया में 21वें कॉमनवेल्थ गेम्स का आयोजन हुआ। भारत सहित दुनिया के 71 देशों ने इसमें हिस्सा लिया। जब इतना बड़ा आयोजन हो, विश्व भर से आये हज़ारों खिलाड़ी इसमें भाग ले रहे हों, कल्पना कर सकतें हैं कैसा माहौल होगा ? जोश, जज़्बा, उत्साह, आशाएँ, आकांक्षाएँ, कुछ कर दिखाने का संकल्प – जब इस तरह का माहौल हो तो कौन इससे अपने आपको अलग रख सकता है। ये एक ऐसा समय था जब देश भर में लोग रोज़ सोचते थे कि आज कौन-कौन से खिलाड़ी perform करेंगे। भारत का प्रदर्शन कैसा रहेगा, हम कितने medal जीतेंगे और बहुत स्वाभाविक भी था। हमारे खिलाडियों ने भी देशवासियों की उम्मीदों पर खरा उतरते हुए बेहतरीन प्रदर्शन किया और एक-के-बाद एक medal जीतते ही चले गए। चाहे shooting हो, wrestling हो, weightlifting हो, table tennis हो या badminton; हो भारत ने record प्रदर्शन किया। 26 Gold, 20 Silver, 20 Bronze – भारत ने क़रीब-क़रीब कुल 66 पदक जीते। हर भारतीय को ये सफ़लता गर्व दिलाती है। पदक जीतना खिलाड़ियों के लिए गर्व और खुशी की बात होती ही है। ये पूरे देश के लिए, सभी देशवासियों के लिए अत्यंत गौरव का पर्व होता है। मैच समाप्त होने के बाद जब पदक के साथ भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए athlete वहाँ पदक के साथ खड़े होते हैं, तिरंगा झंडा लपेटे होते हैं, राष्ट्रगान की धुन बजती है और वो जो भाव होता है, संतोष और खुशी का, गौरव का, मान-सम्मान का अपने आप में कुछ ख़ास होता है, विशेष होता है। तन-मन को झकझोरने वाला होता है। उमंग और उर्मि से भरा हुआ होता है। हम सब एक भाव से भर जाते हैं। शायद उस भावों को व्यक्त करने के लिए मेरे पास शब्द भी कम पड़ जाएँगे। लेकिन मैंने इन खिलाड़ियों से जो सुना, मैं आपको सुनाना चाहता हूँ। मुझे तो गर्व होता है, आपको भी गर्व होगा। + +मैं मनिका बत्रा जो Commonwealth में चार medal लायी हूँ। दो Gold, एक Silver, एक Bronze। ‘मन की बात’ programme सुनने वालों को मैं बताना चाहती हूँ कि मैं बहुत खुश हूँ क्योंकि पहली बार India में table tennis इतना popular हो रहा है। हाँ मैंने अपना best table tennis खेला होगा। पूरे life का best table tennis खेला होगा। जो उससे पहले मैंने practice करी है उसके बारे में मैं बताऊँगी कि मैंने बहुत, अपने coach संदीप sir के साथ practice करी है। Commonwealth से पहले जो हमारे camps थे Portugal में, हमें tournaments भेजा government ने और मैं thank you government को करती हूँ क्योंकि उन्होंने इतने सारे international exposure दिए हमें। Young generation को बस एक message दूंगी कभी give up मत करो। explore yourself. + +मीराबाई चानू, मैंने 21st Commonwealth Games में India के लिए first Gold medal जीता था। तो इसी में मुझे बहुत खुशी हुआ। मेरी एक dream थी India के लिए और Manipur के लिए एक अच्छा वाला players बनने के लिए, तो मैंने सारी movie में देखती है। जैसे कि Manipur का मेरी दीदी और वो सब कुछ देखने के बाद मुझे भी ऐसे सोचा था कि India के लिए Manipur के लिए अच्छा वाला player बनना चाहती हूँ। ये मेरा successful होने के कारण मेरा discipline भी है और sincerity, dedication and a hard work . + +Commonwealth Games में भारत का प्रदर्शन बेहतरीन तो था ही, साथ ही यह विशेष भी था। विशेष इसलिए कि इस बार कई चीज़ें थी, जो पहली बार हुई। क्या आप जानते हैं कि इस बार Commonwealth Games में भारत की तरफ़ से जितने wrestlers थे, सब के सब medal जीत के आये हैं। मनिका बत्रा ने जितने भी event भी compete किया – सभी में medal जीता। वह पहली भारतीय महिला है, जिन्होंने individual table tennis में भारत को Gold दिलाया है। भारत को सबसे ज़्यादा medal shooting में मिले। 15 वर्षीय भारतीय shooter अनीश भानवाला Commonwealth Games में भारत की तरफ़ से Gold medal जीतने वाले youngest खिलाड़ी बने। सचिन चौधरी Commonwealth Games में medal जीतने के लिए एकमात्र भारतीय Para Power-lifter हैं। इस बार के games विशेष इसलिए भी थे कि अधिकतर medalist महिला athlete थीं। Squash हो, boxing हो, weightlifting हो, shooting हो – महिला खिलाड़ियों ने कमाल करके दिखाया। Badminton में तो final मुकाबला भारत की ही दो खिलाड़ियों साइना नेहवाल और पी.वी. सिन्धु के बीच हुआ। सभी उत्साहित थे कि मुकाबला तो है लेकिन दोनों medal भारत को ही मिलेंगे – पूरे देश ने देखा। मुझे भी देख करके बहुत अच्छा लगा। Games में भाग लेने वाले athletes, देश के अलग-अलग भागों से, छोटे-छोटे शहरों से आये हैं। अनेक बाधाओं, परेशानियों को पार करके यहाँ तक पहुँचे हैं और आज उन्होंने जो मुक़ाम हासिल किया है, वे जिन लक्ष्यों तक पहुँचे हैं, उनकी इस जीवन-यात्रा में चाहे उनके माता-पिता हों, उनके guardian हो, coach हो, support staff हो, स्कूल हो, स्कूल के शिक्षक हों, स्कूल का वातावरण हो – सभी का योगदान है। उनके दोस्तों का भी योगदान है, जिन्होंने हर परिस्थिति में उनका हौंसला बुलन्द रखा। मैं उन खिलाड़ियों के साथ-साथ उन सबको भी ढ़ेरों बधाइयाँ देता हूँ, शुभकामनाएँ देता हूँ। + +पिछले महीने ‘मन की बात’ के दौरान मैंने देशवासियों से ख़ास-करके हमारे युवकों से fit India का आह्वान किया था और मैंने हर किसी को निमंत्रण दिया था आइये! fit India से जुड़िये, fit India को lead कीजिये। और मुझे बहुत खुशी हुई कि लोग बड़े उत्साह के साथ इसके साथ जुड़ रहे हैं। बहुत सारे लोगों ने इसके लिए अपना support दिखाते हुए मुझे लिखा है, पत्र भेजे हैं, social media पर अपना fitness मंत्र – fit India stories भी share की हैं। + +धवल प्रजापति ने trekking की अपनी तस्वीर साझा करते हुए लिखा है – ‘मेरे लिए travelling और trekking ही fit India है’। यह देख करके काफ़ी अच्छा लगा कि कई जानी-मानी हस्तियाँ भी बड़े रोचक ढ़ंग से fit India के लिए हमारे युवाओं को प्रेरित कर रही हैं। सिने-कलाकार अक्षय कुमार ने twitter पर एक video साझा किया है। मैंने भी उसे देखा है और आप सब भी ज़रूर देखेंगे; इसमें वो wooden beads के साथ exercise करते हुए नज़र आ रहे हैं और उन्होंने कहा है कि ये exercise पीठ और पेट की मांसपेशियों के लिए काफ़ी लाभदायक है। एक और उनका video भी प्रचलित हो गया है, जिसमें वो लोगों के साथ volleyball पर हाथ आज़मा रहे हैं। बहुत से और युवाओं ने भी fit India efforts के साथ जुड़कर के अपने अनुभवों को share किया है। मैं समझता हूँ कि इस तरह के आन्दोलन हम सभी के लिए, पूरे देश के लिए बेहद फायदेमंद हैं।… और एक बात तो मैं ज़रूर कहूँगा – बिना ख़र्चे का fit India के movement का नाम है ‘योग’। fit India अभियान में योग की विशेष महिमा है और आप भी तैयारी में लग गए होंगे। 21 जून ‘अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस’ का माहात्म्य तो अब पूरे विश्व ने स्वीकार किया है। आप भी अभी से तैयारी कीजिये। अकेले नहीं – आपका शहर, आपका गाँव, आपका इलाक़ा, आपके स्कूल, आपके college हर कोई किसी भी उम्र का – पुरुष हो, स्त्री हो योग से जोड़ने के लिए प्रयास करना चाहिये। सम्पूर्ण शारीरिक विकास के लिए, मानसिक विकास के लिए, मानसिक संतुलन के लिए योग का क्या उपयोग है, अब हिन्दुस्तान में और दुनिया में बताना नहीं पड़ता है और आपने देखा होगा कि एक animated video, जिसमें मुझे दिखाया गया है, वो इन दिनों काफ़ी प्रचलित हो रहा है। Animation वालों को मैं इसलिए भी बधाई देता हूँ कि उन्होंने बहुत बारीक़ी से जो काम एक टीचर कर सकता है वो animation से हो रहा है। आपको भी ज़रूर इसका लाभ मिलेगा। + +मेरे नौजवान साथियो ! आप तो अब exam, exam, exam के चक्कर से निकलकर के अब छुट्टियों की चिंता में लगे होंगे। छुट्टियाँ कैसे मनाना, कहाँ जाना सोचते होंगे। मैं आज आपको एक नये काम के लिए निमंत्रण देने के लिए बात करना चाहता हूँ और मैंने देखा है कि बहुत सारे नौज़वान इन दिनों कुछ-न-कुछ नया सीखने के लिए भी अपना समय बिताते हैं। Summer Internship का माहात्म्य बढ़ता चला जा रहा है और नौज़वान भी उसकी तलाश करते रहते हैं, और वैसे भी internship अपने आप में एक नया अनुभव होता है। चार दीवारी के बाहर कागज़-कलम से, कंप्यूटर से दूर ज़िन्दगी को नए तरीके से जीने का अनुभव करने का अवसर मिलता है। मेरे नौज़वान साथियो, एक विशेष internship के लिए मैं आज आपसे आग्रह कर रहा हूँ। भारत सरकार के तीन मंत्रालय Sports हो, HRD हो, Drinking Water का Department हो – सरकार के तीन-चार मंत्रालय ने मिलकर के एक ‘Swachh Bharat Summer Internship 2018’ ये launch किया है। कॉलेज के छात्र-छात्राएँ, NCC के नौज़वान, NSS के नौज़वान, नेहरु युवा केंद्र के नौज़वान, जो कुछ करना चाहते हैं, समाज के लिए देश के लिए और कुछ सीखना चाहते हैं, समाज के बदलाव में, जो अपने आप को जोड़ना चाहते हैं, निमित्त बनना चाहते हैं; एक सकारात्मक ऊर्जा को लेकर के समाज में कुछ-न-कुछ कर गुज़रने का इरादा है, उन सब के लिए अवसर है और इससे स्वच्छता को भी बल मिलेगा और जब हम 2 अक्तूबर से महात्मा गाँधी की 150वीं जयंती मनायेंगे, उसके पहले हमें कुछ करने का संतोष मिलेगा और मैं ये भी बता दूँ कि जो उत्तम-से-उत्तम interns होंगे, जो कॉलेज में उत्तम काम किया होगा, विश्वविद्यालय में किया होगा – ऐसे सब को राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार दिए जाएँगे। इस internship को सफलतापूर्वक पूरा करने वाले प्रत्येक intern को ‘स्वच्छ भारत मिशन’ द्वारा एक certificate दिया जायेगा। इतना ही नहीं, जो intern इसे अच्छे से पूरा करेंगे, UGC उन्हें दो credit point भी देगा। मैं छात्रों को, छात्राओं को, नौज़वानों को फिर एक बार निमंत्रण देता हूँ internship के लिए आप इसका लाभ उठाएँ। आप MyGov पर जाकर ‘Swachh Bharat Summer Internship’ के लिए register कर सकते हैं। मैं आशा करता हूँ कि हमारे युवा स्वच्छता के इस आन्दोलन को और आगे बढ़ाएँगे। आपके प्रयासों के बारे में जानने के लिए मैं भी इच्छुक हूँ। आप अपनी जानकारियाँ ज़रुर भेजिए, story भेजिए, photo भेजिए, video भेजिए। आइये ! एक नए अनुभव के लिए इन छुट्टियों को सीखने का अवसर बना दें। + +मेरे प्यारे देशवासियो ! जब ‘मन की बात’ होती है तो मुझे चारों तरफ से सन्देश आते हैं, चिट्ठियाँ आती हैं, फ़ोन आते हैं। पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परग़ना ज़िले के देवीतोला गाँव के आयन कुमार बनर्जी ने MyGov पर अपने comment में लिखा है – “हम हर वर्ष रबीन्द्र जयंती मनाते हैं लेकिन कई लोग नोबेल पुरस्कार विजेता रबीन्द्रनाथ टैगोर की peacefully, beautifully और integrity के साथ जीने की philosophy के बारे में जानते ही नहीं हैं। कृपया ‘मन की बात’ कार्यक्रम में इस विषय पर चर्चा करें ताकि लोग उसके बारे में जान सकें।” + diff --git a/pm-speech/615.txt b/pm-speech/615.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..9282f7bf1a0ed1b633ca402c587a3b1064d69bfb --- /dev/null +++ b/pm-speech/615.txt @@ -0,0 +1,20 @@ +साथियो, इन awards का उद्देश्‍य motivation तो है, लेकिन साथ-साथ इसका विस्‍तार हो, व्‍यापकता हो, और ज्‍यादा कैसे हो; ये एक प्रकार से सरकार की प्राथमिकताओं को भी परि‍लक्षित करता है। और इस बार भी priority programs और innovation की कैटेगिरी में पुरस्‍कार की व्‍यवस्‍था की गई थी।priority programs में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, दीनदयाल उपाध्‍याय कौशल योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना और digital payments, इनके प्रचार-प्रसार के लिए भी award दिए गए। + +जिन योजनाओं के लिए सम्‍मान दिया गया है, ये न्‍यू इंडिया के हमारे जो सपने हैं, उनको पूरा करने के लिए बहुत महत्‍वपूर्ण है। ये हमारी अर्थव्‍यवस्‍था और सामान्‍य जन-जीवन के स्‍तर को ऊपर उठाने के लिए, उनकी ease of leaving के लिए अहम है। World bank हो या global rating agenciesहों, वहां पर तो ease of doing business की चर्चा होती रहती है। लेकिन भारत जैसा देश ease of doing business से कुछ हासिल करके रुक नहीं सकता है। हमारे लिए तो सामान्‍य मानवी की जिंदगी में सरलता कैसे आए, सुगमता कैसे आए? और इस बात को हम भूल नहीं सकते हैं कि हमारी इतनी बड़ी फौज, इतने सालों का अनुभव, पीढ़ी-दर-पीढ़ी लोग आए, कुछ-न-कुछ अच्‍छा करके गए; लेकिन इसके बावजूद भी एक सामान्‍य मानवी को सरकार के साथ हर पल जद्दोजहद रहती है, वो जूझता रहता है, सरकार में अपनी जगह खोजता रहता है, अपने हक का पाने के लिए तो तड़पता रहता है। और ये सबसे बड़ी रुकावट है ease of life के बीच में। + +आज मुझे यहां दो पुस्‍तकों का लोकार्पण करने का भी मौका मिला है। Prime Minister’s Award जो प्राप्‍त किए हैं, उसकी सारी उसमें बारीकियां हैं, एक इसे और दूसरा जो किताब है aspiration districts के संबंध में। अब तो मैं समझता हूं बहुत बड़ी मात्रा में यहां से हमारे अधिकारी district में जा रहे हैं। एक प्रकार से back to basic का movement चल रहा है। + +उसने भी सोचा नहीं होगा कोई ऐसा भी प्रधानमंत्री आएगा यार, फिर उसी काम में रगड़ेगा। लेकिन मैं देख रहा हूं कि करीब-करीब 1000 अफसर दूर-सुदूर उन district में जाएं और जो उस राज्‍य की एवरेज में भी पीछे हैं, और कोई ये 1000 लोग आगे आए हैं, वो कोई हुक्‍म से नहीं आए हैं, अंत:प्रेरणा से आए हैं। ये अंत:प्रेरणा ही है जो मुझे उस aspirational district को leading role में देख रही है जी। आप देखिए अगर तीन साल हम, तीन साल निर्धारित लक्ष्‍य को ले करके time frame में उस काम को करेंगे तो ये hundred and fifteen districts राज्‍य के driving force बन जाएंगे, देश केdriving force बन जाएंगे; ये ताकत उसमें पड़ी है। + +भारत जैसे देश में सफलता के लिए हमारी लोकतांत्रिक व्‍यवस्‍था, ये कोई पांच साल का contract system नहीं है जी। हमारी democratic व्‍यवस्‍था, यानी हम और जनता के बीच का नाता है, ये जो सोच है वो ही एक सबसे बड़ी रुकावट है। और इसलिए जन-भागीदारी भारत जैसे देश की सफलता का आधार है participatory democracy. हमने देखा है, आप में से सब लोगों ने अफसर के नाते जब district level पर काम किया होगा, हमnatural calamities के समय कल्‍पना भर का quantum of workजिसको कहते हैं, हम बड़ी आसानी से कर लेते हैं। एक व्‍यवस्‍था तो वो ही है लेकिन होता इसलिए है कि natural calamities के समय समाज पूरी तरह हमारे साथ जुड़ जाता है। हर कोई हाथ बंटाता है, और उसके कारण हम संकट से बाहर निकल आते हैं। और मुझे लगता है कि हम देश को आगे ले जाने में जन-भागीदारी का महात्‍मय कैसे बढ़ाएं?  उसके महत्‍व को कैसे हम स्‍वीकार करें? + +आप जाएंगे तो ऐसा नहीं लगता है, आप जांएगे तो उनको लगता है अरे नहीं, नहीं, साहब आए हैं, इतनी मेहनत कर रहे हैं जरूर यार कुछ मतलब की बात होगी। वो तुरंत आपके साथ जुड़ता है। और इसलिए आज हमारे administrative system के जो अलग-अलग स्‍तर के लोग हैं, उन्‍होंनेleadership देने की दिशा में आगे आना चाहिए। ये एक नया पहलू है जिस पर हमने सोचना चाहिए। + +हर एक व्‍यक्ति के जीवन में एक-एक-एक-एक ऐसे मुकाम होते हैं। उन मुकामों के आधार पर ही गति निर्धारित हो जाती है।twenty, twenty two, इससे बड़ा कोई मुकाम नहीं हो सकता है हमारे लिए, कि देश के दीवानों ने देश की आजादी के लिए जिंदगी खपा दी थी। इससे बड़ी कोई प्रेरणा नहीं हो सकती है। आइए हम जिसको भी प्‍यार करते हैं, उसका पुन: स्‍मरण करें और उसके जो सपने थे, उसका स्‍मरण करें। और स्‍मरण करें, हम भी चल पड़ें, पांच साल में हम बहुत कुछ देश को दे सकते हैं जी, बहुत कुछ दे सकते हैं। जिन्‍होंने आजादी के लिए जंग लड़ा होगा, उन्‍होंने थोड़ा सोचा होगा कि चलो भई देश की आजादी आ जाएगी, मैं कुछ बन जाऊंगा। नहीं, उनको तो पता था जब आजादी आएगी तब तक हम पता नहीं कहां होंगे कहां नहीं होंगे। लेकिन वो अपने सपनों के लिए खपता रहा। और वो खप गए तो हम उसको पाने के लिए सौभाग्‍यशाली भी बने। क्‍या हमारा भी तो आने वाली पीढ़ी के लिए कोई दायित्‍व होता है? और इसलिए हमारी जो एक व्‍यवस्‍था है उसको ले करके हमें आगे चलना चाहिए। + +आपको पता होगा जब मैं नया-नया आप सबके बीच में आया था तो मेरा बड़ा आग्रह था कि हम space technology का उपयोग हमारीgovernance में कैसे करें? और मैंने joint secretary level के अधिकारियों को अभ्‍यास दिया, फिरweekend में लगातार उस प्रक्रिया को चलाए रखा। तो हमारे अफसरों को भी ध्‍यान, ऐसा नहीं कि उनको कोई  technology की समझ नहीं है, लेकिन उनको लगता है चलो भाई जो चलता है, मैं कहां बदलाव करूं, कौन मानेगा मेरी बात को, तो वो बदलाव में isolation में फील करता था और उसे institutionalize नहीं कर रहा था। + +हमें जो श्रेष्‍ठ हैं उसी के गीत गा करके बैठे रहने से काम चलने वाला नहीं है। हल पल, शायद 200 साल में technology ने मानव-जाति पर जितना प्रभाव पैदा नहीं किया होगा, उतना technology ने गत 40 साल में प्रभाव पैदा किया है। और मैं मानता हूं कि सामान्‍य मानवी के जीवन में,governance की जिंदगी में ये बहुत बड़ा role play करने वाला है। हम उन चीजों को ले करके अगर कर सकते हैं तो हो सकता है हमारा काम तो आसान होगा ही होगा, दूरगामीसाकारात्‍मक प्रभाव पैदा करने वाला होगा। + +What’s app का जमाना आ गया होगा, SMS का जमाना आया होगा,हमने SMS कर भी दिया होगा घर पर कि आज शाम को मेहमान आने वाले हैं, दो लोग खाना खाने के लिए आने वाले हैं, दोपहर को तीन बजे SMS कर दिया होगा, लेकिन 5 बजे फिर फोन करके पूछेंगे, मेरा SMS पढ़ा था?  तो हम व्‍यवस्‍थाओं पर भरोसा नहीं कर रहे। और इसलिए हम अतिरिक्‍त हमारी शक्ति खपा रहे हैं। + diff --git a/pm-speech/617.txt b/pm-speech/617.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..4d230619d1f6b512176584bbb6de5e97f803c133 --- /dev/null +++ b/pm-speech/617.txt @@ -0,0 +1,4 @@ +भारत के Make in India mission में स्वीडन शुरू से ही मजबूत भागीदार रहा है। 2016 में मुंबई में हमारे Make in India कार्यक्रम में प्रधानमंत्री लवैन स्वयं बहुत बड़े Business Delegation के साथ शामिल हुए थे। भारत से बाहर Make in India का सबसे प्रमुख कार्यक्रम भी पिछले वर्ष अक्टूबर में स्वीडन में आयोजित किया गया था। हमारे लिए ये बहुत हर्ष और गर्व का विषय है की स्वयं प्रधान मंत्री श्री लवैन इसमें शामिल हुए थे। मैं मानता हूँ कि आज की हमारी बातचीत में सबसे प्रमुख विषय यही थी कि भारत के विकास से बन रहे अवसरों में स्वीडन किस प्रकार भारत के साथ win-win partnership कर सकता है। इसके परिणामस्वरूप आज हमने एकInnovation Partnership और Joint Action Plan पर सहमति की है। + +Innovation, Investment, Start-ups, Manufacturing आदि हमारी साझेदारी के प्रमुख आयाम हैं। इनके साथ हम renewable energy, urban transport, waste management जैसे अनेक विषयों पर भी ध्यान दे रहे हैं, जो भारत के लोगों की quality of life से जुड़े विषय हैं। Tradeऔर Investment से जुड़े विषयों पर आज प्रधानमंत्री लवैन और मैं स्वीडन के प्रमुख CEOs के साथ मिल कर के भी चर्चा करेंगे। + diff --git a/pm-speech/618.txt b/pm-speech/618.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..dd75e1dfb5286a9c4fefc45423ec66cfb1c663c9 --- /dev/null +++ b/pm-speech/618.txt @@ -0,0 +1,22 @@ +साथियों, आज यहां इस मंच से देश में सामाजिक न्‍याय सुनिश्चित करने वाली, देश में सामाजिक असंतुलन खत्‍म करने वाली एक बहुत बड़ी योजना का शुभारंभ हुआ है। ‘आयुष्‍मान भारत’ इस योजना के पहले चरण को आज 14 अप्रैल, आम्‍बेडकर जी की जयंती के दिन इसी धरती से, छत्‍तीसगढ़ की धरती से, बीजापुर डिस्ट्रिक की धरती से, आज उसका प्रारंभ किया जा रहा है। उसके पहले चरण का प्रारंभ हुआ है। और पहले चरण में देश के प्राथमिक स्‍वास्‍थ्‍य से जुड़े विषयों में बड़े बदलाव लाने का प्रयास किया जाएगा। इसके तहत देश की हर बड़ी पंचायत में यानी लगभग डेढ़ लाख जगह पर, हिन्‍दुस्‍तान के डेढ़ लाख गांवों में sub-centre और primary health centers को Health and Wellness Centres के रूप में विकसित किया जाएगा। और मैं तो नौजवानों से कहता हूं कि mygov.in पर जा करके ये Health and Wellness Centre है। उसका हमारी सामान्‍य भाषा में क्‍या शब्‍दोप्रयोग करना चाहिए, मुझे सुझाव दीजिए, मैं जरूर उसका अध्‍ययन करूंगा। आज अभी तो नाम popular हुआ है Health and Wellness Centre लेकिन आगे चलकर गांव का गरीब एवं अनपढ़ व्‍यक्ति भी बोल सके, पहचान सके, ऐसा शब्‍द इस योजना को मैं देना चाहता हूं, लेकिन वो भी आपके सुझावों से देना चाहता हूं। गांव के लोगों के सुझाव से देना चाहता हूं। + +सरकार का लक्ष्‍य इस काम को 2022 तक पूरा करने का है। आप कल्‍पना कर सकते हैं कितना बड़ा काम सिर पर लिया है। यानी जब देश आजादी के 75 साल का पर्व मना रहा होगा, तब तक देशभर में Health and Wellness Centre का एक जाल बिछा जा चुका होगा। इसमें भी उन 115 जिलों को प्राथमिकता दी जाएगी जो अभी विकास की रेस में ओरों से थोड़ा पीछे हैं। + +साथियों, आयुष्‍मान भारत की सोच सिर्फ सेवा तक सीमित नहीं है बल्कि ये जनभागीदारी का एक आह्वान भी है ताकि हम स्‍वस्‍थ, समर्थ और संतुष्‍ट न्‍यू इंडिया का निर्माण कर सकें। आज तो आयुष्‍मान भारत योजना के पहले चरण की शुरूआत हुई है। अब अगला लक्ष्‍य लगभग 50 करोड़ गरीब लोगों को गंभीर बीमारी के दौरान पांच लाख रुपये तक की, एक वर्ष में पांच लाख, आर्थिक सुरक्षा देने का है। इस पर बहुत तेजी से काम चल रहा है। + +सौभाग्‍य योजना के तहत बस्‍तर के हर घर में बिजली कनेक्‍शन सुनिश्चित किया जा रहा है। घरों में पहुंचा उजाला किसान, छात्र, दुकानदार, छोटे उद्यमी, हर किसी की जिंदगी में उजाला ले करके आएगा। बस्‍तर में हजारों की संख्‍या में सोलर पंप का वितरण भी किया जा रहा है। ये सोलर पंप किसानों की बहुत बड़ी मदद कर रहे हैं। आज इन क्षेत्रों में बड़ी संख्‍या में स्‍कूल, हॉस्पिटल, स्‍वास्‍थ्‍य केंद्र, सरकारी राशन की दुकानें, बैंकों की शाखाएं, एटीएम; से सारी व्‍यवस्‍थाएं उपलब्‍ध कराई जा रही हैं। मोबाइल टॉवर लगाए जा रहे हैं। बस्‍तर अब रेल के माध्‍यम से रायपुर से जुड़ रहा है। + +सा‍थियो, बस्‍तर बदल रहा है। बीते दशकों में बस्‍तर के साथ जिस प्रकार की पहचान जोड़ दी गई थी, वो भी बदल रही है। भविष्‍य में बस्‍तर की नई पहचान एक economic hub के तौर पर होने वाली है, पर्यटन के बड़े केंद्र के तौर पर होने वाली है। ट्रांसपोर्ट के एक बड़े केंद्र के तौर पर होने वाली है। यहां से रायपुर ही नहीं, हैदराबाद, नागपुर और विशाखापट्टनम तक connectivity हो जाएगी। + +न्‍यू इंडिया के साथ-साथ न्‍यू बस्‍तर यहां के लाखों लोगों की जिंदगी को आसान बनाएगा। दसों दशकों से उनके जीवन में जो अंधेरा था, उस अंधेरे से उन्‍हें बाहर निकालेगा। नया बस्‍तर, नई उम्‍मीदों का बस्‍तर होगा, नई आकांक्षाओं का बस्‍तर होगा, नई अभिलाषा का बस्‍तर होगा। अब ये कहा जा सकता है कि सूरज भले ही पूरब से निकलता हो लेकिन वो दिन दूर नहीं जब छत्‍तीसगढ़ में विकास का सूरज दक्षिण से उगेगा, बस्‍तर से उगेगा। इन क्षेत्रों में उजाला रहेगा तो पूरा प्रदेश प्रकाशमय रहेगा। यहां खुशहाली होगी तो पूरा प्रदेश खुशहाल होगा। + +साथियों, देश में क्षेत्रीय असंतुलन खत्‍म करने का एक तरीका connectivity बढ़ाना है। इसलिए हाइवे हो, रेलवे हो, airway हो या फिर आइवे हो- information way, connectivity पर बल दिया जा रहा है। जिस दौर में फोन और इंटरनेट सबसे बड़ी आवश्‍यकता बनते जा रहे हैं, उस दौर में अगर किसी क्षेत्र में संचार की अच्‍छी व्‍यवस्‍था न हो तो उसको आगे बढ़ना मुश्किल होगा। यही कारण है बस्‍तर को connect करने के लिए बस्‍तर नेट परियोजना फेज़ वन का लोकार्पण किया गया है। इस योजना के माध्‍यम से 6 जिलों में लगभग चार सौ किलोमीटर लंबा optical fiber network बिछाया गया है। + +साथियों, value addition, कितना लाभ होता है, ये मैंने आज यहां देखा। कच्‍ची इमली जो आज बेचते हैं तो 17-18 रुपये किलो के आसपास बिकती है। लेकिन जब आप इसमें से बीज निकाल देते हैं और इसको किसी अच्‍छी पैकिंग में बेचते हैं तो यही इमली, 17-18 रुपये वाली इमली 50-60 रुपये किलो तक पहुंच जाती है; यानी तीन गुना कीमत बढ़ जाती है। + +भाइयों, बहनों, ये जल, ये जमीन और ये जंगल आपके हैं। इन पर आपका अधिकार है। इसी भावना को सरकार ने समझा और 60 साल तक जो एक व्‍यवस्‍था चल रही थी, उसमें भी बदलाव किया है। सरकार द्वारा खनन से जुड़े पुराने कानून में परिवर्तन किया गया है। हमने नियम बनाया है कि अब जो भी खनिज निकलेगा उसका एक हिस्‍सा स्‍थानीय निवासियों पर खर्च करना आवश्‍यक होगा। इसके लिए खनन वाले हर जिले में district mineral foundation की स्‍थापना की गई है। + +हमने पोस्‍ट ऑफिस को भी अब बैंक के काम के लिए खोल दिया है। तो जहां पोस्‍ट ऑफिस होगी, वहां भी बैंकिंग का काम होगा। हमने बैंकमित्र गांव में लगाए हैं, वो भी बैंक का कारोबार करते हैं। हमने प्रधानमंत्री जन-धन योजना के बाद बैंकिंग व्‍यवस्‍थाओं का spread गांव-गांव तक ले जाने के लिए नई-नई योजनाएं बनाई हैं। भीम एप के द्वारा अपने मोबाइल फोन से पूरा बैंकिंग का लेनदेन का काम हर नागरिक कर सकता है। उसको भी हमें आगे बढ़ाना है। + +आज मुझे एक छत्‍तीसगढ़ की बेटी सविता साहूजी की ई-रिक्‍शा पर सवारी का अवसर भी मिला। सविता जी के बारे में मुझे बताया गया कि परिवार में उनको कुछ दिक्‍कतें रहीं, लेकिन उन्‍होंने हार नहीं मानी और ई-रिक्‍शा चला करके अपना गुजारा किया। उन्‍होंने सदस्‍य समिति का रास्‍ता चुना। सरकार ने भी उनकी मदद की और अब वो एक सम्‍मान भरी जिंदगी जी रही है। + diff --git a/pm-speech/619.txt b/pm-speech/619.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..7375a2d485b17b32b2e210cdd824e75f7ac89f7d --- /dev/null +++ b/pm-speech/619.txt @@ -0,0 +1,24 @@ +देश में बैसा‍खी का पर्व भी मनाया जा रहा है। बैसाखी हमारे अन्‍नदाता, हमारे किसान के परिश्रम को पूजने का दिवस है। मैं देश को बैसाखी की भी बहुत-बहुत बधाई देता हूं। आज ही जलियांवाला बाग नरसंहार की बरसी भी है। 99 वर्ष पूर्व आजादी के दीवानों पर जिस तरह अंग्रेज हुकूमत का कहर बरपा था, वो मानव इतिहास की सबसे विदारक घटनाओं में से एक है। जलियांवाला बाग गोलीकांड में शहीद हर सेनानी को मैं नमन करता हूं। + +साथियों, ये इमारत भव्‍य भी है, ये इमारत दिव्य भी है। साथियों ये दिव्‍य- भव्य इमारत इस सरकार के कार्य करने की संस्कृति का भी प्रतीक है। जब अटल बिहारी वाजपेयी जी की सरकार थी, कितने साल हो गए आप याद कीजिए, तब यहां इस जमीन पर नेशनल मेमोरियल की बात प्रांरभ हुई, आगे बढ़ी। लेकिन अटलजी की सरकार जाने के बाद कांग्रेस सरकार के समय इस प्रोजेक्ट पर फाइलें रुक गईं, काम बंद हो गया। + +संभवत: आप में से कुछ लोग दिल्ली के 15 जनपथ पर बने आंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर पर गए होंगे। 1992 में, आप सोचिए, 1992 में इस सेंटर का विचार सामने आया था। लेकिन 22 साल तक इसकी भी फाइलें कहीं दब गईं, कहीं खो गईं। दिल्ली में कार्यभार संभालने के सालभर के भीतर ही अप्रैल 2015 में मुझे इस सेंटर का शिलान्यास करने का सौभाग्‍य मिला सौाासाकियाऔर कुछ महीने पहले ही दिसंबर में इसका भी लोकार्पण भी किया। अब डॉक्टर आंबेडकर के विचारों का प्रतीक ये स्टेट ऑफ द आर्ट इंटरनेश्नल सेंटर दिल्ली की आन-बान-शान में एक और नजराना है। + +भाइयों और बहनों, व्यवस्था का ऐसा कायाकल्प तब होता है, जब बिल्कुल ग्राउंड लेवल पर जाकर कमियों को समझा जाए, उन्हें दूर किया जाए। अभी तीन दिन पहले मैं चंपारण में था। वहां से मैंने मधेपुरा में इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव फैक्ट्री के फेज वन का भी लोकार्पण किया। इस प्रोजेक्ट की भी वही कहानी है। स्वीकृत हुआ साल 2007 में, लेकिन काम प्रारंभ हुआ हमारे आने के बाद 2015 में। पहले की सरकार ने सात साल फाइलों की यात्रा में ही गंवा दिए। + +चाहे देश के दूर – दराज वाले इलाकों में गर्भवती महिलाओं और बच्चों के टीकाकरण का कार्यक्रम हो या ग्रामीण सड़कों को जोड़ने की योजना हो, इस सरकार में लक्ष्य पूरा होने की आखिरी तारीख को दो-दो, तीन-तीन साल कम कर दिया है। जो काम 2022 में होना था हमने कहा 2020 में क्‍यों नहीं हो सकता? 2024 में होना था वो 2022 में क्‍यों नहीं हो सकता? + +साथियों, बाबा साहब की विचारधारा के मूल में समानता अनेक रूपों में निहित है। सम्मान की समानता, कानून की समानता, अधिकार की समानता, मानवीय गरिमा की समानता, अवसर की समानता। ऐसे ही कितने ही विषयों को बाबा साहेब ने अपने जीवन में लगातार उसकी व्‍याख्‍या की, उन विषयों को उठाते रहे। उन्होंने हमेशा उम्मीद जताई थी कि भारत में सरकारें संविधान का पालन करते हुए और बिना पंथ का भेद किए हुए, बिना जाति का भेद किए ये चलनी चाहिएं। + +इसी तरह देश के करोड़ों घरों में शौचालय न होना भी सामाजिक अन्याय की ही एक बाजू थी। स्वच्छ भारत मिशन के तहत देश में इस सरकार ने 7 करोड़ शौचालय बनवाए हैं। इनमें से लगभग सवा 2 करोड़ शौचालय ग्रामीण इलाकों में रहने वाले मेरे दलित, पीड़ित, शोषित, वंचित, दलित और आदिवासियों के घरों में बने हैं। पिछले चार वर्षों में देश ने देखा है कि किस तरह शौचालयों से इज्जत भी आती है, समानता भी आती है। + +साथियों, इस बजट में सरकार ने एक और बड़ी योजना का ऐलान किया है। पूरी दुनिया में इस योजना की चर्चा हो रही है। ये योजना सामाजिक असंतुलन दूर करने की दिशा में हमारा बहुत बड़ा प्रयास है। इस योजना का नाम है- आयुष्मान भारत। इस योजना के तहत सरकार देश के लगभग 10-11 करोड़ गरीब परिवारों यानि करीब-करीब 45 से 50 करोड़ लोगों को हेल्थ एश्योरेंस देने जा रही है। गरीब परिवार में अगर कोई बीमार पड़ता है, तो उसे 5 लाख रुपए तक का इलाज सुनिश्चित किया जाएगा। + +साथियों, इस सरकार में कानून के माध्यम से सामाजिक संतुलन को स्थापित करने का भी निरंतर प्रयास किया गया है। ये हमारी ही सरकार है जिसने साल 2015 में, और ये बहुत लोग भूल जाते हैं, मैं उनको स्‍मरण कराना चाहता हूं, 2015 में हमारी सरकार बनने के बाद दलितों पर होने वाले अत्याचार को रोकने के लिए कानून को और सख्त किया है। दलितों पर होने वाले अत्याचारों की लिस्ट को 22 अलग-अलग अपराधों से बढ़ा करके हमने उसे 47 forty seven कर दिया था। यानि अब दलितों के खिलाफ forty seven अलग-अलग अपराधों पर कानूनी कार्रवाई सख्‍त हो सकती है। + +“अब मैं आपको वजह बताना चाहता हूं जिसने सरकार से मेरा मोहभंग कर दिया। ये पिछड़ों और दलितों के साथ किए जा रहे बर्ताव से जुड़ा हुआ है। मुझे इसका अफसोस है कि संविधान में पिछड़ी जातियों के हितों के संरक्षण के लिए उचित प्रावधान नहीं हैं। ये कार्य एक आयोग की सिफारिशों के आधार पर होना था। संविधान को लागू हुए एक साल से ज्यादा का समय हो चुका है लेकिन सरकार ने अब तक आयोग नियुक्त करने के बारे में सोचा तक नहीं है”। + +साथियों, तब से लेकर आज तक, कांग्रेस की सोच नहीं बदली है। 70 साल पहले पिछड़ी जातियों के खिलाफ आयोग को लेकर कांग्रेस ने बात आगे नहीं बढ़ने दी। यहां तक की डॉक्टर आंबेडकर को इस्तीफा तक देना पड़ा। आज 70 साल भी कांग्रेस संसद में OBC कमीशन को संवैधानिक दर्जा देने के काम को रोकने का काम कर रही है। आपको पता होगा हमारी सरकार ने OBC कमीशन को संवैधानिक दर्जा देने के लिए हम लाए; पास नहीं होने दे रहे, संसद नहीं चलने दे रहे। OBC कमीशन को संवैधानिक दर्जा मिलने के बाद इस आयोग को भी ST/SC आयोग की तरह शक्तियां हासिल हो जाएंगी। लेकिन कांग्रेस उसमें भी अड़ंगा लगा रही है। + +साथियों, 1951 में कैबिनेट से इस्तीफा देने के बाद बाबा साहेब ने 1952 में लोकसभा का आम चुनाव लड़ा था। कांग्रेस ने उस समय न सिर्फ उनके खिलाफ अपना उम्मीदवार उतारा बल्कि खुद नेहरू जी, बाबा साहेब के खिलाफ प्रचार करने के लिए पहुंच गए थे। कांग्रेस द्वारा पूरी शक्ति लगाने की वजह से बाबा साहेब को हार का अपमान सहना पड़ा। इसके बाद उन्होंने 1953 में भंडारा सीट से लोकसभा का उपचुनाव लड़ा। कांग्रेस ने फिर उनके खिलाफ उम्मीदवार उतारा और फिर बाबा साहेब को लोकसभा में पहुंचने से रोक दिया। इस लगातार अपमान के समय उनका साथ किसी ने दिया था, तो वो डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने दिया था। उन्हीं के प्रयासों से बाबा साहेब राज्यसभा में पहुंचे। और वही डॉक्‍टर श्‍यामा प्रसाद मुखर्जी ने जनसंघ को जन्‍म दिया जो आज भारतीय जनता पार्टी के रूप में काम कर रही है। + diff --git a/pm-speech/621.txt b/pm-speech/621.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..183fc709b6d52ba686f0732777a0587162da7cac --- /dev/null +++ b/pm-speech/621.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +साथ-साथ देश की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी अपने नागरिकों की रक्षा करनी है। महान भारतीय विचारक और रणनीतिकार कौटिल्य ने 2000 वर्ष पहले अर्थशास्त्र लिखी। उन्होंने कहा कि राजा या शासक को अपनी जनता की रक्षा करनी ही होगी। और उन्होंने यह भी कहा कि युद्ध की तुलना में शांति वरीयता योग्य है। भारत की रक्षा तैयारियां इन विचारों से निर्देशित हैं। शांति के प्रति हमारा संकल्प उतना ही मजबूत है, जितना अपनी जनता और अपने भू-भाग की रक्षा करने का संकल्प। और हम इसके लिए वैसे सभी कदम उठाने को तैयार हैं, जो हमारी सशस्त्र सेनाओं को लैस कर सकें। इनमें रणनीतिक रूप से स्वतंत्र रक्षा औद्योगिक परिसर की स्थापना भी शामिल है। + +मई, 2014 में, रक्षा निर्यात अनुमति की कुल संख्‍या 118 रही, जिसका कुल मूल्‍य 577 मिलियन डॉलर था। चार वर्ष से भी कम समय में, हमने 1.3 अरब डॉलर मूल्‍य की 794 निर्यात अनुमति जारी की। वर्ष 2007 से 2013 तक, नियोजित ऑफसेट कार्य 1.24 अरब डॉलर रहा जिसमें से केवल 0.79 अरब डॉलर मूल्‍य के ऑफसेट वास्‍तव में अदा किए गए। यह केवल करीब 63 प्रतिशत उपलब्धि दर है। + +2014 से 2017 तक नियोजित ऑफसेट कार्य 1.79 अरब डॉलर था जिसमें से 1.42 अरब डॉलर मूल्‍य के ऑफसेट वसूले गए। यह 80 प्रतिशत उपलब्धि दर है। रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों और आयुध फैक्‍ट्रि‍‍यों द्वारा सूक्ष्म और लघु उद्यमों से खरीद 2014-15 में करीब 3300 करोड़ रुपये थी जो 2016-17 में बढ़कर 4250 करोड़ रुपये हो गई। यह वृ़द्धि करीब 30 प्रतिशत है। + diff --git a/pm-speech/622.txt b/pm-speech/622.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..e78262ff44abd9992a2f11641056923c801010de --- /dev/null +++ b/pm-speech/622.txt @@ -0,0 +1,4 @@ +वर्तमान में भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था है। सभी प्रमुख एजेंसियां जैसे – अंतर्राष्‍ट्रीय मुद्रा कोष, विश्‍व बैंक और एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने निकट भविष्‍य में भारत की विकास दर 7 से 8 प्रतिशत होने का अनुमान लगाया है। सरकार मु्द्रा स्‍फीति की दर कम करने, वित्‍तीय घाटे पर नियंत्रण और विनिमय दर को स्थिर करने के साथ उच्‍च विकास दर हासिल करने में सक्षम हुई है। वृहद अर्थनीति में इस स्थिरता ने अर्थव्‍यवस्‍था में उपभोग और निवेश को बढ़ावा दिया है। + +हम कच्‍चा माल निकालने अथवा उत्‍पादन की अपनी नीतियों और नियमों में नयापन लाए हैं। इसके अलावा, हाइड्रोकार्बन अन्‍वेषण और लाइसेंसिंग नीति की शुरूआत के जरिये क्षेत्र में पारदर्शिता और प्रतिस्‍पर्धात्‍मकता स्‍थापित की है। बोली लगाने के मानदंड की जगह राजस्‍व साझा किया जा रहा है। इससे सरकार के हस्‍तक्षेप को कम करने में मदद मिलेगी। वर्तमान में बोली का दौर 2 मई तक खुला है। मेरा आपसे अनुरोध है कि उत्‍पादन बढ़ाने की दिशा में हमारे प्रयास में शामिल हो। ओपन एकरेज और राष्‍ट्रीय आंकड़ा संग्रह उन क्षेत्रों में कंपनियों की भागीदारी में मदद करेगा, जिनमें उनकी दिलचस्‍पी है और भारतीय क्षेत्रों में अन्‍वेषण हित बढ़ाने में मदद मिलेगी। + diff --git a/pm-speech/623.txt b/pm-speech/623.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..e341822a3e14277b4824068f071ded0ed792e267 --- /dev/null +++ b/pm-speech/623.txt @@ -0,0 +1,18 @@ +सौ वर्ष पूर्व चम्‍पारण में देशभर से लोग आए थे। गांधीजी के नेतृत्‍व में गली-गली जाकर काम किया था। सौ वर्ष बाद आज उसी भावना पर चलते हुए देश के अलग-अलग हिस्‍सों से आए लोगों ने यहां के उत्‍साही नौजवानों स्‍वच्‍छाग्रहियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर दिन-रात काम किया है। आज इस विशाल समूह में कोई कस्‍तूरबा है, कोई राजकुमार शुक्‍ल है, कोई गोरख प्रसाद है, कोई शेख गुलाब है, लोमराज सिंह है, हरिवंशराय है, शीतलराय है, बिन मुहम्‍मद मुनीस है। कोई डॉक्‍टर राजेंद बाबू है, कोई धरतीधर बाबू है, कोई रामनवमी बाबू है, जेपी कृपलानी जी है। + +मंच पर आने से पहले मैंने स्‍वच्‍छता पर एक प्रदर्शनी भी देखी। इस प्रदर्शनी में नई तकनीक, नई उद्यमों के बारे में विस्‍तार से समझाया गया है। मैं चम्‍पारण सत्‍याग्रह के सौ वर्ष पूरे होने पर जो कार्यक्रम हो रहे थे, उनके समापन का भी ये समय है। लेकिन समापन से ज्‍यादा ये शुरूआत है सवच्‍छता के प्रति हमारे आग्रह को और ज्‍यादा बढ़ाने की। + +आज भारत सरकार में हमारे सचिव श्रीमान परमेश्‍वर जी अय्यर, हैं क्‍या? नीचे बैठे होंगे वो, वे इस काम को देख रहे हैं। वे IAS अफसर, IAS कीनौकरी छोड़ करके अमेरिका चले गए थे। जीवन- अमेरिका में सुख-चैन की जिंदगी गुजार रहे थे। हमारी सरकार बनने के बाद हमने आह्वान किया, बहुतों का आह्वान किया। और मुझे खुशी है कि अमेरिका की उस शानदार जिंदगी को छोड़ करके वो भारत वापिस लौट आए। वो IAS अधिकारी रहे थे सालों तक, नौकरी छोड़कर चले गए थे। अभी टीवी पर आपने देखा, उनको दिखा रहे थे। फिर से जरा टीवी वाले उनको दिखाएं। अभी टीवी वालों ने उनके ऊपर कैमरा रखा था, फिर से एक बार रखें, हां, ये हैं। फिर से वापिस आए, मैंने फिर से उनको लिया सरकार में और ये काम दिया। + +सवच्‍छता से जुड़ा हमारा एक और आग्रह जीवनदायनी मां गंगा को निर्मल बनाने, सरकार गंगोत्री से लेकर गंगासागर तक गंगा को साफ और स्‍वच्‍छ करने के संकल्‍प के साथ कार्य कर रही है। बिहार इस मिशन का अहम हिस्‍सा है। घर या फैक्‍टरी के गंदे पानी को गंगा में जाने से रोकने के लिए बिहार में अब 3,000 करोड़ से ज्‍यादा के 11 प्रोजेक्‍ट की मंजूरी दी जा चुकी है। इस राशिसे 1100 किलोमीटर से लंबी सिविल लाइन बिछाने की योजना है। इसमें से चार projects का शिलान्‍यास आज हुआ है। + +उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल, जिन पांच राज्‍यों में गंगाजी होकर गुजरती हैं, वहां गंगा किनारे के कई गांव इस मिशन में सफल हो चुके हैं। गंगा किनारे बसे गांवों में कचरे के प्रबंध की योजनाएं लागू की जा रही हैं, ताकि गांव का कचरा भी नदी में न बहाया जाए। मुझे उम्‍मीद है कि जल्‍द ही गंगा तट पूरी तरह खुले में शौच से मुक्‍त हो जाएगा। + +21वीं सदी की आवश्‍यकताओं को देखते हुए इन इलाकों में हाइवे, रेलवे, water way, i way, इन सभी का विकास तेज गति से आगे बढ़ रहा है। आज लगभग 900 करोड़ रुपयों के national highway project का शिलान्‍यास किया गया है। औरंगाबाद से चौरदाह का जो सेक्‍शन अभी चार लेन का है, उसे छह लेन बनाने का काम आज से शुरू हो रहा है। ये प्रोजेक्‍ट बिहार और झारखंड, दोनों राज्‍यों के लोगों को फायदा पहुंचाएगा। + +आज मध्‍यपुरा में इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव फैक्‍टरी के फेस वन का भी लोकापर्ण किया गया है। ये फैक्‍टरी दो कारणों से अहम है- एक तो ये मेक इन इंडिया का उत्तम उदाहरण है, दूसरा ये इस क्षेत्र में रोजगार का भी बड़ा माध्‍यम बन रही है।ा भारतीय रेल फ्रोस की एक कम्‍पनी के साथ मिलकर इस प्रोजेक्‍ट पर काम कर रही है। इस फैक्‍टरी में शक्तिशाली इंजन तैयार होंगे। इस आधुनिक फैक्‍टरी में बने 12000 हॉर्स पॉवर वाले पहले इंजन को हरी झंडी दिखाने का सौभाग्‍य अभी-अभी मुझे मिला है। + +साथियों, पिछले साढ़े तीन वर्षों में देश में 350 (साढ़े तीन सौ) से ज्‍यादा जिले और साढ़े तीन लाख से ज्‍यादा गांव खुद को खुले में शौचालय से मुक्‍त घोषित कर चुके हैं। पिछले साढ़े तीन साल में देश में लगभग सात करोड़ शौचालयों का निर्माण किया गया है। ये लोगों की इच्‍छा शक्ति ही है कि 4 अप्रैल यानी पिछले एक हफ्ते में, जिस दौरान सत्‍याग्रह से स्‍वच्‍छाग्रह का सप्‍ताह मनाया गया; बिहार, यूपी, उड़़ीसा और जम्‍मू-कश्‍मीर में लगभग 26 लाख शौचालयों का निर्माण किया गया है। ये वो चार राज्‍य हैं जिन्‍होंनें ठान लिया है कि वो भी स्‍वच्‍छता का दायरा और तेजी से बढ़ाएंगे। + +साथियों, स्‍वच्‍छ भारत अभियान जिस तरह जन-आंदोलन बनकर देश के कोने-कोने में पहुंचा है, वो दुनिया के बड़े-बड़े विश्‍वविद्यालयों के लिए एक केस स्‍टडी है। मुझे लगता है कि 21वीं सदी में अब तक मानव स्‍वभाव को बदलने वाला ऐसा जन-आंदोलन किसी और देश में अब तक नहीं हुआ है। निश्चित रूप से भारत बदल रहा है। व्‍यवहार-आदतों में बदलाव हो रहा है। + diff --git a/pm-speech/624.txt b/pm-speech/624.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..bd0aca303a6a53c89008eac650110a0e31c7c35c --- /dev/null +++ b/pm-speech/624.txt @@ -0,0 +1,54 @@ +पिछले एक-डेढ़ घंटे में जो Presentation यहां दिए गए उसमें आपका परिश्रम, आपका उत्‍साह और by and large मैं ये कह सकता हूं clarity of thoughts, ये मैं साफ-साफ देख रहा था। Corporate Governance से लेकर innovations, technology और New India पर आपका vision, आपके विचार भी जानने का अवसर मुझे मिला। शायद ऐसा सौभाग्‍य पहले किसी प्रधानमंत्री को मिला है या नहीं ये मुझे मालूम नहीं, मुझे मिला। + +और मेरे ध्‍यान में ऐसी तमाम मुश्किलों को लाया गया है। जैसे सामान्‍य तौर पर आप लोग रोजमर्रा की जिंदगी में face करते हैं। सरकार इन दिक्‍कतों को दूर करने के लिए लगातार काम भी कर रही है। बीते चार सालों में सरकार ने भी Public Sector से जुड़े संस्‍थानों को Operational Freedom दे दी है ताकि वो बेहतर प्रदर्शन कर सके। + +जब भारत को fund की जरूरत थी, नई technology चाहिए थी, अलग-अलग सेक्‍टर में investment चाहिए था, और ये सभी कुछ मिलना आसान नहीं था। उस समय Public Sector Enterprise ने देश से जुड़ी आवश्‍यकताओं की पूर्ति के लिए  मोर्चा संभाला था। एक से एक brand स्‍थापित किए थे। Power का production, power से जुड़े equipment की designing, steel का production, oil, mineral, coal  अनेक सेंटरों में आपने अपना वर्चस्‍व स्‍थापित किया। आपने उस समय भारत की अर्थव्‍यवस्‍था को गति दी जब प्राइवेट सेक्‍टर की भूमिका इतनी महत्‍वपूर्ण नहीं थी। आज भी आपके संस्‍थान भारत की अर्थव्‍यवस्‍था को न सिर्फ मजबूती दे रहे हैं बल्कि industrial activities में catalyst का भी काम कर रहे हैं। + +साथियों, प्राइवेट सेक्‍टर में जब हम एक CEO की बात करते हैं तो उसका assessment इस बात से होता है कि शेयर होल्‍डर्स के लिए उसने कितना profit कमाया। Profit Public Sector Enterprise के लिए भी अहम है। लेकिन इसके साथ-साथ उनके लिए ये भी एक बहुत बड़ी जिम्‍मेवारी होती है, उनको ध्‍यान रखना पड़ता है कि समाज जीवन के लिए society का कैसे और कितना भला हुआ। + +साथियों, सिर्फ इतिहास अच्‍छा हो, समृद्ध हो, आज के युग में बात वहां समाप्‍त नहीं होती है। इससे काम नहीं चलता है। वर्तमान की चुनौतियों के मुताबिक बदलाव की भी जरूरत अनिवार्य होती है। और मैं मानता हूं कि economic decision making में idealism और ideology ये काफी नहीं है। इसकी जगह pragmatism and practicability उसको भी स्‍थान होना चाहिए। सेक्‍टर चाहे कोई भी हो लेकिन जब 21वीं सदी की अर्थव्‍यवस्‍था की बात करते हैं तब enterprise and ennovation वो मंत्र होना चाहिए, जो हम सभी को guide करे, हमारा driving force हो। + +Private Sector हो या Public Sector, success के लिए अलग-अलग मंत्र नहीं होते। सफलता के मंत्र की जब मैं बात करता हूं तब 3 I की एक सोच सामने आती है। और ये 3 I या‍नी Incentives, Imagination and Institutional building. Incentives जब हम कहते हैं तब Economist बताते हैं कि human behavior में बदलाव लाने वाला सबसे बड़ा tool है। बिजनेस में ही क्यों, जिंदगी में भी अक्सर हम देखते हैं कि जब भी किसी व्यक्ति से उसकी क्षमता के मुताबिक हमें काम करवाना होता है तो उसे हम निरंतर प्रोत्साहित करते हैं। ऐसे में आपको भी Unique Incentive Models के साथ सामने आना होगा, ताकि ठहराव और निष्क्रियता की स्थिति से बचा जा सके। लेकिन जब हम Incentives की बात करते हैं तो ये सिर्फ Financial हों ये जरूरी नहीं है। कई बार बेहतर Perform करने वाले की फोटो बुलेटिन बोर्ड में लगाने भर से या फिर चेयरमैन की तरफ से पीठ पर जरा थपकी लगा दें, छोटी बात होती है। सैकड़ों कर्मचारियों को Motivate कर सकती हैं। + +दूसरा विषय मैंने कहा Imagination। अगर Imagination की बात करते हैं तो आज इसके मायने वैसे नहीं रहे जैसे उस वक्त थे ज्यादातर PSEs बनाए गए थे। आज इसका अलग ही स्वरूप है। आज स्थिति ये है कि कई कामयाब प्राइवेट कंपनियां दो दशक से ज्यादा नहीं टिक पातीं। ये सच्‍चाई है। इसके कई कारण हो सकते हैं, लेकिन सबसे बड़ा कारण है भविष्य में आने वाले बदलाव, विशेषरूप टेक्नोलॉजी में होने वाले changes के हिसाब से खुद को ना ढाल पाना। यहीं पर Leadership की Imagination काम आती है। मैं अहमदाबाद में काफी साल रहा, एक जमाना था वहां मिल के बड़े-बड़े चिमनियां, वो शान हुआ करती थी। लेकिन Technology को न लाने के कारण वो सारी दुनिया बिखर गई। आज एक भी चिमनी से धुंआ नहीं निकलता। क्‍यों? Imagination का अभाव था। बनी-बनी चीजों पर गुजारा करने की आदत हो गई थी। और जो समयानुकूल बदलाव नहीं लाते, परिवर्तन नहीं लाते, दूर का देख नहीं पाते, सोच नहीं पाते, निर्णय नहीं कर पाते वो वहीं का वहीं ठहर जाते हैं। और धीरे-धीरे उनका नष्‍ट होना निर्धारित हो जाता है। और आज की दुनिया में Diversification and Disruption, इसकी अहमियत बढ़ गई है। + +और तीसरा I यानी Institution building, ये संभवत: Leadership का सबसे अहम Test है। और मैं Leadership यानि Political Leadership नहीं कह रहा हूं। हम सब लोग यहां बैठे हैं वो अपने-आप में, अपने कार्यक्षेत्र की Leadership उनके पास है। जिस क्षेत्र में काम कर रहें हैं उस पूरे जगत के क्षेत्र के अंदर भी उनको Leadership provide करनी है। एक ऐसी team  का formation जो व्यवस्था केंद्रित हो। व्यक्ति केंद्रित और व्यक्ति आधारित व्यवस्थाएं लंबे समय तक नहीं चल पातीं। + +साथियों, आज तक हम PSEs को नवरत्‍न के रूप में Classify करते रहे हैं। लेकिन अब वक्त आ गया है जब हम इससे भी आगे की सोचें। क्या हम New India रत्‍न बनाने के बारे में नहीं सोच सकते? जो New India बनाने में मदद कर सके? क्या आप तकनीक और प्रक्रियाओं में बदलाव के जरिए New India रत्‍न बनने और बनाने के लिए तैयार हैं? + +आज, अगर हम भारत सरकार के सारे सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को एक entity के तौर पर देखें, तो Return on Equity लगभग 11 प्रतिशत होता है। ये प्राइवेट सेक्टर की तुलना में और एक अच्छे बिजनेस वेंचर के हिसाब से कम है, मेरे हिसाब से काफी कम है और इसलिए मैं चाहूंगा कि CPSE मैनेजमेंट इस ओर ध्यान दे और एक तय रणनीति के साथ इसे बढ़ाने का फैसला करें । + +हमें खुद से ये सवाल भी पूछना होगा कि न्यू इंडिया में भारतीय PSUs किस तरह अगले 5 या 10 साल में Global Greatness को हासिल कर पाएंगे। कैसे उसमें ज्यादा से ज्यादा innovation हो, GDP को बढ़ाने के लिए कैसे वो खुद को redefine करें, प्रक्रियाओं और नीतियों में ऐसा कौन सा सुधार करें जिससे Tax Revenue तो बढ़े ही Employment Generation के भी नए अवसर बनें। इन सारी दिशाओं में, मैं समझता हूं सोचने की आवश्यकता है। + +साथियों, जिस प्रकार से बिजनेस environment में globally एक परिवर्तन आया है, उसको देखते हुए decision making में तेज़ी के साथ-साथ flexibility भी समय की मांग है। बीते कुछ समय में दुनिया में ऐसे कई उद्हारण सामने आए हैं जहां रिस्क ना लेने की सोच की वजह से सरकारी enterprises को नुकसान झेलना पड़ा है। ऐसे में जरूरत है कि हर स्तर पर decision making को streamline किया जाए। इसलिए तीसरा P यानी Persona और महत्वपूर्ण हो जाता है। + +एक और विषय बहुत-बहुत महत्वपूर्ण है- Procurement- साथियों, आपके संस्थानों में procurement की नीतियों में परिवर्तन देश के Micro, Small & Medium Enterprises- MSME सेक्टर को और मजबूत कर सकती है। मैं आपके सामने एक तथ्य रखना चाहता हूं। वर्ष 2016 में PSUs ने 1 लाख 30 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का procurement किया था। इसमें से लगभग 25 हजार करोड़ का सामान ही, सिर्फ और सिर्फ 25 हजार करोड़ का सामान ही MSME सेक्टर से लिया गया। + +आपकी जानकारी में होगा और आपने एक presentation में उल्‍लेख भी किया कि भारत सरकार ने Government e Market –GeM नाम से एक पोर्टल बनाया। एक अच्‍छी व्यवस्था खड़ी हुई है। उसने MSME सेक्टर के लिए एक बहुत बड़ी नई ऊर्जा का काम किया है। बहुत कम समय में इस ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर लगभग साढ़े 6 हजार करोड़ रुपए का कारोबार हो चुका है। आपके संस्थान भी इसका ज्यादा उपयोग करेंगे तो transparency भी आएगी और MSME सेक्टर को भी लाभ मिलेगा। जब आप ज्यादा से ज्यादा सामान अपने देश के छोटे उद्यमियों से खरीदेंगे तो दूर-दराज के इलाकों में भी रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। + +इसके अलावा आपके संस्थानों द्वारा MSME’s को Fund Allocation और technical assistance जितना ज्यादा मिलेगा, उतना ही वो मजबूत होंगे। MSME सेक्टर की capacity building आपके लक्ष्यों में से एक होना चाहिए। और जो आज शायद आपके संकल्‍प में उसका उल्‍लेख भी किया है। आप अपने अनुभव छोटे उद्योगों को जितना पहुंचाएंगे, उतना ही देश को आत्मनिर्भर बनाने का काम और अधिक तेज गति से आगे बढ़ेगा। + +मैं कभी-कभी आप लोगों से आग्रह करूंगा, आपकी general body meeting होती है क्‍या मिलकर के तय कर सकते हैं कि भारत के लिए जो महत्‍वपूर्ण tourist destination होंगे – नए, आगरा नहीं, जो known हैं नहीं, लेकिन हम साल में एक बड़ी मीटिंग हम ऐसे tourist destination वाले place पर करेंगे। उसकी हवा बनेगी, और लोग भी आएंगे, देखेंगे। Natural course में वो tourist destination develop होगा। अगर मान लीजिए देश में एक साल में 25 destination  तय किए, और आपकी तीन सौ कंपनियां हैं। अगर आप वहां अपनी general body meeting शुरू करेंगे तो हर स्‍थान पर, मैं समझता हूं हर महीने एक दो, एक दो मीटिंग होंगी ही होंगी। मुझे बताइए वहां की economy आगे बढ़ेगी कि नहीं बढ़ेगी? वहां Infrastructure आएगा कि नहीं आएगा? यानी आप तो अपनी मीटिंग करते ही हैं, मुंबई में करते होंगे, बंगलौर में करते होंगे, चैन्‍नई में करते होंगे, 5 स्‍टार होटल में करते होंगे ,लेकिन क्‍या कभी ऐसे destination में रह के कर सकते हैं। आप देखिए, आपका वो routine काम है लेकिन by product देश के tourism को बल मिल रहा है। यानी extra कुछ न करते हुए ये तब होगा कि देश का विजन और आपका विजन एक साथ चलता है, तब होगा। और इसलिए मैं आग्रह करूंगा‍ कि आप ऐसी कोई नई-नई चीजें जो राष्‍ट्र निर्माण की जो हमारी प्रक्रियाएं हैं और मैं मानता हूं कि भारत को tourism में बहुत बढ़ावा मिलना चाहिए। कम-से-कम पूंजी निवेश से सबसे ज्‍यादा रोजगार देने की संभावना वाला क्षेत्र है और दुनिया के पास जो नहीं है, वो देने की, दिखाने का सामर्थ्‍य इस धरती में है। लेकिन हमनें कभी उसको उस बात को पहुंचाया नहीं है। हम कैसे पहुंचाए। + +एक अनुमान है कि 2020 तक Global Internet of Things मार्केट में भारत की हिस्सेदारी लगभग 20 प्रतिशत तक होगी। ये लगभग 20 लाख करोड़ रुपए का बाजार है। अनुमान ये भी है कि Industrial Manufacturing में Internet of Things की हिस्सेदारी लगभग 60 प्रतिशत की होगी। क्या भारतीय PSUs इसे ध्यान में रखते हुए आगे की रणनीति बना रहे हैं? क्या आप Data Analysis कर रहे हैं? + +आज यहां इस अवसर पर मैं आपके सामने 5 सवालों के तौर पर 5 Challenge रखना चाहता हूं। आपने यहां जो रखी हैं उससे बाहर कुछ नहीं कहूंगा। जो आपने कहा है उसी में से मैं अपने तरीके से पेश करना चाहूंगा। और मुझे विश्‍वास है कि आप इन चीजों को कर पाएंगे। ये 5 Challenge New India में आपके role को redefine करेंगे। मैं बहुत बारीकियों में नहीं जाऊंगा लेकिन इन सवालों के माध्यम से एक मोटा-मोटा खाका आपके सामने रख रहा हूं। + +मेरा दूसरा सवाल: 2022 तक भारतीय PSUs देश का Import Bill कम करने में कैसे मदद करेंगे? आपको लगता होगा कि ये काम किसका है। मैं आपको उदाहरण देना चाहता हूं। मैं हरियाणा के किसान के यहां खेत में गया था। 30 साल पहले की बात करता हूं, 25 साल पहले की। छोटा सा उसका खेत था बड़ा आग्रह करता  था मुझे, आईए-आईए मैंने कुछ नया किया है। 30-35 साल की आयु थी लेकिन बड़ा जज्‍बा था। उसने तय किया कि दिल्‍ली के 5 स्‍टार होटल में जो विशिष्‍ट प्रकार की सब्जियां import होती हैं, छोटा corn होता है, छोटा टमाटर आता है। उसने तय किया कि मैं दिल्‍ली में ये agriculture sector का import बंद कराके रहूंगा। और उसने अपने छोटे से खेत में control environment में उन चीजों का उत्‍पादन किया और उसने दिल्‍ली के 5 स्‍टार होटलों को सप्‍लाई करना शुरू किया और खुशी की बात है कि तीन साल के भीतर-भीतर उसने उस import को बंद करवा दिया था। एक किसान का बेटा मन में ठान ले क्‍या कर सकता है इतने बड़े PSUs एक आत्‍मनिर्भर स्‍वाभिमानी अपने पैरों पर खड़ा हुआ हिन्‍दुस्‍तान देश को यहां तक पहुंचाने में आपका योगदान रहा है। अब वक्‍त है Global Economy में हमने अपने आपको ताकत बनाने के लिए इस एक पहलू पर बल देने की आवश्‍यकता है। और इसलिए मैं कहूंगा कि आपने अपने Presentation में इस बात का उल्‍लेख किया है। लेकिन मैं इसको बल देना चाहता हूं। कि हम ऐसी कौन सी चीजें लाएं, हम ऐसी कौन सीalternate technology दें, हम ऐसी कौन सी equipment दें कि जिसके कारण मेरे देश का import भी कम करने में मेरी सक्रिय भूमिका हो। + +मेरा तीसरा सवाल: 2022 तक भारतीय PSUs कैसे आपस में, क्यूंकि ये बहुत बड़ी बात है, आपस में Innovation और Research का integration करेंगे? आज हम अपनी-अपनी जगह पर हैं, अलग-अलग काम कर रहे हैं। उसके कारण हमारा human resource भी waste जा रहा है। किसी ने एक काम किया है दूसरा वही काम zero से शुरू करता है। अगर ये हमारा co-ordination होगा तो आप कल्‍पना कर सकते हैं एक साथ कितना बड़ा jump लगा सकते हैं और इसलिए मैंने integration की बात कही है। + +मैं ये Challenge सवालों के माध्यम से इसलिए रख रहा हूं क्योंकि निर्णय आपको करना है, नीति आपको बनानी है, रणनीति आपको तय करनी है और उस रणनीति को लागू भी आप ही को करना है। राष्ट्र निर्माण के बड़े लक्ष्य के साथ जब आप अपने-अपने संस्थानों की बोर्ड मीटिंग्स में इन सवालों पर मंथन करेंगे, तो नए रास्ते खुलेंगे, नई दिशा मिलेगी। + +साथियों, New World Order में भारत की Geo-Strategic Reach बढ़ाने में आपका योगदान बढ़ना आवश्यक है। आज opportunity है आप भी दुनिया में जाते हैं, दुनिया को लोगों से मिलते हैं। ऐसा अवसर पहले बहुत कम आए होंगे। इस अवसर को हम जाने न दें। और आवश्‍यक है कि इससे भी आप भली-भांति परिचित हैं कि कैसे कुछ देशों ने अपने PSU’s का इस्तेमाल दूसरे देशों में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए किया है। + +होता क्‍या है। एक स्‍टेट दूसरी स्‍टेट के साथ दुनिया में कई sister state बन जाती है एक city दूसरी city के साथ sister city बन जाते हैं लेकिन बाकी हमारी ईकाइयां हैं उसने भी वहीं पर जाकर के जुड़ना चाहिए। और अधिकतम pillar wise इस दोस्‍ती को खड़ा करना चाहिए, वो छोड़ देते हैं। एक MoU हो गया, government governable जाना है, तो फंक्‍शन कर लेगा बस छुट्टी जी नहीं, हमने इसको maximum ऐसे 50-100 कितने areas हैं जहां वो शहर के साथ हम जुड़ जाते हैं। और इसलिए मैं आग्रह करूंगा कि इसलिए नये strategic view जरूरत है। इसी तरह हम सभी के सामने एक बड़ा challenge है import bill को लेकर। कई ऐसे Products हैं, जो अभी हम Import करते हैं लेकिन इस Import को कम किया जा सकता है। कुछ सेक्टरों में सरकार Import bill कम करने में सफल हुई है लेकिन अभी करने के लिए बहुत कुछ बाकी है। ऐसे में आप के लिए इस क्षेत्र में भी बहुत बड़ा अवसर है। और ये कोई बहुत बड़ी चुनौती नहीं है। सिर्फ आपको प्रयास करना है। आप देखिए बदलाव आ जाएगा। + +• साथियों, मैं आपको Defence सेक्टर का उदाहरण देना चाहता हूं। पिछले 60-70 वर्षों से भारत दुनिया के सबसे बड़े arms import करने वाले देशों में से एक रहा है। इतिहास में क्या नीतियां रहीं, मैं इस पर नहीं जाना चाहता। तब तो कोई ये सोच भी नहीं सकता था कि भारत में कोई सरकार रक्षा क्षेत्र में भी Foreign Direct Investment के लिए रास्‍ते खोल सकती है। + +• आपने कई तकनीकें और Innovative Products भी विकसित किए हैं। लेकिन अकसर ये भी देखा जाता है कि विभिन्न एजेंसियों की laboratories में जो innovation हो रहा है, वो वहीं तक सीमित हो कर रह जाता है। इस स्थिति को बदलकर 2022 तक कैसे Innovation और Research का एक integrated infrastructure आप तैयार कर सकते हैं, उस बारे में भी सोचे जाने की मैं समझता हूं समय की मांग है। + +• आपकी जानकारी में होगा कि नीति आयोग ने देश के 115 district जो देश development में बाकी मानकों में पहुंच नहीं पाए हैं। ऐसी जिलों की पहचान क्‍या है, और उसको मैंने Aspirational Districts के रूप से पहचानना तय किया हैं। Backward district day, Aspirational Districts  क्या इन जिलों का विकास आप लोगों के लिए इस वर्ष की थीम हो सकता है क्‍या? + +साथियों, अपने संसाधन और सामर्थ्य पर भरोसा किए बिना न ही कोई व्यक्ति आगे बढ़ सकता है, न ही कोई संस्था और न ही कोई देश। भारत में न संसाधनों की कमी है न ही भारत में सामर्थ्य की कमी है। हम में इच्छाशक्ति और खुद पर भरोसा भी। पिछले चार साल में आपने देखा होगा एक बार भी सरकार की तरफ आपको ये स्‍वर नहीं सुनाई होगा कि ये कठिनाई है, ठिगनी कठिनाई है, वगैरह,  हर चुनौतियों को चुनौती देने वाले स्‍वभाव के व्‍यक्ति हैं। और मैं मानता हूं कि हम इसी देश को, हम देश को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकते हैं। ये सरकार का मादा है जी, और इसलिए मैं आपसे आग्रह करता हूं। देश में कोई साधन संसाधन की कमी नहीं हैं। आओ हम मिल बैठ कर के आगे बढ़े। + diff --git a/pm-speech/625.txt b/pm-speech/625.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..88131e85eb7449d205bef9f950e7f1e640e65842 --- /dev/null +++ b/pm-speech/625.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +आमतौर पर एक छवि रहती हैं कि भई सरकारी डिपार्टमेंट के काम ऐसे ही होते हैं छोड़ो कोई बाहर का contractor होगा तो अच्‍छा होगा लेकिन ये देखने के बाद पता चलेगा कि government agency भी अगर एक बार मन में ठान लें तो कितना उत्‍तम काम कर सकती है, समय-सीमा में कर सकती है और बजट की मर्यादा में कर सकती है। ये तीनों चीजें हरदीप जी के डिर्पाटमेंट ने बहुत ही सुचारू ढंग से पूर्ण की है। इसलिए उस डिर्पाटमेंट के सभी अधिकारियों का, इसमें जिन्‍होंने मेहनत की है उन सबको भी मैं ह्दय से बहुत-बहुत बधाई देता हूं। एक उत्‍तम नजराना इस संसदीय जीवन व्‍यवस्‍था के साथ आज जुड़ रहा है और वो भी एक ऐतिहासिक जगह है। जिन लोगों ने इसका पढ़ा होगा। जो लोग 1926 के यहां आपको दस्‍तावेज मिलेगें। जब इस west court house में लाला लाजपत राय जी कभी रहते थे। मोतीलाल जी नेहरू यहां रहते थे। वैसी एक ऐतिहासिक विरासत वाली जगह है। और उस विरासत वाली जगह के साथ आप लोगों को भी जुड़ने का अवसर मिलेगा। ये अपने-आपमें मैं मानता हूं एक अच्‍छा सा काम इस व्‍यवस्‍था में हुआ है और जैसा ताई जी ने कहा कि जिसका शिलान्‍यास हम करते हैं उसका उद्घाटन भी हम हीं करते हैं। आपने देखा होगा कि आज उसको हम समय-सीमा से पहले, मैं मानता हूं 4-6 महीने पहले early project पूरा हुआ है और मिल रहा है| सबसे बड़ी आलोचना लगातार होती है जब MP नए आते हैं तो five star hotel में रहते हैं, इतना खर्चा होता है। हर बार ये box item बनता है। लेकिन जो चुनाव नहीं लड़े हैं या जिनको जनता ने वापिस नहीं भेजा है, वो मकान खाली नहीं करते हैं इसकी चर्चा आती नहीं है। और उसी का कारण है कि MPs को hotel में रहना पड़ता है। अब इसके पीछे खर्च भी बहुत होता है और एक बार तो मैंने एक पिछले ही सरकार के समय में किसी MP महोदया का तो इतना सारा अखबार में पढ़ा था। मालूम नहीं है सच-झूठ, बहुत बड़े, बोलने में बड़े माहिर से है वह सज्‍जन, वो लोगों को इतना करोड़ों का डील हो गया था। और खाली ही नहीं करते थे उनको वो सूट कर गया था। तो काफी आलोचना भी होती थी। और उसके कारण जो नए MPs आते थे उनके इलाके में उनको बड़ी परेशानी होती थी। क्‍योंकि नए-नए चुनकर के आते थे और क्षेत्र के लोग जब अखबार में पढ़ते थे तो उनके लिए बड़ी  यानी एक प्रकार का बड़ा humiliation होता था। + diff --git a/pm-speech/626.txt b/pm-speech/626.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..e004117e0edea451963ddde3c40138bbfeca35d2 --- /dev/null +++ b/pm-speech/626.txt @@ -0,0 +1,12 @@ +एक गुजराती कहावत है, ‘कलम ने ज्यां वावी त्या उगी निकली’और आप सब ने अच्छे तरीके से उसे सार्थक किया है।आज आप सब केन्या के समाज में एकाकार हो चुके हो, आप में से ज्यादातर लोगो का पासपोर्ट केन्या का होगा, लेकिन सच्चाई ये है की आपके मन के अंदर भारतीयता जिंदा है उसका साक्षी होकर में इस कार्यक्रम के अंदर, में आप सब को देख रहा हूं,में भी अनुभव कर रहा हूं। + +कच्छी भाई-बहन चाहे केन्या में रहे या कच्छ में आफत को वे लोग किस तरह से अवसर में पलट देते है वो मैने खुद अपनी आँखों से देखा है। 2001 के विनाशक भूकंप के समय पर कच्छ की ऐसी हालत थी की पूरी दुनिया को ऐसा लग रहा था की कच्छ कभी भी उठ नही पाएगा लेकिन कुछ ही सालो में कच्छ के परीश्रमी लोगों ने, आप सब के भाई-बहनों,स्वजनो ने सभी की धारणाओको जूठा साबित कर दिया। + +इतने सालो में कच्छ के विकास में एक उल्लेखनीय परिवर्तन आया है। और खास कर के येसामने सुन रहे युवा दोस्तों को में बताना चाहता हूं, क्योंकि ये सारी नई पीढ़ी भी मेरे सामने बैठी हुई है, कच्छ में एक समय ऐसा था जब महीनों तक पानी नहीं आता था, गर्मियो में कच्छ के लोगो को घर-बार, पशु, सब कुछ ले कर के गाँव और घर छोड़ना पड़ता था, पानी के लिए तरसते थे, पशु हिजरत करते थे, मौत को गले लगाते थे। आज उसी कच्छ में हमारी सरकार ने सरदार सरोवर नर्मदा का पानी अंतिम छोर तक पहुँचाया है। आपने टप्पर डेम का नाम सुना होगा वहां तक पानी पहुँच चुका है। + +पिछले साल ही घोघा-दहेज़ के बिच में रो-रो सर्विस सरकार ने शुरू की है। ऐसी ही रो-रो सर्विस कच्छ के अखात में भी शुरू करने की कल्पना है। कच्छ और जामनगर के बीच में यह सेवा शुरू करने का विचार चल रहा है।सरकार को इस प्रोजेक्ट का एक ब्रीफ फिज़ीबीलीटी रिपोर्ट भी प्रदान किया गया है। रो-रो फेरी शुरू होने से सौराष्ट्र और कच्छ के बिच का अंतर बिलकुल कम हो जाएगा। आज कच्छ में जो आर्थिक विकास हो रहा है, वो समग्र गुजरात के विकास को गति प्रदान कर रहा है और गुजरात का विकास देश के विकास को आगे बढ़ाने में पूरक बन रहा है। + +भारत की विदेश निति को भी हमारी सरकार ने नया आयाम दिया है। बीते हुए तीन-चार सालो में सिर्फ केन्या ही नहींलेकिन सम्पूर्ण अफ्रीका महाद्वीप में भारत के मजबूत संबंधो की एक नयी दिशा खुली है।हमारी सरकार के इस कार्यकाल के दौरान राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री इन तीन स्तरों पर कहूं तो लगभग हम तीनो मिलकर के 20 से ज्यादा देशो की यात्रा कर चुके है। इतना ही नहीं, भारत में इंडिया अफ्रीका समिट का भी अत्यंत सफलतापूर्वक आयोजन हुआ, इस समिट में हिस्सा लेने के लिए 54 आफ्रीकी देशो के प्रतिनिधि मंडल आए हुए थे और 41 अफ्रीकन देशो के शासक,प्रमुखएवं राष्ट्राध्यक्षकी सामूहिक उपस्थिति ने एक तरह का नया रिकोर्ड स्थापित किया है। + +और एम् पैसा एक मोडल की तरह उसकी चर्चा करते है।भारत में भी डिजिटल लेन-देन बढ़ाने के लिए सरकार ने कईं फैसले लिए है।हमारे वहाँ भारत में भीम एप काफी लोकप्रिय है।आप भी मोबाइल फोन पर जाकर के आप भीम एप डाउनलोड कर सकते हैऔर मेरा आपसे विशेष आग्रह है की कच्छ में तो आप के जीवंत संबंध है। कच्छ में बारिश हो और तुरंत ही आप हलवा बनाने की तैयारी करते है,इतना ज्यादा आपका कच्छ के प्रति प्रेम होता है।आप हर रोज़ उससे बातें करते होते है उनको कहियेकिएम् पेसा ने कितना परिवर्तन किया है तो यहाँ भी वो सब लोग सीखे, गुजरात में कच्छी भाइयों वे भी भीम एप द्वारा डिजिटल लेन-देन करना शुरू करे।आप कहेंगे तो वे तुरंत इस बात को मानेंगे। + diff --git a/pm-speech/627.txt b/pm-speech/627.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..9cd2b46d6041499a63509a2884bde3f0fe9f08d4 --- /dev/null +++ b/pm-speech/627.txt @@ -0,0 +1,16 @@ +जब हम Innovation की बात करते हैं तो ये सिर्फ एक शब्द नहीं है। Innovation एक event भी नहीं है कि कुछ competitions हुए, judgment आए, इनाम बंटे और फिर celebrate करने के बाद सब अपने-अपने घर चले गए। Innovation एक प्रक्रिया है जो निरंतर चलती है। आप तभी Innovate कर पाएंगे जब आप समस्या को समझेंगे, कुछ सवाल करेंगे, नए ideas सामने रखेंगे और फिर उन ideas को अमल में लाने के लिए भरकस प्रयास करेंगे। + +इसलिए हमारी सरकार लगातार Innovation को प्रोत्साहित कर रही है। अटल इनोवेशन मिशन ए आई एम – AIM के माध्यम से देश में Innovation एवं Entrepreneurship का कल्चर तैयार किया जा रहा है। हमारा मकसद एक ऐसा Eco System तैयार करने का है जो छात्रों को कम आयु में ही भविष्य की तकनीकों से परिचित कराए। हमारा प्रयास है कि Internet of Things, Artificial Intelligence, Block chain Technology, 3D और Robotics का अनुभव छात्रों को लेने के लिए इंजीनियरिंग कॉलेज तक पहुंचने का इंतजार न करना पड़े। + +कम उम्र में ही Innovation का Mind Set तैयार करने की दिशा में हमने देशभर के करीब-करीब 2400 two thousand four hundred स्कूलों को चुना है। भविष्य में इन स्कूलों की संख्या को बढ़ाकर हमारी सरकार 30 हजार तक ले जाना चाहती है। Atal Tinkering Labs में छठी से 12वीं कक्षा के छात्रों पर Focus किया जा रहा है। इन Labs में Educational and Learning के concept पर अमल करते हुए बच्चों को आधुनिक तकनीक introduce कराई जा रही है। + +सरकार ने PMRF यानि Prime Minister Research Fellowship की घोषणा की है और मैं चाहूंगा कि आप सब इसका फायदा उठाएं। इसके तहत IIT, IISC, NIT जैसे संस्थानों के B Tech, M tech और M SC के Best Students को Prime Minister Fellowship दी जाएगी। हर साल एक हजार छात्रों को इसके लिए चुना जाएगा। इन छात्रों को पाँच साल तक हर महीने 70 से 80 हजार रुपए तक की आर्थिक सहायता भी दी जाएगी। अंतर्राष्ट्रीय conferences और seminars में वो अपने रिसर्च पेपर रख सकें इसके लिए 2 लाख रुपए की research grant भी सरकार द्वारा दी जाएगी। + +यही वजह है कि सरकार का जोर देश में Higher Educational Institutions को ज्यादा से ज्यादा स्वायत्तता यानी कि Autonomy देने का है। सरकार देश में world class 20 Institutions Of Eminence बनाने पर भी काम कर रही है। इनमें से चुने गए पब्लिक सेक्टर के 10 Institutes को कुल 10 हजार करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता भी सरकार द्वारा दी जाएगी। + +इसका परिणाम है कि वर्ष 2013-14 में जहां 4 हजार के करीब patents register होते थे वहीं इस वर्ष फरवरी तक 11 हजार 300 से ज्यादा patents register हुए हैं। और मुझे विश्‍वास है कि ये सुन करके आपको गर्व होता होगा आपको खुशी होती होगी। यानि पहले की सरकार के मुकाबले करीब-करीब तीन गुना ज्यादा patent registration इस सरकार के समय हो रहा है। trade mark registration भी तीन साल में तीन गुना बढ़ गया है। 2013-14 में लगभग sixty eight thousand trade mark रजिस्टर होते थे और अब ये आंकड़ा ढाई लाख से ऊपर जा चुका है। + +Innovation और Patenting के साथ ही Production पर भी हमारी सरकार का पूरा जोर है। Make in India एक ऐसा ब्रांड बन गया है जिसकी चर्चा पूरी दुनिया में है। आपको सिर्फ एक सेक्टर का उदाहरण दूं, तो आप पूरी तस्वीर समझ जाएंगे। Friends, 4 साल पहले हमारे देश में मोबाइल फोन बनाने वाली सिर्फ और सिर्फ दो फैक्टरियां थीं। और आप सब नौजवान इस फील्‍ड में हैं, आपको खुशी होनी चाहिए कि चार साल पहले हमारे देश में मोबाइल फोन बनाने वाली सिर्फ और सिर्फ दो फैक्‍टरी थीं, वहीं आज चार साल के भीतर-भीतर जो देश ने गति पकड़ी है, Make In India ने गति पकड़ी है, दो फैक्‍टरी से निकल करके आज हिन्‍दुस्‍तान में मोबाइल फोन बनाने वाली 120 factories आज देश में काम कर रही हैं। + +मैं मेरे नौजवान साथियों के सामने ये सवाल जान-बूझ करके रख रहा हूं। International Gadget के अंदर, मैगेजीन के अंदर, Scientific technology की दुनिया में हमारा पेपर छप जाएगा लेकिन संतोष तो तब मिलेगा कि मेरी कोई चीज अगर देश के काम आने वाली बने, और इसलिए इस बारे में भी विचार किया जाना चाहिए कि ऐसे innovations क्‍या हों , जो देश के लिए काम आएं। इस देश की समस्‍याओं का समाधान करें। + diff --git a/pm-speech/630.txt b/pm-speech/630.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..6fc6df81761a740fa05af9009a4d33b08118e5b5 --- /dev/null +++ b/pm-speech/630.txt @@ -0,0 +1,14 @@ +प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना के जरिए, हमारी सरकार खेत से लेकर बाजार तक, पूरी सप्लाई चेन को मजबूत कर रही है, आधुनिक एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार कर रही है। इस बजट में जिस Operation Greensका ऐलान किया है, वो भी नई सप्लाई चेन व्यवस्था से जुड़ा है। ये फल और सब्जियां पैदा करने वाले और खासतौर पर Top यानि Tomato, Onion और Potato उगाने वाले किसानों के लिए लाभकारी रहेगा। + +साथियों, बहुत पुरानी कहावत है कि एकता में शक्ति होती है। ये बात Farmer Producer Organizations पर भी लागू होती है। आप कल्पना करिए, जब गांव के किसानों का एक बड़ा समूह इकट्ठा होकर खाद खरीदेगा, उसे Transport करके लाएगा, तो पैसे की कितनी बचत होगी। इसी तरह आप दवा के दाम में, बीज में, बड़ा Discount भी प्राप्त कर सकेंगे। इसके अलावा जब वही समूह गांव में अपनी पैदावार इकट्ठा करके, उसकी पैकेजिंग करके, बाजार में बेचने निकलेगा, तो भी उसके हाथ ज्यादा पैसे आएंगे। खेत से लेकर उपभोक्ता तक पहुंचने के बीच में जो कीमत बढ़ती है, उसका ज्यादा लाभ किसानों को ही मिलेगा। + +भाइयों और बहनों, इस बजट में सरकार ने ये भी ऐलान किया है कि ‘Farmer Producer Organizations’ को कॉपरेटिव सोसायटियों की तरह ही इनकम टैक्स में छूट दी जाएगी। महिला सेल्फ हेल्प ग्रुपों को इन ‘फॉर्मर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन’ की मदद के साथ ऑर्गैनिक, एरोमैटिक और हर्बल खेती के साथ जोड़ने की योजना भी किसानों की आय बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी। + +मेरे किसान भाइयों और बहनों, हमारी सरकार Waste To Wealth की दिशा में भी सार्थक प्रयास कर रही है। इस बजट में हमने गोबर धन योजना का ऐलान किया है। Go-Bar धन यानि Galvenizng Organic Bio-Agro Resource धन योजना। गांव में बड़ी मात्रा में बायो वेस्ट निकलता है, जो गांव में गंदगी का बड़ा कारण बनता है। इस योजना के तहत इस वेस्ट को अब कंपोस्ट, बायो गैस और बायो सीएनजी में बदला जाएगा। मुझे उम्मीद है कि ये योजना भी किसानों की आय बढ़ाने में मददगार साबित होगी। + +साथियों, हमारे यहां कुछ क्षेत्रों में एक गलत परंपरा पड़ गई है Crop Residue जलाने की। इसे कुछ लोग पराली जलाना भी कहते हैं। वास्तव में हम देखें तो फसल क्या है?मिट्टी से लिए गए पोषक तत्व, हवा, पानी, सूरज की रोशनी, और बीज की ताकत। जब हम Crop Residue को जला देते हैं तो ये सारे अहम तत्व जलकर हवा में चले जाते हैं। इससे प्रदूषण तो होता ही है, किसान की मिट्टी को भी नुकसान होता है। + +साथियों, सरकार इस बात का ध्यान रख रही है कि आय बढ़ाने के लिए किसान जो भी नए विकल्प अपना रहे हैं, उसके लिए उन्हें पैसे की कमी न आए। हमारा निरंतर प्रयास है कि किसानों को लोन लेने में परेशानी न हो। इसलिए इस वर्ष सरकार ने खेती के लिए दिए वाले कर्ज को 10 लाख करोड़ रुपए से बढ़ाकर 11 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा कर दिया है। + +मेरा एक आग्रह और है। साथियों, इस तरह के आयोजन अकसर दिल्ली में होते रहे हैं। मैं चाहता हूं कि देश के दूर-दराज वाले इलाकों में, ऐसे इलाकों में जहां आजीविका का आधार सिर्फ और सिर्फ खेती हो, वहां पर भी ऐसे कार्यक्रमों की संख्या बढ़ाई जाए। इन कार्यक्रमों के जरिए वहां के लोंगों तक आपके प्रयास भी पहुंचेंगे और टेक्नोलॉजी भी। + diff --git a/pm-speech/631.txt b/pm-speech/631.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..3ebcca13dfee03f3f26f9522442a2f56c92eed27 --- /dev/null +++ b/pm-speech/631.txt @@ -0,0 +1,8 @@ +ये Rise करना, उदय होना, जब हम देश के संदर्भ में बोलते हैं, तो उसका विस्तार बहुत व्यापक हो जाता है। सवाल ये कि फिर Rising India क्या है?सिर्फ अर्थव्यवस्था की मजबूती Rising India है,सेंसेक्स का रिकॉर्ड स्तर पर होना Rising India है, विदेशी मुद्रा भंडार रिकॉर्ड स्तर पर होना Rising India है या फिर रिकॉर्ड विदेशी निवेश आना Rising India है? + +हृदय रोगियों को स्टेंट कम कीमत पर मिले, इसके लिए हमने उपभोक्ता मंत्रालय को active किया और उसने इस पर विशेष पहल की जिसका परिणाम है कि आज हार्ट स्टेंट की कीमत 85 प्रतिशत तक कम हो गई है।इसके साथ ही Knee implantsकी कीमतों को भी नियंत्रित किया गया है, जिससे इसके दाम में 50 से 70 प्रतिशत तक की गिरावट आई है। + +साथियों, भारत ने सिर्फ अपने ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व के विकास को एक नई दिशा दी है। भारत आज पूरे विश्व में सोलर क्रांति का नेतृत्व कर रहा है। आपने देखा है कि किस तरह पाँच दिन पहले International Solar Alliance का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया।इस सम्मेलन में लॉन्च किए गए Delhi Solar Agenda को लागू करने के लिए 60 से ज्यादा देशों ने अपनी सहमति जताई है। Climate Chage जैसे विषय में भारत का ये प्रयास 21वीं सदी में संपूर्ण मानवता की सबसे बड़ी सेवाओं में से एक है। + +Missile Technology Control Regime में शामिल होने के बाद भारत ‘वासेनार अरेंजमेंट’ और ‘ऑस्ट्रेलिया ग्रुप’ में भी शामिल हो चुका है। International Tribunal for the Law of the Sea के चुनाव में, International Maritime Organization के चुनाव में, United Nations Economic and Social Council के चुनाव में भारत को विजय प्राप्त हुई है। International Court of Justice में जिस तरह भारत को जीत मिली, उसकी तो दुनिया भर में चर्चा हुई है। + diff --git a/pm-speech/632.txt b/pm-speech/632.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..6b1a594a649221af708c70ed625a2b345eac44b6 --- /dev/null +++ b/pm-speech/632.txt @@ -0,0 +1,8 @@ +हमारी सरकार देश को स्पोर्टिंग सुपर पावर बनाने का संकल्प लेकर चल रही है। हाल में ही हमने खेलो इंडिया नाम से स्पोर्ट्स के डेवलमेंट के लिए एक नेशनल प्रोग्राम शुरु किया है। खेलो इंडिया कार्यक्रम के तहत हर साल देश के चुने हुए एक हजार प्रतिभावान एथलीटों पर 5 लाख रुपए तक खर्च किए जाएंगे। मैं मणिपुर के नौजवानों का भी आह्वान करता हूं कि इस योजना का ज्यादा से ज्यादा लाभ उठाएं। हमारा फोकस स्कूली स्तर पर टैलेंट की पहचान कर उसे निखारने का भी है। हाल में ही इस प्रोग्राम के तहत दिल्ली में खेलो इंडिया स्कूल गेम्स का आयोजन हुआ था। मुझे खुशी है कि इसमें भी मणिपुर ने अपना लोहा मनवाया और मेडल टैली में पांचवें स्थान पर रहा। मणिपुर ने देश के बड़े राज्यों को पीछे छोड़ते हुए 13 गोल्ड समेत 34 मेडल जीते। इस के लिए यहां के युवाओंको मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूं। सिर्फ मणिपुर ही नहीं बल्कि नॉर्थ ईस्ट के बाकी राज्यों के बच्चों ने भी शानदार प्रदर्शन इन खेलों में दिखाया है। + +केन्‍द्र सरकार ने क्षेत्र के बुनियादे ढांचे के विकास पर बहुत ध्‍यान दिया है। पिछले 3 वर्षों में पूर्वोत्‍तर क्षेत्र में रेल नेटवर्क के विकास के लिए हर वर्ष औसतन 5.300 करोड़ रूपये खर्च किए जा रहे है जो पिछले 5 वर्षों के औसत खर्च का ढाई गुना है। मणिपुर में जीरीबाम स्‍टेशन को 2016 में बड़ी लाइन के रेल नेटवर्क से जोड़ा गया। मैंने मई 2016 में जीरीबाम के लिए यात्रियों की पहली ट्रेन को झंडी दिखाकर रवाना किया। आज पूर्वोत्‍तर के 8 राज्‍यों में से 7 रेल नेटवर्क से जुड़ गए हैं। पूर्वोत्‍तर में इम्‍फाल सहित शेष राज्‍य राजधानियों को बड़ी लाइन में बदलने की परियोजनाएं चल रही है। + +वर्ष 2014 के शुरू में राज्‍य में राष्‍ट्रीय राजमार्गों की कुल घोषित लंबाई का केवल 1200 कि.मी. राजमार्ग थे। लेकिन पिछले 4 वर्षों में 400 कि.मी. लंबी संड़कों को राष्‍ट्रीय राजमार्ग के रूप में घोषित किया जो 38% की वृद्धि है। अगले 3 से 4 वर्षों में केन्‍द्र सरकार मणिपुर में राष्‍ट्रीय राजमार्गों के विकास के लिए करीब 30,000 करोड़ रूपये निवेश करेगी। + +मैंने गुवाहाटी में आयोजित पुलिस महानिदेशकों के 2014 के वार्षिक सम्‍मेलन में सभी महानिदेशकों से पुलिस भर्ती को व्‍यापक बनाने का आग्रह किया था। इसी के अनुसार दिल्‍ली पुलिस के महानगरीय स्‍वभाव को बनाए रखने के लिए हमने पूर्वोत्‍तर क्षेत्र से पुलिस कर्मियों की संख्‍या बढ़ाने के कदम उठाए हैं। मुझे यह साझा करने में प्रसन्‍न्‍ता है कि 2016 में 136 महिला उम्‍मीदवारों सहितपूर्वोत्‍तर राज्‍यों के 438 उम्‍मीदवार दिल्‍ली पुलिस में शामिल हुए। इनमें से 49 उम्‍मीदवार मणिपुर राज्‍य से हैं। + diff --git a/pm-speech/633.txt b/pm-speech/633.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..397d1dcda30699422269f054c3197c0a00f05a38 --- /dev/null +++ b/pm-speech/633.txt @@ -0,0 +1,16 @@ +आरंभ में मैं अपने उन तीन विशिष्‍ट महान भारतीय वैज्ञानिकों- पद्म विभूषण प्रो. यशपाल, पद्म विभूषण डॉ. यू. आर. राव तथा पद्मश्री डॉ. बलदेव राज के प्रति भावभीनी श्रद्धांजलि व्‍यक्‍त करता हूं, जिन्‍हें हमने हाल में खो दिया है। इन सभी वैज्ञा‍निकों ने भारतीय विज्ञान और शिक्षा में असाधारण योगदान किया। आइए हम सब अपने समय के महानतम भौतिक शास्‍त्री स्‍टीफन हॉकिंग के निधन से विश्‍व शोक में शामिल हों। वे आधुनिक अंतरिक्ष के सर्वाधिक प्रकाशवान सितारा थे। वह भारत के मित्र थे और उन्‍होंने हमारे देश की दो बार यात्रा की थी। आम व्‍यक्ति हॉकिंग का नाम जानता है इसलिए नहीं कि उन्‍होंने ब्‍लैक होल पर काम किया बल्कि इसलिए कि उन्‍होंने असामान्‍य रूप से उच्‍च संकल्‍प व्‍यक्‍त किया और सभी बाधाओं के बावजूद दृढ़ भावना के साथ काम किया। वे विश्‍व के सर्वकालिक महानतम प्रेरक के रूप में याद किए जाएंगे। + +मैं आज भारतीय विज्ञान कांग्रेस के 105वें अधिवेशन के अवसर पर इम्‍फाल आकर हर्ष का अनुभव कर रहा हूं। मैं वैज्ञानिकों के बीच आकर प्रफुल्लित हूं, जिनका काम बेहतर कल का मार्ग प्रशस्‍त करने का रहा है। मुझे यह देखकर प्रसन्‍नता हुई कि सम्‍मेलन की मेजबानी मणिपुर विश्‍वविद्यालय कर रहा है। विश्‍वविद्यालय पूर्वोत्‍तर क्षेत्र में उच्‍च शिक्षा के महत्‍वपूर्ण केन्‍द्र के रूप में उभर रहा है। मुझे बताया गया है कि सदी में यह दूसरा अवसर है, जब भारतीय विज्ञान कांग्रेस का सम्‍मेलन पूर्वोत्‍तर क्षेत्र में हो रहा है। यह पूर्वोत्‍तर क्षेत्र की आगे बढ़ती भावना का साक्ष्‍य है। + +विज्ञान और प्रौद्योगिकी की बड़ी समस्‍याओं के कारगर समाधान के लिए भी विविध धाराओं के वैज्ञानिकों के बीच सहयोग और समन्‍वय की आवश्‍यकता होती है। केन्‍द्र सरकार ने विज्ञान के क्षेत्र में पूर्वोत्‍तर राज्‍यों के लिए अनेक नए कार्यक्रमों की शुरूआत की है। ग्रामीण कृषि मौसम सेवा के अंतर्गत कृषि मौसम सेवाएं दी जा रही हैं। इससे पांच लाख से अधिक किसान लाभान्वित हो रहे हैं। हम अब इस नेटवर्क को पूर्वोत्‍तर के सभी जिलों तक बढ़ाने पर काम कर रहे हैं। अनेक केन्‍द्र पूर्वोत्‍तर के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी को प्रासंगिक बना रहे हैं। मणिपुर में एक ‘इथनो मेडिसनल रिसर्च सेंटर’ स्‍थापित किया गया है। यह केन्‍द्र पूर्वोत्‍तर क्षेत्र में उपलब्‍ध उन जड़ी बूटियों पर शोध करेगा, जिनके औषधीय और सुगंध-चिकित्‍सकीय गुण अनूठे हैं। + +इसी तरह 2018 में अरविन्‍द गुप्‍ता को पद्मश्री से सम्‍मानित किया गया, जिन्‍होंने बच्‍चों को घरेलू सामान और कचरे से वैज्ञानिक प्रयोग के लिए विज्ञान सिखने की प्रेरणा दी। लक्ष्‍मी एयूवी मशीन के अविष्‍कार के लिए चिंताकिंदी मालेशम को 2017 में पद्मश्री दिया गया। यह मशीन साड़ी की सिलाई में लगने वाले समय और श्रम में कमी लाती है। इसलिए मैं आपसे आग्रह करता हूं कि आप अपने शोध और नवाचार की दिशा समय की समस्‍याओं के समाधान करने की ओर दें और हमारे लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करें। वैज्ञानिक सामाजिक दायित्‍य समय की आवश्‍यकता है। + +सत्र की विषय वस्‍तु ने भी कुछ सवाल खड़े किए हैं। क्‍या हमने यह सुनिश्‍चत करने के पर्याप्‍त उपाय कर लिए हैं कि भारत में समुचित मात्रा में बच्‍चों को विज्ञान की जानकारी मिल रही है? क्‍या हम उन्‍हें उनके अंदर मौजूद प्रतिभा को विकसित करने के लिए हितकर माहौल दे रहे हैं? हमारी वैज्ञानिक उपलब्धियों की जानकारी तेजी से समाज तक पहुंचनी चाहि। इससे युवाओं में वैज्ञानिक मनोवृत्ति पैदा करने में मदद मिलेगी। हमारे युवाओं के मन में विज्ञान में करियर बनाने के प्रति उत्‍साह और आकर्षण पैदा होगा। हमें अपने राष्‍ट्रीय संस्‍थाओं और प्रयोगशालाओं को बच्‍चों के लिए खोलना होगा। मैं वैज्ञानिकों का आह्वान करता हूं कि वे स्‍कूली बच्‍चों के साथ बातचीत के लिए एक उपयोगी तंत्र विकसित करें। मैं उनसे यह भी आग्रह करता हूं कि वे विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विभिन्‍न पहलूओं पर विचार-विमर्श करने के लिए 10वीं, 11वीं और 12वीं कक्षाओं के 100 छात्रों के साथ हर वर्ष 100 घंटे बिताएं। कल्‍पना कीजिए कि 100 घंटों और 100 छात्रों से हम कितने वैज्ञानिक पैदा कर सकते हैं! + +हम भारत से तपेदिक (टीबी) को पूरी तरह से समाप्‍त करने के लिए समेकित प्रयास कर रहे हैं। कुछ दिन पूर्व नई दिल्‍ली में तपेदिक उन्‍मूलन शिखर सम्‍मेलन में हमने 2025 तक भारत से टीबी को समाप्‍त करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दिखाई। यह समय-सीमा डब्‍ल्‍यूएचओ द्वारा रखे गए 2030 के लक्ष्‍य से 5 वर्ष पूर्व है। हमारे अंतरिक्ष अनुसंधान कार्यक्रम के पास एक ही समय में अंतरिक्ष में 100 उपग्रहों को सफलतापूर्वक स्‍थापित करने की क्षमता है। यह भारतीय वैज्ञानिकों के कठोर परिश्रम और समर्पण से संभव हुआ है। + +भारत में करोड़ों नए आवासों की जरूरत है। क्‍या हमारे वैज्ञानिक इस मांग को पूरा करने में हमारी मदद के लिए 3डी प्रिटिंग प्रौद्योगिकी अपना सकते हैं ? हमारी नदियां प्रदूषित हैं। इनकी सफाई के लिए आपके नए सुझावों और नई प्रौद्योगिकी की जरूरत है। हमें सौर और पवन ऊर्जा, ऊर्जा भंडारण और विद्युत गतिशीलता उपायों, स्‍वच्‍छ कुकिंग, कोयले को स्‍वच्‍छ ईंधन जैसे मीथेनॉल, कोयले से स्‍वच्‍छ ऊर्जा, स्‍मार्ट ग्रिड, माइक्रो ग्रिड और जैव ईंधनों में बदलने सहित बहुविध दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है। + +हमने 2022 तक स्‍थापित सौर ऊर्जा का 100 गीगावाट तक की क्षमता हासिल करने का लक्ष्‍य तय किया है। इस समय बाजार में 17 से 18 प्रतिशत तक सौर मॉडयूल्‍स कुशलता उपलब्‍ध है। क्‍या हमारे वैज्ञानिक सौर मॉडयूल की कुशलता बढ़ाने की चुनौती स्‍वीकार करेंगे, जो समान लागत पर भारत में उत्‍पादित की जा सके? कल्‍पना करें कि इस तरह हम कितने संसाधन बचा सकते हैं। इसरो अंतरिक्ष में उपग्रह संचालन के लिए सर्वोत्‍कृष्‍ट बैट्ररी प्रणालियों का इस्‍तेमाल करता है। अन्‍य संस्‍थान इसरो के साथ मिलकर मोबाइल फोन और इलेक्ट्रिक कारों के लिए सस्‍ती और कुशल बैट्ररी प्रणालियों का विकास कर सकते हैं। आवश्‍यकता है कि हम मलेरिया और जापानी बुखार जैसे खामोश हत्‍यारों से निजात पाने के लिए नई प्रक्रियाएं, दवाएं और टीकों का विकास करें। योग, खेल और पारम्‍परिक ज्ञान क्षेत्र में भी अनुसंधान करने की आवश्‍यकता है। लघु एवं मध्‍यम उद्योग इकाइयां रोजगार सृजन के महत्‍वपूर्ण स्‍तंभ हैं। वैश्विक प्रतिस्‍पर्धा के मद्देनजर उन्‍हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। क्‍या हमारे वैज्ञानिक एवं प्रौद्योगिकी संस्‍थान लघु एवं मध्‍यम उद्यम क्षेत्रों के लिए काम कर सकते हैं और क्‍या वे प्रक्रियाओं तथा उत्‍पादों में सुधार लाने के लिए इन इकाइयों की सहायता कर सकते हैं? + diff --git a/pm-speech/634.txt b/pm-speech/634.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..5872a4423c90bbce179bf82283281e715d080a47 --- /dev/null +++ b/pm-speech/634.txt @@ -0,0 +1,48 @@ +यानी कृषि संपत्ति और मेधा प्रदान करती है और कृषि ही मानव जीवन का आधार है। इसलिए जो विषय इतना पुराना है, जिस विषय पर भारतीय संस्‍कृति और भारतीय पद्धतियों ने पूरे विश्‍व को दिशा दिखाई है, खेती की तमाम तकनीकों, उसका परिचय करवाया है- उस विषय पर जब हम बात करे हैं तो इतिहास, वर्तमान और भविष्‍य, तीनों का ध्‍यान रखना आवश्‍यक है। + +भाइयों और बहनों अब तक देश में 11 करोड़ से ज्‍यादा किसानों को Soil Health Card दिया जा चुका है। soil health card की वजह से अनाज की पैदावार बढ़ी है। किसानों को अब पहले से पता होता है कि मिट्टी में किस चीज की कमी है, किस तरह की खाद की आवश्‍यकता है। देश के 19 राज्‍यों में हुई एक स्‍टडी में सामने आया है कि soil health card के आधार पर खेती करने की वजह से केमिकल फर्टिलाइजर के इस्‍तेमाल में 8 से 10 प्रतिशत की कमी आई और उत्‍पादन में 5 से 6 प्रतिशत की बढ़ोत्‍तरी हुई है। + +लेकिन साथियो, Soil Health Card का पूरा फायदा तभी मिल पाएगा जब हर किसान इस कार्ड से मिलने वाले लाभ को समझ कर उसके हिसाब से अपनी खेती करे। ये तब संभव है जब इसका पूरा eco-system डेवलप हो जाए। मैं चाहूंगा कि Soil Health Testing और उसके नतीजों के आधार पर किसान को फसल और Package of Productsकी ट्रेनिंग के module को हमारी एग्रीकल्‍चर यूनिवर्सिटी में BSC Agriculture के कोर्स में जोड़ा जाए। इस मोड्यूल को skill development से भी जोड़ा जा सकता है। + +जो छात्र ये कोर्स पास करेंगे, उन्‍हें एक विशेष सर्टिफिकेट देने पर भी विचार किया जा सकता है। इस सर्टिफिकेट के आधार पर छात्र अपनी Soil Health Testing Lab गांव के अंदर खोल सकता है। उन्‍हें मुद्रा योजना के तहत लोन मिल सके, इस तरह की व्‍यवस्‍था के बारे में भी सोचा जाना चाहिए। भविष्‍य में जब सारी Labs, Central Databaseसे connect होंगी, soil health के आंकड़े central portal पर उपलब्‍ध होंगे तो वैज्ञानिकों और किसान, दोनों को बहुत आसानी होगी। Soil Health Card के इस central pool से जानकारी लेकर हमारे कृषि वैज्ञानिक मिट्टी की सेहत, पानी की उपलब्‍धता और जलवायु के बारे में किसानों को उचित जानकारी दे सकें, इस तरह का सिस्‍टम विकसित किया जाना चाहिए। + +साथियों हमारी सरकार ने देश की एग्रीकल्‍चर पॉलिसी को एक नई दिशा देने का प्रयास किया है। योजनाओं के implementation का तरीका बदला है। इसका उदाहरण है प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना। इसके तहत दो अलग-अलग एरिया पर एक साथ काम किया जा रहा है। फोकस देश में micro irrigation का दायरा बढ़ाने और दूसरा existing irrigation network है, उसे मजबूत करना। + +2022 तक किसानों की आय बढ़ाने के लिए केंद्र और राज्‍य को मिलकर काम करना ही होगा। खेत से निकल करके बाजार तक पहुंचने से पहले किसानों की उपज बर्बाद न हो, इसके लिए प्रधानमंत्री किसान सम्‍पदा योजना के तहत काम किया जा रहा है। विशेष ध्‍यान agriculture sector को मजबूत करने पर है। Dry storage, cold storage, वेयर हाउसिंग के माध्‍यम से पूरी सप्‍लाई चेन को reform किया जा रहा है। + +इस बजट में जिस operation green का ऐलान किया है वो भी सप्‍लाई चेन व्‍यवस्‍था से जुड़ा है। ये फल और सब्जियां पैदा करने वाले किसानों के लिए बहुत उपयोगी साबित होगा। जैसे देश में दूध के क्षेत्र में Amul मॉडल बहुत कामयाब रहा, लाखों किसानों की आय बढ़ाने वाला रहा, वैसे  ही Operation Green भी ‘टॉप’ यानी Tomato, Onion और Potato उगाने वाले किसानों के लिए लाभकारी रहेगा। + +मुझे बताया गया है कि अंग्रेजों के समय कमीशन बना था। उसने भी यही सिफारिश की थी कि किसानों के लिए हर 5-6 किलोमीटर पर एक मार्केट होना चाहिए। सौ वर्ष पहले जो चीज सोची गई थी, अब उसे लागू करने का सौभाग्‍य मुझे मिला है। इस बजट में ग्रामीण रिटेल एग्रीकल्‍चर मार्केट, यानी GRAM की अवधारणा इसी का परिणाम है। इसके तहत देश के 22 हजार ग्रामीण हाटों को  जरूरी infrastructure के साथ upgrade किया जाएगा और फिर उन्‍हें APMC के साथ integrated कर दिया जाएगा। यानी एक तरह से अपने खेत के 5-10-15 किलोमीटर के दायरे में किसान के पास ऐसी व्‍यवस्‍था होगी जो उसे देश के किसी भी मार्केट से connect कर सकेगी। किसान इन ग्रामीण हाटों पर ही अपनी उपज सीधे उपभोक्‍ताओं को बेच सकेगा। + +आने वाले दिनों में ये केंद्र किसानों की आय बढ़ाने, रोजगार और कृषि आधारित ग्रामीण कृषि अर्थव्‍यवस्‍था के नए ऊर्जा केंद्र बनेंगे। इस स्थिति को और मजबूत करने के लिए सरकार farmer producer organization- FPO को बढ़ावा दे रही है। किसान अपने क्षेत्र में, अपने स्‍तर पर छोटे-छोटे संगठन बनाकर भी ग्रामीण हाटों और बड़ी मंडियों से जुड़ सकते हैं। इस तरह के संगठनों का सदस्‍य बनकर वो थोक में खरीद पाएंगे, थोक में बिक्री कर पाएंगे और इस तरह अपनी आमदनी भी बढ़ा पाएंगे। + +साथियो आज के समय की मांग है कि हम Green Revolution  और White Revolution  के साथ-साथ Water Revolution, Blue Revolution, Sweet Revolution और Organic Revolution को भी हमें उसके साथ integrate करना होगा, उसके साथ जोड़ना होगा। ये वो क्षेत्र हैं जो किसानों के लिए अतिरिक्‍त आय और आय के मुख्‍य स्रोत, दोनों ही हो सकते हैं। ऑर्गेनिक खेती, मधुमक्‍खी पालन, See weedकी खेती, Solar फार्म, ऐसे तमाम आधुनिक विकल्‍प भी हमारे किसानों के सामने हैं। आवश्‍यकता उन्‍हें ज्‍यादा से ज्‍यादा जागरूक करने की है। + +खेती के इन सब-सेक्‍टर्स में काम करने वाले किसानों को कर्ज मिलने में और आसानी हो, इसके लिए भी सरकार काम कर रही है। इस बजट में 10 हजार करोड़ रुपये की राशि से विशेषकर fisheries और animal husbandry को ध्‍यान में रखते हुए दो infrastructure fund गठित करने का ऐलान किया गया है। किसानों को अलग-अलग संस्‍थाओं और बैंकों से कर्ज मिलने में दिक्‍कत न हो, इसके लिए पिछले तीन वर्ष में कर्ज दी जाने वाली राशि साढ़े आठ लाख करोड़ रुपये से बढ़कर अब इस बजट में 11 लाख करोड़ रुपये कर दी गई है। + +जन-धन योजना और किसान क्रेडिट कार्ड द्वारा भी किसान को कर्ज दिए जाने की राह आसान बनाई गई है। साथियों जब मुझे बताया गया कि दशकों पहले एक कानून में बांस को पेड़ कह दिया गया और इसलिए उसे बिना मंजूरी काटा नहीं जा सकता। बिना मंजूरी उसे कहीं ले नहीं जासकते। तो मैं हैरत में पड़ गया था। सभी को पता था कि बांस के construction sector में क्‍या वैल्‍यू है। फर्नीचर बनाने में, handicraft बनाने में, अगरबत्‍ती में, पतंग में यानी माचिस में भी बांस का इस्‍तेमाल होता है। लेकिन हमारे यहां बांस काटने की अनुमति लेने के लिए प्रक्रिया इतनी जटिल थी कि किसान अपनी जमीन पर बांस लगाने से बचता था। इस कानून को हमने अब बदल दिया है। इस फैसले से बांस भी किसानों की आय बढ़ाने में मददगार साबित होगा। + +साथियो खेतों से जो बायप्रोडक्‍ट निकलता है, वो भी आय का बहुत बड़ा माध्‍यम है। पहले इस दिशा में भी बहुत नहीं सोचा गया लेकिन हमारी सरकार agriculture waste से wealth बनाने पर भी काम कर रही है। यहां मौजूदा अधिकांश लोग ऐसी ही एक बर्बादी से भलीभांति परिचित हैं। ये बर्बादी होती है। ये बर्बादी होती है केले के पेड़ की, केले की पत्तियां काम आ जाती हैं, फल बिक जाते हैं, लेकिन उसका जो तना होता है, वो किसानों के लिए समस्‍या बन जाता है। कई बार किसानों को हजारों रुपये इन तनों को काटने या हटाने में खर्च करने पड़ जाते हैं। इसके बाद इन तनों को कहीं सड़क के किनारे ऐसे फेंक दिया जाता है। जबकि यही तना industrial paper बनाने के काम में, फेबरिक बनाने में काम में इस्‍तेमाल किया जा सकता है। + +इस बजट में सरकार ने गोवर्धन योजना का एलान भी किया है। ये योजना ग्रामीण स्‍वच्‍छता बढ़ाने के साथ ही गांव में निकलने वाले बायोगैस से किसानों एवं पशुपालकों की आमदनी बढ़ाने में मदद करेगी। और भाइयो और बहनों, ऐसा भी नहीं है कि सिर्फ बायोप्रोडक्‍ट से ही wealth बन सकती है। जो मुख्‍य फसल है, main product है, कई बार उसका भी अलग इस्‍तेमाल किसानों की आमदनी बढ़ा सकता है। जैसे गन्‍ने से इथेनॉल का उत्‍पादन। हमारी सरकार ने इथेनॉल से जुड़ी पॉलिसी में बड़ा बदलाव करते हुए अब पेट्रोल में इथेनॉल की 10 प्रतिशत blending को स्‍वीकृति दे दी है। यानी चीनी से जुड़ी demand पूरी करने के बाद जो गन्‍ना बचेगा वो इथेनॉल उत्‍पादन में इस्‍तेमाल किया जा सकेगा। इससे गन्‍ना किसानों की स्थिति बेहतर हुई है। + +देश में एग्रीकल्‍चर सेक्‍टर किस तरह से ऑपरेट करता है, हमारी सरकार उस व्‍यवस्‍था को बदल रही है। एग्रीकल्‍चर सेक्‍टर में एक नए कल्‍चर की स्‍थापना की जा रही है। ये कल्‍चर हमारे सामर्थ्‍य, हमारे सुसाधन, हमारे सपनों को न्‍याय देने वाला होगा। यही कल्‍चर 2022 तक संकल्‍प से सिद्धि की हमारी यात्रा को पूरा करेगा। जब देश के गांवों का उदय होगा तभी भारत का भी उदय होगा। जब देश सशक्‍त होगा तो देश का किसान अपने-आप सशक्‍त हो जाएगा। + +मैं चाहूंगा कि हमारी agriculture universitiesHackathonकरें। उसी प्रकार से हमारी IITs हों या III ITs हों या हमारे leading engineering collage हों, वे क्‍या एक सप्‍ताह या एक दस दिन, आजकल हर कॉलेज robotic के लिए सप्‍ताह मनाती है, दो सप्‍ताह मनाती है; अच्‍छी बात है। Nano technology के लिए week  मनाते हैं, प्रयोग होते हैं, अच्‍छी चीज है। क्‍या हम हमारी आईआईटी, हमारी III IT या हमारे लीडिंग इंजीनियरिंग कॉलेज देशभर में thematic group  में उनको Agri-Tech के संबंध में दस दिन काएक पूरा उत्‍सव मनाएं। सारे technology brain  मिल करके भारत की आवश्‍यकता के अनुसार एक विचार-विमर्श करें और उसमें competition का हम प्रयास कर सकते हैंक्‍या? + +अब फिर उनको आगे ले जाएं। उसी प्रकार से जो विषय मैंने मेरे भाषण में भी कहा कि हम soil health card, अब आज देखिए हम ब्‍लड टेस्‍ट करवाने के लिए laboratory में जाते हैं, pathology laboratory में। आज pathology laboratory अपने-आप में एक बड़ा व्‍यापक बिजनेस बन गया है।प्राइवेट pathology laboratory होती है। क्‍यों न गांव-गांव हमारी soil test की लैब हो, ये संभव है? उसके लिए सर्टिफिकेट की रचना हो हमारी यूनिवर्सिटीज में, और उन लोगों के लिए मुद्रा योजना से पैसा मिले।उनको technology equipment उपलब्‍ध कराए जाएं। तो हर किसान को लगेगा भई, चलो भई खेती में जाने से पहले हम कम्‍पलीट हमारा soil test करवा लें और हम उसका रिपोर्ट लें, हम guidance लें। हम ये व्‍यवस्‍थाओं को विकसित कर सकते हैं और इससे देश में अगर हम गांव-गांव soil testing lab को बल देते हैं, लाखों ऐसे नौजवानों को रोजगार मिल सकता है और वो ये केंद्र एक प्रकार से गांव की किसानी activity में एक scientific temperament के लिए बहुत बड़ा कैटरिक agent बन सकता है। उस दिशा में हम काम करें। + +हम communication में, वहां गुजरात में, सारे हिन्‍दुस्‍तान में आज जितनी जनसंख्‍या है उससे ज्‍यादा मोबाइल फोन हैं।Digitally connectivity है। हम animation के द्वारा किसान तक इन बातों को कैसे पहुंचा सकें, इन सारे विषयों को अगर हम ले जा सकते हैं; मैं जरूर मानता हूं कि हम बहुत बड़ा बदलाव इससे ला सकते हैं। तो हम इन्‍हीं चीजों को ले करके और जितने भी सुझाव…अब जैसे animal husbandry को लेकर विषय आया। अब जैसे हमारे यहां इन सारे विषयों में कोई कानून नहीं है, जैसे बताया गया। + +मैं जरूर चाहूंगा कि department इसको देखे कि इस प्रकार के कानून की रचना हो ताकि इन चीजों को बल भी मिले और जो बुराइयां है उन बुराइयों से मुक्ति भी मिले, और एक standardized व्‍यवस्‍था विकसित हो। तो जितने सुझाव आए, और मेरे लिए भी बड़ा educating था, मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला। इन विषयों में मेरी जानने की रुचि भी रही है। लेकिन आज बहुत-एक बातें नई भी मेरे लिए थीं। आपके लिए भी उपयोगी होंगी। Even हमारे department के लोगों के लिए भी होंगी। और जरूर मैं समझता हूं कि मंथन उपकारक होगा। + +और इसीलिए हम agro climatic zone के हिसाब से कहें या state wise कहें, जो भी हमें ठीक लगे; हम उस दिशा में अगर एक, इसको एक स्‍टेप आगे बढ़ाएं तो मैं समझता हूं उपयोगी होगा। तीसरा, इन सारे विषयों के ऊपर सभी universities debate कर सकती हैं क्‍या? At least final year या last butone year, वहां के स्‍टूडेंट्स मिल करके जब तक हम meeting of mind नहीं करते हैं, जो चिंतन-चर्चा हम करते हैं, वो नीचे तक हम उसी रूप में delusionऔर diversion के बिना उसको नीचे नहीं ले जाते हैं, तब तक उसका परिणाम नहीं मिलता है। + +यहां एक बात विस्‍तार से हम लोग नहीं कर पाए हैं और वो है value addition की। मैं समझता हूं कभी न कभी हमारे किसानों को value additionके, मेरा अपना अनुभव है। गुजरात में हमने जब ज्‍योति ग्राम योजना की थी, 24 घंटे बिजली। हमारे देश में एक वो revolutionary घटना मानी जाएगी कि 24 घंटे बिजली मिलना। तो हमने जब बिजली का launching करते थे तो गांव वालों को इस बिजली का उपयोग क्‍या है, सिर्फ टीवी देखना है क्‍या? क्‍या रात को उजाला हो, इतना ही है? और उसमें से उनको जिंदगी में बदलाव लाने के लिए क्‍या करना चाहिए, वो समझाने के लिए एक बहुत बड़ा इवेंट भी उसके साथ ऑर्गेनाइज करते थे। + +अब भारत जैसा विशाल देश, वो एक कोने में पैदावार हुई हो, पोर्ट तक जा करके लाएगा तो इतना transportation  हुआ होगा। और फिर भी वो इसलिए reject हो जाएगा। आपको मालूम होगा दुनिया में ऐसी-ऐसी चीजें चलती हैं कि भारत की अगर दरी बढ़िया बिकती है तो कोई एक पूंछ लगा देगा ये तो child labor से हुई हैं, बस खत्‍म, दुनिया में व्‍यापार खत्‍म। तो ऐसी-ऐसी चीजें आती हैं तो हमने कागजी कार्रवाई परफेक्‍ट करनी होगी। हमारे किसानों को समझाना होगा और इन दिनों- इन दिनों मुझे दुनिया के कई देशों से इस बात के लिए लड़ना पड़ रहा है, उनसे जूझना पड़ रहा है कि आपका ये नियम और हमारा किसान जो पैदा करता है वो दोनों चीजें आप गलत interruption कर रहे हैं। interruption गलत कर रहे हैं। उनके आधार गलत हैं। + +और इसलिए मैंने एक बार लाल किले से कहा था- हमारा उत्‍पादन  zero defect-zero effect.क्‍योंकि दुनिया के main standard बनने वाले हैं। हमने हमारे एग्रीकल्‍चर प्रोडक्‍ट को और प्रोडक्‍ट एंड पैकेजिंग। अब हम organic farming के लिए कहें, लेकिन organic farming के लिए  satisfy करने के लिए अगर लैब और इंस्‍टीट्यूट खड़ा नहीं करेंगे तो दुनिया में हमारा ऑर्गेनिक प्रोडक्‍ट जाएगा नहीं। + +अब आज देखिए aromaticआज दुनिया में aromatic का बिजनेस ग्रोथ 40 percent मुझे बताया गया है। अगर 40 percent ग्रोथ है, उसका पूरा आधार एग्रीकल्‍चरल है। अगर एग्रीकल्‍चर उसका आधार है तो हम aromatic वर्ल्‍ड के अंदर भारत जैसे देश में छोटे-छोटे लोगों को इतना रोजगार मिल सकता है कि हम aromatic वर्ल्‍ड के अंदर अपनी बहुत सारी चीजें हम जोड़ सकते हैं। + diff --git a/pm-speech/635.txt b/pm-speech/635.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..648fb19c0b9894a68d5a1dbbb6184b6123b1fdaa --- /dev/null +++ b/pm-speech/635.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +आज मुझे एक अस्‍पताल के लोकार्पण का भी अवसर मिला। बहुत एक लोगों की मान्‍यता ये है कि हमारे देश में धार्मिक प्रवृत्तियां तो बहुत होती हैं लेकिन सामाजिक प्रवृत्तियां कम होती हैं। ये perception सही नहीं है। भारत के संत, महन्‍त, आचार्य, मुनि, भगवंत- सब कोई, जहां हैं, जिस रूप में हैं, समाज के लिए कुछ न कुछ भला करने के लिए कार्यरत रहते हैं। + +हर 12 वर्ष में मिलने वाला ये एक प्रकार से कुंभ का ही अवसर। यहां सब मिल करके सामाजिक चिंतन करते हैं। समाज को आगे 12 साल के लिए कहां ले जाना है, समाज को अब उस रास्‍ता छोड़ करके इस रास्‍ते पर चलना है क्‍योंकि देश के हर कोने से संत, मुनि, भगवंत, आचार्य, सब माताजी, वहां के क्षेत्र का अनुभव ले करके आते हैं। चिंतन-मनन होता है, विचार-विमर्श होता है। और उसमें से समाज के लिए अमृत रूप कुछ चीजें हम लोगों को प्रसाद के रूप में प्राप्‍त होती हैं। और जिसको हम लोग जीवन में उतारने के लिए भरसक प्रयास करते हैं। + +ऐसे समय समाज और सरकार, हम सबका दायित्‍व बनता है कि ऐसे परिवार को संकट के समय हम उसके हाथ पकड़ें, उसकी चिंता करें। और इसीलिए भारत सरकार ने आयुष्‍मान भारत योजना के तहत एक साल में परिवार में कोई भी बीमार हो जाए। एक वर्ष में पांच लाख रुपये तक का उपचार का खर्चा, दवाई का खर्चा, ऑपरेशन का खर्चा, अस्‍पताल में रहने का खर्चा, पांच लाख रुपये तक का खर्च का प्रबंध इंश्‍योरेंस के माध्‍यम से भारत सरकार करेगी। ये आजादी के बाद भारत में किया गया कदम पूरे विश्‍व में, पूरी दुनिया में इतना बड़ा कदम किसी ने न सोचा है, न कभी किसी ने उठाया है, जो इस सरकार ने उठाया है। + diff --git a/pm-speech/637.txt b/pm-speech/637.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..cfafcfc5c42b611726c4d263b8e0f1e809693237 --- /dev/null +++ b/pm-speech/637.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +क्‍या हमारे पास ऐसी आर्टिफिशियल इं‍टेलीजेंस और रोबोटिक्‍स हो सकता है, जो कार्य करने के लिए उनकी क्षमता में सुधार कर सके और उनकी असली सामर्थ्‍य बाहर आ सके। क्‍या अध्‍यापक और आर्टिफिशियल इं‍टेलीजेंस अध्‍यापक छात्र अनुपात में अंतर को कम करने में मदद कर सकती है। इससे हमें भारत के सभी छात्रों को बेहतर शिक्षा देने में मदद मिलेगी। क्‍या आर्टिफिशियल इं‍टेलीजेंस हमारे स्‍वास्‍थ्‍य देखरेख कार्यकर्ताओं की क्षमता का विस्‍तार कर भारत के प्रत्‍येक कोने में गुणवत्‍तापूर्ण स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल में मदद कर सकती है। क्‍या आर्टिफिशियल इं‍टेलीजेंस प्राकृतिक आपदाओं की भविष्‍यवाणी कर सकती है?  क्‍या आर्टिफिशियल इं‍टेलीजेंस स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी गंभीर परे‍शानियों का पता लगाने में हमारी मदद कर सकती है?  क्‍या आर्टिफिशियल इं‍टेलीजेंस हमारे किसानों की मौसम, फसल और बीज बोने के चक्र के संबंध में सही फैसला लेने में मदद कर सकती है? + diff --git a/pm-speech/638.txt b/pm-speech/638.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..46bd5205864770991284ff7d6063bc1f1d71f64c --- /dev/null +++ b/pm-speech/638.txt @@ -0,0 +1,12 @@ +अगर विश्‍व व्‍यापार में भारत को अपनी जगह बनानी है तो भारत के पास सबसे ज्‍यादा सामुद्रिक मार्ग की शक्ति को अनेक गुना बढ़ाने की जरूरत है। हमारे ports जितनी अधिक मात्रा में develop हों, आधुनिक हों, turnaround time minimum हो और तेज गति से चलने वाले जहाजों की संख्या बढ़े, millions of ton हमारा goods विश्‍व के बाजार में पहुंचे। और कभी-कभी पहुंचने की स्‍पर्धा होती है। एक बार ऑर्डर तय होने के बाद, आर्थिक कारोबार होने के बाद अगर कम समय में माल पहुंचता है तो खरीदने वाले व्‍यापारी को मुनाफा होता है। अगर वो देर से पहुंचता है तो उसको घाटा होता है। लेकिन वो तब पहुंचता है कि जब हमारे port sector में उस प्रकार की facility हो। + +सागरमाला प्रोजेक्‍ट के तहत हम सिर्फ port का ही development करना चाहते हैं, ऐसा नहीं है। हम port led development पर बल दे रहे हैं ताकि हमारे समुद्री तट के साढ़े सात हजार किलोमीटर का विशाल समंदर हमारे पास है। हम सामुद्रिक क्षेत्र में एक महाशक्ति बनने की संभावना वाली…. हमें भौगोलिक रूप से व्‍यवस्‍था मिली हुई है। ये हमारे लिए चुनौती है कि हम कैसे फायदा उठाएं इस अवसर का। और हम अपनी व्‍यवस्‍थाओं को उस विकास की नई ऊंचाइयों पर ले जाएं। + +भारत सरकार ने इस दिशा में बीड़ा उठाया है। दुनिया environment की चर्चा करती है। Environment की समस्‍या के समाधान में एक महत्‍वपूर्ण क्षेत्र है transportation और उस transportation क्षेत्र के अंदर waterways…. 100 से ज्‍यादा waterways हमने identify किए हैं। और पूरे देश में हमें लगता है कि goods transportation के लिए अगर हम रेल या रोड के बजाय अगर waterways का उपयोग करें, हमारी नदियों का, हमारे समुद्र तट का; तो हम बहुत ही कम खर्च में चीजों को मुहैया करा सकते हैं, पहुंचा सकते हैं और environment को कम से कम नुकसान करके हम एक global warming के साथ जो लड़ाई चल रही है, उसमें भी अपना साकारात्‍मक contribution कर सकते हैं। उन विषयों को लेकर के अब हम देश में आगे बढ़ रहे हैं। + +Aviation sector हमारा तेज गति से आगे बढ़ रहा है। हमारे गजपति राजू जी आपको विस्‍तार से अभी बता रहे थे। आज से 20 – 25 साल पहले पूरे हिन्‍दुस्‍तान के एयरपोर्ट पर जितना ट्रैफिक था, पैसेंजर आते थे-जाते थे, आज उससे भी ज्‍यादा अकेले मुम्‍बई एयरपोर्ट पर ट्रैफिक है। आप सोचिए, पूरे देश में जो था इतना आज अकेले मुम्‍बई में है। आज वक्त ऐसा बदल चुका है कि जैसे आप बस की लाइन में लोगों को देखते हैं, अगर एयरपोर्ट पर जाएं, लम्‍बी कतार में लोग खड़े हैं जहाज में चढ़ने के लिए। और ये दिनभर हिन्‍दुस्‍तान के कई एयरपोर्ट पर आपको देखने को मिलेगा। + +और aviation sector रोजगार की भी नई संभावनाएं ले करके आता है। और अभी जब देवेन्‍द्र बता रहे थे कि इसके साथ infrastructure बनेगा- जल से, जमीन से, आकाश से, इसके कारण economical activity कितनी vibrate होती है। दुनिया का एक स्‍टडी है कि aviation sector के infrastructure में जब सौ रुपया लगाया जाता है तो समय रहते उसमें से सवा तीन सौ रुपये निकलता है। इतनी ताकत है, रोजगार देने की संभावनाएं बहुत हैं। भारत के tourism को भी बढ़ावा है। + +इसी कालखंड में जब समंदर पार 22 किलोमीटर लंबे Trans Harbour Link Road पर आपकी गाड़िया पूर्ण झड़प से दौड़ती होंगी। इसी कालखंड में मुम्‍बई double line suburban corridor का काम पूरी तेज गति से पूरा हो गया होगा। उसी प्रकार से, उसी समय आपके यहां समुंद्र से जुड़े हुए जतिने भी प्रोजेक्‍ट हैं – पानी से जुड़े हुए, जमीन से जुड़े हुए, रेल से जुड़े हुए, एक साथ 22 के आसपास के समय में आपको नजर आने लगेंगे। और दूसरी तरफ छत्रपति शिवाजी महाराज का भव्‍य statue भी तैयार हो गया होगा। आप कल्‍पना कर सकते हैं कि कैसे बदल जाएगा। + diff --git a/pm-speech/639.txt b/pm-speech/639.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..5990b1ad0ae77069ce9a824fd19281cfad7e5d90 --- /dev/null +++ b/pm-speech/639.txt @@ -0,0 +1,20 @@ +साथियों, मैं महाराष्ट्र सरकार को इस आयोजन के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं। पिछले तीन साल में महाराष्ट्र सरकार ने Investment का माहौल मजबूत करने के लिए अभूतपूर्व कदम उठाए हैं। राज्य सरकार की निरंतर कोशिशों ने वर्ल्ड बैंक की Ease of Doing Business की रैकिंग में रिकॉर्ड बदलाव लाने में बहुत बड़ी मदद की है। फडणवीस सरकार के Reforms ने महाराष्ट्र को Transform करने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। + +जिस Magnetic Field की मैं पहले बात कर रहा था, वो ऐसे ही Create होती है। इसका प्रभाव निवेश पर नजर आता है, राज्य के विकास में नजर आता है। और यही वजह है कि पिछले साल महाराष्ट्र Infrastructure Projects में Total Expenditure में देश के हर राज्य से आगे था। फ्रॉस्ट and सुलेवोन्स की रेंकिंग में महाराष्ट्र को Overall Development में देश का नंबर एक राज्य बताया गया था। वर्ष 2016-17 में देश में जितना भी Foreign Direct Investment आया है, उसका करीब करीब 51 प्रतिशत महाराष्ट्र में निवेश किया गया है। इसी तरह जब यहां फरवरी 2016 में Make in India Week मनाया गया, तो इंडस्ट्री सेगमेंट में लगभग 4 लाख करोड़ रुपए के समझौते हुए। इनमें से 2 लाख करोड़ रुपए के Investment Projects पर काम भी शुरू हो चुका है। + +साथियों, एक विशेष प्रोजेक्ट जिसकी मैं चर्चा करना चाहूंगा, वो है महाराष्ट्र समृद्धि कॉरिडोर। ये प्रोजेक्ट महाराष्ट्र के ग्रामीण इलाकों को, यहां के Agriculture Sector, Agro-Based Industries को विकास की नई ऊँचाई पर ले जाने की क्षमता रखता है। महाराष्ट्र में 700 किलोमीटर लंबे Super Comunication Expressway का निर्माण, Expressway के किनारे स्मार्ट सिटी की तरह 24 नए Nodes का विकास, राज्य के कम से कम 20 से 25 लाख लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर इसके अंदर निहित है। + +साथियों, देश प्रगति तब करता है जब Holistic Vision हो। जब Vision Inclusive हो और Comprehnsive हो। आज हम उस दिशा में आगे बढे हैं जहां State policy driven है, Governace performance driven है, Government accountable है, Democracy participative है। हम न्यू इंडिया के निर्माण के लिए देश में एक Transparent Ecosystem बना रहे हैं जो सरकारी तंत्र पर कम से कम आश्रित हो। इसके लिए नियमों को आसान बनाया जा रहा है, प्रक्रियाओं को आसान बनाया जा रहा है, जहां कानून बदलने की आवश्यकता है, वहां कानून बदले जा रहे हैं। जहां कानून समाप्त करने की आवश्यकता है, वहां कानून समाप्त किए जा रहे हैं। + +यहां पर उपस्थित आप में से कुछ को जरूर ये जानकारी होगी कि पिछले तीन वर्ष में भारत सरकार ने 1400 से ज्यादा कानून खत्म कर दिए हैं । जो नए कानून बनाए भी जा रहे हैं, उसमें भी इस बात का ध्यान रखा जा रहा है कि वो चीजें और complicate ना करें बल्कि वो simplify करें। सरकारी प्रक्रियाओं के साथ Human to Human Interface जितना कम हो सकता है, वो हम कर रहे हैं। चाहे Labour Laws की बात हो, Tax Compliance की बात हो, हम technology का इस्तेमाल करते हुए सारे Process Easy बना रहे हैं। + +साथियों, हमने एक ओर Optimum Utilization of Resources सुनिश्चित किया है, दूसरी ओर Resource आधारित Development Policies की ओर आगे बढ़े है, और Development Policies आधारित बजट पर जोर दे रहे हैं। पिछले तीन-चार साल में हमारी सरकार ने जो बजट में Reform किया है, बजट से जुड़ी जिस सोच को बदला है, वो पूरे देश में एक नया work culture ही नहीं develop कर रहा, बल्कि सामाजिक-आर्थिक जीवन को भी Transform कर रहा है। + +रेल बजट, अब बजट का हिस्सा बन गया है। बजट में पहले Plan, Non-Plan की जो Artificial दीवार थी, वो हमने खत्म कर दी है। बजट का समय भी बदलकर अब एक महीना पहले हो गया है। इन सारे फैसलों की वजह से अब बजट में आवंटित राशि विभागों के पास समय से पहले पहुंच जाती है, योजनाओं पर काम करने के लिए विभागों को अब ज्यादा समय मिल रहा है। मॉनसून की वजह से काम की जो गति धीमी हो जाती थी, उसका प्रभाव भी काफी हद तक अब खत्म हो गया है। + +अब ये सरकार ऐसी है कि जिसने हमारी सरकार आयुष्मान भारत योजना के तहत साल भर में एक परिवार को 5 लाख रुपए तक का हेल्थ एश्योरेंस देश के गरीब से गरीब व्यक्ति को देने का निर्णय किया हुआ है। और करीब-करीब 10 करोड़ परिवार, यानी कि 50 करोड़ से अधिक लोगों को इसका लाभ मिलने वाला है। ये योजना गंभीर बीमारियों की वजह से लोगों को गंभीर आर्थिक संकट की दोहरी मार से भी बचाएगी।·आयुष्मान भारत योजना के तहत ही हमने देश की बड़ी पंचायतों में डेढ़ लाख wellness centres खोलने का भी तय किया है।आप सोच सकते हैं कि ये फैसले देश के Health Care system को किस तरह बदल डालेंगे। ये योजना देश में affordable healthcare institutions, नए doctors, नए पैरा-मेडिकल स्टाफ, Health Care से जुड़े हर सेक्टर के लिए एक बहुत महत्वपूर्ण साबित होगी। + +जैसे मैं देश के Rural सेक्टर की बात करूं तो इस साल के बजट में हमने Agriculture, Rural Infrastructure के विकास के लिए 14 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च करना तय किया है। ये राशि farming activities पर तो खर्च होगी ही, इससे गांवों में 3 लाख किलोमीटर से ज्यादा सड़कें बनेंगी, 51 लाख नए घर बनेंगे, लगभग दो करोड़ नए Toilets बनाए जाएंगे, पौने दो करोड़ गरीब घरों में बिजली कनेक्शन दिया जाएगा। + +ये सारे प्रयास agriculture growth तो बढ़ाएंगे ही, Rural सेक्टर में employment की लाखों संभावनाएं भी पैदा करेंगे। इस साल हमने देश के इंफ्रास्ट्रक्टर पर खर्च का बजट भी एक लाख करोड़ रुपए से ज्यादा बढ़ाया है। नए पुल, नई सड़कें, नई मेट्रो, नए एयरपोर्ट, मुंबई जैसे Maximum City की Maximum Aspirations से जुड़े हुए हैं और खासकर देश के मिडिल क्लास की Aspirations को एड्रेस करते हैं। + diff --git a/pm-speech/640.txt b/pm-speech/640.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..22af682a525a651a4bf503677a6cd58b141603b9 --- /dev/null +++ b/pm-speech/640.txt @@ -0,0 +1,12 @@ +मंत्री परिषद के मेरे साथी कर्नल राजवर्द्धन सिंह राठौर, श्री अनिल बैजल जी, राहुल भटनागर जी, श्री नरेंद्र बत्रा जी, सुशील कुमार जी, देश और दुनिया में भारत का नाम रोशन करने वाले सभी खिलाड़़ी और उनके गुरूजन, और भविष्‍य में देश का नाम रोशन करने का संकल्‍प ले करके, जी-जान से जुटे हुए, देश के कोने-कोने से आए हुए सभी मेरे युवा साथी। मैं आप सबका हृदय से स्‍वागत करता हूं। + +भारत के हर कोने से under seventeen के उभरते हुए खिलाड़ी आज हमारे बीच में हैं। खेलो इं‍डिया- ये कार्यक्रम नहीं है, ये एक मिशन है। भारत के जन-सामान्‍य के स्‍वभाव में खेल कैसे प्राथमिकता प्राप्‍त करे, मां-बाप को भी बच्‍चों के करियर में खेल का महत्‍व का एहसास हो। स्‍कूल में गुरूजनों को स्‍कूल के eco-system में, हमारे educational eco-system में खेल- यह भी जीवन विकास का एक महत्‍वपूर्ण पहलू है। ये भाव कैसे दृढ़ीभूत हो, पांच-सात कामों में से priority तय करनी है तो खेल भी priority लिस्‍ट में हो। + +आज भारत में प्रतिभा की कमी नहीं है। सवा सौ करोड़ का देश, 35 से कम उम्र के 65 प्रतिशत नौजवान- क्‍या हिन्‍दुस्‍तान खेल की दुनिया में अपना नाम रोशन नहीं कर सकता है? हम कहते हैं कि भारत बहुत आगे बढ़ना चाहिए। भारत आगे बढ़ने का मतलब ये नहीं होता है कि सिर्फ सैन्‍य शक्ति बढ़ जाए, तो भारत आगे बढ़ जाए, सिर्फ आर्थिक महासत्ता बन जाए तो भारत आगे बढ़ जाए। जी नहीं- भारत विश्‍व में उच्‍चत्तम शिखर को तब प्राप्‍त करेगा जब हम जीवन के सभी क्षेत्रों में- noble prize मिलते हों तो भी कतार में भारत ही भारत दिखता हो, फिल्‍म स्‍टार दुनिया के ऑस्‍कर अवार्ड मिलते हों तो भारत ही भारत नजर आता हो, दुनिया के साइंटिस्‍टों की चर्चा होती हो तो भारत ही भारत नजर आता हो, खेल की चर्चा होती हो-भारत ही भारत नजर आता हो। जीवन के हर क्षेत्र में अगर हम भारत को विश्‍व की चोटी पर पहुंचाने के लिए संकल्‍प करके चलेंगे- आज नहीं तो कल ये होके रहेगा। और मैं ये आत्‍मविश्‍वास के साथ इसलिए कह रहा हूं क्‍योंकि मुझे देश के talent में, देश की युवा पीढ़ी में पूरा-पूरा भरोसा है। + +खेलो इंडिया कार्यक्रम- जैसा मैंने कहा कि एक स्‍पर्धा हो जाएगी, जीतने वालों को medal मिल जाएगा- इतना नहीं है। एक holistic approach के साथ, एक comprehensive strategy के साथ grass-root level चाहे infrastructure develop करना हो, चाहे coaching की training का विषय हो, human resource building की बात हो, खेल के नियम नीचे तक समान रूप से पहुंचे, खेल के मैदानों की जानकारी आखिरी तबके तक सही हो; एक-एक चीज पर ध्‍यान देते हुए खेल को वैज्ञानिक तरीके से विकसित करने का प्रयास आरंभ हुआ है। + +सबसे बड़ी बात है talent hunt, देश के कोने-कोने से talent खोजना। और वो talent, online exam देकर नहीं खोजे जा सकते। खेल के विषय में कितना बढ़िया जवाब कोई देता है इससे नहीं होता है। खेल के लिए talent खेल के मैदान से ही उभरती हैं, खेल के मैदान में ही पनपती हैं। और इसलिए स्‍कूल लेवल पर लगातार गेम्‍स चलती रहीं, उनका रिकॉर्ड maintain हो, और उन रिकॉर्ड maintain करते-करते उसमें से तेजस्‍वीप्रतिभाओं को निकाला जाए। और सच्‍चे अर्थ में तेजस्‍वी प्रतिभाओं को अवसर मिलेगा और उन प्रतिभाओं की अच्‍छी training होगी तो मुझे विश्‍वास है मेरे देश का नौजवान training के लिए अपने-आपको जितना जोतना पड़ेगा, जोड़ना पड़ेगा, जूझना पड़ेगा; वो कभी पीछे नहीं हटेगा, वो परिणाम ला करके रहेगा। + +हर वर्ष एक-एक हजार बच्‍चों का selection होगा। पांच साल में, हमारे देश में, हमारे पास पांच हजार बच्‍चे ऐसे होंगे जिनके अंदर ये inherent qualities हैं। आगे बढ़ने के लिए training की व्‍यवस्‍था होगी, दुनिया की उत्‍तम से उत्‍तम coaching उनको उपलब्‍ध हो, दुनिया में जहां भी उत्‍तम training हो, वहां जाने का अवसर मिले और उनके मां-बात को भी आर्थिक कारणों से बच्‍चों को कभी रोकने का जो हो जाता है, और अनुभव ये है कि इन दिनों भारत में गांव के बच्‍चे आगे आ रहे हैं, Tire-2 city के बच्‍चे आगे आ रहे हैं। अब उनके परिवार के पास संसाधन नहीं हैं तो भारत का एक रत्‍न वहीं पर रुक जाएगा। और इसलिए पांच लाख रुपये की ये व्‍यवस्‍था परिवार का भी समर्थन उसको देगी। उसके लिए किस प्रकार के nutrition की requirement है, उसके mental sense के लिए क्‍या करना चाहिए- इन सारी बातों पर training करने की दिशा में काम होगा। + diff --git a/pm-speech/641.txt b/pm-speech/641.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..8a15f10186dc7b2f9c9b176edc54e774dfc07d99 --- /dev/null +++ b/pm-speech/641.txt @@ -0,0 +1,14 @@ +प्राचीन काल से हमारे देश में महिलाओं का सम्मान, उनका समाज में स्थान और उनका योगदान, यह पूरी दुनिया को अचंभित करता आया है। भारतीय विदुषियों की लम्बी परम्परा रही है। वेदों की ऋचाओं को गढ़ने में भारत की बहुत-सी विदुषियों का योगदान रहा है। लोपामुद्रा, गार्गी, मैत्रेयी न जाने कितने ही नाम हैं। आज हम ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ की बात करते हैं लेकिन सदियों पहले हमारे शास्त्रों में,स्कन्द-पुराण में,कहा गया है:- + +अर्थात, एक बेटी दस बेटों के बराबर है। दस बेटों से जितना पुण्य मिलेगा एक बेटी से उतना ही पुण्य मिलेगा। यह हमारे समाज में नारी के महत्व को दर्शाता है। और तभी तो, हमारे समाज में नारी को ‘शक्ति’ का दर्जा दिया गया है। यह नारी शक्ति पूरे देश को, सारे समाज को, परिवार को, एकता के सूत्र में बाँधती है। चाहे वैदिक काल की विदुषियां लोपामुद्रा, गार्गी, मैत्रेयी की विद्वता हो या अक्का महादेवी और मीराबाई का ज्ञान और भक्ति हो, चाहे अहिल्याबाई होलकर की शासन व्यवस्था हो या रानी लक्ष्मीबाई की वीरता, नारी शक्ति हमेशा हमें प्रेरित करती आयी है। देश का मान-सम्मान बढ़ाती आई है। + +श्रीमान प्रकाश त्रिपाठी ने आगे कई सारे उदाहरण दिए हैं। उन्होंने लिखा है हमारी साहसिक रक्षा-मंत्री निर्मला सीतारमण के लड़ाकू विमान ‘सुखोई 30’ में उड़ान भरना, उन्हें प्रेरणा दे देगा। उन्होंने वर्तिका जोशी के नेतृत्व में भारतीय नौसेना के महिला क्रू मेम्बर्स आई एन एस वी तरिणी (INSV Tarini) पर पूरे विश्व की परिक्रमा कर रही हैं ,उसका ज़िक्र किया है। तीन बहादुर महिलाएँ भावना कंठ, मोहना सिंह और अवनी चतुर्वेदी Fighter Pilots बनी हैं और Sukhoi-30 में प्रशिक्षण ले रही हैं। क्षमता वाजपेयी की अगुवाई वाली All Women Crue ने दिल्ली से अमेरिका के San Francisco और वापस दिल्ली तक Air India Boeing Jet में उड़ान भरी – और सब की सब महिलाएँ । आपने बिलकुल सही कहा – आज नारी, हर क्षेत्र में न सिर्फ आगे बढ़ रही है बल्कि नेतृत्व कर रही है। आज कई क्षेत्र ऐसे हैं जहाँ सबसे पहले, हमारी नारी-शक्ति कुछ करके दिखा रही है। एक milestone स्थापित कर रही है। पिछले दिनों माननीय राष्ट्रपति जी ने एक नई पहल की। + +राष्ट्रपति जी ने उन असाधारण महिलाओं के एक group से मुलाकात की जिन्होंने अपने-अपने क्षेत्रों में सबसे पहले कुछ करके दिखाया। देश की ये women achievers , First female Merchant Navy Captain , passenger train की पहली महिला Train Driver, पहली महिला Fire Fighter, पहली महिला Bus Driver, Antarctica पहुँचने वाली पहली महिला, ऐवरेस्ट पर पहुँचने वाली पहली महिला, इस तरह से हर क्षेत्र में ‘First Ladies’- हमारी नारी-शक्तियों ने समाज की रूढ़िवादिता को तोड़ते हुए असाधारण उपलब्धियाँ हासिल की, एक कीर्तिमान स्थापित किया। उन्होंने ये दिखाया कि कड़ी मेहनत, लगन और दृढसंकल्प के बल पर तमाम बाधाओं और रुकावटों को पार करते हुए एक नया मार्ग तैयार किया जा सकता है। एक ऐसा मार्ग जो सिर्फ अपने समकालीन लोगों को बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरित करेगा। उन्हें एक नये जोश और उत्साह से भर देगा। इन women achievers, first ladies पर एक पुस्तक भी तैयार की गयी है ताकि पूरा देश इन नारी शक्तियों के बारे में जाने, उनके जीवन और उनके कार्यों से प्रेरणा ले सके। यह NarendraModi website पर भी e-book के रूप में उपलब्ध है। + +आज देश और समाज में हो रहे सकारात्मक बदलाव में देश की नारी-शक्ति की महत्वपूर्ण भूमिका है। आज जब हम महिला सशक्तीकरण पर चर्चा कर रहे हैं तो मैं एक रेलवे स्टेशन का ज़िक्र करना चाहूँगा। एक रेलवे स्टेशन और महिला सशक्तीकरण, आप सोच रहे होंगे कि इस बीच में क्या connection है। मुंबई का माटुंगा स्टेशन भारत का ऐसा पहला स्टेशन है जहाँ सारी महिला कर्मचारी हैं। सभी विभागों में women staff – चाहे Commercial Department हो, Railway Police हो, Ticket Checking हो, Announcing हो, Point Person हो, पूरा 40 से भी अधिक महिलाओं का staff है। इस बार बहुत से लोगों ने गणतंत्र दिवस की परेड देखने के बाद Twitter पर और दूसरे Social Media पर लिखा कि परेड की एक मुख्य बात थी, BSF Biker Contingent जिसमें सब की सब महिलाएँ भाग ले रहीं थी। साहसपूर्ण प्रयोग कर रही थीं और ये दृश्य, विदेश से आये हुए मेहमानों को भी आश्चर्यचकित कर रहा था। सशक्तीकरण, आत्मनिर्भरता का ही एक रूप है। आज हमारी नारी-शक्ति नेतृत्व कर रही है। आत्मनिर्भर बन रही है। वैसे ही एक बात मेरे ध्यान में आई है, छत्तीसगढ़ की हमारी आदिवासी महिलाओं ने भी कमाल कर दिया है। उन्होंने एक नई मिसाल पेश की है। आदिवासी महिलाओं का जब ज़िक्र आता है तो सभी के मन में एक निश्चित तस्वीर उभर कर आती है। जिसमें जंगल होता है, पगडंडियां होती हैं, उन पर लकड़ियों का बोझ सिर पर उठाये चल रही महिलाएँ। लेकिन छत्तीसगढ़ की हमारी आदिवासी नारी, हमारी इस नारी-शक्ति ने देश के सामने एक नई तस्वीर बनाई है। छत्तीसगढ़ का दंतेवाड़ा इलाक़ा, जो माओवाद-प्रभावित क्षेत्र है। हिंसा, अत्याचार, बम, बन्दूक, पिस्तौल – माओवादियों ने इसी का एक भयानक वातावरण पैदा किया हुआ है। ऐसे ख़तरनाक इलाक़े में आदिवासी महिलाएँ, E-Rickshaw चला कर आत्मनिर्भर बन रही हैं। बहुत ही थोड़े कालखंड में कई सारी महिलाएँ इससे जुड़ गयी हैं। और इससे तीन लाभ हो रहे हैं, एक तरफ जहाँ स्वरोजगार ने उन्हें सशक्त बनाने का काम किया है वहीँ इससे माओवाद-प्रभावित इलाक़े की तस्वीर भी बदल रही है। और इन सबके साथ इससे पर्यावरण-संरक्षण के काम को भी बल मिल रहा है। यहाँ के ज़िला प्रशासन की भी सराहना करता हूँ, Grant उपलब्ध कराने से ले कर Training देने तक, ज़िला प्रशासन ने इन महिलाओं की सफलता में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। + +मेरे प्यारे देशवासियो, मैसूर, कर्नाटक के श्रीमान् दर्शन ने MyGov पर लिखा है – उनके पिता के ईलाज़ पर महीने में दवाइयों का खर्च 6 हज़ार रूपये होता था। उन्हें पहले प्रधानमंत्री जन-औषधि योजना के बारे में जानकारी नहीं थी। लेकिन अब जब उन्हें जन-औषधि केंद्र के बारे में जानकारी मिली और उन्होंने वहाँ से दवाइयाँ ख़रीदी तो उनका दवाइयों का खर्च 75 प्रतिशत तक कम हो गया। उन्होंने इच्छा जताई है कि मैं इसके बारे में ‘मन की बात’ कार्यक्रम में बात करूँ ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक इसकी जानकारी पहुँचे और वे इसका लाभ ले सकें। पिछले कुछ समय से बहुत लोग मुझे इस विषय में लिखते रहते थे, बताते रहते हैं। मैंने भी कई लोगों के Video, Social Media पर भी देखे है जिन्होंने इस योजना का लाभ लिया है। और इस तरह की जानकारी जब मिलती है तो बहुत खुशी होती है। एक गहरा संतोष मिलता है। और मुझे यह भी बहुत अच्छा लगा कि श्रीमान् दर्शन जी के मन में ये विचार आया कि जो उन्हें मिला है, वो औरों को भी मिले। इस योजना के पीछे उद्देश्य है – Health Care को affordable बनाना और Ease of Living को प्रोत्साहित करना। जन-औषधि केन्द्रों पर मिलने वाली दवाएं बाज़ार में बिकने वाली Branded दवाइयों से लगभग 50% से 90% तक सस्ती हैं। इससे जन-सामान्य, विशेषकर प्रतिदिन दवाएं लेने वाले वरिष्ठ नागरिकों की बहुत आर्थिक मदद होती है, बहुत बचत होती है। इसमें ख़रीदी जानेवाली generic दवाएं World Health Organisation के तय standard के हिसाब से होती हैं। यही कारण है कि अच्छी Quality की दवाएं सस्ते दाम पर मिल जाती हैं। आज देशभर में तीन हज़ार से ज्यादा जन-औषधि केंद्र स्थापित किये जा चुके हैं। इससे न सिर्फ दवाइयाँ सस्ती मिल रही हैं बल्कि Individual Entrepreneurs के लिए भी रोज़गार के नए अवसर पैदा हो रहे हैं। सस्ती दवाइयाँ प्रधानमंत्री भारतीय जन-औषधि केन्द्रों और अस्पतालों के ‘अमृत stores’ पर उपलब्ध हैं। इन सब के पीछे एक मात्र उद्देश्य है – देश के ग़रीब से ग़रीब व्यक्ति को Quality and affordable health service उपलब्ध करवाना ताकि एक स्वस्थ और समृद्ध भारत का निर्माण किया जा सके। + +मेरे प्यारे देशवासियो, महाराष्ट्र से श्रीमान् मंगेश ने Narendra Modi Mobile App पर एक Photo, Share की। वो Photo ऐसी थी कि मेरा ध्यान उस Photo की ओर खींचा चला गया। वो फोटो ऐसी थी जिसमें एक पोता अपने दादा के साथ ‘Clean Morna River’ सफाई अभियान में हिस्सा ले रहा था। मुझे पता चला कि अकोला के नागरिकों ने ‘स्वच्छ भारत अभियान’ के तहत मोरना नदी को साफ़ करने के लिए स्वच्छता अभियान का आयोजन किया था। मोरना नदी पहले बारह महीने बहती थी लेकिन अब वो seasonal हो गई है। दूसरी पीड़ा की बात है कि नदी पूरी तरह से जंगली घास, जलकुम्भी से भर गई थी। नदी और उसके किनारे पर काफ़ी कूड़ा फेका जा रहा था। एक action plan तैयार किया गया और मकर-संक्रांति से एक दिन पहले 13 जनवरी को ‘Mission Clean Morna’ के प्रथम चरण के तहत चार किलोमीटर के क्षेत्र में चौदह स्थानों पर मोरना नदी के तट के दोनों किनारों की सफाई की गई। ‘Mission Clean Morna’ के इस नेक कार्य में अकोला के छह हज़ार से अधिक नागरिकों, सौ से अधिक NGOs , Colleges, Students, बच्चे, बुजुर्ग, माताएँ-बहनें हर किसी ने इसमें भाग लिया। 20 जनवरी 2018 को भी ये स्वच्छता-अभियान उसी तरह जारी रखा गया और मुझे बताया गया है कि जब तक मोरना नदी पूरी तरह से साफ़ नही हो जाती, ये अभियान हर शनिवार की सुबह को चलेगा। यह दिखाता है कि अगर व्यक्ति कुछ करने की ठान ले तो नामुमकिन कुछ भी नहीं है। जन-आंदोलन के माध्यम से बड़े से बड़े बदलाव लाये जा सकते हैं। मैं अकोला की जनता को, वहाँ के ज़िला एवं नगर-निगम के प्रशासन को इस काम को जन-आंदोलन बनाने के लिए जुटे हुए सब नागरिकों को, आपके इन प्रयासों को बहुत-बहुत बधाई देता हूँ और आप का ये प्रयास देश के अन्य लोगों को भी प्रेरित करेगा। + diff --git a/pm-speech/643.txt b/pm-speech/643.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..1bdbedec333c58b00aba93f9a3f1a83d3c4e7094 --- /dev/null +++ b/pm-speech/643.txt @@ -0,0 +1,24 @@ +दावोस में आख़िरी बार भारत के प्रधानमंत्री की यात्रा सन् 1997 में हुई थी, जबश्री देवे गौड़ा जी यहाँ आए थे। 1997 में भारत का GDP सिर्फ़ 400 billion dollar से कुछ अधिक था। अब दो दशकों बाद यह लगभग 6 गुना हो चुका है। उस वर्ष इस फोरम का विषय “Building the Network Society” था। आज, 21 साल बाद technology और digital age की उपलब्धियों और प्राथमिकताओं को देखें तो यह विषय सदियों पुराना जान पड़ता है। आज हम सिर्फ़ network society ही नहीं, बल्कि big data (डेटा),artificial intelligence तथा Cobots (कोबोट) की दुनिया में हैं। 1997 में EURO मुद्रा प्रचलित नहीं हुई थी। और Asian financial crisis का कोई अता-पता नहीं था, ना ही BREXIT के आसार थे। 1997 में बहुत कम लोगों ने ओसामा बिन लादेन के बारे में सुना था और Harry Potter का नाम भी अनजाना था।तब शतरंज के खिलाड़ियों को computer से हारने का गंभीर खतरा नहीं था। तब Cyber Space में Google का अवतार नहीं हुआ था। + +इस वर्ष फोरम का विषय – ”Creating a shared Future in a Fractured World” है। यानि दरारों से भरे विश्व में साझा भविष्य का निर्माण। नये-नये बदलावों से, नई-नई शक्तियों से आर्थिक क्षमता और राजनैतिक शक्ति का संतुलन बदल रहा है। इससे विश्व के स्वरुप में दूरगामी परिवर्तनों की छवि दिखाई दे रही है। विश्व के सामने शांति, स्थिरता और सुरक्षा को लेकर नई और गंभीर चुनौतियां है। + +Technology driven transformation हमारे रहने, काम करने, व्यवहार, बातचीत और यहाँ तक कि अंतर्राष्ट्रीय समूहों और राजनीति तथा अर्थव्यवस्था तक को गहराई से प्रभावित कर रहे हैं। Technology के जोड़ने, मोड़ने और तोड़ने– तीनों आयामों का एक बड़ा उदाहरण Social media के प्रयोग में देखने को मिलता है। आज Data (डेटा) सबसे बड़ी संपदा है। Data (डेटा) के global flow से सबसे बड़े अवसर बन रहे हैं, और सबसे बड़ी चुनौतियां भी। Data के पहाड़ के पहाड़ बनते जा रहे हैं। उन पर नियंत्रण की दौड़ लगी हुई है। क्योंकि, ऐसा माना जा रहा है कि जो Data को काबू में रखेगा वही भविष्य पर अपना वर्चस्व बनायेगा। + +जिन चुनौतियों की ओर मैं इशारा कर रहा हूँ उनकी संख्या भी बहुत है और विस्तार भी व्यापक है। यहां पर मैं सिर्फ तीन प्रमुख चुनौतियों का जिक्र करुंगा जो मानव सभ्यता के लिए सबसे बड़े ख़तरे पैदा कर रही हैं। पहला खतरा है Climate Change का। Glaciers पीछे हटते जा रहे हैं। आर्कटिक की बर्फ पिघलती जा रही है। बहुत से द्वीप डूब रहे हैं, याडूबने वाले हैं। बहुत गर्मी और बहुत ठंड, बेहद बारिश और बाढ़ या बहुत सूखा – extreme weather का प्रभाव दिन-ब-दिन बढ़ रहा है। इन हालात में होना तो यह चाहिए था कि हम अपने सीमित संकुचित दायरों से निकलकर एकजुट हो जाते। लेकिन क्या ऐसा हुआ? और अगर नहीं, तो क्यों? और हम क्या कर सकते हैं जो इन हालात में सुधार हो। हर कोई कहता है की carbon emission को कम करना चाहिए। लेकिन ऐसे कितने देश या लोग हैं जो विकासशील देशों और समाजों को उपयुक्त technology उपलब्ध कराने के लिए आवश्यक संसाधन मुहैया कराने में मदद करना चाहते हैं। + +2016 में भारत और फ्रांस ने मिलकर एक नये अंतर्राष्ट्रीय treaty based organization की कल्पना की। यह क्रांतिकारी क़दम अब एक सफल प्रयोग में बदल गया है। International Solar Alliance के रुप में यहपहल आवश्यक Treaty ratification के बाद अब एक वास्तविकता है। मुझे बेहद ख़ुशी है कि इस वर्ष मार्च में फ्रांस के राष्ट्रपति मैंक्रॉ और मेरे संयुक्त निमंत्रण पर इस Alliance के सदस्य देशों के leaders नई दिल्ली में होने वाले Alliance के पहले summit में भाग लेंगे। + +तीसरी चुनौती मैं यह देखता हूँ कि बहुत से समाज और देश ज्यादा से ज्यादा आत्मकेंद्रित होते जा रहे हैं। ऐसा लगता है कि Globalization अपने नाम के विपरीत सिकुड़ रहा है। इस प्रकार की मनोवृत्तियों और गलत प्राथमिकताओं के दुष्परिणाम को climate change या आतंकवाद के ख़तरे से कम नहीं आंका जा सकता। हालांकि हर कोई interconnected विश्व की बात करता है लेकिन globalization की चमक कम हो रही है। संयुक्त राष्ट्र संघ के आदर्श अभी भी सर्वमान्य हैं। World Trade Organization भी व्यापक है। लेकिन दूसरे विश्व युद्ध के बाद बने हुए विश्व संगठनों की संरचना, व्यवस्था और उनकी कार्य पद्धति क्या आज के मानव की आकांक्षाओं और उसके सपनों को, आज की वास्तविकता को परिलक्षित करते हैं? + +इन संस्थानों की पुरानी व्यवस्था और आज के विश्व में खासतौर पर बहुतायत विकासमान देशों की आवश्यकताओं के बीच एक बड़ी खाई है। Globalization के विपरीत protectionism की ताकतें सर उठा रहीं हैं। उनकी मंशा है कि न सिर्फ वे खुद globalization से बचें बल्कि globalization के प्राकृतिक प्रवाह का रुख भी पलट दें। इसका एक परिणाम यह है कि नये-नये प्रकार के tariff और non-tariff barrier देखने को मिलते हैं। द्विपक्षीय और बहुपक्षीय व्यापार समझौते और negotiations रुक-से गये हैं. Cross-border वित्तीय निवेश में ज्यादातर देशों में कमी आई है। और Global supply chains की वृद्धि भी रुक गयी है। Globalisation के विरुद्ध इस चिंताजनक स्थिति का हल अलगाव में नहीं है। इसका समाधान परिवर्तन को समझने और उसे स्वीकारने में है, बदलते हुए समय के साथ चुस्त और लचीली नीतियां बनाने में है। भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था, ”मैं नहीं चाहता कि मेरे घर की दीवारें और खिड़कियां सभी तरफ से बंद हो। मैं चाहता हूँ की सभी देशों की संस्कृतियों की हवा मेरे घर में पूरी स्वछंदता से आ जा सके। लेकिन इस हवा से मेरे पैर उखड़ जायें, यह मुझे मंजूर नहीं होगा। ”आज का भारत महात्मा गांधी के इसी दर्शन और चिंतन को अपनाते हुए पूरे आत्मविश्वास और निर्भिकता के साथ विश्व भर से जीवनदायिनी तरंगों का स्वागत कर रहा है। + +लोकतांत्रिक मूल्य और समावेशी आर्थिक विकास और प्रगति में तमाम दरारों को पाटने की संजीवनी शक्ति है। भारत के साठ करोड़ मतदाताओं ने 2014 में तीस साल बाद पहली बार किसी एक राजनीतिक Party को केंद्र में सरकार बनाने के लिए पूर्ण बहुमत दिया। हमने किसी एक वर्ग या कुछ लोगो के सीमित विकास का नहीं बल्कि सबके विकास का संकल्प किया। मेरी सरकार का मोटो है: “सबका साथ -सबका विकास”। प्रगति के लिए हमारा vision समावेशी है, हमारा mission समावेशी है। यह समावेशी दर्शन मेरी सरकार की हर नीति का हर योजना का आधार है। चाहे वह करोड़ों लोगों के लिए पहली बार bank खाते खुला के financial inclusion करना हो, या गरीबों तक, हर जरूरतमंद तक digital technology द्वारा direct benefit transfer. या फिर gender justice के लिए ‘बेटी बचाओ – बेटी पढ़ाओ’। + +हम मानते हैं कि प्रगति तभी प्रगति है, विकास तभी सच्चे अर्थों में विकास है जब सब साथ चल सकें। हम अपनी आर्थिक और सामाजिक नीतियों में केवल छोटे-मोटे सुधार ही नहीं कर रहे, बल्कि आमूलचूल रूपान्तरण कर रहे हैं। हमने जो रास्ता चुनाहै वो है reform, perform and transform. आज हम भारत की अर्थव्यवस्था को जिस प्रकार से निवेश के लिए सुगम बना रहे हैं उसका कोई सानी नहीं है । इसी का नतीजा है कि आज भारत में निवेश करना, भारत की यात्रा करना, भारत में काम करना, भारत में manufacture करना, और भारत से अपने products and services को दुनिया भर को export करना, सभी कुछ पहले की तुलना में बहुत आसान हो गया है। हमने लाइसेंस-परमिट राज को जड़ से ख़त्म करने का प्रण लिया है। Red tape हटा कर हम red carpet बिछा रहे हैं। अर्थव्यवस्था के लगभग सभी क्षेत्र foreign direct investment के लिए खुल गए हैं। 90 प्रतिशत से अधिक में automatic route से निवेश सम्भव है। केंद्र एवं राज्य सरकारों ने मिल कर सैकड़ों reforms किये हैं। 1400 से अधिक ऐसे पुराने कानून, जो business में, प्रशासन में, और आम इंसान के रोजमर्रा के जीवन में अडचनें डालरहे थे, ऐसे पुराने कानूनों को हमने ख़त्म कर दिया है + +70 साल के स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार देश में एक एकीकृत कर व्यवस्था goods and service tax – GST – के रूप में लागू कर ली गई है। पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के लिए हम technology का इस्तेमाल कर रहे हैं। भारत को transform करने के लिए हमारे संकल्प और हमारे प्रयासों का विश्व भर की business community ने स्वागत किया है। भारत में democracy, demography और dynamism मिल कर development को साकार कर रहे हैं, destiny को आकारदे रहे हैं। दशकों के नियंत्रण ने भारत के लोगों की, भारत के युवा की क्षमताओं को जकड रखा था। लेकिन अब, हमारी सरकार के निर्भीक नीतिगत फैसलों ने, असरदार कदमों ने परिस्थितियां बदल दी हैं। लगभग साढ़ेतीन साल के कम समय में जो दूरगामी और बड़े परिवर्तन भारत में हुए हैं और हो रहे है वे सवा सौ करोड़ भारतियों की अपेक्षाओं, उनके पुरूषार्थ और उनकी परिवर्तन को स्वीकर करने की क्षमता का यशोगान है। अब भारत के लोग, भारत के युवा2025 में 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के निर्माण में योगदान के लिए समर्थ हैं। + +इस प्रकार के प्रयासों में भारत ने हमेशा सहायता का हाथ आगे बढ़ाया है। आज से ही नहीं, अपनी स्वतंत्रता के समय से नहीं, बल्कि पुरातन काल से भारत चुनौतियों का मुक़ाबला करनेमें सबके साथ सहयोग का हामी रहा है। पिछली शताब्दी में जब विश्व दो विश्व युद्धों के संकट से गुज़रा तब अपना कोई निजी स्वार्थ न होते हुए भी, कोई आर्थिक या territorial हितन होते हुए भी भारत शान्ति और मानवता के उच्च आदर्शों की सुरक्षा के लिए खड़ा हुआ। डेढ़ लाख से भी अधिक भारतीय सैनिकों ने अपनी जान दी। ये वही आदर्श हैं जिनके लिए संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना के बाद से भारत ने UN peace keeping ऑपरेशंस में सैनिकों का सबसे बड़ी संख्या में योगदान किया है। ये वही आदर्श हैं जिनकी प्रेरणा और शक्ति हमें संकटों और प्राकृतिक आपदाओं के समय अपने पड़ोसियों मित्र देशों और मानव मात्र की सहायता करने के लिए उत्साहित करती है। चाहे नेपाल में भूकंप हो,या हमारे दूसरे पड़ोसी या मित्र देशों में बाढ़, तूफ़ान, या दूसरी प्राकृतिक आपदाएँ। भारत ने First Responder के रूप में सहायता पहुँचाना अपना सबसे प्रमुख कर्तव्य समझता है। यमन में जब हिंसा की लपटों ने भारत ही नहीं दुनिया के बहुत से देशों के नागरिकों को चपेट लेना शुरू किया तो हमने अपने संसाधनों के ज़रिए भारतीयों को ही नहीं, अन्य देशों के लगभग 2 हज़ार नागरिकों को भीवहाँ से सुरक्षित निकाला। स्वयं एक विकासशील देश होने के बावजूद भारत development cooperationमें, capacity building में, आगे बढ़कर सहयोग करता आ रहा है। Africa के देश हों, या भारत के पड़ोसी, या South East Asia के देश हों, या फ़िर Pacific Islands हों, सभी के साथ हमारे सहयोग की रूपरेखा और हमारे projects उन देशों की प्राथमिकताओं और ज़रूरतों पर आधारित होते हैं। + +इस हजारोंसाल पुरानी भारतीय प्रार्थना का अभिप्राय है कि हम सब मिलकर काम करें, मिलकर चलें, हमारी प्रतिभाएं साथ-साथ खिलें और हमारे बीच कभी भी द्वेष न हो।पिछली शताब्दी के महान भारतीय कवि और Nobel पुरस्कार विजेता गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने एक ऐसे heaven of freedom की कल्पना की “where the World has not been broken up into fragments by narrow domestic walls”. आइए हम मिलकर एक ऐसा heaven of freedom बनाएँ जहाँ सहयोग और समन्वय हो, divide और fracture नहीं। आइए हम सब साथ-साथ दुनिया को उसकी दरारों और अनावश्यक दीवारों से मुक्ति दिलाएँ। + diff --git a/pm-speech/645.txt b/pm-speech/645.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..8df088bdc63fc9e5e0e4ddcbb02b41067a830629 --- /dev/null +++ b/pm-speech/645.txt @@ -0,0 +1,30 @@ +आपने देखा होगा इस्ररायल के प्रधानमंत्री इन दिनों भारत की यात्रा पर आए हुए हैं। 14 साल के बाद वे यहां आए हैं। और देश आजाद होने के बाद मैं पहला प्रधानमंत्री था जो इस्ररायल की धरती पर गया था। और मेरे देशवासी, मेरे राजस्‍थान के वीरो, आपको गर्व होगा कि मैं इस्ररायल गया, समय की खींचातानी के बीच भी मैं हायफा गया और वहां जा करके प्रथम विश्‍वयुद्ध में हायफा को मुक्‍त कराने के लिए आज से 100 साल पहले जिन वीरों ने बलिदान दिया था उन्‍हें श्रद्धासुमन अर्पित करने गया था। और उसमें नेतृत्‍व किया था इसी धरती की वीर संतान मेजर दलपत सिंह जी ने। मेजर दलपत सिंह शेखावत- 100 साल पहले इस्ररायल की धरती पर प्रथम विश्‍वयुद्ध का नेतृत्‍व करते हुए हायफा को मुक्‍त किया था। + +दिल्‍ली में एक तीन मूर्ति चौक है। वहां तीन महापुरुषों की, वीरों की मूर्तियां हैं। इस्ररायल के प्रधानमंत्री हिन्‍दुस्‍तान आते ही, हम दोनों सबसे पहले इस तीन मूर्ति चौक में गए। वो तीन मूर्ति चौक उस मेजर दलपत सिंह के बलिदान की याद में बना हुआ है और इस बार इस्ररायल के प्रधानमंत्री भी वहां नमन करने आए। हम दोनों वहां गए और उस तीन मूर्ति चौक का नाम तीन मूर्ति हायफा चौक रखा गया, ताकि इतिहास याद रहे, मेजर दलप‍त सिंह शेखावत याद रहे। मेरे राजस्‍थान की वीर परम्‍परा याद रहे। ये काम अभी दो दिन पहले करने का मुझे सौभाग्‍य मिला। + +जब मैं प्रधानमंत्री बना, बजट देख रहा था, और मैं रेलवे बजट देख रहा था। तो मेरा जरा स्‍वभाव है, मैंने पूछा कि भाई ये रेलवे बजट में हम इतनी-इतनी घोषणाएं करते हैं, जरा बताओ तो पीछे क्‍या हुआ है। आप चौंक जाएंगे भाइयो-बहनों, आपको सदमा पहुंचेगा। भारत की संसद लोकतंत्र का मंदिर है। वहां देश को गुमराह करने का हक नहीं होता है। लेकिन आपको जान करके हैरानी होगी, कई सरकारें आईं और गईं- रेलवे बजट में 1500 से ज्‍यादा, 1500 से ज्‍यादा ऐसी-ऐसी योजनाओं की घोषणाएं की गईं- जो आज उसका नामोनिशान नहीं है, वैसे ही कागज पर लटकी पड़ी हैं। + +इतना ही नहीं, आप मुझे बताइए One rank one pension, मेरे फौज के लोग यहां बैठे हुए हैं। फौजियों के परिवारजन यहां बैठे हुए हैं। 40 साल One rank one pension, इसकी मांग नहीं उठी थी। क्‍या फौज के लोगों को बारी-बारी से वादे नहीं किए गए थे? हर चुनाव के पहले इसे भुनाने का प्रयास नहीं हुआ था? ये उनकी आदत है। 2014 में भी आपने देखा होगा, 5-50 निवृत्‍त फौज के लोगों को बिठा करके फोटो निकलवानी और One rank one pension की बातें भुनानी, ये करते रहे हैं। + +और बाद में जब चारों तरफ से दबाव पड़ा, और जब मैंने 15 सितंबर, 2013, रेवाड़ी में भूतपूर्व सैनिकों के सामने घोषणा की कि हमारी सरकार आएगी, One rank one pension लागू करेगी। तब आनन-फानन में, अफरा-तफरी में जैसे ही यहां refinery का पत्‍थर जड़ दिया गया उन्‍होंने interim बजट में 500 करोड़ रुपया One rank one pension के नाम पर लिख दिया। + +देखिए, देश के साथ इस प्रकार का धोखा करना, और फिर भुनाते रहे चुनाव में कि देखिए One rank one pension के लिए बजट में हमने पैसा दे दिया, पैसा दे दिया। हम जब सरकार में आए तो हमने कहा चलो भाई One rank one pension लागू करो, हमने वादा किया है तो अफसर समय बिताते रहते थे। मैंने कहा, हुआ क्‍या है भाई, क्‍यों नहीं हो रहा है? आपको जान करके हैरानी होगी, बजट में 500 करोड़ लिखा गया था लेकिन दफ्तर के अंदर ये One rank one pension है क्‍या? ये One rank one pension की पात्रता किसकी है? उसका आर्थिक बोझ कितना आएगा? आप हैरान होंगे- सिर्फ रिफाइनरी कागज पर थी, वहां तो One rank one pension, कागज पर भी नहीं था। न सूची थी, न योजना थी, सिर्फ चुनावी वादा। + +भाइयो, बहनों, उस काम के प्रति मेरी प्रतिबद्धता थी, लेकिन कागज पर चीजें इकट्ठी करते-करते मुझे डेढ़ साल लग गया। स‍ब बिखरा पड़ा था। पूर्व सैनिकों के नामों का ठिकाना नहीं मिल रहा था, संख्‍या सही नहीं मिल रही थी। मैं हैरान था देश के लिए मरने-मिटने वाली फौजियों के लिए सरकार के पास सब बिखरा पड़ा था। समेटते गए, समेटते गए, फिर हिसाब लगाया कितने पैसे लगेंगे। + +भाइयो, बहनों, ये 500 करोड़ रुपया- तो मैंने सोचो शायद 1000 करोड़ होगा, 1500 करोड़ होगा, 2000 करोड़ होगा। जब हिसाब जोड़ने बैठा तो भाइयो-बहनों, वो मामला 12 हजार करोड़ रुपये से भी ज्‍यादा हो गया। 12 हजार करोड़, अब कांग्रेस पार्टी One rank one pension 500 करोड़ रुपये में कर रही थी, क्‍या उसमें ईमानदारी थी क्‍या? क्‍या सच में फौजियों को कुछ देना चाहते थे क्‍या? क्‍या फौज के निवृत्‍त सेनानियों के प्रति ईमानदारी थी क्‍या? उस समय के वित्‍तमंत्री इतने तो कच्‍चे नहीं थे। लेकिन 500 करोड़ रुपये का टीका लगा करके जब यहां पत्‍थर जड़ दिया, वहां पर बजट में लिख दिया और हाथ ऊपर कर दिए। + +फौज के लोगों ने मुझे कहा- प्रधानमंत्री जी आप हमें शर्मिंदा मत कीजिए। आप बताइए आप हमसे क्‍या चाहते हैं? मैंने कहा मैं और कुछ नहीं चाहता भाई- आपने देश के लिए बहुत कुछ दिया है। लेकिन मेरी मदद कीजिए। मैं एक साथ 12 हजार करोड़ रुपया नहीं दे पाऊंगा। अगर मुझे देना है तो देश के गरीबों की कई योजनाओं से निकालना पड़ेगा। गरीबों के साथ अन्‍याय हो जाएगा। + +मैंने ऐसे अमीरों को देखा है जो मन के गरीब हैं और मैंने ऐसे गरीबों को देखा है जो मन के अमीर हैं। हमने कहा कि जीरो बैलेंस से बैंक का खाता खुलेगा लेकिन गरीब को लगा- नहीं, नहीं, कुछ तो करना चाहिए। और मेरे प्‍यारे भाइयो-बहनों, आज मुझे खुशी से आपको कहते हुए गर्व होता है कि जिन गरीबों का जीरो बैलेंस एकाउंट बना था, आज उन गरीबों ने 72 हजार करोड़ रुपया प्रधानमंत्री जन-धन योजना बैंक अकाउंट में जमा किया है। अमीर बैंक से निकालने में लगा है, मेरा गरीब ईमानदारी से बैंक में जमा करने में लगा है। गरीबी से लड़ाई कैसे लड़ी जाती है। + +भाइयो-बहनों, हमने बीड़ा उठाया। गरीब का भला करना है नारों से नहीं होगा। उसकी जिंदगी बदलनी होगी और हमने उज्‍ज्‍वला योजना के तहत अब तक 3 करोड़ 30 लाख परिवारों में गैस का कनेक्‍शन पहुंचा दिया। लकड़ी का चूल्‍हा, धुंए की मुसीबतें- इन करोडों माताओं को मुक्‍त कर दिया। आप मुझे बताइए हर दिन जब चूल्‍हा जलाती होगी, गैस पर खाना पकाती होगी, वो मां नरेंद्र मोदी को आशीर्वाद देगी की नहीं देगी? वो मां हमारी रक्षा करने के लिए प्रण लेती होगी कि नहीं लेती होगी? क्‍योंकि उसे पता है कि गरीबी से लड़ाई लड़ने का ये सही रास्‍ता नजर आ रहा है। + +भाइयो-बहनों, आजादी के 70 साल के बाद 18 हजार गांव, जहां बिजली न पहुंची हो। आप मुझे बताइए, हम 21वीं सदी में जी रहे हैं लेकिन वो तो 18वीं शताब्‍दी में जीने के लिए मजबूर है। उसके मन में सवाल उठता है- क्‍या ये आजादी है? क्‍या ये लोकतंत्र है? ये मैं बटन दबा करके सरकार बनाता हूं? क्‍या ये सरकार है जो मुझे आजादी के 70 साल के बाद भी मेरे गांव में बिजली नहीं पहुंचाती है? और भाइयो-बहनों, ये 18 हजार गांवों को बिजली पहुंचाने का मैंने बीड़ा उठाया। अब करीब 2000 गांव बचे हैं, काम चल रहा है तेजी से। 21वीं सदी की जिंदगी जीने के लिए उनको अवसर मिला। + +आजादी के 70 साल बाद आज भी चार करोड़ से ज्‍यादा परिवार ऐसे हैं जिनके घर में बिजली का कनेक्‍शन नहीं हैं। हमने बीड़ा उठाया है जब महात्‍मा गांधी की 150वीं जयंती होगी तब तक इन चार करोड़ परिवारों में मुफ्त में बिजली का कनेक्‍शन दे दिया जाएगा। उसके बच्‍चे पढ़ेंगे। गरीबी के खिलाफ लड़ाई लड़नी है तो गरीबों को empower करना पड़ता है। ऐसी अनेक चीजें हम ले करके चल दिए हैं। + +भाइयो-बहनों, ये रिफाइनरी भी यहां की तकदीर भी बदलेगी, यहां की तस्‍वीर भी बदलेगी। इस मरूभूमि में जब इतना बड़ा उद्योग चलता होगा, आप कल्‍पना कर सकते हैं कि कितने लोगों की रोजी-रोटी का प्रबंध होगा। और वो कारखाने की चारदिवारी में रोजगार मिलता है, ऐसा नहीं है। उसके बाहर एक chain चलता है। अनेक उसके समर्थन में छोटे-छोटे उद्योग लगते हैं। इतने बड़े उद्योग के लिएinfrastructure लगता है। पानी पहुंचता है, बिजली पहुंचती है, गैस पहुंचती है, Optical Fiber, network पहुंचता है। एक प्रकार से पूरे क्षेत्र के आर्थिक, उसके मानदंड बदल जाते हैं। + +और इसलिए भाइयो-बहनों, पांच साल के भीतर-भीतर यहां कितना बड़ा बदलाव आने वाला है, इसका आप भलीभांति अंदाज कर सकते हैं। भाइयो-बहनों, आज मैं एक ऐसे कार्यक्रम को यहां आरंभ करने आया हूं, जिसमें मेरा घाटे का सौदा है। भारत सरकार के लिए घाटे का सौदा है। पुरानी सरकार वाला काम आगे बढ़ा होता तो भारत सरकार के खजाने में करीब-करीब 40 हजार करोड़ रुपये बच जाते। + diff --git a/pm-speech/646.txt b/pm-speech/646.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..e73bf374bbebc53b75ff577b6abc40361f225851 --- /dev/null +++ b/pm-speech/646.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +मैं अपने सभी देशवासियों की ओर से प्रधानमंत्री नेतन्याहू और इजरायली प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों का स्वागत करता हूँ। दोनों देशों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों के साथ होना अत्यंत हर्ष का विषय है। प्रधानमंत्री नेतन्याहू और मैंने द्विपक्षीय सीईओ मंच के माध्यम से भारत और इज़राइल के अग्रणी व्यापारियों के साथ एक लाभदायक बातचीत की है। इस बातचीत और पिछले साल आरंभ हुई सीईओ की साझेदारी से मुझे बहुत उम्मीद है + +यह बहुत खास यात्रा थी। मैंने नवाचार, उद्यम और दृढ़ता की उस उल्लेखनीय भावना को महसूस किया, जो इज़राइल को चालित करती है। नई ऊर्जा और उद्देश्य ने पिछले कुछ सालों में हमारे संबंधों को और मजबूत किया है। इससे हमारे सहयोग को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी। हम भारत-इज़राइल संबंधों के एक नए अध्याय के शिखर पर खड़े हैं, जो हमारे लोगों और उनके जीवन में सुधार लाने वाले पारस्परिक अवसरों द्वारा संचालित है। + +मुझे खुशी है कि जुलाई 2018 में, भारत-इज़राइल नवाचार और प्रौद्योगिकी सम्मेलन भारत में आयोजित होने जा रहा है। मुझे आशा है कि यह सम्मेलन नई प्रौद्योगिकियों के सह-विकास को प्रेरित करेगा। वास्तव में, आईक्रियेट के बाद परसों से इसके लिए जमीनी कार्य शुरू हो जाएगा। हम दोनों, एक अग्रणी नवाचार केंद्र के रूप में विकसित किये जा रहे इस परिसर का उद्घाटन करने के लिए गुजरात जा रहे हैं। + diff --git a/pm-speech/648.txt b/pm-speech/648.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..6c5728c780d9fdcf362c801b628f7c63e2f8766a --- /dev/null +++ b/pm-speech/648.txt @@ -0,0 +1,12 @@ +एक भारतीय को कैसा होना चाहिए, इस बारे में विवेकानंद जी ने बहुत ही शक्तिशाली मंत्र दिया था। ये था, स्वदेश मंत्र। इसकी हर पंक्ति में शक्ति और प्रेरणा भरी है। उन्होंने कहा था- “ऐ भारत, तुम मत भूलना तुम्हारा जीवन अपने व्यक्तिगत सुख के लिए नहीं है। ऐ वीर, गर्व से बोलो कि मैं भारतवासी हूं और प्रत्येक भारतवासी मेरा भाई है। गर्व से पुकार कर कहो कि हर भारतवासी मेरा भाई है, भारतवासी मेरे प्राण हैं। भारत की मिट्टी मेरा स्वर्ग है। भारत के कल्याण में मेरा कल्याण है।“ + +ऐसे थे विवेकानंद। भारत से एकाकार विवेकानंद। भारत से एकरूप विवेकानंद। भारत के सुख-दुख में अपना सुख दुख मानने वाले विवेकानंद। वो हर बुराई से लड़े। विदेश में भारत को सपेरों और नटों का देश बताने वाले कुटिल प्रोपेगैण्डा को उन्होंने ध्वस्त किया। दुनिया में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ाई। उनमें ज्ञान-विज्ञान, भाषा, सामाजिक सुधार, आधुनिक जगत के बढ़ते कदमों के साथ कदम मिलाकर चलने का साहस था। + +साथियों, पिछले वर्ष एक कार्यक्रम हुआ था- स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन। इस कार्यक्रम में 40 हजार से ज्यादा युवा, देश की लगभग 600 समस्याओं के डिजिटल समाधान के लिए जुटे थे। ये भी मेरे लिए विवेकानंद ही हैं। लाखों-करोड़ों साधारण से लोग, भारत की मिट्टी की सुगंध लिए न्यू इंडिया के निर्माता, हमारे नए युग के विवेकानंद हैं। इन्हें मैं प्रणाम करता हूं, इस कार्यक्रम में मौजूद हर विवेकानंद को, देश में मौजूद हर विवेकानंद को मैं नमन करता हूं। + +ये हमारे समाज की विशेषता है कि जब भी ऐसी बुराइयां आई हैं, तो सुधार का काम समाज के बीच में ही किसी ने शुरू किया है। ऐसे महान समाज सुधारकों ने हमेशा जनसेवा को केंद्र में रखा। अपने मन-वचन-कर्म से उन्होंने समाज को शिक्षा तो दी ही, लोगों की सेवा को प्राथमिकता भी दी। देश के सामान्य मानवी को उसकी आसान भाषा में समझाया। + +“शिव भावे जीव सेवा” का ये उत्तम उदाहरण है। हमारे तो देश का इतिहास रहा है सेवा का, सेवा भाव का। हर कुछ दूरी पर गरीबों के लिए भोजन और रहने की व्यवस्था हमारी परंपरा रही है। ये व्यवस्था साधु-संतो के आशीर्वाद से सामान्य समाज के लोग करते थे। आज भी अनेक शहरों-गांवों में ये व्यवस्था जीवित है, फल-फूल रही है। + +मुझे पता है कि आप इस तरह के क्षेत्रों में पहले से काम कर रहे हैं। लेकिन क्या आंकड़ों में लक्ष्य तय करके कोई संकल्प लिया जा सकता है। जैसे क्या ये संकल्प लिया जा सकता है कि अगले दो वर्ष में 2 हजार, 5 हजार गांवों को खुले में शौच से मुक्त कराने में मदद की जाएगी। क्या ये संकल्प लिया जा सकता है कि अगले दो वर्ष में आपके चुने हुए 5 हजार गांवों में, हर घर में LED बल्ब होगा। + diff --git a/pm-speech/649.txt b/pm-speech/649.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..6d963ee81afcd25cb3d3666eebea6ecb181f902a --- /dev/null +++ b/pm-speech/649.txt @@ -0,0 +1,8 @@ +भाइयों और बहनों, सरकार की इस बड़ी योजना का आधार सिर्फ एक है। आप पर, देश के नौजवानों पर भरोसा। हमें भरोसा है किइस देश का नौजवान जब ठान लेता है, तो कुछ भी कर गुजरता है। ऊर्जा से भरे ऐसे नौजवान देश के हर कोने में उपस्थित हैं। कोईपहाड़ों से निकलने वाले छोटे झरनों से बिजली बना रहा है, कोई कूड़े से बिजली पैदा कर रहा है, कोई कूड़े से घर निर्माण की चीजेंबना रहा है, कोई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हुए गांव में स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचा रहा है, किसी ने अपने खेत में ही फूडप्रोसेसिंग यूनिट लगा ली है। ऐसे करोड़ों युवा राष्ट्र निर्माण के लिए दिन रात एक कर रहे हैं। + +स्किल इंडिया मिशन के तहत लाखों नौजवानों को ट्रेनिंग दी जा चुकी है। सरकार देशभर में प्रधानमंत्री कौशल केंद्रों की स्थापना कररही है। इंडिया इंटरनेशनल स्किल सेंटर भी खोले जा रहे हैं। सैकड़ों मल्टी स्किल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट पर भी काम हो रहा है। पहलीबार ऐसा हुआ है जब युवाओं को अप्रेन्टिसशिप देने वाली कंपनियों को आर्थिक मदद दी जा रही है। अप्रेन्टिसशिप का जो पैसाकंपनियां छात्रों को देती हैं, उसका कुछ हिस्सा सरकार की तरफ से कंपनियों को दिया जा रहा है। + +स्वच्छ भारत अभियान हो, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान हो, Waste to Wealth हो, आपके innovations सामाजिक सरोकारोंसे जुड़े हुए हैं। आपके आसपास जो समस्याएं हैं, चुनौतियां हैं, उन्हें आपसे बेहतर कोई और नहीं समझ सकता। Innovations कीआपकी इसी क्षमता को ध्यान में रखते हुए सरकार ने “अटल इनोवेशन मिशन” शुरू किया है। देश के स्कूलों में, कॉलेजों मेंinnovation का इकोसिस्टम बनाने पर जोर लगाया जा रहा है। छात्रों में scientific temper बढ़ाने और उनकी creativity को सहीप्लेटफॉर्म देने के लिए देशभर में करीब करीब ढाई हजार से ज्यादा Atal Tinkering Labs को स्वीकृति दी गई है। + +भाइयों और बहनों, दुनिया में हर कोई सुविधा पाकर ही आगे बढ़ा है, ये जरूरी नहीं। संघर्ष में भी लोग आगे बढ़े हैं। आज कितनी हीविदेशी कंपनियों को भारत से गए युवा चला रहे हैं। वो कंपनियों के प्रेसिडेंट हैं, चेयरमैन हैं, CEO’s हैं। इन कंपनियों में उनके कामका लोहा माना जाता है। क्या वो सीधे वहां पहुंचे हैं? नहीं। क्या राजनीतिक वंशवाद वाली स्टाइल में उन्हें सीधे वो बड़े पद मिले हैं?नहीं। उन्होंने मेहनत की है, संघर्ष किया है, + diff --git a/pm-speech/650.txt b/pm-speech/650.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..249ac6af656d96588b135b5cda8ce7c0b19272af --- /dev/null +++ b/pm-speech/650.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +एकाग्रता के विषय में प्रधानमंत्री ने महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर की सलाह को याद किया जिसका जिक्र रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में किया गया था। तेंदुलकर ने कहा था कि खेलते समय वे केवल उसी गेंद पर विचार करते थे, जो सामने होती थी। पिछली और अगली गेंदों के बारे में नहीं सोचते थे। प्रधानमंत्री ने कहा कि योग से एकाग्रता में सुधार होता है। + diff --git a/pm-speech/651.txt b/pm-speech/651.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..4bb0b07c6b207da165829cceb59419c122b856b1 --- /dev/null +++ b/pm-speech/651.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +विश्‍व सतत विकास शिखर सम्‍मेलन के उद्घाटन अवसर पर आकर मैं बहुत प्रसन्‍न हूं। विदेशों से हमारे साथ जुड़ने वालों का भारत में स्‍वागत है। दिल्‍ली में आपका स्‍वागत है। मैं आशा करता हूं कि सम्‍मेलन से इतर आप लोगों को इस शहर की भव्‍यता और इतिहास को देखने का अवसर मिलेगा। यह सम्‍मेलन खुद हमारे और भविष्‍य की पीढि़यों के लिए एक सुरक्षित और टिकाऊ पृथ्‍वी के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दोहराता है। + +एक राष्‍ट्र के रूप में हमें प्रकृति और मनुष्‍यों के बीच सांमजस्‍यपूर्ण सह-अस्तित्‍व के अपने लंबे इतिहास और परंपराओं पर गर्व है। प्रकृति के प्रति सम्‍मान हमारे मूल्‍यों का एक अहम हिस्‍सा रहा है। हमारी परंपराएं और व्‍यवहार सतत जीवन-शैली का समर्थन करते हैं। हम अपने प्राचीन ग्रंथों से मिली इस शिक्षा कि पृथ्‍वी हमारी माता है और हम इसकी संतान है और इसलिए हमें इसे पवित्र रखना है पर अमल करते है। + +दुनिया की तेजी से विकसित हो रही अर्थव्‍यवस्‍था बनने के कारण हमारी ऊर्जा जरुरतें भी बहुत ज्‍यादा हैं। ऐस में हमने 2022 तक नवीकरणीय ऊर्जा के जरिए 175 गीगावाट बिजली पैदा करने का लक्ष्‍य रखा है। इसमें से 100 गीगावाट सौर ऊर्जा के जरिए और 75 गीगावाट पवन ऊर्जा के जरिए हासिल की जाएगी। सौर बिजली के मामले में भारत अभी से दुनिया में पांचवा सबसे बड़ा उत्‍पादक देश बन चुका है। + diff --git a/pm-speech/652.txt b/pm-speech/652.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..e1fe8c5aa60eed99f8be227c8a482d55ca7d8da3 --- /dev/null +++ b/pm-speech/652.txt @@ -0,0 +1,16 @@ +अरुणाचल एक ऐसा प्रदेश है कि अगर आप पूरे हिन्‍दुस्‍तान का भ्रमण करके आएं, हफ्ते भर भ्रमण करके आएं और अरुणाचल में एक दिन भ्रमण करें- पूरे हफ्ते भर में पूरे हिन्‍दुस्‍तान में जितनी बार आप जय हिंद सुनोगे, उससे ज्‍यादा बार जय हिंद अरुणाचल में एक दिन में सुनने को मिलेगा। यानी शायद हिन्‍दुस्‍तान में ऐसी परम्‍परा अरुणाचल प्रदेश में मिलेगी कि जहां पर एक-दूसरे को greet करने के लिए समाज जीवन का स्‍वभाव जय हिंद से शुरू हो गया है और जय हिंद से जुड़ गया है। रग-रग में भरी हुई देशभक्ति, देश के प्रति प्‍यार; ये अपने-आप में अरुणाचल वासियों ने; ये तपस्‍या करके इसको अपने रग-रग का हिस्‍सा बनाया है, कण-कण का हिस्‍सा बनाया है। + +दूसरा, सरकार सायलों में नहीं चल सकती। सब मिल-जुलकर एक दिशा में चलते हैं तभी सरकार परिणामकारी बनती है। लेकिन अगर technical रूप में coordination होता रहता है तो उसकी ताकत थोड़ी कम होती है, लेकिन अगर सहज रूप से coordination होता है तो उसकी ताकत बहुत ज्‍यादा होती है। एक कैम्‍पस में सब दफ्तर होते हैं तो सहज रूप से मिलना-जुलना होता है, कैन्‍टीन में भी अफसर एक साथ चले जाते हैं, एक-दूसरे की समस्‍या की चर्चा कर-करके समाधान कर लेते हैं। यानी काम की निर्णय प्रक्रिया में coordination बढ़ता है, delivery system तेज हो जाता है, निर्णय प्रक्रिया बहुत ही सरल हो जाती है। और इसलिए ये नए secretariat के कारण अरुणाचल के लोगों के सामान्‍य मानवी के जीवन की आशा-आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए…। उसी प्रकार से आज एक महत्‍वपूर्ण काम, और वो मैं अपने-आप में गर्व समझता हूं। श्रीमान Dorjee Khandu State Convention Centre Itanagar का आज लोकार्पण करते हुए। ये सिर्फ एक इमारत का लोकार्पण नहीं है। ये एक प्रकार से अरुणाचल के सपनों का एक जीता-जागता ऊर्जा केंद्र बन सकता है। एक ऐसी जगह जहां conferences के लिए सुविधा होगी, cultural activity के लिए सुविधा होगी और अगर हम अरुणाचल में tourism बढ़ाना चाहते हैं तो मैं भी भारत सरकार की भिन्‍न-भिन्‍न कम्‍पनियों को कहूंगा कि अब वहां convention centre बना है, आपकी general board की मीटिंग जाओ अरुणाचल में करो। मैं प्राइवेट इन लोगों को बताऊंगा कि भई ठीक है ये दिल्‍ली-मुम्‍बई में बहुत कर लिया, जरा जाइए तो कितना प्‍यारा मेरा प्रदेश है अरुणाचल, जरा उगते सूरज को वहां जा करके देखिए। मैं लोगों को धक्‍का लगाऊंगा। और इतनी बड़ी मात्रा में लोगों का आना-जाना शुरू होगा। तो आजकल tourism का एक क्षेत्र होता है conference tourism. और ऐसी व्‍यवस्‍था अगर बनती है तब सब लोगों का आना बड़ा स्‍वाभाविक होता है। + +आज यहां पर एक मेडिकल कॉलेज, मेडिकल हॉस्पिटल; उसके शिलान्‍यास का मुझे अवसर मिला है। हमारे देश में आरोग्‍य के क्षेत्र में बहुत कुछ करने की हम आवश्‍यकता महसूस करते हैं। एक होता है human resource development, दूसरा होता है Infrastructure, तीसरा होता है most modern technology equipments; हम इन तीनों दिशाओं में health sector को ताकत देने की दिशा में काम कर रहे हैं। + +हमारा एक सपना है कि हो सके उतना जल्‍दी हिन्‍दुस्‍तान में तीन parliament constituency के बीच में कम से कम एक बड़ा अस्‍पताल और एक अच्‍छी मेडिकल कॉलेज बन जाए। भारत में इतनी बड़ी मात्रा में मेडिकल कॉलेज बनेगी और वहीं का स्‍थानीय बच्‍चा, स्‍टूडेंट, अगर वहां मेडिकल कॉलेज में पढ़ता है तो वहां की बीमारियां, स्‍वाभाविक होने वाली बीमारियां, उसका उसको अता-पता होता है। + +भारत सरकार ने हर गांव में आरोग्‍य की सुविधा अच्‍छी मिले, उसको दूर-दराज तक, क्‍योंकि हर किसी को major बीमारी नहीं होती है। सामान्‍य बीमारियों की तरफ उपेक्षा का भाव, असुविधा के कारण चलो थोड़े दिन में ठीक हो जाएंगे, फिर इधर-उधर की कोई भी चीज ले करके चला लेना, और गाड़ी फिर निकल जाए फिर बीमार हो जाए, और गंभीर बीमारी होने तक उसको पता ही न चले। इस स्थिति को बदलने के लिए इस बजट में भारत सरकार ने हिन्‍दुस्‍तान की 22 हजार पंचायतों में, मैं आंकड़ा शायद कुछ मेरा गलती हो गया है; डेढ़ लाख या दो लाख; जहां पर हम wellness centre करने वाले हैं, wellness centre; ताकि अगल-बगल के दो-तीन गांव के लोग उस wellness centre का लाभ उठा सकें। और उस wellness centre से वहां पर minimum parameter की चीजें, व्‍यवस्‍थाएं, स्‍टाफ उपलब्‍ध होना चाहिए। ये बहुत बड़ा काम, ग्रामीण हेल्‍थ सेक्‍टर को इस बार बजट में हमने घोषित किया है। Wellness centre का, करीब-करीब हिन्‍दुस्‍तान की सभी पंचायत तक पहुंचने का ये हमारा प्रयास है। + +और जो मैं 22 हजार कह रहा था, वो किसानों के लिए। हम आधुनिक मार्केट के लिए काम करने वाले हैं देश में ताकि अगल-बगल के 12, 15, 20 गांव के लोग, उस मंडी में किसान आ करके अपना माल बेच सकें। तो हर पंचायत में wellness centre और एक ब्‍लॉक में दो या तीन, करीब-करीब 22 हजार, किसानों के लिए खरीद-बिक्री के बड़े सेंटर्स; तो ये दोनों तरफ हम काम ग्रामीण सुविधा के लिए कर रहे हैं। + +और इसलिए, जैसे अभी हमारे मंत्रीजी, हमारे नितिन गडकरी जी की भरपूर तारीफ कर रहे थे। 18 हजार करोड़ रुपये के अलग-अलग प्रोजेक्‍ट इन दिनों अकेले अरुणाचल में चल रहे हैं, 18 हजार करोड़ रुपये के भारत सरकार के प्रोजेक्‍ट चल रहे हैं। चाहे रोड को चौड़ा करना हो, Four line करना हो; चाहे ग्रामीण सड़क बनाना हो, चाहे national highway बनाना हो, एक बड़ा mission mode में आज हमने काम उठाया है, Digital connectivity के लिए। + +हमने आधार कार्ड का उपयोग करना शुरू किया, direct benefit transfer का काम किया। आप हैरान होंगे, हमारे देश में विधवाओं की जो सूची थी ना, widows की; जिनको भारत सरकार की तरफ से हर महीने कोई न कोई पैसा मिलता था, पेंशन जाता था। ऐसे-ऐसे लोगों के उसमें नाम थे कि जो बच्‍ची कभी इस धरती पर पैदा ही नहीं हुई, लेकिन सरकारी दफ्तर में वो widow हो गई थी और उसके नाम से पैसे जाते थे। अब बताइए वो पैसे कहां जाते होंगे? कोई तो होगा ना? + diff --git a/pm-speech/653.txt b/pm-speech/653.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..43d6e99c2e1c6078aea10f12ffacb5965c11311e --- /dev/null +++ b/pm-speech/653.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत 53 हजार किलोमीटर नेशनल हाईवेज बनाने का काम शुरू किया है। देश के अलग-अलग क्षेत्रो में रेलवे कॉरिडोर्स पर काम चल रहा है। 11 बड़े शहरों में मेट्रो का विस्तार भी किया जा रहा है| देश की Coastal Economy और उससे जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर को डवलप करने के लिए हम सागरमाला नाम से भी एक कार्यक्रम चला रहे हैं| + diff --git a/pm-speech/654.txt b/pm-speech/654.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..053d25f4650d6610c525398d7cd96f23b0d55f57 --- /dev/null +++ b/pm-speech/654.txt @@ -0,0 +1,28 @@ +आज इतनी बड़ी संख्‍या में आप सबसे मुखातिब होने के लिए His Majesty Sultan  के नाम पर Stadium में मेरी मौजूदगी एक विशेष महत्‍व की घटना है। ये इस बात का भी प्रतीक है कि स्‍वयं His Majesty Sultan  और ओमान भारत और भारतीयों के साथ कितनी आत्मीयता रखते हैं। इस निहायत Special Gesture के लिए हम उनके बहुत-बहुत, बहुत कृतज्ञ है। + +हम एक ऐसे भारत के निर्माण की तरफ बढ़ रहे हैं जहां गरीब से गरीब व्‍यक्ति को भी आगे बढ़ने का समान अवसर मिले। जहां गरीब से गरीब व्‍यक्ति भी सपने देख सके। उन सपनों को पूरा करने की आशा जगे। उन सपनों को पूरा करने के लिए पुरूषार्थ का उसको रास्‍ता मिले। जरूरत पड़े वहां कोई उंगुली पकड़ कर चलाने वाला मिले। और इसी भूमिका से सवा सौ करोड़ देशावासियों को साथ लेकर के आज देश प्रगति के पथ पर पहले से कहीं अधिक गुना ताकत से, गति से न्यू इंडिया के सपनों को साकार करने के लिए आगे बढ़ रहा है। + +Minimum Government, Maximum Governance इस मंत्र के साथ हम देश के आम नागरिक की जिंदगी को आसान बनाने के लिए Ease of living के लिए अनेक काम कर रहे हैं। प्रकियाओं को सरल बनाना, अनावश्‍यक कानूनों को खत्‍म करना, सरकारी दफ्तर में 40-50 पेज के फार्म को 4-5 पेज के फार्म पर ले आना, उन्‍हें Online भरने की व्‍यवस्‍था बनाना, लोगों की शिकायतों को गंभीरता से सुना जाना, उन पर Action लेना इन सारे कार्यों को हमनें सरकार के Culture में शामिल करने के लिए भरपूर प्रयास किया है। + +हमारे देश में कोई उद्योग करना चाहता है। नई कंपनी बनाना चाहता है। पूँजी लगाना चाहता है तो एक जमाना था कि नई कंपनी रजिस्‍टर करवाने में पहले कई-कई दिन लग जाते थे। मैं संतोष के साथ कहता हूं कि आज वो काम सिर्फ और सिर्फ 24 घंटे में हो जाता है। आपने पहले सुना होगा कि सरकारें घोषणाएं करती रहती थी कि हमने ये कानून बनाया, हमने वो कानून बनाया, हमने ठिगना कानून बनाया, हमने फलाना बनाया। यही सुना था न आप लोगों ने, यही सुनते थे। मैं उससे उल्‍टी खबर देना चाहता हूं। जहां जरूरत हो वहां कानून बनाना पड़ता है बनाते भी हैं लेकिन हमारी सरकार बनने के बाद हमने अब तक करीब-करीब 1400-1500 जितने कानून, जिनकी अब आवश्‍यकता नहीं है वो सारे कानून खत्‍म कर देने का हमने काम कर दिया। 1400- 1450 कानून खत्‍म कर देना यानि एक प्रकार से मेरे कार्यकाल में हर दिन एक कानून खत्‍म होता है। सामान्‍य नागरिक पर इन कानूनों का जमाव एक बोझ बन जाता है। उसे मुक्ति की सांस मिले इसलिए बदलाव लाने की दिशा में, पुराने बोझ से मुक्ति के लिए इन कानूनों को हम बदल दें। + +भाइयों और बहनों सरकारें आती हैं, जाती हैं, लोग आते हैं, जाते है। महत्‍वपूर्ण ये है कि सरकार किस quality की गवर्नेंस दे रही है। Style of गवर्नेंस पहले भी था जिसमें योजनाएं 30-30, 40-40 साल तक पूरी नहीं होती थी। मैं गुजरात का मुख्‍यमंत्री था। वहां एक सरदार सरोवर बाँध , नर्मदा योजना पंडित नेहरू जी ने शिलान्‍यास किया था। और अभी, अभी पिछले साल वो काम पूरा हुआ है। कभी-कभी तो ऐसा नजर आता था। बाँध बन जाता था लेकिन नहरों का अता-पता नहीं था। पुल बन जाते थे लेकिन कनेक्‍टिंग सड़के नहीं बन पाती थीं। खम्भे गढ़ जाते थे लेकिन उन पर कभी तार नहीं लगते थे और अगर तार लग भी गया तो लोग कपड़े सुखाते थे। बिजली नहीं आती थी। नई-नई ट्रेनों की घोषणा हो जाती थी लेकिन न तो कोई पटरियों के बारे में सोचता था, न ट्रेनों के बारे में सोचता था। अरे कागज पर भी कभी पटरियों को कभी पेंट नहीं किया जाता था। Style of misgovernance के साथ देश 21वीं सदी में आगे नहीं बढ़ सकता उसको बदलना पड़ता है। और बदलाना अनिवार्य होता है। और ऊपर से घोटालों की लंबी लिस्‍ट से देश के और दुनिया भर में देश की साख को नुकसान भी पहुंचा था। इस स्थिति से हम देश को अब बाहर निकाल करके लाएं है। + +आप हैरान होंगे, हमारे देश में हम 21वीं सदी के पहले दो दशक अब पूर्णता पर पहुंचे है। कितनी सरकारें आई, गई दुनिया बदल चुकी है लेकिन भारत की अपनी Aviation Policy नहीं थी, aviation policy नहीं थी। हमने आकर के Aviation Policy बनाई। और देश के जो छोटे-छोटे शहर है District Headquarter जैसे tier-2, tier-3 city वहां पुरानी हवाई पट्टियां पड़ी थीं उनको जिंदा किया, उनको active किया। नए-नए एयर-पोर्ट बनाने की दिशा में अभियान चलाया। और प्‍यारे मेरे साथियों आपको जानकर के खुशी होगी, आज हमारे देश में करीब-करीब साढे चार सौ हवाई जहाज- private हो corporate हो public हो। साढे चार सौ हवाई जहाज अभी कार्यरत है। इस एक वर्ष में यानि 70 साल के कार्यकाल में हम पहुंचे हैं करीब-करीब साढे चार सौ हवाई जहाज, पूरे देश में कार्यरत हैं। इस एक वर्ष हमारे देश के अलग-अलग कंपनियों ने private कंपनियों ने, private लोगों ने करीब-करीब नए नौ सौ हवाई जहाज खरीदने का आर्डर दिया है। 70 साल की यात्रा में साढे चार सौ और इस एक वर्ष में करीब-करीब नौ सौ हवाई जहाज के आर्डर बुक हो चुके हैं। क्‍यों? क्‍योंकि हमारी नीति में हमने कहा है। कि हवाई चप्‍पल पहनने वाला भी हवाई जहाज में सफर करे। ये हम चाहते हैं। + +सरकार ने भारत माला project के तहत 53 हजार किलोमीटर National Highway बनाने का काम शुरू किया है। 53 thousand kilometer देश के अलग-अलग क्षेत्रों में रेलवे corridors  पर काम चल रहा है। 11 बड़ें शहरों में मेट्रो का विस्‍तार भी किया जा रहा है। पिछले वर्ष ही मुझे Kochi मेट्रो के लोकार्पण का अवसर मिला था। चेन्‍नई मेट्रो के विस्‍तार का काम चल रहा है। + +हमारे मछुआरें भाई बहनों को Blue Revolution Scheme शुरू की है और उन्‍हें आधुनिक trawler खरीदने के लिए भारत सरकार की तरफ से आर्थिक मदद दे रहे हैं। सरकार देश में 110 से ज्‍यादा waterways भी विकसित कर रही है। हमारे देश में उसकी उपेक्षा की गई। नदियों का उपयोग transportation के लिए किया जा सकता है। 110 ऐसे रास्‍ते हमनें identify किए है जो पर्यावरण की भी रक्षा करेंगे। ट्रांसपोटेशन का खर्चा कम करेंगे। consumer को उसके कारण चीजें सस्‍ते में मिलेगी। + +मुंबई और अहमदाबाद के बीच बुलेट ट्रेन का काम पिछले साल शुरू कर दिया गया है। दो- सवा दो घंटों में आपको ये बुलेट ट्रेन मुंबई से अहमदाबाद पहुंचा देगी। बुलेट ट्रेन से भारत की वर्तमान व्‍यवस्‍था में सिर्फ एक incremental improvement ही नहीं लेकिन देश को एक आधुनिक technology और नया सर्विस डिलीवरी सिस्‍टम भी प्राप्‍त होने वाला है। + +साथियों, अब भारत में फैसलों को टाला नहीं जाता। अब भारत ने एक नया स्‍वभाव बना लिया है। फैसलों को टालने का वक्‍त चला गया। अब हम फैसलों और चुनौतियों, हर चुनौतियों से हम टकराने की तैयारी करके आगे बढ़ रहे हैं। लक्ष्‍य तय करके योजनाओं को समय से पूरा किया जाता है। ये भारत में बदलते हुए work culture का उदाहरण है। ये न्‍यू इंडिया है, ये न्‍यू इंडिया का जीता-जागता सबूत है। यही वजह है कि पहले जहां देश में हर दिन ये हल्‍ला मचता था कि इतने करोड़ इस घोटाले में गए, उतने करोड़ उस घोटाले में गए। भाइयों और बहनों, जब साफ नियत, स्‍पष्‍ट नीति उसके साथ निर्णय लिए जाते हैं तो देश का पैसा बचता है। जब efficient तरीके से काम किया जाता है।, जब मौजूदा संसाधनों का अच्‍छे से अच्‍छा उपयोग किया जाता है तब देश का पैसा बचता है। + +टेक्‍नोलॉजी की मदद से हमारी सरकार ने Direct Benefit Transfer Scheme के जरिए देश के 57 thousand cr से ज्‍यादा की लागत गलत हाथों में जा रही थी, उसे बचा लिया है। गरीब का पाई-पाई बचाने का काम किया है। Direct Benefit Scheme यानि subsidy का, pension का scholarship का, मजदूरी का जो पैसा लोगों के बैंक खाते में सीधे पैसा transfer किया जाता है। पहले ये राशि फर्जी नामों के सहारे बिचोलियों के पास चली जाती थी। अब ये सारा खेल हमारी सरकार ने बंद कर दिया है। इस तरह देश के लोगों का और विशेषकर मध्‍यम वर्ग का पैसा बच रहा है। हमारी उजाला योजना। भाइयों और बहनों वर्ष 2014 में पहले जो LED bulb हिन्‍दुस्‍तान में साढे तीन सौ रूपये से ज्‍यादा का था, वो अब 40-50 रूपये में मिलने लगा है। कहां तीन सौ-साढे तीन सौ रूपया और कहां 40-50 रूपया। सस्‍ते LED के अलावा जो लोग अपने घरों में इनका इस्‍तेमाल कर रहे हैं उन्‍हें हर साल 15 हजार करोड़ रूपये की अनुमानित बचत बिजली के बिल में हो रही है। ये मध्‍यम वर्ग के परिवार को लाभ हुआ है। + +साथियों, आपको जानकर के आश्‍चर्य होगा कि जितनी बिजली एलईडी बल्‍बों से बच रही है। उतनी बिजली के उत्‍पादन में देश को 45 हजार करोड़ रूपये से ज्‍यादा खर्च हो जाते अगर लोगों की बचत और देश की बचत इन दोनों को जोड़ा जाए तो बचत का आंकड़ा बनता है- करीब-करीब 60 हजार करोड़ रूपये। एक और उदाहरण है fertilizer sector का भाइयों और बहनों हमारी नीतियों की वजह से एक भी नया fertilizer plant लगे बिना लगभग पुरानों की मैं बात कर रहा हूं। Efficiency बढ़ाई है और उसके कारण leakages को रोका। उसके कारण लगभग 18 से 20 लाख टन यूरिया ज्‍यादा उत्‍पादन होने लगा है। ये 20 लाख टन यूरिया अलग produce करने के लिए करीब-करीब 7 से 8 हजार करोड़ रूपये का सरकारी खर्च करना पड़ता जो बच गया और यूरिया मिलने लग गया। इतना ही नहीं साढे तीन से चार हजार करोड़ से विशेष मुद्रा की बचत हुई है जो बाहर से खरीदने में खर्च होता था। इसके अलावा सरकार को 800 से 900 करोड़ रूपये की subsidy की भी इसमें बचत हुई है। यानि अकेले Fertilizer Sector में Policy Intervention से, Efficiency बढ़ाने से, Monitoring करने से हमने देश के करीब-करीब 12 हजार करोड़ रूपये बचाए है। जो आपके हक का है, हिन्‍दुस्‍तानवासियों के हक का पैसा है। + +भाइयों और बहनों हम पहले की सरकारों के समय हुए पेट्रोलियम समझौते, गैस समझौतों इसको जरा दोबारा देखने लगे, हम बारीकी से देखने लगे कि भई इतना सारा कैसा हुआ। अब 20-20, 25-25 साल के करार हुए हैं। 30 साल के करार हुए हैं। हमने जरा अध्‍ययन किया, अब भारत की साख भी बनी है। हमनें उन देशों के साथ चर्चा की और आपको ये जानकर के खुशी होगी। कतर और आस्‍ट्रेलिया से हम जो समझौते हुए थे उन समझौते को renegotiate किया और बदलाव हो चुका है और इस बदलाव के कारण पहले जो रूपये दिए जाते थे उसकी तुलना में 12 हजार करोड़ रूपये कम देना पड़ेगा। ये 12 हजार करोड़ रूपया देश का बचाया है। + +पिछले एक साल में आपको जानकर के आश्‍चर्य होगा। पिछले एक साल में करीब-करीब साढे तीन लाख, आप चौंक जाएंगे करीब-करीब साढे तीन लाख संदिग्‍ध कंपनियों का रजिस्‍ट्रेशन सरकार रद्द कर चुकी है, ताले लगा दिए हैं। साथियों, मेरे देशवासी इतना पैसा जो मेहनत करके भारत भेजते हैं वे देश की अर्थव्‍यवस्‍था को योगदान करता है। अब मेहनत करके कुछ न कुछ घर भेजते हैं वो पैसा जब देश की व्‍यवस्‍थाओं को बनाने में खर्च होता है तो उसकी ताकत अनेक गुना बढ़ जाती है और यहां बैठने वाले आपको भी एक संतोष होता है। एक समाधान होता है। + diff --git a/pm-speech/655.txt b/pm-speech/655.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..d122ca26c98da525948397d9ba610562ed46796b --- /dev/null +++ b/pm-speech/655.txt @@ -0,0 +1,8 @@ +आज यही वो खाड़ी के अन्य देश , हमारा नाता सिर्फ buyer or seller का नहीं रहा एक partnership का बना है। भारत इस बात के लिए गर्व करता है कि खाड़ी के देशों में 30 लाख से भी अधिक भारतीय समुदाय के लोग यहां की विकास यात्रा में भागीदार हुए है। मैं खाड़ी के देशों का ह्दय से आभार व्‍यक्‍त करता हूं, अभिनंदन करता हूं। उन्‍होंने हमारे देश के 30 लाख से अधिक लोगों को यहां भारत के बाहर जैसे उनका दूसरा घर हो उस प्रकार का उत्‍तम वातावरण दिया है। + +भारतीय समुदाय ने भी इसे अपना ही घर मानकर के उसी प्रतिबद्धता के साथ उतने ही परिश्रम के साथ यहां के लोगों के सपनों को साकार करने के लिए अपने सपनों को भी यहां बोया है। और एक प्रकार से मानव समूह के partnership का एक ये उत्‍तम उदाहरण हम खाड़ी के देशों में अनुभव कर रहें हैं UAE में अनुभव कर रहे हैं। बहुत लोगों को जब आश्‍चर्य हुआ कि ये His Highness Crown Prince ने, जब मैं पिछली बार आया तब Abu Dhabhi में मंदिर बनाने की बात को आगे बढ़ाया। मैं ये इस His Highness Crown Prince का सभी सवा सौ करोड़ हिन्‍दुस्‍तानी की तरफ ह्दय से आभार व्‍यक्‍त करना चाहता हूं। मंदिर का निर्माण और वो भी सद्भावना के सेतु के रूप में। + +हम उस परंपरा में पले-बढ़े है। जहां मंदिर ये मानवता का एक माध्‍यम है। Holy place, Humanity का, Harmony का एक Catholic Agent है। और मुझे विश्‍वास है कि स्थापत्य की दृष्टि से, आधुनिक Technology की दृष्‍टि से, Messaging की दृष्‍टि से ये मंदिर अपने आप में एक अनोखा तो होगा ही होगा लेकिन यह विश्‍व समुदाय को वसुधैव -कुटम्‍बकम जिस मंत्र को हम जिए है उस मंत्र का अनुभव कराने का भी अवसर प्राप्‍त होगा। और इसके कारण भारत की एक अपनी पहचान भी बनाने का एक माध्‍यम बनेगा। + +2014 में वैश्विक स्‍तर पर ease of doing business हम 142 नंबर पर खड़े थे। यानि पीछे से गिने तो थोड़ा सरल हो जाएगा आगे से गिने तो बहुत देर लग जाएगी। दुनिया में कभी किसी देश ने इतने कम समय में Ease Of Doing Business में world bank के रिपोर्ट के अनुसार 42 का Jump लगाकर के 100 पर पहुंच जाएगा। लेकिन कोई ये न सोचे कि हम वहां रूकने के लिए आए हैं। हम और अधिक ऊपर जाना चाहते हैं और इसके लिए जहां नीतिगत परिवर्तन करना होगा। जहां रणनीति में परिवर्तन करना होगा। जहां implementation के role map में परिवर्तन करना होगा। जहां संसाधनों की प्रक्रियाओं में परिवर्तन करना होगा। जो भी आवश्‍यक होगा उन कदमों को उठाते-उठाते हुए भारत को जितना हो सके उतना जल्‍दी Global bench mark की बराबरी में लाना है। + diff --git a/pm-speech/656.txt b/pm-speech/656.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..38a2e5368c537ce91e7bbaf39bd1b8cf5d8bce4b --- /dev/null +++ b/pm-speech/656.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +इस यात्रा में अबू अमार के मकबरे में श्रद्धांजलि देने का मौका मिला। वे अपने समय के शीर्षस्थ नेताओं में से थे। फिलिस्तीन संघर्ष में उनकी भूमिका बेमिसाल है। अबू अमार भारत के भी एक विशिष्ट मित्र थे। उनको समर्पित संग्रहालय का भ्रमण भी मेरे लिए अविस्मरणीय अनुभव है। मैं अबू अमार को एक बार फिर हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। + diff --git a/pm-speech/657.txt b/pm-speech/657.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..7258604a86221a2210a3204e57ff846e03cb4246 --- /dev/null +++ b/pm-speech/657.txt @@ -0,0 +1,42 @@ +ये बात सही है कि अगर मैं यहां बैठकर के अंग्रेजी में 9 लिखता हूं मैं नहीं मानता यहां का कोई व्‍यक्ति इनकार करेगा ये 9 है। लेकिन वहां बैठने वाले को 6 दिखेगा। मैं अंग्रेजी में यहां 9 लिखूं, मैं गलत नहीं हूं लेकिन अब आपको 6 दिखता है तो मैं क्‍या करूंगा। क्‍योंकि आप वहां बैठे हैं। और इसलिए मैं समझता हूं कि अब कोई मुझे बताए कि हिन्‍दुस्‍तान का ease of doing business ये अगर ranking सुधार होता है। हमें दुख क्‍यों होना चाहिए। क्‍या ये इस देश के हर नागरिक को गर्व नहीं होना चाहिए कि ease of doing business हुआ। दुनिया में हमारी एक छवि बनी। देश के लिए एक अच्‍छी बात बनी। अब हमने किया, आपने किया वो मुद्दा हम जब चुनाव में जाएंगे तब खेल खेल लेंगे। लेकिन जब देश की बात होती है तो अच्‍छा है। अच्‍छा कोई हम यहां तक चले जाते हैं जी। कि कोई rating agency को दें तो अब हमपे हमला बोलना कभी संभव नहीं होता है। तो उस rating agency पर ही हमला बोल देते हैं। शायद दुनिया में ऐसा कहीं नहीं होता होगा। और इसलिए और कभी-कभी तो मैं अनुभव कर रहा हूं आपने भारतीय जनता पार्टी की आलोचना करनी चाहिए। जमकर के करनी चाहिए। आपका हक है। मोदी की भी आलोचना करनी चाहिए। जमकर के करनी चाहिए। बाल नोंच लेने चाहिए। democracy में आपका पूरा हक है। लेकिन भाजपा की बुराईया करते-करते आप भूल जाते हैं। भारत की बुराई करने लग जाते हैं, खिसक जाते हैं आप। आप मोदी पर हमला बोलते-बोलते हिन्‍दुस्‍तान पर हमला बोल देते हैं जाकर के। जहां तक भाजप और मोदी पर करते हैं। राजनीति में आपका हक है और आपको करना भी चाहिए। लेकिन इसके कारण मर्यादा लांघ देते हैं। अब उससे देश का बहुत नुकसान होता है। तो मैं अब ये ठीक है कि आप कभी नहीं स्‍वीकार पाएंगे कि यहां हमारे जैसे लोग बैठे हुए हैं। कैसे स्‍वीकारेंगें। कभी नहीं स्‍वीकारेंगें। आपकी पीड़ा हम समझ सकते हैं। लेकिन मेहरबानी करके देश को नुकसान हो, देश की दुनिया में अब यहां पर एक विषय आया। अब राष्‍ट्रपति जी ने अपने भाषण में न्‍यू इंडिया की कल्‍पना की है। स्‍वामी विवेकानंद जी ने भी नए भारत की चर्चा की थी। महात्‍मा गांधी भी young India की बात करते थे। हमारे पूर्व राष्‍ट्रपति जी ने भी जब पद पर थे तब उन्‍होंने भी नए भारत की संकल्‍पना की बात कही थी। तो मुझे पता नहीं क्‍या परेशानी है। हमें New India नहीं चाहिए। हमें तो हमारा वो भारत चाहिए, हमें पुराना भारत चाहिए। मैं समझता हूं कि हमें गांधी वाला भारत चाहिए। मुझे भी गांधी वाला भारत चाहिए। क्‍योंकि गांधी ने कहा था कि आजादी मिल चुकी है अब कांग्रेस की कोई जरूरत नहीं है। कांग्रेस को बिखेर देना चाहिए। ये कांग्रेस मुक्‍त भारत मोदी का विचार नहीं, गांधी का है ये। हम तो उन पद-चिन्‍हों पर चलने का प्रयास कर रहे हैं। अब आपको वो भारत चाहिए। आपको, कहते हैं कि हमें वो वाला भारत चाहिए। क्‍या सेना के जीप घोटाले वाला भारत, क्‍या पनडुब्‍बी घोटाले वाला भारत, क्‍या बोफार्स घोटाले वाला भारत, हेलीकाप्‍टर घोटाले वाला भारत। आपको न्‍यू इंडिया नहीं चाहिए आपको वो भारत चाहिए। आपको वो  भारत चाहिए इमरजेंसी वाला, आपातकाल वाला, देश को जेलखाना बना देने वाला। जयप्रकाश नारायण मोरारजी भाई देसाई लोगों को जेल में बंद करने वाला, देश के लाखों लोगों को जेल में बंद करने वाला, इमरजेंसी वाला भारत चाहिए। ये चाहिए आपको भारत। लोकतांत्रिक अधिकारों को छीन लेना, देश की अखबारों पर ताले लगा देना। ये भारत आपको चाहिए। आपको… आपको कौन-सा भारत चाहिए वो भारत कि बड़ा पेड़ गिरने के बाद…. बड़ा पेड़ गिरने के बाद, हजारों निर्दोष सिक्‍खों का कत्‍लआम हो जाए।  आपको… आपको न्‍यू इंडिया नहीं चाहिए। आपको भारत चाहिए। वो भारत… आपको वो भारत चाहिए। आपको वो भारत चाहिए जो तंदूर कांड होता हो और रसूखदार लोगों के सामने प्रशासन घुटने टेकता हो। वो भारत चाहिए। हजारों लोगों की मौत का गुनाहगार विमान में बिठा करके…विमान में बिठा करके उसे देश के बाहर ले जाया जाए। ये आपको भारत चाहिए। डावोस में…डावोस में आप भी गए थे, डावोस में हम भी गए थे। लेकिन आप… आप किसी की चिट्ठी लेकर के किसी को भेजते हैं आपको वो भारत चाहिए। ये और इसलिए आपको न्‍यू इंडिया नहीं चाहिए। + +अब आपको आधार की बात आती है। तो आप कहते हैं कि काम हमारा और आप क्रेडिट ले रहे हो। अच्‍छा है अगर आप ये कहते हैं तो लेकिन आपको ये याद रहना चाहिए। और मैं चाहूंगा 7 जुलाई 1998 इसी सदन में और सभापति जी उस समय इस सदन के सदस्‍य थे। तो 7 जुलाई 1998 में उन्‍होंने एक सवाल पूछा था as a member और तब, तब के गृहमंत्री श्रीमान लाल कृष्‍ण आडवाणी जी ने जवाब दिया था इसी सदन में और उस जवाब में उन्‍होंने कहा था Multi Purpose National Identity Cards will also be used for Issuing Passports, Driving Licenses, Rashan Cards, Health Care, Admission & Educational Institution, Employment in Public Private Sector, Life and General Insurance as also for maintenance of Land records and Urban Property holdings.    आधार का बीज यहां है। + +हमनें दल से आगे देश को रखा है। और हमारे निर्णय का आधार देशहित रहता है। आज क्रेडिट लेने के लिए आप बेताब है बहुत स्‍वाभाविक है। SIT बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने आदेश किया था। आपने तीन साल तक उसका निर्णय नहीं किया ये क्रेडिट आप ही को जाना चाहिए। और हमने पहला SIT ग्रहण किया लेकिन आप कह सकते हैं कि हमारे सामने ये विषय आया था। + +अब तक 35 सौ करोड़ रूपये की बेनामी संपत्ति जब्‍त की है। अब आपके काल खंड में इतनी बेनामी संपत्ति बनी तो क्रेडिट तो मिलना चाहिए… क्रेडिट तो मिलना चाहिए। आपके लिए ये सारी क्रेडिट है। सारी दुनिया बदली है, InSolvency code, Bankruptcy law  मैं  नहीं मानता ये कोई ज्ञान नहीं था आपको। लेकिन आपको क्रेडिट जानी चाहिए कि बहुत लोगों के लाभार्थ था, आपने इसको नहीं बनाया। क्रेडिट आपको जानी चाहिए। देश के Industrial Sector को Global Community को भारत के प्रति विश्‍वास पैदा हो, भारत के नियमों और कानूनों के प्रति विश्‍वास पैदा हो। हमनें ये निर्णय किए। One Rank One Pension चार दशक तक देश की आंख में धूल झोंकते रहे और 500 करोड़ का बजट देकर चुनाव में चले गए। हवा बन चुकी थी क्‍या करें। अब जब हम आए तो हमनें देखा कि रिकॉर्ड तक नहीं थे किसी चीज की, बारी‍की से अध्‍ययन तक नहीं हुआ था और जब हमनें ये लागू किया 11 हजार करोड़ रूपये की जरूरत पड़ी, 11 हजार करोड़ रूपये। आप 500 करोड़ से कैसे देते  तो अब ये क्रेडिट सारी आप ही को जाएगी। जीएसटी के लिए मध्‍य रात्रि को समारोह हुआ। कांग्रेस ने इसका बहिष्‍कार किया। सभी दल आए। और आपको ये लगा कि कहीं ये हमारे को क्रेडिट मिल जाएगी और आप मानों या ना मानों ये आप जो कुछ भी कर रहे हो जीएसटी के संबंध में इसकी जितनी negativity है वो आपके खाते में जमा हो रही है और होती रहेगी और देश के दिमाग में फिट हो जाएगा। आप लोग सोचिए कि क्रेडिट कोई ले न जाए इसकी चिंता और खुद की क्रेडिट मिलती रहे। + +अब neem coating की बात आई। आपकी तरफ से कहा गया हमनें शुरू किया देखिए चीज आप आधी-अधूरी शुरू करके छोड़ दें। और आप उसपर कैप लगा दें इससे आगे नहीं जाना है। तब उस योजना का लाभ होने से नुकसान ज्‍यादा होता है। आखिरकार neem coating के पीछे दो विषय थे। जो आपको भी ज्ञान था। एक युरिया की ताकत में वृद्धि होती है। इसलिए किसान को कम यूरिया से काम चल सकता है। दूसरा qualitative change आता है ताकि उत्‍पादन में वृद्धि होती है। ये मानी हुई बात थी। और दूसरा यूरिया किसानों के पास जाने के बजाय ये कारखानों में चला जाता था। बिल किसान के नाम पर पड़ता था। सब्सिडी किसान के नाम पर कटती थी। और चला जाता था कारखानों में। अब 100 प्रतिशत नीम कोटिंग होता है। तो ये किसी कारखानें में काम नहीं आएगा। आपको भी पता था। 35 प्रतिशत करने के बाद 65 प्रतिशत का दरवाजा किसके लिए खुला रखा। ये क्रेडिट मैं किसको दूं। + +और आप हैरान होगें जी मैंने एक प्रगति technology का उपयोग करते हुए initiative लिया। और मैं खुद सारे रूके पड़े project  का review करने लगा। सभी राज्‍यों के Chief Secretaries होते हैं online भारत सरकार के सभी सचिव होते हैं और मैं online सबके साथ बैठता हूं। आप हैरान होगें जी, ऐसे-ऐसे projects सामने आए हैं जो 30 साल 40 साल पहले तय हुए। शिलान्‍यास हो गया। बाद में कागज पर उसकी लकीर भी नहीं थी। ऐसे, अब मैं एक-एक को review करने लगा सब department को इकट्ठा करने लगा मैंने ये नहीं पुरानी सरकार थी मेरी क्‍या जिम्‍मेवारी है जी नहीं, आखिरकार ये देश है continuity,  सरकारें आए, जाए आप बैठे, दूसरा बैठे, तीसरा बैठे हम कोई इसको तो रोक नहीं सकते। लोकतंत्र है लेकिन सरकार में ये भाव नहीं चलता कि ये तो जयराम रमेश के समय हुआ था नहीं, मारो ताला। ऐसा नहीं होता है जी। हमनें खोजा आप हैरान होंगें- 9 लाख करोड़ से ज्‍यादा project मैंने अब तक ऐसे clear किए हैं। सारे Ministry को बैठाया कि जो भी हो 30 साल 40 साल पुराने हैं। अब यही project उस समय हो गया होता तो शायद कुछ हजार करोड़ों में होता। लेकिन आज 9 लाख 10 लाख करोड़ के project बन गए जी। और इसलिए ये काम जो हम कर रहे हैं। सरकार आपने भी चलाई है हम भी चला रहे है। और जो भी सरकार में बैठता है उनको चलानी होती है। उनकी जिम्‍मेवारी है। लेकिन चीजों का अच्‍छे ढंग से चलाते, और ये जो सब जगह पर पत्‍थर हैं आप लोगों के नाम हैं सब हैं जो शायद पत्‍थर लोग चोरी भी करके गए हैं। लेकिन क्रेडिट सब आपको जाता है। योजनाएं आपकी हैं जी। + +अब fertilizer के कारखानें खोलने के लिए तो आप कह रहे हैं हमारे समय हुआ, हमारे समय हुआ, हमारे समय हुआ लेकिन बंद भी तो आपके समय हुआ। हजारों लोग बेरोजगार भी तो आप ही के समय हुए उसकी भी तो क्रेडिट लीजिए। और इसलिए आज हम उसको अगर लागू कर रहे हैं और नीतिगत बदलाव करके कर रहे हैं। आज देखिए हमनें यूपी में गोरखपुर, बिहार में बरौनी, झारखंड में सिंगरी, ये यूरिया के कारखानें जो बंद पड़े थे उसको तेज गति से आगे बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं हम। जगदीशपुर हल्‍दिया, गैस पाइप लाइन उसके साथ हमनें उसको जोड़ा। ये नीतिगत बदलाव किया ताकि उनको गैस मिल जाए तो कारखानें को चलाने में सुविधा हो जाएगी। और ये वो इलाका है देश का जहां पर इस प्रकार की व्‍यवस्‍था करें तो पूर्वी भारत के विकास की संभावना बढ़ जाएगी। और ये वो स्‍टेट नहीं है जहां भारतीय जनता पार्टी का झंडा फहर रहा है। देश के लिए जरूरी है कि पूर्वी भारत के राज्‍यों का विकास होना चाहिए। देश का संतुलित विकास होना चाहिए। ये सीधी-साधी development की theory के आधार पर हम काम कर रहे हैं। और मुझे विश्‍वास है कि आप इन चीजों को appreciate करेंगे। + +हमारे देश में पिछले वर्षों जो सिंचाई के project हुए जी dam बन गया होगा लेकिन ये पानी क्‍यों है? खेत के लिए है हमने network ही नहीं बनाया। 40-40 50-50 साल यानि कोई कल्‍पना कर सकता है कि छ: मंजिला बनाएं और staircase भी न हो lift भी न हो। कैसे ऐसे काम हो गया। मैंने उसमें से 99 को Identify किया। हजारों करोड़ रूपये की योजना से काम चालु किया। पानी किसानों को पहुंचे उस दिशा में काम किया है। और 50 योजनाएं पूरी हो चुकी है बाकी योजनाएं जल्‍दी से पूरी हो जाएं उस दिशा में काम चल रहा है। + +और इसलिए देखा होगा हमनें आकर के एक बड़ा बदलाव किया है.. हमनें हमारे देश में ज्‍यादातर बजट Allocation होना यानि वहीं से ज्‍यादातर संतोष माना जाता है। ताली बज जाती है वो Allocate हो जाता है। outlay की तरफ देखने वाली संख्‍या बड़ी कम है। output पर तरफ देखने वाली उससे भी कम है। और outcome की चर्चा ही नहीं होती थी। हमनें पूरा work culture ऐसा बना दिया है। इस सरकार ने आग्रह रखा है और Parliament में रखते हैं Outcome report ताकि रूपया जिस काम के लिए निकला था उसी काम में गया कि नहीं गया। और इसलिए outcome पर बल देने की दिशा में हमारा प्रयास रहना चाहिए। + +अब किसानों की आमदनी बढ़ाने की विषय की यहां चर्चा हुई है। मैं हैरान हूं कि किसान की आमदनी डबल करने में किसको एतराज हो सकता है। कोई एतराज नहीं हो सकता है। और हम इसलिए नहीं कि उसके साथ कोई राजनीति है यहां बैठे हुए हर व्‍यक्ति के दिल में है कि भई ये एक ऐसा काम है जिसको हमें करना चाहिए। अब ये कैसे होगा। जमीन के टुकड़े बढ़ते जा रहे हैं। परिवार की संख्‍या बढ़ती है अगर उसकी 10 बीघा जमीन है तो बच्‍चों में बट जाती है तो 2 बीघा, 1 बीघा में आ जाता है तो कठिनाई है, तो हमनें Technology intervention agro tech की तरफ जाना ही पड़ेगा। हमें Modernise होना ही पड़ेगा। और ये अगर हम करते हैं तो बदलाव होगा। soil health card एक प्रयास है। per drop more crop, micro irrigation एक प्रयास है। sprinkler.. एक जमाना था हमारे देश में किसान flood irrigation के बिना sugar cane हो ही नहीं सकता इस conviction वाला था। वो यही मानता था कि गन्‍ने की खेती के लिए तो खेत एकदम लबालब पानी से भरा हुआ होना चाहिए। लेकिन अनुभव से…मैं तो गुजरात में था मेरा तो नियम था sprinkler से sugar cane हो रही है sugar  का level बहुत ऊंचा आया है। अब धीरे-धीरे देश भर में तो पानी बचेगा। अब ये ऐसे कई प्रयोग है। पहले सबको मालूम है केले की खेती जो करते थे। केले की खेती करने वाला केले का फल मिलने के बाद वो जो उसका थड़ खड़ा रहता है। उसको निकालने के लिए उसको पैसा देना पड़ता था। एक एकड़ पर 5 हजा, 10 हजार, 15 हजार देना पड़ता था। + +हमारे यहां Agriculture University ने जो परिणाम दिया  – केले के थड़ में से उसने फाइबर बनाया, fabrics बनाया और कपड़े बनाए। और बहुत बढि़या quality के कपड़े बन रहे हैं। इतना ही नहीं जहां सूखी भूमि है वहां उधर उसको काट कर के डाल दिया तो 90 दिन तक बिना पानी वहां पेड़-पौधे आगे बढ़ सकते हैं। अब आज जो wastage था वो wealth  में create हुआ और आज उसको लेने के लिए लोग आते हैं और उसका 10 हजार, 15 हजार एकड़ का दे रहे हैं। हमारे देश में Agriculture का जो waste है उसी पर हम बल दें तो भी हम उनकी Income में मदद कर सकते हैं। और देश में भी अब sugar हमारे यहां sugar ज्‍यादा हो जाए तो भी किसान मरेगा, sugar कम हो जाए तो भी किसान मरेगा। sugar ज्‍यादातर किसानों के द्वारा चली हुई फैक्‍ट्रीया हैं। अब हमनें इंथोनल 10 प्रतिशत कर दिया। अब इसके कारण जिस समय ये प्रेशर आएगा sugar के market पर global impact रहता है तो इंथोनल पर divert करेंगे तो किसान को सुरक्षा की संभावना हो जाएगी। + +हमारे किसान की Allied Activity आज खेत के अंदर Solar Energy का Farm जोड़ा जा सकता है किसान की आय बढ़ा सकता है। Solar pump उसकी बिजली भी पैदा कर सकता है। Solar pump चला सकता है। Diesel का खर्चा कम कर सकता है। बिजली का खर्चा कम कर सकता है। और वो बिजली राज्‍य सरकारें खरीद भी सकती हैं। तो उसका एक बहुत बड़े खर्चे में कमी होगी। + +आज हमनें बांस Bamboo 90 साल से, आपका दोष नहीं है। 90 साल से कानून बना दिया कि ये तो tree है कोई काट नहीं सकता। जबकि सारी दुनिया में Bamboo Grass है। अब ये आपने करना चाहिए तो चलो क्रेडिट आपको जाता है। हमने सोचा, हमने उठाया, आज हमने Bamboo को Grass की category में रखा। आज किसान अपने खेत के बार्डर पर Bamboo की खेती कर सकता है। Bamboo की खेती से उसकी फसल को कोई नुकसान नहीं है। वो अतिरिक्‍त है। और Bamboo आज हिन्‍दुस्‍तान हजारों करोड़ का Bamboo Import करता है। हम दियासलाई के लिए Bamboo बाहर से लाते हैं, पतंग के लिए Bamboo बाहर से लाते हैं, अगरबत्‍ती के लिए Bamboo बाहर से लाते हैं। एक छोटा सा निर्णय है कि किसान की आय बढ़ाने की ताकत आ जाए। + +हमारा किसान मधुमक्‍खी, अब मैं हैरान हूं जी मधुमक्‍खी के क्षेत्र में कितना काम हो सकता था हम उसको नहीं कर पाए। मैं हैरान हूं क्‍यों नहीं कर पाए। इन दिनों हमनें चार वर्ष में 11 Integrated bee keeping development centre खड़े किए हैं। और शहद के उत्‍पादन में 38 प्रतिशत increase हुआ है। और ये शहद अब दुनिया के बाजार में जाने लगा है। और सबसे बड़ी बात जिस पर हमें ध्‍यान देने की जरूरत है। आज दुनिया holistic health care की तरफ चली है। दुनिया Eco friendly life की तरफ conscious हुई है। और उसके कारण chemical wax के बजाय bee wax की मांग बढ़ रही है। हमारा ये honey bee का काम इतनी बड़ी मात्रा में bee wax को बल दे सकता है कि जिसके कारण आने वाले दिनों में हम बहुत बड़ा Global Market Capture कर सकते हैं। और हमारा किसान साइड में एक पेड़ के नीचे काम कर सकता है– पशु-पालन, fisheries, poetry, value addition ऐसी कई चीजें हैं जिसको हम एक साथ जोड़ करके किसानों के घर तक पहुंचाएंगे। मैं नहीं मानता हूं कि किसान की आय दोगुनी करने में कोई दिक्‍कत हो सकती है। किसान को ताकत मिल सकती है। प्रयास हम सबने करने होंगे और हम सब प्रयास करेंगे। तो परिणाम जरूर मिलेगा। और हमारा उस दिशा में प्रयास रहना चाहिए। + +तीन तलाक… अगर आपको लगता है कि तीन तलाक के विषय पर आप जिस प्रकार का कानून चाहते हैं। किसने रोका था आपको 30 साल पहले मामला आपके हाथ में आया था। आपको जैसा चाहिए बनाना था करना तो था। लेकिन आपकी राजनीति… आप ही के मंत्री का भाषण था… था उसमें तीन तलाक क्‍यों जाना चाहिए। लेकिन जब चारों तरफ से आवाज उठी, राजनीति खतरे में आई वोट बैंक खतरे में पड़ गया और अचानक से उस मंत्री को भी जाना पड़ा और उस मिशन को भी जाना पड़ा। और इस‍लिए जो कारण दिए जा रहे हैं। हिन्‍दुस्‍तान के हर Criminal कानून के अंदर जहां सजा है जो logic दे रहे हैं लागू हो सकता है। कि भई उसने किसी की हत्‍या की घर का इकलौता बेटा है, 30 साल की उम्र है। अब उसको जेल जाने का कानून क्‍यों बनाया। बूढ़े मां-बाप क्‍या खाएगें। हिंदु दो शादी करे वो जेल चला जाए उसके लिए सजा हो। तब आपको विचार नहीं आया कि उसके परिवार के लोग क्‍या खाएगें। है सजा ? और इसलिए मैं नहीं मानता हूं कोई भी इसको अध्‍ययन करेगा तो उसको आश्‍चर्य होगा कि आप किस बात की बात कर रहे हो। + +Clean Cooking ये हम मिशन मोड में काम देश में करना चाहिए। और हो सके तो solar आधारित नए ऐसे चूल्‍हे innovate हो ऐसे innovation हो ताकी गरीब को खाना पकाने का एक नया पैसा खर्चा न हो। और गैस ट्रांसपोटेशन के खर्चे बच जाएं। और अपने ही घर में solar की व्‍यवस्‍था हो। और आधुनिक ऐसे Innovation से चूल्‍हे बन सकते हैं। Clean Cooking ये हमारे समान्‍य जीवन के environment के लिए, महिलाओं के स्‍वास्‍थ्‍य के लिए आवश्‍यक है। और ये कोई राजनीतिक एजेंडा का कार्यक्रम नहीं है। देश हित के काम हैं। हम मिल बैठकर के इसको आगे बढ़ाए। + +अब वहां चर्चा हुई कि ये स्‍वच्‍छ भारत की advertisement पर खर्चा इतना हुआ है। मैं चाहता नहीं हूं किसी को बुरा लगे ऐसी कोई बात बताने के लिए लेकिन आप सरकार में रहे हैं। आप सार्वजनिक जीवन में जीते हैं। शौचालय स्‍वच्‍छता ये विषय जितनी मात्रा में Infrastruture का issue है उससे ज्‍यादा Behavioural issue है। आदत का विषय है और इसलिए दुनिया में इस विषय का अध्‍ययन करने वाले हर किसी ने ये कहा है। आप जब सरकार में थे तब भी इसी पर फोकस था कि जब तक behavioural change नहीं आता है इसमें breakthrough नहीं होता है। अब advertisement जो है वो सरकार के कार्यक्रमों की जगमगाहट नहीं है। behavioural change के लिए छोटी-छोटी घटनाओं को लेकर के लोगों को शिक्षित करने का काम हो रहा है। और ये कहने से पहले हम ये न भूलें कि इस गरीब आदमी के पैसो से खजानें में आए हुए पैसे परिवार के कुछ लोगों के जन्‍म दिन पर अखबारों में एक-एक पेज की advertisement छपा करती थीं। कितने रूपये- देश का हिसाब लगा दीजिए। एक ही परिवार के लोगों के जन्‍म दिन के advertisement पर कितने रूपयों के खर्चे हुए चौक जाएगें और ये behavioural change के लिए है और हम सबको प्रयास करना पड़ेगा। आपकी भी जहां राज्‍य सरकारें है उनको भी आप कहिए कि behavioul change के लिए बजट allot करें। लोगों को शिक्षित करें। + +और इसलिए ये तो आर वेंकटरमन जी थे। बड़े वरिष्‍ठ नेता रहे हैं आपके और राष्‍ट्रपति थे। यहां पर कभी परिवारवाद की बात आई तो बड़ा दुख हुआ, गुस्‍सा भी होता है बहुत स्‍वाभाविक है क्‍योंकि मैं नहीं चाहता हूं आपमें से किसी की राजनीति को चोट पहुंचे। मैं नहीं चाहूंगा। लेकिन आप ही के एक महाशय जिनका मीडिया में  रिपोर्टेड है। उन्‍होंने क्‍या कहा। sultanate gone but we behave like sultans सुल्‍तानी तो गई लेकिन हम अभी भी सुल्‍तान की तरह behave कर रहे हैं। मैं जयराम जी के खुलेपन के लिए बधाई देता हूं। + +लोगों को सस्‍ती दवा मिले, भारतीय जन औषधि और 800 से ज्‍यादा दवाईय बहुत सस्‍ते में दी है और आपने देखा होगा, जो लोग उन दवाईयों से उनका अनुभव कर रहे हैं उनको लगता है कि उनका 60-70 प्रतिशत खर्चा कम हुआ है। knee Implants  नए आपरेशन करवाने हैं खर्चा कम किया। stent का खर्चा कम किया। dialysis.. हमारे देश में इन दिनों किडनी की समस्‍या इतनी उजागर हुई। लेकिन हमारे यहां routine व्यवस्था में dialysis के लिए या तो district headquarter में या तो बड़े शहर में जाना पड़ता था। हमनें एक मिशन बोर्ड में काम किया। करीब 500 से अधिक जिलों में बहुत ही nominal charge से ये dialysis का movement  चला है अब तक वहां पहुंचे है और अब तक कि मेरी जानकारी है करीब 22 लाख्‍ से ज्‍यादा dialysis का session हुआ है। ये सारे मानवता की दृष्टि से करने वाले काम हैं। जिसको हमनें बल दिया है। + +एक विषय राष्‍ट्रपति जी ने अपने भाषण में कहा है। और मेरा उस विषय में मत है कि कोई सरकार का काम नहीं है। और न ही ये किसी दल का काम है। देश की जिनकी चिंता है ऐसे सब लोगों का काम है। और इस सदन में बैठे हुए हर किसी का काम है। और सबका बराबर काम है। और विषय राष्‍ट्रपति जी ने स्‍पष्‍ट किया। पहले प्रणव दा जब राष्‍ट्रपति थे तब उन्‍होंने भी उल्‍लेख किया था। अब पहले भी कई लोगों ने इस विषय पर अपने विचार रखे हैं और वो है लोकसभा और विधानसभा के चुनाव साथ करवाना। ये ठीक है राज्‍य सभा में जो आते हैं उनको ये चुनाव की आपाधापी क्‍या होती है,जो लोकसभा और राज्‍यसभा दोनों करके आए उनको पता है। कुछ लोग पराजित होकर के बाद में राज्‍य सभा में पहुंचते हैं उनको भी अनुभव है कि क्‍या कठिनाई रहती है। लेकिन कभी सोचना होगा कि एक स्‍वस्‍थ परंपरा क्‍योंकि भारत का लोकतंत्र काफी mature हुआ है। हम सब हिम्‍मत करके स्‍वस्‍थ परंपरा की दिशा में हम जा सकते हैं क्‍या? और मैं चाहता हूं कि 1967 तक ये चला है। लोकसभा विधानसभा साथ हुए लगभग 1967 तक ये चला है। उसमें एक आध दो अपवाद हो सकते हैं लेकिन चला है। और उस समय कोई किसी को तकलीफ हुई नहीं। लेकिन बाद में किसी न किसी राजनीतिक कारणों से असं‍तुलन पैदा हुआ और आज हम देखते है एक चुनाव आया पूरा हुआ तो दूसरे की तैयारी हो जाती है दूसरा पूरा तीसरा। और उसका दबाव केंद्र सरकार पर राज्‍य सरकार पर रहता है। Federal infrastructure की एक सुखद atmosphere होना चाहिए। चुनाव के चार छ: महीने हम समझ सकते है तू-तू, मैं-मैं चल जाए। लेकिन चार साढे चार साल तो कम से कम हम मिल बैठकर के देश के लिए काम कर सके। हमारी पूरी शक्ति काम में लगे। उस दिशा में हमें काम करना चाहिए। और मैं चाहता हूं कि उस दिशा में एक व्‍यापक चर्चा हो। और आप देखेगें अब जब लोकसभा का चुनाव होगा। तो चार राज्‍य उसके साथ हैं। आंध्र, तेलगांना, अरूणाचल और उड़ीसा। कठिनाईया क्‍या है वो हम भली-भांति जानते है। 2009 में करीब-करीब 1 हजार करोड़ रूपया खर्चा हुआ लोकसभा के चुनाव में। 2014 में ये करीब-करीब 4 हजार करोड़ पहुंच गया। एक हजार से चार हजार। इतना ही नहीं 2014 के बाद जो assembly के चुनाव होते हैं उसमें अब तक करीब-करीब 3 हजार करोड़ खर्चा हुआ है। + +अब ये हम कल्‍पना कर सकते हैं। भारत जैसा देश जहां गरीबों के लिए बहुत कुछ पहुंचाना हमारी जिम्‍मेवारी है। और हम चुनावों के अंदर हमारे यहां 1 करोड़ से ज्‍यादा लोग 9 लाख 30 हजार पोलिंग स्‍टेशनों पर उनकी डयूटी लगती है। बहुत मात्रा में security forces चुनाव प्रबंधन में ही लगे रहते हैं। security के मसले नई-नई challenge उभरती चली जाती है। और हमारा force बस उसी काम में लगा रहता है। ये पक्षा-पक्षी से परे का विषय है। देश हित के विषय में हो सकता है इसमें मतभेद भी हो लेकिन तर्क की चर्चा तू-तू मैं-मैं से न हो। एक प्रमाणिक पवित्रता से हम बहस करें। मिल बैठकर के कोई रास्‍ते खोजें। और मुझे लगता है हम इसको आगे बढ़ाने में सफल हो सकते हैं। हमनें ऐसे बहुत ऐसे निर्णय किए हैं जो बहुत दुनिया के देशों को अजूबा लगता है। इतनी पार्टियां और ऐसा निर्णय हो सकता है। लेकिन यही सदन में बैठे हुए लोगों ने भूतकाल में किए हैं। श्रेष्‍ठ निर्णय किए हैं। आने वाली पीढि़यों को लाभ करने वाले निर्णय किए हैं। मैं समझता हूं फिर एक बार दोनों सदन में बैठे हुए सभी महानुभव के सामने एक बड़ा सौभाग्‍य प्राप्‍त हुआ है कि हम इसको करें। + diff --git a/pm-speech/658.txt b/pm-speech/658.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..2909e307f24f5199563205362472e9baa9a563fe --- /dev/null +++ b/pm-speech/658.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +हमारे यहां खेती के लिए कर्ज मिलना आसान रहा है, लेकिन जो खेती से जुड़े अन्य व्यवसाय होते हैं, जैसे पोल्ट्री, मछली पालन, मधुमक्खी पालन, पशु-पालन, इसके लिए कर्ज लेने में किसानों को दिक्कतें होती थीं। अब हमने 10 हजार करोड़ रुपए की राशि से विशेषकर फिशरीज और एनीमल हस्बेंडरी को ध्यान में रखते हुए दो इंफ्रास्ट्रक्चर फंड गठित करने का निर्णय किया है। + +सरकार की एक योजना, कैसे देश में ऊर्जा क्रांति ला रही है, कैसे मध्यम वर्ग को बड़ी राहत दे रही है, उसका उदाहरण है- उजाला योजना। पहले की सरकार के समय साढ़े तीन सौ रुपए में बिकने वाला एक LED बल्ब अब 40 से 45 रुपए में मिल रहा है। एक अनुमान है कि जिन घरों में 5 LED बल्ब लगे हैं, उन परिवारों को हर महीना कम से कम 400 से 500 रुपए बिजली बिल में बचत हो रही है। अब तक उजाला योजना के तहत देश में 28 करोड़ से ज्यादा LED बल्ब बांटे जा चुके हैं। इसकी वजह से देश के ज्यदातर मध्यम वर्ग के लोगों को हर साल लगभग 15 हजार करोड़ रुपए की बचत बिजली बिल में हो रही है। + +लगभग 47 हजार करोड़ रुपए की राशि से उत्तर-पूर्व में 15 नई रेल लाइनों पर काम किया जा रहा है। आने वाले दिनों में जब अगरतला-अखौड़ा रेल का काम पूरा होगा, त्रिपुरा-बांग्लादेश के बीच रेलवे कनेक्टिविटी बनेगी तो इसका पूरा फायदा पूरे क्षेत्र को होगा।सरकार ने लगभग 33 हजार करोड़ रुपए की लागत से north-east में करीब-करीब 4 हजार किलोमीटर National highway के निर्माण को स्वीकृति दी है। + diff --git a/pm-speech/659.txt b/pm-speech/659.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..78c34a327f6dbdfb10aa59316f6746b3e1aeefab --- /dev/null +++ b/pm-speech/659.txt @@ -0,0 +1,4 @@ +इस बजट में सीनियर सिटिजन्स की अनेक चिंताओं को ध्यान में रखते हुए कई फैसले लिए गए हैं। प्रधानमंत्री वय वंदना योजना के तहत अब सीनियर सीटिजन 15 लाख रुपए तक की राशि पर कम से कम 8 प्रतिशत का ब्याज प्राप्त करेंगे। बैंकों और पोस्ट ऑफिस में जमा किए गए उनके धन पर 50 हजार तक के ब्याज पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। स्वास्थ्य बीमा के 50 हजार रुपए तक के प्रीमियम पर इनकम टैक्स से छूट मिलेगी। वैसे ही गंभीर बीमारियों के इलाज पर एक लाख रुपए तक के खर्च पर इनकम टैक्स से राहत दी गई है। + +30 प्रतिशत की जगह 25 प्रतिशत टैक्स देना पड़ेगा। MSME उद्योगों को आवश्यक पूंजी मिले, आवश्यक वर्किंग कैपिटल मिले, इसके लिए बैंक एवं NBFC के द्वारा ऋण की व्यवस्था को और आसान कर दिया गया है। इस प्रकार Make in India के मिशन को भी ताकत मिलेगी। बड़े उद्योगों में NPA के कारण सूक्ष्म-लघु और मध्यम उद्योग तनाव महसूस कर रहे हैं। किसी और के गुनाह की सजा छोटे उद्यमियों को नहीं मिलनी चाहिए। इसलिए सरकार बहुत जल्द MSME सेक्टर में NPA और Stressed Account की मुश्किल को सुलझाने के लिए ठोस कदम की घोषणा करेगी। + diff --git a/pm-speech/660.txt b/pm-speech/660.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..4412d3f73311ae92e532dbeb5ff9988e466306e7 --- /dev/null +++ b/pm-speech/660.txt @@ -0,0 +1,22 @@ +Sports, Arts, Cinema में भारतीय मूल के लोगों ने Global Platform पर अपनी छाप छोड़ी है। राजनीति की बात करूं तो, मैं देख ही रहा हूं कि कैसे भारतीय मूल की एक Mini World Parliament मेरे सामने उपस्थित है। आज भारतीय मूल के लोग मॉरीशस, पुर्तगाल और आयरलैंड में प्रधानमंत्री हैं। भारतीय मूल के लोग और भी बहुत से देशों में Head of State और Head of Government रह चुके हैं। हमारे लिए यह विशेष सम्मान की बात है कि Guyana के पूर्व राष्ट्रपति जी श्री भरत जगदेव आज हमारे साथ यहाँ मौजूद हैं। आप सभी विशिष्ट लोग भी अपने-अपने देशों में प्रमुख राजनीतिक भूमिका अदा कर रहे हैं। + +आपके पूर्वजों की मातृभूमि भारत को आप पर गर्व है। आपकी उपलब्धियाँ और आपकी सफ़लता हमारे लिए मान का विषय है, सम्मान का विषय है। आपके कोई पद संभालने की खबर जब मीडिया में आती है, कहीं आप चुनाव के लिए नामांकन भी करते हैं , तो उसकी viewer-ship और reader-ship भारत में बहुत ज़्यादा होती है। आप जहां है, वहां किस तरह पूरे क्षेत्र की geo-politics को प्रभावित कर रहे हैं, देश की नीतियां बना रहे हैं, इस तरह की खबरों को यहां पर लोग चाव से पढ़ते हैं। यह भी चर्चा करते हैं कि देखो, कोई अपना उस अहम पद पर पहुंच गया है। हमें यह खुशी देने के लिए, हमारा गौरव बढ़ाने के लिए आप अभिनन्दन के पात्र हैं । + +आप लोग लंबे समय से अलग-अलग देशों में रह रहे हैं। आपने अनुभव किया होगा कि पिछले तीन-चार वर्षों में भारत के प्रति नजरिया बदल गया है। हम पर focus बढ़ रहा है, विश्व का हमारे प्रति नजरिया बदल रहा है, तो इसका मुख्य कारण यही है कि भारत स्वयं बदल रहा है, transform हो रहा है। यह बदलाव आर्थिक-सामाजिक स्तर पर होने के साथ ही वैचारिक स्तर पर भी आया है। “जैसा पहले था, वैसे ही चलता रहेगा, कुछ बदलेगा नहीं”, कुछ होने वाला नहीं है, इस सोच से भारत अब बहुत आगे बढ़ चुका है। भारत के लोगों की आशाएं-आकांक्षाएं इस समय उच्चतम स्तर पर हैं। व्यवस्थाओं में हो रहे संपूर्ण परिवर्तन का, एक irreversible change का परिणाम आपको हर सेक्टर में नजर आएगा। + +शुरू की गई हैं। मुद्रा योजना के तहत स्वरोजगार के लिए लगभग 10 करोड़ लोन स्वीकृत किए गए हैं। लोगों को 4 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्ज बिना बैंक गारंटी दिया गया है। सिर्फ इस एक योजना ने देश को लगभग 3 करोड़ नए entrepreneurs दिए हैं। सरकार 21वीं सदी के भारत की जरूरत को ध्यान में रखते हुए इंफ्रास्ट्रक्चर पर, ट्रांसपोर्ट सेक्टर पर निवेश बढ़ा रही है। नीतियों में इस बात का विशेष ध्यान रखा जा रहा है कि भविष्य के भारत को किस तरह के logistics चाहिए। हाईवे-रेलवे-एयरवे, वॉटरवे और पोर्ट इस तरह विकसित किए जा रहे हैं, कि वो एक दूसरे को सपोर्ट करें, एक दूसरे से connected हों। + +वसुधैव कुटुम्बकम की परंपरा में विश्वास रखने वाली हमारी संस्कृति ने विश्व को बहुत कुछ दिया है। जब मैं पहली बार संयुक्त राष्ट्र संघ गया था, तब मैंने विश्व के सामने International Yoga Day का प्रस्ताव रखा था। आप सभी को पता है कि न सिर्फ़ 75 दिन से भी कम समय में यह प्रस्ताव सर्व सम्मति से पारित हुआ, बल्कि इसे रिकार्ड संख्या में, 177 देशों ने co-sponsor भी किया। आज जिस तरह 21 June को पूरे विश्व में करोड़ों लोग योग दिवस को मनाते हैं, वो आपके-हमारे लिए गर्व की बात है। + +2018 में पहले विश्व युद्ध की समाप्ति को सौ साल हो जाएंगे।पहले और दूसरे विश्व युद्ध में डेढ़ लाख से अधिक भारतीय सैनिकों की जान गई थी। और यह तब हुआ जबकि भारत का उन युद्धों से सीधे तौर पर कोई लेना-देना नहीं था। दोनों विश्व युद्धों में एक इंच ज़मीन जितना भी भारत का interest नहीं था। विश्व को मानना पड़ेगा की भारत ने कितना बड़ा बलिदान दिया था| आज़ादी के बाद भी यह परंपरा जारी रही है। UN Peace-keeping Forces में सबसे बड़ा योगदान देने वाले देशों में भारत है।मानवीय मूल्यों और शांति के लिए बलिदान का यह संदेश विश्व को भारत की देन है। + +हमारी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज जी न सिर्फ़ भारतीय नागरिकों, बल्कि प्रवासी भारतीयों की समस्याओं पर भी 24 by 7 नज़र रखती हैं, वह आपको सक्रिय नज़र आयेंगी। उनके नेतृत्व में विदेश मंत्रालय ने consular grievances की real time monitoring और response के लिए “मदद” portal की व्यवस्था खड़ी की है। प्रवासी भारतीय दिवस का आयोजन अब हर alternate year पर किया जा रहा है। साथ ही साथ Regional प्रवासी भारतीय दिवस भी मनाए जा रहे हैं। सुषमा जी अभी-अभी सिंगापुर में ऐसे ही सम्मलेन में शामिल हो कर आईं हैं। + +आज यहां जिस इमारत में हम सब उपस्थित हैं, उसे 2016 में 2 अक्तूबर को आप सभी प्रवासी भारतीयों के नाम पर समार्पित किया गया था। यह बहुत सुखद बात है कि इतने कम समय में ही यह केंद्र प्रवासी भारतीयों के लिए एक hub के रूप में उभरा है। यहाँ आप इस भवन में महात्मा गांधी के जीवन से जुडी एक प्रदर्शनी भी बनाई गयी , में आपसे आग्रह करूँगा कि आप उसे जरूर देखें| + +भारत की अर्थव्यवस्था में इस महत्वपूर्ण योगदान के लिए हम विदेश में रह रहे हर भारतीय के ऋणी हैं। अर्थव्यवस्था से जुड़ा एक और रास्ता है भारत में निवेश का। आज अगर विश्व में FDI के लिए सर्वाधिक आकर्षक अर्थव्यवस्था भारत की है, तो इसके प्रति जागरूकता फ़ैलाने और इस निवेश को facilitate करने में प्रवासी भारतीयों का बहुत बड़ा हाथ है। मैं समझता हूँ कि अपने-अपने समाज में आपकी प्रमुख भूमिका को देखते हुए इसमें आप एक catalyst की भूमिका निभा सकते हैं।इसी संदर्भ में Tourism को बढ़ावा देने में भी भारतीय मूल के diaspora का बहुत योगदान हो सकता है। + +आप सभी की जानकारी में है कि 2019 में प्रयाग-इलाहाबाद में कुंभ मेले का आयोजन किया जाएगा। ये भी हम सभी के लिए गौरव की बात है कि हाल ही में कुंभ-मेले को यूनेस्को की ‘Intangible Cultural Heritage of Humanity की लिस्ट में स्थान मिला है। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा इसकी व्यापक पैमाने पर तैयारी शुरू कर दी गई है। मेरा आग्रह है कि अगले वर्ष जब आप भारत आएं तो इस तैयारी के साथ आएं कि प्रयाग के दर्शन भी जरूर करें। आप अपने देश में अन्य लोगों को इस भव्य आयोजन के बारे में बताएंगे, तो वो भी भारतीय संस्कृति की इस धरोहर से परिचित होंगे। + +हमारा Development Aid देने का model भी “give and take” पर आधारित नहीं है। बल्कि यह उन देशों की आवश्यकताओं और प्राथमिकताओं पर निर्भर करता है। हमारी न किसी के resources को exploit करने की मंशा रही है और न ही किसी की territory पर हमारी नज़र है। हमारा focus सदैव capacity building और resource development पर रहा है। Bilateral, Multilateral Platforms, + diff --git a/pm-speech/661.txt b/pm-speech/661.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..b2dd1d1928a6fc6a767e43ef557e19b1d234665a --- /dev/null +++ b/pm-speech/661.txt @@ -0,0 +1,38 @@ +आप दो दिन से विचार-विमर्श कर रहे हैं। अनुभव के आधार पर मैं कह सकता हूं कि हमारे देश में अगर एक बार हम ठान लें तो कुछ भी असंभव नहीं है। बैंक राष्‍ट्रीयकरण होने के बाद भी 30 करोड़ लोग इस व्‍यवस्‍था से अछूते रह जाएं। लेकिन एक बार ये देश ठान लें, ठीक है चला, चला, जैसा गया, गया; बीता, बीता, अब नहीं चलेगा और जन-धन अकाउंट एक जनआंदोलन बन जाए और देश का आखिरी छोर पर बैठा हुआ व्‍यक्ति भी अपने आपको अर्थव्‍यवस्‍था की main stream का हिस्‍सा महसूस करने लगे; ये इसी देश ने, इसी सरकार के मुलाजिम ने, इसी बैंक के लोगों ने सिद्ध करके दिखाया है और समय सीमा में करके दिखाया है। + +18 हजार गांवों में एक हजार दिन में बिजली पहुंचाना। अगर सामान्‍य स्‍तर पर पूछताछ करते हैं तो अफसरों ये ही आता था कि साहब इतना काम करना है तो 5-7 साल तो लगेंगे। लेकिन जब चुनौती के रूप में उनके सामने आया कि 1000 दिन में 18 हजार गांवों में जाना है, बिजली पहुंचानी है; यही व्‍यवस्‍था, सही नियम, यही फाइल, यही परम्‍परा, यही टेक्‍नीक, यही तरीके, इसी टीम ने 18 हजार गांवों में समय-सीमा में बिजली पहुंचाने का काम सफलतापूर्वक कर दिया। + +Soil Testing नया विषय था। किसान इन चीजों से परिचित नहीं था। इससे लाभ से भी सीधा उसको कुछ पता नहीं था कि इससे कोई लाभ मिलता है। लेकिन एक बार कहा भाई Soil Testing करना है, Soil health card बनाने हैं, उनको एक analysis करना है। यही व्‍यवस्‍था, सही टीम, यही लोग, ठान ली मन में। शायद जो target किया था, उसके पहले पूरा कर लेंगे ऐसा मुझे report बताया जा रहा है। + +और उसी एक विश्‍वास से ease of doing business के लिए क्‍या कमियां हैं, identify की हैं। क्‍या रास्‍ते खोले जा सकते हैं, छोटा सा workshop किया। Systematic एक कदम, दो कदम, तीन कदम। सभी Chief Ministers को बुलाया, उनको sensitize किया। सभी Chief executives को बुलाया, उनको sensitize किया। Department में way out के लिए रास्‍ते खोजे। काफी होमवर्क किया और फिर उसको rollout किया। और उसका परिणाम ये आया कि दुनिया में किसी देश को एक साल में इतना बड़ा jump लगाने का अवसर नहीं मिला जो हम लोगों को मिला, हिन्‍दुस्‍तान को मिला और हम 2014 में 142 नंबर पर यात्रा शुरू की थी; 2017 में 100 पर पहुंच गए। 42 अंक आगे बढ़ना, ये किसने किया? किसी अखबार के Editorial से नहीं हुआ है; किसी टीवी पर नेता की तस्‍वीर दिखाई थी इसलिए नहीं हुआ है, किसी नेता ने बहुत बढ़िया लच्‍छेदार भाषण कर दिया इसलिए नहीं हुआ है। ये हुआ है आपके प्रयासों से, आपके पुरुषार्थ से, आपकी मेहनत से, आपकी लगन से हुआ है; आप यानि मेरे देश की एक टीम। और इसी के कारण एक विश्‍वास पक्‍का होता है कि हम अगर समस्‍या को जड़ से पकड़ें और रास्‍ते खोजें, और ये बात सही है ऊपर से नीचे हुई थोपी हुई चीजें जीती तो रहती हैं, लेकिन जान नहीं होती है। और जान नहीं है तो फिर न उसकी कोई पहचान बनती है, न उससे कोई परिणाम प्राप्‍त होता है। + +आज कोशिश ये है कि आप वो लोग हैं, यहां निर्णय करने वाले वो सब लोग यहां से गुजरे हैं, जहां आप हैं वहां से गुजरे हैं, लेकिन उसे बीच में 15-20 साल, 25 साल का फासला हो गया है। और अब तो दुनिया बहुत बदल चुकी है। आज aspirations बदल चुके हैं, सोच बदल चुकी है, व्‍यवस्‍थाएं बदल चुकी हैं। उसको आप भली भांति जानते हैं क्‍योंकि आप उस परिस्थितियों से गुजारा कर रहे हैं, छटपटा रहे हैं, क्‍या करूं? जिन सपनों को ले करके मंसूरी गया था उन सपनों को क्‍या मैं इस समय पूरा नहीं कर पाऊंगा? और बाद में शायद 5-7 साल के बाद ऐसी जिम्‍मेवारियां बदल जाएंगी जो शायद करने की ताकत भी नहीं रहेगी। + +आज मैं देख रहा था आपके presentation में clarity of thought जिसको कहते हैं, वो महसूस कर रहा था। मैं ये भी महसूस करता था आपके presentation में faith in conviction आप जिस conviction के साथ बोल रहे थे उसमें एक अपार आपका आत्‍मविश्‍वास नजर आ रहा था। और मैं सिर्फ जो बोल रहे थे उनको देख रहा था, ऐसा नहीं। मैं स्‍लाइड भी देख रहा था और साइड में खड़े लोगों को भी देख रहा था। हर एक की आंखों में मैं चमक-चमक अनुभव कर रहा था। New India मुझे उसमें नजर आ रहा था। + +हम जब स्‍कूल में पढ़ते थे तो हमें मास्‍टर जी भी बताते थे कि साहब Exam में जब तीन घंटे पेपर लिखना होता है तो easy question उसको पहले हाथ लगाओ, उसको पहले पूरा करो, कठिन, उसको बाद में देखना। और इसलिए हमारा development ही ऐसा हुआ है कि सरल से पहले चलो, और सरल से चलते-चलते-चलते हम Challenge तक कभी पहुंच ही नहीं पाते। और वहां से तो हम sick हो जाते हैं। और इसलिए तो सब लोग सरल-सरल-सरल दुनिया में रहते हैं। आवश्‍यकता है, और कभी-कभार department को लगता है। यहां जो बड़े-बड़े अफसर बैठे होंगे कि भई agriculture में ऑल इंडिया ये achieve करना है, MSME में ये achieve करना है, Industry में ये achieve करना है, तो चलो भई कौन कर सकते हैं, उनको जरा pumping करो, वो कर लेंगे। तो उनका एवरेज बढ़िया निकल आता है। तो हमारी strategy क्‍या बनी, जो करते हैं उन पर बोझ डालते रहो, उन्‍हीं से करवाते रहो। और हम अपने जो नेशनल लेवल के goal हैं, figures हैं उनको बराबर maintain करो उसमें बजट सेट नहीं हो रहा है, यार, मुझे मालूम है। + +मैं जब मुख्‍यमंत्री था, मुझे पहले शुरू में benefit नहीं मिलता था। planing commision हुआ करता था तो हमारा नंबर बहुत आखिरी रहता था। लेकिन मैं इस टेक्‍नीक को सीख कर आया था, तो मैं जनवरी महीने से बराबर ध्‍यान रखता था कि देखो किस डेट में बजट खर्च नहीं हुआ, इनकी परेशानी कहां है खर्च करने की। तो मैं ढूंढ के निकालता था कौन कौन खर्च करने की चिंता कर रहा है। और फिर मैं अफसरों को भेजता था कि भई देखों यहां-यहां जगह खाली है। मैं देखता था जो मुझे beginning में नहीं मिलता था वो आखिरी में बहुत बड़ी मात्रा में मिल जाता था। क्‍योंकि perform करने वाले जहां जहां good governance होता है वहां करने के लिए एक आदत भी रखते हैं। + +इस स्थिति को बदलने का तरीका ये था कि क्‍या हम समस्‍याओं से कुछ मुक्ति दिला सकते हैं क्‍या? अब आपने कई strategy बनाई हैं। हर District की समस्‍या एक प्रकार की नहीं है। भारत विभित्‍ताओं से भरा हुआ है। हर एक की अपनी-अपनी दिक्‍कते हैं। हर एक के अपने-अपने अवसर भी हैं। लेकिन जहां पर ये पांच या छह पैरामीटर अगर हमने लिए तो जो low hanging fruits हैं, सबका उस पर फोकस कर-करके एक बार उसको achieve कर लिया जा सकता है क्‍या? + +ये जरूरी इसलिए होता है, by and large इन क्षेत्रों में काम करने में आपको भी अनुभव आता होगा। आप कितने ही उत्‍साही क्‍यों न हों, कितने ही committed क्‍यों न हों, कितने ही dedicated क्‍यों न हों, लेकिन आपके दफ्तर में पांच-दस लोग तो मिल ही जाएंगे अरे साहब यहां कुछ होने वाला नहीं, आप बेकार ही आए, आप नए हो आपको मालूम नहीं है। वो इतना ज्ञान परोसता है आपको। और इसलिए इस साइकी को बदलने के लिए success story होना बहुत जरूरी है। ये success story उनके confidence level को build up करता है। अच्‍छा यार हो सकता है? + +दूसरी एक बात यहां आई है लेकिन वो इतना सरल नहीं होता। एक होता है जो जनआंदोलन की चर्चा है। जनआंदोलन कहने से जनआंदोलन खड़ा नहीं होता है। By and large negativity में जनआंदोलन की संभावनाएं बहुत sparking point रखते हैं। लेकिन पोजिटिव के लिए आपको पहले core team को educate करना पड़ता है। Meeting of mind ये बहुत आवश्‍यक होता है। धीरे-धीरे एक लेयर , दो लेयर , पांच लेयर , सात लेयर , जो आप सोचते हैं वही वो सोचे, ऐसी एक व्‍यवस्‍था के तहत टीम खड़ी करना; आखिर में ये दो दिन का workshop क्‍या था? वो यही था कि जो ये भारत सरकार में बैठे हुए लोगों की टीम के मन में विचार आया है, वो विचार और आपके विचारों के बीच में मेल हो। दो कदम इनको हटना पड़ेगा, दो कदम आपको बढ़ना पड़ेगा। और कहीं न कहीं meeting of point तय करना पड़ेगा। meeting of mind बनाना पड़ेगा, तब जाकर वो एकदम से click कर जाएगा। + +मान लीजिए एक कमरे के अंदर कोई सज्‍जन है। उस कमरे के दरवाजे पर एक छोटा सा छेद कर दिया और उनका हाथ बाहर निकाला। और लोगों को कहेंगे कि आइए shake hand कीजिए। कतार में खड़े रहेंगे shake hand के लिए। मुझे बताइए क्‍या होगा? कल्‍पना कीजिए। कमरे में कोई बंद है, दरवाजा बंद है, दरवाजे में छेद है, हाथ बाहर लटका हुआ है और आपको कतार में खड़ा है हाथ मिलाने के लिए। क्‍या होगा, आप कल्‍पना कर सकते हैं। लेकिन आपको बताया जाए अंदर सचिन तेंदुलकर हैं, इनका हाथ है। कैसा फर्क पड़ जाएगा एक दम से, हाथ मिलाने का तरीका, थोड़ी ऊष्‍मा आ जाएगी। देखा नहीं आपने, आपको बताया गया है। जानकारियों की ताकत होती है जी। अगर आप जिसको काम में लेना चाहते हैं उसे पता हो भई ये हैं वो और यहां पहुंचने वाले हैं। तुम कल्‍पना करो तुम्‍हारे बेटे के बेटे जब देखेंगे तो क्‍या कितना बड़ा शान से गर्व करेंगे। वो जुड़ना शुरू हो जाएगा। + +जनभागीदारी- जनभागीदारी से नहीं होती। आप जब तक लोगों को जोड़ने की systematic scheme नहीं बनाओगे। स्‍वच्‍छ भारत अभियान- मीडिया ने बहुत साकारात्‍मक रोल किया, उसका एक असर है। ऊपर से नीचे टीम ने फिजिकली उसमें आपने आपको involve करने का प्रयास किया। इसका एक natural impact आया। और हर कोई स्‍वच्‍छता के अंदर कुछ न कुछ contribute कर रहा है और बड़ा गर्व महसूस कर रहा है। और आपने देखा होगा स्‍वच्‍छता के अभियान की सफलता के मूल में मैं सबसे बड़ी ताकत देख रहा हूं वो छोटे-छोटे बच्‍चे। वे एक प्रकार से उसके ambassador बन गए हैं1 + +हमने हमारी शब्‍दमाला सकारात्‍मक बनाना बहुत जरूरी है। वे भी पूरी तरह हमें एक positive thinking के लिए कारण बन जाती है। अगर वो हम करते हैं तो आप देखिए, आप अपने अगल-बगल में भी उसका प्रभाव नजर आता है। मुझे बराबर याद है हम मुंबई में हमारे एक मित्र थे। उनका एक स्‍वभाव था, हमसे आयु में बड़े थे। अब गुजरात के लोगों को और शायद देश में भी ये सब मिलते हैं तो कैसे हो, तबियत कैसी है, पूछने का स्‍वभाव होता है। अगर उनको पूछ लिया तबियत कैसी है तो पहले दस मिनट- नहीं नींद नहीं आती है, मतलब मजा आता था उनको कहने में। तो हम जो उनसे परिचित लोग थे, उन लोगों ने एक दिन तय किया कि ये जब मिलेंगे तब बातचीत की शुरूआत कहां से करें? हमने तय किया, बिल्‍कुल प्रेक्‍टीकल तय किया। और मिलते ही वाह! साहब बहुत बढ़िया दिखता है, एकदम तबियत बहुत अच्‍छी लगती है। एकदम चेहरे पर भी चमक दिखती है। ऐसा माहौल बदल गया, उन्‍होंने रोते-पीटते बात करने का स्‍वभाव करीब-करीब उनका छूट गया। + +मैंने एक छोटा सा कार्यक्रम शुरू किया था शायद आप लोगों को पता हो। मैं किसी यूनिवर्सिटी में convocation में जब मुझे बुलाते हैं तो मैं उनसे आग्रह करता हूं कि‍ मैं convocation में आऊंगा लेकि‍न मेरे 50 स्‍पेशल गेस्‍ट होंगे। उनको आपने front row में बैठाना होगा। खैर प्रधानमंत्री कहेगा तो कौन मना करेगा और उनको भी लगता है कि‍ हो सकता है बीजेपी के लोगों को बुलाने वाले होंगे। ऐसा ही सोचते है, मर्यादा तो वही है। फि‍र मैं कहता हूं कि‍ गवर्नमेंट स्‍कूल, जहां गरीब बच्‍चे पढ़ते हैं ऐसे 50 बच्‍चों को आप convocation में लाकर के बैठाइए और फि‍र मैं convocation के बाद उन बच्‍चों से बात करता हूं। मैं देखता हूं कि‍ उन बच्‍चों को भी जब कोई गाउन पहनकर के आता है, टोपी पहनकर के आता है, प्रमाणपत्र लेता है तो उन बच्‍चों के मन में भी संस्‍कार होते हैं, यहां कभी मैं भी हो सकता हूं। एक काम जो बहुत बड़ा लेक्‍चर नहीं कर सकता है उस बच्‍चे के मन में एक Aspiration पैदा होता है। Aspirational Districts के लि‍ए यह बहुत आवश्‍यक है कि‍ वहां के जन सामान्‍य के अंदर Aspiration है, उस Aspiration को identify हम करेंगे। नए Aspiration जगाने के लि‍ए मैं नहीं कह रहा हूं, पड़े है और उसको हम channelize करें। हम इस प्रकार से जन भागीदारी से चीजों को कर सकते हैं। + +हमारी जि‍तनी स्‍कीम है। क्‍या स्‍कूल के अंदर सुबह जब असेम्‍बली होती है, हर स्‍कूल में होती है। बताइए हमारे 2022 के target पर आज कौन बोलेगा, हेल्‍थ पर कौन बोलेगा, न्‍यूट्रि‍शन पर कौन बोलेगा। हर दि‍न 10 मि‍नट कोई न कोई बच्‍चा कि‍सी न कि‍सी एक सब्‍जेक्‍ट पर बोलेगा। हवा में वि‍षय फैलते चले जाएंगे। मेरे कहने का तात्‍पर्य है कि‍ जब तक हम इन चीजों को जन सामान्‍य से जोड़ेंगे नहीं, हम परि‍णाम को प्राप्‍त नहीं कर पाएंगे। + +दूसरा, कहीं न कहीं हमने, मान लिजि‍ए आपने 6 target point कि‍ए है। एक जगह पर एक अच्‍छी तरह हो जाएगा, दूसरी जगह पर दूसरा अच्‍छा होगा। ये 6-10-15 जो भी चीजें तय की हैं, कहीं न कहीं मॉडल के रूप में develop कर सकते हैं क्‍या within 3-4 months? और लोगों को फि‍र ले जाए, देखो भई आइए, ये देखि‍ए, कैसा होता है, आपके यहां हो सकता है, फि‍र उनको लगेगा कि‍ अपने ही District में फलाने गांव में हो गया, चलो अपने गांव में भी कर सकते हैं। ये अगर हम परंपरा बनाए तो मुझे वि‍श्‍वास है कि‍ ये जो 115 District हमने टारगेट कि‍ए हैं। + +आपने भी देखा होगा कि‍ हि‍न्‍दुस्‍तान में कई जगह ऐसी हैं कि‍ जहां एकाध कारण बन गया और बाद में वहां ऐसा मोड़ आ गया कि‍ पूरा इलाका develop हो गया। देखा होगा आपने, हि‍न्‍दुस्‍तान में आपको ऐसी 50-100 जगह मि‍ल जाएंगी कि‍ अचानक develop हो गया। आप एक बार कहीं इस प्रकार से breakthrough करेंगे आप देखि‍ए चीजें उभरना शुरू हो जाएगी। एक बार 115 Districts अगर 10-10 कदम भी आगे बढ़ जाएं आप कल्‍पना कर सकते हैं कि‍ देश के सारे हि‍साब-कि‍ताब कि‍तने बदल जाएंगे। फि‍र सरकारों को भी लगेगा कि‍ बजट देना है तो यहां दो, priority यहां दो। + +आज हम जनवरी में बात कर रहे हैं। बाबा साहेब अम्‍बेडकर के इस भवन में चर्चा कर रहे हैं। 14 अप्रैल बाबा साहेब अम्‍बेडकर का जन्‍म जयंती का पर्व होता है। क्‍या हम एक टाइम टेबल 14 अप्रैल तक का बना सकते हैं क्‍या? 14 अप्रैल तक की 3 महीने की monitoring और हम देखें कि‍ 115 Districts में कौन कहां पहुंचा है और मेरा मन करता है कि‍ उस result के आधार पर मैं जो 115 Districts हैं, उसमें से एक District में जाकर के, जो अच्‍छा कर गया है; अच्‍छा है और कुछ अच्‍छा कर गया है, वो नहीं। तो मैं चाहूंगा कि‍ अप्रैल महीने में उस District में जाकर के उसी टीम के साथ कुछ घंटे बि‍ताऊं। उन्होंने कैसे achieve कि‍या, उसको मैं खुद समझूंगा। मैं खुद इसको सीखने का प्रयास करुंगा और मैं चाहूंगा कि‍ हम एक 3 महीने का जि‍समें, व्‍यवस्‍थाएं तो हैं ही, ऐसा नहीं है कि‍ कोई नई चीज ला रहे हैं हम। इसको एक नई ताकत देनी है, नई ऊर्जा देनी है, जन भागीदारी लानी है, नए प्रयोगों को करना है और मैं चाहूंगा कि‍ उसके बाद इसको मैं एक routine अपनी कार्यशैली का हि‍स्‍सा भी बना सकूं। + diff --git a/pm-speech/662.txt b/pm-speech/662.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..9d8c32db4b7a76923a635d9dfe9d127e69bda231 --- /dev/null +++ b/pm-speech/662.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +मेरा S N Bose National Centre for Basic Sciences और ऐसे ही अन्य Institutes से आग्रह है कि वो भी अपने संस्थान को Top Ranking वाला संस्थान बनाने के लिए प्लान करें, उस पर काम करें। आज मेरा एक आग्रह आपसे ये भी है कि अपने संस्थानों मेंइस तरह का इको-सिस्टम बनाएं, जिससे छात्र और नौजवान Research के लिए और Motivate हों। + diff --git a/pm-speech/663.txt b/pm-speech/663.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..491f7662184621947a44f42a540ed87ad4aa91eb --- /dev/null +++ b/pm-speech/663.txt @@ -0,0 +1,14 @@ +मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार। ‘मन की बात’ का, इस वर्ष का यह आख़िरी कार्यक्रम है और संयोग देखिए कि आज, वर्ष 2017 का भी आख़िरी दिन है।  इस पूरे वर्ष बहुत सारी बाते हमने और आपने share  की। ‘मन की बात’ के लिए आपके ढ़ेर सारे पत्र, comments , विचारों का ये आदान-प्रदान, मेरे लिए तो हमेशा एक नई ऊर्जा लेकर के आता है। कुछ घंटों बाद, वर्ष बदल जाएगा लेकिन हमारी बातों का यह सिलसिला आगे भी इसी तरह जारी रहेगा। आने वाले वर्ष में हम, और नयी-नयी बातें करेंगे, नये अनुभव share करेंगे। आप सबको 2018 की अनेक-अनेक शुभकामनाएँ। अभी पिछले दिनों 25 दिसम्बर को विश्वभर में क्रिसमस का त्योहार धूमधाम से मनाया गया। भारत में भी लोगों ने काफी उत्साह से इस त्योहार को मनाया। क्रिसमस के अवसर पर हम सब ईसा मसीह की महान शिक्षाओं को याद करते हैं और ईसा मसीह ने सबसे ज़्यादा जिस बात पर बल दिया था, वह था – “सेवा-भाव”। सेवा की भावना का सार हम बाइबल में भी देखते हैं। + +एक जनवरी, 2018 यानी कल, मेरी दृष्टि से कल का दिन एक special दिवस है। आपको भी आश्चर्य होता होगा, नया वर्ष आता रहता है, एक जनवरी भी हर वर्ष आती है, लेकिन जब, special की बात करता हूँ तो सचमुच में मैं कहता हूँ कि special है! जो लोग वर्ष 2000 या उसके बाद जन्मे हैं यानी 21वीं सदी में जिन्होंने जन्म लिया है वे एक जनवरी, 2018 से eligible voters बनना शुरू हो जाएँगे। भारतीय लोकतंत्र, 21वीं सदी के voters का, ‘New India Voters’ का स्वागत करता है। मैं, हमारे इन युवाओं को बधाई देता हूँ और सभी से आग्रह करता हूँ कि आप स्वयं को voter के रूप में register करें। पूरा हिन्दुस्तान आपको 21वीं सदी के voter के रूप में स्वागत करने के लिए लालायित है। 21वीं सदी के voter के नाते आप भी गौरव अनुभव करते होंगे। आपका वोट ‘New India’ का आधार बनेगा। वोट की शक्ति, लोकतंत्र में सबसे बड़ी शक्ति है। लाखों लोगों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए ‘वोट’ सबसे प्रभावी साधन है। आप केवल मत देने के अधिकारी नहीं बन रहे हैं। आप 21वीं सदी का भारत कैसा हो? 21वीं सदी के भारत के आपके सपने क्या हों? आप भी तो भारत की 21वीं सदी के निर्माता बन सकते हैं और इसकी शुरुआत एक जनवरी से विशेष रूप से हो रही है। और आज अपनी इस ‘मन की बात’ में, मैं 18 से 25 वर्ष के ऊर्जा और संकल्प से भरे हमारे यशस्वी युवाओं से बात करना चाहता हूँ। मैं इन्हें ‘New India Youth’ मानता हूँ। New India Youth का मतलब होता है – उमंग, उत्साह और ऊर्जा। मेरा विश्वास है कि हमारे इन ऊर्जावान युवाओं के कौशल और ताक़त से ही हमारा ‘New India’ का सपना सच होगा। जब हम नए भारत की बात करते हैं तो, नया भारत जो ये जातिवाद, साम्प्रदायवाद, आतंकवाद, भ्रष्टाचार के ज़हर से मुक्त हो। गन्दगी और ग़रीबी से मुक्त हो। ‘New India’ – जहाँ सभी के लिए समान अवसर हों, जहाँ सभी की आशा–आकांक्षाएँ पूरी हों। नया भारत, जहाँ शांति, एकता और सद्भावना ही हमारा guiding force हो। मेरा यह ‘New India Youth’ आगे आए और मंथन करे कि कैसे बनेगा New India। वो अपने लिए भी एक मार्ग  तय करे, जिनसे वो जुड़ा हुआ है उनको भी जोड़े और कारवाँ बढ़ता चले। आप भी आगे बढें , देश भी आगे बढ़े। अभी जब मैं आपसे बात कर रहा हूँ तो मुझे एक विचार आया कि क्या हम भारत के हर ज़िले में एक mock parliament आयोजित कर सकते हैं ? जहाँ ये 18 से 25 वर्ष के युवा, मिल-बैठ करके New India पर मंथन करें, रास्ते खोजें, योजनाएँ बनाएँ ? कैसे हम हमारे संकल्पों को 2022 से पहले सिद्ध करेंगें ? कैसे हम एक ऐसे भारत का निर्माण कर सकते हैं जिसका सपना हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने देखा था ? महात्मा गाँधी ने आज़ादी के आंदोलन को जन-आन्दोलन बना दिया था। मेरे नौजवान साथियो, समय की माँग है कि हम भी 21वीं सदी के भव्य-दिव्य भारत के लिए एक जन-आन्दोलन खड़ा करें। विकास का जन-आन्दोलन। प्रगति का जन-आन्दोलन। सामर्थ्यवान-शक्तिशाली भारत का जन-आन्दोलन। मैं चाहता हूँ कि 15 अगस्त के आस-पास दिल्ली में एक Mock Parliament का आयोजन हो जहाँ प्रत्येक ज़िले से चुना गया एक युवा, इस विषय पर चर्चा करे कि कैसे अगले पाँच सालों में एक New India का निर्माण किया जा सकता है ? संकल्प से सिद्धि कैसे प्राप्त की जा सकती है ? आज युवाओं के लिए ढ़ेर सारे नये अवसर पैदा हुए हैं। Skill Development से लेकर के Innovation और entrepreneurship में हमारे युवा आगे आ रहे हैं और सफल हो रहे हैं। मैं चाहूँगा कि इन सारे अवसरों की योजनाओं की जानकारी इस ‘New India Youth’ को एक जगह कैसे मिले और इस बारे में कोई एक ऐसी व्यवस्था खड़ी की जाए ताकि 18 वर्ष का होते ही, उसे इस दुनिया के बारे में, इन सारी चीज़ों के बारे में सहज रूप से जानकारी प्राप्त हो और वह आवश्यक लाभ भी ले सके। + +इसका मतलब होता है, उत्साह से भरा एक व्यक्ति अत्यन्त बलशाली होता है क्योंकि उत्साह से बढ़ कर कुछ नहीं होता। Positivity और उत्साह से भरे व्यक्ति के लिए कुछ भी असंभव नहीं। अंग्रेज़ी में भी लोग कहते हैं – ‘Pessimism leads to weakness, optimism to power’। मैंने पिछली ‘मन की बात’ में देशवासियों से अपील की थी कि वर्ष 2017 के अपने positive moments, share करें और 2018 का स्वागत एक positive atmosphere में करें। मुझे बहुत ख़ुशी हुई कि भारी संख्या में लोगों ने social media platform, MyGov और NarendraModi App पर बहुत ही positive response दिया, अपने अनुभव share किये। Positive India hashtag (#) के साथ  लाखों tweets किये गए जिसकी पहुँच करीब-करीब डेढ़-सौ करोड़ से भी अधिक लोगों तक पहुँची। एक तरह से positivity का जो संचार, भारत से आरंभ हुआ वह विश्व भर में फ़ैला। जो tweets और response आये वे सचमुच में inspiring थे। एक सुखद अनुभव था। कुछ देशवासियों ने इस वर्ष के उन घटनाक्रमों को साझा किया जिनका उनके मन पर विशेष प्रभाव पड़ा, सकारात्मक प्रभाव पड़ा।  कुछ लोगों ने अपनी व्यक्तिगत उपलब्धियों को भी share किया। + +ऐसे अनेक लोग हैं जो अपने-अपने स्तर पर ऐसे कार्य कर रहे हैं जिनसे कई लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव आ रहा है। वास्तव में, यही तो ‘New India’ है जिसका हम सब मिल कर निर्माण कर रहे हैं। आइए, इन्हीं छोटी-छोटी खुशियों के साथ हम नव-वर्ष में प्रवेश करें, नव-वर्ष की शुरूआत करें और ‘positive India’ से ‘progressive India’ की दिशा में मजबूत कदम बढ़ाएँ। जब हम सब positivity की बात करते हैं तो मुझे भी एक बात share करने का मन करता है। हाल ही में मुझे कश्मीर के प्रशासनिक सेवा के topper अंजुम बशीर खान खट्टक ( Anjum Bashir Khan Khattak) की प्रेरणादायी कहानी के बारे में पता चला। उन्होंने आतंकवाद और घृणा के दंश से बाहर निकल कर Kashmir Administrative Service की परीक्षा में top किया है। आप ये जानकर के हैरान रह जाएंगे कि 1990 में आतंकवादियों ने उनके पैतृक-घर को जला दिया था। वहाँ आतंकवाद और हिंसा इतनी अधिक थी कि उनके परिवार को अपनी पैतृक-ज़मीन को छोड़ के बाहर निकलना पड़ा। एक छोटे बच्चे के लिए उसके चारों ओर इतनी हिंसा का वातावरण, दिल में अंधकारात्मक और कड़वाहट पैदा करने के लिए काफ़ी था – पर अंजुम ने ऐसा नहीं होने दिया। उन्होंने कभी आशा नहीं छोड़ी। उन्होंने अपने लिए एक अलग रास्ता चुना – जनता की सेवा का रास्ता। वो विपरीत हालात से उबर कर बाहर आए और सफलता की अपनी कहानी ख़ुद लिखी। आज वो सिर्फ जम्मू और कश्मीर के ही नहीं बल्कि पूरे देश के युवाओं के लिए प्रेरणा बन गए हैं। अंजुम ने साबित कर दिया है कि हालात कितने ही ख़राब क्यों न हों, सकारात्मक कार्यों के द्वारा निराशा के बादलों को भी ध्वस्त किया जा सकता है। + +मेरे प्यारे देशवासियो, 2 अक्तूबर 2014 पूज्य बापू की जन्म जयन्ती पर हम सब ने संकल्प किया है कि पूज्य बापू का जो अधूरा काम है यानी कि ‘स्वच्छ-भारत’, ‘गन्दगी से मुक्त-भारत’। पूज्य बापू जीवन-भर इस काम के लिए जूझते रहे, कोशिश भी करते रहे। और हम सब ने तय किया कि जब पूज्य बापू की 150वीं जयंती हो तो उन्हें हम उनके सपनों का भारत, ‘स्वच्छ भारत’, देने की दिशा में कुछ-न-कुछ करें। स्वच्छता की दिशा में देशभर में व्यापक स्तर पर प्रयास हो रहा है। ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में व्यापक जन-भागीदारी से भी परिवर्तन नज़र आने लगा है। शहरी क्षेत्रों में स्वच्छता के स्तर की उपलब्धियों का आकलन करने के लिए आगामी 4 जनवरी से 10 मार्च 2018 के बीच दुनिया का सबसे बड़ा सर्वे ‘स्वच्छ सर्वेक्षण 2018’ किया जाएगा। ये सर्वे, चार हज़ार से भी अधिक शहरों में लगभग चालीस (40) करोड़ आबादी में किया जाएगा। इस सर्वे में जिन तथ्यों का आकलन किया जाएगा उनमें हैं – शहरों में खुले में शौच से मुक्ति, कूड़े का कलेक्शन, कूड़े को उठा कर ले जाने के लिए परिवहन की व्यवस्था, वैज्ञानिक तरीक़े से कूड़े की processing, behavioral change के लिए किए जा रहे प्रयास, capacity building और स्वच्छता के लिए किये गए innovative प्रयास और इस काम के लिए जन-भागीदारी। इस सर्वे के दौरान, अलग-अलग दल जा करके शहरों का inspection करेंगे। नागरिकों से बात करके उनकी प्रतिक्रिया लेंगे। स्वच्छता App के उपयोग का तथा विभिन्न प्रकार के सेवा-स्थलों में सुधार का analysis करेंगे। इसमें यह भी देखा जाएगा कि क्या ऐसी सारी व्यवस्था शहरों के द्वारा बनायी गई हैं जिनसे शहर की स्वच्छता एक जन-जन का स्वभाव बने, शहर का स्वभाव बन जाए। स्वच्छता, सिर्फ़ सरकार करे ऐसा नहीं। हर नागरिक एवं नागरिक संगठनों की भी बहुत बड़ी ज़िम्मेवारी है। और मेरी हर नागरिक से अपील है कि वे, आने वाले दिनों में जो स्वच्छता-सर्वे होने वाला है उसमें बढ़-चढ़ करके भाग लें। और आपका शहर पीछे न रह जाए, आपका गली-मोहल्ला पीछे न रह जाए – इसका बीड़ा उठाएं। मुझे पूरा विश्वास है कि घर से सूखा-कूड़ा और गीला-कूड़ा, अलग-अलग करके नीले और हरे dustbin का उपयोग, अब तो आपकी आदत बन ही गई होगी। कूड़े के लिए reduce, re-use  और re-cycle का सिद्धांत बहुत क़ारगर होता है। जब शहरों की ranking इस सर्वे के आधार पर की जाएगी – अगर आपका शहर एक लाख से अधिक आबादी का है  तो पूरे देश की ranking में, और एक लाख से कम आबादी का है तो क्षेत्रीय ranking में ऊँचे-से-ऊँचा स्थान प्राप्त करे, ये आपका सपना होना चाहिए, आपका प्रयास होना चाहिए। 4 जनवरी से 10 मार्च 2018,  इस बीच होने वाले स्वच्छता-सर्वेक्षण में, स्वच्छता के इस healthy competition में आप कहीं पिछड़ न जाएँ – ये हर नगर में एक सार्वजनिक चर्चा का विषय बनना चाहिए। और आप सब का सपना होना चाहिए, ‘हमारा शहर- हमारा प्रयास’, ‘हमारी प्रगति-देश की प्रगति’। आइए, इस संकल्प के साथ हम सब फिर से एक बार पूज्य बापू का स्मरण करते हुए स्वच्छ-भारत का संकल्प लेते हुए पुरुषार्थ की पराकाष्ठा करें। + +मेरे प्यारे देशवासियो, कुछ बातें ऐसी होती हैं जो दिखने में बहुत छोटी लगती हैं लेकिन एक समाज के रूप में हमारी पहचान पर दूर-दूर तक प्रभाव डालती रहती हैं। आज ‘मन की बात’ के इस कार्यक्रम के माध्यम से मैं आपके साथ ऐसी एक बात share करना चाहता हूँ। हमारी जानकारी में एक बात आयी कि यदि कोई मुस्लिम महिला, हज-यात्रा के लिए जाना चाहती है तो वह ‘महरम’ या अपने male guardian के बिना नहीं जा सकती है। जब मैंने इसके बारे में पहली बार सुना तो मैंने सोचा कि ऐसा कैसे हो सकता है? ऐसे नियम किसने बनाए होंगें? ये discrimination क्यों? और मैं जब उसकी गहराई में गया तो मैं हैरान हो गया – आजादी के सत्तर (70) साल के बाद भी ये restriction लगाने वाले हम ही लोग थे। दशकों से मुस्लिम महिलाओं के साथ अन्याय हो रहा था लेकिन कोई चर्चा ही नहीं थी। यहाँ तक कि कई इस्लामिक देशों में भी यह नियम नहीं है। लेकिन भारत में मुस्लिम महिलाओं को यह अधिकार प्राप्त नहीं था। और मुझे खुशी है कि हमारी सरकार ने इस पर ध्यान दिया। हमारी Ministry of Minority Affairs ने आवश्यक कदम भी उठाए और ये सत्तर(70) साल से चली आ रही परंपरा को नष्ट कर के इस restriction को हमने हटा दिया। आज मुस्लिम महिलाएँ, ‘महरम’ के बिना हज के लिए जा सकती हैं और मुझे खुशी है कि इस बार लगभग तेरह सौ (1300) मुस्लिम महिलाएँ ‘महरम’ के बिना हज जाने के लिए apply कर चुकी हैं और देश के अलग-अलग भागों से- केरल से ले करके उत्तर तक महिलाओं ने बढ़-चढ़ करके हज-यात्रा करने की इच्छा ज़ाहिर की है। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय को मैंने सुझाव दिया है कि वो यह सुनिश्चित करें कि ऐसी सभी महिलाओं को हज जाने की अनुमति मिले जो अकेले apply कर रही हैं। आमतौर पर हज-यात्रियों के लिए lottery system है लेकिन मैं चाहूँगा कि अकेली महिलाओं को इस lottery system से बाहर रखा जाए और उनको special category में अवसर दिया जाए। मैं पूरे विश्वास से कहता हूँ और ये मेरी दृढ़ मान्यता है कि भारत की विकास यात्रा, हमारी नारी-शक्ति के बल पर, उनकी प्रतिभा के भरोसे आगे बढ़ी है और आगे बढ़ती रहेगी। हमारा निरंतर प्रयास होना चाहिए कि हमारी महिलाओं को भी पुरुषों के बराबर समान अधिकार मिले, समान अवसर मिले ताकि वे भी प्रगति के मार्ग पर एक-साथ आगे बढ़ सकें। + +मेरे प्यारे देशवासियो, 26 जनवरी हमारे लिए एक ऐतिहासिक-पर्व है। लेकिन इस वर्ष 26 जनवरी 2018 का दिन, विशेष रूप से याद रखा जाएगा। इस वर्ष गणतंत्र-दिवस समारोह के लिए सभी दस आसियान (ASEAN) देशों के नेता मुख्य-अतिथि के रूप में भारत आएँगे। गणतंत्र-दिवस पर इस बार ‘एक’ (1) नहीं बल्कि ‘दस’ (10) मुख्य अतिथि होंगे। ऐसा भारत के इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ है। 2017, आसियान (ASEAN) के देश और भारत,दोनों के लिए ख़ास रहा है। आसियान (ASEAN) ने 2017 में अपने 50 वर्ष पूरे किए और 2017 में ही आसियान (ASEAN) के साथ भारत की साझेदारी के 25 वर्ष भी पूरे हुए हैं। 26 जनवरी को विश्व के 10 देशों के इन महान नेताओं का एक साथ शरीक़ होना हम सभी भारतीयों के लिए गर्व की बात है। + diff --git a/pm-speech/664.txt b/pm-speech/664.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..ddbd39bf161e3699aae4140623c129ca8b6c3bd9 --- /dev/null +++ b/pm-speech/664.txt @@ -0,0 +1,8 @@ +श्री नारायण गुरु ने समाज के हर व्यक्ति को जोड़ने का काम किया। चमत्कार और ढकोसलों से दूर उन्होंने मंदिरों में सच्चाई, स्वच्छता की बात कही। उन्होंने हर ऐसी पूजा पद्धति को सुधारा जो मंदिर में अस्वच्छता बढ़ाते थे। पूजा-पद्धतियों में जो गैर-जरूरी चीजें शामिल हो गई थीं, उन्हें हटाकर श्री नारायण गुरु ने नई व्यवस्था का रास्ता दिखाया। उन्होंने मंदिरों में पूजा पर हर किसी का अधिकार कायम किया। शिवगिरी Pilgrimage भी एक तरह से समाज सुधार के उनके व्यापक विजन का विस्तार है। + +कुंभ मेले के दौरान भी अपने विशाल देश को एक में समेटने का प्रयास होता है। संत-महंत, ऋषि-मुनि जुटते हैं, समाज के सुख-दुःख पर चर्चा करते हैं। समय के साथ कुछ बदलाव भले आ गया हो, लेकिन कुंभ मेले के स्वरूप में एक और विशेष बात रही है। हर 12 साल पर साधु-संत जुटते थे फिर तय किया जाता था कि अब भविष्य के लिए समाज की दिशा क्या होगी, + +साथियों, आज देश के सामने एक बार फिर वैसा ही समय आया है। देश के लोग, देश को अपनी आंतरिक कमजोरियों से मुक्त देखना चाहते हैं। आप जैसे हजारों संगठन, संस्थाएं इसमें अहम भूमिका निभा सकते हैं। सिर्फ जातिवाद ही नहीं, जितनी भी बुराइयां देश को नुकसान पहुंचा रही हैं, उन्हें दूर करने में, उनके प्रति लोगों को जागृत करने में आपका योगदान और बढ़ाए जाने की आवश्यकता है। + +2018 में ये यात्रा और तेज होगी। कालेधन-भ्रष्टाचार से लेकर बेनामी संपत्ति पर कड़ी कार्रवाई से लेकर, आतंकवाद और जातिवाद के खिलाफ काम करते हुए, Reform, Perform और Transform के मंत्र पर चलते हुए, सबके साथ से, सबका विकास करते हुए, 2018 में हम भारतीय मिलकर देश को नई ऊंचाइयों पर लेकर जाएंगे। इन्हीं वादों, इन्हीं इरादों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं। + diff --git a/pm-speech/666.txt b/pm-speech/666.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..782d33288fe5d860dd304b586c646f79abb14855 --- /dev/null +++ b/pm-speech/666.txt @@ -0,0 +1,10 @@ +इस पॉलिसी को हमने नाम दिया है- Ministry of DoNER At Your Door-step. मंत्रियों से अलग, Development of North East Region मंत्रालय के सचिव भी अपने अफसरों के साथ हर महीने उत्तर पूर्व के किसी ना किसी राज्य में कैंप करते हैं। सरकार के इन प्रयासों का ही नतीजा है कि उत्तर-पूर्व की योजनाओं में तेजी आई है, जो बरसों से अटके हुए प्रोजेक्ट थे, वो आज तेज गति से आगे बढ़ रहे हैं। + +साथियों, स्वतंत्रता के 70 वर्ष बाद भी हमारे देश में ऐसे 4 करोड़ घर हैं जिनमें अब तक बिजली का कनेक्शन नहीं है। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि वो लोग किस तरह 18वीं सदी की जिंदगी जीने के लिए मजबूर हैं। यहां मिजोरम में भी हजारों घर ऐसे हैं जो अब भी अंधकार में जिन्दगी गुजार रहे हैं। ऐसे घरों में बिजली पहुँचाने के लिए सरकार ने हाल ही में ‘प्रधानमंत्री सहज बिजली- हर घर’ योजना यानी ‘सौभाग्य’ की शुरूआत की है। हमारा लक्ष्य है जल्द से जल्द देश के हर घर को बिजली कनेक्शन से जोड़ा जाए। + +साथियों, हमारे देश का ये हिस्सा, बहुत आसानी से खुद को Carbon Negative घोषित कर सकता है। हमारे साथी भूटान ने ऐसा करके दिखाया है। राज्य सरकारों की तरफ से प्रयास बढ़े तो उत्तर-पूर्व के आठों राज्य Carbon Negative हो सकते हैं। Carbon Negative राज्यों की पहचान देश के इस क्षेत्र को पूरे विश्व मानचित्र पर एक बड़े brand के तौर पर स्थापित कर सकती है। इसी तरह जैसे सिक्कम ने खुद को 100 प्रतिशत organic State घोषित किया है, वैसे ही उत्तर पूर्व के अन्य राज्य भी इस दिशा में अपने प्रयासों को और तेज कर सकते हैं। + +साथियों, दुनिया में कई देशों की अर्थव्यवस्थाएं सिर्फ और सिर्फ Sports के भरोसे चल रही हैं। अलग-अलग तरह के खेलों के लिए आवश्यक माहौल तैयार करके ऐसे देश दुनिया भर के लोगों को आकर्षित करते हैं। North-East में Sports की अपार क्षमता को देखते हुए ही केंद्र सरकार इस क्षेत्र में, इंफाल में Sports University की भी स्थापना कर रही है। + +स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी बनने के बाद यहां के नौजवानों को Sports और उससे जुड़ी हर तरह की Training लेने में और आसानी हो जाएगी। हमारी तो तैयारी ये भी है कि University बनने के बाद उसके कैंपस भारत ही नहीं दुनिया के दूसरे देशों में भी खोले जाएं, ताकि यहां का खिलाड़ी दूसरे देशों में भी जाकर Sports से जुड़ी Training ले सके। + diff --git a/pm-speech/667.txt b/pm-speech/667.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..e6d7b75fa1f0d7eebed7b4a32e39a70af160aaa8 --- /dev/null +++ b/pm-speech/667.txt @@ -0,0 +1,12 @@ +हिंद महासागर ने भारत के इतिहास को गढ़ा है और अब वो भारत के वर्तमान को और मजबूती दे रहा है। 7500 किलोमीटर से ज्यादा लंबा हमारा समुद्री तट, 1300 के करीब छोटे-बड़े द्वीप, लगभग 25 लाख स्क्वायर किलोमीटर की Exclusive Economic Zone एक ऐसी सामुद्रिक शक्ति का निर्माण करते हैं, जिसका कोई मुकाबला नहीं है। हिंद महासागर सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के भविष्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। ये महासागर दुनिया के दो तिहाई Oil Shipments,  दुनिया के एक तिहाई Bulk कार्गो और दुनिया के आधा Container Traffic  का भार वहन करता है। इससे होकर गुजरने वाला तीन-चौथाई Traffic दुनिया के दूसरे हिस्सों में जाता है। इसमें उठने वाली लहरें दुनिया के + +साथियों, कहा जाता है कि 21वीं सदी एशिया की सदी है। ये भी तय है कि 21वीं सदी के विकास का रास्ता हिंद महासागर से होकर के ही निकलेगा। और इसलिए हिंद महासागर की हमारी सरकार की नीतियों में एक विशेष उसका स्‍थान है, विशेष जगह है। ये अप्रोच, हमारे विजन में झलकती है। मैं इसे एक स्पेशल नाम से भी उल्‍लेख करता हूं- S. A. G. A. R.- “सागर” अगर मैं सागर कहता हूं। यानि कि सेक्योरिटी एंड ग्रोथ फॉर ऑल इन द रीजन। “सागर” हम हिंद महासागर में अपने वैश्विक, सामरिक और आर्थिक हितों को लेकर पूरी तरह सजग हैं, सतर्क हैं और इसलिए भारत की Modern और Multi-Dimensional नौसेना को पूरे क्षेत्र में शांति के लिए, स्थायित्व के लिए आगे बढ़कर के  नेतृत्व कर रही है। जिस तरह भारत की राजनीतिक और आर्थिक Maritime Partnership बढ़ रही है, क्षेत्रीय Frame-work को मजबूत किया जा रहा है, उससे इस लक्ष्य की प्राप्ति और आसान नजर आती है। + +पूरे विश्व को एक परिवार मानते हुए, वसुधैव कुटुम्‍ब की भावना को आगे बढ़ाते हुए भारत अपने वैश्विक उत्तरदायित्वों को लगातार निभा रहा है। भारत अपने साथी देशों के लिए उनके संकट के समय first responder बना हुआ है और इसलिए जब श्रीलंका में बाढ़ आती है तो भारत की नौसेना तत्परता से मदद के लिए सबसे पहले पहुँच जाती है। + +Licensing प्रक्रिया से Export प्रक्रिया तक, हम पूरे सिस्टम में पारदर्शिता और संतुलित प्रतिस्पर्धा ला रहे हैं। विदेशी निवेश को प्रोत्साहन देने के लिए भी हमारी सरकार ने अनेक कदम उठाए हैं। अब 49 प्रतिशत FDI automatic route से किया जा सकता है। डिफेंस सेक्टर के कुछ क्षेत्रों में तो अब 100 प्रतिशत FDI का रास्ता खुल गया है। Defence Procurement Procedure में भी हमने बड़े बदलाव किये हैं। इनसे Make in India को भी बढ़ावा मिल रहा है। इससे रोजगार के भी नए अवसरों का निर्माण हो रहा है। + +देश को डिफेंस सेक्टर में आत्मनिर्भर बनाने के लिए, सरकार, भारतीय प्राइवेट सेक्टर के साथ Strategic Partnership Model लागू कर रही है। हमारी कोशिश है कि विदेशों की तरह ही भारतीय कंपनियां भी फाइटर प्लेन से लेकर हेलीकॉप्टर और टैंक से लेकर सबमरीन तक का निर्माण इसी धरती पर करें। भविष्य में यही Strategic Partner भारत की डिफेंस इंडस्ट्री को और मजबूत बनाएंगे। + +साथियों, देश की मजबूती हमारे सुरक्षाबलों की मजबूती से जुड़ी हुई है और इसलिए सुरक्षाबलों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए, बिना विलंब किए हुए, उनके लिए फैसले लेना, उनके साथ खड़े रहना ये इस सरकार की प्राथमिकता है। और ये सरकार के स्‍वभाव में है। ये हमारी ही कमिटमेंट थी जिसके कारण कई दशकों से लंबित One Rank One Pension का वायदा हकीक़त में बदल चुका है। अब तक 20 लाख से अधिक रिटायर्ड फौजी भाइयों को लगभग 11 हजार करोड़ रुपए एरियर के तौर पर दिए भी जा चुके हैं। + diff --git a/pm-speech/668.txt b/pm-speech/668.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..b8b6fbcdd3560ae01c2d7a73e42e8436cafcb3b6 --- /dev/null +++ b/pm-speech/668.txt @@ -0,0 +1,18 @@ +गरीब महिलाओं को गैस के धुएं से मुक्ति मिले, इसलिए उज्जवला योजना शुरू की थी। हमने तीन करोड़ से ज्यादा महिलाओं को मुफ्त गैस कनेक्शन दिया है। अब एक और स्टडी में सामने आया है कि इस योजना के बाद ग्रामीण इलाकों में fuel inflation में भी कमी आई है। यानि गरीब को ईंधन के लिए अब कम पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं। + +सरकार सरकार स्टार्ट अप्स को भी बढ़ावा दे रही है। स्टार्ट अप्स की सबसे बड़ी जरूरत है रिस्क कैपिटल की। इस जरूरत को पूरा करने के लिए सरकार ने सिड्बी के तहत एक Fund of Fund बनाया। इस कदम के बाद सिड्बी के द्वारा किए गए निवेश को, अन्य इन्वेस्टर्स के सहयोग से, चार से साढ़े चार गुना ज्यादा लेवरेज किया गया। इससे स्टार्ट अप्स को, जिनके पास नए आइडियाज हैं, उन्हें पूंजी मिलने में सहायता मिल रही है। + +भाइयों और बहनों, स्टार्ट अप्स के इको सिस्टम में Alternate Investment Funds द्वारा किए गए निवेश महत्वपूर्ण हैं। पिछले तीन सालों में सरकार द्वारा लिए गए नीतिगत निर्णयों के कारण ऐसे निवेश में काफी ज्यादा वृद्धि हुई है आप देखेंगे कि सरकार देश के नौजवानों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए फैसले ले रही है, योजनाएं बना रही है। इसका बिल्कुल contrast आपको पिछली सरकार में देखने को मिलेगा। उस दौरान कुछ बड़े उद्योगपतियों को लाखों करोड़ के लोन दिए गए, बैंकों पर दबाव डालकर पैसा दिलवाया गया। + +ये यूपीए सरकार का सबसे बड़ा घोटाला था। कॉमनवेल्थ, 2 जी, कोयला, इन सभी से कहीं ज्यादा बड़ा घोटाला। ये एक तरह से सरकार में बैठे लोगों द्वारा उद्योगपतियों के माध्यम से जनता की गाढ़ी कमाई की लूट थी। क्या एक बार भी किसी सर्वे में, किसी स्टडी में इस तरफ इशारा किया गया। जो लोग मौन रहकर सब कुछ देखते रहे, क्या उन्हें जगाने की कोशिश, किसी संस्था द्वारा की गई? + +साथियों, मुझे बताया गया है कि फिक्की के सदस्यों में सबसे ज्यादा मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियों से जुड़े सदस्य हैं। Engineering goods, Infrastructure, Real estate construction materials जैसी कंपनियां फिक्की का एक चौथाई परिवार है। भाइयों और बहनों, फिर क्यों ऐसा हुआ कि बिल्डरों की मनमानी की खबर पहले की सरकार तक नहीं पहुंची। मध्यम वर्ग पिस रहा था, जिंदगी भर की कमाई बिल्डर को देने के बाद भी उसे घर नहीं मिल रहे थे, और फिर भी कुछ ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे थे। क्यों? RERA जैसे कानून पहले भी तो बनाए जा सकते थे, लेकिन नहीं बने। मध्यम वर्ग की इस दिक्कत को इस सरकार ने ही समझा और कानून बनाकर बिल्डरों की मनमानी पर रोक लगाई। + +भाइयों और बहनों, हमने ही इस बात को समझा कि मार्च में बजट पेश होने पर योजनाओं को साल भर काम करने का अवसर नहीं मिल पाता। मॉनसून की वजह से तीन-चार महीने बर्बाद हो जाते हैं। इसलिए इस साल बजट का समय एक महीना पहले कर दिया गया। इसका परिणाम ये हुआ है कि इस साल विभागों को तय समय पर पैसा मिला और योजनाओं पर काम करने के लिए पूरा एक वर्ष। + +हमने यूरिया को लेकर नीति बदली, तो देश में बिना नए यूरिया कारखाने लगे, 18 से 20 लाख टन यूरिया का उत्पादन बढ़ गया। टेक्सटाइल सेक्टर में नई नीति रोजगार के एक करोड़ अवसरों का निर्माण करेगी। एविएशन सेक्टर में पॉलिसी चेंज हवाई चप्पल वालों को भी हवाई उड़ान की सुविधा देगा। ट्रांसपोर्ट सेक्टर का इंटीग्रेशन यातायात की अलग-अलग व्यवस्थाओं पर बोझ कम करेगा। + +Ease of Doing Business की रैंकिंग में भारत सिर्फ तीन वर्षों में 142 से 100वें नंबर पर पहुंच गया है। भारत का Foreign Exchange Reserve लगभग 30 हजार करोड़ डॉलर से बढ़कर 40 हजार करोड़ डॉलर के पार पहुंच गया है। Global Competitiveness Index में भारत की रैंकिंग में 32 अंकों का सुधार हुआ है। Global Innovation Index में भारत की रैकिंग 21 अंक उछली है। Logistics Performance Index में 19 अंकों का सुधार हुआ है। अगर कुल FDI की बात करें तो पिछले तीन वर्षों में देश में विदेशी निवेश में लगभग 70 प्रतिशत की बढोतरी हुई है। + +जैसे मैं अगर प्रधानमंत्री आवास योजना की बात करूं तो सरकार इस लक्ष्य पर काम कर रही है कि 2022 तक देश के गरीब के पास अपना घर हो। इसके लिए गांवों में, शहरों में लाखों घरों का निर्माण किया जा रहा है। इन घरों को बनाने के लिए Manpower तो स्थानीय स्तर पर ही जुटाई जा रही है। घरों के निर्माण में जो सामान लग रहा है, वो भी तो स्थानीय बाजार से ही आ रहा है। ऐसे ही देश में गैस पाइपलाइन बिछाने का जो काम हो रहा है, उससे कई शहरों में सिटी गैस डिस्ट्रिब्यूशन सिस्टम डवलप हो रहा है। जिन शहरों में CNG पहुंच रही है, वहां पर एक Job मार्केट में एक नया इकोसिस्टम बन रहा है। + diff --git a/pm-speech/669.txt b/pm-speech/669.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..9157ab2b0f03c9e7694575cd3f52552778b8b7c8 --- /dev/null +++ b/pm-speech/669.txt @@ -0,0 +1,4 @@ +वैसे पिछले साल वर्चुअल दुनिया में एक छठा तीर्थ भी निर्मित हुआ है। ये तीर्थ देश को डिजिटल तरीके से ऊर्जा दे रहा है, सशक्त कर रहा है। पिछले साल शुरू किया गया Bharat Interface for Money- यानि BHIM App बाबा साहेब के आर्थिक विजन को इस सरकार की श्रद्धांजलि था। BHIM App गरीबों-दलितों-पिछड़ों-शोषितों, वंचितों के लिए वरदान बनकर आया है। + +सामाजिक लोकतंत्र को मजबूत करने की दिशा में बहुत बड़ा काम इस सरकार की बीमा योजनाएं भी कर रही हैं। प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना और जीवन ज्योति बीमा योजना से अब तक देश के 18 करोड़ गरीब उसके साथ जुड़ चुके हैं। इन योजनाओं के माध्यम से सिर्फ एक रुपए महीना पर दुर्घटना बीमा, और 90 पैसे प्रतिदिन के प्रीमियम पर जीवन बीमा किया जा रहा है। + diff --git a/pm-speech/670.txt b/pm-speech/670.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..02b96f4a06c677460314b226eef517fe3678cdd9 --- /dev/null +++ b/pm-speech/670.txt @@ -0,0 +1,24 @@ +कहीं रिक्शा खींच रहा है, कहीं खेत में टूटे हुए किनारे को ठीक कर रहा है, कहीं बर्फ में रातभर पहरा देने के बाद अब किसी टेंट में सो रहा है, उसने अपने हिस्से की तपस्या की है। ऐसे हर भारतीय की तपस्या ही है जिसकी वजह से हम “Towards a Brighter India”, से आगे बढ़कर Irreversible Rise of India पर बात कर रहे हैं। + +अगर मैं जनधन योजना की ही बात करूं, तो ये गरीबों की जिंदगी में ऐसा बदलाव लाई है, जो पहले कोई सोच भी नहीं सकता था। जिस गरीब को पहले बैंक के दरवाजे से दुत्कार कर भगा दिया जाता था, उसके पास अपना बैंक अकाउंट है। जिनके जनधन अकाउंट खुल रहे हैं, उन्हें Rupay Debit Card भी दिए जा रहे हैं। सवा सौ करोड़ लोगों के हमारे देश में ऐसे लोगों की संख्या 30 करोड़ से ज्यादा है। + +सोचिए, सिर्फ एक रुपए महीना पर दुर्घटना बीमा, और 90 पैसे प्रतिदिन के प्रीमियम पर जीवन बीमा। आज देश के 15 करोड़ से ज्यादा गरीब सरकार की इन योजनाओं से जुड़ चुके हैं। इन योजनाओं के तहत गरीबों को लगभग 1800 करोड़ रुपए की claim राशि दी जा चुकी है। इतने रुपए किसी और सरकार ने दिए होते तो उसे मसीहा बनाकर प्रस्तुत कर दिया गया होता। + +लेकिन गरीबों के लिए इतना बड़ा काम हुआ, मुझे नहीं लगता इस पर किसी ने ध्यान दिया होगा। ये भी एक सच है जिसे मैं स्वीकार करके चलता हूं। एक और उदाहरण LED बल्ब का है। पहले की सरकार में जो LED बल्ब तीन सौ-साढ़े तीन सौ का बिकता था, वो अब एक मध्यम वर्ग के परिवार को लगभग 50 रुपए में उपलब्ध है। उजाला योजना शुरू होने के बाद से देश में अब तक लगभग 28 करोड़ LED बल्ब बिक चुके हैं। इन बल्बों से लोगों को 14 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की अनुमानित बचत हो चुकी है। + +ये अप्रोच हमें फैसला लेने से रोकती है। इसलिए इस सरकार की अप्रोच इससे बिल्कुल अलग है। जैसे यूरिया की नीम कोटिंग की ही बात करें। पहले की सरकार में यूरिया की 35 प्रतिशत नीम कोटिंग होती थी। जबकि पूरे सिस्टम को पता था कि 35 प्रतिशत नीम कोटिंग करेंगे तो कोई फायदा नहीं होगा। यूरिया का डायवर्जन रोकना है, फैक्ट्रियों में जाने से रोकना है, तो उसकी सौ प्रतिशत नीम कोटिंग करनी ही होगी। लेकिन ये फैसला पहले नहीं हुआ। इस सरकार ने फैसला लिया यूरिया की पूरी तरह नीम कोटिंग का। + +भाइयों और बहनों, समय के साथ ऑर्गैनिक फॉर्मिंग और ऑर्गैनिक प्रॉडक्ट्स की डिमांड भी लगातार बढ़ रही है। सिक्किम की तरह ही देश के कई और राज्यों में 100 प्रतिशत आर्गेनिक State बनने की क्षमता है। विशेषकर हमारे हिमालयन राज्यों में इसे और बढ़ाया जा सकता है। इसके लिए भी सरकार 10 हजार कलस्टर बनाकर उनमें आर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने की योजना पर काम कर रही है। + +ये विरोधाभास दस-बारह साल बाद अब दूर किया गया है। साथियों, हमारी सरकार में holistic approach के साथ फैसले लिए जाते हैं। देश की आवश्यकताओं को समझते हुए फैसले लिए जाते हैं। इस तरह के फैसले पहले नहीं लिए जा रहे थे, इसलिए देश का हर व्यक्ति चिंता में था। वो देश को आंतरिक बुराइयों से मुक्त देखने के साथ ही, नई व्यवस्थाओं के निर्माण को भी होते हुए देखना चाहता था। + +भाइयों और बहनों, हमारे यहां जो सिस्टम था उसने भ्रष्टाचार को ही शिष्टाचार बना दिया था। कालाधन ही देश के हर बड़े सेक्टर को कंट्रोल कर रहा था। 2014 में देश के सवा सौ करोड़ों ने इस व्यवस्था को बदलने के लिए वोट दिया था। उन्होंने वोट दिया था देश को लगी बीमारियों के परमानेंट इलाज के लिए, उन्होंने वोट दिया था न्यू इंडिया बनाने के लिए। + +Demonetization के बाद देश में जिस तरह का behavioural change आया है उसे आप खुद महसूस कर रहे होंगे। स्वतंत्रता के बाद पहली बार ऐसा हुआ है, जब भ्रष्टाचारियों को कालेधन के लेन-देन से पहले डर लग रहा है। उनमें पकड़े जाने का भय आया है। जो कालाधन पहले पैरेलल इकॉनॉमी का आधार था, वो Demonetization के बाद Formal Economy में आया है। + +साथियों, जब योजनाओं में गति होती है, तभी देश में प्रगति आती है। कुछ तो परिवर्तन आया होगा जिसकी वजह से सरकार की तमाम योजनाओं की स्पीड बढ़ गई है। साधन वही हैं, संसाधन वहीं हैं, लेकिन सिस्टम में रफ्तार आ गई है। ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि सरकार ब्यूरोक्रेसी में भी एक नई कार्य-संस्कृति डवलप कर रही है। उसे ज्यादा responsive बना रही है। + +• पिछली सरकार के आखिरी तीन सालों में गांवों में 80 हजार किलोमीटर सड़क बनी थी, हमारी सरकार के तीन सालों में 1 लाख 20 हजार किलोमीटर सड़क बनी है। • पिछली सरकार के आखिरी तीन वर्षों में लगभग 1100 किलोमीटर नई रेल लाइन का निर्माण हुआ था, इस सरकार के तीन वर्षों में ये 2100 किलोमीटर से ज्यादा तक पहुंच गया है। + +जब विदेश में “अबकी बार कैमरन सरकार” और “अबकी बार ट्रंप सरकार” के नारे गूंजते हैं, तो ये भारतीयों के सामर्थ्य की स्वीकृति होती है। भाइयों और बहनों, जब हर संगठन, हर समाज, हर व्यक्ति अपने सामर्थ्य को समझते हुए, अपने स्तर पर बदलाव की शुरुआत करेगा, तभी न्यू इंडिया का सपना पूरा होगा। न्यू इंडिया का ये सपना सिर्फ मेरा नहीं है, आपका भी है। आज समय की मांग है कि राष्ट्र निर्माण से जुड़ी हर संस्था देश की आवश्यकताओं को समझते हुए, देश के सामने मौजूद चुनौतियों को समझते हुए, अपने स्तर पर कुछ संकल्प करे। + diff --git a/pm-speech/671.txt b/pm-speech/671.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..5afeb58f9a5bb965ca3a64b35f48e692e6ef0a01 --- /dev/null +++ b/pm-speech/671.txt @@ -0,0 +1,20 @@ +हम सभी यह जानते हैं कि पिछले कुछ दशकों में साइबरस्पेस ने किस प्रकार विश्व का रूप परिवर्तित कर दिया है। यहां बैठे लोगों में से वरिष्ठ पीढ़ी के लोगों को 70 और 80 के दशकों में बड़े-बड़े कंप्यूटर सिस्टमों के मेनफ्रेम याद होंगे। तब से काफी कुछ बदल गया है। 90 के दशक में ईमेल और पर्सनल कंप्यूटर ने एक नई क्रांति को जन्म दे दिया है। यह सोशल मीडिया के आगमन के कारण हुआ था और मोबाइल फोन के आगमन डाटा स्टोरेज और संचार का एक महत्वपूर्ण साधन है। इंटरनेट ऑफ थिंग्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे शब्द आजकल आम बन गए हैं। यह उस निरंतर बदलाव के सूचक शब्द हैं जो शायद बहुत अधिक तेज गति से हो रहे हैं। + +आज, डिजिटल प्रौद्योगिकी एक बहुत बड़े साधन के रूप में उभरी है। इसने कुशल सेवा सुपुर्दगी और गवर्नेंस के लिए मार्ग प्रशस्त कर दिया है। यह शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य के क्षेत्रों में भी पहुंच को सुगम बनाने के साथ-साथ उसमें सुधार कर रही हैऔर यह व्यापार और अर्थव्यवस्था के भविष्य को भी बदलने में सहायता कर रही है। इन सभी माध्यमों से, यह समाज के वंचित समूहों को अधिक अवसर प्रदान कर रही है।व्यष्टि स्तर पर, इसने एक ऐसे विश्व के प्रादुर्भाव में योगदान दिया है जहां भारत जैसे विकासशील देशभी विकसित देशों के साथ डटकर प्रतिस्पर्धा करते हैं। + +मुझे पूर्ण विश्वास है कि आप में से अधिकतर लोग आधार के बारे में जानते होंगे। आधार, किसी व्यक्ति की यूनिक बायोमेट्रिक पहचान है। हमने इस यूनिक पहचान को हमारे देश के लोगों को बड़ी-बड़ी लाइनों और भारी भरकम प्रक्रियाओं से मुक्त करने के लिए उपयोग किया है। तीन कारकों ने –  पहला, हमारे जन-धन बैंक खातों के माध्यम से वित्तीय समावेशन, दूसरा, आधार प्लेटफार्म और तीसरा मोबाइल फोन इन तीनों ने भ्रष्टाचार को कम करने में बहुत अधिक मदद की है। हम इस सेवा को JAM  या J.A.M trinity कहते हैं। सब्सिडियों के बेहतर लक्ष्य के माध्यम से,JAM  या J.A.M trinityने अभी तक लगभग 10 मिलियन डॉलर की लीकेज को रोका है। + +एक छोटा व्यापारी भी सरकार के ई- बाजार में पंजीकरण कर सकता है और सरकार को वस्तुओं की आपूर्ति के लिए प्रतिस्पर्धात्मक बोली में भाग ले सकता है और जैसे ही वह अपने व्यापार को बढ़ाता है, वैसे ही वह सरकार के लिए खरीद की लागत को भी घटाने में योगदान देता है। इससे कार्यकुशलता और सार्वजनिक धन का मूल्य बढ़ता है। + +इसलिए, हमने नागरिक सहभागिता पोर्टलMy Govशुरु किया। यह प्लेटफार्म महत्वपूर्ण विषयों पर देश के नागरिकों को अपने विचार और मत साझा करनेका अवसर प्रदान करता है।हमने अनेक महत्वपूर्ण क्षेत्रों में इस प्लेटफार्म से मूल्यवान सुझावों को प्राप्त किए हैं। आज सरकार की विभिन्न परियोजनाओं और पहलों के लिए LOGO और Emblem के डिजाइन क्राउड सोर्सिंग और My Gov पर आयोजित की गई विभिन्न प्रतियोगिताओं का परिणाम हैं।वास्तव में, प्रधानमंत्री कार्यालय की आधिकारिक ऐप भी My Gov पर शुरू की गई प्रतियोगिता का ही परिणाम है। इस पर युवाओं से बहुत महत्वपूर्ण प्रतिक्रियाएं आती हैं।My Gov प्लेटफार्म इस बात का प्रमुख उदाहरण है कि किस प्रकार प्रौद्योगिकी लोकतंत्र को मजबूत कर रही है। + +प्रत्येक माह के अंतिम बुधवार को, मैं प्रगति सत्र के लिए केंद्र और राज्य सरकारों के शीर्ष अधिकारियों से मुलाकात करता हूं। प्रौद्योगिकी सुस्तीतोड़ती है। हम अपने कार्यालय में बैठे-बैठे साईबर संसार की सहायता से गवर्नेंस संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा और समाधान करते हैं। मुझे आपको यह बताते हुए खुशी हो रही है कि प्रगति सत्रों का परिणाम देश के व्यापक हित में, सहमति के माध्यम से तीव्र निर्णय हुए हैं। प्रगति ने लालफीताशाही में अटके हुए करोड़ों डॉलरों की इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं को तीव्र गति प्रदान कर दी है। + +साइबर स्पेस नवाचार के लिए मुख्य क्षेत्र रहता है। आज हमारे स्टार्ट-अप रोजमर्रा की सामान्य समस्याओं के समाधान प्रदान करने और लोगों के जीवन में सुधार लाने के लिए प्रयास कर रहे हैं। मुझे विश्वास है कि वैश्विक निवेशक समुदाय भारत के स्टार्ट अप समूह की अपार क्षमताओं की पहचान करेगा। मैं आपको इसमें निवेश करने और भारतीय स्टार्ट-अपों की अभूतपूर्व सफलता की कहानी का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित करता हूं। + +इंटरनेट की प्रकृति समावेशी है, न कि एकांतिक। यह पहुंच की साम्यता और अवसरों की समानता प्रदान करता है। आज के युग में facebookयूजर, twitter यूजर और इंस्टाग्राम के यूजर विचार-विमर्श को नया रूप दे रहे हैं। सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म साईबर स्पेस में सभी को सहभागिता का अवसर प्रदान कर रहे हैं। स्टूडियो से विशेषज्ञ जो भी समाचार हमें बताते हैं, उनमें + +अब सोशल मीडिया से प्राप्त अनुभव भी शामिल होते हैं।विशेषज्ञता और अनुभव के इस मिश्रण के साथ यह अंतरण साइबर जगत का योगदान है। इंटरनेट युवाओं के लिए उनकी सर्जनात्मकता, क्षमता और सामर्थ्य चाहे वह गंभीर ब्लॉग हो या सुंदर संगीतात्मक प्रस्तुति, चाहे कला हो या रंगमंच… वह सभी क्षेत्रों में उनको अपनी प्रतिभाओं को दिखाने का एक आदर्श मंच बन गया है। यह एक असीमित आकाश है। + +साइबर हमलों से निपटने के लिए हमें सुसज्जित एवं कुशल पेशेवरों को प्रशिक्षित करने की जरुरत है। साइबर योद्धा साइबर हमलों के विरुद्ध सचेत रहेंगे। हैकिंग शब्द ने चाहे आकर्षक रुप ले लिया हो, लेकिन फिर भी इनमें जालीपन की झलक भी मिलती है। हमें यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि साइबर सुरक्षा का क्षेत्र युवाओं के लिए एक आकर्षक और व्यवहार्य रोजगार का विकल्प बन जाए। + diff --git a/pm-speech/672.txt b/pm-speech/672.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..f9eb88d596c57621003347303a97bd3d947cc395 --- /dev/null +++ b/pm-speech/672.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अन्य तीन वित्तीय वर्षों (वित्तीय वर्ष 2017-18 से लेकर 2019-20 तक) के लिए भारतीय कॉरपोरेट कार्य संस्थान (आईआईसीए) योजना को जारी रखने और संस्थान को 18 करोड़ रुपए का सहायता अनुदान प्रदान करने के लिए अपनी मंजूरी प्रदान की है।  इससे वित्त वर्ष 2019-20 के अंत तक यह संस्थान आत्मनिर्भर बन सकेगा। + diff --git a/pm-speech/674.txt b/pm-speech/674.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..6aa02d078074811b808d2b9f30cc0ac3c45c66fa --- /dev/null +++ b/pm-speech/674.txt @@ -0,0 +1,12 @@ +आज विश्‍व में Peace keeping Force United Nations से जुड़ा हुआ कोई भी हिन्‍दुस्‍तानी गर्व कर सकता है। कि आज दुनिया में हर जगह पर कहीं अशांति पैदा होती है तो UN के द्वारा Peace keeping Force जाकर के वहां शांति बनाए रखने के लिए अपनी भूमिका अदा करते हैं। पूरे विश्‍व में Peace keeping Forces में सबसे ज्‍यादा योगदान करने वाले कोई हैं तो हिन्‍दुस्‍तान के सिपाही है। आज भी दुनिया के अनेक ऐसे अशांत क्षेत्रों में भारत के जवान तैनात हैं। बुद्ध और गांधी की धरती शांति उनले मात्र कोई शब्‍द नहीं है। हम वो लोग हैं जिन्‍होंने शांति जीकर के दिखाया है। शांति को हमने पचाया है। शांति हमारी रगो में है। और तभी तो हमारे पूर्वजों ने वसुधैव कुटुम्‍बकम- विश्‍व एक परिवार है। ये मंत्र हमें दिया। जो मंत्र हमने जीकर के दिखाया है। लेकिन ये सारी बातों का सामर्थ्‍य दुनिया तब स्‍वीकार करती है जब भारत मजबूत हो, भारत सामर्थ्‍यवान हो, भारत जीवन के हर क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को प्राप्‍त करने वाला गतिशील हो। तब जाकर के विश्‍व स्‍वीकार करता है। तत्‍व ज्ञान कितना ही ऊंचा क्‍यों न हो, इतिहास कितना ही भव्‍य क्‍यों न हो, विरासत कितनी ही महान क्‍यों न हो, वर्तमान उतना ही उज्‍ज्‍वल, तेजस्‍वी और पराक्रमी होना चाहिए तब जाकर के दुनिया जिगती है। और इसलिए हमारे भव्‍य भूतकाल से प्रेरणा लेना उससे पाठ पड़ना वो जितना ही महत्‍वपूर्ण है उतना ही 21वीं सदी अगर एशिया की सदी मानी जाती है। तो ये हम लोगों का कर्तव्‍य बनता है कि 21वीं सदी हिन्‍दुस्‍तान की सदी बने । और मुश्‍किल मुझे नहीं लगता है। तीन साल, साढे तीन साल के अनुभव के बाद मैं कहता हूं। ये भी संभव है। पिछले दिनों आपने देखा होगा भारत से जहां तक सरकार का संबंध है। सकारात्‍मक खबरें आती रहती है अब डर नहीं रहता है कि हां पता नहीं कोई negative खबर आ जाएगी तो ऑफिस जाएंगे तो लोग क्‍या पूछेगें। अब घर से निकलते ही विश्‍वास, नहीं नहीं- हिन्‍दुस्‍तान से अच्‍छी खबरें ही आएंगी। सवा सौ करोड़ का देश है। उसकी मुख्‍य धारा जो है। समाज की मुख्‍यधारा हो, सरकार की मुख्‍यधारा हो। वो सकारात्‍मकता के इर्द-गिर्द ही चल रही है। positivity के इर्द-गिर्द ही चल रही है। हर बार फैसले देश हित में लिए जा रहे है विकास को ध्‍यान में रख करके लिए जा रहे है। सवा सौ करोड़ का देश आजादी के 70 साल बाद अगर 30 करोड़ परिवार बैंकिंग व्‍यवस्‍था से बाहर हो। तो देश की economy कैसे चलेगी। + +हमने बीड़ा उठाया प्रधानमंत्री जनधन योजना शुरू की और जीरो बैंलेस हो तो भी bank account खोलना है, बैंक वालो को परेशानी हो रही थी। और Manila में तो बैंक का क्‍या दुनिया है, सबको पता है। बैंक वाले मुझसे झगड़ा कर रहे थे कि साहब कम-से-कम स्‍टेशनरी का पैसा तो लेने दो। मैंने कहा ये देश के गरीबों का हक है। उनको बैंक में सम्‍मान भर entry मिलनी चाहिए। वो बेचारा सोचता था। वो बेचारा सोचता था। ये बैंक एयर कंडीशन बाहर वो दो बड़े बंदूक वाले खड़े हैं वो गरीब जा पाएगा कि नहीं जा पाएगा। और फिर साहूकार के पास चला जाता था। और साहूकार क्‍या करता है ये हम जानते है। 30 करोड़ देशवासियों को जीरो बैंलेस से account खोला और कभी-कभी आपने अमीर कोम देखा होगा। मैंने अमीरों को भी देखा है, अमीरों की गरीबी को भी देखा है। आपने गरीबो को भी देखा होगा लेकिन मैंने गरीबों की अमीरी को देखा है। zero balance bank account खोले थे। लेकिन आज मैं गर्व के साथ कह सकता हूं कि उन जनधन account में आज उन गरीबों को saving की आदत लगी पहले बेचारे घर में गेंहू में पैसे छुपा के रखते थे, गद्दे के नीचे रखते थे और वो भी अगर पति की आदतें खराब हों तो कहीं और खर्चा कर देता था। वो डरती रहती थीं माताएं। आपको जान करके खुशी होगी। इतने कम समय में उन जनधन account में 67 thousand crore rupees गरीबों का saving हुआ है। देश की अर्थव्‍यवस्‍था की मूलधारा में गरीब सक्रीय भागीदार हुआ है। अब ये छोटा परिवर्तन नहीं है जी, जो शक्ति, सामर्थ्‍य, व्‍यवस्‍था के बाहर था वो आज व्‍यवस्‍था के केंद्र बिंदु में आ गया। + +अब हमारे देश में आप में से जो लोग पिछले 20, 25, 30 साल में भारत से यहां आए होंगे। या अभी भी भारत से संपर्क में होंगे तो आपको पता होगा। कि हमारे यहां गैस का सैलेंडर लेना घर में गैस का कनेक्‍शन लेना ये बहुत बड़ा काम माना जाता था और घर में अगर गैस कनेक्‍शन आ जाए, सैलेंडर आ जाए तो अड़ोस-पड़ोस में ऐसा माहौल बनता था जैसे Mercedes गाड़ी आई है। यानि बहुत बड़ा achievement माना जाता था। कि हमारे घर में अब गैस का कनेक्‍शन आ गया और गैस का कनेक्‍शन इतनी बड़ी चीज हुआ करती थी हमारे देश में कि parliament के member को 25 कूपन मिलते थे। इस चीज के लिए- कि आपके parliamentary area में आप साल में 25 परिवारों को oblige कर सकते हैं। बाद में वो क्‍या करते थे वो कहना नहीं चाहता हूं अखबार में आता था। यानि गैस सिलेंडर का कनेक्‍शन आपको याद होगा 2014 में जब parliament का चुनाव हुआ तो उस समय एक तरफ बीजेपी थी एक तरफ कांग्रेस पार्टी थी। भारतीय जनता पार्टी ने मुझे जिम्‍मेवारी दी थी उस चुनाव का नेतृत्‍व करने के लिए। वहां पर एक मीटिंग हुई कांग्रेस पार्टी की और देश इंतजार कर रहा था कि वहां कोई तय होगा किसके नेतृत्‍व में चुनाव लड़ेंगे। शाम को मीटिंग के बाद कांग्रेस की press conference हुई। उस press conference में क्‍या कहा गया कि ये कहा गया अगर हमारी 2014 में चुनाव हम जीतेगे तो हम साल भर में अभी जो 9 सिलेंडर देते हैं। हम 12 सिलेंडर देंगे याद है कि नहीं है आपको यानि 9 सिलेंडर की 12 सिलेंडर इस मुद्दे पर कांग्रेस पार्टी चुनाव लड़ रही थी। यानि ये दूर की बात नहीं है 2014 तक सोच का यही दायरा था, जी और देश भी ताली बजा रहा था अच्‍छा अच्‍छा। बहुत अच्‍छा 9 के 12 मिल जाएंगे। + +जो माताएं लकड़ी का चूल्‍हा जलाकरके खाना पकाती हैं। उन पांच करोड़ परिवारों में गैस का सिलेंडर और कनेक्‍शन देंगे। अब मुझे बताइए आपको कैसा लगता होगा ये सुन करके कि एक तरफ सोचने की सीमा 9 या 12, 9 या 12 और दूसरी तरफ एक ऐसा इंसान जो कहता है कि मैं तीन साल में पांच करोड़ परिवारों को सिलेंडर दूंगा। और कनेक्‍शन मुफ्त में दूंगा। एक गरीब मां जब लकड़ी के चूल्‍हे से खाना पकाती है। तो scientists का कहना है उसके शरीर में एक दिन में चार सौ सिगरेट का धुंआ उस मां के शरीर में जाता है। क्‍या गुनाह है उसका। उसके स्‍वास्‍थ्‍य की चिंता कौन करेगा और जो बच्‍चे खेलते होगे घर में वो भी तो उससे अछूता नहीं रह सकते, उनका क्‍या हाल होता होगा। क्‍या उनकी जिंदगी में बदलाव आना चाहिए कि नहीं आना चाहिए और लकड़ी लाना और गीली लकड़ी है तो खाना पकाना कितनी तकलीफ से गुजारा होता होगा। आजादी के 70 साल के बाद उस कठिनाई से उसको मुक्ति मिल सकती है कि नहीं मिल सकती है। और कुछ लोगों का ये सोच है। यानि सोच मूलभूत बात मैं आपको ये कहना चाहता हूं। कि सोचने का जो दारिद्र है गरीबी है, सोचने की गरीबी वो कभी-कभी बहुत ज्‍यादा संकट पैदा करती है। + +मैंने लालकिले से एक बार भारत की जनता को एक बार request की। मैंने कहा कि भाई अगर आप afford कर सकते हो तो आपको गैस की सब्सिडी की क्‍या जरूरत है। साल भर का 800, 1000, 1200 रूपये में क्‍या interest है आपका, छोड़ दीजिए न, इतना सा कहा था। और आप गर्व के साथ इस बात पर अनुभव करोगे मेरे देश के सवा करोड़ परिवार, सवा करोड़ परिवार छोटा परिवार नहीं है। उन्‍होंने voluntarilyगैसे की सब्सिडी छोड़ दी। और मोदी ने इसको खजाने में नहीं डाला। + +मोदी ने तय किया कि वो मैं गरीबों को दे दूंगा और 3 करोड़ परिवारों को मुफ्त में गैस कनेक्‍शन दिशा में हम सफलता पूर्वक आगे बढ़े। 3 करोड़ परिवारों को पहुंचा दिया। मेरा वायदा 5 करोड़ परिवार का है। भारत total परिवार 25 करोड़ है। 25 करोड़ परिवार उसमें से 5 करोड़ का वायदा है 3 करोड़ कर दिया है। अच्‍छा इसमें भी कुछ कमाल है जी अपने घर के लोग हैं तो कुछ बात बता सकता हूं। कभी-कभार सरकार की सब्सिडी जाती थी तो लगता था कि लोगों का भला होता होगा। तो मैंने क्‍या किया आकर के उसको आधार के साथ लिंक कर दिया। bio metric identification तो उसके कारण पता चला कि ऐसे-ऐसे लोगो के नाम पर गैस की सब्सिडी जाती थी जो पैदा ही नहीं हुए। मतलब कहां जाता होगा। मुझे बताइए कहां जाता होगा। किसी न किसी की जेब में तो जाता होगा न अब मैंने उस पर ब्रुश मार दिया बंद हो गया। सिर्फ इस प्रकार की सब्सिडी सही व्‍यक्ति को मिले, झूठे भूतिया लोग हैं जो पैदा ही नहीं हुए। उनको न मिले इतना सा काम किया बड़ा काम नहीं किया इतना सा ही किया परिणाम क्‍या हुआ मालूम है। 57 thousand crore rupees बच गया। और ये एक बार नहीं बचा ये हर वर्ष 57 thousand जाता था। अब बताइए कहां जाता था भई। अब जिनकी जेब में जाता था उनको मोदी कैसा लगेगा वो कभी फोटो निकालने के लिए आएगा क्‍या? आएगा क्‍या? वो मोदी को पसंद करेगा क्‍या? मुझे बताइए काम करना चाहिए कि नहीं करना चाहिए? देश में बदलाव आना चाहिए कि नहीं चाहिए? कठोर निर्णय करने चाहिए कि नहीं करने चाहिए? देश को आगे ले जाना चाहिए कि नहीं ले जाना चाहिए? + diff --git a/pm-speech/675.txt b/pm-speech/675.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..3f4ecb259694b17a484df7288270e4f1901fe3ca --- /dev/null +++ b/pm-speech/675.txt @@ -0,0 +1,8 @@ +आज सुबह आसियान शिखर सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में हमने रामायण पर आधारित शानदार नृत्य-नाटक “रामहरि” देखा। इसमे दिखाया गया कि किस तरह एतिहासिक रूप से भारत और आसियान की जनता एक-दूसरे से जुड़ी है। यह बंधन केवल एतिहासिक बंधन नहीं है। यह एक जीवंत साझी विरासत है। मेरी सरकार की एक्ट ईस्ट नीति इस क्षेत्र को सहयोग के केंद्र में रखती है। आसियान क्षेत्र के प्रत्येक देश के साथ हमारे असाधारण राजनीतिक और जन संबंध हैं। हम इसी स्तर पर अपने आर्थिक और व्यावसायिक संबंधों को लाना चाहते हैं। + +दिवालियापन और दिवाला और आइपीआर तथा मध्यस्थता के लिए नए कानून और संस्थान बनाए गए हैं। 36 उद्योगों को पर्यावरण मंजूरी की आवश्यकता दायरे से बाहर निकाला गया है। अब कंपनी का निगमीकरण एक दिन की बात हो गई है। हमने औद्योगिक लाइसेंस प्रणाली को सरल बनाया है तथा पर्यावरण और वन मंजूरियों के लिए ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया आरंभ की है। इन सभी कदमों से नया कारोबार शुरू करना सहज हो गया है और परिणाम स्पष्ट हैं। + +इस वर्ष जुलाई में हमने पूरे देश में एकरूप वस्तु और सेवाकर प्रणाली लागू की है। पूरे भारत में अनेक राज्य स्तरीय और केंद्र स्तरीय करों को समाप्त कर दिया गया है। हमारे देश की विशालता और विविधता और संघीय स्वभाव को देखते हुए यह कोई छोटी उपलब्धि नहीं है। साथ-साथ हम मानते हैं कि यह पर्याप्त नहीं है। मित्रों, भारत की बड़ी आबादी की बैंकिंग सेवाओं तक पहुंच नहीं थी। इससे यह आबादी बचत के अवसरों तथा संस्थागत ऋण से वंचित हो जाती थी। जन धन योजना से कुछ महीनों के अंदर ही लाखों भारतीयों के जीवन में बदलाव आया है। एक वर्ष में 197 मिलियन बैंक खाते खोले गए। + +इस शिखर सम्मेलन का प्रमुख विषय उद्यमिता है। हमने ‘मेक इन इंडिया’ नामक अभियान प्रारंभ किया है। उसके माध्यम से हम भारत को वैश्विक वैल्यू चेन में प्रमुख भागीदार के रूप में बदलने के लिए संकल्पबद्ध हैं। हम भारत को वैश्विक मैन्यूफैक्चरिंग केंद्र बनाना चाहते हैं। साथ-साथ हम चाहते हैं कि हमारे युवा रोजगार सृजनकर्ता बनें न कि महज रोजगार चाहने वाले बनें। इसके लिए हमने स्टार्टअप इंडिया और स्टैंडअप इंडिया अभियान लांच किया है। छोटे उद्यमियो की उद्यमी ऊर्जा को मुक्त बनाने में एक प्रमुख बाधा है कि वित्त के लिए गारंटी की कमी है। भारत में पहली बार मुद्रा योजना के अंतर्गत गारंटी मुक्त ऋण 90 मिलियन से अधिक छोटे उद्यमियों को दिए गए हैं। यह अर्थव्यवस्था में छोटे उद्यमियों के योगदान को मान्यता देना है और ऐसे व्यक्ति को सशक्त बनाना है जिसके पास कामकाजी कारोबार का विचार है लेकिन किसी तरह की गारंटी नहीं है। मैं फिलिपिंस और आसियान क्षेत्र में उद्यमिता को दिए जा रहे महत्व को देख रहा हूं। इस शिखर सम्मेलन में उद्यमियो के लिए आसियान संरक्षण सराहनीय कदम है। वास्तव में निकट भविष्य में विश्व विकास का इंजन दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया होगा। हम इस क्षेत्र में भूमि, समुद्र और वायु संपर्क बनाना चाहते हैं। दक्षिण-पूर्व एशिया के अन्य देशों को जोड़ने के लिए म्यांमार और थाइलैंड के जरिये त्रिपक्षीय बनाने का काम जारी है। हम भारत और आसियान के बीच समुद्री परिवहन पर समझौता शीघ्र संपन्न कराने के लिए काम कर रहे हैं और अपने निकटतम समुद्री पड़ोसियों के साथ तटीय जहाजरानी सेवाओं की संभावना तलाश रहे हैं। वायु संपर्क के क्षेत्र में आसियान देश भारत के चार मेट्रो शहरों और 18 अन्य स्थानों के लिए दैनिक सेवा प्रदान करते हैं। हमने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए इलेक्ट्रानिक वीजा देने जैसे कदम उठाए हैं। संपर्क की प्रमुखता को देखते हुए भारत सभी आसियान देशों के मंत्रियों, अधिकारियों तथा व्यवसाय प्रतिनिधियों के लिए अगले महीने नई दिल्ली में आसियान-भारत संपर्क शिखर सम्मेलन आयोजित कर रहा है। भारत इस क्षेत्र में व्यवसाय का अवसर देख रहा है। मैं आश्वस्त हूं कि आसियान व्यवसाय समुदाय भारत में व्यवसाय की क्षमता को मान रहा है। आप में से कुछ भारत में पहले से काम कर रहे हैं तो अन्य लोग भारत में संभावनाओं की तलाश कर रहे हैं। अगले वर्ष जनवरी में आसियान नेताओं के आसियान भारत स्मृति शिखर सम्मेलन के साथ-साथ हम आसियान भारत व्यवसाय और निवेश बैठक तथा एक्सपो भी आयोजित कर रहे हैं। मैं आप सभी को इसमें शामिल होने का निमंत्रण देता हूं। यह भारत में आयोजित होने वाला सबसे बड़ा आसियान केंद्रित व्यावसायिक आयोजन होगा। भारत आपकी विकास गाथा में भागीदारी की कामना करता है और आसियान के सभी देशों को अपनी विकास गाथा में भाग लेने का निमंत्रण देता है। + diff --git a/pm-speech/677.txt b/pm-speech/677.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..9ecbb5c23d649e6fa6d65041945e1f4375943285 --- /dev/null +++ b/pm-speech/677.txt @@ -0,0 +1,10 @@ +सबसे पहले, मैं चेन्‍नई और तमिलनाडु के अन्‍य भागों में हाल ही में भारी वर्षा और बाढ़ की घटनाओं के कारण मृत लोगों के परिवारजनों और अत्‍यधिक कठिनाईयों का सामना करने वाले लोगों के प्रति अपनी संवेदना और सहानुभूति अभिव्‍यक्‍त करता हूँ। मैंने राज्‍य सरकार को हर संभव सहायता प्रदान करने का आश्‍वासन दिया था। मैं वरिष्‍ठ पत्रकार थीरू. आर. मोहन के निधन पर शोक व्‍यक्‍त करता हूँ। + +24 घंटे के समाचार चैनल अब लाखों भारतीय भाषाओं में उपलब्‍ध हैं। फिर भी अनेक व्‍यक्तियों के दिन की शुरुआत एक हाथ में चाय या कॉफी का कप और दूसरे हाथ में समाचार पत्र लिए होती है। मुझे बताया गया कि दिना थांथी अपने 17 संस्‍करणों के माध्‍यम से न सिर्फ तमिलानाडु, बल्कि बेंगलुरु, मुंबई और दुबई में भी यह विकल्‍प उपलब्‍ध करा रहा है। पिछले 75 वर्ष में यह अभूतपूर्व विस्‍तार थीरू एस. पी. सुदितयार की दूरदर्शी नेतृत्‍व क्षमता को श्रद्धांजलि है। जिन्‍होंने 1942 में इस समाचार पत्र को शुरू किया था। उस समय समाचार पत्र बहुत दुर्लभ होते थे। लेकिन उन्‍होंने तिनके से हाथ द्वारा पेपर पर समाचार पत्र को छापना शुरू किया। + +मनुष्‍य के ज्ञान की भूख हमारे इतिहास जितनी पुरानी है। पत्रकारिता इस भूख को कम करने में मदद करती है। आज समाचार पत्र सिर्फ समाचार ही नहीं देते। वे हमारे विचारों को भी बदल देता है तथा हमारे लिए विश्‍व का एक नया द्वार खोलता है। वृहद संदर्भ में, मीडिया समाज का रूप परिवर्तन करने वाला माध्‍यम है। इसलिए हम मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्‍तंभ कहते हैं। मैं आज कलम की ताकत प्रदर्शित करने वाले आप लोगों के बीच उपस्थित होकर सौभाग्‍यशाली महसूस कर रहा हूँ। आप यह दर्शाते हैं कि यह महत्‍वपूर्ण जीवन बल और समाज की चेतना बन सकता है। + +जिस प्रकार, आज शिक्षा शिक्षण के परिणामों पर अधिक केंद्रित हो गई है, उसी प्रकार हमारी विषय वस्तु के उपभोग के प्रति प्रवृत्ति भी बदल गई है। आज हर नागरिक विभिन्न स्रोतों के माध्यम से उनके पास आए हुए समाचारों का विश्लेषण, चर्चा और उनकी वास्तविकता की जांच करता है। इसलिए मीडिया को अपनी विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए अतिरिक्त प्रयास करने होंगे। विश्वसनीय मीडिया मंचों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा भी हमारे लोकतंत्र के स्वास्थ्य के लिए अच्छी है। विश्वसनीयता पर यह जोर हमें आत्मनिरीक्षण का अवसर देता है। मुझे दृढ़ता से विश्वास है कि जब कभी भी मीडिया में सुधार की आवश्यकता होगी तो इसे आत्मनिरीक्षण के माध्यम से केवल स्वयं के भीतर ही किया जा सकता है। वास्तव में हमने 26/11 मुंबई आतंकवादी हमलें की रिपोर्ताज जैसे कुछ अवसरों पर विश्लेषण कर आत्मनिरीक्षण की इस प्रक्रिया को देखा है। इस आत्मनिरीक्षण को अक्सर किया जाना चाहिए। + +एक और महत्वपूर्ण क्षेत्र है जहां मीडिया महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। यह क्षेत्र है – एक भारत, श्रेष्ठ भारत। इसे एक उदहारण के माध्यम से समझाता हूं। क्या कोई समाचार पत्र इस कार्य के लिए प्रतिदिन कॉलम का सिर्फ कुछ इंच स्थान दे सकता है। वह प्रतिदिन अपने प्रकाशन की भाषा में उसके अनुवाद और लिप्यांतरण सहित सभी प्रमुख भारतीय भाषाओं में एक साधारण वाक्य लिख सकता है क्या? वर्ष के अंत में, समाचार पत्र के पाठकों को सभी प्रमुख भारतीय भाषाओं में ऐसे 365 साधारण वाक्यों का अनुभव हो जाएगा। इस साधारण प्रयास के सकारात्मक प्रभाव की कल्पना कीजिए। इसके अलावा विद्यालयों को भी प्रतिदिन उनकी कक्षाओँ में कुछ मिनट के लिए इस विषय पर चर्चा के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए जिससे कि बच्चे भी हमारी विविधता की ताकत औऱ समृद्धता को समझ सकें। इसलिए यह प्रयास न सिर्फ महान कार्य पूर्ण करेगा बल्कि यह समाचार पत्रों की ताकत भी बढ़ाएगा। + diff --git a/pm-speech/680.txt b/pm-speech/680.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..d08b34f0416e5f4a55dc5298c792fe314ee39a53 --- /dev/null +++ b/pm-speech/680.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +आप इतनी बड़ी विशाल संख्‍या में आए। उमंग और उत्‍साह के साथ इसमें शरीक हुए। देश भर में भी नौजवान जुड़े हुए हैं। मैं आप सबको राष्‍ट्रीय एकता दिवस पर शपथ के लिए निमंत्रित करता हूं। हम सब सरदार वल्‍लभ भाई पटेल का पुण्‍य स्‍मरण करते हुए, मैं जो शपथ आपके सामने प्रस्‍तुत करता हूं आप उसको दोहराएंगे और सिर्फ वाणी से नहीं मन में संकल्‍प धारण करेंगे। इस भाव के साथ उसको दोहराएंगे आप सब अपना दाहिना हाथ आगे करके मेरी इस बात को दोहराएंगे। मैं सत्‍य निष्‍ठा से शपथ लेता हूं कि मैं राष्‍ट्र की एकता अखंडता और सुरक्षा को बनाए रखने के लिए स्‍वंय को समर्पित करूंगा और अपने देशवासियों के बीच यह संदेश फैलाने का भी भरसक प्रयत्‍न करूंगा। मैं यह शपथ अपने देश की एकता की भावना से ले रहा हूं। जिसे सरदार वल्‍लभ भाई पटेल की दूरदर्शिता एवं कार्यों द्वारा संभव बनाया जा सका। मैं अपने देश की आंतरिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अपना योगदान करने का भी सत्‍य निष्‍ठा से संकल्‍प करता हूं। + diff --git a/pm-speech/682.txt b/pm-speech/682.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..98373a3184cf114c7a53ae001d3ddc3311aa392a --- /dev/null +++ b/pm-speech/682.txt @@ -0,0 +1,18 @@ +आप सभी को मेरी तरफ से बहुत-बहुत बधाई है, बहुत शुभकामनाएं है। और मैं मानता हूं कि आप भाग्‍यवान हैं, इस पवित्र कार्य का आप हिस्‍सा बन पाए हैं। भाईयो बहनों, आठ दस दिन पहले मैं केदारनाथ जी गया था। मंदिर के कपाट बंद होने वाले थे। मेरा सौभाग्‍य था कि महादेव जी के दर्शन करने का मुझे अवसर मिला। जब भी मैं केदारनाथ जाता हूं, मेरे मन में एक विचार बार-बार उठता है। कैसे हजार वर्ष पूर्व आदिशंकराचार्य जी इस दुर्गम स्थल पर पहुंचे होंगे। + +ये सामर्थ्‍य, लेकिन गुलामी के लंबे समय में इतना प्रभाव जरूर हुआ कि हमारी अध्यात्मिक ज्ञान की परंपरा मुख्यत: पुस्तकों तक सीमित होती गई है। कुछ पंडितों के पास सुरक्षित रह गई है। स्वतंत्रता के बाद जिस तरह के प्रयास किए जाने चाहिए थे, वो भी नहीं किए गए। ऐसे में जब आज का नौजवान मोबाइल फोन पर ही सब कुछ पढ़ रहा है, तो फिर पुस्तकों में हमारा जो ज्ञान छिपा है, उसके बारे में उसे कैसे पता चलेगा। हमारी इस महान विरासत को उसे कौन परिचित करवाएगा। और इसलिए स्कूली छात्रों को “विवेकदीपनि” कार्यक्रम के माध्यम से भारतीय संस्कृति और मूल्यों के बारे में बताना और उनमें प्रश्न-उत्तर प्रतियोगिता कराना, मैं समझता हूं स्‍वामी जी की एक बहुत बड़ी पहल है। और भावियों पीढि़यों के लिए बहुत बड़ी सेवा का काम आपके इस माध्‍यम से हो रहा है। + +यही विचार हमारी परंपरा है। हमारे यहां प्रकृति का दोहन नहीं बल्कि प्रकृति से मिलने वाले उत्पादों का संतुलित उपयोग करने पर बल दिया जाता है। Exploitation of Nature, ये हमारे यहां crime माना गया है। Milking of Nature इतना ही मानव को अधिकार है। ये हमारी परंपरा ने हमें सिखाया है। और यही विचार हमेशा से हमारे शासन में, प्रशासन में आपको नजर आता है। + +भाइयों और बहनों, भारत एक ऐसा देश है जो केवल अपने लिए नहीं बल्कि विश्व-पर्यंत न्याय, गरिमा, अवसर और समृद्धि के लिए लगातार प्रयत्नशील रहा है। आपको पता होगा कि भारत के ही प्रयास से पिछले साल International Solar Alliance का गठन किया गया है। सौर ऊर्जा को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ावा देने के लिए सरकार लगातार कोशिश कर रही है। आज केंद्र की योजनाओं में भी आपको प्रकृति की रक्षा के इस भाव की झलक मिलेगी। सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, पानी से बिजली बनाने के क्षेत्र में जितना काम अभी हो रहा है, उतना शायद पहले नहीं हुआ है। + +सरकार उस लक्ष्य की तरफ काम कर रही हैं कि 2030 तक देश की 40 प्रतिशत उर्जा की जरूरतों की पूर्ति Non-Fossil Fuel Based Renewable Energy से ही प्राप्त हो। सरकार का लक्ष्य 2022, जब भारत स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ मना रहा होगा, तब तक 175 गीगावॉट, मैं मेगावॉट नहीं कह रहा हूं। मेगावॉट वो बीते हुए दिन की बात है। अब हिन्‍दुस्‍तान गीगावॉट पर सोचता है। गीगावॉट Renewable Energy के उत्पादन का है। सरकार के प्रयासों का असर है कि पिछले तीन वर्षों में 22 हजार मेगावॉट से ज्यादा Renewable Energy की नई क्षमता को Power Grid से जोड़ा गया है। जबकि पिछली सरकार के आखिरी तीन वर्षों में सिर्फ 12 हजार मेगावॉट की Renewable Energy की नई क्षमता जोड़ी गई थी। इसी तरह पिछली सरकार ने अपने आखिरी के तीन सालों में Renewable Energy पर 4 हजार करोड़ रुपए खर्च किए थे। हमने आने के बाद तीन साल के भीतर-भीतर इस सेक्‍टर में करीब-करीब 11 हजार करोड़ रूपयों की लागत से भी अधिक राशि हमने खर्च की है। + +वर्तमान समय में हमारे देश में करीब 300 गीगावॉट बिजली उत्‍पादन की क्षमता है। इसमें कोयले से, पानी से, सौर और पवन ऊर्जा से सभी तरह की बिजली शामिल है। आपको जानकर हैरानी होगी कि अगर देश में मौजूद संसाधनों का पूरा इस्तेमाल हो तो 750 गीगावॉट बिजली सिर्फ solar power से बनाई जा सकती है। सूर्य ऊर्जा से बनाई जा सकती है। ये हमारे देश की क्षमता है और हमें इसका भरपूर इस्तेमाल करना चाहिए। + +सरकार की तरफ से इस दिशा में लगातार प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए देश-भर में सोलर पार्क लगाए जा रहे हैं, Roof-top Solar programme को बढ़ावा देने के लिए बिल्डिंग by-laws में बदलाव किया गया है, सरकारी इमारतों की सोलर प्लांट के लिए कम ब्याज दरों पर कर्ज दिया जा रहा है, सोलर प्लांट्स को infrastructure Status दिया गया है और उन्हें लंबी अवधि का कर्ज भी दिया जा रहा है। और बैंगलोर की धरती तो एक प्रकार की स्‍टार्ट-अप की धरती है। यहां के नौजवान innovation करते हैं। नई खोज करते हैं। मैं बैंगलोरू के स्‍टार्ट-अप की दुनिया से जुड़े नौजवानों को आज निमंत्रण देना चाहता हूं। आइए हम मिलकर के clean cooking का movement चलाएं। गरीब के घर में भी solar energy के माध्‍यम से सूर्य ऊर्जा के माध्‍यम से खाना पकाने के सस्‍ते से सस्‍ते चूल्‍हे हम कैसे बनाए। पुराने जो solar cooker वो आज के परिवारों को इतना समय नहीं है। वो तो वैसा ही चूल्‍हा चाहता है। जैसे गैस का चूल्‍हा जलता है। और वो आज संभव है। बैंगलोरू के नौजवान, स्‍टार्ट-अप की दुनिया के नौजवान हिन्‍दुस्‍तान एक बहुत बड़ा market है जो भी इस क्षेत्र में आएगा clean cooking के लिए गरीब माताओं के भी आर्शीवाद मिलेंगे। जंगल में रहने वाले लोगों को भी कभी जंगल काटना नहीं पड़ेगा, लकड़ी काटनी नहीं पड़ेगी। solar ऊर्जा से उसका घर का चूल्‍हा जलेगा। वो अपना खाना पकाकर बच्‍चों को कम समय में खाना दे सकेंगें। innovation हमें वो करने है जो देश की नई पीढ़ी को काम आएगें। जिस दिन देश के ज्‍यादतर संस्‍थान अपनी ऊर्जा, जरूरतें खुद पूरी करने लगेगें तो आप देखिएगा कि कैसे इसका असर समाज के हर स्‍तर पर पड़ने लगता है। + +साथियों, नई approach के साथ किस तरह पर्यावरण की रक्षा के साथ ही लोगों और देश के पैसे की भी बचत हो रही है, इसका उदाहरण मैं आपको देना चाहता हूं। भाइयों और बहनों, LED का बल्ब जो पहले 350 रुपये से ज्यादा का होता था वो अब उजाला स्कीम के तहत केवल 40-45 रुपये में उपलब्ध है। अब तक देश में 27 करोड़ से ज्यादा LED के बल्ब हमारी सरकार बनने के बाद बांटे जा चुके हैं। यहां कर्नाटक में भी करीब-करीब पौने दो करोड़ LED बल्ब वितरित किए गए हैं। अगर एक बल्ब की कीमत में औसतन 250 रुपए की भी कमी मानें तो देश के मध्यम वर्ग को इससे लगभग 7 हजार करोड़ रुपयों की बचत हुई है। इतना ही नहीं, ये बल्ब हर घर में बिजली बिल भी कम कर रहे हैं। जिसके भी घर में LED बल्‍ब होगा। उसका बिजली का बिल कम होना गारंटी है। और उसके कारण LED बल्‍ब के उपयोग के कारण ऊर्जा की requirement कम हुई, बिल कम आया। और मध्यम वर्ग के परिवारों में सिर्फ एक साल में हिन्‍दुस्‍तान के मध्‍यम वर्ग के परिवारों की जेब में एक साल में करीब 14 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की अनुमानित बचत हुई है। स्वाभाविक है कि LED के ज्यादा इस्तेमाल से बिजली की खपत भी कम हुई है। बिजली में खपत कम होने का मतलब है की installed capacity में करीब-करीब 7000 मेगावाट कम की जरूरत होगी। 7000 मेगावाट बिजली बचना, अगर 7000 मेगावाट का प्‍लांट लगा लेते हैं तो कम से कम 35 से 40 हजार करोड़ रुपये की लागत लगती है। सिर्फ बिजली बचा करके हमने 35-40 हजार करोड़ रुपया देश का बचाया है। यानि सिर्फ approach बदल कर काम करने से सिर्फ एक योजना के माध्यम से मध्‍यम वर्ग के परिवारों के जेब में जो पैसा बचा वो, बल्‍ब खरीदने में जो बचत हुई वो, बिजली में बचत हुई वो करीब-करीब 55 से 60 हजार करोड़ रूपया का इस देश को इस देश के मध्‍यम वर्ग के परिवारों को लाभ हुआ है। + +सरकार की कोशिश की वजह से अब जहां-जहां local bodies अपनी स्ट्रीट लाइटों को LED बल्ब से बदल रही हैं, वहां पर भी उन्हें आर्थिक फायदा हो रहा है। मैंने मेरे यहां बनारस का मैं MP हूं मैंने बनारस में करवाया करीब 15 करोड़ रूपया उनका बच रहा है। जो और कामों में लग रहा है। और अनुमान है कि एक Tier-II cities में नगर निगम को औसतन 10 से 15 करोड़ रुपए की बचत इससे हो रही है। + diff --git a/pm-speech/683.txt b/pm-speech/683.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..4381342ed5062c9ef2f88241a487a7f1f11b2e95 --- /dev/null +++ b/pm-speech/683.txt @@ -0,0 +1,12 @@ +आज 21वीं सदी में दुनिया का समृद्ध से समृद्ध देश भी skill development की चर्चा करता है। skill development, prime sector के रूप में माना जाता है। भारत जैसा देश जिसके पास 800 million, 65 प्रतिशत लोग 35 साल से कम उम्र के हों, demographic dividend का हम गर्व करते हों; उस देश में skill development, वो भी सिर्फ पेट-पूजा की खातिर नहीं, भारत के भव्‍य सपनों को साकार करने के लिए कौशल्‍य को बढ़ाना, विश्‍व भर में human resource की जो requirement होगी आने वाले युगों में, उसको परिपूर्ण करने के लिए अपनी बाहों में वो सामर्थ्‍य लाना, अपने हस्‍त के अंदर वो सामर्थ्‍य लाना, उस हुनर को प्राप्‍त करना, ये चीज डॉक्‍टर वीरेन्‍द्र हेगड़े जी ने बहुत सालों पहले देखी थी, और उस काम को आगे बढ़ाया। + +गांव में बसने वाली मेरी माताएं-बहनें शिक्षित हैं कि नहीं हैं, पढ़ी-लिखी हैं कि नहीं हैं; आज उन्‍होंने संकल्‍प किया है और 12 लाख लोग, कम नहीं। 12 लाख लोगों ने संकल्‍प किया है कि वो अपने Self Help Group का पूरा कारोबार cashless करेंगे। नकद के बिना करेंगे, digital transaction करेंगे, रूपे कार्ड से करेंगे, BhimApp से करेंगे। अगर अच्‍छा करने का इरादा हो तो रुकावटें भी कभी-कभी तेज गति को पाने का अवसर प्रदान कर देती हैं और वो आज डॉक्‍टर वीरेन्‍द्र हेगड़े जी ने दिखा दिया है। + +और मैंने देखा है कि ज्‍यादा नकद सामाजिक बुराइयों को खींच करके ले आती है। परिवार में भी अगर बेटा बड़ा होता है, बेटी बड़ी होती है; मां-बाप सुखी हों, सम्‍पन्‍न हों, पैसों की कोई कमी न हो; तो भी एक सीमा में ही उसको पैसे देते हैं। इसलिए नहीं- पैसे खर्च करने से वो डरते हैं, लेकिन वो चाहते हैं कि अगर ज्‍यादा धन उसकी जेब में होगा तो बच्‍चों की आदत बिगड़ जाएगी। और इसलिए थोड़ा-थोड़ा देते हैं और पूछते रहते हैं भाई क्‍या किया, ठीक खर्चा किया कि नहीं किया? जो परिवार में संतानों की चिंता करने वाले मां-बाप हैं वो ये भली-भांति जानते हैं कि अगर जेब में पैसे होते हैं तो पता नहीं कहां से कहां रास्‍ते भटक जाते हैं। और इसलिए ये बहुत बड़ा काम, समाज को स्‍वयं की स्‍वयं के साथ accountability, ये बहुत बड़ी बात होती है। स्‍वयं की स्‍वयं के साथ accountability, ये बहुत बड़ी बात होती है। + +जब मैं Digital India की बात कर रहा था, भारत सरकार ने एक नया अभी imitative लिया है- GeM. ये एक ऐसी व्‍यवस्‍था है जो खास करके हमारे जो Women Self Help Group हैं, उनको मैं निमंत्रण देता हूं। जो भी कोई उत्‍पादन करता है, जो अपने product बेचना चाहता है, वो भारत सरकार का ये जो GeM Portal है, उस पर अपनी रजिस्‍ट्री करवा सकता है Online. और भारत सरकार को जिन चीजों की जरूरत है, राज्‍य सरकारों को जिन चीजों की जरूरत है, वे भी उस पर जाते हैं, कहते हैं भई हमें इतनी chair चाहिए, इतने टेबल चाहिए, इतने ग्‍लास चाहिए, इतने refrigerator चाहिए। जो भी उनकी आवश्‍यकता है वो उस पर डालते हैं। और जो GeM में रजिस्‍टर्ड होते हैं, गांव के लोग भी वो आते हैं भई मेरा माल है, मेरे पास पांच चीज हैं मैं बेचना चाहता हूं। सारी transparence व्‍यवस्‍था है। + +और मैं कर्नाटक सरकार को भी आग्रह करता हूं। हिन्‍दुस्‍तान के 15 राज्‍य, इन्‍होंने भारत के सरकार के साथ GeM के MOU किया है। कर्नाटक सरकार भी देर न करे, आगे आएं। इससे कर्नाटक के अंदर जो सामान्‍य व्‍यक्ति उत्‍पादन करता है उसको एक बहुत बड़ा बाजार मिल जाएगा। सरकार एक बहुत बड़ी खरीदार होती है। जिसका लाभ यहां के गरीब से गरीब व्‍यक्ति भी जो चीज उत्‍पादित करता है, उसको एक अच्‍छा Assured Market मिल जाएगा और उसको गारंटी amount भी मिलेगा। + +आज pharmaceutical world के लिए ये बहुत बड़ा ताकतवर पौधा माना जाता है। लेकिन मैं एक और काम के लिए सुझाव देता हूं। हमारे यहां के समुद्री तट पर Women Self Help Group के द्वारा इस प्रकार की sea weed की खेती प्रारंभ की जाए। 45 दिन में फसल आना शुरू होगा, 12 महीनों फसल मिलती रहेगी और वो जो पौधे हैं, जब किसान जमीन को जोते, उसके साथ जमीन में मिक्‍स कर दिया जाए। उसके अंदर भरपूर पानी होता है और उसमें बहुत nutrition value होती है। एक बार हम इस धर्मस्‍थल के अगल-बगल के गावं में प्रयोग करके देखें। मुझे विश्‍वास है कि यहां की जमीन को सुधारने के लिए ये sea weed के पौधे बहुत बड़ी सेवा कर सकते हैं, बहुत मुफ्त में तैयार हो जाते हैं। उससे हमारे मछुआरे भाइयों को भी income हो जाएगी और उसमें जो पानी का तत्‍व है वो जमीन को पानीदार बनाते हैं। बड़ी ताकतवर बनाते हैं। मैं चाहूंगा कि धर्मस्‍थल से ये प्रयोग हो। अगर यहां पर कुछ प्रयोग हों तो आपके scientist हैं, आपके education के लोग हैं, उसका जो अध्‍ययन करेंगे, मुझे जरूर report भेजिए। सरकार को मैंने ये काम कभी कहा नहीं है, मैं पहली बार यहां कह रहा हूं। क्‍योंकि ये जगह ऐसी है कि मुझे लगता है कि आप प्रयोग करेंगे और सरकार के नीति-नियमों का बंधन आ जाता है। आप खुले मन से कर सकते हैं। और आप देखिए वो जमीन इतनी बदल जाएगी, उत्‍पादन इतना बढ़ जाएगा, कभी सूखे की स्थिति में भी हमारा किसान कभी परेशान नहीं होगा। तो धरती माता की रक्षा के अनेक हमारे प्रकल्‍प हैं, उन सबको ले करके चलेंगे। + diff --git a/pm-speech/685.txt b/pm-speech/685.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..a1f784e58d47be0801e8193533ee793acc76cf9a --- /dev/null +++ b/pm-speech/685.txt @@ -0,0 +1,20 @@ +साथियों, दुनिया का ये भूभाग जिस तरह एक दूसरे से ऐतिहासिक रूप से जुड़ा रहा है, वैसा अन्य जगहों पर कम ही देखने को मिलता है। हजारों वर्षों से हम Trade, Culture और Religion से जुड़े रहे हैं। Coastal Economy ने इस भूभाग को कनेक्ट करने में सदियों से अहम योगदान दिया है। लोगों का आना-जाना, विचारों का आदान-प्रदान, ये एक two-way process रहा है जिसका लाभ इस क्षेत्र के हर देश को मिला। हम आज भी सिर्फ आर्थिक ही नहीं बल्कि सांस्कृतिक तौर पर भी एक shared heritage का प्रतीक हैं। + +साथियों, इस पूरी प्रक्रिया में संयुक्त राष्ट्र का एक सहयोगी के तौर पर आगे आना भी बहुत सुखद है। 1985 में पहली बार Consumer Protection पर UN गाइडलाइंस बनी थी। दो वर्ष पूर्व ही इसमें और सुधार किया गया है। सुधार की उस प्रक्रिया में भारत की भी सक्रिय भूमिका रही है। विकासशील देशों में Sustainable Consumption, E-Commerce और Financial Services के संबंध में ये गाइडलाइंस बहुत महत्वपूर्ण हैं। + +साथियों, हम आज की देश की जरूरतों, आज के व्यापारिक तौर-तरीकों को ध्यान में रखते हुए एक नया Consumer Protection Act बना रहे हैं। नए कानून में Consumer Empowerment पर विशेष जोर दिया जा रहा है। Consumer की परेशानी कम समय में, कम खर्च में दूर हो, इसके लिए नियम सरल किए जा रहे हैं। Misleading विज्ञापनों पर और सख्ती का प्रावधान किया जा रहा है। तुरंत सुनवाई के लिए Executive powers के साथ Central Consumer Protection Authority का गठन भी किया जाएगा। + +हमने Real Estate Regulatory Act बनाया है जिससे घर खरीदने वाले उपभोक्ताओं के हितों का संरक्षण हुआ है। पहले बिल्डरों की मनमानी की वजह से वर्षों तक लोगों को अपने घरों के लिए इंतजार करना पड़ता था। फ्लैट के एरिया को लेकर भी भ्रम की स्थिति बनी रहती थी। अब RERA के बाद केवल रजिस्टर्ड डवलपर्स ही सभी आवश्यक permission प्राप्त करने के बाद घर की बुकिंग कर सकेंगे। इसके साथ ही सरकार ने बुकिंग अमाउंट की सीमा को भी 10 प्रतिशत पर फिक्स कर दिया है। + +अभी हाल ही में भारत ने Goods And Services Tax- GST को भी लागू किया है। GST के बाद देश में अलग-अलग तरह के दर्जनों Indirect Tax का जाल खत्म हुआ है। कितने ही तरह के Hidden Tax भी खत्म हो गए हैं। उपभोक्ता को अब सामने receipt पर दिखता है कि उसने कितना टैक्स राज्य सरकार को दिया, कितना केंद्र सरकार को। बॉर्डर पर ट्रकों का लगने वाला लंबा जाम भी खत्म हो गया है। + +GST से देश को एक नया बिजनेस कल्चर मिल रहा है और Long Term में GST का सबसे बड़ा फायदा Consumers को ही होगा। ये एक पारदर्शी व्यवस्था है जिसमें कोई Consumers के हितों के साथ खिलवाड़ नहीं कर पाएगा। इतना ही नहीं, GST की वजह से जब कंपनियों का आपस में कंपटीशन बढ़ेगा तो चीजों की कीमतों में भी कमी आएगी। इसका भी सीधा फायदा गरीब और मध्यम वर्ग के Consumers को होगा। + +National Consumer Helpline की क्षमता को 4 गुना बढ़ाया जा चुका है। Consumer Protection से जुड़े पोर्टल और सोशल मीडिया को भी इंट्रीग्रेट किया गया है। पोर्टल से निजी कंपनियां भी बड़ी संख्या से जुड़ रही हैं। पोर्टल के माध्यम से लगभग 40 प्रतिशत शिकायतें सीधे कंपनियों के पास ऑटोमैटिक ट्रांसफर हो जाती हैं जिन पर तेजी से कार्रवाई होती है। जागो-ग्राहक जागो अभियान के माध्यम से भी उपभोक्ताओं को जागरूक किया जा रहा है। मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि Consumer Protection में जिस तरह सोशल मीडिया का Positive तरीके से इस्तेमाल इस सरकार ने किया है, वैसा देश में पहले कभी नहीं किया गया। + +हमारी सोच Consumer Protection से आगे जाकर Consumer Interest Promotion की है। Consumer Interest में लोगों के पैसे बचाने का एक और उदाहरण है हमारी उजाला स्कीम। ये साधारण सी स्कीम है LED बल्ब के वितरण की, लेकिन परिणाम बहुत असाधारण हैं। जब ये सरकार आई थी तो एक LED बल्ब 350 रुपये से ज्यादा का बिकता था। सरकार के प्रयास के बाद अब वही बल्ब अब उजाला स्कीम के तहत केवल 40 से 45 रुपये में उपलब्ध है। LED बल्ब की कीमत कम करके और लोगों के बिजली बिल में बचत कराकर सरकार ने सिर्फ इस एक योजना से उपभोक्ताओं के 20 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा बचाए हैं। साथियों, Inflation पर लगाम लगाने की वजह से भी गरीब और मध्यम वर्ग के Consumers का आर्थिक फायदा हुआ है। वरना पिछली सरकार में जिस रफ्तार से Inflation बढ़ रही थी, उसी रफ्तार से बढ़ती रहती तो, देश के सामान्य नागरिक की रसोई का बजट बहुत ज्यादा बढ़ चुका होता। + +यहां इस अवसर पर मैं दूसरे देशों से आए अपने साथियों को Give-it-up स्कीम के बारे में विशेष तौर पर बताना चाहता हूं। हमारे यहां रसोई गैस के सिलेंडर पर लोगों को सब्सिडी दी जाती है। मेरी एक छोटी सी अपील पर एक साल के भीतर एक करोड़ से ज्यादा लोगों ने अपनी गैस सब्सिडी छोड़ दी। लोगों ने जो गैस सब्सिडी छोड़ी, उसका इस्तेमाल अब तक 3 करोड़ परिवारों को मुफ्त गैस कनेक्शन देने में किया जा चुका है। + +400 करोड़ से ज्यादा का consumer base, बढ़ती हुई purchasing power, Young Demographic Profile, हम एशियाई देशो में बिजनेस का बड़ा आधार है। E-commerce और लोगों की बढ़ती Trans-border mobility की वजह से आज Cross-Border Transaction लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में Consumer का भरोसा बनाए रखने के लिए ये बहुत आवश्यक है कि हर देश में एक मजबूत regulatory system हो और उस सिस्टम के बारे में दूसरे देशों को भी आवश्यक जानकारी हो। दूसरे देशों के उपभोक्ताओ से जुड़े मामलों में तेजी से की गई कार्रवाई करने के लिए Co-operation का फ्रेम वर्क होना भी जरूरी है। इससे आपसी विश्वास और व्यापार भी बढ़ेगा। + diff --git a/pm-speech/686.txt b/pm-speech/686.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..9cae02b7a574c2eab0da654246df8a000e18a8b8 --- /dev/null +++ b/pm-speech/686.txt @@ -0,0 +1,24 @@ +इस ferry service से पूरे क्षेत्र में सामाजिक-आर्थिक विकास का एक नया दौर शुरू होगा। रोजगार को जो नौजवान इस व्‍यवस्‍था का फायदा उठाएंगे; रोजगार के नए अवसर उपलब्‍ध होंगे। Coastal Shipping और Coastal Tourism का भी एक नया अध्‍याय इसके साथ जुड़ने वाला है। भविष्‍य में हम सब इस ferry service से…. और यहां आए हुए लोग ध्‍यान से सुनें, भविष्‍य में हम इस ferry service से हजीरा, पीपावाओ, जाफराबाद, दमनदीव, इन सभी महत्‍वपूर्ण जगहों के साथ ferry service जुड़ सकती है। + +साथियों, आज भी भारत में road transport का हिस्‍सा 55 प्रतिशत है, रेलवे माल ढुलाई का 35 प्रतिशत वहन करती है और Waterways क्‍योंकि सबसे सस्‍ता है, वो सिर्फ 5 या 6 percent है। जबकि तीसरे देशों में Waterways और Coastal Transport की हिस्‍सेदारी करीब-करीब 30 प्रतिशत से भी ज्‍यादा हुआ करती है। यही हमारी सच्‍चाई, यही हमारी चुनौती है और यही स्थिति हमें बदलने का संकल्‍प ले करके आगे बढ़ना है। + +आप ये जानकर चौंक जाएंगे कि हमारे यहां पहली Port Policy, 1995 में बनी। देश आजाद हुआ 1947 में और बंदरों की नीति, 1995, कितना विलंब कर दिया। उसके पहले port के विकास के लिए एक लंबे vision के साथ काम नहीं हो रहा था। बस चीजें चल रही थीं और ये सच है कि इसकी वजह से देश को अरबों-खरबों का आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ा। + +आपको एक उदाहरण देता हूं- अगर जलमार्ग के माध्‍यम से हम कोयले को transportation करना चाहते हैं, तो उसका खर्च आता है प्रतिटन किलोमीटर 20 पैसे। वहीं जब इसे उसी कोयले को रेल के माध्‍यम से ले जाते हैं तो यही कीमत हो जाती है सवा रुपया, यानी 20 पैसे के सामने सवा हो जाता है, और आप विचार कीजिए कि रोड़ मार्ग से जाएंगे तो किना गुना बढ़ जाएगा? आप बताइए हमें सस्‍ते माध्‍यम से कोयले की ढुलाई करनी चाहिए या नहीं? आप जानकर हैरान रह जाओगे कि आज भी कोयले की ढुलाई का 90 प्रतिशत रेल के द्वारा ही हो रहा है। दशकों से बनी हुई इस व्‍यवस्‍था को बदलना हमने ठान लिया है। और इसके लिए सरकार लगातार नए-नए initiative ले रही है। + +साथियो, जब हम नया घर खरीदते हैं तो देखते हैं कि उस घर की दूसरे क्षेत्रों के साथ connectivity कैसी है, रोड़ है कि नहीं है, रेल है कि नहीं है, जाना है तो बस मिलती है कि नहीं मिलती है। जब हम नया business शुरू करते हैं- तो भी देखते हैं कि इस इलाके में connectivity कैसी है। उस इलाके में सामान को लाने-ले जाने में कोई दिक्‍कत तो नहीं आएगी? + +जब हमारी सामान्‍य approach यही रहती है तो फिर एक सवाल ये भी उठता है कि आखिर हमारे उद्योग समुद्र तटों से दूर क्‍यों जगाए जाएं? अगर इंडस्‍ट्री का कच्‍चा माल और तैयार किया हुआ माल, अगर बंदरों की connectivity पर निर्भर है तो क्‍या ये सही नहीं होगा कि समुद्र तटों के पास industrial coastal भी विकसित किए जाएं। इससे न केवल logistic की कीमत में कमी आएगी बल्कि ease of being business में भी मददगार साबित होगा। + +साथियो, transport की दुनिया में कहा जाता है कि अगर आप आने वाले कल की दिक्‍कतों को आज सुलझा रहे हैं तो आप पहले ही बहुत देर कर चुके हैं। आप सोचिए, आपके आसपास किसी सड़क पर हर रोज जाम लगता हो और कोई तय करे कि अब वहां flyover बनाया जाएगा, ये flyover जब बन करके तैयार होगा तब तक उस इलाके में गाडि़यों की संख्‍या इतनी बढ़ जाती है कि उस flyover पर भी जाम लगने लग जाता है। हमारे देश में यही होता रहा है। और इसलिए transport sector में सरकार अभी की जरूरतों के साथ ही भविष्‍य की आवश्‍यकताओं को ध्‍यान में रखते हुए भी काम कर रही है। हमारा मंत्र है P for P, Ports for prosperity. हमारे बंदर समृद्धि के प्रवेश द्वार। सागरमाला जैसा project इसी vision की एक झलक है। इस project पर twenty – thirty five तक की जरूरतों को ध्‍यान में रखते हुए हम काम कर रहे हैं। इसके तहत सरकार अब से ले करके 2035 को ध्‍यान में रखते हुए 400 से ज्‍यादा परियोजाओं पर आज बहुत बड़ा investment कर रही है। + +साथियों, सरकार के प्रयासों का ही नतीजा है कि पिछले तीन वर्षों में port sector में बहुत बड़ा परिवर्तन आया है। अभी तक का सबसे ज्‍यादा capacity addition पिछले दो-तीन वर्षों में ही हुआ है। जो port और सरकारी कम्‍पनियां घाटे में चल रही थीं, उनमें भी परिस्थिति बदल गई है। सरकार का ध्‍यान coastal service से जुड़े skill development पर भी है। + +आजकल आप कई जगहों पर traffic जाम देखते हैं। इसी तरह हमारे ports में भी जाम लग जाता है। ports में लगने वाले जाम की वजह से logistic cost बढ़ती है, waiting time बढ़ता है। जिस तरह हम traffic में फंसने के बाद सिर्फ इंतजार करते रह जाते हैं, कोई productive काम नहीं कर पाते; उसी तरह समुद्र में खड़े जहाज भी सामान उतारने और सामान चढ़ाने के इंतजार में खड़े रह जाते हैं। और सिर्फ वो vessel खड़ा नहीं रहता है, पूरी economy ठहर जाती है। यह बहुत आवश्‍यक है कि ports का आधुनिकीकरण हो, bottlenecks हटाए जाएं। + +खाद्य सुरक्षा के लिए Blue Economy का इस्‍तेमाल किया जा सकता है। जैसे अगर हमारे मछुआरे भाई sea bead की खेती करें, उसमें value-addition करें तो इससे उनकी आय में भी इजाफा हो सकता है। ऐसे ही Blue Economy, ऊर्जा के क्षेत्र में mining के क्षेत्र में, tourism के क्षेत्र में New India का एक बहुत बड़ा आधार बन सकती है। + +इसी तरह GST से भी देश में एक नया Business Culture मिल रहा है। हमें मालूम है पहले जो लोग ट्रक लेकर जाते हैं, check post पर घंटों खड़े रहना पड़ता था। GST आने के बाद सारे check-post गए। जो ट्रक पांच दिन में पहुंचता था वो आज तीन दिन में पहुंचता है। सामान ले जाने, लाने का खर्चा कम हो गया और हजारों करोड़ रुपये जो check-post पर जाते थे, उसमें भी भ्रष्‍टाचार पनपता था। वो सारी चीजें GST आने के कारण बंद हो गया। अब मुझे बताइए, अब तक जिन्‍होंने ठेकेदारी में लूटा था वो मोदी से नाराज होंगे कि नहीं होंगे? उनको मोदी पर गुस्‍सा आएगा कि नहीं आगा? लेकिन देश के ना‍गरिक को भला होना चाहिए कि नहीं होना चाहिए? देश के नागरिकों को लाभ होना चाहिए कि नहीं होना चाहिए? + +भाइयो, बहनों, तमाम सुधारों और कड़े फैसलों के बावजूद देश की अर्थव्‍यवस्‍था पटरी पर आए सही दिशा में है। हाल में आए आंकड़ों को देखें तो कोयले, बिजली, स्टील, Natural Gas, इन सबके production में काफी वृद्धि हुई। विदेशी investor भारत में record निवेश कर रहे हैं। भारत का Foreign Exchange Reserve लगभग 30 हजार करोड़ डॉलर से बढ़कर 40 हजार करोड़ डॉलर को पार कर गया है। + diff --git a/pm-speech/687.txt b/pm-speech/687.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..14283a5c96fee817c2f9bfbe6d1afca7a7503350 --- /dev/null +++ b/pm-speech/687.txt @@ -0,0 +1,34 @@ +मेरे प्‍यारे भाईयो बहनों, एक विवाद का विषय है। क्‍या? मनुष्‍य जात ने सबसे पहले तैरना सीखा था कि पहिया बनाना सीखा था। कोई तय नहीं कर पाता था कि पहले पहिया बना कि पहले इंसान तैरना सीखा। लेकिन ये सही है कि मानव जात सदियों से तैर कर नांव से नदी पार करना उसने हमेशा सरल माना, आसान माना। गुजरात के हजारों साल का सामुद्रिक यात्रा का इतिहास रहा है। नांव बनती यहां थी। नाव लेकर दुनिया में जाकर लोगों की परंपरा थी। लोथल 84 देशों के झंडे यहां पर फहरते थे। फलफी यूनिवर्सिटी 1700 साल पहले अनेक देशों के बच्‍चे हमारे यहां फलफी यूनिवर्सिटी में पढ़ते थे। लेकिन पता नहीं क्‍या हुआ सब कुछ इतिहस की तरह नीचे जमीन में दब गया। वो भी तो एक जमाना था। + +भाईयो बहनों, आज का ये programme, आज का ये प्रारंभ घोघा, भावनगर, गुजरात के समुद्र तक के वो पुराने भव्‍य दिवसों को वापिस लाने का अवसर है। घोघा-दहेज के बीच से फेरी सर्विस सवा सौ दक्षिण गुजरात के करोड़ो लोगों की जिंदगी को न सिर्फ आसान बनाएगी बल्कि उन्‍हें और निकट ले आएगी। जिस सफर में 7-8 घंटे लगते थे। वो सफर एक सवा घंटे में पूरा किया जा सकेगा। हमारे यहां कहा जाता है सबसे मुल्‍यवान चीज समय होता है। time is money ये कहा जाता है। आज दुनिया में कोई 24 घंटे के, 25 घंटे नहीं कर सकता है। लेकिन ये भारत सरकार और गुजरात सरकार है कि आपके 24 घंटों में से एक घंटे की सफर करके, सात घंटे की सौगात दे सकता है। एक study कहती है कि सामान को ले जाने में अगर सड़क के रास्‍ते डेढ़ रूपये का खर्च होता है, तो उतना ही सामान ले जाने के लिए रेल के जरिये एक रूपया लगता है, लेकिन वही सामान अगर हम जलमार्ग से ले जाएं तो सिर्फ 20-25 पैसे में ले जा सकते हैं। आप सोच सकते हैं कि आपका कितना समय बचने जा रहा है। देश का कितना पेट्रोल डीजल बचने वाला है। वरना लाखों लीटर इंधन तो जब ट्रेफिक जाम हो जाता है, वहीं पर बरबाद हो जाता है। + +भाईयो और बहनों, सौराष्ट्र और दक्षिण गुजरात के बीच हर रोज लगभग 12 हजार लोग यात्रा करते हैं। पांच हजार से ज्‍यादा गाड़ियाँ हर रोज इन दो क्षेत्रों को connect करने के लिए सड़कों पर दौड़ती हैं। जब यही connectivity सड़क के बजाय समुद्र से होगी, तो 307 किलोमीटर की दूरी 31 किलोमीटर में बदल जाएगी। एक फेरी अपने साथ 500 से ज्‍यादा लोग, 100 के लगभग कारें, 100 के करीब ट्रकें ये अपने साथ लेकर के जा सकती है। साथियों जब ट्रेफिक का बड़ा हिस्‍सा इस फेरी सर्विस पर निर्भर हो जाएगा। या जब अपनी-अपनी गाड़ियाँ इधर से उधर ले जाएंगे। तो इसका प्रभाव दिल्‍ली और मुंबई को connect करने वाले रास्‍तों पर भी पड़ने वाला है। गुजरात के सबसे ज्‍यादा औद्योगिकरण वाले क्षेत्र जैसे दहेज, बड़ोदरा और उसके आस-पास के मार्गों पर गाडि़यों की संख्‍या कम होगी, गाडि़यों की रफ्तार बढ़ेगी और तेजी यहां के पूरे economy system को top-gear में ले जाएगी। + +2012 में मैं आया था। इसका शिलान्‍यास मैंने किया था। लेकिन तब समुद्र में कुछ काम करना है। तो हम जरा भारत सरकार पर dependent रहते थे। और भारत सरकार में ऐसे लोग बैठे थे उस समय, जब मैं गुजरात का मुख्‍यमंत्री था। वापी लेकर के कच्‍छ के मांडवी तक गुजरात के समुद्री तट पर विकास पर पूरा प्रतिबंध लगा दिया गया। हमारी सारी industries को पर्यावरण के नाम पर ताले लगाने की धमकियां दी गईं थी। मैं जानता हूं कितनी कठिनाईयों से हमने गुजरात को आगे बढ़ाने में सफलता पाई थी। लेकिन जब दिल्‍ली में आप सबने मुझे सेवा करने का मौका दिया एक के बाद एक समस्‍याएं सुलझती गईं। और आज Ro-Ro ferry service + +साथियों आज हमें वरूण देव की आर्शीवाद से ये अमृत मिला है। जो जलसेतू मिला है। मैं शीश झुकाकर के ये कामना करता हूं कि वरूण देव का आर्शीवाद हमेशा की तरह गुजरात के लोगों के साथ रहे। और आज जब हम आज ये Ro-Ro ferry service का प्रारंभ कर रहे हैं तब, मैं वीर मोखरा जी दादा को भी नमन करता हूं। और जैसे मेरे मछुवारे भाई बहन वीर मोखरा जी दादा को नरियल कराके करके आगे बढ़ते हैं। मैं भी उनकी परंपरा का आज पालन करूंगा। और वीर मोखरा जी के आर्शीवाद से हमारी यात्रियों की सुरक्षा बनी रहे। भावनगर और सौराष्ट्र, दक्षिण गुजरात के हिस्‍से की तरह आगे बढ़ जाएं, इतनी प्रगति हो और वीर मोखरा जी के आर्शीवाद हम पर बने रहेंगे, ये मुझे पूरा विश्‍वास है। + +भाईयो और बहनों, गुजरात में देश का सबसे बड़ा sea front उपलब्‍ध है। 1600 किलोमीटर से भी ज्‍यदा हमारा समुद्री तट है। सैंकड़ों वर्षों से गुजरात अपनी शक्ति और सामर्थ्‍य से पुरी दुनिया का ध्‍यान अपनी ओर खींचता रहा है। लोथल पोर्ट से निकली जानकारियां आज भी बड़े-बड़े marine experts को अचभिंत करती है। जिस जगह पर हम सभी उपस्थित हैं, वहां पर सैंकड़ों वर्षों से दुनिया के अलग-अलग क्षेत्रों से जहाज आते रहे हैं। इस समुद्र को विरासत समझते हुए, देखते हुए मैं उसी समय से गुजरात में port led development की बात कर रहा हूं। जब आपने मुझे मुख्‍यमंत्री के पद पर बिठाया। इसी को ध्‍यान में रखते हुए हमने गुजरात के coastal इलाके में Infrastructure और Development के दूसरे projects पर विशेष ध्‍यान दिया। हमने Ship-Building इसकी नई policy बनाई, Ship Building Park बनाए। Special Economic Zones में छोटे पोर्ट को बढ़ावा दिया जाए। Ship-breaking के नियमों में भी बढ़े बदलाव किए गए। सरकार ने Specialized Terminals के निर्माण पर भी विशेष जोर लगाया, जैसे दहेज में Solid Cargo, Chemical और LNG Terminal, मुंद्रा में Coal Terminal ऐसे Specialized Terminals से गुजरात के port-sector को एक नई दिशा, नई ऊर्जा और नई चेतना प्राप्‍त हुई है। + +इसके साथ ही सरकार ने Vessel Traffic Management System और Ground Breaking Connectivity Project को भी विशेष रूप से बढ़ावा दिया। सरकार आने वाले दिनों में Maritime University बनाने और लोथल में Maritime Museum बनाने पर भी बहुत विस्‍तार से काम इन दिनों चल रहा है। इन सारे कार्यों के साथ ही यहां रहने वाले मेरे मछुवारे भाई बंघु और स्‍थानिय लोगों का विकास हो, इसके लिए सागर-खेड़ू विकास कार्यक्रम जैसी योजनाएं भी हम लगातार चला रहे हैं। इसी बात पर भी जोर दिया कि Shipping Industry में स्‍थानिय युवाओं को प्रशिक्षित करके उन्‍हें ही रोजगार दिया जाएगा। + +साथियों, सरकार भावनगर से Alang-Sosiya Ship Recycling Yard तक के लिए एक alternative road भी उस पर भी काम कर रही है। एशिया के सबसे बड़े Ship Recycling Yard में 15 से 25 हजार कर्मचारी काम करते हैं। Alang-Sosiya Ship Recycling Yard भावनगर से करीब 50 किलोमीटर दूर है। अभी जो route उस पर काफी जाम की कितनी दिक्‍कत रहती है। मुझे लगता है वो मुझे बताने की जरूरत नहीं है। सरकर ने ये तय किया है Alang-Sosiya Ship Recycling Yard और मअुवा, पीपावाओ और जाफराबाद, वैरावल को जोड़ने वाला जो एक वैकिल्‍पक रूट है उसे चौड़ा किया जाएगा, upgrade किया जाएगा। भविष्‍य में Alang Yard की क्षमता भी बढ़ने जा रही है और उसे देखते हुए बीच सड़क का आधुनिकीकरण आवश्‍यक हो गया है। इस रूट से Ghogha-Dahej ferry service के लिए आ रही गाडि़यों को भी फायदा होने वाला है। + +भाईयो और बहनों, गुजरात मार्ग की दृष्टि से बहुत ही strategic location पर है। यहां से दुनियां के किसी भी भू-भाग तक समुद्री मार्ग से पहुंचना बहुत ही आसान, सस्‍ता और सरल रास्‍ता है। हमें गुजरात की शक्ति का भरपूर फायदा उठाना चाहिए। गुजरात का maritime development भी पूरे देश के लिए एक model है। मुझे उम्‍मीद है कि Ro-Ro ferry service का पूरा project भी दूसरे राज्‍यों के लिए भी एक model project की तरह काम करेगा। + +हमनें जिस तरह बरसों की मेहनत के बाद इस तरह के project में आने वाली दिक्‍कतों को समझा है, उन्‍हें दूर किया है। वो दिक्‍कतें कम से कम इसे दोहराने वालों राज्‍यों को कभी नहीं आएगी। इस ferry service से पूरे क्षेत्र में सामाजिक, आर्थिक विकास का एक नया दौर शुरू होगा। रोजगार के हजारों नये अवसर बनेगें। Coastal Shipping और Coastal Tourism का भी नया अध्‍याय आरंभ होगा। आने वाले दिनों में जब दिल्‍ली और मुबंई के बीच Dedicated Freight Corridor बन जाएगा और साथ ही दिल्‍ली-मुबंई Industrial Corridor का काम पूरा हो जाएगा तो इस सर्विस समेत गुजरात से जुड़े समुद्री मार्ग का महात्‍मय भी कई गुना बढ़ जाएगा। ये project अहमदाबाद और भावनगर के बीच के इलाकों में औद्योगिक विकास को एक करने के लिए बनाए गये Dholera special investment region (SIR) को भी एक नई मजबूती देने वाला है। Dholera SIR भारत ही नहीं विश्‍व के नक्‍शे पर विकसित होने वाला ये सबसे बड़ा औद्योगिक केंद्र होने वाला है। इससे लाखों लोगों के लिए नए रोजगार के अवसर बनेगें। गुजरात सरकार के प्रयास से Dholera में infrastructure से जुड़े काम तेज गति से आगे बढ़ रहे हैं। कुछ ही वर्षों में Dholera पूरी दुनिया में अपनी धाक जमाएगा और उसमें एक ही भूमि का, Ghogha -Dahej ferry service का भी योगदान होगा। + +साथियों, भविष्‍य में हम इस ferry service को ये सिर्फ Ghogha-Dahej तक रूकने वाला नहीं है। भविष्‍य में हम इस ferry service को हम हजीरा, पीपावाओ, जाफराबाद, दमन-द्वीप इन सभी जगह पर जोड़ने की दिशा में आगे बढ़ने वाले हैं मुझे बताया गया है। कि सरकार की तैयारी आने वाले वर्षों में इस ferry service को सूरत से आगे हजीरा और फिर मुंबई तक ले जाने के लिए भी चल रही है। कच्‍छ की खाड़ी में भी इसी तरह का project शुरू किए जाने की चर्चा अभी प्राथमिक स्‍तर पर चल रही है। मुझे बताया गया है। कि कच्‍छ के वायु और जामनगर के rozi बंदर के बीच ऐसी सेवा शुरू करने के लिए pre-feasibilty report already तैयार हो चुकी है। इतना ही नहीं जब ferry service का इस्‍तेमाल बढ़ेगा तो तमाम उद्योगों को नर्मदा नदी के माध्‍यम से भी connect किया जा सकता है। + +साथियों, भारत की विशाल समुद्री सीमा 7500 किलोमीटर लंबी है। निवेश की बड़ी संभावनाओं से भरी हुई है। मेरा मानना रहा है कि हमारे समुद्री तट देश की प्रगति के gateway हैं। भारत की समृद्धि के प्रवेश द्वार हमारे बंदर होते हैं। लेकिन बीते दशकों में केंद्रीय स्‍तर से इन पर कम ही ध्‍यान दिया गया। देश का shipping और port sector भी लंबे समय तक उपेक्षित रहा। इस sector को सुधारने के लिए उसे आधुनिक बनाने के लिए सरकार ने सागरमाला कार्यक्रम भी शुरू किया है। + +साथियों, सरकार के प्रयासों का ये नतीजा है कि पिछले तीन वर्षों में Port Sector में बहुत बड़ा परिवर्तन आया है। और अभी तक का सबसे ज्‍यादा capacity addition पिछले दो या तीन वर्ष में हुआ है। जो port और सरकारी कंपनिया घाटे में चल रही थी, उनमें भी परिस्थिति बदल रही है। सरकार का ध्‍यान coastal service से जुड़ी skill development पर भी है। एक अनुमान के मुताबिक अकेले सागरमाला project से आने वाले समय में एक करोड़ जितनी नई नौकरियों के हिन्‍दुस्‍तान में अवसर पैदा हो सकते हैं। हम इस approach के साथ काम कर रहे हैं कि transportation का पूरा framework आधुनिक और integrated हो। + +हमारे देश में transport नीतियों में जो असंतुलन था, उसे भी दूर किया जा रहा है। ये असंतुलन इतना ज्‍यादा था वो आप इसी से समझ सकते हैं कि आजादी के इतने वर्षों बाद भी हमारे यहां सिर्फ पांच National Waterways थे। water transport में इतना सस्‍ता होना और देश की नदियों का जल होने का बावजूद इसे नजरअंदाज कर दिया गया। अब इस सरकार ने 106 National Waterways का गठन किया गया है। और इस पर तेजी से काम चल रहा है। इस National Waterways की कुल लंबाई 17000 किलोमीटर से भी ज्‍यादा है। ये Waterways देश के transport sector देश के असंतुलन को देर करने में बहुत मददगार साबित हुई है। + +Blue Revolution Scheme के अंतर्गत आज मछुआरों को Longliner trollers के लिए आर्थिक मदद देने की भी योजना बनाई है। एक vessel पर केंद्र सरकार की तरफ से चालीस लाख रूपये की सब्सिडी दी जाएगी। Longliner trollers का ने सिर्फ मछुआरों की जिंदगी आसान बनाएगें बल्कि वो उनके कारोबार को भी नई आर्थिक मजबूती देंगे। अभी जिस तरह ये trollers का इस्‍तेमाल किया जाता है, वो कम पानी में मछली पकड़ने के काम आते हैं। तकनीक के मामले में भी ये बहुत पुराने हैं risky हैं। इसलिए जब इन पुराने trollers को लेकर के वे समुद्र जाते हैं तो अक्‍सर रास्‍ता भटक जाते हैं। उन्‍हीं पता तक नहीं चलता कि भारत की समुद्री सीमा छोड़कर, दूसरे देश की समुद्र सीमा में पहुंच गये। इसके बाद मछुआरों को कई तरह की दिक्‍कत उठानी पड़ती है। तकनीक का ज्‍यादा से ज्‍यादा इस्‍तेमाल करके हम इन दिक्‍कतों को कम कर सकते हैं और इसलिए हमने ये Longliner trollers की मदद से मछुआरे भाई समुद्र में सही दिशा में दूर तक गहरे पानी में मछली पकड़ने के लिए जा सके इसके सरकार मदद करने की योजना बनाई है। आधु‍निक Longliner trollers ईंधन के मामले में भी काफी किफायती होते हैं। यानि मछुआरों की सुरक्षा बढ़ाने के साथ-साथ उनका व्‍यापार और मुनाफा दोनों बढ़ाएगें। + +साथियों देश में infrastructure का विकास हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकताओं में से एक है। पिछले तीन वर्षों में Highways, Railways, Waterways और Airways पर जितना निवेश किया गया है। उतना पहले इतने कम समय में कभी नहीं हुआ। इसके अलावा नई Aviation Policy बनाकर Regional Air Service को सुधारा जा रहा है। छोटे-छोटे हवाई अड्डों का आधुनिकीकरण किया जा रहा है। कुछ हफते पहले ही अहमदाबाद से मुंबई के बीच चलने वाली देश की पहली बुलेट ट्रेन का भी काम शुरू किया जा चुका है। ये सारे प्रयास देश को इक्‍सवीं सदी के transport system देने का आधार बनेगें। एक ऐसा transport system जो New India की आवश्‍यकता हो New India की उम्‍मीदों के मुताबिक। साथियों आज यहां Ghogha से मैं ferry के माध्‍यम से ही दहेज़ तक जाऊंगा। मेरे साथ मेरे कुछ नन्‍हें साथी, दिव्‍यांग बच्‍चे भी होंगे। उनके चेहरे की खुशी ही मेरा पारिश्रमिक होगा। + +भाईयो-बहनों, से बचपन से जिस कार्य का सपना देखा था, वो पूरा होने के बाद मैंने ऐसा अनुभव किया इसकी कल्‍पना शायद कोई नहीं कर सकता है। बचपन में जिस बात को सुना था और हो नहीं रहा था, आज जब अपनी आंखों के सामने देख पर रहा हूं और खुद को उस काम को करने का मौका मिला, मैं समझता हूं कि मेरे जीवन का बहुत धन्य पल है। मैं इसे अपना सौभाग्‍य मानता हूं। दहेज मैं जाऊंगा अपने अनुभव वहां बाटूंगा। लेकिन मैं आज आपसे आग्रह करूंगा कि इस महत्‍वपूर्ण काम में आप हमारे साथ जुडि़ए और ये मानिए ये ferry service तो शुरूआत है, ये पहला चरण है। बाद में प्राइवेट कंपनिया आएंगी ढेर सारी फेरिया चलेंगी। रूट चलेंगे, tourism development होगा। और सूरत के हमारे धनी लोग इसको हम hire करके जन्‍म दिन मनाने के लिए भी समुद्र में जाएंगे। बहुत बड़ी विकास की संभावनाए हैं। और इसलिए मैंने कहा कि घोघा का भाग्‍य फिर एक बार बदलने वाला है। घोघा का भाग्‍य फिर एक बार बदल रहा है। और एक बार फिर आप सभी को Ghogha-Dahej Ro-Ro ferry service और सर्वोत्‍त्‍म डेयरी के cattle freed plant के लिए मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूं। आप सबको बहुत-बहुत धन्‍यवाद देता हूं। + diff --git a/pm-speech/688.txt b/pm-speech/688.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..fded8ffd95ffff9052d64146c00fac1cdf818f12 --- /dev/null +++ b/pm-speech/688.txt @@ -0,0 +1,20 @@ +गुजरात जैसे कुछ राज्‍य हैं, जहां आज नववर्ष प्रारंभ होता है। नूतन वर्ष अभिनंदन, साल मुबारक। विश्‍वभर में फैले हुए वो सभी परिवार जो आज नूतन वर्ष का प्रारंभ करते हैं, उनको भी मेरी तरफ से नववर्ष की बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। आप सबको नूतन वर्ष अभिनंदन, साल मुबारक। फिर एक बार बाबा ने मुझे बुलाया है। फिर एक बार खिंचता चला आया बाबा के चरणों में। आज फिर पुराने लोग मिल गए मुझे। उन्‍होंने जो कुछ मेरे विषय में सुना होगा, वो आज मुझे पुन: स्‍मरण करा रहे थे। + +मंदाकिनी के घाट का भी retaining wall का भी निर्माण कार्य,वो भी। एक प्रकार से लोग जो यात्री आएं उनको जा करके बैठने की सुविधा संबधित हो, कल-कल बहती नदी के स्‍वर को सुन पाएं ऐसा प्रबंध हो। जैसा मैंने कहा है approach road, भव्‍य-दिव्‍य बनाने वाला approach road बनेगा। उसकी lightening की व्‍यवस्‍था भी वैसी ही रहेगी जैसे मंदाकिनी के पास retaining wall और एक घाट का निर्माण होगा, क्‍योंकि दोनों तरफ जलशक्ति का अनुभव होता है, जलस्रोत का अनुभव होता है। तो एक तरफ है मां सरस्‍वती; उसके भी retaining wall और उसके भी घाट का निर्माण, इसको किया जाएगा। और इसके पीछे भी काफी धन लगाया जाएगा। + +मैं जानता हूं खर्च होगा लेकिन मेरा पूरा विश्‍वास है, अगर एक बार हिन्‍दुस्‍तान के यात्री श्रद्धा के भाव से तय करें तो जिस प्रकार का पुनर्निर्माण करना है, वैसा पुनर्निर्माण करने में धन की यह देश कभी कमी नहीं रखेगा, ये मेरी श्रद्धा है। और मैं देश की सरकारों को भी इसमें सहभागी होने के लिए निमंत्रण करूंगा। मैं corporate social responsibility के लिए भी, उद्योग जगत के लोगों को भी, व्‍यापार जगत के लोगों को भी इसमें हाथ बंटाने के लिए निमंत्रण दूंगा। + +हमारे हिमालय की गोद में organic farming पूरे विश्‍व के लिए एक बहुत बड़ी संभावना वाली जगह मैं देखता हूं। सिक्किम छोटा सा प्रदेश है। 6-7 लाख की आबादी है लेकिन 12-15 लाख टूरिस्ट आते हैं, और वहां जाने-आने के रास्‍तों की भी कठिनाई है, हवाई अड़्डा भी नहीं है। अब मैं बना रहा हूं, बन जाएगा कुछ समय में। उसके बावजूद भी इतनी मात्रा में tourist आते हैं। सिक्किम ने पूरा राज्‍य आर्गेनिक बनाया है। + +मैं उत्‍तराखंड को निमंत्रण देता हूं। उत्‍तराखंड की सरकार को आग्रह करता हूं, मैं उत्‍तराखंड के अफसरान से आग्रह करता हूं कि बीड़ा उठाइए। उत्‍तराखंड को organic state बनाने का सपना ले करके चलें, 2022 का लक्ष्‍य हो, और अभी से काम लगे। Certify करने में शायद दस साल लग जाएंगे, उसके नियम होते हैं। लेकिन अगर एक बार तय कर लें, जैसे जन-जागृति लाएंगे, चीजें बदलेंगे। आप कल्‍पना कर सकते हैं आज पूरी दुनिया holistic health care की ओर चल रही है। और तब जा करके केमिकल की दुनिया से दूर हमारे खेत उत्‍पादन को ले जाएंगे तो हम मानव जाति की कितनी बड़ी सेवा करेंगे। हिमालय की ये ताकत, इसको भी आगे बढ़ाना है। + +हमारे यहां पहाड़ों में कहावत बड़ी पुरानी है। पहाड़ का एक स्‍वभाव होता है। पहाड़ की जवानी और पहाड़ का पानी कभी पहाड़ के काम नहीं हाता है। हमने बीड़ा उठाया है ये कहावत बदलने का। पहाड़ की जवानी पहाड़ को काम आनी चाहिए और पहाड़ का पानी भी पहाड़ को काम हाना चाहिए। उसी पानी से बिजली पैदा होनी चाहिए। उसी पानी पर adventure tourism चलना चाहिए। उसी पानी पर water sports चलना चाहिए। उसी पानी पर tourism के नए-नए क्षेत्र विकसित होने चाहिए और दुनियाभर की जवानी को निमंत्रण देने का सामर्थ्‍य उस पानी में हो और पानी जो कभी पहाड़ के काम नहीं आता था, वो पानी पहाड़ के लिए काम आ जाए। जो जवानी पहाड़ से उतर करके नीचे मैदानी तालुकाओं में चली जाती है। रोजी-रोटी की तलाश में हम पहाड़ों में वो ताकत पैदा करें ताकि हमारी जवानी को कभी पहाड़ छोड़़ने की नौबत न आए। पहाड़ की जवानी पहाड़ के काम आ जाए, ये काम करने की दिशा में एक के बाद एक कदम भारत सरकार उठा रही है। + +उत्‍तराखंड के पास बहुत सामर्थ्‍य है। यहां discipline, यहां की रगों में है। कोई परिवार ऐसा नहीं है कि जिस परिवार में कोई फौजी न हुआ हो। कोई गांव ऐसा नहीं है जहां 250-300 सेवा निवृत्‍त फौजी न हों और जहां फौजी इतनी संख्‍या में हो वहां तो discipline काबिले दाद होते हैं। यात्रियों के लिए ये discipline एक बहुत बड़ा संबल होती है। टूरिस्‍टों के लिए ये discipline एक बहुत बड़ी ताकत होती है। इसको हमने परिचित करवाना चाहिए। इसके लिए हमने योजना बनानी चाहिए। निवृत्‍त हमारे फौजियों को उसके इस अनुभव का उपयोग करते हुए, टूरिस्‍टों में एक नया विश्‍वास पैदा करने के लिए हमने एक ऐसी व्‍यवस्‍था की रचना करनी चाहिए जो हमारे दूसरों के लिए एक बहुत बड़ा संबल बन सकती है। बहुत बड़ी संभावनाएं हैं। और उस संभावनाओं को ले करके उत्‍तराखंड का विकास, उत्‍तराखंड देश के लिए सबसे बड़ा आकर्षण का केंद्र बने, सबसे चहेता tourist destination बने, tourist के लिए तो उत्‍तराखंड, यात्री के लिए तो उत्‍तराखंड, adventure के लिए तो उत्‍तराखंड, उत्‍तम प्रकृति के लिए, प्रकृति की गोद में रहने वालों की इच्छा के लिए उत्‍तराखंड, संशोधन, आवष्किार करने वालों के‍ लिए उत्‍तराखंड। + +ये ताकत जिस धरती में है, मैं आप सबको निमंत्रण देता हूं कि आइए आज दीवाली के इन दिनों में और एक प्रकार से नव वर्ष के प्रारंभ में, हमारे यहां पूरा हिन्‍दुस्‍तान दीवाली के दिन पुराने बहीखाते पूरे करता है और नया बहीखाता शुरू होता है। आज एक विकास का नया बहीखाता शुरू हो रहा है। उस नए बहीखाते से हम विकास की गाथा प्रारंभ कर रहे हैं। नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए आगे बढ़ेंगे। मैंने आज भी कई और सुझाव दिए हैं। राज्‍य सरकार इसको दोबारा देखगी। फिर एक बार एकाध महीने में मैं दोबारा मिलूंगा। जिन चीजों को मेरे मन में और भी इस इलाके में करने के इरादे हैं, उसको भी बल दूंगा। लेकिन हम सबकी जिम्‍मेदारी है पर्यावरण की रक्षा करना। हम सबकी जिम्‍मेदारी है प्रकृति की रक्षा करना। अगर हम पर्यावरण की रक्षा करेंगे, पर्यावरण हमारी रक्षा करेगा, ये मैं गारंटी देता हूं। अगर हम प्रकृत्ति की रक्षा करेंगे, प्रकृत्ति हमारी रक्षा करेगी, ये मैं आपको विश्‍वास दिलाता हूं। + +मुझे उत्‍तराखंड को इस बात के लिए बधाई देनी है- शौचालय, खुले में शौच से मुक्ति; पिछले दिनों मुझे बताया गया कि उत्‍तराखंड ने ग्रामीण क्षेत्र में शौचालय के काम को पूरा कर दिया है। अब गांव में किसी को भी खुले शौचालय में जाना नहीं पड़ रहा है। शहरों में काम चल रहा है। कुछ ही समय में शहर समेत पूरा उत्‍तराखंड खुले में शौचालय से मुक्‍त होने के लिए तैयारी कर रहा है। + +मैं समझता हूं जो मां-बहनों को खुले में शौच जाना पड़ता है वो इस बात को भलीभांति समझती हैं कि इज्‍जतघर का मतलब क्‍या होता है। हम भी इस इज्‍जतघर का अभियान चलाएं। माताओं-बहनों को इज्‍जत देने के लिए शौचालय अपने-आप में एक बहुत बड़ी सुविधा होती है। उनके स्‍वास्‍थ्‍य के लिए भी बहुत सुविधा होती है। और अभी यूनिसेफ ने सर्वे किया है। हिन्‍दुस्‍तान के दस हजार गांव का सर्वे किया। और जिन घरों में शौचालय बनाया था वो और जिन घरों में शौचालय नहीं था, वो। जो गांव शौचालय के संबंध में जागरूक थे वो और जो गांव शौचालय के संबंध में जागरूक नहीं थे, वो; उन सबका उन्‍होंने अध्‍ययन किया है, यूनिसेफ ने। United Nations की ये संस्‍था है और उन्‍होंने पाया कि शौचालय न होने के कारण भिन्‍न-भिन्‍न प्रकार की बीमारियाँ जो घर में आती हैं, और बीमारी के कारण बच्‍चा बीमार हो तो मां उसमें व्‍यस्‍त हो जाती है, बाप व्‍यस्‍त हो जाता है, बच्‍चा स्‍कूल नहीं जाता है। रोजी-रोटी कमाने के लिए पिता नहीं जा पाता है। मां बीमार हो गई तो पूरा घर बीमार हो जाता है। घर में कमाने वाला अगर बीमार हो गया तो आय बंद हो जाती है, पूरा परिवार भूखा मर जाता है। और ये सब देख करके उन्‍होंने सर्वे किया कि शौचालय अगर नहीं है तो बीमारी का जो खर्चा होता है और शौचालय बन जाता है तो यूनिसेफ वालों ने सर्वे करके निकाला है कि गरीब परिवार का बीमारी के पीछे 50 हजार रुपये का जो खर्चा बच जाता है, आप सोचिए अगर एक परिवार का साल का 50 हजार रुपया बच जाए, उस परिवार की जिंदगी में कितनी बड़ी ताकत आ जाएगी। + diff --git a/pm-speech/689.txt b/pm-speech/689.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..d0656398069191460bf907ced805131107566a63 --- /dev/null +++ b/pm-speech/689.txt @@ -0,0 +1,12 @@ +साथियों, आयुर्वेद सिर्फ एक चिकित्सा पद्धति नहीं है। इसके दायरे में सामाजिक स्वास्थ्य, सार्वजनिक स्वास्थ्य, पर्यावरण स्वास्थ्य जैसे अनेक विषय भी आते हैं। इसी आवश्यकता को समझते हुए ये सरकार आयुर्वेद, योग और अन्य आयुष पद्धतियों के Public Healthcare system में integration पर जोर दे रही है। आयुष को सरकार ने अपने चार priority areas में रखा हुआ है। एक अलग मंत्रालय बनाने के साथ ही हमने नेशनल हेल्थ पॉलिसी का निर्माण करते समय, स्वास्थ्य सेवाओं और आयुष सिस्टम के integration के लिए व्यापक नियम बनाए हैं, दिशानिर्देश दिए हैं। + +स्पोर्ट्स की तरह ही हमारे सुरक्षाबलों के लिए भी योग और आयुर्वेद काफी महत्वपूर्ण हैं। हमारे जवान बहुत ही मुश्किल परिस्थितियों में देश की रक्षा करते हैं। कभी पोस्टिंग पहाड़ पर, कभी रेगिस्तान पर, कभी समंदर के किनारे, कभी घने जंगलों में। अलग-अलग मौसम, अलग-अलग परिस्थितियां। ऐसे में योग और आयुर्वेद उन्हें कितनी ही बीमारियों से बचाकर रख सकता है। मानसिक तनाव दूर करने, एकाग्रता बढ़ाने, हमारे जवानों का immune system मजबूत करने में योग और आयुर्वेद बहुत कारगर साबित हो सकते हैं। + +आज के युग में लोग तत्काल परिणाम चाहते हैं। तत्काल इफेक्ट मिलता है तो लोग साइड इफेक्ट की परवाह नहीं करते। ये सोंच गलत है, लेकिन यही हर तरफ दिखती है। इसलिए आयुर्वेद के जानकारों को चाहिए इफेक्ट यानि तत्काल परिणाम देने वाली और फिर भी साइड इफेक्ट्स से बचाने वाली दवाईयों पर शोध करें, ऐसी औषधियों के बारे में सोचे, उनका निर्माण करें। + +भाइयों और बहनों, मुझे बताया गया है कि आयुष मंत्रालय के तहत 600 से ज्यादा आयुर्वेदिक दवाइयों के फार्मेसी स्टैन्डर्ड को पब्लिश किया गया है। इसका जितना ज्यादा प्रचार-प्रसार होगा, उतना ही आयुर्वेदिक दवाइयों की पैठ भी बढ़ेगी। हर्बल दवाइयों का आज विश्व में एक बड़ा मार्केट तैयार हो रहा है। भारत को इसमें भी अपनी पूर्ण क्षमताओं का इस्तेमाल करना होगा। हर्बल और मेडिसिनल प्लांट्स कमाई का बहुत बड़ा माध्यम बन रहे हैं। + +अभी इसी महीने सरकार ने इस मिशन को और केंद्रित कर दिया है। Intensified Mission Indradhanush की शुरुआत की गई है जिसके तहत उन जिलों-शहरों-कस्बों पर Focus किया जाएगा यहां टीकाकरण की कवरेज सबसे कम है। अगले एक साल तक देश के 173 जिलों में हर महीने हफ्ते में 7 दिन लगातार टीकारकरण अभियान चलेगा। सरकार का लक्ष्य है कि दिसंबर 2018 तक देश में full इम्युनायजेशन कवरेज को प्राप्त कर लिया जाए। + +Preventive HealthCare को बढ़ावा देने के साथ ही सरकार स्वास्थ्य सेवा में affordability और access बढ़ाने के लिए शुरू से ही holistic approach लेकर चल रही है। मेडिकल कॉलेजों में डॉक्टरी की पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए पीजी मेडिकल सीट में वृद्धि की गई है। इसका सीधा लाभ हमारे युवाओं को तो मिलेगा ही साथ ही गरीबों को इलाज के लिए डॉक्टर भी आसानी से उपलब्ध होंगे। देशभर के लोगों को बेहतर इलाज और स्वास्थ्य उपलब्ध कराने के लिए विभिन्न राज्यों में नए एम्स भी खोले जा रहे हैं। स्टेंट के दामों में भी भारी कटौती, Knee Implants की कीमतों को नियंत्रित करने जैसे फैसले भी लिए गए हैं। जन औषधि केन्द्रों के माध्यम से भी गरीबों को सस्ती दवाएं भी उपलब्ध करवाई जा रही हैं। साथियों, मुझे बताया गया है कि इस वर्ष लगभग 24 देशों में हमारे विदेश स्थित मिशन भी आयुर्वेद दिवस मना रहे हैं। पिछले 30 वर्षों से दुनिया में आईटी क्रांति देखी गई है। अब आयुर्वेद की अगुवाई में स्वास्थ्य क्रांति होनी चाहिए। आइए हम इस शुभ दिन पर शपथ लेते हैं – + diff --git a/pm-speech/690.txt b/pm-speech/690.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..dd95113f3bcc8a97353a3f261d6a5974b292a421 --- /dev/null +++ b/pm-speech/690.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +एक समय था, जब हम स्कूल-कॉलेज में सीखने के लिए जाते थे, लेकिन वो युग समाप्त हो चुका है। आज विश्व जिस तेजी से बदल रहा है, मानव की सोच जिस प्रकार से बदल रही है, सोचने का दायरा जिस प्रकार से बदल रहा है, Technology Intervention, जीवन की सोच को, जीवन के व्यहार को Way of Life को आमूल-चूल परिवर्तन कर रहा है तब हमारी Universities भी, Universities में आने वाले हर विद्यार्थी के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती यह है, चुनौती यह नहीं कि नया क्या सिखाएं, चुनौती यह है कि पुराना जो सीखकर के आया है उसे कैसे भुलाएं। Unlearn करना, de-learn करना और बाद में Re-learn करना यह आज के युग की एक बहुत बड़ी आवश्यकता है। + +मुझे बराबर याद है जब मैं कई वर्षों पहले एक बार ताईवान गया था। तब तो मैं मुख्यमंत्री भी नहीं था, कहीं चुनाव की दुनिया से मेरा नाता नहीं था, वहां की सरकार के निमंत्रण पर गया था। तो मेरे साथ एक Interpreter था। दस दिन का मेरा वहां tour था। वो Interpreter मुझे बातचीत के माध्यम के रूप में मेरे साथ रहता था। अब दस दिन साथ रहे तो थोड़ा परिचय हो गया, थोड़ी दोस्ती हो गई। तो 6-8 दिन के बाद उसने मुझे एक दिन पूछा, बोले साहब आपको बुरा न लगे तो मुझे कुछ जानकारी चाहिए। मैने कहा जरूर पूछिए। वो बोले आपको बुरा तो नहीं लगेगा ना? मैने कहा नहीं-नहीं लगेगा, बताईए न क्या बात है? ठीक है साहब फिर बाद में बात करता हूं। संकोचवश वो बोल नहीं पाया। फिर दोबारा जब हम Traveling में हम साथ थे, तो मैने फिर से निकाला, मैने कहा कि भई वो तुम पूछ रहे थे, क्या था? बोले, साहब मुझे बडा संकोच होता है। मैने कहा चिंता मत करो तेरे मन में जो है, पूछो मुझे। वो Computer Engineer था। तो उसने पूछा साहब कि ये हिंदुस्तान अभी भी वैसा ही है, सांप-सपेरों वाला, जादू-टोने वाला। वो मेरी तरफ देखता रहा। फिर मैने उसको बोला कि मुझे देखकर क्या लगता है? तो थोड़ा वो संकोच में पड़ गया, थोड़ा शर्मिन्दगी महसूस करने लगा। बोला Sorry – Sorry Sir मैने कुछ गलत पूछ लिया। मैने कहा कि ऐसा नहीं है भई, तुमने ठीक पूछा है। मैने कहा कि तुम्हारे मन में ये जो तुम्हारी जानकारी है लेकिन अब हमारा थोड़ा पहले जैसा नहीं रहा है, थोड़ा De-valuation हुआ है। बोले वो कैसे? मैने कहा कि पहले हमारे जो पूर्वज थे वो सांप से खेला करते थे, हमारी जो नई पीढ़ी है वो Mouse से खेला करती है। वो समझ गया कि मैं किस Mouse की बात कर रहा हूं। वो गणेश जी वाला चूहा नहीं, वो computer वाला चूहा था। + +और इसलिए अभी नीतिश जी ने बड़े विस्तार से एक विषय को बड़े आग्रह से रखा और आपने भी उसको ताकत दी तालियां बजा-बजकाकर के। लेकिन मैं मानता हूं कि केन्द्रीय युनिवर्सिटी, ये बीते हुए कल की बात है। मैं उसे एक कदम आगे ले जाना चाहता हूं और मैं आज यही निमंत्रण देने के लिए आज इस युनिवर्सिटी कार्यक्रम में विशेष रूप से आया हूं। हमारे देश में शिक्षा क्षेत्र के Reform बहुत मंद गति से चले हैं। हमारे शिक्षाविदों में भी आपसी मतभेद बड़े तीव्र रहे हैं और Reform के हर कदम Reform से ज्यादा समस्याओं को उजागर करने के कारण बने हैं और उसी का परिणाम रहा है कि लंबे अरसे तक हमारी शिक्षा व्यवस्था में और खासकर उच्च शिक्षा में बदलते हुए विश्व की बराबरी करने के लिए जो Innovation चाहिए Reform चाहिए सरकारे उसमें कुछ कम पड़ गई हैं। इस सरकार ने कुछ कदम उठाए हैं, कुछ हिम्मत दिखाई है। अभी आप में से जिनको अध्यन का स्वभाव होगा आपने देखा होगा, हमारे देश में कई सालों से चर्चा चल रही थी IIM सरकारी कब्जे में रहे या न रहे? स्वतंत्र रहे न रहे, आधा-अधूरा स्वतंत्र है सरकार रहे? सरकार में लगता था कि हम इतना पैसा देते हैं और हमारी कोई बात ही नहीं चलती तो कैसे चलेगा? मैं डेढ-दो साल तक सुनता रहा, सुनता रहा, सुनता रहा और आपको जानकर के खुशी होगी और देश के Academic World को भी जानकर खूशी होगी ऐसे विषयों की ज्यादातर अखबारों में चर्चा नहीं आती है, ये विषय ऐसे होते है कि वो खबरों में जल्दी जगह पाते नहीं है, लेकिन कुछ लोगों ने आर्टिकल जरूर लिखे हैं। पहली बार देश ने IIM को पूरी तरह सरकारी कब्जे से बाहर निकालकर के उसे Professionally Open-Up कर दिया। यह बहुत बड़ा फैसला किया है। जैसे पटना युनिवर्सिटी के लिए IAS, IPS, IFS ये बाएं हाथ का खेल है वैसे ही IIM के लिए, देश भर की IIM Institute के लिए विश्व को CEO सप्लाई करना, वो बाएं हाथ का खेल रहा हैं। इसलिए विश्व की इतनी बड़ी Prestigious Institute सरकारी नियमों, बंधनों, बाबूओं के उसमें आना-जाना Meeting को खींचना ये सारी चीजों से हमने मुक्त कर दिया है। मुझे विश्वास है कि हमने IIM को इतना बड़ा अवसर दिया है कि IIM के लोग इस अवसर को एक अद्भुत मौका मानकर के देश की आशा आकांशाओं के अनुकूल अत्यंत महत्वपूर्ण निर्णय करके देश को कुछ दिखा देंगे। मैने उनसे एक आग्रह किया है IIM के Reform के अंदर एक बात को जोड़ा गया है कि अब IIM को चलाने में IIM के जो Alumina है उनकी सक्रिय भागीदारी चाहिए। पटना युनिवर्सिटी जैसी पुरानी युनिवर्सिटी में मेरा भी आग्रह है कि आपका Alumina बहुत समृद्ध है, सामर्थ्यवान है उस Alumina को किसी भी हालत में युनिवर्सिटी के साथ जोड़ना चाहिए, युनिवर्सिटी की विकास यात्रा को उसको भागीदार बनाना चाहिए। आप देखते हैं कि दुनिया में जितनी भी top Universities है उसको आगे बढ़ाने में Alumina का बहुत बड़ा योगदान होता है और सिर्फ Money से नहीं Intellectual, Experience, Status, पद, प्रतिष्ठा यह सारी चीजें उसके साथ जुड़ जाती हैं। हमारे देश में यह परंपरा बहुत कम मात्रा में है, तो भी जरा उदासीन है। किसी एकआध Function में बुला लिया, माला-वाला पहना दी, या तो दान मिला, उससे जुड़ा रहता है। हमें Alumina अपने आप में एक बहुत बड़ी ताकत होती है उसके जीवन संपर्क की व्यवस्थाओं को विकसित करना होगा। + diff --git a/pm-speech/691.txt b/pm-speech/691.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..bd669597e899942624bea84ff68136816e4c2290 --- /dev/null +++ b/pm-speech/691.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +आज का भी देशभर में कई जगह उद्घाटन हुआ है। उसी प्रकार से agriculture विभाग का यही पर एक Phonemics Centre का भी एक बड़ा महत्‍वपूर्ण प्‍लांट का आज उद्घाटन हुआ है। हमारे देश में कृषि क्षेत्र और पशुपलन यह ग्रामीण अर्थव्‍यवस्‍था के केंद्र बिंदु हैं। लेकिन साथ-साथ हमारे ग्रामीण जीवन में जो Artisans है उनका भी ग्रामीण अर्थकारण में बहुत बड़ा योगदान है। और इसलिए चाहे पशुपालन हो, चाहे खेती हो, चाहे हथकरघे का काम हो, हस्‍तकला से जुड़े हमारे लोग हो, उनको जोड़ करके हमने हमारी अर्थव्‍यवस्‍था के pillars को मजबूत करने की दिशा में हम काम कर रहे हैं। 2022 भारत की आजादी के 75 साल देश के किसानों की आय डबल करने की दिशा में एक संकल्‍प ले करके हम काम कर रहे हैं। एक तरफ किसान की जो input cost है उसकी जो लागत है उसको कम करना है। और दूसरी तरफ उसका उत्‍पादन जो है, उसको बढ़ाना है। अगर यह दोनों चीजों पर हम चलेंगे तो हमें टेक्‍नोलॉजी की मदद लेनी होगी। हमें आधुनिकता की तरफ जाना होगा। पशुपालन, पशु की संख्‍या भले कम हो, लेकिन दूध का उत्‍पादन ज्‍यादा हो, प्रति पशु दूध का उत्‍पादन बढ़े उस दिशा में जितना तेजी से आगे बढ़ेंगे वो ग्रामीण अर्थ जीवन आगे बढ़ेगा। हम आज दुनिया में chemical wax के बदले में शहद वाला wax जो है मोम है उसकी दुनिया में बहुत मांग बढ़ रही है। लोग chemical wax से मुक्ति पा करके honeybee का जो wax होता है, उसकी ओर जा रहे हैं। अगर हम गांवों में मधुमक्‍खी पालन को बढ़ावा दें, scientific तरीके से honeybee का पालन करना हमारे किसान के पशुपालन के साथ जुड़ जाए, अतिरक्‍त income की संभावनाएं बढ़ेगी और आज जो बहुत बड़ा market bee wax का है honeybee wax का है, chemical wax से लोग म‍ुक्ति चाहते हैं। भारत इसमें बहुत बड़े मार्केट को दुनिया में capture करने की ताकत रखता है और उस दिशा में हम आगे जाना चाहते हैं। हमारे यहां मत्‍स्‍य उद्योग हो, हमारे यहां पॉलिट्री फार्म्‍स हो, हमारे पशुपालन हो, हमारे यहां agriculture हो, उसमें भी टिंबर की खेती पशुपालन के साथ-साथ खेती के साथ-साथ अगर खेत के किनारे पर टिंबर की खेती करे, तो देश आज टिंबर import करता है। उससे बच जाएगा और देश का किसान टिंबर से इतनी कमाई कर पाएगा कि उसको कभी परिवार में संकट का सामना नहीं करना पड़ेगा। पांच-दस साल मेहनत करने की जरूरत है अपने आप परिणाम आना शुरू हो जाते हैं तो ऐसी एक comprehensive integrated approach के साथ ग्रामीण विकास को आगे बढ़ाने की दिशा में हम काम कर रहे हैं। हम कुछ काम निर्धारित समय-सीमा में करने के इरादे से करते हैं। मुझे खुशी है कि पहले ग्रामीण जीवन के साथ एक गंदगी ग्रामीण जीवन का हिस्‍सा बन गई थी। लोग सहते रहे, उन्‍होंने यही मान लिया कि हमारे नसीब में यही लिखा हुआ है। और धीरे-धीरे जैसे जागृति आ गई लोगों में यह बदलाव की शुरूआत हुई। Open Defecation Free गांव की माताओं-बहनों के सम्‍मान का एक अभियान चला है। toilet बनाने का एक अभियान चला समय-सीमा में Toilet बनाने का, शौचालय बनाने का काम चला। और आज धीरे-धीरे स्थिति आई है, कल तक जिसे हम शौचालय कहते थे, आज हिंदुस्‍तान में उत्‍तर प्रदेश जैसे राज्‍यों ने उसका नाम इज्‍जतघर कर दिया है। शौचालय पर लिखा है इज्‍जघर। सचमुच में माताओं-बहनों की इज्‍जत के लिए इससे बड़ा कोई तोहफा नहीं हो सकता जो कि हम Toilet बनाने करके देते हैं। हमारी माताओं-बहनों को शौच के लिए खुले में जाना पड़े, सूरज ढलने तक इंतजार करना पड़े और सुबह सूरज उगने से पहले जा करके आना पड़े और दिन में कभी जाने की नौबत आई, उस मां-बहन को कितनी पीड़ा होती होगी यह जब तब उस संवेदना को अनुभव नहीं करेंगे, तब तक Open Defecation Free का आंदोलन सफल नहीं हो सकता है। और इसलिए जब भी शौचालय बनाने की बात आए। उन मां-बहनों की इज्‍जत की तरफ देखिए, उन मां बहनों की परेशानियों की तरफ देखिए आपको भी लगेगा बाकी काम छोड़ करके पहले भारत सरकार की योजना से मैं शौचालय बनाऊं और शौचालय का उपयोग करने की आदत डालूं। + diff --git a/pm-speech/694.txt b/pm-speech/694.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..3e6d62e1c6617c5d856518324ca1ff1b99ff1e12 --- /dev/null +++ b/pm-speech/694.txt @@ -0,0 +1,10 @@ +आज मैंने द्वारका का मूड ही कुछ और देखा, चारो तरफ उत्‍साह, उमंग, जैसे एक नई चेतना द्वारका में मैं अनुभव कर रहा हूं। मैं द्वारकावासियों का ह्दय से अभिनंदन करता हूं। उनका धन्यवाद करता हूं। आज द्वारिका नगरी में जिस काम का आरंभ हो रहा है वो सिर्फ बैट द्वारिका में पहुचने के लिए एक सिर्फ Bridge नहीं हैं। सिर्फ एक ईंट, पत्‍थर, लोहे से बनने वाली एक संरचनात्मक व्‍यवस्‍था है ऐसा नहीं है। ये Bridge बैट द्वारिका की सांस्‍कृतिक विरासत के साथ उस हजारों साल पुराने नातों को जोड़ने की कड़ी के रूप में आज उसका कार्य हो रहा है। + +जब भी मैं बैट आया करता था। और वहां के Bridge को देखता था। निर्मल जल देखता था। पर्यटन की अपार संभावनाएं देखता था। लेकिन भारत सरकार की तरफ से, आप तो जानते हैं भूतकाल में भारत सरकार का गुजरात के प्रति प्‍यार कैसा था। कितनी कठिनाइयों से हम समय बि‍ताते थे। मुझे बराबर याद है। जब बैट के लोगों की मैं स्थिति देखता था। सूरज ढलने से पहले ही सारे काम पूरे करने पड़ते थे। रात को आवागमन बंद हो जाता था। और वो भी पानी के मार्ग से ही आना-जाना पड़ता था। मजबूरन जिंदगी गुजारनी पड़ती थी। अगर कोई अचानक बीमार हो जाए और उसे अस्‍पताल पहुंचाना है और अगर वो रात का समय हो तो कितनी दिक्‍कत होती थी वो मेरे बैट के प्‍यारे भाई-बहनें भली-भांति जानते है और इसलिए एक ऐसी व्‍यवस्‍था जो देशभर से आने वाले यात्रियों के लिए एक बहुत बड़ी सौगात हो। + +एक ऐसी व्‍यवस्‍था जो बैट के नागरिकों के लिए जो सामान्‍य उनकी जरूरतें हैं उनको पूरे करने वाली हो। एक ऐसी व्‍यवस्‍था जो बैट से जुड़े हुए समुद्री तट के किनारों को एक बहुत बड़े पर्यटन के क्षेत्र के रूप में विकसित करने की संभावनाओं को बल दें। और अगर एक बाद यात्री आए तो ठाकुर जी के चरणों में सर झुकाकर के भाग जाए। तो उससे द्वारका की अर्थव्यवस्था को ज्‍यादा लाभ नहीं होता। लेकिन अगर वो रात को रूकता है। दो दिन रूकता है तो हजार दो हजार रूपये खर्च करता है। तो द्वारका की आर्थिक व्‍यवस्‍था में गरीब से गरीब को रोजगार मिलता है। लोग द्वारिका आते हैं वो भगवान द्वारिकाधीश की कृपा से। लेकिन लोग द्वारिका में रूकेगें वो अगर हम व्‍यवस्‍थाएं खड़ी करेगें तो रूकेगें। और इसलिए हमनें विकास को वो प्राथमिकता दी है। जहां यात्री आएं, उनको रूकने का मन कर जाए। एक दो दिन बिताने का मन कर जाए। समुद्र की लह‍रों के सामने शाम बिताने का मन कर जाए। ढलते हुए सूरज को देखकर के मन प्रफुलित हो जाए। ये वातावरण पैदा करने के लिए निरंतर ये सरकार प्रयास कर रही है। + +दुनिया बदल चुकी है और इस बदली हुई दुनिया में विकास को नई ऊंचाईयों पर ले जाना हर भारतीय दुनिया के सामने सीना तान के खड़ा हो सके। ऐसा हिन्‍दुस्‍तान बनाने का सपना हर हिन्‍दुस्‍तानी का है। ये सपना सिर्फ नरेन्‍द्र मोदी का नहीं है। सवा सौ करोड़ देशवासियों का सपना है। मैं तो सिर्फ आपके सपनों को रंग भरने के लिए उसको चरितार्थ करने के लिए प्रयास कर रहा हूं। मेहनत कर रहा हूं। अभी नितिन जी बता रहे थे। समुद्री अर्थव्यवस्था के संबंध में एक ऐसा क्षेत्र है। कि जो सामुद्रिक संपदा को गुजरात की ओर देश की अर्थव्‍यवस्‍था में एक बहुत बड़ी ताकत देने का सामर्थ्‍य है। 1600 किलोमीटर का समुद्री तट गुजरात के पास है। हमारे मछुआरे भाई-बहन समुद्री तट पर रहते हैं। समुद्री अर्थव्यवस्था की पूरी संभावना हमारे समुद्री तट पर है। हम बंदरों का विकास करना चाहते हैं लेकिन हम बंदर आधारित विकास भी करना चाहते हैं। हम वो अवसंरचना बनाना चाहते हैं कि जो बंदरों को रोड से जोड़, रेल से जोड़े, हवाई पटरी से जोड़े, गोदाम कोल्ड स्टोर हो दुनिया के बाजार में भारत के किसानों द्वारा उत्‍पादित चीजें विश्‍व के बाजार में कम से कम समय में पहुंचे। देश के किसान को ज्‍यादा से ज्‍यादा कीमत मिलें। इसके लिए इन व्‍यवस्‍थाओं को विकसित करने के लिए एक के बाद एक कदम उठा रहे हैं। हमनें एक योजना बनाई है। और वो भी मेरे मछुआरे भाईयो-बहनों के लिए और समुद्री अर्थव्यवस्था के तहत बनाई है। और वो योजना है आज हमारा मछुआरा, माछीमार जिसके पास छोटी-छोटी बोट है। वो लेकर के समुद्र में फिशिंग के लिए जाता है। दस बारह नोटीकल माइल्‍स से आगे जा नही पाता है और इतने इलाके में जितनी चाहिए उतनी मात्रा में उसको मछली मिलती नहीं है। वो घंटों तक मेहनत करता है फिर बाद में आधा-अधूरा भरकर के वापिस आ जाता है। क्‍या मेरे माछीमार भाई-बहनों को ऐसी जिंदगी जीने के लिए मजबूर कंरू। क्‍या मैं उनको उनके नसीब पर छोड़ दूं। क्‍या मेरे माछीमार भाई-बहनों को जिंदगी में आगे बढ़ने की इच्‍छा नहीं होती क्‍या? क्‍या मेरे माछीमार भाई-बहनों को अच्‍छी शिक्षा-दीक्षा देने का मन नहीं करेगा क्‍या? क्‍या मैं मेरे माछीमार भाई-बहनों को झुग्‍गी-झोंपड़ी वाली जिंदगी से बाहर निकल करके अच्‍छी जिंदगी जीने का मन करेगा कि नहीं करेगा। अगर वो करना है तो उसकी आर्थिक ताकत बढ़ानी पड़ेगी। उसका उसे सशक्त बनाना पड़ेगा। उसका सशक्तिकरण करना पड़ेगा। और इसलिए हम एक ऐसी योजना लाए कि कुछ मछुआरे भाई-बहन हमारे इकट्ठे हो जाएं, माछीमार भाई-बहन हमारे इकट्ठे हो जाएं। सरकार उनको लोन देगी। कम ब्‍याज से लोन देगी। और डेढ़ करोड़, दो करोड़ की बड़ी बोट वो ला सके। उसका प्रबंध करवाएगी। और अगर वो डेढ़ करोड़, दो करोड़ की बड़ी बोट रखेगा तो दस-बारह नोटिकल माइल्‍स से भी अंदर समुद्र में जा करके वहां तो समुद्र के भीतर भी मछलियों का सागर होता है। गहरे समुद्र में वो अगर वहां चला जाएगा, जो काम उसको तीन दिन में करना होता है वो आधे-एक में पूरा करके के तीनगुणा चारगुणा कमाई करने वाली व्‍यवस्‍था करके अपने किनारे पर वापिस आ सकता है। और उसमें कोल्ड स्टोर समेत सभी व्‍यवस्‍था रहे। इस प्रकार का प्रबंध हम हमारे माछीमारों को ये व्‍यवस्‍था देना चाहते हैं। हर माछीमार भाई इसका फायदा उठा सके इसके लिए हम इसको आगे बढ़ा रहे हैं। जो माछीमार की जिंदगी बदलेगा कंडला पोर्ट कहो जिस प्रकार से उसका ग्रोथ हुआ है। + +जब मैं गुजरात का मुख्‍यमंत्री था तब भी कंडला पोर्ट था। और हालत क्‍या थी वो मुझे पूरा पता है। हम भारत सरकार को कहते थे इसको प्राथमिकता दीजिए। एक अवसर है। लेकिन उनकी लिस्‍ट में कंडला बंदर नहीं था। जब से भारत सरकार में हमें काम करने का अवसर मिला है। हमनें गुजरात के बंदरों के विकास पर भी उतना ही ध्‍यान दिया है और जिसके कारण आज कंडला का ग्रोथ पिछले 25 साल में नहीं हुआ। इतना ग्रोथ तेजी से आज कंडला का हो रहा है। और उसके कारण लोगों को रोजी-रोटी मिलती है। हमारा अलंग कितने सालों से अलंग की शिकायत रहती थी। अलंग के विकास की चर्चा रहती है। अलंग के स्वच्छता की चर्चा रहती है। भावनगर का अलंग एक प्रकार से दुनिया में हमारी पहचान भी था। लेकिन साथ-साथ पर्यावरण के नाम पर सैंकड़ों सवालिया निशान भी थे। राष्‍ट्रीय अंतरराष्‍ट्रीय संस्‍थाएं नई-नई सवाल उठाती रहती थीं। ये भारत सरकार का दायित्‍व था कि उसमें कुछ चिंता करे मदद करे। अलंग में काम करने वाले मजदूरों की जिंदगी में कुछ बदलाव आए उसके लिए कुछ करे। लगातार कोशिश करने के बाद भी उस समय की भारत सरकार की नींद मैं नहीं उड़ा पाया। लेकिन आज जब हमें सेवा करने का मौका मिला है। तो हमनें भी जापान के साथ, लोगों को जापान सिर्फ बुलेट ट्रेन के लिए याद रहता है। वो लोग भूल जाते हैं कि जापान के साथ हम अलंग के विकास के लिए भी बड़ी योजना बना कर के आगे बढ़ रहें हैं। और उसके कारण अलंग के मेरे मजदूर भाईयो-बहनों की जिंदगी में बहुत बड़ा बदलाव आने वाला है। + diff --git a/pm-speech/695.txt b/pm-speech/695.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..dc4fb0cde996b6ed6379652ff8870208fab05477 --- /dev/null +++ b/pm-speech/695.txt @@ -0,0 +1,12 @@ +आज 2 अक्‍तूबर है; पूज्‍य बापू की जन्‍म-जयंती, लाल बहादुर शास्‍त्री की जन्‍म-जयंती। तीन साल में हम कहां से कहां पहुंचे। मुझे बराबर याद है कि मैं अमेरिका में था UN की मीटिंग के लिए और 1 अक्‍तूबर रात देर से आया, और 2 अक्‍तूबर सुबह झाड़ू लगाने निकला था। लेकिन उस समय के सारे अखबार, मीडिया, हमारे सभी साथी दल के साथियों, यानी राजनीतिक दलों सभी, मेरी इतनी आलोचना की थी, इतनी आलोचना की थी कि 2 अक्‍तूबर छुट्टी का दिन होता है; हमने बच्‍चों की छ़ुट्टी खराब कर दी। बच्‍चे स्‍कूल जाएंगे कि नहीं जाएंगे, बच्‍चों को ये क्‍यों काम में लगाया; बहुत, बहुत कुछ हुआ। + +मैं बराबर हूं, मैं तो पहले सामाजिक संगठन में काम करता था, राजनीति में बहुत देर से आया। गुजरात में मैं काम करता था, वहां Morvi में Machu Dam की हुनारत हो गई थी, हजारों लोग मारे गए थे, पूरा शहर पानी में डूब चुका था, तो बाद में वहां सफाई सेवा कार्य के लिए वहां लगा हुआ था काम करता था। सफाई-स्‍वच्‍छता, ये सब काम चल रहे थे, करीब महीने भर चला था। बाद में हम लोगों ने कुछ civil societies, NGO के माध्‍यम से तय किया कुछ जिनके घर-वर तबाह हो गए, कुछ मकान बनाएंगे, तो हमने एक गांव गोद लिया। लोगों से धन संग्रह किया और गांव का पुनर्निर्माण करना था; छोटा सा गांव था, कोई 350-400 घर होंगे। तो design बना रहे थे, मेरा बड़ा आग्रह था toilet तो होना ही चाहिए। गांव वाले कहते थे नहीं जी toilet की जरूरत नहीं, हमारे यहां तो खुला बहुत मैदान है, toilet मत बनाइए थोड़ा कमरा बड़ा बना दीजिए। मैंने कहा वो compromise नहीं करूंगा। कमरा जितने हमारे पास पैसे हैं उतने से बनाकर देंगे आपको लेकिन toilet तो होगा। खैर उनको तो मुफ्त में मिलने वाला था तो फिर ज्‍यादा उन्‍होंने झगड़ा नहीं किया, बन गया। + +करीब 10-12 साल के बाद मैं उस तरफ गया तो मुझे लगा चलो यार पुराने लोगों से मिलके आऊं कि मैंने कई महीनों तक वहां रह करके काम किया था, तो मिलने चला गया। और जा करके मैं अपने माथे पर हाथ पटक रहा था। जितने toilet बनाए थे, सब में बकरियां बंधी हुई थीं। अब यह समाज का स्‍वभाव है, न बनाने वाले का दोष नहीं है, न सरकार का दोष है कोई आग्रह करती है। समाज का एक स्‍वभाव है। इन मर्यादाओं को समझते हुए भी हमें बदलाव लाना है। + +कोई मुझे बताए क्‍या हिन्‍दुस्‍तान में अब आवश्‍यकता के अनुसार स्‍कूल बने हैं कि नहीं बने हैं? आवश्‍यकता के अनुसार टीचर employ हुए कि नहीं हुए? आवश्‍यकता के अनुसार स्‍कूल में सुविधाएं स्‍कूल के अंदर किताबें, सब हैं कि नहीं? बहुत एक मात्रा में हैं। उसकी तुलना में शिक्षा की स्थिति पीछे है। अब सरकार ये कोशिश करने के बाद भी, धन-खर्चे के बाद भी, मकान बनाने के बाद भी, टीचर रखने के बाद भी, समाज का अगर सहयोग मिलेगा तो शिक्षा शत-प्रतिशत होते से नहीं देर लगेगी। यही infrastructure, इतने ही टीचर शत-प्रतिशत तरफ जा सकते हैं। समाज की भागीदारी के बिना ये संभव नहीं है। + +और आप देखिए हमारे जो kids हैं, छोटे बच्‍चे हैं जिन घरों में, बेटे हैं, पोते है, पोती। वो एक प्रकार से मेरे स्‍वच्‍छता के सबसे बड़़े ambassador हैं। ये बच्‍चे घर में दादा भी कहीं फेंक देता है, दादा उठा लो, दादा ये यहां मत डालो, ये हर घर में वातावरण बनाएं। अगर जो बात बच्‍चों के गले उतर गई है, हमारे गले क्‍यों नहीं उतरती? + +आंकड़ों के हिसाब से तो लग रहा है कि गति भी ठीक है, दिशा भी ठीक है। स्‍कूलों में toilet की दिशा में अभियान चलाया। अब स्‍कूलों में बच्चियां जाती हैं तो इन बातों में बड़ी जागरूक रहती हैं। पूछती हैं, व्‍यवस्‍था देखती हैं, उसके बाद admission लेती हैं। पहले नहीं था जी, ठीक है, जो है झेल लेंगे। क्‍यों, झेले क्‍यों? हमारी बेटियां झेले क्‍यों? + diff --git a/pm-speech/696.txt b/pm-speech/696.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..10730eb25098bc19b29fd4c7dffea549ce12deb5 --- /dev/null +++ b/pm-speech/696.txt @@ -0,0 +1,4 @@ +आप सबको विजयादशमी के पावन पर्व पर बहुत-बहुत शुभकामनाएं। हमारे देश में उत्‍सव एक प्रकार से सामाजिक शिक्षा का माध्‍यम हैं। हमारे हर उत्‍सव के साथ समाज को सामूहिकता की ओर ले जाना, समाज के प्रति संवेदन बनाना, मूल्‍यों के प्रति अ‍हरिष्‍ट याद रखना, और‍ विकृतियों को मिटाने का निरन्‍तर प्रयास करते रहना; इसकी एक प्रशिक्षा के रूप में हमारे उत्‍सवों की परम्‍परा है। + +हजारों साल हो गए लेकिन प्रभु राम, प्रभु कृष्‍ण; इनकी गाथाएं आज भी समाज जीवन को चेतनाएं देती रही हैं, प्रेरणा देती रही हैं। आज नवरात्रि के पावन पर्व के बाद विजयादशमी के पर्व पर रावण दहन की परम्‍परा है। ये रावण दहन उस परम्‍परा का हिस्‍सा है। लेकिन एक नागरिक के नाते समाज जीवन में ये जो रावण प्रमुक्ति होती है, उसको विनाश करने के लिए भी समाज ने निरन्तर जागृत प्रयास करने होते हैं। + diff --git a/pm-speech/697.txt b/pm-speech/697.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..7869a0e5ff6ca2911cae5dad596eb6101449594e --- /dev/null +++ b/pm-speech/697.txt @@ -0,0 +1,22 @@ +आज एक साथ तीन पवित्र अवसरों की त्रिवेणी का संयोग बना है। आज नवरात्र का पाँचवाँ दिन है औऱ इस दिन स्कंदमाता की पूजा की जाती है। स्कंदमाता को सौरमंडल की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है। स्कंदमाता के आशीर्वाद से नवरात्र के इन दिनों में देश की महिलाओं की सुरक्षा और उनकी जिंदगी से जुड़ी एक बहुत महत्वपूर्ण योजना की आज शुरुआत होने जा रही है। + +प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना यानि सौभाग्य के तहत सरकार देश के हर ऐसे घर, चाहे वो गांव में हो, शहर में हो, दूर-दराज वाले इलाके में हो, उस घर को बिजली कनेक्शन से जोड़ेगी। किसी गरीब से बिजली कनेक्शन के लिए किसी भी तरह का शुल्क नहीं लिया जाएगा। सरकार गरीब के घर पर आकर बिजली कनेक्शन देगी। जिस बिजली कनेक्शन के लिए गरीब को गांव के मुखिया के घर पर, सरकारी दफ्तरों में चक्कर लगाने पड़ते थे, उस गरीब को घर जाकर ये सरकार खुद बिजली कनेक्शन देगी। बिना एक भी रुपया लिए, बिजली कनेक्शन। + +साथियों, वर्ष 2015 में हमने कोयला खदानों के लिए एक नया अधिनियम लागू किया था जिसके तहत पहली बार कोयला खदानों का रिवर्स ई-ऑक्शन हुआ है। साल 2009 से 2014 तक, पांच सालों में कोयले का उत्पादन सिर्फ 34 मिलियन टन बढ़ा था, वहीं पिछले 3 वर्षों में हमने 93 मिलियन टन उत्पादन बढ़ाकर 659 मिलियन टन प्रति वर्ष कर दिया है। मुझे आपको बताते हुए खुशी है कि इस सरकार के तीन वर्षों में ही PSU’s द्वारा कोयले के उत्पादन में हुई वृद्धि, पिछली सरकार के पांच वर्षों के कार्यकाल में हुई वृद्धि की तुलना में डेढ़ गुना से अधिक है। + +Renewable Energy के सेक्टर में कंपटीशन को बढ़ावा देकर, सरकार ने ये भी सुनिश्चित किया है कि वो देश के आम नागरिकों के लिए किफायती भी रहे। Renewable Energy की लागत में कमी पर लगातार ध्यान दिया जा रहा है। इसी वजह से साल 2016-17 में हमें सौर ऊर्जा सिर्फ 2 रुपए 44 पैसे और पवन ऊर्जा सिर्फ 3 रुपए 42 पैसे के Minimum teriff पर मिली है। इतनी कम कीमतों ने अंतरराष्ट्रीय जगत का ध्यान भी अपनी ओर खींचा है। + +इस कमजोर कड़ी को तोड़ने के लिए, Power Distribution System मजबूत करने के लिए, 2015 में सरकार ने उज्ज्वल डिस्कॉम एश्योरेंस योजना यानि उदय की शुरुआत की थी। उदय योजना का मकसद बिजली Distribution के काम में लगी कंपनियों में बेहतर Operational और Financial Managment की स्थापना करना था। जब इन कंपनियों में स्थायित्व होगा, वो व्यवसायिक रूप से मजबूत होंगी, तभी Distribution पर भी ध्यान दे पाएंगी। + +भाइयों और बहनों, देशभर में Power Distribution सेक्टर में केंद्र सरकार ने जो फैसले लिए हैं, जो नीतियां बनाई हैं, उसका सीधा असर Ease of Doing Business पर भी पड़ा है। पावर सेक्टर में Ease of Doing Business के मामले में भारत साल 2015 में 99वें स्थान पर था। जबकि अब उसकी रैंकिंग 26 हो गई है। रैंकिंग में इतना बड़ा उछाल इस सेक्टर को सुधारने में लगे लोगों के लिए गौरव की बात है। + +सरकार के प्रयास की वजह से LED बल्ब, जो फरवरी 2014 में 310 रुपए का था, अब सितंबर 2017 में लगभग 40 रुपए का हो गया है। उजाला योजना के तहत अब तक देश में 26 करोड़ से ज्यादा LED बल्ब बांटे जा चुके हैं। इससे लोगों को बिजली बिल में सालाना 13 हजार 700 करोड़ रुपए से ज्यादा की अनुमानित बचत हुई है। प्राइवेट सेक्टर ने भी 41 करोड़ से ज्यादा LED बल्बों का वितरण किया है। + +साथियों, हमारी अर्थव्यवस्था के विस्तार को देखते हुए ये भी स्वाभाविक है कि आने वाले वर्षों में हमारी energy demand और बढ़ने जा रही है। ऐसे में हमें एक balance बनाकर चलना पड़ेगा। देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में Hydrocarbons की बड़ी भूमिका है। अभी देश की ऊर्जा जरूरत मुख्यत: कोयले से पूरी होती है। आने वाले दिनों में इसे हमें Gas और साथ-साथ renewable energy से भी संतुलित करना पड़ेगा। Carbon-related Emissions को कम करना हमारे COP-21 कमिटमेंट के साथ भी जुड़ा हुआ है। + +अगर 2022 तक हम तेल आयात में 10 प्रतिशत की कटौती कर सकें तो ये सिर्फ उद्योगों को ही नहीं देश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती देगा। पिछले दस वर्षो में Crude Imports पर हमने लगभग एक ट्रिलियन डॉलर खर्च किया है। ये हमारे आम बजट से भी करीब-करीब तीन गुना ज्यादा है। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि तेल आयात में कटौती करके, जो राशि बचेगी, वो जब देश के ग्रामीण इलाकों में विकास की योजनाओं पर खर्च होगी तो कितना ज्यादा सामाजिक और आर्थिक विकास होगा। + +इसके अलावा पॉलिसी स्तर पर भी कई बड़े फैसले लिए गए हैं। जैसे Liquid fuels की कीमत को डिरेग्यूलेट करना, Gas pricing के लिए नई नीतियां बनाना, घरेलू उत्पादन बढ़ाने के लिए नए उपाय, HELP यानि Hydrocarbon Exploration और Licencing policy बनाना, DSF यानि Discovered Small Field की नीलामी के लिए पॉलिसी का गठन करना, फर्टिलाइजर सेक्टर में गैस पूलिंग करना। + +भविष्य में देश की ऊर्जा जरूरतों को सुरक्षित करने के लिए तेल का उत्पादन करने वाले बड़े देशों के साथ संबंधों को मजबूत किया जा रहा है। इसी कड़ी में भारत-रूस energy bridge का गठन किया गया है। पेट्रोलियम और नैचुरल गैस मंत्रालय की तरफ से विदेश में ऐसे कई समझौते किए गए हैं जो भविष्य में हमारे हितों को ध्यान में रखेंगे। + diff --git a/pm-speech/698.txt b/pm-speech/698.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..6f245ffbe80280bb5aa6d324a14db149bcb8ccb9 --- /dev/null +++ b/pm-speech/698.txt @@ -0,0 +1,12 @@ +मेरे प्यारे देशवासियों, आप सबको नमस्कार । आकाशवाणी के माध्यम से ‘मन की बात’ करते-करते तीन वर्ष पूरे हो गए हैं । आज ये 36वाँ episode है । ‘मन की बात’ एक प्रकार से भारत की जो सकारात्मक शक्ति है, देश के कोने-कोने में जो भावनाएँ भरी पड़ी हैं, इच्छाएँ हैं, अपेक्षाएँ हैं, कहीं-कहीं शिकायत भी है – एक जन-मन में जो भाव उमड़ते रहते हैं ‘मन की बात’ ने उन सब भावों से मुझे जुड़ने का एक बड़ा अद्भुत अवसर दिया और मैंने कभी ये नहीं कहा है कि मेरे मन की बात है । ये ‘मन की बात’ देशवासियों के मन से जुड़ी हैं, उनके भाव से जुड़ी हैं, उनकी आशा-अपेक्षाओं से जुड़ी हुई हैं । और जब ‘मन की बात’ में बातें मैं बताता हूँ तो उसे देश के हर कोने से जो लोग मुझे अपनी बातें भेजते हैं, आपको तो शायद मैं बहुत कम कह पाता हूँ लेकिन मुझे तो भरपूर खज़ाना मिल जाता है । चाहे email पर हो, टेलीफोन पर हो, mygov पर हो, NarendraModiApp पर हो, इतनी बातें मेरे तक पहुँचती हैं । अधिकतम तो मुझे प्रेरणा देने वाली होती हैं । बहुत सारी, सरकार में सुधार के लिए होती हैं । कहीं व्यक्तिगत शिकायत भी होती हैं तो कहीं सामूहिक समस्या पर ध्यान आकर्षित किया जाता है । और मैं तो महीने में एक बार आधा घंटा आपका लेता हूँ, लेकिन लोग, तीसों दिन ‘मन की बात’ के ऊपर अपनी बातें पहुँचाते हैं । और उसका परिणाम ये आया है कि सरकार में भी संवेदनशीलता, समाज के दूर-सुदूर कैसी-कैसी शक्तियाँ पड़ी हैं, उस पर उसका ध्यान जाना, ये सहज अनुभव आ रहा है । और इसलिए ‘मन की बात’ की तीन साल की ये यात्रा देशवासियों की, भावनाओं की, अनुभूति की एक यात्रा है । और शायद इतने कम समय में देश के सामान्य मानव के भावों को जानने-समझने का जो मुझे अवसर मिला है और इसके लिए मैं देशवासियों का बहुत आभारी हूँ । ‘मन की बात’ में मैंने हमेशा आचार्य विनोबा भावे की उस बात को याद रखा है । आचार्य विनोबा भावे हमेशा कहते थे ‘अ-सरकारी, असरकारी ’ । मैंने भी ‘मन की बात’ को, इस देश के जन को केंद्र में रखने का प्रयास किया है । राजनीति के रंग से उसको दूर रखा है । तत्कालीन, जो गर्मी होती है, आक्रोश होता है, उसमें भी बह जाने के बजाय, एक स्थिर मन से, आपके साथ जुड़े रहने का प्रयास किया है । मैं ज़रूर मानता हूँ, अब तीन साल के बाद social scientists, universities, reseach scholars, media experts ज़रूर इसका analysis करेंगे । plus-minus हर चीज़ को उजागर करेंगे । और मुझे विश्वास है कि ये विचार-विमर्श भविष्य ‘मन की बात’ के लिए भी अधिक उपयोगी होगा, उसमें एक नयी चेतना, नयी ऊर्जा मिलेगी । और मैंने जब एक बार ‘मन की बात’ में कही थी कि हमें भोजन करते समय चिंता करनी चाहिये कि जितनी ज़रूरत है उतना ही लें, हम उसको बर्बाद न करें । लेकिन उसके बाद मैंने देखा कि देश के हर कोने से मुझे इतनी चिट्ठियाँ आयी, अनेक सामाजिक संगठन, अनेक नवयुवक पहले से ही इस काम को कर रहे हैं । जो अन्न थाली में छोड़ दिया जाता है उसको इकट्ठा करके, उसका सदुपयोग कैसे हो इसमें काम करने वाले इतने लोग मेरे इतने ध्यान में आये, मेरे मन को इतना बड़ा संतोष हुआ, इतना आनंद हुआ । + +एक बार मैंने ‘मन की बात’ में महाराष्ट्र के एक retired teacher श्रीमान् चन्द्रकान्त कुलकर्णी की बात कही थी, जो अपने pension में से, सोलह हज़ार रूपये का pension मिलता था उसमें से पाँच हज़ार रुपया वो, 51 post-dated cheque देकर के, स्वच्छता के लिये उन्होंने दान दे दिया था । और उसके बाद तो मैंने देखा कि स्वच्छता के लिए, इस प्रकार के काम करने के लिए कितने लोग आगे आए । + +एक बार मैंने हरियाणा के एक सरपंच की ‘selfie with daughter’ को देखा और मैंने ‘मन की बात’ में सबके सामने रखा । देखते ही देखते न सिर्फ़ भारत में, पूरे विश्व में ‘selfie with daughter’ एक बड़ा अभियान चल पड़ा । ये सिर्फ़ social media का मुद्दा नहीं है । हर बेटी को एक नया आत्मविश्वास, नया गर्व पैदा करने वाली ये घटना बन गयी । हर माँ-बाप को लगने लगा कि मैं अपनी बेटी के साथ selfie लूँ । हर बेटी को लगने लगा कि मेरा कोई माहात्म्य है, मेरा कोई महत्व है । + +पिछले दिनों मैं भारत सरकार के tourism department के साथ बैठा था । मैंने जब tour पर जाने वाले लोगों से कहा था कि आप incredible India पर, जहाँ भी जाएँ वहाँ की फोटो भेजिये । लाखों तस्वीरें, भारत के हर कोने की, एक प्रकार से tourism क्षेत्र में काम करने वालों की एक बहुत बड़ी अमानत बन गयी । छोटी-सी घटना कितना बड़ा आन्दोलन खड़ा कर देती है, ये ‘मन की बात’ में मैंने अनुभव किया है । आज मन कर गया, क्योंकि जब सोच रहा था तीन साल हो गये, तो पिछले तीन साल की कई घटनायें मेरे मन-मंदिर में छा गयीं । देश सही दिशा में जाने के लिए हर पल अग्रसर है । देश का हर नागरिक दूसरे की भलाई के लिए, समाज की अच्छाई के लिए, देश की प्रगति के लिए, कुछ-न-कुछ करना चाहता है ये मेरे तीन साल के ‘मन की बात’ के अभियान में, मैंने देशवासियों से जाना है, समझा है, सीखा है । किसी भी देश के लिए ये सबसे बड़ी पूँजी होती है, एक बहुत बड़ी ताक़त होती है । मैं ह्रदय से देशवासियों को नमन करता हूँ । + +उत्तर प्रदेश में, वाराणसी सेवापुर में, अब सेवापुरी का खादी आश्रम 26 साल से बंद पड़ा था लेकिन आज पुनर्जीवित हो गया । अनेक प्रकार की प्रवर्तियों को जोड़ा गया । अनेक लोगों को रोज़गार के नये अवसर पैदा किये । कश्मीर में पम्पोर में खादी एवं ग्रामोद्योग ने बंद पड़े अपने प्रशिक्षण केंद्र को फिर से शुरू किया और कश्मीर के पास तो इस क्षेत्र में देने के लिए बहुत कुछ है । अब ये प्रशिक्षण केंद्र फिर से शुरू होने के कारण नई पीढ़ी को आधुनिक रूप से निर्माण कार्य करने में, बुनने में, नयी चीज़ें बनाने में एक मदद मिलेगी और मुझे अच्छा लग रहा है कि जब बड़े-बड़े Corporate House भी दिवाली में जब gift देते हैं तो इन दिनों खादी की चीज़े देना शुरू किये हैं । लोग भी एक दूसरे को gift के रूप में खादी की चीज़े देना शुरू किये हैं । एक सहज़ रूप से, चीज़ कैसे आगे बढ़ती है ये हम सब अनुभव करते हैं । + +Tourism में value addition तभी होगा कि जब हम सिर्फ़ मुलाक़ाती नहीं, हम एक विद्यार्थी के तौर पर उसका पाना-समझना-बनने का प्रयास करें । मेरा स्वयं का अनुभव है मुझे हिंदुस्तान के पाँच सौ से अधिक district में जाने का मौक़ा मिला होगा । साढ़े चार सौ से अधिक district तो ऐसे होंगे जहाँ मुझे रात्रि-मुक़ाम का अवसर मिला है और आज जब मैं भारत में इस दायित्व को संभाल रहा हूँ तो मेरे उस भ्रमण का अनुभव मुझे बहुत काम आता है । चीजों को समझने में मुझे बहुत सुविधा मिलती है । आपसे भी मेरा आग्रह है कि आप इस विशाल भारत को “विविधता में एकता” सिर्फ़ नारा नहीं, हमारी अपार-शक्ति का ये भंडार है, इसको अनुभव कीजिये । ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ का सपना इसमें निहित है । खान-पान की कितनी varieties हैं ! पूरे जीवन भर हर दिन एक-एक नई variety अगर खाते रहें तो भी repetition नहीं होगा । अब ये हमारी tourism की बड़ी ताक़त है । मैं आग्रह करूँगा कि इस छुट्टियों में आप सिर्फ घर के बाहर जाएँ ऐसा नहीं, change के लिए निकल पड़ें ऐसा नहीं – कुछ जानने- समझने-पाने के इरादे से निकलिए । भारत को अपने भीतर आत्मसात् कीजिये । कोटि-कोटि जनों की विविधताओं को भीतर आत्मसात् कीजिये । इन अनुभवों से आपका जीवन समृद्ध हो जायेगा । आपकी सोच का दायरा विशाल हो जायेगा । और अनुभव से बड़ा शिक्षक कौन होता है ! सामान्य तौर पर अक्तूबर से मार्च तक का समय ज्यादातर पर्यटन का रहता है । लोग जाते हैं । मुझे विश्वास है कि इस बार भी अगर आप जायेंगे तो मेरे उस अभियान को और आगे बढ़ायेंगे । आप जहाँ भी जाएँ अपने अनुभवों को share कीजिये, तस्वीरों को share कीजिये । #incredibleindia ( हैश टैग incredibleindia) इस पर आप फ़ोटो ज़रुर भेजिए । वहाँ के लोगों से मिलना हो जाये तो उनकी भी तस्वीर भेजिए । सिर्फ़ इमारतों की नहीं, सिर्फ़ प्राकृतिक सौन्दर्य की नहीं ,वहाँ के जन-जीवन की कुछ बातें लिखिए । आपकी यात्रा के अच्छे निबंध लिखिए । Mygov पर भेजिए, NarendraModiApp पर भेजिये । मेरे मन में एक विचार आता है कि हम भारत के tourism को बढ़ावा देने के लिए क्या आप अपने राज्य के सात उत्तम से उत्तम tourist destination क्या हो सकते हैं – हर हिन्दुस्तानी को आपके राज्य के उन सात चीज़ों के विषय में जानना चाहिये । हो सके तो उन सात स्थानों पर जाना चाहिये । आप उसके विषय में कोई जानकारी दे सकते हैं क्या ? NarendraModiApp पर उसको रख सकते हैं क्या ? #IncredibleIndia (हैश टैग incredibleindia) पर रख सकते हैं क्या ? आप देखिये, एक राज्य के सब लोग ऐसा बतायेंगे तो मैं सरकार में कहूँगा कि वो उसको scrutiny करे और common कौन-सी सात चीज़े हर राज्य से आई हैं उस पर वो प्रचार-साहित्य तैयार करें । यानि एक प्रकार से जनता के अभिप्रायों से tourist destination का बढ़ावा कैसे हो ? उसी प्रकार से आपने जो चीजें देखी हैं देशभर में, उसमें से सात आपको जो अच्छे से अच्छी लगी हैं , आप चाहते हैं कि किसी-न-किसी ने तो इसको देखनी चाहिये, जाना चाहिये, उसके विषय में जानकारी पानी चाहिये तो आप आपकी पसंद की सात ऐसे स्थान का भी MyGov पर, NarendraModiApp पर ज़रूर भेजिये । भारत सरकार उस पर काम करेगी । ऐसे उत्तम destination जो होंगे उसके लिए film बनाना, video बनाना, प्रचार-साहित्य तैयार करना, उसको बढ़ावा देना – आपके द्वारा चुनी हुई चीज़ों को सरकार स्वीकार करेगी । आइये, मेरे साथ जुड़िये । इस अक्तूबर महीने से मार्च महीने तक का समय का उपयोग देश के tourism को बढ़ाने में आप भी एक बहुत बड़े catalyst agent बन सकते हैं । मैं आपको निमंत्रण देता हूँ । + diff --git a/pm-speech/699.txt b/pm-speech/699.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..7791d5ac8490eec466e4fa9dcf65af462c55b33b --- /dev/null +++ b/pm-speech/699.txt @@ -0,0 +1,8 @@ +उसी प्रकार से हम में से कोई गंदगी में जीना पसंद नहीं करता है। कोई इंसान नहीं होगा जो गंदगी को नफरत नहीं करता है। हर किसी को गंदगी के प्रति नफरत है। लेकिन स्‍वच्‍छता ये हमारी जिम्‍मेदारी है, ये स्‍वभाव हमारे देश में पनपा नहीं है। हम गंदगी करते हैं, स्‍वच्‍छता कोई और करेगा; इसी हमारी मानसिकता का परिणाम है कि हमें भारत को जैसा स्‍वच्‍छ बनाना चाहिए, हमारे गांवों को जैसा स्‍वच्‍छ बनाना चाहिए, हमारे नगरों को जैसा स्‍वच्‍छ बनाना चाहिए; हम नहीं बना पा रहे हैं। आप में से कोई इस बात से इनकार नहीं कर सकता कि स्‍वच्‍छता, ये हर नागरिक की जिम्‍मेवारी है। स्‍वच्‍छता, ये हर परिवार की जिम्‍मेवारी है और इसलिए ये स्‍वच्‍छता, ये सिर्फ इसलिए अच्‍छा गांव लगे, अच्‍छा मोहल्‍ला लगे; इतने से काफी नहीं है। स्‍वच्‍छता हमारे आरोग्‍य के लिए बहुत जरूरी है। भांति-भांति की जो बीमारियां बढ़ रही हैं, उसके मूल में गंदगी होती है। + +भाइयो, बहनों, बनारस में भी स्‍वच्‍छता को ले करके कल कई project को लोकार्पण करने का मुझे अवसर मिला। करीब 600 करोड़ रुपयों की लागत से वहां पर sewage treatment plant, और हमने size इतनी बनाई है कि आज से 20 साल के बाद भी बनारस का विकास-विस्‍तार होगा तो भी ये व्‍यवस्‍था कम नहीं पड़ेगी, 20 साल के बाद भी कम नहीं पड़ेगी, इतना बड़ा काम हमने तय किया है। + +हमने कूड़े-कचरे को waste में से wealth, इस पर भी बल दिया है। और waste में से wealth का बल देने के साथ-साथ हमने ये तय किया है कि कूड़े-कचरे से बिजली उत्‍पादन करने का काम किया जाएगा और कूड़े-कचरे से बिजली उत्‍पादन करके 40 हजार घरों में बिजली पहुंचा पाएंगे। हमने एक LED bulb का अभियान चलाया। अकेले काशी में जितने LED bulb लोगों के घरों में लगे हैं, इसके कारण हर परिवार का बिजली का बिल कम हुआ है। और जब मैंने हिसाब लगाया तो अफसरों ने मुझे बताया, अकेले काशी में जिन्‍होंने LED bulb लगाया है, उनका जो बिजली का बिल कम होगा, वो साल भर में हर व्‍यक्ति के पैसे जो बचेंगे, उसका total होगा सवा सौ करोड़ रुपया। आप कल्‍पना कर सकते हैं, सामान्‍य मानवी की जेब में पैसे बचें, किसी के 500 बचेंगे, किसी के 1000 बचेंगे, किसी को 250 बचेंगे, और पूरे शहर के सवा सौ करोड़ रुपया बचना, ये अपने-आप में गरीब और मध्‍यम वर्ग के बोझ को कम करने का हमारा उत्‍तम प्रयास है। + +इतना ही नहीं, काशी में जो street light लगी है, वो भी अब LED bulb लगा है। और काशी में street light लगने के कारण, LED bulb के कारण, अकेले काशी में करीब-करीब 13 करोड़ रुपयों का‍ बिजली का बिल कम हुआ है। काशी नगर-निगम के 13 करोड़ रुपया बचे हैं। इन 13 करोड़ रुपयों का उपयोग अब काशी के विकास के लिए और कामों में होगा। सरल उपाय, सिर्फ पुराने लट्टू को बदल के LED का लट्टू लगा दिया, और सवा सौ करोड़ रुपया नागरिकों के, 13 करोड़ रुपया नगर-निगम के, ये बच जाना, अपने-आप में हम किस प्रकार से स्विचिता ला रहे हैं। + diff --git a/pm-speech/70.txt b/pm-speech/70.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..63c20cca4f9bacc9f4d9d3a00c8fcb10755f04ce --- /dev/null +++ b/pm-speech/70.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +वैक्सीन्स की ग्लोबल सप्लाई सुधारने के लिए भारत ने वैक्सीन के एक्सपोर्ट की गति बढ़ाई है। हम अपने Quad partners के साथ भी इंडो-पेसिफिक क्षेत्र में बेहतर और किफायती Covid-19 वैक्सीन की आपूर्ति करने के लिए काम कर रहे हैं। अगले वर्ष भारत की तैयारी, विश्व के लिए 5 billion COVID वैक्सीन डोज बनाने की है। इसके लिए भी बहुत जरूरी है कि Raw Material की सप्लाई में कोई अड़चन न आये। + +मेरा ये मानना है कि ग्लोबल सप्लाई चेन्स को बेहतर बनाने के लिए तीन पहलू सबसे महत्वपूर्ण हैं – Trusted Source, Transparency और Time-Frame. यह आवश्यक है कि हमारी Supply, Trusted Sources से हो। यह हमारी साझा security के लिए भी महत्वपूर्ण है।Trusted Sources भी ऐसे होने चाहिए जो reactive tendency न रखते हों ताकि supply chain को tit for tat अप्रोच से सुरक्षित रखा जाए। सप्लाई चेन की Reliability के लिए यह भी जरूरी है कि उसमें Transparency रहे।Transparency न होने की वजह से ही आज हम देख रहे हैं कि दुनिया की बहुत सारी कंपनियों को छोटी-छोटी चीजों की किल्लत से जूझना पड़ रहा है।जरूरी चीजों की सप्लाई अगर समय पर न हो, तो बड़ा नुकसान करती ही है।ये हमने कोरोना के इस कालखंड में फार्मा और मेडिकल सप्लाई में स्पष्ट रूप से महसूस किया है।इसलिए Time-Frame में सप्लाई सुनिश्चित करने के लिए हमें हमारे सप्लाई चेन्स को डाइवर्सिफाई करना होगा।और इसके लिए विकासशील देशों में आल्टरनेटिव मैन्युफैक्चरिंग कैपेसिटी का विकास करना होगा। + +भारत ने pharmaceuticals, IT और दूसरे आइटम्स के Trusted Sources के तौर पर अपनी साख बनाई है। हम क्लीन टेक्नोलोजी supply चेन में भी अपनी भूमिका निभाने के लिए तत्पर है। मेरा सुझाव है कि हम अपनी टीम्स को निर्देश दें कि वे एक निश्चित समय-सीमा में, हमारे साझा लोकतान्त्रिक मूल्यों के आधार पर, आगे की कार्य योजना बनाने के लिए शीघ्र मिलें। + diff --git a/pm-speech/702.txt b/pm-speech/702.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..4027ce4f4894f3b7313d541b8885611f23df5288 --- /dev/null +++ b/pm-speech/702.txt @@ -0,0 +1,14 @@ +शताब्‍दी वर्ष के निमित्‍त कई कार्यक्रम होंगे। सहकारिता आंदोलन को एक नई ताकत मिलेगी। लेकिन आज जब हम वकील साहब के शताब्‍दी वर्ष निमित्‍त सहकारिता क्षेत्र में जो उनका योगदान था, उसको स्‍मरण करते हुए आगे बढ़ रहे हैं तब, आज दिनभर बैठ कर आप चर्चा करने वाले हैं। विश्‍व में best practices क्‍या हैं सहकारिता क्षेत्र की, इसकी चर्चा करने वाले हैं। + +अब ये तो संभव नहीं है कि शहर तो आगे बढ़ जाएं और गांव को हम पीछे छोड़ दें। एक सम्‍यक विकास की आवश्‍यकता होती है। समान अवसर की आवश्‍यकता होती है। और सम्‍यक विकास, समान अवसर के मूल में सहकार्य मंत्र होता है। काल-क्रम से व्‍यवस्थाओं में दोष आते ही हैं। कुछ व्‍यवस्‍थाएं कालबाह्य हो जाती हैं। सहकारिता क्षेत्र से जुड़े हुए हर किसी को आत्‍मचिंतन भी करते रहना चाहिए। कहीं ऐसा तो नहीं है कि cooperative एक structure है। एक कानूनी व्‍यवस्‍था है, एक संवैधानिक दायरे में, नियमों के दायरे में कुछ बनी हुई एक चीज है। और उस चौखट में हम अपने-आप को बैठ जाएं तो हम भी cooperative बन जाते हैं। मैं समझता हूं तब तो बड़ी गलती हो जाएगी। + +इतना बड़ा देश है। व्‍यवस्‍था की जरूरत पड़ती है, नियमों की जरूरत पड़ती है, structure की आवश्‍यकता होती है, do’s and dont’s की आवश्‍यकता होती है, वो तो जरूरी है। लेकिन सहकारिता उससे नहीं चलती है, सहकारिता एक spirit है। सहकारिता एक व्‍यवस्‍था नहीं है, एक spirit है। और ये spirit के लिए संस्‍कार आवश्‍यक हैं और इसलिए इनामदार जी बार-बार कहते थे, बिना संस्‍कार नहीं सहकार । + +हमारे देश के किसान की कई समस्‍याएं हैं, लेकिन एक बात अगर हम देखें, किसान जो खरीदता है वो retail में खरीदता है और जब बेचता है तो wholesale में बेचता है। ये उलटा हो सकता है क्‍या, वो खरीदे wholesale में और बेचे retail में? तो कोई उसको लूट नहीं पाएगा। कोई बिचौलिए उसको काट नहीं खाएंगे। जिन लोगों ने डेयरी उद्योग का अध्‍ययन किया होगा, cooperative dairy, इस बात की तरफ आप ध्‍यान कीजिए, उसकी विशेषता है; उसमें किसान wholesale में खरीदता है, wholesale में बेचता है। देखिए ये, इसकी बारीकी है ये। डेयरी उद्योग की सफलता के मूल में वो खरीदता है wholesale में, बेचता है wholesale में। क्‍यों? पहले जो दूध उत्‍पादन करता था तो दस घर में एक-एक लीटर दूध बेचने जाता था, आज दस लीटर ले करके एक ही collection centre में चला जाता है, दूध देकर आ जाता है; मतलब wholesale में बेचता है। और वो खरीदता है तो भी डेयरी के द्वारा, उसका पशुआहार है, उसकी दवाइयां हैं, उसकी care करनी है पशु की; ये सारी व्‍यवस्‍था सामुहिक रूप में पूरे गांव को मिलती है। + +क्‍या हम एक नई पीढ़ी को, नए spirit के साथ और खास करके ग्रामीण जीवन में आमूल-चूल परिवर्तन लाने के लिए सहकारिता आंदोलन में प्रेरित कर सकते हैं क्‍या? हमारे देश के स्‍वभाव को सहकारिता आंदोलन एकदम suit करता है। ये उधारी लिया हुआ विचार-व्यवस्‍था नहीं है, ये हमारे मूलभूत चिंतन स्‍वभाव-संस्‍कार के अनुकूल व्‍यवस्‍था है। और इसलिए इसका यहां पनपना बहुत स्‍वा‍भाविक है। इसके लिए आपको inject नहीं करना पड़ेगा। बाकी सारी व्‍यवस्‍थाएं अगर हम लाते हैं, अगर borrowed व्‍यवस्‍थाएं, तो एक foreign element के रूप में resistance रहता है। ये हमारी सहज प्राकृतिक व्‍यवस्‍था का हिस्‍सा है, हम मिल करके कर सकते हैं। + +मैं हमारे इन डेयरी वाले जितने मित्र है, उनको बार-बार कहता रहता हूं कि आप किसानों को पशुपालन के लिए तो प्रेरित करते हैं। हमें आग्रहपूर्वक bee keeping के लिए भी जोर देना चाहिए, शहद की क्रांति करनी चाहिए; Sweet revolution लाना चाहिए देश में। सहकारिता आंदोलन के द्वारा ये मधु-क्रान्ति आ सकती है। शहद, किसान जैसे पशुपालन करता है, दूध उत्‍पादन करता है, वैसे अपनी 50 bee तय कर लें, और सालाना डेढ़-दो लाख रुपया आराम से वो उसकी कमाई बढ़ा सकता है। और जो डेयरी है, दूध लेने जाती हैं, साथ-साथ honey भी ले करके आ जाएं, शहद ले करके आ जाएं। उसके जैसे डेयरी में processing होता है, इसका processing हो, इसका मार्केट है। जो chemical wax होता है, अगर वो 100 रुपये भी बिकता है, तो bee wax है, 400-450 रुपये बिकता है, बहुत बड़ी मांग है। भारत में ही बहुत बडा मार्केट है उसका। लेकिन हमारे किसान आज भी उससे अछूता हैं। Bee में भी सैंकडों प्रकार हैं, और bee के कारण फसल को भी बहुत बड़ा लाभ होता है। और जो आज horticulture में काम कर रहे हैं, उनके लिए तो मधुमक्‍खी के ambassador का काम करती है, एक cattle engager का काम करती है। + +कहने का तात्‍पर्य है कि ऐसे बहुत नए क्षेत्र हैं जिन नए क्षेत्रों में हम कैसे आगे बढें? अब हमारे समुद्री तट हैं। समुदी तट पर मछुआरे जो भाई-बहन हमारे। साल में पांच महीने करीब-करीब उनका काम बंद हो जाता है। Whether के कारण, वर्षा में समुद्र में जाना संकटकारक होता है इसलिए जाना बंद होता है। लेकिन sea bead की खेती, हमारे यहां popular नहीं हो रही है। हमारे समुद्री तट पर, हमारे मछुआरे भाई-बहन अगर cooperative movement के द्वारा समंदर के पानी में ही sea bead की खेती करें तो आज pharmaceutical के लिए वो बहुत बड़ा basic material के रूप में बहुत, laboratory में ये proven चीज है। ये pharmaceutical के लिए sea bead का। मान लीजिए sea bead का मार्केट नहीं मिला, सिर्फ उसको समंदर में, 45 दिन का उसका circle होता है, 45 दिन बाद वो उसकी फसल तैयार हो जाती है, हर 45 दिन के बाद एक फसल मिलती है। अगर वो 45 ऐसे समंदर के अंदर आपने फैला दिया तो हर दिन आप उसकी फसल ले सकते हैं। कुछ न करें, उसका सिर्फ जूस निकालें, और खेतों में जूस सिर्फ छिड़कने का काम करें। तो भी बहुत बड़े मार्केट से जमीन की रक्षा का बहुत बड़ा काम sea bead के जूस से हो सकता है। कुछ नहीं करना है, बिना मेहनत का काम है। क्‍या cooperative movement के द्वारा समुद्री तट के हमारा मछुआरा भाई जो पांच महीने करीब-करीब उनका काम बंद हो जाता है, जिनके परिवार की महिलाएं दिन-रात घर में होती हैं, उनके लिए अवसर खोला जा सकता है। + diff --git a/pm-speech/703.txt b/pm-speech/703.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..45ecf6ae4ed592775df449d52956102e6cabb35b --- /dev/null +++ b/pm-speech/703.txt @@ -0,0 +1,4 @@ +पिछले तीन वर्षों के दौरान हमने कारोबार में सुगमता सुनिश्चित करने के मोर्चे पर अथक प्रयास किए हैं। अनेक प्रशासनिक सुधारों की बदौलत देश में कारोबारी माहौल काफी अच्छा हो गया है। इन सुधारों और पहलों का उद्देश्य 21वीं सदी के लिए भारत को तैयार करना है। इन सभी का उद्देश्य देश में व्यापक बदलाव लाना और ‘नए भारत’ के निर्माण का मार्ग प्रशस्त करना है। हमारे देश के युवाओं की व्‍यापक ऊर्जा  की बदौलत हम भारत को एक वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में पेश कर रहे हैं। इस उद्देश्य के लिए हमने “मेक इन इंडिया”  अभियान शुरू किया है। हम भारत को एक ज्ञान आधारित, कौशल युक्त और प्रौद्योगिकी आधारित समाज के रूप में विकसित कर रहे हैं। इस दिशा में काफी अच्छी शुरुआत डिजिटल इंडिया और कौशल भारत जैसे हमारे अभियानों के जरिये पहले ही हो चुकी है। इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए हमने स्टार्ट-अप इंडिया अभियान शुरू किया है। वैश्विक स्टार्ट-अप परितंत्र में भारत को तीसरी रैंकिंग दी गई है और पिछले दो वर्षों के दौरान भारत में उल्लेखनीय सुधार देखने को मिला है। स्टार्ट-अप इंडिया पहल का उद्देश्य नवाचार के एक सुदृढ़ परितंत्र का निर्माण करना भी है। बुनियादी ढांचागत क्षेत्र के मोर्चे पर मेरी सरकार ने महत्वाकांक्षी कदम उठाए हैं। ये परियोजनाएं निवेशकों को आजीवन अवसर सुलभ करा रहे हैं। इनमें 100 स्मार्ट सिटी का मिशन, 50 मिलियन बेघरों के लिए मकान, सड़कों, स्कूलों, बंदरगाहों एवं रेल पटरियों के साथ-साथ रेलवे स्टेशनों का निर्माण भी शामिल है। + +भारत में निहि‍त व्यापक सम्भावनाओं और कुशल हाथों से जापान काफी हद तक लाभान्वित हो सकता है। वास्तव में भारत का समस्त विकास एजेंडा जापानी कंपनियों के लिए प्रासंगिक है। पूंजी और प्रौद्योगिकी का प्रवेश सुनिश्चित करने के उद्देश्‍य से हमने अपनी अर्थव्यवस्था को खोलने के लिए अथक प्रयास किए हैं। हम प्रतिदिन भारत में निवेश एवं कारोबार करने में सुगमता के लिए प्रयास कर रहे हैं। हमने कारोबारियों और कंपनियों के समक्ष मौजूद कई नियामकीय और नीतिगत मुद्दे पहले ही सुलझा लिए हैं। इन प्रयासों के अत्यंत अच्छे नतीजे सामने आए हैं। मैं कुछ हालिया वैश्विक कदमों का उल्लेख कर रहा हूं : विश्व बैंक के ‘कारोबार में सुगमता से जुड़े सूचकांक’ में भारत कई पायदान ऊपर चढ़ गया है। विश्व आर्थिक फोरम के वैश्विक प्रतिस्पर्धी सूचकांक में  भारत पिछले दो वर्षों के दौरान 32 पायदान ऊपर चढ़ चुका है। यह किसी भी अन्य देश की तुलना में बेहतर उपलब्धि है। पिछले दो वर्षों के दौरान भारत विश्व बौद्धिक सम्पदा संगठन (विपो) के वैश्विक नवाचार सूचकांक में भी 21 पायदान ऊपर चढ़ चुका है। इसी तरह भारत विश्व बैंक के लॉजिस्टिक्‍स प्रदर्शन सूचकांक में भी 19 पायदान ऊपर आ गया है। भारत अंकटाड अर्थात व्यापार एवं विकास पर संयुक्त राष्ट्र  सम्मेलन द्वारा सूचीबद्ध किए गए शीर्ष 10 एफडीआई गंतव्यों में तीसरे स्थान पर है। भारत के सबसे बड़े कर सुधार अर्थात जीएसटी को हाल ही में लागू किया गया है। इसके साथ ही हम एक ऐसी अत्याधुनिक कर व्यवस्था की ओर अग्रसर हो चुके हैं, जो पारदर्शी, स्थिर और पूर्व अनुमान योग्य है। आज दुनिया की सर्वाधिक उदार एफडीआई व्यवस्थाओं में भारत को भी शुमार किया जाता है। 90 प्रतिशत से ज्यादा एफडीआई मंजूरियां स्वतः रूट के जरिये दी जा रही हैं। हमने विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड को समाप्त कर दिया है। इस उदारीकरण के परिणामस्वरूप भारत का एफडीआई पिछले वित्त वर्ष में 60 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच गया है। जापान से एफडीआई का प्रवाह पिछले तीन वर्षों में लगभग तिगुना हो गया है। नई दिवाला एवं दिवालियापन संहिता से निवेशकों के लिए अपने कारोबार से बाहर निकलना आसान हो जाएगा। हम वाणिज्यिक अदालतें और वाणिज्यिक प्रभाग स्थापित कर रहे हैं, ताकि वाणिज्यिक मसलों का निपटारा जल्द से जल्द हो सके। मध्यस्थता संबंधी कार्यवाही अब तेजी से हो सकेगी, क्योंकि मध्यस्थता कानून में संशोधन कर दिया गया है। हमने एक नई बौद्धिक संपदा अधिकार नीति की भी घोषणा की है। ये तो सिर्फ कुछ ऐसे उदाहरण हैं, जो यह दर्शाते हैं कि हम इस दिशा में अग्रसर हैं। हम इस दिशा में अधिक से अधिक, बेहतर से बेहतर और त्वरित से भी त्वरित कदम उठाएंगे। + diff --git a/pm-speech/704.txt b/pm-speech/704.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..f8cc8dabdf96a6c6b4553eb5bf7ca94c699fa265 --- /dev/null +++ b/pm-speech/704.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +मुझे प्रसन्नता है कि मेरे अनन्य मित्र, प्रधानमंत्री शिंजो आबे का भारत में, और विशेष रूप से गुजरात में, स्वागत करने का अवसर मुझे मिला है। प्रधानमन्त्री आबे और मैं कई बार अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों की sidelines पर मिले हैं। लेकिन भारत में उनका स्वागत करना मेरे लिए विशेष रूप से हर्ष का विषय होता है। कल शाम मुझे उनके साथ साबरमती आश्रम जाने का अवसर मिला। आज हम दोनों दांडी कुटीर भी गए। आज सुबह हम दोनों ने मिल कर जापान के सहयोग से बनाए जा रहे मुंबई-अहमदाबाद high speed railways project का भूमिपूजन किया। यह एक बहुत बड़ा क़दम है। यह सिर्फ़ high speed rail की शुरुआत नहीं है। भविष्य में हमारी आवश्यकताओं को देखते हुए मैं इस नई railway philosophy को नए भारत के निर्माण की जीवनरेखा मानता हूं। भारत की अबाध प्रगति का संपर्क अब और भी तेज गति से जुड़ गया है। + +आपसी विश्वास और भरोसा, एक दूसरे के हितों और चिंताओं की समझ, और उच्च स्तरीय सतत संपर्क, यह भारत जापान संबंधों की ख़ासियत हैं। हमारी Special Strategic और Global Partnership का दायरा सिर्फ़ द्विपक्षीय या क्षेत्रीय स्तर तक ही सीमित नहीं है। वैश्विक मुद्दों पर भी हमारा सहयोग घनिष्ठ है। पिछले वर्ष मेरी जापान यात्रा के समय हमने परमाणु उर्जा के शांतिपूर्ण प्रयोग के लिए एक ऐतिहासिक समझौता किया था। इसके रैटिफिकेशन के लिए मैं जापान के जनमानस, जापान की संसद, और ख़ास तौर पर प्रधानमंत्री आबे का ह्रदय से आभार प्रकट करता हूं। Clean Energy और Climate Change के विषय पर हमारे सहयोग के लिए इस समझौते ने एक नया अध्याय जोड़ा है। + +2016-17 में भारत में जापान से 4.7 billion dollars का निवेश हुआ है, जो कि पिछले वर्ष की तुलना में 80 प्रतिशत अधिक है। अब जापान भारत में third largest investor है। यह साफ़ दर्शाता है कि भारत के आर्थिक विकास और सुनहरे कल के प्रति जापान में कितना विश्वास और आशावादी वातावरण है। और इस निवेश को देख कर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि आने वाले समय में भारत और जापान के बीच बढ़ते business के साथ people to people संबंध भी बढ़ेंगे। हमने जापान के नागरिकों के लिए visa on arrival की सुविधा तो पहले से ही दे रखी है। और अब हम India Post और Japan Post के सहयोग से एक Cool Box Service भी शुरू करने जा रहे हैं, ताकि भारत में रह रहे जापानी लोग सीधा जापान से अपने पसंदीदा भोजन मंगा सकें। साथ ही साथ मेरा जापानी business समुदाय से यह भी अनुरोध है कि भारत में अधिकाधिक जापानी restaurant खोलें! आज भारत कई स्तरों पर आमूलचूल परिवर्तन की राह पर चल रहा है। Ease of Doing Business हो या Skill India, Taxation Reform हो या Make in India, भारत पूरी तरह transform हो रहा है। जापान के businesses के लिए यह बहुत बड़ा मौका है। और मुझे प्रसन्नता है कि जापान की कई कंपनियां हमारे राष्ट्रीय flagship कार्यक्रमों से गहन तौर पर जुड़ रही हैं। आज शाम को दोनों देशों के business leaders के साथ हमारी बातचीत और कार्यक्रम में हमें इसके प्रत्यक्ष लाभ भी देखने को मिलेंगे। जापान की Official Development Assistance में हम सबसे बड़े partner हैं, और विभिन्न sectorsके projects के लिए आज हुए समझौतों का मैं हार्दिक स्वागत करता हूं। + diff --git a/pm-speech/705.txt b/pm-speech/705.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..6c04405e901db357cd7b1e695f7eb5e0d1c743c5 --- /dev/null +++ b/pm-speech/705.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +आज हमारी चर्चा का दायरा काफी व्‍यापक था और वह आगे की राह तलाशने पर केंद्रित थी। वह हमारे ढाई दशक के संबंधों की गर्मजोशी से प्रेरित रही। हमने द्विपक्षीय मुद्दों और क्षेत्रीय एवं वैश्विक घटनाक्रम पर विचार-विमर्श किया। हमने हमारी साझेदारी के ढांचे की समीक्षा की। हमने उसमें और विस्‍तार के लिए विचारों और पहलों पर चर्चा की। हमने सहयोग के सभी पहलुओं में हमारी बातचीत को बढ़ाने का निर्णय लिया। + diff --git a/pm-speech/706.txt b/pm-speech/706.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..dceef3648c18dcd0a41589b44a4a1ce8d0fbf9bf --- /dev/null +++ b/pm-speech/706.txt @@ -0,0 +1,18 @@ +हम खुद सोचे कि हमारे चारों तरफ जब negative चलता हो, हमारी सोच के विपरीत चलता हो, चारों तरफ आवाज़ उठी हो और फिर हमें अपनी बात बोलनी हो तो कितना डर लगता है। चार बार सोचते हैं पता नहीं कोई गलत अर्थ तो नहीं निकाल देगा। ऐसा दबाव पैदा होता है इस महापुरूष की वो कौन सी ताकत थी कि इस दबावको कभी उसने वो अनुभव नहीं किया। भीतर की ज्‍वाला, भीतर की उमंग, भीतर का आत्‍मविश्‍वास इस धरती की ताकत को भलिभांति जानने वाला इंसान विश्‍व को सामर्थ्‍य देने, सही दिशा देने, समस्‍याओं के समाधान का रास्‍ता दिखाने का सफल प्रयास करता है। विश्‍व को पता तक नहीं था। कि Ladies and Gentlemen के सिवाय भी कुछ बात हो सकती है। और जिस समय Brothers and sisters of America यह दो शब्‍द निकले मिनटों तक तालियों की गूंज बज रही थी। उस दो शब्‍दों में भारत की वो ताकत का उसने परिचय करवा दिया था। वह एक 9/11 था। जिस व्‍यक्ति ने अपनी तपस्‍या से माँ भारती की पदयात्रा करने के बाद जिसने माँ भारती को अपने में संजोया था। उत्‍तर से दक्षिण पूर्व से पश्चिम, हर भाषा को हर बोली को जिसने आत्‍मसात किया था। एक प्रकार से भारत मां की जादू तपस्‍या को जिसने अपने भीतर पाया था। ऐसा एक महापुरूष पल दो पल में पूरे विश्‍व को अपना बना लेता है। पूरे विश्‍व को अपने अंदर समाहित कर लेता है। हजारों साल की विकसित हुई भिन्‍न-भिन्‍न मानव संस्‍कृति को वो अपने में समेट करके विश्‍व को अपनत्व की पहचान देता है। विश्‍व को जीत लेता है। वो 9/11 था विश्‍व विजयी दिवस था मेरे लिए। विश्‍व विजयी दिवस था और 21वीं सदी के प्रारंभ का वो 9/11 जिसमें मानव के विनाश का मार्ग, संहार का मार्ग, उसी अमरीका के धरती पर एक 9/11 को प्रेम और अपनत्व का संदेश दिया जाता है, उसी अमरीका के धरती पर उस संदेश को भुला देने का परिणाम था कि मानव के संहार का रास्‍ते की एक विकृत रूप विश्‍व को हिला दिया था। उसी 9/11 को हमला हुआ और तब जाकर दुनिया को समझ आया कि भारत से निकली हुई आवाज 9/11 को किस रूप में इतिहास में जगह देती हैं और विनाश और विकृति के मार्ग पर चल पड़ा ये 9/11 विश्‍व के इतिहास में किस प्रकार अंकुरित रह जाता है और इसलिए आज जब 9/11 के दिन विवेकानंद जी को अलग रूप से समझने की आवश्‍यकता मुझे लगती है। + +जो इंसान विश्‍व के अंदर जा करके भारत का गुणगान करता था लेकिन भारत में आता था तो भारत के अंदर जो बुराइयां थीं वो बुराईयों पर कठोर प्रहार करता था। वे संत परंपरा से थे लेकिन जीवन में वे कभी गुरू खोजने नहीं निकले थे। ये सीखने और समझने का विषय है। वे गुरू खोजने के लिए नहीं निकले थे। वे सत्‍य की तलाश में थे। महात्‍मा गांधी भी जीवन भर सत्‍य की तलाश से जुड़े हुए थे। वे सत्‍य की तलाश में थे। परिवार में, आर्थिक स्थिति कठिन थी। राम कृष्‍ण देव मां काली के पास भेजते हैं। जा तूझे जो चाहिए मां काली से मांग और बाद में पूछा कुछ मांगा बोले नहीं मांगा। कौन-सा मिजाज होगा जो काली के सामने खड़े होकर भी मांगने के लिए तैयार नहीं है। भीतर वो कौन सा लोहतत्‍व होगा, वह कौन सी ऊर्जा होगी जिसमें यह सामर्थ्‍य पैदा हुआ इसलिए वर्तमान समाज में जो बुराइयां हैं। क्‍या हमारे समाज के बुराइयों के खिलाफ हम नहीं लड़ेंगे। हम स्‍वीकार कर लेंगे। अमरीका के धरती पर विवेकानंद जी Brothers and Sisters ऑफ़ अमरीका कहें। हम खुद नाच उठे। लेकिन मेरे देश में ही मैं नौजवानों को विशेष रूप से कहना चाहूंगा क्‍या हम नारी का सम्‍मान करते हैं क्‍या। हम लड़कियों के प्रति आदर भाव से देखते हैं क्‍या जो देखते हैं उनको मैं 100 बार नमन करता हूं। लेकिन जो उसके भीतर इंसान नहीं देख पाते हैं, मानव नहीं देख पाते। यह भी ईश्वर की एक कृति है , अपनी बराबरी से है। ये भाव अगर नहीं देखते हैं, तो फिर स्‍वामी विवेकानंद के वो शब्‍दशिष्‍ट Brothers and Sisters ऑफ़ अमेरिका हमें तालिया बजाने का हक है कि नहीं है। 50 बार हमें सोचना है। + +हम कभी सोचे हैं विवेकानंद जी कहते थे जनसेवा प्रभु सेवा। अब देखिए एक इंसान 30 साल की उम्र में पूरे विश्‍व में ऐसा जय-जयकार करके आया है उस गुलामी के कालखंड में दो व्‍यक्तित्‍व जिसने भारत में एक नई चेतना नई ऊर्जा प्रकट की थी। दो घटनाओं ने, एक जब रविंद्रनाथ टैगोर को नॉबेल प्राइज मिला और जब स्‍वामी विवेकानंद जी का 9/11 के भाषण के देश दुनिया में चर्चा होने लगी। भारत गुलामी के कालखंड में एक नई चेतना का एक भाव पूरे भारत में इन दो घटनाओं ने जगाया था। और दोनों बंगाल की संतान थे | कितना गर्व होता है जब मैं दुनिया में किसी को जाके कहता हूं कि मेरे देश के रविंद्रनाथ टैगोर श्रीलंका का राष्‍ट्रगीत भी उन्‍होंने बनाया, भारत का राष्‍ट्रगीत भी उन्‍होंने बनाया, बांग्‍लादेश का राष्‍ट्रगीत भी उन्‍होंने बनाया। क्‍या हम हमारी इस विरासत के प्रति‍ गर्व करते हैं क्‍या और खोखला नहीं है। आज हिंदुस्‍तान में, दुनिया में हम एक युवा देश है। 800 मिलियन लोग इस देश में उस उम्र के हैं जो विवेकानंद जी ने शिकागो में भाषण दिया उससे भी कम उम्र के हैं। इस देश की 65 प्रतिशत जनसंख्‍या विश्‍व में डंका बजाने वाले विवेकानंद जी की उम्र से कम उम्र की 65 प्रतिशत जनसंख्‍या जिस देश की हो उस देश में विवेकानंद से बड़ी प्रेरणा क्‍या हो सकती है और इसलिए विवेकानंद जी ने काम कैसा किया, वो सिर्फ उपदेश देने वाले नहीं रहे। उन्‍होंने Ideas को Idealism में convert किया और Idealism और Ideas का combination करके Institutional फ्रेम वर्क बनाया। आज से करीब 120 साल पहले इस महापुरूष ने RamKrishna मिशन को जन्‍म दिया। विवेकानंद मिशन को जन्‍म नहीं दिया। RamKrishna को जन्‍म दिया। बात छोटी होती है लेकिन अकलमंद को इशारा काफी होता है और उन्‍होंने RamKrishna मिशन का जिस भाव से उदय हुआ। आज 120 साल के बाद भी न Delusion आया है न Diversion आया है। एक ऐसी संस्‍था को कैसी मजबूत नींव बनाई होगी उन्‍होंने। फाउंडेशन कितना Strong होगा। Vision कितना क्लियर होगा। एक्‍शन प्‍लान कितना Strong होगा। भारत के विषय में हर चीज की कितनी गहराई से अनुभूति होगी तब जा करके एक संस्‍था 120 साल के बाद भी वो आंदोलन आज भी उसी भाव से चल रहा है। + +विवेकानंद जी, मैं सच बताता हूं दोस्‍तो आज के संदर्भ में विवेकानंद जी को देखे.. कुछ लोगों को लगता होगा जब मैं कहता हूं Make in India, Make in India तो बहुत लोग है जो कहते हैं कि इसका विरोध करने वाले भी लोग हैं। कुछ कहते हैं कि Make in India नहीं Made in India चाहिए। ऐसा भी कहते हैं बड़े-बड़े बुद्धिमान लोग तो भांति-भांति की चीज निकाल लेते हैं। लेकिन जिसको मालूम होगा कि विवेका जी और जमशेद जी टाटा के बीच जो संवाद हुआ अगर वो संवाद मालूम होगा। विवेक जी और जमशेद जी टाटा के बीच का जो पत्र व्‍यवहार है वो किसी को देखा होगा तो पता चलेगा कि उस समय गुलाम हिन्‍दुस्‍तान था। तब भी विवेकानंद 30 साल का नौजवान जमशेद जी टाटा जैसे व्‍यक्ति को कह रहा है। कि भारत में उद्योग लगाओ न। Make in India बनाओ न। और स्‍वयं जमशेद जी टाटा ने लिखा है, स्‍वयं कहा कि विवेकानंद जी के वो शब्‍द, वो बाते मेरे लिए प्रेरणा रही। उसी के कारण मैं इस भारत के अंदर भारत के उद्योगों को बनाने के लिए गया। + +आप हैरान होंगे जी हमारे देश में first agriculture revolution विवेकानंद जी के विचारों में निकलता है कि भारत में कृषि क्रांति कैसे करनी चाहिए और डॉक्‍टर सेन जो पहले agriculture revolution के मुखिया माने जाते हैं। उन्‍होंने यह institute बनाई थी उस institution का नाम विवेकानंद Agriculture Research Institution के नाम से रखा था। यानी हिन्‍दुस्‍तान में कृषि को आधुनिक बनाना चाहिए, वैज्ञानिक रिसर्च से बनाना चाहिए इस सोच की बाते विवेकानंद जी उस उम्र में करते थे। + +हमारे देश में Skill Development नया विषय नहीं है लेकिन पहले डिपार्टमेंटों में बिखरा पड़ा था कोई उसका मालिक नहीं था। जिसको मर्जी पड़े उस दिशा में चलता था। हमने आ करके इन सारे Skill Development को एक जगह पर लाया उसका अलग Ministry बनायी अलग Department बनाया और Focus way में Skill Development जो कि देश में ऐसे नौजवानों को तैयार करे जिसको कभी किसी पर निर्भर न रहना पड़े। मेरे देश का नौजवान Job Seeker नहीं Job Creator बनना चाहिए। मेरे देश का नौजवान मांगने वाला नहीं देने वाला बनना चाहिए और इसलिए मैं आज जब स्‍वामी विवेकानंद जी के विचारों को याद कर रहा हूँ तब वो Innovation के पश्‍चात् अनुसंधान के पश्‍चात् वो घिसी पीटी टूटी-फूटी चीजों का बहिष्‍कार करने के लिए आह्वान करते हैं। कितनी महान क्‍यों न हो कितनी अच्‍छी क्‍यों न लगती हो लेकिन छोड़ने के लिए वो आह्वान करते हैं। + +125 साल पहले जिस महापुरूष ने ये दर्शन किया था one Asia की कल्‍पना की थी और विश्‍व के इस पूरे चित्र के अंदर one Asia क्‍या रोल प्‍ले कर सकता है समस्‍याओं का समाधान करने की मूलभूत ताकत इस one Asia में क्‍या पड़ी हुई हैं इसकी हजारों वर्ष की विरासत इसके पास क्‍या है ये दर्शन विवेकानंद जी के पास था। और इसलिए आधुनिक संदर्भ में हमें विवेकानंद जी को देखना चाहिए वे Entrepreneurship को बढ़ावा देने की बात करते हैं उनकी हर बातचीत में भारत सामर्थ्‍यवान, सशक्‍त बने उसके आधार क्‍या तो Agriculture Revolution की बात करते हैं तो दूसरी तरफ Innovation की बात करते थे तो तीसरी तरफ वे Entrepreneurship की बात करते थे। और समाज के अंदर जो दोष हैं उसके खिलाफ लड़ाई लड़ने की भी बात करते थे। छुआ-छूत के खिलाफ वो इतना बोलते थे ,पागलपन कहते थे- ये छुआ-छूत, ऊँच-नीच के भाव को पागलपन कहते थे जिस महापुरूष ने इतना सारा दिया आज दीनदयाल जी की जन्‍म शताब्‍दी मना रहे है तब वो भी अंत्‍योदय की बात करते थे| + +लेकिन मेरे नौजवानों 2022 स्‍वामी विवेकानंद ने जिस Ramkrishna मिशन के नाम को शुरू किया था उसको 125 साल हो गये। 2022 भारत की आजादी के 75 साल हो गए। हम कोई संकल्‍प ले सकते हैं क्या। और संकल्‍प… मेरा जीवन व्रत बनना चाहिए। मैं यह करूँगा और आप देखिए जिंदगी जीने का अलग आनंद होगा। कभी-कभी हमारे देश में ये विवाद होता है कि जो college University वाले छात्र होते हैं. University के अध्‍यक्ष पद पर बैठे हुए सारे चुनाव जीत करके आए छात्र नेता हैं सारे.. छात्र राजनीति कहां से शुरू और कहां पहुँची वह चिंतन का विषय है लेकिन मैं कभी कभी देखता हूँ कि छात्र राजनीति करने वाले लोग जब चुनाव लड़ते हैं तो हम ये करेंगे, हम वो करेंगे… ये सब कहते हैं लेकिन अभी तक मैंने देखा नहीं है कि किसी चुनाव में उम्‍मीदवारों ने ये कहा हो कि हम कैम्‍पस साफ रखेंगे। हमारी जो University का कैम्‍पस है आप किसी भी University के चुनाव होने के दूसरे दिन जाइए क्‍या पड़ा होता है वहां? क्‍या होता है… फिर वन्दे मातरम्… क्‍या 21वीं सदी हिंदुस्‍तान की सदी बनानी है 2022 आजादी के 75 साल मना रहे हैं तो गांधी के सपनों का हिंदुस्‍तान, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरू के सपनों का हिंदुस्‍तान, सुभाष बाबु के सपनों का हिंदुस्‍तान, विवेकानंद के सपनों का हिंदुस्‍तान क्‍या हम लोंगो का दायित्व नहीं है। और इसलिए वो management वालों को पढ़ाते हैं न everybody is somebody, nobody हैं जो management विद्यार्थी हैं वो पढ़ा होगा और Ultimately कुछ नहीं और इसलिए आवश्‍यक है ये मैं करूँगा ये मेरी जिम्‍मेदारी है। आप देखिए कि हिंदुस्‍तान को बदलते देर नहीं लगेगी। अगर 125 करोड़ हिंदुस्‍तानी एक कदम चलें तो हिंदुस्‍तान 125 करोड़ कदम आगे बढ़ जाएगा। + +मैंने देखा है कि Colleges में किसी को अच्‍छा लगे किसी को बुरा लगे लोग किसी का विरोध भी केरते हैं ऐसे लोग भी हैं थोड़े। Colleges में Day मनाते हैं अलग-अलग डे मनाते हैं आज रोज़ डे है कुछ लोगों के विचार इस विरोधी हैं इसमें यहां भी बैठे होंगे मैं इसका विरोधी नहीं हूँ। देखिए हमने रोबोट तैयार नहीं करने हैं, हमें Creativity चाहिए हमारे भीतर का इंसान हमारी संवेदनाएं उसे प्रकट होने के लिए University campus से बड़ा कोई जगह नहीं होता है। लेकिन क्‍या कभी हमें विचार आता है कि हरियाणा की College हो और तय करे कि आज तमिल-डे मनाएंगे। पंजाब की College हो और तय करे कि आज केरल-डे मनाएंगे। दो गीत उसके गाएंगे दो गीत उसके सुनेंगे उनके जैसा पहनावा पहन कर उस दिन College आएंगे। हाथ से चावल खाने की आदत डालेंगे। College में कोई मलयालम फिल्‍म देखेंगे, तमिल फिल्‍म देखेंगे वहां से कुछ नौजवानों को बुलाएंगे भाई तुम्‍हारे तमिलनाडू के अंदर गांव में कैसे खेल खेले जाते हैं आओ खेलते हैं। मुझे बताइए डे मनेगा की नहीं मनेगा। वो डे Productive होगा कि नहीं होगा। एक भारत श्रेष्‍ठ भारत बनेगा कि नहीं बनेगा। हमें विविधता आप लोग तो बहुत नारा भी बोलते हैं विविधता में एकता को लेकर के, लेकिन क्‍या इस विविधता का गौरव जीने का प्रयास हम करते हैं क्‍या? जब तक हिंदुस्‍तान में हमारे हर राज्‍य के प्रति गौरव का भाव पैदा नहीं करेंगे, हर भाषा के प्रति गौरव का भाव पैदा नहीं करेंगे…मुझे याद है अभी मुझे तमिल University के तमिलनाडु के नौजवान अभी ऊपर आए मैंने उन्‍हें वण्‍णक्‍कम कहा एकदम से खुश हो गए। एकदम छू गया उनको. ये अपने हैं। क्‍या हमारा मन नहीं करता है कि हम ऐसा माहौल बनाए कि हमारे University में ऐसे भी तो डे मनाएं क्‍या कभी नहीं लगता है कि हमारी University में sikh गुरूओं का डे मना करके पंजाब के सिख गुरूओं ने क्‍या त्‍याग तपस्‍या बलिदान किए हैं देखें तो सही या सिर्फ भांगड़े से ही अटक जाएंगे क्‍या। पराठा और भांगडा. पंजाब उससे भी बहुत आगे हैं और इसलिए हम कुछ करें तो उसमें देखिए Creativity के बिना जिंदगी नहीं है। हम रॉबोट नहीं बन सकते हमारे भीतर का इंसान हर पल उजागर होते रहना चाहिए लेकिन वो करें जिससे देश की ताकत बढ़े देश का सामर्थ्‍य बढ़े और जो देश की आवश्‍यकता है उसकी पूर्ति हो। जब तक हम इन चीजों से अछूत रहेंगे हम धीरे-धीरे सिमट जाएंगे| + diff --git a/pm-speech/707.txt b/pm-speech/707.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..065196443710481b76a5337910c949d00a4bb57d --- /dev/null +++ b/pm-speech/707.txt @@ -0,0 +1,30 @@ +मैं जब भी किसी देश में जाता हूं तो भारतीय समुदाय से मिलकर उनके आशीर्वाद पाने का मुझे अवसर मिलता है। पिछले दिनों जब मैं श्रीलंका यात्रा के दौरान जाफना गया। ऐसे पहली बार हुआ कि कोई भारतीय प्रधानमंत्री जाफना गया। वहां मैं तमिल मूल के लोगों से मिला। उनके लिए भारत की सहायता से बनाए घर उन्‍हें सौंपने का सौभाग्‍य भी मुझे मिला। इस साल मई में जब दोबारा बुद्ध पूर्णिमा के समय मुझे श्रीलंका जाने का अवसर मिला, इंटरनेशनल समारोह में भाग लेने के लिए मुझे निमंत्रण मिला था। तब मैं Central Sri Lanka के तमिल भाई-बहनों से भी मिला। वहां भारत की मदद से बने एक हॉस्पिटल का inauguration करने के बाद हजारों लोगों ने आकर मुझे इतना प्‍यार दिया, कि मुझे वो दिन कभी भी नहीं भूल सकता। मेरे तमिल भाइयों ने श्रीलंका की धरती पर इतना प्‍यार दिया। मैं साउथ अरेबिया में गया, Construction Works हों, या कीनिया में किसान और व्‍यापारी हो, या सिलिकोन वैली में सियोद हों, विदेशों में रह रहे भारतीयों और Indian Origin के लोगों से मिलकर मुझे अपनापन महसूस होता है। एक प्रकार से ये हमारे सरकारी व्‍यवस्‍था में राजदूत होते हैं, आप सब हमारे राष्‍ट्रदूत हैं। और आप पर गर्व भी होता है कि जहां आप रहते हैं, आपने वहां development और harmony को तो बढ़ाया ही है, आपने अपने भारतीय संस्‍कार और मूल्‍य भी संजो करके रखे हैं; और ये बहुत बड़ी बात होती है। + +आपका भारत से bond सिर्फ भावात्‍मक नहीं है, आप भारत के विकास से भी ठोस रूप से जुड़े रहे हैं। अनेक प्रवासी भारतीय अब भारत के विकास में सहयोग दे रहे हैं। वे अपने या अपने पुरखों केstates में development projects में सहयोग कर रहे हैं। युवा वर्ग तो और भी अधिक active है। न सिर्फ social media के माध्यम से regular engagement है, बल्कि भारत के बारे में जानने की उनकी इच्‍छा भी दिनों-दिन बढ़ती चली जा रही है, और अधिक strong होती जा रही है। गत वर्ष हमने प्रवासी youth के लिए Know India, भारत को जानो, quiz प्रतियोगिता का आयोजन किया था, quiz competition,और ये निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है। और मुझे ये जान करके खुशी भी हुई और आश्‍चर्य भी हुआ, इसमें लगभग 100 देशों के प्रवासी भारतीय युवाओं ने हिस्‍सा लिया। यानी वो देश जहां पर second generation, third generation Indian बच्‍चे हैं, उन्‍होंने इसमें बढ़-चढ़कर भाग लिया। + +पूरी दुनिया में किसी भारतीय नागरिक को, या भारतीय मूल के प्रवासी को किसी भी प्रकार की समस्‍या होती है, तो बिना हिचक वे सुषमा जी से twitter पर संपर्क करते हैं, उनकी समस्‍या का समाधान हो जाता है। मेरा भी यही संदेश है आप सब लोगों को कि पासपोर्ट की समस्‍या हो या Visa की, या परदेश में legal assistance की, भारत की Embassy के दरवाजे भारतीय समाज के लिए 24×7 = 365 days, खुले हैं। + +साथियों, मेरा मानना है कि 19वीं शताब्‍दी, 19वीं सदी की design पर 21वीं सदी का Infrastructure नहीं चल सकता है। और Infrastructure का मतलब सिर्फ सड़कें बनाना और rail network बिछाना ही नहीं होता। 21वीं सदी के Infrastructure का आधार हर वो चीज है, जो लोगों को आधुनिक technique से connect करे, उनकी जिंदगी में बदलाव लाए, Quality of life में change लाए। पूरी दुनिया में Solar Energy बढ़ाने का सबसे बड़ा कार्यक्रम आज भारत में चल रहा है। + +साथ ही हम देश के हित में बड़े, बड़े और कड़े; देश के हित में हम बड़े और कड़े फैसले लेने से जरा भी घबराते नहीं हैं। और ये इसलिए कर पाते हैं, कि हमारे लिए दल से बड़ा देश है। हमारे लिए देश सब कुछ है। चाहे surgical strike हो या नोटबंदी, या GST, इस सरकार ने देश के हित में हर फैसला बिना किसी डर या संकोच से लिया है। + +जब अर्थव्‍यवस्‍था और उसको काले धन और भ्रष्‍टाचार से मुक्ति दिलाने के लिए कड़ा फैसला लेने की आवश्‍यकता हुई तो 1000 और 500 रुपये के नोट बंद करने का फैसला भी हम ले पाए। मुट्ठीभर कुछ लोगों के भ्रष्‍टाचार की कीमत अब देश के सवा सौ करोड़ लोग उठा रहे थे, ये हमें मंजूर नहीं है। बेईमानी के पैसे की ये ताकत थी, वो कहां से आ रहा है, किसके पास जा रहा है; ये कागज पर नजर नहीं आता था। काले धन का कोई address नहीं होता है। + +साथियो नोटबंदी के बाद अब ऐसे लाखों लोगों के बारे में पता चला है जिनके account में करोड़ों, अरबों रुपये जमा हैं, लेकिन उन्‍होंने कभी income tax return नहीं भरा था। ऐसी लाखों कम्‍पनियों का भी पता चला है जो सिर्फ काले धन को इधर से उधर करने का ही काम कर रही थीं। सिर्फ तीन महीने में, मेरे प्‍यारे देशवासियो, आपको जान करके संतोष होगा, सिर्फ तीन महीने में दो लाख से ज्‍यादा कम्‍‍पनियों का registration रद्द किया जा चुका है, और उनके bank account भी freeze कर दिए गए हैं। + +अभी दो महीने पहले ही देश में GST लागू किया गया है। मैं GST को simple भाषा में Good and Simple Tax कहता हूं। GST से भी देश में ईमानदारी के साथ कारोबार करने का नया culture पैदा हो रहा है। जितने व्‍यापारी पिछले 6 साल में देश के tax system से नहीं जुड़े थे, उतने GST लागू होने के बाद सिर्फ दो महीने में जुड़ चुके हैं। जो काम 6 साल में होता है, वो सिर्फ 60 दिन में हो जाए; ये अपने-आप में काम कैसे हो रहा है, उसका उदाहरण है। पिछले तीन वर्षों में भारत में परिवर्तन के एक बड़े दौर की शुरूआत हुई, minimum government, maximum governance के सिद्धांत पर चलते हुए तमाम प्रक्रियाओं को आसान बनाया जा रहा है, simplify किया जा रहा है, कानून बदले जा रहे हैं, ease of doing business के लिए नियम सरल किए जा रहे हैं, देश के लोगों में ये भरोसा लौटा है कि भारत बदल सकता है, आगे बढ़ सकता है, दशकों पुरानी जिन बुराइयों ने भारत को जकड़ करके रखा है, उनसे अब भारत मुक्‍त हो सकता है, ये भरोसा देशवासियों में पैदा हुआ है। + +साथियो, भारत अपने विकास का लाभ सिर्फ खुद तक नहीं रखता है। अगर हमारे पास जो है, उसे हम मिलकर, बांटकर खाएं, तो उसका आनंद कई गुना बढ़ जाता है। अफ्रीका हो या साउथ एशिया, या पैसेफिक आईलैंड, हमारी क्षमताएं, हमारा अनुभव, हम सभी developing देशों के साथ खुले मन से share करते थे। 2014 में मैंने South Asian satellite का वायदा किया था। और इस साल हमने इसे launch कर दिया है। भारत का ही नहीं, सभी पड़ोसी देश जो इससे जुड़े हैं, उन्‍हें भी इस satellite का लाभ मिल रहा है। + +Natural disaster या किसी अन्‍य प्रकार की crisis के समय भी हम first responders रहे हैं, न सिर्फ भारतीयों के लिए बल्कि हर किसी के लिए, जिसकी हम सहायता कर सकते हैं; हमने करने में पहल की है, प्रयास किया है। और जब हम ऐसी मदद करते हैं तो हम कभी पासपोर्ट का रंग नहीं पूछा करते। नेपाल में भूकंप आया, मालदीव में अचानक पानी की समस्‍या आ गई, फिजी के अंदर समुद्री तूफान आ गया, पश्चिम एशिया में हिंसा के इलाकों में हजारों भारतीयों, विदेशियों का evacuation की बात हो, म्‍यांमार में cyclone के बाद राहत और re-habilitation के लिए सहायता करने में हमने एक अच्‍छे पड़ोसी का कर्तव्‍य निभाया है। + +सा‍थियो, वसुदेव कुटुम्‍बकम, यानी के whole world is a family, ये विचारधारा हमारी परम्‍परा है और हमें इसे पर गर्व है; ये हमारी रगों में है। आज सारी दुनिया भारत को third leader के रूप में पहचानना शुरू किया है। अंतर्राष्‍ट्रीय योग दिवस का प्रस्‍ताव हो या International Solar Alliance की नई पहल हो, या BRICS की अगले 10 वर्षों की golden decade की विचारधारा; आज भारत की आवाज विश्‍व में सुनाई देती है, गूंज सुनाई देती है। एक नए प्रकार का भरोसा है, विश्‍व को; भारत के प्रति एक नई आशा जगी है। + +भाइयो और बहनों, भारत उत्‍तर-पूर्व के राज्‍यों को South-East Asia को Gateway मानता है। और इस Gateway का दरवाजा म्‍यांमार की तरफ ही खुलता है। और इसलिए भारत इस Gateway को जोड़ने वाली सड़कों पर तेज गति से काम कर रहा है। कुछ महीनों पहले 1600 करोड़ रुपये के Imphal-Moreh section को upgrade करने का काम हमने मंजूर कर दिया है। Moreh में एक integrated check post भी बनाया जा रहा है। इस project के बाद मणिपुर और म्‍यांमार के बीच व्‍यापार और लोगों का आना-जाना भी आसान हो जाएगा। हमने Sittwe Port तदा Paletwa inland water terminalपर भी काम पूरा करके Kaladan project में निरंतर और प्रत्‍यक्ष प्रगति की है। रोड कम्‍पोटेंट पर काम शुरू हो चुका है। मुझे कोई संदेह नहीं कि ये transport corridor आसपास के क्षेत्रों को development corridor में बदल के ही रहेगा, ऐसा मेरा विश्‍वास है। Upper म्‍यांमार की जरूरत को पूरा करने के लिए भारत से high speed diesel ट्रकों द्वारा आना शुरू हो चुका है। हम border crossing agreement तथा motor vehicles agreement करके तथा power और energy trading को और अधिक बढ़ावा देकर आपसी सहयोग को कई गुना बढ़ाना चाहते हैं। हमने अपने development co-operation और capacity building partnership के माध्‍यम से जो कुछ भी हासिल किया है उस पर आज भारत को गर्व है, नाज है। + +भारत का लोकतांत्रिक अनुभव हम म्‍यांमार के साथshare कर रहे हैं। हमारे people to people तथा social culture संबंध हमारी सबसे बड़ी धरोहर हैं, और इन्‍हें मजबूत करने के लिए हमने भारत आने के इच्‍छुक म्‍यांमार के सभी नागरिकों को, म्‍यांमार के सभी नागरिकों को gratis visa देने का निर्णय कर लिया है। हमने म्‍यांमार के 40 मछुआरों को रिहा करने का निर्णय भी कर लिया है, जो इस समय भारत की जेलों में बंद हैं। हम आशा करते हैं कि वे जल्‍द ही म्‍यांमार में अपने परिवारों से फिर से मिल पाएंगे। + +आज मैं Bagan में Ananda Temple गया था। Ananda Temple एवं अन्‍य ऐतिहासिक व सांस्‍कृतिक इमारतों में पिछले साल के भूकंप से हुए नुकसान के बाद भारत के सहयोग से renovation हो रहा है। भारत और म्‍यांमार के बीच इतने ऐतिहासिक संबंध हैं कि उनकी जानकारी एक बहुत बड़ा विषय है, और मेरा मानना है कि आने वाली पीढ़ियों को भी इनकी जानकारी रहनी चाहिए। इस संबंध में मिलकर रिसर्च के प्रयास होने चाहिए। + +Friends, मैंने एक बार कहीं पढ़ा था कि भारत और म्‍यांमार के रिश्‍तों का आधार 5B है, 5B. यानी कि Buddhism, Business, Bollywood, bharatnatyam और Burma Teak. लेकिन मुझे लगता है कि इसमें सबसे महत्‍वपूर्ण B छूट गया है। और यह B है भरोसा, भारत और म्‍यांमार का एक-दूसरे पर भरोसा। इस भरोसे की बुनियाद सैंकड़ों वर्षों में मजबूत हुई है, और समय के साथ और मजबूत होती जा रही है। + diff --git a/pm-speech/708.txt b/pm-speech/708.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..8791fd9d91caf4e36fbf070ddf0fd64089c24106 --- /dev/null +++ b/pm-speech/708.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +Myanmar peace process का आपके द्वारा साहसिक नेतृत्व प्रशंसनीय है। जिन चुनौतियों का आप मुकाबला कररही हैं, हम उन्हें पूरी तरह समझते हैं। Rakhine State में चरमपंथी हिंसा के चलते खासकर security forces और मासूम जीवन की हानि को लेकर आपकीचिंताओं के हम भागीदार हैं। चाहे वह बड़ी शांति प्रक्रिया हो या किसी विशेष मुद्दे को सुलझाने की बात, हम आशा करते हैं कि सभी stakeholdersमिलकर ऐसा हल निकालने की दिशा में काम कर सकते हैं जिससे म्यांमार की एकता और भौगोलिक अखंडता का सम्मान करतेहुए सभी के लिए शांति, न्याय और सम्मान सुनिश्चित होंगे। + +मेरा मानना है कि भारत का लोकतांत्रिक अनुभव म्यांमार के लिए भी प्रासंगिक है। और इसलिए, म्यांमार के Executive, Legislature तथा Election Commission और Press Council जैसी संस्थाओं की Capacity Building में हमारे व्यापकसहयोग पर हमें गर्व है। पड़ोसी होने के नाते, सुरक्षा के क्षेत्र में हमारे हित एक जैसे ही हैं। यह ज़रूरी है कि हम अपनी लंबी ज़मीनी और समुद्री सीमा पर सुरक्षा और स्थिरता बनाए रखने के लिए मिलकर काम करें। सड़कों और पुलों का निर्माण, उर्जा के links, और connectivity बढ़ाने के हमारे प्रयास, एक अच्छे भविष्य की ओर संकेतकरते हैं। Kaladan project में हमने Sittwe port तथा Paletwa Inland Waterways Terminal परकाम पूरा किया है। और Road component पर काम शुरू हो गया है। Upper Myanmar की जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत से high speed diesel ट्रकों द्वारा आना शुरू हो चुका है। हमारी development partnership के तहत म्यांमार में उच्च कोटि की स्वास्थ्य, शिक्षा तथा अनुसंधान की सुविधाओं काविकास प्रसन्नता का विषय है। इस संबंध में Myanmar Institute of Information Technology और Advanced Centre for Agricultural Research and Education विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। ये दोनों शिक्षा के प्रमुख केंद्रों के रूप में तेजी से उभर रहे हैं। भविष्य में भी हमारे projects म्यांमार की आवश्यकताओं और प्राथमिकताओं के अनुरूप ही होंगे। हमारे दोनों देशों के बीच आज हुए समझौतों से हमारे बहुमुखी द्विपक्षीय सहयोग को और भी बल मिलेगा। + +Nay Pyi Taw में मेरा समय बहुत सार्थक रहा। म्यांमार में अपने शेष प्रवास को लेकर भी मेरे मन में उत्साहहै। आज मैं बागान में आनंद Temple जाऊंगा। आनंद Temple एवं अन्य ऐतिहासिक व सांस्कृतिक इमारतों में पिछले सालके भूकंप से हुए नुकसान के बाद भारत के सहयोग से renovation हो रहा है। Yangon में भारतीय मूल के समुदाय से मुलाकात के अलावा मैं धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व के स्मारकों पर भीअपनी श्रद्धा अर्पित करूंगा। मुझे विश्वास है कि आने वाले समय में हम पारस्परिक लाभ के लिए सशक्त और नज़दीकी साझेदारी बनाने के लिएमिलकर काम करेंगे। + diff --git a/pm-speech/709.txt b/pm-speech/709.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..62aa61b6da4f4925b6b5d349f14dabe9ef03a1bb --- /dev/null +++ b/pm-speech/709.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +भारत आज दुनिया में तेजी से सबसे ज्यादा खुली अर्थव्यवस्थाओं के रुप में बदल रहा है। विदेशी प्रत्यक्ष निवेश का प्रवाह 40 प्रतिशत बढ़ा है और वह अपने उच्चतम स्तर पर है। आसान व्यापार करने के विश्व बैंक की सूचकांक में भारत आगे बढ़ा है। इसी प्रकार, हम पिछले दो वर्षों में वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता सूचकांक में 32 अंक आगे बढ़े हैं। जुलाई में पेश किया गया वस्तु और सेवा कर भारत में अबतक का सबसे बड़ा आर्थिक सुधार है। एक ही झटके में, 1.3 बिलियन लोगों के लिए एक एकीकृत बाजार को निर्माण कर लिया गया है। डिजिटल इंडिया, स्टार्ट अप इंडिया और मेक इन इंडिया जैसे कार्यक्रम देश के आर्थिक परिदृश्य को बदल रहे हैं। वे भारत को ज्ञान आधारित, कौशल समर्थित और प्रौद्योगिकी चालित समाज के रूप में बदलने में मदद कर रहे हैं। + diff --git a/pm-speech/71.txt b/pm-speech/71.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..4503d028c726798d1293a318209eb718dcae71f6 --- /dev/null +++ b/pm-speech/71.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +आज जब मैं क्लाइमेट एक्शन के मुद्दे पर G-20 देशों के बीच हूं, तो अपनी दो बड़ी जिम्मेदारियां के प्रति पूरी संवेदनशीलता के साथ अपनी बात रखना चाहता हूं। पहली जिम्मेदारी Climate Mitigation की है जो भारत की हजारों वर्ष पुरानी परंपरा से प्रेरित है।हम इस मुद्दे पर महात्वाकांक्षी लक्ष्यों के साथ आगे बढ़ रहे हैं। पेरिस में जब हमने अपने लक्ष्यों की घोषणा की थी, तो बहुतों ने कहा था कि भारत क्या 175 गीगावॉट Renewable Energy जैसे काम कर पाएगा। लेकिन भारत न केवल तेजी से इन लक्ष्यों को प्राप्त कर रहा है बल्कि और ऊंचे लक्ष्य तय करने में जुटा है। अपने Paris commitments से भी आगे जाते हुए, भारत ने 26 million hectares बंजर भूमि के rehabilitation का लक्ष्य रखा है;हर साल औसतन 8 बिलियन यात्रियों की सेवा करने वाली विश्व की सबसे बड़ी पैसेंजर कैरियर- भारतीय रेलवे, ने ‘वर्ष 2030 तक Net Zero’ का संकल्प लिया है।अपने इस फैसले से भारतीय रेल, प्रतिवर्ष 60 मिलियन टन कार्बन emission, Mitigate करेगी। हम 2025 तक पेट्रोल में 20 परसेंट ethanol ब्लेंडिंग के लक्ष्य पर काम कर रहे हैं। एशियाई लायन, Tiger, राइनो, और Dolphin की संख्या बढ़ाकर भारत ने साबित किया है कि पर्यावरण रक्षा की हमारी प्रतिबद्धता, सिर्फ energy डिबेट तक सीमित नहीं है। Mitigation के दायित्व से भारत न पहले कभी पीछे हटा है, न कभी पीछे हटेगा।बीते वर्षों में हुए प्रयासों की वजह से आज भारत, Renewable Energy की capacity में दुनिया के टॉप 5 देशों में एक है।भारत की इस सफलता को विश्व भी मान रहा है।अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन, स्वीडन जैसे देश हमारे कई initiative जैसे ISA और CDRI में हमारे पार्टनर्स भी हैं। + +जब मैं अपनी दूसरी जिम्मेदारी- Climate Justice के बारे में सोचता हूं, तो मेरे हृदय में एक दर्द भी है।Climate Justice को भूलकर हम सिर्फ विकासशील देशों के साथ ही अन्याय नहीं कर रहे, बल्कि पूरी मानवता को धोखा दे रहे हैं।विकासशील देशों की मुखर आवाज के तौर पर भारत Climate Finance की विकसित देशों द्वारा अनदेखी को नजरअंदाज नहीं कर सकता।Climate Finance पर ठोस प्रगति के बिना विकासशील देशों पर Climate Action का दबाव बनाना, Justice नहीं है। मेरा सुझाव है कि विकसित देश अपने GDP का कम-से-कम 1 प्रतिशत हिस्सा विकासशील देशों में green projects को finance करने के लिए उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखें। + +मैं G-20 partners के सामने तीन Actionable Points रखना चाहूँगा।पहला, G-20 देश एक ‘clean energy projects फण्ड’ बनायें, जिसका उपयोग उन देशों में हो जहाँ पीकिंग अभी नहीं हुई है। यह फण्ड ISA जैसी अन्य संस्थाओं को भी support कर सकता है।दूसरा, हमें G-20 देशों में क्लीन-energy पर काम कर रही रिसर्च-संस्थाओं का एक नेटवर्क बनाना चाहिए, जो नयी टेक्नोलॉजीज के साथ-साथ इनके डिप्लॉयमेंट संबंधी best practices पर भी काम करे।तीसरा, G20 देशों को ग्रीन हाइड्रोजन के क्षेत्र में वैश्विक standards बनाने के लिए एक संस्था बनानी चाहिए, ताकि इसके प्रोडक्शन और उपयोग को प्रोत्साहन मिले।इन सभी प्रयासों में भारत भी अपना पूरा योगदान देगा। + diff --git a/pm-speech/711.txt b/pm-speech/711.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..441bb9f8f64b2c1cc3f8f8c059f7ac047299c7f4 --- /dev/null +++ b/pm-speech/711.txt @@ -0,0 +1,8 @@ +भारत आपके लिए नया नहीं है, आप पहले भी कई बार भारत की यात्रा कर चुकी हैं।परन्तु राष्ट्रपति के रूप में आपकी ये यात्रा ऐसे समय पर हो रही है जब हम भारत की स्वतंत्रता के 70 वर्ष पूरे होने का उत्सव मना रहे हैं। ये Indo-Swiss Treaty of Friendship & Establishment के सात दशक पूरे होने का भी समय है।हम उम्मीद करते हैं कि आपकी इस यात्रा से आपको उसी गर्मजोशी, और आतिथ्य का अनुभव होगा जो हमें 2016 में अपनी स्विटजरलैंड यात्रा के दौरान मिला था + +हमने भारत और European Free Trade Association के बीच Trade and Economic Partnership Agreement पर भी चर्चा की। इस Agreement के प्रावधानों पर पहले ही बातचीत आरंभ हो चुकी है। यह बहुत ही स्वागत योग्य कदम है। दोनों ही पक्षों ने इस Agreement को पूरा करने के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त की है।आज दुनिया के सामने Financial transactions में transparency चिंता का एक गहन विषय है। चाहे वह black money हो, dirty money हो, हवाला हो या हथियारों और ड्रग्स से संबंधित मनी हो। इस वैश्विक अभिशाप से निपटने के लिए स्विट्जरलैंड के साथ हमारा सहयोग जारी है। + +पिछले साल हमने टैक्स से जुड़ी जानकारी के Automatic Exchange के लिए एक संयुक्त घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए थे। इसके अंतर्गत स्विटजरलैंड में आंतरिक प्रक्रिया पूरी होने पर information हमारे साथ automatic basis पर सांझी की जाएगी।Foreign Direct Investment हमारे आर्थिक संबंधों का एक महत्वपूर्ण आधार है और भारत Swiss निवेशकों का विशेष रूप से स्वागत करता है। इस संदर्भ में, हम एक नई द्विपक्षीय निवेश संधि पर बातचीत जारी रखने की आवश्यकता पर सहमत हुए हैं।भारत की वृद्धि और विकास में सहभागी बनने के लिए स्विट्जरलैंड की कंपनियों के पास अनेक अवसर हैं। + +Climate Change एक बड़ी चुनौती है जिसका सामना सभी देश कर रहे हैं। Common But Differentiated Responsibilities के सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए, हम पेरिस समझौते को लागू करने की जरूरत पर और इसके कार्यान्यवन के तौर-तरीके विकसित करने के लिए साथ मिलकर काम करने पर सहमत हुए।भारत को अपनी बढ़ती हुई clean energy की जरूरतों को पूरा करने के लिए Nuclear Supplier Group की सदस्यता से मदद मिलेगी। इस संदर्भ में NSG की सदस्यता के लिए स्विटजरलैंड के निरंतर समर्थन के लिए हम आपको धन्यवाद देते हैं। + diff --git a/pm-speech/712.txt b/pm-speech/712.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..9950697678ff3586cc2fb40cedcb228d563563ac --- /dev/null +++ b/pm-speech/712.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +अभी मुख्‍यमंत्री जी बता रही थीं उज्‍ज्‍वला योजना के बारे में। लाखों की तादाद में गरीब मॉं-बहनों के पास आज गैस का चूल्‍हापहुँच गया।एक मॉं जब लकड़ी के चूल्‍हे से धुँए में खाना पकाती है तब 400 सिगरेट का धुँआ उसके शरीर में जाता है। उन मॉ-बहनों के उन बच्‍चों की जो खेलते हैं,उनके स्‍वास्‍थ्‍य की कौन चिंता करेगा?  और एक जमाना था] गैस का सिलेंडर लेने के लिए कितने पापड़ बेलने पड़ते थे। कितनी कठिनाइयॉं थीं, कितने नेताओं से चिट्टी चौपाई करनी पड़ती थी। ये ऐसी सरकार है जो गरीब के घर जा करके उसको गैसा का चूल्‍हादेने का अभियान चला रही है और लाखों परिवारों को दे चुकी है। + +पहले रोड बनते थे-उससे आज दोगुना रोड बन रहे हैं। पहले रेल बनती थी- उससे आज दोगुना रेल बन रही है। चाहे पानी पहुँचाना हो, चाहे Optical Fibre Network पहुँचाना है- हमने गति भी बढ़ा दी है, काम का स्‍केल बढ़ा दिया है,स्‍कोप भी बढ़ा दिया है और स्‍कील में भी हमने सुधार करके चीजों को आधुनिक बनाने में सफलता प्राप्‍त की है। + +अभी जीएसटी आया-शुरू में लोगों को लग रहा था लेकिन दुनिया के लिए अजूबा है,सवा सौ करोड़़ का इतना बड़ा देश- रातों रात एक व्‍यवस्‍था बदल जाए और देश के सवा सौ करोड़ नागरिक नई व्‍यवस्‍था से अपने आप को Adjust करलें। ये हिन्‍दुस्‍तान की ताकत का परिचय करवाता है-दोस्‍तों।हरकिसी को गर्व होगा कि मेरे देश के अन्‍दर गॉंव में भी बैठे छोटे व्‍यापारी को भी Technology के द्वारा आधुनिक कैसे बनना उसके मन में एक इच्‍छा जगी है और मैं चाहूँगा, मैं राजस्‍थान के अफसरों से खास आग्रह करूंगा कि एक अभियान चलाइए। 15 दिन का-गॉंव-गॉव हर व्‍यापारी छोटा हो तो भी 20 लाख की सीमा से नीचे हो तब भी,10 लाख  की सीमा से  नीचे हो तब भी, उसको भी जीएसटी में जोडि़ए ताकि इस जीएसटी का लाभ उस गरीब व्‍यापारी को भी मिले और छोटे व्‍यापारी को भी मिलना चाहिए।अगर वह जुड़ेगा नहीं तो गाड़ी कहीं अटक जाएगी, वहींरूक जाएगी, नीचे तक लाभ पहुँचेगा नहीं, एक अभियान के स्‍वरूप में काम उठाना चाहिए। आप देखिए राजस्‍थान की आय में भी आप ने कल्‍पना नहीं की होगी किइतना परिवर्तन आएगा, इतना बढ़ावा होगा और उसका परिणाम ये होगा कि राजस्‍था  के गरीबों की भलाई के लिए अनेक नई योजनाएं सरकार अपने हाथ में ले सकती है। जीएसटी के कारण अकेले Transportation में,जो Department भी हमारे नितिन जी देखते हैं-पहले Driver घर से निकलता था अगर उसको समुद्री तट बंदर पर सामान पहुँचाना हो  तो  अगर हम किलोमीटर की गिनती करें, ट्रक के स्‍पीड  की गिनती करें, तो तीन दिन में पहॅुच सकता है।लेकिन पहले हर जगह पर चुँगी,हर प्रकार के चुँगी नाका।और नाकों पर क्‍या क्‍या होता थ, वो सब जानते हैं कि दुनिया कैसी चलती थी।वो बेचारा पॉंच दिन में पहुँचता था।दो दिन ट्रक एक सप्‍ताह में अगरदो दिन ट्रक पड़ी रहती है तो देश की Economy को 25 प्रतिशत से ज्‍यादा नुकसान होता हैTransportation में।ये जीएसटी के बाद सारे चॅुगी नाके गए, ट्रक के Driver को खड़े रहना जो लाल पास , नीला पास को जो चक्‍कर था सब बंद हो गय। और वो पहले पॉंच दिन लगते थे अब तीन दिन में पहॅुच रहा है। दो दिन ज्‍यादा माल ढो करके आगे बढ़ रहा है। उसके कारण माल ढोने के खर्च कम हुए।Transport वालों की आय बढ़ी और मैं तो नितिन जी  से कह रहा हॅू कि प्रतिदिन नए Transport के कानून भी बदलने चाहिए। आज हमारे देश  में  क्‍या  है एक ट्रक के अंदर माल ले कर जाते,पूरा उसी के अंदर ढो कर ले जाते हैं। अब  समय  की मॉंग है-ट्रक और ट्राली।जैसे ट्रैक्‍टर में होता है वो अलग कर दी जाए।ट्राली के अंदर सामान भरा हो, जयपुर में ट्राली छोड़ दो,ट्रक ले कर चले जाओं,दूसरी ट्राली लगा लो- आगे बढ़ जाओं। ऐसी व्‍यवस्‍था होनी चाहिए कि ड्राइवर रात को अपने घर पहुँच सके। परिवार में बच्‍चो  के साथ रह सके। मैं ऐसी ट्रांसपोर्ट की व्‍यवस्‍था में Transport Transformation लाने का हमारा काम है। और Transformation देश में लाना है तो Transportपद्धति से भी बहुत तेजी से लाया जा सकता है और एक व्‍यापक योजना के साथ विकास की नई ऊँचाइयों को पार करने की दिशा में हम चल रहे हैं। + diff --git a/pm-speech/713.txt b/pm-speech/713.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..8642c9453203888f6d7c81e26fb87bd13c0d9964 --- /dev/null +++ b/pm-speech/713.txt @@ -0,0 +1,8 @@ + मेरे प्यारे देशवासियो, आधुनिक होने की परिभाषाएँ बदलती चली जा रही हैं | इन दिनों एक नया dimension, एक नया parameter, आप कितने संस्कारी हो, कितने आधुनिक हो, आपकी thought-process कितनी modern है, ये सब जानने में एक तराजू भी काम में आने लगा है और वो है environment के प्रति आप कितने सजग हैं | आपके अपनी गतिविधियों में eco-friendly, environment-friendly व्यवहार है कि उसके खिलाफ़ है | समाज में अगर उसके ख़िलाफ़ है तो आज बुरा माना जाता है | और उसी का परिणाम आज मैं देख रहा हूँ कि इन दिनों ये गणेशोत्सव में भी eco-friendly गणपति, मानो एक बड़ा अभियान खड़ा हो गया है | अगर आप You Tube पर जा करके देखेंगे, हर घर में बच्चे गणेश जी बना रहे हैं, मिट्टी ला करके गणेश जी बना रहे हैं | उसमें रंग पुताई कर रहे हैं | कोई vegetable के colour लगा रहा है, कोई कागज़ के टुकड़े चिपका रहा है | भांति-भांति के प्रयोग हर परिवार में हो रहे हैं | एक प्रकार से environment consciousness का इतना बड़ा व्यापक प्रशिक्षण इस गणेशोत्सव में देखने को मिला है, शायद ही पहले कभी मिला हो | Media house भी बहुत बड़ी मात्रा में eco friendly गणेश की मूर्तियों के लिए लोगों को प्रशिक्षित कर रहे हैं, प्रेरित कर रहे हैं, guide कर रहे हैं | देखिए कितना बड़ा बदलाव आया है और ये सुखद बदलाव है | और जैसा मैंने कहा हमारा देश, करोड़ों – करोड़ों तेजस्वी दिमागों से भी भरा हुआ है | और बड़ा अच्छा लगता है जब कोई नये-नये innovation जानते हैं | मुझे किसी ने बताया कि कोई एक सज्जन हैं जो स्वयं engineer हैं, उन्होंने एक विशिष्ट प्रकार से मिट्टी इकट्ठी करके, उसका combination करके, गणेश जी बनाने की training लोगों की और वो एक छोटी से बाल्टी में, पानी में गणेश विसर्जन होता है तो उसी में रखते हैं तो पानी में तुरंत dilute हो जाती है | और उन्होंने यहाँ पर रुके नहीं हैं उसमें एक तुलसी का पौधा बो दिया और पौधे बो दिए | तीन वर्ष पूर्व जब स्वच्छता का अभियान प्रारंभ किया था, 2 अक्टूबर को उसको तीन साल हो जायेंगे | और, उसके सकारात्मक परिणाम नज़र आ रहे हैं | शौचालयों की coverage 39% से करीब-करीब 67% पहुँची हैं | 2 लाख 30 हज़ार से भी ज्यादा गाँव, खुले में शौच से अपने आपको मुक्त घोषित कर चुके हैं | + + मेरे प्यारे देशवासियो, मैं आप सभी से एक आह्वान करता हूँ कि एक बार फिर 2 अक्टूबर गाँधी जयंती से 15-20 दिन पहले से ही ‘स्वच्छता ही सेवा’ – जैसे पहले कहते थे ‘जल सेवा यही प्रभु सेवा’, ‘स्वच्छता ही सेवा’ की एक मुहिम चलायें | पूरे देश में स्वच्छता के लिए माहौल बनाएं | जैसा अवसर मिले, जहाँ भी अवसर मिले, हम अवसर ढूंढें | लेकिन हम सभी जुड़ें | इसे एक प्रकार से दिवाली की तैयारी मान लें, इसे एक प्रकार से नवरात्र की तैयारी मान लें, दुर्गा पूजा की तैयारी मान लें | श्रमदान करें | छुट्टी के दिन या रविवार को इकठ्ठा हो कर एक-साथ काम करें | आस-पड़ोस की बस्ती में जायें, नज़दीक के गाँव में जायें, लेकिन एक आन्दोलन के रूप में करें | मैं सभी NGOs को, स्कूलों को, colleges को, सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक नेतृत्व को, सरकार के अफसरों को, कलेक्टरों को, सरपंचों को हर किसी से आग्रह करता हूँ कि 2 अक्टूबर महात्मा गाँधी की जन्म-जयंती के पहले ही, 15 दिन, हम एक ऐसी स्वच्छता का वातावरण बनाएं, ऐसा स्वच्छता खड़ी कर दें कि 2 अक्टूबर सचमुच में गाँधी के सपनों वाली 2 अक्टूबर हो जाए | पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय, MyGov.in पर एक section बनाया है जहाँ शौचालय निर्माण के बाद आप अपना नाम और उस परिवार का नाम प्रविष्ट कर सकते हैं, जिसकी आपने मदद की है | मेरे social media के मित्र कुछ रचनात्मक अभियान चला सकते हैं और virtual world का धरातल पर काम हो, उसकी प्रेरणा बना सकते हैं | स्वच्छ-संकल्प से स्वच्छ-सिद्धि प्रतियोगिता, पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय द्वारा ये अभियान जिसमें आप निबंध की स्पर्धा है, लघु-फिल्म बनाने की स्पर्धा है, चित्रकला-प्रतियोगिता आयोजित की जा रही है | इसमें आप विभिन्न भाषाओँ में निबंध लिख सकते हैं और उसमें कोई उम्र की मर्यादा नहीं है, कोई age limit नहीं है | आप short film बना सकते हैं, अपने mobile से बना सकते हैं | 2-3 मिनट की फिल्म बना सकते हैं जो स्वच्छता के लिए प्रेरणा दे | वो किसी भी language में हो सकती है, वो silent भी हो सकती है | ये जो प्रतियोगिता में हिस्सा लेंगे उसमें से जो best तीन लोग चुने जायेंगे, district level पर तीन होंगे, state level पर तीन होंगे उनको पुरस्कार दिया जाएगा | तो मैं हर किसी को निमंत्रण देता हूँ कि आइये, स्वच्छता के इस अभियान के इस रूप में भी आप जुड़ें | + + नौजवान दोस्तो, खेल मंत्रालय ने खेल प्रतिभा की खोज और उन्हें निखारने के लिए एक Sports Talent Search Portal तैयार किया है, जहाँ पूरे देश से कोई भी बच्चा जिसने खेल के क्षेत्र में कुछ उपलब्द्धि हासिल की है, उनमें Talent हो – वो इस portal पर अपना Bio-Data या video upload कर सकता है | Selected emerging players को खेल मंत्रालय training देगा और मंत्रालय कल ही इस portal को launch करने वाला है | हमारे नौजवानों के लिए तो खुशी की खबर है कि भारत में 6 से 28 अक्टूबर तक FIFA Under 17 World Cup का आयोजन होने जा रहा है I दुनिया भर से 24 टीमें भारत को अपना घर बनाने जा रही हैं | + +महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने कहा था It is the supreme art of the teacher to awaken joy in creative expression and knowledge. अपने छात्रों में सृजनात्मक भाव और ज्ञान का आनंद जगाना ही एक शिक्षक का सबसे महत्वपूर्ण गुण है | इस बार जब हम शिक्षक दिवस मनाएँ | क्या हम सब मिलकर के एक संकल्प कर सकते हैं ? एक mission mode में एक अभियान चला सकते हैं ? Teach to Transform, Educate to Empower, Learn to Lead इस संकल्प के साथ इस बात को आगे बढ़ा सकते हैं क्या? हर किसी को 5 साल के लिए, किसी संकल्प से बांधिए, उसे सिद्ध करने का रास्ता दिखाइये और 5 साल में वो पाकर के रहे, जीवन में सफ़ल होने का आनंद पाये – ऐसा माहौल हमारे स्कूल, हमारे कॉलेज, हमारे शिक्षक, हमारे शिक्षा संस्थान ये कर सकते हैं और हमारे देश में जब हम transformation की बात करते हैं तो जैसे परिवार में माँ की याद आती है वैसे ही समाज में शिक्षक की याद आती है | transformation में शिक्षक की बहुत बड़ी भूमिका रहती है | हर शिक्षक के जीवन में कहीं-न-कहीं ऐसी घटनाएँ हैं कि जिसके सहज़ प्रयासों से किसी की ज़िन्दगी के transformation में सफ़लता मिली होगी | अगर हम सामूहिक प्रयास करेंगे तो राष्ट्र के transformation में हम बहुत बड़ी भूमिका अदा करेंगे | आइये teach to transform इस मंत्र को लेकर के चल पड़ें | + diff --git a/pm-speech/717.txt b/pm-speech/717.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..0e52e75f4ddfb446ab7a8bb09a66c7e79b5e3049 --- /dev/null +++ b/pm-speech/717.txt @@ -0,0 +1,16 @@ +लेकिन सरकार elected corporator पर भरोसा करती है, elected MLA पर भरोसा करती है, सरकार Gazetted Officer पर भरोसा करती है। और ये कानून क्‍या था कि अगर आपका कोई certificate है और आप आपको कहीं apply करना है, तो उसको certify कराने के लिए उसके घर जाना पड़़ेगा, वो एक ठप्‍पा मार देगा और वो तो देखता भी नहीं है। बाहर एक लड़का बैठा होता है, जो भी आए उसको सिक्का लेकर ठप्‍पा मारता रहता है, और आप certify ले करके फिर सरकार को भेजते हैं। मैंने आकर कहा भई क्‍या जरूरत है? Self certificate करने दो ना, self attests करने दो ना, निकाल दिया। चीज छोटी है लेकिन इसमें message बहुत बड़ा है कि मुझे मेरे देश के लोगों पर भरोसा है। बीच में, बीच में कोई व्‍यवस्‍था की जरूरत नहीं, हां, जब final आपका interview call होगा, या जब निर्णय करना होगा, तो आपके original document दिखा दीजिए उस दिन। ऐसे आपको शायद इस सरकार में तीन साल में हजारों चीज लगेंगी, जिसने चीजों को, अब देखिए, हम corruption की यहां चर्चा हो रही थी, और कुलीन बता रहा था कि हम judicially को ठीक करेंगे तो सब हो जाएगा। कुलीन कर सकता है। + +अब जैसे हमारे देश में इतने दलाल हैं जी, क्‍योंकि उनको भी तो रोजी-रोटी चाहिए। वो भी एक रोजगार का क्षेत्र है और ऐसे लोग जो बेकार हो गए, वो बहुत चिल्‍ला रहे हैं इन दिनों; रोजगार नहीं है, रोजगार नहीं है। गरीब घर में ऐसे कई लोग जाते हैं कि बस 50 हजार रुपया दीजिए, बेटे को peon का नौकरी दिलवा दूंगा, बस 20 हजार रुपया दीजिए, इस vacation में temporary job दिलवा दूंगा, ऐसे दलाल घूमते रहते हैं। हमने आ करके तय किया कि Class-III और IV में. कोई मूझे बताए क्‍या logic है interview का? और ऐसा कौन सा विश्‍व में मनोविज्ञान तैयार हुआ है, कि जो कोई कमरे में एक व्‍यक्ति इधर से घुसता है, तीन लोगों कीpanel बैठी है, वो 30 सेकेंड में वहां से गुजरता है, वो देखते हैं किसी को फुरसत है तो पूछते हैं। अच्‍छा–अच्‍छा, interview हो गया। + +कहने का मेरा तात्‍पर्य ये है कि ये एक ऐसी सरकार है, जो ऐसी institutional arrangement में लगी हुई है कि जिसके कारण व्‍यक्ति अगर थोड़ा सा भी गड़बड़ हो, व्‍यवस्‍था चीजों को संभाल लेगी। और कभी-कभी व्‍यक्ति का फिसलना संभव होता है, व्‍यवस्‍थाएं स्थितियों को बचाए रखने के बहुत काम आती हैं। आज की दुनिया, एक प्रकार से जहां Gap वहां App. सारी जगह App भर रही है। एक प्रकार से interface खत्‍म होता जा रहा है। और उसमें अब ऐसे लोग भी घुस रहे हैं जो, जिनके लिए cheating करना बड़ा स्‍वाभाविक है। एक App पर दुनिया भर का काम करके दूसरे महीने में दूसरी App में डाल देंगे और अपना गाड़ी चला लेंगे, लेकिन ये संभावना होने के बावजूद technology revolution जो है, इसका मानवीय जीवन पर बड़ा प्रभाव और एक स्‍वीकृत प्रभाव पैदा हुआ है। आज technology के लिए कोई resistance नहीं है। और जो लोग कहते हैं, कि ये technology समझ नहीं आती है, उसमें ज्‍यादातर पुरुष होते हैं, महिलाएं नहीं होती हैं। आप देखिए, most modern technology equipment जो वो होगा, वो सबसे ज्‍यादा कहीं तुरंत market में चला जाता है, पहुंच जाता है किचन में महिलाओं की पसंद की तरह। सारी महिलाएं यानी एक अनपढ़ महिला में, जो काम करने वाली, किचन में काम करने वाली महिला होगी, उसको भी oven कैसे चलाना है, ढिकना कैसे चलाना है, सब technology मालूम हो जाती है। + +User friendly technology ने जीवन बदल दिया है। क्‍या governance में technology सरकार के तौर-तरीकों को बदल सकती है? क्‍या? आप लोग अलग-अलग field में हैं, एक बात निश्चित है कि innovation ही जीवन है। अगर innovation नहीं है तो एक ठहराव है। और जहां भी ठहराव है, वहां गंदगी है। innovationसे ही बदलाव आता है। आप उस field में हैं क्‍या आप innovation को promote कर रहे हैं अगर कोई handicraft के क्षेत्र में marketing का काम करता है, लेकिन क्‍या उसने handicraft बनाने वाले को नई technology के साथ, global requirement के अनुसार उस handicraft को आधुनिकस समय में modify करने के लिए उसको सिखाया है क्‍या? अगर वो training भी साथ-साथ करता है तो हम हमारे सामान्‍य गरीब व्‍यक्ति जो handicraft के क्षेत्र में काम करता है, उसका एक प्रकार से vocational trainingकहो, skill training कहो, + +मैं अभी सिक्किम गया था, एकाध साल पहले की बात है। हिन्‍दुस्‍तान में सिक्किम पहला organic state है। बहुत कम लोगों को मालूम होगा। पूरा state organic है जी। और 13-14 साल लगातार मेहनत करके उन्‍होंने organic state बनाया है। और हमारे देश के सभी Himalayan states में organic state capitalबनने की संभावनाएं पड़ी हुई हैं। मैं एक बार सिक्किम गया तो उनके उस organic festival के लिए गया था। उसी दिन देश में, देश को सिक्किम को organic state के रूप में समर्पित करने का कार्यक्रम था। वहां मुझे दो नौजवान मिले, एक लड़का, एक लड़की। वे IIM अहमदाबाद से सीधे pass out हो करके वहां पहुंचे थे। हमारा परिचय हुआ तो मुझे लगा tourist के नाते आए होंगे। तो मैंने पूछा, बोले नहीं, नहीं, हम तो यहीं रहते हैं पिछले छह महीने से। बोला- क्‍या कर रहे हो? बोले हम लोग यहां की जो organic चीजें हैं, इसका global marketing की दिशा में काम कर रहे हैं और हमारा बहुत ही कम समय में हमारा business बढ़ रहा है। + +शिक्षा, अब ये बात सही है कि शिक्षा के क्षेत्र में अब IIM में ऐसे campus placement होता है। एक करोड़, दो करोड़, तीन करोड़, ऐसे बोली बोल करके उठा लेते हैं लोग। क्‍या हम वो dream नहीं देख सकते हैं कि जो टीचर है, उसका भी campus placement हो, और वो भी एक करोड़, दो करोड़ तीन करोड़, पांच करोड़ में बदल जाए। ये संभव है जी, ये संभव है। आप हिन्‍दुस्‍तान के किसी भी व्‍यक्ति को मिलिए, अमीर से अमीर व्‍यक्ति को मिलिए, गरीब से गरीब व्‍यक्ति से मिलिए, सबसे ज्‍यादा पढ़े-लिखे को मिलिए, सबसे अनपढ़ को मिलिए और एक प्रश्‍न पूछिए, एक जवाब common आएगा, उसके जीवन का मकसद क्‍या है? बच्‍चों को अच्‍छी शिक्षा। किसी को भी पूछिए, अपने ड्राइवर को पूछिए, भई क्‍या सोचते हो? नहीं साहब, बस बच्‍चों को अच्‍छी शिक्षा मिल जाए, मेरी तो जिंदगी ड्राइवरी में पूरी हो गई, उसको मैं कुछ बनाना चाहता हूं। + +हम इतने satellite छोड़ते हैं, बड़ा गर्व करते हैं। लेकिन कई transponder ऐसे थे, जो unutilized ऐसे ही हवा में लटके पड़े थे। हमने आ करके इन silo को तोड़ा, space को, education को, technology को, सबको इकट्ठा किया। अभी मैंने thirty two transponders dedicated to the education only, और वो आपको घर में, घर में education की एक प्रकार से free of charge delivery दे सकते हैं बच्‍चों के लिए। यानी quality education without dilution, without diversion, सामान्‍य व्‍यक्ति तक पहुंचाने के लिए technology गरीब से गरीब तक हमें पहुंचा सकती है। हम technology के द्वारा quality of education में बदलाव कैसे लाएं? अगर quality of education में नीचे से बदलाव आया तो टीचर पर अपने-आप ऐसा pressure आने वाला है कि टीचर को बदलना ही होगा ये स्थिति बनने वाली है। और इसलिए इस सरकार की कोशिश ये है कि चीजों में आप जैसे लोग, जिसके पास दुनिया को अलग तरीके से देखने का एक अवसर है, एक sixth sense भी है, उमंग है, उत्‍साह है, innovations हैं, सोच, ideas हैं। इन चीजों के साथ सरकार को कैसे जोड़ना है, ये मेरी कोशिश है, और उस कोशिश का ये भाग है। + +सरकार में जो चीजें, अब जैसे मैंने एक छोटा सा प्रयोग किया। एक हमने प्रयोग किया Hackathon का। College students के साथ किया और सभी IITs वगैरह students को हमने invite किया था। First round में करीब 40 हजार students ने हिस्‍सा लिया। मैंने सरकार में कहा कि भाई तुम्‍हारे यहां जो काम करते-करते कठिनाई महसूस होती थी, problem लगती हैं, उसका solution तुम्‍हारे पास नहीं है, ऐसी चीजों की list बनाओ। तो शुरू में resistance था। Resistance ये था कि मैं secretary हूं, मैं joint secretary हूं, मैं director हूं, मैं कैसे बताऊं मेरे यहां प्रश्‍न हैं, मैं कैसे बताऊं मेरे यहां problem का solution नहीं है। फिर तो मेरी बेइज्‍जती होगी। तो शुरू में बड़ी मुश्किल था बताना भी। तो हम, हमारे ऑफिस के लोग लगे रहे, आखिरकार उन्‍होंने करीब 400 ऐसे issue छांटे, कि इसका कोई solution खोजना चाहिए। पहले उनको लगता ही नहीं था कोई problem है। अब मैंने उन 400 issues को इन बच्‍चों को दे दिया, studentsको, कि भई आप लोग Hackathon कीजिए, इसके solution लाइए। और उन्‍होंने 40-40 घंटे non-stop university campus में काम किए, 40 हजार हिन्‍दुस्‍तान की purely around for sixteen to eighteen age group, इन्‍होंने दिमाग खपाया, और आपको जान करके आनंद होगा, इतने बढ़िया-बढ़िया उन्‍होंने solution दिए हैं। रेलवे वालों ने दूसरे ही दिन उन लोगों को मीटिंग की और बुला करके उसमें से कुछ चीजें adopt कर दीं और रेलवे के सिस्‍टम में लागू कर दीं। सारे department ने उस solution को अपने यहां incorporate करने का प्रयास किया है। + diff --git a/pm-speech/718.txt b/pm-speech/718.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..42e132c98a696445c2e40ceef9b6658ad45a6fb3 --- /dev/null +++ b/pm-speech/718.txt @@ -0,0 +1,40 @@ +ये वर्ष 2018 का, आने वाला 18, 1 जनवरी, मैं इसे सामान्‍य 1 जनवरी नहीं मानता। जिन लोगों ने 21वीं शताब्‍दी में जन्‍म लिया है, उनके लिए यह महत्‍वपूर्ण वर्ष है। 21वीं शताब्‍दी में जन्‍मे हुए नौजवानों के लिए, ये वर्ष उनके जीवन का लिए निर्णायक वर्ष है। वो 18 साल के जब-जब होंगे, वो 21वीं सदी के भाग्‍य-विधाता होने वाले हैं। 21वीं सदी का भाग्‍य ये नौजवान बनाएंगे जिनका जन्‍म 21वीं सदी में हुआ है, और अब 18 साल होने पर है। मैं इन सभी नौजवानों का हृदय से बहुत-बहुत स्‍वागत करता हूं, सम्‍मान करता हूं और उनका अभिनंदन करता हूं कि आइए, आप अब 18 साल की दहलीज पर आ करके खड़े हैं। देश का भाग्‍य निर्माण करने का आपको अवसर मिल रहा है। आप देश की विकास यात्रा में बहुत तेजी से भागीदार बनिए, देश आपको निमंत्रण देता है। + +बेनामी संपत्ति रखने वाले, कितने सालों तक कानून लटके पड़े थे। अभी-अभी तो हमने कानून की विधिवत रूप से व्यवस्था आगे बढ़ाई। इतने कम समय में 800 करोड़ रुपए से ज्यादा बेनामी संपत्ति सरकार ने जब्त कर ली है। जब ये चीज होती है तब सामान्य मानव के मन में एक विश्वास पैदा होता है कि ये देश ईमानदार लोगों के लिए है। + +देश में अनेक राज्य हैं, केन्द्र सरकार है। हमने देखा है कि GST के द्वारा देश में Cooperative Federalism, Competitive Cooperative Federalism को एक नई ताकत दी है, एक नया परिणाम नज़र आया है। और GST जिस प्रकार से सफल हुआ है, कोटि-कोटि मानव working hours उसके पीछे लगे हैं। Technology में एक miracle है, विश्व के लोगों को अजूबा लगता है कि इतने कम समय में इतने बड़े देश में GST का इस प्रकार से roll-out होना, ये अपने आप में, हिन्दुस्तान में कितना सामर्थ्य है, देश की हर पीढ़ी को एक विश्वास जगाने के लिए काम आता है। + +वक्त बदल चुका है। आज सरकार जो कहती है वो करने के लिए संकल्पबद्ध नजर आती है। चाहे हमने इंटरव्यू खत्म करने की बात की हो, चाहे हमने process को खत्म करने की बात की हो। अकेले labour field में, सामान्य छोटे से कारोबारी को भी 50-60 form भरने पड़ते थे, उसको हम कम करके सिर्फ पांच फॉर्म में ले आए हैं। कहने का तात्पर्य यह है, मैं ढेर सारे उदाहरण दे सकता हूं, कहने का तात्पर्य यह है कि Good Governance, Governance की process को simplify करना, उस दिशा में बल देने का परिणाम है कि आज तेज़ गति आई है, निर्णयों में तेज़ गति आई है। और इसलिये सवा सौ करोड़ देशवासी इस विश्वास को लेकर आगे बढ़ रहे हैं। + +सीमा की रक्षा के लिये हमारे जवान तैनात हैं। मुझे खुशी है कि आज भारत सरकार एक ऐसी website launch कर रही है, जो Gallantry Award विजेता है, हमारे देश को गौरव दिलाने वाले लोग हैं, उनकी पूरी जानकारियों के साथ आज एक Gallantry Award प्राप्त करने वालों पर आधारित एक Portal भी प्रारंभ किया जा रहा है, जिससे देश की नई पीढ़ी को हमारे इन वीर बलिदानियों के बारे में बहुत सारी जानकारियां प्राप्त हो सकती हैं। + +Technology की मदद से, देश में ईमानदारी को बल देने का हम लोगों का भरपूर प्रयास है। कालेधन के खिलाफ हमारी लड़ाई जारी रहेगी। भ्रष्टचार के खिलाफ हमारी लड़ाई जारी रहेगी। और हमने धीरे-धीरे Technology को intervene करते हुए AADHAR की व्‍यवस्‍था को जोड़ते हुए, transparency लाने की दिशा में अनेक विद्द-सफल प्रयास किए हैं और दुनिया के अनेक लोग भारत के इस मॉडल की चर्चा भी करते हैं और उसका अध्‍ययन भी करते हैं। + +सरकार में भी खरीदी करने में अब छोटा-सा व्‍यक्ति भी हजारों किलोमीटर दूर बैठा गांव का व्‍यक्ति भी सरकार को अपना माल supply कर सकता है, अपने product supply कर सकता है। उसको बड़े की जरूरत नहीं है, बिचौलिए की जरूरत नहीं है। GEM नाम का एक पोर्टल बनाया है, GEM उसके द्वारा government procure कर रही है। बहुत सारी मात्रा में transparency लाने में सफलता मिली है। + +भाईयों-बहनों, सरकारी की योजनाओं में रफ्तार बढ़ी है। जब सरकार, किसी काम में विलंब हो जाता है, तो सिर्फ वो प्रोजेक्‍ट विलंब नहीं होता। वो सिर्फ धन के खर्चें से जुड़ा हुआ विषय नहीं होता है। जब कोई भी काम अटक जाता है, रूक जाता है तो सबसे ज्‍यादा नुकसान मेरे गरीब परिवारों को होता है। मेरे भाईयो-बहनों को होता है। हम नौ महीने के भीतर-भीतर मंगलयान पहुंच सकते हैं। यह हमारा सामर्थ्‍य है। नौ महीने के भीतर-भीतर यहां से मंगलयान पहुंच सकते हैं। लेकिन मैंने एक बार सरकार के काम का लेखा-जोखा हर महीने लेता रहता हूं। एक बार ऐसी बात मेरे ध्‍यान में आई, 42 साल पुराना एक प्रोजेक्‍ट, 70-72 किलोमीटर का प्रोजेक्‍ट, रेल का 42 साल से अटका पड़ा, लटका पड़ा था। भाईयों-बहनों नौ महीने में मंगलयान पहुंचने का सामर्थ्‍य रखने वाला मेरा देश 42 साल तक 70-72 किलोमीटर एक रेल की पटरी न बिछा सके, तब गरीब के मन में सवाल उठता है कि मेरे देश का क्‍या होगा? और ऐसी चीजों पर हमने ध्‍यान दिया है। इन चीजों में बदलाव लाने के लिए हमने नई-नई टैक्‍नोलोजी Geo-Technology का विषय हो, Space-Technology का विषय हो इन सारी चीजों को जोड़ करके हमने उसमें परिवर्तन लाने का प्रयास किया है। + +प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, किसान को अगर पानी मिले तो मिट्टी में से सोना पैदा करने की ताकत रखता है और इसलिए किसान को पानी पहुंचाने के लिए मैंने पिछली बार लालकिले से कहा था, उन योजानाओं में से 21 योजना हम पूर्ण कर चुके हैं और बाकी 50 योजनाएं आने वाले कुछ समय में पूर्ण हो जाएंगी। और total 99 योजनाओं का मैंने संकल्‍प लिया है। 2019 के पहले उन 99 बड़ी-बडी योजनाएं को परिपूर्ण करके, किसान के खेत तक पानी पहुंचाने का काम हम पूर्ण कर देंगे। और किसान को बीज से बाजार तक, जब तक हम व्‍यस्‍था नहीं देते हैं, हमारे किसान के भाग्‍य को हम नहीं बदल सकते हैं। और इसलिए उसके लिए infrastructure चाहिए, उसके लिए supply-chain चाहिए। हर साल लाखों-करोड़ों रुपयों की हमारी सब्‍जी, हमारे फल, हमारी फसल बर्बाद हो जाती है और इसलिए उसको बदलने के लिए एक तो Foreign Direct Investment को बढ़ावा दिया ताकि food processing के अंदर दुनिया हमारे साथ जुड़े। + +शिक्षा के क्षेत्र में World Class Universities बनाने के लिए हमने बंधनों से मुक्‍ति देने का एक बड़ा अहम कदम उठाया है। 20 यूनिवर्सिटियों का आह्वान किया है कि आप अपने भाग्‍य का फैसला कीजिए, सरकार कहीं बीच में नहीं आएगी। ऊपर से सरकार 1000 करोड़ रुपये तक की मदद करने के लिए भी तैयार है। आह्वान किया है, मुझे विश्‍वास है मेरे देश की शिक्षा संस्‍थाओं में जरूर आगे आएंगे, इसको सफल करेंगे। + +हमने infrastructure पर बल दिया है। अभूतपूर्व खर्च infrastructure पर दिए जा रहे हैं। रेलवे स्टेशन का आधुनिकीकरण हो, छोटे शहर में, चाहे एयरपोर्ट बनाना हो, चाहे water-way की व्यवस्था करनी हो, चाहे roadways की व्यवस्था करनी हो, चाहे गैस grid बनानी हो, चाहे पानी की grid करानी हो, चाहे optical fibre network करना हो, हर प्रकार के आधुनिक infrastructure पर हम पूर्ण बल दे रहे हैं। + +उसके बाद हमने नोटबंदी का फैसला किया। नोटबंदी के द्वारा हमने अनेक महत्वपूर्ण सफलताएं प्राप्त की हैं। जो कालाधन छिपा हुआ था, उसको मुख्यधारा में आना पड़ा। आपने देखा होगा कि हम कभी 07 दिन-10 दिन-15 दिन बढ़ाते जाते थे, कभी पेट्रोल पंप पर, कभी दवाई की दुकान पर, कभी रेलवे स्टेशन पर पुराने नोट लेने का सिलसिला जारी रखते थे, क्योंकि हमारा प्रयास था कि एक बार जो भी धन आए वो बैंकों में formal economy का हिस्सा बन जाए और उस काम को हमने सफलतापूर्वक पार किया है। और इसका कारण यह हुआ है कि अभी जो research हुआ है, करीब तीन लाख करोड़ रुपए… ये सरकार ने research नहीं की है, बाहर के expert ने की है। नोटबंदी के बाद तीन लाख करोड़ रुपए, जो अतिरिक्त, जो कभी banking system में वापस नहीं आता था वो आया है। + +बैंकों में जमा की गई राशि में पौने दो लाख करोड़ से अधिक राशि शक के घेरे में है। कम से कम दो लाख करोड़ रुपए से ज्यादा कालाधन उसको बैंको तक पहुंचना पड़ा है और अब व्यवस्था के साथ उनको अपना जवाब देने के लिए मजबूर हुए हैं। नए कालेधन पर भी बहुत बड़ी रुकावट आ गई है। इस वर्ष, इसका परिणाम देखिए, 01 अप्रैल से 05 अगस्त तक income tax return दाखिल करने वाले नए व्यक्तिगत करदाताओं की संख्या 56 लाख। पिछले साल उसी अवधि में ये संख्या सिर्फ 22 लाख थी। Double से भी ज्यादा! ये कारण कालेधन के खिलाफ हमारी लड़ाई का परिणाम है। + +भाइयों बहनों, हमारे देश में अगर दो चार कंपनियां भी कहीं बंद हो जाए, तो चौबिसों घंटे उस पर चर्चाएं होती हैं उस पर Debates होती हैं। अर्थनीति खत्म हो गई… ये हो गया, न जाने क्या क्या होता है! आपको जानकर के हैरानी होगी, काले धन के कारोबारी, Shell कंपनियां चलाते थे और नोटबंदी के बाद जब data-mining किया गया। तब तीन लाख ऐसी कंपनियां पाई गईं हैं, जो सिर्फ और सिर्फ shell कंपनियां हैं। हवाला का कारोबार करती हैं। तीन लाख, कोई कल्पना कर सकता है। और उसमें से पौने दो लाख का रजिस्ट्रेशन हमनें Cancel कर दिया है। पांच कंपनियां बंद हो जाए तो हिन्दुस्तान में तूफान मच जाता है। पौने दो लाख कंपनियों को ताले लगा दिये। देश का माल लूटने वालों को जवाब देना पड़ेगा, ये काम हमने कर के दिखाया। + +आपको हैरानी होगी! कुछ तो shell कंपनियां ऐसी हैं, जो एक ही Address पर चार सौ चार सौ कंपनियां चल रही थीं, भाइयों बहनों। चार सौ चार सौ कंपनियां चल रही थीं। कोई देखने वाला नहीं था, कोई पूछने वाला नहीं था। सारी मिलीभगत चल रही थी। और इसलिये मेरे भाइयों बहनों, मैंने भ्रष्टाचार काले धन के खिलाफ एक बहुत बड़ी लड़ाई छेड़ी है। देश की भलाई के लिए देश के गरीबों के कल्याण के लिये, देश के नौजवानों के भविष्य को बनाने के लिए। + +भाइयों बहनों, एक के बाद एक कदम और मुझे विश्वास है GST के बाद उसमें और बढ़ोतरी होने वाली है। और Transparency आने वाली है। अकेले Transportation हमारा ट्रक वाला एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाता था। ये GST के बाद तीस प्रतिशत उसका समय बच गया है। check-post खत्म होने के कारण हजारों करोड़ रुपयों की तो बचत हुई है। सबसे बड़ी बचत समय की हुई है। एक प्रकार से उसकी तीस प्रतिशत Efficiency बढ़ रही है। आप कल्पना कर सकते हैं हिन्दुस्तान के Transport जगत में तीस प्रतिशत Efficiency बढ़ने का मतलब क्या होता है। एक GST के कारण इतना बड़ा परिवर्तन आया है। + +मेरे प्यारे देशवासियों, आज नोटबंदी के कारण बैंको के पास धन आया है। बैंक अपनी ब्याज दर कम कर रहे हैं। मुद्रा के द्वारा सामान्य मानव को बैंक से पैसा मिल रहा है। सामान्य मानव को अपने पैरों पर खड़े होने के लिये अवसर मिल रहा है। गरीब हो, मध्यवर्ग का व्यक्ति हो घर बनाना चाहता है, तो बैंक उसको मदद करने के लिये आगे आ रहे हैं, कम ब्याज की दर से आगे आ रहे हैं। ये सारा देश के अर्थतंत्र को गति देने की दिशा में काम कर रहा है। + +मेरे प्यारे देशवासियों, अब ये वक्त बदल चुका है। हम 21वीं सदी में हैं। विश्व का सबसे बड़ा युवा वर्ग हमारे देश में है। दुनिया में हमारी पहचान IT के द्वारा है, Digital World के द्वारा है। क्या अब भी हम उसी पूरानी सोच में रहेंगे। अरे! एक जमाने में चमड़े के सिक्के चलते थे, धीरे-धीरे लुप्त हो गए, कोई पूछने वाला नहीं रहा। आज जो कागज के नोट हैं, समय आते रहते वो सारा का सारा Digital Currency में Convert होने वाला है। हम नेतृत्व करें, हम जिम्मेवारी लें, हम Digital Transaction की ओर जाएं। हम BHIM APP को अपनाएं, आर्थिक कारोबार का हिस्सा बनाएं। हम Prepaid के द्वारा भी काम करें। और मुझे खुशी है कि Digital लेनदेन बढ़ी है। पिछले साल के मुकाबले उसमें 34 प्रतिशत का इजाफा हुआ है और Prepaid भुगतान में करीब 44 प्रतिशत का। और इसलिये कम cash वाली अर्थव्यवस्था, उसको लेकर के हमें आगे बढ़ना चाहिए। + +मेरे प्यारे देशवासियों, सरकार की कुछ योजनाएं ऐसी हैं, जो हिन्दुस्तान के सामान्य मानव की जेब में पैसे बचा सकें। अगर आप LED Bulb लगाते हैं, तो साल भर का हजार दो हजार पांच हजार रुपया आपका बचने वाला है। अगर आप स्वच्छ भारत में सफल होते हैं, तो गरीब का सात हजार का रुपया दवाई का बंद होता है। महंगाई पर नियंत्रण, आपके बढ़ते हुए खर्च को रोकने में सफल हुआ है, एक प्रकार से आपकी बचत है। + +हम ‘तेजस’ हवाई जहाज के द्वारा आज दुनिया के अंदर अपनी अहमियत पहुंचा रहे हैं। ‘BHIM-AADHAR App’ दुनिया के अंदर Digital Transaction के लिये एक अजूबा बना हुआ है। RuPay Card …हिन्दुस्तान में RuPay Card करोड़ों की तादाद में है। और अगर वो operational हो जाएगा, वो अगर गरीबों के जेब में है, तो दुनिया का, ये सबसे बड़ा हो जाएगा। + diff --git a/pm-speech/719.txt b/pm-speech/719.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..b6b8295c3a059054b594669065e03c45fe76f6a0 --- /dev/null +++ b/pm-speech/719.txt @@ -0,0 +1,8 @@ +महात्‍मा गांधी, वरिष्‍ठ नेता, सब जेल चले गए। और वही पल था कि अनेक नए नेतृत्‍व ने जन्‍म लिया। लाल बहादुर शास्‍त्री, राम मनोहर लोहिया, जयप्रकाश नारायण, कई अनेक youth युवा उस समय उस जो खाली जगह थी उसको भरा और आंदोलन को आगे बढ़ाया। इतिहास की ये घटनाएं हम लोगों के लिए एक नई प्रेरणा, नया सामर्थ्‍य, नया संकल्‍प, नया कृतत्‍व जगाने के लिए किस प्रकार से अवसर बने, ये हम लोगों का निरंतर प्रयास रहना चाहिए। + +मैं समझता हूं कि उस समय समाज के जब सभी वर्ग जुड़ गए, गांव हो, किसान हो, मजदूर हो, टीचर हो, स्‍टूडेंट हो हर कोई इस आंदोलन के साथ जुड़ गए और करेंगे या मरेंगे और बापू तो यहां तक कहते थे कि अंग्रेजों की हिंसा के कारण कोई भी शहीद होता है तो उसके शरीर पर एक पट्टी लिखनी चाहिए करेंगे या मरेंगे और वो इस आजादी का आंदोलन का शहीद है। इस प्रकार की ऊंचाई तक इस आंदोलन को बापू ने ले जाने का प्रयास किया था और उसी का परिणाम था कि भारत गुलामी की जंजीरो से मुक्‍त हुआ। देश उस मुक्ति के लिए छटपटा रहा था नेता हो या नागरिक किसी की इस भावना की तीव्रता में कसु भर भी अंतर नहीं था और मैं समझता हूं देश जब उठ खड़ा होता है सामूहिकता की जब शक्ति पैदा होती है, लक्ष्‍य निर्धारित होता है और निर्धारित लक्ष्‍य  पर चलने के लिए लोग कृतसंगत होकर के चल पड़ते हैं तो 42 से 47 पांच साल के भीतर-भीतर बेडि़या चुर-चुर हो जाती हैं और मां भारती आजाद हो जाती है और इसलिए और उस समय रामवृक्ष बेनीपुरी उन्‍होंने एक किताब लिखी है जंजीरें और दीवारें और उस प्रस्‍तुति का वर्णन करते हुए उन्‍होंने लिखा है “एक अद्भुत वातावरण पूरे देश में बन गया। हर व्यक्ति नेता बन गया और देश का प्रत्येक चौराहा करो या मरो आंदोलन का दफ्तर बन गया। देश ने स्वयं को क्रांति के हवन कुंड में झोंक दिया। क्रांति की ज्वाला देश भर में धू-धू कर जल रही थी। बम्बई ने रास्ता दिखा दिया। आवागमन के सारे साधन ठप हो चुके थे। कचहरियां विरान हो चली थीं। भारत के लोगों की वीरता और ब्रिटिश सरकार की नृशंसता की खबरें पहुंच रही थी। जनता ने करो या मरो के गांधीवादी मंत्र को अच्छी तरह से दिल में बैठा लिया था”। + +उस समय का ये वर्णन उस किताब जब ये पढ़ते है तो चलता है कि किस प्रकार का माहौल होगा और एक वो समय था कि ये घटना ने ये बात सही है कि ब्रिटिश उपनिवेशवाद जो था इसका आरंभ हिन्‍दुस्‍तान में हुआ और इस घटना के बाद उसका अंत भी हिन्‍दुस्‍तान से हुआ था।  भारत आजाद होना सिर्फ भारत की आजादी नहीं थी 1942 के बाद विश्‍व के जिन-जिन भू-भाग में अफ्रीका में एशिया में इस उपनिवेशवाद के खिलाफ एक ज्‍वाला भड़की उसकी प्रेरणा केंद्र भारत बन गया था। और इसलिए भारत सिर्फ भारत की आजादी नहीं एक आजादी की ललक विश्‍व के कई भागों में फैलाने में भारत के जनसामान्‍य का संकल्‍प और कतृत्‍वय कारण बन गया था और कोई भी भारतीय इस बात के लिए गर्व कर सकता है और उसको हमने देखा कि एक बार भारत आजाद हुआ उसके बाद एक के बाद एक उपनिवेशवाद के सारे लोगों के झंडे ढ़हते गए और आजादी सब युग तक पहुंचने लगी। कुछ ही वर्षों में दुनिया के सारे देशों में आजादी प्राप्‍त हो गर्इ और ये काम बताता है कि ये भारत की इच्‍छाशक्ति का प्रबल इच्‍छाशक्ति का एक उत्‍तमोत्‍तम परिणाम था, हमारे लिए सबक यही है कि जब हम एक मन करके संकल्‍प लेकर के पूरे सामर्थ्‍य के साथ निर्धारित लक्ष्‍य को प्राप्‍त करने के लिए जुड़ जाते हैं तो ये देश की ताकत है कि हम देश को संकटों से बाहर निकाल देते हैं, देश को गुलामी की जंजीरों से बाहर निकाल सकते हैं, देश को नए लक्ष्‍य की प्राप्ति के लिए तैयार कर सकते हैं, ये इतिहास ने बताया है और इसलिए उस समय इस पूरे आंदोलन को और पूज्‍य बापू के व्‍यक्तित्‍व को लगते हुए राष्‍ट्र कवि सोहन लाल द्विवेदी की जो कविता है बापू का सामर्थ्‍य क्‍या है उसको प्रकट करती है। कविता में उन्‍होंने कहा था + +हम भी देखें, समाज जीवन में हम पिछले 100, 200 साल का इतिहास देखें तो विकास की यात्रा एक incremental रही थी। धीरे-धीरे दुनिया आगे बढ़ रही थी, धीरे-धीरे दुनिया अपने-आपको बदल रही थी। लेकिन पिछले 30-40 साल में दुनिया में अचानक बदलाव आया, जीवन में अचानक बदलाव आया और technology ने बहुत बड़ा roll play किया। कोई कल्‍पना नहीं कर सकता जो इस 30-40 साल में दुनिया में जो बदलाव आया है, व्‍यक्ति के जीवन में, मानव-जीवन में, सोच में जो बदलाव आया है; 30-40 साल पहले हमें नजर भी नहीं आता था। एक disruption वाला एक positive change हम अनुभव करते हैं। + diff --git a/pm-speech/72.txt b/pm-speech/72.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..ef272f3840f8041923541925ef837f2edea18d1d --- /dev/null +++ b/pm-speech/72.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +सरदार पटेल जी सिर्फ इतिहास में ही नहीं बल्कि हम देशवासियों के हृदय में भी हैं। आज देश भर में एकता का संदेश लेकर आगे बढ़ रहे हमारे ऊर्जावान साथी भारत की अखंडता के प्रति अखंड भाव के प्रतीक हैं।  ये भावना हम देश के कोने-कोने में हो रही राष्ट्रीय एकता परेड में, स्टेच्यू ऑफ यूनिटी पर हो रहे आयोजनों में भलीभाँति देख रहे हैं। + diff --git a/pm-speech/721.txt b/pm-speech/721.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..11bea87dbc90a3522b27618b42d8c6964df3c0eb --- /dev/null +++ b/pm-speech/721.txt @@ -0,0 +1,8 @@ +“नमस्कार, प्रधानमंत्री जी, मैं गुड़गांव से नीतू गर्ग बोल रही हूँ। मैंने आपकी Chartered Accountants Day की speech सुनी और बहुत प्रभावित हुई। इसी तरह हमारे देश में पिछले महीने आज ही की तारीख़ पर Goods and Services Tax- GST की शुरुआत हुई। क्या आप बता सकते हैं कि जैसा सरकार ने expect किया था, वैसे ही result एक महीने बाद आ रहे हैं या नहीं? मैं इसके बारे में आपके विचार सुनना चाहूँगी, धन्यवाद।” + +GST के लागू हुए क़रीब एक महीना हुआ है और उसके फ़ायदे दिखने लगे हैं। और मुझे बहुत संतोष होता है, खुशी होती है, जब कोई ग़रीब मुझे चिट्ठी लिख करके कहता है कि GST के कारण एक ग़रीब की ज़रुरत की चीज़ों में कैसे दाम कम हुए हैं, चीज़ें कैसे सस्ती हुई हैं। अगर North-East, दूर-सुदूर पहाड़ों में, जंगलों में रहने वाला कोई व्यक्ति चिट्ठी लिखता है कि शुरू में डर लगता था कि पता नहीं क्या है; लेकिन अब जब मैं उसमें सीखने-समझने लगा, तो मुझे लगता है, पहले से ज़्यादा आसान हो गया काम। व्यापार और आसान हो गया। और सबसे बड़ी बात है, ग्राहकों का व्यापारी के प्रति भरोसा बढ़ने लगा है। अभी मैं देख रहा था कि transport and logistics sector पर कैसे GST का impact पड़ा। कैसे अब ट्रकों की आवाजाही बढ़ी है! दूरी तय करने में समय कैसे कम हो रहा है ! highways clutter free हुए हैं। ट्रकों की गति बढ़ने के कारण pollution भी कम हुआ है। सामान भी बहुत जल्दी से पहुँच रहा है। ये सुविधा तो है ही, लेकिन साथ-साथ आर्थिक गति को भी इससे बल मिलता है। पहले अलग-अलग tax structure होने के कारण transport and logistics sector का अधिकतम resources paperwork maintain करने में लगता था और उसको हर state के अन्दर अपने नये-नये warehouse बनाने पड़ते थे। GST – जिसे मैं Good and Simple Tax कहता हूँ, सचमुच में उसने हमारी अर्थव्यवस्था पर एक बहुत ही सकारात्मक प्रभाव और बहुत ही कम समय में उत्पन्न किया है। जिस तेज़ी से smooth transition हुआ है, जिस तेज़ी से migration हुआ है, नये registration हुए हैं, इसने पूरे देश में एक नया विश्वास पैदा किया है। और कभी-न-कभी अर्थव्यवस्था के पंडित, management के पंडित, technology के पंडित, भारत के GST के प्रयोग को विश्व के सामने एक model के रूप में research करके ज़रूर लिखेंगे। दुनिया की कई युनिवर्सिटियों के लिए एक case study बनेगा। क्योंकि इतने बड़े scale पर इतना बड़ा change और इतने करोड़ों लोगों के involvement के साथ इतने बड़े विशाल देश में उसको लागू करना और सफलतापूर्वक आगे बढ़ना, ये अपने-आप में सफलता की एक बहुत बड़ी ऊँचाई है। विश्व ज़रूर इस पर अध्ययन करेगा। और GST लागू किया है, सभी राज्यों की उसमें भागीदारी है, सभी राज्यों की ज़िम्मेवारी भी है। सारे निर्णय राज्यों ने और केंद्र ने मिलकर के सर्वसम्मति से किए हैं। और उसी का परिणाम है कि हर सरकार की एक ही प्राथमिकता रही कि GST के कारण ग़रीब की थाली पर कोई बोझ न पड़े। और GST App पर आप भली-भाँति जान सकते हैं कि GST के पहले जिस चीज़ का जितना दाम था, तो नई परिस्थिति में कितना दाम होगा, वो सारा आपके mobile phone पर available है। One Nation – One Tax, कितना बड़ा सपना पूरा हुआ। GST के मसले को मैंने देखा है कि जिस प्रकार से तहसील से ले करके भारत सरकार तक बैठे हुए सरकार के अधिकारियों ने जो परिश्रम किया है, जिस समर्पण भाव से काम किया है, एक प्रकार से जो friendly environment बना सरकार और व्यापारियों के बीच, सरकार और ग्राहकों के बीच, उसने विश्वास को बढ़ाने में बहुत बड़ी भूमिका अदा की है। मैं इस कार्य से लगे हुए सभी मंत्रालयों को, सभी विभागों को, केंद्र और राज्य सरकार के सभी मुलाज़िमों को ह्दय से बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। GST भारत की सामूहिक शक्ति की सफलता का एक उत्तम उदाहरण है। यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। और ये सिर्फ tax reform नहीं है, एक नयी ईमानदारी की संस्कृति को बल प्रदान करने वाली अर्थव्यवस्था है। एक प्रकार से एक सामाजिक सुधार का भी अभियान है। मैं फिर एक बार सरलतापूर्वक इतने बड़े प्रयास को सफल बनाने के लिए कोटि-कोटि देशवासियों को कोटि-कोटि वंदन करता हूँ। + +‘असहयोग आन्दोलन’ और ‘भारत छोड़ो आन्दोलन’ 1920 और 1942 महात्मा गाँधी के दो अलग-अलग रूप दिखाई देते हैं। ‘असहयोग आन्दोलन’ के रूप-रंग अलग थे और 42 की वो स्थिति आई, तीव्रता इतनी बढ़ गई कि महात्मा गाँधी जैसे महापुरुष ने ‘करो या मरो’ का मंत्र दे दिया। इस सारी सफलता के पीछे जन-समर्थन था, जन-सामर्थ्य थी, जन-संकल्प था, जन-संघर्ष था। पूरा देश एक होकर के लड़ रहा था। और मैं कभी-कभी सोचता हूँ, अगर इतिहास के पन्नों को थोड़ा जोड़ करके देखें, तो भारत का पहला स्वतंत्रता संग्राम 1857 में हुआ। 1857 से प्रारंभ हुआ स्वतंत्रता संग्राम 1942 तक हर पल देश के किसी-न-किसी कोने में चलता रहा। इस लम्बे कालखंड ने देशवासियों के दिल में आज़ादी की ललक पैदा कर दी। हर कोई कुछ-न-कुछ करने के लिये प्रतिबद्ध हो गया। पीढ़ियाँ बदलती गईं, लेकिन संकल्प में कोई कमी नहीं आई। लोग आते गए, जुड़ते गए, जाते गए, नये आते गए, नये जुड़ते गए और अंग्रेज़ सल्तनत को उखाड़ करके फेंकने के लिये देश हर पल प्रयास करता रहा। 1857 से 1942 तक के इस परिश्रम ने, इस आन्दोलन ने एक ऐसी स्थिति पैदा की कि 1942 इसकी चरम सीमा पर पहुँचा और ‘भारत छोड़ो’ का ऐसा बिगुल बजा कि 5 वर्ष के भीतर-भीतर 1947 में अंग्रेज़ों को जाना पड़ा। 1857 से 1942 – आज़ादी की वो ललक जन-जन तक पहुँची। और 1942 से 1947 – पाँच साल, एक ऐसा जन-मन बन गया, संकल्प से सिद्धि के पाँच निर्णायक वर्ष के रूप में सफलता के साथ देश को आज़ादी देने का कारण बन गए। ये पाँच वर्ष निर्णायक वर्ष थे। + +अब मैं आपको इस गणित के साथ जोड़ना चाहता हूँ। 1947 में हम आज़ाद हुए। आज 2017 है। क़रीब 70 साल हो गए। सरकारें आईं-गईं। व्यवस्थायें बनीं, बदलीं, पनपीं, बढ़ीं। देश को समस्याओं से मुक्त कराने के लिये हर किसी ने अपने-अपने तरीक़े से प्रयास किए। देश में रोज़गार बढ़ाने के लिये, ग़रीबी हटाने के लिये, विकास करने के लिये प्रयास हुए। अपने-अपने तरीक़े से परिश्रम भी हुआ। सफलतायें भी मिलीं। अपेक्षायें भी जगीं। जैसे 1942 to 1947 संकल्प से सिद्धि के एक निर्णायक पाँच वर्ष थे। मैं देख रहा हूँ कि 2017 से 2022 – संकल्प से सिद्धि के और एक पांच साल का तबका हमारे सामने आया है। इस 2017 के 15 अगस्त को हम संकल्प पर्व के रूप में मनाएँ और 2022 में आज़ादी के जब 75 साल होंगे, तब हम उस संकल्प को सिद्धि में परिणत करके ही रहेंगे। अगर सवा-सौ करोड़ देशवासी 9 अगस्त, क्रांति दिवस को याद करके, इस 15 अगस्त को हर भारतवासी संकल्प करे, व्यक्ति के रूप में, नागरिक के रूप में – मैं देश के लिए इतना करके रहूँगा, परिवार के रूप में ये करूँगा, समाज के रूप में ये करूँगा, गाँव और शहर के रूप में ये करूँगा, सरकारी विभाग के रूप में ये करूँगा, सरकार के नाते ये करूँगा। करोड़ों-करोड़ों संकल्प हों। करोड़ों-करोड़ों संकल्प को परिपूर्ण करने के प्रयास हों। तो जैसे 1942 to 1947 पाँच साल देश को आज़ादी के लिए निर्णायक बन गए, ये पांच साल 2017 से 2022 के, भारत के भविष्य के लिए भी निर्णायक बन सकते हैं और बनाने हैं। पांच साल बाद देश की आज़ादी के 75 साल मनाएंगे। तब हम सब लोगों को दृढ़ संकल्प लेना है आज। 2017 हमारा संकल्प का वर्ष बनाना है। यही अगस्त मास संकल्प के साथ हमें जुड़ना है और हमें संकल्प करना है। गंदगी – भारत छोड़ो, ग़रीबी – भारत छोड़ो, भ्रष्टाचार – भारत छोड़ो, आतंकवाद – भारत छोड़ो, जातिवाद – भारत छोड़ो, सम्प्रदायवाद – भारत छोड़ो। आज आवश्यकता ‘करेंगे या मरेंगे’ की नहीं, बल्कि नये भारत के संकल्प के साथ जुड़ने की है, जुटने की है, जी-जान से सफलता पाने के लिये पुरुषार्थ करने की है। संकल्प को लेकर के जीना है, जूझना है। आइए, इस अगस्त महीने में 9 अगस्त से संकल्प से सिद्धि का एक महाभियान चलाएं। प्रत्येक भारतवासी, सामाजिक संस्थायें, स्थानीय निकाय की इकाइयाँ, स्कूल, कॉलेज, अलग-अलग संगठन – हर एक New India के लिए कुछ-न-कुछ संकल्प लें। एक ऐसा संकल्प, जिसे अगले 5 वर्षों में हम सिद्ध कर के दिखाएँगे। युवा संगठन, छात्र संगठन, NGO आदि सामूहिक चर्चा का आयोजन कर सकते हैं। नये-नये idea उजागर कर सकते हैं। एक राष्ट्र के रूप में हमें कहाँ पहुंचना है? एक व्यक्ति के नाते उसमें मेरा क्या योगदान हो सकता है? आइए, इस संकल्प के पर्व पर हम जुड़ें। + diff --git a/pm-speech/722.txt b/pm-speech/722.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..e3dc118e639d28ced0e9b47f6cc5378762da52f0 --- /dev/null +++ b/pm-speech/722.txt @@ -0,0 +1,8 @@ +आज का कार्यक्रम एक प्रकार से पंचामृत है। रेल, रोड, धरती, समंदर और Abdul Kalam जी का स्‍मारक। ऐसे पांच कार्यक्रम एक साथ आज अब्‍दुल कलाम जी की पुण्‍यतिथि पर मुझे करने का सौभाग्‍य मिला है। आज समंदर में हमारे मछुआरे छोटे-छोटे नाव ले करके जाते हैं। पता तक नहीं रहता है कि हिन्‍दुस्‍तान की सीमा में हैं या किसी दूसरे की सीमा में चले गए। और अनेक कठिनाइयां भुगतनी पड़ती हैं। प्रधानमंत्री Blue Revolution Scheme हमने शुरू की है। उस स्‍कीम के तहत हमारे मुछआरा भाइयों-बहनों को सरकार की तरफ से loan मिलेगा, grant मिलेगी, subsidy मिलेगी। और उनको बड़े अच्‍छे Trawler मिले हैं ताकि वो Deep Sea में fishing के लिए जा सकें तो आज उसका भी यहां प्रारंभ हुआ है और कुछ मछुआरा भाइयों को उसका cheque देने का भी मुझे सौभाग्‍य मिला है। + +रामेश्‍वरम की धरती प्रभु रामचंद्र जी के साथ भी जुड़ी हई है। और आज मुझे खुशी है कि प्रभु रामचंद्र जी से जुड़ी हुई रामेश्‍वरम की धरती को प्रभु राम का जन्‍म स्‍थान अयोध्‍या की धरती के साथ जोड़ने वाली एक Railway Train श्रद्धा सेतु के नाम से Rameswaram to Ayodhya, आज उस रेल का भी लोकार्पण करने का मुझे अवसर मिला है। उसी प्रकार से धनुषकोड़ी तक का जो रास्‍ता, जो लोग रामसेतु देखने जाना चाहते हैं, जो समुद्री मार्ग से आगे बढ़ना चाहते हैं, वो एक महत्‍वपूर्ण रोड का काम, उसको भी पूर्ण कर दिया और वो भी आज मुझे देशवासियों को समर्पित करने का मौका मिला है। रेल का समर्पित, रोड का भी समर्पण। और आज यही रामेश्‍वरम की धरती है, जहां 1897 में स्‍वामी विवेकानंद जी ने यहां पर विदेश में दिग्विजय कर-करके, विश्‍व में भारत का नाम रोशन करके इस धरती पर अपने पैर रखे थे। वो स्‍वामी विवेकानंद जी जहां कन्‍याकमारी, यहां पास में ही विवेकानंद जी का स्‍मारक बना है। उस विवेकानंद केन्‍द्र यहां की District Collectorate, कुछ NGO’s, इन्‍होंने मिल करके रामेश्‍वरम को Green बनाने का जो बीड़ा उठाया है, और ये भी एक प्रकार से रामेश्‍वरम के भविष्‍य के लिए उत्‍तम काम करने वाले उन सभी संगठनों को, विशेष करके विवेकानंद केंद्र को हृदय से मैं बधाई देता हूं। + +भारत का विशाल समुद्र और साढ़े सात हजार किलोमीटर (सात हजार पांच सौ) सात हजार पांच सौ किलोमीटर लम्‍बी समुद्री सीमा बड़ी निवेश की संभानाओं से भरे हुए हैं। इसी को ध्‍यान में रखते हुए केन्‍द्र सरकार सागरमाला कार्यक्रम भी चला रही है। इसका मकसद भारत की तटरेखा का पूरा लाभ उठा करके भारत के logistic क्षेत्र में बहुत बड़ा परिवर्तन लाना है। सागरमाला कार्यक्रम में आयात-निर्यात और व्‍यापार की logistic लागत को कम करना, उस दिशा में हम प्रयास कर रहे हैं। इस कार्यक्रम से देश के समुद्री तटों पर रहने वाले लोगों की जिंदगी में बहुत बड़ा बदलाव लाने का हमारा प्रयास है। + +और जब मैं आज रामेश्‍वरम की धरती पर हूं, रामेश्‍वरम के इंसान तो बहुत कुछ करते हैं, लेकिन रामायण हमें इस बात को कहती है कि यहां की छोटी-सी गिलहरी, इसी रामेश्‍वरम की छोटी-सी गिलहरी भी किस प्रकार से राम-सेतु बनाने के काम आई थी। उसी प्रकार से और वो गिलहरी तो रामेश्‍वरम की थी, और इसलिए The squirrel can inspire us all .If 125 crore Indians take just one step each, India will march 125 crore steps ahead. + diff --git a/pm-speech/724.txt b/pm-speech/724.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..60cca3ae93ddef1cf4c89aa6ee1932191be8cc0f --- /dev/null +++ b/pm-speech/724.txt @@ -0,0 +1,24 @@ +भारत की स्‍वतंत्रता के 70 साल बाद भारत का कोई प्रधानमंत्री आज इस्राइल की धरती पर आप सबसे आर्शीवाद ले रहा है। इस अवसर पर इस्राइल के प्रधानमंत्री मेरे दोस्‍त बेंजामिन नेतन्‍याहू यहां उपस्थित हैं। इस्राइल आने के बाद जिस तरह वो मेरे साथ रहें हैं, जैसा सम्‍मान उन्‍होंने दिया है वो भारत के सवा सौ करोड़ लोगो का सम्‍मान है। ऐसे सम्‍मान को, ऐसे प्‍यार को, ऐसे अपनेपन को कभी भी दुनिया में कोई भुला सकता है? हम दोनों में एक विशेष समानता यह भी है कि हम दोनों ही अपने-अपने देशों की स्‍वतंत्रता के बाद पैदा हुए हैं यानि बेंजामिन स्‍वतंत्र इस्रराइल में जन्‍मे और मैं स्‍वतंत्र भारत में जन्‍मा। प्रधानमंत्री नेतन्‍याहू की एक रूचि हर भारतीय के दिल को छू जाने वाली है और वो है भारतीय भोजन के प्रति उनका प्‍यार। कल रात्रि भोज पर उन्‍होंने भारतीय भोजन के साथ जो मेरी आव-भगत की मैं उसे सदैव याद रखूंगा। + +इस्राइल की वीर भूमि कई वीर सपूतों तथा उनके बलिदान से सिंचित हुई है। यहां इस कार्यक्रम में मौजूद कई ऐसे परिवार होंगे जिनके पास इस संघर्ष की बलिदान की अपनी-अपनी गाथाएं होंगी। मैं इस्राइल की शौर्यता को प्रणाम करता हूं। उनका ये शौर्य इस्राइल के विकास का आधार रहा है। किसी भी देश का विकास उसका आकार.. साइज नहीं उसके नागरिकों का spirit खुद पर भरोसा तय करता है। संख्‍या और आकार उतना मायने नहीं रखता ये इस्राइल ने करके दिखाया है, साबित किया है। इस अवसर पर मैं second lieutenant Elise Aston को भी श्रंद्धाजलि देता हूं जिन्‍हें इस्राइल सरकार ने राष्‍ट्र निर्माण में उनके योगदान के लिए certificate for gallantry से सम्‍मानित किया था। Elise Aston को The Indian के नाम से भी जाना जाता है। ब्रिटिश काल के दौरान उन्‍होंने मराठा light infantry में काम किया था। प्रथम विश्‍व युद्ध के दौरान इस्राइल शहर Haifa को आजाद कराने में भी भारतीय सैनिकों की अहम भूमिका रही है। और ये मेरा सौभाग्‍य है कि मैं कल उन वीर शहीदों को श्रंद्धाजलि देने के लिए Haifa जा रहा हूं। + +कल रात को मेरे मित्र प्रधानमंत्री नेतन्‍याहू के यहां खाने पर गया था, बड़ा पारिवारिक वातावरण था, हम गप्‍पे मार रहे थे। सुबह ढाई बजे तक हम बाते करते रहे Indian time से और निकलते समय उन्‍होंने मुझे एक तस्‍वीर भेंट की और जिस तस्‍वीर में प्रथम विश्‍व युद्ध के दौरान भारतीय सैनिकों द्वारा Jerusalem को liberate कराने का एक बहुत ही ह्दयस्‍पर्शी दृश्‍य, एक तस्‍वीर उन्‍होंने मुझे दी। साथियों, वीरता की इस कड़ी में भी मैं भारतीय सेना के lieutenant J.F.R. Jacob का भी विशेष तौर पर जिक्र करना चाहता हूं। उनके पुरखे बगदाद से भारत आए थे। 1971 में जब बंग्‍लादेश उस समय के पाकिस्‍तान से अपनी स्‍वतंत्रता के लिए संघर्ष कर रहा था तो lieutenant J.F.R. Jacob ने ही भारत की रणनीति तय करने और पाकिस्‍तान के 90 हजार सैनिकों को समर्पण कराने की अहम भूमिका निभाई। साथियों Jews समुदाय के लोग भारत में बहुत कम संख्‍या में रहे हैं लेकिन जिस भी क्षेत्र में रहे हैं उन्‍होंने अपनी उपस्थिति बहुत ही गौरवपूर्ण रूप से अलग से दर्ज कराई है। सिर्फ सेना ही नहीं बल्कि साहित्‍य, संस्‍कृति फिल्‍म Jews समुदाय के लोग अपनी मेहनत के दम पर, अपनी इच्‍छाशक्ति के दम पर आगे बढ़े हैं और एक मुकाम उन्‍होंने हासिल किया है। मैं देख रहा हूं कि आज के इस भव्‍य कार्यक्रम में इस्राइल के अलग-अलग शहरों के मेयर भी आए हैं। भारत और भारतीय समुदाय के प्रति उनका स्‍नेह, उन्‍हें यहां इस कार्यक्रम में शरीक होने के लिए खींच लाया है। मुझे याद आता है कि भारत की आर्थिक राजधानी कही जाने वाली मुंबई में भी Jews समुदाय के एक मेयर रह चुके हैं। ये लगभग 80 साल पहले की बात है। जब मुंबई को बोम्‍बे कहा जाता था। उस समय 1938 में Elijah Moses ने बोम्‍बे के मेयर के तौर पर गौरवपूर्ण जिम्‍मेवारी निभाई थी। + +मुझे ये जानकर बहुत खुशी हुई कि इस्राइल में मराठी भाषा की एक पत्रिका My B oli का लगातार प्रकाशन किया जाता है। My Boli.. इसी तरह कोचीन से आए हुए Jews समुदाय के लोग ओनम भी बहुत ही धूमधाम से मनाते हैं। बगदाद से भारत में आकर के रहे और यहां आकर बसे बगदादी Jews समुदाय के लोगो के प्रयासों का ही नतीजा था कि पिछले वर्ष बगदादी Jews पर पहला International Symposium आयोजित हो सका है। भारत से आए जुईस समुदाय ने इस्राइल के विकास में अहम भूमिका निभाई है। इसका बड़ा उदाहरण है Moshav Nevatim जब इस्राइल के पहले प्रधानमंत्री David Ben Gurion ने रेगिस्‍तान को हरा-भरा करने का सपना देखा तो भारत से आए हुए मेरे Jews भाई-बहनों ने भी उस सपने को पूरा करने के लिए दिन-रात खपा दिए थे। Jews समुदाय के लोगों ने make the desert bloom के vision को साकार करने में मदद की। भारत और इस्राइल की धरती पर किए गए इन अथक प्रयासों की वजह से आज हर हिन्‍दुस्‍तानी आप सबके ऊपर गर्व कर रहा है। मुझे आप पर गर्व हो रहा है। साथियों Moshav Nevatim के अलावा भी भारतीय समुदाय ने इस्राइल के कृषि विकास में अपना योगदान दिया है। यहां इस कार्यक्रम में आने से पहले मेरी इस्रासइल के प्रसिद्ध Bezalel Eliahu से मुलाकात हुई| Bezalel Eliahu, उनको 2005 में प्रवासी भारतीय ग्रुप में सम्‍मान से नवाजा गया था। ये सम्‍मान पाने वाले ये पहले इस्राइली थे। कृषि के अलावा भारतीय समुदाय ने यहां health sector में भी अपनी छाप छोड़ी है। इस्राइल के डॉक्‍टर लाइल बिष्‍ट और वह मेरे home state से गुजरात से हैं और जो लोग अहमदाबाद से परिचित हैं उन्‍होंने मणिनगर में West Height school का नाम सुना होगा। इसी वर्ष प्रवासी भारतीय award से उनको सम्‍मानित किया गया है। डॉक्‍टर लाइल बिष्‍ट यहां के मशहूर cardio surgeon हैं और उनका पूरा कैरियर मानव सेवा की अनेक कहानियों से जुड़ा हुआ है। मुझे मैंने मीनासे समुदाय की नीना सांता के बारे में पता चला है। नीना बिटिया के पास देखने की शक्ति नहीं है लेकिन इच्‍छाशक्ति तो यही इस्राइल वाली हैं। इस वर्ष इस्राइली स्‍वतंत्रता दिवस के समारोह की शुरूआत नीना सांता ने ही की थी। वो इस समारोह के torch lighters में से एक थी। भविष्‍य में बेटी नीना सांता ऐसे ही आगे बढ़ते रहे। मेरी उसे बहुत-बहुत शुभकामना है बहुत-बहुत आर्शीवाद है। आज इस अवसर पर मैं इस्राइल के पूर्व राष्‍ट्रपति और यहां के महान नेता श्रीमान Shimon Peres को भी श्रंद्धाजलि देना चाहता हूं। मुझे उनसे मिलने का सौभाग्‍य मिला था श्रीमान Shimon Peres न सिर्फ innovation के अग्रदूत थे बल्कि मानवता की बेहतरी के लिए अथक परिश्रम करने वाले statesman भी थे| Israel defence forces में innovation की training बहुत शुरूआती वर्षों में ही मिलने लगती है। Israel defence forces में छोटी-छोटी समस्‍याओं के बहुत creative solution देने का जरिया बना है। Innovation के प्रति इस्राइल की गंभीरता इसी से साबित होती है कि अब तक 12 इजराइलियों को अलग-अलग क्षेत्र में नोबेल पुरस्‍कार मिल चुके हैं। किसी भी राष्‍ट्र के विकास में innovative सोच का ये महत्‍व है ये इस्राइल को देखकर पता चलता है बीते दशकों में इस्राइल ने लगभग हर क्षेत्र में innovation से पूरी दुनिया को चमका दिया है, चौंका दिया है और अपनी धाक जमाने में सफल हुए हैं। जीओ थर्मल पॉवर हो, सोलर पैनल हो, सोलर विंडो हो एग्रोबायो टेक्‍नोलॉजी हो security का क्षेत्र हो, कैमरा की तकनीक हो, कंम्‍पयूटर प्रोसेसर हो ऐसे अनेक क्षेत्रों में अपने-अपने नए-नए innovation से इस्राइल ने दुनिया के बड़े-बड़े देशों को पीछे छोड़ दिया है और ऐसे ही इस्राइल को start-up nation नहीं कहा जाता है, इसके पीछे ये सिद्धि है। भारत आज दुनिया की सबसे तेज गति से विकसित होती अर्थव्‍यवस्‍थाओं में से एक है। मेरी सरकार का मंत्र हैं Reform, Perform, Transform अभी इसे महीने एक जुलाई से भारत में goods & services tax लागू किया गया है। इससे भारत में one nation one tax one market का एक दशक पुराना जो सपना चल रहा था वो आज साकार हो चुका है और मैं जीएसटी को Good & Simple tax कहता हूं क्‍योंकि इससे पूरे भारत में अब एक चीज पर एक ही प्रकार टैक्‍स लगेगा वरना इससे हमारे देश में एक तरह से सभी प्रकार के टैक्‍स अगर जोड़ दिए जाएं तो 500 से ज्‍यादा टैक्‍स स्ट्रीम चल रहे थे। टैक्‍स का system उलझा हुआ था कि एक महीने का एक लाख रूपये का कारोबार करने वाले व्‍यापारी से लेकर एक लाख करोड़ रूपये का कारोबार करने वाली कंपनी तक हर कोई परेशान था। जीएसटी से भारत का आर्थिक एकीकरण हुआ है। जैसे सरदार पटेल ने राज्‍य रजवाड़ों को मिलाकर करके राजकीय एकीकरण किया था। 2017 में आर्थिक एकीकरण का अभियान सफल हुआ है। + +प्राकृतिक संसाधन जैसे कोल स्‍पैक्‍ट्रम इसकी नी‍लामी.. मैं पुरानी बातें याद कराना नहीं चाहता हूं। कोयले के विषय में क्‍या-क्‍या सुना है, स्‍पैक्‍ट्रम विषय में क्‍या-क्‍या सुना है लेकिन ये सरकार है जिसने computerise system से उसकी नीलामी की पारदर्शी प्रक्रिया से की और आज लाखों करोड़ों का कारोबार करने के बाद भी कहीं कोई सवालिया निशान नहीं लगा है। हमनें अर्थव्‍यवस्‍था में systematic reform का भी प्रयास किया है। Defence sector में reform के बाद भी कई वर्षों से हम सुनते आए थे। भारत में ह‍र कोई मानता था कि ये संभव नहीं है लेकिन तीन साल के भीतर-भीतर Defence sector में भी reform किया और क्षेत्रों में hundred प्रतिशत तक सौ प्रतिशत तक विदेशी निवेश Foreign Direct Investment का प्रावधान कर दिया गया है। अब इस्राइल की कोई Defence Industry वाले लोग भारत में आकर के अपना नसीब आजमा सकते हैं अब Defence Manufacturing में private companies को एक strategic partner के तौर पर जोड़ने का भी हमने विधिवत निर्णय कर लिया है। पिछले तीन वर्षों में अनेक महत्‍वपूर्ण फैसले किए गए हैं हमारे देश में construction के क्षेत्र में middle class के व्‍यक्ति मकान बनाएं और बाद में शिकायत रहती थी। हमनें कानून बना कर बहुत बढ़ा reform किया है। हमनें Construction Sector में भी hundred percent Foreign Direct Investment को मंजूरी दे दी है। Real Estate Regulator का भी हमने अलग से निर्माण कर दिया है। Real Estate Sector को सरकार ने industry का दर्जा दिया है ताकि इस सेक्‍टर की कंपनियों को भी कम ब्‍याज पर कर्ज मिल सके और जो मेरा सपना है कि 2022…..2022 हमें भूलना नहीं चाहिए, 2022 हिन्‍दुस्‍तान की आजादी के 75 साल हो रहे हैं। आजादी के लिए मर मिटने वाले लोगों ने आजादी के लिए भारत आजाद भारत में जो सपने देखे थे उन सपनों का पुन: स्‍मरण करके नए संकल्‍प लेकर के 2022 तक हिन्‍दुस्‍तान को नई ऊंचाइयों पर ले जाना है। उसमें हमने एक निर्णय किया है। 2022 तक हिन्‍दुस्‍तान के हर गरीब को जिसके पास अपना घर नहीं है हिन्‍दुस्‍तान में 2022 तक हर परिवार को उसका अपना घर हो, घर में बिजली हो, पानी हो ये सपना पूरा करने के लिए हमने real estate को भी construction के काम को भी infrastructure का दर्जा देकर के अनेक सहूलियत पैदा की है। ताकि गरीब का घर बन सके। बीमा योजना सरकारी कंपनियां Insurance कंपनी चलाती थी हमने उसमें private कंपनियों का competition लाएं हैं। स्‍पर्धा का माहौल बनाया है ताकि समान्‍य मानवीय को affordable insurance की व्‍यवस्‍था का लाभ मिले Insurance Reform में विदेशी निवेश को 26 प्रतिशत से बढ़ाकर के 49 प्रतिशत करने का फैसला भी हमारी सरकार ने लिया है। देश का बैंकिग sector हमनें बैंकों को merge करने की दिशा में अहम कदम उठाए हैं। Banking System को भी मजबूत करने पर सरकार ने विशेष बल दिया है। Banking Sector में appointment के लिए हमने अलग बैंक के Recruitment Board बना दिया है स्‍वंतत्र संस्‍था उनको recruit कर रही है। Political Internal Influence हमने खत्‍म कर दिया है + +एक समय था जब भारत में Environment Clearance लेना है कोई Industry डालनी है, तो कम से कम 600 दिन लग जाते थे। कम से कम। आज हमने उसको घटा कर के 6 महीने के भीतर-भीतर Environment Clearance देने की सारा प्रबंध कर दिया है। आने वाले दिनों में इसी तरह जहां 2014 से पहले एक कंपनी को Incorporate करने में 15 दिन, महीना, दो महीना, तीन महीना लगते थे, आज दो या तीन हफ्ते के भीतर-भीतर और अब तो Latest जो स्थिति है Incorporate करने के लिये 24 घंटे के भीतर-भीतर यानी उसका काम 24 घंटे में हो जाए ये व्यवस्था करने में सरकार सफल हुई है। अगर कोई छोटा सा नौजवान Start-up से अपना कारोबार शुरुआत करना चाहता है, तो सिर्फ एक दिन के अंदर उसकी कंपनी Registered करा सकता है। + +दूसरे विश्वयुद्ध में अपना सब कुछ गंवाने वाले देश अपने पैरों पर इसलिये खड़े हो पाए, क्योंकि उन्होंने अपने देश के युवाओं के Skill Development पर ध्यान दिया। अब ये सुनहरा मौका दुनिया के सबसे नौजवान देश भारत के पास है। आज हिन्दुस्तान नौजवान है। 65 प्रतिशत जनसंख्या हिन्दुस्तान की 35 साल से कम उम्र की है। जिस देश के अंदर इतनी बड़ी तादाद में नौजवान हो, उस देश के सपने भी जवान हुआ करते हैं। उसके संकल्प भी जवान हुआ करते हैं और उसके प्रयास भी ऊर्जा से भरे हुए होते हैं। और भारत में Skill Development को बल देते हुए कौशल विकास मंत्रालय Skill Development Ministry पहली बार देश में अलग बना दी गई। और पहले कभी 21 अलग अलग विभागों में, मंत्रालयों में, 50-55 विभागों में ये कौशल विकास की अलग – अलग बिखरी हुई व्यवस्थाएं चलती थीं। इस सरकार ने कौशल विकास के अलग – अलग कार्यक्रमों को एक मंत्रालय बनाकर के एक मंच लाकर के एक Holistic Approach के साथ Comprehensive Focus Activity के रूप में Skill Development को बल दिया। देश भर में 600 से ज्यादा करीब – करीब हर district में एक कौशल विकास केन्द्र खोले जा रहे हैं। Indian Institute of Skill की एक नई कल्पना के साथ स्थापना की गई। भारतीय नौजवानों को अंतर्राष्ट्रीय प्रशिक्षण देने का मकसद उनका Level Global Bench Mark हो। 50 India International Skill Centre का नेटवर्क ये सरकार तैयार कर रही है। इन संस्थानों में अंतर्राष्ट्रीय बैंच मार्कों को ध्यान में रखते हुए Skill की Training दी जा रही है। युवाओं के लिये बहुत जरूरी है कि उन्हें उद्योग की वर्तमान जरूरत के हिसाब से ट्रेनिंग मिले। इसलिये सरकार ने National Apprenticeship Promotional Scheme शुरू की है। इसके तहत सरकार का लक्ष्य 50 लाख नौजवानों को Apprenticeship की Training देने का है। इस योजना पर सरकार लगभग 10 हजार करोड़ रुपये खर्च कर रही है। इस स्कीम का मकसद Apprenticeship करने वाले युवाओं की संख्या बढ़ाने के साथ ही साथ उन गांव वालों और उन कंपनियों को भी प्रोत्साहित करना है, जो ऐसे नौजवानों को Apprenticeship के लिये अपने यहां रखते हैं। इसलिये सरकार Employer को भी आर्थिक मदद दे रही है। पहली बार नौकरियों को टैक्स इंसेन्टिव के साथ जोड़ दिया गया है। नयी नौकरियों को मौका बनाने वाले Employer को टैक्स में छूट देने का प्रावधान किया गया है। युवा पीढ़ी में Innovation को बढ़ावा देने के लिये अटल Innovation Mission AIM शुरू किया गया है। देश के स्कूलों में कॉलेजों में Innovation और Entrepreneurship को Eco System बनाने के बाद जोर लगाया जा रहा है। इस बात को मानना होगा कि इज़रायल आज यहां पहुंचा है, उसमें Innovation का बहुत बड़ा योगदान है। जहां Innovation बंद हो जाता है। वहां जिन्दगी का रास्ता भी अटक जाता है। Manufacturing, Transport, Energy, Agriculture, Bolter, Sanitation जैसे अनेक सैक्टरों में Innovation Entrepreneurship को बढ़ावा देने के लिये अटल Incubation Centres की भी स्थापना की गई है उसको खोला जा रहा है। ये नये स्टार्टअप को आर्थिक मदद भी देंगे और सही रास्ता भी दिखाने का काम करेंगे। ये युवा अपना रोजगार खुद कर सके, इसलिये सरकार ने मुद्रा योजना भी शुरुआत की है। कोई भी बैंक गारंटी की बजाय स्वरोजगार के लिये बैंको से राशि लेने के लिये उनको कर्ज देने का बड़ा काम पिछले तीन वर्ष में 8 करोड़ से ज्यादा खाताधारकों को तीन लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज Without Guarantee दिया गया है। + +दोस्तों Labour Reforms को भी कभी कभार दुनिया में Reforms Labour के साथ जोड़ा जाता है। बड़ी – बड़ी बातें बहुत होती है। लेकिन इस सरकार ने मजदूरों के हित में भी और विकास की यात्रा को बल देने वाले एक Holistic Approach के साथ Labour में भी Reforms किया है। और इसलिये कारोबार बढ़ाने में दिक्कत न हो, Employer, Employee और Experience तीनों के लिये एक Holistic Approach लेकर हम काम कर रहे हैं। कुछ महीना पहले सरकार ने बड़ा बदलाव करते हुए तय किया कि व्यापारियों को Labour Law के तहत 56 रजिस्टर रखने पड़ते थे। हमने Reform करके 56 पर से 5 पर ले आए। अब सिर्फ पाँच रजिस्टरों से 9 श्रम कानूनों की आवश्यकता की पूर्ती हो रही है। + +श्रमिकों ने इसलिये छोड़ दिये थे, कौन इसके लिये सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटता रहे, ये पैसा भारत के गरीब श्रमिकों का था। इसलिये सरकार ने यूनिवर्सल अकाउंट नंबर भी दिये हैं। एक तौर पर यूनिवर्सल अकाउंट नंबर आपको हैरानी होगी, छोटे-छोटे मजदूर कारखानों में काम करते थे। एक जगह से दूसरी जगह पर जाते थे। और अपने जो पैसे EPF के जमा होते थे, वहां छोड़ देते थे। 27 हजार करोड़ रुपया बिना कोई लेना देना पड़े रहे थे सरकार के पास। हमनें ये नई व्यवस्था की अब मजदूर कहीं पर भी जाएगा, तो उसका अकाउंट उसके साथ-साथ Move करेगा। और उसके पैसे उसके बाद मिल जाएंगे। + +इस समय भारत में सबसे ज्यादा रिकॉर्ड विदेशी निवेश हो रहा है। Highest Foreign Direct Investment …विदेश में रह रहे भारतीय भी बहुत बड़ी मात्रा में धन भारत भेज रहे हैं। अलग – अलग देशों की रैंकिंग करने वाली एजंसियां और संस्थाएं चकित हैं, मेक इन इंडिया एक ऐसा Brand बना है, जिससे पूरी दुनिया अचंभित हो गई है। आज Digital मोर्चे पर भी भारत World Leader के रूप में उभर रहा है। भारत World Digital Revolution का Hub बन रहा है। साथियों Reform का मतलब सिर्फ नये कानून बनाना इतना ही नहीं है। देश के विकास में आड़े आ रहे कानूनों में बदलाव करना और जिन कानूनों की आवश्यकता नहीं रह गई है उन्हें खत्म करना भी Reform का हिस्सा है। पिछले तीन वर्षों में देश में 1200 पूराने कानून खत्म कर दिये गए हैं। 40 और कानून खत्म करने की दिशा में भी हम आगे बढ़ रहे हैं। + +दोस्तों भारत का किसान मिट्टी से सोना पैदा करने की ताकत रखता है। किसानों की मेहनत का ही नतीजा है कि इस वर्ष देश में अन्न का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है। आजाद हिन्दुस्तान का सबसे ज्यादा अन्न उत्पादन का रिकॉर्ड का अनुमान इस वर्ष है। मानसून के साथ और केन्द्र सरकार की किसान नीतियों के कारण ये संभव हुआ है। ये सरकार 2022 तक किसानों की आमदनी डबल करने के मकसद से काम कर रही है। नीतियां बना रही है। बीज से लेकर के बाजार तक किसान की हर मुश्किल का ध्यान रखा जा रहा है। हर खेत को पानी पहुंचाने के लिये प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना चलाई जा रही है। लंबे वर्षों से अटकी हुई करीब 100 यानि कि 99 बड़ी सिंचाई परियोजनाओं का चयन करके उन्हें तय समय में पूरा करने के लिये बहुत बड़ी धनराशि लगाई जा रही है। उसको अलग से मोनिटरिंग की व्यवस्था की है। Satellite Technology Space Technology का उपयोग किया जा रहा है। Drone का इस्तेमाल किया जा रहा है। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई परियोजना का परिणाम यह कि कृषि योग्य जमीन को माइक्रो इरिगेशन के दायरे में लाने की रफ्तार अब लगभग दो गुणी हो चुकी है। किसानों को अच्छी क्वालीटी के बीज मिले, उन्हें मिट्टी की सेहत के बारे में पता हो इसके लिये भी काम किया जा रहा है। अब तक देश के 8 करोड़ से ज्यादा किसानों को Soil Health Card दिया जा चुका है। Soil Health Card का असर फसल के उत्पाद पर भी देखा जा रहा है। इसी तरह यूरिया की 100 प्रतिशत नीम कोटिंग से यूरिया की एफिसियंसी बढ़ी है। अनाज की पैदावार बढ़ी है और किसानों की लागत कम हुई है। किसानों को अपनी फसल बेचने में दिक्कत न हो इसके लिये Electronic National Agriculture Market यानि ई-नाम योजना तेजी से काम हो रहा है। एक राष्ट्रीय ऑनलाइन बाजार बनाया गया है। जब देश के 450 से ज्यादा कृषि मंडियां उसके साथ जुड़ चुकी हैं। सरकार खेती में किसानों का जोखिम कम करने और उतनी ही आसानी से किसानों को कर्ज देने पर भी काम कर रही है। मौसम की मार की वजह से किसानों पर आफत न आए इसलिये प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लागू की गई है। इस योजना के तहत सरकार ने Risk Amount बढ़ाया है और Premium कम किया है। खेती से जुड़े हर उस सैक्टर पर सरकार ध्यान दे रही है, जिससे उनकी आमदनी बढ़ सके। + +इजराइल-भारत Technology के क्षेत्र में कंधे से कंधा मिलाकर चल सकते हैं। Agriculture Sector में इजराइल का साथ भारत में दूसरी हरित क्रांति में मदद कर सकता है। इसी तरह Defence ..Space Technology में भी भारत और इजराइल के संबंध बढ़ने से दोनों देशों का बहुत ही फायदा होगा। इसलिये आवश्यकता है कि दोनों देश सैकड़ों वर्षों की आत्मता और 21वीं सदी की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए एक साथ आगे बढ़ें। यहां इजराइल में लगभग 600 भारतीय छात्र अलग अलग विषय की पढ़ाई कर रहे हैं। इनमें से कुछ यहां इस कार्यक्रम में उपस्थित भी हैं। + diff --git a/pm-speech/725.txt b/pm-speech/725.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..4e3974d14a1ea11980d6f46b461463d9c5838565 --- /dev/null +++ b/pm-speech/725.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +हमारे नागरिकों में एक दूसरे के प्रति बंधुत्‍व और सौहार्द का रिश्‍ता है। भारतीय मूल के यहूदी समुदाय हमें ऐसे रिश्‍तों की याद दिलाता है। यह हमारे साझा भविष्‍य का एक पुल भी है। हाल ही के वर्षों में, हमने देखा कि इजराइली पर्यटक बड़ी संख्‍या में भारत आ रहे हैं। दूसरी ओर, भारत के अनेक छात्र आपके सर्वश्रेष्‍ठ विश्‍वविद्यालयों में उच्‍च शैक्षणिक और अनुसंधानिक शिक्षा ग्रहण करने का विकल्‍प चुन रहे हैं। + diff --git a/pm-speech/728.txt b/pm-speech/728.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..d7230af93ef3d951935c7b6418a992fcc25ca498 --- /dev/null +++ b/pm-speech/728.txt @@ -0,0 +1,18 @@ +श्रीमान निलेश विक्रमसे, अध्यक्ष Institute of Chartered Accountant of India (ICAI) के सभी पदाधिकारी, वित्तमंत्री श्री अरुण जेटली जी, केन्द्र सरकार में मंत्री परिषद के मेरे सभी साथी बंधु यहां और देश भर में करीब करीब 200 स्थान पर उपस्थित Chartered Accountant Field के सभी महानुभाव , राज्यों में उपस्थित सभी आदरणीय मुख्यमंत्री, आप सबको दिल्ली में बारिश के बीच भी ये उमंग और उत्साह के साथ आप सबको मेरी तरफ से नमस्कार। + +आपके Dynamic Course और Exam की Credibility की पहचान यही है। मुझे उम्मीद है कि नया Course इस Profession में आने वाले नए लोगों की Financial Skills को और मजबूत करेगा। और हमें अब हमारे Institutions और Human Recourse Development में जो Global BenchMark है Global Requirement हैं उसके अनुरूप हमारे Human Resource develop करने की दिशा में हमें लगातार Dynamic व्यवस्थाओं को विकसित करना होगा। हमारे Courses में Accountant Field की Technological चीजों को किस प्रकार से लाएं, हमारे कुछ Charted Neutral Firms, Technology में क्या Innovation करें, Accountant Filled Innovation. नए- नए Software वो भी अपने आप में एक बहुत बड़ा market आपका इंतजार कर रहा है। + +हमारे शास्त्रों में चार पुरुषार्थ बताए गए हैं। हमारे शास्त्रों में चार पुरुषार्थ की चर्चा की गई है। धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष! आपने कभी सोचा है क्या जिस प्रकार से धर्म और मोक्ष की चर्चा करें तो ऋषि मुनि हमको दिखते हैं। उसी की बराबरी में अर्थजगत का कारोबार भी आपके हाथ में है। उसकी बराबरी में है। और इसलिये अगर आपको मैं अर्थजगत का ऋषिमुनि कहूंगा, तो गलत नहीं होगा। जितना महत्व उन ऋषिमुनियों का रहा है जो मोक्ष का मार्ग दिखाते हैं। उतना ही महत्व मानव जीवन में अर्थव्यवस्था में आपके मार्गदर्शन का रहता है। अर्थ का सही आचरण क्या है कौन सा मार्ग सही है। ये दिशा दिखाने का दायित्व Chartered Accountant field के हर छोटे-मोटे व्यक्ति का है। + +ये तीन लाख से कहां बढ़ेगा मैं कह नहीं सकता। और जब उनकी जांच शुरू की तो कुछ चीजें गंभीर रूप में पाई गई है। एक आंकड़ा मैं बता रहा हूं, शायद हिंदुस्तान को इस सरकार की सोच क्या है? राजनेताओं में दम क्या है? उसकी एक पहचान हो जाएगी। एक तरफ पूरी सरकार, पूरा मीडिया, व्यापारी जगत सबका ध्यान तीस तारीख रात को 12 बजे क्या होगा उस पर था। एक जुलाई क्या होगा उस पर था। 48 घंटे पहले एक लाख कंपनियों को कलम के एक झटके से हताहत कर दिया। Registrar of Companies से इनका नाम हटा दिया है। ये मामूली निर्णय नहीं है दोस्तो राजनीति के हिसाब किताब करने वाले ऐसे फैसले नहीं ले सकते हैं| राष्ट्र हित के लिए जीने वाले ही ऐसे फैसले कर सकते हैं। एक लाख कंपनियों को कलम के एक झटके से खत्म करने की ताकत देश भक्ति की प्रेरणा से आ सकती है। जिन्होंने गरीब को लूटा है उन्हें गरीब को लौटाना ही पड़ेगा। + +CA एक ऐसी व्यवस्था है, जिसमें Human Resource Development (HR) का काम आप ही करते हैं Curriculum आप ही बनाते हैं, Exam आप ही Conduct करते हैं, Rules Regulations भी आप ही बनाते हैं और गुनाहगार को सजा भी आप ही की Institution देती है। अब सवाल ये उठता है कि भारत के लोकतंत्र के मंदिर ने, 125 करोड़ देशवासियों की संसद ने आपको इतने अधिकार दिये हैं फिर ऐसा क्या है कि पिछले 11 वर्ष में सिर्फ 25 Charted Accountants के खिलाफ कार्रवाई हुई है। क्या सिर्फ 25 लोगों ने ही गड़बड़ी की होगी? और मैंने सुना है कि आप के यहां 1400 से ज्यादा मामले कई वर्षों से लटके पड़े हुए हैं। एक एक केस का फैसला आने में सालों लग जाते हैं। इतने High Qualify Professionals के लिये मेरे साथियों बताइए ये चिंता का विषय है कि नहीं है? + +साथियों Charted Accountants देश के Economic System के भरोसेमंद ambassador होते हैं। आप सरकार और Tax देने वाले नागरिकों और कंपनियों के बीच Interface का काम करते हैं। आपका Signature देश के प्रधानमंत्री की वो ताकत नहीं है, जो ताकत एक Chartered Accountant के Signature में होती है। आपका Signature सत्यता की भरोसे की गवाही देता है। कंपनी बड़ी हो या छोटी, आप जिस Account पर Signature कर देते हैं, उस पर सरकार भी भरोसा करती है और देश के लोग भी भरोसा करते हैं। और कभी आपने सोचा है कि जिसकी balance-sheet के साथ आपकी सही जुड़ गई है, इस account को उसकी कंपनी के कारोबार को balance-sheet को देख कर के फाइल वहां अटकती नहीं है, दोस्तों। उस Signature के बाद एक नई जिंदगी की शुरुआत होती है, दोस्तों। मैं आज उस नई जिंदगी की आपको दर्शन कराने आया हूं। आपने उस कंपनी के बही पर Signature कर दिया balance-sheet पर signature कर दिया सरकारी अफसरों ने उसको मान लिया। कंपनी फूली फली, आगे बढ़ रही है आप भी फूले फले आगे बढ़ रहे हैं। बात यहां अटकती नहीं है, दोस्तों। जब आप उस कंपनी की बही पर सही करते हैं और जब उस कंपनी का ब्यौरा लोगों के सामने आता है। तब कोई बुजुर्ग Mutual Funds में अपनी पैंशन का पैसा लगा देता है। कोई गरीब विधवा महिला अपनी महीने भर की बचत को शेयर मार्केट में लगा देती है। जब किसी कंपनी की सही रिपोर्ट नहीं दी जाती, तथ्यों को छुपाया जाता है और बाद में जब भेद खुलता है, वास्तव में कंपनी नहीं डूबती, मेरे प्यारे दोस्तों वो गरीब विधवा की जिंदगी डूब जाती है, उस बुजुर्ग की जिंदगी तबाह हो जाती है। उसने तो अपनी जिंदगी भर की कमाई सिर्फ आपके एक sign पर भरोसा करके निवेश किया था। इसलिये मेरी आपसे अपील है। आप सभी से मेरा आग्रह है हिन्दुस्तान के सवा सौ करोड़ देशवासियों का आपके उस Signature पर भरोसा है। उस भरोसे को कभी टूटने मत दीजिये। उसको खरोंच भी मत आने दीजिए। अगर आप अपने मन मंदिर में ये महसूस करते हैं ये भरोसा टूटा है तो इसे फिर से बनाने के लिये आगे आइये पहल कीजिए 2017 जुलाई की पहली तारीख की आपकी स्थापना दिवस आपके लिये नया अवसर लेकर आई है मैं आपको निमंत्रण देता हूं। ईमानदारी के उत्सव में शरीक होने के लिये मैं आपको निमंत्रण देने आया हूं। अपने काम के महत्व को समझिये फिर उसी हिसाब से रास्ते तय करके देखिए। समाज आपको कितने गर्व से देखेगा। आपको खुद इसकी अनुभूति होगी। + +साथियों “Tax Return” शब्द की अलग अलग परिभाषा है। लेकिन मुझे जो लगता है देश को जो Tax मिलता है वो देश के विकास के काम में आता है यही Tax Return है। ये महंगाई को रोकने में अहम भूमिका निभाता है। इससे किसी ऐसी महिला को जिन्हें गैस connection मिलता है। जिसने पूरी जिंदगी लकड़ी पर ही खाना बनाया है। इन्ही पैसों से किसी ऐसे बुजुर्ग को पैंशन मिलती है। जिसके बच्चों ने उसका खर्च उठाने से इंकार कर दिया है। इन्हीं पैसों से नौजवान को स्वरोजगार मिलती है। जो दिन भर इसलिये मजदूरी करता है ताकि evening class में जा सके और अपनी पढ़ाई पूरी कर सके। इन्हीं पैसों से किसी गरीब बीमार को सस्ती दवा मिलती है जिसके पास इलाज के लिये पैसे नहीं है, वो बीमार होने पर छुट्टी नहीं ले सकता, वो बीमारी में भी दिनभर काम करता रहता है ताकि शाम को उसके बच्चों को भूखा सोना न पड़े। + +और मेरे साथियों एक बार आप ठान लेंगे, तो मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं कि Tax चोरी करने की हिम्मत कोई नहीं कर पाएगा। इंसान अपराध तभी करता है जब उसे पता होता है कि कोई उसे बचाने वाला है। साथियों GST आपके सामने राष्ट्र निर्माण में सहयोग का एक माध्यम बनकर आया है। आप लोगों को, आप लोगों तक पहुँचिये लोगों से बात करिये, और मुझे जब मैं आ रहा था तो नीलेश मुझे बता रहे थे कि ताकि व्यापारियों को सहायता हो , उनकी हम समझने में मदद करने वाले हैं। मैं उनको बधाई देता हूं मैं उनका आभार व्यक्त करता हूं। आप लोगों के पास पहुँचिये उनको जागरूक करिए। ईमानदारी की मुख्य धारा में आने के लिये प्रेरित करिए। इसी तरह Chartered Accountant Field के लोगों के लिये एक नई Opportunity सरकार ने दी है। अभी से इसकी तैयारी कीजिये, खास करके मैं इस profession के नौजवानों को आमंत्रित करता हूं, आइए। सरकार ने पिछले दिनों जो कानून पास किये हैं Insolvency और Bankruptcy Code इसको सफल बनाने में सही तरीके से लागू करने में भी Chartered Accountant Field के लोगों की बहुत बड़ी भूमिका है। इस code के तहत जब भी कोई कंपनी दीवालिया होगी तो इसका निंयत्रण Insolvency Practitioner के पास आने वाला है। Chartered Accountant Insolvency Practitioner बनकर एक इस नये क्षेत्र में अपने कैरियर की शुरुआत कर सकता है। ये एक नया रास्ता है जो सरकार ने आपके लिये खोला है। लेकिन आज के बाद आज जो भी रास्ता चुनें उसमें CA का मतलब होना चाहिए Charter और Accuracy, Compliance और Authenticity. + +साथियों एक और मेरे मन में अपेक्षा है आपसे और ये अपेक्षा इसलिये है कि मुझे पूरा विश्वास है कि ये ताकत आप में है। आप में वो सामर्थ है। क्यों आप पीछे हैं मुझे समझ नहीं आता है भई। साथियों दुनिया में चार बड़ी ऐसी बड़ी Audit संस्थाएं हैं जो बेहद प्रतिष्ठित हैं। और बड़ी बड़ी कंपनियां और संस्थाएं अपनी audit का काम देती है। इन कंपनियों को Big Four कहा जाता है। इन Big Four में हम कहीं नहीं हैं। आप में क्षमता भी है योग्यता की कोई कमी नहीं है। क्या मेरे सारे साथी विश्व के अंदर हिन्दुस्तान को अपना नाम रौशन करना है तो, क्या आप उसका लक्ष्य तय कर सकते हैं कि 2022 जब आजादी के 75 साल देश मनाता होगा। Big four को Big Eight में बदल देंगे। और जो Big Eight होंगे उसमें बिग चार big चार यही मेरे सामने जो लोग हैं उन्हीं में से होंगे। दोस्तों ये सपना हम लोगों का हो रहा है। Big Eight में शामिल होने के लिये चार ऐसी हमारी कंपनियां, उनकी प्रतिष्ठा उनकी professionalism मुश्किल काम नहीं है। विश्व के अंदर Chartered Accountant की दुनिया में भी आपका डंका बजना चाहिए, मेरे साथियों। + diff --git a/pm-speech/729.txt b/pm-speech/729.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..d3b052ef1e58f5a4499b42359879326a35c02ba9 --- /dev/null +++ b/pm-speech/729.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +गुजराती यानि School College में पढ़ने जाए तो जेब में 2 Pen लेकर के जाता है और शाम को आते-आते 1 Pen बेचकर के आता है। उसकी रगों में व्यापार होता है। वो कोई भी नई चीज़ लेकर के जाएगा, अपने दोस्तों को दिखाएगा और बेचकर के आएगा। उस गुजरात के अंदर इतनी खेल प्रतिभांए हैं। राष्ट्रीय-अंतराष्ट्रीय खेलों में वो अपना करतब दिखा पा रही है, इससे बड़ा आनंद क्या हो सकता है? 25 साल में गुजरात को 10 गोल्ड मेडल मिले, 25 साल में 10, और यह खेल महाकुंभ का परिणाम है कि 1 साल में गुजरात 10 गोल्ड मेडल लेकर के आ गया। + diff --git a/pm-speech/73.txt b/pm-speech/73.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..f5ab45068944e38e170ef9783776f1958487705e --- /dev/null +++ b/pm-speech/73.txt @@ -0,0 +1,10 @@ +फार्मेसी ऑफ द वर्ल्ड की भूमिका निभाते हुए, भारत ने 150 से ज्यादा देशों को दवाइयां पहुंचाई।इसके साथ-साथ हमने वैक्सीन रिसर्च और मैन्यूफैक्चरिंग बढ़ाने में भी अपनी पूरी ताकत लगा दी। बहुत कम समय में, हम भारत में एक बिलियन से अधिक वैक्सीन डोज लगा चुके हैं। दुनिया की one sixth आबादी में संक्रमण को नियंत्रित करके भारत ने विश्व को भी सुरक्षित करने में अपना योगदान दिया है, और virus के further म्यूटेशन की संभावना को भी कम किया है। + +इस महामारी ने पूरी दुनिया को भरोसेमंद सप्लाई चेन की जरूरत के प्रति सतर्क किया है। इस स्थिति में भारत, एक विश्वसनीय मैन्यूफैक्चरिंग हब के तौर पर उभरा है। इसके लिए भारत ने bold economic reforms को नई गति दी है। हमने cost of doing business को बहुत कम किया है और हर स्तर पर Innovation बढ़ाया है।मैं G-20 देशों को आमंत्रित करता हूँ, कि अपनी इकनोमिक रिकवरी और सप्लाई चेन diversification में भारत को अपना भरोसेमंद पार्टनर बनाएं। + +संभवत: जीवन का कोई पहलू ऐसा नहीं है जिसमें कोविड की वजह से Disruptions ना आए हों। ऐसी विकट परिस्थिति में भी भारत के IT-BPO सेक्टर ने एक सेकेंड की भी रुकावट नहीं आने दी, राउंड-द-क्लॉक काम करके पूरे विश्व को सपोर्ट किया। मुझे खुशी होती है, जब मुलाकातों के दौरान आप जैसे नेता, इसकी प्रशंसा करते हैं कि भारत ने किस तरह एक Trusted Partner की भूमिका निभाई है।ये हमारी युवा पीढ़ी को भी नए उत्साह से भरता है।और ये इसलिए हुआ, क्योंकि भारत ने बिना समय गंवाएं, work-from anywhere से जुड़े अभूतपूर्व Reforms किए। + +ग्लोबल फाइनेंसियल आर्किटेक्चर को अधिक ‘fair बनाने के लिए 15 परसेंट, मिनिमम कोर्पोरेट टैक्स Rate, एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। मैंने खुद 2014 में G-20 की बैठक में इसका सुझाव दिया था। मैं G-20 का आभार व्यक्त करता हूं कि उसने इस दिशा में ठोस प्रगति की है। आर्थिक recovery के लिए अंतर-राष्ट्रीय आवाजाही बढ़ाना आवश्यक है। इसके लिए हमें अलग-अलग देशों के वैक्सीन सर्टिफिकेट्स की परस्पर मान्यता सुनिश्चित करनी ही होगी। + +भारत अपने वैश्विक दायित्वों को लेकर हमेशा गंभीर रहा है। मैं आज जी-20 के इस मंच पर, आप सभी को ये बताना चाहता हूं कि भारत की तैयारी, अगले वर्ष विश्व के लिए 5 billion vaccine doses से भी अधिक के उत्पादन की है। भारत के इस कमिटमेंट से कोरोना के वैश्विक संक्रमण को रोकने में बहुत बड़ी मदद मिलेगी। इसलिए, ये आवश्यक है कि WHO द्वारा भारतीय vaccines को शीघ्र मान्यता दी जाए। + diff --git a/pm-speech/730.txt b/pm-speech/730.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..0c80443b29b9705714d08ff3d39bb951c7573ff5 --- /dev/null +++ b/pm-speech/730.txt @@ -0,0 +1,10 @@ +आज GST Council की 18वीं मीटिंग हुई और थोड़ी देर के बाद GST लागू होगा। ये भी संजोग है कि गीता के भी 18 अध्याय थे और GST Council की भी 18 मीटेंगें हुई और आज हम उस सफलता के साथ हम आगे बढ़ रहे हैं। एक लंबी प्रक्रिया थी, परिश्रम थी, शंकाए, आशंकाए थी, राज्यों के मन में गहरे सवाल थे। लेकिन अथाह पुरूषार्थ, परिश्रम, दिमाग की जितनी भी शक्ति उपयोग में लाई जा सकती है ला कर के इस कार्य को पार किया है। चाणक्य ने कहा था + +और जब इतने सारे Tax, 500, अलग-अलग हिसाब लगाएं 500 Tax। अलबर्ट आइंसटीन प्रखर वैज्ञानिक उन्होंने एक बार बड़ी मज़ेदार बात कही थी। उन्होंने कहा था कि दुनिया में अगर कोई चीज समझना सबसे ज्यादा मुश्किल है तो वो है Income Tax, यह अलबर्ट आइंसटीन ने कहा था। मैं सोच रहा था अगर वो यहां होते तो पता नहीं ये सारे Tax देखकर के क्या कहते, क्या सोचते? और इसलिए, और हमने देखा है कि उत्पाद के अंदर के उत्पादन में तो ज्यादा कोई बहुत असमानता नहीं आती है, लेकिन जब Product बाहर जाता है तो राज्यों के अलग-अलग Tax के कारण असमानता दिखती है। एक ही चीज दिल्ली में एक दाम होगा, 25-30 किलोमीटर गुरूग्राम में दूसरा charge लगेगा और उधर नौएड़ा में गए तो तीसरा होगा। क्यों, क्योंकि हरियाणा का Tax अलग, उत्तरप्रदेश का Tax अलग, दिल्ली का अलग। इन सारी विविधताओं के कारण सामान्य नागरिक के मन में सवाल उठता था कि मैं गुरूग्राम में जाता हूं तो यही चीज मुझे इतने में मिल जाती है, वही चीज नौएड़ा में जाऊं तो इतने में मिलती है और दिल्ली में जाता हूं तो इतने में मिलती है। एक प्रकार से हर किसी के लिए Confusion की स्थिति रहती थी। अब पूंजी निवेश में भी विदेशों के लोगों के लिए यह सवाल रहता था कि भई किस, एक व्यवस्था हम समझते हैं और काम कहीं सोचते हैं, तो दूसरे राज्य में दूसरी व्यवस्था सामने आती है और एक Confusion का माहौल बना रहता था, आज उससे मुक्ति की ओर हम आगे बढ़ रहे हैं। + +GST के तौर पर देश एक आधुनिक Taxation System की ओर आज कदम रख रहा है, बढ़ रहा है। एक ऐसी व्यवस्था है जो ज्यादा सरल है, ज्यादा पारदर्शी है; एक ऐसी व्यवस्था है जो जो काले धन को और भ्रष्टाचार को रोकने में एक अवसर प्रदान करती है; एक ऐसी व्यवस्था है जो ईमानदारी को अवसर देती है, जो ईमानदारी से व्यापार करने के लिए एक उमंग, उत्साह करने की व्यवस्था इससे मिलती है; एक ऐसी व्यवस्था है जो नए Governance के Culture को भी ले करके आती है और जिसके द्वारा GST हम लेकर आए हैं। + +2022, भारत की आजादी के 75 साल हो रहे हैं। ‘New India’ का सपना ले करके हम चल पड़े हैं। सवा सौ करोड़ देशवासी ‘New India’ बनाने के सपनों को ले करके चल रहे हैं। और इसलिए भाइयो, बहनों, GST एक अहम भूमिका अदा करेगी और हम लोगों ने जिस प्रकार से प्रयास किया है। लोकमान्‍य तिलक जी ने जो गीता रहस्‍य लिखा है, उस गीता रहस्‍य के समापन में उन्‍होंने वेद का एक मंत्र भी उसमें समाहित किया है। उस वेद का मंत्र आज भी हम लोगों के लिए प्रेरणा देने वाला है। और लोकमान्‍य तिलक जी ने कहा है- उसका उल्‍लेख किया हुआ है- मूलत: ऋग्‍वेद का श्‍लोक है- + +GST सिर्फ ‘Ease of doing Business’ नहीं है, GST ‘Way of Doing Business’ की भी एक दिशा दे रहा है। GST सिर्फ एक Tax Reform नहीं है, लेकिन वो आर्थिक Reform का भी एक अहम कदम है। GST आर्थिक Reform से भी आगे एक सामाजिक Reform का भी एक नया तबका, जो एक ईमानदारी के उत्सव की ओर ले जाने वाला ये बन रहा है। कानून की भाषा में GST-Goods and Service Tax के रूप में भी जाना जाता है। लेकिन GST से जो लाभ मिलने वाले हैं और इसलिए मैं कहूंगा कि कानून भले ही कहता हो कि Goods and Service Tax, लेकिन हकीकत में ये Good and Simple Tax है और Good इसलिए कि Tax पर Tax, Tax पर Tax जो लगते थे, उससे मुक्ति मिल गई। Simple इसलिए है कि पूरे देश में एक ही Form होगा, एक ही व्यवस्था होगी और उसी व्यवस्था से चलने वाला है और इसलिए उसे हमें आगे बढ़ाना है। + diff --git a/pm-speech/731.txt b/pm-speech/731.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..7d6dca1392f251ebb5028515e35a505907c8bb30 --- /dev/null +++ b/pm-speech/731.txt @@ -0,0 +1,18 @@ +परिणामस्‍वरूप, विश्‍व आर्थिक मंच के वैश्विक प्रतिस्‍पर्धात्‍मक सूचकांक में भारत ने ऊपरी छलांग लगाते हुए पिछले दो वर्षों में बत्‍तीस देशों का पीछे छोड़ दिया है। इस प्रकार की छलांग किसी देश ने नहीं लगाई है। भारत ने विश्‍व बैंक लॉजिस्‍टक निष्‍पादन सूचकांक 2016 में उन्‍नीस देशों को पीछे कर दिया है। हम वर्ष 2016 में वर्ल्‍ड इंटेक्‍च्‍वेल प्रॉपर्टी ऑर्गेनाइजेशन में भी सोलह देशों से आगे निकले हैं। व्‍यापार और विकास पर संयुक्‍त राष्‍ट्र सम्‍मेलन द्वारा सूचीबद्ध किए गए दस शीर्ष एफडीआई राष्‍ट्रों में, हम तीसरे नंबर पर हैं। + +कपड़ा उद्योग ने भारतीय अर्थव्‍यव्‍था में एक अहम भूमिका निभाई है । मूल्‍य श्रृंखला के मामले में यह मजबूत और प्रतिस्‍पर्धात्‍मक है। भारत कच्‍ची सामग्री, जैसे कि कपास, ऊन, रेशम, जूट तथा मानव-निर्मित फाइबर की पर्याप्‍त मात्रा में आपूर्ति करता है। वास्‍तव में, कपास और जूट के मामले में भारत विश्‍व का सबसे बड़ा उत्‍पादक देश है, और रेशम एवं मानव-निर्मित फाइबर में मामले में दूसरा सबसे बड़ा उत्‍पादक देश है। इससे हमें बैकवर्ड इंटिग्रेशन का विशेष लाभ मिलता है, जो कि शायद अन्‍य देशों के पास नहीं है। इसके अलावा, भारत के पास spinning, weaving, knitting और apparel की मजबूत मैन्‍युफैक्‍चरिंग क्षमताएं हैं। हमारे पास किफायती लागत पर युवा श्रमिक उपलब्‍ध हैं। + +उच्‍च आर्थिक वृद्धि से हमारी आय और उसे खर्च करने की क्षमता बढ़ी है। इसके परिणामस्‍वरूप, कपड़ा उत्‍पादों की घरेलू बाजार में ऊंची मांग होती है। हमारा देश युवाओं की आंकाक्षाओं का देश है, जो कपड़ा, परिधान और हस्‍त निर्मित लाइफस्‍टाइल उत्‍पादों पर बेहिचक खर्च करते हैं। अपेरल और लाइफस्‍टाइल उत्‍पादों के लिए घरेलू बाजार का वर्तमान आकलन 85 बिलियन US Dollars किया गया है, जिसकी वर्ष 2025 तक बढ़कर 160 बिलियन US Dollars होने का अनुमान है। इस मांग का आधार हमारा बढ़ता मध्‍यम वर्ग होगा। + +देश में विनिर्मित textiles और apparel के लिए वैश्विक मांग भी काफी है। भारत textiles का निर्यात करने वाला दूसरा सबसे बड़ा देश है, और भारत का वैश्विक अंश लगभग 5 प्रतिशत है। पारंपरिक हथकर्घा और हथकर्घा उत्‍पादों सहित भारतीय textiles का निर्यात 100 से भी अधिक देशों को किया जाता है। कभी-कभी भारतीय पर्यटक यह महसूस कराने के लिए कि चूंकि textiles भारत में विनिर्मित किए गए हैं, इसलिए वे विदेश में भी भारतीय textiles खरीदते हैं। + +पिछले कुछ वर्षों में हमने देश के अपने-अपने संबंधित राज्‍यों के बीच निवेश और उद्योगों को आकर्षित करने हेतु एक healthy competition देखा है। इसके परिणामस्‍वरूप, राज्‍यों द्वारा कुछ बड़े सुधार किए गए हैं। अपने-अपने स्‍तर पर प्रत्‍येक राज्‍य ने textiles सहित नए उद्योग स्‍थापित करने में सुविधा प्रदान करने का प्रयास किया है। मैरे विचार में, textile का बड़े पैमाने पर निर्यात करने की दिशा में और अधिक ज्‍यादा ध्‍यान दिए जाने का वक्‍त आ गया है। + +भारत में अलग-अलग संस्‍कृति, फैशन और परंपराएं हैं। हमारी यह विविधता विभिन्‍न क्षेत्रों में उपलब्‍ध कपड़ों में साफ-साफ दिखाई पड़ती है। हमें अपनी clothing diversity को catalogue और map करना चाहिए तथा राज्‍य या क्षेत्र की strengths और specialties को स्‍पष्‍ट रूप से earmark करना चाहिए। प्रत्‍येक राज्‍य को कुछ जाने-माने उत्‍पादों के लिए समर्पित नोडल अधिकारी नियुक्‍त करने चाहिए, जो पूर्ण वैल्‍यू चेन में उत्‍पादकों और व्‍यापारियों को सहायता प्रदान करेंगे। यह पहल garments के उत्‍पादन से लेकर निर्यात तक की जानी चाहिए। घरेलू बाजार तथा एक्‍सपोर्ट मार्किटों की विशेष मांगों की पूर्ति की सुनिश्चिता की जानी चाहिए। + +ग्रोथ और वेल्‍थ जनरेट करने के लिए इनोवेशन और रिसर्च नए मंत्र हैं। कपड़ा उद्ययोग को ग्रोथ हासिल करने तथा नए बाजारों तक पहुंचने के लिए लगातार इनोवेशन और रिसर्च करना होगा। उदाहरण के लिए, विश्‍व के कुछ भागों में physiques अधिक होगा। इसके लिए हमारे देश में उपयोग किए जा रहे सामान्‍य आकार की कपड़ा चौड़ाई की तुलना में, ज्‍यादा चौड़ाई की आवश्‍यकता महसूस हो सकती है। इसलिए, आपको loom की चौड़ाई बढ़ानी होगी। बांकी जगहों में आवश्‍यकताएं अलग-अलग हो सकती हैं। एक्‍सपोर्ट मार्किटों में लीडरशिप हासिल करने हेतु इस प्रकार की गहन attention जरूरी है। + +कपास और जूट के अलावा, देश में केले और बांस फाइबर से बने फैब्रिक्‍स पहले से विनिर्मित किए जाते रहे हैं। ऐसे उत्‍पादों के लिए एक niche market है। अत:, अन्‍य संसाधनों से फैब्रिक्‍स विकसित करने हेतु हमारी संस्‍थाओं, जैसे कि नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ फैशन टेक्‍नोलॉजी और सांइटिफिक एंड इंडिस्‍ट्रयल रिसर्च इंस्टिट्यूट्स द्वारा और अधिक रिसर्च किए जाने की जरूरत है। + +मुझे उम्‍मीद है कि इस event से वैश्विक और भारतीय लीडरों को इस सेक्‍टर से जुड़ी भारत की उदारवादी नीति, strengths था सेक्‍टर में अपार अवसरों से रूबरू होने में सहायता मिलेगी। इससे भारत को उन देशों के साथ, जो भारत में sourcing और investment अवसरों की तलाश में हैं, valued partner बनने में सहायता मिलेगी। मुझे विश्‍वास है कि इस इवेंट से भारत की inherent potential को साकार करने में काफी सहायता मिलेगी जिससे भारत textile और apparel सोर्सिंग और निवेश का एक व्‍यापक destination बन सकता है। + diff --git a/pm-speech/732.txt b/pm-speech/732.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..292de2595fad20e78ac1b158a0d57ec15942aa5b --- /dev/null +++ b/pm-speech/732.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +Ninety Two (1992) से, याद रखिए, Nineteen Ninety two से सामाजिक अधिकारिता विभाग के द्वारा दिव्‍यांगजनों को साधन देने के विषय में विचार हुआ, बजट देना शुरू हुआ, आजादी के इतने साल के बाद हुआ। आपको जान करके हैरानी होगी Ninety Two (1992) से ले करके 2013 तक, जब तक हमारी सरकार नहीं बनी थी; तब तक इतने सालों में देश में सिर्फ 55 ऐसे कार्यक्रम हुए थे, जिसमें दिव्‍यांगजनों को बुला करके कोई साधन दिए गए थे, 55! भाइयो, बहनों! 2014 में आए, आज 2017 है। तीन साल के भीतर-भीतर हमने 5500 कार्यक्रम किए, पांच हजार पांच सौ। 25-30 साल में 55 कार्यक्रम, तीन साल में 5500 कार्यक्रम, ये इस बात का द्योतक है कि ये सरकार की संवेदना कितनी है। सबका साथ-सबका विकास, इस मंत्र को चरितार्थ करने का हमारा मार्ग क्‍या है। + +अभी मैं कुछ साधन यहां token स्वरूप दिव्‍यांगजनों से दे रहा था। मैं उनसे बात करने का प्रयास करता था। उनके चेहरे पर जो आत्‍मविश्‍वास दिखता था, जो खुशी नजर आती थी, इससे बड़ा जीवन का संतोष क्‍या हो सकता है दोस्‍तों! और हमारे गहलोत जी जब भी कोई कार्यक्रम बनाते हैं और कभी मुझे आग्रह करते हैं, तो मेरे और कार्यक्रम को आगे-पीछे करके भी दिव्‍यांगजनों के कार्यक्रम में मैं जाना पसंद करता हूं। मैं इसे प्राथमिकता देता हूं। क्‍योंकि एक समाज के अंदर ये चेतना जगना बहुत आवश्‍यक है। + +अभी मैं, उन बालकों का मैंने demo देखा, Parliament में मैंने मेरे office में बुलाया था सबको। हाथ नहीं था, उनको artificial हाथ दिया गया, लेकिन मैं देख रहा था कि मेरे से भी सुंदर अक्षरों में वो लिख पाता था, प्‍लास्टिक का हाथ था उसका, लेकिन उसमें technology की व्यवस्था थी, मेरे से भी सुंदर अक्षरों से लिख रहा था। वो खुद पानी भर सकता था, पानी पी सकता था, चाय का कप पी करके चाय पी सकता था। अभी एक सज्‍ज्‍न मेरे पास आये, उन्‍होंने बताया साहब मैं दौड़ सकता हूं, मेरे पैर को एक नई ताकत दी है आपने, मैं दौड़़ सकता हूं। मुझे बता रहे थे, बोले आप कहें तो मैं यहां दौड़ूं। मैंने कहा नहीं, यहां दौड़ने की जरूरत नहीं है। + diff --git a/pm-speech/733.txt b/pm-speech/733.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..09309c6d5a58295403fe67ef930bd902b4312052 --- /dev/null +++ b/pm-speech/733.txt @@ -0,0 +1,10 @@ +2017 का साल अनेक रूप से महत्वपूर्ण है, यही वर्ष था जब देश में पहला सत्याग्रह का बिगुल बजा। चंपारण की धरती पर और उसका भी यह शताब्दी का वर्ष है। पूज्य बापू 1915 में भारत वापिस आए थे अफ्रीका से और 2015 में जब उनका शताब्दी का वर्ष था तो भारत सरकार ने पूज्य बापू के भारत आगमन की उस शताब्दी को भी इसी गुजरात में, गांधीनगर में, महात्मा मंदिर में, दुनिया भर के प्रवासी भारतीयों को बुलाकर के उस अवसर को मनाने का प्रयास किया है। + +अभी मैं नीरदलैंड से आया, परसों में नीदरलैंड में था। दो चीजें मेरे लिए बड़ी ही नई थी मेरी जानकारी के लिए। भारत में जितने मार्ग महात्मा गांधी के नाम पर है उसके बाद दुनिया में सबसे अधिक मार्ग के नाम गांधी पर किसी के होंगे तो वो नीदरलैंड के है। मेरे लिए यह नया अनुभव, नई जानकारी है। दूसरा वहां सुरीनाम के लोग आकर के बसे हुए हैं, बहुत बड़ी मात्रा में वो Dutch Citizen हैं। भारत का भी IT profession से जुड़ा हुआ एक बहुत बड़ा युवा पीढ़ी वहां गई है। लेकिन कम से कम एक dozen लोग मुझे मिलकर के पकड़कर के खींचकर कहते थे कि परसों आप राकेश जी को मिलने वाले हो ना! और एक बात और करते थे, वो कहते थे कि राकेश जी वाले आपके साथ वाले फोटो ज़रा भेज देना। ये बाते सहज नहीं है जी, यह बाते अपने आप में एक बहुत बड़ा सामर्थ्य रखती है। जब हम पुज्य बापू का स्मरण करते हैं, साबरमती आश्रम का स्मरण करते हैं। 12 साल यहां तपस्या की है और पुज्य बापू की संकल्प शक्ति देखिए कि मैं बेमौत मरूंगा लेकिन आजादी के बिन लौटूंगा नहीं। कितनी बड़ी संकल्प शक्ति होगी जब उन्होंने साबरमती आश्रम को छोड़कर के निकले। 12 वर्ष की वो तपस्या जो साबरमती के आश्रम में हुई है उस तपस्या का सामर्थ्य कितना था कि महात्मा गांधी संकल्प के साथ निकले, आत्म विश्वास कितना था कि इसी शरीर के रहते हुए मैं अंग्रेजों को यहां से निकालकर रहूंगा, हिंदुस्तान को आज़ाद करके रहूंगा। + +साबरमती आश्रम की उनकी जितनी घटनाएं है उन घटनाओं में कहीं न कहीं स्वच्छता की चर्चा पूरे साल, प्रतिदिन रही है। स्वच्छता में वह Compromise नहीं करते थे। यह स्वच्छता का अभियान 2019 तक हर हिंदुस्तानी का स्वभाव बनना चाहिए। स्वच्छता हमारे रगों में, हमारे जहन में, हमारे विचार में, हमारे आचार में स्वच्छता का परम स्थान होना चाहिए और इससे बड़ी पूज्य बापू को कोई श्रद्धांजलि नहीं हो सकती है। स्वंय बापू कहते थे कि आजादी और स्वच्छता दोनों में से मेरी पहली पसंद स्वच्छता रहेगी। आजादी से भी ज्यादा महत्व गंदगी से मुक्ति का हिंदुस्तान, यह बापू का सपना था। आजादी के 70 साल हो चुके हैं, 2019 में 150वीं जयंती मना रहे हैं हम क्यों न उसके लिए करें। + +मुझे बचपन की एक घटना याद है। सत्य घटना है मेरे जीवन की ।और पहली बार मैं शायद आज उस बात को कह रहा हूँ। एक समय था जब मुझे लिखने की आदत हुआ करती थी, मैं लिखता था, तब मेरे मन में था कि मैं उस विषय पर लिखूंगा, लेकिन मैं नहीं लिख पाया। लेकिन आज मेरा मन करता है, एक ऐसी पवित्र जगह है, जिस पवित्र जगह से मन के भीतर की सच्चाई का प्रकट होना बहुत स्वभाविक है। + +मैं बालक था। मेरे गांव में मेरा घर एक ऐसी छोटी सी सांकड़ी सी गलियारी में है। तो वहां पर बिलकुल पुराने जमाने के जैसे गांव रहते हैं, सटे हुए घर हैं। हमारे घर के ही नजदीक में सामने की तरफ एक परिवार था, जो ईमारत में कड़ियां का काम करता था। Messon का काम करता था। एक प्रकार से मजदूरी जैसा काम था। उस परिवार में संतान नहीं था। उनकी शादी के कई वर्ष हो गए लेकिन उनको संतान नहीं था। परिवार में भी एक तनाव रहता था कि उनके घर में संतान नहीं है। वो बडी धार्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति थे। बहुत बड़ी उम्र में उनके यहां एक संतान का जन्म हुआ। वो संतान बड़ा हो रहा था। अब छोटी सांकड़ी गली थी। सुबह-सुबह गाय को भी एक discipline की आदत होती है। गाय घरों के पास से गुजरती है तो घर वाले रोटी खिलाते हैं। तो एक गाय थी जिसका हमारे मुहल्ले से आना और हर परिवार के लोग बाहर निकलकर उसको एक रोटी खिलाते थे। जिनके घर में संतान जन्म हुआ था, वो भी रोटी खिलाते थे। एक बार अचानक हड़कंप हो गई, शायद कुछ बच्चों ने पटाखे फोड़ दिए थे, क्या हुआ वो घटना अब मुझे पूरी याद नहीं रही। लेकिन वो गाय हड़बड़ा गई और दौड़ते-दौड़ते स्थिति यह बनी, वो जो बच्चा उनका मुश्किल से 3, 4 या 5 साल का होगा, वो भी दौड़ने लग गया। उसको समझ नहीं आया कि इधर दौडू या उधर दौड़ू और जाने अंजाने में वो गया के पैर के नीचे आ गया। इतने सालों में परिवार में एक बच्चा पैदा हुआ था और गाय के पैर के नीचे आने से उसकी मृत्यु हो गई। आप कल्पना कर सकते हैं कि उस परिवार का माहौल क्या होगा? बड़े दुख के दिन थे लेकिन दूसरे दिन सुबह से..ये दृश्य मैं भूल नहीं सकता हूँ, दूसरे दिन सुबह से ही वो गाय उनके घर के सामने आकर खड़ी हो गई। किसी भी घर के सामने जाकर रोटी नहीं खाई। वो परिवार भी उसे रोटी खिलाता था, नहीं खाई। गाय के आंसु कभी नहीं रूके। 1 दिन, 2 दिन, 5 दिन गाय न खाना खा रही है , गाय न पानी पी रही है। एक तरफ परिवार को एकलौते संतान की मृत्यु का शोक था। पूरे मौहल्ले में दुख का वातावरण था। गांव में एक परिवार का मातम होता है। लेकिन गाय पश्चाताप में डूबी हुई थी। कई दिनों तक उसने कुछ नहीं खाया, कुछ नहीं पिया। उसकी आंख के आंसु सूख गए। सारे मुहल्ले के लोग, उस परिवार के लोग भी लाख कोशिश करते रहे लेकिन गाय ने अपना संकल्प नहीं छोड़ा और उस संतान, बालक की मृत्यु उसके पैर के नीचे हुई है, इस पीड़ा से मात्र, उस गाय ने अपना शरीर छोड़ दिया। एक बालक की मृत्यु के पश्चाताप में गाय को बलिदान देते हुए मैने बचपन में देखा है। वो दृश्य आज भी मेरे सामने जिंदा है। आज जब मैं सुनता हूं कि गाय के नाम पर किसी की हत्या की जाए, वो निर्दोष है कि गुनहगार है वो कानून कानून का काम करेगा, इसांन को कानून हाथ में लेने का हक नहीं है। + diff --git a/pm-speech/734.txt b/pm-speech/734.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..6e2b9ee9aa411066b3942a5d19de33f5f65fa0f0 --- /dev/null +++ b/pm-speech/734.txt @@ -0,0 +1,16 @@ +ये जो गूंज आपके चारों तरफ सुनाई दे रही है। जो उत्साह उमंग दिखाई दे रहा है। जो लोग भारत में टीवी पर इसे देखते होंगे, उन्हें जरूर आश्चर्य होता होगा कि छोटे से हेग में भी भारतीयों का इतना दम है। मैं खास कर के सूरीनाम के जो लोग हैं। उनका मैं विशेष रूप से अभिनन्दन करना चाहता हूं। बहुत वर्ष पहले मुझे सूरीनाम जाने का सौभाग्य मिला था। + +Good Governance मैं मानता हूं कि Development plus Good Governance तभी जाकर के जनता जनार्दन के सपने पूरे होते हैं। सिर्फ Development से स्पिरिट्स पूरे नहीं होते हैं। सिर्फ Good Governance से भी नहीं होते हैं। Development And Good Governance दोनों का Combination होता है, तब जनसामान्य को समाधान होता है। बस अड्डा बनाऊं, बस स्टेशन अच्छा बनाऊँ Development हुआ, लेकिन बस समय पर आए, बस में साफ सफाई हो, Driver, Conductor का व्यवहार ठीक हो ये Good Governance होता है। तब सामान्य व्यक्ति को संतोष मिलता है। उसको समाधान मिलता है हां ये मेरी सरकार है ये मेरा देश है, ये मेरी संपत्ति है। इस सरकार का लगातार भाव यही है कि जन भागीदारी को बल मिले, जनशक्ति को बल मिले और जनशक्ति के भरोसे देश को आगे बढ़ाने का प्रयास हो और ये अनुभव हमारा देश की जनता जनार्दन को जिस काम में ढूंढ़ने के लिये, आपने देखा होगा दो साल पहले जब हमारी सरकार बनी तो टीवी पर एक ही खबर आती रहती थी कि दाल महंगी है दाल महंगी है। मोदी बताओ दाल के दाम क्यों कम नहीं हो रहे जहां भी जाओ बस यही अब दाल के भाव इतने कम हो गए कोई पूछता ही नहीं है। कैसे हो गया, लेकिन देश के किसानों से मैंने प्रार्थना की कि आप Pulses की खेती को भी बल दीजिए और पल्सेस की खेती के लिये इतना कुछ करना नहीं पड़ता फसल के बीच के अंदर उसको बोया जा सकता है। Extra Income होती है। और मेरे देश के किसानों ने ये करके दिखाया। विपुल मात्रा में Pulses का उत्पादन किया, तो आज थाली सस्ती हो गई। मध्यम वर्ग के परिवार में Pulses अगर ज्यादा खाता है तो प्रोटीन भी ज्यादा मिलता तो शरीर की शक्ति भी बढ़ती है, शरीर की काफी Requirement पूरी होती है। कहने का तात्पर्य यह है कि सरकारी प्रयत्नों से ज्यादा जन सामान्य का सामर्थ एक बहुत बड़ा रोल प्ले करता है। + +भारत के बाहर ऐसी धारणा है कि भारत में महिलाएं तो House Wife हैं। कुछ करना वरना नहीं किचन में होती हैं। ये बाहर एक कल्पना है , सत्य अलग है। आज भी हिन्दुस्तान का पशुपालन, डेयरी, मिल्क ये पूरा क्षेत्र एक प्रकार से भारत में महिलाएं ही संभालती हैं। पुरुष का बहुत कम योगदान है। कृषि में भी महिलाओं की भागीदारी बहुत बड़ी होती है। वो Physically Contribute करती हैं लेकिन हमारी सामाजिक रचना ऐसी है कि उसको रुपये पैसे के तराजू में तोला नहीं जाता। इसका मतलब ये नहीं कि भारत की आर्थिक विकास की यात्रा में महिलाओं की भूमिका नहीं है। महिलाओं की भूमिका है। महिलाओं में Potential भी है और इसलिये हमारी सरकार ने पचास प्रतिशत जो जनसंख्या है उसको भारत की विकास यात्रा का एक प्रमुख हिस्सा बनाने की दिशा में बीड़ा उठाया है। Empowerment of Women और इतना ही नहीं Women led Development हमने जब प्रधानमंत्री जनधन योजना का अभियान चलाया बैंक के खाते खोलने का हमारे देश में 40 प्रतिशत लोग ऐसे थे जो कभी बैंक के दरवाजे नहीं गए Formal Economy से बाहर थे। हमने अभियान चलाया और खुशी की बात है कि जब बैंक एकाउंट खोले गए तो उसमें ज्यादातर महिलाओं के बैंक एकाउंट थे। महिलाओं को लगने लगा हां मैं भी कुछ आर्थिक व्यवस्था का हिस्सा हूं। अभी हमने एक योजना बनाई मुद्रा योजना। मुद्रा योजना से हमने entrepreneurship को बल मिले। हमारे देश का नौजवान Job Seeker से Job Creator बने। वो जॉब देने वाला बने छोटे –छोटे ही काम करते ही लोग एक को नौकरी रखत सकते हैं दो को रख सकते हैं, काम दे सकते हैं। और इसलिये छोटे छोटे कारोबार को मदद करने की दिशा में हमने बड़ा अभियान उठाया। + +मुद्रा योजना और मुद्रा योजना ऐसी है कि किसी भी प्रकार की गारंटी दिये बिना नागरिक को अगर वो बैंक में आता है अपनी सारी जानकारियां देता है। तो पचास हजार रुपये से लेकर के दस लाख रुपये तक उसको लोन मिलती है। करीब सात करोड़ लोगों ने इसका फायदा उठाया सात करोड़ लोगों ने। और करीब तीन लाख करोड़ रुपये से ज्यादा रकम इन लोगों को मिली है। किसी को पचास हजार, किसी को पचपन हजार किसी को अस्सी हजार किसी को लाख और आपको जानकर के खुशी होगी एक मुद्रा योजना का लाभ लेने वाले में 70 प्रतिशत महिलाएं हैं 70 परसेंट महिलाएं। + +एक ऐसी सरकार है दिल्ली में जिसके दिलो दिमाग में भारत की विकास की यात्रा में भारत की पचास प्रतिशत जनसंख्या वो ताकतवर कैसे बनें Empowerment कैसे हो, भारत की आर्थिक विकास की यात्रा के अंदर उसकी Equal Partnership कैसे हो, एक के बाद एक कदम उठा रहे हैं और जिसका परिणाम है के आज मेरे देश की नागरिक शक्ति भारत के झंडे को ऊंचा उठाने में बहुत बड़ी अहम भूमिका अदा कर रही है। देश आगे तो बढ़ना चाहिए, पहले है उससे अच्छा होना चाहिए लेकिन वक्त ज्यादा इंतजार नहीं करेगा। जिस गति से हम यहां तक पहुंचे हैं, उस गति से आगे जाना उस लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सकता है, जो हर हिन्दुस्तानी के दिल में है। और इसलिये गति को तेज करना अनिवार्य हो गया है। पहले सरकारें हुआ करती थीं। एक काम दो काम ऐसे हो जाते थे वो सरकार जानी जाती थी इस काम के लिये। आज हरदिन एक नया काम करो तो भी कम पड़ जाता है इतने aspirations बढ़ गये हैं। और देश को सिर्फ आगे ले जाना इतना काफी नहीं है। देश को आधुनिक बनाना बहुत जरूरी है। हमें आगे तो बढ़ना है। लेकिन हमें आधुनिक भी बनना है। 21वीं सदी का हिन्दुस्तान Global BenchMark में पीछे न रह जाए। विज्ञान टैक्नॉलॉजी के क्षेत्र में पीछे न रह जाए। हमारा Infrastructure Global Bench Mark अनुकूल हो और विश्व की बराबरी करने का सामर्थ हिन्दुस्तान में होना चाहिए। इस भूमिका से हम आगे बढ़ रहे हैं। आज Health concerns का माहौल है। एनवायरमेंट की चिंता है। हर किसी को लगता है भई सांस ले तो अच्छी सांस मिले पानी पीए तो अच्छा मिले, खाना खाए तो अच्छा मिले। बहुत स्वाभाविक concerns है शायद। भारत ने बीड़ा उठाया है ऊर्जा के क्षेत्र में रिन्युबल एनर्जी 175 गीगा वाट आप में से बहुत लोग होंगे जिनके लिये गीगा वाट शब्द नया होगा। क्योंकि सदियों से हम मेगा वाट से आगे सोचा ही नहीं। मेगा वाट यानी हमारा अल्टीमेट था। 175 गीगा वाट रिन्युबल एनर्जी का हमारा लक्ष्य है। + +डिजिटल इंडिया जब मैं प्रधानमंत्री बना तो मैं शुरू शुरू में सीखना चाहता था। समझना भी चाहता था के आखिर ये है क्या इतना बड़ा है, तो मैं अफसरों की मीटिंग लेता था। ब्रीफिंग लेता था क्या चल रहा है कैसा नहीं है। तो एक दिन बिजली वालों की ब्रीफिंग ले रहा था। तो उन्होंने कहा साहब मैंने पूछा भई कोई जगह है जहां अभी भी बिजली नहीं पहुंची हो। सोचा आजादी के 70 साल हो गए तो ऐसा पूछना ही नहीं चाहिए। तो मैं थोड़ा डरते डरते पूछ लिया कि भई कहीं ऐसा तो नहीं है कहीं दूर अभी भी बिजली पहुंची नहीं। तो मैं हैरान हो गया उन्होंने कहा साहब 18000 गांव ऐसे हैं जहां अभी बिजली नहीं पहुंची है। आप मुझे बताइए 21वीं सदी और 18वीं शताब्दी में फर्क क्या। 18वीं शताब्दी में भी तो लोग बिना बिजली के सूर्य के प्रकाश में या चन्द्रमा की रौशनी में जिन्दगी का गुजारा करते थे आजादी के 70 साल के बाद मेरे देश में 18000 गांव 18वीं शताब्दी की जिन्दगी जीने के लिए मजबूर है। आधुनिक भारत का सपना मुझे पूरा करना था। + +मैंने बीड़ा उठाया मैंने कहा हां भई बताइए कब तक होगा। उन्होंने कहा साहब सात साल तो लगेगा। उनकी ये हिम्मत ही मेरे लिये हैरानगी थी। आराम से कह दिया सात साल लगेगा। मैंने कहा भई जल्दी करना चाहिए ऐसा क्यों करते हो क्यों सोचते हो समझा रहा था। अखिरकार जब मैंने एक दिन लालकिले में 15 अगस्त को बोल दिया। 1000 दिन के अंदर हम 18000 गांव में हम बिजली पहुंचा देंगे। अभी हजार दिन हुए नहीं करीब तेरा चौदह हजार गांवों में बिजली पहुंच गई भइयो बहनों क्योंकि मुझे आधुनिक भारत बनाना है। और बाकी जो गांव बाकी हैं उसका काम भी बहुत तेजी से चल रहा है। + +आप मुझे बताइए इस 26 जनवरी के पहले मिशन मोड में आप इस काम को पूरा करेंगे। करना चाहिए मैं यहां की एम्बेसी को भी कहता हूं। देखिये ये ओसीआई कार्ड ये आपका और हिन्दुस्तान के साथ सदियों पुराने नाते का एक लिंक है इसको भूलना नहीं चाहिए। और उसको रुपये पैसे के तराजू से तोलना नहीं चाहिए। जो भी देना पड़े देकर के भी ओसीआई कार्ड ये मेरे लिये। मैं कल दो दिन पहले पोर्तुगल में था। वहां के प्रधानमंत्री पब्लिकली अपना ओसीआई कार्ड दिखा रहे थे बोले मुझे गर्व है कि मेरे पास ओसीआई कार्ड है मैं मूल भारतीय हूं और मैं आज यहां प्रधानमंत्री हूं। पब्लिक में उन्होंने दिखाया। हर हिन्दुस्तानी के मन में स्पिरिट होना चाहिए । मैं हूं ..मेरे पर ओसीआई है। अच्छा तेरे पास नहीं ओ तेरी। ये भाव बनना चाहिए। और मैं चाहूंगा और मैं पूछूंगा हमारे एम्बीसी को अब नये एम्बेस्डर आए हैं। और मैं तो ये पूछूंगा ..कितने बने। मैं आपसे चाहूंगा मदद कीजिए। + diff --git a/pm-speech/735.txt b/pm-speech/735.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..3ccebd744dce764268ed36fcf955c5286d16744d --- /dev/null +++ b/pm-speech/735.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +हमारी ऐसी मजबूत strategic partnership है जिसने मानव प्रयासों के लगभग सभी क्षेत्रों को छुआ है। आज की हमारी conversation में राष्ट्रपति Trump तथा मैने भारत तथा United States के संबंधो के हर आयाम पर विस्तार से चर्चा की । दोनों ही देश एक ऐसे bilateral architecture को लेकर committed हैं जो हमारी strategic partnership को नयी उंचाइयो पर ले जायेगा। इस सन्दर्भ मे दोनों देशों में increased productivity, growth, job creation और breakthrough technologies पर strong engagement हमारी cooperation मे तथा संबंधो के momentum के strong drivers रहेंगे। + +भारत के सामाजिक-आर्थिक बदलाव के लिए हमारे flagship programmes में हम अमेरिका को प्रमुख partner मानते हैं। मुझे विश्वास है कि मेरा नए भारत का vision तथा राष्ट्रपति Trump का “Make America Great Again” के vision मे निहित convergence हमारे सहयोग के नए आयाम पैदा करेगी। मेरा यह स्पष्ट मत है कि एक मजबूत और सफल अमेरिका में ही भारत का हित है। इसी तरह, भारत का विकास और अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ती भारत की भूमिका अमेरिका के हित में है। Trade, commercial और निवेश links का भरपूर विकास हमारे प्रयासों की सांझी प्राथमिकता होगी। तथा इस संदर्भ मे Technology, Innovation तथा knowledge economy के क्षेत्रो में सहयोग का विस्तार और उनमें गहनता हमारे मुख्य लक्ष्यों मे से एक होगा।इसके लिए हमारी सफल digital partnership को और सुदृढ़ करने के लिए हम कदम उठायेंगे। + +Indo-Pacific region में खुशहाली, शांति और स्थिरता हमारी strategic cooperation के मुख्य उद्देश्य हैं।इस क्षेत्र मे संभावनाओ का विस्तार तथा उभरती हुई चुनौतियों से हमारे strategic हितों की सुरक्षा हमारी सहभागिता के आयाम निर्धारित करती रहेंगीं। इस क्षेत्र में हम अमेरिका के साथ मिलकर काम करना जारी रखेंगें। सुरक्षा चुनौतियों के सन्दर्भ मे हमारा बढ़ता defence और security cooperation अत्यंत महत्वूपर्ण है। इस विषय पर भी हमने विस्तार से चर्चा की। अमेरिका द्वारा भारत की defence capabilities का सशक्तिकरण की हम सराहना करते है।हमने हर प्रकार से अपने बीच Maritime Security Cooperation को भी बढ़ाने पर भी निर्णय लिया है। दोनों देशो के बीच bilateral Defence Technology, Trade तथा manufacturing Partnership की सुदृढ़ता परस्पर लाभकारी होगी। हमने अन्तर्राष्ट्रीय मुद्दों पर अपने सामरिक हितो की भी बात की। इस संदर्भ मे अन्तर्राष्ट्रीय institutions तथा regimes में भारत की सदस्यता के लिए हम United States द्वारा लगातार समर्थन के आभारी है। यह हम दोनों के हित मे है। + diff --git a/pm-speech/736.txt b/pm-speech/736.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..e9cea0d6db2fe4923583e304d1687158206afe42 --- /dev/null +++ b/pm-speech/736.txt @@ -0,0 +1,14 @@ +मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार! मौसम बदल रहा है। इस बार गर्मी भी बहुत रही। लेकिन अच्छा हुआ कि वर्षा ऋतु समय पर अपने नक्शेक़दम पर आगे बढ़ रही है। देश के कई भागों में झमाझम बारिश से मौसम सुहाना हो गया है। बारिश के बाद ठण्डी हवाओं में पिछले दिनों की गर्मी से राहत का अनुभव रहा है। और हम सबने देखा है कि जीवन में कितनी ही आपाधापी हो, कितना ही तनाव हो, व्यक्तिगत जीवन हो, सार्वजनिक जीवन हो, बारिश का आगमन ही हमारी मनःस्थिति को भी बदल देता है। + +रमज़ान के इस पवित्र महीने में उत्तर प्रदेश के बिजनौर के मुबारकपुर गाँव की एक बड़ी प्रेरक घटना मेरे सामने आयी। क़रीब साढ़े तीन हज़ार हमारे मुसलमान भाई-बहनों के परिवार वहाँ उस छोटे से गाँव में बसते हैं, एक प्रकार से ज़्यादा आबादी हमारे मुस्लिम परिवार के भाइयों-बहनों की है। इस रमज़ान के अन्दर गाँववालों ने मिलकर के शौचालय बनाने का निर्णय लिया। और इस व्यक्तिगत शौचालय के अन्दर सरकार की तरफ़ से भी सहायता मिलती है और उस सहायता की राशि क़रीब 17 लाख रुपये उनको दी गई। आपको जानकर के सुखद आश्चर्य भी होगा, आनंद होगा। रमज़ान के इस पवित्र महीने में सभी मुसलमान भाइयों-बहनों ने सरकार को ये 17 लाख वापस लौटा दिए। और ये कहा कि हम हमारा शौचालय, हमारे परिश्रम से, हमारे पैसों से बनाएँगे। ये 17 लाख रुपये आप गाँव की अन्य सुविधाओं के लिए खर्च कीजिए। मैं मुबारकपुर के सभी ग्रामजनों को रमज़ान के इस पवित्र अवसर को समाज की भलाई के अवसर में पलटने के लिए बधाई देता हूँ। उनकी एक-एक चीज़ भी बड़ी ही प्रेरक है। और सबसे बड़ी बात है, उन्होंने मुबारकपुर को खुले में शौच से मुक्त कर दिया। हम जानते हैं कि हमारे देश में तीन प्रदेश ऐसे हैं सिक्किम, हिमाचल और केरल, वो पहले ही खुले में शौच से मुक्त घोषित हो चुके हैं। इस सप्ताह उत्तराखण्ड और हरियाणा भी ODF घोषित हुए। मैं इन पाँच राज्यों के प्रशासन को, शासन को और जनता-जनार्दन को विशेष रूप से आभार प्रकट करता हूँ इस कार्य को परिपूर्ण करने के लिये। + +पिछले दिनों एक बहुत ही उत्तम घटना मेरे ध्यान में आई, जो मैं आपके सामने ज़रूर कहना चाहूँगा। ये घटना है आन्ध्र प्रदेश के विजयनगरम ज़िले की। वहाँ के प्रशासन ने जनभागीदारी से एक बड़ा काम हाथ में लिया। 10 मार्च सुबह 6 बजे से लेकर के 14 मार्च सुबह 10 बजे तक। 100 घंटे का non stop अभियान। और लक्ष्य क्या था ? एक सौ घंटे में 71 ग्राम पंचायतों में दस हज़ार घरेलू शौचालय बनाना। और मेरे प्यारे देशवासियो, आप जानकर के ख़ुश हो जाएँगे कि जनता-जनार्दन ने और शासन ने मिलकर के 100 घंटे में दस हज़ार शौचालय बनाने का काम सफलतापूर्वक पूर्ण कर दिया। 71 गाँव ODF हो गए। मैं शासन में बैठे हुए लोगों को, सरकारी अधिकारियों को और विजयनगरम ज़िले के उन गाँव के नागरिकों को बहुत-बहुत बधाई देता हूँ कि आपने परिश्रम की पराकाष्ठा करते हुए बड़ा प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है। + +मेरे प्यारे देशवासियो, हर हिंदुस्तानी आज विश्व में सिर ऊँचा कर-कर के गौरव महसूस कर रहा है। 21 जून, 2017 – पूरा विश्व योगमय हो गया। पानी से पर्वत तक लोगों ने सवेरे-सवेरे सूरज की किरणों का स्वागत योग के माध्यम से किया। कौन हिंदुस्तानी होगा, जिसको इस बात का गर्व नहीं होगा। ऐसा नहीं है कि योग पहले होता नहीं था, लेकिन आज जब योग के धागे में बंध गए हैं, योग विश्व को जोड़ने का कारण बन गया है। दुनिया के क़रीब-क़रीब सभी देशों ने योग के इस अवसर को अपना अवसर बना दिया। चीन में The Great Wall of China उस पर लोगों ने योग का अभ्यास किया, तो Peru में World Heritage Site माचू पिच्चू पर समुद्र तल से 2400 मीटर ऊपर लोगों ने योग किया। फ़्रांस में एफिल टॉवर के साये में लोगों ने योग किया। UAE में Abu Dhabi में 4000 से अधिक लोगों ने सामूहिक योग किया। अफगानिस्तान में, हेरात में India Afghan Friendship Dam सलमा बाँध पर योग कर के भारत की दोस्ती को एक नया आयाम दिया। सिंगापुर जैसे छोटे से स्थान पर 70 स्थानों पर कार्यक्रम हुए और सप्ताह भर का उन्होंने एक अभियान चलाया है। UN ने अंतराष्ट्रीय योग दिवस के 10 Stamps निकाले। उन 10 Stamps को release किया। UN Headquarter में Yoga Session with Yoga Masters का आयोजन किया गया। UN के staff, दुनिया के diplomats हर कोई इसमें शरीक़ हुआ। + +इस बार फिर एक बार योग ने विश्व रिकॉर्ड का भी काम किया। गुजरात में अहमदाबाद में क़रीब-क़रीब 55 हज़ार लोगों ने एक साथ योग करके एक नया विश्व रिकॉर्ड बना दिया। मुझे भी लखनऊ में योग के कार्यक्रम में शरीक़ होने का अवसर मिला। लेकिन पहली बार मुझे बारिश में योग करने का सद्भाग्य प्राप्त हुआ। हमारे सैनिकों ने जहाँ minus 20, 25, 40 degree temperature होता है उस सियाचिन में भी योग किया। हमारे Armed Forces हों, BSF हो, ITBP हो, CRPF हो, CISF हो, हर कोई अपनी ड्यूटी के साथ-साथ योग को अपना हिस्सा बना दिया है। इस योग दिवस पर मैंने कहा था कि तीन पीढ़ी, क्योंकि ये तीसरा अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस था, तो मैंने कहा था कि परिवार की तीन पीढ़ियाँ एक साथ योग करते हुए उसकी फ़ोटो share कीजिये। कुछ TV channel ने भी इस बात को आगे बढ़ाया था। मुझे इस पर काफ़ी फ़ोटो मिले, उसमें से कुछ selected photographs NarendraModiApp पर compile करके रखे गए हैं। जिस प्रकार से पूरे विश्व में योग की चर्चा हो रही है, उसमें एक बात अच्छी उभर कर के आ रही है कि योग से आज की जो health conscious society है, वो fitness से अब wellness की ओर जाने की दिशा में क़दम रख रही है और उनको लग रहा है कि fitness का महत्व है ही है, लेकिन wellness के लिए योग उत्तम मार्ग है। + +“Respected Prime Minister Sir, मैं डॉक्टर अनिल सोनारा अहमदाबाद, गुजरात से बोल रहा हूँ। सर, मेरा एक सवाल है कि recently केरल में हमने आपको सुना था कि different-different places पे जो bouquet as a gift हम देते हैं, उसकी जगह kind of good books हमको देनी चाहिए as a memento। इस चीज़ का आपने शुरुआत गुजरात में अपने कार्यकाल में भी करवाया था, सर, लेकिन अभी in recent days हमें ये ज़्यादा देखने को नहीं मिल रहा है। So can we do something ? हम क्या इस चीज़ के बारे में कुछ कर नहीं सकते, जिससे ये देशव्यापी तौर पे इस चीज़ का implementation हो सके, सर ?” + +मेरे प्यारे देशवासियो, एक तरफ़ हम योग को लेकर के गर्व करते हैं, तो दूसरी तरफ़ हम Space Science में हमारी जो सिद्धियाँ हैं, उसके लिए भी गर्व कर सकते हैं। और ये ही तो भारत की विशेषता है कि अगर हमारे पैर योग से जुड़े हुए ज़मीन पर हैं, तो हमारे सपने दूर-दूर आसमानों के उन क्षितिजों को पार करने के लिये भी हैं। पिछले दिनों खेल में भी और विज्ञान में भी भारत ने बहुत-कुछ करके दिखाया है। आज भारत केवल धरती पर ही नहीं, अंतरिक्ष में भी अपना परचम लहरा रहा है। अभी दो दिन पहले ISRO ने ‘Cartosat-2 Series Satellite’ के साथ 30 Nano Satellites को launch किया। और इन satellites में भारत के अलावा फ्राँस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन, अमेरिका – ऐसे क़रीब-क़रीब 14 देश इसमें शामिल हैं। और भारत के इस Nano Satellite अभियान से खेती के क्षेत्र में, किसानी के काम में, प्राकृतिक आपदा के संबंध में काफ़ी कुछ हमें मदद मिलेगी। कुछ दिन पहले इस बात का हम सब को बराबर याद होगा, ISRO ने ‘GSAT-19’ का सफ़ल launch किया था। और अब तक भारत ने जो satellite launch किये हैं, उसमें ये सबसे ज़्यादा वज़नदार heavy satellite है। और हमारे देश के अख़बारों ने तो इसकी हाथी के वज़नों के साथ तुलना की थी, तो आप कल्पना कर सकते हैं कि कितना बड़ा काम अंतरिक्ष के क्षेत्र में हमारे वैज्ञानिकों ने किया है। 19 जून को ‘मार्स मिशन’ के एक हज़ार दिन पूरे हुए हैं। आप सबको पता होगा कि जब ‘मार्स मिशन’ के लिये हम लोग सफलतापूर्वक orbit में जगह बनाई थी, तो ये पूरा mission एक 6 महीने की अवधि के लिये था। उसकी life 6 महीने की थी। लेकिन मुझे ख़ुशी है कि हमारे वैज्ञानिकों के इस प्रयासों की ताक़त ये रही कि 6 महीने तो पार कर दिये – एक हज़ार दिन के बाद भी ये हमारा ‘मंगलयान मिशन’ काम कर रहा है, तस्वीरें भेज रहा है, जानकारियाँ दे रहा है, scientific data आ रहे हैं, तो समय अवधि से भी ज़्यादा, अपने आयुष से भी ज़्यादा काम कर रहा है। एक हज़ार दिन पूरा होना हमारी वैज्ञानिक यात्रा के अन्दर, हमारी अंतरिक्ष यात्रा के अन्दर एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। + diff --git a/pm-speech/737.txt b/pm-speech/737.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..ac15ea79d54517be3cec5b7aa464db74c83d148e --- /dev/null +++ b/pm-speech/737.txt @@ -0,0 +1,16 @@ +पुर्तगाल का भारत के सांस्‍कृतिक विरासत के रूप में एक संबंध रहा, बड़ी निकटता रही। लेकिन गुजरात के साथ उनका एक विशेष नाता रहा। हम सब सुनते आये हैं कि कि वास्‍कोडिगामा जब भारत पहुंचे तो, कहते हैं – एक गुजराती कांजी मालम उन्‍होंने वास्‍कोडिगामा का मार्गदर्शन किया और उनकी मदद से वो वास्‍कोडिगामा भारत पहुंचे। कांजी मालम गुजरात से निकलेंगे, अफ्रीका में settle हुए, वहां एक बंदरगाह पर उनकी मुलाकात वास्‍कोडिगामा से हुई और वहीं से भारत जाने की उनकी यात्रा बनी। तो इस प्रकार से कांजी मालम के माध्‍यम से पूरे यूरोप का भारत के साथ व्‍यापारिक संबंधों का प्रारंभ हो गया और पुर्तगाल का उसका बड़ा महत्‍व है। तो यह नाता जिनके साथ हमारा रहा है, पुराना नता रहा है। + +पुर्तगाल के महान नेता Shri Mario Soares 1992 में भारत के गणतंत्र दिवस के मुख्‍य मेहमान के रूप में पधारे थे। उन्‍हीं के कालखंड में भारत और पुर्तगाल के संबंधों को एक नई ऊर्जा, नई चेतना मिली थी और जब प्रधानमंत्री जी भारत थे, उसी समय उनका यहां स्‍वर्गवास हुआ, तो भारत के लोगों ने प्रवासी भारतीय दिवस में सामूहिक रूप से उनको श्रद्धांजलि दी थी। तो यह आदर-भाव पुर्तगाल के साथ भारत का बना हुआ है। + +पिछले दिनों मुझे यहां के पूर्व प्रधानमंत्री और अब United Nations के Secretary General श्रीमान एंटोनियो गुटेरेस से रशिया में मिलने का सौभाग्‍य मिला और मैं इतना प्रसन्‍न था कि उनके साथ बातों में उन्‍होंने योगा पर इतनी detail चर्चा की मेरे साथ। उन्‍होंने कहा मेरे परिवार के सभी व्‍यक्ति योगा से जुड़े हुए हैं। योगा के प्रति उनका आदर-भाव और आज भी मैंने देखा यहां के नागरिकों ने योगा का बहुत अच्‍छा उत्‍तम प्रदर्शन किया। ओंकार मंत्र का जाप किया, ओम नम: शिवाय का जाप किया। और योग को मने.. आज प्रधानमंत्री जी मेरे से चर्चा कर रहे थे Holistic Health Care की Preventive Health Care की Low-Cost Health Care की और उन सब के अंदर वो बड़े आत्‍मविश्‍वास के साथ कह रहे थे कि हम पुर्तगाल में योग के माध्‍यम से wellness की movement और स्‍कूलों में भी योग के माध्‍यम से बच्‍चों को प्रशिक्षित करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। मैं प्रधानमंत्री जी को हृदय से अभिनंदन कर रहा हूं कि पुर्तगाल ने योग के आंदोलन को आगे बढ़ाने में पूरे यूरोप में पुर्तगाल lead रह रहा है, और पिछले दिनों 21 जून को भी जब अंतर्राष्‍ट्रीय योग दिवस हुआ। पूरा विश्‍व योग मना रहा था, उस समय पुर्तगाल ने भी बहुत बड़ी मात्रा में उत्‍साह और उमंग के साथ उसमें शरीक हुए। मैं पुर्तगाल के योग प्रेमी भाईयों-बहनों का भी हृदय से अभिनंदन करता हूं। और मानव कल्‍याण के लिए Zero coast Health Care के लिए योग की जो movement चली है, उसको जब प्रधानमंत्री जी स्‍वयं आशीर्वाद दे रहे हैं, मुझे विश्‍वास है कि पुर्तगाल की भावी पीढ़ी के जीवन के लिए यह उनकी बहुत बड़ी सौगात होने वाली है और आने वाली सदियों तक लोग उनको याद करने वाले हैं। + +पुर्तगाल ने startup की दुनिया में अपना नाम कमाया। यहां के youth ने उनके talent ने और सरकार की pro-active नीतियों के कारण startup movement को एक बहुत बड़ा बल मिला है। और पुर्तगाल एक प्रकार से startup का एक बहुत बड़ा creative hub बन सकता है। आज भारत ने और पुर्तगाल ने एक portal launch किया है। जिसमें startup के क्षेत्र में, innovation के क्षेत्र में काम करने वाले नौजवान मिल करक अपने experience share करते हुए, अपने achievement share करते हुए एक Global Platform का निमार्ण करने की दिशा में आगे बढ़े। पिछले दिनों जब startup event यहां हुआ था भारत से सात सौ से ज्‍यादा startup को ले करके काम करने वाले innovation में जुड़े हुए सारे नौजवान यहां आए थे और एक बड़ा प्रेरक कार्यक्रम, एक बड़ा प्रेरणा का काम यहां पर हुआ था। + +भाईयों-बहनों भारत बहुत तेज गति से आगे बढ़ रहा है। विकास की नई ऊंचाईयों को पार कर रहा है। भारत भाग्‍यशाली है, वो आज युवा देश है। 65 प्रतिशत जनसंख्‍या 35 से कम आयु की। जिस देश के पास ऐसी जवानी हो, वो देश के सपने भी जवान होते हैं और उन जवान सपनों का सामर्थ्‍य भी कुछ और होता है। और उसको ले करके भारत नई सीमाओं को पार करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। हर क्षेत्र में भारत आज विकास की बुलंदियों की ओर छू रहा है। + +पिछले तीन वर्ष से मुझे देश में प्रधान सेवक के रूप में सेवा करने का अवसर मिला है और आप अनुभव करते होंगे आपके पास खबरें पहुंचती होंगी और आजकल तो social media के कारण बहुत सी बातें बड़ी आसानी से मिल जाती हैं। आप में से बहुत लोग होंगे जो शायद NarendraModiApp को भी अपने मोबाइल में download किया होगा। नहीं किया हो तो जरूर कर लीजिए। मैं हर पल, हर पल आपके जेब में रहता हूं। आपके मोबाइल फोन में available रहता हूं। भारत की हर गतिविधि का परिचय विकास कितनी तेजी से हो रहा है, कितने क्षेत्रों में हो रहा है आपको मिलता होगा। + +स्‍पेस की दुनिया में भारत के youth ने, भारत के वैज्ञानिकों ने कमाल करके दिखा दिया। कल ही 30 Nano-satellites launch करने का काम भारत के स्‍पेस साइंटिस्‍टों ने किया। कुछ दिन पहले हमारे स्‍पेस साइंटिस्‍टों ने World Record बनाया। एक साथ 104 satellites को लॉन्‍च करके दुनिया को अचरज हो गया था यह शक्ति भारत के पास है तो भारत एक नई ऊर्जा के साथ सामर्थ्‍य के साथ विकास की नई ऊंचाईयों को पार कर रहा है। + +आर्थिक क्षेत्र में भी अनेक विद्-नये बदलाव आ रहे हैं। नियमों में बदलाव आ रहे हैं। foreign direct investment के लिए कई द्वार खोल दिए गए हैं। भारत में 21वीं सदी के अनुकूल infrastructure बने। हमारे रेल, रोड 21वीं सदी के अनुकूल global benchmark वाले कैसे बने उस दिशा में इन दिनों भारत लगातार कोशिश कर रहा है। तेज गति से आगे बढ़ रहा है। + diff --git a/pm-speech/738.txt b/pm-speech/738.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..4fb10e10a49dda22ea5b839fbea8ccfe88ced05f --- /dev/null +++ b/pm-speech/738.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +हम दो ऐसे देश हैं जिनका गहरा ऐतिहासिक जुड़ाव और मजबूत आर्थिक एवं जन संपर्क रहा है। इसलिए, मुझे यह जानकर हैरानी हुई कि किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री ने अब तक पुर्तगाल की द्विपक्षीय यात्रा नहीं की। हालांकि, मैं इस तथ्य से संतुष्ट हूं कि छह महीने के अंदर भारत और पुर्तगाल के बीच यह दूसरी वार्ता है। मैं अल्पकालिक सूचना पर इतनी गर्मजोशी और स्नेह से मेरा स्वागत करने के लिए प्रधानमंत्री कोस्टा का आभारी हूं। जनवरी में भारत में प्रधानमंत्री कोस्टा का स्वागत करना हमारे लिए सम्मान का क्षण था। वह केवल भारत के द्विपक्षीय दौरे पर नहीं बल्कि भारतीय प्रवासी दिवस उत्सव के दौरान प्रवासी भारतीय दिवस के मुख्य अतिथि भी थे। प्रधानमंत्री कोस्टा दुनिया भर में सर्वश्रेष्ठ प्रवासी भारतीयों का प्रतिनिधित्व करते हैं। + +प्रधानमंत्री कोस्टा और मैंने आज व्यापक विचार-विमर्श किया और उनकी भारत की ऐतिहासिक यात्रा के बाद से हासिल प्रगति की समीक्षा की। हमारे संबंधों का ऊपर की तरफ बढ़ना जारी है। पिछले वर्ष द्विपक्षीय व्यापार 17 प्रतिशत बढ़ा है। और, पुर्तगाल से भारत में आने वाला प्रत्यक्ष विदेशी निवेश भले की कम हो लेकिन 2016-17 में यह दोगुना हो गया है। दो अर्थव्यवस्थाओं के बीच ऐसा बहुत कुछ है जो हम माल, सेवाओं, पूंजी और मानव संसाधन के प्रवाह को बढ़ाने के लिए कर सकते हैं। इस संबंध में, पुर्तगाल में आर्थिक बदलाव और भारत का सुदृढ़ विकास हमारे लिए एक साथ आगे बढ़ने का उत्कृष्ट अवसर प्रदान करता है। + +पुर्तगाल उद्यमशीलता के लिए सबसे गतिशील यूरोपीय इको-सिस्टम में से एक के तौर पर उभरा है। भारत भी मजबूत एवं गतिशील स्टार्टअप उद्योगों का केंद्र बन रहा है। स्टार्टअप का क्षेत्र एक ऐसी रोमांचक जगह है, जो समाज के लाभ के लिए धन एवं वैल्यू उत्पन्न करने की खातिर युवाओं, विचारों, प्रौद्योगिकी, नवाचार और रचनात्मकता को जोड़ता है। भारत यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री कोस्टा और मैंने भारत-पुर्तगाल इंटरनेशनल स्टार्टअप हब पर चर्चा की थी। मुझे यह देखकर प्रसन्नता हो रही है कि इतने कम समय में यह हकीकत का रूप लेने जा रहा है। मुझे प्रधानमंत्री कोस्टा के साथ संयुक्त रूप से इसकी शुरुआत करने का इंतजार है। कराधान, प्रशासनिक सुधार, विज्ञान, अंतरिक्ष, युवा मामलों एवं खेल के क्षेत्र में हुए नए समझौते हमारी साझेदारी में विस्तार की संभावनाओं को रेखांकित करते हैं। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हमारा सहयोग गति पकड़ रहा है। अत्याधुनिक तकनीक के क्षेत्र में सहयोग के लिए हम 40 लाख यूरो का संयुक्त विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी कोष बनाने पर सहमत हुए हैं। हम नैनो तकनीक, समुद्री विज्ञान एवं ओशियेनोग्राफी के क्षेत्र में पुर्गताल की विशेषज्ञता से सीखने के लिए उत्सुक हैं। अंतरिक्ष हमारे द्विपक्षीय सहयोग का नया क्षेत्र है। यह आइडिया प्रधानमंत्री कोस्टा की इस वर्ष की शुरुआत में भारत यात्रा के दौरान सामने आया। हमें पुर्तगाल के साथ अटलांटिक इंटरनेशनल रिसर्च सेंटर में काम करने का इंतजार है। इसमें अंतरिक्ष और समुद्री विज्ञान दोनों क्षेत्र आते हैं। + diff --git a/pm-speech/739.txt b/pm-speech/739.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..3ef98712e16f0e24c994dec37e4c7013edb1e949 --- /dev/null +++ b/pm-speech/739.txt @@ -0,0 +1,4 @@ +एक जमाना था हर कोई अपने-अपने तरीके से योग करते थे। धीरे-धीरे उसका Standardization, उसके stages, योग में कैसे आगे बढ़ना- पहला stage, दूसरा stage, तीसरा stage. धीरे-धीरे वैज्ञानिक तरीके से, विश्‍व में समान रूप से योग की प्रक्रिया को भी Standardize करने की दिशा में भारत में और भारत में और बाहर भी बहुत सारे प्रयास चल रहे हैं। + +कभी लोग मुझे पूछते हैं, योग का महात्‍मय की बड़ी-बड़ी चर्चा करते हैं। मैं बड़ी सरल भाषा में समझाता हूं। नमक सबसे सस्‍ता होता है, सर्वदु उपलब्‍ध होता है, लेकिन दिनभर भोजन के अंदर अगर नमक न हो सिर्फ स्‍वाद बिगड़ जाता है ऐसा नहीं है, शरीर की सारी अंतर्रचना को गहरी चोट पहुंचती है। नमक होता थोड़ा सा है, लेकिन पूरी शरीर की रचना में उसका महात्‍मय कोई नकार नहीं सकता है। उसकी जरूरत को कोई नकार नहीं सकता है। नमक- एकमात्र नमक से जीवन नहीं चलता है, लेकिन जीवन में नमक न होने से जीवन नही चलता है। जैसा जीवन में नमक का स्‍थान है, वैसा ही योग का स्‍थान भी हम बना सकते हैं। कोई बहुत चौबीसों घंटे योग करने की जरूरत नहीं है। 50 मिनट, 60 मिनट, और मैंने पहले भी कहा है कि zero cost से Health assurance की ताकत योग के अंदर है। + diff --git a/pm-speech/74.txt b/pm-speech/74.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..8f81b6eab7b8a0bcf56352c7a3ebe82be4542375 --- /dev/null +++ b/pm-speech/74.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +Covid-19 महामारी के कारण हम सभी को अनेक चुनौतियों से जूझना पड़ा। लेकिन यह चुनौतीपूर्ण समय भारत-आसियान मित्रता की कसौटी भी रहा। Covid के काल में हमारा आपसी सहयोग, आपसी संवेदना, भविष्य में हमारे संबंधों को बल देते रहेंगे, हमारे लोगों के बीच सद्भावना का आधार रहेंगे। इतिहास गवाह है कि भारत और आसियान के बीच हजारों साल से जीवंत संबंध रहे हैं। इनकी झलक हमारे साझा मूल्य, परम्पराएँ, भाषाएँ, ग्रन्थ, वास्तुकला, संस्कृति, खान-पान, हर जगह पे दिखते हैं। और इसलिए, आसियान की unity और centrality भारत के लिए सदैव एक महत्वपूर्ण प्राथमिकता रही है। आसियान की यह विशेष भूमिका, भारत की Act East Policy जो हमारी Security and Growth for All in the Region यानी ''सागर'' नीति – में निहित है। भारत के Indo Pacific Oceans Initiative और आसियान के Outlook for the Indo-Pacific, इंडो-पसिफ़िक क्षेत्र में हमारे साझा विज़न और आपसी सहयोग का ढांचाहैं। + diff --git a/pm-speech/740.txt b/pm-speech/740.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..21089cc25c0dbea771323f1887f13c3edac2eddf --- /dev/null +++ b/pm-speech/740.txt @@ -0,0 +1,14 @@ +आज मुझे इस Technical University के भवन के लोकार्पण का भी अवसर मिला है। डॉक्‍टर एपीजे अब्‍दुल कलाम के साथ इसका नाम जुड़ा हुआ है। मैं नहीं मानता हूं कि तकनीकी जगत के लिए डॉक्‍टर एपीजे अब्‍दुल कलाम से बड़ा कोई प्रेरणा का नाम हो सकता है। Science is Universal but Technology Must Be Local. और यहीं पर हमारी कसौटी है। विज्ञान के सिद्धान्‍त प्रतिपादित हो चुके हैं। विज्ञान का ज्ञान उपलब्‍ध है, लेकिन हमारी युवा पीढ़ी से उन चीजों की अपेक्षा है कि उपलब्‍ध संसाधनों के माध्‍यम से जब Technology मानव जीवन को बड़ी प्रभावित कर रही है, तब हम Technology में वो कौन से संशोधन करें, कौन से आविष्‍कार करें, जो हमारे सामान्‍य मानवी की Quality of Life में बदलाव लाएं। हम दुनिया में गर्व कर रहे हैं कि भारत, जिसके पास Eight Hundred Million नौजवानों की फौज है, 35 से कम उम्र के नौजवानों का ये देश है, उसके पास दिमाग भी है। अगर हाथ में हुनर हो, विज्ञान अधिष्‍ठान हो, और Technology का आविष्‍कार हो तो मेरा देश का नौजवान विश्‍व में अपना डंका बजाने का सामर्थ्‍य रखता है। लेकिन हम उस Technology के सहारे उतनी प्रगति नहीं कर सकते। जो पिछली शताब्दियों में बहुत बड़ा रोल कर गई होगी, लेकिन आने वाली शताब्‍दी में शायद वो उपकारक न भी हो। और इसलिए Technology को समय से आगे चलना पड़ता है, उसे दूर का देखना पड़ता है। और भारत के नौजवानों में वो सामर्थ्‍य है, उस सामर्थ्‍य को ले करके हम Technology के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को कैसे पार करें। + +आज भी हमारा देश Defense के लिए, सुरक्षा के लिए, हमारी फौज के लिए हर छोटी-मोटी चीज विदेशों से हम लाते हैं। क्‍या हम बहुत जल्‍द Defense के Sector में भारत को आत्‍मनिर्भर नहीं बना सकते हैं? क्‍या देश की सुरक्षा के लिए जिन संसाधनों की आवश्‍कता है, जिस Technology की आवश्‍यकता है, जिस equipment की आवश्‍यकता है, उसे भारत में ही नए-नए आविष्‍कार के साथ हम क्‍यों न करें। सुरक्षा के क्षेत्र में भारत आत्‍मनिर्भर कैसे बने, इस सपनों को ले करके हम आगे बढ़ रहे हैं। और इसलिए हमने कई नीतिगत परिवर्तन किए हैं। Defense Sector में 100 Percent Foreign Direct Investment को हमने Open किया। हमने भारत के कारोबारियों को Partnership के लिए Open Up किया है। हमने भारत सरकार जो चीजें बाहर से लेती है, अगर हिन्‍दुस्‍तान में बनी हुई लेगी तो उसको विशेष प्रोत्‍साहन की सूची तैयार की है। और ये सारे अवसर Technology से जुड़ी हुई युवा पीढ़ी के लिए हैं। + +वैसा ही एक दूसरा क्षेत्र है। आज Medical Science एक प्रकार से Technology Driven है। अब डॉक्‍टर तय नहीं करता है कि आपको कौन सी बीमारी है, मशीन तय करता है कि आप किस बीमारी से ग्रस्‍त हैं। आपके शरीर में कहां तकलीफ है, कहां कमी है, कैसी तकलीफ है; वो मशीन तय करता है। और बाद में डॉक्‍टर उस मशीन की रिपोर्ट के आधार पर आपके लिए आरोग्‍य का रोडमैप क्‍या होगा, दवाइयां कौन सी होंगी, ऑपरेशन करना है या नहीं करना है; उसके फैसले करता है। लेकिन ये Medical Equipment, उसका Manufacturing, भारत इतना बड़ा देश है, उसको इतनी बड़ी Requirement है। हमारी Technology Field के Students क्‍यों न सोचें कि हम वो Start Up शुरू करेंगे, हम उस विषय पर खोज करेंगे, हम भारत के अंदर ही आरोग्‍य के क्षेत्र में जिस Equipment की Requirement है उस Requirement को पूरा करने के लिए नई खोज के साथ नए निर्माण की दिशा में जाएंगे। + +Mars पर जाने के लिए दुनिया के बड़े-बड़े देशों ने प्रयास किया। पहले Trial में दुनिया का कोई देश Mars और Orbit में नहीं जा सका था। हिन्‍दुस्‍तान दुनिया का पहला देश था जो पहले Trial में Mars और Orbit में पहुंचा था। और दुनिया को तब अचरज हो गया कि भारत के युवा वैज्ञानिकों ने ये Mars की यात्रा इतनी सस्‍ते में की। लखनऊ में अगर आपको टैक्‍सी में जाना है, ऑटो रिक्‍शा में जाना है तो एक किलोमीटर का 10 रुपया तो लगता ही होगा। हम Mars पर पहुंचे, एक किलोमीटर का सिर्फ सात रुपये का खर्चा किया। और हमारा Mars पर जाने का जो Total Budget था वो Hollywood की फिल्‍म का जो खर्चा होता है उससे कम खर्चे में हमारे देश के वैज्ञानिक Mars पर पहुंच चुके। + +ये सामर्थ्‍य है हमारी युवा पीढ़ी में, ये सामर्थ्‍य है हमारे देश के talented नौजवानों में, technicians में, वैज्ञानिकों में, पिछले दिनों जब भारत ने एक साथ 104 सेटेलाइट छोड़े दुनिया के लिए आश्‍चर्य था कि एक साथ 104 सेटेलाइट छोड़ने की ताकत इस देश के वैज्ञानिकों में है। इस सामर्थ्‍य को लेकर के आगे बढ़ना है और उस अर्थ में आज ये Technical University और उसके साथ जुड़े हुए सारे संबद्ध colleges उसको कैसे आगे बढ़ाएं? मैं जानता हूं उत्‍तर प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में काम करना कितना कठिन है। हमारे गर्वनर श्रीमान राम नाइक जी चांसलर के रूप में University में discipline कैसे आए, University में समय सीमा में काम कैसे हो, इस पर देर रात काम कर रहे थे। उत्‍तर प्रदेश के 28 Universities में से 24 Universities को अब वो समय पर exam हो, समय पर convocation हो, इसको कराने में सफल हुए हैं। ये discipline बहुत आवश्‍यक होती है। लेकिन राम नाइक जी बहुत ही focus काम करने के आदी हैं जिस चीज को हाथ में लेते हैं उसको पूरा करके रहते हैं और इसलिए उत्‍तर प्रदेश की Universities में rules and regulations, नियम परम्‍पराएं, discipline विद्यार्थियों के समय की बर्बादी न हो उस पर बड़ी बारीकी से नजर रखते हुए उसको आगे बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं। अब योगी जी की सरकार आ गई है तो उनको और सुविधा हो गई है। काम को और सरलता से बढ़ा रहे हैं। + +आज बिजली ऊर्जा ये विकास के लिए बहुत महत्‍वपूर्ण है technology जीवन की life में ऊर्जा का अपना एक सामर्थ्‍य है। renewable energy के द्वारा solar energy के द्वारा देश में एक नई क्रांति लाने का प्रयास चल रहा है। LED bulb घर-घर पहुंचाकर के बिजली बचाने का एक बहुत बड़ा अभियान चल रहा है। करीब 22 करोड़ से भी ज्‍यादा LED के bulb पिछले एक साल के भीतर-भीतर घरों में लग चुके हैं और उसके कारण बिजली उससे भी ज्‍यादा मिलती है लेकिन खर्चा LED bulb के कारण, जिन परिवारों में LED bulb का उपयोग हो रहा है उससे जो बिजली के बिल की बचत हो रही है, वो करीब करीब 12 से 13 हजार करोड़ रुपये की बचत है। ये सामान्‍य मानवीय के पैसे बच रहे हैं। आज 400 KV का transmission line का यहां मैं लोकार्पण कर रहा हूं। ये जो मध्‍य भाग है कानपुर तक का पूरा उन्नाव समेत सारा, वहां पर एक quality बिजली, जो यहां के औद्योगिक जीवन को मदद करेगी, जो यहां के घर में जो बिजली चाहिए वो मदद मिलेगी। और आपके यहां तो बिजली वितरण में भी VIP कोटा रहता था मैंने सुना है। कुछ district बड़े VIP रहते थे वहां बिजली का एक प्रकार रहता था और कुछ district ऐसे थे ये… मैं योगी जी की बधाई करता हूं, अभिनंदन करता हूं उनका कि उन्‍होंने सभी 75 जिलों को एक समान रूप से बिजली के कारोबार का मदद करने का निर्णय किया। शासन का यही काम होता है। कुछ को विशेष लाभ और कुछ को कुछ नहीं। इसको खत्‍म करने में कितनी दिक्‍कत आती है, मैं जानता हूं लेकिन मुझे विश्‍वास है योगी जी ये करके रहेंगे, उन्‍होंने ये तय किया है परिणाम लाकर रहेंगे। + +1 जुलाई से जीएसटी का प्रारंभ हो रहा है। इस देश के लिए बड़े गर्व की बात है। इस देश के सभी राजनीतिक दल, इस देश के सभी राजनीतिक नेता, कितना ही विरोध क्‍यों न हो। इस देश की सभी राज्‍य सरकारें, केंद्र सरकार मिलकर के एक ऐसा ऐतिहासिक काम करने जा रहें हैं जो 1 जुलाई से देश की अर्थव्‍यवस्‍था में एक बहुत बड़ा परिवर्तन आने वाला है। ये अपने आपमें बहुत बड़ी सिद्धी है। भारत के Federal Structure की सिद्धी है। भारत के राजनीतिक दलों की maturity की सिद्धी है। दल से ऊपर देश, ये हिन्‍दुस्‍तान के सभी राजनीतिक दलों ने दिखा दिया है। मैं सभी राजनीतिक दलों का आभारी हूं, मैं सभी राज्‍य सरकारों का आभारी हूं, मैं सभी विधानसभाओं का आभारी हूं, लोकसभा का, राज्‍यसभा का आभारी हूं। सबने मिलकर के इस जीएसटी लागू करने के लिए प्रयास सफलतापूर्वक किया। अब मुझे विश्‍वास है कि 1 जुलाई के बाद नागरिकों के सहयोग से, खासकर के छोटे-मोटे व्‍यापारियों के सहयोग से, हम सफलतापूर्वक जीएसटी में आगे बढ़ेंगे तब दुनिया के लिए बहुत बड़ा अजूबा होगा कि इतना बड़ा देश इस प्रकार से transformation कर सकता है। भारत के लोकतंत्र की ताकत की पहचान होगी दुनिया को कि इस देश के सभी दल, सभी भिन्‍न-भिन्‍न विचारधारा वाले दल देश हित में कंधे से कंधा मिलाकर के कितना बड़ा फैसला करते हैं, ये दुनिया के सामने एक अजूबा की तरह दिखने वाला है। ये भारत के लोकतंत्र की ताकत है, भारत के लोकतंत्र की maturity की ताकत है। भारत के लोकतंत्र में राजनीतिक दलों की leadership की maturity की ताकत है कि संभव हुआ है। और इसलिए इसकी credit न मोदी को जाती है न एक सरकार को जाती है। ये सवा सौ करोड़ देशवासियों को जाती है। भारत के mature लोकतंत्र को जाता है। देश के सभी राजनीतिक दलों को जाता है, देश की सभी विधानसभाओं को जाता है, लोकसभा और राज्‍यसभा को जाता है। + diff --git a/pm-speech/741.txt b/pm-speech/741.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..2058c2e592f80a5034bc45ef80116ac3626f284e --- /dev/null +++ b/pm-speech/741.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +मेरा मानना है कि पठन और ज्ञान का दायरा केवल काम संबंधी पहलुओं तक सीमित नहीं होना चाहिए। बल्कि इसे लोगों में सामाजिक दायित्‍व, राष्‍ट्र सेवा और मानवता की सेवा जैसी आदतों को विकसित करने में मदद करनी चाहिए। इसे समाज और राष्‍ट्र में बुराइयों को ठीक करना चाहिए। इसे राष्‍ट्र की एकता और अखंडता का सम्‍मान करते हुए शांति के विचारों को फैलाना चाहिए। + diff --git a/pm-speech/742.txt b/pm-speech/742.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..9828163738bcb9ab519706827eed47cc9b8bb2b6 --- /dev/null +++ b/pm-speech/742.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +उषा जी, राष्‍ट्र को आप पर गर्व है। लेकिन इससे भी अच्‍छी बात यह है कि उषा जी ने खेल के साथ अपना लगाव लगातार जारी रखा है। उनके व्‍यक्तिगत ध्‍यान और केंद्रित दृष्टिकोण ने अच्‍छे परिणाम लाने शुरू कर दिए हैं और अब मिस टिंटू लुका एवं मिस जिस्‍ना मैथ्‍यू जैसी उनकी प्रशिक्षु अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर अपनी छाप पहले ही छोड़ चुकी हैं। + +यह खेल की एकजुटता की ताकत है। खेल एवं संस्‍कृति में परिवर्तन करने की क्षमता होती है जो लोगों के बीच संबंधों को और गहराई देती है। यहां तक कि भारत में घर पर भी एक खिलाड़ी पूरे देश की कल्‍पना करता है। उनका प्रदर्शन एकजुटता की ताकत को दर्शाता है- जब वह मैदान पर होता है तो हर कोई उसके लिए प्रार्थना करता है। + +हमारे पास प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। लेकिन हमें उन प्रतिभाओं को निखारने के लिए उचित अवसर प्रदान करने और एक माहौल बनाने की जरूरत है। हमने एक कार्यक्रम ‘खेलो इंडिया’ की शुरुआत की है। इस कार्यक्रम के तहत स्‍कूल एवं कॉलेज स्‍तर से लेकर राष्‍ट्रीय स्‍तर तक विभिन्‍न खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाएगा। इसके जरिये प्रतिभाओं को पहचानने और उसके बाद उचित मदद मुहैया कराते हुए उसके पोषण पर ध्‍यान केंद्रित किया जाएगा। + diff --git a/pm-speech/743.txt b/pm-speech/743.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..13106d62f31a81638e11629a651d54595fa61958 --- /dev/null +++ b/pm-speech/743.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +क्षेत्रीय तथा वैश्विक परिपेक्ष्य में, Shanghai Cooperation Organisation, शांति तथा सुरक्षा का एक मुख्य स्तम्भ है । भारत 12 साल की observership के बाद आज SCO की सदस्यता ग्रहण करेगा । हमारी सदस्यता के समर्थन के लिए, मैं SCO के सभी देशों का हार्दिक आभार प्रकट करता हूं। सदस्यता की expansion के बाद SCO विश्व की लगभग 42% जनसंख्या, 20% GDP तथा 22% भूभाग को represent करेगी। अत: SCO की प्रगति विश्व के विशाल जनमानस तथा भूभाग की उन्नति है। + +SCO देशो के साथ connectivity भारत की प्राथमिकता है और हम इसका भरपूर समर्थन करते है। हम चाहते है कि connectivity हमारे देशो की भावी पीढ़ियों तथा समाजों के बीच सहयोग तथा विश्वास का मार्ग प्रशस्त करे । इसके लिए connectivity initiatives अथवा परियोजनाओं की सफलता एवं स्वीकृति के लिए सम्प्रभुता तथा क्षेत्रीय अखंडता का आदर जरूरी, तथा इनकी inclusivity तथा sustainability आवश्यक है । अंतर्राष्ट्रीय North-South Transport Corridor तथा चाहबहार एग्रीमेंट से हमारा जुड़ना और अश्काबाद एग्रीमेंट को join करने का हमारा निर्णय, भारत को इस क्षेत्र से और घनिष्ठ रूप से जोड़ेगा। + +आतंकवाद मानव अधिकारों तथा मानव मूल्यों के सबसे बड़े उल्लंघनकारियों में से एक है। अतः आतंकवाद तथा अतिवाद के खिलाफ संघर्ष SCO के सहयोग का अहम भाग है। मुद्दा चाहे radicalization का हो, terrorists की recruitment का, उनकी training का, अथवा financing का, जब तक हम सभी देश मिलकर इस दिशा में coordinated तथा सशक्त efforts नहीं करेंगे, तब तक इन समस्याओं का समाधान असंभव है। इस संदर्भ में SCO द्वारा किए गए सुदृढ़ प्रयास अत्यंत सराहनीय हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि भारत-SCO सहयोग आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को एक नई दिशा तथा शक्ति प्रदान करेगा। क्षेत्रीय परिप्रेक्ष्य में अफगानिस्तान में शांति तथा स्थिरता भी SCO के प्रयासों से लाभ उठा सकती है। वैश्विक संदर्भ में पर्यावरण बदलाव की समस्या पर भी SCO अपना ध्यान केंद्रित कर सकता है। इस संदर्भ में, Astana Expo 2017 में “Future Energy” को थीम चुने जाने पर, मैं Kazakhstan को और राष्ट्रपति जी को ह्रदय से अभिनंदन देता हूं। + diff --git a/pm-speech/744.txt b/pm-speech/744.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..5018bfc69a2899c65215ac555152acfc96c0b1ea --- /dev/null +++ b/pm-speech/744.txt @@ -0,0 +1,8 @@ +संगीत के क्षेत्र में शासन नहीं, केवल अनुशासन चलता है। पिछले 40 वर्षों में आपकी सोसायटी ने जिस अनुशासन के साथ, single-minded focus के साथ, देश के कोने-कोने में स्कूलों और कॉलेजों में जाकर, गांवों और शहरों में छात्रों को इस कार्यक्रम से जोड़ा है, बहुत कम फीस पर कलाकारों को अपने साथ काम करने के लिए तैयार किया है, साधन जुटाए हैं, संसाधन जुटाए हैं, वो अतुलनीय है। + +भारत का संगीत, ये विरासत, इस देश के लिए, हम सभी के लिए आशीर्वाद की तरह है। एक बड़ी सांस्कृतिक विरासत है। उसकी अपनी शक्ति है, ऊर्जा है। हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि “राष्ट्रयाम जाग्रयाम वयम” : eternal vigilance is the price of liberty, हमें हर पल सजग रहना चाहिए। हमें अपनी विरासत के लिए हर पल कार्य करना चाहिए। + +इस समय पूरी दुनिया में climate change एक बड़ा विषय बना हुआ है। आने वाली पीढ़ियों के लिए, भविष्य के लिए हमें अपने पर्यावरण को बचाना ही होगा। पिछले तीन वर्षों में पर्यावरण बचाने के लिए भारत ने जो कुछ कदम उठाएं हैं, आज पूरी दुनिया में उनकी चर्चा है। दुनिया भारत की ओर देख रही है और इसलिए बहुत आवश्यक है कि देश के नौजवानों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति, अपनी विरासत को बचाने के लिए जागरूक किया जाए। + +पिछले 40 वर्षों से आप युवा ऊर्जा को एक दिशा देने का प्रयास कर रहे हैं। अब तो हमारा देश दुनिया का सबसे नौजवान देश है। नौजवान ऊर्जा और युवा जोश से भरा हुआ है। इस ऊर्जा को राष्ट्र निर्माण के कार्यों में लगाने के लिए आपके जैसे संस्थान बहुत कुछ कर सकते हैं। इतिहास गवाह है कि जिस देश में युवा शक्ति संगठित होकर राष्ट्र निर्माण में जुट गई, वो देश विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचा है। + diff --git a/pm-speech/745.txt b/pm-speech/745.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..4b46311f5b3f4d16d83d5b7121004def7571987f --- /dev/null +++ b/pm-speech/745.txt @@ -0,0 +1,12 @@ +हमारे संबंधों के विकास के संपूर्ण स्वरूप पर मैंने और राष्ट्रपति पुतिन ने आज विस्तार से बातचीत की है। संबंधों की वर्तमान गति को और तेज करना तथा इसके उज्जवल भविष्य के लिए एक action plan बनाने पर महत्वपूर्ण निर्णय लिए। इसके मद्देनजर हमने आज Saint Petersburg एक ऐलान adopt किया है। एक ऐसा स्वरूप जो कि न केवल दोनों देशों के आर्थिक तथा राजनैतिक सुदृढ़ता का विकास का मार्ग प्रशस्त करेगा। बल्कि वैश्विक उथल-पुथल में स्थिरता का एक benchmark साबित होगा। + +आज के Inter-depended तथा Inter-connected विश्व में बढ़ते आर्थिक सहयोग संबंधों के विकास के महत्वपूर्ण driver है। हमारे आर्थिक संबंधों में तीव्र प्रगति, मेरा तथा राष्ट्रपति पुतिन का एक अहम साझा उद्देश्य है। Saint Petersburg अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक फोरम में भारत का guest country के रूप में शामिल होना तथा मेरा इस फोरम की plenary में कल होने वाला वक्तव्य दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं को और समीप लाएगा। इन्हीं प्रयासों के चलते द्विपक्षीय निवेश में काफी तीव्र प्रगति हुई है। तथा हम 2025 तक 30 billion US dollar के निवेश के लक्ष्य की उपलब्धि के समीप हैं। आर्थिक संबंधों की गहनता का एक मुख्य आधार है Energy Cooperation Nuclear, Hydrocarbon तथा Renewable Energy इसके प्रमुख भाग हैं। मुझे खुशी है कि आज कुडूकुनल- V तथा VI के finalization द्वारा हमारे दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय ऊर्जा सहयोग और घनिष्ठ होंगे। परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में भारत तथा रूस परस्पर लाभ से आगे तीसरे देशों में भी अपना सहयोग बढ़ा रहे हैं। हमारे व्यापारिक तथा वाणिज्यिक संबंधों के विकास में private sector का एक महत्वपूर्ण role है। इस संदर्भ में हम दोनों देशों के private sectors को एक proactive भूमिका के लिए निमंत्रित करते हैं। हमारा यह भी मानना है कि दोनों देशों के बीच अधिकाधिक physical तथा Institutional connectivity भी आर्थिक संबंधों की मजबूती के लिए अनिवार्य है। इस संदर्भ में International North-South Transport Corridor के अंतर्गत हमारा सहयोग हमारी सहभागिता को एक महत्वपूर्ण दिशा प्रदान करेगा। आने वाली Eurasian Economic Union के साथ FTA negotiations भी हमारे आर्थिक सहयोग को और बल देगी। Scientific Industrial तथा तकनीकी सहयोग हमारे overall आर्थिक सहयोग का एक महत्वपूर्ण भाग है। इसके द्वारा उत्पन्न लाभ हमारे समाज तथा अर्थव्यवस्थाओं को सुदृढ़ता तथा समृद्धि प्रदान करता है। ‘Bridge to Innovation’ का हमारा साझा programme दोनों देशों के युवा वैज्ञानिकों, start-ups तथा युवा entrepreneurs के विकास में अत्यंत मददगार सिद्ध होगा। यह हमारे युवा पीढ़ियों के भविष्य को Innovation Economy की opportunities से सीधा जोड़ेगा। उम्मीद है कि इसके द्वारा job-seekers, job-creators में प्रवर्तित होंगे। इस माह के अंत में दोनों देश पहली बार द्विपक्षीय Science तथा Technology Commission का आयोजन करेंगे। मुझे विश्वास है कि यह हमारी Scientific तथा Technical cooperation को एक नई ऊंचाई पर ले जाएगा। + +भारत तथा रूस के रक्षा संबंध अत्यंत सुदृढ हैं। वैश्विक संबंधों का चाहे कोई भी स्वरूप रहा हो, भारत तथा रूस की सुरक्षा partnership ने सदैव दोनों देशों के strategic हितों की रक्षा की है। हाल ही में भारत में हुई first Military Industry Conference रक्षा तथा सुरक्षा equipment की entire value chain में दोनों देशों की सहभागिता को गहन करने में एक महत्वपूर्ण कदम था। Kamov-226 हेलीकाप्टर के production का Joint Venture भी शुरू हो गया है। Frigates के joint manufacturing को भी implement किया जा रहा है। रक्षा संबंधी manufacturing सहयोग को नई दिशा मिल रही है। दोनों देशों के बीच Military to Military cooperation को नया आयाम देने के लिए इस वर्ष दोनों देश पहली Tri-Services Exercise INDRA -2017 का आयोजन करेगा। + +हमारे मधुर संबंधों की एक प्रमुख ईकाई दोनों देशों के बीच people to people contact है। रूसी संस्कृति की भारत में प्रसिद्धि तथा Yoga, Ayurveda तथा भारतीय संस्कृति से जुड़े हर पहलू की रूस में लोकप्रियता दोनों देशों के लिए संतोष का एक विषय है। मुझे विश्वास है कि पिछले वर्षों की भांति इस वर्ष में हमारे रूसी मित्र International Day of Yoga को धूमधाम से मनाएंगे। + +बदलते हुए क्षेत्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय स्वरूप पर भी आज मैंने और राष्ट्रपति पुतिन ने विस्तार में चर्चा की। हम सहमत है कि चाहे आतंकवाद का मसला हो, strategic हितों की सुरक्षा का प्रश्न हो, या उभरती हुई नई चिंताओं से निपटने का मुद्दा हो, भारत तथा रूस सदैव एक दूसरे के समर्थन में खड़े रहेंगे। Cross border terrorism पर रूस के बिना शर्त संपूर्ण समर्थन का भारत अभिनंदन करता है। अफगानिस्तान, Middle East तथा Asia Pacific पर दोनों देशों की विचारधाराओं में समानता है। भारत तथा रूस, BRICS तथा G-20 में भी लगातार समन्वय बनाए हुए हैं। Shanghai Cooperation Organization में रूस के सुदृढ़ नेतृत्व में हम दोनों देश क्षेत्रीय सहयोग की नवरचना में संलग्न हैं। + +हमारे संबंधों के विकास में राष्ट्रपति पुतिन के अद्वितीय नेतृत्व का मैं अभिनंदन करता हूं। हमारा संबंध एक ऐसा फलदायी पेड़ है जिसकी जड़ों को 7 दशकों से कई महानुभावों ने सींचा है। ऐसे ही एक व्यक्ति थे Ambassador एलेक्जेंडर कदाकीन। भारत के इस मित्र को हमने इस वर्ष खो दिया। रूस के इस गौरवशाली पुत्र की याद में नई दिल्ली में एक सड़क का नामकरण Ambassador कदाकीन के नाम पर आज किया गया है। + diff --git a/pm-speech/747.txt b/pm-speech/747.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..b6b3c0e2df04093409b440369fc5a30fbe4098ad --- /dev/null +++ b/pm-speech/747.txt @@ -0,0 +1,26 @@ +बहुत वर्षों पहले मैं अंडमान निकोबार गया था। सेलुलर जेल देखने गया था। आज वीर सावरकर जी की जन्म जयन्ती है। वीर सावरकर जी ने जेल में ‘माज़ी जन्मठे’ किताब लिखी थी। कविताएँ लिखते थे, दीवारों पर लिखते थे। छोटी सी कोठरी में उनको बंद कर दिया गया था। आज़ादी के दीवानों ने कैसी यातनाएँ झेली होंगी। जब सावरकर जी की ‘माज़ी जन्मठे’ एक किताब मैंने पढ़ी और उसी से मुझे सेलुलर जेल देखने की प्रेरणा मिली थी। वहाँ एक light and sound show भी कार्यक्रम चलता है, वो बड़ा ही प्रेरक है। हिन्दुस्तान का कोई राज्य ऐसा नहीं था, हिन्दुस्तान की कोई भाषा बोलने वाला नहीं होगा जो आज़ादी के लिए काले पानी की सजा भुगतता हुआ अंडमान की जेल में, इस सेलुलर जेल में, अपनी जवानी न खपाई हो। हर भाषा बोलने वाले, हर प्रांत के, हर पीढ़ी के लोगों ने यातनाएँ झेली थी। आज वीर सावरकर जी की जन्म जयन्ती है। मैं देश की युवापीढ़ी को ज़रूर कहूँगा कि हमें जो आज़ादी मिली है उसकी कैसी यातना लोगों ने झेली थी, कितने कष्ट झेले थे, अगर हम सेलुलर जेल जाकर देखें, काला पानी क्यों कहा जाता था! जाने के बाद ही पता चलता है। आप भी कभी मौका मिले तो, एक प्रकार से हमारी आज़ादी की जंग के तीर्थ क्षेत्र हैं, ज़रूर जाना चाहिए। + +मेरे प्यारे देशवासियों, 5 जून, महीने का पहला सोमवार है। वैसे तो सब कुछ सामान्य है, लेकिन 5 जून, एक विशेष दिवस है क्योंकि ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ के रूप में उसे मनाया जाता है और इस वर्ष UN ने इसका theme रखा है – ‘Connecting People to Nature’। दूसरे शब्दों में कहें तो back to basics और nature से connect का मतलब क्या है? मेरी दृष्टि से मतलब है – ख़ुद से जुड़ना, अपने आप से connect होना। nature से connect का मतलब है – better planet को nurture करना। और इस बात को महात्मा गाँधी से ज़्यादा अच्छे से कौन बता सकता है। महात्मा गाँधी जी कई बार कहते थे – “One must care about a world one will not see” अर्थात् हम जो दुनिया नहीं देखेंगे, हमारा कर्त्तव्य है कि हम उसकी भी चिंता करें, हम उसकी भी care करें। + +वेदों में पृथ्वी और पर्यावरण को शक्ति का मूल माना गया है। हमारे वेदों में इसका वर्णन मिलता है। और अथर्ववेद तो पूरी तरह, एक प्रकार से पर्यावरण का सबसे बड़ा दिशा-निर्देशक ग्रंथ है और हज़ारों साल पहले लिखा गया है। हमारे यहाँ कहा गया है – ‘माता भूमिः पुत्रो अहम् पृथिव्याः’। वेदों में कहा गया है कि हम में जो purity है वह हमारी पृथ्वी के कारण है। धरती हमारी माता है और हम उनके पुत्र हैं। अगर हम भगवान् बुद्ध को याद करें तो एक बात ज़रूर उजागर होती है कि महात्मा बुद्ध का जन्म, उन्हें ज्ञान की प्राप्ति और उनका महा-परिनिर्वाण, तीनों पेड़ के नीचे हुआ था। हमारे देश में भी अनेक ऐसे त्योहार, अनेक ऐसी पूजा-पद्धति, पढ़े-लिखे लोग हों, अनपढ़ हो, शहरी हो, ग्रामीण हो, आदिवासी समाज हो, प्रकृति की पूजा, प्रकृति के प्रति प्रेम एक सहज समाज जीवन का हिस्सा है लेकिन हमें उसे आधुनिक शब्दों में आधुनिक तर्कों के साथ संजोने की ज़रूरत है। + +इन दिनों मुझे राज्यों से ख़बरें आती रहती हैं। क़रीब-क़रीब सभी राज्यों में वर्षा आते ही वृक्षारोपण का एक बहुत बड़ा अभियान चलता है। करोड़ों की तादात में पौधे लगाये जाते हैं। स्कूल के बच्चों को भी जोड़ा जाता है, समाज-सेवी संगठन जुड़ते हैं, NGOs जुड़ते हैं, सरकार स्वयं initiative लेती है। हम भी इस बार इस वर्षा ऋतु में वृक्षारोपण के इस काम को बढ़ावा दें, योगदान दें। + +मेरे प्यारे देशवासियों, 21 जून, अब दुनिया के लिये 21 जून जाना-पहचाना दिन बन गया है। विश्व योग दिवस के रूप में पूरा विश्व इसे मनाता है। बहुत कम समय में 21 जून का ये विश्व योग दिवस हर कोने में फ़ैल चुका है, लोगों को जोड़ रहा है। एक तरफ़ विश्व में बिखराव की अनेक ताक़तें अपना विकृत चेहरा दिखा रही हैं, ऐसे समय में विश्व को भारत की एक बहुत बड़ी देन है। योग के द्वारा विश्व को एक सूत्र में हम जोड़ चुके हैं। जैसे योग, शरीर, मन, बुद्धि और आत्मा को जोड़ता है, वैसे आज योग विश्व को भी जोड़ रहा है। आज जीवनशैली के कारण, आपा-धापी के कारण, बढ़ती हुई ज़िम्मेवारियों के कारण, तनाव से मुक्त जीवन जीना मुश्किल होता जा रहा है। और ये बात देखने में आई छोटी-छोटी आयु में भी, ये स्थिति पहुँच चुकी है। अनाप-शनाप दवाइयाँ लेते जाना और दिन गुज़ारते जाना, ऐसी घड़ी में तनाव-मुक्त जीवन जीने के लिए योग की भूमिका अहम है। योग wellness और fitness दोनों की guarantee है। योग सिर्फ व्यायाम नहीं है। तन से, मन से, शरीर से, विचारों से, आचार से स्वस्थता की एक अंतर्यात्रा कैसे चले – उस अंतर्यात्रा को अनुभव करना है तो योग के माध्यम से संभव है। अभी दो दिन पहले ही मैंने योग दिवस को लेकर के विश्व की सभी सरकारों को, सभी नेताओं को चिट्ठी लिखी है। + +पिछले वर्ष मैंने योग से संबंधित कुछ स्पर्धाओं की घोषणा की है, कुछ इनामों की घोषणा की है। धीरे-धीरे उस दिशा में काम आगे बढ़ेगा। मुझे एक सुझाव आया है और ये मौलिक सुझाव देने वालों का मैं अभिनंदन करता हूँ। बड़ा ही interesting सुझाव दिया है। उन्होंने कहा कि ये तीसरा अंतरराष्ट्रीय योग दिवस है और मुझे कहा कि आप अपील करें कि इस बार तीसरा अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर एक ही परिवार की तीन पीढ़ी एक साथ योग करे। दादा-दादी हो या नाना-नानी हो, माता-पिता हो, बेटे-बेटी हो, तीनों पीढ़ी एक साथ योग करें और उसकी तस्वीर upload करें। कल, आज और कल एक ऐसा सुभग संयोग होगा कि योग को एक नया आयाम मिलेगा। मैं इस सुझाव के लिए धन्यवाद करता हूँ और मुझे भी लगता है कि जैसे हम लोगों ने selfie with daughter का अभियान चलाया था और एक बड़ा ही रोचक अनुभव आया था। ये तीन पीढ़ी की तस्वीर योगा करती हुई तस्वीर ज़रूर देश और दुनिया के लिए कौतुक जगाएगी। आप ज़रूर NarendraModiApp पर, MyGov पर तीन पीढ़ी जहाँ-जहाँ योग करती हो, तीनों पीढ़ी के लोग एक साथ मुझे तस्वीर भेजें। कल, आज और कल की ये तस्वीर होगी, जो सुहाने कल की guarantee होगी। मैं आप सबको निमंत्रित करता हूँ। अभी अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस के लिये क़रीब तीन सप्ताह हमारे पास हैं। आज ही practice में लग जाइए। मैं 01 जून से twitter पर daily योग के संबंध में कुछ-न-कुछ post करूँगा और लगातार 21 जून तक post करता रहूँगा, आप से share करूँगा। आप भी तीन सप्ताह लगातार योग के विषय को प्रचारित करिए, प्रसारित करिए, लोगों को जोड़िए। एक प्रकार से ये preventive health care का आंदोलन ही है। मैं निमंत्रित करता हूँ आप सब को इसमें जुड़ने के लिए। + +जब से आप लोगों ने मुझे प्रधान सेवक के रूप में कार्य की ज़िम्मेदारी दी है और लाल किले पर से, जब पहली 15 अगस्त थी मेरी, मुझे पहली बार बोलने का अवसर मिला था। स्वच्छता के संबंध में मैंने बात कही थी। तब से लेकर के आज तक हिंदुस्तान के अलग-अलग भागों में मेरा प्रवास होता है और मैंने देखा है कि कुछ लोग बारीकी से मोदी क्या करते हैं? मोदी कहाँ जाते हैं? मोदी ने क्या-क्या किया? बराबर follow करते हैं। क्योंकि मुझे एक बड़ा interesting phone call आया और मैंने भी शायद इस प्रकार से चीज़ को सोचा नहीं था लेकिन इस बात को उन्होंने जो पकड़ी, इसके लिए मैं उनका आभारी हूँ। ये phone call से आपको भी ध्यान में आएगा: + +“प्रणाम मोदी जी, मैं नैना मुंबई से। मोदी जी T.V. पर और Social Media में आज कल मैं हमेशा देखती हूँ आप जहाँ भी जाते हैं वहाँ के लोग साफ़-सफाई पर विशेष ध्यान देते हैं। मुंबई हो या सूरत आपके आह्वान पर लोगों ने सामूहिक रूप से स्वच्छता को एक mission के रूप में अपनाया है। बड़े तो बड़े, बच्चों में भी स्वच्छता को लेकर जागरूकता आई है। कई बार उन्हें सड़क पर बड़ों को गंदगी फैलाते हुए, टोकते हुए देखा है। काशी के घाटों से जो आपने स्वच्छता की एक मुहिम शुरू की थी, वो आपकी प्रेरणा से एक आंदोलन का रूप ले चुकी है। + +एक बात मैं ज़रूर कहना चाहूँगा कि ये जो कूड़ा-कचरा है, इसको हम waste न मानें, वो wealth है, एक resource है। इसे सिर्फ garbage के रूप में न देखें। एक बार इस कूड़े-कचरे को भी हम wealth मानना शुरू करेंगें तो waste management के कई नए-नए तरीके हमारे सामने आयेंगे। Start-Up में जुड़े हुए नौजवान भी नई-नई योजनाएँ लेकर के आएंगे। नए-नए equipment लेकर कर के आएँ। भारत सरकार ने राज्य सरकारों की मदद के साथ शहरों के जनप्रतिनिधियों की मदद के द्वारा waste management का एक बड़ा महत्वपूर्ण अभियान शुरू करना तय किया है। + +5 जून, विश्व पर्यावरण दिवस पर देश के करीब 4 हज़ार नगरों में solid waste, liquid waste इसको collect करने के लिए उस प्रकार के साधन उपलब्ध होने वाले हैं। दो प्रकार के कूड़ेदान उपलब्ध होंगे, एक green colour का, दूसरा blue colour का। दो प्रकार के waste निकलते हैं – एक liquid waste होता है और एक dry waste होता है। अगर हम discipline follow करें, इन चार हज़ार नगरों में, ये जो कूड़ेदान रखे जाने वाले हैं। सूखा कचरा नीले कूड़ेदान में डालें और गीला कचरा हरे कूड़ेदान में डालें। जैसे kitchen का जो waste निकलता है, साग-सब्जियों के छिलके हों, बचा हुआ भोजन हो, अंडे के छिलके हों, पेड़-पौधों के पत्ते आदि हों ये सारे गीले waste हैं और उसको हरे कूड़ेदान में डालें। ये सारी चीज़ें ऐसे हैं जो खेत में काम आती हैं। अगर खेत का रंग हरा, इतना याद रखोगे तो हरे कूड़ेदान में क्या डालना है वो याद रह जाएगा। और दूसरा कूड़ा-कचरा ये है जैसे रद्दी-काग़ज है, गत्ता है, लोहा है, कांच है, कपड़ा है, plastic है, polythene है, टूटे हुए डब्बे हैं, रबड़ है, धातुएँ है, कई चीज़े होंगी – ये सारी चीज़ें एक प्रकार से सूखा कचरा है। जिसको machine में डाल करके recycle करना पड़ता है। वैसे वो कभी उपयोग नहीं आ सकता। उसको नीले कूड़ेदान में डालना है। + +पिछले दिनों आपके कान पर एक ख़बर आई होगी। मुंबई में गंदा माने जाने वाला वर्सोवा beach आज एक साफ़-सुथरा, सुंदर वर्सोवा beach बन गया। ये अचानक नहीं हुआ है। करीब 80-90 सप्ताह तक नागरिकों ने लगातार मेहनत करके वर्सोवा beach का कायापलट कर दिया। हज़ारों टन कूड़ा-कचरा निकाला गया और तब जा करके आज वर्सोवा beach साफ़ और सुंदर बन गया। और इसकी सारी जिम्मेवारी Versova Residence Volunteer (VRV) उन्होंने संभाली थी। एक सज्जन श्रीमान् अफरोज़ शाह अक्टूबर 2015 से, वे जी-जान से इसमें जुट गए। धीरे-धीरे ये कारवाँ बढ़ता चला गया। जन-आन्दोलन में बदल गया। और इस काम के लिए श्रीमान् अफरोज़ शाह को United Nations Environment Programme (UNEP), उन्होंने बहुत बड़ा award दिया। Champions of The Earth Award ये पाने वाले वो पहले भारतीय बने। मैं श्रीमान् अफरोज़ शाह को बधाई देता हूँ, इस आंदोलन को बधाई देता हूँ। और जिस प्रकार से लोक-संग्रह की तरह उन्होंने सारे इलाके के लोगों को जोड़ा और जन आंदोलन में परिवर्तित किया, ये अपने आप में एक प्रेरक उदाहरण है। + +भाइयो और बहनों, आज मैं एक और ख़ुशी की बात भी आप से बताना चाहता हूँ। ‘स्वच्छ भारत अभियान’ के सन्दर्भ में जम्मू-कश्मीर का ‘रियासी ब्लॉक’। मुझे बताया गया कि रियासी ब्लॉक open defecation free (खुले में शौच से मुक्त) हुआ है। मैं रियासी ब्लॉक के सभी नागरिकों को, वहाँ के प्रशासकों को जम्मू-कश्मीर ने एक उत्तम उदाहरण दिया है। इसके लिए मैं सबको बधाई देता हूँ। और मुझे बताया गया इस पूरे movement को सबसे ज्यादा lead किया है – जम्मू-कश्मीर के उस इलाके की महिलाओं ने। उन्होंने जागरूकता फ़ैलाने के लिए ख़ुद ने मशाल यात्राएँ निकाली। घर-घर, गली-गली जाकर के लोगों को उन्होंने प्रेरित किया। उन माँ-बहनों को भी मैं ह्रदय से अभिनन्दन करता हूँ, वहाँ बैठे हुए प्रशासकों का भी अभिनन्दन करता हूँ कि जिन्होंने जम्मू-कश्मीर की धरती पर एक ब्लॉक को open defecation free बनाकर के एक उत्तम शुरुआत की है। + +मेरे प्यारे देशवासियों, पिछले 15 दिन, महीने से, लगातार अख़बार हो, टी.वी.चैनल हो, social media हो, वर्तमान सरकार के 3 वर्ष का लेखा-जोखा चल रहा है। 3 साल पूर्व आपने मुझे प्रधान सेवक का दायित्व दिया था। ढ़ेर सारे survey हुए हैं, ढ़ेर सारे opinion poll आए हैं। मैं इस सारी प्रक्रिया को बहुत ही healthy signs के रूप में देखता हूँ। हर कसौटी पर इस 3 साल के कार्यकाल को कसा गया है। समाज के हर तबके के लोगों ने उसका analysis किया है। और लोकतंत्र में एक उत्तम प्रक्रिया है। और मेरा स्पष्ट मानना है कि लोकतंत्र में सरकारों को जवाबदेह होना चाहिए, जनता-जनार्दन को अपने काम का हिसाब देना चाहिए। मैं उन सब लोगों का धन्यवाद करता हूँ, जिन्होंने समय निकाल करके हमारे काम की गहराई से विवेचना की, कहीं सराहना हुई, कहीं समर्थन आया, कहीं कमियाँ निकाली गई, मैं इन सब बातों का बहुत महत्व समझता हूँ। मैं उन लोगों को भी धन्यवाद देता हूँ जिन्होंने critical और important feedback दिये हैं। जो त्रुटिया होती हैं, कमियाँ होती हैं, वो भी जब उजागर होती हैं तो उससे भी सुधार करने का अवसर मिलता है। बात अच्छी हो, कम अच्छी हो, बुरी हो, जो भी हो, उसमें से ही सीखना है और उसी के सहारे आगे बढ़ना है। constructive criticism लोकतंत्र को बल देता है। एक जागरूक राष्ट्र के लिए, एक चैतन्य पूर्ण राष्ट्र के लिए, ये मंथन बहुत ही आवश्यक होता है। + diff --git a/pm-speech/748.txt b/pm-speech/748.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..84f06efb6722f3c93631fde76212f4097e961bec --- /dev/null +++ b/pm-speech/748.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +मॉरिशस के राष्‍ट्रीय जीवन में भारतीय मूल के लोगों के योगदान पर हमें गर्व है। मॉरिशस के साथ इस दिशा में हमारे महत्‍वपूर्ण संबंधों के लिए इस वर्ष केवल मॉरिशस के लिए ओसीआई कार्डों की विशेष परिकल्‍पना की घोषणा की गई थी। हमारे फ्लैग करियर एयरलाइंस इस बात पर सहमत हैं कि वे नये क्षेत्रों में अपनी-अपनी कोर सहभागिता व्‍यवस्‍था को बढ़ाएंगे। इससे वृहद-तर पयर्टन एवं व्‍यक्ति से व्‍यक्ति‍ संबंधों में आशातीत बढ़ोतरी होने की संभावना है। + diff --git a/pm-speech/75.txt b/pm-speech/75.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..d91dc1a974587179f19d4553046007c4d90cafff --- /dev/null +++ b/pm-speech/75.txt @@ -0,0 +1,8 @@ +देश के हेल्थ सेक्टर के अलग-अलग गैप्स को एड्रेस करने के लिए आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन के 3 बड़े पहलू हैं। पहला, डाइअग्नास्टिक और ट्रीटमेंट के लिए विस्तृत सुविधाओं के निर्माण से जुड़ा है। इसके तहत गांवों और शहरों में हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर खोले जा रहे हैं, जहां बीमारियों को शुरुआत में ही डिटेक्ट करने की सुविधा होगी। इन सेंटरों में फ्री मेडिकल कंसलटेशन, फ्री टेस्ट, फ्री दवा जैसी सुविधाएं मिलेंगी। समय पर बीमारी का पता चलेगा तो बीमारियों के गंभीर होने की आशंका कम होगी। गंभीर बीमारी की स्थिति में उसके इलाज के लिए 600 से अधिक जिलों में, क्रिटिकल केयर से जुड़े 35 हजार से ज्यादा नए बेड्स तैयार किए जाएंगे। बाकी लगभग सवा सौ जिलों में रैफरल की सुविधा दी जाएगी। राष्ट्रीय स्तर पर इसके लिए ट्रेनिंग और दूसरी कैपेसिटी बिल्डिंग के लिए 12 केंद्रीय अस्पतालों में ज़रूरी सुविधाएं विकसित करने पर भी काम हो रहा है। इस योजना के तहत राज्यों में भी सर्जरी से जुड़े नेटवर्क को सशक्त करने के लिए 24×7 चलने वाले 15 इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर्स भी तैयार किए जाएंगे। + +योजना का दूसरा पहलू, रोगों की जांच के लिए टेस्टिंग नेटवर्क से जुड़ा है। इस मिशन के तहत, बीमारियों की जांच, उनकी निगरानी कैसे हो, इसके लिए ज़रूरी इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास किया जाएगा। देश के 730 जिलों में इंटिग्रेटेड पब्लिक हेल्थ लैब्स और देश में चिन्हित साढ़े 3 हज़ार ब्लॉक्स में, ब्लॉक पब्लिक हेल्थ यूनिट्स बनाई जाएंगी। 5 रीजनल नेशनल सेंटर्स फॉर डिज़ीज कंट्रोल, 20 मेट्रोपॉलिटन यूनिट्स और 15 BSL लैब्स भी इस नेटवर्क को और सशक्त करेंगी। + +इस मिशन का तीसरा पहलू महामारी से जुड़े रिसर्च संस्थानों के विस्तार का है, उनको सशक्त बनाने का है। इस समय देश में 80 Viral Diagnostics और research labs हैं। इनको और बेहतर बनाया जाएगा। महामारियों में बायोसेफ्टी लेवल-3 की लैब्स चाहिए। ऐसी 15 नई लैब्स को ऑपरेशनल किया जाएगा। इसके अलावा देश में 4 नए National Institutes of Virology और एक National institute for one health भी स्थापित किया जा रहा है। दक्षिण एशिया के लिए WHO का रीजनल रिसर्च प्लेटफॉर्म भी रिसर्च के इस नेटवर्क को सशक्त करेगा। यानि आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन के माध्यम से देश के कोने-कोने में इलाज लेकर क्रिटिकल रिसर्च तक, एक पूरा इकोसिस्टम विकसित किया जाएगा। + +काशी आध्यात्म के साथ-साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था का भी एक अहम केंद्र है। काशी सहित संपूर्ण पूर्वांचल के किसानों की उपज को देश-विदेश के बाज़ारों तक पहुंचाने के लिए बीते सालों में अनेक सुविधाएं विकसित की गई हैं। पैरिशेबल कार्गो सेंटर्स से लेकर पैकेजिंग और प्रोसेसिंग का आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर को यहां विकसित किया गया है। इसी कड़ी में लाल बहादुर शास्त्री फ्रूट एंड वेजिटेबल मार्केट का आधुनिकीकरण हुआ है, जो रेनोवेशन हुआ है, उससे किसानों को बहुत सुविधा होने वाली है। शहंशाहपुर में बॉयो- सीएनजी प्लांट के बनने से बायोगैस भी मिलेगी और हज़ारों मैट्रिक टन ऑर्गनिक खाद भी किसानों को उपलब्ध होगी। + diff --git a/pm-speech/750.txt b/pm-speech/750.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..9237928eaf8e57a1de59e2f7964ad8000fd622d9 --- /dev/null +++ b/pm-speech/750.txt @@ -0,0 +1,22 @@ +भारत के अफ्री़का के साथ सदियों से मजबूत रिश्‍ते रहे हैं। ऐतिहासिक रूप से, पश्चिमी भारत, विशेष रूप से गुजरात तथा अफ्री़का के पूर्वी तट के समुदाय एक दूसरे की भूमियों में बसे हुए हैं। ऐसा कहा जाता है कि भारत के सिद्धी (Siddhis) लोग पूर्वी अफ्री़का से आए थे। तटवर्ती केन्‍या में बोहरा समुदाय 12वीं सदी में भारत आए थे। वास्‍कोडिगामा के बारे में कहा जाता है कि वह एक गुजराती नाविक की सहायता से मालिन्‍दी से कालिकट पहुंचे थे। गुजरात के लोगों (dhows) ने दोनों दिशाओं में व्‍यापार किया। समाजों के बीच प्राचीन संपर्कों से भी हमारी संस्‍कृति समृद्ध हुई। समृद्ध स्‍वाहिली भाषा में हिंदी के कईं शब्‍द मिलते हैं। + +उपनिवेशवाद युग के दौरान बत्‍तीस हजार भारतीय आईकोनिक मोम्‍बासा उगांडा रेलवे का निर्माण करने के लिए केन्‍या आए। इनमें से कईं लोगों की निर्माण कार्य के दौरान जानें चली गईं। लगभग छ: हजार लोग वहीं बस गए और उन्‍होंने अपने परिवारों को भी वहीं बसा लिया। कईं लोगों ने ‘’दुकास’’ नामक छोटे व्‍यवसाय शुरू किए, जिन्‍हें ‘’दुकावाला’’ के नाम से जाना जाता था। उपनिवेशवाद के दौरान व्‍यापारी, कलाकार तथा उसके उपरांत पदाधिकारी, शिक्षक, डॉक्‍टर और अन्‍य पेशेवर लोग पूर्वी और पश्चिमी अफ्री़का गए और इस प्रकार एक व्‍यावसायिक समुदाय का सृजन हुआ, जिसमें भारत और अफ्री़का के बड़े संपन्‍न लोग हैं। + +महात्‍मा गांधी, एक और गुजराती, ने अपने अहिंसक संघर्ष को धार भी दक्षिण अफ्री़का में ही दी। उन्‍होंने गोपाल कृष्‍ण गोखले के साथ 1912 में तंजान्‍या की यात्रा की। भारतीय मूल के अनेक नेताओं ने श्री नेवरेरे, श्री केन्‍याटा तथा नेल्‍सन मंडेला सहित अफ्री़की स्‍वतंत्रता संघर्षों के नेताओं को अपना पूरजोर समर्थन दिया और अफ्री़की स्‍वतंत्रता के लिए अपनी आवाज बुलंद की। स्‍वतंत्रता संघर्ष के पश्‍चात भारतीय मूल के अनेक नेताओं को तंजानिया और दक्षिण अफ्री़का की कैबिनेटों में नियुक्‍त किया गया। तंजानिया में भारतीय मूल के छ: तंजानिकी नागरिक वर्तमान में संसद सदस्‍य हैं। + +पूर्वी अफ्री़का की ट्रेड यूनियन के आंदोलन की शुरूआत माखन सिंह ने की थी। ट्रेड यूनियन की बैठकों में ही केन्‍या की स्‍वतंत्रता की पहली आवाज उठी। एम. ए. देसाई और पियो गामा पिन्‍टो ने केन्‍याई संघर्ष में सक्रिय रूप से भाग लिया। भारत के तत्‍कालीन प्रधान मंत्री पंडित नेहरू ने एक भारतीय संसद सदस्‍य को श्री केन्‍याटा के रक्षा दल का भाग बनने के लिए उस समय भेजा जब 1953 में कापेनगुरिया मुकदमे के दौरान श्री केन्‍याटा को बंदी बना दिया गया था। केन्‍याटा के रक्षा दल में भारतीय मूल के दो अन्‍य व्‍यक्ति भी थे। भारत अफ्री़का की स्‍वतंत्रता के लिए अपने समर्थन के प्रति दृढ़ था। नेल्‍सन मंडेला ने कहा था, जिसे में यहां उद्धत कर रहा हूं, ‘’भारत ने तब हमारी सहायता की, जब बाकी देश हमारे अत्‍याचारियों के साथ खड़े थे। जब अंतर्राष्‍ट्रीय परिषद के दरवाजे हमारे लिए बंद हो चुके थे, तब भारत ने हमारे लिए दरवाजे खोले। भारत ने हमारी लड़ाई में इस तरह साथ साथ दिया जैसे कि ये उसकी लड़ाई हो।‘’ + +गत दशकों के दौरान हमारे रिश्‍तें काफी मजबूत हुए हैं। 2014 में प्रधान मंत्री बनने के पश्‍चात मैंने भारत की विदेशी और आर्थिक नीति में अफ्री़का को वरीयता दी है। 2015 एक ऐतिहासिक वर्ष था। इस वर्ष के दौरान आयोजित तीसरे भारत अफ्री़का शिखर वार्ता में सभी 54 अफ्री़की देशों ने भाग लिया, जिनके भारत के साथ राजनयिक संबंध थे। इसमें 51 अफ्री़की देशों के राष्‍ट्राध्‍यक्षों या सरकार ने भाग लिया। + +हमने 48 अफ्री़की देशों को शामिल करते हुए टेली-मेडिशिन और टेली-नेटवर्क के लिए समूचे अफ्री़का ई-नेटवर्क परियोजना को सफलतापूर्वक पूरा किया है। भारत में पांच अग्रणीय विश्‍वविद्यालयों ने अफ्री़की नागरिकों को सार्टिफिकेट, अंडर ग्रेजुवेट और पोस्‍ट ग्रेजुवेट कार्यक्रम प्रदान किए। भारत के बारह सुपर-सपेशियेलिटी अस्‍पतालों ने परामर्श और निरंतर चिकित्‍सीय शिक्षा प्रदान की। लगभग सात हजार छात्रों ने भारत में अपनी शिक्षा पूर्णं की। इसके अगले चरण की शुरूआत हम जल्‍दी करेंगे। + +भारत अफ्री़की विकास फंड में 1982 में तथा अफ्री़की विकास बैंक में 1983 में शामिल हुआ। भारत ने बैंक की सभी समान्‍य पूंजी वृद्धियों में योगदान दिया है। हाल ही के अफ्री़की विकास फंड संपूर्ति के लिए भारत ने 29 मिलियन डालर गिरवी रखे हैं। हमने भारी ऋण से दबे गरीब देशों और बहुआयामी ऋण अवनयन योजनाओं में योगदान दिया है। + +यहां भारत में मैंने 2022 तक किसानों की आमदनी को दुगुना करने की मुहिम चलाई है जिसके लिए सतत रूप से प्रयास करने होंगे, जिनमें उन्‍नत फसल बीज और अधिकतम उत्‍पादन से लेकर फसल नुकसान कम करने तथा बेहतर विपणन बुनियादी ढांचा जैसे मुद्दे हैं। इस मुहिम पर चलते हुए भारत आपके अनुभवों से सीख लेने के लिए उत्‍सुक है। + +हमारे सम्‍मुख आज जो चुनौतियों हैं, वे एक जैसी हैं, जैसे कि हमारे किसानों और गरीबों का उत्‍थान, महिलाओं का सशक्तिकरण, हमारे ग्रामीण समुदायों के लिए वित्‍त से पहुंच सुनिश्चित करना तथा बुनियादी ढांचा खड़ा करना। हमें ये कार्य वित्‍तीय सीमाओं के अंतर्गत ही करने हैं। हमें मैक्रो-इकनोमिक स्थिरता को कायम रखना है ताकि महंगाई को नियंत्रित रखा जा सके और हमारा भुगतान-शेष (बैलेंस ऑफ पेमेंट) संतुलित रहे। इन समस्‍त मुद्दों पर अपने अनुभव साझा कर हम काफी कुछ हासिल कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, कम-नकदी अर्थव्‍यवस्‍था की हमारी पहल में हमने उन सफल पहलों से काफी कुछ सीखा है, जो केन्‍या जैसे अफ्री़की देश ने मोबाइल बैंकिंग के क्षेत्र में की थीं। + +गरीबों को मूल्‍य रियायतों के माध्‍यम से अप्रत्‍यक्ष रूप से सब्सिडी देने के बजाय, हमने उन्‍हें प्रत्‍यक्ष रूप से सब्सिडी देकर काफी राजकोषीय बचतें की हैं। केवल कुकिंग गैस में ही हमने तीन वर्षों में 4 बिलियन डालर की बचत की है। इसके अलावा, मैंने देश के संपन्‍न नागरिकों से अपनी गैस सब्सिडी स्‍वैच्छिक रूप से छोड़ने की अपील की थी। ‘गिव इट अप’ अभियान के तहत हमने यह वायदा किया था कि इस बचत का उपयोग हम किसी गरीब परिवार को गैस कनेक्‍शन देने के लिए करेंगे। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इस अपील से 10 मिलियन से अधिक भारतीय नागरिकों ने अपनी गैस सब्सिडी स्‍वैच्छिक रूप से छोड़ दी। बचतों के कारण हमने एक कार्यक्रम आरंभ किया है कि हम 50 मिलियन गरीब परिवारों को गैस कनेक्‍शन देंगे। इस दिशा में 15 मिलियन कनेक्‍शन पहले ही दिए जा चुके हैं। इससे ग्रामीण महिलाओं के जीवन में कायांतरण होता है। इससे उन्‍हें लकड़ी जैसे ईधन के साथ खाना पकाने के दौरान स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी खतरों से मुक्ति मिलती है। इससे पर्यावरण भी परिरक्षित रहता है और प्रदूषण कम होता है। मैं जो ‘’रिफार्म टू ट्रांसफोर्म : जीवन-यापन में बदलाव लाने के लिए मिश्रित कार्य’’ की बात कहता हूं, उसका यह एक उदाहरण है। + +दो ऐसे महत्‍वपूर्ण कारक हैं, जिनसे हमें सहायता मिली है। बदलाव के अनुक्रम में पहली शुरूआत बैंकिंग प्रणाली में की गई है। पिछले 3 वर्षों में हमने सर्वव्‍यापी बैंकिंग प्रक्रिया हासिल की है। हमने जन धन योजना या जन धन अभियान की शुरूआत की है, जिनके अंतर्गत शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबों के लिए 280 मिलियन बैंक खाते खोले गए हैं। इस पहल के कारण वस्‍तुत: प्रत्‍येक भारतीय परिवार के पास अब बैंक खाता है। आम रूप से बैंक व्‍यवसायों और धनी लोगों को वित्‍त उपलब्‍ध कराते हैं। हमने बैंकों को गरीबों के विकास की राह में सहायता देने का कार्य सौंपा है। हमने अपने राष्‍ट्रीय बैंकों को राजनीतिक निर्णयों से मुक्ति प्रदान कर तथा एक पारदर्शी चयन प्रक्रिया के जरिए मेरिट के आधार पर पेशेवर चीफ एग्जिक्‍यू‍टिव (प्रमुख प्रबंधकों) की नियुक्ति कर उन्‍हें सुदृढ़ किया है। + diff --git a/pm-speech/751.txt b/pm-speech/751.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..85b0f500f5c1542759def1bc5d227776951e147a --- /dev/null +++ b/pm-speech/751.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +अभी नितिन जी बता रहे थे कि ईरान के साथ चाहबहार Port उसका एक निर्णय हम लोगों ने किया है। उस पोर्ट का सीधा संबंध कंडला के Port के साथ आने वाला है। चाहबहार Port और कंडला Port इन दोनों का जुड़ना, इसका मतलब ये होता है कि विश्व व्यापार में अंगद की तरह कंडला अपना पैर जमाएगा, इतना बड़ा परिवर्तन आने वाला है। आज कंडला Port को Mechanise करने की दिशा में कुछ कदम उठाए जा रहे हैं। Capacity Building के लिये 14 और 16 वर्ग के विस्तार और विकास के लिये योजना बन रही है। और बदलते हुए युग में Port City का Concept, Development का एक Economic Activity का एक व्यवस्था उस दिशा में भी योजना बन रही है। Transportation को बल मिले और इसलिये उस प्रकार के मार्ग की रचना जो Traffic को Smooth करे हिन्दुस्तान के कोने कोने में हमारा सामान तेजी से पहुंचे। जिस प्रकार से समंदर में Turn Around Time कोई जहाज आए खाली हो या भरे और कितने दिन में आ के चला जाए उसमे जितना समय कम लगता है उतनी Efficiency की गणना वैश्विक स्तर पर होती है। आज भारत में उस Turn Around Time कम करने के लिये हमारे नितिन जी के नेतृत्व में अनेक Initiatives लिये गए। इस Turn Around Time को कम करने में एक वर्गता होती है- पोर्ट से बाहर निकलने के बाद आपके सारे ट्रक्स कितनी तेजी से आगे बढ़ जाते हैं। अगर आगे बोटल लेट होगा तो Turn Around Time के लिये पोर्ट में कितनी ही टैक्नॉलॉजी हम लाएं रुकावट बनी रहेगी। और इसलिये आपने देखा होगा कि आज कंडला पूरे गुजरात के हिसाब से देखें तो भी एक कोने में एक छोटा सा नगर। देश के हिसाब से तो ध्यान भी नहीं जाए। लेकिन आज कंडला में करीब करीब 1000 करोड़ रुपयों के Investment के Project आ रहे हैं। 1000 करोड़ कोई सामान्य रकम नहीं है। हम कल्पना कर सकते हैं कि कितनी तेजी से आगे बढ़े हैं। + diff --git a/pm-speech/752.txt b/pm-speech/752.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..e44aac1cc3cc7562a37de7d3c2785a1e8d260868 --- /dev/null +++ b/pm-speech/752.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +holistic approach कैसे हो इसके लिए हमारी productivity कैसे बढे हमारे पास marginal farmars 85% हैं देश में ऐसी स्थिति में हमारे किसान कम जमीन में भी ज्यादा उत्पादन और उत्पादिक चीजें भी सिर्फ खुद के पेट भरने के लिए नहीं उसके अपने इसकी अपनी market value ऐसे हो quality ऐसी हो ताकि वो अपनी रोजी रोटी कमा सके हम इस दिशा में किस तरह बल दे सकते हैं उसी प्रकार से पानी का संकट सारी दुनिया में इसकी चर्चा है हम recycling करें हम water conservation करे यह सारा करने के बावजूद भी पानी एक चुनौती है ऐसा मान के चलना चाहिए और पानी एक ऐसा विषय नहीं है की जब आयेगा तब देखा जाएगा जी नहीं अगर 20 साल 50 साल पहले सोच करके एक-एक चीज़ को अभी से करना शुरू करेंगे तब जा कर के अब इस विषय पर समाज में वो sensitivity तुरंत नहीं आती हैं जैसे air polution even कितने ही पढ़े लिखे व्यक्ति होंगे इसका कितना संकट होगा समझते समझते देर चली जाती है। + +पानी के संकट को भी सामान्‍य मानवीय को संकट के रूप में अनुभूति कराना बड़ा कठिन है और इसलिए water conservation के साथ-साथ हम पानी का उपयोग किस प्रकार से वैज्ञानिक तरीके से करे per drop more crop इस philosophy को लेकर के काम करने का प्रयास वर्तमान में चल रहा हैं नदियों को जोड़ने का एक अभियान अगर cost effective farming की और जाना है तो हमें पानी पहुचाना पड़ेगा उसी प्रकार से soil management ही मैं एक हिस्सा मानता हूं की हम अनाप शनाप जो chemical का उपयोग कर रहें हैं fertilizer का उपयोग कर रहें हैं जो हमारी ज़मीन को तबाह कर रहें हैं। नदी तट पर जो खेत हैं वहां पर लोगो को लगता है Polution Industries से होता हैं। कभी-कभी चिंता का विषय हैं उसके 2 चार Km के रेंज में जो खेत है जहां chemical उपयोग होता हैं और वो पानी बारिश के बाद जब ज़मीन को धोकर कर के नदी में जाता है तो कैसे भयंकर chemical लेके जाता हैं और इसलिए हमारी नदियों को बचाना नदियों के पानी को maximum उपयोग करना तो एक प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना एक बहुत बड़ा mission mode में काम शुरू किया है उसी प्रकार से एक आवशयक है हमारे यहां कभी-कभार कुछ न कुछ कारण से जो बोलचाल में जो विषय होते हैं उसे हम neglect करते हैं यह बहुत आवश्‍यक है कि समाज जीवन में दशकों से सदियों से जो बोलचाल के विषय होते है उसके अन्दर एक बहुत बड़ी ताकत होती हैं और laboratory में ले जाकर के उस बोलचाल की चीजों को सिद्ध करने का कोशिश करना चाहिए मेरा इसलिए अनुभव है गुजरात में एक क्षेत्र हैं जिसको भाल कहते हैं समुंद्री तट के पास में हैं खम्भात की खाड़ी के इलाके मे अब हम बचपन से सुनते आये हुए थे भालिया गेंहू कहते थे उसको और uper class के लोग रहते हैं वो भालिया गांव गेंहू खरीदना और preserve करना यह उनका स्वभाव था और बड़े मंहगें दाम से लेते थे तो हमारे मन में रहता था यह भालिया गांव भालिया गांव इसका क्‍या कारण होगा कुछ तो होगा तो मैं मुख्‍यमंत्री बना तो मैंने उसमे रूचि लेना शुरू किया और यह पाया गया कि Normaly गेहूं carban rich छोड़ता है surprising यह गेहूं protein rich है और बहुत ही कम इलाके में हैं तो मैं कभी Switzerland गया था तो मैं वह Nestle वगैहरा के लोगो से मिला था मैंने कहा भई nutrition की समस्या का समाधान करने के लिए इसको कैसे उपयोग हो सकता हैं मेरे यहां मैंने एक university को इसका काम दिया इसके जीन के विषय में research किया काफी काम हुआ है जैसे basmati शब्द हम जानते थे लेकिन हमने देखा इसकी ताक़त क्या है मुझे याद है अमरेली District गुजरात मे एक इलाका ऐसा है सामूहिक समुद्र तट से हर कोई अमीर व्यक्ति अगर बाजरा चाहे तो वही से खरीदना चाहता है तो मैंने पूछा भई और मुझे भी जब मुख्‍यमंत्री बना तो वहां के जो MLA थे वो मेरे लिए बाजरे एक थेले मे भरकर एक gift के रूप मे लाये थे तब तो मुझे भी मालूम नहीं था उस इलाके की बाजरे की ताक़त तो बाद में मैंने कुछ वैज्ञानिको को कहा ज़रा इसको सोचिये हिन्दुस्तान के कई कोने में ऐसी कोई ना कोई variety की चर्चा लोग जीभ पर होगी हम उसको कैसे identify करे और उसकी genetic value क्या हैं। + +उसको हम और अगर वो सचमुच में कोई extra ताकत वाली चीज़े हैं या उसकी productivity की ताकत हो या कोई ना कोई ऐसा शरीर के लिए उपयोगी हो या मानव जात के लिए उपयोगी तो उसका research यह परंपरागत चीजे और विज्ञान दोनों का मेल हम जितना जल्दी करेंगे और इसलिए मैंने अभी हमारे विभाग के लोगो को कहा भई हर जिले की अपनी एक कृषि लती पहचान कौन होते हैं उस district में enter कर रहें हो के यह जिला चावल का जिला है और चावल की नाम हो पहचान हो यह जिला इसाब्गुल का जिला है यह जिला जीरा पैदा करता है हमारे इलाको की पहचान कृषि से identify हम कैसे करे यह हम लोगो की आदत नहीं है इससे एक awarness आती हैं यह district अब जैसे मुझे याद है हमारे यहां धूमल जी की सरकार है हिमाचल, मैं उस समय हिमाचल में रहता था उस समय मैंने कहा यह सोलन में मशरूम के लिए इतना काम होता है हम इसको capture क्यों नहीं कर पाते इसका branding क्यूं नहीं करते और आज आप देखते होंगे कभी सोलन जायेंगे तो वहां board लगे हुए हैं की मशरूम City में आपका स्वागत है अब धीरे धीरे उन्होने शायद और शुरू किया है apple का board लगाया है Kiwi का board लगाया है हमारे देश मे समान्‍यजन को इन चीजों से कैसे जोड़ा जा सकता है इससे एक पहचान बनती हैं और वो किसान भी identyfiy होता है और जो market से जुडे लोग है और उनको भी ध्यान रखना भई यह 16 जिले हैं जिसकी चावल के लिए पहचान हैं तो व्यापार करना हैं खरीद के लिए तो यह 20 जिले है तिल्हन के लिए famous है वहीं की पहचान हैं और एक Agriculture cluster एक concept develope होगा जैसे industrial cluster का concept है वैसे Agriculture cluster को हमने विकसित करना जरुरी हैं उसके कारण है product, product के साथ उसका processing और processing से value edition इसकी संभावना बढ़ जाती हैं अगर यह हम चैन व्‍यवस्‍था खडी करते हैं उसी प्रकार से फल होंगे तो उसके storage अलग प्रकार कें होगें, धान होंगे अलग प्रकार के होंगे फल होगा तो transformation अलग होगा packaging धान होगा packaging transportation होगा एक specialisation भीतर भीतर आयेगा हमारे इतने बड़े विशाल देश को अगर इन चीजों के अन्दर हम जितना जल्दी से ले जायेंगे हम क्यूंकि हमारा सपना है 2022 जब देश की आजादी के 75 साल हो हमारे देश की किसान की income double होनी चाहिए किसान की income double हो सकती हैं कुछ दिन पहले मैं जब स्वामीनाथन जी से मिला था तो मैंने उनसे कहा था तो मैंने कहा था कुछ Agro economists से बुलाइए और चर्चा कीजिये उन्होने मुझे एक paper पर लिख कर कर भेजा कि यह यह चीजे है जिसपर ध्यान दीजिये तो मैं काम कर रहा हूं उस पर मेरे कहने का तात्‍पर्य यह है हम एक target के साथ काम करें एक तो cost कैसे कम हो और उत्पादन कैसे बड़े और उत्पादन का value edition कैसे हो इन 3 चीजों की ओर अब जैसे neem coating urea अब कोई आसमान से टपका हुआ कोई विज्ञान नहीं था लेकिन हम इन चीजों को लागू करना महत्व नहीं देते थे आज neem coating urea का परिणाम यह आया है कि यूरिया की चोरी तो खत्म हुई हुई बेईमानी तो खत्म हुई लेकिन साथ-साथ urea की खपत भी कम हो रही है और तुरंत नज़र में आया है गेंहू और चावल के उत्पादन बढ़ा है कम यूरिया का उपयोग करते हुए भी उत्पादन बढ़ा है तो यह अपने आप में ऐसी चीजें हम जितनी सरलता से प्रचारित करेंगे उतना उसका लाभ होगा भारत सरकार का इस दिशा में प्रयास है स्वामीनाथन जी की सक्रियता उनका यह प्रयास और भारत को evergreen revolution की और एक sustainable agriculture system की ओर ले जाने की दिशा में हम लोगो को वैज्ञानिक प्रयोगों को क्यूंकि सबसे बड़ी जो एक हमारी समस्या है lab to land उसमें बहुत बड़ी खायी हैं lab to land यह हमारे टारगेट होना चाहिए वैज्ञानिक जो जिंदगी खपा देता हैं एक चीज़ देश को देने के लिए वो खेत तक नहीं पहुंचती हैं खेत तक कैसे पहुंचती और खेत तक तो तब तक नहीं पहुचती जब तक की वो किसान के दिमाग में पहले नहीं पहुंचती यह एक ऐसा उद्योगपति के दिमाग में कुछ हो जाये जेब में पैसा आ जाना चाहिए वो करेगा किसान का ऐसा नहीं है किसान जल्दी risk नहीं लेता हैं इन दिनों प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना जो लाये हैं उसने एक बहुत बड़ा contribution किया है इसके पुर्व कृषि मे फसल बीमा योजना में जितने लोग आते थे इस नई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के कारण 7 गुना लोग उसके cover में रहें अभी तो शुरुआत है प्रचार भी उतना नहीं हुआ है किसान में भी ifs and buts रहते हैं लेकिन एक दम से 7 गुना एक ही साल में jump लगाना यह हमारे farmars को security का एहसास दिलाता है और एक बार security का एहसास हो गया तो उसकी risk taking capacity बढ़ जाती है और जब risk taking capacity बढ़ जाती है तो वो वैज्ञानिकों के द्वारा कहे हुए प्रयोग करने के लिए तैयार हो होता हैं एक chain शुरू हो जाती है तो प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना उसमे एक बहुत बड़ी ताकत है lab to land process को आगे बढ़ाने की उस दिशा में काम चल रहा है मैं फिर एक बार स्वमिनाथान जी को ह्द्य से बहुत-बहुत बधाई देता हूं देश की बहुत सेवा की है देश के किसानो की बहुत सेवा की है देश के गरीब के पेट को भरने के लिए एक तपस्वी की तरह काम किया है। + diff --git a/pm-speech/753.txt b/pm-speech/753.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..256f83e7528b53e34bebed6613a20887958f1cf9 --- /dev/null +++ b/pm-speech/753.txt @@ -0,0 +1,4 @@ +मैं, भारत के पुराने मित्र श्रीमान राष्ट्रपति महमूद अब्बास का उनकी भारत यात्रा पर स्वागत करके प्रसन्न हूं। भारत और फिलिस्तीन के बीच संबंध हमारी स्वतंत्रता संग्राम के दिनों से दीर्घ एकजुटता और मित्रता के आधार पर बनी है। भारत फिलिस्तीन के कार्य में अपना सहयोग देने के लिए सदैव अविचल रहा है और हमें संप्रभु, स्वतंत्र, संयुक्त और व्यवहारिक फिलिस्तीन का इज़राइल के साथ शांतिपूर्वक सहसंबंध देखने की आशा है। मैंने राष्ट्रपति अब्बास के साथ हमारी बातचीत के दौरान आज अपनी स्थिति को पुनः दोहराया है। + +राष्ट्रपति अब्बास और मैंने अभी उपयोगी और विस्तृत चर्चा समाप्त की है जो हमारी भागीदारी को और अधिक मजबूत बनाएगी। हमने पश्चिम एशिया की स्थिति और मध्य पूर्व शांति प्रक्रिया पर आपस में विचार विनिमय किया है। हम इस बात पर सहमत हुए कि पश्चिमी एशिया में चुनौतियों को संतुलित राजनीतिक वार्तालाप और शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाया जाना जरूरी है। भारत फिलिस्तीन और इज़राइल के बीच बातचीत को जल्दी शुरू होने की आशा करता है। द्विपक्षीय स्तर पर भारत फिलिस्तीन का महत्तवपूर्ण उपयोगी विकास भागीदार बनने के लिए प्रतिबद्ध है। राष्ट्रपति अब्बास और मैं इस बात पर सहमत हुए हैं कि दोनों देशों को व्यवहारिक सहयोग के माध्यम से फिलिस्तीन की अर्थव्यवस्था और वहां के लोगों के जीवन में सुधार लाने के लिए मिल-जुल कर काम करना होगा। हम फिलिस्तीन के विकास और क्षमता निर्माण के प्रयासों का समर्थन करना जारी रखेंगे। आज हुए करारों से इस दिशा में हमारे सहयोग को सुदृढ़ करने की पुष्टि होती है। हमने सूचना प्रौद्योगिकी, युवा और कौशल विकास में भारत की तरफ से सहायता प्रदान करने की बात भी शुरू की है। भारत रामअल्लाह में सर्वोत्कृष्ट टेक्नोपार्क परियोजना के लिए परियोजना सहायता भी दे रहा है। एक बार यह प्रयोजना पूरी होने पर यह फिलिस्तीन में सूचना प्रौद्योगिकी हब के रूप में कार्य करेगा। जहां पर सूचना प्रद्योगिकी से संबंधित सभी प्रशिक्षण और सेवाओं के लिए एक ही छत के नीचे समाधान मिलेगा। हम योग आदान-प्रदान सहित हमारे सांस्कृतिक आदान-प्रदान को सुदृढ़ करना चाहते हैं। हम अगले महीने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के आयोजन के दौरान बड़ी संख्या में फिलिस्तीन के लोगों से भागीदारी की इच्छा करते हैं। अंत में, मैं राष्ट्रपति महमूद अब्बास और उनके प्रतिनिधिमंडल को भारत में एक सुखद और लाभकारी वास की शुभकामना देता हूं मैं हमारे द्विपक्षीय संबंधों को और अधिक मजबूत बनाने के लिए राष्ट्रपति अब्बास के साथ काम करने की आशा करता हूं। + diff --git a/pm-speech/756.txt b/pm-speech/756.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..6c88546bb43a3ce8b1b990dd068600f32a3e1cf0 --- /dev/null +++ b/pm-speech/756.txt @@ -0,0 +1,8 @@ +हमारे क्षेत्र ने विश्‍व को बुद्ध एवं उनकी शिक्षओं का अमूल्‍य उपहार दिया है। भारत में बोध गया, जहां राजकुमर सिद्धार्थ बुद्ध बने थे, बौद्ध जगत का एक पवित्र केंद्र है। वाराणसी में भगवान बुद्ध के पहले उपदेश, जिसे संसद में प्रस्‍तुत करने का सम्‍मान मुझे मिला था, ने धम्‍म के चक्र को गति प्रदान किया। हमारे प्रमुख राष्‍ट्रीय प्रतीकों ने बौद्ध धर्म से प्रेरणा ली है। बौद्ध धर्म और इसकी शिक्षाओं से हमारा शासन, दर्शन एवं हमारी संस्‍कृति ओतप्रोत है। बौद्ध धर्म का दैवीय सुगंध भारत से निकलकर दुनिया के सभी कोनों में फैल गया। सम्राट अशोक के सुयोग्‍य पुत्र महिंद्र और संघमित्र ने सबसे बड़ा उपहार धम्‍म को फैलाने के लिए धम्‍म दूत के रूप में भारत से श्रीलंका की यात्रा की थी। + + और बुद्ध ने स्‍वयं कहा था: सब्‍ब्‍दानामाधम्‍मादानं जनाती यानी धम्‍म का उपहार सबसे बड़ा उपहार है। श्रीलंका आज बौद्ध शिक्षा एवं प्रज्ञता के सबसे महत्‍वपूर्ण केंद्रों में शामिल होकर गौरवान्वित है। सदियों बाद अनगरिका धर्मपाल ने भी इसी तरह की यात्रा की थी लेकिन इस बार अपने मूल देश में बौद्ध धर्म की अलख जगाने के लिए यात्रा श्रीलंका से भारत के लिए की गई। किसी तरह आप हमें अपनी जड़ों तक वापस ले आए। बौद्ध धरोहर के कुछ सबसे महत्‍वपूर्ण तत्‍वों को संरक्षित करने के लिए विश्‍व भी श्रीलंका का आभारी है। + +भारत और श्रीलंका के बीच मित्रता को समय-समय पर ‘महान उपदेशकों’ ने गढ़ा था। बौद्ध धर्म हमारे संबंधों को लगातार एक नई चमक देता रहा है। करीबी पड़ोसी देश होने के नाते हमारे संबंध कई स्‍तरों तक विस्‍तृत है। इसे बौद्ध धर्म के हमारे पारस्‍परिक मूल्‍यों से बल मिलता है क्‍योंकि यह हमारे साझा भविष्‍य की असीम संभावनाओं से प्रेरित है। हमारी मित्रता ऐसी है जो हमारे लोगों के दिलों में और हमारे सामजि‍क ताने-बाने में निवास करती है। + +भागवान बुद्ध का संदेश आज इक्‍कीसवीं सदी में भी उतना ही प्रासंगिक है जितना वह ढाई सौ साल पहले था। बुद्ध द्वारा दिखाई गई राह मध्‍यम प्रतिपदा हम सभी को निर्देशित करती है। इसकी सार्वभौमिक एवं सदाबहार प्रकृति असरदार है। यह विभिन्‍न देशों को एक सूत्र में बांधने की शक्ति है। दक्षिण, मध्‍य, दक्षिणपूर्व और पूर्वी एशिया के देश भगवान बुद्ध की धरती से अपने बौद्ध संबंधों पर गर्व करते हैं। + diff --git a/pm-speech/757.txt b/pm-speech/757.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..91c7a9db3a8c9e881e748190b339bf983901c326 --- /dev/null +++ b/pm-speech/757.txt @@ -0,0 +1,8 @@ +सरकार में by and large हमारा अनुभव ये है कि हम लोग ये मानते हैं, हमारे विभाग ये मानते है कि हम जो करते हैं बहुत अच्‍छा है। हमारी कोई गलतिया नहीं, होती हमारी कोई कमिया नहीं होती हैं। स्‍वाभाविक है जो जहां काम करता है वो ये मानता ही है। अभी दो महीने पहले जरा मैंने जरा एक रिस्‍क लिया मैंने सब डिपार्टमेंट को कहा कि आप मुझे बताए कि आपके यहां आपको लगता है कुछ कठिनाईया हैं, कुछ गलत हो रहा है या इसको ठीक करना है या कुछ process को simplify करना है, जरा दिखाइये? कुछ दिन तो नहीं-नहीं साहब हमारा सब बढि़या चल रहा है, कुछ खास problem नहीं है। मैं पीछे लगा रहा तो करीब 400 issues को identify किया अलग-अलग department का on date कि जिसमें सुधार की जरूरत थी या कुछ न कुछ intervention की जरूरत थी। अब बाद में मैंने Universities को ये काम दिया खासकर के 18 से 20-22 साल की उम्र के बच्‍चों को, कालेज के बच्‍चों को दिया और उनका एक हैकाथान का कार्यक्रम बनाया है 36 hours nonstop एक ही छत के नीचे बैठकर के काम करना और उसके solution ढूढ़ना, 400 issues उनको दे दिए सरकार के। 42,000 बच्‍चों ने इसमें हिस्‍सा लिया more then hundred universities & colleges ने उसमें भाग लिया और 36 hours nonstop एक ही छत के नीचे बैठकर के उन्‍होंने exercise की। I was surprised अधिकतम issues के solutions उन्‍होंने दिए हैं। Process के solutions दिए हैं। ज्‍यादातर फिर सरकार के साथ उनका interface हुआ, सरकार को उन्‍होंने बताया कि देखो इसका रास्‍ता ये है, इसका ये है। कई department ने इसको adopt भी किया है। और ये पिछले दो महीनें में ही हो चुका है। इसका मतलब हुआ कि हमारे पास इतना बड़ी संभावनाएं हैं, अगर हम कोशिश करें। और मैं जो चाहता हूं कि आप भी देश के technology की field के students को ऐसे अगर issue देंगे उनको कहें के ढूंढ के लाओ रास्‍ता क्‍या निकल सकता है रास्‍ता, क्‍या हो सकता है, क्‍या software बन सकता है, कैसी technique काम आ सकती है मैं विश्‍वास से कहता हूं कि वो इतना बढि़या चीजें देते हैं और solution देते हैं हम सरलता से उसको accept कर सकते हैं मायने स्‍वीकार कर सकते हैं। और मेरा मत है कि IT+IT = IT अब ये arithmetic वालों के भी काम नहीं है। जब मैं कहता हूं बड़े विश्‍वास से कहता हूं IT+IT = IT means Information Technology + Indian talent = India Tomorrow ये सामर्थ्‍य है इसमें। इस सामर्थ्‍य का हम उपयोग करके कैसे आगे बढें। + +Technology पूरे economical atmosphere को change कर सकती है, ये ताकत है इसकी। हम इसको किस प्रकार से उपयोग में लाए और जीवन के हर क्षेत्र में हम इसको किस प्रकार से प्रयोग लाए हमने प्रयास करना चाहिए। मेरा स्‍वयं का अनुभव है कि बहुत तेजी से इसका महात्‍मय लोगो की समझ में आने लगा है। अगर खुद को नहीं आता है तो एक हम नौजवान रख लेते हैं, देखो भई तुम मुझे मेरे इस काम में assist करो, मुझे आदत नहीं है लेकिन तुम करो वो कर देता है। आज हम जिस technology के युग में जी रहें है शायद हजार साल में technology ने जो रोल play किया होगा, पिछले तीस साल में उससे हजार गुना ज्‍यादा technology ने रोल play किया है। जो काम हजार साल में नहीं हुआ है, वो तीस साल में हुआ है। और आज जो हो रहा है यहां से निकलने के बाद वही technology हो सकता है out dated हो जाए इतनी तेजी से technology बदल रही है, बहुत दूर तक दिन होंगे जबकि Artificial Intelligence dominate करेगा। Artificial Intelligence का पूरा field पूरी मानव जात को drive करने वाला है। Job बचेगी कि नहीं बचेगी उसका debate होगा, driver-less car आएगी, Artificial Intelligence से चलने वाली कार आने वाली है। ड्राइवर का क्‍या होगा? क्‍या Artificial Intelligence आने के बाद भी job-creation की संभावना है क्‍या? और जो उसके expert हैं उनका कहना है कि Artificial Intelligence के बाद job-creation की भारी संभावनाए बढ़ने वाली हैं। पूरा विश्‍व एक नई सोच की ओर जाने वाला है। उसके लिए नई generation तैयार होने वाली है। यानि जगत कितनी तेजी से बदल रहा है, technology मनुष्‍य को जिस प्रकार से drive कर ले जा रहा है, अगर हम उसके साथ अपने आप को थोड़ा सा भी cop-up नहीं रखगें, तो फासला इतना बढ़ जाएगा कि फिर हम इतने irrelevant हो जाएगें कि हमें कोई पूछेगा तक नहीं ये अवस्‍था दूर नहीं है। + +और इसलिए Space Technology हम लोग आज हिन्‍दुस्‍तान में Space Technology and Science में बड़ी इज्‍जत कमाई है, दुनिया में हमारी प्रतिष्‍ठा बनी हैं। हम जो Mars में गए दुनिया को वहां पर first trial में कोई सफल नहीं हुआ था, भारत first trial में सफल हुआ। और खर्चा कितना हुआ आज अगर हम टेक्‍सी किराए पर लेते हैं एक किलोमीटर का मानों 10 रूपया 11 रूपया होता है हम Mars पर गए एक किलोमीटर 7 रूपये में गए। और दुनिया में हॉलीवुड की फिल्‍म का जो खर्च होता है, उससे कम बजट में हिन्‍दुस्‍तान ने Mars success किया है आज ये हमारे Scientists की talent की कमाल है, ये हमारे देश के वैज्ञानिकों का सामर्थ्‍य है। लेकिन दुर्भाग्‍य से इतना बड़ा Space Technology भारत की इतनी बड़ी achievements, लेकिन applicable science में हम, Science को apply करने की दिशा में हम बहुत पीछे पड़ गए हैं। मेरे यहां आने के बाद मैंने एक workshop किया सभी Joint Secretaries का कई दिनों तक किया Department-wise किया Space Technology का Governance में कैसे उपयोग होता है। आज हम रोड बनाते हैं, तो ऐसे-ऐसे बनाते हैं। Space Technology का उपयोग करिए तो आप minimum curves के साथ straight-way road बना सकते हैं, आप design कर सकते हैं और सारी चीजें कर सकते हैं। मुझें tribal को rights देना था जमीन का। मैंने Space Technology का उपयोग किया। और मुझे कोई proof की जरूरत नहीं थी, Space Technology से मैं सीधे कर सकता था कि ये Forest land है, जो कभी farming के लिए आती थी, 15 साल के पुराने फोटोग्राफ से, मैं तय कर सकता हूं कि यदि उसका right बनता है, हम उसको provide कर सकते हैं। + +आज Justice System में जितनी खासकर के Criminal Justice के field में, न्‍याय की संभावना बढ़ गई है क्‍योंकि technology बहुत बड़ा support कर रही है। मोबाइल फोन ऐसे सबूत छोड़ कर के जाता है कि आपको evidence के लिए एकदम से scientific सुविधाए मिल जाती हैं। Forensics Science का बहुत बड़ा रोल हो रहा है! Accident के मसले CCTV Camera के फुटेज से आप Judgement देने के नतीजे पर पहुँच जाते हैं। कहने का तात्‍पर्य है कि पूरी Judiciary System को और अधिक सक्षम बनाना, और सरल बनाने में technology Forensics Science बहुत बड़ा role play कर सकती है। हम जितनी तेजी से इन चीजों को adopt करेंगे, हम बड़े सटीक निर्णय देंगे। + diff --git a/pm-speech/758.txt b/pm-speech/758.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..24f805434ca08430391aec7eee3475c77e429e37 --- /dev/null +++ b/pm-speech/758.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +इसी तरह आपदा प्रबंधन के अपने अनुभवों को भारत सेवाश्रम संघ कैसे ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचा सकता है, इस बारे में भी सोचा जाना चाहिए। हर वर्ष देश में हजारों जिंदगियां प्राकृतिक आपदा की वजह से संकट में आती हैं। प्राकृतिक आपदाओं के समय कैसे कम से कम नुकसान हो, इसी को ध्यान में रखते हुए पिछले वर्ष देश में पहली बार National Disaster Managment Plan बनाया गया है। सरकार बड़े पैमाने पर लोगों को जागरूक कर रही है, लोगों को मॉक एक्सरसाइज के जरिए भी डिजास्टर मैनेजमेंट के तरीकों के बारे में बताया जा रहा है। + diff --git a/pm-speech/76.txt b/pm-speech/76.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..9df71224a6fe6575893971f9fb42d418a34fa903 --- /dev/null +++ b/pm-speech/76.txt @@ -0,0 +1,14 @@ +आज का दिन पूर्वांचल के लिए, पूरे उत्तर प्रदेश के लिए आरोग्य की डबल डोज लेकर आया है, आपके लिए एक उपहार लेकर आया है। यहां सिद्धार्थनगर में यूपी के 9 मेडिकल कॉलेज का लोकार्पण हो रहा है। इसके बाद पूर्वांचल से ही पूरे देश के लिए बहुत जरूरी ऐसा मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर की एक बहुत बड़ी योजना शुरू होने जा रही है। और उस बड़े काम के लिए मैं यहां से आपका आशीर्वाद लेने के बाद, इस पवित्र धरती का आशीर्वाद लेने के बाद, आपसे संवाद के बाद काशी जाऊंगा और काशी में उस कार्यक्रम को लाँच करूंगा। + +यूपी के भाई-बहन भूल नहीं सकते कि कैसे योगी जी ने संसद में यूपी की बदहाल मेडिकल व्यवस्था की व्यथा सुनाई थी। योगी जी तब मुख्यमंत्री नहीं थे, वे एक सांसद थे और बहुत छोटी आयु में सांसद बने थे। और अब आज यूपी के लोग ये भी देख रहे हैं कि जब योगी जी को जनता-जनार्दन ने सेवा का मौका दिया तो कैसे उन्होंने दिमागी बुखार को बढ़ने से रोक दिया, इस क्षेत्र के हजारों बच्चों का जीवन बचा लिया। सरकार जब संवेदनशील हो, गरीब का दर्द समझने के लिए मन में करुणा का भाव हो, तो इसी तरह  का काम होता है। + +7 साल पहले जो दिल्ली में सरकार थी और 4 साल पहले जो यहां यूपी में सरकार थी, वो पूर्वांचल में क्या करते थे? जो पहले सरकार में थे, वो वोट के लिए नहीं डिस्पेंसरी की कहीं, कहीं छोटे-छोटे अस्पताल की घोषणा करके बैठ जाते थे। लोग भी उम्मीद लगाए रहते थे। लेकिन सालों-साल तक या तो बिल्डिंग ही नहीं बनती थी, बिल्डिंग होती थी तो मशीनें नहीं होती थीं, दोनों हो गईं तो डॉक्टर और दूसरा स्टाफ नहीं होता था। ऊपर से गरीबों के हजारों करोड़ रुपए लूटने वाली भ्रष्टाचार की सायकिल चौबीसों घंटे अलग से चलती रहती थी। दवाई में भ्रष्टाचार, एंबुलेंस में भ्रष्टाचार, नियुक्ति में भ्रष्टाचार,  ट्रांस्फर-पोस्टिंग में भ्रष्टाचार ! इस पूरे खेल में यूपी में कुछ परिवारवादियों का तो खूब भला हुआ, भ्रष्टाचार की सायकिल तो खूब चली, लेकिन उसमें पूर्वांचल और यूपी का सामान्य परिवार पिसता चला गया। + +बीते वर्षों में डबल इंजन की सरकार ने हर गरीब तक बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाने के लिए बहुत ईमानदारी से प्रयास किया है, निरंतर काम किया है। हमने देश में नई स्वास्थ्य नीति लागू की ताकि गरीब को सस्ता इलाज मिले और उसे बीमारियों से भी बचाया जा सके। यहां यूपी में भी 90 लाख मरीजों को आयुष्मान भारत के तहत मुफ्त इलाज मिला है। इन गरीबों के आयुष्मान भारत की वजह से करीब-करीब एक हजार करोड़ रुपए इलाज में खर्च होने से बचे हैं। आज हज़ारों जन औषधि केंद्रों से बहुत सस्ती दवाएं मिल रही हैं। कैंसर का इलाज, डायलिसिस और हार्ट की सर्जरी तक बहुत सस्ती हुई है, शौचालय जैसी सुविधाओं से अनेक बीमारियों में कमी आई है। यही नहीं, देशभर में बेहतर अस्पताल कैसे बनें और उन अस्पतालों में बेहतर डॉक्टर और दूसरे मेडिकल स्टाफ कैसे उपलब्ध हों, इसके लिए बहुत बड़े और लंबे विजन के साथ काम किया जा रहा है। अब अस्पतालों का, मेडिकल कॉलेजों का भूमि पूजन भी होता है और उनका तय समय पर लोकार्पण भी होता है। योगी जी की सरकार से पहले जो सरकार थी, उसने अपने कार्यकाल में यूपी में सिर्फ 6 मेडिकल कॉलेज बनवाए थे। योगी जी के कार्यकाल में 16 मेडिकल शुरू हो चुके हैं और 30 नए मेडिकल कॉलेजों पर तेजी से काम चल रहा है। रायबरेली और गोरखपुर में बन रहे एम्स तो यूपी के लिए एक प्रकार से बोनस हैं। + +बीते 7 सालों में एक के बाद एक हर ऐसी पुरानी व्यवस्था को बदला जा रहा है, जो मेडिकल शिक्षा की राह में रुकावट बन रहा है। इसका परिणाम मेडिकल सीटों की संख्या में भी नजर आता है। 2014 से पहले हमारे देश में मेडिकल की सीटें 90 हज़ार से भी कम थीं। बीते 7 वर्षों में देश में मेडिकल की 60 हज़ार नई सीटें जोड़ी गई हैं। यहां उत्तर प्रदेश में भी 2017 तक सरकारी मेडिकल कॉलेजों में मेडिकल की सिर्फ 1900 सीटें थीं। जबकि डबल इंजन की सरकार में पिछले चार साल में ही 1900 सीटों से ज्यादा मेडिकल सीटों की बढ़ोतरी की गयी है। + +युवाओं को देशभर में अलग-अलग एंट्रेंस टेस्ट की टेंशन से मुक्ति दिलाने के लिए वन नेशन, वन एग्ज़ाम को लागू किया गया है। इससे खर्च की भी बचत हुई है और परेशानी भी कम हुई है। मेडिकल शिक्षा गरीब और मिडिल क्लास की पहुंच में हो, इसके लिए प्राइवेट कॉलेज की फीस को नियंत्रित रखने के लिए कानूनी प्रावधान भी किए गए हैं। स्थानीय भाषा में मेडिकल की पढ़ाई ना होने से भी बहुत दिक्कतें आती थीं। अब हिंदी सहित अनेक भारतीय भाषाओं में भी मेडिकल की बेहतरीन पढ़ाई का विकल्प दे दिया गया है। अपनी मातृभाषा में जब युवा सीखेंगे तो अपने काम पर उनकी पकड़ भी बेहतर होगी। + +अपनी स्वास्थ्य सुविधाओं को यूपी तेजी से सुधार सकता है, ये यूपी के लोगों ने इस कोरोना काल में भी साबित किया है। चार दिन पहले ही देश ने 100 करोड़ वैक्सीन डोज का बड़ा लक्ष्य हासिल किया है। और इसमें यूपी का भी बहुत बडा योगदान है। मैं यूपी की समस्त जनता, कोरोना वारियर्स, सरकार, प्रशासन और इससे जुड़े सभी लोगों को बधाई देता हूं।  आज देश के पास 100 करोड़ वैक्सीन डोज़ का सुरक्षा कवच है। बावजूद इसके कोरोना से बचाव के लिए यूपी अपनी तैयारियों में जुटा हुआ है। यूपी के हर जिले में कोरोना से निपटने के लिए बच्चों की केयर यूनिट या तो बन चुकी है या तेजी से बन रही है। कोविड की जांच के लिए आज यूपी के पास 60 से ज्यादा लैब्स मौजूद हैं। 500 से ज्यादा नए आक्सीजन प्लांट्स पर भी तेजी से काम चल रहा है। + diff --git a/pm-speech/761.txt b/pm-speech/761.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..dad602e2e887cece5d9ba0de9fe83dbc6435336d --- /dev/null +++ b/pm-speech/761.txt @@ -0,0 +1,4 @@ +कई वर्षों के बाद जब IT Revaluation आया, जब हमारे देश के 18, 20, 22 साल के बच्‍चे mouse के साथ खेलते-खेलते दुनिया को अचरज करने लगे, तब फिर से दुनिया का ध्‍यान हमारी तरफ गया। IT ने दुनिया को प्रभावित किया। हमारे देश के 18, 20 साल की उम्र के नौजवानों ने विश्‍व को प्रभावित कर दिया। Research, Innovation, इसकी क्‍या ताकत होती है, हमने अपनी आंखों के सामने देखा है। आज पूरा विश्‍व Holistic Health Care, इसके विषय में बड़ा संवेदनशील है, सजग है। लेकिन रास्‍ता नहीं मिल रहा है। भारत के ऋषि-मुनियों की महान परम्‍परा, योग, उस पर विश्‍व का आकर्षण पैदा हुआ है, वे शांति की तलाश में हैं। वो बाहर की दुनिया से तंग आ करके भीतर की दुनिया को जानना, परखने के लिए प्रयास कर रहे हैं। + +और इसलिए मैं बाबा को हृदय से बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं। भारत सरकार, जब अटल जी की सरकार थी देश में, तब हमारे देश में एक Health Policy आई थी। इतने सालों के बाद जब हमारी सरकार बनी, तो‍ फिर से हम देश के लिए एक Health Policy ले करके आए हैं। Holistic Health Care का view ले करके आए हैं। और अब दुनिया सिर्फ Healthy रहना चाहती है ऐसा नहीं है, बीमारी न हो वहां तक अटकना नहीं चाहती है; अब लोगों को Wellness चाहिए, और इसलिए solution भी holistic देने पड़ेंगे। Preventive Health Care पर बल देना पड़ेगा, और Preventive Health Care का उत्‍तम से उत्‍तम रास्‍ता जो है, और सस्‍ते से सस्‍ता रास्‍ता है, वो है स्‍वच्‍छता। और स्‍वच्‍छता में कौन क्‍या करता है, वो बाद पे छोड़े हम। हम तय करें, सवा सौ करोड़ देशवासी तय करें‍ कि मैं गंदगी नहीं करूंगा। कोई बड़ा संकल्‍प लेने की जरूरत नहीं, इसमें जेल जाने की जरूरत नहीं है, फांसी पर लटकने की जरूरत नहीं है, देश के लिए सीमा पर जा करके जवानों की तरह मरने-मिटने की जरूरत नहीं है; छोटा सा काम- मैं गंदगी नहीं करूंगा। + diff --git a/pm-speech/762.txt b/pm-speech/762.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..cc3e3eafed222fd234568afaaef56dfed6eea160 --- /dev/null +++ b/pm-speech/762.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +यही कारण है कि स्वामी विवेकानंद ने संत श्री रामानुजचार्य के दिल की बात कही थी – एक बड़ा दिल जो एक समय में शोषित लोगों के लिए रोया था, जब शोषितों को ही अपने कर्मों के रूप में मान्यता प्राप्त और स्वीकार किया गया था। संत श्री रामानुजचार्य ने अपने समय के पूर्वाग्रह का तोड़ा।उनकी सोच उनके समय से काफी आगे थी। + +तिरुवल्ली में एक दलित महिला के साथ एक शास्त्रार्थ के बाद उन्होंने उस महिला से कहा कि आप मुझसे कहीं ज्यादा ज्ञानी हैं। इसके बाद संत श्री रामानुजाचार्य ने उस महिला को दीक्षा दी और उसकी मूर्ति बनाकर मंदिर में भी स्थापित कराई। उन्होंने धनुर्दास नाम के एक अस्पृश्य को अपना शिष्य बनाया। इसी शिष्य की मदद से वो नदी में स्नान करने के बाद वापस आते थे”। + +विनम्रता और विद्रोही प्रवृति का ये एक अद्भुत समागम था। जिस व्यक्ति के घर में दलित गुरू के प्रवेश के बाद उसे शुद्ध किया गया हो, वो व्यक्ति नदी के स्नान के बाद एक दलित का ही सहारा लेकर मंदिर तक जाता था। जिस दौर में दलित महिलाओं को खुलकर बोलने की भी स्वतंत्रता ना हो, उस दौर में उन्होंने एक दलित महिला से शास्त्रार्थ में हारने पर मंदिर में उसकी मूर्ति भी लगवाई। + diff --git a/pm-speech/764.txt b/pm-speech/764.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..9518f9b6a028bb9421594371706a1f69e448329a --- /dev/null +++ b/pm-speech/764.txt @@ -0,0 +1,12 @@ +आज के फोरम में अग्रणी व्यवसायियों के साथ बातचीत करने का यह अवसर पाकर मुझे खुशी हो रही है। मैं राष्ट्रपति एर्दोआन का गर्मजोशी से स्वागत करता हूं और यहां उपस्थित सभी तुर्की मित्रों का स्वागत करते हैं।I राष्ट्रपति एर्दोआन के साथ आने वाले बड़े व्यापार प्रतिनिधियों को देखकरखुशी हो रही है। मैं भारतीय व्यापारिक नेताओं की भागीदारी को देखकर बहुत खुश हूं। + +अब आर्थिक सहयोग हर द्विपक्षीय संबंध का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बनता जा रहा है। भारत और तुर्की अच्छे आर्थिक संबंधों का आनंद लें। वर्षों से हो रही हमारे द्विपक्षीय व्यापार में वृद्धि प्रभावशाली रही है। मैं समझता हूं कि राष्ट्रपति एर्दोआन की अंतिम बार भारत दौरा के बाद से द्विपक्षीय व्यापार में काफी वृद्धि हुई है। यह 2008 में अमेरिकी डॉलर 2.8 अरब से बढ़कर 2016 में 6.4 अरब हो गया। हालांकि यह उत्साहजनक है, लेकिन फिर भी वर्तमान आर्थिक और व्यावसायिक संबंधों का स्तर वास्तविक क्षमता के लिहाज से पर्याप्त नहीं है। + +द्विपक्षीय रिश्तों को आगे बढ़ाने के लिए काफी संभावनाएं और अवसर हैं। यह व्यापार और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के प्रवाह, प्रौद्योगिकी संबंधों और विभिन्न परियोजनाओं पर सहयोग के माध्यम से संभव है। इस संदर्भ में, हमनेभारत में तुर्की कंपनियों की भागीदारी में कुछ वृद्धि देखी है। यह पिछले कुछ वर्षों में ब्लू चिप भारतीय कंपनियों में निवेश और एफडीआई के माध्यम से आया है। हालांकि, इस तरह के सहयोग छोटे और मध्यम उद्यमों तक हीसंभव हैं। आज की ज्ञान-आधारित वैश्विक अर्थव्यवस्था लगातार नए क्षेत्रों को खोल रही है। हमें अपने आर्थिक और व्यावसायिक संबंधों में इसका अहम कारक बनना चाहिए। + +मेरी सरकार तीन साल पहले इसी महीने में सत्ता में आई थी। तब से, हमने अर्थव्यवस्था और प्रशासनिक प्रक्रियाओं में सुधार के लिए कई पहल की हैं। हमने मेक इन इंडिया, स्टार्ट अप इंडिया और डिजिटल इंडिया जैसे कईप्रमुख कार्यक्रम भी शुरू किए हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के प्रयासों के परिणाम जमीन पर दिखाई देने लगे हैं। आज, भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। इस गति को बनाएरखने के अलावा हमारा ध्यान प्रणाली से अक्षमता को दूर करने पर भी है। हम एक नए भारत के निर्माण की प्रक्रिया में हैं। इसलिए हमारा ध्यान काम को आसान बनाने पर है। विशेष रूप से व्यापार करने के लिए। इसमें नीतियों, प्रक्रियाओं और उसमें सुधार शामिल है। इसमें वातावरण बनाने और घरेलू तथा विदेशी निवेश की सुविधा भी शामिल है। + +हमने इस मोर्चे पर सफलता और मान्यता हासिल की है। हमारी वैश्विक रैंकिंग कई मापदंडों पर बढ़ी है। हालांकि, यह एक निरंतर प्रयास है। इसलिए इसे जारी रखना होगा। यह मूलतः रवैया और दृष्टिकोण में बदलाव है। इसकाउद्देश्य लोगों को अपनी क्षमता का अहसास करने के लिए भारत को एक बेहतर स्थान बनाना है। विशेष रूप से युवाओं के लिए रोज़गार और स्व-रोजगार के अवसर मुहैया कराने के लिए यह आवश्यक है। हाल ही में जीएसटीकानून मेरी सरकार की एक और ऐसी ही पहल है। यह देश में एक समान और कुशल कारोबारी माहौल बनाने की पुरानी मांग थी। + +इसलिए ऊर्जा क्षेत्र हमारे द्विपक्षीय संबंधों का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बन जाता है। खनन और खाद्य प्रसंस्करण बहुत अच्छे वादे के साथ अन्य क्षेत्र हैं। हम कपड़ा और ऑटो क्षेत्रों में हमारी ताकत को एक साथ बढ़ा सकते हैं। तुर्की का एक मजबूत विनिर्माण क्षेत्र है और भारत कम लागत वाली विनिर्माण का केंद्र है। इसके अलावा, हमारे पास कुशल और अर्द्ध कुशल कार्य बल और मजबूत शोध एवं विकास (आर एंड डी) की क्षमता है। + diff --git a/pm-speech/765.txt b/pm-speech/765.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..9e668f1789471ddd1cd30c19d58e0d8d0766331b --- /dev/null +++ b/pm-speech/765.txt @@ -0,0 +1,34 @@ +मेरे प्यारे देशवासियों, नमस्कार। हर ‘मन की बात’ से पहले, देश के हर कोने से, हर आयु वर्ग के लोगों से, ‘मन की बात’ को ले करके ढ़ेर सारे सुझाव आते हैं। आकाशवाणी पर आते हैं, Narendra Modi App पर आते हैं, MyGov के माध्यम से आते हैं, फ़ोन के द्वारा आते हैं, recorded message के द्वारा आते हैं। और जब कभी-कभी मैं उसे समय निकाल करके देखता हूँ तो मेरे लिये एक सुखद अनुभव होता है। इतनी विविधताओं से भरी हुई जानकारियाँ मिलती हैं। + +हर बार जितने inputs ‘मन की बात’ के लिये आते हैं, सरकार में उसका detail analysis होता है। सुझाव किस प्रकार के हैं, शिकायतें क्या हैं, लोगों के अनुभव क्या हैं। आमतौर पर यह देखा गया है कि मनुष्य का स्वभाव होता है दूसरे को सलाह देने का। ट्रेन में, बस में जाते और किसी को खांसी आ गयी तो तुरंत दूसरा आकर के कहता कि ऐसा करो। सलाह देना, सुझाव देना, ये जैसा मानो हमारे यहाँ स्वभाव में है। + +आज अप्रैल महीना पूर्ण हो रहा है, आखिरी दिवस है। 1 मई को गुजरात और महाराष्ट्र का स्थापना दिवस है। इस अवसर पर दोनों राज्यों के नागरिकों को मेरी तरफ़ से बहुत-बहुत शुभकामनाएं। दोनों राज्यों ने विकास की नयी-नयी ऊँचाइयों को पार करने का लगातार प्रयास किया है। देश की उन्नति में योगदान दिया है। और दोनों राज्यों में महापुरुषों की अविरत श्रंखला और समाज के हर क्षेत्र में उनका जीवन हमें प्रेरणा देता रहता है। और इन महापुरुषों को याद करते हुए राज्य के स्थापना दिवस पर 2022, आज़ादी के 75 साल, हम अपने राज्य को, अपने देश को, अपने समाज को, अपने नगर को, अपने परिवार को कहाँ पहुँचाएँगे, इसका संकल्प लेना चाहिये। उस संकल्प को सिद्ध करने के लिये योजना बनानी चाहिये और सभी नागरिकों के सहयोग से आगे बढ़ना चाहिये। मेरी इन दोनों राज्यों को बहुत-बहुत शुभकामनाएं हैं। + +एक ज़माना था जब climate change ये academic world का विषय रहता था, seminar का विषय रहता था। लेकिन आज, हम लोगों की रोज़मर्रा की ज़िंदगी में, हम अनुभव भी करते हैं, अचरज़ भी करते हैं। कुदरत ने भी, खेल के सारे नियम बदल दिये हैं। हमारे देश में मई-जून में जो गर्मी होती है, वो इस बार मार्च-अप्रैल में अनुभव करने की नौबत आ गयी। और मुझे ‘मन की बात’ पर जब मैं लोगों के सुझाव ले रहा था, तो ज़्यादातर सुझाव इन गर्मी के समय में क्या करना चाहिये, उस पर लोगों ने मुझे दिये हैं। वैसे सारी बातें प्रचलित हैं। नया नहीं होता है लेकिन फिर भी समय पर उसका पुनःस्मरण बहुत काम आता है। + +कुछ दिन पहले मुझे गुजरात से श्रीमान जगत भाई ने अपनी एक किताब भेजी है ‘Save The Sparrows’ और जिसमें उन्होंने गौरैया की संख्या जो कम हो रही है, उसकी चिंता तो की है लेकिन स्वयं ने mission mode में उसके संरक्षण के लिये क्या प्रयोग किये हैं, क्या प्रयास किये हैं, बहुत अच्छा वर्णन उस किताब में है। वैसे हमारे देश में तो पशु-पक्षी, प्रकृति उसके साथ सह-जीवन की बात, उस रंग से हम रंगे हुए हैं लेकिन फिर भी ये आवश्यक है कि सामूहिक रूप से ऐसे प्रयासों को बल देना चाहिये। जब मैं गुजरात में मुख्यमंत्री था तो ‘दाऊदी बोहरा समाज’ के धर्मगुरु सैयदना साहब को सौ साल हुए थे। वे 103 साल तक जीवित रहे थे। और उनके सौ साल निमित्त बोहरा समाज ने Burhani foundat।on के द्वारा sparrow को बचाने के लिये एक बहुत बड़ा अभियान चलाया था। इसका शुभारम्भ करने का मुझे अवसर मिला था। क़रीब 52 हज़ार bird feeders उन्होंने दुनिया के कोने-कोने में वितरित किये थे। Guinness book of World Records में भी उसको स्थान मिला था। + +नौजवान दोस्तो, कुछ बातें आपके साथ भी तो मैं करना चाहता हूँ। मुझे कभी-कभी चिंता होती है कि हमारी युवा पीढ़ी में कई लोगों को comfort zone में ही ज़िंदगी गुज़ारने में आनंद आता है। माँ-बाप भी बड़े रक्षात्मक अवस्था में ही उनका लालन-पालन करते हैं। कुछ extreme भी होते हैं लेकिन ज़्यादातर comfort zone वाला नज़र आता है। अब परीक्षायें समाप्त हो चुकी हैं। Vacation का मज़ा लेने के लिये योजनायें बन चुकी होंगी। Summer vacation गर्मियां होने के बाद भी अच्छा लगता है। लेकिन मैं एक मित्र के रूप में आपका vacation कैसा जाए, कुछ बातें करना चाहता हूँ। मुझे विश्वास है कुछ लोग ज़रूर प्रयोग करेंगे और मुझे बतायेंगे भी। + +हम मध्यम-वर्गीय परिवार के हैं, सुखी परिवार के हैं। क्या दोस्तो कभी मन करता है कि reservation किये बिना रेलवे के second class में ticket लेकर के चढ़ जाएँ, कम-से-कम 24 घंटे का सफ़र करें। क्या अनुभव आता है। उन पैसेंजरों की बातें क्या हैं, वो स्टेशन पर उतर कर क्या करते हैं, शायद सालभर में जो सीख नहीं पाते हैं उस 24 घंटे की without reservation वाली, भीड़-भाड़ वाली ट्रेन में सोने को भी न मिले, खड़े-खड़े जाना पड़े। कभी तो अनुभव कीजिये। मैं ये नहीं कहता हूँ बार-बार करिये, एक-आध बार तो करिये। + +कई volunteer organisations सेवा के काम करते रहते हैं। आप तो Google गुरु से जुड़े हुए हैं उस पर ढूँढिए। किसी ऐसे organisations के साथ 15 दिन, 20 दिन के लिये जुड़ जाइये, चले जाइये, जंगलों में चले जाइये। कभी-कभी बहुत summer camp लगते हैं, personality development के लगते हैं, कई प्रकार के विकास के लिये लगते हैं उसमें शरीक़ हो सकते हैं। लेकिन साथ-साथ कभी आपको लगता है कि आपने ऐसे summer camp किये हों, personality development का course किया हो। आप बिना पैसे लिये समाज के उन लोगों के पास पहुँचे जिनको ऐसा अवसर नहीं है और जो आपने सीखा है, उनको सिखायें। कैसे किया जा सकता है, आप उनको सिखा सकते हैं। + +दूसरा मैंने कहा कि skill, क्या आपका मन नहीं करता कि आप कुछ नया सीखें ! आज स्पर्द्धा का युग है। Examination में इतने डूबे हुए रहते हैं। उत्तम से उत्तम अंक पाने के लिये खप जाते हैं, खो जाते हैं। Vacation में भी कोई न कोई coaching class लगा रहता है, अगली exam की चिंता रहती है। कभी-कभी डर लगता है कि robot तो नहीं हो रही हमारी युवा-पीढ़ी, मशीन की तरह तो ज़िंदगी नहीं गुज़ार रही। + +कभी-कभी छोटे-छोटे काम जिसको हम कहते हैं – हमें, क्यों न मन करे, हम सीखें ! आपको car driving तो सीखने का मन करता है ! क्या कभी auto-rickshaw सीखने का मन करता है क्या ! आप cycle तो चला लेते हैं, लेकिन three-wheeler वाली cycle जो लोगों को ले कर के जाते हैं – कभी चलाने की कोशिश की है क्या ! आप देखें ये सारे नये प्रयोग ये skill ऐसी है आपको आनंद भी देगी और जीवन को एक दायरे में जो बाँध दिया है न, उससे आपको बाहर निकाल देगी। Out of box कुछ करिये दोस्तो। ज़िंदगी बनाने का यही तो अवसर होता है। + +दोस्तो, इस बार भारत सरकार ने भी आपके लिये बड़ा अच्छा अवसर दिया है। नई पीढ़ी तो नकद से करीब-करीब मुक्त ही हो रही है। उसको cash की ज़रूरत नहीं है। वो Digital Currency में विश्वास करने लग गई है। आप तो करते हैं लेकिन इसी योजना से आप कमाई भी कर सकते हैं – आपने सोचा है। भारत सरकार की एक योजना है। अगर BHIM App जो कि आप download करते होंगे, आप उपयोग भी करते होंगे। लेकिन किसी और को refer करें, किसी और को जोड़ें और वो नया व्यक्ति अगर तीन transaction करे, आर्थिक कारोबार तीन बार करे, तो इस काम को करने के लिये आपको 10 रुपये की कमाई होती है। आपके खाते में सरकार की तरफ से 10 रुपये जमा हो जायेगा। अगर दिन में आपने 20 लोगों से करवा लिया तो आप शाम होते-होते 200 रुपये कमा लेंगे। व्यापारियों को भी कमाई हो सकती है, विद्यार्थियों को भी कमाई हो सकती है। और ये योजना 14 अक्टूबर तक है। Digital India बनाने में आपका योगदान होगा। New India के आप एक प्रहरी बन जाएँगे, तो vacation का vacation और कमाई की कमाई। refer & earn. + +“नमस्कार प्रधामंत्री जी, मैं शिवा चौबे बोल रही हूँ, जबलपुर मध्य प्रदेश से। मैं Government के red beacon ban के बारे में कुछ बोलना चाहती हूँ। मैंने एक लाइन पढ़ी न्यूज़पेपर में, जिसमें लिखा था “every Indian is a VIP on a road” ये सुन के मुझे बहुत गर्व महसूस हुआ और खुशी भी हुई कि आज मेरा टाइम भी उतना ही ज़रूरी है। मुझे ट्रैफिक जाम में नहीं फंसना है और मुझे किसी के लिये रुकना भी नहीं है। तो मैं आपको दिल से बहुत धन्यवाद देना चाहती हूँ इस decision के लिये। और ये जो आपने स्वच्छ भारत अभियान चलाया है इसमें हमारा देश ही नहीं साफ़ हो रहा है, हमारी सड़कों से V।P की दादागिरी भी साफ हो रही है – तो उसके लिये धन्यवाद।” + +सरकारी निर्णय से लाल बत्ती का जाना, वो तो एक व्यवस्था का हिस्सा है लेकिन मन से भी हमें प्रयत्नपूर्वक इसे निकालना है। हम सब मिल कर के जागरूक प्रयास करेंगे तो निकल सकता है। New India का हमारा concept यही है कि देश में VIP की जगह पर EPI का महत्व बढ़े। और जब मैं V।P के स्थान पर EPI कह रहा हूँ तो मेरा भाव स्पष्ट है – Every Person is important – हर व्यक्ति का महत्व है, हर व्यक्ति का माहात्म्य है। सवा-सौ करोड़ देशवासियों का महत्व हम स्वीकार करें, सवा-सौ करोड़ देशवासियों का माहात्म्य स्वीकार करें तो महान सपनों को पूरा करने के लिये कितनी बड़ी शक्ति एकजुट हो जाएगी। हम सबने मिलकर के करना है। + +आज जब मैं बाबा साहब की बात करता हूँ, संत रामानुजाचार्य जी की बात करता हूँ तो 12वीं सदी के कर्नाटक के महान संत और सामाजिक सुधारक ‘जगत गुरु बसवेश्वर’ जी की भी याद आती है। कल ही मुझे एक समारोह में जाने का अवसर मिला। उनके वचनामृत के संग्रह को लोकार्पण का वो अवसर था। 12वीं शताब्दी में कन्नड़ भाषा में उन्होंने श्रम, श्रमिक उस पर गहन विचार रखे हैं। कन्नड़ भाषा में उन्होंने कहा था – “काय कवे कैलास”, उसका अर्थ होता है – आप अपने परिश्रम से ही भगवान शिव के घर कैलाश की प्राप्ति कर सकते हैं यानि कि कर्म करने से ही स्वर्ग की प्राप्ति होती है। दूसरे शब्दों में कहें तो श्रम ही शिव है। + +मैं बार-बार ‘श्रमेव-जयते’ की बात करता हूँ। ‘Dignity of labour’ की बात करता हूँ। मुझे बराबर याद है भारतीय मज़दूर संघ के जनक और चिन्तक जिन्होंने श्रमिकों के लिए बहुत चिंतन किया, ऐसे श्रीमान दत्तोपन्त ठेंगड़ी कहा करते थे – एक तरफ़ माओवाद से प्रेरित विचार था कि “दुनिया के मज़दूर एक हो जाओ” और दत्तोपन्त ठेंगड़ी कहते थे “मज़दूरों आओ, दुनिया को एक करें”। एक तरफ़ कहा जाता था- ‘Workers of the world unite’। भारतीय चिंतन से निकली हुई विचारधारा को ले करके दत्तोपन्त ठेंगड़ी कहा करते थे – ‘Workers unite the world’। आज जब श्रमिकों की बात करता हूँ तो दत्तोपन्त ठेंगड़ी जी को याद करना बहुत स्वाभाविक है। + +मेरे प्यारे देशवासियों, कुछ दिन के बाद हम बुद्ध पूर्णिमा मनायेंगे। विश्वभर में भगवान बुद्ध से जुड़े हुए लोग उत्सव मनाते हैं। विश्व आज जिन समस्याओं से गुज़र रहा है हिंसा, युद्ध, विनाशलीला, शस्त्रों की स्पर्द्धा, जब ये वातावरण देखते हैं तो तब, बुद्ध के विचार बहुत ही relevant लगते हैं। और भारत में तो अशोक का जीवन युद्ध से बुद्ध की यात्रा का उत्तम प्रतीक है। मेरा सौभाग्य है कि बुद्ध पूर्णिमा के इस महान पर्व पर United Nations के द्वारा vesak day मनाया जाता है। इस वर्ष ये श्रीलंका में हो रहा है। इस पवित्र पर्व पर मुझे श्रीलंका में भगवान बुद्ध को श्रद्धा-सुमन अर्पित करने का एक अवसर मिलेगा। उनकी यादों को ताज़ा करने का अवसर मिलेगा। + +मेरे प्यारे देशवासियों, भारत में हमेशा ‘सबका साथ-सबका विकास’ इसी मंत्र को ले करके आगे बढ़ने का प्रयास किया है। और जब हम सबका साथ-सबका विकास कहते हैं, तो वो सिर्फ़ भारत के अन्दर ही नहीं – वैश्विक परिवेश में भी है। और ख़ास करके हमारे अड़ोस-पड़ोस देशों के लिए भी है। हमारे अड़ोस-पड़ोस के देशों का साथ भी हो, हमारे अड़ोस-पड़ोस के देशों का विकास भी हो। अनेक प्रकल्प चलते हैं। + diff --git a/pm-speech/766.txt b/pm-speech/766.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..71c766105dabcf6741b807ae7d116c5f1901367a --- /dev/null +++ b/pm-speech/766.txt @@ -0,0 +1,8 @@ +मेरे प्यारे भाइयों बहनों भारत का इतिहास सिर्फ हार का इतिहास नहीं है प्राजय का इतिहास नहीं है। सिर्फ गुलामी का इतिहास नहीं है। सिर्फ जुल्म अत्याचार झेलने वालों का इतिहास नहीं है। सिर्फ गरीबी, भुखमरी और अशिक्षा और सांप और नेवले की लड़ाई का इतिहास नहीं भी नहीं है। समय के साथ अलग अलग कालखंडों में देश में कुछ चुनौतियां आती हैं। कुछ यहीं पैर जमा कर बैठ भी गईं। लेकिन ये समस्याएं ये कमियां ये बुराइयां ये हमारी पहचान नहीं हैं। हमारी पहचान है इन समस्याओं से निपटने का हमारा तरीका हमारा Approach भारत वो देश है, जिसने पूरे विश्व को मनवता का, लोकतंत्र का, Good Governance का, अहिंसा का, सत्याग्रह का संदेश दिया है। अलग अलग समय पर हमारे देश में ऐसी महान आत्माएं अवतरित होती रहीं, जिन्होंने सम्पूर्ण मानवता को, अपने विचारों से अपने जीवन से दिशा दिखाई। जब दुनिया के बड़े बड़े देशों ने पश्चिम के बड़े बड़े जानकारों ने लोकतंत्र को, सबको बराबरी के अधिकार को एक नए नजरिये के तौर पर देखना शुरू किया उससे भी सदियों पहले और कोई भी हिन्दुस्तानी इस बात को गर्व के साथ कह सकता है। उससे भी सदियों पहले भारत ने इन मूल्यों का न सिर्फ आत्मसार किया बल्कि अपनी शासन पद्धति में शामिल भी किया था। 11वीं शताब्दि में भगवान बसेश्वसर ने भी एक लोकतांत्रिक व्यवस्था का सृजन किया। उन्होंने अनुभव मंडप नाम की एक ऐसी व्यवस्था विकसित की जिनमें हर तरह के लोग गरीब हो, दलित हो, पीड़ित हो, शोषित हो, वंचित हो वहां आकर के सबके सामने अपने विचार रख सकते हैं। ये तो लोकतंत्र कि कितनी बड़ी अद्भुत शक्ति थी। एक तरह से यह देश की पहली संसद थी। यहां हर कोई बराबर के थे। कोई ऊंच नहीं भेदभाव नहीं मेरा तेरा कुछ नहीं। भगवान बसवेश्वर का वचन। वो कहते थे, जब विचारों का आदान प्रदान न हो, जब तर्क के साथ बहस न हो, तब अनुभव गोष्टी भी प्रासंगिक नहीं रह जाती और जहां ऐसा होता है, वहां ईश्वर का वास भी नहीं होता है। यानी उन्होंने विचारों के इस मंथन को ईश्वर की तरह शक्तिशाली और ईश्वर की तरह ही आवश्यक बताया था। इससे बड़े ज्ञान की कल्पना कोई कर सकता है। यानी सैकड़ों साल पहले विचार का सामर्थ ज्ञान का सामर्थ ईश्वर की बराबरी का है। ये कल्पना आज शायद दुनिया के लिये अजूबा है। अनुभव मंडप में अपने विचारों के साथ महिलाओं को खुल कर के बोलने की स्वतंत्रता थी। आज जब ये दुनिया हमें woman empowerment के लिये पाठ पढ़ाती है। भारत को नीचा दिखाने के लिये ऐसी ऐसी कल्पना विश्व में प्रचारित की जाती है। लेकिन ये सैंकड़ों साल पुराना इतिहास हमारे सामने मौजूद है कि भगवान बसवेश्वर ने woman empowerment equal partnership कितनी उत्तम व्यवस्था साकार की सिर्फ कहा नहीं व्यवस्था साकार की। समाज के हर वर्ग से आई महिलाएँ अपने विचार व्यक्त करती थीं। कई महिलाएं ऐसी भी होती थीं जिन्हें सामान्य समाज की बुराइयों के तहत तृस्कृत समझा जाता था। जिनसे अपेक्षा नहीं जाती थी। जो उस समय के तथाकथित सभ्य समाज बीच में आए। कुछ बुराइयां थी हमारे यहां। वैसी महिलाओं को भी आकर के अनुभव मंडप में अपनी बात रखने का पूरा पूरा अधिकार था। महिला सशक्तिकरण को लेकर उस दौर में कितना बड़ा प्रयास था, कितना बड़ा आंदोलन था हम अंदाजा लगा सकते हैं। और हमारे देश की विशेषता रही है। हजारों साल पुराना हमारी परम्परा है, तो बुराइयां आई हैं। नहीं आनी चाहिए। आई, लेकिन उन बुराइयों के खिलाफ लड़ाई लड़ने का माददा भी हमारे भीतर ही पैदा हुआ है। जिस समय राजाराम मोहन राय ने विध्वा विवाह की बात रखी होगी। उस समय के समाज ने कितना उनकी आलोचना की होगी। कितनी कठिनाइयां आई होगी। लेकिन वो अड़े रहे। माताओं बहनों के साथ ये घोर अन्याय है। अपराध है समाज का ये जाना चाहिए। कर के दिखाया। + +और इसलिये मैं कभी कभी सोचता हूं। तीन तलाक को लेकर के आज इतनी बड़ी बहस चल रही है। मैं भारत की महान परम्परा को देखते हुए। मेरे भीतर एक आशा का संचार हो रहा है। मेरे मन में एक आशा जगती है कि इस देश में समाज के भीतर से ही ताकतवर लोग निकलते हैं। जो कानबाह्य परम्पराओं को तोड़ते हैं। नष्ट करते हैं। आधुनिक व्यवस्थाओं को विकसित करते हैं। मुसलमान समाज में से भी ऐसे प्रबुद्ध लोग पैदा होंगे। आगे आएंगे और मुस्लिम बेटियों को उनके साथ जो गुजर रही है जो बीत रही है। उसके खिलाफ वो खुद लड़ाई लड़ेंगे और कभी न कबी रास्ता निकालेंगे। और हिन्दुस्तान के ही प्रबुद्ध मुसलमान निकलेंगे जो दुनिया के मुसलमानों को रास्ता दिखाने की ताकत रखते हैं। इस धरती की ये ताकत है। और तभी तो उस कालखंड में ऊंच नीच, छूत अछूत चलता होगा। तब भी भगवान बसवेश्वर कहते थे नहीं उस अनुभव मंडप में आकर के उस महिला को भी अपनी बात कहने का हक है। सदियों पहले ये भारत की मिट्टी की ताकत है कि तीन तलाक के संकट से गुजर रहे हमारी माता बहनों को भी बचाने के लिये उसी समाज से लोग आएंगे। और मैं मुसलमान समाज के लोगों से भी आग्रह करूंगा कि इस मसले को राजनीति के दायरे में मत जाने दीजिये। आप आगे आइये इस समस्या का समाधान कीजिए। और वो समाधान का आनन्द कुछ और होगा आने वाले पीढ़ियां तक उससे ताकत लेगी। + +साथियों भगवान बसवेश्वर के वचनों से उनकी सिक्षाओं से बने सात सिद्धांत इंद्रधनुष के सात रंगों की तरह आज भी इस जगह को एक छोर से दूसरे छोर तक जोड़े हुए है। आस्था किसी के भी प्रति हो किसी की भी हो हर किसी का सम्मान हो। जाती प्रथा, छू अछूत जैसी बुराइयां न हों सबको बराबरी का अधिकार मिले इसका वे पुरजोर समर्थन करते रहते थे। उन्होंने हर मानव में भगवान को देखा था। उन्होंने कहा था। देह वे एकल, अर्थात ये शरीर एक मंदिर है। जिसमें आत्मा ही भगवान है। समाज में ऊंच नीच का भेद भाव खत्म हो। सब का सम्मान हो। तर्क और वैज्ञानिक आधार पर समाज की सोच विकसित की जाए। और ये हर व्यक्ति का सशक्तिकरण हो। ये सिद्धांत किसी भी लोकतंत्र किसी भी समाज के लिये एक मजबूत Foundation की तरह है मजबूत नीव की तरह है। वो कहते हैं ये मत पूछो कि आदमी किस जात मत का है इब या रब ये कहो कि यूं नमव। ये आदमी हमारा है। हम सभी के बीच में से एक है। इसी नीव पर एक मजबूत राष्ट्र का निर्माण हो रहा है। यही सिद्धांत एक राष्ट्र के लिये नीति निर्देशन का काम करते हैं। हमारे लिये ये बहुत ही गौरव का विषय है की भारत की धरती पर 800 वर्ष पहले इन विचारों को भगवान बसवेश्वर ने जन भावना और जनतंत्र का आधार बनाया था। सभी को साथ लेकर चलने की उनके वचनों ने वही प्रतिध्वनि है जो इस सरकार के सबका साथ सबका विकास का मंत्र है। बिना भेद भाव कोई भेद भाव नहीं बिना भेद भाव इस देस के हर व्यक्ति को अपना घर होना चाहिए। भेदभाव नहीं होना चाहिए। बिना भेद भाव हर किसी को 24 घंटे बिजली मिलनी चाहीए। बिना भेद भाव हर गांव में गांव तक सड़क होना चाहिए। बिना भेद भाव हर किसान को सींचाई को लिये पानी मिलना चाहिए। खाद मिलना चाहिए, फसल का बीमा मिलना चाहिए। यही तो है सबका साथ सबका विकास। सबको सात लेकर और ये देश में बहुत आवश्यक है। सबको सात लेकर के सब के प्रयास से सबके प्रयत्न से सबका विकास किया जा सकता है। + +आप सबने भारत सरकार की मुद्रा योजना के बारे में सुना होगा। यह योजना देश के नौजवानों को बिना भेदभाव बिना बैंक गारंटी अपने पैरों पर खड़े होने के लिये अपने रोजगार के लिये कर्ज देने के लिये शुरु की गई है। without guaranty, अब तक, अब तक देश के साढ़े तीन करोड़ो लोगों को इस योजना के तहत तीन लाख करोड़ से ज्यादा कर्ज दिया जा चुका है। आप ये जानकर के हैरान हो जाएंगे कि इस योजना के तहत कर्ज लेने वालों में और आज 800 साल के बाद भगवान बसवेश्वर को खुशी होती होगी कि ये कर्ज लेने वालों में 76% महिलाएं हैं। सच कहूं तो जब ये योजना शुरू की गई थी, तो हम सबको भी ये उम्मीद नहीं थी कि महिलाएं इतनी बड़ी संख्या में आगे आएंगी इससे जुड़ेंगी। और स्वयं entrepreneur बनने की दिशा में काम करेंगी। आज ये योजना महिला सशक्तिकरण में एक बहुत अहम भूमिका निभा रही है। गांव में, गलियों में छोटे छोटे कस्बों में मुद्रा योजना महिला उद्यमियों का एक प्रकार से बड़ा तांता लग रहा है। भाइयों बहनों भगवान बसवेशर का वचन सिर्फ जीवन का ही सत्य नहीं है। ये सुशासन, गवर्नेन्स, राजकर्ताओं के लिये भी ये उतने ही उपयोगी है। वो कहते थे कि ज्ञान के बल से अज्ञान का नाश है। ज्योति के बल से अंधकार का नाश है। सत्य के बल से असत्य का नाश है। पारस के बल से लोहत्व का नाश है। व्यवस्था से असत्य को ही दूर करना है तो सुशासन होता है वही तो गुड गवर्नेन्स है। जब गरीब व्यक्ति को मूल्य वाली सब्सिडी सही हाथों में जाती है, जब गरीब व्यक्ति का राशन उसी के पास पहुंचता है, जब नियुक्तियों में सिफारिशें बंद होती हैं। जब गरीब व्यक्ति को भ्रष्टाचार और काले धन से मुक्ति के प्रयास किये जाते हैं, तो व्यवस्था में सत्यता का ही मार्ग बढ़ता है और वही तो भगवान बसवेश्वर ने बताया है। जो झूठा ह गलत है, उसे हटाना पारदर्शिता लाना Transparency वही तो good governance है। + diff --git a/pm-speech/767.txt b/pm-speech/767.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..4d03d9e3a8cea925146bc42eb7641d693f359231 --- /dev/null +++ b/pm-speech/767.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +मुझे साइप्रस मसले के समाधान के लिए आपके द्वारा की गई पहल की जानकारी है। शांति, विकास और सुरक्षा के नए युग की शुरुआत के लिए आप आगे रहकर प्रयास कर रहे हैं। यह न सिर्फ साइप्रस बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए है। हम इन प्रयासों में आपको सफलता मिलने की कामना करते हैं। आपके नेतृत्व में, साइप्रस हाल की वित्तीय एवं बैंकिंग चुनौतियों से सफलतापूर्वक उबर गया है। वह वर्ष 2016 में यूरोजोन में सबसे अधिक वृद्धि दर हासिल करने वालों देशों में से एक रहा है। महामहिम, अपने देश को संकट से बाहर निकालने और आर्थिक समृद्धि की राह पर ले जाने के लिए आपके दृष्टिकोण और नेतृत्व की हम सराहना करते हैं। + diff --git a/pm-speech/769.txt b/pm-speech/769.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..8a12f57433cf8c82ae3f5c26bfcf5d721531ae4e --- /dev/null +++ b/pm-speech/769.txt @@ -0,0 +1,10 @@ +अब यहां पर कुछ प्रयास चल रहा है। आप सिर्फ इस Civil Service Day को ही याद कीजिए कि पहले ऐसा था, अब ऐसा है क्‍यों? इसका जवाब यह तो नहीं होना चाहिए कि प्रधानमंत्री ने सोचा और हमने कर दिया, जी नहीं। सोचने का तरीका यह होना चाहिए कि इतना बड़ा अच्‍छा अवसर होता था हमने इसको ritual बना दिया था। अगर प्राणवाण बनाते हैं, उसमें प्राण भर देते हैं, अपने आप को जोड़ देते हैं, आने वाले दिनों की सोच रखते हैं तो वही अवसर हमें एक नई ताकत दे देता है। इस एक अवसर में जो बदलाव नजर आ रहा है और अगर आपको यह सही लगता है, तो आपके हर काम में यही संभावनाएं अंतरनिहित है, inherent हैं। सिर्फ उसको एक बार स्‍पर्श करने की आवश्‍यकता होती है, अनुभूति होने लग जाएगी। क्‍या हम इससे इन बातों को सिख सकते हैं। क्‍या कारण हैं आप भी तो कभी उसी प्रक्रिया से निकलेंगे हैं। आपने भी किसी गांव में काम किया। धीरे-धीरे करके district में आए, ऐसा करते-करते हम पहुंचे हैं। और भी बहुत लोग होंगे जो पिछले बार भी district में काम करते थे, इस बार भी district में काम करते हैं। लेकिन पहले उनको नहीं लगा, इसलिए entry hundred से भी कम आई। और इस बार एकदम से ज्‍यादा आई। quantum jump तो हुआ है और मैं इसका स्‍वागत करता हूं। हो सकता है किसी ने पूछा होगा कि क्‍या तुमने भेजा कि नहीं भेजा? तो उसको लगा कि यार नहीं भेजने से भी सवला उठेगा, इसलिए भेज तो दो। लेकिन जब मेरे सामने रिपोर्ट आया तो मेरा दिमाग कुछ और चलने लगा। मैंने कहा ऐसा कीजिए भाई अच्‍छा है quantum jump हुआ है। 100 से नीचे थे, अब 500 से ज्‍यादा हो गए, अच्‍छी बात है। अब थोड़ा qualitative analysis होना चाहिए। हम यह तो देखे कि जिसको हम भले number one, number two, number three नहीं देने पाएंगे, लेकिन at least seriously देखना पड़े, मन करे यार जरा देख तो सही कैसा किया है। excellence की category में आए, इसमें इतने कितने हैं। मैं वे आंकड़ा बताना नहीं चाहता हूं, Live TV चल रहा है। लेकिन फिर भी मैं संतुष्‍ट इसलिए हूं, चलो भई एक शुरूआत हुई, quantum jump हुआ। अब मैं चाहता हूं कि एक साल में qualitative change होना चाहिए। excellence से नीचे तो कोई entry होनी ही चाहिए। क्‍योंकि इस व्‍यवस्‍था में वो लोग हैं जिनको excellence का ठप्‍पा लगा है, तभी तो यहां पहुंचे हैं जी। + +उसी प्रकार से प्रगति में contribution, By and large हम देश में ऐसे कालखंड से गुजरे हैं, हमारे में से बहुतों की सोच अभाव के बीच कैसे रास्‍ते खोजना, उसकी रही है। विपुलता के बीच कैसे काम करना, ये By and large हमारे बहुत बड़ा class है जिसकी सोच में बैठता नहीं है। उसको ये तो मालूम था कि अकाल हो तो कैसे perfect management करना है लेकिन उसको ये मालूम नहीं था कि भरपूर पाक पैदा हो तो कैसे management करना है, वहां फिर वो चूक जाता है। उसे ये तो मालूम था कि engineering collage में सीट खाली हो तो लोगों को कैसे admission देना, लेकिन जब सीटें कम पड़ जाएं और विद्यार्थियों की संख्‍या बढ़ जाए तब कैसे manage करना, तो वो संकट में पड़ जाता है। + +यहां पर reform, perform, transform की बात हो रही है। राजनीति की इच्‍छाशक्ति निर्भर करती है reform के लिए लेकिन आपकी कर्तव्‍य शक्ति निर्भर करती है perform के लिए। राजनीति की इच्‍छा शक्ति reform कर सकती है लेकिन अगर ये अगर ये team की कर्तव्‍य शक्ति कम पड़ जाएगी तो perform नहीं होता है और जन-भागीदारी नहीं होती तो transform नहीं होता है। तो ये तीनों चीजें; political will power, ये reform कर सकता है, लेकिन Bureaucratic system, governance, ये perform करता है। और जन-भागीदारी transform करती है। हमें इन तीनों को एक wave length में चलाना बहुत जरूरी है। जब हम तीनों को एक wave length में चलाते हैं तो में इच्छित परिणाम मिलता है। + +Outcome Centric, हमें हर चीज को तौलना चाहिए और इस बार पहली बार बड़ी हिम्‍मत की है, गत वर्ष बजट के साथ एक outcome related document बजट के साथ दिया जाता है, बहुत कम लोगों ने इसको study किया होगा। पहली बार हिंदुस्तान में बजट के साथ outcome documental दिया जाता है। हम नीचे तक इस बात को एक हमारे culture के रूप में प्रचलित करें कि हर चीज को outcome के तराजू से तौलना होगा, output के तराजू से नहीं। Output, CAG के लिए ठीक है, Outcome एक step CAG+1 वाला है, और वो देश का लोकतंत्र है; जो CAG से भी दो कदम आगे है। और इसलिए हम CAG केन्द्रित Output देखेंगे तो देश में बदलाव शायद नहीं देख पाएंगे, लेकिन CAG+ की सोच के साथ करेंगे, Outcome के साथ, तो हम देश के लिए कुछ देकर जाएंगे। + +पिछले तीन साल में मैंने अनुभव किया है, मेरा गुजरात का अनुभव तो गहरा है लेकिन यहां मेरा तीन साल का अनुभव है; तीन साल में मैंने अनुभव किया है कि एक विचार मैंने रखा हो और मुझे उसका परिणाम न मिला हो, ऐसी कोई घटना मेरे सामने मुझे याद नहीं आ रही है, किसने किया? और इसलिए reform करने के लिए political will चाहिए, मुझे वो problem नहीं है; शायद extra है। लेकिन perform के लिए कर्तव्‍य बहुत आवश्‍यक होता है। और ये काम कौन करता है, मुझे बताइए? प्रधानमंत्री ने कहा कि भई ऐसा एक मेरे मन में विचार आता है, उस idea को policy में कौन convert करता है? आप लोग करते हैं। Scheme में कौन convert करता है? आप करते हैं। जिम्‍मेवारी कौन allot करता है? आप करते हैं। संसाधन कहां से निकालेंगे? आप करते हैं। तय करने के बाद monitoring कौन करता है? आप करते हैं। कमियां कहां रहीं, वो ढूंढता कौन है? आप ही ढूंढते हैं। गलत क्‍या हुआ, कौन ढूंढता है? आप ही ढूंढते हैं। सब चीज, बाहर के वाला व्‍यक्ति जब देखेगा तो उसको आश्‍चर्य होगा कि यही लोग अपनी कमियां भी ढूंढते हैं! यही लोग अपनी गलतियां भी ढूंढते हैं! यही लोग हैं उसके सुधार के लिए प्रयास करते हैं! ऐसी homogeneous व्‍यवस्‍था, ये बहुत बड़ी देन है देश को All India Civil Service, और इसलिए आज का दिन इसलिए देश के लिए भी बड़ा मत्‍वपूर्ण है कि ये एक व्‍यवस्‍था है जो व्‍यवस्‍था देश को इस प्रकार से देश को हर बार अपने-आपके कसौटी से कसते-कसते, अपने-आपको ठीक-ठाक करते-करते; हो सकता है अपेक्षा से शायद दो कदम पीछे रहते हों, लेनि कोशिश रहती है अपेक्षाओं को पूर्ण करने की, यही तो Team करती है; इस Team के प्रति देशवासियों का आदर भाव कैसे बढ़े? सामान्‍य मानवी के मन में ये भाव क्‍यों पैदा हुआ है? कभी आप भी आत्‍मचिंतन कीजिए; आप बुरे लोग नहीं हैं, आपने बुरा नहीं किया है, आप बुरा करने के लिए निकले नहीं हैं, फिर भी जन-सामान्‍य के मन में आपके प्रति भाव होने के बजाय अभाव क्‍यों है? क्‍या कारण है? ये आत्‍मचिंतन हम लोगों ने करना चाहिए। और आत्‍मचिंतन करेंगे तो मैं नहीं मानता हूं कि कोई बहुत बड़ा बदलाव की जरूरत पड़ेगी। थोड़ा सा विषय होता है जो संभालना होता है। अगर ये हम संभाल लेते हैं तो अपने-आप में अभाव, भाव में परिवर्तित हो जाता है। + diff --git a/pm-speech/77.txt b/pm-speech/77.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..d01125064ee02e2be23265105fd88f2d5f148dd2 --- /dev/null +++ b/pm-speech/77.txt @@ -0,0 +1,60 @@ +पूनम नौटियाल :- हम लोगों ने, पूरी team ने, संकल्प लिया था कि हम लोग एक भी व्यक्ति छूटना नहीं चाहिए। हमारे देश से कोरोना बीमारी दूर भागनी चाहिए। मैंने और आशा ने मिलके प्रत्येक व्यक्ति की गाँव-wise Due List बनाई, फिर उसके हिसाब से जो लोग centre में आये उनको centre में लगाया। फिर हम लोग घर-घर गए हैं। Sir, फिर उसके बाद, छूटे हुए थे, जो लोग नहीं आ पाते centre में, + +मेरे प्यारे देशवासियो, आप जानते हैं कि अगले रविवार, 31 अक्तूबर को, सरदार पटेल जी की जन्म जयंती है। ‘मन की बात’ के हर श्रोता की तरफ से, और मेरी तरफ से, मैं, लौहपुरुष को नमन करता हूँ।  साथियो, 31 अक्तूबर को हम ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ के रूप में मनाते हैं। हम सभी का दायित्व है कि हम एकता का संदेश देने वाली किसी-ना-किसी गतिविधि से जरुर जुड़ें। आपने देखा होगा, हाल ही में गुजरात पुलिस ने कच्छ के लखपत किले से Statue of Unity तक Bike Rally निकाली है। त्रिपुरा पुलिस के जवान तो एकता दिवस मनाने के लिए त्रिपुरा से Statue of Unity तक Bike Rally कर रहे हैं। यानी, पूरब से चलकर पश्चिम तक देश को जोड़ रहे हैं। जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवान भी उरी से पठानकोट तक ऐसी ही Bike Rally निकालकर देश की एकता का संदेश दे रहे हैं। मैं इन सभी जवानों को salute करता हूँ। जम्मू-कश्मीर के ही कुपवाड़ा जिले की कई बहनों के बारे में भी मुझे पता चला है। ये बहनें कश्मीर में सेना और सरकारी दफ्तरों के लिए तिरंगा सिलने का काम कर रही हैं। ये काम देशभक्ति की भावना से भरा हुआ है। मैं इन बहनों के जज़्बे की सराहना करता हूँ। आपको भी, भारत की एकता के लिए, भारत की श्रेष्ठता के लिए कुछ-न-कुछ जरुर करना चाहिए। देखिएगा, आपके मन को कितनी संतुष्टि मिलती है। + +साथियो, सरदार साहब कहते थे कि – “हम अपने एकजुट उद्यम से ही देश को नई महान ऊँचाइयों तक पहुंचा सकते हैं। अगर हममें एकता नहीं हुई तो हम खुद को नई-नई विपदाओं में फंसा देंगे”। यानी राष्ट्रीय एकता है तो ऊँचाई है, विकास है। हम सरदार पटेल जी के जीवन से, उनके विचारों से, बहुत कुछ सीख सकते हैं। देश के सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने भी हाल ही में सरदार साहब पर एक Pictorial Biography भी publish की है। मैं चाहूँगा कि हमारे सभी युवा-साथी इसे जरुर पढ़ें। इससे आपको दिलचस्प अंदाज में सरदार साहब के बारे में जानने का अवसर मिलेगा। + +साथियो, ऐसे ही ‘मन की बात’ के एक श्रोता ने सुझाव दिया है कि अमृत महोत्सव को रंगोली कला से भी जोड़ा जाना चाहिए। हमारे यहाँ रंगोली के जरिए त्योहारों में रंग भरने की परंपरा तो सदियों से है। रंगोली में देश की विविधता के दर्शन होते हैं। अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नामों से, अलग-अलग theme पर रंगोली बनाई जाती है। इसलिए, संस्कृति मंत्रालय इससे भी जुड़ा एक National Competition  करने जा रहा है। आप कल्पना करिए, जब आजादी के आंदोलन से जुड़ी रंगोली बनेगी, लोग अपने द्वार पर, दीवार पर, किसी आजादी के मतवाले का चित्र बनाएंगे, आजादी की किसी घटना को रंगों से दिखाएंगे, तो, अमृत महोत्सव का भी रंग और बढ़ जाएगा। + +साथियो, ये तीनों प्रतियोगिताएं 31 अक्तूबर को सरदार साहब की जयंती से शुरू होने जा रही हैं। आने वाले दिनों में संस्कृति मंत्रालय इससे जुड़ी सारी जानकारी देगा। ये जानकारी मंत्रालय की website पर भी रहेगी, और social media पर भी दी जाएगी। मैं चाहूँगा कि आप सभी इससे जुड़े। हमारे युवा-साथी जरुर इसमें अपनी कला का, अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करें। इससे आपके इलाके की कला और संस्कृति भी देश के कोने-कोने तक पहुंचेगी, आपकी कहानियाँ पूरा देश सुनेगा। + +जनमानस में तो भगवान बिरसा मुंडा हमेशा-हमेशा के लिए रचे-बसे हुए हैं। लोगों के लिए उनका जीवन एक प्रेरणा शक्ति बना हुआ है। आज भी उनके साहस और वीरता से भरे लोकगीत और कहानियां भारत के मध्य इलाके में बेहद लोकप्रिय हैं। मैं ‘धरती आबा’ बिरसा मुंडा को नमन करता हूं और युवाओं से आग्रह करता हूं कि उनके बारे में और पढ़ें। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में हमारे आदिवासी समूह के विशिष्ट योगदान के बारे में आप जितना जानेंगे, उतनी ही गौरव की अनुभूति होगी। + +मेरे प्यारे देशवासियो, आज 24 अक्टूबर, को UN Day यानि ‘सयुंक्त राष्ट्र दिवस’ मनाया जाता है। ये वो दिन है जब सयुंक्त राष्ट्र का गठन हुआ था, सयुंक्त राष्ट्र की स्थापना के समय से ही भारत इससे जुड़ रहा है। क्या आप जानते हैं कि भारत ने आजादी से पहले 1945 में ही सयुंक्त राष्ट्र के Charter पर हस्ताक्षर किए थे। सयुंक्त राष्ट्र से जुड़ा एक अनोखा पहलू ये है कि सयुंक्त राष्ट्र का प्रभाव और उसकी शक्ति बढ़ाने में, भारत की नारी शक्ति ने, बड़ी भूमिका निभाई है। 1947-48 में जब UN Human Rights का Universal Declaration तैयार हो रहा था तो उस Declaration में लिखा जा रहा था “All Men are Created Equal”. लेकिन भारत के एक Delegate ने इस पर आपत्ति जताई और फिर Universal Declaration में लिखा गया – “All Human Beings are Created Equal”. ये बात Gender Equality की भारत की सदियों पुरानी परंपरा के अनुरूप थी। क्या आप जानते हैं कि श्रीमती हंसा मेहता वो Delegate थी जिनकी वजह से ये संभव हो पाया, उसी दौरान, एक अन्य Delegate श्रीमती लक्ष्मी मेनन ने Gender Equality के मुद्दे पर जोरदार तरीके से अपनी बात रखी थी। यही नहीं, 1953 में श्रीमती विजया लक्ष्मी पंडित, UN General Assembly की पहली महिला President भी बनी थीं। + +भारत ने सदैव विश्व शांति के लिए काम किया है। हमें इस बात का गर्व है कि भारत 1950 के दशक से लगातार सयुंक्त राष्ट्र शांति मिशन का हिस्सा रहा है। गरीबी हटाने, Climate Change और श्रमिकों से संबंधित मुद्दों के समाधान में भी भारत अग्रणी भूमिका निभा रहे है। इसके अलावा योग और आयुष को लोकप्रिय बनाने के लिए भारत WHO यानि World Health Organisation के साथ मिलकर काम कर रहा है। मार्च, 2021 में WHO ने घोषणा की थी कि भारत में पारंपरिक चिकित्सा के लिए एक Global Centre स्थापित किया जाएगा। + +मेरे प्यारे देशवासियो, अभी कुछ दिन पहले ही 21 अक्टूबर, को हमने पुलिस स्मृति दिवस मनाया है। पुलिस के जिन साथियों ने देश सेवा में अपने प्राण न्योछावर किए हैं, इस दिन हम उन्हें विशेष तौर पर याद करते हैं। मैं आज अपने इन पुलिसकर्मियों के साथ ही उनके परिवारों को भी याद करना चाहूंगा। परिवार के सहयोग और त्याग के बिना पुलिस जैसी कठिन सेवा बहुत मुश्किल है। पुलिस सेवा से जुड़ी एक और बात है जो मैं ‘मन की बात’ के श्रोताओं को बताना चाहता हूं। पहले ये धारणा बन गई थी कि सेना और पुलिस जैसी सेवा केवल पुरुषों के लिए ही होती है। लेकिन आज ऐसा नहीं है। Bureau of Police Research and Development के आंकड़े बताते हैं कि पिछले कुछ वर्षों में महिला पुलिसकर्मियों की संख्या Double हो गई है ,दोगुनी हो गई है। 2014 में जहां इनकी संख्या 1 लाख 5 हजार के करीब थी, वहीं 2020 तक इसमें दोगुने से भी ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है और ये संख्या अब 2 लाख 15 हजार तक पहुंच गई है। यहां तक कि Central Armed Police Forces में भी पिछले सात सालों में महिलाओं की संख्या लगभग दोगुनी हुई है। और मैं केवल संख्या की ही बात नहीं करता। आज देश की बेटियाँ कठिन से कठिन Duty भी पूरी ताकत और हौसले से कर रही हैं। उदाहरण के लिए, कई बेटियां अभी सबसे कठिन मानी जाने वाली Trainings में से एक Specialized Jungle Warfare Commandos की Training ले रही हैं। ये हमारी Cobra Battalion का हिस्सा बनेंगी। + +मेरे प्यारे देशवासियो, बीते कुछ वर्षों में हमारे देश में आधुनिक Technology का इस्तेमाल जिस तेजी से बढ़ रहा है, उस पर अक्सर मुझे ‘मन की बात’ के श्रोता, अपनी बातें लिखते रहते हैं। आज मैं ऐसे ही एक विषय की चर्चा आपसे करना चाहता हूँ, जो हमारे देश, विशेषकर हमारे युवाओं और छोटे-छोटे बच्चों तक की कल्पनाओं में छाया हुआ है। ये विषय है, Drone का, Drone Technology का। कुछ साल पहले तक जब कहीं Drone का नाम आता था तो लोगों के मन में पहला भाव क्या आता था ? सेना का, हथियारों का, युद्ध का। लेकिन आज हमारे यहाँ कोई शादी बारात या Function होता है तो हम Drone से photo और video बनाते हुए देखते हैं। Drone का दायरा, उसकी ताकत, सिर्फ इतनी ही नहीं है। भारत, दुनिया के उन पहले देशों में से है, जो Drone की मदद से अपने गाँव में जमीन के Digital Record तैयार कर रहा है। भारत Drone का इस्तेमाल, Transportation के लिए करने पर बहुत व्यापक तरीके से काम कर रहा है। चाहे गाँव में खेतीबाड़ी हो या घर पर सामान की Delivery हो। आपातकाल में मदद पहुंचानी हो या कानून व्यवस्था की निगरानी हो। बहुत समय नहीं है जब हम देखेंगे कि Drone हमारी इन सब जरूरतों के लिए तैनात होंगे। इनमें से ज़्यादातर की तो शुरुआत भी हो चुकी है। जैसे कुछ दिन पहले, गुजरात के भावनगर में Drone के जरिए खेतों में नैनो-यूरिया का छिड़काव किया गया। Covid Vaccine अभियान में भी Drones अपनी भूमिका निभा रहे हैं। इसकी एक तस्वीर हमें मणिपुर में देखने को मिली थी। जहां एक द्वीप पर Drone से Vaccine पहुंचाई गईं। तेलंगाना भी Drone से Vaccine Delivery के लिए Trials कर चुका है। यही नहीं, अब Infrastructure के कई बड़े Projects की निगरानी के लिए भी Drone का इस्तेमाल हो रहा है। मैंने एक ऐसे Young Student के बारे में भी पढ़ा है, जिसने अपने Drone की मदद से मछुआरों का जीवन बचाने का काम किया। + +साथियों, पहले इस Sector में इतने नियम, कानून और प्रतिबंध लगाकर रखे गए थे कि Drone की असली क्षमता का इस्तेमाल भी संभव नहीं था। जिस Technology को अवसर के तौर पर देखा जाना चाहिए था, उसे संकट के तौर पर देखा गया। अगर आपको किसी भी काम के लिए Drone उड़ाना है तो License और Permission का इतना झंझट होता था कि लोग Drone के नाम से ही तौबा कर लेते थे। हमने तय किया कि इस Mindset को बदला जाए और नए Trends को अपनाया जाए। इसीलिए इस साल 25 अगस्त को देश एक नई Drone नीति लेकर आया। ये नीति Drone से जुड़ी वर्तमान और भविष्य की संभावनाओं के हिसाब से बनाई गई है। इसमें अब न बहुत सारे Forms के चक्कर में पड़ना होगा, न ही पहले जितनी Fees देनी पड़ेगी। मुझे आपको बताते हुए खुशी हो रही है कि नई Drone Policy आने के बाद कई Drone Start-ups में विदेशी और देसी निवेशकों ने निवेश किया है। कई कंपनियां Manufacturing Units भी लगा रही हैं। Army, Navy और Air Force ने भारतीय Drone कंपनियों को 500 करोड़ रुपये से ज्यादा के Order भी दिए हैं। और ये तो अभी शुरुआत है। हमें यहीं नहीं रुकना है। हमें Drone Technology में अग्रणी देश बनना है। इसके लिए सरकार हर संभव कदम उठा रही है। मैं देश के युवाओं से भी कहूँगा कि आप Drone Policy के बाद बने अवसरों का लाभ उठाने के बारे में जरूर सोचें, आगे आएं। + +मेरे प्यारे देशवासियो, यू.पी. के मेरठ से ‘मन की बात’ की एक श्रोता श्रीमती प्रभा शुक्ला ने मुझे स्वच्छता से जुड़ा एक पत्र भेजा है। उन्होंने लिखा है कि – “भारत में त्योहारों पर हम सभी स्वच्छता को celebrate करते हैं। वैसे ही, अगर हम स्वच्छता को, हर दिन की आदत बना लें तो पूरा देश स्वच्छ हो जाएगा।” मुझे प्रभा जी की बात बहुत पसंद आई। वाकई, जहाँ सफाई है, वहाँ स्वास्थ्य है, जहाँ स्वास्थ्य है, वहाँ सामर्थ्य है और जहाँ सामर्थ्य है, वहाँ समृद्धि है। इसलिए तो देश स्वच्छ भारत अभियान पर इतना जोर दे रहा है। + +साथियो, यू.पी. के गाज़ियाबाद के रामवीर तंवर जी को लोग ‘Pond Man’ के नाम से जानते हैं। रामवीर जी तो mechanical engineering की पढ़ाई करने के बाद नौकरी कर रहे थे। लेकिन उनके मन में स्वच्छता की ऐसी अलख जागी कि वो नौकरी छोड़कर तालाबों की सफाई में जुट गए। रामवीर जी अब तक कितने ही तालाबों की सफाई करके उन्हें पुनर्जीवित कर चुके हैं। + +साथियो, स्वच्छता के प्रयास तभी पूरी तरह सफल होते हैं जब हर नागरिक स्वच्छता को अपनी जिम्मेदारी समझे। अभी दीपावली पर हम सब अपनी घर की साफ़ सफाई में तो जुटने ही वाले हैं। लेकिन इस दौरान हमें ध्यान रखना है कि हमारे घर के साथ हमारा आस-पड़ोस भी साफ़ रहे। ऐसा नहीं होना चाहिए कि हम अपना घर तो साफ़ करें, लेकिन हमारे घर की गंदगी हमारे घर के बाहर, हमारी सड़कों पर पहुँच जाए। और हाँ मैं जब स्वच्छता की बात करता हूँ तब कृपा कर के Single Use Plastic से मुक्ति की बात हमें कभी भी भूलना नहीं है। तो आइये, हम संकल्प लें कि स्वच्छ भारत अभियान के उत्साह को कम नहीं होने देंगे। हम सब मिलकर अपने देश को पूरी तरह स्वच्छ बनाएँगे और स्वच्छ रखेंगे। + +मेरे प्यारे देशवासियो, अक्टूबर का पूरा महीना ही त्योहारों के रंगों में रंगा रहा है और अब से कुछ दिन बाद दिवाली तो आ ही रही है। दिवाली, उसके बाद फिर गोवर्धन पूजा फिर भाई-दूज, ये तीन त्योहार तो होंगे-ही-होंगे, इसी दौरान छठ पूजा भी होगी। नवम्बर में ही गुरुनानक देव जी की जयंती भी है। इतने त्योहार एक साथ होते हैं तो उनकी तैयारियाँ भी काफी पहले से शुरू हो जाती हैं। आप सब भी अभी से खरीदारी का plan करने लगे होंगे, लेकिन आपको याद है न, खरीदारी मतलब ‘VOCAL FOR LOCAL’। आप local खरीदेंगे तो आपका त्योहार भी रोशन होगा और किसी गरीब भाई-बहन, किसी कारीगर, किसी बुनकर के घर में भी रोशनी आएगी। मुझे पूरा भरोसा है जो मुहिम हम सबने मिलकर शुरू की है, इस बार त्योहारों में और भी मजबूत होगी। आप अपने यहाँ के जो local products खरीदें, उनके बारे में social media पर share भी करें। अपने साथ के लोगों को भी बताएं। अगले महीने हम फिर मिलेंगे, और फिर ऐसे ही ढ़ेर सारे विषयों पर बात करेंगे। + +पूनम नौटियाल :- हम लोगों ने, पूरी team ने, संकल्प लिया था कि हम लोग एक भी व्यक्ति छूटना नहीं चाहिए। हमारे देश से कोरोना बीमारी दूर भागनी चाहिए। मैंने और आशा ने मिलके प्रत्येक व्यक्ति की गाँव-wise Due List बनाई, फिर उसके हिसाब से जो लोग centre में आये उनको centre में लगाया। फिर हम लोग घर-घर गए हैं। Sir, फिर उसके बाद, छूटे हुए थे, जो लोग नहीं आ पाते centre में, + +मेरे प्यारे देशवासियो, आप जानते हैं कि अगले रविवार, 31 अक्तूबर को, सरदार पटेल जी की जन्म जयंती है। ‘मन की बात’ के हर श्रोता की तरफ से, और मेरी तरफ से, मैं, लौहपुरुष को नमन करता हूँ।  साथियो, 31 अक्तूबर को हम ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ के रूप में मनाते हैं। हम सभी का दायित्व है कि हम एकता का संदेश देने वाली किसी-ना-किसी गतिविधि से जरुर जुड़ें। आपने देखा होगा, हाल ही में गुजरात पुलिस ने कच्छ के लखपत किले से Statue of Unity तक Bike Rally निकाली है। त्रिपुरा पुलिस के जवान तो एकता दिवस मनाने के लिए त्रिपुरा से Statue of Unity तक Bike Rally कर रहे हैं। यानी, पूरब से चलकर पश्चिम तक देश को जोड़ रहे हैं। जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवान भी उरी से पठानकोट तक ऐसी ही Bike Rally निकालकर देश की एकता का संदेश दे रहे हैं। मैं इन सभी जवानों को salute करता हूँ। जम्मू-कश्मीर के ही कुपवाड़ा जिले की कई बहनों के बारे में भी मुझे पता चला है। ये बहनें कश्मीर में सेना और सरकारी दफ्तरों के लिए तिरंगा सिलने का काम कर रही हैं। ये काम देशभक्ति की भावना से भरा हुआ है। मैं इन बहनों के जज़्बे की सराहना करता हूँ। आपको भी, भारत की एकता के लिए, भारत की श्रेष्ठता के लिए कुछ-न-कुछ जरुर करना चाहिए। देखिएगा, आपके मन को कितनी संतुष्टि मिलती है। + +साथियो, सरदार साहब कहते थे कि – “हम अपने एकजुट उद्यम से ही देश को नई महान ऊँचाइयों तक पहुंचा सकते हैं। अगर हममें एकता नहीं हुई तो हम खुद को नई-नई विपदाओं में फंसा देंगे”। यानी राष्ट्रीय एकता है तो ऊँचाई है, विकास है। हम सरदार पटेल जी के जीवन से, उनके विचारों से, बहुत कुछ सीख सकते हैं। देश के सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने भी हाल ही में सरदार साहब पर एक Pictorial Biography भी publish की है। मैं चाहूँगा कि हमारे सभी युवा-साथी इसे जरुर पढ़ें। इससे आपको दिलचस्प अंदाज में सरदार साहब के बारे में जानने का अवसर मिलेगा। + +साथियो, ऐसे ही ‘मन की बात’ के एक श्रोता ने सुझाव दिया है कि अमृत महोत्सव को रंगोली कला से भी जोड़ा जाना चाहिए। हमारे यहाँ रंगोली के जरिए त्योहारों में रंग भरने की परंपरा तो सदियों से है। रंगोली में देश की विविधता के दर्शन होते हैं। अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नामों से, अलग-अलग theme पर रंगोली बनाई जाती है। इसलिए, संस्कृति मंत्रालय इससे भी जुड़ा एक National Competition  करने जा रहा है। आप कल्पना करिए, जब आजादी के आंदोलन से जुड़ी रंगोली बनेगी, लोग अपने द्वार पर, दीवार पर, किसी आजादी के मतवाले का चित्र बनाएंगे, आजादी की किसी घटना को रंगों से दिखाएंगे, तो, अमृत महोत्सव का भी रंग और बढ़ जाएगा। + +साथियो, ये तीनों प्रतियोगिताएं 31 अक्तूबर को सरदार साहब की जयंती से शुरू होने जा रही हैं। आने वाले दिनों में संस्कृति मंत्रालय इससे जुड़ी सारी जानकारी देगा। ये जानकारी मंत्रालय की website पर भी रहेगी, और social media पर भी दी जाएगी। मैं चाहूँगा कि आप सभी इससे जुड़े। हमारे युवा-साथी जरुर इसमें अपनी कला का, अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करें। इससे आपके इलाके की कला और संस्कृति भी देश के कोने-कोने तक पहुंचेगी, आपकी कहानियाँ पूरा देश सुनेगा। + +जनमानस में तो भगवान बिरसा मुंडा हमेशा-हमेशा के लिए रचे-बसे हुए हैं। लोगों के लिए उनका जीवन एक प्रेरणा शक्ति बना हुआ है। आज भी उनके साहस और वीरता से भरे लोकगीत और कहानियां भारत के मध्य इलाके में बेहद लोकप्रिय हैं। मैं ‘धरती आबा’ बिरसा मुंडा को नमन करता हूं और युवाओं से आग्रह करता हूं कि उनके बारे में और पढ़ें। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में हमारे आदिवासी समूह के विशिष्ट योगदान के बारे में आप जितना जानेंगे, उतनी ही गौरव की अनुभूति होगी। + +मेरे प्यारे देशवासियो, आज 24 अक्टूबर, को UN Day यानि ‘सयुंक्त राष्ट्र दिवस’ मनाया जाता है। ये वो दिन है जब सयुंक्त राष्ट्र का गठन हुआ था, सयुंक्त राष्ट्र की स्थापना के समय से ही भारत इससे जुड़ रहा है। क्या आप जानते हैं कि भारत ने आजादी से पहले 1945 में ही सयुंक्त राष्ट्र के Charter पर हस्ताक्षर किए थे। सयुंक्त राष्ट्र से जुड़ा एक अनोखा पहलू ये है कि सयुंक्त राष्ट्र का प्रभाव और उसकी शक्ति बढ़ाने में, भारत की नारी शक्ति ने, बड़ी भूमिका निभाई है। 1947-48 में जब UN Human Rights का Universal Declaration तैयार हो रहा था तो उस Declaration में लिखा जा रहा था “All Men are Created Equal”. लेकिन भारत के एक Delegate ने इस पर आपत्ति जताई और फिर Universal Declaration में लिखा गया – “All Human Beings are Created Equal”. ये बात Gender Equality की भारत की सदियों पुरानी परंपरा के अनुरूप थी। क्या आप जानते हैं कि श्रीमती हंसा मेहता वो Delegate थी जिनकी वजह से ये संभव हो पाया, उसी दौरान, एक अन्य Delegate श्रीमती लक्ष्मी मेनन ने Gender Equality के मुद्दे पर जोरदार तरीके से अपनी बात रखी थी। यही नहीं, 1953 में श्रीमती विजया लक्ष्मी पंडित, UN General Assembly की पहली महिला President भी बनी थीं। + +भारत ने सदैव विश्व शांति के लिए काम किया है। हमें इस बात का गर्व है कि भारत 1950 के दशक से लगातार सयुंक्त राष्ट्र शांति मिशन का हिस्सा रहा है। गरीबी हटाने, Climate Change और श्रमिकों से संबंधित मुद्दों के समाधान में भी भारत अग्रणी भूमिका निभा रहे है। इसके अलावा योग और आयुष को लोकप्रिय बनाने के लिए भारत WHO यानि World Health Organisation के साथ मिलकर काम कर रहा है। मार्च, 2021 में WHO ने घोषणा की थी कि भारत में पारंपरिक चिकित्सा के लिए एक Global Centre स्थापित किया जाएगा। + +मेरे प्यारे देशवासियो, अभी कुछ दिन पहले ही 21 अक्टूबर, को हमने पुलिस स्मृति दिवस मनाया है। पुलिस के जिन साथियों ने देश सेवा में अपने प्राण न्योछावर किए हैं, इस दिन हम उन्हें विशेष तौर पर याद करते हैं। मैं आज अपने इन पुलिसकर्मियों के साथ ही उनके परिवारों को भी याद करना चाहूंगा। परिवार के सहयोग और त्याग के बिना पुलिस जैसी कठिन सेवा बहुत मुश्किल है। पुलिस सेवा से जुड़ी एक और बात है जो मैं ‘मन की बात’ के श्रोताओं को बताना चाहता हूं। पहले ये धारणा बन गई थी कि सेना और पुलिस जैसी सेवा केवल पुरुषों के लिए ही होती है। लेकिन आज ऐसा नहीं है। Bureau of Police Research and Development के आंकड़े बताते हैं कि पिछले कुछ वर्षों में महिला पुलिसकर्मियों की संख्या Double हो गई है ,दोगुनी हो गई है। 2014 में जहां इनकी संख्या 1 लाख 5 हजार के करीब थी, वहीं 2020 तक इसमें दोगुने से भी ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है और ये संख्या अब 2 लाख 15 हजार तक पहुंच गई है। यहां तक कि Central Armed Police Forces में भी पिछले सात सालों में महिलाओं की संख्या लगभग दोगुनी हुई है। और मैं केवल संख्या की ही बात नहीं करता। आज देश की बेटियाँ कठिन से कठिन Duty भी पूरी ताकत और हौसले से कर रही हैं। उदाहरण के लिए, कई बेटियां अभी सबसे कठिन मानी जाने वाली Trainings में से एक Specialized Jungle Warfare Commandos की Training ले रही हैं। ये हमारी Cobra Battalion का हिस्सा बनेंगी। + +मेरे प्यारे देशवासियो, बीते कुछ वर्षों में हमारे देश में आधुनिक Technology का इस्तेमाल जिस तेजी से बढ़ रहा है, उस पर अक्सर मुझे ‘मन की बात’ के श्रोता, अपनी बातें लिखते रहते हैं। आज मैं ऐसे ही एक विषय की चर्चा आपसे करना चाहता हूँ, जो हमारे देश, विशेषकर हमारे युवाओं और छोटे-छोटे बच्चों तक की कल्पनाओं में छाया हुआ है। ये विषय है, Drone का, Drone Technology का। कुछ साल पहले तक जब कहीं Drone का नाम आता था तो लोगों के मन में पहला भाव क्या आता था ? सेना का, हथियारों का, युद्ध का। लेकिन आज हमारे यहाँ कोई शादी बारात या Function होता है तो हम Drone से photo और video बनाते हुए देखते हैं। Drone का दायरा, उसकी ताकत, सिर्फ इतनी ही नहीं है। भारत, दुनिया के उन पहले देशों में से है, जो Drone की मदद से अपने गाँव में जमीन के Digital Record तैयार कर रहा है। भारत Drone का इस्तेमाल, Transportation के लिए करने पर बहुत व्यापक तरीके से काम कर रहा है। चाहे गाँव में खेतीबाड़ी हो या घर पर सामान की Delivery हो। आपातकाल में मदद पहुंचानी हो या कानून व्यवस्था की निगरानी हो। बहुत समय नहीं है जब हम देखेंगे कि Drone हमारी इन सब जरूरतों के लिए तैनात होंगे। इनमें से ज़्यादातर की तो शुरुआत भी हो चुकी है। जैसे कुछ दिन पहले, गुजरात के भावनगर में Drone के जरिए खेतों में नैनो-यूरिया का छिड़काव किया गया। Covid Vaccine अभियान में भी Drones अपनी भूमिका निभा रहे हैं। इसकी एक तस्वीर हमें मणिपुर में देखने को मिली थी। जहां एक द्वीप पर Drone से Vaccine पहुंचाई गईं। तेलंगाना भी Drone से Vaccine Delivery के लिए Trials कर चुका है। यही नहीं, अब Infrastructure के कई बड़े Projects की निगरानी के लिए भी Drone का इस्तेमाल हो रहा है। मैंने एक ऐसे Young Student के बारे में भी पढ़ा है, जिसने अपने Drone की मदद से मछुआरों का जीवन बचाने का काम किया। + +साथियों, पहले इस Sector में इतने नियम, कानून और प्रतिबंध लगाकर रखे गए थे कि Drone की असली क्षमता का इस्तेमाल भी संभव नहीं था। जिस Technology को अवसर के तौर पर देखा जाना चाहिए था, उसे संकट के तौर पर देखा गया। अगर आपको किसी भी काम के लिए Drone उड़ाना है तो License और Permission का इतना झंझट होता था कि लोग Drone के नाम से ही तौबा कर लेते थे। हमने तय किया कि इस Mindset को बदला जाए और नए Trends को अपनाया जाए। इसीलिए इस साल 25 अगस्त को देश एक नई Drone नीति लेकर आया। ये नीति Drone से जुड़ी वर्तमान और भविष्य की संभावनाओं के हिसाब से बनाई गई है। इसमें अब न बहुत सारे Forms के चक्कर में पड़ना होगा, न ही पहले जितनी Fees देनी पड़ेगी। मुझे आपको बताते हुए खुशी हो रही है कि नई Drone Policy आने के बाद कई Drone Start-ups में विदेशी और देसी निवेशकों ने निवेश किया है। कई कंपनियां Manufacturing Units भी लगा रही हैं। Army, Navy और Air Force ने भारतीय Drone कंपनियों को 500 करोड़ रुपये से ज्यादा के Order भी दिए हैं। और ये तो अभी शुरुआत है। हमें यहीं नहीं रुकना है। हमें Drone Technology में अग्रणी देश बनना है। इसके लिए सरकार हर संभव कदम उठा रही है। मैं देश के युवाओं से भी कहूँगा कि आप Drone Policy के बाद बने अवसरों का लाभ उठाने के बारे में जरूर सोचें, आगे आएं। + +मेरे प्यारे देशवासियो, यू.पी. के मेरठ से ‘मन की बात’ की एक श्रोता श्रीमती प्रभा शुक्ला ने मुझे स्वच्छता से जुड़ा एक पत्र भेजा है। उन्होंने लिखा है कि – “भारत में त्योहारों पर हम सभी स्वच्छता को celebrate करते हैं। वैसे ही, अगर हम स्वच्छता को, हर दिन की आदत बना लें तो पूरा देश स्वच्छ हो जाएगा।” मुझे प्रभा जी की बात बहुत पसंद आई। वाकई, जहाँ सफाई है, वहाँ स्वास्थ्य है, जहाँ स्वास्थ्य है, वहाँ सामर्थ्य है और जहाँ सामर्थ्य है, वहाँ समृद्धि है। इसलिए तो देश स्वच्छ भारत अभियान पर इतना जोर दे रहा है। + +साथियो, यू.पी. के गाज़ियाबाद के रामवीर तंवर जी को लोग ‘Pond Man’ के नाम से जानते हैं। रामवीर जी तो mechanical engineering की पढ़ाई करने के बाद नौकरी कर रहे थे। लेकिन उनके मन में स्वच्छता की ऐसी अलख जागी कि वो नौकरी छोड़कर तालाबों की सफाई में जुट गए। रामवीर जी अब तक कितने ही तालाबों की सफाई करके उन्हें पुनर्जीवित कर चुके हैं। + +साथियो, स्वच्छता के प्रयास तभी पूरी तरह सफल होते हैं जब हर नागरिक स्वच्छता को अपनी जिम्मेदारी समझे। अभी दीपावली पर हम सब अपनी घर की साफ़ सफाई में तो जुटने ही वाले हैं। लेकिन इस दौरान हमें ध्यान रखना है कि हमारे घर के साथ हमारा आस-पड़ोस भी साफ़ रहे। ऐसा नहीं होना चाहिए कि हम अपना घर तो साफ़ करें, लेकिन हमारे घर की गंदगी हमारे घर के बाहर, हमारी सड़कों पर पहुँच जाए। और हाँ मैं जब स्वच्छता की बात करता हूँ तब कृपा कर के Single Use Plastic से मुक्ति की बात हमें कभी भी भूलना नहीं है। तो आइये, हम संकल्प लें कि स्वच्छ भारत अभियान के उत्साह को कम नहीं होने देंगे। हम सब मिलकर अपने देश को पूरी तरह स्वच्छ बनाएँगे और स्वच्छ रखेंगे। + +मेरे प्यारे देशवासियो, अक्टूबर का पूरा महीना ही त्योहारों के रंगों में रंगा रहा है और अब से कुछ दिन बाद दिवाली तो आ ही रही है। दिवाली, उसके बाद फिर गोवर्धन पूजा फिर भाई-दूज, ये तीन त्योहार तो होंगे-ही-होंगे, इसी दौरान छठ पूजा भी होगी। नवम्बर में ही गुरुनानक देव जी की जयंती भी है। इतने त्योहार एक साथ होते हैं तो उनकी तैयारियाँ भी काफी पहले से शुरू हो जाती हैं। आप सब भी अभी से खरीदारी का plan करने लगे होंगे, लेकिन आपको याद है न, खरीदारी मतलब ‘VOCAL FOR LOCAL’। आप local खरीदेंगे तो आपका त्योहार भी रोशन होगा और किसी गरीब भाई-बहन, किसी कारीगर, किसी बुनकर के घर में भी रोशनी आएगी। मुझे पूरा भरोसा है जो मुहिम हम सबने मिलकर शुरू की है, इस बार त्योहारों में और भी मजबूत होगी। आप अपने यहाँ के जो local products खरीदें, उनके बारे में social media पर share भी करें। अपने साथ के लोगों को भी बताएं। अगले महीने हम फिर मिलेंगे, और फिर ऐसे ही ढ़ेर सारे विषयों पर बात करेंगे। + diff --git a/pm-speech/770.txt b/pm-speech/770.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..311dd5a61acb4ec46251d4fc66de25602f936fbc --- /dev/null +++ b/pm-speech/770.txt @@ -0,0 +1,8 @@ +मंच पर विराजमान दमन दीव और दादरा नगर हवेली के प्रशासक श्रीमान प्रफुल्ल भाई पटेल, यहां के सांसद श्रीमान नटू भाई, पड़ोस में दमन के सांसद श्री लालू भाई दादरा नगर एवं जिला पंचायत के अध्यक्ष श्रीमान रमन ककुवा जी, सिलवासा नगर के अध्यक्ष भाई राकेश चौहान जी और विशाल संख्या में पधारे हुए दादरा नगर हवेली के मेरे प्यारे भाइयों और बहनों मराठी बोलाछे हिन्दी बोलाछे गुजराती बोलाछे बोला। अच्छा एक काम करिए करेंगे अपना मोबाइल बाहर निकालिये और मोबाइल बाहर निकाल कर के उसकी लाइट जला कर के आज के इस भव्य कार्यक्रम का आप स्वागत कीजिये सबकी लाइट जलनी चाहिए। हर एक के मोबाइल की लाइटें जलनी चाहिए। हर किसी के मोबाइल की लाइट जलनी चाहिए। देखिये सारे कैमरा वाले आपको रिकॉर्ड कर रहे हैं। सबका हाथ ऊपर चाहिए एक दम ऊपर। हाथ ऊपर करके हिलाइए। सबका हाथ ऊपर चाहिए। सब मोबाइल फोन अपना हिलाइये बराबर। देखिए जगमग तारे नजर आ रहे हैं सबको। देखिए दादरा नगर हवेली की ताकत देखिए। जोर से बोलिये भारत माता की जय, भारत माता की जय, भारत माता की जय। कमाल कर दिखाया आपने आज। + +भाइयों बहनों आज करीब दो हजार तीन सौ पचीस इतने से छोटे से दादरा नगर हवेली में दो हजार तीन सौ पचीस आदिवासी परिवारों को जमीन का हक मिलना ये आजादी के बाद की इस इलाके की सबसे बड़ी घटना है। सबसे बड़ी घटना है। आप कल्पना कर सकते हैं, मेरे मन को कितना आनन्द होता होगा। कितना सुख मिलता होगा। ये जो मैंने आपके मोबाइल फोन से ये जो लाइट जलाई थी न ये मेरे आदिवासी भाइयों के लिये लाइट जलाई थी मेरे आदिवासी भाइयों के लिये। + +भाइयों बहनों आज हमारा सपना है 2022 भारत की आजादी के 75 साल होंगे, देश की आजादी के लिए कितने लोगों ने जान की बाजी लगा दी। कैसे कैसे सपने देखे थे। क्या 2022 हर हिन्दुस्तानी कोई सपना नहीं देख सकता है। यहां बैठे हुए हर के मन में एक विचार नहीं आना चाहिए कि 2022 जब आजादी के 75 साल होंगे आने वाले पांच साल में मैं भी देश के लिये कुछ करूंगा। करना चाहिए कि नहीं करना चाहिए। करेंगे। दोनों मुट्ठी बंद कर के मुझे बताइए करेंगे। देश के लिये कुछ करेंगे। अपने लिये नहीं। देश के लिये करेंगे। एक छोटा सा काम भी अगर आप देश के लिये करेंगे। 2022 पूरे देश में माहौल बन जाएगा। सवा सौ करोड़ हिन्दुस्तानी देश के लिये कुछ करने के लिये निकल पड़ेंगे। दुनिया की कोई ताकत नहीं है। हमारे देश को पीछे रख सके भाई। हमनें सपना संजोया है। 2022 जब आजादी के 75 साल होंगे। हमारे देश का एक भी गरीब ऐसा नहीं होना चाहिए जिसके पास रहने के लिये अपना खुद का घर न हो। गरीब से गरीब को भी रहने के लिये घर मिलना चाहिये कि नहीं मिलना चाहिए, मिलना चाहिये कि नहीं मिलना चाहिए। भाइयों बहनों ये संघ प्रदेश में दादरा नगर हवेली में जो अभी सर्वे किया गया है। गांवों में छौ हज़ार दो सौ चौतीस परिवार इनके पास घर नहीं है और सिलवासा जैसे शहरी इलाके में 800 परिवार है जिनको अपना घर नहीं है। 2022 तक इन सात हजार परिवों को खुद का घर देने का काम उसका आज प्रारंभ हो रहा है। और इसलिए मैं इन सभी मेरे गरीब परिवारों को आज हृदय से बधाई देता हूं। आपने अपने मोबाइल से आज जो रौशनी फैलाई है। वो उन गरीबों को घर मिलने के उत्सव की रौशनी है और घर भी सामान्य नहीं, घर भी सामान्य नहीं। घर ऐसा होगा जिसमें बिजली होगी, पानी का प्रबंध होगा, शौचालय होग, नजदीक में बच्चों को पढ़ने के लिये स्कूल होगा, बूढ़ों के लिये दवाई की व्यवस्था होगी ऐसा घर देने का हमारा इरादा है भाइयों बहनों। + +भाइयों बहनों आज एक और महत्वपूर्ण काम हुआ और वो है, गैस का कनेक्शन देना। और उसके साथ चूल्हा भी भेंट में मिल रहा है, कूकर भी भेंट में मिल रहा है, चूल्हा जलाने वाला गैस का लाइटर भी भेंट मिल रहा है। भाइयों बहनों ये हमारा देश हमारे ये नेता लोग इनकी सोच कैसी थी जरा सोचीए आप 2014 को याद कीजिए जब हिन्दुस्तान में लोकसभा का चुनाव चल रहा था। एक तरफ भारतीय जनता पार्टी ने मुझे प्रधानमंत्री का उम्मीदवार बनाया था। मेरे सामने कांग्रेस चुनाव के मैदान में थी। चुनाव में पॉलिटिकल पार्टियां वादा करती हैं। कांग्रेस पार्टी ने दिल्ली में बड़ी मिटिंग की लोकसभा चुनाव के रणनीति के लिये मिटिंग की। और उसके बाद पत्रकार वार्ता की प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उस प्रेस कॉन्फ्रेंस में क्या घोषणा की थी आप जरा याद करना। उन्होंने कहा था कि 2014 के लोकसभा में हम जीतेंगे। और हमारी ये सरकार बनेगी। तो अभी जो एक साल में नौ गैस के सिलेंडर देते हैं, हम उसको बढ़ाकर के 12 कर देंगे। इस वादे के नाम पर देश में चुनाव लड़ा गया था। 9 गैस के सिलेंडर के 12 गैस के सिलेंडर इसके आधार पर वोट मांगे जा रहे थ। आपको हैरानी होगी आज से कुछ साल पहले पर्लियामेंट के मेम्बर को 25 गैस की कूपन मिलती थी हर साल और वो अपने परिचितों को अपने कार्यकर्ताओं को गैस का कनेक्शन देने के लिये कूपन देता था। एक साल में 25. और कुछ एमपी अखबार में आता था उस जमाने में वो कूपन भी कालेबाजारी में बेच डालते थे। अखबारों में छपने लगा आखिरकार एमपी को कूपन देना बंद हो गया। यानी गैस का कनेक्शन लेने के लिये पार्लियामेंट के मेम्बर के घर अच्छे अच्छे परिवार के लोग कतार लगाकर के खड़े रहते थे। आपने भी देखा होगा। कितनी मशक्कत की होगी। तब आपको गैस का सिलंडर मिला होगा। भाइयों बहनों हमारी सरकार बनी। मैं ये सोचता था कि मेरी गरीब माताओं का क्या गुनाह जो लकड़ी का चूल्हा जलाकर खाना पकाती है। आप जानके हैरान होंगे दोस्तों जब एक मां लकड़ी का चूल्हा जलाकर के खाना पकाती है, तो उसके शरीर में 400 सिगरेट का धुंआ उसके शरीर में जाता है। एक दिन में चार सौ सिगरेट का धुंआ लकड़ी का चूल्हा जलाने से खाना पकाने से होता है। उस मां की तबियत का हाल क्या होता होगा। और छोटे छोटे बच्चे घर में खेलते हैं। मां खाना पकाती है। ये धुंआ बच्चों के शरीर में भी जाता है। उन बच्चों के शरीर का क्या होता होगा। भाइयों बहनों इस पीड़ा से दर्द से और मैं तो गरीबी में पैदा हुआ हूं। मैंने मेरी मां को लकड़ी का चूल्हा जलाते देखा है। पूरा घर धुंए से कैसे भर जाता था। वो अपनी आंखों से देखा है अनुभव किया है। तब मन में एक कशक थी कि मैं इन मेरी गरीब माताओं को इससे मुक्ति कैसे दिलाऊं और भाइयों बहनों हमने बीड़ा उठाया हर गरीब परिवार में गैस का चूल्हा पहुंचाएंगे, मुफ्त में कनेक्शन देंगे। 11 महीने हुए योजना लागू किये अब तक दो करोड़ परिवारों को गैस का चूल्हा पहुंच गया है। और आज मुझे खुशी है कि करीब आठ हजार परिवार ये दादरा नगर हवेली में भी उनको ये गैस का कनेक्शन दिया जाएगा। लेकिन यहां के लोगों की मदद से उनको कूकर भी मिल रहा है लाइटर भी मिल रहा है। ये यहां विशेष हो रहा है। मैं बहुत बहुत बधाई देता हूं। इस अभियान के लिये। + diff --git a/pm-speech/771.txt b/pm-speech/771.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..dbe4965400c2e74cd12e9245bbf3bd1c1b0bf97a --- /dev/null +++ b/pm-speech/771.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +बारिश कम भी हुई हो, परिवार को भी जितनी जरूरत है, उससे भी कम फसल हुई हो उसके बावजूद भी फसल का ढेर अगर खेत में तैयार पड़ा है, तो चोर खाए, मोर खाए, आया मेहमान खाए, जब बच जाए तो खेडू खाए। यह संस्‍कार जिन परिवारों के हैं। खुद के पसीने से पैदा की हुई फसल चोर भी उठा कर ले जाए गुस्‍सा नहीं, पशु-पक्षी आ करके खा जाए तो भी संतोष। कोई अतिथ‍ि आ जाए, झोली है भर दे और फिर कुछ बचा-कुचा है तो बच्‍चों के लिए घर ले जाए और एक साल गुजारा कर दे, यह मेरे गुजरात के खेडू परिवार के संस्‍कार है। यह उनके बच्‍चे हैं जिनके मां-बाप ने पेट काट करके भी किसी का पेट भरने में कभी कोई कमी महसूस नहीं करने दी। उनके लिए पांच सौ करोड़ कुछ नहीं होता। यह देने के संस्‍कार ले करके आए हैं। यह जब तक देंगे नहीं, रात को सौ पाएंगे नहीं। और मैं इन परिवारों के बीच में पला-बढ़ा हूं। मैं और जगह पर जाता हूं तो मुझे कभी-कभी feel होता है कि लोगों ने मेरे से नाता तोड़ दिया हैं। हर किसी की नजर में मैं प्रधनमंत्री बन गया हूं, लेकिन एक अगर कोई अपवाद है तो मेरा सूरत है। मैं जब भी मिला हूं वही प्‍यार, वही अपनापन। प्रधानमंत्री वाला कोई Tag कहीं नजर नहीं आता है। यह जो परिवार भाव मैं अनुभव करता हूं। + +हमारे देश में डॉक्‍टरों की कमी, अस्‍पतालों की कमी, महंगाई दवाइयां। आज किसी मध्‍यम वर्ग के परिवार में अगर एक व्‍यक्ति बीमार हो जाए, तो उस परिवार का पूरा अर्थकारण समाप्‍त हो जाता है। मकान लेना है, नहीं ले पाता। बेटी की शादी करवानी है, नहीं करवा पाता। एक इंसान बीमार हो जाए तो। और ऐसे समय सरकार की जिम्‍मेदारी होती है कि हर किसी को आरोग्‍य सेवा उपलब्‍ध हो, हर किसी को एक सीमित खर्च से आरोग्‍य सेवा का लाभ मिलना चाहिए। भारत सरकार ने अभी Health Policy घोषित की है। अटल जी की सरकार के बाद, 15 साल के बाद इस सरकार ने Health Policy लाई है। बीच में बहुत काम रह गए, जो मुझे करने पड़ रहे हैं। अब दवाइयां, मैं गुजरात में था तो आपको मालूम है बहुत लोगों को मैं नाराज करता था अब दिल्‍ली में गया हूं तो देश में भी बहुत लोगों को नाराज करते रहता हूं। हर दिन एक काम करता ऐसा हूं कि कोई न कोई तो मेरे से नाराज हो ही जाता है। अब जो दवाइयां बनाने वाली कंपनियां जिस इंजेक्‍शन के कभी 1200 रुपया लेते थे, जिन गोलियों के कभी साढ़े तीन सौ, चार सौ रुपया लेते थे। हमने सबको बुलाया कि भई क्‍या कर रहे हो, कितनी लागत होती है, क्‍या खर्चा होता है और नियम बना करके जो दवाई 1200 रुपये में मिलती थी वो 70-80 रुपये में कैसे मिल जाए, जो 300 रुपये में मिलती थी वो 30 रुपये में कैसे मिल जाए। करीब सात सौ दवाइयां, उसके दाम तय कर लिए ताकि गंभीर से गंभीर बीमारी में गरीब से गरीब व्‍यक्ति को सस्‍ती दवाई मिले, यह काम किया है। दवाई बनाने वाले मुझसे कितने नाराज होंगे इसका आप अंदाजा कर सकते हैं। + +आज heart patient.. हर परिवार में चिंता रहती है heart की। हर घर में भोजन के टेबल पर खाने की चर्चा होती है। वजन कम करो, कम खाओ, चर्चा होती है करते नहीं है कोई। लेकिन dining table चर्चा जरूरत होती है। हर किसी को heart attack की चिंता रहती है और heart में stent लगवाना, अब हम लोग जानकार तो है नहीं, डॉक्‍टर कहता है कि यह लगवाओगे तो 30-40 हजार रुपया होगा, patient पूछता है कि जिंदगी का क्‍या होगा, वो कहता है कि यह लगवाओगे तो चार-पांच साल तो कोई problem नहीं होगी। फिर दूसरा बताता है कि यह लगवाओगे, imported है तो डेढ़ लाख रुपया लगता है, यह लगवा दिया तो फिर जीवनभर देखने की जरूरत नहीं है। तो गरीब आदमी भी सोचता है कि यार 40,000 खर्च करके चार साल जीना है तो डेढ़ लाख खर्च करके जिंदगी अच्‍छी क्‍यों न गुजारू, वो डेढ़ लाख रुपये वाला ले लेता है। मैं stent वालों को बुलाया, मैं कहा कि भई कितना खर्चा होता है, तुम इतने रुपये मांगते हो, सालभर उनसे चर्चा चलती रही आखिरकार दो महीने पहले हमने निर्णय कर दिया जो 40,000 रुपये में stent मिलता है वो उनको 6-7 हजार रुपये में बेचना पड़ेगा, देगा पड़ेगा। जो डेढ़ लाख में देते हैं वो 20-22 हजार में देना पड़ेगा, ताकि गरीब से गरीब व्‍यक्ति affordable हो। + diff --git a/pm-speech/772.txt b/pm-speech/772.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..078f540100efdc8c538728279545cedb5be87e5c --- /dev/null +++ b/pm-speech/772.txt @@ -0,0 +1,10 @@ +आज अनेक योजनाओं का प्रारंभ हो रहा है, नये भवनों का प्रारंभ हो रहा है। करीब दो हजार मेगावाट बिजली के कारखानों का लोकार्पण हुआ। ऊर्जा जीवन का अटूट अंग बन गई है। विकास का कोई भी सपना ऊर्जा के अभाव में संभव नहीं है। और 21वीं सदी में ऊर्जा एक प्रकार से हर नागरिक का हक बन गया है। लिखित हो या न हो, बन चुका है। देश को 21वीं सदी की प्रगति की ऊंचाईयों पर ले जाना है अगर भारत को आधुनिक भारत के रूप में देखना है, तो ऊर्जा उसकी पहली आवश्‍यकता है। और एक तरफ पर्यावरण की चिंता के कारण विश्‍व Thermal Power को चुनौती दे रहा है तो दूसरी तरफ विकसित देशों के लिए वही एक सहारा है। वैश्विक स्‍तर पर इतनी बड़े conflict के बीच में जब रास्‍ता निकालना है तब भारत ने भी बीड़ा उठाया है कि हम पूरे विश्‍व को परिवार मानने वाले लोग है, पूरे ब्रह्माण को अपना मानने वाले लोग हैं, हमारे द्वारा हम ऐसा कुछ नहीं होने देंगे, जो भावी पीढ़ी के लिए कोई संकट पैदा करे और इसलिए भारत ने 175 गीगावाट renewable energy का सपना देखा है। Solar Energy हो, Wind Energy हो, Hydro के projects हो और जब नितीन जी बड़े गर्व के साथ बता रहे थे कि नागपुर वासियों को जो गंदा पानी है, वो बिजली के उत्‍पादन में काम लाया जाता है, recycle किया जाता है। एक प्रकार से पर्यावरण के अनुकूल जो initiative है, मैं इसके लिए नागपुर को बधाई देता हूं। और देश के अन्‍य भागों में भी zero waste का concept धीरे-धीरे पनप रहा है। + +आज यहां आवास निर्माण का भी एक बहुत बड़ा कार्यक्रम हाथ में लिया गया, उसका भी प्रारंभ हुआ है। 2022 आजादी के 75 साल हो गए। पल भर के लिए हम 75 साल की पहले की जिंदगी के जीने का प्रयास करके देखे। हम उस कल्‍पना में अगर पहुंचे 1930, 40, 50 के पहले का कालखंड जब देश के लिए लोग जान की बाजी लगा देते थे। हिंदुस्‍तान का तिरंगा फहराने के लिए फांसी के तख्‍ते पर चढ़ जाते थे। मां भारती को गुलामी की जंजीरों से मुक्‍त कराने के लिए जवानी जेल में खपा देते थे। मृत्‍यु का आलिंगन करते थे। हंसते-हंसते देश के लिए मर मिटने वालों की कतार कभी बंद नहीं हुई थी। इस देश के वीरों ने वो ताकत दिखा थी कि फांसी के फंदे कभी कम पड़ जाते थे, लेकिन मरने वाले देश के लिए शहादत देने वालों की संख्‍या कभी कम नहीं हुआ करती थी। अनगिनत बलिदानों का प्रणाम था कि भारत मां हमारी आजाद हुई है। लेकिन आजादी के दीवानों ने भी तो कुछ सपने देखे थे उन्‍होंने भी भारत कैसा हो, एक इरादा रखा था। उनको तो वो सौभाग्‍य मिला नहीं आजाद हिंदुस्‍तान में सांस लेने का। हमें सौभाग्‍य मिला नहीं उस आजादी के आंदोलन में अपनी जिंदगी खपाने का, लेकिन हमें मौका मिला है, देश के लिए मरने का मौका न मिला, देश के लिए जीने का मौका मिला है। + +21वीं सदी ज्ञान की सदी है। और मानव इतिहास इस बात का गवाह है जब-जब मानवजात ज्ञान युग में रहा है, तब-तब हिंदुस्‍तान ने नेतृत्‍व किया है। 21वीं सदी ज्ञानका युग है। भारत को नेतृत्‍व देने का एक बहुत बड़ा अवसर है। आज यहां एक साथ IIIT, IIM, AIIMS एक से बढ़कर एक और यहां नये भवनों के निर्माण पर यह सारी institutions चलेगी। महाराष्‍ट्र के और देश के नौजवानों को अपना भाग्‍य बनाने के लिए, आधुनिक भातर बनाने के लिए अपनी योग्‍यता बढ़ाने की इन संस्‍थानों के द्वारा अवसर मिलेगा। मेरी युवा पीढ़ी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं हैं। यह आज जब मैं उनको, मेरी देश की युवा पीढ़ी को यह अर्पित कर रहा हूं, मेरी उन सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं हैं। + +आप हैरान होंगे हिन्‍दुस्‍तान जैसे देश में करेंसी छापना, छाप करके पहुंचाना, सुरक्षित पहुंचाना अरबो-खरबों रुपया का खर्च होता है। अगर इन व्‍यवस्‍थाओं से पैसे बच जाए, तो कितने गरीबों के घर बन जाए दोस्‍तो। कितनी बड़ी देश सेवा हो जाए। और यह सब संभव है इसलिए करना है, न होता तो नहीं करना है। वो भी गुजारा करते थे, पहले वो व्‍यवस्‍था थी, जरूरी थी, करते थे। अगर कम कैश की दिशा में हम तय करे आप देखिए बदलाव संभव है। मैं तो हैरान हूं एक-एक एटीएम की रक्षा के लिए पांच-पांच पुलिस वाले लगे रहते हैं। एक इंसान को सुरक्षा के लिए पुलिस देने में दिक्‍कत होती है, एटीएम के लिए खड़ा रहना पड़ता है। अगर कम कैश का कारोबार हो जाए, आपका मोबाइल फोन ही आपका एटीएम बन जाए। और वक्‍त दूर नहीं है जब premises-less and paper-less banking जीवन का हिस्‍सा बनने वाला है। जब premises-less and paper-less banking जीवन का हिस्‍सा बनने वाला है इसका मतलब हुआ कि आपका मोबाइल फोन यह सिर्फ आपका बटुआ नहीं, आपका मोबाइल फोन आपका अपना बैंक बन जाएगा। Technology का revolution आर्थिक जीवन का हिस्‍सा बन रहा है। और इसलिए 25 दिसंबर को जब यह डिजिधन योजना को लॉन्‍च किया गया था। जिस दिन लॉन्‍च किया था क्रिसमस की शुरूआत थी। Happy Christmas के साथ शुरू किया था। सौ दिन तक सौ शहरों में चला। और आज उसकी पुर्नाणावति एक प्रकार से इधर 14 अप्रैल बाबा अम्‍बेडकर साहेब की जन्म जयंती, BHIM App का सीधा संबंध और दूसरी तरफ गुड फ्राइडे का दिन। Christmas के दिन प्रारंभ किया था, हंसी-खुशी के साथ शुरू किया था। यात्रा करते-करते अब तक चल पड़े। + +पहले हम सुनते थे विदेश में नौजवान सब रात को जा करके दो-दो तीन-तीन घंटे ऐसी मेहनत काम करते हैं टैक्‍सी चलाते हैं, ढिंकाना करते हैं, फलाना करते हैं। कुछ कमाई करते हैं और फिर पढ़ते रहते हैं। आज हिंदुस्‍तान में यह चीज आई नहीं है, ऐसा नहीं है। हमारा ध्‍यान नहीं है। इस BHIM-AADHAR के तहत मैं इस vacation में मैं मेरे देश के नौजवानों को निमंत्रित करता हूं। इसमें एक योजना है referral यानी अगर आप किसी को भीम एप के संबंध में समझाएंगे। किसी merchant को समझाएंगे, किसी नागरिक को समझाएंगे, उसके मोबाइल फोन पर भीम एप download करवाएंगे। और आपकी प्रेरणा से वो तीन transaction करेगा, कभी पचास रुपयेकी चीज़ खरीदेगा, कभी 30 रुपये की, कभी 100 रुपये की खरीदेगा। यह आपके द्वारा अगर हुआ है तो एक अगर आपने व्‍यक्ति को इसमें जोड़ा तो सरकार की तरफ से आपके खाते में 10 रुपया जमा हो जाएगा। अगर एक दिन में आप 20 लोगों को भी यह कर लें, तो शाम को आपकी जेब में 200 रुपया खाते में आएंगे। अगर vacation के तीन महीने तय कर लें कि 200 रुपया कमाना है, बताइये मेरे नौजवान साथियों यह कोई मुश्किल काम है क्‍या आपके लिए? सामने से कुछ लेना-देना नहीं उसको सिर्फ सिखाना है, समझाना है और जो व्‍यापारी अपने दुकान पर BHIM-App को लागू करेगा कारोबार उससे शुरू करेगा, तो उसको जो उसकी minimum जो रैंक है उसको करेगा, तो उसको 25 रुपया मिलेगा। उसके खाते में 25 रुपये जमा हो जाएंगे। यानी जिसको आपको समझाना है उसको समझा सकते हैं। लेकिन मुझे तो 10 मिल रहा है, लेकिन तेरे को 25 मिलने वाला है। और यह योजना 14 अक्‍तूबर तक चलेगी बाबा साहेब अम्‍बेडकर का दीक्षा प्राप्‍त करने वाला दिवस था। छह महीने हमारे पास है। हर नौजवान इस vacation में 10 हजार, 15 हजार आराम से कमा सकता है। और आप भ्रष्‍टाचार के खिलाफ की लड़ाई जीतने के लिए मेरे सबसे बड़े मददगार बन जाएंगे, इसलिए मैं आपको निमंत्रण देता हूं कि इस योजना में उसकी बारीकी जो लिखित होगी वो ही फाइनल मैं समझाने के लिए थोड़ा plus-minus बोल रहा हूं। लेकिन जब आप लिखिल पढ़ेंगे तो पक्‍की योजना आपको समझ आ जाएगी। और मैं चाहता हूं, मैं देश के नौजवानों को चाहता हूं कि अब exam हो गई है, मोबाइल फोन उठाइये, इस व्‍यवस्‍था को समझिए और per day 20 लोग, 25 लोग, 30 लोग लग जाइये। आप शाम को 200-300 रुपये कमा करके घर चले जाएंगे और पूरे vacation में आप करेंगे अगली साल की आपका खर्चा पढ़ाई का pocket खर्चा अपने निकल जाएगा। कभी गरीब मां-बाप के पास से एक रुपया मांगने की जरूरत नहीं पड़ेगी। यह revolution लाने का प्रयास है। + diff --git a/pm-speech/773.txt b/pm-speech/773.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..37406282cfbd88561c8109030f11bad789bf004a --- /dev/null +++ b/pm-speech/773.txt @@ -0,0 +1,12 @@ +देश में कई स्थासनों पर Dairy business से जो महिलाएं जुड़ी हुई हैं, सीधे उनके bank account में पैसा transfer किया जाता है। और मेरा तो जहां-जहां भी डेयरी उद्योग के लोगों से मिलना होता है तो मैं आग्रह करता हूं कि आप डेयरी से संबंधित दूध भरने के लिए जब महिलाएं आती हैं, वो पैसे cash देने की बजाय अच्छाू होगा उस पशुपालक महिलाओं का ही अलग bank account हो, उन्हींप महिलाओं के account में पैसा जमा हो। आप देखिए, वो गांव की गरीब महिला भी जो एक गाय, एक भैंस पालती है जब उसके खाते में bank में जमा पैसे होते हैं वो एक empowerment feel करती है; पूरे घर में उसकी आवाज को notice किया जाता है, उसकी बात को सुना जाता है। जब तक इसको एक माला में पिरोते नहीं हैं, उसकी सारी मेहनत बिखर जाती है। और इसलिए इन छोटे-छोटे बदलाव भी एक नई ताकत देते हैं। + +हमारे समाज में भी एक नहीं, लाखों, करोड़ों गंगा बा हैं, बस उन्हेंथ सशक्ता empower करने की आवश्य कता है। आधुनिक भारत में मां, बहनों को सशक्तं करके ही देश आगे बढ़ सकता है। और इसी सोच के साथ सरकार प्रगतिशील फैसले ले रही है। जहां कानून बदलने की आवश्यतकता है, वहां कानून बदला जा रहा है; जहां नए नियम की जरूरत है, वहां नए नियम बनाए जा रहे हैं। अभी हाल ही में maternity act में बदलाव करके maternity leave को twelve week से बढ़ा करके 26 week कर दिया गया है; 12 हफ्ते से सीधा 26 हफ्ते। दुनिया के बड़े-बड़े, समृद्धशील देशों में भी आज ऐसे नियम नहीं हैं। + +Factory Act में भी बदलाव करके राज्योंे को सलाह दी गई है कि महिलाओं को रात्रि में काम करने के लिए सुविधा प्रदान की जाए। Disability act में भी बदलाव करके acid attack से जो पीडि़त महिलाएं हैं उन महिलाओं को वही सहायता, वही reservation देने का प्रावधान किया गया है, जो दिव्यांागों को मिलता है। इसके अलावा mobile fan के द्वारा नारी सुरक्षा को ले करके panic button के द्वारा एक पूरा पुलिस थाने के साथ networking का काम, बड़ी सफलतापूर्वक उसको workout किया गया है। Universal Helpline, 181 अब तो महिलाओं के लिए परिचित हो गया है। + +एक समय था हमारे देश में parliament के member को gas connection के लिए 25 coupon दी जाती थी ताकि वो अपने इलाके के लोगों को oblige कर सके। और MP के घर लोग चक्क.र काटते थे कि उनके परिवार को एक gas connection मिल जाए। Gas connection की coupon की कालाबाजारी होती थी। 2014 का जो चुनाव हुआ था, एक पार्टी इस मुद्दे पर चुनाव लड़ रही थी लोकसभा का; जो मेरे खिलाफ लड़ रहे थे, उनका मुद्दा ये कि अब नौ सिलेंडर देंगे या 12 सिलेंडर देंगे? हिन्दु.स्तांन की लोकसभा का चुनाव, देश का प्रधानमंत्री कौन हो? देश की सरकार क्याग हो? एक political party का agenda था कि 9 सिलेंडर मिलेंगे या 12 सिलेंडर? आप कल्पहना कर सकते हैं कि 2014 में जब 9 और 12 के बीच में हम अटके पड़े थे, इस सरकार ने पिछले 11 महीने में एक करोड़ 20 लाख परिवारों को गैस का चूल्हाच पहुंचा दिया है। + +Friends, आज देश की 65 प्रतिशत से ज्या दा जनसंख्यात 35 साल से कम उम्र की है। उसके अपने सपने हैं। वो कुछ कर गुजरना चाहते हैं। वो अपने सपने पूरे कर सकें, अपन ऊर्जा को सही इस्ते माल कर सकें, इसके लिए सरकार हर स्तकर पर, हर तरीके से जुटी हुई है, लेकिन उसमें आप जैसी संस्थाकएं, आप जैसी एजेंसियां; इनका भरपूर योगदान आवश्यहक होता है। + +सरकार national entrepreneurship promotion scheme चला रही है। इसके तहत सरकार 50 लाख युवाओं को sponsor कराना चाहती है। क्याn आपकी संस्था। कम्पतनियों में scheme को ले करके जागरूकता का अभियान चलाया जा सकता है? ताकि ज्याeदा से ज्या‍दा युवाओं को, महिलाओं को रोजगार के लिए अवसर मिले। कौशल विकास की training लेने वाले युवाओं को नौकरी के लिए सरकार private sector की कम्पmनियों से भी समझौता कर रही है। ज्याकदा से ज्याीदा कम्पलनियां इस अभियान से जुड़ें, इसके लिए आपकी संस्थाै किस प्रकार से मदद कर सकती हैं, इस बारे में भी आपको सोचना चाहिए। + diff --git a/pm-speech/774.txt b/pm-speech/774.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..3c62b3710c3889ebf5031778f48c3d80c51e8eef --- /dev/null +++ b/pm-speech/774.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +दोस्‍तों, 1917 में, nineteen seventeen में, जब गांधीजी चंपारण गए तो उनका इरादा वहां बहुत लम्‍बे समय तक रुकने का नहीं था। वे चंपारण की स्थिति के बारे में बहुत जानते भी नहीं थे। लेकिन जब गांधीजी वहां पहुंचे तो कुछ हफ्ते नहीं बल्कि कई महीनों तक वहां रुके। चंपारण ने ही उन्‍हें मोहनदास कर्मचंद गांधी से महात्‍मा गांधी बनाया था। चंपारण पहुंचने से पहले वो सत्‍याग्रह की ताकत से खुद अवगत थे, वो उसे जानते थे। लेकिन उन्‍हें पता था कि सिर्फ उनके सत्‍याग्रही बनने से इच्छित परिणाम प्राप्‍त नहीं होंगे। वो देश के जनमानस को सत्‍याग्रह की ताकत का एहसास कराना चाहते थे। + +सा‍थियों, सत्‍याग्रह ने गांधी जी के नेतृत्‍व में हमें आजादी दिलाई, किंतु स्‍वतंत्रता के बाद गांधी जी का स्‍वच्‍छ भारत का सपना अधूरा ही रह गया था। सात दशक बाद भी हम इस बुराई से मुक्‍त नहीं हो पाए। इसलिए जब 2014 में मैंने लालकिले से हर घर में शौचालय की बात की, तो लोग हैरान थे कि इस तरह बात मैं क्‍यों कर रहा हूं। + +दोस्‍तों, स्‍वच्‍छ भारत मिशन बापू के अधूरे सपनों को पूरा करने का अभियान हे। ये सपना लगभग 100 वर्षों से अधूरा है और हमें इसे मिल करके पूरा करना है। मुझे खुशी है कि आज स्‍वच्‍छ भारत मिशन के जरिए देश के लोग बापू के सपने को पूरा करने के लिए उठ खड़़े हुए हैं। स्‍वच्‍छ भारत अभियान सच्‍चे अर्थों में एक जन-आंदोलन बनता चला जा रहा है। समाज का हर वर्ग इस स्‍वच्‍छाग्रह से जुड़ रहा है। जब स्‍वच्‍छ भारत किशन शुरू हुआ था तो उस समय केवल 42 प्रतिशत ग्रामीण आबादी ही शौचालयों का उपयोग करती थी। आज ये बढ़ करके 63 प्रतिशत पर पहुंचे हैं। + diff --git a/pm-speech/775.txt b/pm-speech/775.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..54881bf5f5d31a16606584ea6f46ceb0767a3c62 --- /dev/null +++ b/pm-speech/775.txt @@ -0,0 +1,10 @@ +मुझे आपका भारत की इस पहली यात्रा पर स्वागत करते हुए अत्यंत हर्ष हो रहा है। गत माह, हम बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के रोमांचक समापन के गवाह बने। वर्ष 2014 में ऑस्ट्रेलियाई संसद में अपने भाषण के दौरान मैंने महानब्रैडमेन और तेंदुलकर का जिक्र किया था। आज, भारत में विराट कोहली और ऑस्ट्रेलिया में स्टीवन स्मिथ क्रिकेट की युवा ब्रिगेड को आकार दे रहे हैं। मैं आशा करता हूं कि आपकी भारत यात्रा दूसरे ऑस्ट्रेलियाई कप्तान स्टीवनस्मिथ की बल्लेबाजी की तरह ही फलदायी हो। + +मैं स्पष्ट रूप से जी-20 के इतर हुई हमारी बैठकों को याद करता हूं। उनमें हमेशा संमिलन और उद्देश्य की एक मजबूत भावना परिलक्षित होती है। मैं विशेष रूप से हमारे मेलजोल को आगे बढ़ाने में आपकी सक्रिय रुचि की सराहनाकरता हूं। हमारे सहयोग की यात्रा दृढ़ता से चल रही है। आपके नेतृत्व में, हमारे रिश्ते ने मील के नए पत्थर छुए हैं। और, आपकी यात्रा ने हमारी सामरिक साझेदारी की नई प्राथमिकताओं को आकार देने का हमें अवसर दिया है। + +हिंद महासागर का जल हमें हमारे जुड़े हुए इतिहास की याद दिलाता है। ये हमारी जुड़ी हुई नियति का भी सूचक है। लोकतंत्र के मूल्य एवं सिद्धांत और कानून का शासन, दोनों राष्ट्रों के लिए आम बात है। आज, हमारे संबंधों मेंअवसरों का विशाल दायरा भारत के 1.25 अरब लोगों की आर्थिक समृद्धि की मजबूत इच्छा और ऑस्ट्रेलिया की क्षमताओं एवं शक्तियों से परिभाषित है। + +भारत और ऑस्ट्रेलिया, दोनों ही हमारे समाज की समृद्धि में शिक्षा और नवाचार के केंद्रीय मूल्यों को पहचानते हैं। इसलिए, इस बात में आश्चर्य नहीं है कि शिक्षा और शोध के क्षेत्र में सहयोग हमारी भागीदारी का सबसे महत्वपूर्णपहलू है। प्रधानमंत्री और मैंने नैनो और बायो टेक्नोलॉजी पर टेरी-डेकिन अनुसंधान केंद्र का उद्घाटन किया है, जो दोनों देशों के बीच बढ़ते विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सहयोग का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। ऑस्ट्रेलिया-भारतअनुसंधान कोष लगभग 100 मिलियन डॉलर का है। यह नैनो टेक्नोलॉजी, स्मार्ट सिटी, आधारभूत ढांचा, कृषि एवं रोग नियंत्रण जैसे क्षेत्रों में सहयोगी अनुसंधान परियोजनाओं पर केंद्रित है। विटामिन ए युक्त केले का संयुक्तविकास फील्ड परीक्षण के चरण में प्रवेश कर गया है। हमारे वैज्ञानिक भी दालों की अधिक पौष्टिक और दमदार किस्मों के विकास में सहयोग कर रहे हैं। ये हमारे वैज्ञानिक सहयोग के महज दो उदाहरण हैं, जो मूर्त परिणामों मेंनिहित हैं। इससे हमारे किसानों सहित लाखों लोगों के जीवन में सुधार होगा। मैं प्रधानमंत्री के साथ आए कुलपतियों और व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों के प्रमुखों के प्रतिनिधिमंडल का भी गर्मजोशी से स्वागत करता हूं। इसयात्रा के दौरान कई संस्थानों के बीच संपर्क स्थापित होंगे। छात्रों का एक-दूसरे के यहां आना-जाना द्विपक्षीय शिक्षा सहयोग का एक महत्वपूर्ण तत्व है। ऑस्ट्रेलिया 60,000 से अधिक भारतीय छात्रों का घर है। बड़ी संख्या मेंऑस्ट्रेलियाई छात्र भी अध्ययन के लिए भारत आ रहे हैं। युवाओं की आकांक्षाओं के अनुरूप भारत में विश्व स्तरीय संस्थानों का निर्माण मेरी सरकार के उद्देश्यों में से एक है। प्रधानमंत्री टर्नबुल और मैंने उन उपायों पर चर्चा की हैजिनसे ऑस्ट्रेलियाई विश्वविद्यालय इस लक्ष्य से जुड़ सकें और इसे हासिल करने में अपना योगदान दे सकें। + +प्रधानमंत्री और मेरा यह दृढ़ विश्वास है कि हमारा आर्थिक विकास एवं समृद्धि पर्यावरण के प्रति विनम्र होनी चाहिए। हमें प्रसन्नता है कि नवीकरणीय ऊर्जा सहित ऊर्जा के अन्य स्वरूपों पर हमारी वार्ता और सहयोग गति पकड़रहा है। मैं अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन में ऑस्ट्रेलिया के शामिल होने के फैसले के लिए प्रधानमंत्री को धन्यवाद देना चाहता हूं। और, सभी पक्षों के समर्थन से ऑस्ट्रेलियाई संसद में कानून पारित होने के बाद, ऑस्ट्रेलिया भारत कोयूरेनियम का निर्यात करने के लिए तैयार है। + diff --git a/pm-speech/776.txt b/pm-speech/776.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..694ed6aa355f9a95229a14a5e8b6035fab4ad3a6 --- /dev/null +++ b/pm-speech/776.txt @@ -0,0 +1,8 @@ +तथा साथियों कई कारणों से आज का दिन ऐतिहासिक है। बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम में शहीद हुए सभी भारतीय सैनिकों के परिवारों के लिए भी ये कभी न भूल पाने वाला क्षण है।आज बांग्लादेश उन 1661 भारतीय सैनिकों का सम्मान कर रहा है, जिन्होंने 1971 में बांग्लादेश की स्वतंत्रता के लिए अपनी जान की क़ुरबानी दी थी ।मैं भारत के सवा सौ करोड़ लोगों की तरफ से बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना जी का; वहां की सरकार और बांग्लादेश के लोगों का; इस भावनात्मक पहल के लिए आभार व्यक्त करता हूं। भारत के वीर सैनिक तथा हमारी गौरवशाली सेना केवल बांग्लादेश के साथ हो रहे अन्याय एवं नरसंहार के खिलाफ नहीं लड़े थे। यह वीर, भारतीय संस्कृति में निहित मानव मूल्यों के लिए भी लड़े थे। यह मेरा परम सौभाग्य है कि इस समय 7 भारतीय शहीदों के परिवार यहां उपस्थित हैं। पूरा भारत आपकी व्यथा, आपका दर्द और आपकी पीड़ा में सहभागी है। आपका त्याग और तपस्या अतुलनीय है।भारतीय सैनिको के बलिदानों के लिए मैं और पूरा देश सभी शहीदों को कोटि-कोटि नमन करते हैं। + +बांग्लादेश का जन्म जहां एक नयी आशा का उदय था । वहीं 1971 का इतिहास हमें कई अत्यंत दर्दनाक पलों की भी याद दिलाता है। 1971 में अप्रैल का यही वो महीना था जब बांग्लादेश में नरसंहार अपने चरम पर था। बांग्लादेश में पूरी एक पीढ़ी को खत्म करने के लिए संहार किया जा रहा था। हर वो व्यक्ति जो बांग्लादेश के गौरव से जुड़ा हुआ था, हर वो व्यक्ति जो भावी पीढ़ी को बांग्लादेश के अतीत से अवगत करा सकता था, उसे रास्ते से हटा दिया गया। इस नरसंहार का उद्देश्य केवल निर्दोषों की हत्या करना नहीं था, अपितु बांग्लादेश की पूरी सोच को जड़ से मिटा देना था। लेकिन अंतत अत्याचार विजयी नहीं हुआ । जीत मानव मूल्यों की हुई , करोड़ों बांग्लादेशियों की इच्छा शक्ति की हुई। + +बांग्लादेश की जन्म गाथा असीम बलिदानों की गाथा है। और इन सभी बलिदानों की कहानियो में एक सूत्र, एक विचार कॉमन है। और वह है राष्ट्र तथा मानवीय मूल्यों के प्रति अगाध प्रेम का।मुक्ति योद्धाओं का बलिदान राष्ट्र प्रेम से प्रेरित था। मुक्ति योद्धा मात्र एक मानव शरीर और आत्मा नहीं थे, बल्कि एक अदम्य तथा अविनाशी सोच थे। मुझे खुशी है कि मुक्ति योद्धाओं के लिए भारत की तरफ से भी कुछ प्रयास किए जाते रहे हैं।मुक्ति योद्धा स्कॉलरशिप स्कीम के तहत मुक्ति योद्धाओं के परिवार से 10 हजार से ज्यादा बच्चों को पढ़ने के लिए स्कॉलरशिप दी जाती है। उन के परिवार कल्याण के लिए आज इस अवसर पर मैं तीन और घोषणाएं कर रहा हूं। अगले पाँच वर्षों में मुक्ति योद्धा स्कॉलरशिप स्कीम का फायदा दस हजार और बच्चों तक पहुंचाया जाएगा।मुक्ति योद्धाओं को 5 वर्ष के लिए मल्टीप्ल एंट्री वीसा फैसिलिटी दी जाएगीऔर भारत में मुफ्त इलाज के लिए प्रतिवर्ष 100 मुक्ति योद्धाओं को एक स्पेशल मेडिकल स्कीम के तहत सहायता दी जाएगी।मुक्ति योद्धाओं के साथ साथ बांग्लादेश के लिए किये गए भारतीय फौज का संघर्ष और बलिदान को भी कोई नहीं भुला सकता।ऐसा करने में उनकी एक मात्र प्रेरणा थी, बांग्लादेश की जनता के प्रति उनका प्रेम, और बांग्लादेश के लोगों के सपनों के प्रति उनका सम्मान । और यह भी याद रखना चाहिये की युद्ध की बर्बरता में भी भारतीय सेना अपने कर्तव्य से नहीं मुड़ी और युद्ध के नियमों के पालन की पूरे विश्व के सामने एक मिसाल रखी।भारतीय फौज का यह चरित्र था कि 90 हजार उन कैदी सैनिकों को; (POWs ) को सुरक्षित जाने दिया। 1971 में भारत की दिखाई ये इंसानियत पिछली शताब्दी की सबसे बड़ी घटनाओं में से एक है। दोस्तों, भारत और बांग्लादेश, न केवल क्रूरता को परास्त करने वाले देश हैं, बलिक क्रूरता की मूलभूत सोच को नकारने वाले देश हैं। + +आज हमारे क्षेत्र को, दुनिया के इस प्राचीन भूभाग को मुख्यतः तीन विचारधाराएं परिभाषित करती हैं। यह विचार धाराएं हमारे समाज तथा सरकारी व्यवस्थाओ की प्राथमिकताओं का आइना हैं। इस में एक सोच है जो आथिक विकास पर केन्द्रित है ; देश को समृद्ध तथा शक्तिशाली बनाने पर फोकस्ड है;समाज के सभी वर्गों को साथ ले कर चलने पर आधारित है।इस सोच का एक प्रत्यक्ष उदाहरण है बांग्लादेश की प्रगति एव उन्नति। 1971 में बांग्लादेश के नागरिकों की औसत आयु (लाइफ एक्स्पेक्टेनसी) भारत से भी कम थी। आज बांग्लादेश के नागरिकों की औसत आयु भारत से भी ज्यादा है। पिछले 45 वर्ष में बांग्लादेश की GDP 31 गुना बढ़ी है।प्रति व्यक्ति आय में 13 गुना की बढोतरी हुई है। इन्फेंट मोर्टेलिटी 222 से घट कर अब 38 रह गई है।प्रति व्यक्ति डॉक्टरों की संख्या में तीन गुना बढोतरी हुई।स्वतंत्रता के बाद से अब तक बांग्लादेश का निर्यात 125 गुना बढ़ चुका है। परिवर्तन के यह चंद पैरामीटर्स अपने आप में काफी कुछ कह रहे है। प्रधानमंत्री शेख़ हसीना के विज़न पर चलते हुए बांग्लादेश आर्थिक प्रगति की नयी सीमाए पार कर रहा है। + diff --git a/pm-speech/777.txt b/pm-speech/777.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..6627c0b62f75259e247e799594ae23afd4d48447 --- /dev/null +++ b/pm-speech/777.txt @@ -0,0 +1,4 @@ +हमारे दोनों देशों की साझा भूमि सीमा सबसे लंबी सीमाओं में से एक है। जून 2015 में मेरी ढाका यात्रा के दौरान हमने भूमि सीमा समझौते को अंतिम रूप दिया था। अब उसे लागू किया जा रहा है। हमारी साझा भूमि सीमाओं के अलावा हमारी साझा नदियां भी हैं। वे हमारे लोगों और उनकी आजीविका को बनाए रखती हैं। और जिस नदी ने सबसे अधिक ध्‍यान आकर्षित किया है वह तीस्‍ता है। यह भारत के लिए, बांग्‍लादेश के लिए और भारत-बांग्‍लादेश संबंध के लिए काफी महत्वपूर्ण है। मैं बेहद प्रसन्‍न हूं कि पश्चिम बंगाल की मुख्‍यमंत्री आज मेरे सम्‍मानित अतिथि हैं। मैं जानता हूं कि बांग्‍लादेश के लिए उनकी भावनाएं उतनी ही अच्‍छी हैं जितनी मेरी। मैं आपको और बांग्लादेश के लोगों को अपनी प्रतिबद्धता और सतत प्रयास के लिए आश्‍वस्‍त करता हूं। मेरा दृढ़ विश्वास है कि केवल मेरी सरकार और माननीय शेख हसीना, आपकी सरकार तीस्ता जल साझेदारी का शीघ्र समाधान तलाश सकती हैं और उसे अंजाम दे सकती हैं। + +आपने बंगबंधु की विरासत और उनकी दृष्टि को सफलतापूर्वक आगे बढ़ाया है। आपके नेतृत्‍व में बांग्‍लादेश आज उच्‍च वृद्धि और विकास की राह पर अग्रसर है। भारत में हम बांग्‍लादेश के साथ अपने संबंधों को लेकर खुश हैं। यह संबंध पीढि़यों से हमारे खून में बसा है। यह संबंध हमारे लोगों के बेहतर और सुरक्षित भविष्‍य के लिए है। महामहिम, इन शब्‍दों के साथ मैं एक बार फिर भारत में आपको और आपके प्रतिनिधिमंडल का स्‍वागत करता हूं। + diff --git a/pm-speech/778.txt b/pm-speech/778.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..9347de5205183b88f0046d87fd5d7548e4464d6d --- /dev/null +++ b/pm-speech/778.txt @@ -0,0 +1,14 @@ +भाइयों बहनों नदी को हम मां कहते हैं। और मां हमें सबकुछ देती है लेकिन कभी कभी ऐसी भी कहावत कही जाती है कि मांगे बिना मां भी नहीं परोसती है। गंगा मां सदियों से इस पूरे क्षेत्र को नव पल्लवित करती रही है। ये जीवन धारा के रूप में बह रही है। लेकिन बदलते युग में ये मां गंगा में हमारे जीवन को एक नई ताकत भी दे सकती है 21वीं सदी के विश्व में ये मां गंगा झारखंड को दुनिया से सीधा-सीधा जोड़ने की दिशा में हम आगे बढ़ना चाहते हैं। क्या कभी आपने कल्पना की थी समुद्री तट के जो शहर होते हैं राज्य होते हैं वे तो अपने आप दुनिया से जुड़ जाते हैं लेकिन Land Lock इलाका झारखंड जैसा इलाका जहां निकट में कहीं समन्दर नहीं है। क्या वह भी विश्व के साथ जुड़ सकता है। जिस Project को लेकर हमारे नितिन गडकरी जी काम कर रहे हैं। और बड़े मनोयोग से कर रहे हैं। और उससे सबसे बड़ा काम होने वाला है। ये Project जब पूरा होगा तो ये झारखंड सीधा-सीधा पूरी दुनिया के साथ जुड़ने की ताकत बन जाएगा। और वो Project है गंगा में Multi model Terminal का शिलान्यास। बंगाल की खाड़ी तक यहां से जहाज चलेंगे गंगा में जहाज चलेंगे, माल ढो कर के ले जाएंगे और यहां कि चीजें सीधे सीधी बंगाल की खाड़ी से निकल कर के समुद्री मार्ग से सीधी दुनिया में पहुंच पाएगी। व्यापार के लिये विश्व व्यापार के लिये जब इस प्रकार की सुविधायें उपलब्ध होती हैं तब विश्व व्यापार के अंदर झारखंड की अपनी जगह बना सकती है। चाहे यहां के स्टोन चिप्स हों, चाहे यहां का कोयला हो, चाहे यहां के अन्य पैदावार हो। विश्व के बाजार में सीधा पहुंचाने का सामर्थ इसके अंदर आ सकता है। इतना ही नहीं ये व्यवस्था बनने के बाद अगर यहां का कोयला पश्चिमी भारत में ले जाना है, तो जरूरी नहीं है इसको रोड, रास्ते और रेल से ले जाया जाए। वो बंगाल की खाड़ी से समुद्र के मार्ग उस ओर ले जाया जाए सस्ता पड़ जाएगा। और जो इस क्षेत्र में काम करते होंगे इनकी आर्थिक ताकत बढ़ाने में उपयोगी होगा। + +भाइयों बहनों हमने Infrastructure की बात आती है, तो रोड और रास्तों की चिंता चर्चा की। हाईवे बनाए, हमनें हवाई जहाज के लिये एयरपोर्ट बनाना उसकी व्यवस्थाएं खड़ी की। हमनें रेलवे के विस्तार के लिये काम किया। लेकिन एक क्षेत्र हमें चुनौती दे रहा था। वर्तमान सरकार ने नितिन गडकरी जी के नेतृत्व में एक ऐतिहासिक नया फैसला लिया है कि हमारे देश की जो पानी से भरी हुई नदियां हैं उसमें यातयात करके कम खर्चे में माल ढोने का पूरा अभियान चले और उसी के तहत बनारस से हल्दिया तक कारगो ले जाने के लिये पूरी व्यवस्था विकसित हो रही है। झारखंड को बंगाल की खाड़ी तक जोड़ा जा रहा है। यहां से जहाज चलेंगे। नदी में छोटे छोटे नाव तो हमनें बहुत देखे हैं। हजारों टन माल उठाकर ले जाने वाले जहाज चलेंगे। आप कल्पना कर सकते हैं विकास का कौनसा नया क्षेत्र हमारे सामने उभर कर के आ रहा है। Highway है, Airways है, Railways है अब आपके सामने है Water way. ये Water way इसका ये शुभारम्भ शिलान्यास का आज काम हो रहा है। हजारों करोड़ की लागत आने वाली है। भारत में ये पूरा अभियान नये सिरे से हो रहा है। और इसलिये इसका एक कौतव्य होने वाला है। आने वाले दिनों में अर्थशास्त्री इस पर लिखने वाले हैं। इस पर चर्चा करने वाले हैं कि भारत के Infrastructure में Environment Friendly Infrastructure कि ओर कैसे आगे बढ़ रहा है। पर्यावरण की भी रक्षा हो, विकास भी हो, यातायात भी हो, गति भी मिले एक ऐसा काम हो उसी दिशा में तेजी से काम बढ़ाने के लिये नितिन जी का Department आज काम कर रहा है। मां गंगा सब कुछ दे रही थी। अब एक नई भेंट मां गंगा के द्वारा विकास का एक नया मार्ग हमारे लिये प्रस्तुत हो रहा है। इसलिये मां गंगा का हम जितना ऋण स्वीकार करें उतना कम होगा। + +भाइयो बहनों 2015, 2 अक्तूबर मुझे जस्टिस डीएन पटेल जी के एक निमंत्रण पर खूटी आने का सौभाग्य मिला। और खूटी का न्यायालय खूटी की कोर्ट वो देश की पहली सोलार कोर्ट बनी। सूर्य शक्ति से प्राप्त बिजली से उस न्यायालय का पूरा कारोबार चल रहा है। आज मुझे खुशी है कि फिर से एक बार साहबगंज में एक सरकारी व्यवस्था का परिसर और दूसरा न्यायालय दोनों पूर्ण रूप से सूर्य शक्ति से चलने वाले इकाइयां बन रही है। मैं इसके लिये जस्टिस डीएन पटेल और उनकी पूरी टीम को बधाई देता हूं और झारखंड सरकार को भी बधाई देता हूं। उन्होंने सूर्य शक्ति को बढ़ावा दिया है। roof Top Solar Energy का काम जो उन्होंने उठाया है। करीब करीब 4500 किलो वॉट सूर्य ऊर्जा उन्होंने Install करने का काम सफलतापूर्वक पूरा कर दिया है। अगर हमें हमारे जंगल बचाने हैं, हमारी भावी पीढ़ी को कुछ देकर जाना है तो हमें हमारे पर्यावरण की रक्षा करनी होगी है। और ऊर्जा का कोई उत्तम स्रोत है जो हमें सहज उपलब्ध है वो है Solar Energy सूर्य शक्ति। और सूर्य शक्ति कि दिशा में आज भारत एक तेज गति से आगे बढ़ रहा है। भारत ने सपना देखा है। 175 Giga Watt Renewable Energy का उसमें 100 Giga Watt Solar Energy का हिन्दुस्तान के हर कोने में सूर्य शक्ति से ऊर्जा मिले। इसको बल दिया जा रहा है। आज हमें जो विदेशों से Energy खरीदनी पड़ती है। उसमें बहुत बड़ी बचत होगी। वो पैसे गरीब के काम आएंगे। आज पर्यावरण को जो नुकसान होता है। उसमें से हमें राहत मिलेगी। और सूर्य शक्ति की दिशा में एक जमाना था सूर्य शक्ति कि एक यूनिट ऊर्जा की कीमत 19 रुपया लगती थी। लेकिन भारत ने जिस प्रकार से अभियान चलाया आज स्थिति आ गयी है कि कोयले से भी सूर्य शक्ति की ऊर्जा सस्ती मिलने लग गई है। अभी अभी जो टेंडर निकला सिर्फ तीन रुपये का निकला 2 रुपया 96 पैसे। यानी एक प्रकार से एक बार Investment Cost लग गई बाद में बिना कोई खर्चे हम बिजली प्राप्त कर सकते हैं। + +और भाइयों बहनों 21वीं सदी में किसी भी नागरिक को अंधकार में जीने के लिये मजबूर नहीं किया जा सकता । कई परिवार हैं जो आज भी घरों में बिजली का कनेक्शन नहीं ले रहे हैं। उनको लगता है क्या जरूरत है। समझा बुझाने के बाद लेते हैं। सरकार मुफ्त में कनेक्शन देती है तो भी कभी कभी लोग खुद उदासीनता बरत देते हैं। ऐसे परिवारों को बच्चों की बढ़ाई के लिये भारत सरकार ने बच्चे की बढ़ाई के लिये छोटा सा बैटरी सोलार से चलने वाली छोटा बल्ब ऐसा टेबल पर लगा दे जमीन पर लगाकर के पढ़ना चाहता है तो उससे पढ़ सकता है ये लाखों ऐसे गरीब परिवारों को देने की दिशा में एक बहुत बड़ा बीड़ा उठाया। हमारा किसान जहां जमीन से पानी निकाल कर के खेती करता है। उसको बिजली महंगी पड़ती है। अब सोलार पम्प हम लगा रहे हैं। किसान सोलार पम्प से जमीन से पानी निकालेगा। सूर्य से बैटरी भी चार्ज होती रहेगी पानी भी निकलता रहेगा। खेत भी हरा भरा रहेगा। दो फसल लेता है तीन फसल लेने लग जाएगा। उसकी आय जो दोगुना करनी है उसमें ये सोलार पम्प भी काम आएगा। एक बहुत बड़ा रिवोल्युशन का काम सूर्य ऊर्जा के क्षेत्र में भारत सरकार के द्वारा चल रहा है। झारखंड सरकार ने भी कंधे से कंधा मिलाकर के भारत सरकार के साथ चलने का बीड़ा उठाया है। Solar Energy को बल दे रहे हैं। roof Top Solar Energy के Project को आगे बढ़ा रहे हैं। मैं इसके लिये भी झारखंड को बधाई देता हूं। और मैं देशवासियों से भी कहूंगा कि हम ऊर्जा के क्षेत्र में संवेदनशील बनें। हम ऊर्जा के महत्वमय को समझें। और भावि जीवन के रक्षा को भी समझें। अभी पूरे देश में एलईडी बल्ब का एक अभियान चल रहा है। अगर कोई सरकार अपने बजट में यह कह दे कि हम दस हजार करोड़ रुपये लगाते हैं और ये दस हजार करोड़ रुपया लोगों को बांट देंगे, तो वाह वाई हो जाएगी तालियां बजेगी अखबार में हैडलाइन छपेगी। वाह मोदी कितना अच्छा प्रधानमंत्री है। दस हजार करोड़ रुपया लोगों को बांटने वाला है। भाइयों बहनों आप सबके सहयोग से हमने एक ऐसा काम किया है जो दस हजार करोड़ से भी ज्यादा आपकी जेब में पहुंचा रहा है। हिन्दुस्तान के नागरिकों की जेब में पहुंचा रहा है। क्या किया एलईडी बल्ब लगाईए बिजली बचाइए। बिजली का बिल कम कीजिये। और आपका किसी का साल का ढाई सौ बचेगा किसी का साल का हजार बचेका किसी का साल का 2 हजार बचेगा वो गरीब बच्चों को दूध पिलाने के काम आ जाएगा। गरीब बच्चों को कुछ शिक्षा दीक्षा देने के काम आ जाएगा। हम जब सरकार में आए तब एलईडी बल्ब साढ़े तीन सौ चार सौ रुपये में बिकता था। आज वो एलईडी बल्ब पचास साठ रुपये में बिकने लग गया। और देश में सरकार के द्वारा 22 करोड़ बल्ब वितरित कर चुके हैं। और लोगों ने अपने आप किया है दोनों मिलाकर के करीब करीब 50 करोड़ नए एलईडी बल्ब लोगों के घरों में लग चुके हैं। और इससे जो बिजली की बचत हुई है। वो करीब करीब 11 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा है। ये 11 हजार करोड़ रुपया जो बिजली का अवप्रास करने वाले लोग हैं। उनकी जेब में बचने वाला है। कितना बड़ा रिवोल्यूशन आता है जब हम छोटे से बदलाव से काम कर सकते हैं, तो बिजली बचाना दूसरी तरफ सूर्य ऊर्जा का उपयोग करना एक प्रकार से सस्ती से सस्ती बिजली कि दिशा में जाना तो एक 360 डिग्री जिसको कहे, वैसे पूरा ऊर्जा का एक पूरा नेटवर्क बनाकर के काम आज सरकार कर रही है। और उसका भी आपको लाभ मिलेगा। + +मैं आज मेरे सामने यहां नौजवान देख रहा हूं। उनके सर पर टोपी है टोपी पर पीले फूल लगे हुए हैं। बड़े शानदार दिख रहे हैं। ये हमारे आदिम जाति के बच्चे हैं। ये पहाड़िया समाज के बच्चे हैं। उनके परिवार में अभी तक सरकार के अंदर काम करने का सौभाग्य नहीं मिला है। सब लोग ताली बजाकर के इनका अभिनन्दन कीजिये। मैरथोडारजी के नये इनिसिएटिव के लिये और इनके मौलिक चिंतन के लिये बधाई देता हूं कि उन्होंने इन पहाड़िया बच्चों को सिलेक्ट किया। सरकारी नियमों में बदलाव किया। उनकी ऊंचाई कम थी तो उनको भी कॉम्परमाइज किया। उनकी पढ़ाई कम थी उस पर भी कॉम्परोमाइज किया। और उनको ट्रेनिंग देकर के आपके सुरक्षा के काम पर लगाया। वो एक प्रकार से सरकार बन गए हैं। भाइयों बहनों हिन्दुस्तान के आखिरी छोर पर बैठे हुए जो लोगों की गिनती होती है इसमें ये मेरे पहाड़िया बेटे हैं। ये पहाड़िया बेटियां हैं आज वो मुख्य धारा में आर रही हैं। विकास की मुख्य धारा में जुड़ रही हैं। और मैं देख रहा थो वो बेटियां जब अपना सर्टिफिकेट लेने के लिये आईं थीं। उनका आने का तरीका उनका सल्यूट करने का तरीका उनका अपना प्रेस वालों को जवाब देने का तरीका उनका कॉन्फिडेन्स देखकर के मुझे लग रहा है कि ये हमारी शान-ओ-शौकत बन जाएंगी। ये पहाड़िया बिरादरी के मेरे साथी सारे मेरे नौजवान ये झारखंड के भाग्य को सुरक्षा देने वाले एक नई ताकत बन जाएंगे फिर एक बार इनके लिये तालियां बजाकर के इनके लिये गौरव कीजिए। रघुवर दास जी का भी अभिनन्दन कीजिये उन्होंने इतना बड़ा महत्वपूर्ण काम किया है। समाज के आखिरी छोर पर जो आदिवासियों से भी गरीब है। आदिवासियों से भी पछाद है। चार चार पीढ़ी तक जिसको स्कूल में जाने का अवसर नहीं मिला है। ऐसे सारे बच्चे आज हमारे सामने है। इससे कितना आनन्द होता है। आज जीवन धन्य हो गया। इन बालकों को देखते हुए और यही मेरे भारत का नीव बनने वाली है मेरे भाइयों बहनों। यही मेरा न्यू इंडिया है। देश का गरीब से गरीब भारत की विकास यात्रा में जुड़ जाएगा इसका ये उदाहरण है। + +भाइयों बहनों कुछ महिलाएं आज मंच पर आई थीं। आपको दूर से दिखता था कि नहीं दिखता था मुझे मालूम नहीं झारखंड सरकार कि तरफ से मैं उनको मोबाइल फोन दे रहा था। और मैं देख रहा था कि वे मुझे मेरे सब सवालों के सही जवाब दे रही थीं। उनको मालूम था कि एप क्या होती है बीम एप क्या है। एप कैसे डाउनलोड होती है। इसके आर्थिक कारोबार इस मोबाइल फोन से कैसे उनको सब मालूम था। मुझे इतनी खुशी हुई। जो संसद में हमारे साती हैं वो कभी कभी कहते हैं कि भारत के गरीब को मोबाइल फोन कहां आएगा कहां सीखेगा, कहां चलाएगा। मैं जरूर संसद में मेरे साथियों को जब मिलूंगा तब कहूंगा कि मैं हिन्दुस्तान में अति पिछड़ा इलाका सांथाल में गया था और वहां कि मेरी आदिवासी बहनें मोबाइल फोन का क्या उपयोग हो सकता है वो मुझे सिखा रही थीं। ये रिवोल्यूशन है। ये डीजिटल इंडिया का रिवोल्यूशन है। ये लेस कैस सोसाएटी का रिवोल्यूशन है। और नोटबंदी के बाद हर किसी को लग रहा है कि अब हम अपने मोबाइल फोन से अपने मोबाइल फोन को ही अपना बैंक बना सकते हैं। छोटे छोटे सखी मंडल उनका कारोबार उनके बीच में एक मुखिया बहन उसके हाथ में मोबाइल फोन हो उसका मोबाइल फोन बैंक से जुड़ा हुआ, मोबाइल फोन उसके ग्राहकों से जुड़ा हुआ एक पूरा नया रिवोल्यूशन इस पहल से आ रहा है। मैं इस सांथाल इलाके की सखी मंडल कि बहनों को बधाई देता हूं। मेरा बहुत पुराना एक अनुभव है। वो अनुभव आज भी मुझे प्रेरणा देता है। मैं जब गुजरात में मुख्यमंत्री था। तो दक्षिणी गुजरात में आदिवासी बस्ती के बीच में एक कपरारा करके सुदूर इलाका है। तब मैं मुख्यमंत्री था लेकिन वहां जाना होता नहीं था। क्योंकि उस इलाके में ऐसा कोई अवसर नहीं आता था सभा के लिये दो मैदान भी नहीं था पूरा जंगल ही जंगल था। और एक घर यहां तो दूसरा घर दो मील दूर तो तीसरा घर तीन मील दूर। मैंने तय किया नहीं मुझे जाना है। वहां हमने डेरी का छोटा सा काम शुरू किया। एक चिली सेन्टर बनाया। जो दूध ठंडा दूध ठंडा करने की व्यवस्था होती है। डेरी में लेजाने से पहले थोड़ी देर जहां दो चार घंटे दूध रखना हो तो वहां दूध रख देते हैं। छोटा सा प्रोजेक्ट होता है। 25 -50 लाख में तैयार हो जाता है। मैंने कहा मैं उस प्रोजैक्ट के लिये आऊंगा। तो हमारे सब लोग नाराज हो गये। साहब इतनी दूर पचास लाख के कार्यक्रम में, मैंने कहा मैं जाऊंगा। मुझे जाना है। मैं गया अब वो जगह ऐसी थी जन सभा तो हो नहीं सकती थी। जनसभा तीन चार किलोमीटर दूर है स्कूल के मैदान में थी। लेकिन दूध भरने के लिये जो महिलाएं आती हैं। वो अपने बर्तन में दूध लेकर के आई हुई थीं। वो चिली सेंटर में आई हुई थीं दूध भरने का कार्यक्रम हो गया। और बाद में मैंने देखा उन महिलाओं ने अपना जो बर्तन था बाजू में रख दिया था और मोबाइल फोन पर मेरी फोटो ले रही थी। करीब करीब तीस महिलाएं थीं। हरेक के हाथ में मोबाइल था। और वो भी फोटो निकालने वाला मोबाइल था । वो फोटो निकाल रही थीं। मैं उनके पास चला गया मेरे लिये बड़ा अजूबा था। इतने बैकवर्ड इलाके में आदिवासी महिलाएं दूध भरने के लिये आई हैं गांव में किसान हैं। मैंने जाकर के पूछा आप क्या कर रही हैं। वो बोली आपका फोटो निकाल रहे हैं मैं बोला फोटो निकाल कर के क्या करोगी। तो बोलीं इसको हम डाउनलोड करवाएंगे। मैं हैरान था उनके मुंह से डाउनलोड शब्द सुनकर कभी कभी बड़े बड़े लोगों को भी पता नहीं होता है कि भारत के सामान्य मानवी में विज्ञान टैक्नॉलॉजी आधुनिकता पकड़ने की ताकत कितनी बड़ी होती है। और मैंने आज दोबारा एक बार इन मेरी आदिवासी बहनों के पास देखा उन्होंने कहा हम डीजिटल रिवोल्यूशन की धारा बन जाएंगे। हम इस काम को करके रहेंगे। मैं इन सभी सखी मंडलों को और मोबाइल फोन से कनेक्टिविटी के द्वारा एक डीजिटल क्रांति के सैनिक बनाने का जो अभियान चला है इसके लिये मैं झारखंड सरकार को भी बहुत बहुत बधाई देता हूं। युग बदल चुका है बदले युग में हमें कैसे आगे बढ़ना चाहिए उस दिशा में हमें जाना होगा। + +भाइयों बहनों हिन्दुस्तान का गरीब सम्मान के साथ जीना चाहता है। हिन्दुस्तान का आदिवासी दलित पीड़ित शोषित सम्मान के साथ जिन्दगी जीना चाहता है। वो किसी की कृपा पर चीजें ढूंढता नहीं है। उसका नौजवान कह रहा है कि मुझे अवसर दीजिये मैं अपनी भाग्य रेखाएं खुद लिख दूंगा ये ताकत मेरे गरीब आदिवासी के बच्चों में होती है दलित पीड़ित शोषित के बच्चों में होती है। और मेरी पूरी शक्ति इन बच्चों के पीछे मैं लगा रहा हूं। इन नौजवानों के पीछे लगा रहा हूं। ताकि वही भारत का भाग्य बदलने के लिये एक नई ताकत के रूप में जुड़ जाएंगे। एक नई ताकत के रूप में देश का भाग्य बदलने में जुड़ जाएंगे। और हिन्दुस्तान के भाग्य बदलने में वो ताकत के रूप में काम आएंगे। + diff --git a/pm-speech/779.txt b/pm-speech/779.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..f1d678f26b3017a355b7f1761db265fc8b53a826 --- /dev/null +++ b/pm-speech/779.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +ये हिन्‍दुस्‍तान की सबसे लम्‍बी Tunnel का उद्घाटन तो हुआ है, रस्‍म मैंने अदा की है, लेकिन मैं चाहता हूं आज यहां जो भी नागरिक उपस्थित हैं, वे सब मिल करके इस सुरंग का उद्घाटन करें और उद्घाटन करने का मैं तरीका बताता हूं। आप सब अपना मोबाइल फोन बाहर निकालिए, एक साथ सब अपने मोबाइल फोन की flash चालू कीजिए और भारत माता की जय के नाद के साथ, देखिए सारे कैमरा वाले आपकी फोटो ले रहे हैं अब! जिसके पास मोबाइल है सब निकालिए। हर कोई flash करे अपने मोबाइल से। क्‍या अद्भुत नजारा है! मैं अद्भुत नजारा मेरे सामने देख रहा हूं और ये सच्‍चे अर्थ में इस सुरंग का उद्घाटन आपने अपने मोबाइल के flash से करके दिखाया है। पूरा हिन्‍दुस्‍तान इसे देख रहा है। + +भाइयों, बहनों, ये Tunnel हजारों करोड़ रुपयों की लागत से बनी है। लेकिन मैं आज गर्व से कहता हूं, भले, भले इस Tunnel के निर्माण में भारत सरकार के पैसे लगे होंगे, लेकिन मुझे खुशी इस बात की है कि इस सुरंग के निर्माण में भारत सरकार के पैसों के साथ जम्‍मू-कश्‍मीर के नौजवानों का पसीने की उसमें महक आ रही है। ढाई हजार से ज्‍यादा युवकों ने, जम्‍मू-कश्‍मीर के 90 प्रतिशत जवान जम्‍मू-कश्‍मीर के हैं; जिन्‍होंने काम करके ये सुरंग का निर्माण किया है। रोजगार की कितनी संभावनाएं उपस्थित हुई, ये हम अंदाज कर सकते हैं। + +मैं महबूबा जी को विशेष रूप से अभिनंदन करता हूं, मैं उनको बधाई देता हूं, उनका साधुवाद करता हूं। पिछले वर्ष भारत सरकार ने जो 80 हजार करोड़ रुपये का जम्‍मू-कश्‍मीर के लिए package घोषित किया, मुझे खुशी है इतने कम समय में आधे से अधिक बजट का खर्च, package का खर्च जमीन पर कार्यरत हो गया है; ये छोटी बात नहीं है। वरना package कागज पर रह जाते हैं, जमीन पर उतरते-उतरते सालों बीत जाते हैं। लेकिन महबूबा जी और उनकी सरकार ने हर बारीकी को ध्‍यान देते हुए, चीजों को जमीन पर उतारने के लिए जो कड़ी मेहनत की है और जिसके फल नजर आ रहे हैं; मैं इसके लिए जम्‍मू-कश्‍मीर की सरकार, मुख्‍यमंत्री, उनकी मंत्रिपरिषद, उन सबको हृदय से बहुत-बहुत बधाई देता हूं। + diff --git a/pm-speech/78.txt b/pm-speech/78.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..860cc44664a69d56741fad347069c77802fbe6c1 --- /dev/null +++ b/pm-speech/78.txt @@ -0,0 +1,10 @@ +बीते वर्षों में देश ने अभावों से निकलकर आवश्यकताओं-आकांक्षाओं की पूर्ति को अपना ध्येय बनाया है। जिन मूलभूत सुविधाओं से देश के नागरिक दशकों से वंचित थे, वो सुविधाएं देशवासियों को देने पर सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है। इस बार 15 अगस्त को मैंने लाल किले से भी कहा था, कि हमें अब इन योजनाओं को सेचुरेशन यानि शत-प्रतिशत लक्ष्य तक पहुंचाना है। इन लक्ष्यों की प्राप्ति में प्रमोद सावंत जी और उनकी टीम के नेतृत्व में गोवा अग्रणी भूमिका निभा रहा है। भारत ने खुले में शौच से मुक्ति का लक्ष्य रखा। गोवा ने शत-प्रतिशत ये लक्ष्य हासिल किया। देश ने हर घर को बिजली कनेक्शन का लक्ष्य रखा। गोवा ने इसे भी शत-प्रतिशत हासिल किया। हर घर जल अभियान में गोवा सबसे पहले शत-प्रतिशत! गरीबों को मुफ्त राशन देने के मामले में गोवा शत-प्रतिशत! + +मैं गोवा की बात करूं और फुटबॉल की बात ना करूं, ऐसा नहीं हो सकता। फुटबाल के लिए गोवा की दीवानगी कुछ अलग है, फुटबॉल का गोवा में क्रेज़ अलग है। फुटबॉल में चाहे डिफेंस हो या फॉरवर्ड, सभी गोल ऑरिएंटेड होते हैं। किसी को गोल बचाना है तो किसी को गोल करना है। अपने-अपने गोल को हासिल करने की ये भावना गोवा में कभी भी कम नहीं थी। लेकिन पहले जो सरकारें रहीं उनमें एक टीम स्पिरिट की, एक पॉजिटिव वातावरण बनाने की कमी थी। लंबे समय तक गोवा में राजनीतिक स्वार्थ, सुशासन पर भारी पड़ता रहा। गोवा में राजनीतिक अस्थिरता ने भी राज्य के विकास को हानि पहुंचाई। लेकिन बीते कुछ वर्षों में इस अस्थिरता को गोवा की समझदार जनता ने स्थिरता में बदला है। मेरे मित्र स्वर्गीय मनोहर पर्रिकर जी ने गोवा को तेज़ विकास के जिस विश्वास के साथ आगे बढ़ाया, उसको प्रमोद जी की टीम पूरी ईमानदारी से नई बुलंदियां दे रही है। आज गोवा नए आत्मविश्वास से आगे बढ़ रहा है। टीम गोवा की इस नई टीम स्पिरिट का ही परिणाम स्वयंपूर्ण गोवा का संकल्प है। + +स्वयंपूर्ण गोवा की एक बड़ी ताकत फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री होने वाली है। विशेष रूप से फिश प्रोसेसिंग में गोवा भारत की ताकत बन सकता है। भारत लंबे समय से Raw fish को एक्सपोर्ट करता रहा है। भारत की फिश, पूर्वी एशियाई देशों से प्रोसेस होकर दुनिया के बाज़ारों तक पहुंचती हैं। इस स्थिति को बदलने के लिए Fisheries Sector को पहली बार बहुत बड़े स्तर पर मदद दी जा रही है। मछली के व्यापार-कारोबार के लिए अलग मंत्रालय से लेकर मछुआरों की नावों के आधुनिकीकरण तक, हर स्तर पर प्रोत्साहन दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत भी गोवा में हमारे मछुआरों को बहुत मदद मिल रही है। + +भारत के वैक्सीनेशन अभियान में भी गोवा सहित देश के उन राज्यों को विशेष प्रोत्साहन दिया गया है, जो टूरिज्म के केंद्र हैं। इससे गोवा को भी बहुत लाभ हुआ है। गोवा ने दिन रात प्रयास करके, अपने यहां सभी पात्र लोगों को वैक्सीन की पहली डोज लगवाई। अब देश ने भी 100 करोड़ वैक्सीन डोज का आंकड़ा पार कर लिया है। इससे देश के लोगों में विश्वास बढ़ा है, टूरिस्टों में विश्वास बढ़ा है। अब जब आप दीवाली, क्रिसमस और New Year की तैयारी कर रहे हैं, तो त्योहारों और छुट्टियों के इस सीज़न में गोवा के टूरिज्म सेक्टर में नई ऊर्जा देखने को लेगी। गोवा में स्वदेशी और विदेशी, दोनों पर्यटकों की आवाजाही भी निश्चित तौर पर बढ़ने वाली है। ये गोवा की टूरिज्म इंडस्ट्री के लिए बहुत शुभ संकेत है। + +जब गोवा, विकास की ऐसी हर संभावना का शत-प्रतिशत उपयोग करेगा, तभी गोवा स्वयंपूर्ण बनेगा। स्वयंपूर्ण गोवा, सामान्य जन की आकांक्षाओं और अपेक्षाओं को साकार करने का संकल्प है। स्वयंपूर्ण गोवा, माताओं, बहनों, बेटियों के स्वास्थ्य, सुविधा, सुरक्षा और सम्मान का भरोसा है। स्वयंपूर्ण गोवा में, युवाओं के लिए रोजगार और स्वरोज़गार के अवसर हैं। स्वयंपूर्ण गोवा में, गोवा के समृद्ध भविष्य की झलक है। ये सिर्फ 5 महीने या 5 साल का एक प्रोग्राम भर नहीं है, बल्कि ये आने वाले 25 सालों के विजन का पहला पड़ाव है। इस पड़ाव तक पहुंचने के लिए गोवा के एक-एक जन को जुटना है। इसके लिए गोवा को डबल इंजन के विकास की निंरतरता चाहिए। गोवा को अभी जैसी स्पष्ट नीति चाहिए, अभी जैसी स्थिर सरकार चाहिए, अभी जैसा ऊर्जावान नेतृत्व चाहिए। संपूर्ण गोवा के प्रचंड आशीर्वाद से हम स्वयंपूर्ण गोवा के संकल्प को सिद्ध करेंगे, इसी विश्वास के साथ आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं! + diff --git a/pm-speech/781.txt b/pm-speech/781.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..88782a921ea552efebe943fb6bcbc179b75e7ad6 --- /dev/null +++ b/pm-speech/781.txt @@ -0,0 +1,12 @@ +Smart India Hackathon भारत में अपनी तरह सबसे बड़ा experiment है। जिस देश की जनसंख्‍या में 65 प्रतिशत लोग 35 वर्ष से कम उम्र के हों, जो देश दुनिया का युवा देश हो, वहां की युवा शक्ति आज; इस वक्‍त अपने समाज, अपने देश की कुछ अहम समस्‍याओं का solution निकालने में जुटी हुई है। अपना innovation दिखाने के लिए, अपनी creativity दिखाने के लिए आप सब; सारे नौजवान, जिस जोश के साथ कार्यक्रम में हिस्‍सा ले रहे हैं, वो प्रशंसा के योग्‍य हैं। 15 घंटे लगातार काम करने के बाद भी इस वक्‍त आपके चेहरों पर शिकन नहीं है। आपके चेहरों पर मुस्‍कान मैं देख रहा हूं। जब ऐसी ऊर्जा, ऐसे जज्‍बे के साथ काम किया जाता है, तभी नतीजे मिलते हैं। + +लोकतंत्र की सफलता जन भागीदार से भागीदारी से ही है। लोकतंत्र का मतलब ये नहीं कि वोट डाल दिया और किसी को 5 साल का Contract दे दिया, लो जाओ भाई मेरी समस्‍या दूर कर दो। और 5 साल में न कर पायें तो कह दिया जाये चलो अब अगला Contractor को पकड़ेंगे; लोकतंत्र ये नहीं है, लोकतंत्र जन-भागीदारी का है। सवा सौ करोड़ देशवासियों ने देश को मिल करके आगे बढ़ाना है। सब कुछ सरकार को ही पता है, सारी समस्‍याओं को हल सरकार ही कर पाएगी, उसके पास सारे उपाय हैं; ये भ्रम है। सरकार में भी तो आप ही की तरह लोग आ करके बैठे हैं। सब समस्‍याओं का समाधान हम सब मिलकर ही कर सकते हैं। जो सरकार में नहीं हैं उनके पास भी अनेक अच्‍छे सुझाव होते हैं, बुद्धि-प्रतिभा होती है, काम करने के लिए एक मूड होता है। और इ‍सलिए मेरी हमेशा कोशिश है कि जन-भागीदारी से कैसे चीजों को आगे चलाया जाये। और आज का ये अवसर, देश के दस हजार नौजवान Engineering Profession होगा, IT Profession होगा, वे जुट करके हमारी रोजमर्रा की 500 समस्‍याओं का समाधान खोज रहे हैं। बिना खाये-पिए, बैठे, लगे हैं; ये एक अपने-आप में एक नई ताकत का परिचय करा देगा। और इसलिए सबसे पहले तो इसमें हिस्‍सा लेने वाले, मैं आप सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, आप सबका अभिनंदन करता हूं। + +Manufacturing Sector में, even मकानों के design में इसका बहुत बड़ा उपयोग होने वाला है। अब तो दौर “Internet of things” का है। एक ऐसी व्‍यवस्‍था बन रही है जहां काफी कुछ “Internet of things” से ही तय होगा। आज देश में जो शहर Smart City में परिवर्तन किए जा रहे हैं, वहां इस Technology का जमकर इस्‍तेमाल किया जा रहा है, चाहे Smart Parking हो, Smart Lighting हो, Air Quality की Monitoring हो; इनमें “Internet of things” को apply किया जा रहा है। + +दोस्‍तों Technology आज की जिंदगी में बहुत बड़े बदलाव कर रही है। कुछ नई चीजें, नई परम्‍पराएं, पैदा हो रही हैं; कुछ पुरानी चीजें, पुराने तरीके खत्‍म हो रहे हैं। आप खुद देखिए, आपके सामने ही Floppy, Tape Recorder, Walkman, ये सारी चीजें आईं और चली गईं; खत्‍म हो गईं। लम्‍बा, लम्‍बे तक तो वो टिकी नहीं; नई Technology ने जगह ले ली। एक जमाना था जब रेडियो, आज के जो Microwave Oven होते हैं, उतनी size का हुआ करता था। और आज रेडियो, माचिस की डिब्‍बी में भी फिट हो सकता है। Technology ने दुनिया को छोटा करने के साथ ही सुविधाओं का विस्‍तार और बढ़ाने में मदद की है। आपने देखा होगा कि पिछले कुछ महीनों में कैसे हमारे देश में Cashless Transaction का प्रसार तेजी से बढ़ा है। और इस क्षेत्र में भी लगातार नए Innovative Solutions सामने आ रहे हैं। + +दोस्‍तों, सपने देखने की क्षमता हर किसी में होती है। आप इतने लोग यहां बैठे हैं, हर दिन कोई नया सपना देखने वाले लोग होंगे। सपने देखने की क्षमता हर किसी में होती है। सपनों को संकल्‍प में बदलने की क्षमता होनी चाहिए। और संकल्‍प को सिद्ध करने के लिए सारी क्षमताओं को झोंक देना चाहिए। कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिनके सपने, संकल्‍प और सिद्धि अनेक लोगों की प्रेरणा का कारण भी बनते हैं। आपने IT की दुनिया में ही देखा होगा कि कई बड़े-बड़े Innovations की शुरूआत किसी एक छोटे से कमरे में, किसी गैराज में बहुत छोटे स्‍तर पर हुई थी। लोगों ने शुरू में उन्‍हें खारिज कर दिया था, लेकिन ऐसे लोग अपने सपने को, अपने संकल्‍प को, पूरी ताकत से जुट करके सिद्ध करने में जुटे रहे, सफल भी रहे। कभी जिन Ideas को बहुत छोटा समझा गया वो आज Billion Dollar की कम्‍पनी चला रहा है। इसलिए आप सभी को मेरी सलाह है, आपके सामने लम्‍बा समय है, आपको बहुत कुछ करना है। अपनी Journey में किसी Idea को यूं ही खत्‍म मत होने दीजिए। हो सकता है आपको ऐसा ही कोई Idea कल Billion Dollar की कम्‍पनी में बदल जायें और Billion लोगों की जिंदगी में बदलाव का कारण भी बनें। + +दोस्‍तों, आपको आज की तेजी से बदलती दुनिया में Knowledge और Skill के बीच का फर्क भी समझना होगा। दोनों में बहुत बड़ा फर्क है। Knowledge है किसी Concept को समझना, Basic चीजों को समझना; जैसे ये जानना कि Electric Circuit कैसे काम करता है, लेकिन Skill है इस Concept को Apply कैसे करना। बहुत से लोग होंगे जिन्‍होंने Electronics या Electrical Engineering पढ़ी होगी, लेकिन घर में अगर Fuse उड़ जाये तो उसे ठीक करने के लिए बाहर से किसी को बुलाता है। Knowledge को Sharpen करके उसे Apply करना ही Skill है। इसलिए आज जितनी तेजी से जानकारी बढ़ रही है, उतनी ही तेजी से Skill का भी बढ़ना आवश्‍यक है और इसलिए मैं कहता हूं Skill Engagement Optimization (SEO), Internet की दुनिया Search Engine की धूरी पर घूमती है और इसलिए उसमें Search Engine Optimization की बड़ी भूमिका होती है। + diff --git a/pm-speech/782.txt b/pm-speech/782.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..2ffdaafda9779c18ad6650c57052dde2a8f00e3c --- /dev/null +++ b/pm-speech/782.txt @@ -0,0 +1,4 @@ +मलेशिया के साथ हमारा संबंध सभ्यतागत और ऐतिहासिक है। हमारे रिश्ते समृद्ध और विविध हैं। हमारा समाज कई स्तरों पर जुड़ा हुआ है। धार्मिक और सांस्कृतिक रिश्तों के चलते हमारे लोगों के बीच मजबूत संबंध स्थापित होते हैं। मलेशिया में भारतीय लोगों का योगदान हमारा विशेष मूल्य है। उन्होंने दोनों देशों के बीच आर्थिक और लोगों के संबंधों को मजूबत बनाने में महती भूमिका निभाई है। प्रधानमंत्री नजीब और मैंने संयुक्त रूप से कुआला लुम्पुर में तोरांग गेट का उद्घाटन किया था। तोरांग गेट का ढांचा सांची स्तूप की तरह है। यह हमारे रिश्तों का एक प्रतीक है। + +पहली बार मलेशिया में यू.टी.ए.आर. विश्वविद्यालय आयुर्वेद की डिग्री प्रदान करना शुरू किया है। इस विकास का स्वागत किया जाना चाहिए। और इसी विश्वविद्यालय में आयुर्वेद चेयर की स्थापना को लेकर कार्य प्रगति पर है। इससे हमारे रिश्तों में और मजबूती आएगी। शैक्षणिक आदान-प्रदान दोनों देशों के लोगों के बीच रिश्तों को बढ़ावा देने वाला साबित होगा। शैक्षिक डिग्री देने को लेकर आज समझौता ज्ञापन पर हुआ हस्ताक्षर एक मिसाल कायम करेगा और इससे दोनों देशों के समाज व छात्रों को लाभ मिलेगा। + diff --git a/pm-speech/783.txt b/pm-speech/783.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..ef7fbba2a6020806c52018ae623bb8731aef9992 --- /dev/null +++ b/pm-speech/783.txt @@ -0,0 +1,14 @@ +ब्रह्मकुमारी संस्था के सभी सदस्यगण, अन्तराष्ट्रीय सम्मलेन और सांस्कृतिक महोत्सव हिस्सा लेने के लिए देश-विदेश से आये हुए सभी लोगों का हृदय से अभिनन्दन करता हूँ। और आप सब को भी मेरी तरफ से ॐ शांति कह करके अभिवादित करता हूँ। प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्‍वरीय विश्‍वविद्यालय के संस्‍थापक दादा लेखराज जी, आज जरूर उनकी आत्‍मा को शांति होती होगी कि जिस विचार को उन्‍होंने संस्‍थागत रूप दिया, और स्‍त्री शक्ति के माध्‍यम से उसे आगे बढ़ाया; उस आंदोलन को आज 80 वर्ष हो रहे हैं। हमारे देश में 80 वर्ष का एक विशेष महत्‍व माना जाता है। दुनिया में 25 साल, 50 साल, 75 साल, 100 साल; ये तो मनाए जाते हैं, लेकिन भारत में 80 साल का एक विशेष महत्‍व है। और जब किसी व्‍यक्ति के जीवन में या संस्‍था के जीवन में 80 साल होते हैं, मतलब कि वो सहस्र चंद्र-दर्शन का पर्व होता है। 80 साल की यात्रा में व्‍यक्ति या संस्‍था ने एक हजार बार पूर्ण चंद्र के दर्श किए होते हैं। + +गत वर्ष दादी जानकी जी ने शताब्‍दी पूरी की, एक सौ वर्ष की हैं; और आज भी एक कर्मयोगी की तरह समय दे करके हम सबको आशीर्वाद दे रही हैं। मैं दादीजी को यहां से प्रणाम करता हूं। दो दिन के बाद ‘चेटी चन्न’ का पर्व मनाया जाएगा। पूरे हिन्‍दुस्‍तान में संवत्‍सर का अवसर होता है। मैं आप सबको नव-संवत्‍सर की, चेटी चांद की भी बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। + +पड़ोस में गुजरात में Solar Energy में एक बहुत बड़ा initiative लिया था। भारत के अंदर Solar Energy के संबंध में अलग तरीके से सोचने के लिए देश की सभी सरकारों को प्रेरित किया था। गुजरात सरकार का उपयोग बड़ा सफल रहा। और आज शांतिवन भी इस सौर-ऊर्जा के साथ जुड़ रहा है, ये प्रकृति की रक्षा का काम है। और आपने ने तो शांतिवन में Solar Plant से एक दिन में 38 हजार से ज्‍यादा लोगों का भोजन बनना संभव होगा, ये अपने-आप में प्रकृति की रक्षा के लिए कितना बड़ा काम कर रहे हैं। आपके द्वारा Solar Lantern, Home lighting systems, Solar Cooking Boxes, ये भी घर-घर पहुंचाने का एक बड़ा आंदोलन चल रहा है। तो एक बहुत बड़ा बदलाव समाज में लाने का प्रयास आपके द्वारा हो रहा है। सिर्फ अध्‍यात्मिक बातें नहीं, लेकिन प्रकृति के साथ जी करके गरीब से गरीब व्‍यक्ति के जीवन में कैसे बदलाव लाया जा सकता है, उसकी दिशा में प्रयास किया है। + +भारत भी दुनिया जिस संकट से जुझ रही है, Global Warming से, उसमें दुनिया के लिए भारत किस प्रकार से काम आ सकता है; भारत से संकल्‍प किया है- Twenty-Thirty- 2030 तक यानी आज से 13 साल के भीतर-भीतर भारत की जो Total ऊर्जा है, requirement है, उसमें 40 प्रतिशत 40 percent, उसकी पूर्ति non fossil fuel base, renewable energy से ही करने का हमारा लक्ष्‍य है। + +2022, भारत की आजादी के 75 साल हो रहे हैं, और जब भारत की आजादी के 75 साल हो रहे हैं तब 2022 में हम Solar के क्षेत्र में क्‍या initiative ले सकते हैं, renewable energy में क्‍या initiative ले सकते हैं, भारत से संकल्‍प किया है 175 Giga Watt renewable energy का। बहुत बड़ा लक्ष्‍य है। सरकार, समाज, संस्‍थाएं जिस प्रकार से आज आप 3 mega watt ले करके आए हैं, जितना ज्‍यादा हम उपयोग करेंगे, मानव जाति की, प्रकृति की, परमात्‍मा की बहुत बड़ी सेवा होने वाली है। इस काम में आप भी जुडे हैं, मैं आपका बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं, और वैसे आप प्रकृति की रक्षा के लिए अनेक काम भी कर रहे हैं; उससे भी बहुत लाभ मिलेगा। उससे भी फायदा मिलेगा। + +आपका ब्रह्माकुमारी का 8500 केंद्र हैं, लाखों कार्यकर्ता हैं। जैसे आपने Solar Energy के द्वारा एक दिशा दी है, घर-घर LED Bulb के लिए भी आपके सभी ब्रह्माकुमार और ब्रह्माकुमारी देश में एक जागृति ला सकते हैं। उसके कारण ऊर्जा की बचत होगी, गरीब आदमी की जेब में पैसा बचेगा, सामान्‍य मानवी की जेब में पैसा बचेगा, Municipality, Corporation के पैसे बचेंगे; उसे और काम में ला सकते हैं। और जो एक जमाने में 400-500 में LED Bulb बल्‍ब बिकता था, आज 50-60-70 रुपये में LED Bulb मिल रहा है। तो एक बड़ा काम ब्रह्माकुमारी के द्वारा समाज में जो चल रहा है उसमें इस काम को भी जोड़ा जा सकता है। + +हमारी मातृ शक्ति, हमारी महिला शक्ति, उनको कैसे मदद मिले, उस पर हमारा बल चल रहा है। ब्रह्माकुमारी के द्वारा इसमें बहुत बड़ा योगदान हो सकता है। मैं आपसे आग्रह करता हूं कि आप भी सक्रियता से ऐसे काम; क्‍योंकि आप करते ही हैं, अनेक प्रकार के काम आप करते ही हैं। सक्रियता से इन कामों को अगर आप बल देंगे, एक बहुत बड़ा परिणाम लाने में आपका योगदान बनेगा। + diff --git a/pm-speech/784.txt b/pm-speech/784.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..f90d61c0bae5bc29992153bf41e38c48f6b08bf9 --- /dev/null +++ b/pm-speech/784.txt @@ -0,0 +1,4 @@ +मेरे प्यारे देशवासियो, आप सबको नमस्कार। देश के हर कोने में ज़्यादातर परिवार अपने बच्चों की exam में जुटे हुए होंगे, जिनके exam ख़त्म हो गए होंगे, वहाँ कुछ relief का माहौल होगा और जहाँ exam चलते होंगे, उन परिवारों में अभी भी थोड़ा-बहुत तो pressure होगा ही होगा। लेकिन ऐसे समय मैं यही कहूँगा कि पिछली बार मैंने जो ‘मन की बात’ में विद्यार्थियों से जो-जो बातें की हैं, उसे दोबारा सुन लीजिए, परीक्षा के समय वो बातें ज़रूर आपको काम आएँगी। + +हम सबको इस बात का गर्व है कि रवीन्द्रनाथ टैगोर, उनकी यादें, हमारी एक साझी विरासत है। बांग्लादेश का राष्ट्रगान भी गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर की रचना है। गुरुदेव टैगोर के बारे में एक बहुत interesting बात यह है कि 1913 में वे न केवल नोबेल (Nobel) पुरस्कार प्राप्त करने वाले पहले एशियाई व्यक्ति थे, बल्कि उन्हें अंग्रेज़ों ने ‘Knighthood’ की भी उपाधि दी थी। और जब 1919 में जलियांवाला बाग़ पर अंग्रेज़ों ने क़त्ले-आम किया, तो रवीन्द्रनाथ टैगोर उन महापुरुषों में थे, जिन्होंने अपनी आवाज़ बुलंद की थी और यही कालखंड था; जब 12 साल के एक बच्चे के मन पर इस घटना का गहरा प्रभाव हुआ था। किशोर-अवस्था में खेत-खलिहान में हँसते-कूदते उस बालक को जलियांवाला बाग़ के नृशंस हत्याकांड ने जीवन की एक नयी प्रेरणा दे दी थी। और 1919 में 12 साल का वो बालक भगत हम सबके प्रिय, हम सबकी प्रेरणा – शहीद भगतसिंह, आज से तीन दिन पूर्व, 23 मार्च को भगतसिंह जी को और उनके साथी, सुखदेव और राजगुरु को अंग्रेज़ों ने फांसी पर लटका दिया था। और हम सब जानते हैं 23 मार्च की वो घटना – भगतसिंह, सुखदेव, राजगुरु के चेहरे पर माँ-भारती की सेवा करने का संतोष – मृत्यु का भय नहीं था; जीवन के सारे सपने, माँ-भारती की आज़ादी के लिए समाहित कर दिए थे। और ये तीनों वीर आज भी हम सबकी प्रेरणा हैं। भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरु के बलिदान की गाथा को हम शब्दों में अलंकृत भी नहीं कर पाएँगे। और पूरी ब्रिटिश सल्तनत इन तीनों युवकों से डरती थी। जेल में बंद थे, फांसी तय थी, लेकिन इनके साथ कैसे आगे बढ़ा जाये, इसकी चिंता ब्रिटिशों को लगी रहती थी। और तभी तो 24 मार्च को फांसी देनी थी, लेकिन 23 मार्च को ही दे दी गयी थी; चोरी-छिपे से किया गया था, जो आम तौर पर नहीं किया जाता। और बाद में उनके शरीर को आज के पंजाब में ला करके, अंग्रेजों ने चुपचाप जला दिया था। कई वर्षों पूर्व जब पहली बार मुझे वहाँ जाने का मौका मिला था, उस धरती में एक प्रकार के vibration मैं अनुभव करता था। और मैं देश के नौजवानों को ज़रूर कहूंगा – जब भी मौका मिले तो, पंजाब जब जाएँ, तो भगतसिंह, सुखदेव, राजगुरु, भगतसिंह की माताजी और बटुकेश्वर दत्त की समाधि के स्थान पर अवश्य जाएँ। + diff --git a/pm-speech/787.txt b/pm-speech/787.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..91cc0e15c5066762bb7f9c875fb3e15f5fa588cd --- /dev/null +++ b/pm-speech/787.txt @@ -0,0 +1,20 @@ +दूसरा ये स्‍वच्‍छ शक्ति का समारोह है। गांधी की जन्‍मभूमि गुजरात में है, गांधी के नाम से बने शहर में है, और गांधी जिसे हम महात्‍मा कहते थे, उस महात्‍मा मंदिर में है; इससे इसका कितना महात्‍मय है, आप समझ सकते हैं। यहीं पर एक Digital प्रदर्शनी, Virtual Museum पूज्‍य बापू के जीवन पर है। गांधी कुटीर जो यहीं पर बनी हुई है, आप उसे भी जरूर देखिए। पूज्‍य बापू के जीवन के अगर हम समझेंगे तो स्‍वच्‍छता के लिए जो पूज्‍य बापू का आग्रह था, उसको परिपूर्ण करने का हमारा संकल्‍प और परिणाम लाने के लिए हमारे प्रयास कभी भी बेकार नहीं जाएंगे। + +ये वो सरपंच बहनें हैं, जिन्‍होंने अपने गांव में ये करके दिखाया है। खुले में शौच जाना, उसके खिलाफ उन्‍होंने संघर्ष किया है। गांव में इस व्‍यवस्‍था को विकसित करने के लिए प्रयास किया है। वैसी स्‍वच्‍छता के संदेश को सफलतापूर्वक अपने गांव में लागू करने वाली शक्तिरूपा लोग यहां बैठे हैं। और इसलिए मेरा विश्‍वास बनता है कि जो गति आई है उस गति को अगर हम बहुत‍ ही समयबद्ध तरीके से और पूरी बारीकी से लागू करने का प्रयास करेंगे, तो गांधी 150 होते-होते हम बहुत कुछ बदलाव ला सकते हैं। + +सरपंच महिलाएं शायद उसमें ज्‍यादा सफलता पा सकती हैं। समाज में जो मानसिकता है, बेटी है! अब छोड़ो, उसको तो दूसरे के घर जाना है। बेटा है, जरा संभालो। आप भी जब छोटे होंगे, मां! मां भी तो नारी है; लेकिन जब खाना परोसती और घी परोसती तो बेटे को दो चम्‍मच घी डालती है बेटी को एक चम्‍मच डालती है। क्‍यों? उसको तो दूसरे के घर जाना है। बेटा है तो बहुत खुश है, ये बिल्‍कुल सत्‍य नहीं है। मैंने ऐसी बेटियां देखी हैं, मां-बाप की इकलौती बेटी, बूढे मां-बाप को जीवन में कष्‍ट न हो; इसलिए उस बेटी ने शादी न की हो, मेहतन करती हो और मां-बाप का कल्‍याण करती हो; और मैंने ऐसे बेटे देखे हैं कि चार-चार बेटे हों, और मां-बाप वृद्धाश्रम में जिंदगी गुजारते हों, ऐसे बेटे भी देखे हैं। + +हमारे सरपंच महिलाओं से मेरा ये आग्रह है कि इस बात को आप अपने गांव में डंके की चोट पर देखें। अगर बेटा पढ़ता है गांव की बेटी भी पढ़नी चाहिए। गरीब से गरीब हो, और सरपंच ये न सोचे कि इसके लिए बजट की, बजट की जरूरत नहीं होती है। सरकार ने स्‍कूल बनाया हुआ है। सरकार ने टीचर रखा हुआ है। उसके लिए गांव को अलग खर्चा नहीं करना है, सिर्फ आपको निगरानी रखनी है कि बेटियां स्‍कूल में जाती हैं कि नहीं, जैसे कौन परिवार है जिसने अपनी बेटी को स्‍कूल में नहीं रखा है; इतना सारा देख लीजिए। + +हमारे देश में गांव का महात्‍मय हर किसी ने व्यक्त किया है लेकिन रवीन्‍द्रनाथ जी टैगोर ने 1924 में, शहर और गांव, उसके ऊपर कुछ पंक्तियां लिखी थीं, बांग्‍ला भाषा में लिखी थीं, लेकिन उसका हिन्‍दी अनुवाद मैं थोड़ा बताता हूं। आपको लगेगा हां हमारे साथ बराबर फिट, और 1924 में लिखा था। यानी करीब-करीब आज से 90 साल से पहले। उन्‍होंने लिखा था- और यहां महिला वर्ष है तो बहुत सटीक बैठता है- + +”गांव महिलाओं के समान होता है, यानी जैसा गांव; गांव वो होता है जैसे महिला होती है; उन्‍होंने कहा। उनके अस्तित्‍व में समस्‍त मानव जाति का कल्‍याण निहित है, नारी के स्‍वभाव का प्रतिबिंब है। शहरों के मुकाबले गांव प्रकृति के अधिक समीप हैं, और जीवन धारा से अधिक जुड़े हुए हैं। उनमें प्राकृतिक रूप से Healing Power यानी समस्‍त घावों को भरने की शक्ति है। महिलाओं की तरह ग्राम भी मनुष्‍यों को भोजन, खुशी, जैसी बुनियादी आवश्‍यकताओं की पूर्ति करते हैं जीवन की एक सरल कविता के समान। साथ ही महिलाएं गांव में स्‍वत: जन्‍म लेने वाली सुदंर परम्‍पराओं की तरह उल्‍लास से भर देती हैं, लेकिन यदि ग्राम या महिलाओं पर अनवरत् भार डाला जाए, गावों के संसाधनों को शोषण किया जाए, तो उनकी आभा चली जाती है।” + +किस प्रकार से Technology ने जन-सामान्‍य के जीवन में प्रवेश कर लिया है। हमने अपनी व्‍यवस्‍था में, अब आप यहां गांवों में Common Service Centre भारत सरकार ने खोले हैं। आपने कभी देखा है क्‍या कि Common Service Centre में Technology के माध्‍यम से ये जो नौजवान को वहां रोजगार मिला है, उसके पास कम्‍प्‍यूटर है, क्‍या-क्‍या सेवाएं दे रहा है? उन सेवाएं आपके गांव के लिए कैसे उपलब्‍ध हो सकती हैं, आप इस व्‍यवस्‍था का लाभ ले सकते हैं कि नहीं? मेरा कहने का तात्‍पर्य ये है कि हम लोग आवश्‍यकता के अनुसार, पूरा प्रयत्‍न करके, Technology का उपयोग भी अपने गांव में लाने की दिशा में प्रयास करें। आप देखिए आपके गांव में एक बहुत बड़ा बदलाव इस Technology के माध्‍यम से आ सकता है। + +एक दूसरा काम, साल में एक बार जरूरी कीजिए। आपके गांव से बहुत लोग गांव छोड़ करके शहर में चले गए होंगे। कभी शादी-ब्‍याह के लिए आते होंगे, रिश्‍तेदारी में कभी आते होंगे। गांव का जन्‍मदिन मनाना चाहिए। क्‍या कभी आपने सोचा है, जिन गांवों को पता नहीं कि उनके गांव का जन्‍मदिन क्‍या है वो चिट्ठी निकालकर तय करें कि भई ये फलानी तारीख हमारे गांव का जन्‍मदिन है। और फिर हर वर्ष बड़े आन-बान-शान से गांव का जन्‍मदिन मनाना चाहिए, हर वर्ष। और उस दिन आपके गांव के जितने लोग बाहर गए हैं उनको बुलाना चाहिए। तीन-चार दिन का कार्यक्रम करना चाहिए। गांव में 75 से ज्‍यादा आयु के जितने लोग हैं उनका सम्‍मान करना चाहिए, गांव में हर किसी को पौधा लगाने के लिए कहना चाहिए; गांव के बच्‍चों को स्‍वच्‍छता के अभियान के साथ जोड़ना चाहिए; और गांव के जो लोग बाहर रहते हैं उनको विशेष रूप से बुलाना चाहिए और उनको कहना चाहिए बताओ भाई गांव के लिए आप क्‍या कर सकते हैं। आप देखिए पूरे गांव एक प्राणवान गांव बन जाएगा। जीवंत गांव बन जाएगा। गांव यानी अब बस छोड़ो भाई, जल्‍दी 18 साल की उम्र हो जाए, चलें जाएं, छोड़ दें, क्‍या करें जिंदगी ऐसी जी करके। इससे उलटा करने का समय आया है और आप अगर इस बात को करेंगे, मुझे विश्‍वास है आपके गांव में एक नया जीवन आ जाएगा। + +और जैसा मैंने कहा हमारे गांव में पशु होते हैं। कुछ लोग यहां देखने गए होंगे, मुझे बताया गया कि कुछ यहीं गांधीनगर के ही पास में पशुओं का होस्‍टल वाले कुछ गांव हैं। देखा होगा कि गांव में कूड़ा-कचरा कैसे, waste में से wealth create किया जा सकता है। ये जो हम waste मानते हैं वो waste नहीं है वो wealth है। + +स्‍वच्‍छता एक ऐसा विषय मैंने देखा, media ने भी उसे गले लगाया है और सरकार जितना काम करती है उससे दो कदम ज्‍यादा media के लोग भी कर रहे हैं। ये एक ऐसा है जिसको देश के हर किसी ने स्‍वीकार किया है; हर किसी ने स्‍वीकार किया है। जिस काम को हर किसी ने स्‍वीकार किया हो उसमें सफलता मिलना स्‍वाभावि‍क है, उसका systematic ढंग से करना पड़ेगा। सिर्फ स्‍वच्‍छता के मंत्र बोलने से नहीं होगा। ये हमें actually physically करना पड़ेगा। और गांव में सफाई हुई, हिन्‍दुस्‍तान बदला हुआ नजर आएगा। हमारा जीवन बदला हुआ नजर आएगा। + diff --git a/pm-speech/788.txt b/pm-speech/788.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..67c7b2ae8accde3fb96b2e335ba4f98dc18d5f10 --- /dev/null +++ b/pm-speech/788.txt @@ -0,0 +1,24 @@ +और उसका परिणाम था कि बड़ोदरा में, बरोड़ में सबसे पहला PPP Model पर एक ऐसा बस अड्डा बना, एक ऐसा Port बना, जिसकी वीडियो You Tube पर दुनिया भर में लाखों लोग देखते रहे कि ऐसा भी कोई Bus Stand हो सकता है? और बस में गरीब से गरीब व्‍यक्ति जाता है। गरीब से गरीब आदमी अपने हाथ में झोला ले करके बस में जाता है। बीड़ी पीता है, कहीं पर भी बीड़ी डालता है। आज अगर बड़ौदा में जाइए, वो पूरी तरह साफ-सुथरा Bus Stand. उसी Model पर अहमदाबाद में बना। अब तक शायद चार बन चुके हैं, और मुझे खुशी है कि राज्‍य सरकार ने उसी योजना को आगे बढ़ाते हुए वैसा ही शानदार Bus Port भरूच में बनाने का फैसला किया है। + +मैं अपनी आंखों के सामने चित्र को भलीभांति देख पा रहा हूं और विश्‍व का सबसे बड़ा ऊंचा सरदार वल्‍लभ भाई पटेल का Statue बनेगा, Statue of Unity. विश्‍व भर के यात्री आएंगे, केवडि़या कोरिन तक बहुत उत्‍तम प्रकार का रोड हमारे नितीन जी department बना रहा है। लेकिन एक और संभावना के लिए भी मैंने नितीन जी से कहा है कि उसका भी अभी से अभ्‍यास शुरू करवा दिया जाये, अगर भाड़भूज का बीयर बन जाता है। और नर्मदा के अंदर पानी रहता है तो क्‍या टूरिस्‍टों को हम यहां ये छोटे-छोटे Steamer में Sardar Sarovar Dam (सरदार सरोवर डैम) तक ले जा सकते हैं क्‍या? + +मैं आज जब गुजरात में आया हूं, नितीन जी आए हैं तो उनकी इच्‍छा है कि उनके Department की घोषणा मैं करूं। भले मैं करता हूं लेकिन Credit नितीन जी को जाती है। ये उनकी कल्‍पना व उनकी साहसिक निर्णय करने की जो क्षमता है उसी का परिणाम है। उनके Department ने निर्णय किया है और मुझे खुशी होना बहुत स्‍वा‍भाविक है। उन्‍होंने गुजरात में आठ Highways को National Highway में convert करने का निर्णय किया है। + +ये करने में करीब-करीब 12 हजार करोड़ रुपया Investment होगा, 12 हजार करोड़ रुपया। अकेले नितीन जी के Department से ये आठ रास्‍तों पर 12 हजार करोड़ रुपया लगेगा! आप कल्‍पना कर सकते हो, गुजरात के Infrastructure को चार चांद लग जाएंगे भाई, बहनों! चार चांद! और ये आठ रास्‍तों की लम्‍बाई करीब-करीब 1200 किलोमीटर है। जिसमें ऊना, धारी, बगसरा, अमरेली, बाबरा, जसदन, चोटिला, ये पूरा जो State Highway है, अब National Highway बनेगा। दूसरा, नागेसरी, खाम्‍बा, चलाला, अमरेली, State Highway हैं, National Highway बनेगा। पोरबंदर, भानवड़, जाम-जोधपुर, तालावाड़, State Highway हैं, National Highway बनेगा। आणंद, कठवाल, कपरवंच, पायड़, धनसुरा, मोढ़ासा, ये State Highway , National Highway बनेगा। पूरा, पूरा Tribal Belt को इसका सबसे बड़ा लाभ मिलने वाला है। लखपत, कच्‍छ का Development करना है, धौलाविरा का Development करना है, Tourism को बढ़ाना है। + +आप लोगों को अगर याद हो, अहमदाबाद, राजकोट, बगोदरा; कोई दिन ऐसा नहीं जाता था कि बगोदरा के पास अकस्‍मात न हुए हों और रात में मरे न हों, Daily. जब केशूभाई पटेल मुख्‍यमंत्री बने, उन्‍होंने इस दृश्‍य को रोज देखा था। वो राजकोट से आते जाते थे। हमारी पार्टी के भी कई वरिष्‍ठ नेता अहमदाबाद-राजकोट Highway पर accident में मारे गए थे। और मैं अहमदाबाद में, तब तो मैं राजनीति में नहीं था; औसत मुझे रात को फोन आता था कि इतना बड़ा अकस्‍मात आज हुआ है, अहमदाबाद-राजकोट के रोड़ को 4 Lane कर दिया, अकस्‍मातों में बहुत बड़ी कमी आ गई, बहुत बड़ी कमी आ गई। + +एक प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना हमने लागू की है। आप हैरान होंगे, हमारे देश में सरकारें कैसी चली हैं, Dam तो बना दिया लेकिन Dam से पानी कहां ले जाना, कैसे ले जाना; उसकी योजना ही नहीं बनाई। 20-20 साल पहले Dam बने हैं, पानी भरा पड़ा है, Canal नहीं है। मैंने ऐसा सारा खोज करके निकाला और करीब 90 हजार करोड़ रुपया से प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत Dam to Drip यानी drip irrigation करने तक खेत में Dam से ले करके drip irrigation तक पूरा Chain खड़ा करना, 90 हजार करोड़ रुपया लगा करके किसान को पानी पहुंचाने का, पूरे देश में ऐसे बंद पड़े Project थे, उस पर काम में लगाया है। + +देश आधुनिक होना चाहिए। हम पुराणपंथी जीवन नहीं जी सकते। 20वीं सदी में रह करके हम 21वीं सदी की दुनिया का मुकाबला नहीं कर सकते हैं। अगर 21वीं सदी के विश्‍व का मुकाबला करना है तो हमें भी अपने-आप को 21वीं सदी में ले जाना होगा। और ये मान के चलिए भाइयो, बहनों, अब हिन्‍दुस्‍तान दुनिया के साथ बराबरी करने के मैदान में आ गया है। अब हम अपने घर में ये, वो, तू-तू, मैं, मैं, मैं समय बरबाद करने वालों में से नहीं हैं; हम दुनिया के फलक पर भारत को अपनी जगह दिलाने में लगे हुए हैं। और इसके कारण हमें भी हिन्दुस्‍तान 21वीं सदी की आवश्‍यकताओं के अनुकूल बनाना होगा और उसमें हमें जैसे Highway चाहिए, वैसे I-ways भी चाहिए। I-ways का मेरा मतलब है Information Ways. पूरे देश में Optical Fiber Network. अभी जैसे ब्रिज बनाने गए, कुछ लोग उसकी credit लेने के लिए घूमते-फिरते रहते हैं, फायदा उठाओ, कुछ भी बोल दो फायदा उठाओ। करना-धरना कुछ नहीं। + +भाइयो, बहनों हमारे देश में पुरानी सरकार में Optical Fiber Network, ये योजना बनी थी। वो योजना ऐसी बनी थी कि जब मैं प्रधानमंत्री बना तब तक उन्‍हें सवा लाख गांव में ये काम पूरा करने का उनकी फाइलों में लिखा हुआ है। 2014, मार्च तक सवा लाख गांवों में Optical Fiber लगाना, ये पुरानी सरकार का निर्णय था, योजना बनाई थी। और जब मैं प्रधानमंत्री बना तो मैंने पूछताछ की; मैंने कहा भाई सवा लाख गांव में से कितना हुआ? आप सोचोगे कितना हुआ होगा भाइयो सवा लाख गांव में से? कितना हुआ होगा? कोई सोचेगा, एक लाख हुआ होगा; कोई सोचेगा 50 हजार हुआ होगा; जब मैंने हिसाब लिया तो सिर्फ 59 गांव, 50 और 9; 60 भी नहीं, इतने गांवों में Optical Fiber लगा था। + +अब ये काम करने का तरीका था, हमने काम हाथ में लिया, इस देश में ढाई लाख पंचायतें हैं, ढाई लाख पंचायतों में Optical Fiber Network डालना है। अब तक 68 thousand गांवों में काम हो चुका है। कहां 59 और कहां 68 thousand, ये फर्क है भाइयो, बहनों। अगर इरादा ने कहो, जनता-जनार्दन का भला करने का इरादा हो तो काम में कभी रुकावटें नहीं आती हैं। जनता का भी सहयोग मिलता है, काम होता है, देश आगे बढ़ता है। + +अलग-अलग department, कोई 900 कहता था, कोई 800 कहता था, कोई 600 कहता था, कोई 1000 कहता था। मैंने कहा क्‍या सरकार है भाई? ये इतने कहता है, ये इतने कहता है! कोई गड़बड़ लगती है। फिर मुझे पता चला कि किसी ने Scientific Study ही नहीं किया था। अब भारत के पास कितने आईलैंड हैं? इसकी क्‍या विशेषता है? क्‍या हिन्‍दुस्‍तान को आगे ले जाने में उसका कोई उपयोग हो सकता है क्‍या? मैं हैरान था भाई, उनके पास जानकारी ही नहीं थी। मैंने टीम बिठाई, Satellite Technology का उपयोग किया, और पूरा खाका खोल करके निकाल दिया। भारत के पास 1300 से ज्‍यादा आईलैंड हैं। 1300 से ज्‍यादा और उसमें कुछ आईलैंड तो सिंगापुर से भी बड़े हैं। यानी हम अपने आईलैंड का कितना विकास कर सकते हैं, कितनी विविधताओं से भर सकते हैं, Tourism के development के लिए क्‍या कुछ नहीं कर सकते हैं। भारत सरकार ने अलग व्‍यवस्‍था की है और आने वाले दिनों में हिन्‍दुस्‍तान के समुद्री तट पर जितने टापू हैं, अभी उसमें से 200 छांट करके निकाले हैं। + +अब इतना बड़ा देश, रेल की मांग, उससे आगे नहीं बढ़ रहा था। हमने आ करके बीड़ा उठाया, ये बढ़ना है, और मुझे खुशी है कि आज एक साल में हम पहले की तुलना में डबल काम करते हैं रेलवे की पटरी का, डबल; 3000 किलोमीटर। काम अगर करने का इरादा हो, जैसे Bus Port का काम देखा आपने, इसी से लेकर करके मैंने रेलवे वालों से मीटिंग की। मैंने कहा भई ये रेलवे स्‍टेशन हमारे, ये मरे पड़े हैं। 19वीं शताब्‍दी के हैं जरा उसमें बदलाव आ सकता है कि नहीं आ सकता है? + +अभी रेलवे के development का बड़ा बीड़ा उठाया है। हिन्‍दुस्‍तान के 500 रेलवे स्‍टेशन बनाने हैं। अभी शुरू में सूरत, गांधीनगर, गुजरात में दो प्रोजेक्‍ट अभी तय हुए हैं। आने वाले दिनों में सभी रेलवे स्‍टेशन multistory क्‍यों न हों? रेलवे स्‍टेशन पर थियेटर भी हो सकता है, रेलवे स्‍टेशन पर Mall भी हो सकता है। रेलवे स्‍टेशन पर recreation centre हो सकते हैं, खानपान का बाजार लग सकता है। पटरी पर गाड़ी चलती रहेगी, बाकी जगह का तो विकास होना चाहिए। भाइयो, बहनों विकास के लिए vision होना चाहिए, सपने भी चाहिए, संकल्‍प भी चाहिए, सामर्थ्‍य भी चाहिए, तो सिद्धि अपने-आप हो जाती है। और उस काम को ले करके हम चले हुए हैं। + diff --git a/pm-speech/789.txt b/pm-speech/789.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..03e98019e65c16b1c195293474c0ad2d2d03ba13 --- /dev/null +++ b/pm-speech/789.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +श्रमिकों की सुविधा के लिए, जॉब मार्केट के विस्तार के लिए सरकार लगातार कोशिश कर रही है। उद्योगों में निवेश आकर्षित करने के साथ-साथ कौशल विकास के लिए भी भगीरथ प्रयास किए जा रहे हैं। देश में पहली बार कौशल विकास मंत्रालय बनाकर इस पर सुनियोजित तरीके से काम हो रहा है। सरकार वर्षों पुराने कानूनों को हटाकर या फिर उनमें बदलाव करके भी जॉब मार्केट का विस्तार कर रही है। + diff --git a/pm-speech/79.txt b/pm-speech/79.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..5e80fab6c0f50e2c58582f7889e1da3bbb877304 --- /dev/null +++ b/pm-speech/79.txt @@ -0,0 +1,4 @@ +आज कई लोग भारत के वैक्सीनेशन प्रोग्राम की तुलना दुनिया के दूसरे देशों से कर रहे हैं। भारत ने जिस तेजी से 100 करोड़ का, वन बिलियन का आंकड़ा पार कियाहै , उसकी सराहना भी हो रही है। लेकिन, इस विश्लेषण में एक बात अक्सर छूट जाती है कि हमने ये शुरुआत कहाँ से की है! दुनिया के दूसरे बड़े देशों के लिए वैक्सीन पर रिसर्च करना, वैक्सीन खोजना, इसमें दशकों से उनकीमहारथ, expertise थी। भारत, अधिकतर इन देशों की बनाई वैक्सीन्स पर ही निर्भर रहता था।हम बाहर से मंगवाते थे, इसी वजह से जब 100 साल की सबसे बड़ी महामारी आई, तो भारत पर सवाल उठने लगे। क्या भारत इस वैश्विक महामारी से लड़ पाएगा? भारत दूसरे देशों से इतनी वैक्सीन खरीदने का पैसा कहां से लाएगा? भारत को वैक्सीन कब मिलेगी? भारत के लोगों को वैक्सीन मिलेगी भी या नहीं? क्या भारत इतने लोगों को टीका लगा पाएगा, कि महामारी को फैलने से रोक सके? भांति–भांति के सवाल थे, लेकिन आज ये 100 करोड़ वैक्सीन डोज, हर सवाल का जवाब दे रहा है। भारत ने अपने नागरिकों को 100 करोड़ वैक्सीन डोज लगाई हैं, और वो भी मुफ्त।बिना पैसे लिए। + +एक जमाना था जब Made in ये country, made in वो country का बहुत क्रेज हुआ करता था। लेकिन आज हर देशवासी ये साक्षात अनुभव कर रहा है कि Made in India की ताकत बहुत बड़ी है। और इसलिए, आज मैं आपसे फिर ये कहूंगा कि हमें हर छोटी से छोटी चीज, जो Made in India हो, जिसे बनाने में किसी भारतवासी का पसीना बहा हो, उसे खरीदने पर जोर देना चाहिए। और ये सबके प्रयास से ही संभव होगा। जैसे स्वच्छ भारत अभियान, एक जन–आंदोलन है, वैसे ही भारत में बनी चीज खरीदना, भारतीयों द्वारा बनाई चीज खरीदना, Vocal for Local होना, ये हमें व्यवहार में लाना ही होगा। और मुझे विश्वास है, सबके प्रयास से हम ये भी करके रहेंगे। आप याद करिए, पिछली दीवाली, हर किसी के मन–मस्तिष्क में एक तनाव था। लेकिन इस दीवाली, 100 करोड़ वैक्सीन डोज के कारण, एक विश्वास का भाव है। अगर मेरे देश की वैक्सीन मुझे सुरक्षा दे सकती है तो मेरे देश का उत्पादन, मेरे देश में बने सामान, मेरी दीवाली और भी भव्य बना सकते हैं। दीवाली के दौरान बिक्री एक तरफ और बाकी साल की बिक्री एक तरफ होती है।हमारे यहाँ दीवाली के समय त्योहारों के समय ब्रिकी एकदम बढ़ जाती है। 100 करोड़ वैक्सीन डोज, हमारे छोटे–छोटे दुकानदारों, हमारे छोटे–छोटे उद्यमियों, हमारे रेहड़ी–पटरी वाले भाइयों–बहनों, सभी के लिए आशा की किरण बनकर आई है। + diff --git a/pm-speech/790.txt b/pm-speech/790.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..40c7278d4bd9653c472051ffcd9ef46d5017ac5c --- /dev/null +++ b/pm-speech/790.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +मैं धन्‍य हूं कि मेरे शरीर ने उस मातृभूमि को स्‍पर्श किया। जिस शरीर में वो विराजमान थे उस शरीर के द्वारा निकले हुए आखिरी शब्‍द थे। फिर वो आत्‍मा अपना विचरण करके चली गई जो हम लोगों में विस्‍तृत होती है। मैं समझता हूं कि एकात्‍मभाव:, आदि शंकर ने अदैत्‍व के सिंद्धात की चर्चा की है। जहां द्वैत्‍य नहीं है वही अद्वैत्‍य है। जहां मैं नहीं, मैं और तू नहीं वहीं अद्वैत्‍य है। जो मैं हूं और वो ईश्‍वर है वो नहीं मानता, वो मानता है कि ईश्‍वर मेरे में है, मैं ईश्‍वर में हूं, वो अद्वैत्‍य है। और योगी जी ने भी अपनी एक कविता में बहुत बढि़या ढंग से इस बात को, वैसे मैं इसको, इसमें लिखा तो नहीं गया है। लेकिन मैं जब उसका interpretation करता था, जब ये पढ़ता था तो मैं इसको अद्वैत्‍य के सिंद्धात के साथ बड़ा निकट पाता था। + diff --git a/pm-speech/791.txt b/pm-speech/791.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..804d98c321bc76894cfee696b8ad377aff01b62c --- /dev/null +++ b/pm-speech/791.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +जब हम विश्‍व शांति की बात करते हैं तो विभिन्‍न देशों के बीच भी शांति होनी चाहिए। ऐसा तभी संभव हो सकेगा जब समाज के भीतर शांति हो। केवल शांतिपूर्ण परिवार ही शांतिपूर्ण समाज का गठन कर सकते हैं। केवल शांतिपूर्ण व्‍यक्ति ही शांतिपूर्ण परिवार बना सकते हैं। योग व्‍यक्तियों, परिवार, समाज, राष्‍ट्र और अंतत: पूरी दुनिया में सद्भाव और शांति लाने का तरीका है। + diff --git a/pm-speech/792.txt b/pm-speech/792.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..5840a3af9370a5f0c23328b6bfb06b9bee5c0e46 --- /dev/null +++ b/pm-speech/792.txt @@ -0,0 +1,14 @@ +मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार। सर्दी का मौसम अब जाने को है, वसन्त के मौसम ने हम सबके जीवन में दस्तक दे दी है; पतझड़ के बाद पेड़ों में नये पत्ते आने लगते हैं; फूल खिलते हैं; बाग़-बगीचे हरे-भरे हो जाते हैं पक्षियों का कलरव मन को भाने लगता है; फूल ही नहीं, फल भी पेड़ की शाखाओं पर खिली धूप में चमकते नज़र आते हैं। ग्रीष्म ऋतु के फल आम के मंजर वसन्त में ही दिखने लग जाते हैं, वहीं खेतों में सरसों के पीले फूल किसानों को उम्मीदें बंधाते हैं। टेसू या पलाश के सुर्ख फूल होली के आने का संकेत करते हैं। अमीर ख़ुसरो ने मौसम के इस बदलाव के पलों का बड़ा मज़ेदार वर्णन किया है, अमीर ख़ुसरो ने लिखा है:- + +मुझे शोभा जालान, उन्होंने NarendraModiApp पर लिखा है कि बहुत सारी Public ISRO की उपलब्धियों के बारे में aware नहीं है। और इसलिये उन्होंने कहा है कि मैं 104 Satellites के launch और interceptor missile के बारे में कुछ जानकारी दूँ! शोभा जी, आपका बहुत-बहुत आभार कि भारत के गर्व की मिसाल को आपने याद किया। चाहे ग़रीबी से निपटना हो, बीमारियों से बचना हो, दुनिया से जुड़ना हो, ज्ञान, जानकारियाँ पहुँचाना हो – technology ने, विज्ञान ने, अपनी जगह दर्ज़ करा दी है। 15 फ़रवरी, 2017 भारत के जीवन में गौरवपूर्ण दिवस है। हमारे वैज्ञानिकों ने विश्व के सामने भारत का सर गर्व से ऊँचा किया है। और हम सब जानते हैं कि ISRO ने कुछ वर्षों में कई अभूतपूर्व mission सफलतापूर्वक पूर्ण किए हैं। मंगल ग्रह पर ‘Mars Mission’ ‘मंगलयान’ भेजने की कामयाबी के बाद, अभी पिछले दिनों ISRO ने अन्तरिक्ष के क्षेत्र में, एक विश्व रिकॉर्ड बनाया। ISRO ने mega mission के ज़रिये एक साथ विभिन्न देशों, जिसमें अमेरिका, इज़राइल, कज़ाकस्तान, नीदरलैंड, स्विट्ज़रलैंड, यू.ए.ई. और भारत भी, 104 satellites अन्तरिक्ष में सफलतापूर्वक launch किए हैं। एक-साथ 104 satellites को अन्तरिक्ष में भेजकर इतिहास रचने वाला भारत दुनिया का पहला देश बन गया। और ये भी खुशी की बात है कि यह लगातार 38वाँ PSLV का सफल launch है। यह न केवल ISRO के लिये, बल्कि पूरे भारत के लिये एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। ISRO का यह cost effective efficient space programme सारी दुनिया के लिये एक अजूबा बन गया है और विश्व ने खुले मन से भारत के वैज्ञानिकों की सफलता को सराहा है। + +शोभा जी ने एक और भी सवाल पूछा है और वो है भारत की सुरक्षा के संबंध में। भारत ने एक बहुत बड़ी सिद्धि प्राप्त की है, उसके विषय में। इस बात की ज़्यादा अभी चर्चा नहीं हुई है, लेकिन शोभा जी का ध्यान गया है इस महत्वपूर्ण बात पर। भारत ने रक्षा के क्षेत्र में भी Ballistic Interceptor Missile का सफल परीक्षण किया है। Interception technology वाले इस missile ने अपने trial के दौरान ज़मीन से क़रीब-क़रीब 100 किलोमीटर की ऊँचाई पर दुश्मन की missile को ढेर करके सफलता अंकित कर दी। सुरक्षा के क्षेत्र में ये बहुत ही महत्वपूर्ण सिद्धि है; और आपको जान करके ख़ुशी होगी, दुनिया के मुश्किल से चार या पाँच ही देश हैं कि जिन्हें ये महारत हासिल है। भारत के वैज्ञानिकों ने ये करके दिखाया, और इसकी ताक़त ये है कि अगर 2000 किलोमीटर दूर से भी, भारत पर आक्रमण के लिये कोई missile आती है, तो ये missile अन्तरिक्ष में ही उसको नष्ट कर देती है। + +विज्ञान जब जन-सामान्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रख करके उन सिद्धांतों का सहज उपयोग कैसे हो; उसके लिए माध्यम क्या हो; technology कौन सी हो; क्योंकि सामान्य मानव के लिये तो वही सबसे बड़ा महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है। पिछले दिनों, नीति आयोग एवं भारत के विदेश मंत्रालय ने 14वें प्रवासी भारतीय दिवस के समय एक बड़ी unique प्रकार की competition की योजना की थी। समाज उपयोगी innovation को invite किया गया। ऐसे innovations को identify करना, showcase करना, लोगों को जानकारी देना और ऐसे innovation जन-सामान्य के लिये कैसे काम आएं, mass production कैसे हो, उसकी commercial utilization कैसे हो, और मैंने जब उसे देखा, तो मैंने देखा कि कितने बड़े महत्वपूर्ण काम किए हैं। जैसे अभी एक innovation मैंने देखा, जो हमारे ग़रीब मछुआरे भाइयों के लिये बनाया गया है। एक सामान्य Mobile App बनाई है, लेकिन उसकी ताक़त इतनी है कि मछुआरा fishing के लिये जब जाता है, तो कहाँ जाना; सबसे ज्यादा fish zone अच्छा कहाँ पर है; हवा की दिशा क्या है; speed क्या है; लहरों की ऊँचाई कितनी है – यानि एक Mobile App पर सारी जानकारियाँ उपलब्ध और इससे हमारे मछुआरे भाई बहुत ही कम समय में जहाँ अधिक मछलियाँ हैं, वहाँ पहुँच करके अपना अर्थ-उपार्जन कर सकते हैं। + +कहने का तात्पर्य ये है कि समाज में, देश में इस प्रकार की भूमिका के लोग बहुत होते हैं। और हमारा समाज भी तो technology driven होता जा रहा है; व्यवस्थायें technology driven होती जा रही हैं। एक प्रकार से technology हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन रही है। पिछले दिनों ‘डिजि-धन’ पर बड़ा बल दिखाई दे रहा है। धीरे-धीरे लोग नकद से निकल करके digital currency की तरफ़ आगे बढ़ रहे हैं। भारत में भी digital transaction बहुत तेज़ी से बढ़ रहा है। ख़ास कर के युवा पीढ़ी अपने mobile phone से ही digital payment की आदी बनती जा रही है, ये शुभ संकेत मानता हूँ मैं। + +हमारे देश में पिछले दिनों ‘लकी ग्राहक योजना’, ‘डिजि-धन व्यापारी योजना’ उसको भारी समर्थन मिला है। क़रीब-क़रीब दो महीने हो गये हैं, प्रतिदिन 15 हज़ार लोगों को एक हज़ार रुपये का इनाम मिलता है। और इन दोनों स्कीमों के ज़रिये भारत में digital भुगतान को एक जन-आन्दोलन बनाने की एक पहल – पूरे देश में इसका स्वागत हुआ है। और ये ख़ुशी की बात है कि अब तक ‘डिजि-धन योजना’ के तहत दस लाख लोगों को तो इनाम मिल चुका है, पचास हज़ार से ज़्यादा व्यापारियों को इनाम मिल चुका है और क़रीब-क़रीब डेढ़ सौ करोड़ से भी ज्यादा रकम इस इनाम में, इस महान अभियान को आगे बढ़ाने वाले लोगों को मिली हैI इस योजना के तहत सौ से ज़्यादा ग्राहक ये हैं, जिनको एक-एक लाख रुपये का इनाम मिला है; चार हज़ार से ज़्यादा व्यापारी वो हैं, जिनको पचास-पचास हज़ार रुपये के इनाम मिले हैंI किसान हों, व्यापारी हों, छोटे उद्यमी हों, पेशेवर हों, घरेलू महिलायें हों, विद्यार्थी हों, हर कोई इसमें बढ़-चढ़ करके हिस्सा ले रहा है; उनको लाभ भी मिल रहा हैI जब मैंने उसका analysis पूछा कि भई, देखिये सिर्फ नौजवान ही आते हैं कि बड़ी आयु के लोग भी आते हैं, तो मुझे ख़ुशी हुई कि इनाम प्राप्त करने वालों में 15 साल के युवा भी हैं, तो पैंसठ-सत्तर साल के बुज़ुर्ग भी हैंI + +मेरे प्यारे देशवासियो, ये हमारे देश में, सरकार के द्वारा, समाज के द्वारा, संस्थाओं के द्वारा, संगठनों के द्वारा, हर किसी के द्वारा, स्वच्छता की इस दिशा में कुछ-न-कुछ चलता ही रहता है। एक प्रकार से हर कोई किसी-न-किसी रूप में स्वच्छता के संबंध में जागरूक व्यवहार करता नज़र आ रहा है। सरकार निरंतर प्रयास कर रही है। पिछले दिनों Water and Sanitation का जो हमारा भारत सरकार का मंत्रालय है ‘पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय’। हमारे सचिव के नेतृत्व में 23 राज्य सरकारों के वरिष्ठ अधिकारियों का एक कार्यक्रम तेलंगाना में हुआ और तेलंगाना राज्य के वारंगल में सिर्फ बंद कमरे में seminar नहीं। प्रत्यक्ष स्वच्छता के काम का महत्व क्या है, उसको प्रयोग करके करना। 17-18 फ़रवरी को हैदराबाद में toilet pit emptying exercise का आयोजन किया। छह घर के toilet pits ख़ाली करके उसकी सफ़ाई की गई और अधिकारियों ने स्वयं ने दिखाया कि twin pit toilet के उपयोग हो चुके गड्ढों को, उसे ख़ाली कर पुनः प्रयोग में लाया जा सकता है। उन्होंने यह भी दिखाया कि यह नई technique के शौचालय कितने सुविधाजनक हैं और इन्हें ख़ाली करने में सफ़ाई को लेकर के कोई असुविधा महसूस नही होती है, कोई संकोच नही होता है; जो psychological barrier होता है, वो भी आड़े नही आता है और हम भी और सामान्य सफ़ाई करते हैं, वैसे ही एक toilet के गड्ढे साफ़ कर सकते हैं; और इस प्रयास का परिणाम हुआ, देश के media ने इसको बहुत प्रचारित भी किया, उसको महत्व भी दिया। और स्वाभाविक है, जब एक IAS अफ़सर खुद toilet के गड्ढे की सफ़ाई करता हो, तो देश का ध्यान जाना बहुत स्वाभाविक है। और ये जो toilet pit की सफ़ाई है और उसमें से जो जिसे आप-हम कूड़ा-कचरा मानते हैं, लेकिन खाद की दृष्टि से देखें, तो ये एक प्रकार से ये काला सोना होता है। Waste से wealth क्या होती है, ये हम देख सकते हैं, और ये सिद्ध हो चुका है। छह सदस्यीय परिवार के लिये एक standard ‘Twin Pit Toilet’ – ये model लगभग पाँच वर्ष में भर जाता है। इसके बाद कचरे को आसानी से दूर कर, दूसरे pit में redirect किया जा सकता है। छह-बारह महीनों में pit में जमा कचरा पूरी तरह से decompose हो जाता है। यह decomposed कचरा handle करने में बहुत ही सुरक्षित होता है और खाद की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण खाद ‘NPK’. किसान भली-भाँति ‘NPK’ से परिचित हैं, Nitrogen, Phosphorous, Potassium – ये पोषक तत्वों से पूर्ण होता है; और यह कृषि क्षेत्र में बहुत ही उत्तम खाद माना जाता है। + diff --git a/pm-speech/795.txt b/pm-speech/795.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..335adc6c9bff291a7ce0b249c8b8eb3206cd9013 --- /dev/null +++ b/pm-speech/795.txt @@ -0,0 +1,38 @@ +मान लीजि‍ए दि‍ल्‍ली शहर में संभावना है, चलो भई दि‍ल्‍ली से शुरू करो, हम लोग positive कुछ contribute करो। Behavioral-change का वि‍षय है। अगर कलकत्‍ते के लोगों के पास मोबाइल फोन है। कलकत्‍ते में लोगों के पास digital connectivity है तो वहीं से शुरू करो। हो सकता है दूर-सुदूर बंगलादेश के गांवों में नहीं होगा। ये कहना और दूसरा हम इस बात का तो गीत गाते रहते हैं कि‍ हमने ये कर दि‍या, हमने वो कर दि‍या, ढींकना कर दि‍या। अब जब उसे लागू करने की बात आई तो हमें तकलीफ हो रही है। + +अब देखि‍ए, रेलवे। हमारे देश में सामान्‍य मानव जाता है। आज 60 से प्रति‍शत रेलवे में, online बुकिंग होने लगी है। उनकी payment online । अगर वो टि‍कट cancel करते हैं तो online पैसा वापि‍स जा रहा है। आज बहुत से परि‍वार है जो शहरों में रहते हैं। उनको अगर बि‍जली का बि‍ल भरना है, पहले बि‍जली का बि‍ल भरने के लि‍ए आधे दि‍न छुट्टी लेनी पड़ती थी और जाकर के दफ्तर में। आज वो घर में रात को 12 बजे आकर के अपने मोबाइल फोन से बि‍जली का payment दे रहा है। सुवि‍धा बढ़ती चली जा रही है। अगर ये सुवि‍धा वैज्ञानि‍क तरीके से टैक्‍नोलॉजी के तरीके से मि‍लती है तो हां हमें उसकी कमि‍यों की चि‍न्‍ता जरूर करनी चाहि‍ए। technological भी कोई कमी आती है तो उसे ठीक करना चाहि‍ए लेकि‍न ये कल्‍पना ही गलत है अगर ये negativity लेकर के हम चलेंगे तो हम देश का कोई भला नहीं कर सकते हैं। + +Rupay Card- अभी अरुण जी बता रहे थे। इस देश में जनधन एकाउंट के साथ इस देश के 21 करोड़ लोगों को Rupay Card दि‍ए है। और आपको अंदाज नहीं है कि‍ इसकी ताकत क्‍या होती है। आमतौर पर जेब में ये कार्ड होना, ये बड़ा prestigious बन गया है एक वर्ग के लि‍ए, payment करनी है तो कार्ड से करना। ये भी हवा बन गई है कि‍ गरीब का तो वि‍षय ही नहीं है जी। अभी मुझे अनंत कुमार जी बता रहे थे। वो बैंगलोर से आ रहे थे तो उनके साथ कोई IT professional बैठे थे तो उन्‍होंने अपने ड्राइवर की घटना सुनी। बोले उनका ड्राइवर बहुतखुश है इस demonetization से। तो बोले क्‍यों। बोले आज कोई बड़ा आदमी कार्ड रखता है, मैं भी कार्ड रखता हूं। वो कार्ड दि‍खाने लगा। उसको बड़ा आनंद था। अब देखि‍ए ये समाज के सामान्‍य व्‍यक्‍ति‍ के जीवन में भी एक बदलाव की व्‍यवस्‍था है। एक नया आत्‍मवि‍श्‍वास पैदा होता है। जि‍सके घर में एक साईकि‍ल भी नहीं आती है न, वो खुशी से समा नही पाता है जब मोटरसाईकि‍ल आ जाती है। जि‍सके पास स्‍कूटर हो अगर छोटी सी लाता है, पुरानी भी लाता है वो गर्व करता है। हमें समाज के छोटे-छोटे लोगों के जो aspirations है उस aspirations को पूरा करने की दि‍शा में, हमारा प्रयास होना चाहि‍ए। + +Direct Benefit Transfer- कि‍तना बड़ा फायदा हुआ है। मैंने उस सदन में वि‍स्‍तार से कहा है कि‍ Direct Benefit Transfer के द्वारा करीब-करीब 50 हजार करोड़ रुपया जो कभी leakage होते थे और हर वर्ष होते थे, अब तक बचा पाए और आगे पता नहीं कि‍तने बच पाएंगे। Direct Benefit Transfer स्‍कॉलरशि‍प जैसे में। एक ही व्‍यक्‍ति‍ 6 जगह से लेता है। वि‍धवा पेंशन, जो बेटी का जन्‍म नहीं हुआ वो वि‍धवा भी हो गई और चेक भी कट रहा है। ये Direct Benefit Transfer स्‍कीम के कारण, ये जो leakage थी वो बि‍चौलि‍ए ले जाते थे। इसमें बहुत बड़ा देख का जो खजाना लूटा जा रहा था उसमें रोक लगी है। तो Direct Benefit Transfer स्‍कीम का भी इसके कारण फायदा हुआ है। हमें कोशि‍श करनी चाहि‍ए digital payment को बढ़ाने के लि‍ए हम जि‍तना प्रयास करते हैं, हमें करते रहना चाहि‍ए। + +सरकार ने उस व्‍यवस्‍था को वि‍कसि‍त कि‍या है। POS machine की आवश्‍यकता। बहुत तेजी से POS machine बढाए जा रहे हैं। Mobile-Payment के लि‍ए E-wallet के लि‍ए promotion हो रहा है। Internet-Banking की तरफ काम चल रहा है। ‘AADHAR based payment’. जि‍स प्रकार से टैक्‍नोलॉजी develop हुई है। सि‍र्फ ‘AADHAR’ के आधार पर, कोई मोबाइल फोन की भी जरूरत नहीं पड़ेगी, वो अपना payment दे पाएगा, वो दि‍न दूर नहीं होंगे। और इसलि‍ए इन व्‍यवस्‍थाओं को या तो थोड़ा हम समझने की कोशि‍श करें और अपनी टीमों को इसमें लागू करने के लि‍ए प्रयास करें। + +अब देखि‍ए ड्राइवर, जो हाइवे पर जाता है। हम जानते है कि‍ vehicle रुकने के कारण कि‍तना खर्चा हमारे पेट्रोल डीजल का होता है। 8 नवंबर के बाद उस पर भी थोड़ा बल दि‍या गया कि‍ भई ड्राइवर टोल टैक्स पर गाड़ि‍यां अपना टैक्‍स देने के लि‍ए टैक्‍नोलॉजी का प्रयोग करे। और radio frequency identification, RFID के जरि‍ए, पहले इक्‍के-दुक्‍के लोगों के पास वो व्‍यवस्‍था थी। इतने कम समय में आज करीब-करीब 20 प्रति‍शत ट्रैफि‍क, ये RFID के द्वारा payment करता है। कार आती है, सीधा उसका रजि‍स्‍ट्रेशन हो जाता है बैंक में से deduct हो जाता है, उसको रुकना नहीं पड़ता है, चली जाती है। ये अगर बढ़ेगा तो देश का कि‍तना पेट्रोल बचेगा। हमारे देश में टोल टैक्‍स पर ये स्‍थि‍ति‍ बनी है। उसी प्रकार से पेट्रोल पंप पर करीब-करीब 29-30 प्रति‍शत लोग, आज डि‍जि‍टल करेंसी से काम करना शुरू कर दि‍ए हैं। हमने चंद्रबाबू नायडू जी के नेतृत्‍व में कमेटी बनाई, उसकी अंतरि‍म रि‍पोर्ट आई है। उसका अध्‍ययन हो रहा है। फाइनल रि‍पोर्ट उनकी आने वाली है। लेकि‍न हम बदलाव के लि‍ए तैयारी करें और मुझे लगता है कि‍। + +एक वि‍षय है Banking System- अगर आप कुछ भी कहते हैं तो फि‍र मैं कहता हूं कि‍ वो रि‍पोर्ट कार्ड है। पुराने कार्यकाल का वो रि‍पोर्ट कार्ड है। इस सरकार ने आकर के सबसे पहले तो Debt Recovery Tribunal की रचना की- 6, ताकि‍ बैंकों में जो भी debt है,सरकार ने initiative लि‍या। बैंकों में जो appointment होती थी, उसके लि‍ए कोई नि‍यम नहीं था, ऐसे ही चल रहा था, घि‍सी-पि‍टी व्‍यवस्‍था थी। इस सरकार ने Bank Board Bureau बनाया, independent एजेंसी है, वही recruitment करती है। उसके Chairman, Managing director, उसके Director वगैरह। बैंकिंग व्‍यवस्‍था में professionalism लाने का हमने प्रयास कि‍या है। + +और हमने क्‍या कि‍या है। RBI की ताकत बढ़े, उसके नि‍र्णय इस सरकार ने आकर के कि‍ए हैं। हमने RBI Act एक्‍ट संशोधन करके Monetary Policy Committee की स्‍थापना की है। कई वर्षों से उसकी चर्चा चल रही थी, कोई नहीं कर रहा था, हमने की। इस समि‍ति‍ को Monetary Policy संचालन की पूरी स्‍वायत्‍ता दी गई है। इस समि‍ति‍ के प्रमुख RBI के गवर्नर है। RBI के दो अधि‍कारी के अलावा 3 वि‍शेषज्ञ इसके सदस्‍य है। इस समि‍ति‍ में केन्‍द्र सरकार का एक भी सदस्‍य नहीं रखा गया है। और इससे बड़ी स्‍वायत्‍ता, Monetary Policy बहुत बड़ी बात होती है। इतनी बड़ी स्‍वायत्‍ता कोई कल्‍पना नहीं कर सकता है इस सरकार ने RBI को दी है। और उसके कारण RBI की ताकत को बढ़ावा मि‍ला है। + +हमने affidavit की प्रथा दी। MP के घर, MLA के घर, Carporator के घर लोग आ-आकर के सुबह खड़े हो जाते थे ठप्‍पा मरवाने के लि‍ए। queue लग जाती थी। और वो न देखता था न कुछ नहीं। एक peon बैठता था या कोई साथी कार्यकर्ता बैठता था वो ठप्‍पे मार देता था। हमने उस certificate को self-attestation की व्‍यवस्‍था कर दी और उसके कारण वो संकट से भी सामान्‍य मानव बच गया। क्‍योंकि‍ जब उसकी final appointment होगी तो original कॉपी लेकर के जाएगा। Xerox का जमाना है सब कुछ करने की क्‍या जरूरत है। + +हमने इंटरव्‍यू खत्‍म कर दि‍ए। टैक्‍नोलॉजी के द्वारा तय होगा कि‍ जो अपने उसके मेरि‍ट होंगे, मेरि‍ट के आधार पर नौकरी मि‍लेगी। उसके कारण करप्‍शन गया। 1100 से अधि‍क कानून को खत्‍म कि‍या इसी दो सदनों ने खत्‍म कि‍या है। सीनि‍यर पोस्‍ट पर नि‍युक्‍ति, कई अखबारों ने articals लि‍खे हैं। पहली बार मेरि‍ट के आधार पर appointment हो रही है। पुरानी प्रक्रि‍या सारी, मेरा-तेरा सब चला गया है और इस पर कई neutral अखबारों ने बहुत अच्‍छे articals भी लि‍खे हैं। + +DBT, direct benefit के द्वारा leakages को रोका गया है। पहले कंपनी रजि‍स्‍टर करनी होती थी तो 7-7, 15-15 दि‍न, दो-दो महीने लगते थे। आज 24 घंटे में कंपनी रजि‍स्‍टर हो सकती है। ये व्‍यवस्‍था की है। पहले पासपोर्ट पाने में महीने लग जाते थे, आज पासपोर्ट एक हफ्ते के भीतर देने की व्‍यवस्‍था की है। और अब Postal में जो head-office है उसको भी Passport-Office में convert करने की दि‍शा में हम लोग काम कर रहे हैं और उसका भी लाभ सामान्‍य मानव को मि‍लने वाला है और उस दि‍शा में हमारा प्रयास है। + +हम ये भी जानते है कि‍ कोयले की नीलामी कि‍तना बड़ा वि‍षय था। आसानी से सरकार ने इसको लागू कर दि‍या। पारदर्शि‍ता को लाए। एक बड़ा महत्‍वपूर्ण नि‍र्णय कि‍या है जि‍सकी अभी चर्चा काफी हुई नहीं है लेकि‍न मैं इस सदन को बताना चाहता हूं। सरकार की जो खरीद करने की परंपरा होती है उसमें हम लोगों ने GEM को लॉन्‍च कि‍या है। जि‍समें Government E-market place, GEM, इस व्‍यवस्‍था को World Bank के South Asia Procurement Innovation Awards से भी सम्‍मानि‍त कि‍या गया है। अब उसमें दुनि‍या में जि‍सको भी सरकार को देना होगा, वो online आते हैं, अपनी लि‍स्‍ट रखते हैं और सरकार उसमें से तय कर सकती हैं। आर्थि‍क लाभ भी हुआ है और 5000 रुपए से ज्‍यादा का पेमेंट करना हो तो इस GEM के माध्‍यम से कर सकते हैं। उस दि‍शा में हमने व्‍यवस्‍था की है। + +इस सरकार ने महि‍लाओं के सशक्‍तीकरण के लि‍ए अनेक नई योजनाएं बनाई हैं। उज्‍जवला योजना। हम जानते हैं गैस के सि‍लेंडर का क्‍या जमाना था, MP को 25-25 कूपन मि‍ला करते थे और उन 25 कूपनों को लेने के लि‍ए लोग कतार लगाते थे। वो भी दि‍न थे। 2014 के चुनाव में 9 सि‍लेंडर दें या 12 सि‍लेंडर दें, उस पर चुनाव का मुद्दा लड़ा गया था। ये सरकार के कार्यों में कि‍तना फर्क है। गरीब महि‍लाओं को गैस का चूल्‍हा, ये सपने में भी नहीं सोच सकते थे। अब तक करीब-करीब 1 करोड़ 65 लाख से ज्‍यादा गरीब परि‍वारों को गैस के कनेक्‍शन दे दि‍ए गए हैं। पांच करोड़ परि‍वारों तक पहुंचाने का पूरा इरादा है। देश में 25 करोड़ परि‍वार है, पांच करोड़ परि‍वारों तक पहुंचाने का प्रयास है। + +महि‍लाओं की सुरक्षा के लि‍ए Universalization of Women Helpline 181, 24 घंटे एमरजेंसी सेवा को शुरू कि‍या गया है। 18 states & UTs ने इस महि‍ला हेल्‍पलाइन की व्‍यवस्‍था को आगे बढ़ाया है। महि‍लाओं की पुलि‍स में भर्ती 33 प्रति‍शत और कुछ राज्‍यों ने भी स्‍वीकार कि‍या है। UTs के अंदर ये compulsory कर दि‍या गया है। हरि‍याणा ने एक नया प्रयोग कि‍या है। जि‍सको हि‍न्‍दुस्‍तान में और लोग करे। मैंने presentation कि‍या है सबके सामने। उन्‍होंने महि‍ला पुलि‍स volunteers का एक network खड़ा कि‍या है जो इस प्रकार से लोगों की मदद करने का काम कर रहा है। एक नई स्‍कीम उन्‍होंने शुरू की है। कहने का तात्‍पर्य मेरा यह है। एक panic button की टैक्‍नोलॉजी का उपयोग करके, हम आने वाले कुछ दि‍नों में आपके सामने लेकर के आने वाले हैं। + +कि‍सानों का सशक्‍तीकरण- इस सरकार ने अनेक कदम उठाए हैं। सबसे बड़ी बात प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना। हमें पसंद आए या न आए, लेकि‍न कि‍सान को सुरक्षा देनी है तो हमें उसको उसकी income के assurance के साथ जोड़ना होगा। हमारे यहां irrigation की सुवि‍धा बहुत कम है। प्राकृति‍क संसाधनों पर ही वो dependent है। ऐसी स्‍थि‍ति‍ में अगर बो नहीं सकता है तो भी और कटाई के बाद भी अगर बरबाद होता है तो भी अगर insurance मि‍लता है। और मुझे है कि‍ कुछ progressive राज्‍यों ने 40-40 50-50 प्रति‍शत कि‍सानों के insurance का काम उन्‍होंने कि‍या है। सरकार ने भी कि‍सानों के लि‍ए बहुत बड़ी मात्रा में फसल बीमा योजना को प्रोत्‍साहन देने के लि‍ए काम कि‍या है। पहले की तुलना में काफी बढ़ोतरी हुई लेकि‍न कुछ राज्‍यों में बहुत पीछे है। ये चि‍न्‍ता का वि‍षय है। इसको आगे बढ़ाना है। + +e-NAM- Electronic Market 500 मंडि‍यों में, अब कि‍सान जहां भी ज्‍यादा दाम से माल बि‍क सकता है वो technology के माध्‍यम से कर सकता है। 500 मंडी में मोबाइल फोन के द्वारा आज मेरा कि‍सान व्‍यापार कर सके इस स्‍थि‍ति‍ में नहीं है। करीब 250 मंडि‍यों ने इस काम को पूरा कर दि‍या है। राज्‍यों ने कुछ कानून बदलने थे तो कुछ कानून बदले हैं। हम जानते हैं food processing हमारे कि‍सान को लाभ तब होगा जब हम food processing पर बल देंगे। सरकार ने 100 प्रति‍शत FDI allow कि‍या है ताकि food processing को मदद मि‍ले और value addition हो ताकि‍ हमारे कि‍सान की ज्‍यादा income हो और उस दि‍शा में काम करने की दि‍शा में हम प्रयास कर रहे हैं। + +Forest Rights Act- उसको मजबूती से लागू करने की दि‍शा में काम कि‍या है। Tribal areas में पहली बार क्‍योंकि‍ हमारे देश में जि‍तने भी minerals है, mining है वो ज्‍यादातर tribal-belts में है चाहे कोयला हो, चाहे Iron हो, चाहे और हो लेकि‍न वहां लाभ नहीं मि‍लता था। पहली बार सरकार ने District Mineral Foundation बनाया और जो वहां से खदान से नि‍कलता है, उस पर टैक्‍स लगाया। मुझे छत्‍तीसगढ़ के मुख्‍यमंत्री कह रहे थे कि‍ मेरे 7 जि‍ले ऐसे है कि‍ जहां से जो खनि‍ज नि‍कलता है, ये जो आपने योजना की है, Foundation बनाया है उसके कारण उन जि‍लों के वि‍कास के लि‍ए मुझे अब extra बजट की कभी जरूरत नहीं पड़ेगी। इतनी बड़ी मात्रा में राशि‍ उन गरीब आदि‍वासि‍यों के काम आने वाली है, उस पर हमने काम कि‍या है। + +हमने Rurban Mission जो चलाया है, उसका सबसे बड़ा लाभ आदि‍वासी क्षेत्र में होने की संभावना है। आदि‍वासी मार्कि‍ट को एक बड़ी मार्कि‍ट में develop होना चाहि‍ए। मार्कि‍ट में develop होता है तो वहां education system आता है , वहां पर medical facility आती है वहां पर और एंटरटेनमेंट की सुवि‍धा। धीरे-धीरे अगल-बगल के 50-100 गांव का वो केन्‍द्र बन जाता है और Rurban के द्वारा tribal-belts में 300 ऐसे नए शहर बनाने की दि‍शा में हम काम कर रहे हैं। ये आदि‍वासी क्षेत्र के वि‍कास के लि‍ए एक बहुत बड़ा काम होगा। + +उसी प्रकार से स्‍वच्‍छता, मैंने प्रारंभ में कहा था कि‍ स्‍वच्‍छता एक जन आंदोलन बनना चाहि‍ए। जन आंदोलन बनाने की दि‍शा में हम सबका कुछ न कुछ योगदान होना चाहि‍ए। जब से हमने स्‍वच्‍छता के लि‍ए रैंकिंग करना शुरू कि‍या है, independent agency द्वारा कि‍या है शहरों के बीच में स्‍पर्धा शुरू हुई है। एक शहर अगर आगे गया तो दूसरा शहर उस शहर को टोकता है कि‍ देखो वो शहर तो आगे हो गया, हम क्‍यों सफाई नहीं कर रहे? धीरे-धीरे ये बात नीचे तक जाने लगी है। हम लोगों को उस पर बल देना चाहि‍ए और मैं तो चाहूंगा कि‍ हमारे देश की सभी पॉलि‍टि‍कल पार्टि‍यों को कहीं न कहीं सरकार चलाने का इन दि‍नों अवसर मि‍ला है। कोई नगरपालि‍का में होंगे, कोई जि‍ला पंचायत में होंगे, कोई राज्‍य में होंगे। आपको अपनी पार्टी की सरकारों में जो सेवा करने का अवसर मि‍ला है आप उनसे भी तो competition कीजि‍ए। वो communist ruled जि‍तने शहर है उनके बीच स्‍वच्‍छता की स्‍पर्धा कीजि‍ए। communist ruled जि‍तने district पंचायत है उनके बीच स्‍वच्‍छता की स्‍पर्धा कीजि‍ए। एक वातावरण बनेगा। BJP ruled states होंगे तो वहां की नगरपालि‍काएं competition करें। एक बार हम इस competition को आगे बढ़ाएंगे तो मैं समझता हूं कि‍ ये स्‍वच्‍छता का अभि‍यान सफल होगा। ये सरकारी कार्यक्रम नहीं है ये जन आंदोलन होना चाहि‍ए। ये युगों की आवश्‍यकता है, behavioral change की आवश्‍यकता है। वर्ल्‍ड बैंक की रि‍पोर्ट कहती है कि‍ करीब-करीब अस्‍वच्‍छता के कारण हेल्‍थ के लि‍ए ढाई लाख करोड़ रुपए का बोझ पड़ता है। अगर हम इतनी care करे तो देश के ढाई लाख करोड़ रुपए, ये वर्ल्‍ड बैंक की रि‍पोर्ट है हि‍न्‍दुस्‍तान के संबंध में। गरीब मानवी को तो एक साल में करीब-करीब 7 हजार रुपए का खर्चा आता है। गंदगी से बीमारी आना बहुत स्‍वाभावि‍क है। हम इसको बचा सकते हैं। + diff --git a/pm-speech/796.txt b/pm-speech/796.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..7e82316d97da165625a0d9ac4e21aefd8d575df5 --- /dev/null +++ b/pm-speech/796.txt @@ -0,0 +1,46 @@ +कल भूकंप आया। इस भूकंप के कारण जिन-जिन क्षेत्रो में असुविधा हुई है, मैं उनके प्रति अपनी भावना व्‍यक्‍त करता हूं और केंद्र सरकार राज्‍य के पूरे संपर्क में है। स्थिति में कोई आवश्‍यकता है तो टीमें वहां पहुंच भी गई हैं। लेकिन आखिर भूकंप आ ही गया! मैं सोच रहा था कि भूकंप आया कैसे? क्‍योंकि धमकी तो बहुत पहले सुनी थी। कोई तो कारण होगा कि धरती मां इतनी रूठ गई होगी। + +और इसलिए राष्‍ट्रपति जी ने अपने अभिभाषण में जनशक्ति का ब्‍योरा दिया है। हम यह जानते है कोई भी व्‍यवस्‍था लोकतांत्रिक हो या अलोकतांत्रिक हो, जनशक्ति का मिजाज कुछ और ही होता है। कल हमारे मल्लिकार्जुन जी कह रहे थे कि कांग्रेस की कृपा है कि अब भी लोकतंत्र बचा है और आप प्रधानमंत्री बन पाए। वाह! क्‍या शेयर सुनाया है। बहुत बड़ी कृपा की आपने इस देश पर, लोकतंत्र बचाया! कितने महान लोग है आप, लेकिन अध्‍यक्षा जी, उस पार्टी के लोकतंत्र को देश भलीभांति जानता है। पूरा लोकतंत्र एक परिवार को आहूत कर दिया गया है। और 75 का कालखंड माननीय अध्‍यक्षा जी 75 का कालखंड, जब देश पर आपताकल थोप दिया गया था, हिंदुस्‍तान को जेलखाना बना दिया गया था, देश के गणमान्‍य वरिष्‍ठ नेता जयप्रकाश बाबू समेत लाखों लोगों को जेल की सलाखों में बंद कर दिया गया था। अखबारों पर ताले लगा दिए गए थे। और उन्‍हें अंदाजा नहीं था कि जनशक्ति क्‍या होती है, लोकतंत्र को कुचलने के बाद ढेर सारे प्रयासों के बावजूद भी इस देश की जनशक्ति का सामर्थ्‍य था कि लोकतंत्र पुन: स्‍थापित हुआ और उस जनशक्ति की ताकत है कि गरीब मां का बेटा भी इस देश का प्रधानमंत्री बन सकता है। और इसलिए राष्‍ट्रपति जी ने जनशक्ति का उललेख करते हुए जो कहा है – चम्‍पारण सत्‍याग्रह शाताब्‍दी का वर्ष है। इतिहास सिर्फ किताबो की अटारी में पड़ा रहे, तो समाज जीवन को प्रेरणा नहीं देता है। हर युग में इतिहास को जानने का, इतिहास को जीने का प्रयास आवश्‍यक होता है। उसमें हम थे या नहीं थे, हमारे कुत्‍ते भी थे या नहीं थे, औरों के कुत्‍ते हो सकते हैं। हम कुत्‍तों वाली परंपरा से पले-बढ़े नहीं हैं। लेकिन देश के कोटि-कोटि लोग थे, जब कांग्रेस पार्टी का जन्‍म भी नहीं हुआ था। 1857 का स्‍वतंत्रता संग्राम इस देश के लोगों ने जान की बाजी लड़ा करके लड़ा था और सबने मिल करके लड़ा था। साम्‍प्रदाय की कोई भेद रेखा नहीं थी, और तब भी कमल था, आज भी कमल है। + +सरकार बनने के बाद आज के रानजीतिक वातावरण को हम जानते हैं। ज्‍यादातर राज व्‍यवस्‍था उन राजनेताओं ने, राज सरकारों ने, केंद्र सरकारों ने जन सामर्थ्‍य को करीब-करीब पहचानना छोड़ दिया है। और लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा चिंता का विषय भी रहता है। मुझ जैसे सामान्‍य वयक्ति ने बातों-बातों में कह दिया था कि जो afford कर सकते हैं, वो गेस की subsidy छोड़ दे। जब हम जनता से कट जाते हैं, जन-मन से कट जाते हैं, 2014 में हम चुनाव लड़ रहे थे, तो एक दल इस मुद्दे पर चुनाव लड़ रहा था कि नौ सिलेंडर देंगे या 12 सिलेंडर देंगे। हमने आ करके 9 और 12 की चर्चा को कहां ले गए, हमने कहा कि जो afford कर सकते हैं, वो subsidy छोड़ सकते हैं क्‍या? सिर्फ कहा था। इस देश के 1 करोड़ 20 लाख से ज्‍यादा लोग गेस subsidy छोड़ने के लिए आगे आए। + +और उसके कारण अनेक गुना ताकत बढ़ जाएगी। देश की बढ़ने वाली है। इसमें से कोई ऐसा नहीं है कि जो आने वाला कल बुरा देखना चाहता था। इसमें से कोई ऐसा नहीं है जो हिन्‍दुस्‍तान का बुरा चाहता था, हर कोई चाहता है गरीब का भला हो। हर कोई चाहता है, गांव-गरीब किसान को कुछ मिले। पहले भी किसी ने प्रयास नहीं किया था ऐसा कहने वालों में से मैं नहीं हूं। मैं इस सदन में बार-बार कह चुका हूं। मैं लालकिले पर से बोल चुका हूं कि अब तब जितनी सरकारें आईं, जितने प्रधानमंत्री आएं, हर किसी का अपना-अपना योगदान है। + +कोई अक्षर ऐसा नहीं होता है, जिसको मंत्र में जगह पाने का potential न हो। कोर्ठ ऐसा मूल नहीं होता है, जिसकी औषध में जगह पाने का potential न हो। कोई इंसान ऐसा न होता है कि जो कुछ करके समाज और देश को दे न सके। जरूरत होती है योजक: तत्र दुर्लभ। योजक की जरूरत है। और इस संसार ने हर शक्ति को संवार करके जोड़ने का एक प्रयास किया है। और जनशक्ति के भरोसे उसके आगे बढ़ाने का प्रयास किया है। + +रेलवे के संबंध में भी विस्‍तार से चर्चा जब बजट की होगी, लेकिन एक बात समझिये कि 90 साल पहले जब रेल बजट आता थाा, तब transportation का एक प्रमुख mode सिर्फ रेलवे था। आज transportation एक बहुत बड़ी अनिवार्यता बनी है और इकलौता रेलवे नहीं है कई प्रकार के transportation के mode है। जब तक हम comprehensively transport इस विषय को जोड़ करके नहीं चलेंगे, तो हम समस्‍याओ से जूझते रहेंगे। और इसलिए मुख्‍य धारा में रेवले व्‍यवस्‍था भी रहेगी। उसमें कोई privatization को कोई तकलीफ नहीं, उसके स्‍वतंत्रता को कोई तकलीफ नहीं है। लेकिन सोचने के लिए सरकार एक साथ comprehensive, हर प्रकार के mode of transport को देखना शुरू करे, यह आवश्‍यक है। और हमने, जबसे आए हैं, हमने रेलवे में, बजट में बदलाव किया है। + +दूसरा हमारे खड़गे जी ने कहा कि कालाधन हीरे-जवाहरात में है, सोने में है, चांदी में है, property में है। मैं आपकी बात से सहमत है लेकिन यह सदन जानना चाहता है, यह ज्ञान आपको कब हुआ। क्‍योंकि इस बात का कोई इंकार नहीं कर सकता है कि भ्रष्‍टाचार का प्रारंभ नकद से होता है। उसकी शुरूआत नकद से होती है। परिणाम में Property होती है, परिणाम में Jewelry होती है, परिणाम में Gold होता है। शुरूआत नकद से होती है। दूसरा आपको मालूम है कि यही बुराईयों के केंद्र में है। बेनामी Property है, जवाहरात है, Gold है, चांदी है, जरा आप लोग बताइये 1988 में जब श्रीमान राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री थे, पंडित नेहरू से भी ज्‍यादा बहुमत इस सदन में आपके पास था, दोनों सदन में आपके पास था। पंचायत से पार्लियामेंट तक सब कुछ आपके कब्‍जे में था। आप ही आप थे, कोई नहीं था। + +जब तक जियो मौज करो। जियो, जब तक जियो मौज करो। चिंता किस बात की कर्ज करो, और घी उस जमाने में यह संस्कार थे इसलिए घी कहा, भाई भगवंत मान नहीं तो और कुछ पीनो को कहते। लेकिन उस समय ऋषियों ने, महा-संस्‍कार थे, उन्‍होंने घी कि शायद आज का जमाना होता तो कुछ और पीने की चर्चा करनी पड़ती। लेकिन इस प्रकार की philosophy से कुछ लोगों को लगता है कि जब अर्थव्‍यवस्‍था अच्‍छी चल रही थी तो आपने ऐसे समय, ऐसा निर्णय क्‍यों‍ किया? यह बात सही है। आप जानते हैं अगर आपको कोई बीमारी हो और डॉक्‍टर कहता है कि operation करना है, operation बहुत जरूरी है फिर भी वह कहता है, पहले भाई आपको शरीर ठीक करना पड़ेगा। Diabetes control करना पड़ेगा, ठिगना control करना पड़ेगा, सात-आठ-बीस और मशवरा, फिर बाद में operation करेगा। जब तक वह स्‍वस्‍थ नहीं होता है, operation करना पसंद नहीं करता है डॉक्‍टर, कितनी भी गंभीर स्थिति हो। Demonetisation के लिए यह समय इतना पर्याप्‍त था कि देश की अर्थव्‍यवस्‍था तंदुरुस्‍त थी। अगर दुर्बल होती, हम यह कतई सफलतापूर्वक नहीं कर पाते। यह तब सफल होता है, ताकि अर्थव्‍यवस्‍था मजबूत थी और इसी समय। + +दूसरा इसका समय, ऐसा मत सोचिए कि हड़बड़ी में होता है। इसके लिए मोदी का अध्‍ययन करना पड़ेगा आपको। और आप देखिए हमारे देश में साल भर में जितना व्‍यापार होता है, करीब-करीब उतना ही व्‍यपार दीवाली के दिनों में हो जाता है। यानी 50% दीवाली के दिनों में, 50% साल भर में। एक प्रकार से पूरा उद्योग व्‍यापार, किसानी सब काम दिवाली के पास उसकी Peek पर पहुंच जाता है। उसके बाद natural lull period हमारे देश में हमेशा होता है। दीवाली के बाद दुकानदार भी 15-15 दिन बंद रख करके बाहर चले जाते हैं, लोग भी अपने आप घूमने जाते हैं। यह proper time था कि जबकि सामान्‍य कारोबार ऊंचाई पर पहुंच गया है उसके बाद अगर 15-20 दिन दिक्‍कत होती है और फिर 50 दिन में ठीक-ठाक हो जाएगा और मैं देख रहा हूं जो मैंने हिसाब-किताब कहा था, उसी प्रकार से गाड़ी चल रही है। + +अब मैं आपको बताना चाहता हूं यह तो ऐसा काम था, जिसमें हम जनता की कोई तकलीफ तुरंत समझने के बाद रास्‍ता खोजने का प्रयास करते थे। दूसरा, जिन लोगों को सालों से लूटने की आदत लगी है, वो रास्‍ता खोजते थे, तो हमें बंद करने के लिए कुछ न कुछ करना पड़ता था। लड़ाई का मौसम था। एक तरफ देश को लूटने वाले थे, और एक तरफ देश को ईमानदारी की तरफ ले जाने की तरफ ले जाने का मोर्चा लगा हुआ था। लड़ाई पल-पल चल रही थी। वो एक तू डाल-डाल मैं पात-पात इस प्रकार से लड़ाई चल रही थी। लेकिन जो आप लोगों का बड़ा प्रिय कार्यक्रम है, जिसको ले करके आप बड़ी पीठ थपथपा रहे हैं। वैसे उसके लिए आपको हक नहीं हैं, क्‍योंकि जब इस देश पर राजा-रजवाड़ों का शासन था, तब भी गरीबों के लिए राहत नाम से योजनाएं चलती थीं। उसके बाद भी हिन्‍दुस्‍तान में Food for work के नाम से कई योजनाएं। देश आजाद होने के बाद नौ प्रकार से अलग-अलग नामों से चली हुई योजना चलते-चलते-चलते उसने एक नाम लिया, जिसको MGNREGA कहते हैं। कई यात्रा करके आया हूं और हर राज्‍य में जहां कम्‍युनिस्‍टों की सरकार थी उन्‍होंने भी पश्चिम बंगाल में किया था, जहां शरद पवार की सरकार थी, महाराष्‍ट्र में किया था। गुजरात में भी जो कांग्रेस की सरकार थी.. हर देश में किसी न किसी ने आजादी के बाद इस प्रकार के काम किए ही किए थे। हर किसी ने किए थे, तो वो कोई नई चीज नहीं थी, लेकिन नाम नया था। लेकिन देश को और आपको खुद को भी जान करके आशचर्य होगा कि शांत रूप से इतने सालों से चली हुई योजना के बाद भी MGNREGA में 1035 बार परिवर्तन किए हैं। 1035 बार, नियम बदले गए। आप कभी अपने तो आइने में झांक करके तो देखिए। और उसमें तो लड़ाई नहीं थी। इतने बड़े दबाव में काम करना नहीं था। क्‍या कारण था कि MGNREGA जैसा एक, जो लम्‍बे अर्से से चल रहा था। उसको भी आपको आने के बाद 1035 बार परिवर्तन करना पड़ा। और इसलिए नियमों में परिवर्तन किया। Act एक बार हो गया। Act 1035 बार परिवर्तित नहीं हुआ है। + +आदरणीय अध्‍यक्षा जी, मैं एक बात की ओर भी ध्‍यान देना चाहता हूं, सरकार नियमों से चलती है, संविधानिक जिम्‍मेदारियों के साथ चलती है। जो नियम आपके लिए थे, वो नियम हमारे लिए भी हैं। लेकिन फर्क कार्य संस्‍कृति का होता है। नीतियों की ताकत भी नियत से जुड़ी हुई होती है। अगर नियत में खोट है तो नीतियों की ताकत माइनस में चली जाती है, जीरो छोड़ो, माइनस में चली जाती है और इसलिए हमारे देश में उस कार्य संस्‍कृति को भी समझने की जरूरत है। जब भी हम कुछ बोलते हैं यहां से यह तो हमारे समय था, यह तो हमारे समय था। तो मुझे लग रहा है मैं ही उसी पर खेलूं थोड़ा। आपके मैदान में खेलने आना पसंद करूंगा मैं। और इसलिए ऐसा क्‍यों हुआ। ऐसा तो नहीं है कि आपको ज्ञान नहीं था। आपको ज्ञान कल ही हुआ ऐसा थोड़ा हुआ। आपको जानकारी थी, लेकिन महाभारत में कहा इस प्रकार से– + +धर्म क्‍या है? यह तो आप जानते हैं, लेकिन वो आपकी प्रवृत्ति नहीं थी। अधर्म क्‍या है वो भी जानते थे, लेकिन उसे छोड़ने का आपको सामर्थ्‍य नहीं था। मैं बताता हूं जी, अब मुझे कहिए – National Optical Fiber Network अगर मैं उसके लिए कुछ भी कहूंगा, तो वहां से आवाज़ उठ आई यह तो हमने शुरू किया था। मैं हमने शुरू किया था, उसी से शुरू करना चाहता हूं। अब देखिए National Optical Fiber Network, 2011 से 14 तीन साल सिर्फ 59 गांव में यह Optical Fiber Network लगा और उसमें भी last mile connectivity का प्रावधान नहीं था। Procurement भी पूरी तरह centralized था, वो तो क्‍या कारण है सब जानते हैं। अब आप देखिए, हमने ..पूरी कार्य संस्‍कृति कैसे बदलती हैं, approach कैसे बदलता है। सबसे सब राज्‍यों को पहले साथ लिया। Last mile connectivity मतलब स्‍कूल में Optical Fiber Network मिलना चाहिए, अस्‍पताल में मिलना चाहिए, पंचायत घर में मिलना चाहिए। इन प्राथमिकताओं को तय किया। Procurement क्‍या था, वो भारत सरकार के हाथ से रख करके हमने उसको decentralized कर दिया। और परिणाम यह आया कि इतने कम समय में अब तक 76000 गांवो में Optical Fiber Network, last mile connectivity के साथ पूरा हो गया। + +दूसरा, अभी यहां बताया जा रहा था कल कि आप less-cash society या cash-less society के लिए बोल रहे हैं। लोगों के पास क्‍या हैं? मोबाइल.. मैं हैरान हूं, मैं तो 2007 के बाद से जितनी चुनाव सभाएं सुनी हैं आपके नेता गांव-गावं जा करके कहते हैं कि राजीव गांधी computer revolution लाएं, राजीव गांधी mobile phone लाए, राजीव गांधी ने गांव-गांव connectivity कर दी। आप ही का भाषण है और जब मैं आज कह रहा हूं कि उस मोबाइल का उपयोग bank में भी convert किया जा सकता है, तो कह रहे हैं कि mobile phone ही कहां हैं। यह समझ नहीं आ रहा है भई। आप कह रहे हैं कि हमने इतना कर दिया और जब मैं उसमें कुछ अच्‍छा जोड़ रहा हूं, तो कह रहे हैं कि वो तो है ही नहीं भई। तो यह क्‍या समझा रहे थे आपको जी। क्‍यों ऐसा कर रहे हो ? दूसरी बात है कि आप भी मानते हैं, मैं भी मानता हूं कि पूरे देश के पास सब नहीं हैं। लेकिन मान लो कि अगर 40% के पास है, तो क्‍या उन 40% लोगों को इस आधुनिक व्‍यवस्‍था से जोड़ने की दिशा हम सबका सामूहिक प्रयत्‍न रहना चाहिए कि नहीं रहना चाहिए? 60% का चलो बाद में देखेंगे। कहीं तो शुरू करें और इसका लाभ है digital currency को हम कम न आंके। आज हमारा एक-एक ATM, उसका संभालने के लिए average पांच पुलिस वाले लगते हैं। Currency को एक से दूसरे जगह ले जाने के लिए सब्‍जी और दूध के mobilization के लिए जितना खर्चा होता है, उससे ज्‍यादा उसके mobilization से खर्चा होता है। अगर हम इस बातों को समझें तो, जो कर सकते हैं, सब नहीं कर पाएंगे, हम समझ सकते हैं, लेकिन जो कर सकते हैं, उनको करने के लिए प्रोत्‍साहित करना यह नेतृत्‍व का काम होता है, किसी भी दल का हो, उससे लोगों का भला होने वाला है। अभी मुझे कोई बता रहा था एक सब्‍जी वाले ने शुरू किया। कल कोई मुझे रिपोर्ट दे करके गया। उसको पूछा तेरा क्‍या फायदा है। बोले साहब पहले क्‍या होता था एक तो मेरे ग्राहक Permanent थे। सबको मैं जानता था। अब मान लीजिए 52 Rupees का सब्‍जी लिया तो फिर वो मैडम कहती थी कि चल जेबों में पैसे नहीं है, 50 रूपये का नोट है ले लो, तो मेरे दो रूपये चले जाते थे। अब मैं भी बोल नहीं पाता था और बोलने में लगाता था हिसाब तो साल भर में मेरा आठ सौ, हजार रूपया, ये रूपया दो रूपया न देने में ही हो जाता था। बोले इसके बाद BHIM App लगाने के बाद 52 रूपया है तो 52 रूपया मिलता है। 53 रूपया है तो 53 मिलता है। 48 Rupees, 45 पैसा है तो पूरा मिलता है। बोले मेरा तो आठ सौ हजार रूपया बच गया। + +देखिए चीजें कैसे बदलती हैं और इसलिए हम कम से कम आप मोदी का विरोध करें, कोई बात नहीं आपका काम भी है, करना भी चाहिए। लेकिन जो अच्‍छी चीजें है उसको आगे बढ़ाएं। जहां मान लीजिए गांव में नहीं है। शहरों में है तो आगे तो बढ़ाओं, उसको योगदान करो, देश का भला होगा। हमको और किसी व्‍यक्ति का भला नहीं है और इसलिए मैं आग्रह करूंगा कि ऐसी चीजों में हम मदद कर सकते हैं, तो करनी चाहिए। + +कार्य और संस्‍कृति कैसे बदलती है। अब ये रोड बनाना क्‍या हमारे आने के बाद हुआ क्‍या। ये टोडरमल्ल के जमाने से चल रहा है। शेरशाह सूरी के जमाने से चल रहा है, तो यह कहना कि ये तो हमारे जवाने से था, हमारे जमाने से था। अब कहां-कहां जाओगे भाई। फर्क क्‍या है पिछली सरकार में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना प्रति दिन 69 किलोमीटर होती थी। हमारे आने के बाद 111 किलोमीटर हो गयी है, यह फर्क होता है। + +रेलवे- पहले Broad Gauge Railway का commissioning एक साल में 1500 किलोमीटर हुआ करता था। पिछले साल यह बढ़ करके 1500 किलोमीटर से सामने 3000 किलोमीटर, double और हम 3500 किलोमीटर तक और इसलिए यह परिणाम अचानक नहीं आए। योजनाबद्ध तरीके से, हर पल, हर चीज का monitor करते-करते यही लोग, यही कानून, यही मुलाजि़म, यही फाइल, यही माहौल उसके बाद भी बदलाव लाने में तेज गति से आगे बढ़ रहें हैं। और यह अचानक नहीं होता है। + +आदरणीय अध्‍यक्षा महोदया, कुछ मूलभूत परिवर्तन कैसे आते हैं। हम जानते हैं कि राज्‍यों के Electricity Board- DISCOM सारे राज्‍य संकट में हैं। तभी तो हिन्‍दुस्‍तान में लालकिले पर से इसकी चिंता की गई थी प्रधानमंत्री के द्वारा। इतनी हद तक यह हालत बिगड़ी हुई थी। पिछले दो साल में बिजली उत्पादन में क्षमता बढ़ी। Conventional Energy उसको जोड़ा गया। Transmission line उसको बढ़ाया गया, Solar Energy को लाया गया। 2014 में 2700 मेगावाट थी, आज हम उसको 9100 मेगावाट पहुंचा दिए हैं। सबसे बड़ी बात, DISCOM योजना के कारण, उदय योजना के तहत राज्‍यों को उस योजना जब वो सफल कर पाएंगे करीब-करीब 1 करोड़ 60 हजार से ज्‍यादा रकम राज्‍यों की तिजौरी में बचने वाली है और राज्‍यों के साथ जोड़ करके अगर भारत सरकार ने 1 करोड़ 60 हजार की घोषणा कर दी होती, तो चारों तरफ कहते कि वाह, मोदी सरकार ने इतना पैसा दिया। हमने योजना ऐसी बनाई कि राज्‍यों के खजानों में 1 लाख 60 हजार करोड़ रुपया DISCOM के द्वारा, उदय योजना के द्वारा बचत होने वाली है, जो उनके लिए विकास के काम आने वाली है और ऊर्जा क्षेत्र का जो बोझ है उस बोझ से वो बचने वाले हैं। + +LED Bulb- अब यह तो हम नहीं कहते कि हम LED Bulb लाए। वैज्ञानिक शोध हुई, आपने भी शुरू किया। लेकिन आपके समय वो LED Bulb करीब तीन सौ, साढ़े तीन सौ, तीन सौ अस्‍सी उस रुपये में चलते थे। LED Bulb से energy saving होता है हमने बड़ा mission रूप में काम उठाया और करीब-करीब इतने कम समय में पिछले आठ-नौ महीने में इस योजना को बल दिया है। इतने कम समय में 21 करोड़ LED Bulb लगाने में हमने सफलता पाई है और तेज गति से आगे बढ़ रहे हैं। और अब तक जो LED Bulb लगे हैं उसके कारण परिवारों में जो बिजली का बिल आता था, वो जो बिजली का बिल कम हुआ है, वो परिवारों में करीब-करीब 11000 करोड़ रुपयों की बचत हुई है। अगर किसी सरकार ने बजट में 11000 करोड़ बिजली उपभोक्‍ताओं को देने का तय किया होता, तो अखबारों में Head-Line बनती। हमने LED Bulb लगाने मात्र से 11000 करोड़ बिजली का बिल सामान्‍य मानव के घर में कम किया है। कार्य संस्‍कृति अलग होती है, तो कैसा परिवर्तन आता है इसका यह नमूना है। + +यहां पर हमारे विपक्ष के नेता Scheduled Casts के बजट को ले करके भाषण कर रहे थे। लेकिन बड़ी चतुराई पूर्वक 13-14 के आंकड़ों को उन्‍होंने बोलना अच्‍छा नहीं माना। तुक्‍का लगाते थे 13-14 आता था अटक जाते थे। Scheduled Casts Sub-Plan कुल आवंटन 2012-13- 37113; 13-14- 41561; 16-17- 38833; 16-17 – 40920, 33.7% Increase और इस साल के बजट में 52393; और इसलिए सत्‍य सुनने के लिए हिम्‍मत चाहिए एक और मैं काम बताना चाहता हूं, ये सरकार भ्रष्‍टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाली सरकार है। भ्रष्‍टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने के समय किस प्रकार से काम किए जाते हैं। + +17 मंत्रालय के 84 योजनाएं, हमने Direct Benefit Transfer AADHAR योजना के साथ जोड़ करके उसको आगे किया और 32 करोड़ लोगों को 1 लाख 56 हजार करोड़ रूपया Direct Benefit Transfer स्‍कीम में दिया गया। अब उससे क्‍या लाभ हुआ है, और इसको समझना होगा कि किस प्रकार से हर गली-मौहल्‍ले में चोरी लूट की व्‍यवस्‍था रही थी। और मैं जानता हूं इतनी बारीकी से हर जगह पर चोरी लूट को रोकूंगा तो मेरे पर कितना तूफान होगा। और तब जा करके मैंने गोवा में बोला था कि मैं जानता हूं मैं ऐसे निर्णय करता हूं। मेरे पर क्‍या बीतेगी। मेरे को मालूम है। आज भी मालूम है। और इसमें दोबारा कहता हूं ऐसे-ऐसे बड़े लोगों को तकलीफ हो रही है और ज्‍यादा होने वाली है। उसके कारण मुझे अंदाजा है मुझ पर क्‍या जुल्‍म होने वाले हैं। उसके लिए तैयार हूं। क्‍योंकि देश के लिए, मैंने यह प्रण ले करके निकला हुआ इंसान हूं और इसलिए मैं कदम उठा रहा हूं। + +आदरणीय अध्‍यक्षा जी, हमारे देश की ग्रामीण अर्थ-कारण को मजबूत किए बिना देश का अर्थ-कारण आगे नहीं बढ़ता है। मैं हैरान हूँ हमारे विपक्षी नेता को राष्‍ट्रपति जी के संबोधन में दलित, पीडि़त, शोषित, वंचित, युवा मजदूर इनके उल्‍लेख से भी परेशानी हुई है क्‍या इस देश में दलित, पीडि़त, शोषित, वंचित इन लोगों को इन लोगों का क्‍या उन लोगों का राष्‍ट्रपति के भाषण में स्‍थान नहीं होना चाहिए। उससे पीड़ा होनी चाहिए मैं हैरान हूँ कि ऐसी पीड़ा क्‍यों होनी चाहिए। हमने कृषि सिंचाई योजना पर बल दिया है क्‍योंकि मैं मानता हूँ कि अब आप देखिए MGNREGA में कैसा मूलभूत परिवर्तन आया है आपने तीन साल में सिर्फ 600 करोड़ रूपया बढ़ाया था। हमने आ करके दो साल में 11000 करोड़ रूपया बढ़ा दिया है। क्‍यों हमने उसमें space technology का उपयोग किया है, हमने उसके अंदर zero taking की व्‍यवस्‍था की है और हमने बल दिया है बल दिया है कि तालाब तालाब पर बल दिया जाएगा कि सिंचाई चाहिए सबसे बड़ी बात है मत्‍स्‍य पालन के लिए भी छोटे-छोटे तालाब चाहिए। गरीब व्‍यक्ति कता सकता है और उसके कारण करीब 10 लाख से ज्‍यादा तालाब बनाने का संकल्‍प ले करके हम चल रहे हैं और पिछले बार भी हमने तालाब की ओर बल दिया था। उसी से हमारे जो किसान हैं उनको एक बहुत बड़ा लाभ होने की संभावना है। monitoring की व्‍यवस्‍था है zero taking के कारण monitoring की व्‍यवस्‍था है उसका भी लाभ होगा। और space technology सेटेलाइट के अंदर बहुत चीजें होने के कारण भी हम उसका उपयोग नहीं किए हमने सेटेलाइट छोड़ करके अख़बारों सुरखियों में जगह बना लिया। ये सरकार है जिसने लगातार भरपूर प्रयास किया है और उसको भी आगे बढ़ाने के लिए काम करें। + +प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना- फसल बीमा पहले भी थी लेकिन फसल बीमा लेने के लिए किसान पहले तैयार नहीं था। फसल बीमा पहले भी थी लेकिन किसान के हकों की रक्षा नहीं होती थी। मैं चाहुँगा हम सब सार्वजनि‍क जीवन में काम करने वाले लोग हैं। राजनीतिक दल के सिवाय भी समाज के प्रति हमारी एक जिम्‍मेवारी है। इस सदन के सभी लोग प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का अध्‍ययन करें और हमारे इलाके के किसानों को कैसे मदद मिल सकती है इसके लिए इसका फायदा पहुँचाएं। पहली बार बुआई न हुई हो तो प्राकृतिक आपदा के कारण तो भी वो बीमा का हकदार बना है और फसल काटने के बाद भी अगर 15 दिन के अन्‍दर-अन्‍दर कोई और आपदा आयी तो भी वो फसल बीमा का हकदार बने, ये निर्णय छोटा नहीं है और इसलिए ये हम सब का दायित्‍व बनता है कि हम हमारे किसानों को ये जो लाभ मिला है उस राज्‍य को हम पहुँचाएं। + +Soil Health Card- राजनीतिक मदभेद हो सकता है लेकिन अपने इलाके के किसानों को Soil Health Card समझाइए। उनका फायदा होगा उनकी लागत कम हो जाएगी। सही भूमि पर सही फसल से उपयुक्‍त लाभ होगा। ये सीधा-सीधा विज्ञान है, उसमें राजनीति करने की कोई जरूरत नहीं है। इसको हमें आगे बढ़ाना चाहिए और उसमें मैं तो चाहुँगा छोटे-छोटे Entrepreneur आगे आएं खुद अपनी Private Lab बनाएं और वे खुद Certify Labs के द्वारा धीरे-धीरे गॉंवों में भी एक नए रोजगार का क्षेत्र भी खुले उस दिशा में हमें काम करना चाहिए। + diff --git a/pm-speech/798.txt b/pm-speech/798.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..15b76370fad3e85e41355ef74187a7c7886d8189 --- /dev/null +++ b/pm-speech/798.txt @@ -0,0 +1,10 @@ +ये बजट देश के विकास के लिए पिछले ढाई वर्ष में जो कदम उठाए गए, जो फैसले लिए गए और भविष्‍य में और मजबूती के साथ आगे बढ़ने के इरादों के बीच ये एक बहुत महत्‍तवपूर्ण कड़ी है। इस बजट को मैं देख रहा हूँ, एक अन्‍य महत्‍तवपूर्ण कदम है कि रेलवे बजट को General Budget में merge कर दिया गया है। इससे पूरे ट्रांसपोर्ट सेक्‍टर उसको Integrated planning में मदद मिलेगी। + +Agriculture, Animal husbandry, Dairy, fisheries, watershed development, स्‍वच्‍छ भारत मिशन ये सारे क्षेत्र ऐसे हैं जो गॉंव की आर्थिक स्थिति में बहुत बड़ा बदलाव भी लाएंगे और ग्रामीण जीवन जीने वाले लोगों के Quality of life में भी बहुत बड़ा बदलाव लाएंगे। बजट में रोजगार बढ़ाने पर भी भर पूर जोश दिया गया है नौकरी के लिए नए- नए अवसर पैदा करने वाले सेक्‍टर Electronic manufacturing, Textile उसको विशेष राशि दी गयी है, असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले लोगों को, संगठित क्षेत्र में लाने के लिए भी व्‍यापक प्रावधान किए गए हैं। Skill development बजट में काफी बढोत्‍तरी की गयी है ये हमारे देश के युवाओं को ध्‍यान में रख करके और जो Demographic dividend है इसका भरपुर फायदा भारत को मिले उस पर ध्‍यान केंद्रित किया है। + +महात्‍मा गांधी नेशनल रुरल गॉरेंटी स्‍कीम उसके लिए भी अब तक जितना हुआ है किसी भी वर्ष में न हुआ हो इतना रिकार्ड आवंटन किया गया है। बजट में महिला कल्‍याण पर भी विशेष ध्‍यान दिया गया है, महिलाओं और बच्‍चों से जुड़ी योजनाओं के लिए बजट में वृद्धि की गयी है, सवास्‍थ्‍य और उच्‍च शिक्षा के लिए भी बजट में काफी बढोत्‍तरी की गयी है। आर्थिक विकास में तेजी लाने और रोजगार के नए अवसर बनाने में Housing और construction Sector इसकी बहुत बड़ी भूमिका है ये बजट ग्रामीण के साथ- साथ शहरी इलाकों में भी Housing Sector को मजबूती प्रदान करने वाला है। रेलवे के बजट में एक बात पर विशेष बल दिया है और वो है रेलवे सेफ्टी फंड इस फंड की मदद से रेलवे सुरक्षा पर पर्याप्‍त धन – राशि खर्च करने में मदद मिलेगी। बजट में रेलवे और रोड Infrastructure, Capital expenditure में काफी बढोत्‍तरी कर दी गयी है। + +Digital Economy के लिए जो comprehensive package दिया गया है उससे टैक्‍स चोरी की संभावनाएं कम होंगी और अर्थ व्‍यवस्‍था में काले धन के प्रवाह पर नियंत्रण संभव होगा। Digital Economy को एक मिशन के तौर पर शुरू किए जाने से आने वाले वर्ष में 2017-18 में दो हजार पांच सौ करोड़ Digital transaction के बड़े लक्ष्‍य को प्राप्‍त करने में बहुत बड़ी मदद मिलेगी। हमारे वित्‍तमंत्री जी ने कर प्रणाली में जो सुधार और संशोधन किए हैं उससे मध्‍यम वर्ग को राहत मिलेगी उद्योगों की स्‍थापना होगी, रोजगार के अवसर मिलेंगे, भेद-भाव के अवसर खत्‍म होंगे और सबसे महत्‍तवपूर्ण पहलू है कि निजी निवेश को प्रोत्‍साहन मिलेगा। + +बजट में वैयक्तिगत Income Tax कम करने की घोषणा देश के मध्‍यम वर्ग को ज्‍यादा स्‍पर्श करती है, बड़ी महत्‍तवपूर्ण है। 10 प्रतिशत से एकदम 5 प्रतिशत कर देना बड़ा साहसपूर्ण निर्णय है। करीब-करीब हिन्‍दुस्‍तान के अधिकतम कर दाताओं को इससे बहुत बड़ा लाभ होने वाला है। आपने देखा होगा बजट में कालेधन और भ्रष्‍टाचार के खिलाफ मेरी लड़ाई निरंतर चल रही है। Political Funding की चर्चा हमारे देश में बहुत होती रही है, राजनीतिक दल हमेशा चर्चा के घेरे में रहे हैं, चुनाव के अंदर Donation एकत्र करने की नयी योजना भी वित्‍तमंत्री जी ने देश की आशा और आकांक्षा और काले धन के खिलाफ अपनी लड़ाई के अनुरूप प्रस्‍तुत की है। देश के छोटे और मध्‍यम उद्योग नौकरी के नए अवसर पैदा करने के सबसे बड़े स्रोत हैं। इन उद्योगों की पूरानी मॉंग रही है कि Global competition में वैश्विक स्‍तर पर मुकाबला करने में उनकों कठिनाइयां आ रही हैं। अगर इसके लिए टैक्‍स कम किया जाए तो हमारे लघु उद्योग जो कि करीब-करीब 90 प्रतिशत से ज्‍यादा हैं, देश में और इसलिए सरकार ने छोटे-छोटे उद्योगों को और उसमें परिभाषा में बदलाव करके उनके दायरे को भी बढाया है और टैक्‍स को भी 30 प्रतिशत से घटा करके 25 प्रतिशत कर दिया है। यानि देश के उद्योग जगत के 90 प्रतिशत से ज्‍यादा लोग इसका लाभ ले पाएंगे। ये फैसला मुझे विश्‍वास है कि देश के छोटे उद्योगों को Globally competitive बनने में बहुत बड़ी मदद करेगा। + diff --git a/pm-speech/80.txt b/pm-speech/80.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..1331d4a8f64b906ad50f81b9350aad4dc7408bb9 --- /dev/null +++ b/pm-speech/80.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +अपनी बीमारी से परेशान मरीज और मरीज के रिश्तेदारों को थोड़ी सी भी सहूलियत मिल जाती है, तो बीमारी से लड़ने का उनका हौसला भी बढ़ जाता है। ये सहूलियत देना भी एक तरह से सेवा ही है। जब मरीज को आयुष्मान भारत योजना के तहत मुफ्त में इलाज मिलता है, तो वो उसकी सेवा होती है। ये सेवाभाव ही है जिसकी वजह से हमारी सरकार ने कैंसर की लगभग 400 दवाओं की कीमतों को कम करने के लिए कदम उठाए। ये सेवाभाव ही है जिसकी वजह से गरीबों को जन औषधि केंद्रों से बहुत सस्ती, बहुत मामूली कीमत में दवाएं दी जा रही हैं। और मध्यम वर्ग के परिवार जिनके घर में कभी साल भर दवाईयाँ लेनी पड़ती हैं। ऐसे परिवारों को तो साल में 10,12- 15 हजार रुपये की बचत हो रही है।  अस्पतालों में हर प्रकार की ज़रूरी सुविधाएं मिलें, अपॉइंटमेंट सरल और सुविधाजनक हो, अपॉइंटमेंट में कोई कठिनाई न हो ।  इस पर भी बहुत ध्यान दिया जा रहा है। मुझे संतोष है कि आज भारत में इंफोसिस फाइंडेशन जैसे अनेक संस्थान, सेवा परमो धर्म: के इसी सेवा भाव से, गरीबों की मदद कर रहे हैं, उनका जीवन आसान बना रहे हैं। और जैसा अभी सुधा जी ने बड़े विस्तार से पत्रम्- पुष्पम् की बात कही और मैं समझता हूँ, सभी देशवासियों का यह कर्तव्य बनता है कि जीवन में जब भी जहाँ कोई भी पुष्प सेवाभाव से समर्पित करने का अवसर मिले, हमें कभी भी इस अवसर को जाने नहीं देना चाहिए। + diff --git a/pm-speech/800.txt b/pm-speech/800.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..d61bd2095c970e4477736c80313b41b79df3b7e9 --- /dev/null +++ b/pm-speech/800.txt @@ -0,0 +1,10 @@ +“सर, मैं आपसे इतना कहना चाहती हूँ कि exams के time पे अक्सर ऐसा होता है कि हमारे घर में, आस-पड़ोस में, हमारी society में बहुत ही ख़ौफ़नाक और डरावना माहौल बन जाता है। इस वजह से student Inspiration तो कम, लेकिन down बहुत हो जाते है। तो मैं आपसे इतना पूछना चाहती हूँ कि क्या ये माहौल ख़ुशनुमा नहीं हो सकता?” + +खैर, सवाल तो सृष्टि ने पूछा है, लेकिन ये सवाल आप सबके मन में होगा। परीक्षा अपने-आप में एक ख़ुशी का अवसर होना चाहिये। साल भर मेहनत की है, अब बताने का अवसर आया है, ऐसा उमंग-उत्साह का ये पर्व होना चाहिए। बहुत कम लोग हैं, जिनके लिए exam में pleasure होती है, ज़्यादातर लोगों के लिए exam एक pressure होती है। निर्णय आपको करना है कि इसे आप pleasure मानेंगे कि pressure मानेंगे। जो pleasure मानेगा, वो पायेगा; जो pressure मानेगा, वो पछताएगा। और इसलिये मेरा मत है कि परीक्षा एक उत्सव है, परीक्षा को ऐसे लीजिए, जैसे मानो त्योहार है। और जब त्योहार होता है, जब उत्सव होता है, तो हमारे भीतर जो सबसे best होता है, वही बाहर निकल कर के आता है। समाज की भी ताक़त की अनुभूति उत्सव के समय होती है। जो उत्तम से उत्तम है, वो प्रकट होता है। सामान्य रूप से हमको लगता है कि हम लोग कितने Indisciplined हैं, लेकिन जब 40-45 दिन चलने वाले कुम्भ के मेलों की व्यवस्था देखें, तो पता चलता है कि ये make-shift arrangement और क्या discipline है लोगों में। ये उत्सव की ताक़त है। exam में भी पूरे परिवार में, मित्रों के बीच, आस-पड़ोस के बीच एक उत्सव का माहौल बनना चाहिये। आप देखिए, ये pressure, pleasure में convert हो जाएगा। उत्सवपूर्ण वातावरण बोझमुक्त बना देगा। और मैं इसमें माता-पिता को ज़्यादा आग्रह से कहता हूँ कि आप इन तीन-चार महीने एक उत्सव का वातावरण बनाइए। पूरा परिवार एक टीम के रूप में इस उत्सव को सफल करने के लिए अपनी-अपनी भूमिका उत्साह से निभाए। देखिए, देखते ही देखते बदलाव आ जाएगा। हक़ीक़त तो ये है कि कन्याकुमारी से कश्मीर तक और कच्छ से ले करके कामरूप तक, अमरेली से ले करके अरुणाचल प्रदेश तक, ये तीन-चार महीने परीक्षा ही परीक्षायें होती हैं। ये हम सब का दायित्व है कि हम हर वर्ष इन तीन-चार महीनों को अपने-अपने तरीक़े से, अपनी-अपनी परंपरा को लेते हुए, अपने-अपने परिवार के वातावरण को लेते हुए, उत्सव में परिवर्तित करें। और इसलिए मैं तो आपसे कहूँगा ‘smile more score more’. जितनी ज़्यादा ख़ुशी से इस समय को बिताओगे, उतने ही ज़्यादा नंबर पाओगे, करके देखिए। और आपने देखा होगा कि जब आप खुश होते हैं, मुस्कुराते हैं, तो आप relax अपने-आप को पाते हैं। आप सहज रूप से relax हो जाते हैं और जब आप relax होते हैं, तो आपकी वर्षों पुरानी बातें भी सहज रूप से आपको याद आ जाती हैं। एक साल पहले classroom में teacher ने क्या कहा, पूरा दृश्य याद आ जाता है। और आपको ये पता होना चाहिए, memory को recall करने का जो power है, वो relaxation में सबसे ज़्यादा होता है। अगर आप तनाव में है, तो सारे दरवाज़े बंद हो जाते हैं, बाहर का अंदर नहीं जाता, अंदर का बाहर नहीं आता है। विचार प्रक्रिया में ठहराव आ जाता है, वो अपने-आप में एक बोझ बन जाता है। exam में भी आपने देखा होगा, आपको सब याद आता है। किताब याद आती है, chapter याद आता है, page number याद आता है, page में ऊपर की तरफ़ लिखा है कि नीचे की तरफ़, वो भी याद आता है, लेकिन वो particular शब्द याद नहीं आता है। लेकिन जैसे ही exam दे करके बाहर निकलते हो और थोड़ा सा कमरे के बाहर आए, अचानक आपको याद आ जाता है – हाँ यार, यही शब्द था। अंदर क्यों याद नहीं आया, pressure था। बाहर कैसे याद आया? आप ही तो थे, किसी ने बताया तो नहीं था। लेकिन जो अंदर था, तुरंत बाहर आ गया और बाहर इसलिये आया, क्योंकि आप relax हो गए। और इसलिये memory recall करने की सबसे बड़ी अगर कोई औषधि है, तो वो relaxation है। और ये मैं अपने स्वानुभव से कहता हूँ कि अगर pressure है, तो अपनी चीज़ें हम भूल जाते हैं और relax हैं, तो कभी हम कल्पना नहीं कर सकते, अचानक ऐसी-ऐसी चीज़ें याद आ जाती हैं, वो बहुत काम आ जाती हैं। और ऐसा नहीं है कि आप के पास knowledge नहीं है, ऐसा नहीं है कि आप के पास Information नहीं है, ऐसा नहीं है कि आपने मेहनत नहीं की है। लेकिन जब tension होता है, तब आपका knowledge, आपका ज्ञान, आपकी जानकारी नीचे दब जाती हैं और आपका tension उस पर सवार हो जाता है। और इसलिये आवश्यक है, ‘A happy mind is the secret for a good mark-sheet’. कभी-कभी ये भी लगता है कि हम proper perspective में परीक्षा को देख नहीं पाते हैं। ऐसा लगता है कि वो जीवन-मरण का जैसे सवाल है। आप जो exam देने जा रहे हैं, वो साल भर में आपने जो पढ़ाई की है, उसकी exam है। ये आपके जीवन की कसौटी नहीं है। आपने कैसा जीवन जिया, कैसा जीवन जी रहे हो, कैसा जीवन जीना चाहते हो, उसकी exam नहीं है। आपके जीवन में, classroom में, notebook ले करके दी गई परीक्षा के सिवाय भी कई कसौटियों से गुज़रने के अवसर आए होंगे। और इसलिये, परीक्षा को जीवन की सफलता-विफलता से कोई लेना-देना है, ऐसे बोझ से मुक्त हो जाइए। हमारे सबके सामने, हमारे पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जी का बड़ा प्रेरक उदाहरण है। वे वायुसेना में भर्ती होने गए, fail हो गए। मान लीजिए, उस विफलता के कारण अगर वो मायूस हो जाते, ज़िंदगी से हार जाते, तो क्या भारत को इतना बड़ा वैज्ञानिक मिलता, इतने बड़े राष्ट्रपति मिलते! नहीं मिलते। कोई ऋचा आनंद जी ने मुझे एक सवाल भेजा है: – + +ऋचा जी, ने एक बात ये भी कही है ‘प्रतिस्पर्द्धा’। ये एक बहुत बड़ी मनोवैज्ञानिक लड़ाई है। सचमुच में, जीवन को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिस्पर्द्धा काम नहीं आती है। जीवन को आगे बढ़ाने के लिए अनुस्पर्द्धा काम आती है और जब हम अनुस्पर्द्धा मैं कहता हूँ, तो उसका मतलब है, स्वयं से स्पर्द्धा करना। बीते हुए कल से आने वाला कल बेहतर कैसे हो? बीते हुए परिणाम से आने वाला अवसर अधिक बेहतर कैसे हो? अक्सर आपने खेल जगत में देखा होगा। क्योंकि उसमें तुरंत समझ आता है, इसलिए मैं खेल जगत का उदहारण देता हूँ। ज़्यादातर सफल खिलाड़ियों के जीवन की एक विशेषता है कि वो अनुस्पर्द्धा करते हैं। अगर हम श्रीमान सचिन तेंदुलकर जी का ही उदहारण ले लें। बीस साल लगातार अपने ही record तोड़ते जाना, खुद को ही हर बार पराजित करना और आगे बढ़ना। बड़ी अदभुत जीवन यात्रा है उनकी, क्योंकि उन्होंने प्रतिस्पर्द्धा से ज्यादा अनुस्पर्द्धा का रास्ता अपनाया। + +अगर परीक्षा के दिनों में, मैं आपको खेल-कूद की बात करूँगा, तो आपके teacher, आपके parents ये मुझ पर गुस्सा करेंगे, वो नाराज़ हो जाएँगे कि ये कैसा प्रधानमंत्री है, बच्चों को exam के समय में कह रहा है, खेलो। क्योंकि आम तौर पर धारणा ऐसी है कि अगर विद्यार्थी खेल-कूद में ध्यान देते हैं, तो शिक्षा से बेध्यान हो जाते हैं। ये मूलभूत धारणा ही ग़लत है, समस्या की जड़ वो ही है। सर्वांगीण विकास करना है, तो किताबों के बाहर भी एक ज़िन्दगी होती है और वो बहुत बड़ी विशाल होती है। उसको भी जीने का सीखने का यही समय होता है। कोई ये कहे कि मैं पहले सारी परीक्षायें पूर्ण कर लूँ, बाद में खेलूँगा, बाद में ये करूँगा, तो असंभव है। जीवन का यही तो moulding का time होता है। इसी को तो परवरिश कहते हैं। दरअसल परीक्षा में मेरी दृष्टि से तीन बातें बहुत ज़रुरी हैं – proper rest आराम, दूसरा जितनी आवश्यक है शरीर के लिये, उतनी नींद और तीसरा दिमागी activity के सिवाय भी शरीर एक बहुत बड़ा हिस्सा है। तो शरीर के बाकी हिस्सों को भी physical activity मिलनी चाहिए। क्या कभी सोचा है कि जब इतना सारा सामने हो, तो दो पल बाहर निकल कर ज़रा आसमान में देखें, ज़रा पेड़-पौधों की तरफ देखें, थोड़ा-सा मन को हल्का करें, आप देखिए, एक ताज़गी के साथ फिर से आप अपने कमरे में, अपनी किताबों के बीच आएँगे। आप जो भी कर रहे हों, थोड़ा break लीजिए, उठ करके बाहर जाइए, kitchen में जाइए, अपनी पसंद की कोई चीज़ है, ज़रा खोजिए, अपनी पसंद का biscuit मिल जाए, तो खाइए, थोड़ी हँसी-मज़ाक कर लीजिए। भले पांच मिनट क्यों न हो, लेकिन आप break दीजिए। आपको महसूस होगा कि आपका काम सरल होता जा रहा है। सबको ये पसंद है कि नहीं, मुझे मालूम नहीं, लेकिन मेरा तो अनुभव है। ऐसे समय deep breathing करते हैं, तो बहुत फ़ायदा होता है। गहरी साँस आप देखिए बहुत relax हो जाता है। गहरी साँस भी लेने के लिये कोई कमरे में fit रहने की ज़रुरत नहीं है। ज़रा खुले आसमान के नीचे आएँ, छत पर चले जाएँ, पांच मिनट गहरी साँस ले करके फिर अपने पढ़ने के लिए बैठ जाएँ, आप देखिए, शरीर एक दम से relax हो जाएगा और शरीर का जो relaxation आप अनुभव करते हैं न, वो दिमागी अंगों का भी उतना ही relaxation कर देता है। कुछ लोगों को लगता है, रात को देर-देर जागेंगे, ज़्यादा-ज़्यादा पढ़ेंगे – जी नहीं, शरीर को जितनी नींद की आवश्यकता है, वो अवश्य लीजिए, उससे आपका पढ़ने का समय बर्बाद नहीं होगा, वो पढ़ने की ताक़त में इज़ाफ़ा करेगा। आपका concentration बढ़ेगा, आपकी ताज़गी आएगी, freshness होगा। आपकी efficiency में overall बहुत बड़ी बढ़ोतरी होगी। मैं जब चुनाव में सभायें करता हूँ, तो कभी-कभी मेरी आवाज़ बैठ जाती है। तो मुझे एक लोक गायक मिलने आए। उन्होंने मुझे आकर के पूछा – आप कितने घंटे सोते हैं। मैंने कहा – क्यों भाई, आप डॉक्टर हैं क्या? नहीं-नहीं, बोले – ये आपका आवाज़ जो चुनाव के समय भाषण करते-करते ख़राब हो जाता है, उसका इसके साथ संबंध है। आप पूरी नींद लेंगे, तभी आपके vocal cord को पूरा rest मिलेगा। अब मैंने नींद को और मेरे भाषण को और मेरी आवाज़ को कभी सोचा ही नहीं था, उन्होंने मुझे एक जड़ी-बूटी दे दी। तो सचमुच में हम इन चीज़ों का महत्व समझें, आप देखिए, आपको फ़ायदा होगा। लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि बस सोते ही रहें, लेकिन कुछ कहेंगे कि प्रधानमंत्री जी ने कह दिया है, अब बस जागने की ज़रुरत नहीं है, सोते रहना है। तो ऐसा मत करना, वरना आपके परिवार के लोग मेरे से नाराज़ हो जाएँगे। और आपकी अगर marks-sheet जिस दिन आएगी, तो उनको आप नहीं दिखाई दोगे, मैं ही दिखाई दूँगा। तो ऐसा मत करना। और इसलिये मैं तो कहूँगा ‘P for prepared and P for play’, जो खेले वो खिले, ‘the person who plays, shines’. मन, बुद्धि, शरीर उसको सचेत रखने के लिये ये एक बहुत बड़ी औषधि है। + +प्यारे देशवासियो, 1 फरवरी 2017 Indian Coast Guard के 40 वर्ष पूरे हो रहे हैं। इस अवसर पर मैं Coast Guard के सभी अधिकारियों एवं जवानों को राष्ट्र के प्रति उनकी सेवा के लिये धन्यवाद देता हूँ। ये गर्व की बात है कि Coast Guard देश में निर्मित अपने सभी 126 ships और 62 aircrafts के साथ विश्व के 4 सबसे बड़े Coast Guard के बीच अपना स्थान बनाए हुए है। Coast Guard का मंत्र है ‘वयम् रक्षामः’। अपने इस आदर्श वाक्य को चरितार्थ करते हुए, देश की समुद्री सीमाओं और समुद्री परिवेश को सुरक्षित करने के लिये Coast Guard के जवान प्रतिकूल परिस्थितियों में भी दिन-रात तत्पर रहते हैं। पिछले वर्ष Coast Guard के लोगों ने अपनी जिम्मेवारियों के साथ-साथ हमारे देश के समुद्र तट को स्वच्छ बनाने का बड़ा अभियान उठाया था और हज़ारों लोग इसमें शरीक़ हुए थे। Coastal Security के साथ-साथ Coastal Cleanness इसकी भी चिंता की उन्होंने, ये सचमुच में बधाई के पात्र हैं। और बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि हमारे देश में Coast Guard में सिर्फ़ पुरुष नहीं हैं, महिलायें भी कन्धे से कन्धा मिला कर समान रूप से अपनी जिम्मेवारियाँ निभा रहीं हैं और सफलतापूर्वक निभा रहीं हैं। Coast Guard की हमारी महिला अफ़सर Pilot हों, Observers के रूप में काम हों, इतना ही नहीं, Hovercraft की कमान भी संभालती हैं। भारत के तटीय सुरक्षा में लगे हुए और सामुद्रिक सुरक्षा एक महत्वपूर्ण विषय आज विश्व का बना हुआ है, तब मैं Indian Coast Guard के 40वीं वर्षगांठ पर उनको बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। + diff --git a/pm-speech/801.txt b/pm-speech/801.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..4d3fb1af5c792648b18f70b4bb0dd15af47b3284 --- /dev/null +++ b/pm-speech/801.txt @@ -0,0 +1,8 @@ +इन दि‍नों लोग Digital Currency की ओर कैसे जाएं, उसका एक अभि‍यान चल रहा है। NCC के Cadets ने उसको आगे बढ़ाया है। नोट, नोट की छपाई, छपाई करने के बाद नोट को गांव-गांव पहुंचाना, अरबों रुपयों का खर्च होता है। एक–एक ATM को संभालने के लि‍ए पांच-पांच पुलि‍स वाले लगते हैं। अगर हम डि‍जि‍टल की ओर चले जाएं तो देश के कि‍तने पैसे बचा सकते हैं और वो पैसे गरीब को घर देने के लि‍ए, गरीब को शि‍क्षा देने के लि‍ए, गरीब को दवाई देने के लि‍ए, गरीब के बच्‍चों को अच्‍छे संस्‍कार देने के लि‍ए वो धन काम में आ सकता है। हमारी जेब से कुछ भी दि‍ए बि‍ना, खुद की पॉकेट से कोई अलग खर्चा कि‍ए बि‍ना, अगर हम देश में Digital Payment की आदत डाल दें। + +BHIM app, बाबा साहेब अम्‍बेडकर का स्‍मरण करते हुए BHIM app अपने मोबाइल फोन पर डाउनलोड करे और BHIM app से लोगों को कारोबार करने की आदत डालें, अपने परि‍वार के हर व्‍यक्‍ति‍ को आदत डालें, जहां से हम खरीद-बि‍क्री करते हैं उस दुकानदार को आदत डालें, आपको कल्‍पना नहीं होगी, उतनी बड़ी सेवा देश को कर पाएंगे और हि‍न्‍दुस्‍तान का हर नागरि‍क इस काम को कर सकता है। + +बदलते हुए युग में बदलती हुई व्‍यवस्‍थाओं को और जब technology driven society है तब भारत वि‍श्‍व में कहीं पीछे नहीं रह सकता है। जि‍स देश के पास 65 प्रति‍शत जनसंख्‍या 35 साल से कम उम्र की हो, Demographic Dividend के नाम पर दुनि‍या में हम सीना तानकर के, आंख से आंख मि‍लाकर के बात करते हो, उस देश के 800 million youth अगर एक बार ठान लें कि‍ अर्थव्‍यवस्‍था में इतना बड़ा बदलाव लाने के लि‍ए हमें योगदान करना है, कोई कल्‍पना भी नहीं कर सकता है कि‍ प्रधानमंत्री से भी ज्‍यादा या वि‍त्‍तमंत्री से भी ज्‍यादा बहुत बड़ा काम हि‍न्‍दुस्‍तान का नौजवान कर सकता है। बदलाव ला सकता है। NCC ने भी इस जि‍म्‍मेवारी को उठाया है। मुझे वि‍श्‍वास है कि‍ वो इसे परि‍पूर्ण करते रहेंगे। + +NCC के Cadet देशभक्‍ति‍ से भरे हुए होते हैं। अनुशासन इनकी वि‍शेषता होती है। मि‍लकर के काम करना इनका स्‍वभाव होता है। कदम से कदम मि‍लाकर के चलना, कंधे से कंधा मि‍लाकर के चलना लेकि‍न साथ-साथ मि‍लकर के सोचना, सोचकर के चलना, चलकर के पाना, ये NCC की वि‍शेषता होती है। इसलि‍ए आज जब वि‍श्‍व आतंकवाद की चुनौती को झेल रहा है, तब हमारी युवा पीढ़ी में समाज के प्रति‍, देश के प्रति‍ अपनेपन का भाव नि‍रंतर जगाते रहना पड़ता है। हमारे यहां कहावत है, ‘राष्‍ट्रम जाग्रयाम व्‍यं’। नि‍रंतर जागरूक। इसके लि‍ए चौकन्‍ना रहना होता है। हमारे आस-पास का कोई नौजवान कहीं गलत रास्‍ते पर तो नहीं चल पड़ रहा है, उसको रोकना होगा। जीवन में कोई ऐसी बुराइयां तो नहीं आ रही हैं जो उसको तो तबाह करें, उसके पूरे परि‍वार को तबाह करें और समाज के लि‍ए वो बोझ बन जाएगा। अगर हम जागरुक होंगे तो अपने अगल-बगल के परि‍सर को, अपने साथि‍यों को भी, भले वो NCC में हों या न हों, हम उसे भी, जि‍स sense of mission को हमने पाया है, जि‍स जीवन के मकसद को हमने जाना है, उसको भी उसका प्रसार प्राप्‍त हो सकता है और वो भी हमारी राह पर चल सकता है। + diff --git a/pm-speech/803.txt b/pm-speech/803.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..4fb9f0dab50b0f264b520e3e7aff0607d8bdc6c3 --- /dev/null +++ b/pm-speech/803.txt @@ -0,0 +1,22 @@ +जब तक हम एक राज्‍य की अपनी एक पहचान नहीं बनाते है शायद राज्‍य में भी कुछ इलाके होते हैं जिसकी पहचान खड़ी की जा सकती है। अब आप लोग हिमाचल जाएंगे तो सोलन की तरफ जाएंगे तो वहां पर बोर्ड लगे रहते हैं – सोलन की ओर, ये Mushroom City है। मै जब हिमाचल में काम करता था तब का मेरा अनुभव है तो उन्‍होंने उसको एक Mushroom City के रूप में popular कर दिया। अगर आप सूरत जाएंगे तो सूरत के लोगों ने उसको Silk City के रूप में popular कर दिया। हमने अपनी ऐसी जो-जो विरासतें हैं उसका एक special branding बड़ा carefully अपने इलाकों का, अपने शहरों का, हम उस दिशा में conscious प्रयास नहीं करते। आप लोग बैठे हैं चर्चा करेंगे, हो सकता है इसमें से कई मुद्दे आपको निकलकर के आएंगे। + +आज विश्‍व में टूरिज्‍म बहुत तेज गति से आगे बढ़ने वाला व्‍यवसायिक क्षेत्र है। सबसे तेज गति से उसका growth हो रहा है। दुनिया का middle class, upper middle class का bulk बढ़ता चला जा रहा है। upper middle class, middle class के लोग अपना धन बाहर जा करके खर्च करने के लिए तैयार भी होते हैं। भारत जैसा देश विश्‍व के टूरिज्‍म को हम हमारा target group के रूप में सोच सकते हैं क्‍या? दुनिया को क्‍या चाहिए, हमारे देश में किस इलाके में क्‍या है, क्‍या हमने कभी विश्‍व के 50 देश वहां के Tourist की Psychology को Analyzes किया है क्‍या? उसमें यूरोप का Tourist टूरिस्‍ट होगा तो उसको ये ये चीजें देखने का शौक है ये-ये पसंद है। हिन्‍दुस्‍तान के इस कोने में वो चीजें हैं जो यूरोप के Tourist को हमने आकर्षित करना चाहिए, इन दोनों को जोड़ना चाहिए। न हमने हिन्‍दुस्‍तान में हमारा Potential कहां है उसको Mapping किया है, न हमने दुनिया के टूरिस्‍टों को क्‍या पसंद है; हमने देखा है। हर दुनिया के हर वर्ग का अपना एक Choice होता है, जब तक वो उस प्रकार की चीजें नहीं देखता है। Bird-Watchers, शायद दुनिया में सबसे ज्‍यादा खर्च वो करने वाले लोग कोई हो तो Bird-Watchers होते हैं। वो जहां जाएंगे महीने भर अपना कैमरा ले करके पड़े रहते हैं और एक-एक पंखी के पीछे लगे रहते हैं, एक-एक चिडि़या के पीछे लगे रहते हैं। अब वो बहुत पैसे खर्च करने वाले लोग होते हैं। हमारे पास Mapping है क्‍या कहीं? + +आपने देखा होगा, जो लोग अभी-अभी पहुंचे होंगे शायद वो देख नहीं पाए होंगे; लेकिन जो कल आए होंगे या सुबह पहुंचे होंगे उन्‍होंने देखा होगा, ये रेगिस्‍तान के अंदर कि कितना बड़ा Tourist Destination खड़ा किया जा सकता है। ये एक कार्यशाला ये Workshop कच्‍छ के रेगिस्‍तान में रखने के पीछे का कारण ये भी है कि हम देखें के एक बार अगर हम प्रयास करें तो हम किस प्रकार से हमारी चीजों को लोगों के पास ले जा सकते हैं। कच्‍छ में रहने वाले लोगो हों वे भी, पता नहीं था उनके पास इतना बड़ा White रेगिस्‍तान है। जब ये कच्‍छ रणोत्‍सव शुरू हुआ तो वो अपने-आप में एक बहुत बड़ा हाल 50 सौ करोड़ रुपये के करीब-करीब इसका कारोबार एक जिले में हो जाता है। Handicraft बिक जाता है। आप देखिए एक व्‍यवस्‍था खड़ी करने से दुनिया के टूरिस्‍टों को किस प्रकार से आकर्षित किया जा सकता है। आज स्‍वयं आज वहां देख रहे हैं। + +हम scientific तरीके से हमारे Tourism को develop करने के लिए, मैंने छोटा उदाहरण इसलिए दिया कि हमें ध्‍यान में आएगा कि हमने Tourism को विकसित करने के लिए even हमारा Literature किस Language में है, अगर मेरे उस Tourist destination पर अंग्रेजी Speaking लोग ज्‍यादा आते हैं, लेकिन अगर मेरा वहां का सारा Literature हिन्‍दी में है या मेरी वहां की Local language में है तो मैं खर्च करने के बाद भी मैं उसका Marketing नहीं कर पा रहा हूं। हमारी Websites, Tourist destination के लिए Website हम Develop करना चाहते हैं, लेकिन ज्‍यादातर हमारी Website हमारी अपनी भाषा में है जबकि हमें एक Global Market को अगर पकड़ना है तो हमने उसकी भाषा में हमारी Website बनाते हैं क्‍या? और मैं नहीं मानता हूं कि कोई ज्‍यादा खर्च कर का काम है। + +वहां पर HRD Ministry के लोग भी बैठे हैं। राज्‍य की सरकारें ये तय कर सकती हैं क्‍या? मान लीजिए अपने राज्‍य में तय करें कि भई इस कक्षा के जो Student होंगे वे साल में एक बार उनको पर्यटन के लिए जाना है तो अपने गांव के ही अलग-अलग जगह पर जाएंगे। इस उम्र के पहुंचें तो फिर तहसील में, इस Standard में आए तो जिले में जाएंगे। उस Standard में गए तो राज्‍य में जाएंगे। हम इस प्रकार का उनके लिए काम तय करते हैं तो वो धीरे-धीरे, धीरे-धीरे उनको पता चलेगा उनके गांव में क्‍या है, तहसील में क्‍या है, जिले में क्‍या है? वो Tenth में पहुंचेगा तब तक उसको सारा पता चल जाएगा। हम ऐसा नहीं करते, हमारे यहां तो पांचवी कक्षा का Student होगा, लेकिन टीचर ने अगर उदयपुर नहीं देखा है, तो टीचर उसको उदयपुर ले जाएगा। गांव में क्‍या उसने देखा नहीं होगा। + +हमने HRD Ministry ने और हमारी Tourism Ministry के बीच ये तालमेल हो। मान लीजिए हम तय करें कि हमारे राज्‍य में 10 जगहें ऐसी हैं जो Tourist destination के लिए Develop करनी हैं। स‍ब मिल करके तय करें। आपको पता है कि उन दस जगहे पर आज न Hotel हैं न restaurants हैं, न खानपान की व्‍यवस्‍था है, लेकिन destination अच्‍छा है। क्‍या आपने कभी ये सोचा है कि आप पहले अपने राज्‍य के जो resources हैं, उनको Mobilize करेंगे। तय करें कि भई हमारी सभी Universities पांच साल तक Tourist के नाते कहीं जाना है तो पहले ये दस Destination जो राज्‍य ने तय किए हैं वहां तो जाना ही पड़ेगा, दो रात रुकना ही पड़ेगा। वो खर्चा होगा Tourist के नाते, लेकिन इन प्रकार के Investment होगा। + +ये जिस कच्‍छ के रेगिस्‍तान में बैठे हैं, शुरू में गुजरात के ही लोग आए थे; ज्‍यादा से ज्‍यादा मुम्‍बई के लोग आना शुरू हुआ, लेकिन आज Online booking एक-एक साल पहले होने लग गया। हमने पहले इस प्रकार का प्रयास करना पड़ता है तब जा करके Tourist destination के लिए जो आवश्‍यक Infrastructure होता है वो तय होता है फिर वहां Human resource के लिए चिन्‍ता करनी चाहिए। हमारा दुर्भाग्‍य है कि जो हमारे Tourist destination हैं, या religious places हैं जहां पर Tourist जाते हैं, लेकिन वहां पर गाईड के लिए skill development, Human resource development का कोई courses नहीं होते। उस नगर में गाईड के नाते काम करने वाले Youth क्‍यों न तैयार हो, उनकी special training क्‍यों न हो? उनकी competition क्‍यों न हो? उनके, उनके costume क्‍यों न तैयार हों। उसी यूनिफॉर्म में गाईड होना चाहिए, गाईड के पास Identity Card क्‍यों नहीं होना चाहिए, हम जब तक ये Professionalism नहीं लाएंगे हम Tourism क्षेत्र को develop नहीं कर सकते हैं। + +दूसरे Tourist वो हैं जो विदेशों से भी आएंगे, जो हमारी और चीजें देखना चाहते हैं। उनको Beach Tourism में interest होगा, उनको Adventure Tourism में interest होगा, उनको Sports Tourism में होगा, उनको हिमालय की बर्फीली जगह पर जाने की इच्‍छा होगी, उनको हो सकता है ताजमहल या कुतुबमीनार देखने होंगे, तो ये एक अलग category के हैं। हम जब तक हमारे Tourist के लिए क्‍या-क्‍या व्‍यवस्‍थाएं कर सकते हैं, उस दिशा में अगर हम नहीं सोचते हैं, हम Tourism को बल नहीं दे सकते हैं। + +आप देखिए, देख में बिना कोशिश किए हर राज्‍य में हर दसवें-आठवें पद में आदमी कोई न कोई राज्‍य की भाषा बोल लेता होगा। कोई आएगा तो उसको लगेगा, अच्‍छा भई तमिलनाडु का आया आओ, आओ वाणकम्‍म कहके शुरू करेंगे। तुरंत शुरू हो जाता है। इसलिए मेरा आग्रह है कि ”एक भारत श्रेष्‍ठ भारत” इस कार्यक्रम के लिए राज्‍य आगे आएं। HRD Ministry हो, युवक सेवा एंड सांस्‍कृतिक बृहुति हो, Culture Department और Tourism Department हों, ये Department हैं जो Catalytic Agent के रूप में बहुत बड़ा काम कर सकते हैं। + +हमारे देश के अलग-अलग राज्‍यों का Online Quiz Competition हो सकता है क्‍या? अगर गुजरात ने छत्‍तीसगढ़ के साथ MOU किया है एक भारत श्रेष्‍ठ भारत का, तो छत्‍तीसगढ़ के बच्‍चे Quiz Competition में गुजरात के पांच हजार सवालों का जवाब दें, गुजरात के बच्‍चे छत्‍तीसगढ़ के पांच हजार सवालों का जवाब दें, कितने District हैं, कितनी जातियां हैं, कैसी बोलियां हैं, कैसा खानपान है, कैसा पहनावा है, कौन सी वस्‍तु कहां पर है। आप देखिए कितना बड़ा Integration सहज रूप से होगा। और अगर वो बच्‍चा ऐसे दस राज्‍यों के Quiz Competition में धीरे धीरे करके भाग लेता है तो भारत के विषय में कितनी जानकारियां उसको होंगी। + +हमारी युवा शक्ति में एक चैतन्‍य भरने वाला काम है। भारत को जोड़ करके भारत को एक नई ऊंचाईयों पर ले जाने का अवसर है। एक चीज छोटी-सी क्‍यों न हो, लेकिन कितना बड़ा बदलाव ला सकती है ये इसमें हम देख सकते हैं। तो आप यहां तीन दिन चिंतन-मनन करने वाले हैं, इतनी दूर से आप आए हैं, मैं आशा करता हूं कि आप खास करके जो मंत्रिपरिषद के लोग आए हैं; वे जरूर बैठेंगे, अपने अनुभव का लाभ सब राज्‍यों को देंगे, अपने Vision का लाभ देंगे, और शाम को रेगिस्‍तान में जब जाएं; मेरा इस भूमि से बड़ा लगाव रहा है। मैं आपसे एक सलाह देना चाहता हूं, आज शाम को जब रेगिस्‍तान में आप जाएं जितना अंदर तक जा सकते हैं allow करें Security Forces तब वहां तक जाइए, लेकिन हो सके तो अपने साथियों को छोड़ करके 25, 50 कदम दूर कहीं, जा‍ करके दस मिनट खड़े रहिए, अकेले। उस विराट रूप को देखिए, उस नीले आसमान को देखिए, उस सफेद चद्दर को देखिए; शायद जीवन में ऐसा अनुभव बहुत Rare और हां दोस्‍तों में ही गप्‍पें मारते रहोगे तो फिर वो अनुभूति नहीं होगी। 15, 20 मिनट के लिए स्‍वत: सब लोग 20, 25 कदम दूर अकेले जा करके खड़े हो जाइए, आप जरूर एक नया अनुभव करेंगे, और उस अनुभव को सबके सामने जरूर बताएंगे। ये जगह ऐसी है कि जहां आज से दस साल पहले अगर जाना है तो तीन-तीन, चार-चार घंटे लगते थे रेगिस्‍तान में, आज आप शायद 50 मिनट, 60 मिनट में वहां पहुंच गए होंगे। + diff --git a/pm-speech/805.txt b/pm-speech/805.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..73d9dd93572ae846176ad4a11d9f2a32874e0ab4 --- /dev/null +++ b/pm-speech/805.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +उनके व्यंग्यों ने उनकी आलोचनाओं को सुंदर बना दिया और यहां तक कि जिनकी वह आलोचना करते थे उन्हें भी अच्छा लगता था। यह गुण को पैदा नहीं किया जा सकता। उन्हें यह ईश्वर से उपहार में मिला था जिसका इस्तेमाल उन्होंने आम लोगों के हितों को बढ़ावा देने में किया। उन्हें यह भी उपहार मिला था कि वह पूरे विचार को एक ही कार्टून अथवा एक ही वाक्य में पिरो देते थे जो आमतौर पर पूरी किताब में भी नहीं दिखता। + +तुगलक इन सब के लिए एक प्लेटफॉर्म थी। चो अपनी पत्रिका में विरोधी और यहां तक कि शत्रुतापूर्ण विचारों को भी जगह देते थे। इससे तुगलक में सबका समावेश हो गया, कोई इससे बाहर नहीं रहा। यहां तक कि वह जिनकी आलोचना करते थे उनके विचारों को भी तुगलक में चो की तरह समान प्राथमिकता दी जाती थी। यही मीडिया और सार्वजनिक जीवन का वास्तविक लोकतांत्रिक मूल्य है। + +मेरे विचार से उनके योगदान और विचारों का दायरा केवल तमिल परिवेश एवं तमिल लोगों तक ही सीमित नहीं था। उन्होंने भारत के कई समाजों में पत्रकारों और राजनेताओं की कई पीढ़ियों को पे्ररित किया है। और हम सब जानते हैं कि तुगलक पत्रिका में केवल राजनीति टिप्पणी नहीं होती थी। यह लाखों तमिल लोगों की आंख और कान थी। चो ने तुगलक के जरिये शासक और आमलोगों के बीच संपर्क कायम किया। + diff --git a/pm-speech/806.txt b/pm-speech/806.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..f8571f08109b13e2b018c068f9a27e390692e8ac --- /dev/null +++ b/pm-speech/806.txt @@ -0,0 +1,16 @@ +आज राष्ट्रीय युवा दिवस है। स्वामी विवेकानंद जी की जन्मजयंती। मैं आप सभी के माध्यम से देश के हर नौजवान को इस विशेष दिन की बहुत बहुत शुभकामनाएं देता हूं। स्वामी विवेकानंद इस बात का सबसे उत्तम उदाहरण हैं कि अल्‍प अवधि में भी कितना कुछ हासिल किया जा सकता है। उनका जीवन बहुत कम समय का था। स्वामी विवेकानंद युवा शक्ति के असीम प्रेरक हैं। स्वामी विवेकानंद कहते थे- हमारे देश को इस समय आवश्यकता है लोहे की तरह ठोस मांसपेशियों और मजबूत स्नायु वाले शरीरों की। आवश्यकता है इस तरह की दृढ़ इच्छा-शक्ति-संपन्न युवाओं की। + +आज मेरे जो नौजवान साथी इस वक्त रोहतक में हैं, उनके लिए हरियाणा की ये धरती भी बहुत प्रेरणादाई है। हरियाणा की ये धरती वेदों की है, उपनिषदों की है, गीता की है। ये वीरों की कर्म वीरों की है, जय जवान-जय किसान की धरती है। ये सरस्वती की पावन धरा है। अपनी संस्कृति, अपने मूल्यों को सहेजकर आगे बढ़ने का लगातार प्रयास, ये इस धरती से सीखा जा सकता है। + +मुझे खुशी है कि इस बार राष्ट्रीय युवा महोत्सव की THEME है- YOUTH FOR DIGITAL INDIA…। इस महोत्सव के माध्यम से युवाओं को रोजमर्रा की जिंदगी में डिजिटल तरीके से लेन-देन की ट्रेनिंग दी जाएगी। मेरी इस महोत्सव में ट्रेनिंग लेने वाले हर युवा से अपील है कि जब वो यहां से ट्रेनिंग लेकर जाएं तो अपने आसपास के कम से कम 10 परिवारों को डिजिटल ट्रांजेक्शन करना सिखाएं। LESSCASH अर्थव्यवस्था बनाने में आप सभी युवाओं की बहुत बड़ी भूमिका है। देश को कालेधन और भ्रष्टाचार से मुक्त कराने की लड़ाई में ये आप लोगों का महत्वपूर्ण योगदान होगा। + +इस वर्ष राष्ट्रीय युवा महोत्सव का शुभांकर बेटी के रूप में चुना गया है। दुलार से इसे नाम दिया गया है ‘‘म्हारी लाडो’’। इस महोत्सव के माध्यम से ‘‘बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ’’ अभियान के बारे में जागरूकता बढ़ाने का प्रयास बहुत ही सराहनीय है। हरियाणा से ही केंद्र सरकार ने ‘‘बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ’’ अभियान की शुरुआत की थी। इस अभियान का इस क्षेत्र में बड़ा असर दिख रहा है। बदलाव की शुरुआत हुई है। SEX RATIO में काफी बदलाव आया है। पूरे देश के लिये ये बदलाव बढ़ रहा है। मैं हरियाणा के लोगों को इसके लिए खास तौर पर बधाई देता हूं। ये दर्शाता है कि जब लोग ठान लेते हैं तो असंभव भी संभव हो जाता है। मुझे उम्मीद है कि जल्द ही पूरे देश के लिये गौरवपूर्ण स्थिति हरियाणा निर्माण करके दिखाएगा। + +दोस्तों, एक भारत-श्रेष्ठ भारत के तहत दो अलग-अलग राज्यों में एक साल के लिए partnership कराई गई है। इस वर्ष हरियाणा ने तेलंगाना के साथ अपनी partnership की है। दोनों राज्यों में किन विषयों पर परस्पर सहयोग होगा, इसके लिए Action Points भी बनाए गए हैं। मुझे उम्मीद है कि आज हरियाणा में तेलंगाना से आए छात्रों को विशेष रूप से बहुत कुछ जानने-सीखने को मिलेगा। + +टेकॉनोलॉजी के इस दौर में आज देश के नौजवानों को थ्री C’s पर ध्यान केंद्रित करना होगा। मैं जब थ्री C’s की बात करता हूं तो मेरा मतलब है पहला सी COLLECTIVITY, दूसरा सी CONNECTIVITY और तीसरा सी CREATIVITY…। COLLECTIVITY सामूहिकता जब तक कि हम संगठित शक्ति नहीं बनते हैं, हम भेद भाव को मिटाकर के भारतीय एकत्र नहीं होते हैं, COLLECTIVITY ताकत बहुत बड़ी ताकत होती है। दूसरी बात है CONNECTIVITY देश युग बदल चुका है। टेक्नोलॉजी ने पूरे विश्व को बहुत छोटा बना दिया है। पूरा विश्व आपकी हथेली में आपके हाथ में होता है। CONNECTIVITY समय की मांग है। हम CONNECTIVITY दृष्टि से Technology के साथ-साथ हमारे मानवीय मूल्यों को भी बल देते चलेंगे। और तीसरा सी मैंने कहा CREATIVITY नये विचार, नए INNOVATION, पुरानी समस्याओं के नए समाधान करने के लिये नये तरीके और यही तो युवाओं से अपेक्षा रहती है। जिसपर CREATIVITY खत्म हो जाती है। INNOVATION खत्म हो जाता है। नयापन अटक जाता है एक प्रकार से जिंदगी ठहर जाती है। और इसलिये हमारे भीतर CREATIVITY को जितना अवसर दें हमें देते रहना चाहिए। + +हमारे देश में ऊर्जा से भरे हुए ऐसे नौजवान हर कोने में उपस्थित हैं। कोई पहाड़ों से निकलने वाले छोटे झरनों से बिजली बना रहा है, कोई कूड़े से घर निर्माण की चीजें बना रहा है, कोई टेक्नोलॉजी के माध्यम से दूर-दराज वाले इलाके में मेडिकल सुविधा उपलब्ध करा रहा है, कोई सूखाग्रस्त इलाके में किसानों के लिए पानी बचाने के संसाधन जुटा रहा है। ऐसे लाखों युवा राष्ट्र निर्माण के लिए दिन रात एक कर रहे हैं। + +आज आवश्यकता है कि युवा सेवा की बेजोड़ मिसाल बनें। उनके चरित्र में ईमानदारी व निष्पक्षता हो। हर चुनौती का सामना करने का ज़ज्बा हो। उन्हें अपनी गौरवशाली विरासत पर गर्व हो। उनका आचरण एवं चरित्र नैतिक मूल्यों पर आधारित हो। इस पर इसलिए जोर दे रहा हूं, क्योंकि लक्ष्य पाना जितना मुश्किल है, उतना ही आसान लक्ष्य से भटकना होता है। + diff --git a/pm-speech/807.txt b/pm-speech/807.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..60d2c33c530481689731348db90f7126636cfb62 --- /dev/null +++ b/pm-speech/807.txt @@ -0,0 +1,16 @@ +भाइयों और बहनों, आज आप लोग जिस स्थान पर हैं वह सामान्य स्थान नहीं है। यो भूमि इस राष्ट्र की तपोभूमि की तरह है। अगर हनुमान जी को अपना purpose of life मिला तो इसी धरती पर मिला। जब उन्हें जामवंत ने उनसे कहा था कि तुम्हारा तो जन्म ही भगवान श्री राम के कार्य के लिए हुआ है। इसी धरती पर मां पार्वती की कन्याकुमारी का उसको purpose of life मिला। यही वो धरती है जहां महान समाज सुधारक, संत थिरूवल्लूवर को दो हजार वर्ष पूर्व ज्ञान का अमृत मिला। यही वो धरती है जहां स्वामी विवेकानंद को भी जीवन का उद्देश्य प्राप्त हुआ। यहीं पर तप करने के बाद उन्हें जीवन का लक्ष्य और लक्ष्य प्राप्ति के लिए मार्ग दर्शन मिला था। यही वो जगह है जहां एकनाथ रानडे जी को भी अपने जीवन का, जीवन की जो यात्रा थी उसमें एक नया मोड़ मिला। एक नया लक्ष्य प्रस्थापित हुआ। उन्होंने अपना पूरा जीवन one life one mission के रूप में इसी कार्य के लिये आहुत कर दिया। इस पवित्र भूमि को इस तपो भूमि को मेरा सत् सत् वंदन है, मेरा नमन है। + +साल 2014 में जब हम एकनाथ रानडे जी के जन्म शताब्दी मना रहे थे, तब मैंने कहा था- कि ये अवसर युवाओं के मन को जगाने का है। हमारा भारत युवा है- वो दिव्य भी बने और भव्य भी बने। आज दुनिया भारत से दिव्यता की अनुभूति की अपेक्षा कर रही है और भारत का गरीब, दलित, पीड़ित, शोषित, वंचित ये भारत की भव्यता की अपेक्षा करता है। और विश्व के लिये दिव्यता तो देश के अंदर के लिये भव्यता और इन दोनों का मेल करके ही राष्ट्र निर्माण की दिशा में हमें आगे बढ़ना है। + +भाइयों बहनों, आज भारत दुनिया का सबसे young country है। युवा देश है। 80 करोड़ से ज्यादा जनसंख्या 35 वर्ष से कम age की है। स्वामी विवेकानंद आज हमारे बीच नहीं हैं साक्षात रूप में नहीं हैं लेकिन उनके विचारों में इतनी power है इतनी ताकत है इतनी प्रेरणा है कि देश के youth को संगठित करके nation building का रास्ता दिखा रही है। + +एकनाथ जी ने जिस एक लक्ष्य के लिए पूरा जीवन लगा दिया था, वो था- स्वामी विवेकानंद जी जैसे युवकों का निर्माण। उन्होंने युवाओं में राष्ट्रनिर्माण के वही आदर्श स्थापित करने का हमेशा प्रयास किया, जो ethics जो Values स्वामी विवेकानंद जी के थे। मेरा ये बहुत बड़ा सौभाग्य रहा कि जीवन के अनेक वर्षों तक मुझे एकनाथ जी निकट के साथी के रूप में काम करने का अवसर मिला। इसी धरती पर कई बार आकर के उनके सानिध्य में जीवन को निखारने का मुझे अवसर मिलता था। + +एकनाथ जी के जन्मशती पर्व के दौरान ही तय हुआ था कि हमारे culture संस्कृति और हमारे thought process पर रामायण के प्रभाव को दर्शाती एक प्रदर्शनी शुरू की जाए। आज रामायण दर्शनम भव्य रूप में हम सभी के सामने है। और मुझे विश्वास है देश और दुनिया के जो यात्री रॉक मेमोरियल पर आते हैं। ये रामायण दर्शनम शायद उनको ज्यादा प्रेरित भी करेगा। प्रभावित भी करेगा। श्रीराम भारत के कण कण में हैं। जन जन के मन में हैं। और इसलिये जब हम श्रीराम के विषय में सोचते हैं, तो श्रीराम एक आदर्श पुत्र-भाई-पति,मित्र और आदर्श राजा थे। अयोध्या भी एक आदर्श नगर था तो रामराज्य एक आदर्श शासन व्यवस्था थी। इसलिए भगवान राम और उनके राज्य का आकर्षण समय-समय पर देश की महान शख्सियतों को अपने तरीके से रामायण की व्याख्या करने के लिए प्रेरित करता रहता है। इन व्याख्याओं की झलक अब रामायण दर्शनम में मिलेगी। + +राम रावण को हरा कर बड़े नहीं बने। बल्कि राम तब राम बने जब उन्होंने उन लोगों को साथ लिया जव सर्वहारा थे। साधनहीन थे। उन्होंने उन लोगों का आत्म गौरव बहाल किया और उनमें विजय का विश्वास पैदा किया। भगवान राम के जीवन में उस भूमिका को स्वीकार नहीं किया जो उनके वंश द्वारा जो परम्पराएं थीं। एक एक वरों में कई बातें हमलोग जानते हैं। वो अयोध्या से बाहर निकले थे। अभी नगर की शरहद से भी बाहर नहीं निकले लेकिन पूरे विश्व को पूरी मानवता को अपने आप में समाहित करते हुए आदर्श क्या होता है मूल्य क्या होते हैं। मूल्यों के प्रति जीवन का समर्पण क्या होता है। उसे उन्होंने जीकर के दिखाया था। और इसलिये मैं समझता हूं कि ये रामाण दर्शनम ये अपने आप में विवेकानंदपुरम में एक प्रासंगिक और हम जानते हैं प्रगति के लिये समाज जितना सबल चाहिए राज्य भी सुराज्य होना चाहिए। + +और इसलिये भाइयों बहनों, हम भी जब सबका साथ सबका विकास ये Guiding Principal पर चल रहे हैं। चाहे गरीब से गरीब व्यक्ति के लिये जनधन योजना के जरिये गरीबों को बैंकिंग व्यवस्था के साथ जोड़ा जाए आज गरीब के पास एक व्यवस्था कर के हमने आगे बढ़ने का प्रयास किया था। और इसलिये बीमा कराने का विकल्प है। किसानों को इसका लाभ मिला है। किसानों को सबसे कम प्रीमियम पर फसल बीमा योजना दी गई है। बेटियों को बचाने के लिए उन्हें पढ़ाने के लिये अभियान चला रहे बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ। गर्भवती महिलाओं को आर्थिक मदद के लिये देशव्यापी योजना बनाई गई है। 5 करोड़ परिवार जो लकड़ी का चूल्हा जलाकर माताएं खाना पकाती थीं। और एक दिन में चार सौ सिगरेट का धुंआ खाना पकाने से लड़की के चूल्हे से उस मां के शरीर में जाता था। उन माताओं को अच्छा स्वास्थ्य मिले। प्राथमिक सुविधा मिले। 5 करोड़ परिवारों में gas connection का बीड़ा उठाया और डेढ़ करोड़ दे चुके हैं। + +दलित, पीड़ित, वंचित की सेवा यही तो जन सेवा प्रभु सेवा का मंत्र देती है। हमारे देश के दलित नौजवानों को stand-up india, start-up india के जरिए empower किया जा रहा है। छोटे कारोबारियों को कम ब्याज पर कर्ज मिल सके, इसलिए मुद्रा योजना चलाई गई है। गरीब की गरीबी तभी दूर होगी जब उसे empower किया जाए। जब गरीब सशक्त होगा, तो स्वयं गरीबी को प्रास्त करके रहेगा। और गरीबी से मुक्ति का वो आनन्द लेगा और एक नई ताकत के साथ वो आगे बढ़ेगा। + diff --git a/pm-speech/808.txt b/pm-speech/808.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..141d7280058c5d4b0b74e10cb856701942140c79 --- /dev/null +++ b/pm-speech/808.txt @@ -0,0 +1,10 @@ +ठीक छह महीने पहले मुझे केन्या दौरा करने का अवसर मिला था। राष्ट्रपति केन्याटा और केन्या के लोगों ने काफी गर्मजोशी और स्नेह के साथ मेरा स्वागत किया। और आज भारत में राष्ट्रपति केन्याटा और उनके प्रतिनिधिमंडल का स्वागत करते हुए मुझे प्रसन्नता हो रही है। हमारे दोनों देशों के बीच करीबी सहयोग जाहिर तौर पर काफी पुराना है। पिछले महीने ही राष्ट्रपति केन्याटा ने केन्या में औपनिवेशिक व्यवस्था को उखाड़ फेंकने में केन्याई भाइयों से हाथ मिलाने के लिए भारत में जन्मे ट्रेड यूनियन नेता माखन सिंह के योगदान को मान्यता दी है। लोकतांत्रिक मूल्यों में साझा विश्वास, हमारी साझा विकास संबंधी प्राथमिकताएं और हिंद महासागर की गर्म धाराएं हमारे समाजों को बांधती हैं। + +कल राष्ट्रपति केन्याटा के नेतृत्व में एक मजबूत एवं उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने आठवें वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट में भाग लिया। वाइब्रेंट गुजरात में आपकी भागीदारी से केन्या में वाणिज्यिक एवं निवेश अवसरों के साथ जुड़ने के लिए भारतीय कारोबारियों में काफी दिलचस्पी पैदा हुई है। हम स्वास्थ्य सेवा, पर्यटन, सूचना प्रौद्योगिकी, कृषि, ब्लू इकनॉमी और ऊर्जा के क्षेत्र में मौजूद अवसरों को भुनाने के लिए दोनों देशों के उद्योग एवं व्यापार को प्रोत्साहित करना चाहते हैं। + +कल होने वाली संयुक्त व्यापार परिषद की बैठक इन क्षेत्रों में विशिष्ट परियोजनाओं के जरिये वाणिज्यिक कार्यों के निर्माण के लिए काम करेगी। व्यापार को प्रोत्साहित करने के लिए हम मानकीकरण एवं संबंधित क्षेत्र सहित व्यापार सुविधा उपायों में भी सहयोग कर रहे हैं। कृषि एवं खाद्य सुरक्षा में व्यापक एवं विस्तृत सहयोग हमारी साझा प्राथमिकता है। हम केन्या में कृषि उपज बढ़ाने के लिए सहयोग कर रहे हैं। कृषि मशीनीकरण के लिए 10 करोड़ डॉलर के लिए ऋण समझौते पर आज हुए हस्ताक्षर से सहयोग का एक नया आयाम खुलेगा। दालों के उत्पादन एवं आयात के लिए केन्या के साथ लंबी अवधि के समझौते पर बातचीत चल रही है और संभावनाएं तलाशी जा रही हैं। हमें केन्याई किसानों के साथ जैविक कृषि में सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करते हुए भी खुशी होगी। + +समुद्री क्षेत्र में चुनौतियां हमारे लिए चिंता के साझा विषय हैं। लेकिन हम ब्लू अर्थव्यवस्था में भी अवसरों को तलाशेंगे। हम अपने रक्षा सहयोग के त्वरित संचालन पर भी ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। इसके लिए प्राथमिकता के विशिष्ट क्षेत्रों में जल, संचार नेटवर्क, पाइरेसी रोधी, क्षमता निर्माण, आदान-प्रदान एवं रक्षा चिकित्सा सहयोग शामिल हैं। हम अपने सुरक्षा सहयोग और क्षमताओं को मजबूत करने के लिए भी साझेदारी कर रहे हैं। इस परिप्रेक्ष्य में हमने संयुक्त कार्य समूह को जल्द से जल्द बैठक आयोजित करने का निर्देश दिया है। यह साइबर सुरक्षा, आतंकवाद से मुकाबला, ड्रग्स के खिलाफ जंग, नशीले पदार्थों, मानव तस्करी और कालेधन को सफेद करने जैसे मुद्दों पर केंद्रित होगी। + +केन्या में भारतीय मूल के लोगों का विशाल समुदाय हमारे बीच एक महत्वपूर्ण एवं ऊर्जावान कड़ी है। हमने उन्हें अपने व्यापार, निवेश एवं सांस्कृतिक आदान-प्रदान से जोड़ने के लिए राष्ट्रपति केन्याटा से चर्चा की है। पिछले साल हुई हमारी बैठक में राष्ट्रपति और मैंने हमारे निर्णयों के क्रियान्वयन के लिए व्यक्तिगत तौर पर करीबी निगरानी करने के लिए भी सहमति जताई थी। हमें इसे सतत बरकरार रखने की जरूरत है। + diff --git a/pm-speech/809.txt b/pm-speech/809.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..b5c0a42145eb07cbf6ff81c408f6b14151c7f5aa --- /dev/null +++ b/pm-speech/809.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +इसे करने में डिजिटल प्रौद्योगिकी ने अहम भूमिका निभाई है। मैं अक्सर कहता हूं कि ई-शासन कहीं अधिक आसान और प्रभावी शासन होता है। मैंने नीतियों से संचालित शासन की आवश्यकता पर भी जोर दिया है। ऑनलइन प्रक्रियाओं से निर्णय लेने में खुलापन और तेजी लाने में मदद मिलती है। इस लिहाज से हम अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करने के लिए काम कर रहे हैं ताकि पारदर्शिता लाई जा सके और चालाकी को खत्म किया जा सके। विश्वास कीजिए, हम दुनिया की सबसे डिजिटल अर्थव्यवस्था बनने की दहलीज पर हैं। आप में से अधिकतर भारत में यह बदलाव देखना चाहते थे। मैं गर्व के साथ कहना चाहता हूं कि यह आपके सामने हो रहा है। + +हमने कारोबारी सुगमता पर सबसे अधिक जोर दिया है। हमने लाइसेंसिंग प्रक्रिया को आसान बनाने और मंजूरी, रिटर्न एवं निगरानी संबंधी प्रक्रियाओं एवं प्रावधानों को युक्तिसंगत बनाने के लिए निर्णायक कदम उठाए हैं। हम नियामकीय ढांचे में सुधार के उद्देश्य से विभिन्न क्षेत्रों में सौकड़ों कार्य बिंदुओं के कार्यान्वयन की निगरानी कर रहे हैं। यह सुशासन के हमारे वादे का हिस्सा है। + +देश में 80 करोड़ लोग 35 वर्ष से कम आयु वर्ग के हैं जो एक प्रकार से युवा भारत है। 80 करोड़ युवा जिनकी उम्र 35 वर्ष से कम है, इन हाथों में हुनर हो, काम का अवसर हो, तो नया हिंदुस्तान हमारी आंखों के सामने बना करके खड़ा कर देंगे। यह विश्वास हिंदुस्तान के नौजवानों के प्रति मेरा है, हम सबका है और हम सब की जिम्मेदारी भी है कि उस अवसर को हम दें। और हम अवसर दे सकते हैं, संभावनाएं भरपूर पड़ी हैं। + diff --git a/pm-speech/81.txt b/pm-speech/81.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..d8f789389b40cf8e2c39b7e6ab8d7f2a761c8a54 --- /dev/null +++ b/pm-speech/81.txt @@ -0,0 +1,10 @@ +भगवान बुद्ध के परिनिर्वाण स्थली कुशीनगर पर रउरा सभन के परनाम का रहल बानी। आज हम एयरपोर्ट के उद्घाटन आ मेडिकल कालेज के शिलान्यास कइनी, जवने के रउरा सब बहुत दिन से आगोरत रहलीं। अब एइजा से जहाज उड़ी आ गंभीर बेमारी के इलाज भी होई। एही के साथे रउरा सभन के बहुत बड़ा सपना भी पूरा हो गइल ह। आप सभी के बहुत-बहुत बधाई ! + +उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमति आनंदीबेन पटेल जी, यूपी के लोकप्रिय और यशस्वी कर्मयोगी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी, यूपी भाजपा के ऊर्जावान अध्यक्ष श्री स्वतंत्र देव जी, यूपी सरकार के मंत्री श्री सूर्यप्रताप साही जी, श्री सुरेश कुमार खन्ना जी, श्री स्वामी प्रसाद मौर्या जी, डॉक्टर नीलकंठ तिवारी जी, संसद के मेरे साथी श्री विजय कुमार दुबे जी, डॉक्टर रमापति राम त्रिपाठी जी, अन्य जनप्रतिनिधिगण, और भारी संख्या में यहां पधारे मेरे प्यारे बहनों और भाइयों !! दीवाली और छठ पूजा बहुत दूर नहीं है। ये उत्सव और उत्साह का समय है। आज महर्षि वाल्मीकि जी की जयंती भी है। इस पावन अवसर पर कनेक्टिविटी के, स्वास्थ्य के और रोज़गार के सैकड़ों करोड़ के नए प्रोजेक्ट कुशीनगर को सौंपते हुए मुझे बहुत खुशी हो रही है। + +गंडक नदी के आसपास के सैकड़ों गांवों को बाढ़ से बचाने के लिए अनेक जगहों पर तटबंध का निर्माण हो, कुशीनगर राजकीय महाविद्यालय का निर्माण हो, दिव्यांग बच्चों के लिए महाविद्यालय हो, ये क्षेत्र को अभाव से निकालकर आकांक्षाओं की तरफ ले जाएंगे। बीते 6-7 सालों में गांव, गरीब, दलित, वंचित, पिछड़ा, आदिवासी, ऐसे हर वर्ग को मूल सुविधाओं से जोड़ने का जो अभियान देश में चल रहा है, ये उसी की एक अहम कड़ी है। + +जब कानून का राज होता है, अपराधियों में डर होता है, तो विकास की योजनाओं का लाभ भी तेजी से गरीब-दलित-शोषितों-वंचितों तक पहुंचता है। नई सड़कों, नए रेलमार्गों, नए मेडिकल कॉलेजों, बिजली और पानी से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर का भी तेज़ गति से विकास हो पाता है। यही आज योगी जी के नेतृत्व में उनकी पूरी टीम उत्तर प्रदेश में जमीन पर उतार करके दिखा रहे हैं। अब यूपी में औद्योगिक विकास सिर्फ एक दो शहरों तक सीमित नहीं है, बल्कि पूर्वांचल के जिलों तक भी  पहुंच रहा है। + +आने वाला समय यूपी की आकांक्षाओं की पूर्ति का समय है। आजादी के इस अमृतकाल में, ये हम सभी के लिए जुट जाने का समय है। यहां से यूपी के लिए 5 महीनों की योजनाएं नहीं बनानी हैं, बल्कि आने वाले 25 वर्षों की बुनियाद रख करके यूपी को आगे ले जाना है।  कुशीनगर के आशीर्वाद से, पूर्वांचल के आशीर्वाद से, उत्तर प्रदेश के आशीर्वाद से और आप सबके प्रयास से ये सब संभव है, उत्तर प्रदेश के आशीर्वाद से यह पक्का संभव होने वाला है। एक बार फिर आप सभी को अनेक अनेक नई सुविधाओं के लिए मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूँ।  दीवाली और छठ पूजा की अग्रिम शुभकामनाएं देता हूँ। हां, एक आग्रह मैं आपसे फिर करुंगा। लोकल के लिए वोकल होना भूलना नहीं है। लोकल खरीदने का आग्रह रखना है, दीवाली हमारे ही पास पड़ोस के भाई बहनों के पसीने से जो चीजें बनी है अगर उसी से ही करेंगे तो दीवाली में अनेक रंग भर जाएंगें, एक नया प्रकाश पैदा होगा, एक नई ऊर्जा प्रकट होगी।  यानि त्योहारों में अपने लोकल प्रोडक्ट्स को हमें ज्यादा से ज्यादा खरीदना है। इसी आग्रह के साथ आप सभी का बहुत-बहुत आभार। + diff --git a/pm-speech/812.txt b/pm-speech/812.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..10392187e5f45aa264602b796cc1d2a94c86cffb --- /dev/null +++ b/pm-speech/812.txt @@ -0,0 +1,8 @@ +हमारे देश में रेलवे, देश के सामान्‍य जन से जुड़ी हुई व्‍यवस्‍था है। गरीब से गरीब परिवार को भी रेलवे एक सहारा रही है। लेकिन दुर्भाग्‍य से रेलवे को उसके नसीब पर छोड़ दिया गया है। और गत 30 वर्ष में खास करके जबकि दिल्‍ली में मिली-जुली सरकारें रहती थीं और उसमें एक प्रकार से जो साथी दल रहते थे, वे तब मंत्रिपरिषद में जुड़ते थे या सरकार को समर्थन देते थे अगर उनको रेल मंत्रालय मिले तो। यानी एक प्रकार से रेल मंत्रालय सरकारें बनाने के लिए रेवड़ी बांटने के लिए काम आता था। ये कड़वा सत्‍य है और उसका परिणाम ये आया कि जिस भी राजनीतिक दल के व्‍यक्ति के पास रेलवे गई उसे रेलवे की चिंता कम रही; बाकी क्‍या रहा होगा मुझे कहने की जरूरत नहीं है। + +पहले रेलवे में gaze conversion का काम Meter Gaze से Broad Gaze बनाना, Narrow Gaze से Broad Gaze बनाना; ये काम आखिरी तबके में रहता था, उसको priority दी गई। पहले की तुलना में उसको अनेक गुना अधिक सफलता पाई। रेलवे डीजल इंजन से चले, कोयले से चले, environment के प्रश्‍न, डीजल से चले तो दुनिया भर से विदेश से डीजल import करना पड़े। Environment की भी रक्षा हो; विदेशी मुद्रा भी न जाए; डीजल से रेलवे को जल्‍दी से जल्‍दी Electrification की तरफ कैसे ले जाया जाए; बहुत बड़ी मात्रा में, तेज गति से आज रेल लाइनों का Electrification हो रहा है, रेल इंजन Electric इंजन बनाने का काम हो रहा है। आजाद हिन्‍दुस्‍तान में सबसे बड़ा Foreign Direct Investment रेलवे के क्षेत्र में आया है और दो बड़े Loco Engineering Manufacture के काम के लिए वो काम आने वाला है। भविष्‍य में वो पूरे रेलवे की गति बदलने वाले इंजन बनाने का काम होने वाला है। + +स्‍वास्‍थ्‍य की दृष्टि से एक परिवर्तन का प्रयास, उस दिशा में बड़ा बल दिया है। रेल की गति कैसे बढ़े? वरना पहले से चल रहा है चलती थी, चलती थी; बैठे हैं उतर जा सकते हैं फिर दौड़ करके चढ़ जा सकते हैं; ये सब बदला जा सकता है। Special Mission Mode में काम चल रहा है कि Exiting जो व्‍यवस्‍थाएं हैं उसमें क्‍या सुधार करें ताकि रेल की गति बढ़ाई जाए। Technology में परिवर्तन ला रहे हैं, विश्‍व भर से Technology की दृष्टि से लोगों को जोड़ रहे हैं कि safety एक बहुत बड़ी चिन्‍ता का विषय है और चुनौती भी है। + +और मुझे विश्‍वास है कि बहुत तेज गति से रेल बदल जाएगी। सामान्‍य मानवी को सुविधा तो बढ़ेगी, दूर-सुदूर इलाकों में रेलवे पहुंचेगी, भारत के बंदरों (बंदरगाहों) के साथ रेल जुड़ेगी, भारत की खदानों के साथ रेल जुड़ेगी, भारत के उपभोक्‍ता के साथ रेल जुड़ेगी लेकिन साथ-साथ आर्थिक दृष्टि से भी। रेलवे स्‍टेशन जो भी हैं, Heart of the City में हैं। वो जमीन इतनी valuable है लेकिन आसमान खाली पड़ा है। तो बड़ी समझदारी का विषय है कि भले ही नीचे रेल जाए अरे ऊपर एक दस मंजिला, 25 मंजिला चीजें बना दो, वहां पर Mall हो, Theater हो, Hotel हो, बाजार हो, रेल के ऊपर चलता रहेगा; नीचे रेल चलती जाएगी। जगह का double उपयोग होगा, रेल को Income बढ़ेगी, Investment करने वाले Investment करने आएंगे। गुजरात में हम लोगों ने सफल प्रयोग किया, Bus station का Public private partnership Model के आधार पर development किया। आज गरीब से गरीब बस अड्डे पर जाता है, उसको वही सुविधा मिलती है जो अमीर लोग Airport पर जाते हैं, वो गुजरात ने करके दिखाया है। + diff --git a/pm-speech/813.txt b/pm-speech/813.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..2d6143e635e400430d6b605bb36c6ce9e6c15626 --- /dev/null +++ b/pm-speech/813.txt @@ -0,0 +1,4 @@ +उनकी उपलब्धियां, उन्होंने जो नाम अपने समाज के बीच और विश्व में कमाया है, हम सभी के लिए बड़ी प्रेरणादायक हैं। यह दुनिया भर में भारतीय मूल के लोगों की सफलता, महत्व एवं व्यवहार-कुशलता को प्रदर्शित करता है। 30 लाख से अधिक प्रवासी भारतीय विदेशों में रह रहे हैं। लेकिन विदेशों में रहने वाले भारतीयों को उनके संख्याबल के कारण ही महत्व नहीं मिलता। भारत में, समाज के लिए और जिस देश में वे रहते हैं, वहां के लिए दिए गए योगदान के कारण उन्हें सम्मान मिलता है। + +मुझे यह जानकर प्रसन्नता हो रही है कि 160 युवा प्रवासी भारतीय आज यहां इस प्रवासी भारतीय दिवस में हिस्सा ले रहे हैं। युवा प्रवासियों का विशेष स्वागत है – मुझे उम्मीद है अपने-अपने देशों को लौटने के बाद भी आप हमसे जुड़े रहेंगे। चाहे आप कहीं भी रहें आप बार-बार भारत आते रहेंगे। गत वर्ष, युवा प्रवासी भारतीयों के लिए ऑनलाइन क्विज प्रतियोगिता “भारत को जानो” के पहले संस्करण में 5000 युवा एनआरआई और पीआईओ ने हिस्सा लिया। इस साल दूसरे संस्करण में, मैं कम से कम 50 हजार युवा प्रवासी भारतीयों के इसमें हिस्सा लेने की उम्मीद कर रहा हूं। + diff --git a/pm-speech/814.txt b/pm-speech/814.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..ff4c6d26b26368b80cca55b4de047422d1a6fcc4 --- /dev/null +++ b/pm-speech/814.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +आपको और आपके प्रतिनिधिमंडल का भारत में स्वागत करते हुए मुझे अत्यंत हर्ष हो रहा है। यह आपकी भारत की पहली राजकीय यात्रा हो सकती है, लेकिन आप न तो भारत के लिए अजनबी हैं और न ही भारत आपके लिए अपरिचित है। इसलिए, इस सर्द शाम में आपका गर्मजोशी से स्वागत करते हुए मुझे यह भी कहना चाहिए, वेलकम बैक (वापसी पर आपका स्वागत है)। + diff --git a/pm-speech/816.txt b/pm-speech/816.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..e8db0a8043e39bd96a232fe1e3047fcef9abec03 --- /dev/null +++ b/pm-speech/816.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी जनवरी 2016 में शुरू किए गए स्टार्टअप इंडिया कार्यक्रम का एक प्रमुख कारक है। अन्य दो प्रमुख अभियान हैं अटल इनोवेशन मिशन और निधि- नैशनल इनिशिएटिव फॉर डेवलपमेंट एंड हार्नेशिंग इनोवेशंस। इन कार्यक्रमों के तहत नवाचार आधारित उद्यम के लिए माहौल तैयार करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। इसके अलावा सीआईआई, फिक्की और उच्च प्रौद्योगिकी वाली निजी कंपनियों के साथ सार्वजनिक निजी भागीदारी के जरिये नवाचार के लिए माहौल को मजबूती दी जा रही है। + diff --git a/pm-speech/817.txt b/pm-speech/817.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..f936d639f1961320aaecdda041f13b04dc3a765f --- /dev/null +++ b/pm-speech/817.txt @@ -0,0 +1,24 @@ + किसी भी देश के लिए ये एक शुभ संकेत है कि उसके नागरिक कानून औऱ नियमों का पालन करते हुए, गरीबों की सेवा में सरकार की सहायता के लिए मुख्यधारा में आना चाहते हैं। इन दिनों, इतने अच्छे-अच्छे उदाहरण सामने आए हैं जिसका वर्णन करने में हफ्तों बीत जाएं। नकद में कारोबार करने पर मजबूर अनेक नागरिकों ने कानून-नियम का पालन करते हुए मुख्यधारा में आने की इच्छा प्रकट की है। ये अप्रत्याशित है। सरकार इसका स्वागत करती है। + + पूरी दुनिया में ये एक सर्वमान्य तथ्य है कि आतंकवाद, नक्सलवाद, माओवाद, जाली नोट का कारोबार करने वाले, ड्रग्स के धंधे से जुड़े लोग, मानव तस्करी से जुड़े लोग, कालेधन पर ही निर्भर रहते हैं। ये समाज और सरकारों के लिए नासूर बन गया था। इस एक निर्णय ने इन सब पर गहरी चोट पहुंचाई है। आज काफी संख्या में नौजवान मुख्यधारा में लौट रहे हैं। अगर हम जागरूक रहें, तो अपने बच्चों को हिंसा और अत्याचार के उन रास्तों पर वापस लौटने से बचा पाएंगे। + + इस अभियान की सफलता इस बात में भी है कि अर्थव्यवस्था की मुख्यधारा से बाहर जो धन था, वो बैंकों के माध्यम से अर्थव्यवस्था की मुख्यधारा में वापस आ गया है। पिछले कुछ दिनों की घटनाओं से ये सिद्ध हो चुका है कि चालाकी के रास्ते खोजने वाले बेईमान लोगों के लिए, आगे के रास्ते बंद हो चुके हैं। टेक्नॉलोजी ने इसमें बहुत बड़ी सेवा की है। आदतन बेईमान लोगों को भी अब टेक्नोलॉजी की ताकत के कारण, काले कारोबार से निकलकर कानून-नियम का पालन करते हुए मुख्यधारा में आना होगा। + + बैंक कर्मचारियों ने इस दौरान दिन-रात एक किए हैं। हजारों महिला बैंक कर्मचारी भी देर रात तक रुककर इस अभियान में शामिल रही हैं। पोस्ट ऑफिस में काम करने वाले लोग, बैंक मित्र, सभी ने सराहनीय काम किया है। हां, आपके इस भगीरथ प्रयास के बीच, कुछ बैंकों में कुछ लोगों के गंभीर अपराध भी सामने आए हैं। कहीं-कहीं सरकारी कर्मचारियों ने भी गंभीर अपराध किए हैं औऱ आदतन फायदा उठाने का निर्लज्ज प्रयास भी हुआ है। इन्हें बख्शा नहीं जाएगा। + + कॉपरेटिव बैंक और सोसायटीज से किसानों को और ज्यादा कर्ज मिल सके, इसके लिए उपाय किए गए हैं। नाबार्ड ने पिछले महीने 21 हजार करोड़ रुपए की व्यवस्था की थी। अब सरकार इसे लगभग दोगुना करते हुए इसमें 20 हजार करोड़ रुपए और जोड़ रही है। इस रकम को नाबार्ड, कॉपरेटिव बैंक और सोसायटीज को कम ब्याज पर देगा और इससे नाबार्ड को जो आर्थिक नुकसान होगा है, उसे भी सरकार वहन करेगी। + + सरकार ने ये भी तय किया है कि अगले तीन महीने में 3 करोड़ किसान क्रेडिट कार्डों को RUPAY कार्ड में बदला जाएगा। किसान क्रेडिट कार्ड में एक कमी यह थी कि पैसे निकालने के लिए बैंक जाना पड़ता था। अब जब किसान क्रेडिट कार्ड को RUPAY कार्ड में बदल दिया जाएगा, तो किसान कहीं पर भी अपने कार्ड से खरीद-बिक्री कर पाएगा। + + सरकार ने तय किया है कि छोटे कारोबारियों के लिए क्रेडिट गारंटी 1 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 2 करोड़ रुपए करेगी। भारत सरकार एक ट्रस्ट के माध्यम से बैंकों को ये गारंटी देती है कि आप छोटे व्यापारियों को लोन दीजिए, गारंटी हम लेते हैं। अब तक यह नियम था कि एक करोड़ रुपए तक के लोन को कवर किया जाता था। अब 2 करोड़ रुपए तक का लोन क्रेडिट गारंटी से कवर होगा। NBFC यानि नॉन-बैंकिंग फाइनेंसियल कंपनी से दिया गया लोन भी इसमें कवर होगा। + + सरकार ने बैंकों को ये भी कहा है कि छोटे उद्योगों के लिए कैश क्रेडिट लिमिट को 20 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत करें। इसके अलावा डिजिटल माध्यम से हुए ट्रांजेक्शन पर वर्किंग कैपिटल लोन 20 प्रतिशत से बढ़ाकर 30 प्रतिशत तक करने को कहा गया है। नवंबर में इस सेक्टर से जुड़े बहुत से लोगों ने कैश डिपॉजिट किया है। बैंकों को कहा गया है कि वर्किंग कैपिटल तय करते वक्त इसका भी संज्ञान लें। + + कुछ दिन पहले ही सरकार ने छोटे कारोबारियों को टैक्स में बड़ी राहत देने का भी निश्चय किया था। जो कारोबारी साल में 2 करोड़ रुपए तक का व्यापार करते हैं, उनके टैक्स की गणना 8 प्रतिशत आय को मानकर की जाती थी। अब ऐसे व्यापारी के डिजिटल लेन देन पर टेक्स की गणना 6 प्रतिशत आय मानकर की जाएगी। इस तरह उनका टैक्स काफी कम हो जाएगा। + + गर्भवती महिलाओं के लिए भी एक देशव्यापी योजना की शुरुआत की जा रही है। अब देश के सभी, 650 से ज्यादा जिलों में सरकार गर्भवती महिलाओं को अस्पताल में पंजीकरण और डिलिवरी, टीकाकरण और पौष्टिक आहार के लिए 6 हजार रुपए की आर्थिक मदद करेगी। ये राशि गर्भवती महिलाओं के अकाउंट में ट्रांसफर की जाएगी। देश में मातृ मृत्यु दर को कम करने में इस योजना से बड़ी सहायता मिलेगी। वर्तमान में ये योजना 4 हजार की आर्थिक मदद के साथ देश के सिर्फ 53 जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के तहत चलाई जा रही थी। + + सरकार वरिष्ठ नागरिकों के लिए भी एक स्कीम शुरू करने जा रही है। बैंक में ज्यादा पैसा आने पर अकसर बैंक डिपॉजिट पर INTEREST RATE घटा देते हैं। वरिष्ठ नागरिकों पर इसका प्रभाव ना हो इसलिए 7.5 लाख रुपए तक की राशि पर 10 साल तक के लिए सालाना 8 प्रतिशत का INTEREST RATE सुरक्षित किया जाएगा। ब्याज की ये राशि वरिष्ठ नागरिक हर महीने पा सकते हैं। + + हमारे देश में हर सकारात्मक परिवर्तन के लिए हमेशा स्थान रहा है। अब डिजिटल लेन-देन को लेकर भी समाज में काफी सकारात्मक परिवर्तन देखा जा रहा है। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ रहे हैं। कल ही सरकार ने बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के नाम पर डिजिटल ट्रांजेक्शन के लिए पूरी तरह एक स्वदेशी प्लेटफॉर्म- BHIM लॉन्च किया है। BHIM यानी भारत इंटरफेस फॉर मनी। मैं देश के युवाओं से, व्यापारी वर्ग से, किसानों से आग्रह कहता हूं कि BHIM से ज्यादा से ज्यादा जुड़ें। + diff --git a/pm-speech/818.txt b/pm-speech/818.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..39667499adb519805bf80a77f1a9796deccb9546 --- /dev/null +++ b/pm-speech/818.txt @@ -0,0 +1,12 @@ +कहने का तात्‍पर्य ये है कि भारत की मुद्रा व्‍यवस्‍था में, भारत की Central Bank की कल्‍पना में, भारत के Federal Structure में अर्थव्‍यवस्‍था के संबंध में किसी एक महापुरुष का स्‍पष्‍ट दर्शन था। उत्‍तम से उत्‍तम योगदान था, उस महापुरुष का नाम है डॉक्‍टर भीमराव अम्‍बेडकर। और इसलिए आज जो App और आनेवाले दिनों में देखना कि सारा कारोबार जैसे हम पहले नोट या सिक्‍कों से करते थे वो दिन दूर नहीं होगा जब ये सारा कारोबार इस BHIM App के द्वारा चलने वाला है। यानी एक प्रकार से बाबा साहेब अम्‍बेडकर का नाम सारी अर्थव्‍यवस्‍था के अंदर ये BHIM App के द्वारा Central Stage में आने वाला है। उसका प्रारंभ इस कार्यक्रम के तहत किया है। + +बहुत ही सरल है, इसे आप download करने के बाद Smart Phone हो, 1000-1200 वाला मामूली feature phone हो इससे उसका उपयोग कर सकते हैं आप। Internet होना ही चाहिए जरूरी नहीं है, और आने वाले दो सप्‍ताह के भीतर-भीतर एक और काम हो रहा है जिसकी Security की Checking की व्‍यवस्‍था चल रही है इन दिनों। वो आने के बाद तो ये BHIM की ताकत ऐसी होगी, ऐसी होगी कि आपको न Mobile Phone की जरूरत पड़ेगी, न Smart Phone की जरूरत पड़ेगी, न Feature Phone की जरूरत पड़ेगी, न Internet की जरूरत पड़ेगी; सिर्फ आपका अंगूठा काफी है, आपका अंगूठा काफी है। कोई कल्‍पना कर सकता है, एक जमाना था अनपढ़ को अंगूठा छाप कहा जाता था, वक्‍त बदल चुका है; अंगूठा! आप ही का अंगूठा! आप आपकी बैंक, आप ही का अंगूठा आपकी पहचान! आप ही का अंगूठा आपको कारोबार। + +कितना बड़ा revolution आ रहा है और दो सप्‍ताह के बाद ये व्‍यवस्‍था जब आरंभ होगी, मैं बहुत साफ देख रहा हूं, ये BHIM दुनिया के लिए सबसे बड़ा अजूबा होगा। देश में आधार कार्ड, 100 करोड़ से ज्‍यादा लोगों को आधार नम्‍बर मिल चुका है, जो 12-15 साल से छोटी आयु के हैं उनका बाकी है, काम चल रहा है, लेकिन जो बड़ी आयु के हैं 14 से ऊपर; करीब करीब उसमें से अधिकतम लोगों का हो गया है, कुछ छुटपुट कुछ रह गये होंगे तो काम चल रहा है। दूसरी तरफ देश में 100 करोड़ से ज्‍यादा Phone हैं, Mobile Phone. जिस देश के पास 65 प्रतिशत नौजवान 35 साल से कम आयु के हों, जिस देश के लोगों के हाथ में Mobile Phone हो, जिस देश के लोगों के अंगूठे में उनका भविष्‍य सुनिश्चित कर दिया गया हो वो देश एक बार अगर Digital Connectivity कर दें तो कितना बड़ा नया इतिहास बना सकता है, ये इसके अंदर आपको दिखाई देगा। विश्‍व के किसी भी देश के लिए Technology के क्षेत्र में कितना ही आगे गया हूआ देश होगा, उनके लिए भी, और इसलिए फिर वे Google के पास जाएंगे, Google Guru को पूछेंगे ये BHIM है क्‍या है? तो शुरूआत में तो उनको महाभारत वाला भीम दिखाई देगा, और ज्‍यादा गहरे जाएंगे तो उनको पता चलेगा हिंदुस्‍तान की धरती पर कोई भीमराव अम्‍बेडकर नाम के महापुरुष हो गए, भारत रत्‍न भीमराव अम्‍बेडकर। भीमराव अम्‍बेडर के जीवन का मंत्र यही था ‘’बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय।‘’ वे दलित, पीडि़त, शोषित, वंचितों के मसीहा थे। ये Technology उसकी सबसे बड़ी ताकत; गरीब से गरीब को Empower करने की ताकत इसमें पड़ी हुई है। ये भ्रम है कि ये पढ़े-लिखे अमीरों का खजाना है; जी नहीं, ये गरीबों का खजाना है। ये ताकत गरीब को देने वाला है, छोटे व्‍यापारी को देने वाला है, दूर-सुदूर गांव में रहने वाले किसान को देने वाला है, जंगलों में जिंदगी गुजारने वाले आदिवासी को देने वाला है, और इसलिए इसका नाम उस महापुरुष के साथ जोड़ा है, जिन्‍होंने अपनी जिंदगी दलित‍, पीडि़त, शोषित, वंचित आदिवासियों के लिए खपा दी। + +भाइयो, बहनों, मैं इस समय Media के मित्रों का भी आभार व्‍यक्‍त करना चाहता हूं। आपको मालूम होगा जो चीज Media के लोग ठान लें तो उसका एक असर पैदा होता है। जब लोग लाल लाइट वाली गाडि़यों में घूमने के शौकीन हुआ करते थे तो Media वाले पीछे पड़ गए। कैमरा ले गए, अच्‍छा ये लाल लाइट लगा के बैठा है। धीरे-धीरे जिसको लाल लाइट का हक था ना वो भी डरने लगा यार छोड़ो। बहुत लोग थे सरकार कहे, कानून कहे Seat belt लगाओ, Seat Belt लगाओ, कोई नहीं लगाता था। Media वाले पीछे पड़ गए, कोई कार में बैठा है बड़ा आदमी; तो तुरंत निकालते थे, इसने Seat Belt नहीं लगाया, फिर दूसरे दिन टीवी पर दिखाते थे, तो उसकी मुंडी इतनी हो जाती थी। वो Seat belt का awareness आया। + +पिछले 50 दिनों देखा होगा आपने, मैं भाषण करता था कि Digital करना चाहिए, Mobile करना चाहिए तो मुझे दिखाते थे और बगल में कोई Pedal Rickshaw वाले को पूछते थे कि तेरे पास Mobile है? वो कहता था नहीं है। तुम Cashless जानते हो, बोले नहीं। फिर वो मुझे… ए मोदी! और उसके कारण सरकार को भी सोचना पड़ा कि हां भाई Feature Phone में भी किया जाना चाहिए, अंगूठे में भी banking आना चाहिए। आया कि नहीं आया? तो बोले Media को मैं Thank You कहूं कि ना कहूं? इसीलिए मैं उनको Thank You कहता हूं। लेकिन मुझे विश्‍वास है आप लोग चेत करके रहिए। अब Media वाले एक तारीख के बाद आपके हाथ में Mobile देखेंगे, कैमरा खड़ा करके पूछेंगे तेरे पास Mobile है; है। BHIM है Cash लेके क्‍यों घूम रहा है? पढ़े लिखे हो क्‍या कर रहे हो? आप देखना 2017 में Media के लोग आपको पूछने वाले हैं। सब हिन्‍दुस्‍तान वालों को पूछने वाले हैं कि दो-दो Mobile Phone ले करके घूम रहे हो, फिर भी तुम Cashless नहीं हो रहे हो? इसी से revolution आता है, क्रांति इसी से होती है। और मुझे विश्‍वास है कि देश विश्‍व के आधुनिक देशों की तुलना में technology के क्षेत्र में और technology के साथ Common man की connectivity, ये होके रहने वाला है। + +ये देश जो कभी 9 सिलेंडर और 12 सिलेंडर पर 2014 के चुनाव का Agenda लेकर चल रहा था, एक पार्टी इस बात के मुद्दे पर चुनाव लड़ रही थी कि 9 सिलेंडर देंगे कि 12 सिलेंडर देंगे। जिस देश में पूरा चुनाव सिलेंडर की संख्‍या पर लड़ा गया हो, इस देश के अंदर एक सरकार आ करके लोगों को ये कहे कि Subsidy छोड़ दो, कितना बड़ा Contrast! हम आपको 12 सिलेंडर दे दो वोट दे दो, ये दूसरा ऐसा आया वो कहता है सिलेंडर की Subsidy छोड़ दो! + diff --git a/pm-speech/819.txt b/pm-speech/819.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..dd00289b9223daf3204866f90b223509fa8a5599 --- /dev/null +++ b/pm-speech/819.txt @@ -0,0 +1,14 @@ +मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार। आप सभी को क्रिसमस की अनेक-अनेक शुभकामनायें। आज का दिन सेवा, त्याग और करुणा को अपने जीवन में महत्व देने का अवसर है। ईसा मसीह ने कहा “गरीबों को हमारा उपकार नहीं, हमारा स्वीकार चाहिये”। Saint Luke के Gospel में लिखा है “जीसस ने न केवल गरीबों की सेवा की है, बल्कि गरीबों के द्वारा की गयी सेवा की भी सराहना की है” और यही तो असली empowerment है। इससे जुड़ी एक कहानी भी बहुत प्रचलित है। उस कहानी में बताया गया है कि जीसस एक temple treasury के पास खड़े थे। कई अमीर लोग आए, ढेर सारे दान दिए। उसके बाद एक ग़रीब विधवा आई और उसने दो तांबे के सिक्के डाले। एक तरह से देखा जाए दो तांबे के सिक्के, कुछ मायने नहीं रखते। वहाँ खड़े भक्तों के मन में, कौतुहल होना बड़ा स्वाभाविक था, तब जीसस ने कहा, कि उस विधवा महिला ने सबसे ज्यादा दान किया है, क्योंकि औरों ने बहुत कुछ दिया, लेकिन इस विधवा ने तो अपना सब कुछ दे दिया है। + +आज 25 दिसम्बर, महामना मदन मोहन मालवीय जी की भी जयन्ती है। भारतीय जनमानस में संकल्प और आत्मविश्वास जगाने वाले मालवीय जी ने आधुनिक शिक्षा को एक नई दिशा दी। उनकी जयन्ती पर भाव-भीनी श्रद्धांजलि। अभी दो दिन पहले, मालवीय जी की तपोभूमि बनारस में मुझे कई सारे विकास के कार्यों का शुभारम्भ करने का अवसर मिला। मैंने वाराणसी में, BHU में, महामना मदन मोहन मालवीय Cancer Centre का भी शिलान्यास किया है। इस पूरे क्षेत्र में निर्माण हो रहा है एक Cancer Centre. न सिर्फ़ पूर्वी उत्तर-प्रदेश, लेकिन, झारखण्ड-बिहार तक के लोगों के लिये एक बहुत बड़ा वरदान होगा। + +25 दिसम्बर को क्रिसमस की सौगात के रूप में, पंद्रह हज़ार लोगों को draw system से ईनाम मिलेगा और पंद्रह हज़ार के हर-एक के खाते में एक-एक हज़ार रूपये का ईनाम जाएगा और ये सिर्फ़ आज एक दिन के लिये नहीं है, ये योजना आज से शुरू हो करके 100 दिन तक चलने वाली है। हर दिन, पंद्रह हज़ार लोगों को एक-एक हज़ार रूपये का ईनाम मिलने वाला है। 100 दिन में, लाखों परिवारों तक, करोड़ों रुपयों की सौगात पहुँचने वाली है, लेकिन, ये ईनाम के हक़दार आप तब बनेंगे जब आप mobile banking, e-banking, RuPay Card, UPI, USSD ये जितने digital भुगतान के तरीक़े हैं उनका उपयोग करोगे, उसी के आधार पर draw निकलेगा। इसके साथ-साथ ऐसे ग्राहकों के लिये सप्ताह में एक दिन बड़ा draw होगा जिसमें ईनाम भी लाखों में होंगे और तीन महीने के बाद, 14 अप्रैल डॉक्टर बाबा साहेब आंबेडकर की जन्म जयन्ती है उस दिन एक bumper draw होगा जिसमें करोड़ों के ईनाम होंगे। ‘Digi धन व्यापार योजना’ प्रमुख रूप से व्यापारियों के लिये है। व्यापारी स्वयं इस योजना से जुडें और अपना कारोबार भी cashless बनाने के लिए ग्राहकों को भी जोड़ें। ऐसे व्यापारियों को भी अलग़ से ईनाम दिये जाएँगे और ये ईनाम हज़ारों की तादात में हैं। व्यापारियों का अपना व्यापार भी चलेगा और ऊपर से ईनाम का अवसर भी मिलेगा। ये योजना, समाज के सभी वर्गों, खास करके ग़रीब एवं निम्न मध्यम-वर्ग, उनको केंद्र में रख करके बनायी गई है और इसलिये जो 50 रूपये से ऊपर खरीदते हैं और तीन हज़ार से कम पैसों की खरीदी करते हैं, उन्हीं को इसका लाभ मिलेगा। तीन हज़ार रुपये से ज़्यादा खरीदी करने वाले को इस ईनाम का लाभ नहीं मिलेगा। ग़रीब से ग़रीब लोग भी USSD का इस्तेमाल कर feature फोन, साधारण फोन के माध्यम से भी सामान खरीद भी सकते हैं, सामान बेच भी सकते हैं और पैसों का भुगतान भी कर सकते हैं और वे सब इस ईनाम योजना के लाभार्थी भी बन सकते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोग AEPS के माध्यम से खरीद-बिक्री कर सकते हैं और वे भी ईनाम जीत सकते हैं। कइयों को आश्चर्य होगा, भारत में आज लगभग 30 करोड़ RuPay Card हैं, जिसमें से 20 करोड़ ग़रीब परिवार जो जन-धन खाता वाले लोग हैं, उनके पास है। ये 30 करोड़ लोग तो तुरंत इस ईनामी योजना का हिस्सा बन सकते हैं। मुझे विश्वास है कि देशवासी इस व्यवस्था में रुचि लेंगे और आपके अगल-बगल में जो नौजवान होंगे, वो ज़रूर इन चीज़ों को जानते होंगे, आप थोड़ा सा उनको पूछोगे वो बता देंगे। अरे, आपके परिवार में भी 10वीं-12वीं का बच्चा होगा, तो वो भी भली-भाँति चीज़ आपको सिखा देगा। ये बहुत सरल है – जैसे आप मोबाइल फोन से WhatsApp भेजते हैं न उतना ही सरल है। + +मैं देश के सभी राज्यों को भी बधाई देता हूँ। Union Territory को भी बधाई देता हूँ। सबने अपने-अपने प्रकार से इस अभियान को आगे बढ़ाया है। आंध्र के मुख्यमंत्री श्रीमान् चंद्रबाबू नायडू की अध्यक्षता में एक committee भी बनाई है, जो इसके लिये अनेक योजनाओं पर विचार कर रही है, लेकिन मैंने देखा कि सरकारों ने भी अपने तरीक़े से कई योजनाएँ लागू की है, आरंभ की है। किसी ने मुझे बताया की असम सरकार ने property tax और व्यापार license fee का digital भुगतान करने पर 10 फ़ीसदी छूट देने का निर्णय किया है। ग्रामीण बैंको के branch अपने 75% उपभोक्ता से जनवरी से मार्च के बीच कम से कम दो digital transaction करवाते हैं, तो उन्हें सरकार की ओर से 50 हज़ार रूपये ईनाम मिलने वाले हैं। 31 मार्च 2017 तक अगर 100% digital transaction करने वाले गाँवों को सरकार की ओर से Uttam Panchayat for Digi-Transaction के तहत 5 लाख रुपये का ईनाम देने की उन्होंने घोषणा की है। उन्होंने किसानों के लिये Digital Krishak Shiromani असम सरकार ने ऐसे पहले 10 किसानों को 5 हज़ार रुपया ईनाम देने का निर्णय किया है जो बीज और खाद की ख़रीद के लिए पूरी तरह digital भुगतान का इस्तेमाल करते हैं। मैं असम सरकार को बधाई देता हूँ लेकिन इस प्रकार से initiative लिये सभी सरकारों को बधाई देता हूँ। कई Organisations ने भी गाँव ग़रीब किसानों के बीच digital लेन-देन को बढ़ावा देने के कई सफल प्रयोग किये हैं। मुझे किसी ने बताया GNFC Gujarat Narmada valley Fertilizer और Chemical limited जो मुख्यतः खाद का काम करता है, उन्होंने किसानों को सुविधा हो इसलिये एक हज़ार Pose Machine खाद जहाँ बेचते हैं, वहाँ लगाए हैं और कुछ ही दिनों में 35 हज़ार किसानों को 5 लाख खाद के बोरे digital भुगतान के माध्यम से कर दिये और ये सब सिर्फ दो हफ्ते में किया है। और मज़ा यह है कि पिछले वर्ष की तुलना में GNFC की खाद की बिक्री में 27 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है। + +मैं देशवासियों का आभारी हूँ कि इतनी सारी चिट्ठियाँ लिख करके मुझे आपने मदद की है। श्रीमान गुरुमणि केवल ने My Gov पर लिखा है काले धन पर लगाम लगाने का ये कदम प्रसंशा के योग्य हैI हम नागरिकों को परेशानी हो रही है, लेकिन हम सब भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ रहे हैं और इस लड़ाई में हम जो सहयोग दे रहे हैं, उससे हम खुश हैंI हम भ्रष्टाचार, काला धन इत्यादि के खिलाफ़ Military Forces की तरह लड़ रहे हैंI गुरु मणिकेवल जी ने जो बात लिखी है देश के हर कोने में से यही भावना उजागर हो रही हैI हम सब इसको अनुभव कर रहे हैंI लेकिन ये बात सही है जब जनता कष्ट झेलती है, तकलीफ झेलती है तो कौन इंसान होगा जिसको पीड़ा न होती होI जितनी पीड़ा आपको होती है, उतनी ही पीड़ा मुझे भी होती हैI लेकिन एक उत्तम ध्येय के लिये, एक उच्च इरादे को पार करने के लिये, साफ नीयत के साथ जब काम होता है तो ये कष्ट के बीच, दुख के बीच, पीड़ा के बीच भी देशवासी हिम्मत के साथ डटे रहते हैंI ये लोग ही असल में Agent of Change बदलाव के पुरोधा हैंI मैं लोगों को एक और कारण के लिये भी धन्यवाद देता हूँ कि उन्होंने न केवल परेशानियाँ उठाई हैं, बल्कि उन चुनिन्दा लोगों को करारा जवाब भी दिया है, जो जनता को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैंI कितनी सारी अफवाहें फैलाइ गईI भ्रष्टाचार और काले धन जैसी लड़ाई को भी साम्प्रदायिकता के रंग से रंगने का भी कितना प्रयास किया गयाI किसी ने अफवाह फैलाइ नोट पर लिखी Spelling गलत है, किसी ने कह दिया नमक का दाम बढ़ गया है, किसी ने अफवाह चला दी 2000 के नोट भी जाने वाली है, 500 और 100 के भी जाने वाली है, ये भी फिर से जाने वाला है, लेकिन मैंने देखा भाँति-भाँति अफवाहों के बावज़ूद भी देशवासियों के मन को कोई डुला नहीं सका हैI इतना ही नहीं, कई लोग मैदान में आए, अपने Creativity के द्वारा , अपने बुद्धि शक्ति के द्वारा अफवाह फैलाने वालों को भी बेनकाब किया, अफवाहों को भी बेनकाब कर दिया और सत्य लाकर के खड़ा कर दियाI मैं जनता के इस सामर्थ्य को भी शत-शत नमन करता हूँI + +मेरे प्यारे देशवासियो, ये मैं साफ अनुभव कर रहा हूँ, हर पल अनुभव कर रहा हूँI जब सवा-सौ करोड़ देशवासी आपके के साथ खड़े हों तब कुछ भी असंभव नहीं होता है और जनता जनार्दन ही तो ईश्वर का रूप होती है और जनता के आशीर्वाद, ईश्वर के ही आशीर्वाद बन जाते हैंI मैं देश की जनता को धन्यवाद देता हूँ, उन्हें नमन करता हूँ कि भ्रष्टाचार और काले धन के खिलाफ इस महायज्ञ में लोगों ने पूरे उत्साह के साथ भाग लिया हैI मैं चाहता था कि सदन में भ्रष्टाचार और काले धन के खिलाफ जो लड़ाई चल रही है राजनैतिक दलों के लिये भी, Political Funding के लिये भी, व्यापक चर्चा होI अगर सदन चला होता तो ज़रूर अच्छी चर्चा होतीI जो लोग अफवाहें फैला रहे हैं कि राजनैतिक दलों को सब छूट-छाट है, ये गलत हैI कानून सब के लिये समान होता है और कानून का पालन भी चाहे व्यक्ति हो, संगठन हो या राजनैतिक दल हो, हर किसी को कानून का पालन करना ही होता है और करना ही पड़ेगाI जो लोग खुल कर के भ्रष्टाचार और काले धन का समर्थन नहीं कर पाते हैं, वे सरकार की कमियाँ ढूंढने के लिए पूरी देर लगे रहते हैंI एक बात ये भी आती है बार-बार नियम क्यों बदलते हैंI ये सरकार जनता-जनार्दन के लिये हैI जनता का लगातार feedback लेने का प्रयास सरकार करती हैI जनता-जनार्दन को कहाँ कठिनाई हो रही है! किस नियम के कारण दिक्कत आती है! उसका क्या रास्ता खोजा जा सकता है! हर पल सरकार एक सवेंदनशील सरकार होने के कारण जनता-जनार्धन की सुख-सुविधा को ध्यान में रखते हुए जितने भी नियम बदलने पड़ते हैं, बदलती है, ताकि लोगों की परेशानी कम होI दूसरी तरफ, मैंने पहले ही दिन कहा था, 8 तारीख को कहा था, ये लड़ाई असामान्य हैI 70 साल से बेईमानी और भ्रष्टाचार के काले कारोबार में कैसी शक्तियाँ जुड़ी हुई है? उनकी ताक़त कितनी है? ऐसे लोगों से मैंने जब मुकाबला करना ठान लिया है तो वे भी तो सरकार को पराजित करने के लिए रोज नये तरीके अपनाते हैंI जब वो नये तरीके अपनाते हैं तो हमें भी तो उसके काट के लिये नया तरीका अपनाना पड़ता हैI तू डाल-डाल, तो मैं पात-पात, क्योंकि हमने तय किया है कि भ्रष्टाचारियों को, काले कारोबारों को, काले धन को, मिटाना हैI दूसरी तरफ, कई लोगों के पत्र इस बात को लेकर के आए हैं जिसमें किस प्रकार की धाँधलियां हो रही हैं, किस प्रकार से नये-नये रास्ते खोजे जा रहे हैं इसकी चर्चा हैI + +मेरे प्यारे देशवासियो, पिछली बार भी ‘मन की बात’ में मैंने कहा था कि इन कठिनाइयों के बीच भी हमारे किसानों ने कड़ी मेहनत कर के ‘बुवाई’ में पिछले साल का रिकॉर्ड तोड़ दियाI कृषि क्षेत्र के दृष्टि से ये शुभ संकेत हैंI इस देश का मजदूर हो, इस देश का किसान हो, इस देश का नौजवान हो इन सब के परिश्रम आज नये रंग ला रहे हैंI पिछले दिनों विश्व के ‘अर्थ मंच’ पर भारत ने अनेक क्षेत्र में अपना नाम बड़े गौरव के साथ अंकित करवाया हैI हमारे देशवासियों के लगातार प्रयासों का परिणाम है कि अलग-अलग Indicators के ज़रिये अलग-अलग Indicators के ज़रिये भारत की वैश्विक ranking में बढ़ोतरी दिखाई दे रही हैI World Bank की doing business report में भारत की ranking बढ़ी हैI हम भारत में business practices को दुनिया के best Practices के बराबर बनाने का तेज़ी से प्रयास कर रहे हैं और सफलता मिल रही हैI UNCTAD उसके द्वारा जारी world investment report के अनुसार top prospective host economies for 2016-18 में भारत का स्थान तीसरा पहुँच गया हैI World Economic Forum के global competitiveness Report में भारत ने 32 Rank की छलांग लगाई हैI global innovation index 2016 में हमने 16 स्थानों की बढ़त हासिल की है और World Bank के Logistics Performance Index 2016 में 19 rank की बढ़ोतरी हुई हैI कई report ऐसे हैं जिसके मूल्यांकन भी इसी ओर इशारा करते हैंI भारत तेज़ी से आगे बढ़ रहा है I + diff --git a/pm-speech/820.txt b/pm-speech/820.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..43960175fdf00e70dd11684f9076f31b3ac004da --- /dev/null +++ b/pm-speech/820.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +अभी मैं काशी विश्वविद्यालय में गया था। वहां एक कैंसर रीसर्च इंस्टिट्यूट का शिलान्यास किया। इस पूरे क्षेत्र में कैंसर की बीमारी है तो मुंबई जाना पड़ता है। और हम जानते हैं कि मुंबई के अंदर अस्पताल में इतनी देर के बाद नंबर लगता है। क्यों न मुंबई में जो कैंसर अस्पताल है। वैसा ही वैसी ही सुविधाओं वाला उत्तम से उत्तम सारवार करने वाला अस्पताल उत्तर प्रदेश में हो। खासकर के पूर्वी उत्तर प्रदेश में हो। जिसका लाभ पड़ोस में झारखंड और बिहार के लोगों को भी मिले। एक बहुत बड़ा प्रकल्प जिसका शिलान्यास आज मैंने काशी विश्वविद्यालय के कार्यक्रम में किया है। उस पूरे क्षेत्र को इससे बहुत बड़ा लाभ हने वाला है। हम ये जानते हैं कि आरोग्य के क्षेत्र में Public Private Partnership का Model भी उतना ही महत्व रखता है। Private अस्पताल भी इस क्षेत्र में बहुत बड़ी मात्रा में काम करते हैं। भारत के ही संतान श्रीमान सेट्टी जी है तो कर्नाटक के बस गए हैं गल्फ Countries में। लेकिन उन्होंने Health के क्षेत्र में आरोग्य के क्षेत्र में बहुत विस्तारपूर्व अपना काम किया हुआ है। अनेक स्थानों पर उनके अस्पताल चलते हैं। वे भी काशी से आकर्षित हो कर के अपना एक Private अस्पताल काशी में आरंभ करने जा रहे हैं। आज मुझे उसका भी शिलान्यास करने का अवसर मिला है। 500 बेड का इतना बड़ा अस्पताल काशी में बनना ये काशी को बहुत बड़ा नजराना है। गरीब बीमार लोगों के लिए 500 में से 200 बेड वो पूरी तरह गरीबों के लिए समर्पित होंगे। बाकि जो 300 बेड हैं। super speciality सेवाओं के लिए होंगे। तो एक प्रकार से गरीबों का भला करने वाली। और इस क्षेत्र में इतना बड़ा अस्पताल बनने के कारण हजारों नौजवानों को नए रोजगार की संभावनाएं पैदा होंगी। हैल्थ सैक्टर में काम करने वाली वीधा Develop होगी। Paramedical का स्टाफ हो, Nursing का स्टाफ हो, अस्पताल का रखरखाव हो। तो एक बहुत बड़ा इस Investment के कारण इस क्षेत्र को लाभ होने वाला है। + diff --git a/pm-speech/821.txt b/pm-speech/821.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..5e42827ea812f35caae6f2f405b90492ec66209c --- /dev/null +++ b/pm-speech/821.txt @@ -0,0 +1,4 @@ +राष्ट्रपति अताम्बाएव और मैंने रक्षा क्षेत्र में हमारे सहयोगात्मक कार्यों की भी समीक्षा की है। किर्गिज-भारत माउंटेन बायो-मेडिकल रिसर्च सेंटर सफल सहयोग का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। यह एक लाभप्रद अनुसंधान पहल साबित हुई है जिसे हमें और बढ़ावा देने की जरूरत है। हमने किर्गिज गणराज्य में किर्गिज-इंडिया ज्वाइंट मिलिटरी ट्रेनिंग सेंटर स्थापित करने के लिए काम शुरू कर दिया है। आतंकवाद से मुकाबले के लिए हमारा संयुक्त सैन्य अभ्यास अब सालाना गतिविधियों में शामिल हो चुका है। अगले साल की पहली तिमाही के दौरान किर्गिज गणराज्य में अगले आयोजन की योजना बनाई गई है; + +राष्ट्रपति अताम्बाएव और मैं हमारी अर्थव्यवस्थाओं को काफी गहराई से कनेक्ट करने की जरूरत पर भी सहमत हुए। इस संदर्भ में हम अपने द्विपक्षीय व्यापार और आर्थिक लिंकेज को मजबूती देने के लिए काम करेंगे और लोगों के अधिक से अधिक आदान-प्रदान की सुविधा मुहैया कराएंगे। हम स्वास्थ्य सेवा, पर्यटन, सूचना प्रौद्योगिकी, कृषि, खनन और ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में मौजूद संभावनाओं के दोहन में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए दोनों पक्षों के व्यापार एवं उद्योग को प्रोत्साहित करेंगे। हमने क्षमता निर्माण एवं प्रशिक्षण सहित अपने विकास सहयोग को मजबूती देने का निर्णय लिया है। हमारे लोग इन गतिविधियों के केंद्र में होंगे। हम किर्गिज गणराज्य के साथ अपने तकनीकी एवं आर्थिक सहयोग कार्यक्रम में युवाओं के आदान-प्रदान पर विशेष जोर देंगे। आज का निष्कर्ष इन दिशाओं में हमारी गतिविधियों का समर्थन करेगा। सबसे पहले मध्य एशिया क्षेत्र में हमने पिछले साल किर्गिज गणराज्य के साथ टेलीमेडिसिन लिंक की शुरुआत की थी। हम इस परियोजना का विस्तार किर्गिज गणराज्य के अन्य क्षेत्रों में करने के लिए कदम उठा रहे हैं। + diff --git a/pm-speech/822.txt b/pm-speech/822.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..d201b6b3a9f18b723fe7ee529549f1decfa77ba6 --- /dev/null +++ b/pm-speech/822.txt @@ -0,0 +1,4 @@ +मैं राष्‍ट्रपति रहमान और उनके प्रतिनिधिमंडल का भारत आगमन पर हार्दिक स्‍वागत करता हूं। ताजिकिस्‍तान एशिया में हमारा सम्‍माननीय मित्र एवं राजनीतिक साझेदार है। राष्‍ट्रपति रहमान स्‍वयं भी भारत से काफी परिचित हैं। आपका पुन: आतिथ्‍य करते हुए हमें वास्‍तव में हर्ष है। भारत में हम, हमारे द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए आपके नेतृत्‍व और योगदान की अत्‍यंत सराहना करते हैं। हमारी रणनीतिक साझेदारी पारस्‍परिक सम्‍मान, विश्‍वास और क्षेत्रीय सुरक्षा एवं विकास में साझे हितों की बुनियाद पर निर्मित है। हमारे देश और समाज भी परस्‍पर इतिहास और विरासत की गहरी जड़ों से प्राकृतिक रूप से जुड़े हुए हैं। हमारे अतीत के सांस्‍कृतिक, धार्मिक और भाषाई अंतर-मिश्रण ने हमारी आज के जन-संबंधों में गर्मजोशी और मैत्री का समावेश किया है। + +राष्ट्रपति रहमान और मैंने आज सार्थक विचार-विमर्श किये हैं। हमनें रक्षा एवं सुरक्षा में साझेदारी सहित, अपनी द्विपक्षीय संलिप्तताओं के विभिन्न आयामों में हुई प्रगति का मूल्यांकन किया। भारत और ताजिकिस्तान का एक ऐसा विस्तृत पड़ोस है जो विभिन्न सुरक्षा चुनौतियों और खतरों से जूझ रहा है। न केवल हमारे दो देशों के लिए आतंकवाद से खतरा बना हुआ है अपितु हिंसा व अस्थिरता की काली छाया समूचे क्षेत्र के लिए खतरा है। अतः आतंकवाद से लड़ाई हमारी सहभागी संलिप्तता का एक महत्वपूर्ण अंग है। अतिवाद, आततायी, आतंकवादी ताकतों के खिलाफ मध्य एशियाई क्षेत्र में ताजिकिस्तान की भूमिका के हम प्रशंसक हैं। राष्ट्रपति रहमान और मैंने आज परस्पर सहमति की प्राथमिकताओं के आधार पर इस दिशा में कार्यवाही पर सहमति जताई है। + diff --git a/pm-speech/824.txt b/pm-speech/824.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..c62c9aecc9ea07b5576c4bba94d2c8673fe62742 --- /dev/null +++ b/pm-speech/824.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +आप एक महान राष्ट्र के नेता हैं। क्योंकि विश्व में सबसे अधिक मुस्लिम आबादी वाला देश इंडोनेशिया लोकतंत्र, विविधता, बहूलतावाद और सामाजिक सद्भाव के लिए खड़ा है। ये हमारे भी मूल्य हैं। हमारे देश और समाज का वाणिज्यिक एवं सांस्कृतिक संबंध काफी मजबूत और ऐतिहासिक है। भौगोलिक स्तर पर भी हम एक ऐसी जगह पर रहते हैं जो दुनिया में इन दिनों चल रहे तीव्र राजनैतिक, आर्थिक और सामरिक बदलावों का केंद्र है। आपकी यात्रा से हमें अपनी सामरिक भागीदारी को मजबूती और गति देने में मदद मिलेगी। और, एशिया-प्रशांत क्षेत्र में शांति, समृद्धि एवं स्थिरता के लिए साझा ताकत को आकार देने में मदद मिलेगी। + diff --git a/pm-speech/825.txt b/pm-speech/825.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..f811462b92bf7767194a299f5a57be8312034f31 --- /dev/null +++ b/pm-speech/825.txt @@ -0,0 +1,12 @@ +भाइयो, बहनों! यही बनासकांठा, यही गुजरात, जिसने श्‍वेत क्रांति का नेतृत्‍व किया था; आज मुझे खुशी हुई कि बनास डेयरी ने श्‍वेत क्रांति के साथ-साथ Sweet क्रांति का भी बिगुल बताया है। जहां श्‍वेत क्रांति हुई वहां अब Sweet क्रांति भी होने वाली है। मधु क्रांति! शहद! बनास ने डेयरी के दूध की जैसी व्‍यवस्‍था की है किसानों को शहद के लिए मधुमक्‍खी पालन के लिए। ट्रेनिंग देना शुरू किया। आज उस Honey में से पहला packaging बना करके उन्‍होंने market में रखा हे। मेरा पूरा विश्‍वास है गुजरात में जो डेयरी का network है, और करीब-करीब सभी जिलों में डेयरी का network है, किसानों की समितियां बनी हुई हैं। दूध के साथ-साथ खेतों में अगर मधुमक्‍खी पालन भी किसान पकड़ लें तो जैसे दूध भरने जाते हैं, वैसे मधु भरने जाएंगे, मद भरने जाएंगे, शहद, honey ले जाएंगे, और डेयरी की गाडि़यों में दूध भी जाएगा, शहद भी जाएगा। Extra Profit, Extra Benefit, अतिरिक्‍त कमाई का एक नया रास्‍ता, गुजरात के भी डेयरी, सभी किसान, इस रास्‍ते पर चल करके एक श्‍वेत क्रांति के साथ-साथ Sweet क्रांति को भी ला सकते हैं ऐसा मेरा विश्‍वास है। दुनिया में शहद की मांग है, बहुत बड़ा market है। अगर हम शहद में भी आगे निकल जाएं, और जब नर्मदा का पानी आया है। नर्मदा के नजदीकी इलाकों में तो बहुत बड़ी मात्रा में इसका लाभ मिलता है। Fertilizer उपयोग करने के तरीके बदलने पड़ते हैं, लेकिन लाभ इतना बड़ा होता है और जैसा बनाकांठा के किसान का मन बदला है, ये भी बदल के रहेगा ऐसा मुझे विश्‍वास है। + +मैं बनास में जब आया हूं तब मैं बनास डेयरी से चाहूंगा कि वो एक काम और भी करे, और कर सकते हैं। बनास हो, सांभर डेयरी हो, दुग्‍ध सागर डेयरी हो; ये तीनों मिल करके भी कर सकते हैं। दो चीजें हम ऐसी पैदा करते हैं, हमारे किसान; लेकिन हम सस्‍ते में बेच देते हैं। और जो हम castor की खेती करते हैं, दिवेला; एरेंडा। 80 percent खेती हमारे यहां होती है, उसका उत्‍पादन। उस पर इतनी value addition होती है, इतनी process होती है। सारी दुनिया के महत्‍वपूर्ण technology में space shuttle की technology में ये Castor के Oil से बनी हुई चीजें सबसे सफल रहती हैं। लेकिन हम जो हैं, अभी भी हमारा दिवेला, एरेंडा जो कहें; ऐसे का ऐसा बेच देते हैं। ये बनास, दुग्‍धसागर, सांभर एक research Centre बनाएं और हम, हमारे किसान जो यहां पर castor पैदा करते हैं, एरंडा पैदा करते हैं, दिवेला पैदा करते हैं, उसमें value addition कैसे करें और हमारा ये कीमती संपत्ति पानी के मोल से बाहर चली जाती है, उसे हम बचाएं। + +दूसरा है ईसबगोल। इसबगोल की ताकत बहुत बड़ी ताकत है। उसमें बहुत value addition हो सकता है। जब कुरियन जिंदा थे, तो श्रीमान कुरियन जी को मैंने कहा था कि आप ईसबगोल पर value addition पर काम कीजिए। उन्‍होंने प्रारंभ किया था, आइसक्रम बनाई थी ईसबगोल का। और आइसक्रीम का नाम दिया था ईसबकूल। आनंद में शुरूआत की थी उन्‍होंने उस समय। इतना बड़ा Global Market है ईसबगोल का। उसके संबंध में भी अगर वैज्ञानिक तरीके से हम काम करें तो बहुत बड़ा बदलाव ला सकते हैं, और हमें लाना चाहिए। + +भाइयो, बहनों! मैं विरोधी दल के मित्रों से, आज महात्‍मा गांधी की इस धरती से, सरदार वल्‍लभभाई पटेल की इस धरती से सार्वजनिक रूप से आग्रह करना चाहता हूं। जब चुनाव होते हैं, जब चुनाव होते हैं हम सभी दल एक-दूसरे के खिलाफ बोलते हैं; आरोप प्रत्‍यारोपण करते हैं, अच्‍छी और बुरी नीतियों की चर्चा करते हैं, हर प्रकार से अपने विरोधियों पर जैसा मार कर सकते हैं करने की कोशिश करते हैं; सभी दल करते हैं। भारतीय जनता पार्टी भी करेगी, कांग्रेस भी करेगी, बाकी सब छोटे-मोटे दल भी; सब करते हैं। लेकिन सभी पार्टियां एक काम जरूर करती हैं, क्‍या? मतदाता सूची को ठीक करना, अधिकत्‍तम लोग मतदान करने आएं इसकी चिन्‍ता करना; मतदाताओं को कैसे बटन दबाना; वो सिखाना, सभी दल करते हैं। एक तरफ तो नीतियों का विरोध करते हैं, दूसरे को पराजित करने की ताकत लगाते हैं, लेकिन दूसरी तरफ सब मतदाता सूची पर ध्‍यान देते हैं, Electronic Voting Machine पर ध्‍यान देते हैं, अधिक लोग मतदान करने आएं इस पर ध्‍यान देते हैं, क्‍यो? क्‍योंकि लोकशाही हम सबकी जिम्‍मेवारी है। + +भाइयो, बहनों! अब वक्‍त बदल चुका है, अब तो आपके मोबाइल फोन में ही आपका बैंक आ गया है। आपक बटुआ भी आपके मोबाइल फोन में है। आप चाय पीने जाएं, बटन दबाएं, चाय वाले को पैसा पहुंच जाएगा, receipt मिल जाएगी। बीच में लोग cheque देते थे, cheque फाड़ते थे, दो महीने के बाद पता चलता था कि cheque वापिस आया, बाद में केस कोर्ट में है; जो सबसे ज्‍यादा केस चलते हैं, वो cheque वापिस आने के चलते हैं। आप नौजवानों का धन्‍यवाद आपने बहुत बड़ा काम उठाया है, मैं आपको बधाई देता हूं और बनासकंठा जिले को आप ई, ई-बटुआ से जोड़ दीजिए भाइयो। लोगों को E-Mobile Banking से जोड़ने में सफल होंगे मुझे विश्‍वास है। + +भाइयो, बहनों! हम जानते हैं, कि आप वो कागज के नोटों का भी जमाना पूरा होने जा रहा है। अब तो आपके मोबाइल फोन में आपकी बैंक है। एक बार बैंक में जमा हो गया, आपको बैंक में कतार में खड़े रहने की जरूरत नहीं है, आपको एटीएम के बाहर लाइन लगाने की जरूरत नहीं है, आपको टाइम बरबाद करने की जरूरत नहीं है। अखबार में advertisement आता है, TV पर advertisement आता है। आप अपने मोबाइल फोन से, अगर आपके पैसे बैंक में पड़े हैं; तो आप अपने पैसों का जो खरीदना, खरीद सकते हैं। cheque तो bounce होता था, इसमें तो जैसे ही पैसे दोगे, तो सामने receipt आज जाता है, पैसा मिल गया या पैसा पहुंच गया। कोई बाउंस-वाउंस होता ही नहीं, वहीं पर पता चल जाता है कि रुपया गया कि नहीं गया। + diff --git a/pm-speech/826.txt b/pm-speech/826.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..0a84db9ae31b805e3783d0ebfe0341053fe13466 --- /dev/null +++ b/pm-speech/826.txt @@ -0,0 +1,12 @@ +भारत की अर्थव्यवस्था के 2040 तक पांच गुना की दर से विकास करने की उम्मीद है। एक अनुमान के मुताबिक भारत 2013 और 2040 के बीच एक चौथाई विकासशील वैश्विक ऊर्जा की मांग की ओर अग्रसर है। पूरे यूरोप की तुलना में भारत में 2040 तक अधिक तेल की खपत होने की उम्मीद है। हम उम्मीद करते हैं कि 2022 तक सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण क्षेत्र की हिस्सेदार 25 फीसदी दो जाएगी जबकि अभी यह दर 16 फीसदी पर रुकी हुई है। + +परिवहन बुनियादी ढांचे में भी कई गुना वृद्धि की संभावना है। तेरह मीलियन की वाणिज्यिक वाहन आबादी 2040 तक 56 मीलियन तक पहुंच जाने का अनुमान है। नागरिक उड्डयन में, भारत इस समय दुनिया में आठवां सबसे बड़ा बाजार है और 2034 तक दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा नागरिक उड्डयन बनने के लिए तैयार है। विमानन क्षेत्र में विकास के चलते 2040 तक विमानन ईंधन की मांग चार गुना बढ़ने की उम्मीद की जाती है। यह सब ऊर्जा की मांग को प्रभावित करेगा। + +अब ऊर्जा दक्षता पर बात करने की बारी है। भारत की स्थिति वाणिज्यिक परिवहन क्षेत्र में विषम है। माल ढुलाई का अनुपात सड़क मार्ग से बढ़ रहा है। ऊर्जा दक्षता बढ़ाने के लिए मेरी सरकार ने रेलवे को प्राथमिकता दे रही है। हमने 2014-15 और 2016-17 के बीच अधिक से अधिक एक सौ प्रतिशत तक की रेलवे में सार्वजनिक पूंजी निवेश में वृद्धि की है। हम समर्पित फ्रेट कॉरिडोर पूरा कर रहे हैं। हम मुंबई और अहमदाबाद के बीच एक उच्च गति रेल गलियारे का निर्माण कर रहे हैं जो हवाई यात्रा से ज्याद ऊर्जा दक्षता वाला होगा। हम अंतर्देशीय और तटीय दोनों क्षेत्रों में जलमार्ग के लिए एक बड़ा जोर दिया है। हमारी सागरमाला परियोजना भारत के लंबे समुद्र तट को जोड़ेगी। हमने बड़ी नदियों पर भी नए अंतर्देशीय शिपिंग मार्गों को खोल दिया है। इन कदमों से ऊर्जा दक्षता में सुधार होगा। बहुप्रतीक्षित राष्ट्रीय वस्तु एवं सेवा कर कानून को पारित कर दिया गया है। राज्य की सीमाओं पर भौतिक बाधाओं को दूर करके जीएसटी लंबी दूरी के परिवहन को और आगे बढ़ाने में दक्षता को गति देगा। + +विकासशील देशों के तेल मंत्री ऊर्जा मूल्य निर्धारण की संवेदनशीलता को जानते हैं। इसके अलावा, हमने पेट्रोल और डीजल की कीमतों को अनियंत्रित कर दिया है। रसोई गैस की कीमतों को भी बाजार तय करेगा। कमजोर और मध्यम वर्ग की रक्षा के लिए 169 मीलियन बैंक खातों में सीधे सब्सिडी का भुगतान किया जा रहा है। इससे रसोई गैस पर मिलने वाली सब्सिडी की तमाम खामियों और उसके दुरुपयोग को खत्म किया जा सकेगा। इससे बड़ी बचत हो रही है। इन उपायों से भी ऊर्जा के उपयोग की दक्षता में वृद्धि हुई है। + +मेरे लिए ऊर्जा स्थिरता, एक पवित्र कर्तव्य है। यह कुछ ऐसा है जो भारत को प्रतिबद्धता से बाहर करता है, अनिवार्यता से नहीं। भारत अगले पंद्रह वर्षों में अपने 2005 के स्तर से अपने सकल घरेलू उत्पाद का कार्बन तीव्रता में तैंतीस प्रतिशत की कमी करने के लिए खुद करने में पहल की है। हमने प्रति व्यक्ति ऊर्जा की खपत प्रारंभिक बिंदु के बावजूद कम किया है। हम 2030 तक गैर जीवाश्म ईंधन से ऊर्जा चालीस प्रतिशत का उत्पादन करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। मैंने 2022 तक अक्षय ऊर्जा उत्पादन का 175 गीगावाट का एक विशाल लक्ष्य निर्धारित किया है। इन प्रयासों के लिए धन्यवाद, क्षमता में वृद्धि हुई है और अक्षय ऊर्जा की कीमतें घटी हैं। हमने एलईडी प्रकाश व्यवस्था के लिए भी एक बड़ा जोर दिया है। + +सीएनजी, एलपीजी, जैव ईंधन और परिवहन क्षेत्र के लिए स्वच्छ ईंधन हैं। हम और विकल्पों की तलाश के लिए बंजर भूमि पर बायोडीजल का उत्पादन करने की जरूरत है। इससे किसानों को आर्थिक मदद मुहैया कराने में मदद मिलेगी। दूसरी और तीसरी पीढ़ी के लिए देश को मिल रही ऊर्जा चुनौतियों का सामना करने के लिए जैव ईंधन और ईंधन के क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास किए जाने की जरूरत है। + diff --git a/pm-speech/829.txt b/pm-speech/829.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..abc34bc0b42ea35039d9dca678ca2a756d0a4da7 --- /dev/null +++ b/pm-speech/829.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +हमारे देश में जितने परिवार हैं, उससे चार गुना Telephone हैं हाथ में लोगों के। Mobile Phone हैं। आज Mobile Banking चलता है, भविष्‍य में भी भ्रष्‍टाचारियों को फिर से अगर उठने नहीं देना है, काले धन वालों को उठने नहीं देना है, तो मैं देशवासियों से आग्रह करता हूं कि आप अपने Mobile Phone में ही Bank का Branch बना दो। Mobile Phone पर बैंकों के App होते हैं, उसको download करिए। मैं नोजवानों को कहूंगा, Universities को कहूंगा, राजनेताओं को कहूंगा कि अपने इलाके में नागरिकों का प्रशिक्षण करें, व्‍यापारियों को शिक्षा करें। हरेक के Mobile में अगर App आ गया तो मैं जिस दुकान में जाऊंगा उसको कहूंगा कि मेरे पास ये App है, मुझे 200 रुपये का सामान चाहिए, आप Mobile Phone में नम्‍बर लगाइए, 200 रुपया एक सेकेंड में उसके पास चला जाएगा, और वो देखेगा हां मेरा 200 रुपया आ गया, आपका काम हो गया। + diff --git a/pm-speech/830.txt b/pm-speech/830.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..b476560c9bd81142a8206ee7ba734bb1b4dc75c4 --- /dev/null +++ b/pm-speech/830.txt @@ -0,0 +1,10 @@ +मैं, कल प्रधानमंत्री अबे से बात कर रहा था। कोबे से मेरे संबंधों के संबंध में। मैंने उनसे कहा कि 2001 में जब गुजरात में भंयकर भूकंप आया, तो कोबे सबसे पहला था जिसने आ करके गुजरात के लोगों की मदद की थी और उससे पहले भी यहां भूकंप आया था। उसके बावजूद भी और जब सुख में कोई आए न आए कहता है कि आए होता तो अच्‍छा होता, लेकिन दुख में कोई न आए तो याद रह जाता है और जो दुख में पहुंच जाए, वो जीवनभर पूज्‍य लगता है। कोबे उस रूप में दु:ख की स्थिति में हाथ बंटाने वालों में सबसे पहले था, तो उसका स्‍मरण रहना, उसके प्रति आदर भाव रहना, बहुत स्‍वाभाविक है। आप सब इस बात से गर्व करते होंगे कि हिन्‍दुस्‍तान की हर खबर आपका माथा ऊंचा करती होगी, करती है कि नहीं करती ? सीना तान करके, आंख में आंख में मिला करके बड़े हौसले के साथ आप बात कर पाते होंगे। और उसका कारण, उसका कारण, उसका कारण मोदी नहीं …। उसका कारण सवा सौ करोड़ हिन्‍दुस्‍तानी हैं। जिस लगन से देश को आगे बढ़ाने के लिए और विशेषकर के भारत की युवा पीढ़ी ने जो मन में ठान ली है और जिस प्रकार से पुरूषार्थ कर रहे हैं। किसी को भी गर्व है। + +दो साल भंयकर अकाल के रहे। बारिश बहुत कम हुई थी और भारत की अर्थव्‍यवस्‍था ऐसी है कि अकाल में सब कुछ चरमरा जाता है, लेकिन उसके बावजूद भी दो साल के भंयकर अकाल के बावजूद भी, scarcity के बावजूद भी सारा विश्‍व एक आवाज से कह रहा है कि बड़ी economy में सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाली अगर कोई economy है, तो उसका नाम है हिन्‍दुस्‍तान है। IMF हो, World Bank हो, सब लोग एक स्‍वर से कह रहे हैं। IMF ने कह दिया कि भारत एक चमकता सितारा है । + +विश्‍व भर के अर्थशास्‍त्री मानते हैं कि भारत बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है। FDI, Foreign Direct Investment, मेरी अपनी एक अलग परिभाषा भी है। पहली परिभाषा है मेरी – FDI, First Develop India और दूसरी है Foreign Direct Investments और इन दिनों भारत के इतिहास में, सबसे ज्‍यादा FDI भारत को प्राप्त हो रहा है। और FDI प्राप्‍त करने का Growth rate भी है वो Historically Highest है। तो ये चीजें इस बात को उजागर कर रही हैं कि देश आर्थिक विकास पर बहुत तेज गति से आगे बढ़ रहा है। + +2011 में जापान में बड़ी प्राकृतिक आपदा आई। आपके यहां भूकंप आया, सुनामी आई। उसी समय आपके यहां फुकुशिमा की दुर्घटना हुई। 2011 के वो दिन याद करेंगे, बिजली में कटौती, पानी भी अगर चार बोतल जरूरत है तो एक बोतल से चलाना। दही लाना है तो और भई मत लाओ कम ला दे। और सिर्फ वहां नहीं जहां पर आपत्ति आई थी। पूरे जापान में सरकार ने इच्‍छा व्‍यक्‍त की, सरकारी दफ्तरों के लिए लेकिन इस देश की जनता ने इसे अपनी जिम्‍मेवारी माना, और हर कोई कोट-पैंट- टाई बंद करो, तो बंद किया, AC बंद करो तो बंद किया। पानी जरूरत से ज्‍यादा मत लो तो, नहीं लिया। कम चीजों से घर खाने में चलाकर तीन सब्‍जी बनाते हो तो एक सब्‍जी से चलता है। आप लोगों ने किया है जापान के लोगों ने किया। जब मैं पढ़ रहा था सारी चीजें और जब मैं बाद में आया तो सुन रहा था लोगों से, तो मुझे भी कभी होता था कि कैसे महान लोग है देश के लिए क्‍या कुछ कष्‍ट झेलते हैं। नहीं कभी-कभी मन में आता था कि हमारे देश में कभी ऐसा हो सकता है क्‍या? क्या ये संभव है क्या? लेकिन मैं आज बड़े विश्‍वास से यह कह सकता हूं कि हिन्‍दुस्‍तान का सामान्‍य मानवीय भी अगर उसे अवसर मिले, मौका मिले, जिम्‍मेवारी की बात आ जाए तो जैसा आपने करके दिखाया वो भी पीछे रहने वालों में से नहीं है। मैं ये अनुभव से कहता हूं। + +और पिछले दो साल में इस प्रकार के जो अलग –अलग प्रयास किए गए। करीब-करीब सवा लाख करोड़ रूपया वापस आया, सवा लाख करोड़ रूपया। तो मौका दिया था, ऐसा नही है कि नहीं दिया था। लेकिन फिर भी अगर आपको लगता है कि वैसे ही है, पहले जैसे थे तो गलती मेरी नहीं है। और इसलिए और जो लोग अब 30 दिसंबर तक उनके पास समय है। अब 30 दिसंबर तक कोई तकलीफ के बिना सारा कारोबार हां, जल्‍दबाजी करेंगे तो थोड़ी तकलीफ हो सकती है। 30 दिसंबर तक कोई मुश्किल नहीं होगा सवा सौ करोड़ देशवासियों का। उनके हक की चीजें मिल जाएगी। लेकिन कुछ लोग सोचते होगे कि 30 दिसंबर के बाद… तो मैं आज फिर से ये ऐलान करना चाहूंगा कि ये स्‍कीम पूरी होने के बाद दूसरा कुछ आपको ठिकाने लगाने के लिए नहीं आएगा इसकी गांरटी नहीं है। + diff --git a/pm-speech/831.txt b/pm-speech/831.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..8cee6d7e3b61f5269376d4bd9a1d87032dbbe1aa --- /dev/null +++ b/pm-speech/831.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +हमारे संबंधों में एक अहम कड़ी है भारत और जापान के राज्यों के बीच सहयोग में लगातार । यह उच्च प्राथमिकता का एक प्रतिबिंब है कि हम हमारे वैश्विक नजरिया में जापान के लिए समझौता कर रहे हैं। हमारे संबंध सद्भावना और आपसी सहयोग की भावना पर आधारित है और दोनों देशों के लोग एक दूसरे के लिए हमेशा खड़े हैं । और महामहिम अबे के नेतृत्व में यह सब हो रहा है। + diff --git a/pm-speech/833.txt b/pm-speech/833.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..1a30874f6bdc98529b1e9dd859a5d2ad3aff7706 --- /dev/null +++ b/pm-speech/833.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +कौशल विकास की तमाम गतिविधियां पहले से ही शुरू की गई हैं और इसके साथ ही हमारी भागदारी अब हमारी प्राथमिकताओं के महत्वपूर्ण क्षेत्र में विस्तृत हो रही है। यहां बैठे जापान के व्यापार एवं उद्योग जगत के नेता मेरे इस बात सहमत होंगे कि जापान की प्रौद्योगिकी और भारत के मानव संसाधन का मेल दोनों के लिए फायदेमंद रहेगा। + diff --git a/pm-speech/834.txt b/pm-speech/834.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..26d1611fec079d577be7449f9b1343776095353d --- /dev/null +++ b/pm-speech/834.txt @@ -0,0 +1,8 @@ +इस वार्ता में कुछ गंभीर विषय, कुछ महत्वपूर्ण निर्णय आप से साझा करूंगा। आपको ध्यान होगा की जब आपने 2014 मई में हमें जिम्मेदारी सौंपी थी, तब विश्व की अर्थव्यवस्था में BRICS के सन्दर्भ में यह आम चर्चा थी की BRICS में जो “आई” अक्षर, जो India से जुड़ा हुआ है, लोग कहते थे BRICS में जो “आई” है, वह लुढ़क रहा है। लगातार 2 साल के देशव्यापी अकाल के बावजूद भी, पिछले ढाई वर्षों में सवा सौ करोड़ देशवासियों के सहयोग से आज भारत ने ग्लोबल इकॉनमी में एक “ब्राइट स्पॉट” अर्थात चमकता सितारा के रूप में अपनी उपस्तिथि दर्ज कराई है। ऐसा नहीं है की यह दावा हम कर रहे हैं, बल्कि यह आवाज इंटरनेशनल मोनेटरी फण्ड (IMF) और वर्ल्ड बैंक से गूंज रही है। + +एक तरफ तो विश्व में हम आर्थिक गति में तेजी से बढ़ने वाले देशों में सबसे आगे हैं। दूसरी तरफ भ्रष्टाचार की ग्लोबल रैंकिंग में दो साल पहले भारत करीब-करीब सौवें नंबर पर था। ढेर सारे कदम उठाने के बावजूद हम छेहत्तरवें नंबर पर पहुँच पाए हैं। यह इस बात को दर्शाता है कि भ्रष्टाचार और काले धन का जाल कितने व्यापक रूप से देश में बिछा है। + +भ्रष्टाचार की बीमारी को कुछ वर्ग विशेष के लोगों ने अपने स्वार्थ के कारण फैला रखा है। गरीबों के हक को नज़रंदाज़ कर ये खुद फलते-फूलते रहे हैं। कुछ लोगों ने पद का दुरुपयोग करते हुए इसका भरपूर फायदा उठाया। दूसरी तरफ, इमानदार लोगों ने इसके खिलाफ लड़ाई भी लड़ी है। देश के करोड़ों नागरिकों ने ईमानदारी को जी कर के दिखाया है। + +7. तत्काल आवश्यकता के लिए 500 और 1,000 रुपये के पुराने नोटों को नए एवं मान्य नोट के साथ 10 नवम्बर से 30 दिसम्बर तक आप किसी भी बैंक या प्रमुख और उप डाकघर (हेड पोस्ट ऑफिस और सब-पोस्ट पोस्ट ऑफिस) के काउंटर से अपना पहचान पत्र जैसे की आधार कार्ड, मतदाता यानी वोटर कार्ड, राशन कार्ड, पासपोर्ट, पैन कार्ड इत्यादि सबूत के रूप में पेश करके आप नोट बदल सकते हैं। + diff --git a/pm-speech/835.txt b/pm-speech/835.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..31d6adeb93dbb13d3fb21a417bf90322c1c776eb --- /dev/null +++ b/pm-speech/835.txt @@ -0,0 +1,20 @@ +भारत के सामने और हम जैसे गरीब देश को ये corruption की luxury रास नहीं आ सकती जी गरीब फिर से। पूछीए लोगों के जेब में सब चला जाए तो सामान्य मानवी उसके हक तक कब पहुंचेगा। और कभी कभार सवाल रुपयों का नहीं होता है, सम्मान को भी होता है। एक इंसान की मजबूरी है उसके कारण उसको ये करना पड़ रहा है। और ये सारी स्थितियों को बदलने के लिए जन चेतना, सतर्कता, सामान्य मानवी का consciousness level इसको टटोलना हर पल आवश्यक होता है। और तब जाकर के इस प्रकार के अभियानों से हम उस शक्ति को जुटा पाते हैं ज्यादा से ज्यादा हमारे सपनों को पूरा करने के लिए काम आता है। और हम सब जानते हैं कि इस खेल में जो खेलने के आदि होते हैं, वो बड़े समर्थ होते हैं। बहुत Capable होते हैं। अगर performance vice देखो, तो दस अफसरों में सबसे ज्यादा अच्छा perform करने की ताकत उसी में होती है। और इसलिये सरकार में बैठे हुए लोगों को जानते हुए भी काम उसको देना पड़ता है, क्यों क्योंकि वो perform करता है। इसका मतलब ये हुआ कि इस प्रकार के आचरण को जिनको आदत लगी है, इनमें Creativity भी बहुत होती है जी। अद्भुत Creativity के वो मालिक होते हैं। वो ऐसी जगह से खोज लाते हैं हां यहां से हो गया। हम सोच भी नहीं सकते। + +हम छोटे थे तो चुटकुला सुना करते थे। चुटकुला ही होगा। यहां रेलवे वाले बैठे हैं कहीं बुरा न मान जाएं। वो रेलवे के मुलाज़िम थे। और बड़े corruption में माहिर थे। और बड़े मास्टर थे वो। अफसर भी तंग आ गए थे उनसे। ये इसके कारण हमारा ये विभाग बदनाम होता रहता है। इसकी कोई दवाई करनी चाहिए। आखिरकार तय किया कि ठीक है। इसको रेलवे प्लेटफॉर्म पर ट्रेन का जो आवा-गमन का जो announcement है, वो duty दें। और कोई ड्यूटी नहीं। उसका काम यही होगा कि वो mouth-piece में बोलेगा इतने बजे ये ट्रेन आएगी इतने बजे ये ट्रेन जाएगी। और ये सबको लगा कि ये बड़ा बहुत ही लोगों को लूटता रहा है ठीक हुआ है। उसको बैठाया .. कोई परेशानी नहीं वो बड़ा Creative था। बहुत ही Creative, उसको जैसे ही काम मिल गया उसने शुरु कर दिया। ट्रेन आते ही कि इस size का बैग उठाना है, तो पांच रुपया लगता है। इस साइज के बैग उठाना है तो दस रुपया लगता है। अगर luggage में तीन चीजें हैं तो कितना लगता है। सारे जो कुली थे वो इक्कठे हुए। ये तो मरवा देगा। अब passenger पैसा नहीं दे रहे, देख जरा वो बोल रहा है। पांच रुपये ले ज्यादा नहीं दूंगा। तो सारे कुली इक्ट्ठे होकर उसके पास गए। कहे भाई उसने कहा पक्का करो सौदा। हम अपाने कभी ऐसी Creativity सोची है क्या। हां मुझे पता है कि Vigilance Commission कैसे टूटेगा इसको। वे बड़े माहिर होते हैं जी। + +और इसलिए हर पल सतर्कता बरतें और मैंने देखा है जी। ये अपने कामों में बड़े सत्यनिष्ठ होते हैं। उसूल के बड़े पक्के होते हैं सही होते हैं। मेरा अपना अनुभव है। शायद इस समय (व्यावधान), तीसरी पट्टी रहती थी। शायद उस समय की बात है। मुझे अहमदाबाद से दिल्ली जाना था। और उस समय शायद एक ट्रेन चलती थी 24 – 25 घंटे में पहुंचाती थी। दिल्ली मेल या फिर ……मुझे याद नहीं…तो हम स्टेशन पर गए, हम तो फ़कड़-गिरधारी थे। हमें तो क्या करना हमें तो ऐसे ही unreserved coach में चढ़ जाना। लेकिन वहीं प्लेटफार्म पर हमारे परिचित मिल गये। बोले कहां जा रहे हो मैंने बोला भई जरूरी काम आ गया है, तो दिल्ली जाना है। बोले आइए मैं बैठा देता हूं। मैंने कहा कि मेरे पास तो टिकट है, लेकिन reservation नहीं है भई। मैं तो ऐसे ही वो general boggy में चढ़ जाऊंगा अपना पहुंच जाऊंगा मैं। नहीं बोले मैं बात करता हूं। क्योंकि वो परिचित तो थे। तो किसी Ticket-Checker को पकड़ते हुए के भई ये हमारे परिचित हैं और समाज सेवा का काम करते हैं। इनको दिल्ली जाना है तो एक berth मिल जाए तो अच्छा होगा। समाज के लिए काम करते हैं। तो वे बोले साहब आईये आईये आप जैसे समाज सेवक हैं आईये। हमको ले गये अंदर एक जगह में बैठा दिया ऐसा Reserve Coach है आबू स्टेशन .. आबू रोड, मैं बार-बार उनके पास गया कि मैं थोड़ा कांप रहा था कि भई मेरे पास reservation नहीं है मैं अंदर बैठ गया हूं। मैं उनके पास जा रहा था कि भई मुझे berth दे दीजिये मैं पैसे मेरे टिकट काट दीजिए, ताकि मेरा उन्होंने कहा कि चिंता मत करो भई मैं हूं। मैं आबू आ गया लोग सोने की तैयारी कर रहे थे। मैं उनके पास गया मैंने कहा भई आप बताइये वरना मैं उतरकर पीछे चला जाऊं, वो क्या कहेंगे। उन्होंने कहा भई तुम चिंता मत करो आबू रोड पे नया Ticket-Checker आएगा। मेरी ड्यूटी आबू रोड तक ही है। मैं उसको तुम्हें शुभ परिचय करवा दूंगा। और वो तुम्हें टिकट दे देगा। मैंने कहा भई वो मुझे कहां पहचानेगा आप मुझे दे दीजिये। नहीं, बोले मेरा उसूल है। मैं बिना पैसे काम करता ही नहीं हूं। अब तुमको एक ऐसे व्यक्ति ने परिचय करवा दिया है कि मैं तेरे से पैसा ले नहीं सकता हूं। तो मैं अगले वाले को hand-over कर देता हूं। वो बिना पैसे तुम्हें जरूर जो भी टिकट है या दे देगा। साहब उसूल का ऐसा पक्का इंसान कभी देखा है क्या? ये, ये जो अवस्था है, हम सब इसके भुग्त-भोगी जरूर हैं। कहीं न कहीं परेशानी, हम पद पर होंगे तो भी। आप इस पद पर होंगे उसको पता है कि आप इस पद पर हो, वो कहता है कि अभी मैं इस पद पर हूं, मेरा ये हक बनता है, दे दो। इसके बाद जब मैं तुम्हारे पास आऊँ, तुम ले लेना। यहां तक कह देते हैं। + +इन दिनों आपने देखा होगा। मैं एक दिन हिसाब लगा रहा था। अभी तो आंकड़े बहुत आगे गये होंगे। सिर्फ AADHAR Number से Direct Benefit Transfer को बल दिया। कुछ तो अभी वीडियो में दिखाया जा रहा था। मैंने हिसाब लगाया 36 हजार करोड़ रुपया बचत हुई है। जो कि कहीं और जाते थे इसका मतलब ये नहीं कि हमने 36 हजार करोड़ सरकार के खजाने में रख दिया है। उसको सही जगह पर हमने divert किया है। अगर वो न होता तो वो पैसे किसी के जेब में जाते। यानिके हम Technology का भरपूर उपयोग करें भरपूर उपयोग करें। Transparency लाने में, Checks & Balances में ये बहुत बड़ी अहम भूमिका अदा कर सकता है। कभी कभार हमारे यहां जो silo type activity है उसके कारण एक कानून या एक व्यवस्था का लाभ दूसरे कानून या दूसरी व्यवस्था को नहीं मिलता है। और उसके कारण भी लोग परिस्थित का फायदा उठाते हैं। आप हैरान होंगे कुछ ऐसे जागरूक लोग हैं कि जो इतने प्रकार की scholarship लेते हैं। और आपको लगता है कि आप एक को दे रहे हैं। हकीकत में एक ही व्यक्ति को आठ जगह से पहुँचती है। जब AADHAR से Verify किया तो ध्यान में आया कि इस category का भी ये फायदा उठाता है, इस category का भी ये फायदा उठाता है, इस category का भी ये फायदा उठाता है और दूसरे सात जो हक वाले थे, वो रह जाते हैं। अगर हम व्यवस्था को Technology के माध्यम से अगर जितना ज्यादा ठीक कर पाएंगे, तो संभावना है कि हम सामान्य मानवी की जो हक की चीजें हैं उसको शायद देने में सफल हो जाएंगे। + +मैं जब एक बार देख रहा था, चंडीगढ़ में… चंडीगढ़ में by and large …के एक स्तर के ऊपर के लोग बसते हैं। जिनके घर में Gas का connection है, जिसके घर में बिजली है। फिर भी चंडीगढ़ को तीस लाख लीटर कैरोसीन का कोटा है। मुझे बताइये तो कहां जाता है वो। तो हमने कहा जरा देखो भाई जरा बारीकी से देखो तो उन्होंने आधार, Gas Connections, बिजली बिल इन सबको Technology से सबको telly किया, तो ध्यान में आया कि सिर्फ पांच हजार परिवार ऐसे थे कि जिनको अगर Gas Connection दे दिया जाए तो चंडीगढ़ को सौ ग्राम कैरोसीन की जरूरत नहीं पड़ेगी। सरकार ने अभियान चलाया। उनको Gas Connection दे दिया। आज चंडीगढ़ में तीस लाख लीटर कैरोसीन जो जाता था, बंद हो गया। जो कहीं डीज़ल के लिए Black Market में बिकता था। अब हम चोरों को पकड़ने के लिए कितने ही कमेटियां बना लेते तो पता नहीं कब पहुंच पाते। लेकिन हम एक ऐसे solution की तरफ चलते हैं तो हम स्थितियों को बदल सकते हैं। + +दूसरा सरकार में secrecy नाम की कोई चीज है, वो भी कभी-कभी बड़ा खतरा बन जाती है जी। कोई कानून हम ला रहे हैं। ऐसा secrecy maintain करते है यानी एक chamber से दूसरे chamber, department का होगा फाइल उसको भी पता नहीं चलने देंगे। कोई आएगा तो बंद कर देते हैं। मैंने कहा क्यों भई? हमने कहा ये draft जितने भी हैं, वो public domain पर रख दो। let the people debates, interested group मैदान में आएंगे। वो कहेगा साहब ये गलत कर रहे हो, दूसरा कहेगा नहीं ये गलत कर रहे हो, तीसरा कहेगा ये गलत। ये अगर होता है, तो कम से कम draft तो ठीक बनेगा। हमारे इन दिनों आपने देखा होगा कि भारत सरकार ऐसे जो भी कानून के लिए सोचता है, उसकी draft copy online करने का आग्रह रखा है। और उसका परिणाम यह हो रहा है कि सभी interested groups अपना input देते हैं। उसके दो फायदे हैं। कोई vested interests कारण से कोई रचना हो रही वो अटक जाती है। और दूसरा कभी ईमानदारी से भी ध्यान में आते हैं दो-चार पहलु छूट जाते हैं। public के input के कारण वो छूटे हुए पहलु भी incorporate होते हैं। और कुल मिलाकर के एक आवश्यक योग्य कानून की दिशा में हम कदम बढ़ा सकते हैं। उस दिशा में हमने कदम उठाए उसका positive लाभ मिलता है। तीसरा मैंने देखा है कि इस समस्या की जड़ में एक बीज है। वो है discrimination. हम जब नियम बनाते हैं जिसमें ambiguity रहती है। इसका अर्थ यह भी हो सकता है, इसका अर्थ यह भी हो सकता है। फिर तो वो corruption के लिए द्वार खोल देता है। और इसलिए State policy driven होना चाहिए। Individual के बीम के आधार पर + +State नहीं चलना चाहिए। State, policy driven है, तो Ifs & Buts के लिए बहुत सी सीमा मर्यादाएं आ जाती हैं। और जहां पर Ifs & Buts नहीं होते हैं, वहां discrimination के लिए किसी को scope नहीं रहता है। Black & White में घर बैठे हुए कह सकता है ये मेरा हक है ये मेरे काम का नहीं है मुझे नहीं मिल सकता। मुझे जाने की कोई जरूरत नहीं है। और हक में जिसकी priority होगी उसको आएगा। अगर हम Policy Driven State इस पर जितना बल देंगे उतना interpretation के लिए किसी एक व्यक्ति के हाथ में नहीं जाएगा। कानून खुद बोलता होगा नियम खुद बोलते होंगे, व्यवस्था स्वयं बोलती होगी। जिसके हक का होगा उसके हक का मिल जाएगा। और इसलिये हमारी कोशिश ये है कि हमारी सारी बातें नीति आधारित हो, Black & White में हो और उसके कारण किसी को भी इथर उधर करने का अवकास न रहे। अगर हम इन बातों कि ओर भी बल देते हैं। और कानून बनाते समय भी हम जितने ज्यादा लोगों के दिमागों का उपयोग करेंगे उतना कानून अच्छा बनता है। secrecy कोई matter नहीं करती है। वो तीस दिन चालीस दिन अगर मान लीजिए कानून पहले पता चल जाए कोई इससे बड़ा….हां बजट-वजट जैसे प्रावधान होते हैं, जिसमें संभालना पड़ता है। वरना मालदार कोई पहुंचा इंसान market में जाकर के अपनी दुनिया खड़ी कर ले। लेकिन जो चीजें सालों से चर्चा में है या तो किसी न किसी रूप में कानून में पड़ी हुई है लेकिन सुधार की आवश्यकता है। ये चीजें तो ऐसी है जिसमें समाज के सामान्य मानवी को जोड़ने से उसमें sharpness आती है, शुचिता आती है और ज्यादातर वो उपयोगी सिद्ध होती है और उसलिये दिशा में भी प्रयास करना चाहिए। + +Technology के भरपूर उपयोग का मतलब ये नहीं कि सिर्फ AADHAR Card. हम मान लीजिये check-post होते हैं, अब GST की बात कर रहा है वो संकट में से निकल जाएंगे। देखिए जहां जहां पर check-post पर CCTV Camera Network है और functional है कभी कभार तो क्या होता है कि CCTV Camera Network तो लग जाता है। वो लगने में interest होता है। क्योंकि बिल बनता है। लेकिन फिर न चाहने में भी interest होता है। पहले लगाना बड़े चाव से ताकि काम हो जाए। फिर न चले ताकि काम चलता रहे। और उसका परिणाम क्या होता है। जहां functional check-post है, आपने देखा होगा उसकी income अच्छी होगी। जहां पर check-post है CCTV camera है सब है लेकिन functional नहीं है। आप अनुभव करेंगे कि उसकी और उसकी income में कई गुणा फर्क होता है जी। वही रोड होगा एक किनारे पर एक check-post है दूसरे किनारे पर दूसरा check-post है, जो vehicle वहां गया था वही vehicle यहां आया। लेकिन उसकी इनकम सौ रुपया है, इसकी इनकम पांच सौ रुपया। ये फर्क आता है। हम इन चीजों को कैसे ला सकते हैं। Technology का जितना ज्यादा उपयोग करेंगे Policy Drivenव्यवस्था वो करेंगे। हम शुचिता ला सकते हैं। + +ये बात सही है कि कानून का डर ज्यादातर लोगों को नहीं रहा है। सरकार में भी कोई जानता है सस्पेंड हो जाएंगे तो भई क्या बात आधा तो आना ही आना है। 50% तो आना है। और बाद में..पहले Departmental Inquiry तो उसमें संभाल लेंगे, और Departmental Inquiry से निकल गए तो फिर वापस आ जाएंगे तो जो पुराना रुका हुआ वो भी मिल जाएगा। ऐसी व्यवस्थाओं को एक दूसरे के साथ connected बन गई है कि जिसके कारण जो ईमानदारी से लड़ाई लड़ रहा है, ईमानदारी से कुछ करना चाहता है, उसको अधिक तकलीफ होती है। वो व्यवस्था में हरेक के आंख में चुभता है। ये कहां यार हमारे Department में आ गया। उसको तो कुछ करना नहीं है और हमको जीने देता नहीं। ये मुसीबत आती है। और ऐसी मुसीबत भोगने वाले भी बहुत सारे सरकारी मुलाजिम हैं। उनको मुसीबत इसलिये नहीं कि वो बेईमान हैं। उनकी मुसीबत इसलिये की वो ईमानदार है। और तब सरकार का काम बनता है। ईमानदारों को सुरक्षा देना। ईमानदार को हक देना। और इस पर जितना हम बल देंगे और Transparency से। आप देखीए सामान्य मानवी बेईमान नहीं है। सामान्य सरकारी मुलाज़िम बेईमान नहीं है। बहुत बड़ा वर्ग है, जो ईमानदारी से जिन्दगी खपा रहा है। लेकिन कुछ लोग हैं जिसके कारण ये पूरा prescription ऐसा बना हुआ है। और सामान्य मानवी को भी लगता है हो सकता है मेरा काम इसलिए नहीं हुआ है क्योंकि मेरा हक नहीं था इसलिये नहीं हुआ। इधर मैंने किसी को पैसा नहीं दिया। कुछ लोग तो ऐसे रहते हैं। बाजार में थैला लेकर घूमते रहते हैं। अच्छा जी तुम्हारा interview आया है, पचास हजार रुपये में नौकरी हो जाएगी। और ऐसे ईमानदार होते हैं साहब नौकरी नहीं दिलवा पाए तो पचास हजार वापस दे देते हैं। अब सौ लोगों में से पांच लोग लेने हैं। तो कोई तो पांच होने ही होने हैं। उस पांच के तो पचास–पचास हजार रुपये उसको आ गए। बाकि 95 के वापस दे दिये। ईमानदारी का ठेका चालू रहता है जी। ऐसे कारोबारियों ने तबाही की हुई है। + +और इसलिये कठिन कानून है मैं जानता हूं। लेकिन कोशिश करते रहना चाहिए। बहुत सी बातें ऐसी होंगी जो हमारे भी ध्यान में नहीं आती होंगी, यार कैसे हुआ होगा क्या काम करता होगा कभी पता नहीं चलता। लेकिन हम अगर हर level पर vigilant हैं। हर स्तर पर हम अपनी सकारात्मक भूमिका अदा करने का प्रयास करते हैं। तो cumulative effect आज भी दुनिया में ईमानदार देश है, तो हिन्दुस्तान क्यों नहीं हो सकता। ये ठीक है कि अभी CVC अभी बता रहे थे पहले करीब सौ नम्बर के पास थे अब करीब 76 के पास आ गए हैं। Improvement हुआ है। लेकिन इतने Improvement के बावजूद भी, हमने संतोष नहीं मानना चाहिए। हमने और Improvement के लिए और अधिक सतर्कता की राह पर जाना होगा। और तब जाकर के हम अच्छे परिणाम दे सकते हैं। + diff --git a/pm-speech/836.txt b/pm-speech/836.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..16cdad02e7ec8f3968befdef830d0ab1ef51e814 --- /dev/null +++ b/pm-speech/836.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +20. भारत में जल्द ही 154% के शहरी दूरसंचार घनत्व के साथ एक अरब से ज्यादा फोन कनेक्शन हो जाएंगे। हमारे यहां 350 मिलियन इंटरनेट उपयोगकर्ता है। हम देश भर में लगभग 100,000 गांवों के अंतिम छोर तक को कनेक्टिविटी में ला रहे हैं। इस तरह का तेज विकास ब्रिटिश और भारतीय कंपनियों के लिए नए डिजिटल राजमार्गों और नए बाजार का अवसर प्रदान करता है। + diff --git a/pm-speech/837.txt b/pm-speech/837.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..3b522eac4cd64686adfed6531222641216a84d96 --- /dev/null +++ b/pm-speech/837.txt @@ -0,0 +1,12 @@ +बायोडाइवर्सिटी का केंद्र नियम-कायदे या रेग्यूलेशंस नहीं बल्कि हमारी चेतना यानि CONSCIOUSNESS में होनी चाहिए। इसके लिए बहुत कुछ पुराना भूलना होगा, बहुत कुछ नया सीखना होगा। प्राकृतिक चेतना का ये भारतीय विचार इसावस्य उपनिषद में नज़र आता है। विचार ये है कि BIO-CENTRIC WORLD में मानव सिर्फ एक छोटा सा हिस्सा भर है। यानि पेड़-पौधों, जीव-जंतुओं का महत्व इंसान से कम नहीं है। + +हमें अलर्ट रहना होगा कि एग्रीकल्चर में अपनाई जा रही टेक्नॉलॉजी से किस प्रकार से बदलाव आ रहा है। एक उदाहरण है HONEY BEE का। तीन साल पहले HONEY BEE TIME मैगजीन के कवर पेज पर थी। बताया गया कि फसलों को कीड़ों से बचाने के लिए जो पेस्टिसाइड इस्तेमाल किया जा रहा है, उससे मधुमक्खी अपने छत्ते तक पहुंचने का रास्ता भूल जाती है। एक छोटी सी चीज ने मधुमक्खी पर अस्तित्व का संकट ला दिया। पॉलीनेशन में मधुमक्खी की भूमिका हम सभी को पता है। इसका रिजल्ट ये हुआ कि फसलों का उत्पादन भी गिरने लगा। + +हमारे देश में बायोडाइवर्सिटी की भिन्नता को एक ताकत की तरह लिया जाना चाहिए। लेकिन ये तब होगा जब इस ताकत का वैल्यू एडीशन किया जाए, उस पर रिसर्च हो। जैसे गुजरात में एक घास होती है बन्नी घास। उस घास में हाई न्यूट्रिशन होता है। इस वजह से वहां की भैंस ज्यादा दूध देती हैं। अब इस घास की विशेषताओं को वैल्यू ADD करके पूरे देश में इसका प्रसार किया जा सकता है। इसके लिए रिसर्च का दायरा बढ़ाना होगा। + +देश की धरती का लगभग 70 प्रतिशत महासागर से घिरा हुआ है। दुनिया में मछली की अलग-अलग स्पेसीज में से 10 प्रतिशत भारत में ही पाई जाती हैं। समुद्र की इस ताकत को हम सिर्फ मछली पालन ही केंद्रित नहीं रख सकते। वैज्ञानिकों को समुद्री वनस्पति, SEA WEED की खेती के बारे में भी अपना प्रयास बढ़ाना होगा। SEA WEED का इस्तेमाल बायो फर्टिलाइजर बनाने में हो सकता है। GREEN और WHITE REVOLUTION के बाद अब हमें BLUE REVOLUTION को भी समग्रता में देखने की आवश्यकता है। + +आपको एक और उदाहरण देता हूं। हिमाचल प्रदेश में मशरूम की एक वैरायटी होती है- गुच्ची। इसकी MEDICINAL VALUE भी है। बाजार में गुच्ची मशरूम 15 हजार रुपए किलो तक बिकता है। क्या गुच्ची की पैदावार बढ़ाने के लिए कुछ किया जा सकता है। इसी तरह CASTOR हो या MILLET यानि बाजरा हो । इनमें भी वर्तमान जरूरतों के हिसाब से VALUE ADDITION किए जाने की आवश्यकता है। + +बायोडाइवर्सिटी के संरक्षण का अहम पहलू है आसपास के ENVIRONMENT को चुनौतियों के लिए तैयार करना। इसके लिए GENEBANKS में किसी स्पेसिफिक GENE का संरक्षण करने के साथ ही उसे किसानों को इस्तेमाल के लिए उपलब्ध भी कराना होगा। ताकि जब वो GENE खेत में रहेगा, जलवायु दबाव सहेगा, आसपास के माहौल के अनुकूल बनेगा तभी उसमें प्रतिरोधी क्षमता विकसित हो पाएगी। + diff --git a/pm-speech/838.txt b/pm-speech/838.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..9439bf17d0271db86603e6a030152fc405e02b7e --- /dev/null +++ b/pm-speech/838.txt @@ -0,0 +1,14 @@ +मैंने खुद आपदा से पीड़ित लोगों को देखा है। मुख्यमंत्री रहते हुए मैंने 2001 को गुजरात का भूकंप देखा है। भूकंप के बाद मैंने अपने लोगों के साथ बचाव कार्य किया है। आपदा पीड़ित लोगों को देखना पीड़ादायक होता है। लेकिन मैं आपदा से उबरने के लिए लोगों के साहस, सरलता और संकल्प से प्रेरित हुआ था। मेरे अनुभव से, बेहतर परिणाम हासिल करने के लिए हमें लोगों के नेतृत्व पर भरोसा करना होगा। यह केवल अपने लिए घर के निर्माण तक सीमित नहीं था। बल्कि लोगों ने सामुदायिक स्तर पर भी ऐसे कार्यों को अंजाम दिया। उदाहरण के लिए बता दें कि जब हमने समुदाय के एक स्कूल के निर्माण का कार्य सौंपा तो न केवल भूकंप रोधी इमारत को समय पूर्व तैयार कर लिया गया बल्कि लागत भी आई और शेष बची राशि को सरकार को वापस कर दिया गया। हमें नीतियों और कार्यों के जरिये ऐसी पहलों का समर्थन करने की जरूरत है।. + +हमने एशिया में आपदाओं से सीखा है। कुछ वर्षों पहले केवल मुट्ठीभर एशियाई देशों के पास राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान हुआ करते थे। लेकिन आज तीस से ज्यादा एशियाई देशों के पास अग्रणी एवं प्रतिबद्ध आपदा जोखिम न्यूनीकरण प्रबंधन संस्थान हैं। हिन्द महासागर में 2004 के सुनामी के बाद पांच सबसे ज्यादा प्रभावित देशों ने आपदा जोखिम न्यूनीकरण प्रबंधन को लेकर नए कानून बनाए। कुछ ही दिनों में हम पहला अंतरराष्ट्रीय सुनामी जागरूकता दिवस मनाएंगे। यह दिन हमारे लिए सुनामी पूर्व चेतावनी की दिशा में बहुत बड़ा सुधार करने को लेकर जश्न मनाने का एक अवसर होगा। पूर्व चेतावनी के अभाव और तैयारी न होने की वजह से हम दिसबंर 2004 में आई सुनामी की चपेट में आ गए थे। लेकिन अब हमारे पास पूरी तरह से सक्रिय इंडियन ओसियन सुनामी वार्निंग सिस्टम है। अपने ऑस्ट्रेलियाई और इंडोनेशियाई सहयोगियों के साथ मिलकर यह प्रणाली काम करेगी। इंडियन नेशनल सेंटर फॉर ओसियन इंफॉर्मेशन सर्विसेज के लिए क्षेत्रीय स्तर पर सुनामी को लेकर बुलेटिन जारी करना अनिवार्य होगा। + +इसी तरह चक्रवात को लेकर पूर्व सूचना जारी करने की दिशा में किए गए हैं। भारत में, अगर हम 1999 और 2013 में चक्रवात के प्रभावों की तुलना करें तो प्रभाव स्पष्ट नजर आएंगे। इसी प्रकार से कई अन्य देशों ने प्रगति की है। उदाहरण के तौर पर, 1991 के चक्रवात के बाद बांग्लादेश सरकार ने चक्रवात के प्रभावों से निपटने के लिए एक सामुदायिक कार्यक्रम तैयार किया था जिससे चक्रवात से होने वाले आर्थिक और मानवीय नुकसान में कमी आई। इसे दुनिया का सबसे अच्छा वैश्विक कार्यक्रम माना जाता है। + +अभी तो यह शुरुआत भर है। आगे और चुनौतियां हैं। एशिया प्रशांत में बड़ी तेजी के साथ शहरीकरण हो रहा है। दशक भर के भीतर इस क्षेत्र में लोग गांवों की तुलना में शहरों ज्यादा रहना शुरू कर देंगे। आपदा संभावित क्षेत्रों में सबसे ज्यादा आबादी के केंद्रीकरण, एक छोटे से क्षेत्र में संपत्ति एवं आर्थिक गतिविधियों के कारण हो रहे इस शहरीकरण के चलते आपदा जोखिम न्यूनीकरण प्रबंधन के सामने बड़ी चुनौतियां पेश आने वाली हैं। योजनागत एवं उसके कार्यान्वयन को लेकर अगर हम इस प्रगति का प्रबंधन नहीं कर पाए तो आपदा से होने वाला मानवीय और आर्थिक नुकसान पहले की तुलना में ज्यादा होगा। + +हमें अपने सभी सार्वजनिक व्यय के खाते के बारे में विचार करना होगा। भारत में, ‘सभी के लिए घर’ और ‘स्मार्ट सिटी’ योजना पहलों के चलते इस तरह के अवसर आएंगे। इस क्षेत्र में भारत अपने अन्य भागीदार देशों और हितधारकों के साथ मिलकर आपदा से उबरने की क्षमता के बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने के लिए एक गठबंधन या केंद्र का निर्माण करेगा। इससे आपदा जोखिम मूल्यांकन, आपदा से उबरने की क्षमता वाली प्रौद्योगिकियों और तंत्र को विकास में बुनियादी ढांचे के एकीकृत वित्तपोषण में जोखिम कम करने के लिए ज्ञान का सृजन होगा। + +दूसरा, हमें जोखिम से सभी को उबारने की दिशा में काम करने की जररूत है । गरीब घरों से लेकर छोटे एवं मध्यम उद्योगों तक, बहुराष्ट्रीय कंपनियों से लेकर राज्यों तक काम करने की जरूरत है। अभी इस क्षेत्र में, अधिकतर देशों ने केवल मध्यम से लेकर उच्च मध्यम वर्गों के लिए ही बीमा का सीमित प्रबंध किया है। हमें बड़ा और नवोनमेषी तरीके से सोचने की जरूरत है। सरकारों की भूमिका न सिर्फ इसके नियमन की है बल्कि आपदा पीड़ितों को उबारने वाले कार्यक्रमों को प्रोत्साहित करने वाली भी होनी चाहिए जिसकी ज्‍यादा लोगों को जरूरत है। भारत में, हमने गरीबों की खातिर वित्तीय समावेशन और जोखिम बीमा को सुनिश्चित करने को लेकर बड़े कदम उठाए हैं। जन धन योजना ने करोड़ों लोगों को बैकिंग कार्य प्रणाली से जोड़ा है। सुरक्षा बीमा योजना ने करोड़ों लोगों को जोखिम बीमा मुहैया कराया है जिन्हें इसकी सख्‍त जरूरत है। हमने फसल बीमा योजना भी शुरू की है जिससे करोड़ों किसानों को आपदा से राहत मिल सके। ये घरेलू स्तर पर किए जाने वाले बुनियादी उपाय हैं। + +पिछले साल नवंबर में, भारत ने पहला दक्षिण एशियाई वार्षिक आपदा प्रबंधन अभ्यास का आयोजन किया था। क्षेत्रीय सहयोग की भावना के साथ भारत जल्द ही साउथ एशिया सेटेलाइट का प्रक्षेपण करेगा। इस उपग्रह में और अन्य प्रौद्योगिक आपदा जोखिम प्रबंधन में मदद मिलेगी। इससे जोखिम मूल्यांकन, जोखिम न्यूनीकरण, तैयारियों औऱ प्रतिक्रिया में भी मदद मिलेगी। भारत आपदा जोखिम प्रबंधन के प्रयोजनों के लिए किसी भी देश के लिए अपनी अंतरिक्ष क्षमताओं को उपलब्ध बनाने के लिए तैयार है। + diff --git a/pm-speech/839.txt b/pm-speech/839.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..7a5d4c9f8fc788717beba3313ae51a35365ff0f2 --- /dev/null +++ b/pm-speech/839.txt @@ -0,0 +1,12 @@ +और इसलिये पत्रकारिता कलम के माध्यम से जो प्रकट होता है। जो दूसरे दिन अखबार में जो लोग पढ़ते हैं। वहां तक सीमित नहीं रही। और भारत का पूरा इतिहास देखें, मुझे मालूम नहीं कि आज journalism के student के syllabus क्या – क्या होता है। लेकिन अगर हम भारत की पत्रकारिता के इतिहास को हम देखें। उसकी पूरी विकास यात्रा आजादी के आंदोलन की विकास यात्रा से जुड़ी हुई थी। इस देश का आजादी का कोई आंदोलन ऐसा नहीं था, जो किसी न किसी अखबार से जुड़ा हुआ न हो। और हर किसी को लगता था कि अंग्रेज़ सलतनत के खिलाफ लड़ना है, तो मेरे पास ये भी एक साधन है, वो लड़ते थे। और ज्यादातर पत्रकारिता के क्षेत्र के द्वारा सेवा के भाव से देश के आजादी के आंदोलन को चलाने वाले लोगों को कई वर्षों तक जेलों में जिन्दगी काटनी पड़ी। लेकिन उन्होंने लड़ना नहीं छोड़ा। और हमारे देश के हर बड़े व्यक्ति का नाम चाहे तिलक जी लें, गांधी जी लें, हर किसी का नाम, even श्री अरविन्दो, हर कोई अपने जीवन के कालखंड में अखबार के माध्यम से आजादी के आंदोलन में बहुत बड़ी ताकत बनकर रहे। हिन्दुस्तान की एक और विशेषता हम अनुभव करते हैं कि हमारे जो माता सरस्वती की संतान हैं। कविता जिनकी सहज होती है, साहित्य जिनके सृजन और सहज होता है। मां सरस्वती उनके आशीर्वाद उनके विराजमान रहते हैं। लेकिन एक कालखंड था कि भारत के करीब करीब सभी बड़े साहित्यकार पत्रकारिता से जुड़ना पसंद करते थे। और पत्रकारिता सीखा नहीं जाता है। वो कविता से भाव को जगाते थे। लेकिन पत्रकारिता से जो जोश भरते थे, आंदोलन के लिए प्रेरित करते थे। कविता की ताकत से ज्यादा उनको उस समय पत्रकारिता की ताकत की अनुभूति होती थी। और इससे कविता का मार्ग अपने आनन्द के लिए। लेकिन राष्ट्र कल्याण के लिए पत्रकारिता का मार्ग ये साहित्यिक जीवन की पूरी पीढ़ी हमारे लिये पड़ी है। यानी एक प्रकार से भारत की यात्रा है। और अंग्रेज़ सलतनत ने भी जो संकट के लिए कुछ क्षेत्र देखे थे। उसमें एक क्षेत्र था। ये लिखने पढ़ने वाले लोग। और उनको लगता था कि ये है तो उनके खिलाफ कोई न कोई व्यवस्थाएं करनी चाहिए लड़ाई करनी चाहिए। + +देश आजाद हुआ। आजादी के बाद भारत के लोकतंत्र को मजबूत बनाने में, लोकतंत्र सही दिशा में चले उसके लिए भारत की पत्रकारिता की अहम भूमिका रही है। किसी की आलोचना के लिए नहीं। किसी को बुरा भला कहने के लिए नहीं। लेकिन हम जानते हैं कि मान लीजिये कोई बड़ा epidemic आ गया। बीमारी आ गई कोई, तो हर कोई पहले वाली बड़ी बीमारी को याद करता है कोई उस समय ऐसा हुआ था। क्योंकि From Known to Unknown जाना सरल होता है। और इसीलिये लोकतंत्र पर क्या खतरे हो सकते हैं और कैसे महत्व रखते हैं। इसको समझने के लिए भारत में Emergency का काल बहुत उपयोगी है। अगर Emergency की बात कहते हैं तो लोगों को बुरा लगता है। उसको राजनीतिक तराजू से देखा जाता है। मैं समझता हूं राजनीतिक का खेल समाप्त हो चुका है। आज निष्पक्ष भाव से उसकी विमानसा मैं आलोचना शब्द उपयोग नहीं कर रहा विमानसा शब्द का उपयोग कर रहा हूं। ये हर पीढ़ी में होते रहने चाहिए ताकि इस देश में ऐसा राजपुरुष पैदा न हो कि जिसको इस प्रकार का पाप करने की इच्छा तक पैदा हो। ये हमलोगों को हम जिस बिरादरी के लोग हैं उनको बार – बार चौकन्ना रखने के लिए भी आपात्काल याद रखवाना बहुत जरूरी है। ये भी सही है कि उस समय जिस मीडिया से दुनिया डटी थी ऐसे कहते हैं। जब मीडिया की सामर्थ की चर्चा होती थी। लेकिन उस कालखंड ने दिखा दिया था की नहीं ये जो सुनते ते देखते थे ऐसा नहीं है कुछ और है। बहुत कम विरले निकले थे, बहुत कम। जिन्होंने आपातकाल को चुनौती देने का रास्ता चुना था। और उसका नेतृत्व रामनाथ गोयनका जी ने किया था, इंडियन एक्सप्रेस ने किया था और बहुत बेफिक्र हो कर किया था। मैं समझता हूं कि ये इतिहास के पन्ने लोकतंत्र की आवश्यकता के लिए आवश्यक है। लोकतंत्र को हर समय हर युग में sharpen करने की आवश्यकता होती है। + +आज अपनी-अपनी जगह पर मैं समझता हूं शायद पिछली पूरी शताब्दी में मीडिया को जो चुनौतियां नहीं थीं। वो चुनौतियां आज है। शायद पिछली पूरी शताब्दी में किसी नहीं रही। और उस मूल कारण टेक्नॉलॉजी है। टेक्नॉलॉजी ने बहुत बड़ी चुनौती खासकर के मीडिया के लिए पैदा की है। पहले खबरे 24 घंटे के बाद भी आती थी तो भी खबरें खबर लगती थी। आज 24 सैकेंड भी बीत जाए अच्छा – अच्छा तुझे पता नहीं है। अरे ऐसा हो गया, उसके हाथ में टेलीफोन में मोबाइल फोन में है। दुनिया के किसी कोने का पता होता है कि हां ये कब आया है। मैं नहीं मानता हूं । जब टीवी मीडिया आया, तो सरकारें बड़ी परेशान थीं कि एक जगह पर टीवी पर खबर आ जाए। सरकार को response time चाहिए। मनो epidemic आया तो लोगों को मोबलाइज़ करना होगा कहीं कोई दंगा हो गया तो पुलिस को भेजना होगा। मीडिया उतना टाइम नहीं देता है। उसके लिए तो खबर – खबर है। breaking news। क्या मालूम, नहीं। लेकिन उसको भी cop-up करने के लिए सरकार का सामर्थय नहीं बना उसके पहले सोशल मीडिया आ गया जो fraction of Seconds….. पहले पत्रकारिता कोई पढ़ाई लिखाई करके आए हुए लोग किसी व्यवस्था में जुड़े हुए लोग आज कुछ नहीं साहब गांव का आदमी भी उसको ठीक लगा फोटो निकाल देता है, तक देता है। और इसके कारण लोगों के पास खोबरें बहुत होती हैं। और इसको इस स्थिति में Credibility बहुत बात है। आदतन रोज सुबह लोग अखबार उठाते हैं। ये आदत है चाय पीने की जैसा आदत होती है ऐसी आदत है। वो कितना ही टीवी पर खबर देखते हैं लेकिन एक बार तो पेपर उठा ही लेते हैं। लेकिन अब खबर पढ़ता नहीं है, वो Verify करता है कि कल मोबाइल में देखा था वो आ रहा है कि दूसरा है। और फिर वो हिसाब लगाता है कि अच्छा है भाई चलीए दो रुपये गया आजका और इसलिये मैं समझता हूं चुनौती बहुत बड़ी है। और इस चुनौती को हम कैसे cop-up करेंगे। लेकिन इसके साथ-साथ हमें अनुभव भी आता है कि देश में कैसी कैसी टैलेंट है कैसी-कैसी संवेदनाओं से भरा हुआ मानव समूह है। हर छोटी चीज को कितनी बारीकी से वो Analysis करके देखता है। + +मुझे बराबर याद है । मैं गुजरात का सीएम था, तो कभी – कभी नेता लोगों की बात तो अखबार में छपते रहते थे। हर किसी की छपती है साल एक बार किसी एक बार तो किसी की दो बार ये छपती है। ये VIP Culture इतना गाड़ियां लेकर के जाते हैं, ढिकना-फलाना बहुत बड़ा interesting विषय रहता है और कुछ खबर नहीं हो तो ready-made तो मिली ही जाती है। हम भी पढ़ते थे। मैं भी हमारे अफसरों से कहता था कि क्या यार, ये क्या चीज लेकर के चलते हो। बोले नहीं साहब ये Blue Book में लिखा हुआ है, हम भी उसको Compromise नहीं कर सकते। हम भी उनको समझा नहीं पा रहे थे। लेकिन एक बार मैं जब अहमदाबाद से, मेरा convoy गुजर रहा था शाम का समय था। किसी नौजवान ने अपने मोबाईल में recording शुरू किया। और जैसे गाड़ियां जा रही थी, एक दो तीन गिनता रहता था गाड़ियां जा रही थी। और उसको upload किया। मैं खुद सोशल मीडिया में बड़ा active था तो मुझे दो तीन घंटो में मेरे पास गया वो। अखबारों में आलोचना होकर के जितना प्रभाव हुआ था उससे ज्यादा मुझे हुआ था। एक नौजवान ने जो upload किया था उसका प्रभाव हुआ था। मैं अपनी बात इसलिये बताता हूं कि कितनी ताकत हो गई है इसकी। Empowerment of people अच्छी चीज है। और ऐसे समय Credibility इसको बनाए रखना ये मैं समझता हूं समय की बड़ी मांग है। + +दो चीजें ऐसी हैं, वैसे ये ऐसा वर्ग है और ये क्षेत्र ऐसा है जिसको सबको कहने का हक है। किसी को उनको कहने का कोई हक नहीं है। और कह दिया तो फिर क्या होगा। वो मैं भी जानता हूं आप भी भली भांति जानते हैं। वैसे मैं मीडिया का जीवन भर शुक्रगुजार रहूँगा, वरना मुझे कौन जानता था। आजादी के बाद अगर किसी भी राजनेता को ऐसा सौभाग्य मिला हो तो मैं अकेला हूं। इसलिये दो चीजें हमेशा मेरे मन में रहती है। और मैं चाहूंगा कि कोई सोचे। देखिये, दुनिया बदल चुकी है। सिर्फ Economy Globalize हो ऐसा नहीं पूरी जिन्दगी Globalize हो चुकी है। पूरी दुनिया inter-connected है Inter-dependent है। क्या कारण है कि पूरी दुनिया का जो Media World है उसमें भारतीय मूल का कोई स्थान नहीं है। आज भी कुछ लोग मिलते हैं। अरे मैंने BBC में सुना अब अलजजीरा तक पहुंचा है मामला CNN, BBC, अलजजीरा । इस field के लोगों ने इस चुनौती को समझना चाहिए। भारतीय मूल का एक विश्व स्तर का और हम दुनिया में अगर player हैं, तो हमारे हर पहलु का प्रभाव विश्व में पैदा होना चाहिए सपना होना चाहिए, किसी को बुरा लगे या न लगे मुझे नहीं लगता है। मुझे लगता है मेरे देश का प्रभाव होना ही चाहिए। हमारे यहां पर बहुत ताकत है जैसे मैंने अभी Environment पर Award मिला था मैंने विवेक को पूछा। मैंने कहा विवेक ये Pollution पर reporting है कि Environment पर है। ऐसे मैं मजाक में पूछ रहा था। + +दूसरा सरकारों की आलोचना जितनी हो उतनी ज्यादा अच्छी है, तो उसमें मुझे कोई problem नहीं है। तो कोई reporting में गलती मत करना। लेकिन भारत विविधताओं से भरा हुआ देश है। विशेषताओं से भरा हुआ देश है। देश की एकता आपके लिए खबर है और छपने के तुरंत बाद आप दूसरी खबर की खोज में लगे हो। लेकिन कभी-कभी वो ऐसे गहरे घाव देती है। इसका मतलब ये नहीं है कि ये पाप और लोग नहीं करते हो सकता है कि आप लोगों से ज्यादा हम करते हैं, हमारे बिरादरी वाले। लेकिन ये चिंता का विषय है कि हम देश की एकता को बढ़ाने वाले चीजों पर बल कैसे दें। मैं उदाहरण देता हूं। और मैं गलत हूं तो यहां पर काफी लोग ऐसे बैठे हैं कि अभी तो नहीं कहेंगे, लेकिन महीने के बाद कहेंगे। पहले कोई accident होता था तो खबर आती थी कि फलाने गांव में accident हुआ एक truck और साइकल में, साइकल वाला injure हो गया, expire हो गया। धीरे –धीरे बदलाव आया। बदलाव ये आया फलाने गांव में दिन में rash driving के द्वारा, शराब पिया हुआ ड्राइवर, निर्दोष आदमी को कुचल दिया। धीरे – धीरे रिपोर्टिंग बदला। बीएमडब्ल्यू कार ने एक दलित को कुचल दिया। सर मुझे क्षमा करना वो बीएमडब्ल्यू वाले कार को मालूम नहीं था कि वो दलित थे जी। लेकिन हम आग लगा देते थे। Accidental reporting होना चाहिए होना चाहिए? होना चाहिए। अगर हैडलाइन बनाने जैसा है तो हैडलाइन बना दो। + diff --git a/pm-speech/84.txt b/pm-speech/84.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..ff4237bbf0204216efb378d85ea8270fa5d97234 --- /dev/null +++ b/pm-speech/84.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +आज 21वीं सदी का भारत, आधुनिक सोच के साथ ही टेक्नोलॉजी को मानवता के हित में इस्तेमाल करने पर बल देता है। न्यू इंडिया Innovate करता है, Initiate करता है और Implement करता है। न्यू इंडिया अब ये भी मानने को तैयार नहीं कि भ्रष्टाचार सिस्टम का हिस्सा है। उसे System Transparent चाहिए, Process Efficient चाहिए और Governance Smooth चाहिए। + +आज़ादी के बाद के दशकों में देश में जो व्यवस्था बनी, जो सोच रही, उसमें यही भावना प्रधान थी कि सरकार सब कुछ अपने कब्जे में रखे। तब की सरकारों ने Maximum Control अपने पास रखे और इस वजह से सिस्टम में अनेक प्रकार की गलत प्रवृत्तियों ने जन्म ले लिया। Maximum Control, चाहे वो घर में हो, परिवार में या फिर देश में, Maximum Damage करता ही है। इसलिए हमने देशवासियों के जीवन से सरकार के दखल को कम करने को एक मिशन के रूप में लिया। हमने सरकारी प्रक्रियाओं को सरल बनाने के लिए निरंतर प्रयास किए। मैक्सिमम गवर्नमेंट कंट्रोल के बजाय मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सिमम गवर्नेंस पर फोकस किया। + +आज देश में कई सरकारी विभाग, बैंक, पीएसयू, वित्तीय संस्थान प्रिवेंटिव विजिलेंस की दिशा में कई महत्वपूर्ण काम कर रहे हैं। हम सभी ने अपने घरों में अनेक बार सुना है Prevention is better than cure आप कोशिश करें कि Preventive Vigilance, आपकी कार्यप्रणाली का हिस्सा बने। इससे एक तो आपका काम आसान होगा दूसरा देश के समय, संसाधन, शक्ति को बचाया जा सकेगा। मुझे बताया गया है कि इसे देखते हुए CVC ने अपनी नियमावली में कुछ सुधार किए हैं। इस रूलबुक में ई-सतर्कता पर एक अतिरिक्त अध्याय जोड़ा गया है। अपराध करने वाले तो हर महीने हर दिन नए नए तरीके खोज लेते हैं ऐसे में हमें उनसे दो कदम आगे ही रहना है। + diff --git a/pm-speech/843.txt b/pm-speech/843.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..2299630e3e67ac02c2c3391e59d7a0c02a6c3b52 --- /dev/null +++ b/pm-speech/843.txt @@ -0,0 +1,4 @@ +एक लाख साथियों का contribution है, छोटी बात नहीं है, बहुत बड़ी घटना है ये। लेकिन अगर हम उसमें से मोती खोजने में विफल रहे, और मैंने सुना है कि आप काफी बड़ी तादाद में यहां इस शिविर में हैं। आप लोग बड़ी बारिकाई से मेहनत करने की कोशिश करोगे, तो उसमें से अच्‍छे से अच्‍छे मोती निकल आएंगे। और ये मोती जो निकलेंगे, जो अमृत-मंथन से निकलेंगे वो रेलवे को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए काम आएंगे। + +21वीं सदी के अनुकूल हमें नई रेल, नई व्‍यवस्‍था, नई गति, नया सामर्थ्‍य, ये सब देना है और लोग मिल करके दे सकते हैं। अगर हममें से कोई पहले छोटे एकाध मकान में रहता है तो गुजारा तो करता है, लेकिन कुछ अच्‍छी स्थिति बनी और मान लीजिए फ्लैट में रहने गए, तो फिर नए तरीके से कैसे रहना, कौन किस कमरे में रहेगा, बैठेंगे कहां पर मेहमान आए, सब सोचना शुरू करते हैं और हो भी जाता है। बदलाव ला देता है इंसान। पहले एक कमरे में रहते थे तो भी तो गुजारा करता था, लेकिन उस प्रकार से जिंदगी को adjust कर लेते थे। अगर आप स्‍वर बदलेंगे कि हमने 21वीं सदी, बदली हुई सदी में अपने-आपको set करना है तो फिर हम भी बदलाव शुरू कर देंगे और ये संभव है। + diff --git a/pm-speech/844.txt b/pm-speech/844.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..af017ff6720773849e2e7d13a266fb47aaccb8ea --- /dev/null +++ b/pm-speech/844.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +जब देश में Emergency आई Press Council को ही खत्‍म कर दिया गया था यानी मूलभूत बात को ही खत्‍म कर दिया गया था और करीब‍ डेढ़ साल तक ये बंद रहा। बाद में (78) seventy-eight में जब मोरारजी भाई की सरकार आई तो इस व्‍यवस्‍था का पुनर्जन्‍म हुआ और उस समय media के प्रति बड़ी उदारता का माहौल था जब (78) seventy-eight में फिर से काम हुआ तब। इसका रूप उसमें से निर्माण हुआ लेकिन अब तक वो वैसा ही चल रहा है। + diff --git a/pm-speech/846.txt b/pm-speech/846.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..589f6ce4bbc02a45f38f4af80c82f3f0d9faacd5 --- /dev/null +++ b/pm-speech/846.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +राष्ट्रपति रीवलीन और मैं अपने समाज को सुरक्षित करने के लिए हमारे मजबूत और बढ़ती साझेदारी मूल्य को लेकर दृढ़ हैं। हमारे लोग लगातार आतंकवाद और उग्रवादी ताकतों के निशाने पर बने हुए हैं। हम मानते हैं कि आतंकवाद एक वैश्विक चुनौती है जिसकी कोई सीमा नहीं है और संगठित अपराध के अन्य रूपों के साथ उनके बीच व्यापक संबंध हैं। अफसोस है कि भारत का एक पड़ोसी देश इन सब चीजों को बढ़ावा दे रहा है। हम इस पर सहमत हैं कि आतंकवाद के नेटवर्क को खत्म करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को मिलकर काम करना चाहिए। आतंकावाद के खिलाफ कार्रवाई में विफलता और उसको लेकर चुप्पी केवल उसे बढ़ावा देती है। इस बात पर सहमत हुए हैं कि हम आतंकवाद और उग्रवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई को और मजबूत बनाएंगे जिससे शांति प्रिय राष्ट्रों को खतरा बना हुआ है। हमने साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग को भी प्राथमिकता में रखा है। हमने अपनी बढ़ती रक्षा साझेदारी की ताकत का उल्लेख किया है। हम इस बात पर भी सहमत हुए हैं कि उत्पादन तथा विनिर्माण भागीदारी के माध्यम से इसे और व्यापक करने की जरूरत है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी उम्मीदवारी के लिए अपना स्पष्ट समर्थन देने के लिए भारत इसराइल का आभारी है। + diff --git a/pm-speech/847.txt b/pm-speech/847.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..88c2967ee6e9c8efdf3dfb851a14ae6c9035786a --- /dev/null +++ b/pm-speech/847.txt @@ -0,0 +1,24 @@ +हमारे देश में जिस गति से कृषि क्षेत्र में अनुसंधान होने चाहिए थे। technology का उपयोग बढ़ना चाहिए था। दुनिया जिस गति से आगे बढ़ी है। उसमें हम काफी पीछे रह गये हैं। आज भी विश्व में प्रति एकड़ जो sugarcane का yield है, पैदावार है उसकी तुलना में हम काफी पीछे हैं। आज भी दुनिया में शुगरकेन में जो sugar content है, हमारे देश में आज भी उसमें variations है। दक्षिण में एक अनुभव आता है, मध्य में दूसरा आता है, उत्तर में तीसरा आता है। और ऐसे समय एक dedicated institution जो निरंतर वैज्ञानिकों को साथ लेकर के technology का भरपूर उपयोग करते हुए और किसान जिस भाषा में समझे उस भाषा में खेत तक पहुंचाने का जो प्रयास कर रही है। मैं नहीं मानता हूं कि ये कोई छोटा सा काम है और इसका परिणाम हम अनुभव करते हैं। आज मैं शरद राव जी के साथ farm visit भी की मैंने सारी चीजों को समझने का प्रयास किया। मेरी भी इन चीजों में थोड़ी जिज्ञासा रहती है। मैं कभी परेशान होता था कि sugar में जो flood irrigation होता है। और किसान के दिमाग में भर गया था कि जब तक खेत लबालब पानी से भरा हुआ नहीं होगा। तब तक फसल हो ही नहीं सकती। + +मैं बहुत साल पहले Mauritius गया, इन चीजों को समझने के लिए तब तो मैं राजनीतिक जीवन में नहीं था। और मैंने वहां पाया कि sprinkler से उनके खेत लहलहा रहे थे। flood irrigation नहीं था। मैंने आकर के मेरे यहां जब किसानों से बात की, तो मैं उनके गले नहीं उतार पाया। ये बहुत पुरानी बात है। उस समय मैं उनको समझा रहा था। उनको जरा अजूबा लगता था कि इसको क्या समझ आती होगी। लेकिन मैं कोशिश करता था कि भाई ऐसा नहीं है। हम micro-irrigation से sugarcane में बहुत अच्छे परिणाम ला सकते हैं। और इन दिनों मेरे लिए खुशी की बात है कि पानी का जैसा हम संकट अनुभव कर रहे हैं। और विशेषकर के महाराष्ट्र और गुजरात। यहां का किसान बहुत तेजी से sugar में micro-irrigation की तरफ आगे बढ़ा है। और उसका फायदा भी उसको नजर आया है। जहां पर micro irrigation से sugar cultivation हुआ। वहां पर crop, crop की quality, crop का quantum और उसमें sugar का content इस स्तर पर सुधार नजर आया है। और इसलिये धीरे-धीरे sugar industries वालों को भी लगने लगा है कि अगर हम micro irrigation की ओर उनको प्रोत्साहन देंगे, तो अवश्य लाभ होगा। + +यहां जो research institution चल रही है। दो चीजें हैं जिसपर अगर हम काम कर सकें। मैंने सरकार के इन विभागों के साथ पहले एक बार बात की थी। दुनिया में जो शुगर है उसकी जो दो गांठ है। उस दो गांठ के बीच में अंतर ज्यादा होता है। हमारे यहां जो शुगर है, उसकी दो गांठ के बीच में अंतर कम होता है। और उसके कारण हमारा sugar content में loss जाता है। wastage material ज्यादा निकलता है। हमें genetic intervention से हमारे sugarcane के ये जो गांठ होती है। ये इसका distance कैसे बढ़े अगर ये बढ़ता है, तो हमारा sugar content बढ़ेगा। और उसके कारण जो water consumption है वो भी कम उसकी आदत लगती है क्योंकि गांठ के कारण उसको grow करने में ज्यादा ताकत लगती है। अगर इस पर हम ज्यादा research कर पाएं। लेकिन करते तो हम sugar के लिए हैं। ये institution भी शुगर के लिए dedicated है। लेकिन एक और क्षेत्र है। जिसमें अगर शरद राव जी initiative लें और यहां के scientist कुछ काम करें, और दोनों एक ही nature के काम हैं और वो है bamboo. Bamboo की खेती का एक global market है। लेकिन हमारे देश का जो bamboo है, उस bamboo का भी problem यह है कि उसका भी जो दो गांठ के बीच का जो अंतर है वो बहुत कम है। और उसके कारण bamboo से value addition जो bi-product होते हैं। उसमें हमारे किसान को जितना चाहिए उतना फायदा नहीं होता है। Bamboo की खेती पानी की भी जरूरत कम और पैदावार ज्यादा की संभावना है। जिस genetic intervention से हम sugar में बदलाव ला सकते हैं मेरा मोटा-मोटा अनुमान है मैं scientist नहीं हूं। scientist लोग इसमें ज्यादा मदद कर सकते हैं। Bamboo में भी यही research simultaneous से यहां अगर चल सकती है। और हम globally competitive bamboo quality अगर हम लाते हैं, तो हमारे देश में एक नया क्षेत्र aggro-economy का हम प्रारम्भ कर सकते हैं। उस दिशा में करने की दिशा में सोचा जा सकता है। + +दूसरा जो विषय है। जमीन कम होती जा रही है। किसान का परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी बच्चों में जमीन के टुकड़े बंटते चले जा रहे हैं। जनसंख्या वृद्धि के कारण भी जमीन कृषि की कम होना और बाकि उपयोग में बढ़ना स्वाभाविक होता जा रहा है। ऐसी स्थिति में किसान का भला तब होगा, जब हम प्रति हैक्टर हमारी उत्पादन क्षमता को बढ़ाएं। प्रति हैक्टेयर उत्पादन क्षमता भांति – भांति fertilizer का ढेर करने से होता है ऐसा नहीं है। वैज्ञानिक तरीके से संतुलित उपयोग करने से ही होता है। खुशी की बात है कि पहले sugar का किसान इस बात को स्वीकार करने को तैयार नहीं था कि हम दो sugarcane की लाइन के बीच में भी कोई तीसरा crop कर सकते हैं। अब खुशी की बात है कि खासकर के pulses तूर दाल के लिए मूंग के लिए किसान अब sugarcane के बीच में भी धीरे – धीरे खेती करना प्रारंभ किया है। और जिन्होंने drip irrigation या sprinkler का उपयोग किया है। उनके लिये बहुत सरलता हुई है। एक प्रकार से bi-product है। sugar से जो आपको income मिलती थी वो तो मिलती है ये बीच वाली जगह जो पड़ी थी। उसमें ये अतिरिक्त crop करने के कारण कुछ लोग सब्जी में गए हैं। कुछ लोग flower में गए हैं और ज्यादातर लोग pulses में गए हैं। हम चाहते हैं pulses को हम promote करें। आज भी भारत को बहुत बड़ी मात्रा में pulses का एक portion import करना पड़ता है। pulses की हमारी requirement बहुत है। और इसलिये हम शुगर के साथ-साथ pulses को अगर बढ़ावा देंगे, तो एक assured market की guarantee है। एकाध बार sugar में उतार – चढ़ाव आएगा तो भी हमारे किसान को उस एक वर्ष संकट में से निकलने में भी। ये बीच वाला जो जगह की खेती का काम है उससे उनको फायदा हो सकता है। और उस दिशा में जितने ज्यादा research हो सके उस research को करने में हमें आवश्यकता देता है। + +अब तक हमारा sugarcane से गन्ने से जुड़ा जो हमारा किसान था। उसका पूरा नसीब sugar mill पर depended था। sugar mill ही उसका भाग्य तय करती थी। जहां cooperative बेस मजबूत रहा और बसंत दादा पाटील कहो या शरद राव जी के पिताजी की जमाने की बात करें या बैकुठ राय मेहता करके गांव के बहुत बड़े cooperative के dedicated नेता थे। इस पीढ़ी ने opportunity की ऐसी जड़ें जमाई कि जिसके कारण आज गुजरात महाराष्ट्र किसानों का ये अनुभव है इस cooperative बेस के कारण कुछ न कुछ मात्रा में संकटों के समय उनको मदद मिल जाती है। लेकिन ये समय की मांग है कि हमने हमारे value addition में global economy को हम नजर अंदाज नहीं कर सकते। दुनिया में अगर sugar ज्यादा हो गई, तो भारत की बड़ी पिटाई हो जाती है। दुनिया में sugar कम हो गई, तो भारत को मौका मिल जाता है। कभी कभार भारत के लिए market का अवसर होता है लेकिन अकाल होता है, तो किसान उस समय में दबा हुआ होता है, तो हम उस opportunity का फायदा नहीं ले पाते हैं। एक ऐसी अवस्था में से हमारे इस क्षेत्र को संभालना पड़ता है। उसमें एक मार्ग है, जिसमें हम assurance पैदा कर सकते हैं। वो है ethanol। + +आज भारत को energy का import सबसे बड़ा जो हमारा विदेशी मुद्रा जो जाते हैं। वो पैट्रोल, डीज़ल, ऑयल इन सब में जाते हैं। इथेनोल से हम इस import को कैसे कम करें। हमारे public transport system दुनिया के ब्राजील जैसे अनेक देश हैं, जिन्होंने ethanol का उत्तम तरीके से उपयोग करके पैट्रोल वगैरह को बचाया and environment friendly transportation system को लाया। हम भारत में इसकी उपयोगिता को कैसे बढ़ाएं। पिछले दो वर्ष में इथेनोल का उत्पादन और उसकी बिक्री तीन गुणा हुई है। इतिहास में highest ये 2015-16 में हुई है। लेकिन फिर भी हमारी क्षमता के हिसाब से ये काम अभी भी पीछे है। और इसलिये हमारे लिये आवश्यक है कि नीतियों के द्वारा support system के द्वारा हम value addition में खासकर के ethanol पर और देश के import को हम कैसे कम करें। हमारे transport system में और खाड़ी के तेल की झाड़ी का तेल। मेरा विश्वास है कि हमारा देश का किसान खाड़ी के तेल से मुक्ति दिलाकर झाड़ी के तेल से देश को आगे बढ़ाने की ताकत रखता है। हमने उन चीजों को बल देना है। और सरकार ने कुछ progressive policy का initiative लिया है। पहली बार ethanol में एक प्रकार का लचीला कहें लेकिन MSP टाइप व्‍यवस्‍था की ताकि market assured हुआ। कुछ sugar factory ऐसी है कि जिनके पास ethanol बनाने के plant नहीं है। हमने उनसे कहा था कि आप किसी दूसरे का काम लीजिये हम आपको compensate कर देंगे। और इसके कारण total sugarcane का product गन्ने का प्रोडक्ट उसका इतनी मात्रा में ethanol की तरफ जाने में हम सफल हो सकते हैं। sugar market डाउन जाए, तब भी हम इसको balance कर सकते हैं। sugar market की कठिनाई आ जाए, तो हम इसको divert कर सकते हैं। तो economy में balancing power के रूप में ये एक प्रयोग हमें बहुत काम कर सकता है। + +और एक क्षेत्र है start-ups से। ये बात निश्चित है कि innovation की दिशा में हमने बहुत कुछ करना पड़ेगा। और जितना innovation एक फार्म में होता है। उससे भी ज्यादा innovation agriculture में आज इंजीनियरिंग के द्वारा हो रहा है। जैसे medical science totally technology driven हो रहा है। Technology जो पूरी तरह medical science में बहुत बड़ा role play कर रही है वो दिन दूर नहीं है जब agriculture sector में भी technology बहुत बड़ा major role play करने वाली है। हम हमारे नौजवानों को, हमारे साइंटिस्‍टों को, हमारे techno-experts को start-up के द्वारा मौका दें, innovation का मौका दें। + +बसंतदादा पाटील के institution के द्वारा हम sugar पर केन्द्रित हो कर के खेत और sugar और sugar के Bi-product और उसके लिए कुछ मशीन्स का innovation मैंने अभी देखा, जिस प्रकार से दूध के fat निकाले जाते हैं। वैसे ही sugar content का fat, sugar का क्या स्थिति है मशीन से निकाला जा सकता है। ये मशीन अब popular हो रहे हैं। लेकिन ऐसे बहुत छोटे – छोटे मशीन हमारे नये नई पीढ़ी के युवा हौनहार नौजवान कर सकते हैं। start-up को हमने बल देना है। हमारे start-up जितनी बड़ी मात्रा में agriculture sector में आएंगे हमारे देश का किसान का कृषि एंड value addition दोनों का काम बहुत ही उपकारक होगा। और इस दृष्टि से मैं समझता हूं कि हमारे देश में जो agriculture में जो सैकेंड grid revolution की बात होती है। वो सिर्फ खेतों की साइज और कृषि उत्पादन यहां तक सीमित नहीं रह सकती हैं। कृषि उत्पादन के प्रकार genetic intervention technology upgrade, value addition and market. + +इन दिनों सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के द्वारा किसान को सबसे ज्यादा सुरक्षित करने वाली योजना बीमा योजना लाई है। soil health कार्यक्रम के द्वारा किसान को अपनी जमीन में क्या, किसान की ये समस्या रही है। अगर बगल वाला किसान लाल डिब्बे वाली दवाई ले आया और अगर उसने छिड़क दी तो उसको लगता है मैं भी लाल डिब्बे वाली दवाई ले आऊँ, अगर बगल वाले किसान ने इतना पीला पाउडर डाल दिया तो उसको लगता है मैं भी पीला पाउडर डाल दूं। दोनों की जमीन का स्वभाव अलग है। दोनों की जमीन की आवश्यकता अलग है। एक की जमीन में कुछ गुण ज्यादा है, दूसरे की जमीन में दूसरे गुण ज्यादा है। soil health card के द्वारा हम अपनी जमीन की तबीयत जानें। मनुष्य के शरीर में जिस प्रकार से आज डॉक्टर जब तक कि आप blood test नहीं करवाते, urine test नहीं करवाते pathological report नहीं आता है, दवाई नहीं देता है। जमीन का भी वैसा ही है। जैसे मनुष्य के शरीर का है। हम भी अपना soil health card बहुत बड़ी मात्रा में हमारे start-ups soil testing lab बना सकते हैं। हमारे किसान भी अपनी cooperative society के द्वारा soil health lab बना सकते हैं। और हमारे किसान को आदत लगनी चाहिए कि हर वर्ष फसल में जाने से पहले एक बार जमीन की तबीयत की खबर ले लें और उसके अनुसार अपना time table बना दें। आप देखिए हमारा खर्च बहुत कम हो जाएगा। + +महाराष्ट्र सरकार ने एक बड़ा initiative लिया है, solar पम्प का solar पम्प के movement को अगर हम किसानों तक ले जाएंगे, तो हमारी cost effective farming, बिजली का खर्चा, पानी का खर्चा सबसे ज्यादा होता है। अगर हम solar pump को भारत सरकार भी मदद कर रही है। महाराष्ट्र सरकार ने भी initiative लिया है। cooperative unit भी उसके साथ जुड़े। और अगर हम बिजली बचाकर के solar के द्वारा खेती में उपयोग लाने की दिशा में जाएं, तो cost effective farming के लिए हमें बहुत लाभ पड़ सकता है और उस दिशा में हमें प्रयास करना चाहिए। + +वैसे हमारे देवेन्द्र फडनवीस जी, अगर उनका मैं नागपुर के municipality में जो चुनकर के वो आए cooperator उसको हिसाब लगाऊं तो उनको भी पच्चीस वर्ष non-stop जनप्रतिनिधि का हो रहा है शायद। इतनी छोटी आयु में अगर उनका….लेकिन शरद राव का MLA और MP वाला मामला है। अपने आप में बड़ी विरासत है। सार्वजनिक जीवन की एक बहुत बड़ी पूंजी है। बहुत बड़ी विरासत है। मैं व्यक्तिगत रूप से शरद राव का अत्यंत आदर करने वाले व्यक्तियों में से रहा हूं। मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था। वो हमेशा मुझे उंगली पकड़के चलाने में मेरी काफी मदद करते रहे हैं। और ये बात सार्वजनिक रूप से स्वीकारने में मैं गर्व अनुभव करता हूं। और मैं मानता हूं कि सार्वजनिक जीवन जनहित के लिये होता है। + +भाइयों – बहनों एक बात इस विषय से हटकर भी मैं कहना चाहता हूं। 8 तारीख रात 8 बजे हम जानते हैं हमारे दुश्मन हमारे देश को तबाह करने के लिए उनके अपने देश में जितनी currency छापते हैं उससे ज्यादा हमारे देश में नकली नोट घुस जाए जाली नोट घुस जाए उसके खेल खेलते रहे हैं। और बड़ी – बड़ी नोटें जो असीमित रूप है। नक्सलवाद के रूप से हो उग्रवाद के नाम से हो extortion कर कर के लोगों से रुपये बढ़ाते हैं। जंगलों में पेड़ के नीचे दबाकर रखते हैं। arms लेते हैं। आतंकवाद को बल मिलता है। इनकी ये जो दोहरी नस है जहां से उनको पैसा आता है। उसको काटना बहुत जरूरी था। इसलिये 8 तारीख रात 8 बजे 1000 और 500 के नोट जाली नोट इन सब पर एक बहुत बड़ा निर्णय सरकार ने किया है। देश की जनता ने जो उसको आशीर्वाद दिये हैं। मैं इसके लिए देश की जनता का आभारी हूं। एक भ्रम फैलाया जा रहा है क्योंकि यहां बड़ी मात्रा में किसान है। इसलिये मैं कहना चाहता हूं। किसानों को भ्रमित किया जाता है कि अब 1000 और 500 की नोटें गई और आपके पास खेती से कमाई करके जो पैसा आया है, वो bank में जमा करना पड़ेगा और फिर मोदी उस पर tax लगाएगा। मेरे किसान भाइयों आप पर कोई tax लगने वाला नहीं है। आप बेफिक्र रहिये। ये देश आपका है ये पैसे आपके हैं ये बैंक भी आपकी है ये मोदी भी आपका है। तो इन सारे भ्रमजालों से, लेकिन हम ये बात सही है। मैंने देश की जनता से 8 तारीख को ही 50 दिन मांगे हैं। क्योंकि इतना बड़ा बदलाव लाना आपको मालूम होगा, 1978 में जब जनता पार्टी की सरकार थी, तब मुरारीजी भाई देसाई उन्होंने 1000 के नोट बंद की थी। मैं कोई पहला नहीं हूं जिसने काम किया है। उसके बाद UPA सरकार थी। उसने चवन्नी बंद की थी। आपको शायद याद होगा उन्होंने चवन्नी पर प्रतिबंध लगाया था। अब वो तो आप जाने। लेकिन मुरारीजी भाई 1000 के नोट पर बंदी लगाई थी। लेकिन उस समय रिज़र्व बैंक ने total 145 करोड़ rs – 145 करोड़ रुपयों की मूल्य की 1000 के नोटें छापी थीं। और उसमें से सिर्फ 80 करोड़ – सिर्फ 80 करोड़ Public में थीं। 65 करोड़ बैंकों में पड़ी थीं बाहर निकली भी नहीं थी। इस समय देश में 500 और 1000 के नोट इसकी value करीब- करीब 14 लाख करोड़ रुपया है। कहां 145 करोड़ और कहां 14 लाख करोड़ और इसी का फायदा दुश्मनों ने समाजद्रोहियों ने भ्रष्टाचारियों ने इसका फायदा उठाया है। अगर इसको जड़ से नहीं उखाड़ के फैंकेंगे तो देश की भावी पीढ़ी को उसको सपनों को पूरा करने में हमारी व्यवस्था ही रुकावट बन जाएगी। और इसलिए मेरे प्यारे भाइयों – बहनों ये मैं नहीं कह सकता कि इतने बड़े निर्णय से कोई तकलीफ ही न हो। मैंने पहले दिन कहा था असुविधा होगी। कष्ट होगा, तकलीफ होगी, लेकिन इसे 70 साल की बीमारी इससे मुक्ति का रास्ता खुल जाएगा मेरे भाइयों –बहनों भावी पीढ़ी के लिए रास्ता खुल जाएगा। गरीब मध्यवर्ग का आदमी गर्व के सात माथा ऊंचा कर कर के जी सकेगा। मैं देशवासियों से इस भगीरथ काम के लिए कुछ असुविधा रहते हुए भी सहयोग करने का आग्रह कर रहा हूं। कुछ लोग होंगे जिनकी तकलीफ जरा ज्यादा होगी। वे पता नहीं क्या क्या करेंगे। लेकिन उनकी मुझे ज्यादा चिंता नहीं है। मुझे चिंता देश के सामान्य नागरिक कि है। + diff --git a/pm-speech/848.txt b/pm-speech/848.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..ef71c42f9561cf3242fba35d50910b1455c885f6 --- /dev/null +++ b/pm-speech/848.txt @@ -0,0 +1,12 @@ +मैं देख रहा हूं मेरे सामने लाखों की तादाद में ये सारे नौजवान बैठे है। ये सब कुछ उन सप्‍त ऋषि‍यों की तपस्‍या का परि‍णाम है। लोकमान्‍य ति‍लक जी से प्रेरणा ली। संत बसवेश्‍वर जी ने सामाजि‍क क्रान्‍ति‍ का जो बि‍गुल बजाया था उस सामाजि‍क क्रान्‍ति‍ को शि‍क्षा के माध्‍यम से न सि‍र्फ जन-जन तक पहुंचाना लेकि‍न पीढ़ी दर पीढ़ी पहुंचाना ये भगीरथ काम 100 साल पहले इस धरती पर हुआ। पूरे देश के लि‍ए, शि‍क्षा में विश्‍वास करने वाले हर कि‍सी के लि‍ए ये गर्व का वि‍षय है। + +आप मुझे बताइए कि‍ इस संस्‍था के पास सवा लाख वि‍द्यार्थी, इतने सारे Institution चलते हैं क्‍या हमारा KLE ये संकल्‍प कर सकता है कि‍ 2020 में जब टोक्‍यो में ओलंपि‍क होगा तो कुछ गोल्‍ड मेडल इस KLE के भी होंगे। कर सकते हो दोस्‍तों, कर सकते हो, संभव है दोस्‍तो, आपके लि‍ए संभव है। मेरे प्‍यारे नौजवानों मैं ये भी चाहूंगा कि‍ innovation, innovation वि‍कास की जड़ी-बूटी है। अगर innovation नहीं होता है रि‍सर्च नहीं होती है तो जीवन में ठहराव आ जाता है और जो रि‍सर्च करते है वो आगे नि‍कल जाते हैं। हम सि‍र्फ उनके product के लि‍ए खरीददार बनकर रह जाते हैं। आपके पास मैंने पि‍छली बार आकर के देखा था। ऐसे उत्‍तम scientist है आपके पास, ऐसी उत्‍तम institutions है, ऐसे उत्‍तम technical knowledge वाले लोग है। हर वर्ष internationally recognized हो ऐसा कोई न कोई innovation मानव जाति‍ के लि‍ए KLE दे सकता है, क्‍या दोगे? पक्‍का दोगे? + +भाइयो-बहनों, आज मैं कर्नाटक की धरती पर आया हूं और टीवी के माध्‍यम से देश भी मेरी बात को सुन रहा है। तो मैं एक और वि‍षय की भी चर्चा करना चाहता हूं। करूं, आप सुनना चाहते हैं। 08 तारीख रात को 8 बजे आपने देखा। 2012, 2013, 2014 अखबारों में खबरें आती थी कि‍ कोयले में इतने लाख करोड़ खा गए। 2जी स्‍कैम में इतने लाख करोड़ खा गए और 08 तारीख के बाद आपने उनका हाल देखा। 4000 रुपए के लि‍ए कतार में खड़ा रहना पड़ा। मेरे प्‍यारे देशवासि‍यों, ये सरकार ईमानदार इंसान को परेशान करना नहीं चाहती लेकि‍न मेरे प्‍यारे भाइयो-बहनों बेईमान को छोड़ना भी नहीं है। 17 साल हो गए। आप मुझे बताइए देश को लूटा गया है कि‍ नहीं लूटा गया है। भ्रष्टाचार हुआ है कि‍ नहीं हुआ है। बड़ी-बड़ी नोटों के थब्बे घर पर लगे है कि‍ नहीं लगे है। मैं हैरान हूं कि‍ हमारे कांग्रेस के लोग कह रहे हैं कि‍ आपने 1000 के नोट बंद क्‍यों कर दि‍ए, 500 के नोट बंद क्‍यों कर दि‍ए। भई आपने जब चवन्‍नी बंद की थी तो मैंने पूछा था। आपको मालूम है कांग्रेस पार्टी ने चवन्‍नी बंद की थी। इस देश ने तो कोई चि‍ल्‍लाहट नहीं की। ठीक है आपकी ताकत उतनी थी। बंद करने में तो आप भी सहमत थे लेकि‍न बड़े नोट बंद करने की आपकी ताकत नहीं थी। चवन्‍नी से गाड़ी चलानी थी और जो लोग आज मुझे सवाल पूछते है कि‍ मोदी ने 1000 के नोट का जादू कि‍या है। + +भाइयो-बहनों, जो लोग मेरा भाषण सुनते हैं, मेरी बातें सुनते हैं। ये बात मैं पहली बार नहीं बोला हूँ । पांच साल पहले सार्वजनि‍क सभा में मैंने कहा था कि‍ कांग्रेस पार्टी में दम नहीं है, चवन्‍नी बंद कर रही है। मेरा चले तो मैं 1000 के नोट बंद कर दूं। आज भी उसका वीडि‍यो कहीं चलता होगा, देख सकते हैं आप लोग। + +भाइयो-बहनों, हम जानते हैं हमारे देश में चुनाव होता है। मतदाता सूची, ये तो कोई secret काम नहीं है। नोट प्रति‍बंध करना तो मेरे लि‍ए बहुत जरूरी था कि‍ वो secret रहे। अगर वो लीक हो जाता तो ये बेईमान लोगों की ताकत ऐसी है कि‍ कहीं पर भी जाकर अपना काम कर लेते। देश खुश है। 08 तारीख को हि‍न्‍दुस्‍तान का गरीब चैन से सो रहा था और अमीर नींद की गोलि‍यां खरीदने के लि‍ए बाजार गया पर कोई देने वाला नहीं था। + +भाइयो-बहनों pain है, मैं मानता हूं मेरे इस निर्णय के कारण pain है लेकि‍न देश को gain ज्‍यादा है। और मैं आपको वि‍श्‍वास दि‍लाता हूं कि‍ मैं आपके साथ खड़ा रहूंगा। मैं ईमानदार लोगों से कहना चाहता हूं कि‍ आप कि‍सी बेईमान को अपनी 500 या 1000 की कमाई का नोट जल्‍दबाजी में मत दीजि‍ए। 30 दि‍संबर तक आपके पास समय है। कोई 400 में लेने वाला नि‍कल जाएगा, कोई 800 में 1000 की नोट लेने वाला नि‍कल जाएगा। आपके 500 रुपए मतलब कि‍ four hundred ninety nine and hundred paisa पूरा का पूरा 500 का आपका हक है और सरकार आपको देने के लि‍ए बंधी हुई है। 1000 का आपका ईमानदारी का नोट आपका हक है। सरकार बंधी हुई है। 30 दि‍संबर तक ये प्रक्रि‍या चलने वाली है। प्रक्रि‍या संतोषजनक होने वाली है। हो सकता है कुछ गंगा में बहा देंगे, कुछ कूड़े-कचरे में डाल देंगे, कतरन बना देंगे। खुद तो शायद बच जाएंगे नोट जाएंगे उसके, 200 करोड़-400 करोड़ जाएंगे। लेकि‍न कोई दूसरे रास्‍ते से। बैंक में जमा करके ईमानदारी का खेल करने गया तो देश आजाद हुआ तब से अब तक का सारा चि‍ट्ठा खोलकर के रख दूंगा। 200% लगने वाले पर 200% दंड लगाउंगा। बहुत लूटा है। + diff --git a/pm-speech/849.txt b/pm-speech/849.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..a0351f380fb97d618d6892fd18db74d8f7ae8410 --- /dev/null +++ b/pm-speech/849.txt @@ -0,0 +1,12 @@ +मैं जब गुजरात का मुख्‍यमंत्री था, मनोहर जी यहां मुख्‍यमंत्री थे। तो मैं एक secret बताता हूं आपको। मनोहर जी जो बात दस वाक्‍य में बोलनी हो, वो एक वाक्‍य में बता देते हैं। तो कभी-कभी समझने में भी कठि‍नाई होती है। वो मानते हैं कि‍ आपने समझ लि‍या। अब वो आईआईटी के है, मैं बड़ा सामान्‍य इंसान हूं। लेकि‍न मैं जब गुजरात में था तो उनकी योजनाओं का मैं अध्‍ययन करता था, मुख्‍यमंत्री के नाते और मैं देख रहा था कि‍ यहां के गरीब से गरीब व्‍यक्‍ति‍ की मुसीबतों को वो कैसे समझते हैं और उसके रास्‍ते कैसे खोजते हैं, हर योजनाएं। बाद में लक्ष्‍मीकांत जी ने भी इसको आगे बढ़ाया। जब मैं देखता था, गृह आधार योजना, वार्षि‍क तीन लाख से कम आय वाली जो महि‍लाएं हैं, उनको 1500 रुपए की मदद। देश में कई राज्‍यों को पता तक नहीं होगा कि‍ गोवा में ऐसी योजना शुरू की गई थी। दयानंद सरस्‍वती सुरक्षा योजना सी‍नि‍यर सि‍टीजन के लि‍ए, करीब डेढ़ लाख senior citizen को इसका लाभ मि‍लता है, 2000 रुपए प्रति‍ माह। ये सारी चीजें हि‍न्‍दुस्‍तान में कहीं नहीं है भाइयों, ये गोवा में है। भाइयो-बहनों, लाडली लक्ष्‍मी योजना, गोवा और मध्‍यप्रदेश ने इसको प्रारंभ कि‍या और 18 साल की बच्‍चि‍यों को एक लाख रुपए। आज गोवा में 45 हजार हमारी बेटि‍यां इसकी हकदार बनी है। + +भाइयो-बहनों, आज यहां एक Electronic Manufacturing city का भी शि‍लान्‍यास हुआ है। कोई ये मत समझे कि‍ ये सि‍र्फ कोई Industrial estate बन रहा है। बहुत कम लोगों को समझ आएगा कि‍ Electronic Manufacturing city के नि‍र्माण का मतलब क्‍या है। एक प्रकार से और मेरे शब्‍द लि‍खकर के रखना भाइयो-बहनों और 21वीं का मैं वो गोवा देख रहा हूं जहां Digitally trained, youth driven based modern गोवा का आज शि‍लान्‍यास हो रहा है दोस्‍तों। ऐसे गोवा का शि‍लान्‍यास हो रहा है जो Digitally trained, youth driven गोवा होगा, आधुनि‍क गोवा होगा, टैक्‍नोलॉजी से सामर्थ्‍यवान गोवा होगा। और वह सि‍र्फ गोवा की इकनॉमी का गोवा के नौजवानों के रोजगार का नहीं है, ये भारत की शक्‍ल-सूरत बदलने का, गोवा एक पावर स्‍टेशन बन जाएगा दोस्‍तों, ये मैं देख रहा हूं। पूरी 21वीं सदी पर इस initiative का प्रभाव होने वाला है। + +भाइयो-बहनों, हमने एक और काम कि‍या। पहले की सरकारों ने भी कि‍या था। ये जो ज्‍वैलर्स है, जो कि‍ ज्‍यादातर हमारे यहां सोना वगैरह की बात जरा, उन पर कोई एक्‍साइज ड्यूटी नहीं लगती थी। पहले सरकार ने लगाने की कोशि‍श की थी, बहुत कम लगाई थी लेकि‍न सारे ज्‍वैलर, ज्‍वैलरों की संख्‍या बहुत कम है, एक गांव में एक-आध दो ही होते हैं। बड़े शहर में 50-100 होते हैं। लेकि‍न उनकी ताकत बड़ी गजब है साहब, अच्‍छे-अच्‍छे MP उनकी जेब में होते हैं और ज्‍वैलरी पर जब एक्‍साइज लगाई तो मेरे ऊपर इतना दबाव आया, MP का दबाव, delegation, हमारे परि‍चि‍त, साहब ये तो सब इनकम टैक्‍स वाले लूट लेंगे, तबाह कर देंगे, ऐसे-ऐसे बताते थे कि‍ मैं भी डर गया कि‍ यार मैं ये करूंगा पता नहीं क्‍या हो जाएगा। मैंने कहा, ऐसा करो भई दो कमेटी बनाते हैं, वार्ता करेंगे, चर्चा करेंगे। सरकार की तरफ से उनको, जि‍न पर उन को भरोसा था ऐसी एक्‍सपर्ट कमेटी बनाई। पहले वाली सरकारों को ये प्रयास वापस लेना पड़ा था। साहब मैं ईमानदारी से देश चलाना चाहता हूं। मैंने वापस नहीं लि‍या, मैंने ज्‍वैलरों को वि‍श्‍वास दि‍लाया, कोई आपसे ज्‍यादती नहीं करेगा और कोई इनकम टैक्‍स वाला आपसे ज्‍यादती करता है तो आप मोबाइल फोन से उसकी रि‍कॉडिंग कर लीजि‍ए मैं उसके खि‍लाफ काम करूंगा। ये कदम हमने उठाया। जि‍नको पता हो, ये सारा देखकर के समझ नहीं आता था कि‍ मोदी क्‍या करेगा आगे। लेकि‍न आप अपनी दुनि‍या में इतने मस्‍त थे कि‍ और पॉलि‍टि‍कल पार्टी की तरह ये भी आकर के चला जाएगा। मैं भाइयो और बहनों कुर्सी के लि‍ए पैदा नहीं हुआ हूं। मेरे देशवासि‍यों मैंने घर, परि‍वार, सब कुछ देश के लि‍ए छोड़ा है। + +अब भाइयो-बहनों, मेरे देश के गरीबों की अमीरी देखि‍ए। मैंने तो उनको कहा था कि‍ जीरो अमाउंट से आप खाता खोल सकते हैं, एक बार आपका बैंक में पैर आना चाहि‍ए बस। ये आर्थि‍क व्‍यवस्‍था में कहीं आप भी होने चाहि‍ए। लेकि‍न मेरे देश के गरीबों की अमीरी देखि‍ए दोस्‍तों। ये जो अमीर लोग रात को सो नहीं पाते हैं न, गरीबों की अमीरी देखि‍ए दोस्‍तों। मैंने तो कहा था कि‍ जीरो रकम से आप बैंक account खोल सकते हैं लेकि‍न मेरे देश के गरीबों ने बैंकों में जन-धन account में 45 हजार करोड़ रुपए जमा करवाए दोस्‍तों। ये देश के सामान्‍य मानि‍वकी की ताकत को हम पहचाने। 20 करोड़ परि‍वारों को रूपे कार्ड दि‍या। फि‍र भी कुछ लोग मानते ही नहीं। उनको लगता था कि‍ यार कोई राजनैति‍क गोटी बैठा देंगे तो हो जाएगा मामला। हमने एक बहुत बड़ा सीक्रेट ऑपरेशन कि‍या। मनोहर जी वाला तो मैं नहीं कर सकता। दस महीने से काम पर लगा रहा, एक छोटी वि‍श्‍वस्‍त टोली बनाई क्‍योंकि‍ इतने नए नोट छापना, पहुंचाना, बड़ा कठि‍न, चीजें छि‍पाना, secret रखना, वरना ये लोग ऐसे होते हैं साहब पता चल जाए तो अपना कर लेंगे। + +मैं देशवासि‍यों को एक और बात कहना चाहता हूं। इन दि‍नों बहुत लोगों को ये भ्रष्‍टाचार और काले धन पर बोलने की हि‍म्‍मत नहीं है क्‍योंकि‍ जो भी बोला है, पकड़ा जाता है, यार कुछ तो दाल में काला है। ये हर कोई हँसते हुए चेहरे से बोल रहा है कि‍ नहीं, नहीं मोदी जी ने अच्‍छा कि‍या। फि‍र कि‍सी दोस्‍त को फोन करता है, यार कोई रास्‍ता है। फि‍र वो कहता है यार मोदी जी ने सारे रास्‍ते बंद कर दि‍ए। इसलि‍ए अफवाहें फैलाते हैं। एक दि‍न अफवाह फैलाई कि‍ नमक महंगा हो गया है। अब बताइए भई 500 के नोट और 1000 के नोट, कोई है जो 1000 के नोट लेकर नमक लेने जाता है। ये इसलि‍ए कि‍या जाता है क्‍योंकि‍ उनका मालूम है कि‍ उनका लुट रहा है। 70 साल से जमा कि‍या हुआ। महंगे से महंगे ताले लगाए थे, कोई पस्‍ती लेने वाला नहीं है। भि‍खारी भी मना करता है, नहीं साहब 1000 का नोट नहीं चलेगा। + +भाइयो-बहनों, ईमानदार को कोई तकलीफ नहीं है। कुछ लोग अपने नोट, कहते है, मुझे सच मालूम नहीं लेकि‍न चर्चा चल रही है। कहते है कि‍ कोई साढ़े चार सौ में बेच रहा है, कोई 500 का नोट तीन सौ में दे रहा है। मैं देशवासि‍यों को कहता हूं कि‍ आपके 500 रुपए में से एक नया पैसा कम करने की ताकत कि‍सी की नहीं है। आपका 500 रुपए मतलब four hundred ninety nine and hundred paisa पक्‍का। ऐसे कि‍सी कारोबार में आप लि‍प्‍त मत होइए। कुछ बेइमान लोग अपने लोगों को कह देते हैं कि‍ जाओ लाइन में खड़े हो जाओ। दो-दो हजार का करवा लो यार, थोड़ा बहुत बच जाएगा। + diff --git a/pm-speech/85.txt b/pm-speech/85.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..5d91ba8a445cb952991d30727cb381ae3c920dfa --- /dev/null +++ b/pm-speech/85.txt @@ -0,0 +1,8 @@ +जब मैं अलग-अलग क्षेत्रों में सेवा के ऐसे कार्यों को देखता हूँ, तो मुझे गर्व होता है कि गुजरात किस तरह सरदार पटेल की विरासत को आगे बढ़ा रहा है। सरदार साहब ने कहा था और सरदार साहब के वाक्‍य हमने अपने जीवन में बांध्‍कर रखना है। सरदार साहब ने कहा था-जाति और पंथ को हमें रुकावट नहीं बनने देना है। हम सभी भारत के बेटे और बेटियां हैं। हम सभी को अपने देश से प्रेम करना चाहिए, परस्पर स्नेह और सहयोग से अपना भाग्य बनाना चाहिए। हम खुद इसके साक्षी हैं कि सरदार साहब की इन भावनाओं को गुजरात ने किस तरह हमेशा मजबूती दी है। राष्ट्र प्रथम, ये सरदार साहब की संतानों का जीवन मंत्र है। आप देश दुनिया में कहीं भी चले जाइए, गुजरात के लोगों में ये जीवन मंत्र आपको हर जगह दिखेगा। + +हम सब शायद जानते होंगे, उत्‍तर गुजरात में इनका जन्म हुआ, और आज गुजरात के हर कोने में उनको याद किया जाता है। ऐसे ही एक महापुरुष थे श्री छगनभा। उनका दृढ़ विश्वास था कि शिक्षा ही समाज के सशक्तिकरण का सबसे बड़ा माध्यम है। आप कल्पना कर सकते हैं, आज से 102 साल पहले 1919 में उन्होंने ‘कडी‘ में सर्व विद्यालय केलवणी मंडल की स्थापना की थी। ये छगन भ्राता, ये दूरदृष्टि का काम था। ये उनकी दूरदृष्टि थी, उनका विजन था। उनका जीवन मंत्र था- कर भला, होगा भला और इसी प्रेरणा से वो आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को संवारते रहे। जब 1929 में गांधी जी, छगनभा जी के मंडल में आए थे तो उन्होंने कहा था कि- छगनभा बहुत बड़ा सेवाकार्य कर रहे हैं। उन्होंने लोगों से ज्यादा से ज्यादा संख्या में अपने बच्चे, छगनभा के ट्रस्ट में पढ़ने के लिए भेजने को कहा था। + +जो लोग गुजरात के बारे में कम जानते हैं, उन्हें मैं आज वल्लभ विद्यानगर के बारे में भी बताना चाहता हूं। आप में से काफी लोगों को पता होगा, ये स्थान, करमसद-बाकरोल और आनंद के बीच में पड़ता है। इस स्थान को इसलिए विकसित किया गया था ताकि शिक्षा का प्रसार किया जा सके, गांव के विकास से जुड़े कामों में तेजी लाई जा सके। वल्लभ विद्यानगर के साथ सिविल सेवा के दिग्गज अधिकारी एच एम पटेल जी भी जुड़े थे। सरदार साहब जब देश के गृह मंत्री थे, तो एच एम पटेल जी उनके काफी करीबी लोगों में गिने जाते थे। बाद में वो जनता पार्टी की सरकार में वित्त मंत्री भी बने। + +तब गुजरात में बेटियों के ड्रॉपआउट की भी एक बड़ी चुनौती थी। अभी हमारे मुख्‍यमंत्री भूपेन्द्र भाई ने इसका वर्णन भी किया। इसके कई सामाजिक कारण तो थे ही, कई व्यवहारिक कारण भी थे। जैसे कितनी ही बेटियाँ चाहकर भी इसलिए स्कूल नहीं जा पाती थीं क्योंकि स्कूलों में बेटियों के लिए शौचालय नहीं होते थे। इन समस्याओं के समाधान के लिए गुजरात ने पंचशक्तियों से प्रेरणा पाई। पंचामृत, पंचशक्ति यानी- ज्ञानशक्ति, जनशक्ति, जलशक्ति, ऊर्जाशक्ति, और रक्षाशक्ति! स्कूलों में बालिकाओं के लिए शौचालय बनवाए गए। विद्या लक्ष्मी बॉन्ड, सरस्वती साधना योजना, कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय ऐसे अनेक प्रयासों का परिणाम ये हुआ कि गुजरात में न केवल पढ़ाई का स्तर बेहतर हुआ, बल्कि स्कूल ड्रॉप आउट रेट भी तेजी से कम हुआ। + diff --git a/pm-speech/86.txt b/pm-speech/86.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..df6ec800424130766c2d72881c7755809ba2d290 --- /dev/null +++ b/pm-speech/86.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत देश का लक्ष्य भारत को अपने दम पर दुनिया की बड़ी सैन्य ताकत बनाने का है, भारत में आधुनिक सैन्य इंडस्ट्री के विकास का है। पिछले सात वर्षों में देश ने ‘मेक इन इंडिया’ के मंत्र के साथ अपने इस संकल्प को आगे बढ़ाने का काम किया है। आज देश के डिफेंस सेक्टर में जितनी transparency है, trust है, और technology driven approach है, उतनी पहले कभी नहीं थी। आज़ादी के बाद पहली बार हमारे डिफेंस सेक्टर में इतने बड़े reforms हो रहे हैं, अटकाने-लटकाने वाली नीतियों की जगह सिंगल विंडो सिस्टम की व्यवस्था की गई है। इससे हमारी इंडस्ट्री का कॉन्फ़िडेंस बढ़ा है। हमारी अपनी भारत की कंपनियों ने डिफेंस इंडस्ट्री में भी अपने लिए संभावनाएं तलाशना शुरू किया है, और अब प्राइवेट सेक्टर और सरकार, साथ मिलकर राष्ट्र रक्षा के मिशन में आगे बढ़ रहे हैं। + +यूपी और तमिलनाडू के डिफेंस कॉरिडॉर्स का उदाहरण हमारे सामने है। इतने कम समय में बड़ी बड़ी कंपनियों ने मेक इन इंडिया में अपनी रुचि दिखाई है। इससे देश में युवाओं के लिए नए अवसर भी तैयार हो रहे हैं, और सप्लाई चेन के रूप में कई MSMEs के लिए नई संभावनाएं बन रही हैं। देश में जो नीतिगत परिवर्तन किया है, उसका परिणाम है कि पिछले 5 सालों में हमारा डिफेंस एक्सपोर्ट सवा तीन सौ प्रतिशत से भी ज्यादा बढ़ा है। + +कुछ समय पहले ही रक्षा मंत्रालय ने ऐसे 100 से ज्यादा सामरिक उपकरणों की लिस्ट जारी की थी जिन्हें अब बाहर से आयात नहीं किया जाएगा। इन नई कंपनियों के लिए भी देश ने अभी से ही 65 हजार करोड़ रुपए के ऑर्डर्स प्लेस किए हैं। ये हमारी डिफेंस इंडस्ट्री में देश के विश्वास को दिखाता है। बढ़ता हुआ विश्‍वास नजर आ रहा है। एक कंपनी ammunition और explosives की जरूरतों को पूरा करेगी, तो दूसरी कंपनी army vehicles manufacture करेगी। इसी तरह, advanced weapons और Equipment हों, troops comfort items हों, optical electronics हों, या पैराशूट्स- हमारा लक्ष्य है कि भारत की एक एक कंपनी न केवल इन क्षेत्रों में expertise हासिल करे, बल्कि एक ग्लोबल ब्रांड भी बनें। Competitive cost हमारी ताकत है, क्वालिटी और reliability हमारी पहचान होनी चाहिए। + diff --git a/pm-speech/87.txt b/pm-speech/87.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..9287bf648bfc89cc0f8944882556aa730d58a5ab --- /dev/null +++ b/pm-speech/87.txt @@ -0,0 +1,18 @@ +आज ही यहां प्रगति मैदान में बन रहे International Exhibition-cum-Convention Centreके 4 प्रदर्शनी हॉल का लोकार्पण भी हुआ है। दिल्ली में आधुनिक इंफ्रा से जुड़ा ये भी एक अहम कदम है। ये Exhibition Centres हमारे MSMEs, हमारे हैंडीक्राफ्ट, हमारे कुटीर उद्योग को अपने प्रोडक्ट्स, दुनियाभर के बाज़ारों के लिए शोकेस करने, ग्लोबल मार्केट तक अपनी पहुंच बढ़ाने में बहुत बड़ी मदद करेंगे। मैं दिल्ली के लोगों को, देश के लोगों कोबहुतबधाई देता हूं, शुभकामनाएं देता हूं। + +पीएम गतिशक्ति मास्टर प्लान सरकारी प्रोसेस और उससे जुड़े अलग-अलग स्टेकहोल्डर्स को तो एक साथ लाता ही है, ये ट्रांसपोर्टेशन के अलग-अलग मोड्स को, आपस में जोड़ने में भी मदद करता है। ये होलिस्टिक गवर्नेंस का विस्तार है। अब जैसे गरीबों के घर से जुड़ी योजना में सिर्फ चारदीवारी नहीं बनाई जाती बल्कि उसमें टॉयलेट, बिजली, पानी, गैस कनेक्शन भी साथ ही आता है, ठीक वैसा ही विजन इसमें इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए भी है। अतीत में हमने देखा है कि उद्योगों के लिए स्पेशल ज़ोन का ऐलान तो किया जाता था लेकिन वहां तक कनेक्टिविटी या फिर बिजली-पानी-टेलीकॉम पहुंचाने में गंभीरता नहीं दिखाई जाती थी। + +पीएम गतिशक्ति- नेशनल मास्टर प्लान देश की पॉलिसी मेकिंग से जुड़े सभी स्टेकहोल्डर्स को, इन्वेस्टर्स को एक एनालिटिकल और डिसिजन मेकिंग टूल भी देगा। इससे सरकारों को प्रभावी प्लानिंग और पॉलिसी बनाने में मदद मिलेगी, सरकार का अनावश्यक खर्च बचेगा और उद्यमियों को भी किसी प्रोजेक्ट से जुड़ी जानकारी मिलती रहेगी। इससे राज्य सरकारों को भी अपनी प्राथमिकताएं तय करने में मदद मिलेगी। जब ऐसा डेटा बेस्ड मैकेनिज्म देश में होगा तो हर राज्य सरकार, निवेशकों के लिए टाइम बाउंड कमिटमेंट्स दे पाएंगी। इससे इन्वेस्टमेंट डेस्टिनेशन के रूप में भारत की बढ़ती साख को नई बुलंदी मिलेगी, नया आयाम मिलेगा। इससे देशवासियों को कम कीमत में बेहतरीन क्वालिटी मिलेगी, युवाओं को रोज़गार के अनेक नए अवसर मिलेंगे। + +देश के विकास के लिए ये बहुत जरूरी है कि सरकार के इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े सभी विभाग एक दूसरे के साथ बैठें, एक दूसरे की collective power का इस्तेमाल करें। बीते वर्षो में इसी अप्रोच ने भारत को अभूतपूर्व गति दी है। पिछले 70 वर्षों की तुलना में, आज भारत, पहले से कहीं ज्यादा Speed और Scale पर काम कर रहा है। + +भारत में पहली इंटरस्टेट नैचुरल गैस पाइपलाइन साल 1987 में कमीशन हुई थी। इसके बाद साल 2014 तक, यानि 27 साल में देश में 15 हजार किलोमीटर नैचुरल गैस पाइपलाइन बनी। आज देशभर में, 16 हजार किलोमीटर से ज्यादानईगैस पाइपलाइन पर काम चल रहा है। ये काम अगले 5-6 वर्षों में पूरा होने का लक्ष्य है। यानि जितना काम 27 वर्षों में हुआ, हम उससे ज्यादा काम, उसके आधे समय में करने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं। काम करने की यही रफ्तार आज भारत की पहचान बन रही है। 2014 के पहले के 5 सालों में सिर्फ 1900 किलोमीटर रेल लाइनों का दोहरीकरण हुआ था। बीते 7 वर्षों में हमने 9 हजार किलोमीटर से ज्यादा रेल लाइनों की डबलिंग की है।कहां 19 सौ और कहां 7 हजार। 2014 से पहले के 5 सालों में सिर्फ 3000 किलोमीटर रेलवे का बिजलीकरण हुआ था। बीते 7 वर्षों में हमने 24 हजार किलोमीटर से भी अधिक रेलवे ट्रैक का बिजलीकरण किया है।कहां तीन हजार कहां 24 हजार। 2014 के पहले लगभग 250 किलोमीटर ट्रैक पर ही मेट्रो चल रही थी, आज 7 सौ किलोमीटर तक मेट्रो का विस्तार हो चुका है औऱ एक हजार किलोमीटर नए मेट्रो रूट पर काम चल रहा है। 2014 के पहले के 5 सालों में सिर्फ 60 पंचायतों को ही ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ा जा सका था। बीते 7 वर्षों में हमने डेढ़ लाख से अधिक ग्राम पंचायतों को ऑप्टिकल फाइबर से कनेक्ट कर दिया है। कनेक्टिविटी के पारंपरिक माध्यमों के विस्तार के साथ-साथ inland waterways और seaplanes नया इंफ्रास्ट्रक्चर भी देश को मिल रहा है। 2014 तक देश में सिर्फ 5 वॉटरवेज़ थे। आज देश में 13 वॉटरवेज़ काम कर रहे हैं। 2014 से पहले हमारे पोर्ट्स पर vessel turnaround time 41 घंटे से भी ज्यादा था। अब ये घटकर 27 घंटे रह गया है। इसे और कम करने का प्रयासभीकिया जा रहा है। + +कनेक्टिविटी के अलावा ज़रूरी दूसरे इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण को भी नई रफ्तार दी गई है। बिजली की प्रोडक्शन से लेकर ट्रांसमिशन के पूरे नेटवर्क को ट्रांसफॉर्म किया गया है, वन नेशन वन पावर ग्रिड का संकल्प सिद्ध हो चुका है। 2014 तक देश में जहां 3 लाख सर्किट किलोमीटर पावर ट्रांसमिशन लाइन्स थीं वहीं आज ये बढ़कर सवा चार लाख सर्किट किलोमीटर से भी ज्यादा हो चुकी है। न्यू एंड रिन्युएबल एनर्जी के मामले में जहां हम बहुत ही मार्जिनल प्लेयर थे, वहीं आज हम दुनिया के टॉप-5 देशों में पहुंच चुके हैं। 2014 की इंस्टॉल्ड कैपेसिटी से करीब-करीब तीन गुना कपैसिटी, यानि 100 गीगावॉट से ज्यादा भारत हासिल कर चुका है। + +देश के किसानों और मछुआरों की आय बढ़ाने के लिए प्रोसेसिंग से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर को भी तेजी से विस्तार दिया जा रहा है। 2014 में देश में सिर्फ 2 मेगा फूड पार्क्स थे। आज देश में 19 मेगा फूड पार्क्स काम कर रहे हैं। अब इनकी संख्या 40 से अधिक तक पहुंचाने का लक्ष्य है। बीते 7 सालों में फिशिंग क्लस्टर्स, फिशिंग हार्बर और लैंडिंग सेंटर्स की संख्या 40 से बढ़कर 100 से अधिक तक पहुंच चुकी है। इसमें दो गुना से ज्यादा की वृद्धि करने का लक्ष्य लेकर हम चल रहे हैं। + +डिफेंस सेक्टर में भी पहली बार व्यापक प्रयास हो रहा है। अभी तमिलनाडु और यूपी में 2 डिफेंस कॉरिडोर पर काम चल रहा है। इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मैन्युफेक्चरिंग में आज हम तेज़ी से अग्रणी देशों में शामिल हो रहे हैं। एक समय हमारे यहां 5 मैन्यूफैक्चरिंग क्ल्स्टर थे। आज 15 मैन्युफेक्चरिंग क्लस्टर हम तैयार कर चुके हैं। और इसे भी दोगुना तक वृद्धि का टारगेट है। बीते सालों में 4 इंडस्ट्रियल कॉरीडोर शुरू हो चुके हैं और अब ऐसे कॉरिडोर्स की संख्या को एक दर्जन तक बढ़ाया जा रहा है। + +आज सरकार जिस अप्रोच के साथ काम कर रही है, उसका एक उदाहरण प्लग एंड प्ले इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण भी है। अब देश की इंडस्ट्री को ऐसी सुविधाएं देने का प्रयास है जो प्लग एंड प्ले इंफ्रास्ट्रक्चर से युक्त हो। यानि देश और दुनिया के निवेशकों को सिर्फ अपना सिस्टम लगाना है और काम शुरु करना है। जैसे ग्रेटर नोएडा के दादरी में ऐसी ही इंटीग्रेटेड इंडस्ट्रियल टाउनशिप तैयार हो रही है। इसको पूर्वी और पश्चिमी भारत के पोर्ट्स से डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर से जोड़ा जा रहा है। इसके लिए यहां मल्टीमोडल लॉजिस्टिक्स हब बनाया जाएगा। इसी के बगल में मल्टीमोडल ट्रांसपोर्ट हब बनेगा। जिसमें स्टेट ऑफ द आर्ट रेलवे टर्मिनस होगा, जिसको इंटर और इंट्रा स्टेट बस टर्मिनस मिलेगा, मास रैपिड ट्रांज़िट सिस्टम और दूसरी सुविधाओं से सपोर्ट किया जाएगा। देश के अलग-अलग हिस्सों में ऐसी ही सुविधाओं के निर्माण से भारत, दुनिया की Business Capital बनने का सपना साकार कर सकता है। + diff --git a/pm-speech/88.txt b/pm-speech/88.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..05c88513bdfbb1e2a0169f7946d3a63ab965412f --- /dev/null +++ b/pm-speech/88.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +बीते वर्षों में देश ने अलग-अलग वर्गों में, अलग-अलग स्तर पर हो रहे Injustice को भी दूर करने का प्रयास किया है। दशकों से मुस्लिम महिलाएं तीन तलाक के खिलाफ कानून की मांग कर रही थीं। हमने ट्रिपल तलाक के खिलाफ कानून बनाकर, मुस्लिम महिलाओं को नया अधिकार दिया है। मुस्लिम महिलाओं को हज के दौरान महरम की बाध्यता से मुक्त करने का काम भी हमारी ही सरकार ने किया है। + +बेटियों की सुरक्षा से जुड़े भी अनेक कानूनी कदम बीते सालों में उठाए गए हैं। देश के 700 से अधिक जिलों में वन स्टॉप सेंटर्स चल रहे हैं, जहां एक ही जगह पर महिलाओं को मेडिकल सहायता, पुलिस सुरक्षा, साइको सोशल काउंसलिंग, कानूनी मदद और अस्थायी आश्रय दिया जाता है। महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों की जल्द से जल्द सुनवाई हो, इसके लिए देशभर में साढ़े छह सौ से ज्यादा Fast Track Courts बनाई गई हैं। रेप जैसे जघन्य अपराध के लिए मौत की सज़ा का प्रावधान भी किया गया है। Medical Termination of Pregnancy Act इसमे संशोधन करके महिलाओं को अबॉर्शन से जुड़ी स्वतंत्रता दी गई है। सुरक्षित और कानूनी अबॉर्शन का रास्ता मिलने से महिलाओं के जीवन पर संकट भी कम हुआ है और प्रताड़ना से भी मुक्ति मिली है। बच्चों से जुड़े अपराधों पर लगाम लगाने के लिए भी कानूनों को कड़ा किया गया है, नई Fast Track Courts बनाई गई हैं। + +ये भारत ही है जिसकी संस्कृति हमें प्रकृति और पर्यावरण की चिंता करना भी सिखाती है। पौधे में परमात्मा ये हमारे संस्कार हैं। इसलिए, हम केवल वर्तमान की चिंता नहीं कर रहे हैं, हम भविष्य को भी साथ लेकर चल रहे हैं। हम लगातार विश्व को आने वाली पीढ़ियों के मानवाधिकारों के प्रति भी आगाह कर रहे हैं। इंटरनेशनल सोलर अलायंस हो, Renewable energy के लिए भारत के लक्ष्य हों, हाइड्रोजन मिशन हो, आज भारत sustainable life और eco-friendly growth की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। मैं चाहूँगा कि, मानवाधिकारों की दिशा में काम कर रहे हमारे सभी प्रबुद्धगण, सिविल सोसाइटी के लोग, इस दिशा में अपने प्रयासों को बढ़ाएँ। आप सबके प्रयास लोगों को अधिकारों के साथ ही, कर्तव्य भाव की ओर प्रेरित करेंगे, इन्हीं शुभकामनाओं के साथ, मैं अपनी बात समाप्त करता हूँ। आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद ! + diff --git a/pm-speech/89.txt b/pm-speech/89.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..223eb021a6744db5959baf7a473b285185cc1907 --- /dev/null +++ b/pm-speech/89.txt @@ -0,0 +1,32 @@ +21वीं सदी का भारत आज जिस अप्रोच के साथ आगे बढ़ रहा है, जो Reforms कर रहा है, उसका आधार है भारत के सामर्थ्य पर अटूट विश्वास। भारत का सामर्थ्य दुनिया केसभीदेश सेजरा भीकम नहीं है। इस सामर्थ्य के आगे आने वाली हर रुकावट को दूर करना हमारी सरकार का दायित्व है और इसके लिए सरकार कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ रही। आज जितनी निर्णायक सरकार भारत में है, उतनी पहले कभी नहीं रही। Space Sector और Space Tech को लेकर आज भारत में जो बड़े Reforms हो रहे हैं, वो इसी की एक कड़ी है। मैं इंडियन स्पेस एसोसिएशन-इस्पाके गठन के लिए आप सभी को एक बार फिर बधाई देता हूं, अपनी शुभकामनाएं देता हूं। + +जब हम स्पेस रिफ़ॉर्म्स की बात करते हैं, तो हमारी अप्रोच 4 pillars पर आधारित है।पहला, प्राइवेट सेक्टर को innovation की आज़ादी।दूसरा,सरकार की enabler के रूप में भूमिका। तीसरा,भविष्य के लिए युवाओं को तैयार करना और चौथा, Space सेक्टर को सामान्य मानवी की प्रगति के संसाधन के रूप में देखना। इन चारों पिलर्स की बुनियाद अपने आप में असाधारण संभावनाओं के द्वार खोलती है। + +आप इस बात को भी मानेंगे कि पहले Space Sector का मतलब ही होता था सरकार! लेकिन हमने पहले इस mindset को बदला, और फिर स्पेस सेक्टर में इनोवेशन के लिए सरकार, स्टार्टअप,एक दूसरे से सहयोग और स्पेस का मंत्र दिया। ये नई सोच, नया मंत्र इसलिए जरूरी है क्योंकि भारत के लिए अब ये लीनियर innovation का समय नहीं है। ये समय exponential innovation का है। और ये मुमकिन तब होगा जब सरकार handler की नहीं, enabler की भूमिका निभाएगी। इसीलिए, आज डिफेंस से लेकर Space सेक्टर तक, सरकार अपनी expertise को साझा कर रही है, प्राइवेट सेक्टर के लिए लॉन्च पैड उपलब्ध करवा रही है। आज ISRO की facilities को प्राइवेट सेक्टर के लिए Open किया जा रहा है। अब ये सुनिश्चित किया जाएगा कि इस क्षेत्र में जो technology mature हो चुकी है उसे प्राइवेट सेक्टर को भी ट्रान्सफर किया जाए। हमारे जो young innovators हैं, उन्हें equipment खरीदने के लिए समय और ऊर्जा न खर्च करने पड़े, इसलिए सरकार स्पेस एसेट और सर्विसेस के लिए aggregator की भूमिका भी निभाएगी। + +आज देश एक साथ इतने व्यापक reforms देख रहा है क्योंकि आज देश का vision स्पष्ट है। ये vision है आत्मनिर्भर भारत का vision. आत्मनिर्भर भारत अभियान सिर्फ एक विजन नहीं है बल्कि एक well-thought, well-planned, Integrated Economic Strategy भी है। एक ऐसी strategy जो भारत के उद्यमियों, भारत के युवाओं के Skill की क्षमताओं को बढ़ाकर, भारत को Global manufacturing powerhouse बनाए। एक ऐसी strategy जो भारत के टेक्नोलॉजीकल एक्सपर्टीज को आधार बनाकर, भारत को innovations का Global center बनाए। एक ऐसी strategy, जो global development में बड़ी भूमिका निभाए, भारत के human resources और talent की प्रतिष्ठा, विश्व स्तर पर बढ़ाए। और इसलिए भारत आज अपने यहां जो regulatory environment बना रहा है, उसमें इस बात का बहुत ध्यान रख रहा है कि देशहित और स्टेकहोल्डर के हित, दोनों को प्राथमिकता दी जाए। आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत भारत ने डिफेंस, कोल और माइनिंग जैसे सेक्टर पहले ही खोल दिए हैं। Public Sector Enterprises को लेकर सरकार एक स्पष्ट नीति के साथ आगे बढ़ रही है और जहां सरकार की आवश्यकता नहीं है, ऐसे ज्यादातर सेक्टर्स को private enterprises के लिए Open कर रही है। अभी एयर इंडिया से जुड़ा जो फैसला लिया गया है वो हमारी प्रतिबद्धता और गंभीरता को दिखाता है। + +बीते वर्षों में हमारा फोकस नई टेक्नॉलॉजी से जुड़ी रिसर्च एंड डेवलपमेंट के साथ ही उसको सामान्य जन तक पहुंचाने पर भी रहा है। पिछले 7 साल में तो स्पेस टेक्नॉलॉजी को हमने लास्ट माइल डिलिवरी, लीकेज फ्री और ट्रांसपेरेंट गवर्नेंस का अहम Tool बनाया है। गरीबों के घरों, सड़कों और दूसरे इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में Geo tagging का उपयोग हो, सैटेलाइट इमेजरी से विकास कार्यों की मॉनीटरिंग हो, फसल बीमा योजना के तहत तेज़ी से क्लेम सैटल करना हो, NAVIC system से करोड़ों मछुआरों की मदद हो, डिजास्टर मैनेजमेंट से जुड़ी प्लानिंग हो, हर स्तर पर स्पेस टेक्नॉलॉजी, गवर्नेंस को प्रोएक्टिव और ट्रांसपेरेंट बनाने में मदद कर रही है। + +भारत दुनिया के उन गिने-चुने देशों में से एक है जिसके पास अंतरिक्ष में end to end capability है। हमने स्पेस टेक्नोलॉजी के सभी पहलुओं जैसे सैटेलाइट्स, लॉन्च वेहिकल्स, एप्लीकेशन्स से लेकर इंटर-प्लेनेटरी मिशन में महारत हासिल की है। हमने efficiency को अपने ब्रांड का अहम हिस्सा बनाया है। आज जब information age से हम space age की तरफ बढ़ रहे हैं, तब इस efficiency की brand value को हमें और सशक्त करना है। Space exploration की process हो या फिर space technology की एप्लीकेशन, efficiency और affordability को हमें निरंतर प्रमोट करना है। अपनी ताकत से जब हम आगे बढ़ेंगे तो ग्लोबल स्पेस सेक्टर में हमारी हिस्सेदारी का बढ़ना तय है। अब हमें space components के सप्लायर से आगे बढ़ कर end to end space-systems की सप्लाई चेन का हिस्सा बनना है। ये आप सभी की, सभी स्टेकहोल्डर्स की पार्टनरर्शिप से ही संभव है। एक पार्टनर के तौर पर सरकार हर स्तर पर, इंडस्ट्री को, युवा इनोवेटर्स को, स्टार्ट अप्स को सपोर्ट कर रही है और आगे भी करती रहेगी। + +स्टार्ट अप्स का एक मज़बूत इकोसिस्टम विकसित करने के लिए प्लेटफॉर्म अप्रोच बहुत जरूरी है। ऐसी अप्रोच जहां एक open access public controlled platform सरकार बनाती है और फिर उसको industry और enterprise के लिए उपलब्ध कराया जाता है। उस बेसिक प्लेटफॉर्म पर आंटरप्रेन्योर नए solutions तैयार करते हैं। डिजिटल पेमेंट्स के लिए सरकार ने सबसे पहले UPI प्लेटफॉर्म बनाया। आज इसी प्लेटफॉर्म पर फिनटेक स्टार्टअप्स का नेटवर्क सशक्त हो रहा है। स्पेस सेक्टर में भी ऐसी ही प्लेटफॉर्म अप्रोच को प्रोत्साहित किया जा रहा है। ISRO की facilities तक एक्सेस हो, इन्स्पेस हो, New space India limited हो, ऐसे हर प्लेटफॉर्म से स्टार्टअप्स और प्राइवेट सेक्टर को बड़ा सपोर्ट मिल रहा है। Geo-spatial mapping sector से जुड़े नियम-कायदों को भी सरल किया गया है, ताकि start-ups और private enterprise नई संभावनाएं तलाश कर सकें। ड्रोन्स को लेकर भी ऐसे ही प्लेटफॉर्म्स विकसित किए जा रहे हैं, ताकि अलग-अलग सेक्टर में ड्रोन टेक्नॉलॉजी का उपयोग हो सके। + +आज हम जो निर्णय लेंगे, जो नीतिगत सुधार करेंगे, उनका प्रभाव आने वाली पीढ़ियों पर पड़ेगा, आने वाले 25 वर्षों पर पड़ेगा। हमने देखा है कि 20वीं सदी में Space और Space पर राज करने की प्रवृत्ति ने दुनिया के देशों को किस तरह विभाजित किया। अब 21वीं सदी में Space, दुनिया को जोड़ने में, Unite करने में अहम भूमिका निभाए, ये भारत को सुनिश्चित करना होगा। जब भारत अपनी आजादी के 100 वर्ष मनाएगा, तो भारत जिस ऊंचाई पर होगा, उसमें आप सभी का, हम सभी का योगदानमहत्वपूर्णहोगा। इस ऐहसास, इस दायित्व-बोध- Sense of Responsibility के साथ ही हमें आगे बढ़ना है। सबके प्रयास से ही जनहित और राष्ट्रहित में Cutting edge technology के लिए अंतरिक्ष की असीम संभावनाओं को हम नए आकाश तक लेकर जाएंगे, इसी विश्वास के साथ आपको बहुत शुभकामनाएं ! + +21वीं सदी का भारत आज जिस अप्रोच के साथ आगे बढ़ रहा है, जो Reforms कर रहा है, उसका आधार है भारत के सामर्थ्य पर अटूट विश्वास। भारत का सामर्थ्य दुनिया केसभीदेश सेजरा भीकम नहीं है। इस सामर्थ्य के आगे आने वाली हर रुकावट को दूर करना हमारी सरकार का दायित्व है और इसके लिए सरकार कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ रही। आज जितनी निर्णायक सरकार भारत में है, उतनी पहले कभी नहीं रही। Space Sector और Space Tech को लेकर आज भारत में जो बड़े Reforms हो रहे हैं, वो इसी की एक कड़ी है। मैं इंडियन स्पेस एसोसिएशन-इस्पाके गठन के लिए आप सभी को एक बार फिर बधाई देता हूं, अपनी शुभकामनाएं देता हूं। + +जब हम स्पेस रिफ़ॉर्म्स की बात करते हैं, तो हमारी अप्रोच 4 pillars पर आधारित है।पहला, प्राइवेट सेक्टर को innovation की आज़ादी।दूसरा,सरकार की enabler के रूप में भूमिका। तीसरा,भविष्य के लिए युवाओं को तैयार करना और चौथा, Space सेक्टर को सामान्य मानवी की प्रगति के संसाधन के रूप में देखना। इन चारों पिलर्स की बुनियाद अपने आप में असाधारण संभावनाओं के द्वार खोलती है। + +आप इस बात को भी मानेंगे कि पहले Space Sector का मतलब ही होता था सरकार! लेकिन हमने पहले इस mindset को बदला, और फिर स्पेस सेक्टर में इनोवेशन के लिए सरकार, स्टार्टअप,एक दूसरे से सहयोग और स्पेस का मंत्र दिया। ये नई सोच, नया मंत्र इसलिए जरूरी है क्योंकि भारत के लिए अब ये लीनियर innovation का समय नहीं है। ये समय exponential innovation का है। और ये मुमकिन तब होगा जब सरकार handler की नहीं, enabler की भूमिका निभाएगी। इसीलिए, आज डिफेंस से लेकर Space सेक्टर तक, सरकार अपनी expertise को साझा कर रही है, प्राइवेट सेक्टर के लिए लॉन्च पैड उपलब्ध करवा रही है। आज ISRO की facilities को प्राइवेट सेक्टर के लिए Open किया जा रहा है। अब ये सुनिश्चित किया जाएगा कि इस क्षेत्र में जो technology mature हो चुकी है उसे प्राइवेट सेक्टर को भी ट्रान्सफर किया जाए। हमारे जो young innovators हैं, उन्हें equipment खरीदने के लिए समय और ऊर्जा न खर्च करने पड़े, इसलिए सरकार स्पेस एसेट और सर्विसेस के लिए aggregator की भूमिका भी निभाएगी। + +आज देश एक साथ इतने व्यापक reforms देख रहा है क्योंकि आज देश का vision स्पष्ट है। ये vision है आत्मनिर्भर भारत का vision. आत्मनिर्भर भारत अभियान सिर्फ एक विजन नहीं है बल्कि एक well-thought, well-planned, Integrated Economic Strategy भी है। एक ऐसी strategy जो भारत के उद्यमियों, भारत के युवाओं के Skill की क्षमताओं को बढ़ाकर, भारत को Global manufacturing powerhouse बनाए। एक ऐसी strategy जो भारत के टेक्नोलॉजीकल एक्सपर्टीज को आधार बनाकर, भारत को innovations का Global center बनाए। एक ऐसी strategy, जो global development में बड़ी भूमिका निभाए, भारत के human resources और talent की प्रतिष्ठा, विश्व स्तर पर बढ़ाए। और इसलिए भारत आज अपने यहां जो regulatory environment बना रहा है, उसमें इस बात का बहुत ध्यान रख रहा है कि देशहित और स्टेकहोल्डर के हित, दोनों को प्राथमिकता दी जाए। आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत भारत ने डिफेंस, कोल और माइनिंग जैसे सेक्टर पहले ही खोल दिए हैं। Public Sector Enterprises को लेकर सरकार एक स्पष्ट नीति के साथ आगे बढ़ रही है और जहां सरकार की आवश्यकता नहीं है, ऐसे ज्यादातर सेक्टर्स को private enterprises के लिए Open कर रही है। अभी एयर इंडिया से जुड़ा जो फैसला लिया गया है वो हमारी प्रतिबद्धता और गंभीरता को दिखाता है। + +बीते वर्षों में हमारा फोकस नई टेक्नॉलॉजी से जुड़ी रिसर्च एंड डेवलपमेंट के साथ ही उसको सामान्य जन तक पहुंचाने पर भी रहा है। पिछले 7 साल में तो स्पेस टेक्नॉलॉजी को हमने लास्ट माइल डिलिवरी, लीकेज फ्री और ट्रांसपेरेंट गवर्नेंस का अहम Tool बनाया है। गरीबों के घरों, सड़कों और दूसरे इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में Geo tagging का उपयोग हो, सैटेलाइट इमेजरी से विकास कार्यों की मॉनीटरिंग हो, फसल बीमा योजना के तहत तेज़ी से क्लेम सैटल करना हो, NAVIC system से करोड़ों मछुआरों की मदद हो, डिजास्टर मैनेजमेंट से जुड़ी प्लानिंग हो, हर स्तर पर स्पेस टेक्नॉलॉजी, गवर्नेंस को प्रोएक्टिव और ट्रांसपेरेंट बनाने में मदद कर रही है। + +भारत दुनिया के उन गिने-चुने देशों में से एक है जिसके पास अंतरिक्ष में end to end capability है। हमने स्पेस टेक्नोलॉजी के सभी पहलुओं जैसे सैटेलाइट्स, लॉन्च वेहिकल्स, एप्लीकेशन्स से लेकर इंटर-प्लेनेटरी मिशन में महारत हासिल की है। हमने efficiency को अपने ब्रांड का अहम हिस्सा बनाया है। आज जब information age से हम space age की तरफ बढ़ रहे हैं, तब इस efficiency की brand value को हमें और सशक्त करना है। Space exploration की process हो या फिर space technology की एप्लीकेशन, efficiency और affordability को हमें निरंतर प्रमोट करना है। अपनी ताकत से जब हम आगे बढ़ेंगे तो ग्लोबल स्पेस सेक्टर में हमारी हिस्सेदारी का बढ़ना तय है। अब हमें space components के सप्लायर से आगे बढ़ कर end to end space-systems की सप्लाई चेन का हिस्सा बनना है। ये आप सभी की, सभी स्टेकहोल्डर्स की पार्टनरर्शिप से ही संभव है। एक पार्टनर के तौर पर सरकार हर स्तर पर, इंडस्ट्री को, युवा इनोवेटर्स को, स्टार्ट अप्स को सपोर्ट कर रही है और आगे भी करती रहेगी। + +स्टार्ट अप्स का एक मज़बूत इकोसिस्टम विकसित करने के लिए प्लेटफॉर्म अप्रोच बहुत जरूरी है। ऐसी अप्रोच जहां एक open access public controlled platform सरकार बनाती है और फिर उसको industry और enterprise के लिए उपलब्ध कराया जाता है। उस बेसिक प्लेटफॉर्म पर आंटरप्रेन्योर नए solutions तैयार करते हैं। डिजिटल पेमेंट्स के लिए सरकार ने सबसे पहले UPI प्लेटफॉर्म बनाया। आज इसी प्लेटफॉर्म पर फिनटेक स्टार्टअप्स का नेटवर्क सशक्त हो रहा है। स्पेस सेक्टर में भी ऐसी ही प्लेटफॉर्म अप्रोच को प्रोत्साहित किया जा रहा है। ISRO की facilities तक एक्सेस हो, इन्स्पेस हो, New space India limited हो, ऐसे हर प्लेटफॉर्म से स्टार्टअप्स और प्राइवेट सेक्टर को बड़ा सपोर्ट मिल रहा है। Geo-spatial mapping sector से जुड़े नियम-कायदों को भी सरल किया गया है, ताकि start-ups और private enterprise नई संभावनाएं तलाश कर सकें। ड्रोन्स को लेकर भी ऐसे ही प्लेटफॉर्म्स विकसित किए जा रहे हैं, ताकि अलग-अलग सेक्टर में ड्रोन टेक्नॉलॉजी का उपयोग हो सके। + +आज हम जो निर्णय लेंगे, जो नीतिगत सुधार करेंगे, उनका प्रभाव आने वाली पीढ़ियों पर पड़ेगा, आने वाले 25 वर्षों पर पड़ेगा। हमने देखा है कि 20वीं सदी में Space और Space पर राज करने की प्रवृत्ति ने दुनिया के देशों को किस तरह विभाजित किया। अब 21वीं सदी में Space, दुनिया को जोड़ने में, Unite करने में अहम भूमिका निभाए, ये भारत को सुनिश्चित करना होगा। जब भारत अपनी आजादी के 100 वर्ष मनाएगा, तो भारत जिस ऊंचाई पर होगा, उसमें आप सभी का, हम सभी का योगदानमहत्वपूर्णहोगा। इस ऐहसास, इस दायित्व-बोध- Sense of Responsibility के साथ ही हमें आगे बढ़ना है। सबके प्रयास से ही जनहित और राष्ट्रहित में Cutting edge technology के लिए अंतरिक्ष की असीम संभावनाओं को हम नए आकाश तक लेकर जाएंगे, इसी विश्वास के साथ आपको बहुत शुभकामनाएं ! + diff --git a/pm-speech/90.txt b/pm-speech/90.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..824f9a1aa62fe4efd3bd8f16548b62f18f23b44e --- /dev/null +++ b/pm-speech/90.txt @@ -0,0 +1,6 @@ +खेती-किसानी को जब संरक्षण मिलता है, सुरक्षा कवच मिलता है, तो उसका और तेजी से विकास होता है। किसानों की जमीन को सुरक्षा देने के लिए, उन्हें अलग-अलग चरणों में 11 करोड़ Soil Health Card दिए गए हैं। इसकी वजह से किसानों को अपनी जो जमीन है उसकी क्या मर्यादाएं हैं, उस जमीन की क्या शक्ति है, इस प्रकार के बीज बोने से किस प्रकार की फसल बोने से अधि‍क लाभ होता है। दवाईयां कौन सी जरूरी पड़ेगी, fertilizer कौन सा जरूरी पड़ेगा, ये सारी चीजें उस Soil Health Card के कारण जमीन की सेहत का पता चलने के कारण, इसकी वजह से किसानों को बहुत लाभ हुआ है, उनका खर्चा भी कम हुआ है और उपज भी बढ़ी है। उसी प्रकार से, यूरिया की 100 परसेंट नीम कोटिंग करके, हमने खाद को लेकर होने वाली चिंता को भी दूर किया। किसानों को पानी की सुरक्षा देने के लिए, हमने सिंचाई परियोजनाएं शुरू कीं, दशकों से लटकी करीब-करीब 100 सिंचाई परियोजनाओं को पूरा करने का अभियान चलाया, बहुत बड़ी मात्रा में बजट लगा दिया इसके लिए, उसके कारण किसानों को पानी मिल जाए तो वो पानी से पराक्रम करके दिखाता है। उसी प्रकार से पानी बचाने के लिए हमने micro irrigation, sprinkler इन चीजों के लिए भी बड़ी आर्थि‍क मदद करके किसानों तक ये व्यवस्थाएं पहुंचाने का प्रयास किया। फसलों को रोगों से बचाने के लिए, ज्यादा उपज के लिए किसानों को नई-नई वैरायटी के बीज दिए गए। किसान, खेती के साथ-साथ बिजली पैदा करे, अन्नदाता उर्जादाता भी बने, अपनी खुद की जरूरतें भी पूरी कर सके, इसके लिए पीएम कुसुम अभियान भी चलाया जा रहा है। लाखों किसानों को सोलर पंप भी दिए गए हैं। उसी प्रकार से, आज तो मौसम के विषय में तो हमेशा दुनिया भर में चिंता का विषय बना हुआ है। अभी हमारे छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री जी कितने प्रकार के प्राकृतिक आपदाएं आती रहती हैं, climate change के कारण क्या-क्या मुसीबतें आती हैं। बड़े अच्छे ढंग से उन्होंने वर्णन किया। अब आप जानते हैं, ओलावृष्टि और मौसम की मार से किसानों को सुरक्षा देने के लिए हमने कई चीजों में परिवर्तन किये, पहले के सारे नियमों में बदलाव लाये ताकि किसान को सर्वाधि‍क लाभ हो, इस नुकसान के समय उसको दिक्कत ना आए, ये सारे परिवर्तन किये। पीएम फसल बीमा योजना, इससे भी किसानों को बहुत लाभ हो और सुरक्षा मिले, इसकी चिंता की। इस परिवर्तन के बाद किसानों को करीब-करीब ये जो प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में जो परिवर्तन लाए उसके कारण किसानों को करीब-करीब एक लाख करोड़ रुपए की क्लेम राशि का भुगतान किया गया है। एक लाख करोड़ रुपया इस संकट की घड़ी में किसान के जेब में गया है। + +MSP में बढ़ोत्तरी के साथ-साथ हमने खरीद प्रक्रिया में भी सुधार किया ताकि अधिक-से-अधिक किसानों को इसका लाभ मिल सके। रबी सीजन में 430 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा गेंहूं खरीदा गया है। इसके लिए किसानों को 85 हजार करोड़ से अधिक का भुगतान किया गया है। कोविड के दौरान गेहूं खरीद केंद्रों की संख्या 3 गुना तक बढ़ाई है। साथ ही दलहल-तिलहन इन खरीद केन्द्रों की संख्या भी तीन गुना बढ़ाई गई है। किसानों की छोटी-छोटी जरूरतों को पूरा करने के लिए किसान सम्मान निधि के तहत 11 करोड़ से अधिक हमारे हर किसान को और उसमें ज्यादातर छोटे किसान हैं। 10 में से 8 किसान हमारे देश में छोटे किसान हैं, बहुत छोटे-छोटे जमीन के टुकड़े पर पल रहे हैं। ऐसे किसानों को करीब-करीब 1 लाख 60 हजार करोड़ से भी ज्यादा रुपए सीधे उनके बैंक अकाउंट के पास भेजे गए हैं। इसमें से एक लाख करोड़ रुपए से अधिक राशि तो इसी कोरोना काल में भेजी गई है। किसानों को टेक्नोलॉजी से जोड़ने के लिए हमने उन्हें बैंकों से मदद की और उस मदद की पूरी प्रक्रिया को बहुत आसान बनाया गया है। आज किसानों को और बेहतर तरीके से मौसम की जानकारी मिल रही है। हाल ही में अभियान चलाकर 2 करोड़ से ज्यादा किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड दिए गए हैं। मछली पालन करने वाले और डेयरी सेक्टर से जुड़े किसानों को भी KCC से जोड़ा गया है। 10 हजार से ज्यादा किसान उत्पादक संगठन हों, e-Nam योजना के तहत ज्यादा से ज्यादा कृषि मंडियों को जोड़ना हो, मौजूदा कृषि मंडियों का आधुनिकिकीकरण हो, ये सारे कार्य तेज गति से किए जा रहे हैं। देश के किसानों और देश की कृषि से जुड़े जो काम बीते 6-7 वर्षों में हुए हैं, उन्होंने आने वाले 25 वर्षों के बड़े राष्ट्रीय संकल्पों की सिद्धि के लिए क्योंकि 25 साल के बाद हमारा देश आजादी की शताब्दी मनाएगा, आज हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं, 25 साल के बाद आजादी की शताब्दी मनाएंगे और इसके लिए इन 25 वर्षों के बड़े राष्ट्र संकल्पों की सिद्ध‍ि के लिए एक बड़ा मजबूत आधार बना दिया है। बीज से लेकर बाजार तक हुए ये कार्य एक बड़ी आर्थिक ताकत के रूप में भारत की प्रगति की गति को सुनिश्चित करने वाले हैं। + +सिर्फ पैदावार पर ही फोकस नहीं किया गया, बल्कि पूरे गुजरात में कोल्ड चेन का एक बहुत बड़ा नेटवर्क तैयार किया गया। ऐसे अनेक प्रयासों से खेती का दायरा तो बढ़ा ही, साथ ही खेती से जुड़े उद्योग और रोज़गार भी बड़ी मात्रा में तैयार हुए और क्योंकि एक मुख्यमंत्री होने के नाते राज्य सरकार की सारी जिम्मेवादी होती है तो मुझे उस समय इन सारे कामों को करने का एक अच्छा सा अवसर भी मिला और मैंने पूरी मेहनत भी की। + diff --git a/pm-speech/91.txt b/pm-speech/91.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..8a37013c51c507c5fe95fd11ab34f8200c3af207 --- /dev/null +++ b/pm-speech/91.txt @@ -0,0 +1,10 @@ +अभी तो कोराना काल है, लेकिन उससे पहले, मैं देश में जब भी प्रवास करता था, राज्यों में जाता था। तो मेरा प्रयास रहता था कि आयुष्मान भारत के लाभार्थियों से मैं जरूर मिलूं। मैं उनसे मिलता था, उनसे बाते करता था। उनके दर्द, उनके अनुभव, उनके सुझाव, मैं उनसे सीधा लेता था। ये बात वैसे मीडिया में और सार्वजनिक रूप से ज्यादा चर्चा में नहीं आई लेकिन मैंने इसको अपना नित्य कर्म बना लिया था। आयुष्मान भारत के सैकड़ों लाभार्थियों से मैं खुद रू-ब-रू मिल चुका हूं और मैं कैसे भूल सकता हूं उस बूढ़ी मां को, जो बरसों तक दर्द सहने के बाद पथरी का ऑपरेशन करा पाई, वो नौजवान जो किडनी की बीमारी से परेशान था, किसी को पैर में तकलीफ, किसी को रीढ़ की हड्डी में तकलीफ, उनके चेहरे में कभी भूल नहीं पाता हूं। आज आयुष्मान भारत, ऐसे सभी लोगों के लिए बहुत बड़ा संबल बनी है। थोड़ी देर पहले जो फिल्म यहां दिखाई गई, जो कॉफी टेबल बुक लॉन्च की गई, उसमें खासकर के उन माताओं-बहनों की चर्चा विस्तार से की गई है। बीते 3 सालों में जो हज़ारों करोड़ रुपए सरकार ने वहन किए हैं, उससे लाखों परिवार गरीबी के कुचक्र में फंसने से बचे हैं। कोई गरीब रहना नहीं चाहता है, कड़ी मेहनत करके गरीबी से बाहर निकलने के लिए हर कोई कोशि‍श करता है, अवसर तलाश्ता है। कभी तो लगता है कि हां बस अब कुछ ही समय में अब गरीबी से बाहर आ जाएगा और अचानक परिवार में एक बिमारी आ जाए तो सारी मेहनत मिट्टी में मिल जाती है। फिर वो पांच-दस साल पीछे उस गरीबी के चक्र में फंस जाता है। बीमारी पूरे परिवार को गरीबी के कुचक्र से बाहर नहीं आने देती है और इसलिए आयुष्मान भारत सहित, हेल्थकेयर से जुड़े जो भी समाधान सरकार सामने ला रही है, वो देश के वर्तमान और भविष्य में एक बहुत बड़ा निवेश है। + +आयुष्मान भारत- डिजिटल मिशन, अब पूरे देश के अस्पतालों के डिजिटल हेल्थ सोल्यूशंस को एक दूसरे से कनेक्ट करेगा। इसके तहत देशवासियों को अब एक डिजिटल हेल्थ आईडी मिलेगी। हर नागरिक का हेल्थ रिकॉर्ड डिजिटली सुरक्षित रहेगा। डिजिटल हेल्थ आईडी के माध्यम से मरीज़ खुद भी और डॉक्टर भी पुराने रिकॉर्ड को ज़रूरत पड़ने पर चेक कर सकता है। यही नहीं, इसमें डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिक्स जैसे साथियों का भी रजिस्ट्रेशन होगा। देश के जो अस्पताल हैं, क्लीनिक हैं, लैब्स हैं, दवा की दुकानें हैं, ये सभी भी रजिस्टर होंगी। यानि ये डिजिटल मिशन, हेल्थ से जुड़े हर स्टेक-होल्डर को एक साथ, एक ही प्लेटफॉर्म पर ले आएगा। + +भारत में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए बहुत जरूरी है कि गांवों में जो चिकित्सा सुविधाएं मिलती हैं, उनमें सुधार हो। आज देश में गांव और घर के निकट ही, प्राइमरी हेल्थकेयर से जुड़े नेटवर्क को हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स से सशक्त किया जा रहा है। अभी तक ऐसे लगभग 80 हज़ार सेंटर्स चालू हो चुके हैं। ये सेंटर्स, रुटीन चेकअप और टीकाकरण से लेकर गंभीर बीमारियों की शुरुआती जांच और अनेक प्रकार के टेस्ट्स की सुविधाओं से लैस हैं। कोशिश ये है कि इन सेंटर्स के माध्यम से जागरूकता बढ़े और समय रहते गंभीर बीमारियों का पता चल सके। + +हमारे वैक्सीनेशन प्रोग्राम, Co-Win टेक्नोलॉजी प्लेटफॉर्म और फार्मा सेक्टर ने हेल्थ सेक्टर में भारत की प्रतिष्ठा को और बढ़ाया है। जब आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन द्वारा टेक्नोलॉजी की नई व्यवस्थाएं विकसित होंगी, तो दुनिया के किसी भी देश के मरीज को भारत के डॉक्टरों से कन्सल्ट करने, इलाज कराने, अपनी रिपोर्ट उन्हें भेजकर परामर्श लेने में बहुत आसानी हो जाएगी। निश्चित तौर पर इसका प्रभाव हेल्थ टूरिज्म पर भी पड़ेगा। + +स्वस्थ भारत का मार्ग, आज़ादी के अमृतकाल में, भारत के बड़े संकल्पों को सिद्ध करने में, बड़े सपनों को साकार करने के लिए बहुत जरूरी है। इसके लिए हमें मिलकर अपने प्रयास जारी रखने होंगे। मुझे विश्वास है, चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े सभी व्यक्ति, हमारे डॉक्टर्स, पैरामेडिक्स, चिकित्सा संस्थान, इस नई व्यवस्था को तेजी से आत्मसात करेंगे। एक बार फिर, आयुष्मान भारत- डिजिटल मिशन के लिए मैं देश को बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूँ !! + diff --git a/pm-speech/92.txt b/pm-speech/92.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..bc718b13efab46743443a2ad02321f9e782df71d --- /dev/null +++ b/pm-speech/92.txt @@ -0,0 +1,14 @@ +पहले हमारे घरों में परिवार के बड़े ये श्लोक बच्चों को याद करवाते थे और इससे हमारे देश में नदियों को लेकर आस्था भी पैदा होती थी। विशाल भारत का एक मानचित्र मन में अंकित हो जाता था। नदियों के प्रति जुड़ाव बनता था। जिस नदी को माँ के रूप में हम जानते हैं, देखते हैं, जीते हैं उस नदी के प्रति एक आस्था का भाव पैदा होता था। एक संस्कार प्रक्रिया थी। + +मेरे प्यारे देशवासियो, सियाचिन ग्लेशियर के बारे में हम सभी जानते हैं। वहाँ की ठण्ड ऐसी भयानक है, जिसमें रहना आम इंसान के बस की बात ही नहीं है। दूर-दूर तक बर्फ ही बर्फ और पेड़-पौधों का तो नामोनिशान नहीं है। यहाँ का तापमान minus 60 degree तक भी जाता है। कुछ ही दिन पहले सियाचिन के इस दुर्गम इलाके में 8 दिव्यांग जनों की टीम ने जो कमाल कर दिखाया है वो हर देशवासी के लिए गर्व की बात है। इस टीम ने सियाचिन ग्लेशियर की 15 हज़ार फीट से भी ज्यादा की ऊंचाई पर स्थित ‘कुमार पोस्ट’ पर अपना परचम लहराकर World Record बना दिया है। शरीर की चुनौतियों के बावजूद भी हमारे इन दिव्यांगों ने जो कारनामा कर दिखाया है वो पूरे देश के लिए प्रेरणा है और जब इस टीम के सदस्यों के बारे में जानेंगे तो आप भी मेरी तरह हिम्मत और हौसले से भर जायेंगे। इन जांबाज दिव्यांगों के नाम है – महेश नेहरा, उत्तराखंड के अक्षत रावत, महाराष्ट्र के पुष्पक गवांडे, हरियाणा के अजय कुमार, लद्दाख के लोब्सांग चोस्पेल, तमिलनाडु के मेजर द्वारकेश, जम्मू-कश्मीर के इरफ़ान अहमद मीर और हिमाचल प्रदेश की चोन्जिन एन्गमो। सियाचिन ग्लेशियर को फतह करने का ये ऑपरेशन भारतीय सेना के विशेष बलों के veterans की वजह से सफल हुआ है। मैं इस ऐतिहासिक और अभूतपूर्व उपलब्धि के लिए इस टीम की सराहना करता हूँ। यह हमारे देशवासियों के “Can Do Culture”, “Can Do Determination” “Can Do Attitude” के साथ हर चुनौती से निपटने की भावना को भी प्रकट करता है। + +साथियो, आज देश में दिव्यांगजनों के कल्याण के लिए कई प्रयास हो रहे हैं। मुझे उत्तरप्रदेश में हो रहे ऐसे ही एक प्रयास One Teacher, One Call के बारे में जानने का मौका मिला। बरेली में यह अनूठा प्रयास दिव्यांग बच्चों को नई राह दिखा रहा है। इस अभियान का नेतृत्व कर रही हैं डभौरा गंगापुर में एक स्कूल की principal दीपमाला पांडेय जी। कोरोना काल में इस अभियान के कारण न केवल बड़ी संख्या में बच्चों का एडमिशन संभव हो पाया बल्कि इससे करीब 350 से अधिक शिक्षक भी सेवा-भाव से जुड़ चुके हैं। ये शिक्षक गाँव-गाँव जाकर दिव्यांग बच्चों को पुकारते हैं, तलाशते हैं और फिर उनका किसी-न-किसी स्कूल में दाखिला सुनिश्चित कराते हैं। दिव्यांग जनों के लिए दीपमाला जी और साथी शिक्षकों की इस नेक प्रयास की मैं भूरी-भूरी प्रशंसा करता हूँ। शिक्षा के क्षेत्र में ऐसा हर प्रयास हमारे देश के भविष्य को संवारने वाला है। + +मेरे प्यारे देशवासियो, आज हम लोगों की ज़िन्दगी का हाल ये है कि एक दिन में सैकड़ों बार कोरोना शब्द हमारे कान पर गूंजता है, सौ साल में आई सबसे बड़ी वैश्विक महामारी, COVID-19 ने हर देशवासी को बहुत कुछ सिखाया है। Healthcare और Wellness को लेकर आज जिज्ञासा भी बढ़ी है और जागरूकता भी। हमारे देश में पारंपरिक रूप से ऐसे Natural Products प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं जो Wellness यानि सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है। ओडिशा के कालाहांडी के नांदोल में रहने वाले पतायत साहू जी इस क्षेत्र में बरसों से एक अनोखा कार्य कर रहे हैं। उन्होंने डेढ़ एकड़ जमीन पर Medicinal Plant लगाए हैं। यही नहीं, साहू जी ने इन Medicinal Plants को Documentation भी किया है। मुझे रांची के सतीश जी ने पत्र के माध्यम से ऐसी ही एक और जानकारी साझा की है। सतीश जी ने झारखंड के एक Aloe Vera Village की ओर मेरा ध्यान दिलाया है। रांची के पास ही देवरी गाँव की महिलाओं ने मंजू कच्छप जी के नेतृत्व में बिरसा कृषि विद्यालय से एलोवेरा की खेती का प्रशिक्षण लिया था। इसके बाद उन्होंने एलोवेरा की खेती शुरू की। इस खेती से न केवल स्वास्थ्य के क्षेत्र में लाभ मिला, बल्कि इन महिलाओं की आमदनी भी बढ़ गई। Covid महामारी के दौरान भी इन्हें अच्छी आमदनी हुई। इसकी एक बड़ी वजह यह थी कि sanitizer बनाने वाली कंपनियां सीधे इन्हीं से एलो वेरा खरीद रही थीं। आज इस कार्य में करीब चालीस महिलाओं की team जुटी है। और कई एकड़ में एलो वेरा की खेती होती है। ओड़िसा के पतायत साहू जी हों या फिर देवरी में महिलाओं की ये team, इन्होंने खेती को जिस प्रकार स्वास्थ्य के क्षेत्र से जोड़ा है, वो एक अपने आप में एक मिसाल है। + +साथियो, आने वाली 2 अक्टूबर को लाल बहादुर शास्त्री जी की भी जन्मजयंती होती है। उनकी स्मृति में ये दिन हमें खेती में नए नए प्रयोग करने वालो की भी शिक्षा देता है। Medicinal Plant के क्षेत्र में Start-up को बढ़ावा देने के लिए Medi-Hub TBI के नाम से एक Incubator, गुजरात के आनन्द में काम कर रहा है। Medicinal और Aromatic Plants से जुड़ा ये Incubator बहुत कम समय में ही 15 entrepreneurs के business idea को support कर चुका है। इस Incubator की मदद पाकर ही सुधा चेब्रोलू जी ने अपना start-up शुरू किया है। उनकी company में महिलाओं को प्राथमिकता दी जाती है और उन्हीं पर innovative herbal formulations की भी जिम्मेदारी है। एक और entrepreneur सुभाश्री जी ने जिन्हें भी इसी Medicinal और Aromatic Plants Incubator से मदद मिली है। सुभाश्री जी की company herbal room और car freshener के क्षेत्र में काम कर रही है। उन्होंने एक हर्बल terrace garden भी बनाया है जिसमें 400 से ज्यादा Medicinal Herbs हैं। + +साथियो, बच्चो में Medicinal और Herbal Plants के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए आयुष मंत्रालय ने एक दिलचस्प पहल की है और इसका बीड़ा उठाया है हमारे professor आयुष्मान जी ने। हो सकता है कि जब आप ये सोचें कि आखिर professor आयुष्मान हैं कौन? दरअसल professor आयुष्मान एक comic book का नाम है। इसमें अलग अलग cartoon किरदारों के जरिए छोटी-छोटी कहानियां तैयार की गई हैं। साथ ही एलो वेरा, तुलसी, आंवला, गिलॉय, नीम, अश्वगंधा और ब्रह्मी जैसे सेहतमंद Medicinal Plant की उपयोगिता बताई गई है। + +साथियो, पारंपरिक खेती से आगे बढ़कर, खेती में हो रहे नए प्रयोग, नए विकल्प, लगातार, स्वरोजगार के नए साधन बना रहे हैं। पुलवामा के दो भाइयों की कहानी भी इसी का एक उदाहरण है। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में बिलाल अहमद शेख और मुनीर अहमद शेख ने जिस प्रकार अपने लिए नए रास्ते तलाशे, वो New India की एक मिसाल है। 39 साल के बिलाल अहमद जी Highly Qualified हैं, उन्होंने कई डिग्रियां हासिल कर रखी हैं। अपनी उच्च शिक्षा से जुड़े अनुभवों का इस्तेमाल आज वो कृषि में खुद का Start-up बनाकर कर रहे हैं। बिलाल जी ने अपने घर पर ही Vermi composting की Unit लगाई है। इस Unit से तैयार होने वाले बायो फर्टिलाइजर से न केवल खेती में काफी लाभ हुआ है, बल्कि यह लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी लेकर आया है। हर साल इन भाइयों की यूनिट से किसानों को करीब तीन हजार क्विंटल Vermi compost मिल रहा है। आज उनकी इस Vermi composting Unit में 15 लोग काम भी कर रहे हैं। उनकी इस Unit को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं, और उनमें ज्यादातर ऐसे युवा होते हैं, जो कृषि क्षेत्र में कुछ करना चाहते हैं। पुलवामा के शेख भाइयों ने Job Seeker बनने की जगह Job Creator बनने का संकल्प लिया और आज वो जम्मू-कश्मीर ही नहीं, बल्कि देश भर के लोगों को नई राह दिखा रहे हैं। + diff --git a/pm-speech/93.txt b/pm-speech/93.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..f027eaf3a2756774e24170c6592d55d792993a98 --- /dev/null +++ b/pm-speech/93.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +जब सत्ता का उपयोग गरीबों को सशक्त बनाने के लिए किया जाता है, तो उन्हें गरीबी से लड़ने की ताकत मिलती है। और इसलिए, हमारे प्रयासों में बैंकिंग सेवाओं का लाभ उठाने से वंचित रह गए लोगों को बैंकिंग सेवा की सुविधा प्रदान करना, लाखों लोगों को सामाजिक सुरक्षा कवरेज प्रदान करना, 50 करोड़ (500 मिलियन) भारतीयों को मुफ्त और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना शामिल है। आपको यह जानकर खुशी होगी कि हमारे शहरों और गांवों में बेघरों के लिए करीब तीन करोड़ (30 मिलियन) घर बनाए गए हैं। एक घर महज एक आश्रय भर नहीं होता है। सिर पर छत लोगों को सम्मान का एहसास दिलाती है। भारत में हर घर में पीने के पानी का कनेक्शन उपलब्ध कराने के लिए एक और जन-आंदोलन हो रहा है। सरकार अत्याधुनिक बुनियादी ढांचे के लिए एक ट्रिलियन डॉलर से अधिक की राशि खर्च कर रही है। पिछले साल कई महीनों से और अब भी हमारे 80 करोड़ (800 मिलियन) नागरिकों को मुफ्त अनाज मुहैया कराया जा रहा है। ये सभी कदम और कई अन्य प्रयास गरीबी के खिलाफ लड़ाई को ताकत प्रदान करेंगे। + diff --git a/pm-speech/94.txt b/pm-speech/94.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..449c4ac79762c2ce7812e8e8df9c63fb5ed3a506 --- /dev/null +++ b/pm-speech/94.txt @@ -0,0 +1,4 @@ +और इस अभियान में भारत ने Economy और Ecology दोनों में बेहतर संतुलन स्थापित किया है।बड़े और विकसित देशों की तुलना में, Climate Action को लेकर भारत के प्रयासों को देखकर आप सभी को निश्चित ही गर्व होगा।आज भारत, बहुत तेजी के साथ 450 गीगावॉट रीन्यूएबल एनर्जी के लक्ष्य की तरफ बढ़ रहा है।हम भारत को, दुनिया का सबसे बड़ा ग्रीन हाइड्रोजन हब बनाने के अभियान में भी जुट गए हैं। + +UN पर आज कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं।इन सवाल को हमने Climate Crisis में देखा है, COVID के दौरान देखा है।दुनिया के कई हिस्सों में चल रही प्रॉक्सी वॉर- आतंकवाद और अभी अफ़ग़ानिस्तान के संकट ने इन सवालों को और गहरा कर दिया है।COVID के Origin के संदर्भ में और Ease of Doing Business Rankings को लेकर, वैश्विक गवर्नेंस से जुड़ी संस्थाओं ने, दशकों के परिश्रम से बनी अपनी विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचाया है। + diff --git a/pm-speech/95.txt b/pm-speech/95.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..449c4ac79762c2ce7812e8e8df9c63fb5ed3a506 --- /dev/null +++ b/pm-speech/95.txt @@ -0,0 +1,4 @@ +और इस अभियान में भारत ने Economy और Ecology दोनों में बेहतर संतुलन स्थापित किया है।बड़े और विकसित देशों की तुलना में, Climate Action को लेकर भारत के प्रयासों को देखकर आप सभी को निश्चित ही गर्व होगा।आज भारत, बहुत तेजी के साथ 450 गीगावॉट रीन्यूएबल एनर्जी के लक्ष्य की तरफ बढ़ रहा है।हम भारत को, दुनिया का सबसे बड़ा ग्रीन हाइड्रोजन हब बनाने के अभियान में भी जुट गए हैं। + +UN पर आज कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं।इन सवाल को हमने Climate Crisis में देखा है, COVID के दौरान देखा है।दुनिया के कई हिस्सों में चल रही प्रॉक्सी वॉर- आतंकवाद और अभी अफ़ग़ानिस्तान के संकट ने इन सवालों को और गहरा कर दिया है।COVID के Origin के संदर्भ में और Ease of Doing Business Rankings को लेकर, वैश्विक गवर्नेंस से जुड़ी संस्थाओं ने, दशकों के परिश्रम से बनी अपनी विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचाया है। + diff --git a/pm-speech/97.txt b/pm-speech/97.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..848a9cbe6cbc7e882ba70cf8ac6103491abc7ad6 --- /dev/null +++ b/pm-speech/97.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +उसी प्रकार से आपने उल्लेख किया कि 4 million से अधिक लोग भारत के यहां अमेरिका की विकास यात्रा में सहभागी हैं। ये दशक में talent का अपना एक महत्व है। People to people ये talent इस दशक में बहुत ही प्रभावी भूमिका अदा करेगा और भारतीय talent अमेरिका की विकास यात्रा में पूरी तरह सहभागी होती चली जाए उसमें आपका योगदान बहुत महत्वपूर्ण है। + diff --git a/pm-speech/98.txt b/pm-speech/98.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..bc5d904f66638d2a2d5418c71a66ad1ac6e85950 --- /dev/null +++ b/pm-speech/98.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +राष्ट्रपति Biden और आपने अत्यंत चुनौतीपूर्ण माहौल में अमेरिका का नेतृत्व संभाला और अब बहुत ही कम समय में कई उपलब्धियां हासिल की हैं । COVID हो, Climate हो या फिर Quad सभी पर अमेरिका ने बहुत ही महत्वपूर्ण initiative लिए हैं। विश्व की सबसे बड़ी और सबसे पुरानी democracies के रूप में भारत और अमेरिका natural partners हैं। हमारे मूल्यों में समानता है हमारे जियो पोलिटिकल हितों में समानता है और हमारा तालमेल और सहयोग भी निरंतर बढ़ता जा रहा है। Supply chain की मजबूती, नवीनतम टेक्नोलॉजी और अंतरिक्ष जैसे क्षेत्रों में आपकी विशेष रूचि है। यह क्षेत्र मेरे लिए भी विशेष priority के हैं। इन क्षेत्रों में हमारे बीच सहयोग बहुत ही महत्वपूर्ण है।आप भारत और अमेरिका के मजबूत और vibrant people to people ties से तो भली-भांति परिचित हैं ही। 4 मिलियन से भी ज्यादा भारतीय प्रवासी हमारे देशों के बीच मित्रता के सेतु हैं। अमेरिका और भारत की अर्थव्यवस्था और societies में इनका योगदान बहुत ही प्रशंसनीय है। + diff --git a/pm-speech/99.txt b/pm-speech/99.txt new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..bc5d904f66638d2a2d5418c71a66ad1ac6e85950 --- /dev/null +++ b/pm-speech/99.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +राष्ट्रपति Biden और आपने अत्यंत चुनौतीपूर्ण माहौल में अमेरिका का नेतृत्व संभाला और अब बहुत ही कम समय में कई उपलब्धियां हासिल की हैं । COVID हो, Climate हो या फिर Quad सभी पर अमेरिका ने बहुत ही महत्वपूर्ण initiative लिए हैं। विश्व की सबसे बड़ी और सबसे पुरानी democracies के रूप में भारत और अमेरिका natural partners हैं। हमारे मूल्यों में समानता है हमारे जियो पोलिटिकल हितों में समानता है और हमारा तालमेल और सहयोग भी निरंतर बढ़ता जा रहा है। Supply chain की मजबूती, नवीनतम टेक्नोलॉजी और अंतरिक्ष जैसे क्षेत्रों में आपकी विशेष रूचि है। यह क्षेत्र मेरे लिए भी विशेष priority के हैं। इन क्षेत्रों में हमारे बीच सहयोग बहुत ही महत्वपूर्ण है।आप भारत और अमेरिका के मजबूत और vibrant people to people ties से तो भली-भांति परिचित हैं ही। 4 मिलियन से भी ज्यादा भारतीय प्रवासी हमारे देशों के बीच मित्रता के सेतु हैं। अमेरिका और भारत की अर्थव्यवस्था और societies में इनका योगदान बहुत ही प्रशंसनीय है। + diff --git a/pm-speech/README.md b/pm-speech/README.md new file mode 100644 index 0000000000000000000000000000000000000000..8501035aca6c2cc868dd09c191a7ddc339e3cf6b --- /dev/null +++ b/pm-speech/README.md @@ -0,0 +1,5 @@ +The MUTANT dataset comprises code-mixed long length texts extracted from two main sources. +1) Political speeches or Press releases +2) Hindi new articles + +The final dataset contains multiple documents. Each of which contains atleast 1 code-mixes MCT. Here is the description below. image.png