हमारे देश में जैसे किसान मेहनत करता है, हमारे वैज्ञानिक भी देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए बहुत सफलताएँ प्राप्त कर रहे हैं। और मेरा तो पहले से मत रहा है कि हमारी नई पीढ़ी वैज्ञानिक बनने के सपने देखे, विज्ञान में रूचि ले, आने वाली पीढ़ियों के लिये कुछ कर गुजरने की इच्छा के साथ हमारी युवा पीढ़ी आगे आए। मैं आज और भी एक खुशी की बात आपसे share करना चाहता हूँ। कल मैं पुणे गया था, Smart City Project की वर्षगाँठ के उपलक्ष्य में वहाँ कार्यक्रम था और वहाँ मैंने पुणे के College of Engineering के जिन विद्यार्थियों ने स्वयं की मेहनत से, स्वयं उपग्रह बनाया और जिसे 22 जून को प्रक्षेपित किया गया, उनको मिलने के लिए बुलाया था। क्योंकि मेरा मन करता था कि मैं इन मेरे युवा साथियों को देखूं तो सही! उनको मिलूँ तो सही! उनके भीतर जो ऊर्जा है, उत्साह है, उसका मैं भी तो अनुभव करूँ! पिछले कई वर्षों से अनेक विद्यार्थियों ने इस काम में अपना योगदान दिया। ये academic satellite एक प्रकार से युवा भारत के हौसले की उड़ान का जीता जागता नमूना है। और ये हमारे छात्रों ने बनाया। इन छोटे से satellite के पीछे जो सपने हैं, वो बहुत बड़े हैं। उसकी जो उड़ान है, बहुत ऊँची है और उसकी जो मेहनत है, वो बहुत गहरी है। जैसे पुणे के छात्रों ने किया, वैसे ही तमिलनाडु, चेन्नई की सत्यभामा यूनिवर्सिटी के students द्वारा भी एक satellite बनाया गया और वो SathyabamaSat को भी प्रक्षेपित किया गया। हम तो बचपन से ये बातें सुनते आये हैं और हर बालक के मन में आसमान को छूने और कुछ तारों को मुठ्ठी में कैद करने की ख्वाहिश हमेशा रहती है और इस लिहाज़ से। SRO द्वारा भेजे गये, छात्रों के द्वारा बनाये हुए दोनों satellite मेरी दृष्टि से बहुत अहम् हैं, बेहद ख़ास हैं। ये सभी छात्र बधाई के पात्र हैं। मैं देशवासियों को भी बहुत-बहुत बधाई देना चाहता हूँ कि 22 जून को। SRO के हमारे वैज्ञानिकों ने एक साथ 20 satellite अन्तरिक्ष में भेजकर अपने ही पुराने रेकॉर्डों को तोड़ करके एक नया रिकॉर्ड बना दिया और ये भी खुशी की बात है कि भारत में ये जो 20 satellite launch किये गए, उसमें से 17 satellite अन्य देशों के हैं। अमेरिका सहित कई देशों के satellite launch करने का काम भारत की धरती से, भारत के वैज्ञानिकों के द्वारा हुआ और इनके साथ वही दो satellite , जो हमारे छात्रों ने बनाये थे, वे भी अन्तरिक्ष में पहुँचे। और ये भी विशेषता है कि ISRO ने कम लागत और सफलता की guarantee के चलते दुनिया में ख़ास जगह बना ली है और उसके कारण विश्व के कई देश launching के लिए आज भारत की तरफ़ नज़र कर रहे हैं। मेरे प्यारे देशवासियो, कुछ दिन पूर्व पूरे विश्व ने 21 जून को ‘अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस’ की वर्षगाँठ पर भव्य कार्यक्रम किये। एक भारतीय के नाते पूरा विश्व जब योग से जुड़ता है, तब हम अहसास करते हैं, जैसे दुनिया हमारे कल, आज और कल से जुड़ रही है। विश्व के साथ हमारा एक अनोखा नाता बन रहा है। भारत में भी एक लाख से अधिक स्थानों पर बहुत उमंग और उत्साह के साथ, भांति-भांति के रंग-रूप के साथ रंगारंग माहौल में अन्तर्राष्ट्रीय योग-पर्व मनाया गया। मुझे भी चंडीगढ़ में हजारों योग प्रेमियों के साथ उनके बीच योग करने का अवसर मिला। आबाल-वृद्ध सबका उत्साह देखने लायक था। आपने देखा होगा, पिछले सप्ताह भारत सरकार ने इस अन्तर्राष्ट्रीय योग-पर्व के निमित्त ही ‘सूर्य नमस्कार’ की डाक टिकट भी जारी की है। इस बार विश्व में ‘Yoga Day’ के साथ-साथ दो चीज़ों पर लोगों का विशेष ध्यान गया। एक तो अमेरिका के New York शहर में जहाँ संयुक्त राष्ट्र संघ की building है , उस building के ऊपर योगासन की भिन्न-भिन्न कृतियों का विशेष projection किया गया और वहाँ आते-जाते लोग उसकी फोटो लेते रहते थे और और दुनिया भर में वो फोटो प्रचलित हो गयी। ये बातें किस भारतीय को गौरव नहीं दिलाएँगी – ये बताइये न! और भी एक बात हुई, technology अपना काम कर रही है। Social media की अपनी एक पहचान बन गयी है और इस बार योग में Twitter ने Yoga। mages के साथ celebration का एक हल्का-फुल्का प्रयोग भी किया। hashtag ‘Yoga Day’ type करते ही Yoga वाले। mages का चित्र हमारे मोबाइल फोन पर आ जाता था और दुनिया भर में वो प्रचलित हो गया। योग का मतलब ही होता है जोड़ना। योग में पूरे जगत को जोड़ने की ताक़त है। बस, ज़रूरत है, हम योग से जुड़ जाएँ। “मैं चाहती हूँ कि मेरा पूरा देश स्वस्थ रहे, उसका ग़रीब व्यक्ति भी निरोग रहे। इसके लिए मैं चाहती हूँ कि दूरदर्शन में हर एक सीरियल के बीच में जो सारे ads (advertisement) आते हैं, उसमें से किसी एक ad में योग के बारे में बताएँ। उसे कैसे करते हैं? उसके क्या लाभ होते हैं?” स्वाति जी, आपका सुझाव तो अच्छा है, लेकिन अगर आप थोड़ा ध्यान से देखोगे, तो आपके ध्यान में आएगा; न सिर्फ़ दूरदर्शन इन दिनों भारत और भारत बाहर, टी.वी. मीडिया के जगत में प्रतिदिन योग के प्रचार में भारत के और दुनिया के सभी टी.वी. चैनल कोई-न-कोई अपना योगदान दे रही हैं। हर एक के अलग-अलग समय हैं। लेकिन अगर आप ध्यान से देखोगी, तो योग के विषय में जानकारी पाने के लिए ये सब हो ही रहा है। और मैंने तो देखा है, दुनिया के कुछ देश ऐसे हैं कि जहाँ चौबीसों घंटे योग को समर्पित चैनल भी चलती हैं। और आपको पता होगा कि मैं जून महीने में ‘अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस’ निमित्त प्रतिदिन Twitter और Facebook के माध्यम से हर दिन एक नये आसन का वीडियो शेयर करता था। अगर आप आयुष मंत्रालय की वेबसाइट पर जायेंगे, तो 40-45 मिनट का एक-के-बाद एक शरीर के भिन्न-भिन्न अंगों के लिए किस प्रकार के योग कर सकते हैं, हर आयु के लोग कर सकते हैं, ऐसे सरल योगों का, योग का एक अच्छा वीडियो वेबसाइट पर उपलब्ध है। मैं आपको भी और आपके माध्यम से सभी योग के जिज्ञासुओं को कहूँगा कि वे ज़रूर इसके साथ जुड़ें। अभी-अभी जब मेरी सरकार के 2 साल पूरे हुए, तो कुछ आधुनिक विचार वाले नौजवानों ने मुझे सुझाव दिया कि आप इतनी बड़ी लोकतंत्र की बातें करते हैं, तो क्यों न आप अपनी सरकार का मूल्यांकन लोगों से करवाएँ। वैसे एक प्रकार से उनका चुनौती का ही स्वर था, सुझाव का भी स्वर था। लेकिन उन्होंने मेरे मन को झकझोर दिया। मैंने कुछ अपने वरिष्ठ साथियों के बीच में ये विषय रखा, तो प्रथम प्रतिक्रिया तो reaction ऐसा ही था कि नहीं-नहीं जी साहब, ये आप क्या करने जा रहे हो? आज तो technology इतनी बदल चुकी है कि अगर कोई इकट्ठे हो जाये, कोई गुट बन जाये और technology का दुरूपयोग कर गये, तो पता नहीं Survey कहाँ से कहाँ ले जाएंगे। उन्होंने चिंता जाहिर की। लेकिन मुझे लगा, नहीं-नहीं, risk लेना चाहिए, कोशिश करनी चाहिए। देखें, क्या होता है, और मेरे प्यारे देशवासियो, खुशी की बात है कि जब मैंने technology के माध्यम से अलग-अलग भाषाओं का उपयोग करते हुए जनता को मेरी सरकार का मूल्यांकन करने के लिए आवाहन किया। चुनाव के बाद भी तो बहुत survey होते हैं, चुनाव के दरम्यान भी survey होते हैं, कभी-कभी बीच में कुछ issues पर भी survey होते हैं, लोकप्रियता पर survey होते हैं, लेकिन उसकी sample size ज्यादा नहीं होती है। आप में से बहुत लोगों ने ‘Rate My Government-MyGov.in’ पर अपना opinion दिया है। वैसे तो लाखों लोगों ने इसमें रूचि दिखाई लेकिन 3 लाख लोगों ने एक-एक सवाल का जवाब देने के लिए मेहनत की है, काफी समय निकाला है। मैं उन 3 लाख लोगों का बहुत आभारी हूँ कि उन्होंने स्वयं सक्रियता दिखाई, सरकार का मूल्यांकन किया। मैं नतीजों की चर्चा नहीं करता हूँ, वो हमारे Media के लोग जरूर करेंगे। लेकिन एक अच्छा प्रयोग था, इतना तो मैं जरूर कहूँगा और मेरे लिए भी खुशी की बात थी कि हिंदुस्तान की सभी भाषाएँ बोलने वाले, हर कोने में रहने वाले, हर प्रकार के background वाले लोगों ने इसमें हिस्सा लिया और सबसे बड़ी मेरे लिए अचरज़ तो है ही है कि भारत सरकार की जो ग्रामीण रोजगार की योजना चलती है, उस योजना की जो Website है, उस Portal पर सब से ज्यादा लोगों ने बढ़-चढ़ कर के हिस्सा लिया। इसका मतलब कि ग्रामीण जीवन से जुड़े, गरीबी से जुड़े हुए लोगों का इसमें बहुत बड़ा सक्रिय योगदान था, ऐसा मैं प्राथमिक अनुमान लगाता हूँ। ये मुझे और ज्यादा अच्छा लगा। तो आपने देखा, एक वो भी दिन था, जब कुछ वर्ष पहले 26 जून को जनता की आवाज दबोच दी गई थी और ये भी वक्त है कि जब जनता खुद तय करती है, बीच-बचाव तय करती है कि देखें तो सही, सरकार ठीक कर रही है कि गलत कर रही है, अच्छा कर रही है, बुरा कर रही है। यही तो लोकतंत्र की ताकत है। मेरे प्यारे देशवासियो, इस देश का सामान्य मानव देश के लिए बहुत-कुछ करने के लिए अवसर खोजता रहता है। जब मैंने लोगों से कहा – रसोई गैस की subsidy छोड़ दीजिये, इस देश के एक करोड़ से ज्यादा परिवारों ने स्वेच्छा से subsidy छोड़ दी। मैं खास करके जिनके पास अघोषित आय है, उनके लिए एक खास उदाहरण प्रस्तुत करना चाहता हूँ। मैं कल Smart City के कार्यक्रम के निमित्त पुणे जब गया था, तो वहाँ मुझे श्रीमान चन्द्रकान्त दामोदर कुलकर्णी और उनके परिवारजनों से मिलने का सौभाग्य मिला। मैंने उनको खास मिलने के लिए बुलाया था और कारण क्या है, जिसने कभी भी कर चोरी की होगी, उनको मेरी बात शायद प्रेरणा दे या ना दे, लेकिन श्रीमान चन्द्रकान्त कुलकर्णी की बात तो ज़रूर प्रेरणा देगी। आप जानते हैं, क्या कारण है? ये चन्द्रकान्त कुलकर्णी जी एक सामान्य मध्यम-वर्गीय परिवार के व्यक्ति हैं। सरकार में नौकरी करते थे, retire हो गए, 16 हजार रुपया उनको pension मिलती है। और मेरे प्यारे देशवासियो, आपको ताज्जुब होगा और जो कर-चोरी करने की आदत रखते हैं, उनको तो बड़ा सदमा लगेगा कि ये चन्द्रकान्त जी कुलकर्णी हैं, जिन्हें सिर्फ 16 हजार रूपये का pension मिलता है, लेकिन कुछ समय पहले उन्होंने मुझे चिट्ठी लिखी और कहा था कि मैं मेरे 16 हजार रुपये के pension में से हर महीने 5 हजार रुपया स्वच्छता अभियान के लिए donate करना चाहता हूँ और इतना ही नहीं, उन्होंने मुझे 52 Cheque, Fifty Two Cheque, post-dated, जो कि हर महीना एक-एक Cheque की date है, Cheque भेज दिए हैं। जिस देश का एक सरकारी मुलाज़िम निवृत्ति के बाद सिर्फ 16 हजार के pension में से 5 हजार रुपया स्वच्छता के अभियान के लिए दे देता हो, इस देश में कर चोरी करने का हमें हक़ नहीं बनता है। चन्द्रकान्त कुलकर्णी से बड़ा कोई हमारी प्रेरणा का कारण नहीं हो सकता है। और स्वच्छता अभियान से जुड़े हुये लोगों के लिए भी चन्द्रकान्त कुलकर्णी से बड़ा उत्तम उदाहरण नहीं हो सकता है। मैंने चन्द्रकान्त जी को रूबरू बुलाया, उनसे मिला, मेरे मन को उनका जीवन छू गया। उस परिवार को मैं बधाई देता हूँ और ऐसे तो अनगिनत लोग होंगे, शायद हो सकता है, मेरे पास उनकी जानकारी न हो, लेकिन यही तो लोग हैं, यही तो लोक-शक्ति है, यही तो ताकत है। 16 हजार की pension वाला व्यक्ति, दो लाख साठ हजार के Cheque advance में मुझे भेज दे, क्या ये छोटी बात है क्या? आओ, हम भी अपने मन को जरा टटोलें, हम भी सोचें कि सरकार ने हमारी आय को घोषित करने के लिये अवसर दिया है, हम भी चन्द्रकान्त जी को याद करके, हम भी जुड़ जाएँ। “हमने आपकी प्रेरणा से अपने विद्यालय में वर्षा जल ऋतु शुरू होने से पहले ही 4 फीट के छोटे-छोटे ढाई-सौ गड्ढे खेल के मैदान के किनारे-किनारे बना दिए थे, ताकि वर्षा जल उसमें समा सके। इस प्रक्रिया में खेल का मैदान भी खराब नहीं हुआ, बच्चों के डूबने का खतरा भी नहीं हुआ और करोड़ों लीटर पानी मैदान का हमने वर्षा जल सब बचाया है।”