मेरे प्यारे देशवासियो, आप सबको नमस्कार। 2015 – एक प्रकार से मेरी इस वर्ष की आख़िरी ‘मन की बात’। अगले ‘मन की बात’ 2016 में होगी। अभी-अभी हम लोगों ने क्रिसमस का पर्व मनाया और अब नये वर्ष के स्वागत की तैयारियाँ चल रही हैं। भारत विविधताओं से भरा हुआ है। त्योहारों की भी भरमार लगी रहती है। एक त्योहार गया नहीं कि दूसरा आया नहीं। एक प्रकार से हर त्योहार दूसरे त्योहार की प्रतीक्षा को छोड़कर चला जाता है। कभी-कभी तो लगता है कि भारत एक ऐसा देश है, जहाँ पर ‘त्योहार Driven Economy’ भी है। समाज के ग़रीब तबक़े के लोगों की आर्थिक गतिविधि का वो कारण बन जाता है। मेरी तरफ़ से सभी देशवासियों को क्रिसमस की भी बहुत-बहुत शुभकामनायें और 2016 के नववर्ष की भी बहुत-बहुत शुभकामनायें। 2016 का वर्ष आप सभी के लिए ढेरों खुशियाँ ले करके आये। नया उमंग, नया उत्साह, नया संकल्प आपको नयी ऊंचाइयों पर पहुंचाए। दुनिया भी संकटों से मुक्त हो, चाहे आतंकवाद हो, चाहे ग्लोबल वार्मिंग हो, चाहे प्राकृतिक आपदायें हों, चाहे मानव सृजित संकट हो। मानव जाति सुखचैन की ज़िंदगी पाये, इससे बढ़कर के खुशी क्या हो सकती है| अनेक लोगों के अथक प्रयास का परिणाम है कि देश बहुत तेज़ गति से आगे बढ़ रहा है। क़दम से क़दम मिला करके सवा सौ करोड़ देशवासी एक-एक क़दम ख़ुद भी आगे बढ़ रहे हैं, देश को भी आगे बढ़ा रहे हैं। बेहतर शिक्षा, उत्तम कौशल एवं रोज़गार के नित्य नए अवसर। चाहे नागरिकों को बीमा सुरक्षा कवर से लेकर बैंकिंग सुविधायें पहुँचाने की बात हो। वैश्विक फ़लक पर ‘Ease of Doing Business’ में सुधार, व्यापार और नये व्यवसाय करने के लिए सुविधाजनक व्यवस्थाएँ उपलब्ध कराना। सामान्य परिवार के लोग जो कभी बैंक के दरवाज़े तक नहीं पहुँच पाते थे, ‘मुद्रा योजना’ के तहत आसान ऋण उपलब्ध करवाना। हर भारतीय को जब ये पता चलता है कि पूरा विश्व योग के प्रति आकर्षित हुआ है और दुनिया ने जब ‘अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस’ मनाया और पूरा विश्व जुड़ गया तब हमें विश्वास पैदा हो गया कि वाह, ये तो है न हिन्दुस्तान। ये भाव जब पैदा होता है न, ये तब होता है जब हम विराट रूप के दर्शन करते हैं। यशोदा माता और कृष्ण की वो घटना कौन भूलेगा, जब श्री बालकृष्ण ने अपना मुँह खोला और पूरे ब्रह्माण्ड का माता यशोदा को दर्शन करा दिये, तब उनको ताक़त का अहसास हुआ। योग की घटना ने भारत को वो अहसास दिलाया है। स्वच्छता की बात एक प्रकार से घर-घर में गूंज रही है। नागरिकों का सहभाग भी बढ़ता चला जा रहा है। आज़ादी के इतने सालों के बाद जिस गाँव में बिजली का खम्भा पहुँचता होगा, शायद हम शहर में रहने वाले लोगों को, या जो बिजली का उपभोग करते हैं उनको कभी अंदाज़ नहीं होगा कि अँधेरा छंटता है तो उत्साह और उमंग की सीमा क्या होती है। भारत सरकार का और राज्य सरकारों का ऊर्जा विभाग काम तो पहले भी करता था लेकिन जब से गांवों में बिजली पहुँचाने का 1000 दिन का जो संकल्प किया है और हर दिन जब ख़बर आती है कि आज उस गाँव में बिजली पहुँची, आज उस गाँव में बिजली पहुँची, तो साथ-साथ उस गाँव के उमंग और उत्साह की ख़बरें भी आती हैं। अभी तक व्यापक रूप से मीडिया में इसकी चर्चा नहीं पहुँची है लेकिन मुझे विश्वास है कि मीडिया ऐसे गांवों में ज़रूर पहुंचेगा और वहाँ का उत्साह-उमंग कैसा है उससे देश को परिचित करवाएगा और उसके कारण सबसे बड़ा तो लाभ ये होगा कि सरकार के जो मुलाज़िम इस काम को कर रहे हैं, उनको एक इतना satisfaction मिलेगा, इतना आनंद मिलेगा कि उन्होंने कुछ ऐसा किया है जो किसी गाँव की, किसी की ज़िंदगी में बदलाव लाने वाला है। किसान हो, ग़रीब हो, युवा हो, महिला हो, क्या इन सबको ये सारी बातें पहुंचनी चाहिये कि नहीं पहुंचनी चाहिये? पहुंचनी इसलिये नहीं चाहिये कि किस सरकार ने क्या काम किया और किस सरकार ने काम क्या नहीं किया! पहुंचनी इसलिये चाहिए कि वो अगर इस बात का हक़दार है तो हक़ जाने न दे। उसके हक़ को पाने के लिए भी तो उसको जानकारी मिलनी चाहिये न! हम सबको कोशिश करनी चाहिये कि सही बातें, अच्छी बातें, सामान्य मानव के काम की बातें जितने ज़्यादा लोगों को पहुँचती हैं, पहुंचानी चाहिए। यह भी एक सेवा का ही काम है। मैंने अपने तरीक़े से भी इस काम को करने का एक छोटा सा प्रयास किया है। मैं अकेला तो सब कुछ नहीं कर सकता हूँ। लेकिन जो मैं कह रहा हूँ तो कुछ मुझे भी करना चाहिये न। एक सामान्य नागरिक भी अपने मोबाइल फ़ोन पर ‘Narendra Modi App’ को download करके मुझसे जुड़ सकता है। और ऐसी छोटी-छोटी-छोटी बातें मैं उस पर शेयर करता रहता हूँ। और मेरे लिए खुशी की बात है कि लोग भी मुझे बहुत सारी बातें बताते हैं। आप भी अपने तरीक़े से ज़रूर इस प्रयास में जुड़िये, सवा सौ करोड़ देशवासियों तक पहुंचना है। आपकी मदद के बिना मैं कैसे पहुंचूंगा। आइये, हम सब मिलकर के सामान्य मानव की हितों की बातें, सामान्य मानव की भाषा में पहुंचाएं और उनको प्रेरित करें, उनके हक़ की चीजों को पाने के लिए। मेरे प्यारे नौजवान साथियो, 15 अगस्त को लाल किले से मैंने ‘Start-up India, Stand-up India’ उसके संबंध में एक प्राथमिक चर्चा की थी। उसके बाद सरकार के सभी विभागों में ये बात चल पड़ी। क्या भारत ‘Start-up Capital’ बन सकता है? क्या हमारे राज्यों के बीच नौजवानों के लिए एक उत्तम अवसर के रूप में नये–नये Start-ups, अनेक with Start-ups, नये-नये Innovations! चाहे manufacturing में हो, चाहे Service Sector में हो, चाहे Agriculture में हो। हर चीज़ में नयापन, नया तरीका, नयी सोच, दुनिया Innovation के बिना आगे बढ़ती नहीं है। ‘Start-up India, Stand-up India’ युवा पीढ़ी के लिए एक बहुत बड़ा अवसर लेकर आयी है। मेरे नौजवान साथियो, 16 जनवरी को भारत सरकार ‘Start-up India, Stand-up India’ उसका पूरा action-plan launch करने वाली है। कैसे होगा? क्या होगा? क्यों होगा? एक ख़ाका आपके सामने प्रस्तुत किया जाएगा। और इस कार्यक्रम में देशभर की IITs, IIMs, Central Universities, NITs, जहाँ-जहाँ युवा पीढ़ी है, उन सबको live-connectivity के द्वारा इस कार्यक्रम में जोड़ा जाएगा। Start-up के संबंध में हमारे यहाँ एक सोच बंधी-बंधाई बन गयी है। जैसे digital world हो या IT profession हो ये start-up उन्हीं के लिए है! जी नहीं, हमें तो उसको भारत की आवश्यकताओं के अनुसार बदलाव लाना है। ग़रीब व्यक्ति कहीं मजदूरी करता है, उसको शारीरिक श्रम पड़ता है, लेकिन कोई नौजवान Innovation के द्वारा एक ऐसी चीज़ बना दे कि ग़रीब को मज़दूरी में थोड़ी सुविधा हो जाये। मैं इसको भी Start-up मानता हूँ। मैं बैंक को कहूँगा कि ऐसे नौजवान को मदद करो, मैं उसको भी कहूँगा कि हिम्मत से आगे बढ़ो। Market मिल जायेगा। उसी प्रकार से क्या हमारे युवा पीढ़ी की बुद्धि-संपदा कुछ ही शहरों में सीमित है क्या? ये सोच गलत है। हिन्दुस्तान के हर कोने में नौजवानों के पास प्रतिभा है, उन्हें अवसर चाहिये। ये ‘Start-up India, Stand-up India’ कुछ शहरों में सीमित नहीं रहना चाहिये, हिन्दुस्तान के हर कोने में फैलना चाहिये। और इसे मैं राज्य सरकारों से भी आग्रह कर रहा हूँ कि इस बात को हम आगे बढाएं। 16 जनवरी को मैं ज़रूर आप सबसे रूबरू हो करके विस्तार से इस विषय में बातचीत करूंगा और हमेशा आपके सुझावों का स्वागत रहेगा। प्यारे नौजवान साथियो, 12 जनवरी स्वामी विवेकानंद जी की जन्म-जयंती है। मेरे जैसे इस देश के कोटि-कोटि लोग हैं जिनको स्वामी विवेकानंद जी से प्रेरणा मिलती रही है। 1995 से 12 जनवरी स्वामी विवेकानंद जयंती को एक National Youth Festival के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष ये 12 जनवरी से 16 जनवरी तक छत्तीसगढ़ के रायपुर में होने वाला है। और मुझे जानकारी मिली कि इस बार की उनकी जो theme है, क्योंकि उनका ये event them based होता है, theme बहुत बढ़िया है ‘Indian Youth on development skill and harmony’. मुझे बताया गया कि सभी राज्यों से, हिंदुस्तान के कोने-कोने से, 10 हज़ार से ज़्यादा युवा इकट्ठे होने वाले हैं। एक लघु भारत का दृश्य वहाँ पैदा होने वाला है। युवा भारत का दृश्य पैदा होने वाला है। एक प्रकार से सपनों की बाढ़ नज़र आने वाली है। संकल्प का एहसास होने वाला है। इस Youth Festival के संबंध में क्या आप मुझे अपने सुझाव दे सकते हैं? मैं ख़ास कर के युवा दोस्तों से आग्रह करता हूँ कि मेरी जो ‘Narendra Modi App’ है उस पर आप directly मुझे अपने विचार भेजिए। मैं आपके मन को जानना-समझना चाहता हूँ और जो ये National Youth Festival में reflect हो, मैं सरकार में उसके लिए उचित सुझाव भी दूँगा, सूचनाएँ भी दूँगा। तो मैं इंतज़ार करूँगा दोस्तो, ‘Narendra Modi App’ पर Youth Festival के संबंध में आपके विचार जानने के लिए। उस दिन हमने ‘सुगम्य भारत’ अभियान की शुरुआत की है। इसके तहत हम physical और virtual – दोनों तरह के Infrastructure में सुधार कर उन्हें “दिव्यांग” लोगों के लिए सुगम्य बनायेंगे। स्कूल हो, अस्पताल हो, सरकारी दफ़्तर हो, बस अड्डे हों, रेलवे स्टेशन में ramps हो, accessible parking, accessible lifts, ब्रेल लिपि; कितनी बातें हैं। इन सब में उसे सुगम्य बनाने के लिए Innovation चाहिए, technology चाहिए, व्यवस्था चाहिए, संवेदनशीलता चाहिएI इस काम का बीड़ा उठाया हैI जन-भागीदारी भी मिल रहीं है। लोगों को अच्छा लगा है। आप भी अपने तरीके से ज़रूर इसमें जुड़ सकते हैं। मेरे प्यारे देशवासियो, सरकार की योजनायें तो निरंतर आती रहती हैं, चलती रहती हैं, लेकिन ये बहुत आवश्यक होता है कि योजनायें हमेशा प्राणवान रहनी चाहियें। योजनायें आखरी व्यक्ति तक जीवंत होनी चाहियें। वो फाइलों में मृतप्राय नहीं होनी चाहियें। आखिर योजना बनती है सामान्य व्यक्ति के लिए, ग़रीब व्यक्ति के लिए। पिछले दिनों भारत सरकार ने एक प्रयास किया कि योजना के जो हक़दार हैं उनके पास सरलता से लाभ कैसे पहुँचे। हमारे देश में गैस सिलेंडर में सब्सिडी दी जाती है। करोड़ों रुपये उसमें जाते हैं लेकिन ये हिसाब-किताब नहीं था कि जो लाभार्थी है उसी के पास पहुँच रहे हैं कि नहीं पहुँच रहे हैं। सही समय पर पहुँच रहे हैं कि नहीं पहुँच रहे हैं। सरकार ने इसमें थोड़ा बदलाव किया। जन-धन एकाउंट हो, आधार कार्ड हो, इन सब की मदद से विश्व की सबसे बड़ी, largest ‘Direct Benefit Transfer Scheme’ के द्वारा सीधा लाभार्थियों के बैंक खाते में सब्सिडी पहुँचना। देशवासियों को ये बताते हुए मुझे गर्व हो रहा है कि अभी-अभी ‘गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड’ में इसे स्थान मिल गया कि दुनिया की सबसे बड़ी ‘Direct Benefit Transfer Scheme’ है, जो सफलतापूर्वक लागू कर दी गई है। ‘पहल’ नाम से ये योजना प्रचलित है और प्रयोग बहुत सफल रहा है। नवम्बर अंत तक करीब-करीब 15 करोड़ LPG उपभोक्ता ‘पहल’ योजना के लाभार्थी बन चुके हैं, 15 करोड़ लोगों के खाते में बैंक एकाउंट में सरकारी पैसे सीधे जाने लगे हैं। न कोई बिचौलिया, न कोई सिफ़ारिश की ज़रूरत, न कोई भ्रष्टाचार की सम्भावना। एक तरफ़ आधार कार्ड का अभियान, दूसरी तरफ़ जन-धन एकाउंट खोलना, तीसरी तरफ़ राज्य सरकार और भारत सरकार मिल कर के लाभार्थियों की सूची तैयार करना। उनको आधार से और एकाउंट से जोड़ना। ये सिलसिला चल रहा है। इन दिनों तो मनरेगा जो कि गाँव में रोजगार का अवसर देता है, वो मनरेगा के पैसे, बहुत शिकायत आती थी। कई स्थानों पर अब वो सीधा पैसा उस मजदूरी करने वाले व्यक्ति के खाते में जमा होने लगे हैं। Students को Scholarship में भी कई कठिनाइयाँ होती थीं, शिकायतें भी आती थीं, उनमें भी अब प्रारंभ कर दिया है, धीरे-धीरे आगे बढ़ाएंगे। अब तक करीब-करीब 40 हज़ार करोड़ रूपये सीधे ही लाभार्थी के खाते में जाने लगे हैं अलग-अलग योजनाओं के माध्यम से। एक मोटा-मोटा मेरा अंदाज़ है, करीब-करीब 35 से 40 योजनायें अब सीधी-सीधी ‘Direct Benefit Transfer’ के अंदर समाहित की जा रही हैं।