आदरणीय प्रधानमंत्री जी, मैं कोमल त्रिपाठी मेरठ से बोल रही हूँ.. 28 तारीख को national science day है … India की progress और उसका growth, science से पूरी तरह से जुड़ा हुआ है.. जितना ही हम इसमें research और innovation करेंगे उतना ही हम आगे बढ़ेंगे और prosper करेंगे .. क्या आप हमारे युवाओं को motivate करने के लिए कुछ ऐसे शब्द कह सकते हैं जिससे कि वो scientific तरीक़े से अपनी सोच को आगे बढाएं और हमारे देश को भी आगे बढ़ा सकें ..धन्यवाद . आपके फ़ोन-कॉल के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। विज्ञान को लेकर ढ़ेर सारे प्रश्न मेरे युवा साथियों ने मुझसे पूछे हैं, कुछ-न-कुछ लिखते रहते हैं। हमने देखा है कि समुन्दर का रंग नीला नज़र आता है लेकिन हम अपने दैनिक जीवन के अनुभवों से जानते हैं कि पानी का कोई रंग नहीं होता है। क्या कभी हमने सोचा है कि नदी हो, समुन्दर हो, पानी रंगीन क्यों हो जाता है ? यही प्रश्न 1920 के दशक में एक युवक के मन में आया था। इसी प्रश्न ने आधुनिक भारत के एक महान वैज्ञानिक को जन्म दिया। जब हम विज्ञान की बात करते हैं तो सबसे पहले भारत-रत्न सर सी.वी. रमन का नाम हमारे सामने आता है। उन्हें light scattering यानि प्रकाश के प्रकीर्णन पर उत्कृष्ट कार्य के लिए नोबल-पुरस्कार प्रदान किया गया था। उनकी एक ख़ोज ‘Raman effect’ के नाम से प्रसिद्ध है। हम हर वर्ष 28 फ़रवरी को ‘National Science Day’ मनाते हैं क्योंकि कहा जाता है कि इसी दिन उन्होंने light scattering की घटना की ख़ोज की थी। जिसके लिए उन्हें नोबल- पुरस्कार दिया गया। इस देश ने विज्ञान के क्षेत्र में कई महान वैज्ञानिकों को जन्म दिया है। एक तरफ़ महान गणितज्ञ बोधायन, भास्कर, ब्रह्मगुप्त और आर्यभट्ट की परंपरा रही है तो दूसरी तरफ़ चिकित्सा के क्षेत्र में सुश्रुत और चरक हमारा गौरव हैं। सर जगदीश चन्द्र बोस और हरगोविंद खुराना से लेकर सत्येन्द्र नाथ बोस जैसे वैज्ञानिक-ये भारत के गौरव हैं। सत्येन्द्र नाथ बोस के नाम पर तो famous particle ‘Boson’ का नामकरण भी किया गया। हाल ही मुझे मुम्बई में एक कार्यक्रम में शामिल होने का अवसर मिला – Wadhwani Institute for Artificial Intelligence के उद्घाटन का। विज्ञान के क्षेत्र में जो चमत्कार हो रहे हैं, उनके बारे में जानना बड़ा दिलचस्प था। Artificial Intelligence के माध्यम से Robots, Bots और specific task करने वाली मशीनें बनाने में सहायता मिलती है। आजकल मशीनें self learning से अपने आप के intelligence को और smart बनाती जाती हैं। इस technology का उपयोग ग़रीबों, वंचितों या ज़रुरतमंदों का जीवन बेहतर करने के काम आ सकता है। Artificial Intelligence के उस कार्यक्रम में मैंने वैज्ञानिक समुदाय से आग्रह किया कि दिव्यांग भाइयों और बहनों का जीवन सुगम बनाने के लिए, किस तरह से Artificial Intelligence से मदद मिल सकती है ? क्या हम Artificial Intelligence के माध्यम से प्राकृतिक आपदाओं के बारे में बेहतर अनुमान लगा सकते हैं ? किसानों को फ़सलों की पैदावार को लेकर कोई सहायता कर सकते हैं ? क्या Artificial Intelligence स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच को आसान बनाने और आधुनिक तरीक़े से बीमारियों के इलाज़ में सहायक हो सकता है ? Light Bulb का आविष्कार करने वाले Thomas Alva Edison अपने प्रयोगों में कई बार असफ़ल रहे। एक बार उनसे जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने जवाब दिया –“मैंने Light Bulb नहीं बनाने के दस हज़ार तरीक़े खोज़े हैं”, यानि Edison ने अपनी असफलताओं को भी अपनी शक्ति बना लिया। संयोग से सौभाग्य है कि आज मैं महर्षि अरबिन्दो की कर्मभूमि ‘Auroville’ में हूँ। एक क्रांतिकारी के रूप में उन्होंने ब्रिटिश शासन को चुनौती दी, उनके ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ी, उनके शासन पर सवाल उठाए। इसी प्रकार उन्होंने एक महान ऋषि के रूप में, जीवन के हर पहलू के सामने सवाल रखा। उत्तर खोज़ निकाला और मानवता को राह दिखाई। सच्चाई को जानने के लिए बार-बार प्रश्न पूछने की भावना, महत्वपूर्ण है। वैज्ञानिक ख़ोज के पीछे की असल प्रेरणा भी तो यही है। तब तक चैन से नहीं बैठना चाहिये जब तक क्यों, क्या और कैसे जैसे प्रश्नों का उत्तर न मिल पाए। National Science Day के अवसर पर हमारे वैज्ञानिकों, विज्ञान से जुड़े सभी लोगों को मैं बधाई देता हूँ। हमारी युवा-पीढ़ी, सत्य और ज्ञान की खोज़ के लिए प्रेरित हो, विज्ञान की मदद से समाज की सेवा करने के लिए प्रेरित हो, इसके लिए मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाएँ हैं।