रमेश जी, आपकी माताजी को मेरी प्रणाम | Twitter पर active रहने वाली गीतिका स्वामी का कहना है कि उनके लिये मेजर खुशबू कंवर ‘भारत की लक्ष्मी है’ जो bus conductor की बेटी है और उन्होंने असम Rifles की All – Women टुकड़ी का नेतृत्व किया था | कविता तिवारी जी के लिए तो भारत की लक्ष्मी, उनकी बेटी हैं, जो उनकी ताकत भी है | उन्हें गर्व है कि उनकी बेटी बेहतरीन painting करती है | उसने CLAT की परीक्षा में बहुत अच्छी rank भी हासिल की है | वहीं मेघा जैन जी ने लिखा है कि Ninety Two Year की, 92 साल की एक बुजुर्ग महिला, वर्षों से ग्वालियर रेलवे स्टेशन पर यात्रियों को मुफ्त में पानी पिलाती है | मेघा जी, इस भारत की लक्ष्मी की विनम्रता और करुणा से काफी प्रेरित हुई हैं | ऐसी अनेक कहानियाँ लोगों ने share की हैं | आप जरुर पढ़िये, प्रेरणा लीजिये और खुद भी ऐसा ही कुछ अपने आस-पास से share कीजिये और मेरा, भारत की इन सभी लक्ष्मियों को आदरपूर्वक नमन है | मेरे प्यारे देशवासियो, 17वीं शताब्दी की सुप्रसिद्ध कवयित्री साँची होनम्मा (Sanchi Honnamma), उन्होंने, 17वीं शताब्दी में, कन्नड़ भाषा में, एक कविता लिखी थी | वो भाव, वो शब्द, भारत की हर लक्ष्मी, ये जो हम बात कर रहे हैं ना ! ऐसा लगता है, जैसे कि उसका foundation 17वीं शताब्दी में ही रच दिया गया था | कितने बढ़िया शब्द, कितने बढ़िया भाव और कितने उत्तम विचार, कन्नड़ भाषा की इस कविता में हैं | मेरे प्यारे भाइयों और बहनों, मुझे विश्वास है कि 31 अक्तूबर की तारीख़ आप सबको अवश्य याद होगी | यह दिन भारत के लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की जन्म जयंती का है जो देश को एकता के सूत्र में पिरोने वाले महानायक थे | सरदार पटेल में जहाँ लोगों को एकजुट करने की अद्भुत क्षमता थी, वहीँ, वे उन लोगों के साथ भी तालमेल बिठा लेते थे जिनके साथ वैचारिक मतभेद होते थे | सरदार पटेल बारीक़-से-बारीक़ चीजों को भी बहुत गहराई से देखते थे, परखते थे | सही मायने में, वे ‘Man of detail’ थे | इसके साथ ही वे संगठन कौशल में भी निपुण थे | योजनाओं को तैयार करने और रणनीति बनाने में उन्हें महारत हासिल थी | सरदार साहब की कार्यशैली के विषय में जब पढ़ते हैं, सुनते हैं, तो पता चलता है कि उनकी planning कितनी जबरदस्त होती थी | 1921 में Nineteen Twenty One में अहमदाबाद में कांग्रेस के अधिवेशन में शामिल होने के लिए देशभर से हजारों की संख्या में delegates पहुँचने वाले थे | अधिवेशन की सारी व्यवस्था की जिम्मेदारी सरदार पटेल पर थी | इस अवसर का उपयोग उन्होंने शहर में पानी supply के Network को भी सुधारने के लिए किया | यह सुनिश्चित किया कि किसी को भी पानी की दिक्कत न हो | यहीं नही, उन्हें, इस बात की भी फ़िक्र थी कि अधिवेशन स्थल से किसी delegate का सामान या उसके जूते चोरी न हो जाएँ और इसे ध्यान में रखते हुए सरदार पटेल ने जो किया वो जानकर आपको बहुत आश्चर्य होगा | उन्होंने किसानों से संपर्क किया और उनसे खादी के बैग बनाने का आग्रह किया | किसानों ने बैग बनाये और प्रतिनिधियों को बेचे | इन bags में जूते डाल, अपने साथ रखने से delegates के मन से जूते चोरी होने की tension ख़त्म हो गई | वहीँ दूसरी तरफ खादी की बिक्री में भी काफ़ी वृद्धि हुई | संविधान सभा में उल्लेखनीय भूमिका निभाने के लिए हमारा देश, सरदार पटेल का सदैव कृतज्ञ रहेगा | उन्होंने मौलिक अधिकारों को सुनिश्चित करने का महत्वपूर्ण कार्य किया, जिससे, जाति और संप्रदाय के आधार पर होने वाले किसी भी भेदभाव की गुंजाइश न बचे |