इस महीने, क्रिकेट पिच से भी बहुत अच्छी खबर मिली। हमारी क्रिकेट टीम ने शुरुआती दिक्कतों के बाद, शानदार वापसी करते हुए ऑस्ट्रेलिया में सीरीज जीती। हमारे खिलाड़ियों का hard work और teamwork प्रेरित करने वाला है। इन सबके बीच, दिल्ली में, 26 जनवरी को तिरंगे का अपमान देख, देश, बहुत दुखी भी हुआ। हमें आने वाले समय को नई आशा और नवीनता से भरना है। हमने पिछले साल असाधारण संयम और साहस का परिचय दिया। इस साल भी हमें कड़ी मेहनत करके अपने संकल्पों को सिद्ध करना है। अपने देश को, और तेज गति से, आगे ले जाना है। साथियो, हम आजादी के आंदोलन और बिहार की बात कर रहें हैं, तो, मैं, NaMo App पर ही की गई एक और टिपण्णी की भी चर्चा करना चाहूँगा। मुंगेर के रहने वाले जयराम विप्लव जी ने मुझे तारापुर शहीद दिवस के बारे में लिखा है। 15 फरवरी, Nineteen thirty two, 1932 को, देशभक्तों की एक टोली के कई वीर नौजवानों की अंग्रेजों ने बड़ी ही निर्ममता से हत्या कर दी थी। उनका एकमात्र अपराध यह था कि वे ‘वंदे मातरम’ और ‘भारत माँ की जय’ के नारे लगा रहे थे। मैं उन शहीदों को नमन करता हूँ और उनके साहस का श्रद्धापूर्वक स्मरण करता हूँ। मैं जयराम विप्लव जी को धन्यवाद देना चाहता हूँ। वे, एक ऐसी घटना को देश के सामने लेकर आए, जिस पर उतनी चर्चा नहीं हो पाई, जितनी होनी चाहिए थी। मेरे प्यारे देशवासियो, भारत के हर हिस्से में, हर शहर, कस्बे और गाँव में आजादी की लड़ाई पूरी ताकत के साथ लड़ी गई थी। भारत भूमि के हर कोने में ऐसे महान सपूतों और वीरांगनाओं ने जन्म लिया, जिन्होंने, राष्ट्र के लिए अपना जीवन न्योछावर कर दिया, ऐसे में, यह, बहुत महत्वपूर्ण है कि हमारे लिए किए गए उनके संघर्षों और उनसे जुड़ी यादों को हम संजोकर रखें और इसके लिए उनके बारे में लिख कर हम अपनी भावी पीढ़ियों के लिए उनकी स्मृतियों को जीवित रख सकते हैं। मैं, सभी देशवासियों को और खासकर के अपने युवा साथियों को आह्वान करता हूं कि वे देश के स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में, आजादी से जुड़ी घटनाओं के बारे में लिखें। अपने इलाके में स्वतंत्रता संग्राम के दौर की वीरता की गाथाओं के बारे में किताबें लिखें। अब, जबकि, भारत अपनी आजादी के 75 वर्ष मनायेगा, तो आपका लेखन आजादी के नायकों के प्रति उत्तम श्रद्दांजलि होगी। Young Writers के लिए India Seventy Five के निमित्त एक initiative शुरू किया जा रहा है। इससे सभी राज्यों और भाषाओं के युवा लेखकों को प्रोत्साहन मिलेगा। देश में बड़ी संख्या में ऐसे विषयों पर लिखने वाले writers तैयार होंगे, जिनका भारतीय विरासत और संस्कृति पर गहन अध्ययन होगा। हमें ऐसी उभरती प्रतिभाओं की पूरी मदद करनी है। इससे भविष्य की दिशा निर्धारित करने वाले thought leaders का एक वर्ग भी तैयार होगा। मैं, अपने युवा मित्रों को इस पहल का हिस्सा बनने और अपने साहित्यिक कौशल का अधिक-से-अधिक उपयोग करने के लिए आमंत्रित करता हूँ। इससे जुड़ी जानकारियाँ शिक्षा मंत्रालय की website से प्राप्त कर सकते हैं। मेरे प्यारे देशवासियो, ‘मन की बात’ में श्रोताओं को क्या पसंद आता है, ये आप ही बेहतर जानते हैं। लेकिन मुझे ‘मन की बात’ में सबसे अच्छा ये लगता है कि मुझे बहुत कुछ जानने-सीखने और पढ़ने को मिलता है। एक प्रकार से, परोक्ष रूप से, आप सबसे, जुड़ने का अवसर मिलता है। किसी का प्रयास, किसी का जज़्बा, किसी का देश के लिए कुछ कर गुजर जाने का जुनून – यह सब, मुझे, बहुत प्रेरित करते है, ऊर्जा से भर देते हैं। हैदराबाद के बोयिनपल्ली में, एक स्थानीय सब्जी मंडी, किस तरह, अपने दायित्व को निभा रही है, ये पढ़कर भी मुझे बहुत अच्छा लगा। हम सबने देखा है कि सब्जी मंडियों में अनेक वजहों से काफी सब्जी खराब हो जाती है। ये सब्जी इधर-उधर फैलती है, गंदगी भी फैलाती हैं लेकिन, बोयिनपल्ली की सब्जी मंडी ने तय किया कि, हर रोज बचने वाली इन सब्जियों को ऐसे ही फेंका नहीं जाएगा। सब्जी मंडी से जुड़े लोगों ने तय किया, इससे, बिजली बनाई जाएगी। बेकार हुई सब्जियों से बिजली बनाने के बारे में शायद ही आपने कभी सुना हो – यही तो innovation की ताकत है। आज बोयिनपल्ली की मंडी में पहले जो waste था, आज उसी से wealth create हो रही है – यही तो कचरे से कंचन बनाने की यात्रा है। वहाँ हर दिन करीब 10 टन waste निकलता है, इसे एक प्लांट में इकठ्ठा कर लिया जाता है। Plant के अंदर इस waste से हर दिन 500 यूनिट बिजली बनती है, और करीब 30 किलो bio fuel भी बनता है। इस बिजली से ही सब्जी मंडी में रोशनी होती है, और, जो, bio fuel बनता है, उससे, मंडी की कैंटीन में खाना बनाया जाता है – है न कमाल का प्रयास! ऐसा ही एक कमाल, हरियाणा के पंचकुला की बड़ौत ग्राम पंचायत ने भी करके दिखाया है। इस पंचायत के क्षेत्र में पानी की निकासी की समस्या थी। इस वजह से गंदा पानी इधर-उधर फैल रहा था, बीमारी फैलाता था, लेकिन, बड़ौत के लोगों ने तय किया कि इस water waste से भी wealth create करेंगे। ग्राम पंचायत ने पूरे गाँव से आने वाले गंदे पानी को एक जगह इकठ्ठा करके filter करना शुरू किया, और filter किया हुआ ये पानी, अब गाँव के किसान, खेतों में सिंचाई के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं, यानी, प्रदूषण, गंदगी और बीमारियों से छुटकारा भी, और खेतों में सिंचाई भी। साथियो, पर्यावरण की रक्षा से कैसे आमदनी के रास्ते भी खुलते हैं, इसका एक उदाहरण अरुणाचल प्रदेश के तवांग में भी देखने को मिला। अरुणाचल प्रदेश के इस पहाड़ी इलाके में सदियों से ‘मोन शुगु’ नाम का एक पेपर बनाया जाता है। ये कागज यहाँ के स्थानीय शुगु शेंग नाम के एक पौधे की छाल से बनाते हैं, इसलिए, इस कागज को बनाने के लिए पेड़ों को नहीं काटना पड़ता है। इसके अलावा, इसे बनाने में किसी chemical का इस्तेमाल भी नहीं होता है, यानी, ये कागज पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित है, और स्वास्थ्य के लिए भी। एक वो भी समय था, जब, इस कागज का निर्यात होता था, लेकिन, जब आधुनिक तकनीक से बड़ी मात्रा में कागज बनने लगे, तो, ये स्थानीय कला, बंद होने की कगार पर पहुँच गई। अब एक स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता कलिंग गोम्बू ने इस कला को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया है, इससे, यहाँ के आदिवासी भाई-बहनों को रोजगार भी मिल रहा है। मैंने एक और खबर केरल की देखी है, जो, हम सभी को अपने दायित्वों का एहसास कराती है। केरल के कोट्टयम में एक दिव्यांग बुजुर्ग हैं – एन.एस. राजप्पन साहब। राजप्पन जी paralysis के कारण चलने में असमर्थ हैं, लेकिन इससे, स्वच्छता के प्रति उनके समर्पण में कोई कमी नहीं आई है। वो, पिछले कई सालों से नाव से वेम्बनाड झील में जाते हैं और झील में फेंकी गई प्लास्टिक की बोतलें बाहर निकाल करके ले आते हैं। सोचिये, राजप्पन जी की सोच कितनी ऊँची है। हमें भी, राजप्पन जी से प्रेरणा लेकर, स्वच्छता के लिए, जहां संभव हो, अपना योगदान देना चाहिए। मेरे प्यारे देशवासियो, कुछ दिन पहले आपने देखा होगा, अमेरिका के San Francisco से बैंगलुरू के लिए एक non-stop flight की कमान भारत की चार women pilots ने संभाली। दस हजार किलोमीटर से भी ज्यादा लंबा सफ़र तय करके ये flight सवा दो-सौ से अधिक यात्रियों को भारत लेकर आई। आपने इस बार 26 जनवरी की परेड में भी गौर किया होगा, जहां, भारतीय वायुसेना की दो women officers ने नया इतिहास रच दिया है। क्षेत्र कोई भी हो, देश की महिलाओं की भागीदारी लगातार बढ़ रही है, लेकिन, अक्सर हम देखते हैं, कि, देश के गाँवों में हो रहे इसी तरह के बदलाव की उतनी चर्चा नहीं हो पाती, इसलिए, जब मैंने एक खबर मध्य प्रदेश के जबलपुर की देखी, तो मुझे लगा कि इसका जिक्र तो मुझे ‘मन की बात’ में जरुर करना चाहिए। ये खबर बहुत प्रेरणा देने वाली है। जबलपुर के चिचगांव में कुछ आदिवासी महिलाएं एक rice mill में दिहाड़ी पर काम करती थीं। कोरोना वैश्विक महामारी ने जिस तरह दुनिया के हर व्यक्ति को प्रभावित किया, उसी तरह, ये महिलाएं भी प्रभावित हुईं। उनकी rice mill में काम रुक गया। स्वाभाविक है कि इससे आमदनी की भी दिक्कत आने लगी, लेकिन ये निराश नहीं हुईं, इन्होंने, हार नहीं मानी। इन्होंने तय किया, कि, ये साथ मिलकर अपनी खुद की rice mill शुरू करेंगी। जिस मिल में ये काम करती थीं, वो अपनी मशीन भी बेचना चाहती थी। इनमें से मीना राहंगडाले जी ने सब महिलाओं को जोड़कर ‘स्वयं सहायता समूह’ बनाया, और सबने अपनी बचाई हुई पूंजी से पैसा जुटाया,। जो पैसा कम पड़ा, उसके लिए ‘आजीविका मिशन’ के तहत बैंक से कर्ज ले लिया, और अब देखिये, इन आदिवासी बहनों ने वही rice mill खरीद ली, जिसमें वो कभी काम किया करती थीं। आज वो अपनी खुद की rice mill चला रही हैं। इतने ही दिनों में इस mill ने करीब तीन लाख रूपये का मुनाफ़ा भी कमा लिया है। इस मुनाफे से मीना जी और उनकी साथी, सबसे पहले, बैंक का लोन चुकाने और फिर अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए तैयारी कर रही हैं। कोरोना ने जो परिस्थितियां बनाईं, उससे मुकाबले के लिए देश के कोने-कोने में ऐसे अद्भुत काम हुए हैं। मेरे प्यारे देशवासियो, भारत से हजारों किलोमीटर दूर, कई महासागरों, महाद्वीपों के पार एक देश है, जिसका नाम है Chile। भारत से Chile पहुँचने में बहुत अधिक समय लगता है, लेकिन, भारतीय संस्कृति की खुशबू, वहाँ बहुत समय पहले से ही फैली हुई है। एक और खास बात ये है, कि, वहाँ पर योग बहुत अधिक लोकप्रिय है। आपको यह जानकार अच्छा लगेगा कि Chile की राजधानी Santiago में 30 से ज्यादा योग विद्यालय हैं। Chile में अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस भी बड़े ही उत्साह से मनाया जाता है। मुझे बताया गया है कि House of Deputies में योग दिवस को लेकर बहुत ही गर्मजोशी भरा माहौल होता है। कोरोना के इस समय में immunity पर ज़ोर, और immunity बढ़ाने में, योग की ताकत को देखते हुए, अब वे लोग योग को पहले से कहीं ज्यादा महत्व दे रहे हैं। Chile की कांग्रेस, यानी वहाँ की Parliament ने एक प्रस्ताव पारित किया है। वहाँ, 4 नवम्बर को National Yoga Day घोषित किया गया है। अब आप ये सोच सकते हैं कि आखिर 4 नवम्बर में ऐसा क्या है ? 4 नवम्बर 1962 को ही Chile का पहला योग संस्थान होज़े राफ़ाल एस्ट्राडा द्वारा स्थापित किया था। इस दिन को National Yoga Day घोषित करके Estrada जी को भी श्रद्धांजलि दी गई है। Chile की Parliament द्वारा यह एक विशेष सम्मान है, जिस पर हर भारतीय को गर्व है। वैसे, Chile की संसद से जुड़ी एक और बात आपको दिलचस्प लगेगी। Chile Senate के Vice President का नाम रबिंद्रनाथ क्विन्टेरॉस है। उनका यह नाम विश्व कवि गुरुदेव टैगोर से प्रेरित होकर रखा गया है।