भारत के गांवों की आर्थिक क्षमताओं को बढ़ाने में बहुत बड़ी भूमिका हमारी माताएं-बहनें, हमारी महिला शक्ति की भी है। आज देशभर में लगभग 70 लाख से ज्यादा सेल्फ हेल्प ग्रुप हैं, जिनसे लगभग 8 करोड़ बहनें जुड़ी हैं और ये ज्यादातर गांवों में ही काम कर रही हैं। इन बहनों को जनधन खातों के माध्यम से बैंकिंग सिस्टम के साथ तो जोड़ा ही गया है, बिना गारंटी ऋण में भी काफी बढ़ोतरी की है। हाल ही में सरकार ने एक और अहम निर्णय लिया है। हर सेल्फ हेल्प ग्रुप को पहले जहां 10 लाख रुपए तक का बिना गारंटी का ऋण मिलता था, अब ये सीमा बढ़ाकर दोगुनी यानि 10 लाख से 20 लाख कर दी गई है।  आज़ादी का अमृतकाल, यानि आने वाले 25 वर्ष गांवों के आर्थिक सामर्थ्य से भारत की विकास यात्रा को सशक्त करने के हैं। इसमें टेक्नॉलॉजी से जुड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर बहुत बड़ी भूमिका निभाने वाला है। मोबाइल फोन और इंटरनेट आज गांव के युवाओं को नए अवसरों से जोड़ रहा है। किसानों को खेती की नई तकनीक, नई फसलों, नए बाज़ार से जोड़ने में मोबाइल फोन आज बहुत बड़ी सुविधा बन चुका है। आज भारत के गांवों में शहरों से भी ज्यादा इंटरनेट यूज़र हैं। अब तो देश के सभी गांवों को ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ने का अभियान भी तेज़ी से चल रहा है। बेहतर इंटरनेट सुविधा से खेती के अलावा अच्छी पढ़ाई और अच्छी दवाई, इसकी सुविधा गांव के गरीब को घर बैठे ही सुलभ हो, संभव होने वाला है।