2014 से पहले जो सरकार थी, उसने देश में शहरी आवास योजनाओं के तहत सिर्फ 13 लाख मकान ही मंजूर किए गए थे। आंकड़ा याद रहेगा? पुरानी सरकार ने 13 लाख आवास, इसमें भी सिर्फ 8 लाख मकान ही बनाए गए थे। 2014 के बाद से हमारी सरकार ने पीएम आवास योजना के तहत शहरों में 1 करोड़ 13 लाख से ज्यादा घरों के निर्माण की मंजूरी दी है। कहां 13 लाख और कहां 1 करोड़ 13 लाख? इसमें से 50 लाख से ज्यादा घर बनाकर, उन्हें गरीबों को सौंपा भी जा चुका है। हमने घरों के डिजायन से लेकर घरों के निर्माण तक की पूरी आज़ादी लाभार्थियों को सौंप दी। उनको मर्जी पड़े जैसा मकान बनाएं। दिल्‍ली में एयरकंडीशनर कमरों में बैठकर कोई ये तय नहीं कर सकता कि खिड़की इधर होगी या उधर होगी।  2014 के पहले सरकारी योजनाओं के घर किस साइज के बनेंगे, इसकी कोई स्पष्ट नीति ही नहीं थी। कहीं 15 स्कवेयर मीटर के मकान बनते थे, तो कहीं 17 स्कवेयर मीटर के। इतने छोटी जमीन पर जो निर्माण होता था, उसमें रहना भी मुश्किल था। मेरे जो साथी, जो मेरे परिवार जन हैं, झुग्गी-झोपड़ी में जिंदगी जीते थे, जिनके पास पक्की छत नहीं थी, ऐसे तीन करोड़ परिवारों को इस कार्यकाल में एक ही योजना से लखपति बनने का अवसर मिल गया है। इस देश में मोटा-मोटा अंदाज करें तो 25-30 करोड़ परिवार, उसमें से इतने छोटे से कार्यकाल में 3 करोड़ गरीब परिवार लखपति बनना, ये अपने-आप में बहुत बड़ी बात है। अब आप कहेंगे मोदी इतना बड़ा क्‍लेम कर रहे हैं कैसे करेंगे। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत देश में जो करीब-करीब 3 करोड़ घर बने हैं, आप उनकी कीमत का अंदाजा लगा लीजिए। ये लोग अब लखपति हैं। 3 करोड़ पक्के घर बनाकर हमने गरीब परिवारों का सबसे बड़ा सपना पूरा किया है। गरीबों के लिए घर बनाने का पैसा केंद्र सरकार दे रही थी, बावजूद इसके, 2017 से पहले, योगीजी के आने से पहले की बात कर रहा हूं, 2017 से पहले यूपी में जो सरकार थी,  वो गरीबों के लिए घर बनवाना ही नहीं चाहती थी। गरीबों के लिए घर बनवाओ, इसके लिए हमें पहले जो यहां सरकार में थे उनसे मिन्नतें करनी पड़ती थीं। 2017 से पहले पीएम आवास योजना के तहत यूपी के लिए 18 हजार घरों की स्वीकृति दी गई थी। लेकिन जो सरकार यहां थी, उसने गरीबों को पीएम आवास योजना के तहत 18 घर भी बनाकर नहीं दिए। शहरी मिडिल क्लास की परेशानियों और चुनौतियों को भी दूर करने का हमारी सरकार ने बहुत गंभीर प्रयास किया है। Real Estate Regulatory Authority यानि रेरा कानून ऐसा ही एक बड़ा कदम रहा है। इस कानून ने पूरे हाउसिंग सेक्टर को अविश्वास और धोखाधड़ी से बाहर निकालने में बहुत बड़ी मदद की है। इस कानून के बनने से घर खरीदारों को समय पर न्याय भी मिल रहा है। हमने शहरों में अधूरे पड़े घरों को पूरा करने के लिए हज़ारों करोड़ रुपए का विशेष फंड भी बनाया है। अगर आप याद करें तो, 2014 से पहले हमारे शहरों की साफ-सफाई को लेकर अक्सर हम नकारात्मक चर्चाएं ही सुनते थे। गंदगी को शहरी जीवन का स्वभाव मान लिया गया था। साफ-सफाई के प्रति बेरुखी से शहरों की सुंदरता, शहरों में आने वाले टूरिस्ट, पर तो असर पड़ता ही है, शहरों में रहने वालों के स्वास्थ्य पर भी ये बहुत बड़ा संकट है। इस स्थिति को बदलने के लिए देश स्वच्छ भारत मिशन और अमृत मिशन के तहत बहुत बड़ा अभियान चला रहा है। बीते वर्षों में शहरों में 60 लाख से ज्यादा निजी टॉयलेट और 6 लाख से अधिक सामुदायिक शौचालय बने हैं। 7 साल पहले तक जहां सिर्फ 18 प्रतिशत कचरे का ही निष्पादन हो पाता था,  वो आज बढ़कर 70 प्रतिशत हो चुका है। यहां यूपी में भी वेस्ट प्रोसेसिंग की बड़ी क्षमता बीते वर्षों में विकसित की गई है। और आज मैंने प्रदर्शनी में देखा, ऐसी अनेक चीजों को वहां रखा गया है और मन को बड़ा सुकून देने वाला दृश्‍य था। अब स्वच्छ भारत अभियान 2.0 के तहत शहरों में खड़े कूड़े के पहाड़ों को हटाने का भी अभियान शुरू कर दिया गया है। शहरों की भव्यता बढ़ाने में एक और अहम भूमिका निभाई है- LED लाइट्स ने। सरकार ने अभियान चलाकर देश में 90 लाख से ज्यादा पुरानी स्ट्रीट लाइट्स को LED से बदला है। LED स्ट्रीट लाइट लगने से शहरी निकायों के भी हर साल करीब करीब 1 हज़ार करोड़ रुपए बच रहे हैं। अब ये राशि विकास के दूसरे कार्यों में वो शहरी निकाय लगा सकते हैं और लगा रहे हैं। LED ने शहर में रहने वाले लोगों का बिजली बिल भी बहुत कम किया है। जो LED बल्ब पहले 300 रुपए से भी महंगा आता था, वो सरकार ने उजाला योजना के तहत 50-60 रुपए में दिया है। इस योजना के माध्यम से करीब 37 करोड़ LED बल्ब बांटे गए हैं। इस वजह से गरीब और मध्यम वर्ग की करीब 24 हजार करोड़ रुपए बिजली बिल में बचत हुई है। जब हम गुजरात में छोटे से इलाके में रहते थे और जब भी लखनऊ की बात आती थी तो लोगों के मुंह से निकलता था कि भई लखनऊ में तो कहीं पर जाइए- सुनने को मिलता है- पहले आप, पहले आप, यही बात होती है। आज मजाक में ही सही, हमें टेक्नोलॉजी को भी कहना पड़ेगा- पहले आप ! भारत में पिछले 6-7 वर्षों में शहरी क्षेत्र में बहुत बड़ा परिवर्तन टेक्नोलॉजी से आया है। देश के 70 से ज्यादा शहरों में आज जो इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर चल रहे हैं, उसका आधार टेक्नोलॉजी ही है। आज देश के शहरों में CCTV कैमरों का जो नेटवर्क बिछ रहा है, टेक्नोलॉजी ही उसे मजबूत कर रही है। देश के 75 शहरों में जो 30 हजार से ज्यादा आधुनिक CCTV कैमरे लगे हैं, उनकी वजह से गुनहगारों को सौ बार सोचना पड़ता है। ये CCTV, अपराधियों को सजा दिलाने में भी काफी मदद कर रहे हैं। बीते वर्षों में भारत में ट्रैफिक की समस्या और प्रदूषण की चुनौती,  दोनों पर होलिस्टिक अप्रोच के साथ काम हुआ है। मेट्रो भी इसका एक बेहतरीन उदाहरण है। आज भारत मेट्रो सेवा का देश भर के बड़े शहरों में तेजी से विस्तार कर रहा है। 2014 में जहां 250 किलोमीटर से कम रूट पर मेट्रो चलती थी, वहीं आज लगभग साढ़े 7 सौ किलोमीटर में मेट्रो दौड़ रही है। और मुझे आज अफसर बता रहे थे एक हजार पचास किलोमीटर पर काम चल रहा है। यूपी के भी 6 शहरों में आज मेट्रो नेटवर्क का विस्तार हो रहा है। 100 से ज्यादा शहरों में इलेक्ट्रिक बसों के संचालन का लक्ष्य हो या फिर उड़ान योजना, ये भी शहरी विकास को गति दे रही हैं। 21वीं सदी का भारत,  अब मल्टी मोडल कनेक्टिविटी की ताकत के साथ आगे बढ़ेगा और इसकी भी तैयारी बहुत तेजी से चल रही है।