आज शिक्षक पर्व के अवसर पर अनेक नई योजनाओं का प्रारंभ हुआ है। और अभी हमने एक छोटी सी फिल्‍म के द्वारा इन सभी योजनाओं के विषय में जानकारी प्राप्‍त की। ये initiative इसलिए भी अहम है क्योंकि देश अभी आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। आज़ादी के 100 वर्ष होने पर भारत कैसा होगा, इसके लिए आज भारत नए संकल्प ले रहा है।आज जो योजनाएं शुरू हुई हैं, वो भविष्य के भारत को आकार देने में अहम भूमिका निभाएंगी। आज विद्यांजलि-2.0, निष्ठा-3.0, talking books और UDL based ISL-Dictionary जैसे नए प्रोग्राम्स और व्यवस्थाएं launch की गई हैं। School Quality Assessment and Assurance Framework, यानी S.Q.A.A.F जैसी आधुनिक शुरुआत भी हुई है, मुझे पूरा भरोसा है कि ये न केवल हमारे education system को globally competitive बनाएँगी, बल्कि हमारे युवाओं को भी future ready बनाने में बहुत मदद करेंगी। आज एक और महत्वपूर्ण शुरुआत School Quality Assessment and Assurance Framework यानी S.Q.A.A.F के माध्यम से भी हो रही है। अभी तक देश में हमारे स्कूलों के लिए, education के लिए कोई एक common scientific framework ही नहीं था। कॉमन फ्रेमवर्क के बिना शिक्षा के सभी पहलुओं जैसे कि- Curriculum, Pedagogy, Assessment, Infrastructure, Inclusive Practices और Governance Process, इन सभी के लिए स्टैंडर्ड बनना मुश्किल होता था। इससे देश के अलग अलग हिस्सों में, अलग अलग स्कूलों में स्टूडेंट्स को शिक्षा में असमानता का शिकार होना पड़ता है। लेकिन S.Q.A.A.F अब इस खाई को पाटने का काम करेगा। इसकी सबसे बड़ी खूबी है कि इस फ्रेमवर्क में अपनी जरूरत के हिसाब से बदलाव करने की flexibility भी राज्यों के पास होगी। स्कूल्स भी इसके आधार पर अपना मूल्यांकन खुद ही कर सकेंगे। इसके आधार पर स्कूलों को एक Transformational Change के लिए प्रोत्साहित भी किया जा सकेगा। शिक्षा में असमानता को खत्म करके उसे आधुनिक बनाने में National Digital Educational Architecture यानी, N-DEAR की भी बड़ी भूमिका होने वाली है। जैसे UPI इंटरफेस ने बैंकिंग सेक्टर को revolutionize कर दिया है, वैसे ही एन-डियर सभी academic activities के बीच एक सुपर कनेक्ट का काम करेगा। एक स्कूल से दूसरे स्कूल में जाना हो या हाइयर एजुकेशन में एड्मिशन, Multiple Entry-Exit की व्यवस्था हो, या अकैडमिक क्रेडिट बैंक और छात्रों की skills का रेकॉर्ड, सब कुछ एन-डियर के जरिए आसानी से उपलब्ध होगा। ये सभी transformations हमारे 'न्यू एज एजुकेशन' का चेहरा भी बनेंगे, और क्वालिटी एजुकेशन में भेदभाव को भी खत्म करेंगे। अर्थात्, पूरे ब्रह्मांड में गुरु की कोई उपमा नहीं होती, कोई बराबरी नहीं होती। जो काम गुरु कर सकता है वो कोई नहीं कर सकता। इसीलिए, आज देश अपने युवाओं के लिए शिक्षा से जुड़े जो भी प्रयास कर रहा है, उसकी बागडोर हमारे इन शिक्षक भाई-बहनों के ही हाथों में है। लेकिन तेजी से बदलते इस दौर में हमारे शिक्षकों को भी नई व्यवस्थाओं और तकनीकों के बारे में तेजी से सीखना होता है। 'निष्ठा' ट्रेनिंग प्रोग्राम्स से इस ट्रेनिंग प्रोग्राम का एक अच्‍छा सा निष्‍ठा आपके सामने अभी प्रस्‍तुत किया गया है। इस निष्‍ठा ट्रेनिंग प्रोग्राम के जरिए देश अपने टीचर्स को इन्हीं बदलावों के लिए तैयार कर रहा है। 'निष्ठा 3.0' अब इस दिशा में एक और अगला कदम है और में इसे बहुत महत्‍वपूर्ण कदम मानता हूं। हमारे टीचर्स जब Competency Based Teaching, Art-Integration, high-Order Thinking, और Creative and Critical Thinking जैसे नए तौर-तरीकों से परिचित होंगे तो वो भविष्य के लिए युवाओं को और सहजता से गढ़ पाएंगे। भारत के शिक्षकों में किसी भी ग्लोबल स्टैंडर्ड पर खरा उतरने की क्षमता तो है ही, साथ ही उनके पास अपनी विशेष पूंजी भी है। उनकी ये विशेष पूंजी, ये विशेष ताकत है उनके भीतर के भारतीय संस्कार। और मैं आपको मेरे दो अनुभव बताना चाहता हूं। मैं प्रधानमंत्री बनकर के जब पहली बार भूटान गया। तो वहां का राज परिवार हो, वहां के शासकीय व्‍यवस्‍था के लोग हों, बड़े गर्व से कहते थे कि पहले हमारे यहां करीब-करीब सभी टीचर्स भारत से आते थे और यहां के दूर-सुदूर इलाकों में पैदल जाकर के पढ़ाते थे। और जब ये शिक्षकों की बात करते थे। भूटान का राज परिवार हो या वहां के शासक, बड़ा गर्व अनुभव करते थे, उनकी आखों में चमक नजर आती थी। वैसे ही जब में साऊदी अरबीया गया और शायद साऊदी अरबीया के किंग से जब बात कर रहा था तो वो इतने गर्व से मुझे उल्‍लेख कर रहे थे। कि मुझे भारत के शिक्षक ने पढ़ाया है। मेरा शिक्षक भारत का था। अब देखिए शिक्षक के प्रति कोई भी व्‍यक्‍ति कहीं पर भी पहुंचे उनके मन में क्‍या भाव होता है।