आजीविका पर दुनिया भर में आए इस संकट काल में ये निरंतर सुनिश्चित किया जा रहा है कि भारत में कम से कम नुकसान हो। इसके लिए बीते साल में अनेक कदम उठाए गए हैं और निरंतर उठाए जा रहे हैं। छोटे, लघु, सूक्ष्म उद्योगों को अपना काम जारी रखने के लिए लाखों करोड़ रुपए की मदद उपलब्ध कराई गई है। सरकार ने इस बात का भी ध्यान रखा कि खेती और इससे जुड़े सारे कामकाज सुचारु रूप से चलते रहें। हमने किसानों को मदद पहुंचाने के लिए नए-नए समाधान निकाले। मध्य प्रदेश ने भी इसमें सराहनीय काम किया है। मध्य प्रदेश के किसानों ने रिकॉर्ड मात्रा में उत्पादन भी किया, तो सरकार ने रिकॉर्ड मात्रा में MSP पर खरीद भी सुनिश्चित की। मुझे बताया गया है किएमपी में इस बार गेहूं की खरीद के लिए देश में सबसे अधिक खरीद केंद्र बनाए थे। मध्य प्रदेश ने अपने 17 लाख से अधिक किसानों से गेहूं खरीदा और उन तक सीधा 25 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक पहुंचाया है। आज जब देश आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहा है तब ये हथकरघा दिवस और भी महत्व रखता है। हमारे चरखे का, हमारी खादी का हमारी आज़ादी की लड़ाई में कितना बड़ा योगदान है, ये हम सभी जानते हैं। बीते सालों में देश ने खादी को बहुत सम्मान दिया है। जिस खादी को कभी भुला दिया गया था, वो आज नया ब्रांड बन चुका है। अब जब हम आज़ादी के 100 वर्ष की तरफ नए सफर पर निकल रहे हैं, तो आजादी के लिए खादी की उस स्पिरिट को हमें और मजबूत करना है। आत्मनिर्भर भारत के लिए, हमें लोकल के लिए वोकल होना है। मध्य प्रदेश में तो खादी, रेशम से लेकर अनेक प्रकार के हस्तशिल्प की एक समृद्ध परंपरा है। मेरा आप सभी से, पूरे देश से आग्रह है कि आने वाले त्योहारों में हस्तशिल्प का कोई ना कोई लोकल उत्पाद ज़रूर खरीदें, हमारे हैंडीक्राफ्ट को मदद करें।