65 प्रतिशत जनसँख्या नौजवान हो और खेलों की दुनिया में हम खो गए हों! ये तो बात कुछ बनती नहीं है। समय है, खेलों में एक नई क्रांति का दौर का। और हम देख रहे हैं कि भारत में cricket की तरह अब Football, Hockey, Tennis, Kabaddi एक mood बनता जा रहा है। मैं आज नौजवानों को एक और खुशखबरी के साथ, कुछ अपेक्षायें भी बताना चाहता हूँ। आपको शायद इस बात का तो पता चल गया होगा कि अगले वर्ष 2017 में भारत FIFA Under – 17 विश्वकप की मेज़बानी करने जा रहा है। विश्व की 24 टीमें भारत में खेलने के लिए आ रही हैं। 1951, 1962 Asian Games में भारत ने Gold Medal जीता था और 1956 Olympic Games में भारत चौथे स्थान पर रहा था। लेकिन दुर्भाग्य से पिछले कुछ दशकों में हम निचली पायरी पर ही चलते गए, पीछे ही हटते गए, गिरते ही गए, गिरते ही गए। आज तो FIFA में हमारा ranking इतना नीचे है कि मेरी बोलने की हिम्मत भी नहीं हो रही है। और दूसरी तरफ़ मैं देख रहा हूँ कि इन दिनों भारत में युवाओं की Football में रूचि बढ़ रही है। EPL हो, Spanish League हो या Indian Super League के match हो। भारत का युवा उसके विषय में जानकारी पाने के लिए, TV पर देखने के लिए समय निकालता है। कहने का तात्पर्य यह है कि रूचि तो बढ़ रही है। लेकिन इतना बड़ा अवसर जब भारत में आ रहा है, तो हम सिर्फ़ मेज़बान बन कर के अपनी जिम्मेवारी पूरी करेंगे? इस पूरा वर्ष एक Football, Football, Football का माहौल बना दें। स्कूलों में, कॉलेजों में, हिन्दुस्तान के हर कोने पर हमारे नौजवान, हमारे स्कूलों के बालक पसीने से तर-ब-तर हों। चारो तरफ़ Football खेला जाता हो। ये अगर करेंगे तो फिर तो मेज़बानी का मज़ा आएगा और इसीलिए हम सब की कोशिश होनी चाहिये कि हम Football को गाँव-गाँव, गली-गली कैसे पहुँचाएं। 2017 FIFA Under – 17 विश्वकप एक ऐसा अवसर है इस एक साल के भीतर-भीतर हम चारों तरफ़ नौजवानों के अन्दर Football के लिए एक नया जोम भर दे, एक नया जुत्साह भर दे। इस मेज़बानी का एक फ़ायदा तो है ही है कि हमारे यहाँ Infrastructure तैयार होगा। खेल के लिए जो आवश्यक सुविधाएँ हैं उस पर ध्यान जाएगा। मुझे तो इसका आनंद तब मिलेगा जब हम हर नौजवान को Football के साथ जोड़ेंगें। दोस्तो, मैं आप से एक अपेक्षा करता हूँ। 2017 की ये मेज़बानी, ये अवसर कैसा हो, साल भर का हमारा Football में momentum लाने के लिए कैसे-कैसे कार्यक्रम हो, प्रचार कैसे हो, व्यवस्थाओं में सुधार कैसे हो, FIFA Under – 17 विश्वकप के माध्यम से भारत के नौजवानों में खेल के प्रति रूचि कैसे बढ़े, सरकारों में, शैक्षिक संस्थाओं में, अन्य सामाजिक संगठनों में, खेल के साथ जुड़ने की स्पर्धा कैसे खड़ी हो? Cricket में हम सभी देख पा रहे हैं, लेकिन यही चीज़ और खेलों में भी लानी है। Football एक अवसर है। क्या आप मुझे अपने सुझाव दे सकते हैं? वैश्विक स्तर पर भारत का branding करने के लिए एक बहुत बड़ा अवसर मैं मानता हूँ। भारत की युवा शक्ति की पहचान कराने का अवसर मानता हूँ। Match के दरमियाँ क्या पाया, क्या खोया उस अर्थ में नहीं। इस मेज़बानी की तैयारी के द्वारा भी, हम अपनी शक्ति को सजो सकते हैं, शक्ति को प्रकट भी कर सकते हैं और हम भारत का Branding भी कर सकते हैं। क्या आप मुझे NarendraModiApp, इस पर अपने सुझाव भेज सकते हैं क्या? Logo कैसा हो, slogans कैसे हो, भारत में इस बात को फ़ैलाने के लिए क्या क्या तरीके हों, गीत कैसे हों, souvenirs बनाने हैं तो किस-किस प्रकार के souvenirs बन सकते हैं। सोचिए दोस्तो, और मैं चाहूँगा कि मेरा हर नौजवान ये 2017, FIFA, Under- 17 विश्व Cup का Ambassador बने। आप भी इसमें शरीक होइए, भारत की पहचान बनाने का सुनहरा अवसर है। मैसूर से शिल्पा कूके, उन्होंने एक बड़ा संवेदनशील मुद्दा हम सब के लिए रखा है। उन्होंने कहा है कि हमारे घर के पास दूध बेचने वाले आते हैं, अख़बार बेचने वाले आते हैं, Postman आते हैं। कभी कोई बर्तन बेचने वाले वहाँ से गुजरते हैं, कपड़े बेचने वाले गुजरते हैं। क्या कभी हमने उनको गर्मियों के दिनों मे पानी के लिए पूछा है क्या? क्या कभी हमने उसको पानी offer किया है क्या? शिल्पा मैं आप का बहुत आभारी हूँ आपने बहुत संवेदनशील विषय को बड़े सामान्य सरल तरीके से रख दिया। ये बात सही है बात छोटी होती है लेकिन गर्मी के बीच अगर postman घर के पास आया और हमने पानी पिलाया कितना अच्छा लगेगा उसको। खैर भारत में तो ये स्वाभाव है ही है। लेकिन शिल्पा मैं आभारी हूँ कि तुमने इन चीज़ों को observe किया।