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मेरे प्यारे देशवासियो, ‘मन की बात’ की सराहना भी होती रही है, आलोचना भी होती रही है। लेकिन जब कभी मैं ‘मन की बात’ के प्रभाव की ओर देखता हूँ तो मेरा विश्वास दृढ़ हो जाता है कि इस देश के जनमानस के साथ ‘मन की बात’ शत-प्रतिशत अटूट रिश्ते से बंध चुकी है। खादी और hand-loom का ही उदाहरण ले लीजिए। गाँधी- जयन्ती पर मैं हमेशा hand-loom के लिए, खादी के लिए वकालत करता रहता हूँ और उसका परिणाम क्या है! आपको भी यह जानकर के खुशी होगी। मुझे बताया गया है कि इस महीने 17 अक्तूबर को ‘धनतेरस’ के दिन दिल्ली के खादी ग्रामोद्योग भवन स्टोर में लगभग एक करोड़ बीस लाख रुपये की record बिक्री हुई है। खादी और hand-loom का , एक ही स्टोर पर इतना बड़ा बिक्री होना, ये सुन करके आपको भी आनंद हुआ होगा, संतोष हुआ होगा। दिवाली के दौरान खादी gift coupon की बिक्री में क़रीब-क़रीब 680 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी है। खादी और handicraft की कुल बिक्री में भी पिछले वर्ष से, इस वर्ष क़रीब-क़रीब 90 प्रतिशत वृद्धि देखने को मिली है। यह दिखता है कि आज युवा, बड़े-बूढ़े, महिलाएँ, हर आयु वर्ग के लोग खादी और hand-loom को पसन्द कर रहे हैं। मैं कल्पना कर सकता हूँ कि इससे कितने बुनकर परिवारों को, ग़रीब परिवारों को, हथकरघा पर काम करने वाले परिवारों को, कितना लाभ मिला होगा। पहले खादी, ‘Khadi for nation’ था और हमने ‘Khadi for fashion’ की बात कही थी, लेकिन पिछले कुछ समय से मैं अनुभव से कह सकता हूँ कि Khadi for nation और Khadi for fashion के बाद अब, Khadi for transformation की जगह ले रहा है। खादी ग़रीब से ग़रीब व्यक्ति के जीवन में, hand-loom ग़रीब से ग़रीब व्यक्ति के जीवन में बदलाव लाते हुए उन्हें सशक्त बनाने का, शक्तिशाली साधन बनकर के उभर रहा है। ग्रामोदय के लिए ये बहुत बड़ी भूमिका अदा कर रहा है।
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फोनकॉल : माननीय प्रधानमंत्री जी , मेरा नाम डॉ.पार्थ शाह है.. १४ नवम्बर को हम बाल दिन के रूप में मनाते हैं क्योंकि वो हमारे पहले प्रधानमन्त्री जवाहर लाल जी का जन्म दिन है ..उसी दिन को विश्व डायबिटीज दिन भी माना जाता है … डायबिटीज केवल बड़ों का रोग नहीं है , वो काफी सारे बच्चों में भी पाया जाता है ..तो इस चुनौती के लिए हम क्या कर सकते हैं?
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आपके phone call के लिए धन्यवाद। सबसे पहले तो हमारे पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु जी के जन्मदिन पर मनाए जाने वाले Children’s Day, बाल दिवस की सभी बच्चों को बहुत-बहुत शुभकामनाएँ। बच्चे नए भारत के निर्माण के सबसे महत्वपूर्ण hero हैं, नायक हैं। आपकी चिंता सही है कि पहले जो बीमारियाँ बड़ी उम्र में आती थीं, जीवन के अंतिम पड़ाव के आस-पास आती थीं – वह आजकल बच्चों में भी दिखने लगी हैं। आज बड़ा आश्चर्य होता है, जब सुनते हैं कि बच्चे भी diabetes से पीड़ित हो रहे हैं। पहले के ज़माने में ऐसे रोगों को ‘राज-रोग’ के नाम से जाना जाता था। राज-रोग अर्थात ऐसी बीमारियाँ जो केवल संपन्न लोगों को, ऐश-ओ-आराम की ज़िंदगी जीने वालों को ही हुआ करती थी। युवा लोगों में ऐसी बीमारियाँ बहुत rare होती थीं। लेकिन हमारा lifestyle बदल गया है। आज इन बीमारियों को lifestyle disorder के नाम से जाना जाता है। युवा उम्र में इस तरह की बीमारियों से ग्रस्त होने का एक प्रमुख कारण है – हमारी जीवनशैली में physical activities की कमी और हमारे खान-पान के तरीक़ों में बदलाव। समाज और परिवार को इस चीज़ पर ध्यान देने की ज़रुरत है। जब वह इस पर सोचेंगे तो आप देखिएगा कि कुछ भी extraordinary करने की ज़रुरत नहीं है। बस ज़रुरत है , छोटी-छोटी चीज़ों को सही तरीक़े से, नियमित रूप से करते हुए उन्हें अपनी आदत में बदलने की, उसे अपना एक स्वभाव बनाने की। मैं तो चाहूँगा कि परिवारजन जागरूकतापूर्वक ये प्रयास करें कि बच्चे, खुले मैदानों में खेलने की आदत बनाएं। संभव हो तो हम परिवार के बड़े लोग भी इन बच्चों के साथ ज़रा खुले में जाकर कर के खेलें। बच्चों को lift में ऊपर जाने-आने की बजाय सीढियाँ चढ़ने की आदत लगाएं। Dinner के बाद पूरा परिवार बच्चों को लेकर के कुछ walk करने का प्रयास करें। Yoga for Young India। योग, विशेष रूप से हमारे युवा मित्रों को एक healthy lifestyle बनाये रखने और lifestyle disorder से बचाने में मददगार सिद्ध होगा। School से पहले 30 मिनट का योग, देखिए कितना लाभ देगा! घर में भी कर सकते हैं और योग की विशेषता भी तो यही है – वो सहज है, सरल है, सर्व-सुलभ है और मैं सहज है इसलिए कह रहा हूँ कि किसी भी उम्र का व्यक्ति आसानी से कर सकता है। सरल इसलिए है कि आसानी से सीखा जा सकता है और सर्व-सुलभ इसलिए है कि कहीं पर भी किया जा सकता है – विशेष tools या मैदान की ज़रूरत नहीं होती है। Diabetes control करने में योग कितना असरकारी है, इस पर कई studies चल रही हैं। AIIMS में भी इस पर study की जा रही है और अभी तक जो परिणाम आए हैं, वो काफी encouraging हैं। आयुर्वेद और योग को हम सिर्फ उपचार treatment के माध्यम के तौर पर न देखें, उन्हें हम अपने जीवन का हिस्सा बनाएं।
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मेरे प्यारे देशवासियो, खासकर के मेरे युवा साथियो, खेल के क्षेत्र में पिछले दिनों अच्छी ख़बरें आई हैं। अलग-अलग खेल में हमारे खिलाड़ियों ने देश का नाम रोशन किया है। हॉकी में भारत ने शानदार खेल दिखाके एशिया कप हॉकी का ख़िताब जीता है। हमारे खिलाड़ियों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया और इसी के बल पर भारत दस साल बाद एशिया कप champion बना है। इससे पहले भारत 2003 और 2007 में एशिया कप champion बना था। पूरी टीम और support staff को मेरी तरफ से, देशवासियों की तरफ से बहुत-बहुत शुभकामनाएँ।
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हॉकी के बाद बैडमिंटन में भी भारत के लिए अच्छी ख़बर आयी। बैडमिंटन स्टार किदाम्बी श्रीकांत ने उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए Denmark open ख़िताब जीतकर हर भारतीय को गौरव से भर दिया है। Indonesia open और Australia open के बाद ये उनका तीसरा super series premiere ख़िताब है। मैं, हमारे युवा साथी को उनकी इस उपलब्धि के लिए और भारत के गौरव को बढाने के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूँ।
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मेरे प्यारे देशवासियो, स्वच्छ भारत के विषय में मुझे जितने लोग लिखते हैं, मुझे लगता है कि उनकी भावनाओं के साथ यदि मैं न्याय करने की सोचूँ तो मुझे हर रोज ‘मन की बात’ का कार्यक्रम करना पड़ेगा और हर रोज़ मुझे स्वच्छता के विषय पर ही ‘मन की बात’ को समर्पित करना पड़ेगा। कोई नन्हें-मुन्ने बच्चों के प्रयासों के photo भेजते हैं तो कहीं युवाओं की टीम efforts का किस्सा होता है। कहीं स्वच्छता को लेकर किसी innovation की कहानी होती है या फिर किसी अधिकारी के जुनून को लेकर आए परिवर्तन की news होती है। पिछले दिनों मुझे बहुत विस्तृत एक report मिली है, जिसमें महाराष्ट्र के चंद्रपुर किले के कायाकल्प की कहानी है। वहां Ecological Protection Organisation नाम के एक NGO की पूरी टीम ने चंद्रपुर किले में सफाई का अभियान चलाया। दो-सौ दिनों तक चले इस अभियान में लोगों ने बिना रुके, बिना थके, एक team-work के साथ किले की सफाई का कार्य किया। दो-सौ दिन लगातार। ‘before और after’ – ये photo उन्होंने मुझे भेजे हैं। photo देख कर के भी मैं दंग रह गया और जो भी इस photo को देखेगा जिसके भी मन में अपने आस-पास की गंदगी को देख कर कभी निराशा होती हो, कभी उसको लगता हो कि स्वच्छता का सपना कैसे पूरा होगा – तो मैं ऐसे लोगो को कहूँगा Ecological Protection Organisation के युवाओं को, उनके पसीनों को, उनके हौसले को, उनके संकल्प को, उन जीती-जागती तस्वीरों में आप देख सकते हैं। उसे देखते ही आपकी निराशा, विश्वास में ही बदल जाएगी। स्वच्छता का ये भगीरथ प्रयास सौन्दर्य, सामूहिकता और सातत्यता का एक अद्भुत उदाहरण है। किले तो हमारी विरासत का प्रतीक हैं। ऐतिहासिक धरोहरों को सुरक्षित और स्वच्छ रखने की ज़िम्मेवारी हम सभी देशवासियों की है। मैं Ecological Protection Organisation के और उनकी पूरी टीम को और चंद्रपुर के नागरिकों को बहुत-बहुत बधाई देता हूँ।
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मेरे प्यारे देशवासियो, आने वाले 4 नवम्बर को हम सब गुरु नानक जयंती मनाएंगे। गुरु नानक देव जी, सिक्खों के पहले गुरु ही नहीं बल्कि वो जगत-गुरु हैं। उन्होंने पूरी मानवता के कल्याण के बारे में सोचा, उन्होंने सभी जातियों को एक समान बताया। महिला सशक्तिकरण एवं नारी सम्मान पर ज़ोर दिया था। गुरु नानक देव जी ने पैदल ही 28 हज़ार किलोमीटर की यात्रा की और अपनी इस यात्रा के दौरान उन्होंने सच्ची मानवता का सन्देश दिया। उन्होंने लोगों से संवाद किया, उन्हें सच्चाई, त्याग और कर्म-निष्ठा का मार्ग दिखाया। उन्होंने समाज में समानता का सन्देश दिया और अपने इस सन्देश को बातों से ही नहीं, अपने कर्म से करके दिखाया। उन्होंने लंगर चलाया जिससे लोगों में सेवा-भावना पैदा हुई। इकट्ठे बैठकर लंगर ग्रहण करने से लोगों में एकता और समानता का भाव जागृत हुआ। गुरु नानक देव जी ने सार्थक जीवन के तीन सन्देश दिए – परमात्मा का नाम जपो, मेहनत करो – काम करो और ज़रुरतमंदों की मदद करो। गुरु नानक देव जी ने अपनी बात कहने के लिए ‘गुरबाणी’ की रचना भी की। आने वाले वर्ष 2019 में, हम गुरु नानक देव जी का 550वाँ प्रकाश वर्ष मनाने जा रहे हैं। आइए, हम उनके सन्देश और शिक्षा के मार्ग पर आगे बढ़ने की कोशिश करें।
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