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मेरे प्यारे देशवासियों, नमस्कार। हर ‘मन की बात’ से पहले, देश के हर कोने से, हर आयु वर्ग के लोगों से, ‘मन की बात’ को ले करके ढ़ेर सारे सुझाव आते हैं। आकाशवाणी पर आते हैं, Narendra Modi App पर आते हैं, MyGov के माध्यम से आते हैं, फ़ोन के द्वारा आते हैं, recorded message के द्वारा आते हैं। और जब कभी-कभी मैं उसे समय निकाल करके देखता हूँ तो मेरे लिये एक सुखद अनुभव होता है। इतनी विविधताओं से भरी हुई जानकारियाँ मिलती हैं।
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शुरू में ‘मन की बात’ को लेकर के भी जब सुझाव आते थे, सलाह के शब्द सुनाई देते थे, पढ़ने को मिलते थे, तो हमारी टीम को भी यही लगता था कि ये बहुत सारे लोगों को शायद ये आदत होगी, लेकिन हमने ज़रा बारीकी से देखने की कोशिश की तो मैं सचमुच में इतना भाव-विभोर हो गया। ज़्यादातर सुझाव देने वाले लोग वो हैं, मुझ तक पहुँचने का प्रयास करने वाले लोग वो हैं, जो सचमुच में अपने जीवन में कुछ-न-कुछ करते हैं। कुछ अच्छा हो उस पर वो अपनी बुद्धि, शक्ति, सामर्थ्य, परिस्थिति के अनुसार प्रयत्नरत हैं। और ये चीजें जब ध्यान में आयी तो मुझे लगा कि ये सुझाव सामान्य नहीं हैं। ये अनुभव के निचोड़ से निकले हुए हैं। कुछ लोग सुझाव इसलिये भी देतें हैं कि उनको लगता है कि अगर यही विचार वहाँ, जहाँ काम कर रहे हैं, वो विचार अगर और लोग सुनें और उसका एक व्यापक रूप मिल जाए तो बहुत लोगों को फायदा हो सकता है। और इसलिये उनकी स्वाभाविक इच्छा रहती है कि ‘मन की बात’ में अगर इसका ज़िक्र हो जाए। ये सभी बातें मेरी दृष्टि से अत्यंत सकारात्मक हैं।
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पिछली बात ‘मन की बात’ में कुछ लोगों ने मुझे सुझाव दिया था food waste हो रहा है, उसके संबंध में चिंता जताई थी और मैंने उल्लेख किया। और जब उल्लेख किया तो उसके बाद Narendra Modi App पर, MyGov पर देश के अनेक कोने में से अनेक लोगों ने, कैसे-कैसे Innovative ideas के साथ food waste को बचाने के लिये क्या-क्या प्रयोग किये हैं। मैंने भी कभी सोचा नहीं था आज हमारे देश में खासकर के युवा-पीढ़ी, लम्बे अरसे से इस काम को कर रही है। कुछ सामाजिक संस्थायें करती हैं, ये तो हम कई वर्षों से जानते आए हैं, लेकिन मेरे देश के युवा इसमें लगे हुए हैं – ये तो मुझे बाद में पता चला। कइयों ने मुझे videos भेजे हैं। कई स्थान हैं जहाँ रोटी बैंक चल रही हैं। लोग रोटी बैंक में, अपने यहाँ से रोटी जमा करवाते हैं, सब्जी जमा करवाते हैं और जो needy लोग हैं वे वहाँ उसे प्राप्त भी कर लेते हैं। देने वाले को भी संतोष होता है, लेने वाले को भी कभी नीचा नहीं देखना पड़ता है। समाज के सहयोग से कैसे काम होते हैं, इसका ये उदाहरण है।
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एक ज़माना था जब climate change ये academic world का विषय रहता था, seminar का विषय रहता था। लेकिन आज, हम लोगों की रोज़मर्रा की ज़िंदगी में, हम अनुभव भी करते हैं, अचरज़ भी करते हैं। कुदरत ने भी, खेल के सारे नियम बदल दिये हैं। हमारे देश में मई-जून में जो गर्मी होती है, वो इस बार मार्च-अप्रैल में अनुभव करने की नौबत आ गयी। और मुझे ‘मन की बात’ पर जब मैं लोगों के सुझाव ले रहा था, तो ज़्यादातर सुझाव इन गर्मी के समय में क्या करना चाहिये, उस पर लोगों ने मुझे दिये हैं। वैसे सारी बातें प्रचलित हैं। नया नहीं होता है लेकिन फिर भी समय पर उसका पुनःस्मरण बहुत काम आता है।
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