MUTANT / mankibaat /37.txt
RajveeSheth's picture
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मेरे प्यारे देशवासियों, आप सबको नमस्कार । आकाशवाणी के माध्यम से ‘मन की बात’ करते-करते तीन वर्ष पूरे हो गए हैं । आज ये 36वाँ episode है । ‘मन की बात’ एक प्रकार से भारत की जो सकारात्मक शक्ति है, देश के कोने-कोने में जो भावनाएँ भरी पड़ी हैं, इच्छाएँ हैं, अपेक्षाएँ हैं, कहीं-कहीं शिकायत भी है – एक जन-मन में जो भाव उमड़ते रहते हैं ‘मन की बात’ ने उन सब भावों से मुझे जुड़ने का एक बड़ा अद्भुत अवसर दिया और मैंने कभी ये नहीं कहा है कि मेरे मन की बात है । ये ‘मन की बात’ देशवासियों के मन से जुड़ी हैं, उनके भाव से जुड़ी हैं, उनकी आशा-अपेक्षाओं से जुड़ी हुई हैं । और जब ‘मन की बात’ में बातें मैं बताता हूँ तो उसे देश के हर कोने से जो लोग मुझे अपनी बातें भेजते हैं, आपको तो शायद मैं बहुत कम कह पाता हूँ लेकिन मुझे तो भरपूर खज़ाना मिल जाता है । चाहे email पर हो, टेलीफोन पर हो, mygov पर हो, NarendraModiApp पर हो, इतनी बातें मेरे तक पहुँचती हैं । अधिकतम तो मुझे प्रेरणा देने वाली होती हैं । बहुत सारी, सरकार में सुधार के लिए होती हैं । कहीं व्यक्तिगत शिकायत भी होती हैं तो कहीं सामूहिक समस्या पर ध्यान आकर्षित किया जाता है । और मैं तो महीने में एक बार आधा घंटा आपका लेता हूँ, लेकिन लोग, तीसों दिन ‘मन की बात’ के ऊपर अपनी बातें पहुँचाते हैं । और उसका परिणाम ये आया है कि सरकार में भी संवेदनशीलता, समाज के दूर-सुदूर कैसी-कैसी शक्तियाँ पड़ी हैं, उस पर उसका ध्यान जाना, ये सहज अनुभव आ रहा है । और इसलिए ‘मन की बात’ की तीन साल की ये यात्रा देशवासियों की, भावनाओं की, अनुभूति की एक यात्रा है । और शायद इतने कम समय में देश के सामान्य मानव के भावों को जानने-समझने का जो मुझे अवसर मिला है और इसके लिए मैं देशवासियों का बहुत आभारी हूँ । ‘मन की बात’ में मैंने हमेशा आचार्य विनोबा भावे की उस बात को याद रखा है । आचार्य विनोबा भावे हमेशा कहते थे ‘अ-सरकारी, असरकारी ’ । मैंने भी ‘मन की बात’ को, इस देश के जन को केंद्र में रखने का प्रयास किया है । राजनीति के रंग से उसको दूर रखा है । तत्कालीन, जो गर्मी होती है, आक्रोश होता है, उसमें भी बह जाने के बजाय, एक स्थिर मन से, आपके साथ जुड़े रहने का प्रयास किया है । मैं ज़रूर मानता हूँ, अब तीन साल के बाद social scientists, universities, reseach scholars, media experts ज़रूर इसका analysis करेंगे । plus-minus हर चीज़ को उजागर करेंगे । और मुझे विश्वास है कि ये विचार-विमर्श भविष्य ‘मन की बात’ के लिए भी अधिक उपयोगी होगा, उसमें एक नयी चेतना, नयी ऊर्जा मिलेगी । और मैंने जब एक बार ‘मन की बात’ में कही थी कि हमें भोजन करते समय चिंता करनी चाहिये कि जितनी ज़रूरत है उतना ही लें, हम उसको बर्बाद न करें । लेकिन उसके बाद मैंने देखा कि देश के हर कोने से मुझे इतनी चिट्ठियाँ आयी, अनेक सामाजिक संगठन, अनेक नवयुवक पहले से ही इस काम को कर रहे हैं । जो अन्न थाली में छोड़ दिया जाता है उसको इकट्ठा करके, उसका सदुपयोग कैसे हो इसमें काम करने वाले इतने लोग मेरे इतने ध्यान में आये, मेरे मन को इतना बड़ा संतोष हुआ, इतना आनंद हुआ ।
हम लोग बहुत स्वाभाविक रूप से कहते हैं – विविधता में एकता, भारत की विशेषता । विविधता का हम गौरव करते हैं लेकिन क्या कभी आपने इस विविधता को अनुभव करने का प्रयास किया है क्या? मैं बार-बार हिंदुस्तान के मेरे देशवासियों से कहना चाहूँगा और ख़ास करके मेरी युवा-पीढ़ी को कहना चाहूँगा कि हम एक जागृत-अवस्था में हैं । इस भारत की विविधताओं का अनुभव करें, उसको स्पर्श करें, उसकी महक को अनुभव करें । आप देखिये, आपके भीतर के व्यक्तित्व के विकास के लिए भी हमारे देश की ये विविधतायें एक बहुत बड़ी पाठशाला का काम करती है । Vacation है, दिवाली के दिन है, हमारे देश में चारों तरफ कहीं-न-कहीं जाने का स्वभाव बना हुआ है ,लोग जाते हैं tourist के नाते और बहुत स्वाभाविक है । लेकिन कभी-कभी चिंता होती है कि हम अपने देश को तो देखते नहीं हैं, देश की विविधताओं को जानते नहीं, समझते नहीं, लेकिन चका-चौंध के प्रभाव में आकर के विदेशों में ही tour करना पसंद करना शुरू किये हैं । आप दुनिया में जायें मुझे कोई एतराज़ नहीं है, लेकिन कभी अपने घर को भी तो देखें ! उत्तर-भारत के व्यक्ति को पता नहीं होगा कि दक्षिण-भारत में क्या है? पश्चिम-भारत के व्यक्ति को पता नहीं होगा कि पूर्व-भारत में क्या है? हमारा देश कितनी विविधताओं से भरा हुआ है ।
मेरे प्यारे देशवासियो, नवरात्रि का पर्व चल रहा है । माँ दुर्गा की पूजा का अवसर है । पूरा माहौल पावन पवित्र सुगंध से व्याप्त है । चारों तरफ़ एक आध्यात्मिकता का वातावरण, उत्सव का वातावरण, भक्ति का वातावरण और ये सब कुछ शक्ति की साधना का पर्व माना जाता है । ये शारदीय-नवरात्रि के रूप में जाना जाता है । और यहीं से शरद-ऋतु का आरंभ होता है । नवरात्रि के इस पावन-पर्व पर मैं देशवासियों को अनेक-अनेक शुभकामनायें देता हूँ और माँ-शक्ति से प्रार्थना करता हूँ कि देश के सामान्य-मानव के जीवन की आशा-आकांक्षाओं को पूर्ण करने के लिए हमारा देश नई ऊँचाइयों को प्राप्त करे । हर चुनौतियों का सामना करने का सामर्थ्य देश को आए । देश तेज़ गति से आगे बढ़े और दो हज़ार बाईस (2022) भारत की आज़ादी के 75 साल- आज़ादी के दीवानों के सपनों को पूरा करने का प्रयास, सवा-सौ करोड़ देशवासियों का संकल्प, अथाह मेहनत, अथाह पुरुषार्थ और संकल्प को साकार करने के लिए पांच साल का road map बना करके हम चल पड़े और माँ शक्ति हमे आशीर्वाद दे । आप सब को बहुत-बहुत शुभकामनाएँ । उत्सव भी मनायें, उत्साह भी बढ़ायें ।