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मेरे प्यारे देशवासियो, इन दिनों हिन्दुस्तान के हर कोने में गणेश चतुर्थी की धूम मची हुई है और जब गणेश चतुर्थी की बात आती है तो सार्वजनिक-गणेशोत्सव की बात स्वाभाविक है | बालगंगाधर लोकमान्य तिलक ने 125 साल पूर्व इस परंपरा को जन्म दिया और पिछले 125 साल आज़ादी के पहले वो आज़ादी के आन्दोलन का प्रतीक बन गए थे | और आज़ादी के बाद वे समाज-शिक्षा, सामाजिक-चेतना जगाने के प्रतीक बन गये हैं | गणेश चतुर्थी का पर्व 10 दिनों तक चलता है | इस महापर्व को एकता, समता और शुचिता का प्रतीक कहा जाता है | सभी देशवासियों को गणेशोत्सव की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ |
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इन त्योहारों की श्रृंखला में कुछ ही दिन बाद देश भर में ‘ईद-उल-जुहा’ का पर्व भी मनाया जाएगा | सभी देशवासियों को ‘ईद-उल-जुहा’ की बहुत-बहुत बधाइयाँ, बहुत शुभकामनाएँ | त्योहार हमारे लिए आस्था और विश्वास के प्रतीक तो हैं ही, हमें नये भारत में त्योहारों को स्वच्छता का भी प्रतीक बनाना है | पारिवारिक जीवन में तो त्योहार और स्वच्छता जुड़े हुए हैं | त्योहार की तैयारी का मतलब है – साफ़-सफाई | ये हमारे लिए कोई नयी चीज़ नहीं है लेकिन ये सामाजिक स्वभाव बनाना भी ज़रूरी है | सार्वजनिक रूप से स्वच्छता का आग्रह सिर्फ़ घर में नहीं, हमारे पूरे गाँव में, पूरे नगर में, पूरे शहर में, हमारे राज्य में, हमारे देश में – स्वच्छता, ये त्योहारों के साथ एक अटूट हिस्सा बनना ही चाहिये |
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मेरे प्यारे देशवासियो, आधुनिक होने की परिभाषाएँ बदलती चली जा रही हैं | इन दिनों एक नया dimension, एक नया parameter, आप कितने संस्कारी हो, कितने आधुनिक हो, आपकी thought-process कितनी modern है, ये सब जानने में एक तराजू भी काम में आने लगा है और वो है environment के प्रति आप कितने सजग हैं | आपके अपनी गतिविधियों में eco-friendly, environment-friendly व्यवहार है कि उसके खिलाफ़ है | समाज में अगर उसके ख़िलाफ़ है तो आज बुरा माना जाता है | और उसी का परिणाम आज मैं देख रहा हूँ कि इन दिनों ये गणेशोत्सव में भी eco-friendly गणपति, मानो एक बड़ा अभियान खड़ा हो गया है | अगर आप You Tube पर जा करके देखेंगे, हर घर में बच्चे गणेश जी बना रहे हैं, मिट्टी ला करके गणेश जी बना रहे हैं | उसमें रंग पुताई कर रहे हैं | कोई vegetable के colour लगा रहा है, कोई कागज़ के टुकड़े चिपका रहा है | भांति-भांति के प्रयोग हर परिवार में हो रहे हैं | एक प्रकार से environment consciousness का इतना बड़ा व्यापक प्रशिक्षण इस गणेशोत्सव में देखने को मिला है, शायद ही पहले कभी मिला हो | Media house भी बहुत बड़ी मात्रा में eco friendly गणेश की मूर्तियों के लिए लोगों को प्रशिक्षित कर रहे हैं, प्रेरित कर रहे हैं, guide कर रहे हैं | देखिए कितना बड़ा बदलाव आया है और ये सुखद बदलाव है | और जैसा मैंने कहा हमारा देश, करोड़ों – करोड़ों तेजस्वी दिमागों से भी भरा हुआ है | और बड़ा अच्छा लगता है जब कोई नये-नये innovation जानते हैं | मुझे किसी ने बताया कि कोई एक सज्जन हैं जो स्वयं engineer हैं, उन्होंने एक विशिष्ट प्रकार से मिट्टी इकट्ठी करके, उसका combination करके, गणेश जी बनाने की training लोगों की और वो एक छोटी से बाल्टी में, पानी में गणेश विसर्जन होता है तो उसी में रखते हैं तो पानी में तुरंत dilute हो जाती है | और उन्होंने यहाँ पर रुके नहीं हैं उसमें एक तुलसी का पौधा बो दिया और पौधे बो दिए | तीन वर्ष पूर्व जब स्वच्छता का अभियान प्रारंभ किया था, 2 अक्टूबर को उसको तीन साल हो जायेंगे | और, उसके सकारात्मक परिणाम नज़र आ रहे हैं | शौचालयों की coverage 39% से करीब-करीब 67% पहुँची हैं | 2 लाख 30 हज़ार से भी ज्यादा गाँव, खुले में शौच से अपने आपको मुक्त घोषित कर चुके हैं |
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पिछले दिनों गुजरात में भयंकर बाढ़ आई | काफ़ी लोग अपनी जान गंवा बैठे लेकिन बाढ़ के बाद जब पानी कम हुआ तो हर जगह इतनी गन्दगी फ़ैल गई थी | ऐसे समय में गुजरात के बनासकांठा ज़िले के धानेरा में, जमीयत उलेमा–ए–हिन्द के कार्यकर्ताओं ने बाढ़ – प्रभावित 22 मंदिरों एवं 3 मस्जिदों की चरणबद्ध तरीक़े से साफ़-सफ़ाई की | ख़ुद का पसीना बहाया, सब लोग निकल पड़े | स्वच्छता के लिए एकता का उत्तम उदाहरण, हर किसी को प्रेरणा देने वाला ऐसा उदाहरण, जमीयत उलेमा–ए–हिन्द के सभी कार्यकर्ताओं ने दिया | स्वच्छता के लिए समर्पण भाव से किया गया प्रयास, ये अगर हमारा स्थायी स्वभाव बन जाए तो हमारा देश कहाँ से कहाँ पहुँच सकता है |
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मेरे प्यारे देशवासियो, मैं आप सभी से एक आह्वान करता हूँ कि एक बार फिर 2 अक्टूबर गाँधी जयंती से 15-20 दिन पहले से ही ‘स्वच्छता ही सेवा’ – जैसे पहले कहते थे ‘जल सेवा यही प्रभु सेवा’, ‘स्वच्छता ही सेवा’ की एक मुहिम चलायें | पूरे देश में स्वच्छता के लिए माहौल बनाएं | जैसा अवसर मिले, जहाँ भी अवसर मिले, हम अवसर ढूंढें | लेकिन हम सभी जुड़ें | इसे एक प्रकार से दिवाली की तैयारी मान लें, इसे एक प्रकार से नवरात्र की तैयारी मान लें, दुर्गा पूजा की तैयारी मान लें | श्रमदान करें | छुट्टी के दिन या रविवार को इकठ्ठा हो कर एक-साथ काम करें | आस-पड़ोस की बस्ती में जायें, नज़दीक के गाँव में जायें, लेकिन एक आन्दोलन के रूप में करें | मैं सभी NGOs को, स्कूलों को, colleges को, सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक नेतृत्व को, सरकार के अफसरों को, कलेक्टरों को, सरपंचों को हर किसी से आग्रह करता हूँ कि 2 अक्टूबर महात्मा गाँधी की जन्म-जयंती के पहले ही, 15 दिन, हम एक ऐसी स्वच्छता का वातावरण बनाएं, ऐसा स्वच्छता खड़ी कर दें कि 2 अक्टूबर सचमुच में गाँधी के सपनों वाली 2 अक्टूबर हो जाए | पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय, MyGov.in पर एक section बनाया है जहाँ शौचालय निर्माण के बाद आप अपना नाम और उस परिवार का नाम प्रविष्ट कर सकते हैं, जिसकी आपने मदद की है | मेरे social media के मित्र कुछ रचनात्मक अभियान चला सकते हैं और virtual world का धरातल पर काम हो, उसकी प्रेरणा बना सकते हैं | स्वच्छ-संकल्प से स्वच्छ-सिद्धि प्रतियोगिता, पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय द्वारा ये अभियान जिसमें आप निबंध की स्पर्धा है, लघु-फिल्म बनाने की स्पर्धा है, चित्रकला-प्रतियोगिता आयोजित की जा रही है | इसमें आप विभिन्न भाषाओँ में निबंध लिख सकते हैं और उसमें कोई उम्र की मर्यादा नहीं है, कोई age limit नहीं है | आप short film बना सकते हैं, अपने mobile से बना सकते हैं | 2-3 मिनट की फिल्म बना सकते हैं जो स्वच्छता के लिए प्रेरणा दे | वो किसी भी language में हो सकती है, वो silent भी हो सकती है | ये जो प्रतियोगिता में हिस्सा लेंगे उसमें से जो best तीन लोग चुने जायेंगे, district level पर तीन होंगे, state level पर तीन होंगे उनको पुरस्कार दिया जाएगा | तो मैं हर किसी को निमंत्रण देता हूँ कि आइये, स्वच्छता के इस अभियान के इस रूप में भी आप जुड़ें |
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मेरे प्यारे देशवासियो, मैं आज एक विशेष रूप से आप सब का ऋण स्वीकार करना चाहता हूँ | ह्रदय की गहराई से मैं आप का आभार व्यक्त करना चाहता हूँ, इसलिए नहीं कि इतने लम्बे अरसे तक आप ‘मन की बात’ से जुड़े रहे | मैं इसलिए आभार व्यक्त करना चाहता हूँ, ऋण स्वीकार करना चाहता हूँ क्योंकि ‘मन की बात’ के इस कार्यक्रम के साथ देश के हर कोने से लाखों लोग जुड़ जाते हैं | सुनने वालों की संख्या तो करोड़ों में है, लेकिन लाखों लोग मुझे कभी पत्र लिखते हैं, कभी message देते हैं, कभी फ़ोन पे सन्देश आ जाता है, मेरे लिए एक बहुत बड़ा खज़ाना है | देश के जन-जन के मन को जानने के लिए ये मेरे लिए एक बहुत बड़ा अवसर बन गया है | आप जितना ‘मन की बात’ का इंतज़ार करते हैं उससे ज़्यादा मैं आपके संदेशों का इंतज़ार करता हूँ | मैं लालायित रहता हूँ क्योंकि आप की हर बात से मुझे कुछ सीखने को मिलता है | मैं जो कर रहा हूँ उसको कसौटी पर कसने का अवसर मिल जाता है | बहुत-सी बातों को नये तरीक़े से सोचने के लिए आपकी छोटी-छोटी बातें भी मुझे काम आती हैं और इसलिए मैं आपके इस योगदान के लिए आपका आभार व्यक्त करता हूँ, आपका ऋण स्वीकार करता हूँ और मेरे प्रयास रहता है कि ज़्यादा-से-ज़्यादा आपकी बातों को मैं स्वयं देखूँ, सुनूँ, पढूँ, समझूँ और ऐसी-ऐसी बातें आती हैं | अब देखिये, अब इस phone call से आप भी अपने आपको co-relate करते होंगे | आपको भी लगता होगा हाँ यार, आपने कभी ऐसी गलती की है | कभी-कभी तो कुछ चीज़ें हमारी आदत का ऐसा हिस्सा बन जाती हैं कि हमें लगता ही नहीं है कि हम ग़लत करते हैं |
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अब ये phone call सुनने के बाद, मुझे पक्का विश्वास है कि आप चौंक भी गये होंगे, चौकन्ने भी हो गये होंगे और हो सकता है आगे से ऐसी गलती न करने का मन में तय भी कर लिये होंगे | क्या आपको नहीं लगता है कि जब हम, हमारे घर के आस-पास कोई सामान बेचने के लिए आता है, कोई फेरी लगाने वाला आता है, किसी छोटे दुकानदार से, सब्ज़ी बेचने वालों से हमारा संबंध आ जाता है, कभी ऑटो-रिक्शा वाले से संबंध आता है – जब भी हमारा किसी मेहनतकश व्यक्ति के साथ संबंध आता है तो हम उससे भाव का तोल-मोल करने लग जाते हैं, मोल-भाव करने लग जाते हैं – नहीं इतना नहीं, दो रूपया कम करो, पाँच रुपया कम करो | और हम ही लोग किसी बड़े restaurant में खाना खाने जाते हैं तो बिल में क्या लिखा है देखते भी नहीं हैं, धड़ाम से पैसे दे देते हैं | इतना ही नहीं showroom में साड़ी ख़रीदने जायें, कोई मोल-भाव नहीं करते हैं लेकिन किसी ग़रीब से अपना नाता आ जाये तो मोल-भाव किये बिना रहते नहीं हैं | ग़रीब के मन को क्या होता होगा, ये कभी आपने सोचा है ? उसके लिए सवाल दो रूपये – पांच रूपये का नहीं है | उसके ह्रदय को चोट पहुँचती है कि आपने वो ग़रीब है इसलिए उसकी ईमानदारी पर शक किया है | दो रूपया – पांच रूपया आपके जीवन में कोई फ़र्क नहीं पड़ता है लेकिन आपकी ये छोटी-सी आदत उसके मन को कितना गहरा धक्का लगाती होगी कभी ये सोचा है ? मैडम, मैं आप का आभारी हूँ आपने इतना ह्रदय को छूने वाला phone call करके एक message मुझे दिया | मुझे विश्वास है कि मेरे देशवासी भी ग़रीब के साथ ऐसा व्यवहार करने की आदत होगी तो ज़रुर छोड़ देंगे|
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