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मेरे प्यारे देशवासियो ! इस बार मैं ‘मन की बात’ के लिए आये सुझावों को देख रहा था। तब देशभर के लोगों ने जिस विषय पर सबसे अधिक लिखा, वह विषय है –‘हम सब के प्रिय श्रीमान् अटल बिहारी वाजपेयी’। गाज़ियाबाद से कीर्ति, सोनीपत से स्वाति वत्स, केरल से भाई प्रवीण, पश्चिम बंगाल से डॉक्टर स्वप्न बैनर्जी, बिहार के कटिहार से अखिलेश पाण्डे, न जाने कितने अनगिनत लोगों ने Narendra Modi Mobile App पर और Mygov पर लिखकर मुझे अटल जी के जीवन के विभिन्न पहलुओं के बारे में बात करने का आग्रह किया है। 16 अगस्त को जैसे ही देश और दुनिया ने अटल जी के निधन का समाचार सुना, हर कोई शोक में डूब गया। एक ऐसे राष्ट्र नेता, जिन्होंने 14 वर्ष पहले प्रधानमंत्री पद छोड़ दिया था। एक प्रकार से गत् 10 वर्ष से वे सक्रिय राजनीति से काफ़ी दूर चले गए थे। ख़बरों में कहीं दिखाई नहीं देते थे, सार्वजनिक रूप से नज़र नहीं आते थे। 10 साल का अन्तराल बहुत बड़ा होता है लेकिन 16 अगस्त के बाद देश और दुनिया ने देखा कि हिन्दुस्तान के सामान्य मानवी (मानव)के मन में ये दस साल के कालखंड ने एक पल का भी अंतराल नहीं होने दिया। अटल जी के लिए जिस प्रकार का स्नेह, जो श्रद्धा और जो शोक की भावना पूरे देश में उमड़ पड़ी, वो उनके विशाल व्यक्तित्व को दर्शाती है। पिछले कई दिनों से अटल जी के उत्तम से उत्तम पहलू देश के सामने आ ही गए हैं। लोगों ने उन्हें उत्तम सांसद, संवेदनशील लेखक, श्रेष्ठ वक्ता, लोकप्रिय प्रधानमंत्री के रूप में याद किया है और करते हैं। सुशासन यानी good governance को मुख्य धारा में लाने के लिए यह देश सदा अटल जी का आभारी रहेगा लेकिन मैं आज अटल जी के विशाल व्यक्तित्व का एक और पहलू, उसे सिर्फ स्पर्श करना चाहता हूँ और यह अटल जी ने भारत को जो political culture दिया,political culture में जो बदलाव लाने का प्रयास किया, उसको व्यवस्था के ढांचे में ढालने का प्रयास किया और जिसके कारण भारत को बहुत लाभ हुआ हैं और आगे आने वाले दिनों में बहुत लाभ होने वाला है। ये भी पक्का है। भारत हमेशा 91वें संशोधन अधिनियम two thousand three के लिए अटल जी का कृतज्ञ रहेगा। इस बदलाव ने भारत की राजनीति में दो महत्वपूर्ण परिवर्तन किये।
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